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चतुथसं करण

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1<br />

उ तराख ड शासन<br />

सह- टेट इ टरनल आडट,<br />

उ तराख ड<br />

चतुथ सं करण<br />

सूचना का अिधकार अिधिनयम-2005<br />

के अधीन ािधकार ारा कािशत सूचना<br />

भाग – एक<br />

23-ल मी रोड, डालनवाला, देहरादून


2<br />

तावना<br />

सूचना अिधकार अिधिनयम-2005 के अनुछेद-4(1) के अतगत िनदेशालय<br />

कोषागार एंव सेवाय उरांचल ारा 17 बदुओं पर मैनुअल का तीय संकरण तैयार<br />

कया गया है। येक मैनुअल म वगकृ त सूचना उपलब ्ध करायी गयी है जसम आम<br />

नागरक ारा सूचना ा करने हेतु जब भी आवेदन कया जायेगा तो आधार भूत<br />

सूचनाय इन मैनुअल म ह उपल ध हो जायेगी। मैनुअल का तीय संकरण तैयार<br />

करने म यह यास कया है। क वभाग क समत सूचनाय इस मैनुअल म संकिलत कर<br />

ली जाय। वभाग के िलय जहाँ यह एक अिभनव एंव चुनौित पूण काय था, साथ ह इस<br />

गुरतर भार को अघाविधक प से यवथत करने हेतु एक सुखद अनुभव भी था। इसी<br />

अवधारणा से इस काय को सपन कया गया।<br />

यह उलेखनीय है क वतमान म जो मैनुअल का तीय संकरण उभर कर आया<br />

है वह एक ारभक अवथा है तथा इसे िनरतर अाविधक कया जायेगा जससे<br />

मैनुअल को पुण प से कयूटरकृ त कर बैबसाइट म भी उपल ध<br />

कराने क यवरथा क जायेगी ताक जन सामाय को वभागीय जानकारयां<br />

सुगमता पुवक ा हो सके । इस मैनुअल को तैयार करने का दाियव ी उव भट<br />

सहायक कोषािधकार को सपा गया था तथा इस काय म मुयतः ी देवेद िसंह चौहान<br />

सहायक लेखािधकार व ी वशाल सोमानी कायालय सहायक सह डाटा इ आपरेटर<br />

ारा पूण सहयोग दया गया उनके यास क सराहना क जाती है।<br />

दनांकः 19 िसत बर, 2011<br />

शरद च पा डेय<br />

िनदेशक।


3<br />

0<br />

वषय सूची<br />

सूचना का वषय/ववरण<br />

पृ संया<br />

सं0<br />

1 संगठन क विशयां कृ य और कतयः- 1<br />

(1) कोषागार भाग 1-126<br />

(2) वीय सांयकय भाग 127<br />

2 अिधकारय और कमारय क शयां और कतयः-<br />

(1) बजट िनयंक के प म उरदाियव एवं कतय 128-134<br />

(2) कोषागार किमय के उरदाियव एवं कतय 134-136<br />

(3) टेट इटरनल आङटर के उरदाियव एवं कतय 136<br />

3 विनश ्चय करने क कया मे पालन क जाने वाली कया जसम<br />

137-183<br />

पयवेण और उरदाियव के मायम समिलत ह<br />

(1) अिभलेख के रख-रखाव एवं वन टकरण क या 184-251<br />

4 कृ य के िनवहन के िलये वयं ारा थापत मापमानः- 252-255<br />

(1) कोषागार भाग 255


संगठन क विशयां कृ य और कतव ्य<br />

1<br />

भारत के सवधान म लोकतंामक गणराय म येक लोक ािधकार के कायकरण म पारदिशता और<br />

उरदाियव के संवधन के िलए ािधकारय के िनयंणाधीन सूचना तक पहुंच सुिन चत करने के िलए नागरक को<br />

सूचना के अिधकार क यावहारक शासन पित थापत करने के िलए एक के दय सूचना आयोग तथा राय सूचना<br />

आयोग का ितपादन कया गया है जसम लोकतं के नागरक से ऐसी सूचना क पारदिशता क अपेा करता है जो<br />

उसके कायकरण तथा भाचार को रोकने के िलए सरकार तथा उसके परकरण को शासन के ित उरदायी बनाया है<br />

जससे लोक हत जसके अतगत सरकार के द चालन सीिमत राय वीय संसाधन के अिधकतम उपयोग और<br />

लोकतंामक आदश क भुता को बनाये रखते हुए नागरक को कितपय सुचना उपलध कराने हेतु सूचना अिधकार<br />

अिधिनयम-2005 दनांक 12 अटूबर 2005 से ितपादत हुआ।<br />

इसी तदाय म िनदेशालय कोषागार एवं व सेवाय सह टेट इटरनल आङट ारा संवैधािनक दशा िनदश<br />

के अनुसार िनदेशालय के अधीन सगठन जला तरय कायालय/उप कायालय के काय एवं दाियव के िनपादन हेतु<br />

सूचना का अिधकार 2005 का वभागीय मैनवल िनपत कया गया है जसका एक मा आशय यह है क साफ सुथरे<br />

शासन से जनता के अिधकार क रा क जा सके ।<br />

सूचना का अथ कसी भी ऐसी सामगी से है जो चाहे रकाङ के प म हो, अिभलेख के प म हो, मेमो के प म<br />

हो, ई-मेल क शल म हो, जसम वचार को पकट कया गया हो, सुझाव दये गये ह, ेस वियां जार क गयी ह,<br />

परप जार कये गये ह, चाह वे सरकार आदेश ह, गाङय क लॉगबुस, परयोजनाओं के अनुबध<br />

(CONTRACTS) रपोट, कागजात नमूने, मोङल या इलैटािनक प म कसी भी कार के आंकङे जो रखे जाते ह यह<br />

सब सूचना क परधी म परभाषत हगे।<br />

िनदेशालय कोषागार एवं व सेवाय सह टेट इटरनल आङट उरांचल क थापना शासनादेश संया-<br />

5089/व0सं0शा0/2001, दनांक 19-जून, 2001 के ारा क गयी है। पूववत राय उर देश म िनदेशालय कोषागार एवं<br />

वीय सांयकय िनदेशालय, थानीय िनिध लेखा परा िनदेशालय तथा मुय लेखा परा अिधकार सहकार<br />

सिमितय एवं पंचायत के कायालय ारा कये जाने वाले समत काय नवगठत राय उरांचल म इस िनदेशालय को<br />

सपे गये ह। इस िनदेशालय के अधीन उ चार संगठन के काय एवं दाियव को अलग-अलग भाग के प म यथावत<br />

रखा गया है। इन चार भाग ारा कये जा रहे काय का सं ववरण िननवत ह:-<br />

कोषागार भाग<br />

वतता के बाद उरांचल अवभाजत राय उर देश का अंग था। ारभ म कोषागार राजव वभाग का<br />

हसा रहा है। और यह यवथा वष 1965 तक चलती रह जसम कसी वर ङट कलेटर को कु छ अितर वेतन<br />

देकर कोषािधकार का काय एवं दाियव सौपा जाता था। पहली बार सन ् 1965 म यह महसूस कया गया क राजव<br />

वभाग का काय अयिधक वतारत होने के कारण कोषागार काय णाली म समुिचत यान नहं दया जा रहा है। इसी<br />

तारतय को मय नजर रखते हुये वष 1965 म कोषागार िनदेशालय उ0प0 क थापना कर उसे व वभाग के अतगत<br />

लाया गया, जसके कु शल वीय काय संचालन हेतु वीय संवैधािनक यवथा को सपूण देश म िनदेशालय<br />

कोषागार उ00 के मायम से एक मूतप दया गया। यह उलेखनीय है क सुठृढ वीय यवथा के बना कोई भी<br />

राय अथना रा समूदशाली नहं बन सकता। इसिलए वीय यवथा का महव अिधक ासंिगक है, यह कारण है क


2<br />

येक राय म वीय बधन को सुिनत करने के िलए वीय सेवा का गठन कया गया। वतमान म इस सेवा के<br />

अिधकार जला तर तथा राय तर पर विभन वभाग (परषद) ािधकरण (िनगम) व ववालय म व<br />

िनयंक, वीय अिधकार, वीय सलाहकार, संयु िनदेशक, अपर िनदेशक तथा िनदेशक के पद पर कायरत है।<br />

शासन तर पर व वभाग, सिचवालय, शासन वभाग, लोक िनमाण, वधान सभा सिचवालय के अतगत विभन<br />

पद पर तैनात कये जाने का ावधान है।<br />

उर देश पुनगठन अिधिनयम 2000 के अिधिनयम संया-29 के अधीन उरांचल राय क थापना क गयी<br />

जसम राय वप को पूण आयाम देते हुये विभन वभाग क थापना के साथ उरांचल व वभाग के अधीन<br />

िनदेशालय कोषागार एवं व सेवाय उरांचल का सूजन कर शासनादेश संया-5098/व.सं.शा./2001 व अनुभाग<br />

दनांक 19 जून, 2001 से संगठनामक ढांचा बनाया गया जसम कोषागार एवं उप कोषागार सबधी अिधान,<br />

थानीय िनिध लेखा परा, सहकारता एवं पंचायत लेखा परा, डाटा सेटर तथा सेवा सबधी अिधान के काय के<br />

पयवेण, िनयंण आद हेतु महामहम रायपाल महोदय ारा कोषागार एवं व सेवाय सह टेट इटरनल आडट<br />

िनदेशालय क थापना हेतु सहष वीकू ित दान क गयी, जसके अतगत िनदेशक को वभागाय एवं बजट िनयंक<br />

अिधकार घोषत कर िनन पद क थापना क गयी।<br />

(1) िनदेशक<br />

(2) अपर िनदेशक-2<br />

(3) संयु िनदेशक-4<br />

(4) उप िनदेशक-4<br />

(5) वैयक सहायक-4<br />

(6) आशुिलपक सह कटोल आपरेटर-4<br />

(7) लेखाकार सह वर डाटा इ आपरेटर-3<br />

(8) वर सेक सह डाटा ोसेिसंग अिसटट-2<br />

(9) कायालय सहायक सह डाटा इ आपरेटर-5<br />

(10) वाहन चालक-4<br />

(11) चपरसी-6<br />

(12) सह कयूटर क सहायक अटेडेट सह डाक वाहक सह फराश<br />

राय सरकार के लगभग समत भुगतान एवं ाियां विभन जनपद म थापत कोषागार एवं<br />

उपकोषागार के मायम से होते ह साथ ह टाप क आपूित एव वतरण का दाियव भी कोषागार को दया गया है।<br />

देश के समत कोषागार एवं उपकोषागार पर िनयंण एवं मागदशन का दाियव िनदेशालय का है। सामायता येक<br />

जनपद म एक जला कोषागार तथा कु छ अधीनथ उपकोषागार होते है। कु छ जनपद म एक से अिधक कोषागार भी है।<br />

सभी कोषागार का नगद लेन देन का काय भारतीय टेट बक ारा रजब बक के ितिनिध के प म कया जाता है तथा<br />

इसी कारण से इह बकं ग कोषागार कहा जाता है। कतु उपकोषागार म काफ ऐसे ह जो नगद लेन देन का काय भी<br />

वंय करते ह तथा नान बकगं कहे जाते ह। वतमान म उरांचल म िननिलखत ववरण के अनुसार 17 कोषागार, 72<br />

उपकोषागार तथा नई दली म उरांचल भुगतान एवं लेखा कायालय थापत ह।


3<br />

0सं0 कोषागार का नाम अधीनथ उपकोषागार<br />

1 2 3<br />

1 देहरादून 1- मसूर<br />

2- चकराता<br />

3- वकासनगर<br />

4- ऋषके श<br />

5- यूनी (नान बकं ग)<br />

6- देहरादून (नान बकं ग)<br />

2 याग 1- अगतमुनी (नान बकग)<br />

2- ऊखीमठ (नान बकग)<br />

3- जखोली (नान बकग)<br />

4- याग<br />

3 नरेनगर 1- देवयाग (नान बकग)<br />

4 कोटार 1- कालागढ<br />

5 लैसडाउन ------<br />

6 हरार 1- लसर<br />

7 डक -----<br />

2- थयूड (नान बकग)<br />

2- हरार<br />

8 चमोली 1- कणयाग<br />

2- जोशीमठ<br />

3- चमोली (नान बकग)<br />

4- थराली (नान बकग)<br />

5- पोखर (नान बकग)<br />

6- गैरसण (नान बकग)<br />

7- घाट (नान बकग)<br />

8- देवाल (नान बकग)<br />

9- नारायणबगड (नान बकग)<br />

9 उरकाशी 1- भटवाड (नान बकग)<br />

2- डुडा (नान बकग)<br />

3- बडकोट (नान बकग)<br />

4- पुरौला (नान बकग)


4<br />

10 पौड 1- ीनगर (नान बकग)<br />

2- सतपुली (नान बकग)<br />

3- थैलीसण (नान बकग)<br />

4- धूमाकोट (नान बकग)<br />

11 टहर 1- घनयाली (नान बकग)<br />

12 नैनीताल 1- बेतालघाट (नान बकग)<br />

2- कोयाकु टौली (नान बकग)<br />

3- रामनगर<br />

4- कालाढूगी (नान बकग)<br />

5- हानी<br />

अमोडा<br />

1- रानीखेत<br />

2- ाराहाट (नान बकग)<br />

3- चौखुटया (नान बकग)<br />

4- मौलेखाल (नान बकग)<br />

5- िभयासैण (नान बकग)<br />

6- लमगडा (नान बकग)<br />

7- ताकु ला (नान बकग)<br />

8- दया<br />

9- देघाट<br />

14 पथौरागढ 1- धारचूला<br />

2- डडहाट<br />

3- गंगोलीहाट (नान बकग)<br />

4- थल (नान बकग)<br />

5- मुनयार (नान बकग)<br />

6- असकोट (नान बकग)<br />

7- बेरनाग<br />

8- देवलथल (नान बकग)<br />

9- गनाईगंगोली (नान बकग)<br />

15 बागेश ्वर 1- कपकोट (नान बकग)<br />

2- गड (नान बकग)<br />

3- काडा (नान बकग)<br />

4- बागेशवर


5<br />

16 चपावत 1- लोहाघाट (नान बकग)<br />

2- पाट (नान बकग)<br />

3- टनकपुर<br />

4- चपावत (नान बकग)<br />

17 उधमिसंह नगर 1- जसपुर<br />

2- काशीपुर<br />

3- बाजपुर<br />

4- गदरपुर<br />

5- कछा<br />

6- िसतारगंज<br />

18 उरांचल भुगतान एवं लेखा<br />

7- खटमा<br />

8- पुर<br />

------<br />

कायालय नई दली<br />

योग 18 72<br />

सभी कोषागार एवं उपकोषागार का काय उरांचल कोषागार िनयमावली, 2003 के अनुसार संचािलत होता है।<br />

शासन ारा ववध अथपाय ारा जो संसधान जुटाये जाते ह। उनका शासन व वकास काय म बजट आवंटन के<br />

अनुप समुिचत सदुपयोग हो सके तथा ािय एवं यय क सह-सह थित समीा एवं अनुवण हेतु हर समय सह<br />

प म उपलध हो सके के िलये देश क वीय बधन म इन काय हेतु कोषागार क भूिमका मुय है। येक<br />

सरकार भुगतान अय अथवा य प से कोषागार से िनयंत होता है। अतः भुगतान म समयबता एवं<br />

शीता कोषागार के काय के सपादन क महवपूण कसौट एवं उरदाियव है, जसम साथ-साथ गलत या कपटपूण<br />

भुगतान रोकने का दाियव भी समिलत है।<br />

उपरो उरदाियव के म म कोषागार को वष 1986-87 से चरणब प से कयूटरकरण कया गया तथा<br />

वष 1988 तक सभी कोषागार कयूटराइड कये गये। दनांक 01-08-98 से ˝िसगंल वड िसटम˝ से आन लाइन<br />

बल पारण एवं चेक िनगमन णाली लागू हुयी जससे कोषागार म बल पारण, चेक िनगत होना तथा लेखा बनाना उसी<br />

समय साथ-साथ होने लगा। उरांचल राय म भी समत 17 कोषागार पूणतः कयूटराईड ह।<br />

कोषागार येक वष के बजट साहय को अपने कयूटर म एन0आई0सी0 के सहयोग से इनटरनेट से एवं<br />

सीड के मायम से लोड करता है। बजट िनंयक ारा अपने-अपने कायालय को आंवटत बजट क एक ित कोषागार<br />

को भेजी जाती है। कोषागार म इसे सबधत आहरण वतरण अिधकार के कोड म कयूटर पर फड कया जाता है।<br />

कोषागार का दाियव है क सबधत वभाग के िलये बजट साहय म ावधािनत बजट के सापे ह बजट िनयंक<br />

ारा बजट का आंवटन कया गया हो और सबधत आहरण वतरण अिधकार जसका हतार के नमूने कोषागार म<br />

अिभरत ह क जांच करके सह पाये जाने पर उस सीमा तक ह देयक को भुगतान हेतु तुत कया गया हो। कोषागार<br />

तर पर बजट िनयंण, कै श फलो, वीय अिभलेख पर िनयंण, लेख का िमलान, बधकय सूचना णाली के तहत


6<br />

लेखा तैयार करना, िनणय हेतु शतितशत शु आंकडे ा करना है। वीय आंकड क शुता एवं सुरा हेतु उच<br />

तकनीक से यु साफटवेयर ˝ओरकल 9आई˝ थापत कये जाने क या थम चरण म देहरादून कोषागार म<br />

सफलतापूवक सपन क जा चुक है. शेष कोषागार म इसे थापत कये जाने हेतु आवयक उचीकत कयूटर<br />

हाडवेयर/साफटवेयर उपकरणो के य क कायवाह क जा चुक है। राय के वीय आंकड को<br />

अतरायीय/अतराीय तर पर मायता हेतु आईएसओ 9001 का माण प दान कराने क दशा म थम चरण म<br />

देहरादून कोषागार को उ माण प द कराया गया है। देश के सभी राय म ारभ से ह सरकार सेवक के वेतन<br />

इयाद एवं सेवािनवृ राजकय पशनर को पशन भुगतान के िलये समुिचत बजट का आंकलन, यवथा एवं इसके<br />

िनयंण क समया रह। उरांचल राय ने इस दशा म ातकार, कदम बढाते हुए इसके िलये एक वशेष कयूटर<br />

पैके ज वकिसत करने एवं इसके योग हेतु एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली लागू करने का विनशचय कया। इस<br />

णाली के भावी प से लागू करने के िलये इस दशा म ारभक कायवाह के समय तमाम कार के गितरोध जसम<br />

विभन कमचार सगंठन, कोषागार कमचार संगठन, विभन पशनर संगठन एवं अय तर से अनेक आशंकाओं<br />

जैसे वभाग के अिधकार कम हो जायगे, समत वीय बध का दाियव कोषागार तर के कमचारय पर आ<br />

जायेगा, समय से वेतन एवं पशन का िमलना बंद हो जायेगा, लेखा किमय म कटौित कर द जायेगी एवं पद समा कर<br />

दये जायगे आद मुय गितरोध सामने आये। शासन तर पर तथा िनदेशालय कोषागार एवं व सेवाय के तर पर<br />

अनेक बैठक के बाद समत आंशकाऐं जो िनमूल थीं का समाधान करते हुए शासन ारा राय गठन के 01 वष से भी<br />

कम समय म णाली हेतु आवयक साफटवेयर एवं कयूटर उपकरण के य क यवथा पूण करते हुए शासनादेश<br />

संया 235/21/व0अनु0-1/2001, दनांक 06 दसबर, 2001 िनगत कया गया और िनदेशक कोषागार एवं व सेवाय<br />

को सरकार कमचारय को समय से वेतन भुगतान एवं भावी लेखा णाली हेतु कोषागार म एककृ त भुगतान एवं लेखा<br />

णाली थम चरण म कोषागा देहरादून म 01 जनवर, 2002 से तथा अय सभी कोषागार म 01 अैल, 2002 से लागू<br />

करने का दाियव सौपा गया। शासन के इस िनदश का अनुपालन िनदेशक के ारा समयबता से कया गया और इस<br />

शासनादेश म िनहत क या के तहत राय कमचारय एवं पशनर का भुगतान बक के मायम से उनके एकल खाते म<br />

येक दशा म अगले माह क पहली तारख तक कया जाना सुिनिशचत कया गया।<br />

इस णाली को और अिधक उचीकृ त तरके से उपयोगी साफटवेयर जो उरांचल महालेखाकार के यहां राय के<br />

आंकड के संकलन के िलये "ओरकल 9आई" योग म लाया जा रहा है के समानातर उरांचल कोषागार म इस<br />

साफटवेयर को अपनाने के िलये इस दशा म काय करने का उरदाियव भी िनदेशक कोषागार एवं व सेवाय को सपा<br />

गया था, ताक राय के आय-ययक के आंकड के िमलान महालेखाकार म पुतामकत आंकड से शतितशत प से<br />

कया जाना सभव हो सके तथा येक माह कोषागार से लेखा जो बोर म भर कर महालेखाकार कायालय म उपलध<br />

कराया जाता है, म लगने वाले म एवं समय से बचा जा सके और कोषागार का लेखा यथा सीड अथवा नेट के मायम से<br />

महालेखाकार को उपलध कराया जा सके । थमतः "ओरकल 9आई" साफटवेयर का योग कोषागार देहरादून म कया<br />

गया था। इसे पूणतः म सभी कोषागार म देहरादून म सफल योग के तुरत बाद कया गया। उरांचल क भौगोिलक<br />

परथित को यान म रखते हुए जन सामाय क सुवधा हेतु शासन ारा वचरोपरात शातनादेश संया<br />

1093/व0अनु0-4/2003, दनांक 16 फरवर, 2002 के ारा देहरादून म चकराता, पौड म धूमाकोट, चमोली म कणयाग<br />

एवं थराली, उरकाशी म पुरौला, अमोडा म रानीखेत एवं िभयासण, पथौरागढ म डडहाट एवं बेरनाग तथा नैनीताल<br />

म हानी कु ल 10 उपकोषागार को उचीकृ त करते हुए यहां कोषागार क भांित वंत प से काय करने का अिधकार<br />

दत कया जा चुका है। उ 10 उपकोषागार को उचीकृ त करने एवं कोषागार क भांित वंत प से काय ारभ


7<br />

कराने हेतु इन 10 उपकोषागार को शतितशत प से कयूटरकृ त कये जाने एवं कोषागार म योग हो रहे<br />

साफटवेयर उपलध कराने, तथा कयूटर उपकरण को य करके थापत कर याशील कराने का दाियव<br />

िनदेशालय का था, जसे समयब प से पूण कया जा चुका है। इन 10 उपकोषागार म विधवत प से काय कराने हेतु<br />

सबधत तहसील म याशील शासकय कायालय के िलये आहरण वतरण अिधकार घोषत कराने एवं आहरण<br />

वतरण अिधकार कोड आंवटन के िलये शासन को समुिचत ताव भेजे जाने के उरदाियव के अधीन ताव को<br />

समय पर शासन भेजे जाने पर शासन ारा शासनादेश संया 64/Xxvii(4)/2005, दनांक 28 फरवर, 2005 िनगत करते<br />

हुए यहां 01 मई, 2005 से काय ार भ कराने के िनदश दये गये। ार भ म उपकोषागार हानी, रानीखेत तथा<br />

चकराता जो इसके िलये पूण प से तैयार थे, म 01 मई, 2005 से विधवत प से कोषागार क भांित काय ारभ कराया<br />

गया है। शेष 5 उपकोषागार म आवयक औपचारकताओं को पूण कर दनांक 01-04-2006 से विधवत कर दया गया<br />

है। शेष 02 (िभयासण व बेरनाग) उपकोषागार म अिधसूचना एवं नांन बग न होने के कारण कायवाह यथा बैठक<br />

एवं पाचार करके क जा रह है, जो शी ह पूण हो जायेगी तब यहां भी काय ारभ कराया जायेगा।<br />

कोषागार एवं िनदेशालय क सपूण याकलाप कयूटर आधारत हो जाने से कयूटर उपकरण क<br />

शतितशत याशीलता के िलये राय तर पर सबधत फम से अनुबध करके इनके अनुरण एवं याशील<br />

बनाये रखने हेतु वाषक अनुबध करने का महवपूण दाियव भी िनदेशालय का है।<br />

मुयालय तर पर कोषागार भाग ारा कये जा रहे अय काय िननवत ्ह:-<br />

1- िनदेशालय कोषागार अिधान के मुयालय के समत अिधान का काय व नई दली थित भुगतान एवं<br />

लेखा कायालय के िनयु ािधकार के प म समत काय।<br />

2- देश के कोषागार म तैनात सहायक कोषािधकार/उपकोषािधकार, व सेवा संवग के ेणी "ख" के<br />

अिधकारय के समत अिधान का काय, व सेवा संवग के ेणी "क" के अिधकारय के अवकाश एवं<br />

जी0पी0एफ0 वीकृ ित का काय, एवं पदोनित हेतु तथा अय सेवा सबधत करण म समीािधकार के<br />

प ताव एवं टपणी शासन को तुत करना।<br />

3- देश के समत कोषागार, िनदेशालय कोषागार एवं व सेवाय व नई दली थत भुगतान एवं लेखा<br />

कायालय को बजट आवंटन एवं िनयंण।<br />

4- कोषागार तर से विभन वभाग को एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली के अधीन वेतन समय पर भुगतान<br />

कराना तथा अय समत सरकार भुगतान एवं पशन का भुगतान कराना और इसके लेखा का रख-रखाव का<br />

पयवेण।<br />

5- कोषागार को कयूटर माईकर चैक क आपूित कराना।<br />

6- महालेखाकार को ितमाह दो बार लेखा ेषण का पयवेण एवं िनयंण, रा लेखा का रख-रखाव एवं रा<br />

पशनर को भुगतान क गयी पशन क धनरािश को भारत सरकार से ितमाह ितपूित कराना।<br />

7- टाप क आपूित एवं वतरण पर िनयंण एवं पयवेण, रजब बक को भेजे जाने वाले मािसक लेखा सूचना,<br />

नान बकं ग उपकोषागार म करसी चेट का रख-रखाव का काय।<br />

8- पशनर क िशकायत का िनराकरण का काय।<br />

9- गबन एवं कपटपूण भुगतान पर िनयंण रखना एवं पयवेण का काय।<br />

10- कोषागार/उपकोषागार का िनरण, महालेखाकार के आडट तर का िनतारण।<br />

11- कोषागार एवं उपकोषागार के भवन, कराये क वीकृ ित शासन से दान कराना आद।


8<br />

12- देश के समत 17 कोषागार, भुगतान एवं लेखा कायालय नई दली तथा 10 उपकोषागार, जह वतं<br />

कोषागार के प म परवितत कया गया है, म शतितशत प से कयूटर आधारत काय होने के कारण<br />

कयूटर थापना, इनका वाषक रख-रखाव एवं शतितशत प से कायशील रखने हेतु दैिनक प से पयवेण<br />

का काय।<br />

कोषागार िनयम-4(1) व 4(2) के अधीन येक जले म एक कोषागार होगा। जसक सामाय भार कलेटर के<br />

अधीन होगा, जो उसका ताकािलक शासकय िनयण अपने अधीनथ कोषािधकार को सप सकता है, कतु<br />

कायकार िनयण से वह अपने को मु नहं कर सकता। इन िनयम ारा या उसके अिधन िनधारत या के उिचत<br />

परपालन तथा सरकार, महालेखाकार एव रजव बक आफ इडया ारा कोषागार से अपेत समत ववणय<br />

(रटनस) के िन चत समय पर तुत करने का उरदाियव कलटर का होगा। इस िनयम के उपबध के अधीन रहते<br />

हुए कोषागार के काय के िलये कलटर तथा कोषािधकार के अलग-अलग उरदाियव उसी कार होग जैसा उन िनयम<br />

के अनुसार परभाषत हो जह महालेखाकार से परामश लेकर व मंी अनुमोदत करगे।<br />

व हत पुतका खड-पांच भाग-एक के अयाय-6 तर-116 के अनुसार नये कलेटर (जलािधकार) क<br />

िनयु क जाती है, तब कलेटर (जलािधकार) को तुरत महालेखाकार को उस िनयु क रपट देनी होगी तथा<br />

महालेखाकार के सम अितशेष रोकड क धनरािश, यद कोई हो, जो हण क जाती है, को माणत क जायेगी।<br />

उरांचल कोषागार िनयमावली, 2003 के िनयम संया-4(2) के अधीन कोषागार कलेटर (जलािधकार) के सामाय<br />

भार म होगा, जो अपने अधीनथ कोषािधकार को तुरत कायपालक िनयण सपेगा कतु अपने को शासिन ्<br />

िनयण से िनवहत नहं कर सक गे। कलेटर (जलािधकार) इस िनयमावली ारा या के अधीन वहत या के<br />

समुिचत अनुपालन के िलये तथा सरकार, महालेखाकार, तथा भारतीय रजव बक ारा कोषागार से अपेत सभी<br />

ववरणय के समयिन तुित के िलये उरदायी हगे।<br />

व हत पुतका खड-पांच भाग-दो के परिश-20 (क) के अनुसार कोषागार के काय के सबध म जलािधकार के<br />

कतय एव उरदाियव िनन ह:-<br />

1- जलािधकार मुय प से सारे धन क ाि और भुगतान के उिचत लेखा काय के िलये और रोकड, टाप,<br />

अफम, ितभूितयां और अय सरकार सप क सुरत पररा के िलये सरकार के ित उरदायी ह।<br />

2- अधीनथ अिधकार को कसी कोषागार के आसन कायभार म िनयु कर देने से जलािधकार कसी भी<br />

कार से अपने उरदाियव से मु नहं हो जाते ह। उनका यह उरदाियव के वल टाप और अफम क रोकड<br />

बाक पररा और अधीनथ अिधकारय/कमचारय के अिनयिमत काय का तुरत पता लगाने तक ह<br />

सीिमत नहं ह। बक यह भी उहं का उरदाियव ह क ववरणय ठक और सह ह और उह समय का<br />

पाबद के साथ तुत कया जाता है और महालेखाकार तथा करेसी आफसर ारा जार कये गये अनुदेशो का<br />

कोषािधकार ारा कडाई के साथ पालन कया जाता ह।<br />

(वीय हत पुतका खड-पांच भाग दो का तर-402)<br />

व हत पुतका खड-पांच भाग के तर-411 म जलािधकार को मरण रखना चाहये क जब<br />

महालेखाकार ारा उनका यान कसी अिनयिमतता क ओर आकृ कया जाता है, तब िनजी जांच के बाद ा अपी<br />

जानकार के आधार पर क गयी रपट के अितर और कु छ नहं, सतोषजनक माना जा सकता ह। यह पया नहं ह


9<br />

क वह अपने अधीनथ कमचार का पीकरण आगे बढा द। इस रित से तैयार क गयी रपाटो से सदेह पर पदा पड<br />

जाने के कारण आगे चल कर अनेको बार और अिधक अिनयिमतताय हुयी ह।<br />

3- जलािधकार के िलये यह माय ह क वह िननिलखत बातो के सबध म जांच करके अथवा समाधान कर<br />

लेना चाहय। इस कार क जांच वीय वष के थम छः महने म (उस तारख म, जस दन वह वयं रोकड<br />

बाक का सयापन करते ह) म करना चाहये और कम से कम ऐसी जांचो के बीच चार महन का अतर होना<br />

चाहये।<br />

(1)- क टकट दोनो एक तालक और दो तालक म और अफम और जमानत का वातवक (टाक),<br />

पंजयो के शेषो और कोषागार के धनामक और ऋणामक ापका म दखलाये गये टकट और<br />

अफम के शेषो से िमलते ह। इस आशय का एक माण प धनामक और ऋणामक ापका पर<br />

िलख देना चाहये।<br />

(2)- क बल और दूसरे उसी कार के पो का, जो धन के लेन-देन म उपयोग के िलये ह, का भडार<br />

(टाक) सावधानी से बद ताले म रखा जाता ह और उसका सयापन ऐसे पो क टाक बुक के शेष<br />

से कया जाता ह।<br />

कोषागार के धनामक और ऋणामक ापका म येक महन म जलािधकार अथवा दूसरे<br />

राजपत अिधकार ारा, जो उसक अनुपथित म रोकड लेखा म हतार करता ह, अपने हतार<br />

से िननिलखत माण प देना चाहयेः-<br />

"माणत कया जाता ह क इस ापका म समिलत विभन लेखे के इितशेष, से<br />

कोषागार म रखे गये विभन टाक पंजयो और लेखा म दखलाये गये अवशेष िमलते ह।"<br />

उपयु माण प िलखने के पूव जलािधकार को उपकोषागारो अथवा अपने अधीनथ<br />

तहसीलो के भार अिधकारयो से तथा उन अिधकारक यय से भी, जनको टकटे अिम द जा चुक है,<br />

इसी कार का माण प ले लेना चाहये। ापका के ठक समय पर भेजे जाने पर इसका कोई भाव नहं पडना<br />

चाहये। कसी भी अा माण प का उसम उलेख कर देना चाहये।<br />

यद कसी महने म जले के पदभार बदलने के फलवप टकटो आद के टाक क जांच हो<br />

चुक ह, तो अगले महने के थम दन फर से टाक क जांच, यद िनयमानुसार यथोिचत हो, करना आवयक<br />

नहं ह। ऐसी दशा म माण प के अत म िननिलखत जोड देना चाहय<br />

"मेरे ारा जले का कायभार हण करते समय"-येक अिधकार को, जसको टकट जार क गयी<br />

ह, लेखा अलग-अलग रखना चाहये और कोषागार म धनामक ओर ऋणामक ापका म जो शेष हो, उसम<br />

िननिलखत होना चाहय◌ः-<br />

(1)- दोहरे ताले के अदर शेष<br />

(2)- मुय रोकडया के पास शेष<br />

(3)- रोकडया/उपरोकडया/सहायक रोकडया के पास शेष<br />

(4)- दूसरे अिधकारय, जनके टकटे अिम द गयी ह, के पास अवशेष।


10<br />

4- संसाधन िनयम सँह (रसस मैनुअल) के तर-19 के अनुसार जलािधकार को. जब वह मुयालय म<br />

उपथत हो, जला कोषागार शेष क जाँच करनी चाहये और महालेखाकार को तुत कये जाने वाले लेखा पर हतार<br />

करना चाहये। जब वह महने क पहली तारख म दौरे के बाहर हो, तब मुयालय पर जले के अिधकार वग म से ये<br />

राजपत अिधकार को अथवा अपने कसी सहायक अथवा उप भाग के थायी भार अिधकार को यह कतय सप<br />

देना चाहये। ऐसा अिधकार कोषागार का भार अिधकार नहं होग।<br />

5- शासनादेश संया-3215/दस-149. दनांक 30 अगत 1990 के अतगत मािसक रोकड लेखे क जाँच और उनको<br />

माणत करने तथा रोकड लेखा पर हतार करने का कतय जलािधकार, जब वयं मुयालय पर उपथत हो, को<br />

वयं पालन करना चाहये और जब तक क शाररक अवथता के कारण करने म असमथ ह।<br />

साधन िनयम सँह (रसस मैनुअ) के तर-19 के अनुसार यद मुयानय पर कोषािधकार को छोड़कर<br />

जलािधकार अथवा जला अिधकार वग म से कोई भी राजपत अिधकार उपथत न हो और लेखा पक हतार<br />

करने के िलय ् तैयार कर दये गये ह, तब कोषािधकार को ह रोकड बाक का सयापन करना और लेखापक पर<br />

हतार करना चाहये। लेकन जैसा क ऊपर बताया जा चुका ह लेखापक के मुय भाग पर उपयु सभी अिधकारय<br />

का उपथित को माणत करने देना चाहये और य ह कोई दूसरा अिधकार मुयालय पर लौट कर आता ह, उसे<br />

तुरत रोकड बाक को सयापत करके महालेखाकार को तुरत ेषत कर देना चाहय।<br />

टपणी- जब कभी रोकड बाक का सयापन महने क पहली तारख के बजाये कसी अय तारख म कया<br />

जाता ह जब इसक रपट रोकड बाक वतरणय के सामाय प पर करैसी आफसर को कर देना चाहय।<br />

6- संसाधन िनयम सँह (रसस मैनुअल) के तर-19 के अनुसार रोकड लेखा, भुगतान क तीय सूची और<br />

अनुसूिचयाँ, जो दन ितदन तैयार क जाती रहती ह और उनक पु करने वाले यय-प को आगामी मास के थम<br />

काय दवस पर महालेखाकार को भेज देना चाहये। (यय पो के साथ थम सूची और अनुसूिचयाँ महने क 10 या 11<br />

वी तारख म भेजी जा चुक हगी) कसी जला अिधकार का ओर से मािसक भुगतान क अनुसूची और यय-प के<br />

साथ थम और दूसर सूची के सेण म अिनवाय देर को और रोकड शेष का रपट और अनुसूिचय तथा पूरे पक के<br />

साथ रोकड लेखा के सेण म देर क भी सरकार नापसद करेगी।<br />

7- वष म एक बार तहसील के शेष का सयापन एक राजपत अिधकार के ारा होना चाहय। यद सभव हो तो<br />

यह सयापन एक ंसवदा अिधकार ारा हो और उप-भागीय कोषागार राजपत अिधकारय के भार म ह,<br />

जलािधकार क शेषो का सयापन अपने शीतकालीन दौरे म करना चाहय। जला अिधकारय को देखना चाहये क<br />

जला कोषािधकार उपकोषागार का िनरण वष म दो बार िनयिमत प से कया करते ह।<br />

8- जला अिधकार को जब वह जले का कायभार हण करे अथवा कायभार से मु हो इस बात का वशेष<br />

प से यान रखना चाहये क भडार टाप (अफम आन) का पूर तरह से सयापन कर िलया जाय और<br />

माण प, जसक भाराह अिधकार से अपेा क जाती ह, जसम रोकड, टाप और अफम के शेष क<br />

थित भी द रहती ह, अिनवाय प से उसी दन, जब क कायभार का हतातरण हो, महालेखाकार के पास<br />

भेज देना चाहय।<br />

(वीय हत पुतका खड-पाँच भाग-एक का तर-115)


11<br />

9- गणना ारा रोकड बाक के सयापन के िलये अपेत या का सवतार पीकरण संसाधन<br />

िनयम सँह (रसस मैनुअल) के तर-20 म दया हुआ ह। चाँद के िसके के बीस म से के वल एक थैले<br />

को तौलने क आवयकता ह। यह अपेा क जाती ह क जला अिधकार 100 पयाँ या उससे अिधक<br />

मूय के येक नोट को अपने हाथ से िगने।◌ा इस अनु छेद म बतायी गयी या के पालन करने के<br />

अितर त जला अिधकार को रोकड बाक रपट और रोकड बाक अथवा पंजय म जनम वह रोकड बाक<br />

को स यापत करता ह, दये गये योग के ठक होने के स ब ध म अपना समाधान कर लेना चाहय।<br />

10− त ्येक जला अिधकार अथवा जला कमयार वग म से एक राजपत अिधकार को, जो कोषागार<br />

का भार न हो और जला अिधकार ारा इसी योजन के िलये चुना गया हो, िनेप ािय क पंजी म<br />

इस आशय का एक ैमािसक माण प िलख देना चाहये क पंजी का परण उसने वयं अपने आप बड<br />

सावधानी से कया ह और यह क पंजी वयॉं अिधकतम सावधानी और िनयिमतता के साथ क जाती ह।<br />

आशय यह नहं ह क परण के वल यंवत हो और के वल वह सुिनत करने के िलये हो क लेन−देन के<br />

समय पर ह बना चूक सार आव यक वयॉं कर ली जाती ह और उन पर सं त ह तार कर दये<br />

जाते ह।◌ा लेकन यह सुिनत कर लेना चाहये क कोई धन आव यक प से िनेप म नहं पडा ह,<br />

अथवा उसे बना कसी उपयु त कारण के िनेप म जमा नहं रखा गया ह।<br />

वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−एक का तर−348<br />

11− यद कोषागार म सरकार धन, टा प या अफम के गबन अथवम हािन हो जाय तो महालेखाकार को<br />

तूर त सूिचत करना चाहये और भागीय आयु त के मा यम से शासन को रपट भेज देना चाहय।<br />

तप चात यथास भव शी ह परथितय क एक संहता रपट, जसम हािन का कार और सीमा का<br />

वशेष प से उ लेख हो और मूल अथवा िनयामो क उपेा, जनके कारण इस हािन को होना स भव हुआ<br />

ह और वसूली का स भावनाओं का जक करना चाहये। जला अिधकार के ह तार से महालेखाकार को भेज<br />

देना चाहये ताक वह मामले क रपट सरकार को सूमचनाथ भेज सक ।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉंच भाग−दो का तर−411)<br />

वत ्त ह त पुतका ख ड−पॉंच भाग−दो के परिश ट−20(ख) के अनुसार कोषागार के काय के स ब ध म<br />

कोषािधकार के कत य एवं उ तरदािय व िन न ह:<br />

कितपय वशेष मामलो म से, जो कोषागार के काय के सामा य संचालन और कोषािधकार के कत य<br />

पर भाव डालने वाले िनयमो के ठक−ठक पालन कये जाने से िभ न ह और जनम कोषािधकार वशेष प<br />

से िनजी ह तेप अपेत ह, िन न िलखत का उ लेख कया जा सकता ह:−<br />

(1)− यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार येक रा म मु य रोकडया क रोकड बाक (बैलेन ्स इन<br />

है ड) का स यापन कया कर।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉंच भाग−दो का तर−459)<br />

(2)− यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार दोहरे ताले म धन िनकालने म कितपय सावधानी बरता कर।<br />

(संसाधन िनयम सगॅ ्रह का तर−14)<br />

(3)− यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार पूव दवस के दैिनक लेखा को मु यालय कोषागार के चालान<br />

और यय−पो और दैिनक उपकोषागार और तहसील लेखा पक क सहायता से जॉच कर दया कर<br />

और अपना समाधान कर दया कर क (व ्यय) येक मद क पु उिचत यय−प से होती ह,


12<br />

(4)−<br />

(5)−<br />

(6)−<br />

(7)−<br />

(8)−<br />

(9)−<br />

(10)−<br />

(11)−<br />

(12)−<br />

येक चालान और तहसील के दैिनक लेखा क येक मद उपयु त अनुसूची म समिलत कर ली<br />

जाती ह, सभी पंजयो का योग रोकड बह म ठक−ठक चढाया जाता ह, लेखाकार के प के िचठे<br />

(बैलेन ्स शीट) म उलखत अिभवृ और कटौितय ठक ह, क फल वप अतम धनरािश मु य<br />

रोकडया के हाथ क रोकड व टा प अवशेष का लेखा रज टर (50−सी) से िमलती ह, और अ त<br />

म, दोन रोकड बहयो और प के िचटठो पर, उनके ठक सुचा िनिध म रखे जाने के तीक प से<br />

ह तार कर।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−दो का तर−459)<br />

यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार सहायक कोषािधकार (लेखा) के हाथ क रोकड व टा प<br />

अवशेष का लेखा रज टर (50−ए) दो−तालक क म रखी गयी नकद का लेखा रज टर (50−सी)<br />

पर ह तार करने से पूव कितपय सावधानी बरत।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−दो का तर−459)<br />

यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार पशन रज टर क येक व और पशन भुगतान आदेश<br />

के दोनो भाग के पीछे अपने सं त ह तार कर।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−दो का तर−512 एवं 528)<br />

कसी भी पशन के गलत भुगतान के िलये कोषािधकार वयं उ तरदायी ह।<br />

(सी0एस0आर0 का तर−947 (बी)(1))<br />

यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार िनेप पंजी (डपाजट रज टर) क येक व पर<br />

सं त ह तारर कर, और देखे क कोठ मद सम ािधकार के औपचारक आदेश के बना िनेप<br />

के प म जमा नहं क गयी है, और यह भी क यद धन सरकार लेखा के कसी जाने हुये शीषक<br />

के अ तगत जमा हो सकता ह, तो उस धनरािश को ा त करने का आदेश देने वाले यायालय अथवा<br />

ािधकार को तदनुसार इस वषयम अ यावेदन (रजेन ्ट) कर।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−एक का तर−342)<br />

यह अपेा क जाती है क कोषािधकार देखे क ह द अथवा उदू म िलखे व ्यय−पो पर उनका<br />

सं त सार अंेजी म पृष ्ठांकत कर दया जाता ह।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−एक का तर−47 (ख))<br />

यह अपेा क जाती ह क कोषिधकार भुगतान क सूची और अनुसूची के भेजे जाने के पूव, अपना<br />

समाधन कर ल क आव यक सभी यय−प सलं न कर दये गये है। माह म कु छ समय के अ तर<br />

से अनुसूिचय के यय−प क सहायता से उसके ारा जॉच क आशा क जाती ह।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−दो का तर−462 के नीचे अंकत ट पणी सं या−2 )<br />

यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार इस स ब ध म वशेष सतक ता बरते क रसीद टकट<br />

(रेवेन ्यु टा प) इस कार वपत कर दये जाय क उनका उपयोग दुबारा न हो पाय।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−दो का तर−561)<br />

यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार स लाई बल और ेषण संमण ािय पर हसतार करने<br />

के पूव कितपय सावधानी बरते।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−दो का तर−572)<br />

यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार स ताई बल और संमण रसीदो पर प ट अर म


13<br />

(13)−<br />

(14)−<br />

(15)−<br />

ह तार कर और जहॉ तक स भव ह, ह तार म एक पता बनाये रख।<br />

यह अपेा क जाती है क कोषािधकार यह देख क भुगतान होने वाले बलो क सूचना सूची उसके<br />

सामने खोली जाती ह, वह उनक वयं जॉच कर और सं त ह तार कर द और उन पर तारख<br />

डाल द।<br />

यह अपेा क जाती ह क कोषािधकारत अपने कोषागार के नाम आहत बल के भुगतान के पूव<br />

कितपय सावधानी बरत।◌ा उसे उस बल के , जसक सूचना सूची खो गयी ह क अथवा अशु हो,<br />

भुगतान करने म कु छ छू ट दे द गयी है|<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग −दो का सतर−576 एवं 577 )<br />

यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार बल और सूचना−सूची के पो को अपने क जे म ताले म<br />

ब द रख और ितदन ात: उनको जार करने म एक कार क नैयक या का पालन कर|<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग −दो का तर−592)<br />

(16)− यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार देख क सरकार टकटो (रेवेन ्यू टा प) क बक से ा त<br />

धनरािश क रसीद सहायक कोषािधकार (रोकड)/उपरोकडया/सहायक रोकडया के ारा सदैव पूण प<br />

से भरे हुये एक छपे प पर द जाती ह। ये टकट के वल मु य डाक पालक/डाक पालक को उनके<br />

िलखत मॉग प पर ह बेचे जाते है।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−दो का तर−421)<br />

(17)− यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार कसी धन के अनािधकृ त होने के कारण महालेखाकार ारा<br />

अ वीकृ त कये जाने पर उसक वसूली ततपरता से और बना कसी आप और ितवाद को सुने कर<br />

और भव य म जब तक महालेखाकार अपनी आप वापस न ले ल, ऐसे धन को भुगतान करने से<br />

इ कान कर द।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−एक का तर−81)<br />

(18)− यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार कसी राजपत अिधकार को बढ हुयी अथवा संशोिधत दर<br />

से बेतन देने क मनाह ह, जब तक िनदेशक, लेखा एवं हकादार, उ तराख ड, देहरादून अथवा व त<br />

अिधकार, इरला चैक, उ तराख ड सिचवालय, देहरादून ारा वेतन पच जार न कर द।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−एक का तर−114)<br />

(19)− यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार एक संवदा अिधकार ारा आहत बल के भुगतान के पूव<br />

उससे यह अपेा क जाती ह क वे देखे क िसवल सवस रेगुलेशन (सी0एस0आर0) के<br />

आटकल−556 म िनधारत कटौितयां बल से कर ली गयी ह।<br />

(20)− यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार कसी ऐसे य ारा आहत कये गये बल के भुगतान के<br />

िलये आवेदने प देने वाले क पहचान के स ब ध म अपना समाधान करने के िलये वशेष प से<br />

सावधानी बरते जो सरकार सेवा म न हो और संद ध मामलो म जला अिधकार के आदेश ा त<br />

कर।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−एक का तर−46 (सी) एवं (ड))<br />

(21)− यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार कु छ परथितय म अतम माण प द/ितह तार कर<br />

लेकन उस अिधकार को, जसे अतम वेतन माण प दया जा चुका हो, कोई वेतन भुगतान नहं


14<br />

करना चाहये, जब तक क वह माण प पहले समपत न कर दया जाय।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−एक का तर−102)<br />

(22)− यह अपेा क जाती है क कोषािधकार कसी लेखे म, पंजी म अथवा अनुसूची म या रोकड बह म<br />

रबर से िमटाने क मनाह कर, उनका स यापन करे और उनम क गयी त ्येक शु पर अपने<br />

संपत हस ्तार कर और उन यय−प पर वशेष यान द और जनम कु छ रददोबदल कये जाने<br />

के िच ह दखायी पडते हो और यद इस कार के ले य प कसी कायालय म बहुधा आते रहते ह,<br />

तो उस कायालया य का यान इन मामले क ओर आकृ ट कर।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−एक का तर−83)<br />

(23)− यह अपेा क जाती है क कोषािधकार कायालया य के बजाय कसी िलपक ारा ह तार कये<br />

हुये यय−प अथवा आदेश पर कसी भी परथित म उसे भुगतान नहं करना चाहये, यघपत<br />

कायालया य क अनुपथित म प पर िलपक उनके वा ते कृ ते ह तारका अ य त न हो और<br />

न वह ऐसे यय प अथवा आदेश, जस पर के वल कायालय क मुहर लगी ह, पर ह कोई भुगतान<br />

कर।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−एक का तर−47 (जी))<br />

सरकार ने अ थायी प से और पुनिचयार कये जाने क शत के साथ यद आव यक हो पशन<br />

भोिगय कु छ वग को पशन का भुगतान के वल एक सील ारा ह ता तरत रसीद पर अिधकत कर<br />

दया ह।<br />

(24)− यह अपा क जाती है क कोषािधकार कसी ऐसे दावे को वीकार नहं करेगा जो यत:<br />

ववादा पद हो, लेकन उस मामले को महालेखाकार के पास वचाराथ भेजेगा।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−एक का तर−42 (सी))<br />

(25)− यह अपेा क जाती है क कोषािधकार यह देखे क धन ा त करने और भुगतान करने के िलये<br />

कोषागार के ब द होने क सूचना नोटस बोड पर कायालय के कसी ऐसे मुख थान पर िचपका द<br />

जाय, जहॉ सब लोग क पडती हो और यह क करै सी नोटो को भुनान और छोटे िस क और<br />

तॉबे के िस को आद क स लाई स ब धी अपेत सूचना भी मुख प से ऐसे थान पर, जहॉ से<br />

सवसाधारण आम जनता बेरोक−टोक कायालय म वेश करते ह, िचपका द जाती ह और यह क जो<br />

सुवधाय कोषागार दे सकता ह, उनके उपल ध कराये जाने म कोई पपात नहं बरता जाता ह।<br />

(वत ्तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−दो का तर−465 एवं 466)<br />

(26)− यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार पय 500−00 (पय पॉच सौ मा) या उससे अिधक के<br />

ेषण को ाि वीकृ ित वयं कर।<br />

(व तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−दो का तर−418)<br />

(27)− यह अपेा क जाती ह क कोषािधकार येक व तीय वष के अ त म येक सथानीय एवं नगर<br />

पािलका िनिध के जमा शेष का स यापन कर और हर माह लोक िनमाण वभाग, िसंचाई वभाग, वन<br />

वभाग, लघु िसंचाई, ामीण अिभय ण सेवा ख ड क ािय और भुगतानो का स यापन कर।<br />

(व तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−दो का तर−367)<br />

(28)− जला अिधकार के यायु त (डेलीगेट) ितिनिध (रेजे टेटव) के प म कोषािधकार अपने<br />

कत यो के ठक−ठक पालन के िलये जलािधकार मूल प से उ तरदायी ह। जला अिधकार


15<br />

कोषािधकार से यह आशा करता ह क कोषागार स ब धी सम त िनधारत िनयम के पूणतया पालन<br />

कये जाने और कोशागार स ब धी काय के नैयक काया के सम त यौरे पर कडा यान रखेगा।<br />

कोषिधकार से यह अपेा क जाती ह क वह भुगतान ािधकत करने के पहले डर दावे के ठक होने<br />

के स ब ध म अपना समाधान कर ल और उसके पथ दशन के िलये वह वयं उ तरदायी ठहराये<br />

जायगे। कोषिधकार जलािधकार सहत संयु त प से रोकड, नोट और अ य सरकार स प क<br />

अय अिभरा (सेफ िस योरट) के िलये उ तरदरायी ह, लेकन कसी हािन अथवा गबन होने क<br />

दशा म यद यह पाया जाता ह क जला अिधकार ने येक साधारण सतक ता बरती ह और िनयम<br />

ारा जो वशेष कत य उसे सौपे गये ह, उनम से उसक कसी को उपेा नहं क ह और न उसने<br />

कोषागार स ब धी काय के संचालन म जो िनगरानी और िनय ण कोषािधकार स ्वयं करते रहते ह<br />

और जसक सरकार कोषािधकार से अपेा करती ह, उसम कोई िशिथलता दखायी ह, और यह क<br />

हािन अथवा गबन के वल कोषािधकार क असावधानी अथवा बेईमानी के कारण हुआ ह, तो<br />

जलािधकार को उ तरदायी न ठहराया जायेगा, यद कोषािधकार यह प ट कर सक क उसने अपने<br />

कत य िनवहन को येक शाखा म उसके पथ दशन के िलये िनधारत सम त िनयम का कडाई के<br />

साथ पालन कया ह और उसने अपने अधीन थ कमचारय से उसका पालन कराया ह।<br />

शासनादेश सं या−एस−6515/दस, दनांक 24 जुलाई 1970 के ारा व त ह त पुतकख ड−पॉच<br />

भाग−दो के परिश ट−29 के अनुसार कोषागार के काय के स ब ध म सहायक कोषािधकार के कत य एवं<br />

उ तरदािय व िन न ह: −<br />

(1)− सहायक कोषािधकार शासन ारा ािधकत कये जाने पर राजपत अिधकारय, वधान म डल तथा<br />

संसद सद य और सरकार ऋण प के याज के बल को छोडकर पय 200 (पय दो सौ मा)<br />

तक के अ य बलो को पारत करगे।<br />

(2)− सहायक कोषािधकार पय 500 (पय पॉच सौ मा) से कम धनरािश के सभी चालान को पारण<br />

करगे, जहॉ िनयमानुसार ऐसा आव यक ह।<br />

(3)− सहायक कोषािधकार नकद या चैक ारा ा त सरकार डाक टकटो के मू य क सभी रसीदो पर<br />

ह तार करगे।<br />

(4)− सहायक कोषािधकार लेखा अनुभाग क डेली बैले स शीट को तैयार करगे।<br />

(5)− सहायक कोषािधकार दैिनक डाक खोलने और उस कोषािधकार के ह तार करने के िलये<br />

आदेश/पृष ्ठांकन अंकत करगे। जो प गोपनीय अंकत ह या जो कोषािधकार के नाम से ह, वह<br />

सहायक कोषािधकाकर ारा नहं खोले जायगे।<br />

(6)− सहायक कोषािधकार कोषागार कायालय म ा त अशासकय पो क पंजका रखगे, जस पर<br />

िनदेशक, कोषागार िनदेशालय, उ तर देश, लखनऊ के परप सं या−588/ 65/ ड0ट0, दनांक 21<br />

दस बर 1965 म िनगत आदेश के अनुसार काय9वाह क जायेगी।<br />

(7)− सहायक कोषािधकार येक माह के अ त म अिन तारत प (अशासकय प को छोडकर) क<br />

सूची तैयार करगे और उसे कोषािधकर को तुत करगे, जससे उन पो के िन तारण के िलये उिचत<br />

तथा आव यक कायवाह क जा सक ।<br />

(8)− सहायक कोषािधकार व तीय ह त पुतका ख ड−पॉच भाग−दो के तर−447 के अ तगत ट पणी<br />

म िनधारत णाली के अनुसार उपकोषागार के याह के साथ ा त येक बाउचरो को सिनरा


16<br />

करगे।<br />

(9)− कोषािधकार ारा दैिनक लेख के परण पूव सहायक कोषािधकार ा िय तथा भुगतान के सहायक<br />

(सब सीडयर) पोटग शैडयू स क वय क जॉच करगे और देखगे क उ त वया ठक है।<br />

(10)− कोषािधकार ारा दैिनक लेखो को परण के पूव सहायक कोषािधकार के श बहय क ितय के<br />

योग क जॉच करगे तथा अपने को स तु ट कर लगे क कै श बहयां ठक कार से तैयार क गयी ह<br />

और इस त य क पु म बहय पर ह तार करगे।<br />

(11)− सहायक कोषािधकार सा ताहक कै श बैले स रपट, मािसक कै श बैले स रपट तथा मािसक करे सी<br />

वेरफके शन लप बनाकर कोषािधकर/ जलािधकार के पास परण तथा ह तारर के िलये तुत<br />

करगे।<br />

(12)− कोषािधकार/जलािधकार के परण एवं ह ता र के पूव सहायक कोषािधकार कै श एकाउ ट, िल ट<br />

आ पेमे ट, विभन ्न शैडयूल ्स तथा मािसक लेखे क जॉच करगे और सतक ता पूवक इस ओर यान<br />

दगे क लेखे महने क िनधारत ितिथय तक कोषागार ारा तैयार करके सभी कार से पूण<br />

महालेखाकार, उ तराख ड, देहरादून म पहुंच जाय। यद इसम कोई वल ब होने क स भावना देख<br />

पडती ह तो वह तुर त इस बात क कोषािधकार क जानकार म लायगे। महालेखाकार के यहां लेखा<br />

भेजने के पूव िनदेशक, कोषागार िनदेशालय, उ तर देश, लखनऊ के परप सं या−5988/ एफ0<br />

आर0246/ड0ट0/1969, दनांक 30 अ टूबर 1969 के अनुसार येक करेगा क शैडयू स म<br />

अंकत सभी बाउचरो का ब डल बनाता ह, स बधत शैडयू स पर माणत करेगा क शैडयू य म<br />

अंकत सभी बाउचर न थी ह और इसके परण के बाद सहायक कोषािधकार येक शैडयू स पर<br />

माणत करगे क उ हने येक ब डल म कम से कम इस ितशत बाउचर का िमलान शैडयू स<br />

से कर दया ह और उ ह ठक पाया ह।<br />

(13)− सहायक कोषािधकार खारजा, अस−स ्याहा, मद क जॉच करगे, जससे अिनयिमत मद का िनपटारा<br />

कया जा सक और वेतन भ ता आद स ब धी मद का उिचत समय के अ तगत समायोजन कया<br />

जा सक । इस स ब ध म वह समय−समय पर कोषािधकार को व तुथित से अवगत कराते रहगे।<br />

(14)− सहायक कोषािधकार िन निलखत पंजकाओं को रखगे, उनक जॉच करगे और इस स ब ध म जो<br />

अिनयिमतता पायी जाय, उ ह कोषािधकार क जानकार म लायेगे।<br />

(क) − उपथित रज टर।<br />

(ख) − आकमक एवं िनबधत अवकाश पंजक ।<br />

(ग) - परलेख (रटनस) का रज टर।<br />

(घ) - मु तारनामा (पावर आफ अटान) रज टर।<br />

(छ) - उ तर देश/उ तराख ड गजट, भाग-पॉच क गाड फाइल।<br />

(15)– सहायक कोषािधकार कोषागार के कमचारय म सावजिनक काय का वतरण कोषािधकार क<br />

वीकृ ित से इस कार करगे क उनके िनपटाने म अपरहाय वल ब न हो। वह यह भी सुिनत<br />

करगे क जनता को अपना काय करवाने के िलये कोषागार म अपरहाय र तीा न करना पडे और<br />

जब कभी ऐसी कठनाई उ प न हो तो कोषािधकार को तुर त अवगत करायगे।<br />

16- यद कभी कोई लेखाकार/सहायक लेखाकार अवकाश पर हो या कसी लेखाकार/सहायक लेखाकार के<br />

पास कसी कारण वश अिधक काय इकठठा हो जाय तो ऐसी प ◌थित म, सहायक कोषािधकार


17<br />

एकत काय को अ य लेखाकार/सहायक लेखाकार म, जो उसे िनपटाने म समथ हो, बाटॅगे, जससे<br />

स पूण काय िनत समय के अ दर िन तारण हो जाय।<br />

17- सहायक कोषािधकार लेखाकार/सहायक लेखाकारो ारा तैयार कये गये ववरण, परलेखो तथा उनके<br />

ारा कये गये स यापन क शु क जॉच करगे इस त य क पु म उन पर ह तार करके<br />

कोषािधकार को तुत करगे।<br />

18- सहायक कोषािधकार कसी भुगतानादेश पर ह तार करने और उसे कोषािधकार को तुत करने से<br />

पूव येक दावे क ाहयता तथा परशुता के बाबत अपने को भलीभॉित स तु ट कर लगे।<br />

19- सहायक कोषािधकार बलो, चैक, रफ ड बाउचरो आद पर अंकत भुगतान आदेश क जॉच करते<br />

समय स बधत िनधारत िनयमो आद का कडाई से पालन करगे।<br />

20- सहायक कोषािधकार सतकता पूवक समय-समय पर देखते रहगे क महालेखाकार के कोषागारो क<br />

वाषक समीा, उनके ारा उस कोषागार क िनराण ट पणी, म डलायु त, जलािधकार के<br />

िनरण ट पणी, िनदेशक/अपर िनदेशक/संयु त िनदेशक, कोषागार एउवं व त सेवाय, उ तराख ड,<br />

देहरादून क िनरण आ या तथा िनरक राजकय वृ त कायालय क िनरण ट पणय पर<br />

आव यक और उिचत कायवाह अवल ब हो रह ह और इस काय म कोई िशिथलता तीत होती है,<br />

तो उसे तुर त कोषािधकार के सम लायगे।<br />

21- सहायक कोषािधकार लेखाकारो/सहायक लेखाकारो के काय क सामा य देखभाल तथा कोषािधकार<br />

ारा िनद ट अ य काय करगे।<br />

22- सहायक कोषािधकार को सरकार कमचारय को समय से वेतनभुगतान एवं भावी लेखा णाली हेतु<br />

कोषागारो म लागू एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली के शासनादेश सं या-234/ व0अनु0-1/2001,<br />

दनांक 06 दस बर 2001 के तर-1 के अनुसार आहरण वतरण अिधकार घोषत कया गया है।<br />

सहायक कोषािधकार इस बात का यान रखगे क वभागीय आहरण वतरण अिधकार के मा यम से<br />

कायालया य ारा ा त प-1 के अनुसार भुगतान एवं लेखा णाली हेतु नविनयु त/ थाना तरत<br />

होकर आये अिधकार/कमचार के स ब ध म थम बार ा त सूचना के आधार पर<br />

अिधकार/कमचार का वेतन आहरत करने एवं तर-7 (ज) के अनुसार कायालया य/वभागीय<br />

आहरण वतरण अिधकार ारा ितमाह कोषागार को 20 से 23 तारख के म य वेतन अथवा<br />

तसम ्बन ्धी भ त म होने वाले परवतन तथा उपथित,<br />

िनल बन/सेवािनवृ/ थाना तरण/सेवामु/ कटौितय/क त क सं या आद क यथाव यक<br />

सूचना िनधारत प-2 (1) एवं प-2 (2) म ा त होने पर उनम स बधत लेखाकार (ब स)<br />

ारा यथा संशोधन कर अिधकारय/कमचारय के वेतन स ब धी चैक शासनादेश के तर-10 के<br />

अनुसार उनके बक म खुले एकल खातो म जमा कराया जा रहा ह। शासनादेश के तर-7 (ड) के<br />

अनुसार आहरण वतरण अिधकारय के मा यम से कायालया य को सैलर ए टवेस रौल दो ितयो<br />

म, येक कमचार क वेतन पच, बक एडवायस, कटौितय के शैयू स उपल ध कराय जा रहे ह।<br />

शासनादेश सं या-ए-243/इस-5(3)/86, दनांक 31 माच 1987 के ारा व त ह त पुतका ख ड-<br />

पॉच भाग-एक के परिश ट-29 के अनुसार कोषागार के काय के स ब ध म मु य रोकडया/सहायक<br />

कोषािधकार (रोकड)/रोकडया/उपरोकडया/सहायक रोकडया के कत य एवं उ तरदािय व िन न है-


18<br />

(1)- मु य रोकडया/सहायक कोषािधकार (रोकड) कै श अनुभाग के भार हगे तथा इस अनुभाग के<br />

कु शल संचालन हेतु कोषािधकार के ित उसी कार उ तरदायी हगे, जस कार अ य अनुभाग के<br />

भार सहायक कोषािधकार।<br />

(2)- मु य रोकडया/सहायक कोषािधकार (रोकड) ारा रोकडया, उपरोकडया और सहायक रोकडया के<br />

म य काय का वाजन कोषािधकार के अनुमोदन से िलखत प म कया जायेगा और स बधत<br />

कमचारय से नोट कराकर सुरत रखा जायेगा।<br />

(3)- दो तालक म रखी नकद, टा प एवं मू यावन पैकट आद का उ तरदायी मु य रोकडया/सहायक<br />

कोषािधकार (रोकड) का होगा, परन ्तु कोषािधकार व तीय ह त पुतका ख ड-पॉच भाग-दो व अ य<br />

शासकय आदेश म दये गये िनदेश के अनुसार अपने उ तरदािय व से मु त नहं हगे। दो तालक<br />

क के येक एक ताले क चाबी कोषािधकार अपने पास रखगे और येक दूसरे ताले क चाभी<br />

मुख ्य रोकडया/सहायक कोषािधकार (रोकड) के पास रहेगी/ इसी कार उपकोषागार के दो तालक म<br />

रखी गयी नकद, टा प व मू यावन पैकट आद का उ तरदािय व उपरोकडया का होगा। पर तु<br />

उपकोषािधकार िनयम म वधािनक अपने उ तरदािय व से मु त नहं समझे जायगे। येक एक<br />

ताले क चाभी उपकोषािधकार व येक दूसरे ताले क चाभी उपरोकडया अपने पास रखेगा।<br />

(4)- मु य रोकडया/सहायक कोषािधकार (रोकड) अपने अधीन थ रोकडया, उपरोकडया और सहायक<br />

रोकडया म से कसी एक को कोषागार से धन ले जाने तथा ले आने का उ तरदािय व सपेगा, चाहे<br />

वह धन कसी भी मद का हो। इसी कार से बकग उपकोषागार म यह काय रोकडया ारा कया<br />

जायेगा। सामा यतया इस काय हेतु सश पुिलस गादर साथ म जायेगा और पय 10,000-00<br />

(पय दस हजार मा) से अिधक धनरािश लाने/ले जाने के िलये रोकडया/उपरोकडया/सहायक<br />

रोकडया ारा एक और कमचार जो कोषागार को चतुथ ेणी कमचार भी हो सकता ह, साथ ले<br />

जाया जायेगा।<br />

(क)- रोकडया/उपरोकडया/सहायक रोकडया पशन भुगतान एवं टा प वय से स बधत<br />

अिभलेख पूववत ् रखगे।<br />

(ख)- रोकडया/उपरोकडया/सहायक रोकडया के पास काय क समाि पर अवशेष टा प एवं<br />

धनरािश को हाथ क रोकड व टा प अवशेष का लेखा रज टर-फाम 50 ए म अंकत कया<br />

जायेगा।<br />

(ग)- येक कमचार क जमानत से अिधक धनरािश, टा प को डबल लाक म रखा जायेगा,<br />

जसका ववरण दो ताला क म रखी गयी नकद का लेखा रज टर-फाम 50 सी म अंकत<br />

कया जायेगा।<br />

(6)- मु य रोकडया/सहायक कोषािधकार (रोकड) /रोकडया/उपरोकडया/ सहायक रोकडया क जमा से<br />

अिधक धनरािश को सुरा हेतु येक काय दवस के अ त म दो तालक क म रखा जायेगा/<br />

इसका लेखा जोखा ‘दो ताला क म रखी गयी नकद का लेखा रज टर-फाम 50 सी’ म रखा<br />

जायेगा एवं मु य रोकडया कै श वभाग के कमचारय क जमानत से अिधक धन एवं टा प आद<br />

को डबल लाक म रखने के िलये उ तरदायी हगे। िसंगल लाक क येक आ मारय पर दो ताले<br />

हगे, जनम से एक ताले क चाभी मु य रोकडया और दूसरे ताले क चाभी स बधत रोकडया/


19<br />

उपरोकडया/सहायक रोकडया के पास रहेगी।<br />

(7)- कोषािधकार इस बात को यान म रख◌ंगे क मु य रोकडया/सहायक कोषािधकार<br />

(रोकड)/रोकडया/उपरोकडया/सहायक रोकडया के पास नकद, टाक, टा प ब क नकद का<br />

योग उनक जमानत क धनरािश से अिधक न रह। येक कमचार क जमानत से अिधक धनरािश<br />

व टा प को कोषागार के डबल लाक क म कोषागार कारोबार क समाि के बाद रख दया<br />

जायेगा।<br />

(8)- उपकोषागार म साधारणतया उपरोकडया/सहायक रोकडया के पास काय समाि के उपरा त रोकड<br />

का कोई भी शेष नहं बचना चाहय। उपकोषािधकार यह सुिनत करगे क उपरोकडया/सहायक<br />

रो कडया क सुरा म छोडे गये टा प एवं नकद का ववरण अवशेष टा प एवं शनरािश को हाथ<br />

क रोकड व टा प अवशेष का लेखा रज टर-फाम 50 ए म अंकत कया जाता ह एवं स बधत<br />

कमचारय क जमानत से अिधक अवशष को डबल लाक म रख दया जाता ह।<br />

उपकोषािधकार के कत य एवं दािय व िन न कार ह।–<br />

(1)- उपकोषािधकार यह सुिनत करगे क भारतीय टेट बक क मु य शाखा से राजकय लेखा ा त<br />

कर उसे संकिलत कराकर िनधारत समय पर दैिनक याहा सदर कोषागार को भजगे।<br />

(2)- उपकोषािधकार यह सुिनत करगे क कले टर टा प ारा अिधकृ त लाईसे स शु टा प वै डरो<br />

को टाम ्प क ब करायगे।<br />

(3)- उपकोषािधकार यह सुिनत करगे क आम जनता को सीधे टा प क ब करायगे।<br />

(4)- उपकोषािधकार यह सुिनत करगे क टा प क ब से ा त आय को उसी ह दन भारतीय<br />

टेट बग क शाखा म जमा करायगे।<br />

(5)- उपकोषािधकार यह सुिनत करगे क उपरोकडया क हाथ क रोकड व टा प अवशेष का लेखा<br />

रज टर-फाम 50 ए एवं दो ताला क म रखी गयी नकद का लेखा रज टर फाम 50 सी पर<br />

ह तार करगे।<br />

(6)- उपकोषािधकार यह सुिनत करगे क डबल लाक क सुरा का माण प स बधत अिधशॉसी<br />

अिभय ता, लोक िनमाण वभाग से ा त कर यथा थान पर लटका दगे।<br />

(7)- उपकोषािधकार ये सुिनत करगे क वर ठ पुिलस अधीक एवं ितसार िनरक, रजव पुिलस<br />

लाईन से संतर बीट का न शा ा त कर, उसे यथा थान पर लटा दगे।<br />

(8)- उपकोषािधकार यह सुिनम करगे क टा प कमीशन का शैयूल एवं टा प का लस माइनस<br />

मीमो को माह के अतम काय दवस को सदर कोषागार को भेजंगे।<br />

लेखाकार (ब स) के कत य एवं दािय व िन न कार ह-<br />

वत ्तीय ह त पुतका ख ड-पॉच भाग-दो के प रिश ट-अठाईस एवं व तीय ह त पुतका ख ड-पॉच<br />

भाग-एक के तर-428 के अ तगत बल पारण िन न ब दुओं का पालन करना◌ा सुिनत करगे।<br />

(1)- बल िनधारत प पर बनाया गया ह एवं शु, सह प से वयां क गयी ह।


20<br />

(2)- बल म फलूयड याह एवं रबर से न िमटाया गया हो एवं सम त कटंग स यापत ह।<br />

(3)- अवशेष वेतन बल म सम त कटौितय के शैडयू स एवं ाि के चालान सलं न ह।<br />

(4)- बल पर सम त वगकरण पूण ह। बल पर आयोजने तर/ आयोजनागत/ भारत/मतदेय अंकत ह।<br />

(5)- बल म आबंटन का त भ अयाविधक भरा गया ह।<br />

(6)- शासनादेश सं या-बी-1-1195/दस-16/94, दनांक 06 जून 1994 के अनुसार बजट का माण प<br />

ह तार सहत अंकत ह।<br />

(7)- व तीय ह त पुतका ख ड-पॉच भाम-एक के तर-74 के अनुसार बल कालातीत न ह।<br />

(8)- अवशेष वेतन बल के साथ सम त वािछत आदेश सलं न ह।<br />

(9)- अवशेष वेतन बल म ओिमशन, इस आशय का माण प क कायालय अिभलेखो म अवशेष<br />

स ब धी व कर द गयी ह, अंकत ह।<br />

(10)- याा यय/ थाना तरण याा यय/अवकाश याा सुवधा देयक पर िनयमो म उलखत सम त<br />

माण अंकत ह एवे वािछत सलं नक सलं न ह।<br />

(11)- व तीय ह त पुतका ख ड-3 के तर-88 के अ तगत परिश ट-नौ के भाग-दो के अ तगत घोषत<br />

िनयंक अिधकार ारा याा यय/ थाना तरण याा यय/अवकाश याा सुवधा देयक ितह तार<br />

ह।<br />

(12)- याा यय/ थाना तरण याा यय/अवकाश याा सुवधा देयक म भुगतान क गयी सम त रसीद<br />

सलं न ह।<br />

(13)- याा यय/ थाना तरण याा यय/अवकाश याा सुवधा देयक म अिम के स ब ध तके वािछंत<br />

माण प अंकत ह।<br />

(14)- थाना तरण याा यय/अवकाश याा सुवधा देयक म परवार के सद य के स ब ध म वािछंत<br />

माण प अंकत ह।<br />

(15)- स ्थानान ्तरण याा यय/अवकाश याा सुवधा देयक म आदेश क ित सलं न ह।<br />

(16)- आकमक देयक प के साथ सब बाउचर सलं न ह।<br />

(17)- अिम आकमक यय आहरत करने हेतु आहरण वतरण अिधकार ह एवं कायालया चय/िनयंक<br />

अिधकार का अिम आहरत करने हेतु आदेश सलं न ह।<br />

(18)- सहायता अनुदान के बल के साथ शासनादेश/ वीकृ ित आदेश सलं न ह।<br />

(19)- सहायता अनुदान के बल सम ािधकार ारा ितह तारत ह।<br />

(20)- छावृ बल के साथ स बधत आदेश सलं न ह।<br />

(21)- छावृ बल के सम ािधकार ारा ितह तारत ह।<br />

(22)- छावृ बल के सथ लाभागृह क सूची सलं न ह।<br />

(23)- िनेप से स बधत आदेश/सं मण ित के चालान सलं न ह।<br />

(24)- सामा य भव य िनवाह िनिध से 10 ितशत भुगतान देयक के साथ महालेखाकार का ािधकार प<br />

सलं न ह।<br />

(25)- भवन िनमाण अिम/वाहन अिम/वाहन अिम/भवन मर मत अिम/भूिम य अिम/ क यूटर<br />

अंिम एवं अ य अिम देयक के साथ सम ािधकार के वीकृ ित आदेश सलं न ह।<br />

(26)- व तीय ह त पुतका ख ड-पॉच भाग-दो के तर-428 के अनुसार लेखाकार धन के दावे के


21<br />

स ब ध म तुत कये गये बल तथा बाउचर ा त करगे तथा उनक परा करेगा और इसके आद<br />

सहायक कोषािधकार/कोषािधकार को तुत करगे। यद दावे वीकाय हो, ािधकार उिचत हो,<br />

ह तार और ितह तार, जहॉ आव यक हो, सह और िनयिमत हो और ाि क रसीद वैध<br />

उ मोचल (लीगल यूटे स) हो, तो व तीय ह त पुतका ख ड-पॉच भाग-एक के तर-47 (ग) म<br />

िनधारत जॉचोपरा त भुगतानादेश अंकत कया जायेगा।<br />

(27)- कोषागार लेखाकार (ब स) इस बात का यान दगे क शासनादेशानुसार िनधारत बल तुत करने<br />

वाली ‘बल तुतीकरण पंजका’ म ह बल कोषागार म तुत कया जा रहा ह, जसम आहरण<br />

वतरण अिधकार ारा बल तुत करने एवं चैक ा त करने हेतु अिधकृ त वाहक के फोटो एवं<br />

ह तार माणत ह।<br />

(28)- कोषागार लेखाकार (ब स) इस बात का यान दगे क बल पर कोषागार से आहरण हेतु अिधकृ त<br />

आहरण वतरण अिधकार के ह तार कोषागार म उपल ध ‘माणत नमूना ह तार’ के अनुसार<br />

सह ह।<br />

(29)- कोषागार लेखाकार (ब स) इस बात का यान दगे क कोषागार म पारण हेतु तुत देयक प के<br />

त भ सं या 1 से 20 तक सह एवं शु भरे हुये ह।<br />

(30)- कोषागार लेखाकार (ब स) इस बात का यान दगे क कोषागार म पारण हेतु तुत देयक पर लेखा<br />

स ब धी ववरण क मुहर प ट लगी ह।<br />

(31)- कोषागार लेखाकार (ब स) इस बात का यान दगे क कोषागार म पारण हेतु तुत देयक पर बजट<br />

क वतमान थित एवं भुगतान का ववरण शु एवं प ट भरा ह।<br />

(32)- कोषागार लेखाकार (ब स) इस बात का यान दगे क कोषागार म पारण हेतु तुत देयक के पृ ठ<br />

भाग एवं अ दर के वािछत त भ व तृत एवं शु प ट प से भरे ह।<br />

(33)- कोषागार लेखाकार (ब स) इस बात का यान दगे क कोषागार म पारण हेतु तुत देयक के साथ<br />

वािछत आदेश एवं सलं नक सलं न कये गये ह।<br />

(34)- कोषागार लेखाकार (ब स) इस बात का यान दगे क देयक को पारत कर उस पर भुगतानादेश<br />

अंकत कर क यूटर म उसे स बधत आहरण वतरण के ड0ड0ओ0 कोड म वािछत ितया एवं<br />

पारत देयक क धनरािश को बजट त भ म फड करगे।<br />

(35)- कोषागार लेखाकार (ब स) इस बात का यान दगे क आहरण वतरण अिधकारय को िनधारत<br />

समय पर ड0ड0ओ0 र साईलेशन ववरण प उपल ध कराये एवं आहरण वतरण अिधकार से<br />

स यापन के प चात ् तीन दन म वापस ा त हो रहा ह।<br />

(36)- कोषागार लेखाकार (ब स) इस बात का यान दगे क धनरािश पय 2,000-00 (पय दो हजार<br />

मा) से अिधक धनरािश के ठेके दार, आपूितकता, गैर सरकार यय के भुगतान एकाउ ट पेयी<br />

चैक ारा तथा जनपद के बाहर के भुगतान बक डाफट ारा कये जाये।<br />

(37)- कोषागार लेखाकार (ब स) इस बात का यान दगे क सरकार कमचारय को समय से वेतन<br />

भुगतान एवं भावी लेखा णाली हेतु कोषागारो म लागू ‘एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली’ के<br />

शासनादेश सं या-235/व0अनु0-1/2001, दनांक 06 दस बर 2001 के तर-7 (ख) के आधार<br />

पर आहरण वतरण अिधकार के मा यम से कायालाया य ारा ा त प-1 के अनुसार भुगतान<br />

एवं लेखा णाली हेतु नविनयु त/ थाना तरत होकर आये अिधकार/कमचार के स ब ध म थम


22<br />

बार ा त सूचना के आधार पर अिधकार/कमचार का वेतन आहरत कर उसके बक म खुले एकल<br />

खाते म जमा कराया जायेगा।<br />

(38)- कोषागार लेखाकार (ब स) इस बात का यान दगे क सरकार कमचारय को समय से बेतन<br />

भुगतान एवं भावी लेखा णाली हेतु कोषागारो म लागू ‘एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली’ के<br />

शासनादेश सं या-235/व0अनु0-1/2001, दनांक 06 दस बर 2001 के तर-7(ज) के अनुसार<br />

कायालया य/वभागीय आहरण वतरण अिधकार ारा ितमाह कोषागार को 20 से 23 तारख के<br />

म य वेतन अथवा तस ब धी भ त म होने वाले परवतन तथा उपथित,<br />

िनल बन/सेवािनवृ/ थाना तरण/ सेवामु/कटौितय/क तो क सं या आद क सथाव यक<br />

सूचना िनधारत प-2(1) एवं प-2(1) म ा त होने पर उनम यथा संशोधन कर<br />

अिधकारय/कमचारय के वेतन स ब धी चैक शासनादेश के तर-10 के अनुसार उनके बक म<br />

खुले एकल खातो म जमा कराना सुिनत करगे।<br />

(39)- कोषागार लेखाकार (ब स) इस बात का यान दगे क सरकार कमचारय को समय से वेतन<br />

भुगतान एवं भावी लेखा णाली हेतु कोषागार म लागू ‘एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली’ के<br />

शासनादेश सं या-235/व0अनु0-1/2001, दनांक 06 दस बर 2001 के तर-7(ड) के अनुसार<br />

आहरण वतरण अिधकारय के मा यम से कायालया य को सैलर ए टवेवस रौल दो ितयो म,<br />

येक कमचार क वेतन पच, बक एडवायस, कटौितय के शैयू स उपल ध कराय।<br />

लेखाकारा (पशन) के कत य एवं दािय व िन न कार ह-<br />

(1)- लेखकार (पशन) का सवथम यह दािय व ह क पशन ा त करने आने वाले पशनरो से अपना मृदु<br />

एवं सौ य यवहार रख, उनक सम त जासाओं को त काल समाधान कर। उ ह अपेत सहयोग<br />

दान कर।<br />

(2)- लेखाकार (पशन) यह यान रखगे क पशनरो का समय से उनके बग म खुले एकल खाते म भुगतान<br />

स ब धी चैक जमा हो जाय।<br />

(3)- लेखाकार (पशन) यह यान रखगे क संशोिधत, पुनरत तथा राहत बढने पर अवशेष का तकाल<br />

उनके बक म खुले एकल खाते म चैक जमा हो जाय।<br />

(4)- लेखाकार (पशन) यह यान रखगे क िनदेशक, लेखा एवं हकदार, उ तराख ड, देहरादून,<br />

कायालया यो तथा महालेखाकार, उ तराख ड, देहरादून से ा त पशन ािधकारो क जॉच करगे।<br />

(5)- लेखाकार (पशन) यह यान रखगे क िनदेशक/अपर िनदेशक, लेखा एवं हकदार उ तराख ड,<br />

देहरादून, उप महालेखाकार/वर ठ लेखािधकार/ लेखािधकार, महालेखाकार उ तराख ड, देहरादून तथा<br />

चतुथ ेणी के पशन ािधकार हेतु कायालया य एवं आहरण वतरण अिधकार के माणत नमूना<br />

ह ताखर क गाड फाइल अयाविधकर रखगे। पशन ािधकर प ा त होने पर अिभलेखो म उपल ध<br />

माियणत नमूना ह तार से उनका िमलान कर आगामी कायवाह करगे। अिभलेखो म माणत<br />

नमूना ह तार न होने पर स बधत ािधकार को माणत नमूना ह तार भेजने हेतु त काल<br />

प भजेगे।<br />

(6)- लेखाकार (पशन) यह यान रखगे क पशन भुगतानादेश होने पर 15 दन के अ दर पशन को<br />

