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'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर् ४ मास ३७ अंक ७३)

'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर् ४ मास ३७ अंक ७३)

'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर् ४ मास ३७ अंक ७३)

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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAISSN 2229-547X VIDEHA'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११(वषर् ४ मास ३७ अंक ७३)िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ http://www.videha.co.in िवदेह थम मैिथलीपािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine नव अंकदेखबाक लेल पृ सभकेँ िरेश कए देखू। Always refresh the pages forviewing new issue of VIDEHA. Read in your own scriptRoman(Eng)Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil KannadaMalayalam Hindiएिह अंकमे अिछ:-१. संपादकीय संदेश२. ग1


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA४. िबिपन झा- की नब साल की पुरान साल..!५. मुाजी- िरपोतज- ६. नवेदु कुमार झा १.रेललाइनसँ जुड़त भारत आ नेपाल २. भारतीय सामािजक यवथामेआइयो जीवत अिछ जाित यवथा- ो. शम ३.देशमे लागतचौदहटा नव उोग समूह, असोचैम कएलक एिह िदस पहल-िमिथलांचलमे सेहो लागत नव उोग२.४.हम पुछैत छी - मुाजी- १.जगदीशसाद मंडल, २.राजदेव मंडल, ३.3


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकुमार शैले आढेर रास गप.....४.अमरनाथ सँ मुाजी पुछैत छिथ२.५.१. भारत भूषण झा- कथा- आ मबल कथाकशेषांश २.िश व कुमार झा "िट लू" िवहिन कथा-लेबर पेन३. मनोज कुमार मंडल- कथा- बेमेल िव आह४. योित- िवहिन कथा- मैिथल िबयाह ५.िम िथ लेशमंडल- कथा- िव देशी बाबू4


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२.६.१. डा० अभयधारी िसंह- अिभनव वषर्२. जगदीश साद मंडल- मैिथ ली उप यास सािह यमेामीण िच ण२.७.१. रमेश- ग किवता- डॉ. काचीनाथ झा‘िकरण’क नामक अैत मीमांसा २.िजते झा- उपटैत गामबसाओत बाबा ३.रा पितक नेपाली ेमसुजीतकुमार झा- नेपालक5


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२.८.१. िवनीत उपल- दीघर्कथा- घोड़ीपर चिढ़ लेब हमिडी -आगाँ २.शंभु नाथ झा ‘वस’३. प6


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA३.१.१. आरसीसाद िसंह- गुलाबी गजल २.डॉ. नरेश कुमार ‘िव कल’- दूटा आर गजल ३.दूटा गजलमुाजी-३.२. रिव भूषण पाठक- एिह बेर छिठ मे३.३.१. राजदेव मंडल -झगड़लगौना िप शाच/ गाछक बिल दान/ हेराएल २. जगदीश साद मंडल २ टा गीत- बीतल बखर्किव दाइ/ फनकी7


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA३.७.१. िकशन कारीग़र- आिब गेल नव वषर् २.राम िव लास साहु -किव ता- कोइली कूहकै आमक डािर३.८. गंगेश गुंजन- राधा- २८ म खेप४. िमिथला कला-संगीत-१. ेता झा चौधरी२. योित सुनीत चौधरी ३ ेता झा(िसंगापुर)9


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिवदेह ई-पिकाक पिहल ५० अंकिवदेह ई-पिकाक ५०म सँ आगाँक अंकिवदेह आर.एस.एस.फीड।"िवदेह" ई-पिका ई-पसँ ात करू।अपन िमकेँ िवदेहक िवषयमे सूिचत करू।↑ िवदेह आर.एस.एस.फीड एनीमेटरकेँ अपन साइट/ लॉगपर लगाऊ।लॉग "लेआउट" पर "एड गाडजेट" मे "फीड" सेलेक्ट कए "फीडयू.आर.एल." मे http://www.videha.co.in/index.xml टाइप केलासँ सेहोिवदेह फीड ात कए सकैत छी। गूगल रीडरमे पढ़बा लेलhttp://reader.google.com/ पर जा कऽ Add a Subscription बटनिक्लक करू आ खाली थानमे http://www.videha.co.in/index.xml पेटकरू आ Add बटन दबाऊ।12


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिमिथला, मैिथल आ मैिथलीसँ सबिधत सूचना, सपकर्, अवेषण संगिह िवदेहकसचर्-इंजन आ यूज सिवर्स आ िमिथला, मैिथल आ मैिथलीसँ सबिधत वेबसाइटसभक सम संकलनक लेल देखू "िवदेह सूचना संपकर् अवेषण"िवदेह जालवृक िडसकसन फोरमपर जाऊ।"मैिथल आर िमिथला" (मैिथलीक सभसँ लोकिय जालवृ) परजाऊ।१. संपादकीयदरभंगाक दोकानमे मैिकक िसलेबसक गाइडक अितिरक्त कोनोमैिथली पोथी नै भेटै छलै, कोनो एक सािहयकारक मुँहसँ दोसराकित आदर वचन नै िनकलै छलै, िकयो अितिथ सपादक बिनअहाँक रचनाक चोिर केलक तँ ओकरा अहाँ पकड़ी तँ तािहपरएकमत नै होइ जाइ छलाह उटे दोषीकेँ पीठ ठोकै जाइ छलाह,शदशः चोिर आ आात वा भािवत भेल रचनाक अतर ककरा15


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAनै बुझल छैक आ ओिह आिरमे शदशः चोिर केिनहारक पीठठोकब! िवदेहक आगमनक बाद एिह सभमे पिरवतर्न आएल, एकराके नकािर सकत।गजलशा- आगाँआब एक धा फेरसँ मैिथलीक उच्चारण िनदश आ व-दीघर्िवचारपर आउ।शामे युक्त ‘गुरु’ आ ‘लघु’ छंदक पिरचय ात करू।तेरह टा वर वणर्मे अ,इ,उ,ऋ,लृ - र्व आरआ,ई,ऊ,ऋ,ए.ऐ,ओ,औ- दीघर् वर अिछ।ई वर वणर् जखन यंजन वणर्क संग जुिड़ जाइत अिछ तँओकरासँ ‘गुिणताक्षर’ बनैत अिछ।क्+अ= क,क्+आ=का ।16


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAएक वर माा आिक एक गुिणताक्षरकेँ एक ‘अक्षर’ कहल जाइतअिछ। कोनो यंजन माकेँ अक्षर निह मानल जाइत अिछ- जेना‘अवाक्’ शदमे दू टा अक्षर अिछ, अ, वा ।१. सभटा व वर आ व युक्त गुिणताक्षर ‘लघु’ मानल जाइतअिछ। एकरा ऊपर U िलिख एकर संकेत देल जाइत अिछ।२. सभटा दीघर् वर आर दीघर् वर युक्त गुिणताक्षर ‘गुरु’ मानलजाइत अिछ, आ एकर संकेत अिछ, ऊपरमे एकटा छोट -।३. अनुवार िकंवा िवसगर्युक्त सभ अक्षर गुरू मानल जाइतअिछ।४. कोनो अक्षरक बाद संयुक्ताक्षर िकंवा यंजन मा रहलासँ ओिहअक्षरकेँ गुरु मानल जाइत अिछ। जेना- अच्, सय। एिहमे अ आस दुनू गुरु अिछ।17


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAजेना कहल गेल अिछ जे अनुवार आ िवसगर्युक्त भेलासँ दीघर्होएत तिहना आब कहल जा रहल अिछ जे चिबदु आ वकमेल व होएत।माने चिबदु+व वर= एक माासंयुक्ताक्षर: एतए माा गानल जाएत एिह तरहेँ:-िक्त= क् + त् + इ = ०+०+१= १क्ती= क् + त् + ई = ०+०+२= २क्ष= क् + ष= ०+१= त् + र= ०+१ज्ञ= ज् + ञ= ०+१= श् + र= ०+१= स् +र= ०+१18


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAशृ =श् +ऋ= ०+१व= त् +व= ०+१व= त् + त् + व= ० + ० + १व + ऽ = १ + ०अ वा दीघर्क बाद िबकारीक योग निह होइत अिछ जेना िदअऽआऽ ओऽ (दोषपूणर् योग)। हँ यंजन+अ गुिणताक्षरक बाद िबकारीदऽ सकै छी।व + चिबदु= १+०दीघर्+ चिबदु= २+०जेना हँसल= १+१+१साँस= २+१िबकारी आ चिबदुक गणना शूय होएत।जा कऽ = २+१क् =०19


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAक= क् +अ= ०+१िकएक तँ क केँ क् पढ़बाक वृि मैिथलीमे आिब गेल तेँ िबकारीदेबाक आवयकता पड़ल, दीघर् वरमे एहन आवयकता निह अिछ।U- वक चेह।- दीघर्क चेह१बहरे मुतकािरब मुतकािरब आठ–रु फ ऊ लुन (U।।) – चािरबेर20


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअनेरे धुनेरे जतेको ठकेलॱबकैतो ढ़कैतो सुझेलॱ घनेरॱबजेने अबैए घुरेने अबैएसुझै छै बहुे बजै छै अनेरॱकुकूरो बजैए िबलाड़ीक भाषामुदा ई िसयारो अजीबे कहेलॱअहा की सुनेलॱ कथा आ िपहानीसखीयो सुनैले अबैए सिरपॱ21


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२बहरे मुतदािरक मुतदािरक आठ–रु फा इ लुन (।U।) – चािरबेरबीिक गेलै तँ की जोतबै खेतमेझीिक लेतै तँ की बोलतै बेरमेजािन गेलै तँ बातोसँ काटौ कनेजान एतै तँ देहोसँ जे टेब नेआिर धेने जँ जाए तँ ठीक छैभेष धेने जँ से सोझाँ िक नीक-ए22


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबेर भेलै अबेरेसँ ओ ठाढ़ छैबात भेने घुरेतै िक िवास-ए३बहरे कािमल कािमल आठ–रु मु त फा इ लुन (UU।U।) –चािर बेरइनसान जे कहबैत छै सकुचा कऽ छै जँ ठकैल यौबहरा कऽ जे कहतै जँ नै सिहते तँ छै कमजोर यौमरखाह जे छी हम छी तँ छी कहबै उमेरक छै कमीबुढ़हा बकैत तँ की कहौ करतै समेत बकैत यौ23


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAहरबाह जे हम छी कहैत सभे समेिट सकैत छीचरबाह जे हम छी हँटैत तँ से झमािड़ सकैत यौअकबारमे िनकलैत छै कहबैत छै जँ सएह यौिबसबासमे सहटैत ओ हटबैत छै िबसबास यौ४बहरे वािफर वािफर आठ–रु म फा इ ल तुन (U।UU।) –चािर बेरअबै अिछ ओ सुनै अिछ ओ जँ जाइत छै बसै अिछ ओकहै अिछ जे सुनै अिछ ओ जँ खाइत छै ढकै अिछ ओ24


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबनै अिछ आब नै गिढ़ जे जँ से अिछ नै बनै अिछ कीबनै अिछ ओ गढ़ै अिछ ओ जँ पािब कऽ नै करै अिछ ओहकैम कऽ छी हमेँ बिन गेल अलैस कऽ नै धएल कनीकरै अिछ ओ धरै अिछ ओ जँ पािब कऽ नै कतेक ई ओहकासल छी िपयासल छी िनरासल छी अभागल छीकरै अिछ ओ नमै अिछ ओ जँ जाित कऽ ऐ िपयासलो ओ५बहरे रमल रमल आठ–रु फा इ ला तुन (।U।।) – चािर बेरझूरझामो भेल छी से बात ने की काटने की25


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसे समेटू से लपेटू आर की की आरने छीकी कहेलॱ की गमेलॱ की कहू की बात केलॱसूिन छी से कैकटा की बात मोने घातमे छीऊिग गेलॱ डूिम गेलॱ के कहैए की कहैएसे अनेरो हे अभागे लेब से तैं बाटमे छीनािनटा छै से कहै छै पैघकेँ की बात पूछीदेखलॱ ई कूिह काटै बात जेतै तािकमे छी26


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA६बहरे रजज रजज आठ–रु मुस तफ इ लुन (।।U।) – चािरबेरऐ ओतऽ की छै केहनो आ की अते की छी अएनै छै कएलो नै सुनै छै की करै भेटैत-एभाँमै अए लै छै अरे भेलै कने सैक्त सुझैनै छै अ अः नै छै अ अः सीधा अनै बैसै अएआनो अनै बोनो रहै साफे करै नौरीसँ यौझाड़ी अनै बाड़ी अनै बेली अनै सूंघै अएलैतो हए ऐठाँ हए आबै हए जैठाँ हए27


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबातो अबै झातो अबै सूनै अहौ माथोसँ ए७बहरे हजज हजज :-आठ–रु म फा ई लुन (U।।।) – चािरबेरअबै छै नै सुनै छै नै बहीरो छै बुझै छै सेनरैमे छी कटै की से जजातो छै बुझै छै सेमहामाला महाडाला महाभावो महा हा हािछनै छै ओ बहै छै जे करै छै से बुझै छै से28


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAएके बेरे समेटै छै एकोटा नै बातो छै कीकहै छी आ करै छी आ सभे गोटा बुझै छी सेलऽ की केलॱ भऽ की गेलॱ समेटैमे अनेरो ओजएबामे संगो भेटै बुझै नै ओ बुझै छी से१.आब सािमल अराकानक आठ–रुक छः–रु - तीन बेर/ आचािर–रु - दू बेरक योग देखब। ई सभ मुफरद बहर अिछ मानेरुक बेर-बेर योग होइत अिछ।२.एकर अितिरक्त सािमल अराकानक १२ टा मुरब बहर अिछमाने दू कारक अरकानक बेर-बेर अएलासँ १२ सािलम बहर,संगीतक भाषामे िमित। ई तीन तरहक अिछ:- ४ रुक बहर, ६रुक बहर, ८ रुक बहर / मुरब (िमित) पूणक्षरी (सािलम)बहर- १२ टा –तवील, मदीद, मुनसरेह, मुक्तज़ब, मज़ारे, मुजतस,ख़फीफ, बसीत, सरीअ, जदीद, क़रीब, मुशािकल।29


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA३.आ तकर बाद सािमल आ मुजािहफ अराकान दुनूक मेलपेँचसँबनल १२ टा बहर मख्बून, अखरब, महजूफ, मक्तूअ, मक्बूज,मुमर, मरफू, मासूब, महजूज, मकफूफ, मकूल, आ अलमबहरक चचर् होएत।४.आ एिहमे मा मुजािहफ अराकानसँ बनल बेशी युक्त चािरटाबहर (मुक्तजब, मजारे, मुजतस आ खफीफ) क चचर् करब।१.आब सािमल अराकानक आठ–रुक छः–रु - तीन बेर/ आचािर–रु - दू बेरक योग देखब। ई सभ मुफरद बहर अिछ मानेरुक बेर-बेर योग होइत अिछ।बहरे मुतकािरब छः–रु फ ऊ लुन (U।।) – तीन बेरएके बेरमे जे कएलॱबड़े भेर भेनेँ सुनेलौँ30


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकिरा रच्छसा अएलैडरे भाखणो भेलै कतेकोँसुनैतो अरे ओ रहै छैबनै छै अनेरो सुधगाँबड़ी टाक ई बेर बीतैकनी टाक ई छाह पीटौँबहरे मुतकािरब चािर–रु फ ऊ लुन (U।।) – दू बेरबड़ी दूर ठाढ़ेकनी दूर नाचे31


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबुझै नै कनीकोबुरै छै दुलारेसखा ने सहेलीलगै छै बताहेमनीषी बहूतेकतेको हुलेनेबहरे मुतदािरक छः–रु फा इ लुन (।U।) – तीन बेरएकरे केलहा केलहॴ32


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAतैं अनेरे दुग भेलहॴघास फूसो सुखा गेलएमालजालो मरै देखहॴआसपासो बहूतो छलैभेल भादो हेलॱ कनॴसेकलो सूखलो जे मकैरोिटका देिख छूटै हँसॴबहरे मुतदािरक चािर–रु फा इ लुन (।U।) – दू बेरकािह काटी एतै33


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबात बाँटी एतैसे भने भेलहेँनेप चूतै एतैभेल भोरे कुनोसेप घॲटी ततैआिह रे आिह रेजाइ छी की जतैबहरे हजज :- छः–रु म फा ई लुन (U।।।) – तीन बेर34


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअनेरे भऽ गेलैं ऐ लड़ैले गैतखैनो जे भऽ जेतै की गमैए गैसुनैए जे हँसैए से बुझै छी ईकरैए जे बचैए से कहाँ ई गैनठैए जे लगैए से चलाको कीलबारी ई बकैए की बुझेलौ गैबलू ई जे ढकै छै हेँ देखौ ओ छैसभा भारी सभामये झुकेलॱ गैबहरे हजज :- चािर–रु म फा ई लुन (U।।।) – दू बेर35


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकने बेगार बेमारीकते की बात सुनाबीघटै छै बाध कतेकोबेढ़ै छै गाम नोथारीचलै छी ओिह सेनामेजतै भेलॱ स-संहारीचलू बीसो अनेको छैसहै छी ई भले हो कीबहरे रजज़ छः–रु मुस तफ इ लुन (।।U।) – तीन बेर36


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAई जे धरा देखैसँ छै हेतै तँ नैई जे घटा घूमैसँ घूमै ने तँ नैजैठाम छी से नै रही ने से कनेई बात छै ई घात छै ने से हेतैनै छै कनेको राित बाँचै भाँित ईके सूिन के की सूतलै ई मािट यैनै ेम नै छै आइ एै संसदोमेआ छै कने की ेम जे भेटै कने यैबहरे रजज़ चािर–रु मुस तफ इ लुन (।।U।) – दू बेर37


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAभोरे अएलै कोन गैसोझे न एलै फोन गैबहरे रमल छः–रु फा इ ला तुन (।U।।)– तीन बेरकी गरीबो की धनीको तैँ सभे छीकी समीपो की कतेको जे घुमै छीबहरे रमल चािर–रु फा इ ला तुन (।U।।)– दू बेरकी कतेको बात भेलैकी जतेको लात खेलै38


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबहरे वािफ़र छः–रु म फा इ ल तुन (U।UU।) – तीन बेरकने ककरा कहेबइ आ बतेबइ कीजते सुनबै तते कहता बतेबइ कीबहरे वािफ़र चािर–रु म फा इ ल तुन (U।UU।)– दू बेरकरेजक बात छै कतबोकरेजक हाल ई निञ होबहरे कािमल छः–रु मु त फा इ लुन (UU।U।) – तीन बेरअनका कतौ कहबै कने सुनतै कहाँ39


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसुिन ओ बजौ करतै कने िजतबै जहाँबहरे कािमल चािर–रु मु त फा इ लुन (UU।U।) – दू बेरपिहले अनै तखने सुनैकहबै कते कखनो करै२.एकर अितिरक्त सािमल अराकानक १२ टा मुरब बहर अिछमाने दू कारक अरकानक बेर-बेर अएलासँ १२ सािलम बहर,संगीतक भाषामे िमित। ई तीन तरहक अिछ:- ४ रुक बहर, ६रुक बहर, ८ रुक बहर / मुरब (िमित) पूणक्षरी (सािलम)बहर- १२ टा –तवील, मदीद, मुनसरेह, मुक्तज़ब, मज़ारे, मुजतस,ख़फीफ, बसीत, सरीअ, जदीद, क़रीब, मुशािकल।बहरे तवील फ–ऊ–लुन U।। मफा–ई–लुन U।।।40


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकहेबै सुनेबै की मुदा जे कहेतै सेसुनेतै उकारो की मुदा जे बजेतै सेबहरे मदीद फा–इ–ला–तुन ।U।। फा–इ–लुन।U।सूिन बाजू मूँहमे कैकटा छै बातमेबूिझ बाजूमीत यौ कैकटा छै घातमेबहरे मुनसरेह मुस–तफ–इ–लुन ।।U। मफ–ऊ–ला–तु ।।।Uकी की रहै की की भेल कोनो भला कोनो सैहमाँ माँ करी पैघो भेल सेहो जरौ सेहो जैह41


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबहरे मुक्तजब मफ–ऊ–ला–तु ।।।U मुस–तफ–इ–लुन ।।U।रामोनाम सेहो उठा रामोनाम सेहो जरारामोनाम मोहो लए रामोनाम बातो कराबहरे मजारे मफा–ई–लुन U।।। फा–इ–ला–तुन ।U।।अरे की छी सैह नै की अरे छी छी वैह ने छीिबसारी की उघारी की अरे की की देब ने कीबहरे मुजतस मुस–तफ–इ–लुन ।।U। फा–इ–ला–तुन ।U।।नै छै रमा नै रहीमो नै छै मरा नै मरीजोनै ई कनेको मृतो छै नै ई कनेको िजयै ओ42


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबहरे खफीफ फा–इ–ला–तुन ।U।। मुस–तफ–इ–लुन ।।U।फा–इ–ला–तुन ।U।।रेख राखू फेकू तँ नै देख लेलॱसूिन राखू बेरो तँ नै बीित गेलॱबहरे बसीत मुस–तफ–इ–लुन ।।U। फा–इ–लुन।U।की की रहै की भऽ गै की की छलै की भऽ नैरीतो िबतै ने कऽ गै गीतो िबतै गािब नैबहरे सरीअ मुस–तफ–इ–लुन ।।U। मुस–तफ–इ–लुन ।।U।मफ–ऊ–ला–तु ।।।U43


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसेहो कने छै ने अते की केहैतलेरो चुबै छै ने अते की केहैतबहरे जदीद फा–इ–ला–तुन ।U।। फा–इ–ला–तुन ।U।। मुस–तफ–इ–लुन ।।U।लेलहेँ ई बेगुणो आ भेलै भनेबेलगो ई नैहरो आ गेलै भनेबहरे करीब मफा–ई–लुन U।।। मफा–ई–लुन U।।। फा–इ–ला–तुन ।U।।चलै छै ई कने बाटो जाइ छै नैगतातोमे भने कोनो बात छै नै44


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबहरे मुशािकल फा–इ–ला–तुन ।U।। मफा–ई–लुन U।।। मफा–ई–लुन U।।।मोदमानी अहोभागी कनी छै कीोध जानी णो खाली बनै छै की३.आ तकर बाद सािमल आ मुजािहफ अराकान दुनूक मेलपेँचसँबनल १२ टा बहर मख्बून, अखरब, महजूफ, मक्तूअ, मक्बूज,मुमर, मरफू, मासूब, महजूज, मकफूफ, मकूल, आ अलमबहरक चचर् होएत।मख्बून: बहरे रमल मुसस मख्बूनफा–इ–ला–तुन ।U।। फ–इ–ला–लुन UU।। फ–इ–ला–लुनUU।।45


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAखेल खेला असली ऐ अगबे नैिमलिमला अँिखगौरो बतहा नैअखरब: बहरे हजज मुरबा अखरबमफ–ऊ–लु ।।U मफा–ई–लुन U।।।की भेल लटू बूड़ूके गेल अे जोड़ूमहजूफ: बहरे रमल मुसमन महजूफफा–इ–ला–तुन ।U।। फा–इ–ला–तुन ।U।। फा–इ–ला–तुन।U।। फा इ लुन । U ।एनमेनो भेल गेलौ आश आगाँ बीतलौ46


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसूिन गेलॱ नै भगेलॱ नाश नारा गीत यौमक्तूअ: बहरे मुतदािरक मुसस मक्तूअफा–इ–लुन।U। फा–इ–लुन।U। फै–लुन ।।कीसँ की भेल छी बाबूकीसँ की कैल छी आगूमक्बूज: बहरे मुतकािरब मुसमन मक्बूज (एिहमे सभटा मुज़ािहफअरकान)फ ऊ लुन U । । फ ऊ लुन U । । फ ऊ लुन U । ।फ–ऊ–लु U।Uअरे रे अहाँ जे कहेलॱ िसनेहअरे रे अहाँ जे बजेलॱ िसनेह47


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमुमर: बहरे कािमल मुसस मुमर (एिहमे सभटा अरकान सािमल)मु–त–फा–इ–लुन UU।U। मु–त–फा–इ–लुन UU।U। मुस–तफ–इ–लुन ।।U।अनठयने रहबै रहबै हरे हे रोमबैअनठयने रहबै रहबै अरे हे घूिरऐमरफू: बहरे मुक्तिजब मुसस मरफूमफ–ऊ–ला–तु ।।।U मफ–ऊ–ला–तु ।।।U मफ–ऊ–लु ।।Uकी की रेह की की सैह िनंघेसकी की रेह की की यैह िनंघेस48


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमासूब – बहरे वािफर मुसस (एिहमे सभटा अरकान सािमल)मफा–इ–ल–तुन U।UU। मफा–इ–ल–तुन U।UU। मफा–ई–लुनU।।।अरे अनलॱ सुहािगन यै अनेरो कीअरे अनलॱ मुहोथिरमे जनेरो कीमहजूज: बहरे मुतदािरक मुसमन महजूज (एिहमे सभटा मुज़ािहफअरकान)फा इ लुन । U । फा इ लुन । U । फा इ लुन । U ।फा ।के रहै सूिन यै ई अहाँकेँके रहै कूिद यै ई अहाँकेँ49


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमकफूफ: बहरे हजज मुसमन मकफूफमफा–ई–लुन U।।। मफा–ई–लुन U।।। मफा–ई–लुन U।।।म–फा–ई–लु U।।Uअनेरे की अनेरे की धुनेरे की कहेलॱ हँअनेरे की अनेरे की धुनेरे की कहेलॱ हँमकूल: बहरे रमल मुसमन मकूलफा–इ–ला–तुन ।U।। फा–इ–ला–तुन ।U।। फा–इ–ला–तुन।U।। मफ–ऊ–लु ।।Uसूिन सुझा केिलयै ने कोन पापी छोड़ाइसूिन सुझा केिलयै ने कोन पापी छोड़ाइअलम: बहरे मुतकािरब मुसस अलमफ–ऊ–लुन U।। फ–ऊ–लुन U।। फ–अल् U।50


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअरे की अरे की अहाँअरे की अरे की अहाँ४.आ एिहमे मा मुजािहफ अराकानसँ बनल बेशी युक्त चािरटाबहर (मुक्तजब, मजारे, मुजतस आ खफीफ) क चचर् करब।बहरे मुक्तजब (मुजािहफ रूप) (अपूणक्षरी आठ रु):फ ऊ लु U। U फै लुन U । फ ऊ लु U।U फै लुन। ।कतेक गपो कतेक सपोकतेक िमलै रहैत छै ओबहरे मज़ारे (मुजािहफ रूप) (अपूणक्षरी आठ रु):मफ ऊ लु ।। U फा इ ला तु । U । U म फा ई लु U । । U फा इलुन। U । / फा इ ला न। U । U51


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAने छैक नै इनाम कते कोन छािन गैने छैक नै नकाम कते कोन काज गैबहरे मुजतस (मुजािहफ रूप) (अपूणक्षरी आठ–रु):म फा इ लुनU । U । फ इ ला तुन U U । । म फा इ लुन U । U। फै लुन। ।/ फ–इ–लुन UU।भने भले करतै की भने भले भेटौकते कते जरतै ई कते कने देखौबहरे ख़फीफ़ (मुजािहफ रूप) (अपूणक्षरी छः रु):फा इ ला तुन। U । । म फा इ लुन U । U । फै लुन। । / फ इलुन U U ।देख लेलॱ िदवारसँ बेचै कखनो52


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबेख देखै गछारसँ हेतै िनक ओगजल ारा िकछु संदेश, िकछु भावनामक अिभयिक्त, िकछु जीवनदशर्न, सौदयर् आिक ेम ओ िवरहक सौदयर् दिशर्त रहबाकचाही। िकछु एहेन जे सायास नै अनायास होअए। तेँ गजल आनप-किवता जेना- कहल जएबाक चाही, िलखल नै। िलखल तँिच जाइत अिछ- िमिथला िचकला िलिखया ारा िलखल जाइतअिछ, संकृतमे हम कहै िछऐ- अहं िचं िलखािम। गजलक िवषयअलग होइत अिछ, गजलशाक अधारपर भजन िलख देलासँ ओगजल नै भऽ जाएत। अरबीमे तँ गजलक अथ होइ छै ीसँवातलाप। गजल ेम िवरहक बादो, नै पौलाक बादो, लोकापवादआ तथाकिथत अवैध रहलाक उरो ेमक रस लैत अिछ। ई ेमभगवान आ भक्तक बीच सेहो भऽ सकैत अिछ, शारीिरक आआयािमक भऽ सकैत अिछ। ई राधाक ेम भऽ सकैत अिछ तँमीराक सेहो। ई ेम दुनू िदससँ हो सेहो जरूरी नै। भावनाकउेक आ संगमे गजल किह कऽ आमतुिक लेल गजलकारभावनाक उेककेँ क्षिणक नै वातिवक आ थायी बनाबिथ तखनेनीक गजल िलिख सकै छिथ।53


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबहर आ छदक िमलानीवणर् छदमे तीन-तीन अक्षरक समूहकेँ एक गण कहल जाइतअिछ। ई आठ टा अिछ-यगण U।।रगण ।U।तगण ।। Uभगण । U Uजगण U। Uसगण U U ।मगण ।।।नगण U U Uएिह आठक अितिरक्त दूटा आर गण अिछ- ग / ल54


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAग- गण एकल दीघर् ।ल- गण एकल व Uएक सू- आठो गणकेँ मोन रखबा लेल:-यमाताराजभानसलगम्आब एिह सूकेँ तोड़ू-यमाता U।। = यगणमातारा ।।। = मगणताराज ।। U = तगणराजभा ।U। = रगणजभान U। U = जगणभानस । U U = भगणनसल U U U = नगणसलगम् U U । = सगण55


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबहरे मुतकािरब मुतकािरब आठ–रु फ ऊ लुन (U।।) – चािरबेरवणर्वृ भुजंगयात : ित चरण यगण (U।।) – चािर बेर।बारह वणर्। पिहल, चािरम, सातम आ दसम व, शेष दीघर्।छअम आ आिखरी वणर्क बाद अर्-िवराम।बहरे मुतकािरब चािर–रु फ ऊ लुन (U।।) – दू बेरवणर् वृ सोमराजी यगण (U।।) – दू बेर। छह वणर्। पिहल आचािरम व, शेष दीघर्। दोसर आ अितम वणर्क बाद अर्-िवराम।मािक रूप- ित चरण बीस माा। पिहल, छअम, एगारहम आसोलहम माा व।बहरे मुतदािरक मुतदािरक आठ–रु फा इ लुन (।U।) – चािरबेरवणर् वृ िग्वणी रगण (।U।) – चािर बेर। बारह वणर्। दोसर,पाँचम, आठम आ एगारहम व आ शेष दीघर्। छअम आ आिखरीवणर्क बाद अर्-िवराम।56


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमािक रूप- ित चरण बीस माा। तेसर, आठम, तेरहम आअारहम माा व।महजूफ: बहरे रमल मुसमन महजूफ फा–इ–ला–तुन ।U।। फा–इ–ला–तुन ।U।। फा–इ–ला–तुन ।U।। फा इ लुन । U ।मािक छंद गीितका -ित चरण २६ माा। तेसर, दसम, सहमआ चौबीसम माा व।गीितका-वणर्वृ २० वणर् एकटा सगण, दूटा जगण, एकटा भगण,एकटा रगण, एकटा सगण, एकटा लगण आ एकटा गगण। तेसर,पाँचम, आठम, दसम, तेरहम, पहम, अठारहम आ बीसम वणर् दीघर्आ शेष व। पाँचम, बारहम आ अितम वणर्क बाद अर्-िवराम।महजूज: बहरे मुतदािरक मुसमन महजूज (एिहमे सभटा मुज़ािहफअरकान) फा इ लुन । U । फा इ लुन । U । फा इ लुन। U । फा ।57


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAवणर् वृ बाला-१० वणर्। ित चरण रगण । U । तीन बेर आफेर एकटा दीघर् ।मािक रूप- ित चरण सह माा। तेसर, आठम, तेरहम मााव आ आिखरीमे एक दीघर् । आिक दूटा व Uसोमदेवकेँ बोध सािहय समान २०११ देल जाएत।सोमदेव 1934- उपयासकार ओ किव । सािहय अकादेमीपुरकारसँ समािनत । कािशत कृित: चानोदाइ, होटल अनारकली(उपयास), काल विन (किवता संह), चरैवेित (गीित नाय) सोमसतसइ (दोहा)।२००२- सोमदेव (सहमुखी चौक पर, प) लेलसािहय अकादमी पुरकार। २००१ ई. - ी सोमदेव,दरभंगा;याी-चेतना पुरकार, बोध सािहय समान २०११।सािहय अकादेमी फेलो- भारत देशक सवच्च सािहय पुरकार58


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA(मैिथली)१९९४- नागाजुर्न (व. ी वैनाथ िम “याी” १९११-१९९८ ), िहदी आ मैिथली किव।२०१०- चनाथ िम अमर (१९२५- )- मैिथली सािहय लेल।सािहय अकादेमी भाषा समान ( क्लािसकल आ मयकालीनसािहय आ गएर मायताात भाषा लेल)२००७- पं. डॉ. शिशनाथ झा (क्लािसकल आ मयकालीन सािहयलेल।)पं. ी उमारमण िमसािहय अकादेमी पुरकार- मैिथली१९६६- यशोधर झा (िमिथला वैभव, दशर्न)१९६८- याी (पहीन नग्न गाछ, प)59


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१९६९- उपेनाथ झा “यास” (दू प, उपयास)१९७०- काशीकात िम “मधुप” (राधा िवरह, महाकाय)१९७१- सुरे झा “सुमन” (पयिवनी, प)१९७३- जिकशोर वम “मिणप” (नैका बिनजारा, उपयास)१९७५- िगरी मोहन िम (िकछु देखल िकछु सुनल, संमरण)१९७६- वैनाथ मिलक “िवधु” (सीतायन, महाकाय)१९७७- राजेर झा (अवह: उव ओ िवकास, समालोचना)१९७८- उपे ठाकुर “मोहन” (बािज उठल मुरली, प)१९७९- तनाथ झा (कृण चिरत, महाकाय)१९८०- सुधांशु शेखर चौधरी (ई बतहा संसार, उपयास)१९८१- माकर्डेय वासी (अगयाियनी, महाकाय)१९८२- िलली रे (मरीिचका, उपयास)60


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१९८३- चनाथ िम “अमर” (मैिथली पकािरताक इितहास)१९८४- आरसी साद िसंह (सूयर्मुखी, प)१९८५- हिरमोहन झा (जीवन याा, आमकथा)१९८६- सुभ झा (नाितक पक उर, िनबध)१९८७- उमानाथ झा (अतीत, कथा)१९८८- मायानद िम (मंपु, उपयास)१९८९- काचीनाथ झा “िकरण” (पराशर, महाकाय)१९९०- भास कुमार चौधरी (भासक कथा, कथा)१९९१- रामदेव झा (पिसझैत पाथर, एकांकी)१९९२- भीमनाथ झा (िविवधा, िनबध)१९९३- गोिवद झा (सामाक पौती, कथा)१९९४- गंगेश गुंजन (उिचतवक्ता, कथा)१९९५- जयमत िम (किवता कुसुमांजिल, प)61


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१९९६- राजमोहन झा (आइ काि परसू, कथा संह)१९९७- कीितर् नारायण िम (वत होइत शािततूप, प)१९९८- जीवकात (तकै अिछ िचड़ै, प)१९९९- साकेतानद (गणनायक, कथा)२०००- रमानद रेणु (कतेक रास बात, प)२००१- बबुआजी झा “अज्ञात” (ितज्ञा पाडव, महाकाय)२००२- सोमदेव (सहमुखी चौक पर, प)२००३- नीरजा रेणु (ऋतभरा, कथा)२००४- चभानु िसंह (शकुतला, महाकाय)२००५- िववेकानद ठाकुर (चानन घन गिछया, प)२००६- िवभूित आनद (काठ, कथा)२००७- दीप िबहारी (सरोकार, कथा62


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१९९८- चनाथ िम “अमर” (परशुरामक बीछल बेरायल कथा-राजशेखर बसु, बांग्ला)१९९९- मुरारी मधुसूदन ठाकुर (आरोग्य िनकेतन- ताराशंकरबंदोपायाय, बांग्ला)२०००- डॉ. अमरेश पाठक, (तमस- भीम साहनी, िहदी)२००१- सुरेर झा (अतिरक्षमे िवफोट- जयत िवणु नालकर,मराठी)२००२- डॉ. बोध नारायण िसंह (पतझड़क वर- कुतुर्ल ऐनहैदर, उदूर्)२००३- उपेद दोषी (कथा किहनी- मनोज दास, उिड़या)२००४- डॉ. फुल कुमार िसंह “मौन” (ेमचद की कहानी-ेमचद, िहदी)२००५- डॉ. योगानद झा (िबहारक लोककथा- पी.सी.राय चौधरी,अंेजी)२००६- राजनद झा (कालबेला- समरेश मजुमदार, बांग्ला)64


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२००७- अनत िबहारी लाल दास “इदु” (यु आ योा-अगमिसंह िगिर, नेपाली)२००८- ताराकात झा (संरचनावाद उर-संरचनावाद एवं ाच्यकायशा-गोपीचद नारंग, उदूर्)२००९- भालच झा (बीछल बेरायल मराठी एकाँकी- सपादकसुधा जोशी आ राकर मतकरी, मराठी)सािहय अकादेमी मैिथली बाल सािहय पुरकार२०१०-तारानद िवयोगीकेँ पोथी "ई भेटल तँ की भेटल" लेलबोध समानबोध समान 2004- ीमित िलली रे (1933- )बोध समान 2005- ी महे मलंिगया (1946- )बोध समान 2006- ी गोिवद झा (1923- )65


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबोध समान 2007- ी मायानद िम (1934- )बोध समान 2008- ी मोहन भाराज (1943- )बोध समान 2009- ी राजमोहन झा (1934- )बोध समान 2010- ी जीवकात (1936- )बोध समान 2011- ी सोमदेव (1934- )याी-चेतना पुरकार२००० ई.- पं.सुरे झा “सुमन”, दरभंगा;२००१ ई. - ी सोमदेव, दरभंगा;२००२ ई.- ी महे मलंिगया, मलंिगया;२००३ ई.- ी हंसराज, दरभंगा;66


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२००४ ई.- डॉ. ीमती शेफािलका वम, पटना;२००५ ई.-ी उदय च झा “िवनोद”, रिहका, मधुबनी;२००६ ई.-ी गोपालजी झा गोपेश, मेंहथ, मधुबनी;२००७ ई.-ी आनद मोहन झा, भाराज, नवानी, मधुबनी;२००८ ई.-ी मंेर झा, लालगंज,मधुबनी२००९ ई.-ी ेमशंकर िसंह, जोिगयारा, दरभंगा२०१० ई.- डॉ. तारानद िवयोगी, मिहषी, सहरसाकीितर्नारायण िम सािहय समान२००८ ई. - ी हरेकृण झा (किवता संह “एना त निह जे”)२००९ ई.-ी उदय नारायण िसंह “निचकेता” (नाटक नो एी:मा िवश)67


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२०१० ई.- ी महाकाश (किवता संह “संग समय के”)मैिथली-समीक्षा िवशेषांक: िवदेहक हाइकू, गजल, लघुकथा, बाल-िकशोर िवशेषांक आ नाटक-एकांकी िवशेषांकक सफल आयोजनकबाद िवदेहक 15 जनवरी 2011 अंक मैिथली-समीक्षाक िवशेषांकरहत। एिह लेल टंिकत रचना, जकर ने कोनो शदक बधन छैआ ने िवषएक, 13 जनवरी 2011 धिर लेखक ई-मेलसँ पठासकै छिथ। रचनाकार अपन मौिलक आ अकािशत रचना (जकरमौिलकताक संपूणर् उरदाियव लेखक गणक मय छिह)ggajendra@videha.com केँ मेल अटैचमेटक रूपमेँ .doc,.docx, .rtf वा .txt फॉमटमे पठा सकैत छिथ। रचनाक संगरचनाकार अपन संिक्षत पिरचय आ अपन कैन कएल गेल फोटोपठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ईरचना मौिलक अिछ, आ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ईपिकाकेँ देल जा रहल अिछ।68


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA( िवदेह ई पिकाकेँ ५ जुलाइ २००४ सँ एखन धिर १०७ देशक१,६४३ ठामसँ ५३, ९३१ गोटे ारा िविभ आइ.एस.पी. सँ२,८२,६७८ बेर देखल गेल अिछ; धयवाद पाठकगण। - गूगलएनेलेिटक्स डेटा। )गजे ठाकुरggajendra@videha.com२. ग२.१. जगदीश साद मंडल- एकटा दीघर्कथा मइटुग् गर आएकटा एकांकी समझौता69


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२.२.१. बेचन ठाकुर- नाटक- बेटीक अपमानकगतांशसँ आगाँ २. रमाका त राय 'रमा'- मैिथ ल प-पि का :सम या ओ समाधान : आचायर् िद यचक्षु२.३.१. दीप िबहारीक दू गोट िवहिन कथा-ससंगी- थापड़२. ल मी दास- िवहिन कथा- बूिड़ बकक बूिड़ बक ३. डॉ.कैलाश कुमार िम - यायावरी- मिल क भाय केर फुटपाथी िचंतन४. िबिपन झा- की नब साल की पुरान साल..!५. मुाजी- िरपोतज- ६. नवेदु कुमार झा १.रेललाइनसँ जुड़त भारत आ नेपाल २. भारतीय सामािजक यवथामेआइयो जीवत अिछ जाित यवथा- ो. शम ३.देशमे लागत70


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAचौदहटा नव उोग समूह, असोचैम कएलक एिह िदस पहल-िमिथलांचलमे सेहो लागत नव उोग२.४.हम पुछैत छी - मुाजी- १.जगदीशसाद मंडल, २.राजदेव मंडल, ३.कुमार शैले आढेर रास गप.....४.अमरनाथ सँ मुाजी पुछैत छिथ71


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२.५.१. भारत भूषण झा- कथा- आ मबल कथाकशेषांश २.िश व कुमार झा "िट लू" िवहिन कथा-लेबर पेन३. मनोज कुमार मंडल- कथा- बेमेल िव आह४. योित- िवहिन कथा- मैिथल िबयाह५.िम िथ लेश मंडल- कथा- िव देशी बाबू२.६.१. डा० अभयधारी िसंह- अिभनव वषर्२. जगदीश साद मंडल- मैिथ ली उप यास सािह यमेामीण िच ण72


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२.७.१. रमेश- ग किवता- डॉ. काचीनाथ झा‘िकरण’क नामक अैत मीमांसा २.िजते झा- उपटैत गामबसाओत बाबा ३.रा पितक नेपाली ेमसुजीतकुमार झा- नेपालक२.८.१. िवनीत उपल- दीघर्कथा- घोड़ीपर चिढ़ लेब हमिडी -आगाँ २.शंभु नाथ झा ‘वस’73


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAजगदीश साद मंडलगाम-बेरमा, तमुिरया, िजला-मधुबनी। एम.ए.।कथाकार (गामक िजनगी-कथा संहआ तरेगण- बाल-ेरक लघुकथा संह), नाटककार(िमिथलाक बेटी-नाटक),उपयासकार(मौलाइल गाछक फूल, जीवन संघषर्, जीवन मरण, उथान-पतन,िजनगीक जीत- उपयास)। माक्सर्वादक गहन अययन। िहनकर कथामे गामकलोकक िजजीिवषाक वणर्न आ नव दृिकोण दृिगोचर होइत अिछ।एकटा दीघर्कथा मइटुग् गर आ एकटा एकांकीसमझौता74


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१दीघर्कथा-मइटुग् गरजिह ना सरयुग नदीमे नहा भक् त मंिद रमे वेश किर ते भगवान रामकदशर्न करैत तिह ना तपेसर अंगनाक मेहमे आेंगिठ समाजकेँ भोजखुअबैक ओिर यान देख रहल छिथ । पोखिर क पािन जकाँ शीतल,शा त समतल मन अंगनाक सुगंधमे म त छि ह । तै बीच बेटीघुरनी चमकैत टीलक िछ पलीमे पनरह-बीसटा सुखल बरी एकटाबर आ पािन भरल िग लास आगूमे रिख कहलकिन - “कनी चीखकऽ देिख यौ जे नीक भेल आिक नै ?”मु कुराइत बेटी आ िछ पलीमे सजल बर-बरी देख तपेसर हेरागेलाह। मन पड़लिन मइटुग् गर। मुदा चुि पर चढ़ल लोिह या छोिड़अँटकब उिच त नै बुिझ घुरनी चुि लग पहुँच गेली। कमलक फड़सन एकटा बरी मुँहमे लैते मन पड़लिन पिर वारमे अपन कएलकाज।75


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसाओन मास। भोरहरबामे मेघ फिट बरखो भेल आ अधरित येसँ जेपूव उठल उठले रिह गेल। कखनो काल झकिस यो अिब ते रहल।जेना-जेना िद न उठैत गेल तेना-तेना पूरबाक लपेट सेहो बिढ़ तेगेल। सवक ददर्क आगम सुशीला सासुकेँ कहलिन । पुतोहूक बातसुिन सुनयना बेटा तपेसरकेँ पलहिन बजबए कहलिख न।ओसारक ओछाइनपर आेंघराएल सुशीलाक मनमे लड़ाइ पसिरगेलिन । एक िद स सवक पीड़ा अपन दल-बलक संग अंगक पोर-पोरमे चढ़ाइ करैत तँ दोसर िद स िज नगीक किठ न दुगर्मे फॅॅसल मनखुशीक लहिड़ मे िझ लहोिर खेलाइत। नारी िज नगीक े ठतम काज।जेहने भिर गर काज तेहने मुँहमंगा मातृ वक उपहार। पूवक लपेटदेख सुनयनाकेँ ठकमूड़ी लगल रहिन । आइ धिर सव गठुलामेहोइत रहल ऐछ । जिह घरक टाट हवाक झॲककेँ नै रोकैत।आमक घर जकाँ टाटमे लेब नै पड़ैत। मुदा बोनक बच् चाकेँ कोनघर रक् छा करैत ऐछ ! गठुला छोिड़ मालक घरमे ओछाइन ओछादेलिख न। ओछाइन ओछा िह यासए लगलीह जे अिग यासी भइये गेल,फाट-पुरान लइये अनलॱ। मालक घरसँ हुलकी मािर पुतोहू िद सदेखलिन तँ चैन बुिझ पड़लिन । मन असिथ र भेलिन ।76


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAपहलिन ऐठाम जाइत तपेसरक मनमे अपन काजक भार उठलिन ।एहेन भारी काजमे पुरूखक काज की ऐछ ? डेग भिर हटलपलहिन क घर ऐछ तेकर बाद? मचकीपर झुलैत झुलिन हार जकाँतपेसर झुलैत पलहिन ऐठाम पहुँच जनतब देलिख न। अपन उगैतलछमीकेँ देख मु की दैत पलहिन कहलकिन - “अहाँ आगू बढ़ूगाइयक थैर बनौने पीठेपर दौड़ल अबै छी। ”पाँचो िम नट पलहिन केँ पहुँचला नै भेल आिक बेटाक ज म भेल।धरतीपर बेटाकेँ पदापर्ण किर ते िब जलोका जकाँ पिर वारमे खुशीपसिर गेल। देह पोछैत पलहिन क मन चालीस त मा िन छौर, तैपरसँ िन पनौन, लािढ़ -पुरिन कटाइक संग उपहार, पसारी छी तँएमंगवोक अिध कार एेछ ये जाइकाल एकटा सजमिन यो मांिग लेब।िस दहा तँ देबे करतीह। िह साबमे मन बौआ गेलिन । समाजमेभगवान ककरो सनतान दै छिथ न तैमे सिझ या कऽ दैत छिथ ने।बच् चाक िज नगी हमरा हाथमे ऐछ , तिह ना ने अपनो िज नगी दोसराकहाथमे ऐछ । तरे-तर मन खुशी भऽ गेलिन । मु की दैत सुनयनाकेँटोनलिन - “काकी, पिह ल पोता िछ अिन , रेशमी पटोर पहीिर बिन ?”धारक बेगमे दहलाइत दादीक मन, मूड़ी डोलबैत बजलीह-“एकटाकेँ के कहै सातटा पिह रेबह। ”पलहिन - “बच् चा मुँह, एन-मेन तपेसरे बौआ जकाँ छै। ”77


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAपलहिन क बात सुिन ओछाइनपर पड़ल सुशीलाक ददर् भरल देहकमनमे अपन सती वक आभास भेल। मुदा अवसरकेँ हाथसँ नै जाएिद अए चािह बुदबुदाएल- “केहेन सपरतीभ जकाँ बजै-ए। ” मुदापलहिन सुनलक नै । जिह सँ आगू िक छु नै बाजिल ।झीलक पािन जकाँ तपेसरक मन असिथ र। सामा य पिर ि थ ित तँएसामा य मनक िव चार। जिह ना किठ नसँ किठ न, उकड़ूसँ उकड़ूकाजपर लूिर डटल रहैत तिह ना िज नगी काजपर नजिर दौड़ैत मनडटल। मन कहैत बीस-एैस बखर्क उो छेबे करिन , रोगो यािध क छुित देहमे निह ये छि ह । बेटापर नजिर पहुँचते पु सनस पि क आगमनसँ मन फुला गेलिन । जिह ना लगौल गाछमे पिह लफूल वा फड़ लगलापर बेर -बेर देखैक इच् छा होइत तिह ना तपेसरकमनमे उठैत। बिजर्त जगह बुिझ परहेज केने रहिथ । मुदा तैयोजिह ना डॉट टुटल कमल हवाक संग पोखिर मे दहलाइत तिह नाखुशीक िह लकोरमे तपेसरक मन तड़-ऊपर करैत। मनमे उठलिन ,पुरूष-नारी बीचक संबंधमे बच् चो पैघ शर् छी। पिर वारमे (संबंधमे)िव खंडनक संभावना बनल रहैत ऐछ । लगले मन अपनासँ आगू उिड़माए-बापपर गेलिन । हृदए िव हुँिस गेलिन । जिह ना मातृ व ा तकेलापर नारीक सौ दयर् बिढ़ जाइत तिह ना ने िप तृ व ा त केलापर78


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAपुरूषोकेँ होइत। लगले िस नेमा रील जकाँ बेटाक ज मसँ अंित मसमए धिर क िज नगी नािच उठलिन ।िक छुए समए बाद सुशीलाकेँ पुन: ददर् शुरू भेलिन । समएक संगदद बढ़ए लगलिन । दुखक संग छटपटाएव शुरू भेलिन । सुशीलाकछटपटाहिट देख सुनयना पलहिन केँ कहलिख न- “किन याँ, अहाँदेिख अनु ता बच् चा स हािर दै छी। ”पेटपर हाथ दैते पलहिन बुिझ गेली जे दोसर बच् चा हेतिन ।बजलीह- “काकी, एकटा बच् चा आरो हेतिन ?”पलहिन क बात सुि न, जिह ना मेघ तड़कैत तिह ना सुनयनाकेँ भेलिन ।जोरसँ तपेसरकेँ कहलिख न- “बौआ, बौआ। ”अकचका कऽ तपेसर बाजल- “हँ, माए। ”“हँ, अंगनेमे रहह। ”करीब बीस िम नट पछाित बेटीक ज म भेलिन । अखन धिर जिह नाखुशीक सुगंध अंगनामे पसरल छल एकाएक ठमिक गेल। बच् चाकज म होइतिह सुशीलाक देह लर-तांगर भऽ गेलिन । पलहिनसुनयनाकेँ कहलिन - “काकी, पुरबा लपटै छै। अिग यासी नीक-नहाँित जगा देथुन ओना तँ सभ भगवानक हाथमे छि ह मुदा जहाँ79


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAतिल क पार लागत से तँ करबे करबिन । जािन ये कऽ तँ भगवानदुख बढ़ा देलिख नहेँ। ऐ (पिह ल) बच् चापर इ निज र राखथु ऐपर हमरखै छी।” किह बच् चाक पोछ-पाछ करए लगली। साँस म द देखमुँहमे मुँह सटा फूिक साँसक गित ठीक केलिन । बच् चाक लक्षणदेख पलहिन क मन बािज उठल। जरूर दुनू बच् चा ठहरबे करत।नजिर पैछला काजपर पड़ल। एहेन की पिह ल-पिह ल बेर भेल।कतेकोकेँ भेलिन । िक छु गोटेक दुनू बँचलिन , िक छु गोटेक एकटाबँचलिन आ िक छु गोटे बच् चाक संग चिल गेलीह। ओना काज तँअिन ि च त ऐछ मुदा अपना भिर तँ ित या-पछा करवे करबिन ।सुशीलाकेँ सुनयना पुछलिख न- “किन याँ मन केहन लगै-ए? ”अधर्-चेत अव थामे सुशीला अपन टूटैत िज नगी हाथक इशारासँकहलकिन । मुँहक सुरखी कहैत जे नै बँचब। सुशीलाक इशारासँसुनयना बुझलिन जे तपेसर भारी िव पि मे पिड़ गेल। भगवानपरखॴझ उठलिन । बेचारा फो-फनमे पिड़ जाएत। हम बूढ़े भेलॱ,जएह कएल हएत सएह ने स हािर देबै। मुदा िव पि तँ ततबेटा नैने छै। खेती-पथारी, माल-जाल, कुटुम-पिर वार छै तै परसँ दू-दूटािच का भेलइ। कना स हािर पाओत। ने ी बँचतै आ ने एोटाबच् चा। हमहूँ कते िद न जीब। सभ ि कछु बेचाराकेँ हरा जेतै। हेभगवान, तोरा केहन दुरमित या चढ़लह जे एहेन गनजन बेचाराकेँकेलहक।80


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAआंगनमे बैसल तपेसरक मनमे उठैत जे जतेटा मोटरी माथपर उठतततबे ने उठाएब। नमहर मोटरी कते काल क् यो माथपर स हािरकऽ रिख सकैए। मुदा तँए की? जीा िज नगी हािर यो मािन लेबउिच त नै । करैत-करैत-लड़ैत-लड़ैत जे हेतै से देखल जेतै।जिह ना रणभूिम मे दू दलक बीच लड़ाइ अंित म दौड़मे अिब ते दुनूदलक मन मािन लैत जे के जीतत के हारत। मुदा हरलोहोक बीचकते रंगक िव चार उठैत। िक छु गोटे रणभूिम सँ भागए चाहैत तँिक छु गोटे अढ़ भिज या नुकाए जाहैत। मुदा िक छु एहनो होइत जेअपन बिल देख वेच् छासँ अंित म समए धिर हिथ यार उठौने रहैतऐछ । का नै उठाओत? अपन िज नगीक संगी, जे कौआ-कुकुड़कपेट भिर अपन मनोरथ पूरा करत, आ हम गुलाम बिन दु मनकजहलमे सड़ब।अपन अंित म बात सुशीला पलहिन यो, सासुओ आ पित योकेँ कहलक-“हम नै बँचव। दुिन याँक सभसँ पैघ पापी छी जे अपनो रक् छा नैकऽ सकलॱ। दुनू बच् चाकेँ अहाँ सभ देखबै। ” किह ते आँिख बभऽ गेलिन । ाण तँ बँचल रहिन मुदा चेतन-शु य भऽ गेलीह।81


