िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

िवशेष: िवशेष:

videha123.files.wordpress.com
from videha123.files.wordpress.com More from this publisher
22.08.2015 Views

िव दे िवदे Videha িবেদহ िवदे थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदे थम मैिथली पािक्षक 'िवदे''िवदे' ५० म अंक १५ जनबरी २०१० (वषर् ३ मास २५ अंक ५०)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम संस्कृ ताम्• किववरक उपयुर्क् त पंिक्तक यापक भाव जनमानस पर पड़लैक जािसँ अिभभूतओ जन जागरणकअिभनव अिभयान चलौलिन जे जनमानस अपन लेल मातृभाषाक मवकेँ जानय, बुझय आ अपन समुिचतअिधकार ा त करबाक िदशामे ुनका सयोग देमक ेतु उताुल भऽ गेल। कारण ओ अनुभव कयलिन जेिमिथलांचल वासीमे भाषा चेतनाक सवर्था अभाव छैक। भाषा चेतनाक अथर् िथक मातृ भाषाक ित ेम,दाियव–बोध, कर् य–बोध, गौरव–बोध आिद सम त िवषय चेतना श दमे सिित अिछ। भाषाक उ नित आिवकास ओि भाषा भाषीक चेतना पर िनभर्र करैछ, िक तु मैिथली भाषी जनमानसमे अपन भाषा आ साि यकसवगीन िवकासक अकाँक्षाक अभाव देिख ओ सवर्थम भाषा चेतना जगयबाक िनिम आ दोलन कयलिन जेम मैिथल छी, मर मातृभाषा मैिथली िथक आ म िमिथलावासी छी। एि भावनासँ ओ उ ेिरत भऽिमिथलांचल वासीसँ अनुरोध कयलिन जे जाित–भेद, वगर्–भेद िछावेषणक वृितक पिर यागक एक जुट भऽिमलजुिलक भाषाक िवकास कायर्क ित स ब भऽ आ दोलन करी।• ओ मैिथली आ दोलनकेँ नव वरूप दान करबाक आकांक्षी रिथ, कारण ुनक बल इच् छा छलिनजे आ दोलन सब धी कायर्मकेँ रूपाियत करबाक झु ड बािक ढ़ोल बजा कऽ गाम–गाममे घुिम कऽमातृभाषाक मवकेँ बुझायब। एि लेल मुख् य–मुख् य थान पर मीिटंगक आयोजन करब आ मातृभाषाकवातिवक मव आ त जिनत िविवध सम यािदसँ जनमानसक यानाकिषर्त करब। एि भाषा पर एकजाितक वचर् वकेँ समा त करबाक लेल सेो आ दोलनक आव यकता अिछ तकर अनुभव ुनका भेलिन। ओिमिथलांचलक मुसलमानकेँ आ दोलनक संग जोड़ेबाक ुनक बलवती इच् छा छलिन। ओ एन आ दोलनकआकांक्षी रिथ जे सामा य जनक वै ितिनधवक ओि अंचलक, ओि क्षेक, समाजक सवगीन उ नितकेतु सतत सिय रिथ। िक तु ुनका पीड़ा एि बातक छलिन जे िमिथलांचलवासी आ दोलनक ितउदासीन अिछ। मैिथली आ दोलनमे तीवर्ता अनबाक ेतु जाधिर क्षेीय सांसद आ िवधायक सयोग निकरता ताधिर ई धारधार नि भऽ सकैछ। िक तु ओ एि बातसँ अ यिधक दु:खी रिथ जे िमिथलांचलसँिनविचत ितिनिध लोकिनमे जागरणक अभाव पिरलिक्षत भेलिन। मैिथली आ दोलन दधीिच बाबू भोला लालदास (1894–1977) कथनछिन जे चुपचाप बैसने याय नि भेिट सकैछ। िमिथलांचलक सवगीन िवकासकेतु िमिथलावासीकेँ एकब भऽ िसंनाद करबाक योजन अिछ आ अपन अिधकारक लेल संघषर् करबाक ओआान कयलिन यथा:• अयायी सा छी लय, गगन सम अित िवषम।• मरिं लधु ुँकार सँ, मालय ोइछ िनयम।• मैिथली आ दोलनकेँ ओ नव रूप देबाक यास कयलिन। ुनक धारणा छलिन जे जाधिर रा ीय रूपएकरा नि दान कयल जायत ताधिर मैिथलीक िवकासक सभावना नि। जिना ओिड़या भाषी, असिमयाभाषी आ नेपाली भाषीकेँ अपन भाषाक ित अगाध ा छैक जे अपन िचर नेी ‘अमार भाषा जननी’कनारा लगबैत अिछ तिना मैिथली भाषीकेँ अपन भाषाक ित ने उ प न करबाक लेल आ दोलनक योजनअिछ। जाि–जाि भाषाकेँ साि य अकादेमी ारा मा यता ात छैक ओि सब भाषाकेँ भारतीय संिवधानकअ टम अनुसूचीमे नि सिमिलत कयल जायत तकरा लेल रा ीय तर पर आ दोलनक योजन अिछ1 एिलेल आ दोलनकेँ तीवर्तर करबाक लेल िमिथलांचलक गामक पद्–याा कयल जाय आ िजला–िजलामे जन84

