िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह
िव दॠह िवदà¥à¤¹ Vi deha িবà§à¦¦à¦¹ ht t p wwwvi deha co i n िव दॠह िवदà¥à¤¹ Vi deha িবà§à¦¦à¦¹ ht t p wwwvi deha co i n
िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक 'िवदेह''िवदेह' ५१ म अंक ०१ फरबरी २०१० (वषर् ३ मास २६ अंक ५१)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पबैत छिथ । लेखक ुित केँ एकटा अिर पा गढ छिथ । पिरणाम होइतअिछ जे एका ंकीक अंत तक जाइत जाइत िहनकर हा भ’ जाइत छि । एिहतरहेँ ‘योग’ मे तीनटा पा छिथ जािह मे नवीन िमसर छोिड द ुन ू पा नीक जेनाािपत होइत छिथ ।नाटक मे म ंच पिरकना संग काश िरकना सेहो लेखक अपना िहसाबे के छिथ। जािह मे म ंच के तीन िहा मे बा ँटल गेल अिछ आ समयासार ओकर योगसेहो कयल गेल छै । एक कात एकटा कुसीर् अिछ आ एकटा काठक बा सेहोउनटल छै , बीच मे सीढीक तीनटा चरण आ एकटा काठक म आ दोसर कात मेफूल-पात यु एकटा ठािढ लटकल अिछ । एिहना काशक सेहो तीन का बनाओल गेल छैक एकटा मे कुसीर्+बा+सीढी अिछ । दोसर मे सीढी आ म ंचकसामक िहा । तेसर मे सीढी आ ठािढ अिछ । एिह तरहक योग मैिथलीनाटकक लेल पिहल अिछ तखन एिह एका ंकीक म ंचनक सभर् मे ई अित महप ूण र्सुझाव अिछ को िनदेर्शक लेल । एिह मे को शक निह जे नाटककारनिचकेताजी नाटकक लगभग सभ िवधा मे नीक हप रखैत छिथ ।130
िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक 'िवदेह''िवदेह' ५१ म अंक ०१ फरबरी २०१० (वषर् ३ मास २६ अंक ५१)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एिह तरहेँ िनष र् यैह जे ई ‘योग’ एका ंकी मा एकटा िवचार बिन क’ रिह लेलअिछ मैिथली र ंगम ंचक लेल । ओना नाटक मे क योग ख ूब नीक जेना बनलरहैत अिछ । नाटक अपन ाफ के शु स’ बरकरार रखैत अिछ । र ंगम ंचीय दृ िस’ ‘योग’ एका ंकीक क स’ बेसी ओकर म ंच पिरकना आ काश पिरकना बेसीमहप ूण र् अिछ । ओना ‘योग’क मादे हमर ई िवचार मा एकर एकटा पाठक पेराखल जाय । हँ ! एकर ुित देखला वा मिचत ं केला बाद िकछु आरो साथ र्कत िनकिल सकैत अिछ । तखन ई िनित जे मैिथली ना सािह मे ई अपनातरहक पिहल कृित मानल जयबाक चही, जे र ंगम ंच स’ जूडल ाय: सभ र ंगकमीर् केँिकछु सोचबाक लेल िरत करैत अिछ ।िबिपन झाजनमानस हेतु िभज्ञादश र्नक वैिशष्जा धिर भारतीय ज्ञान परराक चचा र् निह कयल जाइत अिछ ताधिर ’ज्ञान’ पदक िववरण सूण र् निहं होइत अिछ। पुन यिद भारतीयज्ञानपरराक चचा र् करी तऽ काीर श ैवदश र्नक चचा र्क िबना ई अध ूरा131
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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५१ म अंक ०१ फरबरी २०१० (वषर् ३ मास २६ अंक ५१)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्पबैत छिथ । लेखक ुित केँ एकटा अिर पा गढ छिथ । पिरणाम <strong>ह</strong>ोइतअिछ जे एका ंकीक अंत तक जाइत जाइत ि<strong>ह</strong>नकर <strong>ह</strong>ा भ’ जाइत छि । एि<strong>ह</strong>तर<strong>ह</strong>ेँ ‘योग’ मे तीनटा पा छिथ जाि<strong>ह</strong> मे नवीन िमसर छोिड द ुन ू पा नीक जेनाािपत <strong>ह</strong>ोइत छिथ ।नाटक मे म ंच पिरकना संग काश िरकना से<strong>ह</strong>ो लेखक अपना ि<strong>ह</strong>साबे के छिथ। जाि<strong>ह</strong> मे म ंच के तीन ि<strong>ह</strong>ा मे बा ँटल गेल अिछ आ समयासार ओकर योगसे<strong>ह</strong>ो कयल गेल छै । एक कात एकटा कुसीर् अिछ आ एकटा काठक बा से<strong>ह</strong>ोउनटल छै , बीच मे सीढीक तीनटा चरण आ एकटा काठक म आ दोसर कात मेफूल-पात यु एकटा ठािढ लटकल अिछ । एि<strong>ह</strong>ना काशक से<strong>ह</strong>ो तीन का बनाओल गेल छैक एकटा मे कुसीर्+बा+सीढी अिछ । दोसर मे सीढी आ म ंचकसामक ि<strong>ह</strong>ा । तेसर मे सीढी आ ठािढ अिछ । एि<strong>ह</strong> तर<strong>ह</strong>क योग मैिथलीनाटकक लेल पि<strong>ह</strong>ल अिछ तखन एि<strong>ह</strong> एका ंकीक म ंचनक सभर् मे ई अित म<strong>ह</strong>प ूण र्सुझाव अिछ को िन<strong>दे</strong>र्शक लेल । एि<strong>ह</strong> मे को शक नि<strong>ह</strong> जे नाटककारनिचकेताजी नाटकक लगभग सभ <strong>िव</strong>धा मे नीक <strong>ह</strong>प रखैत छिथ ।130