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसुशीलाक बात सुि न पलहिन चमिक उठल। बापरे! सभसँ बेसी भारअपने ऊपर आिब गेल। ज मक पालनक भार....। अखन धिरजते ठीन काज केलॱ, एहेन काजसँ भेँट कहाँ भेल! बुझल बातकम आ अनभुआर बेसी बजरत। जते अपना िद स तकैत जाइततते िच ता बढ़ल जाइत। बच् चाकेँ दूध िप आएब जरूरी भऽ गेल।माइक तँ यएह गित छि ह । हे भगवान कोनो उपाय धड़ाबह। मनपड़लै अपन बच् चा। अपनो तँ दूध होइते ऐछ तखन एते घबड़ेवाकिक जरूरत ऐछ । मुदा अपन दूध तँ छह मासक बकेन ऐछ ।गजुरा तँ नै । एे िव चार करब तँ बच् चे मिर जाएत। हे भगवानजािन हह तूँ। मने मन किह दुनू बच् चाकेँ दुनू छाती लगा दूधिप अबए लगली। बच् चाक चोभ देख पलहिन क मन खुशीसँ नािचउठलिन । ठािन लेलिन जे बच् चाकेँ मरऽ नै देब। आइये बकरीदूधक ओिर यान करैले सेहो किह दैत िछ अिन आ टेम-कुटेम अपनोचटा देबै। मुदा अपनो बच् चा तँ चािर ये मासक ऐछ । सात माससँपिह ने कना दािल क पािन चटेबै। फेर मातृ व जिग ते बुदबुदेलीह-‘ऐसँ पैघ काज ऐ धरतीपर हमरा िल ये की ऐछ ? जँ दुिन याँ देखऽबच् चा आएल हएत तँ जरूर देखत।82


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAपुतोहूक बात सुि न सुनयना चेतनहीन हुअए लगलीह। कासक फूलजकाँ मन उिड़ -उिड़ बौराए लगलिन । बच् चाक मुँहपर नजिर पिड़ तेउपराग दैत भगवानकेँ मने-मन कहलिन - “ कोन जनमक कनािर ऐबच् चासँ असुल रहल छह। ऐ िन मू-धनक कोन दोख भेलै। जँतोरा नै सोहेलह तँ पेटेमे िक अए ने कनािर चुका लेलह। एहनबच् चाक एहन गंजन तोरे सन बुते हेतह। ” चहकैत करेजसँ िव तभऽ कुहिर उठलीह। एक तँ वेचारीक (पुतोहूक) उपर केहन डाँगपड़ल जे अमू य कोिख उसरन भऽ गेलै, तै संग बच् चा लटुआएलऐछ । मुदा अपनो वंश तँ उसरने भऽ रहल ऐछ । थाकल-ठिह आएलजकाँ छातीपर पथरो रिख आँिख तकब मुदा तपेसर तँ से नै ऐछ ।जुआन-जहान ऐछ , हो न हो कहॴ बौर ने जाए। ककरा के देखत?जिह ना धारक बहैत धारामे माथक मोटरी खुललासँ मोटरीक व तुिछ िड़ या पािन क संग भाँसऽ लगैत जिह सँ िक छु िब छेबो करैत आिक छु भँिस यो जाइत तिह ना सुनयनाक िव चार िक छु उिड़ आइत िक छुठमकल छाती दहलाइत।ओसारक खूँटा लगा बैसल तपेसरक मन मािन गेल जे चूक हमरोसँभेल। आइ धिर जे देखैत एलॱ वएह मनमे बैस गेल। की रेिड यो-अखबारक समाचार झुठे रहैत ऐछ जे दू-तीन-चािर धिर बच् चामनु यकेँ होइत छै। जिह ना पर परासँ अबैत यवहारकेँ िब नु सोच-िव चार केनहुँ सभ लकीरक फकीर बिन लहास ढोइत ऐछ तिह ना तँ83


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकेलहुँ। मुदा हाथक डोरा टुटने जिह ना गुडी अकासमे उिध याजाइत तिह ना ने तँ उिध या गेलहुँ। सोचैक, बुझैक बात छल जेएक बच् चाक लेल कते सेवाक जरूरत होएत, दू बच् चाक लेलकते....। से नै बुिझ सकलहुँ। आइ जँ वुझल रहैत तँ एहेन िद नदेखैक अवसर नै भेटैत। पिर वार उजिड़ जाएत। वंश िव लिटजाएत। मुदा जे चुिक गेलहुँ ओकर उपाइये िक ? जिह ना थाकलअिड़ कंचनमे सु दर सुकोमल पेंपी िन कलैत तिह ना तपेसरक मनमेआशाक पेंपी उगल। धारक धाराक िस क् त मनमे उठलिन , जिह नाएक िद स पिर वार, वंशकेँ उजड़ैत-उपटैत देखै छी तिह ना तँ भूत,वतर्मान आ भिव य सेहो आँिख क सोझमे लहलहा रहल ऐछ ।लहलहाइत पिर वारकेँ देख तपेसरक हृदय उफिन गेलिन । जिह नाधारक धारा माने बेगमे टपै काल ओिर या कऽ पाएर रिख तहुँथरथराएल पाएर िप छड़ैत रहैत तिह ना तपेसरक मन सेहो असिथ रनै भऽ िप छड़ए लगलिन । मुदा जी-जाँित कऽ मािट पर पाएर रोिप तेमनमे उठलिन , माइयो जीिव ते छिथ , अपनो छी, तैपरसँ दूटा दूधमुहाँबच् चा सेहो एेछ ये। तखन पिर वार िक अए उपटत? हँ, ई बातजरूर जे पुरूष-नारीक बीच बच् चाक लेल माए भोजनक पिह लबखारी होइ छिथ । मुदा युग धम तँ कहैत ऐछ जे आजुक बच् चाकनसीबसँ माइोसॉट दूध किट रहल ऐछ । तैयो तँ बच् चा जीिव येजाइत ऐछ । तखन ई बच् चा िक एक ने जीित ?84


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसोगाएल तपेसरक मुँह देख माए (सुनायना) बोल-भरोस देबा लएघरसँ िन किल आिब बजलीह- “बच् चा, गाड़ीये पिह या जहाँित जीतेिज नगी सुख-दुख अबैत रहैए। तइले सोगे केने की हेतह?भगवानक लीले अगम छि ह । अखनी हम जीिव ते छी। हमरा अछैततोरा कथीक दुख होइ-छह। ”िस मसल आँिख उठा तपेसर माएक मुँहपर देलिन । हवामे थरथराइतदीपक बाती जकाँ सुनयनाक छाती डाेलैत। मुदा जिह ना हवाकझॲककेँ सहन करैत दीप विल त रहैत तिह ना धैयर्क लौसुनयनाक बोलसँ टपकल िव चार सुिन तपेसरक मनक डोलैतजमीन थीर हुअए लगल। मनमे उठलिन , यएह माए पुरूख जािनअपन सहारा बुझैत छिथ आ अखन सहारा बिन ठाढ़ छिथ ।कोढ़ीसँ (कलीसँ) फुलाइत फूल जकाँ तपेसरक मन फुलाए लगल ।तहीकाल पलहिन मुँह उठा कऽ बाजिल - “काकी, एतै आबथु। ”पलहिन क बात सुि न सुनयना तपेसरपर नजिर दौड़ा सोइरीघर िद सबढ़लीह। मनमे एलिन , ओना अ हारघर साँपे-साँप रहैत मुदाहथोिर यो थािह कऽ तँ लोक अ हारोमे जीिव ते ऐछ । सभ िम िल जँलिग जाएव तँ बच् चा जरूर उिठ कऽ ठाढ़ हेबे करत।85


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAतपेसरक मनमे उठल, ‘जाधिर साँस ता धिर आस।’ अपना सभबुते काज नै सहरत। डॉक् टरकेँ बजेबिन । मुदा लगमे तँ ओहोनिह ये छिथ । जँ रोिग येकेँ लऽ जाए चाहब सेहो भािर ये ऐछ । एकतँ तेहेन सवारी सुिब धा नै दोसर तीन-तीिन गोरेकेँ लए जाएब।ओतबे नै, अपनो सभकेँ जाइये पड़त। एक िद स अब-तबक ि थितदोसर िद स सवारीक ओिर यान आ डाॅक् टर ऐठाम पहुँचैत-पहुँचैतबँचती आिक नै । जिह ना अमती काँट एक िद स छोड़बैत-छोड़बैतदोसर िद स पकिड़ लैत तिह ना तपेसरक मन ओझरा गेल। कोनोसोझ बाट आँिख क सोझामे पड़बे नै करैत। बेकल मने उिठ कऽसोइरी घर पहुँच माएकेँ कहलक- “माए....।” माएक पछाित कोनोश द मुँहसँ नै िन कलल।तपेसरक बेकल मन देख पलहिन बाजिल - “बौआ, एना मन छोट नैकरू। जे करतूत ऐछ सएह ने अपना सभ करब। ककरो जान तेनै ने दऽ देबै। जखैनसँ दुनू बच् चाकेँ छाती चटौिल ऐ तखैन से कलपरल ऐछ । सबसे पिह ने दूधक ओिर यान करू। अखन महीिस -गाइक दूध पचबैवला नै ऐछ , कतौसँ बकरी कीन आनू। ताबेककरो बकरी दुिह कऽ लऽ आनू। एक तँ बकिर यो सब तेहन ऐछजे अपनो बच् चा पालैक दूध नै होइ छै, मुदा जकरा एकटा बच् चाहेतै ओहन कीन िल अ।”86


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसुशीलाक बात सुि न पलहिन चमिक उठल। बारे रे, सभसँ बेसीभार अपने ऊपर आिब गेल। ज मक पालनक भार....। अखनधिर जते ठीन काज केलॱ, एहेन काजसँ भेँट कहाँ भेल! बुझलबात कम आ अनभुआर बेसी बजरत। जते अपना िद स तकैतजािथ तते िच ता बढ़ल जाइत। बच् चाकेँ दूध िप आएब जरूरी भऽगेल। माइक तँ यएह गित छि ह । हे भगवान कोनो उपायधड़ावह। मन पड़लै अपन बच् चा। अपनो तँ दूध होइते ऐछ तखनएते घबड़ेवाक िक जरूरत ऐछ । मुदा अपन दूध तँ चािर मासकबकेन ऐछ । गजुरा तँ नै । एे िव चार करब तँ बच् चे दम तोिड़देत। हे भगवान जािन हह तूँ। मने मन किह दुनू बच् चाकेँ दुनू छातीलगा दूध िप अबए लगली। बच् चाक चोभ देख पलहिन क मन खुशीसँिब खैर गेलिन । संक प लेलिन जे बच् चाकेँ मरऽ नै देब। आइयेबकरी दूधक ओिर यान करैले सेहो किह दैत िछ अिन आ टेम-कुटेमअपनो चटा देबै। मुदा अपनो बच् चा तँ चािर ये मासक ऐछ । छहमाससँ पिह ने कना दािल क पािन चटेबै। फेर मातृ व जिग तेबुदबुदेलीह- ‘ऐसँ पैघ काज ऐ धरतीपर हमरा िल ए की ऐछ ? जँदुिन याँ देखऽ पच् चा आएल हएत तँ जरूर देखत।पुतोहूक बात सुि न सुनयना चेतनहीन हुअए लगलीह। कास-कुसकफूल जकाँ मन उिड़ -उिड़ बौराए लगलिन । बच् चाक मुँहपर नजिरपिड़ ते उपराग दैत भगवानकेँ मने-मन कहलिन - “ कोन जनमक87


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकनािर ऐ बच् चासँ असुल रहल छह। ऐ िन मू-धनक कोन दोखभेलै। जँ तोरा नै सोहेलह तँ पेटेमे िक अए ने कनािर चुका लेलह।एहन बच् चाक एहन गंजन तोरे सन बुते हेतह। ” चहकैत करेजसँिव त भऽ कुहिर उठलीह। एक तँ वेचारीक (पुतोहूक) उपर केहनडाँग पड़ल जे अमू य कोिख उसरन भऽ गेलै, तै संग बच् चालटुआएल ऐछ । मुदा अपनो वंश तँ उसरने भऽ रहल ऐछ ।थाकल-ठिह आएल छी छातीपर पथरो रिख आँिख तकब मुदा तपेसरतँ से नै ऐछ । जुआन-जहान ऐछ , हो न हो बताह बिन कहॴ बौरने जाए। ककरा के देखत? जिह ना धारक बहैत धारामे माथकमोटरी खुललासँ मोटरीक व तु िछ िड़ या पािन क संग भाँसऽ लगैतजिह सँ िक छु िब छेबो करैत आ िक छु भँिस यो जाइत तिह नासुनयनाक िव चार िक छु उिड़ आइत िक छु ठमकल छाती दहलाइत।अशौच दुआरे दुनू जौआँ भाए-बहीिन क -धीरज आ घुरनीक- छिठ यारनै भेल। ने िक यो सोइरी सठिन हािर आ ने ककरो मन कखनो थीरहोइत जे नीक-अधलाक िव चार करैत। ओना तीनूक- पलहिन ,सुनयनया आ तपसीक- मन सदित काल बच् चेपर रहैत छलिन मुदाकखनो काल नेकरमसँ अकिछ मने-मन सोचैत जे दुनूकेँ ऋृणअसुलए भगवान पठौलिन । जते ओकर ऋृण बाकी छै ओते तँअसुले कऽ जान छोड़त। मुदा लगले मन घुिर जाइत जे िव धातो88


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAभाग-तकदीरकेँ नै बदिल सकैत छिथ । जँ दुनू बच् चा एिह धरतीकसुख भोगऽ आएल हएत तँ निह यो सेवा-बरदािस करबै तैयो पािन कपाथर जकाँ जीवे करत। मुदा बच् चाक छोिड़ तीनूक -पलहिन,सुनयना आ तपसीक- अपन-अपन िज नगी आ दुिन याँ सेहो छलिन ।पलहिन ये बेचारी िक किर तिथ ? एक तँ दस-दुआरी दोसर अपनोबाल-बच् चेदार पिर वार तै परसँ तिड़ पीबा घरबला। ध यवाद बूढ़ीसासुकेँ िद आिन जे सुखाएलो-टटाएल हडीपर ने कखनो हाथ-पाएरकामै होइत आ ने मुँह सापुट लैत। अखनो वएह रूआव जे कतेिद न जीिव तेकर कोन ठेकान। हजार िक लाख आ िक निह येमरब तेकर कोन ठीक। मुदा साँपक मं जकाँ भिर िद न सुिग या(पलहिन) सासुक नीक-अधला बात सुनैत रहैत मुदा कोनो बातकउतारा नै दैत। अपन सभ िक छु बुिझ सासु -िझ ंगुरी- मािल क जकाँकाजक समीक्षा सदित काल करैत रहैत जे कोन-काज केहनउताहुल ऐछ । जेहन जे काज उताहुल तै काजकेँ दोसर काजछोिड़ करए लगैत तँए सुिग या सासुक बातो कथा सुिन चु पे रहैत।तँए िक िझ ंगुरी सदित काल पुतोहूपर गरमाइले रहैत छलीह। कारिह तिथ , जखन सुि गया कोनो अंगनाक पवनौट, काेनो तीमन-तरकारी वा िस दहा आिन आगूमे दिथ वा बैसलोमे टाँग पसािर जँतऽलगैत तखन वएह सासु ने अिस रवाद दै छलिख न जे हमरो औरूदाभगवान तोरे देथुन। यएह ने पिर वार छी जे सदित काल सुख-दुख,नीक-अधला, हँसैत-कनैत म तीमे चैनसँ चलैत रहए। िझ ंगुिर योकिज नगीमे तिह ना भेल। एे स तानक -बेटा- पछाित िव धवा भऽ89


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAगेलीह। अपना खेत-पथार तँ नै मुदा अधा गाम (भैयारीक िह सा)तँ खानदानी स पित छलैक। जािह सँ खाइ-पीवैक कोन बात जे दूपाइ बेटोकेँ खाइ-पीबैले दैत रहलीह। भलेहॴ बेटा नसेरी िक अए नेभऽ गेलिन । िक अखनो धिर बेटाकेँ किह यो एकटा खढ़ उसकबै नैकहलिन । जँ माए-बाप अछैत बेटा सुख नै केलक तँ माए-बापकमोले की? एिह बातकेँ गीरह बाि ह िझ ंगुरी किह यो बेटाकेँ कोनो भारअखन धिर नै देने। भलिह ं बेटा सहलोले िक अए ने भऽ जाए मुदािस ा तो तँ िस ा त छी। ओकरो अपन मह व छैक। भलिह ं करीवा नै करी। जँ से मह व नै छैक तँ बुि यार लोकक बेटाबूिड़ बक का भऽ जाइत छैक।दसदुआरी रहने सुिग याकेँ घरसँ बाहर एते काज करए पड़ैत जेिद न-राित रेजािन स-रेजािन स रहैत छलीह। साँझ-भोर, राित -िद नकाज। िक हरो जँे-पीचैक समए तँ िक हरो िब आउ करैक ताक।ध यवाद सुिग येकेँ दी जे िघ रनी जकाँ सदित काल नािच काजस हारैत। तहूमे मइटुग् गर धीरज आ घुरनीक तँ सहजिह माइयेछी। दूध िप औनाइसँ लऽ कऽ जाँित -पीिच देह-हाथ सोझ करऽपड़ैत। दसदुआरी रहने दस िद स सेहो आँिख -कान ठाढ़ रखैपड़ैत। िज नगीक काज सुिग याकेँ एिह रूपे पकिड़ नेने जे दोसरिद स तकै नै दैत। मन कहैत जेकरा अपन माए जीवैत छैक ओरत90


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAहोइक नाते अपन िच लकाकेँ अपनो स हािर सकैए मुदा ऐ दुनू -धीरज आ घुरनी- केँ दुिन याँमे के देिख िन हार छैक? हमरा हाथेज म भेल छै, जँ पैतपाल नै करवै ते एकर ित वाए ककरा हेतै।भगवानक घरमे दोखी के हेतै। वेचारी दादी सुनयना छिथ न मुदा ऐउमेरमे दूध तँ नै छि ह । सोलाहो आना बकिर ये दूधपर तँ दूधकूभइये जाएत। जे बच् चा दूधकू भऽ जाएत ओकर छाती किह योसत हेतै। खेने-िब नु खेने सुिग या भिर िद न ओइ जंगली जानवरजकाँ नचैत जे बच् चाकेँ दूध पीया, गर लगा सुता चरौर करएजाइत, तिह ना।अधवयसू सुनयना अपन राजा बेटा तपसीक दुखक बोझ देख िद न-राित ओइ बोझकेँ ह लुक बनबैक लेल एकब करैत रहैछ। जिह नायुभूिम मे अपन राजापर दु मनक अबैत तीर देख सेनापित उपयुक् ततीर तरकससँ िन कािल दु मनक तीरकेँ रोकैक यास अंित म साँसधिर करैत तिह ना सुनयना तपसीपर अबैत तीर- ‘भगवान केहनडाँग मारलिख न जे जे जािह काजक लूिर पुरूषक िह सामे देबे नेकेलिख न ओइ फाँकमे फँसा देलिख न। कोिश क हाक खेत जकाँिआ ड़-धूर मेटा बालुसँ भिर देलिख न। ीगण होइत हमहूँ तँ ीगणक सभ काज (बच् चाकेँ दूध िप याएब) निह ये स हािर सकब।जँ एहेन फाँसे लगवैक छलिन तँ आरो नमहर लगा दुनू बच् चोकेँमाइये संगे नेने जइतिथ । पुरूखक (बेटा) देह तँ खाली रिह तै।91


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमन होइतै िच ड़ैक खॲता जकाँ पिर वार बना रहैत नै मन होइतैलौका-तु मा लऽ दुिन याँमे घूिम -फीिड़ जीबैत। जाधिर हम जीबै छीताधिर माएक ममता पकिड़ रिख तै। मुदा तहू बीच जँ प नीकिस नेह बेटा-बेटीक सोह जिग तै तखनो तँ मन बौरेबे किर तै!अनायास सुनायनाक मनमे उठलिन माया-मोहक ली जते दूर धिरचतरै-ए ओते दूर धिर मनुख तँ नै चतरत। मनुखक तँ बािढ़छैक। तै बीच हम तपिस याक माए भेिल ऐ, जते धिर कएल हएतततबे ने करबै। आिक ओकरा दुखसँ दुखी भऽ अथबल बिन बैसकऽ कानब। माएक काज जते दूर धिर छै ओइमे कलछ पन नैकरबै। पिर वारे ककर छी ककरो नै छी? तखन तँ मनुख रहतघरेमे। खाएत अे, पीित पािन ये। जाबे जीबै छी ताबे बुझै छी जेसभ िक छु छी आँिख मूिन देबै अ हारमे हरा जाएब। फेर मनघुरलिन हमरा अछैत बेटाक आँिख क नोर देखब हाड़-चामकमनुखकेँ सहल जाएत? ओ तँ पाथरक नै छी जे कतौ पड़लरहत। मनुखकेँ तँ चलै-िफ रै, सोचै-िव चारै, बुझै-सुझैक बखारी छैओ तँ देिख ये-सुिन कऽ चलत। दुिन याँ बेइमान भऽ जाएत भऽ जाएमुदा जिह ना तपसीक माए िछ ऐ तिह ना तपसी देखत। ओकरा मनमेकिह यो ई नै उपकए देबै जे दुिन याँक संग माइयो पएर पाछूकेलक। ताधिर तपसीक पिर वारकेँ पकिड़ स हारने रहबै जाधिरबेकावू नै भऽ जाएत। भगवान केलिख न आ दुनू िप लुआ उिठ कऽठाढ़ भेल तँ जरूर पिर वार फड़त-फुलाएत। अखन बेकावू कहाँ92


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसोगमे पड़ल तपेसरक मन अपन िग रैत पिर वारपर अँटकल। जतेउपजा-बाड़ी होइ छलाए बटाइ लगौने दूधक डारही होइए। एक तँसमयक कोनो ठेकान नै तैपर लोढ़ा-िब च् छ कऽ सेहो लइये जाइतऐछ। मगर खरचा तँ बिढ़ ये गेल। अपनो काज उम छोिड़ भिरिद न अंगने-घरक काजमे लटपटाइत रहै छी। छोिड़ यो का देबै?कोनो िक भेड़ी-बकरीक बच् चा छी जे पेटसँ िन कलल आ कुदए-फानए लगल। मनुक् खक बच् चा तँ ताड़क गाछ जकाँ होइत ऐछ।जकर जिड़ ये ब हैमे कतेक समए लगैत ऐछ। ई िभ बात जेबोनमे जइठाम ताड़क गाछ ने दोसरकेँ रोकैत ऐछ तइठाम आ नेअपने रूकैत ऐछ।भ टुिट ते सुनयना पहलिन केँ पुछलिन - “किन याँ, की कहिल ऐ सेनै बुझलॱ? ”पहलिन - “यएह कहिल एिन जे आब अपनो सभ काज स हािर सकैछिथ ।”सभ काज सुिन सुनयनाक मनकेँ पिर वार नािच उठलिन । सोचएलगलीह जे जखन पिर वारमे लोकेक बािढ़ ठमिक गेल तखन धने-स पित लऽ कऽ की हएत? पुन: िव चार घुरलिन । जँ भगवान दुनूकऔरूदा देिथ न तँ धन-स पित कमा लेत। कमाइक बात मनमे उिठ तेअपन काज िद स नजिर बढ़लिन । िवसवास जगलिन जे जखन98


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAनीकेले कहलॱ, कटै नै छी मुदा जँ दुनू बच् चा उिठ कऽ ठाढ़ हएतआ दुिन याँ िद स डेग बढ़ौत तखने, एक तँ ओकरा मइटुग् गर बुिझिक यो अपन बेटा-बेटीकेँ ऐ घर आबै ने दैत तैपर जँ दोसर िव आहकऽ लेब तखन तँ आरो िक यो अपना बेटा-बेटीकेँ सतमाए लगआबए नै िद अए चाहत। ”तपेसरक बात सुि न पलहिन बजलीह- “भैया, िह नका सन-सनसमाजमे कते पुरूख छिथ । समाजाे तँ एकरा अधला नै बुिझ उठालेने ऐछ। रा ता बना देने ऐछ तखन िक अए एना बजै छिथ ।”सुिग याक बात सुि न जिह ना तपेसरक मुँह ब भऽ गेलिन तिह नासुनयनाक। मने-मन सुनयना सोचए लगली, कोनो नवकिन याँ(जकरा दुि नयाँ दारीक थोड़ ज्ञान छै) पिर वारमे सासु-ससुर, पित ,भैसुर-िद ओर, ननिद क बीच अबैत। अोकरा काँच कड़ची जकाँ जैरूपे लीबा कऽ बनौल जाइत ओइ रूपक बनत। िक अए लोकसतमाएकेँ दोख लगबैए। ओहो तँ मनुक् खे छी। जँ ओकरामनुक् खक रा ता छोड़ा देब तँ ओ मनुक् ख बनत का? मुदा िक छुमनुक् खो तँ ओहन होइत जे जेरमे रहए नै चाहैत? हँ मुदा ओहनसतमाइये टा तँ नै होइए, आनो-आन होइए।”सुनयनाक मन ओझरा गेलिन , तँए चुप भऽ गेली।101


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAतपेसरक मनमे उठलिन िज नगी की? जँ जीबैले िज नगी तँ जीबैकलेल अनेको तरहक साधनक जरूरत सेहो होइत। पिर वािर किज नगीक लेल पुरूष-नारी दुनूक जरूरत होइत ऐछ। जँ से नैहएत तँ पिर वार कते िद न पिर वारक रूपमे ठाढ़ रहत। अखन बूिढ़माइक आशापर दुनू बच् चा जीब रहल ऐछ जखनिक हुनको (माइयो)भानस-भात करए, सेवा-टहल करए लेल टहलूक जरूरत छि ह ।जँ ओहो मिर जेती तखन अपनो-सभकेँ के भानस कऽ खुऔत।अपने खाइक ओिर यान करब आिक भानस करब। जँ भानसे नैहएत तँ खाएब कोना? जँ खाएब नै तँ जीब कोना? जँ मनुक् खे नैजीिव त रहत तँ पिर वार कोना बनल रहत? मुदा मनु यो तँ अजीवहोइत ऐछ। िक यो अपन घरमे लागल आिग िम झबै पाछु अपनोजिर -पिक जाइत तँ िक यो हँिस -हँिस घरमे आिग लगबैत ऐछ। मुदाअपना ऐठाम तँ से नै ऐछ। अनजानमे भलिह ं जे भऽ गेल हुअएमुदा जािन कऽ तँ िक छु नै भेल। पलहिन क िव चार तँ अधलानिह ये छि ह । ओहो बेचारी दुनू बच् चाक मुँहे देख बजलीह। अपनजािन बजलीह। हुनको मनमे कहाँ छलिन जे दोसर ी कु टेहेतिन । सुपाो भऽ सकैए। खाएर जे हौ, मुदा पिर वारमे जरूरततँ जरूर ऐछ। भलिह ं अखन माए स हािर रहली ऐछ मुदा परोछभेलापर (मुइलापर) तँ जरूरत हेबे करत। फेर मनमे उठलिन जँकहॴ माइयक सोझेमे बेटी भानस-भास करै जोकर भऽ जाएत102


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAतखन......। िव आह भेलापर ओहो सासुर जाएत। ताधिर पुातेहूओतँ हएत।साल लिग गेल। अइबेर अदरा पाविन रीब-रीबेमे रिह गेल। माघमेतेहन मारूख हवा चलल रहै जे एकोटा आमक गाछ मोजरबे नेकएल। िध या-पूताक कोन गप जे िस यानो सभ आमक मास बुझबेने केलक। जिह ना िब ना बरक बिर याती नै होइत तिह ना िब नाआमक आा पाविन ये की? पुरूखे रहने ने मौगी िग रथािन बनैत,िब ना पुरूखे तँ राँड़-मसोमात कहबैत। अंित म जेठमे मौनसुनी तँ नैिब हिड़ या बरखा भेल। बरखा भेने धरतीक रंगे बदिल गेल। आनसाल जकाँ ने बेसी गरमी पड़ल आ ने बाध-बोनक रूप िब गड़ल।हिर यर घाससँ बाध सुग् गा पाँिख क साड़ी पिह रल जकाँ सु दरलगैत। अगता हाल भेने पूविर या घरक पछुआरक दाबापरक गेनहारीसागक गाछ सुनयनाक जनिम गेलिन । बीसे िद नमे आंगुर भिर -भिर कभऽ गेल। कनौजिर छोड़े जोग भऽ गेल। काि ये बीरार देखसुनयना िव चािर लेलिन जे काि एकरा (सागकेँ) रोिप लेब। अखनरोपलासँ पाँच िद न पछुएबे ने करत मुदा कनौजिर तँ ठीक रहत।तहूमे पछबा थोड़े बहैत ऐछ जे रोपलापर एकोटा लटुआएत। दुनूसाँझ पािन देबै लगले लिग जाएत। कनी-मनी रौदमे अिल साएत तँसेहो राित क ठंढमे उिठ कऽ ठाढ़ भऽ जाएत। जँ अखन नै रोिपलेब तँ भदवािर मे तीमनक िद त हएत। फेर मनमे उठलिन103


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकाटए लगल। मन पड़लिन बाँसक पातक कुी। एक तँ लगहैरगाएकेँ बाँसक पात खुअबै छी। मुदा उपाये की? जँ दू मुीहिर यरी नै हेतै तँ नारक कुी का खाएत। अपने घास आनएजाएब से ओते पलखैत रहैए। गाइक नािद मे कुी लगा माए लगआिब बाजल- “माए, िच ता-िफ िक र नै कर। िद नक दोख छलै,भेलै। तोरा कोन चीजक कमी छौ। हमरा सन बेटा, दूटा पोता-पोती लगेमे छौ तखन तोरा कथीक दुख। ”भरभराएल वरमे सुनयना बाजिल - “बौआ, आँिख क सोझमे तोहरदुख देख छाती छटपटाइए। जेहो कोनो काजमे संग-साथ दैछेिल यह सेहो आब हएत। ”माइक बात सुिन तपेसर अवाक भऽ गेल। बोल ब भऽ गेलै।मनमे उठलै रौतुका िस दहा। बेर टिग गेल। कोना राित चुिचढ़त। िब नु खेने ककरो नीन हेतै। जे कनी-मनी हाथमे छलाएसेहो दवाइये-दारूे चिल गेल। एना भऽ कऽ किह यो हाथ खाली नैभेल छलाए। ने तँ पचासे रूपैरूा दुआरे डाॅक् टर सहाएबकेँ एनाकिह ित अिन । तरे-तर छाती डोलए लगलिन । आगू नाथ ने पाछुपगहा। माएकेँ कहलिन - “माए, खेत बेचने िब ना एो िद न पारलागब किठ न भऽ गेल। से....। ”110


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबेटाक बात सुिन सुनयना चुपे रहलीह। मनमे उठए लगलिन घर-पिर वार तँ ओकरे िछ ऐ। कोना हँ आिक नै कहबै। हमरा बुते िकहेतै। धारक बेग जिह ना भौर लैत तिह ना सुनयनाक मन भौरिल अए लगलिन । एक-एक पाइ कम भेने घर खसैत आ एक-एकपाइ जमा भेने उठैत ऐछ। एक-एक का जँ िब काइत गेल तँिन रभूिम होइमे कते िद न लागत। एक िद स पिर वारक खचर् दोसरिद स समएक मािर तैपर जते स पित कमत ओते तँ कमे होइतजाएत। माएकेँ चुप देख तपेसर बाजल- “जाइ छी, चौरी खेतबेचैक गप-स प करए। ”खेत बेचैक बात करए तपेसर िव दा भेल। आंगनसँ िन किल ते मनमेउठलिन सुपतोसँ कम दाम देत। जिह ना गरामे उरीबलाकेँ कौआसँखैर लुटाओल जाइत तिह ना ने हएत। मुदा लगले मन सकताएलबाजल- “तोहर कोन दोख। मन-पेट कािट लोक घर बनबैए आिब हािड़ मे उिड़ जाइ छै तैमे बनौिन हारक कोन दोख। ”सबुर भेलै डेग आगू बढ़ौलक। दुिन याँ बड़ीटा छै। जँ भगवानहाथ-पएर दुरूस रखने रहताह तँ कहुना नै कहुना ि जनगी गुदसकैये लेब। मुदा आइक जे पिर ि थ ित ऐछ ओकरा छोिड़ यो कऽभागव? भागव तँ कायरता हएत। कोन मुँह लोककेँ देखाएब। हमरासन-सन ढेरो लोक ऐछ। लगले मन उनिट गेलै। जिह ना गाममेकतेको वृि क लोक होइत ऐछ तिह ना गामोक अनेक रूप होइत।111


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAएे गाम ककरो लेखे िव ानक होइत तँ ककरो लेखे मुरूखक।ककरो लेखे शराबी-जुआरीक होइत तँ ककरो लेखे बइमान-शैतानक। तँए की आमक गाछमे तेतिर फिड़ जाएत आ तेतरीकगाछमे आम। सभकेँ अपन-अपन गुण- वभाव आ चलैक रा ता होइछै। िक यो फटेहाल िज नगी पािब जीबैत ऐछ आ िक यो सुिभ तगरसँजीबैत ऐछ। एकर माने ई नै जे फटेहाल िज नगी जीिन हार पित तेभऽ जाए। हँ, होइतो ऐछ। मुदा जेकर जेहन िव चार तड़गर रहैतऐछ ओ अोहन िज नगी बना जीबैमे आन द ा त करैत ऐछ। आन देा त करब तँ उे य होइत ऐछ। िक यो त व-िच तनमे समएलगबैत तँ िक यो िद न-राित लुचपी केने घुरैत। एहनो-एहनो त विच तक ऐ धरतीपर भेल छिथ जे दोहरा-तेहरा कऽ िज नगी मांिगत व-िच तन करैत रहलाह। ऐ असीिम त भूमाकेँ, किठ न मेहनतेसँजानल आ ताकल जा सकैत ऐछ। टोलक अंित म छोड़पर पहुँचतेतपेसरकेँ कलकासँ आएल खुशीलाल पुछलकिन - “भाय कऽजाइ छी? ”खुशीलालक बात सुि न तपेसर ठमिक गेला। जिह ना खुशी मनमेमधुआएल बोल पनपैत तिह ना दुखी मनमे िस नेहक बोल कनीकालिच कुिर आएल ठोर, थरथराइत िप पनी रूपमे ठाढ़ भऽ िम रिम राइततपेसर कहलक- “बौआ, िव पि मे पड़ल छी। माएक हाड़ टूिटगेलिन । पल तर तँ करा देलएिन । मास िद नक पछाित पल तर112


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAगंगाजल जकाँ खुशीलालक िव चार सुिन तपेसरक मनक बखारीकमुँह खुिज गेलिन । बाजला- “बौआ, सभ बुझैत छिथ जे जमीनजाल सदृ य होइत। जाल बनाओले जाइत ऐछ फँसबैले। तोहरहृदए सौदा कागज जकाँ छह। ऐपर ेमोकथा िल खल जा सकैतऐछ आ आपरािध क सेहो। मुदा हम नै चाहब जे तोरा मनमे किन योगंदा आबह। देखहक जमीनेक चलैत झूठ-फूिस सँ लऽ कऽ बेइमानी-शैतानी, मािर -पीट, केश-मोकदमा सभ होइत ऐछ। िक यो जबुिर यािल खा बेइमानी करैत ऐछ तँ िक यो महदा िल खा। िक यो दोसरसँिन शान लऽ दोसराक हड़पैत ऐछ तँ िक यो बलजोरी अािड़ तोिड़अपनामे िम ला लैत ऐछ। कते कहबह? ”तपेसरक मुँहसँ नव बात सुिन , जिह ना तैयार खेतमे बाओग कएलफसल अकुि र धरतीसँ ऊपर अबैत तिह ना खुशीलालक मनमेिज नगीक नव-नव अंकुर जनमऽ लगल। नव अंकुर देख जिह नाधरतीकेँ अपन िन रोग कोिख क एहसास होइत तिह ना खुशीलालकहृदएमे भेल। िव ल होइत बाजल- “भैया, दुिन याँ िक छु हौ आिगलगौ, पाथर खसौ मुदा मनु य अपने िज नगीक जबाबदेह होइत।एे गाछक एक डािर मे बाॅझी लगलासँ बॅिझ या जाइत तँ दोसरचुि आ जाइत। मुदा एकर माने ई नै ने जे ओकरामे फड़ैक शिक् तनै छै। फड़बो करैत ऐछ। िक यो िक छु करैए करह, जिह ना अखनधिर , ओना िज नगीमे कोनो लेन-देन नै भेल छल, भाए-भैयारी जकाँ116


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAफगुआक तीन िद न उर चैती बरखा भेल। ओना कुमासक बरखाभेल मुदा मौसमक रंग ओरो हिर या गेल। कनी-मनी जे तापसँदुपहरमे पसेनाक आगमन हुअए लगल, एकाएक रूिक गेल। घुरकओिर यान जे ब हुअए लगल छल फेर दोबरा गेल। घरक राखलक मल, सीरक, सलगी, फेर िन किल गेल।पिह ल बरखा भेने सबहक घर चुबल। शीतसँ भीजैत आएल चाररौद पड़ने पएरक बेमाए जकाँ िच ड़ी-चाेंत भऽ फिट गेल। जैसँबरखामे बखूबी चुबल। चुबैक आरो कारण छलैक। चारमे फड़लगराड़केँ तकैत-तकैत िच ड़ै सभ तना-खोिद या देने जना चौरी खेतमेिध या-पूता अनेरूआ केशौर उखाड़ैमे खुनैत। जैसँ छ पर सभमेखािध बिन गेल। मुदा पिह ल बरखा होइक कारणे ककरो मुँहमिल न नै भेल। पिह ल बरखामे एिह ना होइत आएल ऐछ, जे सभकेँबुझल। मुदा जिह ना चैत माससँ साल शुरू होइत तिह ना बरखाकशुरूआत सेहो चैतेसँ भेल। पिह ल पािन भेलापर सबहक मनमेउठल जे जखने अँिट येलहा नार-खढ़ सुखत आिक घर छड़ा लेब।से भेल कहाँ? पिह ल बरखाक दोसरे िद न दोहरा गेल। दोहरेबे नैकएल जे दोहरिब ते रिह गेल। गोटे ि दन दोहरा कऽ, गोटे िद ननागा हुअए लगल। पूस-माघ-फागुनमे जे नार वा खढ़ चैत-बैशाख-जेठमे छाड़ैक उे यसँ अँिट आएल गेल ओ जाँकेमे भीज-भीज सड़एलगल। जिह ना एक बेर धारक नासी बािढ़ सभमे बहैत-बहैत120


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसंगी जे जीवनक एक रा ता बुिझ अपनो क याण बुझैत आ दोसर,दोसराक का हपर ब दूक रिख चलबए चाहैत। सोचैत-िव चारैततपेसरक नजिर पर तीनटा संगी पड़लिन पिह ल समाजक (गौआँक)सहयोग, दोसर बैंक तेसर सरकारी।समाजमे जाित -समदाय एे रूपे पसिर गेल ऐछ जैमे ककरोकल् याण होएब किठ न एेछ। सभ अपने ताले बेताल ऐद। ने एकदोसरकेँ सोहाइत आ ने नीक देखए चाहैत। तिह ना बैंकोक ऐछ।उिच त सूिद पर कजर् लैमे दौड़-बरहा आ खचर् एते पिड़ जाइत ऐछजैसँ लोकक मन टूिट जाइत ऐछ। सरकारी मदित (अनुदान) मािद खाबा ऐछ। जिह ना कनैत िध या-पूताकेँ माए-बाप रािस -रािस कलोभ देखा चुप करैत तिह ना सरकािर यो अनुदानक ऐछ। फेरतपेसर ओझरा गेला। न उठलिन - की कएल जाए? अपनो तँपूँजी ऐछ। पूँजी दू रंगक पिह ल- म दोसर धन। नगद नै ऐछ।मुदा खेत तँ ऐछ। जिह ना खेत बेच माइयक सेवा आ दुनू बच् चाकेँपाललॱ-पोसलॱ तिह ना आरो बेच लेब। जँ िक छु जमीन कमबो करततँ ओते उपजो बढ़त गामक कूलसँ धीरजो आ घुरिन यो पास कऽिन किल गेल। दस बखर्क भेने दुनू घर-अंगनाक काजसँ िप तोककाममे हाथ बटबऽ लगल। आगू पढ़ैक आशा ऐ लेल नै रहै जेलोअर ाइमरी कूल तँ गाममे रहए मगर िम लसँ उपरक स् कूलदू कोस गामसँ हटल रहए। सभ िद न चािर कोस चिल पढ़बकिठ न रहै तँए पढ़ाइ छोिड़ देलक। हो टलक खचर् जुटा नै पबैत।125


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAपुरजा िब गिड़ जाएत। संगे बाहरमे रखने चोरो चोरा लेत। आब िककोनो पिह लुका चोर रहल जे ऊखिर -समाठ चोराओत। आब तँयएह सभ- दमकल, ेक् टर, ेशर इ यािद - चोराओत। तिह नाबड़दोले घर चाही। बेटो-बेटी ढेरबा भेल। काज केिन हार घरमेबढ़ने काजो बढ़बए पड़त। खेतसँ जोड़ल जे-जे काज ऐछ। वएहबढ़ाएब ने नीक हएत। अखन दुइयेटा गाए कीनब। पिह लुका तँबूढ़ भऽ गेल। आब ओ थोड़े पाल खाएत। अेक खेती नै तीमनो-तरकारी आ फलो-फलहरीक खेती करब। कोन चीज स ता ऐछ।िज ित यामे पचास रूपैये मड़ुआ िच स आ नरक िन वारण चतुदर्शीिद न चालीस रूपैये अुआ-सुथनी िब कैत ऐछ। बोिर ंग लग सेहोइंजनबला पािन खसैत ऐछ से जैसँ का भिर मे कोनो उपजा नैहोइए। ओना जँ मोथी रोिप िद अए तँ सेहो हएत मुदा आब कीलोक मोथीक िब छानपर सुतैए। आब तँ पलाि ट क िज नगी ओहनेमी बिन गेल ऐछ जे िद न-राित संगे रहैए। तैसँ नीक जे कोभिर खुिन माछे पोसब। नै बेचै जोकर हएत, खाइयो जोकर तँ हेबेकरत। जखन एते िम हनत करै छी तँ नीक खेनाइ आ नीक घरबना नै रहब तँ धने लऽ कऽ की करब। आँिख मुिन तपेसर अपनअिग ला िज नगीक संग पाछु िद स सोचए लगलाह। तखने घुरनी दुनूओराहल मकैक बािल नेने आिब कहलकिन - “बाबू, बाबू.....। ”चॱकेत आँिख खोिल तपेसर बजलाह- “हँ। ”127


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमकैक बािल हाथमे देख बजला- “ नोन-तेल औंस देने छहकि कने?”“हँ।” तहीकाल उरसँ दिछ न मुँहेँ जाइत चेतनाथ दरब जा सेझेआिब ठाढ़ भऽ गेला। हाथमे बािल लऽ िन हािर -िन हािर तपेसर देखतेरहिथ आिक आँिख बिढ़ चेतानाथपर गेलिन । चेतनाथकेँ ठाढ़ देखकहलिख न- “िक अए ठाढ़ छी। िक नकासँ काज ऐछ? ”तपेसरक बात सुिन चेतनाथ बजलाह िक छु नै, ससिर दरब जािद स बढ़लाह। लग अबैत देख तपेसर दुनू बािल हाथमे नेनिह उिठकऽ ठाढ़ होइत वामा हाथक आंगुरसँ आँिख पोिछ देिख ते िस हिरगेला। माथक सोन-सन केश दाढ़ी मॲछ झबड़ल। देहक हडीझक-झक करैत, दाँत िव हीन मुँह, मैलसँ कारी खट-खट देहकव ।अनायास तपेसरक मुँहसँ िन कललिन - “कने एक घॲट पािन पीिविल अ? ”पािन सुिन चेतनाथक मनमे उठलिन । िज नगी भिर परमा माक सेवाकेलॱ, अंित म अव थामे िब नु सेवाक फल कोना खाएब-पीब? भूखसँजरैत वायु (पेटक) हुमिर -हुमिर शा त करैले कहिन । मुदा िज नगी128


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAगेलिन । पेटमे गुद-गुदी लगए लगलिन । ठहाका मािर हँसैतकहलिख न- “अपनेक शर् सहषर् वीकार ऐछ। पिह ने पािन पीबलेल जाउ। ”अपन झड़ैत िज नगीमे आशाक िक िर ण उगैत देख मु की दैतचेतनाथ बजलाह- “हँ, आब पािन ये नै भोजनो करब। ”दुनू गोटे एक-एक मकैक ओरहा खा पािन पीब, गप-स प करएलगलाह।चेतनाथ- “आइयेसँ दुनू बच् चाकेँ पढ़ाएब शुरू करब। ”तपेसर- “आइ छोिड़ िद औ दसम बखर्क अंित म िद न आइ छी।काि एगारहम चढ़त। एगारहम ज म िद नक अवसरपर दसटासमाजोकेँ भोजन करेबिन आ दुनू बच् चाकेँ पढ़ाइयो शुरू करब। तैबीच अपने अपन िज नगीक िक छु बात किह औक।”तपेसरक बात सुिन चेतनाथ िव ि म त भऽ गेला। आइ धिर जे निक यो ने पूछने छलाह ओइ नक उर िद अए पड़त। एक क्षणचुप भऽ सॱसे िज नगी देख बजए लगलाह- “माता-िप ता बहुत पिह नेमिर गेलाह। पि यो मिर गेली सखा-स तान नै भेल। असकरे छी।130


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAपकिड़ लेलॱ। साजो बजाएब सीख लेलॱ आ पाट खेलए लगलॱ।जेहने आवाज सुिर ला रहए तेहने हिर मुिन याँपर हाथ। एक िद नठीका दास देखलिन । ओ राजक गबैया छलाह। संगे लऽ गेला।हमहूँ राजक गबैया भऽ गेलॱ जखन राजशाही टूटलै तखन उनिटकऽ गाम चिल एलॱ। िक छु िद न गामे-गाम उ सव सभमे जाएलगलॱ। ओहो किम गेल। तै िद नसँ िद नो-िद न दशा िब िग ड़ तेगेल। ”२.एकांकीसमझौतापा पिर चए याम (इंजीिन यर)132


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसुका त (इंजीिन यर)फुलेसर (म यम िक सान)कुसेसरमुनेसररौदीअनुपझोली (पाँचो- बटेदार)रूपन (कुसेसरक पी)रेखा ( यामक पी)पिह ल दृ य-(कुसेसरक आंगन)133


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAरूपीनी: कोन लोभमे लटकल छी। गाममे देखै छी जेजेकरो ने िक छु छलै ओहो सभ पजेबा घर बनालेलक। कल गड़ा लेलक। नीक-िन कुत खाइए।िच न-िच न कपड़ा पिह रैए। अहाँ गाम-गामक रटलगौने छी।कुसेसर: कहलॱ तँ ठीके मुदा गामक लूिर छोिड़ लूिर कोनिअछ जे शहर बजार जा करब। ने गाड़ी चलबैकलूिर अिछ आ ने करखानाक काजक। तखन जाकऽ की करब। खच कऽ कऽ जएव आ बूिल -टहैल कऽ चिल आएव। तखन तँ आरो कज लदाजएत।रूपनी: लूिर िक कोनो लोक पेटेसँ सीिख कऽ अबैए। काजकरैत-करैत लूिर होइ छै। सुखदेवाकेँ कोन लूिरछलै। ढहलेल-बकलेल जकाँ गाममे रहै छलै।मित बदललै, मिम औत भाए सेने कलका गेल।134


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकुसेसर : सुनै छी जे आब कलकामे नइँ रहैए। गाम ऐवोकएल तँ भेँटे ने भेल।रूपनी: अहाँकेँ ने नइँ भेँट भेल। हम तँ भेँट केिल ऐ।अंगनामे कुरसीपर चाह पीबैत रहए। जखनेदेखलक िक कुरिस येपर चाहक कप रिख आिबकऽ दुनू हाथे पकिड़ दोसर कुरसीपर बैइसैलेकहलक।कुसेसर: (मु की दैत) तब तँ अहाँ बड़का लोक भऽ गेलॱ?रूपनी: से िक कुरसीपर बैसलॱ। ओसारपर शतरंजीओछाएल रहै ओइपर बैसलॱ। मुदा धैनवाद ओकरादुनू परानीक िव चारकेँ िदऐ। अपने लगमे बैसचाहो-पीबै आ रूदपुरवालीकेँ चाह-िव कुट नेनेअबैले कहलक।135


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAरूपनी: ककरो भाग-तकदीरमे िक छु िल खल रहै छै। जँ सेरिह तै तँ धन ठेरी रहै छै आ बेटा हेबे ने करैछै। जँ िल खल रिह तै तँ सभ कुछ ओकरे होइतै।कुसेसर: तब की करब?रूपनी: इंजीिन यर ( याम) सहाएवकेँ समाद दऽ िद अनु जेहम खेत-तेत नइँ करब। हुनकर ि क कोनो खेतदहा जाइ छिन आिक रौदीमे जिर जाइ छिन ।जजात जरैए आ दहाइए बटेदारक। ऋृण पैंच लऽकऽ खेती करू आ उपजाक कोन बात जे लगतोचिल जाइए।कुसेसर: कहलॱ तँ ठीके मुदा......।137


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAरूपनी: मुदा-तुदा िक छु ने। नइँ समाद पठेविन तँ नइँपठिब अनु। मुदा खेतक आिड़ पर जएव छोिड़िद औ। जोत-कोड़ छोिड़ िद औ। जखन गाम औताआ पुछता ते किह देविन ।कुसेसर : आशा तँ वएह खेत अिछ ?रूपनी: की अिछ ? ओते महगक खाद कीनै छी, बीआ कीनैछी, खटै छी। तैपर अधा बॉिट दैत िछ अिन । कीलाभ होइए। दूध महक डारही होइए। खटनी कमलगै छै। ओते जे बोइनपर खटब तँ ओइसँ वेसीहएत।कुसेसर: एकठाम दस सेर भऽ जाइए। वोइनो करब से सभिद न काजो थोड़े लगैए?138


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA याम : (चाह पीबैत) कौुके िट कट अिछ । दस बजे गाड़ीअिछ । तँए सभ कुछ सहािर लीअ।रेखा: (तमसाइत) की स हारब आ की नइँ स हारब।हजारो िद न कहलॱ जे गामक खेत बेच ि लअ, तँजी गारल अिछ । याम: कोनो की खगैए जे बेच कऽ गुजर करब। बाप-पुरखाक अरजल िछ अिन , जाधिर रहतिन ताधिर नेलोक नाम लेतिन जे फ लांक िछ अिन । ततवे नइँअपन लिग ते िक अिछ मुदा साल भिर क बुतात(चाउर-दािल) तँ चिल ते अिछ ।रेखा: भिर िद न तँ िह सावे जोड़ै छी कने जोिड़ कऽदेखिल ऐ जे कते पूँजीसँ कते आमदनी होइए।143


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA याम: सभठाम िह सावे जोड़ने थोड़े काज होइए। इलाकाक-इलाकामे रौदी भऽ जाइ छै, दहार भऽ जाइ छै।अरबो-खरबोक पूँजीसँ एको-पाइ आमदनी निह होइछै, से लोक बरदास किर ते छिथ आ हम......।रेखा: िज नका दोसर रा ता निह छि ह ओिक करताह। मुदाअपना तँ अिछ । याम: िम िथ लाकेँ िद नयाँ देवलोक बुझैए। तइठाम हम छोिड़कऽ पड़ा जाउँ।रेखा: हमर बात किह या सुनलॱ जे आइ सुनब। याम: किह या निह सुनलॱ?144


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA याम: बटेदार सभ अबैले कहलक अिछ ।रेखा: कहै िछ अिन जे कोन लपौड़ीमे पड़ल छी। गामकसभ खेत बेच कऽ अहीठाम मकान बना िल अ।पूँजी ने पूँजी बनवैत अिछ । जते स पित गाममेअिछ ओ जँ ऐठाम आिन चलाएव तँ ओिह सँ कतेबर आमदनी हएत।(रेखाक बात सुि न सुका त मूड़ी डोलबैत। मुदा िक छुबजैत निह ।) याम: भजार, गु म िक अए छी?सुका त: ई न अपनो संग उठल अिछ । मुदा.....?146


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA याम : मुदा की?सुका त: जे बात किह रहल छिथ ओ अपनो छल। मुदारूिक गेलॱ। याम: रूिक िक अए गेलॱ?सुका त: ठीके कहब छैक जे जते लोक तते िव चार। मुदानीक अधलाक िव चार तँ करै पड़त। याम: समाजक पढ़ल-िल खल (वुि जीवी वगर्) लोक तँअपने सभ छी, अगर अपने सभ आँिख मूिन काजकरब तँ जे कम पढ़ल-िल खल वा निह पढ़ल अिछओ िक करत? तँए ने अहाँसँ पूछैक योजन।147


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसुका त: की करब अहाँ से तँ हमरा कहने नइँ करब। मुदाअपन कएल काज कहै छी। याम: हँ, सएह कहू।सुका त: पी लग बजलॱ जे गामक खेत बेच एतै आिन खेतकीिन घर बना भाड़ापर लगा देब। कोनो कारोवारजे करए जाहब से तँ नइँ भऽ सकैए। नोकिर योकयूटी एहेन अिछ जे चूर-चूर भऽ जाइ छी। याम: की केलॱ?सुका त: पी कहलिन जे खेत-पथार अहाँक कीनल तँ निहछी तखन बेचब िक अए। ीगणक वभाव हमबुझै छी। अखन भलेहॴ बेच कऽ लऽ आनू मुदाजे ीगणक गाममे अाब औती ओ िक बजती?148


