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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्झा िछयिन। सरल आ सु भाषा-श ैलीमे िलखिनहार मिष र् कथा, किवताक अितिर लेख, िनब,अवाद आ पकािरताक मामसँ मैिथली आ पाली द ुन ू भाषाक मे सुपिरिचत छिथ। पालकूली कक्षा १,२,३,४,९ आ १०क ऐिक मैिथली तथा १० कक्षाक ऐिक िही िवषयक पापुकक लेखनसेहो कए छिथ। सािहिक मे िहनक एक सािदत आ एक अनिदत ू कृित कािशत छिन। मिष र्लेखनक अितिर सीत, अिभनय आ समाचार-वाचन सँ सेहो स छिथ। पालक पिहल मैिथलीटेिलिफ िमिथलाक था आ ऐितहािसक मैिथली टेिलृला महाकिव िवापित सिहत अको नाटकमेअिभनय आ िनदेर्शन कऽ चुकल मिष र्केँ पालसँ पिहलबेर मैिथली गीतक कैसेट किलयुगी दिनयाुिनकालबाक य सेहो जाइत छिन। िहनक र सीतमे आधा दजर्नसँ अिधक कैसेट एलबम बाहर भऽचुकल अिछ। कािपुरसँ हेो िमिथला काय र्म ुत कता र् जोड़◌ी पा-धीरेक धीरेक अबाजगामक बा-बा िचैत अिछ। “पव” मैिथली सािहिक पिका आ “समाज” मैिथली सामािजक पिकाकसादन।मैिथलीमे गजल आ एकर संरचना-धीरे मिष र्प-र एव ं चािल-कृित देखलापर गीत आ गजल द ुन ू सहोदरे ब ुझाइत छैक।मुदा मैिथलीमे गीत अित ाचीन काश ैलीक पमे चलैत आएल अिछ, जखन िकगजल अपेक्षाकृत अ नवीन पमे। एखन द ुन ूकेँ एकठाम देखलापर एना लगैतछैक जेना गीत-गजल को कुक मेलामे एक-दोसरासँ िबछुड़ि◌ गेल छल।मेलामे भोितआइत-भासैत गजल अरबिदस पहु ँिच गेल। गजल ओरे पलल-बढ़लआ जखन बेस ज ुआन भऽ गेल तँ अपन िबछुड़ल सहोदरकेँ तकैत गीतक गामिमिथलाधिर सेहो पहु ँिच गेल। जखन द ुन ूक भेट भेलैक तँ िकछु समय द ुन ूमेअपिरचयक अवा बनल रहलैक। िमिथलाक मािटमे पोसाएल गीत एकरा अपन जगहका करऽ आएल ितीक पमे सेहो देखलक। मुदा जखन द ुन ू एक-दोसराकेँलगसँ िहयाकऽ देखलक तखन ब ुझबामे अएलैक-आिह रे बा, हमरासभमे एना बैरिकएक, हम द ुन ू तँ सहोदरे छी! तकरा बाद िमिथलाक धरतीपर डेगसँ डेग िमला द ुन ूप ूण र् ा भावेँ िनरर आगा ँ बढ़◌ैत रहल अिछ।गीत आ गजलक प देखलापर द ुन ूक भावमे अपन पोसुआ जगहक ानीयताकअसिर प ूराप ूर देखबामे अबैत अिछ। गीत एना लगैत छैक जेना रिबरी फूलकेँसैँितकऽ सजाओल सेजौट हो। िमिथलाक गीतमे का ँटोसन बात जँ कहल जाइछ तँफूलेसन मोलायम भावमे। एकरा हम एहू तरहेँ किह सकैत छी जे गीत फूलकलतमारापर चलबैत लोककेँ भावक ऊँ चाइधिर पहु ँचबैत अिछ। एिहमे िमिथलाकलोकवहार एव ं मानवीय भाव मुख भूिमका िनवाह र् करैत आएल अिछ। जािह भाषाकगािरयोमे िरदम आ मध ुरता होइत छैक, ओिह भूिमपर पोसाएल गीतक प कटाह-धराह भइए निह सकैत अिछ। कही जे गीतमे तँ लालीगुरा ँसक फूलजका ँ ओ ताकत21

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