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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्काश झा, सुपिरिचत र ंगकमीर्। राष्ीय रक सा ंृितक संा सभक संगकाय र्क अभव। शोध आलेख (लोकना एव ं र ंगम ंच) आऽ कथा लेखन। राष्ीय जूिनयर फेलोिशप,भारत सरकार ा। राजधानी िदीमे मैिथली लोक र ंग महोवक शुआत। मैिथली लोककला आऽसंृितक लेखन आऽ िव फलकपर िवारक लेल ितब। अपन कम र्ठ संगीक संग मैलोर ंगकसंापक, िनदेशक। मैलोर ंग पिकाक सादन। संित राष्ीय ना िवालय, नई िदीक र ंगम ंचीयशोध पिका र ंग-संगक सहयोगी संपादकक पमे काय र्रत।( िमिथलामे सभस’ उपेिक्षत अिछ िमिथलाक भिव ; यानी िमिथलाक बा । मैिथलीभाषामे बाल-ब ुदक लेल िकछु गीतमय रचना अखन तक निह भेल अिछ जकराबा रिटक’ हरदम गावे-गुनगुनावे जािहसँ बा मीमे रहै आ ओकर मानिसकिवकास दृढ़ हुऎ । एिह ठाम ुत अिछ बौआ-बाक लेल िकछु बाल किवता । )१. काश झाबाल-ब ुदकक लेल किवतािच: ीित ठाकुरिचड़◌ै/जानवर115

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