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAरेखा : िज ा तँ सबहक एे रंग होइ छै?सुका त: देखैमे भलेहॴ एक रंग होइ मुदा सुआद फुट-फुटहोइ छै। जँ से नइँ होइतै तँ सभकेँ सभ जीजएे रंग लिग तै।(तृतीय दृ य)(गाम। कुसेसर, मुनेसर, फुलेदेब, याम आ तीन-चािर टाआरो बटेदार)फुलदेव: याम भाय, गाममे हमरा सभकेँ जीिव किठ न भऽगेल अिछ । हरीयरी अहाँ सभकेँ अिछ । याम: नोकरीमे िक कोनो ल जित रहल। समए छलजखन लोक हिक मानी करैत छल आ अपना जकाँ151


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAफुलदेव : तब तँ दरमाहा बँचवे करत। याम: हँ।फुलदेव: भगवान करिथ कतौ रही चैनसँ रही। याम: बच् चा सभकेँ पढ़बैमे बड़ खचर् होइए।फुलदेव: खचर् करै छी िक अपन भार उतारै छी। आब गपआगू बढ़ाउ, कुसेसर।कुसेसर: फुलदेव भाय, अहूँ िक सान छी। दस बीघा खेतजोतै छी। खेतीक सभ भाँज बुझै छी। कतेलगता खेतीमे लगै छै से अहाँसँ िछ पल अिछ ।153


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAफुलदेव: झाँिप -तोिप कऽ नइँ बाजू। खोिल कऽ साफ-साफबाजू।मुनेसर: फुलदेव बौआ, कुसेसर बजैमे धकाइए। हम कहैछी। इंजीिन यर सहाएव पाँचटा बटेदार छी। अखैनधिर अधा-अधी उपजा बँटैत एिल एिन । मुदा बेर-बेररौदी दाही होइए। िह नकर ( यामक) तँ िक छुनिह । िब गड़ैत छिन । उपजा नइँ होइ छिन । खेततँ बँचले रहै छिन । मुदा हमरा सबहक तँ सभकुछ चिल जाइए। याम: अहाँ सभ अधा बाँिट कऽ की हमरेटा दै छी। आिकसभकेँ-सभ दैत छै। जे अदौसँ अिछ ।फुलदेव: जे समए बीित गेल ओ तँ बीित गेल। पुन: घुरतनिह । मुदा आँिख यो मुिन कऽ जीिव उिच त निह ।154


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAफुलदेव: कते गोटे कूल बनवैत छिथ , कते गोटेअ पताल। समाजमे एकरो जरूरत अिछ । मुदासभसँ मुख जरूरी अिछ जे गामक स पित(जमीन) केँ समुिच त उपाए कए उपजा बढ़ाओलजाए। याम: उपजा कोना बढ़त?फुलदेव: बारह मासक सालमे ि सफर् वष मौसम एहेन अिछ जेसालो भिर केँ भािव त करैत अिछ । खूब बरखाभेल दहार भेल। नइँ बरखा भेल रौदी भेल।सालो भिर खेित हर ािह -कृ ण करैत रहह।मुनेसर156: फुलदेव बौआ, अहाँ देखते छी जे दूटा हाथ-पएरछोिड़ िक छु अिछ नइँ। तँए िक हमसब ऐ गामकनइँ कहाएव से बात तँ नइँ अिछ । इंजीिनयरसहाएव, सभ तरहेँ स प छिथ मुदा िछ आह तँअही गामक। तँए......।


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA याम : तँए िक ?फुलदेव: याम बावू, अहाँ ि सफर् मािट बटेदारकेँ देने िछ ऐ।मुदा माि टसँ उपजा कोना हएत? ऐ बातपर िव चारकरए पड़त। याम: जहाँ धिर संभव हएत, करैले तैयार छी।फुलदेव: बीस बीघा जमीन अिछ । दूटा बॲिर ग आ एकटादमकल कीिन बटेदारकेँ दए िद औक। जखन पािनहाथमे आिब जएत तखन बािढ़ -रौदीक संकट किमजाएत। आठ मासक िव सवासू खेती आ चािर मासअधा भऽ जएत। दहार निह रोिक सकब तँरौदीसँ बचाओल जा सकैत अिछ । याम: बड़बिढ़ याँ।157


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबटेदार: एतवेटा सँ निह हएत। मोटा-मोटी यएह बुझू जेअहाँ सबहक (बटेदार सबहक) शरीर आ इंजीिनयरसहाएवक पूँजी रहतिन । तँए आरो िक छु पूँजीलगबैक जरूरत छिन । याम: से की?फुलदेव: खेत जोतैले बड़द, नीक बीआ आ खादक ओिर यानसेहो कऽ िद यौ। याम: बड़बिढ़ याँ। मुदा हमरा वापसी िक हएत?फुलदेव: खेतसँ लऽ कऽ दमकल-बोिर ंग, बरद, खाद-बीआलगा सभ पूँजी भेल। बैंकक जे सूद छै ओकरािध यानमे रािख वावसी हएत।158


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमुनेसर : िक इंजीिनयर सहाएव, मंजूर अिछ ? याम: अहाँ सभ कहू।कुसेसर: ए-म त।फुलेसर: जँ वीकार भेल तँ सभ थोपड़ी बजा....।(सभ थोपड़ी बजा ि नणर्एकेँ वीकार केलिन ।)(समा त)159


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१. बेचन ठाकुर- नाटक- बेटीक अपमानकगतांशसँ आगाँ२. रमाका त राय 'रमा'- मैिथ ल प-पि का :सम या ओ समाधान : आचायर् िद यचक्षु१बेचन ठाकुरनाटक160


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबेटीक अपमानक गतांशसँ आगाँदृ य छठम( थान- दीपक चौधरीक घर। दीपक चौधरी दलानपर मोनमारने माथपर हाथ लऽ कऽ बैसल छिथ ।खॲखी करैत-करैत बेदम भऽ जाइतछिथ । काफी हकमैत छिथ । बगलमेकोनो बरतनमे राखल छौरपर कफ फेंकैतछिथ ।)दीपक :हे भगवान, हे भगवती, हे सर वती महरानीआब हमरा ऐ दुिन यासँ लऽ चलु।(खॲखी करैत) बेमारी हमर चरम सीमापर पहुँिचगेल ऐछ। िक यो देखिन हार नै ऐछ। जैबेटाले अपन परम िप यारीक जान गमेलहुँ।161


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAओ बेटा कोनो काज जोकर नै। सातबेटा रामके एोगो नै कामकेँ। (खॲखीकरैत-करैत बेदम भऽ जाइत छिथ । सुरेशकामतक वेश)सुरेश :भािग न बड़ तबाह देख रहल छी।दीपक :हँ मामा। एक तँ बेमारी चरम सीमापर ऐछआओर दोसर िब आहक कज माथपरअिछ ।सुरेश : बेटा सभ ि कछु नै स हरैत छथु ह?दीपक :सभ अपना लेल हरान छिथ । सभ भाग-िब लासमे लागल छिथ । बेटा लेल सभटाकमाएल, धरल-उसारल अ ासा डमे आ162


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAपीक दवाइमे बुि क देलॱ। सेहो पािन मेचिल गेल।(खॲखी करैत-करैत बेदम भऽ जाइत छिथ ।)सुरेश :भािग न, अहाँक ि थ ित आब बड़ खराब देखरहल छी। आब जीता-िज नगीमे छोटकाबेटा केर िब आह कतौ ज दी कऽ िल अ।करजा-बरजा सधबे करत। बेटा सभकेँसबहक करजा किह िद यौ ह। ओ सभजेना-तेना, बेचो-िब िक न कऽ करजा अदाएकरत।दीपक :हमहुँ बैस कऽ सएह झखैत छी। कोनोलिड़ कीक सुर-पता ऐछ अहाँकेँ? कएकगोटेकेँ कहिल यि ह । मुदा िक यो कहैतछिथ जे आब बेटी क? सभ बेटीकेँलोक अ ासाउ ड कराए-कराए कऽभगवानपुर पठाए देलिख ह। आब बेटाकिब आह बड़ मुि क ल ऐछ बड़ मुि क ल।163


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAहमरा सभटा दहेजक लोभ घुसिर रहलऐछ। ऐसँ िच न हमरा भगवान मौतदैतिथ ।सुरेश :भागीन हरबड़ाउ नै। भगवानपर भरोसा राखू।भगवानक घर देर ऐछ अंधेर नै।लिड़ कीक तँ बड़ अभाव ठीके ऐछ। एेपरोपामे एे गोट लिड़ की ऐछ।दीपक : मामाी, ओ िक नक बेटी छिथ ह?सुरेश :ओ छिथ ह बलवीर चौधरी अहाँक समिध केरछोटकी बेटी। तैपर भिर िद नमे हजारोलिड़ काबला अबैत-जाइत छिथ । बड़कीपुतौहूवाला ग प नै बुिझ औ। मिझ लीयोसँभिर गर बुझाएत अहाँकेँ। बड़ करगर फीसछि ह बलवीर चौधरीक?164


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAपटाक्षेपदृ य सातम आगाँक अंकमे-२रमाका त राय 'रमा'मैिथ ल प-पि का : सम या ओ समाधान : आचायर् िद यचक्षु“ देशक वतंताक 62-63 वषर्क बादो मैिथ लीक मा यमे ाथिम किश क्षाक यव था नै रहबाक कारणे मैिथ ली भाषा-भाषी अपनमातृभाषाक प-पि कासँ नै जुिड़ पबैत छिथ , मैिथ ली प-पि काआ पु तक नै पिढ़ सकैत छिथ । तँए य-कु मैिथ ली प-पि कादेिख यो कऽ ने तँ ओ कीबा लेल उ सुक होइत छिथ आने पढ़बा168


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAलेल। ई मैिथ ली प-पि का काशन सभसँ मुख सम याअिछ ।”ई िव चार ो. िश वाका त पाठक गत 2अग तकेँ 'दूरदशर्न'कमुजफरपुर के सँ सािर त मैिथ ली दैिन क समाचार प-पि का :सम या ओ समाधान' िव षएपर आयोिज त कएटा पिर चयमे यक् तकएलिन ।कायर्मक संचालन करैत सािह यकार ी रमाका त राय 'रमा'कहलिन जे यावत् मैिथ ली प-पि काकेँ यवसािय क दृि ट कोणसँस पादन, यव थापन, िव तरण आ संयोजनक फराक-फराक कऽएेपर एक समान यान नै देल जाएत तावत् मैिथ ली प-पि कादीघयु नै भऽ सकैछ। वतर्मान समएमे कािश त पूवर मैिथ ली,िम िथ ला दशर्न, िम िथ ला दपर्ण आिद प-पि काक चचर् करैतकहलिन जे ऐ सभ पि काक रचना, िव ज्ञापन आ िव तरणक नीकसम वय रहैत अिछ जे नीक संयोजन- यव थापनक कारणे भऽपबैत अिछ आ पि का दीघर्जीवी ऐछ आ रहत से िव वास कएलजा सकैत अिछ ।मुजफरपुर दूरदशर्न के 'क 'सृजन' कायर्ममे आयोिज त ऐमैिथ ली पिर चायर्मे ो. िश वाका त पाठक, डॉ. नरेश कुमार 'िव कल'आ डा. नारायण ित भागी छलाह। कायर्मक संचालन ीरमाका त राय 'रमा' कऽ रहल छलाह।169


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAभारतीय जनतापाट केर मुख् यालयमे करोलि ह । अिह बातकेँ लगभगनौ वषर् भऽ गेल। आन दवधर्न हमरा कहलि ह - “ भैया, ई छिथमिल क भाय। बड नीक लोक। Documentary film बनबैतछिथ । रा ीय वयंसेवक संघ आ सं कार भारती सं बड नीकस ब ध छि ह । भारतीय पर परासँ िस नेह छि ह । भारतीय पर पराकेर संरक्षण आ स बधर्नमे सदिरकाल लागल रहैत छिथ । उदारवादीवृित केर मुसलमान छिथ । अयो यामे राम मि द र बनए, तकरपक्षधर छिथ । पािक तानक घोर िव रोधी छिथ । िह दु-मुसलमानएकताक समथर्क छिथ ...।" इ यािद -इ यािद ।आन दवधर्न केर अिह पिर चएपर मिल क भाय िब ना िक छु बजनेआँिख मे धूपबला कीमती च मा लगौने बड़ा ग भीर अहँकार-हीनभावना सं हमरा लग आिब गमर्जोशी सँ हमरासँ हाथ िम लौलि ह ।आन दवधर्नजी मिल क भायकेँ सेहो हमर बड़ा िव तारपूवर्क पिर चएदेलिथ ह। निह तँ आन दवधर्नजी हमरा मिल क भायक पूणर् नामबतौलि ह । आ निह ये हम जनबाक यास केलहुँ। मुदा तकरबादमिल क भायसँ िद न-ित िद न स ब धक गाढ़ता बढ़ैत गेल। मिल कभायसँ जतेक नजिद की अबैत गलहुँ ततेक िह नका ित हमर िस नेहआ स मान बढ़ैत गेल। एक िद न मोनमे आएल- आिह रे बा! मिल कभाय केर नाम तँ हमरा पते निह अिछ । कहॴ किह यो िक योपूछलक जे मिल क भाय अथत के, तँ की उर देबैक? मुदा180


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAगाढ़ता अतेक बिढ़ गेल छल जे हमरा मिल क भायसँ हुनकर नामपुछबाक िह मत निह भेल। जखन आन दजी भेँट भेलाह तँपुछिल एिन - “मिल क भाय केर नाम की छि ह ?” आन द जवाबदेलि ह - “हमरो ज्ञात निह अिछ । हमहूँ िह नका मिल क भाय केरनामसँ जनैत छयि ह ।”एक िद न मिल क भाय हमरा इमेल भेजलि ह । ओिह इमेल आइ.डी.मेइमेल भेजएबलाक नाम मुर्ज़ा मिल क रहैक। एकिह क्षणमे ई इमेलहमर सम याक समाधान कऽ देलक।जखन राम ज मभूिम आ बाबरी मि ज द केर िब बादपर इलाहावादहाइकोटर् (लखनऊ बे च)क िनणर्य अएलैक तँ झट दिन मिल कभाय हमरा ई एस.एम.एस. केलि ह - “Congrats now me canbuild temple ”किनकालक बाद मिल क भाय फोन सेहो केलि ह । कहए लगलाह-“कैलाश भाय, भारतक मुसलमान आब शाि त चाहैत अिछ । हमरालोकिन िह दु-समाजक संग िमिल कऽ रहए चाहैत छी। आब अतएकेर मुसलमान कुनो नेता आ मु लाक मायाजालमे निह ओझराएचाहैत अिछ । मुसलमान समाजक युवावगर् आब िव कासमुखी भऽ गेलअिछ । आब एिह तरहक बात लऽ कऽ हमरा लोकिन खून खराबानिह कऽ सकैत छी। बहुत भेल आब कुनो नेता िकंवा कठमु लाकझपासामे देशक मुसलमान निह आबएबला अिछ । हमरा लोकिन तँ181


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAआरो यामे वणर्, छटगर मुदा आकषर्क आ मुँहक पािन मे पुनीताशमसँ कनी अठारह, एक नािय का हमरा लग आएल छलीह। एिहनािय का केर नाम छलि ह अनु चौधरी। बातलापक ममे पताचलल जे अनु चौधरी मुलत: िम िथ लासँ छिथ । िह नकर िप ता कुनोसं कृत िव ालयमे गिण त केर िश क्षक छिथ ह आ िद लीमहानगरीक पि च मी कछेरमे बसल नजफगढ़मे अपन घर-ार बनारिह रहल छिथ । अनुक ज म, पालन-पोषण एवं िश क्षा इ यािद सेहोिद लीए मे भेल छि ह । अनु िह दीसँ एम.ए. केलाक बाद िद लीिव विव ालयसँ पी.एच.डी. कऽ रहिल छलीह। आब पी.एच.डी.लगभग लिग चाए गेल छि ह । मुदा अनु पुनीताक तुलनामे कनीगंभीर बुझना गेलीह। जखन अनुकेँ हमरा बारेमे ज्ञात भेलि ह जेहम मैिथ ल छी तँ ओ हमरासँ िह ल-िम ल गेलीह आ खाँटी मैिथ लीमेवातलाप करए लगलीह। “राग-िव राग ” सं थासँ अनु सेहो जुड़लछलीह। पुनीता शम आ अनु चौधरी दुनूकेँ िब हारक सं कृित आसं कारसँ घोर लगाव बुझना गेल हमरा। ई दुनू िम ल अपनसं था- राग-िब रागक मा यमसँ ह मर तािह समएक सं था- इि द रागा धी रा ीय कला के केर ांगणमे “िब हार उ सव ” मनबएचाहैत छलीह। ओिह सां कृित क कायर्ममे दशर्नी, लोक तथाशा ीय नृ य आ संगीतक मंचन, िब हारक सां कृित क िव रासततथा िब हारमे िव कासक संभावनापर एक दू-िद नक संगो ठी इ यािदकरबाक िव चार छलि ह । यिप िब हारक ित हुनका हृदएमे अगाधेम छि ह । जखन ई दुनू नािय का मिल क भायसँ िब हार उ सव183


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक 'िवदेह''िवदेह' ५० म अंक १५ जनबरी २०१० (वषर् ३ मास २५ अंक ५०)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्गुरुदेवके भािगरथी याससँ राराव क् या पसमे मैिथलीमे एमएक पढाई सुरु भेल छल । मैिथलीक बादे राजिनतीशा ,अथर्शा िकंवा अ य िवषयमे नातकोरके पढाई सुरु भेल । सभके सुखद आ चयर् लािग सकैए जेमैिथलीक एमएक पिहल बैचक िवाथसभ छलाह सवर्ी डा़राजे साद िवमल,जानकी रमण लाल,रामभरोसकापिड‘मर’डा़पशुपितनाथ झा,डा़रेवतीरमण लाल, रुका त झा ‘मडई’,ो़परमे वर कापिड,नमोनाथठाकुर,नागे वर िसंह आिद आिद । ताहु समयमे सभके सभ अपन अपन मुकामपर छलाह । चुकी अिधकांशिवाथ नोकिरयाहा छलाह ते कक्षा भोरमे संचािलत होईक आ अिधकाश कक्षा गुरुदेवके घरेपर संचािलतहोईक । चाह पानक दौर चलैक आ पढाई िलखाई सेहो । हम,घुटुल आ पुटुल चाह पान लावएमे परेसानरही । हँसीक पमारा छुटैक ,िविभ न िवषयपर गंथन मंथन होईक आ गुरुदेव िडक् टेशन िलखविथन । हमरामोन अिछ भाषा िवज्ञानके कापी तैयार करैत काल गुरुदेव जानकी बाबू आ िवमलसरसँ बेर बेर राय स लाहकएल करिथ । यिद अधलाह निह लागय त वीकार करए पडत जे ओएह कापीक आधारपर एखनोमैिथलीक एमएक िवाथसभ परीक्षामे पास करैत छिथ ।एखनो जनकपुरमे मैिथली िवानक कमी निह अिछ । मैिथलीक ा यापकके सख् या सेहो पिहनेसँ बेसी अिछ। िक एखन गुरुदेवारा चलाओल गेल चिटसार चलैत अिछ ?यिद निह त हुनका जनकपुरक चिटसारकअि तम ाचायर् कहवामे िक हजर् ?गुरुदेवके मरण करैत काल एकगोट आओर िवषय मोन परैत अिछ । ओ ई जे ओ मैिथली भाषाकसािह यकारटा निह छलाह । सािह यकार ृजना करएवला हा सेहो छलाह । केओ मानिथ वा निह मानथु186


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसभकेँ अपना हाथक खेलौना बनेने रहैत अिछ । कायर् ओ सभअतेक दक्षताक संग करैत अिछ जे अपने तँ किह यो निह फॅसतमुदा बदनाम नेता िक ंवा मंी भऽ जएत। I.A.S. केर अथर् होइतछैक-Im Always Safe . मंीके बड़का बाबू एक तरहेँ िव वशकऽ दैत छैक जे ओ जािह कागतपर कहै तािह पर ह ताक्षर लऽलै। ”मिल क भाय बजैत रहलाह आ हम िज ज्ञासासँ आँिख फाड़ने आकान खोलने हुनकर बातकेँ सुनैत गेलहुँ। मिल क भाय कहलि ह -“जनै छी कैलाश भाय, एिह पौने दू लाख हजार कड़ोरक घोटालामेचािर ओ अना िह सा ए राजा के निह भेटल हेतैक। दससँ बारहअना िह सा तँ बड़का बाबू सभ गट दिन पचा लेने हेतैक आ छौसँचािर अनामे अपना पािटर्क मुिख या, देशक सभसँ पैघ पाटकमुिख या आ अ तत: अपन लगुआ-भगुआ सभमे बाटए परल हेतैक।मुदा बड़का बाबू सभ कागजकेँ तेना ओझरेने हेतैक जे तमामि यासँ लऽ लऽ सी.बी.आइ. केर जाँच धिर अगर िक यो फॅसत तँमंी। पकार सेहो बड़का बाबूपर चुप रहत आ नेता आ मंीकेँदेषी बनेवामे अपन िद माग आ खोजी पकािर ताक तमाम टी सकेँलगौने रहत। मंीक वरूप िक छुए िद नमे नायकसँ खलनायक बिनआओत।”187


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAहम मिल क भायकेँ पुछलएिन - “अहाँक जनैत की कारण छैक जेअिह बेरक िब हार िव धानसभा केर चुनावमे काँेस, लालू यादव आरामिव लास पासवान, तीनूकेँ नीतीश कुमार खड़ड़ा लऽ कऽ खड़िड़देलि ह । एहेन िक एक भेलैक? ”मिल क भाय कहलि ह - “ देखू, लोक आब नेहरू-गा धी पिर वारकवंशनुगत राजनीित सँ तंग आिब गेल अिछ । लालू यादवक जाित कराजनीित ार भमे छोटका जाित सभकेँ नीक लगलैक, िक एक तँपिह ल बेर ओ सभ चुनावमे िह सा लेलक, अ पन बातकेँ िब ना कुनोडर आ आतंककेँ बाजल। लोककेँ बुझेलैक जे जातंो कुन चीजहोइ छैक। मुसलमानकेँ कॉेजसँ मोह भंग होमए लगलैक। 1991केर बाबरी मि ज द व त भेलाक बाद मुसलमान सभ बुिझ गेल जेकाँेस आ भारतीय जनता पाटमे कुनो िवशेष अ तर निह अिछ ।िब हारमे मुसलमान सभकेँ सभसँ यादे भय गुआर सं रहलै।कखनहुँ कुनो स दािय क उ माद होइक तँ मुसलमान सबिह कजानमालक छित सभसँ यादे गुआरे सभ करैक। तािह मुसलमानिवकपहीन भऽ गेल। मुसलमान सभ लाचार भऽ लालू यादव केरसाथ भऽ गेल। मुदा बादमे मुसलमानो सभकेँ ई बुझएमे आिबगेलैक जे लालू यादव केवल बातक धनीक छिथ आ कमर्क छोट।जखन िक ठीक एकर िव परीत नीतीश कुमारजी एक मा िव कासकअपन आधार बनौलि ह । िब ना कुनो क ोवसमे गेने िव कासक कायर्188


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकरैत रहलाह। मिह ला सभकेँ नौकरी भेटलैक िश क्षािम बनल, ामपंचायतसँ िज ला पंचायत धिर साझेदारी बढ़लैक, बहुत मिह ला सभिश िक्ष का बनिल , ए.एन.एम. बनिल , बािल का सभकेँ कूली वद,मुत साइिकल, िव ालयमे भोजन भेटलैक। फेर की छल- कीछोट आ की पैघ- सभ िक यो अपन लड़की सभकेँ इसकूल भेजनाइारंभ केलक। लालू जी समएक तमाक गु डा आ लफ दर सभ जेिक डाका डालैत छल, लोककेँ अपहरण करैत छल, छीना-छपटीकरैत छल आतंकक माहौल बना सम त भारतमे िब हारकेँ बदनामबनौने छल, तकरा सभकेँ पकिड़ -पकिड़ नीित शजी जहलमे धदेलि ह । मातहत पुिल स सभकेँ प टीि नदष देलिख ि ह जे एिहउपवी त वकेँ एहेन इलाज करए जाए जे फेरो जीवनमे ई सभएहेन कायर् करब तँ दूर सोचबो निह करए। एकर भाव बडनीक रहलैक। शनै: शनै: लेाक भय-मुक् त होमय लागल।”मिल क भाय बजैत रहलाह- “नीित शजी इहो बुझलि ह जे िब हारकसड़क कंडम भऽ गेल िअ छ। तािह सड़ककेँ मर मत तथा नवसड़कक ि नमणक कायर्केँ तीताक संग-संग दक्षतासँ करबाकि नदश देलिथ ह। हुनका पता चललि ह जे ठेकेदार सभ कनी-मनीकायर् कय सभटा पाइ पंी, आॅफीसर आ अपने-अापमे बाँिट लैतअिछ । फेर की छल। नीतीशजी इहो ि नदश देलिथ ह, िक जेिक यो ठेकेदार सड़कक जीणार या ि नमणक िठका लेत सएहएक ि नि च त अविध माने पाँच या दस वषर् धिर ओिह सड़कक189


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAरखरखाव सेहो करत। अगर कुनो तरहक कमी भेलैक तँठेकेदारक िज मेदारी हेतैक आ आेकरा ठीक कराबए पड़तैक। एिहि नदशक बड उम भाव परलैक। िब हारक जनता सड़कबनबासँ आ सड़कक उार होमासँ गद-गद भऽ गेल। मुदा सामा यजनताक बीच एखनहुँ लालू जीक गु डा सबहक डर छलैकजकरासँ ओ मुिक् त पाबए चाहैत छल। आ ई मुिक् त चुनावमे लालूजीक पाटकेँ हरा कऽ देल जा सकैत छल। ”“रामिव लास पासवान अपन इमेज एकटा अवसरवादी नेताक रूपमेबना लेने छिथ पिह ने एन.डी.ए. मे मंी रहलि ह , फेर एन.डी.ए.छोिड़ उ. प अ. में आिब झट दिन मंीक कुसपर बैस रहलाह।हमेशा लालू यादवक धाेर िव रोध केलि ह मुदा अवसरवािद तासँअतेक िस त भऽ गेलाह जे हुनके संगे राजनैित क गठब धन क ऽलेलि ह । िब हारक अित िप छड़ा वगर्, िव शेष रूपेँ हिर जन सभपरअपन अिध कार बुझए लगलि ह । नीतीशजी सवर्थम दिल तकेँ दूभाग- दिल त आ महा-दिल तमे बॉिट रामिव लास पासवानक आधारकेँशनै: शनै: अतेक तोिड़ देलिथ ह जे िग िन ज बूक ऑफ ब डर्िर कॉडर्मे सभसँ यादा मत लए जीतक रेकॉडर् बनबएबला रामिव लासपासवान वयं एम.पी. केर चुनाव हाि र गेलाह। ध यवाद दी लालूयादवकेँ जे िह नका रा यसभामे िआ न देलिथ ह। अ यथा आइसड़कपर रिह तिथ । इमहर कुम, कोइरी, धानूक म लाह, मुसहर190


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAआिद लालू यादवसँ अलग आिब अपना-अपने-आपकेँ नीतीश लगसुरिक्ष त बुझए लगलाह।”मिल क भाय हमरा िद स देखलि ह । हमर िज ज्ञासा भावकेँ िब नाकहने बुिझ गेलाह आ अपन क यकेँ आगाँ बढ़बैत बजलाह- “रहलबात मुसलमानक। तँ नीतीशजी एिह ब दुपर अपन कौिट य नीितकेर सवम उदाहरण तुत केलि ह । एक िद स तँ भारतीयजनता पाटक अपन घटक दल बनौने रहलाह मुदा दोसर िद सकॉमन िम िन मम ोामक धोषणा केलि ह जािह मे मंिद र बनेबाक इशूशामील निह रहैक। संगिह गुजरातक मुख् यमंी मुख् यमंी नरेमोदीकेँ अपन कुनो कायर्ममे जािन -बुिझ कऽ निह आबए देलिथ ह।नीतीश कुमारक एिह ि नणर्एसँ भारतीय जनता पाटक नेता सभिब फिर गेलाह। मुदा नीतीशजी अपन ि नणर्एसँ टससँ मस निहभेलाह । आर-तँ-आर ओ बी.जे.पी.केँ साफ किह देलिथ ह जेनरे मोदी िब हार-िव धान सभा २०१० केर आम चुनावमे पाटकचारक हेतु िब हार निह अबिथ । ई ि नणर्ए भारतीय जनता पाटकलेल बड पैघ धा छलैक। मुदा गठबंधन केर धमर्केँ वीकारैततथा नीतीश जीक बढ़ैत कदकेँ देखैत बी.जे.पी.केर े ठ नेता सभचु प रिह ि नणर्ए वीकािर लेलि ह । बेगर Beggar cannot bechooser.”191


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAहम अिह पर मिल क भायकेँ िव चारक ंखला तोड़ैत कहिल यि ह -“मिल क भाय, अगर मोदी अतेक खराव छिथ आ िम िड यासँ लएकऽ तमाम िव पक्षी दल हुनकर धोर िव रोध कऽ रहल अिछ तँ फेरबेर-बेर गुजरात सनहक पैघ रा यमे ओ जीतैत िक एक छिथ ?”मिल क भाय कहलि ह - “देखू कैलाश भाय, मोदी िह दु िव चारधाराकबदौलक ि कंवा गोधरा आ आन ठमहक नरसंहारक कारणे निहजीतैत छिथ । मोदी जीतमे हीरा जवाहरातक कारोबार करएबला यापारीक हाथ छैक। पिह ने एिह कायर्मे चाहे कीमती प थरकेँकटाइ-छटाइ हो, पॉलीसॴग हो, धसाइ हो या खानसँ उपल धता यापुन: आयात-ि नयत, तमाम ि यामे मुसलमान सभ डोिम नेट करैतछल। एकाएक िव व-बाजारमे जखन कीमती प थर तथा हीराजवाहरात िद स इजराइल केर यहुदी यापारीक हि ट गेलैक तँशनै:-शनै: ओ सभ अिह धंधामे एकािध कार थािप त कए लेलक।फेर गुजरातक िह दु- यापारी सभकेँ सेहो अपना िद स आकिषर्त कएमुसलमान सभसँ पृथक करक यास करए लागल। थािन य आअ यािश त लाभकेँ यानमे रखैत गुजरातक िह दु यापारी सभहीरा-जवाहरात तथा तमाम वेश कीमती प थरपर अपन आिध प यबनेबाक युिक् त पर िव चार करए लागल। आ एिह तरहक एकािध प यिब ना राजनैित क सहयोग एवं ह तक्षेपसँ संभव निह अिछ । अिहतरहक सहयोग जखन मोदी थम बेर मुख् यमंी भेलाह तँ देनाइ192


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAार भ कऽ देलिथ ह। फेर की छल िह दु यापारी सभ हुनकासमथर्न करए लगलि ह आ हुनकर चुनावमे आिथर्क एवं अ यतरहक मदित करए लगलि ह । अ तररा ीय तरपर इजरायल तँमदित कैयो रहल छि ह । संगिह गुजरातक आिद वासी तथाकहरपंथी िह दु वगर् िह दु अि मताक नामपर िह नकर संग छि ह ।”मिल क भाय गंभीर रहलाह आ बजैत रहलाह- “गुजरातमे मुसलमानसमुदाय केर साथ खून-खरापा उच् च वगर् िह दु अथवा यापारीइ यािद निह केलक। एिह लेल ठेकेदार सभ आिद वासी लोकिन केँपटोलक . ओकरा सबहक मोनमे मुसलमान समुदायक ित धृणा आवैमन य उ प केलक। आहाँकेँ की कहु कैलाश भाय, हालिह मेहम गुजरातक िक छु आिद वासी बहुल क्षेमे पकारक टीम संगेयाा केने रही। जखन एक आिद वासी गाममे गेलहुँ आ पुछिल ऐकजे बगलबला गाँव जािह मे मुसलमान सभ रहैत अिछ तकर सबहककी हालत छैक? हमर िज ज्ञासापर आिद वासी सभ तमतमाइतकहलक- ीमान्, अहाँ मुसलमान सबहक बात निह करू। ओ सभगार अिछ । ओ सभ िक छु अंट-संट जािर सेहो बाजल आ अ तमेकहलक- जनैत छी, हमरा लोकिन गुजरातक दंगाक समएमेमुसलमान सभकेँ खुब मारलहुँ। सभटा बदला लऽ लेलऐक। पूरादेशमे जे भारतीय जनता पाट 2004केर चुनाव हारल तकरकारण कुतुबुहीन अ सारीक बा हल आ िव वशतामे हाथ जोड़ैतफोटो। ओ भीड़क उ मादमे मातल लोक सभसँ हाथ जोड़ने अपन193


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAाणक भीख मांगैत छल। ई फोटो मा सम त भारतमे भारतीयजनता पाटक ित लोकक मोनमे घृणा अ प कऽ देलकैक आएिह बातकेँ बी.जे.पी.केर नेता निह बुिझ सकलाह। पिर णाम बहुतनीक जकाँ सरकार चलेबाक बादो भारतीय जनता पाट एवं घटकदल सामे निह आिब सकल। आ स पूणर् पिर पे यमे नरे मोदीकेँएकर सूधार मानल गेलैक। एका-एक पूरा देशक मुसलमान मोदीिव रोधी भऽ गेल। मुसलमान डरे हरक प काँपए लागल। अपने-आपकेँ घोर असुरिक्ष त बुझए लागल। जानैत छी कैलाश भाय, हमतँ मुसलमान समाज आ ि वशेष रूपसँ बुि जीवी सभ लग बैसैतछी। मुसलमान समाजमे ई चच भऽ रहल छैक जे घोर रा वादकनामपर भारतमे मुसलमान सभकेँ जान-मालक अपार छिथ हेतैक।िक छु वषर् अथत 30-40 वषर्क बाद मुसलमान सभ अपन नामिह दु नाममे पिर वितर्त कऽ लेत। इजरायल अपन भु व भारतमेघोर रा वादी संग िम ल मुसलमानकेँ परे ाान कऽ कऽ देखाओत।भारतक अगल-बगल केर छोट-छीन देश सभ भारतमे िम ल जएत।मुदा मुसलमान सभ इहो सोचैत अिछ जे चीन जािह तरहसँ अपने-आपकेँ हर दृ टकोणसँ मजबूत कऽ रहल अिछ - एक िद न लगभगडेढ़-दू साए वषर्क बाद ई ि थ ित हेतैक जे चीन भारतकेँ िछ -िभ करएमे सफल भऽ जाए। हलांिक चीनक लेल िच ताक िव षए छैकती गित सँ ओतए केर जनताकेँ इसाइ धमर्मे पिर वातर्न।”194


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAएकरा बाद पुन: मिल क भाय िब हारक स दभर्मे बाजए लगलाहकहलि ह - “िब हारक मुसलमान नीतीश जीक अिह ि नणर्एसँ संतु टछल जे चलू ओ नरे मोदीकेँ िबहार निह आबए देलाह। उच् चवगर् सभ पिह ल बेर एक भेल आ अपन मत नीतीश कुमारक पाटएवं भारतीय जनता पाटक उ मीदवार सभकेँ आँिख मूिन कऽदेलक। अिह तरहेँ नीतीशकेँ महा-दिल त आ दिल त, मुसलमान,मिह ला, युवक, बेरोजगार आ िव कास पिस करएबला जनताकआधार भेटलि ह । लालू जीक पक्षमे यादव एवं अ य हुनकरपर परागत लोक सभ एखनहुँ छल। मुदा सेन लगलि ह तँमुसलमान, उच् चवगर् एवं दिल त समुदायमे जकरा कारणे ओ भयंकरहार देखलि ह । रामिव लास मांिट मे सेंिह या गेलाह। काँेस व तभऽ गेल। राहुल गा धी सोनीया गा धी आ धानमंी जीक दौरािब हारक जनताकेँ निह पिस कऽ सकल। नीतीशजी िब जयीभेलाह। आब िव कास पुरूषक मोहर लािग गेल छि ह । आगाँ आरोआ म िव वाससँ कायर् करताह। िब हार आब शीिह एक आदशर्रा यक दज ा त करत।”एकर बाद घड़ी देखैत मिल क भाय हमरा कहलि ह - “कैलाश भाय,हमरा लोकिन 15िम नटक लेल बाहर िन कलल रही आब डेढ़ घ टाभऽ गेल। चलु अपन नौटंकीक पिर योजनापर चच करी। ”195


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAहम एक आज्ञाकारी िश य जकाँ हुनका संग एक बेर पुन: ीरामसे टर केर केफेटेिर यामे नौटंकीपर िव मशर्मे य त भऽ गेलहुँ।आब सोचैत छी, मिल क भाय केर फुटपाथी ग प कहॴ यथाथर्कवणर्न तँ निह अिछ ! सोचल एिह बातकेँ िब ना कुनो भेद-भावकेँपाठक संग यायावरीक मा यमसँ बाँटी।४िबिपन झाकी नब साल की पुरान साल..!196


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA{हम सभ अिभनव वषर्क वागत हेतु तैयार छी मुदा रामे यात समया यथावत अिछ। जािह सँऽ सामाय नागिरकसिदखन त अिछ। एकरे उजागर करवाक आ संभव समाधानतुत करब एिह लेख केर लय अिछ तािक नव वषर्क वागतनूतनसंकप केर संग कय सकी। लेखक िबिपन कुमार झा IITMumbai मे शोधछा छिथ। लेख मे अिभयक्त कोनो दककोइ वैयिक्तक अिभाय निहं ली।}कहल गेल अिछ सािहय समाज केर उथान मे सिदखनयोगदान करैत अिछ। ाचीन काल सँऽ काय आिद केर मायमसँऽ सुनैत आयल छी ओतिह दृय काय अथत एकांकी नाटकआिद केर महव सवर्था महनीय अिछ।समसामियक सदभर् मे ओ महनीय कायर् कितपय िसनेमाकेर मायम सँ कयल जाइत अिछ। हँऽ एिह मे कोनो सदेह निहंजे बहुतो िफम आ धारावािहक समाज कें गतर् मे लय जेबाक हेतुपयत अिछ। एिह बीच एकटा िफम देखल जािह मे भारतवषर् मेयात Black money saving आ घूसखोरी केर चच आिनदानक उपाय दिशर्त कयल गेल अिछ।एिह सदृश िफम िनयाचार िनवारण करबा मे योग देत।197


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAएिह तरहक बहुतो िवषमता अिछ जािह सँऽ हम सभअिभमुख होइत छी िकतु ओकर ितरोध करबाक सामयर् निहं।एहेन दशा मे िवकीलीक्स सदृश अतजल आ सूचनाऽिधकार सदृशयवथा केर महती आवयकता अिछ।सामायतया बहुत बात एहेन अिछ जे जनता अथवाअिधकारीवगर् भय अथवा लोभवश जनता अथवा उपयुक्त अिधकारीकेर समुख निहं आनय चाहैत छिथ जे उक्त अतजल सदृशमायम सँऽ जनसामाय तक पहुँचा सकैत छिथ।यिप सरकार सूचनाऽिधकार केर मायम सँऽ पारदिशर्ताके आदर कयलक मुदा अखनहुं कतेक अिधकारीगण साया मेनुकेबा क काज करैत अिछ जे सवर्था हायापद। एतय ई कहबउिचत निहं जे सब अिधकारी े नै होइत छिथ अिपतु िकछु कें बनेबाक तथाकिथत ेिनंग देल जाइत अिछ तऽ िकछु केंजनताजनादर्न बनबैत छिथह। बहुत कम एहेन छिथ जेजमना हो।भारत तृतीय आिथर्क महाशिक्त बनबाक हेतु तैयार अिछमुदा भारतवषर्क ई हाल अिछ जे चोरी, भीखारी, डकैती, घूसखोरीकदािचते कतहु निहं भेटत। सरकार नेता आ जनताजनादर्न सभएके सीढी पर छैथ। कोई अवसर निहं चूंकय चाहैत छिथ।198


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAआब यिद सांकृितक दृया नब पीढी तऽ देखैत छी जेओ अध भय दौिड रहल अिछ। नब खूनक आगू दोसर कें केदेखैत अिछ? समाज, संकृित, माय बाप....ई सभ तऽ अारहमशतादी केर गप भय गेल। पैसा आ अपन इच्छापूितर् केरअितिरक्त िकछु निहं बुझैत छिथ ई। नब पीढी मिहलासशक्तीकरण, जाितवाद िवरोध एवं एहेन बहुतो सदभर् मे वकालतकरैत भेट जेता मुदा यवहार मे ई वकालत अपन वाथर् केरअनुरूप पिरवितर्त होइत छिथ।ई हाल युवावग टा कऽ निह बुजुग एकरे िशक्षा दैतछिथह। वातिवक तऽ ई अिछ बुजुगर् रा के जे युवावगर्भेटवरूप दैत छिथ ओिह एहेन संकार रूपी खाद दैत छिथ जेाचार के िमक िवकिसत करैत अिछ आ ई युवा पुनः नवपीढी के अहू सँ तम रा बनेबा मे योगदान दैत छिथ। यिपओ एकरा िवकास के पथ रूपी तके दय लोक के चुप करथु मुदावातिवकता की अिछ से अहूं बुझैत छी हमहू बुझैत छी ।एहेन िथित मे की नब साल आ की पुरान साल? नव वषर्तऽ ओिह िदन शुरू होयत जािह िदन समाज मे यात पुरान पापिविवध कानूनक यावहािरकता सँ धूिमल होयत आ बुजुगर् सभ नबपीढी के ओहेन संकार देथीह जािह सँ िविवधता मे एकता सँअलंकृत रा के ित हम सभ गौरव कय सकब।199


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA५मुाजीिरपोतज४ िदसबर २०१० (शिन िदन) िमिथला सेवा संघ, जैतपुर(बदरपुर, नई िदली) ारा भयरूपेँ िवापित पवर् समारोहक सफलआयोजन कएल गेल।उक्त आयोजनक अयक्षता केलिन मैिथली/ िहदीक विरसािहयकार ी गंगेश गुंजन आ िविश अितिथ रहिथ युवापकार ओ बहुिवध रचनाकार ी गजे ठाकुर।200


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअयक्षीय भाषणक नमहर कड़ीमे ी गंगेश गुंजन आह जतौलिनजे ऐ आयोजनमे किवगोीक आयोजन आ मिहलाक अनुपिथितकेँभरल जाए।आितय भाषणमे ी गजे ठाकुर एक मा पाँतीमे गएरबाभनकउपिथितकेँ सेहो िनित करबाक िवचार देलिन।िवजय िम आ गंगेश गुंजन ारा दीप वलनक पछाित मैिथलीकचिचर्त-पिरिचत कलाकार ारा धमिगजर गीतनाद तुत कएलगेल जे भोर धिर दशर्ककेँ नै उठबाक लेल बहने रहल। ोता/दशर्कक उपिथित सेहो अपेक्षासँ बेशी छल जे शंसनीय अिछ।६नवेदु कुमार झा १.रेल लाइनसँ जुड़त भारतआ नेपाल २. भारतीय सामािजक यवथामे आइयो जीवत अिछजाित यवथा- ो. शम ३.देशमे लागत चौदहटा नव उोग201


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसमूह, असोचैम कएलक एिह िदस पहल- िमिथलांचलमे सेहो लागतनव उोग१रेल लाइनसँ जुड़त भारत आ नेपालपड़ोसी देश नेपालक संग दोतीकेँ आर मजगूत करबाक लेलभारतीय रेल नेपालमे रेल लाइन बनाओत। एक दोसराक संगसहयोग बढ़ेबाक उेयसँ बनएबला ई रेल लाइन भारतमे मधुबनीकजयनगरसँ नेपालक बरदीवासक मय बनाओल जाएत। ई नव रेललाइन सिर िकलोमीटरक होएत, जकर वीकृित रेल मंालय दऽदेलक अिछ। एिह नव रेल लाइन बनबऽ मे गोटेक चािर सौ सिरकरोड़ टाका खचर् होएबाक अनुमान अिछ। एकर काज ारभकरबाक लेल मंालय दस करोड़ टाका दऽ देलक अिछ आिवीय वषर् २०११-१२ मे एकर काज ारभ भऽ जाएत। ई रेललाइन दू चरणमे पूरा होएत। पिहल चरणमे जयनगर आजनकपुरक मय तीस िकलोमीटर छोटी लाइनक आमान पिरवतर्नहोएत आ दोसर चरणमे जनकपुरसँ बरदीवास धिर नव रेल लाइन202


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबनेबाक काज ारभ होएत। नव रेल लाइनक वाते जमीनअिधहणक काज जदीए ारभ होएत।२भारतीय सामािजक यवथामे आइयो जीवत अिछ जाित यवथा-ो. शमदरभंगा िथत लिलत नारायण िमिथला िविवालयमे महाराजािधराजकामेर िसंह मारक याख्यानमाला सप भेल। एिहयाख्यानमालाक मुख्य वक्ता राजथानक ितित नेशनल ओपनयूिनविसर्टीक कुलपित आ जानल-मानल समाजशाी ो.के.एल.शम कहलिन जे भारतीय सामािजक यवथामे जाितयवथा िनयंण बल अिछ। ी शम कहलिन जे सामािजकयवथामे आइयो जाित यवथा यक्ष आ जीवत अिछ आ एकटायवथाक रूपमे बदलाब अनबाक यास करैत अिछ। ओ कहलिनजे देशक राजनीितक यवथा सेहो जाित यवथाकेँ जीवतरखबामे महवपूणर् भूिमकाक िनवह कएलक अिछ। वषर् १८९१ सँ१९३१ धिर सरकारी तरपर जाित यवथाक ेणीकरणक काजकएल गेल। वतंता ाितक बाद १९५१ जनगणनामे जाितकेँछोिड़ देल गेल मुदा एक बेर फेर राजनीितक उेय आिक203


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिववशताक अतगर्त जाित गणना करेबापर सहमित बनल अिछ। ओकहलिन जे सामािजक पिरवतर्नक संग-संग अहूमे बदलाव आएलअिछ मुदा एकर बावजूद आइयो एकर सातव कायम अिछ।याख्यानमालाक अयक्षता भारतीय शासिनक सेवाक सेवािनवृअिधकारी एस.एन.िसहा कएलिन।३देशमे लागत चौदहटा नव उोग समूह, असोचैम कएलक एिहिदस पहल- िमिथलांचलमे सेहो लागत नव उोगिबहारमे मुख्यमंी नीतीश कुमारक नेतृवबला राीय जनतांिकगठबंधनक दोबारा आपसीक संगिह देशक उोग जगतक नजिरिबहारपर पड़ल अिछ। देशक औोिगक संगठन “एसोचैम”देशमेअिगला तीन वषर्मे तीनटा “िबजनेस माटर्”क मायमसँ चािर लाखटाकाक िनवेशक योजना बनौलक अिछ। एसोचैम िबहार चेबरऑफ कामसर् (बी.सी.सी.) आ िबहार इडीज एसोिसएशनकसहयोगसँ ई िबजनेस माटर् आयोिजत करत। पिहल िबजनेस माटर्अील २०११ मे होएत जािहमे पचास हजार करोड़ टाकाकिनवेशक लय राखल गेल अिछ, जखनिक २०१३ मे आयोिजतहोमएबला दोसर माटर्मे एक लाख पचीस हजार करोड़ टाका आ204


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAवषर् २०१५ मे आयोिजत होमएबला तेसर माटर्क मायमसँ पचहिरकरोड़ टाकाक िनवेशक लय राखल गेल अिछ। ई संगठन चेबरऑफ कामसर् आ इडीज एसोिसएशनक सहयोगसँ चौदह टा नवउोग समूह दरभंगा, मुजफरपुर, मधुबनी, बरौनी, किटहार,भागलपुर, मुंगेर, सुपौल, हाजीपुर, पटना, नवादा, गया आ भोजपुरमेथािपत करत, जािहमे सभ उोग समूहमे अठारह सौसँ दू हजारनव औोिगक इकाइ रहत। एिहसँ सरकारकेँ गोटेक बारह ितशतराजव भेटत। गोटेक चिर सौ पचास करोड़ टाकाक िनवेशबलासभ तािवत उोग समूह गोटेक छह लाख लोककेँ परोक्ष अथवाअपरोक्ष रूपसँ रोजगार उपलध कराओत। एसोचैम सरकारसँदेशमे “क्लटसर् डेवेलपमेट अथोिरटी”क थापनाक मांग सेहोकएलक अिछ।हम पुछैत छी -मुाजी205


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१.जगदीश साद मंडल,२.राजदेव मंडल,३. कुमार शैले आ ४.अमरनाथ सँमुाजी पुछैत छिथ ढेर रास गप.....१दुर दृि ट संप गमैया संसाधनसँ दूर होइत गामक लोककमन:ि थ ित केँ गहॴरताक संग सोझाँ अनिन हार ी जगदीश साद206


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमंडलजी हुनक सम त सािह ि य क ि या-कलापक मादे मुाजी ाराकएल गेल ग प-स पकेँ अहाँक सोझाँ तुत कएल जा रहल अिछ -मुाजी- जगदीश बावू िश क्षाक पूणर् िड ीधारी भऽ अहाँकेँ एतेकदेरीसँ मैिथ ली लेखनक वृित क की कारण?जगदीश साद मंडल- अपनेक नक उर दैइसँ पिह ने मुाजीिक छु अपन बात किह दैत छी। केजरीवाल हायर सेके ी कूलझंझारपुरमे पेशल नाइ थसँ लऽ कऽ पेशल एलेबुन धिर एक सयन वरक एक िव षय मैिथ ली पढ़ने छी। मुदा कओलेजमे निह पढ़लॱ।िह दी पढ़लॱ। सािह यसँ िस नेह सभ िद न रहल। िल खै िद स दूहजार ई वीक बादे बढ़लॱ। ऐठाम ि सफर् एतबे कहब जे जमीनीसंघषर्क उपरा त वैचािर क संघषर् जोर पकड़ैत अिछ तँए िल खबअिन वायर् भऽ गेल। जिह सँ जीवनमे आरो मजबूती अएल। सभकेँमाने हर मनु यकेँ अपने लगसँ िज नगी शुरू करक चािह एिन । कमर्कक्षे अपन गाम रहल जिह ठामक भाषा मैिथ ली छी तँए िह दीकिव ाथ रिह तहुँ मैिथ लीमे िल खै छी। देरीसँ िल खैक कारण इहो भेलजे १९६७ई.मे जखन बी.ए.क िव ाथ रही, वामपंथी राजनीित मेजुड़लॱ। काजसँ जते समए बँचए ओ सेवामे लगबए लगलॱ। बी.ए.207


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAधिर जनता कओलेज झंझारपुरमे आ आगू सी.एम. कओलेजदरभंगामे पढ़लॱ। ओना िल खैक आरो कारण अिछ जे उक संगशरीरक शिक्त यो कमए लगल।मुाजी- एतेक िड ीक (एम.ए.क) पछाित तँ अहाँ समएमे नोकरीभेटव बेशी असोकजर् नै छलै। नोकरी नै कऽ खेती-बारीक ि नणर्यअहाँक कोन मानिस कताक ोतक ऐछ?ज..मं.- आजुक दृि ट ये जरूर बुिझ पड़ैत हएत जे ओिह समएनोकरी स ता छलैक मुदा से बात निह । एिह पिर पे यमे िक छु किहि दअए चाहै छी। झारखंड लगा िब हार रा य छल। अखन जतेिज ला, सविड वीजन आ लौक आइ खंिड त िब हारमे देखै िछ ऐ ओतेपूणर् (सॱसे) िब हारमे निह छल। संग-संग जते काजक िव िव धताअखन धिछ , सेहो निह छल। अखन छीस-सैंतीसटा िज ला खंिड तिब हारमे अिछ जखन िक ओिह समए ि सफर् सरहटा िज ला छल।जिह मधुबनीमे पाँचटा सविड वीजन अिछ ओ अपने सविड वीजनछल। तिह ना िश क्षो िव भागमे छल। गनल-गूथल कओलेज आ हाइ- कूल रहए। आइक मधुबनी (ोपर)मे चािर टा कओलेज- झंझारपुर,सरसो, पंडौल आ बाबूबरहीमे खुजल। बाबूवरहीक कओलेज208


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA(जे.एन.) मधुबनी चिल गेल। ओिह सँ पूवर् आर.के. काओलेज आभिर सक एकटा आरो छल। बाकी सभ बादक छी। जखन जनताकओलेज झंझारपुर खुजल, ओिह समए अधासँ अिध क िश क्षक(ोफेसर) आने-आन िज लाक छलाह। तँए िक एिह क्षेमे पढ़ल-िल खल लोक निह छलाह से बात निह ।बैंकक शाखा जते आइ देखै िछ ऐ ओते निह छल। भिर सकमधुबनीमे एकटा रहए बाकी निह ये जकाँ छल। तिह ना लौकोकछल। एक तँ संख् या कम दोसर एकटा बी.डी.ओ. रहैत छलाह।जखन िक बी.डी.ओ; सी.ओ. आ पी.ओ. तीिन टा अखन छिथ ।कल-कारखाना नाओपर एकटा चीनी िम ल (लोहट) ओ गोिट पङराचाउरक िम ल छल। ओना आरो बहुत बात अिछ मुदा मोटा-मोटीकहलॱ। आब अहॴ कहु जे नोकरी क छल। ओिह अनुपातमेअखन बेसी अिछ ।खेती करैक कारण-जखन हम तीिन ये बखर्क रही िप ता मिर गेलाह। हमरासँ तीन बखर्पैघ भाय छलाह। ओना पिर वारमे दूटा िप िस औत भाय रहैत छलाह।हुनका रहैक कारण छल हुनकर घर फुलपरास िव धानसभा क्षेकघोघरिड हा लौकक अमही पंचायतक हिर नाही गाम छिन । जखनकोसी पि च म मुँहे जोर केलक तँ गाम उपिट गेल। सभ िक यो209


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबेरमा चिल एलाह। जे घटना १९३५-४०क बीचक छी। फेरजखन कोसी पूव मुँहे ससरल तखन १९६०ई.मे पुन: ओ दुनू भाँइचिल गेलाह। हुनका सबहक गेने िग रह तीक संग-संग पढ़वो करी।तिह येसँ खेतीसँ जुड़ाव भऽ गेल। जे जीिव काक साधन रहल।मुाजी- ार भमे अहाँ अपनाकेँ सा यवादी किह सामंतवादक िव रूहो-हला मािर -झगड़ामे सि य रहलॱ बादमे अइसँ िव मोह िक एक? एेसँ की फायदा वा नोकसान उठएल?ज..मं. - जिह ना छलॱ तिह ना छी। मुदा पिर ि थ ित केँ ऑिक देखएपड़त। सामंतवादमे मनु यक बुनाबिट जािह रूपक रहै छै ओसामंतवादपर चोट पड़लासँ बदलैत छैक। िख सा-िप हानी आनाटकक टेज सामािज क िव कास आ सामािज क जीवन निह होइतछैक। नाटकक टेज होइत छैक- तीन घंटामे रामक ज म,जनकपुरक धनुषयज्ञ, बनमे सीताक हरण आ रावणक मृ युकउपरा त िव सजर्न। तिह ना िख सा िप हानीमे सेहो होइत छैक। मुदासमाजक मंच बहुत जिट ल होइत छैक। जिह क लेल समयो लगैछै आ संघष होइत छैक। तहूँसँ जवदर् त वैचािर क संघषर् सेहोहोइत छैक। संक्षेपमे- आिथर्क िव कासक ममे खेतीक लेल जखन210


