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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्फंसल रहैक। सोना वा ंचल छलीह एहु द ुआरे जे ओकर र ंग ओतेक साफ निह रहैक,आ आन छौड़◌ी जका ं लब-लब ओ करैत छल। ाहककें ब ुझाइक एिह मुआएलछौड़◌ीमे को जान निह हयतैक सवतः, तएं ओ चुपचाप ाहकक तीक्षामे सभसँअ धिर बैसल करए। बादमे ओकरा सोना सँ पता चललै, सभ के ाहक भेिटगेलाक वादे हारल-फुरल लोक ओकरा लग अबैक। एिहसं एक बात त जर रहैक-सोना आन बाई जका ं तोड़ल-मचोड़ल निह गेिल रहय, वा ंचल छलीह। ओकर अहारकतेज एख दपदप करैक आ सएह तेज हीराके ओकरा िदश आकिष र्त कए रहैक।पिहल सा ंझ सोनाक संग महज ाहक भऽ वीतबऽ चाहैत रहय हीरा। थािकहािर गेल छल एिह महानगरमे। बाप मायके कमाएक नाम पर द ू हजार टका लऽकलका आिब गेल रहय। ओकर गौ ंआ सभ ए कमाइ छै, कह रहैक कोसेठक ब ंगलापर िलखापढ़◌ी के काम छै िदआ देबौ।मन त रहै जे िवदेशे उड़ि◌ जाइ, बड़ लोक ओकरो गामके अरबगेलैए। िवदेशमे पाइ त होइ छै, मुदा को कम निह छैक। घर-पिरवार सँद ूर। ओ सोच रहय- उड़◌ानक बात बादमे देखल जएतै। एक बेर गौ ंएँ सभकबातके भजा ली आ कलका चिल आएल, से आइ पह िदन भऽ गेल छै, मुदाओइ सेठक ओइ ठाम काम निह भऽ सकल। ओ आबे-आबे ताबे दोसरके रिख लेरहय। ओ बौआ गेल रहय आ फेरसं सिरआ कऽ काम खोजऽ पड़ि◌ रहल छलैक।रहबालेऽ गौआक खोली रहैक आ खएबा ले सेहो किहयो काल ओकरे सभके ओिहठाम खा लैक। मुदा कलकामे खच र् त होइते छैक। काम निह भेटौक त कतेकिदन िटकत ओ...।सोना बाई टोकैत छै त ओकर तंा भंग भऽ जाइत छै- की सोचऽलगलहु। आउ, आ ाहक खोज पड़तै ।हीरा बेसं भाव ुक भावक रहल अिछ। चौबीस-पीस वष र्क उमेर भऽगेलै, बाप-माय कतबो वीआहक लेल कहैत छैक ओकरा अपन मनमे की फुरै छै कीनिह, वरोबिर मना करैत आएल अिछ। नारीक ित अ सान रखैत अिछहीरा...। आइ उएह नारीक संग...।“की भेल बाब ू साहेब, आउ सेज पर”- कहैत सोना अपन साड़◌ी खोलऽलागल। साड़◌ी खोललाक बाद ब्लाउज खोललक आ िनचा ंक साया सेहो। हीरा एखचुपचाप ठाढ़ सोनाक देहयि िनहािर रहल छलै। ओ भरल। बजैत अिछ- ओहहवसी सभ अबैत अिछ। दा पीबैत अिछ, िसकरेट जड़बैत अिछ आ ठ ुठ्ठा कख19

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