िव दे िवदे Videha িবেদহ िवदे थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदे थम मैिथली पािक्षक 'िवदे''िवदे' ५० म अंक १५ जनबरी २०१० (वषर् ३ मास २५ अंक ५०)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम संस्कृ ताम्आ दोलन करबाक ओ आान कयलिन। मैिथली आ दोलन तँ प–पिका, पकार, साि यकार आ सृदयमैिथली ेमी धिर सीिमत अिछ तकरा यापक पिरिधमे अनबाक आव यकता अिछ।• ुनक धारणा छलिन जे जाधिर एकरा रा ीय रूप नि देल जायत ताधिर एि भाषाक क याणकस भावना ुनका नि छलिन। जिना पौल रोबसनक िलखल जाि गीतकेँ लूथर िकंग नामक िनो नेताअपन िनो आ दोलनमे उपयोग कयलिन तिना तकरा मरा लोकिनकेँ भाषा समूक संाम गीत धोिषतकरबाक आव यकता अिछ:• We Shall OverCome, We Shall Over Come• We Shall over come, Some day, o ! deep in my hewck• I do seelieve, We Shall OverCome Someday• We will have in peaee, We will go hand in hand• जाधिर िमिथलांचल वासीकेँ उपयुर्क् त का यांशसँ अनुािणत नि ैता ताधिर मरा लोकिनकआ दोलन सफलीभूत नि भऽ सकैछ।• जयका त िम मैिथली नाम पर चलाओल आ दोलनकेँ िटमिटमाइत दीप मानैत रिथ। मैिथलीक नामपर जतेक संघषर् चलाओल जाइत ओ साधारणत: मर आ दोलनकेँ उजागर करैत अिछ। छोट–छोट बातकेँलऽ कए आ दोलन करब तकरा कथमिप आ दोलनक संज्ञासँ नि अलंकृत कयल जा सकैछ। मैिथलीआदोलनकेँ चलयबाक लेल िवराट शिक्त योजन अिछ। मैिथली भाषी ारा जे आ दोलन चलाओल जा रलअिछ ओकरा एकर िवकास नि– युत िवनाश मानैत रिथ।• मैिथली आ दोलनक असफल भऽ जयबाक कारणक उलेख करैत ुनक कथन छलिन जे पंजाबी आउदूर् समर भाषा कोनो धमर्क संग स ब नि अिछ। मैिथली बजिनारक संख् या भारतमे सातम अिछ।मर भाषाकेँ वतं िलिप छैक। एकर अतीत अयंत समुजवल अिछ। एकर मान सां कृितक पर पराछेक। सां कृितक अिमताक रक्षाक लेल आ दोलन आजुक धमर् िथक। आ दोलनमे तखने बल आओत जखनम सं कृितक शंखनादकरब जन–जन भािषक चेतनाक ुँकार भरब। एि संगमे ओ आरसी साद िसं(1911–1996)क िस का य बािज गेल रनडंक उलेख करैत रिथ:• बािज गेल रनडंक, ललकािर रल अिछ• गरिज–ग रिज कय जनजनकेँ परचािर रल अिछ• आबु की रती , मैिथली बनिल विदनी ?• तरूक छाँमे बिन उदािसनी जनकन दनी?• मैिथली आ दोलन सतत गितशील रल जकर पिरणम अिछ जे ओ नीचाँसँ ऊपर ससरल अिछ। ईएकरे पिरणाम िथक जे साि य अकादेमी, भारतीय संिवधानक अ टम अनुसूची, संघलोक सेवा आयोग, िबारलोक सेवा आयोग, उच् चर मायिमक, िविवालय तर पर अ ययनक रूपमे वीकृत भेल। इए तँमैिथली आ दोलनक अतन िथित अिछ। जतेक सुिवधा मरा लोकिनकेँ उपल ध भेल अिछ तकरा ओउपयोग करबाक मं देलिन।• मैिथलीक वा तिविवकासक ेतु अािप आ दोलन अपेिक्षत अिछ। आव यकता अिछ जे मरालोकिन आ दोनो मुख भऽ यास करबाक चाी जे राजभाषाक रूपमे एकरा वीकृित भेटैक। जीवनक पिरणत85