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAनवका माने उित िक मक बीआ आएल तँ सामंती सोचक लोकिव रोध केलिन । हुनकर आरोप छलिन (१) व तुमे सुआद निह होइतछैक, (२) पाविन -ित हारक दृि ट ये अशु होइत अिछ , (३) वा यक दृि ट सँ खाद देल अिह तकर होइत अिछ जिह सँ बीमारीबढ़त। तिह ना दरभंगा अ पताल खुललापर सेहो िव रोध भेल। गाम-घरमे एलोपैथक िव रोध भेल। आरोप छलैक- गाइयक खूनकइ जेक् शन आ सुगरक मांसक बनल दवाइ। साधारण इनारक जगहपािन क कल भेने सेहो िव रोध भेल। आरोप लगैत छल जे कलकवासर चमड़ाक होइ छै, तिह सँ पूजा कोना हएत आ अशु पािनलोक पीित कोना? कते कहब। एिह पिर ि थ ित केँ संमण कालकहल जाइ छै। सामंतवाद टुटलाक बाद पूँजीवादी आ समाजवादीिद शा अबैत छैक।हमरा गामक न बे ित शत जमीन बहरवैयाक छलिन । ओना तीिन टाजमीनदार छलाह वाकी दूटा मास छलाह। जनवादी लड़ाइ शुरूहोइते दूटा मािल क (जमीनदार) अपन जमीन बेच लेलिन । एकगोटेक संग जवदर् त लड़ाइ भेल। जमी दारक संग सूदखाेर महाजनसेहो छलाह। हुनको संग लड़ाइ भेल। अखन ने िक यो बाहरजमी दार छिथ आ ने महाजन। गाममे िक नको अिध क जमीन निहभेलिन । ऊपर दस बीघा आ वाकी िन च् चाँ छिथ । एिह दौरमे करीबतीस बखर् लड़ाइ गाममे चलल। सिर -एकहिर क उठल तूफानशा त होइत-होइत ५.५.२००५ई.केँ अंित म मुकदमाक अ त भेल।211


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिव कासोक ि या छैक। आइक भारी मशीन (कम यूटर) देिख नवपीढ़ीक लोककेँ सहजिह िव वास निह हेतिन । मुदा हाथक काजहाथसँ चलैबला औजारक संग लघु मशीनमे बदलल। लघुमशीनपिर मािजर्त होइत भारी आ तेज मशीन बिन ठाढ़ अिछ ।मुाजी- कहल जाइछ जे अहाँक सा यवादीक िव ोह छिव तखनदिव गेल जखन की अहाँ सामंती ारा देल लोभनकेँ वीकािरलेलॱ की स य अिछ ?ज..मं. - चािर म नक उर भेट गेल हएत मुाजी। जँ से निहतँ अनठेकानी गोला फेकब हएत।मुाजी- उवादीसँ रचनावादी वृित कोना जागल कोनो एहेन िव शेषघटना जे अहाँक रचना मक सोचकेँ ेिर त केने हुअए?212


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAज..मं. - पाँचम नक उर सेहो आिब गेल अिछ । दुिन याँकनक् शामे जकरा शीतयु (cold war) कहल गेल अिछ वएहवैचािर क संघषर् छी। जकरा लेल सािह य मुख अ छी।मुाजी- मैिथ ली रचनाकारक वृित अिछ जे एक-दु रचना कऽअपनाकेँ मैिथ लीधारामे जोड़वामे जुिट जाइछ मुदा अहाँ एकर उलटिच तनशील आ रचनाशील रिह नुकएल सन रहलाैं?ज..मं.- छठम नक संबंधमे प ट समझ अिछ जे जिह नाउरबिर या पहाड़सँ िन कलल छोट-छीन धारा सभ दिछ न मुँहे टघरैतनदी-नालामे िम लैत आगू बढ़ैत गंगामे पहुँच समुमे समािह त भऽजाइत अिछ तिह ना जँ सािह यक (रचनाक) दशा-िद शा नीक रहततँ सािह यक धारा बनवे करत। ई िव सवास अिछ । जना आन-आनगोटे शुरूहेँसँ रचना िद स बढ़लाह से निह भेल। कारण ऊपर आिबगेल अिछ ।मुाजी- िव योगीजी अहाँ िक तावक आमुखमे अहाँकेँ २०गोट कथा,५गोट उप यासक पा डुिल िप लऽ भेँट करवाक ममे अहाँक दृि ट213


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAफरीछ दू साल बाद पुन: भेँटमे हेबाक बात कहलिन हेँ ऐपर अहाँककी िव चार?ज..मं.- मैिथ ली सािह य जगतक िव योगीजी पिह ल सािह यकारछिथ िज नकासँ पिह ल भेँट छी। ओना एक-दू बेर फोनपर गप भेलाबाद उमेश मंडल पटना गेल रहिथ तँ भेँट केलकिन । िक छु रचनासभ लऽ कऽ सेहो गेल रहिथ । दू-चािर पा पिढ़ कऽ सुनेवोकेलकिन । मुदा डेढ़-दू घंटाक बात चीतमे जाने-पहचानक बात बेसीभेलिन ।हुनकासँ हमर पिह ल भेँट मधुबनीमे छी जखन ओ मधुबनी अएलाह।ओही ममे रहुआ कथा-गो ठीक जानकािर यो देलिन आ चलैइयोलेकहलिन । हुनक सम् पादनमे देशज पि का २००३ई.मे ि नमर्लीकिक तावक दोकानमे भेटल। जािह मे याीजी आ िक रणजीक संगगप-स प सेहो िन कलल। िव चारक दृि ट सँ याीजी सँ िव ाथयेजीवनसँ भाि वत छलॱ। पि का पािव आरो भािव त भेलॱ आिव योगी जीक संग आकषर्ण सेहो बढ़ल। तिह ना िक रण जीकिज नगीसँ सेहो बहुत भािव त कओलेजे जीवनसँ छलहुँ। लगसँहुनका देखने रिह एिन । जखन हम सी.एम. काओलेजमे पढ़ैत रहीतखन ओ ोफेसर छलाह। गप-स पक ममे ओ बजलाह जे214


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAजिह ना बजै छी तिह ना ि लखब मैिथ ली छी। हुनकर ई िव चार तिह येनिह अखनो रग-रगमे समाएल अिछ ।मुाजी- उपरोक्त आमुखमे ओ कहने छिथ जे अहाँ हुनकर(िव योगीजीक) एहेन अंधभक्त छी जे हुनकर िक ताबकेँ तािक -तािककऽ पढ़ैत रही एकटा िक ताबकेँ तकबाक ममे पटना धिर गेलॱमैिथ ली सािह यक पाठक शु यता (कीिन कऽ पढ़ैबला)मे जँ ई स यछै तँ एकर की कारण?ज..मं.- अहू नक उर आिब गेल अिछ । ई बात हुनकामेजरूर छि ह जे उपकिर -उपकिर कतेक िक ताब देलिन । भक् त आभगवान सा दािय क भाषा छी। िक यो अपन कमर्सँ बढ़ैत-घटैतअिछ मुदा आगूसँ अधला सोचब आ करबकेँ अधला बुझै छी।मुाजी- िक छुए समया तरलमे िव िव ध िव धापर अहाँक ८गोट पोथीककाशनसँ केहेन अनुभूित भऽ रहल ऐछ अिग ला ल य की ऐछ?215


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAज..मं.- पोथी कािश त भेलापर जिह ना आन गोटेकेँ अनुभूित होइतछि ह तिह ना भेल। ल यक जहाँ धिर न अिछ तँ सादजीकपाँित मन पड़ैत अिछ -“जीवन का उे य निह है शा त भवनमे िट क जानाऔर पहुँचना उन राहो पर िज नके आगे राह निह । ”मुाजी- एतेक पोथी काशनक पछाित यो अहाँक ठोस मू यांकन वापुर कारक हेतु चयन नै भेलासँ अ पन पिरम िन रथर्क सन तँ नैलगैए।ज..मं.- कोनो रचनाक मू यांकन समए करैत अिछ । समयानुकूलरचना छी वा निह ई समए आँिक कएल जा सकैत अिछ । रहलपुर कारक बात? ेमच द सन उप यास साट आ कलमक216


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAजादूगरकेँ कोन पुर कार भेटलिन । मुदा ओ अपना मकेँ िन रथर्ककहाँ बुझलिन । अंित म साँस धिर सेवा करैत रहलाह।अपन पचहिर म ज म िद नक अवसरपर नामबर भाय (डॉ. नामबरिस ंह) बाजल छलाह- “जते काज अखन धिर केलहुँ ओते पाँचबखर्मे करब। ” हुनकर कते सेवा छि ह सवर्िव िद त अिछ । जखनपचहिर बखर्क बूढ़क एहेन वक् त य छिन तखन तँ हम अपनाकेँजवान वुझै छी।मुाजी- मैिथ लीमे ार भेसँ बनल जाित -पॉित क फाॅटकेँ अहाँ कोनदृि ट ए देखै छी। आ वयं अहाँ ओइ बीच अपनाकेँ कतऽ पबै छी।ज..मं.- शुरूहेसँ वणर् निह वगर्मे िव वास अिछ । जिह आधारपरकाज करैत एलॱ आ किर तो छी। समाजमे जे जाित -धमर्क(स दायक) खेल चलैत अिछ ओ राजनीित केिन हारक चािल छी।217


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमुाजी- िप छड़ावगर्सँ आगाँ (रचना मक रूपेँ) अबैत लोकक अहाँउपर उठेवा लेल कोनो सहयोगी बनव पिस करब? हुनका सबहकलेल कोनो संदेश?ज..मं.- जािह ठाम यव था बदलैक न अिछ ओ ने एक िद नमेहएत आ ने एक गोटे बुते हएत। सबहक क याण हएत आ सभकेँकरए पड़त। तँए सभकेँ कहैत िछ अिन जे जागू, उिठ कऽ ठाढ़होउ। आगू बढ़ू। िम िथ ला सबहक मातृभूिम आ मैिथ ली सबहकभाषा छी तँए अपन बुिझ सेवामे लािग जाउ।२218


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमैिथ ली आ िह दीमे सिझ या आ धुरझार लेखनसँ पिरपक् व। मैिथ लीमेएकटा ठोस िव चार आ दुर दृि ट लऽ थाि पत होइत किव ीराजदेव मंडलजी सँ हुनक लेखनीपर गहॴर रूपे मैिथ लीक सशक् तयुवा लघुकथाकार आ समालोचक मुाजीक बीच भेल गप-स पकअंश तुत ऐछ-मुाजी- अहाँ खाँटी िम िथ लाभुिम क पािन मािट मे रचल बसल रिहिह दीमे उ मुख रहलॱ। मैिथ लीमे िक एक नै?219


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAराजदेव मं. - देश-दुिन याँ/ चाहे जतेक बदिल जाए/ अपन भाषाअपन माए/ कहुँ िब सरल जाए/। माएक ारा िस खाओल भाषा केिब सरत? रचनाक ार भ मैिथ लीमे कएलहुँ। िक तु काशनकअभाव आ काशक, स पादक लग कोनो पहुँच नै। अथर्सँ की नैहोइत छै। हम अथभावमे रही। मैिथ लीक कोनो रचना कािश त नैभेल। फुलाइत मन मुरझा गेल। ओइ समएमे िह दीसँ एम.ए.कतैयारीमे जुटल छलहुँ। िह दीमे िल खनाइ सुिव धाजनक सन लगल।िल खब आ छपेबाक उ कट इच् छााक कारणे िह दी िद स कनछीकाटए पड़ल।मुाजी- मैिथ ली लेखनीक ार भ किह या कोनो कएलहुँ? एखन धिरमैिथ लीमे हेराएल वा वेराएल सन रहवाक की कारण?राजदेव मं. - मैिथ लीसँ एम.ए. केलाक उपरा त १९८६ई.क कोनोराित , नीक जकाँ मरण नै ऐछ- ओ तारीख। ओइ राित मानिस क तरसँ बड दुखी रही। एतेक दुखी जे सुतएकालसँ पूवर् कतेकोबेर मुँहसँ िन कलल रहए- हे भगवान हमरा धरसीसँ उठा िल अ।हमरा मृ यु चाही। हम मरऽ चाहै छी।220


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAई वाक् य सभकेँ दोहराबैत िनमे डूिब गेल रही। अधरित यामे जखनिन टूटल तँ मन िक छु ह लुक सन बुझाएल। ओसारपर िम झाइतदीयाकेँ बड़ी काल धिर एकटक देखैत रहलहुँ। कतेक काल धिरसे मरण नै ऐछ। िक तु ओ िम झाइत दीया थम मैिथ ली किव ताबिन गेल। जे संह अ बरा'मे संकिल त ऐछ। भऽ सकैत ऐछ ऐ सँपूवर् मैिथ लीमे अपूणर् रचना सभ हएत।आब सवाल हेराएल आ बेराएल ऐछ। हेराएल ओ रहैत ऐछ जेअनिच हारक बीच रहैत ऐछ आ अनजान थानपर रहैत ऐछ। हमतँ अपनिह ज म थानपर छी आर िच हार लोकक बीच छी।ओकरा की कहबै जे िच हार लोकक बीच अनिच हार बनल हेराएलऐछ।ओ बेराएल जाइत ऐछ जेकरा ारा अधलाह काज भेल हुअए। हमअपना जनैत नीक काज करैत अहाँक लगमे ठाढ़ छी। तइयोबेराएल सन। तँ एकर कारण की कहब?मुाजी- अहाँक किव ता गाम समाजक लोकक ित अहाँक िव चारिम िथ लाक पार पिर कताकेँ संजोगने बुझाइत ऐछ। जखन िकवर्मानमे तकनीकी िव कासे लोकक जीवन आधुिन क सोचमे डुिबरहल ऐछ। अहाँ अपनाकेँ सँ दूर कोना रखने छी?221


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAराजदेव मं. - हम कोनहुँ पार पिर कताकेँ संजोगने नै छी आ नैआधुिन क जीवन सोचसँ अपनाकेँ दूर रखने छी। हँ िक छु सरसश दकेँ जोड़बाक यास कएलहुँ जािह सँ रमणीय अथर् िन किलसकए। की छुटल आ की जुड़ल ऐछ। नीक वा अधलाह भेलतेकर ि नणर्ए तँ अहॴ सभ करब।मुाजी- एखन धिर अहाँक मैिथ ली लेखनीमे किव ते टा जगिज यारभेल ऐछ की, अहाँ कोनाे आनो िव धामे िल खैत छी?राजदेव मं. - िक छु कथा िल खने छी। एकटा उप यास िल ख रहलछी।मुाजी- अहाँ िह दी भाषामे कतेको पोथीक सजर्क छी, जे छिपकऽ सोझाँ आिब चूकल ऐछ। मैिथ लीमे एतेक पाछाँ िक एक छीिक एक छी एकर कोनो िव शेष कारण तँ नै ऐछ?222


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAराजदेव मं. - िह दीमे तीनटा उप यास कािश त भऽ चूकल ऐछ।िज दगी और नाव, िप ंजरे के पंछी, दरका हुआ दरपन। मैिथ लीमेिल खैत छलहुँ िक तु कािश त नै भेलाक कारणे पाछाँ छलहुँ। उमेशमंडल आ गजे ठाकुर जीसँ स पकर् भेलाक उपरा त मैिथ ली ईपि का िव देहमे कािश त हुअए लगल। ुित काशन ारा िव देहमैिथ ली प २००९-१०मे सेहो कािश त भेल।वा तवमे ओ सभ ध यवादक पा छिथ । एकर उपरा त अंित का आिम िथ ला दशर्नमे सेहो िक छु किव ता सभ अाएल।मुाजी- मैिथ ली भाषाकेँ अ पन िक छु मैिथ ल सभ बाभन माकभाषा किह गैर बाभन लोक सजर्क िव चार वा भाव रिख तो अपनाकेँकित या लैत छिथ । अहाँ एकरा कै पिर पे यमे देखै छी?राजदेव मं. - भाषाकेँ कोनो ब धनमे बाि ह कऽ नै राखल जासकैत ऐछ। जाित क ब धन तँ आओर खराब। भाषा तँ सबहकहोइत ऐछ। तँए सभ जाित आ वगर्क लोककेँ अपना भाषाउ थानक लेल यास करबाक चाही। सहयोगक भावना सेहो हेबाक223


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAचाही। ार भमे िक छु बाधा होइते ऐछ। तै कारणे कित या जाएब सेनीक नै।मुाजी- बाभनसँ इतर अहाँक समकक्ष सजर्क ी जगदीश सादमंडलजी जे अपन लेखनीए कतेको थािप त रचनाकारकेँ पाछाँछोिड़ अ प समएमे शीषर्पर अबैत देखाइत छिथ । ऐ मा यमेछोटका-बड़का जाित क फाॅटकेँ अहाँ कोना पिर भािष त करब?राजदेव मं. - ऐ मे छोटका आ बड़का जाित क फाँट की कएलजाए। िक छु रचनाकार ुतगित सँ िल खैत छिथ । जेना ी जगदीशसाद मंडल। वभािव क ऐछ जे ओ अ पकालिह मे बेसी िल खताह।िक यो म थर गित सँ रचना करै छिथ । िल खबाक अपन-अपन शैलीआ गित होइत ऐछ। ओिह ना शीषर् िद स बढ़बाक गित होइत ऐछ।मुाजी- अपन मैिथ ली लेखनयााक ममे किह याे अपनाकेँ गैरबाभन हेवाक कारणेँ अनसोहाँत वा उपेिक्ष तक अनुभव तँ नै पौलहुँ?224


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAराजदेव मं. - सवेंदनशीलकेँ तँ उपेक्षाक अनुभव होएबे करतैक।समाज आ पिर वारकेँ यक्ष रूपेँ िक छु नै दैत िछ ए। ओ सभउपेक्षाक भाव राखबे करता। अपनासँ आगू कोनो जाित केँ देखइ य होएबे करत। ई तँ मनुक् खक गुण ऐछ। भऽ सकैत ऐछ जेहमरोसँ पाछाँबलाकेँ िक छु एहने अनुभव होइत हेतै। ऐ ग पपर अपनेिल खल पॉित यािद अबैत ऐछ- “उपेक्षाक दंश/ हमरिह अंश/ नै ऐछिच ता/ नै छी त/ भेल छी अ य त.../ ”मुाजी- मैिथ ली समीक्षक लोकिन रचनाकारक कोन मन:ि थ ित केँसमीक्षाक रूपेँ पिर भािष त करैत छिथ ? की ओइमे जाित वािद ताकनजिर या सेहो पिर लिक्ष त होइत ऐछ?राजदेव मं. - समीक्षाक बहुत अिध क पु तक हम नै पढ़ने छी। ऐतरहक ग प सोक्षा नै अाएल ऐछ। ओना समीक्षाक कायर् बहुतदािय वपूणर् होइते ऐछ। रचनाकार आ पाठकक म य िम लनिब दूपरसमीक्षक रहैत छिथ । ओ कोनो रचनाकेँ दोष-गुणक अ वेषण करैतछिथ । जँ हुनक नजिर या जाित वादी हेतैक। तँ ऐ सँ भाषाक क्षितहेतैक।225


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमुाजी- अहाँ समीक्षा सेहो करै छी अपन समीक्षाक मा यमे अहाँरचनाकारक यिक् त वकेँ पिर लिक्ष त करैत छी, वा रचनाकारककृित वकेँ सोझाँ अनवाक यास करै छी की जाित क फाँटकेँ भिररचनाकारक देखार करब उिच त बुझै छी?राजदेव मं. - समीक्षा तँ होइत ऐछ रचनाकेँ। तँए यिक् त व आकृित वकेँ अलग-अलग राखल जएबाक चाही। समीक्षाक कायर्मे तँतट थ भऽ रचनाक दोष गुणक चच याय-संगत ढंगसँ हेबाकचाही। हँ, िक छु सािह यकारक सव कृ ट कायर् देख ध यवाददेबाक लेल बेवश होमए पड़ैत ऐछ। ऐ कायर्मे जाित क फाँट केनाइिन ता त अनुिच त ग प िथ क।मुाजी- अ तमे अहाँ गैर बाभनक मैिथ लीमे अनुपि थ ित केँ कोनतरहेँ अनुभव करै छी। ऐ मे गैर बाभन वगर्क सजर्ककेँ वेशीसँ बेशीउपि थ ित क लेल कोन संदेश वा िव चार देब।226


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAराजदेव मं- पूणर्रूपेण भाषाक िव कासक लेल सभ जाित आ वगर्करचनासँ भाषाकेँ पिर पूणर् होएबाक चाही। तँए जे पाछाँ छिथ हुनकासभकेँ अ ययन, मनन आ अ यास करबाक चाही। बेसीसँ बेसीरचना करबाक चाही। सहयोगक भावना रहक चाही। अिध कारा त करबाक लेल तँ आगू बढ़ै पड़त।३बहुआयामी यिक्तवक यिक्त एवं सौभाग्य िमिथला चैनलककायर्म भारी कुमार शैलेसँ ितिनिध युवा लघुकथाकार एवंसमालोचक मुाजीसँ भेल गपशपक अंश अहाँक सोझाँ राखल जारहल अिछ।–227


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमुाजी: पिहल बेर मैिथलीमे कोन िवधासँ वा कोना वेश भेल आओकर की कारण छल?कुमार शैले: सन १९६४ ई. मे राजे नगर पटनामे हमर जमभेल। हमर िपता िशवकात झा ओइ समए िहदी दैिनक आयवतर्मेसमाचार सपादक रहिथ। घरमे कएकटा अखबार, मैिथली पिकाशुरूहेसँ पढ़बा लेल भेटल। ओइ समएमे पटनामे ठाम ठीम िवापितपवर् समारोह हुअए, मैिथलीक रुिच हमरा ओतएसँ जागल। तकरबाद जखन हम कॉलेजमे पहुँचलहुँ तँ हिरमोहन झाक सािहय पिढ़हमरा आभास भेल जे मैिथली सािहय बड समृ अिछ। तकरपिरणाम भेल जे हम इटरमीिडएटमे अिनवायर् भाषा (१०० अंकक)िहदीक बदलबा कऽ मैिथली रािख लेलॱ। तकर पछाित हममैिथलीयेमे ऑनसर् आ एम.ए. केलहुँ। हम कॉलेजमे रही तखनेउसुकता रंगमंच िदस भेल। हमरा मोन पड़ैछ रवीनाथ ठाकुर,िजनका ारा पटनामे मैिथलीक पिहल रंगमंचक गठन भेल,“रंगलोक” जे ओिह समएमे एकटा नाटक मंचन केलक जकरसमीक्षा िलिख हम आयावतर्मे देिलऐ। ओिह समय गोकुलनाथ झाआ भीमनाथ झा कहलिन, समीक्षा हमर िरपोटर्र िलखत, अहाँकसमीक्षा नै हएत। फेर गोकुल बाबू कहलिन, समीक्षा नीक अिछ,228


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिलखैत रहू। ओ हमर पिहल समीक्षा छल, नै छपल मुदा तकरबाद समीक्षा िलखैत रहलॱ आ छपैत रहलॱ।हमरा पता चलल जे कौशल िकशोर दास पटनामे एहेन युवकसभकेँ तािक रहल छिथ िजनका रंगमंचमे रुिच होइन। कौशलजीआइसँ पिहने कलकामे रंगमंचसँ जुिड़ सफल रहल छलाह आआब पटना आिब गेल रहिथ। हम हुनकासँ भेंट केलॱ आ तकरपछाित सबहक िवचारे १८ फरबरी १९८२ ई. केँ एकटा मीिटंगराखल गेलै जािहमे हम, कौशल िकशोर दास, मोद भाइजी, अरुणकुमार झा आ गोकुलनाथ दास कुल पाँच गोटे, ओइ मीिटंगमेउपिथत भेल रही। हमरा तावे “अिरपन” नामक संथापरसहमित बनल २८ फरबरी १९८२ केँ। मैिथलीक तीक “अिरपन”क रूपमे एकर ताव रखलॱ। कौशलजी एकर समथर्न केलिन।तकर बाद िवचार भेलै नाटक मंचनक। बहुत रास मैिथली नाटककिकताब जमा भेल जैपर कौशलदास सहमत नै भेला। हमराकहलिन- पु.ल. देशपाडे िलिखत मराठी नाटक- बेचारा भगवानचिचर्त आ पुरकृत एवं लोकिय अिछ। अहाँ मैिथली जनै छीओकरा िहदीसँ मैिथलीमे अनुवाद करू। ईएह मैिथली अनुवाद ओहीनामे “अिरपन”मे पिहल बेर मंिचत भेल।तकर पछाित हमर भाितज अरुण कुमार झा कहलिन जेअशोकनाथ “अक” मैिथलीमे नाटक िलखने छिथ। ओ ओिह229


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसमएमे छा रहिथ आ हुनक िलखल नाटक “िवोह” हमरा सभकेँपिस पड़ल, ई “अिरपन”क दोसर पुप छल। हम सभ“अिरपन”क अयक्षक लेल बहुत विर गोटे लग गेलॱ, िकयोअयक्षता लेल तैयार तँ निहये भेला जे कहलिन- अहाँ सभ बेकारिफिरसान होइ छी, मैिथली रंगमंच किहयो अितवमे नै आिबपाओत। ओही ममे हम सभ जटाशंकर दासजी सँ भेंट कएल, ओएकमा यिक्त हमरा सभकेँ सभ तरहेँ संग देलिन, अयक्षताकेला। शेष बुजुगर् सभ बादमे अिरपनक छोट-छोट पदािधकारी धिरभेला, हम आब नाम नै लेबऽ चाहब, हुनका सभकेँ अपमानबुझेतिन। दू वषर्क ियाकलापकेँ सभ िकयो सराहऽ लगलाह आशेष सभ गोटेकेँ मैिथली रंगमंचक भिवय देखाए लगलिन। तेसरवषर् ओही संथाक अयक्ष भेलाह ी मंेर झाजी आ मे हमरासभकेँ िवलगा देल गेल।मुाजी: अहाँ ारभमे मैिथलीमे नाटकक योगदाने आगाँ एलॱ मुदाफेर पकािरता िदस उमुख भऽ गेलॱ, नाटकसँ कोनो असोकजर् तँनै बुझना गेल?कुमार शैले: पकािरतामे- अहाँकेँ कहलॱ जे िपताजी पिहनेसँ ऐकाजमे लागल छलाह। तँ हमरो रुिच छले। उदयच झा“िवनोद” आ िवभूित आनद दुनू गोटे मािट-पािन नामक पिकाबहार करैत छलाह। िवनोदजी तँ जॉबमे छलाहे समयाभाव छलिन,230


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिवभूितजीकेँ सेहो िमिथला िमिहरमे नोकरी लािग गेलिन। तखनमािटपािनक ८० ितशत काज -यथा मुरलीधर ेसमे जा टाइपसेिटंग कराबी, ूफरीिडंग कॉपी एिडट आिद-आिद काज करी-फाइनल टच िवभूितजी आिब कऽ दैिथ। हमर नाम नै रहै छल, हँअितम दू अंकमे सहयोगी शैले कुमार झा जोड़ल गेल। तकरपछाित ओ ब भऽ गेलै, जेना आन मैिथली पिकाक दशा होइतछैक। पकािरता तँ हमर पािरवािरक कारोबार वा रोजगार बिनगेल छल। हमर िपताजी सेवािनवृ भऽ गेल रहिथ। हमराआयवतर्मे िशक्षु संवाददाताक रूपमे नोकरी भेल। हम सभ कोनोिडलोमा िडी लेनाइ तँ दूर सुननेहो नै रही, िवशेष कऽ पटनामे जेपकािरतामे कोनो िडलोमा िडी होइत छैक। हँ, जँ हमरा पिहनेबुझल रहैत जे नाटकक लेल एन.एस.डी. (राीय नाय िवालय)िशक्षण दैत अिछ तँ हम जरूर यास किरतॱ, मुदा पटनामे ऐतरहक कोनो माहौल नै छलै। हमर िपताजी आयवतर् वाइनकरबासँ पिहने पुणेमे पेशेवर रंगकमक रूपेँ जुड़ल रहिथ। १९५५मे आकाशवाणी पटनासँ जुड़लाह आ तिहयेसँ मैिथली नाटकमे अपनवर दैत रहलाह। ई म १९८५ धिर चलल। हमरा जनैत ओपिहल यिक्त छिथ जे अनवरत एतेक िदन धिर मैिथली नाटकसँजुड़ल रहलाह। १९७०-७२ क बाद ेमलता िम “ेम”, बटुकभाइ सभ जुड़लाह, नीक योगदान देलिन, मुदा हमर िपता िशवकातझाजी, आनद िम, मायानद िमक समकक्ष रहलाह। नाटकमे231


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAहमरा रुिच ओतैसँ जागल। ओइ इलाकामे (हनुमाननगर, मधुबनी)मेहुनकर मंचीय काजकेँ एकटा िकंवदतीक रूपमे जानल जाइए।मुाजी: अहाँक अितम नाटक उगना हॉटक मंचन िमिथलांगन(िदली) ारा २००९ मे भेल, जे पूणर्तः आजुक पिरेयमेासंिगक आ मनोरंजक छल। एिहसँ पूवर् अहाँक कोन-कोन आकोन तरहक नाटक सोझाँ आिब गेल अिछ? लेखन आ मंचन दुनूदृिएँ?कुमार शैले: पिहल बेर हम मंचपर एलॱ मराठीक अनूिदत नाटक-बेचारा भगवान लऽ कऽ। तकर बाद बहुत रास नीक नाटककअनुवाद केलॱ। हमर पिहल मैिथली नाटक अिछ- मोर मन मोर मननै पितआइ-ए। दोसर ३१-१२-१९९६ केँ उरायण हाययंग्यपरक नाटक अिछ, एकर बाद लोिरकायन, अिग्नपथक सामा(चेतना सिमितसँ कािशत), ई मैिथलीक पिहल नाटक छल जकरािबहारक सभसँ पैघ ी कृण मेमोिरयल हॉलमे मंिचत कएल गेल०४.०८.२००१ केँ। गीतामक देिसल बयना २००७ मे, िमिथलांगन(िदली)क आहपर नैकाबिनजाराक गीतामक नायरूपातरण केलॱजािहमे १०टा गीत छै, जकर मंचन २००७ ई. मे वर्जिकशोर वम“मिणप” जयतीपर िमिथलांगन ारा संजय चौधरीक िनदशनमे232


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमंिचत कएल गेल। २००८ ई. मे िमिथलांगन ारा आजुक संगमेिलखल हाय यंग्य नाटक “उगना हॉट”क मंचन भेल।मुाजी: अहाँक नाय मंचन मूलतः गमैया नाटकसँ ारभ भेलछल, आजुक पिरेयमे गमैया नाटक कतऽ अिछ। गमैया आिथयेटरमे मंिचत नाटकक तुलनामक िथित की अिछ?कुमार शैले: गमैया नाटक जतऽसँ शुरू भेल छल आइयो ओतैअिछ आ ऐसँ ऊपर उठबाक आशा सेहो नै देखा पड़ैत अिछ।िथयेटर नाटक आधुिनक साज-सजा ओ काश यवथासँ संतुिलतरहैत अिछ। मुदा गमैया नाटक जेना अिछ ओिहसँ सुधिर नै सकैतअिछ जकर मूल कमी अिछ िबजली िवतरणक अभाव। गाममेएखनो नाटक पेोमेक्सक इजोतमे होइत अिछ, जतऽ जेनेरेटरकयवथा होइत छै, ओहो समुिचत नै कहल जा सकैछ, िकएक तँओतौ िडमरक योग नै भऽ सकैत अिछ। िथयेटरमे आयोिजतनाटक ारभसँ अंत धिर नाटकक िमक दृय देखाइछ। मुदागमैया मंचपर एखनो दृय पिरवतर्नक बीच कॉिमक वा नाच देखसकैत छी। गाममे ताधिर िथित खराब रहत जाधिर दृय पिरवतर्नउठौआ परदासँ हेतै। गामक मेकपमे एखनो मुद शंखक उपयोगहोइत छै। गामक नाटक किहयो ऊपर नै उिठ सकैत अिछ।233


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकिहयो िथयेटरक नाटकक बरोबिर नै भऽ सकैए, िको नै भऽसकैए।मुाजी: हमरा जनतबे आइयो नाटकक लेल दशर्कक अभाव नै छै,हँ समयाभाव जरूर भऽ गेलैए, तािह हेतु एकांकी सभकेँ मंिचतकरब शुरू भेल अिछ। अहाँक नजिरये एकांकीक रुिख केहेनअिछ, एकर भिवय केहेन बुझना जाइत अिछ।कुमार शैले: आधुिनक रंगमंचपर भलिहं एकांकीक चलन बढ़लैएमुदा एकांकीक आधार वा सभावना नै छैक से मैिथलीये नै अयायभाषाक एकांकी संग सेहो छैक। अखन जे नाटक लेखन भऽ रहलअिछ ओइमे सािहियक नाटक कम अिछ। नाटक ऐ रूपक ारभसुधांशु शेखर चौधरीक नाटक सभसँ भेल। नाटक अपन परपरामेआिब अलग अलग िशपक योगे िलखल जा रहल अिछ। ाचीनजे दशर्न कला छलै तकरासँ जोिड़ कऽ आधुिनक दशर्न कलाकतुित कएल जा रहल अिछ। मुाजी, एकांकीक अितव मैिथलीसिहत सभ भाषामे खिस गेलैक अिछ। भिवय कोनो नीक नैबुझना जाइछ।234


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमुाजी: वतर्मानमे िकछु बीछल कथाकेँ एकांकी रूपेँ तुत कएलजाए लागल अिछ, की कथाक मूल एकांकीमे समािहत भऽ पबैए वानै? आ कथाक एकांकी रूपातरण कतेक उिचत वा अनुिचतअिछ?कुमार शैले: कथाक नाय रूपातरणक ारभ केलिन िहदीमेदेवेराज अंकुर। कथा मंचनक सभ भाषामे अयोजन कएल जारहल अिछ। कथाकेँ नाय रूप िदऐ तखने ओ साथर्क भऽसकैछ, मुदा से अिछ किठन। हम धूमकेतुक कथा “अगुरवान”कनायरूपातरण कएने रही तँ ओइमे कथाक मूल वरूपकेँ यथावतरखने रही। ओना तँ तािह हेतु किठन पिरम करऽ पड़ल छल।आगू म. मनुज ओइ अगुरवानक रूपातरण काफी िलट लैतकेलिन तँ ओकर मूल आमे मिर सन गेलै। िकएक तँ ओइनाटकमे बहुत रास दृय एहेन जोड़ल गेल छैक जे कथामे छिहयेनै। कथा मंचन हेबाक चाही, ओकर ितरूप नै जेना हमर नैकाबिनजारा छल। ओतेकटा पोथीकेँ डेढ़ घंटाक कलेवरमे समेिटदेनाइ बड किठन छल। मुदा हम ओइमे सफल भेलॱ। कथाकमंचन तँ सही छैक मुदा जखन नव आयाम जोड़ल जाइ छै तखनकथाक आमा आहत होइत छैक। देवेराज अंकुर जेना कथाकनायरूपातरणमे कथाक मूल रूपकेँ तुत कऽ पबै छिथ तिहनामैिथलीयोमे कएल जाए तँ नीक बात अयथा लौल करब यथर्अिछ।235


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमुाजी: अहाँ लेखनक अितिरक्त अिभनयसँ सेहो जुड़ल रहलॱ।हम सभ िफम िसदुरदानमे अहाँक सुदर अिभनय देखने छी। ऐसँपूवर् अहाँ कोन-कोन िफम वा धारावािहकमे अिभनय केने छी आएकर केहेन अनुभव केलहुँ?कुमार शैले: जँ अहाँ कही छोटकी परदा हम ओकरा कहै छी-नहकी परदा आ िसनेमाकेँ कहै छी बड़की परदा। बड़की परदाकबात करी तँ “िसदुरदान” हमर दोसर िफम अिछ। पिहल िफमअिछ रवीनाथ ठाकुर ारा िनिमर्त आ िनदिशत िहदी िफम“आयुवद की अमर कहानी”- ऐमे हम अिभनय केने रही, लिलतेशऐमे हीरो रहिथ आ संगमे रहिथ िदलीप झा। राँटी, मधुबनीमे एकरसूिटंग भेल रहै। हमरे सन चािर-पाँच गोटे आरो ितभावानकलाकार रहिथ। िसदुरदानमे १६-१७ बखर्क पछाित चिरअिभनेताक रूपमे आएल रही, आब तँ हमर चेहरो बदिल गेलहेँ।ऐमे हमर भूिमका नाियकाक िपताक रूपमे छल। एकर बाद सौभाग्यिमिथला मैिथली चैनलक लेल बनाओल मुख्य धारावािहक “िदयर-भाउज”क डेढ़ सए कड़ीसँ बेसीमे षडयंी ककाक भूिमकामे काजकएलॱ। तकर अितिरक्त रिवनाथ ठाकुर नहकी परदापर एकटाकाउटडाउन शो केने रहिथ, जैमे किवक भूिमकामे एकटातोताक रूपमे हम अिभनय केने रही। ईएह हमर नहकी-बड़की236


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAपरदाक अिभनय याा अिछ जे एकटा स करैबला अनुभवरहल।मुाजी: अहाँ बहुत िदन धिर मैिथली पकािरता िवशेषकऽआकाशवाणीसँ जुड़ल रहलॱ, की भिवय छै एकर? एकरा छोिड़अहाँ दूरदशर्नसँ िकएक जुड़लहुँ?कुमार शैले: हमर रोजगार याा पकािरतेसँ शुरू भेल, िवशेषकऽ िट मीिडअमसँ। ओइ संग आकाशवाणीसँ सेहो जुड़लरहलॱ। आकाशवाणी पटनासँ सािरत िकछु नाटकमे काज केलॱ।आ एतऽसँ सािरत चौपालमे “बम-बम”भाइक भूिमकाक िनबहताकरैत रहलॱ। तकरा संग-संग नौ साल धिर आकाशवाणी पटनासँशैले कुमार झाक नामे समाचार वाचन करैत रहलॱ। एकरअितिरक्त नै जािन कतेको रेिडयो नािटकामे अपन वर देलॱ।एकटा महवपूणर् काज छल ओतऽसँ सािरत “िसंहासन बीसी”धारावािहकक- चॱतीसम कड़ी धिर राजा भोजक भूिमकामे रही जेमहवपूणर् काज छल। तकर बाद ई.टी.वी. हैदराबादमे छः घटाकिलिखत आ दू घंटाक मौिखक परीक्षाक पछाित हमर चयन भेल।हम ओतऽ एक सताह मा काज केलॱ। ओहीमे हमर विर रहिथगुंजन िसहाजी जे एखन मौय टी.वी. पटनामे विर पदािधकारीछिथ। हमरा ओतऽ मोन नै लागल वा मोन नै मानलक। हाम237


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAआपस चल एलॱ। तकर बहुत पछाित “सौभाग्य िमिथला” मैिथलीचैनलसँ जुड़लॱ, जैमे समत कायर्मक िनमण देखैत रहलॱ।छोड़बासँ पिहने समाचार संपादक रूपमे कायर्रत रही। सौभाग्यसँजिहया जुड़लॱ तँ हम पिहल मैिथल यिक्त रही ओ सौभाग्य नामकएकटा िडवोशनल चैनल छल आ ओइमे सभ िहदीभाषी कायर्रतछलाह।मुाजी: अहाँक नाटक पकािरताक अितिरक्त एकटा सकल मंचसंचालकक रूप सेहो सोझाँ आएल। अहाँ ओहूमे खूब जमलॱ।कीमैिथलीमे वतं संचालकक अितव आ भिवय देखा पिड़ रहलअिछ?कुमार शैले: मंच संचालन हमर महवपूणर् लोकिय िवधा रहलअिछ। पटनाक चेतना सिमितक मंचसँ िवापित समारोहमे बहुतिदन धिर मंच संचालन करैत रहलॱ। सय पूछी तँ ओइमे आनदअबैत छल, िकएक तँ ओ जे भीड़ होइ छलै एक लाख डेढ़ लाखलोकक आ शालीनतापूवर्क सभ सुनैत रहै छल। तकर पछाितकतेको मंचपर बजाएल जाए लगलॱ। मैिथलीमे मंच संचालकक वाउोषकक कोनो पेशेवर रूप िटकाऊ नै भऽ सकैछ। एखन एकरकोनो सभावना नै छैक। हँ हमर जे सिमित सबहक उोषक238


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAभेलाह हुनक रूप बदिल गेल छिन, माने ओ आब एकटा कैक्टरवा एरेजरक रूपमे छिथ। समत कलाकारक यवथा ओ करिथआ ओही यवथापर कायर्म आयोिजत होइत अिछ। ओना एहेनजे उोषक सेहो िसजनल भऽ सकैत छिथ। हम जखन उोषकरही तँ ई बात पिहने सोझाँ आबए जे जँ िवापित पवर् समारोहअिछ तँ ओइमे िवापित आ िमिथलाक सांकृितक आधारकेँ केितकऽ कायर् कएल जाए। आब गीत-संगीतमे फूहड़ता एलैए तँ कैकठाम संचालकक तर खिस रहल छैक।मुाजी: मैिथलीक पिहल चैनल “सौभाग्य िमिथला”सँ पूणर् रूपेँ जुिड़अपन सवर्व ऊज ऐमे खचर् कऽ रहल छलॱ। मुदा एखनो बहुतरास कमी अिछ जेना डी.टी.एच.पर ऐ चैनलक सारण नै हएब?ठोस वा मनोरंजक कायर्मक अभाव िकएक?कुमार शैले: िनित रूपे मुाजी अहाँक जे सवाल अिछ तैसँहम सहमत छी। हम जिहया जुड़लॱ ऐसँ तँ असगर मैिथल छलॱ।एकर सभ कायर्म चैनल आइ.डी.सँ लऽ समत कायर्मकआधारभूत संरचना तैयार केलॱ। हमर बाद जे िकछु लोक जुड़लसे सभ चैनल मायमे िचहल गेल मुदा हम पिहनेसँ िमिथलाक सभियाकलाप कला संकुित आिद सँ सवर्था जुड़ल रहलॱ। हमराारभमे कहल गेल जे ऐमे दू घंटाक मैिथली कायर्म हएत मुदाकालमे २४*७ क सारण -यानी चौबीसो घंटा आ सातो िदन-239


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAहोमऽ लागल। हम एकरा कहल बुिवाद, जे ई जोगाड़ डॉट कॉमपर िटकल रहल, िकएक तँ एकरा फाइनेसरक पूणर्तः अभावरहलै।मुाजी: ऐ चैनलक बहुत रास कमी एहेन अयाय भाषाक चैनलकसमक्ष एकरा ठाढ़ नै होमऽ दऽ रहल छै। एनामे एकर अितवसमात तँ नै भऽ जाएत।कुमार शैले: एकरा लग ितभा, लोक, अिभनेता, गीत-संगीतगौिनहारक कमी नै छै। सािहय-संकृितक कमी नै छै। योग्यताकअभाव नै छै। कमी छै तँ धनक, चैनलक माकिटंग केिनहारलोकक। अभाव छै तँ जे सभ मािलक वा पाटर्नर छिथ हुनकामे,जे कोना बजारसँ धन उगािहकेँ आनल जाए। से सभ जिहया भऽजाएत तिहया ऐ चैनलसँ तरीय कायर्म सभ तुत होमऽ लागतआ ई सभ तरहेँ आन भाषाक चैनलक समक्ष ठाढ़ भऽ जाएत।चैनलसँ आब जे जुड़ल छिथ, जिहया हमहूँ सभ जुड़ल रहीोामसँ, जे जुड़ल लोक अिछ तकरा ोामक भार रहै आ मािलकलोकिन एकर यापार भागक संचालन करिथ। ई भेद कऽ केकाज हेतै तखन ई जरूर सफल हएत। नै मािलके सभटा काजकरता तखन िथित दुःिथितये बनल अहत।240


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमुाजी: ऐ सभक अितिरक्त मैिथली गजलक उपयोग अहाँ सेहोकरैत रहलॱ अिछ। मैिथलीमे गजलक की िथित छैक आ एकरकेहेन सभावना देखा पड़ैत छैक?कुमार शैले: मैिथली गजल अपन लोकियता बहुत पिहने हािसलकऽ लेने अिछ, कलानद भ, बुिनाथ िम, रिवनाथ ठाकुरआिद े गजलकार छिथ। मायानद िम सेहो अही ेणीमेगानल जाइत छिथ। हुनकर “रूप एक रंग अनेक” नामक संहचिचर्त रहल छिन। ओ ऐ सभ गजलकेँ गीतल कहै छिथ। एहरआिब कऽ पिका सभमे गजलक अभाव पाओल जाइत अिछ।देिखयौ मुाजी, एकटा खास बात छै जे गजल एहेन िवधा छै जेकोनो भाषामे िलखल जाए अपन जमीन तैयार कऽ लैत अिछ।मैिथलीयोमे राम चैतय धीरज, तारानद िवयोगी, रमेश आिद आसरसजी गीत आ गजलमे नव-योग केलिन। किवताक जे कारछै तैमे मैिथली गजलक सेहो अितव छैक आ भिवय सेहो।गजल जतऽ जै भाषामे जाइ छै ओहीमे समािहत भऽ जाइ छै।गजलमे गेय तव छै जे ओकरा लोकिय बना देने छै।मुाजी: शैलेजी, एकटा सवाल यिक्तगत िजनगीसँ जुड़ल। अहाँअपन एकल िजनगी जीबाक यास कऽ रहलॱ अिछ- मानेअिववािहत रिह- एकर कारण रोजगारपरक यावसाियक अवरुता241


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअिछ वा कोनो यिक्तगत िवशेष कारण। अहाँकेँ नै लगैछ जे एहनजीवन अधूरा वा यथर् भऽ जाइत अिछ?कुमार शैले: देिखयौ, ई अहाँक हमरासँ जुड़ल वैयिक्तक, पूणर्यिक्तगत अिछ। मुदा हम एकर उतारा देबासँ परहेज नैकरब। वरन एगदम सहज आ वाभािवक उतारा देब। हम जखनयंग रही तखन िपताजी चाहैत रहिथ जे हम िबयाह कऽ ली, मुदाहम आिथर्क रूपेँ सक्षम नै बुझी अपनाकेँ। िकएक तँ आयवतर्मेकाज करैत रही, ओ ओही समएमे ब भऽ गेलै। हम बेरोजगारभऽ गेलॱ आ िबयाह नै करबाक मूल कारण छल हमर अथर्िवपता। हम पिरवार चलेबा लेल जतेक अथर्क योजन बुझलॱततेक हम किहयो नै कऽ सकलॱ। लोकक अपन-अपन रहबीपरिनभर्र छै। ककरो लगै छै जे हम पाँच हजारमे गुजारा कऽ ली।हमरा लगैछ जे बीस हजार खचर् भऽ सकैछ। हम आइयो ओिहनाछी जे अपना अथ िवप बुझै छी। हमरा मैिक्सम गोकसँ जीवतेरणा भेटैत रहल अिछ। ओना हम मानै छी जे गोककेँ जीवनमेजतेक क सहऽ पड़लिन ऐसँ बहुत कम क हम उठेलहुँ अिछ।हम जखन संकटमे अबै छी तँ हमरा गोक मोन पड़ै छिथ आहुनके ेरणासँ हम अपनाकेँ सहािर लैत छी। हँ, हमईमानदारीपूवर्क कहब जे एतेक साहस किहयो नै आएल वा हमरािकयो भेटबो नै कएल। जे अपना ओइठाम जे पारपिरक िववाह छै242


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAतैमे हमरा िवास नै रहल अिछ। जँ हम ओना िबयाह कऽ ली आतेहेन कोनो जोड़ीदार आिब जाए जे अहाँक जीवनकेँ नकर् बनािदअए तँ हमरा कोनो िशकाइत नै अिछ जे हम एकसर छी। हमिववाह नै केलॱ तैं हेतु कतौ कोनो लोक, एलॉयरसँ किहयो कोनोकोमाइज नै करऽ पड़ल। हमरा जतऽ जिहया जेना मोन भेलकाज करैत रहलॱ। हमर जे संगी नोकिरहारा, तकरा लेल लड़ैतरहलॱ। आ तैँ हमर एलायर डरैत रहल अिछ। ओ मानैए जे हमयूिनयनबाजी करै छी, जखनिक सय अिछ आइ धिर कोनोयूिनयनसँ कोनो सबता नै रहल अिछ। असगरूआ रहब हमरसबल रहल अिछ। काि की हेतै एकरो गारंटी हम नै दऽरहलॱहेँ। कतेको गोटे कहैए, आब अहाँ बूढ़ भऽ गेलॱ, आब िबयाहकऽ की हएत? मुदा हमरा अखनो वा आगूओ जँ अपन सोचकिकयो भेिट जेती तँ हम िबयाह कऽ सकैत छी।मुाजी: भाइ, एतबा बहुमूय समए दऽ अपन िवचार देबा लेलधयवाद।४243


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकथा सािहयक थािपत रचनाकार एवं सािहय अकादमीक(मैिथली परामशर्दातृ सिमित) सदय माननीय अमरनाथ जीसँमैिथलीक ितिनिध लघुकथाकार एवं समालोचक मुाजी ारा भेलगपसपक अंश तुत अिछ:-मुाजी: अहाँक मोनमे मैिथलीक रचनामक िवचार कोना फुिटतभेल, पिहल रचना (िलखल) आ पिहल कािशत रचना कोन अिछ,आ कतऽ किहया छपल?244


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअमरनाथ: हमर जम एक एहन पिरवारमे भेल, जतय अनेकतरहक िविवधता छलैक। िकछु घोर कमर्काडी रहिथ, तँ िकछुशा-पुराणक िवपरीत आचरण करिथ खा-अखामे िवचार निहकरिथ। भारत-चीनक यु आ युक चच सँ आहत बाल मन आ१९६२ मे यौितषी ारा खड लय भूकप अथवा िवनाशकभिवयवाणीक कारणे घरक बाहर छोट-छोट शेडमे रहबाक िववशतामनकेँ उसुक बनौने रहए। तकालीन समाजमे अिधकांशतथाकिथत समाज लोककेँ सॲगरपर ठाढ़ देिखयिन। अथत् एकटानौकर आ टहलू चािहयिन। आयर् ई लागय जे जखन सभमनुक्खे, तखन सबोधनमे यौ, हौ, रौ, हरौ अिछ िकएक? जे घामचुबबैत अिछ से यून िकएक? एहन िवडबनापूणर् पिरिथितमे हमररचनामक िवचार फुिटत भेल रहए।िमिथला शोध संथान,दरभंगा सँ मैिथलीक लेिखका राजलमीपर आधािरत पुतककािशत भेल छल जािहमे हुनक िलखल पोथीपर मुख्यतया अिभमतसंकिलत छल। ओिह पोथीमे आचायर् रमानाथ झा आिदक िवचारछपल अिछ। हमर अिभमत किवतामे छपल अिछ, हमर वैह पिहलछपल रचना िथक।मुाजी: अहाँ सभक रचनाक ारिभक कालमे मैिथली सािहयकिथित की छल? अहाँक रचनामक भाव केहेन रहल?245


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअमरनाथ: १९७४ ई. मे पटनासँ कािशत ‘िमिथला िमिहर’कफगुआ अंकमे हमर पिहल हाय यंग्य कथा ‘वणर् युग’ छपलरहए। १९७५ ई. मे ‘क्षिणका’ लघुकथा संह छपल, आचायर् सुरेझा ’सुमन’ ओिह पोथीक भूिमका िलखने छिथ जािहमे लघुकथाकऔिचयपर काश देने छिथ। िकरण जी, अमर जी, ीश जीकिवचार छपल छिन। पछाित जयकांत िम िलखलिन जे एिहसंहक काशन सँ मैिथली सािहयक िवकास भेल अिछ। ‘िमिथलािमिहर’, ‘द इिडयन नेशन’, ‘आयवर्’, ‘मैिथली काश’(कोलकाता) मे ‘क्षिणका’क समीक्षा छपल रहए। तािहसँ ई अनुभूितभेल रहए जे कथाकारक रूपमे हमरा वीकार कऽ लेल गेलअिछ। १९७४ ई. मे ‘चाही एकटा ोपदी’ (कथा संह) तथा१९७५ ई. मे ई ‘क्षिणका’ (लघु कथा संह) छपल रहए। हमराअिधकांश े लेखक यथा रमानाथ झा, हिरमोहन बाबू, याी जी,िकरण जी, सुमन जी आिदक सािनय आ नेह ात भेल रहए।मुदा हम बेशी हिरमोहन बाबूक लग रही आ तकर कारण रहए जेहम दशर्न शाक अययन करैत रही आ मैिथलीमे लेखन िदसउमुख भेल रही। हिरमोहन बाबू संग बीतल क्षण हमर सािहियकजीवनकेँ गित दान करबामे अयंत सहायक भेल छल।246


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमुाजी: छम/सातम दशकमे िकछु रचनाकार मैिथलीमे सायवादीिवचारक हो-हला केलिन। अहाँक नजिरमे सयतः मैिथलीमे एहेनकोनो िवचारधारा बनलै? अहाँपर एकर केहेन भाव पड़ल?अमरनाथ: एकटा समय आयल रहैक जािहमे संसारक जन समुदायसायवादी िवचार धारा िदस आकिषर्त भेल रहए। सपूणर् िवमेपक्ष-िवपक्षमे बहस ारभ भेल रहैक। कतहु-कतहु ांितयो भेलैक,ांित सफलो भेलैक। मुदा मैिथली सािहियक पिरेयमे अहाँ ठीकेकहलहुँ जे ‘हो-हला’ भेलैक। हमहुँ मानैत छी जे मैिथली सािहयमेसायवादी िवचारधाराक जिड़ निह जिम सकलैक। मैिथलीमे जेकेओ अपनाकेँ सायवादी किह कऽ चािरत करैत छिथ से पाखंडीछिथ। ई बात कने कटु अिछ मुदा सय अिछ कारण हुनकजीवनक सूम िनरीक्षणसँ पिरलिक्षत होएत जे ओ जातीय अहंकारसँमुक्त निह भेल छिथ आ परपरागत संकारमे िलत छिथ।जिनकामे सायवादी िचंतन धारामे असर होएबाक अहर्ते निह छिनसे भला वगर्-संघषर्, सवर्हारा, मैिनफेटो आ दास कैिपटल धिरकोना पहुँचताह। हँ, मैिथली सािहयमे सायवादकेँ संगिठत चारकलेल आ आम-िवज्ञापनक लेल हथकंडाक रूपमे इतेमाल कयलगेल अिछ।मैिथली सािहयमे हमरा जनैत कोनो ठोस िवचार धारा निह पनिपसकलैक आ तकरा कारण ई भेलैक जे बीसम शतादीक महवपूणर्247


