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Videha ‘िवदेह’

Videha_15_09_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िवदेह १५ िसतर २००८ वष र् १ मास ९ अंक १८'िवदेह' १५ िसतर २००८ ( वष र् १ मास ९ अंक १८ ) एिह अंकमे अिछ:-१.संपादकीय (बाढ़ि◌पर िवशेष) २.संदेश३.मैिथली िरपोता र्ज- १. कतारसँ ाम सुर शिश २. िजते झा ३. पटनासँ नवेु कुमार झा ४.गुंजनजीक िवचार-िटणी आऽ ५. बी.के. कण र्जीक िमिथला-म ंथन४. ग -१. शू कुमार िसंह २. कुमार मज कपपोथी समीक्षा:- १. एी: मा िवश २. उदाहरणजीवन झाक नाटकक सामािजक िववतर्न-ड◌ॉ मश ंकर िसंहशोध लेख-१.. राजकमल चौधरी(देवश ंकर नवीन)यायावरी- कैलाश कुमार िम उपास सहबाढ़िन (आगा ँ)ोितक दैिनकीकोसी ग १. ी रामभरोस कापड़ि◌ "मर २. . ी राजकमल चौधरी५.पिवृत किव . रामजी चौधरी (१८७८-१९५२)2.गुंजनजीक गजल१. ी गंगेश गुंजन (राधा तेसर खेप) २. ीमित ोित झा चौधरीमहाका- ब ु चिरत१. . गोपेशजी २. ड◌ॉ पंकज पराशर१. िवनीत उल २. अंकुर झा1


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्६. िमिथला कला-संगीत(आगा ँ)७.पाबिन-संार-तीथ र् -८. मिहला-ंभ- - िजतमोहन झा९. बालाना ं कृते-१०. भाषापाक रचना लेखन (आगा ँ)11.. VI DEHA FOR NON RESI DENT MAI THI LS ( Fest i val s of Mi thila date-list)-Vi deha Mi thila TirbhuktiTirhut...The Comet -Engl i sh t r ansl at i on of Gaj endr a Thakur ' s Mai t hi l i Novel Sahasr abadhani12. VI DEHA MAI THI LI SAMSKRI T EDUCATI ON ( cont d.)िवदेह (िदना ंक १५ िसतर सन ् २००८)१.संपादकीय (वष: र् १ मास:९ अंक:१८)मावर,िवदेहक नव अंक (अंक १८, िदना ंक १५ िसतर सन ् २००८) ई पिब्लश भऽ गेल अिछ। एिह हेतु ल◌ॉग ऑन कht t p:// wwwvi . deha. co. i n |कोशी:कोशीक पािन माउट एवेरे, कं चनजंघा आऽ गौरी-श ंकर िशखर आऽ मकाल ू पव र्तृ ंखलासँ अबैत अिछ। पालमे सकोशी,जािहमे इावती, सुनकोसी (भोट कोसी), ता ंबा कोसी, िलक्षु कोसी, द ूध कोसी, अण कोसी आऽ तामर कोसी सििलत अिछ।एिहमे इावती, सुनकोसी, ता ंबा कोसी, िलक्षु कोसी आऽ द ूध कोसी िमिल कए सुनकोसीक िनमा र्ण करैत अिछ आऽ ई मोटा-मोटीपिमसँ प ूव र् िदशामे बहैत अिछ, एकर शाखा सभ मोटा-मोटी उरसँ दिक्षण िदशामे बहैत अिछ। ई पा ँचू धार गौरी श ंकरिशखर आऽ मकाल ू पव र्तृ ंखलाक पािन अत अिछ।अणकोसी माउट एवेरे (सगरमाथा) सँ पािन हण करैत अिछ। ई धार मोटा-मोटी उर-दिक्षण िदशामे बहैत अिछ।तामर कोसी मोटा-मोटी प ूबसँ पिम िदशामे बहैत अिछ आऽ अपन पािन कं चनजंघा पव र्तृ ंखलासँ पबैत अिछ।आब ई तीन ू शाखा सुनकोसी, अणकोसी आऽ तामरकोसी धनकुा िजाक िवेणी ानपर िमिल सकोसी बिन जाइत छिथ।एतएसँ १० िकलोमीटर बाद चतरा ान अबैत अिछ जतए महाकोसी, सकोसी वा कोसी मैदानी धरातलपर अबैत छिथ। आबउर दिक्षणमे चलैत ायः ५० िकलोमीटर पालमे रहला उर कोसी हमाननगर- भीमनगर लग भारतमे वेश करैत छिथआऽ कक दिक्षण-पिम िख केलाक बाद दिक्षण-प ूव र् आऽ पिम-प ूव र् िदशा लैत अिछ आऽ भारतमे लगभग १३० िकमी. चललाक2


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एिह अंकमे:ी रामभरोस कापड़ि◌ मरजीक कोसी बाढ़ि◌पर िनब आऽ कोसीक बाढ़ि◌पर . राजकमल ारा िलिखत कथा अपरािजता देलगेल अिच्ह।ी ग गेश गुंजन जीक ग-प िमित "राधा" जे िक मैिथली सािहक एकटा नव कीितर्मान िस होएत, केर दोसर खेप पढ़◌ूसंगमे हुनकर िवचार-िटणी सेहो। किव रामजी चौधरीक अकािशत प सेहो ई-कािशत भए रहल अिछ। ी कैलाशकुमार िम जीक "यायावरी", अंकुर झा जीक प, ाम सुर शिशक िरपोता र्ज आऽ कुमार मज कपक लघ ु-कथा आऽ ीशू कुमार िस हक कथा-िनब सेहो अिछ। बी.के कण र्क िमिथलाक िवकासपर लेख, ी पंकज पराशर, िजतमोहन, िवनीत उल,नवेु कुमार झा आऽ परम ेय ी मश ंकर िसंहजीक रचना सेहो ई-कािशत कएल गेल अिछ। गुँजन जीक गजल आ'िवचार िटणी सेहो अिछ।ी राजकमल चौधरीक रचनाक िववेचन कए रहल छिथ ी देवश ंकर नवीन जी। उदाहरण आऽ एी: मा िवश पर समीक्षादेल गेल अिछ।ोितजी प, बालाना ंकृते केर देवीजी श ंखला, ृ बालाना ंकृते लेल िचकला आऽ सहबाढ़िनक अंजी अवाद ुत कए छिथ।गोपेशजी गीर्य भए गेलाह हुनकर संरण हम िलख छी प ंभमे, संगमे दे छी हुनकर एकटा प सेहो।शेष ायी ंभ यथावत अिछ।अपक रचना आऽ ितियाक तीक्षामे।गजे ठाकुरggaj endr a@ vi deha. co. i n ggaj endr a@ yahoo. co.i nमहत्प ूण र् स ूचना:(१) िवृत किव . रामजी चौधरी (1878-1952)पर शोध-लेख िवदेहक पिहल अँकमे ई-कािशत भेलछल।तकर बाद हुनकर पु ी द ुगान र् चौधरी, ाम-पुर,थाना-अंधरा-ठाढ़◌ी, िजला-मध ुबनी किवजीक अकािशत पाुिलिपिवदेह काया र्लयकेँ डाकसँ िवदेहमे काशनाथ र् पठओलि अिछ। ई गोट-पचासेक प िवदेहमे नवम अंकसँ धारावािहक पेँ ई-कािशत भ' रहल अिछ।महत्प ूण र् स ूचना:(२) 'िवदेह' ारा कएल गेल शोधक आधार पर १.मैिथली-अंजी श कोश २.अंजी-मैिथली श कोश आऽ३.िमिथलाक्षरसँ देवनागरी पाुिलिप िलारण-पी-ब डाटाबेश ुित पिब्लकेशन ारा िट फ◌ॉम र्मे कािशत करबाक आहीकार कए लेल गेल अिछ। पुक-ािक िविधक आऽ पोथीक म ूक स ूचना एिह प ृ पर शी देल जायत।महत्प ूण र् स ूचना:(३) 'िवदेह' ारा धारावािहक पे ई-कािशत कएल जा' रहल गजे ठाकुरक 'सहबाढ़िन'(उपास), 'ग-गु'(कथा संह) , 'भालसिर' (प संह), 'बालाना ं कृते', 'एकाी संह', 'महाभारत' 'ब ु चिरत' (महाका)आऽ 'याा व ृा ंत'िवदेहमे संप ूण र् ई-काशनक बाद िंट फ◌ॉम र्मे कािशत होएत। काशकक, काशन ितिथक, पुक-ािक िविधक आऽ पोथीकम ूक स ूचना एिह प ृ पर शी देल जायत।4


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्महत्प ूण र् स ूचना (४):महत्प ूण र् स ूचना: ीमान ् निचकेताजीक नाटक " एंी: मा िवश" केर 'िवदेह' मे ई-कािशत प देिखकए एकर िंट पमे काशनक लेल 'िवदेह' केर समक्ष "ुित काशन" केर ाव आयल छल, एकर स ूचना 'िवदेह' ारा ीनिचकेताजीकेँ देल गेलि। अहा ँकेँ ई सिचत ू करैत हष र् भए रहल अिछ, जे ी निचकेता जी एकर िंट प करबाक ीकृितदए देलि।महत्प ूण र् स ूचना (५): "िवदेह" केर २५म अंक १ जनवरी २००९, ई-कािशत तँ होएबे करत, संगमे एकर िंट संरण सेहोिनकलत जािहमे पुरान २४ अंकक चुनल रचना सििलत कएल जाएत।महप ूण र् स ूचना (६): १५-१६ िसतर २००८ केँ इिरा गा ँधी राष्ीय कला के, मान िसंह रोड नई िदीमे होअयबला िबहारमहोवक आयोजन बाढ़ि◌क कारण अिनितकाल लेल िगत कए देल गेल अिछ।मैलोर ंग अपन सा ंृितक काय र्मकेँ बाढ़ि◌केँ देखैत अिगला स ूचना धिर िगत कए देलक अिछ।२.संदेश१.ी ो. उदय नारायण िसंह "निचकेता"- जे काज अहा ँ कए रहल छी तकर चरचा एक िदन मैिथली भाषाक इितहासमे होएत।आन भए रहल अिछ, ई जािन कए जे एतेक गोट मैिथल "िवदेह" ई जन र्लकेँ पढ़ि◌ रहल छिथ।२.ी ड◌ॉ. गंगेश गुंजन- "िवदेह" ई जन र्ल देखल। स ूचना ौोिगकी केर उपयोग मैिथलीक हेतु कएल ई ु यास अिछ।देवनागरीमे टाइप करबामे एिह ६५ वष र्क उमिरमे क होइत अिछ, देवनागरी टाइप करबामे मदित देनाइ सादक, "िवदेह"केर सेहो दािय।३.ी रामाय झा "रामर ंग"- "अपना" िमिथलासँ संबिधत...िवषय ंवुसँ अवगत भेलहु ँ।...शेष सभ कुशल अिछ।४.ी जे िपाठी, सािह अकादमी- इ ंटरट पर थम मैिथली पािक्षक पिका "िवदेह" केर लेल बाधाई आऽ शुभकामनाीकार क।५.ी फुकुमार िसंह "मौन"- थम मैिथली पािक्षक पिका "िवदेह" क काशनक समाचार जािन कक चिकत मुदा बेसीआािदत भेलहु ँ। कालचकेँ पकड़ि◌ जािह द ूरदृिक पिरचय देलहु ँ, ओिह लेल हमर म ंगलकामना।६.ी ड◌ॉ. िशवसाद यादव- ई जािन अपार हष र् भए रहल अिछ, जे नव स ूचना-ािक मे मैिथली पकािरताकेँ वेशिदअएबाक साहिसक कदम उठाओल अिछ। पकािरतामे एिह कारक नव योगक हम ागत करैत छी, संगिह "िवदेह"कसफलताक शुभकामना।७.ी आाचरण झा- को प-पिकाक काशन- ताहूमे मैिथली पिकाक काशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽभिव कहत। ई हमर ८८ वष र्मे ७५ वष र्क अभव रहल। एतेक पैघ महान यज्ञमे हमर ाप ूण र् आहुित ा होयत-यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।८.ी िवजय ठाकुर, िमिशगन िविवालय- "िवदेह" पिकाक अंक देखलहु ँ, सूण र् टीम बधाईक पा अिछ। पिकाक म ंगल भिवहेतु हमर शुभकामना ीकार कएल जाओ।९. ी सुभाषच यादव- ई-पिका ’िवदेह’ क बारेमे जािन सता भेल। ’िवदेह’ िनरर पिवत-पुित हो आऽ चतुिद र्कअपन सुगंध पसारय से कामना अिछ।१०.ी मैिथलीपु दीप- ई-पिका ’िवदेह’ केर सफलताक भगवतीसँ कामना। हमर प ूण र् सहयोग रहत।5


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्११.ड◌ॉ. ी भीमनाथ झा- ’िवदेह’ इटरट पर अिछ तेँ ’िवदेह’ नाम उिचत आर कतेक पेँ एकर िववरण भए सकैत अिछ।आइ-काि मोनमे उेग रहैत अिछ, मुदा शी प ूण र् सहयोग देब।१२.ी रामभरोस कापड़ि◌ मर, जनकपुरधाम- "िवदेह" ऑनलाइन देिख रहल छी। मैिथलीकेँ अराष्ीय र् जगतमे पहु ँचेलहु ँतकरा लेल हािद र्क बधाई। िमिथला र सभक संकलन अप ूव र्। पालोक सहयोग भेटत से िवास करी।१३. ी राजनन लालदास- ’िवदेह’ ई-पिकाक मामसँ बड़ नीक काज कए रहल छी, नाितक एिहठाम देखलहु ँ। एकर वािष र्कअ ंक जखन ि ट िनकालब तँ हमरा पठायब। कलकामे बहुत गोटेकेँ हम साइटक पता िलखाए दे िछयि। मोन तँ होइतअिछ जे िदी आिब कए आशीवा र्द दैतहु ँ, मुदा उमर आब बेशी भए गेल। शुभकामना देश-िवदेशक मैिथलकेँ जोड़बाक लेल।१४. ड◌ॉ. ी मश ंकर िसंह- "िवदेह"क िनःाथ र् माभाषारागसँ िरत छी, एकर िनिम जे हमर सेवाक योजन हो, तँसिचत ू करी।(c)२००८. सवािधकार र् लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय संपादकाधीन।िवदेह (पािक्षक) संपादक- गजे ठाकुर। एतय कािशत रचना सभक क◌ॉपीराइट लेखक लोकिनक लगमे रहति, मा एकरथम काशनक/ आका र्इवक/ अंजी-संृत अवादक ई-काशन/ आका र्इवक अिधकार एिह ई पिकाकेँ छैक। रचनाकार अपनमौिलक आऽ अकािशत रचना (जकर मौिलकताक संप ूण र् उरदािय लेखक गणक म छि) ggaj endr a@ yahoo. co. i n आिकggaj endr a@ vi deha. com केँ मेल अटैचमेक पमेँ . doc, . docx, . r t f वा . txt फ◌ॉमे र्टमे पठा सकैत छिथ।रचनाक संग रचनाकार अपन संिक्ष पिरचय आ’ अपन ैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमेटाइप रहय, जे ई रचना मौिलक अिछ, आऽ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पिकाकेँ देल जा रहल अिछ। मेला होयबाक बाद यथासंभव शी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अंकक स ूचना देल जायत। एिह ई पिकाकेँ ीमितली ठाकुर ारा मासक 1 आ’ 15 ितिथकेँ ई कािशत कएल जाइत अिछ।िरपोता र्ज- १. कतारसँ ाम सुर शिश २. िजते झा ३. पटनासँ नवेु कुमार झा ४.गुंजनजीक िवचार-िटणी आऽ ५.बी.के. कण र्जीक िमिथला-म ंथनाम सुर शिश, जनकपुरधाम, पाल। पेशा-पकािरता। िशक्षा: िभुवन िविवालयसँ,एम.ए. मैिथली,थम णीमे थम ान। मैिथलीक ायः सभ िवधामे रचनारत। बहुत रास रचना िविभ प-पिकामे कािशत। िही,पाली आऽ अंजी भाषामे सेहो रचनारत आऽ बहुतरास रचना कािशत। सम्ित- कािपुर वासक अरब ूरोमेकाय र्रत।कतारक मैिथल भेड़◌ा चरवाह-कतारक सदरमुकाम दोहासँ लगभग एक सय िकलोमीटर द ूर जमािलया ित मभूिमक छातीपर बनाओल गेल भेड़◌ाक गोिहयाकआगू ठाढ़ भऽ एक गोट युवक िसटी बजा रहल छल। महाभारतकालीन कृ जका ँ। ज अपन गोप आऽ गोपीकेँ लग बजेबाकउपम कऽ रहल हो। मुदा एिह मभूिममे गाई अएबाक को सावना छलै आऽ गोपी। मुदा बकड़◌ी आऽ भेड़◌ाधिर अव आिब गेल ओकर िससकारी सुिनकए। िदनभिर ५० िडीक ताप छोड़ि◌ य ं थिकत सुज भगवान संा रानीसँ रसकेिलकरबाक ध ुनमे पिमाचलगामी वाट पकड़ि◌ ले छलाह। पिमसँ आवएवला सेताएल काश मभूिमक वालुपर पड़ि◌ मिलछाहआकृित बना रहल छल। मभूिम िपिलया रोगी जका ँ बेजान देखना जाऽ रहल छल। पिछया हावा सा ंय सा ंय कऽ रहल6


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्छल। हावाक गितसंग वालुक छोट-छोट कण उड़ि◌-उड़ि◌ राहगीरकेँ घायल बना रहल छल। बिझ ू पड़◌ैत छल जे लयके प ूव र्संकेत हो। चाकात िवयावान मभूिम आऽ एिहमे उगल एक आध बब ूरक पौध। हम बेर-बेर सोचैत रहैत छी जे धबब ूर, ऊँ ट आऽ साकर्देशक दिखया ु मज ुरसभ जे एिह भूिमकेँ धरती होएबाक ओहदा दान करैत छैक। अथा...??मुदा ओऽ युवक शा छल। एक क्षणक बाद सुज अ भऽ जएतै, सगर सार अार भऽ जएतै आऽ सयौ िवगहामे पसरलमभूिमपर कारी र ंगक चादर ओछा जाएत। ओऽ अार होएबासँ पिहनिह अपना अिधनक भेड़◌ा आऽ बकड़◌ीकेँ गोिहयामेघिसयावए ु चाहैत छल। कतर् परायण मपुक पमे अपन दािय िनवाह र् करए चाहैत छल।एिह तरहेँ अपन ईसारापर कृ जका ँ भेड़◌ा-बकड़◌ीकेँ नचावएवला युवक के नाम छल महे कापर। पालक िसरहा िजाककमलाकात भेड़ि◌या गामक ई मैिथल युवक, िवज ुली, िपवाक पािन, सड़क आऽ ाािद सुिवधासँ िवहीन एिह मभूिममे गत एकवष र्सँ एिहना भेड़◌ा वकरी चड़वैत अिछ। महे कापर मा निह, एिह मभूिमक िविभ भागमे बनाओल गेल िविभ भेड़◌ा,बकड़◌ी आऽ ऊट बथान तथा लगाओल गेल वगैचामे हजारौ ं पाली, भारतीय, व ंगलादेशी, ील ंकन आऽ सुिडयन मज ुरसभ काजकरैत अिछ। अपना सभ िदस एक गोट कहबी निह छैक जे, “जएवह पाल, संगिह जएतह कपार”। तिहना ई युवक सभअपन करम भोिग रहल अिछ। ओऽ सभ अबैत काल जे दोहा देख छल, चकमक िवज ुलीवी देख छल आऽ िचन चुनमुनफोरलेन सड़क देख छल से घ ुरैत काल फेर देखत। ओकरा सभक वाे दोहा सहर िदी द ूर छैक।7


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्महे जमािलयाक एिह अटार मभूिममे गत एक वष र्सँ काज करैत अिछ। ओकरा िजामे द ू सय भेड़◌ा आऽ बकड़◌ीछैक। हमरा सभकेँ देिखते ओकर आिखमे ँ िवशेष कारक चमक ा भऽ गेलै, मुखमलपर ख ुशीक रेखा नाचए लगलैक।सा ँझ पड़ि◌ रहल छैक ओकरा लालटेम सवाक छैक, रातुक खाना बवाक छैक आऽ ख ुला आकाशक नीचा ँ तरेगन गत राितिबतेवाक छैक। गत एक वष र्सँ महेक ई दैिनकी बिन गेल छैक। ईजोिरया राितक चानकेँ देिख ओऽ अितशय स होइतअिछ, “ई चान हमरो बाऊ आऽ माय आउर सेहो देखैत होतै निञ”? ओकर िनल हमरा भाव ुक बना दे छल।ओऽ भेड़◌ा आऽ बकरीकेँ गोिहयामे गोतैत अिछ। पठसभकेँ द ुध िपयबैत अिछ। चारा रखैत अिछ आऽ चैन भऽ हमरासभसँ ग करवा वाे बैिस जाइत अिछ। ओऽ एक वष र् प ूव र् कतार आएल छल। मानव तरसभ ओकरा कह रहैक जेवगैचाक काज छैक। ओऽ सोच रहय जे फलफूलमे पािन पटाएव, रोपव उखारव आ िरयाल कमाएव मुदा से भेलै निह। ओऽभेड़◌ा चरवाह बिन कऽ रिह गेल। असलमे महे अप िनरक्षर अिछ। ओकर कतार आगमनके उे छलै गाममे घरबनाएव आऽ बेटा-बेटीकेँ बोिडर् ं ग ूलमे पढ़◌ाएव। मुदा ओकर एक वष र्क मसँ ई संभव निह भऽ पाओल छैक। एक वष र्मे तँमहाजनकेँ ऋ निह फिरछाओल छैक। एिह वाे ओकरा आओर द ू वष र् एिह मभूिमक वालुकेँ फाकय परतैक। अवैत कालदलाल ओकरासँ ७५ हजार पैया ले रहैक। जे ओऽ महाजनसँ ऋण लऽ कऽ चुकता कए छल।जहन महेक गक बखारी ख ुजलै तँ फेर ब होएवाक नामे निह लैक। ओकरा तँ ओिह गोिहयामे राित बतैवाक छलै मुदाहमरा सभकेँ सय िकलोमीटर द ूर दोहा अएवाक छल। हमरा सभक धरफड़◌ीकेँ ओऽ अकािन गेल छल। कहलक सर, किहयोकालअवैत जाइत रहब। भेड़◌ा बकड़◌ी संगे रहैत-रहैत ओह भऽ गेल छी, देिखयौ चाहो पािनक लेल निह पुछलहु ँ। आऽकपड़◌ा लपेटल एकगोट पािनक बोतल आगा ँ बढ़◌ा देलक। “हमरा सभक िज ब ुझ ू िक एयर कडीशन ईहे अिछ”।8


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्गमीर्सँ सुखाएल ककेँ पािनसँ िभजाओल आऽ अपन ग िदस आगा ँ बढ़ि◌ चललहु ँ। लगभग दश िकलोमीटर वाट तय कएलाक बादहमरा लोकिन जमािलया नगरमे पहु ँचलहु ँ। मुसलमान धमावली र् सभक रोजा खोलवाक समय भऽ गेल रहै। सड़क कातमे बनाओलगेल चब ुतरापर नाना कारक ंजन सा ँठल जाऽ रहल छल। लोक िवीाह करवालेल तैयार छलाह। हमरा मोन पड़लमहेके गोिहयामे राखल खव ुज (कतार सरकारक सा दरक रोटी) आऽ ाउजक धेसर। एसगर महे एखन न ून, िमरचाईआऽ तेल ाउजक संग खव ुज दकिर रहल हएत। एतए ओकरेारा पोसल गेल खीक िवरयानीक ाद लऽ रहल अिछ मािलकआउर।दोहा,कतार, जमिलया।२. िजते झाकोशी सन बेददीर् कोइ िमिथलाक लाखो जनताके िवपिक बािढ देब बला कोशी िनयणलेल एखन धिर कएल यास अपया र् रहल बताओल गेल अिछ ।५० बष र् पिहसं कोशीक नामपर खच र् कएल करोडो पैयाक बािवकताक पोल खिल ु गेल अिछ । कोशी बािढपर िदीमेआयोिजत काय र्ममे वा सभ कोशी बा ं टुटलाक बाद आब दोषारोपण क क बचबाक यास कएल जा रहल कहलिन ।मैिथली लोकर ंग मच सेप्टेर १२ तािरखक' कोशी सन बेददीर् कोइ नई नामक काय र्म आयोजन कएलक अिछ । काय र्ममेकोशीक बािढपर बजिनहार वासभ कोशी नदी िनयण लेल सरकारक यासके आलोचना कएल गेल । नाटककार मदहेमलंिगया कोशीक रासं खेलबाड कएल गेलाक कारण एहन भयावह िित उ भेल कहलिन । 'मा कोशीके बदनाम कएलजारहल अिछ' मलंिगया आगु कहलिन 'कोशीके ब ुझब आबक अिछ । तिहना मैिथली इ पिका िवदेहके सादक गजे ठाकुरकोशी बािढके सरकारी लाचारीके संज्ञा देलि ।कोशीक तटब टूटत से बिझतो ु सरकार मुकदश र्क बनल रहल हुनक आरोपरहिन ।मधेपुराक शाि यादव अपन आिखक ं आगु कोशीक िवकराल प देख बतबैत पयावरण र् िवद सेहो एकरा केक बिझुसकल अिछ से ित कएलिन ।कोशीित ओतुा जनताके सुसुिचत करबाक आवकता पर भारती जोड दैत कहलिन 'बािढित संवेदनशील बनाएब आबक अिछ।िबिछयाक आतर्नादपेटमे अ नई, ं राहतलेल आकाशमे टकटकी लगौ आिख, ं आङमे लाकपडाक अभाव आ भोासी ...। सभ अपन अपन पीडासुना रहल अिछ । पेटके राक्षस शा नई भेलाक बाद ओ त सौ ंसे आदमीएके खा लेलक । नवजात िशशु केक काल भुेरहैत, ओकरा कोशीक कोरमे छोिडदेल गेल ।कोशी सन बेददीर् जगमे कोइ नइ लघ ुनाटकमे िकछु एह देखल गेल । मैलोर ंगक आयोजनमे िदीमे सेप्टेर १२ क'मिचत लघ ुनाटकमे कोशीक िबभीिषका देखएबाक यास कएल गेल । नाटकमे राहतलेल मारामारी कएिनहार जनता भुखसंमृुवरण करबाक बाताके जीव पमे ुत कएल गेल। पीिडतके रोदनसं दश र्क भाविवल बनल छल । मैलोरंगसेप्टेर १२ सं १४ तािरखधिर मैिथली लोकर ंग महोव िगत कएलक अिछ । कोशी मे घ ुरैत मुानकसंग महोवआयोजन हएत मैलोर ंग जलक अिछ ।संघष र्क किठन बाटमैिथली सािहकार जिकशोर बमा र् मिणपक ृितमे नया ं िदीमे सा ंृितक काय र्म आयोजन कएल गेल । एिह काय र्ममेमैिथली नाटक मचन हएबाक संगिह िमिथला ंगन संाक ािरका सेहो िवमोचन कएल गेल । िमिथला ंगन सािहकार मिणपकृितमे 'उगना हल्ट' नामक मैिथली नाट्क मचन कए छल ।9


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ज िकशोर बमा र् मिणप मैिथली सािहक चिच र्त नाम अिछ । लोक सािहक संरक्षणमे हुनक योगदान उेखनीय मानल जाईतअिछ । इएह योगदानक सान करैत हुनका मैिथलीको वाल्टर ाट सेहो कहल जाईत छि । लोिरक, राजा सेश, काबजारा जेहन लोकगाथाक संरक्षण करबामे हुनक योगदान सराहनीय रहल काय र्ममे कहल गेल । िमिथला ंगन एिहस ं पिहसेहो मिणपक ृितमे िविभ काय र्म आयोजन करैत आएल अिछ । तिहना ैमािसक िमिथला ंगन पिका सेहो काशनकेिनररता देल गेल संा जलक अिछ । उगना हल्टक लेखक कुमार श ैले आ िनदेर्शक संजय चौधरी छैथ । नाटकमेिदीमे संघष र्रत मैिथली र ंगकमीर्क जीवनक कटु स देखएबाक यास कएल गेल अिछ । उगना हल्ट िबहारक मध ुवनी िजलाक एकरेे ेशनको नाम अिछ , यिप नाटकके पिरवेश नया ं िदीक र ंगकमीर्क अडडा मी हाउसपर केित अिछ । ानीय पौलआ सकरी बीचक शन अिछ उगना हल्ट । नाटकमे मैिथली भाषा संृितक संरक्षणलेल अपा ंत नवतुिरयाक कथा था समेटलगेल अिछ । वएह युवाक संघष र्क इितब ृत मे नाटक घ ुमैया । िकयो संगीतकार बन' चाहैत अिछ त िकयो गीतकार, ककरोफ़ि◌मे िहरो बनबाक ध ुन सबार छइ त ककरो िहरोइन । अतः कडा संघष र्क बाद सभ अपन ल ा करबामे सफ़लहोइत अिछ । नाटकमे संगठ शि अिछ आ एिहस ं सफ़लता पािब सकैत छी से पाठ िसखएबाक यास कए छैथ नाटककार। िछिरआएल आ िदग्िमत जंका ब ुझाईत पाक अिभयान अमे सफ़ल होइत अिछ । अतः नाटक सुखा अिछ ।सािह केित पुक मेलानया िदी । िवापितक गीत, हिरमोहन झाक कथा, लोकोि संह, पपिकाक इितहास, गोरा(अवाद), इािद । ईको मैिथली पुकालयके स ूची नई, ं १४ म ् िदी पुक मेलामे लागल िकताबक नाम अिछ ।10


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मिहला लेखनके के बनाक' मेला आयोजन कएल गेल छल । जािहमे लगभग तीन सय काशक ल लगौ रहए । मुदामेलामे मैिथली भाषामे मा द ु तीनटा िकताब मैिथली सािहमे मिहला लेखनके सब ुत बनल छल । मेलामा पािकान, अमेिरका,िचन, ेन , द ुबई आ इरानक काशक सहभागी छल। मेलामे मैिथली भाषाक पुक सेहो राखल रहए । सािह िवापितआ हिरमोहन झाक िकताव बेश िबकाएल छल । ओना सािह एकेडमीक लपर मैिथलीक दजर्नसं बेशी िकताब नई छल । तेंपाठकलग िकताब चुनके अबा नई रहए । मिहला लेखनके के बनाओल गेल मेलामे सािह एकेडमीस ं कािशत मिहला लेखसंिहत एकटा िकताब मेलाक उे पुरा करैत छल । मेला मैिथलीक संकीण र् काशन अबाके ितिबित क रहल छल ।वासमे रहिनहार मैिथली भाषीके सािह एकेडमीक ल मैिथली िकताबके दश र्न धिर करादे रहए । मैिथली सािहिक खोराकचाहिनहारके पुक मेला थोर बहुत सहायक छल । संाक िहसाबस ं मैिथली भाषाक पोथी थोरबे छ्ल । मेलामा सािहसंगिहकला-सं◌ॄितक अदभुत संगम सेहो ुत कएल गेल छल । ात मिहला सािहकारक गैर सािहिक िकताब सेहो राखलगेल छ्ल । मिहला ाक रचनासंगिह हुनकर सभहक आ ब ृता सेिह उपल कराओल गेल छल । एिह मेलामे लगभग १५करोड भारतीय पैयाको कारोबार हुएबाक अमान कएल गेल अिछ । मेला सेप्टेर 1 तािरखस ं ७ तािरखधिर चलल छल।३. पटनासँ नवेु कुमार झािबहारक शोक देखौलक अपन पिबहारक शोक कहल जाएबला कोसी नदी भारत-पाल म िवभाजन आऽ गंगाक मु सहायक नदी अिछ। अपन धारा पिरवतर्नकलेल िवात एिह वष र् जािह तरहेँ अपन ता ंडव देखौलक अिछ अवे िचाक िवषय िथक। पिछला कतेको िदनमे बाढ़ि◌क जेतबाही देशक सीमा ंचल िवशेष पसँ सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अरिरया आऽ पिण ू र्या िजलामे मचल अिछ एकर डरसँ एिह िजलाकसंगिह लग पासक गोटेक तीस लाखक आबादी अपन घर, ार आऽ सिक िचा छोड़ि◌ सुरिक्षत ठेकानक तलाशमे भटिक रहलअिछ। ८ अगकेँ कोसी नदीक तटब ंध कुशहा लग पालक वीरपुर बराजक उर गोटेक १२.९० िकलोमीटरक द ूरीपर जखटूटल िक भारत आऽ पालक पैघ आबादी बबा र्द भऽ गेल। कतेक लोक एिह मानव िनिम र्त अाकृितक बाढ़ि◌क कालमे घिसुगेलाह एक अमान लगबऽ मे कतेक मास िबतत से कहब मुिश्कल अिछ।िहमालय पव र्तमालासँ गोटेक ७००० मीटर ऊँ चाईसँ िनकिल कोसी नदी भारतमे उर िबहारक ९२०० िकलोमीटर राा तय कऽअंतमे गंगा नदीमे िमिल कऽ ब ंगालक खाड़◌ीमे खिस पड़◌ैत अिछ। िबहारक सभसँ जीव ई नदीकेँ सात नदी इावती, ता ंवाकोसी, द ूध कोसी, अण कोसी, िलछु कोसी, तामर कोसी आऽ सुन कोसी वा भोट कोसीक वाहक िमलनक हेबाक कारण स कोसीसेहो कहल जाइत अिछ। पाल आऽ िततक जल हण वाला एिह नदीक ७४०३० व िकलोमीटर जल हण मे सँमा ११४१० व िकलोमीटर भारतमे आऽ शेष ६२६२० व िकलोमीटर पाल अथवा िततमे पड़◌ैत अिछ। १५०वष र् प ूव र् पिण ू र्याक प ूरबसँ बहए वाला एिह नदीक िनचला िहा एखन दरभंगा िजला दऽ बहैत अिछ। अपन धारा बदलबाक लेलबदनाम ई नदी जखन अपन रा बदलैत अिछ तँ नचैत अिछ तबाही आऽ सभक सोझा ँ होइत अिछ बबा र्दी आऽ एक िशकारिनरीह जनता, भऽ जाइत अिछ असहाय।मैदानी मे उतरलाक बाद कोसी नदीक पाट छओसँ दस िकलोमीटर चौड़◌ा भऽ जाइत अिछ आऽ ायः पालक सीमाकभीतर पचास िकलोमीटर द ूरी तय कए भीमनगर-चतरा लग भारतीय सीमामे वेश करैत अिछ आऽ मानसी-सहरसा रेल लाइनककुसे र्ला ेशन लग गंगा नदीमे िमिल जाइत अिछ। उर िबहार आऽ प ूवीर् िमिथलामे ई िवक सभसँ उपजाऊ समतल िकोणक11


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िनमा र्ण करैत अिछ तेँ एकरा एिहठामक जीवन रेखा सेहो कहल जाइत अिछ। एिह नदीसँ होमएवाला तबाही आऽ बबा र्दी बचैबाकलेल यास तँ भेल मुदा ओिह िदस कएल गेल यास कतेक सफल भेल ई तँ कोसीक वतर्मान कहरसँ सहजे ब ुझल जाऽ सकैतअिछ। आजादीक बाद १९५५मे कोसीक प ूवीर् िकनार वीरपुरसँ कोपड़ि◌या धिर १२५ िकलोमीटर ला आऽ पिम िकनारपरपालमे भारदहसँ भारतमे सहरसासँ घोघेपुर धिर १२६ िकलोमीटर ला तटब बबाक जे काज शु भेल ओऽ १९६३-६४ मेप ूरा भऽ गेल। १९६३ मे कोसीक धार बराजक िनमा र्ण कऽ एिहपर िनयण ािपत कऽ लेल गेल।कुशहामे एिह वष र् तटब ंध टुटबाक घटना को पिहल घटना निह िथक। कोसी नदीपर बनल ई नहर एिहसँ प ूव र् १९६३मे डलबा(पाल), १९६८ जमालपुर (दरभंगा), १९७१ भटिनया (सुपौल), १९८० बहुअरबा (सहरसा), १९८४ हेमपुर (सहरसा) आऽ १९९१जोिगिमयामे टुटल छल आऽ तख तबाहीक म ंजर ओिहना छल जे एखन अिछ। कुशहामे तटब ंध टुटब एिह बातक संकेत अिछजे एखन धिर सभ सरकार उर िबहार बाढ़ि◌ भािवत आऽ जनताक ित उदासीन अिछ आऽ सभ िदन एकर अनदेखीकएल गेल अिछ। आजादीक ६१ साल धिर मा राहत आऽ बचाव काज चला कऽ सभ सरकार अपन दािय समा ब ुझैत अिछआऽ पीड़ि◌त जनता एकरा अपन िनयित मािन अपन िजगीक डेग आगा ँ बढ़बैत रहल अिछ। सूण र् पिरिित सरकारकसंव्र्दनहीनताक पिरचायक अिछ।कोसी नदीक चिल रहल ता ंडव सँ एखन धिर १६ टा िजला एकर चपेटमे आिब गेल अिछ। तटब ंध बचेबाक आऽ नदीक धारमोरबाक को यास एखन धिर यु रपर शु निह भऽ सकल अिछ। िदन ित िदन नव-नव कोसीक चपेटमे आिबरहल अिछ। १९६३ सँ २००८ धिर कतेको बेर कोसीक तटब टूटल अिछ मुदा एिह बेर पिछला सभ रेक◌ॉडर् टुिट गेल अिछ।पिछला १५ िदनसँ कोसी जेना अपन रौ प धे अिछ आऽ कटाव कऽ रहल अिछ ओिह सँ कोसी बराजपर सेहो खतरा बढ़ि◌गेल अिछ। ों ई हाल रहल तँ एखन २५ लाख लोक भािवत छिथ आऽ अिगला द ू चािर िदन ५० लाख आबादी कोसीमे समािधलऽ लेत तेँ सरकारकेँ कोसीपर िनयणक यासमे गित आनब आवक अिछ।बाढ़ि◌ आऽ सरकारी यासिबहारमे बाढ़ि◌ आएब को नव बात निह अिछ। सभ साल बाढ़ि◌ अबैत अिछ आऽ चिल जाइत अिछ। वष र् भिर चलएवालापाविन-ितहार जका ँ ओकर बादक राहत बाटबाक पाविन चलैत अिछ आऽ फेर िजनगी ओिहना पटरीपर चलए लगैत अिछ। हवामेउड़◌ैत हेिलकाप्टर हाहाकारक संग सफेद पोश ता सभ आकाशसँ पीड़ि◌त मानवकेँ हाथ िहला-िहला कऽ फोटो छपा, म ूह दिसुदैत छिथ आऽ फेर डपोरश ंखी घोषणा कऽ अपन कतर् समा ब ुझैत छिथ। वावमे सरकारी महकमाक लेल ई बाढ़ि◌ एकटावािष र्क पाविन अिछ जकर इ ंतजार ओऽ करैत रहैत अिछ। बाढ़ि◌क टकटकी लगौ सरकारी अफसर आऽ कम र्चारीक लेल ईबाढ़ि◌ सोनाक अंडा देबए वाला मुगीर् अिछ। सरकार पिह बाढ़ि◌सँ बचाव लेल प ूव र् तैयारीक नामपर टाका लुटबैत अिछ तकरबाद बाढ़ि◌क ममे बाढ़ि◌ पीड़ि◌तकेँ राहत आऽ बचाव काजक नामपर आऽ तात् बाढ़ि◌क समा भेलापर बाढ़ि◌ पीड़ि◌तकपुनवा र्सक लेल टाका बाढ़ि◌क पािन जका ँ बहैत अिछ मुदा एिहमे केओ डुबैत निह अिछ, पर सरकारी अफसर आऽ अिभयासभक धोिध फुलैत अिछ।बाढ़ि◌पर िनयणक ित सरकारक यास तँ पैघ रपर चिल रहल अिछ। उर िबहारक बािढक िनयणक लेल केीय जलसंसाधन म ंालय ारा १९९२ मे एकटा सिमित (एन.बी.एफ.पी.सी.)क गठन कएल गेल छल। म ंालयक सिचव एकर पदेन अक्षछलाह आऽ रेल म ंालय, कृिष म ंालय, ामीण िवकास म ंालय, गृह म ंालय आऽ िबहार सरकारक अिधकारी केर एिहमे सििलतकएल गेल। मुदा १६ वष र्मे सिमितक गोटेक एगारह टा बैसक भेल आऽ छोट पैघ एक सय (१००) योजना बनाओल गेल,जािहमे सँ मा अनठाबन टा योजनापर काज शु भऽ सकल। के सरकार २००५ मे रा सरकार ारा लापरवाहीक आरोपलगबैत फंिडं ग रोिक देलक आऽ पिछला तीन वष र्सँ ई योजना ठ अिछ। वष र् २००५ मे के सरकार जल आऽ िबजलीसलाहकार सेवा (वैपकास) िलिमटेडकेँ बाढ़ि◌क म ूा ंकनक िजेवारी देल गेल। पिछला तीन वष र्सँ सेहो पिरयोजनाक म ूा ंकनभऽ रहल अिछ आऽ टाकाक अभावमे आगा ँक काज कल अिछ।िबहार आऽ उर देशक गंडक नदीपर बाढ़ि◌क बचावक काज आऽ िनमा र्ण काजक समीक्षाक लेल १९८१मे कोसीक तजर्पर गंडकउ रीय सिमित सेहो गिठत कएल गेल। समय-समयपर एिह सिमितक काय र्काल बढ़◌ैत रहल आऽ आब एकर नाम गंडक उरीय ायी सिमित कऽ देल गेल। जल संसाधन म ंालय लालबिकया, बागमती, कमला आऽ खाको नदीक तटबकेँ मजगूत आऽला करबाक वाे टाका उपल करौलक अिछ। एकर बाद दसम पंचवषीर्य योजनामे सािठ करोड़ टाका जल संसाधन म ंालयम ंजूर कए छल मुदा योजनाक सु गितकेँ देखैत योजना आयोग एिह योजनाक टाका िछयािलस करोड़ कऽ देलक। १९७८मे जी एफ सी सीक अक्षक अगुवाईमे कोसी उ रीय सिमितक गठन कएल गेल जे सभ साल बािढसँ भेल कसानक आकलनकरैत अिछ आऽ बाढ़ि◌सँ प ूव र् होमए वाला उपायक सुझाव दैत अिछ। मुदा ई बत सिमित दर सिमितक बाढ़ि◌ असली बाढ़ि◌किवभीिषकासँ लोक सभकेँ बचबऽ मे एखन धिर असफल रहल अिछ। सभ साल बाढ़ि◌ अपन भा ंज पुरैत अिछ, सिमित सेहो अपनबैसक कऽ सुझाव दैत अिछ मुदा ओकर योजना आऽ सुझाव सँ निह बाढ़ि◌ कैत अिछ आऽ निह तबाहीक म ंजर बदिल रहलअिच।बािढक वतर्मान िित12


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िजला गाम भािवत लोक(लाखमे) मृतकक संा भािवतजानवर(लाखमे)मधेपुरा ३७८ ११.५५ १५ ३.००अरिरया ९३ १.६० ०० ०.८०सुपौल २४३ ८.९४ ०३ ४.५०सहरसा १४५ ४.३१ ०९ १.५८पिण ू र्या ११८ ०.६५ ०० ०.३५९७७ २७.०५ २७ १०.२३बा ँटल गेल सामीमिटया तेल१२८६६ िलटरनकद मदित८५.०५ लाखअ१४५३७ िंटलनमक१८.२५ िंटलसातु४३५.५० िंटलसलाई १४६१२५मोमबी २०९०१८(ोत: आपदा ब ंधन िवभाग)४. गुंजन जीक िवचार िटणीियवर,मैिथल, िमिथला आऽ मैिथली मानसकेँ जतेक बिझ ू सकल छी, ६६ वष र्क सिय, सचे आऽ सेदनाशील मैिथल जीवनमे तािहमेसंसद आऽ िवधानसभाक समक्ष िनरर धरना आऽ को तरहक चुनाव ियाक िवरोधसँ हमर चेतना सहमित अभव करैतअिछ। मुदा सव र्थम “शु दयसँ संक चाही”। राजनीितबला संक निह। शु दयसँ संक- समय सुता राजनीित आबमा राजनीितज्ञे तकक अवसरवादी “िवशेषता” निह, सम्ा अिधका ंश मैिथल बिजीिवयो ुलोकिनक भऽ गेल अिछ! से प ूरासिय छिथ- सामािजक, सािहिक आऽ सा ंृितक, सभ मे। िवपियोकेँ हाट-बजार बना कऽ -केित उपयोगक वुबना लैत छिथ। तिहना मैिथलीसँ तँ उपल अवसरक अघोिषत मािलक बिन जाइत छिथ।से अपन-अपन छातीपर हाथ रािख हमरा लोकिन अपनाकेँ ताकी आऽ प ूछी। बेशी काल तँ एिह कारक सबिदन सामिहक ू िवपिककारण मक, ओिह समाजमे अपमे िवमान रहैत छैक बु! तेँ आ-िवेषण सेहो। सभजन म ंगलकारक अिभयान लेलएक मा मैिथल मन अिभयान!५. बी.के. कण र्जीक िमिथला-म ंथनमैिथल जे किहयो मैिथली छोड़ि◌ लि◌़ ओ मानिसक पसं गरीब भए गेलाह।आिथ र्क िवकास भेलाक तद ुपराों अपनमनस◌ॅ◌ं बहुत गरीब। अमेिरकामे जे भारतीय मुलक िित पर जे एकटा अमेिरकन पकार अयन केलाह जर देखलजाए।Fami l y Ti es and t he Ent angl ement s of Cast ehttp:// wwwnytimes . . com2004 / / 10/ 24/ nyr egi on/ 24cast e.ht ml13


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अमेिरकन क़◌ी िमिथलामे रिह सकैत अिछनिह◌़ कथमिप निह◌़।की अमेिरकन आ को िवकिसत देश व रा के एकोटा लोग अपन मैिथली भाषा अपनायत◌़निह◌़ कथमिप निह◌़।बेसी मैिथले भेटताह जे◌़ िमिथला आ मैिथली छोड़ि◌ तािहमे सबस◌ॅ◌ं आगू ।मैिथल िमिथलाक सीमाक बाहर बड मेहनती पर िमिथलाक सीमाक अर बड आलसी। मेहनती मैिथल कतौऽ रहिथ धाकजमौ छिथ पर मैिथली पर जेना मतसुन। एको रित िच निह रखैत छिथ, हुनकर िधया पुताक बाते छोड़◌ु।िगय र्सन जक◌ॉ◌ं खोजी◌़ एिह पर अलग िवचार रखैत छिथ।मैिथलीके बोझ ब ुझय वाला मैिथल सोिच िवचारमे बड़ गरीब।गरीबी झेलबाक मानिसकता मैिथल मे िकयाक बेसी।िमिथलामे मौिलक सुख सुिवधाक कमी कोन कार। बहूतो कारण भए सकैछ। गरीबीमे ककरा ऽ इ क झेल ्ऽ पऽडै◌़त।मैिथल मेहनती त◌ॅ◌ं िमिथलामे गरीबी िकयाकगरीबी झेलबाक मानिसकता िकयाक !!!ट िर !!!कतेक मैिथल कहताह जे भाक िलखल क अिछ। एिह क जबाब खोिज रहल छी जे प◌ॉ◌ंच करोड़क मैिथलक एके र ंगभा िकयाक। गरीबीक झेलबाक मानिसकता कतेक िदन तक।हम मैिथल सब वाक िववादमे बड खंड छी। हरएक बातपर अपनाक अभवी माण दैत छी।मनस◌ॅ◌ं वाक पटूतामे धनी। जीवनक मौिलक आवकताक पितर्कक ू लेल हम सब मैिथल बड़ गरीब।गरीब मानिसकता गरीबी झेलबाक लेल सिदखन तैयार। तािवहीन मैिथल समाज अपन मौिलक हक स◌ॅ◌ं द ूर कोसो द ूर अिछ।जड़ जड़ हालतमे मैिथल समाज अपन देशक आजादीक बाद िमिथलामे आधारभूत ढ◌ॉ◌ंचाक श ूआतोऽ त◌ॅ◌ं निह भेल।खकरा कहबैऽ केऽ स ूनत के सुिध लेत।अगला अंकमे14


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्देलक जे हमहु ँ अंततः धमिहक र् शरण मे गेलहु ँ।ई संयोगे छल जे तािहिदन हमरा सभक िदस धम र्क एकटा टटका दोकान ख ुजल छलैक- जाग’ जाग’ महादेव! िमिथलाक लेल ईको नव धम र् आ नव संदाय निह छलैक, हँ, एकटा बात नव अव किह सकैत छी जे एिहमे बस अहा ँ देवािधदेव महादेवकेँ‘गु’ बना िलअ, आ िक सभ समा छू म ंतर। हम अपन अभव किह रहल छी, जिहया सँ हम महादेवकेँ गु बिलयि हमरसभटा समा सिरपहु ँ छू-म ंतर भेल जा रहल अिछ। महादेवमे दम छिन, से हमर धारणा िदनािदन दृढ◌़ भेल जा रहलअिछ। यैह कारण िथक जे कतहु ँ अबैत-जाइत, मा जतय कतहु ँ महादेवक मिदर, ं फोटो देखैत छी, मो-मोन जाग’जाग’ महादेव! कह’ लागैत छी।यैह परस ूका बात िथक हमरा एक आवक काजे गामसँ सहरसा जयबाक रहय, जािन कोन कारँ ओिहिदन गाड◌़◌ी-घोड◌़ ाब छलैक, हम पयरे चिल देलहु ँ। हमरा गामसँ लगभग 10 िक.मी. क द ूरी पर महादेवक एकटा मिदर ं छैक, बड◌़ भ, ाचीनआ िस। गरमीक िदन रहैक, रौद कपारे पर लागैक। सोचलहु ँ मिदरमे ं जाग’ जाग’ महादेव ! क’ लैत छी, आ क काला ंगणक एिह िवशाल बरक गाछतर चब ूतरा पर सुा लेब। मिदरमे ं माथ टेिक चब ूतरा लग आिब बैिस गेलहु ँ। हमर मोन कअशा ंत रहय तै ँ ओतय ानक मुामे बैिस महादेवक रण कर’ लागलहु ँ, आिक एहन आभास भेल जे सिरपहु ँ साक्षात् महादेवहमरा समक्ष आिब गेलाह।आिबतिह पुछलैथ– की यौ िश! की हाल-चाल ?हम कहिलयिन-- हे गु! से तँ अहा ँ जिनते छी ?ओ कहलिन-- िचा जिन ु क िश! सभ समाधान भ’ जेतैक।हम कहिलयिन-- हे महादेव! जखन अहा ँ लग सभ समाक एतेक िरत उपचार अिछ तखन अपक एिह संसारमे एतेककारक रोग-शोक, िभचार, अनाचार, अाचार आिद िकएक ?ओ कहलिन-- िश, “मोन चंगा तँ कठौत मे गंगा” अहा ँ पिह हमर अिकेँ ीकार करैत छलहु ँ ? निह ? मुदा आइजखन अहा ँक मोनक ा जागृत भेल तँ देिखये रहल छी जे हम साक्षात् अहा ँक समक्ष उपित छी।हम कहिलयिन-- एकर मा भेल जे अहा ँ अपन िशे टा पर कृपा करैत छी, वैह टा अहा ँक संतान िथक, आ आर सभ ? कीई अहा ँक ‘जगतिपता’ उपािध पर िच निह अिछ?ओ कहिलन-- कथमिप निह िश हमरा लेल सभक मान बरोबिर अिछ। जाधिर धम र् आ कम र्क गिणतकेँ लोक निह ब ूझत ताधिरई समा, ई भेद रहबे करतैक। एिहमे हमर कोन दोख। अही ं जे अपन सभ काज-धा छोड◌़ि◌ कय एतय िदन-राितजाग’ जाग’ महादेव! करैत रहब तँ अहा ँकेँ की ब ुझाइत अिछ जे महादेव....।हे महादेव! हमरा सन म-बि, ु धम र् आ कम र्क तत्केँ कोना ब ुझत? हम तँ बस एिहटा चीज ब ुझैत छी, महादेव! आरिकछु निह।बस! बस! बस! अहा ँक ा, िवास आ सम र् सैह िथकाह महादेव, सं िशव ं सुरम ्।हे महादेव! ई ब ूझब तँ हमरालेल आर जिटल भ’ गेल, स, सुंदर आ िशव केँ ब ुझ’क सामार् हमरा कतय?अपन संार, संृित, लोकाचार, भाषा-सािह, धािम र्क आचरण, आिदकेँ ब ुझ , ू यैह स िथक, यैह सुंदर िथक, यैह िशव िथक।बेस, आब क-क ब ुझलहु ँ। हे महादेव! आर सभ छोड◌़◌ू एकटा बात बताऊ,एिह गामक अिधका ंश लोकिन पढ◌़ल-िलखल छिथ, ज्ञानी छिथ, अपन पर ंपरा, अपन संारािदक ित जागक छिथ तकर पातो16


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हमरा ब ुझ कतहु ँ कतहु ँ........।औ िश! आइ-काि जे जतेक बेसी पढ◌़ल-िलखल लोक छिथ से ततबे बेसी म ूख र्।ई अहा ँ की किह रहल छी, एहन भ’ सकैत अिछ जे कखनहु ँ-कखनहु ँ पढ◌़लो-िलखलो लोकसँ गलती भ’ जाइत छैक, मुदा तकरजतेक पिरमाण अहा ँ बता रहल छी से बात हमरा निह पिच रहल अिछ।औ िश! कहब तँ छक द’ लागत। ई को गुटका (पान-मसाला) िछयैक जे पिच जायत। अही ं कहू, अहा ँ जे भिर िदनमे10 पुड◌़ि◌या गुटखा खा जाइत छी से कोना? ओिह पुड◌़ि◌या पर निह िलखल छैक जे “ताकू चबाना ा के िलए हािनकारकहै”। हे ओिह महाशयकेँ देिखयौक, ओ राजधानीक जानल-मानल ड◌ॉर छिथ, घंटे-घंटे पर िसगरेट (ओहो िकं ग साइज)पीबैत छैक, जखन की सभटा िसगरेटक पैकेट पर िलखल रहैत छैक, “ध ुपान ा के िलए हािनकारक है” एतबे िकएक, हेओमहर ओिह होिडर् ं ग पर पढ◌़ि◌यौक- “िसगरेट पी से कैंसर होता है, जनिहत मे जारी, कैटन िफल्टर, आिखरी कश तकमजेदार।”(हमर माथ शरम सँ झिक ु गेल) से जे हो मुदा एिहठामक लोक धमा र्चारी आ........।महादेव- हँ, हँ, से त’ अवे, तिहया सँ ठीके आइ काि हमर प ूजा पाठ करयबलाक संा बढ◌़ि◌ गेल अिछ। मुदा ........।मुदा की ?आब लोकमे ओ भाव निह रहलैक।आब लोक हमर प ूजा कर’ निह अबैयै, हमरासँ ‘डील’ कर’ अबैये।ब ुझलहु ँ निह, क क।की-की सभ करी िश! सूण र् सामािजक वामे घ ून लािग गेल छैक। एकहकटा जँ फिरछा-फिरछा अहा ँकेँ कह’ लागीतँ कैक िदन धिर एिहना अहा ँ केँ ानम रह’ पड◌़त। िजज्ञासा कएलहु ँ अिछ तँ िलअ हम िकछु ‘डील’ केर बानगी अहा ँकेँ सुनादैत छी.....एकटा (बालक)--- हे महादेव! बाप कहैत छलाह पढ◌़’क लेल तँ हम गुी-डं डा खैलयबामे भिर साल म रहलहु ँ, एिहबेरकहुना पास करा िदय’ तँ ......एकटा नवयुवक –- हे महादेव! एिहबेर देवघर जयबाकाल हमरा जािह ‘मालबम’ सँ पिरचय भेल छल तकरिहसँ हमर िबयाह करािदअ तँ.....एकटा नवयुवती— हे महादेव! अहा ँ हमरा को नीक िनदेर्शकक िसमामे माध ुरी दीिक्षतक ‘धक-धक’ वला रोल िदआ देबतँ......दोसर नवयुवती--- हे महादेव! अहा ँक देल गेल प–गुण सँ संप रिहतहु ँ हमर िबयाह निह भ’ रहल अिछ, हमर माय-बापिविक्ष भ’ गेल छिथ। एिह दिनया ु ँ सँ सबटा दहेजक दानव केँ एिह िदन उठा िलअ तँ....एकटा ौढ◌़— हे महादेव! जात-ब ुझैत ‘मनीगाछी’क कोठा पर बेर-बेर जाइत रहलहु ँ तै ँ आइ ‘एडस’ सन लाईलाजबीमारीसँ छी—जँ अहा ँ हमरा एिह सँ मुि िदया दी तँ....17