<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५० म अंक १५ जनबरी २०१० (वषर् ३ मास २५ अंक ५०)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्• क<strong>िव</strong>वरक उपयुर्क् त पंिक्तक यापक भाव जनमानस पर पड़लैक जाि<strong>ह</strong>सँ अिभभूतओ जन जागरणकअिभनव अिभयान चलौलिन जे जनमानस अपन लेल मातृभाषाक म<strong>ह</strong>वकेँ जानय, बुझय आ अपन समुिचतअिधकार ा त करबाक िदशामे <strong>ह</strong>ुनका स<strong>ह</strong>योग <strong>दे</strong>मक <strong>ह</strong>ेतु उता<strong>ह</strong>ुल भऽ गेल। कारण ओ अनुभव कयलिन जेिमिथलांचल वासीमे भाषा चेतनाक सवर्था अभाव छैक। भाषा चेतनाक अथर् िथक मातृ भाषाक ित ेम,दाियव–बोध, कर् य–बोध, गौरव–बोध आिद सम त <strong>िव</strong>षय चेतना श दमे सिि<strong>ह</strong>त अिछ। भाषाक उ नित आ<strong>िव</strong>कास ओि<strong>ह</strong> भाषा भाषीक चेतना पर िनभर्र करैछ, िक तु मैिथली भाषी जनमानसमे अपन भाषा आ साि<strong>ह</strong> यकसवगीन <strong>िव</strong>कासक अकाँक्षाक अभाव <strong>दे</strong>िख ओ सवर्थम भाषा चेतना जगयबाक िनिम आ दोलन कयलिन जे<strong>ह</strong>म मैिथल छी, <strong>ह</strong>मर मातृभाषा मैिथली िथक आ <strong>ह</strong>म िमिथलावासी छी। एि<strong>ह</strong> भावनासँ ओ उ ेिरत भऽिमिथलांचल वासीसँ अनुरोध कयलिन जे जाित–भेद, वगर्–भेद िछावेषणक वृितक पिर यागक एक जुट भऽिमलजुिलक भाषाक <strong>िव</strong>कास कायर्क ित स ब भऽ आ दोलन करी।• ओ मैिथली आ दोलनकेँ नव वरूप दान करबाक आकांक्षी र<strong>ह</strong>िथ, कारण <strong>ह</strong>ुनक बल इच् छा छलिनजे आ दोलन सब धी कायर्मकेँ रूपाियत करबाक झु ड बाि<strong>ह</strong>क ढ़ोल बजा कऽ गाम–गाममे घुिम कऽमातृभाषाक म<strong>ह</strong>वकेँ बुझायब। एि<strong>ह</strong> लेल मुख् य–मुख् य थान पर मीिटंगक आयोजन करब आ मातृभाषाकवात<strong>िव</strong>क म<strong>ह</strong>व आ त जिनत <strong>िव</strong><strong>िव</strong>ध सम यािदसँ जनमानसक यानाकिषर्त करब। एि<strong>ह</strong> भाषा पर एकजाितक वचर् वकेँ समा त करबाक लेल से<strong>ह</strong>ो आ दोलनक आव यकता अिछ तकर अनुभव <strong>ह</strong>ुनका भेलिन। ओिमिथलांचलक मुसलमानकेँ आ दोलनक संग जोड़ेबाक <strong>ह</strong>ुनक बलवती इच् छा छलिन। ओ ए<strong>ह</strong>न आ दोलनकआकांक्षी र<strong>ह</strong>िथ जे