िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

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िव दे िवदे Videha িবেদহ िवदे थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदे थम मैिथली पािक्षक 'िवदे''िवदे' ५१ म अंक ०१ फरबरी २०१० (वषर् ३ मास २६ अंक ५१)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम संस्कृ ताम्यो अिछ। आयोजकक संगि ओ ि धवादक पा छिथ। जिनका मनमे ईआयोजन उचडल छलिन वा उचडैत छिन।सव र्थम म मैिथली भाषा सािक लेल अ मप ूण र् गत शताीक पिल दशकमेजनमल मैिथलीक सािकार, यथा - अुतान द, ईशनाथझा, कालीकुमार दास,का ंचीनाथझा ‘िकरण’, काशीका िम ‘मध ुप’,गरझा ‘गश, जयनारायण झा‘िवनीत, जीवान ठाकुर, जीवनाथ झा, तानाथ झा,दामोदरलाल दास ‘िवशारद’,द ुगाधर र् झा, नरेनाथ दास ‘िवालंकार’, बोधनारायण चौधरी, बैनाथ िम ‘याा◌ी’,भुवर िसं ‘भुवन’, मावीर झा ‘वीर’, रमानाथ झा, रमाका झा(पाल), लीपितिसं, शिशनाथ चैधरी, ीवभ झा, ामान झा, सुरे झा ‘सुमन’, सुभ झा,िरमोन झा, िरनन ठाकुर ‘सरोज’ आिदकेँ जे मैिथली सािक खं◌ँ◌ा छला,वतर्मान शताीक पिल दशकक अिम वष र्मे रण करब। सुधी समाजक ान एित िदश आकृ करए चाब जे उपयु र् अवदानी सािकारक स ूचीमे अिधका ंश लोकसिरसब पिरसरक छिथ। अथवा सिरसब पिरसरसँ अ कारेँ◌ँ स छिथ वा सिरसबपिरसरक िश ण कएलापर ुनक सजर्नाक ितभाक अंकुर ुिटत भएपिवत-पुित भेल अिछ। अपन भाषा-सािक चार-सार एव ं संरक्षण लेल106

िव दे िवदे Videha িবেদহ िवदे थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदे थम मैिथली पािक्षक 'िवदे''िवदे' ५१ म अंक ०१ फरबरी २०१० (वषर् ३ मास २६ अंक ५१)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम संस्कृ ताम्सिदखन तर एि उव र्र पिरसरक समागत माभाषा अरागी एव ं िवज्ञजनकेँ मरणाम िनवेिदत अिछ।डा.सुभ झा (ज 09 ज ुलाइ, 1909 - देावसान 13 मइ, 2000) िलखलिन अिछजे ‘म आिग आ मराज्िलत कएिनार तानाथ बसात।’ सुभ झा एव ं तानाथ झा( ज 22अग, 1909 - देावसान 02 मइ, 1984)क पािरवािरक प ृभूिम िभ छल, अयनएव ं अापनक िवषय िभ छल, भावो िभ छलिन तथािप आिगक दाकता बसातकगित पािब तेन ताप उ कएलक जे पटना िविवालयमे मैिथलीक ीकृितकबाटक कतेको ढ़◌ेङ जिर सुा भए गेल। ितकूल भाव एव ं प ृभूिमक लोकमेएन समप र्ण, िनःाथ र् िम भाव एव ं िमिल सामािजक काज करबाक तरताक उदारणसव र्था द ुल र्भ अिछ। डा.द ुगानाथ र् झा ‘ीश’ िलखल अिछ जे मैिथली सािक सजगरी िसटक सद तनाथ झा, अपन अन िम डा. सुभ झाक संग मैिथलीकीकृितक सभ काय र्क संयोजन कएल करिथ। ओ इो िलखल अिछ जे सुभ झाकचतुर-याससँ तानाथ झा िसटर िनवािचत र् भेल छला। से ठीके, जँ डेग-डेगपर डा.सुभ झाक सयोग तानाथ झाकेँ नि भेटल रितिन तँ िविवालयकरपर मैिथलीक माताक ेतु यासरत संामी दलक सफल क जे युनका भेिट रल छिन, से सव नि ोइत। आ तखन मैिथली स ूप र्नखाक ाथेँकिआ झपटा लेल गेल रितिथ।107

<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५१ म अंक ०१ फरबरी २०१० (वषर् ३ मास २६ अंक ५१)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्सिदखन तर एि<strong>ह</strong> उव र्र पिरसरक समागत माभाषा अरागी एव ं <strong>िव</strong>ज्ञजनकेँ <strong>ह</strong>मरणाम िनवेिदत अिछ।डा.सुभ झा (ज 09 ज ुलाइ, 1909 - <strong>दे</strong><strong>ह</strong>ावसान 13 मइ, 2000) िलखलिन अिछजे ‘<strong>ह</strong>म आिग आ <strong>ह</strong>मराज्िलत कएिन<strong>ह</strong>ार तानाथ बसात।’ सुभ झा एव ं तानाथ झा( ज 22अग, 1909 - <strong>दे</strong><strong>ह</strong>ावसान 02 मइ, 1984)क पािरवािरक प ृभूिम िभ छल, अयनएव ं अापनक <strong>िव</strong>षय िभ छल, भावो िभ छलिन तथािप आिगक दा<strong>ह</strong>कता बसातकगित पािब ते<strong>ह</strong>न ताप उ कएलक जे पटना <strong>िव</strong><strong>िव</strong>ालयमे मैिथलीक ीकृितकबाटक कतेको ढ़◌ेङ जिर सुा<strong>ह</strong> भए गेल। ितकूल भाव एव ं प ृभूिमक लोकमेए<strong>ह</strong>न समप र्ण, िनःाथ र् िम भाव एव ं िमिल सामािजक काज करबाक तरताक उदा<strong>ह</strong>रणसव र्था द ुल र्भ अिछ। डा.द ुगानाथ र् झा ‘ीश’ िलखल अिछ जे मैिथली साि<strong>ह</strong>क सजग<strong>ह</strong>री िसटक सद तनाथ झा, अपन अन िम डा. सुभ झाक संग मैिथलीकीकृितक सभ काय र्क संयोजन कएल करिथ। ओ इ<strong>ह</strong>ो िलखल अिछ जे सुभ झाकचतुर-याससँ तानाथ झा िसटर िनवािचत र् भेल छला<strong>ह</strong>। से ठीके, जँ डेग-डेगपर डा.सुभ झाक स<strong>ह</strong>योग तानाथ झाकेँ नि<strong>ह</strong> भेटल रि<strong>ह</strong>तिन तँ <strong>िव</strong><strong>िव</strong>ालयकरपर मैिथलीक माताक <strong>ह</strong>ेतु यासरत संामी दलक सफल क जे य<strong>ह</strong>ुनका भेिट र<strong>ह</strong>ल छिन, से सव नि<strong>ह</strong> <strong>ह</strong>ोइत। आ तखन मैिथली स ूप र्नखाक <strong>ह</strong>ाथेँकि<strong>ह</strong>आ झपटा लेल गेल रि<strong>ह</strong>तिथ।107

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