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सह- टेट इ टरनल आ डट, उ तराख ड

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1<br />

उ तराख ड शासन<br />

सह- टेट इ टरनल आडट,<br />

उ तराख ड<br />

चतुथ सं करण<br />

सूचना का अिधकार अिधिनयम–2005<br />

के अधीन ािधकार ारा कािशत सूचना<br />

मैनुअल – 6 से 17<br />

23-ल मी रोड, डालनवाला, देहरादून


2<br />

वषय सूची<br />

0<br />

सं0<br />

सूचना का वषय/ववरण<br />

पृ ठ<br />

सं या<br />

6 ऐसे द तावेज के , जो उसके ारा धारत या उसके िनयंणाधीन ह, 4-7<br />

वग (Categories) का ववरण<br />

7 कसी यव था क विशयां जो उसक नीित क संरचना या उसके 8<br />

काया वयन के स ब ध म जनता के सद य से परामष के िलए या<br />

उनके ारा अ यावेदन के िलए वमान ह<br />

8 ऐसे बोड, परषद, सिमितय और अ य िनकाय के ववरण जनम दो 9<br />

या अिधक य ह, जनका उसके भागप या इस बार म सलाह देने<br />

के योजन के िलये गठन कया गया ह क या उन बोड, परषद,<br />

सिमितय और अ य िनकाय क बैठक जनता के िलए खुली हगी या<br />

ऐसी बैठक के कायवृ त तक जनता क पहुंच होगी.<br />

9 अिधकारय और कमचारय क िनदिशका 10-15<br />

10 येक अिधकार ओर कमचार ारा ा त मािसक पारिमक जसम 16-17<br />

उसके विनयम म यथाउपबंिधत ितकर क णाली समिलत ह,<br />

11 सभी योजनाओं, तावत यय और कये गये संवतरण पर रपट 18-20<br />

क विशयां उपदिशत करते हुये अपने येक अिभकरण को आवंटत<br />

बजट<br />

12 सहाियक कायम के िन पादन क रित, जसम आवंटत रिश और 21<br />

ऐसे कायम के फायदााहय के यौरे समिलत ह<br />

13 अपने ारा अनुद त रयायत, अनुाप या ािधकार के ािकताओं 22<br />

क विशयां,<br />

14 कसी इलै ॉिनक प म सूचना के स ब ध म यौरे, जो उसको<br />

23<br />

उपल ध ह या उसके ारा धारत ह.<br />

15 सूचना अिभा त करने के िलए नागरक को उपल ध सुवधाओं क 24<br />

विशयां जनके अंतगत कसी पु तकालय या वाचन क के यद<br />

लोक उपयोग के िलये अनुरत ह तो कायकरण घंटे समिलत ह.<br />

16 लोक सूचना अिधकारय के नाम, पदनाम और अ य विशयॉं 25<br />

17 ऐसी अ य सूचना जो वहत क जाय- 26-192<br />

(I) सेवा क समा य शत 193-205


3<br />

(II) वेतन िनधा रण मु य-मु य िनयम 206-227<br />

(III) अवकाश िनयम 228-255<br />

(VI) वा सेवा के मु य िनयम 256-262<br />

(V) कायभार हण काल 263-267<br />

(VI) कायालय संचालन एवं आहरण वतरण के काय 268-300<br />

(VII) व तीय अिधकार का ितिनधायन व व तीय अिधकार 301-321<br />

(VIII) लेखा के सामा य िनयम उ तरांच शासन के व अवशेष 322-328<br />

दाव क पूव लेखा परा<br />

(IX) याा भ ता िनयम 329-340<br />

(X) ऋण तथा अिम 341-360<br />

(XI) भ डार एवं सामी य 361-383<br />

(XII) बजट या 384-411<br />

(XIII) सरकार स प क ित 412-416<br />

(XIV) लेखा परा आप स ब धी अनुदेश संह, लेखा परा 417-428<br />

संचालन के संबंध म महालेखाकार के काय<br />

(XV) लेखा परा 429-432<br />

(XVI) उ तरांचल रा य कमचार सामूहक बीमा एवं बचत योजना 433-440<br />

(XVII) कायालय पित 441-450<br />

(XVIII) चर पंजकाओं म वाषक वयॉं, स यिन ठा माण-प 451-466<br />

ितकू ल व संसूिचत करना उसके व यावेदन और<br />

यावेदन िन तारण


4<br />

सेवा संबंधी मु य अिभलेख<br />

ऐसे द तावेज के , जो उसके ारा धारत या उसके<br />

िनयंणाधीन ह, वग (Categories) का ववरण<br />

(1) िनदेशालय के सम त अिधकारय एवं कमचारय क यगत पाविलयॉं/जी0पी0एफ0 पास<br />

बुक एवं सेवा पुतकाऐं एवं गोपनीय चर पंजकाऐं।<br />

(2) ेणी ‘’ख’’ के सम त व त अिधकारय क यगत पाविलयँ एवं गोपनीय चर<br />

पंजकाऐं।<br />

(3) सहायक/उपकोषािधकारय क यगत पंाविलयॉं एवं गोपनीय चर पंजकाऐं।<br />

(4) सहायक/उपकोषािधकारय क ये ठता से स बधत पाविलयॉं ।<br />

(5) सहायक कोषािधकार (रोकड) क यगत पाविलयॉं एवं गोपनीय चर पंजकाऐं।<br />

(6) सहायक कोषािधकार (रोकड) क ये ठता से स बधत पाविलयॉं।<br />

(7) कोषागार लेखाकार क ये ठता से स बधत पाविलयॉं।<br />

(8) व त अिधकार के पद पर चयन क पावली।<br />

(9) सहायक कोषािधकार/उपकोषािधकार पर चयन क पावली।<br />

(10) सहायक कोषािधकार (रोकड) के पद पर चयन क पावली।<br />

(11) कोषागार एवं व त सेवाय मु यालय अिध ठान म सृजत पद पर चयन/ ये ठता आद क<br />

पावली।<br />

(12) थानीय िनिध लेखा परा भाग एवं सहकार सिमितयॉं एवं पंचायत भाग के जला<br />

कायालय म तैनात सम त अिधकारय एवं कमचारय क यगत पाविलयॉं एवं समूह<br />

‘’ख’’ एवं ‘’ग’’ क गोपनीय चर पंजकाऐं।<br />

(13) थानीय िनिध लेखा परा एवं सहकार सिमितयॉं एवं पंचायत भाग लेखा संवग, िलपक<br />

संवग क ये ठता क पावली।<br />

(14) थानीय िनिध लेखा परा एवं सहकार सिमितयॉं म समूह ‘’घ’’ एवं ‘’ग’’ के पद पर चयन<br />

क पावली।<br />

(15) थानीय िनिध लेखा परा एवं सहकार सिमितय म जला लेखा परा अिधकार के पद पर<br />

चयन क पावली।<br />

बजट से स बधत पाविलयॉं<br />

(1) वाषक बजट साह य।<br />

(2) कोषागार एवं व त सेवाय हेतु बजट आवंटन क पावली।<br />

(3) थानीय िनिध लेखा परा भाग हेतु बजट आवंटन क पावली।<br />

(4) सहकार सिमितयॉं एवं पंचायत भाग हेतु बजट आवंटन क पावली।<br />

(5) जनपद कोषागार को बजट आवंटन क पावली।


5<br />

(6) थानीय िनिध लेखा परा के जनपद एवं स वत स परा कायालय हेतु बजट आवंटन क<br />

पावली।<br />

(7) सहकार सिमितयॉं एवं पंचायत के जनपद कायालय हेतु बजट आवंटन क पावली।<br />

(8) शासन को बजट अनुमान, अनुपुरक मांग एवं नयी मॉगो से स बधत पािलयां।<br />

(9) शासन को आय- ययक िनयंण हेतु बी-एम0-12 ेषण क पावली।<br />

(10) महालेखाकार को आय- ययक िनयंण हेतु बी0एम0-13 ेषण क पावली।<br />

(11) पशनर क पशन, े युट, िचक साितपूित हेतु बजट आवंटन एवं मॉग क पावली।<br />

(12) िनयंणाधीन भाग म आय- ययक िनयंण हेतु बी0एम0-11 क पावली।<br />

ाविधक पाविलय<br />

(1) पशनर क िशकायत/भुगतान या से स बधत पावली।<br />

(2) टा प क आपूित एवं िशकायत से स बधत पावली।<br />

(3) करै सी चे ट क थापना एवं रवज बक आफ इडया से पाचार क पावली।<br />

(4) नान बकग उपकोषागार से यवहरत काय क पावली।<br />

(5) कोषागार/उपकोषागार से यवहरत काय क पावली।<br />

(6) माईकर चैक क आपूित से स बधत पावली।<br />

(7) ड0ड0ओ0 कोड िनधारण क पावली।<br />

(8) महालेखाकार क ितवेदन/आडट तर से स बधत पावली।<br />

(9) कोषागार/उपकोषागार/आडट भाग के जनपदय कायालय क थापना क पावली।<br />

(10) उपकोषागार भवन/आडट भाग के जनपदय कायालय के िलये कराया िनधारण क<br />

पावली।<br />

(11) ड0सी0एल0/सी0सी0एल0 से स बधत पावली।<br />

(12) कोषागार म िनधारत विभ न वभाग के पी0एल0ए0 से स बधत पावली।<br />

(13) िनदेशालय भवन आवंटन/कराये क पावली।<br />

आडट काय से स बधत पाविलयॉं<br />

(1) वाषक/मािसक लेखा परा काय आवंटन क पावली।<br />

(2) लेखा परा ितवेदन के अनुमोदन क पावली।<br />

(3) मािसक/वाषक लेखा परा गित क पावली।<br />

(4) लेखा परा शु ल अवधारणा/वसूली एवं बकाया क पावली।<br />

(5) लेखा परा काय हेतु याा कायम अनुमोदन क पावली।<br />

(6) िनकाय, ािधकारण, नगर िनगम एवं जल सं थान के कािमक क पशन से स बधत<br />

पावली।<br />

(7) 46 यास/धामाधा सं थाओं से स बधत पावली।


6<br />

माननीय यायालय/लोकायु त/अनु0जा0जनजा0 एवं पछडा आयोग म<br />

लबत करण से स बधत पाविलयाँ<br />

(1) माननीय उ च यायालय नैनीताल 09 विभ न वादो क पाविलयॉं।<br />

(2) जनदय कायालय से स बधत वाद क पावली।<br />

(3) माननीय लोक सेवा अिभकरण म योजत 2 वाद क पाविलयॉं।<br />

(4) लोकायु त के कायालय म वचाराधीन करण क पाविलयॉं।<br />

(5) अनुसूिचत जाित/जन जाित एवं पछडा आयोग म क गयी िशकायत से स बधत पावली।<br />

(6) शासन को वाद क गित रपट भेजे जाने वाली पावली।<br />

कम ् यूटराईजेशन से स बधत पाविलयॉं<br />

(1) 11 व व त आयोग से ा त अनुदान से कोषागार म एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली<br />

थापत कये जाने हेतु क यूटरकरण क पावली।<br />

(2) 10 उपकोषागार म एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली के अधीन कोषागार के प म थापत<br />

करने हेतु क यूटरकण क पावली।<br />

(3) बजट एलोके शन एवं िनयंण से स बधत साटवेयर तैयार कराने से स बधत पावली।<br />

(4) पंचायती राज लेखा के अधीन 11 व व त आयोग से ा त अनुदान से थानीय िनिध लेखा<br />

परा एवं सहकार सिमितयॉं पंचायत भाग को मु यालय/जनपद तर तक क यूटरकृ त<br />

कये जाने क पावली।<br />

(5) य कये गये क यूटर उपकरण क वाषक अनुरण हेतु फम से अनुब ध कये जाने क<br />

पावली।<br />

अ य अिभलेख जो मु यालय एवं जनपदय कायालय म रखे जाते ह<br />

(1) कमचार उपथत पंजका।<br />

(2) 11-सी पंजका।<br />

(3) बजट साह य म थापत मानक मद पर यय क पंजकाऐं।<br />

(4) कोषागार देयक तुत पंजका।<br />

(5) रक सादलेसन टेट मट।<br />

(6) कै श बुक।<br />

(7) वाहन लाग बुक।<br />

(8) लेखन सामी पंजका।<br />

(9) भ डार पंजका।<br />

(10) आकमक अवकाश क पंजका।<br />

(11) पु तक पंजका<br />

(12) शासनादेश क गाड फाईल।<br />

(13) प ाि क पंजका।<br />

(14) प ेषण क पंजका।


7<br />

(15) डाक टकट यय/ाि क पंजका।<br />

(16) याा यय िनयंण पंजका<br />

कोषागार म रखे जाने एवं बनाये जाने वाले अिभलेख<br />

(17) आडट पंजका<br />

(18) पी0पी0ओ0<br />

(19) बजट वारंट रज ट<br />

(20) प-47-ख<br />

(21) प-47<br />

(22) प-47-ग<br />

(23) िशयूल टोट स<br />

(24) आर0बी0ड0 टेटमट<br />

(25) कै श बैले स टेटमट<br />

(26) क चा िचटा<br />

(27) पोटंग 8009<br />

(28) ए से ट 8009<br />

(29) ए से ट 7610<br />

(30) डटेल आफ जी0पी0एफ0 (चतुथ ेणी)<br />

(31) जी0पी0एफ0 पच(चतुथ ेणी)<br />

(32) वार ट रज टर<br />

(33) ए से ट 8009 (चतुथ ेणी)<br />

(34) इ कलोजस आफ िल ट आफ पेमे ट<br />

(35) पोटंग रज टर<br />

(36) िल ट आफ पेमट<br />

(37) ोवजनल पशन पोटंग रज टर<br />

(38) डल आफ जी0पी0एफ0 एडवांस/वदाल बल<br />

(39) ए से ट 8011<br />

(40) रसी ट लेखा<br />

(41) सी0सी0एल0/ड0सी0एल0 लेखा<br />

(42) पी0एल0ए0 लेखा<br />

(43) पशन लेखा<br />

(44) जी0आई0एस0 लेखा<br />

(45) वेतन लेखा<br />

(46) जी0पी0एफ0 लेखा<br />

(47) इनपुट फामस<br />

(48) माईकर चेक


8<br />

कसी यव था क विशयां जो उसक नीित क संरचना या उसके<br />

काया वयन के स ब ध म जनता के सद य से परामश के िलए या<br />

उनके ारा अ यावेदन के िलए वमान ह<br />

िनदेशालय के िनयंणाधीन भाग म से कसी भी भाग के दािय व एवं या कलाप सीधे<br />

जनता से जुडे नहं ह अपतु सरकार क व तीय नीित एवं कायम के अधीन रा य म सु यवथत<br />

व तीय ब धन एवं िनयंण को बनाये रखने का दािय व ह। रा य का बजट, समय-समय पर<br />

िनधारत एवं विनत व तीय नीित रा य क जनता ारा चुने गये जनितिनिधय से गठत रा य<br />

सरकार के सद य ारा ह िनधारत होती ह जसम उनक पूण सहभािगता रहती ह। रा य के पशनर,<br />

विभ न संगठन एवं सं थाओं के भुगतान संबंधी करण म गितरोध क थित म ऐसे पशनर<br />

संगठन, स बधत अ य संगठन एवं यय क िशकायत, परामश एवं वचार का स मान करते<br />

हुए वभाग के उ च अिधकारय ारा इस पर िनयम संगत कायवाह समय पर पूण करते हुए गितरोध<br />

को दूर कया जाता ह। जससे िनदेशालय तर व उसके अधीन सम त भाग म शासकय काय<br />

स पादन म अपेत गित द जा सके ।


9<br />

ऐसे बोड, परषद, सिमितय और अ य िनकाय के ववरण जनम दो या<br />

अिधक य ह, जनका उसके भागप या इस बार म सलाह देने के योजन के<br />

िलये गठन कया गया ह क या उन बोड, परषद, सिमितय और अ य<br />

िनकाय क बैठक जनता के िलए खुली हगी या ऐसी बैठक के कायवृ त तक<br />

जनता क पहुंच होगी.<br />

िनदेशालय के िनयंऋणाधीन कोई बोड, परषद, सिमित या िनकाय थापत नहं ह।


10<br />

अिधकारय और कमचारय क िनदिशका<br />

िनदेशालय के संगठना मक ढांचे म रखे गये भाग के मु यालय तर के अिधकारय एवं<br />

कमचारय के िलये बैठने एवं सपे गये दािय व के उिचत िनवहन के िलये िनदेशालय के िलये भवन<br />

मु यालय 23-ल मी रोड, डालनवाला म थापत कया गया। 23-ल मी रोड, डालनवाला थत भवन<br />

िनदेशालय का मु य भवन ह। इसम शासिनक िनयंण वाले सम त अिधकार एवं कमचार बैठते ह।<br />

इसी भवन म आडट काय के पयवेण एवं स बधत काय के स पादन तथा व तीय सां यकय<br />

काय भी कये जाते ह।<br />

अत: उ त भवन म अिधकारय एवं कमचारय से स पक करने हेतु पया त सं या म दूरभाष<br />

उपल ध ह। िनदेशालय के िनयंणाधीन जनदपय कायालय जसम 17 कोषागार, 10 उच ्चीकृ त<br />

उपकोषागार तथा उ तरांचल भुगतान एवं लेखा कायालय, 13 सहकार सिमितयॉं एवं पंचायत भाग के<br />

जनदपय कायालय तथा 13 थानीय िनिध लेखा परा भाग के जनदपय एवं स वत स परा के<br />

कायालय ह, के अिधकारय/कमचारय से स पक करने हेतु भी दूरभाष उपल ध ह। जसे नीचे मश:<br />

सूचीब करते हुए अगले पृ ठ म अलग-अलग सारणी म दशाये गये ह।<br />

शी ह िनदेशालय मु यालय हेतु 23- ल ्मी रोड, पर डाटा से टर के एक नये भवन का<br />

िनमाण काय अपनी अतम थित म ह। इस नये भवन म कोषागार हेतु आनलाईन डाटा से टर का<br />

काय कया जायेगा ।


11<br />

0<br />

सं0<br />

(िनदेशालय मु यालय क िनदिशका)<br />

नाम/पदनाम<br />

दूरभाष सं या<br />

कायालय आवास मोबाइल<br />

1 ी शरद च पा डेय, िनदेशक 0135-2653628 0135-2762034 9415020420<br />

2 ी अणो िसंह चौहान,<br />

0135-2710078 - 9456126622<br />

अपर िनदेशक<br />

3 ी पी0सी0 जोशी, व त अिधकार 0135-2653628 - 9410550774<br />

4 ी धीरे शमा, सहायक कोषािधकार 0135-2710549 2650792<br />

5 ी मोह मदन, सहायक कोषािधकार 0135-2710872 - 9412112810<br />

6 ी भवगत िसंह, सहायक लेखािधकार 0135-2710549 - 9410139404<br />

7 ी अशोक कु मार, सहायक कोषािधकार 0135-2710549 - 9758202017<br />

8 ी राजे िसंह, सहायक कोषािधकार 0135-2710549 9412973341<br />

9 ी राजीव भटनागर, लेखाकार 0135-2710549 9997647778<br />

10 ी शंकरमणी क डवाल, लेखाकार 0135-2710549 9412155751<br />

11 ी मोह मद सुलेमान, लेखाकार 0135-2710549 9837016537<br />

12 ी अरव कु मार, लेखाकार 0135-2710549 9719021102<br />

13 ी वशाल सोमानी, लेखाकार 0135-2710549 8958244000<br />

14 ी कै लाश च गैरोल, वर सहायक 0135-2710549<br />

15 ी ई वर िसंह, वाहन चालक 0135-2710549<br />

16 ी उ मेद िसंह, अनुसेवक 0135-2710549<br />

17 ी जीवन िसंह, अनुसेवक 0135-2710549


12<br />

(कोषागार क िनदिशक)<br />

म<br />

कोषागार का नाम अिधकार दूरभाष (कायालय)<br />

सं या<br />

1 देहरादून मु य कोषािधकार 0135 – 2627205<br />

2 हरार वर ठ कोषािधकार 01334 – 239581<br />

3 डक कोषािधकार 01332 – 272766<br />

4 याग वर ठ कोषािधकार 01364 – 233544<br />

5 पौड मु य कोषािधकार 01368 – 222396<br />

6 चमोली वर ठ कोषािधकार 01372 – 252333<br />

7 उ तरकाशी वर ठ कोषािधकार 01374 – 222308<br />

8 टहर वर ठ कोषािधकार 01376 – 232237<br />

9 नरे नगर कोषािधकार 01376 – 227267<br />

10 कोटार कोषािधकार 01382 – 222408<br />

11 लैसडाउन कोषािधकार 01386 – 262323<br />

12 नैनीताल मु य कोषािधकार 05942 – 235016<br />

13 उमिसंह नगर वर ठ कोषािधकार 05944 – 241698<br />

14 अ मोडा वर ठ कोषािधकार 05962 – 230187<br />

15 बागे वर वर ठ कोषािधकार 05963 – 220543<br />

16 पथौरागढ वर ठ कोषािधकार 05964 – 225331<br />

17 च पावत वर ठ कोषािधकार 05965 – 230440<br />

18 भुगतान एवं लेखा कायालय, नई द ली, व त अिधकार 011 – 23015696


13<br />

उ चीकृ त उपकोषागार क िनदिशका<br />

म कोषागार का नाम अिधकार दूरभाष (कायालय)<br />

सं या<br />

1 चकराता कोषािधकार 01360 – 272598<br />

2 धूमाकोट कोषािधकार 01348 – 224838<br />

3 कणयाग कोषािधकार 01363 – 244714<br />

4 थराली कोषािधकार 01363 – 271202<br />

5 पुरौला कोषािधकार 01375 – 223866<br />

6 ह ानी कोषािधकार 05946 – 255999<br />

7 रानीखेत कोषािधकार 05966 – 221500<br />

8 िभ यासण कोषािधकार 05966 – 242235<br />

9 डडहाट कोषािधकार 05964 – 244728<br />

10 बेरनाग कोषािधकार 05964 – 232689


14<br />

(सहकार सिमितय एवं पंचायत लेखा परा भाग क िनदिशका)<br />

म जला लेखा परा कायालय अिधकार दूरभाष (कायालय)<br />

सं या<br />

1 देहरादून जला लेखा परा अिधकार 0135-2741581<br />

2 हरार जला लेखा परा अिधकार 01334-250727<br />

3 पौड जला लेखा परा अिधकार 01368-222396<br />

4 नरे नगर जला लेखा परा अिधकार 01378-227267<br />

5 उ तरकाशी जला लेखा परा अिधकार 01374-226136<br />

6 याग जला लेखा परा अिधकार 01364-233052<br />

7 चमोली जला लेखा परा अिधकार 01372-251070<br />

8 अ मोडा जला लेखा परा अिधकार 05962-231384<br />

9 नैनीताल जला लेखा परा अिधकार 9412957743<br />

10 उमिसंह नगर जला लेखा परा अिधकार 05944-245688<br />

11 पथौरागढ जला लेखा परा अिधकार 05962-228257<br />

12 बागे वर जला लेखा परा अिधकार 05963-221430<br />

13 च पावत जला लेखा परा अिधकार 05965-230927


15<br />

थानीय िनिध लेखा परा भाग क िनदिशका<br />

0 जला स ेा कायालय/स वत<br />

अिधकार<br />

दूरभाष (कायालय)<br />

सं या स ेा कायालय<br />

1 देहरादून जला स ेा अिधकार 0135-2744075<br />

2 हरार जला स ेा अिधकार 01334-220955<br />

3 पौड जला स ेा अिधकार 01368-223470<br />

4 चमोली जला स ेा अिधकार 01372-252333<br />

5 टहर जला स ेा अिधकार 01376-232805<br />

6 अ मोडा जला स ेा अिधकार 05962-231384<br />

7 नैनीताल जला स ेा अिधकार 05942-237781-<br />

233713<br />

8 उमिसंह नगर जला स ेा अिधकार 05964-245688<br />

9 पथौरागढ जला स ेा अिधकार 05964-225331<br />

10 स वत स परा, हेमवतीनंदन सहायक िनदेशक 01346-252328<br />

बहुगुणा व ववालय, ीनगर<br />

ए स0-28<br />

पौड<br />

11 स वत स परा,गोव द ब लभ सहायक िनदेशक(फाम) एवं 05944-233325-<br />

पंत, कृ ष एवं ोोिगक सामा य लेखा<br />

05944-260242-<br />

व ववालय, पंतनगर<br />

234534<br />

12 स वत स परा, वन िनगम उप िनदेशक /लेखा परा<br />

--<br />

नरे नगर<br />

अिधकार<br />

13 स वत स परा कृ ष उ पादन सहायक िनदेशक 05946-252345<br />

म ड परषद उमिसंह नगर


16<br />

येक अिधकार और कमचार ारा ा त मािसक पारािमक जसम, उसके<br />

विनयम म यथाउपबंिधत ितकर क णाली समिलत ह,<br />

िनदेशालय म कायरत अिधकारय एवं कमचारय का वेतनमान नीचे दशाया गया ह।<br />

दशाये गया वेतनमान शासन ारा उस पद के िलये िनधारत वेतनमान के अनुसार ह। धारत<br />

पद के वेतनमान म मािसक पारािमक हेतु मूलत: मूल वेतन का ह िनधारण होता ह, तो<br />

िनयु/पदो नित क दशा म व तीय ह त पुतका ख डा 2 से 4 म वेतन िनधारण हेतु लागू मूल<br />

िनयम के अधीन िनधारत कया जाता ह। शेष धनरािश का िनधारण शासन ारा शासनादेश एवं<br />

समय-समय पर शासन ारा वीकृ त महॅगाई भ ते के शासनादेश एवं पवतीय भ ते तथा मकान कराये<br />

के िनधारण हेतु वतमान म लागू शासनादेश के अनुसार कया जाता ह।


17<br />

िनदेशालय एवं िनयंणाधीन जनपदय कायालय म कायरत अिधकार/कमचार<br />

माह - जून 2011<br />

0<br />

सं0<br />

नाम पदनाम वेतनमान ेड वेतन सकल<br />

आय<br />

1 शरद च पा डेय िनदेशक 37400-67000 10000 103607<br />

2 ी अणे िसंह चौहान अपर िनदेशक 37400-67000 8700 68145<br />

3 ी पूरन च जोशी व त अिधकार 15600-39100 5400 40028<br />

4 ी धीरे शमा सहायक कोषािधकार 9300-34800 4800 41591<br />

5 ी मोह मद सुलेमान लेखाकार 9300-34800 4200 27858<br />

6 ी भगवत िसंह सहायक लेखािधकार 9300-34800 4800 35767<br />

7 ी अशोक कु मार सहायक कोषािधकार 9300-34800 4800 42914<br />

8 ी राजे िसंह सहायक कोषािधकार 9300-34800 4800 44098<br />

9 ी मोह मददन सहायक कोषािधकार 9300-34800 4800 44126<br />

10 ी राजीव भटनागर लेखाकार 9300-34800 4800 40543<br />

11 ी शंकरमणी क डवाल लेखाकार 9300-34800 4200 27858<br />

12 ी अरव कु मार लेखाकार 9300-34800 4200 29463<br />

13 ी वशाल सोमानी लेखाकार 9300-34800 4200 23634<br />

14 ी कै लाश च गैरोला वर सहायक 5200-20200 2400 16004<br />

15 ी ई वर िसंह वाहन चालक 5200-20200 1900 14373<br />

16 ी उ मेद िसंह अनुसेवक 5200-20200 1900 15517<br />

17 ी जीवन िसंह अनुसेवक 4440-7440 1650 15135


18<br />

सभी योजनाओं, तावत यय और कये गये संवतरण पर रपट क<br />

विशयां उपदिशत करते हुये अपने येक अिभकरण को आवंटत बजट<br />

व तीय वष-2011–2012 अनुदान सं या–07, लेखाशीषक–2054000950101, 2054000950300, 2054000970300,<br />

2054000970400, 2054000980300 तथा 2054000980400 (अैल, 2011 से जून 2011 तक)<br />

आवंटत बजट (पये म)<br />

मानक मद का नाम<br />

13व व त आयोग<br />

क सं तुित के म<br />

कोषागार एवं<br />

व त सेवाय<br />

कोषागार<br />

अिध ठान<br />

म कम0/पश0 अिध ठान<br />

1 वेतन 0 6000000 130570000<br />

2 मजदूर 0 0 15000<br />

3 मंहगाई भ ता 0 3600000 79651000<br />

4 याा यय 0 100000 1255000<br />

5 थाना रण याा यय 0 40000 4500<br />

6 अ य भ ते 0 660000 14366000<br />

7 मानदेय 0 80000 0<br />

8 कायालय यय 1000000 660000 1935000<br />

9 वुत देय 0 300000 842500<br />

10 जलकर/जल भार 0 85000 152200<br />

11 लेखन सामी और फाम क छपाई 0 140000 630000<br />

12 कायालय फनचर एवं उपकरण 0 120000 35000<br />

13 टेलीफोन पर यय 0 200000 385000<br />

15 गाडय का अनु0 और पेोल आद क खरद 0 400000 470000<br />

16 यावसाियक तथा वशेष सेवाओं के िलए भुगतान 9000000 3500000 1915000<br />

17 कराया, उपशु क और कर वािम व 0 450000 605500<br />

22 आित य यय/ यय वषयक भ ता आद 0 0 0<br />

25 लघु िनमाण काय 0 20000 0<br />

26 मशीन और स जा/उपकरण और संयं 0 250000 0<br />

27 िचक सा यय ितपूित 0 200000 816800<br />

29 अनुरण 0 100000 30000<br />

42 अ य यय 225000 0 0<br />

44 िशण यय 700000 700000 0<br />

45 अवकाश याा यय 0 80000 35000<br />

46 क यूटर हाडवेयर/साटवेयर का य 34075000 100000 4000000<br />

47 क यूटर अनुरण/ टेशनर का य 0 200000 3760000<br />

कु ल योग 45000000 17985000 241473500


19<br />

आवंटत बजट (पये म)<br />

मानक मद का नाम<br />

उ तरांचल थानीय िनिध सहकार<br />

िनवास नई<br />

द ली म वेतन<br />

लेखा परा सिमितयॉं एवं<br />

पंचायत<br />

एवं भुगतान<br />

1 वेतन 850000 14250000 26150000<br />

2 मजदूर 0 100000 402000<br />

3 मंहगाई भ ता 510000 8550000 15953000<br />

4 याा यय 30000 90500 945000<br />

5 थाना रण याा यय 0 0 0<br />

6 अ य भ ते 94000 1632000 2878000<br />

7 मानदेय 0 0 0<br />

8 कायालय यय 25000 150000 220000<br />

9 वुत देय 0 37000 24000<br />

10 जलकर/जल भार 0 6000 6500<br />

11 लेखन सामी और फाम क छपाई 25000 28500 57000<br />

12 कायालय फनचर एवं उपकरण 0 0 0<br />

13 टेलीफोन पर यय 40000 36500 41000<br />

14 कायालय योगाथ टाफ मो0 गाडय का य 0 0 0<br />

15 गाडय का अनु0 और पेोल आद क खरद 100000 200000 110000<br />

16 यावसाियक तथा वशेष सेवाओं के िलए भुगतान 100000 1200000 0<br />

17 कराया, उपशु क और कर वािम व 0 226500 567000<br />

25 लघुिनमाण काय 0 0 0<br />

26 मशीन और स जा/उपकरण और संयं 0 100000 100000<br />

27 िचक सा यय ितपूित 0 22600 55000<br />

29 अनुरण 0 0 0<br />

42 अ य यय 0 0 0<br />

44 िशण यय 0 0 0<br />

45 अवकाश याा यय 0 0 0<br />

46 क यूटर हाडवेयर/साटवेयर का य 0 150000 100000<br />

47 क यूटर अनुरण/ टेशनर का य 35000 61000 99500<br />

कु ल योग 1809000 26840600 47708000<br />

आहरण वतरण अिधकारवार ववरण आगामी पृ ठ पर दया हुआ ह।


20<br />

13व व त आयोग क सं तुित के म म कमचारय/पशनर का डाटा बेस<br />

म सं या आहरण वतरण अिधकार आवंटत बजट<br />

(पय म)<br />

1 िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय, देहरादून 45000000<br />

कु ल योग 45000000<br />

कोषागार एवं व त सेवाय अिध ठान<br />

म सं या आहरण वतरण अिधकार आवंटत बजट<br />

(पय म)<br />

1 िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय, देहरादून 17985000<br />

कु ल योग 17985000<br />

कोषागार भाग<br />

म सं या आहरण वतरण अिधकार आवंटत बजट<br />

(पय म)<br />

1 िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय, देहरादून 5704500<br />

2 मु य कोषािधकार देहरादून 24030000<br />

3 वर ठ कोषािधकार हरार 11051500<br />

4 कोषािधकार डक 5334000<br />

5 वर ठ कोषािधकार याग 7417500<br />

6 मु य कोषािधकार पौड 15090000<br />

7 वर ठ कोषािधकार चमोली 10895000<br />

8 वर ठ कोषािधकार उ तरकाशी 9409000<br />

9 वर ठ कोषािधकार नई टहर 9305000<br />

10 कोषािधकार नरे नगर 6344500<br />

11 कोषािधकार कोटार 7975800<br />

12 कोषािधकार लसडाउन 4821000<br />

13 मु य कोषािधकार नैनीताल 13091000<br />

14 वर ठ कोषािधकार उमिसंह नगर 17709200<br />

15 वर ठ कोषािधकार अ मोडा 13568300<br />

16 वर ठ कोषािधकार बागे वर 12560000<br />

17 वर ठ कोषािधकार पथौरागढ 12574200<br />

18 वर ठ कोषािधकार च पावत 11705000


21<br />

19 कोषािधकार ह ानी नैनीताल 5400000<br />

20 कोषािधकार रानीखेत अ मोडा 5004000<br />

21 कोषािधकार चकराता देहरादून 2286000<br />

22 कोषािधकार धूमाकोट, पौड 1499000<br />

23 कोषािधकार कणयाग, चमोली 4957000<br />

24 कोषािधकार िभ यासैण अ मोडा 4066500<br />

25 कोषािधकार थराली चमोली 4526500<br />

26 कोषािधकार पुरोला उ तरकाशी 3032500<br />

27 कोषािधकार डडहाट 5724500<br />

28 कोषािधकार बेरनाग 6392000<br />

योग 241473500<br />

उ तरांचल िनवास नई द ली म वेतन एवं भुगतान कायालय क थापना<br />

1 व त अिधकार भुगतान एवं लेखा कायालय नई द ली 1809000<br />

योग 1809000<br />

थानीय िनिध लेखा परा भाग<br />

म सं या आहरण वतरण अिधकार आवंटत बजट<br />

(पय म)<br />

1 जला स परा, अिधकार देहरादून 3426500<br />

2 जला स परा,अिधकार हरार 1703000<br />

3 जला स परा, अिधकार पौड 2922000<br />

4 जला स परा,अिधकार चमोली 1237500<br />

5 जला स परा, अिधकार टहर 1241100<br />

6 जला स परा, अिधकार अल ्मोडा 1508000<br />

7 जला स परा,अिधकार नैनीताल 2219500<br />

8 जला स परा, अिधकार उमिसंह नगर 7930500<br />

9 जला स परा, अिधकार पथौरागढ 791500<br />

10 सहायक िनदेशक थानीय िनिध लेखा परा देहरादून 3861000<br />

योग 26840600


22<br />

सहकार सिमितयॉं एवं पंचायत लेखा परा भाग<br />

म<br />

सं या<br />

आहरण वतरण अिधकार<br />

आवंटत बजट<br />

(पये म)<br />

1 जला लेखा परा अिधकार देहरादून 4476000<br />

2 जला लेखा परा अिधकार हरार 2959500<br />

3 जला लेखा परा अिधकार पौड 3216000<br />

4 जला लेखा परा अिधकार नरे नगर 2719000<br />

5 जला लेखा परा अिधकार उ तरकाशी 3237000<br />

6 जला लेखा परा अिधकार याग 1318000<br />

7 जला लेखा परा अिधकार चमोली 2743000<br />

8 जला लेखा परा अिधकार अ मोडा 3585500<br />

9 जला लेखा परा अिधकार नैनीताल 6263000<br />

10 जला लेखा परा अिधकार उमिसंह नगर 7148500<br />

11 जला लेखा परा अिधकार पथौरागढ 2258500<br />

12 जला लेखा परा अिधकार बागे वर 1410500<br />

13 जला लेखा परा अिधकार च पावत 1857500<br />

14 उप िनदेशक सहाकार सिमितयॉ एवं पंचायत, देहरादून 4516000<br />

योग 47708000


23<br />

सहाियक कायम के िन पादन क रित, जसम आवंटत रािश और ऐसे<br />

कायम के फायदााहय के यौरे समिलत ह<br />

ऐसा कोई कायम िनदेशालय के अधीन यावत नहं कया जा रहा ह।


24<br />

अपने ारा अनुद त रयायत, अनुाप तथा ािधकार के ािकताओं<br />

क विशयां,<br />

इस कार क कोई सूचना या ववरण इस संगठन पर लागू नहं ह।


25<br />

कसी इलै ॉिनक प म सूचना के स ब ध म यौरे, जो उसको उपल ध ह या<br />

उसके ारा धारत ह,<br />

िनदेशालय के अधीन थ कोषागार से येक माह सरकार सेवक का वेतन तथा पशंनर का<br />

भुगतान एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली के अधीन कोषागार से सीधे सरकार सेवक के एकल बक<br />

खाते म होता ह। इस णाली का साटवेयर येक कोषागार म थापत ह तथा इस साटवेयर के<br />

मा यम से येक सरकार सेवक का नाम, पदनाम, वेतनमान, सरकार सेवक क ज म ितिथ,<br />

सेवािनवृ त क ितिथ, इ याद का पूण ववरण अाविधक प से तैयार रहता ह। इससे रा य म<br />

सरकार सेवक के वेतन इ याद म होने वाले मािसक यय का आंकलन एंव इसको यान म रखते हुए<br />

वेतन इ याद मद म बजट का उिचत ावधान कये जाने आद क सुवधा वत: ह ा त हो जाती<br />

ह।<br />

www.ua.nic.in बेवसाइट म उ त सूचना येक माह अाविधक क जाती ह। रा य म, देश<br />

म अथवा वदेश म कहं भी इस साईट से सरकार सेवक अपने वेतन एवं कटौितय तथा इससे जुड<br />

विभ न कार क सूचनाओं को सुगमता से पढ सकता ह तथा इसका ट िनकाल सकता ह। जस<br />

णाली क सहायता से उ त सूचना सुलभ हुयी ह यह देश पहली बार उ तरांचल म लागू हुयी और<br />

उ तरांचल रा य देश का पहला रा य बना जहॉं सरकार सेवक के स ब ध म विभ न कार क<br />

सूचना एक सु यवथत णाली के तहत रा य सरकार के पास सदैव एवं सुलभ तरके से उपल ध ह।<br />

व तीय सां यकय भाग म कोषागार से डाटा को ई-मेल के मा यम से मंगाये व भेजे जाने<br />

के िलये ाडबड क सुवधा उपल ध ह।


26<br />

सूचना अिभा त करने के िलए नागरक को उपल ध सुवधाओं क विशयां<br />

जनके अंतगत कसी पु तकालय या वाचन क के यद लोक उपयोग के िलये<br />

अनुरत ह तो कायकरण घंटे समिलत ह,<br />

इस संगठन म य प से आम जनता से सीधे जुडे काय एवं अपेाओं यु त कोई काय<br />

योजना एवं दािय व नहं ह। संगठन म मु यता रा य के व तीय ब ध एवं िनयंण से जुडे इस<br />

संगठन एवं इसके िनयणाधीन जनपदय कायालय के िलये िनधारत दािय व के अनुसार भुगतान से<br />

स बधत, लेखा परा से स बधत एवं रा य के आय- ययक के विभ न वप म रखे गये<br />

व तीय आंकडे क सूचनाएं एवं ववरण मश: कोषागार, जनपदय आडट कायालय एवं व तीय<br />

सां यकय सेल के तर पर रखे जाने क यव था ह। यद इनसे स बधत कोई सूचना अिभा त<br />

करने वाला नागरक स पक करता ह तो उसे अपेत सूचना एवं जानकार उपल ध करायी जा सकती<br />

ह। य प से सीधे जनता से जुडे कसी काययोजना एवं दािय व के नहं होने के फल वप<br />

िनदेशालय एवं इसके िनयंणाधीन जनपदय कायालय म पु तकालय एवं वाचनालय जैसी लोक<br />

उपयोगी यव था क आव यता नहं रह है, सूचनाओं क ाि एवं जानकार हेतु सश त इलै ािनक<br />

मीडया के वतमान युग म इसका उपयोग अिधक भावी ह अत: वभाग क व तीय गितविधय एवं<br />

इससे जुड िनयम, मैनुअल को www.ua.nic.in बेबसाइट म रखे जाने क या शासन ारा ार भ<br />

क गयी ह जसम वतमान म रा य के सरकार सेवक को भुगतािनत वेतन एवं पशनर को भुगतान<br />

क जाने वाली पेशन क धनरािश, सरकार सेवक का नाम, पदनाम वेतनमान, एवं अ य जानकारयॉं<br />

इसी कार पशनर क जानकार इ याद साईट म रखी गयी ह। इसके अितर त बजट मैनुअल एवं<br />

कु छ मह वपूण शासनादेश भी साईट म डाले गये ह। यह भी यास कया जा रहा ह क शासकय काय<br />

को सुचा-प से स पादन हेतु दशा-िनदश देने वाली सभी व तीय ह तपुतकाय व समय-समय पर<br />

जार शासनादेश को वेबसाईट म डाल दया जाय जो जन-सामा य के िलये सुवधाजनक होगा।<br />

िनदेशालय तर पर अलग से पु तकालय/वाचनालय क यव था थान के अभाव के कारण नहं हो<br />

पायी, फर भी व त स बधत पु तक का संह कया गया ह, जसका उपयोग शासकय काय<br />

स पादन म सहायक ह।


27<br />

लोक सूचना अिधकारय के नाम, पदनाम और अ य विशयॉं<br />

कोषागार भाग<br />

व तीय सां यकय भाग<br />

थानीय िनिध लेखा परा भाग<br />

सहकार सिमितयॉं एवं पंचायत लेखा<br />

परा भाग<br />

कोषागार भाग<br />

सम त भाग के िलये<br />

लोक सूचना अिधकार<br />

(1) मु यालय म तैनात उप िनदेशक, कोषागार<br />

(2) विभ न जनपद म तैनात सम त कोषागार अिधकार<br />

(3) उ तरांचल भुगतान एवं लेखा कायालय, नई द ली म तैनात<br />

कोषािधकार<br />

(1) ोामर<br />

(1) मु यालय म तैनात उपिनदेशक/सहायक िनदेशक<br />

(2) सहायक िनदेशक (सामा य लेखा/फामलेखा)<br />

स वत स परा, गोव द ब लभ पंत कृ ष एवं ोोिगक<br />

व ववालय पंतनगर<br />

(3) सहायक िनदेशक स वत स परा, हेमवती न दन बहुगुणा<br />

व ववालय ीनगर, पौड<br />

(4) सहायक िनदेशक स वत स परा, वन िनगम, नरे नगर<br />

(5) विभ न जनपद म तैनात जला स ेािधकार<br />

(1) मु यालय म तैनात उप िनदेशक<br />

(2) विभ न जनपद म तैनात जला लेखा परा अिधकार<br />

सहायक लोक सूचना अिधकार<br />

उप जला तर पर तैनाम सम त उपकोषािधकार<br />

वभागीय अपीलीय अिधकार<br />

िनदेशालय म तैनात अपर िनदेशक/संयु त िनदेशक


28<br />

ऐसी अ य सूचना जो वहत क जाय,<br />

ेषक,<br />

सेवा म,<br />

इ दु कु मार पा डे<br />

सिचव व त<br />

उ तरांचल शासन<br />

िनदेशक,<br />

कोषागार एवं व त सेवाय,<br />

उ तरांचल देहरादून।<br />

सं या 5098/व.सं.शा./2001<br />

व त अनुभाग देहरादून, दनांक 19 जून, 2001<br />

वषय:-<br />

िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय, सह टेट इ टरनल आडट के कायालय का<br />

संगठना मक ढॉचा।<br />

महादेय,<br />

उ तरांचल रा य म कोषागार एवं उप कोषागार स ब धी अिध ठान, थानीय िनिध<br />

लेखा-परा, सहकारता एवं पंचायत लेखा-परा, डाटा से टर तथा सेवा स ब धी अिध ठान के काय<br />

के पयवेण, िनयण आद हेतु ी रा यपाल महोदय कोषागार एवं व त सेवाय सह टेट इ टरनल<br />

आडटर का एक पद तथा तर-3 म उलखत पद के सृजत करने क अनुमित दान करते ह।<br />

2- उपयु त वषयक काय हेतु िनदेशक को वभागा य एवं बजट िनयंण अिधकार<br />

घोषत कया जाता है।<br />

3- िनदेशक के अधीन संवग के अनुसार 2 अपर िनदेशक (वेतनमान 16400-20000) 4<br />

संयु त िनदेशक/उप िनदेशक (वेतनमान पद धारक के अनुप), 01 वैयक सहायक (वेतनमान 0<br />

6500-10500), 04 आशुिलपक सह कसोल आपरेटर (वेतनमान 0 4000-6000), 03 लेखाकार सह<br />

वर ठ डाटा इ आपरेटर (वेतनमान 0 5000-8000), 02 वर ठ स ेक सह-डाटा ोसेिसंग<br />

अिस टट (वेतनमान 0 5000-8000), 05 कायालय सहायक सह डाटा इ आपरेटर (वेतनमान 0<br />

4000-6000), 04 वाहन चालन (वेतनमान 0 3050-4590), 06 चपरासी (वेतनमान 0 2550-<br />

3200), सह क यूटर क सहायक अटे डे ट सह डाक वाहक सह फराश के पद होग। वग ‘’घ’’ के<br />

पद अनुब ध बथवा रड लायमे ट ारा भरे जायगे।<br />

4- कोषागार क संरचना पूववता होगी।<br />

5- जला अथवा सं था म थानीय िनिध लेखा परा तथा सहकारता एवं पंचायत, लेखा-<br />

परा का संगठना मक वप पूववत िनधारत पवतीय उप संवग के अनुसार रहेगा।


29<br />

6- कोषागार एवं पशन, थानीय िनिध लेखा परा, सहकारया एवं पचायत लेखा परा<br />

के ेीय/म डलीय कायालय िनदेशालय म समाहत कये जाये।<br />

7- वर ठता, पाता एवं उपल धता के आधार पर लेखा परा के दो मुख संवग यथा<br />

थानीय िनिध लेखा परा तथा सहकारता एवं पंचायत लेखा-परा िनदेशक कोषागार एवं व त<br />

सेवाय सह टेट इ टरनल आडटर के अधीन एक पद अपर िनदेशक तथा अलग-अलग संवग हेतु एक-<br />

