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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_11_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्रिह-रिह आ ँचर उड़ि◌ जाय िकयाअहा ँ आ ँचर समिट लजई िकया। रिह-रिह..देिख बागमे सुमन वहार क,उठा िनज नयनकेँ चािर क,अली हर कलीसँ फुस-फुसाय िकया। रिह रिह..चमन छी अहा ँ िखिल रहल अय सुमन।लटसँ िलपिट घ ू िम चूमन पवनपड़य जतय नजिर िलपिट जाय िकया! रिह रिह...भार सहय कोना किर केहिर अहा ँकराग माध ुरी सुनाबय पायल के झनकदेिख अहा ँ के िहरदय ज ुराय िकया।रिह रिह आ ँचर..परदेश गेलहँुहमरो छोड़लहु ँ, छोड़लहु ँ माय के छोड़ि◌ देलहु ँ घरारपरदेश गेलह ु ँ…सोन ू-मोन ू झगड़◌ा कय-कय हमरो माथ भुकाय रहलबिहिकरनी तऽ नई ं अिछ घरमे, कहू करत के हमर टहल?बौआ सब बौआय रहल अिछ, पढ़तै कथी कपार!परदेश गेलह ु ँ..109

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