कोषागार म पेशन भुगतान ा त करने हेतु प ारा सूिचत करगे क पशन भुगतान करने हेतु कसी


23<br />

भी काय दवस म, उनके नाम पशन भुगतानादेश क पृ ठांकत ित, आहरण वतरण अिधकार ारा<br />

िनगत अनतम पशन एवं अनतम सेवा िनवृ/मृ यु आनुतोषक भुगतान माण प, रा टयकृ त<br />

बक म एकल नाम से खुले बचत बक खाते क पास बुक तथा दो गवाह जोक सरकार कमचार<br />

अथवा पशनर हो के साथ उपथत ह।<br />

(7)- लेखाकार (पशन) यह यान रखगे क पशनर के थम भुगतान हेतु उपथत होने पर िनधारत फाम-<br />

एक को भरवाकर, सम त औपचारकताय पूण कर पशनर को कोषािधकार के सम आव यक<br />

कायवाह हेतु सम त अिभलेखो सहत लेकर जाय।<br />

(8)- व तीय ह त पुतका ख ड-पॉच भाग-दो के अ याय-21 के तर-514 अनुसार पशन का भुगतान<br />

लेने के िलये पशन भोगी क पहली उपथित के समय कोषािधकार पशन भुगतान आदेश के कले टर<br />

वाले अभाग के त भ ‘िनवास थान’ म ऐसे अितर त ववरण अंकत कर लेगा, जो उसक<br />

अनुवत अनुपथितय के समय उसक सहज िशना त को सुिनत कर सक । उसी कार ित<br />

कये गये पते म आवप यकतानुसार समय-समय पर परवतन भी जानने तथा उसे अंकत कये जाने<br />

के स ब ध म भी कदम उठाये जाने चाहय।<br />

(9)- व तीय ह त पुतका ख ड-पॉच भाग-दो के अ याय -21 के तर-515 के अनुसार पशन भुगतान<br />

का दावा करने वाले कसी पशन भोगी क उपथित पर वतरण अिधकार ारा उसे यैक िचन क<br />

जांच कर ली जानी चाहये और रसीद के ह तार का िमलान मूल भुगतान आदेश पर िचपकाये गये<br />

ितकृ ित (नमूना) ह तार से कर लेना चाहय। यद कोई पशन भोगी अपने ह तार न कर सकता<br />

हो तो रसीद पर उसके अगूठे के िनशान को पशन भुगतानादेश के कले टर वाले अ भाग पर पहले<br />

से िलये गये मूल िनशान से िमला लेना चाहये। सवथम पशन लेने वाले पशन भोगी से यह भी<br />

अपेा क जानी चाहये क वह उस आदेश क ितिलप तुत कर, जसम उसे अपनी पशन क<br />

वीकृ ित सूिचत क गयी ह।<br />

(10)- व तीय ह त पुतका ख ड-पॉच भाग-दो के अ याय-21 के तर-516 के अनुसार सावजिनक प<br />

से उपथत न होने वाली महलाओं को पशन का भुगतान करने म वशेष धोखे क जोखम रहती ह।<br />

अत: इन मामलो म िशना त के वषय म वशेष यान रखना चाहय। ऐसी महलाओं क<br />

ववरणा मक पंजयॉ, जब वह मूलत:तैयार क जाय तथा इन8के लगातार जीवत रहने के सामियक<br />

माण-प क उस नगर, गॉव तथा परगने के दो यय ारा माणत कये जाने चाहय।<br />

(11)- लेखाकार (पशन) यह यान रखगे क माह नव बर म जीवन कालीन माण प एवं सेवायोजन न<br />

करने का का माण प हेतु पशनर के कोषागार म उपथत होने पर फाम-8(1) एवं फाम-8(2) म<br />

सम त औपचारकताय पूण करवाकर पशनर को लेकर कोषािधकार के सम उपथत हगे।<br />

(12)- लेखाकार (पशन) यह यान रखगे क माह नव बर म जीवन कालीन माण प एवं सेवायोजन न<br />

करने का माण प पशनर ारा दये जाने पर पशन जाती रह तथा बाद म पता लगता ह क पशनर<br />

क मृ यु हो गयी ह तो अिधक भेजी गयी पशन को बक से चैक/बक डापट ारा मंगवाकर त काल<br />

ाि के सुसंगत लेखा शीषक म जमा करायगे। नािमत य/वारस को जीवन कालीन अवशेष<br />

भुगतान करगे।<br />

(13)- संवािनवृ त अिधकारय/कमचारय के िचक सा यय हेतु ितपूित ा त होने पर उसका देयक<br />

तुत कर भुगतान कर।


24<br />

लेखा अनुभाग के ा तीय आय एवं ा तीय यय के लेखाकार/सहायक लेखाकार के हेतु कतव ्य एवं दािय व<br />

िन न कार ह:-<br />

(1)- भार/कै श बुक हो डर ा तीय यय सहायक कोषािधकार (ब स एवं चै स) से ा त बल को<br />

मु य लेखा शीषक वार छॉटकर, लेखा पु तांकत हेतु लेखाकार/सहायक लेखाकार को दगे। इसी कार<br />

उपकोषागार से ा त दैिनक लेखा पु तांकन हेतु दया जायेगा।<br />

(2)- भार/कै श बुक हो डर ा तीय आय बक से ा त लेखा को कोल से िमलान करके , ा त चालान<br />

को मु य लेखा शीषक बार छांटकर, लेखा पुसतांकन हेतु लेखाकार/सहायक लेखाकार को दगे। इसी<br />

कार उपकोषागार से ा त दैिनक लेखा पुसतांकन हेतु दया जायेगा।<br />

(3)- भार/कै श बुक हो डर से ा त लेखा को स बधत लेखाकार/ सहायक लेखाकार क यूटर म उप<br />

मु य लेखा शीषक, लघु शीषक, उप शीषक, यौरे वार लेखा तांकत कर क यूटर से क चा िचठा<br />

का ट िनकाल कर उसक हाड कापी भार/कै श बुक हो डर को उपल ध करायगे, भार/कै श<br />

हो डर उसका िमलान कर, उसके आधार पर कै श बुक तैयार करगे।<br />

(4)- भार/कै श बुक हो डर ा तीय यय येक माह 1से 10 तारख तक के लेखा ब द करके िनधारत<br />

दनांक को महालेखाकार, उ तराख ड, देहरादून को ेषत करगे।<br />

(5)- भार/कै श बुक हो डर ा तीय यय येक माह 11 से अतम काय दवस तक के लेखा ब द<br />

करक िनधारत दनांक को महालेखाकार, उ तराख ड, देहरादून को ेषत करगे। इसी कार<br />

भार/कै श बुक हो डर ा तीय आय येक माह 1 से अतम काय दवस तक के लेखा ब द करक<br />

िनधारत दनांक को महालेखाकार, उ तराख ड, देहरादून को ेषत करगे।<br />

(6)- लेखाकार/सहायक लेखाकार मािसक लेखा ब द के प चात ् मु य लेखा शीषक वार उप मु य लेखा<br />

शीषक, लघु शीषक, उप शीषक, यौरे वार सूचना लेखाकार (इनपुट) को व तीय सॉ यकय<br />

िनदेशालय, उ तराख ड, देहरादून को मािसक इनपुट ेषण हेतु उपल ध करायगे। लेखाकार (डपाजट)<br />

िनधारत दनांक पर मािसक इनपुट व तीय सॉ यकय िनदेशालय, उ तराख ड, देहरादून को ेषत<br />

करगे।<br />

किनष ्ट िलपक (डाक ेषण एवं ाि) के कत य एवं दािय व िन न कार ह:-<br />

(1)- किन ठ िलपक (डाक ेषण एवं ाि ) के कत य एवं दािय व ह क कायालय म ा त डाक पर<br />

कोषागार कायालय, देहरादून क मोहर अंकत कर, डाक पंजीकृ त/द ती/ स ्पीडपोस ्ट/<br />

बीमाकृ त/पासल ह, पर उस पर ाि का मा यम पर सह कर िनशान अंकत कर। यद ा त डाक<br />

पंजीकृ त/ पीडपो ट/बीमाकृ त/पासल ह, तो उस पर उसका न बर एवं दनांक अंकत कर।<br />

(2)- किन ठ िलपक (डाक ेषण एवं ाि) के कत य एवं दािय व ह क इसके प चात ् इ डै स रज टर<br />

म डाक अंकत कर उसका ं माम एवं दनांक प पर यथा थान अंकत कर। इसके प चात ् सहायक<br />

कोषािधकार (अिध ठान) को पृ ठांकन के िलये भजे। मु य कोषािधकार से डाक पर अंकत पृ ठांकन<br />

पर ह तार होने के प चात ् वापस आने पर प को उसी ं माक पर स बधत सहायक का नाम<br />

अंकत कर, उसे डाक ा त कराय।<br />

(3)- किन ठ िलपत (डाक ेषण एवं ाि) के कत य एवं दािय व ह क िनदेशक, लेखा एवं हकदार,


25<br />

उ तराख ड, देहरादून/महालेखाकार, उ तराख ड, देहरादून/कायालया य से चतुथ ेणी के ा त<br />

पशन भुगतानादेश, सेवािनवृ/मृ यु ै युट भुगतानादेश एवं रािशकरण भुगतानादेश को पशन पंजका<br />

म अंकत कर तथा उसका ववरण क यूटर म फड कर।<br />

(4)- किनष ्ठ िलपक (डाक ेषण एवं ाि) के कत य एवं दािय व ह क ‘जवाहर भवन पित’ एवं<br />

सरकार अिधकारय/कमचारय को समय से वेतन भुगतान तथा भावी लेखा णाली हेतु कोषागारो<br />

म ‘एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली’ के लेखाकार पशन एवं ब स से चैक ा त होते ह अनुसेवक<br />

से स बधत बक शाखा म जमा कराय।<br />

(5)- किन ठ िलपक (डाक ेषण एवं ाि) के कत य एवं दािय व ह क भेजे जाने वाली डाक को ेषण<br />

पंजका म दज कर आठ कलोमीटर क परधी के अ दर क डाक को अनुसेवक के मा यम से<br />

बॅअवाय तथा आठ कलोमीटर क परधी से बाहर क डाक को यथा पंजीकृ त/ पीडपो त/ साधारण<br />

डाक से भेज।<br />

(6)- किनष ्ठ िलपक (डाक ेषण एवं ाि) के कतव ्य एवं दािय व ह क ेषण पंजका से शासकय डाक<br />

टकट के अवशेष को ितदन सहायक कोषािधकार से स यापन कराय।<br />

लेखाकार (साख सीमा) के कत य एवं दािय व िन न कार ह:-<br />

(1)- व त िनयंक, लोक िनमाण वभाग/वन वभाग/िसंचाई/लघु िसंचाई/ामीण अिभय ण सेवा<br />

(ख ड)/जलागम<br />

ब ध िनदेशालय से ा त साख सीमा को शासनादेश सं या-615/ व0अनु0-<br />

3/2002, दनांक 13 नव बर 2002 के तर-7 के अनुसार लेखाकार (साख सीमा) का यह दािय व<br />

होगा तथा वे यह सुिनत करगे क साख सीमा का आंबटन ा त होते ह उसे वे स बधत बक को<br />

अिधकतम तीन काय दवस के अ दर अव य संसूिचत करगे। शासनादेश के तर-6(4) के अनुसार<br />

साख सीमा का उपयोग स बधत ैमास/व तीय वष म ह हो और कसी भी दशा म असका<br />

उ लघॅन न होने पाये, कसी भी दशा म एक ैमास म आंबटत साख सीमा के अवशेष का उपयोग<br />

उगले ैमास म बना शासन क पूव अनुमित के नहं कया जाय।<br />

(2)- लेखाकार (साखसीमा) यह यान रखगे क कसी भी ख ड को भारतीय टेट बक म संसूिचत साख<br />

सीमा के अवशेष से अिधक भुगतान न होने पाये। भुगतान अिधकता क थित म तकाल<br />

स बधत ख ड के भुगतान ब द कराने से स बधत कायवाह करगे।<br />

(3)- लेखाकार (साखसीमा) यह यान रखगे क येक माह के थम स ताह म लोक िनमाण वभाग/वन<br />

वभाग/िसंचाई/लघु िसंचाई/ामीण अिभय ण सेवा (ख ड)/जलागम ब ध िनदेशालय को पास<br />

बुक एवं सी0ट0आर0 ेषत करगे।<br />

(4)- लेखाकार (साखसीमा) यह यान रखगे क येक माह क 18 तारख को लोक िनमाण वभाग/वन<br />

वभाग/िसचाई/लघु िसंचाई/ामीण अिभय ण सेवा (ख ड)/जलागम ब ध िनदेशालय के ख डय<br />

लेखाकार/कै िशयर कोषागार देहरादून म र ंसीईलेशन (समाशोधन) हेतु कोषागार म बैठक म उपथत<br />

होते ह। र ंसीईलेशन (समाशोधन) हेतु येक माह क 18 तारख को बैठक म उपथित न होने पर<br />

स बधत ख ड के भुगतान रोकने क कायवाह करगे।<br />

(5)- लेखाकार (साखसीमा) यह यान रखगे क शासनादेश सं या-ए-2-47/दस-10(9)/95, दनांक 03


26<br />

माच 1997 के तर-3 के अनुसार साख सीमा व तीय वष क समाि पर यपगत मानी जायेगी।<br />

साख सीमा जस व तीय वष म जार क गयी ह, कोई ऐसी चैक जो वष के समाि के पहले काट<br />

गयी हो लेकन उसका भुगतान बाद म कया गया हो, तो उसे चैक को उसी वष क साख सीमा के<br />

सम काटा गया समझा जायेगा, जस वष के िलये वह साख सीमा ह। इस कार यद साख सीमा से<br />

अिधक पया िनकल िलया गया हो तो यह अितर त रािश ओवर डापट मानी जायेगी और स बधत<br />

ख ड के अिधकार इस व तीय अिनयिमतता के िलये यगत प से उ तरादायी माने जायगे।<br />

(6)- लेखाकार (साख सीमा) यह यान रखगे क शासनादेश सं या-ए’-2-47/दस-10(9)/95, दनांक 03<br />

माच 1997 के तर-4 के अनुसार डपाजट काय के िलये ा त धनरािश जमा साख सीमा<br />

(ड0सी0एल0) कहलायेगी। लोक िनमाण वभाग/िसंचाई/वन/लघु िसंचाई/ामीण अिभयंण सेवा<br />

(ख ड)/जलागम ब धक िनदेशालय ारा डपाजट काय के िलये ा त धनरािश अपने वभाग के<br />

सुसंगत ‘वक् स डपाजट लेखाशीषक’ म ाि लेकर स बधत कोषागार म लेखाशीषक ‘8782-<br />

रेिमटे स’ म चालान के मा यम से जमा क जायेगी। स बधत अधीण अिभय ता/वन<br />

सरंक/िनदेशक जलागम ब ध स बधत कोषािधकार को जमा साखसीमा जार करने के साथ<br />

जमा करने वाली स ंथा का नाम, काय का ववरण, जमा धनरािश, जमा करने क ितिथ, लेखाशीषक<br />

एवं चालान सं या स बधत ववरण उपल ध करायगे। जमा साख सीमा जार करने से पूव अधीण<br />

अिभय ता/वन सरंक/िनदेशक जलागम ब ध से ा त सूचना के आधार पर, जमा धनरािश का<br />

स यापन अपने अिभलेख से करने एवं इस आशय क ित करने के बाद ह जमा साख सीमा का<br />

ािधकार प भारतीय टेट बक क स बधत शाखा को जार करगे।<br />

(7)- लेखाकार (साखसीमा) यह यान रखगे क शासनादेश सं या-ए’-2-47/दस-10(9)/95, दनांक 03<br />

माच 1997 के तर-5 के अनुसार जमा साख सीमा व तीय वष क समाि पर ययगत नहं होगी<br />

अपतु अगले व तीय वष म अवशेष धनरािश को अेनीत क जायेगी।<br />

(8)- लेखाकार (साखसीमा) यह यान रखगे क शासनादेश सं या-ए-2-47/दस-10(9)/95, दनांक 03<br />

माच 1997 के तर-6 के अनुसार साख सीमा एवं जमा साख सीमा क धनरािश का एक दूसरे म<br />

अ तरण कसी भी दशा म नहं कया जायेगा। साख सीमा एवं जमा साख सीमा का अलग-अलग<br />

लेखा प-11 म कोषागार म रखा जायेगा।<br />

(9)- लेखाकार (साखसीमा) यह यान रखगे क शासनादेश सं या-ए-2-47/दस-10(9)/95, दनांक 03<br />

माच 1997 के तर-8 के अनुसार लोक िनमाण वभाग/िसंचाई/वन/लघु िसंचाइ/ामीण अिभयंण<br />

सेवा (ख ड) / जलागम ब ध िनदेशालय ारा डपाजट काय हेतु ा त धनरािश के साथ-साथ<br />

वभागीय राज व ािय को लेखा शीषक ‘8782-रेिमटे स’ के अ तगत कोषागार म जमा कया<br />

जाता ह। वभाग डपाजट काय के िलये ािय तथा अ या ािय को लेखा शीषक ‘8782-<br />

रेिमटे स’ के उप शीषक म पृथक-पृथक जमा कर। डपाजट काय के िल ◌े ािय क ह जमा साख<br />

सीमा जार क जायेगी। अ य ािय क जमा साख सीमा नहं जार क जायेगी।


27<br />

लेखाकार (अिभलेखागार) के कत य एवं दािय व िन न कार ह:-<br />

(1)- लेखाकार (अिभलेखागार) का यह कत य एवं दािय व ह क ा तीय आय क चालान एवे<br />

उपकोषागार से ा त होने वाले लेख के दैिनक याहा को ितदन का मुठा िसलवाकर माहवार<br />

ब त म बंधवाकर अिभलेखागार म रखगे। ब ते का उपर स बधत माह एवं वष का नाम प ट<br />

अर म िलखगे।<br />

(2)- लेखाकार (अिभलेखागार) का यह कत य एवं दािय व ह क अिभलेखागार म रज टर आफ रज टर<br />

तथा वीडंग रज टर, को अयाविधक रखगे।<br />

(3)- लेखाकर (अिभलेखागार) का यह कत य एवं दािय व ह क व तीय ह त पुतका ख ड-पॉच भाग-दो<br />

के तर-1514 के अनुसार येक वष माह जनवर म वीडंग कये जाने वाले अिभलेख क वीडंग<br />

स ब धी कायवाह करगे।<br />

(4)- लेखाकार (अिभलेखागार) का यह कत य एवं दािय व ह क अिभलेखागार म रखे जाने वाले अिभलेख<br />

को रै स म सु यवथत रखवायगे।<br />

(5)- लेखाकार (अिभलेखागार) का यह कत य एवं दािय व ह क कसी अिभलेख क मॉग प ारा मॉग<br />

कये जाने पर उसे त काल उपल ध करायगे।<br />

लेखागार (अिध ठान) के कत य एवं दािय व िन न कार ह:-<br />

(1)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क बजट मैनुअल के अनुसार िनदेशक कोषागार<br />

एवं व त सेवाय, उ तराख ड, देहरादून को मािसक बी0एम0-7 एवं बी0एम0-8, चालू व तीय वष का<br />

15 नव बर, 25 जनवर तथा 25 माच को भेजे जाने वाला ययािध य तथा आगामी व तीय वष का<br />

अनुमािनत बजट 15 अ टूबर तक भेज।<br />

(2)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क व तीय ह त पुतका ख ड-पॉच भग-एक<br />

के अ याय-8 के तर-173 के अनुसार ाप सं या-13 पर क टजै सी रज टर रखगे।<br />

(3)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क कायालय योगाथ क जाने वाली सामिय<br />

क खरददार से पूव िनयम सॅह, व तीय ह त पुतका एवं शासनादेशानुसार सम त<br />

औपचारकताय, कोटेशन एवं टै डर स ब धी कया पूण कराय।<br />

(4)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क अवकाश याा सुवधा अिमा, याा अिम,<br />

वेतन अिम जो भी आहरत कये जाय, उनका समायोजन चालू व तीय वष म वल बत 31 माच<br />

तक हो जाय।<br />

(5)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय,<br />

उ तराख ड, देहरादून से ा त बजट के अ तगत ह यय कया जाय।<br />

(6)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क िनदेशक, कोषागार एवं व त सवाय,<br />

उ तराख ड, देहरादून को अितर त धनरािश के आवंटन हेतु औिच य सहत ताव भेजे।<br />

(7)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क व तीय ह त पुतका ख ड-पॉच भाग-एक<br />

के तर-119 के अनुसार याा बल चैक पंजका रख रखाव करगे।<br />

(8)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व है क क यूटर टेशनर तथा सामा य टेशनर के


28<br />

टाक पंजी म ाि तथा िनगमन क अयाविधक व कर।<br />

(9)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क जनरेटर लाग बुक, टेलीफोन पंजका, अ य<br />

उपकरण क लाग बुक पंजका का रख रखाव कर।<br />

(10)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय,<br />

उ तराख ड, देहरादून/िनदेशक लेखा एवं हकदार, उ तराख ड, देहरादून को अिध ठान से स बधत<br />

सम त रटनस िनधारत समयाविध म भेज।<br />

(11)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क सेवा िनवृ त होने वाले<br />

अिधकारय/कमचारय के पशन करण/सामा य भव य िनवाह िनिध भुगतान स ब धी सम त<br />

कायवाह समयानुसार कर।<br />

(12)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क अिधकारय/कमचारय का सले शन ेड के<br />

प म एक वेतन वृ अथवा ौ नित का अगला वेतनमान देय होते ह त काल तान सहायक<br />

कोषािधकार/मु य कोषािधकार के स मुख रख।<br />

(13)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह अिधकारय/कमचारय क सेवापुतका म सेवा<br />

का वाषक स यापन, अजत अवकाश व, वेतन िनधारण/देय अयाविधक वेतन वृ, अिधकार/<br />

कमचार के यगत ववरण, सेवा पुतका के अ य आव यक ववरण, सामा य भव य िनवाह<br />

िनिध/सामूहक बीमा योजना/ै युट/ पारवारक पशन के नॉमाकन ह।<br />

(14)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क अिधकारय/कमचारय क सामा य भव य<br />

िनवाह िनिध क पास बुक म अयाविधक अिभदान एवं अिगम क वापसी क अयाविधक ित<br />

कर। अिम लेने क थित म उसक व िनधारत त भ म कर। व तीय वष क समाि पर<br />

उसक लेखा ब द कर।<br />

(15)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क महालेखाकार, उ तराख ड, देहरादून से ा त<br />

सामन य भव य िनवाह िनिध क लेखा पच म पास बुक के अनुसार अ तर ह, तो उसके समायोजन<br />

के िलये महालेखाकार, उ तराख ड, देहरादून से पाचार कर।<br />

(16)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क महालेखाकार, उ तराख ड, देहरादून ारा<br />

कये गये िनरण ट पणीय का िनधारत पंजी पर ववरण अंकत कर।<br />

(17)- लेखकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क माननीय उ च यायालय, उ तराख ड,<br />

देहरादून/माननीय लोक सेवा अिधकरण, उ तराख ड, देहरादून/माननीय यायालाय म दायर वाद क<br />

भावी पैरवी कर। यािचका ा त होते ह उसका तरवार नरेटव तैयार कर, िनदेशक, कोषागार एवं<br />

व त सेवाय, उ तराख ड, देहरादून के मा यम से सिचव, याय एवं विध परामश, उ तराख ड,<br />

देहरादून से ितशपथ दाखल करने हेतु अनुमित ा त कर ितशपथ दाखल करने स ब धी कायवाह<br />

कर। पंजका म दायर वाद म पैरवी कर उसक दनांक वार गित अंकत कर।<br />

(18)- लेखाकार (अिध ठान) का यह कत य एवं दािय व ह क शासनादेश/महालेखाकार, उ तराख ड,<br />

देहरादून के परप/िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय, उ तराख ड, देहरादून के परप क अलग-<br />

अलग गाड फाइल बनाय।


29<br />

अनुसेवक:-<br />

कायालय म िनयु त अनुसेवक कायालय खुलने के िनयत समय से आधा घ टा पूव आकर कायालय<br />

खोले, मेज, कु िसया, अ मारयॉ, क यूटर क आद क सफाई कर। कायालय म पानी पीने क यव था<br />

करे। कायालय काकर क सफाई करके उसे सुरत रख। बैठक आद के अवसर पर चाय/सु म जलपान को<br />

यवथत ढॅग से वतरत करे। लेखाकर ब स एवं पशन के रज टर, ब स, प-4 सहायक कोषािधकार<br />

के स मुख जॉच हेतु रख, सहायक कोषािधकार के जांच के प चात ् उसे कोषािधकार के स मुख ह तार हेतु<br />

रखे। कोषािधकार के ह तार के प चात लेखाकर (चै स) को चैक बनाने हेतु समसत अिभलेख दगे।<br />

लेखाकार (चै स) ारा चैक बनाने के प चात, चैक सहत सम त अिभलेख को लेखाकार ब स अथवा पशन<br />

को उपल ध करायगे। अनुसेवक को जो भी मौखक आदेश दये जाय उसका त काल अनुपालन कर। कायालय<br />

म िनहत सम त सामान क समुिचत देख-भाल अनुसेवक ारा क जायेगी, कसी कार क गडबड होने पर<br />

उसक त काल स बधत सहायक व अिधकार को सूचना देगा।<br />

कोषागार कायालय के अिधकारय/कमचारय क शाय और कत य<br />

शासनादेश सं या-एस-3-2375/दस-34(68)/87, दनांक 08 िसत बर 1998 के ारा कोषागार<br />

शासन को अ◌ा◌क गितमान बनाने हेतु व तीय ह वत पुतका ख ड-पॉच भाग-एक के अ याय-दो के<br />

तर-12 (ड) के अनुसार कोषागार के वर ठम कोषािधकार को कायालया य घोषत कया गया ह।<br />

शासनादेश सं या-ए-2-970/दस-94-24(7)/95, दनांक 28 जून 1996 तथा व तीय िनयम ख ड-<br />

एक के तर-19,29,31 एवं 34 के अनुसार कायालया य विभ न अिधकार ा त ह।<br />

सामी य करना:-<br />

शासनादेश सं या-ए-1-2088/दस-96-15(1)/86, दनांक 24 अ टूबर 1996 के ारा व तीय िनयम<br />

सॅह ख ड-पॉच भाग-एक के परिश ट-उ नीस के िनयम-4 म िनधारत पय 500-00 (पय पॉच सौ मा)<br />

क सीमा को बढाकर पय 2,500-00 (पय दो हजार पॉच सौ मा) कर दया गया ह तथा िनयम-9 म<br />

िनधारत सीमा म िनधारत पय 5,000-00 (पय पॉच हजार मा) क सीमा को बढाकर पय 15,000-00<br />

(पय प ह हजार मा) कर दया गया ह।<br />

सम त कायालय उपयोगी व तुये समसत मैनुअल, व तीय ह त पुतका एवं शासनादेश का<br />

अनुपालन कर य क जाती ह। शासनादेश सं या-एस-3-499/दस-34(68)/87, दनांक 05 फरवर 1988 के<br />

अ तगत जले के वर ठ कोषािधकार/कोषिधकार (जैसी थित हो) म कोषागार स ब धी सम त यय हेतु<br />

आहरण वतरण घोषत कया गया था। भारतीय टेट बग से ा त ा तीय आय/ यय का लेखा मु यच<br />

लेखा शीषक, उप मु य लेखा शीक, लघु शीषक, उप शीषक, यौरेवार शीषक वार लेखा पु तांकत कया<br />

जाता ह। उपकोषागार से ा त दैिनक लेखा को पु तांकत लेखे के साथ संकिलत कर, लेखे को माह म दो<br />

बार कायालय महालेखाकार, उ तराख ड, देहरादून को वशेष वाहक के मा यम से भेजा जाता ह।<br />

माह म एक बार ा तीय आय ा तीय यय एवं पशन का मािसक इनपुट को व तीय सॉ यकय<br />

िनदेशालय, उ तराख ड, देहरादून को वशेष वाहक के मा यम से भेजा जाता ह। विभ न व तीय िनयम<br />

सॅह, व तीय िनयमो तथा सेवा स ब धी िनयम म द त अिधकार के अधीन कोषागार अिध ठान के


30<br />

अिधकारय/कमचारय का वेतन, अवकाश वीकृ ित, याा देयक, थाना तरण याा देयक, अवकाश याा<br />

सुवधा, विभ न अिमो स ब धी देयक को आहरत, वािछत कायवाह तथा आदेश पारत करना।<br />

कोषागार कायालय के लोक ािधकार अथवा उसके किमय ारा अपने कृ य के िनवहन के िलये धारत तथा<br />

योग कये जाने वाले िनयम, विनयम, अनुदेश, िनदिशका और अिभलेख क सूचना।<br />

शासनादेश सं या-ए-1-3587/दस-10(28)/72, दनांक 12 िसत बर 1984 के अ तगत पूववत उ तर<br />

देश रा य के दस कोषागार के साथ कोषागार देहरादून म भी दनांक 01 फरवर 1985 से चैक णाली लागू<br />

क गयी थी। शासनादेश सं या-ए-1-1069/दस-10(28)/72, दनांक 17 जून 1989 के ारा पूव से लागू चैक<br />

णाली के थान पर दनांक 01 िसत बर 1989 से ‘सरलीकृ त चैक णाली’ लागू क गयी थी। कोषागार म<br />

तुत देयक को पारण कर उनके थान पर कोषागार से व त ह त पुतका ख ड-पॉच भाग-एक के<br />

अ याय के तर-45 घ के अ तगत ‘नान7 िनगोिशयेबल चैक’ िनगत कये जाते ह। तसमय िनदेशक,<br />

मुण एवं लेखन सामी, उ तर देश, इलाहाबाद से मांग प के आधार पर चैक स पूित क जाती थी।<br />

वतमान म दनांक 01 अैल 2002 से कोषागारो म ‘माइकर का टिनवस टेशनर चैक’ योग म लाये जा<br />

रहे ह। िनदेशक, कोषागार एवं वत, सेवाय, उ तराख ड, देहरादून के स पूित आदेश पर माइकर का टिनस<br />

टेशनर चैक क स पूित मै0 साई िस योरट टर िलिमटेड, सी-40 ओखला औधोिगक े, फे ज-02,<br />

नयी द ली से कोषागार देहरादून को क जाती ह। उ तराख ड के 20 कोषागारो को माइकर का टिनस<br />

टेशनर चैक स पूित उनके मॉग प के आधार पर कोषागार देहरादून से क जाती ह।<br />

शासनादेश सं या-ए-1-1680/दस-2001-10(23)/95, दनांक 19 जुलाई 2001 सपठत शासनादेश<br />

सं या-165/व0अनु0-04/2001, दनांक 10 जनवर 2002 तथा िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय,<br />

उ तराख ड, देहरादून के परप सं या-1304/21(15)/ाव0/िन0को0व0से0/2003, दनांक 19 िसत बर<br />

2003 कोषागारो से पशन ा त कर रहे विभ न ेणी के पशनरो को ‘जवाहर भवन पित’ के अ तगत<br />

उनके बैक म खुले एकल खाते म पेशन/पारवारक पशन जमा करने हेतु पशन के चैक येक माह दन 25<br />

से 28 तारख तक स बधत बक क शाखा को ा त कराये जाते ह, जससे पशन भोगी के खाते म<br />

वल बतम अगले माह क पहली तारख तक देय धनरािश स बधत खाते म जमा हो जाय। व तीय वष के<br />

आर भ म वगत वष का पशनर को भुगतािनत रािश का ववरण उपल ध कराया जाता ह। पशनरो क पशन<br />

पुनरत एवं संशोिधत होने पर देय अवशेष पशन को आगणत करके सीधे उनके बको म खुले बचत खाते<br />

म जमा करने हेतु चैक स बधत बक क शाखा को ा त कराये जाते ह।<br />

पशनरो के थम भुगतान हेतु पशन प होने पर तकाल उसक सूचना स बिघत पशनर को ा त<br />

पशन/सेवािनव/मृ यु आनुतोषक/रािशकरण भुगतानादेश के आधार पर भुगतान ा त करने हेतु कोषागार<br />

म यथावािछत पो/औपचारकताओं सहत कोषागार म भुगतान ा त करने के िलये कसी भी काय दवस<br />

म उपथत होने हेतु अनुरोध कया जाता ह।<br />

शासनादेश संख ्या-1088/सताईस (3)प0/2004, दनांक 26 अग त 2004 के अनुसार व तीय ह त<br />

पुतका ख ड-पॉच भाग-दो के तर-518 के अ तगत कोषागार से अपनी पशन ाप ्त करने वाले सभी<br />

पशनर त ्येक वष नव बर माह म 20 तारख तक अपना जीवन कालीन माण प एवं सेवायोजन न करने<br />

का माण प हेतु कोषागार म मु य कोषािधकार/ कोषािधकार के सम उपथत होते ह। जीवन कालीन


31<br />

माण प एवं सेवायोजन न करने का माण प उपकोषािधकार/स बधत बक के सहायक<br />

महाब धक/शाखा ब धक (जहॉ से पशनर अपनी पशन ाप ्त कर रहे ह) के सम उपथत होकर भी दे<br />

सकते ह।<br />

शासनादेश सं या-बी-2-2337/दस-97, दनांक 21 नव बर 1997 तथा अपर िनदेशक, व तीय<br />

सॉ यक िनदेशालय, उ तर देश, लखनऊ के परप सं या-क यूटर/125/97/8935, दनांक 29 दस बर<br />

1997 म िनहत या के अनुवसार वभागा य/बजट िनयंक अिधकारय से आहरण वतरण<br />

अिधकारय को ा त बजट एवं उसके सापे हुये यय का योजनावार बजट साह य के अनुदान सं या,<br />

मु य लेखा शीषक, उपमु या शीषक, लघु शीषक, उप शीषक, यौरेवार शीषक एवं मानक मद के अनुसार<br />

रखरखाव कोषागार के क यूटर म कया जा रहा है। जससे बजट साह य म दशये गये तर का सह एवं<br />

शतितशत िमलान हो रहा ह।<br />

कोषागार से स बधत आहरण वतरण अिधकारय को अनुदान सं या, मु य लेखा शीषक, उपमु य<br />

शीषक, लघु शीषक, उप शीषक, यौरेवार शीषक एवं मानक मद के अनुसार उनके माह आहरत धनरािशय का<br />

ड0ड0ओ0 र साईलेशन ववरण प आगामी माह म थम स ताह म स यापन हेतु तीन ितयो म िनगत<br />

कया जाता ह, जसम स यापन के प चात ् स बधत आहरण वतरण अिधकार ारा कोषागार को वापस<br />

क जाती ह, एक ित वभागा य/बजट िनयंक अिधकार को भेजी जाती ह तथा एक ित आहरण वतरण<br />

अिधकार ारा कायालय ित के प म कायालयािभख म लेखा स परा एवं िनरण तथा बजट मैनुअल म<br />

िनधारत पो को ेषण हेतु रखी जाती है।<br />

शासनादेश संख ्या-235/21/व0 अनु0-1/2001, दनांक 06 दस बर 2001 ारा उ तराचंल रा य के<br />

कोषागार म लाईनै स फा स ो ‘एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली’ लागू क गयी थी, जसम जनपद के<br />

सम त अिधकारय/कमचारय का आहरण वतरण अिधकारय से प-एक पर ा त सूचना के आधार पर<br />

डाटा बेस तैयार कर, वेतन उनके बक म खुले एकल बचत खाते म जमा कया जा रहा ह। आहरण वतरण<br />

अिधकारय को मािसम पै-रोल, बक एडवाइस, अिनवाय कटौितय/वसूिलय के शैयू स उपल ध कराये जाते<br />

ह। अिधकारय/ कमचारय को आहरण वतरण अिधकारय के मा यम से उनक वेतन पच ितमाह<br />

उपल ध करायी जाती है।<br />

शासनादेश सं या-235/व0अनु0-1/2001, दनांक 06 दस बर 2001 के तर-1 के अनुसार आहरण<br />

वतरण अिधकार घोषत कया गया ह। वभागीय आहरण वतरण अिधकार के मा यम से कायालया य<br />

ारा ा त प-1 के अनुसार भुगतान एवं लेखा णाली हेतु नविनयु त/ थाना तरत होकर आये<br />

अिधकार/कमचार के स ब ध म थम बार ा त सूचना के आधार पर अिधकार/कमचार का वेतन आहरत<br />

करने एवं तर-7(अ) के अनुसार कायालया य/वभागीय आहरण वतरण अिधकार ारा ितमाह कोषागार<br />

को 20 से 23 तारख के म य वेतन अथवा तस ब धी भ त म होने वाले परवतन तथा उपथित<br />

िनल बन/ सेवािनवृ/ थाना तरण/कटौितय/ क त क सं या आद क यथाव यक सूचना िनधारत<br />

प-2(1) म ा त होने पर उनम यथा संशोधन कर अिधकारय/कमचारय के वेतन स ब धी चैक<br />

शासनादेश के तर-10 के अनुसार उनके बक म खुले एकल खातो म जमा कराया जा रहा ह।<br />

शासनादेश सं या-340/सताईस(5)/ टा प/2004, दनांक 18 नव बर 2004 एवं िनदेशक, कोषागार<br />

एवं व त सवाय, उ तराख ड, देहरादून के परप संख ्या- 1628/21 (11) (ग)/ टा प/ ाव0/ िन0को0


32<br />

व0से0/ 2004, दनांक 02 दस बर 2004 के ारा कोषागार देहरादून को उप िनयंक, के य मुॉक<br />

डपो, नािसक रोड तथा महा ब धक, िस योरट टग ेस, हैदराबाद से टा प आपूित ा त करने हेतु<br />

नोडल टा प डपो नािमत कया गया था। देश के 20 कोषागारो से टा प मॉग प को संकिलत कर नोडल<br />

टा प डपो ारा उप िनयंक, के य मुॉक डपो, नािसक रोड तथा महा ब धक, िस योरट टग ेस<br />

हैदराबाद से टा प आपूित ा त कर, देश के 20 कोषागारो को टा प क स पूित क जाती ह।<br />

कोषागार से टा प ब येक काय दवस माह क 10 तारख, अतम काय दवस एवं शिनवार<br />

को छोडकर ात: 10:00 बजे से अपराहन 2:00 बजे तक क जाती ह। माह क 10 तारख, अतम काय<br />

दवस एवं शिनवार को ात:11:00 बजे तक क टा प ब क जाती ह। लाईसे स टा प वै डरो को के वल<br />

सोमवार एवं गुवार को ह टा प ब क जाती ह।<br />

शासनादेश सं या-बीमा-768/दस-99/61/ए/99, दनांक 16 जुलाई 1999 के ारा रा य कमचार<br />

सामूहक बीमा एवं बचत योजना के अ तगत भुगतान कया का वके करण कर दनांक 01 अ टूबर 1999<br />

से सेवािनवृ त अथवा मृतक अिधकार/कमचार के सामूहक बीमा योजना के दावे का भुगतान कोषागार के<br />

मा यम से कया जा रहा ह। पूववत शासनादेश सं या-बीमा-2084/दस-87-10/1987, दनांक 31 जुलाई<br />

1987 के अनुसार संवािनवृ त अथवा सेवा से अ यथा पृथक होने वाले रा य सरकार के<br />

अिधकारय/कचारय के सामूहक बीमा योजना स ब धी दाव का िनधारत ाप पर जी0आई0एस0<br />

फाम-26 एवं मृत अिधकार/कमचार के करण म जी0आई0एस0 फाम सं या-27 पर आहरण वतरण<br />

अिधकार ारा दावा कोषागार को ेषत कया जाता ह। कोषागार से आहरण वतरण अिधकार को<br />

जी0आई0एस0 फाम-29 पर ािधकार प िनगत कया जाता ह, जसके आधार पर आहरण वतरण अिधकार<br />

सामा य देयक प पर बल बनाकर कोषागार म तुत कया जाता है। कोषागार से लाभाथ के नाम<br />

एकाउ ट पेयी चैक िनगत कया जाता है।<br />

शासनादेश सं या-1455/कािमक-2/2004, दनांक 31 अग त 2001 सपठत शासनादेश सं या-<br />

392/कािमक-2/2004, दनांक 09 माच 2004 के अनुसार पदौ नित म आरण नीित को लागू करने के<br />

िलय आरण वषयक रो टर रखा जा रहा है।<br />

शासनादेश सं या-ए-1-3959/दस-3/1(6)/65, दनांक 23 जनवर 1986 सपठत सं0-ए-1-<br />

1162/दस/3/1(6)/65, दनांक 29 जुलाई 1998 के ारा शासन के व अवशेष दाव क पूव लेखा परा<br />

का काय महालेखाकार से हटाकर देश के वभागा य के कायालय म िनयु त व त एवं लेखा सेवा और<br />

सहायक लेखािधकार सेवा के वर ठतम अिधकारय को सौपॉ गया था। शासनादेश सं या-ए-1-2923/दस-<br />

3/1(6)/ 65, दनांक 18 िसत बर 1985 ारा शासन के व कालातीत अवशेष दाव क पूव लेखा परा<br />

का काय शासन के वभागा य के कायालय म िनयु त व त सेवा के वर ठतम अिधकार वववेकानुसार<br />

अपने कायालय म िनयु त कम से कम पॉच वष का अनुभव रखने वाले अपने स वग के कसी अिधकार को<br />

ािधकृ त कर सकते ह। शासन के व कालातीत देयक क वभागा य के कायालय से पूव लेखा परा<br />

होने पर आहरण वतरण अिधकार ारा तुत देयको एवं आदेश क व कोषागार म जंजका म अंकत<br />

क जा रह ह।<br />

शासनादेश सं या-806/कािमक-2-2002, दनांक 15 जून 2003 के ारा व तीय ह त पुतका<br />

ख ड-दो भाग-दो से चार के मूल िनयम-56 के अ तगत रा याधीन सरकार सेवको क अिधवषता आयु<br />

लोकहत म 58 वष के थान पर 60 वष क गयी ह।


33<br />

शासनादेश सं या-1844/कािमम-2-2002, दनांक 09 अैल 2003 के ारा राजकय कमचारय को<br />

45 वष क आयु पूण करने अथवा 20 वष क सेवा पूण करने के प चात ् वैछक सेवािनवृ के स ब ध म<br />

व तीय ह त पुतका ख ड-दो भाग-दो से चार के मूल िनयम-56 के अनुसार जस सरकार सेवक ने 45<br />

वष क आयु पूण कर ली है अथवा 20 वष क सेवा पूण कर ली ह वह िनयु ािधकार को 03 माह क<br />

नोटस देकर सेवािनवृ हो सकता ह। 03 माह क नोटस अविध पूण होने पर ह सरकार सेवा सेवा िनवृ<br />

होगा। व तीय ह त पुतका ख ड-दो भाग-दो से चार के मूल िनयम-56(ग) के अ तगत िनयु ािधकार<br />

चाहे तो वह सरकार सेवक को नोटस के बना या अ प अविध क नोटस पर नोटस के बदले म कसी<br />

शारत क भुगतान करने क अपेा कये बना सेवािनवृ होने क अनुा दे सकते ह।<br />

शासनादेश सं या-ए-1-78/दस-92-10(14)/85, दनांक 20 जनवर 1992 के ारा दनांक01अैल 92<br />

से देश के कोषागार म वतमान चिलत देयक पो के थान पर नये 6 देयक प लागू कये गये थे।<br />

सेवा िनवृ अिधकारय/कमचारय एवं पारवारक पशनरो के िचक सा यय हेतु ितपूित का<br />

भुगतान कोषागार म दावा ा त होने पर कया जाता है।<br />

शासनादेश सं या-ए-1-1482/दस-96-10(4)/95, दनांक 10 िसत बर 1996 के अ तगत<br />

सी0एस0आर0 के तर-956 के अनुसार ‘यद पशन का आहरण एक वष से अिधक और दो वष तक नहं<br />

कया गया ह, तो पशन वीकृ त करने वाले अिधकार क वीकृ ित के बना ह स बधत जलािधकार क<br />

अनुमित से दो वष तक के बकाया पशन क धनरािश का भुगतान एवं पशन आहरण पुन: कया जा सके गा,<br />

इसी कार यद पशन का आहरण दो वष से अिधकर और छ: वष तक नहं कया गया, स बधत<br />

म डलायु त क अनुमित से छ:वष तक के बकाया पशन के अवशेष धनरािश का भुगतान एवं पशन आहरण<br />

पुन: शु कया जा सके गा, उ त अविध छ: वष से उपर के पशन अवशेष भुगतान/पशन के पुनआहरण के<br />

करणो म शासन क वीकृ ित/आदेश ा त करने हगे।<br />

िनणय करने क कया (पयवेण एवं उ तरादािय व के तर सहत)<br />

कोषागार अिध ठान,म अिधकारय एवं कमचारय ारा जो अिधिनयम, िनयमावली, िनयंम सॅह,<br />

व तीय िनयम सॅह काय स पादत करने म योग लाये जाते ह, उनक सूची एवे सं त ववरण िन न<br />

कार है:-<br />

क0<br />

ववरण<br />

उपयोिगता स ब धी ववरण<br />

सं0<br />

1- वत ्तीय िनयम सॅह ख ड- वत ्तीय अिधकार का ितिनधायन स बधत पु तक।<br />

एक<br />

2- वत ्तीय ह त पुतका ख ड- मूल िनयम, सहायक िनयम, सेवा स ब धी, वेतन<br />

दो भाग दो से चार<br />

िनधारण, यैक एवं वशेष वेतन क वीकृ ित, आवासीय<br />

कराया का िनधारण तथा वसूली, ितिनयु, सेवा<br />

समाि, िनल बन, जीवन िनवाह भ ता, सेवािनवृ,<br />

अिधवषता आयु का िनधारण, िभ न-िभ न सेवाओं का<br />

वगकरण, मानदेय, शु क का भुगतान, विभ न कार के<br />

देय अवकाश, कायभार हण काल, बाहय सेवा,<br />

धारणािधकार, ितकर भ त।


34<br />

3- वत ्तीय िनयम सॅह<br />

ख ड-तीन<br />

4- वत ्तीय ह त पुतका<br />

ख ड-पॉच भाग-एक<br />

5- वत ्तीय ह त पुतका<br />

ख ड-पॉच भाग-दो<br />

याा भ ता िनयमावली, दैिनक भ ता, वाहन भ ता, अखत<br />

भारतीय सेवाय (याा भ ता) िनयमावली, सेवािनवृ एवं<br />

मृ यु के उपरा त क गयी याा, साधारण यााओं के िलये<br />

िनयम, याा भ ता के कार, सडक से याा करने हेतु मील<br />

भ ता, मु यालय से बाहर रहने के दौरान अव थान भ ता, दो<br />

पद धारक सरकार सेवक का याा भ ता, थायी मािसक<br />

भ त, थाना तरण पर क गयी याा, िशण पर जाने हेतु<br />

क गयी याा, जलािधकार के कायालय से रेलवे टेशन/बस<br />

टेशन क दूरय क तािलका, वाहन भ त क सूची, याा<br />

भ ता के िनिम त िनयंक अिधकार घोषत कये गये<br />

अिधकार, गैर सरकार यय एवं अंश कािलक सरकार<br />

सेवको को याा भ ता ।<br />

ािधकारय क सूची, जो लेखा िनयमावली के योजन के<br />

िलये वभागा य घोषत ह, लेखा स बधत सामा य<br />

िसा त तथा िनयम, राज व ाियॉ तथा उनक जॉच, वेतन<br />

तथा भ ता-सामा य िनयमावली, थापना, आकमक यय,<br />

कण भार, ऋण तथा अिम, सामान, िसवल काय, रख-<br />

रखाव तथा मर मत, तु छ काय (petty Works) काय का<br />

िन पादन, भारतीय रजव बक का वेषण, ाट का आहरण<br />

तथा भुनाना, िनेप, थानीय िनेप, सहायता अनुदान के<br />

िलये सामा य िनयम, सेवा तथा िनिध, लेखा िनयमावली<br />

इ याद के अनुपालन के िलये उ तरदािय व, परिश ट, लेखा<br />

स ब धी पो के ाप।<br />

कोषागार क सामा य कया, भारत सरकार के टेट बक क<br />

शाखा के साथ बग काय करने वाले कोषागार, पशन का<br />

भुगतान, िनेप, बल, ववध यय, वन वभाग, लोक िनमाण<br />

वभाग, िसंचाई वभाग, थानीय िनिधयॉ, कोषागार के काय<br />

के स ब ध म जलािधकार, कोषािधकार, सहायक<br />

कोषािधकार, सहायक कोषािधकार (रोकड), लेखाकार के<br />

कत य एवं उ तरादािय व, कोषागार म तुत कये जाने वाले<br />

बलो क ाि, लेखा काय स ब धी कत य एवं दािय व के<br />

िन पादन म आहरण एवं वतरण अिधकारय ारा यान देने<br />

यो य मु य ब दु, पशन सहत का उरण, सी0एस0आर0 का<br />

उरण, साख सीमा एवं जमा साख सीमा के विभ न<br />

शासनादेश, रा य सरकार के वेतन तथा अ य बलो के ोत<br />

पर आयकर क कटौती तथा उसे के य सरकार के खाते म


35<br />

डालना, मु य लेखा शीषक क सूची, विभ न पोवं<br />

कोषागार प।<br />

6- कोषागार मैनुअल समय-समय पर विभ न शासनादेश, महालेखाकार एवं भारत<br />

के िनयंक व महालेखा परक के परपो/सामा य पो का<br />

संकलन।<br />

7- उ तराख ड कोषागार सरकार लेखा म अवथत धन क अवथित, कोषागार पर<br />

िनयमावली-2003<br />

िनयंण क सामा य णाली जला कोषागार/उपकोषागार,<br />

सरकार लेखा म धन क अदायगी, सरकार लेखा से<br />

स बधत या अवथत धन क अिभरा, सरकार लेख से<br />

धन का याहरण, सरकार लेखा म अवथत धन का<br />

अ तरण, याहत धन के िलये उ तरदािय व, अनुपूरक,<br />

रा यपाल महोदय-उ तराख ड ( थापत 09 नव बर 2000)<br />

तथा रजव बक आफ इडया के म य करार।<br />

8- बजट मैनुअल वत ्त वभाग ारा बजट अनुमान तैयार करने हेतु िनयंक<br />

अिधकारय, बजट अिधकार, वभागो के मुख<br />

सिचव/सिचवो को बजट अनुमान तैयार करने, व तीय वष के<br />

बजट क जॉच, नयी मांगो, ािय एवं भुगतान क समीा<br />

करने, अनुपूरक बजट एवं लेखा अनुदान तैयार करने, माननीय<br />

मु य मंी/ वत ्त मंी का बजट तैयार करने, पुनविन- योग<br />

करने, ययािध य एवं बचतो को स पूण, आकमकता िनिध,<br />

व तीय अिनयिमतता को ढूढने के स ब ध म िनयम ह।<br />

9- यू0पी0 रटायरमे ा पशन िनयमावली।<br />

बेिनफस लस-1961<br />

10- यू0पी0 रटायरमे स अिधकारय/कमचारय के सेवािनवृ लाभह िनयमावली।<br />

बेिनफस स-1965<br />

11- उत ्तर देश रटायरमे ट अिधकारय/कमचारय के सेवािनवृ लाभह िनयमावली।<br />

बेिनफस (चतुथ संशो-<br />

धन) िनयमावली-1979<br />

12- उत ्तर देश पशन के पशन स ब धी अिभलेख अयाविधक करने, ेषण का काय<br />

मामलो क तुती करण, ववरण, समय जसके भीतर काय कया जाना है एवं काय के<br />

िन तारण और वल ब का िलये उ तरदायी य के स ब ध म िनयमावली ह।<br />

परवजन िनयमावली-1995 उ तराख ड शासन क अिधसूचना सं0-1033/व त अनु0-<br />

4/2003, दनांक 10 नव बर 2003 के ारा उ तराख ड<br />

पशन के मामलो का ( तुतीकरण, िन तारण और वल ब का<br />

परवजन) िनयमावली, 2003 जार क गयी है।


36<br />

13- उ तराख ड पशन के<br />

मामलो का ( तुती करण,<br />

िन तारण और वल ब का<br />

परवजन) िनयमावली,<br />

2003<br />

14- मैनुअल आफ गवमे ट<br />

आडस<br />

15- िसवल सवसेज रे यूलेशन<br />

(सी0एस0आर0)<br />

16- उत ्तर देश कमचार<br />

आचरण िनयमावली-1956<br />

17- उ तराख ड कमचार<br />

आचरण िनयमावली-2002<br />

18- उ तराख ड वभागीय<br />

पदौ नित सिमित का गठन<br />

(लोक सेवा आयोग क<br />

परिध के बाहर के पद के<br />

िलये िनयमावली, 2002)<br />

19- उ तराख ड सरकार सेवक<br />

ये ठता िनयमावली-2002<br />

20- उ तराख ड (उ तराख ड<br />

लोक सेवा आयोग के े<br />

से बाहर समूह ‘ग’ के पद<br />

पर सीधी भत िनयमा,<br />

2003)<br />

21- उ तराख ड रा य के<br />

सरकार सेवक क<br />

थायीकरण िनयामवली-<br />

2002<br />

22- उ तराख ड सरकार सेवक<br />

(ितकू ल वाषक गोपनीय<br />

रपट के व योवदन<br />

और सहब मामल का<br />

उ तराख ड शासन क अिधसमचना सं0-1033/व त अनु0-<br />

4/2003, दनांक 10 नव बर 2003 के ारा उ तराख ड<br />

रा य हेतु पशन स ब धी अिभलेख अयाविधक करने, ेषण<br />

का काय ववरण, समय जसके भीतर काय कया जाना ह एवं<br />

काय के िलये उ तरदायी य के स ब ध म िनयमावली<br />

यापत क गयी ह।<br />

शासन के विभ न िनयमो का सॅह।<br />

पशन स ब धी िनयमो क संहता।<br />

सरकार सेवको के यवहार एवं आचरण स ब धी मानक तथा<br />

िसा त।<br />

सरकार सेवको के यवहार एवं आचरण स ब धी मानक तथा<br />

िसा त के स ब ध म उ तराख ड शासन ारा अपने िनयम<br />

का यापन।<br />

उ तराख ड शासन के ारा िनगत (लोक सेवा आयोग क<br />

परिध के बाहर पद पर पदौ नित के िलये क िनयमावली-<br />

2002<br />

उ तराख ड शासन के ारा िनगत कािमको क ये ठता<br />

िनयमावली-2002<br />

उ तराख ड शासन क अिधसूचना सं या-1098/कािमक-<br />

2/2003-55(35)/2003, दनांक 31 जुलाई 2003 के ारा<br />

िनगत िनयामवली।<br />

उ तराख ड शासन के ारा िनगत उ तराख ड रा य के<br />

सरकार सेवक क थायीकरण िनयमावली-2002<br />

उ तराख ड शासन के ारा िनगत उ तराख ड सरकार सेवक<br />

(ितकू ल वाषक गोपनीय रपट के व योवदन और<br />

सहब मामल का िनपटारा) िनयामवली-2002


37<br />

उ तराख ड शासन के ारा िनगत उ तराख ड सरकार सेवक<br />

(पदौ नित ारा भत के िलये मानद ड) िनयमावली-2004<br />

उ तराख ड शासन के ारा िनगत उ तराख ड समूह ‘घ’<br />

कमचार सेवा िनयमावली, 2004<br />

उ तराख ड शासन के ारा सामूहक बीमा िनिध क कया,<br />

प तथा दािय व के स ब ध म िनगत उ तराचल रा य<br />

कमचार सामूहक बीमा योजना िनयमावली-2003<br />

उ तराख ड शासन के ारा अिधसूचना सं या-<br />

186/xxvii{7}/2006 दनांक-08 माच, 2006 के ारा<br />

नामॉकन, अिभदाता का लेखा, अिभदान क शत और दर,<br />

अिभदान क धनरािश, अिभदान क वसूली, याज, िनिध से<br />

अिम, िनिध से अतम याहरण, बीमा पािलिसय का पुन:<br />

समनुदेशन, िनिध म सिचंत धनरािशय का भुगतान, अिभदाता<br />

क सेवािनवृ, अिभदाता क मृ यु पर कया, जमा से<br />

स ब बीमा योजना, िनिध म धनरािश के भुगतान क रित,<br />

िनिध म संिचत धनरािशय का अ तरण, कया के िनयम,<br />

सामा य भव य िनिध पास बुक के स ब ध म िनयमावली<br />

यापत क गयी है।<br />

उ तराख ड शासन के ारा उ तराख ड रा य व त सेवा म<br />

वेश क आयु, यो यता, िनयु कया, ौ नित के आधार,<br />

स वग क संरचना आद के स ब ध म िनयमावली यापत<br />

क गयी ह।<br />

उ तराख ड शासन के ारा उ तराख ड रा य सहायक<br />

लेखािधकार सेवा म वेश क आयु, यो यता, िनयु, कया,<br />

ौ नित के आधार, स वग क संरचना आद के स ब ध म<br />

िनचमावली यापत क गयी है।<br />

उ तराख ड शासन के ारा अिधसूचना सं0-974/व0अनु0-<br />

4/2003, दनांक 08 अग त 2003 के ारा लेखा<br />

िलपक/लेखा िलपक (रोकड), सहायक लेखाकार/सहायक<br />

लेखाकार (रोकड), लेखाकार/लेखाकार (रोकड), सहायक<br />

कोषािधकार/उपकोषािधकार/सहायक कोषािधकार (रोकड), के<br />

भत के ोत, आरण, अहता, भत क कया, िनयु,<br />

िनपटारा) िनयमावली-2002<br />

23- उ तराख ड सरकार सेवक<br />

(पदौ नित ारा भत के<br />

िलये मानद ड) िनयमावली-<br />

2004<br />

24- उ तराख ड समूह ‘घ’<br />

कमचार सेवा िनयमावली,<br />

2004<br />

25- उ तराख ड रा य कमचार<br />

सामूहक बीमा योजना<br />

िनयमावली-2003<br />

26- सामान ्य भव य िनिध<br />

(उ तराख ड ) िनयमावली-<br />

2006<br />

27- उ तराख ड रा य व त<br />

सेवा िनयमावली-2002<br />

28- उ तराख ड राजय सहायक<br />

लेखािधकार िनयमावली-<br />

2003<br />

29- उ तराख ड कोषागार<br />

अधीन थ स वग सेवा<br />

िनयमावली-2003


38<br />

30- उत ्तर देश पुिलस<br />

(असाधारण पशन)<br />

िनयमावली-1961<br />

31- उत ्तर देश िसवल<br />

सवसेज (ए टा आडनर<br />

पशन) (थम संशोध)<br />

िनयमावली-1981<br />

32- उ तराख ड समूह ‘ख’ सेवा<br />

(लघु शातयो का<br />

आरोपण) िनयमावली-2003<br />

33- उत ्तर देश सरकार<br />

कमचार (िचक सा<br />

परचया) िनयमावली-1946<br />

यथा संशोिधत-1968<br />

परवीा, थायीकरण, ितभूित एवं ये ठता, वेतन इ याद<br />

तथा उपब ध के स ब ध म िनयमावली यापत क गयी<br />

ह।<br />

उत ्तर देश शासन के ारा पुिलस सेवा के कािमको जनक<br />

सेवारत रहते अ समात ् मृ यु हो जाती ह, उ ह देय<br />

पशन/पारवारक पशन से स बधत िनयमावली यापत<br />

क गयी थी। जसम उत ्तर देश (असाधारण) (थम<br />

संशोधन), िनयमावली 1975 जार कया गया।<br />

उत ्तर देश शासन के ारा वशेष जोखम भरे काय करते<br />

समय ग भीर प से घायल अथवा मृ यु होने पर सरकार<br />

सेवक को िमलने वाली आिथक सहायता स ब धी िनयमावली<br />

यापत क गयी। शासनादेश सं या-सा-3-1340/दस-88-<br />

916/88, दनांक 19 अग त 1988 के ारा डकै तो एवं<br />

बदमाशो से मुठभेड, वदेश आमणकारय से सघॅष,<br />

आतंकवाद त वो से मुठभेड, हसां मक भीड को िनयंत<br />

करना अथवा िततर वतर करते समय, दैवी आपदाओ जैसे<br />

बाढ, भू- खलन, भूक प इ यादत म सेवा करते हुये तथा<br />

अ य आपातकाल यथा आग बुझाते समय अथवा जीवन रा<br />

करते समय, टै्फर िनयंण करते समय कसी गाड क चपेट<br />

म आने क थित म, मोटर गाड चलाते समय वषाकाल म<br />

पहया फसलने के कारण चालक क मृ यु, लेबल कािसग पर<br />

बना रोशनी क रेलगाड से टकराने के कारण मृ यु एवं<br />

िशण देते समय िशाथ क चूक से गोली/ेनेड चल<br />

जाने से िशाथ क मृ यु होने पर असाधारण पशन क<br />

वीकृ ित दान क गयी ह।<br />

उ तराख ड शासन के ारा समूह ‘ख’ के अिधकारय को द<br />

जाने वाली द ड कया एवं उसका िन तारण हेतु उ तराख ड<br />

समूह ‘ख’ सेवा (लघु शातयो का आरोपण) िनयमावली-<br />

2003 यापत क गयी।<br />

राजकय अिधकारय/कमचारय को<br />

सेवारत/सेवािनवृ/मृतक आित को द जाने वाली<br />

िचक सा सुवधा हेतु उ तर देश सरकार कमचार (िचक सा<br />

परचया) िनयामवली-1946 यथा संशोिधत-1968 यापत क<br />

गयी थी। शासनादेश सं0-1180/िच-2-2003-437/2002,<br />

दनांक 20 दस बर 2003 के ारा उ तराख ड के सरकार<br />

सेवक क िचक सा उपचार हेतु अनुम यता देश के भीतर


39<br />

34- उ तराख ड सरकार सेवक<br />

याग प िनयमावली-2003<br />

35- उत ्तर देश सरकार सेवक<br />

(सेवा समाि) िनयमावली-<br />

1975<br />

36- उ तराख ड सेवाओं म भत<br />

(आयु सीमा) िनयमावली-<br />

2004<br />

37- सेवाकाल म मृत सरकार<br />

सेवको के अ ◌ाितो क<br />

भत सेवा िनयमावली-1974<br />

38- उत ्तर देश लोक सेवा<br />

(शाररक प से वंकलाग,<br />

वतंता सैनािनय के<br />

आित और भूतपूव सैिनक<br />

के िलये आरण)<br />

अिधिनयम-1993<br />

39- उत ्तर देश िसवल पशन<br />

(कमयुटेशन) लस-1940<br />

थम संशोधन िनयमावली-<br />

1984<br />

40- उत ्तर देश सरकार िनगम<br />

के छॅटनी शुदा कमचारय<br />

का सरकार सेवा म<br />

आमेलन िनयमावली-1991<br />

िचक सा उपचार एवं देश के बाहर वशेष िचक सा के<br />

स ब ध म दशा िनदश जार कये गये।<br />

सरकार कमचार ारा सेवा से यागप देने एवं उस पर<br />

वभागा य ारा अतम िनणय िलये जाने स बधत<br />

उ तराचंल सरकार सेवक याग प िनयमावली-2003<br />

यापत क गयी।<br />

उत ्तर देश शासन क अिधसूचना सं0-20/1/74 िनयु-3,<br />

दनांक 11 जून 1975 के ारा अ थायी कमचारय क सेवा<br />

समाि से स बधत उ तर देश सरकार सेवक (सेवा<br />

समाि) िनयमावली-1975 यापत क गयी।<br />

सरकार सेवाओं म भत कये जाने क आयु से स बधत<br />

उ तराख ड सेवाओं म भत (आयु सीमा) िनयमावली-2004<br />

यापत क गयी।<br />

उत ्तर देश शासन क अिधसूचना क अिधसूचना सं0-<br />

8/12/1973, दनांक 07 अ टूबर 1974 के ारा सेवाकाल म<br />

मृत सरकार सेवको के आितो क भत सेवा िनयमावली-<br />

1974 यापत क गयी थी। जसम समय-समय पर<br />

संशोधन जार हुये। शासनादेश सं या-225/कािमक-2/2002,<br />

दनांक 08 फरवर 2002 के ारा उ तर देश सरकार सेवक<br />

आित सेवािनयमावली-1974 को उ तर देश पुनगठन<br />

अिधिनयम-2000 के ावधानो के अनुसार उ तराख ड म<br />

भावी क गयी।<br />

उत ्तर देश शासन क अिधसूचना सं0-1694/सह-व-1-<br />

1(क)27/1993, दनांक 30 िसत बर 1993 के ारा उ तर<br />

देश लोक सेवा (शाररक प से वंकलाग, वतंता<br />

सैनािनय के आित और भूतपूव सैिनक के िलये आरण)<br />

आिधिनयम-1993 यापत कया गया था।<br />

उत ्तर देश शासन के ारा रा य कमचारय को सेवािनवृ<br />

के उपरा त देय रािशकरण के स ब ध म उ तर देश िसवल<br />

पशन (क युटेशन) स-1940 थम संशोधन िनयमावली-<br />

1984 यापत क गयी थी<br />

उत ्तर देश शासन क अिधसूचना सं0-3/4/90-कािमक-2-<br />

91, दनांक 09 मई 1991 के ारा उ तर देश सरकार िनगमो<br />

के छॅटनी शुदा कचारय का सरकार सेवा म आमेलन<br />

िनयमावली-1991 यापत क गयी थी।


40<br />

41- स ्टाम ्प मैनुअल द इडयन टा प ए ट-1899 म इडयन टा प तथा कोट<br />

फस ए ट के स ब ध म के य तथा रा य सरकार एवं<br />

राज व परषद/मु य राज व आयु त ारा घोषत िनयमो एवं<br />

आदेश का संकल न ह।<br />

42- द गोवमे ट िस योरट द इडयन िस योरट ए ट-1920 के नाम से यह के य<br />

मैनुअल<br />

सरकार का काशन ह तथा इसम समय-समय पर संशोधन<br />

जार कये गये। इसम ितभूितय जो सरकार ारा शासकय<br />

उपयोगाथ रखी जाती ह, िनगत ोमसेर नोस को सुरत<br />

रखने, ितभूितय का नवीनीकरण, ितभूितय का समेकन एवं<br />

उपख ड, एक ितभूित का दूसर म परवतन करने स ब धी<br />

िनयम ह। इस मैनुअल के िनयम का रा य सरकार ारा<br />

पालन कया जाता ह।<br />

43- वत ्तीय ह त पुतका इस ख ड म वन वभाग एवं लोक िनमाण वभाग व तीय<br />

ख ड-पॉच<br />

विनयम से स बधत िनयम ह।<br />

44- वत ्तीय ह त पुतका इन ख डो म समाव ट वन वभाग एवं लोक िनमाण वभाग<br />

ख ड-छ: एवं सात के व तीय विनयम से भागीय वनािधकार एवं अधीण<br />

अिभय ता, अिधशॉसी अिभय ता और उनके अधीन थो ारा<br />

महालेखाकार को तुत कये जाने वाले लेखे से स बधत<br />

ह। ये िनयम व तीय िनयमावली, ख ड-पॉच के सामा य लेखा<br />

िनयम, जो वन वभाग एवं लोक िनमाण वभाग के ित लागू<br />

होते ह, जब तक क उनम दये गये वषय अथवा संग म<br />

कु छ ितकू लता न हो अथवा जस सीमा तक उ ह इस ख ड<br />

िनयमो ारा संशोिधत न कया गया हो।<br />

45- उपकोषागार संहता उपकोषागार संहता म उपकोषागार के योगाथ एवं दशा<br />

िनदश स ब धी िनयम है। इसम विभ न मैनुअल, परप<br />

तथा शासनादेशो के स ब ध म सूचना है। इसम वतमान म<br />

जो चलन म ह तथा जो आव यक ह उन िनयमो का भी<br />

काशन है।<br />

46- कम ्पाईलेशन आफ ैजर यह के य सरकार का क पाईलेशन आफ ैजर स ह।<br />

स<br />

इसके िनयमो का कोषागार ारा िनिधय के संचालन म,<br />

करै सी क थापना, संचालन, आपूित के स ब ध म िनयम<br />

ह, जोक संसाधन िनयम सॅह म कोषागार िनयमावली से<br />

स बधत हो।


41<br />

परिशष ्ट 24<br />

कोषागार म तुत कये जाने वाले बल क ाि क वीकृ ित।<br />

-----------<br />

कोषागार म विभ न वभागीय अिधकारय ारा तुत कये जाने वाले विभ न कार के बल के<br />

खो जाने तथा बल व चेक के अनिधकृ त यय के हाथ म पड जाने क सम या को म रखते हुए<br />

यह आव यक है क जो बल वभागीय अिधकारय ारा कोषागार म पारत कये जाने के िलये भजे जाते ह<br />

उनक ाि कोषागार म वीकृ त क जाय, अथात ् तुतकता को रसीद द जाय। इसके िलए िन निलखत<br />

या का अनुसरण कया जाना चाहये:<br />

(1) बल अथवा चेक को एक अलग रज टर पर चढाकर कोषागार म भेजना जाय और उस पर<br />

कोषागार म बल ा त करने वाले कमचार के ह तार ले िलये जायं। ये ह तार बल पारत करने<br />

वाले िलपक दगे। इसी कार जब बल पारत हो जाने के बाद वभागीय अिधकारय को वापस कये<br />

जाते ह तो वापस पाने वाल य के ह तार भी उसी रज टर म ले िलये जांय तथा उस रज टर<br />

म जस मांक पर कोई बल िलखा हो वह मांक बल रज टर (प-11-सी) पर भी अंकत कर<br />

िलया जाय। जब कोई बल कोषागार से आप लगाकर वापस कया जाय तो उसके सम कोषागार<br />

के बल पारत करने वाले िलपक ‘Objection’ या ‘आप जनक’ श द त भ 7 म िलख द और<br />

तब फर उसी त भ म वभागीय बल ा तकता के ह तार बनवा ल। उपरो त रज टर क प<br />

रेखा िन न कार होगी:<br />

0 ितिथ बल शु आहरण ितिथ सहत ितिथ सहत<br />

सं0<br />

अथवा धनरािश अिधकार बल पाने वाले बल वापस<br />

चेक का<br />

के पूण कोषागार पाने वाले<br />

शीषक<br />

हस ्तारर कमचार के कमचार के<br />

ह तार ह तारर<br />

1 2 3 4 5 6 7<br />

नोट: यद आहरण वतरण अिधकार उ त रज टर म बल कोषागार म तुत न करके कसी अ य<br />

रज टर म बल तुत करगे तो कोषागार ारा बल वीकार नहं कये जायगे।<br />

(2) जो य अपना बल वयं तुत कर और उसक रसीद चाह तो उ ह रसीद वयं िलखकर लानी<br />

होगी जस पर बल पािसग िलपक के वल हसतार कर देगा। उससे इस समय जो रसीद मांगने पर<br />

कोषागार ारा रसीद दये जाने क था ह उसके काया वयन म भी सुवधा होगी। बल वापस करते<br />

समय बल पािसग िलपक रसीद ा तकता से वापस ले लेगा।<br />

(3) जो राजपत अिधकार अपने बल िसधे कोषागार क भेजते ह वे यद उ ह वभागीय रज टर पर<br />

अ य बल के साथ चढवाकर भेज तो उनके खोने क सम या भी हल हो जायेगी।<br />

(4) जो राजपत अिधकार अपने वेतन-बल बको ारा कोषागार क भेजते ह वे वतमान था के अनुसार<br />

ह बको से रज टर पर चढकर कोषागार म आया करगे। इसी कार जो पशनदार सदैव क भांित<br />

अपने पशन बल बक ारा कोषागार को भेजते ह वे भी रज टर पर चढकर जायगे। जो पशनदार


42<br />

अपने बल बैक के मा यम से नहं भेजते उनका भुगतान उसी दन कोषागार म कु छ घंटो म हो<br />

जाता ह और उनके बारे म रसीद लेने देने का न नहं उठता।<br />

(5) सरकाकर ितभूितय पर याज क रकम के बल क रसीद अब कोशागार ारा गवनमट<br />

िस योरटज मैनुअल के अनु छेद 46(ए) के अनुसार प जी0एस0एम0/17-ए पर द जाती है और<br />

भव य म भी ऐसा होता रहेगा।<br />

(6) रफं ड बल, जैसे बक-कर के , कू ल के अनुदान तथा छावृ के बल, जनक पाने वाले बको के<br />

ारा नहं भेजते ह, उ ह आहरण अिधकार या ित-ह तारािधकार अपने कायालय के रज टर पर<br />

भुगतान पाने वाले अिधकार के ह तार कराकर उसे माणत करके चढाकर कोषागार म भेज कर<br />

रसीद ा त कर सकते ह।


43<br />

संख ्या –ए-1-833/दस-10(6)-82<br />

ेषक,<br />

ी िमिथलेण कु मार,<br />

संयुक् त सिचव,<br />

उत ्तर देश शासन<br />

सेवा म,<br />

समस ्त वभागा य एवं मुख<br />

कायालयाध ्य<br />

उत ्तरा देश।<br />

लखनऊ दनांक 3 जून, 1982<br />

वषय:- कोषागार म तुत कए जाने वाले बल क ाि वीकृ ित।वत ्त लेखा अनुभाग-1<br />

महोदय,<br />

शासन के संान म यह बात आयी है क कोषागार म बल स ्तुत करने हेतु आहरण एवं<br />

वतरण अिधकारय ारा शासनादेश सं या-2158/16(71)-68/ड0ट0, दनांक 07-5-70 ारा िनधारत<br />

रज टर का योग एवं िनदश का अनुपालन नहं कया जा रहा है वरन ् येक आहरण वतरण अिधकार<br />

अपनी सुवधानुसार रज टर बनाकर कोषागार म बल तुत करता है। यह अिनय िमतता एवं शासन के<br />

िनद श क अवहेलना है। शासन दसे अस नता क से देखता है।<br />

2- अत: इस स ब ध म मुझे पुन: इस बात पर बल देने का िनदश हुआ है क आप अपने<br />

अधीन समसत आहरण एवं वतरण अिधकारय को प ट िनदश दे द क वे शासनादेश सं या<br />

2158/16(71)-68/ड0ट0, दनांक 07-5-70 (सुलभ संदभ हेतु ितिलप संल न) म िनधारत ाप के<br />

रज टर पर ह कोषागार म बल तुत कर तथा उसी रज टर पर कोषागार से बल पास कर। यह भी<br />

प ट कर दया जाय क यद आहरण वतरण अिधकार उ त शासनादेश दनांक 07-5-70 म िनधारत<br />

रज टर म कोषागार म बल तुत न करके कसी अ य रज टर म बल तुत करते ह तो कोषागार ारा<br />

बल वीकार नहं कये जायगे।<br />

भवदय,<br />

िमथलेश कु मार<br />

संयुक् त सिचव।


44<br />

संख ्या-ए-1-833(1)/दस-10(6)-82, त दनांक<br />

ितिलप सम त कोषािधकारय, उ तर रेश को इस िनदश के साथ ेषत क आहरण एवं वतरण<br />

अिधकारय से बल को उपन संदिभत शासनादेश दनांक 07-5-70 म तुत कए जाने पर ह वीकार कए<br />

जाय अ यथा उ ह कोषागार म ा त न कया जाय। बल पारणोपरांत उसी रज टर म आहरण एवं वतरण<br />

अिधकार को वापस कए जाय।<br />

1- ितिलप िन निलखत को भी सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:<br />

(1) िनदेशक, कोषागार एवं लेखा, उ तर देश, लखनऊ को उनके प सं या-5179/16 (71)-<br />

68/ड0ट0, दनांक 29-3-82 के संदभ म।<br />

(2) सम त जलािधकार, उ तर देश।<br />

(3) महालेखाकार-1, 2,तथा 3, उ तर देश, इलाहाबाद।<br />

(4) सिचवालय के सम त अनुभाग।<br />

आा से<br />

िमिथलेश कु मार,<br />

संयुक् त सिचव।


45<br />

ेषक,<br />

संख ्या 2158/16(71)/68/ड0ट0<br />

ल ्मीकान ्त ीवा तव,<br />

अनु सिचव,<br />

उत ्तर देश शासन।<br />

सेवा म,<br />

उत ्तर देश के सम त<br />

वभागाध ्य तथा सम त<br />

कायालयाध ्य।<br />

दनांक, लखनऊ, 7 मई 1970<br />

वत ्त (लेखा-1)वभाग<br />

वषय- कोषागार म तुत कये जाने वाले बल क ाि क वीकृ ित।<br />

महोदय,<br />

मुझे यह कहने का िनदेश हुआ है क कोषागार म विभ न वभागीय उिधकारय ारा तुत<br />

कये जाने वाले विभ न कार के बल के खो जाने तथा बल व चेक के अनिधकृ त यय के हाथ म<br />

पड जाने क सम या को म रखते हुए, रा यपाल महोदय ने यह आदेश दया है क जो बल वभागीय<br />

अिधकारय ारा कोषागार म पारत कये जाने के िलये भेजे जाते ह उनक ाि कोषागार म वीकृ त क<br />

जाय, अथात ् तुतकता को रसीद द जाय। इसके िलए िन निलखत या का अनुसरण कया जाना<br />

चाहये:-<br />

(1) बल अथवा चेक को एकक अलग रज टर पर चढाकर कोषागार म भेजा जाय और उस पर<br />

कोषागार म बल ा त करने वाले कमचार के ह तार ले िलये जांय। ये ह तार बल पारत करने वाले<br />

िलपक दगे। इसी कार जब बल परत हो जाने के बाद वभागीय अिधकारय को वानपस कये जाते ह तो<br />

वापस पाने वाले य के ह तार भी उसी रज टर म ले िलये जांय तथा उस रज टर म जस मांक पर<br />

कोई बल िलखा हो वह मांक बल रज टर (प-11-सी) पर भी अंकत कर दया जाय। जब कोई बल<br />

कोषागार से आप लगाकर वापस कया जाय तो उसके सम कोषागार के बल पारत करने वाले िलपक<br />

‘Objection’ या ‘आप जनक’ श द त भ 7 म िलख द और तब फर उसी त भ म वभागीय बल<br />

ा तकता के ह तार बनवा ल। उपरो त रज टर क प-रेखा िन न कार होगी:<br />

0 ितिथ बल अथवा शु आहरण ितिथ सहत ितिथ सहत<br />

सं0<br />

चेक का शीषक धनरािश अिधकार बल पाने वाले बल वापस<br />

के पूण कोषागार पाने वाले<br />

हस ्तारर कमचार के कमचार के<br />

ह तार ह तारर<br />

1 2 3 4 5 6 7


46<br />

(1) जी य अपना बल वयं तुत कर और उसक रसीद चाह तो उ ह रसीद वयं िलखकर लानी<br />

होगीं जस पर बल पािसग िलपक के वल ह तार कर देगा। उससे इस समय जो रसीद मांगने पर कोषागार<br />

ारा रसीद दये जाने क था है उसके कायाल यन म भी सुवधा होगी। बल वापस करते समय बल<br />

पािसग िलपक रसीद ाप ्तकता से वापस ले लेगा।<br />

(2) जो राजपत अिधकार अपने बल सीधे कोषागार को भेजते ह वे यद उ ह वभागीय रज टर पर<br />

अ य बल के साथ चढवाकर भेज तो उनके खोने क सम या भी हल हो जायेगी।<br />

(3) जो राजपत अिधकार अपने वेतन-बल बैको ारा कोषागार को भेजते ह वे वतमान था के अनुसार<br />

ह बक से रज टर पर चढ कर कोषागार म आया करगे। इसी कार जा पशनदार सदैव क भांित अपने<br />

पशन बल बको ारा कोषागार को भेजते ह वे भी रज टर पर चढ कर आयगे। जो पशनदार अपने बल बक<br />

के मा यम से नहं भेजते उनका भुगतान उसी दन कोषागार म कु छ घंटो म हो जाता है और उनके बारे म<br />

रसीद लेने देने का न नहं उठता।<br />

(4) सरकार ितभूितय पर याज क रकम के बल क रसीद अब कोषागारारा गवनमट िस योरटज<br />

मैनुअल के अनु छेद 46 (ए) के अनुसार प जी0एस0एम0/17-ए पर द जाती है और भव य म भी ऐसा<br />

होता।<br />

(5) रफं ड बल, जैसे ब-कर के , कू ल के अनुदान तथा छावृ के बल, जनको पाने वाले बक के<br />

ारा नहं भेजते ह, उ ह आहरण अिधकार या ित-ह तारािधकार अपने कायालय के रज टर पर भुगतान<br />

पाने वाले अिधकार के ह तार करा कर उसे माणत करके चढाकर कोषागार म भेज कर रसीद ा त<br />

कर सकते ह।<br />

भवदय,<br />

ल ्मी का त ाव ताव<br />

अनु सिचव<br />

संख ्या 2158(1)/16(71)-68/ड0ड0 त दनांक<br />

ितिलन महालेखाकार, उ तर देश, इलाहाबाद को उनके िनदेशक कोषागार को स बोिधत प सं या<br />

ड0सम0-1/छ:-236, (चौदह)-46, दनांक 16 अल, 1969 के स दभ म सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु<br />

ेषत। ितिलप देश के सम त जलािधकारय तथा सम त कोषािधकारय को भी आव यक कायवाह हेतु<br />

ेषत।<br />

आा से,<br />

ल ्मी का त ीवा तव<br />

अनुसिचव।


47<br />

परिशष ्ट—25<br />

देशीय कोषागार म चेक ारा भुगतान क णाली<br />

चेक णाली तथा इससे मु त बल-<br />

1- (क) कोषागार म अब तक तुत बल को जांच कर लेने के बाद उ हं के अधीभाग म िनद ट थान<br />

पर टेट बक के नाम कोषािधकार के ारा भुगतान आदेश दए जाने क यव था लागू है। आहरण एवं<br />

ववरण अिधकार इन पारत बल को कोषागार से ा त कर आदेिशत धनरािश बक से ा त करते ह। अब<br />

इस यव था म परवतन करके भुगतानादेश के अनुसार शु देय धनरािश के िलये चेक िनगत कये जायगे।<br />

लेकन िन नांकत कार के बल का भुगतान कोषागार म चेक णाली से नहं होगा:-<br />

(क) राजस ्व एवं अ य िनेप।<br />

(ख) वैयक खाते जनके िलये अलग से चेक अथवा वशेष कार के प तुत होते ह। इनम भूिम<br />

अ याि भुगतान भी शािमल ह।<br />

(ग) शासकय ितभूितय का भुगतान।<br />

(घ) अन ्य कोई भुगतान जो शासन ारा िनपेिधत कया जाय।<br />

(ख) वशेष कार के कागज पर मुत चेक फाम पर िलखे जायगे। यथा संभव कई बल को िमलाकर<br />

संहत चेक िनगत कए जायगे। व तीय िनयमावली ख ड 5, भाग-1 के िनयम 45-ई के अ तगत ये<br />

‘नान-िनगोिशयेबल’ चेक हगे।<br />

2- चेक कणाली लागू होने के फल वप कोषागार कायालय का काय, सु यवथत प से िन पादन हेतु,<br />

मोटे तौर पर दो अनुभाग म वभाजत कया जायेगा। सामा यत: बल ाि, उनका पारण चेक बनाना व<br />

जार करने तक का सभी काय ‘बल तथा चेक अनुभाग’ म होगा तथा दैिनक व मािसक लेख का बनाना व<br />

महालेखाकार को िनयमानुसार तुत करने का काय ‘लेखा अनुभाग’ म होगा।<br />

बल का तुतीकरण-<br />

3- येक आहरण व वतरण अिधकार बल को कोषागार भेजने एवं बल/चेक क ा त करने हेतु<br />

एक या दो िनत कमचार/कमचारय (यथा संभव थायी) को अिधकृ त करेगा जो अपने पास आहरण<br />

अिधकार से माणत फोटो व ह तार सहत आइडेटटकाड भी रखगे। इस संबंध म सिचवालय वेश-प<br />

फोटो सहत भी सा य होगा।<br />

4- (क) सभी कार के बल को प-1 के रज टर के साथ कोषागार काउंटर पर तुत कया जायगा।<br />

बल-ाि-िलपक बल को रज टर से िमलायेगा और देखेगा क बल उसी कोषागार पर देय ह, आहरण<br />

अिधकार के ह तार बल पर है तथा शु धनरािश अंकन तथा श द म यथा- थान अंकत ह। उ त<br />

ब दुओं पर संतु के प चात ् वह बल क ाि-रसीद काबन ोसेस ारा दो ितय म प-2 पर बनायेगा।<br />