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAलेखक लोकिनपर, संकृत अथवा बांग्ला सािहयक भाव पड़लरहिन। िकछु लेखकपर अंेजी सािहयक भाव सेहो पड़ल रहिन।वतंताक पात् मैिथली सािहय बहुलांशमे िहदी सािहयक छछायामे चिल आएल। मैिथलीक सािहयकार नामवर िसंह आ मैनेजरपांडेय िदस देखय लगलाह। ई दु:खद िथित अिछ, मुदा सय यैहअिछ। मा तीन गोट सािहयकार हिरमोहन झा, याी आराजकमल िवचार धाराक दृियेँ िटकल रहलाह। याी समतामूलकसमाजक थापना लेल असर भेलाह आ ‘परम सय’ धिर पहुँिचअितववादी भऽ गेलाह। मानववाद हुनक किवतामे अंतिनर्िहतछिन। याी िलखैत छिथ-सय िथक संसारसय िथक मानव समाजक िमक उितिमक वृि-िवकाससय िथक संघषर्रत जनताक ई इितहाससय धरती, सय िथक आकाशपरम सय मनुक्ख अपनिह िथक248


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAतिहना राजकमल सािहय वजर्नाकेँ तोड़ैत तथाकिथत ‘धममा’ आ‘पाखंडी’ सभक ताड़नासँ कुहरैत, नोरसँ भीजल िमिथलाक नारीकजीवंत िचण केलिन। एही सदभर्मे हिरमोहन झाक नामउलेखनीय अिछ। ‘खर कका’क तरंग बुिवादी िचंतन धाराकलेल ‘गीता’ सदृश अिछ। सभसँ महवपूणर् बात ई अिछ जेहिरमोहन झा, याी जी आ राजकमलक मोिस कमला-गंडकी-वाग्मती-कोसीक पािनसँ बनल छलिन तेँ हुनकर सािहयमे िमिथलाकसोहनगर मािटक सुगंिधक अनुभव होइत अिछ। बीसम शतादीकवृहयीमे यैह तीन सािहयकार हिरमोहन झा, याी जी आराजकमल छिथ जे कालजयी छिथ।हमरापर कोन िवचार धाराक भाव पड़ल तकर िववेचन आमूयांकनक दाियव अहाँ सन युवा रचनाकारपर छोिड़ दैत छी।मुाजी: अहाँ अपन रचनाकालक ारभसँ एखन धिर लेखनकिनरंतरता बनौने छी, मुदा आइ धिर ककरो ारा कोनो ठोसमूयांकन आ पुरकृत निञ भेलासँ केहेन अनुभव करैत छी?अमरनाथ: मुा जी, मैिथलीमे मूयांकन होइ निह छै, करबऽ पड़ैतछै। ओिह लेल मैनेजमैंट चाही। ई मैनेजमैंट ने करय अबैत अिछ249


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAआ ने हम सीखय चाहै छी। रहल गप पुरकारक। एकर अपनगिणत छै। मैिक धिर गिणत आ िवज्ञान रहए। थम ेणी भेटलरहए। मुदा दशर्नशा िय लागल। गिणत छोिड़ देिलऐ। फेरसँसीखल होएत? तखन अहीँ कहूँ, पुरकार कोना भेटत? मुा जी,हम किह सकैत छी जे देशक िविभ भागसँ हमरा पाठकक नेहभेटल अिछ। ई की पुरकार निह भेलै? हमर पोथीक तीन-तीनसंकरण भेल अिछ। चािरम संकरण ेसमे अिछ। मैिथलीलेखकक लेल ई की कम भेलै?मुाजी: कथा सािहयमे अहाँ ारा लघुकथापर जिम कऽ लेखनभेल। मैिथलीक पिहल लघुकथा संह ‘क्षिणका’ देलाक बाबजूदअहाँ लघुकथाकारक रूपमे हेराएल आ बेराएल रहलॱ, एकरा पाछूसमूहवाजी आ आर िकछु कारण अिछ?अमरनाथ: एिहमे हमर अपन दोष अिछ। १९७५ ई. मे ‘क्षिणका’छपल रहए। हाथो हाथ िबका गेल। एिह घटनाक पैंतीस वषर्भेलैक। हमरा दोसर संकरण करएबाक चाहै छल। से निहभेलैक। मैिथली पुतकक हेतु कोनो नीक पुतकालय निह छैक।जखन पोथी निह उपलध होएतैक, तखन कोन आधारपर चचलोक करतैक? तथािप जे नीक समालोचक होइत छिथ से अंवेषण250


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकरैत छिथ, पोथी उपलध करैत छिथ आ तखन मूयाकंन करैतछिथ। से कयलिन मैिथलीक सुिस सािहयकार डॉ. रामदेव झा,पटना िविवालय ारा यू.जी.सी.क सौजयसँ आयोिजतसेिमनारमे। अपन आलेखमे ‘क्षिणका’क सबधमे प िवचाररखलिन। मुदा मैिथलीमे कतेक रामदेव झा छिथ।मुाजी: अहाँक ारिभक रचनाकालमे मूलतः कथा किवता लेखनपर यान देल जाइत छल। अहाँक ओइसँ इतर लघुकथा लेखनकित उसुकता आ रचनाशीलता कोना आएल।अमरनाथ: हम १९७३ ई.क गममे एक मास औोिगक नगरीबोकारो रिह िबतौने रही। ओतए हम पिहल बेर लगसँ मशीनकघरघड़ाहिटकेँ सुनने रिहयैक, लोककेँ दोगैत देखने रिहयैक। हमरालागल रहए जे आब जे समय आिब रहल अिछ, तािहमे मनुयकेँसमयक बधन करए पड़तैक। किह सकैत छी जे ‘समय’ लोककवैह अयंत महवपूणर् भऽ जयतैक। एहन िथितमे महाकाय अथवादीघर् कथा/ उपयास पढ़ऽ लेल समय निह रहतैक। मुदा तथािपलोक सािहय पढ़ऽ चाहत। आ तैँ पैघसँ पैघ बात कहबा लेल हमछोट-छोट कथा िलखय लगलहुँ। पछाित सकल ‘क्षिणका’ ‘लघुकथा’ संहक रूपमे कािशत भेल।251


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमुाजी: अहाँ चािर दशक पिहने लघुकथाक ित एतेक ियाशीलरिहऐ, आइयो ई िनरंतरता बनौने छी। तहन अहाँक अकादमीमेथान पौलाक पछाित लघुकथापर कोनो काज िकएक निञ भेल,अकादमीक तर पर उदासीनता िकए? आगामी समयमे लघुकथाकलेल अकादमी ारा कोनो वतं ियाकलापक (यथा-लघुकथासंहक काशन/कोनो कायर्शालाक आयोजन) योजना अिछ आसमायोजन करबाक िवचार अिछ?अमरनाथ: एकरा उदासीनता निह, ाथिमकता कहबाक चाही।अकादमी ारा कतेक कायर् भेल अिछ, भऽ रहल अिछ। अिगलापरामशर्दातृ सिमितक बैसकमे लघुकथापर िवशेष यान देल जाएत।लघुकथाक सदभर्मे िवमशर्, पुतक आिदक काशनपर िवचारहोएत, आ से एिह ारे निह जे हम वयं लघुकथा िलखैत छी। ईआवयक एिह हेतु अिछ जे एिहपर एखन धिर िवचार निह भेलअिछ।252


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमुाजी: मैिथलीक क्षे छोट छै। तैयो रचनाकारक समूहबाजीएकरा गरोसने जा रहल अिछ। ई एखनो सावर्भौिमक निञ अिछ।आ से चीज पुरकारक हेतु चयन आ िवतरणमे सेहो देखार होइतअिछ। अहाँ एिहसँ कतेक धिर सहमत वा असहमत छी?अमरनाथ: मुा जी, हमहुँ अहीँ जकाँ लेखक छी। जे केओ समूहमेनिह छी, वतं लेखक छी, वािभमानक संगे िलिख रहल छी, एिहयंणाक दंशकेँ सिह रहल छी। मुदा मैिथलीक संसार आब छोटनिह। ी ‘गजे ठाकुर’जी मैिथलीकेँ “िवदेह” पिका ारा सपूणर्संसारमे पहुँचा देलिन। ‘िमिथला दशर्न’ मैिथलीक भिवय बाँिच रहलअिछ, आ अहाँ सन संघषर्शील युवा रचनाकारक हाथमे मशालअिछ। आब अहीँ कहूँ, ‘कूप-मंडुक’क आवाज कते दूर धिरजाएत?मुाजी: सािहय अकादमी ारा बड रास पुरकार (िविभ िवधापर) देबाक घोषणा कएल गेल अिछ, मुदा ओिह सभ िवधा आतरपर उकृ रचना आ रचनाकारक अभाव सन अिछ तथािपपुरकार दऽ देल जाइत अिछ। तकर पछाित एिह िनणर्यपरपक्षपातक आरोप लगैत रहल अिछ िकएक?253


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअमरनाथ: अहाँक पीड़ा हम बुझैत छी। वैह पीड़ा हमरो मनमेअिछ। एहन-एहन पुरकृत पोथी जँ आन-आन भाषामे अनूिदत होएततँ लोक हँसत हमरा सभपर, मैिथली सािहयपर। तेँ हमर पमंतय अिछ जे उकृ पोथी निह रहैक तँ उिचत िथक जे ओिहवषर् मैिथलीकेँ पुरकार निह भेटैक।मुाजी: सािहय अकादमी पुरकारक चयनक आधार की अिछ,यिक्तव आ कृितव आिक भाय-भैयारीमे िलत भऽ एकरा परोिस/बाँिट देल जाइत अिछ।अमरनाथ: बहुलांशमे जे होइत रहलैक अिछ, सैह अहाँ कहलहुँअिछ। परंतु से ने उिचत अिछ आ ने मैिथलीक िहतमे अिछ।िनित रूपसँ लेखकक कृितपर पुरकार भेटबाक चाही। ई यानराखब आवयक अिछ जे अकादमीक पुरकार पुतकपर भेटैतछैक। अकादमी ने तँ ‘लाइफ टाइम एचीवमेंट’ पुरकार दैत छै आने सांवना पुरकार। एिह सबधमे सािहय अकादमीमे मैिथलीकितिनिध डॉ. िवानाथ झा ‘िविदत’केँ िवशेष साकांक्ष रहबाकचािहयिन।254


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमुाजी: आ अमरनाथ बाबू अंतमे अपने सँ सािहय आ अकादमीदुनू अनुभवक आधार पर नवरचनाकारक वाते कोनो संदेश चाहबजािहसँ आगू िनशन रचना आ रचनाकारे मैिथलीमे उपलध हुअए।अमरनाथ: अकादमीक अनुभव कोनो नीक निह अिछ। मैिथलीकिवकासक सुिनयोिजत योजनाक ारूप निह बिन सकलैक। तखनसंघषर् करैत छी, ठठै छी, मान-अपमानपर यान निह दैत छी।तकर पिरणाम अिछ जे मैिथलीक यापक िहतमे िकछु काज भेलअिछ आ िकछु काज भिवयमे होएत। मैिथलीक ितिनिध डॉ.िवानाथ झा ‘िविदत’क नेतृवमे एतबा भेल अिछ जे ई आब मुीभिर लोकक पिरमा निह कऽ िवशाल जनसमुदाय आ लेखक बीचई पहुँचल अिछ।सािहियक जीवनक अनुभवसँ हम उसािहत होइत रहलहुँ अिछ।तकर कारण अिछ जे पाठकक नेह हमर मनकेँ िलखबा लेलेिरत करैत रहल अिछ। तखन सदेश! युवा लेखकक ित हमआथावान छी। आलोचककेँ यानमे रािख कऽ सािहय निहिलखबाक चाही आ ने आन भाषा-सािहयक अनुकरण होएबाकचाही।युवा लेखककेँ िविभ भाषाक महवपूणर् ंथ पढ़बाक चािहयिन,िवमे आिब रहल सािहयक िविभ धारासँ पिरिचत होइत रहबाकचािहयिन आ बीच-बीचमे पयर्टन-पिरमण करैत रहबाक चािहयिन।255


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमुा जी, जे िकछु िलखैत छी तकरा आमसात कऽ िलखबाकचाही। कथा, किवता, उपयास, नाटक अथवा कोनो आन िवधाकरचना किपत निह होइत छैक आ ने गढ़ले जाइत छैक। लेखनसेहो ईमानदारी मंगैत छै। क्षमा करब मुा जी, हम उपदेशक निहबनय चाहै छी, मुदा अहाँक े तेहन छल!१. भारत भूषण झा- कथा- आ मबल कथाक शेषांश२. िश व कुमार झा "िट लू" िवहिन कथा-लेबर पेन३. मनोज कुमार मंडल- कथा- बेमेल िव आह४. योित- िवहिन कथा- मैिथल िबयाह५.िम िथ लेश मंडल- कथा- िव देशी बाबू१256


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAघरमे दू साए मोन चाउर। मुदा लिल त िक िन कऽ खाए।दोकानदारो उधारी दै लेल तैयार नै। कारण ई देत कतएसँ। बौआजे अगहनमे खेतसँ ऑटी आनने रहए वएह धानक चाउर लिल तकुटेलक। 25 िक लो मुदा ओ चाउर के िद न। जना तना िद नकटैत गेल एक िद न एकटा रिज ी रेणु पित लिल त नामक,डािक या लऽ कऽ डाकघरसँ आएल। मुदा ककरो िव वास नै जे ईलिल तबाक िछ ऐ लेिक न नाम तँ ओकरे रहै पढ़ुआ काका लिल तकेँपुछलकै- “ जे देकही तँ ई रिज ी तोरे िछ औ। ” रेणु तँ हमरोपुतौहूकेँ नाम छै मुदा पित मे तोरे नाम छै। लिल तकेँ आ चयर् भेलै।जे हमर किन याँकेँ रिज ी कतएसँ आएल हेतै। कहिल यि ह - “जँहमर नाम छै तहन ते हमरे हेतै। देखए िद अ। ” मुदा हमरा दैसँपिह ने पढ़ुआ काका पढ़लिन आ कहलिन - “ई तँ से लगोभनर्मे टक वाइिन ंग लेटर िछ औ। ”ई सुिन लिल तकेँ लागल जे को हमरासँ मजाके करै छिथ । मुदापढ़ुआ काका मजाक नै कऽ सकैत छिथ । हम हँसैत, िव हुसैतरिज ी लऽ कऽ अंगना पहुँचलहुँ। रेणुसँ पुछलयि ह - “देिख ओअहाँकेँ तँ नौकरीबला िच ी आिब गेल। ई कोना भेलै। ”सुिन ते रेणुक आँिख मे नोर भिर गेलै। आ रूदन वरमे बाजएलागिल - “ ओ तँ फुदन बौआ, िज नका हम पेपड़मे पढ़लाक वादकहलयि ह जे बौआ एकटा हमर काज कऽ देब। ओ कहला कोन258


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकाज हम कहलयि ह जे एकटा पेपड़मे फामर् िन कलल छै से हमराआिन दैतहुँ। ओ आिन देलाह आ ओकरा रिज ी करबा देलिथ ।”िच ी लऽ रेणु वाइन करए गेिल । ओतहुओ हुनका घुसक तगेदा।बेचारा लिल त मायुस भऽ डी.एम.केँ अपन सभ दुखरा सुना देलकै।डी.एम. भावुक भऽ ओकर ज् वाइिन ंगकेँ पेशल ऑडर िन कािलओकर योगदान करबा देलक। आब रेणु लिल तकेँ संपित क अ बारबौआकेँ िव आहक चचर् होमए लागल। एकटा गामक घटक आएललिल त कहलकै- “ जे हमरा एो करोड़ देब तँ हम अहाँकेँ गाममेकुटमैती निह करब।”लिल त कोनो काजसँ बाहर गेल रहिथ । ओिह िब च लड़कीक िप तालिल तक बाबाकेँ मना लेलक आ हुनका बौआक िव आहक लेल िक छुपाइ सेहो थ हा देलक। जखन लिल त आएल तँ हुनक बाबूजीकहलकिन - “लिल त हौ, हम बौआक िव आह ठीक कऽ देिल अहेँ।आ हमरा ओ वयना सेहो दऽ देलकऽ हेन। ”ई सुिन ते लिल तकेँ पाड़ा गरम भऽ गेलै। बाजल- “बाबूजी आबो तँहमरा अहाँ छोिड़ िद अ। ने हम अहाँक सतरह िब गहामे सँ एक धूरजमीन लेलहुँ आ ने एो रूपैआ। जेना तेना अपन िज नगी जीब आि थ र भऽ रहल छी। तँ अहाँ हमरा बेचैनीमे डािल रहल छी ” जेनै से सभ किह देलकि ह । बाबूजी लजाएले लिल तकेँ कहलकिन -“हमरासँ गलती भेल हम ओकर टाका आपस कऽ देबै। ”259


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAलिल त बाजल- “िन ि च ते नै तँ तूँ जानह। ” कहैत अपन घरमेवेश केलक। ई सभ ग प रेणु सुनैत रहिथ । एक िग लास पािनलिल तकेँ दैत बाजिल - “जे पिह ने पािन पीबू ठंढ़ाऊ। तहन सभिक छु हेतै। बाबूजी जहन वचन हािर गेल छिथ ह। तहन अहाँएतेक आिम ल िक एक िप ने छी। ओहो अहाँक िप ते छिथ । जेनाअहाँ बौआक। हुनकर वेइ जतीमे अहाँक वेइ जती नै ऐछ। तँएहमर मानू आ बाबू जीसँ माफी मांगू जा कऽ। ”लिल तकेँ रेणुक बात सुिन कऽ आओर टेंसन भेल जाए। बाजल-“ठीक छै तहन पीठ सत कऽ लेब। ओइ गामक बेटी सभ जैगाम जाइ छै ओतए अपन नाम साउसकेँ िप टैएमे करैए। हमर मानूबाबूजी फेर कोनो चािल चिल रहल छिथ । अपना सभकेँ उित केँदेख। ”रेणु बाजिल - “अरे! जहन बाबूजीकेँ एहने सोच हेति ह तँ हम अहाँकी करबै। हमरा सभकेँ अपन बाबू जीक इ जतक खातीर सभमंजूर ऐछ।”लिल त बात मािन गेल। बौआक िव आह ओिह गाममे भेल आ लिल तरेणुक पुतोहू तँ साक्षात ल मी। गामक आदशर्। रेणु लिल तकेँकहलकिन - “देिख ओ, बाबू जीक आशीवदसँ अपना सभकेँ सभ260


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिक छु पाि त भऽ गेल। एकटा पुतोहूवो भगवान देलिथ सेहोल मीये। ”२िश व कुमार झा "िट लू" 1973-िशव कुमार झा ‘‘िटलू‘‘,िपताक नामः व. काली कात झा ‘‘बूच‘‘, माताक नामः व. चकला देवी,जमितिथः 11-12-1973,िशक्षाः नातक (िता),जम थानः मातृक- मालीपुर मोड़तर, िज. - बेगूसराय,मूलामः ाम-पालय - किरयन, िजला - समतीपुर, िपन: 848101,संितः बंधक, संहण,जे. एम. ए.टोसर् िल.,मेन रोड, िबटुपुर जमशेदपुर - 831 001, अय गितिविधः वषर् 1996 सँ वषर् 2002 धिरिवापित पिरषद समतीपुरक सांकृितक ,गितविध एवं मैिथलीक चार-सार हेतु डॉ. नरेश कुमार िवकलआ ी उदय नारायण चौधरी (रापित पुरकार ात िशक्षक) क नेतृवमे संलग्न।िवहिन कथा-261


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAलेबर पेनसालक पिह ल िद न। किव जी भाेरेसँ नव वषर् मनएबाक िक यामेलागल छलाह। चौपािड़ पर सँ िस या झाक िस पेड़ा एक पसेरीआनल गेल। सुधीर कामित न दन बाबाक िज रातमे फुलकोबी लगौनेछलाह। ओिह खेतक टटका फुलकोबी तीन सेर कीन लेलिन ।गामक िक छु इ ट-िम सबहक चाह पाटक आयोजन करबाकछलिन । किव जीक नव रूपसँ अिग नी परेशान भऽ कऽ पुछलिन -“पिह ने तँ नव वषर्क िव रोध करैत छलहुँ, हमरा सबहक लेल नवकासाल शक् संवत आ होरी िथ क आब की भऽ गेल? ”“ च कला, एना नै अकचकाऊ, समएक संग हमरो चलऽ पड़त।जखन सभ लोक पिह ल जनवरीकेँ वीकार कऽ लेलक तँ हमपाछाँ कोना रहब। समएसँ आगाँ निह जलबाक चाही मुदा बेसीपाछाँ रहब सेहो ठीक नै।”किव जीक तकर्क आगाँ ीमती गु म। दलानपर लोकक जुटानहोमय लागल। पेड़ा, पकौड़ीक संग-संग मकयवाड़ी लीफक चाह।रमाय जी, ल मी चौधरी, बैजू भाय, राधाबाबू, नागो बाबा, भोलासाहुजी सन किव जीक इ ट-िम क संग-संग नवतुिर या िप रही आिक छु समाजक पछाित क लोक सभ सेहो टी पाटक आनंद लऽ262


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAरहल छलाह। गामक डाॅक् टर यशोदा पाठक दलानक आगाँसँझटकल जाइत छलाह। किव जी हाक देलिन - “यशोदा भाय,कनेक्शन जलपान कऽ िल अ।” डॉक् टर साहेब कहलिन - “भैया, हमघुुिर कऽ अबैत छी। हिर जन टोलमे सुकेशर मोचीक पुतोहूकेँ लेबरपेन भऽ रहल छि ह , कनेक्शन ज दीमे छी। ”लेबर पेनक नाओं सुिन ते राधाबाबू िव ि म त होइत बजलाह-“किव जी, ई लेबर पेन तँ बुझैत छी जे सव पीड़ाकेँ कहल जाइछमुदा लेबरक अथर् होइत ऐछ मजदूर तखन मातृसुखक अनुभूित -पीड़ाकेँ लेबर पेन िक अए कहल जाइत ऐछ? ”किव जी फॅिस गेलाह, गु म! ल मी चौधरी बीच-बचाव करैत बजलाह -“घबराउ नै राधका, कोनो एहेन न बनबे नै कएल जकर उरकिव जी निह दऽ सकैत छिथ ।”चाहक चु की लैत किव जी बजलाह- “अथर्युगक आधारपर समाजकपाँच गोट वगर् होइत ऐछ- कुलीन वा साम त जैमे समाजक अिग लापॉित रहैत छिथ जेना राजनेता, पैघ-पैघ यापारी, अिध कारी आिद ।दोसर वगर् मपोषी छैक जैमे कमर्चारी, सीमा त खेित हर आिदराखल जा सकैछ। तेसर वगर् भेल मजीबी- जिन क योजना माएक िद वसीय होइत ऐछ। आजुक िद न कमाएब आ आइ खाएब ओनै तँ भूत देखैत छिथ आ ने भिव य। चािर म वगर् होइत ऐछचाटुकार आ कोिढ़ याक। ऐ वगर्मे पिह ल लोकक चमचाक संग-संग263


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAशरीरसँ दुरू त िभ खमंगाकेँ सेहो राखल जाए। पाचम वगर् हेाइतऐछ मजबूर वगर्। ऐ वगर्मे साधन-िव िह न अ व थ अपंग आ िश क्षासँदूर यायावर लोकिन छिथ । एे संसारमे यिथ त जीवन मा दू वगर्कहोइत छि ह । मजीवी आ मजबूर वगर्क। मजबूर वगर् तँ कोनोरूपेँ अपन जीवनसँ संतु ट रहैत छिथ , िक एक तँ कोनो िव शेष चाहनै छि ह मुदा मजीवीक जीवन अ य त दु:खमय। जँ कोनो िद नबीमार पिड़ जेताह तँ अिग ला िद न पिर वारमे उपवास। अपने दुनूपरानी एकादशी मािन मा जल हन कऽ कहुनो रैन कािट सकैतछिथ मुदा नेनाक लेल.... कोनो साधन नै। ”“अंेज बड़ बुि जीवी जाित होइत ऐछ। भारत वषर् सन गरीबरा मे राज केलक। एक समए छल जे ीिट श ग ध लागब वाभािव क। मजीवीक यथा देख ूर अंेजी आ मा िनि च तपिध ल गेल हेतैक। तँए संसारक सभसँ पैघ ददर् सव पीड़ाकेँमजीवीक पीड़ासँ जोड़ी अंेज 'लेबर पेन'क आिव कार केलक।सव वेदना संभवत: सभसँ बेसी िक् ल ट वेदना िथ क। संभवत: ऐदुआरे िक एक तँ हमहू पुरूष छी। ठीक ओिह ना मजीवीक पीड़ामािमर्क होइत ऐछ। जीवन भिर अिग ला िद नक आशमे रैन िब तालैत छिथ - मजीवी। ऐ दुनू यथामे अनुभूित समाने होइत ऐछ ।अ तर ऐछ। तँ समए कालक। मातृ व वेदना मा क्षिण क मुदामजीवीक वेदना जीवन पयर् त। ”264


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसभ लोक गु म मुदा किव जी बजैत-बजैत भाव िव भोर भऽ गेलाह।हमहूँ ि िट श नीित क िव रोधी छी, हमरा सबहक देशकेँ ओ बवदकऽ देलक मुदा िक छु एहेन उपहार सेहो देने गेल जे देश कालकलेल अिन वायर् होइत छैक ओिह मे सँ एक अिछ - जीवन यापनककला।, तँए ने हमरा सन वदेशी लोक सोहो सालक पिह ल िद नकेँआइ आ मसात कऽ लेलहुँ। राधा बाबू अहाँ एिह ज ममे लेवर पेनकआनंद निह लऽ सकैत छी, िक एक तँ अहाँ निह मजीवी छी आ नेनारी। तँए आह जे अंेजे जकाँ लेवर पेन अथत मजीवीक यथाक पर यान राखल जाए निह तँ िम िथ लाक गाम-गामसँ रोटीकआशामे मक पूणर् पलायन अव यंभावी अिछ । कदािच त जॱ एनाभऽ गेल तँ सव वेदनाकेँ अपन गाओं समाजमे कोनो आन नाओंताकए पड़त। एकटा किव ता तँ अपने हमरा मुखसँ पिह नहुँ सुननेहएब-मक कोन मािन जतऽ बुि क िव लास छै,पेड़ा दलाल गाल मक पेट घास छै।।नागो बाबा जोरसँ ठहा मारैत बािज उठलाह- “किव जी पेड़ाखुआ कऽ सूिद सिह त असूिल लेलिन ।”265


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसभ आगंतुक लोकिन एक वरसँ किव जीक तकर्केँ मािन चाहकदोसर खेपक आनंद उठबए लगलाह।३मनोज कुमार मंडलकथा-बेमेल िव आहजाड़क मास छल। चािर -पाँच िद नसँ सूरज िन पा भऽ गेल रहए।आइ मेघ कने फिर च् छ भेल। पह फटने सूरज अ पन उपि थ ितदजर् करौलि ह । बुझनुक काका एकटा चटकुनी िब छा दरब जाकआगू बैसल छलाह आ अखबार पढ़ैत छलाह। कएक बेर नै कएक266


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबेर अखबारकेँ उ टा-पु टा कऽ पढ़लाह। अखबार पढ़ैत-पढ़ैत मनजेना उचिट गेल रहिन । च मा खोिल खोलीमे रखलि ह । आबबुझनुक काका िव चारक दुिन याँमे डुिब गेलाह। मनक बेग तँ बहुततेज होइत अिछ । किन ये कालमे नाना कारक िव चार हुनका मनमेिस नेमाक िर ल जकाँ अबैत आ िव लु त भऽ जिन । संजोगसँ मुनलआँिख खूजलि ह । हुनक नजिर जमुनापर पड़लिन ।जमुना फूल तोड़ए अ पन हाथ बढ़ौलि ह । पिह ने ओ गुलाबतोड़लिन तखन च पा, चमेली बेली, कनैल तीरा सभ फूल तोिड़अ पन िप तिर या फूलडाली भिर बेलक गाछ िद स चलिल ।बुझनुक काकाक नजिर जमुनाक कोमल उ जर धप-धप हाथ आगुलाब फूलपर िट कलि ह । एक बेर जमुनाक उ जर माँग आउ जर साड़ीमे िश ट नारी शरीरक िल टल काया देखलि ह । जमुनाआगू बिढ़ गेलीह। िक तु बुझनुक काका एकटकी लगा हुनका िद सतकैते रिह गेलाह। िक छु कालक बाद हुनक िध यान टूटल। ओसोचए लगलाह।आइ बुझनुक काकाक अ पन अतीत मुन पड़ल लगलि ह । बुझनुककाका उपहार वरूप जमुनाकेँ गुलाब देने रहिथ न। जमुना मु कुरागुलाब तँ लऽ लगलि ह िक ंतु उरमे िक छु नै कहने रिह एिन ।बुझनुक काका जमुनाक ऐ यवहारसँ िख रहए लागल छलाह।एक िद न जमुनाकेँ सं कृतक पाठशालासँ घूमैतकाल भालसरीक गाछ267


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAतर बुझनुक काका भेँट भेल रहिन । ओ बुझनुक काकाक आगूठाढ़ भऽ भावुक भऽ कहिल - “नारी तँ िन मुधन छी। माए-बाप जैखुासँ बाि ह दैत ओ भिर जीवन बा हल रहत। ह मर आह जेकायाक सु दरताकेँ छोिड़ अ पन बैचािर क सु दरताक आशाकेँजगाबी।”बुझनुक काका तैकते रिह गेल छलाह िक ंतु जमुना आगू बिढ़ गेलछलीह।मश:४योितजम ितिथ -३० िदसबर १९७८; जम थान -बेवार, मधुबनी ; िशक्षा- वामीिववेकानद िम िडल कूल़ िटको साकची गसर् हाई कूल़, िमसेज के एम पीएम इटर कालेज़, इिदरा गाधी ओपन यूिनविसर्टी, आइ सी डबयू ए आइ(कॉट एकाउटेसी); िनवास थान- लदन, यू.के.; िपता- ी शुभंकर झा,268


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAज़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। योितकेँwww.poetry.comसँसंपादकक चॉयस अवाडर् (अंेजी पक हेतु) भेटल छिह। हुनकर अंेजी पिकछु िदन धिर www.poetrysoup.com केर मुख्य पृ पर सेहो रहलअिछ। योित िमिथला िचकलामे सेहो पारंगत छिथ आ िहनकर िमिथलािचकलाक दशर्नी ईिलंग आटर् ुप केर अंतगर्त ईिलंग ॊडवे, लंडनमे दिशर्तकएल गेल अिछ। किवता संह ’अिचर्स्’ कािशत।िवहिन कथामैिथल िबयाह :िरिसका जीक पिरवारके अमेिरका मे एक समृ मैिथल पिरवारमेिगनती छलैन ।मुख्य शहर सऽ किनये दूर पर सबअबसर् ईलाकामे अपन बड़का टा मकान लेने छली। घरमे पित आ दू टा बच्चाछलैन। पड़ोसमे िवक सबिदसका लोक छलैन जािहमे सबसऽबेसी सपकर् बगलके अमेिरकी पिरवार सऽ छलैन। िरिसका जीकेघर पिरवारक देखरेख के बाद जे समय भेटै छलैन तािहमे इवेटमैनेजमेंटक के काज करैत छलैथ।ओ मुख्य रूपे मैिथलर् उपनयन.िववाह. कोजगरा आिद के प््राबध कराबैत छलैथ मुदा कखनोकऽअमेिरकन िबयाह सेहो सहारैत छलैथ। अच्छा. त हुकर269


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAगोरकी अमेिरकन पड़ोसी काल।काल कुनो तरहे िरिसकाकेिपछड़ल सािबत करैमे लागल रहैत छलैथ।मुदा िरिसका तेहेनमुँहफट छलिखन जे मुँह चुप करा दैत छलिखन। कालके पित केिकछु मैिथल संगी सेहो रहिन। एकिदन काल एकटा मैिथलयाहक भोज मे गेली।ओतय हुका िरिसका भेटेलिखन।ओ पिरहासकरैत बजलीह. “की कहू. याह के नामपर अतय तऽ मानू कोनोपूजा पाठ होय।आ भोज मे किनया बर सऽ बेसी तऽ आन सबआािदत छिथ। आने आन नािचगािब रहल अिछ ।किनया बर कीमजा लेता?”िरिसका बजली. “िकये. अहॉं सबमे याह मौन रूपमे मनाओलजायत अिछ? अहूँ सब िववाह मे धािमर्क थल चचर्मे अथवापादरी के उपिथित मे करैत छी।अहँू सबमे िववाह मे पाट होयतअिछ. पिरवारक जुटान होयत अिछ।बिक अहॉं सबमे तऽ बेसीतरपाटयो के तैयारी किनया बर अपन मोने करैत छिथ। एनामे ओसब कोन अपन याहमे बेसी मजा लैत हेता।पूरा याहमे यैह िचतारहैत हेतैन जे िववाहक समारोह ठीक सऽ सप भऽ जाय।अपनसाजर्सजा के यान आ आमिवास जतेक मैिथल आ दिक्षणीएिशयन मिहला मे अिछ तेहेन तऽ आन सबमे दूरर् दूर तक निहंअिछ।हमरा सबमे िबयाहमे पूरा पिरवार सऽ सबध जोरल जायतअिछ।ई एक पािरवािरक समारोह होयत अिछ।कयादान एक पुयकायर् मानल जायत छिह। िबयाहक साल भिर पाबैन होयत अिछ270


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAजािहमे पूरा पिरवार सिमिलत होयत अिछ आ किनया बर के सेहोमनोरंजन होयत छैन।”कार्र्ला “आर किनया बर के अपन हेलमेल बढ़ाबयके कुनो अवसरनिहं भेटै छैन।”िरिसक “िबयाह दुरागमन िमलाक सब पाबैन मे मुिकल सऽ एकमहीना जायत अिछ। अिह के अितिरक्त पूरा समय अपना लेलरहैत अिछ।”कार्र्ला “अिचहार लोक सब कोना िबयाह कऽ लैत छिथ”िरिसक “अंिचहार सऽ किहयो याह निहं होयत छिह।हँ. पहचानपिरवारक मायम सऽ होयत छिह।पिरवार आ समाज के मान दैतअपन िनजी खुशी देखनाइये मैिथल याह अिछ।”काल ठीके देखने छलीजे कोना बुजुगर् सऽ पूिछर् पूिछ िबयाहकिविध पूरा कैयल गेल छल।भोजमे सेहो की पुरूष आ की मिहला.सब सुसिजत छलिथ।आन िसंगार संगे पारपिरक पिरधान. िबदी.चूिड़ . गहना आिद के सजा मे मिहला सब चमिक रहल छलैथ।फेर हााथक मेंहदी आ केशक सजा आर अुत छल। ओिहतुलनामे हुकर महग िडज़ायनर ेस बड फीका लागैत छलैन।खसैत आमिवास के सहारैत काल अपन िजी वभाव केकारण बजली. “हम किनया के अपमान निहं करय चाहैत छलहुँ तैंहुकासऽ बेसी सुदर निहं लागय चाहै छलहुँ।”िरिसक “तऽ अहॉं मैिथल सुदरता के ललकािर रहल छी जतयसीता देवीेक याह लेल बड़का वयंवर रचल गेल रहैन। अहुना271


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAभारतीय मॉडेल सब िवसुदरी के िखताब जीित रहल छिथ।”काल अपन मोबाएल कॉल िरिसव करयके बहे कात आिब गेली।५िम िथ लेश मंडलकथा-िव देशी बाबूअमेिर कासँ चलला िव देशी बाबू। बाटमे सोचैत रहिथ - िम िथ लाकेहेन ऐछ घुिम कऽ देख ली। सर-पचहर सालक भऽ गेलॱपाकल आम जकाँ छी कखन छी कखन नै छी तेकर कोनो ठीननै। मधुबनी पहुँचला ताबतमे किन याँ फोन केलकिन - “यौ हमरछोटकी वहीन मधुबनीयेमे रहैए। ”272


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAपता करैत हुनका घरपर पहुँचला। हुनकर सािर घरपर छिल मुदासारहु नै। पिर चए दैत बैसला तखन सारहू दऽ साि रकेँ पुछलिख न-“सारहू कतए गेलाहेँ। ”चाह हाथमे दैत सािर बजिल - “ ताबे अहाँ चाह पीबू हम बजौने अबैिछ एिन ।”तखने पैखाना तरफसँ सारहू अिब ते छलाह पीकेँ देख पुछलिख न-“की बात? ”“बड़का पाहुन ऐलाहेँ चलू। ”“घरेपर तँ जाइ छी। ताबे अहाँ बहरू अबै छी। ”घरपर ऐला सारहूमे सारहू कुशल-छेम भेल। हाथमहक लोटा देखबड़का सारहू कहलकिन - “पिह ने लोटा मिट या िल अ। ”ई ग प सुिन ते कलपर जा लोटा मिट येला। हाथ-पएर धोय लगमेआिब बैसला। फेरसँ चाहक आह केलिन आ िव शेष कुशलसमाचार हेतू पुछलिख न- “केमहर सुरूज उगले यौ सारहू जे अपनेहमरा ऐठाम.....। ”273


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबड़का सारहू बजला- “यौ सारहू हमरा मोन भेल जे िम िथ ला घुिमकऽ ली। सर-पचहर बरख भऽ गेल। कखैन छी कखैन नै।की अहाँ संग िद अ घुमैमे।”छोटका सारहू अपन परेसानीपर सोचैत बजला- “यौ सारहू अहाँ केँिम िथ ला घुमाएब तँ हमर फजर् भऽ जाइत ऐछ। मुदा अहाँ तँकरोड़पित छी आ हम रोज बोिन करै छी आ रोज खाइ छी। मुदाचलू जहाँ धिर होइए चलै छी। िम िथ ला तँ बहु िद न लगत घुमैमे।”छोटका सारहूक ग पक भावकेँ जेना बुिझ तो िध यान नै देलिख नसटाक दन किह देलिख न- “चलू, चलू। ”एकसँ दू गाम घुमला तखन करीब दू बजैत रहए। बड़का सारहूसोचला जे चािर घंटाक वाद तँ साँझ पिड़ जाएत। क रहब।मने-मन सोचतो रहिथ आ चिल तो रहिथ । एते धिर सोिच लेलिथजे कतौ नीक ठीम रहब। ताबे धनुक टोली पार करैत रहिथ ।मुदा एोटा मकान नै देख सोचैत रहाि थ जे अिग ला टोलमे रहबकोनो मकानबला घरमे। ताबे दिक्ष णवािर टोल पहुँच गेला जै टोलमेखाली मकाने-मकान रहए। मकान देख तँ खुश होिथ मुदा सभमकानमे कदीमा लटकल रहए। जे देख िह नक मन नै भाबिन ।अिग ला घर माने गामक अंतीम भागमे एकटा फुसक घर रहै जैचारपर सीमक ली पसरल आ घौदे-घौदे सीम फरल। छोटका274


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसारहू कहलकिन - “आब साँझ पिड़ गेल अिग ला गाम चलब आिककतौ रिह जाएब? ”बड़का सारहू बजला- “सहए तकतान करै छी हमहूँ जे कतएरहब। हमर मोन कहैए जे अही घरवारी ऐठाम रहू। ”“ ई घर िछ ऐ िछ तन म लीकक, ऐठाम का रहब। किह तॱ तँपाछूए रिह जेतॱ। ए हम िक हुँ नै रहब।”१. डा० अभयधारी िसंह- अिभनव वषर् २.जगदीश साद मंडल- मैिथ ली उप यास सािह यमे ामीण िच ण१275


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAडा० अभयधारी िसंहसपादक- जावी संकृत ई जनर्लपता- इितहास िवभाग, िनमर्ली कालेज,िनमर्ली, िबहारअिभनव वषर्अिभनव वषर् केर वागत करबाक हेतु जोर-शोर सँऽ तैयारीचिल रहल अिछ। कोई अपन छुी लय अपन पिरवारक संगमनपसद पयर्टनथल कऽ लेल रुख कय रहल अिछ तऽ कोईिममडली क संग कायर्म तय कय रहल अिछ तऽ ओतिह कोईघरे मे भोजन आ मनोरंजन केर साधन जुटा रहल अिछ।एतय एकटा िजज्ञासा होइत अिछ जे एिह नूतन वषर् केरइितहास की अिछ? 1 जनविरए कें ई िकयाक मनाओल जाइत276


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअिछ? की ई भारतीय वैिशय के पिरलिक्षत करैत अिछ? एहनेबहुतो िजज्ञासा केर शमन हेतु ई लेख तुत अिछ।भारतवषर् मे इवी संवत केर चलन अंेज शासक ारावषर् १७५२ मे शुरू कयल गेल। एकर संबध ईसा मसीह सँऽअिछ जे रोम केर साट जूिलयस सीजर ारा ईसा के जम केरतीन वषर् बादक कालाविध सँ जोिड चलन मे आनल गेल।भारतवषर् मे वतता केर उपरात १९५२ मे वैज्ञािनकआ औोिगक पिरषद ारा पंचांग सुधार सिमती कऽ गठन भेल जेअपन िरपोटर् १९५५ मे दैत िवमी संवत के वीकार करबाकिसफािरश कयलक। मुदा तकालीन धानमी नेहरू केर आहपर ेगेिरयन कलेडरे सरकारी कायर् िनिम वीकृत भय सकल।ई २२ माचर् १९५७ सँ ई राीय कैलेडर केर रूप लेलक।की एकर राीय कैलेडर केर रूप लेब समुिचत अिछ?ाचीनता-एकर उर देबा सँ पूवर् अय कैलेडर केर ाचीनता देख ली- ेगेिरयन- लगभग २००० वषर् पुरान यूनानक काल गणना - लगभग ३५७९ वषर् पुरान277


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA रोमक काल गणना - लगभग २७५६ वषर् पुरान यहूदीक काल गणना - लगभग ५७६७ वषर् पुरान िमक काल गणना - लगभग २८६७० वषर् पुरान पारसी काल गणना - लगभग १९८८७४ वषर् पुरान चीनक काल गणना - लगभग ९६००२३०४ वषर् पुरान भारतक काल गणना - लगभग १ अरब ९७ करोड४९ लाख १०९ वषर् पुरान (पृवी केर आयु) जेकर नामकरणचवत राजा िवम केर नाम परधमर्केर दृि सँ-ईवी संवत- ईसाइिहजरी संवत- मुसलमानिवमी संवत- कोनो धमर्िवशेष से नहॴ अिपतु कृित एवं खगोलिसत से सब278


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAउक्त पिरेय मे ई कहल जा सकैत अिछ जे ईवी संवतभारतवषर् हेतु उपयुक्त कैलेडर निहं। एकरे पृभूिम मे ई तकर्देल जा सकैत अिछ-सांिवधािनक दृया भारत पंथिनरपेक्ष रा अिछ एतय कोनोधमर्िवशेष सँऽ सब कैलेडर केर थान पर पंथिनरपेक्ष कैलेडरहोयब िविधसमत।ाचीनता केर दृि सँऽ सेहो भारतीय गणना उपयुक्तअनेक भारतीय परपरा सँऽ जुडल तय भारतीय काल गणनासँऽ जुडल अिछ।ाकृितक दृि सँ भारतीय गणना उपयुक्त अिछ िकयाक तऽएिह मे वषर्क ारंभ चै (वसत) होइत अिछ।बहुत रास तय एिह सँऽ जुडल अिछ जे राक ितगौरव केर अनुभूित करवैत अिछ। अतु नूतनवषर् के रूप मेभारतीय सांकृितक िवरासत िवम संवत के अनुगम सवर्थाउपयुक्त।२279


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAजगदीश साद मंडल 1947-गाम-बेरमा, तमुिरया, िजला-मधुबनी। एम.ए.।कथाकार (गामक िजनगी-कथा संहआ तरेगण- बाल-ेरक लघुकथा संह), नाटककार(िमिथलाक बेटी-नाटक),उपयासकार(मौलाइल गाछक फूल, जीवन संघषर्, जीवन मरण, उथान-पतन,िजनगीक जीत- उपयास)। माक्सर्वादक गहन अययन। िहनकर कथामे गामकलोकक िजजीिवषाक वणर्न आ नव दृिकोण दृिगोचर होइत अिछ।मैिथ ली उप यास सािह यमे ामीण िच ण-सािह यक आधार मनु यक िज नगी होइछ। मनु येक िज नगीक नॴवपरभाषा सािह य ठाढ़ आ सुदृढ़ बनैत अिछ । जे मनु यकेँ जीवैक कला280


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिस खबैत अिछ । ग-सािह यक िव धामे उप यासो छी। जािह नॴवपरसािह यक भवन ठाढ़ रहैत अिछ ओ मािट क िन च् चाँ दाबल रहैतअिछ । जीवन परमा माक सृि ट छी तेँ अन त-अग य अिछ । जहनिक सािह य मनु यक सृि ट होइत तँए सुबोध-सुगम आ मयिद तहोइत अिछ । एिह जगतमे मनु य जे िक छु स य आ सु दर पौलकआ पािब यो रहल अिछ वहए सािह य छी। ओना सािह य समाजकदपर्ण कहल जाइत अिछ मुदा, मनु यक अएना आ ाकृित क अएनामेअ तर अिछ । ाकृित क अएना व तुक बाहरी रूप देखवैत जहनिक मनु यक अएनाकेँ दोहरी रूप होइत अिछ । जािह सँ बाहरी आभीतरी दुनू रूप देखैत अिछ । एिह ठामक (िम िथ लाक) िच तनधारामे,चिल त दाशर्िन क िच तनधारासँ िभ िक छु एहेन िव शेषता सि िह तअिछ जे अपन अलग पहचान बनौने अिछ । जािह आधारपरसािह यकेँ दीप ( योित ) कहब अिध क उपयुक् त हएत।उच् च कोिट क सािह ि य क सृजन लेल यथाथर् आ आदशर्क समावेशआव यक अिछ । जकरा आदश मुख-यथाथर्वाद कहल जा सकैछ।अगर यथाथर्वाद आँिख खोलैत अिछ तँ आदशर्वाद उठा कऽ मनोरम थानपर पहुँचबैत अिछ । चिर केँ उ कृ ट आ आदशर् बनेबा लेलजरूरी निह जे ओ िन रदोसे हुअए। एिह जिट ल संसारमे, जािह मेछोटसँ छोट आ पैघसँ पैघ सम या लधलो अिछ आ िद न ित िद नज मो लैत अिछ । तािह ठाम िन रदोस िच णक िन मण किठ न अिछ ।महानसँ महान पुरूषमे िक छु निह िक छु कमजोरी रिह तिह छि ह ,281


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAजेकरा िन खारब आगूक लेल मह वपूणर् अिछ , तँए अनुिच त निह ।वएह कमजोरीक सुधार मनु य बनवैत अिछ । जे उप यासक मुख् यब दु छी। सािह यक मुख् य अंग आदशर् छी जािह सँ रचना कलाकपूितर् होइत अिछ ।आिद काले सँ आिद वािस क रूपमे पनपैत िम िथ लाक समाज आइकिव किस त समाजक सीढ़ी धिर पहुँचल अिछ । जंगली जीवनसँ लऽकऽ सुस य िज नगी धिर क इित हास िम िथ लाक भूिम मे चंदनक गाछसदृ य दुिन याँक वातावरणमे अपन महमही िब लहैत रहल आ अखनोिब लहैक सामथर् रखैत अिछ । जे हमरा सबहक धरोहर छी तँएबचा कऽ राखब सभसँ पैघ दािय व बनैत अिछ । िज नगीकआव यकता आ उ पादन करैक जते शिक् त छलिन ओिह अनुकूलिज नगी बना सामंज यसँ सभ िम िल -जुिल अखन धिर रहला अिछ ।आगू बढ़ाएव आइक आव यकता छी। जािह समाजमे अखनोबरहवरना (बारह-वणर्) भोज, बरहवरना बिरयाती (िव वाहमे) बरहवरनाकिठ आरीक (िज नगीक अंित म ि या) चलैन अिछ , िक ओिहसमाजकेँ तोिड़ सासु-पुतोहू, िप ता-पुक संबंधकेँ मािट क बरतनजकाँ फोिड़ -फािड़ ि दअए। जािह समाजक बीच सभ संग िम िलपाविन -ित हार, धािमर्क थानक िन मण केलिन , ि क ओकरा ने त-नाबूद कऽ िद अए?282


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAओना िम िथ लाक दुभग् य कही आिक देशक दुभग् य, सािठ बखर् पूवर्सँलऽ कऽ हजारो बखर् पूवर् धिर परतं रहल। परतंताक िज नगीकेहन होइ छै, कहब जरूरी निह । ओना जािह रूपक िव देशी भावआन-आन क्षेमे पड़ल ओिह सँ िभ िम िथ लांचल भािव त भेल।अदौसँ अबैत वैिद क ढाँचामे सजल समाज अखनो धिर , एते िद नकगुलामीक उपरा तो सजल अिछ । मुदा भूम डलीकरणक भाव जतेतेजीसँ भािव त कऽ रहल अिछ ओिह सँ बँचैक लेल गंभीर सोचकजरूरत अिछ । जँ से निह हएत तँ िम िथ लाक बदसुरत दृ य सामनेनचए लगत।िम िथ लाक संबंध जते पूरबी ा त बंगाल (पिछ म बंगाल सिह तबंगलादेश) आसाम (मेघालय सिह त आसाम) आ नेपालक तराइइलाकासँ रहल ओते पिछ मी आ दिछ नी ा तसँ निह रहल। घनगरअबादी होइबला इलाका रहने िम िथ लाक बोिन हार (िम क) बोइनकरए नेपाल, आसाम आ बंगाल जाइत रहल अिछ । पटुआ काटब,धोअब आ धान रोपब-काटब मुख् य काज रहल। जािह सँ संग-संगरहैक, खाइ-पीवैक, नचै-गबैक अवसर भेटल। कला-सं कृित मेिम ण भेल। जािह सँ एक-दोसराक िज नगी िम लैत-जुलैत रहलअिछ ।आजुक सं थागत िश क्षण यव थाक सदृ य तँ सं था कम छलमुदा पूवर्िह सँ गुरूकूल िश क्षण यव थाक चलैन आिब रहल छल।283


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिव देशी शासकक संग भाषा-सािह य सेहो आएल। सामािज क यव थाक मजबूतीक चलैत ओ ओते तेजीसँ आगू निह बिढ़ सकलजते तेजीसँ बढ़क चािह ऐक। ओना राज-काजमे अपन थान बनालेलक। जनसंख् याक (िम िथ लाक) अनुपातमे पढ़ै-िल खैक यव थानग य छल। कारण छल अखुनका जकाँ ने पढ़ै-िल खैक एते साधनछल आ ने पढ़ैक आव यकता बुझैत छल जीवैक लूिर सीिख लेबमुख् य छल। जे पिर वार (माए-बाप) सँ भेिट जाइत छलैक। िक छुएहनो काज (लूिर) छलैक जे समाजोसँ भेटैत छलैक। जािह सँ प ट रूपे दू भागमे िव भािज त छल। पढ़ल-िल खल लोकक समाजआ िब नु पढ़ल-िल खल उ पादक समाज। मुदा समाज हुनके (पढ़ल-िल खल) सबहक देखाओल रा तासँ चलैत रहल। पढ़ल-िल खललोकक बीच सं कृत आ िब नु पढ़ल-िल खल लोकक बीच अपनबोली (जे वादमे भाषा बनल) चलैत छल। नव-नव श दक ज मसेहो होइत छल। वैिद क सं कृत सेहो जनभाषाक नगीचे छल मुदाधीरे-धीरे पिर िन ि ठ त बनैत-बनैत दूर हटैत गेल। जािह सँ िव शालजन-समूह सं कृतसँ दूर भऽ गेल। जेकर भाव जन-मानसकजीवनक अानो-आनो अंगपर पड़ल। कला-सं कृतपर सेहो पड़ल।जािह सँ लोक सं कृत सेहो पनपल। सं कृत समाजो मुखी निह भऽपिर वारो मुखी हुअए लगल। समाजक बीच पािल (ाकृत) भाषाकज म भेल। समाज-सुधारक आ धािमर्क स दािय क जनमानसकबीच पािल भाषाक योग केलिन । एिह रूपे सं कृतसँ पाि ल,284


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअपंश होइत आगू मुँहे ससरल। अपंशसँ मागधी आ मागधीसँिब हारी, उिड़ या, बंग् ला आ असिम या भाषाक िव कास भेल।िब हारी भाषाक अ तगर्त भोजपुरी, मगही आ मैिथ लीक िव कास भेल।िब हारक मैिथली भाषा क्षेकसँ पिछ म उर-देशक पूविर या भाग धिरभोजपुरी भाषा बढ़ल। दिछ न िब हार (गंगासँ दिछ न) मगही आ गंगासँउर नेपालक तराइ धिर मैिथ लीक िव कास भेल। ओना भाषाकसंबंधमे कहल गेल िअछ जे- “चािर कोसपर पानी बदले आठकोसपर बाणी। ” िब हारक तीनू भाषा क्षेक अ तगर्त क्षेीय बोलीसेहो पनपैत रहल अिछ ।गंगा-पु मैदानक बीच बसल ि बहार, बंगाल आ आसामक बीचमािट -पािन आ जलवायुक (िक छु िव षमता छोिड़ ) समता सेहो अिछ ।समतल भूिम आ एकरंगाह जलवायु रहने खेती-पथारी, उपजा-बाड़ीमेसेहो समता अिछ । धान सन मुख अ तीनू रा यक मुख् य उपजछी। एक रंगाह उपजा-बाड़ी आ खेतीक लूिर सँ खेित हरक एकरंगाहिज नगी बनल। खान-पान, आचार-िव चार चािल -ढािल, कला-सं कृतमेएकरूपता आएल। मुदा ाकृित क कोप आ यापािर क अनुकूल भेनेबंगाल आ िम िथ लाक दूरी बढ़ौलक। जािह ठाम िम िथ ला क्षेपोखिर क पािन जकाँ असिथ र (किह यो काल पैघ भूमकम आअ हर-तुफान होइत) बनल रहल तािह ठाम बंगाल ाकृित क कोपसँअिध क भािव त होइत रहल अिछ । यापािर क अनुकूलता (समुी285