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अिभनय करैछ तकर क्ष वा परोक्ष पेँ िविवध कलाक दश र्न करैछ तकर पिरणाम ओकरा एिह भोगय पड़◌ैछ, तथािपमानव -नरकक मे सतत जीिवत रहबाक आका ंक्षी रहैछ।योगधमीर् नाटककार जनमानसमे जे ार आयल अिछ, जे लहिर पिरा भऽ गेल अिछ जे ओ अपन अिधकार आऽ कतर्कहेतु एतेक बेसी साका ंक्ष भऽ गेल अिछ जे ओ िसा ंतकेँ ीकार कऽ कए, ओकर अयायी भऽ कए ओ आधिनक ु पिरमेदृिबोध कऽ रहल अिछ। मानव-समाजक पुरातन इितहासपर दृिपात कयलासँ भऽ जाइछ जे चाहे सतयुग हो,ापरयुग हो, ता युग हो वा किलयुग हो सब समयक ामािणक इितहास साक्षी िथक जे अाचार-अनाचार, द ुःख-दद, र् सुख-समृि, पाप-पु, धम र्-अधम र् आिद-आिदक बल आका ंक्षी रहल अिछ मानव समुदाय। िकु आधिनक ु युगक सवो र्पिर उपलि िथकदेश-मक अपेक्षा िव-म। एकर पिरणाम क्ष अिछ जे जनमानससँ लऽ कए राजनीित दल सेहो समयवादी भऽ कएओकर अगामी जकर माण िथक सििलत सरकार।ुत नाटक एक तीक नाटक िथक, कारण एिहमे सामािजक पिरमे एकर कथामुखकेँ उािपत कऽ कए तीक योजनािनयोिजत कयलिन अिछ, नाटककार जािहमे समाजक सब व यथा चाहे ओऽ चोर हो, उचा हो, पाकेटमार हो, ता हो,अिभता हो, कलाकार हो, सािहकार हो, बीमा कनीक एजे हो, मी-िमका हो, उव ंशीय मिहला, अरा हो, न ृा ंगनाहो, री कागज बेचिनहार वा िकनिनहार हो, ताक चमचा हो सभक मानिसक प ृभूिममे वेश कऽ कए नाटककार एकमवैज्ञािनक सदृश ओकर साइको-एनािलिसस करबाक उपम कयलिन अिछ जे सभक आिरक अिभलाषा रहैछ जे वैह समाजकसव र् ाणी िथक आऽ जएबाक अिभलाषाक प ूथ र् तत काय र्मे संिल भऽ जाइछ। अतः सब एकित भऽ कए कफाटक लग ू लगबैछ, िकु िचगु ारा ओकर कयल गेल काय र्-िववरणी ुत कऽ कए पुनः प ृीपर ागत हैबाक आदेशदैत छिथ आऽ ओतए एीक साइन बोडर् लािग जाइछ आऽ यमराज सेहो ागत भऽ जाइछ। इएह नाटकमे सव र्दृिगत जे एकर एक नवोपलि िथक।एिह नाटकक वैिशष् अिछ जे मैिथलीमे थमे-थम तँ अंक िवभाजन अिछ दृ-िवभाजन कयलिन, ुत सूण र् नाटककेँयोगधमीर् नाटककार चािर कोलमे िवभािजत कऽ कए वतर्मान समाजक सामािजक प ृभूिमकेँ समािहत कयलिन अिछ जे एहलहर समाजारगत पिरा अिछ। पोिचत भाषाक योग आऽ छोट-छोट वा-िवास, नाटकीयता किव-शिसँ ओत-ोतरहलाक कारँ ई नाटक दश र्कपर अिमट भावोादकता उ करत से हमर िवास अिछ। सूण र् नाटकात अक लपरछोट-छोट गेय पदक योग कऽ कए एकरसताक पिरहार करबामे सहायक भेल अिछ। निचकेता य ं अिभता छिथ, तेँमैिथली र ंगम ंचक यथाथ र् िितसँ िचर-पिरिचत छिथ जे मैिथलानी र ंगकमीर्क अभाव अिछ तेँ एिहमे अ मिहला पाकेँसमायोिजत कयलिन अिछ जे एकर म ंचनमे वधान निह हो। भिवमे आर अिभनव योगधमीर् नाटककारक कृितक अपेक्षामैिथली र ंगकमीर्केँ बनल रहत जकर ओऽ पितर् ू करताह।२. एी: मा िवश- ोफेसर उदय नारायण िसंह “निचकेता”िववेचना: गजे ठाकुरनिचकेता जीक नाटक एी: मा िवश िवदेह- ई-पिकामे धारावािहक पेँ लगातार ८ अंकमे पिकाक आठम अंक (ितिथ१५ अैल २००८) सँ पहम अंक (ितिथ १ अग २००८) धिर ई-कािशत भए सम्ित समे िंटक लेल गेल अिछ। आब ईसभटा अंक पी.डी.एफ. पमे िवदेह आका र्इवमे डाउनलोडक लेल उपल अिछ। लगातार १२० िदन ई नाटक वेबपर रहल आऽ५० देशक २५० ानसँ १५९६० पाठक एकरा पढ़ि◌ चुकल छिथ (गूगल एलेिट डाटा), आऽ एिहमे आका र्इवसँ िवदेहक पुरानअंक डाउनलोड कएल गेल संा निह जोड़ल गेल अिछ।नाटकक कथानक: थम कोल: ई नाटक ोितरीरक पररामे कोलमे (वण र् राकर कोलमे मुदा ध ूतर्-समागम अंकमे िवभअिछ) िवभािजत अिछ। चािर कोलक िवभाजनक थम कोल (वा नरक) केर ारपर आर होइत अिछ। ओतए बहुतरास मुइल लोक ारक भीतर वेशक लेल पंिब छिथ। ो पथ द ुघ र्टनामे िशकार भेल बाजारी छिथ तँ संगमे युमे मृतभेल सैिनक आऽ चोिर करए काल मारल गेल चोर, उा आऽ प◌ॉिकटमार सेहो छिथ। ोितरीरक ध ूतर्समागममे जे अितआधिनक ु अब्सिडर्टी अिछ से एी: मा िवश मे सेहो देखऽमे अबैत अिछ। थम कोलमे जे बाजारी छिथ से पंितोड़ि◌ आगा ँ बढ़ला उर चोर आऽ उचा द ुन ू गोटेकेँ क◌ॉलर पकड़ि◌ पुनः हुनकर सभक म ूल ानपर दए अबैत छिथ।उचा जे बादमे पता चलैत अिछ जे गुा-दादा िथक मुदा बाजारी लग स-म रहैत अिछ, अंगा छोड़बाक लेल कहैत20


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अिछ। मुदा जखन प◌ॉकेटमार बाजारी िदससँ चोरक िवपक्षमे बजैत अिछ तखन उच्ा चू िनकािल अपन असल पमे आिबजाइत अिछ आऽ प◌ॉकेटमारपर मािर-मािर कए उठैत अिछ। मुदा जखन चोर कहैत छिन जे ई सेहो अप िबरादरीक अिछजे छोट-छीन प◌ॉकेटमार मा बिन सकल ओकर जका ँ मा ँजल चोर निह, आऽ उच्ा जेका ँ गुा-बदमाश बनबाक तँ सोिचओ निञसकल, तखन उच्ा महराज चोरक पाछँ पड़ि◌ जाइत छिथ, जे बदमाश ककरा कहलँह। आब प◌ॉकेटमार मौका देिख पक्षबदलैत अिछ आऽ उच्ाकेँ कहैत छि जे अहा ँकेँ निह हमरा कहलक। संगे ईहो कहैत अिछ जे चोिर तँ ई तेहन करएजत अिछ जे िगरहथक बेटा आऽ कुकुर सभ चोिर करैत काल पीटैत-पीटैत एतऽ पठा देलक आऽ हमर िखधा ंश करैतअिछ। बड़का चोर भेलाऽ हँ। भ ि चोरक बगेबानी देिख ई िवास निह कए पबैत छिथ जे ओऽ चोर िथकाह।तािहपर प◌ॉकेटमार, चोर महाराजकेँ आर िकचिकचबैत छि। तखन ओऽ चोर महराज एिह गपपर द ुख कट करैत छिथ जेनिह तँ ओिह राित एिह प◌ॉकेटमारकेँ चोिरपर लए जएतिथ आऽ ओऽ हुनका िपटैत देिख सकैत। एर बजारी जे पिहचोर आऽ उच्ाकेँ क◌ॉलर पकड़ि◌ िघिसया चुकल छलाह, गु भेल सभटा सुत छिथ आऽ द ुख कट करैत छिथ जे एकरासभक संग मे रहब तँ केहन होएत से निह जािन। आब बजारी महराज गीतक एकटा टुकड़◌ी एिह िवषयपर पढ़◌ैतछिथ। जेना ध ूतर्समागममे गीत अिछ तिहना एी: मा िवश मे सेहो एकर एिह लपर ार होइत अिछ जे एिहनाटककेँ संगीतक बना दैत अिछ। ओर प◌ॉकेटमारजी सभक प◌ॉकेट कािट लैत छिथ आऽ बटुआ साफ अए दैत छिथ। आबफेर गीतमय फकड़◌ा शु भए जाइत अिछ मुदा तख एकटा मृत रीबला सभक तंाकेँ तोड़ि◌ दैत छिथ ई किह जेयमालयक ब दरबाक ओिह पार ई बटुआ आऽ पाइ-कौड़◌ी को काजक निह अिछ। आब द ुन ू मृत भ ि सेहो बजैतछिथ जे हँ दोसर देसमे दोसर देसक िसा कहा ँ चलैत अिछ। आब एकटा रमणीमोहन नाा मृत रिसक भ िक दोसरदेसक िसा निह चलबाक िवषयमे टीप दैत छिथ जे हँ ई तँ ओिहना अिछ जेना यसीक दोसरक पी बनब। आब एिहगपपर घमथ र्न शु भए जाइत अिछ। तखन रमणी मोहन गपक िख घ ुमा दैत छिथ जे दरबाक भीतर रा-मेनका सभहेतीह। िभखम ंगनी जे तावत अपन कोरामे लेल एकटा पुतराकेँ दोसराक हाथमे दए बहसमे शािमल भऽ गेल छिथ ईावशर्रा-मेनकाकेँ मुँहझड़की सभ कहैत छिथ। मुदा प◌ॉकेटमार कहैत अिछ जे भीतरमे सुख निह द ुखो भए सकैत अिछ।एिहपर बीमा बाब ू अपन काय र्क ोप देिख स भए जाइत छिथ। आब प◌ॉकेटमार इक वपर पैाक बोली शु करैतअिछ। एिह बेर बजारी ता भंग करैत अिछ आऽ द ुन ू भ ि हुनकर समथ र्न करैत कहैत अिछ जे ई अुत नीलामी, जेकरबाऽ रहल अिछ प◌ॉकेटमार आऽ शािमल अिछ चोर आऽ िभखम ंगनी, पिहले-पिहल सुनल अिछ आऽ फेर संगीतमय फकड़◌ा सभशु भए जाइत अिछ। मुदा तख नंदी-ं गी शास्ीय संगीतपर नचैत वेश करैत छिथ। आब नंदी-ं गीक ई पुछलापर जेदरबाक भीतर की अिछ सभ गोटे अपना-अपना िहसाबसँ -नरक आऽ अकास-पताल कहैत छिथ। मुदा नंदी-ं गी कहैतछिथ जे सभ गोटे स छी आऽ ो गोटे प ूण र् स निह बजलहु ँ। फेर बजैत-बजैत ओऽ कहए लगैत छिथ ो चोिर कालमारल गेलाह (चोर ई सुिन भागए लगैत छिथ तँ द ु-तीन गोटे पकड़ि◌ सोझा ँ लए अत छि!) तँ ो एीडेटसँ आऽ एिहतरहेँ सभटा गनबए लगैत छिथ, मुदा बीमा-बाब ू कोना िबन म◌ॄत्य्क एतए आयल छिथ से हुनकहु लोकिनकेँ निह ब ुझल छि!बीमा बाब ू कहैत छिथ जे ओऽ नव माकेर्टक अेषणमे आएल छिथ! से िबन मरल सेहो एक गोटे ओतए छिथ! ं गी नंदीकेँढ़◌ेर रास बीमा कनीक आगमनसँ आएल कीिटशनक िवषयमे ब ुझबैत छिथ! एर मी-िमकामे घोंघाउज शु होइत छिथकारण मी आब घिर ु जाए चाहैत छिथ। रमणी मोहन मीक गमनसँ स होइत छिथ जे िमका आब असगरे रहतीह आऽहुनका लेल मौका छि। मुदा ं गी ई किह जे एतएसँ गेनाइ तँ संभव निह मुदा ई भऽ सकैत अिछ जे द ुन ू जोड़◌ी माय-बाप(!)केँ एीडेट करबाए एतिह बजबाऽ लेल जाए। मुदा अपना लेल माय-बापक बिल लेल मी-िमका तैयार निह छिथ।तखन नंदी ं गी द ुन ू गोटेक िववाह गाजा-बाजाक संग कराऽ दैत छिथ आऽ कादान करैत छिथ बजारी।दोसर कोल: दोसर कोलक आर होइत अिछ एिह भाषसँ, जे ो ता मरलाक बाद आबएबला छिथ, हुनकर द ुन ू अचर मृतभए आिब चुकल छिथ आऽ ताजीक अएबाक सभ ो तीक्षा कए रहल छिथ, द ुन ू अचर छोट-मोट भाषण दए ताजीकिवलसँ अएबाक (मृुक बादो!) क्षितपितर् ू कए रहल छिथ, गीतक योग दए। एकटा गीत चोर निह ब ुझैत छिथ मुदा िभखम ंगनीआऽ रीबला बिझ ु जाइत छिथ, तािह पर बहस शु होइत अिछ। चोरकेँ चोर कहलापर आपि अिछ आऽ िभखम ंगनीकेँ ओऽिभख-म ंग कहैत अिछ तँ िभखम ंगनी ओकरा रोिक कहैत छिथ जे ओऽ सिरसवपाहीक अनस ूया छिथ, िमिथला-िचकार, मुदा िदीकअशोकबी आिब ब ुझलि जे एिह नगरमे कला-वु ो निह िकत अिछ आऽ चौबिटयाक िभखम ंगनी बिन रिह गेलीह। चोरकहैत अिछ जे मा ओऽ बदनाम छिथ, चोिर तँ सभ करैत अिछ। नव बात को निह अिछ, सभ अिछ पुरनकाक चोिर।तकर बाद ताजी पहु ँिच जाइत छिथ आऽ लोकक चोर, उच्ा आऽ प◌ॉकेटमार होएबाक कारण, समाजक िितकेँ कहैत छिथ।तख एकटा वामपंथी अबैत छिथ आऽ ओऽ ई देिख क्षु छिथ जे ताजी चोर, उचा आऽ प◌ॉकेटमारसँ िघरल छिथ। मुदाचोर अपन तकर् लए पुनः ुत होइत अिछ आऽ ताजीक राखल “चोर-पुराण” नामक आधारपर बजारी जी गीत शु कएदैत छिथ।तेसर कोल: आब ताजी आऽ वामपंथीमे गठब ंधन आऽ वामपंथी ारा सरकारक बाहरसँ देल समथ र्नपर चरचा शु भए जाइतअिछ। ताजी फेर गीतमय होइत छिथ आिक तख ंट-सीन करैत एकटा मुइल अिभता िववेक कुमारक अएलासँ आकष र्णओर चिल जाइत अिछ। टटका-िकं ग ूज देबाकक मजब ूरीपर ताजी ं करैत छिथ। वामपंथी द ू बेर द ू गोट गप नवगप किह जाइत छिथ, एक जे िबन अिभता बन ो ता निह बिन सकैत अिछ आऽ दोसर जे चोर ता निह बिन सकैछ(ई चोर कहैत अिछ) मुदा ता सभ तँ चोिर करबामे ककरोसँ पाछा ँ निह छिथ। तख एकटा उ व ंशीय मिहला अबैत छिथआऽ हुनकर ोरक बाद एकटा सामा ूक संग एकटा वी.आइ.पी.ू बिन जाइत अिछ। अिभता, ता आऽ वामपंथी सभवी.आइ.पी.ूमे ठाढ़ भऽ जाइत छिथ! ई पुछलापर की कतार िकएक बनल अिछ तािहपर चोर-प◌ॉकेटमार कहैत छिथ जेहुनका लोकिनकेँ पंि बनएबाक (आऽ तोड़बाक सेहो) अास छि।21


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्रहैत अिछ से िकछु कालक बाद, िकछु नव निह होइछ केर दश र्नपर गप करैत सोझा ँ अबैत छिथ। जे यमराज सभकेँ थरे र्छिथ से य ं िनभाक सोझा ँमे अपन तेज मम होइत देखैत छिथ। िभखम ंगनी हुनका दैवी प उतार देखैत हँसैत छिथतँ रमणी मोहन आऽ िनभा सेहो हुनका आऽ िचगुकेँ अमे अपश कहैत छिथ। वामपंथीक आऽ अिभताक सएह हालछि। को पा कमजोर निह छिथ आऽ िरबाउड करैत छिथ।कथा इितविक ृ दृिसँ ात, उा आऽ िम तीन कारक होइत अिछ। ात कथा इितहास पुराणसँ लेल जाइत अिछआऽ उा कित होइत अिछ। िममे द ुन ूक मेल होइत छिथ। एी: मा िवश मे िम इितविक ृ होएबाक कोटा गुंजाइश तख खतम भए जाइत अिछ जखन िचगु आऽ यमराज अपन नकली भेष उतारैत छिथ आऽ िभखम ंगनीकहँसलापर ं गी कहैत छिथ जे ई िभखम ंगनी सेहो हमरे सभ जेका ँ कलाकार छिथ! मा यमराज आऽ िचगु नामसँ कथाइितहास-पुराण स निह अिछ आऽ इितवि ृ प ूण र्तः उा अिछ। अरू कथानककेँ सरल आऽ जिटल द ू कारक मातछिथ। तािह िहसाबसँ एी: मा िवश मे आकिक घटना आिद जािह सरलताक संग ोमे अबैत अिछ जे ई नाटक सरलकथानक आधािरत कहल जाएत। फेर अरू इितव ृकेँ दकथा, कना आऽ इितहास एिह तीन कारसँ सित मत छिथ। एी: मा िवश केँ कािनकम ूलक णीमे एिह िहसाबसँ राखल जाएत। अरूक जेडीक चिर, य़शी आऽ कुलीन छिथ-सत् असत् केर िमण। एी: मा िवश मे जे चिर सभ छिथ तािहमे सभ चिरमे सत् असत् केर िमण अिछ।िनभा उव ंशीय छिथ मुदा रमणी मोहन जे बलाारक बादक िपटाई केर बाद मृत भेल छिथ हुनकासँ िहिल-िमिल जाइत छिथ।िभखम ंगनी िमिथला िचकार अनस ूया छिथ। द ुन ू भपुष बजारी आऽ चा सैिनक एिह कारेँ िबन कलुषताक सोझा ँ अबैतछिथ। भरत न ृ संगीतक मीकेँ धीरलिलत, शा कृितकेँ धीरशा, क्षिय विकेँ ृ धीरोद आऽ ईा र्ल ूकेँ धीरो कहैतछिथ। बजारी आऽ द ुन ू भपुष संगीतक बेश मी छिथ तँ रमणी मोहन मी-िमकाकेँ देिख कए ईा र्ल , ू सैिनक सभ शाछिथ क्षियोचत गुण सेहो छि से धीरोद आऽ धीरशा द ुन ू छिथ। मुदा एी: मा िवश मे एिह कारक िवभाजनसव निह अिछ।भारतीय िसा ंत काय र्क आर, य, ााशा, िनयताि आऽ फलागम धिरक पा ँच टा अवाक वण र्न करैत छिथ। ााशामेफल ािक ित िनराशा अबैत अिछ तँ िनयतािमे फल ािक आशा घिर ु अबैत अिछ। पाा िसा ंत आर, काय र्-िवकास,चरम घटना, िनगित आऽ अिम फल। थम तीन अवामे उलझन अबैत अिछ, अिम द ू मे सुलझन।कायावाक र् पंच िवभाजन- बीया, िबु, पताका, करी आऽ काय र् अिछ। एी: मा िवश मे बीया अिछ एकटा मृुकबादक लोकक, बीमा एजेट एतए िब मृुक पहु ँिच जाइत छिथ। यमराज आऽ िचगु मेकप आिट र् िनकलैत छिथ। िविभिबु ारा एकटा चिर ऊपर नीचा ँ होइत रहैत अिछ। पताका आऽ करी अवार कथामे होइत अिछ से एी: मािवश मे निह अिछ। बीआक िवकिसत प काय र् अिछ मुदा एी: मा िवश मे ओऽ धरणापर खतम भए जाइत अिछ!अरू एकरा बीआ, म आऽ अवसान कहैत छिथ। आब आऊ सिपर, मुख-सि भेल बीज आऽ आरकेँ जोड़एबला, ितमुख-सि भेल िबु आऽ यकेँ जोड़एबला, गभर्सि भेल पताका आऽ ााशाकेँ जोड़एबला, िवमश र् सि भेल करी आऽिनयतािकेँ जोड़एबला आऽ िनव र्हण सि भेल फलागम आऽ काय र्केँ जोड़एबला। एी: मा िवश मे मुख/ ितमुख आऽिनव र्हण सि मा अिछ, शेष द ू टा सि निह अिछ।पाा िसा ंत ान, समय आऽ काय र्क के तकैत अिछ। एी: मा िवश मे ान एकिह अिछ, समय लगातार आऽ काय र्अिछ ारक भीतर पैसबाक आका ंक्षा। द ू घाक नाटकमे द ुइये घाक घटनाम विण र्त अिछ एी: मा िवश मे काय र्सेहो एकेटा अिछ। अिभनवगु सेहो कहैत छिथ जे एक अंकमे एक िदनक काय र्सँ बेशीक समावेश निह होए आऽ द ू अंकमेएक वष र्सँ बेशीक घटनाक समावेश निह होय। एी: मा िवश मे कोलक िवभाजन घटनाक िनिद र् समयमे भेल काय र्कआऽ नव कायारमे र् भेल िवलक कारण आनल गेल अिछ। मुदा एिह िकक िवरोध ाइडन कए छलाह आऽ शेिपअरकनाटकक ताक ओऽ समथ र्न कएलि। मुदा एी: मा िवश मे एिह तरहक को समा निह अबैत अिछ। एी:मा िवश मे आपसी गपशपमे- जकरा ैशबैक सेहो किह सकैत छी- ककर मृु कोना भेल से नीक जेका ँ दिश र्त कएल गेलअिछ।भारतमे नाटकक दृक समथ र्न कएल गेल मुदा अरू आऽ ेटो एकर िवरोध कएलि। मुदा १६म शताीमे लोडोिवकोकैेलवेो दृक समथ र्न कएलि। िडटेटाट र् सेहो दृक समथ र्न कएलि तँ ाइडज नाटकक पठनीयताक समथ र्न कएलि।देिसयर पठनीयता आऽ दृ द ुन ूक समथ र्न कएलि। अिभनवगु सेहो कह छलाह जे प ूण र् रसााद अिभनीत भेला उरभेटैत अिछ मुदा पठनसँ सेहो रसााद भेटैत अिछ। एी: मा िवश मे पिहल कोलक ारमे ई भऽ जाइतअिछ जे एतए दृकेँ धानता देल गेल अिछ। पिमी र ंगम ंच नािवधान वािवक अिछ मुदा भारतीय र ंगम ंचपर सा ंकेितक।जेना अिभज्ञानशाकुंतलम ् मे कािलदास कहैत छिथ- इित शरसंधानं नाटयित। एी: मा िवश मे भारतीय िवधानकेँ अंगीकृतकएल गेल- जेना मृु ा सभ गोटे ारा वेश ारक अदृ देबाड़क गपशप आऽ अिभनय कौशल ारा ता।अंिकया नाटमे सेहो दश र्न तक धानता छल। कीतर्िनया ँ एक तरहेँ संगीतक छल आऽ एतहु अिभनय तक धानता छल।अंकीया नाटक ार मृदंग वादनसँ होइत छल। एी: मा िवश मैिथलीक पररासँ अपनाकेँ जोड़ अिछ मुदा संगिहइितहास, पुराण आऽ समकालीन जीवनचकेँ देखबाक एकटा नव दृिकोण लए आएल अिछ, सोचबाऽ लए एकटा नव अंतदृर् ि दैतअिछ।23


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्उदाहरणमे लिलतसँ िसयाराम सरस धिरकक कुल छीस गोट कथा संकिलत अिछ। एिह संकलनसँ मैिथली कथा-संसारकपिरदृ होइत अिछ। संकलनक कतोक कथा सम भारतीय भाषासँ काी िमलान लेल तर अिछ, जे संकलनका र्कचयनकौशलक स ूचक िथक। कथाकार राजकमल चौधरीक कथा ÷एकटा चाकली एकटा िवषधर' घाघ मैिथल समाजक टोप-टहंकारकें अुत पे ं अनाव ृ करैत अिछ। सवण र् मैिथलक गरीबी, ओिह गरीबीसँ उ दयनीयता, आ तकर खोलमे द ुबकलबेटीक शाितर माइ-बापक िघन आचरण घनघोर तनावक संग पाठककें झकझोरैत अिछ। दशरथ झा आ हुनकर घरबाली अपनतेरह बख र्क बेटी चाक िववाह बासैठ बख र्क व ृ शिश बाब ू संग करेबाक षंाप ूण र् योजना बनबैत अिछ। द ुन ू ाणीक िगदृि शिश बाब ूक सित पर िटकल छिन, जकर मिलकाइन िववाहोपरा हुनक तेरह वषीर्या चा बबाली छिन। अितशयोि सनलगैबला एिह घटनाक मम र्कें ओएह बिझ ू सकत जे िमिथला ंचलक बहुिववाह थासँ नीक जका ँ पिरिचत छिथ। बीसम-एकैसम िववाहकबाद पित अपन प ूव र् पी सभक मुँहो िबसिर जाइ छलाह।ुर्ँ ुुुपाकािरता दिनयाक महप ूण आ सेदनशील पक्षसँ मायान िमक कथा ÷भए कट कृपाला' साक्षाार करबैत अिछ।मीिडया-ता पर बनल साथ र्क िही िसमा ÷पेज ी' जे िकओ देख छिथ, से एिह कथाक मम र्कें बेसी नीक जका बिझ सकैछिथ। शीतासँ नामी पाकार बिन जाएबाक हड़बड़◌ीकें कथामे कलाक ढंगसँ एकेरल गेल अिछ। क◌ॉरपोरेट दिनया ँक बादशाहाम बोगलाक मृुक खबिर सबसँ पिह देबाक होड़ लागल अिछ। पाकार लोकिनक नजिरमे ओएह सभसँ पैघ खबर अिछ,दिनयामे िकछु भ' जाउ।िललीरे मैिथलीक सश कथालेिखक छिथ। हुनकर कथा ÷िविधक िवधान'मे कामकाजी स्ा◌ीक संघष र्कें यथाथ र्तः देखबाक,आ यथाथ र्क मम र्कें कलाक कौ ंध संग उभारबाक सफल चेा अिछ। उषािकरण खान अपन कथा ÷ागपा'मे ामीण युवतीकअद िजजीिवषाकें करबामे प ूण र् सफल निह भ' सकलीह। घोर आदश र्वादी आ कठोर अशािसत पिरवारमे पािलत-पोिषतचा क◌ॉलेजमे पढ़' चाहैत अिछ, अपन मजीर् सँ िववाह कर' चाहैत अिछ। मुदा आजीवन िववाह निह करबाक घोषणा करैत चाय ंकें ओही पर ंपराक कें चुलमे समेिट लैत अिछ। चा िववाहक लण रेखा पार करैत ÷और भी ग़म हैं' कें आधार मािन अपनिकें िवृत आयाम निह द' पबैत अिछ। मनमोहन झाक कया ÷फयदा'मे स्ा◌ी जाितक मोलभाव बला विक ृ रेखा ंकनखूब जमल अिछ, मुदा वो एिह विक ृ वण र्न क' स्ा◌ी जाित कोन पक्षक उाटन करै छिथ, से ब ूझब किठन। को िकभावमे नीक आ खराब द ून ू भाव रहैत अिछ। कथाक हेतु कोन तरहक भावक चुनाव कयल जाए, ई महप ूण र् अिछ। इएहचुनाव मैिथली कथामे स्ा◌ी चेतनाक दश र्न करा सकैत अिछ।स्ा◌ी चेतनाक दृिएं दीप िबहारीक कथा ÷मकड़◌ी' अपेक्षाकृत मेोडर् आ बोल्ड कथा कहल जा सकैछ। बेराबेरीकथानाियका सुनीता द ू बेर िववाह करैत अिछ, द ुन ू बेर ओकर पित मिर जाइछ, मुदा ओ िजनगीसँ हािर निह मात अिछ।िसलाई मशीन चला क' ओ गुजर-बसर करैत अिछ। एतबे निह, ओ एकटा अनाथ आ बौक बाक लालन-पालनक दािय ल' क'अपन िकें िवार दैत अिछ। कथामे मोड़ तखन अबैत अिछ जखन ओ बौका समथ र् भेला पर सुनीताक ीकृितयेसँ सही,ओकरा गभाधान र् क' क' भािग जाइत अिछ। सुनीताकें एिह बातक अपराधबोध निह छै, जे ओ बौका संग िकऐ ई कृकेलक, ओ देहक िववशतासँ पिरिचत अिछ, मुदा बौकाक भािग जेबाक दंश ओकरा िथत करै छै। देवश ंकर नवीनक कथा÷पे ंपी' पित-पीक स िवेदक पिरणामप बेटीक ममि आ ि पर पड़◌ैबला कुभाव आ बेिहसाब उपेक्षाभावकेंकणाप ूण र् ढंगसँ करैत अिछ। मुदा एिहमे सभटा दोष स्ा◌ी पर फेिक देब प ूवा र्ह मानल जा सकैछ। ई सामािजक सनिह भ' सकैत अिछ। विर कथाकार राजमोहन झा अंत कुशलताप ूव र्क ÷भोजन' कथाक बहे स्ा◌ीक बाहर काज करबाकिवरोध क' जाइत छिथ। राजमोहनजीक दक्षता इएह छि जे ई सभ बात किहओ क' ओ गितशील बनल रहै छिथ।राजकमल चौधरीक ÷एकटा चाकली एकटा िवषधर', ध ूमकेतुक ÷भरदितया', ु गंगेश गुंजनक ÷अपन समा ंग'(ई कथा देिसलबयनामे सेहो संकिलत अिछ), तारान िवयोगीक ÷पह अग सानबे' आ अशोकक ÷तानप ूरा' एिह संहक कथा मानलजा सकैछ। ध ूमकेतुक कथा ÷भरदितया' ु ि ाथ र् हेतु भाई-बिहनक पावन पाबिनक द ुपयोग करबैत देखबैत अिछ।आज ुक मख अहू पाबिनकें निह छोड़लक। ÷पह अग सानबे' िवयोगीक सफल राजनीितक कथा कहल जा सकैछ। कथाकई िनित एकदम ठीक लगैत अिछ जे सवण र्क पाटीर् एिह द ुआरे जीतैत रहल जे िनजाितक आिथ र्क ित बहुत खराब छल।ामीक पाटीर् दासोक पाटीर् होइछ। दोसर पाटीर्क मादे सोचब मृुकें आमाण देब छल। आओर नइ ं िकछु त' आवास आरोजगार छीिन बेला बना देब उवक हेतु बाम हाथक काज छल। िदी-पंजाब वासँ िनवक आिथ र्क, सामािजक िितमेसुधार भेल। पिरणामप ओिह वमे आसान आ राजनीितक चेतनाक अंकुरण भेल। भिकाक उेष आ ओिहमेिनजाितक किवक बाहुक प ृभूिममे सुिस इितहाकार इरफमान हबीब मुगलकालीन िवकास काय र्कें लिक्षत केलिन अिछ।÷पह अग सानबे' कथाक िवलक्षणता िबहारमे बनल िनजाितक पाटीर्क आालोचन िथक। कहबा लेल त' ई पाटीर्िनजाितक-िनवक छल, मुदा अइ पाटीर्मे छल, पंच, ाचार, अपराध आओर पाख पिहनहु ँसँ तेजगर और धारदार भ' गेलछल। कथाकारक इएह कथाकें गिरमा दान करैछ। चाहक दोकान चलबैबला मुदा बहुत ारिहसँ सिय म ूपरकराजनीित करैबला हीरा महतोक धैय र् जखन संग छोड़ि◌ दै छिन त' ओ पाटीर् मुख बासुदेव महतो पर िबफरैत कहै छिथ-- रे25


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िनल र्ा, एतबो सरम कर! जे कुकम र् करै छैं से अपन करैत रह, लेिकन एना समाजमे नइ ं किहए जे कुकमे र् करब ठीकिछऐ। एतबो रहम कर बिहं...।''अशोकक कथा ÷तानप ूरा' मवगीर्य िहोसीक घटाटोपकें तार-तार क' देबामे प ूण र् सफल भेल अिछ। िबना कोउपदेश आ ितक आहक कथा मवगीर्य कुित मानिसकताक द ु भेदन करैत अिछ। कथानायक िवद बाब ूक संगीत-मकेंहुनक िपता घोर अभाव आ िरद ्◌्रयक बीच जेना-तेना प ूरा करैत छिथ, मुदा जखन िवद बाब ूक पुा संगीत िसखबाक इाकट करै छिन त' द ुन ू ाणीकें सा ँप सँिघ ू जाइत छिन। एिह द ुआरे निह, जे हुनका को तरहक अभाव छिन। बि एिहद ुआरे जे संगीतक स'ख हुनक बेटाकें पैया कमबैबला मशीन निह बना सकत। जे दित को िवषय पर किहयो एकमतनिह भेल, एिह िवषय पर एकमत भ' पुाक एिह अावहािरक स'ख'क केठ मोंकबाक सािजशप ूण र् योजना बनबए लगै छिथ।संहक िकछु कथा जेना अवकाश, अयना, खान साहेब, जंगलक हरीन आिद यथाथ र्क मोहमे शु ग बिन क' रिह गेलअिछ। एिहमे िकछु कथा ततेक सरलीकृत भ' गेल अिछ जे ओ नवसाक्षर हेतु िलखल कथा बिझ ु पडै+छ। एहन कथा सभकम ूल संरचना इितव ृाक अिछ। यिप इितव ृ को कथाक सीमा निह होइछ, मुदा जखन को कथा घटनाक ूल आताक िववरण टा दैछ, कथामे समय वा क्षणक मम र् निह आिब पबैछ, त' एहन इितव ृ िनपट ग बिन क' रिह जाइछ।यथाथ र् को कथाकें िवसनीयता देबाक बदलामे ओकरा भीतरसँ संवेदना िनचोड़ि◌ अत अिछ, कथाकें मािणक बबाक फेरमेपड़ल निह रहैत अिछ। कथाकार रमेश अपन कथा ÷नागदेसमे अयनाक वसाय'मे अितयथाथ र् आ इितव ृक मकें तोड़ि◌तीक वा फैंटेसीक योगसँ कथा ब ुनबाक यास त' केलिन, मुदा कथाक िवासमे एकरसता आिब गेल। एिह म हेतु हमरालोकिनकें राजानी कथाकार िवजयदान देथा(दिवधा)ु आ िही कथाकार उदय काश (वारेन हेिंग्स का सा ंढ़) आिदकें पढ़बाकचाही। िहनका लोकिनक कथा यथाथ र्क मकें तोड़ि◌यो क' यथाथ र् बनल रहल अिछ।मैिथलीमे कािशत उ तीनँूकथा संकलनसँ मैिथली कथाक सार राष्ीय र पर भ' रहल अिछ, एिहमे द ू मत निह।मुदा उ संकलनकें पढ़ि◌आम पाठकक राय इएह बनत जे मैिथलीमे कुल इएह तीस-चालीस गोट कथाकार आइ तक भेलाहे। कारण तीनँूसंहमेकथाकारक स ूचीमे अुत सा अिछ। कथा पढ़ि◌ ब ुझना जाइछ जे कथा चयनमे कथाक अपेक्षा कथाकारकें मह देल गेलअिद। ई कहब सव र्था अिचत जे संकलनक कथाकार महप ूण र् निह छिथ, मुदा अ कथाकें सेहो काशमे अएबाक यासहेबाक चाही। हमरा लोकिन ई नीक जका ँ ज छी जे मैिथलीमे कथाक अभाव निह अिछ। िकु काशनक अभावमेपा-पिाकाकें छािन मारब किठनाहे निह समय-सा काय र् िथक। वैनाथ िम याा◌ीक पिहचान भ किवक पमे छिन,मुदा हुनकर मैिथली कथा ÷िचतकबड़◌ी इजोिरया' आ ÷पा ंतर' कतोक दृिएं महप ूण र् अिछ। रेजी सेहो मैिथली कथािलखलिन अिछ। ई दीगर बात िथक जे बादमे ओ िहिए टामे िलखए लगलाह। ÷प अिभता' आ ÷जहा ं पमन को गमननही ं ' आिद लीकसँ हिट क' िलखल गेल कथा िथक। ÷उदाहरण'मे कथाक काशन वष र् आ सभर्क अपिित खटकैत अिछ।समय-सीमा जन िबना को कथाक सक म ूा ंकन सव निह। नवीनजी सदृश दक्ष आ अभवी सादकसँ ई आशा निह कएलजा सकै छल। एिह कमीकें प ूरा करैत अिछ हुनकर चौदह प ृीय भूिमका। सादक मैिथली कथाक सीमा आ सावनाक िवृतपड़ताल अपन एिह भूिमकामे केलिन अिछ। मैिथली कथाक इितहासकें ब ुझबा लेल ई भूिमका िनित पे ं रेखा ंकन योअिछ।२.देवश ंकर नवीन-अदी पेनकें मजगुत करबाक आवकतािमिथलाक सा ंृितक िवरासत तकैत द ूर धिर नजिर जाइत अिछ, सबसँ पिह देखाइत अिछ जे उ िशक्षा ा करबाक,गीर िचन-मनन करबाक, छोट-सँ-छोट बात पर पया र् िवचार-िवमश र् करैत िनण र्य लेबाक था िमिथलामे पुरातन कालसँ अबैतरहैत रहल अिछ। मुदा तकर अितिर ÷परसुख देबामे परमसुख'क आन लेबाक आ जीवनक हरेक आचार एव ं आचरणमेलयाित रहबाक अास मैिथल जनकें िनकेना ँ रहलिन अिछ। यं क सिहओ क', अपन सब िकछु गमाइओ क', दोसरकें अिधकसँअिधक सता देबाक आदित िमिथलामे बड़ पुरान अिछ। ायः इएह कारण िथक जे अितिथ सारमे िमिथलाक लोक अपनाघरक थाड़◌ी-लोटा धिर बकी रािख देलिन। दोसरकें सान देबामे मैिथल नागिरक बढ़ि◌-चढ़ि◌ कए आगू रहल अिछ।भनिसयाक काज कर'बला िकें महराज अथवा महरािजन, केस-नह-दाढ़◌ी-मोंछ साफ कर'बला िकें ठाकुर-ठकुराइन, घर-आ ँगनमे री-बिहिकरनी आ सोइरी घ'रमे परसौतीक काज करबाब'वाली स्ा◌ीकें दाय किहक' सोिधत करबाक था िमिथलामे एह धारणासँ रहल होएत। ान देबाक िथक जे िमिथलामे दादीकें , जेठ बिहनकें आघ'रक अिधक द ुलािर बेटीकें दाय कहबाक पररा अिछ।26


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अयन, िचन, मननक था िमिथलामे बड़ पुरान अिछ। मुदा ई स िथक जे अिशक कार ं िमिथला एतेक पछुआएलोरहल। गनल गूथल जे ि अयनशील भेलाह, से अिधक पढ़लिन, जे निह पढ़ि◌ सकल, से अपन रोजी-रोटीमे लागलरहल। रोजी-रोटीक एक माा आधार कृिष छल। िवान लोकिनक गीर बहसमे बैसबाक अथवा ओिहमे िहा लेबाक तकर्शि,बोध-सामर्, आ पलखित रहै निह छलिन, तें जे उपदेश देल जाइन, तकरा आष र् वा मािन अपन जीवन-यापनमे मैिथललोकिन तीन रहै छलाह। ईश भिक था अहू कार ं िमिथलामे दृढ़ भेल। मानव सताक इितहास कहै'ए जे कृित-प ूजन,नदी-पहाड़-भूिम-व ृक्ष-पशु आिदक प ूजन एिह करं शुह भेल जे ारिक कालमे जीवन-रक्षाक आधार इएह होइत छल।लोक अमान लगौलक जे सिक ृ कारण, स्ा◌ी-पुषक जनना ंग िथक, तें ओ िलंग प ूजा आ योिन-प ूजा शुह केलक, जे बादमेिशविलंग आ कामयोिन प ूजाक पमे चिलत भेल। बादमे औजार प ूजन होअए लागल।... तें प ूजा पाठमे लीन हेबाक थापुरान अिछ। िमिथलामे ओिह सम प ूजन-पितक अपालन तँ होइते रहल; िपतर प ूजा, ामदेव प ूजा, ऋतु प ूजा, फसलप ूजा, कुलदेव-देवी प ूजा आिदक था बढ़ल। हमरा जत िवान लोकिन ारा ईश भिक उपदेश एिह लेल देल जाइत रहलहएत जे ईश भिमे लागल लोक धम र्-भयसँ सदाचार अपालनमे लागल रहत, सृिमे लीन रहत, सामािजक मया र्दाक ानराखत, भुजबल-धनबलक मदमे िनब र्ल-िनध र्न पर अाचार निह करत।...लपितर् ू त' निहएँ भेल, उनटे लोक धम र्भी, पाखीअिवासी आ िनरर लोभी, ाथीर्, अाचारी होइत गेल, पिरणामप आज ुक मैिथल-वि ृ हमरा सभक सोझा ँ अिछ।कृिष जीवनसँ समाजक कौटुिक बन एते मजगुत छल, जे भूिमही ि सूण र् िकसानक दजा र् पबै छल। हरेकगाममे सब विक ृ लोक रहै छल। डोम, चमार, आ, कुमार, गुआर, धोिब, कुार, कोइरी, बाण, क्षा◌ी... आिद समजाितक उपिितसँ गाम प ूरा होइ छल। जमीार लोकिन सम भूिमहीनकें जागीर दै छलाह, बाण पुरिहताइ करै छलाह,आ केश कटै छलाह; कुमार ह'र-फार, चौकी केबाड़ बनबै छलाह; धोिब कपड़◌ा-बर धोइ छलाह...। सूण र् समाज एकपिरवार जका ँ चलै छल। सब एक दोसरा लेल जीबै छलाह, सब गोटए िकसान छलाह, कृिष-सतामे म छलाह।िसरपंचमी िदनक ह'र-प ूजा हो; दसमी, दीया-बाती, सामा-चकेबाक उव हो; म ूड़न-उपनयन-िववाह-ा हो; छिठ अथवाफगुआ हो... िबना सव र्जातीय, सव र्व ृीय लोकक सहभाग को काज प ूर निह होइ छल। एिहमेसँ बहुत बात तँ एखनहु ँबा ँचल अिछ, होइत अिछ ओिहना, ओकर ेय कतहु लु भ' गेल अिछ।िमिथलाक िववाहमे एखनहु ँ जा धिर आ ब'रक कानमे हुनकर खानदान लेल गािर निह देताह (पिरहास लेल); धोिबन अपनाकेस संगें किनया ँक केस धो क' सोहाग निह देतीह, िववाह प ूण र् निह मानल जाइत अिछ। ान देबाक िथक जे एिह तरहें ओिहआकें काक िपता आ धोिबनकें काक माइक ओहदा देल जाइत अिछ। िमिथलाक छिठ पाबिन तँ अुत पे ं सूण र्िवरासतक रक्षा क' रहल अिछ। नदीमे ठाढ़ भ' कए स ूय र्कें अघ र् देबाक ई था जाित-धम र् समभावक सुरक्षा एना के अिछ जेसमाजक कोनहु ँ वक सहभागक िबना ई पाबिन प ूण र् निह होएत। त अइ स'ब टामे एकता आ समानताक स ूा ािपत रखबाकरहैत छल। ई कलंक ातयोरकालीन िमिथलाक ाधीन मानवक नाम अथवा वैज्ञािनक िवकास, बौिक उित, औोिगक गितकमाथ जाइत अिछ, जे सम िवकासक अछैत मानव-मनमे लोभ-ोह, अहंकार एिह तरहें भरलक छूआछूत, जाित-ेष, शोषण-उीड़न बढ़◌ैत गेल; आ आइ िमिथला-समाज, जे ाग, बिलदान, म, सौहाद र् लेल ात छल, सामािक पे ं ख-ख भेलअिछ। पैघसँ पैघ आपदा, िवभीिषका ओकरा एक ठा ँ आिन कए, एकमत निह क' पबै'ए। िमथलाक उदारता आ सामािजकता ईछल जे ककरो बाड़◌ी-झारीमे अथवा ली-फीमे अथवा कलम-गाछीमे नव साग-पात, तर-तरकारी, फूल-फल होइ छल तँसभसँ पिह ामदेवक थान पर आ पड़◌ोिसयाक आ ँगनमे पहु ँचाओल जाइ छल; को फिसल तैयार भेलाक बाद आगों-रािशको परगोा◌ीकें देल जाइ छल; खेतमे फिसल कटबा काल खेतक हरेक टुकड़◌ीमे एक अंश रखबारकें देल जाइ छल...ईसम बात सामािजक स-बक मजगूतीक उदाहरण छल।को स'र-कुटुमक ओतएसँ को वु ससमे आबए, तँ ओ सौ ंसे टोलमे लोक िबलहै छल।...कहबा लेल किह सकै छीजे ई मैिथलजनक जीवनक नाटकीयता आ श ंसा हेतु लोलुपता रहल होएत... मुदा तकर अछैत एिह पित आ परराकता आ सामािजक म ू हेतु एकर आवकतासँ मुँह निह मोड़लजा सकैत अिछ। गाममे को बेटीक द ुरागसनक िदन तय होइ छल, तँ बेटीक सासुरसँ आएल िमठाइ भिर गाममे िबलहलजाइ छल। ताय र् ई होइ छल जे भिर गामक लोक बिझ ू जाए, जे ई बेटी आब अइ गामसँ चल जाएत। ओिह बेटीकें भिरगामक लोक धन-िव-जाितसँ परे, ओिह बेटीकें अपना घ'रमे एक सा ँझ भोजन करबै छल। सब िकछुक लाथ र् गु रहै छल।एकर अथ र् ई छल, जे सूण र् गाम अपन-अपन थाड़◌ी-पीढ़◌ी देखा कए ओिह बेटीक िववेककें उु करै छल जे बेटी! आबतों ई गाम, ई कुल-व ंश छोड़ि◌ आन ठाम जा रहल छह, हमरा लोकिन अपन शील-संृितक ज्ञान तोरा देिलयहु, सासुर जा कए,ओतुा शील-संार देिख कए अपन िववेकसँ चिलह', आ अपन गाम, अपन कुल-शीलक िता बढ़िबह'। इएह कारण िथक जेपिह को बेटीक द ुरागमनक िदन पैघ अराल द' कए तय होइ छल। मुदा आब ई िरवाज एकटा औपचािरकता बिन कएरिह गेल अिछ; गामक बेटीकें अपन बेटी मािनते के अिछ?िमिथलामे को स्ा◌ी संगें भै ंसुर आ मिमया ससुरक वाता र्लाप, भेंट-घा ँट विजर्त रहल अिछ, एते धिर जे द ुन ूमेछूआछूतक था अिछ। आधिनक ु सताक लोक एकरा पाख घोिषत केलिन। पिरिित बदलै छै, त' माताक सभर् बदिलजाइ छै, से िभ बात; मुदा एिह थाकें पाख कहिनहार लोककें ई ब ुझबाक िथक जे ई था एिह लेल छल, जे एिह द ुन ू27


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्समे समवयी हेबाक सावना बेसी काल रहै छल। संयु पिरवारक था छल, कखनहु ँ को अघट घिट सकै छल। ईवजर्ना एकटा िशाचार िनव र्हरण हेतु पैघ आधार छल। ायः इएह कारण िथक जे िववाह कालमे घोघट देबा लेल ाथिमकअिधकार अही द ुन ू सीय िकें देल जाइ छिन। जािह स्ा◌ीकें केओ भै ंसुर अथवा मिमया ससुर निह छिन, हुनकिह टा ससुरानीय को आन ि घोघट दै छिन। घोघट देबाक ियामे कतेक ितक बन रहैत अिछ, से देखू, जे सकल समाजकसमक्ष भै ंसुर, नव िववािहत भावहुक उघार माथकें नव न ूआसँ झा ँपै छिथ आ बगलमे ठाढ़ ब'र ओिह न ूआकें घीिचकए माथ उघािरदैत अिछ, ई िया तीन बेर होइत अिछ, अिम बेर माथ झा ँपले राखल जाइत अिछ। अथा र्त् , सकल समाजक सुख ओि ितज्ञा करैत अिछ--हे शुभे! हम, तोहर भै ंसुर (ससुर) ण लैत छी, जे जीवन पय र् तोहर लाजक रक्षा करब!एते धिर जे अि, आकाश, धरती, पवनकें साक्षी रािख जे ि तोरा संग िववाह केलकहु अिछ, सेहो जखन तोहर लाज परआमण करतहु, हम तोहर रक्षा लेल तैयार रहब!अही तरहें उपनयनमे आचाय, र् बा, केस िनहािर, भीख देिनहािर, डोम, चमार, आ, धोिब, कमार, कुार आिदकभागीदारी; आ एह को आन उव, संारमे सामिहक ू भागीदारी सामािजक अबक तािकर्क आधार देखबैत अिछ।कहबी अिछ जे मैिथल भोजन भ होइ छिथ। अइ कहबीक त'हमे जाइ तँ ओतहु एकर सा ंृितक, पाररिक स ूाभेटल। िमिथलाक स्ा◌ी, खाहे ओ कोनहु जाित-वक होिथ, तीण ितभाक ािमनी होइत रहल छिथ। मुदा परदा थाककार ं हुनकर पैर भनसा घरसँ ल' क' अँगनाक डेरही धिर बाल रहै छलिन। अिधका ंश समय भनसे घरमे िबतब' पड़िन।स ृजनशील ितभा िनि बैस' निह दैन। की किरतिथ! भोजनक िवासमे अपन समय आ ितभा लगब' लगलिथ। आइयोभोजनक जतेक िवास, तीमन-तरकारीक जतेक कोिट, चटनी आ अचारक जेतक िवधान िमिथलामे अिछ, हमरा जत देशककोनहु ँ आन भागमे निह होएत। वनितज औषिधकें सुाद ु भोजन बनएबाक था सेहो िमिथलामे सवािधक र् अिछ।... आबजखन एते कारक भोजन ओ बलिन, तँ उपयोग कतए हैत?... घरक पुष वकें खोआओल जाएत। सव र्दा एिहना होइतरहल अिछ, जे को ियाक िवकृित चािरत भ' जाइत अिछ, म ूल त गौण रिह जाइत अिछ। मैिथल पेटू होइत अिछ,से सब ज'ए, मुदा िमिथलाक स्ा◌ीमे िवलक्षण स ृजनशीलता रहलैक अिछ, से बात कम चािरत अिछ। जे स्ा◌ी कामकाजीहोइ छलीह, खेत-पथार जा कए शरीर म करै छलीह, गामक बाब ू बब ुआनक घर-आ ँगन नीपै, लेबै छलीह, ितनकहु कलाककौशल हुनका लोकिनक काजमे देखाइ छल।स्ा◌ी जाितक कला-कौशलक मिवज्ञानक उष र् तँ एना देखाइ अिछ जे हुनका लोकिनक उछाह-उास धिरमे जीवन-यापनक आधार आ घर-पिरवारक म ंगलकामना गुित रहै छल। जट-जिटन लोक नािटका िवशु पसँ कृिष कम र्क आयोजनिथक, जे अनाविक ृ आश ंकामे मेघक आवाहन लेल होइ छल, होइत अिछ; सामा भसेबा काल गाओल जाइबला गीतमे सब स्ा◌ीअपन पािरवािरक पुष पााक ाक कामना करै छिथ; िववाह उपनयनमे अपिरहाय र् पे ं व ृक्ष प ूजा (आम, महु), नदी प ूजा,कृित प ूजा आिद करै छिथ। िविभ विक ृ लोकक अिधकार ा पर नजिर दी, तँ आ, कमार, कुार, डोम, धोिब...सबहक ािम िनधािरत र् रहैत आएल अिछ। जािह गाम अथवा टोल पर िजनकर ािम छिन, हुनकर अमितक िबना केओ दोसरवेश निह क' सकै छलाह। ई लोकिन आपसी समझौतासँ अथवा िनलामीसँ गामक खरीद-िबी करै छलाह। एिह वहारमेजजमानक को भूिमका अथवा दखल निह होइ छल।हकलाक कुटीर उोग एतेक स छल, जे सामािजक वामे सब एक दोसरा पर आित छल। स ूप, कोिनया,ँपिथया, बखाड़◌ी, घैल, छा ँछी, सरबा, पुरहर, मौनी, पौती, ज, चरखा, लदहा, बरहा, गरदामी, मुखारी, उघैन, कराम, खाट, सीक,अिरपन... सब िकछु लुाय भ' गेल। एते धिर जे ई श आ िया अपिरिचत भेल जा रहल अिछ। ढोिन केनाइ, भौरीकेनाइ, केन केनाइ, पस'र चरेनाइ, िझैर खेलेनाइ सन िया, आ सुठौरा, हरीस, लागन, बरेन, जोती, कल, पालो, चास,समार, फेरा, पचोटा, ढोिस, करीन सन श आब आधिनक ु सािहोमे कमे काल अबै'ए।िमिथलाक एहेन िवलक्षण िवरासत--कला, संृित आ जीवन-यापन पितक उृ उदाहरण सावनािवहीन भिवक कार ंआ सामािजक कटुताक कार ं हेराएल जा रहल अिछ। नवीन िशक्षा पितसँ सामािजक जागृित बढ़ल, मुदा ओिह जागृितक समक्षठढ़ भेल वैज्ञािनक िवकास आ आिथ र्क उदारीकरणक भावमे अहंकार समृ लोकक लोलुपता आ क्षु वि। ृ संघष र् जायजछल। अपन पारिरक वि ृ आ हकलामे, पुश्तैनी पेशामे लोककें अपन भिव सुरिक्षत निह देखेलै। ÷र ंग उड़ल मुत'कथामे मायान िम आ ÷रमजानी' कथामे लिलत िमिथलाक पररा पर आघात देखा चुकल छिथ।...ख'ढ़क घर आब होइत निह अिछ, घरामीक वि ृ एिहना चल गेल। सीक'क योजन, खाटक योजन समा भ' गेल,बचल-ख ुचल माल-जाल लेल नाथ-गरदामी आब ािकक बनल-बनाएल डोिरसँ होअए लागल, बाक खेलौना ािकक होअएलागल। आ, कमार, धोिब, डोमक जागीर आपस लेल जा लागल। ओ लोकिन अपन पुश्तैनी पेशा छोड़ि◌ आन-आन करीचाकरीमे जाए लगलाह। स्ा◌ी जाित आब भानस करबा लेल िकताब पढ़ए लगलीह, फा फूड खएबाक था िवकिसत भेल।िमिथला पेिट ं ंगकें आफसेट मशीन पर छपबा कए पँजीपित ू लोकिन री-ोडन बेच' लगलाह। जट-जिटन आ सामा-चकेबाकखेलक िविडयोाफी देखाओल जाए लागल। गोन ू झा, राजा सलहेस, का बिनजारा, का िखरहिर, लोिरकाइिन आिदक कथा छपा28