चह प एक रज टर के प म होगा जनम येक पृ ठ क दो ितयां होगी जसम मूल ित िछदत<br />

होगी। ाि िलपक येक बल पर दनांक को मोहर लगाकर उस पर रसीद सं या व उसका मांक भी<br />

प टतया अंकत कर देगा तथा रसीद क मूल (िछत) ित तुतकता को दे देगा एवं बल को रज टर


48<br />

के साथ संबंिधत बल पारण िलपक को भेज देगा। वह बल को ले लेगा एवं ाि- वीकृ ित के ह तार<br />

रज टर म करके ाि िलपक को लौटा देगा इस हेतु ाि-िलपक विभ न बल पारण िलपक के िलए<br />

प-2 के पृथक-पृथक रज टर रखेगा।<br />

(ख) बक/सं थाय जो बल अपनी िनधारत डाकबह या प-1 जैसे रज टर म चढाकर कोषागार म तुत<br />

करगे उ ह वीकार कया जायेगा। ेणी एक के अिधकार एवं गैर सरकार य के िलये अपने से संबं िधत<br />

बल कोषागार म प-1 पर चढाकर तुत करना अिनवाय न होगा क तु कोषागार के िलये सभी को प-<br />

2 पर बल ाि रसीद देना अिनवाय होगा।<br />

(ग) कोषागार ारा बल का भुगतान चेक ारा कए जाने के फल वप अब आहरण एवं वतरण अिधकारय<br />

के िलये येक देयक के साथ प बी0एम0-9 संल न करने क आव यकता नहं होगी। बी0एम0-9 के<br />

थान पर अब कोषािधकारय ारा चेक के साथ चेक लप (प-5) दया जायेगा जसक वय के<br />

आधार पर आहरण एवं वतरण अिधकार अपने बल रज टर (प-1) के तंभ को भरगे तथा उसी के<br />

आधार पर अपने कायालय क कै श बंक क ितय को पूरा करगे अथवा जायेगे।<br />

5-(क) बल पारण िलपक इन बल क िनयमानुसार जांच करेगा। सह बल पर भुगतान आदेश अंकत<br />

करके उनके नीचे ह तार करेगा और प-3 म बार ट रज टर पर दज करेगा। भुगतान आदेश के ठक<br />

उपर इन बात का उ लेख कर देगा क चेक कस नाम या पदनाम से बनेगा, ‘ास ्ड’ होगा अथवा नहं,<br />

अगले माह क थम ितिथ के पूव देय नहं होगा (यद ऐसा हो तो) अथवा अ य कोई चेक लेखकर के िलये<br />

िनदश। त प चपत ् पारण िलपक उन बल को बार ट रज टर सहत लेखाकार के पास भेज देगा।<br />

(ख) काय क सहूिलयम के कोण से आहरण अिधकारय के समूह बनाकर अलग-अलग वार ट रज टर<br />

रखे जायं जनक सं या ित पारण िलपक चार रज टर से अिधक न हो। वार ट रज टर को सुवधा के<br />

िलये पारण िलपक क सं या के अनुसार क-1, क-2, क-4, ख-1, ख-2, ख-3, कार से मांक सं या म<br />

रखा जाय।<br />

(ग) लेखकार बल क जांच करके व संतु ट होकर उन पर ह तार करेगा और वार ट रज टर सहत चेक<br />

लेखक को आव यक जांच के बाद चेक िलखने व तुत करने को देगा। लेखाकार का चेक लेखक पर सीधा<br />

िनयंण रहे इसिलये चेक लेखक लेखाकार से स ब रहगे तथा लेखाकार के समीप ह बठेगे।<br />

(घ) जन बल को लेखाकार आपजनक समझेगा उन पर आप अंकत करेगा या आप का ापन<br />

(मीमो) संल न करेगा, उसक बाबत कोषािधकार के आदेश ा त करेगा तथा वार ट रज टर म भी संदभ<br />

हेतु श द ‘आप’ िलखा जायगा। आप वाले बल को बल पारण िलपक प-4 के रज टर पर दज<br />

करके रज टर के साथ बल ा त िलपक को भेजेगा। ाि िलपक बलो को अपने पास रोक लेगा और<br />

रज टर म ाि सूचक ह तार करके उसे पारण िलपक को लौटा देगा। ाि िलपक प-2 क अपनी<br />

ित पर सबंधत बल क ित के सम ‘आप’ अंकत करके ह तार करेगा। आहरण अिधकार के<br />

अिशकृ त समवाहक तुतकता ारा प-2 क अपनी ित तुत कये जाने पर ाि िलपक उस प पर<br />

ह पूव कार से संबधत बल क ितय के सम ‘आप’ अंकत करके ह तार करेगा और प-2<br />

क कोषागार ित पर उन ितय के स मुख ह तार लेने के प चात उन बल को लौटा देगा। जन बल<br />

को समायोजन हेतु रोक िलया गया जायेगा अथवा शू य धनरािश होने के कारण चेक िनगत नहं होगा उसके<br />

सम भी प-2 पर उपयु त ट पणी अंकत कर द जायेगा। आप लगाये बल के पुन: तुतीकरण पर<br />

नई रसीद जार क जायेगी।


49<br />

चेक पुतका एवं सुरा<br />

6- कोषागार म यु त होने वाले चेक का सामािचक तथा वाषक मांग प भेजना, सुरा आद वतमान ्<br />

सावजिनक िनमाण वभाग के चेक क भांित ह होगे। अ तर इतना होगा क डवल लोक से यक चेक<br />

लेखाकर क मांग पर िनगत कये जायेगे तथा डवल लाक रज टर म लेखाकार के ह तार िलए जायगे।<br />

लेखाकार क यगत सुरा म उ ह योग के िलये रखा जायगा। पित दन लेखाकार यु त अंितम चेक<br />

सं या, र त चेक का ववरण तथा वा तव म िलखे गये कु ल चेक क सं या का ववरण िलखकर ह तार<br />

करेगा। प-12 (लेखाकार का चेक प रज टर) म डवल लाक से दए गए चेक प क येक ित<br />

का तथा दैिनक बकाया चेक प क सं या क ित को कोषािधकार ारा आव यक जांच के उपरांत<br />

ह तारत कया जायेगा। इसी कार प 12-ए म उन चेक प का लेखा येक चेक लेखक ारा भी<br />

रखा जायेगा जो लेखाकार ारा समय-समय पर उसे दए जायगे। इस रज टर पर आव यक जांच के उपरांत<br />

लेखाकार ारा ह तार कए जायगे।<br />

चेक लेखन/टंकण-<br />

7- चेक लेखक ारा चेक िलखने/टंकण के संबंध म िन ननिलखत ब दुओं का अनुपालन सुिनत<br />

कया जायेगा:-<br />

(1) धनरािश अंक तथा श द म ठक-ठक अंकत ह।<br />

(2) चेक ‘ास ्ट’ आद िनदशानुसार अंकत है।<br />

(3) यद एक बल पर एक से अिधक चेक बनाने क ाथना है तो चेक उसी कार बनाये गये ह।<br />

(4) चेक पर चेक रज टर का मांक, कोड सं या (यद कोई हो) ठक से िलखी गई है। ह तिलखत<br />

चेक पर कास इ ट भी क गई है।<br />

(5) मंी गण, वधायक तथा राजपत अिधकारय ारा गजटेड बल फाम पर आहरत कए गए बल<br />

से स बधत चेक नाम से िनगत होगा और चेक पर मश: मंी, ‘वधायक’ अथवा ‘राजपत’ क<br />

मोहर लगायी जायेगी। गैर-सरकार ा तकताओं के चेक पर ‘गैर सरकार’ क मोहर लगायी जायेगी।<br />

अराजपत कमचारय से स बधत बल के चेक आहरण एवं वतरण अिधकार के पदनाम से<br />

िनगत होगे। बक के मा यम से ा त बल पर चेक बक के नाम िलखे जायगे। नाम एवं पदनाम<br />

प ट एवं िनयमानुसार शु श द म चेक पर अंकत हगे।<br />

(6) चेक के ितपण (काउं टर फाइल) पर बल क रसीद सं या तथा उनक शु धनरािशय को अलग-<br />

अलग दखाया जायेगा और आव यकतानुसार योग िनकाल दया जायेगा।<br />

(7) यद चेक को डाक से भेजना हो अथवा बक, ाइवेट य, सं या अथवा फाम को देय हो तो<br />

िनयमानुसार रेखत (ा ड) कर दया जायेगा। अराजपत कमचारय के वेतन भ त, याा भ ता,<br />

मानदेय आद तथा ासंिगक यय से स बधत बल के िलए चेक आहरण अिधकार क मांग के<br />

अनुसार िनगत हगे। यद आहरण अिधकार ने अपने पद नाम के अलावा अ य कसी रा य<br />

कमचार/अिधकार या ठेके दार या गैर सरकार य के नाम से चेक मांगा ह तो ऐसे चेक भी


50<br />

कोषागार ारा आहरण अिधकार को ह दए जायगे जससे वह उन चेक का वतरण अपने<br />

उ तरदािय व से स बधत यय को िनयमानुसार कर सक ।<br />

(8) बल पर भुगतान आदेश के ठक उपर बायीं तरफ स बधत चेक क सं या एवं दनांक का भी<br />

उ लेख होगा।<br />

(9) चेक िलखने के साथ ह बल व सह बाउचर पर भुगतान आदेश के शीष के पास ‘चेक ारा भुगतान<br />

कया’ क मोहर लगायी जायगी।<br />

8- चेक लेखक काबन ोसेस ारा दो ितय म प-5 पर चेक लप बनाएगा जस पर वह चेक जस<br />

नाम अथवा पद नाम से िनगत कया जायेगा तथा जन बल के िलये चेक िनगत कया जा रहा है<br />

उनक उलग-अलग शु रािशय व उनका योग जो चेक क रािश होगी, प ट प से अंकत करेगा।<br />

यह प एक रज टर के प म होगा जसम येक पृ ठ क 2 ितयां होगी तथा जसम मूल ित<br />

िछत होगी। त प चात ् चेक लेखक चेक को प-6 के रज टर म अंकत करेगा और चेक के साथ<br />

लप को टेपल कर देगा। इस रज टर म येक पृ ठ क तीन ितयां होगी जनम से दो ित<br />

िछत हगी। चेक लेखक इस रज टर तथा वार ट रज टर के साथ चेक तथा स बधत बल को<br />

लेखाकार के मा यम से कोषािधकार को तुत करेगा। कोषािधकार चेक ठक होने क थित म<br />

बल व चेक तथा रज टर म ह तार करेगा और बल सहत चेक लेखक को लौटा देगा। यद कोई<br />

बल आपजनक पाया जाता है तो त संबंधी चेक िनर त कर दया जायगा। चेक लेखक कोषािधकार<br />

ारा ह तारत चेक को प-5 क चेक लप के साथ ाि िलपक को भेजेगा जो चेक को लप<br />

के साथ आहरण अिधकार के अिधकृ त संवाहक/ तुतकता को देने के िलये रख लेगा और ाि<br />

सूचक ह तार प-5 के रज टर म बनाकर उसे चेक लेखक को वापस कर देगा तचा ा त हुए<br />

चेक क ित प-2 के रजस ्टर म स बधत बल को ितय के सामने अंकत कर देगा।<br />

टप ्पणी- त ्येक चेक-लेखक प-6 का एक ह रज टर रखेगा। सहूिलयत के कोण से<br />

प-6 के रज टर को चेक लेखक को सं या के अनुसार च-1, च-2, च-3, आद मांक सं या म रखा<br />

जाय जससे यह तुर त मालूम हो सके क वह रज टर कस चेक लेखक का है तथा येक चेक पर<br />

कोषािधकार के ह तार के ठक नीचे संबंिधत चेक रज टर का मांक जैसे-च-1/21, च-2/41 अंकत कया<br />

जायेगा जससे क भुगतान कए हुए चेक बक से वापस आने पर उनका खारजा लेखा अनुभाग ारा लगाने म<br />

सहूिलयत हो।<br />

चेक वतरण-<br />

9- चेक को ा त करने वाले अिधकृ त य प-2 को मूल प से तुत करगे। ाि िलपक प-2<br />

के रज टर पर तथा बल तुतकता को दए गए प-2 क ित पर स बघत चेक क ित के सम<br />

आहरण अिधकार ारा अिधकृ त संवाहक के ह तार लेकर उसे चेक दे देगा क तु प-2 म अंकत अंितम<br />

बल से संबंिधत चेक तभी देगा जब प-2 उसके पास समपत हो जायेगा। रसीद खो जाने पर आहरण<br />

अिधकार के ामण-प पर आव यक छानबीन के बाद कोषािधकार के आदेश से चेक दे दए जायगे तथा<br />

आहरण अिधकार के माण-प को ‘रसीद’ क कोषागार ित से िचपका दया जायगा। दन के अंत म प-<br />

2 क समपत ित को ाि िलपक ारा प-2 के रज टर म कोषागार ित के साथ िचपका दया


जायेगा। लेखाकार यह सुिनत करेगा क चेक के बटने म कसी कार का अनाव यक बल ब न हो।<br />

51<br />

कालातीत, दोहरे चेक का िनगमन व चेक का िनर त कया जाना-<br />

10- जार कए जाने वाले माह के बाद अगले माह के अ त तक चेक देय होगे। त प चात ् चेक कालातीत<br />

हो जायेगा ओर बक उस पर भुगतान नहं करेगा। अत एवं चेक को िनर त माना जायेगा। िनर तीकृ त चेक<br />

पर कोषागार म तुत कए जाने पर कोषािधकार के ह तार होगे। माह के अ त म उनका ववरण प-7<br />

के रज टर पर बनाया जायेगा। प-7 पर बनायी गई िनर तीकृ त चेक क सूची के आधार पर महालेखाकार<br />

इस माह के भुगतान क आव यकतानुसार कम करके समायोजत कर देगा। िनर त चेक पर यद पुन:<br />

भुगतान ाि हेतु आवेदन-प ा त होते ह तो उ ह प-2 के साथ चेक लेखक को भेज दया जायेगा। चेक<br />

लेखक प-7 के आधार पर, िमलान करके , नये िसरे से चेक िनगत करने का काय करेगा। नये चेक का<br />

संदभ पूव िनगत चेक के सामने प-6 व प-7 म भी अंकत होगा। एसे चेक क सूची अलग से बनेगी।<br />

11- ितदन लेन-देन के समय क समाि के प चात ् ाि िलपक एक तािलका प-11 के रज टर म<br />

बनायेगा। इस तािलका को लेखाकार प-2 के रज टर से िमलाकर जांच करेगा और उस पर हसता र<br />

करेगा। ा त चेक क सुरा का उ तरदािय व तब तक ाि िलपक का होगा जग तक क वह ेषत न हो<br />

जाय या दन के अ त म लेखाकार के पास जमा न कर दया जाय जो उ ह सुरत रखेगा और दूसरे दन<br />

ात: ाि िलपक को उ ह दे देगा।<br />

पारत बल को लेखा अनुभाग म भेजा जाना-<br />

12- चेक लेखक ितदन सायंकाल िनगत कए गए संपूण चेक क संबंिधत रािशय का योग रज टर<br />

प-6 पर अंकत करके , उसक लेखाकार से जांच कराकर और उसके ह तार उस पर कराकर सम त बल<br />

को स बध प के िछत दो ितय के साथ मवार न थी करके लेखा अनुभाग म भेज देगा। यद एक<br />

से अिधक चेक लेखक चेक बनाने का काय करते ह तो लेखाकार ितदन सायंकाल येक चेक लेखक के<br />

प-6 के आधार पर िनगत चेक का दैिनक सार लेखा भी प-6-ए पर दो ितय म बनायेगा जसक एक<br />

ित बल व प-6 के साय लेखा अनुभाग को भेजी जायगी।<br />

लेखा कया-<br />

13- लेखा अनुभाग म पारत बल के साथ ा त हुए प-6 व 6-ए के आधार पर प-9 के रज टर<br />

म ितदन िनगत कए गए चेक क सूची काबन ोसेस ारा 3 ितय म बनायी जायेगी। इस सूची म चेक<br />

क कु ल सं या व धनरािशय का दैिनक योग मश: प-6 व 6-ए म दिशत योग से िमला िलया जायेगा।<br />

महालेखाकार को ा-9 के साथ प-6 व 6-ए क ित भी संल न क जायगी। बक से भुगतान क हुए चेक<br />

ा त होने पर उनके भुगतान क ितिथयां प-6 म स बधत वय के सामने अंकत क जायेगी। इसी<br />

सूची से माह म बना भुगतान हुए चेक क सूची तीन ितय म बनायी जायेगी जनम से 2 सूिचयां<br />

महालेखाकार को मािसक लेखे के साथ भेज द जायंगी। कालातीत चेक क अनुसूची भी इसी सूची से बनायी<br />

जायेगी।


52<br />

14- लेखा अनुभाग म बक ारा भुगतान कए गए सभी चेक तथा बक ोल अलग से ा त हगे। उनका<br />

लेखांकन व तीय िनयम के अनुसार कया जायेगा। भुगतान कए हुए चेक का अंकन भुगतान सूची म लेखा<br />

शीषक ‘870-चे स ऐ ड व स-कोषागार चेक’ के अ तगत प-10 म चेक-वार कया जायेगा।<br />

15- लेखा अनुभाग संपूण भुगतान हुए बल को चेक के सूची के साथ ा त होने पर जांच लेगा तथा<br />

दैिनक लेखा व तीय ह तपुतका ख ड 5, भाग-2 के िनयमानुसार बनायेगा। सभी बल का अंकन प-8<br />

(भुगतान शेयूल रज टर) पर म म ितिथ के अनुसार कया जायेगा तथा इसक िनयमानुसार तीन ितयां<br />

बनायी जायगी। भुगतान क सूची कै श लेखा, संम रज टर, उप कोषागार लेखा क सभी याय यथावत<br />

क जायगी। ितदन के अंकन के बाद लेखाकार कै शबुक पर माणत करेगा क दन के िनगत चेक क<br />

धनरािश तथा कै श लेखा िमल गया है। िनगत चेक के िलये जो प-9 म दैिनक योग िनकलेगा उसे लेखा<br />

शीषक ‘870-चे स ए ड व स- कोषागार चेक’ के अ तगत ाि कै शबुक म अंकत कया जायेगा। इस उच त<br />

खाते के समायोजन के अ तगत ाि व भुगतान का अ तर वह धनरािश होगी जसके िलए चेक तो िनगत<br />

हुए पर तु वा तव म बक से भुगतान नहं कए गए। माह भर म बना भुगतान हुए चेक क सूची समायोजन<br />

हेतु महालेखाकार को भेजी जायगी।<br />

16- िन नांकत अनुसूिचयां (Schedules) मािसक लेखे के साथ महालेखाकार को भेज जायगे:-<br />

(1) माह या लेखा सूची के अ तगत िनगत चेक को सूची।<br />

(2) माह या लेखा सूची के अ तगत बक ारा भुगतान कए गए चेक क सूची।<br />

(3) माह भर म बना भुगतान हुए चेक क सूची।<br />

(4) कालातीत एवं िनर त चेक तथा उनके थान म जार कए गए दोहरे चेक क अनुसूची।<br />

17- कोषािधकार कोषागार-चेक पर ह तारर करने वाले सभी अिधकारय के नमूने के ह तार बक को<br />

भेज देगा। यं त कए जाने वाली चेक-बुक म चेक क सं या तथा योगार भ क ितिथ सभी बक को<br />

सूिचत कया जायेगा।<br />

18- सभी आहरण एवं वतरण अिधकारय के ह तार 4 ितय म कोषागार म आयगे जनम से एक-<br />

एक ित मश: बल पारण िलपक लेखाकार तथा कोषािधकार के पास काड स िस टम के अनुप रखे<br />

जायगे। जब तक काड स िस टम क यव था नहं होती उस समय तक वतमान यव था चलती रहेगी।<br />

19- कोषागार िलपक ारा प म वयां डाट पन से भी क जा सक गी।<br />

20- विभ न प को कोषागार म सुरत रखने क अविध अलग से िनधारत क जायेगी।


प-1<br />

कोषागार म बल तुत करने हेतु रज टर<br />

ित िथ<br />

म<br />

बल का<br />

शु धनरािश<br />

आहरण<br />

कोषागार िलपक के<br />

चेक सं या व<br />

चेक क<br />

आहरण<br />

सं या<br />

लेखा<br />

0 पै0<br />

अिधकार के<br />

ह तार, रसीद<br />

दनांक<br />

धनरािश 0<br />

अिधकार के<br />

शीषक<br />

ह तार<br />

सं या व दनांक<br />

पै0<br />

ह तार<br />

1 2 3 4 5 6 7 8 9


55<br />

प-2<br />

बल-ाि रसीद<br />

कोषागार का नाम..................................<br />

रसीद सं या.............<br />

िनम ्नांकत ववरण के बल को ा त कया-<br />

0<br />

आहरण अिधकार लेखा शीषक शु धनरािश 0<br />

पारण िलपक के<br />

चेक सं0 व<br />

चेक धनरािश 0<br />

ािकता के<br />

सं0<br />

पै0<br />

ह तार<br />

दनांक<br />

पै0<br />

ह तार<br />

1 2 3 4 5 6 7 8<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4<br />

5<br />

6<br />

7<br />

8<br />

9<br />

हस ्तार कोषागार बल-ाि िलपक<br />

10<br />

कोषािधकार<br />

माणत:-<br />

अहारण अिधकार के ह तार<br />

कृ पया चेक/आपं वाले बल ी .............<br />

जसके ह तार नीचे माणत है, को दे द।<br />

व कायालयमुहर।<br />

सम ्वाहक के ह तार<br />

आहरण अिधकार के दनांक सहत<br />

हस ्तार, पदनाम व कायालय मुहर।


56<br />

प-3<br />

बल पारण िलपक का वार ट रज टर<br />

पारण<br />

क<br />

म<br />

सं या<br />

बल क<br />

रसीद<br />

आहरण<br />

अिधकार/<br />

लेखा<br />

शीषक<br />

बल क<br />

शु<br />

पारण िलपक<br />

व लेखाकार के<br />

चेक लेखक व<br />

लेखाकार के<br />

चेक<br />

सं या<br />

धनरािश कोषािधकार के<br />

इनीिशय स<br />

ितिथ<br />

सं या भुगतान<br />

ािकता<br />

धनरािश<br />

0 पै0<br />

इनीिशय स इनीिशय स<br />

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11<br />

प-4<br />

आप वाले बल का रज टर<br />

दनांक बल क रसीद आहरण अिधकार लेखा शीषक धनरािश 0 आप के साथ ाि िलपक के ह तार<br />

सं या<br />

पै0 लौटाने क ितिथ<br />

1 2 3 4 5 6 7


57<br />

प-5<br />

चेक सं या.........................<br />

धनरािश 0....................<br />

जसके नाम या पदनाम से बना है....................................................................<br />

बल क रसीद सं या बल का सू म ववरण धनरािश 0 पै0<br />

1 2 3<br />

योग......................................<br />

.......................<br />

चेक लेखक<br />

लेखाकार


58<br />

प-6<br />

पारत बल तथा िनगत चेक का रज टर<br />

ितिथ<br />

0<br />

वारन ्ट<br />

आहरण<br />

लेखा<br />

बल<br />

चेक<br />

धनरािश<br />

चेक लेखक<br />

लेखाकार के<br />

कोषा-<br />

बक के भुगतान<br />

सं0<br />

रज टर<br />

अिधकार<br />

शीषक<br />

क शु<br />

सं या<br />

0 पै0<br />

के<br />

ह तार<br />

िधकारके<br />

क ितिथ<br />

क म<br />

धनरािश<br />

ह तार<br />

ह तारर<br />

सं या<br />

0 पै0<br />

थम<br />

माह<br />

तीय<br />

माह<br />

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12


59<br />

प-6-ए<br />

िनगत चेक का दैिनक सार-लेखा<br />

ितिथ चेक लेखक िनगत चेक क कु ल सं या धनरािश<br />

0<br />

1 2 3 4<br />

(1)<br />

(2)<br />

(3)<br />

(4)<br />

योग:-<br />

लेखाकार<br />

कोषािधकार


60<br />

प-7<br />

िनरस ्तीकृ त व कालातीत चेक के थान म जार हुई दोहरे (डु लीके ट) चेक का ववरण<br />

दनांक 0सं<br />

0<br />

आहरण<br />

अिधकार<br />

िनरस ्तीकृ त/ कालातीत<br />

चेक सं या तथा ितिथ<br />

धनरािश 0<br />

पै0<br />

नये चेक क<br />

सं या तथा<br />

धनरािश<br />

0 पै0<br />

हस ्तार चेक<br />

लेखक लेखाकार व<br />

टप ्पीणी यद<br />

कोई हो<br />

ितिथ<br />

कोषािधकर<br />

1 2 3 4 5 6 7 8 9


61<br />

कोषागार.........................<br />

लेखा शीषक.....................<br />

प-8<br />

भुगतान िशडयूल<br />

माह.......................<br />

दनांक वाउचर आहरण अिधकार/ भुगतान चेक चेक क टांसफर ारा भुगतान वाउचर क रािश दैिनक योग क कै श<br />

सं या<br />

ािकता<br />

सं या रािश 0 क गई रािश 0 पै0 बुक म ले जाया गया<br />

पै0 0 पै0<br />

1 2 3 4 5 6 7 8


62<br />

प-9<br />

लेखा शीषक ‘870-चे स ए ड व स-कोषागार चे स’ के अ तगत िनगत<br />

चेक का दैिनक योग - रज टर<br />

कोषागार........................<br />

माह..............................<br />

ितिथ चेक क कु ल दैिनक कु ल धनरािश (जो ाि कै श बुक लेखाकार व कोषािधकार<br />

ववरण<br />

सं या<br />

म ली जायगी) 0 पै0<br />

के इनीिशय स<br />

1 2 3 4 5


63<br />

प-10<br />

लेखा शीषक ‘870-चे स ए ड व स-कोषागार चे स’ के अ तगत भुगतान हुए<br />

चेक का दैिनक लेखा रज टर<br />

कोषागार.............................<br />

माह....................<br />

दनांक 0 सं0 प-6 क<br />

0 सं0<br />

चेक सं या धनरािश<br />

0 पै0<br />

दैिनक योग 0<br />

पै0<br />

कोषािधकर के<br />

इनीिशय स<br />

1 2 3 4 5 6 7


64<br />

प-11<br />

अवशेष चेक का ववरण<br />

दन के ार भ म अवशेष चेक क सं या ..... ...... ....... दनांक ........<br />

दन म ा त चेक क संख ्या ..... ...... ....... ..........<br />

योग.............<br />

ेषत चेक क संख ्या ............. ........ ........ ...................<br />

अवशेष चेक क संख ्या ......... ....... ........ ........ ...................<br />

योग.............<br />

ाि िलपक के ह तार<br />

जांचा/चेक ा त कये<br />

लेखाकार के ह तार


65<br />

प-12<br />

लेखाकार का चेक-प रज टर<br />

दनांक पूव<br />

बकाया<br />

प<br />

क<br />

सं या<br />

डबल लाक<br />

से ा त<br />

प के<br />

मांक व<br />

सं या<br />

योग चेक लेखक<br />

को दए<br />

गए प<br />

का ववरण<br />

लेखाकार के<br />

पास<br />

अवशेष<br />

प क<br />

सं या<br />

उपयोग<br />

कये गए<br />

चेक का<br />

ववरण<br />

िनरस ्त<br />

कये गए<br />

चेक प<br />

के ववरण<br />

चेक लेखक के<br />

पास अवशेष<br />

1 2 3 4 5 6 7 8 9<br />

(1) (2) (3)<br />

बकाया लेखाकार व<br />

प क कोषािधकार के<br />

कु ल सं या ह तार<br />

व ववरण<br />

10 11


66<br />

प-12-ए<br />

चेक लेखक का चेक प रज टर<br />

दनांक पूव बकाया<br />

चेक प<br />

क सं या<br />

चेक प के मांक व<br />

सं या जो लेखाकार<br />

ारा दये गए<br />

कु ल चेक<br />

प का<br />

योग<br />

उपयोग कये<br />

गये चेक के<br />

ववरण<br />

िनरस ्त कए गए<br />

चेक प का<br />

ववरण<br />

बकाया चेक<br />

प का<br />

ववरण<br />

चेक लेखक व<br />

लेखाकार के<br />

ह तार<br />

1 2 3 4 5 6 7 8


संख ्या ए-1-1288/दस-10(28)-72<br />

ेषक,<br />

ी नृपे िम,<br />

संयुक् त सिचव,<br />

उत ्तर देश शासन।<br />

सेवा म,<br />

वभागाध ्य/कायालया य<br />

(जो तीय कोषागार से स ब कये गए है),<br />

लखनऊ ।<br />

वषय:- लखनऊ म तीय कोषागार क थापना तथा चेक णाली ारा भुगतान क यव था।<br />

वत ्त (लेखा) अनुभाग-1<br />

महोदय,<br />

मुझे आपका यान उपरो त वषयक शासनादेश सं या ए-1-1981/ दस-78-5(8)-77, दनांक<br />

22 जुलाई, 1978 क ओर आकृ ट करने का िनदेश हुआ ह जसम यह कहा गया था क चेक ारा भुगतान<br />

क काय णाली के स ब ध म व तृत या आपको अलग से भेजी जायगी। रा यपाल महोदय ने देशीय<br />

कोषागार से भुगतान हेतु चेक णाली को अनुमोदत कर दया है जो संल न* ह। इस णाली के अनुसार<br />

आहरण एवं वतरण अिधकारय ारा देयक को, िनधारत रज टर पर चढाकर कोषागार म तुत कया<br />

जायगा और कोषागार म भुगतान आदेश के अनुसार शु देय धनरािश के िलए चेक िनगत कया जायगा।2-<br />

शासन ने इस समय संल न चेक णाली ारा भुगतान क यव था के वल लखनऊ के तीय<br />

कोषागार म लागू करने का िनणय िलया ह इसे अ य कोषागार म लागू करने क बाबत बाद म आदेश जार<br />

कए जायगे।3- आशा क जाती है क तीय कोषागार माह िसत बर, 1978 के म य से काय करना ार भ<br />

कर देगा। अत: इस बीच सल न णाली के अ तगत कायवाह क सम त औपचारकताय पूर करा ली जाय।<br />

तीय कोषागार के काय ार भ करने क ितिथ क औपचारक सूचना अलग से द जायगी।<br />

4- व तीय व कोषागार िनयम म आव यक संशोधन यथासमय कये जायगे।<br />

भवदय,<br />

नृपेन ् िम,<br />

संयुक् त सिचव।<br />

संख ्या-ए-1-1288(1)/दस-10(28)-72, त दनांक<br />

ितिलप जलािधकार, लखनऊ को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत।<br />

आा से<br />

गोपाल साद अवाल,<br />

उप सिचव।


68<br />

संख ्या-ए-1-1288(2)/दस-10(28)-72 त दनांक,<br />

ितिलप िन निलखत को भी सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:-<br />

1- महालेखाकार, उ तर देश 1,2,3, इलाहाबाद।<br />

2- रजव बक आफ इडया, धान कायालय, ब बई।<br />

3- भारतीय टेट बक, धान कायालय ब बई तथा थानीय धान कायालय,<br />

कानपुर/नई द ली।<br />

4- भारतीय टेट बक, हजरतगंज शाखा/अशोक माग शाखा, लखनऊ।<br />

5- आयुक् त, लखनऊ म डल लखनऊ।<br />

6- पो ट मा टर जनरल, उ तर देश म डल, लखनऊ।<br />

7- सिचव राज व परष, उ तर देश म डल, लखनऊ।<br />

8- सी0ड0ए0 (पी0), इलाहाबाद।<br />

9- िनदेशक, कोषागार, उ तर देश, जवाहर भवन, लखनऊ।<br />

10- वर ठ कोषािधकार, कोषागार (थम) व (तीय), लखनऊ।<br />

11- सिचवालय के सम त अनुभाग।<br />

12- उप सिचव एवं रा य संप अिधकार, लखनऊ।<br />

13- धानाचाय, कोषागार िशण के , लखनऊ।<br />

14- उपसिचव एवं वर ठ लेखािधकार, इरला चेक अनुभाग, उ तर देश सिचवालय।<br />

15- सम त जलािधकारश, उ तर देश।<br />

आा से<br />

गोपाल साद अवाल<br />

उप सिचव।


69<br />

संख ्या-ए-1-1330/दस-4(1)-70<br />

ेषक,<br />

ी नृपे िम,<br />

वशेष सिचव<br />

उत ्तर देश शासन।<br />

सेवा म,<br />

समस ्त वभागा य एवं<br />

मुख कायालया य।<br />

उत ्तर देश।<br />

लखनऊ, दनांक 17 मई,1979।<br />

वषय:- लेखा काय स ब धी कत य एवं दािय व के िन पादन म आहरण एवं वतरण अिधकारय ारा<br />

यान देने यो य मु य बात।<br />

वत ्त (लेखा) अनुभाग-1<br />

महोदय,<br />

मुझे यह कहने का िनदेश हुआ है क सतक ता आयोग क स तूितय को यान म रखते हुये<br />

कायालय म लेखा काय के िन पादन के िलए आहरण एवं वतरण अिधकारय के पथ-दशन तथा अनुपालन<br />

हेतु एक चेक ग फामूला बनाया गया है, जो संल न है। रा यपाल महोदय आदेश देते ह क संल नक म जन<br />

बात का उ लेख कया गया है उनका अनुपालन, आहरण एवं वतरण अिधकारय ारा अपने कायालय के<br />

लेखा काय स ब धी क त य एवं दािय व के िन पादन म वशेष प से यान पूवक तथा कडाई के साथ<br />

कया जाय। कृ पया आहरण एवं वतरण अिधकारय क जानकार म इन आदेश को तुर त लाने का क ट<br />

कर।<br />

2- रा यपाल महोदय यह भी आदेश देते ह क अत आहरण एवं वतरण अिधकारय के चर पंजकाओं<br />

म वाषक व ट क जाय तो उसम इस बात का भी प ट उ लेख कया जाय क उनके ारा िनधारत<br />

चेक ग फामूला का कडाई से अनुपालन कया गया है।<br />

भवदय<br />

नृपेन ् िम,वशेष सिचव।<br />

संख ्या-ए-1-1330(1)/दस-4(1)-70, त दनांक<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:-<br />

1- महालेखाकार, उ तर देश, इलाहाबाद को प सं या रा0 को0 व0 1/1/1-26/ख ड छ:/8, दनांक<br />

17-4-1978 के संदभ म।<br />

2- िनदेशक, कोषागार, उ तर देश, 1018, जवाहर भवन लखनऊ।<br />

3- सम त कोषािधकार, उ तर देश।<br />

4- सिचवालय के सम त अनुभाग।<br />

5- सतक ता अनुभाग-1।<br />

आा से<br />

गोपाल साद अवाल,उप सिचव।


70<br />

लेखा काय संबंधी क त य एवं दािय व के िन पादन म आहरण एवं<br />

वतरण अिधकारय ारा यान देने यो य मु य बात का चेकं ग फामूला<br />

1-वेतन बल<br />

(क) इस बात का यान रखा जाना चाहए क वेतन बल म वीकृ त पद के िलए ह वेतन आहरत कया<br />

जा रहा है तथा येक कमचार का वेतन शासन ारा वीकृ त वेतन मान म ह िनकाला जा रहा है।<br />

अ थायी एवं थायी अिध ठान के िलए अलग-अलग वेतन बल बनाए जायं एवं अ थाई अिध ठान के<br />

वेतन बल पर शासनादेश भी अंकत कर दया जाय।<br />

(ख) व तीय ह त पुतका, ख ड 5, भाग-1 के तर 137 के अनुसार जहां वेतन वृ का माण-प<br />

आव यक है वह बल के साथ अव य लगा दया जाय।<br />

(ग) राजपत अिधकारय जनके वेतन कम का अिधकतम 1,200 0 से अिधक न हो के वेतन भ त<br />

आद के दाव के सब कार के बल का आहरण कायालया य उसी कार कर जैसा क वे<br />

अराजपत अिध ठान का करते ह। लेकन राजपत अिधकारय के और अराजपत अिध ठान के<br />

दावे अलग-अलग बल म आहरत कये जायं। राजपत अिधकारय के दाव के बल जब तक क<br />

कोई दूसरा प िनधारत नहं कया जाता उसी प पर बनाये जायगे जस पर अराजपत<br />

अिधक ठान का बल बनाया जाता है। इन बल के उपर पहले पृ ठ पर प ट श द म ‘ेणी-2 के<br />

राजपत अिधकारय का बल’ अव य अंकत कया जाय।<br />

(घ) यद वेतन बल बकाया वेतन से संबंिधत हो तो बकाया वेतन िनकालने के िलए िनधारत माण-प<br />

या नोट बल क कायालय ित म अंकत कर दया जाय ताक बकाया बेतन दुबारा न िनकाला जा<br />

सके । यह भी सुिनत कर दया जाय क अवशंष दाव के डटेल सेवा पुतका म भी व ट कर<br />

दये गये ह।<br />

(ड) पुराने अवशेष दाव का भुगतान व तीय ह त पुतका, ख ड 5, भाग 1 के तर 74 और 141 के<br />

अनुसार कया जाय।<br />

(छ) अवकाश वेतन तथा ेकन पीरयड के वेतन का कलकु लेशन मेम बल के साथ संल न होना चाहए।<br />

मेम से आहरत कए जा रहे वेतन क पु कर ली जाय। यह भी सुिनत कर िलया जाय क<br />

अवकाश अविध अवकाश लेखे म घटा द गई है।<br />

(ज) वेतन बल म उन पद का वेतन नहं िनकाला जा रहा है जनका भुगतान ासंिगक यय से कया<br />

जाता है।<br />

(झ) वेतन बल के साथ जहां आव यक है फाम बी0एम0 9 लगा है या नहं<br />

(ट) वेतन बल पर ह तार करते समय आहरण एवं वतरण अिधकार को उसके साथ-साथ फाम 11-सी<br />

पर भी ह तार करने चाहए।<br />

(ठ) वेतन आहरण के उपरा त उसका वतरण संबंिधत कमचारय म कये जाने के बाद, वेतन पंजी<br />

(Acquittance Roll) अलग से या बल क कायालय ित पर िनयमानुसार रखे जाने चाहए। येक<br />

कमचार ारा भुगतान लेते समय ह तार के नीचे ितिथ अव य द जानी चाहए। जो कमचार अपने<br />

ह तार करने म असमथ ह, उनके अंगूठे के िनशान लगवाकर उनके नीचे ितिथ अंकत क जानी


71<br />

(ड)<br />

(ढ)<br />

चाहए।<br />

जब वेतन तीन माह से अिधक समय से वतरत न हो पाये तो उसक वापसी कोषागार म कर द<br />

जानी चाहए।<br />

आहरण एवं वतरण अिधकार ारा वेतन भुगतान का माण-प बल क कायालय ित म, वेतन<br />

पंजी को देखकर देना चाहए।<br />

2-ासंिगक यय बल- ासंिगक यय बल के आहरण के िसलिसले म िन न बात पर वशेष यान दया<br />

जाना चाहए:-<br />

(क) आहरण िनधारत प पर कया जा रहा है अथवा नहं। इस संबंध म व तीय ह तपुतका ख ड 5,<br />

भाग 1 के संबंिधत िनयमी को यान म रखा जाना चाहए।<br />

(ख) ासंिगक मद म तभी धन आहरत करना चाहए, जबक उसके भुगतान क तुर त आव यकता हो<br />

अथवा धन थाई अिम म यय हो चुका हो।<br />

(ग) वाउचर िनयमानुसार बने होने चाहए।<br />

(घ) आहरण एवं वतरण अिधकार को यह देख लेना चाहए क संिगक मद म जो धन आहरत कया<br />

जा रहा है वह विनयोग (एोयेशन) के अ तगत है अथवा नहं और आहरत कए जा रहे धन के<br />

िलए आय- ययक म उिचत धनरािश का ावधान है अथवा नहं।<br />

(ड) खच क वीकृ ित िनयमानुसार ा त कर ली गई है, इसका यान रखा जाय।<br />

(च) जो वाउचर बल के साथ संल न कए जा रहे ह उन पर भुगतान आदेश िनयमानुसार िलखा गया है<br />

अथवा नहं और बल पर व ड ए ड कै स ड क मोहर लगी है अथवा नहं यह देख िलया जाना<br />

चाहए।<br />

(छ) 1,000 0 से अिधक के सब बाउचर बल के साथ संल न होना चाहए और उससे कम धनरािश के<br />

बाउचर कायालय म सुरखत रखे जाने चाहए।<br />

(ज) ासंिगक बल म जन-जन मद का आहरण कया जा रहा है, उनसे संबंिधत वाउचर देखने के<br />

उपरा त ह ासंिगक बल आहरण एवं वतरण अिधकार ारा ह तारत कया जाना चाहए।<br />

(झ) फाम बी0 एम0 9 जहां आव यक है बल के साथ संल न है, यह सुिनत कर िलया जाय।<br />

(ट) ासंिगक बल का िमलान ासंिगक बल रज टर से करना चाहये जो फाम 13 पर व तीय<br />

ह तपुतका ख ड 5, भाग-1 के पैरा 173 के अ तगत रखा जाता है।<br />

(ठ) आहरण एवं वतरण अिधकार को यह सुिनत करना चाहए क ासंिगक यय हेतु जो धन<br />

आहरत कया गया है, उसका भुगतान संबंिधत भुगतान ा त कताओं को समय से कर दया गया है<br />

तथा उनसे भुगतान ा त करने क रसीद ा त कर कायालय म सुरत रखी गयी है अथवा नहं।<br />

(ड) ऐसे ासंिगक बल जनका ीआडट होना है तुर त ह महालेखाकार कायालय को ेषत कये जायं।<br />

व तीय वष के अ त तक उ ह रोके न रखा जाय।<br />

3-याा भ ता बल<br />

(क)<br />

बल िनधारत प पर आहरत कया जाना चाहये।


72<br />

(ख)<br />

(ग)<br />

(घ)<br />

(ड)<br />

(च)<br />

(छ)<br />

(ज)<br />

आहरण एवं वतरण अिधकार को यह सुिनत कर लेना चाहए क जो याा भ ता बल आहरत<br />

कया जा रहा है वह स बधत कमचार को देय है, बल याा समाि के दनांक से एक वष के<br />

अ दर ह दावेदार ारा तुत कया गया है, वतमान वीकृ त दर पर आधारत है तथा उसम से यद<br />

कोई याा भ ता अिम वीकृ त कया गया हो तो उसका समायोजन कर िलया गया है अथवा नहं।<br />

सभी याा भ ता बल पर संबंिधत कमचारय के दनांक सहत ह तार नोट होने चाहये ताक<br />

तुत करने क ितिथ सुिनत क जा सक ।<br />

जो याा भ ता बल एक वष के बाद तुत कये जायं उ ह न तो वीकार कया जाय और न ह<br />

महालेखाकार को भेजा जाय।<br />

जहां पर वाहन भ ता देय है यह सुिनत कर लेना चाहये क संबंिधत कमचार ने सामा य<br />

िनधारत सीमा के आगे याा क है।<br />

यह जांच कर लेना चाहये क सरकार कमचार को कोई फ सड याा भ ता नहं दया जाता है।<br />

याा भ ता बल का चेक रज टर ठक से कायालय म रखा जा अथवा नहं यह देख दया जाय।<br />

उनक व 11-सी0 रज टर म क जाय।<br />

आहरण एवं वतरण अिधकार को बल ह तारत करते समय चेक रज टर पर ह तार करने<br />

चाहये और याा भ ता संबंधी उन सभी िनयम का पालन करना चाहए जो व तीय ह तपुतका,<br />

ख ड 3 म दये गये ह।<br />

4- रोकड वह (कै श बुक)- बल को बनाने तथा उनक जांच करने के िलये उपरो त मोट-मोट बात क<br />

यान म रखने के अितर त आहरण एवं वतरण अिधकारय को विभ न बल ारा आहरत क गई धरािश<br />

को लेख म िलये जाने के वषय म भी कु छ आव यक बात पर यगन यान देना चाहये। कायालय क<br />

रोकड बह म आहरत बल क धनरािश आहरण के तुर त बाद दशथी जानी चाहये। रोकड बह के रख-रखाब<br />

के वषय म िन न बात यान देने यो य ह:-<br />

(क) एक कायालय म सम त सरकार लेन-देन से संबंिधत एक क रोकड बह रखी जानी चाहये।<br />

(ख) रोकड वह का योग कये जाने से पहले आहरण एवं वतरण अिधकार को उसके पृ ठ को गणना<br />

करके उसके शु म पृ ठ क गणना माणक ह तार के अ तगत देना चाहये। पृ ठ पर यद<br />

सं या न छपी हो तो उनक िलखना चाहये।<br />

(ग) नई रोकड बह म पुरानी रोकड बह से जो धनरािश लाई जाती है (कै रेड ओबर) उसके िलये नई रोकड<br />

वह म एक माण-प आहरण एवं वतरण अिधकार के ह तारं के अ तगत िलया जाना चाहये<br />

क पुरानीं रोकड बह से सह धनरािश नई रोकड बह म लाई गई है।<br />

(घ) रोकड वह रोजाना भर और ब द क जानी चाहये। यद कसी दन लेन-देन न हो तो उस दन का<br />

हसाब रखना आव यक नहं है। रोकड वह ब द करने के उपरा त आहरण एवं वतरण अिधकार क<br />

उसी दन का उसके दूसरे दन उसक जांच संबंिधत बलो, रसीद बहय तथा बाउचर क सहाय ता से<br />

कर लेनी चाहये और उसे ह तारत करना चाहये। आहरण एवं वतरण अिधकार को यह सुिन चत<br />

कर लेना चाहये क जो भी वयां रोकड बह म क गई ह, उनम संबंिधत करगजात उनके ारा<br />

देखे जाते ह।<br />

(ड) माह के अ त म मािसक अवशेष रोकड बह म आहरण एवं वतरण अिधकार के ह तार के


73<br />

(च)<br />

(छ)<br />

(ज)<br />

(झ)<br />

(थ)<br />

(द)<br />

(ध)<br />

(न)<br />

अ तगत भौितक स यापन कर उसका माण-प अंकत करना चाहये। यह यान रहे क माह के<br />

अ त के अवशेष के पूण ववरण रोकड बह म माह के अ त म दे दये जाय। जो मद अितर त रखी<br />

गई ह, उनके स मुख उनके आहरण क ितिथ भी िलखी जानी चाहए ताक आहरण अिधकार को<br />

यह ात हो सके क कवे मद कब से कायालय म अवतरत पड हुई ह।<br />

आहरण एवं वतरण अिधकार को चह सुिनत कर लेना चाहये क खजा ची के हाथ म अवशेष<br />

धनरािश उसक िनधारत जमानत से अिधक तो नहं ह। यद कसी दन ऐसा हो तो उस दन कै श<br />

चे ट क चाभी आहरण एवं वतरण अिधकार को वयं अपने पास रखनी चाहये और इस कायवाह<br />

के िलये एक ट पणी रोकड बह म अंकत कर लेनी चाहये।<br />

रोकड बह म, काट-छाट करना, ओवर राइटग करना, इरेजंग अ ◌ाद नहं करना चाहये। आहरण एवं<br />

वतरण अिधकार को इस बात का यान रखना चाहये क जो कमचार रोकड बह का रख-रखाब<br />

करता है, उसके ारा उसम काट-छांट, ओबर राइटंग, इरेजंग नहं कया जाता है और यद ऐसा<br />

कया जाता है तो उसके वषय म आहरण एवं वतरण अिधकार को अंकत क गई धनरािश क जांच<br />

संबंिधत अिभलेख से वयं कर लेनी चाहये।<br />

बक ाट कायालय म ा त होते ह अथवा कायालय से बाहर भेजे जात ह, उनका अंकन संबंधी<br />

िनयम के अनुसार रोकड बह म लाल याह से अव य करना चाहये।<br />

रोकड बह के रोकड त भ (Money Columns) के योग क जांच आहरण एवं वतरण अिधकार को<br />

रोजाना वयं कर लेनी चाहये। (त) आहरण एवं वतरण अिधकार को चाहये क कोषागार से<br />

फाम बी0एम0-9 ा त होने पर बह रोकड बह से उनका िमलान कर ले। पूव माह म जतने भी<br />

आहरण कये गये ह उनका िसलान बी0एम0-9 से करना चाहये और यद कोई तुट पाई जाय तो<br />

उसका िनवारण कोषागार से परामश करने के प चात ् तुर त कर लेना चाहये। यद कसी मद का<br />

बी0एम0-9 ा त न हुआ हो तो उन मद के आहरण कर िसलान कोषागार अिभलेख से करना सुरा<br />

क से वांछनीय होगा।<br />

आहरण एवं वतरण अिधकार का यह सुिनत कर लेना चाहए क जो यान आहरत कया गया<br />

हो उसका भुगतान संबंिधत भुगतान ा तक ताओं को शीाितशी कर दया जाय। जहां तक हो सके<br />

कायालय के कै श चे ट म कम से कम धन रखा जाय।<br />

यद कायालय म ाियां कसी महने म 1,000-00 0 से अिधक क हो जाय तो आहरण एवं<br />

वतरण अिधकार को चाहये क वे कोषागार से उनक एक सूची ा त कर ल और उनका िमलान<br />

अपनी रोकड बह से कर ल।<br />

देयक पर पेईज ड चाज टू द बक और टेजर ह तारत करने के उपरा त उ ह रोकड के समान<br />

समझना चाहये। ऐसे देयक को कसी ज मेदार य जनक परभाषा व तीय ह त पुतका<br />

ख ड 5, भाग-1 के परिश ट-17 म द गई है, को ह भुगतान ा त करने के िलये सपना चाहए।<br />

जस कमचार को ऐसे देयक सपे जायं उसके ह तार व तीय ह त पुतका ख ड 5, भाग-1 के<br />

पैरा 47-ए म दए गये प पर ले िलए जायं और समय-समय पर उसक जांच आहरण एवं वतरण<br />

अिधकार ारा क जानी चाहए।<br />

आहरण एवं वतरण अिधकार को रोकड बह जांचते समय ाि-साइड म कायालय म नकद ाियां<br />

क ितय का िमलान संबंिधत ाि रसीद से करना चाहये और यह सुिनत कर लेना चाहए क


74<br />

जस दन क रोकड बह क वे जांच कर रहे ह, उस दन जो भी नकद धनरािश कायालय म ा त<br />

हुई हो, उन सभी क वय के स भुख रसीद सं या अंकत कर द गई है। रसीद पर आहरण एवं<br />

वतरण अिधकार ारा उसक व रोकड बह म कए जाने हेतु ित ‘इन ्टड इन टू कै श बुक’<br />

कर द जाय। जब कोई रसीद बुक पूर हो जाय तो उसक जांच कर यह माणक जार कया जाय क<br />

इस रसीद बुक के सभी ितपण को ािय को लेख म ले िलया गया ।


्<br />

75<br />

संख ्या-2912/व0सं0शा0/2001<br />

ेषक,<br />

इन ्दु कु मार पा डे<br />

सिचव, व त<br />

उ तराख ड शासन।<br />

सेवा म,<br />

िनदेशक<br />

कोषागार एवं व त सेवाय<br />

उ तराख ड देहरादून।<br />

वत ्त अनुभाग देहरादून, दनांक 26 मई, 2001<br />

वषय:- उ तराख ड व त सेवा का गठन।<br />

महोदय,<br />

उपयुक् त वषय पर मुझे यह कहने का िनदेश हुआ है क ी रा यपाल महोदय त कािलक<br />

भाव से उ तराख ड व त सेवा का गठन करने तथा पद के िनधारण पर सहष अनुमित दान करते ह।<br />

पूवत ्तर उ तर दश के व त एवं लेखा सेवा के उ तराख ड रा य म समाहत अिधकारय को पूव क<br />

वर ठता सूची के म म पाता एवं उपयु तता के आधार पर रखा जायेगा। उ तराख ड व त सेवा के<br />

विभ वेतन मान के पद क सं या िन न कार िनधारत कया जाता है:-<br />

मांक वेतनमान<br />

संवगय िनयमावली के अनुसार योग<br />

पद अिधकतम 50%<br />

ितिनयु<br />

1- अितकाल वेतन 0 18400-22400<br />

संशोिधत वेतनमान<br />

(37400-67000 एवं ेड वेतन 10000.00)<br />

2 1 3<br />

2- उच ्च वेतनमान 0 16400-20000<br />

संशोिधत वेतनमान<br />

(37400-67000 एवं ेड वेतन 10000.00)<br />

3-वशेष वेतनमान 0 14300-18300<br />

संशोिधत वेतनमान<br />

(37400-67000 एवं ेड वेतन 10000.00)<br />

4- ज ्येष ्ठ वेतनमान ेणी 1 0 12000-16500<br />

संशोिधत वेतनमान<br />

(15600-39100 एवं ेड वेतन 7600.00)<br />

5- ज ्येष ्ठ वेतनमान ेणी 2 0 10000-15200<br />

संशोिधत वेतनमान<br />

(15600-39100 एवं ेड वेतन 6600.00)<br />

8 4 12<br />

10 5 15<br />

16 8 24<br />

20 10 30


76<br />

6- साधारण वेतनमान 0 8000-13500<br />

30 15 45<br />

संशोिधत वेतनमान<br />

(15600-39100 एवं ेड वेतन 5400.00)<br />

योग:- 86 43 129<br />

2- उ त पद के सापे संवगय पद क सूची संल नक ‘क’ पर उपल ध ह जब क<br />

िन:संवग/ितिनयु के पद का ववरण सल नक ‘ख’ पर उपल ध है जसे शासन ारा यथा आव यक<br />

पंरवितत कया जा सके गा क तु िन:संवग/ितिनयु के पद क सं या कसी भी दशा म संवग के पद<br />

क सं या के 50 ितशत से अिधक न होगी।<br />

3- सल नक म उलखत पदनाम तथा वभाग/सं था के पदनाम म िभ नता होने पर वभाग/सं या<br />

का पदनाम ह मा य होगा।<br />

भवदय,<br />

के 0सी0िम<br />

शासनासदेश सं या 2912/व0सं0शा0/2001, दनांक 26 मई 2001 का संल नक ‘क’<br />

अपर सिचव<br />

व त<br />

उ तराख ड व त सेवा के वेतनमानवार<br />

सवंगय पद<br />

1- वेतनमान 0 18400-22400 (37400-67000 एवं ेड वेतन 10000.00) (कु ल दो पद)<br />

क- िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय,सह-स ्टेट इ टरनल आडटर (एक पद)<br />

ख- िनदेशक लेखा एवं हकदार (एक पद)<br />

2- वेतनमान 0 16400-20000 (37400-67000 एवं ेड वेतन 10000.00) (कु ल 8 पद)<br />

क- अपन िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय, सह टेट इ टरनल आडटर िनदेशालय(2 पद)<br />

ख- अपन िनदेशक लेखा एवं हकदार िनदेशालय (2 पद)<br />

ग- अपर सिचव व त (1 पद)<br />

घ- व त िनयंक तर-1 (लो0िन0व0वन तथा िचक0 वा0 एवं प0 क याण (3 पद)<br />

3- वेतनमान 0 14300-18300 (37400-67000 एवं ेड वेतन 10000.00) (कु ल 10 पद)<br />

क- संयु त सिचव- ी रा यपाल, वधान सभा, इरलाचैक (3 पद)<br />

ख- वभागीय व त िनयंक–िशा, कृ ष, खाघ पुिलस, िसचाई, ा य वकास,<br />

आयुक् त कर, कायालय<br />

(7 पद)<br />

4- वेतनमान 0 12000-16500 (15600-39100 एवं ेड वेतन 7600.00) (कु ल 16 पद)<br />

क- संयु त िनदेशक (दो कोषागार िनदेशालय तथा दो लेखा एवं हकदार िनदेशालय) (4 पद)<br />

ख- मु य कोषािधकार (पौड, देहरादून एवं नैनीताल) (3 पद)<br />

ग- बजट अिधकार व त वभाग (1 पद)<br />

घ- मु य व त अिधकार-सहाकारता, पयटन, ामीण अिभयंण एवं लघु िसंचाई,<br />

जलागम िनदेशालय, एके डेगी आफ एडिमिन टेशन नैनीताल, अबकार<br />

एवं राज व, म एवं सेवायोजन-1 कु ल<br />

(8 पद)<br />

5- वेतनामान 0 10000-15000 (15600-39100 एवं ेड वेतन 6600.00) (कु ल 20)<br />

क- वर ठ कोषािधकार (10 पद)


77<br />

ख- उप िनब धक सोसायटज/िचस (2 पद)<br />

ग- स भागीय वर ठ व अिधकार (2 पद)<br />

घ- उप िनदेशक (कोषागार एवं व त सेवाय, तथा लेखा एवं हकदार िनदेशालय)<br />

वरष ्ठ व त अिधकार पशुपालन<br />

(6 पद)<br />

6- वेतमान 0 8000-13500 (15600-39100 एवं ेड वेतन 5400.00) (कु ल 30 पद)<br />

क- कोषािधकार (7 पद)<br />

ख- जला तरय व त अिधकार िशा वभाग (13 पद)<br />

ग- व त अिधकार शासकय मुणालय, टा प एवं पंजीकरण, अल ्प बचत, समाज<br />

कल ्याण, सैिनक क याण, जेल वभाग, िशण सं थान िसंचाई, सहायक िनबन ्धक,<br />

भुगतान एवं लेखा कायालय – नई द ली, एन0 सी0 सी0 एवं युवा क याण (10 पद)<br />

योग:- 86 पद<br />

के 0सी0िम<br />

अपर सिचव व त


78<br />

संख ्या 971/व0अनु0-4/2003,<br />

ेषक,<br />

इन ् कु मार पा डेय,<br />

मुख सिचव व त,<br />

उ तराख ड शासन।<br />

सेवा म,<br />

िनदेशक,<br />

कोषागार एवं व त सेवाय,<br />

उ तराख ड, देहरादूर।<br />

वत ्त अनुभाग-4 देहरादूर, दनांक 21 अग त, 2003<br />

वषय:-िनदेशायल कोषागार एवं व त सेवाय, सह टेट इ टरनल आडट हेतु नये पद के सृजन वषयक।<br />

महादेय,<br />

उपयुक् त वषय के स ब ध म मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क िनदेशालय कोषागार एवं<br />

व त सेवय, सह टेट इ टरनल ऑडट के वाद/दाव का िन तारण तथा रा पशन क ितपूित के िलये<br />

नई मॉग के मा यम से वीकृ त सहायक कोषािधकार वेतनमान 0 6500-10500 एवं लेखाकार वेतनमान<br />

0 5000-8000 के मश: 03 तथा 02 कु ल 05 अ थाई पद क दनांक 28-02-2004 तक सृजन कये<br />

जाने क महामहम ी रा यपाल सहष वीकृ ित दान करते ह।<br />

2- अ त सम त पद पर िनयुय ितिनयु/सेवा थाना तरण/रडप ्लायमट अथवा संगत सेवा<br />

िनयमावली के अधीन चयन के आधार पर क जायेगी।<br />

3- सृजत पद पर िनयु त कये जाने वाले किमय क िनयु पूणत: अ थाई होगी तथा बना कसी<br />

पूव सूचना कभी भी समा त क जा सकती है। इस स ब ध म पृथक से आदेश जार नहं कये जायगे।<br />

4- इस स ब ध म होने वाला यय अनुदान सं या-07 के लेखा शीषक 2054-खजाना तथा लेखा<br />

शासन-095 लेखा तथा खजाना िनदेशालय-03-कोषागार एवं व त सेवाय अिध ठान के सुसंगत मानक मद<br />

से वहन कया जायेगा।<br />

भवदय,<br />

इन ् कु मार पा डेय,<br />

मुख सिचव व त।<br />

संख ्सा 971/व0अनु0-4/2003, दनांक त दनांक<br />

ितिलप िन नांकत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह ेषत :-<br />

1- महालेखाकार, उ तराख ड, ओबरॉच मोटत वडंग,सहारनपुर रोड, माजरा, देहरादून।<br />

2- िनदेशक, लेखा एवं हकदार, उ तराख ड।<br />

3- वर ठ कोषािधकार, दहेरादून।<br />

आा से<br />

के 0सी0 िम<br />

अपर सिचव।


79<br />

संख ्या 5098/व0सं0शा0/2001<br />

ेषक,<br />

इन ् कु मार पा डेय<br />

सिचव व त<br />

उ तराख ड शासन<br />

सेवा म,<br />

िनदेशक,<br />

कोषागार एवं व त सेवाय,<br />

उ तराख ड, देहरादून।<br />

वत ्त अनुभाग देहरादून, दनांक 19 जून 2001<br />

वषय:- िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय, सह टेट इ टरनल आडट के कायालय का संगठना मक<br />

ढॉचा।<br />

महोदय,<br />

उ तराख ड रा य म कोषागार एवं उपकोषागार संबंधी अिध ठान, थानीय िनिध लेखा-परा,<br />

सहकारता एवं पंचायत लेखा-परा, डाटा से टर तथा सेवा संबंधी अिध ठान के काय के पयवेणा, िनयंण<br />

आद हेतु ी रा यपाल महोदय कोषागार एवं व त सेवाय, सह टेट इ टरनल आडटर िनदेशालय क<br />

थापना हेतु सहष वीकृ ित दान करते ह तथा इस िनदेशालय म िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय, सह<br />

टेट इ टरनल आडटर का एक पर तथा तर-3 म उलखत पद के सृजत करने क अनुमित दान<br />

करते ह।<br />

2- उपयु त वषयक काय हेतु िनदेशक को वभागा य एवं बजट िनयंक अिधकार घोषत कया जाता<br />

है।<br />

3- िनदेशक के अधीन संवग के अनुसार 2 अपर िनदेशक (वेतनमान 0 16400-20000), 4 संयु त<br />

िनदेशक/उप िनदेशक (वेतनमान पद धारक के अनुप), 1 वैयक सहायक (वेतनमान 0 6500-10500),<br />

4 आशुिल पक सह कं सोल आपरेटर (वेतनमान 0 4000-6000), 3 लेखाकार सह वर ठ डाटा इ आपरेटर<br />

(वेतनमान 0 5000-8000), 2 वर ठ स ेक सह-डाटा, ेिसिशंग अिस टट(वेतनमान 0 5000-8000),<br />

5 कायालय सहायक सह डाटा इ आपरेटर (वेतनमान 0 4000-6000), 4 वाहन चालक (वेतनमान 0<br />

3050-4590), 6 चपरासी (वेतनमान 0 2550-3200) सह क यूटर क सहायक अटे डे ट सह डाक वाहक<br />

सह फरिश के पद हगे। वग ‘घ’ के पद अनुब ध अथवा रड लागमे ट ारा भरे जायगे।<br />

4- कोषागार क संरचना पूववत होगी।<br />

5- जला अथवा सं था म थानीय िनिध लेखां परा तथा सहकारता एवं पंचायत, लेखा-परा का<br />

संगठना मक वप पूववत िनधारत पवतीय उप-संवग के अनुसार रहेगा।<br />

6- कोषागार एवं पशन, थानीय िनिध लेखा परा, सहकारता एवं पंचायत लेखा परा के<br />

ेीय/मंडलीय कायालय िनदेशालय म समाहत कये जायं।<br />

7- वर ठता, पात एवं उपल धता के आधार पर लेखा परा के दो मुख संवग यथा थानीय िनिध<br />

लेखा परा तथा सहकारता एवं पंचायत लेखा-परा िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय सह टेट इ टरनल<br />

आडटर के अधीन एक पद अपर िनदेशक तथा अलग-अलग संवग हेतु एक-एक पद संयु त/उप िनदेशक का


80<br />

िनयु त कये जाय।<br />

8- चयन तथा िनयु या पूव तर उ तर देश म लागू विभ न सेवा िनयमावली के अनुसार कया<br />

जाय, जब तक उ तराख ड रा य क त वषयक िनयमाविलय नहं बन जाती ह।<br />

उपरोक् त आदेश, त काल भाव से लागू हगे।<br />

भवदय,<br />

इ कु मार पा डेय<br />

सिचव व त ।<br />

संख ्या 5098/व0सं0शा0/2001<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:-<br />

1- समसत मुख सिचव/सिचव उ तराख ड शासन।<br />

2- महालेखाकार उ तराख ड, 5 थान हल रोड स यिन ठा भवन, इलाहाबाद ।<br />

3- सम त वभागा य/कायालय य उ तराख ड।<br />

4- कु लप त, सम त व ववघालय उ तराख ड।<br />

5- सम त जलािधकार, उ तराख ड।<br />

6- सम त कोषागार अिधकार, उ तराख ड।<br />

आा से<br />

के 0सी0िम0<br />

अपर सिचव


81<br />

संख ्या 125/व0अनु0-4/2001<br />

ेषक,<br />

के 0सी0 िम,<br />

अपर सिचव<br />

उत ्त ्रांचल शासन।<br />

सेवा म,<br />

िनदेशक,<br />

कोषागार एवं व त सेवाय,<br />

उ तराख ड देहरादून।<br />

वत ् अनुभाग-4 देहरादून दनांक 07-नव बर, 2001<br />

वषय:- िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय के संगठना मक ढांचे म आशुिलपक सह क सल<br />

आपरेटर का एक अितर त पद का सूचना के संबंध म।<br />

महोदय,<br />

उपयुक् त वषय पर मुझे यह कहने का िनदेश हुआ है क िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय,<br />

िनदेशालय हेतु शासनादेश सं0-5098/ व0सं0शा0/ 2001 दनांक 19 जून, 2001 ारा िन निलखत पद का<br />

सृजन कया गया ह-<br />

0<br />

पद का नाम<br />

वेतनमान सृजत पद पुनरत वेतन ेड वेतन<br />

सं0<br />

(0 म) क सं0<br />

1 िनदेशक 18400-22400 1 34700-67000 10000.00<br />

2 अपर िनदेशक 16400-20000 2 34700-67000 8900.00<br />

3 संयुक् त िनदेशक 12000-16500 01 15600-39100 7600.00<br />

4 उप िनदेशक 10000-15200 01 15600-39100 6600.00<br />

5 मु य ोामर 10000-15200 01 15600-39100 6600.00<br />

6 ोामर 8000-13500 01 15600-39100 5400.00<br />

7 सहायक कोषािधकार 7500-12000 03 9300-34800 4800.00<br />

8 सहायक लेखािधकार 7500-12000 01 9300-34800 4800.00<br />

9 लेखाकार 6500-11500 04 9300-34800 4200.00<br />

10 सहायक लेखाकार 4500-7000 04 5200-20200 2800.00<br />

11 वैयक सहायक 6500-11500 01 9300-34800 4200.00<br />

12 शासिनक अिधकार ेड-2 5500-10500 01 9300-34800 4200.00<br />

13 वर ठ डाटा इ आपरेटर 5000-8000 01 9300-34800 4200.00<br />

14 मु य सहायक 4500-7000 01 5200-20200 2800.00<br />

15 डाटा इ आपरेटर 4000-6000 01 5200-20200 2400.00<br />

16 वर सहायक 4000-6000 01 5200-20200 2400.00<br />

17 आशुिलपक 4000-6000 01 5200-20200 2400.00<br />

18 किन ठ सहायक 3050-4590 01 5200-20200 1900.00<br />

19 वाहन चालक 3050-4590 01 5200-20200 1900.00<br />

20 चपरासी 2550-3200 01 4440-7440 1300.00


82<br />

2- कोषागार एवं व त सेवाय िनदेशालय हेतु आशुिलपक सह कं सोल आपरेटर वेतनमान 0 4000-<br />

6000 को एक अितरक् त पद एवं एक पद क यूटर-ोामर वेतनमान 0 8000-13500 को सृजत कये<br />

जाने क ी रा यपाल सहष वीकृ ित दान करते ह।<br />

3- शासनादेश सं या 5098/व0सं0शा0-4/2001 दनांक 19 जून 2001 क तक संशोिधन समझा जाय।<br />

भवदय,<br />

के 0सी0िम<br />

अपर सिचव।<br />

संख ्या (1)/व0अनु0-4/2001 त दनांक<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आवश ्यक कायवाह हेतु ेषत :-1-महालेखाकार,<br />

उ तराख ड,5-ए, धानहल रोड, स यिन ठा भवन, इलाहाबाद<br />

2- सम त वभागा य/कायालया य, उ तराख ड।<br />

3- कलपित सम त व ववघालय, उ तराख ड<br />

4- सम त जलािधकार उ तराख ड<br />

5- सम त कोषागार अिधकार, उ तराख ड<br />

आा से<br />

(के 0 सी0 िम)<br />

अपर सिचत


83<br />

ेषक,<br />

सेवा म,<br />

इन ्दू कु मार पा डे,<br />

मुख सिचव,<br />

उ तराख ड शासन।<br />

िनदेशक,<br />

कोषागार एवं वत ्त सेवाय<br />

उ तराख ड, देहरादून।<br />

संख ्या 623/व0अनु0-4/2002<br />

वत ्त अनुभाग-4 देहरादून, दनांक 16 िसत बर, 2002<br />

वषय:-<br />

सहायक कोषािधकार (रोकड) के पद का सृजन कये जाने के स ब ध म।<br />

महादेय,<br />

उपरोक् त वषय के स दभ म मुझे कहने का िनदेश हुआ है क कोषागार के मु य रोकडया<br />

के पद से स बधत पूव के सभी शासनादेश को अितिमत करते हुए देश के कोषागार म येक कोषागार<br />

हेतु एक पद अथातू कु ल 17 पद के सृजन हेतु थी रा यपाल सहष वीकृ ित दान करते ह। शासनादेश<br />

सं या-एस-3-2616/दस-2000, दनांक 5 अ टूबर, 2000 ारा मु य रोकडया का वेतनमान 5000-8000<br />

को परवितत कर वेतनमान 0 6500-10500 कर दया गया है1 जो सहायक/उपकोषािधकार के समान है।<br />

अत: स यक् वचारोपरा त मू य रोकडया का पद नाम सहायक कोषािधकार (रोकड) कया जाता है।<br />

2- पूव म यापत सेवािनयमावली के अनुसार मू य रोकडया के िनयु ािधकार स बधत म डल<br />

के म डला यु त थे, अब शासन ारा स यक् वचारोपरा त यह भी िनणय िलया गया है क उ त पद के<br />

नाम को परवितत कये जाने के उपरा त अब सहायक कोषािधकार (रोकड) के िनयु ािधकार<br />

वभागा य िनदेशक कोषागार एवं वत ्वव सेवाय, उ तराख ड को एततारा घोषत कया जाता है। यह इस<br />

शत के आधार पर अनुभित दान क जाती क त स ब धी संशोधन समिलत सेवा िनयमावली म यथा<br />

थान अंकत कया जायेगा।<br />

3- उपयु त सृजत पद म होने वाला यय अनुदान सं या-07 के लेखा शीषक-2054 लेखा एवं खजाना<br />

तथा लेखा शासन-आयोजनागत-00-97-खजाना थापाना-03- कोषागार अिध ठान के नामे डाला जायेगा।<br />

भवदय,<br />

इन ् कु मार पा डे<br />

मुख सिचव<br />

संख ्या 623(1)/व0अनु0-4/2002 त दनांक<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:-


84<br />

1- म डलायु त, कु मॉयू/गढवाल।<br />

2- सम त जलािधकार, उ तराख ड ।<br />

3- सम त कोषािधकार, उ तराख ड।<br />

आा से<br />

के 0सी0 िम<br />

अपर सिचव।


85<br />

413/XXVII(1)/2004<br />

ेषक,<br />

राधा रतूड,<br />

सिचव,<br />

उ तराख ड शासन।<br />

सेवा म,<br />

िनदेशक<br />

कोषागार एवं व त सेवाय,<br />

उ तराख ड, देहरादून।<br />

वत ्त अनुभाग-4 देहरादून, दनांक 30 नव बर, 2004<br />

वषय:- कोषागार लेखाकार के 17 आ थिगत पद को पूव क भॉित बनाये रखे जाने क वीकृ ित के<br />

स ब ध म।<br />

महोदय,<br />

उपयुक् त वषय के स दभ म मुझे यह कहने का िनदेश हुआ है क शासनादेश सं या-<br />

623/व0अनु0-4/2002 दनांक 16 िसत बर, 2002 ारा कोषागार लेखाकार के 17 पद को आ थिगत<br />

(Abeyance) रखते हुए, के थान पर उपकोषािधकार वेतनमान 0 6500-10500 के 17 अ थाई पद का<br />

सृजन कया गया था, पर तु कोषागार म एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली, रा य वघुत परषद के पशनस<br />

तथा बेिसक िशा परषद आद के पशनस के भार के साथ-साथ भव य िनिध दाता के वतं देयक तथा<br />

ेणी घ के कमचारय क भव य िनिध खाता सं या एवं उनके रख-रखाव का िनयंण कोषागार तर से ह<br />

कए जाने पर काय म अ यिधक बढो तर होने के फल वप पूव से सृजत कोषागार लेखाकार के 17<br />

आ थिगत पद को यथावत कायशील रखे जाने क एततारा वीकृ ित दान क जार है।<br />

भवदय,<br />

राधा रतूड<br />

सिचव।<br />

संख ्या 413(1)/ XXVII(4)/2004, त दनांक<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आवश ्यक कायवाह हेतु ेषत :<br />

1- म डलायु त, कु मॉउ/गढवाल म डल।<br />

2- समसत जलािधकार, उ तराख ड ।<br />

3- िनदेशक, लेखा एवं हकदार, उ तराख ड।<br />

4- सम त कोषािधकार, उ तराख ड ।<br />

5- गाड फाइल।<br />

आा से<br />

ट0एन0 िसंह<br />

अपर सिचव।


86<br />

संख ्या 224/ XXVII(6)/2006<br />

ेषक,<br />

राधा रतूड<br />

सिचव,<br />

उ तराख ड शासन।<br />

सेवा म,<br />

िनदेशक,<br />

कोषागार एवं व त सेवाय,<br />

उ तराख ड, देहरादून।<br />

वत ्त अनुभाग-6 देहरादून, दनांक 29 जून, 2006<br />

वषय:- 10 उ चीकृ त उपकोषागार म कोषािधकार वेतनमान (0 8000-13500 (संशोिधत वेतन<br />

15600-39100 एवं ेड वेतन 5400) के पदो का सृजन वषयक।<br />

महोदय,<br />

उपयुक् त वषयक शासनादेश सं या-1093/व त अनु0-4/2003 दनांक 08 दस बर 2003<br />

के अनुम म मुझे यह कहने का िनदेश हुआ है क देश के 10 उ चीकृ त उपकोषागार यथा-चकराता, पुरोला,<br />

कणयाग, थराली, धूमाकोट, ह ानी, रानीखेत, िभकयासैण, डडहाट तथा बेरनाग म कोषािधकार वेतनमान<br />

0 8000-275-13500 के मश: एक-एक कु ल 10 अ थायी पदो को दनांक 28 फरवर, 2007 तक के<br />

िलए, बशत ये पद इससे पूव समा त न कर दये जाय, सृजत कये जाने क ी रा यपाल सहष वी<br />

दान करते है।<br />

2- उ त पदो के पदधरको को शासन ारा समय-समय पर वीकृ ित मंहगाई भ ता व अ य भ ते, जो भी<br />

िनयमानुसार अनुम य हो, भी देय होगे।<br />

3- सृजत कये जाने वाले पदो पर होने वाला यय भार चालू व तीय वष 2006-07 म अनुदान सं या-<br />

07 के अ तगत मु य लेखाशीषक 2054-खजाना तथा लेखा शासन आयाजने तर-97-खजाना थापना-03<br />

कोषागार अिध ठान क सुसंगत मानक मदो के नामे डाला जायेगा।<br />

भवदय,<br />

राधा रतूड सिचव।<br />

संख ्या 224(4)/2006 त दनांक<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:-<br />

1- महालेखाकार, उ तराख ड, ओबराय बडग, माजरा, देहरादून।<br />

2- मुख सिचव, कािमक वभाग, उ तराख ड शासन।<br />

3- िनदेशक, लेखा एवं हकदार, उ तराख ड ।<br />

4- समसत जलािधकार, उ तराख ड ।<br />

5- सम त कोषािधकार, उ तराख ड।<br />

6- गाड फाइल। आा से<br />

एल0एम0 पन ्त<br />

अपर सिचव।


87<br />

उ तराख ड शासन<br />

वत ्त अनुभाग-4<br />

संख ्या 1114/व त अनु0-4/2003<br />

देहरादून, दनांक 31 दस बर, 2003<br />

1. द ली म उ तराख ड सरकार का ‘वे ए ड एकाउ ट’ कायालय थापत कये जाने स बधी<br />

शासनादेश सं या 396/व0अनु0-4/2002-2003, दनांक 05 अैल, 2002 ारा िनगत आदेश के म म<br />

‘महालेखाकार उ तराख ड के प सं या लेखा/आर0बी0आई0/116, दनांक 23-08-2002 ारा पे ए ड<br />

एकाउ ट ऑफस उ तराख ड के नाम से नई द ली म खाता खोलने क अनुभाित को म रखते हुए<br />

रा यपाल महोदय उ तराख ड शासन के चाण यपुर, बोरदोलाई माग, नई द ली थत उ तराख ड िनवास म<br />

01 जनवर, 2004 से पे ए ड एकाउ ट ऑफस थापत कये जाने क वीकृ ित सहष दान करते ह।<br />

2. दनांक 01 जनवर, 2004 से रा य सरकार के द ली थत थािनक आयु त, उ तराख ड िनवास<br />

कायालय तथा अ य उ तराख ड रा य के वभागीय कायालय स ब धी सभी भुगतान एवं ािय क<br />

यव था द ली थत पे ए ड एकाउ ट ऑफस के मा यम से क जायेगी। इस यव था के लागू होने से<br />

थािनक आयु त, उ तराख ड िनवास एवं अ य कायालय से स बध त भुगतान क वतमान यव था<br />

समा त हो जायेगी। दनांक 01 जनवर, 2004 से द ली थत उ तराख ड सरकार के कायालय से<br />

स बधत ाि एवं भुगतान हेतु िन निलखत यव था अपनाई जायेगी:-<br />

(1)- उ तराख ड सरकार के पे ए ड एकाउन ्ट ऑफस के भार अिधकार (व त अिधकार/सहायक<br />

कोषािधकार) को भारतीय रजव बक नई द ली पर चैक आहरत करने के िलए अिधकृ त कया जाता है। पे<br />

ए ड एकाउ ट ऑफस ारा वह चैक योग कये जायगे जो पे ए ड एकाउन ्ट ऑफस के िलए िनधारत<br />

कया गया है तथा ऐसे चैक पर रजव बक ारा िनगत कोड अंकत कया गया हो। पे ए ड एकाउ ट ऑफस<br />

म अ य प वह योग हगे जो उ तराख ड के कोषागार हेतु िनधारत कये गये ह। कोषागार क भॉित पे<br />

ए ड एकाउ ट ऑफस ारा भी राजकय मुणालय, डक से िनधारत प ा त कये जायगे।<br />

(2)- पे ए ड एकाउ ट ऑफस नई द ली ारा रा य सरकार के दल ्ली थत कायालाय के वेतन, भ त<br />

एवं अ य ाषंिगक यय के देयक क जॉच, व तीय एवं अ य स बधत िनयम एवे आदेश के अ तगत<br />

करगे तथा आहरण-वतरण अिधकार के प म भारतीय रजव बक, पािलयामट ट, नई द ली पर<br />

िनधारत णाली के अनुसार चैक िनगत करगे:<br />

(3)- उ तराख ड सरकार के द ली थत कायालय से स बधत ािय भारतीय रजव बक म जमा क<br />

जायगी:<br />

(4)- भारतीय रजव बक, नई द ली ारा दैिनक ॉ स क मूल ित सीधी महालेखाकार उ तराख ड,<br />

सहारनपुर रोड, ओबराय मोटर बडग, माजरा, देहरादून को भेजी जायगी तथा ॉ स क दूसर ितिलप<br />

(पेड चैक एवं चालान सहत) वे ए ड एकाउ ट ऑफस को दैिनक आधार, पर भेजी जायेगी:<br />

(5)- पे ए ड एकाउ ट ऑफस ारा भारतीय रजव बक से ा त ॉ स (पेड चैक एवं चालान सहत) क<br />

जॉच क जायेगी तथा अपने अिभलेख से िमलान कया जायेगा। ॉ स म कोई ुट होने पर यह उसका<br />

समाधान/ िनराकरण भारतीय रजव बक से करगे:


88<br />

(6)- पे ए उ एकाउ ट ऑफस ारा मािसक लेख, भारतीय रजव बक से ा त ॉलस के आधार पर<br />

तैयार कये जायेगे ( येक व ट के सम स बधत चैक व चालान क सं या भी अंकत क जायेगी)<br />

तथा पेड चैक, चालान तथा पेड वाउचस सहत अमले माह क 05 तारख तक माहलेखाकार उ तराख ड,<br />

देहरादून को लेखा भेजा जायेगा एवं िनधारत इनपुट, िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय, उ तराख ड,<br />

देहरादून को भेजा जायेगा:<br />

(7)- पे ए ड एकाउ ट ऑफस म लेखा बनाने हेतु क यूटर पर आधारत, सॉ टवेयर वकिसत कया गया<br />

है, अत: कोषागार क भॉित सभी प क यूटर से िनकाल कर मूल चैक, वाउचर एवं चालान के साथ<br />

माहालेखाकार को ेषत कये जायगे।<br />

3. पे ए ड एकाउ ट ऑफस नई द ली म कायरत भार व त अिधकार अपने कायालय के िलए<br />

कायालया य तथा उ तराख ड िनवास हेतु शासिनक अिधकार के प म काय करने के साथ –साथ<br />

उ तराख ड रा य के द ली थत सम त कायालय हेतु आहरण-वतरण अिधकर भी हगे तथा अपने<br />

अधीन थ कमचारय के याा भ ता देयक के िलए िनयंक अिधकार हगे। उनके वयं के याा देयक के<br />

िलए थािनक आयु त नई द ली िनयंक अिधकार हगे।<br />

4. उ तराख ड रा य के जन वभाग/लेखा शीषक के अधीन भुगतान पे ए ड एकाउ ट ऑफ स नई<br />

द ली से कया जाना हो ऐसे वभाग िनयमानुसार बजट आंवटन वत ्त अिधकार पे ए ड एकाउ ट ऑफस<br />

उ तराख ड, नई द ली को करगे तथा व त अिधकार ितमाह बजट मैनुअल के ावधान के अनुसार<br />

बी0एम0-8 पर स बधत वभाग को यय ववरण सूिचत करेगा।<br />

5. उ तराख ड रा य के पशनर जो अपनी पशन नई द ली से लेना चाहते ह ऐसे पशनर के अिभलेख<br />

रा य के एक कोषागार से दूसरे कोषागार म थाना तरत होने क या के अधीन पे ए ड एकाउ ट ऑफस<br />

नई द ली थाना तरत कर सकते ह तथा पे ए ड एकाउ ट ऑफस ितमाह 25 से 28 तारख के म य<br />

चैक तैयार कर स बधत पशनर के खाते म जमा करावगे ताक पहली तारख को स बधत बक पशन क<br />

धनरािश भारतीय रजव बक से कले ट कर सके । थापत िनयम के अधीन नई द ली म रहने वाले पशनर<br />

येक वष नव बर माह म पे ए ड एकाउ ट ऑफस से उपथत होकर अपने जीवत होने का माण-प<br />

दगे ताक पशन भुगतान क िनर तरता बनी रहे।<br />

6. पे ए ड एकाउ ट ऑफस के िलए अ य कोषागार क भॉित िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय, बजट<br />

िनयंक अिधकार हगे तथा इस कायालय हेतु सृजत पद के िनयु ािधकार भी हगे। िनदेशक कोषागार<br />

एवं व त सेवाय आव यकतानुसार इन पद को रड लॉयमे ट ारा अथवा सीधी भीत के ारा भरने के िलए<br />

सम हगे। वाहन चालक तथा कायालय के सफाई डाक वतरण एवं अ य काय हेतु एक वाहन चालक एवं<br />

एक अनुचर अनुब ध पर थापत या के अधीन रखा जायेगा।<br />

7. पे ए ड एकाउ ट ऑफस नई द ली स ब धी होने वाला यय अनुदान संख ्या 7, लेखा शीषक<br />