एक पद संयु त िनदेशक /उप िनदेशक का िनयु त कये जाय।<br />

8- चयन तथा िनयु या पूव तर उ तर देश म लागू विभ न सेवा िनयमावली के<br />

अनुसार कया जाय, जब तक उ तरांचल रा य क त वषयक िनयमाविलयॉं नहं बन जाती ह।<br />

उपरो त आदेश त काल भाव से लागू होग।<br />

भवदय,<br />

इ दु कु मार पा डे<br />

सिचव व त।<br />

सं या-5098/व0सं0शा0/त दनांक<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:-<br />

1- सम त मुख सिचव/सिचव उ तरांचल शासन।<br />

2- महालेखाकार उ तरांचल, 5 थान हल रोड स यिन ठा भवन, इलाहाबाद।<br />

3- सम त वभागा य/कायालया य उ तरांचल।<br />

4- कु लपित, सम त व ववालय उ तरांचल।<br />

5- सम त जलािधकार, उ तरांचल।<br />

6- सम त कोषागार अिधकार, उ तरांचल।<br />

आा से,<br />

(के 0सी0 िम) ,<br />

अपर सिचव।


30<br />

ेषक,<br />

के 0सी0 िम<br />

अपर सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सं या 5098/व.सं.शा./2001<br />

सेवा म,<br />

िनदेशक,<br />

कोषागार एवं व त सेवाय,<br />

उ तरांचल देहरादून।<br />

व त अनुभाग-4 देहरादून: दनांक: 07 नव बर, 2001<br />

वषय: िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय के संगठना मक ढॉच म आशुिलपक सह क सोल<br />

आपरेटर का एक अितर त पद का सृजन के स ब ध म।<br />

महोदय,<br />

उपयु त वषयक पर मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क िनदेशक, कोषागार एवं<br />

व त सेवाय, िनदेशालय हेतु शासनादेश सं या- 5098/व.स.शा./2001 दनांक 19 जून, 2001 ारा<br />

िन निलखत पद का सृजन कया गया ह:-<br />

कं 0सं0 पद का नाम वेतनमान (पय म) सृजत पद<br />

क सं या<br />

1 अपर िनदेशक 16400-20000 02<br />

2 संयु त िनदेशक /उप िनदेशक वेतनमान पद धारक के 04<br />

अनुप<br />

3 वैयक सहायक 6500-10500 01<br />

4 आशुिलपक सह कं सोल आपरेटर 4000-6000 04<br />

5 लेखाकार सह वर ठ डाटा इ आपरेटर 5000-8000 03<br />

6 वर ठ स ेक सह डाटा ोसेिसंग अिस ट ट 5000-8000 02<br />

7 कायालय सहायक सह डाटा इ आपरेटर 4000-6000 02<br />

8 वाहन चालक 3050-4590 04<br />

9 चपरासी सह क यूटर क सहायक सह डाक 2550-3200 06<br />

वाहक सह फराश<br />

2- कोषागार एवं व त सेवाय िनदेशालय हेतु आशुिलपक सह कं सोल आपरेटर वेतनमान<br />

0 4000-6000 का एक अितर त पद एवं एक पद क यूटर ोामर वेतनमान 0 8000-13500<br />

को सृजत कये जाने क ी रा यपाल सहष वीकृ ित दान करते ह।


31<br />

3- शासनादेश सं या 5098/व.सं.शा./2001 दनांक 19 जून, 2001 को इस सीमा तक<br />

संशोिधत समझा जाय।<br />

भवदय,<br />

(के 0सी0 िम)<br />

अपर सिचव।<br />

सं0- (1)/व.अनु.-4/2001 त दनांक।<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:-<br />

1- महालेखाकार उ तरांचल, 5 थान हल रोड स यिन ठ भवन, इलाहाबाद।<br />

2- सम त वभागा य/कायालया य उ तरांचल।<br />

3- कु लपित, सम त व ववालय उ तरांचल।<br />

4- सम त जलािधकार, उ तरांचल।<br />

5- समसत कोषागार अिधकार, उ तरांचल।<br />

(के 0सी0 िम)<br />

अपर सिचव।


32<br />

सं या 159/XXVII (2) /2005<br />

ेषक,<br />

इ दु कु मार पा डे,<br />

मुख सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सेवा म,<br />

िनदेशक,<br />

कोषागार एवं व त सेवाय,<br />

सह टेट इ टरनल ऑडट, उ तरांचल,<br />

23 ल मी रोड, डालनवाला<br />

देहरादून।<br />

व त अनुभाग-2 देहरादून, दनांक 15 िसत बर, 2005<br />

वषय: वेतन सिमित (1997-99) क सं तुितय के कम म लेखा परा संवग के पद के<br />

वेतनमान म संशोधन।<br />

महोदय,<br />

उपयु त वषय पर मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क वेतन सिमित (1997-99) क<br />

सं तुितय के म म िनगत शासनादेश सं या-419/ XXVII(3)/2005 दनांक 13 िसत बर, 2005 के<br />

अनुम म थानीय िनिध लेखा परा तथा सहकार सिमितयॉं एवं पंचायत, लेखा परा संगठन के<br />

लेखा परा संवग के पद हेतु दनांक 01 जनवर, 1996 से लागू सामा य पुनरत वेतनमान एवं<br />

पदनाम को िन नवत ् दनांक 01 अैल, 2001 से संशोिधत कये जाने क ी रा यपाल महोदय सहष<br />

वीकृ ित दान करते ह।<br />

ं 0 वतमान पदनाम 01.01.1996 से लागू 01.04.2001 पुनरत 01.04.2001 से लागू<br />

सं0<br />

सामा य वेतनमान से संशोिधत पदनाम संशोिधत वेतनमान<br />

1 लेखा परक 0 4000-6000 लेखा परक 0 4500-125-7000<br />

2 ये ठ/वर ठ लेखा<br />

परक<br />

3 ये ठ/वर ठ लेखा<br />

परक ेड-1<br />

4 ये ठ/वर ठ लेखा<br />

परक ेड-1<br />

(वर ठ वेतनमान)<br />

5 जला लेखा परा<br />

अिधकार/लेखा<br />

0 5000-150-8000 ये ठ/वर ठ लेखा 0 5500-175-9000<br />

परक<br />

0 5500-175-9000 ये ठ/वर ठ लेखा 0 6500-200-10500<br />

परखक ेड-1<br />

0 6500-200-10500 सहायक लेखा परा 0 7450-225-11500<br />

अिधकार<br />

0 6500-200-10500 जला लेखा परा 0 7500-250-12000<br />

अिधकार/लेखा परा<br />

परा अिधकार<br />

अिधकार ेड-2<br />

ेड-2


33<br />

2- उपरो तानुसार संशोिधत/उ चीकृ त वेतनमान म वेतन िनधारण व तीय िनयम संह, ख ड-2,<br />

भाग-2 से 4 के मूल िनयम-22 के नीचे अंकत स परा अनुदेश-4 के अनुसार कया जायेगा। यद<br />

कसी कमचार/अिधकार का वेतन िनधारण उसके ारा पूव आहरत वेतन से िन न तर पर होता ह<br />

अ तर क धनरािश उसे वैयक प से अनुम य करते हुए उसका पूव वेतन संरत कया जायेगा।<br />

वैयक वेतन क धनरािश का समायोजन आगामी वेतन बृय से कर िलया जायेगा। उपरो तानुसार<br />

स बधत पदधारक को मूल िनयम-23(1) के अ तगत वक प का भी अिधकार होगा, अथात ् वह<br />

दनांक 01 अैल, 2001 अथवा वतमान वेतनमान म कसी अनुवत वेतन बृ क ितिथ से संशोिधत<br />

वेतनमान का वक प दे सकता ह। वक प देने क अतम ितिथ इस शासनादेश के िनगत होने क<br />

ितिथ से 90 दन क अविध तक होगी। उ त अविध के अ तगत वक प न देने क दशा म यह मान<br />

िलया जायेगा क पा कमचार ारा इस शासनादेश के िनगत होने क ितिथ से वक प दया गया ह।<br />

3- दनांक 01.04.2001 से दनांक 31.08.2005 तक के देय सम त अवशेष को स बधत<br />

अिधकार/कमचार के सामा य भव य िनिध खाते म जमा कया जायेगा और उ त खाता न होने क<br />

थित म इसका भुगतान रा य बचत प के मा यम से कया जायेगा। जो अिधकार/कमचार इस<br />

अविध म सेवािनवृ त हो गये ह, उ ह उ त अविध के अवशेष का भुगतान नकद कया जायेगा।<br />

4- यह आदेश व त अनुभाग-3 के अशासकय प सं या- 1644(ख)/ XXVII(3) /2005 दनांक<br />

14.09.2005 ारा ा त उनक सहमित से िनगत कये जा रहे ह।<br />

भवदय,<br />

इ दु कु मार पा डे,<br />

सिचव व त।<br />

सं या-159/(1)/ XXVII(2)/2005, त दनांक।<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह होतु ेषत।<br />

1- महालेखाकार उ तरांचल।<br />

2- सम त कोषागार अिधकार, उ तरांचल।<br />

3- सम त जला लेखा परा अिधकार, थानीय िनिध लेखा परा तथा सहकार सिमितयां एवं<br />

पंचायत, लेखा परा संगठन, उ तरांचल।<br />

4- सम त वभाग/िनगम, जनम लेखा परा संवग के कािमक ितिनयु/सेवा थाना तरण के<br />

आधार पर कायरत ह।<br />

5- व त अनुभाग-3<br />

6- वर ठ तकनीक िनदेशक, एन0आई0सी0 उ तरांचल एकक, देहरादून।<br />

आा से,<br />

(ट0एन0 िसंह)<br />

अपर सिचव व त।


34<br />

सं या 1010/व0अनु0-1/2004<br />

ेषक,<br />

इ दु कु मार पा डे,<br />

मुख सिचव, व त,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सेवा म,<br />

सम त वभागा य/कायालया य,<br />

उ तरांचल,<br />

व त अनुभाग-1, देहरादून: दनांक 29 नव बर, 2004<br />

वषय: पूववत रा य उ तर देश से स बधत देयक के स ब ध म।<br />

महोदय,<br />

उपरो त वषय के स ब ध म मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क शासनादेश सं या-<br />

04/व0अनु0-1/2001-2002, दनांक 03 अैल, 2002 के ारा वेतन से स बधत भुगतान,<br />

सेवािनवृ त होने पर अजत अवकाश के नगदकरण का भुगतान, सेवािनवृ के उपरांत गृह-जनपद हेतु<br />

क गई याा भ ते का भुगतान, सेवािनवृ त पशनस क िचक सा ित-पूित का भुगतान, समूहक<br />

बीमा योजना स ब धी भुगतान उ तरांचल रा य के बजट साह य म इंिगत सुसंगत-लेखा शीषक के<br />

अ तगत कये जाने क यव था क गयी थी, जसके साथ मु य लेखा-शीषक-8793- अ तरा जीय<br />

समायोजन उ तर देश पुनगइन अिधिनयम, 2000 भी दशाया जाना था। जससे रा य ारा कये गये<br />

भुगतान का भाजन जनसं या के आधार पर कर इसक ितपूित उ तर देश से ा त हो सके ।<br />

अ तरा जीय समायोजन से उ त मद क ितपूित कये जाने क सहमित उ तर देश<br />

ारा नहं द गयी ह, जसके कारण महालेखाकार ारा ऐसे भुगतान को अ तरा जीय समायोजन के<br />

अ तगत पु ताकं त नहं कया जा रहा ह तथा इन मद म वीकृ त धनरािश के कद भुगतान का शत-<br />

ितशत भार रा य पर पड रहा ह। अत: इस स ब ध म यह िनणय िलया गया ह क जो कमचार<br />

थायी प से उ तरांचल हेतु आवंटत कये जा चुके ह अथवा ज हने उ तरांचल का वक प दया ह<br />

उ तरांचल म ह कायरत ह, के दनांक 09.11.2000 के पूव के तर-1 म इंिगत मद के अवशेष दाव<br />

का भुगतान िनयमानुसार परण एवं पूव लेखा परा करने के प चात ् उ तरांचल के बजट साह य म<br />

इंिगत सुसंगत लेखा-शीषक के अ तगत ह कया जायेगा।<br />

इस सीमा तक शासनादेश सं या-04/व0अनु0-1/2001-2002, दनांक 03 अैल,<br />

2002 संशोिधत समझा जायेगा।<br />

भवदय,<br />

इ दु कु मार पा डे,<br />

मुख सिचव, व त।


35<br />

सं या-1010/(1)/व0अनु0-1/2004, एवं त दनांक।<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत।<br />

1- ी आर0के 0 िसंह, संयु त सिचव, गृह मांलय, भारत सरकार, नई द ली।<br />

2- अपर मु य सिचव/सम त मुख सिचव/सम त सिचव, उ तरांचल शासन।<br />

3- महालेखाकार उ तरांचल सहारनपुर रोड, माजरा, देहरादून।<br />

4- िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय, उ तरांचल।<br />

5- िनदेशक, लेखा एवं हकदार, उ तरांचल, देहरादून।<br />

6- सम त कोषािधकार, उ तरांचल।<br />

7- रज ार जनरल, मा0 उ च यायालय, नैनीताल।<br />

8- गाड फाइल।<br />

आा से,<br />

(ट0एन0 िसंह)<br />

अपर सिचव व त।


36<br />

सं या 04/व0अनु0-1/2001-2002<br />

ेषक,<br />

इ दु कु मार पा डे,<br />

मुख सिचव, व त,<br />

उत ्तरांचल शासन।<br />

सेवा म,<br />

सम त वभागा य/कायालया य,<br />

उ तरांचल।<br />

व त अनुभाग-1 देहरादून: दनांक 03 अैल, 2002<br />

वषय: पूववत रा य उ तर देश से स बधत देयक के स ब ध म।<br />

महोदय,<br />

उपरो त वषयक शासनादेश सं या: 0037/26-सं0व0/कै प/2001 दनांक 5 फरवर,<br />

2001 के अनुम म मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क वेतन से स बधत तथा पशन वीकृ त<br />

करने के करण म पूववत रा य से स बधत 8 नव बर, 2000 तक के भुगतान 30 िसत बर,<br />

2001 तक कये जाने क यवस ्था क गई थी। के सरकार तर पर दनांक 21 फरवर, 2002 को<br />

हुई बैठक के म म जब तक अ यथा आदेश के सरकार ारा न कर द जाये पूव दन रा य के<br />

म य हुई सहमित यथावत ् मानी जाये। रा य के कमचारय के वेतन एवं पशन के भुगतान समय से<br />

कये जाने के दािय व को म रखते हुये रा यपाल महोदय पुनगठन अिधिनयम-2000 क सुसंगत<br />

धाराओं के अ तगत इंिगत या तथा उस म उ तर देश सरकार से हुई सहमित के आधार पर<br />

िन निलखत मद भुगतान कये जो क सहष वीकृ ित दान करते ह:-<br />

1- वेतन से स बधत भुगतान।<br />

2- सेवा िनवृक लाभ।<br />

3- सामा य भव य िनवाह िनिध के 90 ितशत भुगतान।<br />

4- सेवािनवृ त होने पर अजत अवकाश के नगदकरण का भुगतान।<br />

5- सेवािनवृ के उपरा त गृह-जनपद हेतु क गई याा भ ते का भुगतान।<br />

6- सेवािनवृ त पशनस क िचक सा ित-पूित का भुगतान (सेवारत कािमको के स ब ध<br />

म नव बर 2000 से पूव के िचक सा ित-पूित के दाव का भुगतान उ तर देश के<br />

शासनादेश सं या-3-241/दस-308(9)/2000 दनांक: 13 फरवर, 2001 के ारा<br />

पूववत ् अ तरा जीय समायोजन के अ तगत कया जा रहा ह)।<br />

7- सामूहक बीमा योजना स बधी भुगतान।<br />

(2)- उपयु त सभी मद के भुगतान के वाउचर पर बजट साह य म इंिगत सुसंगत लेखा शीषक का<br />

ववरण धन बजट विनयोग (जहॉं आव यक हो) इंिगत करने के साथ-साथ मुख लेखा-शीषक-<br />

अ तरा जीय समायोजन उ तर देश पुनगठन अिधिनयम 2000 दशाया जाय। उपयु त इंिगत मद के


37<br />

वाउचर पर लाल याह से महालेखाकार हेतु यह प ट प से उ लेख कया जाये क यह भुगतान<br />

पुनगठन अिधिनयम के अधीन िनयत ितिथ 9 नव बर, 2000 से पूव का ह तथा औपचारक आदेश क<br />

ित भी देयक के साथ संल न कया जाय।<br />

(3)- पशन स ब धी भुगतान के िलये पुनगठन अिधिनयम-2000 क धरा-54 के साथ पठत आठवीं<br />

अनुसूची के तर-2 म उलखत ह क वतमान उ तर देश से स बधत यद कोई य<br />

सेवािनवृ त होता ह या िनयत ितिथ से पूव अवकाश पर चला जाता ह तब ऐसे पशन स ब धी दावे का<br />

भुगतान उ तर देश से होगा। इसी कार उ त धारा क आठवीं अनुसूची के तर-3 के अनुसार<br />

िनयत दन से ार भ होने वाले और िनयत दन के प चात ् ऐसी तारख को जो के य सरकार ारा<br />

िनयत क जाये सम त होने वाले अविध के बावत ् पैरा-1 एवं पैरा-2 म िनद ट पशन के बारे म उ तर<br />

सयवत रा य को कये गये कु ल समुदाय को संगणना म िलया जायेगा। पशन क हबावत पूववत<br />

उ तर देश रा य के कु ल दािय व का उ तर वत रा य क बीच भाजन जनसं या के अनुपात हम<br />

कया जायेगा और अपने ारा देय अंश से अिधक का संदाय करने के कसी उ तरवत रा य पर<br />

आिध च कम क ित-पूित उ तरवत का कम संदाय करने वाले रा य ारा क जायेगी। पूववत उ तर<br />

देश रा य के काय-कलाप के स ब ध म िनयत दन के ठक पूव सेवा करने वाले और उस दन या<br />

उसके प चात ् सेवािनवृ त होने वाले अिधकार के पशन भुगतान का दािय व उ तरवत रा य का होगा<br />

य क संवधान के अनुसार रा य कमचारय के वेतन एवं पशन का करण रा य का वषय ह।<br />

क तु कसी ऐसे अिधकार को पूववत उ तर देश रा य के कायालय काय-कलाप के स ब ध म सेवा<br />

करने वाले और उस दन या उसके प चात ् सेवा िनवृ त होने वाले अिधकार के पशन भुगतान का<br />

दािय व उ तरवत रा य का होगा य क संवधान के अनुसार रा य कमचारय के वेतन एवं पशन<br />

का करण रा य का वषय ह। क तु कसी ऐसे अिधकार को पूववत उ तर देश रा य के कायालय<br />

काय-कलाप के स ब ध म सेवा के कारण पशन का भाग उ तर देश एवं उ तरांचल के म य<br />

जनसं या के अनुपात म भाजन कया जायेगा। अिधिनयम प ट कया गया ह यद ऐसा कोई<br />

अिधकार रा य के काय-कलाप के स ब ध म सेवा करने वाले रा य िभ न एक से अिधक उ तरवत<br />

रा य के काय-कलाप के स ब ध म सेवा करते रह हो तो पशन अनुद त करने वाले रा य उस सरकार<br />

को ऐसी रकम क ित-पूित करेगा जसके ारा पशन क रकम अनुद त क गई ह जसको िनयत<br />

दन के प चात ् क उसक सेवा के कारण ता पय पशन के भाग का वह अनुपात हो जो ित-पूित<br />

करने वाले रा य के अधीन िनयत दन के प चात ् उसक अह-सेवा का उस अिधकार को उसक पशन<br />

के परयोजनाथ परक प िनयत दन के प चात ् क कु ल सेवा का ह।<br />

(4)- धारा 54 के साथ पठत आठवी अनुसूची के उपरो त ावधान से प ट ह क 09 नव बर,<br />

2000 के पूव िनयु त कमचार क 08 नव बर, 2000 तक क सेवा के पशन/े युट आद स ब धी<br />

देयता उ तरवत रा य म जनसं या के आधार म भाजत होगा तथा 09 नव बर के बाद क सेवा<br />

जस रा य म जतने दन सेवा कया गया हो के आधार पर उस रा य ारा कया जायेगा। सम<br />

ािधकार ारा पशन वीकृ ित होने वाले प म इन त य को लाल याह से प ट उ लेख कर दया


38<br />

जाय, क कतनी सेवा 08 नव बर, 2000 तक पूववत उ तर देश क ह कतनी सेवा उ तरवत<br />

रा य म क गई ह ताक सेवािनवृक लाभ स बधी भाजन सह ढंग से स भव हो सके ।<br />

(5)- उपरो त वषयक अिधक ठान एवं पशन के भुगतान करने से पहले व तीय िनयम संह,<br />

ख ड-5, (भाग-1), तर-74 म पूव स ेा स ब धी िनहत ावधान अ य िनयम, या एवं<br />

सम ािधकार के आदेश क या का कडाई से पालन कया जाना अिनवायं होगा अ यथा<br />

अिनयिमत आदेश करने वाले/भुगतान करने वाले अिधकार अिनयिमत भुगतान के दोषी माने जायेग।<br />

कृ पया उपरो त आदेश का कडाई से अनुपालन सुिनत कया जाये।<br />

भवदय,<br />

इ दु कु मार पा डे<br />

मुख सिचव, व त।<br />

संख ्या 04/व0अनु0-1/2001-2002, उ त ितिथ।<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत।<br />

1- ी आर0के 0 िसं, संयु त सिचव, गृह मंालय, भारत सरकार, नई द ली।<br />

2- सम त मुख सिचव/सिचव उ तरांचल शासन।<br />

3- धान महालेखाकार, उत ्तर देश (लेखा एवं हकदार) थम इलाहाबाद।<br />

4- महालेखाकार, उ तररांचल 5 ए थान हत रोड स यिन ठा भवन इलाहाबाद।<br />

5- गोपाल कृ णन, धान िनदेशक, ए0ई0ए ड0सी0 कायशाला भारत सरकार महालेखाकार परक-<br />

10 बहादुरशाह जफर रोड, नई द ली।<br />

6- िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय, उ तरांचल।<br />

7- सम त कोषािधकार, उ तरांचल।<br />

8- रज ार जनरल,/मा0 उ च यायालय।<br />

9- गाड फाइल।<br />

आा से,<br />

(के 0सी0 िम)<br />

अपर सिचव व त।


39<br />

उ तरांचल शासन<br />

व त वभाग (सामा य लेखा)<br />

सं या-0037/26-स0व0/कै प/2001<br />

देहरादून: दनांक 5 फरवर, 2001<br />

कायालय ाप<br />

उ तर पदेश पुनगठन अिधिनयम 2000 के अधीन दनांक 09 नव बर, 2000 के पूव के<br />

अवशेष भुगतान के म म उ तर देश शासन के अिधकारय से हुई वाता तथा अ0शा0प0सं0-ए-2-<br />

III/दस-2001 व त (लेखा) अनुभाग-2 लखनऊ दनांक 30 जनवर, 2001 ारा िनगत कायवृ त के<br />

म म मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क दनांक 08 नव बर, 2000 तक के लबत करण क<br />

िन निलखत ेणी के भुगतान, उलखत या के अधीन कया जाए:<br />

1. सेवा िनवृ त लाभ (पशन आद) हेतु वीकृ ित अथवा पुनरण उ हं ािधकारय ारा कया<br />

जाए जो अवभाजत रा य उ तर देश म दनांक 08 नव बर, 2000 तक वीकृ ित दान<br />

करने हेतु सम ािधकार घोषत थे। यह यव था दनांक 30 िसत बर, 2001 तक बनायी<br />

रखी जाए। इस अविध म समसत लबत करण का पूणपेण िन तारण भी सुिनत कया<br />

जाए।<br />

2. तर 1 से स बधत भुगतान मु य लेखा शीषक- 8793 अ तरा जीय समायोजन उ00<br />

पुनगठन अिधिनयम के अधीन पु तांकत कये जायगे।<br />

3. भव य िनिध का 90 ितशत भुगतान तथा शेष 10 ितशत धनरािश के अतम िन कासन<br />

तथा भुगतान क कायवाह यथावत उ हं ािधकारय एवं महालेखाकार ारा दनांक 30<br />

िसत बर, 2001 तक क जाती रहे, जैसी दनांक 08 नव बर, 2000 तक यव था थी। इसी<br />

कार क कायवाह कमचार सामूहक बीमा योजना के िलए भी अपनायी जाए।<br />

4. दनांक 08 नव बर, 2000 तक के सेवािनवृ त होने पर अवशेष अजत अवकाश का<br />

नकदकरण तथा गृह जनपद हेतु याा भ ता का भुगतान दनांक 30 िसत बर, 2001 तक<br />

दनांक 09 नव बर, 2000 के पूव के सम ािधकार ारा कया जाए तथा भुगतान मु य<br />

लेखा शीषक- 8793 अ तरा जीय समायोजन उ तर देश पुनगठन अिधिनयम के अधीन कया<br />

जाए जससे महालेखाकार, उ तर देश-उ तरांचल ारा धनरािश का भाजन जनसं या के<br />

आधार पर करते हुए उ तरांचल रा य को ितपूित उपल ध कराय।<br />

5. दनांक 08 नवम ्बर, 2000 तक के सेवा िनवृ त पेशनस क िचक सा ितपूित उ तरांचल<br />

रा य के सम ािधकारय ारा कया जाए तथा मु य लेखा शीषक-8793 अ तरा यीय<br />

समायोजन, उ00 पुनगठन अिधिनयम के अधीन पु तांकत कया जाए जससे महालेखाकार<br />

तर से धनरािश का भाजन जनसं या के आधार पर करते हुए उ तरांचल रा य को ितपूित<br />

उपल ध करायी जाए।


40<br />

6. दनांक 08 नव बर, 2000 तक के देय वेतन, भ ते, याा यय एवं अ य भुगतान उ तरांचल<br />

रा य म िनयु त/कायरत अिधकारय एवं कमचारय के अवशेष दावे ( ले स) उ तरांचल<br />

रा य के सम ािधकार ारा िनयमानुसार भुगतान कया जाए। इस कार कये गये भुगतान<br />

मु य लेखा शीषक-8793 अ तरा यीय समायोजना उ00 पुनगठन अिधिनयम के अधीन<br />

पु तांकत कया जाए तथा महालेखाकार तर से धनरािश का भाजन जनसं या के आधार पर<br />

करते हुए उ तरांचल रा य को ितपूित क जाए।<br />

7. िसवल जमा तथा थानीय िनिध जमा के िनजी खाते (पी0एल0ए0) पूव क भांित संचािलत<br />

कये जाएं। कोषागार तथा वभाग तर पर दनांक 08 नव बर 2000 तक के अतम अवशेष<br />

का लेखा-जोखा अलग से रखा जाए यक यह करण भारत के संवधान के अनु छेद 283 के<br />

काश म उ तर देश के बजट मैनुअल के तर-196 के अधीन दोन रा य के आपसी करार<br />

अथवा महालेखाकार के मा यम से िन तारत कया जाएगा।<br />

8. उ तर देश समेकत िनिध से िभ न वाहय एजेन ्सी या य क जमा साख-सीमा<br />

(ड0सी0एल0) जो दनांक 08 नव बर 2000 तक जमा कया गया हो (यथा के सरकार से<br />

उपल ध धनरािश, टेहर हाइो इलैक डेवलपमट, सांसद िनिध आद) उसका भुगतान करते<br />

हुए कोषागार/वभाग तर पर अलग से लेखा-जोखा रखा जाए यक इस करण म द रा य<br />

के आपसी करार अथवा महालेखाकार के मा यम से अतम िनणय िलया जाएगा।<br />

9. उ तर देश से जो अिधकार/कमचार उ तरांचल का वक प देकर पूव अिधान से वेतन तथा<br />

याा भ ता का अिम लेखाकार उ तरांचल म कायभार हण कये ह, वे उ त धनरािश वेतन<br />

से कटाकर या चालान ारा मु य लेखा शीषक 8793 अ तरा यीय समायोजन उ00 पुनगठन<br />

के अधीन जमा करगे तथा महालेखाकार तर पर इस धनरािश का भाजन जनसं या के<br />

आधार पर कया जाएगा।<br />

10. शासनादेश सं या-002/कै प/िसवल/बजट 200-2001, दनांक 10 नव बर, 2000 का तार<br />

12 एवं 13 उ त सीमा तक संशोिधत माना जाए।<br />

कृ पया उपरो त के म म सम अिधकारय ारा कायवाह क जाए।<br />

भवदय,<br />

(इ दु कु मार पा डे)<br />

सिचव।<br />

सं या 0037(1)/26/स0व0/कै प/2001 त दनांक<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत।<br />

1- सिचव, व त उ तर देश शासन, लखनऊ, व त वभाग के शासनादेश सं या-ए-2- III/दस-<br />

2001, दनांक 30 जनवर, 2001 के म म।<br />

2- महालेखाकार, उ तर देश-उ तरांचल 5ए थान हल रोड स यिन ठा भवन इलाहाबाद।<br />

3- सम त मुख सिचव/सिचव उ तरांचल शासन।<br />

4- सम त वभागा य/कायालया य, उ तरांचल।<br />

5- सम त कोषािधकार, उ तरांचल।


41<br />

6- पुनगठन आयु त, उ तरांचल, वकास भवन, सिचवालय, लखनऊ।<br />

7- रेजीडे ट किम नर, उ तरांचल, नई द ली।<br />

8- रज ार मा0 उ च यायालय, उ तरांचल, नैनीताल।<br />

9- उ तरांचल शासन के सम त अनुभाग।<br />

आ से<br />

(के 0सी0 िम)<br />

अपर सिचव।


42<br />

उ तरांचल शासन<br />

व त वभाग<br />

सं या-11/व0अनु0-3/2002<br />

देहरादून: दनांक 5 अैल, 2002<br />

कायालय ाप<br />

दनांक 4 माच 2002 को उ तर देश एवं उ तरांचल रा य के बीच पशन से स बधत<br />

भुगतान के अ तरा यीय समायोजन एवं पशन या के लेखांकन के स ब ध म दोन सरकार के<br />

ितिनधय के साथ महालेखाकार क अ यता म आयोजत गो ठ म िलये गये िनणय के अनुसार<br />

मुझे यह सूिचत करने का िनदेश हुआ ह क पशन से स बधत सम त वीकृ ितयॉं जो 31-3-2002<br />

तक दोन रा य ारा िनगत क जायेगी, वह सीधे स बधत कोषागार को भुगतान हेतु ेषत क<br />

जाय।<br />

2- दनांक 1-4-2002 अथवा उसके बाद िनगत वीकृ ित िनयमानुसार महालेखाकार के मा यम से<br />

वशेष सील या के अ तगत स बधत रा य के कोषागार म ेषत क जायेगी।<br />

3- कृ पया उपरो तानुसार कायवाह क जाय।<br />

(के 0सी0 िम)<br />

अपर सिचव।<br />

सं या (1)/व0अनु0-3/2002 त दनांक<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:<br />

1- धान महालेखाकार, उ तर देश, इलाहाबाद।<br />

2- महालेखाकार, उ तरांचल 5-ए थान हल रोड स यिन ठा भवन इलाहाबाद।<br />

3- मुख सिचव व त उ तर देश शासन, लखनऊ1<br />

4- िनदेशक, कोषागार उ तर देश, 1018 जवाहर भवन, आशोक माग, लखनऊ।<br />

5- िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय, उ तरांचल 23 ल मी रोड, देहरादून।<br />

6- सम त वभागा य/कायालया य उ तरांचल सरकार।<br />

7- सम त कोषािधकार उ तरांचल।<br />

8- उ तरांचल सिचवालय के सम त अनुभाग।<br />

9- गाड फाइल।<br />

आा से<br />

(के 0सी0 िम)<br />

अपर सिचव।


43<br />

शासनादेश सं या-1009/व0अनु0-4/2003, दनांक 15 िसत बर, 2003<br />

ारा यथा अंगीकृ त भारत के संवधान<br />

के अनु छेद 283 के ख ड (2) के अधीन<br />

उ तरांचल के रा यपाल ारा िनगत<br />

कोषागार िनयमावली<br />

अनुभाग-1 सं त शीष तथा ार भ<br />

I- ये िनयम ‘’उ तरांचल कोषागार िनयमावली, 2003’’ कहे जा सक गे।<br />

1- (क) यद सरकार कसी वप को िनवारत करने या कसी कठनाई के िनराकरण के िलए,<br />

जो इन िनयम के लागू होने के परणाम वप उ प त हो सके गा, ऐसा करना आव यक या<br />

समीचीन समझे, तो वह ऐसे िनब धन तथा शत, यद कोई हो, जसे वह अिधरोपत करना<br />

उिचत समझे, के अ यधीन कसी मामले के वग म इस िनयमावली के कसी ावधान को<br />

अिभमु त या िशिथल कर सके गी।<br />

अनुभाग-2 परभाषाय<br />

2- इस िनयमावली म, जब तक स दभ से अ यथा अपेत न हो, िन निलखत अिभ ययॉं का<br />

एत ारा उनको समनुदेिशत अथ होगा, अथात:<br />

(क) ‘’ रा य सरकार’’ तथा ‘’रा यपाल’’ का अिभाय से मश: उ तरांचल क रा य,<br />

सरकार तथा रा यपाल से ह।<br />

(ख) ‘’संिचत िनिध’’ का अिभाय रा य क संिचत िनिध से ह, जसम सरकार ारा ा त<br />

सभी राज व, कोषागार वप को जार करके सरकार ारा ऋण या अिम के तरके<br />

के िलए गए सभी ऋण तथा ऋण क पुनअदायगी म सरकार ारा ा त सभी धन<br />

को संवधान के अनु छेद 266 के अ तगत जमा कया जाता ह। इस िनिध से कसी<br />

धनरािश का विनयोजन, विध के अनुसार तथा संवधान म उपबधत योजन के<br />

िलए तथा ढंग के िसवाय, नहं कया जा सकता।<br />

(ग) ‘’आकमक िनिध’’ का अिभाय संवधान के अनु छेद 267 के ख ड (2) के<br />

िनब धन म उ तरांचल आकमक िनिध अिधिनयम, 2001 (2001 का उ तरांचल<br />

अिधिनयम सं या II) के अधीन थापत रा य क आकमक िनिध से ह।<br />

(घ) ‘’लोक लेखा’’ का अिभाय रा य का लोक लेखा से ह, जसम सरकार ारा अथवा<br />

सरकार क और से ा त सभी अ य लोक धन, जैसे िनेप, आरत िनिध, ेषत<br />

धन को जो संिचत िनिध का भाग नहं होता, को संवधान के अनु छेद 266 (2) तथा<br />

284 के िनब धन म शािमल कया जाता ह। लोक लेखा से संवतरण वधान म डल<br />

ारा मत के अ यधीन नहं ह यक ये संिचत िनिध से िनगत कए गए धन नहं ह।


44<br />

(ड)<br />

(छ)<br />

(ज)<br />

(झ)<br />

(ञ)<br />

(ट)<br />

(ठ)<br />

‘’बैक’’ का अिभाय भारतीय रजव बक के बैकं ग वभाग का कोई कायालय या शाखा,<br />

भारतीय रजव बैक अिधिनयम, 1934 (1934 का अिधिनयम सं या 2) के ावधान के<br />

अनुसार भारतीय रजव बक के अिभकता के प म कायरत भारतीय टेट बक क कोई<br />

शाखा तथा भारतीय टेट बक (सहायक बक) अिधिनयम, 1959 (1959 का अिधिनयम<br />

सं या 38) क धारा 2 म यथा परभाषत सहाकय बक क कसी शाखा से ह, जो<br />

भारतीय टेट बक अिभकता या भारतीय रजव बैक ारा िनयु त कसी अ य<br />

अिभकता के प म सरकार कारबार का सं यवहार करने के िलए ािधकृ त ह।<br />

‘’कले टर’’ या ‘’जला अिधकार’’ का अिभाय जले के मुख से ह तथा इस<br />

िनयमावली के योजन के िलए कले टर के कत य का िनवहन करने के िलए त समय<br />

ािधकृ त कसी अ य अिधकार भी समिलत ह।<br />

‘’महालेखाकार’’ का अिभाय भारत के िनयंक-महालेखा परक के अधीन थ लेखा<br />

परा तथा लेखा कायालय के मुख से ह, जो रा य के लेखाओं को रखता ह तथा<br />

भारत के िनयंक-महालेखा परक क ओर से उन लेखाओं के स ब ध म लेखा<br />

परा काय का योग करता ह।<br />

‘’ भारतीय लेखा परा वभाग’’ का अिभाय भारत म तथा भारत के िनयंक<br />

महालेखा परक के अधीन थ होने वाले अिधकार तथा अिध ठान से ह, जो संघ के<br />

या रा य के लेखाओं को रखने तथा लेखा परा करने या इन कत य म एक या<br />

कसी पर िनयोजत कये गये ह।<br />

‘’सवंधान’’ का अिभाय भारत के संवधान से ह।<br />

‘’सरकार सेवक’’ उस य को शािमल करता ह, जो, यप क तकनीक प से<br />

िनयिमत सरकार अिध ठापन म का न हो, सरकार क ओर से धन ा त करने या<br />

संवतरत करने के िलए ािधकृ त ह।<br />

‘’सरकार लेखा’’ रा य के संिचत िनिध लेखा, आकमक िनिध लेखा तथा लोक लेखा<br />

को शािमल करता ह।<br />

अनुभाग-3 सरकार लेखा म अवथत धन क अवथित<br />

3- िनयम 7 के उप िनयम (2) म यथा उपबंिधत के िसवाय, सरकार लेखा म अवथत धन को<br />

या तो कोषागार म या बक म धारण करना चाहए। बक म िनेप िलए गए धनरािश को रा य<br />

क ओर से बक क पुतकाओं म धारत एक सामा य िनिध के प म माना जाएगा। बक म<br />

ऐसे धनरािश का िनेप को भारतीय रजव बक अिधिनयम, 1934 (1934 का अिधिनयम<br />

सं या 2) क धारा 21 के अ तगत रा यपाल तथा बक के म य कए गए करार के िनब धन<br />

ारा शािसत कया जाएगा (संल नक- ‘’क’’)


45<br />

अनुभाग -4 कोषागार पर िनय यण क सामा य णाली<br />

जला कोषागार<br />

4- (1) जब तक सरकार, महालेखाकार से परामश के प चात ् कसी मामल म अ यथा<br />

िनद ट नहं करती ह, तब तक येक जला म एक कोषागार होगा। यद कसी जला म<br />

सरकार लेखा म अवथत धन बक म नहं जमा कया जाता ह, तो उस जला के कोषागार<br />

को दो वभाग म, लेखाकार के भार के अ तगत लेखा का वभाग तथा कोषपाल के भार के<br />

अ तगत नकद वभाग, म वभाजत कया जाएगा।<br />

अपवाद-िन निलखत जल म से एक से अिधक व त कोषागार हगे:<br />

पौड- लै सडाउन एवं कोटार<br />

हरार- डक<br />

टहर गढवाल- नरे नगर<br />

(2) कोषागार कले टर के सामा य भार म होगा, जो अपने अधीन थ कोषािधकार को<br />

तुर त कायपालक िनयंण सपेगा क तु अपने को शासिनक िनय ण से िनवहत<br />

नहं कर सके गा। कले टर इस िनयमावली ारा या के अधीन वहत या के<br />

समुिचत अनुपालन के िलए तथा सरकार, महालेखाकार तथा भारतीय रजव बक ारा<br />

कोषागार से अपेत सभी ववरणय के समयिन ठ तुित के िलए उ तरदायी होगा।<br />

इस िनयम के अ यधीन, कोषागार के कारबार के िलए कले टर तथा कोषािधकार का<br />

मश: उ तरदायी होगा, जैसा क ऐसे िनयमावली के अनुसार परभाषत कया जाय,<br />

जसे सरकार का व त वभाग, महालेखाकार से परामश के प चात ् अनुमोदत करे।<br />

(3) ऐसे ढंग म, जैसा सरकार का व त वभाग महालेखाकार से परामश के प चात ् वहत<br />

कर, कोषागार म मािसक नकद अितशेष, यद कोई हो, को स यापत तथा माणत<br />

करने का तथा ऐसे ाप म एवं स यापन के प चात ् जैसा महालेखाकार अपेा करे,<br />

ऐसे अितशेष के मािसक धनरािश को तुत करने के कत य का उ तरदािय व<br />

कोषािधकार ारा या ऐसे अ य अिधकार, जसे सरकार विनद ट कर, ारा हण<br />

कया जाएगा। इसका अनुपालन कले टर ारा छह मास क येक अविध म कम से<br />

कम एक बार कले टर ारा यगत प से कया जाना चाहए।<br />

(4) जब जला म नया कले टर िनयु त कया जाता ह, तब वह अपनी िनयु क रपोट<br />

तुर त महालेखाकार को करेगा तथा नकद अितशेष क धनरािश टा प आद जसे<br />

अपने अिधकार म िलया ह, को महालेखाकार को माणत करेगा। माण-प ऐसे ाप<br />

म तथा ऐसे स यापन के बाद तुत कया जाएगा, जैसे सरकार का व त वभाग,<br />

महालेखाकार से परामश के प चात ् वहत करे।<br />

(5) कोषागार के समुिचत ब ध तथा काय के िलए उ तरदािय व का कोई भाग भारतीय<br />

लेखा परा वभाग के अिधकारय पर यागिमत नहं होगा। भारतीय लेखा परा<br />

वभाग के अिधकारय ारा कोषागार का िनरण, कले टर को अपने ब धन तथा<br />

िनरण के उ तरदािय व से अवमु त नहं करेगा।


46<br />

उपकोषागार<br />

5- यद सावजिनक कारबार क अपेाएं जला कोषागार म एक या अिधक उप कोषागार क<br />

थापना को आव यक बना देती ह, तो उसके शासन के िलए तथा उसम कारबार के समुिचत<br />

संचालन के िलए ब ध ऐसा होगा, जैसा सरकार के व त वभाग ारा महालेखाकार से परामश<br />

के प चात ् वहत कया जाय। उप कोषागार म धन क ाि तथा अदायगी को दैिनक लेखा<br />

को जला कोषागार के लेखा म शािमल कया जाना चाहए।<br />

अनुभाग- 5 सरकार लेखा म धन क अदायगी<br />

6- (1) इस धारा म इसम, इसके प चात ् यथा उवबधत के िसवाय, सरकार सेवाक को<br />

अपने पदय मता म द त या ारा ा त सभी धन, जैसा क संवधान के अन छेद 266,<br />

267 या 284 म परभाषत कया गया ह, को अस यक् वल ब के बना पूण प म कोषागार<br />

या बक म अदा कया जायेगा। यथा पूव त ा त धन का वभागीय यय को पूरा करने के<br />

िलए विनयोजत कया जायेगा, तथा सरकार लेखा से अ यथा अितर त नहं रखा जायेगा।<br />

सरकार का कोई वभाग अपेा नहं कर सके गा क सरकार लेखा पर उसके ारा ा त कोई<br />

धनरािश उस लेखा के बाहर रखा जाय। यद कोई न उठता ह क सरकार सेवक ारा ा त<br />

या िनेप कया गया धन उनके पदय मता म उसके ारा ा त कया गया ह या उसको<br />

िनेप कया गया ह या नहं, तब न सरकार के व त वभाग को िनद ट कया जायेगा,<br />

जसका िनणय उस पर अतम होगा।<br />

(2) उप िनयम (1) म अ तव ट कसी चीज के होते हुए भी, उन ािय से संदेय कसी<br />

यय के िलए सरकार लेखा पर ािय का य विनयोजन तथा वशेष प म<br />

वभागीय यय के िलए वभागीय ािय का य विनयोजन िन निलखत मामल<br />

म ािधकृ त ह, अथात ्-<br />

(क) समन तथा सूचनाओं के काशन तथा तमीली के लेखा पर िसवल, राज व<br />

तथा दाडक मामल म आहार धन, याा, साय के शु क तथा भ ता,<br />

कमीशन तथा ववाचन के शु क तथा अ य भार, िसवल कै दय के यय,<br />

तथा अ य समान योजन के िलए ा त धन के मामले म;<br />

(ख) िसवल यायालय म ा त िनेप तथा ऐसे िनेप के ितदाय के िलए दाव<br />

को पूरा करने के िलए यायालय ारा उपयोग कये गये िनेप के मामले म;<br />

(ग) वतमान काय पर यय को पूरा करने के िलए सावजिनक िनमाण वभाग के<br />

वभागीय विनयम के अनुसार उपयोग कये हुए या वेतन तथा याा भ ता<br />

भार को पूरा करने के िलए महालेखाकार के ािधकार के अधीन उस वभाग<br />

ारा उपयोग कये गये नकद ािय के मामले म;<br />

(घ) वन वभाग ारा ा त कये गये तथा त काल थानीय यय को पूरा करने म<br />

उपयोग कये गये नकद के मामले म;


47<br />

(ड) ठेके दार से उनके िनवदाओं के साथ ा त अिम धनरािश, यद वह उसी दन<br />

ितदाय कया जाता ह, के मामले म;<br />

(च) नोटेर अिधिनयम, 1952 (1952 का अिधिनयम सं या 53) के अधीन िनयु त<br />

सरकार सेवक ारा ा त तथा ऐसे नोटेर के प म अपने कत य के िनवहन<br />

म उनके ारा उपगत विधक यय को पूरा करने के िलए उपयोग कये हुए<br />

शु क के मामले म;<br />

(छ) कै दय के पास उनके जेल म वेश के समय ा त तथा उनके अवमु पर<br />

अ य कै दय का समान बकाया धनरािश के वभागीय विनयम के अधीन जेल<br />

अधीक ारा पुनअदायगी के िलए यु त नकद के मामले म;<br />

(ज) दशनी म वय आगम के कारण या दशन पकार या दिशत व तुओं<br />

को दशनी म भेजने के िलए अिभदाय के कारण सामा य जन से उोग<br />

वभाग के अिधकारय ारा ा त नकद के मामले म;<br />

(झ) कृ ष वभाग के वभागीय विनयम के अनुसार कमीशन तथा अ य वय<br />

भार पर यय को पूरा करने के िलए उपयोग कये गये समान या बाग तथा<br />

कृ ष उ पादन के वय आगम के कारण ािय के मामले म;<br />

(ञ) नीलामकार को संद त कमीशन पर यय को पूरा करने के िलए, नीलामकार के<br />

मा यम से यय न कये गये सरकार स प के वय आगम के कारण<br />

ािय के मामले म;<br />

(ट) अिभलेख, रज टर, समन इ याद क ितिलपय को िलखने या तैयार<br />

करने म िनयोजत या िगरतार को वार ट, समन तथा नोटस को तामील<br />

करने म तथा कु क क गयी स प के अिभहण, वय तथा परदान के<br />

आदेश के िन पादन म िनयोजत यय के पारिमक अदायगी के िलए या<br />

कायालय आकमकताओं पर यय के कारण या पंचायत अदालत के<br />

ेािधकार के अ तगत थत गांव सभा के अितशेष के संवतरण के िलए<br />

पंचायत राज अिधिनयम, 1995 के अधीन पंचायती अदालत ारा वसूले गये<br />

यायालय शु क तथा जुमान के मामले म;<br />

(ठ) कांजी हाउस, चाहे वयं थानीय िनकाय ारा यत: िनिमत हो या ब ध<br />

कया गया हो, के स ब ध म, पशु अितचार अिधिनयम, 1871 के अ तगत<br />

अव कये गये पशु इ याद के जुमान (मज ेट के जुमान के अितर त)<br />

तथा अितशेष वय आगम के मामले म;<br />

(ड) स ब िलपक के पारिमक क अदायगी के िलए पुिलस विनयम के<br />

अनु छेद 183 के उप अनु छेद 2 तथा 3 म वणत शु क के मामले म।<br />

(ढ) (िनकाल दया गया)<br />

पर तु वभागीय ािय को शािमल करके सरकार लेखा पर ािय के य<br />

विनयोजन के िलए एत ारा वणत ािधकार का अथ सरकार लेखा से याहरण


48<br />

तथा अदायगी के लेखा के बाहर ऐसे विनयोजन से स बधत ािय तथा अदायिगय<br />

को रखने के िलए ािधकार के प म नहं लगाया जायेगा।<br />

7- कोई सरकार सेवक, सरकार क वशेष अनुा के िसवाय, इस िनयमावली के अनुभाग-7 के<br />

ावधान के अधीन सरकार लेखा से याहत धन को बक म िनेप नहं कर सके गा।<br />

8- सरकार क ओर से धन ापत करने, ऐसे धन के िलए रसीद वीकृ त करने तथा सरकार लेखा<br />