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कए िबी होअए लागल, टेप पर रेक◌ॉडर् क' कए, अथवा सी.डी.मे तैयार क' कए, री-िमसँ ओकर मौिलकतामे फें ट-फा ँट क'कए लाक सुन' लागल, आ एकरा अपन बड़का उपलि घोिषत कर' लागल। ... अथा र्त् जे लोककला लोकजीवनक संग िवकिसत आपिरविर्त होइ छल, तकर अिभलेखनसँ (डकुमेेशन) ओकरा िर कएल जा लागल। लोकजीवनक संग अिवरल वािहत रहैबालीसा ंृितक-धारा आब अिभलेखागारमे ब रहत, ओकर िवकासक सावना िगत रहत।अइ सम विमे ृ ज ुड़ल लोककें सािनत जीवन जीबै जोगर वि ृ द' कए एकर िवकासमान ियाकें आओर तीकरबाक आवकता छलै, मुदा जखन िमिथलाक लोके ओ ÷लोक' निह रिह गेल अिछ, तखन लोक-संृित आ लोक-परराक रक्षाके करत?ोफेसर म श ंकर िसंहड◌ॉ. मश ंकर िसंह (१९४२- ) ाम+पो- जोिगयारा, थाना- जाले, िजला- दरभंगा। 24 ऋचायन, राधारानी िसा रोड,भागलपुर-812001(िबहार)। मैिथलीक विर स ृजनशील, मननशील आऽ अयनशील ितभाक धनी सािह-िचक, िदशा-बोधक,समालोचक, नाटक ओ र ंगम ंचक िनात गवेषक, मैिथली गकेँ नव-प देिनहार, कुशल अवादक, वीण सादक, मैिथली, िही,संृत सािहक खर िवान ् तथा बाङला एवं अंजी सािहक अयन-अेषणमे िनरत ोफेसर ड◌ॉ. मश ंकर िसंह ( २० जनवरी१९४२ )क िवलक्षण लेखनीसँ एकपर एक अक्षय कृित भेल अिछ िनःस ृत। िहनक बहुम ू गवेषणाक, मौिलक, अनिदत ू आऽसािदत कृित रहल अिछ अिवरल चिच र्त-अिच र्त। ओऽ अद उाह, धैय, र् लगन आऽ संघष र् कऽ तयताक संग मैिथलीक बहुम ूधरोरािदक अेषण कऽ देलिन पुकाकार प। िहनक अेषण प ूण र् आऽ बकार आलेखािद ापक, िचन, मनन, मैिथलसंृितक आऽ परराक िथक धरोहर। िहनक स ृजनशीलतासँ अािणत भऽ चेतना सिमित, पटना िमिथला िवभूित सान (ता-प) एव ं िमिथला-दप र्ण, मुई विर लेखक सानसँ कयलक अिछ अलंकृत। सम्ित चािर दशक धिर भागलपुर िविवालयकोफेसर एव ं मैिथली िवभागाक्षक गिरमाप ूण र् पदसँ अवकाशोपरा अनवरत मैिथली िवभागाक्षक गिरमाप ूण र् पदसँ अवकाशोपराअनवरत मैिथली सािहक भारकेँ अिभविर्त करबाक िदशामे संल छिथ, त सारत-साधनामे।कृित-मौिलक मैिथली: १.मैिथली नाटक ओ र ंगम ंच,मैिथली अकादमी, पटना, १९७८ २.मैिथली नाटक पिरचय, मैिथली अकादमी, पटना, १९८१३.पुषाथ र् ओ िवापित, ऋचा काशन, भागलपुर, १९८६ ४.िमिथलाक िवभूित जीवन झा, मैिथली अकादमी, पटना, १९८७५.नाााचय,शेखर काशन, पटना २००२ ६.आधिनक ु मैिथली सािहमे हा-ं, मैिथली अकादमी, पटना, २००४ ७.पािणका, कण र्गोी, कोलकाता२००५, ८.ईक्षण, ऋचा काशन भागलपुर २००८ ९.युगसंिधक ितमान, ऋचा काशन, भागलपुर २००८ १०.चेतना सिमित ओ नाम ंच,चेतना सिमित, पटना २००८मौिलक िही: १.िवापित अशीलन और म ूा ंकन, थमख, िबहार िही अकादमी, पटना १९७१ २.िवापित अशीलन औरम ूा ंकन, ितीय ख, िबहार िही अकादमी, पटना १९७२, ३.िही नाटक कोश, शनल पिब्लकेशन हाउस, िदी १९७६.अवाद: िही एवं मैिथली- १.ीपादकृ कोटकर, सािह अकादमी, नई िदी १९८८, २.अर फिसल, सािह अकादेमी, नई िदी२००१ ३.पागल दिनया, ु सािह अकादेमी, नई िदी २००१, ४.गोिवदास, सािह अकादेमी, नई िदी २००७ ५.रानल, ऋचा काशन,भागलपुर २००८.िलारण-१. अीयानाट, मज काशन, भागलपुर, १९६७।सादन- १. गवरी, महेश काशन, भागलपुर, १९६६, २. नव एका ंकी, महेश काशन, भागलपुर, १९६७, ३.प-पु, महेशकाशन, भागलपुर, १९७०, ४.पदलितका, महेश काशन, भागलपुर, १९८७, ५. अनिमल आखर, कण र्गोी, कोलकाता, २००० ६.मिणकण,कण र्गोी, कोलकाता २००३, ७.हुनकासँ भेट भेल छल, कण र्गोी, कोलकाता २००४, ८. मैिथली लोकगाथाक इितहास, कण र्गोी,कोलकाता २००३, ९. भारतीक िबलाड़ि◌, कण र्गोी, कोलकाता २००३, १०.िचा-िविचा, कण र्गोी, कोलकाता २००३, ११. सािहकारक29


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िदन, िमिथला सा ंृितक पिरषद, कोलकाता, २००७. १२. व ुआड़ि◌भितरिणी, ऋचा काशन, भागलपुर २००८, १३.मैिथली लोकोिकोश, भारतीय भाषा संान, मैस ूर, २००८, १४.पा सोना हीरा, कण र्गोी, कोलकाता, २००८।पिका सादन- भूिमजा २००२२.जीवन झाक नाटकक सामािजक िववतर्नउसम शताीक पंचम दशकमे आधिनक ु मैिथली सािहक िक्षितजपर एक ितभास सािह मनीषीक आिवभाव र् भेल जे अपननवोेषशािलनी ितभाक सादात पिरदीि काश पुसँ बीसम शताीक थम दशक धिर अबैत-अबैत मैिथली ना-सािहकप ूव र्वतीर् पररामे ािकारी पिरवतर्न आिन, परवतीर् युगक नाकार लोकिनक हेतु एक उेष, नमोेषक नवीन ना गकजनक, गितशील िवचारक, संवेदनशील मवि, ृ कनाशील मि, सरस रोमा ंचक अभूित एव ं मैिथल समाजमे पिरा समाकित अितसाका ंक्ष भऽ समाजकेँ िदशा-िनदेर्श करबाक ु यास कयलिन, ओऽ रहिथ शलाका पुष किववर जीवन झा (१८४८-१९१२)। राजदरबारसँ सोिषत रिहतहु ँ ओऽ जन-जनमे चेतनाक दीप जरौलिन, कण-कणमे उाह पसारलिन आऽ क्षण-क्षणमेसजर्नाक िदशा िनिद र् कयलिन। युगपुष जीवन झाक सम-सामियक समाज आऽ सािह बौिक उेजनाक लहिरसँ गुजिर रहलछल। राजनीित, समाज नीित, अथ र्नीित, धम र्नीित, संृित, संगीत, नाटक एवं िचकारीपर वैज्ञािनक भावक फलप पिरवतर्न,पिरवध र्न, पिरमाजर्न ार भऽ गेल छलैक। िशक्षाक नवोितक फलप सा ंृितक, सामािजक एव ं आिथ र्क चेतनाक उदय भेल,जकर ाभािवक अिभि िहनक नाटकािदक मुख के िबु िथक।ओऽ एक द ूरदशीर् सािह िचक सदृश आशा-िनराशाक िमलन-िबुपर जनमानसकेँ देखलिन। ओऽ राक अकारमे आशाक दीपजरौलिन। युगीन परराकेँ नीक जका ँ िचलिन तथा युगाभूित एव ं कालक सताक को िितकेँ अिभ करबाक शिकेँदिमत निह कऽ पौलिन। सामािजक वातावरणक िविश सभर्मे सामािजक िवषमताक हु ँकार, तालीन सामािजक, आिथ र्क एवंसा ंृितक िितक उपापनमे अक्षर पुष मािणत भेलाह। सामािजक, सा ंृितक एव ं आिथ र्क दृिसँ जखन हम िहनक नाटकािदकपरीक्षण-िनरीक्षण करैत छी, तखन हम ओकरा समसामियक सामािजक िितक दप र्ण, सा ंृितक वैभवक धरोहिर आऽ आिथ र्किवपतासँ सं समाजक यथाथ र् एलबम किह सकैत छी। ई सविविदत र् स िथक जे ओिह कृितकारक कृित अक्षय रहैछ, जेसा ंृितक, सामािजक एव ं आिथ र्क जीवनक वािवक ितिनिध करैछ, जिनका दयमे उपयु र्क ित प ूण र् आा रहैछ तथा ओकरअधःपतनकेँ जनमानसक समक्ष रेखािकत ं कऽ सचे हेबाक रणा दैछ, कारण सािह तँ हमर जीवनाभूितकेँ ितिबितकरैछ।युगपुष जीवन झाक नाटकािदक रणाोत िथक नवीन जागरणक ोित। अपन सजग आिखएँ ँ ओऽ देश-देशारक िवकासोुखगितिविधपर दृि िनप कयलिन, एिह िवषयक अभव कयलिन जे मैिथल समाजमे नवजागरणक अभाव अिछ। ई अपन नाटकककथानकक चयनक िनिम िमिथलाक, सामािजक, सा ंृितक एवं आिथ र्क िित िदस दृक् पात कयलिन तथा अपन युगक वािवकसमसामियक िितक पायन ओिहमे कयलिन।संृत पित रिहतहु ँ जीवन झा आधिनकताक ु प ूण र्पक्षपाती अपन कृितमे दृिगत होइत छिथ। िमिथला ंचलमे पिरा वैवािहकसमा छल तकरा के-िबु बनाय सामािजक वातावरणक िविश सभर्मे देशोिितक िनिम नाटकक मामे जन-आोलनकरणा देलिन, कारण िमिथला मोद ओ मैिथल महासभाक आिवभावसँ र् प ूव िह र् ई अपन नाकृितमे ओकर समाधानाथ र् िवचार ुतकयलिन। मैिथल समाजमे ितलक-दहेज, जाित-पािजक ँ नामपर कापर होइत अाचार एव ं अाय एव ं अ सामािजक कुथापरक्ष वा परोक्ष पेँ अपन आलोचनाक दृिकोण जनसामाक समक्ष ुत कयलिन।सामािजक प ृभूिमकेँ आधार बनाय ई मैिथलीमे ना-लेखनक शुभार कयलिन। िहनक तीन सूण र् नाटक-सुर संयोग (१९०४),सामवती पुनजर्, नम र्दा सागर सक एव ं खित मैिथली सक समकालीन सामािजक, सा ंृितक एव ं आिथ र्क पिरिितक उेिनधारणमे र् सहायक होइछ। वुतः िहनक नाटकािदमे मैिथल समाजक िवास एव ं संारक ितिब भेटैछ, जकरा मामे ओ30


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्उ जीवनक िताक आका ंक्षी भेलाह। िहनक सूण र् ना-सािहमे ा सामािजक, सा ंृितक एव ंकारँ िमिथला ंचलक वातावरणमे पिरा अिछ।आिथ र्क रक सिवेशकिववाहक चौमुखी समापर आधािरत वासना, म, िमलन आऽ िवछोह यिप िहनक नाटकक के-िबु िथक, जकर समाजशास्ीयएव ं भाषाशास्ीय अयन अपेक्षणीय अिछ। सामािजक वातावरणक िविश सभर्मे मैिथल सामािजक जीवनक अिधकािधक ामािणकप “सुर संयोग” एव ं “नम र्दा सागर सक”मे ुत करबामे ओऽ सफलता ा कयलिन। िहनक नाटकािद मा मर ंजनकहेतु निह, ुत जीवनक गीर समाक समाधान करबाक उेसँ उत्िरत भऽ रचना कयलिन। एकर नायक-नाियकािमिथला ंचलक पररागत कुलीन थाक प दिश र्त करैछ। यिप “सामवती पुनजर्”क कथानक पौरािणक प ृभूिमपर आधािरतअिछ, तथािप ओकर ेक पा समसामियक समाज, संृित एव ं आिथ र्क प ृभूिममे उतारल गेल अिछ।“सुर संयोग”मे नाकार समाजक ओिह मानिसक िितक िवेषण कयलिन अिछ, जे जाित-पािज, ँ कुलीनता, िबकौआ थापरचिलत बहु-िववाह आऽ पी-पिरागक सन िवकृितसँ उ होइत छल। तथाकिथत कुलीन-जन अक िबयाह करैत रहिथ आऽपीकेँ हरमे छोड़ि◌ दैत रहिथ। भलमासक पीक जीवनगित इएह छलैक। िववाह कऽ कए जािथ आऽ जीवन भिर वापसनिह आबिथ। दा सुख एहन काक िनिम जीवन भिर अननभूत स बनल रिह जाइत छलैक। ओऽ तँ कुमािरए रहैतछल आऽ वावमे सधवे। सधवा रिहतो वैध-वेदना सहैत रहैत छल। एहन िितक िचण िन पंिमे ित भेल अिछ:सीमक िसूरक रेखासँ छी हम धनमी।हाथक द ू लहठीसँ होइछ सधवामे िनत गनती।िमिथला ंचलमे कुलीनताक बलपर ितवष र् िववाह करब सामा बात छल। समाजमे एहन पररा चिलत छलैक जे एक ठाम िववाहआऽ चतुथीर् स कऽ कए दोसर ठाम पुनः िववाह करैत छलाह। कुलीन ि िववाहोपरा पलिटकऽ जयबाक योजन निहब ुझैत रहिथ। समयक ममे अपन पीक आकृित आऽ सासुरक लोककेँ िबसिर जािथ। अ पिरचयक कारँ सर-कुटुकेँनिह िचब तँ सव र्था ाभािवक।एहन िवषम िितमे काक माता-िपता, समाज आऽ काकेँ केहन मानिसक यातना होइत छलैक, िनराशा आऽ िवषादसँ आछमनःिितमे कोना जीवन-यापन करैत छल से तः कनातीत छल। को सौभाशािलनी काकेँ पुनः दा जीवन ाहोएतैक, कतेक उास होयतैक, केहन हष र् होयतैक, ओहो कािनक अिछ।िमिथला ंचलमे चिलत कादानी श ओही पिरणीता; िकु पिरा नारीक यातनामय इितहासकेँ अपनामे समेट अिछ।युगपुष जीवन झाक समसामियक सामािजक वातावरणमे पररा पिरा छल। सामािजक जीवनमे ई िताक िवषय छल।नाटककार एिह सामािजक पिरिितसँ प ूण र् अवगत रहिथ। एकर द ुष्भावकेँ ओऽ अभव कय रहिथ। समाजक ओिह पिरवेशमेकापक्षक मानिसक अर्केँ ओऽ सुर संयोगमे अिभ कयलिन। समाजक समक्ष ओऽ सुर िम कए सदृश आदश र् पुषकपमे ुत कयलिन।सुर िम अपन सासुरक ेक ि, अपन पीकेँ तख िच जाइत छिथ, जखन हरद पा हुनक ससुरक प ूव र् पुरखाकनाम गाम बा ँचैत छिथ। ओऽ चतुथीर् िदन पीक अताक कारँ सासुर छोड़ि◌ दे रहिथ। ओऽ अपन पी पय र्केँ निहिच पौ रहिथ। इएह िित तँ सरलाक ओकर माय, ओकर पिरवार, ओकर सखी-बिहनपा ओऽ समाजक छलैक। िकु सभकमनमे आशाक िकरण छलैक जे भलमास सुर िम िववाह कऽ कए चल गेलाह तँ आ िबकौआ वर जका ँ निह जे आबिथ।एिह मानिसकताक अिभि सरतीक कथनमे अिभ भेल अिछ। जखन ओऽ वैनाथकेँ ाथ र्ना करैत छिथ; “हे वैनाथ!जे जे कब ुला कैल सभ मरथ पुरल, आब जमाइकेँ कुशल प ूव र्क देखी से वरदान िदअ” (सुर संयोग, प ृ १२)।सरतीक मभाव अिधक पिवत भेल अिछ, जखन ओऽ अनचीेमे (अपन जमाय) सुर िमकेँ कहैत छिथन, “हे बाब ू! बड़पु रहैत तँ एकर ई वयस भेलैक जमाय चुिथ र् अिहक िदन एकरा दिखत ु छोड़ि◌केँ जे गेलाह से आइ धिर उदेशो पबैिछऐ! (सुर संयोग, प ृ-१४)।31


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जखन पाइन संकेत करैत छिथन जे पित बाब ू सरलाक वर िथकिथन तखन हुनक िनराशा होइत छिन, “एहन हम गहमरकहा ँ जे जमायकेँ देखब परु वैनाथ बड़ गोर िथकाह”। (सुर-संयोग, प ृ-१९)सरलाक मथा तावत धिर अ रहैछ जावत धिर ओकरा संकेत निह भेटैछ जे पित बाब ू सवतः ओकरे वर िथकिथन।तात् ओकर िवरह थाक अिभि भेल अिछ। मुदा ओऽ सामा िवरह निह िथक। सरलाक कथन ग आऽ गीतमेसामािजक पिरवेश-ज िवषाद बजैत अिछ, “हे वैनाथ! ऐ तरहेँ दिखनीकेँ ु िकए सतबैत छहक~ (सुर-संयोग, प ृ-२०) मे“दिखनी” ु शक मािम र्कताक अभूित तख भऽ सकैछ, जखन ओिह समयक सामािजक पिरवेशक अभव हो। ओिह सामािजककुथाक प ृभूिममे सरलाक कथन िवशेषाथ र् बोध भऽ जाइछ;एतिदन िशवपद सेवल, केवल एतबिह काज।से स वर भाषल राखल मोर कुल लाज॥(सुर संयोग, प ृ-१८)ब ुझा देमक चाही कौखना अनजानकेँ किनएँ।जे ई अपराध छौ तोहर िकए हमरासँ सल छी॥सरलाक िवरह समाजशास्ीय िवषय िथक जे समाजक पिरिितसँ उ भेल अिछ। एिह तकेँ नआकार अमे करैतछिथ। सुर सासुरसँ गाम जयबाक जखन ाव करैत छिथ, तखन उि भऽ जाइछ, “हमरा बिझ ु पडैए जे एिह लोकक मनफेिर अऽ गेलैका” (सुर संयोग, प ृ-३३)। ओऽ सुरकेँ कहैत छिथन, “और निह िकछु, जे फेिर ओएह बरहमासा सवगाबक पड़◌ै” (सुर संयोग, प ृ-३४)।सुर जखन ओिह बारहमासा गीतक िजज्ञासा करैत छिथन तँ सरलाक उर िथक, “छओ मासक ा खन लोक वाजै जे आब निहऔथीन तखनसँ कादरी बिहनक संग इएह गीत सब गबै छलहु ँ। (सुर संयोग, प ृ-३४)सुर संयोग नाटकक कथानक सामा म-कथाक पिरिधमे निह राखल जाऽ सकैछ। ओऽ िथक मैिथल समाजमे चिलत नारी-यातनाक मानस इितकथा। कारारेँ नाकार ओिह थाक ित अिच दिश र्त करैत समाधान पमे सुर सदृश आदश र्पुषक योजनीयता देखौलिन। सुरमे आदश र् पितक ाण िता कऽ कए नाकार समाजकेँ काा सित उपदेश देलिन।िहनक नाटकमे िमिथलाक सामािजक जीवनमे ा िववाह सी कुथािदक ित आलोचनाक दृिकोण ितफिलत भेल अिछ,तकर िवेषणसँ ितभािषत होइछ जे नाटककार सामािजक सुधारक ित प ूण र्तः साका ंक्ष रहिथ। िववाह सदृश अितमहप ूण र्संयोजनमे िनरीह पाी होइछ, का सामवती पुनजर्क ावनामे नटीक कथन िथक:का कुल मया र्दामे बािल कू जय मुँह न बकार।(सामवती पुनजर्, प ृ ३)समाजमे काकेँ पुक अपेक्षा ून मानल जाइत अिछ जे सव र्था अिचत। तेँ तँ गौतमीक कथन िथक; “तखन पु वा काद ु टा संसारमे ै छैक। हम तँ बड़ि◌ स छी”। (सामवती पुनजर् प ृ-२३)जीवन झा कालीन िमिथला ंचलक समाज द ुइ व स व एव ं िवप वमे िवभािजत छल। तािह कारँ जाितमे जाित-पािज, ँ कुलीन-अकुलीन, सोित-जोग, भलमास, जयवार, पिठयार इािदक िवचार समाजमे घ ून जका ँ लागल छलैक। एकरेफलप का-िवय, िबकौआ था, बहुिववाह था आऽ अक अमािषक समाकेँ ज दैत छल। ई य युगपुष जीवनझाकेँ छिन जे अपन नाटकक मामे एकर साक्षात िवरोध करबाक साहस कयलिन। “नम र्दा सागर सक”क(अिगला अंकमे)१.. राजकमल चौधरी32


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्१.. राजकमल चौधरीड◌ॉ. देवश ंकर नवीन (१९६२- ), ओ ना मा सी (ग-प िमित िही-मैिथलीक ारिक सजर्ना),चानन-काजर (मैिथली किवता संह), आधिनक ु (मैिथली) सािहक पिरदृ, गीितका के प में िवापित पदावली, राजकमलचौधरी का रचनाकम र् (आलोचना), जमाना बदल गया, सोना बाब ू का यार, पहचान (िही कहानी), अिभधा (िही किवता-संह), हाथीचलए बजार (कथा-संह)।सादन: ितिनिध कहािनया: ँ राजकमल चौधरी, अिान एव ं अ उपास (राजकमल चौधरी), पर के नीचे दबे हुए हाथ(राजकमल की कहािनया ँ), िविचा (राजकमल चौधरी की अकािशत किवताएँ), सा ँझक गाछ (राजकमल चौधरी की मैिथली कहािनया ँ),राजकमल चौधरी की चुनी हुई कहािनया, ँ ब कमरे में कगाह (राजकमल की कहािनया ँ), शवयाा के बाद देहशुि, ऑिडटिरपोट र् (राजकमल चौधरी की किवताएँ), बफ र् और सफेद क पर एक फूल, उर आधिनकता ु कुछ िवचार, साव िमशन(पिका)क िकिछ अंकक सादन, उदाहरण (मैिथली कथा संह संपादन)।सम्ित शनल ब ुक मे सादक।बटुआमे िबहाड़ि◌ आ िबर ्ड़◌ो(राजकमल चौधरीक उपास)ग'रसँ देखला पर बात तय होइत अिछ जे उपास भारतीय सािहक सबसँ गितशील िवधा िथक। भावककें एतए अपन तथापिरवेशक सक् िचा सूण र् वैिवक संग भेटैत अिछ। एिह तमे सेहो िकनकहु को संशय निह छिन जे सािहमे उपासिवधाक आिवभाव र् समाजमे आधिनक ु सताक िवकासक फलप भेल। िवज्ञान एवं तकनीकी िवकासक फलप य ूरोपमे सतरहमशताीमे पंजीवादक ू पािख ँ पसरल, सामािजक पिरवर्नक झोंक आएल, आ सािहमे उपास िवधाक आिवभाव र् भेल। मुदा सेभारतीय सािहमे उपासक उवक ोत निह िथक। िवहंगम दृिसँ देखी तँ भारतीय सािहमे उपासक उवक ोत सन ्१८५७क थम ाधीनता संाम, आ तकर िनराशाक कार ं भारतीय बिजीवीक ु बीच जात चेतनाकें मानल जाएत। एकर स ूाउसम शताीक ारिक कालमे भारतीय बौिक जन'क मोनमे उठल नव चेतनासँ सेहो ज ुड़◌ैत अिछ, राजा राममोहन रायारा समिथ र्त नवजागरणसँ सेहो ज ुड़◌ैत अिछ, ÷ब ंगाल नवजागरण' आ ÷महाराष् बोधन'सँ सेहो ज ुडै+त अिछ। िही पीमेअइ नवजागरणक हवा थोड़◌ेक देरीसँ आएल। मुदा भारतेु मलक बिजीवी ु व सूण र् तरता आ ितबताक संग एकरउोष केलिन, पिरणित धिर पहु ँचौलिन।िहीमे उपास लेखन नवजागरण कालिहमे ार भेल। ÷परीक्षा गु'(१८८२) ÷िावेणी'(१८९०) आिद औपािसक कृितसँलाला ीिनवास दास आ िकशोरी लाल गोामी एिह िवधाक शुभार केलिन। डेढ़-द ू दशक बाद िही उपास अपन प ूण र् ोितकसंग दैदीमान होअए लागल। जयश ंकर सादक ÷कं काल'(१९२९), ÷िततली'(१९३४); जै कुमारक ÷परख'(१९२९),÷सुनीता'(१९३५), ÷ागपा'(१९३७);मचक ÷सेवासदन'(१९१६), ÷माम'(१९१८), ÷र ंगभूिम'(१९२६), ÷गोदान'(१९३७) आिद उपासक काशन भ' चुकल छल। देवकीनन खा◌ीक ÷चकाा'(१८८८) आ ÷चकाा सित'(१८९६) तँ एिह सबसँ प ूव िह र् कािशत भ' कए ाित अिजर्त क' चुकलछल। जनतब अिछ जे भारतीय भाषा सबमे सबसँ पिह ब ंगलामे उपास लेखन शुह भेल।...मैिथलीमे उपास लेखनकारिक अविध िथक सन ् १९१४-१९३३, अथा र्त् ÷िनद र्यी सासु'सँ ÷कादान'क रचनाकाल धिर। एिह म कैक टा उपास िलखल गेल,मुदा एिह समय धिर िही आ आन भारतीय भाषाक उपासक गित देखैत िवषयक िवार आ िश-श ैलीक न ूतनताक दृिएँउेखनीय उपास िथक--िनद र्यी सासु(जनाद र्न झा ÷जनसीदन')१९१४, रामेर(जीवछ िम)१९१६, सुमित(रासिबहारी लाल दास)१९१८,33


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मक मोल(कुमार गंगान िसंह)१९२४, िमिथला दप र्ण(पुान झा)१९२५, पुनिव र्वाह(जनाद र्न झा ÷जनसीदन')१९२६,चहण(का ंचीनाथ झा ÷िकरण')१९३२, कादान(हिरमोहन झा)१९३३ आिद।एिह आ ँकड़◌ाकें देखैत ई लगैत अिछ जे मैिथली उपासक म ूल लेखन निह िकछु तँ द ू-अढ़◌ाइ दशक पाछू आिब कएार भेल, आ शी मािट पकड़ि◌ लेलक। ान रखबाक िथक जे पिह िबहार आ ब ंगाल एकिह ा छल, कलका तकरशासन के छल। सन ् १९१२मे िबहार-ब ंगाल िवभािजत भेल मुदा िमिथलाक लोकक सकर् कलकासँ बनले रहल। उेखनीयअिछ जे ातयोर काल, अथवा ताहूसँ आगू, आपातकालक बाद धिर रोजगारक टोहमे िविभ आयुवक मैिथल िदी, पंजाब,गुजरात महाराष् िदश अपन िख केलिन, मुदा एखनहु ँ धिर कलका-मसँ मैिथल लोकिन प ूण र्तया मु निह भेल छिथ।...मैिथली उपासक उवक ोत बौिक जन'क ाभूित, अंतःरणा, िमिथलाक समकालीन पिरवेश, मानव जीवनक िवसंगित, िफर ंगीशासकक अाचार...जे रहल हो; मुदा सव ईहो अिछ जे बौिक जनकें एिह िवभाजनसँउित लेल; सव र्था नव िवधा उपासक लेखन लेल रणा जागल होइन।÷िनज भाषा' अथा र्त् ÷माभाषा'कमैिथलीमे उपास िलखाएल तँ जाए लागल खूब, मुदा तदसार सविविध र् िवकास निह भेल--एिह तकें ीकार'मे संकोचनिह कर'क चाही। िमिथलाक नव बौिक वक म सब तरहक जागकता आ चेतनाक अछैत मैिथलीक उपास लेखनिमिथलामे स्ा◌ीक दयनीयता पर कत रहल। एते धिर जे वैनाथ िम ÷याा◌ी' धिरकें सन ् १९४६ मे ÷पारो'क पिरिितपर कान' पड़लिन, जे सन ् १९१६सँ १९३७ धिरक अरालक दिनया ु ँ भिरक औपािसक उान देख चुकल छलाह। जँ पिहकउपासकार कको साहस के रिहतिथ, तँ सव छल, जे ÷नवतुिरया'मे जे डेग याा◌ी उठौलिन, से डेग ÷पारो'एमे उिठजइतए। चेतना आ बौिकताक दृिएँ िमिथला ा सदासँ आगू रहल अिछ, तथािप उपास लेखनक िवकासोुख धारामेमैिथली एिह तरहें पछुआएल रहल, तकर म ूल कारण रचनाकारक जीवनाभूित आ रचना-दृिक कमजोरी निह छल; म ूल कारण छलिमिथलाक जनपदीय पिरिित आ आम नागिरकक मानस लोक।भारतीय ाधीनताक दशक भिर बाद सन ् १९५८मे राजकमल चौधरीक पिहल मैिथली उपास ÷आिदकथा' कािशत भेल।एिह समय धिर मैिथली उपासक भार को तेहेन झ ुझ ुआ निह छल। ÷चहण', ÷पारो' आ ÷नवतुिरया' सनक िविशउपास सब कािशत भ' चुकल छल। ÷पारो' क कथावु आ घटनाम पर िमिथलाक करपी लोकिन िवता ठाढ़ क' चुकलछलाह। असलमे िमिथला ाक सामा जनजीवनक समा ओिह समय धिर िवकराल छल। पंजी-था आ जमीारी संारसँिमिथलाक जे व आा छल, ओएह व सामािजक वाक नीित-िनधारक र् होइ छल। पंजी-थाक कारं िमिथलामे स्ा◌ीजाितक िित दयनीय छल। बाल िववाह, बेमेल िववाह, बहु-िववाह, व ृ िववाह सन कुरीित पंजीए थाक पिरणित छल।तथाकिथत उ कुलशीलक पुष अक बेर िववाह क' लै छलाह। कतोक िकशोरी अथवा युवतीक िववाह, िपता आ िपमामहकउक लोकसँ भ' जाइ छल। अइ िकशोरी आ युवतीक िपताव ओइ जमीार लोकिनकें अपन उारक ब ूझै छलाह आ भेल घोिषत करै छलाह जे बेटी आब रानी बिन राज करतीह, बेटीक मोन आ मभावकें ब ूझब ओ अपन दािय निह माछलाह। जािह समाजमे वैज्ञािनक िवकासक को टोप-टहंकार पहु ँिच निह सकल छल, ओतएक लोक अपन जीवन वाकें एतेकयािाक बना छल, जे ओिह बेटीक बाप-माइकें ई निह ब ुझाइन जे एकटा स्ा◌ी लेल अ-पािन, जमीन-जथा, गहना-जेबरे टा सब िकछु निह होइ छै; को स्ा◌ीक मवेगक उाप-अताप, युवावाक दैिहक भार सेहो बड़ अथ र् रखै छै।स्ा◌ी मवेगक अइ दशाक बोध ओिह उ कुल-व ंशीय जमीारकें सेहो निह होइ छलिन। अइ तरहक िववाहक पिरणित द ूिदशामे होइ छल -- की तँ जवानीक उमेर अबैब-अबैत िकशोरी िवधवा भ' जाइथ, आ िक व ृ पित संग जवान पीकरित-िवलास सुखकर निह पािब कुित होइत रहिथ। द ुन ू पिरिितमे देहक भार को जवान पुखकें सौ ंप देबा लेल ओयुवती िवधवा, अथवा अ सधवा ललाियत रहै छलीह। राजकमल चौधरीक ÷आिदकथा' उपास एह अ सधवा अथवा कामातुरिवधवाक कथा िथक जे अिभलाषा आ मया र्दाक द ू छोरसँ तानल-छानल छिथ।÷आिदकथा'क नाियका सुशीलाक िववाह व ृ जमीार अिन बाब ूसँ भेलिन। द ुन ूक वयसमे एक पीढ़◌ीक अर छलिन।सुशीलाक उमेर अपन सतौत बेटा कुलानसँ मेल-जोल खाइ छलिन। पहाड़◌ी नदी, अथवा कोशीक बाढ़ि◌, अथवा समुक ािरसन सनकी सुशीलाक जवानी आ देह-ता को मया र्दाक बन मान' लेल तैयार निह छलिन, मुदा घ ून खाएल चौकिठ-केबाड़ सनिमिथलाक कौिलक मया र्दामे तकरा छेक क' रखबाक यास कएल जाइ छल। अइ जजर्र मया र्दाक पुल पर सिर-सिर क' पैररािख जीवन पार कर' चाहै छलीह, मुदा बीचिहमे अिन बाब ूक भािगन देवकाक कािमय प, चान सन काया-काठी देिखसुशीला, अथा र्त सोना मामीक मोन सिर निह सकलिन, ओ बहिक जेबाक उम निह केलिन, मुदा बहिक जएबासँ अपनाकें रोिकराखब एते आसा निह छलिन। सुशीलाक अ वासना आ दिमत अिभलाषाक संकेत देवकाकें लािग जाइ छिन। अइ द ुन ूचिराक मिवेषण अइ उपासमे बेस स ूतासँ भेल अिछ। बीचमे आओरो कतोक घटना-उपघटनाक मामे म ूल कथाकें मा ँसलआ भावकारी बनाओल गेल।मािम-भािगनक कामातुर अराग सामािजक पे ं ीकाय र् निह अिछ, तें एिह उपासक कथानक िमिथलाक पुरातन िवचारकलोककें पिसन निह पड़लिन। कहल गेल जे ई कथा स निह साप अिछ, एिहमे अमयािदत र् सक वण र्न अिछ, नायक-नाियकाक34


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मवि ृ अथवा मानिसक उेलनक चचा र् करै काल लेखककें उिचतािचतक ान रखबाक चाही, सामािजक बक अवहेलना क' कएकथामे िवसनीयता अनबाक आह निह हएबाक चाही, मािम-भािगनक कामजिनत आकष र्ण मया र्दाक उंघन िथक।... हमरा जत ईसम धारणा पाख िथक। वुतः उपासकार को अखबारक साददाता निह होइत छिथ जे ओ स घटनाक िरपोट र्िलखता। कथा आ िक उपास साक संकेत, वर्मानक िवेषण आ अतीतक अरण करैत अिछ; घिटतक स ूचना द' देब मााओ अपन दािय निह ब ूझै छिथ। आदश र् िितसँ कथा, उपासकें परहेज निह होइत अिछ, ओ तँ आदशे र्क असानमे िलरहैत अिछ; मुदा अयथाथ र् आदश र् ओकरा लेल उपेक्षणीय अव होइत अिछ। अही उपासक संग राजकमल चौधरीक कहबछिन-- सोनामामीक ित देवकाक म ब आदश र् िथक। आ, अही आदश र्क रक्षाक कार ं देवक जीवन ाहा भ' गेलछइन। आब अही ं कहू; जे भ करए, आिग लेस रहए, से आदश र् कोना, अकरणीय कोन तरहें? हम सामािजक मया र्दाकप ूजा करइ छी, आ (अयथाथ) र् आदश र्वािदताक घोर िवरोध।आिदकथा उपास पर जे लोकिन मया र्दाक उंघनक दोहाइ देलिन, ओ लोकिन अिन बाब ूकें अमयािदत र् पुष निहकहलिन, जे अपन अश अवामे सानहु ँसँ छोट वयसक युवतीकें पीक पमे वरन ् केलिन। सुशीलाकें जखन अमवेगक दौरा पड़लिन तखन सुर ानीय जोतखी जी आडर पसारलिन जे हुनका पर तनी सवार भ' गेलिखनहें। आ,भूत झारबाक बहें वध ू-ानीय सुशीलाक बािह, ँ पा ँजर पकड़बाक आचरण गामक लोककें अमयािदत र् निह लगलिन। िकऐक तँ अइसम आचरणक फैंटेसीमे िमिथलाक समाज ारिहसँ जीबैत आएल छल।म जें िक एकटा जिटल ाणी िथक, तें मक सम मानिसक िया िविचा जिटलतासँ आब रहैत अिछ। हजारहबख र्क िवकास-याा◌ामे मक सता आइ जािह िित धिर पहु ँचल अिछ, तािहमे िववेक धारणक िवराट भूिमका अिछ। मया र्दाकरक्षा िववेकहीन आचरणसँ निह भ' सकैत अिछ। मया र्दाक िनवाहमे र् एक ठाम देखाओल गेल िववेकहीनता अक अमया र्दाक जननीहोइत अिछ, एिह सक उपेक्षा केिनहार लोक पारो, आिक आिदकथा सन उपासक कथा पर अँगुरी उठबैत छिथ।मैिथलीमे िलखल राजकमल चौधरीक तीन गोट उपास उपल अिछ --आिदकथा, आोलन आ पाथर-फूल। एकर अलावाहंसराजक नामे १९.११.१९५९ सँ ०६.०१.१९६०क बीच एक पामे राजकमल चौधरी िलख छिथ... जनवरीमे एकटा मैिथली उपासिलखब हम -- बटगमनी। एकटा एहन युवती पर जे भिर िनजगी िविभ लोकक संगें पड़◌ाएल घ ुरइ'ए। कथाक िवारजनकपुरसँ पिण ू र्या ँ धिर रहत।-- किह निह ई उपास िलखल गेल अथवा निह। आिदकथा आ आोलन तँ पिहनिहसँ पाठकलोकिनकें उपल छलिन। पाथर-फूल उपास हेबिन धिर अपल छल। आखर (राजकमल िवशेषा ंक)मे जीवका अपन िनबमेराजकमल चौधरीक पंि उृत कए छिथ -- एक गोट उाही युवक ओकरा (÷पाथर-फूल' उपासकें ) कािशत करौलिन, मुदाककरो कहला पर जे उपासक अीलताक कार ं काशक बा जेताह, कािशत मैटर ओ (काशक) डैमेज करबा देलिन।-- मुदा सुकर भेल जे द ू बख र् प ूव र् तारान िवयोगी ओिह उपासक एकमाा ित कतहुसँ न- िितमे उपल केलिन।सूण र् पोथीमे दीवारमहाशय आर-पार एकटा भोका ँड़ क' देलिखन। ओही िितमे ओकर छाया ित करवा कए बीचसँ पंिकें जोड़ल गेल अिछ।जोड़ल शावलीमे राजकमलक श ैली आ गिरमा अक्षु रिह सकल -- से कहब किठन अिछ, मुदा एते तय अिछ जे उपासकरसबोधमे को बाधा उपित निह होइत अिछ। एकर अलावा आओरो एकाध उपासक चचा र् अिछ, मुदा तकर को स ूा एखनधिर उपल निह भेल अिछ।(अिगला अंकमे)ड◌ॉ कैलाश कुमार िम (८ फरबरी १९६७- ) िदी िविवालयसँ एम.एस.सी., एम.िफल., “मैिथली फ◌ॉकलोर स्र ए क◌ॊिशनऑफ द फ◌ॉकसा ंग्स ऑफ िमिथला: एन एिलिटकल डी ऑफ एोपोलोजी ऑफ ुिजक” पर पी.एच.डी.। मानव अिधकार मेातकोर, ४०० सँ बेशी ब -अंजी-िही आऽ मैिथली भाषामे- फ◌ॉकलोर, एोपोलोजी, कला-इितहास, यााव ृा ंत आऽसािह िवषयपर जन र्ल, पिका, समाचारप आऽ सािदत- सभमे कािशत। भारतक लगभग सभ सा ंृितक मे मण,एखन उर-प ूव र्मे मौिखक आऽ लोक संृितक सवांगीन र् पक्षपर गहन पसँ काय र्रत। यिनविस ू र्टी ऑफ ाा, य.एस.ए. ू केर“फ◌ॉकलोर ऑफ इिया” िवषयक रेफ़◌ेरी। केीय िही िनदेशालयक पुरारक रेफरी सेहो। सय सँ ऊपर सेमीनार आऽवकर्श◌ॉपक संचालन, बहु-िवषयक राष्ीय आऽ अराष्ीय र् संगोीमे सहभािगता। एम.िफल. आऽ पी. एच.डी. छाकेँ िदशा-िनदेर्शकसंग कैलाशजी िविजिट ंग फैकल्टीक पमे िविवालय आऽ उ-शि ा संानमे अापन सेहो करैत छिथ। मैिथलीकलोक गीत, मैिथलीक डहकन, िवापित-गीत, मध ुपजीक गीत सभक अंजीमे अवाद।35


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ड◌ॉ कैलाश कुमार िम, इिरा गाी राष्ीय कला केमे काय र्रत छिथ। “रचना” मैिथली सािहिक पिकामे “यायावरी” ंभकश ंभकार ी कैलाश जीक “िवदेह” लेल ार कएल गेल यायावरीक ुत अिछ ई दोसर खेप।यायावरीहमर एक ब ंगाली मानवशास्ी िम छिथ। हुनकर नाम छि ड◌ॉ अिभक घोष। बहुत समिप र्त लोक। अपन िवषय मानव-िवज्ञानक ित घोष साहेबकेँ अगाध म छि। आइ-काि पंजाब िविवालय, चीगढ़मे मानव-िवज्ञान पढ़◌ा रहल छिथ।झारखक मुा जनजाितपर पी.एच.डी. के छिथ। हालिहमे घोष साहेब हमरा लग हमर पु शशा ंककेँ देखबाक हेतु िदीआएल छलाह। हुनकासँ हम अपन न◌ॉथ र् कछार िह केर यााक समे चचा र् केलहु ँ। ओऽ बहुत स भेलाह। कहलि“कैलाशजी, हमर पी उर-प ूव र् भारतक छिथ। ओऽ हमेशा ह◌ॉफलोंग केर श ंसा करैत रहैत छिथ। हालिहमे हम एकसंगोीमे भाग लेबाक हेतु कलका गेल रही। ओतए सेहो ह◌ॉफलोंग केर संग चललैक। कलकामे ब ंगालक एक िसपकार अिमताभ चवतीर् हमरा कहलि जे न◌ॉथ र् कछार िह भारतक ीटजरलै थीक”।ड◌ॉ अिभक घोषक एिह बातपर हम कहिलयि “अिभकजी, हमरा अइ बातक जानकारी िदयऽ, की अिमताभ चवतीर् अणाचलदेशक तवा ंग गेल छलाह”?“हँ हँ, अको बेर”। अिभक फटाकसँ बहुत आिवासक संग हमर क उर देलि। फेर ओऽ एिह बातकेँ करएलगलाह, “देखू। द ुन ू ानक अपन-अपन मह छैक। तिहँ तुलना करब उिचत निह। पुनः हम तवा ंग गेल छी, परु न◌ॉथ र्कछार िह जयबाक अवसरसँ एखन धिर विचत ं छी। तािहँ एिह समे कु िटणी करब यथोिचत निह”।हमरा िदस मुँह कय आ ँ िखक भंिगमाकेँ हमरापर सत-ितशत केित करैत ड◌ॉ अिभक घोष हमर ानकेँ अपन कपरआकिष र्त करैत कहलाह, “कैलाशजी, अहा ँ एिह िवषयपर सोचबाक लेल एव ं िनण र्य लेबाक लेल सही आदमी छी। कारण अहा ँ द ुन ूान-तवा ंग आऽ न◌ॉथ र् कछार िह- केर चा-चा घ ुमल छी”।36


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हम ड◌ॉ अिभक घोषक बातपर अपन म ूरी िहला देल। किनक कालक बाद हम न◌ॉथ र् कछार िहक पिरवेशमे एक बेर पुनःमानिसक पसँ पहु ँिच गेलहु ँ। ज ुआएल, पाकल, सुखाएल, कुलाएल, अधपाकल, िखा, कोमल, हिरयर, गा ँठसँ भरल झ ुक-झ ुबा ँसक बीट हमरा मोनमे रण आबए लागल। कल-कल करैत टेढ़-टाढ़ नदी, सुर हिरयर पहाड़◌ी, नव बालक-बािलका, युवक,युवती एव ं व ृ अपन पररागत बहुर ंगी वस्मे नचैत-गबैत िवभोर भेल हमर मानस पटलपर रंगम ंचक अितीय नायक एव ंनाियका जका ँ रण होमय लागल; लागल जेना सिरपहु ँ हम सेकेोमे िदीक शोरगुलसँ हजारो िकलोमीटर द ूर असम रा केरन◌ॉथ र्-कछार िहमे पहु ँिच गेलहु ँ। की धरती, की पहाड़, की संृित आऽ केहेन आीय आऽ रमनगर लोक! जतेक श ंसाकरी कम। अभूितकेँ याद करैत आिक सता होइत अिछ।यायावरीकेँ आगा ँ बढ़बैत पुनः न◌ॉथ र् कछार िह चली।बात बा ंसक करैत रही। साधारणतया ५०-६० वष र्क अरालमे बा ंसमे एकाएक फूल आबय लगैत छैक। फूल केहेन तँ धानकधानक सीस जका ँ। दाना सेहो धा जका ँ। फूल पकलाक बाद नीचा ँ खसय लगैत छैक। म ूस सभ ओिह फूलकेँ धान बिझुझ ुक-झ ुमे आिब ओकरा कुतरनाई ार कऽ दैत छैक। म ूसक संा आवकतासँ अिधक भऽ जाइत छैक। फलपजखन धानक खेतीक समय होइत छैक, तखन जतेक धान लोक सभ बीयाक पमे बाऊग करैत अिछ, म ूस सभ एक-एकटाधानक बीयाकेँ खाऽ जाइत छैक। लाख यासक बादो लोक धान उगेबामे असमथ र् भऽ जाइत अिछ। पिरणाम ई होइत छैकजे घोर अक आपदा सम मे ा भऽ जाइत छैक। एिह आपदासँ अणाचल देश आऽ िसिमकेँ छोड़ि◌ लगभगसम उर-प ूव र् भारतक भू-भाग किहयो किहयो तवाह होइते टा अिछ। हालािक ं आइ काि सरकारी मदित भेटैतछैक। कृषक सभ सेहो जागक भेल जाऽ रहल छिथ; समय रिहते म ूस मारबाक एव ं म ूसकेँ भगेबाक प ूण र् इजाम कएलजाइत छैक। आब कना कऽ सकैत छी जे एहेन िविभिषकासँ हािन कम हेतैक।बा ंसक फुलेनाइक चचा र् करैत छी तँ अणाचल देशक चचा र् केनाई अिनवाय र्। जेना िक बता चुकल छी जे एिह देशक लोकएिह िविभिषकासँ निह भािवत होइत छिथ। एकर कारण ई जे अणाचल देशक तमाम भू-भागक आिदवासी लोकिन म ूसपकरबामे िनपुण होइत छिथ। एतबिह निह म ूस िहनका लोकिनक बहुत िचगर भोजन छि। जखन हम लोअर िदवा ंग घाटीआऽ लोिहत िजलामे मण करैत रही तँ लोक सभकेँ (िवशेषण पेण इद ू िमसमी, िदगा िमसमी, िमजो-िमसमी तथा खामती37


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जनजाित) म ूसक िशकार करैत आऽ ओकर मा ंस खाइत देखलहु ँ। एिह परराक नीक पिरणाम ई होइत छैक जे बा ंस फुलेलाकउपराो म ूसक जनसंापर िनयण बनल रहैत छैक, आऽ एतय केर लोक बा ंस फुलेला उपरा होमय बला िवभीिषकासँ बचलरहैत छिथ।हमरा लोकिन न◌ॉथ र् कछार िह केर तमाम जनजाितक स्ीगण सभकेँ िजलाक तमाम सँ बजा समाजक िवकास एव ं सा ंृितकउितमे नारीक योगदानपर अलग-अलग जनजाितक मिहलाकेँ अलग-अलग सम ूहमे रािख हुनका लोकिनकेँ अलग-अलग सम ूहमेरािख हुनका लोकिनकेँ िवचारसँ अपना-आपकेँ अवगत कराबय चाहैत रही। कऽ दी जे ई एकमा काय र्म निह छल।अक काय र्ममे ईहो एकटा महप ूण र् काय र्म छल। एकर पिरणामसँ हम गदगद भेल रही। ई काय र्म पा ँच िदन चलल।पा ँचो िदन मिहला लोकिन हमरा लोकिन केर अमानसँ ादेक संामे उपित छलीह। सभ िदन अपन पररागत वस्,आभूषण एव ं दैिनक जीवनक परेखा ुत करैत। भेल जे ृ ंगारक जंगलमे छी। एहेन जंगल जकर कना मा कैलजाऽ सकैत अिछ। वावमे एहेन र ंगम ंच- उाहमय आऽ जीव जीवनक आऽ संृितक िनमा र्ण असंभव। परु छल तँ सआऽ संभव भेल अपम दृ!हरेक मिहला सम ूहमे हमरा लोकिनक तीन-चािर काय र्कता र् साक्षाार करबाक हेतु तथा अिधकसँ अिधक जानकारी ा करबाक हेतुतर छलाह। एिह काय र्कता र् लोकिन केर चुनाव हमरा लोकिन अपन सहयोगी-संा- ीम ंत श ंकरदेव कलाक सहयोगसँ केरही। तमाम काय र्कता र् ानीय छलाह एवं ह◌ॉफलोंग िही, अंजी आऽ असिमया भाषाकेँ झ ूरझार बाजैत आऽ िलखैत छलाह।काय र्कता र्मे आधासँ अिधक लड़की सभ छलीह।हम ितिदन ातः सभ सम ूहकेँ मु ह◌ॉलमे बैसा अपन काय र्शालाक उेक जानकारी सहभागी लोकिनकेँ दैत छिलयि।अगर िकनको कु तरहक संशय रहल तँ तकरो िनराकरण करबाक यास करैत छलहु ँ। अपन संृित, संार एवं संारक नीकचीज एव ं परराक रक्षा आधिनकताकेँ ु ीकारैत केना करी तािहपर हम भावप ूण र् ढंगसँ जोर दैत छलहु ँ। हमरा एना ब ुझनाजाइत छल जेना सहभागी मिहला लोकिन एव ं ानीय पकार सभ हमरासँ भािवत छलाह। ानीय अखबारमे एवं टेलीिवजनपरिन समाचार अबैत छल। ित िदन सा ंझमे सा ंृितक काय र्म होइत छलैक, आऽ अतः भोजन (रािक भोजन)सँ पिह38


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्काय र्कता र् लोकिन हमरा िदन भिरक िया-कलापक समे संिक्ष जानकारी दैत छलाह। ओिह जानकारीक आधारपर हम अिगलािदन की करी तकर िनदेर्श दैत छिलयि।काय र्म अपन प ूण र् गितसँ चिल रहल छल। एक िदन सा ँझमे हम चाह िपबैत रही। ओतए िदमासा जनजाितक िकछु मिहला हमरालग आिब िनवेदन केलि, “ीमान ्! कनी हमरा लोकिनक काय र्शालामे चलब?”हम कहिलयि: “हँ, हँ। अव जाएब”। आऽ चाहक ाला हाथमे ले िवदा भऽ गेलहु ँ। हमर एिह वहारसँ ओऽ सभ गदगदभऽ गेलीह।जखन हम पहु ँचलहु ँ तँ ओतए केर माहौल दोसरे जका ँ रहैक। तीन ानीय पकार अपन कैमरा संग आऽ एक टी.वी.पकारगुवाहाटीसँ आयल छलाह। ई मिहला लोकिन हमरा पकारक समक्ष अपन पररामे हाथक बनाओल कलाक चिरसँ ागत करकहेतु बजे छलीह। हम एिह बातकेँ सुिन कनी घबरेलहु ँ। कारण एिह तरहक पररामे हमरा तािगरी केर द ु ब ुझनाजाइत अिछ। परु िदमासा मिहला लोकिनक ेहकेँ अपमािनत हम निह करय चाहैत रही। तािहं चिरकेँ ीकार कएल। एकरबाद देखैत छी जे तमाम जनजाित सम ूहसँ द ू-तीन मिहला चिर, गमछा आिद लय हमर ागत हेतु आयल छिथ। लोकक ेहदेिख मोन भिर आएल। सभसँ भेँट ीकार कएल। फेर सोचए लगलहु ँ: “जखन ई सभ एतेक नीक छिथ तँ आतंकवादी गित-िविध, खून-खरापा िकएक? की समाक समाधान लोक सभसँ िमिल कऽ निह भऽ सकैत अिछ”? ई बात सोचए लगलहु ँ। लोककममे आकं ठ भऽ गेलहु ँ। अतबेमे काबीर् जनजाित सम ूहक तीन मिहला अयलीह। ओऽ सभ कहलि: “ीमान, ् कनी हमरा सबहककाय र्शालामे पा ँच िमनट हेतु चलबैक”?हम िबना िकछु कह अपन म ूरीकेँ ीकाराक अवामे िहलबैत काबीर् मिहला सबहक काय र्शाला िदस ान केलहु ँ”।ओतए गेलाऽ पर दलक मिहला लोकिन कहय लगलीह: “ीमान, ् अहा ँ लोकिन थम बेर हमरा सभकेँ ई अवसर देलहु ँ अिछ जे हमसभ अपन समाज, अपन संृित, अपन पररा िदस ताकी। परराक ताकितकेँ आ ँकी। एतए तँ इसाईयत, आधिनकता, ु िशक्षाएव ं आतंकवादक कारँ लोक सभ पररा िबसरल जाऽ रहल अिछ। अपन जनजाितक ढंगसँ रहनाई, वहार केनाई, खेनाई-39