2054-खजाना तथा लेखा शासन, 097-खजाना थापना, 043-उ तराख ड िनवास नई द ली म वेतन एवं<br />

भुगतान कायालय क थापना के अ तगत सुसंगत मानक मद से वहन कया जायेगा।<br />

आा से<br />

इ दु कु मार पा डे,<br />

मुख सिचव, व त।


89<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत :-<br />

1. महालेखाकार उ तराख ड, ओवरॉय मोटर बडग, सहारनपुर रोड, माजरा, देहरादून।<br />

2. सम त मुख सिचव/सिचव, उ तराख ड शासन।<br />

3. मुख थािनक आयु त/ थािनक आयु त उ तराख ड, नई द ली।<br />

4. िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय, उ तराख ड, 23-ल मी रोड, डालनवाला देहरादून।<br />

5. महालेखा िनयंक, भारत सरकार, व त मंालय, यय वभाग, लोक नायक भवन, 8वॉ तल, खान<br />

माक ट, नई द ली।<br />

6. भारतीय रजव बक, के य कायालय, यय एवं लेखा वभाग, मु बई।<br />

7. भारतीय रजव बक, पािलयामे ट ट, नई द ली।<br />

8. पे ए ड एकाउ ट ऑफस उ तराख ड, बारदोलाई माग, चाण यपुर, नई द ली।<br />

9. िनदेशक, राजकय मुणालय, डक, जला हरार।<br />

10. सम त कोषागार अिधकार, उ तराख ड।<br />

11. व त अनुभाग-4।<br />

12. वर ठ ब ध अिधकार उ तराख ड िनवास, बारदोलाई माग, चाण यपुर, नई द ली।<br />

आा से<br />

ट0 एन0 िसंह,<br />

अपर सिचव।


90<br />

ंप ्त नाम<br />

र ार भ<br />

ेवा क<br />

ाथित<br />

रभाषाय<br />

ेवा का संवग<br />

उ तराख ड शासन<br />

वत ्त अनुभाग-4<br />

संख ्या 498/व त अनु0-4/2002<br />

देहरादून, दनांक 03 अगस ्त, 2002<br />

अिधसूचना<br />

कण<br />

संवधान के अनु छेद 309 के पर तुक ारा द त श का याग करके और इस वषय पर सम त<br />

वघमान िनयम और आदेश का अितमण करके रा यपाल, उ तराख ड, व त सेवा म भत और उसम<br />

िनयु त यय क सेवा क शत को विनयिमत करने के िलये िन निलखत िनयमावली बनाते ह:-<br />

उ तराख ड व त सेवा िनयमावली, 2002<br />

भाग एक-सामा य<br />

1. (1) यह िनयमावली, उ तराख ड व त सेवा िनयमावली, 2002 कह जायेगी।<br />

(2) यह तुर त वृ त होगी।<br />

2. उ तराख ड व त सेवा एक रा य सेवा है जसम समूह ‘क’ और ‘ख’ के पद समाव ट है।<br />

3. जब तक क वषय या स दभ म कोई बात ितकू ल न हो इस िनयमानवली म-<br />

(क ) ‘िनयु ािधकार’ का ता पय रा यपाल से है:<br />

(ख ) ‘भारत का नागरक’ का ता पय ऐसे य से है जो संवधान के भाग-दो के अधीन भारत का<br />

नागरत समझा जाय:<br />

(ग ) ‘आयोग’ का ता पय उ तराख ड लोक सेवा आयोग से है:<br />

(घ ) ‘संवधान’ का ता पय ‘भारत का संवधान’ से है:<br />

(ङ ) ‘सरकार’ का ता पय उ तराख ड क रा य सरकार से है:<br />

(च ) ‘राज ्यपाल’ का तात ्पय उ तराख ड के रा यपाल से ह:<br />

(छ ) ‘सेवा का सद य’ का ता पय सेवा के संवग म कसी पद पर इस िनयमावली या इस िनयमावली के<br />

ार भ होने के पूव वृ त िनयम या आदेश के उपब ध के अधीन मौिलक प से िनयु त य से है:<br />

(ज ) ‘सेवा’ का ता पय उ तराख ड व त सेवा से है:<br />

(झ ) ‘मोिलक िनयु’ का ता पय सेवा के संवग म कसी पद पर ऐसी िनयु से है जो िनयमो के<br />

अनुसार चयन के प चात ् क गयी हो और यद कोई िनयम न या के अनुसार क गयी हो:<br />

(ञ ) ‘भत का वष’ का ता पय कसी कले डर वष क पहली जुलाई से ार भ होने वाली बारह मास क<br />

अविध से है।<br />

4. (1) सेवा क सद य सं या और उसम येक ेणी के पद क सं या उतनी होगी जतनी रा यपाल ारा<br />

समय-समय पर अवधारत क जाय।<br />

(2) जब तक क उपिनयत (1) के अधीन परवतन करने के आदेश न दये जाएं, सेवा क सद य सं या<br />

और उसम येक ेणी के पद क सं या उतनी होगी जतनी इस िनयमावली के परिश ट म द गयी है:<br />

परन ्तु:-(एक) िनयु ािधकार कसी र त पद को बना भरे हुए छोड सकता है या रा यपाल उसे<br />

आ थिगत रख सकते ह जससे कोई य ितकार का हकदार न होगा,


91<br />

भत का<br />

ोत<br />

आरण<br />

राष ्यता<br />

(दो) रा यपाल ऐसे अितर त थायी या अ थायी पद का सृजन कर सकते ह, ज ह वह उिचत<br />

समझ।<br />

भाग तीन-भत<br />

5. सेवा म साधारण ेणी के पद पर भत िन न ोत से क जायेगी:-<br />

(क) सीधी भत ारा:<br />

(ख) मौिलक प से िनयु-<br />

(एक) सहायक लेखािधकारय:<br />

(दो) सहायक/उप कोषािधकारय म से पदो नित ारा: और<br />

(तीन) मु य रोकडया (सहायक कोषािधकारय-रोकड) (मूत संवग समा त होने तक)<br />

परन ्तु भत इस कार क जायेगी क िभ न-िभ न ेणय के यय ारा संवग म धृत<br />

पद क सं या यथा स भव िन निलखत ितशत के अनुसार होगी:-<br />

(1) सहायक लेखािधकार 20 ितशत<br />

(2) सहायक उप कोषािधकार 25 ितशत<br />

(3) मु य रोकडया (सहायक कोषािधकार रोकड) 5 ितशत<br />

(4) सीधी भत 50 ितशत<br />

परन ्तु यह और क यद पद क कसी ेणी (सहायक लेखािधकार या सहायक कोषािधकार आद)<br />

से 50 ितशत क सीमा म से पदो नित के िलये उपयु त पा य उपल ध न हो तो पद सीधी<br />

भत ारा भरा जा सकता है।<br />

6. अनुसूिचत जाितय, अनुसूिचत जनजाितय और अ य ेणय के अ यिथय के िलये भत के समय<br />

वृ त सरकार के आदेश के अनुसार कया जायेगा।<br />

भाग चार-अहताय<br />

7. सेवा के िलये यह आव यक ह क अ यथ:-<br />

(क) भारत का हो, या<br />

(ख) ितब ्बती शरणाथ हो, जो भारत म थायी िनवास के अिभाय से पहली जनवर, 1962 के पूव भारत<br />

आया हो, या<br />

(ग) भारतीय उदभव का ऐसा य हो, जसने भारत म थायी िनवास के अिभाय से पाक तान, बमा,<br />

ीलंका, या कसी पूव अक देश-के या, युगा डा या यूनाइटेड रपलक आफ त जािनया (पूववत<br />

तांगािनका और जंजीबार) से जन कया हो:<br />

परन ्तु उपयु त ेगी (ख) या (ग) के अ यथ को ऐसा य होना चाहये जसके प म<br />

रा य सरकार ारा पाता का माण-प जार कया गया हो:<br />

परन ्तु यह और क ेणी (ख) के अ यथ से यह भी अपेा क जायेगी क वह पुिलस उप<br />

महािनरक, अिभसूचना शाखा, उ तराख ड से पाता क माण-प ा त कर ले:<br />

परन ्तु यह भी क यद कोई अ यथ उपयु त ेणी (ग) का हो ता पाता का माण-प एक<br />

वष से अिधक अविध के िलये जार नहं कया जायेगा और ऐसा अ यथ एक वष क अविध के<br />

आगे सेवा म इस शत पर रहने दया जायेगा क वह भारत क नागरकता ा त कर ले।<br />

टप ्पणी:-ऐसे अ यथ को जसे मामले म पाता का माण-प आव यक हो, क तु न तो वह जार


92<br />

कया गया हो और न देने से इ कार कया गया हो, कसी परा, या साा कार म समिलत कया<br />

जा सकता है और उसे इस शत पर अनतम प से िनयु त भी कया जा सकता है क आव यक<br />

माण-प उसके ारा ा त कर िलया जाय या उसके प म जार कर दया जाय।<br />

8. सेवा म सीधी भत के िलये यह आवश ्यक है क अ यथ भारत म विध ारा थापत कसी<br />

शैक अहताय<br />

व ववघालय क या रा यपाल ारा इस योजन के िलये मा यता ा त कसी अ य व ववघालय क<br />

नातक उपािध रखता हो।<br />

9. ऐसे अ यथ को जसने-<br />

अिधमानी (क) ादेिशक सेना म यूनतम दो वष क अविध तक सेवा क हो, या<br />

(ख) रा य कै डेट कोर का ‘बी’ माण-प ा त कया हो, अ य बात के समान होने पर सीधी भत के<br />

मामले म अिधमान दया जायेगा।<br />

10. सीधी भत के िलये अ यथ क आयु, जसे वष आयोग ारा भत के िलये रयॉ वापत क<br />

आयु<br />

जाय, उस कले डर वष क पहली जुलाई को जसम सीधी भत के िलये रयॉ आयोग ारा वापत क<br />

जायं, इक् कस वष क हो जानी चाहये और पतीस वष से अिधक नहं होनी चाहये, अथवा समय-समय पर<br />

सरकार ारा अिधसूिचत अिधकतम आयु-<br />

परन ्तु अनुसूिचत जाितय, अनुसूिचत जनजाितय और ऐसी अ य ेणय के जो सरकार ारा समय-समय पर<br />

अिधसूिचत क जायं, अभ ्यिथय क दशा म उ चतर आयु सीमा उतने वष अिधक होगी, जतनी<br />

विनद ट क जाय।<br />

11. सेवा म कसी पद पर सीधी भत के िलये अ यथ का चर ऐसा होना चाहये क वह सरकार सेवा<br />

चर<br />

म सेवायोजन के िलये सभी कार से उपयुक् त हो सके । िनयु ािधकार इस स ब ध म अपना समाधान<br />

कर लेगा।<br />

टप ्पणी:- संघ सरकार या कसी रा य सरकार या कसी थानीय ािधकार ारा या संघ सरकार या कसी<br />

रा य सरकार के स ्वािमत ्वाधीन या िनयंणाधीन कसी िनगम या िनकाय ारा पद युत व ्य सेवा म कसी<br />

पद पर िनयु के िलये पा नहं हगे। नैितक अमता के िलये कसी अपराध के िलये दोष िस य भी<br />

पा नहं हगे।<br />

वैवाहक 12. सेवा म कसी पद पर िनयु के िलये ऐसा पुष अ यथ पा नहं होगा, जसक एक से अिधक<br />

ाथित पयॉ जीितत ह या ऐसी महला अभ ्यथ पा न होगी जसने ऐसे पुष से ववाह कया हो, जसक पहले<br />

से कोई प नी जीवत हो<br />

परन ्तु सरकार कसी य को इस िनयम के वतन से छू ट दे सकती है, यद उसका यह समाधान हो जाय<br />

क ऐसा करने के िलये शेष कारण वघमान ह।<br />

शाररक 13. कसी अ यथ को सेवा म कसी पद पर तभी िनयु त कया जायेगा जब मानिसक और शाररक <br />

स ्वस ्थता से उसका वा य अ छा हो और वह कसी ऐसे शाररक दोष से मु त हो जससे उसे अपने कत य का<br />

दतापूवक पालन करने म बाघा पडने क स भावना हो। कसी अभ ्यथ को िनयु के िलये अतम<br />

प से अनुमोदत कये जाने के पूव उससे यह अपेा क जायेगी क वह िचक सा परष ारा िचकत ्सा<br />

परा म सफल पाया जाय: परन ्तु पदो नित ारा भत कये गये अ यथ क थित म िचक सा<br />

परष ारा िचक सा परा क आव यकता नहं होगी।


93<br />

्<br />

भाग-पांच-सीधी भत क या<br />

रय क 14. िनयु ािधकार भत के वष के दौरान भर जाने वाली रय क संख ्या और इस िनयमावली के<br />

अधारणा िनयम-6 के अधीन अनुसूिचत जाितय, अनुसूिचत जनजाितय और अ य ेणय के अ यिथय के िलये<br />

आरत क जाने वाली रय क सं या भी अवधारत करेगा। सीधी भत के िलये रय क सूचना<br />

आयोग को द जायेगी।<br />

15. (एक) ितयोिगता परा म समिलत होने क अनुा आवेदन-प आयोग ारा जार कये गये<br />

वापन म वहत प म आमंत कये जायगे।<br />

सीधी भत<br />

क या<br />

(दो) कसी भी अ यथ को परा म तब तक समिलत नहं होने दया जायेगा जब तक क उसके<br />

पास आयोग ारा जार कया गया वेश-प न ह।<br />

(तीन) आयोग, िलखत परा का परणाम ा त होने और सारणीब करने के प चात िनयम-6 के<br />

अधी अनुसूिचत जाितय, अनुसूिचत जनजाितय और अ य अ यिथय को स यक ितिनिध व सुिनत<br />

करने क आव यकता को यान म रखते हुये उतने अभ ्यिथय को साात ्कार के िलये बुलायेगा जतने<br />

िलखत परा के परणाम के आधार पर आयोग ारा इस स ब ध म िनधारत तर पर पहुंचे ह।<br />

साात ्कार म येक अ यथ को दये गये अंक िलखत परा म उसके ारा ा त अंक म जोड दये<br />

जायगे।<br />

(चार) आयोग, अ यिथय क, उनक वीणता म म, जैसा क िलखत परा और साा कार म<br />

येक अ यथ ारा ा त अंक के योग से कट हो, एक सूची तैयार करेगा और उतनी सं या म अभ ्यिथय<br />

को जतने वह िनयु के िलये उिचत समझे, सं तुत करेगा। यद दो या अिधक अ यथ योग म बराबर-<br />

बराबर अंक ा त कर तो िलखत परा म अिधक अंक ा त करने वाले अ यथ का नाम सूची म उ चतर<br />

थान पर रखा जायगा। सूची म नाम क संख ्या रय क सं या से अिधक (क तु प चीस ितशत से<br />

अनिधक) होगी। आयोग सूची िनयु ािधकार को असारत करेगा।<br />

पदोन ्नित ारा<br />

भत क या<br />

ज ्येष ्ठ<br />

वेतनमान<br />

ेणी-दो<br />

16. सेवा म साधारण ेणी म पदे नित ारा भत, यो यता के आधार पर, समय-समय पर<br />

यथासंशोिधत उ तराख ड लोक सेवा आयोग क सपरामश चयनो नित (या) िनयमानवली के अनुसार<br />

क जायेगी।<br />

17. ये ठता वेतनमान म चयन अनुपयु त को अ वीकार करते हुये ये ठता के आधार पर चयन<br />

सिमित क सं तुित पर साधारण ेणी के ऐसे मौिलक प से िनयु त अिधकारय म से कया<br />

जायेगाज हने उस कले डर वष क पहली जुलाई को, जसम चयन कया जाये, उस प म पांच वष क<br />

सेवा पूर कर ली हो। चयन सिमित िन न कार गठत क जायेगी:-<br />

(1) सरकार के व त वभाग के , यथाथित, मुख सिचव या सिचव (अ य)<br />

(2) सरकार के कािमक वभाग के सिचव या उसके ारा नाम िनद ट<br />

अिधकार जो संयु त सिचव से िन न तर का न हो (सद य)<br />

(3) िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय अथवा िनदेशक, लेखा एवं<br />

हकदार, उ तराख ड (सद य)<br />

परन ्तु सरकार वशेष परथितय म ये ठ वेतनमान ेणी-दो म चयन के िलये िनयत सेवा सीमा<br />

को िशिथल कर सकती ह।


94<br />

ज ्येष ्ठ<br />

वेतनमान<br />

ेणी-1<br />

चयन<br />

वेतनमान<br />

वशेष<br />

वेतनमान<br />

18. ये ठ वेतनमान ेणी-एक म चयन, अनुपयु त को अ वीकार करते हुये ये ठता के आधार पर चयन<br />

सिमित क सं तुित पर ये ठ वेतनमान ेणी-दो के मौिलक प से िनयु त ऐसे अिधकारय म से कया<br />

जायेगा ज हने उस कले डर वष क पहली जुलाई को, जसम चयन कया जाय जो ये ठ वेतनमना ेणी-2<br />

म चार वष क सेवा पूर कर ली हो, काय कर िलया हो अथवा ये ठ वेतनमान ेणी-2 म एक वष से<br />

कायरत हो एवं कु ल 10 वष क सेवा पूर कर ली हो। चयन सिमित िन न कार गठत क जायेगी:-<br />

(1) सरकार के व त वभाग के , यथाथित, मुख सिचव या सिचव (अ य)<br />

(2) सरकार के कािमक वभाग के सिचव या उसके ारा नाम िनद ट<br />

अिधकार जो संयु त सिचव से िन न तर का न हो (सद य)<br />

(3) िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय अथवा िनदेशक, लेखा एवं हकदार, उ तराख ड (सदस ्य)<br />

परन ्तु सरकार वशेष परथितय म ये ठ वेतनमान ेणी-एक म चयन के िलये िनयत सेवा सीमां<br />

को िशिथल कर सकती है।<br />

19. (क) चयन वेतन म चयन, ये ठता के आधार पर, चयन सिमित क संस ्तुित पर ये ठ वेतनमान<br />

ेणी-एक के मौिलक प से िनयु त ऐसे अिधकारय म से कया जायेगा ज हने उस कले डर वष क पहली<br />

जुलाई को, जसम चयन कया जाय, जो कु ल 15 वष क सेवा तथा ज ्येष ्ठ वेतनमान ेणी-एक म 2 वष क<br />

सेवा पूर कर ली हो।<br />

(ख) वशेष वेतनमान म चयन, े ठता के आधार पर, चयन सिमित क सं तुित पर चयन वेतनमान मौिलक<br />

प से िनयु त ऐसे अिधकारय म से कया जायेगा, जन ्हने उस कले डर वष क पहली जुलाई को, जसम<br />

चयन कया जाय, 20 वष क सेवा तथा चयन वेतनमान म 1 वष क सेवा पूर कर ली हो।<br />

चयन वेतनमान तथा वशेष वेतनमान हेतु चयन सिमित िन न कार गठत क जायेगी:-<br />

(1) व त वभाग म सरकार के , यथाथित, मुख सिचव या सिचव (अ य)<br />

(2) कािमक वभाग म सरकार के सिचव या उसके ारा नाम िनद ट<br />

अिधकार जो संयु त सिचव से िन न तर का न हो (सद य)<br />

(3) िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवय अथवा िनदेशक, लेखा एवं हकदार, उ तराख ड (सद य)<br />

परन ्तु सरकार वशेष परथितय म वशेष वेतनमान म चयन के िलये िनयत सेवा सीमा को िशिथल कर<br />

सकती है।<br />

अितकाल वेतनमान<br />

20. अितकाल वेतनमान (सुपरटाइम के ल) म चयन, े ठता के आधार पर चयन सिमित क<br />

(सुपरटाइम के ल) सं तुित पर वशेष वेतनमान के मौिलक प से िनयुक् त अिधकारय म से कया जायेगा। चयन<br />

सिमित िन न कार गठत क जायेगी:<br />

(1) सरकार के मु य सिचव (अ य),<br />

(2) व त वभाग म सरकार के , यथाथित मुख सिचव या सिचव (सद य)<br />

(3) कािमक वभाग म सरकार के सिचव (सद य)<br />

संयुक् त चयन 21. यद भत के कसी वष म िनयु सीधी भत और पदो नित दोन कार से क जाय तो एक<br />

सूची संयु त चयन सूची तैयार क जायेगी, जसम अ यिथय के नाम जहॉ तक स भव हो, इस कार रखे<br />

जायगे क िनयम 15 और 16 के अधीन तैयार क गयी सूिचय से सीधी भत और पदो नित अ यिथय


िनयु<br />

परवीा<br />

िशण और<br />

95<br />

का वहत ितशत बना रहे, पहला नाम पदो नित ारा चुने गये अ यथ का होगा:<br />

परन ्तु संयु त चयन सूची म आये हुये सहायक/उप कोषािधकारय, मुख ्य रोकडया (सहायक कोषािधकार<br />

रोकड) और सहायक लेखा अिधकारय म से पदो नित ारा भत कये गये अ यिथय के नाम इस कार रखे<br />

जायगे क सहायक/उप कोषािधकारय म से पदो नित ारा भत कये गये अ यथ के नाम के बाद सहायक<br />

लेखािधकारय म से पदो नित ारा भत कये गये अ यिथय के नाम के बाद मु य रोकडया/ सहायक<br />

कोषािधकार रोकड का नाम तर-5 म दये गये ितशत के अनुपात म रखे जायेगे, और इसी कार के म<br />

म आगे भी ये ठता म क िनर तरता रखी जायेगी।<br />

भाग छ:-िनयु, परवीा, थायीकरण और ये ठता<br />

22. मौिलक रयॉ होने पर, िनयु ािधकार, अ यिथय क िनयुयॉ उसी म म करेगा जसम<br />

उसके नाम, यथाथित िनयम-15,16 या 21 के अधीन तैयार क गयी सूिचय म ह।<br />

23. (1) सेवा म कसी पद पर मौिलक प से िनयु त य को दो वष क अविध के िलये परवीा पर<br />

रखा जायेगा।<br />

(2) िनयु ािधकार, ऐसे कारण से जो अिभिलखत कये जायगे, अलग-अलग मामल म, परवीा अविध<br />

को बढा सकता ह जसम वह दनांक विनद ट कया जायेगा, जब तक अविध बढाई जाय:<br />

परन ्तु,आपवादक परथितय के िसवाय, परवीा अविध एक वष से अिधक और कसी भी परथित म<br />

दो वष से अिधक नहं बढाई जायेगी।<br />

(3) यद परवीा उविध या बढाई गयी परवीा अविध के दौरान कसी भी समय या उसके अ त म िनयु<br />

ािधकार को यह तीत हो क परवीाधीन य म अपने उवसर का पया त उपयोग नहं कया है या<br />

संतोष दान करने म अ यथा वफल रहा है तो उसे उसके मौिलक पद पर, यद कोई हो, यावितत कया<br />

जा सकता है और यद उसका कसी पद पर धारणिधकार न हो तो उसक सेवाय समाप ्त क जा सकती ह।<br />

(4) उप िनय (3) के अधीन जस परवीाधीन य को त ्यावितत कया जाय या जसक सेवाय समा त<br />

क जाय, वह कसी ितकर का हकदार न होगा।<br />

(5) िनयु ािधकार संवग म समिलत कसी पद पर या कसी अ य समक या उ चतर पद पर<br />

थानाप न या अ थायी प से क गयी िनर तर सेवा को परवीा अविध क संगणना करने के योजनाथ<br />

िगने जाने क अनुमित दे सकता ह ।<br />

24. सीधी भत ारा सेवा म िनयु के िलये चुने गये सभी अ यिथय से ऐसे िशण पूरा करने<br />

वभागीय परा और ऐसी वभागीय परा उ तीण करने क अपेा क जायेगी जो सरकार ारा समय-समय पर वहत<br />

क जाय। पदोन ्नित ारा सेवा म वेश करने वाले अ य थय से सरकार ऐसा िशण पूरा करने और<br />

ऐसी वभागीय परा उ तीण करने क भी अपेा कर सकती ह, जो वह समीचीन समझे।<br />

स ्थायीकरण 25. (1) उप िनयम (2) के उपब ध के अधीन रहते हुए कसी परवीाधीन व ्य को परवीा अविध<br />

या बढाई गयी परवीा अविध के अ त म, उसक िनयु म थायी कर दया जायगा। यद-<br />

( क) उसने वहत वभागीय परा उ तीण कर ली हो:<br />

(ख) उसने वहत िशण सफलतापूवक ा त कर िलया हो;<br />

(ग) उसका काया और आचरण संतोषजनक बताया जाय;<br />

(घ) उसक स यिन ठा माणत कर द जाय; और


96<br />

ज ्येष ्ठता<br />

(ड) िनयु ािधकार को यह समाधान हो जाये क वह थायी कये जाने के िलये अ यथा उपयु त ह।<br />

(2) जहॉ रा य के सरकार सेवक क थायीकरण िनयमावली के उपबन ्ध के अनुसार थायीकरण आव यक<br />

न हो तो वहॉ इस िनयमावली के अधीन यह घोषणा करते हुये आदेश, क संबंिधत व ्य ने परवीा<br />

सफलतापूवक पूर कर ली है, थायीकरण का आदेश समझा जायेगा।<br />

26. सेवा म मौिलक प से िनयु त यय क जये ठता समय-समय पर यथासंशोिधत सरकार सेवक<br />

ये ठता िनयमावली के अनुसार अवधारत क जायेगी।<br />

भाग सात-वेतन इ याद<br />

वेतनमान<br />

27. सेवा म कसी पद पर िनयु त यय का अनुम य वेतनमान ऐसाहोगा जैसा-<br />

(1) सरकार ारा समय-समय पर अवधारत कया जाय।<br />

(2) इस िनयमावली के ार भ पर वृ त सेवा के वेतनमान म दये गये है।<br />

28. (1) फ डामटल स म कसी ितकू ल उपब ध के होते हुए भी परवीाधीन य को, यद<br />

परवीा अविध<br />

वह पहले से थायी सरकार सेवा म न हो, समय मान म उसक थम वेतनवृ, तभी द जायेगी जब<br />

उसने एक वष क संतोषजनक सेवा पूर कर ‘ली हो, वभागीय परा उत ्तीण कर ली हो और िशण,<br />

जहां वहत ह, पूरा कर िलया हो और तीय वेतनवृ दो वष क सेवा के प चात ् तभी द जायेगी<br />

जब उसने परवीा अविध पूर कर ली हो और उसे थायी भी कर दया गया हो:<br />

परन ्तु यद संतोष दान न कर सकने के कारण परवीा अविध बढाई जाय तो इस कार बढाई<br />

गयी अविध क गणना वेतनवृ के िलये नहं क जायेगी जब तक क िनयु ािधकार अ यथा िनदेश न<br />

द।<br />

(2) ऐसे य का जो पहले से सरकार के अधीन कोई पद घारण कर रहा हो, परवीा अविध म वेतन<br />

सुसंगत फ डामटल स ारा विनयिमत होगा:<br />

परन ्तु यद संतोष दान न कर सकने के कारण परवीा अविध बढाई जाने तो इस कार बढाई गयी अविध<br />

क गणना वेतनवृ के िलये जब तक नहं क जायेगी जब तक क िनयु ािधकार अ यथा िनदेश न द।<br />

(3) ऐसे य का जो पहले से थायी सरकार सेवा म हो, परवीा अविध म वेतन रा य के<br />

दतारोक पार कायकलाप के संबंध म सेवारत सरकार सेवक पर सामा य तथा लागू सुसंगत िनयम ारा<br />

करने का मानद ड विनयिमत होगा।<br />

(4) यद परवीा अविध के दौरान कसी अिधकार क वेतनवृ के वल वभागीय परा उ तीण<br />

करने म असफल रहने के कारण रोक द जाये तो वभागीय परा उ तीण करने पर उसे वेतनवृ क<br />

अनुमित, जस मास म परा आयोजत क जाये, उसके आगामी मास के थम दनांक से दान क जायेगी<br />

और ऐसी अविध क, जसके दौरान वेतनवृ रोक जाय, समय मान म वेतनवृ के िलये गणना क<br />

जायेगी।<br />

29. सेवा के ऐसे सद य को दतारोक पार करने क अनुमित नहं द जायेगी जब तक क उसका काय<br />

और आचरण संतोषद न पाया जाय और उसक सतयिन ठा माणत न कर द जाय।


97<br />

प समथन<br />

वषय का<br />

मन<br />

सेवा शत म<br />

िशिथलता<br />

व ्यावृ<br />

भाग आठ-अ य उपब ध<br />

30. इन िनयम के अधीन अपेत िसफारश से िभ न कसी अ य िसफारश पर, चाहे िलखत हो या<br />

मौखक, वचार नहं कया जायेगा। कसी अ यथ क ओर से अपनी अ यिथता के िलये य या<br />

अत ्य प से या क ह अ य साधन से समथन ा त करने का कोई यास उसे िनयु के िलये अनह<br />

कर देगा।<br />

31. ऐसे वषय के संबंध म जो विनद ट प से इस िनयमावली या वशेष आदेश के अ तगत न आते<br />

ह, सेवा म िनयु त य ऐसे िनयम, विनयम और आदेश ारा िनयंत हगे, जो रा य के कायकलाप<br />

के संबंध म सेवारत सरकार सेवक पर सामा यतया लागू होते है।<br />

32. जहॉ रा य सरकार का समाधान हो जाय क सेवा म िनयु त यय क सेवा क शत को<br />

विनयिमत करने वाले कसी िनयम के वतन से कसी विश ट मामले म अनुिचत कठनाई होती है, तो<br />

वह आयोग के परामश से, उस मामले म लागू िनयम म कसी बात के होते हुए भी, आदेश ारा उस<br />

िनयम क अपेाओं को उस सीमा तक और ऐसी शत के अधीन रहते हुए, ज ह वह मामले म यायसंगत<br />

और सा यु त रित से कायवाह करने के िलये आव यक समझे, अिभलुपत या िशिथल कर सकती है।<br />

33. इस िनयमावली क कसी बात का कोई भाव ऐसे आरण और अ य रयायत पर नहं पडेगा,<br />

जनक सरकार इस संबंध म समय-समय पर जार कये गये आदेश के अनुसार अनुसूिचत जाितय,<br />

अनुसूिचत जनजाितय और अ य वशेष ेणय के यय के िलये उपब ध कया जाना अपेत हो।<br />

परिशष ्ट<br />

(िनयम 4 (1) तथा 4 (2) देखये)<br />

0<br />

सं0<br />

पद का नाम वेतनमान संवगय<br />

पद<br />

50%ितिनयु<br />

के सापे<br />

कु ल<br />

पद<br />

संवगय पद<br />

1 2 3 4 5 6<br />

(क) अितकाल वेतनमान 18400-500-22400 (पये)<br />

2 1 3<br />

1. (सुपरटाइम के ल) संशोिधत वेतन (37400-67000 एवं ेड<br />

वेतन 10000.00)<br />

2. वशेष वेतनमान-1 16400-450-20000 (पये)<br />

9 4 13<br />

संशोिधत वेतन (37400-67000 एवं ेड<br />

वेतन 10000.00)<br />

3. चयन वेतनमान-2 14300-400-18300 (पये)<br />

10 5 15<br />

संशोिधत वेतन (37400-67000 एवं ेड<br />

वेतन 10000.00)<br />

4. ज ्येष ्ठ वेतनमान 12000-375-16500 (पये) 15 8 23


98<br />

ेणी-1<br />

संशोिधत वेतन (15600-39100 एवं ेड<br />

वेतन 7600.00)<br />

5. ज ्येष ्ठ वेतनमान 10000-325-15200 (पये)<br />

ेणी-2<br />

संशोिधत वेतन (15600-39100 एवं<br />

ेड वेतन 6600.00)<br />

6. साधारण वेतनमान 8000-275-13500 (पये)<br />

संशोिधत वेतन (15600-39100 एवं ेड<br />

वेतन 5400.00)<br />

संवग के पद क<br />

कु ल सं या<br />

(ख) ितिनयु आरत<br />

1. (संवग के पद क<br />

सं या का 50<br />

ितशत)<br />

2. िशण और छु ट<br />

आरत (संवग के<br />

पद क सं या का 8<br />

ितशत)<br />

संवग के कु ल पद<br />

क सं या<br />

20 10 30<br />

30 15 45<br />

86 43 129<br />

7 7<br />

7 136<br />

आा से<br />

(इ दु कु मार पा डे)<br />

मुख सिचव।


99<br />

उत ्तर देश सरकार<br />

वत ्त (सेवाय) अनुभाग-3<br />

संख ्या एस-3-2483/दस-100-74<br />

लखनऊ, 6 अग त, 1979<br />

अिधसूचना<br />

कण<br />

संवधान के अनु छेद 309 के पर तुक ारा ित शा का योग करके और इस वषय पर वतमान<br />

सम त िनयम और आदेश का अितमण करके रा यपाल उ तर देश कोषागार िनदेशालय िलपक वग सेवा<br />

म भत और उसम िनयु त यय क सेवा क शत को विनयिमत करने के िलये िन निलखत िनयमावली<br />

बनाते ह:-<br />

उत ्तर देश कोषागार िनदेशालय िलपक वग सेवा िनयमावली, 1978<br />

1- सं त नाम और ार भ<br />

(1) यह िनयमावली उ तर देश कोषागार िनदेशालय िलपक वग सेवा िनयमावली, 1978 कह<br />

जायगी।<br />

(2) यह तुर त वृ त होगी।<br />

2- सेवा क ाथित परभाषाएं<br />

उत ्तर देश कोषागार िनदेशालय िलपक वग सेवा एक अधीर थ िलपक वग सेवा है जसम समूह<br />

‘ग’ के पद समिलत ह।<br />

3- जब तक वषय या संदभ म कोई ितकू ल बात न हो, इस िनयमावली म-<br />

(क) ‘िनयु ािधकार’ का ता पय कोषागार िनदेशक से है;<br />

(ख) ‘भारत का नागारक’ का ता पय ऐसे य से ह जो संवधान के भाग दो के अधीन भारत<br />

का नागरक हो या समझा जाय;<br />

(ग) ‘संवधान ‘ का ता पय भारत के संवधान से है;<br />

(घ) ‘िनदेशक) का ता पय कोषागार िनदेशक, उ तर देश से है;<br />

(ड) ‘िनदेशालय’ का ता पय कोषागार िनदेशालय उ तर देश सह है; (च) ‘सरकार’ का ता पय<br />

उ तर देश रा य सरकार से है;<br />

(छ) ‘राज ्यपाल’ का ता पय उ तर देश के रा यपाल से है;<br />

(ज) ‘सेवा का सद य’ का ता पय ऐसे य से ह जो इस िनयमावली या इस िनयमावली के<br />

ार भ के पूव वृ त िनयम यह आदेश के अधीन सेवा के संवग म कसी पद पर मौिलक<br />

प म िनयु त कया गया हो; और<br />

(झ) ‘भत का वष’ का ता पय कसी कले डर वष क पहली जुलाई से ार भ होने वाली बारह<br />

मास क अविध से है;


100<br />

भाग-दो संवग<br />

4- सेवा का संवग-<br />

(1) सेवा क सद य सं या और उसम येक ेणी के पद क सं या उतनी होगी जतनी<br />

रा यपाल ारा समय-समय पर अवधारत क जाय,<br />

(2) सेवा क सद य सं या और उसम येक ेणी के पद क सं या जब तक क उपिनयम (1)<br />

के अधीन उसम परवतन करने के आदेश न दये जाय, उतनी होगी जतनी परिश ट ‘क’ म<br />

द गयी है,<br />

परन ्तु:-<br />

(1) िनयु ािधकार कसी र त पद को बना भरे छोड सकता ह या रा यपाल उसे आ थिगत<br />

रख सकते ह, इससे कोई य ितकर का हकदार न होगा, और<br />

(2) रा यपाल समय-समय पर ऐसे अितर त थायी या अ थायी पद का सृजन कर सकते ह,<br />

जैसा वह उिचत समझ।<br />

भाग-तीन भत<br />

5- भत का ोत<br />

सेवा म विभ न ेणय के पद पर भत िन निलखत ोत से क जायेगी:-<br />

(1) धान िलपक<br />

स ्थायी ये ट उपलेखक-ालेखक म से अनुपयु त को अ वीकार करते हुये ये ठता के<br />

आधार पर पदो नित ारा,<br />

(2) ये ठ उपलेखक-ालेखक<br />

स ्थायी किन ठ उपलेखक-ालेखक, अिभखपाल और िनदश िलपक म से अनुपयु त क<br />

अ वीकार करते हुए ये ठता के आधार पर पदो नित ारा:<br />

परन ्तु यद पदो नित के िलए उपयु त य उपल ध न हो तो पद को कसी अ य सरकार<br />

वभाग से बजट, लेख और अिध ठान काय का अनुभव रखने वाले कमचार को थाना तरत करके<br />

भरा जा सकता है।<br />

(3) किन ठ उपलेखक ालेखक/अिभलेख पाल और िनदेश िलपक<br />

स ्थायी ेषण िलपक/पंजीपाल/टंकक और िनदेशालय म समान वेतनमान म अ य पद धारण<br />

करने वाले थायी पद धारक म से अनुपयु त को अ वीकार करते हुए, ये ठता के आधार पर<br />

पदो नित ारा:<br />

परन ्तु यद पदो नित के िलए उपयु त य उपल ध न ह तो पद को कसी अ य<br />

सरकार वभाग म बजट, लेखा और अिध ठान काय का अनुभव रखने वाले कमचार को थाना तरत<br />

करके भरा जा सकता है।<br />

(4) ेषण िलपक/टंकक और समान वेतनमान के अ य पद<br />

(एक) सीधी भत ारा।<br />

(दो) रय का 10 ितशत तक समूह ‘घ’ के उन थायी कमचारय म से ज हने<br />

मा यिमक िशा परषद उ तर देश क हाई कू ल परा उ तीण क हो, पदो नित<br />

ारा।


101<br />

(5) आशुलेखक - सीधी भत ारा<br />

(6) आशुलेखक चयन ेणी<br />

स ्थायी आशुलेखक म से अनुपयु त को अ वीकार करते हुए, ये ठता के आधार पर<br />

पदो नित ारा।<br />

6- आरणअनुसूिचत जाितय, अनुसूिचत जनजाितय, और अ य ेणय के अ यिथय के िलये आरण<br />

भत के समय वृ त सरकार के आदेश के अनुसार कया जायगा।<br />

भाग-चार-अहताएं<br />

7- रायता<br />

सेवा म कसी पद पर सीधी भत के िलए यह आव यक ह क अ यथ-<br />

(क) भारत का नागरक हो:<br />

(ख) ित बती शरणाथ हो, जो भारत म थायी प से िनवास करने के अिभाय से 1 जनवर,<br />

1962 के पूव भारत आया हो, या<br />

(ग) भारतीय उदभव का ऐसा य हो जसने भारत म थायी प से िनवास करने के अिभाय<br />

से पाक तान, वमा, ीलंका या के िनया, युगा डा और युनाइटेड रपलक आफ तंजािनया<br />

(पूववत तांगिनका और जंजीवार) के कसी पूव अक देश से जन कया हो:पर तु<br />

उपयु त ेणी (ख) या (ग) का अ यथ ऐसा य होना चाहये जसके प म रा य<br />

सरकार ारा पाता का माण-प जार कया हो:<br />

परन ्तु यह और क ेणी (ख) के अ यथ से यह भी अपेा क जायगी क वह पुिलस उप<br />

महािनरक, गु तचर शाखा उ तर देश से पाता का माण-प ा त कर ले:<br />

परन ्तु यह भी क यद कोई अ यथी उपयु त ेणी (ग) का हो तो पाता का माण-प एक वष से<br />

अिधक अविध के िलए जार नहं कया जायेगा और ऐस अ यथ को एक वष क अविध के आगे<br />

सेवा म तभी रहने दया जायेगा यद उसने भारतीय नागरकता ा त कर ली हो।<br />

टप ्पणी:-ऐसे अ यथ को, जसके मामले म पाता का माण-प आव यक हो क तु न तो वह जार कया<br />

गया हो और न देने से इंकार कया गया हो, कसी परा या साा कार म समिलत कया जा<br />

सके गा और उसे इस शत पर अतम प से िनयु त भी कया जा सके गा क आव यक माण-प<br />

या तो वह ा त कर ले या उसके प म जार कर दया जाय।


102<br />

8- शौक अहता<br />

सेवा म विभ न पद पर सीधी भत के िलए कसी अ यथ क िन निलखत अहताएं होनी चाहए:-<br />

पद<br />

अहता<br />

पंजीपाल/ेषण िलपक जैसा क अधीन थ कायालय िलपक वग (सीधी) िनयमावली, 1975, म वहत ह।<br />

और टंकक<br />

आशुलेखक<br />

(1) मा यिमक िशा परष उ तर देश क इ टरमीडएट परा या रा यपाल<br />

ारा उसके समकल मा यता ा त कोई परा उ तीण होनी चाहये।<br />

(2) ह द टंकण और आशुिलपक म कमश: 30 और 80 श द ित िमनट<br />

युनतम गित होनी चाहये।<br />

9- अिधकमानी अहताएं<br />

ऐसे अ यथ को, जसने-<br />

(एक) ादेिशक सेवा म दो वष क यूनतम अविध तक सेवा क हो, या<br />

(दो) नेशनल कै डैटकोर का ‘बी’ माण-प ा त कया हो:<br />

अन ्त बात के समान होने पर सीधी भत के मामले म अिधमान दया जायगा।<br />

10- आयुनैत ्यक ेणी िलपक/टंकक/ेषण िलपक के पद सीधी भत के िलए अ यथ क आयु अधीन थ<br />

कायालय िलपक वग (सीधी भत) िनयमावली, 1975 म वहत आयु सीमा के अ तगत होनी चाहए।<br />

आशुलेखक के पद के संबंध म सीधी भत के िलए यह आव यक ह क अ य थी क आयु जस वष<br />

भत क जानी हो उस वष क 1 जनवर, को यद पर 1 जनवर और 30 जून क अविध म वापत<br />

कये जायं और 1 जुलाई, को यद पद 1 जुलाई और 31 दस बर, क अविध म वापत कये जायं,<br />

21 वष क हो जानी चाहये और 27 वष से अिधक न होनी चाहये।पर तु अनुसूिचत जाित,<br />

अनुसूिचत जनजाित और ऐसी अ य ेणय के , जो सरकार ारा समय-समय पर अिधसूिचत क<br />

जायं, अ यिथय क दशा म उ चतर आयु सीमा उतने वष अिधक होगी जतनी विनद ट क जाय।<br />

11- चारसेवा म कसी पद पर सीधी भत के िलये अ यथ का चार ऐसा होना चाहये क वह सरकार<br />

सेवा म िनयोजन के िलये सभी कार से उपयु त हो सके । इस संबंध म िनयु ािधकार अपना<br />

समाधान करेगा।<br />

टप ्पणी:- संघ सरकार ारा या कसी रा य सरकार ारा या संघ सरकार या कसी रा य सरकार के<br />

वािम व या िनयंण म कसी थानीय ािधकार या कसी िनगम या िनकाय ारा पद युत य<br />

सेवा म कसी पद पर िनयु के िलए पा न होगा। नैितक अघमता के कसी अपराध के िलए दोष<br />

िस य भी पा न होग।<br />

12- वैवाहक ाथित<br />

सेवा म कसी पद पर िनयु के िलए ऐसा पुष अ यथ पा न होगा जसक एक से अिधक<br />

पयां जीवत ह या ऐसी महता अ यथ पा न होगी जसने ऐसे पुष से ववाह कया हो जसक<br />

पहले से एक प नी जीवत है:<br />

परन ्तु रा यपाल कसी य को इस िनयम के वतन से छू ट दे सकते ह, यद उनका यह समाधान<br />

हो जाय क ऐसा करने के िलए वशेष कारण वमान है।


103<br />

13- शाररक व थता<br />

कोई अ यथ सेवा म कसी पद पर तब तक िनयु त नहं कया जायगा जब तक क मानिसक और<br />

शाररक से उसका वा य अ छा न हो और वह ऐसे शाररक दोष से मु त हो जनसे उसे<br />

अपने कत य का दतापूवक पालन करने म बाधा पडने क स भावना हो। कसी अ यथ को<br />

िनयु के िलए अंितम प से अनुमोदत करने के पूव उससे फ डामटल ल 10 के अधीन बनाये<br />

गये और फाइनेशयल है डबुक ख ड दो, भाग दो, चार के अ याय 3 म दये गये िनयम के अनुसार<br />

व थता माण-प तुत करने क अपेा क जायेगी:<br />

परन ्तु पदो नित ारा भत कये गये कसी अ यथ से व थता माण-प क अपेा नहं क<br />

जायेगी।<br />

भाग पांच-भत क या<br />

14- रय का अवधारण<br />

िनयु ािधकार वष के दौरान भर जाने वाली रय क सं या और िनयम 6 के अधीन<br />

अनुसूिचत जाित, अनुसूिचत जनजाित और अ य ेणय के अ यिथय के िलए आरत क जाने वाली<br />

रय क सं या भी अवधारत करेगा। आशुलेखक के पद के स ब ध म रय क सूचना सेवायोजन<br />

कायालय को और पंजीपाल, ेषण िलपक और टंकक के संबंध म अधीन थ कायालय िलपक वग (सीधी<br />

भत) िनयमावली, 1975 के अनुसार जला चयन सिमित को द जायगी।<br />

15- पंजीपाल, ेषण िलपक, टंकक के पद पर सीधी भत क या<br />

पंजीपाल, ेषण िलपक, टंकक के पद पर भत अधीन थ कायालय िलपक वग (सीधी भत)<br />

िनयमावली, 1975 म िनधारत या के अनुसार क जायेगी।<br />

16- आशुलेखक के पद पर सीधी भत क या<br />

(1) आशुलेखक के पद पर सीधी भत के योजनाथ एक चयन सिमित का गठन कया जायगा जसम<br />

िन निलखत होग:-<br />

(एक) िनदेशक, कोषागार,<br />

(दो) अपर िनदेशक, कोषागार,<br />

(तीन) उपिनदेशक, कोषागार।<br />

(2) चयन सिमित आवेदन प क संवीा करेगी और पा अ यिथय से ितयोिगता परा और<br />

साा कार म समिलत होने क अपेा करेगी।<br />

टप ्पणी:- ितयोिगता परा का पाय ववरण और उसक या परिश ट ‘ख’ म द गई है।<br />

(3) चयन सिमित अ यिथय ारा िलखत परा म ा त कये गये अंक को सारणीब कर िलये जाने<br />

के प चात िनयम के अनुसार अनुसूिचत जाितय, अनुसूिचत जनजाितय और अ य ेणय के<br />

अ यिथय का स यक् ितिनिध व सुिनत करने क आव यकता को यान म रखते हुए साा कार<br />

के िलये उतनी सं या म अ यिथय को बुलायेगी जतने िलखत परा के परणाम के आधार पर इस<br />

संबंध म सिमित ारा िनधारत मानक तक पहुंच सके ह। येक अ यथ को साा कार म दये<br />

गये अंक िलखत परा म उसके ारा ा त अंक म जोडे जायग।<br />

(4) चयन सिमित अ यिथय क यो यता म म, जैसा क िलखत परा और साा कार म उनके ारा


104<br />

ा त कये गये अंक के कु ल योग से कट हो एक सूची तैयार करेगी। यद दो या अिधक अ यथ<br />

समान अंक ा त करे तो िलखत परा म अपेाकृ त अिधक अंक ा त करने वाले अ यिथय के<br />

नाम उ चतर थान पर रख जायगे। सूची म नाम क सं या रय क सं या से अिधक होगी<br />

क तु दुगुनी से अिधक न होगी।<br />

17- पदो नित ारा भत क या<br />

(1) (एक) किन ठ उपलेखक-ालेखक/अिभलेखपाल/िनदश िलपक<br />

(दो) ये ठ उपलेखक-ालेखक<br />

(तीन) धान िलपक और आशुलेखक (चयन ेणी) के पद पर पदो नित ारा भत िनयम 16<br />

म िनद ट चयन सिमित के मा यम से अनुपयु त को अ वीकार करते हुए ये ठता के<br />

आधार पर क जायेगी।<br />

(2) िनयु ािधकार ये ठता के म म अ यिथय क एक पाता सूची तैयार करेगी और उसे<br />

उनक चर पंजय और उनसे संबंिधत ऐसे अ य अिभलेख के साथ, जो उिचत समझे जायं,<br />

चयन सिमित के सम रखेगा।<br />

(3) चयन सिमित उपिनयम (2) म िनद ट अिभलेख के आधार पर अ यिथय के मामल पर<br />

वचार करेगी और यद वह आव यक समझे तो वह अ यिथय का साा कार भी कर सकती<br />

है।<br />

(4) चयन िस मित चुने गये अ यिथय क ये ठता के म म एक सूची तैयार करेगी और उसे<br />

िनयु त ािधकार को असारत करेगी।<br />

भाग छ-िनयु, परवीा, थायीकरण और ये ठता<br />

18- (1) मौिलक रयां होने पर िनयु ािधकार अ यिथय को उस म से लेकर जसम उनके<br />

नाम, यथाथित िनयम, 15 16 या 17 के अधीन तैयार क गयी सूची म हो, िनयुयां करेगा।<br />

(2) िनयु ािधकार अ थायी और थानाप रय म भी उपिनयम (1) म िनद ट सूिचय से<br />

िनयुयां कर सकता है। यद इस सूिचय का कोई अ यथ उपल ध न हो तो वह ऐसी रय म<br />

इस िनयमावली के अधीन िनयु के िलये पा यय म से िनयुयां कर सकता है। ऐसी<br />

िनयुयां-<br />

(क) पंजीपाल, ेषण िलपक, और टंकक क दशा म छ: मास, और<br />

(ख) अ य पद क दशा म एक वष,<br />

से अनिधक अविध के िलए या अगला चयन कये जाने तक, इनम जो भी पहले हो क<br />

जायगी।<br />

19- परवीा<br />

(1) सेवा म कसी पद पर मौिलक र म या उसके ित िनयु कये जाने पर कोई य दो<br />

वष क अविध के िलए परवीा पर रखा जायगा।<br />

(2) िनयु ािधकार ऐसे कारण से जो अिभिलखत कये जायगे, अलग-अलग मामल म<br />

परवीा अविध को बढा सकता है, जसम ऐसा दनांक विनद ट कया जायगा जब तक क


105<br />

अविध बढाई जाय।<br />

परन ्तु आवादक परथित के िसवाय परवीा अविध एक वष से अिधक और कसी भी<br />

परथित म दो वष से अिधक नहं बढाई जायगी।<br />

(3) यद परवीा अविध या बढाई गई परवीा-अविध के दौरान कसी भी समय या उसके अ त<br />

म िनयु ािधकार को यह तीत हो क परवीाधीन य ने अपने अवसर का पयो त उपयोग न हं<br />

कया ह या संतोष दान करने म अ यथा वफल रहा ह तो उसे उसके मौिलक पद पर, यद कोई हो,<br />

यावितत कया जा सकता ह और यद उसका कसी पद परन धारणािधकार न हो तो उसक सेवाय समा त<br />

क जा सकती है।<br />

(4) ऐसा परवीाधन य जसे उपिनयम (3) के अधीन यावितत कया जाय या जसक<br />

सेवाय समा त क जायं, कसी ितकर का हकदार नहं होगा।<br />

(5) िनयु ािधकार संवग म समिलत कसी पद पर या कसी अ य समक या उ च पद<br />

पर थानाप या अ थायी प से क गयी िनर तर सेवा क परवीा-अविध क सगणना करने के योजनाथ<br />

गणना करने क अनुमित दे सकता है।<br />

20- थायीकरण कसी परवीाधीन य को परवीा अविध या बढाई गई परवाा-अविध के अ त म<br />

उसक िनयु म थायी कर दया जायगा, यद-<br />

(क) उसका काय और आचरण संतोषजनक बताया गया हो,<br />

(ख) उसक स यिन ठा माणत कर द गयी हो, और<br />

(ग) िनयु ािधकार का यह समाधान हो जाय क वह थायीकरण के िलए अ यथा उपयु त है।<br />

21- ये ठता<br />

सेवा म कसी भी ेणी के पद पर ये ठता मौिलक प से िनयु के दनांक से अवधारत क<br />

जायेगी और यद दो या अिधक य एक साथ िनयु त कये जायं तो उस म से अवधारत क<br />

जायेगी जसम उनके नाम िनयु के आदेश म रखे गये ह:<br />

परन ्तु:-<br />

(1) सेवा म सीधे िनयु त कये गये यय क पर पर ये ठता वह होगी जो चयन के समय<br />

अवधारत क जाय।<br />

(2) सेवा म पदो नित ारा िनयु त कये गये यय क पर पर ये ठता वह होगी जो<br />

पदो नित के समय उनके ारा धृत मौिलक पद पर रह हो।<br />

टप ्पणी:-<br />

सीधे भत कया गया कोई अ यथ अपनी ये ठता खो सकता ह, यद कसी र त पद का उसे<br />

ताव कये जाने पर वह विधमा य कारण के बना कायभार हण करने म वफल रहे। कारण क<br />

विधमा यत के स ब ध म िनयु ािधकार का विन चय अंितम होगा।<br />

भाग सात- वेतन आद<br />

22- वेतनमान(1) सेवा म विभ न ेणय के पद पर चाहे मौिलक या थानाप प म यह अ थायी<br />

आधार पर िनयु त यय का अनुम य वेतनमान ऐसा होगा जो सरकार ारा समय-समय पर<br />

अवधारत कया जाय।


106<br />

(2) इस िनयमावली के धारण के चयन वेतनमान नीचे दये गये है:-<br />

23- (।) फ डामेटल स म कसी ितकु ल उपब ध के होते हुए, भी, परवीाधीन य को, यद वह पहले से थाय<br />

0<br />

पु<br />

पद का नाम<br />

वेतनमान<br />

सं0<br />

र<br />

1 आशुलेखक (चयन ेणी) 400-20-500 द0 रो0-20-600 0<br />

2<br />

क<br />

धान िलपक 400-15-475-द0 रो0-15-550 0<br />

र<br />

3 आशुलेखक 300-8-324-9-360-द0 रो0-10-440-द0रो0-12-500 0<br />

4 ज ्येष ्ठ उपलेखक ालेखक 25-7-285-द0 रो0-9-375-द0 रो0-10-425 0<br />

ली<br />

5 किनष ्ठ उपलेखक ालेखक/ 230-6-290-द0 रो0-9325-द0 रो0-10-385 0<br />

अिभलेखपाल और िनदश<br />

हो<br />

6<br />

िलपक<br />

मैत ्यक ेणी िलपक, टंकक, 200-5-250-द0 रो0-6-280-द0 रो0-8-320 0<br />

औ<br />

पंजीपाल और ेषण िलपक<br />

र उसे थायी भी कर दया गया हो:<br />

परन ्तु यद संतोष दान न कर सकने के कारण परवीा अविध बढाई जाय तो इस कार बढाई गई<br />

अविध द गणना वेतन-वृ के िलए तब तक नहं क जायेगी जब तक क िनयु ािधकार अ यथा िनदेश<br />

न द।<br />

(2) ऐसे य का जो पहले से सरकार के अधीन कोई पर धारण कर रहा हो, परवीा अविध म<br />

वेतन सुसंगत फ डामे टल ए स ारा विनयिमत होगा:<br />

परन ्तु यद संतोष दान न कर सकने के कारण परवीा अविध बढाई जाय, तो इस कार बढाई गयी अविध<br />

क गणना वेतन-वृ के िलए तब तक नहं क जायगी जब क िनयु ािधकार अ यथा िनदेश न द।<br />

(3) ऐसे य का, जो पहले से थायी सरकार सेवा म हो, परवीा अविध म वेतन रा य के<br />

कायालय के संबंध म सामा यत:सेवा सरकार सेवाय पर लागू सुसंगत िनयम ारा विन यिमत होगा।<br />

24- (1) आशुलेखक (चयन ेणी) और धान िलपक पद के िलए कसी य को दतारोक पर करने<br />

क अनुमित तब तक नहं द जायगी जब तक क यह न पाया जाय क उसने धीरतया और अपनी<br />

सवत ्तम यो यता से काय कया है, वह उपने क त य का जो उसे सपे जायं, अपनी यो यता,<br />

आचरण और पूर ईमानदार से पालन करने म पूणतया समथ है और जब त क क उसक स यिन ठा<br />

माणत न कर द जाय।<br />

(2) ये ठ उपलेखक-ालेखक, आशुलेखक, किन ठ उपलेखक-ालेखक, अिभलेखपाल, िनदश िलपक, टंकक,<br />

पंजीपाल और ेषण िलपक के पद के िलए कसी य को-<br />

(एक) थम दतारोक पार करने क अनुमित तब तक नहं द जायगी जब तक क यह न पाया<br />

जाय क उसने धीरतया और अपनी सव तम यो यता से काय कया ह और जब तक क उसक स यिन ठा<br />

माणत न कर द जाय।<br />

(दो) तीय दतारोक पार करने क अनुमित तब तक नहं द जायगी जब तक क वह अपने<br />

क त य को जो सपे जायं अपनी यो यता, आचरण और पूर ईमानदार से पालन करने म पूणतया समथ न


107<br />

हो और जब तक क उसक स यिन ठा माणत न कर द जाय।<br />

भाग आठ-अ य उपब ध<br />

25- प समथन- सेवा म कसी पद पर लागू िनयम के अधीन अपेत िसफारश से िभ न प<br />

समथन कसी िसफारश पर, चाहे िलखत हो या मौखक, वचार नहं कया जायगा। अ यथ क ओर से<br />

अपनी अ यिथता के िलये य या अ य प से समथन ा त करने कर कोई यास उसे िनयु के<br />

िलये अनह कर देगा।<br />

26- अन ्य वषय का विनयमन’ ऐसे वषय के संबंध म, जो विनव ट प से इस िनयमावली या<br />

वशेष अ य वषय आदेश के अ तगत न आते ह, सेवा म िनयु त य रा य के कायकलाप के संबंध म<br />

का विनयमन सेवारत सरकार सेवक पर सामा यतया लागू िनयम, विनयम और आदेश ारा िनयत<br />

हगे।<br />

27- सेवा क शत म िशिथलता- जहां रा य सरकार का यह समाधान हो जाय क सेवा म िनयु त<br />

यय क सेवा को शत क विनयिमत करने वाले कसी िनयम के वतन से कसी वशेष मामले म<br />

अनुिचत कठनाई होती है, वहां वह उस मामले म लागू िनम म कसी बात के होते हुए भी, आदेश ारा उस<br />

िनयम क अपेाओं को उस सीमा तक और ऐसी शत के अधीन रहते हुए, ज ह वह मामले म यायसंगत<br />

और सा यपूण रित से कायवाह करने के िलस आव यक समझे, अिभमु त या िशिथल कर सकती है।<br />

28- व ्या- इस िनयमावली क कसी बात का ऐसे आरण और अ य रयायत पर कोई भाव<br />

नहं पडेगा जनक रा य सरकार ारा इस संबंध म समय-समय पर जार कये गये आदेश के अनुसार<br />

अनुसिचत जाितय, अनुसूिचत जनजाितय और अ य वशेष ेणय के यय के िलये य या करना<br />

अपेत हो।<br />

परिशष ्ट ‘क’<br />

सेवा क सद या सं या<br />

पद का नाम स ्थाई अस ्थायी योग<br />

1- आशुलेखक (चयन ेणी) 1 1<br />

2- धान िलपक 1 2 3<br />

3- आशुलेखक 1 2 3<br />

4- ज ्येष ्ठ उपलेखक-ालेखक 5 1 6<br />

5- किनष ्ठ उपलेखक-ालेखक<br />

िनदश िलपक और<br />

3<br />

2<br />

3<br />

21<br />

अिभलेखपाल<br />

1<br />

6- नैत ्यक ेणी िलपक-<br />

पंजीपाल<br />

ेषण िलपक<br />

टंकक<br />

1<br />

1<br />

2<br />

-<br />

-<br />

1<br />

1<br />

1<br />

3


108<br />

परिशष ्ट ‘ख’<br />

आशुिलप परा के िलए पाय-ववरण<br />

्<br />

परा का वषय और येक वषय म अिधकतम अंक िन निलखत हगे -<br />

1-आशुिलप और टंकण (ह द) ------ ----- ----- 100 अंक<br />

2-ह द िनबंध ------ ----- ----- 50 अंक<br />

3-साा कार ------ ----- ----- 50 अंक<br />

2- आशुिलप परा म 5 िमनट तक ह द गधांश का ुतलेख 80 श द ितिमनट क गित से जायगा।<br />

ुतलेख क आशुिलप के अिभलेख क अनुिलप और टकत करने के िलये एक घंटे का कर दया जायगा।<br />

गधांश का चयन अ यिथय को आशुिलप म के वल उनक गित का परण करने से ह नहं वतन<br />

ह द म उनके अ द और मुहावरेदार ह द के ान क से भी कया जायगा। ऐसे अ यथ को िनयोजन<br />

के िलये अह नहं समझा जायगा जसक परा म पांच ितशत से अिधक ुटयां ह।<br />

3- ह द िनब ध क परा दो घंटे क होगी। अ यिथय से एक प और/या कसी वषय कर िनब ध<br />

िलखने क अपेा क जायेगी।<br />

आा से<br />

ी भुवन साद<br />

वत ्त सिचत।


109<br />

उत ्तर देश सरकार<br />

वत ्त (सेवाय) अनुभाग-3<br />

संख ्या एस-3-4281/दस-502-59<br />

लखनऊ, 29 अग त, 1978<br />

अिधसूचना<br />

कण<br />

संवधान के अनु छेद 309 के पर तुक ारा द त श का योग करके और इस वषय पर सभी<br />

वतमान िनयम और आदेश का अितमण करके रा यपाल, उ तर देश कोषागार िलपक वगय सेवा म<br />

भत और उसम िनयु त यय क सेवा क शत को विनयिमत करने के िलये िन निलखत िनयमावली<br />

बनाते ह-<br />

उत ्तर देश कोषागार िलपक वगय सेवा िनयमावली, 1978<br />

भाग 1<br />

सामान ्य<br />

1- संप ्त नाम और ार भ-(1) यह िनयमावली ‘उत ्तर देश कोषागार िलपक वगय सेवा िनयमावली,<br />

1978 कह जायगी ।<br />

(2) यह तुर त वृ त होगी।<br />

2- सेवा क ाथित<br />

उत ्तर देश कोषागार िलपक वगय सेवा एक अधीन थ िलपक वगय सेवा है जसम वग ‘ग’ के<br />

पद समिलत है।<br />

3- परभाषाजब तक वषय या स दभ म कोई ितकू ल बात न हो, इस िनयमावली म-<br />

(क) ‘िनयुक् त ािधकार’ का ता पय नै यक ेणी िलपक , ये इ ेणी िलपक और सहायक<br />

कोषागार धान िलपक के पद के स ब ध म जलािधकार से है और कोषागार धान<br />

िलपक और उपर कोषागार धान िलपक के पद के स ब ध म आयु त से है,<br />

(ख) ‘परष’ का ता पय राज व परष उ तर देश से है,<br />

(ग) ‘भारत का नागारक’ का ता पय ऐसे य से है जो संवधान के भाग-2 के अधीन भारत<br />

का नागरक हो या समझा जाय,<br />

(घ) ‘आयुक् त’ का ता पय कसी राज व भाग के आयु त से है,<br />

(ड) संवधान का ता पय भारत के संवधान से है ,<br />

(च) सरकार का ता पय उ तर देश सरकार से है,<br />

(छ) ‘राज ्यपाल’ का ता पय उ तर देश के रा यपाल से है,<br />

(ज) ‘सेवा का सद य’ का ता पय ऐसे य से है जो इस िनयमावली था इस िनयमावली के<br />

ार भ के पूव वृ त िनयम या आदेश के अधीन सेवा के स वग म कसी पद पर मौिलक<br />

प म िनयु त कया गया है,<br />

(झ)’<br />

सेवा का ता पय’ उ तर देश कोषागार िलपक वगय सेवा से है, क तु इसम सरकार


110<br />

कोषा य का कमचार वग समिलत नहं है,<br />

(स) ‘कोषागार अिधकार’ का ता पय ऐसे अिधकार से है जो फाइनेशयल है डबुक ख ड 5 भाग-<br />

2 के पैरा-405 के अधीन कसी कोषागार का भार हो और इसम अपर कोषागार अिधकार<br />

समिलत है,<br />

(ट) ‘भत का वष’ का ता पय बारह मास क उस अविध से है जो कसी कले डर वष क पहली<br />

जुलाई से ार भ होती है।<br />

भाग-2<br />

सम ्वग<br />

1- सेवा का स वग (।) सेवा और उसम येक ेणी के पद क सं या उतनी होती जसक<br />

रा यपाल ारा समय-समय पर अवधारत क जाय।<br />

(2) सेवा और उसम येक ेणी के पद क सं या, जब तक क उपिनयम (1) के अधीन उसम<br />

परवतन करने के आदेश न दये जाय, उतनी होगी, जतनी परिश ट ‘क’ म द गयी है:-<br />

परन ्तु:-<br />

(।) कसी र त पद को िनयु ािधकार बना भरे छोड सकता ह और रा यपाल आ थिगत रख<br />

सकते ह जससे कोई य ितकर का हकदार न होगा।<br />

(2) राज ्यपाल ऐसे अितर त थायी या अ थायी पद का सृजन कर सकते ह, जैसा व उिचत समझ।<br />

भाग-3<br />

भत<br />

5- भत का ोत<br />

सेवा म विभ न ेणय के पद पर भत िन निलखत ोत से क जायगी ,<br />

(क) नैत ्यक ेणी िलपक:<br />

(एक) सीधी भत ारा।<br />

(दो) सम ्ब जल के कोषागार/कोषागार म वग ‘घ’ के कमचारय म से 10 ितशत तक<br />

क पदो नित ारा।<br />

(ख) ये ठ ेणी िलपक:<br />

सम ्ब जल के कोषागार/कोषागार म थायी नै यक ेणी िलपक म से पदो नित ारा।<br />

(ग) सहायक कोषागार धान िलपक:<br />

सम ्ब जल के कोषागार/कोषागार म थायी ये ठ ेणी िलपक म से पदो त ारा।<br />

(घ) अपर कोषागार धान िलपक/कोषागार धान िलपक:<br />

ऐसे थायी सहायक कोषागार धान िलपक, थायी ये ठ ेणी िलपक और थायी नै यक ेणी<br />

िलपक म से, ज हने स ब भाग के कोषागार म नै यक ेणी िलपक के प म 12 वष क<br />

यूनतम िनर तर सेवा क हो, पदो नित ारा।<br />

टप ्पणी:- पदोन ्न ित ् के योजन के िलए एक संयु त ज ्ये ठता सूची तैयार क आयगी जसम<br />

सहायक कोषागार धान िलपक, ये ठ ेणा◌ी िलपक और नै यक ेणी िलपक के नाम उ त पद


111<br />

पर िनर तर सेवा के दनांक के आधार पर ऐसे म म रखे जायगे क उससे कसी जले म कसी भी<br />

ेणी के पद पर यय क पर पर ये ठता म नाधा न पडेगी।<br />

6- आरण<br />

अनुसूिचत जाितय, अनुसूिचत जनजाितय और अ य ेणय के अ यिथय के िलए आरण भत के<br />

समय वृत ्त सरकार के आदेश के अनुसार कया जायगा।<br />

टप ्पणी:- इस िनयमावली के ार भ के समय वृ त सरकार के आदेश क ितयां परिश ट (ख) म<br />

द गई है।<br />

भाग -4<br />

अहंताय<br />

7- रा यतासेवा म कसी पद पर सीधी भत के िलये अ यथ के िलए यह आव यक है क वह :-<br />

(क) भारत का नागरक हो, या<br />

(ख) ितब ्बती शराणाथ हो, जो भारत म थायी प से िनवास करने के अिभाय से 1 जनवर, 1962<br />

के पूव भारत आया हो, या<br />

(ग) भारतीय उदभव का ऐसा य हो जसने भारत म थायी प से िनवास करने के अिभाय से<br />

पाक तार, वमा, ीलंका या के िनया, युगा डा और युनाइटेड रपलक आफ तंजािनया (पूववत<br />

तांगािनका और जंजीवार) के कसी पूव अक देश से जजन कया हो-<br />

परन ्तु उपयु त ेणी (ख) या (ग) का अ यथ का अ यथ ऐसा य होगा जसके प म रा य<br />

सरकार ारा पाता का माण-प जार कया गया हो,<br />

परन ्तु वह और क ेणी (ख) के अ यथ से यह भी अपेा क जायेगी क वह पुिलस उप<br />

महािनदेशक, गु तचर शाखा, उ तर देश से पाता का माण-प ा त कर ल,<br />

परन ्तु यह भी क यद अ यथ उपयु त ेणी (ग) का हो तो पाता का माण-प एक वष से<br />

अिधक अविध के िलये जार नहं कया जायगा और ऐसे अ यथ को एक वष क अविध के आगे<br />

सेवा म तभी रखा जायगा यद उसने भारतीय नागरकता ा त कर ली हो।<br />

टप ्पणी:- ऐसे अ यथ को जसके मामले म पाता का माण-प आव यक हो, क तु व तो वह जार कया<br />

गया हो और न देने से इ कार कया गया हो, कसी परा या साा कार म समिलत कया जा सके गा<br />

और उसे इस शत पर अनतम प से िनयु त भी कया जा सके गा क आव यक माण-प या दो वह<br />

ा त कर ले या उसके प म जार कर दया जाय।<br />

शैक अहताएं:-<br />

8- शैक अहताएं-<br />

नैत ्यक ेणी िलपक के पद पर सीधी भत के िलय अ यथ के अहताएं ऐसी होनी चाहये जैसा क<br />

अधीन य कायालय िलपक वग (सीधी भत) िनयमावली, 1975 म िनहत है।<br />

9- अिधमानी अहताएं-ऐसे अ य थी को जसम:-<br />

(एक) ादेिशक सेवा म दो वष क यूनतम अविध तक सेवा क हो, या<br />

(दो) नैत ्यक कै डेट नजर कोर कर ‘बी’ माण-प कया हो, अ य बात के नमान होन पर, सीधी के वषय<br />

म अिधमानता द जायगी।


112<br />

10- आयु-<br />

नैत ्यक ेणी िलपक के पद पर सीधी भत के िलए अ यथ क आयु भत के वष क पहली जुलाई<br />

दो 18 वष हो जानी चाहये और 27 वष से अिधक न होनी चाहये पर तु अनुसूिचत जाितय, अनुसूिचत<br />

जनजाितय और ऐसी अ य ेणय के जो सरकार ारा समय-समय पर अिधसिनत क कर, अ सिथय क<br />

थित म उ च आयु सौपा वष अिधक होती जसके क िनद ट क जाय।<br />

11- चार<br />

सेवा म कसी पद पर सीधी भत के िलये अ यथ का चार ऐसा होना चाहये क वह सरकार सेवा<br />

म िनयोजन के िलये सभी कार से उपयु त हो सके । इस संबंध म िनयु ािधकार अपना समाधान करेगा।<br />

टप ्पणी:- संघ सरकार ारा या कसी रा य सरकार ारा या संघ सरकार या कसी रा य सरकार के<br />

वािम व या िनयंण म कसी थानीय ािधकार या कसी िनगम या िनकाय ारा पद युत य सेवा म<br />

कसी पद पर िनयु के िलए पा न होगा। नैितक अघमता के कसी अपराध के िलए दोष िस य भी<br />

पा न होग।<br />

12- वैवाहक ाथित<br />

सेवा म कसी पद पर िनयु के िलए ऐसा पुष अ यथ पा न होगा जसक एक से अिधक<br />

पयां जीवत ह या ऐसी महता अ यथ पा न होगी जसने ऐसे पुष से ववाह कया हो जसक पहले से<br />

एक प नी जीवत है:<br />

परन ्तु रा यपाल कसी य को इस िनयम के वतन से छू ट दे सकते ह, यद उनका यह समाधान<br />

हो जाय क ऐसा करने के िलए वशेष कारण वमान है।<br />

13- शाररक व थता<br />

कोई अ यथ सेवा म कसी पद पर तब तक िनयु त नहं कया जायगा जब तक क मानिसक और<br />

शाररक से उसका वा य अ छा न हो और वह ऐसे शाररक दोष से मु त हो जनसे उसे अपने<br />

कत य का दतापूवक पालन करने म बाधा पडने क स भावना हो। कसी अ यथ को िनयु के िलए<br />

अंितम प से अनुमोदत करने के पूव उससे फ डामटल ल 10 के अधीन बनाये गये और फाइनेशयल<br />

है डबुक ख ड दो, भाग दो, चार के अ याय 3 म दये गये िनयम के अनुसार व थता माण-प तुत<br />

करने क अपेा क जायेगी:<br />

परन ्तु पदो नित ारा भत कये गये कसी अ यथ से व थता माण-प क अपेा नहं क<br />

जायेगी।<br />

भाग -5<br />

भत क या,<br />

14- रय क अवधारणा-<br />

िनयु ािधकार वष के दौरान भर जाने वाली रय क सं या और िनयम 16 के अधीन<br />

अनुसूिचत जाितय, अनुसूिचत जनजाितय और अ य ेणय के अ यिथय के िलये आरत क जाने वाली<br />

रय क सं या भी अवधारत करेगा। वह नै यक ेणी िलपक के पद क रय क सं या क सूचना<br />

अधीन थ कायालय िलपक वग (सीधी भत) िनयमावली, 1975 के अनुसार जला चयन सिमित को देगा।<br />

15- नैयक ेणी िलपक के पद पर सीधी भत पदो नित ारा भत क या-<br />

नैत ्यक ेणी िलपक के पद पर भत अधीन थ कायालय िलपक वगय (सीधी भत) िनयमावली,


113<br />

1975 के अनुसार क जायगी।<br />

16- (1) पदो नित ारा भत अनुउयु त को पंजीकृ त करने हुए ये ठता के आधार पर िन निलखत प<br />

म गठत चयन सिमितय के मा यम से क जायगी।<br />

ज ्येष ्ठ ेणी िलपक और सहायक कोषागार धान िलपक के प के िलए<br />

(1) जला अिधकार।<br />

(2) कोषागार अिधकार।<br />

(3) जलािधकार ारा नाम िनव ट ऐसा अिधकार नो ड ट कले टर ने<br />

िनम ्न पद का न हो।<br />

कोषागार धान िलपक और अपर कोषागार धान िलपक के पद के िलए<br />

(1) आयुक् त।<br />

(2) कोषागार िनदेशक।<br />

(3) आयुक् त ारा नामिनव ट व त वभाग का कोई अिधकार जसका वेतनमान यूनतम 900 पया<br />

या अससे अिधक हो।<br />

(4) िनयुक् त ािधकार अ यिथय क, ये ठता के म म, एक पाता सूची तैयार करेगा और उसे उनक<br />

चर पंजयां उनक संबंिधत ऐसे अ य अिभलेख के साथ जो उिचत समझा जाय चयन सिमित के सम<br />

रखेगा।<br />

(5) चयन सिमित उप िनयम (2) म िनद ट अिभलेख के आधार पर अ यिथय के मामले पर वचार<br />

करेगी और यद आव यक समझे तो अ यिथय का सा कार भी कर सकती है।<br />

(6) चयन सिमित चयन कये गये अ यिथय क ये ठता-म म एक सूची तैयार करेगी और उसे<br />

िनयु ािधकार को असारत करेगी।<br />

भाग 6<br />

िनयु, परवीा, थायीकरण और ये ठता<br />

17- िनयु<br />

(1) मौिलक रयां होने पर, िनयु ािधकार अ यिथय को उस म म लेकर, जसम उनके नाम<br />

यथाथित िनयम 15 या 16 के अधीन तैयार क गयी सूची म हो, िनयुय करेगा।<br />

(2) िनयु ािधकार अ थायी और थानाप रय म भी उपिनयम (1) म िनद ट सूची से<br />

िनयुयां कर सकता है। यद इन सूिचय का कोई अ यथ उपल ध न हो तो वह ऐसी रय म, इस<br />

िनयमावली के अधीन िनयु के िलए पा यय म से िनयुयां कर सकता है1 ऐसी िनयु एक वष से<br />

अिधक क अविध के िलए या अगला चयन कये जाने तक जो भी पहले हो, क जायगी।<br />

18- परवीा-<br />

(1) सेवा म कसी पद पर कसी मौिलक र म या उस पर िनयु त य को दो वष क अविध के<br />

िलये परवीा पर रखा जायगा।<br />

(2) िनयु ािधकार ऐसे कारण, से जो अिभिलखत कये जायगे, अलग-अलग मामल म परवीा<br />

अधीन को ऐसा दनांक विनद ट करते हुये, जब तक क अविध बढायी जाय, बढा सकता है,<br />

परन ्तु आपवादक परथितय को छोडकर परवीा अविध एक वष से अिधक नहं बढायी जायगी<br />

और कसी भी थित म दो वष से अिधक नहं बढायी जायगी।


114<br />

(3) यद परवीा अविध या बढायी भत परवी अविध के दौरान कसी भी समय या उसके अ त<br />

म िनयु ािधकार को यह तीत हो क परवीाधीन य ने अपने अवसर का पया त उपमान नहं<br />

कया है या संतोष दान करने म अ यसथा है और यद उसका कसी पद पर कोई धारणािधकार न हो तो<br />

उसक सेवाय समा त क का जा सकती है।<br />

(4) ऐसा परवीाधीन य, जसे उप िनयम (3) के अधीन यावितत कया जाय या जसक<br />

सेवाय, समा त क जाय, कसी ितकर का हकदार न होगा।<br />

(5) िनयु ािधकार, सेवा के स वग म समिलत कसी पद पर या कसी समक या उ च पद<br />

पर थानाप यह अ थायी प म क गई िनर तर सेवा क पीरवीा अविध क संगणना करने के याजनाथ<br />

गणना करने क अनुा दे सकता है।<br />

19- स ्थायीकरण-<br />

परवीाधीन य को परवीा अविध या बढायी गयी परवीा अविध के अ त म उसक िनयु<br />

पर थायी कर दया जायेगा, यद<br />

(क) उसका काय और आचरण संतोषजनक बताया जाय<br />

(ख) उसक स यिन ठा माणत क जाय, और<br />

(ग) िनयु ािधकार का यह समाछान हो जाय क वह थायीकरण के िलये अ यथा उपयु त है।<br />

20- ज ्येष ्ठता-<br />

(1) नैितक ेणी िलपक, ये ठ ेणी िलपक और सहायक कोषागार ेणी िलपक के पद पर<br />

ये ठता सूिचयां जलावार रखी जायेगी और कोषागार धान िलपक और अपर कोषागार धान िलपक के<br />

पद पर ये ठता सूिचयां भागचार रखी जायगी।<br />

(2) उप िनयम (1) के अधीन रहते हुए कसी ेणी के पद पर ये ठता तक िनयु के दनांक से<br />

अवधारत क जायेगी और यद दो या अिधक य साथ िनयु त कये जाय तो उस कम से जस कम म<br />

उनके नाम िनयु4 आदेश म गये ह, अवधारत क जायेगी।<br />

परन ्तु:-<br />

(1) सेवा म सीधे िनयु त यय क पर पर ये ठता वह होगी जो चयन अवधारत क गयी हो।<br />

(2) पदो नित ारा सेवा म िनयु त यय अपनी ये ठता वह होगी पदो नित के समय उनके<br />

ारा धृत मौ लक पद पर रह हो।<br />

टप ्पणी:- सीधे भत कया गया कोई अ यथ अपनी ये ठता खडे सकता है यद कसी र त पर उसका<br />

ताव कये जाने पर वह विधमा य कारण के बना कायभार हण करने म वफल रहे। कारण क विध<br />

मा यता के स ब ध म िनयु ािधकार का विन चय अतम होगा।<br />

भाग-सात-वेतन आद<br />

21- वेतनमान-<br />

सेवा म विभ न ेणय के पद पर मौिलक या थानाप प म या अ थायी आधार पर िनयु त<br />

यय के िलये अनुम य वेतनमान ऐसा होगा जो सरकार ारा समय-समय अवधारत कया जाय।<br />

पद का नाम<br />

वेतनमान<br />

(क) कोषागार धान िलपक/ अपर कोषागार 450-25-575-द0 रो0-25-700 0<br />

धान िलपक


115<br />

(ख) सहायक कोषागार धान िलपक<br />

250-7-285-द0 रो0-9-375-द0 रो0-10-425 0<br />

(ग) ये ठ ेणी िलपक<br />

230-6-290-द0 रो0-9-335-द0 रो0-10-385 0<br />

(घ) नैितक ेणी िलपक<br />

200-5-250-द0 रो0-6-280-द0 रो0-8-320<br />

परवीा अविध म वेतन-<br />

(1) फ डामे टल स म कसी ितकू ल उपब ध के होते हुए भी परवीा पर कसी य को, यद<br />

वह पहले से थायी सरकार सेवा म न हो, समयमान म उसक थम वेतनवृ म भी द जायेगी जब उसने<br />

एक वष क संतोषद सेवा पूर कर ली हो तो और दो वष के सेवा के प चात तीय वेतनवृ तभी भी द<br />

आयेगी जब उसने परवीा अविध पूर कर ली हो और उसे थायी भी कर दया गया हो:<br />

परन ्तु यद संतोष दान न करने के कारण परवीा अविध बढायी जाय तो इस कार बढायी गयी<br />

अविध क गणना वेतनवृ के िलये तब तक नह क जायगी जब तक क िनयु ािधकार अ यथा िनदेश<br />

न द।<br />

(2) ऐसे य का जो पहले से सरकार के अधीन कसी पद पर रहा हो, परवीा अविध म वेतन<br />

सुसंगत फ डामे टल स ारा विनयिमत होगा:<br />

परन ्तु यद संतोष दान न करने के कारण परवीा अविध बढायी जाय तो इस कार बढायी गयी अविध<br />

क गणना वेतनवृ के िलये तब तक नहं क जायेगी जब तक क िनयु ािधकार अ यथा िनदेश न द।<br />

(3) ऐसे य का जो पहले ने थायी सरकार सेवा म हो, परवीा अविध म वेतन रा य के काय-<br />

कलाप के स ब ध म सामा यतया सेवारत सरकार सेवक पर लागू सुसंगत िनयम ारा विनयिमत होगा।<br />

23- दता रोक पार करने के िलये मापद ड-<br />

(क) कोषागार धान िलपक/अपर कोषागार धान िलपक - कोषागार धान िलपक/अपर कोषागार धान<br />

िलपक क दता रोक पार करने क अनुमित तब तक नहं द जायेगी, जब तक क वह अपने क त य और<br />

उ तरदािय व का दतापूवक पालन करने म समथ न हो जाय, वह िनयम और या से पूणतया<br />

सुपरिचत न हो जाय और उसका अपने अधीन थ कमचारय पर भावपूण िनयंण न हो और उसक<br />

स यिन ठा माणत न कर द जाय।<br />

(ख) सहायक कोषागार धान िलपक<br />

(एक) सहायक कोषागार धान िलपक को थम दतारोक पार करने क अनुमित तब तक नहं द<br />

जायेगी जब तक क वह कोषागार के िभ न-िभ न का उ टर पर दतापूवक काय करने म समथ न हो जाय,<br />

वह अपने किन ठ कमचारय का मागदशन न कर सके और लोक यवहार म कु शल न हो और उसक<br />

स यिन ठा माणत न कर द जाय।<br />

(दो) सहायक कोषागार धान िलपक को तीय दतारोक पार करने क अनुमित तब तक नहं द<br />

जायेगी तब तक क वह अपने क त य और उ तरदािय व का पालन करने के िलये समथ न पाया जाय,<br />

जैसा क उसके काय और आचरण से कट हो और उसक स यिन ठा माणत न कर द जाय।<br />

(ग) ये ठ ेणी िलपक<br />

(एक) ये ठ ेणी िलपक को थम दता रोक पार करने क अनुमित तब तक नहं द जायेगी तब<br />

तक क उसे अपने पद से संबंिधत काय से पूणतया सुपरिचत न पाया जाय और अ य वभाग के कमचारय<br />

और जनता के साथ उसका यवहार अ छा न हो और उसक स यिन ठा माणत न कर द जाय।<br />

(दो) ये ठ ेणी िलपक को तीय दता रोक पार करने क अनुमित तब तक नहं द जायेगी जब


116<br />

तक क यह न पाया जाय क उसने उपने क त य का पालन दतापुवक ईमानदार से और िन ठा और<br />

