Videha ‘िवदेह’
Videha_01_11_2008_Tirhuta
Videha_01_11_2008_Tirhuta
You also want an ePaper? Increase the reach of your titles
YUMPU automatically turns print PDFs into web optimized ePapers that Google loves.
<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िवमान छैक जे माछ खाइत काल जँ गऽरमे का ँट अटिक गेल तँ तकरो गलाकऽसमा कऽ दैत छैक।गजलक बगय-बािन देखबामे भलिह गीतेजका ँ सुरेबगर लगैक, एिहमे गीतसननरमाहिट निह होइत छैक। उसराह मभूिममे पोसाएल भेलाक कार गजलकभाव िकछु उठ होइत छैक। ई कर इामीसभक सितमे बेसी रहल अिछ, तेँएकर भावमे “जब कुछ न चलेगी तो ये तलवार चलेगा” सन तेज तेवरबेसीदेखबामे अबैत छैक। यिप गजलकेँ मक अिभिक सश माम मानल जाइतछैक। गजल किहतिहँदेरी लोकक मन-मिमे ममय माहौल नािच उठैत छैक,एिह बातसँ हम कतहु असहमत निह छी। मुदा गजलमे मक बात सेहो बेसधरगर अाजमे कहल जाइत छैक। कहबाक ताय र् जे गजल तआिरजका ँ सीधेबेध दैत छैक लकेँ । लाइलपटमे बेसी निह रहैत छैक गजल। िमिथलाकसभर्मे गीत आ गजलक एिह तरहेँ जँ अर देखबऽ चाही तँ ई कहल जासकैत अिछ जे गजल फूलक पणपय र् तआिरजका ँ करैत अिछ, जखन िक गीततआिर सेहो फूलजका ँ भँजैत अिछ।मैिथलीमे संाक पेँ गजल आनिह िवधाजका ँ भलिह कम िलखल जाइत रहल हो,मुदा गुणवाक दृ िएँ ई िही वा पाली गजलसँ कतहु कको झ ूस निह देखबामेअबैत अिछ। एकर कारण इहो भऽ सकैत छैक जे िही, पाली आ मैिथली तीन ूभाषामे गजलक वेश एिह मुहूर्मे भेल छैक। गजलक ीगश करौिनहारिहीक भारतेु, पालीक मोतीराम भ आ मैिथलीक पं. जीवन झा एिहकालखक ासभ छिथ।मैिथलीयोमे गजल आब एतबा िलखल जा चुकल अिछ जे एकर संरचनाक मादे िकछुकहनाइ िदनिहमे िडिबया बारबजका ँ लगैत अिछ। एहमे यदाकदा गजलक नामपरिकछु एह पाितसभ ँ पपिकामे अभिर जाइत अिछ, जकरा देखलापर मोन िकछुझ ुझ ुआन भइए जाइत छैक। कतेकोगोटेक रचना देखलापर एह ब ुझाइत अिछ,जेना ओलोकिन द ू-द ू पाितवला ँ तुकबीक एकटा सम ूहकेँ गजल ब ूझैत छिथ। हमराजत ओलोकिन गजलकेँ द ूरेसँ देिखकऽ ओिहमे अपन पाि छा ँटब शु कऽ दैतछिथ। जँ मैिथली सािहक गुणधम र्केँ आसात कऽ चलैत को ि एकबेर द ू-चािरटा गजल ढसँ देिख िलअए, तँ हमरा जत ओकरामे गजलक संरचनाित कोतरहक ििवधा निह रिह जएतैक।तेँ सामातः गजलक समे नव िजज्ञासुक लेल जँ िकछु कहल जाए तँ िवना कोपािरभािषक शक योग कए हम एिह तरहेँ अपन िवचार राखऽ चाहैत छी-गजलक पिहल द ू पाितक ँ अाास िमलल रहैत छैक। अिम एक, द ू वा अिधकश सभ पाितमे ँ सिझया रहलहुपर साझी शसँ पिहक शमेअास वा कही तुकबी22