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िपनाई, गीत-न ृ आिद तँ आज ुक युगमे िपछड़◌ापनक िनशानी छैक। िकछु जनजाितक लोक जे इसाईयतकेँ अपन धम र् ीकारकऽ लेलि अिछ, तिनका लोकिनकेँ िववाह आिदक तमाम रीित िियन रीितक अप करए पड़◌ैत छि। िगरजाघरमे िववाहकेनाई, आधिनक ु वस् अथा र्त् पेट-शट र् पिहर कऽ िववाह केनाई। ओऽ लोकिन चाहैतो अपन जनजाितक सनातनीक पररासँिववाह, ज-संार एव ं मृु संार निह कऽ सकैत छिथ। लेिकन अहा ँक काय र्शालाक बाद हमरा लोकिन एिह तपर गंभीरतासँिवचार कऽ रहल छी। धम र् कु भऽ सकैत अिछ, परु ानीय परराक पालन अव हेबाक चाही। ानीय पररा धरती,एतए केर वातावरण, पािन, पहाड़, पिरिित जे अटूट पेँ ज ुड़ल छैक। ई सभ बात हमरा लोकिन अही ँ सबहक कारँ एिहकाय र्शालाक मामसँ बिझ ु सकलहु ँ अिछ”।हम मोनिह मोन स भेलहु ँ आऽ अपन संाक सद सिचव ड◌ॉ काण कुमार चवतीर् क द ूरदिश र्तापर आय र् होमए लागलहमरा। जखन-कख ओऽ हमरा एिह तरहेँ अक चीज संगे करय कहैत छिथ, तखन हमरा ब ुझाइत छल जे ई हमरा मनिह सव र्शिमान भगवान बनबय चाहैत छिथ, जे किहयो सव निह थीक। एतेक चीज कही ं एक संगे संभव छैक? परु आइपता चिल गेल जे अगर नीक भावनासँ सही ढंगसँ काय र् कएल जाय तँ सभ िकछु संभव छैक। ओहो म ारा। एिह हेतुभगवान बनक कु योजन निह।हम ई बात सोिच रहल छलहु ँ। एकाएक एक पररागत पिरधानमे सजल काबीर् मिहला हमरा लग अयलीह आऽ कहलि: “िमासाहेब, एक बात कही”?हम कहिलयि: “हँ, हँ। अव कहू”?ओऽ मिहला बजलीह: “ अहा ँ जखन संृित इािदक समे हमरा लोकिनसँ बात करैत छी तँ ब नीक लगैत अिछ। आब हमसभ िवचार केलहु ँ अिछ जे साहमे कमसँ कम एक िदन अपन पररागत वस् एव ं गहनामे अव रहब। लेिकन एक चीजहमरा सभकेँ पिहले िदनसँ परेशान कऽ रहल अिछ। अहा ँ िमिथलासँ छी। पढ़ल-िलखल छी। सम भारतक परराकेँ जतछी। परराक नीक चीजकेँ पालन हो आऽ ओऽ चीज शात रहय तािह लेल यासरत छी। परु अहा ँ किहयो अपन40


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्परराक वस्मे हमरा सभ लग निह अएलहु ँ। हमरा सभकेँ एिह चीजसँ आय र् भऽ रहल अिछ। हमरा लोकिन एिह िवषयपरकाफी िवचार-िवमश र् कएल आऽ अतः एिह िनष र्पर पहु ँचलहु ँ जे अहा ँसँ एिह समे बात करी। आशा अिछ अहा ँ हमरालोकिनक भावनाकेँ सही अथ र्मे लेब। एकरा अथा निह मानब”।हम िबना को देर के अपन गलतीकेँ ीकार कऽ लेलहु ँ। हम ओिह काबीर् मिहलाकेँ कहिलयि: “ई हमर घोर गलती थीक।शायद िदी शहरक जीवन चमे फँिस हम अपन पररासँ द ूर भऽ गेल छी। हमरा अहा ँक िवचार उम लागल। अहा ँ हमराअपन मोनमे अपन मैिथली पररा आऽ संारक ित घोर आा जात केलहु ँ, तािह लेल हम अहा ँक ित दयसँ आभार करैत छी। अहा ँ बातकेँ अथा भला केना लऽ सकैत छी? हम अहा ँकेँ वचन दैत छी, जे हम आब जतए कतहु जाएबएक जोड़ धोती-कुता र् अव लऽ जाएब आऽ कमसँ कम एक िदन अपन िमिथलाक पररागत पिरधानमे अव रहब”।हमर एिह बातसँ ओऽ काबीर् मिहला ब स भेलीह। एकर बाद हम काबीर् काय र्शालासँ िदमासा जनजाितक काय र्शाला िदस गेलहु ँ।िदमासा जनजाितक मिहला लोकिनक काय र्शालामे एिह बातपर चचा र् चलैत रहैक जे शहर (अथा र्त् ह◌ॉफलोंग) केँ साफ एवं रखबाक लेल मिहला सभकेँ की करक चाही।41


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हम पुछिलयि: “अहा ँ सभ एकटा बातक उर िदअ। की एिह ह◌ॉफलौ ंग शहरमे गगी निह फैलैक, एतय मड़ आिदक कोपनिह हो, िफक ै िनअमक पालन होइक, ई कतर् ककर छैक? सरकारक? शासनक? पुषक? ताक? आिक आककरो? अहूँ लोकिनक अथा र्त् एतय केर सजग मिहला सभक सेहो”?हमर एिह क उर देमाक हेतु एक अधेर मिहला अयलीह। ओऽ कहलि: “ीमान ् शहर तँ सबहक छैक। की मिहला आऽ कीपुष! एकटा उदाहरण हम एिह समे देमय चाहैत छी। िकछु िदन प ूव र् ह◌ॉफलोंग शहरमे मलेिरयाक भय ंकर कोपभेलैक। चा कात गगी पसरल रहैक। सड़कपर सफाई निह। ककरो एिह बातक िचा निह। न◌ॉथ र् कछार ऑटोमसकाउिलक अिधकारीगण एव ं ता लोकिनसँ िदमासा मिहला एसोिसएशन केर सद सभ बात केलि तँ ओऽ लोकिन आसन देलाहपरु ओिह आासनपर को काय र्वाही निह केलि। मलेिरयाक कारँ स्ीगणक जीवन नकर् बनल छलैक। बा सभ ादेपरेशान। बाक कारँ मायो परेशान। की क की निह। अतः हमरा लोकिन शहरक सफाई करक बीड़◌ा य ं अपनाहाथमे लेल। करीब पचास मिहला एकित भेलहु ँ। पास टा बाढ़िन, पास पिथया, पा ँच कोदािर कीनल आऽ सफाई केरअिभयानमे लािग गेलहु ँ। सव र्थम िजलािधकारीक ऑिफसक बाहरक गगीकेँ साफ करए लगलहु ँ, फेर ऑटोमस काउिलकदफ्तर, फेर शहरक रोड। सामा जनता सँ गीत गािब-गािब एव ं अपन सफाई अिभयानसँ शहरकेँ साफ रखबामे मदित करबाकिनवेदन करय लगलहु ँ। एक िदन तँ लोक सभ हमरा सभपर ान निह देलाह। परु दोसर िदन पकार सभ एिह बातकेँउजागर केलि आऽ सरकार, शासन एव ं ताक अकम र्ताक बारेमे िलखय लगलाह। आब लोक सभकेँ एहसास भेलि जेगलती भेल। तेसर िदन एकाएक सम शासन साका ंक्ष भऽ गेल आऽ चा-चामे सफाई होमए लगलैक। हमहूँ सभजनता लोकिनसँ साफ एव ं रहबाक िनवेदन करैत रहलहु ँ। शहर हमर अिछ तँ एकर ा हमरे सभकेँ राखए पड़त”।िदमासा मिहलाक एिह जवाबसँ लागल जे नीक चीजक ीगश संसारक छोटसँ छोट कोनसँ भऽ सकैत अिछ। समाजमे जागृितलेबाक लेल मिहला वक योगदान अतुलनीय भऽ सकैत अिछ। िदमासा मिहला हमरा कहलि: “ीमान, ् हमरा लोकिनक आअक तरहक समाजक समा छैक जािहपर एकज ुट भए काय र् करए चाहैत छी। पुषक शराब पीनाई, एकसँ अिधक पीरखनाई आिद िकछु एहन िवषय छैक जािहपर हमरा लोकिन गीरतासँ सोिच रहल छी”।हम जवाब देिलयि: “अहा ँ लोकिनक यास श ंसनीय अिछ। अहा ँक योग भावकारी अिछ। एिह तरहक योग स ूतल शासनएव ं अिधकारी सबहक िन खोलबाक नीक औषिध थीक। हमरासँ जतेक मदित संभव भऽ सकत से हम करब”।42


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओऽ मिहला कहलीह: “िदमासा मिहला उान सिमित नामक एक संाक गठन हमरा लोकिन केलहु ँ अिछ। एकरा हमरा लोकिन िदीसँअिखल भारतीय संाक पमे रिजस्शन करबय चाहैत छी। एिह पंजीकरणमे अहा ँक सहायता चाही। अगर पंजीकरण भऽगेल तँ हमरा लोकिन अक तरहक काय र् करब”।हम उर देिलयि: “अहा ँ लोकिन जखन चाही िदी आिब जाऊ। हम द ू-तीन िदनक भीतर अहा ँ संाक पंजीकरण अिखलभारतीय संाक पमे पंजाब रेगुलेशन ए केर अत सोसाइटीक पमे करबा देब। एिहमे को तरहक पैसा इािदनिह लागत”।िदमासाक बाद हम जेिम नागा मिहला सम ूह ारा आयोिजत काय र्शाला िदस बढ़लहु ँ। जेिम नागाक समे ई जानकारी देनाईउिचत जे ई नागा मा असम टा मे रिह गेल अिछ। आन रामे तीन नागा िमिल एक िजिलया ंगरोंग ( zel i angr ong) बिनजाइत अिछ। तिहँ नागा बहुल देश नागालै आऽ मणीपुरमे एकर तं अि निह रिह जाइत छैक। सच प ूछी तँ जेिमजनजाितक मिहला सबिहक आभूषण एव ं वस् सभसँ आकष र्क आऽ महारी लागल। जेिम मिहला लोकिन कहलीह जे हुनकरसबहक अपन मिहलाक संा छि। संाक उे जेिम नागा समुदायमे अपन संृित आऽ परराक रक्षा केनाई छैक। एकउे इहो जे एिह समुदायक लोक इसाईयतकेँ निह ीकार कय अपन म ूल जनजातीय धािम र्क माता आऽ आासँ ज ुड़लरहिथ। नागालैमे लगभग ९५ ितशत नागा समुदाय केर लोक इसाई भऽ चुकल छिथ, िित कमो-बेश मणीपुरक नागासमुदायक सेहो यैह छि। परु सौभासँ न◌ॉथ र् कछार िह केर जेिम नागाक अिधका ंश पिरवार एखनहु ँ धिर अपन म ूलमाता, धम, र् देवी-देवता, प ूजा-पित आिदसँ ज ुड़ल छिथ।43


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िजिम नागा मिहला सम ूहमे एकटा २७ वषीर्य अिववािहत युवती भेटलीह। हुनकासँ पताचलल जे िजिम नागाक मिहला सभ अपनसंृितक रक्षाक ित ब सचेत छिथ। ओऽ २७ वषीर्य नागा नाियका हमरा ईहो बतेलीह जे ओऽ तीन वष र् धिर राष्ीयय ंसेवक संघ केर मुालय नागपुरसँ िशक्षण लय आयिल छिथ।हम कहिलयि: “अहा ँकेँ राष्ीय य ंसेवक संघ केर वातावरण केहन लागल? ओतए केर लोक सभ िहू धम र्क ित अरे िनातँ निह जगेबाक यास कयलि? एिह सभ कारँ अहा ँकेँ अपन जनजातीय धािम र्क िवास आऽ रीित-िरवाजपर को आघाततँ निह पड़ल”?44


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हमर क उर दैत नागा नाियका कहलि: “की किह रहल छी ीमान ्! ओऽ लोकिन तँ हमरा सभकेँ हमेशा यैह कहलि जेअपन माता, धम, र् पररा आिदक ाग निह क। अगर पररामे को अ-िवास अथवा िवनाशकारी त अिछ तँ ओकरिनदान अव क। जेना हमरा लोकिन पररासँ जानवर आिदक बिल चढ़बैत छी। ओऽ सभ कहैत छिथिक अगर संभव भऽसकय तँ कमसँ कम िमथ ुन, सा ँढ़ या भै ंसाक बिल िदअ। िजिम नागा समुदायमे िबयाहल स्ीगण िसूर निह लगबैत छिथ। फेरको लड़कीकेँ देिख ई पता कोना लगाएल जाऽ सकैत अिछ िक ई लड़की कुमािर अिछ आिक ाहता? पररागत संृितकेँअगर पालन करी तँ ई बात सहजतासँ पता चिल जाइत अिछ। पररा तँ ई छैक जे कुमािर का िववाहसँ पिह कपारकआगा ँ िकछु केशकेँ आधा कटा ओकरा कपारपर लटकबइत अिछ। संगिह कनपटीपर केश िवास करैत अिछ। एिहसँ सहजतासँपता चिल जाइत छैक िक फला ँ--फला ँ लड़की कुमािर थीिक”।हम ओिह नागा नाियकासँ केिलयि: “अहा ँ ई बताऊ जे ाहता मिहला केर पहचान फेर कोना होइत छि”?हमर क जवाब दैत ओऽ नागा नाियका कहय लगलीह: “िववाह होइते नागा मिहला कपार परक केसकेँ कटेनाई ब कऽ दैतछिथ आऽ केसकेँ कपारपर निह लटका माथक सीथ िदस ऊपर कय बाय छिथ। संगिह िववाह होइते मातिर नागा मिहला कनपीबला िकछु लट द ुन ू कात कटा लैत छिथ। एिहसँ िकयोक सहजतासँ पता लगा सकैत अिछ िक फला ँ फला ँ स्ीगण ाहताथीिक”।45


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कहल जाइत छैक िक ारिहसँ गैदीू िजनका िक ानीय लोक सभ रानी मा ँ कहैत छि, बहुत ितभास आओर साहसीछलीह। ििटश सरकारक सामािजक आर राजितक िया-कलाप देिख तेरह वष र्क छोट अवामे रानी मा ँ िवचिलत भऽ गेलीहआऽ एकरा िव संघष र्क िबगुल बजेबाक ान करए लगलीह। िकं वदी तँ ई छैक जे छोटे उमिरमे रानी मा ँ मे दैिवक शिवेश कऽ गेलि। हुनकर एिह आय र्जनक शिक भान सव र्थम हुनक िपताकेँ भेलि। रानी मा ँ के तेरहम अवामेपहु ँचैत एिह बातक अभूित होमय लगलि जे अंज सभ शासनके मादे आऽ पुनः िियन िमिशनरी केर मामसँ आज ुकतीन उरप ूवीर् रा- असम, नागालै आऽ मणीपुर- केर नागा जनजाितक तमाम उपजाित सबहक संृित, संार आऽ परराकनाश कऽ रहल अिछ। ठीक ओही क्षण रानी मा ँ हैपु जदोना ंग नामक नागा िवोहीसँ भेँट केलि। जदोना ंग रानी मा ँ केँबतेलिख जे केना िियन िमिशनरीक लोक सभ ानीय संृित आऽ संारक सव र्नाश कऽ रहल अिछ। जदोना ंग महोदयकदश र्नसँ भावती भय रानी मा ँ हुनकर परम अयायी भऽ गेलीह। फेर की छल १९२७ ई. मे एकाएक लोक सभ आोलन ारकऽ देलक। रानी मा ँ ओिह आोलन केर मुख स ूधारमे एक छलीह। लोक सभ एकाएक अंजक शु आऽ बलप ूव र्क बेगारीकथाक िवरोध करय लागल। सबतिर हड़ताल पिड गेलैक। धीरे-धीरे चािर-पा ंच वष र्मे आोलन अपन पराकाापर चढ़ि◌गेल। द ुभा र्सँ ओिह समय हैप ू जदोना ंगकेँ अंज सभ छलसँ कैद कऽ लेलकि आऽ किनकबे िदनक बाद २९ अग १९३१ ई.मे आज ुक मणीपुर राक राजधानी इालमे फा ँसीपर िनद र्यताप ूण र् ढंगसँ चढ़◌ा देलकि। एिह घटनासँ रानी मा ँ ब द ुखी भेलीह,परु अपन िनय पर चान जका ँ ठाढ़ि◌ छलीह।आब आोलन केर सम कमान रानी मा ँ के हाथमे आिब गेलि। कतेक ठाम हुनकर गुिरामा अयायी सभ अंज सभकेँपश्त कएलक। अंज िसपाही सभ रानी मा ँ के यु कौशलसँ ािह-ािह करय लागल। अही न◌ॉथ र् कछार धरतीक हंगमनामक गाममेअंज िसपाही आऽ रानी मा ँक समथ र्कक बीच भयानक संघष र् भेलैक। बादमे घोर तामसमे आिब अंज सभ समगामकेँ आिगमे झोँिक देलकैक। जान-मालक ब क्षित पहु ँचलैक। एतबिह निह अंज अिधकारी लोकिन एक गु मीिट ंग केलिजािहमे ई िनण र्य लेल गेलैक जे िकयोक रानी मा ँक हुिलया बताओत तकरा शासन िदससँ पा ँच सय टका इनाम देल जेतैक।परु रानी मा ँक ित कछार िह, मणीपुर तथा नागालैक लोककेँ ब ा छलैक। द ुभा र्सँ वतर्मान नागालै ाकपोइलवा गाम सँ १७ अूबर १९३२ ई. मे अंज सैिनक रानी मा ँ केँ बी बना लेलकि। एिह सै टुकड़◌ीक संचालन कैप्टनमैकडोनाल्ड करैत छलाह।47


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्रानी मा ँक द ुन ू हाथ बाि देल गेलि। रौदमे बाल हाथ उठे ठाढ़ छलीह। एक रा चलैत ब ूढ़केँ नीक निह लगलि।तमसा कऽ बािज उठलाह: “सव र्नाश हो अहा ँ लोकिनकें । लाजे मिर निह होइत अिछ। एक मिहलाक द ुन ू हाथ बाि ऊपर उठेछी। मद र् छी तँ हाथ खोिल िदयौक”?तािहपर अंज िसपाही ब ूढ़◌ापर िचिचआए लगलि। ब ूढ़◌ो आव देखलाह ताव। उठेलि एकटा पाथर आऽ हार कऽदेलि। संयोगसँ अंज िसपाही बिच गेल। तुरतिह ब ूढ़◌ाकेँ कैद कऽ लेलकि। तीन मासक बाद ब ूढ़◌ाक उकेँ ानमेरखैत हुनका जेहलसँ िरहा कऽ देल गेलि। रानी मा ँ इाल, तूरा, कोिहमा आऽ िशला ंगक जेहलमे अपन समय िबताबयलगलीह।48


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्१९३७ ई. मे पित जवाहर लाल ह रानी मा ँ सँ िशला ंगक जेहेलमे भेंट केलिथ आऽ हुनका ित अपन सेदना केलाह। हुनका जेहलसँ बाहर िनकालबाक यास सेहो पितजी करय लगलाह। ह जी रानी मा ँकेँ पहाड़◌ीक बेटीक संज्ञादेलिथ आऽ हुनकर नामक संग सव र्थम रानी जोड़ि◌ देलिथ। ह जी रानी मा ँक तुलना ज◌ॉन ऑफ आकर् आऽ रानीलीबाई सँ केलिथ। हालािक ं रानी मा ँ केँ छोड़◌ेबामे हजी असमथ र् रहलाह।अतः भारतक आजादी भेटलाक उपरा १४ अूबर १९४७ ई. मे लगभग १५ वष र् िविभ जेलमे रहलाक बाद रानीमा ँ आजादभेलीह।हालािक ं िकछु वष र्क बाद रानी मा ँ अपन जनजातीय धम र् एव ं संारपर िियन संा ारा आघात बदा र्श्त निह केलि आऽ पुनःअराउ भय संघष र् करय लगलीह। १९६० ई मे सेहो हुनकर लगभग ३०० समथ र्कक जान चिल गेलि। बादमे रानी मा ँकेँ१९७२ ई. मे ताप तता सेनानी अवाडर्, १९८१ मे प भूषण आर १९८३ मे िववेकान सेवा अवाडर् देल गेलि।अतः १७ फरबरी १९९३ केँ लगभग ७८ वष र्क अवामे रानी मा ँ पंच तमे िवलीन भऽ गेलीह।एखनहु ँ धिर स्ीगण सभ (िवशेष तौरपर न◌ॉथ र् कछार िह केर िजिम नागा जनजाितक स्ीगण) सभ रानी मा ँ केँ सामािजक आऽराजितक चेतनाक मकेँ रण करैत अपन संृित आऽ सताक रक्षामे लागिल छिथ।49


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्न◌ॉथ र् कछार िहमे अको तरहक योग हमरा लोकिन कएल। आन योग सभ प ूण र्तः श ैक्षिणक आऽ दाशिनक र् छल। तँिहपाठकसँ ओिह िवषय सभपर चचा र् कय हम अरे बोर निह करय चाहैत िछयि। न◌ॉथ र् कछार िह केर यााक यायावरीकेँ एतयअ कऽ रहल छी।सहबाढ़िन-गजे ठाकुरपएरे ऑिफस गेनाइ-एनाइ, सा ँझमे सोचैत रहनाइ। िकछु ंथ सभक जे पठन होइत छलि सेहो ब भए गेल छलि।बा सभक संग बैिस कए जे पढ़◌ैत छलाह, सेहो आब कहा ँ भऽ पबैत छलि। फगुआ आऽ द ुगा र्प ूजामे गाम जेबाक जे मछलि, सेहो आब टूिट रहल छलि। प ूरा पिरवार आब मा द ुगा र्प ूजामे गाम जाइत रहिथ। मुदा न फगुआमे असगरे गामजेनाइ निञ िबसरैत छलाह। एिहना गाम जाइ आबएमे न गाममे एकटा द ूरक पीसाक एिहठाम जाए आबए लगलाह। पीसाकालीक भ रहिथ। हुनकर गाम नक गामक बगलमे छलि। बेचारे नीक लोक। न हुनका लग जािथ आऽ वचन सुनिथ।फेर हुनकासँ दीक्षा सेहो लेलि। काली-सहणामक पाठक अितिर आर िकछु निञ, न भिर िदन ओही पाठमे लागल रहिथ।नक मोनमे डाइन-जोिगन सभक िवचार अबैत रहैत छलि। आस-पड़◌ोसक लोककेँ श ंकाक दृिएँ देखैत रहैत छलाह।बा-सभक संग परीक्षा िदआबय जाइत छलाह, शिकत ं मो जे हुनकर को शु हुनकर बा सभकेँ हािन निञ पहु ँचाबए।मुदा पीसाजीसँ दीक्षा लेलाक बाद हुनकामे िवरिजिनत आिवास आएल छलि। फेर सभटा मर गितसँ होमए लागल। बासभक पढ़◌ाइ-िलखाइ, ओकर सभक करी-चाकरी। वैह मम वक जोड़ल पाइ, वैह ममवगीर्य आका ंक्षा। िबआह-दानकझमेला। घरक आऽ बाहरक छोट-मोट वाद-िववाद। बा सभक िवसँ ितयोिगता करबाक साहस देिख न जेना आरआ भऽ गेल छलाह। कारण घरसँ बाहर किहयो हुनकर बा सभ िनकलैत निह रहए। घर अएलाक बाद दोस-महीम सभसेहो निह। बाहरक दिनया ु ँसँ तैयो ितयोिगता कए रहल छलाह। ितयोिगता परीक्षाक िलिखत परीक्षामे उीण र् भऽ जाइतछलाह मुदा साक्षाारमे जाित, भाषा आऽ ाक गप आिब जाइत छलि। न बा सभक किहयो ओिह तरहक वातावरणमेपालन निञ कए छलाह से बो सभ आय र्चिकत भऽ जाइत छलाह जे ई कोन नव पिरवेश अिछ। मुदा फेर नक द ुन ूपु करीमे लािग गेलाह। आिणसँ नकेँ जतेक पैघ पदक आशा छलि से तँ ओऽ निञ पािब सकल रहिथ मुदा भारतसरकारक बी ुपक करी भेिट गेल छलि हुनका। जमाय सेहो अिभया छलिख ओऽ सेहो सरकारी सेवामे लािग गेलाह।दोसर बेटा सेहो बै ंकमे अिधकारी बिन गेलि। िसमा ह◌ॉलमे १० बरखसँ िसमा निह देख रहिथ नक बा सभ।50


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पटनाक प ूजाक मेला, पटनदेवी, गोलघर िकछु निह देख छलाह नक बा सभ। एिह िवषयपर पिह तँ लोक हँसी करिमुदा बादमे सभकेँ लागए जे ईएह तँ नक पिरवारक िविशता तँ निह बिन गेल अिछ। नक घरमे टेलीिवजन सेहो निहछलि ई सेहो लोक सभक लेल आय र्क िवषय छल। न आऽ हुनकर सूण र् पिरवार भारतीय टेलीिवजनपर सािरत भेलरामायण धारावािहकक एकोटा एपीसोड निह देख छलाह। कारण नक घरमे टेलीिवजन छलि निह आऽ ो गोटे दोसराकघर ओहुना निह जाइत रहिथ, टी.वी. देखए लेल जएबाक तँ े निह छलए। करी पकड़लाक बाद आिण घरमे एकटाटेलीिवजन अनलि। ओतए महाभारतक चार देिख न एक िदन पीकेँ कहलिख-“अपन टी.वी.मे महाभारत िकएक निह दैत अिछ”।“अपना टी.वी.मे खाली डी.डी.१ अिछ। ऊपरमे एक गोटे रहैत छिथ से कहैत रहिथ जे हुनका घरमे बेटा एकटा ३०० टाकामेमशीन अनलि-ए। ओकरा टी.वी.मे लगा देलासँ डी.डी.मेो अबैत छैक। ओहीमे महाभारत अबैत छैक। बेटा तीन हजारमेटी.वी.कीिन देलि। आब तीन सय टाका अहा ँ लगाऽ कए ओऽ मशीन अिगला मासक दरमाहासँ आिन लेब”।“िजनकर टी.वी.छि सैह तकर मशी अनताह”।आिणकेँ एिह गपक जखन पता चललि तँ हुनका हँसी लािग गेलि। अिगले िदन ओिह मशीनकेँ लगबेलि। अिगला रिविपताजी जखन महाभारत देखलि तँ सभ गोटे ब स भेलाह। ओही मासमे आिण आर्-हिथयारक िनंग लेल पटनासँबाहर गेलाह। एिह एक मासक िनंगक बीचमे द ुगा र् प ूजा पड़◌ैत रहए। िपताजी पिहल बेर द ुगा र्प ूजामे गाम निह गेलरहिथ। आिण सेहो बीचमे शु-शिन-रिवक द ुगा र्प ूजाक छुी देिख पटना आिब गेलाह। रिव िदन रहए। महाभारत चिल रहलरहए। आिणक एकेटा संगी रहि। ओकरा संगे आिण िबन खे-पी को काजसँ बाहर गेल छलाह। संगीक संगे घरपरअएलाह। मा ँ द ुन ू गोटे लेल खेनाइ अनलिख।“बाब ूजी खाऽ लेलिथ”।“हँ तऽ। तीन बजैत अिछ। महाभारत देखलाक बाद खाऽ कए स ूतल छिथ। अहा ँ सभ खाऊ, तावत हम हुनका चाह बना कऽहुनका दैत िछयि, तख िन टुटति”।आिण द ू-तीन कौर खाऽ कऽ उिठ गेलाह। हुनकर संगी कारण पुछलिख-“की भेल”?“पता निञ। घबराहिट भऽ रहल अिछ”।“काि िनंगपर जएबाक अिछ । तािह ारे”।“पता निञ”।तावत भीतरसँ अबाज आएल। सभ ो दौगलाह।“की भेल मा ँ”।“देखू । चाह आिन कऽ देिलयि हँ, मुदा आिख ँ खोिल कऽ देिखये निञ रहल छिथ। आन िदन तँ चाहक नाम सुिनते देरीउिठ कए बैिस जाइत छलाह”।नक शरीर अकड़ि◌ गेल छलि। का-रोहट सुिन ऊपरमे रहिनहार एकटा ड◌ॉर आला लऽ आयल छलाह आऽ नक मृुकघोषणा कए दे रहिथ। आिण अवाक गु भेल ठाढ़ भऽ गेल रहिथ। हुनकर संगी निञ जािन कोन बाटे अपन संगी सभकेँबजा कऽ लऽ अन छलाह। सभक ूटी लगा देलि। ककरो गेटपर तँ ककरो ◌ॉइ ंग ममे। लोकक भीड़ लागए लागलछल। हुनकर संगी सभ समान िबछाओनमे समेिट िबछौना मोिर आिण लग अएलाह।“िया-कम र्क तैयारी करए पड़त आिण। बा ँसघाट धिर लऽ जएबाक वा करए पड़त। हम जाइ छी गाड़◌ीक वा करए”।51


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्“बाब ूजीकेँ गामसँ ब लगाव रहि। कहैत रहिथ जे अिगला सात ज धिर नगर घिम ु कए निह आएब। ओना बाऽ केर दाहसंार बाब ूजी पटमे कए रहिथ। मुदा ओिह समयमे पटनाक ई गंगा-िज निह रहए। आब तँ गाड़◌ीसँ िहनका लऽ गेलजाऽ सकैत अिछ, तखन दाह-संार भोरमे गामेमे भऽ जाएत”।“हम वा करैत छी”।आिणक ओऽ संगी हमा छल। कनी कालमे गाड़◌ी आिब गेल। रामे पुिलस लाश देिख रोकत से समा आएल।“अहा ँ लग वदीर् बला पिरचय-प तँ हएत ”।“हँ, अिछ”।“ओना िदत अएबाक तँ निह चाही, मुदा जौ ँ रामे पुिलस टोकए तँ देखाऽ देबए”।घर खाली भऽ गेल। ताला लािग गेल। द ुन ू भाय आऽ माय मृत िपताक संग शुपक्षक ओिह राितमे पटना नगरसँ िनकिलगेलाह। गंगा-िजपर गाड़◌ी ठाढ़ भेल। मृत िक एकटा स ूची टा ँगल छल, जोन-मजद ूरक। ई सभ पुल बबामे खिस कऽमिर गेल छलाह। आिण गाड़◌ीसँ उतिर स ूची देखैत छिथ।उरा ँव,झा बहुत रास मजद ूर। एकटा “झा” उपािधक मजद ूर, बेशी आिदवासी उपािधक! बहुत रास म ूइल छलाह, कताक सैकड़◌ामेमुदा राता-राित पुिलसक मदितसँ अिभया-िठकेदारसभ लहास भिसया दैत छलाह। ३० गोटेक नाम मुदा छल एतए।“पायाक ऊपरसँ घिरया-घ ु िरया ु कऽ खसैत मजद ूर, कतेक ठाम हम स ूचना दे रही, को सुनबािह निञ भेल। ओकरा सभकेँाय निञ िदआ सकलहु ँ तँ लगैत अिछ जे दोषी हमहू छी”। नक डायरीक ई अंश एक बेर आिण पढ़ छलाह। चल ू घिरुकऽ आएब तखन बाब ूजीक डायरी ताकब, कतए छि।फेर गाड़◌ी आगा ँ बढ़ल। गंगा िज पाछा ँ छुिट गेल। आगा ँ गंगा-िज क◌ॉलोनी आएल। आिणक बालकथाक साक्षी। ूल,घर, खेलेबाक मैदान। सटले गंगा िजक गोड◌ॉन। कताक बेर चोिरक समान कसँ एतएसँ िनकलैत छल, एकाध बेर धरायलछल। बड़का धराएल क, ेक चा बला, लोक गुमटीलग मेला जेना देखऽ पहु ँचैत छलए। बा-सभ कक चा गत छलाह,१४ चा बला अिछ वा १६ चा बला।जीवनक ितयोिगतामे सभटा जेना िबसिर गेल छलाह आिण। ाचार, जोन-बोिनहारक मृु, िपताक संघष र् सभटा सोझा ँआिब रहल अिछ।“फेरसँ सोझा ँ आएलई सभटा, िपताक ृित बिन कऽ, मुदा िपताक हािर बिन कए तँ निञ। ई नाम आिण हमरा लेल चुनछलाह बाब ूजी िकएक”।“की बजलहु ँ बेटा”। मा ँ पुछलिख।“निह। ई क◌ॉलोनी देिख कऽ िकछु मोन पड़ि◌ गेल”।“निह देखू ई पिपयाहा क◌ॉलोनीकेँ ”।गंगा-िजक चरचा घरमे टैब ू बिन गेल रहए। आिणकेँ ब ुझल छि ई। मुदा एकटा आर ार तँ निञ भऽ जाएत। मा ँभीतरसँ घबराऽ गेल छलीह।आब जे चुी पसरल से गामेमे जाऽ कए खतम भेल। अज भाएक मुँह पकड़ि◌ कनाए लगलाह। एहन भैयारी ककरहेतए। ध ुर बताह, पैघ भायकेँ ो छोड़ि◌ कऽ पिह चिल जाइत अिछ। किहयो निह क छलह तँ आइ िकए कनबाऽरहल छह। सौ ँसे टोल जिट ु आएल छल। समाचार सुनलाक बाद ककरो घरमे खेनाइ निह बनल छलैक। पता निञ के ककराटेलीफोन कऽ दे रहैक जे समाचार एतए पहु ँिच गेल रहए।“कलममे बाब ूक सारा लग दाह हेति”, अजक एिह इाक बाद लहास ओतए गेल। कापर उठा कए सभ पहु ँचलाह कलम-गाछी।52


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्“देिखयौ, केना म ूहपर हँसी छैक, एको री म ूइल लगैत अिछ”। नक अज बजलाह।आिणक पैघ भाए जख अपन आिग लेल हाथ िपताक िदस बढ़◌ेलि आिक ओऽ िवचिलत सन भऽ गेलाह। काका भरोसदेलिख। आिगमे िमलैत गेल ओऽ मृत शरीर, पुनः घिर ु अएबाक को सावनाकेँ खतम करैत।सभटा िवध-वहार, लगैत रहए जेना ककरो मृुक निह वरन ् को पाबिनक इजाम-बात भऽ रहल अिछ, ध ूम-धामसँ।महापा आिक कं टाहा ाणक िनदेर्शासार होइत ाकम र् आऽ सा ँझक पाठ गड़-पुराणक अिवसनीय िववरणक। सभ सभऽ गेल।परम शाित ं आऽ िक घोर कोलाहल। आिण ठाकुर िकछु अ रहिथआऽ कलकामे व ुडलै निसंग र् होमक समीपित िवशालकाय अपाट र्मेंटक अपन ैटमे असगरिह अ िितमे अावसनमे लीन अपन अतीतक पुनिव र्ेषणमे रत रहबाकघटनाम मोन पड़ि◌ जाइत छि। अशाितक ं क्षण हुनका रिह-रिह कय अनायासिह मोन पड़ि◌ रहल छि। जखन ओऽ अपनसमा सभ अपन िहत-संब ंधी सभकेँ सुना कय अपन मोनक भार कम करैत रहिथ। शः-शः समा सभ बढ़◌ैते चल गेलएतेक तक िक आब दोसरकेँ सुलापरा ंत मोन आर उचिट जाइत छलि। तािह ारे आब ओऽ अप तक सीिमत रहयलगलाह। िहत संब ंधी सभ ब ुझय लगलाह जे आिण समासँ रिहत भय गेल छिथ। बेसँ सपनामे भयावह चीज सभ देखाइपड़◌ैत छलि आिणकेँ । अखन धिर हुनका यािद छि कोना आध-आध पहर राितमे ओऽ घामे-पसी भय जाइत रहिथ आऽहुनकर माता-िपता िचंितत भय बीयिन होकैत रहिथ छलिख। िपताक-िपता आऽ तकर जदाता के ? भगवान जौ ँ सभकप ूव र्ज तखन हुनकर प ूव र्जके ? लोकसभ एिह सभकेँ हँसीमे उड़◌ा दैत छलाह, पर ंतु बादमे जखन आिण दश र्नशास्पढ़लि तखन हुनका पता चललि जे एकर उरक हेतु कतेक ऋिष-मुिन सेहो अन जीवन समिप र्त कय चुकल छिथ मुदा ईशन एख अिरते अिछ।अताक िितमे फेरसँ ई सभ अिरत हुनका समक्ष बिन आिब गेल छि।ककेँ िनमे हुनका लागि जे ओऽ घरक छत पर छिथ आऽ निह चािहतो शः-शः छतक िबना घेरल भागिदिश गेल जा रहल छिथ। गुक को शि हुनका खीिच रहल छि तावत धिर जावत ओऽ नीचा ँ निह खिस पड़◌ैत छिथ। कीई छल को ारक िदशािनदेर्श आऽिक को भिवक द ुघ र्टनासँ बचबाक संदेश।िकछु िदन तकतँ आिण सुतबाक सही समयक पता लगबैत रहलाह पर ंतु शः-शः हुनका ई पता लािग गेलैजे आऽ िन एिह जीवनक द ूटा एहन रह अिछ जे िनयम िव अिछ आऽ अिरत अिछ।आऽ आिण पैघ भेलिथ, फेर हुनकर पढ़◌ाइ शु कएल गेल- अगस्क ो- सरित नमुम वरदे कामिपणी,िवारम ् किरािम िसिभर्वतुमे सदा।ीगषजीक अंकुशक संग गौिरश ंकरक अथ र्ना िसिु।साते भवतु सुीता देवी िशखर विसनीउन तपसा लो यया पशुपितःपितःिसिःसाे सतामु सदा ंत ध ूजर्टेःजावीफेनलेखेव यूिध शिशनः कला।एिह ोककेँ बजैत काल ायः आिण पशुपितःपितःक सामवेदीय तारतक बाद अनायासिह हाऽ हाऽ कऽकय जोरसँहँसय लगैत छलाह आऽ बीचिह मे िक जाइत छलाह। िपता सोचलिख जे कम वयसमे पढ़◌ाई शु केलासँ आिणक कुसीर्पर बैिस कय माथपर हाथ रािख कय बैसबाक आदित तँ खतम होयति।सय तकक खा ँत ओऽ एके बेर मे सीिख गेलाह जखनओऽ देखलि जे बीसक बाद गणनामे पशुपितःपितःक जेका ँ लयबता छैक।मायक एकटा ग हुनका पिस नही ं छलि। ओऽ िबचमे ग करैत-करैत आिणक बातकेँ अनिठया दैत छलिथ।एकबेर मायक ो संगी आयल छलीह। आिणक को बातपर माय ान नही ं दय रहल छलीह। आिणक हाथमे भिरघरक53


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्चाभीक झाबा छलि तेँ ओऽ कहिख जे जौ ँ हुनकर बात नही ं सुनल जयति तँ ओऽ झाबाकेँ सोझा ँअक डबरामे फें िकदेताह। माय सोचलिख जे हा ँ-हा ँ केलापर झाबा फेिकयेटा देताह तै ँ आर अनिठया देलिख। पिरणाम द ु तरहेँ एकेहेबाक छल। चाभी बहुत खोज केलो पर निह भेटल। एख घरक सभ अलमीरा आिदक चाभी डुीकेट अिछ। एतेक िदनकबाद ई सभ सोिच आिणक मुँहपर अनायासिह मुी आिब गेलि।िसा ंतवादी िपताकेँ करीमे िकछु िकछु िदत होइते रहैत छलि तािह ारे ओऽ आिण जी सँ जी पैघदेखय चाहैत छलाह। तेसर सँ सोझे पा ँचम वमे फनबा देल गेलि।फेर भेल ई जे होलीक छुीमे िनयमासार सभगोटे गाम गेल छलाह। िनयम ई छल जे होली आऽ द ुगा र्प ूजामे सभ बेर गाम जयबाक िनयम जेका ँ छलैक। िपताजी सभकेँछोड़ि◌ कय वािपस भय गेलाह। फेर दरमाहा ब भय गेल छलि ाय़◌ःसे गाम िची आयल जे आब सभकेँ गामिह मे रहयपड़ति। मायतँ कानय लगलीह मुदा आिण खूब स भेलाह। मुदा सरकारी ूलमे ओिह समय वक आगा ँमे (नवीन)लगाकय एक व कममे िलखबाक गलत पररा नवीन िशक्षा नीितक आलोकमे लेल गेल छलैक कारण नवीन नीितमे आर िकछुओनवीन निह छल। िपताजीकेँ जखन एिह बातक पता चललि तँ ओऽ तमसायलो छलाह आऽ एकर ितकार प पा ँचम ासकबाद जखन ओऽ सभ शहर वापस अयलाह तँ आिणकेँ फेर एक व तरपाकय सोझे छठम वक बदलामे सातम वमे नामिलखवा देलि। छठम वक िवज्ञान आऽ गिणतक पढ़◌ाइ पा ँचमे वमे कय लेबाक िपताक िनदेर्शक उेक जानकारी आिरिणकेँतखन जाकय भेलि जखन वेश-परीक्षामे यैह द ु िवषय प ूछल गेल आऽ आिण छठा आऽ सातम द ु वक वेश परीक्षामेबैसलाह आऽ सफल भेलाह। बहुत िदन बाद तक जखन ो आ संदभर्मे छठम वक चचा र् करैत छल तँ आिणकेँ िकछुअनिभज्ञताक बोध होइत छलि।गामक वासमे एकबेर आिण िपताकेँ िची िलख छलाह कारण हुनकर ज ुा शहरेमे छूिट गेल छलि। ज ुातँआिबये गेलि संगिह िचीक तीन टा शािक गल्तीक िववरण सेहो आयल आऽ ईहो मोन पाड़ल गेल जे एकबेर दौिरकयगिणतक हल करबाक ितयोिगतामे तीनक बदला हड़बड़◌ीमे द ुइयेटा केँ हल कऽकय ओऽ कोना क◌ॉपी जमा कय देछलाह।हुनकर भावमे ोधक वेश कखन भेलि से तँ हुनको निह ब ुझबामे अयलि मुदा िपताजी हुनका ोधक समानको दोसर िरपु निह एिह संृत ोकक दस बेर पाठ करबाक िनदेर्श दे छलिख- से धिर मोन छि। एकटा घटना सेहोभेल छल जािहमे ूलमे एकटा बा झगड़◌ाक म िसलेटसँ हुनकर माथ फोड़ि◌ दे छलि। आिण सेहो िसलेट उठेलिथमुदा ई सोिच जे ओकर माथ फूिट जयतैक हाथ रोिक ले छलाह। एकर पिरणामप हुनकर िपता द ू गोट काज केलि।एकतँ हुनकर िसलेटकेँ बदिल कय लोहाक बदला लकड़◌ीक कोरबला िसलेट देलिख जकर को को भागक लकड़◌ी खिजुजाइत छलैक आऽ दोसर जे क◌ॉलोनीमे समकक्ष अिधकारीक बैठक बजाकय क◌ॉलोनीअिहमे ूल खोिल देल गेल जतय आिणपढ़य लगलाह। बादमे ो पंिडत जखन वाीिक रामायणक सुरकाक पाठ तँ ो ोितष कँ गुिरया आ ँगुरमे मोती आऽ िकम ूनोन पिहरबाक सलाह अही उेक हेतु देबय लगैत छलाहतँ ओऽ संृत ोक हुनका मोन पड़ि◌ जाइत छलि।बाल संारक अंतत सहायता मा ँगयमे आऽ समझौता करयमे अख हुनका असहजता अभव होइत छि। मुदाहािर आऽ जीत द ुकेँ बराबड़ बिझ ू यु करबाक िवास हुनकामे नही ं रहलि िवशेषकिरके िपताक मृुक बाद। आऽ िवजयहुनकर ल बत गेलि शः-शः। जकर ओऽ जी-जानसँ मदित कएलि सेहो समयपर हुनकर संग देलकि। समय-समय पर केल गेल समझौता सभ हुनकर संघष र्केँ कम केलकि। जतेकसँ दोियारी छलै तकरे िनभेनाइ मुिश्कल भयरहल छलै। फेर तँ नव शहरमे नव संगीक हेतु ान निह बचल।महाका ंक्षाक अंत निह आऽ जीवन जीबाक कला सभक अितीय अिछ। आिण ई नाम आब कख-कख घरमेसुनाइ पड़◌ैत छल। कलका शहर ितभाक प ूजा करैत अिछ। मुदा वसायी होयबामे एकटा बाधा छल-अंजीक संगबाङलाक ज्ञान जे ओऽ बाट चलैत सीिख गेलाह। जीवनमे बीमारीक िितअिहमे हुनका आराम भेटैत छलै। बीमािरयेमेसोचबाक आदित मोन पड़◌ैत छलै। आऽ ई ैट िकनलाक बाद मायकेँ सेहो बजा लेलिख। ओना हुनका ब ुझल छलि जेमाय एिह सभसँ भािवत निह होयतीह। कारण ओऽ अिधकारी पी छलीह आऽ पुकेँ सेहो ओिह पमे देखबाक कामनाछलि। ई नव शहर हुनक पुक िमे सैाितकताक ं ानपर ायोिगकताक ितशतता बढ़◌ा दे छलि। आबसमयाभावक कारण ा खराब भेलेपरा ंत सोचबोक समय पुकेँ भेटैत छलि।54


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सायमे सफलता ािक प ूव र् आिण एकटा कागज िंिट ंग समे काज केनाइ शु केलि। अपन िमवत िंिट ंगस मािलकसँ दरमाहाक बदला पसेंटेज र् पर काज करबाक आह केलि। ऑडर्र आिन बाइिडं ं ग आऽ िंिट ंग करबाबिथ आऽआे-आे अपन एकटा िंिट ंग स लगओलिथ। िकछु गोटे िहनका अिहठामसँ छपाइ करबाकय ाहककेँ बेचिथ। हुनका जखनएिह बातक पता चललि तँ ओऽ एकटा चलाकी केलिथ जे सभ ब ंडलमे अपन सक कैलेंडर धऽ देलिख। जखन अंितमउपभोाकेँ पता चललैक जे ओ’ सभ अनावके दलालक मामसँ समान कीिन रहल छलाह तँ ओऽ सभ सोझे आिण िंिट ंगस केँ ऑडर्र देबय लागल। आिणकेँ घरमे अपन नाम कखनहु ँ काले सुिन पड़◌ै। िकताबक ऊपर छपल हुनकर नाम तँको कं पनीक छलैक- आऽ ओऽ ओकरासँ िनकटता अभव निह कऽ पािब सकैत छलाह। संसारक कुचािल हुनकर िपताक अंतके छलि मुदा आिण ावसाियक यु मिसँ लड़◌ैत आऽ िजतैत गेलाह।मायक एलाक बाद आिण ई नाम बीसो बेर िदन भिरमे सुनाइ पड़य लागल। ओकर संगी लोकिन उपरो ावसाियकसफलताक घटना सभकेँ जखन आिणक मायकेँ सुनबैत रहैत छलाह ई सोिच जे ओऽ अपन िमक बड़◌ाइ कय रहल छलाह तँआिण असहजताक अभव करय लगैत छलाह आऽ गकेँ दोसर िदिश मोड़ि◌ दैत छलाह।हुनकर मायतँ जेना हुनक िववाहक हेतु आयल छलीह। माय जखन िज ठानलि तँ हुनका आय र् भेलि कारण घरमेिजक एकािधकारतँ हुनकेटा छलि। मुदा माय बिझ ू गेल छलीहजे हुनकर बेटा िकल भय गेल छि आऽ िज केनाइिबसिर गेल छि। आिण सोचलि जे छोटमे ब िज प ूरा करबओ छिथ तेँ आब प ूरा कबा र्क समय आयल अिछ। िववाहफेर बा। माय अपन तमे पितक प देखलै। पितक मृुक पिहनिह बेटा ैिकल बिन गेल छलि। मुदा आब ईनिह होयत। जे काज बेटा निह कय सकल से आब त करत। तक नाममे बेटा आऽ पित द ुहुक नामक समावेश केलि-आिण न। फेर पढ़◌ाइ शु- िसरु-ी गशजीक अंकुश आऽ वैह उन तपसा लो यया पशुपितःपितः। हुनकरबेटाकेँ पित पढ़◌ेलिख ओऽ तँ घर सारैत छलीह। आब पुतोहु घर सारलै, बेटाकेँ तँ फुरसितये निह। आब बाऽपढेतीह तकेँ ।उतपत्ेत िहमम कोऽिप समानधमा र् कालोम िनरविधिव र्पुला च प ृी।प ृी िवशाल अिछ आऽ काल िनीम,अनंत, एिह हेतु िवास अिछ जे आइ नही ं तँ काि ो ो हमर यासकेँ साथ र्कबनायत।आिण अपनाकेँ अपन मायसँ द ूर अभव केलि, िकछु अ सेहो छिथ आऽ व ुडलै निसंग र् होमक समीप ितिवशालकाय अपाट र्मेंटक अपन ैटमे असगरिह अावसनमे लीन अपन अतीतक पुनिव र्ेषणमे रत छिथ। ितयोिगता परीक्षासभक उमिर बाकी छलिये से द ू चािरटा परीक्षामे बैिस गेलाह आऽ के सरकारक ई ुप बी वदीर्बला अिधकारी बिन गेलाह।मा ँकेँ कक संतोख भेलि जे ास वन निह मुदा सरकारी करी तँ केलक, ई िबजस-ितजस तँ छोड़लक।“चलह कक खाऽ लैह, एना के काज निह चलतह”। आिणक छोटका मामा मप ूव र्क दबाड़ि◌ कए कहलि। िया-कम र् खतम भऽ गेल छल आब घ ुरबाक बेर आिब गेल छल, करीक संग िपताक मापर सेहो।१९९५ क नवरक मास।केश कटायल मुँहेँ गामसँ दिरभा आऽ ओतएसँ पटनाक बस पर चढ़लाह आिण। िकछु िकताब बेिचनहार अयलाह, तुक िमलेसभ िकताबक िवशेषता किह सुनओलि।k िखा-िपहानी,उपचार,फूलन-देवी सँ लय महर पोथी तक सभ याीगणकेँ एक-एकटा परसैत गेलाग।ओिहमे सँ िकछु मोल-मोलाइ कएलाक उर िबकयबो कएलि आ’ सभटा वापस लय जाइत गेलाह,बससँउतरैत कालकं डरसँ वाद-िववाद सेहो भेलि। फेर बोक रस िनकालबाक य ंक आिवारक चढ़लाह,रस िनकािलदेखओलि,खलासीसँ वाद-िववादक उपरा ंत ओहो उतिर गेलाह।फेर ककबा बला,पेन बला आऽ पेचकश बला सभ चढ़ि◌ कयउतरैत गेलाह। पुछलाक उपरा ंत पता चलल जे गाड़◌ी साढ़◌े दस बजे ख ुजत ई ग बस बला झेु बाजल छल। पछुलकाबसक सवारीकेँ सीट निह भेटल छलि, से बेशी अबेरो निह होयत आऽ सीटो भेिट जायत,एिह तकर्क संग माकेर्िट ंगक उपकरणकपमे ई शस् चलल छल। गाड़◌ी ख ुजबाक समय छल ११ बजे मुदा ११ बािज कय पा ँच िमनट धिर बहस होइत रहल जेघड़◌ीमे ११ बाजल अिछ िक निह। पा ँछा एगारह बािज कय दस िमनट पर जखन बादमे जायबला बसक कं डर अशोक िमाआऽ शाहीक बसक बीचक िभड़◌ंतक बात कय झगड़◌ा बजािर देलक-जे एको सेकें ड जौ ँ लेट होयत तँ जे ब ुझ ु से भयजायत- तखन ाइवर अकाते ह◌ॉन र् बजाबय लागल। आिणक बगलक सीट पर बैसिल एकटा ब ूढ़ि◌ बेटाकेँ जोरसँ बजाबय55


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्लगलीह, पा ँच िमनट गरदमगोल होइत रहल। सभ याी चढ़ि◌ गेलाह, आऽ द ू-चािरटा याी जे अख िरासँ उतड़ल छलाह,जोर-जोरसँ बाजय लगलाह। पछुलका बस बला हुनकर मोटा-चोटा उठा कय अपना बसमे लऽ जाय चाहैत छलि, मुदा ओऽलोकिन पढ़ल िलखल छलाह आऽ हमरे सभक बससँ जाय चाहैत छलाह। ओऽ लोकिन द ू-चािरटा चौधरी-कुँ अरक नाम-गाम गनओलि,तखन ओिह बस बलाकेँ ब ुझओलैक जे ई सभ फसादी लोक सभ अिछ- से कहलक जे टू बाइ टूक बदला ओिह टू बाइ ीधागाड़◌ीमे ठाढ़◌े जयबाके जौ ँ इा अिछ तँ हम की क- िकरायो ओऽ एको पाइ कम निह लेत। से द ू-चािर गोट बेशीयाी लेबाक मनस ूबा प ूरा भेलाक बाद ाइवर गाड़◌ी हािक ँ देलक। ओिह िरा-सभ परसँ एक गोट अधवयस ू ि चढ़ल छलाहआऽ संयोग ई भेल, जे आिणक दोसर बगलमे बैसल ि गुनध ुन करैत छलाह जे फलना ँ बड़◌ा ब ूड़ि◌ अिछ,एखन धिर निहआयल। गाड़◌ी ख ुजलाक बाद अिगला चौक पर असकसा कय ओऽ उतिर गेलाह आऽ तकर बाद ओिह टू बाइ ी ग़◌ाड़◌ीक तीनसीट बला हीसमे आिणक बगलमे ओिह सनकेँ जगह भेिट गेलि।आिणक मोन िर छलि आऽ बेशी बजबाक इा निह छलि। मुदा बगलगीर पिह अन भाकेँ धवाददेलि,जकर तापे हुनका सीट भेटलि। पटनामे आवक काय र् छलि, तेँ लेट जायबला बससँ गेला उर काजमे भाङठपड़ि◌ति। फेर अन पिरचय अिसेंट डायरेरक पमे देलाक उपरा ंत ई स ूचना देलि जे दिरभाक संग पटमेहुनकर मकान छि। द ुन ू घर अन पुषाथ र्सँ बनयबाक गक संग,द ुन ू घरक द ुमहला आऽ मारबल आऽ नाइटसँ यु होयबाकबातो कहलि। बजबैका लोक केँ सुिनिनहार लोक ब पिस पड़◌ैत छि,से ओऽ आिणकेँ पिस करय लगलाह।तेँ पुछलि-“पटनामे अपक मकान कोन महामे अिछ”।आिण कहलिख- “अन मकान निह अिछ,िकराया पर छी”।िकछु कालक शाितक ं पात ओऽ सन पनबीसँ पान बहार कय आिणसँ पुछलि जे-“पान खाइत छी”।“निह”- एिह उरक पात अन िवशेषज्ञता देखबैत कहलि, जे-“हमतँ अहा ँक दा ँते देिख कय बिझ ु गेल छलहु ँ”।पान खेलाक बाद अन बेटी सभक सासुरक चचा र् कएलि। बेटाक आइ.ए.एस. केर तैयारी करबाक ग कएलि आऽ कोुपक चचा र् सेहो कएलि जे िवाथीर् लोकिनक बीच एिह तैयारीक हेतु तैयार भेल छल आऽ ओिह ुपमे वेश मा ितभावानलोकिनक हेतु सीिमत छल। फेर आिखरीमे ईहो पता कहलि जे ओिह ितभावान ुपक सदता हुनकर पुकेँ सेहो ाछि।आ ँगा बढ़◌ैत-बढ़◌ैत गाड़◌ी एकटा लाइन होटल पर ठाढ़ भेल। िकछु याी एकर िवरोध कएलि। एक गोटे कहलिजे ई ाइवर-कं डर खेनाइ खएबाक ारे एिह घिटया लाइन होटलमे गाड़◌ी रोकैत अिछ। एकर सभक खेनाइ एतयमुिफ्तया छैक आऽ संगिह स ूचना भेटल जे मुिफ्तया की रहतैक ओकर सभक िबल याीगणसँ परोक्ष पमे लेल जाइत छैकआऽ ब ुझ ु जे एकर सभक िबल याी सभ भरैत छिथ। हुनकर ईहो अपील छलि जे ो गोटे निह उतरय आऽ हािर कयबसकेँ ाट र् करय पड़तैक। िकछु कालक उपरा ंत एकाएकी सभ गोटे उतरैत गेलाह आऽ ओऽ सन सेहो िखिसयायल उतिरफराक भऽ ठाढ़ भय िमिथला ंचलक द ुद र्शाक कारणक ाामे हुनकर ग निह मानबाक मविकेँ ृ सेहो दोषी करािर देलिथ।गाड़◌ी फेर ख ुजल आऽ िकछु द ूर आगू जाऽ कय धाक संग ठाढ़ भय गेल। कं डर कहलक जे सभ उतरैतजाऊ। गाड़◌ी पंर भय गेल। लाइन होटल पर गाड़◌ी निह रोकबाक अपील केनहार सनक मत छलि, जे लाइनहोटलपर जे गाड़◌ी ठाढ़ भेल, तखसँ जतरा खराब भए गेल अिछ। आब आगू देखू की-की होइत अिछ। नीचा ँ उतरलाकबाद चािर-चािर, पा ँच-पा ँच गोटेक गोला बिन गेल। ई जगह ायः वैशालीक आसपास छल। एक गोटे खेतक िवारक िदिशान देलि। घर सभक ऐल-फैल होयबाक सेहो चचा र् भेल। संगिह अपना सभक गाम िदिश घर पर घर आऽ चाड़ पर चाड़चढ़ल रहैत अिछ आऽ से झगड़◌ाक कारण अिछ, अहू पर चचा र् भेल। आिणक बगलमे बैसल अधवयस ू ि िकछु औंघायल सनछलाह, मुदा एिह वधानसँ हुनकर भ टूिट गेलि। हुनकर बकार लाइन होटल पर आिक नीचा ँ ठाढ़ भेला पर म भय56