दूरदिशना के साथ कया है और उसक स यिन ठा माणत न कर द जाय।<br />

(घ) नैितक ेणी िलपक<br />

(एक) नैितक ेणी िलपक को थम दतारोक पार करने क अनुमित तब तक नहं द जायेगी जब<br />

तक क यह न पाया जाय क असने धीरतया िन ठा से और अपनी भ सक यो यता से काय कया है और<br />

अ य वभाग के कमचारय तथा जनता के साथ उसका यवहार अ छा है और उसक स यिन ठ माणत<br />

कर द गयी हो।<br />

(दो) नौितक ेणी िलपक को तीय दतारोक पार करने क अनुमित तब तक नहं द जायेगी जब<br />

तक क वह अपने क त य का पालन दतापूवक, ईमानदार से और दूरदिशता के साथ करने म समथ न<br />

पाया जाय जैसा क उसके काय और आचरण से कट हो और इनम उसे सपे गये काय से संबंिधत िनयम<br />

और कया क जानकार भी समिलत है और जब तक क उसक स यिन ठा माणत न कर द जाय।<br />

भाग-आठ-अ य उपब ध<br />

24- प समथन-<br />

कसी भी ऐसी िलखत या मौखक िसफारख पर, जो पद या सेवा पर लागू िनयम के अधीन<br />

अपेत िसफारश से िभ हो, वचार नहं कया जायेगा। कसी अ यथ क ओर से अपनी अ यथता के िलये<br />

य या अ य प से समथन ा त करने का कोई यास उसे िनयु के िलये अनह कर देगा।<br />

25- अन ्य वषय का विनयमन-<br />

उन वषय के स ब ध म जो विश टतया इस िनयमावली या वशेष आदेश के अ तगत न आते ह,<br />

सेवा म िनयु त य ऐसे िनयम, विनयम और आदेश ारा िनयंत हगे जो रा य के काय-कलाप के<br />

स ब ध म सेवारत सरकार सेवाक पर सामा यतया लागू होते ह।<br />

26- सेवा क शत म िशिथलता-<br />

जहां रा य सरकार का समाधान हो जाय क सेवा म िनयु त य क सेवा क शत को विनयिमत<br />

करने वाले कसी िनयम के वतन से कसी विश ट मामले म अनुिचत कठनाई होती है वहां वह उस मामले<br />

म लागू होने वाले िनयम म कसी बात के होते हुए भी आदेश ारा उस िनयम क अपेाओं को उस सीमा<br />

तक और ऐसी शत के अधीन रहते हुए, ज ह वह उस मामले म याय संगत सा यपूण रित से कायवाह<br />

करने के िलये आव यक समझे, अिभमु त या िशिथल कर सकती है।<br />

आा से<br />

वभुवन साद,<br />

वत ्त सिचव।<br />

परिशष ्ठ ‘क’<br />

सेवा क सद य संख ्या<br />

0 सं0 पद का नाम स ्थायी अस ्थायी कु ल योग<br />

1 कोषागार धान िलपक अपर कोषागार धान िलपक 67 67<br />

2 सहायक कोषागार धान िलपक 2 3 5<br />

3 ज ्येष ्ठ ेणी िलपक 173 151 324<br />

4 नैितक ेणी िलपक 1040 245 1285


117<br />

उ तराख ड शासन<br />

वत ्त अनुभाग-4<br />

संख ्या 974/व त अनु0-4/2003<br />

देहरादून, दनांक 08 अगस ्त, 2003<br />

अिधसूचना<br />

कण<br />

संवधान के अनु छेद-309 के पर तुक ारा द त श का योग करके और इस वषय पर सम त<br />

वघामान िनयम और आदेश का अितमण करके , रा यपाल उ तराख ड कोषागार अधीन थ संवग म भत<br />

और उसके िनयु त यय क सेवा क शत को विनयिमत करने के िलए िन निलखत िनयमावली बनाते<br />

है:-<br />

उ तराख ड कोषागार अधीन थ संवग िनयमावली, 2003<br />

भाग एक-सामा य<br />

1- सं त नाम और ार भ:<br />

(1) य ह िनयमावली उ तराख ड कोषागार अधीन थ सेवा िनयमावली, 2003 कह जायेगी। (2)<br />

यह तुर त वृ त होगी।<br />

2- सेवा क ाथित:<br />

उ तराख ड कोषगार अधीन थ संवग एक राजपत/अराजपत सेवा है जसम समूह ‘ख’ एवं ‘ग’<br />

के पद समाव ट है।<br />

3- परभाषाएं:<br />

जब तक वषय या संदभ म कोई ितकू ल बात न हो, इस िनयमावली म-(क) ‘िनयु ािधकार’ का<br />

ता पय लेखा िलपक, लेखा िलपक (रोकड), सहायक लेखाकर, सहायक लेखाकार (रोकड), लेखाकार व<br />

लेखाकार (रोकड), के पद के िलये स बधत ‘जलािधकार’ तथा सहायक/उपकोषािधकार एवं सहायक<br />

कोषािधकार (रोकड) के िलये ‘िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय, उ तराख ड देहरादून’ से है;<br />

(ख) ‘भारत का नागारक’ का ता पय ऐसे य से है जो संवधान के भाग-दो के अधीन भारत का<br />

नागरक हो या समझा जाय;<br />

(ग) ‘संवधान’ का ता पय भारत के संवधान से है;<br />

(घ) ‘सरकार’ का ता पय उ तराख ड क रा य सरकार से है;<br />

(ड) ‘राज ्यपाल ‘ का ता पय उ तराख ड के रा यपाल से है;(ग) ‘सेवा का सद य’ का ता पय सेवा<br />

के संवग म कसी पद पर इस िनयमावली या इस िनयमावली के ार भ होने के पूव वृ त िनयम या<br />

आदेश के अधीन ‘मैिलक प से िनयु त’ य से है;<br />

(ज) ‘सेवा’ का ता पय उ तराख ड कोषागार अधीन थ सेवा से है;<br />

(झ) ‘मौिलक िनयु’ का ता पय सेवा के संवग म कसी पद पर ऐसी िनयु से है जो िनयम के<br />

अनुसार चयन के प चात ् क गयी हो और यद कोई िनयम न हो तो सरकार ारा जार कये गये काय<br />

चालक अनुदेश त समय वहत या के अनुसार क गयी हो;


118<br />

(स) ‘भत का वष’ का ता पय कसी कले डर वष क पहली जुलाई से ार भ होने वाली बारह मास<br />

क अविध से है।<br />

भाग दो-संवग<br />

4- सेवा का संवग:-<br />

सेवा क सद यं सं या-(1) सेवा क सद य सं या उतनी होगी जतनी रा यपाल ारा समय-समय<br />

पर अवधारत क जाय।<br />

(2) जब तक उपिनयम (1) के अधीन परवतन करने के आदेश न दये जाय, सेवा क सद य सं या<br />

उतनी होनी जतनी इस िनयमावली के परिश ट ‘क’ म विनद ट है:<br />

परन ्तु:-(एक) िनयु ािधकार कसी रक् त पद को बना भरे हुए छोड सकता है जससे कोई य<br />

ितकर का हकदार न होगा।<br />

(दो) रा यपाल ऐसे अितर त थायी या अ थायी पद को सृजन कर सकते ह, ज ह यह उिचत<br />

समझे।<br />

भाग तीन-भत<br />

5- भत का ोत:-<br />

भत का ोत:- सेवा म विभ न ेणी के पद पर भत िन निलखत ोत से क जायेगी-<br />

(क) लेखा िलपक/लेखा िलपक (रोकड):<br />

1. सीधी भत ारा; अथवा<br />

2. जले के कोषागार/कोषागार एवं उपकोषागार म समूह ‘घ’ के कमचारय म से उ तराख ड<br />

शासन से समय-समय पर जार िनधारत ितशत तक क पदो नित ारा<br />

(ख) सहायक लेखाकार/सहायक लेखाकार (रोकड):<br />

जले के कोषागार/कोषागार एवं उपकोषागार म से थायी लेखा िलपक/ लेखा िलपक पदधारक म<br />

से अनुपयु त को उ वीकार करते हुये ये ठता के आधार पर पदो नित करते हुये, ज हने भत के वष म<br />

इस प म कम से पांच वष क सेवा पूण कर ली :पर तु पदो नित के िलए पा अ यिथय के उपल ध न<br />

पर सहायक लेखाकार/सहायक लेखाकार (रोकड) के पद को सीधी भत से भरा जायेगा।<br />

(ग) लेखाकार/लेखाकार (रोकड):<br />

जले के कोषागार/उपकोषागार म थायी सहाकय लेखा/ सहायक लेखा (रोकड) के पदधारक म से<br />

अनुपयु त को अ वीकार करते हुए ये ठता के आधार पर पदो नित ज हने इस प म कम से कम तीन<br />

वष क सेवा पूण कर ली हो।<br />

जनपद म सृजत सहायक लेखाकार/सहायक लेखाकर (रोकड) के पद का 80 ितशत/20 ितशत का<br />

अनुपाल सुिनत करते हुए लेखाकर के पद पर पदो नित कया जायेगा अथवा पद क सं या हेतु समय-<br />

समय पर शासन तर पर िलये गये िनणय के अनुसार पदनाम एवं सं या (अनुपात) िनधारत कया जायेगा।<br />

(घ) सहायक कोषािधकार/उपकोषािधकार/सहायक कोषािधकार (रोकड):<br />

सम ्ब जले के कोषागार/कोषागार म से कोषागर लेखाकार/कोषागार लेखाकार (रोकड) के पदधारक<br />

म से अनुपयु त को अ वीकार करते हुये ये ठता के आधार पर पदो नित के ारा, जसके प म कम से<br />

कम पांच वष क सेवा पूण कर ली हो।


119<br />

टप ्पणी:-1<br />

(1) परिश ट ‘ख’ म दिशत वतमान म कै श शाखा म कायतर मृत संवग के पदधारक यथा सहायक<br />

रोकडया को लेखा िलपक (रोकड) उपरोकडया को सहायक लेखाकार (रोकड) रोकडया को कोषागार लेखाकार<br />

(रोकड) तथा मु य रोकडया को सहायक कोषािधकार (रोकड) पदनाम कया गया है। मृत संवग घोषत<br />

कचारय के सेवािनवृ त होने तक इनक अपने-अपने पोषक संवग म पर पर ये ठता वह होगी जो इस<br />

िनयमावली के लागू होने क ितिथ को ‘उत ्तर देश कोषागार (रोकड शाखा) िलपक वग सेवा िनयमावली<br />

1987’ के अनुसार अपने-अपने पोषक संवग म रह है पर तु ो नित ारा भत क या इस िनयमावली,<br />

के अधीन िनयम-5 एवं िनयम-16 तथा इनके उपिनयम के अधीन थापत या के अनुसार पूण क<br />

जायेगी। मृत संवग के उ च पद पर सभी क पदो नित करके भरे जाने पर िनयले म म र त पद वत:<br />

ह समा त हो जायगे।<br />

(2) कै श शाखा म कायरत मृत संवग के सहायक कोषािधकार (रोकड) के पद को पदो नित ारा,<br />

यद कोषागार लेखाकार (रोकड) मृत संवग म उपल ध न ह अथवा अह न ह, क थित म कै श शाखा के<br />

मृत संवग म कायरत ऐसे सहायक लेखाकार (रोकड) ज हने इस प म कम से कम 7 वष क सेवा पूण<br />

कर ली हो ये ठता के आधार पर अनुपयु त को अ वीकार करते हुये भरा जायेगा।<br />

(3) भव य म िनयुय का ोत एक होगा पर तु लेखा शाखा एवं कै श शाखा म तैनाती के अनुसार<br />

कमचार का पदनाम होगा और ऐसे पदधारक का पोषक संवग अलग-अलग न होकर समिलत प से एक<br />

ह पोषक संवग होगा।<br />

आरण:अनुसूिचत जाितय, अनुसूिचत जनजाितय और अ य ेणी के अ यिथय के िलए आरण<br />

भत/पदो नित के समय वृत शासनादेश के अनुसार होगा।<br />

भाग चार-अहताय<br />

राष ्यता:<br />

सेवा म कसी पद पर सीधी भत के िलये यह आव यक है क अ यथ:-(क) भारत का नागारक हो;<br />

या<br />

(ख) ित बती शरणाथ हो, जो भारत म थायी िनवास के अिभाय से 01 जनवर, 1962 के पूव<br />

भारत आया हो; या<br />

(ग) भारतीय उदभव का ऐसा य हो जसने भारत म थायी िनवास के अिभाय से पाक तान,<br />

बमा, ीलंका या कसी पूव अक देश के या, युगांडा और यूनाइटेड रपलक आफं तंजािनया या (पूववत)<br />

तांगािनका और जंजीवार से वजन कया हो:पर तु उपयु त ेणी (ख) या (ग) का अ यथ ऐसा य होना<br />

चाहये जसके प म रा य सरकार ारा पाता का माण-प जार कया गया हो:<br />

परन ्तु यह और क ेणी (ख) के अ यथ से यह अपेा क जायेगी क वह पुिलस उप महािनरक,<br />

गु तचर शाखा, उ तराख ड से पाता का माण-प ा त कर ले:<br />

परन ्तु यह भी क यद कोई अ यथ उपयु त ेणी (ग) का हो तो पाता का माण-प एक वष से<br />

अिधक अविध के िलये जार नहं कया जायेगा और ऐसे अ यथ को एक वष क अविध के आगे सेवा म इस<br />

शत पर रहने दया जायेगा क वह भारत क नागरकता ा त कर ले।<br />

टप ्पणी-2<br />

ऐसे अ यथ को जसके मामले म पाता का माण-प आव यक हो, क तु न तो वह जार कया


120<br />

गया हो और न देने से इ कार कया गया हो, कसी परा या साा कार म समिलत कया जा सकता है<br />

और उसे इस शत पर अनतम प से िनयु त भी कया जा सकता है क आव यक माण-प उसके ारा<br />

ा त कर िलया जाय या उसके प म जार कर दया जाय।<br />

8- शैक अहता:<br />

(1) लेखा िलपक/लेखा िलपक (रोकड) के पद पर सीधी भत के िलये अ यथ वाण य म<br />

इ टरमीडएट एकाउ टेसी के साथ उ तीण होना चाहए, उसे दैवनागर िलप म पढने एवं िलखने का ान<br />

होना चाहए इसके अलावा अ यथ के पास क यूटर म काय करने के ान के साथ-साथ क यूटर पर<br />

आधारत का माण-प भी होना चाहए। क यूअर पर 4000 ‘क डश’ ित घंटा क गित होनी चाहए।<br />

(2) सहायक लेखाकार/सहायक लेखाकार (रोकड) के पद पर सीधी भत हेतु अ यथ के पास<br />

एकाउ टे सी के साथ कसी मा यताा त व ववघालय से वाण य म नातक क उपािध होनी चाहए, और<br />

उसे देवानागार िलपक पढने एवं िलखने का ान होना चाहए। इसके अलावा अ यथ के पास क यूटर म<br />

काय करने के ान साथ-साथ क यूटर पर आधारत काय का माण-प भी होना चाहए। क यूटर पर<br />

4000 ‘क डेशन ित घंटा क गित’ होनी चाहए; अथवा<br />

(3) (1) कसी मा यताा त व ववघालय से गणत या भौितक शा के साथ नातक क उपािध<br />

वाले अ यथ जन देवनागार िलप म पढने एवं िलखने का ान हो और क यूटर म पो ट े युऐट अथवा<br />

क यूटर म ‘ओ लेबल या इसके समक का कोस कसी मा यताा त सं था से कया हो अथवा क यूटर<br />

वषय इ जीिनयरंग उपािध हो।<br />

9- अिधमानी अहता:<br />

अन ्य बात के समान होने पद ऐसे अ यथ को सीधी भत के मामले म अिधमान दया जायेगा।<br />

जसने –<br />

(एक) ादेिशक सेना म दो वष क यूनतम अविध तक सेवा क हो; या<br />

(दो) रा य कै डेट कोर का ‘बी’ माण-प ा त कया हो या व ववघालय से एन0एस0एस0 का<br />

माण-प ा त कया हो; (तीन) क यूटर का ‘ओ’ लेबल या इसके समक का कोस मा यताापत<br />

सं था से कया हो।<br />

10- आयु:<br />

सीधी भत के िलए अ यथ क आयु जस िनयु वष म रयां वापत क जाएं, उस वष पहली<br />

जुलाई 21 वष हो जानी चाहए और अिधकतम आयु 35 वष से अिधक नहं होनी चाहए:<br />

परन ्तु अनुसूिचत जाितय, अनुसूिचत जनजाितय और ऐसी अ य ेणय के , जो सरकार ारा समय-<br />

समय पर अिधसूिचत क जांच, ऐसे अ यिथय क थित म उ चतर आयु सीमा उतने वष अिधक होगी,<br />

जतनी विनद ट क जाय।<br />

11- चर:<br />

सेवा म कसी पद पर सीधी भत के िलए अ यथ का चर ऐसा होना चाहए क वह सरकार सेवा<br />

म िनयोजन िलए सभी कार से उपयु त हो सके । िनयु ािधकार इस संबंध म अपना समाधान कर लेगा।<br />

टप ्पणी-3<br />

संघ सरकार या कसी रा य सरकार या कसी थानीय ािधकार ारा या संघ सरकार या कसी


121<br />

रा य सरकार वािम व म या िनयंणाधीन कसी िनगम या िनकाय ारा पद युत य सेवा म कसी पद<br />

पर िनयु के पा नहं हगे। नैितक अधमता के कसी अपराध के िलये दोष िस य भी पा नहं हगे।<br />

12- वैवाहक ाथित:-<br />

सेवा म कसी पद पर िनयु के िलये ऐसा पुष अ यथ पा नहं होगा जसक एक से अिधक<br />

पयां जी ह और ऐसी महला अ यथ पा नहं होगी जसने कसी ऐसे पुष से ववाह कया हो जसक<br />

पहले से कोई जीवत रह हो:<br />

परन ्तु सरकार कसी य को इस िनयम के नतन से छू ट दे सकती है, यद उसका समाधान हो<br />

जाय क ऐसा करने के िलये वशेष कारण वघमान ह।<br />

13- शाररक वा थता:-<br />

कसी भी अ यथ को सेवा म कसी पद पर तभी िनयु त कया जायेगा जब मानिसक और शाररक<br />

से उसका वा य अ छा हो और यह ऐसे सभी शाररक दोष से मु त द जससे उसे अपने क त य<br />

का दतापूवक पालन करने म बाधा पडने क स भावना हो। कसी अ यथ को सीधी िनयु के िलये<br />

अतम प से अनुमोदत कये जाने के पूव उससे यह अपेा क जायेगी क:-<br />

(क) यह यह फ डामे टल ल 10 के अधीन बनाये गये और व तीय वयम संह ख ड दो, भाग<br />

तीन के अ याय तीन म दये गये िनयम के अनुसार व यता माण-प तुत करे।<br />

भाग पांच-भत क या<br />

14- रय का अवधारण:<br />

िनयु ािधकार वष के दौरान भर जाने वाली रय क सं या और िनयम 6 के अधीन<br />

अनुसूिचम जाितय/अनुसूिचत जनजाितय और अ य ेणी के अ यिथय के िलये आरत क जाने वाली<br />

रया क सं या भी अवधारत करेगा।<br />

15- सीधी भत क या:<br />

(1) लेखा िलपक/लेखा िलपक (रोकड) व सहायक लेखाकार तथा सहायक लेखाकार (रोकड) के पद<br />

पर सीधी भत स ब जले का जलािधकार इनके िलये िनयु ािधकार होगा तथा शासन ारा िनधारत<br />

कोई वशेष या यद लागू हो उसके अधीन अथवा जला तर पर थापत या के अंतगत क जायेगी।<br />

यद रा य सरकार ारा अलग से कोई या िनधारत न क जाय तब सीधी भत के करण म दो यापक<br />

सार के समाचार प म सीधी भत से र त पद को रे जाने हेतु वि कािशत क जाय तथा िनधारत<br />

शैक यो यता म ा त ा ताकं के ितशत तथा येक उ च डी जो उस वषय से स बधत हो म<br />

ा त ा ताक का दस ितशत जोड कर अंक दया जाय तथा क यूटर से संबधत यो यता हेतु क यूटर<br />

वशेष ारा अिधकतग ् 50 अंक म मू यांकन कया जाय। इसके अितर त 20 अंक का साा कार लेकर<br />

े ठता के आधार पर चयन या पूर क जाय।<br />

16- पदो नित ारा भत क या:-<br />

(1) लेखा िलपक/लेखा िलपक (रोकड), सहायक लेखाकार/सहायक लेखाकार (रोकड) हेतु िनयम-5<br />

(ख( के अनुसार तथा<br />

(2) लेखाकार/लेखाकार (रोकड) हेतु िनयम-5 (ग) के अनुसार स ब जले के जलािधकार के ारा<br />

िन न कार से चयन सिमित गठत करके सीधी भत/पदो नित के ारा भत क जायेगी-


122<br />

चयन सिमित:- िनयम-16(1) व (2) के िलये:<br />

1- जलािधकार अथवा उनके ारा नािमत मु य/वर ठ कोषािधकार/ कोषािधकार (अ य)<br />

2- यद जलािधकार वयं अ यत कर तब मु य/वर ठ कोषािधकार/ कोषािधकार (सद य)<br />

3- िनयु ािधकार के ारा नाम िनद ट जले के अनुसूिचत जाित का राजपत अिधकार जो ेणी न से<br />

िन नतर न हो (सद य)<br />

4- क यूटर तकनीक ान रखने वाले कम से कम ेणी-ख का राजपत अिधकार (सद य)<br />

(3) सहायक कोषािधकार/उपकोषािधकार/सहायक कोषािधकार (रोकड) हेतु िनयम-5 (घ) के अनुसार<br />

िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय उ तराख ड के तर पर िन न कार से चयन सिमित गठत करके<br />

पदो नित को भत पूण क जायेगी-<br />

चयन सिमित:-िनयम-16 (3) के िलये:<br />

1- िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय (अ य)<br />

2- मुख सिचव, व त/सिचव, व त ारा नाम िनद ट अिधकार जो शासन म उप सिचव के तर से<br />

िन नतर न हो (सद य)<br />

3- िनयु ािधकार ारा नाम िनद ट अनुसूिचत जाित का राजपत अिधकार जो ेणी ‘क’ से<br />

िन नतर न हो (सद य)<br />

(4) िनयु ािधकार अ यथ क पाता सूची समय-समय पर यथा संशोिघत उ तराख ड देश (लोक सेवा<br />

आयोग के े के बाहर के पद पर) चयनो नित िनयमावली के अनुसार तैयार करेगा और उसे उनक चर<br />

पंजय और उनसे संबंिधत ऐसे अ य अिभलेख के साथ, जो उिचत समझे जाये चयन सिमित के सम<br />

रखेगा-<br />

परन ्तु जहां दो या अिधक पोषक संवग हो-<br />

(क) िभ न-िभ न वेतनमान होने पर उ च वेतनमान वाले संवग के अ यिथय को पाता सूची म<br />

उपर रखा जायेगा।<br />

(ख) समान वेतनमान होने पर अ यिथय के नाम उनके अपने-अपने अिध ठान म पोषक संवग म<br />

मौिलक िनयु/ोननित के दनांक के म म पाता सूची म रखे जायगे। क तु यद दो या अिधक<br />

अ यिथय के दनांक के अनुसार ये ठताम म अ यथ क पाता सूची तैयार क जायेग।<br />

(5) चयन सिमित उपिनयत (2) म िनद ट अिभलेख के आधार पर अ यिथय के मामल पर वचार करेगी<br />

और यद वह आव यक समझे अ यिथय का साा कार भी कर सकती है।<br />

(6) चयन सिमित चयन कये गये अ यिथय क ये ठता म म एक सूची तैयार करेगी और उसे िनयु<br />

ािधकार को असारत करेगी।<br />

भाग छ:-िनयु, परवीा, थाईकरण, ितभूित एवं ये ठता<br />

17- िनयु:-<br />

(1) िनयु ािधकार अ यिथय के नाम उसी म म लेकर जसम वे िनयम-16 के उपिनयम (4)<br />

के अधीन तैयार क गयी सूची म आये ह, िनयु करेगा।<br />

(2) यद कसी एक चयन के स ब ध म िनयु के एक से अिधक आदेश जार कये जायं तो एक<br />

संयु त आदेश भी जार कया जायेगा जसम यय के नाम का उ लेख वीणता सूची के म म कया<br />

जायेगा जैसा क उस संवग म हो जसम से उ ह पदो नित कया जाय।


123<br />

18- परवीा:-<br />

(1) सेवा म कसी पद पर थायी र म या उसके ित मौिलक प से िनयु कये जाने पर<br />

येक य दो वष क अविध के िलए परवीा पर रखा जायेगा।<br />

(2) िनयु ािधकार ऐसे कारण से जो अिभिलखत कये जायगे, अलग-अलग मामल म परवीा<br />

अविध के बढा सकता है, जसम ऐसा दनांक विनदष ्ट कया जायेगा जब तक क अविध बढाई जाय:<br />

परन ्तु आपवादक परथितय के िसवाय परवीा अविध एक वष से अिधक और कसी भी<br />

परथित म दो वष से अिधक नहं बढाई जायेगी।<br />

(3) यद परवीा अविध या बढाई गई परवीा अविध के दौरान कसी भी समय या उसके अ त म<br />

िनयु ािधकार को यह तीत हो क परवीाधीन य ने अपने उवसर का पया त उपयोग नहं कया<br />

है, तो उसे मौिलक पद पर यद कोई हो, यावितत कया जा सकता है और यद उसका कसी पद पर<br />

धारणिधकार न हो तो उसक सेवाय समा त क जा सकती है।<br />

(4) ऐसा परवीाधीन य, जसे उपिनयम (3) के अधीन यावितत कया जाय या जसक<br />

सेवाय समा त क जायं, कसी ितकर का हकदार नहं होगा।<br />

(5) िनयु ािधकार सेवा के संवग म समिलत कसी पद पर या कसी अ य समक या उ च<br />

पद पर थानाप न या अ थायी प से क गयी िनर तर सेवा क परवीा अविध क संगणना करने के<br />

योजनाथ गणना करने क अनुमित दे सकता है।<br />

19- थायीकरण:<br />

कसी परवीाधीन य को परवीा अविध या बढाई गई परवीा अविध के अ त म उसक<br />

िनयु म थायी कर दया जायेगा, यद-<br />

(क ) उसने वहन िशण, यद कोई दो, सफलतापूवक ा त कर िलया हो;<br />

(ख ) उसने वहत वभागीय परा, यद कोई हो, उ तीण कर ली हो,<br />

(ग ) उसका काय और आचरण संतोषजनक पाया जाय,<br />

(घ ) उसक स यिन ठा माणत कर द जाय;<br />

(ङ ) िनयु ािधकार को यह समाधान हो जाय क वह थायी कये जाने के िलए अ यथा अपयु त है।<br />

20- ितभूित:-<br />

पदधारक को रोकड के काय का अपना पदभार हण करने से पहले वहत बंध-प/ितभूित<br />

िन पादत करना होगा। जैसा क शासन ारा समय-समय पर िनधारत कया जाय।<br />

21- ये ठता:-<br />

एतपश ्चात ् यथा उपबधत के िसवाय उ तराख ड ये ठता िनधारण िनयमावली, 2002 के अधीन<br />

रहते हुये, कसी ेणी के पद पर यय क ये ठता मौिलक िनयु के आदेश के दनांक से और यद दो<br />

या अिधक य ऐ साथ िनयु त कये जांय तो उस म से जैसे क उनके नाम िनयु के आदेश म रखे<br />

गये ह, अवधारत क जायेगी:<br />

परन ्तु यद िनयु के आदेश म कसी य क मौिलक प से िनयु का कोई विश ट पूववत<br />

दनांक विनद ट कया जाय तो उस दनांक को मौिलक िनयु के आदेश का दनांक समझा जायेगा, और<br />

अ य मामल म उसका ता पय आदेश जार कये जाने के दनांक से होगा:


124<br />

परन ्तु यह और क यद कसी एक चयन के संबंध म िनयु के एक से अिधक आदेश जार कये<br />

जांय तो ये ठता वह होगी जो िनयम-17 के उपिनयम (1) व (2) के अधीन जार कये गये िनयु के<br />

संयु त आदेश म उलखत हो।<br />

(2) पदो नित ारा िनयु त कये गये यय क पर पर ये ठता वह होगी जो पोषक संवग म रह हो।<br />

(3) देश के कोषागार/उप कोषागार म मौिलक प से िनयु त लेखाकार/ लेखाकार (रोकड) के पद पर<br />

देश तरय एक ये ठता सूची, उ तराख ड ये ठता िनधारण िनयमावली, 2002 के अधीन रहते हुये उनक<br />

मौिलक िनयु के दनांक से िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय, उ तराख ड ारा तैयार क जायेगी। यद<br />

एक से अिधक लेखाकार क लेखाकार के पद पर िनयु एक ह ितिथ को हुई हो तो सहायक लेखाकार/<br />

सहायक लेखाकार (रोकड) के पद पर पहले िनयु त य उससे ये ठ माना जायेगा।<br />

भाग सात-वेतन इ याद<br />

22- वेतनमान:<br />

सेवा म कोषागार अधीन थ सेवा के पद पर चाहे मौिलक या थानाप न प म हो या अ थायी<br />

आधार पर, िनयु त यय का अनुम य वेतनमान ऐसा होगा, जैसा सरकार ारा समय-समय पर अनधारत<br />

कया जाय।<br />

23- परवीा अविध म वेतन:<br />

(1) फण ्डामटल स म कसी ितकू ल उपब ध के होते हुए भी परवीाधीन य को, यद वह<br />

पहले से थायी सरकार सेवा म न हो, समयमान म उसक थम वेतन वृ तभी द जायेगी जय उसनक<br />

एक वष क स तोषजनक सेवा पूर कर ली हो; जहां वहत हो, वभागीय परा उ तीण कर ली हो और<br />

िशण ा त कर िलया हो। तीय वेतन वृ दो वष क सेवा के प चात ् तभी द जायेगी जब उसने<br />

परवीा अविध पूर कर ली हो और उसे थायी भी कर दया गया हो:<br />

परन ्तु यद स तोषजनक सेवा न कर सकने के कारण परवीा अविध बढायी जाय तो इस कार<br />

बढायी गयी अविध क गणना वेतन वृ के िलये नहं क जायेगी जब तक क िनयु ािधकार अ यथा<br />

िनदश न द।<br />

(2) ऐसे य को जो पहले से ह सरकार के अधीन कोई पद धारण कर रहा हो परवीा अविध म<br />

वेतन सुसंगत फ डामटल स ारा विनयिमत होगा:<br />

परन ्तु यद स तोषजनक सेवा न कर सकने के कारण परवीा अविध बढायी जाय तो इस कार<br />

बढायी गयी अविध क गणना वेतन वृ के िलये नहं क जायेगी, जब तक क िनयु ािधकार अ यथा<br />

िनदश न द।<br />

(3) ऐसे य का जो पहले से थायी सरकार सेवा म हो, परवीा अविध म वेतन रा य के<br />

कायकलाप के संबंध म सेवारत सरकार सेवक पर सामा यतया लागू सुसंगत िनयम ारा विनयिमत होगा।<br />

भाग आठ-अ य उपब ध<br />

24- प समथन:-<br />

पद या सेवा के संबंध म लागू इस िनयमावली के अधीन अपेत िसफारश से िभ न कसी अ य<br />

िसफारश पर, चाहे िनयु त य रा य के कायकलाप के संबंध म सेवारत सरकार सेवक पर सामा यतया<br />

लागू िनयम, विनयम और आदेश ारा िनयंत हगे।


125<br />

25- अ य वषय का विनयमन:-<br />

ऐसे िनयम के संबंध म जो विनद ट प से इस िनयमावली या वशेष आदेश के अ तगत न आते<br />

ह, सेवा म िनयु त य रा य के कायकलाप के संबंध म सेवारत सरकार सेवक पर सामा यतया लागू<br />

िनयम, विनयम और आदेश ारा िनयंत हगे।<br />

26- सेवा क शत म िशिथलता:-<br />

जहां रा य सरकार का यह समाधान हो जाय क सेवा म िनयु त यय क सेवा क शत को<br />

विनयिमत करने वाले कसी िनयम के वतन से कसी विश ट मामले म अनुिचत कठनाई होती है वहां वह<br />

उस मामले म लागू िनयम म कसी बात के होते हुए भी, आदेश ारा उस सीमा तक और ऐसी शत के<br />

अधीन रहते हुए ज ह वह मामले म याय संगत और सा यपूण रित से कायवाह करने के िलए आव यक<br />

समझे उस िनयम क अपेाओं से अिभमु दे सकती है या उसे िशिथल कर सकती है:<br />

परन ्तु जहां, कोई िनयम आयोग के परामश से बनाया गया हो वहां उस िनयम क अपेाओं से अिभमु देने<br />

या उसे िशिथल करने के पूव आयोग से परामश कया जायेगा।<br />

27- यावृ:<br />

इस िनयमावली क कसी बात का कोई भाव ऐसे आरण और अ य रयायत पर नहं पडेगा<br />

जनका इस संबंध म सरकार ारा समय-समय पर जार कये गये आदेश के अनुसार अनुसूिचत जाितय,<br />

अनुसूिचत जनजाितय और यय क अ य वशेष ेणय के अ यिथय के िलये उपब ध करना अपेत<br />

हो।<br />

परिशष ्ट ‘क’<br />

(िनयम 4 (2) का संल नक )<br />

0 पद का नाम वेतनाम पद क वीकृ ित योग अभ ्यु<br />

सं0<br />

सं या<br />

अस ्थाई स ्थाई<br />

1 2 3 4 5 6 7<br />

1 लेखा िलपक/लेखा<br />

िलपक (रोकड)<br />

2 सहायक लेखाकार<br />

/सहायक लेखाकार<br />

(रोकड)<br />

3 कोषागार<br />

लेखाकार/कोषागार<br />

लेखाकार(रोकड)<br />

4 सहायक कोषािधकार/उप<br />

कोषािधकार/ सहायक<br />

कोषािधकार (रोकड)<br />

3050-4950संशोिधत वेतन 9 8 17<br />

(5200-20200 एवं ेड वेतन<br />

1900.00)<br />

4000-6000 संशोिधत वेतन 49 74 123<br />

(5200-20200 एवं ेड वेतन<br />

2400.00)<br />

5000-8000<br />

75 217 292<br />

संशोिधत वेतन (9300-34800 एवं<br />

ेड वेतन 4200.00)<br />

1500-12000<br />

45 55 100<br />

संशोिधत वेतन (9300-34800 एवं<br />

ेड वेतन 4800.00)


126<br />

योग 178 354 532<br />

परिशष ्ट ‘ख’<br />

िनयम-5 ट पणी-1 के अनुसार मृत संवग के पद जो अ तत: परिश ट ‘क’ का भा होगा<br />

0 पद का<br />

वेतनमान<br />

पद क वीकृ ित योग<br />

अभ ्यु<br />

सं0 नाम<br />

सं या<br />

अस ्थाई स ्थाई<br />

1 2 3 4 5 6 7<br />

1 सहायक 3050-4950<br />

रोकडया संशोिधत वेतन (5200-<br />

20200 एवं ेड वेतन<br />

1900.00)<br />

2 रोकडय 4000-6000<br />

संशोिधत वेतन (5200-<br />

20200 एवं ेड वेतन<br />

2400.00)<br />

3 उप 5000-8000<br />

रोकडया संशोिधत वेतन (9300-<br />

34800 एवं ेड वेतन<br />

4200.00)<br />

4 मुख ्य 6500-10500<br />

रोकडया संशोिधत वेतन (9300-<br />

34800 एवं ेड वेतन<br />

4200.00)<br />

8 34 42 शासनोदश सं या-एस-3-<br />

2429/दस-2000-<br />

100(39)/93, दनांक 22-<br />

09-2000 के ारा उ तर<br />

24 53 77<br />

03 09 12<br />

08 09 17<br />

योग 43 105 148<br />

देश म कोषागार क कै श<br />

शाखा संवग को लेखा शाखा<br />

संवग म संवलीन कर कै श<br />

शाखा संवग को मृत संवग<br />

घोषत कया गया है।<br />

उ तराख ड म इसे लागू<br />

करते हुए इस संवग के पद<br />

को इस िनयमावली के<br />

अनुसार नाम दया<br />

आा से<br />

इन ्दु कु मार पा डे<br />

मुख सिचव, व त।


127<br />

वत ्तीय सां यकय भाग<br />

राज ्य के सम त वभाग म मु यालय एवं जनपद तर पर बजट साह य के अनुप उनके ारा<br />

कये गये आहरण जो विभ न योजनाओं, परयोजनाओं एवं मानव संसाधन एवं वकास के िलये कये गये ह,<br />

का लेखा कोषागार से ितमाह ापत करके उसको आव यकतानुसार विभ न कार के आउटपुट के प म<br />

तैयार करके शासन तर पर तथा महालेखाकार के तर पर तथा समय-समय पर माननीय मु य मंी जी के<br />

तर पर क जाने वाली समीा बैठक म उपयोग हेतु वैािनक ढंग से तैयार करके व तीय सां यकय<br />

भाग ारा तुत कया जाता है। इससे रा य क व तीय समीा एवं आव चकतानुप संसाधन का<br />

उपयोग भावशाली ढंग से कराने एवं यय के िनयंण म नजदक से िनयंण म सहायता होती है।<br />

शासनादेश सं या आई0एफ0/ाविधक-3-73-1301, दनांक 30 अैल, 1973 ारा व तीय<br />

सा ंयकय िनदेशालय क थापना िन निलखत उे य के िलये हुयी थी:-<br />

1- कोषागार के लेखा काय के भार को शासकय आधार सामी के पर के यय ीकरण ारा कम<br />

करना,<br />

2- भारत के िनयंक महालेखा परा, महालेखाकार उ तर देश और व त वभाग, उ तर देश शासन<br />

ारा कोषागार के लेख पर जार कये गये िनदश और कायविध संबंधी आदेश पर कोषागार को अघाविधक<br />

माग दशन करके कोषागार के लेख के सुधार कराना और दुवगकरण को कम करना,<br />

3- कोषािधकारय और कोषागार के टाफ को भारत सरकार के िनयंक महालेखाकार परक क<br />

लेखाशीषक के योजना से भली भॉित परिचत कराना और उनके अनुपालन के िलये ेरत करना ताक<br />

कोषागार लेख म<br />

उपरो त ािधकारय के वतमान थायी आदेश के अनुसार आयोजने तर और<br />

आयोजनागत यय के आंकड को प टत: अलग-अलग दखाया जाय और उस यय क आगे लघु<br />

लेखाशीषकवार, व तृत लेखाशीषकावार, ाथिमक इकाईवार, योजनावार और आहरण-वतरण अिधकार वार<br />

वघटत भी कया जा सके ,<br />

4- कोषागार और चेक जार करने वाले वभाग से वा तवक ाि व यय के आंकडे ा त करके शासन<br />

को उपल ध कराना ताक व त वभाग ारा बेहतर यय िनयंण और उपल ध धनरािश का बेहतर योग<br />

कया जा सके ,<br />

5- कम ्प ्यूटर ारा बजट अनुमानो के मौिलक आंकडे तैयार करना और<br />

6- अन ्य वभाग, जेसे िशा, पुिलस, परवहन आद के आधार सामी वधायन करना।<br />

शासनादेश सं या-ए-3/1061/दस-सा0प0/ाविधक/102-7-सा0प0/76, दनांक 10 माच, 1976 के<br />

ारा व तीय सां कय िनदेशालय तर से साख सीमा स बधत लेख के िलये कोड आंवटन का अिधकार भी<br />

द त हुआ था। उ तराख ड रा य म उ त िनदेशालय कोषागार िनदेशालय म एक सेल के प म थापत है।


128<br />

अिधकारय और कमचारय क शय और कत य<br />

कसी भी सरकार संगठन को याशील कये जाने हेतु संवधान म ावधािनत अनु छेदो, धाराओ<br />

एवं उप धाराओं के अधीन उस संगठन के िलये पारत अिधिनयम, िनिमत िनयम तथा समय-समय पर<br />

शासन ारा िनगत शासनादेश म उसके िलये अिधकार एवं कत य का िनधारण कया जाता है।<br />

शय, अिधिनयम, िनयम, िनयमाविलय, मैनुअल एवं समय-समय पर िनगत शासनादेश म<br />

िनणायक िनणय हेतु अिधकार वप द त रहती है, जो भारत के संवधान एवं संघ रा य के संवैधािनक<br />

अिधकार के तहत द त होने वाले अिधकार ह। शय संगठन के अिधकारय को ह द त रहती है।<br />

अिधिनयम, िनयम, िनयमाविलय, मैनुअल एवं समय-समय पर शासन ारा संगठन के संचालन हेतु<br />

िनगत शासनादेश तथा शासन तर पर संगठन के काय एवं दािय व के िलये समीा मक बैठक म िलये<br />

गये िनणय का अनुपालन पारदिशता एवं जबाबदेह के साथ संगठन के येक तर पर सुिनत कराना<br />

संगठन का कत य होता है।<br />

उ तराख ड रा य गठन के प चात िनदेशालय का संगठना मक ढांचा शासनादेश सं या-<br />

5098/व0सं0शा0/2001, दनांक 19 जून, 2001 ारा िनगत हुआ। इस संगठना मक ढांचे म कोषागार एवं<br />

उपकोषागार अिध ठान, थानीय िनिध लेखा परा, सहकार सिमितयॉ एवं पंचायत लेखा परा, डाटा से टर<br />

तथा सेवा स ब धी अिध ठान के काय के पयवेण, िनयंण आद हेतु ी रा यपाल महोदय ारा िनदेशक<br />

को िनदेशालय का वभागा य एवं बजट िनयंक अिधकार घोषत कया गया। िनदेशक के अधीन सवंग के<br />

अनुसार 2 अपर िनदेशक (वेतनमान पये 16400-20000),<br />

4 संयु त िनदेशक/उपिनदेशक (वेतनमान पद धारक के पद के अनुप), 1 वैयक सहाकय (वेतनमान पये<br />

6500-10500), 3 लेखाकार सह वर ठ डाटा इ आपरेटर (वेतनमान पये 5000-8000), 2 वर ठ<br />

स ेक सह डाटा इ आपरेटर (वेतनमान पये 5000-8000), आशुिलपक सह कं सोल आपरेटर<br />

(वेतनमान पये 4000-6000), 5 कायालय सहायक संह डाटा इ आपरेटर (वेतनमान पये 4000-6000),<br />

4 वाहन चालक (वेतनमान पये 305-4590), 6 चपरासी (वेतनमान पये 2550-3200) के पद रखे गये।<br />

शासनादेश सं या 125/व0अनु-4/2001, दनांक 07 नव बर, 2001 के ारा िनदेशालय के िलये 1 ोामर<br />

वेतनमान (8000-13500), का पद व 1 पद कायालय सहायक सह डाटा इ आपरेटर (वेतनमान पये<br />

4000-6000), का सृजत कया गया। रा लेखा क ितपूित मुकदम क थायी पैरवी तथा कोषागार के<br />

ाविधक काय के िनवहन के िलये िनदेशक के अधीन िनदेशालय कोषागार एवं व त सेवाय के िलये<br />

मु यालय तर पर 3 सहायक कोषािधकार (वेतनमान पये 7450-11500) तथा 2 लेखाकार (वेतनमान पये<br />

5000-8000) अितर त प से सृजत हुए ।<br />

कोषागार म समूह ‘ग’ एवं ‘घ’ के सम त पद के िलये स बधत जलािधकार िनयु ािधकार<br />

ह। उ तराख ड कोषागार अधीन थ सेवा िनयमावली, 2003 के अनुसार सहायक /उपकोषािधकार संवग के<br />

िनयु ािधकार िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय है। शासनादेश सं या 535/ व0अनु-4, दनांक 15<br />

जूलाई, 2002 के ारा उ तराख ड रा य म 17 तहसील म जहॉ उपकोषािधकार के पद सृजत नहं थे, म


129<br />

उपकोषािधकार के 17 पद िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय के िनयंणाधीन सृजत हुए। सदर उपकोषागार<br />

देहरादून म एक पद उपकोषािधकार का सृजत कया गया। तयूनी, द या एवं देघाट क वषम पवतीय<br />

भौगोिलक संरचना को देखते हुए यहॉ नये उपकोषागार क थापना करते हुए 3 पद उपकोषािधकार के सृजत<br />

हुए। नई द ली म उ तराख ड रा य के सरकार संगठन एवं पशनर के राजकय भुगतान क सुवधा हेतु<br />

शासनादेश सं या 515/व0अनुऋ-4/2002 दनांक 06 जुलाई, 2002 के ारा भुगतान एवं लेखा कायालय क<br />

थापना करते हुए कायालय हेतु अिधकारय/कमचारय के पद सृजत कये गये तथा शासनादेश सं या<br />

1114/व0अनु0-4/2003 दनांक 31 दस बर, 2003 के ारा 01 जनवर, 2004 से याशील कये जाने एवं<br />

इस कायालय के बजट िनयंक एवं सृजत पद के िनयु ािधकार िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय<br />

घोषत हुए। शासनादेश सं या-623/व0अनु-4/2002, दनांक 16 िसत बर, 2002 के ारा उ तराख ड के 17<br />

कोषागार म येक म 1 मु य रोकडया (वेतनमान पये 6500-10500) का पद सृजत करते हुए इसका<br />

पद नाम सहायक कोषािधकार (रोकड) तथा इस पद के िनयु ािधकार स बधत म डल के म डलायु त<br />

के थान पर िनदेशक कोषागार एवं वत ्त सेवाय घोषत कये गये। इस कार उ तराख ड म िनदेशक<br />

कोषागार एवं व त सेवाय के मु यालय म सृजत 01 पद ोामर सहत सम त समूह ‘ग’ एवं ‘घ’ के और<br />

17 कोषागार एवं उ तराख ड भुगतान एवं लेखा कायालय नई द ली म सृजत कु ल 107<br />

सहायक/उपकोषािधकार तथा 17 सहायक कोषािधकार रोकड के पद के िनयु ािधकार िनदेशक कोषागार<br />

एवं व त सेवाय है।<br />

उत ्तर देश म व त एवं लेखा सेवा जसे उ तराख ड म व त सेवा संवग कहा गया के समूह ‘ख’<br />

के अिधकारय के थाना तरण, भवन िनमाण, भवन मर मत तथा वाहन अिम क वीकृ त हेतु 60 दन<br />

तक अजत अवकाश, व तीय ह त पुतका ख ड 2, 2 से 4 म िचक सा अवकाश से स बधत मूल<br />

िनयम/सहायक िनयम के अधीन िचक सा अवकाश एवं अवकाश वेतन वीकृ त करने का अिधकार शासनादेश<br />

सं या एस-5282/दस-30(79)/84/दनांक 31 अ टूबर 1984 के ारा िनदेशक कोषागार को है। यह अिधकार<br />

उ तराख ड म िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय को द त ह। शासनादेश सं या-एस-5365/दस-33(72)-<br />

89, दनांक 1989 के ारा उ तर देश व त एवं लेखा सेवा के समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के सभी अिधकारय को<br />

उनके सामा य भव य िनवाह िनिध से जी0पी0एफ स 13(4) और 16(1) के अ तगत आवेदत<br />

अिम/अंितम िन कासन क वीकृ ित क यव था िन न कार क गयी है:-<br />

1- सामा य भव य िनवाह िनिध िनयमावली, 1985 के उ त िनयम के अ तगत अ थायी<br />

अिम/अंितम िन कासन क वीकृ ित, उ त िनयमावली के िनयम 13 क तीय अनुसूची म उलखत<br />

स बधत अिधकारय ारा द जा सके गी, जनके अधीन व त एवं लेखा सेवा के अिधकार, वीकृ ित के<br />

समय कायरत हो,<br />

2- सामा य भव य िनवाह िनिध िनयमावली, 1985 के िनयम 20 से 23 के अ तगत आवेदत भुगतान<br />

क वीकृ ित िनदेशक कोषागार ारा द जायेगी।<br />

3- बाहय सेवा पर ितिनयु के अधीन कायरत सभी अिधकारय ारा उ त िनयम के अ तगत दये<br />

गये ाथना प क वीकृ ित तथा आगणन सीट क चैकं ग िनदेशक कोषागार ारा क जायेगी।<br />

4- व त एवं लेखा सेवा के वभागा य तर के अिधकारय को उनके सामा य भव य िनवाह िनिध से<br />

उ त िनयमावली 1985 के िनयम 13(4), 16(1) तथा 20 से 23 के अनतगत आवेदत भुगतान क वीकृ ित


130<br />

शासन ारा द जायेगी तथा आगणन शीट क चकग िनदेशक कोषागार ारा क जायेगी। उ तराख ड म<br />

उ तानुसार िनधारत अिधकार िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय उ तराख ड देहरादून म िनहत ह।<br />

शासनादेश सं या एस-5520/दस-92-87(279)/78, दनांक 14 मई, 1993 के ारा व त एवं<br />

लेखा सेवा के अिध कारय एवं अ य ेणी-2 के अिधकारय ारा भारत सरकार के अधीन पूव म क गयी<br />

सेवा को रा य सरकार के अधीन वतमान सेवा म पशन तथा अ य सेवािनवृक लाभ के योजनाथ<br />

समिलत कये जाने तथा इसक ित सम ्बधत अिधकारय क सेवापुतका एवं अ य संगत अिभलेख<br />

म कये जाने का अिधकार िनदेशक कोषागार को ितिनधािनत कया गया है, जो उ तराख ड म िनदेशक<br />

कोषागार एवं व त सेवाय म िनहत ह।<br />

शासनादेश सं या एस-4548/दस-9, दनांक 12 जुलाई, 1994 के अधीन व त एवं लेखा सेवा के<br />

ेणी ‘क’ के मु यालय म अपर िनदेशक, संयु त िनदेशक, एवं उप िनदेशक के प म कायरत ह, के वाषक<br />

गोपनीय व के िलये िनदेशक कोषागार को ितवेदक अिधकार के प म आ या अंकन करने के<br />

अिधकार ह। शासनादेश सं या-एस-3-3081/दस-97-14(17)/दनांक 13 जनवर, 1998 के तहत मु या<br />

कोषािधकारय/वर ठ कोषािधकारय के वाषक काय के मू यांकन हेतु समीक अिधकार का अिधकार<br />

िनदेशक कोषागार म िनहत ह। शासनादेश सं या एस-2-797/दस-2000-33(58)/99, दनांक 29 फरवर,<br />

2000 के ारा िनदेशक कोषागार को व त लेखा सेवा के ेणी ‘ख’ के सम त अिधकारय के वाषक काय<br />

के मू यांकन हेतु वीकृ तािधकार का अिधकार द त है। उ त सभी अिधकार उ तराख ड म िनदेशक<br />

कोषागार एवं व त सेवाय म संिनहत ह।<br />

स ्थानीय िनिध लेखा परा एवं सहकार सिमितयॉ एवं पंचायत लेखा पराका का संगठना मक<br />

वप पूववत िनधारत पवतीय उप संवग के अनुसार रखा गया। उ तर देश शासन के शासनादेश सं या<br />

आडट-1999/दस-2000-101 (64)/97, दनांक-18 अग त, 2000 थानीय िनिध लेखा परा भाग म<br />

पवतीय उप संवग के अधीन िचहत एवं उ तराख ड को आंवटत विभ न सवंग के कु ल 206 पद तथा बाद<br />

म 13 पद हरार एवं जनपद के कु ल 213 पद सृजत एवं आवंटत ह। उ तराख ड गठन के बाद इस भाग<br />

के िलये शासनादेश सं या 572/व0अनु0-1/2002, दनांक 08 अ टूबर, 2002 के ारा जनपद पथौरागढ<br />

एवं चमोली म दो नये जला कायालय क थापना एवं कु ल 12 पद तथा शासनादेश सं या-2084/व0अनु0-<br />

1/2003, दनांक 03 िसत बर, 2003 के कृ ष उ पादन म ड परषद, उधमिसंह नगर और वन वकास<br />

िनगम नरे नगर के कायालय क थापना एवं कु ल 7 पद सृजत हुए। इस कार इस भाग के िलये<br />

सृजत कु ल 246 पद म जला स ेािधकार से लेकर समूह ‘ग’ एवं ‘घ’ के सम त पद के िनयु<br />

ािधकार का अिधकार िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय सह टेट इ टरनल आडट म संिनहत ह।<br />

सहकर सिमितयॉ एवं पंचायत भाग के िलये उ तर देश शासन ारा शासनादेश सं या आडट-<br />

1641/दस-2000-101 (18) /98, दनांक 17 मई, 2000 म पवतीय उपं संवग म िचहत एवं आवंटत<br />

विभ न संवग के कु ल 403 एवं बाद म हरार जनपद कायालय के 21 पद इस िनदेशालय म इस भाग के<br />

ह। उ तराख ड गठन के उपरा त इस भाग के िलये जनपद याग, बागे वर एवं च पावत म जनपद<br />

कायालय क थापना एवं कु ल 12 पद सृजत हुए। इस कार इस भाग हेतु कु ल 436 पद का सृजन हुआ<br />

है। इसम भी जला लेखा परा अिधकार से लेकर सम त समूत ‘ग’ एवं ‘घ’ के पद के िनयु ािधकार<br />

का अिधकार एवं िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय सह टेट इ टरनल आडटर म संिनहत है।


131<br />

भारत के संवधान के अनु छेद-309 के अधीन िनदेशालय के िनयंणाधीन भाग के कािमक<br />

(जनके िनयु ािधकार िनदेशक है) क सेवा स बधत मामल म संवधन के अनु छे 311 म िनहत<br />

शाय यथा लागू सेवा िनयमािलय (उ तराख ड म जो अभी अनुमोदन हेतु शासन म वचाराधीन ह) म<br />

िनयु ािधकार क श, उ तराख ड सरकार सेवक (अनुशासन एवं अपील) िनयमावली, 2003 के अधीन<br />

द ड देने क श, उ तराख ड सरकार सेवक ये ठता िनयमावली, 2002 के अधीन िनयंणाधीन कािमक<br />

क ये ठता िनधारत क श, उ तराख ड रा य कमचार आचरण िनयमावली, 2002 के अधीन िमस<br />

क डे ट के करण पर द ड िनधारण श, उ तराख ड सरकार सेवक (वाषक गोपनीय रपोट के व<br />

यावेदन और सहब मामल का िनपटारा) िनयमावली, 2002 के अधीन वीकृ तािधकार का श मु य<br />

शयॉं ह। बजट मैनुअल, व तीय ह त पुतकाओं, सी0एस0आर0 अिधकार के ितिनधायन म<br />

वभागा य क वणत शयॉं तथा समय-समय पर शासन ारा िनगत शासनादेश, अिधिनयम म<br />

वभागा य के िलये वणत शयॉं द त है। िनदेशक म उ त के अितर त, चेरटेबुल ए डाउमे ट ए ट<br />

1890 (ए ट आफ 1890) क धारा 3 के अधीन उ तराख ड क भौगोिलक सीमा म थत यास क<br />

स पय के कोषपाल क श भी िनहत है।<br />

बजट िनयंक के प म उ तरदािय व एवं कत य<br />

िनदेशालय कोषागार एवं व त सेवाय सह टेट इ टरलन आडट के मु यालय, 17 कोषागार तथा<br />

उ तराख ड भुगतान एवं लेखा कायालय नई द ली कायालय, थानीय िनिध लेखा परा भाग के 13<br />

जनपदय/रा य तरय कायालय एवं सहकार सिमितयॉं एवं पंचायत भाग के 13 जनपदय कायालय के<br />

िलये बजट िनयंक अिधकार का अिधकार िनदेशक को दत ह। इन अिधकार के तहत िनदेशक के ारा<br />

यके व तीय वष म सभी भाग एवं मु यालय के िलये पया त बजट क यव था हेतु अनुमािनत आय-<br />

ययक क गणना करते हुए शासन को आगामी व तीय वष हेतु बजट ावधान हेतु बजट मैनअु ल के पैरा<br />

24 और 55 (बी) के अधीन िनधारत प बी0एम0-1 म औिच य के साथ ताव शासन म शासिनक<br />

वभाग (व त वभाग) को येक वष 15 अ टूबर से 15 दस बर तक भेजने का दािय व है। चालू व तीय<br />

वष म यय अिध य एवं बजट का ववरण प िनयंणाधीन कायालय से पछले माह तक के वा तवक<br />

यय एवं बचत के आंकडे संकलन करके बजट मैनुअल के पैरा 54 और 140 के अधीन बी0एम0-4 म तैयार<br />

करके वल बतम 25 नव बर तक शासिनक वभाग को भेजने का दािय व है। समय-समय पर नई मद के<br />

आवतक एवं अनावंतक यय क धनरािश को समिलत करते हुए आगामी आय- ययक म यय क नई मद<br />

के प म ताव बजट मैनुअल के पैरा-69 के अधीन बी0एम0-5 म तैयार करके शासन को वल बत प से<br />

15 अ टूबर और ितवष 30 नव बर तक भेजने का दािय व है। चालू व तीय वष म यय के आंकड को<br />

बजट मैनुअल के पैरा 116 और 118 के अनुसार रज टर म प-बी0एम0-11 के प म येक माह क 20<br />

तारख तक तैयार करने का दािय व है। िनयंक अिधकार के प म उ तानुसार यय क धनरािश के आंकड<br />

का िमलान बी0एम0-8 से करते हुए प बी0एम0-12 म इसे तैयार करके येक माह महालेखाकार को<br />

वल बतम ् प से अगले माह क 20 तारख तक उपल ध कराने तथा कोषागार तर से महालेखाकार को<br />

ेषत यय के आंकड जो महालेखाकार म पु तांकत ह से शत ितशत प से िमलान का दािय व है। बजट<br />

िनयंक के प म बी0एम0-11 एवं बी0एम0-12 के आंकड को बी0एम0-13 म तैयार करके येक माह


132<br />

शासन म शासिनक वभाग (व त वभाग) अगले माह क 20 तारख तक भेजने का दािय व है। चालू<br />

व तीय वष म बजट िनयंक अिधकार के दािय व के प म अंितम यय अिध य एवं बचत का ववरण<br />

बजट मैनुअल के पैरा-140 के अधीन बी0एम0-14 के प म शासन म शासिनक वभाग (व त वभाग) को<br />

येक वष 20 माच तक उपल ध कराने का दािय व है। शासन ारा पशनर के पशन एवं िचक सा ितपूित<br />

के दाव क धनरािश का भुगतान मु य लेखाशीषक 2071 के अधीन कये जाने हेतु िनदेशालय को बजट<br />

आवंटत कया जाता है। आवंटत बजट को कोषागार को मॉंग के अनुसार आवंटत करने का दािय व एवं<br />

आगामी वष के िलये अनुमािनत बजट के अनुमान का ववरण शासन को भेजने हुए बजट का ावधान कराने<br />

का दािय व है।<br />

वत ्तीय उ तरदािय व/कत य<br />

िनदेशालय एवं िनयंणीन भाग के जनपदय कायालय के िलये बजट िनयंक अिधकार के दािय व<br />

के तहत मु यालय सहत येक कायालय के आहरण वतरण अिधकार को उनके औिच यपूण मॉंग के<br />

अनुसार मानकमद बार बजट का आवंटन कया जाता है। िनदेशालय कोषागार म कोषागार एवं व त सेवाय<br />

अिध ठान के िलये व तीय ह त पुतका ख ड 5 भाग 1 के 47 जी के तहत आहरण वतरण अिधकार का<br />

दािय व संयु त िनदेशक/उप िनदेशक कोषागार को सपा गया है। कोषागार, थानीय िनिध लेखा परा<br />

भाग एवं सहकार सिमितयॉं एवं पंचायत भाग म तैनात मु य/वर ठ कोषािधकार/कोषािधकार, जला<br />

स ेा अिधकार, जला लेखा परा अिधकार, सहायक िनदेशक जैसा क आगे के चैपटर म<br />

भागवार/जनपदवार अिधकारय का ववरण दया गया है, को पूववत रा य से चली आ रह यव था एवं<br />

अिधकार के प म व तीय ह त पुतका ख ड-1 म अिधकार का ितिनधायन एवं व तीय ह त पुतका<br />

ख ड-5 भाग 1 के पैरा 12 (ड) के तहत कायालया य एवं 47 जी के तहत आहरण वतरण अिधकार का<br />

अिधकार अपने-अपने कायालय हेतु दत ह। आहरण वतरण अिधकार का दािय व है क विभ न व तीय<br />

िनयमाविलय, बजट मैनुअल, वभागीय मैनुअल तथा भव य िनिध िनयमावली, पशन िनयमावली, आयकर<br />

अिधिनयम म उलखत संगत िनयम के साथ-साथ व त वभाग ारा समय-समय पर दये गये िनदश का<br />

भली-भॉंित अ ययन करके उनका पालन करना है। व त वभाग के मह वपूण शासनादेश म से शासनादेश<br />

सं या ए-1-1330/दस-4 (1)-70, दनांक 17 मई, 1979 वशेष प से अवलोकनीय एवं अनुकरणीय है। उ त<br />

अिधकार एवं दािय व के अधीन उनके ारा स पादत काय का पयवेण एवं िनयंण का दािय व<br />

वभागा य का है। जनपदय कायालय के काय के पयवेण एवं मु यालय के काय हेतु ी मोहन राम<br />

आय संयु त िनदेशक को कायालया य का अिधकार ितिनधािनत कया गया है।<br />

िनदेशालय तर पर जनपद कायालय के अिधकारय ारा कायालया य एवं आहरण वतरण<br />

अिधकार के व तीय/शासिनक दािय व का िनवहन िनयम के तहत कया जा रहा है। या नहं के िलये<br />

व तीय िनयंण के िलये येक माह यय का मािसक यय ववरण बी0एम0-8 मानकमद वार ा त करके<br />

इसका परकण िनदेशालय तर से अनुदानवार एवं मानक मद वार आवंटत बजट से कया जाता है।<br />

मुख ्यालय तर से लेकर जनपद तर के अिधकारय ारा क गयी शासकय याा का परण<br />

व तीय िनयम संह ख ड-3 जो क शासकय याा िनयम के िलये बनी है, के आधार पर शासनादेश सं या<br />

4-395/दस-99-600/99 दनांक 11 जून, 1999 के अधीन कया जाता है तब यथा कायालया य एवं


133<br />

वभागा य को इस काय हेतु ितिन धािनत अिधकार के तहत इसे िनयंक अिधकार के प म<br />

ितह तारत कया जाता है।<br />

मुख ्यालय तर पर कायालाय य एवं वभागा य के अिधकार के तहत मु यालय तर के सम त<br />

कािमक तथा जनपद तर के अिधकारय का अवकाश व तीय ह त पुतका ख ड-2 भग 2 से 4 म<br />

िनहत मूल िनयम 58 से 104 तथा सहायक िनयम 35 से 172 तथा समय-समय पर शासन ारा िनगत<br />

शासनादेश के अधीन कया जाता है।<br />

सरकार सेवक अथवा संगठन से जुडे विभ न भुगतान के दाव के कालातीत हो जाने पर अवशेष<br />

दाव क पूव स परा मु यालय तर पर वभागा य के ारा शासनादेश सं य-ए-1-3959/दस-5/1/61-<br />

65 दनांक 23 जनवर, 1986 तथा शासनादेश सं या-ए-1-1162/दस-98-3/1(6)/65, दनांक 29 जुलाई,<br />

1998 के अधीन िनधारत या के तहत कया जाता है।<br />

मुख ्यालय एवं जनपद तर के ेणी ‘ख’ के सम त अिधकारय एवं सम त कमचारय को भवन<br />

िनमाण/य/मर मतके िलये अिम 50 मास का मूल वेतन (पंचम वेतनमान लागू होने के पूव अनुम य<br />

वेतनमान म आवेदन क ितिथ म परकपत ा त वेतन) अथवा पये 7,50,000/- जो कम हो उसक<br />

याज सहत वसूली अिधकतम 240 क त म कये जाने का दािय व शासनादेश सं या 537/व0अनु0-<br />

1/2004, दनांक 16 जुलाई, 2004 के ारा कये जाने का दािय व है। भवन मर मत अिम उपरो त<br />

शासनादेश के अधीन ह 50 मास का मूल वेतन या पये 1,80,000/- जो कम हो को वीकृ त करने का<br />

दािय व है।<br />

मुख ्यालय एवं जनपद तर के ेणी ‘ख’ के सम त अिधकारय एवं सम त कमचारय को व तीय<br />

ह त पुतका ख ड-5 भाग 1 के तर, 245, 246, 246ए तथा 247 के अधीन तथा शासन ारा िनगत<br />

शासनादेश सं या 538/व0अनु0-1/2004 दनांक 16 जुलाई, 2004 के अनुसार मोपेड/आटो साईकल/मोटर<br />

साईकल/ कू टर/मोटर कार य अिम क वीकृ ित का दािय व है।<br />

मुख ्यालय एवं जनपदय कायालय म काय के स पादन हेतु उपयोगाथ विभ न कार क सामिय<br />

को कायालया य एवं वभागा य के िलये ितिनधािनत सीमा एवं यय क वैधता के अ तगत य के<br />

िलये धन क यव था बजट मैनुअल के आधार पर करते हुए व तीय िनयम संह ख ड-1 म ितिनधािनत<br />

व तीय अिधकार के तहत टोर य-व0िन0सं0 ख ड-5 भाग 1 के परिश ट XVII के िनयम 13, टेशनर<br />

य शासनादेश सं या 3639/पी0एस0-18-8-90-21 (2) पीएस- 90, दनांक 15-2-90, वदेश से य क<br />

दशा म भारत सरकार के िनयम/ड जी एस ए ड ड मैनुअल के अनुसार संवदा के िनयम के आधार<br />

व0ह0पु0 ख ड-1 परिश ट XIX भ डार का रखरखाव एम0जी0ओ0 अ याय-72, भ डार का िन तारण<br />

व तीय ह त पुतका ख ड-1 परिश ट XIXD के अनुसार कये जाने के मूल दािय व है। इसके अितर त<br />

शासन ारा भ डार य एवं टोर के स ब धम म समय-समय पर िनगत शासनादेश के अनुसार यय क<br />

िनधारत सीमा एवं वैधता के अनुसार य क कायवाह करने का दािय व है।<br />

भवष ्य िनवाह िनिध िनयमावली 1985 एवं इसके प चात थम संशोधन िनयमावली, 1997 के<br />

अनुसार कायालया य एवं वभागा य को दये गये आहरण क वीकृ ित दान करने के दािय व के तहत<br />

अधीन थ कािमक अिम वीकृ त करना तथा िनिध के लेखे का रख-रखाव िनधारत या के अनुसार<br />

अघाविधक रखने का दािय व है।


134<br />

वेतन िनधारण से स बधत दािय व का िनवहन व तीय ह त पुतका ख ड-2, भाग 2 से 4 के<br />

अधीन यथा लागू मूल िनयम एवं 22, 26, 30, 31 एवं 35 तथा समय-समय पर वेतन िनधारण हेतु शासन<br />

से िनगत शासनादेश के अधीन कया जाता है।<br />

मुख ्यालय एवं िनयंणाधीन भाग के अधीन थ अिधकारय/कमचारय को ितकर पशन, अश ता<br />

पशन, अिधवषता पशन एवं वैछक सेवािनवृ पशन क वीकृ त कायालया य एवं वभागा य के प म<br />

शासनादेश सं या 3-2085:दस-907-76, दनांक 13-12-1997 तथा इसके प क तैयार एवं सेवापुतका<br />

को अघाविधक कये जाने स बधत ( तुतीकरण, िन तारण और वल ब का परवजन) िनयमावली, 2003<br />

सं या 1033/व त अनु0-4/2003, दनांक 10 नव बर, 2003 के अनुसार पूण कराने का दािय व है।<br />

कोषागार कािमय के उ तरदाियत ्व एवं कत य<br />

व ्यय िनयंण एवं बजट िनयंण के िलये कोषागार म क यूटर पर काय करने वाले यय को<br />

तीन कोटय म वगकृ त कया गया है। 1-शासक (सुपर यूजर), 2-पयवेक (सुपर वाइजर), 3-डाटा इ <br />

आपरेटर (डाटा इ आपरेटर) । सुपर यूजर का कत य है क वह बजट फड करने एवं इसके सापे हुए<br />

यय पर िनयंण हेतु ऐ गोपनीय पासवड रखेगा। जब कभी सुपरवाइजर तर से काय हेतु इसे खोलने का<br />

अनुरोध कया जायेगा तभी उसे अपने स मुख खोलेगा तथा बल पारण एवं चेक िनगमन क या पूर होने<br />

पर पुन: बंद करेगा। आहरण वतरण अिधकार के ारा देयक तुत करने पर बल क पोटग, देयक का<br />

परण सुसंगत व तीय िनयम के तहत करने के उपरा त बल पारण, चेक ंटंग का दािय व डाटा इ <br />

आपरेटर (कोषागार लेखाकार) का है। बल पारण के अधीन पेमंट इ , रसीट इ ,<br />

सी0सी0एल0/ड0सी0एल0, पी0एल0ए0, बजट इ , पुनविनयोग क इ एवं पशन क इ का काय है<br />

जो कोषागार म कायरत कोषागार लेखाकार एवं कोषागार सहायक लेखाकार का दािय व है। चेक िनगम का<br />

काय वह आपरेटर करेगा जसे सुपरवाइजर ारा इसके िलये अिधकृ त कया गया हो। क यूटर पैके ज म यह<br />

सुवधा है क वप के आन लाइन चेकं ग के समय यद तुत कये गये वप बजट के व कोई<br />

भुगतान तुत होता है तो बजट से कस प म िभ न है इसका संदेश भी क यूटर स ्न पर दिशत होता<br />

रहता है अत: बल पारण करने वाले कमचार का कत य है क वह इस पर वधेष िनगाह रखे। कोषागार का<br />

दािय व है क येक माह आहरण वतरण अिधकार के कोड से हुए आहरण क व तृत सूचना<br />

रक साईलेशन टेट मट (बी0एम0-9ए) येक आहरण वतरण अिधकार को माह क 7 तारख तक<br />

उपल ध कराकर इस पर यह माण प लेना क इस रक साईलेशन टेट मट म अनुदान, मु य लेखा<br />

शीषक, उपशीषक एवं मानक मदवार यय उसी आहरण वतरण अिधकार से स बधत है तथा इसक<br />

धनरािश उसी सीमा तक सह है जस सीमा तक स बधत देयक पारण हेतु कोषागार म तुत हुआ था।<br />

कोषागार का दािय व है क ारभक लेखे शु प से तैयार करके उस माह के अगले माह क 5<br />

तारख तक लेखा महालेखाकार को ा त कराये तथा इनपुट के प म िनधारत इनपुट म विभ न कार के<br />

भुगतान एवं ािय का लेखा व तीय सां यकय सेल को तथा रा लेखा को िनदेशालय म उपल ध कराये।<br />

कोषागार तर पर दुविनयोग क घटनाओं से बचन के िलये आहरण वतरण अिधकार के तर से<br />

कोषागार म पु तुत देयक का परण एवं पारण व त वभाग से िनगत मह वपूण शासनादेश सं या बी-1-


135<br />

1195/दस-16/94, दनांक 6 जून 1994 म िनधारत बजट िनयंण एवं बल पारण क व तृत यव था का<br />

शतितशत प से पालन कये जाने का उ तरदािय व है।<br />

कोषागार म इसके अितर त टा प क आपूित-वतरण एवं रख-रखाव टा प मैनुअल म दये गये<br />

ावधान के अधीन कये जाने का क यव था एवं उ तरदािय व है ताक जनपद म जुडिशयल एवं नान<br />

जुडिशयल आद टा प क कमी न रहे एवं आम जनता को आव यकता के समय सदैव उपल ध रहे।<br />

माह म कोषागार से पारत हुए देयक का भुगतान भारतीय टेट बक से कये जाने के प चात ऐसे<br />

भुगतान का ौल दैिनक प से ा त करके भुगतान प के रज टर इसका िमलान करना एवं माह म ऐसे<br />

भुगतान का ववरण-बी0ड0एम0एस0 बक से ा त करके कोषागार म पु तांकत भुगतान के आंकड से<br />

िमलान कया जाता है और कसी कार क िभ नता पर भारतीय रजव बक एवं भारतीय टेट बक से इस<br />

िभ ता को दूर कराये जाने का दािय व भी कोषागार का है।<br />

कोषागार से होने वाले व तीय-शासिनक ब धन एवं िनयंण हेतु अ शासकय प सं या-एस-3-<br />

1690/दस-1999, दनांक-02 जून, 1999, शासनादेश सं या-एस-3-3343/दस-99, दनांक, 20 अ टूबर,<br />

1999 एवं उ तराख ड म व त वभाग के ारा कािशत एवं चािलत उ तराख ड के कोषागार हेतु माग<br />

दिशका एवं िनरण चेक िल ट म वणत यव था का अनुपालन कोषागार तर पर सुिनत होना अिनवाय<br />

है और िनदेशक का दािय व है इसका अनुसार कोषागार/उपकोषागार का िनरण कया जाय एवं इसका<br />

अनुपालन कराया जाय।<br />

उ तराख ड रा य के गठन के तुर त बाद उ तर देश पुनगठन अिधिनयम-2000 के ावधान के<br />

अधीन राजकय भुगतान एवं ािय के स ब ध म समुिचत व तीय ब धन एवं िनयंण हेतु व त वभाग<br />

से िनगत मह वपूण शासनादेश सं या मोमो-1/पी0एस0/व त वभाग/2000, दनांक 09 नव बर, 2000<br />

एवं शासनादेश सं या 0002/कै प/स0व0/बजट/2000-01, दनांक 10 नव बर, 2000 म िनहत या<br />

एवं यव था का अनुपालन कोषागार एवं िनदेशालय तर से कराये जाने का उ तरदािय व िनदेशक कोषागार<br />

एवं व त सेवाय का है।<br />

वत ्तीय सां यकय सेल के उ तरदािय व एवं कत य<br />

1- कोषागार के लेखा काय के भार को शासकय आधार सामी के पर के यय ीकरण ारा कम<br />

करना।<br />

2- भारत के िनयंक महालेखा परा, महालेखाकार उ तर देश और व त वभाग, उ तर देश शासन<br />

ारा कोषागार के लेख पर जार कये गये िनदश और काय विध स ब धी आदेश पर कोषागार को<br />

अघाविधक माग दशक करके कोषागार के लेख म सुधार कराना और दुवगकरण को कम करना।<br />

3- कोषािधकारय और कोषागार के टाफ को भारत सरकार के िनयंक महालेखाकार परक क<br />

समय-समय पर पर कृ त क यूटराई ड लेखा णाली और देश शासन के व त वभाग के वाषक<br />

आय- ययक लेखाशीषक के योजना से भली भॉंित परिचत कराना और उनके अनुपालन के िलये<br />

ेरत करना।


136<br />

4- कोषागार और चेक जार करने वाले वभाग से वा तवक ाि व यय के आंकडे ा त करके शासन<br />

को उपल ध कराना ताक व त वभाग ारा बेहतर यय िनयंण और उपल ध धनरािश का बेहतर<br />

योग कया जा सके ,<br />

5- कम ्प ्यूटर ारा बजट अनुमानो के मौिलक आंकडे तैयार करना और<br />

6- अन ्य वभाग, जेसे िशा, पुिलस, परवहन आद के आधार सामी वधायन करना।<br />

7- शासनादेश सं या-ए-3/1061/दस-सा0प0/ाविधक/102-75- सा0प0/76, दनांक 10 माच, 1976 के<br />

अधीन साख सीमा स बधत लेख के िलये कोड आंवटन का अिधकार।<br />

स ्टेट इ टरनल आडटर के उ तरदािय व एवं कत य<br />

वतमान म विभ न राजकय वभाग, िनगम, थानीय िनकाय तथा व ववघालय आद म दन<br />

ितदन बढते हुए कायकलाप एवं योजनाओं के वप एवं व तीय अिधकार के वके करण को यान म<br />

रखते हुए आंितरक स परा संगठन का मह व अिधक बढ गया है। उ तराख ड म िनदेशक कोषागार एवं<br />

व त सेवाय को टेट इ टरनल आडटर घोषत करते हुए इसके उ तरदािय व के िनवहन का दािय व सपा<br />

गया है। उ तर देश म पहले शासनादेश सं या आडट-452/X-2001, दनांक 29 जनवर, 2001 के ारा<br />

सभी वभाग म कम से कम 10 ितशत आंतरक लेखा परा कराये जाने क यव था क गयी तथा 15<br />

जनवर, 2003 को वभागीय लेखा िनदेशालय को इसका दािय व सपते हुए इसका नाम आ तरक लेखा<br />

परा िनदेशालय कया गया। उ तराख ड म िनदेशालय म अिधकारय/कमचारय क यूनतम उपल धता<br />

के कारण इसके दािय व के अनुसार आ तरक लेखा परा का काय ार भ नहं हो सका है। अत: फलहाल<br />

विभ न सं थाओं/वभाग के कायकलाप म अिनयिमतताओं क िशकायत ा त होने पर या शासन के कसी<br />

िनदश के ा त होने पर त समय एक इ टरनल आडट टम गठत करके स बधत वभाग/संस ्थाओं म<br />

आंतरक लेखा परा कराये जाने क या अपनायी गयी है। आ तरक लेखा परा के िलये सभी सरकार<br />

वभाग म लेखा परा स प न कराने हेतु वाषक काय योजना/वाषक कले डर को अंितम प दया जाना<br />

होता है तथा इस काय योजना म उ च जोखत वाले े को िचहत कया जाता है। आ तरक लेखा परा<br />

म लगे कािमक को लेखा परा म आधुिनक तकनीक अपनाने हेतु विभ न तरय िशण, जसम<br />

क यूटर िशण, थानीय िनिध लेखा, िनदेशक पंचायती राज लेखा, सहकार सिमितयॉं एवं पंचायत लेखा<br />

परा तथा ा य वकास वभाग से लेखा परा का परण एवं िनयम क जानकार एवं लेखा परा क<br />

उ पादकता एवं उपयोिगता पर ण दया जाना आव यक है। आ तरक लेखा परा म वभाग के<br />

आिथक कायकलाप का िनर तर िनरण कया जाता है तथा इसका उददे य एडवाइजर और सुधारा क होता<br />

है। आंतरक परा गहराई से चेक वाइंट के आधार पर लेखा का िनरण एवं जॉंच कराना है। आंतरक<br />

स परा म इंिगत आपय का परपालन सुिनत कराने के साथ-साथ व लेषणा मक व अनुसंधाना मक<br />

वचार कट करना है जसके फल वप वभागीय काय कलाप व संचालन म वभाग को सहयोग एवं माग<br />

दशन ा त होता है। आंतरक लेखा परक का दािय व है क वभाग ारा कये गये यय तथा ल य क<br />

अनुपाितक भौितक ाि विभ न तर ारा बरती गयी दता एवं उदासीनता का यौरा ुतगित से ा त कर<br />

उसम सुधार लाने हेतु शासन को रपोट भेजे।


137<br />

विनश ्चय करने क या म पालन क जाने वाली या जसम पयवेण<br />

और उ तरदािय व के मा यम समिलत है.<br />

त ्येक वभाग के मु यालय का अपना अलग दािय व होता है, जसका िनवहन संवधान के अ तगत<br />

वधान म डल ारा पारत अिधिनयम तथा संक प (रजो यूशन) के अधीन शासन के कायकार आदेश के<br />

ारा व कु छ मामल म पर परागत िनधारत याओं के अधीन िनणय लेकर कया जाता है। िनणय करने<br />

क यह या िनदेशालय कोषागार एवं व त सेवाय सह टेट इ टरनल आडट म भी अपनायी जा रह है।<br />

िनदेशालय म कायरत सम त अिधकारय एवं कमचारय के म य िनदेशालय से यवहरत होने वाले सम त<br />

काय का आवंटन कया गया है। सौप गये काय एवं दािय व को स बधत कमचार एवं अिधकार ारा<br />

थापत या, िनयम एवं सुसंगत शासनादेश के अधीन स पादत कया जाना अपेत होता है।<br />

आमतौर पर मु यालय म ा त होने वाले सभी प को डाक डायर/डाक िन तारण पटल म तैनात<br />

कमचार के ारा खोला जाता है (िनदेशक के नाम से एवं गोपनीय प को छोडकर) तथा सभी प को<br />

िनदेशालय के संयु त िनदेशक के सम तुत कया जाता है। सामा य कृ ित के प को मु यालय के<br />

संयु त िनदेशक के ारा स बधत अिधकार/कमचार के नाम से माग करके साधारण तथा स बधय को<br />

उपल ध कराने हेतु डाक डायर वाले कमचार को वापस भेज दया जाता है और जो प मह वपूण कृ ित के<br />

होते ह उ ह स बधत अिधकार/कमचार के नाम से काम करके िनदेशक के अवलोकनाथ रखा जाता है।<br />

िनदेशक ारा ऐसे प का अवलोकन करके प पर कायवाह कये जाने के िलये िनदश अंकत करते हुए<br />

स बधत को उपल ध कराने हेतु डाक डायर वाले कमचार को वापस भेज दया जाता है।<br />

िनदेशक के नाम के प एवं गोपनीय प को िनदेशक ारा वंय खोल कर उस पर आव यक<br />

कायवाह हेतु िनदश अंकत करके स बधत अिधकार को उपल ध कराने हेतु डाक डायर वाले कमचार को<br />

भेज दया जाता है। डाक डायर वाला कमचार सम त प को पंजका म अंकत करके मांक न बर एवं<br />

दनांक डालकर इसे उन सभी अिधकारय/कमचारय को उपल ध करा देता है जनके र से इन प पर<br />

ारभक कायवाह क जानी अपेत होती है।<br />

उपरोक् त या के अनुसार ऐसे वचाराधीन प कायालय म तैनात कमचारय के म य सपे गये<br />

काय एवं दािय व के म म ा त होने पर कायालय के कमचारय का उ रदािय व है क उ ह जो काय एवं<br />

दािय व सपे गये है, उसके अधीन ऐसे वचाराधीन प के ा त होते ह त काल इस पर कायवाह करते हुए<br />

प का परण करके स बधत पावली म अपनी ट पणी म उन सभी त य और िनयम आद का उ लेख<br />

करते हुए, जो वचाराधीन प के वषय से सुसंगत हो पाविलयॉं अपने पयवेक को तुत करे। पयवेक<br />

ारा कायालय से तुत होने वाली सम त पाविलय म वचाराधीन प के वषय से स बधत सम त<br />

त य एवं िनयम जो कायालय ारा पावली क ट पणी म तुत कया गया है, का परण थापत<br />

या, िनयम एवं सुसंगत शासनादेश के म म कया जाता है। इस या के तहत पाविलय म रखे


138<br />

वचाराधीन प के स ब ध म कायालय से तुत ट पणी पर पयवेक के सहमत होने पर पावली<br />

उपिनदेशक/संयु त िनदेशक को अवलोकनाथ भेजी जाती है। उप िनदेशक /संयु त िनदेशक पावली म<br />

तुत टप का गहन परण करके वषय व तु क वा तवक थित का परण करके उिचत िनणय एवं<br />

अिभमत अंकत करके अनुमोदन हेतु िनदेशक के सम तुत करते ह। उप िनदेशक/संयु त िनदेशक का<br />

उ तरदािय व है क उ ह तुत होने वाली पाविलय म रखे वचाराधीन प पर कायालय एवं स बधत<br />

पयवेक ारा तुत आ या/अिभमत पर अपना प ट िनणय/अिभमत जो िनयम, शासनादेश अिधिनयम,<br />

मैनुअल एवं सुसंगत त य पर आधारत हो, अंकत करते हुए अंितम िनणय हेतु पावली िनदेशक को<br />

तुत कर। िनदेशक वचाराधीन प के म म इस या के अ तगत तुत होने वाली पाविलय पर उप<br />

िनदेशक/संयु त िनदेशक ारा अंकत िनणय/अिभमत को अिधिनयम, िनयम, शासनादेश, शासन के<br />