म उसे जमा करने म सरकार सेवक या अ य संह ािधकारय ारा तथा ऐसे धन को<br />

ापत करने एवं उसके िलए रसीद को वीकृ त करने म कोषागार तथा बक ारा अंगीकृ त क<br />

जाने वाली या ऐसी होगी, जो सरकार के व त वभाग ारा, महालेखाकार से परामश के<br />

प चात ् वहत कया जाय, इस कार वहत क गयी या, अ य मामल के अितर त, यह<br />

सुिनत करने के िलए ावधान अ तव ट करती ह, क<br />

(1) कोषागार म धन अदा करने वाला कोई य इसके साथ ऐसे ाप म, जैसा<br />

क वहत कया जाय, ापन पेश करेगा, जो प ट प से अदायगी क<br />

कृ ित तथा य या सरकार सेवक, जसके लेखा पर यह कया जाता ह, को<br />

दिशत करेगा तथा इस कार बदले म दये जाने वाले रसीद क तैयार के िलए<br />

तथा जमा के समुिचत लेखा वगकरण तथा सरकार तथा स ब वभाग के<br />

म य इसके वतरण के िलए सभी आव यक सूचनाओं को अ तव ट करेगा;<br />

(2) उन थान म, जहां धन को बक म िनेप कया जाना ह, ापन या चालान,<br />

जहां अ यथा ावधािनत ह के िसवाय, यत: बक म पेश कया जायेगा;<br />

सामा य जनता से धन ा त करने वाले सरकार के सभी वभाग या तो तीन<br />

ितिलपय म चालान के मुत ाप को िन:शु क लेखा के सुसंगत शीष म<br />

भरकर मांग करने वाले िनेपकताओं को दगे या नकद, चेक पो टल आडर,<br />

धनादेश इ याद म अदायगी ा त करने के िलए यव था करगे। चालान को<br />

पुन: ह तार के िलए वभागीय अिधकार के सम पेश करने क अपेा नहं<br />

क जायेगी यक उसम के ववरण क जांच पहले ह चालान िनगत करने<br />

वाले अिधकार ारा कर ली गयी होती ह। बक को उसे स यापत करने के<br />

िलए क चालान म म ह तथा समुिचत ािधकार ारा जार कया गया ह,<br />

सम बनाने के अनुम म चालान ाप के अतम त भ म, अदायगी<br />

ा त करने के िलए बक के आदेश को कु छ वभागीय अिधकार ारा<br />

ह तारत कया जाना चाहये, जसका नमूना ह तार बक को दया जाना<br />

चाहये;<br />

(3) यद बक म चेक कसी िनयमावली के अधीन सरकार बकाय क अदायगी म<br />

वीकार कया जाता ह, तो के वल वा तवक चेक के िलए रसद दया जायेगा,<br />

क तु अदायगी के िलए औपचारक रसीद तब तक द त नहं क जायेगी जब<br />

तक चेक बक ारा वीकार नहं कया गया ह, जस पर वह आहरत कया<br />

जाता ह; तथा


49<br />

(4) उन थान पर, जहां धन को बक म िनेप कया जाना ह, ािय क सूचना,<br />

जो इस िनयमावली के अधीन बनाये गये कसी ावधान के अनुसार लोक<br />

अिधकारय या वभाग को भेजा जाना ह तथा कसी ऐसे ावधान ारा<br />

अपेत समेकत ािय या माण-प या रसीद को कसी लोक अिधकार<br />

या वभाग को दया जाना ह, कोषागार ारा तथा न क बक ारा द जायेगी।<br />

अनुभाग-6 सरकार लेखा से स बधत या अवथत धन क अिभरा<br />

9- (1) सरकार सेवक के पास के तथा कोषागार म धारत धन के सुरत अिभरा के िलए<br />

या वैसी होगी, जैसा सरकार के व त वभाग ारा महालेखाकार से परामश के पश ्चात ्<br />

वहत कया जाय।<br />

(2) बक म जमा कये गये सरकार धन क सुरत अिभरा के िलए बक उ तरदायी ह।<br />

अनुभाग-7 सरकार लेखा से धन का याहरण<br />

्<br />

्<br />

10- इस अनुभाग म अपने सजातीय पद के साथ ‘’ याहरण’’ अ य देश म संवतरण के<br />

अितर त रा य के या ओर से संवतरण के िलए सरकार लेखा से िनिधय के याहरण को<br />

िनद ट करता ह।<br />

11- जब सरकार का व त वभाग महालेखाकार के परामश के प चात कसी मामले म अ यथा<br />

िनद ट न करे, तब तक धन सरकार लेखा से कोषािधकार को या इसके िलए महालेखाकार<br />

ारा ािधकृ त भारतीय लेखा परा वभाग के अिधकार क िलखत अनुा के बना यात<br />

नहं कया जा सके गा।<br />

12- महालेखाकार सरकार ारा ािधकृ त कसी योजन के िलए याहरण क अनुा दे सके गा।<br />

जब तक इस िनयमावली ारा या सरकार के कसी विश ट आदेश ारा अिभ य त प से<br />

ािधकृ त न कया जाय, तब तक महालेखाकार अपने ेािधकार क सीमा के बाहर कसी<br />

थान पर याहरण क अनुा नहं दे सके गा।<br />

13. (1) इस अनुभाग म इसम इसके प चात यथा उपबधत के अ यधीन, कोषािधकार<br />

िन निलखत योजन म से सभी या कसी के िलए याहरण क अनुा दे सके गा, अथात ्:<br />

(1) आहरण अिधकार को सरकार से बकाया धनरािश को अदा करने के िलए;<br />

(2) (1) अ य सरकार सेवक; या<br />

(2) गैर सरकार पकार; ारा िनकट भव य म सरकार के व पेश कये<br />

जाने वाले स भा य दाव को पूरा करने के िलए िनिध को आहरण अिधकार<br />

को देने के िलए;<br />

(3) अ य सरकार सेवक, जससे समान दावा को पूरा करना ह, को िनिध देने के िलए<br />

आहरण अिधकार को सम बनाने के िलए;


50<br />

(4) गैर सरकार पकार को सरकार ारा बक से या कोषागार से सीधे धनरािश अदा करने<br />

के िलए;<br />

(5) सरकार लेखा म अवथत धन का विनयोग करने के िलए सश त ािधकार<br />

अिधकार के मामले म, ऐसे विनयोग के योजन के िलए;<br />

(6) आहरण अिधकार को अपने कायालय को वीकृ त थायी अिम के लेखा पर धनरािश<br />

अदा करने के िलए;<br />

(7) सहायता अनुदान, अिभदाय, छावृ, वजीफा इ याद के लेखा पर धन अदा करने के<br />

िलए;<br />

ट पणी:- सहायता अनुदान, अिभदाय श द यय के ऐसे संवग, जैसे थानीय िनकाय, धािमक, पूव या<br />

शेणक सं थान को अनुदान, सावजिनक दशनी तथा मेल को अिभदान, वैवेकक अनुदान<br />

से यय तथा आकमक ितय, इ याद के िलए राजपत तथा अराजपत दोन, सरकार<br />

सेवक को ितकर को शािमल करता ह;<br />

(8) ऋण तथा अिम के लेखा पर धनरािश अदा करने के िलए।<br />

(2) जब तक महालेखाकार ारा अिभ य त प से ािधकृ त न कया जाय, कोषािधकार<br />

इस िनयम के ख ड (1) म न विनद ट कसी योजन के िलए याहरण क अनुा<br />

नहं देगा।<br />

14- िनयम 23 तथा 24 म यथा उपबधत के िसवाय, कोषािधकार तब तक कसी योजन के<br />

िलए याहरण को अनुा नहं देगा जब तक याहरण के िलए दावा ऐसे य ारा ऐसे<br />

ाप म नहं पेश कया जाता ह तथा ऐसे जांच के िलए कोषािधकार ारा समाधान दान प<br />

म नहं तुत कया गया ह, जैसा क सरकार का व त वभाग, महालेखाकार से परामश के<br />

प चात ् वहत कर। इस कार वहत या, अ य मामल के अितर त, यह सुिनत करने<br />

के िलए ावधान अ तव ट करती ह-<br />

(1) क सरकार के व दावा रखने वाला कोई य स यक् प से टापत तथा<br />

पावतीयु त, जहां आव यक हो, अपने वाउचर को कोषागार पर पेश कया ह तथा क<br />

जब तक विश ट प से अ यथा उपबधत न हो, तब तक ऐसे दावा को अदा नहं<br />

कया जायेगा जब तक दावा पहले कोशागार म पेश न कया गया हो तथा कोषागार<br />

ारा अदायगी को िनदश न दया गया हो;<br />

(2) क जहां उप कोषागार को कोषािधकार के संदभ के बना वप के कितपय वग को<br />

भुनाने के िलए सरकार ारा वशेष प से अनुा द जाती ह, वहां ऐसे वप क<br />

अदायगी, वशेष ब ध के अधीन तथा विश ट अवसर पर के िसवाय, को जला<br />

कोषागार पर भी अनुात नहं कया जायेगा; तथा<br />

(3) क सभी वप तथा वाउचर, जस पर कोषािधकार ारा अदायगी कया जाना ह या<br />

जो बक या कोषागार पर अदायगी के िलए उसके ारा मुखांकत ह, दिशत करगे क<br />

कसी लेखा के शीष म अदायगी िलखा जायेगा, अदायगी क धनरािश को कै से सरकार


51<br />

तथा वभाग के म य आवंटत कया जाना ह तथा कौन धनरािश, यद हो, संघ<br />

सरकार के राज व से स बधत ह।<br />

15- कोषािधकार को कोषागार पर पेश कये मांग क अदायगी करने का सामा य ािधकार नहं ह,<br />

उसका ािधकार इस िनयमावली के अधीन या ारा ािधकृ त अदायगी को करने तक सीिमत<br />

ह। यद कसी कार क मांग को अदायगी के िलए कोषागार पर पेश कया जाता ह, जो इस<br />

िनयमावली के अधीन या ारा ािधकृ त नहं ह या महालेखाकार से ा त वशेष आदेश ारा<br />

आ छादत नहं ह, तो कोषािधकार ािधकार के अभाव के िलए अदायगी से इ कार कर देगा।<br />

कोषािधकार को अदायगी वीकृ त करने वाले सरकार आदेश के अधीन काय करने का ािधकार<br />

तब तक नहं ह, जब तक आदेश अदायगी करने के िलए उसको अिभ य त आदेश न हो; तथा<br />

ऐसे विश ट आदेश को, अ याव यकता के अभाव म, महालेखाकार के मा यम से भेजा जाना<br />

चाहए।<br />

16- कोषािधकार दावा का स मान नहं करेगा जसे वह ववाद यो य मानता ह। वह दावेदार से इसे<br />

महालेखाकार को िनद ट करने क अपेा करेगा।<br />

17- िनयम 20 तथा 21 ारा यथा उपबधत के िसवाय, जब तक सरकार सामा य या वशेष<br />

आदेश ारा अ यथा िनदश न दे, तब तक अदायगी उस जला म क जायेगी, जसम दावा<br />

उ प न होता ह।<br />

18- राजपत सरकार सेवक, जो अपना अवकाश वेतन भारत म आहरण करता ह, का अवकाश<br />

वेतन रा य के कसी जला म अदा कया जा सके गा। अराजपत सरकार सेवक का वेतन<br />

के वल उस जला म अदा कया जा सके गा, जसम उसका वेतन आहरत कया जा सकता यद<br />

वह काय पर होता।<br />

ट पणी- रा य के बाहर अदायगी के िलए, िनयम 33 (3) देख।<br />

19- भारत म संदेय पशन रा य के कसी जला म अदा कया जा सके गा।<br />

ट पणी- रा य के बाहर अदायगी के िलए, िनयम 33 (3) देख।<br />

20- कोई याहरण सरकार सेवा म नये प म िनयु त य के अितर त सरकार सेवक को<br />

वेतन या भ त के अदायगी के कसी म के थम के िलए दावा पर जला म तब तक<br />

अनुात नहं कया जायेगा, जब तक दावा ऐसे ाप म, जैसा क भारत के िनय क<br />

महालेखा परक ारा वहत कया जाय, अतम वेतन माण-प ारा समिथत न हो।<br />

कोषािधकार सरकार सेवक, जसने वह अतम वेतन माण-प वीकृ त कया ह, के वेतन<br />

तथा भ त के स ब ध म कसी याहरण क तब तक अनुा नहं दे सके गा, जब तक<br />

माण-प पहले समपत नहं कया जाता ह।<br />

21- कोषािधकार दावा, जसके व उसे याहरण क अनुा द गयी ह, के वैधता क वीकृ ित<br />

के िलए तथा सा य, क अदाता वा तव म यात धनरािश को ा त कर िलया ह, के िलए<br />

महालेखाकार के ित उ तरदायी होगा।<br />

22- कोषािधकार येक अदायगी, जो वह कर रहा ह, क कृ ित के स ब ध म पया त सूचना<br />

ा त करेगा तथा वाउचर जो औपचारक प से उस सूचना को तुत नहं करता, को तब तक


52<br />

वीकार नहं करेगा जब तक वैध कारण नहं ह, जसे वह इसक अपेा करने के लोप के िलए<br />

िलखत म अिभिलखत करेगा।<br />

23- कोषािधकार अदायगी के िलए अपने को तुत कये गये कसी वप म अंकगणतीय<br />

अपया तता या प अ ुट का सुधार कर सके गा क तु वह कसी सुधार, जसे वह करता ह,<br />

क सूचना आहरण अिधकार को देगा।<br />

24- कले टर, अ याव कता क थित म, िलखत म आदेश ारा इस िनयमावली के ावधान का<br />

अनुसरण कये बना, पशन क अदायगी न होने वाले अदायगी को करने के िलए कोषािधकार<br />

को ािधकृ त कर सके गा तथा अपेा कर सके गा। कसी ऐसे मामले म, कले टर तुर त अपने<br />

आदेश क ितिलप तथा इसक अपेा करने वाली परथित का ववरण असारत करेगा<br />

तथा कोषािधकार तुर त महालेखाकार को अदायगी क रपोट देगा।<br />

ट पणी- इस िनयम के अधीन कले टर क वशेष शायां अ याव यकता म अितर त जला<br />

मज ेट,जला के मु यालय से दूर उप ख ड के मु यालय पर रहने वाले उप ख डय<br />

अिधकारय ारा, जब जला मु यालय से संसूचना यवधािनत ह, तथा कले टर के कत य का<br />

िनवहन करने वाले अिधकारय ारा भी, जब प चावत मु यालय से अनुपथत ह या अपने<br />

कत य के िनवहन म अम हो गया ह, यु त क जा सके गी। इस िनयम के अधीन विश ट<br />

शाय को के तथा रा य के स पूण शासिनक े को आ छादत करने के िलए माना<br />

जायेगा।<br />

25- सरकार, जो चेक के मा यम से धन का आहरण करने के िलए ािधकृ त ह, बक या कोषागार,<br />

जस पर वह आहरण करती ह, को योग म लाये गये येक चेक बुक क सं या तथा चेक<br />

क सं या, जसे वह अ तव ट करता ह, क सूचना देगा।<br />

26- जब सरकार सेवक, जो कोषागार या बक पर संदेय चेक या वप को आहरत करने या<br />

ितह तारत करने के िलए ािधकृ त ह, अपने कायालय का भार दूसरे को सपता ह, तब<br />

वह कोषािधकार या बक, यथाथित को अवमु त होने वाले सरकार सेवक के ह तार के<br />

नमूना को भेजेगा।<br />

अनुभाग -8 सरकार लेखा म अवथत धन का अ तरण<br />

27- सरकार धन का एक कोशागार से दूसरे म तथा रोकड ितजोर अितशेष तथा कोषागार के<br />

कषागार अितशेष के म य तथा कोषागार एवं बक के म य अ तरण ऐसे िनदश ारा शािसत<br />

कया जायेगा, जैसा क सरकार के व त वभाग ारा, भारतीय रजव बक से परामश के<br />

प चात, ् वहत कया जाय। रा य सरकार के िनय ण के अधीन लधु िस का भ डार से या<br />

कोषागार से धन का अ तरण इसके िलए रा पित ारा िनगत िनदश ारा शािसत होगा।<br />

अनुभाग- 9 यात धन के िलए उ तरदािय व<br />

28- यद कोषािधकार महालेखाकार से सूचना ा त करता ह क धन क गलती से याहरण कया<br />

गया ह तथा क िनत धनरािश आहरण अिधकार से वसूला जाना चाहये, तो वह छटनी


53<br />

आदेश से स दभ अनु यात या अपनाये गये कसी पाचार के स ब ध के बना वल ब के<br />

वसूली को भावत करेगा; तथा आहरण अिधकार बना वल ब के ऐसे ढंग म धनरािश को<br />

ितदाय करेगा; जैसा क महालेखाकार िनदश दे।<br />

29- (1) इस िनयम म इसम इसके प चात ् यथा ावधारत के अ यधीन, यय के िलए सरकार<br />

लेखा से यात धनरािश के स ब ध म सरकार सेवक ारा अनुपालन क जाने वाली या<br />

सरकार के व त वभाग ारा, महालेखाकार से परामश के प चात ् वहत क जा सके गी।<br />

(2) यय के िलए िनिध को ा त करने वाला सरकार सेवक ऐसे िनिध के िलए तब तक<br />

उ तरदायी होगा, जब तक उनके लेखा को महालेखाकार के समाधान से दान नहं कर<br />

दया जाता। वह यह भी देखने के िलए उ तरदायी होगा क अदायगी उसको ा त<br />

करने के िलए हकदार य को कया जाता ह।<br />

(3) यद सरकार सेवक, जसके ारा ऐसे िनिधय का लेखा दान कया जायगा, के<br />

अन यता के स ब ध म कोई आशंका उ प न होती ह, तो यह सरकार ारा विनत<br />

क जायेगी।<br />

अनुभाग 10 अ य सरकार सं यवहार<br />

30- (1) इस अनुभाग म इसम इसके प चात ् यथा उप बधत के िसवाय, अ य सरकार के साथ<br />

रा य का कोई सं यवहार ऐसे िनदश, जो विभ न सरकार के म य सं यवहार के लेखा के<br />

या को विनयिमत करने के िलए रा पित के अनुमोदन से भारत के िनय क-महालेखा<br />

परक ारा दया जाय, के अनुसार के िसवाय रा य के अितशेष के व समायोजत नहं<br />

कया जायेगा।<br />

(2) सरकार लेखा के अितशेश को भावी करने वाले याहरण के प म, अ य सरकार<br />

ारा क गयी अदायगी या सरकार लेखा म जमा के िलए अ य सरकार के ेािधकार<br />

के अधीन पेश कये गये धन को, महालेखाकार या भारत के िनय क महालेखा<br />

परक ारा इसके िलए ािधकृ त कसी अ य लेखािधकार के अिभ य त ािधकार के<br />

अधीन के िसवाय, सरकार लेखा म नहं जमा कया जायेगा या के नामे नहं डाला<br />

जायेगा।<br />

(3) जब राजपत सरकार सेवक या पशनर रा य के बाहर के कोषागार से भारत म अपने<br />

अवकाश वेतन या पशन को आहरत करने क वांछा करता ह, तब अदायगी<br />

महालेखाकार ारा स ब रा य के लेखा परा अिधकार के परामश से ािधकृ त क<br />

जा सके गी।<br />

(4) अ य सरकार के नाम या खाता ारा रा य के अितशेष के व सभी समायोजन<br />

भारतीय रजव बक के के य लेखा कायालय के मा यम से कया जायेगा।<br />

31- जब ऐसा अनुम संवधान के अनु छेद 258 (1) के अधीन कये गये काय के यायोजन के<br />

परणाम वप ािधकृ त कया जाता ह, तब कोषािधकार संघ सरकार क ओर से द त धन<br />

को ा त कर सके गा या ाि करने के िलए बक को ािधकृ त कर सके गा, यथा संघ सरकार


54<br />

क ओर से ऐसी या, जो रा पित के ािधकार ारा या के अधीन बनाये गये िनयम म<br />

वहत क जाय, के अनुसार संवतरण कर सके गा या करने के िलए बक को ािधकृ त कर<br />

सके गा। संघ सरकार क ओर से ऐसे ािय तथा संवतरण को बक ारा धारत संघ सरकार<br />

के अितशेष के व यथासा य, य प म समायोजत कया जायेगा, क तु जहां ऐसे<br />

सं यवहार को रा य सरकार के लेखा के अितशेष के व लेखा म अ थायी प से हण<br />

कया जाता ह, वहां महालेखाकार कोषागार से सूचना क ाि कर, पूव त सं यवहार के<br />

स ब ध म अपेत समायोजन, बक ारा संघ सरकार के सरकार लेखा म अितशेष के व<br />

भारतीय रजव बक के के य लेखा कायालय के मा यम से करेगा।<br />

32- कोषािधकार, इसके िलए सरकार के कसी सामा य या विनद ट िनदश के अ यधीन, दूसरे<br />

रा य क ओर से द त धन को ा त कर सके गा या ा त करने के िलए बक को ािधकृ त<br />

कर सके गा तथा यद महालेखाकार ारा अपेा क जाय तो, दूसरे रा य के व कसी दावा<br />

क अदायगी कर सके गा या ािधकृ त कर सके गा। स ब रा य के अितशेष के व ऐसे<br />

ािय, अदायिगय के स ब ध म आव यक जमा या डेबट भारतीय रजव बक के के य<br />

लेखा कायालय के मा यम से महालेखाकार ारा कया जायेगा क तु जब तक ऐसा समायोजन<br />

नहं कया जाता ह, तब तक जमा तथा डेबट को सरकार लेखा म व ट कया जायेगा।<br />

अ य रा य क ओर से महालेखाकार के कायालय म संद त तथा ा त धन तथा दूसरे<br />

रा य के लेखाओं को भावत करने वाले महालेखाकार के कायालय म क गयी पु तक<br />

वयॉं स ब रा य के अितशेष के व भारतीय रजव बक के के य कायालय के<br />

मा यम से समान प से समायोजत कया जायेगा।<br />

33- िनयम 35 के ावधान, उपा तरण सहत या रहत, संघ सरकार के रेलवे डाक एवं तार तथा<br />

रा वभाग क ओर से रा य म क गयी तथा ा त अदायिगय तक व तारत हो सके गी।<br />

अनुभाग -11 अ य देश म रा य क ाियॉं तथा संवतरण<br />

34- जब तक इसके िलए सरकार ारा अ य ावधान नहं कया जाता ह, तब तक अ य देश म<br />

रा य का सं यवहार ऐसी या, जैसा क रा पित के ािधकार के अधीन या ारा अ य देश<br />

म संघ सरकार के िनयंक सं यवहार के िलए वहत कया जाय, के अनुसार उस देश म संघ<br />

सरकार के सरकार लेखा म अितशेष के व थम टया हण कया जायेगा। ये सं यवहार<br />

ऐसे िनदश, जैसा क रा पित के अनुमोदन से भारत के िनयंक महालेखापरक ारा इसके<br />

िलए दया जाय, के अनुसार सरकार लेखा के अितशेष के व ारभक अवसर पर भारत<br />

म समायोजत कये जायगे।<br />

35- इस िनयमावली के अधीन अपने काय म से कसी के योग म महालेखाकार भारत के<br />

िनय क महालेखापरक के सामा य िनय ण के अ यधीन होगा।<br />

36- (1) इस िनयमावली के अधीन वहत कसी चीज का ऐसा भाव नहं होगा जो कोषागार<br />

म या वभागीय कायालय म रखे गये लेखाओं के भारतीय लेखा परा वभाग को तुतीकरण<br />

को विनयिमत करने वाले िनदश को देने के िलए या िनयम को बनाने के िलए, संवधान के


55<br />

अधीन या ारा उनम िनहत शय के भारत के िनय क महालेखापरक ारा योग के<br />

ितकू ल न हो या अडचन न डाले तथा अपने समथन के िलए ऐसे वाउचर के साथ हो, जैसा<br />

क िनय क- महालेखापरक लेखा परा के योजन के िलए या लेखा, जसके िलए वह<br />

उ तरदायी ह, को रखने के योजन के िलए अपेा कर।<br />

(2) जहां इस िनयमावली के ावधान के अधीन कसी मामले के स ब ध म यौरेवार<br />

या वभागीय विनयम ारा वहत कये जाने या विनयिमत कये जाने के िलए<br />

अपेत ह तथा जहां कोई िनयमावली या आदेश ािधकार, जसके ारा विनयम<br />

बनाये जायगे, के स ब ध म रा यपाल ारा नहं बनाया गया ह, वहॉं विश ट वभाग<br />

ार अनुपालन कये जाने के िलए ऐसे विनयम सरकार ारा या सरकार के अनुमोदन<br />

से ऐसे वभागीय ािधकारय ारा, जो इसके िलए काय करने के िलए सरकार ारा<br />

ािधकृ त कया जाय, बनाये जायगे।<br />

(3) इस िनयम म अ तव ट कोई बात इस िनयमावली के प यापन क ितिथ पर वृ त<br />

कसी ािधकृ त वभागीय संहता, विनयम, िनदिशका या कसी अ य संह म<br />

अ तव ट कसी आदेश, िनदश या िनदेश क वैधता को भावत नहं करता ह, िसवाय<br />

उसके जहां तक आदेश, िनदश या िनदेश इस िनयमावली म अ तव ट कसी सु प ट<br />

ावधान से असंगत या व हो।<br />

37- सरकार का व त वभाग इस िनयमावली ारा उसे द त कसी श का योग नहं कर<br />

सके गा, जससे रा यपाल से इसके करार के िनब धन ारा बक पर न अिधरोपत कसी<br />

उ तरदािय व को सरकार के कारबार के स ब ध म बक पर अिधरोपत कया जाय।<br />

संल नक ‘’क’’<br />

रा यपाल-उ तरांचल ( थापत 09 नव बर, 2000)<br />

तथा रजव बक आफ इडया के म य करार<br />

से ल टा प आफस<br />

टाउन हाल फोट<br />

मु बई-400023<br />

एमएएच/जीएसओ/005<br />

फरवर, 2001 के दसव दन, उ तरांचल के रा यपाल (इसम इसके प चात ् ‘’सरकार के<br />

प म िनद ट) तथा दूसर और भारतीय रजव बक (इसम इसके प चात ् ‘’बैक’’ के प म<br />

िनद ट) के म य कया गया करार। जबक-<br />

1- बैक समय-समय पर यथा अंगीकृ त एवं यथा संशोिधत भारतीय रजव बक अिधिनयम, 1934<br />

(1934 का के य अिधिनयम सं या 2) ारा तथा अिधिनयम म (इसम इसके प चात ्<br />

अिधिनयम के प म िनद ट) उसके ारा िनद ट विभ न शाय, उपब ध और ितब ध<br />

के साथ तथा उनके अधीन गठत तथा िनगिमत कया गया था एवं विनयिमत कया गया ह।


56<br />

2- उ त अिधिनयम क धारा 21 (क) क उपधारा (1) ारा यह यव था क गई ह क बक कसी<br />

भी रा य सरकार के साथ करार करके स पूण धनरािश उसका ेषण, विनमय और भारत म<br />

बकं ग सं यवहार वीकार कर सकता ह तथा वशेषकर सरकार को अपना स पूण नकद<br />

अितशेष याज मु त बक म जमा कराना होगा। इसके अितर त बक ऐसे करार ारा सरकार<br />

के सावजिनक ऋण तथा उसके ारा िनगत कसी ऋण के ब ध का उ तरदािय व ले सकता<br />

ह।<br />

3- अब एत ारा पकार इस बात पर पर पर सहमत हो गए ह तथा दोन प के म य उनके<br />

ारा िन निलखत घोषणा क गई ह, अथात;<br />

(1) यह करार 09 नव बर, 2000 को भावी माना जाएगा;<br />

(2) उ तरांचल सरकार, प चात जसम सरकार क ओर से धन का भुगतान, ाि, संह<br />

तथा ेषण समिलित ह (इसके प चात ‘’सरकार’’ िनद ट) के सामा य बैकं ग<br />

कारबार का इस करार और अिधिनयम के अ तगत त समय के िनयम तथा विनयम<br />

के उपब ध के साथ तथा उनके अधीन एवं सरकार ारा कसी सरकार अिधकार या<br />

उसक ओर से सरकार ारा ािधकृ त अिधकार ारा बक को समय-समय पर दए गए<br />

आदेश और िनदेश के अनुसार बक या त समय समय-समय पर वमान बक के<br />

कसी कायालय शाखा या एजसी ारा संचालन तथा सं यवहार कया जाएगा। इस<br />

योजन हेतु ऐसे लेखे बक क पुिसतकाओं और ऐसे कायालय, शाखाओं या एजिसय<br />

म, जो आव यक या सुवधाजनक ह, या सरकार के ारा समय-समय पर उपरो त<br />

विध से दए गए िनदश के अनुसार रखे जाएग।<br />

(3) सरकार बक को भारत म सरकार का एकमा बक िनयु त करेगी तथा अपने स पूण<br />

नकद अवशेष बक म जमा करेगी या जमा कराएगी या बक को बक क हैिसयत से<br />

कसी ऐसे थान पर, जहां त समय उसका कायालय; शाखा या एजसी ह, ा त करने<br />

या रखने क अनुमित देगी या बक सरकार ारा समय-समय पर उपरो त विध ारा<br />

द त आदेश के अधीन ऐसा स पूण धन जो सरकार को या उसके कारण संदेय ह या<br />

संदेय हो जाता ह, ा त करेगा या रखेगा, तथा बक त समय वमान अपने कायालय,<br />

शाखाओं तथा एजिसय म धन क ािय, संह, भुगतान तथा ेषण तथा अ य<br />

वषय से स बधत ऐसे सभी कारबार का सं यवहार करेगा जो साधारणत: बकर ारा<br />

अपने ाहक के िलए कया जाता ह। बक, उपरो त कायालय शाखाओं तथा एजिसय<br />

क उ त धनरािशयां सरकार ारा िनद ट थान और समय पर अ तरण हेतु उपल ध<br />

कराएगा। बक ारा त समय पर धारत कसी धनरािश पर सरकार को कोई याज<br />

संदेय नहं होगा।<br />

(4) सरकार के सावजिनक पया ऋण तथा सरकार ारा िनगत नए पया ऋण के ब ध<br />

तथा उससे स बधत कत य का िनवहन, जसम मश: मूलधन तथा याज का<br />

संह एवं भुगतान तथा सरकार क ितभूितय का समेकन, वभाजन, संपरवतन,<br />

िनरसन एवं नवीनीकरण तथा लेखा पंजय और बहयां रखना तथा सम त ासंिगक


57<br />

पाचार समिल त ह, बक अपने उन कायालय, शाखाओं तथा एजिसय म<br />

सं यवहारत करेगा जहां सरकार के सावजिनक ऋण के कसी अंश या अंश या उन पर<br />

त समय संदेय याज क यव था का त समय संचालन कया जाता ह अथवा जहां<br />

त समय सावजिनक ऋण का यय संदेय हो तथा बक उपरो त सावजिनक ऋण से<br />

स बधत ऐसी पंजय, बहयां तथा लेखाओं को रखेगा तथा उनक देखभाल करेगा<br />

जनके िलए सरकार ारा समय-समय पर िनदेश दए जाए तथा ऐसे याज के सभी<br />

भुगतान क लेखा परखा करेगा तथा उ त सावजिनक ऋण के ब ध हेतु साधारणत:<br />

भारत सरकार एजट के प म काय करेगा तथा सरकार ारा बक को समय-समय पर<br />

दए जाने वाले आदेश और िनदश के अधीन उ त के सामा य ब ध के िलए ऐसी<br />

एजे सी का संचालन करेगा।<br />

4- याज को अदायगी के उ तरदािय व से मु त होने के कारण सरकार का नकद अितशेष रखने<br />

पर जो लाभ िमल सकता ह उसके अितर त सरकार के साधारण बकं ग कारबार के संचालन<br />

के िलए बक कसी पारिमक का अिधकार नहं होगा तथा ऐसी बकाया रािश सरकार और बक<br />

ारा समय-समय पर स मत यूनतम रािश से कम नहं होगी। बक येक काय दवस के अंत<br />

म सरकार ारा वांिछत विध ारा सरकार के दैिनक अितशेष क सूचना देगा।<br />

5- यह सुिनत करने के िलए क बक म सरकार के खाते म अितशेष इसके ख ड 4 के अधीन<br />

सरकार और बक के बीच तय यूनतम अितशेष से कम न हो सरकार बक से अथपाय अिम<br />

लेगी या सरकार ारा िनधारत अ य उपाय करेगी।<br />

6- यद आव यक हुआ तो, बक सरकार को बक ारा समय-समय पर िनधारत याज दर पर<br />

अथपाय अिम देगा, पर तु कसी भी समय ऐसे अिम का योग उस रािश से अिधक नहं<br />

होगी जो बक ारा सरकार को प ारा स बोिधत कर समय-समय पर वहत क जाएगी। इन<br />

अिम को ‘’सामा य अथपाय अिम’’ क संा द जाएगी, इन अिम को ितभूत करना<br />

अपेत नहं होगा।<br />

7- यद सरकार ारा अपेत हो तो, सामा य अथपाय अिम के अितर त बक ारा समय-<br />

समय पर िनधारत याज दर पर वशेष अथपाय अिम दए जा सकते ह पर तु ऐसे अिम<br />

बक ारा सरकार को समय-समय पर स बोिधत प ारा वहत कए जाए। उपरो त वशेष<br />

अथपाय अिम भारत सरकार ारा िनगत वे य ितभूितय ारा ितभूत हगे तथा सरकार<br />

बक ारा समय-समय पर विनद ट सीमा बनाए रखेगी।<br />

8- सामा य अथपाय अिम तथा वशेष अथपाय अिम दोन के य लेखा अनुभाग, नागपुन म<br />

िलए जा सकते ह तथा इनक अदायगी बक को बना पूव सूचना के कसी भी दन बक के<br />

कसी भी कायालय या शाखा म क जा सकती ह। ऐसे अिम का शोधन बक ारा िनधारत<br />

रित से कया जा सकता ह। अिम को येक अिम क तारख से तीन महने क अविध<br />

के अ दर चुकता करना होगा। याज क गणना दैिनक अितशेष के आधार पर क जाएगी तथा<br />

बक म सरकार के खाते म ऐसे अ तराल के बाद नामे डाला जाएगा, जो बक ारा आव यक<br />

समझे जाएं।


58<br />

9- सरकार के लेखे के मामले म कसी भी काय दवस को कारबार के समापन पर सामा य<br />

अथपाय अिम तथा वशेष अथपाय अिम क संचालन सीमा से अिधक आहरत तथा शेष<br />

अ याहरण पर बक ारा अ य ऐसी कायवाह पर ितकू ल भाव डाले बना, जसे बक<br />

आव यक समझे, दैिनक अ याहरत अित शेष पर समय-समय पर वहत दर या दर पर<br />

अितर त याज भारत कया जा सकता ह जसे ऐसे अ तराल के बाद ज ह बक आव यक<br />

समझे, सरकार के खाते म नामे डाला जाएगा।<br />

10- सरकार बैक को अपनी िनिधय तथा उसके ारा िनयंत िनिधय के िनवेश के िलए एकमा<br />

एजे ट िनयु त करेगी तथा बक म बक ारा संदेय अ य भार के अितर त वय के िलए<br />

(क तु य अथवा संपरवतन के िलए नहं) वय मू य पर एक ितशत के 1/16 क दर से<br />

कमीशन भारत करने का अिधकार होगा। बक बना कसी भारत के सरकार क ओर से ऐसे<br />

िनवेश का याज तथा परप वता मू य संह करेगा।<br />

11- यथा पूव त सावजिनक ऋण के ब ध के पारिमक के प म बक यथा पूव त सावजिनक<br />

ऋण क रािश पर 2000/0 ित करोड ित वष क दर से जस छमाह के िलए भार<br />

लगाया गया ह उसके अंत म, सरकार पर अधवाषक कमीशन भारत करने का अिधकार<br />

होगा। इस कार क संगणना म िन निलखत धनरािश को सावजिनक ऋण क रािश म<br />

समिलत नहं कया जाएगा, अथात:<br />

(क) ऋण चुकाने क सूचना क ितिथ से एक वष बाद बकाया चुकाए गए ऋण क रािश,<br />

(ख) सरकार ारा ािधकृ त कसी अिधकार या अिधकारय ारा धारत टाक माण प<br />

तथा सरकार के गौण सामा य खात क धनरािश का कु ल योग, पर तु सरकार ारा<br />

धारत रािश 50000/- 0 या उससे अिधक तथा येक ऐसे अिधकार ारा धारत<br />

रािश 50000/- 0 या उससे अिधक होनी चाहए तथा सरकार और ऐसे सभी<br />

अिधकारय ारा धारत रािश का कु ल योग एक करोड 0 से अिधक होना चाहए तथा<br />

उपरो त 2000/- ित करोड ित वष के कमीशन के अितर त बक इस ख ड के<br />

उपरो त (ख) म िनद ट टॉक माण प पर ित वष 2000/- 0 क िनयत<br />

धनरािश सरकार पर भारत करने का अिधकार होगा तथा बक ऐसे सभी शु क और<br />

भार को जनता पर (पर तु सरकार पर नहं) भारत करने का अिधकार होगा जो<br />

इस समय या बाद म ितभूितय क दूसर ित िनगत करने तथा बक ारा िनगत<br />

सभी सरकार ितभूितय के नवीनीकरण, समेकन, वभाजन या अ यथा के िलए<br />

ािधकृ त अिधकार ारा वहत कए जाएं। पर तु सरकार ारा यत; िनगत न<br />

कए गए, पर तु सरकार क याभूित के अधीन िनगत ऋण, इस ख ड के योजन<br />

हेतु संगणना म समिलत नहं कए जाएंगे। क तु यद ऐसे ऋण का ब ध बक को<br />

सौपा जाता ह तो उनके िलए पृथक यव था करनी होगी।<br />

12- उपरो त भार तथा नए ऋण िनगत करने के पारिमक के अितर त बक सरकार पर<br />

िन निलखत भारत करने का अिधकार होगा:


59<br />

(क)<br />

(ख)<br />

(ग)<br />

(घ)<br />

(ड)<br />

येक िनगत ऋण पर 1000 0 ित करेड क दर से शु क, पर तु येक ऋण के<br />

िलए यूनतम शु क 1000 0 होगा;<br />

यद नए ऋण स परवतन क या सनहत हो तो स परवतन आवेदन पर बक<br />

उसी दर से नवीकरण शु क भारत करने का अिधकार होगा जस दर से नवीकरण<br />

हेतु जनता पर भारत कया जाता ह;<br />

वा तव म संदेय दलाली क कु ल रािश ( वयं के आवेदन पर बक क दलाली सहत)<br />

सरकार के सं यवहार के कारबार क रािश एजे ट को सामा यत: दए जाने वाले<br />

कमीशन क रािश काटकर बक के एजट के संदेय कमीशन<br />

वापन, टेले स, टेली प, टेलीफोन आद पर कया गया बक का अितर त यय।<br />

13- बक अपने ेषण वभाग क नकद ितजोर के सरकार क पूव सं वीकृ ित से सरकार ारा<br />

िनहत थान पर रखेगा। सरकार ारा नोट और िस क क िनेप के िलए अपेत पया त<br />

यव था क जाएगी तथा ऐसी ितजोर, नोट और िस क क िनरापद अिभरा के िलए सरकार<br />

बक के ित उ तरदायी होगी। बक उ त थान पर सरकार के सं यवहार के संचालन तथा<br />

जनता को समुिचत ेषण सुवधाएं दान करने हेतु उ त ितजोर म पया त नोट और िस क<br />

क आपूित करता रहेगा। सरकार ारा उ त ितजोरय म अितशेष क संरचना तथा उससे एवं<br />

उसको अंतरण क रािश तथा उसक कृ ित के वषय म बक ारा समय-समय पर अपेत<br />

सूचना तथा ववरण दान करनी होगी। उपरो त ितजोरयां बक ारा िनरण तथा अंतव तु<br />

क जांच के िलए सम त समुिचत समय पर उपल ध हगी। उ त ितजोरय म िनेप तथा<br />

याहरण के समय ितजोरय म रखे नोट और िस क के अितशेष क शुता तथा जांच के<br />

िलए सरकार बक के ित उ तरदायी होगी। बक, के सरकार क पूव सं वीकृ ित से इस ख ड<br />

के अनुसरण म रखी गई कसी नकद ितजोर को बंद कर सकता ह।<br />

14- बक, सावजिनक अवकाश अथवा सरकार ारा िनगत वशेष आदेश या िनदेश तथा उ त<br />

अिधिनयम के ावधान के होते हुए भी परा य िलखत अिधिनयम, 1881 (1881 का के य<br />

अिधिनयम XXVI) के अधीन घोषत सावजिनक अवकाश दवस के अितर त कसी दन<br />

अपने कायालय या शाखाएं बंद करने के िलए वतं नहं होगा।<br />

15- सरकार के उपरो त सावजिनक ऋण के कारबार के संचालन या याज क अदायगी या उसके<br />

उ मोचन मू य या सरकार क ितभूितय के नवीकरण, संपरवतन, समेकन उप वभाजन या<br />

िनरसन म बक के कसी काय अथवा उपेा के परणाम वप सरकार क कसी हािन या<br />

ित के िलए बक उ तरदायी होगा तथा वह बक ारा वहन क जाएगी।<br />

पर तु तथाप, सरकार क ऐसी ितभूितय पर ह तार तथा पृ ठांकन/पृ ठांकन का<br />

स यापन बक का उ तरदािय व नहं होगा, जो थम या िनयमानुसार तीत होती ह तथा<br />

जनक वीकृ ित के िलए बक कसी उपेा का दोषी नहं होगा तथा ऐसे मामल म बक ारा<br />

उनके स ब ध म कोई दािय व नहं उठाया जाएगा, पर तु यह भी क बक के कायालय


60<br />

शाखाओं तथा एजिसय म सरकार क और से धनरािश ा त करने, वसूलने तथा धन के िलए<br />

ितभूितय को ा त करने, चेक आदेश, ाट बल तथा अ य परा य अथवा अपरा य<br />

लेख के भुगतान के सामा य मामल म सरकार के बकर के प म तथा यद यह कारबार<br />

बक या उसक ओर से एजिसय ारा कया जाए तो, बक सरकार को हुई कसी ित या हािन<br />

के िलए उ तरदायी नहं होगा जब तक क ऐसी हािन या ित को बक क या उसक एजिसय<br />

क उपेा के कारण हुई न कहा जा सकता हो।<br />

पर तु जबक सरकार का यह दािय व होगा क वह यह सुिनत करे क चेक, आदेश,<br />

ाट बल तथा अ य परा य अथवा अपरा य लेख सरकार ारा विधवत ािधकृ त<br />

यय ारा तैयार कए जाए आहरत पृ ठांकत या परा य हो तथा बक कसी भी कार से<br />

ऐसे अिधकारय के ािधकार के वषय म पूछ ताछ करने के िलए उ तरदायी नहं होगा।<br />

उपरो त के अधीन सरकार के िलए तथा उसक और से उपरो त कारबार के संचालन म बक<br />

का उ तरदािय व एक सामा य ाहक के बकर के समान होगा।<br />

16- बक ारा इस करार के अ तगत कये जाने वाले काय का संचालन बक ारा अपने कायालय,<br />

शाखाओं या अपनी कसी एजसी ारा कया जा सकता ह।<br />

17- यह करार कसी वष म माच के 31 व दन के समापन पर िलखत म दूसरे प को एक वष<br />

क सूचना देकर िनधारत कया जा सके गा। यद ऐसी सूचना सरकार ारा या उसक ओर से<br />

बक के गवनर को स बोिधत क जाती ह तथा उसे बक के के य कायालय म छोड दया<br />

जाता ह या बक के के य कायालय के पते पर उ ह स बोिधत पंजीकृ त डाक ारा भेजी जाती<br />