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमागर्सँ) सँ वेदेशीक भाव सेहो बढ़ल। कोनो भाषा-सािह यओिह ठामक िज नगीसँ भािव त होइत। एिह दृि ट सँ जेहन उवर्र भूिमबंगला सािह यकेँ भेटल ओ मैिथ लीकेँ निह भेटल। िव देशी कला-सं कृतक भाव जते बंगालपर पड़ल ओते िब हारपर निह पड़ल।ओना िम िथ लांचलक ाकृित क कोप आ िव देशी शासनसँ ओतेभािव त निह भेल जते बंगाल भेल। मुदा अनुकूल जलवायु रहनेिम िथ लांचलमे मनु यक बािढ़ सभ िद नसँ रहल। जािह सँ जनसंख् याकभार सभ िद न रहल। सामंतीक कु यव था आ जनसंख् याक भारसँिम िथ लांचल गरीबीक जालमे सभ िद न फँसल रहल। जािह सँ कलासािह य, सं कृित सभ िक छु भािव त होइत रहल। समाजकि थ ित केँ आरो भयावह बनबैमे जातीय आ सा दािय क योगदानभरपूर रहल। टुकड़ी-टुकड़ीमे समाज िव भािज त भऽ गेल। जेकरभाव कला-सं कृतपर सेहो नीक-नहाँित पड़ल अिछ ।अर्-मागधीसँ िन कलल मैिथ ली तेरहवॴ-चौदहवॴ शता दीमे योित री वर आ िक छु पछाित िव ापित क रचनासँ ारंभ भेल।लोकक कंठ-कंठमे िव ापित समाए अखनो गािब रहला अिछ । ओनािव ापित सं कृत भाषाक राजपंिड त छलाह मुदा समाजक जनभाषासेहो जनैत छलाह। जािह सँ सं कृत-मैिथ लीक संग अवह(जनभाषा)मे ‘कीितर्लता आ कीितर्पताका’ सेहो िल िख कहलिन -“सय वाणी बहुअन भावय ” उैसवॴ शता दीसँ पूवर् धिर सािह य286


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसृजन किव तेमे होइत आिव रहल छल। आने-आने भाषा जकाँमैिथ ली गक िव कास सेहो पछाित भेल। सािह य सृजन मूलत:ग आ पमे होइत। गक चरम उप यास छी तिह ना पकमहाका य।सािह यक आने िव धा जकाँ उप यासो छी। सामािज क पिर ि थ ित कदृि ट सँ मैिथ ली उप यासकेँ १९६०ई.सँ पूवर् आ सािठ क पछाित केँ दूभागमे िव भािज त कए आगू बढ़ैत छी। सािठ क िव भाजन रेखाक पाछुदेशक आजादी, ढहैत राजा-रजवाड़ आ भूिम -आ दोलन मुख कारणरहल अिछ । सािठ ई वीसँ पूवर् मैिथ लीमे िन -िल िख त उप यासकसृजन भऽ चुकल छल। ‘ि नदर्यी सासु’ (१९१४), शिश कला(१९१५), पूणर् िव वाह (१९२६) दुरागमन रह य (१९४६), कलयुगीस यासी (१९२१) रामे वर (१९१५), सुमित (१९१८), मनु यकमोल (१९२४) च हन (१९३३) क यादान (१९३३),सो दयोपासनक पुर कार (१९३८), सुशीला (१९४३) असहायाजाया (१९४५), जैबार (१९४६) पारो (१९४६) नवतुिर या(१९५६), कुमार (१९४६), भलमानुस (१९४७), कला (१९४६),िव कास (१९४६), च कला (१९५०), ित मा (१९५०), मधुावनी(१९५६) वीरक या (१९५०), िव दागरी (१९५०), अनलपथ(१९५४), िव ापित (१९६०), कृ णह या (१९५७), र नहार(१९५७), आ दोलन (१९५८), दुवक्षत (१९५८), आिद कथा287


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA(१९५८), चानोदय (१९५९), िब हािड़ पात-पाथर (१९६०), दुरागमन(१९४५), चामु डा (१९३३), मालती-माधव (१९३५)आजुक उप यास कलाक दृि ट सँ भलेहॴ उपरिल िख त सभउप यासकेँ सफले निह कहब मुदा एिह बातसँ इनकारो करब जेओिह उप यासकार सबहक संगे जेहन सामािज क पिर ि थ ित छलिनओिह अनुकूल निह अिछ । हमरा सभकेँ एिह बातक सदित यानराखए पड़त जे मैिथ ली भाषा िम िथ ला भूिम सँ ज म नेने अिछ आअखनो जीिव त अिछ । पुरान भाषा मैिथ ली रिह तहुँ आइ धिरराजभाषाक रूपमे राज-दरवार निह पहुँचल, जे अवसर आइ भेटल,ओ मािण त करैत अिछ जे हम जीिव त भाषा छी। दुिन याँ अनेकोएहेन राजभाषा अिछ जे िम िथ ला क्षे आ मैिथ ली भाषासँ छोटअिछ ।बीसवॴ शता दीक पूवसँ आरंभ भेल उप यास सािह य कखनोकुदैत तँ कखनो ठमिक -ठमिक चिल अखनो चिल रहल अिछ । जेमािट -पािन बंगला, असामी आ उिड़ या भाषा-सािह यकेँ भेिट लै सेमैिथ लीकेँ निह भेिट सकलै तँए जँ ओिह सभ सािह यसँ पछुआएलतँ एिह मे आ चयर् की? ओना सािठ क दशकमे िम िथ लो समाजमे मोड़आएल मुदा सािह य ठमकले रिह गेल। उप यास सािह यक िव षए-व तुमे बढ़ाेरी अव य भेल मुदा जािह रूपे होएवाक चाही से निहभेल। िज नगीक मुख् य सम या सािह यक गौण रूपमे आ गौण288


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसम या मुख् य रूपमे बनल रहल। मुदा सौभाग् यक बात छी जे नव-नव उप यासकार िम िथ लाक सवगीण रूपकेँ दृि ट मे रािख िल िखरहलाह अिछ । ओना िम िथ लाक जे वा तिव क रूप अिछ ओअ य त दयनीय अिछ । जािह बीच रिह सािह य सृजन अ य तक टकर अिछ । मुदा िम िथ ला तँ वएह धरती छी जािह ठाम एकसँएक ऋृिष -मुिन साधना कए अपन दृि ट देलिन जे दुिन याँक सभसँऊपर अिछ ।ामीण िच ण-ामीण श दक दू अथर् दू जगहपर होइत अिछ । सम दृि ट सँामीण श दक अथर् क्षे-िव शेषक सभ िक छुसँ होइछ आ ामीणपिर िध मे (गामक सीमाक भीतर) ामीण श द िस फर् ाममे रहिन हारमनु यसँ होइछ। न उठैत ाम संग ामीण आिक अगबे ामीण?ाम संग ामीणक संबंध ओतबे निह होइत जे हम अमुख ाम रहैछी। ाम ओिह रूपे ससरैत आगू बढ़ै जािह रूपे दुिन याँ ससिररहल अिछ । जँ से निह हएत तँ लोक भािग -पड़ा ओिह ठाम पहुँचतजािह ठाम सुगमतासँ सु य त िज नगी भेिट तै। ामक उ पािद त पूँजीमािट -पािन, गाछ-िव रीछ, नदी-नाला इ यािद मनु यक संग पूरैबलाआिथर्क आधार छी। कोनो जुग अवौ आ जाओ, मनु यक जे मूल-289


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसम या अिछ ओ अनवरत रहवे करत। भलेहॴ उित भेलापरसुगमता आओत, निह भेलापर जिट लता आओत। आजुक समयकमांग अिछ जे हमरा सबहक आिथर्क आधार ओहन बनए जे एैसवॴशता दीक मनु य कहबैक अिध कारी बनी।अंतमे, जिह ना पैघ गहवरमे सैकड़ो जगह पूजा ढािर गोसाँइ खेललजाइत तिह ना आइक समाजक मांग सािह यक अिछ ।१. रमेश- ग किवता- डॉ. काचीनाथ झा ‘िकरण’कनामक अैत मीमांसा २.िजते झा- उपटैत गाम बसाओतबाबा ३.नेपाली ेमसुजीतकुमार झा- नेपालक रा पितक१290


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAरमेश 1961-जम थान मेंहथ, मधुबनी, िबहार। चिचर्त कथाकार ओ किव । कािशतकृित: समांग, समानांतर, दखल (कथा संह), नागफेनी (गजल संह), संगोर,समवेत वरक आगू, कोसी धारक सयता, पाथर पर दूिभ (काय संह),ितिया (आलोचनामक िनबंध)।ग किवताडॉ. काचीनाथ झा ‘िकरण’क नामक अैत मीमांसाअहाँ विभमानी छी, तँ िकरण जी छी।जनमानसक पक्षमे सामािजक छी, तँ िकरणजी छी।अहाँ िकरणजी छी, तँ मह-महाइत िमिथला छी।अहाँ मह-महाइत िमिथला छी, तँ िनिते कह-कह भुहूर सनिकरणजी छी।291


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअहाँ मानिसकता आ मोहिवरा मे ‘सोइत’ छी, तँ िकरणजी निहछी। मोहिवरा मे पी-बधक ‘बाबू साहेब’ छी, तँ िकरणजी निहएटा छी।अहाँ वातव मे ‘जयवार’ छी, तँ चलू कहुना कऽ िकरणजी छी।जँ ाण-वगकरण मे कहु टा निह छी अहाँ, तँ जरूर िकरणजीछी।आ जँ दसो िदकपालमे सँ क्यो अहाँक पैरवीकार निह छिथ, तँ ुवसय मानू, अहाँ आर क्यो निह, िकरणेजी टा छी।अहाँक मन-बध सुमनजी-अमर जी सँ हो, तँ भऽ सकैए, संज्ञा रूपेंअथवा मोहिवरामे अहाँ सािहियक आ धािमर्क ाण भऽ जाइ।अहाँक मन-बध मधुपजी सँ हो, तँ िनछल भक्त-हृदय मैिथलजीवनक लोकगायक अहाँकेँ मानबामे कोनो असौकयर् निह। जँमिणप जी सँ मन-बध हो, तँ, अपना केँ िमिथलाक लोक-संकृित-चेताक उदा उदाहरण बूिझ सकैत छी। आ जँ अहाँकमन-बध िकरणेजी टा सँ हो, तँ सय ितशत मनुक्खक अलावाअहाँ आर िकच्छु भैये निह सकैत छी।292


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकिववर सीताराम झाक अयोिक्त-वोिक्त आइयो िमिथलाक जड़ता-जिटलतापर मुङरी पटिक रहल अिछ।अपन मुिक्तक संग तकैत आइयो राजकमल िमिथलाक ‘महावन’ मेअहुिरया कािट रहल छिथ।बाबा बैनाथकेँ पाथर कहैत आइयो िकरण-िशय याीक अनवरताड-िवलाप जारी अिछ। धूमकेतु ‘मनुक्खक देववे’पर एखनो‘िरसचर्’ कऽ रहल छिथ। मुदा साक्षात् िकरणजी आइयो मनुखताकउपेक्षापर गुहरैत। पुरातनपंथीकेँ कान पकड़ैत/ मािटक महादेवकेँछोिड़ मनुक्ख-पूजनक-सुप उोषणा कऽ रहल छिथ।अहाँ खर कका छी, तँ, माङुरक झोड़सँ चरणामृत लऽ सकैतछी। मुदा िकरणजी जकाँ माङुरक ओही झोड़सँ सवर्हारा वगर्कअरूदा बढ़ेवाक बैदिगरी निह कऽ सकैत छी। अहाँ कचन-जंघासँकूच-िवहार धिरक याा कऽ सकैत छी, मुदा डोमटोलीसँ मुसहरीधिरक निह। अहाँ समािजक सरोकारमे सुधारवादी भऽ सकैत छी,मुदा, िकसान-आदोलन केँ िमिथलाक जमीनपर उतािर पिरवर्नकामीनिह।293


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअहाँ भाङ पीिब वसंतक वागत करब, तँ, अहाँ केँ, बताह कहबामेहुनकर संघषर्-गीतक भास किनयो बे-उरेब हेबाक े कहाँ अिछ?जिहना रूसोक पभूिम िबना ांसीसी ांित संभव निह छल,तिहना ‘मधुरमिन’क पृभूिम िबना ‘जोड़ा-मिदर’क अितव संभवकहाँ छल? ‘जगतारािन’ निह तँ ‘बाँसक ओिध’ की? मािटकअयथर्ना निह आ जनोमुखी सोचक सजर्ना निह तँ, आलोचनाकराज हंसक धोिध की?ओ ाचीन गीतक ‘लाउड-पीकर’ बिन सकैत छलाह, नवीन गीतकसी.डी.क उगाता निह। ओ राज-सरोवरक हंस बिन नीर-क्षीर-िववेक(?) सँ आिभजाय मीमांसाक पथार लगा कऽ सािहयालोचनकखुा गािड़ सकैत छलाह। मुदा नव-चेतनाक गित-शील गीतकगाता आ ज्ञाता निह। ओ िकरणजीकेँ कायोपेक्षाक दंश दऽ सकैतछलाह, मुदा हुनका काल-िनणर्य आ आगत-पीढ़ीक ‘मूड’ अज्ञातछल। ओ वतुतः ‘शाीय’ छलाह, आ िकरणजी ‘तृणमूल’ककायर्क। ओ ‘उरोज’ केँ सरोजक उपमान बना ृंगार-कायकाचीन परंपराकेँ सपु कऽ सकैत छलाह। मुदा धानक उरोजमेदूध भरबाक सामयर् हुनका कतय? ओ हुनकर जीवनक जड़व आसािहयक सीमा छल।294


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAआँहाँ भासा-मंचपर लोक-चेतनाक सजर्क छी-तँ िकरणजी छी।सािहियक-मंचपर सामािजक-चेतनाक पोषक छी-तँ िकरणजी छी।संकृितक मंचपर जन-संकृितक गायक छी- तँ िकरणजी छी।राजनीितक मंचपर िदशाहारा-वगर्क पुिवर्न मे ‘महराइ’ गबैत छी-तँिकरणजी छी।िवापितक-मंचपर जनवादी गीत-संकृितक उाटक छी-तँ िकरणजीछी।अहाँक जीवन-दशर्न सुिचंितत ऊवर्गामी अिछ-तँ िकरणजी छी।जीवन आ सािहय मे समरूप दृिकोण हो-तँ अहाँ िकरणेजी टाभऽ सकैत छी।२295


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिजते झाउपटैत गाम बसाओत बाबासुखी स प न जीवन िबतएबाक ललसा लऽ कऽ लोक अपन गामछोिड परारहल अिछ शहर िदस । वै वीकरणक अ हर िवहािडमे296


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAओ अपन ज म थानके मह व निह बुझऽ चाहैत अिछ या कहीबुिझयोकऽ आंिख मुिन लैत अिछ । गामक परती ओकरा िवरानलागऽ लगैत छै , ओतुक् का फुलबारीमे ओ काँट माे देखैछ अिछ। गमैया जीवनसं जनमल एहने िवतृ णा देखएबाक यास कएलगेल अिछ मैिथली टेिल ृंखला बाबामे । बाबाक लेखक िनदशकरमेश र जन कहैत छिथ िमिथलाक गाम उपिट रहल अिछ । बाबानेपाल टेिलिभजनसँ शिनिदन भोरमे ९ः३० बजे आ रिविदन १ः३०बजे सारण भऽ रहल अिछ । ामीण जीवनक नीक बेजाय पक्षआ बाबा ृंखलासं स बि धत रमेश र जनसँ कएएल गेल बातचीतकसंक्षेप ।297


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबाबाक कथानक की छै ?िमिथलाक वतर्मान अब था एकर मूल िवषयव तु छै । िमिथलाका यजीवनमे दूटा पीढी बीचमे दूरी देखल गेल अिछ । दू रंगकसोच छै । पीढीगत अ तर छै । एकटा पीढी छै जकरा गाम बडनीक लगैत छै, ओतुक् का जनजीवन िय लगैत छै, सं कारसं कृित नीक लगैत लगैत छै । गाममे ओ सहज अनूभव करैत छै। एकटा पीढी एहन बिन रहल छै जकरामे गाम ितक िवकषर्ण छै। ओऽके जीवन जिटल लगैत छ, म करबाक तिरका बहुतबेजाय लगैत छै । ओइठामक थायी स पि बेकार लगैत छै ।एकटा नाि हटा गामक िवकट जीवनके ओझराकऽ राखऽके औिच यनइैं बुझैत छै । इएह नाटकमे केि य अ तरव तु छै ।298


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिमिथलाक ा यजीवन आ बाबाक िवषयव तुमे कतेक समानता छै ?मैिथली भाषा एकटा मा यम मा छै । बाबा िसिरयलके थानचयन, ा य सौ दयर्ता, आम आदमीक संघषर् आिद पीडाक बात छैओऽ । आम खादमीक हा य िवनोद, ओ कखन खुशी होइत छै,कखन दुःखी होइछै । सामािजक संरचनासं िनःशृत जे बात छै सेकथानकमे बुझाइत छै । पाके बाजब, चलब, भेषभूषा, आभूषणसभमे िमिथलाक झलक भेटैत छै । तें ई पूणर्रुपें मैिथली िसिरयलछै ।299


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAनेपालक लाखो मजदुर िवदेशमे म बेचबालेल बा य अिछ, देशमेअवसर निह छैक । की ओहने पलायनके देखएबाक यास भेलअिछ ?एकर कथाक ओ अंश मा छै । ओ आव यक छै या निह सेबहसके िवषय हेतै । लेिकन एकटा बात िनि चत छै जे कोनोदेशके िमक बाहर जाकऽ म करए से नीक निह मानल जासकैत छै । िमिथलाक धत उवर्र छै आ ओऽके सपूतसभ उंट,भेडा चरबैछै । ओ िमिथलामाे निह नेपालोक लेल नीक निह भऽसकैत छै । मुदा मुख् य बात ई जे स पूणर् रुपमे ामीण जीवनकवैिश टय अिय लागऽ लागल छै एिह पीढीके । आ फरक ढंगके व नील संसारिदस आकिषर्त भऽ रहल अिछ । गाममे जीवीकाचलाएब कठीन निह छै । दूटा गाय पोिसकऽ, पाँचटा बकरीपोिसकऽ, हर चलाकऽ, अनकर आिरपर घास कािटकऽ आ खेतबटैया कऽ कऽ ओ जीवीका चला सकैत अिछ । सामा य आदमीक300


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAलेल बहुत रास साधन छै गाममे । मुदा शहरमे साम यर्वानक लेलमा साधन छै । ओिह आकषर्णमे भोितयाकऽ सभ िकछु िबसिरगेल अिछ । गाम िकया ने नीक लगैत छै तकर िव लेषण निहकरैत छै बस भागऽकेे कोिशस करैत छै । ओ मके लेल माेभािग रहल छै एहन बात निह । ओऽ उ पादनक स भावना केहनछै ? ओऽके स भावना ओ निह देखैत छै ।ा यजीवनमे िशक्षा, वा य, रोजगारी आिदक अवसर निह छैक,एहनमे पलायनके वभािवक मानल जा सकैत अिछ या निह ?सम या बहुत रास छै, मुदा समाधान की जे गाम छोिडकऽ भािगजाइ । कऽ जायब, गामसं जनकपुर, जनकपुरसं काठमा डू आओऽसँ यूयोकर् आ वािशंगटन ़़तैके बाद ? िवक पके अ त कऽछै । गाम उपिट रहल छै । िमिथलामे शहर छइहे निह, एकरआधारे गाम छै । एिहके मतलब िमिथला उपिट रहल छै । हम तैरुपमे ओकरा देखबाक यास कएने छी ।301


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAएखनुक मैिथली िसिरयल जनशिक्त आ तकनीकी दुनू दृि टएँकमजोर देखल गेल अिछ । बाबा िसिरयल ओकरे िनर तरता तनिह ?बाबा िसिरयल नेपाल टेिलिभजनक लेल बनाओल गेल अिछ ।एिहमे नेपाल टेिलिभजनक ािविधक सहयोग लेल गेल अिछ ।मैिथली क्षेक चिचर्त कलाकारसभ एिह िसिरयलमे सहभागी छिथ ।िमिथला नाय कला पिरषक कलाकार रंगकमर्मे बेस चिचर्त अिछ। तें एिह िसिरयलमे ओतुका कलाकारके समावेश कएल गेल अिछ। सुिनल िम, राम नारायण ठाकुर, मदन ठाकुर, घन याम िम,रिव झा, र जु झा, परमेश झा, राम कैलास ठाकुर सिहतकेकलाकार एिहमे अिभनय कएने छिथ । कथा, पटकथा, संवाद आिनदशन हम वयं कएने छी ।३सुजीतकुमार झानेपालक रा पितक नेपाली ेम302


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAलोककें िकया निह पिच रहल !काठमा डूमे स प न अ तर ीय मैिथली स मेलनमे नेपालक रा पितडा. रामवरण यादवकेँ भाषण फेरसँ िववादमे आएल अिछ ।रा पित डा. रामवरण यादवकेँ अपन स बोधन नेपालीमे देलाक बादमैिथल सभबीच कड़ा आलोचना भऽ रहल अिछ ।303


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA304


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसािह यकार डा. रेवतीरमण लाल कहैत छिथ–मैिथलीमे बजला सँडा. रामवरण यादवजीकेँ रा पित पद निह िछ ना जइतैि ह जे डरभऽ गेलि ह । अखनो नेपालमे बड़का लोक सभ लग नेपालीबाहेककेँ मह व निह अिछ एकर छोट उदाहरण रा पितक भाषण सँलेल जा सकैत अिछ ओ कहलि ह ।फेसबुक पर चािर दजर्न सँ बेसी यिक्त रा पित यादवकेँ नेपालीभाषा ेमकेँ कडा आलोचना कएलि ह अिछ । सुरज यादव नामकएक यिक्त अपन फेसबुकमे िलखैत छिथ — नेपालमे एखनो राजािजवैत छिथ तेकर ग ध रा पितक भाषणमे भेटल । ओ आगािलखैत छिथ–नेपालक गणताि क रा पित सँ लोककेँ अपेक्षा छैकजे स पूणर् देशक लोक बनय, सभ जाित, धमर्, भेष भुसा सँ ेमकरय मुदा डा. रामवरण यादवकेँ कायर्कालमे शायद पुरा निह हैतलगैत अिछ ।रा पित डा. यादव धोती कुतमे सिज कऽ कायर्म अिवतिथहुनका कोनो कानून निह रोकैत । फेर मैिथलीमे भाषण किरतिथतऽ तइयो निह कोनो कानून रोकैत कानूनक जानकारसभ कहैतछिथ ।305


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअ तर ीय स मेलनमे सहभागी रहल ा यापक िवजय द कहैतछिथ–नेपालक सं कृित म ी िमने िरजाल अपन भाषण शुरुकरय सँ पिहने बाजल छलिथ –हमरा मैिथली निह बाजय अवैतअिछ तएँ नेपालीमे बजैत छी अहुना रा पित कएने रिहतैथ तऽसंतोष होइत मुदा सच् चा मैिथल भेलाक बादो ओ नेपालीमे भाषणकएलि ह लोककेँ पिच निह रहल अिछ ।रा पित होवय सँ पिहने ओ ायः कुत पाइजामा आ गमछा लगौनेरहैत छलिथ मुदा रा पित भेलाक बाद दौरा सुरुवाल आ ढाकाटोपी हुनकर पिहरन बिन गेल अिछ । किहयो काल पाग आ अ यटोपी पिहरहो परैत छन् िह तऽ टोपीए परसँ लगा लैत छिथ जे टोपीहिट गेल तऽ हुनक रा पित पद किह निह हिट जएति ह ।अमेिरकी रा पित बराक ओवामा िकछुए िदन पूवर् भारत आएलछलिथ । भारत मणक ममे हुनका जतय भाषण देवय परलि हकिनको निह किनको िह दी वजवे करैत छलिथ । भारतमे िह दीमेवजला सँ हुनक पगरी तऽ निहए िछ यलि ह संगिह पूरे भारतवासीके हृदय जीत लेलि ह ।306


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकनी अमेिरकी रा पित सँ इ हरके नेतासभ िसखिथ ? अिह ठामतऽ लोक अपने भाषा िवसिर जाइत अिछ ।महाराज महेश ठाकुर कँालेज दरभंगाक ा यापक एवं सािह यकारच मोहन झा ‘पडवा’ कहैत छिथ— नेपालक रा पितक मैिथलीस मेलनमे नेपाली भाषामे भाषण करवाक की वा यता छलि ह हमरानिह वुझल अिछ यिद नेपालक कानूनमे रा पित सभ भाषामे वािजसकैत अिछ इ वुझलहु तऽ वहुत िनराशा भेल । रा पित होवय सँपूवर् कतेको वेर डा. रामवरण यादवकेँ भाषण मैिथलीमे सु ने छी ओजानकारी देलि ह ।रा पित यादवकेँ एहनो रुप307


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAरा पित डा. यादव एक िदस मैिथली कायर्ममे धोती कुतक थानपर नेपाली पोशाक दौरा सुरुवाल पिहर कऽ पहुचलिथ आनेपाली भाषामे भाषण कएलि ह तऽ एक िदस मैिथलीसभमे यापकआलोचना भऽ रहल अिछ । रा पित यादवकेँ रा पित होवय सँपूवर् मैिथली आ दोलनीक भूिमका सेहो रहल अिछ । नेपालमेमैिथलीकेँ कात कऽ िह दी भाषाके वढावा देने वातकेँ ओ कडािवरोधी छलिथ । अिहकेँ लेल जगह जगह ओ वजैत छलिथ ।रा पित भेलाकवादो अपन गृह नगर जनकपुरमे एलाकवाद कोनोकायर्ममे सहभािग होइत छलिथ तऽ मैिथलीएमे भाषण कएने छिथ।काठमा डू ि थत हुनक िनवासमे जलपानक यव था चुरा दही िचनीआचार कएलगेल अिछ । एकरो पाछु हुनकाारा अपनाके मैिथलवुझव रहल जानकारसभ कहैत छिथ । मैिथल सभक ियगरजलपान रहल चुरादही रा पित िनवासमे पहुँचयवला हरेक यिक्तकेदेल जाइत अिछ ।नेपालक सभासद एवं सावर्जिनक लेखा सिमितक सभापित रामकृ णयादव कहैत छिथ— रा पितक आदेश पर ३ सय ६५ ओ िदनरा पित िनवासमे चुरा दहीक यव था कएलगेल अिछ । रा पितयादवके पस दीदा जलपान चुरादही छि ह आ ओ वहुत मन सँलोककेँ जलपान सेहो करवैत छिथ ।308


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१. िवनीत उपल- दीघर्कथा- घोड़ीपर चिढ़ लेब हमिडी -आगाँ २.शंभु नाथ झा ‘वस’१िवनीत उपल- दीघर्कथा- घोड़ीपर चिढ़ लेब हम िडी -तेसर भागई जरूर फर्ट जनवरीक गप छल। मुदा, जिहना-जिहना आलोकबाबूक नाम होयत जािह छल, तािहना-तािहना कतेको लड़की केफोन आबिह लगलाह। घर के सभ गोटे तंग रहैत छल जे आलोकबाबू िदन भर की करैत अिछ। समय-काल बीतैत जाइत छल।लॉ के सेकेंड ईयरक परीक्षा भऽ गेल आआैर कॉलेज मे सबसेनीक नबर आलोक बाबू के आयल। थडर् पाटर्क क्लास शुरू भऽगेल छल। मुदा आबै बला समयक देखैत क्षमता तऽ हुनका मेनिहयै छल।309


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAएक रात दू बजैत रहै। घरक सभ िकयो सुतल छल। आलोकबाबू एक बजे राित धिर पिढ़ के िबछौन पर गेने छल आओर िकछुसोचैत-िबचारैत नॴद के बजबैत छलाह। तखने दरवाजा के िकयोखटकटायल। दू बजे राित मे ओिहनो िकयो धा िदयै तऽ लोक-बेद ते यैह निह बुझता जे चोर-उचा िकछु कऽ रहल अिछ।मुदा, ओतय िमली ठार छल। िकवाड़ी आलोक बाबू खोल लक।िमली कहलक हमर घर मे पाट छल आओर अहां से कतेक िदनसे भेंट निह भेल छल, तािह से हम सोचलहुं जे अहां से भेंट कऽआिब। अहां के देिख लेलहुं, आब हम जाइत छी। ई गप किह केिमली तऽ चिल गेल मुदा घर मे तूफान आिन देलक।िमली चािर घर बाद रिह बला चंभूषण बाबूक बेटी छल। ओ लॉमे पढ़ैत छल। आलोक बाबू से जूिनयर रहैत कॉलेज मे। िमिथलामे ते जानते िछयै। ककरो बेटी ओिहनो कोनो लड़का से गप कऽलैत अिछ, ते की ओयत अिछ। तखन ई राित मे िकयो िमलिहलेल आिब तऽ की होयत, सोचिह सकैत अिछ। पूरा मोहला जािनगेल जे आलोक बाबू से िमली राित मे भेंट करिह लेल आयलछल। जानतै िछयै कहल जाइत अिछ दीवारो कऽ कान होयतअिछ। आस-पड़ोसक लोग-बेद पुछैत छल आओर कानफुसकी करैतछल, जे िमली के आबैक योजन की छल।310


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAघरक लोक तऽ ई गप जानतै छल। हुनको कान मे गेल जेआसपड़ोसक लोक बाजैत छलाह। आलोक बाबूक मां के अहांिचतै िछयै। हुनकर तरबा के लहर मगज पर रोज चढिहलागल। रोज दूटा अनटेटल गप आलोक बाबू के सुना दैत छल।ओिह काम हुनकर मां सुनलक जे लॉ करने से आलोक बाबूवकील तऽ बिन जायत मुदा, जखन कोनो केस आयत तखैन निहओ वकालत करताह। अिह काज से तऽ नीक पकार होयत।जिहना िकयो िकछु अनटेटल करैत, ओ अखबार मे छािप दैत।तखन लोक के मालूम होयत जे इजत बनाबै मे केकरो िजंदगीबीित जाइत अिछ, ओकरा मािट मे िमलाबै मे कोनो टाइम निहलागैत अिछ।आब घर मे दोसर गप होय लागल। आलोक बाबू के पकारबनिह लेल पकािरता के कोसर् करैक गप होय लागल। िकयोकहैत छल जे रायपुरक कोनो संथान मे हुनकर नाम िलखािदयो। िकयो कहैत छल जे भोपालक माखनलाख चतुवदीपकािरता िविवालय नीक अिछ। िकयो राय दैत छल जेिदली पकािरता के गढ़ अिछ, आलोक बाबू के ओतय पठािदयो। मां ते मां अिछ। हुनका लागल जे हमर सभटा लऽर जऽरबाहरे पढ़ैत अिछ आओर हुनकर मां-बाप खूब गप दैत अिछ। तािहसं हम आलोक कऽ िदली भेज दैत छी आओर ओतय ई पढ़ताह।311


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAआिखरकार एक िदन एहन आयल, जे आलोक बाबू बड़ मनसुआलऽ कऽ िबलासपुर एक्ेस से िदली उतरलाह। िकयो िचहार तऽनिह छल िदली मे, से रेलवे टेशन से उतिर के पहाड़गंजकसाइड के होटल मे टहरलाह। रायपुर से िदली के िकछुपकािरता संथानक पता आओर फोन नंबर संगे लेलिह आयलछल। दोसरे िदन से सब ठाम घुरिह लगलाह। कनाट लेसककतूरबा गांधी रोड पर अिछ भारतीय िवा भवन। ओतिह गेलापर मालूम भेल जे ओतय एडिमशन लैके तारीख अिछ जे दू िदनबात खम भऽ रहल अिछ। ओ आव निह देखलक ताव, चार सौटका मे फामर् कीन कै भिर देलैक। पंह िदन बाद ओकर इंेसपरीक्षा अिछ। ओहो अंेजी मे। िदली िविवालय के साउथकैंपस सेहो गेलाह। ओतोको फॉमर् भिर देलक। माखनलाल चतुवदीपकािरता िविवालय के सेहो एकटा सेंटर नोएडा में छल,ओतौको फामर् भरिह लेल आलोक बाबू निह िबसरल। ता धिरजािमया िमिलया इलािमया से पकािरता लेल फामर् निह भेटैतछल।अिह बीच ओ अपन डेरा तािक लेलक। होटल मे कतेक िदनरहितयैथ। दिक्षण िदली मे एकटा गाम अिछ, बेरसराय। पुरैनकाजेएनयू कैंपसक आगू आओर आईआईटी के बीच ई गाम अिछ।ओतय डेरा लेलिखन। िकराया छल 16 सौ टका महीना। आलोक312


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबाबू की करितयैथ। डेरा की छल। एकटा कमरा बस। तीनमंिजल के िबिडंग छल। ओिह मे कम से कम निह तऽ 40 टाकमरा रहैक। सभमे िबहार, बंगाल, झारखंड, उरदेश से िदलीआयल लड़का सभ रहैत छल। सभक सपना छल जे िदली सेजायब तऽ िकछु बिन के जायब। ओिह िबिडंग के एक-एक लोरपर दू टा शौचालय आैर नानघर बनल छल। सभ िकयो बारी-बारी से ओिह मे जाइ के िनयिया से िनवृत होयत छल।सभठाम के फामर् भिर के आलोक बाबू तैयारी करै मे जुटल। खूबजीके याद करैत छल। अंेजी में कॉिमल बुके से सभटा मीिनंगयाद कऽ लेलक। निह हुनका राित पता चलैत छल आओर निहिदन। बस एे टा धुन छल जे पकार बनैक अिछ ते हम बनबेकरब। कोनो-कोनो िवषय पर िलखिह के खूब ैिक्टस सेहो करैतछल। किन-किन अंेजी बाजैक कोिशश सेहो आलोक बाबू करैतछलाह।आिखर भारतीय िवा भवन में परीक्षा देलिह लेल गेल। लागलसभटा सवाल ते जानैत िछयै। मुदा, हुनका मे से अंेजीक लऽकऽ एकटा िझझक रहैक, तािह से ओ सोचैत छल जे इंेस परीक्षामे पास करै के कोनो सवाले निह अिछ। मुदा, बगल बला रूम मेरहै बला राजीव कहलक,313


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA'ओ आलोक बाबू, मािन िलयौ जे अहां इंेस टेट पास निह करनेछी, मुदा एक बेर नोिटस बोडर् पर अपन नाम आ रोल नंबर देखिहमे की जाइत अिछ।"'ना, हम ओते अंेजी निह जानैत छी, जे अंेजी िदली के लोकबाजैत अिछ।"'हौ, अहां बूर छी, आंय यो िदली बला के कोन अंेजी आबैतअिछ। अहांके के किह देलक।"'निह हौ, परीक्षा देने गेल रहॱ ते ओतय ते सभ िकयो िहदी मेबाजैत छल।"'अहां यान से सुनने रिह", राजीव पूछलाह।'निह, मुदा ओ सभ अंेजी में बाजैत रिह"'ते सुनू, िदली बला के फोकस छाड़िह लेल खूब आबैत अिछ। ईसभटा जे अंेजी बाजैत अिछ, ओ कोनो अंेजी बाजैत अिछ।िटिपर-िटिपर करैत अिछ, मुदा सभटा गलते बाजैत अिछ। केकरोामर अहां से नीक होयत ते अहां हमर नाम पर कुकुड़ पोिसलेब।"314


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAराजीवक गप सुनिह के आलोक बाबू के लागल जे हुनकर गप मेदम अिछ।'जानैत िछयै आलोक बाबू, िहदी के पैघ पकार आआरसािहयकार अिछ कमलेर, ओ कहैत अिछ जे िदली बला केअंेजी डेढ़ िमनट के होयत अिछ। डेढ़ िमनट के बाद हुनकरभाषा िहदी भऽ जाइत अिछ। तािह से िदली के अंेजी से निहघबराऊ", राजीव ई किह के एकटा सवाल आगू कऽ देलक।'अहां कतेक सवाल िलखने रिह।"'सभटा, मुदा दू टा आजेिक्टव सवाल गलत भऽ गेल छल।"'तब अहां िकयै घबराइत अिछ", राजीव बजलाह।'अहां जरूर पास करल होयब।"ता धिर आओर रूमक टूडेंट बाहर आिब गेल आओर आलोक बाबूके किह लागल जे अहां िरजट देखिह लेल जाऊ। अहांक जरूरसलेक्शन भेल होयत।आलोक बाबू के एकरा बादो साहस निह भेल जे ओ अकेलेभारतीय िवा भवन जाइके अपन िरजट देखितयै। हुनकर चेादेखिह के राजीव संग भऽ गेल जे दूनू गोटे िरजट देखिह लेल315


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAजायब। बेरसराय से 615 नंबरक बस पकिड़ के कनाट लेसअइलाह आओर फेर ओतय स भारतीय िवा भवन। िफम 'ीइिडयस" मे जैसे राजू रतोगी आैर फरहान अख्तर अपना नामिरजट के आिखर मे देखैत अिछ, तािहना आलोक बाबू देखिहलगलाह।चािर पा मे िरजट चपा छल। आिखर के तीन पा मे िरजटदेखिह के राजीव से आलोक बाबू कहला,'यौ हम कहैत रिह ने जे हम पास न कऽ सकब। देिखयो अिहिलट मे निह तऽ हमर नाम अिछ आओर निह कतो हमर रोलनंबर अिछ।"'अहां पूरा िलट देखिलयै", राजीव पूछलाह।'जी"'अहां िलटक तीन पा मे रोल नंबर तऽ देखिलयै, मुदा शुरू बलापा निह देखिलयै। अहांक नाम तऽ पिहलुक पा मे अिछ आओरअहांक पोिजशन पांचवां अिछ।"316


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAई सुिन के आलोक बाबू ठामे ठार रिह गेल। ओ सोचिह लगलाहजे की ओ एतेक कािबल अिछ जे सैकड़ो टूडेंट के पछाड़ कऽपांचवां थान पर रहब, ओिह मे जे परीक्षा अंेजी मे भेल छल।जारी...२शंभु नाथ झा ‘वस’अतीतक घटना/ सपना/ कोशीक लंकारी बािढ़मे भाँसल एकटालड़कीक सय कथा317


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमनोरमा आइ उठैमे देर कऽ देलक। आइ आँिख खुिजए नै रहलछलैक। देबारक घड़ीपर नजिर गेलै। साढ़े छ बिज गेल।हड़बड़ाइत मनोरमा नल लग जाए आँिख़मे पािनक िछटा मारलक।झटसँ पेट आ श लऽ कए मुँह धोअए लागल। तावत रजनीशकअवाज सुनाए पड़लैक- मनोरमा, चाह...।आँए। रजनीश पिहनिहए उिठ गेल छल। फेर रजनीशक आवाजहोइ छैक।-हे एिहठाम टेबुलपर चाह धिर देलहुँ हेँ।मनोरमा मुँह-हाथ धोए कुरूड़ कऽ कमरामे वेश करै छिथ आिकरजनीश तैयार भऽ कऽ बाहर िनकिल कऽ कहलक- हम जा रहलछी। हमर बस छूिट जाएत। अहाँ उठैमे देर कए देलॱ- रजनीशबाजल।-नाता कऽ िलअ, बना दैत छी।मनोरमा बजलीह।318


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA- हम नाता बना कऽ खा लेलॱ। अहूँ लेल धऽ देने छी।रजनीश बािजते-बािजते बाहर भऽ गेल।मनोरमा सकपका गेलीह। आइ हमरा की भऽ गेल छल। आँिखएनिह खुिज रहल छल। रजनीश कखन उिठ कऽ सभ काजसँिनवृत भऽ गेल। आ अपनिह सँ चाह सेहो बना लेलक आ नातासेहो? हमरा निह उठौलक। कौ मोनमे दुःख तँ निह भऽ गेलैए।निह दुःख तँ आइ धिर निह केलक। हमहुँ रजनीशकेँ खुश करबालेल कोनो कसर निह राखलॱ। मुदा आइ की भऽ गेल छल जेउठैमे देरी भऽ गेल। हँ राितमे सपना देखलहुँ। सपना भोरे-भोरधिर देखलहुँ। तँ उठबामे देर भऽ गेल। रजनीशक कूल दूरपड़ैत छैक। तँ रोज साढ़े पाँच बजे उिठ जाइ छैक। हमरो िनसाढ़े पाँचसँ पिहने टूिट जाइत छल। मुदा आइ हमरा की भऽ गेलछल जे आँिखए निह खुजल। रजनीश हमरा उठएबो निह केलक।319


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमनोरमा रातुक सपनाक मरण कऽ अतीतमे चिल गेलीह। महाकालराि छल। कुशहा बाह टूिट गेलैक। कोशी माए रो रूप धारणकऽ भयानक गजर्न करैत गामक-गाम अपना उदरमे समाबएलगलीह। कतौक नारी-पुरूषक सुतलेमे ाण पखेरू उिड़ गेलैक।बच्चा-माल-मवेशी मरल भाँिस-भाँिस कऽ बहै लागल, सुपौल, मधेपुरा,सहरसाक िकछु भाग आ पूिणर्याँ आ अरिरया िजलाक पिम भागसेहो डूिब गेल। दू मंिजला मकान सभ तँ कतोके उलिट गेल।फूस घरक कथे कोन। िवेणीगंज बाजार, मुरलीगंज बाजार तँबबद भऽ गेलैक। महालयकालीन धारा भऽ जखन कोशीक धारादिक्खन िदस बढ़ल तँ गाम-घर, बाग-बगान सभटा न भऽगेलै। िवशाल-िवशाल गाछ-िबरीछ सभ धराशायी भऽ गेलै। चारूिदस पािन-पािन नजिर आबए। कतौ-कतौ बाँस भिर पािन। पाकमकानपर बचल-खुचल आदमी सभ आय लेलक।मनुक्खो मे जे राक्षसी वृितक मनुक्ख छल, सहायताक ढ़ॲग रिच-रिच धन लोभ सँ त भऽ महा-अनथर् कायर् केलक। जािह गाममेपािन पहुँचैमे देर भेलैक तै गामक लोक सभ एिह आशामे जे आबपािन घिट जेतै, ऐ लोभ सँ गाम निह छोड़लक। मुदा आओर पािनबिढ़ए गेलैक।320


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिजनका सभकेँ पाक मकान छलैक से सभ अपन-अपन टाकागहना जेवर लऽ कऽ मकानक छतपर पहुँिच गेल। तीन-चािर िदनबीित गेलै। भोजनक समया। बच्चा सभक ाण िनकलए लागल।सभटा अनाज, चूा-चौका, जारिन आिद तँ नीचेमे छलैक। सभटाजलमग्न छलैक, िजनका हाथमे मोबाइल फोन छलैक ओ अपनसर-कुटुमकेँ सूचना दऽ देलक। मुदा सरो-कुटुमकेँ िकछु निहफुरिह। बल-कल तेज धारमे िकनको हेलए केर साहस निहहोइिह।एहर लूटे खसोटे केर मोन बला सभ नाह लऽ कऽ बचाबए केरवांग रिच नाह पर चढ़ा कऽ माँझ धारमे आिब सभटा माल-परगहना जेवर छीिन कए पािनमे धकेल दैत छलए।के सरकार आ राय सरकारकेँ ािहमाम् संदेश जखन भेटलएतखन जा कऽ फौज केर नाह आएल। ऊपर सँ हेलीकॉटर सँिबकुट आ भोजन सामी पहुँचायल गेल। सहायता िशिवर थािपतभेल।321


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAई काल राि 18 अगत 2008 केँ आएल छल। मनोरमा सेहोअपन पिरवारक संग अपन मकान केर छतपर छल। कतेक िदनबीित गेल छल। चारो तरफ पािनए पािन। को भागए केर रातानिह। ऊपर सऽ झमाझम बरखा सेहो बरसए छल। भूख यास सँबाँचब किठन भऽ गेल छलैक। तावत एकटा नाह लऽ कऽ तीन-चािर आदमी आिब नाहपर चढ़ा लेलक। िकंतु माँझ धारमे जाएसभटा गहना जेवर टाका छीिन कऽ सभकेँ लाठीसँ मािर पािनमेधिकया देलक।मनोरमा सेहो धा खाए पािनमे खिस ऊब-डूब करए लगलीह। ओबेहोश भऽ भाँसैत-भाँसैत एक िकनार लािग गेलीह।मनोरमाक आँिख खुजलै- होश मे अएलीह तँ अपनाकेँ राहतिशिवरमे पओलीह। राहत िशिवरमे अयायो सभक डॉक्टरकउपचार भऽ रहल छलैक। मनोरमा जखन दूइ चािर िदनक बादवथ भेलीह तँ डॉक्टर आ राहत िशिवरक यवथापक मनोरमाकिनदशसँ ममहर भेजवा देलकै।322


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमनोरमाक िपता अवकाश ात धानायापक छलाह। मनोरमाकजेठ भाए युगेश कृणामी पूजामे गाम आएल छलैक। युगेशकलकामे मेिडकल पिढ़ रहल छलैक। मनोरमाक िवयाहक कथालािग गेल छलैक युगेशेक साथी धमनदसँ। अगला माघ-फागुनमासमे िबयाह होमए बला छलैक। मनोरमा सेहो बी.ए. छलीह।दरवजेपर कृणामी पूजा धूम-धामसँ हरेक साल मनाएल जाएतछलैक। सभ भगवानक मूिर् सभ बिन कऽ तैयार छलैक। पूजाकयवथा जोर-शोर सँ भऽ रहल छलैक तावते ई महालयक घटनाघिटत भऽ गेल। माम एक छोट िछन शहर मे िशक्षकक नोकरीकरए छलिह। मनोरमाक सातम आठम िदन ममहरमे रहब भेलछलैक। मामीक यवहार मनोरमाकेँ नीक निह बुझा रहल छलैक।मामी एकांतमे मामसँ कहिथन- एकरा माथपर िकए बैसा लेिलऐ।आगाँ िकछू सोचबो करै िछऐ। एकर िबयाहो करबै पड़त। एकिदन मनोरमा मामीक मुँहसँ माम सँ कहैत सुिन लेलक। मनोरमािचंितत भऽ गेलीह। बेर-बेर मामीक तानासँ अकच्छ भऽ गेलछलीह। मनोरमा शहरक मोहलामे घुिम कऽ सपकर् कऽ कऽछोट-छोट नेना सभक यूशन करए लगलीह। मामो ओतए पूवर्सँआवागमन रहबे करै तेँ मुहलाक लोग सभ मनोरमाकेँ िचहतेरहए। तँ यूशन भेटैमे भाठ निञ भेलैक।323


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAएक िदन रघुवीर जे सबध मे मिमयौत छलैक मनोरमासँकहलिखह- बिहन कोनो कावेट धऽ लैितऐ तँ बड नीकहोइतौ।मनोरमा बजलीह- भाए। हमर सािटर्िफकेट तँ घरेमे पािनमे न भऽगेल। अहाँ भाए मदिद कऽ िदअ। सहरसा कॉलेजसँ ॴिसपलसाहेबसँ आवेदन असािरत कराए मधेपुरा यूिनवसटीसँ ितीयकलधांक प सभ मंगा िदअ। हे भाए हमर सन अभागल केर िकछुमदिद कऽ िदअ। हमरा िकछु निह सूिझ रहल अिछ। हम अनाथछी।- किह कऽ मनोरमा फफिक-फफिक कानए लगलीह। रघुवीरसावना दऽ चुप करौलक। रजनीशकेँ हाल-िफलहालमे सेंलकूलमे नोकरी भेटल छलैक। ओ छुीमे अपन शहर आएल छल।रघुवीरक संग एक िदन रजनीश बाजार करएले जा रहल छल।मनोरमा सेहो िकछु सहेली संग बाजार घूिम रहल छलीह। रजनीशकेर नजिर जखन मनोरमापर पड़ल तँ रूप-लावय देिख भाविवल भऽ गेल।ओ रघुवीर सँ कएलक- रघुवीर ई नवयुवती के िथक?324


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAनजिर हिटए निह रहल छलैक।-हमरे िपिसयौत बिहन िथकीह। बािढ़ मे सभ िकछु बबद भऽगेलए। भाए, माए, िपताजी केर कोनो पता निह छैक।- रघुवीरसकल वृतांत किह सुनौलक। रजनीश एिह दुघर्टनाकेँ सुिन यिथतभऽ गेल। ओ मोने-मोन िवचारै लागल जे एकर िबयाह नीक घरमेहोयबाक चाही। एहन िशिक्षत सुदिर जे घर जयतीह, ओ घर वगर्भऽ जयतै। ाकृितक िवपदा सँ एहन उम कुल शील वाली कयाअनाथ भऽ गेल अिछ। रजनीश िवचार मग्न रघुवीरक संग आगाँबढल जा रहल छल।तावत पाँछा सँ मधुर शद सुनाए पड़लैक -रघुवीर भाए। ई देखूिवा िवहार कावेट मे एकटा मिहला िशक्षक केर िवज्ञापन छैक।मनोरमा एकटा यूज पेपर देखाइत बजलीह।-बड नीक। आवेदन कऽ िदयौक।- रघुवीर बाजल-कतेक योग्यता अिछ।- रजनीश हठाते पूिछ देलक।325


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA-बी.ए. संकृत आनसर् फटर् क्लास।- मनोरमा सकपकाइतबजलीह।-अहा हा! तखन तँ अहाँ कऽ िनिते भऽ जाएत।-रजनीश बाजल।एिह तरहे गप सप करैत घर घुिर सभ आिब गेल। रजनीश केरमोन मे मनोरमा बिस गेल। रजनीश एक िदन संग मे माए सँकिह देलक। माए हम कमाबैत छी, एिह लेल हम आदशर् िबयाहकरब आ एहेन लड़की सँ जे कुलीन होए आ पिरवार जनक सेवाकऽ सकैत छल। सभ पिरवार जनकेँ मनोरमा पिस भऽ गेलीह।खास कऽ रजनीशक मोन राखए लेल।िववाह कए रजनीश मनोरमाकेँ लऽ कऽ शहर आिब गेल। गमकसमए अैल-मइ मास। रजनीशकेँ सबेरे तैयार भऽ नाता कऽकूल जाए पड़ैत छलैक। िबयाह कऽ शहर आएब पह-बीसे िदनलगधग भेल छलैक। दुनोक बीच अगाध ेम छलैक। मनोरमा326


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिनतिभनसरे साढ़े चािरये बजे उिठ कऽ चाह बनाबैत- दूनू गोटेसंगिह पीबै छल। आ नाता बनाए रजनीश केर खुआ ेमसँ िबदाकरए छलीह। मुदा आइ अतीतक घटनाक सपना देखैत भोर मेआँिखए निह खुजलैक। तािह लेल रजनीश अपनिह सँ सभ कामकऽ लेलक आ फेर अपन कूल चिल गेल।३. प३.१.१. आरसीसाद िसंह- गुलाबी गजल २.डॉ. नरेश कुमार ‘िव कल’- दूटा आर गजल ३.दूटा गजलमुाजी-327


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA३.२. रिव भूषण पाठक- एिह बेर छिठ मे३.३.१. राजदेव मंडल -झगड़लगौना िप शाच/ गाछक बिल दान/ हेराएल २. जगदीश साद मंडल २ टा गीत- बीतल बखर्किव दाइ/ फनकी३.४. राजेश मोहन झा- किव ता- सुगर ी328


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA३.५.१. नवीन कुमार "आशा"- हमरा भेटल२. शंभु नाथ झा ‘वस’उवादी बिन जाए।३.६.१. अिजत िम- नब वषर्/ सुदर मनगर पवर् महान २.डॉ. शेफािलका वम- नव वषर् ३.सतीश च झा-नव वषर् ४.सुबोध ठाकुर- तीक्षा३.७.१. िकशन कारीग़र- आिब गेल नव वषर् २.राम िव लास साहु -किव ता- कोइली कूहकै आमक डािर329


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA३.८. गंगेश गुंजन- राधा- २८ म खेप330


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१. आरसीसाद िसंह- गुलाबी गजल २.डॉ. नरेश कुमार ‘िव कल’- दूटा आर गजल३. मुाजी- दूटा गजल१331


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAआरसीसाद िसंह 1911-1996जम: ाम-एरौत, िजला-समतीपुर । कािशत कृित: मािटक दीप, पूजाक फूल,सूयर्मुखी (किवता-संह), मेघदूत (अनुवाद), आरसी, नददास, संजीवनी (िहदीकाय संह)। ’सूयर्मुखी’ लेल १९८४ मे सािहय अकादेमी पुरकार ात ।गुलाबी गजलअहाँक आइ कोनो आने रंग देखइ छी।बगए अपूवर् िक छु िव शेष ढंग देखइ छी।चम कार कहू, आइ कोन भेलऽ िछ जग मे?कोनो िव लक्षणे ऊज-उमंग देखइ छी।।332


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबसात लािग कतहु की वस तक गेलऽ ि छ,फुलल गुलाब जकाँ अंग-अंग देखइ छी।।फराके आन िद नसँ चािल मे अिछ म ती,िम जािज दंग, की बजैत जेँ मृंदग देखइ छी।।कमान-तीर चढ़ल, आओर कान धिर तानल,नजिर पड़ैत ई घायल, िव हंग देखइ छी।।िन सा सवार भऽ जाइछ िब ना िक छु पीने,अहाँक आँिख मे हम रंग भंग देखइ छी।।मयूर ाण हमर पाँिख फुला कऽ नाचय,बनल िव ऽजुलता घटाक संग देखइ छी।।लगैछ रूप केहन लहलह करैत आजुक,जेना िक फण बढ़ौने भुजंग देखइ छी।उदार पयर पड़त अहाँक कोना एिह ठाँ?333


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिव शाल भाग् य मुदा, धऽरे तंग देखइ छी।।कतहु ने जाउ, रहू भिर फागुन तेँ सोझे।अनंग आिग लगो, हम अनंग देखइ छी।।२डॉ. नरेश कुमार ‘िव कल’दूटा आर गजल-गजल-1तन िभ ंजा कए मन जराबए आिब गेल साओन केर िद न।334


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिव रह-वेदन तान गाबए आिब गेल साओन केर िद न।खेिल कऽ बरसात अ पन व फेंकल सूयर्परचानकेँ सेहो लजाबए आिब गेल साओन केर िद न।मधुर फूही भरल अमृत सँ लािव त ई धरापान महारकेँ कराबए आिब गेल साओन केर िद न।ई बसातक बात की हो अनल-कन-रंिज त बहएमोनकेँ पाथर बनाबए आिब गेल साअोन केर िद न।खोहमे खॲताक खूजल ािर पर िव धुआएल सनिव रिह णीकेँ बस डराबए आिब गेल साअोन केर िद न।335