कायकार आदेश एवं थापत या म उसे िनहत शा एवं दािय व के मानक पर परखते हुए अपना<br />

िनणय अंकत करते है।<br />

संेप म यह कहा जा सकता है क यघप अिधकांश मामल म अंितम िनणय िनदेशक ारा िलया<br />

जाता है, िनणय लेने म उनक सहायता िनदेशालय के सभी अिधकार एवं कमचार करते ह तथा इस कार<br />

िनणय लेने क या म सभी क भागीदार रहती है। जन मामल म िनणय लेने का अिधकार िनदेशक को<br />

ितिनहत नहं है उ ह अपनी सं तुित सहत िनदेशक ारा शासन को संदत कया जाता है।


139<br />

सं0ए-01-78/दस-02-10(14)-85<br />

ेषक,<br />

ी भोला नाथ ितवार,<br />

मुख सिचव, व त, उत ्तर देश शासन।<br />

सेवा म,<br />

समस ्त वभागा य एवं मुख कायालया य,<br />

उत ्तर देश।<br />

लखनऊ, दनांक 20 जनवर, 1992<br />

वषय:- 1 अैल, 1992 से देश के कोषागार म वतमान म चािलत देयक प के थान पर नव<br />

िनधारत देयक प क लागू कया जाना।<br />

महोदय,<br />

उपयुक् त वषय पर मुझे यह कहने का िनदेश हुआ है क वतमान म देश के कोषागार म<br />

देयक आहरण हेतु व तीय िनयम संह ख ड 5, भाग-1 के विभ न तर के ावधान के अ तगत<br />

िनधारत देयक प का योग कया जा रहा है, जनका ववरण संल न परिश ट-1 म दया हुआ है। इन<br />

प क संख ्या म कमी करके नये सरल ाप बनाने तथा प के नये ाप एवं उनको भरे जाने क<br />

सुगम विध तावत करने आद हेतु शासन ारा एक सिमित का गठन कया गया था जसने ाप का<br />

सू यता से अ ययन कर आव यकतानुसार उनक सं या को कम से कम करने का िनणय िलया तथा इस पर<br />

भी यान के त रखा क कोषागार म क यूटर का योग कये जाने क थित म यह नये देयक प ह<br />

इनपुट का भी काय कर सक और डेटा इ करने हेतु पृथक से कोई डेटा इ शीट लगाने क आव यकता<br />

न रहे। सिमित ारा वतमान चािलत सभी देयक प के थान पर के वल िन नांकत 6 देयक प का<br />

योग कये जाने क सं तुित क गयी:-<br />

्<br />

(1) वेतन देयक प रकाड कोड सं या 101<br />

(2) याा भ ता देयक प 102<br />

(3) आकमक देयक प 103<br />

(4) िनेप, िनेप वापसी, ितपूित देयक प 104<br />

(5) सामान ्य देयक प 105<br />

(6) सेवा नैवृक लाभ देयक प 106<br />

2- सिमित ारा तावत उ त 6 नये देयक प म अपेत संशोधन के प चात उ त प क<br />

शासन ारा अंतम प दया गया तथा उन पर महालेखाकार उ तर देश का अपेत/परामश/सहकितप<br />

सं या, ट0 एम0-1/97, दनांक 21 िसत बर, 1990 म ा त हो चुकने पर शासन ारा स यक् वचारोपरा त<br />

यह िनणय िलया गया है क इन नव िनधारत 6 देयक प को दनांक 1 अैल, 1992 से लागू कया<br />

जाय। इन प के ाप भी आपके तथा आपके अधीन थ आहरण एवं वतरण अिधकारय के सूचनाथ एवं


140<br />

आव यक कायवाह हेतु इस परप के साथ संल न कये जा रहे है। इन प को वतमान म चिलत जन<br />

प के थान पर िनधारत कया गया है उनका ववरण भी सल न परिश ट-। म ह सुवधा एवं जानकार<br />

हेतु दया गया है।<br />

3- इन नव िनधारत देयक प को समय से लागू करना सुिनत करने हेतु िनदेशक कोषागार, उ तर<br />

देश इन प को राजकय मुणालय से मुत कराकर सभी कोषागार को उ त ितिथ से पूव उपल ध करा<br />

दगे। सभी आहरण एवं वतरण अिधकार इन नये देयक प को आव यकतानुसार ार भ म अपने जनपद<br />

के स बधत कोषागार से ा त कर योग कर लगे तथा बाद म राजकय मुणालय ारा इन प क<br />

आपूित मांग प पर क जायेगी। इन नये देयक प को भरने के स ब ध म ब दुवार दशा िनदश संल न<br />

परिश ट-2 म दये हुए है। इन नये देयक प को भरने के स ब ध म आव यकतानुसार िशण एवं<br />

मागदशन सभी कोषािधकारय को िनदेशक कोषागार, उ तर देश ारा एवं आहरण एवं वतरण अिधकारय<br />

को स बधत कोषािधकार ारा दया जायेगा। इस स ब ध म यद कोई कठनाई आती है तो उसका<br />

िनराकरण िनदेशक, कोषागार, उ तर देश, लखनऊ से कया जा सकता है। कृ पया इन आदेश के स ब ध म<br />

आव यक कायवाह हेतु अपने अधीन थ सभी स बधत अिधकारय/कमचारय को त काल अवगत कराने<br />

का क ट करे।<br />

4- इन नये देयक प के लागू होने के फल वप व तीय िनयम म अपेत संशोधन यथा-समय<br />

कया जायेगा।<br />

संलग ्नक: यथोपर।<br />

भवदय,<br />

भोला नाथ ितवार,<br />

मुख सिचव, वत ्त।<br />

3- िनदेशक, कोषागार उ तर देश, 1001-जवाहर भवन, लखनऊ को उनके पाकं 1(10)42-5-ड0<br />

ट0/2081, दनांक 28 िसत बर 1991 के संदभर् म इस अनुरोध के साथ ेषत क वं इन नयं बल<br />

प को राजकय मुणालय से मुत कराकर सभी कोषागार को िनधारत ितिथ दनांक 1 अैल,<br />

1992 से पूव उपल ध कराना सुिनत कर तथा सम त कोषािधकार उ तर देश को आव यक<br />

िशण एवं मागदशन क यव था करने का क ट कर। इन नये देयक प को लागू करने के<br />

फ वप व तीय िनयम म संशोधन करना होगा। अत: कृ पया व तीय िनयम म अपेत संशोधन<br />

हेतु व तुत सु प ट ताव एक माह के अ दर शासन का उपल ध कराने का भी क ट कर।<br />

4- िनदेशक, व तीय सां यकय, िनदेशालय जवाहर भवन, लखनऊ।<br />

5- सम त कोषािधकार उ तर देश।<br />

6- सिचवालय के सम त मुख सिचव/सिचव को (उनके अिधक ठान अनुभाग के योगाथ)<br />

7- सम त जलािधकार उ तर देश।<br />

8- वधान सभा/परष सिचवालय (लेखा अनुभाग)।<br />

9- रा यपाल सिचवालय उ तर देश।<br />

आा से,<br />

नारायण ितवार<br />

संयुक् त िनदेशक


141<br />

परिशष ्ट-1<br />

वतमान चिलत देयक प के थान पर िनधारत नये देयक प का ववरण<br />

0<br />

वतमान चिलत प सं या एवं तर<br />

िनधारत गये प<br />

सं0<br />

संख ्या रकाड को<br />

1 2 3 4<br />

1 ंप सं या-5 (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1 का प सं या-11 101<br />

अ याय 6, तर-108<br />

(संशोिधत)<br />

2 ंप सं या-11 (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1 का<br />

अ याय 7, तर-131<br />

3 ंप सं या-6 (व तीय ह तर पुतका ख ड-6, भाग-1 का<br />

अ याय 6, तर -118<br />

4 ंप सं या-12 (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1 का प सं या-12 102<br />

अ याय 7, तर 145<br />

(संशोिधत)<br />

5 ंप सं या-12-ए (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1<br />

का अ याय 7, तर -145-ए<br />

6 ंप सं या-12-बी (व तीय ह तर पुतका ख ड-6, भाग-1<br />

का अ याय 7, तर -146-ए<br />

7 ंप सं या-12-सी (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1<br />

का अ याय 7, तर -146-ए<br />

8 ंप सं या-14 (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1 का प सं या-14 103<br />

अ याय 8, तर -178<br />

(संशोिधत)<br />

9 ंप सं या-15 (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1 का<br />

अ याय 8, तर -180<br />

10 ंप सं या-16 (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1 का<br />

अ याय 8, तर -182<br />

11 ंप सं या-17 (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1 का<br />

अ याय 8, तर -187<br />

12 ंप सं या-18 (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1 का<br />

अ याय 8, तर -187<br />

13 ंप सं या-19 (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1 का<br />

अ याय 9, तर -194<br />

प सं या-19<br />

(संशोिधत)<br />

104


142<br />

14 ंप सं या-6-ए (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1 का<br />

अ याय 11, तर -251<br />

15 ंप सं या-6बी (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1 का<br />

अ याय 11, तर -251<br />

16 ंप सं या-6सी (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1 का<br />

अ याय 11, तर -251<br />

17 ंप सं या-6ड (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1 का<br />

अ याय 11, तर -251<br />

18 ंप सं या-42जी (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1<br />

का अ याय 11, तर -209 एवं 223<br />

19 ंप सं या-42 एच (व तीय ह तर पुतका ख ड-5, भाग-1<br />

का अ याय 11, तर-250 ए<br />

20 सभा कार के पशन भुगतान हेतु (अ य पशन का छोडकर)<br />

िनधारत प,<br />

प सं या-6ए<br />

(संशोिधत)<br />

सेवा नैवृक<br />

लाभ देयक<br />

प<br />

105<br />

106<br />

परिशष ्ट-2<br />

देश के कोषागार से वतमान म चिलत देयक प के थान पर दनांक 1 अैल, 1992 से नव<br />

िनधारत 6 देयक ा त को भरे जाने हेतु ब दुबार दशा िनदश। वतमान म देश के कोषागार म<br />

देयक आहरण हेतु अनेक देयक प का योग कया जा रहा है। इन देयक प म संशोधन एवं पुनरण<br />

हेतु गठत सिमित ारा वतमान म चिलत सभी देयक प के थान पर िन नांकत के वल 6 देयक प<br />

का योग कये जाने क सं तुित क गई:-<br />

मांक<br />

क- वेतन देयक प<br />

ख- याा देयक प<br />

ग- आकमक देयक प<br />

घ- िनेप, िनेप वापसी ितपूित देयक प<br />

छ- सामा य देयक प<br />

च- सेवा नैवृक लाभ देयक प<br />

प<br />

शासन ारा उ त नव िनधारत 6 देयक प को वीकार करते हुए इन प को दनांक 1 अैल,<br />

1992 से लागू कये जाने का िनणय िलया गया है। इन नव िनधारत देयक प को भरे जाने के स ब ध<br />

म ब दुवार दशा-िनदश िन गवत ् है:-<br />

1- वेतन देयक प


143<br />

वेतनमान म कोषागार म वेतन से स बधत तीन कार के बल स ्तुत होते है:-<br />

(1) वधान सभा एवं वधान परष के माननीय सद य के वेतन आहरण हेतु या 4-ए<br />

(2) राजपत सरकार अिधकारय के वेतन बल से स बधत प सं या-5(3) अराजपत कमचारय<br />

के वेतन बल से स बधत प सं या-11<br />

वधान सभा तथा वधान परष सिचवालय एवं इरला नेक सेवशन म युं त होने वाले बल फाम<br />

को अभी पुनरत एवं संशोिधत करने का कोई िनणय नहं िलया गया है। राजपत एवं अराजपत दोन<br />

ह कार के अिधकारय/कमचारय के िलए अब एक ह कार का वेतन बल प योग करने का िनणत<br />

िलया गया है। यद बल राजपत अिधकार से स बधत है तो शीष पर लाल याह से ‘राजपत’ िलख<br />

दया जाये और यद अराजपत कमचारय से स बधत है तो ‘अराजपत’ िलख दया जाय एवं अिधकार<br />

को ेणी का भी उ लेख कर दया जाये। इसे िन नानुसार ब दुवार भरा जाता है:-<br />

(1) जनपद का नाम:<br />

इस त भ म उस जल का नाम भरा जाना ह जससे आहरण वतरण अिधकार स ब है।<br />

(2) कोषागार का नाम:<br />

उस कोषागार का नाम भरा जाना है जससे आहरण हेतु तुत कया गया है।<br />

(3) देयक क अविध (कब से ----कब तक ----):<br />

जस अविध का देयक है वह इस त भ म भर जानी है।<br />

(4) रकाड कोड ।<br />

यह एक 3 अंक का पूव िनधारत यूगरक कोड होगा जो क यूटर को प क पहचान करने म<br />

मदद करेगा। यह येक प के ाप का ह ह सा होगा तथा इसको आहरण वतरण अिधकार ारा नहं<br />

भरा जायेगा, अपतु यह पहले से ह येक प म ट होगा। डाटा इ के समय इसको ा के डेटा का<br />

ह सा माना जायेगा। ताव 6 ा के िलए फोड इस कार िनधारत कये गये है।<br />

0 सं0 प का नाम रकाड कोड<br />

1 2 3<br />

क वेतन देयक प 101<br />

ख याा भ ता देयक प 102<br />

ग आकमक देयक प 103<br />

घ िनेप, िनेप वापसी, ितपूित देयक प 104<br />

छ सामान ्य देयक प 105<br />

च सेवा नैवृक लाभ देयक प 106<br />

(5) कोषागार का कोड एवं (5 ख) उप कोषागार का कोड।<br />

इसके िलए दो अक का थान कोषागार कोड के िलये एवं दो अक का थान उप कोषागार कोड के<br />

िलए उपल ध कराया है। देश के येक कोषागार एवं उप कोषागार हेतु एक िनधारत कोड व तीय सां यक<br />

िनदेशालय ारा आवंटत कया गया है। और उसक व यहां पर क जानी है। यद देयक कसी उप


144<br />

कोषागार म तुत कया जाता दे तो वह उप कोषागार जस कोषागार के अ तगत आता है उस कोषागार का<br />

कोड ऊपर दोन थान पर एवं नीचे दोन थान पर स बधत उपकोषागार का कोड भरा जायेगा यद देयक<br />

कोषागार म तुत कया जाता है तो ऊपर के दोन थान पर कोषागार का कोड भरा जायेगा एवं नीचे दोन<br />

थान म 00 कर, दया जायेगा। पूरे देश के कोषागार एवं उप कोषागार हेतु िनधारत कये गये कोड क<br />

सूची संल न है।<br />

(6) देयक पंजी क कम सं या:-<br />

इसके िलये 4 अंक का थान उपल ध कराया गया है और यह वहं बल न0 होगा जो आहरण<br />

वतरण अिधकार ारा अपने येक बल पर अंकत कया जाता है।<br />

(7) वारचर सं या।<br />

इसके िलए 4 अंक का थान उपल ध कराया गया है जसक व कोषागार के पोरटंग िशयूल म<br />

उस बल से स बधत वाउचर नं0 से अंकत क जायेगी। यह व कोषगार ारा भर जानी है।<br />

(8) वारचर का दनांक।<br />

इसके िलये 6 अंक का थान उपल ध कराया गया है जसम पहले दो थान म दनांक अंकत क<br />

जायेगी, अगले दो थान पर माह अंकत कया जायेगा और अंितम दो थान म वष को अंकत कया<br />

जायेगा। जन मामल म दनांक माह या वष क अंितम दो डजट 1 से 9 के बीच हो तो उसके पहले अंक<br />

पर 0 अंकत कया जायेगा। उदाहरणाथ 5 मई, 1991 को िन नानुसार अंकत कया जायेगा:<br />

10, 15, 10, 15, 19, 111<br />

त ्येक अंितम दो थान जसम वष अंकत होगा, को भरने म शता द के अतम वष म अंितम दो<br />

अंक शू य हग। उस वष हेतु यथा आव यक थान बढाकर शता द वष का उ लेख कया जा सकता है।<br />

जस कोषागार म बल से कै श ा त कया जाता है वहां पर वा तवक भुगतान क ितिथ अंकत क<br />

जायेगी पर तु जन कोषागार म चेक ारा भुगतान होता है वहां चेक िनगत करने क ितिथ अंकत क<br />

आयेगी। यह त भ कोषागार ारा भरा जाना है।<br />

(9) आयोजनागत/आयोजनेतर/मतदोय/भारत।<br />

जस कार का देयक है उन थान पर सह का िनशान लगाकर टक कर दया जाये और शेष को<br />

सीधी लाइन ारा काय दया जाये। देयक के शीष पर लान अथवा नान लान क मोहर मोटे अर म लगा<br />

द जाये जैसा क वतमान म हो रहा है।<br />

(10) लेखाशीषक का 13-अंक का कोड 1-चेक अंक (चेक अंक के वल क यूटर ारा लेखा बनाने को थित<br />

म सह भरा जाना है):<br />

यह येक बल प पर लगने वाली 13 अंक क लेखाशीषक क मोहर (मु य लेखाशीषक से<br />

व तुत लेखाशीषक तक) का ह सा होगा तथा क यूटर म डाटा इ के समय 13 अंक के कोड क सह<br />

इ सुिनत करने के िलये उपयोगी होगा। 13 अंक का कोड आहरण वतरण अिधकार ारा भरा जायेगा।<br />

चेक अंक के गणना क कया िन नांनुसार होगी एवं इसे आहरण वतरण अिधकार ारा येक प पर<br />

भरा जायेगा जसक गणना करने हेतु आहरण वतरण अिधकार स बधत कोषागार क मदद से सह चेक


145<br />

अंक सुिनत कर लगे। एक बार गणना के प चात यह येक बल के िलये समान होगा जब तक क<br />

स बधत वभाग के 13 डजट अंक म कसी तर पर हेर के र न कया जाये। इस काय हेतु आहरण<br />

वतरण अिधकारय एवं स बधत कोषागार अिधकारय एवं कमचारय को व तुत िशण भी दया<br />

जायेगा। ार भ म चेक अंक के वल उन कोषागार के आहरण वतरण अिधकारय ारा ह भरा जायेगा जहां<br />

पर लेखा बनाने का काय क यूटर ारा कया जा रहा है:<br />

जैसा क इसको वदत है क 13 अंक के लेखा शीषक के घटक इस कार है।<br />

मुख ्य लेखा शीषक - - - - - 4 अंक<br />

उप मु या लेखा शीषक - - - - - 2 अंक<br />

लघु शीषक - - - - - 3 अंक<br />

उप शीषक - - - - - 2 अंक<br />

वस ्तुत शीषक - - - - - 2 अंक<br />

यद क-(मु य लेखाशीषक×1) +(उप मु य लेखाशीषक ×2) + (लघु शीषक × 3) +<br />

(उपशीषक × 4) + (व तुत शीषक × 5)<br />

क<br />

तब--------का शेष चेक अंक होगा<br />

11<br />

उदाहरण के िलये यद 13 अंक कोड<br />

4354 011120005 है तो<br />

क= (4354×1)+(01×2)+(112×3)+(100×4)+(05×5)=4354+2+336+0+5<br />

=4717<br />

क=4717<br />

11 11<br />

का शेष 9 चेक अंक होना (यह यान रख आये क गणना करने पर कतनी धनरािश "क" के मान<br />

है। आती है उसम हमशा चेक अंक िनकालने के िलये 11 का ह भाग दया जायेगा और कसी अ य सं या से<br />

भाग कसी भी थित म नहं दया जाना चाहग)<br />

चूंक यह चेक अंक 13 अंक कोड के अ त म लगाया आयेगा अत: इसके वप को लेखाशीषक के<br />

कोड से िम रखने के दये इसे मोहर म अंेजी भाषा के अर के प म दखाया जायेगा जो िन न कार से<br />

होगा:<br />

चेक डजट<br />

योग कये जाने वाला अर<br />

1 2<br />

0 एच<br />

1 जे<br />

2 के<br />

3 एल


146<br />

4 एम<br />

5 एन<br />

6 ओ<br />

7 पी<br />

8 क् यू<br />

9 आर<br />

इसिलये उपरो त उदाहरण म मोहर का वप इस कार होगा:<br />

4354401 1120005 R<br />

(11) आहरण वतरण अिधकार का पदनाम:<br />

इस त भ म जस आहरण वतरण अिधकार ारा देयक कोषागार म तुत कया जाता है उसका<br />

पदनाम अपना मोहर होगा। पर तु ऐसे अिधकार जो अपना वेतन महालेखाकार कायालय उ0 0 अथवा<br />

वभागीय कायालय ारा जार क गई वेतन पूव के आरधार पर वयं कोषागार से आ हरत करते है, ारा इस<br />

त भ म अपने कायालय के आहरण वतरण अिधकार का पदनाम भरे जाने क आव यकता नहं है। अत:<br />

ऐसे अिधकार कोषागार म बल तुत करते समय इस त भ को खाली छोडा देगे।<br />

(12) आहरण वतरण अिधकार का कोड (के वल क यूटर ारा लेखा बनने क थित म ह भरा जाना<br />

है):<br />

इसके िलए तीन अंक का थान उपल ध कराया गया है। येक जले के कोषािधकार ारा अपने<br />

जले म येक आहरण वतरण अिधकार को एक िनत कोड सं या आवंटत क जायेगी और आहरण<br />

वतरण अिधकार कोषागार म देयक तुत करते समय इस कोड म नं0 का उ लेख इस त भ म करगे।<br />

(13) वयं के आहरण हेतु अिधकृ त अिधकार का नाम।<br />

इस त भ म उ हं अिधकारय का नाम भरा जाना है जो अपना वेतन महालेखाकार कायालय उ00<br />

अथवा वभागीय कायालय ारा जार क गयी वेतन पूव के आधार पर वयं कोषागार से आहरत करते है।<br />

इस कार के वयं आहरण के अिधकृ त अिधकार कम सं या 11 को नहं भरग। पर तु कम सं या 12 म<br />

उस कायालय जसम वह कायरत है, के आहरण वतरण अिधकार हेतु आवंटत कोड सं या अव य अंकतर<br />

करगे जनसे स बधत कायालय हेतु आवंटत बजट का सह ान हो सके ।<br />

(14) अिधक ठान का नाम (मुहर लगाई का सकती है):<br />

आहरण वतरण अिधकार जस अिध ठान से स बधत है उस अिधक ठान का नाम या मुहर इस<br />

त भ म लगाया जाना है।<br />

(15) अनुदान सं या:<br />

इसके िलए तीन थान उपल ध कराए गए है जसे आहरण वतरण अिधकार ारा भरा जाना है और<br />

यह वहं अनुदान सं या होगी जसे बजट सह य म उस वभाग हेतु दशाया गया हो और जो अभी तक बल<br />

पर अंकत क जा रह हो। यद अनुदान सं या के वल दो अंक क है तो थम थान म 0 भरा जायेगा।<br />

(16) सोस कोड-


147<br />

इसके िलये एक अंक का थान उपल ध कराया गया है। इस थान म यद देयक संिचत िनिध<br />

(क सालीडेटेड फ ड) से स बधत है। तो 1, यद रा य आकमकता िनिध ( टेट काटजे सी फ ड) से<br />

स बधत है, तो 2, और यद लोक सभा (पलक उ ट) से स बधत है तो 3, भरा जायेगा।<br />

(17) से टर कोड:<br />

इसके िलए एक अंक का थान उपल ध कराया गया है जसे िन नानुसार भरा जाना है:<br />

(1) स ्टेट से टर लान वोटेड के िलए 1<br />

(2) स ्टेट से टर नान लान वोटेड के िलए 2<br />

(3) स ्टेट से टर लान चाजड के िलए 3<br />

(4) स ्टेट से टर नान लान चाजड के िलए 4<br />

(5) डक् ट से टर लान वोटेड के िलए 5<br />

(6) डक् ट से टर नान लान वोटेड के िलए 6<br />

(7) डक् ट से टर लान चाजड के िलए 7<br />

(8) डक् ट से टर नान लान चाजड के िलये 8<br />

यद देयक पलक एकाउ ट से स बधत है तो इस थान पर 0 भरा जायेगा एवं यद देयक के <br />

ारा पुरोिनधारत योजनाय स बधत है तो इस थान पर 9 भरा जायेगा।<br />

(18) चेक लेखाकार का कोड:<br />

त ्येक कोषािधकार चेक िनगत करने वाले कोषागार म येक चेक राइटर को एक िनत सं या<br />

आवंटत करगे। बल ारा कै श त करने वाले कोषागार म भी कोषािधकार येक बल पांिसग लक को<br />

एक िनत सं या आवंटत करगे। 6 वाले कोषागार म चेक देने के पूव कोषागार ारा इस थान पर चेक<br />

राइटर का नं0 अंकत कर दया जायेगा और इसी भरा बल वाले कोषागार म भी कोषागारा म पारत बल<br />

को आहरण वतरण अिधकार को ह ता तरत करने के पूव बल लक भी सं या अंकत कर देगा।<br />

(8-ए) देयक का कार:<br />

इसके िलए एक अंक का थान उपल ध कराया गया है यद देयक थायी अिध ठान से स बधत है<br />

तो इस त भ म P एवं यद अ थायी अिध ठान से स बधत है तो T भर दया जायेगा। यद दोन कार<br />

के अिध ठान का वेतन एक ह देयक आहरत कया जा रहा है तो इस थान पर T/P भरा जायेगा।<br />

(19) वीकृ त आदेश (यद आव यक हो ितिलप संल नक कर):<br />

यद वेतन से स बधत देयक के आहरण के िलए कसी कार के आदेश क आव यकता है और<br />

उसके अ तगत ह यद का आहरण कया जाता है, तो उसे आदेश को सं या इस त भ म भर जायेगी तथा<br />

उस आदेश क ितिलप भी देयक के साथ क जायेगा। यद देयक अ थायी पद के वेतन से स बधत है तो<br />

अ थायी पद क िनर तरता स ब धी शासनादेश का न बर दनांक अंित कया जाये।<br />

(20) लेखाशीषक स बधत वतरण।<br />

इस त भ म मेजर है से लेकर मानक मद तक क थित प ट करने के िलए श द वाली पूण<br />

लेखा शीष क 13 अंक क मोहर लगाई जायेगी जैसा क पहले से आहरण वतरण अिधकारय ारा कया<br />

जा रहा है। उदाहरणाथ:


148<br />

2054 -- खजाना तथा लेखा शासन<br />

00 -- ...................................<br />

095-- लेखा तथा खजाना िनदेशालय<br />

01---- कोषागार िनदेशायल<br />

00 -- ..................................<br />

(21) बजट क वतमान थित।<br />

इस त भ म आहरण वतरण अिधकार ारा येक मानक मद म उसे जो बजट आवंटत कया<br />

गया है उसे भरा जाना है। इसके साथ ह साथ ह तुत बल को समिलत करते हुए अब तक कु ल कतना<br />

वयय येक मानक मद म ह चुका उसका भी ववरण तुत करना अपेत है। एवं येक मानक मद म<br />

जो बजट शष रह गया है, उसका भी अंक कया जायेगा।<br />

(22) अ तगत चेक का ववरण:<br />

उन कोषागार म जहां पर भुगतान चेक से होता है इस त भ को भरा जायेगा। कम सं या म यद<br />

एक म अिधक चेक एक देयक के व िनगत कए गए है तो उ ह कम नं0 देते हुए उसक कम सं या<br />

अ ◌ंकत कर द जायेगी। चेक सं या म िनगत चेक क स या अंकत क जायगी। उसके प चात ् उस<br />

अिध ठान अथवा य का नाम जसके नाम से चेक िनगत कया गया है, भरा जायेगा। इसके प चात ्<br />

जतनी धनरािश का चेक है उसे पये एवं पैस म अंकत कया जायेगा एवं अत म िनगत चेक क दनांक<br />

भर जायेगी।<br />

वेतन देयक प म दाहनी और 4 मानक मद 01 (वेतन), 03 (महंगाई भ ता), 05 (अ य भ ते)<br />

तथा 32 (अं तर सहायता) हेतु त भ बनाये गए है। इस त भ म पूरे वेतन बल से स बधत धनरािश<br />

मानक मद के अनुसार दखायी जायेगी एवं उनका योग 66-देयक क सकल धनरािश व अंकत कया<br />

जायेगा। त प चात वेतन बल से क जाने वाली विभ न कार क सभी संभव कटौितय कर भी 15 अंक<br />

का कोड अंक तथा श द म देयक पर ंट कर दया गया है। स बधत कटौती क कु ल धनरािश उस<br />

त भ के सामने आहरण वतरण अिधकार ारा दखायी जानी है। अंत म 77- कु ल कटौितय के स मुख<br />

सभी कटौितय का योग तथा 99- शु धनरािश के त भ म बल क कु ल धनरािश म से कु ल कटौितय<br />

घटाने के बाद अवशेष शु धनरािश भर जानी है।<br />

2- याा भ ता बल प:<br />

वतमान म कोषागार म याा भ ता से स बधत िन न कार के बल प योग कए जाते है:<br />

(1) राजपत सरकार अिधकारय, जो अपना वेतन वभागीय वेतन पच कायालय ारा जार को गई<br />

पच के आधार पर वेतन का आहरण करते है, के याा भ ता हेतु योग कये जाने वाला प सं या-6<br />

(2) अिध ठान बल पर वेतन आहरत करने वाले अिधकार/कमचार के याा भ ता के भुगतान हेतु<br />

योग कए जाने वाला प सं या-12<br />

(3) अिधक ठान से स बधत याा भ ता बल का जरनल जो याा करने वाले य ारा याा से<br />

स बधत व तार आहरण वतरण अिधकार क प सं या-12-ए पर तुत करना अपंत होता है।


149<br />

(4) लोक िनमाण वभाग एवं कृ ष स ब धी वभाग, ारा याा भ ता हेतु योग कये जाने वाला<br />

प सं या-12-बी<br />

(5) लोक िनमाण वभाग, पशुपालन वभाग तथा कृ ष वभाग आद ारा प सं या 12-ए पन<br />

तुत जरनल के आधार पर कोषागार म प सं या 12-सी पर तुत कये जाने वाले आ-से ट बल<br />

(6) कोट म सा य देन हेतु बुलाये जाने पर याा भ ता हेतु तुत कये जाने वाला प सं या 12-<br />

बी उपरो त सभी कार के याा भ ता बल के थान पर अब के वल एक ह कार का याा भ ता बल<br />

प िनधारत कया गया है। यद यह बल राजपत अिधकार से स बधत है तो शीष पर लाल याह से<br />

‘राजपत’ एवं अिधकार क ेणी िलख दया जाये और यद अराजपत कमचारय से स बधत है तो<br />

‘अराजपत’ िलख दया जाये।<br />

इस प के ब दु 1 से लेकर 19 तक को भरने क कया ब कु ल वह होती जो वेतन बल प<br />

को भरने के सं य म प ट क गई है।<br />

इसके अितर त लेखा शीषक स ब धी वतरण क मुहर चेक, का वतरण, बजट क वतमान थित<br />

के अ तगत दयाए गए विभ न त भ को भरने क कया भी वह होगी जा वेतन बल प को भरने<br />

के स ब ध म प ट क गई है।<br />

(3)- आकमका देयक प:<br />

वतमान म कोषागार म आकमक देयक से स बधत िन न कार के प तुत कये जाते है।<br />

(1) फु ली वार ट आकम क बल के िलये प सं या-14<br />

(2) डटे ड बल आफ काटजेट नाजज रेगुलेटंड बाई रवश ट कू ल हेतु योग कये जाने वाले प स या-<br />

15<br />

(3) आ से ट काटजे ट बल हेतु योग कये जाने वाला प सं या- 16<br />

(4) डटे ड काउ टर साइन काटजे ट बल हेतु योग कये जाने वाला प सं या- 17<br />

(5) ऐसे आकमक देयक ज ह भुगतान के पूव काउ टर साइन करना पडता है, हेतु योग कये जाने वाला<br />

प सं या- 18<br />

उपरोक् त सभी कार के आकमक बल के थान पर अब के वल एक आकमक प योग हेतु<br />

िनधारत कया गया है। इस प के ब सं या 1 से लेकर 20 तक को भरने हेतु वह िनदेश लागू हगे जो<br />

वेतन बल प को भरने हेतु प ट कये गये है।<br />

इसके अितर त लेखाशीषक स ब धी ववरण क मुहर, बजट क वतमान थित एवं िनगत चेक का<br />

व तार आद भी वेतन बल क भांित ह भरा जायेगा 1 ा के अ य म के वल उन आ कमक देयक म<br />

ज ह भुगतान के पूव ित ह तारत करना आव यक है, म िनयंक अकार ारा इस हेतु िनधारत<br />

त भ म ितह तार करना अपेत है। शेष कार के आकमक देयक म ितह तार करने क<br />

आव यकता नहं है।<br />

भुगतान का ववरण:<br />

इस त भ म उस भुगतान का स त ववरण तुत कया जायेगा जससे स बधत बल पारण<br />

हेतु कोषागार म पर तु कया गया है:<br />

(1) मानक मद का कोड एवं नाम:


150<br />

इस त भ म जस मानक मद से स बधत बल है उसका कोड एवं श द म नाम तथा उसके<br />

सम धनरािश अंकत ह जानी है। यद बल म कसी पूव कये गये अिक का समायोजन करना है तो<br />

स बधत मानक मद से स बधत है। धनरािश बटाने के प चात ् ह शेष धनरािश मानक मद के स युख<br />

दखाई जायेगी। 66-तकल धनरािश के आगे धनरािशय पूरा योग िलखा जायगा।<br />

(2) कटौितय का कोड सहत ववरण:<br />

इस त भ म यद देयक म कसी कार क कटौती को जा रह है, तो ाि लेखाशीषक का पूरा 15<br />

डजट का कोड एवं उससे स बधत धनरािश उसके स मुख अंकत क जायेगी। 77-स पूण कटौितय म<br />

यद एक से अिधक कटौितय है तो उनका योग िलखा जायेगा। 99- शु धनरािश के स ब ध म कु ल<br />

धनरािश म से सभी कटौितय क धनरािश घटाने के बाद शेष शु धनरािश भर जायगी।<br />

49- िनेप, िनेप वापसी, ितपूित देयक प:- वतमान म कोषागार म उपरो त वषय से<br />

स बधत प सं या 19 एवं 39 आद योग कये जा रहे है। लै स डपोजट के िलए प सं या 42 का<br />

योग कया जा रहा है। प सं या 19 एवं 39 के थान पर अब िनेप, िनेप वापसी, ितपूित देयक प<br />

का योग कया जायेगा। इस प म दखाए गए सभी त भ को भरने क या पूव म ह वेतन देयक<br />

प अथवा आकमक देयक प म प ट क जा चुक है।<br />

व ्यपगत िनेप (लै स डपोजट) म पूव म ह योग होने वाला फाम 42 का योग वतमान म भी<br />

उसी कार होता रहेगा।<br />

5- सामा य देयक प: वेतन बल, याा भ ता बल, आकमक बल, पशन बल तथा<br />

िनेप, िनेप वापसी एवं ितपूित से स बधत भुगतान के िलये अलग-अलग कार के बल फाम बनाये<br />

गये है ज ह पूव म प ट कया जा चुका है। शेष सभी कार के बल के कोषागार से भुगतान हेतु एक<br />

सामा य देयक प िनधारत कया गया है। जसम सभी कार के अंित ा ट इन ऐड आद भी समिलत<br />

होग।<br />

इस प म दखाए गए सभी त भ को भरने को या पूव म ह वेतन देयक प अथवा<br />

आकमक देयक प म प ट को जा चुक है। के वल कम-सं या 19 पर त भ आहरण से जुडे लेखाशीषक<br />

(कनेटग सवस हंड) का 13 अंक का कोड ह एक नया त भ है1 यह त भ वशेषत: जो0पी0एफ0<br />

अिम एवं हण तथा अित के आहरण हेतु है यक उनका आहरण मश: लेखाशीषक 8005 तथा 7610<br />

के अ तगत होता है पर तु कोषागार तर पर एवं महालेखाकार उ00 तर पर व तुत लेखा रखने म इस<br />

बात क भी आव यकता होती है क यह आहरण कस सवस हेड के अ तगत कया जा रहा है। अत: यद<br />

कसी अिधकार अथवा कमचार का जी0पी0एफ0 अित अथवा हण से स बधत बल भुगतान हेतु तुत<br />

कया जाता है। उस थित म कम-सं या 10 पर 8005 अथवा 7610 से स बधत लेखाशीषक क मुहर<br />

लगेगी परन ्तु इस त भ म वह जस अिध ठान से स बघत है तथा उस अिध ठान के आहरण हेतु जो<br />

सवस हंड िनधारत कया गया है उससे स बधत 13 अंक क मुहर लगायी जायेगी।<br />

यद सामा य देयक प पर कसी कार के अिम का आहरण अथवा ा ट इन ए ड का आहरण<br />

कया जाता है तो भी ऐसे भुगतान का ववरण िलख हेतु प म ह भुगतान का ववरण नाम से त भ<br />

बनाया गया है पर तु इस और अिधक प ट करने के िलये आहरण वतरण अिधकार ारा देयक के शीष पर<br />

लाल याह से भी ा ट-इन-ऐड अथवा जससे स बधत अिम है उसका उ लेख अव य कर दया जाये।


151<br />

ान ्ट-इन-ऐड तथा कु छ कार के अिम जैसे जी0पी0एफ0 अिम आद म वभाग के पास बजट<br />

क पूण थित वहं होती है अत: उन वल म जससे बजट क पूण थित वभाग को प ट नहं के उसने<br />

बजट स ब धी सभी तम ्भ सामा य देयक प म कास कर दय जायगे।<br />

6- सेवा नैवुक लाभ देयक प: वतमान म कोषागार म चिलत सभी कार क पशन हेतु<br />

(से य पशन क छोडकर) जो प लागू है उन सभी के थान पर मा एक ‘सेवा नैवृक लाभ देयक प’<br />

योग हेतु िनधारत कया गया है। इसी प पर सामा य पशन के अितर त े युट, रािशकरण, िचक सा<br />

यय क ितपूित आद सभी कार के भुगतान भी होने ह। वतमान म कोषागार म े युट तथा रािशकरण<br />

से स बधत भुगतान ािधकार-प पर ह भुगताना देश अंकत करके कर दये जाते ह पर तु अब यह प<br />

लाभ होने के प चात ऐसे सभी कार के भुगतान भी इसी प पर कए जायऐं एवं स बधत िधकार-प<br />

पर भुगतान करने के ‘भुगतान कया एवं िनर त कया’ क मोहर लगा द जायेगी।<br />

इस प के त भ 1 से 5 तक को भरन क या वेतन देयक प के सुय त त भ म पहले<br />

ह प ट क जा चुक है इसके आगे के त भ को िन नानुसार भरा जाना है:-<br />

6- पशन भुगतानदेश सं या<br />

इस त भ म पशन भोगी ारा उनके ािधकार प म उ लेख क गई पी0पी0ओ0 सं या भर जानी<br />

है।<br />

7- पशन भोगी का नाम:<br />

इस त भ म उस पशन का पूरा नाम भरा जाना है जससे स बधत देयक कोषागार म भुगतान<br />

हेतु तुत कया गया है।<br />

कोषागार एवं उप कोषागार कोड क सूची<br />

0 सं0 कोषागार का नाम कोषागार का कोड कोषागार का नाम उप कोषागार का<br />

कोड<br />

1 2 3 4 5<br />

01 देहरादून 01 देहरादून 0101<br />

मसूर 0102<br />

0103<br />

ऋषके श 0104<br />

02 सहारनपुर 02 सहारनपुर 0201<br />

देवबंद 0202<br />

नाकु र 0203<br />

03 मुजफरनगर 03 मुजफरनगर 0301<br />

0302<br />

जानराठ 0303<br />

कै राना 0304<br />

04 मेरठ 04 मेरठ 0401<br />

0402


152<br />

भवाना 0403<br />

सरधना 0404<br />

बरोट 0405<br />

05 बुलन ्दशहर 05 बुलन ्दशहर 0501<br />

0502<br />

खुज 0503<br />

िसकन ्दराबाद 0504<br />

दबाई 0505<br />

सथाना 0506<br />

06 अलीगढ 06 खैर 0601<br />

फारोली 0602<br />

हाथरत 0603<br />

0604<br />

कोयल 0605<br />

िसकन ्दराबाद 0606<br />

07 मथुरा 07 मथुरा 0701<br />

छावा 0702<br />

मठ 0703<br />

सादाबाद 0704<br />

कलाम 0705<br />

08 आगरा 08 आगरा 0801<br />

बाह 0802<br />

एतमानपुर 0803<br />

फतैहाबाद 0804<br />

खैरागढ 0805<br />

करौली 0807<br />

09 मैनपुर 09 मैनपुर 0901<br />

भूगांव 0902<br />

करहन 0904<br />

10 एटा 10 एटा 1001<br />

अलीगंज 1002<br />

जलेसर 1003<br />

शालगंज 1004<br />

पटयाली 1005<br />

11 बरेली 11 बरेली 1101<br />

बहेड 1102


153<br />

फरदपुर 1103<br />

नवानगंज 1104<br />

पांवला 1105<br />

12 बजनौर 12 बजनौर 1201<br />

धानपुर 1202<br />

नगीना 1203<br />

नजीबाबाद 1204<br />

चांदपुर 1205<br />

13 बदायूं 13 बदायूं 1301<br />

बसौली 1302<br />

दातागंज 1303<br />

गुीर 1304<br />

संहसवां 1305<br />

उजहनी 1306<br />

14 मुरादाबाद 14 मुरादाबाद 1401<br />

अमरोहा 1402<br />

बलार 1403<br />

हसनपुर 1404<br />

सम ्भल 1405<br />

ठाकु रार 1406<br />

चन ्दोसी 1407<br />

15 शाहजहांपुर 15 शाहजहांपुर 1501<br />

जलालाबाद 1502<br />

पुवायां 1503<br />

ितनहर 1504<br />

16 पीलीभीत 16 पीलीभीत 1601<br />

वशालपुर 1602<br />

पूरनपुर 1603<br />

17 रामपुर 17 रामपुर 1701<br />

वसलपुर 1702<br />

िसलक 1703<br />

शाहबाद 1704<br />

स ्वार 1705<br />

टांडा 1706<br />

18 फ खाबाद 18 फ खाबाद 1801<br />

िशवरामऊ 1802


154<br />

कायमंनज 1803<br />

कौज 1804<br />

19 इटावा 19 इटावा 1901<br />

औरया 1902<br />

बरधना 1903<br />

बटुना 1904<br />

पाकरनपुर 1905<br />

20 कानपुर नगर 20 मानपुर रादर 2000<br />

21 फतेहपुर 21 फतेहपुर 2101<br />

बन ्दक 2102<br />

खाभा 2103<br />

22 इलाहाबाद 22 चायल 2201<br />

हडया 2202<br />

करछना 2203<br />

मनझनपुर 2204<br />

मेजा 2205<br />

फू लपुर 2206<br />

खराबू 2207<br />

सोरांब 2208<br />

बारा 2209<br />

23 झांसी 23 झांसी 2301<br />

मोनीपुर 2302<br />

मोठ 2303<br />

गरबा 2304<br />

24 जालौन 24 जालौन 2401<br />

कालपी 2402<br />

कच 2403<br />

उई 2404<br />

25 हमीरपुर 25 हमीरपुर 2501<br />

नरखार 2502<br />

महोबा 2503<br />

मोदहा 2504<br />

राठ 2505<br />

कु लपहाड 2506<br />

26 बांदा 26 बांदा 2601<br />

बमग 2602


155<br />

कब 2603<br />

मऊ 2604<br />

नरैनी 2605<br />

27 वाराणसी 27 वाराणसी 2701<br />

चाकया 2702<br />

ानपुर 2703<br />

चदौसी 2704<br />

भदोह 2705<br />

28 िगजापुर 28 िगजापुर 2801<br />

चूनार 2802<br />

दु 2803<br />

चोपन 2804<br />

29 जौनपुर 29 जौनपुर 2901<br />

करकट 2902<br />

मछलीशहर 2903<br />

मदयाऊ 2904<br />

शाहगंज 2905<br />

बदलापुर 2906<br />

30 गाजीपुर 30 गाजीपुर 3001<br />

मोहम ्मदाबाद 3002<br />

सैदपुर 3003<br />

जमिनयां 3004<br />

जखिनयां 3005<br />

31 बिलयां 31 बिलयां 3101<br />

बनिशद 3102<br />

रासरा 3103<br />

बेलगरा रोड 3104<br />

वरय 3105<br />

32 गोरखपुर 32 गोरखपुर 3201<br />

3202<br />

जीतनवां 3205<br />

बननी 3206<br />

सहजनवां 3207<br />

मोला 3208<br />

जनलोल 3209<br />

33 वस ्ी 33 वस ्ी 3301


156<br />

होरबा 3304<br />

खलीलाबाद 3305<br />

नौगढ 3306<br />

मेहदाबल 3307<br />

बरहनी 3308<br />

34 आजगढ 34 आजगढ 3401<br />

लालगंज 3403<br />

फू लपुर 3405<br />

समर 3406<br />

मऊनाथसंशन 3407<br />

35 देवरया 35 छाता 3502<br />

पडरोना 3503<br />

सलेमपुर 3504<br />

36 नैनीताल 36 बाजपुर 3601<br />

हल ्ानी 3602<br />

कालाढूंगी 3603<br />

काशीपुर 3604<br />

खटमा 3605<br />

कछछा 3606<br />

रामनगर 3607<br />

िसतारगंज 3608<br />

टनकपुर 3609<br />

बदरपुर 3610<br />

जसपुर 3611<br />

37 अल ्मोडा 37 रानीखेत 3701<br />

चौखटयां 3702<br />

ाराहाट 3703<br />

कायकोट 3704<br />

मािलकहाल 3705<br />

िमखयासन 3706<br />

38 पथौरागढ 38 पुंिशवार 3801<br />

डडहाट 3802<br />

चारचृला 3803<br />

चम ्पावत 3804<br />

नरनग 3805<br />

गवागगौली 3806


157<br />

लोहाघाट 3807<br />

गगोलीहाट 3808<br />

पाट 3809<br />

देवस ्थल 3810<br />

39 नरेन ् नगर 39 देवयाग 3901<br />

जखेली 3902<br />

40 चमोली 40 चमोली 4001<br />

जोशीमठ 4002<br />

ऊखीमठ 4003<br />

करनयाग 4004<br />

थराली 4005<br />

ओकहर 4006<br />

कै रसेन 4007<br />

याग 4008<br />

आगस ्तमुिन 4009<br />

घाट 4010<br />

41 उत ्तरकाशी 41 राजगढ 4101<br />

भटवार 4102<br />

फुं रौली 4103<br />

कुं डा 4104<br />

42 पौड 42 ीनगर 4201<br />

बैलीसैण 4202<br />

धूमकोट 4203<br />

43 लखनऊ 43 लखनऊ 4301<br />

माहनलालगंज 4302<br />

मिलहाबाद 4303<br />

44 उाव 44 उाव 4401<br />

हसवगंज 4402<br />

पुरना 4403<br />

साफपुर 4404<br />

45 रामबरेली 45 रामबरेली 4501<br />

4502<br />

महरागंज 4503<br />

सलोन 4504<br />

लालगंज 4505<br />

ितलोई 4506


158<br />

46 सीतापुर 46 सीतापुर 4601<br />

बरावां 4602<br />

िसधौली 4603<br />

िभसरख 4604<br />

हरगांव 4605<br />

माहमूदाबाद 4606<br />

47 हरदोई 47 हरदोई 4701<br />

वलाम 4702<br />

शाहाबाद 4703<br />

सन ्डला 4704<br />

वालामऊ 4705<br />

48 खीर 48 खीर 4801<br />

मोहम ्मद 4802<br />

िनधासन 4803<br />

गोला 4804<br />

दोराहरा 4805<br />

पिलयां 4806<br />

49 फै जाबाद 49 फै जाबाद 4901<br />

अकबरपुर 4902<br />

बीकापुर 4903<br />

टांडा 4904<br />

जलालपुर 4905<br />

50 गोण ्डा 50 गोण ्डा 5001<br />

बलरामपुर 5002<br />

तरनगंज 5003<br />

उतरौला 5004<br />

मनकापुर 5005<br />

करनैलगंज 5006<br />

तुलसीपुर 5007<br />

51 बहराइच 51 बहराइच 5101<br />

कै सरगंज 5102<br />

नानपारा 5103<br />

िभनगा 5104<br />

कतरिनयाघाट 5105<br />

िमहतपुरवा 5106<br />

52 सुल ्तानपुर 52 सुल ्तानपुर 5201


159<br />

अमेठ 5202<br />

मुसाफरागना 5203<br />

कादपुर 5204<br />

गौरगजं 5205<br />

53 तापगढ 53 तापगढ 5301<br />

कु ष ्णा 5302<br />

पट 5303<br />

नानगंज 5304<br />

54 बाराबंक 54 फतेहपुर 5401<br />

हैदरगढ 5402<br />

ननाबगंज 5403<br />

रामसनेहघाट 5404<br />

5405<br />

55 डक 55<br />

56 कोटार 56<br />

57 लैसडाउन 57<br />

58 लिलतपुर 58 लिलतपुर 5801<br />

महरौला 5802<br />

तजवहार 5803<br />

59 गाजयाबाद 59 गजयाबाद 5901<br />

हापुड 5902<br />

दादर 5903<br />

मोदरनगर 5904<br />

नोएडा 5905<br />

60 लखनऊ -2 60<br />

61 टहर 61<br />

62 कानपुर 62 अकबरपुर 6201<br />

भोगनापुर 6202<br />

डेरापुर 6203<br />

घाटम पुर 6204<br />

बल ्लौर 6205<br />

रयुचादाव 6206<br />

63 पा0ए0ओ0नई द ली 63<br />

64 इलाहाबाद- 2 64<br />

65 हरार 65<br />

66 मऊ 66 सदरमऊ 6601


160<br />

भोसी 6602<br />

मोहम ्मदाबाद 6603<br />

67 िसाथनगर 67 6702<br />

ड0गंज 6703<br />

68 फरोजाबाद 68 जसराना 6801<br />

िशकोहाबाद 6802<br />

69 सोनभ 69 सोनभ 6901<br />

राब सगंज 6902<br />

बु 6903<br />

चोपन 6904<br />

70 गहराजगंज 70 महराजगंज 7001<br />

फरेन ्डा 7002


161<br />

ेषक,<br />

इन ्दु कु मार पा डे,<br />

सिचव व त,<br />

उ तराख ड शासन।<br />

संख ्या 235/21/व0अनु0-1/2001<br />

सेवा म,<br />

िनदेशक,<br />

कोषागार एवं व त सेवाय,<br />

उ तराख ड, देहरादून।<br />

वत ्त अनुभाग-1 देहरादून, दनांक 06 दस बर, 2001<br />

वषय- सरकार कमचारय को समय से वेतन भुगतान तथा भावी लेखा णाली हेतु कोषागार म<br />

‘’एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली’’ लागू कया जाना।<br />

महोदय,<br />

उ तराख ड रा य क भौगोिलक थित, समय से भुगतान सुिनत करने, सरकार सेवक के<br />

वेतन एवं त स ब धी भ ते पर होने वाले यय का सह आगणन, देयक पारण स ब धी काय म समय एवं<br />

धन क बचत तथा सूचना ौघोिगक का उ तपादकता के िसा त पर योग के म म रा यपाल महोदय<br />

सरकार कमचारय के वेतन स ब धी भुगतान हेतु रा य के सम त कोषागार तथा यथाव यक िचहत<br />

उपकोषागार को ‘एककृ त भुगतान एवं लेखा कायालय’ के प म काय करने तथा<br />

कोषािधकार/उपकोषािधकार/सहायक कोषािधकार को ऐसे करण म आहरण वतरण अिधकार के प म<br />

काय करने पर सहष सहमित दान करते ह।<br />

2- रा य के व तीय/कोषागार शासन हेतु िनधारत या पूववत होगी मा सरकार<br />

कमचारय के िनयिमत वेतन तथा त स ब धी भ ते हेतु शासन ारा कोषागार को आहरण वतरण हेतु<br />

अिधकृ त कया जाता है।<br />

3- सरकार कमचारय के वेतन हेतु एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली 1 जनवर, 2002 से<br />

देहरादून कोषागार म तथा 1 अैल, 2002 से सम त कोषागार एवं िचहत उपकोषागार म लागू कया जाय।<br />

4- महालेखाकार को पूव से िनधारत प पर सम त वाउचर तथा आव यक संल नक सहत<br />

िनधारत ितिथ पर कोषागार ारा लेखा स बधत ववरण भेजा जाय तथा महालेखाकार पूव क भांित समय<br />

से संकिलत कर रा य सरकार को उपल ध कराया जाय।


162<br />

5- अिध ठान स ब धी काय जैसे:-सेवा पुतका का रख-रखाव, अिम आहरण आदेश, बजट<br />

तैयार करना, बजट स ब धी सूचना णाली/कले डर का या वयन, कमचारय के शासिनक तथा वेतन-<br />

िनधारण/रोकना उपथित, िनल बन, थाना तरण, अतम वेतन माण प जार करना, सेवा मु,<br />

कटौितय/वसूिलय के क त म परवतन, भव य िनिध के पास बुक त स ब धी अ य अिभलेख, आद पर<br />

आव यक कायवाह पूव क भांित कायालया य ारा कया जाय।<br />

6- वेतन तथा त स ब धी भ ते के मानक मद को छोडकर शेष करण म शासन ारा<br />

अिधकृ त ड0ड0ओ0 कोड पर आहरण-वतरण अिधकार ारा पूव या के अधीन िनयमानुसार आहरण-<br />

वतरण कया जाय।<br />

7- वेतन स ब धी मानक मद हेतु लागू भुगतान एवं लेखा णाली के अधीन म िन निलखत<br />

या अपनायी जाय:-<br />

(क)- वतमान म कायरत आहरण वतरण अिधकार अपने से स ब सभी कायालया य के<br />

अिध ठन को कायमवार (13 डजट कोड के अनुसार अथात 4 डजट मेजर हेड, 2 डजट सब मेजर हेड,<br />

3 डजट माइनर हेड, 2 डजट सब हेड तथा 2 डजट डटेल हेड के एक कार के समूह को एक कायम<br />

मानकर) व तृत कमचारय के स ब ध म सूचना संल न प (प-1) पर कोषागार को उपल ध कराया<br />

जाय।<br />

(ख)- कोषागार म ा त प-1 के आधार पर रा य सूचना वान के ारा तैयार कये गये<br />

मानक सापटवेयर पर वतमान ड0ड0ओ0 कोड के अधीन कायालया यवार वेतन स ब धी ववरण (पे रोल)<br />

का एक ‘डाटाबेस’ तैयार कया जाय। इस कार के ववरण का शतितशत िमलान कर वतमान आहरण<br />

ववरण अिधकार के मा यम से कायालया य ारा कोषागार के क यूटर म उपल ध ववरण से छापे गये<br />

प-1 पर पुन: कायालया य आहरण-वतरण अिधकार से पु कराया जाय जससे शतितशत शुता<br />

सुिनत कया जा सके ।<br />

(ग)- देहरादून कोषागार म 1 जनवर, 2002 से देय वेतन तथा अ य कोषागार म 1 अैल, 2002<br />

से देय वेतन के आधार पर कोषागार ारा देय वेतन एवं कटौितय का बल कोषागार के क यूटर से<br />

िनधारत प पर वेतन बल तथा कटौितय का िशयूल छापा जाय तथा इस कार के देयक को पूव<br />

िनधारत या के अधीन कोषािधकार/उपकोषािधकार/सहायक कोषािधकार ारा पारत कर चेक िनगत<br />

कया जाय।<br />

(घ)- कायालया य ारा सूिचत कमचार के बक/शाखा के खाता न बर का ववरण छापकर<br />

बक/शाखावार चेक तैयार कर कोषागार ारा सीधे बक म वेतन स ब धी चेक भेजा जाय।<br />

(ड)- कोषागार ारा ड0ड0ओ0 के मा यम से त ्येक कायालया य को कायमवार (13 डजट<br />

कोडवार) सैलर ए वेटस रोल दो ितय म तथा येक कमचार का वेतन पच उपल ध कराया जाय। ऐसा


163<br />

करने से जहां कायालया य को अिभलेख के आधार पर देय वेतन तथा कटौितय का शतितशत िमलान<br />

सुिनत होगा वहं येक कमचार के पास वेतन एवं कटौितय का पूण ववरण ा त होगा।<br />

(च)- इस कार के ा त ववरण से वतमान ड0ड0ओ0 ितमाह बजट िनयंक ािधकार को<br />

ितमाह बी0एम0-8 भेज सक गे तथा बजट स ब धी सम त कायवाह सुिनत करगे।<br />

(छ)- वतमान या के अधीन वभागीय आहरण-वतरण अिधकार कोषागार से ा त सैलर<br />

ए वे टस रोल तथा अ य ववरण के आधार पर स बधत कमचारय का भारत सरकार के आयकर वभाग<br />

को भेजे जाने वाले आयकर स ब धी सूचना पूव क भांित भेजा जाय तथा कमचारय को भी िनधारत प<br />

पर सूचना द जाय।<br />

(ज)- कायालया य/वभागीय आहरण वतरण अिधकार ारा ितमाह कोषागार के िनदशानुसार<br />

20 से 23 तारख के म य वेतन अथवा त स ब धी भ ते म होने वाले परवततन तथा उपथित,<br />

िनल बन/सेवािनवृ/ थाना तरण/सेवा मु/कटौितय/क त क सं या आद क यथाव यक सूचना<br />

संल नक प-2 (1) एवं प-2 (2) पर भेजा जाय। यद कायालया य/ ड0ड0ओ0 ारा िनल बतम ् 23<br />

तारख तक कोषागार को सूचना उपल ध नहं कराया जाता तब कोषागार गत माह के दर पर वेतन बल<br />

पारत कर भुगतान कर दया जाय। प 2(1) तथा प 2(2) पर सूचना न भेजने के कारण अिधक/कम<br />

भुगतान के िलये कायालया य उ तरदायी हगे।<br />

(झ)- यद 20 तारख क थित पर सूचना भेजने के बाद कोई अनुपथित होती है अथवा कसी<br />

कारण वेतन क देयता बािधत होती है तब ऐसे कमचारय को अिधक भुगतान क धनरािश का समायोजन<br />

अगले माह के वेतन अथवा अ य भुगतान से कया जाय।<br />

(स)- कोषागार ारा कायालया यवार वेतन स ब धी चेक स ब धी बक शाखा म भेजने के बाद<br />

तथा इस कार क सूचना वभागीय ड0ड0ओ0 के मा यम से कायालया य को उपल ध करा द जाय<br />

जससे कायालया य कमचारय क वांदत सूचना उपल ध करा सक । यद कसी भी कार क<br />

समसया/गितरोध उ प न हो तब कायालया य त काल कोषागार अिधकार से स पक कर समयब<br />

िनराकरण कराय।<br />

(ट)- कोषािधकार स बधत बक के जनपदय मु य शाखा से वाताकर ामीण ेो क शाखाओं<br />

म खुले खात म वेतन का समय से थाना तरण सुिनत कर। यद आ वयक हो तब टेट बक क<br />

गवनमट बजनेस ा च से ापट/बकस चेक भी बनवाया जा सकता है जससे वेतन भुगतान समय से हो<br />

सके ।<br />

8- पवतीय े क वषम पर थितय के कारण पुिलस एवं वन किमय के िनयु के थान म<br />

िनर तर परवतन होने क थित को कोण रखते हुये, ऐसे ेणी के कमचारय के वक प के आधार पर<br />

नकद भुगतान क यव था क जा सकती है। इस या के अधीन कायालया य ारा नकद भुगतान ा त<br />

करने वाले सीिमत कमचारय क सूचना कोषागार को उपल ध कराया जाय तथा कोषागार ारा यथा<br />

आव यक वभागीय ड0ड0ओ0/कायालया य के नाम नकद आहरण हेतु चेक िनगत कया जाय। इस कार


164<br />

के नकद आहरण क सुरा तथा रख-रखाव का पूण दािय व स बधत वभागीय अिधकार का होगा तथा<br />

कसी भी कार से धन क हािन क वसूली ऐसे अिधकार से कया जाय। इन वभाग के अिधकार यथा<br />

संभव यास कर क यद ऐसे कमचारय का बक खाता उपल ध हो तब नकद भुगतान को ो साहन न दया<br />

जाय।<br />

9- यद ामीण े म बको क सुवधा न होने के कारण नान-बकगं उपकोषागार से नकद<br />

भुगतान क या हो तब कोषागार ारा कायालया यवार कमचार क सूचना उपकोषागार को चेक सहत<br />

भेजा जाय तथा उपकोषागार ारा स बधत कायालया य को ऐसे कमचारय का नकद भुगतान कया<br />

जाय।<br />

10- जला/कोषागार मु यालय पर चेक के संह म यूनतम एक दन का समय लगता है अत:<br />

सामा य थित म वेतन का भुगतान माह के ठक बाद क पहली तारख के बजाय उसी माह के अतम<br />

तारख को वेतन भुगतान कया जाय तथा माह के अतम तारख को अवकाश हो तब ठक पूव के काय<br />

दवस पर वेतन भुगतान कया जाय। व तीय िनयम संह ख ड-5 भाग-1 के तर 97 क अ य याय<br />

पूववत हगी।<br />

11- नयी िनयु अथवा थाना तरण के कारण होने वाले अिध ठान क सं या म बृ/ कभी क<br />

सूचना मूल आदेश सहत स बधत कोषागार को भेजा जाय।<br />

12- बजट िनयंण ािधकार ारा वेतन स ब धी बजट आवंटन कोषागार आहरण-वतरण<br />

अिधकार तथा कायालया य को ेषत कया जाय। यद रा य तर पर बजट क उपल धता सुिनत हो<br />

तब वशेष परथित म बजट आवंटन ा त होने क तीा म कायालया य ड0ड0ओ0 ारा कोषागार के<br />

मा यम से जलािधकार ारा ेजर िनयम-27 के अधीन वांिछत धनरािश क वीकृ ित ा त करेगा तथा<br />

त काल बजट िनयंण अिधकार से बजट ा त कर समायोजन कया जाय/बजट िनयंण ािधकार ारा<br />

ितमाह वेतन स बधत वा तवक यय के आधार पर स तुिलत बजट आवंटन सुिनत कया जाय।<br />

13- कोषागार ारा ित वष 30 िसत बर एवं 31 माच क थित पर वभागवार/ वेतनमानवार<br />

(समयमान वेतनमान नहं) कमचारय क सं या िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय को मश: 31 अ टूबर<br />

एवं 30 अैल तक उपल ध कराया जाय।<br />

14- कोषागार के अधीन उपकोषागार म भुगतान एवं लेखा णाली लागू होने पर उपकोषागार के<br />

लेखे पूव क भांित स बधत कोषागार म जोड दया जाय।<br />

15- प-1 से डाटा बेस बनाने हेतु ित य रकाड क डाटा इ एवं सह होने क पु होने<br />

पर कोषागार के कमचारय ारा अितर त काय के प म 0 1.50 (एक 0 पचास पैसे) मानदेय भुगतान<br />

अथवा अिधकतम इसी दर पर कोषागार अिधकार अनुब ध पर डाटा इ करा सकते है। महालेखाकार को<br />

िनधारत ितिथ पर पूव क भांित पोटंग िशयूल (47 क एवं 47 ख) भुगतान के वाउचर, िल ट ऑंफ<br />

पेमे ट आद िनधारत ितिथ पर पूववत भेजा जाय तथा वभागा य/बजट िनयंण अिधकार महालेखाकार


165<br />

कायालय म बी0एम0-12 एवं कोषागार के अिभलेख के आधार पर ितमाह के लेखे का िमलान पूव क भांित<br />

करगे।<br />

16- रा य सूचना वान के (एन0आई0सी0) क रा य एवं जला इकाई ारा सापटवेयर के<br />

अ याविधक (अपडेट) करने तथा िशण म पूरा सहयोग दया जाय तथा कोषागार के क यूटर म गितरोध<br />

उ प न होने पर आपात थित म हाडवेयर क भी सुवधा उपल ध करायी जाय।<br />

17- एन0आई0सी0 क सं तुितय के आधार पर बजट ावधान के अधीन िनदेशक कोषागार एवं<br />

व त सेवाय ारा वांिछत हाडवेयर/सापटवेयर आद कोषागार/उपकोषागार को उपल ध कराया जाय।<br />

18- एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली लागू होने पर अखल भारतीय सेवा तथा कितपय रा य<br />

सेवा संवग म लागू वत: आहरण-वतरण अिधकार (से फ ड0ड0ओ0) क णाली वत: समा त हो<br />

जायेगी, पर तु स बधत वेतन पच को ठ ारा वेतन पच पूववत जार क जायेगी।<br />

कृ पया उपरो त आदेश का कडाई से समयब अनुपालन सुिनत कया जाय।<br />

संलग ्नक:- उपरो तानुसार।<br />

भवदय<br />

इन ्दु कु मार पा डे<br />

सिचव, व त।<br />

संख ्या 235(1)/21/व0अनु0-1/2001, त दनांक।<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:-<br />

1- महालेखाकार, उ तराख ड, ओबराय मोटर बडग, सहारनपुर रोड, देहरादून।<br />

2- सम त मुख सिचव/सिचव, उ तराख ड शासन।<br />

3- सम त वभागा य एवं कायालया य, उ तराख ड।<br />

4- सम त आहरण-वतरण अिधकार, उ तराख ड।<br />

5- सम त कोषागार अिधकार, उ तराख ड ।<br />

6- रज ार, मा0 उ च यायालय, नैनीताल, उ तराख ड।<br />

7- रेजीडे ट किम नर, उ तराख ड, नई द ली।<br />

8- सम अिधकार, वेतन पच को ठ।<br />

9- उ तराख ड शासन के सम त अनुभाग।<br />

10- मु य बंधक, रजव बक ऑंफ इडया, माल रोड, कानपुर।<br />

11- मु य बंधक, टेट बक ऑंफ इडया तथा अ य िशयूल बक क मु य शाखा तथा अ य,<br />

कोआपरेटव बक, उ तराख ड।<br />

12- वर ठ तकनीक िनदेशक, एन0आई0सी0 रा य इकाई- देहरादून।<br />

आा से<br />

के 0 सी0 िम,<br />

अपन सिचव।


166<br />

शासनादेश सं या 235/21/व0अनु0-1/2001<br />

दनांक 06 दस बर, 2001 का संल नक<br />

प- 1<br />

भुगतान एवं लेखा णाली हेतु कमचार/अिधकार के स ब ध म थम बार सूचना<br />

1. पूरा नाम (कमचार/अिधकार) (ह द म)<br />

(अंेजी म)<br />

2. पता/पित का नाम<br />

3. ज म ितिथ<br />

4. िनयु क ितिथ<br />

5. थम िनयु का पदनाम<br />

6. वतमान पद<br />

7. वतमान, पद पर िनयु क ितिथ<br />

8. वतमान पद का वेतनमान<br />

9. कमचार थाई/अ थाई है<br />

10. यद सले शन ेड पा रहे है तो वेतनमान<br />

ोन ्नित/अगले वेतनमान म<br />

10(1) यद वेतन बृ के प म सले शन ेड पा रहे ह<br />

तो वेतन बृ<br />

11. या परवार क याण योजना के अ तगत लाभ पा रहे है (वेतन बृ)<br />

12. वेतनमान वेतनमान म वेतन बृ क ितिथ<br />

13. बक का नाम वेतन हेतु जस बक म खाता खुला है<br />

14. बक खाता सं या<br />

15. आर0ड0 खाता सं या<br />

16. जी0पी0एफ0 खाता सं या<br />

17. ड0ड0ओ0 कोड<br />

18. वभाग का नाम<br />

19. अिध ठान का नाम/कायालया य का पदनाम (पता सहत)<br />

20. लेखा शीषक जससे वेतन आहरत<br />

कया जाता है<br />

21. आयोजनागत/आयोजने तर (मत देय/भारत)<br />

22. अनुदान सं या<br />

23. जस ितिथ से सीधे कोषागार से वेतन भुगतान कया जाता है


167<br />

उस ितिथ को अनुम य परलधय।<br />

1. मूल वेतन<br />

2. वैयक वेतन<br />

3. वशेष वेतन<br />

4. अ य वेतन<br />

5. नान ेटस भ ता (एन0पी0ए0)<br />

वेतन का योग<br />

6. महंगाई भ ता<br />

7. पवतीय वकास भ ता/सीमांत े भ ता<br />

8. मकान कराया भ ता<br />

9. नगर ितकर भ ता<br />

10. धुलाई भ ता<br />

11. िनयत याा भ ता<br />

12. वद भ ता<br />

13. पु ताकालय भ ता<br />

14. ितिनयु भ ता<br />

15. परयोजना भ ता<br />

16. सिचवायल भ ता<br />

17. क यूटर भ ता<br />

18. िस योरट भ ता<br />

19. वाहन भ ता<br />

20. िनयत टेशनर भ ता<br />

21. पु टाहार भ ता<br />

22. ी ट/शीत/मौसम भ ता<br />

23. (1) अ य भ ता (नाम सहत).<br />

(2) अ य भ ता<br />

. (3) अ य भ ता<br />

(4) अ य भ ता<br />

अन ्य भ त का योग<br />

24. अंतरम सहायता<br />

।.<br />

।।.<br />

।।।<br />

.25. अंतरम सहायता का योग<br />

कु ल देय<br />

द0 31 दस बर 2001/31<br />

माच 2002 को देय थित के<br />

अनुसार


168<br />

कटौितयॉं:-<br />

1. मकान कराया कटौती<br />

2. (1) सामूहक बीमा िनिध<br />

(2) सामूहंक बचत िनिध<br />

3. (1) पुिलस वभाग के कमचारय क सामूहक बीमा िनिध<br />

(2) पुिलस वभाग के कमचारय क सामूहक बचत िनिध<br />

4. ोत पर आयकर क कटौती<br />

5. अ य कटौती<br />

।.<br />

।।.<br />

।।।.<br />

6. सरकार वाहन योग क कटौती<br />

7. सामा य भव य िनिध क िनयिमत कटौती<br />

8. सामा य भव य िनिध क अिम क धनरािश<br />

9. सामा य भव य िनिध अिम क कटौती क दर ित माह<br />

10. गत माह तक क गई कु ल कटौती क धनरािश<br />

11. वगत माह तक कु ल कतनक क त क कटौती क जा चुक है, सं या<br />

12. अित कटौती क कु ल क त<br />

13. ऐरयर से सामा य भवष ्य िनिध म कटौती<br />

सामान ्य भव य िनिध का कु ल योग :<br />

14. भवन िनमाण अिम क धनरािश<br />

15. भवन िनमाण अिम कटौती क दर ितमाह<br />

16. वगत माह तक कटौती क कु ल धनरािश<br />

17. िगत माह तक कटौती क गई कु ल क त क सं या<br />

18. भवन िनमाण अिम क कु ल क त<br />

19. भवन मर मत अित क धनरािश<br />

20. भवन मर मत कटौती क दर ित माह<br />

21. वगत माह तक क गई भवन मर मत अित क कु ल धनरािश<br />

22. वगत माह तक क गई भवन मर मत अिम कटौती क कु ल क त क सं या<br />

23. भवन मर मत अिम क कु ल क त<br />

24. मोटर वाहन अिम क धनरािश<br />

25. मोटर वाहन अिम क कटौती क दर ित माह<br />

26. वगत माह तक क गई मोटर वाहन अिम क कु ल धनरािश<br />

27. अ य वाहन अिम क धनरािश<br />

28. अ य वाहन अिम क कु ल धनरािश<br />

29. अ य वाहन अिम क कटौती क दर


169<br />

30. अ य वाहन अिम क कु ल क त क सं या<br />

31. भवन अिम पर देय याज एवं क त सं या<br />

(कु ल क त/वतमान कसत)<br />

32. भवन मर मत अिम पर देय याज एवं क त सं या (कु ल क त/वतमान क त)33. वाहन अिम<br />

पर देय याज एवं क त सं या (कु ल क त/वतमान क त)34. क यूटर अिम पर देय<br />

याज एवं क त सं या (कु ल क त/वतमान क त)35. अ य अिम पर देय याज एवं<br />

क त सं या (कु ल क त/वतमान क त)36. आर0ड0 क कटौती क धनरािश<br />

37. सोसाइट क कटौती क धनरािश<br />

38. क यूटर अिम क धनरािश<br />

39. क यूटर अिम क कटौती क दर ित माह<br />

40. क यूटर अिम क क त सं या (कु ल क त/वतमान क त)<br />

41. अ य अिम क धनरािश<br />

42. अ य अिम क कटौती क दर<br />

43. अ य अिम क क त सं या (कु ल क त/वतमान क त)<br />

कु ल कटौितयॉं:<br />

शु धनरािश<br />

माणत कया जाता है क उपरो त पद शासन ारा िनधारत माप द ड/याओं के अधीन है<br />

तथा सेवा तका/सेवा ववरण/अिभलेख के यगत माणीकरण शत ितशत िमलान कर िलया गया है।<br />

आहरण वतरण अिधकार का नाम/कोड<br />

पर का पूरा नाम पता<br />

कायालया य का नाम<br />

पद का पूरा नाम पता<br />

हस ्तार<br />

ह तार


170<br />

शासनादेश सं या 235/21/व0अनु0-1/2001<br />

दनांक 06 दस बर, 2001 का संल नक<br />

माह म होने वाले परवतन का सारांश<br />

प- 1<br />

1. कायालय का नाम<br />

2. वभागीय आहरण वतरण अिधकार का नाम<br />

3. आहरण वतरण अिधकार का कोड<br />

4. अनुदान सं या<br />

5. लेखा शीषक<br />

आयोजनागत/आयोजने तर/मतदेय/भारत<br />

6. कु ल कमचार/अिधकारय क सं या<br />

जनका वगत माह वेतन आहरण कया गया<br />

7. कु ल कमचारय/अिधकारय क सं या<br />

जनका वतमान माह म वेतन आहरत कया जाना है<br />

8. कु ल कमचारय/अिधकारय क सं या<br />

जनका वतमान माह म वेतन आहरत नहं कया जाना है<br />

आहरण वतरण अिधकार के ह तार


171


शासनादेश सं या 235/21/व0अनु0-1/2001<br />

दनांक 06 दस बर, 2001 का संल नक<br />

प- 2(1)<br />

पूव माह के आहरण से विभ न आहरण होने पर मा परवतन सूिचत कया जाय<br />

एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली के अधीन वेतन आहरत करने वाले यय के माह<br />

वष<br />

म होने वाले परवतन का ववरण कायालया य<br />

वभागीय आहरण वतरण अिधकार का<br />

नाम कोड सं या अनुदान सं या<br />

लेखा शीषक<br />

क0 सं0<br />

पदधारक का नाम<br />

पदनाम<br />

स0भ0िन0 खाता सं0<br />

माह म कतने<br />

दन अनुपथत रहे<br />

स ्थानान ्तरण/ वेतन रोकने<br />

का ववरण<br />

िनलग ्बन/ सेवा िनवृत का ववरण<br />

वेतन/भ त म परवतन<br />

का ववरण<br />

परवितत वेतनमान<br />

आदेश दनांक<br />

यद गत माह म अिधक भुगतान हो,<br />

वसूली का ववरण<br />

कटौितय म परवतन का ववरण<br />

अभ ्यु<br />

1 2 3 4 5 6 7 8/1 8/2 8/3 9 10 11/1 11/2 11/3 11/4 12<br />

अिम के<br />

वेतन/भ ता का नाम जसम<br />

परवतन कयाजाना है<br />

धनरािश<br />

पदनाम/ वेतनमान म परवतन<br />

मद का नाम (जैसे स0भ0िन0 म<br />

कटौती, स0भ0िन0 अिम,<br />

जी0आई0एस0/आयाकर मकान<br />

कराया आद)<br />

मामल म<br />

क त म<br />

परवतन<br />

क त<br />

सं0/कु ल<br />

क त सं0<br />

ाितमाह परवतन दर<br />

धन रािश<br />

1<br />

2<br />

3<br />

1<br />

2<br />

3<br />

नोट:- 1. परवतन स ब धी जो आदेश संल न कये जाने ह, संल न कया जाय।<br />

2. येक माह 20 तारख से 22 तारख के म य सूचना कोषागार म ाप ्त कराना आव यक है।<br />

आहरण वतरण अिधकार के ह तार


वभागाध ्य, मुख कायालया य तथा आहरण एवं वतरण अिधकारय के लेख क आ तरक<br />

लेखा परा हेतु चेक ब दु<br />

1. बजट आंटवन एवं यय के मामले<br />

(क) 1- विभ न अनुदान के अ तगत आय- यय म पवधिनत धनरािश के अ दर ह िनयंक<br />

अिधकार ारा अधीन थ अिधकारय को वतरत कया गया है।<br />

2- या बजट आवंटन के स ब ध म शासनादेश सं या-बी-1195/दस-16-94, दनांक 6-6-94 के<br />

ावधान का सह ढंग से पालन कया जा रहा है<br />

(ख) या वतरत क गयी धनरािशय क व िनयंक अिधकार ारा के य िनयंक रज टर<br />

म क गयी है<br />

(ग) या िनयंक अिधकारय और वभागा य ारा पुनवरण तथा पुनविनयोग के अिधकार<br />

पर लागू ितब ध का उ लख तो नहं कया गया है<br />

(घ) िनयंक अिधकारय ारा अपने अधीन थ आहरण एवं वतरण अिधकारय से मािसक यय<br />

ववरण प बी0एम0-8 ा त करके उनका इस योजन हेतु रखे गये प बी0एम0-10 म<br />

संकलन कया जाता है।<br />

(ड) या प बी0एम0-12 और बी0एम0-13 मश: महालेखाकार और शासन को भेजा जा रहा है<br />

(च) वभागीय यय के आंकड का महालेखाकार के पु तांकत आंकड से मािसक िमलान बजट<br />

मैनुअट के तर 123 के अनुसार करते हुए उसक गित क समीा क थित देखी जाये।<br />

(छ) महालेखाकार ारा तुत विनयोग लेखे म इंिगत बजट ावधान से अिधक एवं कम यय<br />

मामल म अनुपालन आ या के ेषण क थित देखी जाये।<br />

(ज) आहरण एवं वतरण अिधकार ारा आवंटत धनरािश से अिधक का यय तो नहं कया गया<br />

है। उनके ारा मािसक यय वतरण बी0एम0-8 अनुवत माह क 5 तारख तक वह िनयंक<br />

अिधकार को भेजा जा रहा है।<br />

2. कै शबुक<br />

(1) सवथम कै शबुक म देखा जायेगा क कोषािधकार/आहरण एवं वतरण अिधकार ारा पृ ट<br />

काउं टग माण-प ार भ म दे दया गया है।<br />

(2) कै शबुक क हर व पर आहरण एवं वतरण अिधकार के लघु ह तार ह।<br />

(3) ारभक अवशेष व अतम इितशेष का स यापन ह।<br />

(4) कै शबुक म ाि प का िमलान फाम 385 रसीद बुक तथा कोषागार से आहरत धनरािश<br />

बल रज टर-11 सी एवं सहायक रज टर यथा वेतन बल रज टर, याा भ ता बल<br />

रज टर क ◌ाटजे ट रज टर, आर0ट0आर0 (इनवड) रज टर, गाड अनुरण रज टर<br />

टेलीफोन/ंककाल रज टर, कायालय बडग रज टर अ ◌ाद से वयॉं चेक कर ली<br />

जाय।<br />

(5) कै शबुक के यय प/िनगमन प क पु हेतु भुगतान िचटटा (ए यूटे स रोल)<br />

आर0ट0आर0 आउट वड रज टर म देख कोषागार म जमा क गयी धनरािश का िमलान<br />

ेजर चालान का स बधत पंजी से कर।


173<br />

(6) कै शबुक म चेक कर क कसी अवशेष धनरािश के अवतरत होने पर उसे 3 माह के भीतर<br />

कोषागार म जमा करा दया गया हो।<br />

(7) कोषागार म जाकर वहॉं के अिभलेख से भी आय/ यय प का स यापन स परा क<br />

कै शबुक से कर।<br />

(8) रोकड रखने के िलए रोकड पेट दवाल म गाड गयी हो जसक एक चाभी कै िशयर के पास व<br />

दूसर चाभी आहरण एवं वतरण अिधकार के पास ह तथा दोन चािभय क डु लौके ट<br />

चािभयॉं कोषागार म जमा करा द गयी ह।<br />

(9) माह के अ त म अवशेष कै श का आहरण वतरण अंकत अिधकार ारा ववरण अंकत<br />

कराते हुए भौितक स यापन कया जाना चाहए। ववरण म बना भुने देयक/चेक भी दशाये<br />

जाने चाहए।<br />

(10) जब कोई चेक या ापट ा त हो उसक धनरािश को िनधारत त भ म दशाकर लाल याह<br />

से ाि म दखायी गयी होना चाहए।<br />

(11) थायी अिम के व यय ितपूित क पंजी होनी चाहए। जॉंच के साथ ह अवशेष थायी<br />

अिम क धनरािश का वणन आ या म कया जाना चाहए। थायी अिम के कये गये<br />

यय क ितपूित मासा त तक व तीय िनयम संह ख ड-5 भाग-1 तर 67 के अ तगत<br />

क गयी है।<br />

(12) कसी मद का कै शबुक म अवशेष धन अ य दूसर मद म तो यय नहं कया गया है।<br />

(13) आहरत/विभ न ोत से ा त धनरािश ाि के दनांक को ह कै शबुक म दशाई जानी<br />

चाहए। इसी कार वतरण क धनरािश वतरण क ितिथ को ह कै शबुक के यय प म<br />

दशाई जानी चाहए।<br />

(14) कै शचे ट क चाभी-पंजी देखी जाये, क चािभय का आदान-दान दशाया जा रहा है।<br />

(15) देख जाये क कै िशयर से उपयु त, जमानत क गयी है वशेष वेतन यद वीकृ त हुआ है तो<br />

वह सुसंगत शासनादेश के अ तगत सह हुआ ह। कायालया के कै िशयर क ितभूित क<br />

धनरािश व तीय िनयम संह ख ड-5, भाग-1 के तर-70 के अनुप है। अनाव यक<br />

अिधक धनरािश क ितभूित तो नहं ली गई है, जस पर बढकार वशेष वेतन वीकृ त कया<br />

गया हो, यह भी देख िलया जाये क जमानत क धनरािश पास बुक म हर माह जमा हो रह<br />

है।<br />

3. कै श रसीट रज टर<br />

(क) कायालय म उपल ध सभी कै श रसीद प 385 पंजी म अंकत क गई हो।<br />

(ख) रसीद बुक म पृ ठ मुांकत ह।<br />

(ग) रसीद िनयमानुसार काट गई ह तथा रसीद बुक के पूण होने पर अंितम पृ ठ पर आहरण एवं<br />

वतरण अिधकार ारा आव यक माण-प अंकत कया गया हो।<br />

4. ितभूित पंजी (से यूरट रज टर)<br />

(क) जमानत रज टर िनधारत प पर बनाया गया हो व कमचारय से ली जाने वाली जमानत<br />

क धनरािश फाम 2-ए/2-ड/2-ई अथवा फाइडेिलट बा ड पर ली गई हो।


174<br />

(ख) वेतन के 10 ितशत के अनुसार काट गई जमानत क रािश िनर तर पो ट आफस म जमा<br />

क जा रह हो तथा पासबुक म सभी वय ह।<br />

(ग) कै िशयर के पास बाक रोकड उसके ारा जमा कराई गई ितभूित से अिधक न हो।<br />

5. वेतन बल रज टर<br />

(क) वेतन बल म जन कमचारय को वेतन आहरत हो रहा है, उन कमचारय के पद क<br />

वीकृ ित देख।<br />

(ख) वेतन क पु शासनादेश के अंतगत वीकृ त वेतनमान व सेवापुतका म वीकृ त वेतन के<br />

