िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह
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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ईपिका 'िवदेह' ३९ म अंक ०१ अगस्त २००९ (वषर् २ मास २० अंक ३९)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्निह बा ँचल िकयो बिहर अकानपै ंतीस बीतल चिढ गेल छीसनिह सुत अिछ िकयो कानहमर सपुतक षुभ लगन मेसब अन बिन गेल अिछ आनपा ँच लाख बौआक दाम।दयाकापाखलोम ूल उपास : को ंकणी, लेखक : तुकाराम रामा शेट,िही अवाद : डा. श ंभु कुमार िसंह, ी सेबी फनां डीस.मैिथली र्अवाद : डा. श ंभुकुमार िसंहपाखलो- भाग-२शालीकेँ होस आिब गेलैक। एखन धिर सा ँझ पिर गेल रहैक। प ूरा जंगलमे अारा भ’ गेल रहैक।एिह अारकेँ देिख शालीकेँ ब ुझाइक जे जेना फेर ओकर दम िनकिल जेतैक।ओकरा देह पर ओकर अपन कोटा न ूआ निह रहैक। मुदा ओकरा देह पर िकछुफाटल-िचटल न ूआ रािख देल गेल रहैक।ओकरा देहक नीचा ँ िकछु कड़गर कपड़◌ा रहैक। ओकरा माथक नीचा ँ जे िकछु रहैकतकर तँ ओकरा पतो निह चिल सकलैक। ओ जड़वत भ’ गेलीह। ओकर करेजधक-धक करैत रहैक, देहक पोर-पोरमे दरद होइत रहैक। ओ जतय कतहु ँअपन हाथ रखैक ओकरा स ूखल ख ून हाथ लागैक। ओ बहुत डिर गेल छलीह मुदाकािन निह सकैत छलीह।62
िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ईपिका 'िवदेह' ३९ म अंक ०१ अगस्त २००९ (वषर् २ मास २० अंक ३९)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओ उिठ कए बैिस गेलीह। तख अकात् टॉच र्क इजोत भेलैक। ओकर इजोतओकरा देह पर पड़लैक। ओ छन भिरक लेल अपन आिख ँ ब क’ कए फेरखोललक। देखलक जे वैह पाखलो ओकरा लगीच आिब रहल छलैक। आन द ूपाखलो ओतिह ठाढ़ रहैक। पछाित जा कए ओ द ुन ू ओिह टॉच र्क इजोतमे आग ू बढ़ि◌गेल।ँ ँँशाली िदस आिब रहल पाखलो ना ंगटे देह छल। ओ फेर डरसँ िसहिर गेलीह। ओफटलका न ूआ-फा ल' कए अपना छातीकेँ झा ँपैत ठाढ़ हेबाक यास करए लागलीह।ताधिर ओ पाखलो शालीकेँ झट दए अपन हाथेँ पकड़ि◌ लेलक। शाली टूटल गाछजका धरती पर िगर गेलीह। ओ पाखलो शालीक देहक नीचा ओछाओल कपड़◌ा उठालेलक । शालीक माथक नीचा राखल टोपी शालीक माथ पर रािख ओ जोर-जोरसँहँसय लागल। शालीक घबराहिट बिढते जा रहल छलैक। ओ डरेँ थरथर का ँपयलागलीह। ओकरा ब ुझैलैक जे एकटा बड़का टा अजगर ख ूब पैघ मुँह बौअ ओकराअपन ास बना लैतैक। ओ जोरसँ िचकरल, मुदा ओकरा मुँहसँ को श निहिनकललैक।ओ फेर शालीकेँ चुा-चाटी करबलेलकैक।सुरह क’ देलकैक आ ओकरा अपन बािहमे ँ किसओिह अार घ ु जंगलमे ओ अजगर सिरपहु ँ ओकरा अपना काब ूमे क’ लेलकैक।झार-झंखार आ पात सभसँ अजीब तरहेँ आवाज आब’ लागलैक।सा ँझ होइतिह ई बात सौ ंसे गाममे पसिर गेलैक। सीता कहैत रहैक जे कोना ओपाखलोक चंगुलसँ बािच ँ गेलीह। शाण ू केर घरनी बतबैत छलीह जे कोना पाखलोकुमािर शालीकेँ उठा कए भािग गेल ओ ओकर इित लिट ू लेलक। शालीकेँ तँपाखलो िच-चोिथ हेतैक, ई सभ सोिच-सोिच आन सभ लोक ओकरा ितअपन दया भाव देखबैत रहैक।पाखलो शालीक इित लिट ू लेलकैक ई बात सौ ंसे गाममे आिगक भाित ं पसिरगेलैक। ओकर भाय जे करीसँ घर घ ुरैत रहैक ओकरहु ँ ई बात ब ुझनामे आिबगेलैक। ओ गोासँ लाल भ’ गेलैक। संगिह डिर सेहो गेलैक। ओकरा हाथमेकुड़हिर रहैक जकरा ओ अपन का पर रािख लेलक।एिह कुड़हिरसँ जे हम ओिह पाखलोकेँ िजे निह कािट देिलयिन तँ हमरहु ँ नाम निह।ओ बेर-बेर यैह श दोहराबैत रहैक। शालीकेँ ताक’ जएबा लेल ओ कतेको63