ह तथा यद बक ारा सरकार के व त वभाग के सिचव के पास छोडकर तामील करने या<br />

उ ह स बोिधत पंजीकृ त डाक ारा द जाती ह तो ऐसी सूचना क अविध क समाि के तुर त<br />

बाद यह करार पूणत: समा त हो जाएगा तथा ऐसे समापन के पूव अजत या उपगत अिधकार<br />

या दािय व के अितर त िनधारत कया जाएगा।<br />

18- इस करार क शत या इसके पकार के अिधकार तथा दािय व के स ब ध म कसी ववाद<br />

के उ प न होने क दशा म, पकार के सहमित बनाने म सफल होने पर, ऐसा ववाद या<br />

मतभेद के सरकार को िनद ट कया जाएगा, जसका िनणय अतम तथा यहां दोन<br />

पकार पर बा यकार होगा।<br />

19- इस करार क कोई बात इस अिधिनयम या अिधिनयम के परवत संशोधन या संशो धन ारा<br />

या इनके अधीन सरकार या बक पर आरोपत बा यताओं को कसी भी कार से भावत करने<br />

के िलए लागू नहं होगी।<br />

जसके सा य म ी आई0 के 0 पा डे, उ तरांचल शासन के व त वभाग म सिचव के<br />

ारा उ तरांचल के रा यपाल के िलए तथा उनक ओर से तथा उनके आदेश एवं िनदेश के


61<br />

अनुसार इस पर अपने ह तार कए गए तथा भारतीय रजव बक क सामा य मोहर,<br />

ह तार करने वाले अिधकारय क उपथित म पहले उलखत दवस तथा वष को यहां<br />

लगाई गई ह।<br />

उ तरांचल रा य के रा यपाल के िलए<br />

तथा उनक और से उपरो त उ तरांचल<br />

के व त वभाग, देहरादून म सिचव ी<br />

आई0के 0 पा डे, ारा ह तारत।<br />

भारतीय रजव बक क सामा य मोहर<br />

डा0 वाई0वी0 रेड, ड ट गवनर क<br />

उपथित म तथा तीक के प म उनके<br />

ारा ह तार कया गया<br />

और ी पी0आर0 गोपालराव, कायकार<br />

िनदेशक तथा साी के प म ीमती<br />

उषा थोरट, मु य महा ब धक, आंतरक<br />

ऋण ब ध क, भारतीय रजव बक क<br />

उपथित म यहां लगाई गई।<br />

ह तारत,<br />

(आई0के 0पा डे)<br />

ह तारत<br />

(वाई0वी0 रेड)<br />

ह तारत<br />

(पी0आर0 गोपलराव)<br />

(ऊषा थोरट)<br />

आा से,<br />

इ दु कु मार पा डे<br />

मुख सिचव, व त।


62<br />

उ तरांचल शासन<br />

कािमक अनुभाग-2<br />

सं या 1525/कािमक-2/2002<br />

देहरादून, 13 नव बर, 2002<br />

अिधसूचना<br />

कण<br />

संवधान के अनुच ्छेद 309 के पर तु ारा द त श का योग करके ी रा यपाल<br />

िन निलखत िनयमावली बनाते ह:-<br />

उ तरांचल वभागीय पदो नित सिमित का गठन<br />

(लोक सेवा आयोग क परिध के बाहर के पद के िलये) िनयमावली, 2002<br />

1. सं त नाम और ार भ-<br />

(1) यह िनयमावली उ तरांचल वभागीय पदो नित सिमित का गठन (लोक सेवा आयोग क<br />

परिध के बाहर के पद के िलये) िनयमावली, 2002 क ह जायेगी।<br />

(2) यह त काल भाव से वृ त होगी।<br />

(3) यह िनयमावली लोक सेवा आयोग के ेा तगत पद के िसवाय, ी रा यपाल के<br />

िनयम बनाने क शा के अधीन पदो नित कोटे के पद पर लागू होगी।<br />

2. अ यारोह भाव-<br />

यह िनयमावली कसी अ य िनयमावली या आदेश म कसी ितकू ल बात के होते हुए भी<br />

भावी होगी।<br />

3. परभाषाएं-<br />

जब तक क वषय या संदभ म कोई ितकू ल बात न हो-<br />

(क) ‘’मु य सिचव’’ का ता पय ‘’उ तरांचल’’ सरकार के मु य सिचव से ह;<br />

(ख) ‘’स बधत वभाग’’ का ता पय उस वभाग से ह जसके िलए वग वशेष म चयन<br />

कया जा रहा ह;<br />

(ग) ‘’सवधान’’ का ता पय ‘’भारत का संवधान’’ से ह;<br />

(घ) ‘’सरकार’’ का ता पय उ तरांचल रा य क सरकार से ह;<br />

(च) ‘’रा यपाल’’ का ता पय उ तरांचल रा य के रा यपाल से ह;<br />

(छ) ‘’सिचव कािमक’’ का ता पय कािमक वभाग म उ तरांचल सरकार के सिचव से ह;<br />

(ज) ‘’चयन सिमित’’ का ता पय सुसंगत सेवा िनयमाविलय के अधीन पद पर वग वशेष<br />

म चयन करने के िलये गठत सिमित से ह;


63<br />

4. चयन सिमित का गठन-<br />

कसी अ य िनयमावली या आदेश म कसी ितकू ल बात के होते हुए भी, चयन सिमित िन न<br />

कार गठत क जायेगी:-<br />

(क) वभाग म वभागा य और अपर वभागा य के पद के िलए:<br />

(1) मु य सिचव अ य:<br />

(2) सिचव, कािमक सद य:<br />

(3) स बधत वभाग के मुख सिचव/सिचव सद य:<br />

(ख) समय-समय पर रा य सरकार ारा तथा वगकृ त समूह ‘’क’’ और समूह ‘’ख’’ के पद<br />

के पदो नित कोटे के िलये जहॉं कसी अ य िनयमावली म पदो नित के िलये कोई<br />

वभागीय चयन सिमित वहत न हो:<br />

(1) स बधत वभाग म रा य सरकार के , यथाथित, मुख सिचव या सिचव;<br />

(2) सिचव, कािम या उसका कोई नाम िनद ट य, जो सरकार के अपर सिचव के तर<br />

से िन न न हो;<br />

(3) स बधत वभाग का वभागा य और जहां कोई वभागा य न हो, वहां सरकार के<br />

स बधत वभाग के सिचव ारा नाम िनद ट कोई ऐसा अिधकार जो सरकार के ,<br />

अपर सिचव के तर से नीचे न हो। ये ठतम सद य सिमित का अ य होगा।<br />

5. नाम िनदश-<br />

उन पद के िलये जो िनयम 4 के तर (क) एवं (ख) के अधीन नहं आये ह, जहॉं सिचव,<br />

कािमक कसी चयन सिमित का सद य हो, वहॉं वह अपनी ओर से कसी ऐसे अिधकार का नाम<br />

िनद ट कर सकता ह, जो सरकार के अपर सिचव के तर से िन न न हो।<br />

आा से,<br />

आलोक कु मार जैन,<br />

सिचव।


64<br />

In pursuance of the provisions of Clause (3) of Article 348 of the Constitution of India, the<br />

Governor is pleased to order the publication of the following English translation of notification no.<br />

1525/Karmic-2/2002, dated November 13, 2002 for general information:<br />

No. 1525/Karmic-2/2002<br />

Dated Dehradun, Novermber 13,2002<br />

NOTIFICATION<br />

Miscellaneous<br />

In exercise of the powers conferred by the provise to Article 309 of the Constitution of India,<br />

the Governor is pleased to make the following rules:-<br />

THE UTTARANCHAL CONSTITUTION OF DEPARTMENTAL PROMOTION COMMITTEE<br />

(FOR POSTS OUTSIDE THE PURVIEW OF THE PUBLIC SERVICE COMMISSION)<br />

RULES, 2002<br />

1. Short title and commencement-<br />

(1) These rules may be called the Uttaranchal Constitution of Departmental promotion<br />

Committee (for Posts outside the Purview of the Public Service Commission) rules,<br />

2002<br />

(2) They shall come into force at once,<br />

(3) They shall apply to the posts of Promotion Quota under the Rule making power of the<br />

Goveror, except the posts which are within the purview of the public Service<br />

Commission.<br />

2. Overriding effect-<br />

These rules shall have effect notwithstanding anything to the contrary contained in any other<br />

rules or orders.<br />

3. Definitions--<br />

Unless there is anything repugnant in the subject or context, the expression—<br />

(a) “Chief Secretary” means the Chief Secretary to Government of Uttaranchal;<br />

(b) “Concerned Departmental” means the department for which particular year the<br />

selection is being made;<br />

(c) “Constitution” means the Constitution of India;<br />

(d) “Government” means the Government of Uttaranchal State;<br />

(e) “Governor” means the Governor of Uttaranchal State;<br />

(f) “Secretary Karmik” means the Secretary in Karmik Department in the Government of<br />

Uttaranchal;<br />

(g) “Selection Committee” means the Committee constiuted to make selection for posts for<br />

a particular year under the Service Rules;<br />

(h) “Commission” means the Uttaranchal Public Service Commission.<br />

4. Constitution of Selection Committee—<br />

Notwithstanding anything contray contained in any other Rules or Orders, the Selection<br />

Committee shall be constituted as follows:--<br />

(a) For the post of Head of Department and Additional Head of Department in the<br />

departments:<br />

(1) Chief Secretary Chairman<br />

(2) Secretary, Karmik Member<br />

(3) Principal Secretary/Secretary of the Department Concerned Member


65<br />

(b) For the promotion quota of the posts belonging to Group ‘A’ and ‘B’ as classified by<br />

Government from time to time, where no Departmental Selection Committee for<br />

promotion is prescribed in any other Rules;<br />

(1) Principal Secretary or Secretary to Government of the Concerned department;<br />

(2) Secretary Karmik or his nominee, not below the rank of Additional Secretary to<br />

Government;<br />

(3) Head of the department of the concerned department and where there is no Head of the<br />

department such officers not below the rank of Additional Secretary to Government<br />

nominated by the Secretary of department. The senior most member shall be the<br />

Chairman of the committee.<br />

5. Nomination--<br />

For the posts not covered under Para (a) and (b) of Rule-4, where Secretary Karmik is a member<br />

of a Selection Committee he may on his behalf nominate an officer not below the rank of Additional<br />

Secretary to Government.<br />

By Order,<br />

ALOK KUMAR JAIN<br />

Secretary.


66<br />

ेषक,<br />

सेवा म,<br />

आलोक कु मार जैन,<br />

सिचव,<br />

कािमक वभाग,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सं या 1162/का0-2/2002<br />

1-सम त मुख सिचव/सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

2-सम त वभागा य/कायालया य,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

3-सम त जलािधकार,<br />

उ तरांचल।<br />

कािमक वभाग देहरादून: दनांक 23 अग त, 2002<br />

वषय: उ तरांचल सेवाकाल म मृत सरकार सेवक के आित क भत िनयमावली, 2002 के<br />

िनमय 5 (1) (तीन) के पर तुक का प टकरण।<br />

महोदय,<br />

उपयु त वषय पर मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क ाय: ऐसे स दभ ा त हो रहे ह,<br />

जनम सेवाकाल म मृत सरकार सेवक के आित क भत िनयमावली, 1974 के ावधान के<br />

अ तगत मृतक सरकार सेवक के कु टु ब के सद य ारा िनयमावली म िनधारत आवेदन क 5 वष<br />

क अविध के बाद आवेदन कया जाता ह तथा िनयमावली के िनयम 5 (1) (तीन) के पर तुक म<br />

रा य सरकार को द त शय का उपयोग करके आवेदन करने क अविध म िशिथलीकरण करके<br />

िनयु दान करने का अनुरोध कया जाता ह। इन मामल म वल ब का कारण मृत सरकार सेवक<br />

के पु/पुय के सरकार सेवक क मृ यु के समय अवय क होना तथा उनके ारा वय क होने पर<br />

आवेदन कराना बताया जाता ह। कािमक वभाग ारा शासनादेश सं या 225/कािमक-2/2002, दनांक<br />

08-02-2002 ारा मृतक सरकार सेवक के आित को िनयु दान करने के स ब ध म माग<br />

दशक िनयम प ट कये गये थे।<br />

(1) मृत सरकार सेवक के कु टु ब के कसी सद य क भत के िलए यह आव यक ह क<br />

मृत सरकार सेवक के परवार क, सरकार सेवक क मृ यु पर आिथक थित ऐसी हो गयी हो, क<br />

परवार का गुजारा परवार के एक सद य को िनयु दये बना नहं हो सके गा।<br />

(2) मृत सरकार सेवक के परवार के सद य का िनयु पाना वहत अिधकार नहं ह,<br />

जसको भव य म भी उपयोग कया जा सके । यह अचानक आयी वपदा से परवार को उबरने के िलए<br />

तथा गुजारे का साधन उपल ध कराये जाने क से सरकार क ओर से अनुक पा ह जसे यथाश य<br />

अवल ब मृतक सरकार सेवक के परवार को दान कया जाना चाहए। िनयमावली म िनधारत<br />

अविध के बाद िनयु दान कया जाना उिचत थित नहं ह।


67<br />

2- मृत सरकार सेवक के कु टु ब के सद य ारा िनयु दान करने के िलए 5 साल क<br />

अविध के बाद दये गये आवेदन प म िनयमावली के िनयम 5 (1) (तीन) के पर तुक ‘’पर तु जहां<br />

रा य सरकार का यह समाधान हो जाय क सेवायोजन के िलये आवेदन करने के िलये िनधारत समय<br />

सीमा से कसी विश ट मामले म अनुिचत कठनाई होती ह, वहां वह अपेाओं को, ज ह वह मामले<br />

म याय संगत और स यपूण रित से कायवाह करने के िलये आव यक समझे, अ युयां िशिथल<br />

कर सकता ह’’ म द त श का उपयोग कये जाने हेतु िनवेदन कया जाता ह। िनयम 5 (1) (तीन)<br />

के पर तुक म रा य सरकार को द त क गई शायां असीम नहं ह, इन शाय का उपयोग करके<br />

िनयम 5(1) (तीन) म िनधारत 5 वष के भीतर क अविध का व तार यथा आव यकता नहं बढाया<br />

जा सकता ह। यह शयां कसी विश ट मामले म अनुिचत कठनाई के याय संगत और स यपूण<br />

रित से िनराकरण करने के शायां ह। जनके ारा सरकार सेवक क मृ यु के दन से 5 वष के<br />

भीतर आवेदन करने क समय सीमा को यान म रखते हुए मामले म उ प न अनुिचत कठनाईय का<br />

िनराकरण कया जाना ह। िनयमावली के िनयम 5(1) (तीन) म िनधारत आवेदन करने क 5 वष क<br />

अविध का व तार इस आधार पर नहं कया जा सकता ह क सरकार सेवक क मृ यु के समय उसके<br />

पु/पुी अवय क थी और वय क होने के बाद उनके ारा 5 वष क अविध के बाद आवेदन कया जा<br />

रहा ह। मृत सरकार सेवक के पु/पुी आवेदन करने के 5 वष क अविध के बाद एक या दो स ताह<br />

म अपनी यूनतम आयु ा त कर रहे ह/ रह ह, अथवा ल बी बीमार के कारण िनधारत आवेदन<br />

करने क 5 वष क अविध म कु छ स ताह का वल ब हो गया और आवेदन नहं कया जा सका तथा<br />

उपरो त कारण के साथ परवार क आिथक थित भी ऐसी नहं ह क मृतक सरकार सेवक के<br />

परवार का गुजारा हो पा रहा हो तथा उसके परवार का कोई अ य सद य सेवायोजत न हो या<br />

यवसाय न कर रहा हो। ऐसे मामले म रा य सरकार कठनाइय के िनराकरण क द त श का<br />

उपयोग करके आवेदन क अविध को िशिथल कर सकती ह। आवेदन करने म ल बी बीमार या अ य<br />

कसी दुघटना के कारण हुआ सू म वल ब जसम परवार के सद य के िनयंण म परथितयां नहं<br />

रह, ऐसे मामल को वचार के िलए िलया जा सकता ह। िनयम के इस ावधान को पुन: दोहराया<br />

जाना ह क पर तुक के अधीन द त श का उपयोग सामा य प म, आवेदन क िनधारत अविध<br />

’5 वष के भीतर’ को ल बे समय का व तार देने के िलए नहं कया जा सकता ह।<br />

3- शासन के वभाग म ा त हो रहे स दभ म उपरो तानुसार यह परण कर िलया<br />

जाना चाहए क मृत सरकार सेवक के कु टु ब के सद य ारा सरकार सेवक क मृ यु के 5 वष के<br />

भीतर आवेदन कया गया ह। वल ब इतना सू म एवं अपवादक ह तथा अविध िशिथलीकरण के िलए<br />

पया त एवं समुिचत औिच य उपल ध ह, जसे िनयम 5(1) (तीन) के पर तुक के अ तगत द त<br />

शय म िशिथल कया जा सकता ह।<br />

4- अत: आपसे अनुरोध ह क कृ पया उपरो त दशा िनदश के आधार पर मृतक आित<br />

से ा त हो रहे आवेदन-प के स ब ध म कायवाह करने का क ट कर।<br />

भवदय,<br />

आलोक कु मार जैन,<br />

सिचव,


68<br />

सं या 774/कािमक-2/2003<br />

ेषक,<br />

मधुकर गु ता,<br />

मु य सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सेवा म,<br />

सम त मुख सिचव/सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

कािमक वभाग-2 देहरादून, दनांक 07 जून, 2003<br />

वषय:<br />

उ तरांचल सेवाकाल म मृत सरकार सेवक के आित क भत िनयमावली, 2002 के<br />

िनयम 5(1) (तीन) के पर तुक का प टकरण।<br />

महोदय,<br />

उपयु त वषय पर मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क शासनादेश सं या<br />

1747/कािमक-2/2002, दनांक 31 दस बर, 2002 ारा सभी वभाग को अवगत कराया गया था<br />

क सेवाकाल म मृतक सरकार सेवक के आित क भत िनयमावली के िनयम 5 (1) (तीन) के<br />

पर तुक के अधीन आवेदन करने क समयाविध म यद कोई िशिथलीकरण वांछनीय हो तो शासकय<br />

वभाग ारा ताव कािमक वभाग/मु य सिचव के मा यम से वभागीय मंी जी एवं मा0 मु यमंी<br />

जी के अनुमोदनाथ तुत कया जायेगा। पर तु कितपय मामले संान म आये ह क मृतक सरकार<br />

सेवक के आित क भत िनयमावली के िनयम 5(1) (तीन) के पर तुक के अधीन िशिथलीकरण के<br />

िलए मा0 मु यमंी जी को ताव भेजे जाने से पूव पावली कािमक वभाग तथा मु य सिचव को<br />

तुत नहं हुई ह। उपरो त थित के कारण शासिनक जटलताएं उ प न होने क स भावना बनी<br />

रहती ह।<br />

2- इस स ब ध म स यक् वचारोपरा त या िनणय िलया गया ह क शासनादेश सं या<br />

1747/कािमक-2/2002, दनांक 31 दस बर, 2002 म िनधारत यव था से िभ न प म यद<br />

क हं परथितय म िशिथलीकरण के आदेश ा त कये गये ह, तब स बधत वभाग ारा<br />

शासनादेश िनगत करने क कायवाह से पूव स बधत पावली कािमक वभाग के मा यम से मु य<br />

सिचव को अव य तुत क जाये।<br />

3- आपसे अनुरोध ह क कृ पया उपरो त िनदश का कडाई से अनुपालन सुिनत करने का क ट<br />

कर।<br />

भवदय,<br />

मधुकर गु ता,<br />

मु य सिचव।


69<br />

सं या 853/कािमक-2/2003<br />

ेषक,<br />

आलोक कु मार जैन,<br />

सिचव, कािमक,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सेवा म,<br />

1-सम त मुख सिचव/सिचव<br />

उ तरांचल शासन।<br />

2-सम त वभागा य,<br />

उ तरांचल।<br />

कािमक वभाग-2 देहरादून, दनांक 12 जून, 2003<br />

महोदय,<br />

मृतक सरकार सेवक के आित परवार के सद य को सेवायोजन दान करने के<br />

स ब ध म शासनादेश सं या 225/कािमक-2/2002, दनांक 08 फरवर, 2002 ारा यह प ट कया<br />

गया था क वह सेवायोजन अचानक आयी वपदा से आित परवार को उबरने के िलए तथा गुजारे का<br />

साधन उपल ध कराये जाने के िलए दया जाता ह। सरकार सेवक क मृ यु के ल बे समय बाद आित<br />

परवार के सद य को सेवायोजन दान कया जाना उिचत नहं ह। इस स ब ध म यापत<br />

िनयमावली के िनयम 5(1) (तीन) के अ तगत मृतक सरकार सेवक आित परवार के सद य को<br />

सरकार सेवक क मृ यु के 05 वष के अ दर आवेदन करना ह, पर तु ऐसे करण अभी भी तुत हो<br />

रहे ह, जनम उपरो त िनयम के पर तुक के ावधान के अ तगत सरकार सेवक क मृ यु के समय<br />

आित परवार के अवय क सद य को आवेदन करने के 05 वष क अविध यतीत होने के ल बे<br />

अ तराल के बाद वय क होने पर सेवायोजन हेतु आवेदन करने क अविध म िशिथलीकरण दान करने<br />

हेतु अनुरोध कया जाता ह। उपरो त िनयम के पर तुक के ावधान के स ब ध म प टकरण<br />

शासनादेश सं या 1162/का-2/2002, दनांक 23 अग त, 2002 से यह प ट कया गया था क<br />

पर तुक क शायॉं बहुत ह अ प अविध क वल ब को अपमशन के िलए ह। सरकार सेवक क<br />

मृत ्यु से ल बे समय यतीत होने के बाद आित परवार के सद य का सेवायोजन पाने का अिधकार<br />

नहं रह जाता ह। इस स ब ध म माननीय उ चतम यायालय के विभ न िनणय के उरण संल न<br />

कये जा रहे ह यथा (1998)-5 एस0सी0सी0-192 डायरे टर ऑफ एजूके शन बनाम पु पे कु मार एवं<br />

अ य, (1996) यू0पी0एल0बी0 सह-843 हरयाणा टेट इलैसीट बोड, नरेश कं वर एवं अ य,<br />

(1996) एक-एस0सी0सी0-301 जगदश साद बनाम टेट ऑफ बहार और अ य, ए0ट0-2000 (10)<br />

एस0सी0-156 संजय कु मार बनाम टेट बहार व अ य।


70<br />

2- यह देखा गया ह क मृतक सरकार सेवक आित सेवायोजन िनयमावली के िनयम<br />

6 म जस कार से आवेदन करने के िलए कहा गया ह, उस कार से आवेदन नहं कया जा रहा ह,<br />

और आवेदन-प म वषय पर वचार के िलए पूण सूचना नहं होती ह, जससे करण के िन तारण म<br />

वल ब होता ह।<br />

3- मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क मा0 उ चतम यायालय के िनणय के<br />

अनुसार उ हं मामल को िशिथलीकरण के िलए स दभ कया जाय जो उपरो त िनयम के पर तुक से<br />

ावधारत ह तथा िनयम 6 के अ तगत आवेदन-प म ावधािनत सूचनाय साथ म उपल ध करायी<br />

जायं।<br />

4- कृ पया उपरो तानुसार सभी स बधत को वांिछत कायवाह हेतु िनदिशत करने का<br />

क ट कर।<br />

भवदय,<br />

आलोक कु मार जैन,<br />

सिचव,<br />

सं या 853(1)/कािमक-2/2003<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत-<br />

1. सम त अनुभाग अिधकार, उ तरांचल शासन।<br />

2. सम त म डलायु त/सम त जलािधकार, उ तरांचल।<br />

3. गाड फाइल हेतु।<br />

आा से,<br />

आलोक कु मार जैन,<br />

सिचव।


71<br />

(1994) 4 Supreme Court Cases 138 Umesh Kumar Nagpal Versus State of Haryana and Others:<br />

The whole object of granting compassionate employment is to enable the family to tide over the<br />

sudden crisis. The object is not to give a mamber of such family a post much less a post for post held by<br />

the deceased. What is further, mere death of an employee in harness does not entitle his family to such<br />

source of livelihooe. The Gobernment or the public authority concerned has to examine the financial<br />

condition of the family of the deceased, and it is only if it is satisfied, that but for the provision of<br />

employment the family will not be able to meet the crisis that a job is to be offered to the eligible<br />

member of the family. The posts in Classes III and IV, are the lowest posts in non-manual and manual<br />

categories and hence they alone can be offered on compassionate grounds, the object being to relieve<br />

the family, of the financial destitution and to help it get over the emergency.<br />

Offering compassionate employment as a matter of course irrespective of the financial condition<br />

of the family of the deceased and making compassionate appointments in posts above Classes III and<br />

IV, is legally impermissible.<br />

Compassionate employment cannot be granted after a lapse of a reasonable period which must<br />

be specified in the rules. The consideration for such employment is not a vested right which can be<br />

exercised at any time in futrue. The object being to enable the family to get over the financial crisis<br />

which it faces at the time of the death of the sole breadwinner, the compassionate employment cannot be<br />

clained and offered whatever the lapse of time and after the crisis is over.<br />

As a rule, appointments in the public services should be made stricutly on the basis of open<br />

invitation of applications and merit. Not other mode of appointment nor any other consideration is<br />

permissible. Neither the Governments nor the public authorities are at liberty to follow any other<br />

procedure or relax the qualifications laid down by the rules for the post. However, to this general rule<br />

which is to be followed strictly in every case, there are some exceptions carved out in the interests of<br />

justice and to meet certain contingencies. One such exception is in favour of the dependants of an<br />

employment dying in harness and leaving his family in penury and without any means of liveihood.<br />

AIR 1996 Supreme Court 2445 State of Haryana and Others V. Rani Devi and Another:<br />

So far as the facts of the present case are concerned, we fail to appreciate as to how the High<br />

court directed that the respondents aforesaid be appointed on compassionate ground when admittedly<br />

the respective husbands of the respondents were working as Apprentice Canal Patwaris for the periods<br />

mentioned above. If the scheme regarding appointment on compassionate ground is extended to all sorts<br />

of casual, ad hoc employees including those who are working as Apprentices, then such scheme cannot<br />

be justified on constitutional grounds. It need not be pointed out that appointments on compassionate<br />

grounds, are made as a matter, of course, without even requiring the person concerned to face any<br />

Selection Committee. In the case of Umesh Kumar Nagpal V. State of Haryana (1994 AIR SCW 2305<br />

at p. 2309) (Supra), it was said:<br />

“It is obvious from the above observations that the High Court endorses the policy of the State<br />

Government to make compassionate appointment in posts equivalent to the posts held by the deceased<br />

employees and above class III and IV. It is unnecessary to reiterate that these observations are contrary<br />

to law. If the dependant of the decesed employee finds it below his dignity to accept the post offered, he<br />

is free not to do so, the post is not offered to cater to his status but to see the family through the<br />

econimic calamity.”<br />

It was also impressed that appointments on compassionate ground cannot be made after lapse of<br />

reasonable period which must be specified in the rules because the right to such employment is not a<br />

vested ritht which can be exercised at any time in future.


72<br />

According to us, when the aforesaid Government order, dated 31-10-1985 extends the benefit of<br />

appointment to one of the dependants of the ‘deceased employee’ the expression ‘employee’ does not<br />

conceive casual or purely ad hoc employee or those who are working as apprentices. Accordingly the<br />

appeals are allowed and the impugned orders on the two write petitions, filed on behalf of the<br />

respondents are set aside. In the facts and circumstances of the case, there shall be no order as to costs.<br />

Appeals allowed.<br />

(1996) 1 Supreme Court Cases 301 Jagdish Prasad V. State of Bihar and Another:<br />

They very object of appointment of a dependent of the deceased employees who die in harness<br />

is to relive unexpected immedicate hardship and distress cuased to the family by sudden demise of the<br />

earning member of the family. Since the dealth occurred way back in 1971, in which year the appellant<br />

was four years’ old, it can not be said that he is entitled to be appointed after he attained majority long<br />

thereafter. In other words, if that contentaion is accepted, it amounts to another mode of recruitment of<br />

the dependent of a deccased Government servant which cannot be encouraged, dehors the recuitment<br />

rules.<br />

Supreme Court (1996) 2 UPBEC 843 Haryana State Electicity Board V. Naresh Tanwar and Another:<br />

Service-Appointment on compassionate ground is exception to general rules of emplyment. It is<br />

intended to provide immediate monetary relif to family of deceased Government officer and is<br />

reasonable. In the instant matter application for appointment of sons of deceased employee were made<br />

about 12 years after the dealth by son who were minor at time of dealth. High Court committed error of<br />

law in giving direction for appointing the applicant in both matters. Giving appointment of<br />

compassionate ground after 12 years of death. Frustrates the very object of such appointment. Direction<br />

of High Court-unsustainable.<br />

The very object of appointment of dependent of deceased-employee who died in harness is to<br />

relieve immediate hardship and distress caused to the family by sudden demise of the earning member<br />

of the family and such consideration cannot be kept binding for years. Compassionate appointment<br />

cannot be granted after a long lapse a reasonable period and the very purpose of compassionate<br />

appointment, as an exception to the general rule of open recruitment, is intended to meet the immediate<br />

financial problem being suffered by the members of the family of the deceased employee (Para 9).<br />

The principle of compassionate appointment is not only reasonable but consistent with the<br />

principle of employment in Government and public sector.<br />

(1998) 5 Supreme Court Cases 192 Director of Education (Secondary) and Another V.Pushpendra<br />

Kumar and Others:<br />

A Service Law-Compassionate appointment-Purpose of Explained—Further held, such<br />

appointment is made in departure of prescribed procedure of appointment-It has therefore to be ensured<br />

that a provision for grant of compassionate appointment does not unduly interfere with the right of other<br />

persons who are eligible for appointment against the post which would have been available to them, but<br />

for the provision for compassionate appointment. Else that would be violative of the equality clause.<br />

Recruitment Process—Open market candidates Vis-à-vis compassionate appointees—Statute Law—<br />

Exception to main rule—How to be applied—inerpretation of Statutes—Inernal aids—proviso—<br />

Interpretation of –constitution of India, Arts. 14 and 16, post and is otherwise suitable for appointment<br />

on compassionate grounds Held, appointment on class IV post could be offered if class III post was not<br />

available-High Court’s direction for creating a supernumerary class III post cannot be upheld. If<br />

necessary only a supernumerary class IV post can be created-u.p. Recruitment of Departments of<br />

Government Servants Dying in Harness Rules, 1974-U.P. Intermediate Education Act, 1921 (2 of 1921),<br />

s. 9 (4) Regulations framed thereunder, regns. 101 to 107.


73<br />

ेषक,<br />

सेवा म<br />

डा0 आर0एस0 टोिलया,<br />

मु य सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

1-सम त मुख सिचव/सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

2-सम त जलािधकार, उ तरांचल।<br />

3- सम त वभागा य, उ तरांचल।<br />

सं या 1383/का0-2/2003<br />

कािमक वभाग-2 देहरादून, दनांक 22 िसत बर, 2003<br />

वषय: मृतक सरकार सेवक को देय धनरािश आद के भुगतान क कठनाईय के िनराकरण<br />

स ब ध म।<br />

महोदय,<br />

उपयु त वषय पर मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क ाय: यह देखने म आया ह क<br />

वभाग ारा सरकार सेवक क सेवाकाल म आकमक मृ यु के प चात ् उनके आित को सभी<br />

कार के देयक का भुगतान त परता से नहं कया जाता ह, जसके फल वप मृतक आित को<br />

कठनाईय का सामना करना पडता ह। सेवाकाल म मृत सरकार सेवक के आित को मृतक के<br />

सम त देयक के भुगतान हेतु त परता से िनम ्नवत ् कायवाह क जाये:-<br />

1. मृतक सरकार सेवक के परवार को पारवारक पशन, सामूहक बीमा रािश, अनुह रािश, अवकाश<br />

नकदकरण आद के भुगतान के िलए आव यक प भेजकर उ ह यथो प से पूण कराकर<br />

सम ािधकार को भुगतान के िलए भेजते हुए, सम त कायवाह वल बतम 01 माह म पूण कर<br />

ली जाय।<br />

2. वभागा य ारा अपने िनयंणाधीन कायालय के सेवाकाल म सरकार सेवक क आकमक मृ यु<br />

के मामल क सूचना माह जनवर व जुलाई म ा त कर, येक मामले म आित परवार के<br />

सद य के देय के भुगतान के िलए प को पूण करा कर सम ािधकार को भेजे जाने एवं<br />

देय के भुगतान क गित क समीा करगे। जन मामल म अवांिछत वल ब हो, उनम<br />

स बधत कायालया य को अ शासकय प भेज कर त परता से वांिछत कायवाह पूण करने<br />

के िलए िनदश दये जाय।<br />

3. वभागा य ारा येक छमाह म संकिलत ववरण कािमक वभाग को भी उपल ध कराया जाय।<br />

4. कृ पया उपरो त िनदश का कडाई से अनुपालन सुिनत करने का क ट कर।<br />

भवदय,<br />

ड0 आर0एस0 टोिलया,<br />

मु य सिचव।


74<br />

उ तरांचल शासन<br />

कािमक वभाग-2<br />

सं या 739/XXX-(2)/2004-55(41)/2004<br />

देहरादून, 14 जून, 2004<br />

अिधसूचना<br />

संवधान के अनु छेद 309 के ितब धा मक ख ड ारा ा त अिधकार का योग करते हुए<br />

उ तरांचल के रा यपाल िन निलखत िनयमावली बनाते ह:-<br />

उ तरांचल सेवाओं म भत (आयु सीमा) िनयमावली, 2004<br />

1. सं त नाम तथा ववरण-<br />

(1) यह िनयमावली उ तरांचल सेवाओं म भत (आयु सीमा) िनयमावली, 2004 कहलायेगी।<br />

(2) यह तुर त वृ त होगी।<br />

2. अिधकतम आयु सीमा-<br />

इस िनयमावली के अधीन ऐसी सम त सेवाओं तथा पद के स ब ध म जन पर भत<br />

के िलए अिधकतम आयु सीमा 35 वष से कम ह, अिधकतम आयु-सीमा 35 वष होगी।<br />

3. भत के अवसर पर ितब ध का हटाया जाना-<br />

कसी भी ऐसी सेवा म अथवा पद पर भत के िलए िनधारत आयु सीमा क अविध<br />

अ यथ के भत के अवसर पर कोई ितब ध नहं रहेगा।<br />

4. िनयमावली का अिधभावी भाव-<br />

यह िनयमावली संगत सेवा िनयम म कसी ितकू ल बात के होते हुए भी सभी मामल<br />

म भावी होगी।<br />

5. आयु क गणना-<br />

कसी सेवा िनयमावली म कसी ितकू ल बात के होते हुए भी, ऐसी सेवा या पद के<br />

िलए चाहे वह लोक सेवा आयोग के ेा तगत हो या उसके बाहर, अ यथ को, जस कले डर<br />

वष म रयां लोक सेवा आयोग या कसी अ य भत करने वाले ािधकार ारा सीधी भत के<br />

िलए वापत क जाय या यथाथित ऐसी रयां सेवायोजना कायालय को सूिचत क जाये<br />

उस वष क पहली जुलाई को समय-समय पर यथावहत यूनतम आयु का हो जाना चाहए<br />

और अिधकतम आयु का नहं होना चाहए।<br />

आा से,<br />

नृप िसंह नपल याल,<br />

मुख सिचव।


75<br />

In pursuance of the provisions of Clause (3) of Article 348 of the constitution of India, the<br />

Governor of Uttaranchal is pleased to order the publication of the following English translation of<br />

notification no. 739/(2)/2004-55(41)/2004, dated june 14, 2004 for general information:<br />

No. 739/XXX—(2)/2004-55(41)/2004<br />

Dated Dehrudun, June 14, 2004<br />

NOTIFICATION<br />

In exercise of the powers under the Proviso to Article 309 of the Constitution, the governor of<br />

Uttaranchal is pleased to make the following rules:-<br />

THE UTTARANCH RECRUITMENT TO SERVICES (AGE LIMIT) RULES, 2004<br />

1. Short title and Commencement--<br />

(1) These rules may be called the Uttaranchal Recruitment to Services (Age Limit) rules,<br />

2004.<br />

(ii) They shall come into force at once.<br />

2. Maximum Age Limit--<br />

The upper age limit for recruitment to all such services and posts under the rule making<br />

power of the Governor, for which the upper age limit is less than thirty five years shall be thirty<br />

five years.<br />

3. Removal of restrictions on taking chances for recruitment—<br />

There shall be no restriction on taking of chances by a candidate for recruitment to any<br />

service or post, during the period of prescribed age limits.<br />

4. Overriding effect of the rules—<br />

Notwithstanding anything to the contrary contained in the relevant Service Rules, these<br />

rules shall have overriding effect.<br />

5. Computation age--<br />

Notwithstanding anything to the contrary contained in any service rule, for the services<br />

and posts, whether within or outside the purview of the public Service Commission, a candidate<br />

must have attained the minimum age and must not have attained the maximum age, as<br />

prescribed from time to time, on the first day of july of the calender year in which vacancies for<br />

direct recruitment are advertised by the Public Service Commission or any other recruiting<br />

authority, or as the case may be, such vancancies are inlimated to the Employment Exchange.<br />

By Order,<br />

N.S. NAPALCHYAL,<br />

Principal Secretary,


76<br />

उ तरांचल शासन<br />

कािमक अनुभाग-2<br />

सं या 806/का-2/2002<br />

देहरादून, 15 जून, 2002<br />

अिधसूचना<br />

रा याधीन सरकार सेवक क अिधवषता आयु लोकहत म 58 वष के थान पर 60 वष करने<br />

क रा यपाल महोदय एत ारा वीकृ ित दान करते ह।<br />

2- यह आदेश 1 जून, 2002 से लागू हगे।<br />

3- व तीय ह त पुतका ख ड II, भाग- II, के Iv के मूल िनयम 56 यथा-आव यक<br />

संशोधन क कायवाह पृथम से व त वभाग ारा क जायेगी।<br />

4- उपयु त से स बधत आव यक उपब ध के बारे म व तृत दशा िनदश रा य<br />

सरकार ारा पृथक से जार कये जायगे।<br />

भवदय,<br />

आलोक कु मार जैन,<br />

सिचव।<br />

सं या 806(1)/का-2/2002, त दनांक।<br />

उपयु त क ित िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:-<br />

1. सम त मुख सिचव/सिचव/अपर सिचव, उ तरांचल शासन।<br />

2. सम त वभागा य/मुख कायालया य, उ तरांचल।<br />

3. सम त म डलायु त/जलािधकार, उ तरांचल।<br />

4. सिचव, रा यपाल, उ तरांचल।<br />

5. सिचव, वधान सभा, उ तरांचल।<br />

6. सिचव, लोक सेवा आयोग, उ तरांचल हरार।<br />

7. सिचवालय के समसत अनुभाग।<br />

आा से,<br />

सुरे िसंह रावत,<br />

अपर सिचव।


77<br />

सं या 1844/कािमक-2/2002<br />

ेषक,<br />

आलोक कु मार जैन,<br />

सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सेवा म,<br />

1-सम त मुख सिचव/सिचव<br />

उ तरांचल शासन।<br />

2- सम त वभागा य,<br />

उ तरांचल।<br />

कािमक अनुभाग-2 देहरादून, दनांक 09 अैल, 2003<br />

वषय-<br />

सरकार कमचार क वैछक सेवािनवृ।<br />

महोदय,<br />

उपयु त वषय पर मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क राजकय कमचारय को 45<br />

वष क आयु पूण करने अथवा 20 वष क सेवा पूण करने के प चात ् वैछक सेवािनवृ के स ब ध<br />

म मूल िनयम 56 म यव था क गयी ह क जस सरकार सेवक ने 45 वष क आयु पूण कर ली ह<br />

अथवा 20 वष क सेवा पूण कर ली ह वह िनयु ािधकार को 03 माह क नोटस देकर सेवािनवृ त<br />

हो सकता ह। 03 माह क नोटस अविध पूण होने पर ह सरकार सेवक सेवािनवृत ्त होगा। शासन के<br />

संान म ऐसे करण आये ह, जनम वैछक सेवािनवृ का नोटस देकर सरकार सेवक काय से<br />

अनुपथत हो गया। वभागा य ारा शासन क अनुमित हेतु करण 03 माह क अविध के बहुत<br />

बाद संदिभत कया गया, जसके कारण वैछक सेवािनवृ क अनुमित देने एवं अ य अनुषांिगक<br />

वषय पर कायवाह करने म अवांिछत कठनाई उ प न हुई।<br />

2- मूल िनयम 56 (ग) म यह यव था ह, क िनयु ािधकार चाह तो वह<br />

सरकार सेवक को कसी नोटस के बना या अ प अविध क नोटस पर नोटस के बदले म कसी<br />

शात क भुगतान करने क अपेा कये बना सेवािनवृ त होने क अनुा दे सकता ह। इस कार के<br />

मामले म वैछक प से सेवािनवृ त होने क इ छा करने वाला सरकार सेवक िनयु ािधकार<br />

ारा सेवािनवृ त होने क अनुा के िलए तीा करेगा। िनयु ािधकार से अनुा ा त होने पर ह<br />

सरकार सेवक वैछक प से सेवािनवृ त होगा। सेवािनवृ त क इ छा कट करने के साथ ह काय<br />

से अनुपथत हो जाना उिचत नहं ह। पर तु िनयु ािधकार को यह यान रखना चाहए, क<br />

सेवािनवृ क अनुा दये जाने म अवांिछत वल ब न हो और कसी भी दशा म 03 माह से<br />

अनिधक हो।


78<br />

3- िनयु ािधकार सरकार सेवक ारा वैछक सेवािनवृ त दये जाने पर यह<br />

जांच कर ल क कोई अनुशासिनक कायवाह वचाराधीन नहं ह। अथवा अनुशासिनक कायवाह ार भ<br />

करना वचाराधीन नहं ह। सरकार सेवक के व कसी आस न अनुशासिनक कायवाह क दशा म<br />

सरकार सेवक को उसक नोटस वीकार न कये जाने क सूचना नोटस क समाि से पूव दे द<br />

जायेगी।<br />

4- सरकार सेवक ारा वैछक सेवािनयु क नोटस बना िनयु ािधकार<br />

क अनुा के वापस नहं ली जा सके गी। िनयु ािधकार यद नोटस वापस लेने क अनुा करण<br />

क थितय के कारण देना उिचत न पाता हो, तो नोटस समा त होने से पूव ह अनुा न देने के<br />

िनणय से सरकार सेवक को अवगत करा द।<br />

5- उपरो त थित प अ करते हुए अनुरोध ह क सरकार सेवक वैछक<br />

सेवािनयु हेतु 03 माह का नोटस देने के बाद अपने काय से अनुपथत नहं होगा, बक वैछक<br />

सेवािनवृ का नोटस दये जाने के बाद नोटस समा त होने पर अथवा िनयु ािधकार ारा नोटस<br />

वीकार कये जाने तक तीा करेगा। िनयु ािधकार नोटस समा त होने से पूव अनुा देने<br />

अथवा अ वीकार कये जाने का िनणय लेकर सरकार सेवक को अवगत करायेगा।<br />

भवदय,<br />

आलोक कु मार जैन,<br />

सिचव।<br />

सं या 1844(1)/कािमक-2/2002, त दनांक<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:-<br />

1. सम त म डलायु त/जलािधकार, उ तरांचल।<br />

2. शासन के सम त अनुभाग।<br />

3. गाड फाइल हेतु।<br />

आा से,<br />

रमेश च लोहनी,<br />

उप सिचव।


79<br />

उ तरांचल शासन<br />

कािमक अनुभाग-2<br />

सं या 195/कािमक-2/2002<br />

देहरादून, 13 अग त, 2002<br />

अिधसूचना<br />

भारत का संवधान’’ के अनु छेद 309 के पर तुक ारा द त श का योग करके ी<br />

रा यपाल रा य सरकार के अधीन सेवाओं म िनयु त यय क ये ठता अवधारत करने के िलये<br />

िनम ्निलखत िनयमावली बनाते ह:-<br />

उ तरांचल सरकार सेवक ये ठता िनयमावली, 2002<br />

भाग-एक<br />

ारभक<br />

1. सं त नाम और ार भ-<br />

(1) यह िनयमावली उ तरांचल सरकार सेवक ये ठता िनयमावली, 2002 कह जायेगी।<br />

(2) यह तुर त वृ त होगी।<br />

2. लागू होना-<br />

यह िनयमावली उन सभी सरकार सेवक पर लागू होगी जनक भत और सेवा क<br />

शत के स ब ध म रा यपाल ारा संवधान के अनु छेद 309 के पर तुक के अधीन<br />

िनयमावली बनाई जायेगी या बनाई जा चुक ह।<br />

3. अ यारोह भाव-<br />

यह िनयमावली इससे पूव बनायी गयी कसी अ य सेवा िनयमावली म कसी बात के<br />

ितकू ल होते हुए भी भावी होगी।<br />

4. परभाषाएं-<br />

जब तक क वषय या स दभ म कोई ितकू ल बात न हो, इस िनयमावली म-<br />

(क) कसी सेवा के स ब ध म ‘’िनयु ािधकार’’ का ता पय सुसंगत सेवा<br />

िनयमाविलय के अधीन ऐसी सेवा म िनयुयां करने के िलए सश त ािधकार से ह:<br />

(ख) ‘’संवग’’ का ता पय कसी सेवा क सद य सं या, या कसी पृथक इकाई के प म<br />

वीकृ त सेवा के कसी भाग से ह:<br />

(ग) ‘’आयोग’’ का ता पय उ तरांचल लोक सेवा आयोग से ह;<br />

(घ) ‘’सिमित’’ का ता पय सुसंगत सेवा िनयमाविलय के अधीन सेवा म िनयु के िलए<br />

चयन करने हेतु गठत सिमित से ह;