आधार पर कर। दता रोक पार करने से स बधत सम अिधकार क वीकृ ित देख।<br />

(ग) अ य भ त के िलए लागू शासनादेश व यगत पावली देख।<br />

(घ) भव य िनवाह िनिध एवं सामूहक बीमा योजना क सह कटौती िनयिमत प से क जा रह<br />

है।<br />

(ड) कमचार ारा िलये गये ऋण/अिम के क त क वसूली वेतन बल से िनयिमत प से क<br />

जा रह है।<br />

(च) एरयर वप से स बधत मूल वप म आहरण का संदभ दया जा रहा है।<br />

6. भुगतान पंजी (ए यूटे स रोल)<br />

(क) वेतन भुगतान पंजी का रख-रखाव अलग से िनधारत प पर कया गया है।<br />

(ख) भुगतान के समय ा तकता के ह तार रेव यू टे प पर ितिथ सहत िलये गये ह।<br />

(ग) जस ितिथ को भुगतान कया गया हो उसी ितिथ को कै शबुक के यय प म अंकत कया<br />

गया हो।<br />

(घ) भुगतान होने के बाद आहरण, वतरण अिधकार को यह माणत करना चाहए क भुगतान<br />

उनके सम कया गया हो।<br />

7. सामा य भव य िनिध लेखा<br />

(क) चतुथ ेणी, तृतीय ेणी एवं उससे उ च तर के सरकार सेवक के जी0पी0एफ0 लेखे<br />

िनधारत ाप पर तैयार कये गये ह तथा पासबुक पूण ह।<br />

(ख) जी0पी0एफ0 पासबुक, लेजर, ाडशीट म वय का िमलान वेतन बल से कर।<br />

(ग) शासनादेश के अनुसार याज क सह गणना चेक कर।<br />

(घ) ाडशीट म लेखा रखा गया है। पासबुक अधाविध पूण है और येक व आहरण, वतरण<br />

अिधकार ारा ह तारत है।<br />

(ड) सेवािनवृत अथवा मृतक कमचारय को उनके भव यिनिध म जमा धनरािश का 90 ितशत<br />

भुगतान हुआ है, या नह।<br />

8. सेवापुतका<br />

(क) सेवा पुतका म वय अघाविधक क गई ह।<br />

(ख) सेवा पुतका म कमचार का भव य िनवाह िनिध का नामांकन, सामूहक बीमा योजना का<br />

नामांकन, े यूट का नामांकन व पुनरत वेतनमान म दया गया वक प चेक कर।


175<br />

(ग) ोषत वेतनमान व पुनरत वेतनमान म वेतन िनधारण के औिच य को चेक कया जाये।<br />

(घ) यगत पावली क मदद से वेतन िनधारण, िनल बन आद क वयॉं देखी जाय।<br />

(ड) परवार कल ्याण कायम के अ तगत वीकृ त वैयक व एल0ट0सी0 क व सेवा<br />

पुतका म अंकत क गई ह। इसके अितर त सम त कार के अवकाश अजत अवकाश<br />

क वय सेवा पुतका म अंकत क गई ह।<br />

(च) सेवा िनर तरता समय-समय पर स यापत क गई ह।<br />

(छ) कमचारय का सेवा स यापन माण-प ितवष िनगत कया जा रहा है।<br />

(ज) सेवा पुतका के थम पृ ट पर कमचार का ववरण येक 5 वष के अ तराल पर<br />

स यापत हो रहा है और हसतार दनांक के साथ है। थम पृ ट पर सभी वय प अ<br />

प से भर गई है तथा कटग या एरेजर न ह।<br />

9. याा भ ता रज टर<br />

(क) याा भ ता बल का रज अर िनधारत प पर हो।<br />

(ख) बल अनुमोदत कायमानुसार हो एवं याा समाि के एक वष के भीतर लेम तुत कर<br />

दया गया हो। बल के साथ िनयंक अिधकार क याा अनुमोदन क वीकृ ित संल न क<br />

जाये।<br />

(ग) याा भ ता बल क जॉंच व तीय िनयम संह ख ड-3 व लागू शासनादेश क वीकृ त दर<br />

के अनुसार कर। यद याा भ ता अिम िलया गया हो तो उसका समायोजन कर दया गया<br />

हो।<br />

(घ) याा भ ता मद म वीकृ त बजट से अिधक धनरािश कोषागार से आहरत न क गई हो।<br />

(ड) अिम क थित म उसके समायोजन हो गये ह।<br />

10. आकमक यय पंजी (कटजे ट रज टर)<br />

(क) आकमक यय वप का िमलान लेखन सामी पंजी, टेलीफोन/ंककाल पंजी, पाट टाइम<br />

वीपर वेतन बल वह कै शबुक से कर।<br />

(ख) सामान के य म टोर य िनयम का अनुपालन कया गया हो।<br />

उदाहरणाथ य के पूव म िनयमानुसार टे डर/कोटेशन आमंत कया गया है।<br />

(ग) आकमक यय से स बधत सम त वप सु यवथत ढंग से रखे गये ह एवं य कये<br />

गये माल से स बधत वाउचर पर वे ता क वकर रज ेशन सं या एवं भावी होने<br />

क ितिथ अंकत हो।<br />

(घ) भुगतान के उपरा त सभी वप पर ‘पेड ए ड कै स ड’ का मोहर लगा द गई हो।<br />

(ड) आकमक यय से स बधत सभी वयॉं कटजे ट पंजी म अंकत हो तथा आहरण एवं<br />

वतरण अिधकार ारा ह तारत हो।<br />

(च) आकमक यय वीकृ त धनरािश से अिधक न हो।<br />

(छ) के य बकर लागू दर से िलया गया हो तथा खरद के समय वे ता फाम-3(ड) िनगत<br />

कया गया है।<br />

(ज) आयकर अिधिनयम, 1961 क धारा 194(सी) के अनुसार ठेके दार का भुगतान करते समय<br />

काय संवदा पर िनयमानुसार ोत पर आयकर क कटौती क गई हो।


176<br />

(झ)<br />

सामी अिम धनरािश से य क गई हो तो समायोजन क थित देखी जाये।<br />

11. लेखन सामी लेखा<br />

(क) राजकय मुणालय से ा त टेशनर क वयॉं पंजी म चेक कर।<br />

(ख) लेखन सामी क थानीय खरद का औिच य उपभोग के साथ देख। थानीय शासनादेश के<br />

अ तगत िनयमानुसार कया गया हो तथा सभी खरद क वयॉं पंजी म पूण ववरण य<br />

ितिथ एवं मू य सहत अंकत क गई हो।<br />

(ग) लेखन सामी के थानीय खरद क पु कटजे ट रज टर व कै शबुक से कर।<br />

12. टेलीफोन/ंककाल<br />

(क) टेलीफोन के वप स बधत अिधकार से स यापत कराने के उपरा त भुगतान कये गये<br />

ह।<br />

(ख) पंजी म बाहर काल का ववरण व योजन चेक कर।<br />

(ग) टेलीफोन/ंककाल का बजट देख।<br />

(घ) अिधकारय के आवास के टेलीफोन क पंजी क रखी गई हो।<br />

(ड) यगत काल का भुगतान स बधत य से वसूल हो गया हो।<br />

13. (डेड टाक/क जूमेबेल टाक) पंजी<br />

(क) वतमान म खरद क गई व तुओं का औिच य चेक करते हुए कटजे ट रज टर से िमलान<br />

कया जाये।<br />

(ख) पंजी म व तुओं का पूण ववरण मू य व य क ितिथ अंकत कया गया हो।<br />

(ग) न ट होने वाले तथा न ट न होने वाले व तुओं का लेखा पृथक-पृथक पंजी म अंकत कया<br />

गया हो।<br />

(घ) वाषक भौितक स यापन हुआ है क नहं तथा स यापन का माण-प दया गया है।<br />

(ड) नष ्ट होने यो य या सेवा आयो य व तुऍं अिधक समय से यद टाक म दिशत है तो<br />

उनक नीलामी के आद क यव था न होने का औिच य देखा जाये।<br />

(च) अनुपयोगी व तुओं क वाषक भौितक स यापन कया गया हो तथा उ ह नीलाम कर ा त<br />

धनरािश को कोषागार म जमा करा दया गया हो।<br />

14. सरकार डाक टकट लेखा<br />

(क) डाक टकट का रख-रखाव ठक ढंग से कया गया हो तथा दैिनक अवशेष िनकाला गया हो।<br />

(ख) कोषागार एवं पो ट आफस से ा त सरकार डाक टकट क पु आहरण (डा्ल) से कर<br />

तथा टकट के यय क पु ेषण रज टर से कर।<br />

(ग) माह के अ त म टकट क िगनती कर स यापन माण-प म अंकत हो गया हो।<br />

15. कायालय भवन पंजी<br />

(क) बडंग के मािलक एवं सरकार के बीच कराये गये अनुब ध-प सुरापूवक रखे गये ह।<br />

(ख) कराये के भुगतान क मािसक वयॉं पंजी म अंकत क गयी हो।<br />

16. आवासीय भवन पंजी


177<br />

(क) या आवासीय भवन क पंजी उपल ध है, और येक भवन म पंखे आद चल स पि का<br />

स यापन िनयमानुसार हो रहा है<br />

(ख) या आवासीय भवन के अ यािसय से कराये क िनयिमत वसूली हो रह है<br />

(ग) अवशेष कराये क वसूली के या उपाय कये गये है<br />

(घ) अ यासीवार अवशेष दािय व स ब धी पंजी के आधार पर कु ल बकाया धनरािश।<br />

17. गाड अनुरण तथा लाग बुक<br />

(क) गाड क ह शीट ठक ढंग से रखी गयी हो।<br />

(ख) गाड के अनुरण पर यय, सम अिधकार क वीकृ ित उपरा त दया गया हो एवं पुराने<br />

पुज क वय स बधत पंजी म दज क गयी हो।<br />

(ग) लाग बुक क सभी वयॉं उिचत एंग से भर गयी ह। उसक मािसक समर पेोल/डजल<br />

के यय का औसत िनकालने हेतु भर जा रह है।<br />

(घ) देख क गाड का लाग बुक िनयिमत प से भर जा रह है और डजल/पेोल के यय<br />

मर मत का ववरण दया जा रहा है।<br />

(ड) लाग बुक म याा कहॉं क गयी है, प ट भरा जाये।<br />

व ्यगत योग के स ब ध म अपेत धनरािश जमा क जा रह है। यगत<br />

योग हेतु माह म गाड 200 कमी से अिधक तो नहं चली है। यद चली है तो अिधक<br />

चलने क थित म शासन ारा िनधारत दर से वसूली होना चाहए।<br />

19. वाहन अिम एवं भवन िनमाण/मर मत अिम तथा यगत क यूटर स ब धी लेखे<br />

(1) उ त अिम के सापे या सभी कागजात यथा ब ध प तुत कर दये गये है।<br />

(2) यह जॉंच कजए क अिम क याज सहत िनयिमत वसूली हो रह है या अ य<br />

कमचारय/अिधकारय से याज सहत वसूली पूण हो गई है<br />

(3) भूिम और भवन के य तथा िनमाण के स ब ध म अिम धनरािश भुगतान के पूव या<br />

सभी यय से ब धक प ा त कर िलये गये है<br />

(4) जन कमचारय/अिधकारय से याज सहत वसूली पूण हो गई ह या उनके ब धक प<br />

मु त कर दये गये है<br />

20. टे डर पाविलयॉं<br />

(क) टे डर िनयमानुसार एवं समय से आमंत कये गये ह।<br />

(ख) टे डर फाम क िनधारत शु क पर ब, बकर एवं टे डर से ा त सार धनरािश को<br />

कोषागार म जमा करा दया गया हो।<br />

(ग) टे डर क वीकृ ित से पूव वर ठतम व त एवं लेखा सेवा के अिधकार क सं तुित ा त क<br />

गई है तथा यूनतम से अिधक दर वाले टे डर पास करने पर उसके औिच य को दशाया गया<br />

हो।<br />

21. है डिलंग/परवहन ठेके दार क िनयु एवं जमानत<br />

हैण ्डिलंग/परवहन ठेके दार क िनयु आमंत टे डर क शत के आधार पर क गई हो।<br />

22. सेवा स ब धी मामले


178<br />

(क) वभागीय कायवाह के मामल म यद िनल बन के कोई मामले ह तो देखा जाना चाहए क<br />

कोई कमचार यद 6 माह से अिधक समय से िनलबत चल रहा है तो उसके िनलबत<br />

रहने के या कारण हे तथा शासन का धन यथ म िनवाह भ ते के प म िनर तर भुगताना<br />

तो नहं कया जा रहा है या इन कचारय के मामल का परण शासिनक तर पर<br />

कया जा रहा है<br />

(ख) कायालय हेतु वीकृ त टाफ से अिधक टाफ तो नहं लगा है यद लगा है तो उसके या<br />

कारण है फ ड टाफ कायालय से स ब होने क थित म यह हो सकता है क उसक<br />

फ ड हेतु आव यकता नहं है और उस पर होने वाले यय को बचाया जा सकता है।<br />

23. य सिमित का गठन<br />

(क) या वभाग म सिमित का गठन कया गया है और उसक सं तुित के आधार पर य क<br />

कायवाह क गई है य सिमित म व त एवं लेखा सेवा के वर ठतम अिधकार को सद य<br />

के प म रखा गया है या नहं<br />

(ख) या सभी व तीय मामल म लेखािधकार से (यद वह कायालय म तैनात रहा हो) परामश<br />

िलया गया है<br />

24. आडट आपियॉं<br />

(क) महालेखाकार, उ तर देश, इलाहाबाद क आडट आपियॉं यद अवशेष है तो उनका या<br />

कारण है<br />

(ख) कतने ितवेदन क थम अनुपालन आ या नहं ेषत क गई है<br />

(ग) अिन तारत आपिय के िन तारण हेतु या कावाह क गई है<br />

(घ) लोक सेवा सिमित ारा इंिगत कतने तर क अनुपालन आ या ेषत क गई है अवशेष<br />

तर क या थित है<br />

(ड) ापट/आडट तर क थित या है<br />

25. पशन के मामले<br />

(क) यह देखना क कतने कमचार आगामी दो वष से सेवािनवृ होने वाले ह, तथा उनके पशन<br />

प क तैयार हेतु िनधारत एवं भावी कायवाह ार भ कर द गई है, जससे समय से<br />

पशन वीकृ त होने म कठनाई न ह।<br />

(ख) कतने अिधकारय/कमचारय को पशन/पारवारक पशन, े युट का भुगतान नहं हुआ है।<br />

सेवाकाल म मृत सरकार कमचार के परवार को पारवारक पशन/मृ यु े युट के मामल<br />

क थित या है<br />

ािय क लेखा परा<br />

1. या वभागीय अिधकारय के ारा यह सुिनत कया जा रहा है क सरकार को देय सभी<br />

धनरािशय को िनयिमत प से अवल बन िनधारत कया जाता है<br />

2. या अधीन थ अिधकारय ारा िनयंक अिधकारय को उपयु त प म मािसक लेखे ओर<br />

ववरणय को ेषत कया जा रहा है


179<br />

3. ववरणय म यह देख िलया गया है क कतनी धनरािश कोषागार म जमा कर द गई है<br />

धनरािशय जो कोषागार म जमा नहं क गई है उसका या कारण हे सरकार ािय का<br />

िमलान कोषागार से त य िनयंक अिधकारय ारा महालेखाकार से कर िलया गया है।<br />

4. वभागीय अिधकारय ारा अपना लेखा कोषागार ारा तैयार कये गये ववरण से संकिलत<br />

तो नहं कया गया है<br />

5. कोषागार तथा वभागीय आंकड म यद कोई अ तर है तो उसका समाधान पूण औिच य के<br />

साथ बनाया गया है या नहं<br />

6. ाि क गई धनरािशय का योग कसी भी दशा म कसी भी मद से यय नहं करना<br />

चाहए िसवाय उस मामले म जहॉं सरकार ने वभागीय ािय को वभागीय यय के िलए<br />

िनद ट प से अनुमित दे द हो।<br />

7. यद सरकार कोई भी देय धनरािश जा वसूल न होने यो य तीत हो तो सम अिधकारय<br />

को उसक पूर रपोट ेषत क गई है या नहं<br />

8. यद यह पता चले क पावना सरकार कमचारय क और से बना पया त कारण के चूक से<br />

वसूल न होने यो य हो गये ह तो जो कमचार दोषी है उससे िनधारत या का अनुवण<br />

करके वह धनरािश पूर क गई है या नहं<br />

9. राज व ाि, अनुमान क तुलना के अनुसार ा त हो रह है या नहं यद नहं हो रह है तो<br />

उसका कारण या है<br />

10. अ य सरकार तथा थानीय िनकाय से जो पावने िमलना है उनक वसूली यथाशी क जा<br />

रह है या नहं<br />

11. वभा म िन न बात के पया त यव था है या नहं<br />

(क) कानून के अधीन मॉग या वापसी के संगणना के िलए आव यक ऑंकड का संकलन और<br />

उनका उपयोग।<br />

(ख) मॉंग, वसूली और वापसी के लेख के रख-रखाव के िलए पया त यव था है या नहं<br />

(ग) ािय के सह लेखांकन वगकरण व उसका संिचत िनिध म जमा करने के पया त यव था<br />

हे या नहं<br />

(घ) कर लगाने, वसूलने और वापिसय को जार करने म कोई चूक न हो इसके िलए या उपाय<br />

है<br />

(ड) कर दाताओं के दाव का त पारता से परसीलन करने तथा उसका पर याग करने या उसके<br />

कम करने रोकने हेतु पया त औिच य क यव था हे या नहं<br />

(च) दोहरे वापिसय, जाली, झूठ वापसी आदेश और अ य राज व हािन क जॉंच त परता से क<br />

जाती है या नहं<br />

(छ) इसके अितर त लेखा परा करते समय वभागीय िनयम म िनधारत यव थाओं का<br />

अनुपालन कया जा रहा ह या नहं इसका यान रखा जाये।<br />

िनयन ्ण वभाग हेतु


180<br />

(1) या िनमाण काय ार भ करने से पूव काय थल के व तृत सवण के प चात ् सम<br />

अिधकार ारा व तृत परक प, ा कलन, व तीय एवं ाशसिनक वीकृ ित दान कर द<br />

गयी है।<br />

(व तीय िनयम संह ख ड-6 िनयम 318.375)<br />

(2) या काय बा तव म स पादत होने पर ह यय को उ त काय के व डेबट कया गया<br />

है।<br />

(व तीय िनयम संह ख ड-6 िनयम 375)<br />

(3) या भूिम पर िनमाण काय ार भ होने के पूव नगत भूिम िसवल अिधकारय ारा<br />

विधवत ् उपल ध करा द गयी थी।<br />

(व तीय िनयम संह ख ड-6 िनयम 378)<br />

(4) या माप करने वाले अिभयंता ने काय या आपूित को मा पुतका म प ट एवं सह –<br />

सह मू यांकन कया है तथा ख डय अथवा उप ख डय अिधकार ने भुगतान करने के पूव<br />

इसे सुिनत कर िलया है।<br />

(व तीय िनयम संह ख ड-6 िनयम 435)<br />

(5) या अ थायी अिम/अदाय का समायोजन अिधकतम दो माह के अ दर कया गया है<br />

और यद नहं तो या पुिलस म एफ0आई0आर0 दज करायी गयी है।<br />

(व तीय िनयम संह ख ड-6 िनयम 172 तथा मुख<br />

अिभयंता के परप सं या -14 पी0ड यू0-970-<br />

एम0ट0/52ए-14-89 दनांक 22-2-89 का तर 1.20)<br />

(6) या िनमाण एजे सी से िनयमानुसार से टेज चाजज (ितशत भार) लेते हुए उसे राजकय<br />

खाते म जमा कया गया है।<br />

(7) या भ डार लेखा ब द कये जाने पर ा त लाभ को शासन के राज व ािय म जमा<br />

कया गया है।<br />

(8) या भ डार एवं टाक से स बधत लेखे क अवाषक मूल ्य लेखा ब द क गयी है।<br />

(व तीय िनयम संह ख ड-6 िनयम 230, 231)<br />

(9) या वष म एक बार अिधशासी अिभयंता ारा भ डार का भौितक स यापन कया गया है।<br />

(व तीय िनयम संह ख ड-6 िनयम 225)<br />

(10) या िनमाण एजेसय को दये गये ऋण पर आरोपज याज उनके ारा शासकय लेखे म<br />

जमा कया गया है।<br />

(ऋण के वीकृ त स ब धी आदेश शत के अनुसार)<br />

(11) या ा कलन म वीकृ ित के पॉंच वष बाद वाषक मर मरत को छोउकर काय ार भ तो<br />

नहं कया गया है<br />

(व तीय िनयम संह ख ड-6 िनयम-380)<br />

(12) या मूल आगणन से अिधक यय क वीकृ ित सम अिधकार ारा दान कर द गयी है।<br />

(व तीय िनयम संह ख ड-6 िनयम 317)


181<br />

(13) या वष म ा त अनुदान का पूण उपयोग सामा य िमत ययता के सा कया गया है तथा<br />

वष के अतम माह म अनुदान को ययगत होने म बचाने के भार यय तो नहं कया गया<br />

है तथा अवशेष धनरािश क समया तगत अ यपत कर दया गया है।<br />

(व तीय िनयम संह ख ड-6 िनयम 68)<br />

(14) या दर के पुनरण के कारण मू य म िभता का ितिनिध व करने वाले वाषक अिधकता<br />

या कमी क धनरािश का ाप लेखा तैयार कया गया है तथा उसे राज व या पूंजी लेखे पर<br />

ाि के प म े डट अथवा टाक पर हािन के प म भारत कया गया।<br />

(व तीय िनयम संह ख ड-6, िनयम 217)<br />

सी0सी0एल0 एवं ड0सी0एल0<br />

1. या आय- ययक म ावधािनत धनरािश क साख सीमा (सी0सी0एल0) जो व त िनयंक<br />

ारा जार क गयी है।<br />

2. या सी0सी0एल0 से अिधक रािश के चेक तो नहं काट दये गये है अथवा अिधक आहरत<br />

तो नहं कया गया है<br />

3. यह देखा जाये क सी0सी0एल0 म अवशेष बची धनरािश को डपाजट साख सीमा<br />

(ड0सी0एल0) म तो अंतरत नहं कर दया गया है अथवा उसे डपाजट म तो नहं जमा<br />

कर दया गया है।<br />

4. सरप स टाक इ टर डवीजनल ा सफर के ा त चेक को लेखाशीषक ‘8782’ म ह जमा<br />

कया गया है इ ह ड0सी0एल0 क मॉंग म तो समिलत नहं कया गया है<br />

5. या सी0सी0एल0 और ड0सी0एल0 का लेखा-जोखा शासनादेश सं या ए-2-3/दस-97-<br />

10(9)/95 दनांक 3 माच, 1997 म उलखत प 2 म रखा जा रहा है<br />

6. या ड0सी0एल0 जार करने के पूव से टेज चाजज क कटौती कर ली गयी है तथा से टेज<br />

चाजज क धनरािश का समायोजन ा सफर इ ारा करते हुए लेखाशीषक को े डट एवं<br />

डपाजट काय शीषक को डेबट कर दया गया है<br />

7. या डपाजट काय के िलए य कये गये टोस/ टाक के िलए अलग से ोफाम एकाउ ट<br />

रखा जा रहा है<br />

पी0एल0ए0 क स परा हेतु चेक ब दु<br />

1. पी0एल0ए0 खोले जाने के स ब ध म महालेखाकार के अिधकार प/शासनादेश क ित।<br />

2. कसी वष से पी0एल0ए0 खोला है<br />

3. पी0एल0ए0 का िनयंक/शासिनक अिधकार कौन है<br />

4. पछले तीन वष के पी0एल0ए0 क थित िन न ाप पर :<br />

वष ारभक अवशेष ाप ्त धनरािश योग व ्यय क गयी अवशेष<br />

धनरािश<br />

1 2 3 4 5 6


182<br />

5. कस उददे य के िलए पी0एल0ए0 क धनरािश ा त हुई है येक ाि के िलए शासनादेश<br />

इ याद क चेकग क जाये।<br />

6. जस उददे य के िलए पी0एल0ए0 क धनरािश ा त हुई उसका उपयोग कब कया गया और<br />

वहॉं कतनी धनरािश अवशेष है येक भुगतान क चेकं ग क जाये उपभोग माणक भुगतान<br />

ाि रसीव इ याद क चैकं ग क जाये।<br />

7. यद पी0एल0ए0 क धनरािश के उपयोग क अविध समा त हो क हो उसके समय बढाने<br />

का शासन का आदेश ा त कया क नहं<br />

8. यद शासन का आदेश पी0एल0ए0 क धनरािश यय कये जाने हेतु नहं बढाया गया है तब<br />

उस धनरािश को स बधत ाि लेखाशीषक के अनतगत कोषागार म जमा करा दया गया<br />

है या नहं<br />

9. पी0एल0ए0 क कतनी धनरािश पी0एल0ए0 से आहरत करके बक या पो ट आफस म<br />

जमा क गयी ह जमा कये जाने क ितिथ, धनरािश, बक का नाम एवं अजत याज एवं इस<br />

कार जमा क गई धनरािशय के िनसतारण क जॉंच।<br />

10. यद पी0एल0ए0 क धनरािश आहरत करके लेटर आफ े डट बक म खोला गया है तो<br />

लेटर आफ े डट खोले जाने क ितिथ, धनरािश, उसका कब उपयोग हुआ और कस योजन<br />

हेतु लेटर आफ े डट खोला गया, उसके िलए कतनी धनरािश शासन ारा वीकृ त क गयी।<br />

11. वभागीय पी0एल0ए0 क पासबुक एवं ेजर क पासबुक का िमलान ित माह कया जाता<br />

है। ितवष बैले स सटफके ट शासन ारा दया जाता ह जसम अ तर का समाधान कया<br />

गया है।<br />

12. पी0एल0ए0 के चेक िनगत माह के अगले महने तक कै श कराये जा सकते ह यद ेजर के<br />

पी0एल0ए0 का बले स वभागीय पी0एल0ए0 के बले स से अिधक है तो अंतर का या<br />

कारण है<br />

13. पी0एल0ए0 क धनरािश कन-कन ोत से ा त होती है<br />

14. उपभोग माण-प उपल ध है।<br />

15. या य के स ब ध म य-वय िनयम का पालन होता है।<br />

16. जस माह म स परा कया गया है उसके पहले माह म कतना अवशेष था।<br />

17. या अनपेयड का ववरण तैयार कया जाता है।<br />

18. या पी0एल0ए0 से धनरािश िनकाल कर डाकघर बचत खाते म डाली जा रह है यद हॉं तो<br />

उसका ववरण।<br />

19. या पी0एल0ए0 क चेक बुक कोषागार से जार क गयी या इनका हसाब रखा गया है।<br />

20. कै स ड या टाइमबाड चेक के स ब ध म या िनयम का पालन हो रहा है।<br />

21- या फाम को भुगतान ा ट चेक या बक ापट ारा कया जाता है।<br />

22. बक ापट रज टर रखा गया है<br />

23. या शासनादेश का रज टर रखा गया है और शासन आदेश अनुसार उपभोग क गयी<br />

धनरािश और अवशेष धनरािश का ववरण उपल ध है।


183<br />

आन ्तरक स परा ट पणी िलखने हेतु ाप भाग-एक (अ)<br />

1. वभागा य/कायालया य का नाम जसके लेख क आ तरक स परा क गयी कायविध<br />

सहत।.........................................................................<br />

2. आहरण-वतरण अिधकार का नाम व कायाकाल।..................................<br />

3. अविध जसके लेख क आ तरक स परा क गयी।..........................<br />

4. स परा दल न सद य के नाम व पदनाम। ....................................<br />

5. स परा क ितिथयॉं।....................................................................<br />

6. पयवेण अिधकार का नाम व पदनाम। ............................................<br />

भाग-एक (ब)<br />

इस भाग म पूव काल म महालेखाकार क स परा के अवशेष ितवेदन के तर के साथ-साथ<br />

वभागीय स परा दल के अवशेष ितवेदन एवं तर क थित य त क जाये।<br />

भाग-दो (अ)<br />

इस भाग म पायी गयी मह वपूण अिनयिमतताओं का उ लेख करते हुए शासकय धनरािश के<br />

दुविनयोग/अिधक भुगतान, टोस एवं भ डार हािन के मामले दशाये जाय। िनयम या आद म आद<br />

कोई कमी हो तो उसे इंिगत कया जाये पर तु कोई नई या बना सम अिधकार क वीकृ त के लागू न<br />

क जाये।<br />

भाग-दो (ब)<br />

सम ्परा म पाई गयी सामा य व तीय अिनयिमतताओं का समावेश इस<br />

भाग म कया जाये।<br />

भाग-तीन<br />

इस भाग म अ य आपय सं त प म अंकत क जाये। जो अिभलेख स परा म तुत न<br />

कये गये ह उनका इस भाग म अिनवाय प से उ लेख कया जाये।<br />

भवदय,<br />

वजय कु मार शमा<br />

सिचव व त।


184<br />

(The) Destruction of Records Act, 1917<br />

THE SECOND SCHEDULE<br />

(See Section 51)<br />

Amendment of Certain Enaotments<br />

[Repealed by the Repsaling and Amending Act, 196, (52 of 1964) Section 2 and Schedule]<br />

[The] DESTRUCTION OF RECORDS ACT, 1917<br />

(Act V of 1919)<br />

[The text of the Act printed here is as on 11-1-1982]<br />

CONTENTS<br />

SECTIONS 4 Validation of former rules for<br />

1 Short title, Extent,<br />

disposal of documents,<br />

2 (Repealed) 5 Saving of certain documents<br />

3 Power to certain suthorities to make rules<br />

for disposal of doumemts,<br />

6 (Repealed)<br />

THE SCHEDULE (REPEALED)<br />

STATEMENT OF OBJECTS AND REASONS<br />

“In present conditions documents are<br />

required to be placed in the custody of<br />

Government officers under a large number of<br />

enactments. In many of these Acts no<br />

provision extsts for the destruction of such of<br />

them as have become valueless. For example.<br />

there is no provision for the destruction of<br />

documents lodged with the registrar of Joint<br />

Stock Companies under the Registration of<br />

Societies Act, 1860 the Provident Insurance<br />

Societies Act, 1912, the indian Life<br />

Assurance Companies Act, 1912, and the<br />

Indian Companies Act, 1913, nor could such<br />

papers be dealt with under the Destruction of<br />

the Act lf 1879 so as to make it conform to<br />

modern requirements. The principal featurs<br />

of the draft bill is that it enpowers cartain<br />

suthorities to frame rules for the disposal by<br />

destruction or otherwise of documents which<br />

they may consider not of sufficient public<br />

value to justify preservation, and provides<br />

for the delegation to subordinate officers of<br />

the rule-making powers vested in the Local<br />

Governmen. The rule-making powers<br />

already vested in the High Courts and the<br />

Chief Controlling Revenue authorities by<br />

Act III of 1879 will not be affected by this<br />

Bill. To avoid overlapping, it is proposed to


Records Act, 1879, as it stands. It is<br />

accordingly proposed to repeal and re-enact<br />

185<br />

repeal the provisions of the enactments<br />

mentioned in the Schedule”<br />

Gazette of India, 1917, Part V, P, 2.<br />

ACT HOW AFFECTED BY SUBSEQUENT LEGISLATION<br />

- Adapted by A.O., 1937; A.L.O., 1950, 3 A.L.O., 1956,<br />

- Adapted by Meghalaya A.L.O., 1973,<br />

- Amended by Andhra Pradesh Act 3 of 1962; Madhya Pradesh Act 21 of 1965; Mysore Act 3<br />

of 1963 and U.P., Act 12 of 1922.<br />

- Extanded by Acts 59 of 1940; 30 of 1959; 26 of 1968; Regns 4 and 5 of 1930; 12 of 1962 and 8 of<br />

1965.<br />

- Andhra Pradesh Act 3 of 1962.<br />

- Bom, Act 4 of 1959.<br />

- Kerala Act 2 of 1962.<br />

- Madhya Pradesh Acts 12 of 1950; 21 of 1965;<br />

- Mysore (now Karnataka) Act 3 of 1963,<br />

- Punjab Act 5 of 1959,<br />

- Tamil Nadu Act 22 of 1957,<br />

- To Manipur, Tripura & V.P., by Act 30 of 1950,<br />

- To Goa, Daman and Diu by Regn, 12 of 1962;<br />

- To Laccadive, Minicoy and Amindivi Islands by Regn, 8 of 1965,<br />

- To Pondicherry by Act 26 of 1968,<br />

- Repealed in part by Act 12 of 1927, Madhya Pradesh Act 21 of 1965, Kerala Act 2 of 1962,<br />

[The] Destruction of Becords Act, 1917<br />

STATE AMENDEMENTS<br />

Andhra Pradesh:<br />

For the expression “except the territories which immediately before the Ist November, 1956,<br />

were comprised in Part B States” substitute “other than the territories specified in sub-section (1) of<br />

section 3 of the. States Reorganization Act, 1956”. See Andhra Pradesh Act 3 of 1962, Section 3 (7-<br />

2-1962).<br />

Madhya Pradesh:<br />

After the words “Part B States”, add “other than the Madhya Bharat and Sironj regions of the<br />

State of Madhya Pradesh,”-See M.P. Act 21 of 1965, Section 3 (2) and Schedule (15-2-1966).<br />

Mysore (Karnataka):<br />

Add at the end “other than the territories specified in clause (a) and clause (c) of sub-section<br />

(1) of section 7 of the States Reorganization Act, 1956 (central Act 37 of 1956),” See Mys. Act 3 of<br />

1963, Section 3 (17-1-1963).<br />

2. Definitions. [Repealed by A.O. 1937]


186<br />

3. Power to certain authorities to make rules for disposal of documents-<br />

(1) The authorities hereinafter specified may, from time to time, make rules for the disposal, by<br />

destruction or otherwise, of such documents as are, in the opinion of the authority making the rules,<br />

not of sufficient public value to justify their preservation.<br />

(2) The authorities shall be-<br />

(a) in the case of documents in the possession or custody of a High Court or of the Courts<br />

of civil or criminal jurisdiction subordinate thereto,-the High Court;<br />

(b) in the case of documents in the possession or custody of Revenue Courts and officers,-<br />

the Chief Controlling Revenue-authority”, and<br />

(c)<br />

in the case of documents in the possession or custody of any other public officer,-<br />

[i] if the documents relate to purposes of a [State], the [State Government] or any officer<br />

specially authorized authorized in that behalf by that Government;<br />

[ii] in any other case, the Central Government or an officer specially authorized in that<br />

behalf by that Government;]<br />

(3) Rules made under this section by aby High Court or by a Chief Controlling Revenue<br />

authority or by an officer specially authorized in that behalf by any [State Government]; shall be<br />

subject to the previous approval of the [State Government]; and rules made by an officer specially<br />

authorized in that behalf by the Central Government shall be subject to the previous approval of the<br />

Central Government].<br />

(a) For definition of Chief Controlling Revenue Authority, tormerly included in S, 2, See<br />

now the General Clauses Act, 1897 (10 of 1897), Section 3 (10).<br />

(b) Substituted for “The Local Government or any officer specially authorized in that<br />

behalf by the Local Government” by A.O., 1937.<br />

(c) Substituted for “province” and “Provinical Government” by A.L.O., 1950.<br />

(d) Substituted for original sub-section by A.O., 1937.,<br />

(e)<br />

For Disposal of Records (in the offices of Registrars of Companises). Rules, 1957, see<br />

Gazette of India, 1957, Pt. II, Sec. 3, P. 1839 (amended by G.S.R., 356 of 1962) and<br />

for Destruction of Records (Public Debt Office) Rules, 1959, See Gazette of India, 1-<br />

8-1959, Pt,II, S. 3 (II), P. 1866.


187<br />

CHAPTER XLI<br />

1917.<br />

Arrarigement, Preservation and Destruction of Records<br />

The following Rules have been framed under Section 3 of the Distraction of Records Act,<br />

STATE AMENDMENT UTTARANCHAL<br />

In chapter XLI of High Court Rules (Allahabad), the rules framed under Section 3 of the<br />

Destruction of Records Act, 1917 are deleted and the following rules be Substituted.<br />

Destruction of Records<br />

1. Unless otherwise ordered by the court, all original documents including translations and copies of<br />

judgments, decrees, orders and other.<br />

rules 32 added by Noti, No, 209/VIII-C-19, dated 25-4-1974, published in U.P., Gazette, Part II,<br />

dated 29-6-1974.<br />

Subs by High Court of Uttaranchal Notification 162/UHC-2001, dated 6 October, 2001.<br />

ALLAHABAD HIGH COURT RULES, 1952<br />

Paper which are not required to be preserved, shall be returned to the party producing them after the<br />

expiry of the period for filing an appeal or if an appeal is filed, after the disposal of the appeal. The<br />

rest of the papers shall be marked, classified and arranged in files for the purppose of despatch to the<br />

Records Room as prescribed below:<br />

2. [1] The papers which are required to be preserved permanentiy shall be marked “A”and kept<br />

in File “A”.<br />

in File “B”.<br />

in File “c”.<br />

in File “d”.<br />

[ii] The papers which are required to be preserved for 30 years shall be marked “B” and kept<br />

[iii] The papers which are required to be preserved for 5 years shall be marked “c” and kept<br />

[iv] The papers which are required to be preserved for 1 years shall be marked “d” and kept


188<br />

3. Papers to be preserved permarientiy- (1) The following papers shall be permanently<br />

preserved:<br />

[1] All Judgments, decrees and final orders of the High Court, except orders summarily<br />

dismissing appeals or applications.<br />

[2] All registers of appeals and applications, including write petitions.<br />

[3] Such papers in cases of historical sociological or sclentific valuce as in the opinion of the<br />

Registrar, should be permanently preserved,.<br />

[4] Judgments, decrees and final orders of the Supreme Court in cases decided by the<br />

Uttaranchal High Court.<br />

[5] Files containing original Judgments signed or initialled by the Judge.<br />

[6] Minutes and important correspondence.<br />

[7] Inspection notes and important correspondence made on the basis of inspection notes<br />

which have entitled administrative represenfation, departmental enquiry or proceedings.<br />

(ii) Papers to be preserved for 30 years- The following papers shall be prescribed for 30<br />

years:<br />

[1] Judgments and/or orders of High Court summarily dismissing appeals and applications,<br />

[2] Paper Books or prints in cases in which a sentence of death or imprisnment for life is<br />

passed.<br />

[3] Writs communicating final orders in applications decided under Articles 226 and 227 of<br />

the Constitution.<br />

[4] Farad files, except Farads of applications for interlocutory orders and applications<br />

necessary for the progress of the main proceeding.<br />

(iii) Papers to be preserved for 5 years – The following papers shall be served for 5 years:<br />

[1] Paper Books other than those specified above in matters heard by the High Court.<br />

[2] Applications for interlocutory orders, applications necessary for the progress of the<br />

proceedings and applications for certificate for leave to appeal to the Supreme court or to the High<br />

Court under the Special Appeal.<br />

[3] Applications for transfer, bail or stay or proceeding.<br />

[4] Farads and orders made by the High Court in interlocutory applications mentioned in<br />

Items (2) and (3) above.<br />

[5] Reports called for from the lower courts.<br />

[6] Writs Communicating final orders to the lower court except interlocutory orders and<br />

orders in writ petitions.<br />

[7] Original memorandums of appeals, and cross objections, and original revision<br />

applications references and applications for review.<br />

[8] Applications under Articles 226 and 227 of the Constitution.<br />

[9] Printed copies of the transcript record of the Supreme Court.


189<br />

[10] Ferists and receipts of records and Proceedings by the lower courts.<br />

[11] Copies of judgments of lower courts or tribunals against which appeals or applications<br />

have been made to the High Court.<br />

[12] Objections to findings on issues called for by the High Court.<br />

(iv) papers to be preserved for three years- The following papers will be preserved for three<br />

years:<br />

The inspection notes and replies to the questionnaire received from District and Sessions<br />

Judges or Inspecting District Judge be stroyed after three years from the date of their full compliance<br />

by<br />

(v) Papers to be preserved for one year- The following papers shall be served for 1 years:<br />

[1] Writs communicating interlocutory orders of the High Court the lower courts.<br />

[2] Applications for issue of processes etc.<br />

[3] Applications for stay of exceution of orders passed by the lower courts;<br />

[4] Applications for bail,<br />

[5] Presentation Forms<br />

[6] Examination Memoe.<br />

[7] Vakalatnamas.<br />

[8] Orders appointing Advocates in criminal matters.<br />

[9] Notices and Returns there to.<br />

[10] R & P writs including requests for extension of time for certifying R&P.<br />

[11] Requisitions for printing.<br />

[12] Writs sending down the issues.<br />

[13] Notices of receipt of findings.<br />

[14] Correspondence relating to Jail Petitions,<br />

[15] Writs for bail, arrest, say, production of accused in courts and other interlocutory orders.<br />

[16] Press copies of the record of the lower courts.<br />

4. Computation of period for the preservation of record- The period prescribed above for<br />

the preservation of the records shall be computed from the date of the final decision of the case and in<br />

case of appeal to the Supreme Court, from the date of the final decision of the Supreme Court.<br />

5. Register of cases of which the records are to be destroyed to be maintained in the<br />

Record Room,- A register in the form given below shall be maintained showing the number and years<br />

of appeals and other cases received in the Record Room of which the records are to be destroyed. The<br />

entries for each years shall be signed by the Record Keeper and the Deputy Registrar:


190<br />

SI. No. of the case, District Date of Receipt in the<br />

Record Room<br />

(1) (2) (3)<br />

Date of decision of<br />

HC/Supreme Court<br />

Dates when due<br />

for destruction<br />

Dates when<br />

actually destroyed<br />

Name and signature,<br />

who destroyed the<br />

record<br />

(4) (5) (6) (7)<br />

6. Destruction of records to be carried out in the Summer Vacation- Notice shall be publicly<br />

given on the Court Notice Board that parties heave document and papers with the records of cases at<br />

their own risk and that they are liable to be destroyed in accordance with the rules for the destruction<br />

of records.<br />

7. The destruction of records shall be carried out in the uacation each ear-The records to be<br />

destroyed should if they cannot be conveniently cournt, be torn up into very small pieces and made<br />

quite incapable of use gain as documents. The fragments should be sold to the highest bidder, the<br />

prodceeds credited to Government.<br />

8. Notwithstanding anything contained in the following rules of the chapter, the cases decided<br />

till the date of the enforcement of these rules, all continue to have the force of rules contained in<br />

Chapter XLI of High Court Rules (Allahabad) applicable to this court under the provisions of<br />

Reorganisation Act, 2001, untill they are superseded by any bsequent rules of the court or by the<br />

order of the chief Justice.<br />

9. Division of pending record into files;<br />

[i] Each record in a civil case, writ petition and criminal case, shall be divided into four<br />

files, as indicated under Rule 2 of the foregoing rules.<br />

[ii] Each paper as it is filed, shall be entered in a general index and shall be marked in the<br />

letters ‘A’ ‘B’ ‘C’ and ‘D’ according to the file to which it belongs.<br />

[iii] Notwithstanding anything contained in Sub-rules (i) and (ii) of Rule 9, the cheif Justice<br />

may pass any order which he thinks fit and expedient with regard to the arrangements of the records<br />

pending before the Court.<br />

10. General provision- Notwithstanding anything contained in the oing chapter, any rule or rules<br />

inconsistent, with this chapter XLI, shall stand repealed and shall be read consistent with chapter XL,<br />

The following amendments be incorporated in Chapter III of the Allahabad High Court Rules,<br />

1952.


191<br />

Rule 1: Concerning Inspecting Judge is deleted.<br />

Rule 2: Is deleted.<br />

Rule 4: Be substituted by the following;<br />

(A) Matters for the Cheif Justice- (1) General supervision and control of Subordinate Courts<br />

and Vigilance Cell subject to these rules.<br />

(2) Constituting Committees of Judges to examine any specified matter.<br />

(3) Coordination of the work of different Committees.<br />

(4) Assigning any work of the district as may be considered proper or expedient to any one<br />

or more Judges of the High Court.<br />

(5) Mid-term posting and transfer of the Officers of Subordinate Judiciary.<br />

(6) Inter-district transfers of the employees of the Subordinate Courts.<br />

(7) Review of the Judicial work of Subordinate Courts, Tribunals, District Consumer Forum<br />

and all other Special Courts and control over their working including inspection thereof which<br />

may also be assigned to any Judge of the High Court.<br />

(8) Recording entries in the character rolls of the officers posted in the District Courts,<br />

Tribunals, District Consumer Forum and other Special Courts which may also be assigned to<br />

any Judge of the High Court.<br />

(9) Perusal of Returns, Calendars, Evaluation of Inspection Notes, made by the Presiding<br />

Officers in respect of their own officers, Audit Reports received from those Courts, tribunals<br />

etc. and to make orders thereon.<br />

(10) Deciding representations of the Judicial Officers of the Subordinate Courts made within<br />

one month from the date of communication to them of the Adverse Remarks, if any by the<br />

District Judge concerned,<br />

(11) Grant of casual leave (including special casual leave) and permission to leave the<br />

Headquarters to the District and Sessions Judges, Presiding Officers of the Tribunals and<br />

Special Courts, by whatever name designated. It may also be assigned to any Judge of the<br />

High Court.<br />

(12) Grant of earned leave to the Judicial Officers. It may also be assigned to any Judge of<br />

the High Court.<br />

(13) Deciding appeal against the punishment imposed or the employees of the subordinate<br />

Courts.<br />

(14) Creation and abolition of posts.<br />

(15) Consideration of the preliminary reports in disciplinary matters and directing holding of<br />

disciplinary inquiry against the officers abordinate to the High Court.<br />

(16) Suspension of the officers subordinate to the High Court pending disciplinary<br />

proceedings.<br />

(17) Award of censure entries to the offecers subordinate to the High Court.<br />

(18) Provisional promotion of the officers of the cadre of Civil Judge union Division) and<br />

Chief Judicial Magistrate.


192<br />

(19) Direction of issuance of the Circular Letters and General Letters the guidance of the<br />

Subordinate Courts.<br />

(20) To decide mattders in which opinion of the High Court is sought by Union or State<br />

Government.<br />

(21) Permission to cross efficiency bar to the officers subordinate to High Court.<br />

(22) Any other matter not covered under the powers of the Full Court.<br />

(B) Matter for the Full Court-(1) Deputation of officers of subordinate judiciary and their<br />

withdrawal.<br />

(2) Annual posting and transfers of the officers of Subordinate diciary.<br />

(3) Confirmation and promotion to selection grade, supertime scale, reversion of the officers<br />

of the Subordinate Judiciary.<br />

(4) Investiture of powers of officers of the Subordinate Judiciary.<br />

(5) Finalisation of list of holidays working hours, vacations and orders of the High Court.<br />

(6) Fixing working hours, vacation of Subordinate Courts calendar list of holidays of<br />

Subordinate Courts.<br />

(7) Direct recruitment to Higher Judicial Service and commendations to the Government<br />

regarding promotion to Higher Judicial Service.<br />

(8) Grant of Supertime scale to the officers of Highter Judicial Service, in rank, premature<br />

retirement.<br />

(9) Termination of services of probationers and temporary officers of subordinate Judiciary,<br />

(10) Consideration of final reports of disciplinary inquiries in Act of officers of the<br />

Subordinate Judiciary and taking decisions as to retirement<br />

(11) Proposals as to legislation and changes in law.<br />

(12) Amendment of Rules of Court.<br />

(13) Amendment of Rules applicable to the Subordinate Courts.<br />

(14) General policy matters.<br />

(15) Consideration of general annual report of Administration of Justice to be sent to the<br />

Government.<br />

(16) Consideration of any representation against the adverse remarks awarded by the Chief<br />

Justice or by any other Judge of the High Court to an officer of Subordinate Judiciary.<br />

(17) Any matter which the Chief Justice or anyJudge or any Judge of the High Court<br />

considers fit to be placed before the Full Court.<br />

(18) Any other matter which is not covered under any of the above heads.<br />

Note- The Full Court shall also have the power to review any decision taken by the Chief Justice<br />

under the head ‘A’.<br />

Follwoing should be substituted in place of existing Rule 5:


193<br />

“The business of Full Court may be transacted either at a meeting or by circulation provided<br />

that if any Judge in the case of matters relating to the Full Court desires that the matter may be placed<br />

in a meeting it shall be so placed.”<br />

Following should be substituted in place of existing Rule 6:<br />

“Procedure for circulation- So far as convenient, papers, for circulation shall be sent by the<br />

Registrar to the Judges in their order as seniority commencing with the Judior Judge. The Registrar<br />

shall, so far as practicable, obtain from each Judge such papers within three days from the date when<br />

the same are sent to him. He Registrar shall endors on the papers the date when they are sent to and<br />

the date when and received back from each Judge. It shall not be necessary to send papers any Judge<br />

who is not for the time being at the station”.<br />

Existing Rule 7 is retained in Its present form.<br />

Following is substituted for existing Rule 8:<br />

“Papers to be submitted to Chief Justic after circulation- After are papers have been circulated<br />

for opinion they shall be submitted again to the Chief Justice and he may either direct that the opinion<br />

of the majority of the Judges including his own be given effect to or lay the matter for consideration<br />

before a Judges meeting.”<br />

Following is substituted for the existing Rule 9-<br />

“Full Court meeting”- The Chief Justice may call a Full Court meeting whenever there is<br />

business to be disposed of.<br />

Provided:<br />

[1] That a Full Court meeting shall be called once every three montha excluding winter<br />

vacation, and<br />

[2] That if a request is made to the Chief Justice by at least two Judges to call such a meeting<br />

it shall be called within a week of the request.”<br />

Rule 10 is deleted.<br />

Existing Rule 11 is substituted by the following:<br />

“(a) The registrar shall give notice to the Judges concerned, except in a case of ernergency at<br />

least three days notice of the Full Court meeting of the date, place and hour when such meeting would<br />

be held and of the business to be brought before such meeting In a case of emergency the registrar<br />

shall give the best notice he can.<br />

(b) The agenda of the Full Court meeting shall ordinarily be circulated all the Judges before<br />

the meeting and they may, If necessary, express their views in writing on any of the matter for<br />

consideration of the Full Court, as the case may be.<br />

(c) As soon as the business of the Full Court is over the minutes of the Full Court will be<br />

circulated to all the Judges.”<br />

Following is substituted for the existing Rule 12:<br />

“Quarum- The quorum necessary for the transaction of the business shall be two in the case of<br />

the meeting of the Full Court.”<br />

Section-A<br />

Civil Case (or Writ Cases)<br />

1- Division of record into files- Each record in a civil (or writ) case shall be divided into two<br />

files to be called File A and B.


194<br />

2- General Index- Each paper as it is filed shall be entered in a general index and shall be<br />

marked with the letter A or B according to the to which it belongs,<br />

3- Files A and B in supreme Court Appeals- In the case of Appeals to Supreme Court File A<br />

shall consist of the following papers, namely;<br />

(1) General index,<br />

(2) Order sheet,<br />

(3) Application for leave to appeal.<br />

(4) Court’s order refusing or granting certificate,<br />

(5) Formal certificate granting leave to appeal,<br />

(6) Security bond and papers relating to cash depostta’<br />

(7) Compromise, watver or confession of judgment,<br />

(8) Application for subatitution of names and the order passed thereon,<br />

(9) Affidavits,<br />

(10) One copy of printed record,<br />

(11) Letter forwarding the Record to the Supreme Court,<br />

(12) Judgment of the Supreme Court,<br />

(13) All other paper directed by the Court to be included in Fil A.<br />

All other papers shall be kept to File B.<br />

4. File A and B in Civil Appeals etc.- In Civil appeals, revisions and miscellaneous cases File<br />

A shall consist of the following papers, namely-<br />

(1) General index,<br />

(2) Order sheet,<br />

(3) Memorandum or appeals or application,<br />

(4) Copy of decree or formal order under appeal or revision or of impugned judgment or<br />

order.<br />

(5) Notice with report of service in exparte cases.<br />

(6) Memorandum of objections under Rules 22 or 26 or Order XLI of the Code,<br />

(7) Objection or reply.<br />

(8) Order of remand under Rule 25 of Order XVI of the Code,<br />

(9) Copy of findings on issues to the lower Court for trial under Rule 25 of Order XLI of the<br />

Code,<br />

(10) Application for substitution addition or sticking out of names of parties.<br />

(11) Deposition of a party or witness;<br />

(12) Order imposing a fine upon a witness under Rule 12, Order XVI of the Code,<br />

(13) Report, proceedings, or examination of Commissioner,


195<br />

(14) Order of appointment or removal, of a guardian or next frien<br />

(15) Documents filed by parties,<br />

(16) Order imporunding a document.<br />

(17) Affidavits,<br />

(18) Arbitration agreement,<br />

(19) Award of arbitrators.<br />

(20) Compromise, watver, or confession of judgments,<br />

(21) Court’s judgment or final order along with one copy of the paper-book if any,<br />

(22) Court’s decree.<br />

(23) Certificate of return of record,<br />

(24) order of reference to the High Court,<br />

(25) Certificate of fees paid to Advocatea.<br />

(26) Any other paper directed by the Court to be included in File A. All other papers shall be<br />

kept in File B.<br />

[4-A. In, writ petitions File A shall consist, of the following papers, namely-<br />

[1] General index,<br />

[2] Order sheet<br />

[3] Writ petition,<br />

[4] Counter affidavits and Rejoinder-affidavits,<br />

[5] Order of substitution of the parties,<br />

[6] Evidence if any recorded or permitted by Court,<br />

[7] Judgment,<br />

[8] Decree.<br />

[9] Memorandum of special Appeal to supreme Court, objection, Judgment and decree in<br />

them,<br />

[10] Any other papers shall be kept in File B,<br />

5. Destruction of file A- [File A in civil appeals, revision and miscellarieous cases shall be retained<br />

for a period of twelve years from the first day of january following the date of judgment or final order<br />

or where there has been a special Appeal of an appeal to the supreme Court from the date of<br />

communication of the judgment or final order passed in the Special Appeal or in the Appeal to the<br />

Supreme Court and shall them be destroyed excepting general index, judgment with compromise, if<br />

any, on which the decree is based, decrees and unreturned documents, which shall be retained<br />

permanently File A prepared under Rule 4-A shall be retained premanently].<br />

6. Destruction of file B.- [X X X] File ‘B’shall be retained for a period of one year from the first<br />

day of January following the date of judgment or final order or where ther has been a Special Appeal<br />

or an Appeal to the Supreme Court from the date of communication of the judgment or final order<br />

passed in the Special Appeal or in the Appeal to the Supreme Court and then destroyed],


196<br />

7. Original trials- In suits coming before the Court in the exercise of its ordinary or extraordinary<br />

original civil jurisdiction [the procedure prescribed for the preparation, prescrvation and destruction<br />

of records in sub-ordinate courts shall be followed,<br />

Section- B<br />

Matrimonial Testamentary Case<br />

8. Division of record into files- The record in a Matrimonial [X X X] reference or a testamentary<br />

case shall be divided into two files to be called Files A and B.<br />

9. General index- Each paper as it is filed shall be entered in a general index and shall be marked<br />

with the letter A or B according to the file to which it belongs,<br />

10. Files A and B- File A shall consist of the following papers, namely-<br />

(a) In matrimonal [X X X] references-<br />

[1] General index,<br />

[2] Order sheet,<br />

[3] Petition or application,<br />

[4] Written statement,<br />

[5] Issues,<br />

[6] Statement of parties and witnesses,<br />

[7] Documents filed by parties,<br />

[8] Judgment,<br />

[9] Decrees,<br />

[10] Any other paper directed by the court to be included in File A.<br />

(b) In testamentary cases-<br />

[1] General index.<br />

[2] Order sheet,<br />

[3] Petition for grant for probate or Letters of Administration with Annexures A and B and<br />

copy of the will, if any,<br />

[4] Application including application for appointment or discharge of an executor or for<br />

directions to the executor,<br />

[5] Affidavits including affidavit of valuation and affidavits of attesting witnesses,<br />

[6] Caveat,<br />

[7] Objection or Written statement,<br />

[8] Issues,<br />

[9] Statements of parties and witnesses,<br />

[10] Documents filed by parties,


[11] Judgment,<br />

[12] Decrees,<br />

[13] Security or administrative bond,<br />

[14] Probate or Letters of Administration,<br />

[15] Inventory,<br />

[16] Accounts,<br />

197<br />

[17] Any other paper directed by the court to be included in File.<br />

A. All other papers shall be kept in file B.:<br />

Original wills shall be kept separately in an iron safe, a note to that effect being made<br />

against the corresponding entry in the general index,<br />

11. Destruction of papers in matrimonial cases- [Deleted].<br />

12. Destruction of papers in matrimonial reference- In matrimonial references-<br />

[a] File A shall be retained for a period of twelve years from the first day of January<br />

following the date of final decision and shall then be destroyed excepting general index,<br />

judgment and decrees, which shall be retained permanently;<br />

[b] File B shall be retained for a period of two years from the first day of January following<br />

the date of final decision and then destroyed,<br />

13. Destruction of papers in testamentary cases- In testamentary cases-<br />

[a] File A shall be retained for a period of [twenty five] years from the first day of January<br />

following the date of final decision and shall then be destroyed excepting the general index, petition<br />

or application, judgment, decrees, probate or letters of administration and original wills, which shall<br />

be retained permanently;<br />

[b] File B shall be retained for a period of two years from the first, day of January following<br />

the date of final decision and them be destroyed,<br />

Section-C<br />

Criminal Cases [and contempt of Court Cases]<br />

14. Division of record into files- The record in a criminal [or contempt of court] case shall be<br />

divided into two filed be called File A and File B.<br />

15. General index,- Each paper as it is filed shall be entered in a general index and shall be marked<br />

with the letter A or B according to the file to which it belongs.<br />

16. File A and B- File, A shall consist of the following papers, namely-<br />

(a) In original trials-<br />

[1] General index,<br />

[2] Record of the lower court,<br />

[3] Paper book,<br />

[4] Record of evidence,<br />

[5] Commission, the return thereto and depositions,


(b)<br />

[6] Orders by the presiding Judge,<br />

198<br />

[7] Warrant or other paper returned on execution of sentence,<br />

[8] Copy of order commuting a sentence or suspending the execution thereof or remitting<br />

punishment.<br />

[9] Unreturned exhibits,<br />

[10] Any other paper directed by the court to be included in File A.<br />

In appeals, revision references and other cases [including cases under the Contempt of Courts<br />

Act, 1971],<br />

[1] General index,<br />

[2] Grounds of appeal, application or reference,<br />

[3] Affidavits,<br />

[4] Copy of lower court’s Judgment,<br />

[5] Notice with report of service,<br />

[6] Judgment,<br />

[7] Warrant,<br />

[8] Printed paper book, if any,<br />

[9] Any other paper directed by the court to be included in File A.<br />

All other papers shall be kept in File B,<br />

17. Destruction of file A- [File A in criminal cases other than contempt of court cases shall be<br />

retained for a period of 10 years and in contempt of court cases for a period two years from the first,<br />

day of January next following the date of final decision and shall then be destroyed excepting the<br />

General index and Judgment of the Court, which shall be retained permanently].<br />

18. Destruction of File B- Papers in File B shall be destroyed after one year from the first day of<br />

January next following the date of final decision,<br />

Section-D<br />

General<br />

19. Cases in which there has been an appeal to Supreme Court- in a case in which an appeal has been<br />

filed in the Supreme Court no paper shall be destroyed until the judgment or final order of that Court<br />

is Communicated to the court and the papers shall thereafter be destroyed accordance with these,<br />

rules, the period of destruction being counted as rom the first day of January following the date of<br />

communication of such judgment or final order.<br />

20. Notice to withdraw documents- A notice shall be affixed in a conspicuous part of the court<br />

house stating that documents filed in a case which may be returned having regard to the provisions of<br />

Rule 9 of Order Kill of the Code or Section 294 of the Indian Succession Act, 1925 should withdraw<br />

as soon as the cases has been finally disposed of any that if they are left in court they will be kept at<br />

the risk of the owner.


199<br />

21. Papers destroyed to be noted in index- The record- keeper when putting papers aside for<br />

destruction shall mutilate all court fee stamps affixed to them in such manner as to make it impossible<br />

for them to be used again.<br />

22. Paper destroyed to be noted in index- A note of every record destroyed shall be made at the<br />

time of destruction on the general index of the case under the signature of the Record-Keeper.<br />

23. Disposal of weeded papers- All weeded documents and papers shall be disposed of in the<br />

following manner, namely-<br />

[a] confidential papers including notes and orders on administrative matters and stamps and<br />

court-fee labels shall be torn into pieces and burnt in the presence of the Court Officer,<br />

[b] All other papers including original documents and certified copies shall be torn across and<br />

then sold as waste paper.<br />

[c] Spare paper-books shall be sold as waste paper without being torn.<br />

The proceeds of the sale of waste paper shall be credited to Government.<br />

24. The period for preservation in the Record Room of registers maintained in connection with the<br />

under mentioned kinds of cases shall be as noted against each kind of cases-<br />

1. Civil cases - --- Twelve years.<br />

2. Matrimonial and Testamentary cases- --- Twelve-five years.<br />

3. Matrimonial references - --- Twelv years.<br />

4. Criminal Cases - --- Twelve years<br />

5 Contempt of Court cases- --- Two years.<br />

The above mentioned periods for preservation of register shall be computed from the date of<br />

consignment of such registers in the Record room.<br />

After expiry of the periods as prescribed in this rule the registers shall be disposed of in<br />

accordance with the provisions of clause (b) of rule 23 of this Chapter].<br />

CHAPTER VII<br />

A-GENERAL<br />

RECORD ROOMS<br />

144. There shall be the following Record Rooms in the Collectorate:<br />

1. Cortespondence Record Room-All registers Files and other records reliing to correspondence and<br />

also those pertaining to land revenne settlment shall be deposited in this record room.<br />

2. Judicial Record Room there will be two sections of this record room.


[1] Revenue Record Room<br />

[2] Criminal Record Room<br />

200<br />

3. Lands Records Record Room Lekhpa.l Records and Statistical records, and land reforms records<br />

shall be deposited in this record room.<br />

In Commissioner’s officer there shall be only two record rooms, CIZ, Correspondence Record<br />

Room and Judicial (Revenue) Record Room.<br />

145. (1) The Correspondence Record Room (hitherto known as English Record Room) shall be<br />

under the charge of a Correspondence Record Keeper, who may helped by one or two Assistant<br />

Record Keepers depending on the volume to work.<br />

(2) The establishment of Judicial Record Room (hitherto known as Revenue Record Room)<br />

shall consist of a Record Keeper, Assistant Record Keepers, copyists From Keeper, record lifters<br />

according to the class of the district and the sanctioned scale of estabilshment.<br />

146. The doors of the Record Room and ants-room shall be supplied with proper locks.<br />

The record keeper shall be responsible for the opening and closing of the record room the<br />

keys of which shall after office hours be placed by him in the wall box provided for the purpose. The<br />

key of the wall box shall remain with the officer commanding the treasury police guard.<br />

[Para 1267]<br />

147. The entry to the record room shall be by one door only. The only persons who shall be allowed<br />

to enter the record room are those who have duties to perform in the record room VIZ the revenue<br />

authorities, the record-room officials and any other officials under direction or order of a revenus<br />

officer.<br />

[Para 1268]<br />

148. The entry to the ante-room shall also have one door only, and no one shall be allowed to enter<br />

this room unless he has some official business or unless he is irispecting a record.<br />

[Para 1269]<br />

149. The paper used for record-room purposes must be of substantial make and on no account any<br />

writing be done on filsy paper the placing in the record of single sheets of paper must be avoided so<br />

far as is possible sheets should be stitched within flexible covers.<br />

[Para 1273]<br />

150. Shojld it be found that the records of any record-room are likely to be injured by the dampress<br />

of the room or for lack of proper protection against needless exposure to weather the District Officer<br />

should make proposals for removing these defects.<br />

[Para 1274]<br />

151. For the preservation of bound books and other records which are only reuired on are occasions,<br />

the District Officer should instruct the gazetted officer in charge of the record room to make<br />

periodical inspections of such books and records, and to take out at once for repan any which shows<br />

signs of danage. All records of the kind, even though they show no signs of damage, should be<br />

perodically exposed to the air. The District Officer should make the charg and custody of such books<br />

and records, the particular duty of one of the subordinate hands in the record, room.<br />

[Para 1275]


201<br />

152. All bastas in the record-room should be opened out and inspected, to see that the papers are in<br />

good condition, at last once a year.<br />

[Para 1276]<br />

153. All stamps or stamped papers which are removed from records when they are being weeded,<br />

shall be placed under lock and key under the charge of the record keeper When a sufficient number<br />

accumatate, they should be burnt in the presence of the officer in charge of the record room, this<br />

should ordinarily be done weekly. For the temporary custody of such stamps and stamped papers the<br />

use of a box with a slit lid is recommended.<br />

[Para 1277]<br />

154. The record keeper shall keep up a register for the district in Foun A (R.D. Foum no 225) to<br />

show all the records which are out of the record room with courts or officers in thecurremt<br />

department. The record keeper or the naib or assistant record keeper should attest the return of of<br />

records by signature in column 8 This register may consist of several volumes A fresh register shall<br />

be opened at the beginning of each year, the records which are out at the time being entered in the<br />

new register in redinic. The new register shall begin with: fresh serial numbers once every three<br />

months the record keeper shall lay his register of records sent to revenue courts or officers before the<br />

District Officers for orders as to records which have been issued more than three months and have not<br />

been returned.<br />

[Para 1278]<br />

B-CONSIGNMENT OF RECORDS<br />

155. (1) When a file is compelete in every respect, it is ready for transmission to the record room.<br />

The perioditcal registers become consignable on the expiry of the period for which they are<br />

maintained. The Lekhpal records become due for corisignment after the expiry of the periods<br />

prescrubed in Land Records Manual.<br />

(2) When papers of special departments such as stamps account, Nazir’s accounts are no<br />

longer required for reference, they should be conslgened to a particular quarter of the record room,<br />

whcn recived in record room, they will be entered in register Form B (R.D.Form no. 215)<br />

156. (1) Every register consigned to the record room shall be entered in a register Form C (R.D.<br />

Form no. 217)<br />

(2) The register of registers shall be maintained in two volumes:-<br />

[1] For registers which under the rules are to be retained permanently or for more than 12<br />

years; and<br />

[2] For other registers,<br />

[3] The register in case of no. (2) may be sub-divided and kept in more volumes than one, if<br />

necessary, with a view to avoiding having one bulky register.<br />

[4] Entries in the register of registers should be made register wise in chronological order<br />

and separae pages should be allotted for entries of each kind of register leaving sufficient space for<br />

future entries of the registers of each class, Column 1 to 7 shall be filled up as soon as a particular<br />

register is consigned in the record room and column 8 and 9 at, the time of the weeding of that<br />

register.


202<br />

[5] Registers shall be arranged on the racks classwise in chronological orde and serial<br />

numbers alloted to them in the register of registers shall conspeicuouly be given on the volume so<br />

arranged.<br />

[Para 1238]<br />

C.CONSIGNMENT AND WEEDING OF CORRESPONDENCE RECORDS<br />

157. As soon as a correspondence record is closed after all action, it will be consigned to the<br />

correspondence record room in accordance with the procedure laic down in section D of chapter III.<br />

158. The record keeper will not check the file except to see if all stamps have been punched He will<br />

not double punch them. He will punch only the unpunched stamps, Badar Files will be eliminated,<br />

The record keeper, will accept the file as it is, He will put on a legibletag showing the year of<br />

estruction.<br />

159.The consigned files will be placed in almirahs with a separate space as signed to each department<br />

according to its requirements. But before this is done the files of the department should be tied to<br />

gether in packets of a convenient size, according to their file numbers Each packer will then be placed<br />

between pasts, boards and on the board which is placed at the top of each packer will be written the<br />

numbers of the files it contains thus:-<br />

DEPARTMENT III<br />

LAND REVENUE.<br />

FILE NO. 8, 1-10<br />

A pencil note may be made of the number of any file still on the pending shelves, or which is<br />

subsequenfly removed, Care must be taken that the packets are always arranged in numerical order,<br />

and that the number of the department, and also the number of the files, is plainly shown on each<br />

shelf, so as to emble any file to be at once got out.<br />

[Para 1149-2nd and 3rd sub-par]<br />

160. In January each year the correspondence Record keeper will go round the record room picking<br />

out the files meant for destruction and will destroy them after making a destruction list without<br />

further orders, except in the rare cases in which he feels some doubt which will be put up to the<br />

officer in charge.<br />

Papers with stamps on them shall be removed as a whole and destroyed before an officer.<br />

[Para 1149 – 5th & 6th sub-para]<br />

161. Before a file is consigned to the record room a label should be affixed by the correspobdence<br />

clerk (to each part if the file has been divided to show the period of retention, or the time at which the<br />

destruction of the record will require consideration. (Suitable labels have been registered as<br />

providncial forms). The office superintendent trust personally initial each label after it is affixed after<br />

safisfying himself that it is appropriate.


203<br />

[Para 1171]<br />

162. All registers and books, returns and reports and files or parts of files to be destroyed should be<br />

selected by the record keeper and office superintendent, and submitted for the inspection of the<br />

District Officer or an assistant deputed by him for duty, and no registers and books and reports and<br />

files or parts of files should be destroyed without the orders of that officer, who shall satisfy himself<br />

that they are not of sufficient importance to be preserved. The duties of the record keeper and office<br />

superntendent in this respect must be clearly explaned to them in all cases of doubt special reference<br />

should be made to the District Officer.<br />

[Para 1172]<br />

163. In Commissioner’s Officers all registers and books returns and reports, and files or parts of files<br />

to be destroyed should be selected by one of the clerks specially nominated by the Commissioner,<br />

acting under the immediare observation of the head assistant and no registers and books returns and<br />

reports and files or parts of files should be destroyed without the order of the latter officer, In all<br />

cases of doubt specialreference should be made to the Commissioner.<br />

[Para 1173]<br />

164. Records of importance, special to the district, or records of historical or archaeological value<br />

and records not specified in the list given above, shall not be destroyed without the order of the<br />

District Officer of Commissioner passed after careful consideration of each case<br />

[Para 1174]<br />

165. The period for which registers and books returns and reports and files or parts of files are to be<br />

kept, shall be counted from the beginning of the calendar year succeeding that in which the register or<br />

book was completed, or that to which the relurn or report relates or in which as regards<br />

correspondence the last letter of the file or part of the file was disposed of.<br />

Example, A file of a kind which may be destroyed after three years disposed of in September<br />

1915 shall be kept for three year from the 1st of January, 1916.<br />

[Para 1175]<br />

166. The following register (R.D. form No. 206) shall be maintained in the office to show the date of<br />

receipt and destruction of a particular register.<br />

LIST OF REGISTERS<br />

Serial number<br />

Date of roceipt<br />

Dopartment<br />

Doscription of rogls<br />

tur with dute of room<br />

menooment and end of<br />

register<br />

By whom denosited.<br />

Date of dostiuotion<br />

Signe ture of office<br />

super intendent to<br />

Initials of officer in<br />

charge of Collectorate<br />

Remarks<br />

1 2 3 4 5 6 7 8 9


204<br />

RECORD ROOMS<br />

Initials of Head Assistant Office Superintendent or record keeper. If certain letters only are<br />

destroyed, the number of each letter destroyed should be marked D in red ink in the file register and<br />

the entry made should be as following.<br />

Numbers Destroyed in my presence Date<br />

Signatrue of District Officer or Officer in Charge<br />

Initial of head Assistant Officer Superintendent or record,<br />

Keeper.<br />

[Para 1183]<br />

D. CONSIGNMENT AND WEEDING OF REVENUE CASES.<br />

173. The reader shall be responsible for the detailed checking of files to be consigned He shall sign<br />

the certificate on the fly, leaf that the file is complete and in order, and the columns of fly leal shall be<br />

tatalled. Any file returned by the Record keeper for correction of mistakes shall be dealt with by the<br />

Reader and not by the Ahalmad.<br />

[Para 1221]<br />

174. (1) In order to ayoid confusion a set day in the week should be assigned on which each<br />

department clerk or court staff will ordinarily make over his competed files to the record keeper.<br />

(2) Every file sent to the record room shall be accompaned by a list of records in duplicate in<br />

Form D. When the file is received in the record room, the particulars mentioned in the list shall be<br />

checked carefully. One copy of the list of records shall be returned to the court from which the file is<br />

received along with the Badar files after making necessary entry in column 13 and the second copy<br />

shall be retained in the record room and shall be placed in the guard book to facilitate the tracing of<br />

consigned files, In the case of Revenue files, however, the lists shall be arranged paragand wise.<br />

[Para 1222]<br />

175. It shall be the responsibility of the record keeper to tally the contents with the index to find out<br />

any deficiency in stamps and to see that orders or exhibits are duly signed.<br />

In case in which a fine (e.g. mutation fine) or any Government dues have to be recovered, the<br />

record keeper shall not accept the record unless it is accompained by an acknowledgment of the<br />

receipt of the fine or the Government dues by the officer in charge of the treassury or sub-treasury or


205<br />

by a certificate signed (1) by the authority competent to remit the Government dues or fine that such<br />

due or fine have been remitted or (ii) by the presiding officer that further proceedings for realization<br />

are being taken on a separate Rubkar.<br />

[Para 1225]<br />

176. If a file is incomplete or incorrectly arranged, the record keeper shall return it to the court<br />

concerned by means of a report in R.D. Form no 233/234 to the officer in charge of the record room<br />

No. files shall be be returned to the department clerks privately or demi-officially.<br />

All files returned under this rule shall be entered in a spearate volume of R.D. Form no 233<br />

The nain defect for which a record is reurned shall priefly be noted, either in the the cofurnn of<br />

remarks or below the entry of the file in ink according to requirement.<br />

[Para 1226]<br />

177. The classification of records into mauzawar, and kulliyat shall also be maintained in the record<br />

room.<br />

[Para 1226]<br />

178. Files shall be arranged in the record room in bastas chronologically, according to the date of<br />

filing in record room if more than one file belonging to the same basts is received on the same date<br />

such files shall be arranged according to the date of final order.<br />

[Para 1231]<br />

179. All files shall be stored in cloth wrappers or bastas. For Mauzawar files there is a separate basta<br />

or bastas for each manuza, for kulliyat files these is a separate basta to bastas for each description of<br />

cases,<br />

Note- In the kumaun and Garhwal Division where the number of files relating to one village is<br />

small, the records of more than one village fied in separate bundles, may be kept in one basta with a<br />

label pasted outside to indicate the names of villages of which the records are kept in the basta.<br />

180. A list of manzas numbered consecutively and arranged alphabetically for each pargana shall be<br />

mainfained in the record room and bastas of mauzawar files shall be arranged on racks in the<br />

numerical order of this list.<br />

The bastas shall be cinsiplcuonlsy lettered to show (1) the number (In the list referred to<br />

avove) and name of mauza and pargana in the cased of mauzawae filer or (2) the description of cased<br />

in the case of Kulliyat files.<br />

It is convenient to use bastas of different colurs for the various classes of records.<br />

[Para 1233]<br />

181. (1) Each basta shall contain a fly index in Form B (R.D. Form no. 223) or F (R.D.Form no 224)<br />

as the case may be to show the subject and date of disposal of each misl in the basta. A stiff cover in<br />

Form G (R.D. Form no 231) of the size of fly leaf shall be placed in each basta within which thye fly<br />

index should be placed, books, with varying number of pages of fly index according to requirements<br />

being bound into into it.<br />

(2) In the case of mauzawar files, where there is more than one basta for a mauza, a single<br />

fly index shall be prepared and kept in the first pasta irrespective of the number of basta for that<br />

mauza.


206<br />

(3) A card shall be tagged outside of each basta giving the earliest year in which any file<br />

contained in it has to be weeded. This card shall be corrected each time, a file in the basta is weeded<br />

or a fresh file out in it.<br />

[Para 1234]<br />

182. A document filed as an exlibit if, not withdrawn after the disposal of the case, is retained in the<br />

record at the risk of the owner, Such documents, which are not required under the rules to be retained,<br />

will be returned by the Record keeper himself without any reference to the presiding officer.<br />

Documents placed in scaled covers will, however not be returried without orders of the court, The<br />

record keeper will, however, take care not to contravene any directions a court may have given about<br />

the return of documents,<br />

[Para 5 & 6 of Appendix I of the Recorganisation G.O. 1956]<br />

183. The register of returned documents (Board’s Form no. 218) should contain entries in respect of<br />

important document only like original documents or certified copies of documents in respect of which<br />

there as an apprehension that the originals may have been lost. Acknowledgment in the case or<br />

documents of an unimportant nature may be taken on the fly leaf of the file concerned or if there is no<br />

fly leaf or no room on the fly leaf on the application itself or on the list of documents with which the<br />

document was filed.<br />

[Para 1239 A of Rev, Mauual]<br />

E – INSPECTION OF JUDICIAL RECORDS (REVENUE)<br />

184. The records or revenue courts shall subject to the following rules, be open to inspection for the<br />

first four hours of all days on which the courts are open.<br />

[Para 1281]<br />

185. (1) The presiding officer, the District officer or the officer to whom he delegates his authority<br />

may sanction an application to inspect, records or if he considers it his duty to do so may refuse in<br />

which case he must record his order and the reasons them for.<br />

(2) An ordr allowing inspection shall stafe the names of the person or persons (not exoeeding<br />

three in number who may make such inspection. The persons prdinarily entitled to rnspect the records<br />

are (a) the paties in a case, (b) their counsels, (c) registered clerks of the counsels and (d) authorized<br />

agents of the parties.<br />

(3) Orders on application for inspection should as a rule, be passed on the very day on which<br />

an application is presented it shall be the duty of the applicant to wait for orders on the application. In<br />

case an order cannot be passed on the date of the presentation of the application, information, whether<br />

the application has been accepted or rejected shall be pasted on the notice board of the Presiding,<br />

Officer the District of ficer or the Officer to whom he delegates his authority under sub-paragraph (1).<br />

Note (1) A separate application shall be made in respect of each record or set of records for<br />

the inspection of which fees are separately chargeable.<br />

(2) An application for inspection will be rejected for detanlt, if the person or persons<br />

permitted to inspect do not turn up to inpect the record within week of the filing of the application or<br />

the posting of information on the notice board as in sub-paragraph (1) above as the case may be.<br />

[Para 1282]


207<br />

186. If the application be granted, the person or persons permitted to inspect shall observe the<br />

following rules.<br />

[a] They shall not enter the record room but will inspect the records in the ante room or in<br />

some room allowed for the prupose.<br />

[b] They shall not take pen or ink into the room in which they are allowed to inspect them.<br />

[c] They shall not remove any of the record from the room in which they are allowed to<br />

inspect them,<br />

[d] They shall at once withdraw from the room as soon as inspection is finished,<br />

[Para 1283]<br />

187. Any person inspecting records may be permitted to take notes, but if he desires to make full<br />

copies in pencil of any papers that he is inspecting he should obtain the ordes of the officer incharge,<br />

[Para 1284]<br />

188. Any person inspecting records shall be accompanled by the record keeper or assistant record<br />

keeper, the recork keeper shall keep up a register of inspections in Form I (R.D. Form no. 220)<br />

[Para 1285]<br />

189. The following fees shall be leveled;<br />

(a) For the inspection of any record<br />

(b) For the inspection of any number of<br />

patwari’s/lekhapal’s papers of all kinds<br />

belonging to the same mauza.<br />

(c) For the inspection of books and<br />

registers.<br />

(d) For the inspection of the settlement<br />

records of any one mauza.<br />

Rupees Three per hour or Fraction<br />

of an hour<br />

The fees will be levied by means of coutt fee stamps affixed to column 5 of form I (R.D.Form<br />

no.220) and will be cancelled by the record keeper on being affixed as required by section 30 of the<br />

Court Fees Act 1870.<br />

[Para 1286]<br />

190. No inspection fees will be charged for the inspection of any revenue records, books or registers<br />

by Government officers or other persons duly authorized in this behalf for Government purposes,<br />

norwill any fee be charged for the inspection of a record called for by a court not for the inspection of<br />

a record by any one at the request of a court,<br />

With the written permission of the District Officer, a bonafide inventigate engaged in the<br />

economic survey of a village may inspect free of charge settlerner, reports statistical registers and<br />

other records required for the purpose of his investigations,<br />

[Para 1287]<br />

191. (a) Any person destring to inspect on any date other then the date of bearing the record of a case<br />

pending in a revenue court or any connected record which has been called for by the court for perusal


208<br />

in connetion with such pending case, while such record is in the custody of the court shall submit art<br />

application for permission to inspect the record and shall pay fees in the same manner and on the<br />

same scale and be subject to the same restrictions as are laid down in above paragraphs.<br />

(b) Such application shall be submitted to the presiding officer of the court in whose custody<br />

the records are and the court shall deal with the application in the manner laid down in paragraph 185.<br />

(c) Such records shall be inspected in the court room in the presence of either the presiding<br />

officer or such official of the court as the court may direct.<br />

(d) The inspection of records in the custody of the court other wise than in accorance with the<br />

provisions of this paragraph and para graph 192 below is forbidden.<br />

(e) The clerk shall maintain a register of all such applications and the fees paid in the form<br />

prescribed under paragraph 188.<br />

[Para 1287]<br />

192. (1) The presiding officer of a revene court may in his discretion by a specific of general order,<br />

written or verbal permit the parties to a pending case or their pleaders or agents to inspect on the day<br />

of hearing the records of that case. The inspection may be permitted to take place in the court room<br />

either in the presence of the presiding officer or in the presence of such official as the court may<br />

direct No fee for such inspection shall be charged.<br />

(2) Should a revenue, criminal or civil court find it necessary for the disposal of a case to<br />

send for and inspect during the hearing of a case any revenue record, book or register or set of books<br />

and registers, the court shall direct the party for whose benefit the record is required to submit an<br />

application in R.D. Form no. 220 A for the same and to pay into the court a court fee stamp of the<br />

value of each such record book or register or set of books and register, and the court shall them send<br />

such application together with the court fee stamp so realized to the record keeper if the application<br />

for requisitioning record which has been consigened into the record room or to the court concerned if<br />

the record has not been so consigned for compliance The record –keeper or the reader of the courtes<br />

the case may be shall affix the court fee stamp in column 5 of Form I as directed in paragraph 189<br />

and make an entry to that effect on the back of the application If for any reason the record book or<br />

register is not sent for inspection the applicant shall entitled to a refurid of the inspection fee paid<br />

under this rule, Application for refund under this rule must be made to the court within three months<br />

from the date of the application for inspection. The court shall if the inspection fee has been paid and<br />

the record book or register has not been received for inspection endorse on the application a<br />

certificate to this effect and forward it to the officer in charge of the record room. The refund shall be<br />

made by a certificate in Form VI attached to Chapter VIII, the third entry of the form being scored<br />

but and the heading and the second and the last entries of the form being altered in manuscript by<br />

substituting for them certificate for refund of the value of court fee labels, Serial number, if any and<br />

date of application for inspection and signature of the officer in charge of the record room<br />

respectively The certificate shall be signed by the officer in charge of the record room and shall be<br />

payable at the district treasury within three months of the date on which it was given.<br />

The stamps on which a refund is granted shall be cancelled by means of an endorsement in the<br />

hand writing of and signed by the officer in charge, that the value of the same has been refunded, and<br />

a certificate to the effect that this has been done shall be added at the foot of Form VI (chapter VIII).<br />

(3) Officer records registers books correspondence and reports of administrative hature not<br />

directly concerned with the courts proceedings are not open to inspection by parties But should a<br />

reveaue criminal or civil court find it necessary to have such a record produced before the court


209<br />

through the official summoned by the party as withness the court shall direct the party for whose<br />

benefit the record is summoned to submit an application in R.D. Form No 220 A and pay into the<br />

court a court fee stamp of the value of Re. 1.50 for each record in addition to process and witness fees<br />

and charges, if any payable under paragraph 200 (1)(d). The court shall retain the court fee which the<br />

court clerk shall affix in column 5 of Form no. 1, make a note of it on the application and send the<br />

same along with the summons to the District Officer or the Officer to whom the District Officer has<br />

delegated his authority and call for the required record.<br />

Note-(1) If the hearing is postponed and the document is not inspected on the day which it is<br />

requisitioned a fee of one rupee and 50 paise shall be charged for each occasion on which it is<br />

requisitioned, provided that no fee shall be charged if the case is postponed for no fault of the parties.<br />

(2) The inspection fee has nothing to do with the transmission charges if any, realized under<br />

paragraph 201.<br />

(3) For the purpose of inspection the records of a case include any connected records<br />

requisitioned in this connection.<br />

(4) This rule shall not apply if a criminal court, without any suggestion from the parties<br />

requires a revenue record entirely for its own inspection or where the record is required at the<br />

suggestion of a public prosecutor or of an accnsed person in ous-today.<br />

[Para 1288]<br />

193. General rules as to the inspection of criminal records are contained in Chapter XIV of the<br />

General Rules (Crininal) 1957 for criminal courts subordinate to the High Court of Judicature at<br />

Allahabad.<br />

[Para 1289]<br />

194. Any person destring to ascertain any particulars of a record which he can legitimately inspect<br />

shall on pre sentation to the District Officer or the officer in charge of the record room of an<br />

application containing full desctription of the record so far as known to him be entitled if the<br />

application is sanctioned, to have a search made and to have the information if obtainable given to<br />

him in writing signle by the record keeper within ten days from the date of the application. The<br />

records keeper shall mark such application with a serial number and shall file it in case such<br />

information be not given within such period of ten days the record keeper shall with on the expiration<br />

of such period report in writing to the officer in charge of be record room for his orders the cause of<br />

the non-cotnpliatice with the application A pinted copy of this rule shall be kept posted on price board<br />

in a conspicuons place in every court and also in the record room provided that should the officer in<br />

charge be of opinion that the application is one which he is not legarty bound to sanction he may<br />

tefuse it recording his reason on the application, which shall then be filed All applications whether<br />

sanctioned for refused shall at once be entered in the register, Form II (R.D. form no 227) be the<br />

record keeper A fee, of seventy five paise on each application shall be levable by menas of a court fee<br />

stamp as soon as the order sanctioning the application is passed, and the record keeper shall affix the<br />

stamp in coulumn 7, Form II and note the application that he has done so He shall also cancel the<br />

stamp on being affixed as required by section 30 of the court fees Act, 1870.<br />

[Para 1290]<br />

195. (i)In pending case as also in the consigned case it will be open to the parties or their counsel to<br />

obtain certain information by menas of written questions and answer in Form III To this form shall be


210<br />

affixed court fee 25 paise for every two questions or less, asked pertaining to the same case In no<br />

circurmstances shall thslip be allowed in substition of the method of obtaining more detalled<br />

information by an inspection of the record or by copies.<br />

(ii) Each court shall maintain a register in the follwing form entries in colums 1 to 5 of the<br />

register shall be made as soon as an application in Form III is received where as column 6 shall be<br />

filled in on return of the application with complete replies to the application.<br />

Date<br />

REGISTER OF COURT FEES AFFIXED TO APPLICATIONS<br />

REQUIRING INFORMATION UNDER RULE 195.<br />

Name of<br />

Application<br />

Particulars of the<br />

case about which<br />

information is<br />

required<br />

Number of<br />

questions<br />

asked<br />

Value of<br />

court fee<br />

labels<br />

affixed<br />

Date of return<br />

of application<br />

with asnwes<br />

Remarks<br />

1 2 3 4 5 6 7<br />

196. A blank page should be pasted at the end of the inspection diary of the Record Room in<br />

R.D.Form no 222 to show the progressive fortnightly total of the income from search fee and<br />

inspection fee for the current and the preceding fwo years, A sumilar progressive fortn ghtly<br />

statement of income should also beamaintained by each presiding officer of court on a page which<br />

may be set apart for the purpose in this inspection note book The progressive fortrnghtly totals both in<br />

respect of the revord room and the court should be shown in the following form in manuscript.<br />

PROGRESSIVE TOTAL FOR FORTNIGHT ENDING 15th, 31Ist OCTOBER<br />

AND 15th NOVEMBER AND SO ON<br />

1952-53 1953-54 1954-55<br />

Reqn Inspn Search Reqn Inspn Search Reqn Inspn Search<br />

F. Transmission of Record to Courts on Requistion.<br />

197. When revenue court finds it necessary to send for the records of a civil court, a repuisition in<br />

Form IV shall be used.<br />

[Para 1291]<br />

198. When a requisition in Form V is received from any civil court under rules 204 and 205 of<br />

chapter VIII of the General Rules (Civil) for courts subordinate to the High Court of Judicature at<br />

Allahabad for the records of any rent or revenue court under the provision of order XIII rule 10 of<br />

the first schedule of the Code of Civil Procedurem 1908, the District Officer or the Presding Officer<br />

of the Court shall make use of Form III (H.C.J.Form No. 28-X) These forms will also be used in<br />

transmitting records to and from a criminal court,<br />

[Para 1292}<br />

199.No requisition from a civil court for a record shall be complied with except in accordance with an<br />

order of the Board of Revenue or of the Commissioner or District Officer or the Presiding Officer of<br />

the Court in whose office the record is. The record keeper or chief ministenal officer of the court on


211<br />

receiving such ordershall comply with the same and shall send the record under cover fo a printed<br />

form for transmission (Form VI), Columns 1 to 11 shall be filled up in the record room, and in<br />

column 15 the said officer shall certify whether the record does or does not contain all the papers<br />

entered in the fly-leaf. The form of requisition recerived shall be placed in the bundle from which the<br />

record was taken.<br />

[Para 1293]<br />

200. The following instructions shall be observed in connexion with the transmission of records from<br />

the record room to a court or from one court to another:<br />

When the Court requisitioning the record is situated in the same place, the record shall be sent<br />

under a sealed cover through an office messenger, in other cases it shall be securely packed (in wax<br />

clother during the rainy season) and transmitted by registered parcel post, the postal charges on the<br />

parcel along with the registration fee shall be prepaid by means of service stamps, except when the<br />

record is requisitioned by a Revenue Court on the application of a party to a suit in which case<br />

postage stamps realized from the party and received along with the application for requisition under<br />

paragraph 201 shall be used.<br />

Provided, always that if the nature of any record makes the course advisable it shall be sent in<br />

the custody of an official of the record room,<br />

[Para 1294]<br />

201. When, upon the application of a party to a suit, a record is to be sent for, or when on the<br />

application of a decree-holder, a decree is to be sent for execution to another court and postal charges<br />

have to be incurred the party or decree-holder shall, before the record is sent for of the decree sent,<br />

pay in the form of postages stamp booklet or booklets into court such sum as the court may consider<br />

sufficient to cover the cost of transmission and retransmission of the records or of papers relating to<br />

the execution of the decree, as the case may be.<br />

[a] Such sum shall not be less than two rupees when a record is to be sent for, or one rupee<br />

when a decree is to be sent for execution to another court.<br />

[b] Postal charges of every description incurred in connection with the requisition for record<br />

or the sending of the decree shall be met from the sum so paid or levied stamps sufficient to cover the<br />

cost of transmission of record or the returm of the decree shall be senat along with the application for<br />

requisition or with the decree to the record keeper or the presiding officer of the revenue court or the<br />

court executing the decree, as the case may be. As soon as a charge is incurred, an entry shall be<br />

made, in the case of requision for record, on the reverse of R.D. Form no 220 A, or in the case of<br />

transmission of decree on the back of B.R. Form no 153 If the amount held in deposit be afterwards<br />

found to be insufficient, the court in which the application was made shall realize such further sum as<br />

may be necessary from the party on whose application the record was summoned or the decree was<br />

dispatched.<br />

[c] Any sum paid into court prelevied in excess of charges in curred shall, when the charges<br />

are ascertained, be returned upon application.<br />

[d] If the nature of the record justified its transmission in the custody of an official of the<br />

record room and such transmission in volves a journey by rail lorry, ekka, or any other conveyance,<br />

the party on whose application the record is requisttioned shall before the record is sent for deposit in<br />

court, such sum as the court may consider sufficient to cover the expenses of the official in whose<br />

onstody the record is sent If such sum is found to be insufficient of excessive, the provisions<br />

contained in clauses (a) (b) and (c) above regarding further recovery or refund shall mutatis mutandis<br />

apply.<br />

(e) Expenditure under this mle may be considered in Allowing costs.<br />

NOTE- (1) Those transmission charges have nothing to do with the inspection fee of one<br />

rupee charged by revenue courts under section E.