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जाइत छलि से आिण अभव कएलि। फेर बस चिल पड़ल आ ऽ ओऽ सन पुनः शु भय गेलाह। हाजीपुर शहरअएला पर तँ हुनक ृित आर तीण भय गेलि।िकछु काल बस चलल तँ एकटा क◌ॉलोनीक िदिश इशारा कय ओऽ कहलि-“ई छी गंगा िज क◌ॉलोनी, की छल आऽ आब की भय गेल अिछ। एक भागमे रहबाक हेतु ◌ॉटर र् आऽ दोसर भागमेिगी-छड़-सीमेंट सभ भड़ल रहैत छल। आबतँ क◌ॉलोनीक मेंटेंसो निह भय रहल अिछ”।आिण चौिक ँ गेलाह। कहलि,“एतय एकटा ूलोतँ छल”।ओ ऽ सोझा ँ इशारा दैत देखेलि-“देखू, ओतय नामो िलखल अिछ। बरखा ब ुीमे नाम अदहा-िछदहा मेटा गेल अिछ”। फेर ओ ऽ चौिक ँ कय पुछलि-“अहा ँकेँ कोना ब ुझल अिछ”।-हम एिह ूलमे पढ़ छी।-मुदा एिह क◌ॉलोनीमे तँ गंगा पुल िनमा र्णक अिभय ंता लोकिन मा रहैत छलाह आऽ ूलमे हुनके बा सभकेँ पढ़बाकहेतु एिह ूलक िनमा र्ण भेल छल।-हम सभ अही क◌ॉलोनीमे रहैत छलहु ँ।-अहा ँक िपताक नाम की छी।-ी न ठाकुर।िपताक मृुक पंह िदन पिहनिह भेल रहि से गीर्य कहबाक िहक निह पड़ल छलि।-अहा ँ ठाकुरजीक पु छी।ई किह आिण िदिश ओ ऽ अपनसँ बेशी ममक दृि देलि।“अहा ँक नाम की छी”। आिण पुछलिख।“आइ.ए.आजम”।ओ ऽ कहलि।तखन आिण हुनका सभटा बाक नाम गना देलिख। हुनकर एकटा बेटा हाल आजम आिणक ासमे पढ़◌ैतछल। आब हुनकर र बदिल गेलि।-क◌ॉलोनीमे द ू गोटे खूब प ूजा करैत छलाह। एकटा पाे जी आऽ दोसर अहा ँक िपताजी। पाेजी तँ प ूजाक संगपाइयो कमाइत छलाह। मुदा अहा ँक िपताजी छलाह प ूण र् ईमानदार आ ऽ दयालु। चंदा कय होोपैिथक दवाई कानपुरसँ अतछलाह, आ ऽ मुफ्त इलाज क◌ॉलोनी बलाकेँ दैत छलाह। हमर बेटीकेँ माथमे बड़का गूर भय गेल छलैक। को एलोपैिथकबलासँ ठीक निह भेल छलैक। अही ं क िपताजी ओकरा ठीक के छलिख। इ ंजीिनयर रिहतहु ँ होोपैथीक िडी हुनका रहि।ाइ ंग ममे होोपैथीक छोट-पैघ, सादा-र ंगीन शीशी सभ आिणक आिखक ँ सोझा ँ आिब गेल।-आइ काि कतय पोेड छिथ। बहुत िदनसँ सकेर् टूिट गेल। एतुा बाद कतहु संगे पोिंग सेहो निहरहल। ब ुझ ू भेँट भेना पह सालसँ ऊपर भय गेल अिछ।-पह िदन पिह हुनकर मृु भय गेलि।आिणक कटायल केश िदिश देिख ओ ऽ कहलि-हमरे सँ गल्ती भेल। केश कटे देिखयो कय निह पुछलहु ँ। तेँअहा ँ भिर रा गु छलहु ँ।फेर कहय लगलाह--मजद ूरक ित ब िचंता रहैत छलि।57


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्तावत बस गंगा पुल पर आिब गेल छल। आगा ँ फाटक पर बसकेँ िटकट कटेबाक हेतु ठाढ़ कय देल गेलैक। ो गोटेसंवादो देलक जे आगू वन-वे जेका ँ अिछ। एक कातमे िरपेयिर ंग चिल रहल अिछ। आिणक आगा ँ दृ घिम ू गेलि। एिहपुलक िनमा र्णकालक पाया सभक। क◌ॉलोनीक टूटल देबालक पजेबा सभ। ओऽ देबाल सभ साल टूटैत छल। िपताजी कहैतछलिख जे इ ंजीिनयर आऽ ठेकेदार सभ िमलल अिछ। फेर मोन पड़लि स ूटकेस भरल पैा। आिणक िपताजी एक लातमार छलाह आऽ स ूटकेस द ूर फेका गेल। एक गोट िपतयौत भाय रहैत छलिख घरमे -से सभटा पैा ओिह स ूटकेसमेरािख ओिह िठकेदारकेँ देलि। मा ँ सभकेँ िभतिरया कोठली िदिश लय गेलीह। एक बेर न पुलक पाया सभक लग ीमरसँलय गेल छलिख आिणकेँ आ ऽ कहलि--देखू। एिह पायाक िनमा र्णमे कतेक गोट मजद ूर ऊपरसँ िघरनी जेका ँ नािच कय गंगामे खिस पड़ल। सयसँ ऊपर। कतेकहमरा आिखक ँ सोझा ँ। ओिहमेसँ मा िकछुए पिरवारकेँ कं पेनसेशन देल गेलैक। आन सभक िलमे नाम छैक, ो पतालगेलकैक। तैयो सभ अिभय ंता लोकिन िठकेदारसँ िमलल अिछ।भ टूटलि आिणक। बससँ उतिर ओिह पुलक िनमा र्णमे शहीद मजद ूरक िल फेर देखलि। बहुत कम लोककनाम छल-ायः िबन कं पे ंनसेशन बलाक नाम निह रहैक। बस शु होयबाक स ूरसार कएलक तँ आिण आऽ आजम साहब बस परधड़फड़◌ा कय चढ़लाह।ओ ऽ पुनः बाजय लगलाह।-पटनामे अहा ँ कहलहु ँ जे िकरायाक मकानमे रहए जाइत छी।-हँ। िपताक ियाकम र्क हेतु गाम गेल छलहु ँ, िपताक मृुक उपरा ंत मा ँ केर मोन ओिह घरमे निह लगति, तािह हेतु ओऽगामेमे रिह गेल छिथ। आब पटना पहु ँिच कय दोसर डेरा ताकब। ओना हम तँ कलकामे करी करैत छी।-ब ुझ ू। तीस बरख पी.डबु.डी. मे ईमानदारीसँ काय र् कएलाक उर एकटा घरो निह बना सकलाह। लोक की-की निह कएगेल। हमहु ँ १९८१ क बाद अही ं क िपताजीक लाइन पर चलय लगलहु ँ। द ू टा घरो जे बनय छी से नामे-माक द ू-महला।अधिखू-ऊपरमे एक-एकटा कोठली अिछ। अहा ँक िपताकेँ की देलकि सरकार। आ ऽ की भेटलि। िरटायरमेक पिहनिहमृु। को सान। पुलक उाटन पर द ू-द ू हजार सभ अिभय ंताकेँ सरकार देलक। ओ ऽ तँ भगवानक प छलाह।सानक लालसाक हेतु काज निह कएलि। सभ वर् िडवीजनमे जयबाक हेतु पैरवी करय आ ऽ ई नन-वर्मे जयबाक हेतुपैरवी करिथ।फेर ओ ऽ आिणसँ पुछलि जे--अहा ँ की करैत छी।-िपता,माय आ ऽ भाय पटनामे रहैत छलाह, हम कलकामे इ ंटेलीजे िवभागमे छी, किहयो वरदी रहैत अिछ किहयो मनाहीरहैत अिछ।-दरभंगोमे आऽ पट मे आउ। मायोकेँ अिनयु। हमर पीकेँ ब नीक लगति। हालतँ पटमे अिछ।फेर अपन पटना आ ऽ दरभंगा द ुन ू ठामक पता अपन ेिहल हाथसँ पड़बैत पटनाक हािडर् ं ग पाकर् बस ै पर उतरलाह।बाहरसँ पटना अयला पर होिडर् ं गकेँ देिख आिण स भय जाइत छलाह। मुदा िपताक छायाक द ूर भेलाक बाद आबएिह नगरसँ लगाव निह ितयोिगता करय पड़ति हुनका। ई कोन संयोगपर संयोग भऽ रहल छल। आजम साहेब आइयेकोना भेिट गेलाह। पह सालसँ िकएक ो निह भेटल रहिथ आऽ अकात् िनयित की चाहए छि हुनकासँ।िरा पकड़ि◌ घरक लेल िनकललाह। फेर सोचनी लािग गेलि। एक बेर बाब ूजीकेँ कटहरक कोआ खेलाक बाद पेट फूिलगेलि, द ू बजे राितमे। ईहो निह फुराइत छलि, जे बगलमे वनजीक बाब ूकेँ बजा िलयि, जे को ड◌ॉरकेँ बजादेताह। फुरायल तँ छलि, मुदा किहयो गप निह छलि, तँ आइ काज पड़ला पर किहतिथ, से िहयाऊ निह भेलि। मायकेबाड़ पीिट कय पड़◌ोसीकेँ उठेलि, कत िखजैत रहलीह। पड़◌ोसी ड◌ॉरकेँ बजओलक, तखन जाऽ कय बाब ूजीक जानबा ँचलि। माय ाप सेहो दैत रहलिख आऽ ईहो कहैत रहलिख जे पा ँच वष र्क बेटा रहैत छैक तँ सभ भरोस दैतछैक, जे कत िकएक छी, अहा ँकेँ तँ पा ँच वष र्क बेटा अिछ।ऽ ई सभ .....जाह, अप भोगबह हम तँ दिनयासँ ु चिल जायब।58


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बिहन क◌ॉलेजमे पढ़◌ैत छलिख। क◌ॉलेजक रा पैरे जाय पड़◌ैत छलि। आऽ क◌ॉलेजसँ आ ँगा ूल छलि आिण द ुन ूभा ँयक। बिहन कहलिख, जे अहूँ सभ संगे हमरा सभक संगे चल ू। एक िदन द ुन ू भा ँय संग गेबो कएल रहिथ। मुदा गपिब के द ुन ू भा ँय आगू-आगू झटकैत चल गेलाह। मोनमे ईहो भव छलि, जे छौड़◌ा सभ चीि निह जाय जे हमरासभक ई बिहन छिथ। आब ई सोचैत छिथ जे िचिये जाइत तँ की होइत।अपन ित्क िवकासक कमी छलि ई? बादमे पैघ भेलाह तँ मा ँ-बापकेँ उकटैत छिथ, जे घरघ ुू आऽ मुँहचुक संज्ञाजे देलहु ँ अहा ँ सभ, किहयो ई सोचलहु ँ, जे को पड़◌ोसीसँ ग निह करबाक, संगी-साथी निह बनयबाक, घ ूमब-िफरब निहकरबाक उपदेशक पाछू -जे अहा ँ सभ उपदेश देलहु ँ- ओकर पा ँछा इा समाजक ब ुराइसँ द ूर करबाक छल, पर ंतु यैह तँबलक मुँहचु आऽ घरघ ुू सभकेँ ।राितमे माय बापक झगड़◌ाक सीन सपनामे देखैत छलाह आऽ डरा कय उिठ जाइत छलाह। पैघ भाय बिहनसँ अिणकेँ खूबझगड़◌ा होइत छलि, मुदा एक बेर माय-बापक झगड़◌ाक बाद, खूब कानल छलाह, खूब बाजल छलाह। ओिह घटनाक पिह िकछुिदनसँ भाय-बिहनसँ झगड़◌ाक बाद टोका-टोकी ब छलि। सभ बेर वैह लोकिन आगा ँ भऽ टोकैत छलाह। मुदा एिह बेरआिण कात-कात बिहनकेँ टोकलि आऽ फेर किहयो बिहनसँ झगड़◌ा निह भेलि। भाय िपिठया छलि, संगे पढ़◌ैतछलिख, तािह हेतु ओकरासँ तँ झगड़◌ा होइते रहलि, मुदा कम-सम।एिह सभ गपक हेतु मा ँ िपताजीकेँ दोषी कहथे। मा ँ सभसँ- पड़◌ोसी-संब ंधी, जान-पहचानसँ- गप करबासँ किहयो निहरोकलि आऽ सभटा दोष िपताक छलि।ँंएक बेर ोब िकनबाक िज कएलि आिण। कएक बेर समय देल गेलि, जे आइ आयत- काि आयत। आिण पढ़बछोड़ि◌ देलि। आऽ तखन जाऽ कय ोब अएलि। बिहन अख कहैत छिथ, जे ोब अनबाक िजक प ूरा भेलाक बादअिणक पढ़◌ाइक लय टूिट गेलि। वमे ान थमसँ नीचा आिब गेलि आऽ िपताजी एकर कारण तं-म ंमे ताकयलगलाह। एकटा तािकसँ भेँट भऽ गेलि।कतेक िदन सभ गाममे रहैत जाइत गेलाह। गंगा िज क◌ॉलोनीमे एकटा एकाउटे ंट बाब ू छलाह। ओऽ बाब ूजीकेँ कहलिख,जे अहा ँ तँ घ ूस निह लैत छी, मुदा अहा ँक पी अहा ँक नाम पर घ ूस लैत छिथ। तकर बाद सभ गाम पहु ँचा देल गेलाह।सभ ा ंसफरक बाद िबहार सरकारक करीमे दरमाहा ब ंद भऽ जाइत छैक। आऽ तािह ारे सभ ा ंसफरक बाद न सभकेँगाम पठा दैत छलाह। एिह मम सभ गाममे छलाह। नक िची मा ँक नामसँ गाम आयल छलि। आिण पढ़ रहिथ। नआिणक मायकेँ िलख छलाह, जे -जौ ँ अहा ँ घ ूसक पाइ ले छी तँ लौटा िदयौक। हम िवजीलेंसकेँ िलख छी, छापा पड़त,तखन पाइ िनकलत तँ ब बदनामी होयत।एिह सभ पिरिितमे ूलमे आिण घरक पिरिितकेँ िबसिर जयबाक यास करय लगलाह। झेकँ ु हँसय लगलाह। ई आदितपकड़ि◌ लेलि। घरक बड़◌ाई करय लगलाह। लोक सभ नक ईमानदारीक तँ चचा र् किरते रहय। आिण घरक कलहकिवषय घरक बाहर अनबासँ परहेज करय लगलाह, लोक ब ुझत तँ हँसत। आऽ ब ुझ ू जे ईमानदारीक ैमरकेँ िजबैत जाइतगेलाह। सोचबाक आऽ गुनध ुनीक आदित एहन पड़लि, जे सुतैत सपनामे आऽ जगैत िलखबा-पढ़बा काल धिर ई पाछा ँ निहछोड़लकि। दसमामे छमाही परीक्षा िकछु िदन पिह दे रहिथ। क◌ॉमस र्क परीक्षामे एकटा बलि। मुदा ओऽ गलतबिन गेलि, फेर दोसर आऽ तेसर बेर यास केलि। सभटा क उर अबैत छलि मुदा पिहलो क उर प ूरा निहभऽ रहल छलि। क◌ॉपीकेँ अंगाक नीचा ँमे का लेलि। आऽ पािन पीबाक बहे जे बहरेलाह, तँ घर पहु ँिच गेलाह।पढ़◌ैत-पढ़◌ैत सोचय लगैत छलाह। एे पा उनटे घंटा बीित जाइत छलि। िचड़ि◌याखाना गेल रहिथ एक बेर। िकछुगोटे हुनकर सभक सर-संब ंधी लोकिन, ओतय हुनका सभकेँ भेिट गेलिख। ब हाइ-फाइ सभ। ओना तँ कहलिख िकछुनिह, मुदा हुनकर सभक बगेबानी देिख कय, आिणमे हीन भावना अएलि। चुे भीड़मे िनकिल घरक लेल पहु ँिच गेलाह।जेबीमे पाइ निह रहि से पएरे िनकिल गेलाह। ओतय िचड़ि◌याखानामे सभ डराइत रहल जे कतय हरा गेल। सभ घरपहु ँचल तँ सभकेँ फुिसयेँ कहलि जे से भोथला गेल रहिथ। स बात ककरो निह बतेलि।सभ लोक जे भेटिथ यैह कहिथ जे अहा, ँ फलनाक बेटा छी। बेचारे भगवा छिथ।ऑिफसमे िपताक दरमाहाक लेल पे-िप बनबाबए पड़◌ैत रहि। एक बेर आिण पे-िप बनबए गेल छलाह। िकरानी बाब ूबाजल- िहनकर िपताक पे-िप िबना पाइ ले बना िदयु।59


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िपताजीसँ निह तँ सहकमीर् ख ुश छलि निहये ठीकेदार सभ। सहकमीर् एिह लऽ कय जे निह यं कमाइत अिछ, निहये दोसराकेँकमाय दैत अिछ। पैघभायक िगनती बामे बदमाशमे होइत छलि। एक बेर ा ंसफरक बाद जखन सभ गाम गेलाह, तँपैघ भाय जे सभक फुलवाड़◌ीसँ नीक-नीक गाछ उखाड़ि◌ कय अपना घरक आगा ँ लगाऽ लैत छलाह, से आब एकिह सालमे दू,सभसँ पाछू बैसिनहार िवाथीर्क िगनतीमे आिब गेलाह। ओिह बेर ा ंसफरक बादक गाममे िनवास िकछु बेशी नमगर भऽ गेलछलि। फेर मुम ंी पदक दावेदार एकटा ताजी जखन गाममे वोट म ँगबाक लेल अयलाह, तखन काका हुनकासँ भेँटकएलि, आऽ कहलिख जे- हमर भायकेँ वर्सँ नन-वर् मे ा ंसफर कए िदयौक, बा सभ पोसा जयतैक।ताजी कहलि जे -जौ ँ हम जीित गेलहु ँ तँ ई काज तँ हम जर करब। वर्मे जयबाक पैरवी तँ बहुत आयल मुदानन-वर्मे जयबाक हेतु ई पिहले पैरवी छी।संयोग एहन भेल जे ओऽ ताजी जीित गेलाह आऽ मुम ंी सेहो बिन गेलाह। ओऽ शपथ हण केलाक बाद ई काज धिरकेलि, जे िपताजीक ा ंसफर कय देलिख। आऽ नक पिरवार पुनः शहर आिब गेल रहि । गाममे रहिथ तँ एक गोटेजे आिणक भायक संगी छलाह, ककरो अनका संगमे कह छलाह।हुनकर असार- हुनकर मायक भाव ती छलि, आऽ ओऽ खेनाइ खाइते काल झगड़◌ा करय लगैत छलीह। मुदा ओिह िदनककरो अनका ओऽ आर ती भावक देख छलाह।खराब आिथ र्क िितक उपरा ंत होयबला कलहक पिरणाम आिण देिख रहल छलाह। द ू टा घटना हुनका िवचिलत कए दैतछलि। एकटातँ इनकम टै कटौतीक मास- माच र् मास। ई घटना तँ सभ साले होइत छल, मुदा कटौती बढ़◌ैत-बढ़◌ैत एकसाल आिब कय प ूरा माच र् मासक दरमाहा कािट लेलक। मा ँ कहैत छलिख जे- आब भोजन कोना चलय जयतौह। आब भीखमा ँगय जइहँ गऽ सभ। मुदा न एकटा गामक भाितजकेँ पोकाडर् पठेलि आऽ ओऽ आठ सय टाका आिन कय दय गेलिख,तखन जऽ कय असुरक्षाक भावना ख भेल छल। भीख म ँगैत अख जौ ँ ककरो देखैत छिथ आिण तँ मोन कलपय लगैतछि। दोसर घटना छल जखन हुनकर घरक आ ँगा एकटा एीडेंट भेल छल आऽ ओकरा बाद हुनकर भाइ खेनाइ छोड़ि◌ देछलाह आऽ कािन-कािन कय आिख ँ लाल कए ले छलाह। न जखन ब ुझबय लगलाह तँ ओऽ जवाब देलि,-अहा ँकेँ जौ ँ िकछु भय जायत, तखन हमरा सभक की होयत।िपताजी इ ंोरेंस बेनीिफट, जी.पी.एफ., ुटी आिदक िहसाब लगाय पुकेँ ब ुझेलि जे ९९००० पा तँ तुरत भेटत आऽफेर मिह-मिह पे ंश भेटत। लगभग एक घंटा तक बाब ूजी पैघ पुकेँ ब ुझबैत रहलाह।एक बेर आिणक ओिहठाम एक गोट पीसा आयल छलाह। आइयो घरमे ो अबैत छिथ, तँ सभ सुरिक्षत अभव करैतछिथ। न पीसाक हुनकर सार भेलिख से एिह ओहदासँ हँसी सेहो चिल रहल छल।ओऽ कहलि जे ने जेका ँ ईमानदार एकटा बी.डी.ओ. साहेब झंझारपुरमे छलाह। िपताजी हुनकर मलाह छलिख, क कािटअफसर भेलाह। मुदा नक जेँ का हुनको घरमे खाटे टा छलि। पीसा हुनका कहलिख जे कथी ले अफसर भेलहु ँ, गाममेरिहतहु ँ आऽ मचान पर बैिस माछ भात खएतहु ँ। माछक कारबारमे फायदा होइत।आिणक बिहनक िववाह बाद घरमे कख काल बहइ अबैत छलिख। जमायक अिबते देरी आिणक मा ँक झगड़◌ा िपताजीसँ शु भय जाइत छलि, िकएकतँ घरमे इ ंतजाम तँ िकछुओ रिहते निह छल।ा ंसफरक बाद िपताजीक अिभयान घ ूसखोरकेँ सजा देबय पर चलल। आऽ जखन सरकारी तं परसँ िवास खतम भए गेलि,तखन एकटा तािकक ं फेरमे पड़ि◌ गेलाह। घरमे माता-िपताक बीच कलह बढ़ि◌ गेल। एक िदन िपताजीसँ आिणक बहसा-बहसी भए गेलि आऽ तीन ू भाय बिहन गरा लािग कय कानय लगलाह। तकरा बादसँ अिणक भाय-बिहन सभसँ झगड़◌ा होयबसमा भय गेलि।आिण अर गुनध ुन करैत घरपर पहु ँचलिथ।द ू-तीन धिर दोसर िकरायाक मकान ताकए लेल िनकलल करिथ आऽ सा ँझमे वैह गुनध ुनी।एक बेर घर आिब रहल छलाह ूलसँ।60


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्घर अबैत काल मोन कोना दिन कऽ रहल छलि। ूलसँ घर आिब रहल छलाह। रामे सभ ो एक दोसरा सँ िकछुअसंभव घिटत होयबाक गप कऽ रहल छलाह। आिण द ुन ू भाय सातम कक्षामे पढ़◌ैत रहिथ, संगिह-संग। मुदा आइ पैघभायक पेटमे दद र् छलि से ओऽ िटफीनक बाद छुी लऽ घर चिल गेल छलाह। ूलमे सभकेँ हँसैत देखैत रहिथ, तँ अपनघरक िित यािद पड़ि◌ जाइत छलि। ईष ्र्य़◌ा सेहो होइत छलि आन बाक भ पर। फेर मोनमे ईहो होइतछलि, जे हुनके सभ जेका ँ पिरिित होयतैक एकरो सभक। मुदा झेु सताक नाटक करैत जाइत अिछ। घरमे मायबापक कलहक बीच डरायल सन रहैत रहिथ। लगैत रहैत छलि जे ई सभ पिरिित किहयो ख निह होयतैक। निह तँदोसरसँ ग कय सकैत छिथ, निहये ककरो अपन मोनक गे किह सकैत छिथ। बेर-बखत किहयो अपन सहायताक हेतुसेहो सोर निह कऽ सकैत छिथ। माय ठीके घरघ ुसका, मुँहद ुर आिद िवशेषणसँ िवभूिषत करैत छलिख। सा ँझमे घ ुमनाइआिक द ुगा र्प ूजाक मेला गेनाइ, ई सभ बात हुनका सभक जीवनसँ द ूर छलि। एक बेर भूक जेका ँ आयल छल, सभ ो ीलतोड़ि◌ कय बहरायल, मुदा आिण खाट पर पड़ले रिह गेलाह। िकछु तँ अकम र्तावश आऽ िकछु ई सोिच कय , जे कीहोयत घर टूिट देह पर खसत तँ, समासँ मुियोतँ भेटत।घरक लगमे पहु ँचलाह तँ भीड़ देिख मोन हदिस गेलि, जे बाब ूजीकेँ तँ िकछु निह भऽ गेलि। घरमे पहु ँचलाह तँ मा ँ-बिहनसँ प ूछय लगलाह, जे की भेल? सभ बोल भरोस देबय लगलिथ तँ आरो तामस उठय लागलि।जोरसँ कािन कय बाजय लगलाह जे--बाब ूजी मिर गेलाह की? कतय छि हुनकर मृत शरीर।तािह पर बिहन कहलिख जे--निह, हुनका िकछु निह भेलि। अहा ँक संगी जे मकान मािलकक बेटा अिछ, से ओऽ ओकर छोट भाय , ओकर िपता आऽिराबला, चा िरा पर जाइत छलाह। बेचारा िरा बला िववाह क’ऽ कय किनया ँकेँ अननिहये छल। एकटा िवशाल किराकेँ धा मािर देलकैक। ठामिह मिर जाय गेलाह।आिणक कानब खतम भय गेलि। ई जे आफत आयल छलैक से आइ ककरो अनका घर, ओना ओऽ जे मृत भेल छलआिणक संग डेढ़ सालसँ ूल जाऽ रहल छल ितिदन ातः। सभ िदन ातः सीढ़◌ी पर क◌ॉलबेल बजबैत छलाह आऽ ओऽसीढ़◌ीसँ उतरैत छल, आऽ संगे सभ ूल जाइत छलाह। मोन पड़लि जे काि सेहो सभ िदन जेका ँ ओऽ क◌ॉलबेल बजेछलाह, तँ ओकर बिहन जे चा लगबैत छिल, आऽ झनकािह छलीह, से ऊपरसँ तमसाकेँ कहलक जे कतेक जोरसँ आऽ देरीतक क◌ॉलबेल बजबैत छी, आऽ सेहो जे बेर-बेर िकएक बजबैत छी, आिब रहल अिछ। काि तँ ओऽ आयल मुदा आिणतखनिह किह देलिख जे कािसँ हम क◌ॉलबेल निह बजायब, अहा ँकेँ हमरा संगे जयबाक होय तँ नीचा ँ उतिर कय आऊ आऽसंग चल ू। ओऽ निह आयल तँ आिण िकएक क◌ॉलबेल बजिबतिथ। डेढ़ सालमे पिहल बेर भेल छल जे आिण क◌ॉलबेल निहबजे छलाह आऽ ओऽ डेढ़ सालमे पिहल बेर ूल नागा कए छल। आब आिणक मोनमे होमय लगलि जे कतहु ओऽ बािजतँ निह दे होयत जे आिण कािसँ क◌ॉलबेल निह बजओताह। मुदा िकं साइत ओकर को आ काय र्म होयतैक।िकएकतँ छोट भाय आऽ िपताक संग िरासँ कतहु जाऽ रहल छल। अु आिण िचंितत छ्लाह मुदा द ुःखी निह। मोनक गपिकयो ब ुझय निह तेँ मुँह लटके ठाढ़ रहिथ। ओऽ तँ मा सोच रहिथ जे कािसँ एकरा संगे ूल निह जएताह, जायत ईअसगरे। मुदा ओऽ तँ असगरे निह जायत से स कय देखा देलक। अिणक मायक आिखमे ँ र छलि, मुदा अिणकभीतर सता, िकएकतँ हुनकर िपताजीक मृु जे िक गेल छलि।दोसर िकरायाक घर तकलाक बाद द ुन ू भा ँय सभटा समान नवका घरमे रािख मा ँकेँ गामसँ आिन लेलि।आिण अपन करी पर चिल गेलाह।-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------“निह एहन को बात निह अिछ”, ई तँ हमर सभक काय र्क अंतत करइए पड़◌ैत अिछ”।61


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्“ मुदा अहा ँकेँ ई निह बिझ ु पड़◌ैत अिछ जे एिह बेर िकछु बेशी ूर भऽ गेलहु ँ अहा ँ सभ?”“ूरताक तँ को बात निह अिछ। हमरा सभ तँ को िवशेष स ूचनाक आधार पर काय र् करैत छी”।”मािन िलयऽ जे हमरा ककरोसँ द ुनी अिछ, आऽ ओिह आधार पर िवभागकेँ ओऽ अपन िक्गत ाथ र् आऽ झगड़◌ाक हेतु योगकए सकैत अिछ”।“ अहा ँक श ंका ककरो पर अिछ?”“ निह हम तँ उदाहरण दय रहल छलहु ँ”।” निह हमरा सभ को स ूचनाक आधार पर सोझे िबदा निह होइत छी। पिह ओकर गंवेषणा करैत छी, आऽ तकरे बादएतेक ठाम सच र् करबाक अमित भेटैत अिछ”।“ मुदा आब अहा ँ ई किहयो देब जे अहा ँक को गलती निह अिछ, तँ की हमर इत लौिट कए आयत”।” एना तँ हमरा सभकेँ हाथ-पर हाथ दए बैिस जाय पड़त। मुदा अहूँ क गप ठीक अिछ। अहा ँक ित जौ ँ ेषवश ो काय र्कए होयत तँ ओकरा पर काय र्वाही कएल जायत।”“ की काय र्वाही होयत। हमरा पर तँ काय र्वाही भऽ गेल। हमर सभटा बायर टूिट जायत। हम सभ एतेक पुरान छी, तीनपुसँ एिह काय र्मे लागल छी। करबो करब तँ ेंडेाइन िरम ूवल करब? सभ बायरपर तँ रेड भऽ गेल, िकछु कतहु निहभेटल से के पितयायत”।ओकर बातो ठीक छलैक। ई ाइव ुडक ापारी एक नंबरक काजक हेतु जानल जाइत छल, मुदा आिणकेँ जे स ूचना ा भेलछलि से ओकर िवपरीत छल। मुदा ई रेड तँ खाली गेल। फैरी, घर, डीलर सभ ठामसँ टीम खाली हाथ आयल। मुदाआब ऑिफसरकेँ की जवाब देताह। नामी कं पनी छल, अिधकारीगण डरा कऽ रेडक अमित आिणक िक्गत िताकेँ देखैतदे छलाह। हेडाटरसँ र् फोन पर फोन आिणकेँ आिब रहल छलि, भोर तँ रेडमे भइये गेल छल, दस बजे ऑिफसमेिरपोट र् देबाक हेतु कहल गेल छलि। फैरीक मािलक सेहो एर- ओरक बात लऽ कऽ दस बात सुना देलकि।ण र्ाइ नाा ई कं पनीक िदी धिर पहु ँिच छलैक। अक भऽ कऽ आिण भोरमे घर पहु ँिच मोबाइल ऑफ कऽ कय ९ बजेकअलाम र् लगाऽ कऽ सुतबाक यास करय लगलाह। काि भोरेसँ रेड चिल रहल छल, ई कोना भेल, को ेंडेाइन िरम ूवलकका पचीर् िकएक निह भेटल। केस लीकतँ निह भऽ गेल। मुदा केसक िवषयमे आिणकक अितिरक् डायरेर िवजीलेंसकेँमा ब ुझल छलि। ई सभ िबछौन पर सोिचते रहिथ, तावत िन तँ निह लगलि मुदा ९ बजेक अलाम र् बािज उठल।ऑिफसमे सभ ो जेना िहनके बाट तािक रहल छलाह। कतेक गोटे ईहो सुना देलकि, जे एिह केसक इ ंटेिलजें स हुनकोसभक लग छलि, मुदा एिह तरहक केसमे ेंडेसटाइन िरम ूवलकेँ िस केनाइ मुिश्कल होइत छैक, तािह हेतु ओऽ लोकिनएिहमे हाथ निह देलि। कानाफूसी होमय लागल जे ब हीरो बत छलाह, आब ा ंसफर ऑडर्र लऽ कय िनकलताहडायरेरक ऑिफससँ।आिण डायरेरक ऑिफसमे गेलाह आऽ सोझे िकछु िदनक समय मािग ँ लेलि। की ान छि, एिह िवषयमे गप-शप घ ुमादेलिथ। एिह बेर को कारक को म निह राखऽ चाहैत छलाह।र् र् आब आिण ण ाइक फैरीसँ हिट कऽ आऽ ओकर डीलरसँ हिट कऽ काय करए लगलाह। सभटा दावेजकेँ घोिख गेलाह।िकछु कागज पर सेहो िलखय लगलाह। फेर अपन ानक िहसाबसँ कलकासँ पटना आऽ ओतएसँ अरिरयाक हेतु िबदा भऽगेलाह।62


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पान तँ खाइत निह रहिथ आऽ चाह सेहो घरे टा मे िपबैत रहिथ। मुदा लोकसँ िकछु जनबाक हो तँ िबना चाह आऽ पानकदोकान गे कोना काज चलत। से ओऽ चाह पान शु कएलि। बाब ुल दादाक गुलक बला पान नीको ब लागि। तकराबाद बाब ुल दादा अरिरयाक लग पासक सभटा ाइव ुडक फैरीक िल दऽ देलकि। मुदा फैक्ी सभक पहु ँचबाक रोड सभकभगवा मािलक रहिथ। ध ूल-धरमे कहुना जाऽ कय एकटा फैरीक पता चलल जे ण र्ाइकेँ साइ दैत छल, ओतुा दरबानआिणकेँ कहलकि जे मािलक दोसर फैरीमे बैसैत छिथ, से द ू टा फैक्ीक पता चिल गेलि आिणकेँ ।आिण थाकल-हारल ओिह फैरीमे पहु ँचलाह। एक गोट मारवाड़◌ी सन बैसल रहिथ।“कतयसँ आयल छी”।”आयल तँ पटनासँ छी, मुदा घ ुरब कोना से निह बिझ ु पड़◌ैत अिछ”।” हँ, एक गोट ताक जेलसँ बाहर गोली मािर कय हा कऽ देल गेल। ताजी रहिथ तँ जेलमे मुदा घ ुमय िफरय पिण ू र्या ँजेलसँ बाहर िबना िनयमक िनकलल रहिथ। जेलर की करताह। िपछला मास एक गोट कैदीकेँ पुरनका जेलर घ ुमय हेतु निहदे छलिथ तँ भा बजारमे गोली मािर देलकि पुरनका जेलरकेँ । एिह बेर जे घ ुमय देलिख तँ सरकार सेड कऽदेलकि नवका जेलरकेँ । तािह हाक बाद बक आान अिछ। हमरा संगे रहू। एतय हमहू अपन गे हाउसमे रहैतछी। पिरवार िसलीगुड़◌ीमे रहैत अिछ। िववाह निह भेल अिछ। भोरमे हमरा कलका जयबाक अिछ। पिह िसिलगुरी अपनगाड़◌ीसँ जायब तँ ट बदिल कऽ पिण ू र्या ँ बस ैमे अहा ँकेँ छोड़◌ैत जायब”।युवा बजर रहिथ से आिणकेँ नीक लगलि। राितमे गे हाउसमे बहुत ग भेलि। ताक र ंगदारीक, चा बला सभजबद र्ी रसीद कािट जाइत छलि।“एनामे तँ िबना ेनडेाइन कए घाटा भऽ जायत, हँ मजब ूरी छैक। आऽ तकर दोषी तँ ई ता सभ छिथ। ापारी कीकरओ”।आब मारवाड़◌ी युवा जकर नाम नवल छल कक कनिछया कऽ आिण िदिश देखलक। आिणकेँ भेलि जे ओकरा को श ंकातँ निह भेलैक।“ निह ेंडेाइन निह करबाक तँ िसा ंत अिछ हमरा सभक। हँ िकछु एडजेमेंट करय पड़◌ैत अिछ”।आिणकेँ मोन पडलि जे कोना ण र् ाइक मािलको बजैत-बजैत बािज दे छल, जे करबो करब तँ ेनडेाइन िरम ूवलकरब।तखन करैत की जाइत अिछ ई सभ। ओना अरिरयाक ई फैरी ण र् ाइक हेतु ज◌ॉब वकर् करैत छल, आऽ तािह हेतुसरकारी ूटीक सभ भार ण र् ाइ पर रहैक। ई ेनडेाइन किरयो कऽ की करत। टै तँ दोसराकेँ देबाक छैक।तख एकटा फोन अयलैक। िर ंग नमगर रहैक से संकष र्णकेँ ब ुझबामे भा ंगठ निह भेलि जे ई बाहरक एस.टी.डी.क◌ॉल अिछ।ओिह क◌ॉलक बाद एकाएक ओऽ युवा आिण िदिश तािक कय चुी लगाऽ गेल।63


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्भनिसया जकरा नवलजी “झा” किह संबोिधत कऽ रहल छलाह, खेनाइ बिन जेबाक स ूचना देलकि। आिण आऽ नवलक बीच माऔपचािरक गप भेल। फेर द ुन ू गोटे सित ू गेलाह। भोरमे अपन वचनक असार ओऽ युवा आिणकेँ पिण ू र्या ँ बस ै छोड़ि◌देलकि। उतरबासँ पिह आिण नवलसँ पुछलि।“कलकामे ण र् ाइक ऑिफस छैक। ओतिह जाऽ रहल छी की”।ओ’ युवा हँसल।“ अहा ँ िविजलेंस सँ छी। हमरा काि जे एस.टी.डी. आयल छल, से ण र्-ाइक कलका ऑिफससँ आयल छल। अहा ँक िवभागेको गोटे हुनका सभकेँ अहा ँक अरिरया यााक िवषयमे स ूचना देलिख। देखू हम कह छी जे हम मा एडजेमेंट करैतछी। आऽ तािहसँ हमरा कोन फायदा होइत अिछ? टै तँ हमरा लगैत निह अिछ। हँ तािहसँ हमरा काज भेटैत अिछ।आऽ बाहरी छोट-मोट खचा, र् िवभागक, पुिलसक, ताक िनकिल जाइत अिछ। तखन बेश”।ई किह ओऽ सन आिणकेँ हतभ करैत चिल गेलाह।आब पटना पहु ँिच कय आिण जखन ऑिफस पहु ँचलाह तँ सभकेँ ब ुझल रहैक जे आिण तािह फैक्ीक िविजट सरकारी खचा र् परकएलि अिछ, जकरा पर सरकार टैक माफी दे छैक।डायरेसँ भेँट कएलाक बाद आिण पहु ँिच गेलाह फेरसँ कलका। पुिलस थानामे घ ुमैत रहलाह आऽ पता करैत रहलाह जेण र्-ाइ आिक ओकर को कम र्चारीक िव को केस छैक तँ निह। मुदा ओतय तँ ण र् ाइ ब नीक छिव शुएसँ बछल। आब संकष र्ण सोचमे पड़ि◌ गेलाह। इनपुट-आउटपुट केर अपातसँ ई कं पनी करोड़◌ो पयाक टैक चोिर कए रहलअिछ। मुदा माण को निह।आिण ओतुा थाना सभमे अपन पता आऽ फोन नंबर छोड़ि◌ देलि, जे जौ ँ को केस एिह कं पनी िकं वा एकर कम र्चारीकसंब ंधमे होय तँ तकर स ूचना हुनका देल जाइ।अपन लोकल डायरेरसँ कहलिख, जे ोजर िरपोट र् अखन निह देब। देखैत छी िकछु जानकारी कतहु सँ भेटैत अिछ िकनिह।छह मासक बाद।भोरमे एस.टी.डी. केर िर ंग भेल।” हम कलका, साल्ट लेक थाना सँ बािज रहल छी। एक गोटे एकटा कमेन िलखे छिथ, जे ण र्-ाइ ऑिफससँ पेमेट लऽकऽ घ ुरैत काल हुनकर स ूटकेस ऑटो बला छीिन लेलकि, जािहमे िकछु कैश आऽ चेक छलि”।” कतेक कैस आऽ कतेक चेक”।”१.७९ लाख कैस आऽ १.८३ लाखक चेक, ायः कैसक को इनोरेंस रहि, तािह ारे एफ.आइ.आर. करओलि अिछ। चेककतँ पेमेंट ◌ॉप भऽ जायत”।आिण टीमक संग ओिह गोटेक घर पर छापा माड़लि जकर पाइ आऽ कैस ऑटो बला छीिन ले छल।छापाक बीचमे संकष र्णकेँ एकटा डायरी भेटलि। तकरा बाद पटना फोन कऽ अरिरयाक फैरीसँ नवीनतम िरम ूवलक िरटन र् म ँगालेलिथ। फेर ओऽ सन िजनका घर पर छापा पड़ल छल केँ ऑिफस अनलि। रामे पता चलल जे ओऽ सन नवलकबहइ छलाह, आऽ अरिरयाक फैरीक एकाउटेट होयबाक संगिह, ण र्-ाइक संग ओकर लाइजन अिधकारी सेहो छलाह।64


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आब सभ त सोँझा छल। जे डायरी भेटल छल तािहमे कैस आऽ चेकक क◌ॉलम बनल छल। ितिथ सिहत िववरण छल।चेकक भुगतानक क◌ॉलम अरिरया फैरीक ियरेंससँ िमिल गेल छल, आऽ ईहो िस भऽ गेल जे सभ ा ंजेनमे लगभगअदहाक पेमेंट ण र्-ाइ ारा कैसमे देल जाइत छल। आऽ तकर िववरण निह तँ ण र्-ाइक खातामे रहैत छल आऽ निहयेअरिरयाक फैरीमे। ण र्ाइ टै सेहो मा चेकक (पिकया) ारा गेल अदहा िरम ूवलक पेमेंट पर दैत छल। संकष र्ण ईिरपोट र् लोकल डायरेर केँ दऽ देलि।एकाउटेटक अपराध बेलेबल छलैक। कोट र् ओकरा बेल पर छोड़ि◌ देलकैक।”नवलक समाचार कहू। ब नीक लोक अिछ। मुदा िकछु बतेलक निह”।” ओकर काि अरिरयासँ िसीगुड़◌ी जाइत काल सड़क द ुघ र्टनामे मृु भऽ गेलैक िकं वा करा देल गेलैक। जमाय बाब ूक संगएतयसँ सोझे हमरा सभ ओतिह जायब”।एक गोट उेिजत र जे एकाउटेट बाब ू केँ लेबाक हेतु आयल छल बािज उठल।“ मुदा ई बिझ ू िलअ जे अहा ँक ई सफलता हमर ब ुरबकीसँ भेटल अिछ। जौ ँ हम कैसक इनोरेंस ेमक लालचमे निहपड़ि◌तहु ँ तँ ई सभ निह होइत”। जमाय बाब ू बािज उठलाह।डायरेर ण र्ाइक िव काय र्वाहीक लेल ऑडर्र देलि। ण र् ाइक िव करोड़◌ोक पैयाक टै घोटालाक शो-क◌ॉजिटस सेहो पठा देल गेल। आिण िचंताम छलाह।“ ठीके तँ कहलक नवल। एडजेमेंटे तँ कऽ रहल छल। चोिर तँ ो आन कऽ रहल छल। ओऽ तँ मा माम छल।हमहू तँ कतहु निह बिन गेल छी माम, नवलक मृुक”।आिणक वसाियक सफलताक बाद करी म सेहो सफलताक शुआत भऽ गेल। माम बनिथ वा निह मुदा िपता जेका ँहारताह निह। मोन पड़◌ैत रहि हुनका सभटा गप बीच-बीचमे-“कहलहु ँ सुत िछयैक। बेटी पैघ भ’ रहल अिछ। बेटा सभक लेल िकछु निह कएलहु ँ। अपन घरो निह बनल। िरटायरभेलाक बाद कतय रहब।“” बेटीक िचा निह क। बेटा बलाऽ अप चिल कए आयत। हमरा सभकेँ जतेक सुिवधा भेटल छल, तािहसँ बेशी सुिवधािहनका सभकेँ भेिट रहल छि। तखन पढ़◌्थ ु वा निह से ई सभ जानिथ। िरटायरमेटक बाद गाम जाऽ कय रहब। सातज शहर िदिश घिम ु कए निह आयब”।“ो सर-कुटुम अबैत छिथ तँ हुनका सार करबा लेल घरमे इ ंतजामो निह रहैत अिछ।“” इ ंतजाम करबाक की जरित अिछ। एक पैली बेशी लगाऽ िदयौक अदहनमे।“आिण मायबापक एिह तरहक वाा र्लाप सुिन पैघ भेलिथ। एक बेर ह◌ॉीटलमे िपताजीकेँ देखय लेल एक गोट कुटु आयलरहिथ। हुनकर गप सेहो िकछु एह ब ुझा पड़लि।” की कऽ लेलहु ँ शरीरकेँ । ई बा सभकेँ देिख कए मोहो निह भेल। कतय पढ़◌ैत जाइत ई सभ। आऽ को टा सुिवधा,निहये को टा िचे छल अहा ँकेँ । अप आऽ एकरो सभक िजनगी बबा र्द कएलहु ँ।“तख वधान भेल। पी कहलिख जे एकटा फोन होल्ड अिछ-“आिण। एकटा पैघ राजनीित चिल रहल अिछ ऑिफसमे। अहा ँक िव षं चिल रहल अिछ। अहा ँकेँ चेतेनाइ हमर काजछल। मुदा अहा ँ तँ को तरहक ितिया दैते निह छी।“ फोन पर एक गोट िहतैषीक आवाज सुिन रहल छलाह आिण।65


ँ<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्”आिण। की भऽ गेल। बाब ूजी जेका ँ डरायल रहब। िकछु िदका बाद हािर मािन ऋिष भऽ जायब। आिक द ुक संहारकरब। एिह द ुन ूमे की चुनब अहा ँ।“”िचा निह क। “ हँसैत बजलाह आिण फोन पर, आऽ फोन रािख देलि।ऑिफसक एकटा ल◌ॉबी आिणक पा ँछा पड़ि◌ गेल छल। ा ंसफर-पोिंग केर बाद आिणक ऊपर दवाब आिब गेल छल। िकछुगोटे हुनकर िव िबना-को आधारक िकछु कम्ेन कए दे छलि। एकटा ऑिफसर शशा ंक केर हाथ छलैक एिहमे। ओकरखास-खास आदमीक पोिंग मोन-मुतािबक निह भेल रहय आऽ ओऽ ोमोशनमे आिणकेँ पाछा ँ करए चाहैत छल। एिह बीचमेआिणक फोन िकछु िदन डेड छलि। तकरा बाद हुनकर फोनसँ अब ुधाबी आऽ द ुबइ फोन कएल गेल छल। मुदा ओिह समयमेसरकारी फोनमे आइ.एस.डी. केर सुिवधाक हेतु टेलीफोन िवभागकेँ सिचत ू करए पड़◌ैत छल। हुनकर ऑिफसक एकटा शासिनकअिधकारी टेलीफोन िवभागकेँ िची िलिख कए ई सुिवधा आिणक जानकारीक िबना करबाए दे छल। िवजीलेंसक जा ँचमे ओऽबयान दे छल जे आिण एिह ऑिफसक मु छिथ, आऽ हुनकर मौिखक आदेशोक पालन करए पड़◌ैत छि हुनका। सेआइ.एस.डी. केर सुिवधाक लेल टेलीफोन िवभागकेँ ओऽ आिणक मौिखक आदेश पर िची िलख छलाह। मािफया ओकरा तोड़ि◌ले छल आऽ ओिहमे ओऽ शासिनक अिधकारी अपनाकेँ सेहो फँसा ले छल।सोम िदन फै आयल आऽ आिणक ा ंसफर भऽ गेल।”िरजें ट क एिह आदेशक िव”। वैह िचरपिरिचत र, मणीक।“अहूँ कोन झमेलामे पड़ल छी। सभ ठीक भऽ जायत”। बजलाह आिण फोन पर।शशा ंकक घर पर पाटीर् भेल।”िमर आिण िरसेट तक निह कएलि। िरलीव भऽ कए चिल गेलाह। ब ुझ ू सरेडर कए देलि अपनाकेँ ”।”ोमोशन ब ुझ ू जे दस साल धिर कल रहति। सीिनयिरटी मारल जएति। बदनामी भेलि से अलग। सुत छी जे फोनपर द ुबइक गलर सभसँ गप करैत छलाह”।-------------------------------------------------------------------ओर आिणकेँ अपन बाब ूजीक ा ंसफर, ईमानदारीक लेल कएल संघष, र् संघष र्क िवफलता आऽ तकर बाद हुनकर तं-िवा आऽप ूजा-पाठक िदिश अपनाकेँ ओझरायब आऽ घर-ार,ऑिफस आऽ सा ंसािरकतासँ िवरिक् मोन पड़ि◌ गेलि। एिह सभ घटनामकबाद हुनकर मुँह पर जे िचाक रेखा आयल छलि। मुदा से बेशी िदन धिर निह रहलि आिणक मोन पर। हािरकेँजीतमे कतोक बेर बदल छलाह ओऽ। करीयोमे आऽ ओिहसँ पिह वसायमे।” की यौ मणी। को फोन-फान निह। ेटसँ बाहर ा ंसफर भऽ गेल तँ अहा ँ सभ तँ िबसिरये गेलहु ँ”।” हम की, सभ ो िबसिर गेल अहा ँकेँ एतय”।“अहा ँ की ब ुझलहु ँ। जे हम सेहो िबसिर गेल छी। अहा ँकेँ मोन अिछ। हम जखन इ ंटरक बाद बाब ूजीक इाक िव िवज्ञानछोड़ि◌ कए कला िवषय ले छलहु ँ। िवज्ञानक सभटा िकताब ११ बजे राितमे पोखड़ि◌मे फें िक दे छिलयैक। कोटाअवशेषो निह छोड़ छलहु ँ ओिह िवषयक अपन घरमे। आऽ जखन कला िवषयमे थम णी आयल छल तखन गेल छलहुगाम। तकरा पिह कतेक बिरयाती छोड़ छलहु ँ, कतेक ज-मृु। मुदा गाम निह गेल छलहु ँ”।” एह भाई। अहा ँकेँ तँ सभटा मोन अिछ। हमरा तँ भेल जे अहूँ काका जेका ँ भऽ गेलहु ँ। ई सभ क्षमाक यो निहअिछ। कक देखाऽ िदयौक। आब हमरा िवास भऽ गेल जे िकछु होयत”।” फेर वैह गप। जखन अहा ँ निह बदललहु ँ तखन हम कोना बदलब। छोड़ छलहु ँ िकछु िदन अपनाकेँ । आब सुन ू। जे कहैतछी से टा क। बेशी बाजब जिन। ु जािह समयक क◌ॉल हमर टेलीफोनसँ बाहरी देश कएल गेल छल, ओिह समयमे तँ हमर66


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्टेलीफोन खराब छल, ई तँ अहा ँकेँ ब ुझले अिछ। घरसँ टेलीफोन िवभागकेँ कम्ेन सेहो िलखबाओल गेल छल। मुदा सेटेलीफो पर िलखबाओल गेल छल। को िलिखत प आऽ ओकर ाि रशीद तँ अिछ निह। मुदा ई पता क जे एिहतरहक कम्ेनक को रेकाडर् टेलीफोन िवभागक लग रहैत छैक की निह।“मणीक फोन आयल िकछु िदका बाद जे फोन िवभाग एक महीनाक बाद कम्ेन नंबर फेरसँछैक। से ई काज निह भेल।एक सँ देब शु कए दैत” बेश तखन ई पता क, जे हमर नंबरसँ ककरा-ककरा कोन-कोन नंबर पर िवदेश फोन कएल गेल छल। आऽ ओिहिवदेशीक फोन कोन-कोन नंबर पर आयल अिछ”।”हँ। एिह गपक तँ हमरा सुरते निह रहल”।आब मणी जे टेलीफोन नंबरक स ूची अनलि, से सभटा टेलीफोन ब ूथ सभक छल। मुदा को टा क◌ॉल आिणक नंबर परनिह आयल छल।िवजीलेंसक सुनबाहीमे ई सभ वण र्न जखन आिण कएलि, तखन शशा ंक हतभ रिह गेलाह। ई तँ नीक भेल जे शशा ंककआदमी सभ ब ूथ बलासँ संपकर् रख छल, निह तँ ओहो सभ फँसैत आऽ संगिह शशा ंकोक नाम अबैत एिह सभमे। अु आिणजा ँचसँ बाहर िनकिल गेलाह।-----------------------------------------------------------------------“ भाइ। हम मणी। ओकरा सभकेँ तँ िकछु निह भेलैक।“”हमर ा ंसफर िदी भेल अिछ। देखैत छी। अहा ँ िनिंत रहू।“”हम तँ ओिह िदन िनिंत भऽ गेलहु ँ जिहया अहा ँ पुरनका गप सभ सुलहु ँ। काकाक अपमानक बदला अहा ँकेँ लेबाक अिछ।मा िक् सभ बदलल अिछ। चिर सभ वैह अिछ”।--------------------------------------------------------------------िदीमे आिण िवजीलेंस िवभागक स ूचना-ौोिगकी शाखामे पदािपत भेलाह। एिह िवभागकेँ शिट ं ंग पोिंग मानल जाइतछल। िवजीलेंसक एनायरीसँ बाहर िनकललाक बादो आिण एिह पोिंगके चुनलि, से एिहसँ तँ ईएह िस होइत अिछ, जेआिण थािक गेलाह। पा ँच साल कोनमे बैसल रहताह। शशा ंकक ुप फु छल।एर आिण अपन िवज्ञानक छोड़ल पाठ फेरसँ शु कएलि। भिर िदन कम्ुटर आऽ ओकर तकनीकी िवशेषज्ञ सभसँ िभड़लरहिथ। ओहो लोकिन बहुत िदनक बाद एहन अिधकारी देख छलाह जे िभड़ल अिछ, काजसँ। दोसर लोकिन तँ कोहुना टम र् प ूण र्कए भागैत छिथ।ओना देखल जाय तँ ई िवभाग ब संवेदनशील छल। आब आिणक अपन िवभागक सभ कम र्चारीसँ बेश िनकटता भऽ गेलछलि। सभक आवेदन समयसँ आगू बढ़◌ैत छल। सभटा ऑिफसक इिपमेंट नव आबय लागल। पिहलुका ऑिफसर सभ तँसमय कािट भागय केर फेरमे रहैत छल आऽ ऑिफसक आवक आवकता सेहो प ूण र् निह करैत छल।ऑिफसमे एकटा इिपमेट आयल छल, एटी करप्शन रोकय लेल। एिहमे गलर सभक फोन टेप करबाक सुिवधा छल।िकछु िदन समय तीत होइत रहल।”मणी। को फोन-फान निह”।”हम आब िनि छी”।67