80<br />

(ड)<br />

(च)<br />

(छ)<br />

(ज)<br />

(झ)<br />

‘’पोषक संवग’’ का ता पय सेवा के उस संवग से ह जसके सद य म से सुसंगत सेवा<br />

िनयमाविलय के अधीन उ चतर सेवा या पद पर पदोन ्नित क जाय;<br />

‘’सेवा’’ का ता पय उस सेवा से ह जसम सेवा के सद य क ये ठता अवधारत क<br />

जानी ह;<br />

‘’सेवा िनयमावली’’ का ता पय संवधान के अनु छेद 309 के पर तुक के अधीन बनाई<br />

गयी िनयमावली से ह और जहां ऐसी िनयमावली न हो, वहां सुसंगत सेवा म िनयु त<br />

यय क भत और सेवा शत को विनयिमत करने के िलए सरकार ारा जार कये<br />

गये कायपालक अनुदेश से ह:<br />

‘’मौिलक िनयु’’ का ता पय सेवा के संवग म कसी पद पर ऐसी िनयु से ह जो<br />

तदथ िनयु न हो और सेवा से स ब धत सेवा िनयमवाली के अनुसार चयन के<br />

प चात ् क गयी हो;<br />

‘’वष’’ का ता पय जुलाई के थम दवस से ार भ होने वाली बारह मास क अविध<br />

से ह।<br />

भाग- दो<br />

ये ठता का अवधारण<br />

5. उस थित म ये ठता जब के वल सीधी भत ारा िनयुयां क जाय-<br />

जहां सेवा िनयमावली के अनुसार िनयुयां के वल सीधी भत ारा क जानी ह, वहां<br />

कसी एक चयन के परणामा वप िनयु त कये गये यय क पर पर ये ठता वह होगी<br />

जो यथाथित, आयोग या सिमित ारा तैयार क गयी यो यता सूची म दखाई गयी ह:<br />

ितब ध यह ह क सीधे भत कया गया कोई अ यथ अपनी ये ठता खो सकता ह,<br />

यद कसी र त पद का उसे ताव कये जाने पर, वह विधमा य कारण के बना, कायाभर<br />

हण करने म वफल रहता ह, कारण क विध मा यता के स ब ध म िनयु ािधकार का<br />

विन चय अतम होगा;<br />

अेतर ितब ध यह ह क प चावत चयन के परणाम वप िनयु त कये गये<br />

य पूववत चयन के परणामा वप िनयु त कये गये यय से, किन ठ रहगे।<br />

प टकरण-जब एक ह वष म िनयिमत और आपात भत के िलए पृथक-पृथक चयन<br />

कये जायं तो िनयिमत भत के िलए कया गया चयन पूववत चयन माना जायेगा।<br />

6. उस थित म ये ठता जब के वल एकल पोषक संवग से पदो नित ारा िनयुयां क जाय-<br />

जहां सेवा िनयमावली के अनुसार िनयुयां के वल एक पोषक संवग से पदो नित ारा<br />

क जानी ह, वहां इस कार िनयु त यय क पर पर ये ठता वह होगी जो पोषक संवग<br />

म थी।<br />

प टकरण-पोषक संवग म ये ठ कोई य, भले ह उसक पदो नित पोषक संवग<br />

म उससे किन ठ य के प चात ् क गयी हो, उस संवग म जसम उसक पदो नित क<br />

जाय, अपनी वह ये ठता पुन: ा त कर लेगा जो पोषक संवग म थी।


81<br />

7. उस थित म ये ठता जब कई पोषक संवग से के वल पदो नित ारा िनयुयां क जायं-<br />

जहां सेवा िनयमावली के अनुसार िनयुयां एक से अिधक पोषक संवग से के वल<br />

पदो नित ारा जानी ह, वहां कसी एक चयन के परणामा वप िनयु त कये गये यय<br />

क पर पर ये ठता उनके अपने-अपने पोषक संवग म उनक मौिलक िनयु के आदेश के<br />

दनांक के अनुसार अवधारत क जायेगी।<br />

प टकरण- जहां पोषक संवग म मौिलक िनयु के आदेश म कोई ऐसा विश ट<br />

पूववत दनांक विनद ट हो, जससे कोई य मौिलक प से िनयु त कया जाय तो वह<br />

दनांक मौिलक िनयु के आदेश का दनांक माना जायेगा और अ य मामल म इसका ता पय<br />

आदेश जार कये जाने के दनांक से होगा:<br />

ितब ध यह ह क जहां पोषक संवग के वेतनमान िभ न ह तो उ चतर वेतनमान<br />

वाले पोषक संवग से पदो नित य िन नतर वेतनमान वाले पोषक संवग से पदो नत<br />

यय से ये ठ हगे:<br />

अेतर ितब ध यह ह क प चातृवत चयन के परणाम वप िनयु त य पूववत<br />

चयन के परणाम वप िनयु त यय से किन ठ हगे।<br />

8. उस थित म ये ठता जब िनयुयां पदो नित और सीधी भत से क जायं-<br />

(1) जहां सेवा िनयमावली के अनुसार िनयुयां पदो नित और सीधी भत दोन<br />

कार से क जानी ह, वहां इस कार िनयु त यय क ये ठता उनक मौिलक िनयु के<br />

आदेश के दनांक से िन निलखत उप िनयम के उपब ध के अधीन अवधारत क जायेगी<br />

और यद दो या अिधक य एक साथ िनयु त कये जायं तो उस म म अवधारत क<br />

जायेगी जसम उनके नाम िनयु के आदेश म रखे गये ह:<br />

ितब ध यह ह क यद िनयु के आदेश म कोई ऐसा विश पूववत दनांक<br />

विनद अ हो जससे कोई य मौिलक प से िनयु त कया जाय, तो वह दनांक मौिलक<br />

िनयु के आदेश का दनांक माना जायेगा और अ य मामल म इसका ता पय आदेश जार<br />

कये जाने के दनांक से होगा:<br />

अेतर ितब ध यह ह क सीधे भत कया गया कोई अ यथ अपनी ये ठता खो<br />

सकता ह, यद कसी र त पद का उसे ताव कये जाने पर वह विधमा य कारण के बना,<br />

कायभार हण करने म वफल रहता ह, कारण क विधमा यता के स ब ध म िनयु<br />

ािधकार का विन चय अतम होगा।<br />

(2) कसी एक चयन के परणाम वप-<br />

(क) सीधी भत से िनयु त यय क पर पर ये ठता वह होगी, जैसी<br />

यथाथित आयोग या सिमित ारा तैयार क गयी यो यता सूची म दखायी<br />

गयी हो:


82<br />

(ख)<br />

पदो नित ारा िनयु त यय क पर पर ये ठता वह होगी जो इस थित<br />

के अनुसार क पदो नित एकल पोषक संवग से या अनेक पोषक संवग से<br />

होती ह यथाथित, िनयम 6 या िनयम 7 म दये गये िसा त के अनुसार<br />

अवधारत क जाय।<br />

(3) जहां कसी एक चयन के परणाम वप िनयुयां पदो नित और सीधी भत दोन<br />

कार से क जाय, वहां पदो नत यय क, सीधे भत कये गये यय के<br />

स ब ध म ये ठता, जहां तक हो सके , दोन ोत के िलए वहत कोटा के अनुसार<br />

चानुम म (थम थान पदो नत य का होगा) अवधारत क जायेगी।<br />

टा त-(1) जहां पदो नत यय और सीधी भत कये गये यय का<br />

कोटा 1:1 के अनुपात म हो, वहां ये ठता िन निलखत म म होगी:-<br />

थम<br />

तीय<br />

पदो नत य<br />

सीधी भत कया गया य और इसी कार आगे भी।<br />

(2) जहां उ त कोटा 1:3 के अनुपात म हो, वहां ये ठता िन निलखत<br />

म म होगी:-<br />

थम<br />

पदो नत य<br />

तीय से चतुथ तक सीधी भत कया गया य<br />

पांचवां<br />

पदो नत य<br />

छठा से आठवां<br />

सीधी भत कये गये य और इसी कार आगे भी।<br />

ितब ध यह ह क-<br />

(एक)<br />

(दो)<br />

(तीन)<br />

जहां कसी ोत से िनयुयां वहत कोटा से अिधक क जायं, वहां कोटा से अिधक<br />

िनयु त यय को ये ठता के िलए उन अनुवत वष या वष के िलए बढा दया<br />

जायेगा जनम कोटा के अनुसार रयां हो;<br />

जहां कसी ोत से िनयुयां वहत कोटा से कम ह, और ऐसी न भर गयी रय<br />

के ित िनयुयां अनुवत वष या वष म क जायं, वहां इस कार िनयु त य<br />

कसी पूववत वष क ये ठता नहं पायगे क तु वह उस वष क ये ठता पायगे<br />

जसम उनक िनयुयां क जायं क तु उनके नाम शीष पर रखे जायगे, जसक बाद<br />

अ य िनयु त यय के नाम चानुम म रखे जायगे;<br />

जहां सेवा िनयमावली के अनुसार, सुसंगत सेवा िनयमावली म उलखत परथितय<br />

म कसी ोत से बना भर गयी रयां अ य ोत से भर जायं और कोटा से अिधक


83<br />

िनयुयां क जायं, वहां इस कार िनयु त य उसी वष क ये ठता पायगे मान<br />

वे अपने कोटा क रय के ित िनयु त कये गये ह।<br />

भाग-तीन<br />

ये ठता सूची<br />

9. ये ठता सूची का तैयार कया जाना-<br />

(1) सेवा म िनयुयां होने के प चात ् यथास भव शी िनयु ािधकार इस िनयमावली<br />

के उपब ध के अनुसार सेवा म मौिलक प से िनयु त कये गये यय क एक<br />

अनतम ये ठता सूची तैयार करेगा।<br />

(2) अनतम ये ठता सूची को स बधत यय म आपयां आमंत करते हुए<br />

युयु त अविध का नोटस देकर, जो अनतम ये ठता सूची के परचालन के<br />

दनांक से कम से कम सात दन क होगी, परचािलत कया जायेगा।<br />

(3) इस िनयमावली क शम त या विधमा यता के व कोई आप हण नहं क<br />

जायेगी।<br />

(4) िनयु ािधकार युसंगत आदेश ारा आपय का िन तारण करने के प चात ्<br />

अतम ये ठता सूची जार करेगा।<br />

(5) उस संवग क जसम िनयुयां एकल पोषक संवग से पदो नित ारा क जायं,<br />

ये ठता सूची तैयार करना आव यक नहं होगा।<br />

आा से,<br />

आलोक कु मार जैन,<br />

सिचव।


84<br />

In Pursuance of the provision of Clause (3) of Article 348 of the Constitution of India the<br />

Governor is pleased to order the publication of the following English translation of notification nl.<br />

195/Karmic-2/2002, dated August 13, 2002 for general information:<br />

No. 195/Karmic-2/2002<br />

Dated Dehradun, August 13, 2002<br />

NOTICIFCATION<br />

In exercise of the powers conferred by the proviso to Article 309 of the Constitution of India the<br />

Governor is pleased to make the following rules for determination of seniority of persons appointed to<br />

the services under the State Government:-<br />

THE UTTARANCHAL GOVERNMENT SERVANTS SENIORITY RULES, 2002<br />

PART –I<br />

PRELIMINARY<br />

1. Short title and Commencement—<br />

(1) These rules may be called the Uttaranchal Government Servants Seniority Rules, 2002<br />

(2) They shall come into force at once.<br />

2. Application—<br />

These rules shall apply to all Government servants in respect of whose recruitment and<br />

conditions of service, rules may be or have been made by the Governor under the proviso to<br />

Article 309 of the Constitution.<br />

3. Overriding effect--<br />

These rules shall have effect notwithstanding anything to the contrary contained in any<br />

other service rules make here to before.<br />

4. Definitions--<br />

In these rules, unless there is anything repugnent in the subject or context, the<br />

expression—<br />

(a) “appointing authority” in relation to any service means the authority empowered to<br />

make appointment to such service under the relevant service rules;<br />

(b) “Cardre” means the strength of the service, or part of the service sanctioned as a<br />

separate unit;<br />

(c) “Commission” means the Uttaranchal Public Service Commission;<br />

(d) “Committee” means the Committee constituted to make selections for appointment to<br />

the service under the relevant service rules;<br />

(e) “feeding cardre” means the cardre of service from amongst the members whereof,<br />

promotion is made to a higher service or post under the relevant service rules;<br />

(f) “service” means the service in which the seniority of the member of the service has to<br />

be determined;<br />

(g) “Service rules” means the rules made under the proviso to Article 309 of the<br />

Constitution, and where are no such rules, the executive instructions issued by the<br />

Government, regulating the recruitment and conditions of service of persons appointed,<br />

to the relevant service;<br />

(h) “Substantive appointment” means an appointment, not being an ad hoc appointment, on<br />

a post in the cardre of the service, made after selection in accordance with the service<br />

rules relating to that service;<br />

(i) “years” means a period of twelve months commencing from the first day of july of a<br />

claendar year.


85<br />

PART—II<br />

DETERMINATION OF SENIORITY<br />

5. Seniority where appointment by direct recruitment only--<br />

Where according to the service rules appointments are to be made only by the direct<br />

recruitment the seniority inter se of the persons appointed on the result of any one selection,<br />

shall be the same as it is shown in the merit list prepared by the commission or the committee,<br />

as the case may be:<br />

Provided that a candidate recruited directly may lose his seniority if he fails to join<br />

without valid reasons when vacancy is offered to him, the decision of the appointing aouthority<br />

as to the validity of reasons, shall be final:<br />

Provided further that persons appointed on the result of a subsequent selection shall be<br />

junior to the persons appointed on the result of a previous selection.<br />

Explanation- Where in the same year separate selection for regular and emergency recruitment, are<br />

made, the selection for regular recruitment shall be deemed to be previous selection.<br />

6. Seniority where appointment by promotion only from a single feeding cardre--<br />

Where according to the service rules, appointments are to be made only by promotion<br />

from a single feeding cardre, the seniority inter se of persons so appointed shall be the same as<br />

it was in the feeding cardre.<br />

Explanation - A person senior in the feeding cardre shall even though promoted after the<br />

promotion of a person junior to him in the feeding cardre shall, in the cardre to which they are<br />

promoted, regain the seniority as it was in the feeding cardre.<br />

7. Seniority where appointment by promotion only from several feeding cadres-<br />

Where according to the service rules, appointment are to be made only by promotion<br />

but from more than one feeding cardres, the seniority inter se of persons appointed on the result<br />

of any one selection shall be determined according to the date of the order of their substantive<br />

appointment in their respective feeding cardres.<br />

Explanation- Where the order of the substantive appointment in the feeding cardre specifies a<br />

particular back date with effect from which a person is substantively appointment, that date will<br />

be deemed to be the date of order of substantive appointment and, in other cases it will meant<br />

the date of issuance of the order:<br />

Provided that where the pay scales of the feeding cardres are different, the persons promoted<br />

from the feeding cardre having higher pay scale shall be senior to the persons promoted from the<br />

feeding cardre having lower pay scale:<br />

Provided further that the persons appointed on the result of a subsequent selection shall be<br />

junior to the persons appointed on the result of a previous selection.<br />

8. Seniority where appointment by promotion only from and direct recruitment--<br />

(1) Where according to the service rules appointment are made both by promotion and by<br />

direct recruitment, the seniority of persons appointed shall, subject to the provisions of<br />

the following sub-rules, be determined from the date of the order of their substantive<br />

appointments and if two or more persons are appointed together, in the order in which<br />

their names are arranged in the appointment order:<br />

Provided that if the appointment order specifies a particular back date, with effect from<br />

which a person is substantively appointed, that date will be deemed to be the date of order of<br />

substantive appointment and, in other cases, it will mean the date of order:<br />

Provided further that a candidate recruitment directly may lose his seniority, if he fails<br />

to join without valid reasons, when vacancy is offered to him the decision of the appointing<br />

authority as to the validity of reasons, shall be final.<br />

(2) The seniority inter se of persons appointed on the result of any one selection--<br />

(a) through direct recruitment, shall be the same as it is shown in the merit list prepared by<br />

the Commission or by the Committee, as the case may be;


86<br />

(b) by promotion, shall be as determined in accordance with the principales laid down in<br />

rule 6 or rule 7, as the case may be, according as the promotion are to be made from a<br />

single feeding cardre or several feeding cadres.<br />

(3) Where appointments are made both by promotion and direct recruitment on the result of<br />

any one selection the seniority of promotees vis-à-vis direct recruits shall be determined<br />

in a cyclic order the first being a promotee as far may be, in accordance with the quota<br />

prescribed for the two sources.<br />

Illustrations—(1) Where the quota of promotees and direct recruits is in the proportion of<br />

1:1 the seniority shall be in the following order:--<br />

First<br />

Promotee<br />

Second<br />

Direct recruits and so on.<br />

(2) Where the said quota is in the proportion of 1:3 the seniority shall be in the following<br />

order:--<br />

First<br />

Promotee<br />

Second to fourth<br />

Direct recruits<br />

Fifth<br />

Promotee<br />

Sixth to eight<br />

Direct recruits and so on.<br />

Provided that—<br />

(1) Where appointments from any source are made in excess of the prescribed quota, the<br />

persons appointed in excess of quota shall be pushed down, for seniority, to subsequent<br />

year in which there are vacancies in accordance with the quota:<br />

(ii) Where appointments from any source fall short of the prescribed quota and appointment<br />

against such unfilled vacancies are made in subsequent year or years, the persons so<br />

appointed shall not get seniority of any earlier year but shall get the seniority of the year<br />

in which their appointments are made, so however, that their names shall be placed at<br />

the top followed by the names, in the cycilc order of the other appointees;<br />

(iii) Where, in accordance with the service rules the unfilled vacancies from any source<br />

could, in the circumstances mentioned in the relevant service rules be filled from the<br />

other source and appointment in excess of quota are so made, the persons so appointed<br />

shall get the seniority of the very year as if they are appointed against the vacancies of<br />

their quota.<br />

PART –III<br />

SENIORITY LIST<br />

9. Preparation of seniority list--<br />

(1) As soon as may be after appointments are made to a service, the appointing authority<br />

shall prepare a tentative seniority list of the persons appointed substantively to the<br />

service in accordance with the provisions of these rules.<br />

(2) The tentative seniority list shall be circulated amongst the persons concerned inviting<br />

objections, be a notice of reasonable period, which shall not be less than seven days<br />

from the date of circulation of the tentative seniority list.<br />

(3) No objections against the vires or validity of these rules shall be entertainable.<br />

(4) The appointing authority shall, after disposing of the objection by a reasones order,<br />

issue a final seniority list.<br />

(5) It shall not be necessary to prepare a seniority list of the cardre to which appointments<br />

are made only by promotion from a single feeding cardre.<br />

By Order.<br />

ALOK KUMAR JAIN,<br />

Secretary,


87<br />

उ तरांचल शासन<br />

कािमक अनुभाग-2<br />

सं या 1473-A/कािमक-2/2002<br />

देहरादून, 22 नव बर, 2002<br />

अिधसूचना/कण<br />

‘’भारत का संवधान’’ के अनु छेद 309 के पर तुक (Proviso) ारा द त अिधकार का योग<br />

करके , उ तरांचल के ी रा यपाल, रा य के काय से स ब सेवा म लगे सरकार कमचारय के<br />

करण को विनयमन करने हेतु िन निलखत िनयमावली बनाते ह:-<br />

उ तरांचल रा य कमचारय क आचरण िनयमावली, 2002<br />

1- सं त नाम-<br />

यह िनयमावली उ तरांचल रा य कमचारय क आचरण िनयमावली, 2002<br />

कहलायेगी।<br />

2- परभाषाएं-<br />

जब तक संग से अ य कोई अथ अपेत न हो, इस िनयमावली म-<br />

(क) ‘’सरकार’’ से ता पय उ तरांचल सरकार से ह।<br />

(ख) ‘’सरकार कमचार’’ से ता पय ऐसे लोक सेवक से ह, जो उ तरांचल रा य के काय से<br />

स ब क हं लोक सेवाओं और पद पर िनयु त हो।<br />

प टकरण- कसी बात के होते हुए भी क ऐसे सरकार कमचार का वेतन उ तरांचल क संिचत<br />

िनिध से अ य साधन से आहरत कया जाता ह, ऐसे सरकार कमचार भी, जनक सेवाय,<br />

उ तरांचल सरकार ने कसी क पनी, िनगम, संगठन, थानीय ािधकार, के य सरकार,<br />

कसी अ य रा य सरकार को अपत कर द ह, इन िनयम के योजन के िलये सरकार<br />

कमचार समझा जायेगा।<br />

(ग) कसी सरकार कमचार क प नी, उसका लडका, सौतेला लडका, अववाहत लडक या<br />

अववाहत सौतेली लडक चाहे वह उसके साथ रहता/रहती हो अथवा नहं, और कसी<br />

महला सरकार कमचार के स ब ध म, उसके साथ रहने वाला तथा उस पर आित<br />

उसका पित, तथा<br />

(2) कोई भी अ य य, जो र त स ब ध से या ववाह ारा उ त सरकार कमचार या<br />

स ब धी हो या ऐसे सरकार कमचार क प नी का या उसके पित का स ब धी हो<br />

और जो ऐसे कमचार पर पूणत: आित हो:<br />

क तु इसके अ तगत ऐसी प नी या पित समिलत नहं होगी/ समिलत नहं होगा, जो<br />

सरकार कमचार से विधत: पृथक क गई हो/पृथक कया गया हो या ऐसा लडका, सौतेला लडका,<br />

अव वाहत लडक या अववाहत सौतेली लडक समिलत नहं होगा/समिलत नहं होगी जो आगे के


88<br />

िलये, कसी भी कार उस पर आित नहं ह या जसक अिभरा (Custody) से सरकार कमचार को,<br />

विध ारा वंिचत कर दया गया हो।<br />

3- सामा य-<br />

(1) येक सरकार कमचार को रा य कमचार रहते हुए आ यंितक प से स यिन ठता<br />

तथा कत यरायणता से अपने काय का िनवहन करना होगा।<br />

(2) येक सरकार कमचार को रा य कमचार रहते हुए उसके यवहार तथा आचरण को<br />

विनयिमत करने वाले त समय वृ त विश ट (Specific) या ववत (Implied)<br />

शासकय आदेश के अनुसार आचरण करना होगा।<br />

(3) कामकाजी महलाओं के यौन उ पीडन का ितषेध-<br />

1- कोई सरकार कमचार कसी महला के काय थल पर, उसके यौन उ पीडन के कसी<br />

काय म संिल त नहं होगा।<br />

2- येक सरकार कमचार जो कसी काय थल का भार हो, उस काय थल पर कसी<br />

महला के यौन उ पीडन को रोकने के िलए उपयु त कदम उठाएगा।<br />

प टकरण- इस िनयम के योजन के िलए ‘’यौन उ पीडन’’ म, यत: या अ यथा कामवासना<br />

से ेषत कोई ऐसा अशोभनीय यवहार समिलत ह जैसे क-<br />

(क) शाररक पश और कामोद त णय स ब धी चे टाय,<br />

(ख) यौन वीकृ ित क मांग या ाथना,<br />

(ग) कामवासना-ेरत फतयां,<br />

(घ) कसी कामो तेजेक काय/ यवहार या सामी का दशन, या<br />

(ड) यौन स ब धी कोई अ य अशोभनीय शाररक, मौखक या सांके ितक आचरण।<br />

(4) कोई सरकार कमचार घरेलू काय म सहायता के प म 14 वष से कम आयु के ब च<br />

को सेवायोजत नहं करेगा।<br />

4- सभी लोग के साथ समान यवहार-<br />

(1) येक सरकार कमचार को सभी जाित, पंथ (Sect) या धम के लोग के साथ समान<br />

यवहार करना होगा।<br />

(2) कोई सरकार कमचार कसी प म अ पृ यता का आचरण नहं करेगा।<br />

4-क मादक पान तथा औषिध का सेवन-<br />

कोई सरकार कमचार-<br />

(क) कसी े म, जहां वह त सयम वमान हो, मादक पान अथवा मादक औषिध<br />

स ब धी वृ त कसी विध का ढता से पालन करेगा;<br />

(ख) अपने क त यपालन के दौरान कसी मादक पान या औषिध के भावाधीन नहं होगा<br />

और इस बात का स यक् यान रखेगा क कसी भी समय उसके क त य का पालन<br />

कसी भी ऐसे पेय या भेषज के भाव से भावत नहं होता ह;<br />

(ग) सावजिनक थान म कसी मादक पान अथवा औषिध के सेवन से अपने को वरत<br />

रखेगा;


89<br />

(घ) मादक पान करके कसी सावजिनक थान म उपथत नहं होगा;<br />

(ड) कसी मादक पान या औषिध का योग अ यिधक माा म नहं करेगा।<br />

प टकरण- (एक) इस िनमय के योजनाथ ‘’सावजिनक थान’’ का ता पय कसी ऐसे थान या<br />

परसर (जसम कोई सवार वाहन भी समिलत ह) से ह, जहां भुगतान अथवा अ य कार से<br />

जनता को आने-जाने क अनुा हो।<br />

प टकरण- (दो) कोई लब जहां-<br />

(क) सरकार कमचारय से िभ न यय को सद य के प म वेश क अनुमित देता ह;<br />

अथवा<br />

(ख) जसके सद य को उसम अितिथ के प म गैर-सद य को आमंत करने क अनुा<br />

हो, भले ह सद यता सरकार कमचारय के िलए ह सीिमत हो।<br />

प टकरण- एक के योजनाथ ऐसा थान समझा जायेगा जहां पर जनता आ-जा सकती हो या उसे<br />

आने-जाने क अनुा हो।<br />

5- राजनीित तथा चुनाव म ह सा लेना-<br />

(1) कोई सरकार कमचार कसी राजनीितक दल का या कसी ऐसी सं था का, जो<br />

राजनीित म ह सा लेती ह, सद य न होगा और न अ यथा उससे स ब ध रखेगा और<br />

न वह कसी ऐसे आ दोलन म या सं थान म ह सा लेगा, उसक सहायताथ च दा<br />

देगा या कसी अ य रित से उसक मदद करेगा, जो, यत: या अ यत: विध<br />

ारा थापत सरकार के ित वंसक ह या उसके ित वंसक कायवाहयां करने क<br />

वृ पैदा करती ह।<br />

उदाहरण<br />

रा य म ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ राजनीितक दल ह।<br />

‘क’ वह दल ह जो स ता म ह और जसने त समय सरकार बनाई ह।<br />

‘अ’ एक सरकार कमचार ह।<br />

यह उप-िनयम ‘अ’ पर सभी दल के स ब ध म,जसम ‘क’ दल भी, जो क स ता म ह,<br />

सहत ितषेघ करेगा।<br />

(2) येक सरकार कमचार का यह क त य होगा क वह अपने परवार के कसी भी<br />

सद य को, कसी ऐसे आ दोलन या या (Activity) म, जो यत: या अ यत:<br />

विध ारा थापत सरकार के ित वंसक ह या उसके ित वंसक कायवाहयां करने<br />

क वृ पैदा करती ह, ह सा लेने, सहायताथ च दा देने या कसी अ य रित से<br />

उसक मदद करने से रोकने का य न करे, और, उस दशा म जबक कोई सरकार<br />

कमचार अपने परवार के कसी सद य को कसी ऐसे आ दोलन या या म भाग<br />

लेने, सहायताथ च दा देने या कसी अ य रित से मदद कदने से रोकने म असफल<br />

रहे, तो वह इस आशय क एक रपोट सरकार के पास भेज देगा।<br />

उदाहरण<br />

‘क’ एक सरकार कमचार ह।


90<br />

‘ख’ एक ‘परवार का सद य’ ह, जैसी क उसक परभाषा िनयम 2 (ग) म द गयी है।<br />

‘आ’ वह आ दोलन या या ह, जो, यत: या अ यत: विध ारा थापत सरकार के<br />

ित वंसक ह या उसके ित वंसक कायवाहयां करने क वृ पैदा करती ह।<br />

‘क’ को वदत हो जाता ह क इस उप िनयम के उपब ध के अ तगत, ‘आ’ के साथ<br />

‘ख’ का स पक आपजनक ह। ‘क’ को चाहए क वह ‘ख’ के ऐसे आपजनक स पक को<br />

रोके । यद ‘क’, ‘ख’ के ऐसे स पक को रोकने म असफल रहे, तो उसे इस मामले क एक<br />

रपोट सरकार के पास भेज देनी चाहए।<br />

(3) यद कोई न उठता ह क कोई आ दोलन या या इस िनयम क परिध म आती<br />

ह अथवा नहं, तो इस न पर सरकार ारा दया गया िनणय अतम होगा।<br />

(4) कोई सरकार कमचार, कसी वधान म डल या थानीय ािधकार (Local Authority)<br />

के चुनाव म न तो मताथन (Canvassing) करेगा न अ यथा उसम ह तेप करेगा,<br />

और न उसके स ब ध म अपने भाव कर योग करेगा और न उसम भाग लेगा:<br />

पर तु-<br />

(1) कोई सरकार कमचार, जो ऐसे चुनाव म वोट डालने का अिधकार ह, वोट डालने के<br />

अपने अिधकार को योग म ला सकता ह क तु उस दशा म जब क वह वोट डालने<br />

के अपने अिधकार का योग करता ह, वह इस बात का कोई संके त न देगा क उसने<br />

कया ढंग से अपना वोट डालने का वचार कया ह अथवा कस ढंग से उसने अपना<br />

वोट डाला ह।<br />

(2) के वल इस कारण से क त समय वृ त कसी विध ारा या उसके अ तगत उस पर<br />

आरोपत कसी क त य के यथोिचत पालन म, कोई सरकार कमचार कसी चुनाव के<br />

संचालन म मदद करता ह, उसके स बनध म यह नहं समझा जायेगा क उसने इस<br />

उप िनयम के उपब ध का उ लंघन कया ह।<br />

प टकरण- कसी सरकार कमचार ारा अपने शरर, अपनी सवार गाड या िनवास- थान<br />

पर, कसी चुनाव िच ह (Electoral symbol) के दशन के स ब ध म यह समझा<br />

जायेगा क उसने इस उप िनयम के अथ के अ तगत, कसी चुनाव के स ब ध म<br />

अपने भाव का योग कया ह।<br />

उदाहरण<br />

कसी चुनाव के स ब ध म, रटिनग अिधकार, सहायक रटिनग अिधकार, पीठासीन<br />

अिधकार, मतदान अिधकार या मतदान लक , क हैिसयत से काय करना उप िनयम (4) के उपब ध<br />

का उ लंघन नहं होगा।<br />

5- (क) दशन तथा हडताल-<br />

कोई सरकार कमचार-<br />

(1) कोई दशन नहं करेगा या कसी ऐसे दशन म भाग नहं लेगा, जो भारत क भुता<br />

तथा अख डता के हत पर ितकू ल भाव डालने, रा य क सुरा, वदेशी रा य के<br />

साथ मैीपूण स ब ध, सावजिनक सु यव था, िश टता या नैितकता के ितकू ल हो


91<br />

अथवा जससे यायालय का अवमान या मानहािन होती हो अथवा अपराध करने के<br />

िलए उ तेजना िमलती हो, अथवा<br />

(2) वयं या कसी अ य सरकार कमचार क सेवा से स बधत कसी मामले क<br />

स ब ध म न तो कोई हडताल करेगा और न कसी कार क हडताल करने के िलए<br />

ेरत करेगा।<br />

5- (ख) सरकार कमचारय का संघ (Association) का सद य बनना-<br />

कोई सरकार कमचार कसी ऐसे संघ का न तो सद य बनेगा और न उसका सद य<br />

बना रहेगा,जसके उददे य अथवा काय-कलाप भातर क भुता तथा अख डता के हत या<br />

सावजिनक सु यव था अथवा नैितकता के ितकू ल ह।<br />

6- समाचार प (Press) या रेडयो से स ब ध रखना-<br />

(1) कोई सरकार कमचार, िसवाय उस दशा के जबक उसने रा य सरकार क पूव<br />

वीकृ ित ा त कर ली हो, कसी समाचार-प या अ य िनयतकािलक काशन<br />

(Periodical Publication) का पूणत: या अंशत; वामी नहं बनेगा, न उसका संचालन<br />

करेगा, न उसके स पादन या ब ध म भाग लेगा।<br />

(2) कोई सरकार कमचार, िसवाय उस दशा के जबक उसने रा य सरकार क या इस<br />

स ब ध म सरकार ारा अिधकृ त कसी अ य ािधकार क पूव वीकृ ित ा त कर ली<br />

हो अथवा जब वह अपने क त य का सदभाव से िनवहन कर रहा हो, कसी रेडयो<br />

सारण म भाग नहं लेगा या कसी समाचार-प या पका को लेख नहं भेजेगा और<br />

छदमनाम से, अपने नाम म या कसी अ य य के नाम म, कसी समाचार-प या<br />

यका का कोई प नहं िलखेगा:<br />

पर तु उस दशा म जबक ऐसे सारण या ऐसे लेख का वप के वल साह य,<br />

कला मक या वैािनक हो, कसी ऐसे वीकृ त प (Broadcast) के ा त करने क आव यकता<br />

नहं होगी।<br />

7- सरकार क आलोचना-<br />

कोई सरकार कमचार कसी रेडयो सारण म या छदमनाम से, या वयं अपने नाम<br />

म या कसी अ य य के नाम म कािशत कसी ले य म या समाचार-प को भेजे गये<br />

कसी प म, या कसी सावजिनक कथन (Public utterance) म, कोई ऐसी त य क बात<br />

(Statement of fact) या तम य त नहं करेगा-<br />

(1) जसका भाव यह हो क वर ठ पदािधकारय के कसी िनणय क ितकू ल आलोचना<br />

हो या उ तरांचल सरकार या के य सरकार या कसी अ य रा य सरकार या कसी<br />

थानीय ािधकार क कसी चालू या हाल क नीित या काय क ितकू ल आलोचना<br />

हो; अथवा<br />

(2) जससे उ तरांचल सरकार और के य सरकार या कसी अ य रा य क सरकार के<br />

आपसी स ब ध म उलझन पैदा हो सकती हो; अथवा


92<br />

(3) जससे के य सरकार और कसी वदेशी रा य क सरकार के आपसी स ब ध म<br />

उलझन पैदा हो सकती हो;<br />

पर तु इस िनयम म य त कोई भी बात कसी सरकार कमचार ारा य त कए गए कसी<br />

ऐसे कथन या वचार के स ब ध म लागू न होगी, ज ह उसने अपने सरकार पद क हैिसयत से या<br />

उसे सपे गये क त य के यथोिचत पालन म य त कया हो।<br />

(1) ‘क’ को जो एक सरकार ह, सरकार ारा नौकर से बखा त कया गया ह। ‘ख’ को,<br />

जो क एक दूसरा सरकार कमचार ह, इस बात क अनुमित नहं ह क वह<br />

सावजिनक प से (Publicly) यह कहे क दया गया द ड अवैध, अ यिधक या<br />

अ यायपूण ह।<br />

(2) कोई लोक अिधकार टेशन ‘क’ से टेशन ‘ख’ को थाना तरत कया गया ह। कोई<br />

भी सरकार कमचार, उ त लोक अिधकार को टेशन ‘क’ पर ह बनाए रखने से<br />

स बधत कसी आ दोलन म भाग नहं ले सकता।<br />

(3) कसी सरकार कमचार को इस बात क अनुमित नहं ह क वह सावजिनक प से<br />

ऐसे मामल म सरकार क नीित क आलोचना करे, जैसे कसी वष के िलए िनधारत<br />

ग ने का भाव, परवहन का रा यकरण, इ याद।<br />

(4) कोई सरकार कमचार िनद ट आयात क गई व तुओं पर के य सरकार ारा लगाए<br />

गए कर क दर के स ब ध म कोई मत य त नहं कर सकता।<br />

(5) एक पडोसी रा य उ तरांचल क सीमा पर थत कसी भू-ख ड के स ब ध म दावा<br />

करता ह क वह भू-ख ड उसका ह। कोई सरकार कमचार उ त दावे के स ब ध म,<br />

सावजिनक प से, कोई मत य त नहं कर सकता।<br />

(6) कसी सरकार कमचार को इस बात क अनुमित नहं ह क वह कसी वदेशी रा य<br />

के इस िन चय पर कोई मत कािशत करे क उसने उन रयायत को समा त कर<br />

दया ह ज ह वह एक दूसरे रा य के राक (Nationals) को देता था।<br />

8- कसी सिमित या कसी अ य ािधकार के सामने सा य-<br />

(1) उप िनयम (3) के उपबधत रित के अितर त, कोई सरकार कमचार, िसवाय उस<br />

दशा के ज बक उसने सरकार क पूव वीकृ ित ा त कर ली हो, कसी य सिमित<br />

या ािधकार ारा संचािलत कसी जांच के स ब ध म सा य नहं देगा।<br />

(2) उस दशा म, जबक उप िनयम (1) के अ तगत कोई वीकृ ित दान क गई हो, कोई<br />

सरकार कमचार, इस कार से सा य देते समय, उ तरांचल सरकार, के य सरकार<br />

या कसी रा य सरकार क नीित क आलोचना नहं करेगा।<br />

(3) इस िनयम म द हुई कोई बात, िन निलखत के स ब ध म लागू न होगी:-<br />

(क) सा य, जो रा य सरकार, के य सरकार, उ तरांचल क वधान सभा या संसद ारा<br />

िनयु त कसी ािधकार के सामने द गई हो, अथवा<br />

(ख) सा य, जो कसी याियक (Judicial) जांच म द गयी हो।


93<br />

9- सूचना का अनिधकृ त संचार-<br />

कोई सरकार कमचार, िसवाय सरकार के कसी सामा य अथवा वशेष आदेशानुसार या<br />

उसको सपे गए क त य का सदभाव के साथ (In good faith) पालन करते हुए, यत: या<br />

अ यत: कोई सरकार ले य या सूचना कसी सरकार कमचार को या कसी ऐसे अ य<br />

य को, जसे ऐसा ले य या सूचना देने या संचार करने का उसे अिधकार न हो, न देगा<br />

और संचार करेगा।<br />

प टकरण- कसी सरकार कमचार ारा अपने वर ठ पदािधकारय को दए गये<br />

अ यावेदन म कसी पावली क ट पणय का या ट पणय म से उरण देना इस िनयम के अथ के<br />

अ तगत सूचना का अनिधकृ त संचार माना जायेगा।<br />

10- च दे-<br />

कोई सरकार कमचार, रा य सरकार क पूव वीकृ ित ा त कये बना कसी ऐसे<br />

धमाथ योजन के िलए च दा या कोई अ य व तीय सहायता मांग सकता ह या वीकार कर<br />

सकता ह यह उसके इकठा करने म भाग ले सकता ह, जसका स ब ध डा टर सहायता,<br />

िशा या सावजिनक उपयोिगता के अ य उददे य से हो, क तु उसे इस बात क अनुमित नहं<br />

ह क वह इसके अितर त कसी भी अ य योजन के िलए च दा, आद मांगे।<br />

उदाहरण<br />

कोई भी सरकार कमचार, रा य सरकार क पूव वीकृ ित ा त कये बना जनता के उपयोग<br />

के िलए कसी नलकू प (Tubewell) के बेधन के िलए या कसी सावजिनक घाट के िनमाण या मर मत<br />

के िलए, च दा जमा नहं कर सकता<br />

11- भट-<br />

कोई सरकार कमचार, िसवाय उस दशा के जबक उसने रा य सरकार क पूव<br />

वीकृ ित ा त कर ली हो-<br />

(क) वयं अपनी ओर से या कसी अ य य क ओर से, कसी ऐसे य से, जो उसका<br />

िनकट-स बन ्धी न हो, यत: या अ यत: कोई भट, अनुह-धन, पुर कार<br />

वीकार नहं करेगा, या<br />

(ख) अपने परवार के कसी ऐसे सद य को, जो उस पर आित हो, कसी ऐसे य से,<br />

जो उसका िनकट-स ब धी न हो, कोई भट, अनुह, धन या पुर कार वीकार करने क<br />

अनुमित नहं देगा:<br />

पर तु वह कसी जातीय िम (Personal friend) से सरकार कमचार के मूलवेतन का दसांश या<br />

उससे कम मू य का एक ववाहोपहार या कसी रितक अवसर पर इतने ह मू य का एक उपहार<br />

वीकार कर सकता ह या अपने परवार के कसी सद य को उसे वीकार करने क अनुमित दे सकता<br />

ह। क तु सभी सरकार कमचारय को चाहए क वे इस कार के उपहार के दए जाने को भी रोकने<br />

का भरसक य न कर।


94<br />

उदाहरण<br />

एक क बे के नागरक यह िन चय करते ह क ‘क’ को, जो एक सब म डलीय अिधकार ह,<br />

बाढ के दौरान उसके ारा क गई सेवाओं के सराहना वप एक घड भट म द जाय, जसका मू य<br />

उसके मूल वेतन के दसांश से अिधक ह। सरकार क पूव वीकृ ित ा त कए बना, ‘क’ उ त उपहार<br />

वीकार नहं कर सकता ह।<br />

(1) न तो दहेज देगा और न लेगा और न उसके देने या लेने के िलए दु ेरत करेगा, और<br />

(2) न, यथाथित, वधु या वर के माता-पता या संरक से य या अ य प से<br />

कसी दहेज क मांग करेगा।<br />

प टकरण- इस िनयम के योजनाथ श द ‘दहेज’ का वह अथ होगा, जो दहेज ितरोध<br />

अिधिनयम, 1961 (अिधिनयम सं या 28, वष 1961) म इसके िलये दया गया ह।<br />

12- सरकार कमचारय के स मान म सावजिनक दशन-<br />

कोई सरकार कमचार, िसवाय उस दशा के जब क उसने सरकार से पूव वीकृ ित<br />

ा त कर ली हो, कोई मान-प या वदाई प नहं लेगा, न कोई माण-प स ्वीकार करेगा<br />

और न अपने स मान म या कसी अ य सरकार कमचार के स मान म आयोजत कसी<br />

सभा या सावजिनक आमोद म उपथत होगा:<br />

पर तु इस िनयम म द हुई कोई बात, कसी ऐसे वदाई समारोह के स ब ध म लागू न होगी,<br />

जो सारत: (Substantially) िनजी तथा अरितक वप का हो, और जो कसी सरकार कमचार के<br />

स मान म उसके अवकाश ा त करने (Retirement) या थाना तरण के अवसर पर आयोजत हो, या<br />

कसी ऐसे य के स मान म आयोजत हो जसने हाल ह म सरकार क सेवा छोड हो।<br />

उदाहरण<br />

‘क’ जो ड ट कले टर ह, रटायर होने वाला ह। ‘ख’ जो जले म एक दूसरा ड ट कले टर<br />

ह, ‘क’ के स मान म एक ऐसा भोज दे सकता ह जसम चुने हुए य आमंत कये गये ह।<br />

13- असरकार यापार या नौकर-<br />

कोई सरकार कमचार, िसवाय उस दशा के जबक उसने सरकार क पूव वीकृ ित<br />

ा त कर ली हो, यत: या अ यत: कसी यापार या कारोबार म भाग नहं लेगा और<br />

न ह कोई रोजगार करेगा:<br />

पर तु कोई सरकार कमचार, इस कार क वीकृ ित ा त कये बना कोई सामाजक या<br />

धमाथ कार का अवैतिनक काय या कोई साहयक, कला मक या वैािनक कार का आकमक<br />

(Occasional) काय कर सकता ह, लेकन शत यह ह क इस काय ारा उसके सरकार क त य म<br />

कोई अडचन नहं पडती ह तथा वह ऐसा काय हाथ म लेने से एक महने के भीतर ह, अपने<br />

वभागा य को और यद वह वयं वभागा य हो, तो सरकार को इस बात क सूचना दे दे, क तु<br />

यद सरकार उसे इस कार का कोई आदेश दे तो वह ऐसा काय हाथ म नहं लेगा, और यद उसने<br />

उसे हाथ म ले िलया ह, तो ब द कर देगा। वशु प से साह यक, कला मक और वैािनक क म


95<br />

क रचनाओं से िभ न रचनाओं के काशन क दशा म, पु तक िलखने तथा कािशत करने और उनके<br />

िलये वािम व (Royalty) वीकार करने क अनुमित िन निलखत शत पर द जायेगी:<br />

(1) पु तक पर सरकार क मुणानुि (Imprimatur) अंकत न हो।<br />

(2) पु तक के थम पृ ठ पर लेखक का नाम बना उसके सरकार पदनाम के<br />

दया गया हो, क तु पु तक के वहरावरण (Dust-cover) पर जसम जनता को लेखक<br />

का परचय दया जाता ह, सरकार पदनाम देने म कोई आपि नहं होगी।<br />

(3) लेखन पु तक के थम पृ ठ पर अथवा कसी अ य उपयु त थल पर अपने नाम यह<br />

उ लेख कर दे क पु तक म वणत लेखक के वचार और टका ट पणय क पूर<br />

ज मेदार लेखक क ह, और पु तक के काशन से सरकार का कोई स ब ध नहं ह।<br />

(4) लेखक को यह बात भी सुिनत करनी चाहये क पु तक म त य अथवा मत<br />

स ब धी कोई ऐसा कथन नहं ह जसम रा य सरकार या के य सरकार अथवा<br />

कसी अ य रा य सरकार या थानीय ािधकार क कसी वतमान अथवा हाल क<br />

नीित या काय क कोई ितकू ल आलोचना क गई ह।<br />

(5) सरकार कमचारय को उनके ारा िलखी गई पु तक क ब से होने वाली आय पर<br />

एकमु त धनरािश अथवा लगातार ा त होने वाली धनरािश दोन ह प म वािम व<br />

(Royalty) वीकार करने क अनुमित द जा सकती ह, क तु ितब ध यह ह क<br />

यद-<br />

(क) (1) पु तक के वल नौकर के दौरान ा त ान क सहायता से िलखी गई ह, अथवा<br />

(2) पु तक के वल सरकार िनयम, विनयम या कायविधय का संकलन मा है<br />

तो लेखक (सरकार कमचार) से, जब तक क रा यपाल वशेष आदेश ारा अ यथा िनदेश न<br />

द, इस बात क अपेा क जायेगी क वह आय का एक-ितहाई सामा य राज व के खाते म उस दशा<br />