सामा य जनक वै<strong>ह</strong> ितिनधवक ओि<strong>ह</strong> अंचलक, ओि<strong>ह</strong> क्षेक, समाजक सवगीन उ नितक<strong>ह</strong>ेतु सतत सिय र<strong>ह</strong>िथ। िक तु <strong>ह</strong>ुनका पीड़ा एि<strong>ह</strong> बातक छलिन जे िमिथलांचलवासी आ दोलनक ितउदासीन अिछ। मैिथली आ दोलनमे तीवर्ता अनबाक <strong>ह</strong>ेतु जाधिर क्षेीय सांसद आ <strong>िव</strong>धायक स<strong>ह</strong>योग नि<strong>ह</strong>करता<strong>ह</strong> ताधिर ई धारधार नि<strong>ह</strong> भऽ सकैछ। िक तु ओ एि<strong>ह</strong> बातसँ अ यिधक दु:खी र<strong>ह</strong>िथ जे िमिथलांचलसँिनविचत ितिनिध लोकिनमे जागरणक अभाव पिरलिक्षत भेलिन। मैिथली आ दोलन दधीिच बाबू भोला लालदास (1894–1977) कथनछिन जे चुपचाप बैसने याय नि<strong>ह</strong> भेिट सकैछ। िमिथलांचलक सवगीन <strong>िव</strong>कासक<strong>ह</strong>ेतु िमिथलावासीकेँ एकब भऽ िसं<strong>ह</strong>नाद करबाक योजन अिछ आ अपन अिधकारक लेल संघषर् करबाक ओआान कयलिन यथा:• अयायी सा छी लय, गगन सम अित <strong>िव</strong>षम।• <strong>ह</strong>मरि<strong>ह</strong>ं लधु <strong>ह</strong>ुँकार सँ, म<strong>ह</strong>ालय <strong>ह</strong>ोइछ िनयम।• मैिथली आ दोलनकेँ ओ नव रूप <strong>दे</strong>बाक यास कयलिन। <strong>ह</strong>ुनक धारणा छलिन जे जाधिर रा ीय रूपएकरा नि<strong>ह</strong> दान कयल जायत ताधिर मैिथलीक <strong>िव</strong>कासक सभावना नि<strong>ह</strong>। जि<strong>ह</strong>ना ओिड़या भाषी, असिमयाभाषी आ नेपाली भाषीकेँ अपन भाषाक ित अगाध ा छैक जे अपन िचर ने<strong>ह</strong>ी ‘अमार भाषा जननी’कनारा लगबैत अिछ ति<strong>ह</strong>ना मैिथली भाषीकेँ अपन भाषाक ित ने<strong>ह</strong> उ प न करबाक लेल आ दोलनक योजनअिछ। जाि<strong>ह</strong>–जाि<strong>ह</strong> भाषाकेँ साि<strong>ह</strong> य अका<strong>दे</strong>मी ारा मा यता ात छैक ओि<strong>ह</strong> सब भाषाकेँ भारतीय सं<strong>िव</strong>धानकअ टम अनुसूचीमे नि<strong>ह</strong> सिमिलत कयल जायत तकरा लेल रा ीय तर पर आ दोलनक योजन अिछ1 एि<strong>ह</strong>लेल आ दोलनकेँ तीवर्तर करबाक लेल िमिथलांचलक गामक पद्–याा कयल जाय आ िजला–िजलामे जन84

Hooray! Your file is uploaded and ready to be published.

Saved successfully!

Ooh no, something went wrong!