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबाध हिर यर, बोन हिर यर हिर यरे चहुँ िद स छैधूरसँ आङन सुखाबए आिब गेल साअोन केर िद न।बांसुरीपर टेिर रहलै के एहन रस-रोग रागभेल भु हूरकेँ पजारए आिब गेल साअोन केर िद न।िस मिस माहे नूआ-सन झपसीमे लागए सहज-मनसतलकेँ आओरो सताबए आिब गेल साअोन केर िद न।गजल- 2शेषांशपर रोदन करू वा गीत उिद त भानपर।336


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिक तु आफत अािब पहुँचल मान और स मानपर।दीप ज बूीप केर िन अकि प त भए जरएयएह सोचब ि थक किठ न अनीित केर दोकानपर।भेल वृि ज्ञानमे, िव ज्ञानमे, संधानमेज म दर केर बात की वृि उ थानपर।िक तु नैित कताक अवनित आचरण, सम भावमेदेश िह त केर बात तँ चिल गेल कोठीक का हपर।देश गांधी, बु केर रिह गेल ने सुभाष केरदेश ई नाचए सदित घोटाला सबहक तानपर।आब िव चरण कए रहल नरभक्षी दोसर वेशमेछैक किन को ने दया एे नेना केर मुसकानपर।337


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA३मुाजीदूटा गजल१परपरा भऽ गेल अिछ अछैत आधुिनकताक फेरमेपिहने दुसै छल नाटकेँ जे आब चलै-ए हँजेरमेिबसिर जाइ अितव अपन बिन जाइछ िपछलगुआ338


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAउतिर जाइए िनचला सीढ़ी धिर ओहो पाइक फेरमेफूस घरो नै छलै आ तकै-ए पा अराम तलबी लेलमुदा बेरोजगार लोक कािट लै-ए राित बालुओ ढेरमेकिहयो लोक मरय लागल छल पर लोकक डािहसँआइ िनजकेँ करैए िनजगुत माँझ आिन कऽ कछेरमेघेरल िजनगीक सीमासँ दूर भऽ कऽ लोक आब चाहैएजीतऽ चाहै-ए बैसारीमे घीिच कऽ टांग दोसराक बेरमेअखनो बाँचल छै संवेदना कोनो लोकक बीच कतहुलोक मूिन लै-ए आँिख दोसराक संग होइत अहेरमे339


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबिढ़ गेलैए भागा-दौड़ी तेँ मनोज कऽ लै-ए चौरी कनेकतेँ लोक आब मरय लागल अिछ उमरक अधेरमे२झूिक जाइत छल पिहने माथ कोनो छोट काजपरबदिल रुिख नीच काज िबन पाइ उड़ै जहाजपरिवषमता दूर भेल जाितक भऽ जीवै-ए रह-रहामचुप अपना बेर िटकै नै छै मोन सर-समाजपरअपना अपनीकेँ समेट जीबैए आब सभ लोक तेँदेखै टुकुर मुँह ब रखै काज अनसहाजपर340


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAलोक लोककेँ िचहै छलैए देखवै छल मनुक्खता यौिबसिर समाज िटकल रहै मोन केवल याजपरदुनूक खािधकेँ मनोज पाइक बलेँ पाटऽ जे चाहै-एअपन हािन सँ दुखी नै आँिख छै िदयादक लाभपररिव भूषण पाठकएिह बेर छिठ मेएिह बेर छिठ मेपिहले छिठ मे सूयर्देव उगित छलाहया त‘ खुटेरी बाबू क‘ गाछी क‘ पाछू341


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAया िनसहरा पोखिर क‘ पाछूकोनो-कोनो बेर शिश बाबू क‘ गाछी क‘ बीच सँआ कोनो बेर मिझला का क‘ बँसबीी क‘ पाछूएहन बात त‘ किहयो निह भेलएिक ओ टेलीफोन टावर क‘ पाछू सँ उगिथया डाक्टर साहेब क‘ दूमहला क‘ पाछूएिह बेर कूल क‘ मोटका हेडमाटर आत छिथमयाहन भोजन क‘ पिहल क‘र भगवान खाइथ छिथहमरे घर क‘ पाछू िकएक ने उगताह ?मुक्खन के जोतखी जी कहने छिथहभगवान अहँा के छोिड़ के कत‘ जेताह ?भुटकुन बाबू आ मुंशी जी डराएल छिथिक भगवान रता िबसिर जेताह ?बच्चा बाबू एकटक लगेने छिथसबसँ पिहले ओ भगवान के देिख केखूब जोर सँ िचकरताहदेिखयौ देिखयौ भगवान त‘ एिह बेर मिदर क‘ पाछू सँ िनकललाह।जुआएल कुहेसा आ भपाइत पोखिर मे सब भक- चक छिथतखने बटोरन बाजलभगवान त‘ एिह बेर दुसधटोली क‘ पाछू सँ उिग रहल छिथ342


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमुक्खन मुिखया,डाक्टर आ माटर साहेब दुसधटोली िदिस देिखरहल छिथसूयर्देव उगए वला छिथदुसधटोली क‘ पाछू आकाश टकाटक लाल छलए...........१. राजदेव मंडल -झगड़लगौना िप शाच/ गाछक बिल दान /हेराएल २.जगदीश साद मंडल २ टा गीत-बीतल बखर्क िव दाइ/ फनकी१राजदेव मंडल(1) झगड़लगौना िप शाच343


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAई झगड़लगौना िप शाचनै आबए देलक अपनापर आँचरखने सभसँ मेलखेलैत रहल झाँपल खेलजेकरा संगे करै ई कनफुसकीतेकरा मुखसँ उिड़ जाइत मुसकीओ करै छल रगड़ाताकऽ लगै छल झगड़ाएको घर नै छोड़े छल लड़ैया बोखारएकटा रोकनाइ भऽ गेल छल बेस हारफैला रहल छल दोग-दोगभऽ गेल हो जेना संमक रोग344


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAघर-घर छीटै छल झगड़ाक बीयाझगड़ाक बाद फटै सबहक हीयानव शिक् त िन त रोजकरए लागल बेमारीक खोजधरा गेल सीपपर आइभगै केर नै रहल कोनो उपाए“एना नै किर ओ छान-बा हएतेक नै किर ओ अपमान ”िक छ हँसैत िक छ रहल कािनमुँह लटकौने िप शाच सभकुछ जािनकािन -कािन पएर लेलक छािन ।(2) गाछक बिल दान345


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAगाछसँ घेरल चारूभरम यमे छल दूटा घरचारूभरक गाछ झड़िक गेलतैयो आिग नै बहरा भेलई वर केहेन रचना रिच गेलदूटा घर जरल सॱसे गाम बिच गेलतोरेटा घर भेलह बरबादभगवानकेँ दहक ध यवादकेकर कऽ रहल छी यशोगानपिह ले िद औ गाछक मानतब करब ई वरक स मानतँए बचल कतेकोक धन आ जान346


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAगाछ नै भेल पाछनै तँ सॱसे गाममे आिग करैत नाँचयएह ग प छै साँचहमहूँ नै हएब पाछफेर रोपब दू-चािर गाछ।(3) हेराएलहे यौ, हम हेरा गेल छीअ हारमे घेरा गेल छीकोनो बाट नै भेटैत ऐछबौअए गेल छीऔअए गेल छी347


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAऐ गामक की नाम िछ ऐ यौघुिर या रहल छी चारूभरकोन घर िछ ऐ हमरभटिक रहल छी दर-दरनै भेट रहल ऐछ घरहे यौ कोन दुआिर ऐछ हमरसुनै छी फटकार भरल वरभीतर काँिप उठल थर-थर“बड बजै छह चर-चरकी नाम िछ अ तोहर ”िब सरल छलहुँ गामआब तँ िब सिर गेलहुॅँ नाम348


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकहए पड़त हम के छी वयं जानए पड़त हम जे छीनै तँ जीनगी भऽ जाएत अकारथनै भेटत परमारथ।२जगदीश साद मंडल२ टा गीत-बीतल बखर्क िव दाइअंित म स कार सुनू िश कारी349


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअंित म िद न कहै छीअंित म बात सुना-सुनाअंित म स कार करै छीहँसैत रहू सदित अहाँहमरो तँ जीबए िद असभ िक छु तँ लैइये लेलॱएतबो तँ बाजए ि दअनोर पीब हृदए अहाँकशीतल सदित रहैएमनक ताप झहिड़ -झहिड़सगतिर तँ कहैए।350


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकिव ता-फनकीफनकी बना फसा िश कारीफसौलक सॱसे जंगलकेँबगरा-बुगरीक चच कतेनथलक बाघ, गेंड़ा- घोड़ाकेँखढ़-पातक बना-बनाबुनलक सत जालघुमा फेकैत भीड़ो कहाँबिन गेल तऽरे तऽर महजालखढ़क फनकी लगल बगड़ाकेँ351


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAतैंइतमे फिस गेल िस यारडोराक फनकी लगल साँपकेँमक फनकी फसल बुि यार।।राजेश मोहन झा- किव ता-राजेश मोहन झा 'गुंजन'किव तासुगर ीसुगर ी सभ सुगर ीआब चीनी सेहो सुगर ीसंवतक पूआ गेल पिन आएल352


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAगिन कऽ हूरिथ ीमती आ ी।आॅिख ऑिख पर िग लास गाडर् छै,भिर गेल मधुमेह वाडर् छैचूड़ा-दही संग टेबलेटक िड बाखाइत रहू वन-टू-ी'ि नरामया' भेल जीवनक मीलमुँहक चीमे टीश उठल छैजमैन सॲफ संग देखू पान-बीड़ीदेहक पलंगमे उड़ीया भरल छैजोड़क झटका धीरे लगिथल सी पु प रससँ नेना सभ भागिथबगर्र-िच सक एलै जमानाबिढ़ रहल चाउमीनक िब ी353


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAगाम धरमे डॉ. भरलनाली ब द पाॅलीथीन सभ पड़लदूधमे सोतीक पािन लबालबसोमरस मिद रा सभ टेक् स ीआंग् ल वाणी ृंगार बनल छैमातृभूिम केँ िब सिर रहल छैअपन मैिथ ली अिछ मधुराएलई निह बूझब सुगर ी१. नवीन कुमार "आशा"- हमरा भेटल २. शंभुनाथ झा ‘वस’उवादी बिन जाए।354


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१नवीन कुमार "आशा" (१९८७- )िपता ी गंगानाथ झा, माता ीमित िवनीता झा। गाम- धानेरामपुर,पोट- लोहना रोड, िजला- दरभंगा।हमरा भेटलहमरा भेटल एकटा िवषयओइ लेल भेटल िकछु समएकहल गेल हमरासँ मीत355


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिलखू युवा वगर् लेल गीतफेर माँगल िकछु समएआ युवा मंचमे पैसल हमदेिख हुनकर फूितर्मन भऽ जाय सई देिख कही मनसँई छिथ देशक भिवयऐ सँ नै िकयो अनजानएतए सोिच बढ़ल मनफेर आएल दममे दमफेर कलम आगू बढ़लआब केलक िकछु िलखैक मोन356


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAयुवाक मन हम जानीहुनकर दुख-ददर्केँ जानीिक होए हुनकर अिभलाषाजँ युवा आगू बढ़तातँ समाजक समान बढ़तफेर राज आओत युवा वगर्कऐ मे नै संदेह रहतहमरा भेटल...।२357


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAशंभु नाथ झा ‘वस’उवादी बिन जाए।की कहब यौ ललू बाबू,देश-गाम केर हाल।कतओ बािढ़ कतओ अिछ सूखल,मजूर गृहथ बेहाल॥महँगीक मािर-हािर जीवनसँ,कृषक तजै अिछ ाण।358


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAतेओ नारा बुलंद करै छी,हमर देश महान॥जेकर वोट सँ राज करै अिछ,तेकर फाटल ला।सांसद सदन मे छोिड़ समया,बढ़बए वेतन भा॥जेकर म सँ देश पािलत अिछ,तेकर िजयब अिछ धिन सन।अपराधी जँ सदन पहुँिच गेल,तेकर आजीवन पेंशन॥359


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAनेता सभ केर करनी देिख कए,िकछु निह फुरए उपाय।मोन होइये जे कलम छोिड़ केँ,उवादी बिन जाए॥१. अिजत िम- नब वषर्/ सुदर मनगर पवर्महान २. डॉ. शेफािलका वम- नव वषर् ३.सतीश च झा- नव वषर् ४.सुबोध ठाकुर- तीक्षा360


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१अिजत िम१नब वषर्शुभ-शुभकेँ नब वषर् तुलाएलभगवित वदन दृि समाएलहोएत चहु िदस नीक धमालनबता रुपमे करब कमाल361


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबिन जाएब सभ मालोमालवषर् एगारहकेँ मिणमालएहर-ओहर सभ खुशहालगाएब मन भिर मचे धमालरहब ने केओ कतहु पमालहमर मनोरथ पूरए ई साल।।२सुदर मनगर पवर् महानसुदर मनगर पवर् महानखाजा मुंगबा भरे जहान362


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAlसुनगल उकक करे भसानकण-कणमे जत नब उठानराजा- रंकसभ एक समानतीत-मीठ आ िबसिर गुमानlिदआबाती पवर् महानआन-अपन, एक जुटानबाटए चहु, ई मुसकानतीरथ सुख भरे- जहान२363


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAडॉ. शेफािलका वमनव वषर्अंक कें बदिल गेनायबिरस कें बदिल गेनायनव वषर् थीक की ?एकटा कैलेडर हँटेत अिछ दोसरलैग जायत अिछ आबरस बदिल जायत अिछ ..........मोन क तह में डूबलशद क रस में िततल364


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAराित वैह ,िदन वैहकैक्टस में िखलल फूल जकांबरस बदिल जायत अिछ ...............चारु िदस भीड़ भरल , सब िकछ ऐठायलचेहरा पर चेहरा ओढनेलोग कोना िजवैत अिछकीमोन निह हुनक कचोटैत अिछ ?सब टा खाली खाली लगैत अिछबरस बदिल जायत अिछ .....................िदन पर िदन बीती रहल निह बीती रहलछी हमबाट भागी रहल ,निह भािगपवैत छी हमकखनो बाट हमर ,कखनो बाट हमही365


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबिन जायत छीख़म निह होयत साँस हमरबाट ख़तम भ जायत अिछबरस बदिल जायत अिछ ....................निह कोनो कामना निह कपनाएकटा बस 'एहसास 'अिछछौर जकां ठोर स लागलएकटा आर साल उदास अिछकांट में िबहुँसल जेना गुलाब अिछ ..... ...३366


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसतीश च झानव वषर्आयल नव वषर्क नव भातआँगन -आँगन उतरल उमंग।सभकें शुभ मंगल करथु देवनिह उतरय दुख के अशुभ रंग।बीतल जीवन के िबसिर करबआगत के वागत आइ फेर।नव नव आशा िवास संगजीवन िकछु आगाँ चलत फेर।जीवन के बीतल दुख िवपदामदमत पवन ल’ उिड़ जायत।मोनक कागत के अिमट शदनव समय संग िकछु बिह जायत।367


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAघुिम रहल समय छै गोल-गोलिवाम कतौ निह कतौ अंत।ारंभ-अंत,िनमण-नाशचिल रहल च भव मे अनंत।संकप िलअ एिह वरख फेरसभ चलब, कहत जे शुभ िववेक।हम देब संग निह अयायकसकमर्क शुभ छै फल अनेक।४368


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसुबोध ठाकुरगाम- हैंठी बाली, मधुबने सुबोध जी चाटर्डर् एकाउटेट छिथ।तीक्षाभेल जखन-जखन िकछु इच्छाकरए पड़ल तखन-तखन तीक्षािजनगीक बाटमे सगरे भेटल चौबिटयाजाएब केहर िकछु फुराइत निहछी एकसरे निह संग सह-बटोिहया369


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकाटल कतेक राित गुज-गुज अहिरया सनकजे आएत िकछु िदन उपरात िखल-िखलाएत, राित इजोिरया सनकजुिन पूछू हाल अखनो धिर देमए पड़य अिछ परीक्षाकए रहलहुँ अिछ अखनो धिर ओिह क्षणक तीक्षाउठए बेर-बेर सवाल मनमेफँसै छी सिदखन अही अतर्मेजे केहेन िनःशोख आ िनलर्ज होइ छै इच्छाजे करए पड़ै छै जेकरा लेल तीक्षाजे जोगी बनए वा बनए संतनिह छोड़ए ओकरो अही तीक्षाक फद370रहए ओकरो परम धाम पाबैक इच्छा


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकरए पड़ै अिह लेल तप आ तीक्षाजम बालक जे लए तँ ओकरा माइक दूधक इच्छाजे िकशोर भेल ओकरा खेल आ उमंगक इच्छाजे जवान भेल ओकरा सुदर रमणीक इच्छातँए कहए सुबोध दैत ई िशक्षाजँ चाह अनत आ अितीय इच्छातँ करए पड़त िनय तीक्षािकएिक िजनगीक माने िछऐ तीक्षा१. िकशन कारीग़र- आिब गेल नव वषर् २.राम िव लास साहु -किव ता-कोइली कूहकै आमक डािर१371


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिकशन कारीग़रआिब गेल नव वषर्।णाम-णाम औ भाई िक भेल औ भाईहृदयक नेह पठा रहल छी औ भाई।आिब गेल नव वषर् मंगलमय संसार हुएिव शांित लेल मंगल कामना करैत छी औ भाई।।नव वषर्ऽक नएका-नएका बसंती उमंगसभ िमली बनभोज करब दोस महीमक संग।हम बजाएब ढ़म ढ़म ढ़ोल अहॉ गाउ गीत372


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAका खुशी सॕ बजा रहल छिथ मृदंग।।का बजलाह कहू की हाल-चालकाकी बजलीह आिब गेल नवका साल।आई सभ िमली एक संगे खशी मनाएबहृदयक नेह हम सभ केॅं पठाएब।।नवका आंगी नवका नुऑंनवकी किनयॉं पुरी पकाबैए।बुढ़बा बाबा बड़-बड़ बाजैएिधया-पूता खूम उधम मचाबैए।।पठबैत छी िकछू नव-नव सनेश373


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAई सनेश अहॉं सहज वीकार करू।नव वषर्ऽक अिछ सादर शुभकामनासदखिन अहॉं हॅसैत मुकुराइत रहू।।जिहना चमकै छै चकमक चॉंदओिहना अहॉं चमकैत रहू।एतबाक करैत छी हम कामना अपना मािट-पािन लेलिकछू साथर्क काज करैत रहू।।२राम िव लास साहुकिव ता-374


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकोइली कूहकै आमक डािरकोइली कूहकै आमक डािरसुिन हमर मनुआ घबराएिप या हमर रिह ताए तँधीरज दैताए ब हाइअ हिर या राित हमबाट देखैत दुनू आँिख िन हािरइजोिर या राित हम चान देखैतचकवा-चकोर बिन जाइतच दा बादल लुक-छुप खेलेिप या रिह ताए तँ हमहुँ375


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसंगे खेलतॱ विह नेकोइली बोलीसँ हमरािद लमे लगैए गोलीिप या रिह ताए तँ िक छु कहबो कैरतॱअनका कोना िक छु कहबैिप या परदेिश या बर िन रमोिह याकिह या बनत हमर रखबैयाकोइली बोली सुिन हमरदेह भए जाइए बिह रककरा कहबै ई दूखक बातकोइली कूहकै आमक डािर ।।376


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAगंगेश गुंजनराधा- २८ म खेपपिछला खेप अपने पिढ़ चुकल छी--“हुनका सोझाँ तें अितशय सहार' पड़इछ आँचरसे सब सिख केर अनुभववतुक भीतर वतु देिख लेबक अुत कौशल छिनिबनु देखनहुँ ीमान जािन ने की की देिख ल' जाइत छिथसोिच मरण करैत लजयली एकातहु मे राधा...एखन कत' छिथकृण ?”377


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAआब आगाँ पढ़ू-वयं जेना छी िबसिर गेल हम अपन गामक नामवयं जेना छी िबसिर गेल हम अपनो जमथानवयं जेना छी िबसिर गेल हम ायः सबिकछु सब बातवयं जेना छी िबसिर गेल हम वयं अपन अितववयं जेना हम िबसिर गेल छी आँगन सँ यमुनाक बाटवयं जेना हम िबसिर गेल छी िय जमुना नानवयं जेना हम िबसिर गेल छी सिख-बिहनपाक नामवयं जेना हम िबसिर गेल छी अपनिह मथुरा धामवयं जेना हम िबसिर गेल छी कदमक वनक छायावयं जेना हम िबसिर गेल छी सबटा जीवन कमर्वयं जेना हम िबसिर गेल छी लोकक दुःखक ममर्378


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAवयं जेना हम िबसिर गेल छी अपनो ितयें मायावयं जेना हम िबसिर गेल छी देह दशा कें देखबवयं जेना हम िबसिर गेल छी जीिवत ाणें रहबवयं जेना हम िबसिर गेल छी अक जलक वादवयं जेना हम िबसिर गेल छी ककरो िकछुओ कह'बवयं जेना हम िबसिर गेल छी अक्षरक अयासवयं जेना हम िबसिर गेल छी मोिस-कलम, लीखबवयं जेना हम िबसिर गेल छी िय सँ िय सबोधनवयं जेना हम िबसिर गेल छी सबटा गीतक भासवयं जेना हम िबसिर गेल छी जीवन केर मधुमासवयं जेना हम िबसिर गेल छी सबटा हास-हुलासवयं जेना हम िबसिर गेल छी संगी संग िवलासवयं जेना हम िबसिर गेल छी दशो िदशा केर ज्ञान379


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAवयं जेना हम िबसिर गेल छी, के अपन अिछ आनवयं जेना हम िबसिर गेल छी सबिकछु के अितववयं जेना हम िबसिर गेल छी की िथक छोट महानवयं जेना हम िबसिर गेल छी अहिरया आ इजोिरयावयं जेना हम िबसिर गेल छी भेद सूयर् आ चकवयं जेना हम िबसिर गेल छी नेहिसक्त मृित-संयोगवयं जेना हम िबसिर गेल छी जे सब िकछु िबसरल छीिकतु वयं यिद छी िबसरल सब तँ िकएक बेचैन अिछ ाण ?पूछिथ राधा िवकल हृदय िकयेक अबैत अिछ कृणक यान?झर झर झर झर अुपात भदबािर जकाँ भ' जाइछ आरभ ।380


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसबटा ई िमया अनुभूितक छजाल िथक सबटा ई मन केंपितअयबाक करब बोधन िच कहाँ िथर िचता सँ कहाँ मुक्तअिछई जे मोन महासंकटक यूह-रचना सनकए तँ देल वेश मुदा अज्ञात िदशा बीचबूझल निह आरंभ अथत वेश आ तिहनाकरी कोना क िनकास ार सबटा बंदे बदएहन मनोभावक उाम वािर मे ई इच्छामृग डूिब-डूिब रहलय समुमे जेना छोटिछन नावएकिह क्षण मे यूह मय जे ाण हमर ईऊँचे ऊँच समु वािर मे पिड़ जाइछ असहाय ककरा पारओ सोरहोय के एिह िथित मे जे आबयजे सहाय संभव छिथ से छिथ अपने मे यानथहुनका कोन िफिकर ककरो, कथूक कारक अपना मोनकमहाशाित मे िकएक हेतिन आदोलन381


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAभने नेह आात बधु पयर्त मरैत हो याकुलिकएक कोनो िचता, िजज्ञासा िकछुओ करब पुछारीभिरसक एिहना ,एही कारे हमहूँ आब मरब जानब अपने हे माधवजानब, हम निह आब सहबकेहनो मोिहनी वगय मधुरी वाणी अहाँ जे कहबनः अइ संसार मे आब हम निहयें टा र'हबिकएक रहब,एतेकटा जीवन ऊिघ-ऊिघ कतबा िदन आरो ?बाजू आ िकएक ककरा लेल ककर िहत, िम ! कथी लए...?बहुत िता जीवन कें कारागृह बना दैयेबहुत िता बना दैछ जीवन कें अवहबहुत िता कुल-संबंध- समाज छोड़ा दैयेबहुत िता जीवन कें संसार छोड़ा दैये382


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबहुत िता कउखन तेहेन ितित क' दैये बहुत िता भ'लोकें अ-लोक बना दैयेबहुत िता बना रािख दय भथल इनार....जारीिवदेह नूतन अंक िमिथला कला संगीत१. ेता झा चौधरी २. योित सुनीत चौधरी३. ेता झा (िसंगापुर)१383


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAेता झा चौधरीगाम सिरसव-पाही, लिलत कला आ गृहिवज्ञानमे नातक। िमिथलािचकलामे सिटर्िफकेट कोसर्।कला दिशर्नी: एक्स.एल.आर.आइ., जमशेदपुरक सांकृितककायर्म, ाम-ी मेला जमशेदपुर, कला मिदर जमशेदपुर (एक्जीवीशन आ वकर्शॉप)।कला सबधी कायर्: एन.आइ.टी. जमशेदपुरमे कला ितयोिगतामेिनणयकक रूपमे सहभािगता, २००२-०७ धिर बसेरा, जमशेदपुरमेकला-िशक्षक (िमिथला िचकला), वूमेन कॉलेज पुतकालय आहॉटेल बूलेवाडर् लेल वाल-पेंिटंग।ितित पॉसर: कॉरपोरेट कयुिनकेशस, िटको;टी.एस.आर.डी.एस, िटको; ए.आइ.ए.डी.ए., टेट बैंक ऑफ384


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAइिडया, जमशेदपुर; िविभ यिक्त, हॉटेल, संगठन आ यिक्तगतकला संाहक।हॉबी: िमिथला िचकला, लिलत कला, संगीत आ भानस-भात।२.385


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAयोित सुनीत चौधरीजम ितिथ -३० िदसबर १९७८; जम थान -बेवार, मधुबनी ;िशक्षा- वामी िववेकानद िम िडल कूल़ िटको साकची गसर् हाईकूल़, िमसेज के एम पी एम इटर कालेज़, इिदरा गाधी ओपनयूिनविसर्टी, आइ सी डबयू ए आइ (कॉट एकाउटेसी); िनवासथान- लदन, यू.के.; िपता- ी शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता-ीमती सुधा झा, िशवीपी। योितकेँwww.poetry.comसँसंपादकक चॉयस अवाडर् (अंेजी पक हेतु) भेटल छिह। हुनकरअंेजी प िकछु िदन धिर www.poetrysoup.com केर मुख्यपृ पर सेहो रहल अिछ। योित िमिथला िचकलामे सेहो पारंगतछिथ आ िहनकर िमिथला िचकलाक दशर्नी ईिलंग आटर् ुप केरअंतगर्त ईिलंग ॊडवे, लंडनमे दिशर्त कएल गेल अिछ। किवतासंह ’अिचर्स्’ कािशत।386


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA387


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA३. ेता झा (िसंगापुर)बालानां कृते388


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१. गजे ठाकुर- बड़द करैए दाउन ने यौ २.नवीन कुमार “आशा”- याद अबैए बाबाक लावा१गजे ठाकुरबड़द करैए दाउन ने यौहाथी अग, िपछू, थाइत, माइल िबिरिहरर्-िहरर् सुग्गर चलू संग घर घुिरती-ती परबा उिड़ गेल ऊपरिलह िलह बकरी घास तूँ खो389


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबड़द करैए दाउन ने यौअतू कुकुड़ कुत-कुत डॉगीकैटी िपसू-िपसू आएत की?चेहै-चेहै सुिन पारा दौगल,भागी छोिड़ बाट हम ताकीअरर् बकरी घास तूँ खोबड़द करैए दाउन ने यौढेहै-ढेहै कऽ निह खॱझाबूसाँढ़ आओत खिरहानमे यौआव ठामे रे हे, हौरे हौ390


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबड़द करैए दाउन ने यौ२नवीन कुमार “आशा” (१९८७- )िपता ी गंगानाथ झा, माता ीमित िवनीता झा। गाम- धानेरामपुर,पोट- लोहना रोड, िजला- दरभंगा।याद अबैए बाबाक लावा(अपन बाबा व. सोमनाथ झाकेँ समिपर्त)391


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमािलक मािलक मािलकभोरे ओ आवाज लगाबिथहमराले ओ आनिथ सनेसचाहे रहिन कोनो भेषएक िदन ऐला बाबाहाथमे छलिन हुनका लाठीछलिन िकछु मन सुतमुदा ओ छलिथ एखनो मतहम पूछल हुनकासँ मीतकी भेल अहाँकेँ बाबाकतए अिछ हमर लाबा392


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकहलिथ हमरासँ बाबानै अनिलयौ तोरा लेल लाबामन भेल हमर फुसनै बुझल जे कहलिथ ओ फुिसफेर लगला बाबा हँसएआ देलिथ ओ सनेसकहलिथ ओ हमरासँबौआ जाधिर अिछ ाणताबे रहत तोहर यानतूँ छह मािलक तूँ छह नेनानै रहू अए तूँ जेना तेनानै बुिझ पाओल हुनकर क393


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकी कहला ओ पओिह िदन जे गेला बाबानै फेर अनला लाबादोसर िदन जखन उठलनै पाओल हुनकर आवाजहाथमे लेने कटोरापहुँिच हुनकर डेरापाओल हुनका टघरलफेर कहल हम हुनकासँसुनू यौ बाबा, सुनू यौ बाबाकतए अिछ आजुक लावानै कहला हमरासँ िकछु394


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAनै बुिझ सकलॱ हम ईनै रहला ओ जगमेिकछु कालमे भेल सभ इकाफेर केलक हुनका बाहरनै बुिझ पाओल हम तखनहुँनै भेटत हुनकर फेर दुलारजैमे छल नै कोनो भेदयाद जखन ओ आबिथ अखनोकानी हम फफिख फफिखजिहया पाबी हम अपनाकें अकेलाजाइ हुनकर सारापर395


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAफेर करी िकछु गपनै करी मन हपकिहयिन हुनकासँ मीतबाबा याद आबैए अहाँक लावायाद आबैए अहाँक दुलारजे नै घुिर आएत फेरकरिथ आशा अिपर्त ई रचनाअपन परम पूय दादाजीकेँिजनकर अिछ कमी आशाक जीवनमेजखन देखिथ कतहु लावा396


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAयाद आबिथ हुनका बाबाबच्चा लोकिन ारा मरणीय लोक१.ातः काल मुहूर् (सूयदयक एक घंटा पिहने) सवर्थम अपन दुनू हाथदेखबाक चाही, आ’ ई लोक बजबाक चाही।कराे वसते लमीः करमये सरवती।करमूले िथतो ा भाते करदशर्नम्॥करक आगाँ लमी बसैत छिथ, करक मयमे सरवती, करक मूलमे ा िथतछिथ। भोरमे तािह ारे करक दशर्न करबाक थीक।२.संया काल दीप लेसबाक काल-दीपमूले िथतो ा दीपमये जनादर्नः।दीपाे शरः ोक्ः सयायोितनर्मोऽतुते॥दीपक मूल भागमे ा, दीपक मयभागमे जनादर्न (िवणु) आऽ दीपक अ भागमेशर िथत छिथ। हे संयायोित! अहाँकेँ नमकार।३.सुतबाक काल-397


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAरामं कदं हनूमतं वैनतेयं वृकोदरम्।शयने यः मरेियं दुःवतय नयित॥जे सभ िदन सुतबासँ पिहने राम, कुमारवामी, हनूमान्, गरुड़ आऽ भीमक मरणकरैत छिथ, हुनकर दुःव न भऽ जाइत छिह।४. नहेबाक समय-गे च यमुने चैव गोदाविर सरवित।नमर्दे िसधु कावेिर जलेऽिमन् सििधं कुरू॥हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरवती, नमर्दा, िसधु आऽ कावेरी धार। एिह जलमेअपन सािय िदअ।५.उरं यसमुय िहमाेैव दिक्षणम्।वषर्ं तत् भारतं नाम भारती य सतितः॥समुक उरमे आऽ िहमालयक दिक्षणमे भारत अिछ आऽ ओतुका सतित भारतीकहबैत छिथ।६.अहया ौपदी सीता तारा मडोदरी तथा।पचकं ना मरेियं महापातकनाशकम्॥जे सभ िदन अहया, ौपदी, सीता, तारा आऽ मदोदरी, एिह पाँच सावी-ीकमरण करैत छिथ, हुनकर सभ पाप न भऽ जाइत छिह।398


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA७.अथामा बिलयसो हनूमां िवभीषणः।कृपः परशुराम सतैते िचरीिवनः॥अथामा, बिल, यास, हनूमान्, िवभीषण, कृपाचायर् आऽ परशुराम- ई सात टािचरीवी कहबैत छिथ।८.साते भवतु सुीता देवी िशखर वािसनीउेन तपसा लधो यया पशुपितः पितः।िसिः साये सतामतु सादातय धूजर्टेःजावीफेनलेखेव ययूिध शिशनः कला॥९. बालोऽहं जगदानद न मे बाला सरवती।अपूण पंचमे वष वणर्यािम जगयम् ॥१०. दूवक्षत मं(शुक्ल यजुवद अयाय २२, मं २२)आ ियय जापितॠर्िषः। िलंभोक्ा देवताः। वराडुकृितछदः। षजःवरः॥आ ॑न् ा॒णो ॑वचर्॒सी जा॑यता॒मा रा॒े रा॑ज॒यः शुरे॑ऽइषयो॒ऽितया॒धी म॑हार॒थोजा॑यतां॒ दोग्ॴ धे॒नुवढा॑न॒वाना॒शुः सितः॒ पुर॑िध॒यवा॑ िज॒णू र॑थे॒ाः स॒भेयो॒ युवाययज॑मानय वी॒रो जा॒यतां िनका॒मे-िन॑कामे नः प॒जर्यॲ वषर्तु॒ फल॑वयो न॒ऽओष॑धयःपच्यतां योगेक्ष॒मो नः॑ कपताम्॥२२॥399


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमाथः िसयः सतु पूणः सतु मनोरथाः। शूणां बुिनाशोऽतुिमाणामुदयतव।ॐ दीघयुभर्व। ॐ सौभाग्यवती भव।हे भगवान्। अपन देशमे सुयोग्य आ’ सवर्ज्ञ िवाथ उप होिथ, आ’ शुुकेँनाश कएिनहार सैिनक उप होिथ। अपन देशक गाय खूब दूध दय बाली, बरदभार वहन करएमे सक्षम होिथ आ’ घोड़ा विरत रूपेँ दौगय बला होए। ीगणनगरक नेतृव करबामे सक्षम होिथ आ’ युवक सभामे ओजपूणर् भाषण देबयबलाआ’ नेतृव देबामे सक्षम होिथ। अपन देशमे जखन आवयक होय वष होए आ’औषिधक-बूटी सवर्दा पिरपक्व होइत रहए। एवं मे सभ तरहेँ हमरा सभककयाण होए। शुक बुिक नाश होए आ’ िमक उदय होए॥मनुयकें कोन वतुक इच्छा करबाक चाही तकर वणर्न एिह मंमे कएल गेलअिछ।एिहमे वाचकलुतोपमालड़्कार अिछ।अवय-॑न् - िवा आिद गुणसँ पिरपूणर् रा॒े - देशमे॑वचर्॒सी- िवाक तेजसँ युक्आ जा॑यतां॒- उप होए400


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAरा॑ज॒यः-राजाशुरे॑ऽ–िबना डर बलाइषयो॒- बाण चलेबामे िनपुणऽितया॒धी-शुकेँ तारण दय बलाम॑हार॒थो-पैघ रथ बला वीरदोग्ॴ-कामना(दूध पूणर् करए बाली)धे॒नुवढा॑न॒वाना॒शुः धे॒नु-गौ वा वाणी वढा॑न॒वा- पैघ बरद ना॒शुः-आशुः-विरतसितः॒-घोड़ापुर॑िध॒यवा॑- पुर॑िध॒- यवहारकेँ धारण करए बाली यवा॑-ीिज॒णू-शुकेँ जीतए बलार॑थे॒ाः-रथ पर िथरस॒भेयो॒-उम सभामेयुवाय-युवा जेहनयज॑मानय-राजाक रायमेवी॒रो-शुकेँ परािजत करएबला401


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिनका॒मे-िन॑कामे-िनययुक् कायर्मेनः-हमर सभकप॒जर्यॲ-मेघवषर्तु॒-वष होएफल॑वयो-उम फल बलाओष॑धयः-औषिधःपच्यतां- पाकएयोगेक्ष॒मो-अलय लय करेबाक हेतु कएल गेल योगक रक्षानः॑-हमरा सभक हेतुकपताम्-समथर् होएििफथक अनुवाद- हे ण, हमर रायमे ाण नीक धािमर्क िवा बला,राजय-वीर,तीरंदाज, दूध दए बाली गाय, दौगय बला जतु, उमी नारी होिथ।पाजर्य आवयकता पड़ला पर वष देिथ, फल देय बला गाछ पाकए, हम सभसंपि अिजर्त/संरिक्षत करी।8.VIDEHA FOR NON RESIDENTS402


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAOriginal Poem in Maithili byKalikantJha "Buch" Translated into English byJyoti Jha ChaudharyKalikant Jha "Buch" 1934-2009, Birth placevillageKarian, District- Samastipur (Karian is birth place offamous Indian Nyaiyyayik philosopher Udayanacharya),Father Late Pt. Rajkishor Jha was first headmaster ofvillage middle school. Mother Late Kala Devi washousewife. After completing Intermediate education startedjob block office of Govt. of Bihar.published in Mithila Mihir,Mati-pani, Bhakha, and Maithili Akademi magazine.403


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAJyoti Jha Chaudhary, Date of Birth: December 301978,Place of Birth- Belhvar (Madhubani District),Education: Swami Vivekananda Middle School, Tisco SakchiGirls High School, Mrs KMPM Inter College, IGNOU,ICWAI (COST ACCOUNTANCY); Residence- LONDON, UK;Father- Sh. Shubhankar Jha, Jamshedpur; Mother- Smt.Sudha Jha- Shivipatti. Jyoti received editor's choice awardfrom www.poetry.comand her poems were featured in frontpage of www.poetrysoup.com for some period.She learntMithila Painting under Ms. Shveta Jha, Basera Institute,Jamshedpur and Fine Arts from Toolika, Sakchi,Jamshedpur (India). Her Mithila Paintings have beendisplayed by Ealing Art Group at Ealing Broadway, London.Oh Aunt!Oh Aunt, dear aunt, you did a wonder dear aunt;My uncle is simple and dumbHaving slighte body like dried pickles404


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAHe made himself so socialBut these are still so unbearablesYou turned the signal red even for the brokenengine.You gave names to the seven generationsYou abused the other world of dead ancestorstooYou have covered your face todayWhile waiting in female voter queueYou beguiled to be shy for telling your husband’sname405


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAWhenever you sneered showing your teeth withangerUncle use to fell being senseless thenHeaven was far away, he couldn’t even get thehellHe as wandering like a dead body bearing painThe shroud of uncle was torn into handkerchiefsby youThe death of uncle in AsaamWas rumoured in the villageYou first ate leftover riceHiding inside the food storage406


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHABy wiping the sindoor out you obliged uncle toyou.Input: (कोकमे देवनागरी, िमिथलाक्षर िकंवा फोनेिटक-रोमनमे टाइप करू।Input in Devanagari, Mithilakshara or Phonetic-Roman.)Output: (पिरणाम देवनागरी, िमिथलाक्षर आ फोनेिटक-रोमन/ रोमनमे। Result in Devanagari, Mithilakshara andPhonetic-Roman/ Roman.)English to MaithiliMaithili to Englishइंिग्लश-मैिथली-कोष / मैिथली-इंिग्लश-कोष ोजेक्टकेँ आगू बढ़ाऊ, अपन सुझावआ योगदान ई-मेल ारा ggajendra@videha.com पर पठाऊ।िवदेहक मैिथली-अंेजी आ अंेजी मैिथली कोष (इंटरनेटपर पिहल बेर सचर्-िडक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सवर्र आधािरत -Based on ms-sqlserver Maithili-English and English-Maithili Dictionary.407


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१.भारत आ नेपालक मैिथली भाषा-वैज्ञािनक लोकिन ारा बनाओलमानक शैली आ २.मैिथलीमे भाषा सपादन पायम१.नेपाल आ भारतक मैिथली भाषा-वैज्ञािनक लोकिन ारा बनाओलमानक शैलीअ.नेपालक मैिथली भाषा वैज्ञािनक लोकिन ारा बनाओल मानकउच्चारण आ लेखन शैली(भाषाशाी डा. रामावतार यादवक धारणाकेँ पूणर् रूपसँ स लऽिनधिरत)मैिथलीमे उच्चारण तथा लेखन१.पचमाक्षर आ अनुवार: पचमाक्षरातगर्त ङ, ञ, ण, न एवं मअबैत अिछ। संकृत भाषाक अनुसार शदक अतमे जािह वगर्कअक्षर रहैत अिछ ओही वगर्क पचमाक्षर अबैत अिछ। जेना-अ (क वगर्क रहबाक कारणे अतमे ङ् आएल अिछ।)408


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAपच (च वगर्क रहबाक कारणे अतमे ञ् आएल अिछ।)खड (ट वगर्क रहबाक कारणे अतमे ण् आएल अिछ।)सिध (त वगर्क रहबाक कारणे अतमे न् आएल अिछ।)खभ (प वगर्क रहबाक कारणे अतमे म् आएल अिछ।)उपयुर्क्त बात मैिथलीमे कम देखल जाइत अिछ। पचमाक्षरकबदलामे अिधकांश जगहपर अनुवारक योग देखल जाइछ। जेना-अंक, पंच, खंड, संिध, खंभ आिद। याकरणिवद पिडत गोिवदझाक कहब छिन जे कवगर्, चवगर् आ टवगर्सँ पूवर् अनुवार िलखलजाए तथा तवगर् आ पवगर्सँ पूवर् पचमाक्षरे िलखल जाए। जेना-अंक, चंचल, अंडा, अत तथा कपन। मुदा िहदीक िनकट रहलआधुिनक लेखक एिह बातकेँ निह मानैत छिथ। ओ लोकिन अतआ कपनक जगहपर सेहो अंत आ कंपन िलखैत देखल जाइतछिथ।नवीन पित िकछु सुिवधाजनक अवय छैक। िकएक तँ एिहमेसमय आ थानक बचत होइत छैक। मुदा कतोक बेर हतलेखनवा मुणमे अनुवारक छोट सन िबदु प निह भेलासँ अथर्कअनथर् होइत सेहो देखल जाइत अिछ। अनुवारक योगमेउच्चारण-दोषक सभावना सेहो ततबए देखल जाइत अिछ। एतदथर्409


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAकसँ लऽ कऽ पवगर् धिर पचमाक्षरेक योग करब उिचत अिछ।यसँ लऽ कऽ ज्ञ धिरक अक्षरक स अनुवारक योग करबामेकतहु कोनो िववाद निह देखल जाइछ।२.ढ आ ढ़ : ढ़क उच्चारण “र् ह”जकाँ होइत अिछ। अतः जतऽ“र् ह”क उच्चारण हो ओतऽ मा ढ़ िलखल जाए। आन ठामखाली ढ िलखल जएबाक चाही। जेना-ढ = ढाकी, ढेकी, ढीठ, ढेउआ, ढ, ढेरी, ढाकिन, ढाठ आिद।ढ़ = पढ़ाइ, बढ़ब, गढ़ब, मढ़ब, बुढ़बा, साँढ़, गाढ़, रीढ़, चाँढ़,सीढ़ी, पीढ़ी आिद।उपयुर्क्त शद सभकेँ देखलासँ ई प होइत अिछ जे साधारणतयाशदक शुरूमे ढ आ मय तथा अतमे ढ़ अबैत अिछ। इएह िनयमड आ ड़क सदभर् सेहो लागू होइत अिछ।३.व आ ब : मैिथलीमे “व”क उच्चारण ब कएल जाइत अिछ,मुदा ओकरा ब रूपमे निह िलखल जएबाक चाही। जेना- उच्चारण: बैनाथ, िबा, नब, देबता, िबणु, बंश, बदना आिद। एिह410


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसिहत िकछु जाितमे शदक आरभोमे “ए”केँ य किह उच्चारणकएल जाइत अिछ।ए आ “य”क योगक सदभर्मे ाचीने पितक अनुसरण करबउपयुक्त मािन एिह पुतकमे ओकरे योग कएल गेल अिछ।िकएक तँ दुनूक लेखनमे कोनो सहजता आ दुरूहताक बात निहअिछ। आ मैिथलीक सवर्साधारणक उच्चारण-शैली यक अपेक्षा एसँबेसी िनकट छैक। खास कऽ कएल, हएब आिद कितपय शदकेँकैल, हैब आिद रूपमे कतहु-कतहु िलखल जाएब सेहो “ए”कयोगकेँ बेसी समीचीन मािणत करैत अिछ।६.िह, हु तथा एकार, ओकार : मैिथलीक ाचीन लेखन-परपरामेकोनो बातपर बल दैत काल शदक पाछाँ िह, हु लगाओल जाइतछैक। जेना- हुनकिह, अपनहु, ओकरहु, तकालिह, चोिह, आनहुआिद। मुदा आधुिनक लेखनमे िहक थानपर एकार एवं हुकथानपर ओकारक योग करैत देखल जाइत अिछ। जेना- हुनके,अपनो, तकाले, चोे, आनो आिद।412


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA७.ष तथा ख : मैिथली भाषामे अिधकांशतः षक उच्चारण ख होइतअिछ। जेना- षय (खड़य), षोडशी (खोड़शी), षकोण(खटकोण), वृषेश (वृखेश), सतोष (सतोख) आिद।८.विन-लोप : िनिलिखत अवथामे शदसँ विन-लोप भऽ जाइतअिछ:(क) ियावयी यय अयमे य वा ए लुत भऽ जाइत अिछ।ओिहमे सँ पिहने अक उच्चारण दीघर् भऽ जाइत अिछ। ओकरआगाँ लोप-सूचक िच वा िवकारी (’ / ऽ) लगाओल जाइछ।जेना-पूणर् रूप : पढ़ए (पढ़य) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय)पड़तौक।अपूणर् रूप : पढ़’ गेलाह, क’ लेल, उठ’ पड़तौक।पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पड़तौक।(ख) पूवर्कािलक कृत आय (आए) ययमे य (ए) लुत भऽ जाइछ,मुदा लोप-सूचक िवकारी निह लगाओल जाइछ। जेना-413


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAपूणर् रूप : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।अपूणर् रूप : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।(ग) ी यय इक उच्चारण ियापद, संज्ञा, ओ िवशेषण तीनूमेलुत भऽ जाइत अिछ। जेना-पूणर् रूप : दोसिर मािलिन चिल गेिल।अपूणर् रूप : दोसर मािलन चिल गेल।(घ) वतर्मान कृदतक अितम त लुत भऽ जाइत अिछ। जेना-पूणर् रूप : पढ़ैत अिछ, बजैत अिछ, गबैत अिछ।अपूणर् रूप : पढ़ै अिछ, बजै अिछ, गबै अिछ।(ङ) ियापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लुत भऽजाइत अिछ। जेना-पूणर् रूप: िछयौक, िछयैक, छहीक, छौक, छैक, अिबतैक, होइक।अपूणर् रूप : िछयौ, िछयै, छही, छौ, छै, अिबतै, होइ।414


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA(च) ियापदीय यय ह, हु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ।जेना-पूणर् रूप : छिह, कहलिह, कहलहुँ, गेलह, निह।अपूणर् रूप : छिन, कहलिन, कहलौँ, गेलऽ, नइ, निञ, नै।९.विन थानातरण : कोनो-कोनो वर-विन अपना जगहसँ हिटकऽ दोसर ठाम चिल जाइत अिछ। खास कऽ व इ आ उकसबधमे ई बात लागू होइत अिछ। मैिथलीकरण भऽ गेल शदकमय वा अतमे जँ व इ वा उ आबए तँ ओकर विनथानातिरत भऽ एक अक्षर आगाँ आिब जाइत अिछ। जेना- शिन(शइन), पािन (पाइन), दािल ( दाइल), मािट (माइट), काछु(काउछ), मासु (माउस) आिद। मुदा तसम शद सभमे ई िनअमलागू निह होइत अिछ। जेना- रिमकेँ रइम आ सुधांशुकेँ सुधाउंसनिह कहल जा सकैत अिछ।१०.हलत(्)क योग : मैिथली भाषामे सामायतया हलत (्)कआवयकता निह होइत अिछ। कारण जे शदक अतमे अउच्चारण निह होइत अिछ। मुदा संकृत भाषासँ जिहनाक तिहना415


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमैिथलीमे आएल (तसम) शद सभमे हलत योग कएल जाइतअिछ। एिह पोथीमे सामायतया सपूणर् शदकेँ मैिथली भाषासबधी िनअम अनुसार हलतिवहीन राखल गेल अिछ। मुदायाकरण सबधी योजनक लेल अयावयक थानपर कतहु-कतहुहलत देल गेल अिछ। तुत पोथीमे मिथली लेखनक ाचीन आनवीन दुनू शैलीक सरल आ समीचीन पक्ष सभकेँ समेिट कऽ वणर्-िवयास कएल गेल अिछ। थान आ समयमे बचतक सिह हत-लेखन तथा तकनीकी दृिसँ सेहो सरल होबऽबला िहसाबसँ वणर्-िवयास िमलाओल गेल अिछ। वतर्मान समयमे मैिथली मातृभाषीपयर्तकेँ आन भाषाक मायमसँ मैिथलीक ज्ञान लेबऽ पिड़ रहलपिरेयमे लेखनमे सहजता तथा एकरूपतापर यान देल गेलअिछ। तखन मैिथली भाषाक मूल िवशेषता सभ कुिठत निहहोइक, ताहू िदस लेखक-मडल सचेत अिछ। िस भाषाशाीडा. रामावतार यादवक कहब छिन जे सरलताक अनुसधानमे एहनअवथा िकहु ने आबऽ देबाक चाही जे भाषाक िवशेषता छाँहमेपिड जाए।-(भाषाशाी डा. रामावतार यादवक धारणाकेँ पूणर् रूपसँ स लऽिनधिरत)416


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAआ. मैिथली अकादमी, पटना ारा िनधिरत मैिथली लेखन-शैली१. जे शद मैिथली-सािहयक ाचीन कालसँ आइ धिर जािहवर्नीमे चिलत अिछ, से सामायतः तािह वर्नीमे िलखल जाय-उदाहरणाथर्-ाएखनठामजकर, तकरतिनकरअिछअाअखन, अखिन, एखेन, अखनीिठमा, िठना, ठमाजेकर, तेकरितनकर। (वैकिपक रूपेँ ा)ऐछ, अिह, ए।२. िनिलिखत तीन कारक रूप वैकिपकतया अपनाओल जाय:417


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAभऽ गेल, भय गेल वा भए गेल। जा रहल अिछ, जाय रहल अिछ,जाए रहल अिछ। कर’ गेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।३. ाचीन मैिथलीक ‘ह’ विनक थानमे ‘न’ िलखल जाय सकैतअिछ यथा कहलिन वा कहलिह।४. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय िलखल जाय जत’ पतः ‘अइ’ तथा‘अउ’ सदृश उच्चारण इ हो। यथा- देखैत, छलैक, बौआ, छौकइयािद।५. मैिथलीक िनिलिखत शद एिह रूपे युक्त होयत: जैह, सैह,इएह, ओऐह, लैह तथा दैह।६. र्व इकारांत शदमे ‘इ’ के लुत करब सामायतः अािथक। यथा- ा देिख आबह, मािलिन गेिल (मनुय मामे)।७. वतं व ‘ए’ वा ‘य’ ाचीन मैिथलीक उरण आिदमे तँयथावत राखल जाय, िकंतु आधुिनक योगमे वैकिपक रूपेँ ‘ए’ वा‘य’ िलखल जाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह,जाय वा जाए इयािद।418


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA८. उच्चारणमे दू वरक बीच जे ‘य’ विन वतः आिब जाइतअिछ तकरा लेखमे थान वैकिपक रूपेँ देल जाय। यथा- धीआ,अढ़ैआ, िवआह, वा धीया, अढ़ैया, िबयाह।९. सानुनािसक वतं वरक थान यथासंभव ‘ञ’ िलखल जायवा सानुनािसक वर। यथा:- मैञा, किनञा, िकरतिनञा वा मैआँ,किनआँ, िकरतिनआँ।१०. कारकक िवभिक्क िनिलिखत रूप ा:- हाथकेँ, हाथसँ,हाथेँ, हाथक, हाथमे। ’मे’ मे अनुवार सवर्था याय िथक। ‘क’क वैकिपक रूप ‘केर’ राखल जा सकैत अिछ।११. पूवर्कािलक ियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अयय वैकिपकरूपेँ लगाओल जा सकैत अिछ। यथा:- देिख कय वा देिख कए।१२. माँग, भाँग आिदक थानमे माङ, भाङ इयािद िलखल जाय।१३. अर् ‘न’ ओ अर् ‘म’ क बदला अनुसार निह िलखल जाय,िकंतु छापाक सुिवधाथर् अर् ‘ङ’ , ‘ञ’, तथा ‘ण’ क बदलाअनुवारो िलखल जा सकैत अिछ। यथा:- अ, वा अंक, अचलवा अंचल, कठ वा कंठ।419


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१४. हलंत िच िनअमतः लगाओल जाय, िकंतु िवभिक्तक संगअकारांत योग कएल जाय। यथा:- ीमान्, िकंतु ीमानक।१५. सभ एकल कारक िच शदमे सटा क’ िलखल जाय, हटाक’ निह, संयुक्त िवभिक्तक हेतु फराक िलखल जाय, यथा घरपरक।१६. अनुनािसककेँ चिबदु ारा यक्त कयल जाय। परंतुमुणक सुिवधाथर् िह समान जिटल माापर अनुवारक योगचिबदुक बदला कयल जा सकैत अिछ। यथा- िहँ केर बदलािहं।१७. पूणर् िवराम पासीसँ ( । ) सूिचत कयल जाय।१८. समत पद सटा क’ िलखल जाय, वा हाइफेनसँ जोिड़ क’, हटा क’ निह।१९. िलअ तथा िदअ शदमे िबकारी (ऽ) निह लगाओल जाय।२०. अंक देवनागरी रूपमे राखल जाय।420