म जमा करे जब क आय 2500 0 से अिधक हो या यद वह आवतक प म ा त होने वाली ह तो<br />

2500 0 वाषक से अिधक हो।<br />

(ख) (1) पु तक सरकार कमचार ारा अपनी नौकर के दौरान ा त ान क सहायता से<br />

िलखी गई ह, क तु वह सरकार िनयम, विनयम और कायविधय का संह मा<br />

नहं ह वरन ् स बधत वषय पर लेखक के वतापूण अ ययन को कट करती ह,<br />

अथवा<br />

(2) रचना के लेखक के सरकार पद से न तो कोई स ब ध ह और न होने क<br />

स भावना ह,<br />

तो पु तक क ब क आय या वािम व (Royalty) से उसके ारा आवतक या<br />

अनावतक प म ा त आय को कोई भाग सामा य राज व के खाते म जमा करने क<br />

आव यकता नहं होगी।<br />

2- यह भी िनत कया गया ह क उ तरांचल देश सरकार कमचारय क आचरण<br />

िनयमावली, 2002 के िनयम 13 के अधीन सरकार कमचारय ारा ऐसी साहयक,<br />

कला मक और वैािनक क म क रचनाओं के काशन के िलये सरकार क वीकृ ित


96<br />

क आव यकता नहं ह जनम उनके सरकार काय से सहायता नहं ली गई ह और<br />

ितशत के आधार पर वािम व (Royalty) वीकार करने का ताव नहं कया गया<br />

ह। क तु सरकार कमचार को यह सुिनत करना चाहये क काशन म उन शत<br />

का कडाई से पालन कया गया ह जनका उ लेख ऊपर तर-1 म कया गया ह और<br />

उनसे सरकार कमचारय क आचरण िनयमावली के उपब ध का उ लंघन नहं होता<br />

ह।<br />

3- क तु उन सभी दशाओं म सरकार क पूव वीकृ ित ली जानी चाहये जनम लगातार<br />

वािम व (Royalty) ा त करने का ताव हो। इस कार क अनुमित देते समय<br />

रचना के पाय पु तक के प म िनयम कये जाने और ऐसी दशा म सरकार पद के<br />

दुपयोग होने क स भावना पर भी वचार कया जाना चाहए।<br />

14- क पिनय का िनब धन, वतन (Promotion) तथा ब ध-<br />

कोई सरकार कमचार िसवाय उस दशा के जबक उसने सरकार क पूव वीकृ ित ा त<br />

कर ली हो, कसी ऐसे बक या अ य क पनी के िनब धन, वतन या ब ध म भाग न लेगा,<br />

जो इंडयन क पनीज ए ट, 1913 के अधीन या त समय वृ व कसी अ य विध के अधीन,<br />

िनब हुआ ह:<br />

पर तु कोई सरकार कमचार कोऑपरेटव सोसाइटज ए ट, 1912 (ए ट सं0 2, 1912)<br />

के अधीन या त समय वृ त कसी अ य विध के अधीन िनब कसी सहकार सिमित या<br />

सोसाइटज रज ेशन ए ट, 1860 (ए ट सं या- 21, 1860) या कसी त थानी वृ त विध<br />

के अधीन िनब कसी साहयक, वैािनक या धमाथ सिमित के िनब धन, वतन या ब ध<br />

म भाग ले सकता ह:<br />

और भी पर तु यद कोई सरकार कमचार कसी सहकार सिमित के ितिनिध के प<br />

म कसी बड सहकार सिमित या िनकाय (Body) म उपथत हो तो उस बड सहकार सिमित<br />

या िनकाय के कसी पद के िनवाचन क इ छा न करेगा। वह ऐसे िनवाचन म के वल अपना<br />

मत देने के िलए भाग ले सकता ह।<br />

15- बीमा कारबार-<br />

कोई सरकार कमचार कोऑपरेटव सोसाइटज ए ट, 1912 (ए ट सं0 2 1912) के<br />

अधीन या त समय वृ त कसी अ य विध के अधीन िनब कसी सहकार सिमित या<br />

सोसाइटज रज ेशन ए ट, 1860 (ए ट सं0 21, 1860) या कसी त थानी वृ त विध के<br />

अधीन िनब कसी साहयक, वैािनक या धमाथ सिमित के िनब धन, वतन या ब ध म<br />

भाग ले सकता ह।<br />

16- अवय क (Minors) को संरक व (Guardianship)-<br />

कोई सरकार कमचार, समुिचत ािधकार क पूव वीकृ ित ा त कये बना, उसी पर<br />

आित कसी अवय क के अितर त, कसी अ य अवय क (Minor) के शरय या स य के<br />

विधक संरण (Legal guardian) के प म काय नहं करेगा।


97<br />

प टकरण- (1) इस िनयम के योजन के िलये, आित (Dependant)से ता पय कसी<br />

सरकार कमचार क प नी, ब च तथा सौतेल ब च और ब च से ह, और इसके<br />

अ तगत उसके जनक (Parents), बहन, भाई, भाई के ब चे और बहन के ब चे भी<br />

समिलत हगे, यद वे उसके साथ िनवास करते ह और उस पर पूणत: आित ह।<br />

प टकरण- (2) इस िनयम के योजन के िलये, समुिचत ािधकार (Appropriate<br />

Authority) वह होगा, जैसा क नीचे दया गया ह:-<br />

वभागा य, डवीजन के<br />

किम नर या कले टर के िलए - रा य सरकार<br />

जला जज के िलए - उ च यायालय का शासकय जज<br />

अ य सरकार कमचारय के िलए - स बधत वभागा य।<br />

17- कसी स ब धी (र तेदार) के वषय म कायवाह-<br />

(1) जब कोई सरकार कमचार, कसी ऐसे य वशेष के बारे म, जो उसका स ब धी हो,<br />

चाहे वह स ब ध दूर या िनकट का हो, कोई ताव या मत तुत करता ह या कोई<br />

अ य कायवाह करता ह, चाहे यह ताव, मत या कायवाह, उ त स ब धी के प म<br />

हो अथवा उसके व हो, तो वह येक ऐसे ताव, मत या कायवाह के साथ, यह<br />

बात भी प ट प से बता देगा क वह य वशेष उसका स ब धी ह अथवा नहं ह<br />

और यद वह उसका ऐसा स ब धी ह, तो इस स ब ध का वप या ह?<br />

(2) जब कसी वृ त विध, िनयम या आा के अनुसार कोई सरकार कमचार कसी<br />

ताव, मत या कसी अ य कायवाह के स ब ध म अतम प से िनणय करने क<br />

श रखता ह, और जब वह ताव, मत या कायवाह, कसी ऐसे य वशेष के<br />

स ब ध म ह, जो उसका स ब धी ह, चाहे वह स ब ध दूर अथवा िनकट का हो, और<br />

चाहे उस ताव, मत या कायवाह का उ त य वशेष पर अनुकू ल भाव पडता हो<br />

या अ यथा, वह कोई िनणय नहं देगा, बक वह उस मामले को अपने वर ठ<br />

पदािधकार को तुत कर देगा और साथ ह उसे तुत करने के कारण तथा स ब ध<br />

के वप को भी प ट कर देगा।<br />

18- सटा लगाना-<br />

(1) कोई सरकार कमचार, कसी लगी हुई पूंजी (Investment) म सटा नहं लगायेगा।<br />

प टकरण- बहुत ह अथर मू य वाली ितभूितय क सतत ् (Habitual) खरद या ब<br />

के स ब ध म यह समझा जायेगा क वह इस िनयम के अथ म लगी हुई पूंजय म<br />

सटा लगाता ह।<br />

(2) यद कोई न उठता ह क कोई ितभूित या लगी हुई पूंजी, उप िनयम (1) म<br />

िनद ट वप क ह अथवा नहं, तो उस पर सरकार ारा दया गया िनणय अतम<br />

होगा


98<br />

19- लगाई हुई पूंजयां-<br />

(1) कोई सरकार कमचार, न तो कोई पूंजी इस कार वयं लगायेगा और न अपनी प नी<br />

या अपने परवार के कसी सद य को लगाने देगा। जससे उसके सरकार क त य के<br />

परपालन म उलझन या भाव पडने क संभावना हो।<br />

(2) यद कोई न उठता ह क कोई ितभूित या लगी हुई पूंजी उपयु त वप क ह<br />

अथवा नहं, तो उस पर सरकार ारा दया गया िनणय अतम होगा।<br />

उदाहरण<br />

कोई जला जज, उस जले म जसम वह तैनात ह, अपनी प नी या अपने पु को, कोई<br />

िसनेमागृह खोलने, या उसम कोई ह सा खरदने क अनुमित नहं देगा।<br />

20- उधार देना और उधार लेना-<br />

(1) कोई सरकार कमचार, िसवाय उस दशा के जबक उसने समुिचत ािधकार क पूव<br />

वीकृ ित ा त कर ली हो, कसी ऐसे य को जसके पास उसके ािधकार क<br />

थानीम सीमाओं के भीतर, कोई भूिम या बहुमू य स प हो, पया उधार नहं देगा<br />

और न कसी य को याज पर पया उधार देगा:<br />

पर तु कोई सरकार कमचार, कसी असरकार नौकर को अिम प से वेतन दे सकता<br />

ह, या इस बात के होते हुए भी क ऐसा य (उसका िम या स ब धी) उसके ािधकार क<br />

थानीय सीमाओं के भीतर कोई भूिम रखता ह, वह अपने कसी जातीय िम या स ब धी को,<br />

बना याज के , एक छोट रकम वाला ऋण दे सकता ह।<br />

(2) कोई भी सरकार कमचार, िसवाय कसी बक, सहाकर सिमित या अ छ साख वाली<br />

फम के साथ साधारण यापार म के अनुसार न तो कसी य से, अपने थानीय<br />

ािधकार क सीमाओं के भीतर, पया उधार लेगा, और न अ यथा अपने को ऐसी<br />

थित म रखेगा जससे वह उस य के व तीय बंधन (Pecuniary obligation) के<br />

अ तगत हो जाये, और न वह िसवाय उस दशा के जब क उसने समुिचत ािधकार<br />

क पूव वीकृ ित ा त कर ली हो, अपने परवार के कसी सद य को इस कार का<br />

यवहार करने क अनुमित देगा:<br />

पर तु कोई सरकार कमचार, कसी जातीय िम (Personal friend) या स ब धी से,<br />

अपने दो माह के मूल वेतन या उससे कम मू य का बना याज वाला एक छोट रकम का<br />

एक िनता त अ थायी ऋण वीकार कर सकता ह या कसी वा तवक (Bona-fide) यापार<br />

के साथ उधार-लेखा चला सकता ह।<br />

(3) जब कोई सरकार कमचार, इस कार के कसी पद पर िनयु या थाना तरण पर<br />

भेजा जाय जसम उसके ारा उप िनयम (1) या उप िनयम (2) के क हं उपब ध<br />

का उ लंघन िनहत हो, तो वह तुर त ह समुिचत ािधकार को उ त परथितय क<br />

रपोट भेज देगा, और उसके बाद ऐसे आदेश के अनुसार काय करेगा ज ह समुिचत<br />

ािधकार द।


99<br />

(4) ऐसे सरकार कमचारय क दशा म, जो राजपत पदािधकार ह, समुिचत ािधकार<br />

रा य सरकार होगी और, दूसरे मामल म, कायालया य समुिचत ािधकार होगा।<br />

21- दवािलया और अ यासी ऋण तता (Habitual indebtedness)-<br />

सरकार कमचार, अपने जातीय मामल का ऐसा ब ध करेगा जससे वह अ यासी<br />

ऋण तता से या दवािलया होने से बच सके । ऐसे सरकार कमचार को, जसके व उसके<br />

दवािलया होने के स ब ध म कोई विधक कायवाह चल रह ह, उसे चाहए क वह तुर त ह<br />

उस कायालय या वभाग के अ य को, जसम वह सेवायोजत हो, सब बात क रपोट भेज<br />

द।<br />

22- चल, अचल तथा बहुमू य स प-<br />

(1) कोई सरकार कमचार, िसवाय उस दशा के जब क समुिचत ािधकार को इसक पूव<br />

जानकार हो, या तो वयं अपने नाम से या अपने परवार के कसी सद य के नाम से,<br />

पटा, रेहन, य, वय या भट ारा या अ यथा, न तो कोई अचल स प अजत<br />

करेगा और न उसे बेचेगा:<br />

पर तु कसी ऐसे यवहार के िलये, जो कसी िनयिमत और यािता त (Reputed)<br />

यापार से िभ न य ारा स पादत कया गया हो, समुिचत ािधकार क पूव वीकृ ित<br />

ा त करना आव यक होगा।<br />

उदाहरण<br />

‘क’ जो एक सरकार कमचार ह, एक मकान खरदने का ताव करता ह। उसे समुिचत<br />

ािधकार को इस ताव को सूचना दे देनी चाहये। यद वह यवहार, कसी िनयिमत और<br />

यािता त यापार से िभ न य ारा स पादत कया जाना ह, तो ‘क’ को चाहए क वह<br />

समुिचत ािधकार क पूव वीकृ ित भी ा त कर ले। यह या उस दशा म भी लागू होगी जब ‘क’<br />

अपना मकान बेचने का ताव करे।<br />

(2) कोई सरकार कमचार जो अपने एक मास के वेतन अथवा 5,000 0 जो भी कम हो,<br />

से अिधक मू य क कसी चल स प के स ब ध म य-वय के प म या अ य<br />

कार से कोई यवहार करता ह तो ऐसे यवहार क रपोट तुर त समुिचत ािधकार<br />

को करेगा:<br />

ितब ध यह ह क कोई सरकार कमचार िसवाय कसी यािता त यापार<br />

या अ छ साख के अिभकता के साथ या ारा या समुिचत ािधकार क पूव वीकृ ित<br />

से, इस कार का कोई यवहार नहं करेगा।<br />

उदाहरण<br />

(1) ‘क’, जो एक सरकार कमचार ह जसका मािसक वेतन छ: सौ पया ह और वह सात<br />

सौ पये का टेप रकाडर खरदता ह, या<br />

(ii) ‘ख’ जो एक सरकार कमचार ह जसका मािसक वेतन दो हजार पया ह और प ह<br />

सौ पये म मोटर बेचता ह,


100<br />

कसी भी दशा म ‘क’ या ‘ख’ को इस मामले क रपोट समुिचत ािधकार को अव य करनी<br />

चाहये। यद यवहार कसी याित ा त यापार से िभ न कार से कया जाता ह तो उसे समुिचत<br />

ािधकार क पूव वीकृ ित भी आव यक ा त कर लेनी चाहये।<br />

(3) थम िनयु के समय और तदुपरा त हर पांच वष क अविध बीतने पर, येक<br />

सरकार कमचार, सामा य प से िनयु करने वाले ािधकार को, ऐसी सभी अचल<br />

स प क घोषणा करेगा जसका वह वयं वामी हो, जसे उसने वयं अजत कया<br />

हो या जसे उसने दान के प म पाया हो या जसे वह पटा या रेहन पर रखे हो,<br />

और ऐसे ह स क या अ य लगी हुई पूंजय क घोषणा करेगा, ज ह वह समय-<br />

समय पर रखे या अजत कर, या उसक प नी, या उसके साथ रहने वाले या कसी<br />

कार भी उस पर आित उसके परवार के कसी सद य ारा रखी गई हो या अजत<br />

क गई हो। इन घोषणाओं म स प, ह स और अ य लगी हुई पूंजय के पूरे योरे<br />

दये जाने चाहये।<br />

(4) समुिचत ािधकार, सामा य या वशेष आदेश ारा, कसी भी समय, कसी सरकार<br />

कमचार को यह आदेश दे सकता ह क वह आदेश म िनद ट अविध के भीतर, ऐसी<br />

चल या अचल स प का, जो उसके पास अथवा उसके परवार के कसी सद य के<br />

पास रह हो या अजत क गई हो, और जो आदेश म िनद ट हो, एक स पूण ववरण<br />

प तुत कर। यद समुिचत ािधकार ऐसी आा दे तो ऐसे ववरण प म, उन<br />

साधन (Means) के या उस तरके (Source) के योरे भी समिलत ह, जनके ारा<br />

ऐसी स प अजत क गई थी।<br />

(5) समुिचत ािधकार-<br />

(क) रा य सेवा से स बधत कसी सरकार कमचार के संग म, उप िनयम (1) तथा<br />

(4) के योजन के िनिमत, रा य सरकार तथा उप िनयम (2) के िनिम त<br />

वभागा य हगे।<br />

(ख) अ य सरकार कमचारय के संग म उन िनयम (1) से (4) तक के योजन के<br />

िनिम त, वभागा य हगे।<br />

23- सरकार कमचारय के काय तथा चर का ितसमथन (Vindication)-<br />

कोई सरकार कमचार िसवाय उस दशा म जब क उसने सरकार क पूव वीकृ ित<br />

ा त कर ली हो, कसी ऐसे सरकार काय का, जो ितकू ल आलोचना या मानहािनकार आेप<br />

का वषय बन गया हो, के ित- समथन करने के िलये, कसी समाचार प क शरण नहं<br />

लेगा।<br />

प टकरण- इस िनयम क कसी बात के स ब ध म यह नहं समझा जायेगा क कसी सरकार<br />

कमचार को, अपने जातीय चर का या उसके ारा िनजी प म कये गये कसी काय का<br />

ितसमथन करने से ितषेघ कया जाता ह।


101<br />

24- असरकार या अ य वाहय भाव (Outside indluence) का मताथन-<br />

कोई सरकार कमचार अपनी सेवा से स बधत हत से स ब कसी मामले म कोई<br />

राजनीितक या अ य वाहय साधन से न तो वयं और न ह अपने कु टु ब के कसी सद य<br />

ारा कोई भाव डालेगा या भाव डालने का यास करेगा।<br />

प टकरण- सरकार कमचार क यथाथित प नी या पित या अ य स ब धी ारा कया गया<br />

कोई काय जो इस िनयम क या के अ तगत हो, के स ब ध म, जब तक क इसके<br />

वपरत माणत न हो जाय, यह माना जायेगा क वह काय स बधत कमचार क ेरणा या<br />

मौन वीकृ ित से कया गया ह।<br />

उदाहरण<br />

‘क’ एक सरकार कमचार ह और ‘ख’, ‘क’ के कु टु ब का एक सद य ह, ‘ग’ एक राजनीितक<br />

दल ह और ‘ग’ के अ तगत ‘घ’ एक संगठन ह। ‘ख’ ने ‘ग’ म पया त याित ा त कर ली और ‘घ’<br />

म एक पदािधकार हो गया। ‘घ’ के ारा ‘ख’ ने ‘क’ क बात का समथन करना ार भ कया यहां<br />

तक क ‘ख’ ने ‘क’ के उ च अिधकारय के व संक प तुत कया। ‘ख’ का यह काय उपयु त<br />

िनयम के उपब ध का उ लंघन होगा और उसके स ब ध म यह समझा जायेगा क वह ‘क’ क ेरणा<br />

या उसक मौन वीकृ ित से कया गया ह, जब तक क ‘क’ यह न माणत कर दे क ऐसा नहं था।<br />

24- (क) ‘’सरकार सेवक ारा अ यावेदन-<br />

कोई सरकार कमचार िसवाय उिचत मा यम से और ऐसे िनदश के अनुसार ज ह<br />

रा य सरकार समय-समय पर जार करे, यगत प से या अपने परवार के कसी सद य<br />

के मा यम से सरकार अथवा कसी अ य ािधकार को कोई अ यावेदन नहं करेगा। िनयम<br />

24 का प टकरण इस िनयम पर भी लागू होगा।‘’<br />

25- अनािधकृ त व तीय यव थाएं-<br />

कोई सरकार कमचार कसी अ य सरकार कमचार के साथ या कसी अ य य के<br />

साथ, कोई ऐसी व तीय यव था नहं करेगा जससे दोन म कसी एक को या दोन ह<br />

अनािधकृ त प से या त समय वृ त कसी िनयम के विश ट (Specific) या ववत<br />

(Implied) उपब ध के व कसी कार का लाभ हो।<br />

उदाहरण<br />

(1) ‘क’ कसी कायालय म एक सीिनयर लक ह, और थानाप न प से पदो नित पाने<br />

का अिधकार ह। ‘क’ को इस बात का भरोसा नहं ह क वह उस थानाप न पद के<br />

अपने क त य का संतोषजनक प से िनवहन कर सकता ह। ‘ख’ जो एक जूिनयर<br />

लक ह, कु छ व तीय ितफल को म रखकर ‘क’ को िनजी तौर पर मदद देने<br />

को तैयार होता ह। तदनुसार ‘क’ और ‘ख’ व तीय यव था करते ह। दोन ह इस<br />

कार िनयम खडत करते ह।<br />

(2) यद ‘क’ जो कसी कायालय का अधीक ह, छु ट पर जाय, तो ‘ख’ जो कायालय<br />

का सबसे सीिनयर अिस टे ट ह, थानाप न प से काय करने का अवसर पा जायेगा।


102<br />

यद ‘क’, ‘ख’, के साथ, थानाप न भ ते म एक ह सा लेने क यव था करने के<br />

प चात ् छु ट पर जाय, तो ‘क’ और ‘ख’ दोन ह िनयम खडत कर।<br />

26- बहु-ववाह-<br />

(1) कोई सरकार कमचार, जसक एक प नी जीवत ह, त समय लागू कसी वीय विध<br />

के अधीन कसी बात के होते हुए भी रा य सरकार क पूव अनुमित के बना दूसरा<br />

ववाह नहं करेगा;<br />

(2) कोई महला सरकार कमचार, रा य सरकार क पूव अनुमित से कसी ऐसे य से,<br />

जसक एक प नी जीवत हो, ववाह नहं करेगी।<br />

27- सुख-सुवधाओं का समुिचत योग-<br />

कोई सरकार सेवक लोक क त य के िनवहन हेतु सरकार ारा उसे द त सुवधाओं<br />

का दुपयोग अथवा असावधानी पूवक योग नहं करेगा।<br />

उदाहरण<br />

सरकार कमचारय के िनिम त जन सुख-सुवधाओं क यव था क जाती ह, उनम मोटर,<br />

टेलीफोन, िनवास- थान, फनचर, अदली, लेखन-सामी आद क यव था समिलत ह। इन व तुओं<br />

के दुपयोग के अथवा उनके असावधानी पूवक योग कये जाने के उदाहरण िन न ह:-<br />

(1) सरकार कमचार के परवार के सद य या उसके अितिथय ारा, सरकार यय पर,<br />

सरकार वाहन का योग करना या अ य असरकार काय के िलये उनका योग करना,<br />

(2) ऐसे मामल म, जनका स ब ध सरकार काय से नहं ह, सरकार यय पर, टेलीफोन,<br />

ंककाल करना,<br />

(3) सरकार िनवास- थान और फनचर के ित उपेा बरतना तथा समुिचत प से रा<br />

करने म असफल रहना, और<br />

(4) असरकार काय के िलये सरकार लेखन-सामी का योग करना।<br />

28- खरदारय के िलये मू य देना-<br />

कोई सरकार कमचार, उस समय तक जब तक क क त म मू य देना थानुसार<br />

(Customary) या वशेष प से उपबधत न हो या जब तक क कसी वा तवक (Bona<br />

fide) यापार के पास उसका उधार-लेखा (Credit account) खुला न हो, उन व तुओं का, ज ह<br />

उसने खरदा हो, या ऐसी खरदारय उसने दौरे पर या अ यथा क ह, शीघ और पूण मू य<br />

देना रोके नहं रखेगा।<br />

29- बना मू य दये सेवाओं का उपयोग करना-<br />

कोई सरकार कमचार, बना यथोिचत और पया त मू य दये बना कसी ऐसी सेवा<br />

या आमोद (Entertainment) का वयं योग नहं करेगा जसके िलये कोई कराया या मू य या<br />

वेश शु क िलया जाता हो।


103<br />

उदाहरण<br />

जब तक ऐसा करना क त य के एक मा के प म िनधारत न कया गया हो, कोई सरकार<br />

कमचार-<br />

(1) कसी भी कराये पर चलने वाली वाहन म बना मू य दये याा नहं करेगा,<br />

(2) बना वेश शु क दये िसनेमा शो नहं देखेगा।<br />

30- दूसर क सवार वाहन योग म लाना-<br />

कोई सरकार कमचार, बना वशेष परथितय म, कसी ऐसी सवार वाहन को<br />

योग नहं करेगा जो कसी असरकार य क हो या कसी ऐसे सरकार कमचार क हो, जो<br />

उसके अधीन हो।<br />

31- अधीन थ कमचारय के जरये खरदारयां-<br />

कोई सरकार कमचार, कसी ऐसे सरकार कमचार से, जो उसके अधीन हो, अपनी<br />

ओर से या अपनी प नी या अपने परवार के अ य सद य क ओर से, चाहे अिम भुगतान<br />

करने पर या अ यथा, उसी शहर म या कसी दूसरे शहर म, खरदारयां करने के िलये न तो<br />

वयं कहेगा और न अपनी प नी को या अपने परवार के कसी ऐसे अ य सद य को, जो<br />

उसके साथ रह रहा हो, कहने क अनुमित देगा:<br />

पर तु यह िनयम उन खरदारय पर लागू नहं होगा ज ह करने के िलये सरकार<br />

कमचार से स ब िन नकोट के कमचार वग से कहा जाय।<br />

उदाहरण<br />

‘क’ एक ड ट कले टर ह।<br />

‘ख’ उ त ड ट कले टर के अधीन एक तहसीलदार ह।<br />

‘क’ को चाहये क वह अपनी प नी को इस बात क अनुमित न दे क वह ‘ख’ से कहे क<br />

वह उसके िलये कपडा खरदता दे।<br />

32- िनवचन (Interpretation)-<br />

यद इन िनयम के िनवचन से स बधत कोई न उ प न होता ह, तो उसे सरकार<br />

को स दिभत करना होगा तथा सरकार का िनणय अतम होगा।<br />

33- िनरसन (Repeal ) तथा अपवाद (Saving)-<br />

इन िनयम के ार भ होने से ठक पूव वृ त कोई भी िनयम, जो इन िनयम के<br />

त थानी थे और जो उ तरांचल देश क सरकार के िनयंण के अधीन सरकार कमचारय<br />

पर लागू होते थे, एत ारा िनर त कये जाते ह:<br />

क तु ितब ध यह ह क इस कार िनरिसत कये गये िनयम के अधीन जार हुए<br />

कसी आदेश या क गई कसी कायवाह के स ब ध म यह समझा जायेगा क वह आदेश या<br />

कायवाह इन िनयम के त थानी उपब ध के अधीन जार कया गया था या क गयी थी।<br />

आा से,<br />

आलोक कु मार जैन,<br />

सिचव,


104<br />

In pursuance of the provisions of Clause (3) of Article 348 of the Constitution of India, the<br />

Governor is pleased to order the publication of the following English translation of notification no.<br />

1473/a/Karmic-2/2002, dated November 22, 2002 for general information :<br />

No. 1473/A/Karmic-2/2002<br />

Dated Dehradun, November 22, 2002<br />

NOTIFICATION / MISCELLANEOUS<br />

In exercise of the powers conferred by the proviso to Article 309 of the Constitution of India,<br />

the Governor of Uttaranchal makes the following rules to regulate the conduct of Government servants<br />

employed in connexion with the affairs of the State:-<br />

THE UTTARANCHAL GOVERNMENT SERVANTS’ CONDUCT RULES, 2002<br />

1. Short title-<br />

These rules may be called the Uttaranchal Government Servants’ Conduct Rules, 2002.<br />

2. Definition--<br />

In these rules unless the context otherwise requires—<br />

(a)<br />

(b)<br />

“Government” means the Government of Uttaranchal;<br />

“Government Servants” means a such public servent who is appointed to public<br />

services and posts in connextion with the affairs of the State of Uttaranchal.<br />

Explanation- A Government servant whose services are places at the disposal of a company, a<br />

corporation, an organization, a local authority, the Centry Government or the Government of<br />

another State by the Uttaranchal Government, shall, for the purposes of these rules by deemed<br />

to be a Government servant notwithstanding that his salary is drawn from sources other than<br />

from the consolidated Fund of Uttaranchal;<br />

(c) “member of the family” in relation to government servant, includes--<br />

(i) The wife, son, step-son, unmarried daughter, or unmarried step-daughters of such<br />

Government servant, whether residing with him or not, and, in relation to a Government<br />

servant who is a woman, the husband residing with her and dependent on her, and<br />

(ii) Any other person related, whether by blood or by marriage, to the Government servant<br />

or to such Government servant’s wife or her husband, and wholly dependent on such<br />

Government servant:<br />

But does not include a wife or husband legally separated from the Governemt servant or a son,<br />

step-son, unmarried daughter or unmarried step-daughter who is not longer, in any way dependent upon<br />

him or her, or of whose custody, the Government servant has been deprived by law.<br />

3. General--<br />

(1) Every Government servant shall at all times maintain absolute integrity and devotion to<br />

duty.<br />

(2) Every Government servant shall at all times conduct himself in accordance with the<br />

specific or implied orders of Government regulating behaviour and conduct which may<br />

be in force.<br />

(3) Prohibition of sexual harassment of working women—<br />

(1) No Government servant shall indulge himself in any sexual harassment to any<br />

women at his working place.<br />

(ii) Every Government servant, who is the in-charge of a working place, will take<br />

suitable steps to stop sexual harassment of women.<br />

Explanation-- For the prupose of this rule the sexual harassment includes such unwelcome sexually<br />

determined behaviour (whether directly or by implication) as—<br />

(a) Physical contact and advances,


105<br />

(b)<br />

(c)<br />

(d)<br />

(e)<br />

Demand or request for sexual favours,<br />

Sexually coloured remarks,<br />

showing pornography,<br />

Any other un-welcome physical verbal or non-verbal conduct of sexual nature.<br />

(4) No Government servant will employ the children below the age of fourteen years as<br />

domestic help.<br />

4. Equal treatment for all--<br />

(1) every Government servant shall accord equal treatment to people irrespective of their<br />

caste, sect or religion.<br />

(2) No Government servant shall practice untouchability in any form.<br />

4. A. Consumption of intoxicating drinks and drugs—<br />

A Government servant shall—<br />

(a) strictly abide by any law relating to intoxicating drinks or drugs in force, in any area in<br />

which he may happen to be for the time being;<br />

(b) not be under the influence of any intoxicating drinks or drug during the course of his<br />

duty and shall also take due care that performance of his duties at any time is not<br />

affected in any way by the influence of such drinks or drug;<br />

(c) refrain from consuming any intoxicating drink or drug in a public place;<br />

(d) not appear in a public place in a state of intoxication;<br />

(e) not use any intoxication drink or drug to excess.<br />

Explanation 1- For the purposes of this rule, ‘public place’ means any place or premises (including a<br />

conveyance) to which the public have, or are permitted to have access, whether on payment or<br />

otherwise.<br />

Explanation 2- any club—<br />

(a) which admits persons other than Government servants as members; or<br />

(b) The member of which are allowed to invite non-members as guests thereto even though<br />

the membership is confined to Government servants, shall also, for purplses of<br />

Explanation-1, be deemed to be a place to which the public have or are permitted to<br />

have access.<br />

5. Taking part in politics and elections—<br />

(1) No Government servant shall be a number of, or be otherwise associated with, any<br />

political party or any organization which takes part in politics, nor shall he take part in,<br />

subscribe in aid or, or assist in any other manner, any movement or organization which<br />

is, or tends directly or indirectly to be, subversive of the Government as by law<br />

established.<br />

Illustration<br />

XYZ are political parties in the state.<br />

X is the part in power and forms the Government of the day.<br />

A is a Government servant.<br />

The prohibitions of the Sub-rule apply to A in respect of all parties, including X, which<br />

is the part in power.<br />

(2) It shall be the duty of every Government servant to endeavour to prevent any member<br />

of his family from taking part in, subscribing in aid of, or assisting in any other manner<br />

any movement or activity which is, or tends directly or indirectly, to be, subversive of<br />

the Government as by law established and where a Government servant fails to prevent<br />

a member of his family from taking part in, or subscribing in aid of, of make report to<br />

that effect to the Government.


106<br />

Illustration<br />

A is a Government servant.<br />

B is a member of the family of A, as defined in rule 2 (c).<br />

M is a movement or activity, which is, or tends directly or indirectly to lie, subversive of<br />

Government as law established.<br />

A become aware that B’s association with M is objectionable under the provisions of<br />

the sub-rule. A should prevent such objectionable association of B. if a fails to prevent such<br />

association of B, he should report the matter to the Government.<br />

If any question arises whether any movement or activity falls within the scope of this<br />

rule, the decision of the Government thereon shall be final.<br />

(3) No Government servant shall canvass or otherwise interfere or use his influence in<br />

connection with, or take part in, an election to any legislature or local authority:<br />

Provided that—<br />

(1) A Government servant qualified to vote at such election may exercise his right to vote,<br />

but where he does so, he shall give no indication of the manner in which he proposes to<br />

vote or has voted;<br />

(ii) A Government servant shall not be deemed to have contravened the provisions of this<br />

rule by reasons only that he assists in the conduct of an election in the due performance<br />

of a duty imposed on him by or under any law for the time being in force.<br />

Explanation-- The display by a Government servant on his persons, vehicle, or residence, of any<br />

electoral symbol shall amount to using his influence in connection with an election within<br />

meaning of sub-rule (4).<br />

5-A. Demonstration and strikes—<br />

No Government servant shall—<br />

(1) engage himself or participate in any demonstration which is prejudicial to the interest of<br />

the sovereignty and integrity of india, the security of the State, friendly relations with<br />

foreign States, public order, decency or morality, or which involves contempt of court,<br />

defamation of incitement to an offence, or<br />

(2) resort to, or in any way abet, any form of strike in connection with any matter<br />

pertaining to his service or the service of any other Government servant.<br />

5-B.<br />

Jointing of association by Government servant—<br />

No Government servant shall join, or continue to be a member of an association the<br />

objects or activities of which are prejudicial to the interest of the sovereignty and integrity of<br />

india or public order or morality.<br />

6. Connection with press or radio--<br />

(1) No Government servant shall, except with the previous sanction of the Government<br />

own wholly or in part or conduct or participate in editing or managing of any<br />

newspaper or other periodical publication,<br />

(2) No Government servant shall, except with the previous sanction of the Government or<br />

any other authority empowered by it in this behalf, or in the bona fide discharge of his<br />

duties, participate in a radis broadcast or contribute any article or write any letter, either<br />

anonymously or in his own name or in the name of any other person to any newspaper<br />

or periodical:<br />

Provided that no such sanction shall be required if such broadcast or such contribution is of a<br />

purely literary, artistic or scientific character.<br />

7. Criticism of Governemt--<br />

No Government servant shall, in any radio broadcast or in any document published<br />

anonymously or in his own name, or in the name of any other person, or in any communication<br />

to the Press, or in any public utterance, make any statement of fact of opinion—<br />

(1) which has the effect of any adverse criticism of any decision of his supervisor officers<br />

or of any current or recent policy or action of the Uttaranchal government or the Central<br />

Government or the Government of any other State or a local authority; or


107<br />

(2) which is capable of embarrassing the relation between the Uttaranchal Government and<br />

Central Government or the Government of any other States; or<br />

(3) which is capable of embarrassing the relation between the Central Government and the<br />

Government of any other foreign States;<br />

Provided that nothing in this rule shall apply to any statement made or views expressed by a<br />

Government servant in his offical capacity or in the due performance of the duties assigned to him.<br />

Illustration<br />

(1) A. a Government servant is dismissed from service by the government. It is not<br />

permissible for B, another Government servant, to say publicly that the punishment is<br />

wrongful, excessive or unjustified.<br />

(2) A public officer is transferred from station A to station B. No Government servant can<br />

join the agitation for the retention of the public officer at station A.<br />

(3) It is not permissible for a Government servant to criticise publicly the policy of<br />

Government on such matters as the price of sugarcane fixed in any year, nationalization<br />

of transport, etc.<br />

(4) A Governent servant cannot express any opinion on the rate of duty imposed by the<br />

Central Government on specificed imported goods.<br />

(5) A neighboring State lays claim to a tract of land lying on the border of Uttaranchal. A<br />

Government servant cannot publicly express any opinion on the claim.<br />

(6) It is not permissible for a Government servant to publish any opinion on the decision of<br />

foreign State to terminate the concessions given by it to the nationals of another State.<br />

8. Evidence before committee or any other authority--<br />

(1) Save as provided in sub-rule (3) no Government servant shall, except with the previous<br />

sanction of the Government, give evidence in connection with any inquiry conducted by<br />

any person, committee or authority,<br />

(2) Where any sanction has been accorded under sub-rule (1) no Government servant<br />

giving such evidence shall crities the policy of the Uttaranchal Governement, the<br />

Central Governemt or any other State Government.<br />

(3) Nothing in the rule shall apply to—<br />

(a) evidence given at an inquiry before an authority appointed by the Government by the<br />

Central Government by the Legislature of Uttaranchal or by Parliament, or<br />

(b) evidence given in any judicial inquiry,<br />

9. Unuthorised communication of information—<br />

No government servant shall except in accordance with any general or special order of<br />

the Government or in the performance, in good faith, of the duties assigned to him,<br />

communicate, directly or indirectly, any official document of information to any Government<br />

servant or any other person to whom he is not authorised to communicate such doument or<br />

information,<br />

Explanation- Quotation by a Government servant in his representation to his official superior, of<br />

or from the notes in any file shall amount to unauthorised communication of information within<br />

the meaning of this rules.<br />

10. Subscription--<br />

Government servant may, with the previous sanction of the Government ask for of accept or<br />

participate in the raising of a subscription or other pecuniary assistance for a charitable purpose<br />

connected with medical relief, education or other object of public utility, but it shall not be permissible<br />

for him to ask for subscription, etc., for any other purpose whatsoever.<br />

Illustration<br />

A Government servant may, with the Previous sanction of the Government raise subscription<br />

for the boring of a tube-well for the use of the public or for the construction or repair of a public ghat.


108<br />

11. Gifts—<br />

A Government servant shall not without previous approval of the Government—<br />

(a) accept directly or indirectly on his own behalf or in behalf of any other persons, or<br />

(b) permit any member of his family who is dependent on him to accept any gift, gratuity<br />

or reward from any person other than a close relation:<br />

Provided that he may accept or permit any member of his family to accept from a personal<br />

friend a wedding present or a present on a ceremonial occasion of a value not exceeding Rs. 1000. All<br />

Government servants shall, however, use their best endeavour to discourage even the tender of such<br />

presents.<br />

Illustration<br />

The citizens of a town decide to present to a sub-divisional Officer, a watch exceeding Rs.<br />

1000. in value in appreciation of the services rendered by him during the flood. A can not accept the<br />

present without the previous approval of Government.<br />

11. A- No Government servant shall—<br />

(1) give or take or abet the giving or taking of dowry; or<br />

(2) demand directly or indirectly from the parents or guardians of a bride or bridegroom, as<br />

the case may be, any dowry.<br />

Explanation-- For the purposes of this rules, the word “dowry has the same meaning as in the Dowry<br />

Prohibition Act, 1961 (28 of 1961)”.<br />

12. Public demonstrations in honour of Government servants--<br />

No Government servant shall, except with the previous sanction of the Government<br />

receive any complimentary or valedictory address, or accept any testimonial or attend any<br />

meetin or public entertainment held in his honour, or in the honour of any other Government<br />

servant:<br />

Provided that nothing in this rule shall apply to a farewell entertainment of a<br />

substantially private or informal character and held in honour of a Government servant on the<br />

occasion of his retirement for transfer or of anyperson who has recently quitted service of the<br />

Government.<br />

Illustration<br />

A a Deputy Collector, is due to retire, B, another Deputy Collector in the district, may give a<br />

dinner in honour of A to which selected persons are invited.<br />

13. Private trade or employment—<br />

No Government servant shall, except with the previous sanction of the Government<br />

engage directly or indirectly in any trade business or undertake any employment:<br />

Provided that a Government servant may, without such sanction undertake honorary work of a<br />

social or charitable nature of occassional work of a literary, artistic or scientific character, subject to the<br />

condition that his offical duties do not thereby suffer and that he informs his head of Department, and<br />

when he is himself the head of the Department the Government, within one month of his undertaking<br />

such work; but he shall not undertake or shall discontinur, such work if so directed by the Government.<br />

The permission to write and publish books and accept royalty therefore, in the case of<br />

publication of works other than those of purely literary, artistic or scientific character, will henceforth<br />

be granted on the following condition:-<br />

(1) The book does not bear the imprimature of Government.<br />

(2) The author’s name appears in the first page of the book without his offical<br />

designation. There may, however, be no objection to the official designation to be given<br />

on the dustcover where the author is introduced to the public.<br />

(3) The author gives a statement under his name on the first page of the book or at any<br />

other suitable place, that the author’s views and comments in the book are entirely the<br />

responsibility of the author and Government are in way concerned with the publication<br />

of the book.


109<br />

(4) The author should also ensure that the book does not contain anystatement of fact or<br />

opinion which has any adverse criticism of any current or recent policy or action of the<br />

State Government or Central Government or Government of any other State or local<br />

authority.<br />

(5) Government servants can be permitted to accept royalty both in lump sum or on a<br />

continuing basis on the sale-proceeds of the book written by them, provided that if—<br />

(a)<br />

(1) The book is written solely with the aid of the knowledge acquired in the course of<br />

service; or<br />

(ii) The book is a more compilation of Government rules, regulations or procedures.<br />

The author (Government servant) should be required, unless the Government, by special order,<br />

otherwise directs to credit to the general revenues one-third of the income if it is in excess of Rs. 2500<br />

or if the income is a recurring one, it is in excess of Rs 2500 per annum.<br />

(b)<br />

(1) The book is written with the aid of knowledge acquired by the Government servant<br />

in the course of his service, but it is not a more compilation of Government rules,<br />

regulations or procedures, but reveals the author’s scholarly study of the subject; or<br />

(ii) The work neither has nor is likely to have any connection with the author’s official<br />

position;<br />

No part of the income recurring of non-recurring derived by him from the sale-proceede or<br />

royalties of the book need by credited to the general revenues.<br />

2- It has also been decided that sanction of Government is not necessary under Rule 13 of<br />

the Uttaranchal Government servants Conduct Rules, 2002 for publication by<br />

Government servants of works of literary, artistic or scientific character which are not<br />

aided by his official duties and the acceptance of royalty on percentage basis is not<br />

proposed. Government servant should however, ensure that the publication strictly<br />

confirm to the conditions mentioned in Para 1 above and do not infringe the provisions<br />

of the Government Servants Conduct Rules.<br />

3- Prior sanction of Government should, however, be taken in all cases where continuing<br />

royalty is proposed. In granting such permission the possibility of the work being<br />

prescribed as a textbook and the misuse of official arising from such a even should also<br />

be considered.<br />

14. Registration, promotion and management of companies—<br />

No Government servant shall, except with the previous sanction of the Government<br />

take part in the registration promotion or management of any bank or other company registered<br />

under the indian companies Act, 1913, or under any other law for the time being in force:<br />

Provided that a Government servant may take part in the registration Promotion or<br />

management of a co-operative society registered under the co-operative societies Act, 1912 (Act<br />

Ii of 1912), or under any other law for the time being in force, or of a literary scientific or<br />

charitable society registered under the societies Registration Act, 1860 (Act XXI of 1860) or<br />

under any corresponding law in force:<br />

Provided further that, if a Government servant attend any bigger co-operative society or<br />

body as a delegate of any co-operative society, he will not seek election for any post of that<br />

bigger society or body. He may take part in such election only for purposes of casting his vote.<br />

15. Insurance business--<br />

A Government servant shall not permit his wife or any other relative who is either<br />

wholly dependent on him or is residing with him, to act as an insurance agent in the same<br />

district in which he is posted.<br />

16. Guardianship of minors—<br />

A Government servant may not, without the previous sanction of the appropriate<br />

authority, act as a legal guardian of the person or property of minor other than his dependent.<br />

Explanation 1- A dependent for the prupose of this rule means a Government servant’s wife, children<br />

and step-children and children’s children and shall also include his parents, sisters, bothers,<br />

brother’s children and sister’s children if residing with him and wholly dependent upon him.


110<br />

Explanation 2- Appropriate authority for the purpose of this rule shall be as indicated below:--<br />

For a Head of Department, Divisional<br />

Commissioner of a Collector<br />

For a District Judge<br />

For other Government servants<br />

The State Governemt<br />

The Administrative Judge of the High Court<br />

The Head of the Department concerned.<br />

17. Action in respect of a relation--<br />

(1) Where a Government servants submits any proposal or opinion or takes any other<br />

action, whether for of against any individual related to him, whether the relationship be<br />

distant or near, he shall with every such proposal, opinion or action, expressly state<br />

whether the individual is or is not related to him, and if so related the nature of the<br />

relationship.<br />

(2) Where a Government servant has by any law, rule or order in force power of deciding<br />

finally any proposal opinion or any other action, and that proposal. Opinion or action is<br />

in respect of an individual related to him, whether the relationship by distant or near and<br />

whether that proposal opinion or action affects the individuals favourably or otherwise<br />

he shall not take a decision, but shall submit the case to his superior officer after<br />

explaining the reasons and the nature of relationship.<br />

18. Speculation—<br />

(1) No Government servant shall speculate in any investment.<br />

Explanation- The habitual purchase or sale of securities of a notoriously fluctuating value shall be<br />

deemed to be speculation in investments within the meaning of this rule.<br />

(2) If any question arise whether a security or investment is of the nature referred to in subrule<br />

(1), the decision of the Government thereon shall be final.<br />

19. Investments—<br />

(1) No Government servant shall make, or permit his wife or any member of his family to<br />

make any investment likely to embarrass or influence him in the discharge of his<br />

official duties.<br />

(2) If any question arises whether a security or investment is of the nature referred to<br />

above; the decision of the Government thereon shall be final.<br />

Illustration<br />

A District Judge shall not permit his wife, or son, to open a cinema house or to purchase a share<br />

therein, in the district where he is posted.<br />

20. Lending and borrowing—<br />

(1) No Government servant shall, except with the previous sanction of the appropriate<br />

authority, lend money to any person possessing land or valuable property within the<br />

local limits of his authority or at interest to any person.<br />

Provided that a Government servant may make an advance of pay to a private servant, or give a<br />

loan of a small amount free of interest to the personal friend or relative even if such person possess land<br />

within local limits of his authority.<br />

(2) No Government servant shall save in the ordinary course of buainess with a bank cooperative<br />

society or a firm of standing borrow money from, or otherwise place himself<br />

under pecuniary obligation to any person within the local limits of his authority nor<br />

shall be permit any member of his family except with the previous sanction of the<br />

appropriate authority to enter into any such transaction:<br />

Provided that a government servant may accept a purely temporary loan of small amount free of<br />

interest, from a personal friend or relative or operate a credit account with a bona fide tradesman.<br />

(3) When a Government servant is appointed or transferred to a post of such a nature as to<br />

involve him in the breach of any of the provision of sub-rule (1) or sub-rule (2), he shall<br />

forthwith report the circumstance to the appropriate authority, and shall there after act<br />

in accordance with such orders as may be passed by the appropriate authority.


111<br />

(4) The appropriate authority in the case of Government servants who are gazetted officers<br />

shall be the Government and in other cases the Head of the Office.<br />

21. Insolvency and habitual indebtedness—<br />

A Government servant shall so manage his private affairs as to avoid habitual<br />

indebtedness of insolvency. A Government servant who becomes the subject of legal<br />

proceeding for insolvency shall forthwith report the full facts to the head of the Officer or<br />

department in which he is employed.<br />

22. Movable, immovable and valuable property—<br />

(1) No Governmant servant shall, except with the previous knowledge of the appropriate<br />

authority, acquire or dispose of any immovable property by lease, mortgage, purchase,<br />

sale, gift or otherwise either in his own name or in the name of any member of his<br />

family:<br />

Provided that any such transaction conducted otherwise than through a regular and reputed<br />

dealer shall require the previous sanction of the appropriate authority.<br />

Illustration<br />

A, a Government servant, proposes to purchase a house. He must inform the appropriate<br />

authority of the proposal. If transaction is to be made otherwise than through a regular and reputed<br />

dealer. A must also obtain the previous sanction of the appropriate authority. The same procedure will<br />

be applicable if a proposes to sell his house.<br />

(2) A Government servant who enters into any transaction concerning any movable<br />

property exceeding in value, the amount of his pay for one month or rupees five<br />

thousand, whichever is less, whether by way of purchase, sale or otherwise shall<br />

forthwith report such transaction to the appropriate authority.<br />

Provided that no Government servant shall enter into any such transaction except with or<br />

through a reputed dealer or agent of standing or with the previous sanction of the appropriate authority.<br />

Illustration<br />

(1) A, a Government servant whose monthly pay Rs. 600 purchases a taps recorder for Rs.<br />

700, or<br />

(ii)<br />

B, a Government servant whose monthly pay is Rs. 2000 sells a car for Rs. 1500. in<br />

either case A or B must report the matter to the appropriate authority. If the transaction<br />

is made otherwise than through a reputed dealer must also obtain the previous sanction<br />

of the appropriate authority.<br />

(3) At the time of first appointment and thereafter at intervals of five years, every<br />

Government servant shall make to the appointing authorit through the usual channel, a<br />

declaration of all immovable property, owned, acquired or inherited by him or held by<br />

him on lease or mortgage, and of shares, and other investments, which may, from time<br />

to time by held or acquired by him or by his wife or by any member of his family living<br />

with, or in any way depaendent upon him. Such declarations should state the full<br />

particulars of the property, shares and other investments.<br />

(4) The appropriate authority may, at any time by general or special order, require a<br />

Government servant to submit within a period specified in the order a full and complets<br />

statement of such movable, immovable property held or acquired by him or by any<br />

member of his family as may be specified in the order. Such statement shall, if so<br />

required by the appropriate authority, include details of the menas by which or the<br />

source from which such property was acquired.<br />

(5) The appropriate authority-<br />

(a)<br />

(b)<br />

in the case of a Government servant belonging to the State service shall for purposes of<br />

sub-rules (1) and (4), be the Government and for sub-rule (2), the Head of the<br />

Department.<br />

In the case of other Government servants, for the purposes of sub-rule (1) to (4) shall be<br />

the Head of the Department.


