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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पिछया सट-सट लगै आ सौ ंसे शरीर केँ छेद चल जाइत रहै । पोन ठिर कऽपािन भऽ गेल छलै । ओ छ-छन अपन आसन बदिल रहल छल। पिछला द ू राितसँ ओ स ू ित निह सकल आ नमे झमारल गेल। थकनी आ जगरनामे और बेसी जाड़होइ छै। घर चल जइतय तऽ सीड़कमे गरमा कऽ स ू ित रिहयत।ओ िवचारलक जे टहिल कऽ िरा देख आबय । भेटलै तऽ चल जायत ।लेिकन िरा पड़◌ाव पर ो कहु निह रहै । अारमे एकटा िरा लागल छलै। देखलक सीट पर एक गोटय घोकड़◌ी लगा कऽ पड़ल अिछ । ओ एक-द ू बेरहाक देलकै । मुदा ओ आदमी निह उठलै । ओ फेर पेशोपेश मे पड़ि◌ गेल ।कक द ूर पर एक आदमी असकरे चलल जाइत रहै । ओकरा पर नजिर पड़ि◌तेओ झटिक कऽ िवदा भेल जेना ओकरा पकड़ि◌ लेत आ संग-संग घर धिर पहु ँिचजायत । ओ थोड़बे द ूर झटकल गेल होयत िक ओकर चािल म ंद पड़ि◌ गेलै ।को जरी निह जे ओ आदमी ओरे जेतै, जेर ओकरा गेनाइ छै । लेिकनको अज्ञात रणावश ओ धीरे-धीरे बढ़◌ैत गेल । आगा ँ जा कऽ एकटा मोड़ रहै। जखन ओ मोड़ पर घ ूमल आ िहयासलक तऽ ओिह आदमी के द ूर-द ूर धिर कोपता निह रहै । निह जािन ओ आदमी कतय अलोिपत भऽ गेलै । कतहु कायलओकर तीक्षा तऽ कऽ रहल छै ! अचानक ओकर देह डरसँ िसहिर उठलै । ईडर बेसी काल िटकलै निह । ओ कक और आगा ँ बढ़ल तऽ ओकर कलेजा िथर हुअयलगलै ।जाड़क पीयर मिलन इजोिरया पसरल छलै । भिरसक पिछयाक कार कुहेस निहरहै । ै मे लागल भोरका बस द ूरे सँ देखा रहल छलै । अपराधक एकटाअा ईहो रहै । एिहठाम कैक बेर कैक आदमी के सामान िधनायल रहै । ैकघेरा लग पहु ँिचते ओकर आश ंका बढ़ि◌ गेलै । ै िनजर्न आ सुनसान पड़ल छलै। राित कऽ ई जगह बड़ भयाओन लगैत रहै ।ै सँ िनकिल गेला पर ओकर डर किम गेलै ।लेिकन अखन ओ अदहे द ूरआयल छल । बचलहा रा बहुत द ूर ब ुभाइत रहै । पुिलसो कतहु निह छलै ।सड◌़क कातक दोकान दौड़◌ी, घर-द ुआर सब ब ंद रहै । एो टा कुकूरो निहदेखाइत रहै । जाड◌़मे ओहो सब द ुबकल होयत । नमडोिरया सड़क पर ओअसकरे चल जा रहल छल । कैक बेर अप ज ुाक आवाज सुिन कऽ लगै ोपछुअय आिब रहल अिछ आ जी स िसन रिह जाइ । खट-खट सुिन कऽ छातीधड़िक उठै ।15

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