212<br />

(2) The Provisions of this paraghraph do not apply when a revenue record is to be sent by post<br />

to a civil court in pursuance of an application presented to the court in such cases the record will be<br />

sent under service postage stamps, as the court fee leviable on such application under Article A<br />

section II of the Court Fees Act covers all postal charges to be incurred on the transmission of record.<br />

[Para 1295]<br />

202. The record keeper or chief ministerial officer of the court shall keep up register of requisitions<br />

for records in form VIII(R.D. Form No. 226) columns 1 to 10 of which shall be filled up as soon as<br />

requisition is received and column 11 when the record is transmitted.<br />

[Para 1296]<br />

203. Once every three nonths the record keeper or Chief Ministerial Officer of the court shall lay his<br />

register of requisition before the Commissioner or District officer or the President officer of the court<br />

for orders as to records which have been issued more than three months and have been retumed.<br />

[Para 1297]<br />

204. When the record is no longer required it shall be promptly returmed to the court from which it<br />

was received Columns 12 to 14 of the form of transmission shall be filled up and the original form<br />

shall be filed in the suit for the purpose of which the record was sent for and a copy of this foum<br />

small be returned with the records. In column 15 of such copy, the chief ministerial officer of the<br />

court returming the record shall certify whether the record does or does not contain all the papers<br />

entered in the fly leaf.<br />

[Para 1298]<br />

205. On receipt of the record the record keeper or Chief Ministerial officer of the court shall<br />

computare papers with the fly leaf and after satisfying himself that they are all right, he shall fill up<br />

columns 12 and 13 of register of requisitions in Form VIII R.D. Form no 226) and replace the record<br />

in its bundle removing therefrom the requisition on placed there under and destroying it. The copy of<br />

form for transmission returned with the record in accordance with paragraph 204 shall also be<br />

destroyed at the time.<br />

If the records be found to be in order the record-keeper or Chief Ministerial Officer of the<br />

court shall record a certificate to that effect on the fly-leaf, If the record be found defective in any<br />

respect, he shall in writing report its condition for the orders of the commissioner or District Officer,<br />

or the Presiding Officer of the court and the report with all other papers consequent on it shall after<br />

being entered in the fly-leaf be filed with the record.<br />

[para 1299]<br />

206. Revenue courts will send for revenue record on B.R. form no. 260. These records will be entered<br />

in the register prescribed in paragraph 154.<br />

[Para 1300]<br />

207. A record should not ordinarily be sent at the instance of parfies of certified copies are admissible<br />

in evidence to prove facts for the proof of which the record is required.<br />

[Para 1301]<br />

G-SUPERVISION OF OFFICERS<br />

208. The officer superintendent shall supervise the work of Record Rooms as also other sections of<br />

the collectorate. He shall carry out as many surprise thecks of the Record Rooms as be deens<br />

necessary to maintan effective control over their functioning Also he shall make regular inspections<br />

at least once in every quarter.<br />

209. The District Officer shall place Gazetted Officer (8) in charge of the Record Room.


213<br />

210. The Officer in charge shall visit the record room at inegular intervals, and on each occasion shall<br />

examine some part of the record room work noting the same and the result briefly in the prescribed<br />

inspection diary (R.D. Form no 222) which he shall submit for the information of the District Officer<br />

at such intervals as the District Officer may prescribe.<br />

[Para 1271]<br />

211. The officer in charge shall open out examine the contents of some of the bastas. In doing this he<br />

shall compare several of the files in the basta with the basta list and also with the general register. A<br />

certain number of Bastas should be examined from each of the parganas within 12 months, so that the<br />

examination of Basts shall extend over portions of the whole record-room during the year.<br />

[Para 1272]<br />

212. The District officer shall inspect the Record Rooms at least once every year.<br />

213. The Commissioner shall inspect the Record Rooms at the time of annual inspection of District<br />

Officer.<br />

214. The above rules shall normally apply to the Record Rooms of the Commissioner’s officer as<br />

well, The Commissioner will, of course make Addittional Commissioner (Administration)<br />

responsible for smooth functioning of Record Rooms.<br />

Serial<br />

no.<br />

REVENUE MANUAL<br />

FORM-A<br />

(Paragraph 153 and 206)<br />

FORM OF REGISTER TO SHOW RECORDS SENT OUT OF THE<br />

RECORD ROOM<br />

Date of<br />

receipt of requisition<br />

or of<br />

application<br />

for copy<br />

Date<br />

of<br />

issue<br />

Name<br />

of<br />

msuza<br />

and<br />

tabsil<br />

Desoription<br />

of case with<br />

misiband<br />

number<br />

(a)<br />

Signature of<br />

reciptant,<br />

(b)<br />

Signature of<br />

head copyist<br />

Date<br />

of<br />

return<br />

Signature of<br />

recordkeeper<br />

or<br />

baib-recordkeeper<br />

and<br />

remarks<br />

1 2 3 4 5 6 7 8


214<br />

R.D. Form no. 225.<br />

Form-B<br />

R.D. Form no, 215.<br />

(Paragraph-155)<br />

Register of record of special departments<br />

Serial no.<br />

Date of receipt in record room<br />

Description of record<br />

Description of record<br />

Name of special department to<br />

which record belonge<br />

Year or period to which record<br />

relates<br />

Name of officer depositing<br />

record<br />

Period prescribed for retention<br />

Date of destruotion<br />

Signature of weedar and<br />

record keeper in token of<br />

weeding<br />

Remarks<br />

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10


215<br />

FORM –C<br />

(Paragraph-156)<br />

Register of Registers<br />

R.D. Form no. 217<br />

Serial no.<br />

Date of reoeipt in<br />

record room<br />

Deeoription of<br />

register<br />

Name of department<br />

to which register<br />

belugs<br />

Year or period to<br />

which register relates<br />

Name of officer<br />

redipositing register<br />

Period preearibed for<br />

reteption<br />

Date of deetruotion<br />

Signature of weeder<br />

and record keeper in<br />

taken of weeding<br />

Remarks<br />

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10


216<br />

FORM –D<br />

(Paragraph 174)<br />

R.D. Form no. 218<br />

List of Revenue Records sent to the record-room from the Court of ------<br />

Desoription of osse<br />

Serial no.<br />

Date of deapstion of record to<br />

revenue record room<br />

Designation of despationing offical<br />

Serial no. of case<br />

Nature of case and name of perties<br />

Name of village<br />

Had bast number of village<br />

Name of pargane and tahsial<br />

Date deoiaion of final order<br />

Signature of the receiving officeral<br />

in the record room<br />

Signature with date of the officeral<br />

plaoing the file in the baste<br />

Signature the record keeper to<br />

varify the correcingess of column 11<br />

Recarks there enter the date of<br />

return of the file for correction and<br />

the date when it is received back in<br />

addition to other remarks if any<br />

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13


217<br />

R.D. Form no. 223<br />

FORM- E<br />

(Paragraph- 181)<br />

Mauzawar fly-inder of cases of muazd<br />

Pargana------------------ tappa--------- District<br />

Serial no.<br />

Number of cases in<br />

colurt’s mislband<br />

register<br />

Abstraot of<br />

case with<br />

names of<br />

parties<br />

Name of<br />

Parties<br />

Abstraot<br />

Date of decisto<br />

Date of filling in<br />

record room<br />

In Nethi A<br />

Number or of<br />

aheets<br />

In Nathi B<br />

In Nathi D<br />

Date of destruotion of<br />

Nathi A with<br />

signature of weeder<br />

and record keeper<br />

Remarks<br />

1 2 3(a) 3(b) 4 5 6 7 8 9 10


218<br />

FORM- F<br />

R.D. Form no. 224<br />

(Paragraph 181 to The Revenue Manaul )<br />

Kulliyat fly index of cases<br />

Mislnamd no………………. description of case ----------------------<br />

Serial no.<br />

Number of case in<br />

court’s mislband<br />

register<br />

Abatraot of case<br />

Date of final order<br />

Date of filing in<br />

record room<br />

Number of sheets<br />

In Nathi A<br />

In Nathi B<br />

In Nathi D<br />

Date of destruction<br />

of Nathi A with<br />

signature of weeder<br />

and record keeper<br />

Remarks<br />

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10


219<br />

R.D. Form no. 231,<br />

Basta no. ---------------------------------------------<br />

Village -----------------------------------------------<br />

Pargana ----------------------------------------------<br />

District -----------------------------------------------<br />

Form –G<br />

(Paragraph- 181)<br />

COVER FOR FLY-INDEX


220<br />

Date<br />

Name of applicant<br />

for inspection<br />

FORM- I<br />

(Paragraph- 188)<br />

INSFECTION BOOK<br />

Record book or register<br />

of which inspection is<br />

sought<br />

Time cecupied<br />

in inspection<br />

Stamps<br />

affixed<br />

Remarks<br />

1 2 3 4 5 6


221<br />

R.D. Form no. 220<br />

Date<br />

Name of<br />

applicant<br />

Partionlars<br />

Regarding the<br />

record given<br />

by applicant<br />

FORM- II<br />

(Paragraph- 194)<br />

SEABOH REGISTER<br />

Time<br />

ocoupied in<br />

searching<br />

for the<br />

record<br />

Result<br />

of<br />

search<br />

Date of report<br />

of cause of<br />

noncompitance<br />

to<br />

officer in<br />

charge<br />

Stamps<br />

affixed<br />

Remarks<br />

1 2 3 4 5 6 7 8


222<br />

R.D. Form no. 231<br />

FORM- III<br />

(Paragraph- 195)<br />

Application for information<br />

Original suit<br />

In respeet of appeal No. Of 19<br />

Revision<br />

Pending in the court of consigned to the record room<br />

Veraus<br />

The applicant desires information on the following questions:-<br />

Qestions<br />

Replies<br />

Dated,<br />

Signature of party or coninsel.<br />

Signature of official


223<br />

Furnishing replies.<br />

Notice- The paper shall be returned. The same day with the answer given. If the record is out, the<br />

foot should be stated and the applicant told to come back on the date specified.<br />

FORM- IV<br />

(Pargraph- 197)<br />

Form of requisition from Revenute Courts for Civil Court Records.<br />

In the court of -----------------------of --------------------------------<br />

To -------------------------------------------------------------Platntiee,<br />

Versus<br />

------------------------------------------------ defendant.<br />

Sir,<br />

Bo good enough to trainsmit to the court the record specified below. I have satiafies myself<br />

that the production of the wholo original record is actually necessary.<br />

Dated 19 Prasiding Officer.<br />

On what courts<br />

Register number and date<br />

of natitution of original<br />

suit, or the case of an<br />

appeal from a court of<br />

revenue to a civil court the<br />

register number of appeal<br />

and date of presentation<br />

Partieular of records sont for<br />

Names of<br />

parties<br />

Class<br />

Date of disposal<br />

Date by which<br />

record is<br />

required<br />

Mode of<br />

tranamission<br />

Order of<br />

presiding<br />

officer to<br />

whom<br />

requisition<br />

is sent<br />

1 2 3 4 5 6 7 8


224<br />

To,<br />

Sir,<br />

FORM- V<br />

(Paragraph 198)<br />

Form of requisition from civil courts for rent or revenue court records<br />

In the Court of -----------------------------------------------------------------<br />

Civil Suit no. Of 19<br />

--------------------------------------------------------- Platnttit<br />

Versus<br />

--------------------------------------------------------- Dettndant.<br />

Be good enough to transmit to this court the record specified below. I have satisfied myself<br />

that the production of the whole original record is actually necessary.<br />

Dated 19 Presiding Officer<br />

Of what court<br />

Names of parties<br />

Mauza<br />

Particulars of record rent for<br />

Description of suit or<br />

application with<br />

reference to seetion,<br />

who under which<br />

instituted,<br />

Pargana<br />

Date of<br />

deoision<br />

Date by which<br />

record is required<br />

Mode of<br />

transmission<br />

Order of presiding<br />

Offucer to whom<br />

requisition rent<br />

Remarks<br />

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10


225<br />

FORM- VI<br />

(Paragraph- 198)<br />

Form of transmission of record<br />

Serial number in the requisition<br />

form ealling for the record as given<br />

in Forth IV.<br />

Name of court sending the record<br />

Case for<br />

purposce<br />

of which<br />

record is<br />

rugulred<br />

Number<br />

Names of parties<br />

Of what court<br />

Particulars of records sent for<br />

Register number and<br />

date of institution of<br />

original suti, or in the<br />

case of an appeaol<br />

from a court of<br />

revenue to a civil<br />

court the register<br />

number of appeal and<br />

date of presentation.<br />

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15<br />

Names of parties<br />

Class,<br />

Date of disposal<br />

Date of reputsition<br />

Date of of transmission of record<br />

Date of receipt of record<br />

Date of order for return of record<br />

Date return of record<br />

Remarks<br />

Received record no. ------------------------ forwarded with the form for Received back the records<br />

duly forwarded Tranamission of record no. ---------------dated ------------------- compliance with<br />

requisition (case) no. ----------------------- by ------------ court. Date ---------------------<br />

from this courts<br />

Examined and found correct. (Signature) (Signature)


226<br />

FORM- VII<br />

(Paragraph – 202)<br />

Register of requisitions for records received in the record room of the district of -----------R.D.<br />

Form no 220<br />

Serial number<br />

Date of receipt of requisition<br />

Date of requisition<br />

Name of the court sending for<br />

the record together with the<br />

number of the case in that<br />

court and in the case of a<br />

record sent to the High Court<br />

the Judioial Commissioner the<br />

names of the parties<br />

Of what court<br />

Particulars of records<br />

Names of parties<br />

Mauza of pargana<br />

Description of suit or<br />

application with refer once<br />

to section the under which<br />

instituted<br />

Date by which record is<br />

required<br />

Date of of transmission of<br />

record<br />

Date of return of record<br />

Date of restoration or records<br />

to bundle<br />

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14<br />

Date of decision<br />

Remarks


227<br />

CHAPTER – 3<br />

Retintion and destruotion or Records in Offices Under The District Magibtrate<br />

4. Rules for destruction of records- The instructions in this chapter supplemeny the rules issued by the<br />

High Court and the Board of Revenue with the approval of Government and should be observed in<br />

the destruction of non-judicial records in offices under ther District magistrate. These instructions do<br />

not affeot the rules for the restentaion of records contained in the High Court Rules and Revenue<br />

manual nor do they affect those issued by Government for the disposal of papers connected with the<br />

working of the Arms Act. Rules for the disposal of records are made under section “O” of the<br />

Dastruction of Records Act, 1917.<br />

5. Destruction of reminders and unimportant papers- (1) In all correspondence, reminders,<br />

explianation of delay and docketa on care matters of routins should be desiroyed when the file in<br />

alosed, and before it is finally consigned to the record room The originals of papers, of which<br />

parinted copies have been received, may be destroyed on receipt of the printed copies,<br />

(2) Application for copies may be destroyed one years after disposal.<br />

(3) Oiroulars, etc. should be destroyed when they are canoelled or superseded.<br />

6. Retention of other papers-(1) Papers not destruoyed under the above rules should be destroyed<br />

after the expiry of 3, 12 or 35 years, or retained permanently in accordances with the classificestion<br />

given in Appandix I.<br />

(2) The first of those lista refers to merely routine statements or to miscellaneous<br />

correspondence of no permspent value, It should be noted that no important correspondence should<br />

be destroyed after three years even though it comes under one of the subjects included in that list but<br />

should be retained for a longer period to be determined by the officer in charge.<br />

(3) The lists in Appendix I are not exhaustive but it is believed that they are suffioiently<br />

complete to be of praotical use.<br />

Papers not entered in any of the lists and which are not covered by the rules mentioned in<br />

paragraph 4 may be treated by the officer in charge as pertaining to the list which appears most<br />

appropriate the general principal being always that only miscellaneous correspondence of no<br />

permanent value is to be destroyed after three years. Doubtful cases should be decided by the District<br />

magistrate who may, if necessary, rafer to Government if guidanoe is required in respeot of papers of<br />

importanoe. The District non-judioial document or paper be retained for a period loget than that<br />

presoribed.<br />

7. Calculation of weeding period- In calculating the time fixed for the destruction of records the<br />

computation will be from the commencement of the calendar year succeeding that in which the<br />

correspondence took place.<br />

8. Procedure in weeding- In January each year, the English Record-keeper will go round the Records<br />

room picking out the files meant for destruction and will destroy them after making a destruction list


228<br />

without further orders, exoept in the rare cases in which he feels some doubt which will be upt up to<br />

the officer in charge.<br />

9. Annual clearance of papers- Annual clearances of useleas papers, except as in paragraph 5 above,<br />

should be effected between May and September.<br />

APPINDIX-I<br />

(Referred to in paragraph-6)<br />

RETENTION AND DESTRUOTION OF BLOORDS IN OFFICES UNDER THE DISTRICT<br />

MAGISTRATE<br />

List I<br />

Misoellaneous correspondence relating to the undernoted subjects may ordinarily be destroyed after<br />

three years.<br />

REVENUE DEPARTMENT-<br />

Arsenio, Supply of- for record rooms.<br />

Books.<br />

Camping grounds. Miscellaneous correspondence and pericdical returns corcerning-<br />

Famine. Misoellaneous correspondence regarding-<br />

Temporary establishment. Correspondence regarding- orders sanctioning- (to be weeded three years<br />

after termnation of posts).<br />

General-<br />

Advisory Committees. Appointment of members to-<br />

Answer to questions in the State Legislature.<br />

Arborioulture.<br />

Candidate for service appointments. Papers regarding-<br />

Chatikindar’s death and birth registers.<br />

Faors/ (Also see in List II)<br />

Fortnightly reports, (See also paragraph 691)<br />

Government appeals, Miscellanecus papers concerning-<br />

Indents.<br />

Indian companies Act. Inquiries regarding companies registered or to be registered under-<br />

Local improvements.<br />

Marriages. (For register see List IV)<br />

Miscellaneous correspondence of an unimportant nature.<br />

Pounds. (Also see in List II)<br />

Reformatories. Character of boys from—<br />

Repatriation (three years after duesafe recovered or written off)<br />

Revisions. Criminal—<br />

Scholaships. Papers concerning applications for—<br />

Traffic Area Committee Procecdings of –<br />

Unimportant correspondence with authorities in Nepal, Kashmit and Bhutan.<br />

Vaids and Hakims. Registration of – (Three years after the death of the person concerned).<br />

Viaits of Ministers. Correspondence and miscellaneous papers regarding—<br />

List II<br />

Papers to be retained for 12 years<br />

REVENUE DEPARTMENT—<br />

Appointment of staff. Correspondence relating to demands for—


229<br />

Calamities (firs, flood and earth quake).<br />

Orphans and unclained children. Papers regarding—<br />

General—<br />

Aocidents—Reports of shooting, bomber, airoraft, railways, etc.,<br />

Air raid precautions.<br />

Candidates for employment, Verification of the character and anteoedens of –<br />

Commerce (including Banking). References regarding—<br />

Disposal or sequisition of land by Government (retain while land is in Government possession and<br />

weed 12 years after disposal)<br />

Fairs (other than Magh and Kumbh). Orders regarding—<br />

Habitual criminals Correspondence regarding previous history or previous connections of—<br />

Immigration.<br />

Indians Aborad. Where abouts of –<br />

Literary Soueties. Returns of –<br />

National Cadet Corps.—<br />

Pounds. Establishment of –<br />

Power Aloohol, References regarding—<br />

State exhibitions. References regarding—<br />

List III<br />

Papers to be retained for 35 years<br />

Absoonded Offenders. Proposals and orders regarding immovable proparty of—<br />

Associations of Government servants, General orders regarding—<br />

Chaukidari Towns. Proposals for taxation or exemption from taxation of –<br />

Cinemas papers regarding ereetion and licenating of—<br />

Cirouit Houses. Important orders relating to—<br />

Emigrants Register of –<br />

Esta blishment, Correspondence, relating to increase or deorease of permanent- (See also in List IV)<br />

Foreigners, Register of—<br />

Grants in aid. General instructions regarding—<br />

Honorary Magistrates. Important papers regarding appointment or removal of—<br />

Influx from Pakistan (Control) Act.<br />

Loans. General instructions regarding the grant of—<br />

Melas-Magh and kumblt. Important papers relating to—<br />

Military personrmel and liaison between Civil and Military.<br />

Mines and Minerals. Important references regarding—<br />

(Provided that leases and certitioates of approval of prsoecting licenoes shall be retained for three<br />

years after the expiry of their term).<br />

Naturalization.<br />

No. Objection Certificates, Register of—<br />

No. Objection Certificates (Certificates of identity). Register of—<br />

Other of office.<br />

Pensions. Forfeiture and restoration of –<br />

Permanent permits. Lssue of—by the Deputy or High Commissioner for India in Pakistan.<br />

Permit system Rules, Government of india’s instructions and Government circulsrs relating to—<br />

Political sufferers and dependants of mutiny veterans, Allowances and similar allowanced terminsting<br />

within a life-time to—<br />

Printing Presses and Newspapers, Security from—


230<br />

Qazis. Appointment of—<br />

Reoruits, Register of—<br />

Sabtiage on railways,<br />

Salutes, Important papers concerning—<br />

State Prisoners, papers relating to—<br />

State Services, Rules relating to—<br />

Temporary permits, Converaion of- into permanent where converision aotually effected.<br />

Titles, Papers connected with—<br />

Generally important papers which it is considered unnecessary to retain permanently but which,<br />

should be retained for a longer period.<br />

List IV<br />

Papers to be retained permanently<br />

Aocidents reports from factories.<br />

Acquistion of land for industrial or public purposes.<br />

Antiquarian remains. Register and correspondence regarding preservation of—<br />

Bills and Acts. (Surplus copies need not be retained permanently).<br />

Birth and death registers in P.H. forms nos. 1 and 5.<br />

Boundary disputes between u.p. and other States (important parers only),<br />

Cantonments. Important correspondence relating to—<br />

Communal matters, Important papers relating to—<br />

Dakbungalows, encamping grounds wells, roads, ferries, sarais, oto,<br />

Important correspondence regarding—<br />

Deferice one Important papers regarding—<br />

Esta blishment Orders sanctioning permanent—<br />

Farmire. Instructions with programme for relief of and construetion of building and road during-<br />

(Retain till next famine).<br />

Flags, Flying of- (To be preserved until cancelled or suspended).<br />

Ganga Khadir and Teral Bhabar Colonization Saheme and other colonization sahemes which have<br />

matured. (main files only).<br />

Government gazette. (only one set to be retained permanently).<br />

Indo-pakistan relations, Matters of policy concerning—<br />

Law and order, Important matters of policy relating to—<br />

Marriage Register of—<br />

Memorial statues. Important orders regarding—<br />

Mortuary and birth statistios in P.H. form no. 9 for the years prior to 1911 for which there are no.<br />

P.H. forms nos. 1 and 5.<br />

Nazil. Parmsnent lease of—<br />

Plitional associations.<br />

Politional pensions.<br />

President and Governor. Bules for protcotion of—<br />

Prosoription of publications. Notification of—<br />

Purchase and sale of Dehydration factories (main file).<br />

Registered documents.<br />

Registers of pormanent utility generally.<br />

Rules and regulations framed under the various Centrel and State Acts.<br />

Scheduled castes, Important instructions relating to—<br />

Seourity schemes and Railway security schemes<br />

Important matters of policy relating to—


231<br />

Transfer of ares. Papers relating to—from one to another jurisdiotion,<br />

Important G.Os.B.Os.and airculars issued by the Land Reforms Commissioner. (Surplus copies need<br />

not be retained permsnently. All airculars, G.Os. and B.Os. should be destroyed after they are<br />

cancelled or superseded unless there is special reason for their retention).<br />

ेषक,<br />

सेवा म,<br />

सं या-3339/तैतािलस 1-92-37(1)/84<br />

ी शंकर लाल पा डेय<br />

संयु त िनदेशक एवं संयु त सिचव,<br />

उ तर देश शासन।<br />

सम त वभागा य एवं मुख कायालया य,<br />

उ तर देश।<br />

लखनउ दनांक 30 जनवर, 1993<br />

वषय 1 अिभलेख का िनदाग।<br />

महोदय,<br />

मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क शासनादेश सं या: 3657/तैतािलस-1-<br />

37(1)/1984, दनांक 7-1-1985 के साथ शासन ने मु य िनरक राजकय कायालय उत ्तर देश<br />

इलाहाबाद ारा तैयार क गई अिभलेख क एक ऐसी सूची िनगत क थी जो लगभग सभी कायालय<br />

म सामा यत: रखे जाते है। इस सूची म यह बताया गया था क विभ न अिभलेख को कतनी<br />

अविध तक सुरत रखा जाया अब यह आव यक समझा गया है क इस सूची को अाविधक कया<br />

जाय। अंत: उ त सूची को मु य िनरक, राजकय कायालय से अाविधक तथा संशोिधत करा<br />

िलया गया है। इसक एक ित संल न है।<br />

2- मुझे यह िनवेदन करने का िनदेश हुआ है क जन कायालय म िनदान िनयम<br />

वमान न हो अथवा जनम ये िनयम आलेख प म ह वे अपने िनदान िनयम को अतम प<br />

देने के िलये संल न सूची का उपयोग कर ल और जन कायालय म िनदान िनयम है व इस सूची<br />

क सहायता से अपने िनयम को अाविधक बना ल।<br />

आा से,<br />

शंकर लाल पा डेय,<br />

संयु त िनदेशक एवं संयु त सिचव<br />

सं या 3339(1)/तैतािलस-1-92-37(1)-84, तदनांक


232<br />

ितिलप सूचनाथ सिचवालय के सम त अनुभाग को ेषत:-<br />

आा से,<br />

शंकर लाल पा डेय,<br />

संयु त िनदेशक एवं संयु त सिचव<br />

िनरणालय ारा सं तुत सामा य अिभलेख क वीडग हेतु िनधारत समय/अविध<br />

म<br />

अिलेख का नाम/वषय<br />

समय/अविध वशेष ट पणी<br />

सं या<br />

जब तक<br />

सुरत रखा<br />

आय/न ट<br />

कया जाय।<br />

1 2 3 4<br />

सामा य प यवहार<br />

1 उपथित पंजी (ा तीय फाम नं0 161) एक वष<br />

2 आकमक अवकाश पंजी (एम0जी0ओ0 1981 समा त होने के एक वष बाद<br />

सं करण, पैरा 1086)<br />

3 आडट महालेखाकार/वभागीय आ तरक आपय के अतम समाधान के बाद<br />

लेखािधकार ारा क गई आडट पाविलयां अगले आडट होने तक।<br />

4 आय- ययक अनुमान क पाविलयां दस वष<br />

5 सरकार धन, भ डार का अपहरण, कमी,<br />

िन यो य व तुओं के िन तारण आद संबंिध<br />

अतम िनणय व वसूली राइट आफ के<br />

प चात तीन वष<br />

पाविलयां<br />

6 डेड टाक, य शील/उपभोग व तुओं एवं<br />

पु तकालय हेतु य क गई पुतक आद के<br />

प यपहार संबंिध पाविलयां<br />

टाक बुक म व, विभ नताओं के<br />

समाधान एवं त संबंधी आडट आपय<br />

के समाधान के प चात एक वष<br />

7 िनरक ट पणी एवं उनके अनुपालन संबंधी<br />

प- यवहार क पाविलयां<br />

उठाये गये ब दुओं, दये गये सुझाव के<br />

काया वयन के बाद अगले िनरण तक।<br />

8 अिधकार के मांग के ताव एवं अिधकार के थायी प से।<br />

ितिनधायन (डेलीगेशन पावस) के आदेश से<br />

संबंिधत पाविलयां<br />

9 प के मुण संबंधी पाविलयां आडट आपय के अतम िन तारण के<br />

प चात एक वष<br />

10 लेखन सामािय/प के मांग-प (इ डेट) तीन वष तक


233<br />

( टेशनर मैनुअल का पैरा 37 तथा 39)<br />

मश: ा तीय प 173 तथा 174<br />

11 दौर के कायम तथा टूअर डायर यद कोई<br />

िनधारत हो।<br />

एक वष बाद या गोपनीय चरावली म<br />

वयां पूण होने के बाद जो भी पहले<br />

हो क तु यद कोई ितकू ल वय से<br />

संबंिधत हो तो उसे यावेदन के अतम<br />

िन तारण के एक वष बाद<br />

12 वभागीय वाषक ितवेदक रपोट वषवार एक ित थाई प से सुरत<br />

रखी जायेगी शेष ितयां पाँच वष तक<br />

13 वाषक ितवेदन के संकलन हेतु ितवेदन छपने/कािशत हो जाने के एक<br />

एकत/ा त सामियां तथा उनक पावली वष<br />

14 स मेलन/गोय/मीटंग का कायवृ त एक ित थाई प से रखी जाय शेष<br />

तीन वष तक<br />

15 वधान सभा/वधान परष/लोक सभा/रा य<br />

सभी के न क पाविलयां<br />

पाँच वष क तु आ वासन सिमितय को<br />

दये आ वासन क पूित के पाँच वष बाद<br />

16 िनयमविलयां, िनयम, विनयम, अिधिनयम, थाई प से<br />

कया, परपाट, पित तथा उनक या या<br />

संशोधन तथा उनक पाविलयां<br />

17 काय के मानक/ टन ्डड/नाम िनधारण संबंधी थायी प से<br />

शासकय एवं वभागीय आदेश<br />

18 वीडग शेयूल/अिभलेख िनयंण िनयम/सूची पुनसंशोधन/रवीजन/परवतन क एक<br />

ित थायी प से तथा शेष तीन वष<br />

तक<br />

19 शासनादेशां/वभागीय आदेश को गाड फाइल थायी प से<br />

20 ा त एवं ेषण पंजी (ा तीय फाम नं0 19) प चीस वष तक<br />

21 पावली पंजी/फाइल रज टर/इ डे स रज टर म दज अ थाई प से सुरत<br />

रज टर (ा तीय प 20, 21, 26 आद) पाविलय को न अ कर दये जाने तथा<br />

थाई प से सुरत रखे जाने वाला<br />

पाविलय के रज टर पर उतार दये<br />

जाने के बाद,<br />

22 थाई पाविलय का रज टर थाई प से<br />

23 पीयून बुक (ा तीय फाम नं0 51) समा त होने के एक वष बाद तक<br />

24 चालान बह (इ वायस) (ा तीय फाम नं0 समा त होने के एक वष बाद तक


234<br />

61)<br />

25 आविधक/सामियक ववरण-प का रज टर समा त होने के दो वष बाद तक<br />

सूची (िल ट आफ पीरयाडकल रपटस ए ड<br />

रटनस)<br />

26 सरकार डाक टकट पंजी (ा तीय फाम नं0<br />

52)<br />

समा त होने के तीन वष बाद तक अथवा<br />

उसम अंकत अविध क आडट आपयॉं<br />

के समाधान के प चात एक वष<br />

27 िशकयती प क पंजी (एम0जी0ओ0 वष<br />

1981 सं करण का पैरा 772(7)<br />

दज प के अतम िन तारण हो जाने<br />

या समा त हो जाने पर अवशेष को दूसरे<br />

रज टर म उतार लेने के बाद<br />

28 सरकार गजट डवीजनल किम नर एवं जला जज के<br />

कायालय को छोडकर जहॉं गजट, थायी<br />

प से रखा जाता ह, शेष कायालय म<br />

बीस वष तक<br />

29 सरकार वाहन क लोग बुक तथा रिनग<br />

रज टर<br />

वाहन के िन यो य घोषत होकर नीलाम<br />

ारा िन तारण के बाद तथा आडट हो<br />

जाने के प चात एक वष बाद तक यद<br />

कोई आडट या िनरण क आप<br />

िन तारण हेतु शेष न हो<br />

30 समा त पंजय क पंजी (रज टर आफ<br />

क लीटेड रज टर)<br />

कसी एक ख ड म दज सभी पंजय को<br />

न ट कर देने के बाद या कु छ अवशेष<br />

पंजय को दूसरे रज टर म उतार िलया<br />

जाने के तीन वष बाद<br />

31 अिन तारत प क सूची/रज टर (िल ट रज टर समा त होने पर अवशेष<br />

ऑ पटंग रफरे सेज)<br />

अनतरत प को दूसरे रज टर पर<br />

उतार कर स यापन कराने के एक वष<br />

बाद<br />

32 अनुसूिचत जाित/अनजाित के आरण से<br />

संबंिधत पावल एवं<br />

सम त बाद, अपोल एवं यावेदन के<br />

अतम िन तारत होने के 10 वष बाद<br />

33 िशण से संबंिधत पाविलयां पाँच वष<br />

34 शाटहै ड नोट एक वष<br />

35 टाइप राइटर मर मत रज टर एवं पाविलयां िन यो य घोषत हो जाने तथा अतम<br />

िन तारण एवं महालेखाकार उ00 का


235<br />

आडट हो जाने के 3 वष बाद<br />

36 साइकल मर मत रज टर एवं पाविलयां िन यो य घोषत हो जाने तथा अतम<br />

िन तारण एवं महालेखाकार उ00 का<br />

आडट हो जाने के 3 वष बाद<br />

थापना/अिध ठान-2<br />

1 कमचारय/अिधकारय क िनजी पाविलयां पशन को िनजी पाविलयां य के<br />

(पसनल पाविलयां)<br />

अतम थाना तरण के साथ उसी<br />

वीकृ ित के कार एक कायालय म<br />

प चात पाँच थाना तरत क जानी<br />

वष तक चाहये, जैसे सेवा<br />

पुतकाय तथा गोपनीय<br />

आ याय<br />

आद<br />

थाना तरत क जाती ह।<br />

2 अ थायी/ थापान िनयुय हेतु मांगे गये<br />

ाथना-प/ा त आवेदन-प क पाविलयां।<br />

पाँच वष (चुने गये/िनयु त कये गये<br />

यय के ाथना-प को छोडकर जो<br />

थाई प से वैयक पावली म रखे<br />

जायगे,<br />

3 वाहन, साइकल गृह िनमाण सामा य भव य<br />

िनवाह िनिध आद या इसी कार के अ य<br />

अिम क रािश याज सहत यद कोई<br />

हो तो उसके भुगतान के प चात एक वष<br />

अिम से लबिधत पाविलयां<br />

4 इनरैिलड पशन वीकृ ित के मामल क प चीस वष तक<br />

पाविलयां<br />

5 कमचारय/अिधकारय को ितिनयु पशन े युट, आद क वीकृ ित के पाँच<br />

(डपुटेशन पर िनयु संबंधी पाविलयां)<br />

वष बाद<br />

6 ेडशन सूची थाई प से<br />

7 सेवा पुतकाय/सेवा नामाविलयां व तीय िनयम-संह ख ड दो, भाग 2 से<br />

4 के सहायक िनयम 136-ए के अनुसार<br />

8 शपथ/िन ठा पंजी (रज टर आफ ओथ आफ<br />

एिलजये स) राजाना सं या 3101/दो-बी-163-<br />

नवीन रज टर म वयां नकल करके<br />

उ ह स यापत करा िलये जाने के बाद<br />

52 दनांक 23-1-54 तथा सं या 1221/दो-<br />

बी-163/64 दनांक 15-5-64<br />

9 थापना आदेश पंजी (इ टैलशमे ट आडर<br />

बुक) राजाा सं या ए-1792/दस-तीन-1929<br />

थायी प


236<br />

दनांक 11-4-30<br />

10 थापना का वाषक सं या मक ववरण तदैव<br />

(राजाा सं0 ए-5641/दस-15/7/62 दनांक<br />

24-2-65 ारा िनधारत<br />

11 गोपनीय चराविलयां/गोपनीय आ याए सेवा िनवृ/पद- याग या समाि के तीन<br />

वष<br />

12 सरकार कमचारय/अिधकारय के जमानती<br />

वा ड (व तीय िनयम संगह ख ड पाँच, भाग-<br />

एक का पैरा 69-73)<br />

सरकार कमचारय के पद छोडने के दस<br />

वष बाद<br />

(1) मूल प यवहार 10 वष बाद<br />

(2) वाषक स यापन का प- यवहार<br />

स यापन के एक वष बाद<br />

13 पंजी जमानत (व तीय िनयम संह, ख ड<br />

पाँच, भाग एक का पैरा 69-73)<br />

पैरा 73 व तीय िनयम संह ख ड पाँच<br />

भाग एक 1 पद छोडने के 6 माह बाद या<br />

नए रज टर म वयां नकल कर लेने<br />

के बाद<br />

14 पशन े युट, पारवारक पशन आद को<br />

पावली<br />

सेवा िनवृ पर वीकृ ित व भुगतान के<br />

प चात दस वष<br />

15 पारिमक/पारतांषक वीकृ ित स ब धी भुगतान आडट आप के अतम<br />

पाविलयां<br />

िन तारण तथा गोपनीय चरावली म<br />

व के एक वष बाद<br />

16 राजकय कचारय के पूव चर का सेवा िनवृ के पाँच वष बाद तक<br />

स यापन (वैरफके शन आफ कै रे टर ए ड<br />

ऐ टासीडे स)<br />

17 विभ न पद के सुधान स ब धी प- यवहार<br />

क पावली<br />

पद का सुधान वीकृ त होने पर थायी<br />

प से अ यथा तीन वष<br />

18 नई मांग को अनुसूची स ब धी पावली सूची क एक ित थायी प से रखी<br />

जाएगी। शेष पावली वीकृ ित/अ वीकृ ित<br />

के तीन वष बाद तक<br />

19 वाषक वेतन वृ/दता रोक िनयंण पंजी रज टर समा त होने के पाँच वष<br />

बाद।यद कसी रोक गई वेतनवृ या<br />

दतारोक का मामला अिन तारत न हो<br />

या कोई आडट आ प का िन तारण<br />

अवशेष न हो।


237<br />

20 पशन क ोल रज टर (राजा सं या सं0<br />

जी-2-3994/दस-927-1958, दनांक 10-2-64<br />

म िनधारत<br />

रज टर म दज सभी मामल का अतम<br />

िन तारण हो जाने व रज टर समा त हो<br />

जाने के पाँच वष बाद<br />

21 अनुशासिनक कायवाह रज टर राजाा सं या<br />

1284/दो-बी-99-60, दनांक 11-4-1961 म<br />

िनधारत)<br />

सभी दज मामल का अतम िन तारण<br />

हो जाने व रज टर समा त हो जाने के<br />

पाँच वष तक<br />

22 यावेदन/अपील िनयंण पंजी (राजाा सभी दज यावेदन/अपील के अतम<br />

सं या 7-2-1975 िनयु (3) दनांक 4-7- िन तारण के पाँच वष बाद<br />

73 म िनधारत)<br />

23 भव य िनवाह िनिध के रज टर-<br />

(1) लेजर<br />

(2) ाडशीट<br />

सभी दज कमचारय के सेवा िनवृ के<br />

पाँच वष बाद, यद कोई भुगतान के<br />

मामले अवशेष न रह गए ह।<br />

(3) इ डे स<br />

(4) पास बुक<br />

24 मृतक सरकार कमचारय के आित क<br />

िनयु स ब धी पावली<br />

सभी मामल म िनयु आदेश क ित<br />

वैयक पावली म रखे जाने के 10 वष<br />

बाद<br />

25 सेवायोजन कायालय के मा यम से हुई 10 वष<br />

िनयु<br />

26 तैनाती/ थाना तरण से स बधत पाविलयां 5 वष<br />

27 दैिनक वेतन भोगी कमचारय को िनयु महालेखाकार, उ00 का आडट हो जाने<br />

के 3 वष बाद<br />

28 वभागीय चयन सिमित से स बधत पावली सम त बाद अपील एवं यावेदन के<br />

अतम िन तारत होने के 10 वष बाद<br />

29 गिमय के िलए वाटर मैन क िनयु महालेखाकार, उ00 का आडट हो जाने<br />

के 3 वष बाद<br />

लेखा- 3<br />

1 याा भ ता करण आडट हो जाने के एक वष बाद<br />

2 ट0ए0बल तथा ट0ए0 चैक रज टर आडट हो जाने के तीन वष बाद<br />

(व तीय िनयम-संह ख ड पाँच भाग-एक का<br />

पैरा 119)<br />

3 बजट ावधान के सम यय क रािशय क<br />

पावली<br />

महालेखाकार से अतम स यापन व<br />

समायोजन हो जाने के एक वष बाद


238<br />

4 ासंिगक यय पंजी (कं टजै ट रज टर)<br />

व तीय िनयम संह, ख उ पाँच भाग-एक का<br />

आडट के पाँच वष बाद यद कोई आडट<br />

आप का िन तारण अवशेष न हो।<br />

पैरा 173<br />

5 वेतन बल पंजी तथा भुगतान पंजी पतीस वष। व तीय िनयम संह ख ड<br />

(ए वीटे स रोल) व तीय िनयम संह, ख ड<br />

पाँच भाग-एक का पैरा 138, फाम 11 बी<br />

पाँच भाग-एक का पैरा 85, परिश ट 16<br />

के अनुसार।<br />

6 बल रज टर 11 सी व तीय िनयम संह आडट हो जाने के तीन वष बाद<br />

ख ड पाँच भाग-एक का पैरा 139<br />

7 कै श बुक आडट हो जाने के बारह वष बाद यद<br />

कोई आडट आप िन तारण हेतु अवशेष<br />

न हो<br />

8 ेजर बल रज टर (राजाा सं या पूण होने तथा आडट हो जाने के तीन वष<br />

2158/सोलह (71)/68 ड.ट. दनांक 7-5- बाद यद कोई आडट आप शेष न हो।<br />

1970 ारा िनधारत)<br />

9 रेलवे रसीद रज टर (आर0आर0रज टर) पूण होने तथा आडट हो जाने के तीन वष<br />

बाद, यद कोई आडट आप शेष न हो।<br />

10 टेलीफोन ंककाल रज टर पूण होने तथा आडट आप न होने तथा<br />

कोई बल भुगतान हेतु शेष न होने क<br />

दशा म एक वष<br />

11 मािसक यय पंजी/पावली यय के महालेखाकार के स यापन तथा<br />

अतम समायोजन के प चात दो वष<br />

12 बल इनकै शमे ट पंजी व तीय िनयम संह<br />

ख ड पाँच भाग-एक का पैरा 47-ए<br />

समा त होने के तीन वष बाद यद कोई<br />

आडट आप िन तारण हेतु अवशेष न<br />

हो और न कसी धनरािश के अपहरण<br />

चोर, डकै ती आद क घटना घट हो।<br />

13 पी0एस0आर0 (पेइज टै पड रसीट रज टर)<br />

राजाा सं या ए -1-150/दस-10(2)/60,<br />

महालेखाकार के आडट क आपय के<br />

िन तारण हो जाने के पाँच वष बाद<br />

दनांक 28-4-1960 तथा ए-1-2878/दस-15<br />

(5)-78, दनांक 10-1-79<br />

14 ट0ए0 क ोल रज टर समा त होने पर तीन वष बाद, यद<br />

िनधारत एलाटमट से अिधक यय कये<br />

जाने का मामला वभागा य/शासन के<br />

वचाराधीन न हो।


्<br />

239<br />

15 रसीद बुक, ईशू रज टर (ेजर फाम न0<br />

385 व तीय िनयम संह, ख ड पाँच भाग-<br />

एक पैरा 26)<br />

दस वष यद कसी रसीद बुक के खो<br />

जाने या धन के गबन के मामले<br />

अिन तारत न ह तथा महालेखाकार का<br />

आडट हो चुका ह।<br />

16 परमाने ट ऐडवा स रज टर (व तीय िनयम थायी प से<br />

संह, ख ड पाँच भाग एक का पैरा 67 (5)<br />

17 बै युएबल रज टर (व तीय िनयम संह थायी प से<br />

ख ड पाँच भाग-एक का पैरा 38)<br />

18 डुप ्लीके ट क (Key) रज टर व तीय िनयम थायी प से<br />

संह, ख ड पाँच भाग-एक का पैरा 28, नोट<br />

(1)<br />

19 आवासीय भवन क कराया पंजी फाम 27<br />

व तीय िनयम संह, ख ड पाँच भाग-एक का<br />

पैरा 265<br />

रज टर समा त होने पर तीन वष, यद<br />

कोई अवशेष कराये क वसूली का करण<br />

या आडट आपय का िन तारण अवशेष<br />

न हो।<br />

20 महालेखाकार उ00 से ाि तथा यय के<br />

आंकड का समाधान<br />

आंकडो के पूव स यापन को अतम करने<br />

के प चात 2 वष<br />

21 राइट आफ हािनयॉं महालेखाकार, उ00 का आडट हो जाने<br />

के 3 वष बाद यद कोई करण लबत<br />

न रह गया हो।<br />

22 सरकार धन और भ डार के दुविनयोग और<br />

गबन<br />

करण के पूण अतम िन तारण हो जाने<br />

एवं महालेखाकार उ00 का आडट हो<br />

जाने के 3 वष बाद<br />

23 आवास भ त एवं अ य भ त महालेखाकार उ00 का आडट हो जाने के<br />

3 वष बाद<br />

24 भूिम तथा भवन पंजी (व त ह तपुतका<br />

ख ड-पाँच भाग-एक के तर 265 (ए) म<br />

िनधारत<br />

थायी प से<br />

आर0सी0वाजपेई,<br />

उप मु य िनरक, राजकय कायालय<br />

कृ ते मु य िनरक राजकय कायालय,


240<br />

उ तर देश इलाहाबाद।<br />

सं या 244/xxxi(2)G/2005<br />

ेषक,<br />

डा0आर0एस0टोिलया,<br />

मु य सिचव,<br />

उ तराख ड शासन।<br />

देहरादून।<br />

सेवा म,<br />

1. सम त वभागा य उ तराख ड<br />

2. सम त कायालया य उ तराख ड<br />

शासिनक सुधार वभाग दनांक देहरादून, 23 अैल, 2005<br />

वषय:- वभागा य/िनदेशालय एवं कायालया य के कायालय म अिभलेख को अिभलेखन<br />

(Reecording) करने एवं उ ह न ट करने के स ब ध म िनधारत अविध का ववरण।<br />

महोदय,<br />

मुझे यह कहने का िनदश हुआ ह क सैिनक क याण िनदेशालय के कायालय के<br />

िनरण के दौरान अिभलेख के रख-रखाव उनके िनदान आद के स ब ध म कितपय किमयां पायी<br />

गयी। यह भी पाया गया क कािमक को अिभलेख के अिभलेखन एवं उनके रख-रखाव के बारे म<br />

समुिचत जानकार नहं है। यह थित अ य कायालय म भी हो सकती है। अंत: इस बात को<br />

यान म रखते हुये कायालय म अिभलेख के रख-रखाव उनके िनदान के बारे म पूर या एवं<br />

उन वषय क सूची और उ ह रखने को समयाविध का ववरण सहत जो सामा यता सभी कायालय<br />

म यवत होते ह आपके पथ दशनाथ भेजी जाती है।<br />

क- िनेप पाविलय को अिभिलखत रकाडंग करने से पूव क कारवाई:-<br />

1. अिभिलखत करने से पूव यह देख िलया जाय ह क पावली म कोई कारवाई शेष तो<br />

नहं ह और उसम सभी कागजात पूरे है।<br />

2. फटे-पुराने कवस को बदल दया जाय और पावली सं या और वषय मोटे अर म<br />

प ट िलखा जाय।<br />

3- रंगीन िचट एवं अनाव यक कागजात को हटा दया जाय।<br />

4- पावली के पाचार कवस म रखे सभी प को आरोह म म माकत कर िलया<br />

जाय। तथा मह वपूण पाविलय म येक पृ ठ पर पृ ठ सं या भी आरोह म म<br />

डाल द जाय।


241<br />

5. पावली के कवस पर कु ल मांक एवं पृ ठ सं याओं का उ लेख कर दया जाय।<br />

ख- अिभलेखन क कारवाई:-<br />

1. यद पावली के ट पणी और ट पणी और पाचार के दो अलग-अलग फलक ह तो<br />

अिभलेखन क कारवाई पाचार फलक पर िन न कार दशाय जाय।<br />

2. जो पाविलयां थायी कृ ित क ह उनम वष माह के थान पर थायी श द का उ लेख<br />

कया जाय।<br />

3. पाविलय को वषयवार, वषवार एवं मवार यवथत करके बीस-बीस के बंडल म रखा<br />

जाय।<br />

4. यद कायालय म अिभलेख क ह तो पाविलय को बीजक के मा यम से अिभलेख क<br />

भेजा जाय। बीजक को िन न ाप म बनाया जा सकता है।<br />

पावली सं या पावली के कवस क सं या वषय रखे जाने क अविध<br />

ग- अिभलेखन के प चात क कारवाई:-<br />

1. नमी से पाविलय को न ट होने से बचाने के िलये रै स दवार और िसिलंग से एक फट<br />

हटाकर लगाये जाय।<br />

2. धूल से बचाने के िलये समय-समय पर वै यूम लीनस से धूल साफ करा ली जाय।<br />

3. कडे मकोड चूह आद से पावली को होने वाले नु सान से बचाने के िलये कटनाशको का<br />

समय-समय पर िछडकाव कया जाय एवं रै स के नीचे नै थलीन स को रख दया जाय।<br />

सूय क सीधी करण से बचाने के िलये रै स को ऐसे थान पर रखा जाय जहां पर हवा<br />

रोशनी तो आती हो लेकन सूय क सीधी करण पाविलय पर न पडती ह।<br />

घ- पाविलय को न ट करने से पूव क कारवाई (र यू):<br />

1. जन पाविलय को अिभिलखत कर दया गया ह और उनके रखे जाने क अविध िनधारत<br />

कर द गई ह उ ह उस िनधारत अविध के प चात न ट करने से पूव एक बार उनका र यू<br />

कर िलया जाय। र यू म जन पाविलय क कायालय/वभाग के िलये भव य म<br />

आव यकता समझी जाय उ ह फर से अिभिलखत करके भव य के िलये रख दया जाय।<br />

शेष पाविलय को एक वीडंग रज टर म उनक सं या व वषय नोट करके और सम<br />

अिधकार काअनुमोदन ा त करके न ट कर दया जाय।<br />

2. गोपनीय कृ ित के अिभलेख को जलाकर एवं शेष को फाडकर न ट कया जाय। थायी<br />

कृ ित के अिभलेख को अलग से लॉक ए ड क (Lock and key) म रखा जाय।<br />

सामा य प यवहार वधान सभा न, आडट, थापना/अिध ठान, लेखा, आय-<br />

ययक स ब धी कु छ ऐसे वषय ह जो सामा यता सभी कायालय म यवत होते ह। उनको िचत<br />

करके उनसे स बधत अिभलेख को रखने के बारे म एक व तृत सूची तैयार क गई जो आपके<br />

योगाथ सलं न करके भेजी जा रह है। (अनुसूची-।)


242<br />

इसके अलावा बहुत से ऐसे वषय ह जो वभाग वशेष म ह यवत होते ह। उनके<br />

िनदान आद के बारे म स बधत वभाग के मैनुअल म यव था रहती ह अंत: उनका अिभलेखन<br />

मैनुअल म उलखत यव था के अतंगत कया जाय। जन वभाग के मैनुअल उपल ध ह उनक<br />

सूची संल नक अनुसूची -2 म उलखत ह। इसके अलावा जन वभाग के मैनुअल नहं ह वे उन<br />

पाविलय क वभाग/कायालय म उपयोिगता को देखते हुये िन न पाँच ेणय म वगकृ त करके<br />

उ ह भव य के िलये रखने क कारवाई कर सकते ह:-<br />

1. अ प समय के िलये उपयोगी- एक वष<br />

2. वांछनीय – तीन वष<br />

3. आव यक – सात वष<br />

4. मह वपूण – पंह वष<br />

5. थायी प से – हमेशा के िलये<br />

अिभलेख क उपयोिगता, उनके उिचत रख-रखाव से काय करने म सुगमता तो होती<br />

ह ह इसके अलावा इनक आव यकता समय-समय पर आडट आपय के िन तारण जनता एवं<br />

जनितिनिधय के न का उ तर देने विधक मामल म कारवाई करने तथा पूव टांत के िलये<br />

पडती रहती है। इनक मह ता इसी बात से लगायी जा सकती ह यद आपक सेवा पुतका कहं खो<br />

जाय अथवा अपूण हो तो पशन ा त करने म कतनी कठनाई होगी।<br />

अिभलेख को यवथत ढंग से रखने और अनाव यक अिभलेख को समय-समय पर<br />

न ट करते रहने से कायालय म व छता का वातारण बना रहता है। जसका अ य प से<br />

था य पर अनुकू ल भाव पडता है। अंत: इस बात को हमेशा यान म रखां जाय क अनाव यक<br />

अिभलेख को न ट कर दया जाय ताक आव यक अिभलेख के िलये थान उपल ध होता रहे।<br />

भवदय,<br />

(डा0आर0एस0टोिलया)<br />

मु य सिचव<br />

संल नक:-<br />

1. अिभलेख को रखने क अविध का ववरण पृ ठ सं या:-47<br />

2. वभाग एवं उनसे स बधत मैनुअ स क सूची<br />

सं या 244 तददनांक<br />

ितिलप सिचवालय के सम त अनुभाग को सूचनाथ ेषत।<br />

आा से<br />

(सुबन)<br />

अपर सिचव


243<br />

वभागा य/िनदेशालय एवं कायालया य के कायालय म अिभलेख के अिभलेखन<br />

(Recording) करने एवं न ट करने हेतु िनधारत अविध का ववरण<br />

म अिलेख का नाम/वषय समय/अविध जब वशेष ट पणी<br />

सं या<br />

तक सुरत रखा<br />

आय/न ट कया<br />

जाय।<br />

1 2 3 4<br />

सामा य प यवहार<br />

1 उपथित पंजी (ा तीय फाम नं0 एक वष<br />

161)<br />

2 आकमक अवकाश पंजी समा त होने के एक वष बाद<br />

(एम0जी0ओ0 1981 सं करण, पैरा<br />

1086)<br />

3 आडट महालेखाकार/वभागीय आपय के अतम समाधान के बाद अगले<br />

आ तरक लेखािधकार ारा क गई आडट होने तक।<br />

आडट पाविलयां<br />

4 आय- ययक अनुमान क पाविलयां दस वष<br />

5 सरकार धन, भ डार का अपहरण,<br />

कमी, िन यो य व तुओं के िन तारण<br />

अतम िनणय व वसूली राइट आफ के प चात<br />

तीन वष<br />

आद संबंिध पाविलयां<br />

6 डेड टाक, य शील/उपभोग व तुओं<br />

एवं पु तकालय हेतु य क गई<br />

पुतक आद के प यपहार संबंिध<br />

टाक बुक म व, विभ नताओं के<br />

समाधान एवं त संबंधी आडट आपय के<br />

समाधान के प चात एक वष<br />

पाविलयां<br />

7 िनरक ट पणी एवं उनके अनुपालन<br />

संबंधी प- यवहार क पाविलयां<br />

उठाये गये ब दुओं, दये गये सुझाव के<br />

काया वयन के बाद अगले िनरण तक।<br />

8 अिधकार के मांग के ताव एवं<br />

अिधकार के ितिनधायन (डेलीगेशन<br />

थायी प से।


244<br />

पावस) के आदेश से संबंिधत<br />

पाविलयां<br />

9 प के मुण संबंधी पाविलयां आडट आपय के अतम िन तारण के<br />

प चात एक वष<br />

10 लेखन सामािय/प के मांग-प तीन वष तक<br />

(इ डेट) ( टेशनर मैनुअल का पैरा 37<br />

तथा 39) मश: ा तीय प 173<br />

तथा 174<br />

11 दौर के कायम तथा टूअर डायर यद<br />

कोई िनधारत हो।<br />

एक वष बाद या गोपनीय चरावली म<br />

वयां पूण होने के बाद जो भी पहले हो<br />

क तु यद कोई ितकू ल वय से संबंिधत<br />

हो तो उसे यावेदन के अतम िन तारण के<br />

एक वष बाद<br />

12 वभागीय वाषक ितवेदक रपोट वषवार एक ित थाई प से सुरत रखी<br />

जायेगी शेष ितयां पाँच वष तक<br />

13 वाषक ितवेदन के संकलन हेतु ितवेदन छपने/कािशत हो जाने के एक वष<br />

एकत/ा त सामियां तथा उनक<br />

पावली<br />

14 स मेलन/गोय/मीटंग का एक ित थाई प से रखी जाय शेष तीन वष<br />

कायवृ त<br />

तक<br />

15 वधान सभा/वधान परष/लोक पाँच वष क तु आ वासन सिमितय को दये<br />

सभा/रा य सभी के न क आ वासन क पूित के पाँच वष बाद<br />

पाविलयां<br />

16 िनयमविलयां, िनयम, विनयम, थाई प से<br />

अिधिनयम, कया, परपाट, पित<br />

तथा उनक या या संशोधन तथा<br />

उनक पाविलयां<br />

17 काय के मानक/ ट डड/नाम िनधारण थायी प से<br />

संबंधी शासकय एवं वभागीय आदेश<br />

18 वीडग शेयूल/अिभलेख िनयंण पुनसंशोधन/रवीजन/परवतन क एक ित<br />

िनयम/सूची<br />

थायी प से तथा शेष तीन वष तक<br />

19 शासनादेशां/वभागीय आदेश को गाड<br />

फाइल<br />

थायी प से


245<br />

20 ा त एवं ेषण पंजी (ा तीय फाम प चीस वष तक<br />

नं0 19)<br />

21 पावली पंजी/फाइल रज टर/इ डे स<br />

रज टर (ा तीय प 20, 21, 26<br />

आद)<br />

रज टर म दज अ थाई प से सुरत<br />

पाविलय को न अ कर दये जाने तथा थाई<br />

प से सुरत रखे जाने वाला पाविलय के<br />

रज टर पर उतार दये जाने के बाद,<br />

22 थाई पाविलय का रज टर थाई प से<br />

23 पीयून बुक (ा तीय फाम नं0 51) समा त होने के एक वष बाद तक<br />

24 चालान बह (इ वायस) (ा तीय फाम समा त होने के एक वष बाद तक<br />

नं0 61)<br />

25 आविधक/सामियक ववरण-प का समा त होने के दो वष बाद तक<br />

रज टर सूची (िल ट आफ<br />

पीरयाडकल रपटस ए ड रटनस)<br />

26 सरकार डाक टकट पंजी (ा तीय<br />

फाम नं0 52)<br />

समा त होने के तीन वष बाद तक अथवा<br />

उसम अंकत अविध क आडट आपयॉं के<br />

समाधान के प चात एक वष<br />

27 िशकयती प क पंजी (एम0जी0ओ0<br />

वष 1981 सं करण का पैरा 772(7)<br />

दज प के अतम िन तारण हो जाने या<br />

समा त हो जाने पर अवशेष को दूसरे रज टर<br />

म उतार लेने के बाद<br />

28 सरकार गजट डवीजनल किम नर एवं जला जज के<br />

कायालय को छोडकर जहॉं गजट, थायी प<br />

से रखा जाता ह, शेष कायालय म बीस वष<br />

तक<br />

29 सरकार वाहन क लोग बुक तथा<br />

रिनग रज टर<br />

वाहन के िन यो य घोषत होकर नीलाम ारा<br />

िन तारण के बाद तथा आडट हो जाने के<br />

प चात एक वष बाद तक यद कोई आडट या<br />

िनरण क आप िन तारण हेतु शेष न हो<br />

30 समा त पंजय क पंजी (रज टर<br />

आफ क लीटेड रज टर)<br />

कसी एक ख ड म दज सभी पंजय को न ट<br />

कर देने के बाद या कु छ अवशेष पंजय को<br />

दूसरे रज टर म उतार िलया जाने के तीन<br />

वष बाद<br />

31 अिन तारत प क सूची/रज टर<br />

(िल ट ऑ पटंग रफरे सेज)<br />

रज टर समा त होने पर अवशेष अनतरत<br />

प को दूसरे रज टर पर उतार कर स यापन


246<br />

कराने के एक वष बाद<br />

32 गाड फाइल थायी प से<br />

थापना/अिध ठान-2<br />

1 कमचारय/अिधकारय क िनजी पशन को िनजी पाविलयां य के<br />

पाविलयां (पसनल पाविलयां)<br />

अतम<br />

थाना तरण के साथ उसी<br />

वीकृ ित के कार एक कायालय म<br />

प चात पाँच थाना तरत क जानी<br />

वष तक<br />

चाहये, जैसे सेवा पुतकाय<br />

तथा गोपनीय आ याय<br />

आद थाना तरत क<br />

जाती ह।<br />

2 अ थायी/ थापान िनयुय हेतु मांगे<br />

गये ाथना-प/ा त आवेदन-प क<br />

पाविलयां।<br />

पाँच वष (चुने गये/िनयु त कये गये यय<br />

के ाथना-प को छोडकर जो थाई प से<br />

वैयक पावली म रखे जायगे,<br />

3 वाहन, साइकल गृह िनमाण सामा य<br />

भव य िनवाह िनिध आद या इसी<br />

अिम क रािश याज सहत यद कोई हो तो<br />

उसके भुगतान के प चात एक वष<br />

कार के अ य अिम से लबिधत<br />

पाविलयां<br />

4 इनरैिलड पशन वीकृ ित के मामल क प चीस वष तक<br />

पाविलयां<br />

5 कमचारय/अिधकारय को ितिनयु पशन े युट, आद क वीकृ ित के पाँच वष<br />

(डपुटेशन पर िनयु संबंधी बाद<br />

पाविलयां)<br />

6 ेडशन सूची थाई प से<br />

7 सेवा पुतकाय/सेवा नामाविलयां व तीय िनयम-संह ख ड दो, भाग 2 से 4<br />

के सहायक िनयम 136-ए के अनुसार<br />

8 शपथ/िन ठा पंजी (रज टर आफ ओथ<br />

आफ एिलजये स) राजाना सं या<br />

नवीन रज टर म वयां नकल करके उ ह<br />

स यापत करा िलये जाने के बाद<br />

3101/दो-बी-163-52 दनांक 23-1-54<br />

तथा सं या 1221/दो-बी-163/64<br />

दनांक 15-5-64<br />

9 थापना आदेश पंजी (इ टैलशमे ट थायी प<br />

आडर बुक) राजाा सं या ए-


247<br />

1792/दस-तीन-1929 दनांक 11-4-30<br />

10 थापना का वाषक सं या मक ववरण<br />

(राजाा सं0 ए-5641/दस-15/7/62<br />

दनांक 24-2-65 ारा िनधारत<br />

11 गोपनीय चराविलयां/गोपनीय<br />

आ याए<br />

12 सरकार कमचारय/अिधकारय के<br />

जमानती वा ड (व तीय िनयम संगह<br />

ख ड पाँच, भाग-एक का पैरा 69-73)<br />

13 पंजी जमानत (व तीय िनयम संह,<br />

ख ड पाँच, भाग एक का पैरा 69-73)<br />

14 पशन े युट, पारवारक पशन आद<br />

को पावली<br />

15 पारिमक/पारतांषक वीकृ ित<br />

स ब धी पाविलयां<br />

16 राजकय कचारय के पूव चर का<br />

स यापन (वैरफके शन आफ कै रे टर<br />

ए ड ऐ टासीडे स)<br />

17 विभ न पद के सुधान स ब धी प-<br />

यवहार क पावली<br />

18 नई मांग को अनुसूची स ब धी<br />

पावली<br />

19 वाषक वेतन वृ/दता रोक िनयंण<br />

पंजी<br />

20 पशन क ोल रज टर (राजा सं या<br />

सं0 जी-2-3994/दस-927-1958,<br />

तदैव<br />

सेवा िनवृ/पद- याग या समाि के तीन वष<br />

सरकार कमचारय के पद छोडने के दस वष<br />

बाद<br />

(1) मूल प यवहार 10 वष बाद<br />

(2) वाषक स यापन का प- यवहार स यापन<br />

के एक वष बाद<br />

पैरा 73 व तीय िनयम संह ख ड पाँच भाग<br />

एक 1 पद छोडने के 6 माह बाद या नए<br />

रज टर म वयां नकल कर लेने के बाद<br />

सेवा िनवृ पर वीकृ ित व भुगतान के प चात<br />

दस वष<br />

भुगतान आडट आप के अतम िन तारण<br />

तथा गोपनीय चरावली म व के एक वष<br />

बाद<br />

सेवा िनवृ के पाँच वष बाद तक<br />

पद का सुधान वीकृ त होने पर थायी प से<br />

अ यथा तीन वष<br />

सूची क एक ित थायी प से रखी जाएगी।<br />

शेष पावली वीकृ ित/अ वीकृ ित के तीन वष<br />

बाद तक<br />

रज टर समा त होने के पाँच वष बाद। यद<br />

कसी रोक गई वेतनवृ या दतारोक का<br />

मामला अिन तारत न हो या कोई आडट<br />

आ प का िन तारण अवशेष न हो।<br />

रज टर म दज सभी मामल का अतम<br />

िन तारण हो जाने व रज टर समा त हो


248<br />

दनांक 10-2-64 म िनधारत<br />

जाने के पाँच वष बाद<br />

21 अनुशासिनक कायवाह रज टर राजाा सभी दज मामल का अतम िन तारण हो<br />

सं या 1284/दो-बी-99-60, दनांक जाने व रज टर समा त हो जाने के पाँच वष<br />

11-4-1961 म िनधारत)<br />

तक<br />

22 यावेदन/अपील िनयंण पंजी सभी दज यावेदन/अपील के अतम<br />

(राजाा सं या 7-2-1975 िनयु (3) िन तारण के पाँच वष बाद<br />

दनांक 4-7-73 म िनधारत)<br />

23 भव य िनवाह िनिध के रज टर-<br />

(1) लेजर<br />

(2) ाडशीट<br />

सभी दज कमचारय के सेवा िनवृ के पाँच<br />

वष बाद, यद कोई भुगतान के मामले अवशेष<br />

न रह गए ह।<br />

(3) इ डे स<br />

(4) पास बुक<br />

24 सेवाओं म आररण (1) विभ न<br />

संवग के रो टस<br />

थायी प से<br />

लेखा- 3<br />

1 याा भ ता करण आडट हो जाने के एक वष बाद<br />

2 ट0ए0बल तथा ट0ए0 चैक रज टर आडट हो जाने के तीन वष बाद<br />

(व तीय िनयम-संह ख ड पाँच भाग-<br />

एक का पैरा 119)<br />

3 बजट ावधान के सम यय क महालेखाकार से अतम स यापन व<br />

रािशय क पावली<br />

समायोजन हो जाने के एक वष बाद<br />

4 ासंिगक यय पंजी (कं टजै ट आडट के पाँच वष बाद यद कोई आडट<br />

रज टर) व तीय िनयम संह, ख उ आप का िन तारण अवशेष न हो।<br />

पाँच भाग-एक का पैरा 173<br />

5 वेतन बल पंजी तथा भुगतान पंजी<br />

(ए वीटे स रोल) व तीय िनयम संह,<br />

ख ड पाँच भाग-एक का पैरा 138,<br />

पतीस वष। व तीय िनयम संह ख ड पाँच<br />

भाग-एक का पैरा 85, परिश ट 16 के<br />

अनुसार।<br />

फाम 11 बी<br />

6 बल रज टर 11 सी व तीय िनयम आडट हो जाने के तीन वष बाद<br />

संह ख ड पाँच भाग-एक का पैरा 139<br />

7 कै श बुक आडट हो जाने के बारह वष बाद यद कोई<br />

आडट आप िन तारण हेतु अवशेष न हो<br />

8 ेजर बल रज टर (राजाा सं या पूण होने तथा आडट हो जाने के तीन वष बाद


249<br />

2158/सोलह (71)/68 ड.ट. दनांक यद कोई आडट आप शेष न हो।<br />

7-5-1970 ारा िनधारत)<br />

9 रेलवे रसीद रज टर पूण होने तथा आडट हो जाने के तीन वष<br />

(आर0आर0रज टर)<br />

बाद, यद कोई आडट आप शेष न हो।<br />

10 टेलीफोन ंककाल रज टर पूण होने तथा आडट आप न होने तथा कोई<br />

बल भुगतान हेतु शेष न होने क दशा म एक<br />

वष<br />

11 मािसक यय पंजी/पावली यय के महालेखाकार के स यापन तथा<br />

अतम समायोजन के प चात दो वष<br />

12 बल इनकै शमे ट पंजी व तीय िनयम<br />

संह ख ड पाँच भाग-एक का पैरा 47-<br />

ए<br />

समा त होने के तीन वष बाद यद कोई आडट<br />

आप िन तारण हेतु अवशेष न हो और न<br />

कसी धनरािश के अपहरण चोर, डकै ती आद<br />

क घटना घट हो।<br />

13 पी0एस0आर0 (पेइज टै पड रसीट महालेखाकार के आडट क आपय के<br />

रज टर) राजाा सं या ए -1- िन तारण हो जाने के पाँच वष बाद<br />

150/दस-10(2)/60, दनांक 28-4-<br />

1960 तथा ए-1-2878/दस-15 (5)-<br />

78, दनांक 10-1-79<br />

14 ट0ए0 क ोल रज टर समा त होने पर तीन वष बाद, यद िनधारत<br />

एलाटमट से अिधक यय कये जाने का<br />

मामला वभागा य/शासन के वचाराधीन न<br />

हो।<br />

15 रसीद बुक, ईशू रज टर (ेजर फाम<br />

न0 385 व तीय िनयम संह, ख ड<br />

पाँच भाग-एक पैरा 26)<br />

दस वष यद कसी रसीद बुक के खो जाने या<br />

धन के गबन के मामले अिन तारत न ह<br />

तथा महालेखाकार का आडट हो चुका ह।<br />

16 परमाने ट ऐडवा स रज टर (व तीय थायी प से<br />

िनयम संह, ख ड पाँच भाग एक का<br />

पैरा 67 (5)<br />

17 बै युएबल रज टर (व तीय िनयम थायी प से<br />

संह ख ड पाँच भाग-एक का पैरा 38)<br />

18 डु लीके ट क (Key) रज टर व तीय<br />

िनयम संह, ख ड पाँच भाग-एक का<br />

पैरा 28, नोट (1)<br />

थायी प से


250<br />

19 आवासीय भवन क कराया पंजी फाम<br />

27 व तीय िनयम संह, ख ड पाँच<br />

भाग-एक का पैरा 265<br />

रज टर समा त होने पर तीन वष, यद कोई<br />

अवशेष कराये क वसूली का करण या<br />

आडट आपय का िन तारण अवशेष न हो।<br />

अनुसूची-।।<br />

उ तर देश सरकार ारा बनायी गई िनयम पुतकाओं (मैनुअल) का ववरण<br />

0 वभाग का नाम<br />

िनयम पुतका का नाम<br />

सं0<br />

1 सिचवालय शासन वभाग 1- सेके टेरयट मैनुअल<br />

2 सामा य शासन वभाग 2- एम0जी0ओ0<br />

3 व त वभाग 3- िसवल सवस रेगुलेश स<br />

4- व तीय िनयम संह ख ड- 1 से 7<br />

5- से स टै स मैनुअल<br />

6- टा प मैनुअल भाग 1-2<br />

7- रज ेशन मैनुअल भाग 1-2<br />

8- एल0एफ0ए0मैनुअल<br />

9- ेजर मैनुअल<br />

10- बजट मैनुअल<br />

4 गृह वभाग 11- पुिलस रे युलेश स<br />

12- जला पुिलस आफस मैनुअल<br />

13- फगंर ए ड फु ट ंट मैनुअल<br />

14- पी0ट0सी0 मैनुअल<br />

15- यू0पी0 आ स मैनुअल<br />

5 कारागार वभाग 16- जेल मैनुअल-अंेजी-1963 ह द- 1968<br />

6 सतक ता वभाग 17- उ00 सतक ता िनयम संह<br />

7 मुसिलम व फ अनुभाग 18- बसीका मैनुअल<br />

8 राज व वभाग 19- रवे यू कोट मैनुअल<br />

9 वन वभाग 20- फारे ट मैनुअल<br />

10 िशा वभाग 21- िशा संहता उ00<br />

11 याय वभाग 22- विध परामश मैनुअल<br />

12 शासिनक सुधार वभाग 23- कायालय िनरणालय का मैनुअल


251<br />

13 पशुधन वभाग 24- वेटेनर मैनुअल<br />

14 पंचायती राज वभाग 25- उ00 े सिमित एवं जला परषद मैनुअल<br />

15 खा तथा रसीद वभाग 26- खाा न आपूित मैनुअल<br />

27- खाा न हाट मैनुअल<br />

28- खाा न लेखा मैनुअल<br />

16 उोग वभाग 29- टंग एवं टेशनर मैनुअल<br />

30- उोग मैनुअल (इ ड ज मैनुअल)<br />

17 िसंचाई वभाग 31- िसंचाई मैनुअल<br />

18 म वभाग 32- लेबर मैनुअल (मायु त संगठन का मैनुअल)<br />

19 आवकार वभाग 33- आबकार मैनुअल, खण ्ड-1 से 5 (1961)<br />

20 नगर वकास वभाग 34- नजूल मैनुअल<br />

35- यूिनिसंपल मैनुअल<br />

36- टाउन एरया मैनुअल<br />

37- नोट फाइड एरया मैनुअल<br />

21 िचक सा वभाग 38- मेटकल मैनुअल<br />

39- पलक हे थ मैनुअल<br />

40- मे टल हापटल मैनुअल<br />

22 सावजिनक िनमाण वभाग 41- बी0ए ड0आर0 मैनुअल<br />

42- पी0ड लू0ड0 मे टनस मैनुअल<br />

23 परवहन वभाग 43- ा सपोट मैनुअल<br />

44- रोडवेज मैनुअल<br />

24 रा य स प वभाग 45- मैनुअल आफ गवमे ट इ टेटस<br />

25 सहकारता वभाग 46- मैनुअल आफ कोवापेरटव सोसाइटज


252


253<br />

कृ त ्य के िनवहन के िलये थापत मापमान<br />

पूव पर परागत यव था के समय कृ य के िनवहन के िलये शासनादेश िनगत करते हुए मानक<br />

िनधारत रहे है। पर तु काय क कृ ित एवं वरत िन तारण के िलये आज के इलै ािनक मीडया पर<br />

आधारत कायपित के फल वप संगठन म कािमक क सं या इसके अनुप रखे जाने क वतमान<br />

यव था के रहते मु यालय तर पर कृ य के िनवहन के िलये सामा य कृ ित के करण त काल उसी दन<br />

िन तारत कर दये जाने, ववध तकनीक एवं उ च अिधकारय के वचाराथ िनयमयु त करण के<br />

िन तारण के िलये ऐसे करण को कम से कम तीन दन के अ दर तथा नीितगत अित विश ट करण एवं<br />

शासन ारा कसी वशष वषयव तु पर अपेत अिभमत से स बधत करण पर वल बतम ् एक स ताह<br />

म अव य िन तारत कर दये जाने क मानक या अपनायी जा रह है।<br />

िनदेशालय के िनयंणाधीन भाग म से कोषागार भाग के जनपदय कोषागर म शतितशत प से<br />

क यूटर आधारत काय णाली के तहत सुवकिसत सापटवेयर के योग के फल वप कृ त ्य के िनवहन के<br />

िलये भी पूव यव था के अधीन िनधारत मानक एवं काय के मापद ड का वप अब अिधक ासांिगक नहं<br />

रह गया है। थानीय िनिध लेखा परा भाग एवं सहकार सिमितयॉं एवं पंचायत लेखा परा भाग के<br />

जनपदय कायालय म कािमक के िलये काय के मापद ड के िलये मानक िनधारत है। यघप इन भाग के<br />

जनपदय कायालय को भी क यूटरकृ त कये जाने क कायवाह के तहत थम चरण म कायालय उपयोगाथ<br />

क यूटर थापत करके याशील कये जा चुके ह और भव य म लेखा परा के काय को भी क यूटर<br />

आधारत साटवेयर णाली के तहत कये जाने के िलये उपयोगी साटवेयर को वकिसत कये जाने क दशा<br />

म यास ार भ हो चुका है, जसके फल वप इन भाग के कािमक हेतु कृ य के िनवहन के िलये पूव<br />

पर परागत मानक का वप वैसा नहं रह जायेगा।<br />

पूव यव था के अधीन कृ य के िनवहन के िलये भाग वार मानक का िनधारण िन न कार है:-<br />

कोषागार भाग<br />

शासनादेश सं या एस-3-8981/दस-34(78)/78, ट0सी0, दनांक 21 दस बर, 1979 म कितपय<br />

काय का मापद ड िन न कार िनधारत कया गया है।<br />

(1) बल पारण 75 बल ित लेखाकार ित दन<br />

(2) बाउचर पोटंग 225 वाउचर ित दन ित सहायक लेखाकार<br />

(3) रसीट पोटंग 125 चालन ित दन ित सहायक लेखाकार<br />

(4) िसवल पशन 50 पशन ित दन ित लेखाकार<br />

(5) रा पशन 40 पशन ित दन ित लेखाकार<br />

(6) डपाजट 180 देयक ित दन ित सहायक लेखाकार

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