112<br />

23. Vindication of acts and character of Government servants-<br />

No Government servant shall, except with the previous sanction of the Government,<br />

have recourse (e) to the press for the vindication of any official act which has been the subject<br />

matter of adverse criticism or an attack of defamatory character.<br />

Explanation- Nothing in this rule shall be deemed to prohibit a Government servant from vindicating<br />

his private character or any act done by him in private capacity.<br />

24. Canvassing of non-official or other outside infuence-<br />

No Government servant shall bring or attempy to bring whether himself personally or<br />

through a member of his family, any political or other outside influence to bear upon any<br />

question relating to him interest in respect of matters pertaining to his service.<br />

Explanation- Any act done by the wife or husband, as the case may be or any member of the family<br />

of a Government servant and falling within the purview of this rule, shall be presumed to have<br />

been done at the instance, or with the connivance of the Government servant concerned unless<br />

the contrary shall have been proved.<br />

Illustration<br />

A is a Government servant and B a member of the family of A, C is a political party and D is an<br />

organization under C, B, gained sufficient prominence in C and become an office bearer of D. Through<br />

D, B, started sponsoring the cause of A to the extent that B sponsored some resolutions against as<br />

official superiors. This action which will be in violation of the provisions of the above rule on the part of<br />

B shall be presumed to have been done by B at the instance or with connivance of A unless A is able to<br />

prove that this was not so.<br />

24-A- “A Representation by Government servant-<br />

No Government servant shall, whether personally or through a member of his family,<br />

make any representation to Government or any other authority except through the proper<br />

channel and in accordance with such directions as the Government may issue from time to time.<br />

The explanation to rule 24 shall apply to this rule also. “<br />

25. Unauthorized pecuniary arrangements-<br />

No Government servant shall enter into any pecuniary arrangement with another<br />

Government servant or any other person so as to afford any kind or advantage to either or both<br />

of them in any unauthorized manner or against the specific, or implied, provisions of any rule<br />

for the time being in force.<br />

Illustration<br />

(1) A is a senior clerk in an office and is due for officiating promotion. A is diffident of<br />

discharging his duties satisfactorily in the officiating post. B, a junior clerk, privately<br />

offers for a pecuniary consideration to help, A. A, and B, accordingly enter pecuniary<br />

arrangements. Both would thereby ijfringe the rule.<br />

(2) If, A the Superintendent of an office proceeds on leave, B, the senior most assistant in<br />

the office, will be given a chance to officiate. If A proceeds on leave after entering into<br />

arrangement with B for a share in the officiating allowance, A and B both would<br />

commit a breach of the rule.<br />

26. Bigamous marriages—<br />

(1) No Government servant who has a wife living, shall contract another marriage without<br />

first obtaining the permission of the Government, notwithstanding that such subsequent<br />

marriage is permissible under the personal law for the time being applicable to him.<br />

(2) No female Government servant shall marry any person who has a wife living without<br />

first obtaining the permission of the Government.<br />

27. Proper use of amenities—<br />

No Government servant shall misuse or carelessly use, amenities provided for him by<br />

the Government to facilitate the discharge of his public duties.


113<br />

Illustration<br />

Among the amenities provided to Government servant are care, telephones, residences,<br />

furniturem orderties, article of stationery, etc., instances of misuse or carelese use of these are—<br />

(1) Employment of Government cars at Government expense by members of the family of<br />

the Government servant or his guests, or for other non-Government work,<br />

(2) Making telephone trunk calls at Government expense on matters not connected with<br />

official work,<br />

(3) Neglect of Government residences and furniture and failure to maintain them properly,<br />

and<br />

(4) Use of Government stationery for non-official work,<br />

29. Use of services without payment—<br />

No Government servant shall without making proper and adequate payment, avail<br />

himself of any service or entertainment for which a hire or price or admission fee is charged.<br />

Illustration<br />

Unless specifically prescribed as part of duty, a Government servant shall not-<br />

(1) travel free of charge in any paying for hire.<br />

(2) see a cinema show without paying the admission fee.<br />

30. Use cinveryances belonging to other—<br />

No Government servant shall, except in exceptional circumstances, use a conveyance<br />

belon9ing to a private person or Government servant who is subordinate to him.<br />

31. Purchases through subordinates--<br />

No Government servant shall himself ask or permit his wife, or any other member of his<br />

family living with him to ask any Government servant who is subordinate to him, to make<br />

pruchases, locally or from outstation on behalf of him, his wife or other member of his family<br />

whether on advance payment or otherwise:<br />

Provided that this rule shall not apply to the purchases which the inferior staff attached<br />

to the Government servant may be required to make,<br />

Illustration<br />

A is a Deptuy Collector,<br />

B is a Tahaildar under the Deputy Collector,<br />

A should not allow his wife to ask B to have cloth purchased for her,<br />

32. Interpretation--<br />

If any question arises relating to the interpretation of these rules, it shall be referred to<br />

the Government whose decision thereon shall be final.<br />

33. Repeal and saving--<br />

Any rules corresponding to these rules in force immediately before the commencement<br />

of these rules and applicable to Government servant under the control of the Government of<br />

Uttaranchal are hereby repealed:<br />

Provided that an order made or action taken under the rules repealed shall be deemed to<br />

have been made or taken under the corresponding provisions of these rules.<br />

By Order,<br />

ALOK KUMAR JAIN,<br />

Secretary.


114<br />

उ तरांचल शासन<br />

कािमक अनुभाग-2<br />

सं या 589/कािमक-2/2003-55(38)/2003<br />

देहरादून, 13 मई, 2003<br />

अिधसूचना<br />

कण<br />

संवधान के अनु छेद 309 के पर तुक ारा द त श का योग करके रा यपाल<br />

िन निलखत िनयमावली बनाते ह:-<br />

उ तरांचल सरकार सेवक याग-प िनयमावली, 2003<br />

्<br />

1. सं त नाम और ार भ:-<br />

(1) यह िनयमावली ‘’उ तरांचल सरकार सेवक याग-प िनयमावली, 2003, जायेगी।<br />

(2) यह तुर त वृ त होगी।<br />

2. अ यारोह भाव-<br />

यह िनयमावली, संवधान के अनु छेद 309 के पर तुक के अधीन रा यपाल ारा बनाई<br />

गई कसी अ य िनयमावली या इस िनिम त जार कये गये कायपालक आदेश म कसी<br />

ितकू ल बात के होते हुए भी, भावी होगी।<br />

3. परभाषाय-<br />

जब तक वषय या स दभ म कोई ितकू ल बात न हो, इस िनयमावली म पद-<br />

(क) कसी सेवा के स ब ध म ‘’िनयु ािधकार’’ का ता पय सुसंगत सेवा िनयमावली के<br />

अधीन ऐसी सेवा म िनयुयॉं करने के िलए सश त ािधकार से ह;<br />

(ख) ‘’संवधान’’ का ता पय भारत का संवधान से ह;<br />

(ग) ‘’सरकार’’ का ता पय उ तरांचल क रा य सरकार से ह;<br />

(घ) ‘’सरकार सेवक’’ का ता पय संवधान के अनु छेद 309 के अधीन बनाई गई सुसंगत<br />

सेवा िनयमावली के अधीन कसी पद पर मौिलक प से िनयु त कसी य से ह,<br />

(ड) ‘’रा यपाल’’ का ता पय उ तरांचल के रा यपाल से ह;<br />

(च) ‘’मौिलक िनयु’’ का ता पय सेवा के संवग म कसी पद पर ऐसी िनयु से ह जो<br />

तदथ िनयु न हो, और उस सेवा से स बधत सेवा िनयम के अनुसार चयन के<br />

प चात क गई हो।<br />

4. याग-प क सूचना-<br />

(1) कोई सरकार सेवक िलखत प से तीन मास क सूचना देकर अपनी सेवा से याग-<br />

प दे सकता ह।<br />

(2) याग-प क सूचना-<br />

(एक) वैछक और बना शत होगी;


115<br />

(दो) ािधकार जसके अधीन उ त सरकार सेवक याग-प देने के समय काय कर<br />

रहा हो, को सूिचत करते हुए िनयु ािधकार को स बोिधत क जायेगी;<br />

पर तु िनयु ािधकार कसी सरकार सेवक को बना कसी सूचना या कसी अ पतर<br />

सूचना के याग-प क अनुमित देने के िलए वत होगा।<br />

5. याग-प का वीकार या अ वीकार कया जाना-<br />

(1) सरकार सेवक का याग-प तब तक भावी नहं होगा जब तक क इसे िनयु<br />

ािधकार ारा वीकार नहं कया जाता ह और उसके औपचारक आदेश जार नहं<br />

कये जाते ह। िनयु ािधकार वववेकानुसार याग-प वीकार करने से इ कार<br />

कर सकता ह यद-<br />

(एक) सरकार सेवक सरकार के ित कसी धनरािश का देनदार हो और/या कोई<br />

अ य दािय व हो तो तब तक क देय धनरािश का भुगतान न कर दया गया<br />

हो या दािय व का िनवहन न कया गया हो।<br />

या<br />

(दो) सरकार कमचार िनलबत हो।<br />

या<br />

(तीन) उसके व कोई जांच सं कपत या लबत हो।<br />

या<br />

(चार) अपरािधक आरोप से स बधत अ वेषण, जॉंच या परण लबत हो और<br />

ऐसा आरोप सरकार सेवक के प म उसक शासकय थित से स बधत<br />

हो।<br />

(2) िनयु ािधकार यथास भव सूचना क अविध के अवसान के पूव याग-प क<br />

ाथना पर विन चय करेगा।<br />

6. सेवा समाि-<br />

उ त सरकार सेवक क सेवाय उसके याग-प स ्वीकृ ित के आदेश के जार होने के<br />

दनांक से या ऐसे भव यवत दनांक से जैसा उसम उलखत कया जाय, समा त हो<br />

जायेगी।<br />

7. याग-प को वापस लेना-<br />

सरकार सेवक िनयु ािधकार को िलखत प म एक िनवेदन ा त कराकर इस<br />

िनयमावली के िनयम 6 म यथा-उपबधत अपनी सेवाओं क समाि के दनांक पूव ह अपना<br />

याग-प वापस ले सकता ह।<br />

आा से,<br />

आलोक कु मार जैन,<br />

सिचव।


116<br />

In pursuance of the provisions of Clause (3) of Article 348 of the Constitution of India, the<br />

Governor is pleased to order the publication of the following English translation of notification no.<br />

589/Karmik-2/2003-55(38)/2003, Dated may 13, 2003 for general information:<br />

No. 589/Karmik-2/2003-55(38)/2003,<br />

Dated Dehradun, may 13, 2003<br />

NOTIFICATION<br />

Miscellaneous<br />

In exercise of the powers conferred by the proviso to Article 309 of the Constitution, the<br />

Governor is pleased to make the following rules:-<br />

THE UTTARANCHAL GOVERNMENT SERVANTS RESIGNATION RULES, 2003<br />

1. Short title and Commencement-<br />

(1) The rules may be called “The Uttaranchal Government Servants Resignation Rules.<br />

2003”’<br />

(2) They shall come into force at once.<br />

2. Overriding effect—<br />

These rules shall have effect notwithstanding anything to the contrary contained in any<br />

other rules made by the Governor under the provise to Article 309 of the Constitution of<br />

executive orders issued in this behalf.<br />

3. Difinitions-<br />

In these rules, unless there is any thing repugnant in the subject or context, the<br />

expression—<br />

(a) “Appointing authority” in relation to any service means the authority empowered to<br />

make appointments to such service under the relevant service rules;<br />

(b) “ Constitution” means the Constitution of India;<br />

(c) “Government” means the State Government of Uttaranchal;<br />

(d) “Government servant” means a person substantively appointed to a post under the<br />

relevant service rules made under Article 309 of the Constitution;<br />

(e)<br />

(f)<br />

“Governor” means the Governor of Uttaranchal;<br />

“Substantive appointment” means an appointment, not being an adhoc appointment, on<br />

a post in the cadre of the service, made after selection in accordance with the service<br />

rules relating to that service.<br />

4. Notice of Resignation--<br />

(1) A Government servant may resign from his service by giving three months notice in<br />

writing.<br />

(2) The notice of resignation shall be—<br />

(i)<br />

(ii)<br />

Voluntary and unconditional;<br />

Addressed to the appointing authority under intimation to the authority under<br />

whom the said Government servant is working at the time of tendering<br />

resignation:<br />

Provided that it shall be open to the appointint authority to allow a Government Servant to<br />

resign without any notice or by a shorter notice.<br />

5. Acceptance or refusal of Resignation--<br />

(1) The resignation of the Government servant shall not be effective unless it is accepted by<br />

the appointing authority and formal order is issued there of. The appointing authority<br />

may, in its discretion, refuse to accept the resignation if—<br />

(i)<br />

(ii)<br />

The Government servant owes to the Government any sum of money and/or<br />

any other liability unless the amount due has been paid or the liability<br />

discharged.<br />

Or<br />

The Government servant is under suspension.


117<br />

Or<br />

(iii) The inquiry is contemplated or pending against him.<br />

Or<br />

(iv) Investigation, inquiry or trial relating to criminal charge is pending and such<br />

charge is connected with his official position as the Government servant.<br />

(2) The appointing authority shall, as far as possible take decision the request of resignation<br />

before the expiry of the period of notice.<br />

6. Termination of Service—<br />

The services of the said Government servant shall stand terminated with effect from the<br />

date of issue of order of the acceptance of his resignation or from such future date as mentioned<br />

therein.<br />

7. Withdrawal of Resignation--<br />

The Government servant may withdraw his resignation by making available a request in<br />

writing to the appointing authority only before the date of termination of his services as<br />

provided in rule 6 of these rules.<br />

By Order,<br />

ALOK KUMAR JAIN,<br />

Secretary,


118<br />

उ तरांचल शासन<br />

कािमक अनुभाग-2<br />

सं या 236/कािमक-2/2003-55(33)/2002<br />

देहरादून, 28 फरवर, 2003<br />

अिधसूचना<br />

संवधान के अनु छेद 309 के ितब धा म ख ड ारा द त श का योग करके रा यपाल<br />

िन निलखत िनयमावली बनाते ह:-<br />

उ तरांचल अस ्थायी सरकार सेवक (सेवक समाि) िनयमावली, 2003<br />

1. सं त नाम, ार भ तथा लागू होना-<br />

(1) यह िनयमावली, उ तरांचल अ थायी सरकार सेवक (सेवा समाि) िनयमावली, 2003<br />

कहलायेगी।<br />

(2) यह तुर त व त होगी।<br />

(3) यह िनयमावली, उन सभी यय पर लागू होगी जो उ तरांचल के काय से स ब<br />

कसी असैिनक पद (िसवल पो ट) पर ह और जो रा यपाल के ारा बनाये गये<br />

िनयम से िनयंत होते ह, क तु जनका उ तरांचल सरकार के अधीन कसी थायी<br />

सरकार पद पर व व (लीएन) न हो।<br />

2. परभाषा-<br />

इस िनयमावली म, ‘’अ थायी सेवा’’ का ता पय उ तरांचल सरकार के अधीन कसी<br />

अ थायी पद पर थानाप न या मूल सेवा से अथवा कसी थायी पद पर थानाप न सेवा से<br />

ह।<br />

3. सेवा क समाि-<br />

(1) इस वषय पर वमान कसी िनयम या आदेश म कसी बात के ितकू ल होते हुए भी<br />

अ थायी सेवा म थत कसी सरकार सेवक क सेवा कसी भी समय या तो सरकार<br />

सेवक ारा िनयु ािधकार को या िनयु ािधकार ारा सेवक को िलखत प म<br />

द गई नोटस ारा समा त क जा सके गी।<br />

(2) नोटस क अविध एक मास होगी:<br />

ितब ध यह ह क ऐसे सरकार सेवक क सेवा तुर त समा त क जा सके गी, और<br />

ऐसी समाि पर सरकार सेवक, नोटस क अविध के िलए या यथाथित ऐसी नोटस एक<br />

मास से जतनी कम हो उतनी अविध के िलए उसी दर पर अपने वेतन तथा भ ते क (यद<br />

कोई ह) धनरािश के बराबर धन के दावेदार होने का हकदार होगा, जस दर पर वह उनको<br />

अपनी सेवा समाि के ठक पहले पा रहा था:


119<br />

अे तर ितब ध यह ह क यद िनयु ािधकार चाहे तो वह सरकार सेवक से<br />

नोटस के बदले कसी शात का भुगतान करने क अपेा कए बना कसी सरकार सेवक को<br />

कसी नोटस के बना अवमु त कर सके गा, या कम अविध क नोटस वीकार कर सके गा:<br />

ितब ध यह भी ह क कसी ऐसे सरकार सेवक ारा, जसके व अनुशासिनक<br />

कायवाह वचारधीन या आस हो, द गई नोटस तभी भावी होगी, जब व ह िनयु<br />

ािधकार ारा वीकार कर ली जाय, क तु कसी आस न अनुशासिनक कायवाह क दशा म<br />

सरकार सेवक को उसक नोटस वीकार न कये जाने क सूचना नोटस क समाि के पूव<br />

द जायेगी।<br />

4. अपवाद-<br />

इस िनयमावली म कसी बात के होते हुए भी, िन निलखत ेणय के यय क<br />

पदाविध या िनयु या सेवायोजन क पदाविध-िनर तरता उनक िनयु या सेवायोजन क<br />

शत ारा िनयंत होगी, और इस िनयमावली क कसी बात का यह अथ नहं लगाया जायेगा<br />

क उनक िनयु या सेवायोजन क समाि के पूव उनको या उनके ारा एक मास क नोटस<br />

या सके बदले म वेतन या शात देना अपेत ह:-<br />

(क) वे य जो संवदा पर िनयु त हो;<br />

(ख) वे य जो सरकार के पूणकािलक सेवायोजन म न हो;<br />

(ग) वे य ज ह आकमक यय क धनरािश से अदायगी क जाती हो,<br />

(घ) वे य जो काय-भारत ित ठान म सेवायोजत हो;<br />

(ड) वे य ज ह अिधवषता के प चात ् पुन: सेवायोजत कया जाय;<br />

(च) वे य ज ह विनद ट अविध के िलये सेवायोजत कया जाय, और जनक सेवा<br />

का पयवसान उस अविध के यतीत होने पर वत: हो जाय;<br />

(छ) व य ज ह विनद ट अविध के िलये इस शत पर सेवायोजत कया जाय क उस<br />

अविध म कसी भी समय कभी क जा सकती ह;<br />

(ज) वे य ज ह अ पकािलक यव था या रय म िनयु त कया जाय और जनक<br />

सेवा का पयवसान उस यव था या र क समाि पर वत: हो जाय।<br />

आा से,<br />

आलोक कु मार जैन,<br />

सिचव,


120<br />

्<br />

्<br />

सं या 1050/XXX(2)/2005<br />

ेषक,<br />

डा0 आर0एस0 टोिलया,<br />

मु य सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सेवा म,<br />

1. अपर मु य सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

2. सम त मुख सिचव/सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

3. सम त वभागा य/मुख कायालया य,<br />

उ तरांचल।<br />

कािमक अनुभाग-2 देहरादून, दनांक 29 अैल, 2005<br />

वषय- सरकार अिधकारय/कमचारय के िलये वाषक थाना तरण नीित।<br />

महोदय,<br />

उपयु त वषय पर मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क रा य म विभन ्न सेवाओं म<br />

थाना तरण एक आव यक यव था ह जो शासन, समाज व सरकार सेवा सभी के हत म ह।<br />

सुशासन म व छता व कमचार के काय म िन पता तभी संभव ह जब कािमक अपने अिधकार<br />

े म सेवा भाव के साथ-साथ सुशासन काय याियक को समान प से रखते हुए कर। इस हेतु<br />

यह आव यक ह क तैनाती के थान पर कमचार के ऐसे स ब ध या लगाव न हो जससे उसे<br />

ववेकपूण िनणय लेने पर ितकू ल भाव या दबाव पडे। थाना तरण नीित इसी उददे य से बनाई<br />

जाती ह। उ तरांचल रा य का अिधकतम भू-भाग दूगम थान म थत ह जहां थत वभाग म<br />

काय कर रहे कािमक क थित सुगम थान म काय कर रहे कािमक से िभ न होती ह। अत:<br />

उ तरांचल म सुगम तथा दुगम थान को यान म रखते हुए शासन ारा सरकार<br />

अिधकारय/कमचारय क वाषक थाना तरण क िन नवत नीित िनधारत कये जाने का िनणय<br />

िलया ह:-<br />

2. (1) कािमक के थाना तरण कए जाने हेतु शासन तर पर, वभागा य<br />

म डल एवं जनपद तर पर येक वभागवार थायी थाना तरण सिमितय का गठन<br />

कया जाय, जसम वभाग के अिधकारय के अितर त एक अिधकार दूसरे वभाग के<br />

भी नािमत कए जायं। शासन तर पर अव थापना वकास आयु त शाखा,<br />

एफ0आर0ड0सी0 शाखा तथा समाज क याण आयु त शाखा को छोडकर अ य वभाग<br />

म थाना तरण सिमित म एक अिधकार कािमक वभाग ारा नािमत कया जायेगा।<br />

वाषक थाना तरण/परवतन/िनर तीकरण हेतु ा त सभी ताव स बधत वभाग<br />

ारा इस हेतु गठत सिमित के स मुख तुत कए जायगे। सिमित इस कार ा त<br />

सम त ताव पर वचार करने के प चात थाना तरण नीित के अ तगत स बधत


121<br />

कािमक के थाना तरण करने क सं तुित करेगी और उस सं तुित के आधार पर<br />

थाना तरण आदेश स बधत वभाग/वभागा य, जैसी भी थित हो ारा िनगत<br />

कए जायगे।<br />

(2) थाना तरण कये जाने हेतु थाना तरण क परिध म आने वाले कािमक से 03<br />

इछत थान के िलए वक प मांगे जायगे और ा त वक प को थाना तरण<br />

सिमित के सम वचार हेतु तुत कया जायेगा।<br />

(3) वाषक थाना तरण सुगम े म कु ल अिधकार/कमचार सं या के 20 ितशत तक<br />

ह सिमित रखे जायगे और दुगम े, जनक सूची संल न ह, म कु ल सं या के 15<br />

ितशत तक ह सीिमत रखे जायगे, और यद िनधारत सं या से अिधक थाना तरण<br />

कया जाना आव यक हो तो समूह ‘’क’’ एवं ‘’ख’’ के िलए मा0 मु यमंी जी का<br />

अनुमोदन ा त कया जायेगा। वाषक थाना तरण के समय यह भी यान म रखा<br />

जाये क दुगम थान म सुगम थान को अपेा यथा संभव रयां अिधक न हो।<br />

यद दुगत थान म रयां अिधक ह तो उ ह भरने के िलए सुगम े क 20<br />

ितशत क थाना तरण सीमा को शासकय वभाग ारा िशिथल कया जा सकता<br />

ह। वभाग ारा सेवा संवग क आव यकता एवं उनक कायणाली एवं े वशेष क<br />

भौगोिलक परथित को यान म रखते हुए सुगम एवं दुगम थान म ह कया<br />

जायेगा।<br />

3. सामान ्य थाना तरण िन निलखत परथितय म ह कया जाये:-<br />

(1) सामा य अविध पूर होने पर पर तु सबसे अिधक समय से कायरत कािमक ार भ<br />

करते हुए।<br />

(2) पदो नित पर।<br />

(3) र त थान क पूित हेतु।<br />

(4) ितिनयु से वापसी पर।<br />

(5) वयं के यय पर पार परक थाना तरण पर।<br />

(6) दुगम थान म रय क पूितय हेतु।<br />

4. तैनाती क सामा य अविध-<br />

शासिनक आधार पर कये गये थाना तरण को छोडकर तैनाती क अविध िन नवत ्<br />

िनधारत क जाती ह:-<br />

(1) समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के अिधकारय के िलए विभ न थान म एक जले म सम त<br />

पद को समिलत करते हुए तैनाती क अविध, सुगम े के िलए सामा यत: 03<br />

वष पर तु अिधकतम ् 05 वष होगी। दूगम े म सामा य अविध 03 वष एवं<br />

अिधकतम ् 05 वष होगी। एक जले म तैनात अिधकार को पुन: उसी जले म 05 वष<br />

से पूव कसी भी दशा म तैनात नहं कया जायेगा। अपवाद वप उ त अविध 03<br />

वष होगी।


122<br />

(2) समूह ‘ग’ के कमचारय के िलए एक थान पर तैनाती क सामा य अविध 03-05<br />

वष होगी। यप पद क आव यकता एवं संवेदनशीलता को यान म रखते हुए उ त<br />

अविध म परवतन कया जा सकता ह, क तु संवेदनशील पद पर कसी भी कािमक<br />

को कसी भी दशा म 03 वष से अिधक नहं रखा जायेगा।<br />

(3) रा य के पवतीय जनपद म दुगम े म तैनात अिधकारय/कमचारय का<br />

थाना तरण कसी भी दशा म 05 वष से पूव सुगम े म नहं कया जायेगा।<br />

(4) तैनाती अविध क गणना येक वष के मई माह के अतम दवस को मानकर क<br />

जायेगी।<br />

(5) यद कोई कािमक दुगम थान म िनधारत अविध के बाद भी वे छा से रहना चाहता<br />

हो और र को भरने के िलए ित थानी क कमी हो, तो उसे दुगम थान म<br />

िनर तर रखा जा सकता ह।<br />

(6) इन दुगम थान म फ स टे यूर पूरा करने के प चात ् उनक इ छानुसार 05<br />

वैछक जगह पर उनसे थाना तरण हेतु वक प मागा जायेगा तथा उ हं जगह म<br />

से कसी थान पर तैनात कया जायेगा।<br />

(7) यद कसी अिधकार/कमचार को सेवािनवृ त होने के िलए मा दो वष ह रह गये ह<br />

तो उ ह उनक इ छानुसार तीन वक प म एक म तैनात कया जाना।<br />

5. ेणीवार कािमक क तैनाती के थान-<br />

(1) समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के अिधकारय को उनके गृह जनपद म तैनात नहं कया जायेगा,<br />

लेकन गैर संवेदनशील पद तथा दुगम थान पर तैनाती म इस ितब ध से छू ट<br />

स बधत शासकय वभाग ारा द जा सकती ह।<br />

(2) िशकाय/शासिनक आधार पर हटाये गये अिधकारय को कसी भी दशा म पुन:उसी<br />

जनपद/ थान पर 03 वष तक तैनात नहं कया जायेगा।<br />

(3) समूह ‘ग’ के िलपकय एवं अशासकय कािमक को गृह थान को छोडकर उनके<br />

जले म ह तैनात कया जा सकता ह, क तु समूह ‘ग’ के शासकय पदधारक के<br />

थाना तरण जनपद के बाहर भी कये जा सकते ह। बशत क उ त कािमक के संवग,<br />

म डल/देश तर पर िनधारत कये जाते ह। चूंक कई वभाग म समूह ‘ग’ के<br />

संवग अलग-अलग ह। अत: वभाग समूह ‘ग’ के संवग के अनुसार भी मानक<br />

िनधारत कर सकते ह।<br />

गृह थान का तापय ऐसे गांव/ह का/तहसील आद से ह, जसका वह मूल<br />

िनवासी हो।<br />

(4) तृतीय ेणी के कािमक को 03 वष के अ तर पर दूसर सीट पर तैनात कर दया<br />

जाना चाहए, ताक उ ह येक सीट का काय करने का अवसर िमल सके । दुगम े<br />

म यह अविध 05 वष अिधकतम क जा सकती ह।<br />

(5) समूह ‘घ’ के कािमक को उनके गृह जनपद म ह तैनात कया जायेगा।


123<br />

(6) स बधत कािमक क ाथना पर कये जाने वाले पार परक थाना तरण म कोई<br />

याा भ ता देय नहं होगा।<br />

(7) नैनीताल मु यालय एवं तहसील, ह ानी, देहरादून (चकराता तहसील को छोडकर)<br />

हरार तथा ऊधमिसंह नगर म जला शासन के पद को समिलत करते हुए कसी<br />

भी अिधकार को िनर तर 10 वष से अिधक अविध तक तैनात नहं रखा जायेगा।<br />

देहरादून के जला शासन के पद के अितर त अ य पद पर क गयी सेवाओं को<br />

उ त अविध म समिलत नहं कया जायेगा।<br />

(8) यद कोई अिधकार उ त थान/जनपद म क हं पद पर 10 वष क कु ल अविध<br />

पूण कर चुक ह, तो, तुर त उसका थाना तरण उ त थान/जनपद से कर दया<br />

जाय तथा कसी भी दशा म 05 वष क समाि तक पुन: उ हं जनपद म कदाप<br />

तैनात नहं कया जाय। जो अिधकार ऐसे थान/जनपद म एक पद पर 03 वष क<br />

अविध पूर कर चुके ह उनका भी उ त पद/ थान से थाना तरण कर दया जाय।<br />

6. शासिनक आधार पर कये जाने वाले थाना तरण-<br />

(1) ग भीर िशकायत, उ चािधकारय से दु यवहार एवं काय म अिभिच न लेने आद के<br />

आधार पर ह आव यक पु के उपरा त शासिनक आधार पर थाना तरण कये<br />

जायं।<br />

(2) शासिनक आधार पर थाना तरण सामा य कार से ‘’मोटवेटेड’’ िशकायत के<br />

आधार पर अथवा ‘कै वली’ न कये जायं।<br />

(3) उ त थाना तरण म शासिनक आधार पर अंकत कया जाना आव यक होगा।<br />

7. थाना तरण के अिधकार दान कया जाना-<br />

(1) समूह ‘क’ के अिधकारय के थाना तरण इस हेतु गठत थाना तरण सिमित क<br />

सं तुित के आधार पर शासन ारा कये जायगे तथा समूह ‘ख’ के अिधकारय के<br />

थाना तरण थाना तरण सिमित क सं तुित के आधार पर स बधत वभाग के<br />

वभागा य ारा कये जायगे पर तु जहां वभागा य का पद नहं ह वहां समूह ‘ख’<br />

के अिधकारय का थाना तरण सिमित क सं तुित के आधार पर शासन ारा कये<br />

जायगे।<br />

(2) समूह ‘ग’ तथा ‘घ’ के जनपद तरय कािमक, जनका थाना तरण जनपद म ह<br />

कया जाना ह, के थाना तरण थाना तरण हेतु जनपद तर पर गठत सिमित ारा<br />

क गयी सं तुित के आधार पर कये जायगे। ऐसी सिमितय म अिधकार पदेन नािमत<br />

कये जायगे और एक अिधकार जलािधकार ारा नािमत कये जायगे। जसम<br />

जलािधकार ारा नािमत पदेन अिधकार भी सद य हगे।<br />

8. मागदशक िसा त-<br />

(1) संद ध स यिन ठा वाले कािमक क तैनती संवेदनशील पद पर कदाप न क जाय।<br />

(2) यद पित-प नी सरकार सेवा म ह, तो उ ह यथास भव एक ह जनपद/नगर/ थान<br />

पर तैनात कया जाय।


124<br />

(3) मानिसक प से व त ब च के माता-पता क तैनाती, अिधकृ त सरकार डा टर के<br />

िचक सा माण-प के आधार पर वक प ा त करके ऐसे थान पर क जाय जहां<br />

िचक सा क समुिचत यव था उपल ध हो।<br />

(4) ितकू ल त य न होने पर, दो वष म सेवा िनवृ त होने वाले समूह ‘ग’ के कािमक को<br />

उनके गृह जनपद म तैनात कया जा सकता ह तथा समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के<br />

अिधकारय को उनके गृह जनपद को छोडते हुए, समीपवत जनपद म तैनात कया जा<br />

सकता ह।<br />

9. थाना तरत कािमक को अवमु त कया जाना-<br />

(1) थाना तरण आदेश म कािमक के कायमु त करने क ितिथ तथा यह िनदश अंकत<br />

कये जाने चाहएं क वे आदेश के जार कये जाने के दनांक से अमुक ितिथ/एक<br />

स ताह के अ दर, ित थानी क तीा कये बना कायभार हण कर ल और<br />

स बधत ािधकार थाना तरत कािमक को त नुसार त काल अवमु त कर द।<br />

थाना तरक कािमक को िनधारत समय म अवमु त न कया जाना अनुशासनहनता<br />

मानी जायेगी, और जो अिधकार थाना तरण आदेश का पालन न करते हुए,<br />

स बधत कािमक को कायमु प नहं करगे उनके व िनयमानुसार कायवाह क<br />

जायेगी। थाना तरण आदेश क ित स ब धत कोषािधकार को भी ेषत क जाय<br />

ताक वे थाना तरक कािमक के कायमु त होने क ितिथ के प चात ् उसका वेतन<br />

आहरत न कर।<br />

(2) दुगम े म तैनात कािमक को उनके िनयंक ािधकारय ारा तब तक अवमु त न<br />

कया जाय जब तक क उनके ित थानी कायभार हण न कर ल।<br />

(3) थाना तरक कािमक का कसी कार का अवकाश का ाथना-प वीकार न कया<br />

जाय।<br />

(4) दुगम े म थाना तरत कये गये कािमक के कायभार हण न करने क थित<br />

म उनक वतेन वृ रोक द जाय तथा उ ह 02 वष तक ो नित से वंिचत रखा<br />

जाय।<br />

(5) थाना तरत कये गये कािमक के ारा तैनात के थान पर कायभार हण न करने<br />

पर उनके व अनुशासिनक कायवाह क जाय।<br />

10. सरकार कमचारय के मा यता ा त सेवा संघ के पदािधकारय के थाना तरण-<br />

सरकार सेवक के मा यता ा त सेवा संघ के अ य /सिचव, जनम जला शाखाओं<br />

के अ य/सिचव भी समिलत ह, के थाना तरण उनके ारा संगठन म पदधारत करने क<br />

ितिथ से 02 वष तक न कये जाय। पर तु लगातार 05 वष क अिधक अविध तक एक थान<br />

पर तैनात रहने पर सामा य थाना तरण के िनदश से यवहत हगे। यद कोई सरकार सेवक<br />

िनर तर मा यता ा त सेवा संघ का अ य/सिचव रहता ह, तो उस दशा म थाना तरण न<br />

कये जाने क छू ट क अविध अिधकतम 05 वष होगी।


125<br />

11. थाना तरण हेतु समय-सारणी-<br />

(1) शासन तर, वभागा य तर एवं जला तर के सम त थाना तरण यथा स भव<br />

30 जून तक पूण कये जायं। 30 जून के उपरा तर कमेट ारा वचारोपरा त शासन<br />

तर से कये जाने वाले थाना तरण हेतु वभागीय मंी जी का अनुमोदन तथा समूह<br />

‘ग’ तथा ‘घ’ के कािमक के थाना तरण के िलए िनधारत तर से तर उ च<br />

अिधकार का अनुमोदन ा त कया जाय।<br />

(2) थाना तरक कािमक के थाना तरण रोकने स ब धी यावेदन को असारत न<br />

कया जाय। यद कोई सरकार सेवक ऐसे आदेश के व दबाव डलवाने का यास<br />

कर, तो उसके इस कृ य/आचरण को सरकार कमचार आचरण िनयमावली का<br />

उ लंघन मानते हुए उसके व ‘’उ तरांचल सरकार सेवक (अनुशासन एवं अपील)<br />

िनयमावली, 2003’’ के संगत ावधान के अनुसार अनुशा सिनक कायवाह करते हुए<br />

िनल बन के स ब ध म भी वचार कया जाय।<br />

(3) यद कसी थाना तरक कािमक ारा अपने थाना तरण को रोकने के िलए वयं<br />

यावेदन दया जाता ह तो ऐसे यावेदन पर थाना तरण हेतु गठत कमेट ारा<br />

ह वचार कया जायेगा।<br />

13. चाज नोट-<br />

नवीन थान पर कायभार हण करने के उपरा त स बधत ेणी ‘क’ एवं ‘ख’ के<br />

अिधकारय को काय क जानकार होने म समय लगना वाभावक ह अत: थाना तरक<br />

अिधकार मह वपूण करण/वकास कायम/कायम आद के स ब ध म एक चाज नोट<br />

बनायगे, ताक थाना तरण के फल वप आये नये अिधकार को काय स पादत करने म<br />

सुवधा होगी। उस चाज नोट क एक ित गाड फाइल म रखी जायेगी और एक ित<br />

स बधत िनयंत अिधकार को ेषत क जायेगी।<br />

14. यह थाना तरण नीित जब तक शासन ारा वखडत न कर द जाय, यथावत ् लागू रहेगी।<br />

15. उपरो त िनदश का सभी तर पर कडाई से अनुपालन सुिनत कया जाय।<br />

भवदय,<br />

डा0 आर0एस0 टोिलया,<br />

मु य सिचव।<br />

सं या 1050(1)/ XXX(2)/2005, त दनांकत।<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:-<br />

1. सम त म डलायु त, उ तरांचल।<br />

2. समस ्त जलािधकार।<br />

3. सिचवालय के सम त अनुभाग।<br />

आा से<br />

आर0सी0 लोहनी,<br />

संयु त सिचव।


126<br />

उ तरांचल शासन<br />

कािमक अनुभाग-2<br />

सं या 2503/ XXX(2)/2005<br />

देहरादून, दनांक 06 िसत बर, 2005<br />

अिधसूचना<br />

रा यपाल, समय-समय पर यथासंशेिधत उ तर देश लोक सेवा (शाररक प से वकलांग,<br />

वतंता संाम सेनािनय के आित और भूतपूव सैिनक के िलए आरत) अिधिनयम, 1993 क<br />

धारा 3 क उपधारा (1) के ख ड (दो) के अधीन द त श का योग करते हुए अिधसूचना सं या<br />

1388/ XXX(2)/2004, दनांक 11 अ टूबर, 2004 म उलखत आरण के ितशत के म म,<br />

संल न सूची म उलखत पद को समय-समय पर यथा संशोिधत सीधी भ तीय के म पर लागू<br />

करने क सहष वीकृ ित दान करते ह।<br />

आा से,<br />

नृप िसहं नपल याल,<br />

मुख सिचव।<br />

सं या 2503(1)/ XXX(2)/2005, त दनांक।<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:-<br />

1. सम त मुख सिचव/सिचव/अपर सिचव, उ तरांचल शासन।<br />

2. सिचव, ी रा यपाल, उ तरांचल।<br />

3. सम त म डलायु त/जलािधकार, उ तरांचल।<br />

4. सम त वभागा य/मुख कायालया य उ तरांचल।<br />

5. सिचव, वधान सभा, उ तरांचल।<br />

6. सिचव, लोक सेवा आयोग उ तरांचल हरार।<br />

7. सिचवालय के सम त अनुभाग।<br />

8. अिधशासी िनदेशक, एन0आई0सी0 देहरादून।<br />

9. गाड फाइल।<br />

आ से,<br />

आर0सी0 लोहनी,<br />

संयु त सिचव।


127<br />

अिधसूचना सं या 2503/ XXX(2)/2005<br />

देहरादून, 06 िसत बर, 2005<br />

अनुसूची<br />

वभाग का नाम पदनाम वेतनमान वकलांगता जसके<br />

िलए िचहत कया<br />

गया ह:<br />

क- हनता या<br />

कम <br />

ख- वणहास<br />

ग- चलनया या<br />

मत कय अंगघात<br />

1 2 3 4<br />

1 सूचना 1. टंकक कम डाटा ए ऑपरेटर 3050-4590 ग<br />

2 ा य वकास 1. आशुिलपक 4000-6000 ग<br />

2. चतुथ ेणी 2550-3200 ख एवं ग<br />

3. किन ठ िलपक 305-4590 ग<br />

4. पवाहक 2550-3200 ग<br />

5. लैब सहायक 2550-4590 ग<br />

6. िशण सहायक 2610-3540 ग<br />

3. खा एवं नागरक 1. पूित िनरण 4500-7000 ख<br />

आपूित<br />

2. िलपक 3050-4590 ग<br />

3. वपणन िनरक 4500-7000 ख<br />

4. रा य स प 1. किन ठ िलपक 3050-4590 क एवं ग<br />

2. वागती 3050-4590 ग<br />

5. लघु िसंचाई 1. किन ठ िलपक 3050-4590 ग<br />

2. अनुसेवक 2550-3200 ग<br />

6. कृ ष वभाग 1. किन ठ अिभयंता 5000-8000 ग<br />

2. डाटा ए ऑपरेटर 4500-7000 ग<br />

3. आशुिलपक 4000-6000 ग<br />

4. सहायक लेखाकार 4000-6000 ग<br />

5. किन ठ िलपक 3050-4590 ग<br />

6. चतुथ ेणी 2550-3200 ग<br />

7. वन वभाग 1. इ वेटगेटर-कम-क यूटर 4500-7000 ग<br />

2. मानिचकार 4500-7000 ग<br />

3. आशुिलपक, ेड-2 4500-7000 ग


128<br />

4. किन ठ सहायक 3050-4590 क, ख एवं ग<br />

5. किन ठ लेखा सहायक 3050-4590 ख एवं ग<br />

6. चपरासी 2550-3200 ख<br />

7. डाकया 2550-3200 ख<br />

8. माली 2550-3200 ख<br />

9. वीपर ( व छक) 2550-3200 ख एवं ग<br />

8. औोिगक वकास 1. आशुिलपक 4000-6000 ग<br />

2. अनुसेवक 2550-3200 ख<br />

3. किन ठ िलपक 3050-4590 क<br />

4. अनुसेवक 2550-3200 क<br />

9. राज व वभाग 1. किन ठ सहायक 3050-4590 क, ख एवं ग<br />

10. पशुपालन 1. समूह-घ 2550-3200 क, ख<br />

11. िचक सा वभाग 1. किन ठ िलपक 3050-4590 क, ग<br />

(िचक सा िशा)<br />

12. बाल वकास 1. किन ठ सहायक 3050-4590 क, ग<br />

वभाग<br />

13. हौ योपैिथक<br />

वभाग<br />

1. वीपर 2550-3200 क, ग


129<br />

सव च ाथिमकता<br />

सं या 472/का-(2)-2003<br />

ेषक,<br />

आलोक कु मार जैन,<br />

सिचव, उ तरांचल शासन।<br />

सेवा म,<br />

1. सम त मुख सिचव/सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

2. सम त म डलायु त/जलािधकार, उ तरांचल।<br />

3. सम त वभागा य एवं कायालया य, उ तरांचल।<br />

कािमक अनुभाग-2 देहरादून, दनांक 26 माच, 2003<br />

वषय- अिधकारय/कमचारय ारा अचल स प ववरण का ेषण।<br />

महोदय,<br />

उपयु त वषय पर मुझे आपका यान उ तरांचल रा य कमचारय (आचरण)<br />

िनयमावली, 2002 के िनयम-22 क ओर आकषत करते हुए यह कहने का िनदेश हुआ ह क येक<br />

सरकार कमचार के िलए यह आव यक ह क वह येक पॉंच वष के अ तराल पर अचल स प<br />

ववरण तुत करे। आपक सुवधा के िलये उ त िनयमावली के िनयम-22 को नीचे उदहरत कया<br />

जा रहा ह:-<br />

‘’22-चल, अचल तथा बहुमू य स प:-<br />

(1) कोई सरकार कमचार, िसवाय उस दशा के जब क समुिचत ािधकार को इसक पूव जानकार<br />

हो, या तो वयं अपने से या अपने परवार के कसी सद य के नाम से पटा, रेहन, य,<br />

वय या भट ारा या अ यथा न तो कोई अचल स प अजत करेगा और न उसे बेचेगा:<br />

पर तु कसी ऐसे यवहार के िलए, जो कसी िनयिमत और याित ा त (रेपूटेड)<br />

यापार से विभ न य ारा स पादत कया गया हो समुिचत ािधकार क पूव वीकृ ित ा त<br />

करना आव यक होगा।<br />

(2) कोई सरकार कमचार, जो अपने एक माह के वेतन क धनरािश अथवा पया 5000/- जो भी<br />

कम हो, से अिधक मू य क कसी चल स प के स ब ध म य-वय के प म या अ य<br />

कार से कोई यवहार करता ह तो ऐसे यवहार क रपोट तुर त समुिचत ािधकार को<br />

करेगा:<br />

ितब ध यह ह क कोई सरकार कमचार िसवाय कसी याित ा त (रेपूटेड) यापार<br />

या अ छ साख के अिभकता के साथ या ारा समूिचत ािधकार क पूव वीकृ ित के साथ इस कार<br />

कोई यवहार नहं करेगा।<br />

(3) थम िनयु के समय और त परा त हर पॉच वष क अविध बीतने पर येक सरकार<br />

कमचार सामा य प से िनयु करने वाले ािधकार को, ऐसी सभी अचल स प क<br />

घोषणा करगे, जसका वह वयं वामी हो, जसे उसने वयं अजत कया जो, या जसे उसने


130<br />

दान के प म पाया हो या जसे वह पटा या रहने पर रखे हो, और ऐसे ह स का या अ य<br />

लगी हुई पूंजय क घोषाणा करेगा, ज ह वह समय-समय पर रखे या अजत कर, या उसक<br />

प नी या उसके साथ रहने वाले या कसी कार भी उस पर आित उसके परवार के कसी<br />

सद य ारा रखी गई हो या अजत हो गई हो। इन घोषणाओं म स प, ह स और अ य<br />

लगी हुई पूंजय के पूरे योरे दये जाने चाहए।<br />

(4) समुिचत ािधकार सामा य या वशेष आा ारा कसी भी समय कसी सरकार कमचार को<br />

यह आदेश दे सकता ह क वह आा से िनद ट अविध के भीतर ऐसे चल या अचल स प<br />

का, जो उसके पास अथवा उसके परवार के कसी सद य के पास रह हो या अजत क गई<br />

हो, और जो आा म िनद ट हो, एक स पूण ववरण-प तुत कर। यद समुिचत ािधकार<br />

ऐसी आा दे तो ऐसे ववरण-प म उन साधन (Meand) के या उस तरके (Source) योरे<br />

भी समिलत ह, जसके ारा ऐसी स प अजत क गई थी।<br />

2. शासन के संान म यह बात आयी ह क उपरो त िनयमावली म ावधान होने एवं शासन<br />

ारा वषय पर समय-समय पर िनगत प ट आदेश के प चात ् भी अिधकारय ारा अपनी चल या<br />

अचल स प का ववरण िनयमानुसार तुत नहं कया जा रहा ह और न अपेत पूव वीकृ ित<br />

ा त क जाती ह।<br />

3. शासन ने िनणय िलया ह क ऐसे अिधकार ज हने पंचवषय स प ववरण तुत नहं<br />

कये ह, को पंचवषय स प ववरण तुत करने के िलए प िनगत होने क ितिथ से तीन माह का<br />

अवसर दान कया जाय और यद उ त अविध म स प ववरण ा त नहं होता ह तो शासन ारा<br />

आचरण िनयमावली के उ त िनयम का अनुपालन न करने के िलए स बधत अिधकार के व<br />

यथोिचत कायवाह क जाएगी। कृ पया तुत कये जाने वाले स प ववरण म दशायी गयी येक<br />

अचल स प के अजन का प ट ो (Source) भी दया जाय तथा जन अिधकारय ने वगत म<br />

अपने स प ववरण तुत कये ह, वह ववरण तुत करने क ितिथ क सूचना उपल ध करा द।<br />

भवदय,<br />

आलोक कु मार जैन<br />

सिचव।<br />

सं या 472(1)/का-2-2003, त दनांक<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत।<br />