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्”हँ समय आिब गेल अिछ। एकटा काज क रक संग शशा ंकक संब ंधक संब ंधमे एकटा ूज िनकलबा िदऔक अखबारमे। आगा ँसभ चीज तैयार अिछ”।ओर अखबारमे खबिर िनकलल, आऽ म ंीक जन संपकर् पदािधकारी जकर काज िवभागक खबिरकेँ अखबारसँ कािट कए म ंी धिरपहु ँचायब छल, ओऽ ििपंग म ंीजी लग पहु ँचाय देलि। समय समीचीन छल कारण िवभागीय म ंीजी पर ढेर आरोप ओिह समयआयल छलि,संसदक स चिल रहल छल, से ओऽ को तरहक िर निह लेलि। इ ंायरीक ऑडर्र दय देलि।िविजलेंस िवभागमे केश आयल। ओकर आ ंतिरक बैठकी होइत छल, जािहमे ौोिगकी िवभागकेँ सेहो बजाओल जाइत छल।सभ केशमे मोटा-मोटी ौोिगकी िवभाग अनािधकार ामाण प दए दैत छल। आऽ केश इ ंायरीक बाद समा भऽ जाइतछल।मीिट ंगक ितिथ तय भेल। मीिट ंगमे आिण िविजलेंस कमेटीक सदक पमे शािमल भेलाह।”शशा ंक पर को तरहक को आरोप िस निह होइत छि। आिण अहा ँक िवभागकेँ टेलीफोन टैिपंगक उपकरण उपलकरबाओल गेल छल। मुदा अपन ऑिफसमे तँ फै मशी ६ मास िकनाकय राखल रहलाक बाद लगाओल जाइत अिछ, तखन ईमशीन एख राखले होयत आिक िकछु कं वशे र्शन रेकाडो र् भेल अिछ”।”ीमान। ई मशीन एिह मासक पिहल ितिथकेँ आएल आऽ ओिह ितिथसँ एकर उपयोग शु भऽ गेल। एिह केशमे जािहगलरक नाम आयल अिछ, ओकर नाम ओिह स ूचीमे अिछ, जकर क◌ॉल रेक◌ॉडर् करबाक आदेश हमरा भेटल छल। शशा ंकककं वशे र्शन एिह िक्सँ निह केर बराबड़ अिछ। आध-आध िमनटक द ू टा कं वशे र्शन। दोसर कं वशे र्शन बजे राितक छी आऽएिह कं वशे र्शनक बाद ओिह गलरक फोन अपन कम र्चारीकेँ जाइत छैक, आऽ ताहूमे मा आध िमनट ओऽ लगबैत अिछ”।” ई कोन तारीखक अिछ”।”पा ँच तारीखक”।” छह तारीखक भोरमे एिह गलरक ओिहठाम रेड भेल छल, आऽ िकछु निह भेटल छल। ई सभ फोनक िडटेल िदअआिण’ ।”पिहल क◌ॉलमे शशा ंक कहैत छिथ, जे साढ़◌े आठ बजे घर पर आिब कए भेंट क। ब जरी गप अिछ। दोसरकं वशे र्शनमे ओऽ बजे तमसाइत कहैत छिथ, जे बािज गेल आऽ अहा ँ एखन धिर निह अएलहु ँ। एिहमे उर सेहोभेटैत अिछ, जे ओऽ गलर शशा ंकक गेट पर ठाढ़ अिछ”।” तेसर फोनमे की वाा र्लाप अिछ”।” तेसर फोन ओऽ गलर अपन ऑिफस ाफकेँ साढ़◌े बजे करैत अिछ। ओऽ कम र्चारीकेँ आदेश दैत अिछ, जे तुरतऑिफस आऊ, हमहु ँ पहु ँचैत छी। बस एकर अितिर िकछु निह। को एवीडेंस निह भेिट सकल एिह केसमे। कहू तँ हम ऑेन सिटिफकेट र् दए िदअ”।”आिण। की कहैत छी अहा ँ। अहा ँक िवभाग तँ आइ तक को काज निह कए छल, मुदा आइ तँ सभटा कड़◌ी जोड़ि◌देलहु ँ अहा ँ। शशा ंक फोन कएलक जे भेंट क। दोसर फोन पर ओऽ िक् ओकर गेट पर ठाढ़ छल। तेसर फोनमेओकर कम र्चारी ऑिफस ओतेक राितमे की करए जाइत अिछ। रेडक खबड़ि◌ शशा ंक लीक कएलि। ओऽ कम र्चारी सभटा कागजहटा देलक, आऽ हमर िवभागक ऑिफसर भोरमे छु हाथ घिर ु कए आिब गेलाह। आब एकटा फोन आर क। शशा ंकक नंबरटेप तँ निह भऽ सकल छल, मुदा ियाक असार ओकर आवाजक सैंपल मैच करबाक चाही। ओऽ फोन उठायत तँ गलत नंबरकिह कािट िदयौक”।”सैह होयत”।तख ई िया कएल गेल।“ई तँ ओपन आऽ शट केस अिछ”। िवजीलेंस कमेटीक अक्ष महािनदेशककेँ बतओलि। महािनदेशक शशा ंककेँ बजबओलि आऽओकरा द ू टा िवक देलि।68


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्”शशा ंक एिह सभ घटनाक बाद अहा ँ लग द ू टा िवक अिछ। िवभागसँ कं पलसरी सेवा िनवि ृ लेबय पडत अहा ँकेँ । निह तँइ ंायरी आगा ँ बढ़त”।शशा ंक कं पलसरी सेवािनवि ृ लए लेलि। िवभाग छोड़ि◌ कए चिल गेलाह।” भाइ मणी। को फोन-फान निह”।”भजार। हम तँ ओिह िदन िनिंत भऽ गेल छलहु ँ जािह िदन हमरा ब ुझबामे आओल, जे अहा ँकेँ बाक सभटा गप मोन अिछ।काका आऽ अहा ँमे को अंतर निह। मा मा द ू तरहक रहल। एिह िवजयक मा पर अहा ँ चली तािह हेतु, कतेकभरकाबैत छलहु ँ अहा ँकेँ से मोन अिछ । मुदा ओिह िदन जखन हमरा अहा ँ बाक गप सभ कहए लगलहु ँ तिहये िनि भऽगेल छलहु ँ हम”।पढ़◌ाइक ाफ िपताक मोनक संग बत-िबगड़◌ैत रहैत छलि। मुदा घिर ु कए पुनः ल ा करैत छलाह। करीमेरिहतहु ई घटना एक बेर भेल छल। एकटा सरकारी यााक बाद भेल एीडेट, १५ िदन धिर वेंटीलेटर पर,फेर एक साल धिरबैशाखी पर रहलाक बाद, पुनः अपन पैर पर ठाढ़ भऽ गेलाह। मृु पर िवजय कएलि।मुदा डेढ़ साल बाद जखन ऑिफसअएलाह तखन लोककेँ िवासे निह भेलैक। मुख पर वैह िचरपिरिचत हँसी। लोक सभ तँ ईहो कहैत छल जे ई एीडेंटभेल निह छल वरन ् करबाओल गेल छल। कारण नवलक एीडेंटक तुरत बाद भेल छल ई एीडेंट।२. ोितकेँ www . poet r y . c omसँ संपादकक च◌ॉयस अवाडर् (अंजी पक हेतु) भेटल छि। हुनकरअंजी प िकछु िदन धिर wwwpoet . r ysoup. com केर मु प ृ पर सेहो रहल अिछ। ोित िमिथला िचकलामे सेहोपार ंगत छिथ आऽ िहनकर िचकलाक दश र्नी ईिलंग आट र् ुप केर अंतत ईिलंग ◌ॊडवे, लंडनमे दिश र्त कएल गेल अिछ।िमिथला पेिट ं ंगक िशक्षा सुी ेता झासँ बसेरा इ ंीूट, जमशेदपुर आऽ लिलतकला तूिलका, साकची, जमशेदपुरसँ। शनलएशोिसएशन फ◌ॉर ब्लाइड, जमशेदपुरमे अवैतिनक पेँ प ूव र्मे अापन।ोित झा चौधरी, ज ितिथ -३० िदसर १९७८; ज ान -बेवार, मध ुबनी ; िशक्षा- ामी िववेकान िम िडल ूल◌़ िटोसाकची गर् हाई ूल◌़, िमसेज के एम पी एम इटर कालेज़, इिरा गाी ओपन यिनविस ू र्टी, आइ सी डबू ए आइ (क◌ॉएकाउेी); िनवास ान- लन, य.के.; ू िपता- ी शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। ''मैिथली िलखबाकअास हम अपन दादी नानी भाई बिहन सभकेँ प िलखबामे कए छी। बेसँ मैिथलीसँ लगाव रहल अिछ। -ोितपा ंचम िदन :२९ िदसर १९९०, शिनवार :आिह भोरे उठैमे ओते उाह निह ब ुझाइत छल। कारण लागै छल जे टूर आिहये समा भऽ रहल अिछ।कलका लेल अतेक मोन लागल छल आ आिह कलकामे अंितम िदन छल। सब सामान पाती लऽ बसमे सवार भऽ गेलहु ं।इिडयन ं गाडेर्न आर िवोिरया मेमोिरयल के लग सऽ होइत इिडयन ं ूज़ि◌यम पहु ंिच गेलहु ं।इिडयन ं ूज़ि◌यम :् ू ू ंई भारतक सबसऽ पैघ संहालय अिछ।अकर ापना २ फरवरी १८१४ ईसवीमे भेल छै। तहन ई एिशयािटकसोसाइटीमे रहै। सन १८७८ ईसवीमे ई वर्मान ान पर मा द टा गैलेरी संगे ािपत भेल।आब अिह द मिजला िवशालभवनमे साइठोटा गैलेरी छै। अकर थम ूरेटर नथेिनयल वैिलक ( Nat hani el Wallich) छलैथ जे डेनमाकर् सऽ आयलछलैथ।69


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अत सबसऽ पिह रानी िवोिरयाके बहुत पैघ मिर्ू छै।तकर बाद भगवान ब ु के िविभ प महावीर नागराजगश कामदेव मिहषामिद र्नी द ुगा र् पाव र्ती िशव नटराज इािदक अिताचीन ितमा राखल छल।ई सब मयुगके मिर् ू छै। एहेमिर् ू सब छै जकर िवषयमे बेसी ज्ञात निह भऽ सकल छै जे ई कोन युगक अिछ वा ककर अिछ। ओत फोटो िखंचनाई मनाछल लेिकन कतेक िचकार सब ओत नीचा बैसकऽ मिर्क ू ेच उतािर रहल छलैथ। पुछला पर पता चलल जे ओसब कथ ुपरिरसच र् क रहल छलैथ। अको श ैलीमे बनल म ू◌़ितर् िवरािजत छल जेनािक पाल श ैली गुोर श ैली किलया श ैली आिद। नाशीकैल सेहो राखल छल।बगलक ह◌ॉलमे मुाक संह छल।आहत कैशवी पयाल मालवा मथ ुरा नागकू ड़ इाकु किन कुषाण गु आिदके िविभमुासब राखल छै। उपरक मिजलमे ं िम वला कक्षमे द ु टा ममी राखल छल।हमसब द ू तीन गोटय िनयमके िव ओकरा छूबोकेलहु। अिगला कक्षमे कैओ हजार वष र् पुरान पक्षीसबके कं कालके सुरिक्षत राखल गेल छल।६० करोड़ सऽ लऽ कऽ २०० करोड़वष र् पुरान जीव सब जे आब पाथर भऽ गेल छल िवशेष तरीका सऽ सुरिक्षत राखल गेल छै।अत हाथी ऊं ट आिदके कं कालसुतुरमु िगलहरी आिदके शरीर के सुरिक्षत राखल गेल अिछ। अतऽ संरिक्षत सामानक िवशालता एवम ् िविवधताक वण र्न एकपा की एक पुक मे केनाइ सव निह लागैत अिछ। ओतय सऽ िनकिल हमसब भोजन केलहु आ फेर तारकेर िदस ानकेलहु। भिभाव के जागृत केलहुतारकेर िदस िवदा भऽ गेलहु।रा मे भारतक िवपताक दश र्न केलहु ब ंगालक ामीणइलाकाके पमे।तारकेर :तारकेर मे िशविलंगक प ूजा होइत अिछ।कलकासऽ लगले सेरामपुर लग ई पिव ान अिछ। बहुत ालु अत क◌ॉ◌ंवरलऽ कऽ सेहो आबैत छिथ।कहल गेल अिछ जे अिह िशविलंगक खोज पशु सब ारा भेल अिछ। लोक सबके पता चलल जेगामक सब गाय सब जंगलमे जा एक ानपर अपन द ूध ेा सऽ दऽ आबै छल। तहन ओिह जगहके साफ केलापर पता चललजे ओतय िशविलंग िवराजमान छल। तहनस ओिह िशविलंगके प ूजा हुअ लागल। तारकेर पहुिचकऽ पंिडत सबहक दिक्षणाक ितजे लोभ देखलह◌ॅ◌ं से मोनके बेसी िथत करै बला छल।ईरक ितमाके दश र्न करैलेल दानक शतर् राखऽबला पंडा सबसऽबहुत दिखत ु भेलहु। ज◌ॅ◌ं दान मिरके देख-रेखके लेल आवक अिछ तऽ भके ेा आ ा सऽ हुअके चाही। आईबाकी समय यैह सोचैत रहलहु जे धािम र्क रीित-िरवाज़के दाम लगाकऽ धािम र्क आाके बेचपर रोक लगनाइ कतेक आवकअिछ। अथा अिह देशके की हैत।१. ी रामभरोस कापड़ि◌ "मर २. . ी राजकमल चौधरीी रामभरोस कापड़ि◌ “मर” (१९५१- ) ज-बघचौरा, िजला धषा (पाल)। सम्ित-जनकपुरधाम,पाल। िभुवन िविवालयसँ एम.ए., पी.एच.डी. (मानद)।हाल: धान सादक: गामघर साािहक, जनकपुर एस दैिनक, आ ंज ुर मािसक, आ ंगन अर्वािष र्क (काशक पाल ज्ञा ितान,कमलादी)।मौिलक कृित: बकोठरी: औनाइत धँआ ु (किवता संह), निह, आब निह (दीघ र् किवता), तोरा संगे जएबौ रे कुजबा (कथा संह,मैिथली अकादमी पटना, १९८४), मोमक पघलैत अधर (गीत, गजल संह, १९८३), अन अनिचार (किवता संह, १९९० ई.),रानी चावती (नाटक), एकटा आओर बस (नाटक), मिहषासुर मुदाबाद र् एव ं अ नाटक (नाटक संह), अतः (कथा-संह),मैिथली संृित बीच रमाउं दा (सा ंृितक िनब सभक संह), िबसरल-िबसरल सन (किवता-संह), जनकपुर लोक िच (िमिथलापेिटस), ं लोक ना: जट-जिटन (असान)।पाली कृित: आजको धषा, जनकपुरधाम र यस का सा ंृितक सदाह (आलेख-संह), मरका उृ नाटकह(अवाद)।सादन: मैिथली प संह (पाल राजकीय ज्ञा ितान), लाबाक धान (किवता संह), माथ ुरजीक “िशुली” खका (किव .मथ ुरान चौधरी “माथ ुर”), पालमे मैिथली पकािरता, मैिथली लोक न ृ: भाव, भंिगमा एव ं प (आलेख संह)। गामघर70


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्साािहकक २६ वष र्सँ सादन-काशन, “अच र्ना” सािहिक संहक १५ वष र् धिर सादन-काशन। “आ ँज ुर” मैिथली मािसकक सादनकाशन, “अंज ुली” पाली मािसक/ पािक्षकक सादन काशन।अवाद: भयो, अब भयो (“निह आब निह”क म ाजाकीारा कयल पाली अवाद)सान: पाल ज्ञा ितान ारा पिहल बेर १९९५ ई.मे घोिषत ५० हजार टाकाक मायादेवी ज्ञा पुरारक पिहलाकता र्। धानम ंीारा शिप एव ं पुरार दान। िवापित सेवा संान दिरभाारा सािनत, मैिथली सािह पिरषद,वीरगंजारा सािनत, “आकृित” जनकपुर ारा सािनत, दीघ र् पकािरता सेवाक लेल पाल पकार महासंघ धषाारा सािनत,िजा िवकास सिमित धषा ारा दीघ र् पकािरता सेवाक लेल पुरृत एव ं सािनत, पाली मैिथली सािह पिरषद ारा २०५९सालक अरािष्य र् मैिथली सेलन मुई ारा “िमिथला र” ारा सािनत, शेखर काशन “पटना” ारा “शेखर सान”, मधिरमाुपाल (काठमाौ) ारा २०६३ सालक मधिरमा ु सान ा। काठमाूमे आयोिजत साकर्रीय किव गोीमे मैिथली भाषाकितिनिध।सामािजक सेवा : अक्ष-तराई जनजाित अयन ितान, जनकपुर, अक्ष- जनकपुर लिलत कला ितान, जनकपुर,उपाक्ष- मैिथली ज्ञा ितान, जनकपुर, उपकुलपित- मैिथली अकादमी, पाल, उपाक्ष- पाल मैिथली थाई सा ंृितकपिरषद, सिचव- दीनानाथ भगवती समाज काण गुठी, जनकपुर, सद- िजा वाल काण सिमित, धषा, सद- मैिथली िवकासकोष, धषा, राष्ीय पाष र्द- पाल पकार महासंघ, धषा।पालमे कोशीक ताव: जल लयक िवभ दृजनकपुर। देिखते जेना करेज मुँहमे आबऽ चाहैत अिछ। भोासी पाड़ि◌ कानबाक मोन होबऽ लगैत छैक जखन टुटल-फाटल ािक, गोर, पिटआ िकं वा घरायशी धोती-सारीकेँ लपेिटकऽ बनाओल अ कमजोर ओत बला छावनीमे बैसल पचीसोहजार लोक अपन सभ िकछु गमा टुकुर-टुकुर सरकार आऽ राहतक बाट तकैत अिछ। कोशी पुलपर जाइते जेना एकटाझ ुरझ ुरी देहमे पैिस जाइत छैक- इएह कोशी नदी आ पुल अिछ जे दजर् ं गामकेँ बवा र्द कऽ वासी सभकेँ िवािपत बलकअिछ। मुदा ई की! कोशी तँ सुखल अिछ। वालुक ढेरी ओिहना देखाइत। ५६मे सँ लगभग अिधका ंश फाटक ख ुजल। मुदापािनक ओऽ बेग निह जे एिह मासमे कोशीमे देिख पड़◌ैत छल। तखन ब ुझबामे को भा ंगठ निह भेल रहय जे एकर ८०-८५ ितशत पािन कुसहाक टुटलाहा तटबक रे कुसहा, ीपुर, हिरपुर, लोकही, वीरपुर, भावारी, कटैया होइत सुपौल,सहषा, र् अरिरया मुँहे तवाही मचबैत भािग गेल अिछ।71


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कोशी प ूवो र्मे एिहना बाट बदलैत रहल। पिण ू र्या ँमे बहैत कोशी सुपौलमे कोना आएल। ता ंकक असार िवगत २५० वष र्मे ईअपन १२ गोट धाराक मामसँ १२० िक.िम.क मे मण करैत रहल अिछ। ई म प ूव र्सँ पिछमक िदश देखल गेल अिछ।एिह बेर ई पिमसँ प ूव र् िदश बढ़ल अिछ। तखन की आश ंका करी कोशी फेर एक बेर तवाहीक नव बाटपर बढ़ि◌ गेल अिछ।कहल जाइछ १६ अग २००८ केँ भारतीय अिधकारीकेँ पाल िदशसँ पिव ू र्तटबक खतरासँ अवगत करा देल गेल छल। २३अैल १९५४ ई.मे भेल पाल-भारत कोशी समझौतामे कोशी बराज आऽ द ुन ू तटबक देखरेख भारत सरकारकेँ करबाकछैक। से कोशी वराजसँ प ूव र् चकरघी धिरक ३४ िक.िम.क तटबमे ३२ िक.िम. के सार करबाक अिभभारा रिहतो भारतीयपक्ष ारा उपेक्षा कएल गेल जकर ई भय ंकर पिरणाम आएल अिछ। तटबक आयु २५ वष र्क मानल गेल अिछ। एहनमेलगभग ४८ वष र्क तटब मरत सारक अपेक्षा तऽ किरते छल। ताहुमे तटब कमजोर हयबाक माण एहुसँ लगाओल जाऽसकैछ जे ९ लाख ५० हजार ूसेक पािन छोड़बाक क्षमता कोशी वैरेजक छैक मुदा ओतुा िविधक सभक कथन छैक ४लाखसँ िनचे पािनक बहाब रहैक। तखन बाकेँ टुटब प ूण र्पेँ कमजोर बा िदश संकेत करैत अिछ।जेसे, जे हएबाक रहैक से भऽ गेलैक। आब तऽ बचल अिछ तँ मा तबाही। िवहारक वीरपुर, सुपौल, कटैया, भीमनगरआिदक िनकटवीर् ठामसँ िवािपत सभ कोशी वैरेजक प ू िव र्भाग, तटबक द ुन ू कात आऽ भारदह धिर पसरल अिछ। ई संावीसो हजार भऽ सकैछ। एकरा छानवीन कऽ िकछु िदनक बाद भारतीय अिधकारीकेँ िजा लगएबाक िवचार कएल जाऽ रहलअिछ।72


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओर भाबारी धिर जाएबला पुल क्षित भऽ गेल अिछ। मा पैदल आऽ साइकल याी ओऽ जाऽ पािब रहल अिछ।वजारक पिमी कातक सभ पी, कीघर पािनमे आधासँ बेसी डुबल अिछ। भावारीसँ आगा ँ जाएबला राजमा िकछुए द ुरक बादपािनमे डुिब गेल अिछ। लोक अकौ ं क सिह एक ठामसँ दोसर ठाम जाऽ रहल अिछ। नाव एकटा मा सहारा भऽ सकलअिछ।कोशी वैरेजक बाद बारह िक.िम. पर जाऽ कुसहा लग तटब टुटल अिछ। पिह असी फीट कहल गेल रहैक, एखन तीनिकलोमीटर कहल जाऽ रहल अिछ। टुटलाहा तटबक दिक्षणी छोर परसँ खड़◌ा भऽ देखलापर एकटा पैघ नदीक पमेपिरवितर्त भऽ चुकल कोशीक ई खतरनाक पक वेग एख अ वल छैक। एिहमे नािवक सभ नावकेँ धाराक बहाव िदशद ूर धिर लऽ जाऽ गमसँ पिव ू र् डुबान िदश मोड़◌ैत अिछ आऽ लगभग डेढ़-द ू िक.िम.क याा करैत फँसल लोक सभक िवचशुभिचक सभकेँ पहु ँचबैत अिछ। नावक किम सेहो खूब देिख पड़ल। मोटर बोटक तँ कथे निह।73


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्राहतक घोषणा सरकार कएलक अिछ। अमेिरका कएलक अिछ। असगिर उपे महतो ५१ लाख टका राहत कोषमे दऽचुकलाह अिछ। राष्पित, उपराष्पित, धानम ंी आऽ कतेको म ंी िनिरक्षण कऽ िचकल छिथ। सभ गोटे सुनसरीक दश र्नटाकऽ वाढ़ि◌क िवभीिषकाक अमान लगवैत छिथ। एक मा उपराष्पित भारदह अएलाह, कं कालनी मे राखल राहत केकदौरा कएलिन।काज सरीक शासिनक िनकाय सेहो कम निह कएलक अिछ। सरीक मुख िजा अिधकारी जीवछ िम अहोराी खिट कऽराहत आऽ सुरक्षाक ब िमलिवतो नाम सुनसरीके मा कहलासँ काजमे रमल लोकक हेतु अनसोहा ंत सन लगैत अिछ सेकहलिन। सरीक .िज.अ. िमक सियताकेँ भारदहक वीण ठाकुर सेहो उ म ूा ंकन करैत हमरा सु कएलिन जे बाढ़ि◌भािवत सभकेँ हरतरहक मानवीय सेवा करबामे सरीक सूण र् संघ संा ितब अिछ।िवािपत सभक िवच हमरा पशुिचिकक ड◌ॉ. इका झा भेटलाह। हुनका िवभाग एही काजक लेल काठमाूसँ पठौलकिनअिछ। पशुिचिकाक उिचत ब देखबाक हेतु ड◌ॉ. झाक सियता बढ़ल छिन। इहो काज सरीक पशुसेवा काया र्लय मुखड◌ॉ. कािशनाथ यादवक मे िशिवरसभ लागल अिछ। हुनका संग ड◌ॉ. च छिन।पुछलापर एखन कुाक काटल िनयिमत ५-६ गोट उपचारमे अवैत हयबाक बात ड◌ॉ. झा बतबैत छिथ। बाढ़ि◌क जे कोपभेल अिछ एिहमे िनमोिनया, डायिरया, जौीस, आिख ँ उठब सन रोग बढ़ि◌ रहल अिछ आऽ ागुते रोग, िचरिचरे रोग अएबाकप ूण र् संभावना छैक। एकरा लेल पया र् औषिध ओऽ सेवाक वा छैक से बात सरीक मुख ड◌ॉ. यादव बतबैत छिथ।हम सभ महुशुस करैत छी जे राित एऽ अारे िवतैत हयत। जकरा खाए के उपाय निह ओऽ लालटेन, िवजली वी आऽमोमवी कसँ िकनत। सरकार िदशसँ अायी िवुत आपितर्क ू वा निह छैक, जकर शख्त जरी व ूझना गेल। राित-िवराित चोर उचाक खेल बढ़ि◌ सकैछ। रक्षको भक्षक भऽ सकैछ। जवान बेटी, पुतहु ओऽ छैक। ओकर इतकसुरक्षाक छैक। नवजात िशशुक संग वषा र्क पािनमे िभजैत माय सभ छिथ। गभर्वती मिहला सभ छिथ। हुनका सभमेसुरक्षाक उपयु बक अभाव छैक।74


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मा ँग तँ बहुतो भऽ रहल छैक। राहत कऽ जाऽ रहल छैक। बड़ मुिश्कलसँ एक आधािकलो चाउर, दािल, चूड़◌ा, मीठा िकं वाचाउचाउ ा भे सभ िकछु भऽ गेल से संभव निह। ककरो नीकसँ पी धिर उपल निह कराओल जाऽ सकल अिछ।तिहना पीबाक पािनक तेह अभाव छैक। पिव ू र् तटबक १२ िक.िम.क द ुन ूकात आधा दजर्नसँ बेसी हाथेकल निह देिख पड़ल।हाहाकार छैक पािनक। वाढ़ि◌क गगीसँ भरल पािन पीबापर मजब ूर अिछ िवािपत। सरकारकेँ चािहऐक बोिर ंग करा कऽ पाइपारा िशिवरधिर पािन पहु ँचएबाक जोगार करए। एकरा सेहो ाथिमकता स ूचीमे अगाड़◌ीए रखबाक चाही।आब तँ सरकारी आकड़◌ा आिब गेलैए- १ लाख ७ हजार लोक कोशीक चपेटमे अिछ। काज जीए हो तँ नीक।राहतक जे गित एर अिछ िबहारोमे अवा नीक निह। भारतीय धानम ंी मनमोहन िसंह वाढ़ि◌ क िनिरक्षण कएलाकबाद वाढ़ि◌सँ िनपटबाक हेतु एक हजार दश करोड़ नगद आऽ सवा लाख टन अनाज देवाक घोषणा कएलिन अिछ। ई एकटा पैघराहत भेलैक। ओऽ आब काज जोड़सँ आगा ँ बढ़त।पालमे मा ँगलो गेल राहतक पाई पीड़ि◌त लग निह, कतेको बेर तँ िनजी उदर पितर्मे ू लागल हयबाक बात काशमे आएलअिछ। जाइ तरहक िवपदा आएल अिछ एिहमे सभपक्षकेँ एकयब भऽ एिह रािष्य िवपदासँ देशकेँ मु करैक तेहन सियतादेखएबाक चािहऐक।75


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्. राजकमल (मणी नारायण चौधरी) (१९२९-१९६७), मिहषी, सहरसा। रचना:- आिद कथा,आोलन, पाथर फूल (उपास), रगंधा (किवता संह), ललका पाग (कथा संह), कथा पराग (कथा संह सादन)। िहीमेअक उपास, किवताक रचना, चौरी (बङला उपासक िही पार) अ िस। िमिथला ंचलक म वक आिथ र्क एव ंसामािजक संघष र्मे बाधक सभ तरहक संार पर हार करब िहनक वैिशष् रहलि अिछ। कथा, किवता, उपास सभ िवधामेई नवीन िवचार धाराक छाप छोड़ि◌ गेल छिथ।अपरािजता-राजकमल चौधरी (वैदेही, अूबर १९५४ सँ साभार)हमर अिभ िम नागद अपन घरवाली केँ अपरािजता कहैछ। िकएक, से िक सोचलो उर एखन धिर ब ूझऽ मे आयलअिछ?हम धिर हुनका अप ूणा र् भौजी कहैत िछयिन। जदा र् लेल ब िछिछआयल रही आ ओ खास अवसर पर संकट-मोचन रहिथ। ओहुनाहमरा मैिथल-बाला सभ मे अप ूणा र्क प अिधक भेटैत अिछ।मुदा अपरािजता?ध ुः! पीक ित ई भाव तँ एक िवदेशी भाव िथक। भारतीय सँ एकरा को सा छैक? िमिसयो भिर । भारतीयातँ बेचारी लाज, बन, आवरण, िनयम ओ उपिनयम सँ तेना कऽ जकड़िल रहैछ जे ओ सव र्दा परािजत बनिल रहैछ।एही सभ मे दहाइत-भिसआइत रही। िखड़की सँ बाहर िमिथलाक ामल, सोहािगन, सुहािसन धरती। नक िखड़की सँ बाहरदेखैत रही।िदवानाथ धिर म ूड़◌ी िनहुड़◌ौ “ गार ंटी ऑफ पीस” मे ओझरायल छल। मुी बाब ू नक हड़ड़-हड़ड़ मे ताल दैत िवापितकपा ँती गबैत रहिथ , “ सिख हे, हमर द ुखक निह ओर” ।नागद अपना लगक मोसािफर संगेँ जोर-जोर सँ बजैत रहय , “ नइ ँ महाराज...आन देश मे ई हाल नइ ँ छैक...अही ठा ँ समे देिखऔक गऽ। िवज्ञानक जोर सँ म नदीक धार केँ अपन इासार मोड़ि◌ देलक अिछ” ।इटरक एिह िडा मे आ-आन याी सभ अपन-अपन ग सभ मे तीन रहिथ। एकटा ब ूढ़ दरोगा साहेब अपन सहगामीकेँ को रोमा ंचकारी डकैतीक िखा कहैत रहिथन। एकटा सेठ अपन अधवयस ू मुनीम केँ सोना-चानीक तेजी-मीक कारणब ुझा रहल छलाह, लगिह मे हुनक पी घोघ तन बैसिल! न समीपुर सँ फूजल। कैटनक िडासँ अिम िसकरेट बहारकऽ िदवानाथ सुनगाबऽ चाहैत रहय...सलाइयो रहैक लगिह मे ...मुदा ओ तँ रहय अपन “ गार ंटी ऑफ पीस” मे ओझरायल। हमराहँसी लागल। हम हँसऽ लगलहु ँ। मुीबाब ू दोसर गीत गाबऽ लगलाह , “ मािनिन आब उिचत निह मान” !हठात् िखड़कीसँ हुलिक िदवानाथ िचिचआयल , “ देख, मिण...देख...अपरािजताक ताव” ! सभ गोटा हुलकी मारऽ लागल। सभकआिख ँ िवय-िवािरत!“ गार ंटी ऑफ पीस” खतम छल...िवापितक गीत खतम छल। सक कथा खतम छल। डकैतीक कथा थि गेल...सोना-चानीकतेजी-मी सेहो ब भऽ गेल रहय। िसकरेटक लगातार धँआ ु रिह गेल आ रिह गेल अपरािजता!सिरपहु ँ... बागमती, कमला, बलान, गंडक आ खास कऽ कऽ कोसी तँ अपरािजता अिछ ! ककरो सामथ र् निह जे एकरा परािजतकऽ सकय। सरकार आओत...चिल जायत..िमिनरी बनत आ टूटत, मुदा ई कोसी...ई बागमती...ई कमला आ बलान...अपन एही76


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्लय ंकारी गित मे गाम केँ भिसअबैत, हिरअर-हिरअर खेत केँ उर करैत, माल-जालकेँ नाश करैत, घर-ारक सानाशकरैत बहैत रहत आ बहैत रहत।वेद मे नदी केँ मक सेिवका कहलकैक अिछ...मक पी कहलकैक अिछ...मुदा,बहुओ भऽ कऽ कोसी आ बागमती अपरािजता अिछ...अप ूणा र् कहा ँ?रेलवी-सड़कक द ुहू कात कोसक कोस पसरल अबाध जल-वाह! द ुहू िक्षितज केँ छुबैत जलक धार!!“ लगैत अिछ, हम सभ नपर निह, म जहाजपर बैसल होइ। जेना चा कात िवशाल, िवकराल, िवराट समु हो जे हमरअि पय र्केँ डुबा देलक अिछ!” , बाजल िदवानाथ। मुी िटपलक , ’ मिण भाइ, कते गामक तँ को थाहो-पता लगैतछैक जे एतऽ किहओ को गामो रहैक। जतऽ ई ंटाक पोरापाटन हवेली रहैक ततऽ की छैक? महािवशाल मोइन आकु! जतऽ खेत आ खिरहान रहैक ओिह ठा ँ गकी नंगटे नचैए...खिरहानक नाच निह, सानक नाच!”हाथक “ िब्लज” केँ तह दैत एकटा सन बजलाह , “ आ बाब...सरकार ू तँ पटना आ िदीक सिचवालय मे िबजलीक पंखा आिस्ंगदार सोफाक बीच स ूतल अिछ। िमिथला वा भोजपुर भिसआइए गेल तँ ओकरा की? कोसी सव र्नाशे करइए तँ ओकराकी? ओ तँ इियाक “ फारेन-पािलसी” सोचैत अिछ। भीतर सँ भारत ख ु भऽ रहल अिछ...कोकिन रहल अिछ, मुदा ओय.एन.ओ.क ू कुसीर् बचाबक िफिकर मे अपा ँत अिछ” । दरोगाजी किनएँ उकड़◌ू भऽ बैिस गेलाह आ कान पािथ हमरा लोकिनकग सुनऽ लगलाह। सेठजी अपन धम र्पी िदस भावेँ तािक बजलाह , “ रिधया की मा...जरा ँ इलायची तो देना...सर चकरारहा है” ।दा ँत कीिच िदवानाथ गुड़ल- गार ंटी ऑफ पीस!! हम सोचलहु ँ, हमर देश मे जे “ गार ंटी ऑफ पीस” दऽ सकैछ से तँलालिकलाक मुरेड़◌ा पर खजबा टोपी, किरया अचकन...चुननदार पैजामा पिहर ितनर ंगा छा तन आराम सँ पड़ल अिछ! आभगवान सँ मे छिथ तँ अबे दिनया ु ँ मे सभ वु ठीक छैक।यिप देशक ई हालत िकएक, से सभ जत अिछ- हमहूँ ..अहूँ ...ता आ जनतो! तइयो ई देश अपन दिरा केँ सोनाकपािन चढ़◌ाओल िडी मे ब कऽ कऽ िवदेशक दश र्नीक “ शो-केस” मे सजबैत अिछ। रीढ़क अपन हाड़ तोड़ि◌ ताजक पमे उपित करैत अिछ। फाटल-चीटल केथड़◌ी जोड़ि◌ आ सजा, भटर ंग कऽ ित पह अग कऽ शाही महल सभ परधम र्च-सित ितरंगा फहरबैत अिछ।गाड़◌ी ठाढ़ भऽ गेलैक।पुल रहैक को म। फेर चुीक चािल मे घ ुसकिनया ँ काटऽ लागल। सभ मोसािफर िखड़की आ फाटक पर मुड़ि◌आरी देबाहर हुलकी मारऽ लागल-गक, बागमती, कमला आ कोसीक भयानक प। समुक ािर जका ँ िवकराल ढेहु उठैत। लगैक म सौ ंसे नकेँ गीड़ि◌जायत! लहिरक संगिह-संग कौखन को पुरना न ूआक फाटल पाढ़ि◌यु भाग...कौखन काठक सकचाक को थौआ भेलभाग...कौखन जानवरक हाड़! घरक ठाठ बहल जा रहल छल...खाट आ चौकी भिसआयल जा रहल छल...इित आ ितािमिथलाक र मे दहायल जा रहल छल। जीवन भिसआयल जा रहल छल। सीसो-सख ुआ-आमक कलमबाग आ ब ँसिबी डूिब गेलछल।ऊपर रहैक केवल पीतवसना नागका गकी अपन अित िवषा फुफकार छोड़◌ैत।मुापुर आिब गेल।ेशनक चा कात पािनएँ पािन। ेशन पर असं गरीब िकसान-बोिनहार लहालोट होइत। ककरो एक मुी अ निह...पा ँचहाथ वस् निह...टा ँग पसािर कऽ स ूतक ान निह। ाटफारम पर आकाशक ठाठ तर असं िकसान-पिरवार! धीया-प ूता भूखेँिचकरैत...माय ओकरा घोघ तर मुँह कओ कत। एकटा को का ंसी सन ेशन-मार केँ जोर-जोर सँ कहैत77


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्रहिथन , “ अरे, महाराज...एिह मे सरकारक कोन कस ूर? भगवानक लीला छिन। सरकार की जानऽ गेलैक जे एहन िवशालबाढ़ि◌ आिब रहल छैक। ताहू पर िरलीफ कमेटी बिन रहल छैक। अिगला हा िमिनर लोकिनक “ टूर ोाम” छिन। आअलाबे एकर मुमी दरभंगा, मुजफ्फरपुर आ सहरसाक कलर केँ तार देबे कयलिथन अिछ जे ओ जते चाहिथ िरलीफकहेतु खच र् करिथ। से निह आब की करौक ?”आ सिरपहु ँ सरकार खच र् करैत रहैक से हम देखिलऐक! एकटा गृह बाजल, चािरम िदन अ भेटल छल...म ूड़ पीछू द ूसेर...ओकर पिह तँ मा जले टा आधार होइक। आ द ू सेर चाउर कन धिर? स्ीगणकेँ पिहरक को न ूआ-फानइ ँ। मलेिरया लोक केँ लहालोट पुिरबा आ जाड़ सँ बचबऽक खाितर कल निह। रेलवे कम र्चारी हाता सँ एकटा ठहुिरओ नइ ँकाटऽ देिनहार। प ूछक तँ बड़ इा छल... मुदा गाड़◌ी फुिज गेलैक।“ िब्लज” वला सन बजलाह , “ बाब ू एखन की देखिलऐक अिछ, आगा ँ चल...िकसनपुर...हायाघाट....मोहदपुर...जोिगयार..कमतौलूिदस आर लय मचल छैक। एहन को पिरवार निह छैक जकर को समाङ िक को बा िक को माल निह दहा-भिसआगेल होइक” ।हायाघाट ेशन! स ूया र्क समकाल।डुबैत स ूय र्क लािलमा तीचीक जल केँ र सन बनओ। िलध ुराह पािन..खिनञा ु धार!! मुी बाब ू िसकरेट ताकऽ चललाह।िदवानाथ ाटफारम पर अप घर मे शरणाथीर् बनल गृहिवहीन सँ ग कऽ रहल छल। गाड़◌ीक इ ंजन िमझा गेल रहैक।लेहिरयासराय सँ तार अओतैक तखन फुजतैक गाड़◌ी! हमहूँ उतरलहु ँ। देखिलऐक, सौ ंसे ाटफारम पर चुी ससरऽक दौरपय र् नइ ँ। अँगनइ मे बा ँसक पातर सा गाड़ि◌-गाड़ि◌ ओिह पर पातर पुरान न ूआ िक धोती टािग ँ कऽ तू सन बनल।एहन-एहन सैकड़◌ो तू एक पितआनी सँ ठाढ़। स्ीगण सभ लोटे-लोटे ेशनक इनार सँ पािन अत रहिथ आ धीया-प ूताटुक-टुक न िदस तकैत रहय। पािनक कछेड़ मे एकटा ब ुढ़ि◌या बाढ़ि◌ मे डूबल बेटाक शोक मे बतािह भेिल िचकरैतरहय। पािनक कछेड़ मे एकटा ब ुढ़ि◌या बाढ़ि◌ मे डूबल बेटाक शोक मे बतािह भेिल िचकरैत रहय। ओझरायल केश मुँहपर...न ूआ-फाक होस निह...गािब-गािब कानय, हे गक मैया...हे कमला मैया। कतऽ गेलइ हर सुगवा, कतऽ गेलइ हमरलाल!आ ओर िदवानाथ ब ूढ़◌ा दरोगा साहेब केँ ब ुझा रहल छलिन...म जे चाहय से कऽ सकैत अिछ। एही ठा ँ चीन केँदेिखऔक...ओकर “ ा ंगहो” कोिसओ सँ भयानक रहैक। मुदा लाल ािक द ू बरखक बाद ओकरा सघन बा सँ जकड़ि◌ देलकैक,आइ ओ ा ंगहो चीनक वरदान छैक, अिभशाप निह। आ िदवानाथक आिखमे ँ लाल िचनगीक तीण काश आ ाला। भेल जेअमृतपुक एिह ालामे कोसी भ भऽ जयतीह। मुदा एक जोड़◌ा आिखक ँ िचनगी सँ निह। लक्ष-लक्ष जोड़◌ा आिखक ँ अंगोरसँ। हमरा एकर चतुिद र्क एहन रिम दाहक िचनगीक जाल ब ूनऽ पड़त।मुीबाब ू अधजआ िसकरेट हमरा िदस बढ़◌ा बजलाह , “ मिणबाब, ू ाटफारमक ओइ भाग तिकऔ तँ क...कोना छागर-पाठी जका ँलोक सभ अिछ, मालगाड़◌ी मे को ंचल। हु ँ! को ंढ़ उनिट जाइत अिछ” ।न पार कऽ ओइ पार गेलहु ँ। एकटा प ूण र् मालगाड़◌ी रहैक ठाढ़। िडा मे पुष, मौगी, धीआ-प ूता, माल-जाल सभ भरलछल। िडे मे चूि सुनिग रहल छल। हा ँड़◌ी सभ चढ़◌ाओल जा रहल छल। कोसी आ गकी मैया केँ ाथ र्नाक “ कोरस”सुनाओल जा रहल छलिन। हाहाकार आ दनक र गू ँिज रहल छल।मालगाड़◌ीक िडा सँ एकटा िवाथीर् बहरायल...कोर मे चािर-पा ँच बरखक कनिटरबी केँ रख। ओ छौ ँड़◌ी बड़◌ी-बड़◌ी जोर सँिहचकैत रहैक। नागद पुछलकैक , “ अहा-हा...िकऐक औ...की भेलैक अिछ...िकऐक कत अिछ” ?ओ िनया केँ ठोकैत बाजल , “ एकर माय, बाब ू साहेब, डूिब गेलैक एही बाढ़ि◌ मे। कनतैक तँ...” ? सभ गोटा िनभऽ गेल।युवक बाजल, “ िवाथीर् छी अहा ँ लोकिन...तेँ मन होइछ अहा ँ लोकिन सँ ग करी। हम सभ एही ेशन सँ तीन मील पररामपुर गामक बासी छी। आब तँ ओ बिए नइ ँ रहलैक...। सौ ंसे गाम भिसया कऽ लऽ गेलैक...ई राक्षसी गकी” ।मािरते रास लोक जमा भऽ गेल, ओकर ग सुनऽ लेल। दरोगा साहेब बजलाह , “ की सौ ंसे गाम” ?“ हँ औ। हठात राित मे आिब गेलैक बाढ़ि◌। छन-छन पािन बढ़◌ैत...को तरहेँ स्ीगण लोकिन केँ नाह पर लदलहु ँ...माल-जाल हँकओलहु ँ...वु-जात, अ आवक वु सभ कनहा पर लदलहु ँ, पड़यलहु ँ, ेशनक िदस। कतहु भिर डा ँड़...कतहुकाछोप, कतहु चपोद। हेलैत-डुबैत एतऽ पहु ँचलहु ँ। कतेक ना-भुटका डूबल। माल-जालक तँ कथे कोन।78


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्भिसआयल ठाठ पर हमरा लोकिन स्ीगण सभ केँ बैसा कऽ अनलहु ँ एतऽ धिर। अयला पर पता लागल जे एिह कनिटरबीक मायडूिब गेलैक। ई हमर भतीजी िथक। मुदा आब की” ? क काल चुप भऽ गेल ओ। युवकक आिख ँ पिनआ गेलैक। फेरबाजल ,”ेशन आिब देखल, ई पिहनिह सँ भरल छल। लगीचक पह बीस गामक लोक सभ सँ भरल छल। एिह इलाका मेएकटा ई ेशन मा छैक ऊँ च ान। खाली इएह मालगाड़◌ी रहैक ठाढ़। सभ गोटा एही मे शरण लेल। सूण र् िडा खालीछल, सभ मे हम सभ भिर गेलहु ँ।दोसर िदन ेटफ◌ॉम र् पर सेहो पािन आिब गेलैक, तखन लोक सभ बोरा जका ँ एक दोसर पर गेंटल रही। युवक सभ ऊपरछत पर चढ़ि◌ गेलाह, स्ीगण आ ब ूढ़, ना सभ िडे मे रहलाह।ेशन मार हमरा सभ केँ डेरओलिन, मालगाड़◌ी खाली कर दो।अही ं लोकिन कहू से कोना होइतैक? हम सभ कतऽ जाइतहु ँ? हमरा सभक संग मे पाइ-कौड़◌ी निह छल, घर निह छल,पिहरऽ लेल वस् निह छल” । एतेक किह युवक फेर िक गेल। नहु ँए सँ बाजल , “ हमरा जऽर अिछ। जाड़ भऽ रहल अिछ,यिद अप सभक मे एकटा बीड़◌ी हो तँ िदअऽ“ ।मुीबाब ू ओकरा िसकरेट देलिथन आ िदवानाथ सलाइ। युवक बाजल , “ ओ, ई तँ कैटन अिछ” । फेर बड़◌े तय भऽिसकरेटक कश खींचऽ लागल। (एलेनक अवसर पर कैथोिलक पादरी सभ सूण र् ित-कोचीन मे मङनी मे िसकरेट आ चाहकपैकेट ब ँट छलाह। पैकेट सभ पर िलखल छल, का ँस को वोट दो।) नागद पुछलिथन , “ फेर की भेल” ?“ फेर की हेतैक” ? युवक गाड़◌ीक काट सँ ओंगिठ कऽ बाजल , “ फेर पुिलस आिब-आिब कऽ हमरा सभकेँ तंग करऽ लागल।जकरा संग पाइ-कौड़◌ी छलैक से पाइ-कौड़◌ी दऽ कऽ पुिलसक ठोकर सँ बचल रहल। राितखन कऽ युवती सभ गाड़◌ीक िडासँ िबलाय लागिल। मुदा हम सभ मालगाड़◌ीक िडा केँ छोड़लहु ँ निह। छोड़ि◌ कऽ हम सभ कतऽ जैतहु ँ? दोसरे िदनसमीपुर सँ एकटा बड़का इिजन ं आयल।ेशन मार बाजल , “ तुम लोग गाड़◌ी खाली कर दो, वरना इिजन ं तुम लोगों को लेकर समीपुर चला जाएगा। वहा ँ तुमलोगों को जेल हो जायगा, सरकारी गाड़◌ी पर का जमा के ज ुम र् मे” ।ब ूढ़ सभ कहलिथन जे नीके होयत, लऽ चलऽ। कम सँ कम भोज तँ भेटत जहल मे। मुदा स्ीगण कानऽ लगलीह। नासभ चीार मारऽ लागल। मैिथल स्ीगण जे किहयो गामक बाहर पयर निह रखलिन तिनका हम जेल कोना जाय िदतहु ँ। आतखन हम सभ नारा लगओलहु ँ , “ मालगाड़◌ी नही ं जायगा, नही ं जायगा” ।पुिलसक लाठीक मदित सँ ाइवर मालगाड़◌ी मे इिजन ं लगओलक। आ एर हम सभ इिजनक ं आगा ँ आिब कऽ ठाढ़ भऽ गेलहु ँ,“ मालगाड़◌ी नही ं ख ुलेगा, नही ं ख ुलेगा” । पुष लोकिन छाती तािन कऽ ठाढ़ भऽ गेलाह। स्ीगण पड़ि◌ रहलीह। ना सभबा ँसक फी मे लाल वस् बाि कऽ आगा ँ मे ठाढ़ भऽ गेल।बा ँसक फी मे लाल चे!गाड़◌ी रोकऽक चे।अपन अिधकार लेबऽक चे।युवकक गदिन र् तिन गेलिन, उाह सँ बािह ँ फड़कऽ लगलिन, आिख ँ लाल भऽ गेलिन।सेठजी अपन स्ीक कान मे कहलिथन, रिधया की मा, ँ स ूटकेस पास ले आओ, कुछ हो जा सकता है” ।दरोगा साहेब गुनगुनयलाह , “ ठीक कहइ छी” ।युवक कहब जारी रखलिन “ , पुिलस तँ पिह घबड़◌ा गेल, ाइवर इ ं िजन ब कऽ देलक। कतेक हजार लोकक रेड़◌ा पड़ऽलागल। पुिलस “ लाठी चाजर्” करऽ चाहलक, मुदा हम फिरछा कऽ किह देिलयिन, यिद एकोटा लाठी उठल तँ हम सभ एक-एकटापुिलस केँ उठा-उठा कऽ गक मे फेँ िक देब। कहू तँ, पह-बीस पुिलस के की चिलतिन एिह ु जनसमु मे?79


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आ, पुिलस सँ नाक रगड़◌ैत रिह गेल, मुदा मालगाड़◌ी निह जा सकल। दोसर िदन भोरे नाव पर चाउरक बोरा गेंट“ ूडेंट्स-फेडरेशन” आ “ जवान-संघ” क लोक सभ अयलाह आ ई हम सभ पिहल सहायता पओलहु ँ।आ आब तँ पािन कम भऽ रहल अिछ। सरकारोक कुकणीर् िन टूिट रहल छिन। ओहो द ू-द ू सेर चाउर बािट ँ गेलाह अिछ” ।एतेक किह युवक चु भऽ गेलाह। वातावरण अशा छल, सभक मन युवकक द ुःखप ूण र् कथा सुिन िख छलैक। एतबे मेेशनक एकटा कम र्चारी आिब कऽ बाजल-“ गाड़◌ी ख ुल रही है, िडे मे बैिठए” ।अपन िबना मायक भतीजी केँ कोरा मे लऽ कऽ युवक ेटफ◌ॉम र् पर ठाढ़ रहल।गाड़◌ी नहु ँ-नहु ँ चलऽ लागल, तखन ओ िदवानाथक बामा हाथ दबा कऽ बाजल , “ मोन राखब बु” ! हठात् ब ूढ़ दरोगा साहेब अपन“ सीट” पर सँ उिठ अपन ऊनी चिर युवकक का पर धऽ देलिथन आ फेर अव कं ठ सँ कहलिथन , “ अहा ँ केँ तँ र अिछ,ई चिर लऽ िलअऽ। आ...” ।गाड़◌ी तेज भऽ गेल।फेर तँ ओएह चा कात अथाह अबाध समु छल आ िहलकोरक घोर गजर्न।पिवृत किव . रामजी चौधरी (१८७८-१९५२)2.गुंजनजीक गजल१. ी गंगेश गुंजन (राधा तेसर खेप) २. ीमित ोित झा चौधरीमहाका- ब ु चिरत१. . गोपेशजी २. ड◌ॉ पंकज पराशर१. िवनीत उल २. अंकुर झा1.िवृत किव . रामजी चौधरी 2. ी ड◌ॉ. गंगेश गुंजन१. िवृत किव . रामजी चौधरी (1878-1952)पर शोध-लेख िवदेहक पिहल अँकमे ई-कािशत भेल छल।तकर बाद हुनकरपु ी द ुगान र् चौधरी, ाम-पुर,थाना-अंधरा-ठाढ़◌ी, िजला-मध ुबनी किवजीक अकािशत पाुिलिप िवदेह काया र्लयकेँ डाकसँिवदेहमे काशनाथ र् पठओलि अिछ। ई गोट-पचासेक प िवदेहमे एिह अंकसँ धारावािहक पेँ ई-कािशत भ’ रहल अिछ।िवृत किव- पं. रामजी चौधरी(1878-1952) ज ान- ाम-पुर,थाना-अंधरा-ठाढ◌़◌ी,िजला-मध ुबनी. म ूल-पगुार राजेगो-शाि ।जेना श ंकरदेव असामीक बदला मैिथलीमे रचना रचलि, तिहना किव रामजी चौधरी मैिथलीक अितिरक् जब ुलीमे सेहो रचनारचलि।किव रामजीक सभ पमे रागक वण र् अिछ, ओिहना जेना िवापितक पालसँ ा पदावलीमे अिछ, ई भाव हु ंकर बाबाजे गबैा छलाहसँ िरत ब ुझना जाइत अिछ।िमिथलाक लोक पंच्देवोपासक छिथ मुदा िशवालय सभ गाममे भेिट जायत, सेरामजी चौधरी महेानी िलखलि आ’ चैत मासक हेतु ठ ुमरी आ’ भोरक भजन (पराती/ भाती) सेहो। जािह राग सभकवण र्न हुनकर कृितमे अबैत अिछ से अिछ:1. राग रेखता 2 लावणी 3. राग झपताला 4.राग ुपद 5. राग संगीत 6. राग देश 7. राग गौरी 8.ितरहुत 9. भजन िवनय10. भजन भैरवी 11.भजन गजल 12. होली 13.राग ाम काण 14.किवता 15. डक होली 16.राग कागू काफी 17. राग िवहाग18.गजलक ठ ुमरी 19. राग पावस चौमासा 20. भजन भाती 21.महेशवाणी आ’ 22. भजन कीर्न आिद।80


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िमिथलाक लोचनक रागतरिगणीमे ं िकछु राग एहन छल जे िमिथले टामे छल, तकर योग सेहो किवजी कएलि।ुत अिछ हुनकर अकािशत रचनाक धारावािहक ुित:-िविवध भजनावली१२.महेशवानीबम भोला छिथ अनमोल कतेक द ुखी हमजाइत देखल करैत अित अनघोल॥ककरहु देिवक दैिहक द ुख छिनककरहु भौित कलेसिकयो अबै छिथ आश अ टकाके लेल॥कतेक िबकल छिथ पु दार ले कतेक अक कलेसकतेक अहा ँके भजन करै ये परमारथके लेल॥परिस मिण अहा ँ झारी वैसल सवके द ुख हिर लेल॥रामजी िकछु किह न सकैछी अपराधी के लेल॥१३.महेशवानीएहन बड़के खोिज आनलि पारवतीके लेल॥81