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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ईपिका '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ३९ म अंक ०१ अगस्त २००९ (वषर् २ मास २० अंक ३९)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्ओ उिठ कए बैिस गेली<strong>ह</strong>। तख अकात् टॉच र्क इजोत भेलैक। ओकर इजोतओकरा <strong>दे</strong><strong>ह</strong> पर पड़लैक। ओ छन भिरक लेल अपन आिख ँ ब क’ कए फेरखोललक। <strong>दे</strong>खलक जे वै<strong>ह</strong> पाखलो ओकरा लगीच आिब र<strong>ह</strong>ल छलैक। आन द ूपाखलो ओति<strong>ह</strong> ठाढ़ र<strong>ह</strong>ैक। पछाित जा कए ओ द ुन ू ओि<strong>ह</strong> टॉच र्क इजोतमे आग ू बढ़ि◌गेल।ँ ँँशाली िदस आिब र<strong>ह</strong>ल पाखलो ना ंगटे <strong>दे</strong><strong>ह</strong> छल। ओ फेर डरसँ िस<strong>ह</strong>िर गेली<strong>ह</strong>। ओफटलका न ूआ-फा ल' कए अपना छातीकेँ झा ँपैत ठाढ़ <strong>ह</strong>ेबाक यास करए लागली<strong>ह</strong>।ताधिर ओ पाखलो शालीकेँ झट दए अपन <strong>ह</strong>ाथेँ पकड़ि◌ लेलक। शाली टूटल गाछजका धरती पर िगर गेली<strong>ह</strong>। ओ पाखलो शालीक <strong>दे</strong><strong>ह</strong>क नीचा ओछाओल कपड़◌ा उठालेलक । शालीक माथक नीचा राखल टोपी शालीक माथ पर रािख ओ जोर-जोरसँ<strong>ह</strong>ँसय लागल। शालीक घबरा<strong>ह</strong>िट बिढते जा र<strong>ह</strong>ल छलैक। ओ डरेँ थरथर का ँपयलागली<strong>ह</strong>। ओकरा ब ुझैलैक जे एकटा बड़का टा अजगर ख ूब पैघ मुँ<strong>ह</strong> बौअ ओकराअपन ास बना लैतैक। ओ जोरसँ िचकरल, मुदा ओकरा मुँ<strong>ह</strong>सँ को श नि<strong>ह</strong>िनकललैक।ओ फेर शालीकेँ चुा-चाटी करबलेलकैक।सुर<strong>ह</strong> क’ <strong>दे</strong>लकैक आ ओकरा अपन बाि<strong>ह</strong>मे ँ किसओि<strong>ह</strong> अार घ ु जंगलमे ओ अजगर सिरप<strong>ह</strong>ु ँ ओकरा अपना काब ूमे क’ लेलकैक।झार-झंखार आ पात सभसँ अजीब तर<strong>ह</strong>ेँ आवाज आब’ लागलैक।सा ँझ <strong>ह</strong>ोइति<strong>ह</strong> ई बात सौ ंसे गाममे पसिर गेलैक। सीता क<strong>ह</strong>ैत र<strong>ह</strong>ैक जे कोना ओपाखलोक चंगुलसँ बािच ँ गेली<strong>ह</strong>। शाण ू केर घरनी बतबैत छली<strong>ह</strong> जे कोना पाखलोकुमािर शालीकेँ उठा कए भािग गेल ओ ओकर इित लिट ू लेलक। शालीकेँ तँपाखलो िच-चोिथ <strong>ह</strong>ेतैक, ई सभ सोिच-सोिच आन सभ लोक ओकरा ितअपन दया भाव <strong>दे</strong>खबैत र<strong>ह</strong>ैक।पाखलो शालीक इित लिट ू लेलकैक ई बात सौ ंसे गाममे आिगक भाित ं पसिरगेलैक। ओकर भाय जे करीसँ घर घ ुरैत र<strong>ह</strong>ैक ओकर<strong>ह</strong>ु ँ ई बात ब ुझनामे आिबगेलैक। ओ गोासँ लाल भ’ गेलैक। संगि<strong>ह</strong> डिर से<strong>ह</strong>ो गेलैक। ओकरा <strong>ह</strong>ाथमेकुड़<strong>ह</strong>िर र<strong>ह</strong>ैक जकरा ओ अपन का पर रािख लेलक।एि<strong>ह</strong> कुड़<strong>ह</strong>िरसँ जे <strong>ह</strong>म ओि<strong>ह</strong> पाखलोकेँ िजे नि<strong>ह</strong> कािट <strong>दे</strong>िलयिन तँ <strong>ह</strong>मर<strong>ह</strong>ु ँ नाम नि<strong>ह</strong>।ओ बेर-बेर यै<strong>ह</strong> श दो<strong>ह</strong>राबैत र<strong>ह</strong>ैक। शालीकेँ ताक’ जएबा लेल ओ कतेको63