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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओकर घर अदहोक अदहा रिह गेल छलै । ओकरा भरोस भेल चल जाइत रहैजे आब ओ बिच गेल । आब िकछु निह हेतै । ओ सकुशल घर पहु ँिच जायत ।ठीक तख ओ आवाज सुनलक । आवाज पाछा ँ सँ आयल छलै । ो िकछु बाजलरहै । ओकर जी सनाक िसन उठलै । ओ पलिट कऽ ताकलक। मुदा ो देखेलैनिह । ओकरा भेलै ो अपन घरमे िकछु बाजल होयत। ओ बढ़◌ैत गेल। ’“के छी ?” - पाछा ँ सँ ो पुछलकै ।ओ ध ु िम कऽ देखलक । एक आदमी ठाढ़ छलै । ओ को जवाब निह देलक आबढ़◌ैत रहल।’अय के िछअय ? ठाढ़ रहऽ।’ - ओकर एिह आदेशसँ ओ भयभीत भऽ गेलआ अपन चािल तेज कऽ देलक । ओ आदमी अपराधी ब ुझा रहल छ्लै । अखनजँ ओ आदमी आिबकऽ ओकरा घेिर लै तऽ ओ कतबो िचिचआयत ो निह एतै। आबराित-िबराित मुसीबत मे पड़ल लोकक लेल ो निह िनकलै छै । ओ दसे डेगआग ू बढ़ल होयत िक पलिट कऽ ताकलक। तािकते ओ आतंिकत भऽ उठल। ओआदमी दौड़ल आिब रहल छलै ।ओ भागल । ओ भागल जा रहल अिछ ।ी रामभरोस कापड़ि◌ “मर” (१९५१- ) ज-बघचौरा, िजला धषा(पाल)। सम्ित-जनकपुरधाम, पाल। िभुवन िविवालयसँ एम.ए.,पी.एच.डी.(मानद)।हाल: धान सादक: गामघर साािहक, जनकपुर एस दैिनक, आ ंज ुरमािसक, आ ंगन अर्वािष र्क (काशक पाल ज्ञा ितान, कमलादी)।16

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