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२१.िकछु विनक लेल नवीन िचह बनबाओल जाय। जा' ई निहबनल अिछ ताबत एिह दुनू विनक बदला पूवर्वत् अय/ आय/ अए/आए/ आओ/ अओ िलखल जाय। आिक ऎ वा ऒ सँ यक्त कएलजाय।ह./- गोिवद झा ११/८/७६ ीकात ठाकुर ११/८/७६ सुरे झा"सुमन" ११/०८/७६२.मैिथलीमे भाषा सपादन पायमनीचाँक सूचीमे देल िवकपमेसँ लैंगुएज एडीटर ारा कोन रूपचुनल जएबाक चाही:वडर् फाइलमे बोड कएल रूप:१.होयबला/ होबयबला/ होमयबला/ हेब’बला, हेम’बला/ होयबाक/होबएबला /होएबाक२. आ’/आऽ आ३. क’ लेने/कऽ लेने/कए लेने/कय लेने/ल’/लऽ/लय/लए४. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भए गेल५. कर’ गेलाह/करऽ गेलह/करए गेलाह/करय गेलाह६. िलअ/िदअ िलय’,िदय’,िलअ’,िदय’/७. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करै बला/क’र’ बला / करए बला८. बला वला421


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA९. आङ्ल आंग्ल१०. ायः ायह११. दुःख दुख१२. चिल गेल चल गेल/चैल गेल१३. देलिखह देलिकह, देलिखन१४. देखलिह देखलिन/ देखलैह१५. छिथह/ छलिह छिथन/ छलैन/ छलिन१६. चलैत/दैत चलित/दैित१७. एखनो अखनो१८. बढ़िह बढिह१९. ओ’/ओऽ(सवर्नाम) ओ२०. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ२१. फाँिग/फाि फाइंग/फाइङ२२. जे जे’/जेऽ२३. ना-नुकुर ना-नुकर२४. केलिह/कएलिह/कयलिह२५. तखन तँ/ तखन तँ२६. जा’ रहल/जाय रहल/जाए रहल२७. िनकलय/िनकलए लागल बहराय/ बहराए लागल िनकल’/बहरै लागल२८. ओतय/जतय जत’/ओत’/ जतए/ ओतए२९. की फूरल जे िक फूरल जे३०. जे जे’/जेऽ३१. कूिद/यािद(मोन पारब) कूइद/याइद/कूद/याद/ यािद (मोन)३२. इहो/ ओहो३३. हँसए/ हँसय हँसऽ३४. नौ आिक दस/नौ िकंवा दस/ नौ वा दस422


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA३५. सासु-ससुर सास-ससुर३६. छह/ सात छ/छः/सात३७. की की’/कीऽ (दीघकारातमे ऽ विजर्त)३८. जबाब जवाब३९. करएताह/ करयताह करेताह४०. दलान िदिश दलान िदश/दलान िदस४१. गेलाह गएलाह/गयलाह४२. िकछु आर/ िकछु और४३. जाइत छल जाित छल/जैत छल४४. पहुँिच/ भेिट जाइत छल पहुँच/भेट जाइत छल४५. जबान (युवा)/ जवान(फौजी)४६. लय/लए क’/कऽ/लए कए/ लऽ कऽ/ लऽ कए४७. ल’/लऽ कय/ कए४८. एखन/अखने अखन/एखने४९. अहॴकेँ अहीँकेँ५०. गहॴर गहीँर५१. धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए५२. जेकाँ जेँकाँ/ जकाँ५३. तिहना तेिहना५४. एकर अकर५५. बिहनउ बहनोइ५६. बिहन बिहिन५७. बिहन-बिहनोइ बिहन-बहनउ५८. निह/ नै५९. करबा / करबाय/ करबाए६०. तँ/ त ऽ तय/तए423


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA६१. भाय भै/भाए६२. भाँय६३. यावत जावत६४. माय मै / माए६५. देिह/दएिह/ दयिह दिह/ दैिह६६. द’/ दऽ/ दए६७. ओ (संयोजक) ओऽ (सवर्नाम)६८. तका कए तकाय तकाए६९. पैरे (on foot) पएरे७०. ताहुमे ताहूमे७१. पुीक७२. बजा कय/ कए७३. बननाय/बननाइ७४. कोला७५. िदनुका िदनका७६. ततिहसँ७७. गरबओलिह गरबेलिह७८. बालु बालू७९. चेह िचह(अशु)८०. जे जे’८१. से/ के से’/के’८२. एखुनका अखनुका८३. भुिमहार भूिमहार८४. सुगर सूगर424


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA८५. झठहाक झटहाक८६. छूिब८७. करइयो/ओ करैयो/किरऔ-करइयौ८८. पुबािर पुबाइ८९. झगड़ा-झाँटी झगड़ा-झाँिट९०. पएरे-पएरे पैरे-पैरे९१. खेलएबाक९२. खेलेबाक९३. लगा९४. होए- हो९५. बुझल बूझल९६. बूझल (संबोधन अथर्मे)९७. यैह यएह / इएह९८. ताितल९९. अयनाय- अयनाइ/ अएनाइ१००. िन- िनद१०१. िबनु िबन१०२. जाए जाइ१०३. जाइ (in different sense)-last word of sentence१०४. छत पर आिब जाइ१०५. ने१०६. खेलाए (play) –खेलाइ१०७. िशकाइत- िशकायत१०८. ढप- ढ़प१०९. पढ़- पढ११०. किनए/ किनये किनञे425


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१११. राकस- राकश११२. होए/ होय होइ११३. अउरदा- औरदा११४. बुझेलिह (different meaning- got understand)११५. बुझएलिह/ बुझयलिह (understood himself)११६. चिल- चल११७. खधाइ- खधाय११८. मोन पाड़लिखह मोन पारलिखह११९. कैक- कएक- कइएक१२०. लग ल’ग१२१. जरेनाइ१२२. जरओनाइ- जरएनाइ/जरयनाइ१२३. होइत१२४. गरबेलिह/ गरबओलिह१२५. िचखैत- (to test)िचखइत१२६. करइयो (willing to do) करैयो१२७. जेकरा- जकरा१२८. तकरा- तेकरा१२९. िबदेसर थानेमे/ िबदेसरे थानमे१३०. करबयलहुँ/ करबएलहुँ/ करबेलहुँ१३१. हािरक (उच्चारण हाइरक)१३२. ओजन वजन१३३. आधे भाग/ आध-भागे१३४. िपचा / िपचाय/िपचाए१३५. नञ/ ने१३६. बच्चा नञ (ने) िपचा जाय426


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१३७. तखन ने (नञ) कहैत अिछ।१३८. कतेक गोटे/ कताक गोटे१३९. कमाइ- धमाइ कमाई- धमाई१४०. लग ल’ग१४१. खेलाइ (for playing)१४२. छिथह छिथन१४३. होइत होइ१४४. क्यो िकयो / केओ१४५. केश (hair)१४६. केस (court-case)१४७. बननाइ/ बननाय/ बननाए१४८. जरेनाइ१४९. कुरसी कुस१५०. चरचा चच१५१. कमर् करम१५२. डुबाबए/ डुमाबय/ डुमाबए१५३. एखुनका/ अखुनका१५४. लय (वाक्यक अितम शद)- लऽ१५५. कएलक केलक१५६. गरमी गम१५७. बरदी वद१५८. सुना गेलाह सुना’/सुनाऽ१५९. एनाइ-गेनाइ१६०. तेना ने घेरलिह१६१. निञ१६२. डरो ड’रो427


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१६३. कतहु- कहॴ१६४. उमिरगर- उमरगर१६५. भिरगर१६६. धोल/धोअल धोएल१६७. गप/गप१६८. के के’१६९. दरबजा/ दरबजा१७०. ठाम१७१. धिर तक१७२. घूिर लौिट१७३. थोरबेक१७४. बड१७५. तोँ/ तूँ१७६. तोँिह( पमे ा)१७७. तोँही / तोँिह१७८. करबाइए करबाइये१७९. एकेटा१८०. किरतिथ करतिथ१८१. पहुँिच पहुँच१८२. राखलिह रखलिह१८३. लगलिह लागलिह१८४. सुिन (उच्चारण सुइन)१८५. अिछ (उच्चारण अइछ)१८६. एलिथ गेलिथ१८७. िबतओने िबतेने428


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१८८. करबओलिह/ करेलिखह१८९. करएलिह१९०. आिक िक१९१. पहुँिच पहुँच१९२. जराय/ जराए जरा (आिग लगा)१९३. से से’१९४. हाँ मे हाँ (हाँमे हाँ िवभिक्मे हटा कए)१९५. फेल फैल१९६. फइल(spacious) फैल१९७. होयतिह/ होएतिह हेतिह१९८. हाथ मिटआयब/ हाथ मिटयाबय/हाथ मिटआएब१९९. फेका फेंका२००. देखाए देखा२०१. देखाबए२०२. सिर सर२०३. साहेब साहब२०४.गेलैह/ गेलिह२०५.हेबाक/ होएबाक२०६.केलो/ कएलहुँ२०७. िकछु न िकछु/ िकछु ने िकछु२०८.घुमेलहुँ/ घुमओलहुँ२०९. एलाक/ अएलाक२१०. अः/ अह२११.लय/ लए (अथर्-पिरवर्न)२१२.कनीक/ कनेक२१३.सबहक/ सभक429


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२१४.िमलाऽ/ िमला२१५.कऽ/ क२१६.जाऽ/ जा२१७.आऽ/ आ२१८.भऽ/भ’ (’ फॉटक कमीक ोतक)२१९.िनअम/ िनयम२२०.हेक्टेअर/ हेक्टेयर२२१.पिहल अक्षर ढ/ बादक/बीचक ढ़२२२.तिहं/तिहँ/ तिञ/ तैं२२३.किहं/ कहॴ२२४.तँइ/ तइँ२२५.नँइ/ नइँ/ निञ/ निह२२६.है/ हए२२७.छिञ/ छै/ छैक/छइ२२८.दृिएँ/ दृियेँ२२९.आ (come)/ आऽ(conjunction)२३०. आ (conjunction)/ आऽ(come)२३१.कुनो/ कोनो२३२.गेलैह-गेलिह२३३.हेबाक- होएबाक२३४.केलौँ- कएलौँ- कएलहुँ430


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२३५.िकछु न िकछ- िकछु ने िकछु२३६.केहेन- केहन२३७.आऽ (come)-आ (conjunction-and)/आ२३८. हएत-हैत२३९.घुमेलहुँ-घुमएलहुँ२४०.एलाक- अएलाक२४१.होिन- होइन/होिह२४२.ओ-राम ओ यामक बीच(conjunction), ओऽ कहलक (he said)/ओ२४३.की हए/ कोसी अएली हए/ की है। की हइ२४४.दृिएँ/ दृियेँ२४५.शािमल/ सामेल२४६.तैँ / तँए/ तिञ/ तिहं२४७.जौँ/ योँ२४८.सभ/ सब431


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२४९.सभक/ सबहक२५०.किहं/ कहॴ२५१.कुनो/ कोनो२५२.फारकती भऽ गेल/ भए गेल/ भय गेल२५३.कुनो/ कोनो२५४.अः/ अह२५५.जनै/ जनञ२५६.गेलिह/ गेलाह (अथर् पिरवतर्न)२५७.केलिह/ कएलिह२५८.लय/ लए (अथर् पिरवतर्न)२५९.कनीक/ कनेक२६०.पठेलिह/ पठओलिह२६१.िनअम/ िनयम२६२.हेक्टेअर/ हेक्टेयर432


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२६३.पिहल अक्षर रहने ढ/ बीचमे रहने ढ़२६४.आकारातमे िबकारीक योग उिचत निह/ अपोोफीक योग फाटकतकनीकी यूनताक पिरचायक ओकर बदला अवह (िबकारी) क योग उिचत२६५.केर/-क/ कऽ/ के२६६.छैिह- छिह२६७.लगैए/ लगैये२६८.होएत/ हएत२६९.जाएत/ जएत२७०.आएत/ अएत/ आओत२७१.खाएत/ खएत/ खैत२७२.िपअएबाक/ िपएबाक२७३.शुरु/ शुरुह२७४.शुरुहे/ शुरुए२७५.अएताह/अओताह/ एताह433


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२७६.जािह/ जाइ/ जै२७७.जाइत/ जैतए/ जइतए२७८.आएल/ अएल२७९.कैक/ कएक२८०.आयल/ अएल/ आएल२८१. जाए/ जै/ जए२८२. नुकएल/ नुकाएल२८३. कठुआएल/ कठुअएल२८४. तािह/ तै२८५. गायब/ गाएब/ गएब२८६. सकै/ सकए/ सकय२८७.सेरा/सरा/ सराए (भात सेरा गेल)२८८.कहैत रही/देखैत रही/ कहैत छलहुँ/ कहै छलहुँ- एिहना चलैत/ पढ़ैत (पढ़ै-पढ़ैत अथर् कखनो काल पिरवितर्त)-आर बुझै/ बुझैत (बुझै/ बुझैत छी, मुदा434


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAबुझैत-बुझैत)/ सकैत/ सकै। करैत/ करै। दै/ दैत। छैक/ छै। बचलै/बचलैक। रखबा/ रखबाक । िबनु/ िबन। राितक/ रातुक२८९. दुआरे/ ारे२९०.भेिट/ भेट२९१. खन/ खुना (भोर खन/ भोर खुना)२९२.तक/ धिर२९३.गऽ/गै (meaning different-जनबै गऽ)२९४.सऽ/ सँ (मुदा दऽ, लऽ)२९५.व,(तीन अक्षरक मेल बदला पुनरुिक्तक एक आ एकटा दोसरक उपयोग)आिदक बदला व आिद। महव/ महव/ कत/ क आिदमे संयुक्तक कोनोआवयकता मैिथलीमे निह अिछ। वक्तय२९६.बेसी/ बेशी२९७.बाला/वाला बला/ वला (रहैबला)२९८.वाली/ (बदलएवाली)२९९.वा/ वात३००. अतरिय/ अतरीय435


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA३०१. लेमए/ लेबए३०२.लमछुरका, नमछुरका३०२.लागै/ लगै (भेटैत/ भेटै)३०३.लागल/ लगल३०४.हबा/ हवा३०५.राखलक/ रखलक३०६.आ (come)/ आ (and)३०७. पाताप/ पााप३०८. ऽ केर यवहार शदक अतमे मा, यथासंभव बीचमे निह।३०९.कहैत/ कहै३१०. रहए (छल)/ रहै (छलै) (meaning different)३११.तागित/ ताकित३१२.खराप/ खराब३१३.बोइन/ बोिन/ बोइिन३१४.जािठ/ जाइठ436


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA३१५.कागज/ कागच३१६.िगरै (meaning different- swallow)/ िगरए (खसए)३१७.रािय/ राीयउच्चारण िनदश:दत न क उच्चारणमे दाँतमे जीह सटत- जेना बाजू नाम , मुदा ण कउच्चारणमे जीह मूधमे सटत (निह सटैए तँ उच्चारण दोष अिछ)- जेना बाजूगणेश। तालय शमे जीह तालुसँ , षमे मूधसँ आ दत समे दाँतसँ सटत।िनशाँ, सभ आ शोषण बािज कऽ देखू। मैिथलीमे ष केँ वैिदक संकृत जेकाँ खसेहो उच्चिरत कएल जाइत अिछ, जेना वष, दोष। य अनेको थानपर जजेकाँ उच्चिरत होइत अिछ आ ण ड़ जेकाँ (यथा संयोग आ गणेश संजोग आगड़ेस उच्चिरत होइत अिछ)। मैिथलीमे व क उच्चारण ब, श क उच्चारण सआ य क उच्चारण ज सेहो होइत अिछ।ओिहना व इ बेशीकाल मैिथलीमे पिहने बाजल जाइत अिछ कारण देवनागरीमेआ िमिथलाक्षरमे व इ अक्षरक पिहने िलखलो जाइत आ बाजलो जएबाकचाही। कारण जे िहदीमे एकर दोषपूणर् उच्चारण होइत अिछ (िलखल तँ पिहनेजाइत अिछ मुदा बाजल बादमे जाइत अिछ), से िशक्षा पितक दोषक कारणहम सभ ओकर उच्चारण दोषपूणर् ढंगसँ कऽ रहल छी।अिछ- अ इ छ ऐछछिथ- छ इ थ – छैथ437


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAपहुँिच- प हुँ इ चआब अ आ इ ई ए ऐ ओ औ अं अः ऋ एिह सभ लेल माा सेहो अिछ, मुदाएिहमे ई ऐ ओ औ अं अः ऋ केँ संयुक्ताक्षर रूपमे गलत रूपमे युक्त आउच्चिरत कएल जाइत अिछ। जेना ऋ केँ री रूपमे उच्चिरत करब। आदेिखयौ- एिह लेल देिखऔ क योग अनुिचत। मुदा देिखऐ लेल देिखयैअनुिचत। क् सँ ह् धिर अ सिमिलत भेलासँ क सँ ह बनैत अिछ, मुदाउच्चारण काल हलत युक्त शदक अतक उच्चारणक वृि बढ़ल अिछ, मुदाहम जखन मनोजमे ज् अतमे बजैत छी, तखनो पुरनका लोककेँ बजैत सुनबिह-मनोजऽ, वातवमे ओ अ युक्त ज् = ज बजै छिथ।फेर ज्ञ अिछ ज् आ ञ क संयुक्त मुदा गलत उच्चारण होइत अिछ- ग्य।ओिहना क्ष अिछ क् आ ष क संयुक्त मुदा उच्चारण होइत अिछ छ। फेर श्आ र क संयुक्त अिछ ( जेना िमक) आ स् आ र क संयुक्त अिछ (जेना िम)। भेल त+र ।उच्चारणक ऑिडयो फाइल िवदेह आकइव http://www.videha.co.in/ परउपलध अिछ। फेर केँ / सँ / पर पूवर् अक्षरसँ सटा कऽ िलखू मुदा तँ/ के/कऽ हटा कऽ। एिहमे सँ मे पिहल सटा कऽ िलखू आ बादबला हटा कऽ।अंकक बाद टा िलखू सटा कऽ मुदा अय ठाम टा िलखू हटा कऽ– जेना छहटामुदा सभ टा। फेर ६अ म सातम िलखू- छठम सातम निह। घरबलामे बला मुदाघरवालीमे वाली युक्त करू।रहए- रहै मुदा सकैए (उच्चारण सकै-ए)।438


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमुदा कखनो काल रहए आ रहै मे अथर् िभता सेहो, जेना से कमो जगहमेपािकर्ंग करबाक अयास रहै ओकरा। पुछलापर पता लागल जे ढुनढुन नाा ईाइवर कनाट लेसक पािकर्ंगमे काज करैत रहए।छलै, छलए मे सेहो एिह तरहक भेल। छलए क उच्चारण छल-ए सेहो।संयोगने- (उच्चारण संजोगने)केँ/ के / कऽकेर- क (केर क योग निह करू )क (जेना रामक) –रामक आ संगे (उच्चारण राम के / राम कऽ सेहो)सँ- सऽचिबदु आ अनुवार- अनुवारमे कंठ धिरक योग होइत अिछ मुदा चिबदुमेनिह। चिबदुमे कनेक एकारक सेहो उच्चारण होइत अिछ- जेना रामसँ-(उच्चारण राम सऽ) रामकेँ- (उच्चारण राम कऽ/ राम के सेहो)।केँ जेना रामकेँ भेल िहदीक को (राम को)- राम को= रामकेँक जेना रामक भेल िहदीक का ( राम का) राम का= रामककऽ जेना जा कऽ भेल िहदीक कर ( जा कर) जा कर= जा कऽ439


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसँ भेल िहदीक से (राम से) राम से= रामसँसऽ तऽ त केर एिह सभक योग अवांिछत।के दोसर अथँ युक्त भऽ सकैए- जेना के कहलक?निञ, निह, नै, नइ, नँइ, नइँ एिह सभक उच्चारण- नैव क बदलामे व जेना महवपूणर् (महवपूणर् निह) जतए अथर् बदिल जाएओतिह मा तीन अक्षरक संयुक्ताक्षरक योग उिचत। सपित- उच्चारण स पइ त (सपि निह- कारण सही उच्चारण आसानीसँ सभव निह)। मुदा सवम(सवतम निह)।रािय (राीय निह)सकैए/ सकै (अथर् पिरवतर्न)पोछैले/पोछैए/ पोछए/ (अथर् पिरवतर्न)पोछए/ पोछैओ लोकिन ( हटा कऽ, ओ मे िबकारी निह)440


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAओइ/ ओिहओिहले/ ओिह लेलजएबेँ/ बैसबेँपँचभइयाँदेिखयौक (देिखऔक बिह- तिहना अ मे व आ दीघर्क मााक योग अनुिचत)जकाँ/ जेकाँतँइ/ तैँहोएत/ हएतनिञ/ निह/ नँइ/ नइँसौँसेबड़/ बड़ी (झोराओल)गाए (गाइ निह)रहलेँ/ पिहरतैँहमहॴ/ अहॴ441


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAसब - सभसबहक - सभहकधिर - तकगप- बातबूझब - समझबबुझलहुँ - समझलहुँहमरा आर - हम सभआिक- आ िकसकैछ/ करैछ (गमे योगक आवयकता निह)मे केँ सँ पर (शदसँ सटा कऽ) तँ कऽ धऽ दऽ (शदसँ हटा कऽ) मुदा दूटावा बेशी िवभिक्त संग रहलापर पिहल िवभिक्त टाकेँ सटाऊ।एकटा दूटा (मुदा कैक टा)िबकारीक योग शदक अतमे, बीचमे अनावयक रूपेँ निह। आकारात आअतमे अ क बाद िबकारीक योग निह (जेना िदअ, आ )442


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअपोोफीक योग िबकारीक बदलामे करब अनुिचत आ मा फॉटक तकनीकीयूनताक पिरचायक)- ओना िबकारीक संकृत रूप ऽ अवह कहल जाइत अिछआ वतर्नी आ उच्चारण दुनू ठाम एकर लोप रहैत अिछ/ रिह सकैत अिछ(उच्चारणमे लोप रिहते अिछ)। मुदा अपोोफी सेहो अंेजीमे पसेिसव केसमेहोइत अिछ आ ेंचमे शदमे जतए एकर योग होइत अिछ जेना raisond’etre एतए सेहो एकर उच्चारण रैजौन डेटर होइत अिछ, माने अपोॉफीअवकाश निह दैत अिछ वरन जोड़ैत अिछ, से एकर योग िबकारीक बदलादेनाइ तकनीकी रूपेँ सेहो अनुिचत)।अइमे, एिहमेजइमे, जािहमेएखन/ अखन/ अइखनकेँ (के निह) मे (अनुवार रिहत)भऽमेदऽतँ (तऽ त निह)सँ ( सऽ स निह)443


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAगाछ तरगाछ लगसाँझ खनजो (जो go, करै जो do)Festivals of MithilaDATE-LIST (year- 2010-11)(१४१८ साल)Marriage Days:Nov.2010- 19Dec.2010- 3,8January 2011- 17, 21, 23, 24, 26, 27, 28 31Feb.2011- 3, 4, 7, 9, 18, 20, 24, 25, 27, 28444


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAMarch 2011- 2, 7May 2011- 11, 12, 13, 18, 19, 20, 22, 23, 29, 30June 2011- 1, 2, 3, 8, 9, 10, 12, 13, 19, 20, 26, 29Upanayana Days:February 2011- 8March 2011- 7May 2011- 12, 13June 2011- 6, 12Dviragaman Din:November 2010- 19, 22, 25, 26December 2010- 6, 8, 9, 10, 12February 2011- 20, 21March 2011- 6, 7, 9, 13April 2011- 17, 18, 22445


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAMay 2011- 5, 6, 8, 13Mundan Din:November 2010- 24, 26December 2010- 10, 17February 2011- 4, 16, 21March 2011- 7, 9April 2011- 22May 2011- 6, 9, 19June 2011- 3, 6, 10, 20FESTIVALS OF MITHILAMauna Panchami-31 JulySomavati Amavasya Vrat- 1 AugustMadhushravani-12 August446


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHANag Panchami- 14 AugustRaksha Bandhan- 24 AugKrishnastami- 01 SeptemberKushi Amavasya- 08 SeptemberHartalika Teej- 11 SeptemberChauthChandra-11 SeptemberVishwakarma Pooja- 17 SeptemberKarma Dharma Ekadashi-19 SeptemberIndra Pooja Aarambh- 20 SeptemberAnant Caturdashi- 22 SepAgastyarghadaan- 23 SepPitri Paksha begins- 24 SepJimootavahan Vrata/ Jitia-30 SepMatri Navami- 02 October447


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAKalashsthapan- 08 OctoberBelnauti- 13 OctoberPatrika Pravesh- 14 OctoberMahastami- 15 OctoberMaha Navami - 16-17 OctoberVijaya Dashami- 18 OctoberKojagara- 22 OctDhanteras- 3 NovemberDiyabati, shyama pooja- 5 NovemberAnnakoota/ Govardhana Pooja-07 NovemberBhratridwitiya/ Chitragupta Pooja-08 NovemberChhathi- -12 NovemberAkshyay Navami- 15 NovemberDevotthan Ekadashi- 17 November448


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAKartik Poornima/ Sama Bisarjan- 21 NovShaa. ravivratarambh- 21 NovemberNavanna parvan- 24 -26 NovemberVivaha Panchmi- 10 DecemberNaraknivaran chaturdashi- 01 FebruaryMakara/ Teela Sankranti-15 JanBasant Panchami/ Saraswati Pooja- 08 FebruaqryAchla Saptmi- 10 FebruaryMahashivaratri-03 MarchHolikadahan-Fagua-19 MarchHoli-20 MarVaruni Yoga- 31 Marchva.navaratrarambh- 4 Aprilvaa. Chhathi vrata- 9 April449


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHARam Navami- 12 AprilMesha Sankranti-Satuani-14 AprilJurishital-15 AprilSomavati Amavasya Vrata- 02 MayRavi Brat Ant- 08 MayAkshaya Tritiya-06 MayJanaki Navami- 12 MayVat Savitri-barasait- 01 JuneGanga Dashhara-11 JuneJagannath Rath Yatra- 3 JulyHari Sayan Ekadashi- 11 JulAashadhi Guru Poornima-15 JulVIDEHA ARCHIVE१.िवदेह ई-पिकाक सभटा पुरान अंक ेल, ितरहुता आ देवनागरी450


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAरूपमे Videha e journal's all old issues in BrailleTirhuta and Devanagari versionsिवदेह ई-पिकाक पिहल ५० अंकिवदेह ई-पिकाक ५०म सँ आगाँक अंक२.मैिथली पोथी डाउनलोड Maithili Books Download३.मैिथली ऑिडयो संकलन Maithili Audio Downloads४.मैिथली वीिडयोक संकलन Maithili Videos५.िमिथला िचकला/ आधुिनक िचकला आ िच MithilaPainting/ Modern Art and Photos"िवदेह"क एिह सभ सहयोगी िलंकपर सेहो एक बेर जाऊ।451


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA६.िवदेह मैिथली िक्वज :http://videhaquiz.blogspot.com/७.िवदेह मैिथली जालवृ एीगेटर :http://videha-aggregator.blogspot.com/८.िवदेह मैिथली सािहय अंेजीमे अनूिदतhttp://madhubani-art.blogspot.com/९.िवदेहक पूवर्-रूप "भालसिरक गाछ" :http://gajendrathakur.blogspot.com/१०.िवदेह इंडेक्स :http://videha123.blogspot.com/११.िवदेह फाइल :http://videha123.wordpress.com/१२. िवदेह: सदेह : पिहल ितरहुता (िमिथला़क्षर) जालवृ (लॉग)http://videha-sadeha.blogspot.com/१३. िवदेह:ेल: मैिथली ेलमे: पिहल बेर िवदेह ारा452


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAhttp://videha-braille.blogspot.com/१४.VIDEHA IST MAITHILI FORTNIGHTLY EJOURNALARCHIVEhttp://videha-archive.blogspot.com/१५. िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका मैिथली पोथीकआकइवhttp://videha-pothi.blogspot.com/१६. िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ऑिडयो आकइवhttp://videha-audio.blogspot.com/१७. िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका वीिडयो आकइवhttp://videha-video.blogspot.com/१८. िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका िमिथला िचकला,आधुिनक कला आ िचकलाhttp://videha-paintings-photos.blogspot.com/453


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१९. मैिथल आर िमिथला (मैिथलीक सभसँ लोकिय जालवृ)http://maithilaurmithila.blogspot.com/२०.ुित काशनhttp://www.shruti-publication.com/२१.http://groups.google.com/group/videhaVIDEHA केर सदयता िलअईमेल :???? ???एिह समूहपर जाऊ२२.http://groups.yahoo.com/group/VIDEHA/Subscribe to VIDEHA454


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAenter email addressPowered by us.groups.yahoo.com२३.गजे ठाकुर इ डेक्सhttp://gajendrathakur123.blogspot.com२४.िवदेह रेिडयो:मैिथली कथा-किवता आिदक पिहल पोडकाट साइटhttp://videha123radio.wordpress.com/२५. नेना भुटकाhttp://mangan-khabas.blogspot.com/महवपूणर् सूचना:(१) 'िवदेह' ारा धारावािहक रूपे ई-कािशत कएल गेलगजे ठाकुरक िनबध-बध-समीक्षा, उपयास (सहबाढ़िन) , प-संह(सहादीक चौपड़पर), कथा-गप (गप-गुच्छ), नाटक(संकषर्ण), महाकाय(वचाहच आ असाित मन) आ बाल-िकशोर सािहय िवदेहमे संपूणर् ई-काशनक बाद िंट फॉमर्मे। कुरुक्षेम्–अतमर्नक खड-१ सँ ७ CombinedISBN No.978-81-907729-7-6 िववरण एिह पृपर नीचाँमे आ काशककसाइट http://www.shruti-publication.com/ पर ।455


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमहवपूणर् सूचना (२):सूचना: िवदेहक मैिथली-अंेजी आ अंेजी मैिथली कोष(इंटरनेटपर पिहल बेर सचर्-िडक्शनरी) एम.एस. एस.क्यू.एल. सवर्र आधािरत -Based on ms-sql server Maithili-English and English-MaithiliDictionary. िवदेहक भाषापाक- रचनालेखन तंभमे।कुरुक्षेम् अतमर्नक- गजे ठाकुरगजे ठाकुरक िनबध-बध-समीक्षा, उपयास (सहबाढ़िन) , प-संह(सहादीक चौपड़पर), कथा-गप (गप गुच्छ), नाटक(संकषर्ण), महाकाय(वचाहच आ असाित मन) आ बालमंडली-िकशोरजगत िवदेहमे संपूणर् ई-काशनक बाद िंट फॉमर्मे। कुरुक्षेम्–अतमर्नक, खड-१ सँ ७Ist edition 2009 of Gajendra Thakur’s KuruKshetram-Antarmanak (Vol. I to VII)- essay-paper-criticism, novel,poems, story, play, epics and Children-grown-ups literaturein single binding:Language:Maithili६९२ पृ : मूय भा. रु. 100/-(for individual buyers inside india)(add courier charges Rs.50/-per copy for Delhi/NCR andRs.100/- per copy for outside Delhi)456


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAFor Libraries and overseas buyers $40 US (includingpostage)The book is AVAILABLE FOR PDF DOWNLOAD AThttps://sites.google.com/a/videha.com/videha/http://videha123.wordpress.com/Details for purchase available at print-version publishers'ssitewebsite: http://www.shruti-publication.com/or you may write toe-mail:shruti.publication@shruti-publication.comिवदेह: सदेह : १: २: ३: ४ ितरहुता : देवनागरी "िवदेह" क, िंट संकरण:िवदेह-ई-पिका (http://www.videha.co.in/) क चुनल रचना सिमिलत।457


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAिवदेह:सदेह:१: २: ३: ४सपादक: गजे ठाकुर।Details for purchase available at print-version publishers'ssite http://www.shruti-publication.com or you may write toshruti.publication@shruti-publication.com२. संदेश-[ िवदेह ई-पिका, िवदेह:सदेह िमिथलाक्षर आ देवनागरी आ गजे ठाकुरक सात खडक-िनबध-बध-समीक्षा,उपयास (सहबाढ़िन) , प-संह (सहादीक चौपड़पर), कथा-गप(गप गुच्छ), नाटक (संकषर्ण), महाकाय (वचाहच आ असाित मन) आ बाल-मंडली-िकशोर जगत- संह कुरुक्षेम् अंतमर्नक मादेँ। ]458


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१.ी गोिवद झा- िवदेहकेँ तरंगजालपर उतािर िवभिरमे मातृभाषा मैिथलीकलहिर जगाओल, खेद जे अपनेक एिह महािभयानमे हम एखन धिर संग निह दएसकलहुँ। सुनैत छी अपनेकेँ सुझाओ आ रचनामक आलोचना िय लगैत अिछतेँ िकछु िलखक मोन भेल। हमर सहायता आ सहयोग अपनेकेँ सदा उपलधरहत।२.ी रमानद रेणु- मैिथलीमे ई-पिका पािक्षक रूपेँ चला कऽ जे अपनमातृभाषाक चार कऽ रहल छी, से धयवाद । आगाँ अपनेक समत मैिथलीककायर्क हेतु हम हृदयसँ शुभकामना दऽ रहल छी।३.ी िवानाथ झा "िविदत"- संचार आ ौोिगकीक एिह ितपध ग्लोबल युगमेअपन मिहमामय "िवदेह"केँ अपना देहमे कट देिख जतबा सता आ संतोषभेल, तकरा कोनो उपलध "मीटर"सँ निह नापल जा सकैछ? ..एकर ऐितहािसकमूयांकन आ सांकृितक ितफलन एिह शतादीक अंत धिर लोकक नजिरमेआयर्जनक रूपसँ कट हैत।४. ो. उदय नारायण िसंह "निचकेता"- जे काज अहाँ कए रहल छी तकरचरचा एक िदन मैिथली भाषाक इितहासमे होएत। आनद भए रहल अिछ, ईजािन कए जे एतेक गोट मैिथल "िवदेह" ई जनर्लकेँ पिढ़ रहल छिथ।...िवदेहकचालीसम अंक पुरबाक लेल अिभनदन।५. डॉ. गंगेश गुंजन- एिह िवदेह-कमर्मे लािग रहल अहाँक सवेदनशील मन,मैिथलीक ित समिपर्त मेहनितक अमृत रंग, इितहास मे एक टा िविश फराकअयाय आरंभ करत, हमरा िवास अिछ। अशेष शुभकामना आ बधाइक स,सनेह...अहाँक पोथी कुरुक्षेम् अंतमर्नक थम दृया बहुत भय तथा उपयोगीबुझाइछ। मैिथलीमे तँ अपना वरूपक ायः ई पिहले एहन भय अवतारकपोथी िथक। हषर्पूणर् हमर हािदर्क बधाई वीकार करी।459


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA६. ी रामाय झा "रामरंग"(आब वगय)- "अपना" िमिथलासँ संबंिधत...िवषयवतुसँ अवगत भेलहुँ।...शेष सभ कुशल अिछ।७. ी जे िपाठी- सािहय अकादमी- इंटरनेट पर थम मैिथली पािक्षकपिका "िवदेह" केर लेल बधाई आ शुभकामना वीकार करू।८. ी फुलकुमार िसंह "मौन"- थम मैिथली पािक्षक पिका "िवदेह" ककाशनक समाचार जािन कनेक चिकत मुदा बेसी आािदत भेलहुँ। कालचकेँपकिड़ जािह दूरदृिक पिरचय देलहुँ, ओिह लेल हमर मंगलकामना।९.डॉ. िशवसाद यादव- ई जािन अपार हषर् भए रहल अिछ, जे नव सूचना-ाितक क्षेमे मैिथली पकािरताकेँ वेश िदअएबाक साहिसक कदम उठाओलअिछ। पकािरतामे एिह कारक नव योगक हम वागत करैत छी, संगिह"िवदेह"क सफलताक शुभकामना।१०. ी आाचरण झा- कोनो प-पिकाक काशन- ताहूमे मैिथली पिकाककाशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽ भिवय कहत। ई हमर ८८ वषर्मे७५ वषर्क अनुभव रहल। एतेक पैघ महान यज्ञमे हमर ापूणर् आहुित ातहोयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।११. ी िवजय ठाकुर- िमिशगन िविवालय- "िवदेह" पिकाक अंक देखलहुँ,सपूणर् टीम बधाईक पा अिछ। पिकाक मंगल भिवय हेतु हमर शुभकामनावीकार कएल जाओ।460


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA१२. ी सुभाषच यादव- ई-पिका "िवदेह" क बारेमे जािन सता भेल।’िवदेह’ िनरतर पलिवत-पुिपत हो आ चतुिदर्क अपन सुगंध पसारय से कामनाअिछ।१३. ी मैिथलीपु दीप- ई-पिका "िवदेह" केर सफलताक भगवतीसँ कामना।हमर पूणर् सहयोग रहत।१४. डॉ. ी भीमनाथ झा- "िवदेह" इटरनेट पर अिछ तेँ "िवदेह" नाम उिचतआर कतेक रूपेँ एकर िववरण भए सकैत अिछ। आइ-काि मोनमे उेग रहैतअिछ, मुदा शी पूणर् सहयोग देब।कुरुक्षेम् अतमर्नक देिख अित सताभेल। मैिथलीक लेल ई घटना छी।१५. ी रामभरोस कापिड़ "मर"- जनकपुरधाम- "िवदेह" ऑनलाइन देिख रहलछी। मैिथलीकेँ अतरीय जगतमे पहुँचेलहुँ तकरा लेल हािदर्क बधाई। िमिथलार सभक संकलन अपूवर्। नेपालोक सहयोग भेटत, से िवास करी।१६. ी राजनदन लालदास- "िवदेह" ई-पिकाक मायमसँ बड़ नीक काज कएरहल छी, नाितक अिहठाम देखलहुँ। एकर वािषर्क अ ंक जखन िं ट िनकालब तँहमरा पठायब। कलकामे बहुत गोटेकेँ हम साइटक पता िलखाए देने िछयिह।मोन तँ होइत अिछ जे िदली आिब कए आशीवद दैतहुँ, मुदा उमर आब बेशीभए गेल। शुभकामना देश-िवदेशक मैिथलकेँ जोड़बाक लेल।.. उकृ काशनकुरुक्षेम् अंतमर्नक लेल बधाइ। अुत काज कएल अिछ, नीक तुित अिछसात खडमे। मुदा अहाँक सेवा आ से िनःवाथर् तखन बूझल जाइत जँ अहाँारा कािशत पोथी सभपर दाम िलखल निह रिहतैक। ओिहना सभकेँ िवलिहदेल जइतैक। (पीकरण- ीमान्, अहाँक सूचनाथर् िवदेह ारा ई-कािशतकएल सभटा सामी आकइवमेhttps://sites.google.com/a/videha.com/videha-pothi/ पर िबना461


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAमूयक डाउनलोड लेल उपलध छै आ भिवयमे सेहो रहतैक। एिह आकइवकेँजे िकयो काशक अनुमित लऽ कऽ िंट रूपमे कािशत कएने छिथ आ तकरओ दाम रखने छिथ तािहपर हमर कोनो िनयंण निह अिछ।- गजे ठाकुर)...अहाँक ित अशेष शुभकामनाक संग।१७. डॉ. ेमशंकर िसंह- अहाँ मैिथलीमे इंटरनेटपर पिहल पिका "िवदेह"कािशत कए अपन अुत मातृभाषानुरागक पिरचय देल अिछ, अहाँक िनःवाथर्मातृभाषानुरागसँ ेिरत छी, एकर िनिम जे हमर सेवाक योजन हो, तँ सूिचतकरी। इंटरनेटपर आोपांत पिका देखल, मन फुिलत भऽ गेल।१८.ीमती शेफािलका वम- िवदेह ई-पिका देिख मोन उलाससँ भिर गेल।िवज्ञान कतेक गित कऽ रहल अिछ...अहाँ सभ अनत आकाशकेँ भेिद िदयौ,समत िवतारक रहयकेँ तार-तार कऽ िदयौक...। अपनेक अुत पुतककुरुक्षेम् अंतमर्नक िवषयवतुक दृिसँ गागरमे सागर अिछ। बधाई।१९.ी हेतुकर झा, पटना-जािह समपर्ण भावसँ अपने िमिथला-मैिथलीक सेवामेतपर छी से तुय अिछ। देशक राजधानीसँ भय रहल मैिथलीक शंखनादिमिथलाक गाम-गाममे मैिथली चेतनाक िवकास अवय करत।२०. ी योगानद झा, किबलपुर, लहेिरयासराय- कुरुक्षेम् अंतमर्नक पोथीकेँिनकटसँ देखबाक अवसर भेटल अिछ आ मैिथली जगतक एकटा उट ओसमसामियक दृिसप हताक्षरक कलमबद पिरचयसँ आािदत छी। "िवदेह"कदेवनागरी सँकरण पटनामे रु. 80/- मे उपलध भऽ सकल जे िविभ लेखकलोकिनक छायािच, पिरचय पक ओ रचनावलीक सयक काशनसँ ऐितहािसककहल जा सकैछ।462


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२१. ी िकशोरीकात िम- कोलकाता- जय मैिथली, िवदेहमे बहुत रास किवता,कथा, िरपोटर् आिदक सिच संह देिख आ आर अिधक सता िमिथलाक्षरदेिख- बधाई वीकार कएल जाओ।२२.ी जीवकात- िवदेहक मुित अंक पढ़ल- अुत मेहनित। चाबस-चाबस।िकछु समालोचना मरखाह..मुदा सय।२३. ी भालच झा- अपनेक कुरुक्षेम् अंतमर्नक देिख बुझाएल जेना हमअपने छपलहुँ अिछ। एकर िवशालकाय आकृित अपनेक सवर्समावेशताकपिरचायक अिछ। अपनेक रचना सामयर्मे उरोर वृि हो, एिह शुभकामनाकसंग हािदर्क बधाई।२४.ीमती डॉ नीता झा- अहाँक कुरुक्षेम् अंतमर्नक पढ़लहुँ। योितरीरशदावली, कृिष मय शदावली आ सीत बसत आ सभ कथा, किवता,उपयास, बाल-िकशोर सािहय सभ उम छल। मैिथलीक उरोर िवकासकलय दृिगोचर होइत अिछ।२५.ी मायानद िम- कुरुक्षेम् अंतमर्नक मे हमर उपयास ीधनक जेिवरोध कएल गेल अिछ तकर हम िवरोध करैत छी।... कुरुक्षेम् अंतमर्नकपोथीक लेल शुभकामना।(ीमान् समालोचनाकेँ िवरोधक रूपमे निह लेल जाए।-गजे ठाकुर)२६.ी महे हजारी- सपादक ीिमिथला- कुरुक्षेम् अंतमर्नक पिढ़ मोन हिषर्तभऽ गेल..एखन पूरा पढ़यमे बहुत समय लागत, मुदा जतेक पढ़लहुँ से आािदतकएलक।463


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA२७.ी केदारनाथ चौधरी- कुरुक्षेम् अंतमर्नक अुत लागल, मैिथली सािहयलेल ई पोथी एकटा ितमान बनत।२८.ी सयानद पाठक- िवदेहक हम िनयिमत पाठक छी। ओकर वरूपकशंसक छलहुँ। एहर अहाँक िलखल - कुरुक्षेम् अंतमर्नक देखलहुँ। मोनआािदत भऽ उठल। कोनो रचना तरा-उपरी।२९.ीमती रमा झा-सपादक िमिथला दपर्ण। कुरुक्षेम् अंतमर्नक िंट फॉमर् पिढ़आ एकर गुणवा देिख मोन स भऽ गेल, अुत शद एकरा लेल युक्त कऽरहल छी। िवदेहक उरोर गितक शुभकामना।३०.ी नरे झा, पटना- िवदेह िनयिमत देखैत रहैत छी। मैिथली लेल अुतकाज कऽ रहल छी।३१.ी रामलोचन ठाकुर- कोलकाता- िमिथलाक्षर िवदेह देिख मोन सतासँ भिरउठल, अंकक िवशाल पिरदृय आवतकारी अिछ।३२.ी तारानद िवयोगी- िवदेह आ कुरुक्षेम् अंतमर्नक देिख चकिबदोर लािगगेल। आयर्। शुभकामना आ बधाई।३३.ीमती ेमलता िम “ेम”- कुरुक्षेम् अंतमर्नक पढ़लहुँ। सभ रचनाउच्चकोिटक लागल। बधाई।३४.ी कीितर्नारायण िम- बेगूसराय- कुरुक्षेम् अंतमर्नक बड नीक लागल,आगांक सभ काज लेल बधाई।464


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA३५.ी महाकाश-सहरसा- कुरुक्षेम् अंतमर्नक नीक लागल, िवशालकाय संगिहउमकोिटक।३६.ी अिग्नपुप- िमिथलाक्षर आ देवाक्षर िवदेह पढ़ल..ई थम तँ अिछ एकराशंसामे मुदा हम एकरा दुसाहिसक कहब। िमिथला िचकलाक तभकेँ मुदाअिगला अंकमे आर िवतृत बनाऊ।३७.ी मंजर सुलेमान-दरभंगा- िवदेहक जतेक शंसा कएल जाए कम होएत।सभ चीज उम।३८.ीमती ोफेसर वीणा ठाकुर- कुरुक्षेम् अंतमर्नक उम, पठनीय,िवचारनीय। जे क्यो देखैत छिथ पोथी ात करबाक उपाय पुछैत छिथ।शुभकामना।३९.ी छानद िसंह झा- कुरुक्षेम् अंतमर्नक पढ़लहुँ, बड नीक सभ तरहेँ।४०.ी ताराकात झा- सपादक मैिथली दैिनक िमिथला समाद- िवदेह तँ कटेटोवाइडरक काज कऽ रहल अिछ। कुरुक्षेम् अंतमर्नक अुत लागल।४१.डॉ रवी कुमार चौधरी- कुरुक्षेम् अंतमर्नक बहुत नीक, बहुत मेहनितकपिरणाम। बधाई।४२.ी अमरनाथ- कुरुक्षेम् अंतमर्नक आ िवदेह दुनू मरणीय घटना अिछ,मैिथली सािहय मय।४३.ी पंचानन िम- िवदेहक वैिवय आ िनरतरता भािवत करैत अिछ,शुभकामना।465


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA४४.ी केदार कानन- कुरुक्षेम् अतमर्नक लेल अनेक धयवाद, शुभकामना आबधाइ वीकार करी। आ निचकेताक भूिमका पढ़लहुँ। शुरूमे तँ लागल जेनाकोनो उपयास अहाँ ारा सृिजत भेल अिछ मुदा पोथी उनटौला पर ज्ञात भेलजे एिहमे तँ सभ िवधा समािहत अिछ।४५.ी धनाकर ठाकुर- अहाँ नीक काज कऽ रहल छी। फोटो गैलरीमे िचएिह शतादीक जमितिथक अनुसार रहैत तऽ नीक।४६.ी आशीष झा- अहाँक पुतकक संबंधमे एतबा िलखबा सँ अपना कए निहरोिक सकलहुँ जे ई िकताब मा िकताब निह थीक, ई एकटा उमीद छी जेमैिथली अहाँ सन पुक सेवा सँ िनरंतर समृ होइत िचरजीवन कए ातकरत।४७.ी शभु कुमार िसंह- िवदेहक तपरता आ ियाशीलता देिख आािदत भऽरहल छी। िनितरूपेण कहल जा सकैछ जे समकालीन मैिथली पिकाकइितहासमे िवदेहक नाम वणक्षरमे िलखल जाएत। ओिह कुरुक्षेक घटना सभतँ अठारहे िदनमे खतम भऽ गेल रहए मुदा अहाँक कुरुक्षेम् तँ अशेष अिछ।४८.डॉ. अजीत िम- अपनेक यासक कतबो श ंसा कएल जाए कमे होएतैक।मैिथली सािहयमे अहाँ ारा कएल गेल काज युग-युगातर धिर पूजनीय रहत।४९.ी बीरे मिलक- अहाँक कुरुक्षेम् अतमर्नक आ िवदेह:सदेह पिढ़ अितसता भेल। अहाँक वाय ठीक रहए आ उसाह बनल रहए से कामना।५०.ी कुमार राधारमण- अहाँक िदशा-िनदशमे िवदेह पिहल मैिथली ई-जनर्ल देिखअित सता भेल। हमर शुभकामना।466


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA५१.ी फूलच झा वीण-िवदेह:सदेह पढ़ने रही मुदा कुरुक्षेम् अतमर्नक देिखबढ़ाई देबा लेल बाय भऽ गेलहुँ। आब िवास भऽ गेल जे मैिथली निह मरत।अशेष शुभकामना।५२.ी िवभूित आनद- िवदेह:सदेह देिख, ओकर िवतार देिख अित सताभेल।५३.ी मानेर मनुज-कुरुक्षेम् अतमर्नक एकर भयता देिख अित सता भेल,एतेक िवशाल थ मैिथलीमे आइ धिर निह देखने रही। एिहना भिवयमे काजकरैत रही, शुभकामना।५४.ी िवानद झा- आइ.आइ.एम.कोलकाता- कुरुक्षेम् अतमर्नक िवतार,छपाईक संग गुणवा देिख अित सता भेल।५५.ी अरिवद ठाकुर-कुरुक्षेम् अतमर्नक मैिथली सािहयमे कएल गेल एिहतरहक पिहल योग अिछ, शुभकामना।५६.ी कुमार पवन-कुरुक्षेम् अतमर्नक पिढ़ रहल छी। िकछु लघुकथा पढ़लअिछ, बहुत मािमर्क छल।५७. ी दीप िबहारी-कुरुक्षेम् अतमर्नक देखल, बधाई।५८.डॉ मिणकात ठाकुर-कैिलफोिनर्या- अपन िवलक्षण िनयिमत सेवासँ हमरालोकिनक हृदयमे िवदेह सदेह भऽ गेल अिछ।५९.ी धीरे ेमिषर्- अहाँक समत यास सराहनीय। दुख होइत अिछ जखनअहाँक यासमे अपेिक्षत सहयोग निह कऽ पबैत छी।467


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA६०.ी देवशंकर नवीन- िवदेहक िनरतरता आ िवशाल वरूप- िवशाल पाठकवगर्, एकरा ऐितहािसक बनबैत अिछ।६१.ी मोहन भाराज- अहाँक समत कायर् देखल, बहुत नीक। एखन िकछुपरेशानीमे छी, मुदा शी सहयोग देब।६२.ी फजलुर रहमान हाशमी-कुरुक्षेम् अतमर्नक मे एतेक मेहनतक लेल अहाँसाधुवादक अिधकारी छी।६३.ी लमण झा "सागर"- मैिथलीमे चमकािरक रूपेँ अहाँक वेश आादकारीअिछ।..अहाँकेँ एखन आर..दूर..बहुत दूरधिर जेबाक अिछ। वथ आ सरही।६४.ी जगदीश साद मंडल-कुरुक्षेम् अतमर्नक पढ़लहुँ । कथा सभ आउपयास सहबाढ़िन पूणर्रूपेँ पिढ़ गेल छी। गाम-घरक भौगोिलक िववरणक जेसूम वणर्न सहबाढ़िनमे अिछ, से चिकत कएलक, एिह संहक कथा-उपयासमैिथली लेखनमे िविवधता अनलक अिछ। समालोचना शामे अहाँक दृिवैयिक्तक निह वरन् सामािजक आ कयाणकारी अिछ, से शंसनीय।६५.ी अशोक झा-अयक्ष िमिथला िवकास पिरषद- कुरुक्षेम् अतमर्नक लेलबधाई आ आगाँ लेल शुभकामना।६६.ी ठाकुर साद मुमुर्- अुत यास। धयवादक संग ाथर्ना जे अपन मािट-पािनकेँ यानमे रािख अंकक समायोजन कएल जाए। नव अंक धिर याससराहनीय। िवदेहकेँ बहुत-बहुत धयवाद जे एहेन सुदर-सुदर सचार (आलेख)लगा रहल छिथ। सभटा हणीय- पठनीय।468


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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHA७३.ी सुकात सोम- कुरुक्षेम् अंतमर्नक मे समाजक इितहास आ वतर्मानसँअहाँक जुड़ाव बड नीक लागल, अहाँ एिह क्षेमे आर आगाँ काज करब सेआशा अिछ।७४.ोफेसर मदन िम- कुरुक्षेम् अंतमर्नक सन िकताब मैिथलीमे पिहले अिछआ एतेक िवशाल संहपर शोध कएल जा सकैत अिछ। भिवयक लेलशुभकामना।७५.ोफेसर कमला चौधरी- मैिथलीमे कुरुक्षेम् अंतमर्नक सन पोथी आबए जेगुण आ रूप दुनूमे िनसन होअए, से बहुत िदनसँ आकांक्षा छल, ओ आब जाकऽ पूणर् भेल। पोथी एक हाथसँ दोसर हाथ घुिम रहल अिछ, एिहना आगाँ सेहोअहाँसँ आशा अिछ।७६.ी उदय च झा "िवनोद": गजेजी, अहाँ जतेक काज कएलहुँ अिछ सेमैिथलीमे आइ धिर िकयो निह कएने छल। शुभकामना। अहाँकेँ एखन बहुतकाज आर करबाक अिछ।७७.ी कृण कुमार कयप: गजे ठाकुरजी, अहाँसँ भेँट एकटा मरणीय क्षणबिन गेल। अहाँ जतेक काज एिह बएसमे कऽ गेल छी तािहसँ हजार गुणा आरबेशीक आशा अिछ।७८.ी मिणकात दास: अहाँक मैिथलीक कायर्क शंसा लेल शद निह भेटैतअिछ। अहाँक कुरुक्षेम् अतमर्नक सपूणर् रूपेँ पिढ़ गेलहुँ। वचाहच बडनीक लागल।470


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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका 'िवदेह' ७३ म अंक ०१ जनवरी २०११ (वषर्४ मास ३७ अंक ७३)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्ISSN 2229-547X VIDEHAअिछ, आ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पिकाकेँ देल जा रहलअिछ। मेल ात होयबाक बाद यथासंभव शी ( सात िदनक भीतर) एकरकाशनक अंकक सूचना देल जायत। ’िवदेह' थम मैिथली पािक्षक ई पिकाअिछ आ एिहमे मैिथली, संकृत आ अंेजीमे िमिथला आ मैिथलीसँ संबंिधतरचना कािशत कएल जाइत अिछ। एिह ई पिकाकेँ ीमित लमी ठाकुर ारामासक ०१ आ १५ ितिथकेँ ई कािशत कएल जाइत अिछ।(c) 2004-11 सविधकार सुरिक्षत। िवदेहमे कािशत सभटा रचना आआकइवक सविधकार रचनाकार आ संहकक लगमे छिह। रचनाक अनुवादआ पुनः काशन िकंवा आकइवक उपयोगक अिधकार िकनबाक हेतुggajendra@videha.co.in पर संपकर् करू। एिह साइटकेँ ीित झा ठाकुर,मधूिलका चौधरी आ रिम िया ारा िडजाइन कएल गेल।िसिरतु472

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