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िजनका घर निह धन पिरजन निह जाित पाितक झेल,डम बजाविथ िगिरपर िनिस िदन भूत तसँ खेल॥अक खेती िकछु निह राखिथ भा ंग ध ुथ ुर अलेल,भूषण ग-गमे लटकट िबषधर देिख उर मेल॥परम बताहक लक्षण सभ छिन अंग भ लेिप लेल,हाथी घोड़◌ा ािग पालकी वोढ़ बरद चढ़ि◌ लेल॥कहिथ रामजीभाग ऊदय अब लेल,िभुवन पित गौरी पित हेता साजू प ूरहर लभे॥१४.महेशवाणीहमरो जीवन थ र् बीित गेल।किहयो िबप निह तोड़ल, फूल रोिप निह भेल।अक्षत ध ूप, दीपलै, चानन श ंकर पिज ू निह भेल॥कतेक वासना मनमे किर-किर िदवस रैन िबित गेल।कवहु ँ ान शा िच भए बम-बम किहयो न भेल॥सुत बिनतािद िवषय बस कवहु ँ, मन िबाम न भेल।िचा करित करित िदन बीतल, अब जजर्र तन भेल॥कहिथ रामजी सकल आश तिज िशव सेब ू अलबेल।िशब िब दोसरके हरत द ुसहद ुःख िनय मन किरलेल॥82


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्१५.महेशवानीिशवकें सु िछयि दयालदिखयाक ु किहया सुनता सवाल।जय गंग च भाल, कं ठ मुमाल, भंग ले बेहाल॥वाम भाग पाव र्ती बसहा सवार, अंग-अंगमे िवषधर लटकल हजार,भूतनात णत पाल िदगर धार,भ अंग संग बेताल डम बघ छाला॥रामजी दीननपर कखन करब खयालिशव िबना हमर के करत ितपाल॥१६.महेशवाणीिशव काटू जाल।कतेक कहब हम अपन हवाल॥िनिस िदन चैन निह भूख भेल कालिचा करित भूिल गेल अहा ँक खयाल।बु व कुटु संग धेलाह अक भलकेओ न सहाय भेला दिद ु र्न वल।83


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्रामजीके आशा एक जँ िनगाह करब रहब बेकल॥१७.महेशवाणीिशव कहू ब ुझाय॥ककरा कहब हम अपन द ुख जाय।।केओ भेटैत छिथ अहा ँक समुदायजे सुिन हेताह तुरत सहाय॥िहत िमत बिनता सुत ा से भाए।िनध र्न देिख भुख लए छिप घ ुमाए॥बोला वैनाथ दीनन अपनाय झाड़◌ीमे बैिसहीरालालको लुटाय॥रामजी आशा लगाय कृपा दृि हेनाथ िलय अपनाय॥इितिसिरु। शुभाुस्ी ड◌ॉ. गंगेश गुंजन(१९४२- )।2.बाढ़ि◌क ासदी-पर ड◌ॉ. गंगेश गुंजन जीक मैिथली गजल84


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्द:खे ु टा चा कात छै आ जी रहल-ए लोकताकैत आसरा को द ुःख पी रहल-ए लोक !घर-ािर दिह गेलैक सब बा टा छै बा ंचलरेलवेक कात, बाट-घाट जी रहल-ए लोक !सा ंझो भिरक खोराक छैक अिगला फिसल धिरजीबा लए ई लाचार कोना जी रहल-ए लोक !सबटा गमा क' जान बचा आिब त' गेलयआब फेकल छुतहर जका ं हद जी रहल-ए लोक !जले पिहरना, िबछाओन जले छैक ओढनाजबकल गाइत पािन-ए खा पी रहल-ए लोक !सब वष र् जका ं एहू बाढ़ि◌ मे कारदारिरलीफ नामें अपन झोरी सी रहल िकछु लोक !चिल तं पड़ल-ए जीप-् क-नावक से तामझामआब ताही आसरा मे बस जी रहल-ए लोक !किह तं गेलाह-ए परस ू-ए दस टन ब ंटत अएखबार-रेिडयो भरोसे जी रहल-ए लोक !घोखै तं छिथ जे दे मे पया र् अिछ अनाजसड़ओ गोदाम मे, उपास जी रहल-ए लोक !उमेद मे जे आब आओत एन जी ओ कतोकद' जायत बािस रोटी, वस्, जी रहल-ए लोक !अिछ किठन केहन समय ई राक्षस जका ं अारिकछु भ' रहल अिछ तय , तें तं जी रहल-ए लोक !१. ी गंगेश गुंजन २. ीमित ोित झा चौधरी१. ी ड◌ॉ. गंगेश गुंजन(१९४२- )। ज ान- िपलखबाड◌़, मध ुबनी। एम.ए. (िही),85


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्रेिडयो नाटक पर पी.एच.डी.। किव, कथाकार, नाटककार आ' उपासकार।१९६४-६५ मे पा ँच गोटेकिव-लेखक “काल पुष” (कालपुष अथा र्त् आब गीर्य भास कुमार चौधरी, ी गंगेश गुजन, ीसाकेतान, आब गीर्य ी बालेर तथा गौरीका चौधरीका, आब गीर्य) नामसँमैिथलीक थमसािदत करैतनवलेखनक अिनयिमतकालीन पिका “अनामा”-जकर ई नाम साकेतानजी ारा देलगेल छल आऽ बाकी चा गोटे ारा अिभिहत भेल छल- छपल छल। ओिह समयमे ई यास तािहसमयक यथािितवादी मैिथलीमे पैघ द ुाहस मानल गेलैक। फणीरनाथ “रे” जी अनामाक लोकाप र्णकरैत काल कहलि, “िकछु िछनार छौरा सभक ई सािहिक यास अनामा भावी मैिथली लेखनमेयुगचेतनाक जरी अभवक बाट खोलत आऽ आधिनक ु बनाओत”। “िकछु िछनार छौरा सभक” रेजीकअपन अाज छलि बजबाक, जे हुनकर समे रहल आऽ सुन अिछ, तकरा एकर ना आऽ रसब ूझल हेतैक। ओना “अनामा”क कालपुष लोकिन को पमे सािहिक मा मया र्दाक ित अवहेलनावा ितरार निह कए रहिथ। एकाध िटणीमे मैिथलीक पुरानपंथी कािचक ित कितपय मुखरआिवारक र अव रहैक, जे सभ युगमे नव-पीढ◌़ ीक ाभािवक वहार होइछ। आओर जेपुरान पीढ◌़◌ीक लेखककेँ िय निह लगैत छिन आऽ सेहो भािवके। मुदा अनामा केर तीन अंकमा िनकिल सकलैक। सैह अनाा बादमे “कथािदशा”क नामसँ .ी भास कुमार चौधरी आऽ ीगंगेश गुंजन द ू गोटेक सादनमे -तकनीकी-वहािरक कारणसँ-छपैत रहल। कथा-िदशाकऐितहािसक कथा िवशेषा ंक लोकक मानसमे एख ओिहना छि। ी गंगेश गुंजन मैिथलीक थमचौबिटया नाटक बिधबिधयाक ु लेखक छिथ आऽ िहनका उिचतवा (कथा संह) क लेल सािह अकादमीपुरार भेटल छि। एकर अितिरक् मैिथलीमे हम एकटा िमा पिरचय, लोक सुन ू (किवता संह),अार- इजोत (कथा संह), पिहल लोक (उपास), आइ भोर (नाटक)कािशत। िहीमे िमिथला ंचलकी लोक कथाएँ, मिणपक का- बिनजाराक मैिथलीसँ िही अवाद आऽ श तैयार है (किवतासंह)। ुत अिछ गुनजीकमैगनम ओपस "राधा" जे मैिथली सािहकेँ आबए बला िदनमे रणा तँदेबे करत सँगिह ई ग-प-जब ुली िमितसभ द ुःख सहए बाली- राधा श ंकरदेवक पररामे एकटानव-परराक ार करत, से आशा अिछ। पढ◌़◌ू पिहल बेर "िवदेह"मे गुनजीक "राधा"क पिहलखेप।-सादक। मैिथलीक थम चौबिटया नाटक पढबाक लेल िक कब ु िधबिधया। गुंजनजीकनाटक आइ भोर पढ◌़बाक लेल िक क "आइ भोर"।गुंजनजीक राधािवचार आ संवेदनाक एिह िवदाइ युग भू- म ंडलीकरणक िबहाड◌़ि◌मे राधा-भावपर िकछु-िकछु मेग, बड◌़ बेचैन कए रहल।अनवरत िकछु कहबा लेल बा करैत रहल। करिह पड◌़ल। आब तँ तकरो कतेक िदन भऽ गेलैक। ब ंद अिछ। मा सेमन एखन छोड◌़ि◌ दे अिछ। जे ओकर मजीर् । मुदा तं निह कए देअिछ। मखदेवा सवारे अिछ। करीब सए-सवासए पात किह चुकल िछयैक। मा िलखाएल छैक ।86


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आइ-काि मैिथलीक महा ंगन (महा+आ ंगन) घटना-द ुघ र्टना सभसँ डगमगाएल-जगमगाएल अिछ। सुागतम!लोक मानसकें अिभजन-बि ु फेर बेदखल कऽ रहल अिछ। मजा केर बात ई जे से सब भऽ रहल अिछ-मैिथलीयेक नामपर शहीद बनवाक उपम दश र्न-िवाससँ। िमिथला राक माताक आ ंदोलनसँ लऽ कतोक अा लाभासकएन.जी.ओ.यी उोग मागे र्सेहो।एखन हमरा एतवे कहवाक छल । से एहन कालमे हम ई िवहास िलखवा लेल िववशछी आऽ अहा ँकेँलोक धिर पठयवा लेल राधा किह रहल छी। िवचारी।राधा (चािरम खेप)सौख केहन आखेटक ....87


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अिछ िवकट की हाल एिह मनक,कही ककरा कहू की, के बनओएिह ाणक ध ुकध ुकी सन अपनठीक हमरे जका ं आकुल िचएिहना बहा क' बैसिल सकल सुखमरथ जे भसा बैसिल हो, िबहु ंसैतयमुना-धार म हंसैत सब टासभ िकछु अिप र्त काल मिदर ं मेबनल हो ाणहीना देहराखल भूिम पर कं कालआ ंगन मे,जरैत द ुपहरक रौद चकायल लोक सब समाज घरे घरआ िनस्ब सब आ ंगनय ं रौद-बसात अिछ पय ंत र् बैसलकायल जे लािग जाय कही ं हमरो-ल ूिचड◌़◌ै-चुनमुी कहय के, माल-जालो88


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िबन डकर शा होयतकहा ं को श आबय कान धिरएहन म ृतक समान एिह चुपचाप मे तंगाय-गोक पाज ु लेवाक र सेहो सुनाइत रिहतैकतेहन आलस तेहन छैक ई सभक लेलजे बनल अिछ सब बौकसौ ंसे सिये ृ िनःश आ चुपचाप बैसिल,द ुबिक क' कोन अदृक महाब ृक्षकअन छाहिर मे।केहन ई अिछ सभक,हमरो िवडं बना जे सभअपनिह गुण आ धम र्क सिह रहल अिछ आिगय ं कृितक ई लीलाजेना धधकैत हो बसातजे देखल जाइत हो स ूनल जा रहलसबिकछु धह-धह करैत सबटा चुपचापकहा ं िकछु सुिन पड◌़◌ैये,89


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्की भेलय हमराभ' त' गेलौ ंहें हमही बहीर ?सिख-बिहनपा सेहो जािन गेल कोन धामिबन िबदागरीये चिल जाइ गेिल की सासुर ?यिद से निह त'कोना छी हम, जीिवतो छी िक मिर गेलौ ंदेख' लेल ो देलक हुलिकयो पय ंत र् एकहु बेरकए िदन बीित गेल, घाट, यमुना कात गेनािबना हुनके बनल छिथ जे जक ाण१२/४/०५2. ोितकेँ wwwpoet . r y. comसँ संपादकक च◌ॉयस अवाडर् (अंजी पकहेतु) भेटल छि। हुनकर अंजी प िकछु िदन धिर wwwpoet . r ysoup. com केर मु प ृ परसेहो रहल अिछ। ोित िमिथला िचकलामे सेहो पार ंगत छिथ आऽ िहनकर िमिथला िचकलाक दश र्नीिलंग आट र् ुप केर अंतत ईिलंग ◌ॊडवे, लंडनमे दिश र्त कएल गेल अिछ।िमिथला पेंिट ंगक िशक्षा सुी ेता झासँ बसेरा इ ंीूट, जमशेदपुर आऽ लिलतकला तूिलका, साकची,जमशेदपुरसँ। शनल एशोिसएशन फ◌ॉर ब्लाइड, जमशेदपुरमे अवैतिनक पेँ प ूव र्मे अापन।ोित झा चौधरी, ज ितिथ -३० िदसर १९७८; ज ान -बेवार, मध ुबनी ; िशक्षा- ामीिववेकान िम िडल ूल◌़ िटो साकची गर् हाई ूल◌़, िमसेज के एम पी एम इटर कालेज◌़, इिरागाी ओपन यिनविस ू र्टी, आइ सी डबू ए आइ (क◌ॉ एकाउेी); िनवास ान- लन, य.के.; ू िपता-ी शुभंकर झा, ज◌़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। ''मैिथली िलखबाक अास हम अपन90


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मज़ब ूत बा आ वाहक मादश र्न लेलभूगोलवेा आ अिभय ंता आग ू आबैथजलसंचयसऽ िसंचाइक समा भगाजलशि सऽ िवुत िनमा र्ण करैथ।ब ु चिरत-गजे ठाकुरई पुरातन देश नाम भरत,राज करिथ जतए इाकु व ंशज।एिह व ंशक शा कुल राजा शुोधन,पी माया छिल,किपलवुमे राज करिथ तखन।माया देखलि आिब रहल,एकटा ेत हाथी आिब मायाक शरीरमे,पैिस छल रहल हाथी मुद,92


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मायाकेँ भए रहल छलि को क,वरन ् लगलि जे आएल अिछ म ो गभर्।गभर्क बात मुदा छल से,भेल मोन वनगमनक,लुिनी जाय रहब, कहल शुोधनकेँ ।िदन बीतल ओतिह लुनीमे एक िदन,िबना सव-पीड़◌ाक ज देलु पुक,आकाशसँ शीतल आऽ गम र् पािनक द ू टा धार,कएल अिभषेक बालकक लाल-नील पु कमल,बरिस आकाशसँ।यक्षक राजा आऽ िद लोकिनक भेल समागम,पशु छोड़ल िहंसा पक्षी बाजल मध ुरवाणी।धारक अहंकारक श बनल कलकल,छोड़ि◌ “मार” आनित छल सकल िव,“मार” आगमसँ ब ुाि करत ई?(अवतर्ते)१. . गोपेशजी २. ड◌ॉ पंकज पराशर. ी गोपालजी झा “गोपेश” क ज मध ुबनी िजलाक मेहथ गाममे १९३१ ई.मे भेलि।गोपेशजी िबहार सरकारक राजभाषा िवभागसँ सेवािनव ृ भेल छलाह। गोपेशजी किवता, एका ंकी आऽ लघ ुकथा िलखबामेअिभिच छलि। ई िविभ िवधामे रचन कए मैिथलीक सेवा कएलि। िहनकर रिचत चािर गोट किवता संह “सोन दाइकिची”, “गुम भेल ठाढ़ छी”, “एलबम” आऽ “आब कहू मन केहन लगैए” कािशत भेल जािहमे सोनदाइक िची बेश लोकियभेल। वुिितक यथावत् वण र्न करब िहनक का-रचनाक िवशेषता छि। ी मायान िमजीसँ द ूरभाषपर गपक ममे ई93


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्गप पता चलल जे गोपेशजी निह रहलाह, फेर देवश ंकर नवीन जी सेहो कहलि। हमर िपताक १९९५ ई.मे मृुक उपराहमहूँ ढ़◌ेर रास आी-िबहाड़ि◌ देखैत एक-शहरसँ दोसर शहर बौएलहु ँ, बीचमे एकाध बेर गोपेशजी सँ गो भेल, ओऽ ईएहकहिथ जे िपताक िसा ंतकेँ पकड़ रहब। फेर पटना नगर छोड़लहु ँ आऽ आइ गोपेशजीकेँ ा ंजिलक पमे रण कए रहलिछयि। रण: हमरा सभक डेरापर भागलपुरमे गोपेशजी आऽ हिरमोहन झा एक बेर आयल छलाह। गोपेशजी ससघ ुरैत काल मध ुर लेलि आऽ हिरमोहनझा जी कुरथी! हुनकर किवतामे सेहो वुिितक एिह तरह्क यथावत वण र्नक आहअिछ जे हुनका चिरमे रहैत छिथ। हिरमोहन झाजीक अिम समयमे ायः गोपेशजीकेँ अखबार पढ़ि◌केँ सुनबैत देखैतछिलयि। हिरमोहनझाक १९८४ ई.मेमृुक िकछु िदका बादिहसँ ओऽ शः शः मैिथली सािहक हलचलसँ द ूर होमए लगलाह।एिह बीच एकटा साक्षाारमे शरिदु चौधरी सेहो हुनकासँ एिह िवषयपर पुछबाक कोिशश कए छलाह मुदा गोपेशजी किहयो कोवसीर्मे रहलाह, से ओऽ ई टािल गेल छलाह।ुत अिछ गोपेशजीक किवता जे २००६ केर निचकेताजीक “मम पुष एकवचन” जेका ँ उर-आधिनक ु अिछ, मुदा िलखल गेल२५-३० वष र् प ूव र्। िहनकर ुत किवता नवीन किवताक श ैलीमे िलखल गेल अिछ।समय पी दप र्णमेसमय पी दप र्णमेदेखइत छी हम अपन म ूहआऽ करइत छी अभवजे िकछु नव निह होइछजनमइ अिछिन अहलभोरिकछु एहन-एहन इाउठइ अिछ मोनमे भावनाक तरजे आइ िकछु नव होएतमुदा सुज भगवान छािप दैत छिथिदक माथपर िकछु एहन-एहन समाचारजािहमे हम अपनाकेँअिभयोिजत निह कए पबैत छीद ूर-द ूर उड़इत गदा र्क पािखएँँ94


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पोसा पड़बा जिहना मोट भए जाइत अिछतिहना हमर भावना-तर ंगअभवक सल पािब मोट भए कएिस करैछ जेनव िकछु निह होइछजे िकछु हमरा सोझा ँ अबैछसे िथक समयक िशलाखंडपरिखआएल पुरनके वु, पुरनके िवचार,जे नव होएबाक द भरैत अिछआऽ थाकल ठेिहआएल मोनक पीड़◌ा हरैत अिछ२. ड◌ॉ पंकज पराशरी ड◌ॉ. पंकज पराशर (१९७६- )। मोहनपुर, बलवाहाट चपरा ँव कोठी, सहरसा। ारिक िशक्षासँ ातक धिरगाम आऽ सहरसामे। फेर पटना िविवालयसँ एम.ए. िहीमे थम णीमे थम ान। जे.एन.य.,िदीसँ ू एम.िफल.। जािमयािमिलया इािमयासँ टी.वी.पकािरतामे ातकोर िडोमा। मैिथली आऽ िहीक ितित पिका सभमे किवता, समीक्षा आऽआलोचनाक िनब ंध कािशत। अंजीसँ िहीमे ◌ॉद लेवी स्◌ॉस, एबहाडर् िफशर, हकु शाह आ ूस चैटिवन आिदक शोधिनबक अवाद। ’गोवध और अंज’ नामसँ एकटा तं पोथीक अंजीसँ अवाद। जनसामे ’दिनया ु मेरे आगे’ ंभमेलेखन। रघ ुवीर सहायक सािहपर जे.एन.य.सँ ू पी.एच.डी.।पिहयाकतेक िदनसँ घिम ू रहल अिछ प ृीिदनसँ राित आऽ राितसँ भोर करैत अंतिरक्षमेअनंत जीवन चक छोट-छोट िघरनीकेँ सारैतआब तँ बाटक हरानीसँ95


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जा िजयान भऽ गेल हेतैक बतिहया केआऽ हाल-बेहाल पिहया सबहकहओ बाब ू!आइयो तोरा सहबक (अ)ज्ञानभूिमपरजे गड़िक रहल छह मृकिटकम केर पिहयाओिहपर कतेक पिहया गेल अिछ अनंत धिर तकराएिह चाडुबानी के बेरमे कतेक मोन पाड़बह आब?तोँ जे सब िदन पिहयेक घ ुमौनीकेँब ुझैत रहलह गितआइयो धिर निह कऽ सकलहचाठेल शिक साक्षाारजािह रथकेँ िनिव र् आगू बढ़एबाक लेल कहा ँदनअपन आ ँगुरकेँ िकी बना कए ध ुरीमे लगा दे छलिखन कैकेयीतािह पिहयाक घ ुमौनी आइयो घ ुमा रहल छिन रामकेँआानसँ वतर्मानक िशलाप ूजन धिरक रथयाामेहओ बाब ू!पिहया जे धरतीसँ बेशी िदमागमे चलैत अिछतकरा सबहक हालपर आब कतेक ध ुनबह कपार!िपतामह भीपर जे पिहया लऽ कए दौड़ल छलाह कृजँ कऽ सकह साध ंश तँ कहक तािह पिहयाक संदभर्मे-माधब! ई निह उिचत िवचार!96


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बाबीक मुँहें सुनल िबतबा भाइक िखाक गाड़◌ीमेजोतल मुसबा सब घीचँ छ्ल जािह अुत पिहयाकेँतािह पिहया सबहक गितएतेक म ंद िकएक भऽ गेल छैक आबजे राधा धिर पहु ँचबासँ पिहनिह दऽ दैत छैक जवाब?बड़दवला गाड़◌ीक लेल िजनगी भिर पिहया बिनहारहमरा गामक काशी कमारजीवन भिर निह पहु ँिच सकल कुबेरक दरबार!हम सोचैत छी आऽ लसिक जाइत छी बेर-बेरअतीतक दलदिलत बाटपर दलमिलत दयसँसताकेँ घीचैत-घीचैत पिहया आइ जतय धिर पहु ँचल अिछतािह ठामसँ जँ अिखयासैत छीतँ वएह सब देखाइत छिथ िटकासनपर ठाढ़जे कोनहुना ा कयलिन सा आ कमेलिन पाइपिहया-पिहयाक अंतर देखइक जाहक हओ बाब ू!जे ककरो िनीम अंतिरक्ष धिर पहु ँचलतँ असं लोकक पिहयाजीवन केर कदबेमे लसकल रिह गेल भिर भिर िजनगीघरक पिहया केर बिहया बनल हमरा लगैत अिछजे जीवन केर गाड़◌ीक पिहया चर र्-मर र् करैत97


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्यााक आरोह कालमे ढरकऽ लागल अिछागैितहािसक जंगलमे अवरोहणाथ र्1. िवनीत उल 2. अंकुर झा१.िवनीत उल (१९७८- )। आनंदपुरा, मधेपुरा। ारिभक ं िशक्षासँ इ ंटर धिर मुंगेर िजला अंतत रणगा ंव आs तारापुरमे।ितलकामा ंझी भागलपुर, िविवालयसँ गिणतमे बीएससी (आनस)। र् गु जेर िविवालयसँ जनसंचारमे मार िडी। भारतीयिवा भवन, नई िदीसँ अंगरेजी पकािरतामे ातकोर िडोमा। जािमया िमिया इािमया, नई िदीसँ जनसंचार आऽरचनाक लेखनमे ातकोर िडोमा। न म ंडेला सेंटर फ◌ॉर पीस एंड कनि िरजोूशन, जािमया िमिलया इािमयाकपिहल बैचक छा भs सिटिफकेट र् ा। भारतीय िवा भवनक ंच कोस र्क छा।आकाशवाणी भागलपुरसँ किवता पाठ, पिरचचा र् आिद सािरत। देशक ितित प-पिका सभमे िविभ िवषयपर तंलेखन। पकािरता कैिरयर- दैिनक भार, इ ंदौर, रायपुर, िदी स, दैिनक िहंद ुान, नई िदी, फरीदाबाद, अिकं चन भारत,आगरा, देशब ंध , ु िदी मे। एखन राष्ीय सहारा, एडा मे विर उपसंपादक .।पाटनर, र् अहा ंक म ूल कीअहा ं कs मन छिथकिव मुिबोधजखन हुनकािकयो नव लोक भेटित छलैनतs पुछिथनपाटनर, र् अहा ंक पािलिट कीआब तs98


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मुिबोध निह छिथमुदा, िमिथला मे हुनकर गपघर-घर मेअहा ं सुिनसकैत छीई गप जखन-तखननिह सुनबिहमुदा, ाह-दानकघटकैित मेसुनबिह जरपाटनर, र् अहा ंक म ूल कीअहा ंकs एिह गप मेअंतर िकछुनिह लागतमुदा, जमीन आ आसमानकफ़कर् छैकमुिबोधक गप मे मानिसक आवैचािरक र देखबा मे आबैत छलजखन िक िमिथलाक संार मेिनखटुओ जे छिथप ूव र्जक गुणगान मेपेटकुिनया धे भेटताह99


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एकटा गपपुछै छीआब िकराजतं छैकजे राजाक बेटाराजा होइत.निह टाइम अपना लेलना मेगाम-घर मेसुित रिहकरीनिह करीतखन तsएक कान से सुिनदोसर कानसsउड़◌ा दैत रिहमुदा,जखन सsकरी केलहु ं अिछब ुझाब मे आिब गेल100


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्करीक भावनिह अपनठाम अs िठकानाजतयकं पनी पठैलकविह ठाम ओ िठकानानिह सुतैक टाइमनिह उठैक लेल टाइमनिह खाइक लेल टाइमनिह टाइम अपना लेलयिह छै करी.2. अंकुर झाअंकुर काशी नाथ झा,गाम-कोइलख, िजला-मध ुबनी,िमिथला ंचलसरकारी योजनामाथ पर ले जारैनक पिथया,घिम ु रहल छै, कलमें गाछीयेएकटा ब ुढ़ि◌या ।सब कहै छै ओ हरिजन छै,101


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सरकार ओकरा दे संरक्षण छै,मिहला वला सेहो ओकरा आरक्षण छै,तइयो अभगली के गंजन छै।सरकार के ओकर जाित पर बहुत छै ान,ओकरा लेल घर बेनबाक सेहो छै ावधान,अ आ कपड़◌ा में वैह सब छै धान,तइयो ओ खाइ लेल छै पेरशान।इिदरा ं आवास आ अप ूणा र् के योजना एलै,ब ुढ़ि◌या के ई सब भेटब सपना भेलै,ता सब के अ भेटलै, घर बनलै,सरकार ब ुझलकै गरीबक काण भेलै।एक बेर फेर ओ योजना सऽ विचत ं रिह गेलै,प ूछलीयै जे ओकरा िकयैक निह भेटलै,मुिखया जी कहलैन,जगह कम आ बेसी भीड़ छै,मुदा स बात तऽ काका कहला,बेचारी ब ुढ़ि◌या शिरफ छै॥िचकार: ोित झा चौधरीोितकेँ wwwpoet . r y. comसँ संपादकक च◌ॉयस अवाडर् (अंजी पक हेतु) भेटल छि। हुनकर अंजी प िकछु िदन धिरwwwpoet . r ysoup. com केर मु प ृ पर सेहो रहल अिछ। ोित िमिथला िचकलामे सेहो पार ंगत छिथ आऽ िहनकरिमिथला िचकलाक दश र्नी ईिलंग आट र् ुप केर अंतत ईिलंग ◌ॊडवे, लंडनमे दिश र्त कएल गेल अिछ।िमिथला पेिट ं ंगक िशक्षा सुी ेता झासँ बसेरा इ ंीूट, जमशेदपुर आऽ लिलतकला तूिलका, साकची, जमशेदपुरसँ। शनलएशोिसएशन फ◌ॉर ब्लाइड, जमशेदपुरमे अवैतिनक पेँ प ूव र्मे अापन।ोित झा चौधरी, ज ितिथ -३० िदसर १९७८; ज ान -बेवार, मध ुबनी ; िशक्षा- ामी िववेकान िम िडल ूल◌़ िटोसाकची गर् हाई ूल◌़, िमसेज के एम पी एम इटर कालेज़, इिरा गाी ओपन यिनविस ू र्टी, आइ सी डबू ए आइ (क◌ॉएकाउेी); िनवास ान- लन, य.के.; ू िपता- ी शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। ''मैिथली िलखबाकअास हम अपन दादी नानी भाई बिहन सभकेँ प िलखबामे कए छी। बेसँ मैिथलीसँ लगाव रहल अिछ। -ोित102


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्न ूतन झा; गाम : बेवार, मध ुबनी, िबहार; ज ितिथ : ५ िदसर १९७६; िशक्षा - बी एस सी, काणक◌ॉलेज, िभलाई; एम एस सी, क◌ॉपो र्रेिटव क◌ॉलेज, जमशेदपुर; फैशन िडजाइिनंग, एन.आइ.एफ.डी., जमशेदपुर।“मैिथलीभाषा आ' मैिथल संृितक ित आा आ' आदर हर मोनमे बेस◌◌ं बसल अिछ। इ ंटरट पर ितरहुताक्षर िलिपक उपयोगदेिख हम मैिथल संृितक उज्ल भिवक हेतु अित आशाित छी।”द ुगा र् प ूजा-103


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आिन मासक शुपक्षकऽ ाितपदा ितिथ सऽ नवराीक आर होइत अिछ। आन देश सऽ िमिथला ंचलमे द ुगा र्प ूजाकिनक िभ होइत अिछ। िमिथला ं ंचलमे द ुगा र्प ूजा म ूलत प ूजा एवम ् आिकताक पाबिन अिछ कारण नाच गान ओतेक महत्प ूण र्निह होइत अिछ। तैयो गाम सबमे मेला लागैत अिछ आ नाटक- ट ंकी के आयोजन रहैत अिछ। ितमा प ूजा होइतअिछ जकर िवसजर्न याा िदन होइत अिछ। घरे-घर अिह समय िविध-िवधान सऽ प ूजा होइत अिछ। महााक ात कलशकेँािपत कैल जाइत अिछ आ अिह के चा कात जौ रोपल जायत अिछ जािहस◌◌ं जयी उगैत छै। भगवती द ुगा र्क प ूजाकई दस िदन िमिथला देशके सबसऽ बेसी िदनतक चलैवला प ूजा अिछ। कतेक लोक िदनका त करैत छिथ जािहमेसुया र्क बाद फलाहार करैत छिथ। अमी वा नवमी कऽ कुमािर भोजक था सेहो चिलत अिछ। कतेक ठाम िदनकसूण र् रामायणक पाठ होइत अिछ तऽ कतेक लोक दसो िदन द ुगा र् सशतीक पाठ करैत छिथ। भगवती द ुगा र्क िनिलिखत १०८नामक ितिदन जाप करिनहार के सव र्था िसि भेटैत छैन :1 ॐ सती, २ साी, ३ भवीता, ४ भवानी, ५ भवमोचनी, ६ आया, र् ७ द ुगा, र् ८ जया , ९ आा, १० िा, ११श ूलधािरणी, १२ िपनाकधािरणी, १३ िचा, १४ चघा, १५ महातपा: , १६ मन: , १७ बि: ु , १८ अहंकारा, १९ िचपा, २० िचता, २१िचित:, २२ सव र्ममयी, २३ सा, २४ सानिपणी, २५ अना, २६ भािवनी, २७भाा, २८ भा, २९ अभा, ३० सदागित: , ३१शावी, ३२ देवमाता, ३३ िचा, ३४रिया, ३५ सविवा, र् ३६ दक्षका, ३७ दक्षयज्ञिवनािशनी, ३८ अपणा, र् ३९अकवणा, र् ४० पाटला,४१ पाटलावती, ४२ पारपरीधाना, ४३ कलमिनी, ४४ अमेयिवमा, ४५ ूरा, ४६ सुरी, ४७ सुरसुरी, ४८ वनद ुगा, र् ४९ मातंगी,५०मतंगमनपिजता, ू ५१ ाह्मी, ५२ माहेरी, ५३ ऐी, ५४ कौमारी, ५५ वैवी, ५६चामुा, ५७ वाराही, ५८ ली, ५९पुर ्उषाकृितः , ६० िवमला, ६१ उिष र्णी, ६२ ज्ञाना, ६३ िया,६४ िना, ६५ बिदा, ु ६६ बहुला, ६७ बहुलमा, ६८ सव र्वाहनवाहना,६९ िनशुशुहननी, ७० मिहषासुरमिद र्नी, ७१ मध ुकैटभही, ७२ चमुिवनािशनी, ७३ सवा र्सुरिवनाशा, ७४ सव र्दानवघाितनी, ७५सव र्शास्मयी, ७६ सा, ७७ सवा र्धािरणी, ७८ अकशस्हा, ७९ अकाधािरणी, ८० कुमारी, ८१ एकका, ८२कैशोरी, ८३ युवती, ८४यितः , ८५ अौढ़◌ा, ८६ ौढ़◌ा, ८७ व ृमाता, ८८ बलदा, ८९ महोदरी, ९० मुकेशी, ९१ घोरपा, ९२ महाबला, ९३ अिाला,९४ रौमुखी, ९५ कालराी: , ९६ तपिनी, ९७ नारायणी, ९८ भकाली, ९९ िवुमाया, १००जलोदरी, १०१ िशवद ूती, १०२ कराली, १०३अना, १०४ परमेरी, १०५काायनी, १०६ सािवी, १०७ क्षा, १०८ वािदनी।104


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िजतमोहन झा घरक नाम "िजतू" जितिथ ०२/०३/१९८५ भेल, ी बैनाथ झा आ ीमित शा ं ित देवी केँ सभ स छोट(ितीय) सुप ू। .रामेर झा िपतामह आ .शोभाका ंत झा मामह। गाम-बनगा ँव, सहरसा िजला। एखन मुईमे एकिलिमटेड कं पनी में पद्ािपत।िच : अयन आ लेखन खास कs मैिथली ।पसंद : हर िमिथलावासी के पसंद पान, माखन, औरमाछ हमरो पसंद अिछ।105


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हम लड़की वला छी जनाब ...आज ुक पिरवेशमे बेटी सव र्गुण संप आर आिनभर्र अिछ ! हुनकर िववाहके जखन बात आबैत छलए ता ँ द ु पक्ष (वर -वध) ु क भावनाकेँ महत् देवक चाही ! हम तँ कहब आब खाली लड◌़िकये टा निञ लड◌़को सभ मानिसक पसँ अइ बातकलेल तैयार रहिथ िक शायद िशक्षा, पसंद - नापसंद, वहार के लऽ कऽ ओहो कुन ू लड़की ारा नकारल जाऽ सकैत छिथ !ई सुिन कऽ िकछ अटपटा जेका ँ जर लागल हैत िकये िक एिह तरहक भाषा तँ हमेशा लड◌़का (वर पक्ष) वला करैत छिथ! मुदा आब जमाना बदिल गेल यs ओ समय बीत गेल अिछ जै समयमे बेटी वला अपन बेटीक लेल एक यो वरक तलाशमेभूख, ास तक िबसिर जाइत रहिथ ! अपन बेटी के हाथ िपयर करब ओ सब अपन जीवनक सभसँ पैघ परीक्षा ब ुझैतरहिथन !आब सभ जगहक बाद अप ं िमिथलामे ई सभ पिरभाषाकेँ एक नया िसरासँ गढल जाऽ रहल अिछ ! आब हर मा ँ-बाब ूजी अपनबेटीकेँ ससुराल भेजब दोसर म आर बेटीक आका ंक्षा हुनकर तं िवचार राखएकेँ पिहल ममे राखए के यास कऽ रहलछिथ ! आइ के माता - िपता अपन बेटीक भिवसँ आशाित छिथ, िचंितत निञ ! आइ बेटीपर कुन ू तरहक दबाब निञरहल ! आइ हुनको अपन भावी पित (वर) केहेन होइन ई तय करऽ के अिधकार छिन ! कुन ू बात के लेल आइ ओऽवा निञ छिथ ...ओना आइयो अपन िमिथलामे शादी - िववाह ब ुज ुगे र् तय करैत छिथ मुदा िरश्तामे लड़की के दखल एक सुखद बदलाव अिछ,अपन समाजमे आइयो लड◌़का वला होई के झ ूठा अकड़क चलन प ूण र् पसँ निञ िमटल अिछ ! कतो निञ कतो अपकेँलड◌़का वला दोहरी मानिसकताक चेहरा लऽ कए घ ुमैत नजर परले हेता !पिछले सालक बात छी हम एक पिरिचतक बेटीक िरश्ताक संदभर्मे बहुत पिरवारसँ िमललहु ँ ! जै मे िकछ अभव बहुत कटुरहल ! ितरृत सन ् बताव र् देखलासँ मोन बहुत आहत भेल ! हम सब पिरवार के आबैत घरी अपन नाराजगीयो अक्षपसँ ो केिलयिन ! द ुखक बात अिछ की ऐहेन शु आर खल वहार करएसँ लोक शमा र्वैतो निञ छिथ ! समाजमेनज़र दौरेलासँ देखब की हर जगह लड़की वालाकेँ आसानक साथ िखलवार भऽ रहल अिछ !एक बेर हमर पड़◌ोसीक बेटीक िववाह तय भेल, वर पक्ष वाला लड़कीयो देिख कऽ गेलिथ लड़की हुनको सभकेँ पसंद भेलिन।सभ बात िबचार सेहो तय भऽ गेलिन। लड़की पक्षकेँ लड◌़का पक्ष वालाक फोनक इ ंतजार रहिन। द ुइ िदनक बाद लड◌़कावला फ◌़◌ोन केलिखन िक हमरा सोचक लेल समय चाही हमर बेटाक लेल पा ँच गोट िरश्ता आयल छल। अप के लेल िवचारकरब ! आब अही ं कहू, ई सब की भऽ रहल अिछ ? एकर मतलब साफ छलए, की लड़कीक भावनाकेँ ब ूझए वाला िकयो निञछिथ !हमरा हँसीक संगे संग द ुखो होइत छल जे हर बेर िरश्ता तय करबाक हक िसफ र् लड़के वाला कऽ होइ छिन ! लड़की वालाकेँप ूछए वाला िकयो निञ छिथ ओ एक कठपुतलीक समान िकयो हुनका हा ँ कहिन तोमे ख ुश निञ कहिन तय नया िसरासँ िरश्ताकतलाशमे लािग जाइत छिथ ! हुनकर द ुःख दद र् िकयो निञ ब ूझक यास करए छिथन ....हम तँ कहब ई लड◌़का वालाक ढकोसला आब बेसी िदन निञ चलत। आइ सभ मे लड़की मौजूद छिथ, सव र्गुण संपछिथ, संगे आिनभर्र सेहो छिथ ! आब खाली लड◌़िकये निञ लड◌़कोक मानिसक पसँ अइ बातक लेल तैयार रहए पड़तिनकी शायद िशक्षा, पसंद - नापसंद, वहारकेँ लऽ कऽ ओहो एक लड़की ारा नकारल जाऽ सकैत छिथ !िववाहक समय लड◌़का वाला उफ र्◌़ बिरयातीगन स्ंकेँ बढ़ि◌-चिढ कऽ देखाबए लेल बहुत तरहक हरकत करैत छिथ, भामजाक, तरह - तरहक फरमाइश, लड़की वालाक ारा कएल गेल वापर बेवजह नाराजगी या भोजन पसंद निञ आबय के106


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िशकायत ! लड़की वाला अपन हैिसयतक असार या ओइसँ बेसी िनक आवभगत आर वा राखैत छिथ ! मुदा एिह तरहकबताव र् हुनकर सब कएल गेलपर पािन फेर दैत छिन !बेटीक िववाह शुभ - शुभ प ूण र् होइन अइ दबाबमे ओऽ चािहयो कऽ िकछु निञ बािज पावैत छिथ !सभ लड़कीक मा ँ - बाब ूजीक फजर् बत छिन िक ओऽ अपन कतर्क ित जागक रहिथ, संगे ओऽ अपन बेटीक भावनाक सानसेहो करिथ ! यिद कुन ू लड◌़का वाला िरश्ताक लेल हँ कहैत छिथ तँ ओकरा अपन भा मािन कऽ अपन बेटीक हँ या निञकेँ नज़र अंदाज निञ करी, हुनकर राय जर ली ....िववाहक अइ पिव ब ंधनकेँ बेरीसँ मु राखी ! लड◌़का वाला अहं आर लड़की वाला बेचारगीकेँ िबसिर जाओ ! बेटेक जेका ँबेिटयोक ज सुखद अिछ। हर माता - िपता गव र्सँ कहू ...... हम लड़की वला छी जनाब...........बालाना ं कृते१.बू -गजे ठाकुर२. देवीजी:-व ृक्षारोपण ोित झा चौधरीिच: ोित झा चौधरीबूएकटा बकड़◌ी छिल। ओकरा एकटा बा भेलैक। मुदा ओऽ छागर मा ४ मासक छल आिक द ुगा र्प ूजा आिब गेल। द ुगा र्प ूजामेछागरक बिल देबाक िकयो कब ुला के छलाह। से बकड़◌ीक मािलकक लग आिब छागरक दाम-दीगर केलि। संगमे पाइ निहअन छलाह से अिगला िदन पाइ अनबाक आऽ चागर लए जएबाक गप कए चिल गेलाह। बकड़◌ी ई सभ सुत छिल ओऽ अपनबाकेँ कहलि जे भािग जाऊ जंगल िदस निह तँ ई मिलकबा काि अहा ँकेँ बेिच देत आऽ िकननहार द ुगा र्प ूजामे अहा ँक बिलदए देत। छागर राता-राती जंगल भािग गेल। २-३ साल ओऽ जंगलमे िबतेलक, मोट-सोट बू भए गेल, पैघ दाढ़◌ी आऽ107


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िसंघ भए गेलैक ओकरा। एक िदन घ ुमैत-घ ुमैत ओऽ दोसर जंगलमे चिल गेल। ओतए एकटा बाघ छल, बू बाघकेँ देिख कएघबड़◌ा गेल। बाघ सेहो एहन जानवर निह देख छल, से ओऽ अप डरायल छल। ओऽ पुछलक-नामी नामी दाढ़◌ी मोंछ भकुला,कहू कतएसँ अबैत छी, निञ तँ देव ठकुरा।बू कहलक-अचु र्ी खेलहु ँ गरचुी खेलहु ँ, िसंह खेलहु ँ सात।आऽ जिहया दस बाघ निञ होए, तिहया परहु ँ ठक दए उपास।ई सुिन बाघ पड़◌ाएल। मुदा रामे निढया िसयार ओकरा भेटलैक आऽ कहलकैक जे अहा ँ अरे डरैत छी। चल ू आइ तँनीक मसुआइ होएत। ओऽ तँ बकड़◌ीक बा अिछ। बाघ डराएल छल से ओऽ िसयारक पैरमे पैर बाि ओतए जएबा लेलतैयार भए गेल। आब बू जे द ुन ूकेँ अबैत देखलक तँ बिझ ु गेल जे ई िसयरबाक काज अिछ। मुदा ओऽ बिसँ ु काजलेलक। कहलक-“ऐँ हौ, तोरा द ू टा बाघ आनए ले कहिलयहु आऽ तोँ एकेटा अनलह”।ई सुत देरी बाघ भागल आऽ िसयरबा िघिसआइत मिर गेल।२. देवीजी: ोित झा चौधरीदेवीजी :108


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िच: ोित झा चौधरीदेवीजी : व ृक्षारोपणबाढ़ि◌क खबिर सऽसब द ुखी छल। कतेक ठाम तऽ िवालय ब भऽ चुकल छल। देवीजीक िवालय संयोग सऽ बाढ़ि◌सऽ बचल रहैन। लेिकन ओतय कै लागल छल।बाढ़ि◌ सऽपीड़ि◌त लोक सबके बचाक ओतऽ आय देल गेल। देवीजीके सेवाभाव फेर सब िवाथीर् एवम ् िशक्षकगणके एकज ुट भय सामािजक काय र् करलेल उािहत केलकैन।सबिकयो गौव◌ॉ◌ं सबसऽ पाइ, कपड़◌ा आ भोजन जमाकऽ कैमे ब◌टलक। दवाईके इ ंतजाम सेहोकेलक। ओिहकैमे आयल बा सबके लऽ कऽ देवीजी अपन पुरान छा सबसंगे पढ़◌ेनाई सेहो ार केली। तहन अिह िवपदाक िवषयमेचचा र् उठल तऽ देवीजी सबके पयावरणके र् बढैत तापमानक जानकारी देलिखन।ओ बतेलिखन, ''सब जगह तापमान बढ़ला सऽ िहमनद सब घिम रहल छै। तािह पर सऽ िहमालय पर िवके सबस◌◌ंऊं च आ िवशाल िहमनद छै जे गमीर्सऽ घिम रहल छै। ओकर पािन िहमालय सऽ िनकल बला नदी सबमे आिब रहल छै। तै ं ईिवपि आयल अिछ। अकरा रोकैलेल नदी सबके िकनार मजब ूत भेनाई बड आवक छै जािहलेल सामा जनता व ृक्षारोपण कऽसरकारक सहायता कऽ सकैत छैथ।बा बनाइ तऽ सरकार ारा कैल जायत लेिकन जगह-जगह गाछ लगा हम सबतापमान िनयंण आऽ मािटक कटाव पर रोक लगा सकै छी। जौ ं मेघके लौह मानी तऽ गाछके चुक मान ू।गाछ रहला सऽबरखाक अभाव सेहो द ूर होइत अिछ।देवीजीक अिह बात सऽ भािवत भऽ सबिकयो खाली पड़ल जमीनपर आ सड़कक काते-काते गाछ लगेला आऽकैक लोकसब तऽ इहो मोन बला जे अपन गाम घ ुरलापर ओ सब ओतौ व ृक्षारोपण करता आऽ व ृक्षके अनायास काटऽ पररोक लगौता।बा लोकिन ारा रणीय ोक१.ातः काल मुहूर् (स ूयो र्दयक एक घंटा पिह) सव र्थम अपन द ुन ू हाथ देखबाक चाही, आ’ ई ोक बजबाक चाही।करा वसते लीः करमे सरती।करम ूले ितो ा भाते करदश र्नम ्॥करक आगा ँ ली बसैत छिथ, करक ममे सरती, करक म ूलमे ा ित छिथ। भोरमे तािह ारे करक दश र्न करबाकथीक।२.संा काल दीप लेसबाक काल-दीपम ूले ितो ा दीपमे जनाद र्नः।दीपा शरः ोक्ः साोितन र्मोऽुते॥दीपक म ूल भागमे ा, दीपक मभागमे जनाद र्न (िवु) आऽ दीपक अ भागमे शर ित छिथ। हे संाोित! अहा ँकेँनमार।३.सुतबाक काल-राम ं ं हन ूमं वैनतेय ं व ृकोदरम ्।शय यः रेिं द ुः नित॥109


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जे सभ िदन सुतबासँ पिह राम, कुमारामी, हन ूमान, ् गड़ आऽ भीमक रण करैत छिथ, हुनकर द ुः न भऽ जाइतछि।४. नहेबाक समय-गे च यमु चैव गोदाविर सरित।नम र्दे िसु कावेिर जलेऽिन ् सििध ं कु॥हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरती, नम र्दा, िसु आऽ कावेरी धार। एिह जलमे अपन साि िदअ।५.उर ं यमु िहमाेैव दिक्षणम ्।वष ं र् तत् भारतं नाम भारती य सितः॥समुक उरमे आऽ िहमालयक दिक्षणमे भारत अिछ आऽ ओतुका सित भारती कहबैत छिथ।६.अहा ौपदी सीता तारा मोदरी तथा।पकं ना रेिं महापातकनाशकम ्॥जे सभ िदन अहा, ौपदी, सीता, तारा आऽ मदोदरी, एिह पा ँच साी-स्ीक रण करैत छिथ, हुनकर सभ पाप न भऽजाइत छि।७.अामा बिला र्सो हन ूमा ं िवभीषणः।कृपः परशुराम सैते िचरीिवनः॥अामा, बिल, ास, हन ूमान, ् िवभीषण, कृपाचाय र् आऽ परशुराम- ई सात टा िचरीवी कहबैत छिथ।८.साते भवतु सुीता देवी िशखर वािसनीउन तपसा लो यया पशुपितः पितः।िसिः साे सतामु सादा ध ूजर्टेःजावीफेनलेखेव यूिध शिशनः कला॥९. बालोऽहं जगदान न मे बाला सरती।अप ू र् पंचमे वषे र् वण र्यािम जगत्यम ् ॥मैिथलीक मानक लेखन-श ैली110


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्1. जे श मैिथली-सािहक ाचीन कालसँ आइ धिर जािह वर्नीमे चिलत अिछ, से सामातः तािह वर्नीमे िलखलजाय- उदाहरणाथ र्-ाअाएखनअखन,अखिन,एखेन,अखनीठाम िठमा,िठना,ठमाजकर,तकर जेकर,तेकरतिनकर ितनकर।(वैकिक पेँ ा)अिछऐछ, अिह, ए।2. िनिलिखत तीन कारक प वैिपकतया अपनाओल जाय:भ गेल, भय गेल वा भए गेल।जा रहल अिछ, जाय रहलअिछ, जाए रहल अिछ।कर’ गेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।3. ाचीन मैिथलीक ‘’ िनक ानमे ‘न’ िलखल जाय सकैत अिछ यथा कहलिन वा कहलि।4. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय िलखल जाय जत’ तः ‘अइ’ तथा ‘अउ’ सदृश उारण इ हो। यथा- देखैत, छलैक,बौआ, छौक इािद।5. मैिथलीक िनिलिखत श एिह पे यु होयत:जैह,सैह,इएह,ओऐह,लैह तथा दैह।6. ह्र् इकारा ंत शमे ‘इ’ के लु करब सामातः अा िथक। यथा- ा देिख आबह, मािलिन गेिल (ममामे)।7. तं ‘ए’ वा ‘य’ ाचीन मैिथलीक उरण आिदमे तँ यथावत राखल जाय, िकं तु आधिनक ु योगमे वैकिक पेँ‘ए’ वा ‘य’ िलखल जाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह, जाय वा जाए इािद।8. उारणमे द ू रक बीच जे ‘य’ िन तः आिब जाइत अिछ तकरा लेखमे ान वैकिक पेँ देल जाय। यथा-धीआ, अढ़◌ैआ, िवआह, वा धीया, अढ़◌ैया, िबयाह।9. सानािसक तं रक ान यथासंभव ‘ञ’ िलखल जाय वा सानािसक र। यथा:- मैञा, किनञा, िकरतिनञा वा मैआ,ँकिनआ, ँ िकरतिनआ ँ।10. कारकक िवभिक्क िनिलिखत प ा:-हाथकेँ , हाथसँ, हाथेँ, हाथक, हाथमे।’मे’ मे अार सव र्था ा िथक।‘क’ क वैकिक प ‘केर’ राखल जा सकैत अिछ।11. प ूव र्कािलक ियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अय वैकिक पेँ लगाओल जा सकैत अिछ। यथा:- देिख कय वा देिखकए।12. मा ँग, भा ँग आिदक ानमे माङ, भाङ इािद िलखल जाय।13. अर् ‘न’ ओ अर् ‘म’ क बदला असार निह िलखल जाय(अपवाद-संसार सार निह), िकं तु छापाक सुिवधाथ र् अर् ‘ङ’ ,‘ञ’, तथा ‘ण’ क बदला अारो िलखल जा सकैत अिछ। यथा:- अ, वा अंक, अल वा अंचल, क वा कं ठ।14. हलंत िच िनयमतः लगाओल जाय, िकं तु िवभिक संग अकारा ंत योग कएल जाय। यथा:- ीमान, ् िकं तु ीमानक।15. सभ एकल कारक िच शमे सटा क’ िलखल जाय, हटा क’ निह, संयु िवभिक हेतु फराक िलखल जाय, यथा घरपरक।16. अनािसककेँ चिबु ारा कयल जाय। पर ंतु मुणक सुिवधाथ र् िह समान जिटल माा पर अारक योगचिबुक बदला कयल जा सकैत अिछ।यथा- िहँ केर बदला िहं।17. प ूण र् िवराम पासीसँ ( । ) सिचत ू कयल जाय।18. सम पद सटा क’ िलखल जाय, वा हाइफेनसँ जोड़ि◌ क’ , हटा क’ निह।19. िलअ तथा िदअ शमे िबकारी (ऽ) निह लगाओल जाय।20.ाअा1. होयबला/होबयबला/होमयबला/ हेब’बला, हेम’बलाहोयबाक/होएबाक2. आ’/आऽ आ3. क’ ले/कऽ ले/कए ले/कय ले/ल’/लऽ/लय/लए111


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्4. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भए गेल5. कर’ गेलाह/करऽ गेलह/करए गेलाह/करय गेलाह6. िलअ/िदअ िलय’,िदय’,िलअ’,िदय’7. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करै बला/क’र’ बला8. बला वला9. आङ्ल आ ं10. ायः ायह11. द ुःख द ुख12. चिल गेल चल गेल/चैल गेल13. देलिख देलिक, देलिखन14. देखलि देखलिन/ देखलै15. छिथ/ छलि छिथन/ छलैन/ छलिन16. चलैत/दैत चलित/दैित17. एख अख18. बढ़ि बढि19. ओ’/ओऽ(सव र्नाम) ओ20. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ21. फािग/फािँफाइ ंग/फाइङ22. जे जे’/जेऽ23. ना-कुर ना-कर24. केलि/कएलि/कयलि25. तखन तँ तखनतँ26. जा’ रहल/जाय रहल/जाए रहल27. िनकलय/िनकलए लागल बहराय/बहराए लागल िनकल’/बहरै लागल28. ओतय/जतय जत’/ओत’/जतए/ओतए29. की फूड़ल जे िक फूड़ल जे30. जे जे’/जेऽ31. कू िद/यािद(मोन पारब) कू इद/याइद/कू द/याद32. इहो/ओहो33. हँसए/हँसय हँस’34. आिक दस/ िकं वा दस/ वा दस35. सासु-ससुर सास-ससुर36. छह/सात छ/छः/सात37. की की’/कीऽ(दीघीर्कारामे विजर्त)38. जबाब जवाब39. करएताह/करयताह करेताह40. दलान िदिश दलान िदश41. गेलाह गएलाह/गयलाह42. िकछु आर िकछु और43. जाइत छल जाित छल/जैत छल44. पहु ँिच/भेिट जाइत छलपहु ँच/भेट जाइत छल112


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्45. जबान(युवा)/जवान(फौजी)46. लय/लए क’/कऽ47. ल’/लऽ कय/कए48. एखन/अख अखन/एख49. अही ं केँ50. गही ं रअही ँ केँगही ँ रँ ँ51. धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए52. जेका जेँ का ँ/जका53. तिहना तेिहना54. एकर अकर55. बिहनउ बहइ56. बिहन बिहिन57. बिहिन-बिहइ बिहन-बहनउ58. निह/59. करबा’/करबाय/करबाए60. त’/त ऽ तय/तए61. भाय भै62. भा ँय63. यावत जावत64. माय मै65. देि/दएि/दयि दि/दैि66. द’/द ऽ/दएतका’ कए तकाय तकाएपैरे ( on f oot ) पएरेताहुमे ताहूमेपुीकबजा कय/ कएबननायकोलािदका िदनकाततिहसँगरबओलि गरबेलिबालु बाल ू113


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्चे िच(अशु)जेजे’से/ केसे’/के’एख ुनकाअखकाभुिमहार भूिमहारसुगरस ूगरझठहाक झटहाकछूिबकरइयो/ओ करैयोपुबािरपुबाइझगड़◌ा-झा ँटीझगड़◌ा-झािटँपएरे-पएरेपैरे-पैरेखेलएबाकखेलेबाकखेलाएबाकलगा’होए- होब ुझलब ूझलब ूझल (संबोधन अथ र्मे)यैहयएहताितलअयनाय- अयनाइिन- िनिबिबनजाए जाइजाइ(i n di f f er ent sense)-l ast wor d of sent ence114


