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Trishashti Shalaka Purush Charitra Part-2 (Folder No - Jain Library

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सनसभत्त का प्रकायान्द्तय से बी सनदेश ---------------------------------------------------- ३६७कताप अथपकताप व ग्रन्द्थकताप ------------------------------------------------------------ ३६७षटखण्डागभ की यचना कै से हुई -------------------------------------------------------- ३६८जीवस्थान का अवताय (आनुऩूवी नाभ प्रभाण विव्मता व अथापसधकाय) ------------------ ३६९सनऺेऩ नम व अनुगभ ------------------------------------------------------------- ३७०बावप्रभाण के ५ बेदं भं श्रुतबेद -------------------------------------------------- ३७२जीवस्थानगत चूसरकाओॊ का उदगभ --------------------------------------------------- ३७४दशपनववषमक ववचाय --------------------------------------------------------------- ३७६उऩशाभन ऺऩणववसध ------------------------------------------------------------------ ३८१आराऩ (फीस प्ररुऩणाएॉ) -------------------------------------------------------------- ३८५रव्मप्रभाणानगभ (रव्मप्रभाण के साथ रोक आद्वद की प्रासॊसगक चचाप) ------------------- ३८८ऺेरानुगभ भं रोकणस्थसत का ववचाय ---------------------------------------------------- ४०१स्ऩशपनानुगभ (आ० वीयसेन द्वाया स्वमम्बूयभण सभुर के आगे बी.. ---------------------- ४०८कारानुगभ (द्वदन व यावर के १५-१५ भुहूतो का उल्रेख) --------------------------------- ४१२अन्द्तयानुगभ -------------------------------------------------------------------------- ४१९बावानुगभ ---------------------------------------------------------------------------- ४२१अल्ऩफहुत्वानुगभ --------------------------------------------------------------------- ४२७जीवस्थान- चूसरका (प्रकृ सतसभुत्कीतपन आद्वद नौ चूसरकाएॉ)------------------------------ ४२८प्रकृ सतसभुत्कीतपन ------------------------------------------------------------------ ४२९स्थानसभुत्कीतपन ------------------------------------------------------------------ ४३०(३-५) तीन दण्डक ---------------------------------------------------------------- ४३०उत्कृ ष् णस्थसत --------------------------------------------------------------------- ४३१जधन्द्म णस्थसत -------------------------------------------------------------------- ४३२सम्मकत्वोत्ऩवत्त ------------------------------------------------------------------- ४३३गसत- आगसत -------------------------------------------------------------------- ४४७द्वद्वतीमखण्ड ऺुरकफन्द्ध-------------------------------------------------------------------- ४४७फन्द्धकसत्व व अणन्द्तभ भहादण्डक के साथ एक जीव की अऩेऺा... --------------------- ४४७चूसरका भहादण्डक ------------------------------------------------------------------- ४५२तृतीम खण्ड फन्द्धस्वासभत्वववचम ---------------------------------------------------------- ४५२फन्द्धस्वासभत्व का उदगभ व उसका स्ऩष्ीकयण ---------------------------------------- ४५२स्वोदम- ऩयोदमफन्द्ध आद्वद ववषमक २३ प्रश्न ------------------------------------------- ४५३तीथंकय प्रकृ सत के फन्द्धक- अफन्द्धक -------------------------------------------------- ४५५तीथंकय प्रकृ सत के फन्द्धक कायण ------------------------------------------------------ ४५६चतुथप खण्ड वेदनाकृ सत अनुमोगद्वाय --------------------------------------------------------------------- ४५८<strong>Jain</strong> Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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