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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५० म अंक १५ जनबरी २०१० (वषर् ३ मास २५ अंक ५०)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्वयमे ओ िमिथला रा यक थापनाथर् आ दोलनक <strong>ह</strong>ेतु संघषर् करबाक शुभार भ कयलिन। अपन स मानकरक्षाथर् ओ पुन: एि<strong>ह</strong> अिग्नकेँ विलत कयलिन जे अािप जनमानस संघषर्रत अिछ। <strong>ह</strong>ुनक आकांक्षा छलिनजे रा क अख डता एवं एकता र<strong>ह</strong>ओ, िक तु अपना घरमे, अपना िजलामे, अपना ा त वा रा यमे अपनभाषा आ सं कृित अक्षु ण रािख असर <strong>ह</strong>ोइ। लोक भिरपोख, भिर मन जी<strong>िव</strong>त रि<strong>ह</strong> <strong>दे</strong>शक उ नितमे स<strong>ह</strong>भागी<strong>ह</strong>ैत। कुंिठत, कलुिषत, <strong>ह</strong>ीन, यिक्त वक <strong>िव</strong>कास कि<strong>ह</strong>यो नि<strong>ह</strong> स भव छैक।• मातृभाषाक मा यमे ाथिमक िशक्षा• िशक्षा आ भाषा दुनूक <strong>िव</strong>कास पर पराित अिछ। िशक्षा मानव जीवनक मेरुद ड िथक। िशक्षाकउे य ज्ञानाजर्न िथक। ज्ञानाजर्नक <strong>ह</strong>ेतु भाषा मा यम िथक। अतएव कोना भाषाक सफलता एि<strong>ह</strong> बातपरअवल<strong>िव</strong>त अिछ जे कोन सीमा धिर ज्ञानाजर्न आ अिजर्त ज्ञानक अिभ यिक्तमे स<strong>ह</strong>ायक <strong>ह</strong>ोइछ जकरा ारा यिक्ततवक िनमण <strong>ह</strong>ोइछ आ आ तिरक शिक्तक <strong>िव</strong>कास <strong>ह</strong>ोइछ तथा ओ एक उरदायी नागिरक रूपमेजनमानसक समक्ष अबैछ।मातृभाषाक मायमे थिम िशक्षा एक िसाक दू प<strong>ह</strong>लू िथक। अतएवारिभकाव थामे जीवनमे मातृभाषा आ ाथिमक िशक्षा दुनूमे ाथिमकता अपेिक्षत अिछ। एि<strong>ह</strong> संग भारते दु<strong>ह</strong>िर च (1850–1885) क कथन छिन:• िनज भाषा उ नित अ<strong>ह</strong>ै, सब उ नित की मूल• िबनु िनज भाषा ज्ञानकेँ िमटय नि<strong>ह</strong> <strong>ह</strong>ृदयक सून।• मातृभाषाक मा यमे िशक्षा नि<strong>ह</strong> <strong>दे</strong>लाक कारणेँ <strong>ह</strong>ुनका <strong>ह</strong>ृदयमे अपार क ट छलिन। एि<strong>ह</strong> लेल ओपृथकसँ जन आ दोलनक चलयबाक अिभयान चलौलिन, िक तु <strong>ह</strong>ुनक ई व न साकार नि<strong>ह</strong> भऽ पौलिन िब<strong>ह</strong>ारसरकारक उदासीनताक कारणेँ। <strong>ह</strong>मरा जनैत िमिथलावासी अपन मातृभाषाक म<strong>ह</strong>व नि<strong>ह</strong> बुझबाक ई दुखदपिरणाम िथक। जँ लोक अपन नेना–भुटकाकेँ मातृभाषाक म<strong>ह</strong>वसँ व तुत: अवगत करिबतिथ तँ एक ए<strong>ह</strong>न व थ वातावरणक िनमण <strong>ह</strong>ोइत जे िब<strong>ह</strong>ार सरकारकेँ वा य भऽ कए िशक्षा नीित लागू करय पिड़तैक। जखनजग नाथ िम िब<strong>ह</strong>ारक मुख् यमंी भेला<strong>ह</strong> तखन जयका त िम अ यिधक आशा<strong>िव</strong>त भेला<strong>ह</strong>, िक तु ओकरकोनो फलाफल नि<strong>ह</strong> ब<strong>ह</strong>रायल। <strong>ह</strong>ुनक अवधारणा छलिन जे जँ ाथिमक िशक्षा मैिथलीक मा यमे <strong>ह</strong>ोइत तँिमिथलांचलक अिधकांश सम याक समाधान वत भऽ जाइत। मातृभाषाक मा यमे िशक्षा नि<strong>ह</strong> भेटबाक कारणेँाथिमक तर नेना सभकेँ िशक्षाक ितअरुिच भऽ जाइछजकर पिरणाम <strong>ह</strong>ोइछ जे <strong>िव</strong>ालयसँ छाक पलायनभऽ जाइछ। तेँ ाथिमक तर पर मातृभाषाक मा यमे िशक्षाक कायययनक <strong>ह</strong>ेतु ओ सतत संघषर् करैतर<strong>ह</strong>ला<strong>ह</strong>। मैिथलीकेँ ाथिमक तर पर िशक्षा नीित लागू करयबाक <strong>ह</strong>ेतु ओ समत िमिथलांचलमे पद–याा,बैसार, चार तँ करबे कयलिन, एतेक धिर ओ कानूनी लड़ाई लड़बासँ पाछू नि<strong>ह</strong> र<strong>ह</strong>ला<strong>ह</strong>।• एि<strong>ह</strong> संगमे <strong>ह</strong>ुनक कथन छिन आन–आन <strong>दे</strong>श उ तितक िशखरपर प<strong>ह</strong>ुँचल अिछ तकर मुख कारणिथक जे ओ सव मातृभाषाक म<strong>ह</strong>वसँ अवगत अिछ। रुस, जापान, इंग् लै ड, अमेिरका आिद <strong>दे</strong>शमे ाथिमकिशक्षा ओकर मातृभाषाक मा यमे <strong>दे</strong>ल जाइछ जे गितक पथ पर िदनानुिदन असर भेल जा र<strong>ह</strong>ल अिछ।िक तु िमिथलांचलमे जन जागरणक अभाव कारणेँ अिभभावक अपन भाषाक ीवृि करवाक <strong>ह</strong>ेतु य न नि<strong>ह</strong>करैत छिथ। मै िथल िशक्षक मैिथली पढ़यबाक <strong>ह</strong>ेतु य न नि<strong>ह</strong> करैत छिथ। यावत मैिथल समाज एि<strong>ह</strong> नकसमुिचत उर नि<strong>ह</strong> <strong>दे</strong>त, तावत मैिथलीकेँ आगाँ बढ़यबाक कोनो आ दोलन सफल नि<strong>ह</strong> भऽ सकत।86

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