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्छत पर आिब जाइखेलाए (pl ay) –खेलाइिशकाइत- िशकायतढप- ढ़पपढ़- पढकिनए/ किनये किनराकस- राकशहोए/ होय होइअउरदा- औरदाब ुझेलि ( di f f er ent meani ng- got under st and)ब ुझएलि/ ब ुझयलि (under st ood hi msel f )चिल- चलखधाइ- खधायमोन पाड़लिखमोन पारलिखकैक- कएक- कइएकलग ल’गजरेनाइजरओनाइ- जरएनाइ/जरयनाइहोइतगड़बेलि/ गड़बओलििचखैत- ( to test)िचखइतकरइयो(willing to do)करैयोजेकरा- जकरातकरा- तेकरा115


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िबदेसर ामे/ िबदेसरे ानमेकरबयलहु ँ/ करबएलहु ँ/करबेलहु ँहािरक (उारण हाइरक)ओजनवजनआधे भाग/ आध-भागेिपचा’/ िपचाय/िपचाएनञ/ बा नञ () िपचा जायतखन (नञ) कहैत अिछ।कतेक गोटे/ कताक गोटेकमाइ- धमाइ कमाई- धमाईलग ल’गखेलाइ (f orplaying)छिथ छिथनहोइत होइोिकयोकेश ( hai r )केस (cour t -case)बननाइ/ बननाय/ बननाएजरेनाइकुरसी कुसीर्चरचाचचा र्कम र्करमडुबाबय/ डुमाबयएख ुनका/ अख ुनका116


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्लय (वाक अितम श)- ल’कएलककेलकगरमीगमीर्बरदीवदीर्सुना गेलाह सुना’/सुनाऽएनाइ-गेनाइतेना घेरलिनञडरोड’रोकतहु- कही ंउमिरगर- उमरगरभिरगरधोल/धोअल धोएलगप/गके के’दरबा/ दरबजाठामधिर तकघिरूलौिटथोरबेकबतोँ/ तू ँतोँिह( पमे ा)तोँही/तोँिहकरबाइएकरबाइये117


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एकेटाकिरतिथकरतिथपहु ँिच पहु ँचराखलि रखलिलगलि लागलिसुिन (उारण सुइन)अिछ (उारण अइछ)एलिथ गेलिथिबतओिबतेकरबओलि/ करेलिखकरएलिआिकिकपहु ँिच पहु ँचजराय/ जराए जरा’ (आिग लगा)से से’हा ँ मे हा ँ (हा ँमे हा ँ िवभिक्मे हटा कए)फेल फैलफइल( spaci ous) फैलहोयति/ होएति हेतिहाथ मिटआयब/ हाथ मिटयाबयफेका फें कादेखाए देखा’देखायदेखा’सिरसरसाहेबसाहब118


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्16. VI DEHA FOR NON RESI DENT MAI THI LSMar r i age dat es as per KSD Samskr i t Uni ver si t y Panchang- 2008-09november 2008 19, 20, 23, 24, 27, 28, 30, december 2008 1, 3 f ebr uar y 2009 26, 27, mar ch 2009491112 , , , apr i l 2009 16, 17 19, 20, 22, 23, 27, 29, may 2009 3, 4678172021242531, , , , , , , , , , june20091, 3, 4, 5, 7, 8, 12, 17, 21, 26, 28, 29 j ul y 2009 12 ,YEAR 2008-09 FESTI VALS OF MITHILAिमिथलाक पाबिन-ितहारYear 2008ashunyashayanvr at - 19 julyअश ूशयन तr aksha bandhan/sr avani poor ni ma16 august रक्षाबन ावनी पिण ू र्माmauna panchmi -23 july मौना पंचमीkajli tritiya 19august कजली ितीयाmadhusr avanivr at samapt 4august मध ुावनी तसमाsr i kr i shnaj anmasht ami - 23august ीकृजामीnag panchmi 6august नाग पंचमीsr i kr i shnasht ami24 augustीकृामीkushot pat an/kushi amavasya30 augustकुशोाटन / कुशीअमावाkar ma dhar maekadasi vr at 11sept ember कमा र् धमा र्एकादशी तharitalika vrat2 sept emberहिरतािलका तi ndr apooj aar ambh 12sept ember इप ूजाआरchaut h chandr a 3sept ember चौठ चanant pooj a 14sept ember अनंतप ूजाRi shi panchmi 4sept ember ऋिषपंचमीagast yaar dhdanam 15sept ember अगस्अध र्दानमpi t r i pakshaar ambh 16sept ember िपपक्षआरvi shvakar mapooj a 17sept ember िवकमा र्प ूजाi ndr vi sar j an 18sept ember इिवसजर्नsrijimoot vahanvr at 22sept ember ीजीम ूतवाहन तmat r i navmi 23sept ember मानवमीsomaavat eeamavasya 29sept ember सोमावतीअमावाkal ashst haapana30 sept emberकलशापनvi l vabhi mant r a/bel naut i 5oct ober िवािभम ं/बेलितpat r i ka pr avesh6 oct ober पिकावेशkoj agr a 14oct ober कोजगराmahasht ami 7oct ober महामीdhant er as 26oct ober धनतेरसmahanavmi 8oct ober महानवमीdeepaval i -di yabat i -shyamapooj a 28oct ober दीयाबाती/ामाप ूजा/ दीयाबातीvi j ayadasmi 9oct ober िवजयादशमीannakut a-govar dhan pooj a29 oct ober अकू टगोवध र्न प ूजाbr at r i dvi t i ya/chi t r agupt pooj akhasht hi khar na3 november षीchhat hisayankal i kasamaa pooj aar ambh- chhat hi119


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्30 oct oberाितीयाखरना ar ghya 4navamber छिठसाय ंकािलक अर्vr at ak par ana 5november सामा प ूजाआर/ छिठ तकपारनाakshaya navmi 7november अक्षयनवमीdevot t hanekadasi 9november देवोानएकादशीvi dyapat i smritipar v11 novemberिवापित ृित पव र्काितर्क धवल योदशीkaar t i k poor ni ma13 november काितर्कपिण ू र्माshanmasi k r avivr at ar ambh 30november षाणमािसकरिव तारnavan par van 4dec. नवान पाव र्नvi vah panchmi 2december िववाहपंचमीYear 2009makar sankr ant i14 j anuar y मकरसंाितंnar ak ni var anchat ur dasi 24j anuar y नरक िनवारणचतुद र्शीmauni amavasya26 j anuar y मौनीअमावाsar asvat i pooj a31 j anuar y सरतीप ूजाachl a sapt mi - 2f ebr uar y अचलासमीmahashi vr at r ivr at 23 f ebr uar yमहािशवराि तj anakpurpar i kr ama 26f ebr uar y जनकपुरपिरमाhol i ka dahan 10mar ch होिलका दहनhol i /sapt ador a11mar ch होली साडोराvar uni yog 24mar ch वािण योगvasant /navr at r ar ambh 27mar ch वसंतनवराारbasantsoor yashasht hi /chhat hi vr at 1apr i l बसंत स ूय र्षी/छिठ तramnavmiरामनवमी3 apr i lmesh sankr ant i14 apr i l मेषसंाितंjurisital 15apr i l जूड़ि◌शीतलakshya t r i t i ya27 apr i l अक्षयितयाshanmasi kr avi vr at samapt3 may षणमािसकरिवत समाj anki navmi 3may vat savi t r i24 may जानकी नवमीgangadashhar a 2j une गंगादशहराsomavat iamavasya 22 j uneसोमवती अमावाj agannat h r at hyat ra 24 j uneजगाथ रथयााsaur at h sabhaar ambh 24 j uneसौराठ सभा आरsaur at h sabhasamapt i 2 j ul yसौराठ सभा समािhar i shayanekadashi 3 j ul yहिरशयन एकादशी120


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्aashadhi gur upoor ni ma 7 julyआषाढ़◌ी गु पिण ू र्माVI DEHA MI THI LA TI RBHUKTITI RHUT---Mul l a Taqi a has sai d t hat Kameswar a Thakur f ounder of t he Oi ni var a Dynast y of Sugaon,who had been oust ed by I l l yas was r ei nst at ed i n Ti r hut and Musl imofficers wereappoi nt ed f or t he pr opagat i on of Musl i m Law.Fi r uz Tughl aq' s vi si t ed Ti r hut many t i mes. Kamesvar a Thakur a ( A . D 1324-53)Of Khauar e Jagat pur mul a and was of Kasyapagot r a. But Jayapat i ' s son Hi t gu and hi s sonOi n Thakur , an ancest or of Kamesvar a had pr ocur ed Oi ni vi l l age f r om some Kshat r i yar ul er . Si nce t han hi s mul agr ama became ' Dinivara'. He had six brothers.'He made over t heki ngdom t o hi s son Bhogi svar a. Thakur a dynast y,or Sugaon Dynast y of Kamesvar a moder nSugar ma , P. O. Raj nagar , di st r i ct -Madhubani . The f ami ly name of ' Oi ni var a'i s af t er t hename of i t s - Bi j i pur usha.Oi n Thakur was t he gr eat -gr and-f ather of Kamesvar a Thakur , i s sai d t o haveest abl i shed hi msel f i n Oi ni vi l l age wi t h t he hel p of Nanyadeva' s descendant s.Bhogi svar a Thakur a ( A. D1353 . -70)-Kamesvar a di d not l i ke t o shoul der t he bur den of ar ei gn.He made over t he ki ngdom t o hi s son Bhogi svar a Thakur a af t er t hat Ganesha Raya121


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्who was, however , mur der ed by Ar j una Raya, Kumar a Rat nakar a and ot her s.Though he r ul edfor a ver y shor t per i od due t o hi s i nt el l i gence became one of t he f omous ki ng.Devasi mhadeva l i ved bef or e t he year 1410 A. D. assumed t he t i t l e ( Vi r uda)` Gar udanar ayana' . Under hi s pat r onage Vi dyapat i Wr ot e Bhupar i kr ama whi ch was l at er on,i ncor por at ed i n Pur ushapar i ksha wr i t t en f or hi s son Si vasi mha.Sridatta compi l ed t he Ekdgni danapaddhat i and Har i har a gr andf at her of Mur ar i , was hi sChi ef Judge. Vi dyapat i dedi cat ed some of hi s poems also to him.Devasimha mar r i edHasi ni Devi daught er of Mahamahopadhyaya Ramesvar a of Jal ayamul a and had t wo sons -Si vasi mha and Padmasi mha f r om her .Shi vSi mha ascended t hr one af t er hi s f at her ' s deat h i n A. D. 1412-13 at t he age of 50.By t hi s t i me t he poet Vi dyapat i had become much mor e f ami lar and intimat e wi t h t heki ng who r ecogni sed t he poet ' s gr eat ness and gr ant ed hi m hi s nat i ve vi l l age of Bi sphion t he occasi on of hi s bei ng i nst al l ed t he r ul er of Mi t hi l a and changed hi s capi t alf r om Devakul i t o Gaj ar at hapur as. He even st r uck coi ns i n hi s name , speci mens of whi chwer e f ound f r om a village called Pipra in the Champar an Di st r i ct . He i s al so sai d t ohave erect ed a Masol eum known as Mamoon Bhanj a at Jar uha, near Haj i pur .He f aught agai nst t he Mohammadans but i t i s sai d t hat he was def eat ed,ar r est ed andbr ought t o Del hi . Vi dyapat i showed hi s poet i c geni us and obt ai ned hi s r el ease.Lakhi madevi ( A-D. 1412-16) queen Lakhi ma fled with the royal fami l y,t o t ake shel t er i nvi l l age Raj abanaul i i n Sapt ar i Par ganna ( near moder n Janakapur i n Nepal Ki ngdom).Shewaited for twelve years in the hope of meet i ng or knowi ng anyt hi ng of her consor t . Shee l ai d down her l i f e as a sat i . After Sivasimha's deat h hi s f i r st wi f e Mahar aniPadmavat i Mahadevi r ul ed f or about one year si x mont hs,and af t er t hat Lakhi maMahadevi r ul ed f or si x year s and af t er her reign, Padmasimha came t o t he t hr one.Hedi ed onl y af t er a year and hi s wi f e Vi svasa Devi t ook t he management of t he st at er ei gned f or 12 year s wi t h gr eat success.The col l at er al br anch of Har i smhadeva assumed power . Dhi r asi mha began t o r ul e t houghNar as i mha l i ved on t o t hat year . Lakshmi nat hadeva, Kamsa nar ayana,came t o t he t hroneafter the demise of Ramabhadr adeva.a ver y gr eat pat r on of poet r y wr i t t en and composedin Mai t hi l i l anguage, assumed t he t i t l e of Rt t panar ayana.Si kandar Lodi who mar chedinto Ti r hut def eat ed t he Ti r hut ki ng.But after some t i me t he Bengal Rul er ended t he illustrious Oinivara Dynasty.Jyot i Jha Chaudhar y, Dat e of Bi r t h: December 30 1978, Pl ace of Bi r t h-Bel hvar ( Madhubani Di st r i ct ), Educat i on: Swami Vi vekananda Mi ddl e School , Ti sco SakchiGi r l s Hi gh School , Mr s KMPMInter College, IGNOU , ICWAI ( COST ACCOUNTANCY ); Resi dence-LONDON , UK ; Fat her - Sh. Shubhankar Jha, Jamshedpur ; Mot her - Smt . Sudha Jha- Shivipatti.Jyot i r ecei ved edi t or ' s choi ce awar d f r om wwwpoet . r y. com and her poems wer e f eat ur edi n f r ont page of wwwpoet . r ysoup. com f or some per i od.She l ear nt Mi t hi l a Pai nt i ng underMs . Shvet a Jha, Baser a I nst i t ut e, Jamshedpur and Fi ne Ar t s f r om Tool i ka, Sakchi ,Jamshedpur ( I ndi a). She had been honor ar y t eacher at Nat i onal Associ at i on For Bl i nd,122


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्Jamshedpur ( I ndi a). Her Mi t hi l a Pai nt i ngs have been di spl ayed by Eal i ng Ar t Gr oup atEal i ng Br oadway , London.Sahasr aBar hani : The CometThe r eason of t he f i ght was head of a pi g. One mor e st or y about t hat ol d man’s throwingability was famous. He was so perfect in aiming and throwing stick to the aim that all monkeys ran away from the mangoorchard out of fear. See the new generation. Can anyone t hr ough t he st i ck as hi gh as t he t op of t heJamun t r ee?Al l wr est l i ng spot s ar e used f or gr owi ng cr ops so how can youngst er sbui l d t hei r muscl es.Once, Bur hi ya di di had vi si t ed house of Nand wi t h her son f or empl oyment . The l ai ofBar h cooked by Bur hi ya di di can be t ast ed onl y when Bur hi ya di di was vi si t i ng Pat naor t he vi l l age.When power s of Zemi ndar s wer e sei zed t he t r end of doi ng j ob especi al l y t he gover nmentj ob was i n vogue and so get t i ng j ob was ver y t ough t oo.The Thakur s bel ongi ng t o t he bar ber communi t y of t en compl ai ned t hat Nand had hel pedever y communi t y t o get gover nment j ob except t he Thakur s of bar ber communi t y.Ever yonegot j ob but son of t he Bur hi ya di di . The ment al i t y of not doi ng j ob was changed t oo.Ot her wi se Gul ab j ha of east er n si de of t he vi l l age used t o say t hat ‘Naukari’ (job) means‘nai kari’ (not to be done), and ‘vetan’ (salary) means without body or ‘tankha’(salary) means eat your body.Bur hi ya di di had myr i ad st or i es about wel l , pond, di t ch,or char ds and quar r el s f ort hose t hi ngs. Among such ci r cumst ances of shar i ng st or i es and vi ews Nand’s children startedgrowing.Nand had never kept hi s chi l dr en di sconnect ed f r om hi s nat i ve vi l l age.He used t ovi si t hi s vi l l age wi t h f ami l y at l east t hr i ce a year - in the summer vacat i on,in Holiand in Deshera. Children used to visit Burhiya didi’s house to taste the mangoes of that village. Theyused to walk recklessly on foot everywhere. The experience of wandering frivolously on the sands of the river of Kamala orin the mango orchar ds was wondr ous.The pi cni c wi t h menu of r i ce and f i sh cur r y i n t hesummer ni ght s i n mango or char d, peel i ng mangoes wi t h cl am shel l s, ‘ti ti, who is called lalchadi’- playing satghariya, sucking smoke by burning lotus stems, experiencing sweet lips after eat i ng mango wi t hedi bl e l i me wer e t r ul y i ndel i bl e exper i ences and ar e not possi bl e t o be achi eved bychi l dr en i f t hey di dn’t visit village. Nand had once told his son-in-law that he would not return to Shar in hisnext seven births.123


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्Dur i ng t he f l ood of Pat na i n 1975 Nand was shi f t ed t o t he nor t h bank of t he Ganges i nor der t o wor k i n Ganga Pul Par i yoj ana, a pr oj ect wor k of bui l di ng bar r ages.Nand wasl eadi ng a happy f ami l y l i f e wi t h t wo sons and one daught er . Who had ever pr edi ct edt hat t he year 1975 woul d dest r oy Nand’s happy family?The abr i dgement of Aar uni ’s story was that at the time of his birth his father was told that it was a daughterand that communication gap came to an end one day before the Chhathihar when his father came to know that he was aboy.The whol e mi sunder st andi ng pr oved t he f act t hat t he f act was t r ue t he way someoneknew t hat t i l l t he r eal t r ut h was known t o hi m.The vi vi d aspect s of t r ut h whi ch i snot unt r ue had ef f i cacy i n gr owt h of Aar uni . Baa di ed bef or e bi r t h of Aar uni . WheneverBaa was r ecal l ed by peopl e Aar uni used t o l i st en t o t hose conver sat i ons eager l y.I nt hi s way Baa had become a par t of hi s l i f e.Baa was not pr esent physi cal l y but she wasal i ve i n memor i es of f ami ly member s.The connect i on bet ween Aar uni ’s story and Nand’s story was not found earlier but as days passed Aarunistarted showing his talents. It is an inevitable quality of human behaviour to compare and discuss similarity and disparitybetween two things. Many people spend their entire life in doing such anal ysi s.Char act er s of Aar uni andNand seemed t o be si mi l ar somehow.I n spi t e of out er per sonal i t y and so cal l eddi f f er ence i n t hought s t he i nner per sonal i t y was some how same i n bot h char act er s.Atl east i t appear ed so.Aar uni was al so t aken car e of i n t he same manner an I ndi an mi ddl e cl ass baby shoul dbe br ought up. Aar uni ’s parents especially his father was keen enough to find talents in Aaruni just like a normalparent who always enjoy discovering skills of his child.Aar uni used t o have many ni ght mar es.He was havi ng bot h good and bad dr eams but baddr eams were mor e of t en happeni ng. He was t r yi ng t o get r i d of t hose.He used t o st ar tsweat i ng i n mi dni ght and when he got up he f ound hi s par ent s f anni ng hi m.He had akeen anxi et y t o know who was bor n f i r st . I f God had made ever yt hi ng t hen who had madethe God?He used t o be concer ned wi t h such phi l osophi c t hought s ver y ser i ousl y.He used t o l eapon t he r oof of hi s house i n t he wel l shaped nat ur e i n hi s dr eams . Then he used t o gounwillingly along the edge of r oof l i ke si de of a pond.Agai n he wi shed t o go awayf r om t he edge t owar ds t he cent r e but t he wel l shaped nat ur e’s gravity pulled him towards it andhe fell down. Suddenly he used to wake up and then he was surrounded by both good and bad thoughts. He used t obe happy t hat i t was not a r eal i t y but at t he same t i me he used t o be worri edsuspect i ng t he r epet i t i on of t he ni ght mar e. Aar uni st ar t ed r esear chi ng about t heci r cumst ances when he was havi ng such ni ght mar es.He used t o t hi nk t hat he was awaketill 9 p. m., he was al so awake t i l l 10 p. m., so when di d he go t o sl eep?But heal l evi at ed hi s wor r i es by consi der i ng t he f act t hat i f he coul d know when he sl ept hecoul dn’t sleep at all. His name is changed many times. He also read many mythological books for t hat . Then hi seducat i on st ar t ed. He wr ot e Ganapat i ’s ankush and then reciting the sacred lined dedicated to the goddessParvati and the god Shiva.Aar uni used t o l augh af t er chant i ng t hat mant r a.Hi s pr onunci at i on pr obl em was al sosol ved. Whi l e l ear ni ng number s he used t o ut t er i n same r hyt hm but j umpi ng f r om t en t oni net een and t hen f r om t went y t o t went y ni ne. Nand’s younger son Aaruni was according to his124


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्expectations from the very beginning. There was some reason behind that. Nand was teaching him writ i ng one t ohundr ed.Fi r st he t aught hi m one t o t en and when st ar t ed el even he t hought t hat i tcoul d be t oo much pr essur e f or t hat l i t t l e boy.But t hat boy l ear ned el even t o t went yand t went y one t o t hi r t y as he f el t t hat i t was of t he same t r end as one t o ten.Whenhe di scussed t hat wi t h hi s f at her hi s f at her chal l enged hi m t o wr i t e up t o onehundr ed.When t hat boy showed hi m t hat cor r ect l y t hen t hey di scussed how t o wr i t enumber s i n wor ds. Nand gave speci al at t ent i on t o t hese f our number s gyar ah ( el even),ekki s ( t went y-one), unasi ( sevent y-ni ne) and navasi ( ei ght y-ni ne).When mot her i nspect edt o know t he pr ogr ess of l ast hal f an hour t hen she came t o know t hat l esson wascompl et ed f or t hat day.Fat her was pl eased a l ot and mot her di scussed t hat f act t over y f ew peopl e bei ng consci ous about hi s son’s wellness. Those instances had made the image of theboy as a perfectionist in the eyes of the father.Aar uni was addi ct ed t o r ecal l hi s past - t he year i n whi ch i nci dent s happened,how t oremember t hese year s. Wh at he di d i n hi s chi l dhood,l i f e st or y of hi s par ent s andot her el der peopl e.I t seemed t hat he was ver y wor r i ed how peopl e coul d do wor kwi t hout hi s consent . I n ot her wor ds t he wor l d shoul d have st opped wor ki ng when Aar uniwas sleeping. He was able to remember onl y f our i nci dent s- like watching ‘Bobby’ movie intheatre, going for photo shoot of long locks with parents before first hair cut ceremony, throwing the bunch of all keys intoa ditch as a reaction of being neglected by his mother, any gathering on some occasi on i n vi l l age et c.Aar uni had concl uded af t er t hi nki ng al l t hese t hi ngs t hat he r emember ed ever yt hi ngaf t er 1976 when he was 5-6 year s ol d.Hi s mot her gave hi m habi t of r eadi ng news paperf r om t hat age. Nand recovered a diary of Aaruni in which he had r ecor ded al l event sf r om hi s memor y chr onol ogi cal l y j ust l i ke a hi st or i an.I , Aar uni , consi der s t he year of 1976 as a t ur ni ng poi nt of my life.Because my lifebef or e t hat appear ed as a f ew event s wi t hout any hi nt s of sequences what happenedfirst and what af t er t hat . Somet i mes I suspect t hat i t i s memor y of my previ ous bi rt h.Year 1976,I wi t h my f ami l y and el der si bl i ngs was l i vi ng i n col ony of wor ker s of t heGanges Br i dge Pr oj ect i n Haj i pur si t uat ed at t he nor t her n si de of t he r i ver . My f at heri s an engi neer but he i s al so a homeopat hy doct or havi ng MD . . degr ee wi t h gol dmedallist. And this is a kind of his hobby.Resi dent s of t he col ony col l ect money t obuy homeopat hi c medi ci nes. My f at her and a f ew peopl e go t o Kanpur t o buy medi ci nes.The dr awi ng r oom of our gover nment quar t er wi t h one al mi r ah,one t abl e and t wo chai r si s dedi cat ed t o medicine practice.My smal l t abl e i s al so t her e wher e I used t o r eadthe ‘Aryawart’ newpaper costing 30 paise to my mother. How much I remember is that this colony had t wo par t s,i t was sur r ounded by boundar y wal l , t her e was a wal l bet ween t hese col oni es t oo t hatused t o di vi de t hi s col ony i n t wo par t s- r esi dent i al ar ea and war ehouse.The ar ea ofwar ehouse used t o be f illed with scattered iron rods, weighting machi ne,t r ucks and at r ee.The wei ght i ng machi ne was t oo bi g t o be ef f ect ed by me when I was cl i mbi ng oni t . Rat her t he wei ght i ndi cat or di dn’t move when I stood on that. I was told that the machine was madeto weight heavy things. The weight of 15 Kilograms of 5 year s ol d boy coul dn’t be measured by this machine.Ther e wer e one bi g and one smal l pl ay gr ounds i n t he r esi dent i al ar ea of t hi s GangaBr i dge Col ony.A bi g wat er st or age t ank and a pump house wer e al so si t uat ed bet weent hese t wo f i el ds. A huge t hi ck pi pe was l i nked t o t he pump house f or wat er suppl y.Istill remember i t cl ear l y t hat t he pi pe was open and I had peeped once i nt o i t butaf t er t hat I was scar ed knowi ng t he danger of f al ling down into it.That pipe used tobe cover ed by one j ut e bag, usual l y used f or st or i ng gr ai ns.Ther e was al so agover nment f ood shop i n t he nor t h cor ner of t he bi gger pl ay gr ound.I n t he west of125


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्t hat shop a t empl e and Hanuman’s statue were built but the work was not completed because there was problemin fixing Hunuman’s nose.Nose of t he God Hanuman was not f i xed cor r ect l y ei t her because ofwr ong pr opor t i on of bui l di ng mat er i al or anybody’s mischiefs. But the work was completed after somedays. Aarati was started on every Tuesday. The spirituality was spread in whole colony. Peopl e’s ardour of worshippingin that temple was diminished as time passed just like every social organisations. All plans related with that religiousorganisation remained merely in papers couldn’t be implemented.I had st ar t ed goi ng t o a school away f r om t he col ony.My el der si st er and br ot her wer eal so r eadi ng i n t he same school . One day I quar r el l ed wi t h one of my cl assmat es.Webot h have sl at e-boar ds and we bot h st ar t ed usi ng i t as a weapon.Had I hi t hi s headwith the slate then he mi ght st ar t bl eedi ng so I used i t as a def ensi ve weapon.But hebel onged t o di f f er ent gr oup so..... t hump ....... and bl ood came out f r om my head.Teacher t ookme t o t he pr i nci pal ’s room. I still remember the smell of the cotton soaked in dettol or savlon. I was not neededt o wai t f or eveni ng and cl osi ng of t he school day af t er f i r st ai d t r eat ment . I was senthome with my elder sister on an ordinary rickshaw without waiting for the school rickshaw that had a banner of notice “Becareful, school kids are here”. I asked my si st er meani ng of t hat phr ase.I was of t he opi ni ont hat i t meant al l ki ds on t hat r i ckshaw ar e car ef ul . That boy di dn’t agree with me and startedquarrel with me. Sister replied that this was to alert other drivers so that they didn’t hit the rickshaw.I was st i l ldi ssat i sf i ed and asked, “But why?”I was gr owi ng wi t h such eager ness and quer i es.Dur i ng t hat phase of gr owi ng upsomet i mes maa used t o say, “I was saying that when he would grow up and when he grew up he made memore worried.”I and my siblings used t o go t o t he school est abl i shed i n t he name of a Chri st i anSai nt . Af t er bei ng i nj ur ed by sl at e boar d my f at her cal l ed a meet i ng of of f i cer s oft he col ony.I t was f ound t hat t he pr emi se of t he cent r e of publ i c di st r i but i on ofr at i on bet ween t he pl ay gr ound and t he nor t her n boundar y wal l of t he col ony was t oobi g f or t hat pur pose. Apar t f r om t hat , t he l i cence of t hat cent r e was al so l apsed sot he of f i cer s had deci ded t o st ar t t hei r school i n t hat pr emi se of t hr ee or f our r oomshavi ng asbest os r oof . A commi t t ee of not mor e t han f our peopl e was made and a f ewt eacher s wer e empl oyed.An i nvi t at i on t o t he Gandak Col ony si t uat ed near by was sent t osend t hei r ki ds t o t hat school af t er si x mont hs.Name of t he school was pai nt ed on t heout er si de of t he nor t her n wal l whi ch f aded af t er some t i me.But t he f ame of t hatschool kept on i ncr easi ng day by day.Whenever a new guar di an was r equest i ng t eacher sfor getting admi ssi on of hi s ki d t eacher s used t o suggest hi m t o appl y f or one ort wo year s j uni or cl ass t o t hat ki d’s present class. They used to present standard of their school distinguishedand superior to other schools. Being insisted by parents they used to call me and ask the question that the current applicantwas unable to answer and after getting correct answer f r om me t hey used t o gi ve a pr i de smi l e t o t hepar ent . I n shor t I was t he smar t est boy i n my school bef or e t he st udent f r om t hatvi l l age came . No one was as abl e as I was.I had gr eat i nt er est f or st udi es whi ch waslost later on. Once I was suffering f r om hi gh f ever on t he day of exam.I was abl e t owr i t e t he paper onl y when quest i on paper and answer sheet s wer e sent t o my home. Theschool was ver y smal l but peopl e of t he col ony wer e par t i ci pat i ng i n each of t heevent wi t h i nt er est whet her i t was cul t ur al pr ogr am or spor t s event s.I n r ace ofr unni ng t o some di st ance by maki ng t eam of t wo st udent s and t yi ng one l egs t oget herel se becomi ng a t hr ee f oot ed cr eat ur e and sol vi ng t he mat hs pr obl em wr i t t en on t he126


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्bl ack boar d on t he ot her end and t hen r et ur ni ng back t o t he st ar t i ng poi nt was a r ealtest of mental as well as physical ability in which I used to be first.I remember t wo mor e i nci dent s.The f i r st i nci dent was ar r i val of one boy f r om ot hervillage. He was a compet i t or t o me because book of hi s vi l l age was di f f er ent . But nosooner t hat di f f er ence was gone t he chal l enge was gone t oo.The second i nci dent was acci dent of a chi l d.Dur i ng pl ay t i me we used t o peep i nt o hi sr oom t hr ough wi ndow t o see hi m and somet i mes we used vi si t hi s r oom and r ead hi sdi ar y. I r emember some par t s of t hat di ar y whi ch was as f ol l ows :“Due to lack of time I started missing the oppor t uni t y t o t al k about us.The r eason was f i r st ofal l my own habi t s and af t er t hat my acci dent , because of why 18 mont hs of my lifepassed l i ke 18 days, usel essl y. I was al so keen t o make up t hat l oss. I t r i ed t o dot hat by waki ng up ear l y i n t he mor ni ng but due t o l ack of compl et e sl eep I r emai nedsl eepy so coul d not use t hat t i me . Then I t r i ed t o r educe my soci al cont act whi ch wasachi eved wi t hout any ef f or t as i t seemed t hat I had a di sease wi t hout any cur e.Di f f er ent opi ni ons of di f f er ent doct or s.... wr ong oper at i ons....and combi ned ef f ect wasso t hat I had t o l ead a l i f e of handi capped.Leave t he gossi ps apar t . Even I was l osi ng my f ai t h on doct or s.Thei r opt i mi stic wordswer e unabl e t o sol ace me . Phone cal l s f or aski ng about my heal t h condi t i on wer er educed day by day. Af t er war ds I i mpr oved f r om cr ut ch t o st i ck and st ar t ed dr i vi ng.Then I f aced pr obl em i n soci al i si ng myself like I used to be earlier.I tried tomai nt ai n one-si ded r el at i onshi p wi t h peopl e who wer e not l i vi ng away f r om my pl ace.But ot her peopl e became beyond appr oach because of my i sol at i on f r om t hem i n pastyear s.Peopl e who used t o l augh at me dur i ng my bad days f ound my good behavi our t ot hem sympat hy f or t hei r r udeness so t hey deni ed t o cont i nue r el at i onshi p wi t h me.Peopl e’s negligence saved my t i me a l ot .Fi r st I t hought t hat my col l eagues woul d not r ecogni se me but when I r eached t heof f i ce I was wel comed l i ke a her o. But t hey di dn’t let me know their grief of seeing me holding astick.They wer e al ways appr eci at i ng my cour age. When I l ef t t he suppor t of st i ck and went t oof f i ce i n j eans and shi r t t hen someone t ol d me t hat I was r egai ni ng my pr evi ous l ook.I st ar t ed t hi nki ng about t hat . I made vi deo r ecor di ng of my wal ki ng st yl es wi t h hel pof my wi f e. I was shocked t o know t hat my wal ki ng post ur e was l i ke I was r unni ng.Thenfamily member s t ol d me t hat t hat was t oo l ess t han my ear l i er habi t . Then I r eal i sedt hat how bad i t coul d be f or my wel l - wi sher s.Then I r eal i sed t he r eason behi nd t hei rmot i vat i on. The f ear of bei ng l ef t al one i n cr owd of col l eagues af t er passi ng a l ongper i od of l onel i ness, my expect at i ons r at her f ai t h i n sel f bei ng,al l l ed t o devel opmy st r ong and speci al per sonal i t y.Al t hough he was my f el l ow buthe was pr et endi ng as he was a bi g mat ur ed mar r i ed man.Mi ser abl e l i f e of gr oup of wor ker s, hangi ng cl ot hes on t he t r ol l eys – these views were reallyheart touching. And in spite of all poverty they used to laugh, able to feel the happiness without having a roof. The127


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्beggar children used to peep us with their woef ul vi si on. I nsul t ed by ever yone,i f I woul d have t of ace such a wr et ched l i f e t hen how woul d I f ace t hat ? And no one si mpl y bot herabout t hem t hen why shoul d I ? Am I onl y t he di f f er ent one?I was t hi nki ng t hatwor l d kept on goi ng even i f I was not pr esent ever ywher e.I used t o r ead a f act i n abook t hat some ani mal s wer e onl y abl e t o see t wo di mensi onal t hi ngs.Men can see t hr eedi mensi onal t hi ngs t hen had t he ear t hquake and ot her di sast er s been br ought bysomeone who can see f our di mensi onal vi ews . Wh enever f at her was buyi ng me a lalchadiwor t h f i ve pai sa,he used t o say t o l ook at t hose peopl e who l ooked af t er t hei rfamilies by earning money by sel ling those lalchadi . The i mpor t ance and necessi t y ofmoney coul d gr ow as much as you want .VI DEHA MAI THI LISANSKRI T TUTOR््ँंं र्ू्् र््ंं् ं र्ँ्ENGLI SH SAMSKRI T MAI THI LIMeet i ng Fr i ends िममेलनम िमसँ भेँटHel l o! How ar e y ou? हिरः ओम ्। कथम अि भवान ्? नमार। केना छी अहा ँ।I am f i ne. अहं सक् अि। हम ठीक छी।You ar e not seen t hese एषु िदषु भवतः दश र्नमेव नाि। आइ-काि अहा ँक दश र्न द ुल र्भ भऽdays.गेल अिछ।I am ver y busy t hese days. एषु िदषु बहु काय र्ः अि। आइ-काि हम ब छी।Wher e wer e you al l t hese कु आसीत् भवती एतावि िदनािन? अहा एतेक िदन कतए छलहु ँ?days?Onl y yest er day Iः एव भवती ृतवान ्।कािए हम अहा ँक मोन पाड़ छलहु ँ।remember ed you.I had gone t o Si ml a. अहं िशमलानगरं गतवती आसम ्। हम िशमला गेल छलहु ँ।All of us will go there वय सवे िमिला एव त गामः। हम सभ ओतए संगे जाएब।t oget her .Day after tomorrow? परः िकम ्? परस की?At what t i me. किन समये? कोन समयमे।At t hr ee o’clock. िवाद िकम ्? तीन बजे की?At t hr ee o’clock I’ve some other िवाद मम अत् काय र्म अि। तीन बजे हमरा िकछु अ काय अिछ।work.Then l et us go at 4 o’clock. तिहर् चतुवा र्द गामः। तखन चािर बजे जाइ।Ok ay . अु। ठीक।Why ar e you l at e. िकमथ र्ः िवलः? एतेक देरी िकए?At the time of leaving my ानसमये मम यान चं म िनकलैत काल हमर गाड़◌ीक टाएरvehi cl e’s tyre got punctured. अभवत्।पंर भऽ गेल।We wai t ed f or a l ong t i me. वय बहु कालं तीिक्षतवः। हम सभ बड़◌ी काल धिर तीक्षाकेलहु ँ।Sorry, my wor k wasn’t over. क्षता, मम काय र्मेव न समाम ्। क्षमा क, हमर काज समा निह भेलछल।Why di dn’t you come on that ति भवान िकमथ न आगतवान ्? ओिह िदन अहा िकए निह एलहु ँ?day?I compl et el y f or got about तिषये प ूण र्तया िवृतवान एव। हम ओऽ िवषय प ूरा-प ूरी िबसिर128


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्र् ्् ं र्it.गेलहु ँ।Had ever yone el se come? अे सवे आगतवः आसन िकम ्? आन सभ गोटे आिब गेलाह की?Yes , ever yone el se exceptVr i nda had come.आम, व ृा िवहाय अे सवेआगतवः।हँ, व ृाकेँ छोड़ि◌ आन सभ आिबगेलाह।I al so ver y much want ed t ocome but I coul dn’t.I t el ephoned you sever altimes yest er day.We had al l gone t o mymat er nal uncl e’s home.How di d y ou c ome her et oday?I had some wor k her e i nt he bank.I came her e because I hadsome ur gent wor k.I s t hat you! I coul dn’trecognize you from far.मम अिप बहु इा आसीत् िकु नशवान ्।ः भवती ं बहुवार ं द ूरभाषा ं कृतवती।वय ं सवे र् मम मातुलगृहं गतवः।अ अ कथम ् आगमनम ्?अ िवकोषे िकित् काय र्म ् आसीत्।अ िरतकाय र्म ् आसीत् अतःआगतवती।भवान ् एव िकम ्? द ूरतः न ज्ञातवान ्एव।हमरो ब इा छलए मुदा निह आिबसकलहु ँ।काि हम अहा ँकेँ कतेक बेर फोनकेलहु ँ।सभ ो हमर मामाक घर गेल छलहु ँ।अहा ँ एतऽ आइ कोना अएलहु ँ?एतऽ बै ंकमे िकछु काज छलए।एतऽ िकछु आवक काज छलए सेअएलहु ँ।अहा ँ छी की! अहा ँकेँ द ूरसँ निह चीिसकलहु ँ।ँ You’ve become very thin. बहु कृशः अभवत् भवान ्। अहा ब द ुर भऽ गेल छी।I had t yphoi d. मम िवषमरः जातः आसीत्। हमरा टायफाइड भऽ गेल रहए।Come , l et us go home . आगतु, गृहं गामः। आऊ, हमरा सभ घर चली।Now? इदानीं िकम ्? अख की?ंIt’s slightly difficult now. इदानीं िकित कम ्। अखन कनी िदत अिछ।Oh f r i end!Why do you say िकं िम! एव वदित?िकए िम! एना िकए बाजए छी?so?Wai t f or some t i me. िकित् कालं िततु। कनी काल कू ।् ं््It’s not possible now. इदानीं न शते भोः। ई आब संभव निञ।Why such hur r y? िकमथ र्म एव रा? एतेक फुतीर् िकए?Ther e i s st i l l somet i me, इतोऽिप समयः अि खलु? अख कनी समए अिछ, अिछ ?isn’t it?No my dear , an hour i sनाि इ, इतः त ाथ र्म एव निञ भजार, ओतऽ पहु ँचए लेल सेहोneeded even t o r each t her e. एकघा आवकी।एक घा चाही।As you wi s h. यथा भवान इित। जेहन अहा ँक इा।Congr at ul at i ons!I hear d अिभननम ्! भवा उोगः लःyou got a j ob.इित ुतम ्।Yes, t hank you. आम ्बधाई! हम सुनलहु ँ जे अहा ँकेँ करीभेिट गेल।ँं ं र्ँ, धवादः। हँ, धवाद।Where do you work? कु उोगं करोित भवती? अहा कतऽ काज करए छी?I am worki ng in anकाित् िवज्ञापन-संाया काय हम एकटा िवज्ञापन कं पनीमे काज करएadver t i si ng aency.करोिम।छी।When will you giveिमां कदा ददाित?अहा मध ुर कखन देब?sweet s?Come home on Tuesday. मलवासरे गृहमेव आगतु। म ंगलकेँ घरपर आऊ।I must hur r y now. इदानीं मया रणीयम ्। हमरा आब जी करबाक चाही।Wai t f r i end, l et ’s have coffee. िततु सखी, काफी िपबामः। कनी कू सखी, हमरा सभ क◌ॉफींं्पीबी।Ok ay , l et ’s drink. अु, िपबामः। ठीक छै, पीबी।Sorry, I don’t have time to stay. क्षता, ातुं मम समयः नाि। क्षमा क, हमरा लग ठहरबाक लेलसमय निह अिछ।When shal l we meet agai n? पुनः कदा मेिलामः? फेर किहया भेँट हएत?Shal l we meet t omorrow ः साय मेिलामः िकम ्?काि सा ँझमे ज ुटान करी की?eveni ng?Yes , I ’ll come there. आम, तैव आगिमािम। हँ, ओतए हम आएब।129


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्््ँ् ू््््ं ं र्ँ ँWher e i s your newभवतः न ूतनं गृहं कु अि? अहा ँक नव घर कतए अिछ?r esi dence?This is my r esi dent i alएषः मम गृहसेतः।ई छी हमर घरक पता।addr ess.Oh ! I t ’s near my sister’s home? ओहो! मम भिगाः गृहसमीपे अि। ओहो! ई तँ हमर बिहनक घरक लगअिछ।Di d you get my letter? मम पं ावान िकम ्? हमर प अहा ँकेँ भेटल की?Yes, I got i t j ust now. आम, इदानीमेव ावान ्। हँ, हमरा अख भेटल।For how many days ar e you अ कित िदनािन ितित भवान ्? एतए अहा कतेक िदन लेल ठहरलst ayi ng her e?छी।I am her e f or t wo mor e इतोऽिप िदनयम अि।हम एतऽ द िदन आउर छी।days.Then I ’ll see you at home. तिहर् भवं गृहे एव पािम। तखन अहा ँसँ घरपर भेँट करए छी।I have t o t al k t o you. भवतः समीपे साषणीयम अि। हमरा अहा ँसँ गप करबाक अिछ।Come at any t i me. यदा कदािप आगतु। जखन मोन हुअए आउ।I hear d Mohan met wi t h an मोहन द ुघ र्टना अभवत् इितमोहनक द ुघ र्टना भेलए से सुनलहु ँ।acci dent .ुतवान ्।Yes,he had a narrowआम, सः ोकात् मुः। हँ, ओऽ मुिश्कलसँ बचल।escape.Di d you meet hi m? तेन सह िमिलतवान िकं भवान ्? हुनकासँ अहा ँक भेँट भेल की?In which hospital is he किन िचिकालये अि सः?कोन अतालमे ओऽ भतीर् अिछ?admi tted?He i s i n t he Lohi aसः लोिहयािचिकालये अि।ओऽ लोिहया अतालमे अिछ।hospi t al .Di d y ou hear t hi s news? एता वाता ुतवती िकम ्?अहा ई समाचार सुनलहु की?Don’t worry, everything will be fine.Do you al so agr ee wi t hthis?How coul d you al so bel i eveit?I was i mpr essed by t he wayhe spoke.िचा ं मा करोतु, सव ं र् सक् भिवित।भवती अिप एतत् अीकरोित िकम ्?भवान ् अिप कथं िवासं कृतवान ्?िचा निञ क, सभ ठीक भऽजाएत।अहा ँ सेहो एिहसँ सहमत छी?अहा ँ सेहो कोना एिहपर िवासकेलहु ँ?त कथनश ैा एव अहं भािवतः। ओकर बजबाक श ैलीसँ हम भािवतभेलहु ँ।Easily fail into his trap. सुलभतया त जाले पिततवान ्। आरामसँ ओकर जालमे फँिस गेल।ंं् ्ँँ्ँ ुुं्Somet i mes i t happens. एव भवित कदािचत्। किहयो काल एना होइ छै।We are meet i ng af t er a अाकं मेलनानर बहु कालःहमरा सभ बड़◌ी िदनपर भेँट भऽ रहलl ong t i me.अतीतः।छी।How qui ckl y t i me hasसमयः कथम अितशीम अतीतः। समय कतेक तीगितसँ बीित गेल।passed!You have come at t he r i ght युे समये आगतवान ्।अहा सही समयपर आिब गेलहु ँ।time.Wi l l you l end me yourिकित् कालं भवतः यानं ददाित अहा अपन गाड़◌ी कनी काल लेलvehi cl e f or some t i me? िकम ्?देब?I t oo have t o go out now. इदानीं मया अिप अ गम अि। हमरा सेहो अखन बाहर जेबाक अिछ।I ’ll come back quickly. अहं शीं ागिमािम। हम तुरत अबैत छी।When wi l l you come back? कदा ागिमित। अहा कखन घिर कऽ आएब?I ’ll back in half an hour. अध र्घारे आगािम। हम आधा घामे घिर आएब।Ther e i s no pet r ol i n t he या तैलं नाि।गाड़◌ीमे तेल निह अिछ।vehi cl e.Is that so? एव िकम ्? एना अिछ?Don’t worry. िचा नाि। को बात निञ।I was mer el y j oki ng f r i end. पिरहासाय उवान िम। हम मा हँसी केलहु ँ, िम।130


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम््ँ ँ्Don’t take it otherwise. अथा मा िचयतु। अथा निह िलअ।Had you been l at e by a एकिनमेष िवलः चेत् अहम अहा एक िमनट देरी किरतहु तँ हमmi nut e I woul d’ve gone.अगिमम ्।पहु ँिच गेल रही।Thi s per son al ways pest er s एषः एकः आग सव र्दा पीडयित। ई हमरा हरदम तंग करय-ए।me.Di d he go? सः गतवान िकम ्? ओऽ गेल की?He’ll come again to see you, won’the?भवं ुं सः पुनः आगित खलु? ओऽ फेर अहा ँकेँ देखए लऽ आएत, निहआएत की?I s he t r ust wor t hy? सः िवासयोः िकम ्? ओऽ िवासी अिछ की?Can’t say. वुं न शते। निह किह सकए छी।Ar e you comi ng wi t h us? भवान आगित िकम अािभः सह? अहा हमरा संग आिब रहल छी ?Come, l et ’s go for a walk. आगतु, िकित् अिटा आगामः। आउ, कनी घिम कए आबी।Wi ll you buy me a col d शीतपेय पाययित िकं भवान ्?अहा हमरा कोल्ड िं क कीिन देबdr i nk?की?Not col d dr i nk l et ’s eat icecream.शीतपेय माु पयोिहम खादामः। कोल्डिं क निह अिछ, आइसीम खाइहम सभ।Let ’s go quickly otherwise motherwill scold.शीं गामः भोः चेत् मातातजर्यित।हम सभ शी जाइ निञ तँ मातमसेतीह।How wi l l you go t here? कथं गित भवती त? ओतऽ अहा कोना जाएब?I will talk. अहं पादाा गािम। हम पएरे जाएब।I will also come wi t h you अहमिप िकिूर भवा सह आगािम। हमहूँ अहा संगे कनी दर धिर आएब।for some di st ance.संृत िशक्षा च मैिथली िशक्षा च(मैिथली भाषा जगननी सीतायाः भाषा आसीत् - हमः उवान- माषीिमह संृताम ्)(आगा ँ)-गजे ठाकुरसाषणम ् -वय ं तीया िवभेः अासं कृतवः। इदानीं कािनचन ् वाािन वदामः। अहं वां वदािम, भवः त ितयािवभिं योजयु।रामः सुधाखेन िलखित। राम च◌ॉकसँ िलखैत अिछ।सः वान ताडयित। ओऽ वाणकेँ मारैत अिछ।वण र्कारः कू चेन िलखित। िचकार कू चीसँ िच बनबैत छिथ।सुरेशः कुिकया उाटयित। सुरेश कुंजीसँ खोलैत छिथ।माता कलश ैः आनयित। माता कलश आत छिथ।जनाः वादन गि। लोकसभ वादनक लेल जाइत छिथ।131


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एषः अा िलखित। ई पेिलसँ िलखैत अिछ।अहं चमषेन अं खादािम। हम चचसँ खेनाइ खाइत छी।अहं छुिरकया शाखं कतर्यािम। हम छुरीसँ शाख काटैत छी।अहं गुरेन िमां करोिम। हम गुरसँ मध ुर बनबैत छी।अहं िचिकया िवालय ं गािम। हम साइिकलसँ िवालय जाइत छी।भवान ् कथं िवालय ं गित। अहा ँ कोना िवालय जाइत छी।अहं कणा र्ा ं ुिम। हम द ुन ू कानसँ सुत छी।अहं ाा ं पािम। हम द ुन ू आिखसँ ँ देखैत छी।अहं पादाा ं चलािम। हम द ुन ू पएरसँ चलैत छी।अहं हाा ं काय ं र् करोिम। हम द ुन ू हाथसँ काज करैत छी।वाता र्- माे अहं अतः आगािम वा।िकमथं र् िवलेन ् आगतवान ्।बालााम ् आगतवान अतः िवलः जातः।अहं संतोषेण पाठं पठािम। हम संतोषसँ पाठ पढ़◌ैत छी।भवः संतोषेण पाठं पठि वा। अहा ँ सभ संतोषसँ पाठ पढ़◌ैत छी की?वय ं पठामः। हम सभ पढ़◌ैत छी।अहं आनेन ् संभाषणं करोिम। हम वाता र्लाप करैत छी।भवः आनेन संभाषणं कुवि र् वा। अहा ँ सभ आनसँ वाता र्लाप करैत छी की?वय ं कुम र्ः। हम सभ करैत छी।िपता ीा पुिं पालयित। िपता मसँ पुीक पालन करैत छिथ।माता सदनया पुं पोषयित।भः भया देवं नमयित। भ भिसँ देवक सोझा ँ झ ुकैत छिथ।कृषकः केन काय ं र् करोित। कृषक कभोिग काय र् करैत छिथ।अहम ् उाहेन कलहं करोिम। हम उाहसँ कलह करैत छी।132


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हषे र्ण/ संतोषेण/ द ुःखेन/ लया/ भया/ दैेन/ याभवान ् म ंजूनाथः सह गतु। अहा ँ म ंजूनाथक संग जाऊ।अनः केन सह गतवान/ आगतवान/ साषणं करोित। अन ककरा संग गेल/ आएल/ वाता र्लाप करैत अिछ।अनः म ंजूनाथेन सह आगतवान। अन म ंजूनाथक संग आएल।अहा दीिपकयाः सह िचमिर ं गित। अहा दीिपका संग िसमाह◌ॉल गेल।हंसा दीया/ िशया/ िमिथलया/ मध ुरया/ मालया/ शालया/ रमया/ आया/ निा/ अिा/ भाया/पाव र् र्ा सह नगर ं गित।हंसा दीिक संग नगर जाइत अिछ।फलके शय ं िलिखतम ् अि। एतेषा ं शानाम ् उपयोगं कृा वां रचयामः।लणः रामेण सह वनं गतवान ्।रिव िमम ् नगरम ् गतवान ्।गोपाल िशवः संभाषणम ् कृतवान ्।गोिवः सखी चचा र् कृतवान ्।माता पुी बुगृहं गतवती।सः रमेशः कलहः कृतवान ्।लता सुमा काय ं र् कृतवती।केशवः सुरेशः भोजनं कृतवान ्।रोगी वैः िचिकालयः गतवान ्।मािलनी शारदा शाला गतवती।हेमा पाव र्ती पाठः पिठतवती।तैलेन ् िवना दीपः न लित। तेलक िवना दीप निह जरैत अिछ।जलेन ् िवना मीनाः न जीवि। पािनक िवना मा ँछ निह िजबैत छिथ।आहारेण िवना जीवनं कम ्।इदानीं “िवना” इित श योगं कृा एकैकं वां वदि वा।धन िवना जीवनं कम ्।अहम ् उपण िवना न पािम।133


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्यदा अकारः भवित तदा दीपं ालयमः। जखन अार होएत तखन दीप जराऊ।यदा व ुभुक्षा भवित तदा भोजनं कुम र्ः। जखन भूख लागत तखन भोजन क।यदा अनारों भवित तदा िचिकालय ं गामः। जखन अ होइत छी तखन िचिकालय जाऊ।यदा परीक्षा अि तदा पठि। जखन परीक्षा होइत अिछ तखन पढ़ए जाइत छिथ।यदा िवरामः भवित तदा वासं गि। जखन िवराम होइत अिछ तखन वासलेल जाइ जाइत छिथ।अहं वाय ं वदािम। भवः यदा तदा योजिया वदु।िवुत गित। िसवितर्काम ् ालयि।यदा तदास ूयो र्दयः भवितकमलं िवकसितिपपासा भवित जलं िपबतुप ूजा भवित घानादं कुविर्विः ृ भवित बीजं वपिसखी िमलित संभाषणं करोिमपरीक्षा समाते संतोष ं भवितयदा यद िह धम र् ािनभर्वित भारत,अुानं अधम र् तदाानं स ृजाहम ्।इदानीम ् एकं सुभािषतं ुमः-अपार भूिम िवारम ् अग जन संकुलम ्राष् ं संघटनाहीनं भवेारक्ष॥इदानीं ुत सुभािषत अथ र्ः एवम ् अि। एतिन ् सुभािषते संघटन महम ् उम ् अि। यिप िक्ंित् राष् िवशालाभूिमः अि, अपारा जनसंा अि तथािप तिन ् राष् यिद संघटनं न भवित तिहर् तत् राष्म ् आरक्ष समथं र् न भवित।एव ं संघटन महम ् एतादृशम ् अि।(c)२००८. सवािधकार र् लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय संपादकाधीन। िवदेह (पािक्षक) संपादक- गजेठाकुर। एतय कािशत रचना सभक क◌ॉपीराइट लेखक लोकिनक लगमे रहति, मा एकर थम काशनक/ आका र्इवक/अंजी-संृत अवादक ई-काशन/ आका र्इवक अिधकार एिह ई पिकाकेँ छैक। रचनाकार अपन मौिलक आऽ अकािशत रचना(जकर मौिलकताक संप ूण र् उरदािय लेखक गणक म छि) ggaj endr a@ yahoo. co. i n आिकggaj endr a@ vi deha. com केँ मेल अटैचमेक पमेँ . doc, . docx, . r t f वा . txt फ◌ॉमे र्टमे पठा सकैत छिथ।रचनाक संग रचनाकार अपन संिक्ष पिरचय आ’ अपन ैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे134


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १८) িরেদহ'পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्टाइप रहय, जे ई रचना मौिलक अिछ, आऽ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पिकाकेँ देल जा रहल अिछ। मेला होयबाक बाद यथासंभव शी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अंकक स ूचना देल जायत। एिह ई पिकाकेँ ीमितली ठाकुर ारा मासक 1 आ’ 15 ितिथकेँ ई कािशत कएल जाइत अिछ।(c) 2008 सवािधकार र् सुरिक्षत। िवदेहमे कािशतसभटा रचना आ' आका र्इवक सवािधकार र् रचनाकार आ' संहका र्क लगमे छि। रचनाक अवाद आ' पुनः काशन िकं वाआका र्इवक उपयोगक अिधकार िकनबाक हेतु ggaj endr a@ vi deha. co. i n पर संपकर् क। एिह साइटकेँ ीित झा ठाकुर,मधिलका ू चौधरी आ' रि िया ारा िडजाइन कएल गेल।िसिरु135

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