1- रज ार, उ च यायालय, नैनीताल।<br />

2- सिचव, लोक आयु त, उ तरांचल देहरादून।<br />

3- सिचव, लोक सेवा आयोग, उ तरांचल हरार।<br />

4- सिचवालय के सम त अनुभाग।<br />

आा से,<br />

आलोक कु मार जैन,<br />

सिचव।


131<br />

ेषक,<br />

नृप िसंह नपल याल,<br />

मुख सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सं या 468/कािमक-2/2004<br />

सेवा म,<br />

1- सम त मुख सिचव/सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

2- सम त वभागा य/मुख कायालया य<br />

उ तरांचल।<br />

3- सम त जलािधकार,<br />

उ तरांचल।<br />

कािमक अनुभाग-2 देहरादून, दनांक 25 माच, 2004<br />

वषय- विभ न सेवा संघ ारा सेवा स ब धी करण पर अवैधािनक तरके ा त कर<br />

सूचनाओं का समाचार-प म बयान/वि ारा काशन।<br />

महोदय,<br />

ाय: यह देखने म आ रहा ह क विभ न सेवा संघ ारा सेवा स ब धी करण पर<br />

वचाराधीन कायवाह के दौरान अवैध तरक से सूचनाओं को ा त करके , न के वल शासकय िनणय क<br />

या को बािधत कया जा रहा ह बक अवैधािनक तरके से ा त सूचनाओं को आधार बनाकर सीधे<br />

समाचार प को बयान/वि भी जार क जा रह ह, जससे न के वल शासन क छव धूिमल हो<br />

रह ह बक िनणय क या म भी ितकू ल भाव पड रहा ह।<br />

2. इस स ब ध म मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क सेवा संघ के पदािधकारय का इस<br />

कार का आचरण न के चल सेवा संघ के गठन के मूल उददे य के वपरत ह बक सरकार सेवक<br />

आचरण िनयमावली के ावधान का भी खुला उ लघंन ह। अत: इस स ब ध म कृ पया अपने<br />

अधीन थ सभी सेवा संघ के पदािधकारय को िनदिशत करने का क ट कर क यद भव य म कसी<br />

भी सेवा संघ के पदािधकारय ारा उपरो तानुसार आचरण कया जाता ह तो उसे ग भीरता से लेते हुए<br />

स बधत सेवा संघ के पदािधकारय के व संगत सेवा िनयम के अधीन कठोर अनुशासिनक<br />

कायवाह क जायेगी।<br />

भवदय,<br />

नृप िसंह नपल याल,<br />

मुख सिचव।


132<br />

ेषक,<br />

नृप िसंह नपल याल,<br />

मुख सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सं या 128/ XXX(2)/2004<br />

सेवा म,<br />

1- सम त मुख सिचव/सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

2- सम त म डलायु त/जलािधकार,<br />

उ तरांचल।<br />

3- सम त वभागा य,<br />

उ तरांचल।<br />

कािमक अनुभाग-2 देहरादून, दनांक 08 जुलाई 2004<br />

वषय- अनुब ध पर िनयु हेतु अनुब ध क शत के स ब ध म।<br />

महोदय,<br />

उपयु त वषय पर मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क ाय: यह देखने म आया ह<br />

क अनुब ध पर िनयुयां देते समय वभाग ारा अलग-अलग अनुब ध प बनाये जाते ह तथा शत<br />

भी िभ न-िभ न होती ह, जसके कारण अनुब ध प म एकपता नहं रहती ह और एकपता न होने<br />

के कारण अनेक पेचीदिगयॉं उ प न होती ह। अत: इस स ब ध म अनुब ध क शत के ह द/अंेजी<br />

ाप को प के साथ संल न करते हुए अनुरोध ह क कृ पया अनुब ध प पर िनयुयॉं करते समय<br />

संल न शत के अनुसार कायवाह करने का क ट कर।<br />

भवदय,<br />

नृप िसंह नपल याल,<br />

मुख सिचव।


133<br />

अनुब ध<br />

यह समझ िलया जाना चाहए क यप यह अनुब ध जैसा क विध ारा अपेत ह,<br />

उ तरांचल के रा यपाल के साथ कये गये अनुब ध के प म ह। क तु यह िनयु उ तरांचल सरकार<br />

ारा क गयी ह। इसके िलए चयिनत य अपने स पूण सेवाकाल म पूणत: उ त सरकार के आदेश<br />

के अधीन रहेगा।<br />

वष..............................के ................................महने के .......................<br />

दनांक..................को थम प और उ तरांचल के रा यपाल (ज ह इसम आ ‘सरकार’ कहा गया<br />

ह) तीय प के बीच कये गये करार के अनु छेद।<br />

जबक सरकार ारा थम प को िनयु त कया गया ह और थम प इसम एतप चात ्<br />

अ तव ट शत और िनब धन पर उ तरांचल सरकार म सेवा के िलए सहमत हो गया ह।<br />

अब यह वलेख इस बात का साी ह और दोन प पृथक-पृथक िन नानुसार सहमत हो गये<br />

ह क:-<br />

1. थम प, सरकार तथा अिधकारय और ािधकारय के , जनके अधीन उसे सरकार ारा<br />

समय-समय पर रखा जायेगा, आदेश का पालन करेगा और इसम यहॉं अ तव ट ावधान के<br />

अधीन रहते हुए वष.......................के ..................महने के दनांक .......................से<br />

.............................वष क अविध के िलए सेवा म रहेगा।<br />

2. थम प, अपना स पूण समय अपने काय के िलए देगा और सदैव भारत के कसी भी भाग<br />

म लोग सेवा क शाखा को विनयिमत करने के िलए सरकार सेवक क आचरण िनयमावली<br />

सहत समय-समय पर वहत िनयम का अनुपालन करेगा तथा ऐसे क त य का िन पादन<br />

करेगा जो उसे समनुदेिशत कये जाय।<br />

3. थम प क सेवा िन नानुसार समा त क जा सके गी:-<br />

(1) सरकार ारा उसे एक कै ले डर महने क िलखत सूचना देकर कसी भी समय, यद<br />

सरकार क राय म थम प इस अनुब ध के अधीन रहते हुए सेवा के दौरान अपने<br />

क त य के दतापूण िन पादन हेतु अनुपयु त पाया गया।<br />

(2) सरकार ारा बना कया पूव सूचना के , यद िचक सीय सा य के आधार पर सरकार<br />

का समाधान हो जाता ह क थम प अ व थ ह और अ व थता के कारण<br />

उ तरांचल म अपने क त य के िनवहन के िलए काफ समय तक उसके अयो य रहने<br />

क स भावना ह:


134<br />

पर तु सदैव यह क सरकार का यह विन चय क थम प के अ व थ रहने<br />

क स भावना ह, िन चायक होगा और थम प पर बा यकर होगा।<br />

(3) सरकार अथवा सम ािधकार वाले अिधकार ारा बना कसी पूव सूचना के यद<br />

थम प इस वलेख के कसी ावधान अथवा लोक सेवा क जस शाखा का वह<br />

सद य ह, उसके कसी िनयम क अवा या असंयम का दोषी ह।<br />

(4) इस अनुब ध के अधीन सेवाकाल के दौरान कसी भी समय उसके ारा सरकार को<br />

अथवा सरकार या उसके ािधकृ त अिधकार ारा बना कोई कारण बताए एक मास क<br />

िलखत सूचना ारा:<br />

पर तु तदैव यह क यहॉं उपबधता कसी नोटस के बदले सरकार ारा थम प को अथवा<br />

र थम प ारा सरकार को उसके एक महने के वेतन के समतु य रािश अथवा उस अविध के िलए<br />

जतनी एक माह का वेतन देने से स बधत नोटस क अविध से कम हो, उसके वेतन के बराबर<br />

धनरािश द जायेगी।<br />

इस ख ड के योजन हेतु वेतन श द से ता पय यह ह क यद कोई सेवािनवृ त य या<br />

अ यथा संवदा पर िनयु त कया जाता ह तो उसका वेतन इस संवदा क शत और िनब धन के<br />

अनुसार कये गये करार ारा िनयत कया जायेगा।<br />

4. यद थम प संवदा अविध के दौरान कसी समय इस अनुब ध के ख ड 3 के उपख ड (3)<br />

म उलखत कदाचार अथवा कसी आपरािधक कृ य का थम टया दोषी पाया जाता ह तो<br />

उसके व विधक उपब ध के अनुसार अनुशासिनक कायवाह क जायेगी।<br />

कसी पद पर िनयु त थम प को 0..........................क दर से िनयत मािसक वेतन<br />

(पशन के अितर त) का भुगतान कया जायेगा।<br />

5. संवदा पर िनयु त य वष के चौदह दन के आकमक अवकाश के अितर त कसी कार<br />

के अवकाश अथवा अवकाश वेतन का हकदार नहं होगा।<br />

6. यद थम प ारा लोक सेवा के हत म याा करना अपेत ह तो 0 10,000/- (पये<br />

दस हजार मा) तक मािसक वेतन पाने वाला कािमक साधारण ेणी के रेल के कराये तथा<br />

उससे अिधक वेतन पाने वाला कािमक वातानुकू िलत तीय ेणी शयनयान के रेल कराये के<br />

वा तवकता के आधार पर याा भ ते का हकदार होगा।<br />

7. इसम इससे पूव अ तव ट कसी बात के होते हुए भी थम प, जब तक क सरकार ारा<br />

अ यथा विनत न कया जाये, पूणत: अथवा अंशत: लाभ ा त करने का हकदार होगा जैसा<br />

क इस वलेख के दनांक के प चात ् सरकार ारा लोक सेवा क शाखा क सेवा के सद य क,<br />

जसका क वह त सयम सद य ह, सेवा शत और िनब धन म ािधकृ त कया जाये तथा


135<br />

थम प क सेवा शत और िनब ध म ऐसे सुधार के स ब ध म सरकार को विन चय इस<br />

वलेख के उपब ध क सीमा तक संशोिधत करने के िलए वृ त होगा।<br />

8. संवदा के आधार पर के वल िनयिमत पद पर िनयु क जा सके गी, जसके िलए भत<br />

िनयमावली पहले से ह वमान ह।<br />

9. कसी ऐसे मामले के स बनध म जसके िलए इस अनुब ध म कोई ावधान नहं कया गया<br />

ह, िसवल ऐसा (वगकरण, िनयंण और अपील) िनयमावली तथा उसके अधीन बनाये गये<br />

अ य िनयम अथवा ‘’भारत का संवधान’’ के अनु छेद 309 के पर तुक के अधीन बनाये गये<br />

या अनु छेद 313 म अ तव ट माने गये िनयम, उस सीमा तक लागू हगे जो यहॉं उपबधत<br />

सेवा पर लागू ह और उनके लागू होने के स ब ध मे सरकार का विन चय अतम होगा।<br />

जसके सा य म थम प............................तथा उ तरांचल के रा यपाल के िलए<br />

और उनक ओर से उ तरांचल सरकार के .....................वभाग म सिचव ारा थम<br />

उलखत दनांक और वष को इस पर ह तार कये गये।<br />

...............................क उपथित म थम भाग के प ारा ह तार कये गये।<br />

.................................क उपथित म उ तरांचल के रा यपाल के िलए और अनक<br />

ओर से उ तरांचल सरकार के ................................वभाग म उ त सिचव, ारा ह तार<br />

कये गये।<br />

ाप<br />

इसके अ तगत उलखत ी.............................को पुन: िनयु त कया गया ह और<br />

अनुब ध क शत म यथाव यक परवतन के अधीन रहते हुए उनक<br />

सेवा...............................वष क अविध के िलए आ बढाई जाती ह तथा अब से उनका<br />

िनयत वेतन........................................पये मािसक होगा।


136<br />

AGREEMENT<br />

It must be understood that athough the Agreement, as required by law, is in the form of an Agreement<br />

with the Governor of Uttaranchal, this appointment is made by the Government of Uttaranchal. A<br />

person selected for it, will be subject to, in all respects throughout his service, the orders of that<br />

Government.<br />

ARTICLRD OF AGREEMENT msde on the……………………..of<br />

…………….between……………………..of the first Part and the Governor of Uttaranchal (herdinafter<br />

referred to as “The Government”) of the second Part.<br />

WHEREAS The Government have engaged the party of the first part and the party of the first<br />

part has agreed to serve the Government of Uttaranchal on the term and conditions contained<br />

herdinafter.<br />

NOW THESE PRESENTS WITNESS and the parties hereto respectively agree as follows:-<br />

1. The party of the first part shall submit himself to the orders of the Government and the<br />

officers and authorities under whom he may from time to time be placed by the<br />

Government and shall remain in the service for the term of………..year commencing<br />

from the …………………..day of…………………subject to the provision herein<br />

contain.<br />

2. The party of the first part shall devote his whole time to his duties and at all times obey<br />

the rules including the Government servants conduct rules prescribed from time to time<br />

for the regulation of the branch of the public service in any part of india and perform<br />

such duties there as may be assigned to him.<br />

3. The service of the party of the first part may be terminated as follwos:-<br />

(1) At any time on one claendar month’s notice in writing given to him by the Government,<br />

if in the opinion of the Government the party of the first part is found to be unsuitable<br />

for the efficient performance of the duties during service under this Agreement.<br />

(2) By the Government without previous notice, if the Government is satisfied on medical<br />

evidence that the party of the first is unfit and is likely to continue unfit for a<br />

considerable period by reason of ill-health for the discharge of his duties in Uttaranchal:<br />

Provided always that the decision of the Government that the party of the first<br />

part is likely to continue to be unfit shall be concluive and binding on the party of the<br />

first part.<br />

(3) By the Government or the competent authority without any prior notice, if the first<br />

party is guilty of in subordination, intemperance or breach of provisions of those<br />

percent of any rules pertaining to the branch of the public service to which he may<br />

belong.<br />

(4) By one calendar month’s notice in writing given at any time during service under this<br />

Agreement either by him to the Government or by the Government or their authorised<br />

officer to him without cause assigned.:<br />

Provided always that the Government/party of the first part may in lieu of any<br />

notice herein provided give the party of the first part/Government a sum equivalent to<br />

the amount of his one month’s pay or a sum equal to the amount of his pay for the<br />

period by which such notice for the grant of one month’s pay falls short.<br />

Ther term “pay” for the purpose of this clause shall mean that in case a retired person or<br />

otherwise is appointed on contract his pay shall be fixed as agreed unpon as per the terms & conditions<br />

of the contract.<br />

4. If the party of the first part any time found guilty of misconduct mentioned sub. Clause<br />

(3) of clause 3 of here during his tenure and prima facie found guilty of any offence.<br />

Disciplinary action will be taken against him as per the provision of the law.<br />

The party of the first part appointed on a post shall paid fixed monthly pay (excluding<br />

pension) @ Rs……………………


137<br />

5. The person appointed on contract basis shall not be entitled to any kind of leave or<br />

leave salary there of other than fourteen days casual leave during the year.<br />

6. If the party of the first part is required to travel in the interest of public service, the<br />

employes drawing monthly salary up to Rs. 10,000/- (Ten thousand only) will be<br />

intitled for ordinary class rail fare and the employes drawing monthly salary more than<br />

Rs. 10,000/- will be entitled for lind class A.C. rail fare on actual basis.<br />

7. Notwithstanding anything herdinbefore contained, the party of the first part shall unless<br />

otherwise decided by the Government be entitled is received the benefits in whole or in<br />

part as may be authorised by the Government subsequent to the date of these presents in<br />

the terms and conditions of service of members of the branch of the public service to<br />

which he may for the time being belong and the decision of the Government in respect<br />

of such improvement in the terms and conditions of service of the party of the first part<br />

shall operate so as to modify to that extent the provisions of these presents.<br />

8. Appointment on contract basis may be made only on regular post, for which recruitment<br />

rules already exist.<br />

9. In respect of any matter for which no privision has been made in this Agreement the<br />

provision of the Civil Service (Classification, Control and Appeal) Rules and any other<br />

Rules made thereunder or deemed to be made under proviso to Article 309 or contained<br />

in Article 313 of the Constitution of India shall apply to the extent to which they are<br />

applicable to the service hereby provided for and the decision of the Government as to<br />

their applicability shall be final.<br />

In witness where of the party of the first part and…………….Secretary to the<br />

Government of Uttaranchal in the ……………………… Department for and on behalf<br />

of the Governor of Uttaranchal have hereinto set their hands the day and year first<br />

above written.<br />

Signed by the party of the first part in the presence of…………………………..<br />

Signed by the said Secretary to the Government of Uttaranchal in the……………<br />

Department for and on behalf of the Governor of Uttaranchal in the presence of<br />

…………………………<br />

MEMORANDUM<br />

The within named Mr. ………………………….. has been re-engaged and his service<br />

extended for a further period of ……………………… years mutatis mutandis subject to the conditions<br />

within Agreement and his monthly fixed pay shall be Rs…………………….. hencerforth.


138<br />

उ तरांचल शासन<br />

व त (सा0िन0-वे0आ0) अनुभाग-7<br />

सं या- 186/XXVII(7)/2006<br />

दनांक देहरादून: 08 माच, 2006<br />

अिधसूचना<br />

कण<br />

संवधान के अनु छेद 309 के पर तुक ारा द त श का योग करके और इस वषय म<br />

अब तक वमान िनयम अिधकमण करते हुए रा यपाल रा य कमचारय के सामा य भव य िनिध<br />

के विनयमन के िलये िन निलखत िनयमावली बनाते ह:-<br />

सामा य भव य िनिध (उ तरांचल) िनयमावली, 2006<br />

1. सं त नाम: और ार भ<br />

(क) िनयमावली सामा य भव य िनिध (उ तरांचल) िनयमावली, 2006 ह।<br />

(ख) यह तुर त व त होगी।<br />

2. परभाषाएं:<br />

(1) जब तक स दभ से अ यथा अपेत न हो, इस िनयमावली म:-<br />

(क) ऐसे समुह ‘घ’ के कमचारय के स ब ध म जनका लेखा वभागीय ािधकारय ारा<br />

रखा जाता ह ‘’लेखा अिधकार’’ का ता पय स ब आहरण एवं वतरण अिधकार से<br />

और अ य कमचारय के स ब ध म ऐसे अिधकार से ह जसको भारत के िनयंक<br />

महालेखा परक ारा अिभदाता के सामा य भव य िनिध लेखा का अनुरण करने<br />

का काय सपा गया हो।<br />

(ख) ‘’परलध’’ का ता पय- यद प ट प से अ यथा उपबंिधत हो तो उसके िसवाय,<br />

व तीय िनयम संह ख ड-2, भाग-2 से 4 म यथा परभाषत वेतन, छु ट वेतन या<br />

जीवन िनवाह अनुदान से है और इसके अ तगत वेतन, छु ट वेतन या जीवन िनवाह<br />

अनुदान, यद देय हो, पर देय समुिचत मॅहगाई वेतन और बाहय सेवा के स ब ध म<br />

ा त वेतन के कार का कोई पारिमक भी ह।<br />

(ग) ‘’परवार’’ का ता पय-<br />

(एक) पुष अिभदाता के मामले म अिभदाता क प नी या पय और संतान तथा अिभदाता<br />

के मृत पु क वधवा या वधवाओं और संतान से ह।<br />

पर तु यद अिभदाता यह साबत कर दे क उसक प नी उससे याियक प<br />

से पृथक कर द गयी ह या उस समुदाय क, जसक वह अंग ह, ढज य विध के<br />

अधीन भरण-पोषण क हकदार नहं रह गयी ह तो उसे ऐसे मामल म जनसे यह<br />

िनयमावली स बधत हो, आगे से अिभदाता के परवार का सद य नहं समझी जायेगा<br />

जब तक क अिभदाता बाद म िलखत प म लेखा अिधकार को यह सूिचत न करे<br />

क वह परवार क सद य समझी जाती रहेगी।


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(दो)<br />

(तीन)<br />

महला अिभदाता के मामले म, अिभदाता के पित और संतान तथा अिभदाता के मृत<br />

पु क वधवा या वधवाओं और संतान से ह।<br />

पर तु यद अिभदाता लेखा अिधकार को िलखत सूचना ारा अपने परवार से<br />

अपने पित को अपवजत करने क अपनी इ छा को य त करे तो पित को उसके<br />

आगे से ऐसे मामल म जससे यह िनयमावली स बधत हो, अिभदाता के परवार का<br />

सद य नहं समझा जायेगा, जब तक क अिभदाता बाद म ऐसी सूचना को िलखत प<br />

म रदद न कर।<br />

अिभदाता पर पूणत: आित अववाहत भाई बहन।<br />

ट पणी:- ‘’संतान’’ का ता पय धमज संतान से ह और इसके अ तगत जहॉं द तक हण<br />

अिभदाता पर शासी वीय विध ारा मा यता ा त हो, द तक संतान भी ह।<br />

(घ) ‘’िनिध’’ का ता पय सामा य भव य िनिध से ह।<br />

(ड) ‘’छु ट’’ का ता पय व तीय िनयम संह, ख ड-2 भाग 2 से 4 म यथा उपबधत<br />

कसी कार क छु ट से ह।<br />

(च) ‘’उपम’’ का ता पय िन निलखत से ह:-<br />

(एक) कसी उ तरांचल अिधिनयम या के य अिधिनयम ारा या उसके अधीन िनगिमत<br />

परिनयत िनकाय,<br />

(दो) क पनी अिधिनयम, 1956 क धारा 617 के अथा तगत सरकार क पनी;<br />

(तीन) सामा य ख ड अिधिनयम 1904 क धारा 4 के ख ड 25 के अथा तगत थानीय<br />

अिधकार,<br />

(चार) सोसाइटज रज करण अिधिनयम 1860 के अधीन रज कृ त वैािनक संगठन जो<br />

पूण या आंिशक प से के य सरकार या कसी रा य सरकार के िनयंणाधीन हो,<br />

(पाँच) ‘’वष’’ का ता पय व तीय वष से ह।<br />

(2) इस िनयमावली म यु त कसी अ य पद का, जो या तो भव य िनिध अिधिनयम,<br />

1925 (अिधिनयम सं या, 19 सनृ 1925) म या व तीय िनयम संह, ख ड-2 भाग 2<br />

से 4 म परभाषत हो, उपयोग उनम परभाषत भाग के अनुसार कया गया ह।<br />

(3) इस िनयमावली म द गयी कसी बात का भाव यह नहं समझा जायेगा क उसम<br />

इसके पूव यथा वमान भव य िनिध के अत व को समा त कया जा रहा ह या<br />

कसी नयी िनिध का गठन कया जा रहा है।<br />

3. िनिध का गठन:<br />

(1) िनिध भारत म पय म रखी जायेगी।<br />

(2) इस िनयमावली के अधीन िनिध म जमा क गयी सम त धनरािश सरकार क<br />

पुतकाओं म ‘सामा य भव य िनिध’’ नामक लेखा म जमा क जायेगी। ऐसी<br />

धनरािशयॉं जनका भुगतान इस िनयमावली के अधीन भुगतान ािधकार प जार<br />

करने के प चात ् छ:मास के भीतर नहं िलया गया हो, वष के अ त म ‘’िनेप’’ खाते


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म अ तरत कर द जायेगी और उसके स ब ध म िनेप से स बधत सामा य<br />

िनयम लागू हगे।<br />

4. पाता क शत:<br />

संवदा पर िनयु त कमचारय और पुनिनयोजत पशन भोिगय से िभ न<br />

सम त थायी एवं अ थायी सरकार सेवक जनक सेवाय एक वष से अिधक हो, सेवा<br />

म कायभार हण करने के दनांक से िनिध म अिभदान करगे।<br />

पर तु कोई सरकार सेवक जो 01 अ टूबर, 2005 या उसके प चात ् सेवा म<br />

वेश करता ह या अंशदायी पशन का वक प देता ह के करण टयर-2 यािन वैिछक<br />

भव य िनिध योजना टायर-2 होगी।<br />

ट पणी:-<br />

(1) िशुओं और परवीाधीन यय को इस िनयम के योजनाथ अ थायी सरकार<br />

सेवक समझा जायेगा।<br />

(2) ऐसे अ थायी सरकार सेवक जसके अ तगत िशिशु और परवीाधीन य भी ह<br />

ज ह िनयिमत या अ थायी रय के ित िनयु त कया गया ह और जनक सेवाय<br />

एक वष से अिधक जार रहने क स भावना हो, सेवा म कायभार हण करने के<br />

दनांक से िनिध म अिभदान करगे।<br />

(3) ऐसे अ थायी सरकार सेवक जो एक वष से िनर तर सेवा कसी मास के म य म पूरा<br />

करता ह वह अगले अनुवत मास से िनिध म अिभदान करगा।<br />

(4) जैसे ह कोई सरकार सेवक (िशुओं तथा परवीाधीन य भी) िनिध म अिभदान<br />

करने का दायी हो जाय वैसे ह कायपालक ािधकारय को चाहए क वे इसक सूचना<br />

लेखा अिधकार को दे द।<br />

5. नामांकन:<br />

(1) अिभदाता िनिध का सद य बनते समय वभागा य/कायालया य को नामांकन<br />

तुत करेगा जसम एक या अिधक ययॉं को ऐसी धनरािश ा त करने का<br />

अिधकार द त होगा जो उस धनरश के देय हो जाने पर भुगतान न होने के पूव<br />

उसक मृ यु क दशा म िनिध म उसके नाम जमा हो।<br />

पर तु कोई अिभदाता जसका नामांकन करने के समय परवार हो ऐसा<br />

नामांकन के वल अपने परवार के सद य या सद य के प म ह करेगा।<br />

पर तु यह और क ऐसी कसी अ य भव य िनिध के स बनध म जसम वह<br />

िनिध का सद य बनने के पूव अिभदान कर रहा था, अिभदाता ारा कये गये नामांकन<br />

को, यद ऐसी अ य िनिध म उसके नाम जमा धनरािश िनिध म उसके जमा म<br />

अ तरत कर द गयी हो, इस िनयम के अधीन स यक् प से कया गया नामांकन<br />

तब तक समझा जायेगा जब तक क वह इस िनयम के अनुसार नामांकन नहं करता।<br />

(2) यद अिभदाता उप िनयम (1) के अधीन एक से अिधक यय को नामांकत करता<br />

ह तो वह नामांकन म येक नामांकती को देय धनरािश या अंश से ऐसी रित से


141<br />

विनद ट करेगा जससे क स पूण धनरािश का जो कसी भी समय िनिध म उसके<br />

नाम जमा हो, समावेश हो जाय।<br />

(3) येक नामांकन थम अनुसूची मे दये गये प म होगा। वह ािधकार जसे<br />

नामांकन तुत कया जाय, यह सुिनत करेगा क वह िनयमानुसार ह और उसक<br />

ाि सूचना उसके ारा वीकार क जायेगी। यद नामांकन अपूण या ुटपूण पाया<br />

जाय तो उसे ठक करने और पून: तुत करने के िलये अिभदाता को लौटा दया<br />

जायेगा। जब नामांकन वीकार कर िलया गया हो तब उसके स बनध म अपेखत<br />

वयॉं अिभदाता क सामा य भव य िनिध पास बुक म समुिचत थान पर दज<br />

क जायेगी और उस पर आहरण एवं वतरण अिधकार ारा स यक प से ह तार<br />

कया जायेगा। नामांकन अिभदाता क सामान ्य भव य िनिध पासबुक से बांधकर रखा<br />

जायेगा और जब उसका कसी दूसरे वभाग या कायालय को थाना तरण हो जाय तब<br />

उसक सामा य भव य िनिध पासबुक के साथ-साथ नामांकन पासबुक म इस आशय<br />

क व करने के प चात ् स बघत आहरण एवं वतरण अिधकार को अ तरत<br />

कया जायेगा और उनक ाि क सूचना भी उस कायालय से ा त क जायेगी।<br />

(4) अिभदाता कसी भी समय वभागा य/कायालया य को िलखत सूचना भेजकर<br />

नामांकन रदद कर सकता ह। अिभदाता ऐसी सूचना के साथ या पृथक प से इस<br />

िनयम के उपब ध के अनुसार कया गया नया नामांकन भेज सकता ह।<br />

(5) अिभदाता नामांकन म िन निलखत क यव था कर सकता ह:-<br />

(क) कसी विनद ट नामांकती क अिभदाता के पूव मृ यु क दशा म, उ त नामांकती को<br />

द त अिधकार ऐसे अ य य या यय को संिमत हो जायेगा जैसा नामांकन<br />

म विनद ट कया जाय। क तु ितब ध यह ह क ऐसे या ऐसे अ य य यद<br />

अिभदाता के परवार म अ य सद य ह, तो ऐसा या ऐसे अ य सद य होगा। हगे<br />

और जहॉं अिभदाता इस िनयम के अधीन एक से अिधक यय को ऐसा अिधकार<br />

दान करता ह वहॉं वह ऐसे येक य को देय धनरािश या अंश ऐसी रित से<br />

विनद ट करेगा क नामांकती को देय स पूण धनरािश का समावेश हो जाय।<br />

(ख) नामांकन म विनद ट कोई आकमकता होने क दशा म वह अविधमा य हो<br />

जायेगा।<br />

पर तु यद नामांकन करते समय अिभदाता का कोई परवार न हो तो वह<br />

नामांकन म वह यव था करेगा क बाद म उसका परवार हो जाने क दशा म<br />

अविधमा य हो जायेगा।<br />

पर तु यह और क यद नामांकन करते समय अिभदाता के परवार म के वल<br />

एक सद य हो, तो वह नामांकन म यह यव था करेगा क ख ड (क) के अधीन<br />

वैकपक नामांकती को द त अिधकार उसके अपने परवार म बाद म अ य सद य<br />

या सद य के शिमल हो जाने क दशा म अविधमा य हो जायेगा।


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(6) ऐसे नामांकती क जसके स ब ध म उपिनयम (5) के ख ड (क) के अधीन नामांकन<br />

म कोई वशेष उपब ध नहं कया गया ह, मृ यु होने पर या ऐसी कसी घटना पर<br />

जसके घटने पर जसके कारण नामांकन उपिनयम (5) के ख ड (ख) या उसके<br />

पर तुक के अनुसरण म अविधमा य हो जाय, अिभदाता तुर त<br />

वभागा य/कायालया य को नामांकन को रदद करते हुए िलखत सूचना भेजेगा<br />

तथा साथ म इस िनयम के उपब ध के अनुसार कया गया नया नामांकन भी भेजेगा।<br />

(7) अिभदाता ारा कया गया येक नामांकन और रदद करने को द गयी येक सूचना<br />

जहॉं तक यह विधमा य हो, उस दनांक को भावी होगी जस दनांक को वह<br />

वभागाध ्य/कायालया य ारा ा त हो।<br />

ट पणी- इस िनयम म जब तक संदभ से अ यथा अपेत न हो श द ‘’ य’’ या<br />

‘’ यय’’ के अ तगत कोई क पनी या यय का संगम या िनकाय भी ह चाहे वह<br />

िनगमत हो या नहं।<br />

6. अिभदाता का लेखा:<br />

(1) येक अिभदाता के नाम एक लेखा खोला जायेगा जसम िन निलखत दशाया<br />

जायेगा:-<br />

(एक) उसका अिभदाता<br />

(दो) ऐसी अ य धनरािश जैसी सरकार समय-समय पर जैसा करने के िलये विन चयत<br />

कर,<br />

(तीन) अिभदान पर िनयम 11 ारा यथा उपबधत याज,<br />

(चार) अिभदान पर िनयम 12 ारा यथा उपबधत बोनस,<br />

(पॉंच) िनिध से अिम और आहरण।<br />

(2) इस िनयम के वृ त होने के दनांक से पूव अिभदाता के खाते म राजाानुसार जमा<br />

धनरािश भी वैध प से इस कार जमा समझी जाएगी, जैसे इस िनयम के उपब ध<br />

उस समय से पूव भी लागू थे।<br />

6. (1) लेख का सह रख-रखाव:<br />

(1) सामा य भव य िनिध से स बधत लेखा सं या (एकाउ ट न बर) का शत ् ितशत<br />

सह होने के िलये वग ‘ग’ तथा उससे उ च कमचारय/अिधकारय के करण म<br />

एक बार महालेखाकार से िमलान कर कोषागार म उपल ध स बधत कमचारय के<br />

‘’डाटा बेस’’ को सह एवं अाविधक करा िलया जाय।<br />

(2) वग ‘’घ’’ के करण म मानक के आधार पर भव य िनिध खाता सं या आवंटत क<br />

जाय। ऐसे कमचारय क खाता सं या आवंटन करने हेतु स बधत कमचार के वेतन<br />

आहरण के कोषागार का सू म नाम जैसे अ मोडा के िलये ALM, बागे वर के िलये<br />

BGS, च पावत के िलये CMP, चामोली के िलये CML, देहरादून के िलये DDN,<br />

हरार के िलये HDR, कोटार के िलये KDR, लै सटाउन के िलये LDN, नैनीताल<br />

के िलये NTL, नरे नगर के िलये NGR, पौड के िलये PRI, पथौरागढ के िलये PTH,


143<br />

डक के िलये RKY, याग के िलये RPG, टहर के िलये THY, उ तरकाशी के िलये<br />

UKS, उधमिसंह नगर के िलये UNR, ह ानी के िलये HLD, रानीखेत के िलये RKT,<br />

एवं चकराता के िलये CKT, आद कोड िलखा जाय, एक बार जो िभ व य िनिध खाता<br />

आवंटत कया जाये उसे िनर त न कया जाय तथा रा य क सीमा म थाना तरण<br />

होने पर भी वग ‘’घ’’ क भव य िनिध का कोषागार कोड एवं खाता सं या परवितत<br />

न कया जाय। कोषागार के उ त सू म नाम के बाद (आहरण एवं वतरण अिधकार)<br />

कोड सं या स बधत कोषागार के अनुसार परवतन होगा तथा उसके बाद येक<br />

(आहरण एवं वतरण अिधकार) के यहॉं 5 डजट कोड ( यूनतम 00001 तथा<br />

अिधकतम 99999) डाला जाय। उदाहरणाथ बजट अिधकार व त वभाग के यहॉं<br />

कायरत वग ‘’घ’’ के कमचार ी कमल जसका बजट अिधकार (आहरण एवं वतरण<br />

अिधकार) कोड 4268 के अिध ठान म मांक 3 ह तो उसे सामा य भव य िनिध<br />

खाता सं या: DDN/4268/00003 आवंटत कया जा सकता ह। इस कार आवंटत<br />

कोड को कोषागार को सूिचत करने के बाद पुन: एक बार शत ् ितशत िमलान<br />

स बधत कोषागार के एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली के ‘’डाटा बेस’’ से अव यक<br />

कया जाय। येक आहरण एवं वतरण अिधकार ारा वग ‘’घ’’ क भव य िनिध<br />

खाता सं या आवंटत करने हेतु एक थायी पंजी बनाई जाये तथा िनधारत मानक के<br />

अनुसार वग ‘’घ’’ म थम िनयु को भव य म िनर तर मांक म अाविधक रखा<br />

जाय।<br />

सामा य भव य िनिध खाते से अिम/अतम िन कासन िनधारत मानक के<br />

अधीन सम अिधकार ारा येक करण का येक अिभदाता क खाता सं या का<br />

उ लेख करके वतं आदेश तथा वतं देयक (इ डपे डेन ्ट बल) कोषागार म तुत<br />

कया जाय। आहरण एवं वतरण अिधकार के मा यम से स बधत कमचार के नाम<br />

ह वतं अिभदाता के नाम (एकाउ टपेयी) चेक कोषागार ारा िनगत करके भुगतान<br />

कया जाय।<br />

(4) आहरण एवं वतरण अिधकार/कायालया य का यगत दािय व ह क येक<br />

कमचार/अिधकार क सामा य भव य िनिध से होने वाली कटौती, भुगतान का<br />

कोषागार वाउचर सं या, दनांक तथा तस ब धी धनरािश का उ लेख खाते (लेजन),<br />

पासबुक आद म कया जाय। येक माह क 15-20 तारख के म य ठक पूव माह<br />

क कटौितय/भुगतान से स बधत ववरण के अिभलेख/पासबुक पर आहरण एवं<br />

वतरण अिधकार इस आशय से ह तार करगे क कटौितय के भुगतान का सह<br />

ववरण अाविधक कया गया ह।<br />

(5) व तीय वष क थम छमाह एवं तीय छमाह पूण होने एक माह के अ दर<br />

अाविधक पासबुक अिभदाता को दखाकर उस पर अिभदाता के ह तार करा कर<br />

स यापन सुिनत कया जाय।


144<br />

(6) येक व तीय वष समा त होने पर, वल बतम ् 15 मई तक वग ‘’घ’’ के करण म<br />

उस व तीय वष म अनुम य याज का आगणन कर लेखा पच स बधत कमचार<br />

को उपल ध करायी जाय। वग ‘’ग’’ तथा उ च ेणी के कािमक क पासबुक क<br />

छाया-ित को, जसम व तीय वष क मािसक कटौितयां, भुगतान यद कोई हो,<br />

ारभक अवशेष तथा अतम अवशेष िलखा गया हो, महालेखाकार कायालय के<br />

स बधत िनिध (फ ड) अनुभाग म उपल ध करा दया जाय जससे शत ् ितशत सह<br />

लेखा तैयार कया जाय एवं समय से लेखा पच जार क जाय।<br />

7. अिभदान क शत और दर:<br />

(1) अिभदाता उस अविध को छोडकर जब वह िनलबत हो, िनिध म मािसक प म<br />

अिभदान करेगा:<br />

पर तु जब अिभदाता पुन: थापना पर िनल बन क अविध का पूरा वेतन<br />

ा त करता ह तो वह उस अविध के िलये देय बकाया अिभदान एक मु त या क त<br />

म, जैसा अवधारत कया जाय, करेगा। अ य थितय म अिभदाता अपने वक प पर,<br />

िनल बन क अविध के िलये देय बकाया अिभदान का भुगतान एक मु त या क त म<br />

जैसा अवधारत कया जाय कर सके गा।<br />

पर तु यह और क अिभदाता ऐसे छु ट के दौरान जसके िलये या तो कोई<br />

छु ट वेतन न िमले या आधा वेतन या अध औसत वेतन के बराबर छु ट वेतन िमले,<br />

अपने वक प पर चाहे तो अिभदान नहं करेगा।<br />

(2) अिभदाता उपिनयम (1) के तीय पर तुक म िनद ट छु ट के दौरान अिभदान न<br />

करने के अपने चयन क सूचना िन निलखत रित से देगा:-<br />

(क) यद वह ऐसा अिधकार ह जो अपने िनजी वेतन बल का आहरण करता हो तो वह<br />

छु ट पर जाने के प चात ् तैयार कये गये अपने थम वेतन बल म अिभदान के<br />

मददे कोई कटौती न करके ।<br />

(ख) यद वह ऐसा अिधकार नहं ह जो अपने िनजी वेतन बल का आहरण करता हो तो<br />

वह छु ट पर जाने के पूव अपने कायालय के धान को िलखत सूचना ारा:<br />

स यक और समय से सूचना न देने पर यह समझा जायेगा क उसने अिभदान<br />

करने का चुनाव कर िलया ह। इस उप-िनयम के अधीन अिभदाता ारा द गयी सूचना<br />

अतम होगी।<br />

(3) अिभदाता जसने िनयम 24 के अधीन िनिध म अपने नाम से जमा धनरािश का<br />

आहरण कर िलया ह, ऐसे आहरण के प चातृ िनिध म अिभदान नहं करेगा जब तक<br />

क वह छु ट से यूट पर न लौट आये।<br />

(4) उप िनयम (1) म कसी बात के होते हुये भी:<br />

(क) अिभदाता क सेवािनवृ या अिधविशता के पूव उसके अतम छ: मास के वेतन से<br />

िनिध म अिभदान के िलये कोई कटौती नहं क जायेगी।


145<br />

(ख) अिभदाता उस मास के िलये जसम वह सेवािनवृ या अिधवाषता पर से िभ न अ य<br />

प से सेवा का याग करता ह, तब तक िनिध म अिभदान नहं करेगा जब तक क<br />

वह उ त मास के ार भ होने के पूव उ त मास के िलये अिभदान करने के अपने<br />

वक प क िलखत सूचना कायालया य को न दे दे।<br />

8. अिभदान क धनरािश:<br />

(1) अिभदान क धनरािश अिभदाता ारा वंय ारा इस शत के अधीन रहते हुऐ िनधारत<br />

क जायेगी क धनरािश 10 ितशत से कम और उसके मूल वेतन क धनरािश से<br />

अिधक नहं होगी और पूण पय म य त क जायेगी। यद कसी<br />

िनयमावली/शासनादेश म मूल वेतन क जगह परलधयॉं परभाषत ह तब तदनुसार<br />

कायवाह क जाय। व तीय िनयम संह ख ड पॉच भाग-1 के िनयम-81 के उपिनयम<br />

(3) के अनुसार ‘’स पूण कटौितयॉं एक ितहाई भाग क दर से अिधक नहं ह सके गी’’<br />

का भी यान रखा जाय।<br />

(2) उपिनयम (1) के योजनाथ अिभदाता का मूल वेतन िन निलखत होगा:-<br />

(क) ऐसे अिभदाता के मामल म, जो पूववत वष के 31 माच को सरकार सेवा म था वह<br />

मूल वेतन जसका वह उस दनांक को हकदार था।<br />

पर तु-<br />

(एक) यद अिभदाता उ त दनांक को छु ट पर था और ऐसी छु ट के दौरान अिभदान न<br />

करने का उसने चुनाव कया था या उ त दनांक को िनलबत था तो उसका जीवन<br />

िनवाह भ त वह मूल वेतन होगा जसका वह अपनी यूट पर लौटने के प चात ् थम<br />

दन का हकदार था,<br />

(दो) (क) यद अिभदाता उ त दनांक को भारत के बाहर ितिनयु पर था या उ त<br />

दनांक को छु ट पर था और छु ट पर ह चल रहा हो और ऐसी छु ट के दौरान<br />

उसने अिभदान करने का चुनाव कया हो तो उसका मूल वेतन वह मूल वेतन होगा<br />

जसका वह हकदार होता यद वह भारत म यूट पर होता।<br />

(ख) ऐसे अिभदाता के मामले म जो पूववत वष के 31 माच को सरकार सेवा म नह था,<br />

उसका मूल वेतन ऐसा मूल वेतन होगा जसका वह िनिध का सद य बनने के दनांक<br />

को हकदार था।<br />

(3) अिभदाता येक वष मं अपने मािसक अिभदान क धनरािश के िनधारण क सूचना<br />

िन निलखत रित से देगा:-<br />

(क) यद वह पूववत वष 31 माच को यूट पर था, तो कटौती ारा जसे वह उस मास के<br />

अपने वेतन बल से इस िनिम त कराये।<br />

(ख) यद वह पूववत वष के 31 माच को छु ट पर था, और ऐसी छु ट के दौरान अिभदान<br />

न करने का उसने चुनाव कया हो या उस दनांक को िनलबत था तो कटौती ारा<br />

जसे वह अपनी डृयूट पर लौटने के प चात ् अपने थम वेतन बल से इस िनिम त<br />

कराये।


146<br />

(ग) यद उसने वष के दौरान पहली बार सरकार सेवा म वेश कया हो तो कटौती ारा<br />

जसे वह उस मास के िलये जसके दौरान वह िनिध का सद य बने, अपने वेतन बल<br />

से इस िनिम त कराये,<br />

(घ) यद वह पूववत वष के 31 माच को छु ट पर था, और छु ट पर बना रहे और ऐसी<br />

छु ट के दौरान अिभदान करने का उसने चुनाव कया ह तो कटौती ारा जले वह उस<br />

मास के िलये अपने वेतन बल से कराये।<br />

(ड) यद वह पूववत वष के 31 माच को कसी उपम म बाहय सेवा पर था तो चालू वष<br />

म अैल मास के िलये अिभदान के मददे कोषागार चालान के मा यम से भारतीय टेट<br />

बक म धनरािश जमा करके या बक ाट के मा यम से लेखािधकार को धनरािश<br />

असारत करके ।<br />

(4) इस कार िनधारत अिभदान क धनरािश को-<br />

(क) वष के दौरान कसी समय एक बार कम कया जा सकता ह,<br />

(ख) वष के दौरान दो बार बढाया जा सकता ह।<br />

पर तु जब अिभदान क धनरािश इस कार कम कर द जाय तो वह उस<br />

िनयम (1) म वहत यूनतम से कम नहं होगी।<br />

पर तु यह और क यद अिभदाता कसी कले डर मास के भाग के िलये बना<br />

वेतन के छु ट पर या अ वेतन/अ औसत वेतन पर छु ट पर हो और उसने ऐसी<br />

छु ट के दौरान अिभदान न करने का चुनाव कया हो तो इस वेतन क धनरािश छु ट<br />

पर यतीत कये गये दन क सं या जसके अ तगत ऊपर िनद ट से िभ न छु ट<br />

यद कोई हो भी ह, अनुपात म होगा।<br />

9. बाहय सेवा या भारत के बाहर ितिनयु पर थाना तरण:<br />

जब अिभदाता का थाना तरण बाहय सेवा म कर दया जाय या उसे भारत के<br />

बाहर ितिनयु पर भेज दया जाय तो वह िनिध के िनयम के अधीन उसी कार<br />

रहेगा मान उसका इस कार थाना तरण नहं कया गया हो या उसे ितिनयु पर<br />

नहं भेजा गया हो।<br />

10. अिभदान क वसूली:<br />

(1) जब मूल वेतन का आहरण भारत म कसी सरकार कोषागार से या भारत के बाहर<br />

संवतरण के कसी ािधकृ त कायालय से कया जाय तब अिभदान और अिम क<br />

वसूली वयं मूल वेतन से क जायेगी।<br />

(2) (क) जब कोई अिभदाता उ तरांचल रा य म थत कसी उपम म बाहय सेवा पर हो<br />

तो उपयु त देय क वसूली ित माह ऐसे उपम ारा क जायेगी और उसे कोषागार<br />

चालान के मा यम से भारतीय टेट बक म जमा कया जायेगा।<br />

(ख) उ तरांचल रा य के बाहर थत कसी उपम म अिभदाता के ितिनयु पर होने क<br />

दशा म उ त देय क वसूली ित मास उस उपम ारा क जायेगी और भारतीय<br />

टेट बक के बक ाट के मा यम से लेखा अिधकार को भेज द जायेगी।


147<br />

(ग) यद अिभदाता कसी अ य सं था म वाहय सेवा पर हो तो वाहय िनयोजनक या<br />

अिभदाता ित मास उ त देय को कोषागार चालान के मा यम से भारतीय टेट बक<br />

म जमा करेगा, यद सं था उ तरांचल रा य म थत हो या देय को ित मास<br />

भारतीय टेट बक के बक ाट के मा यम से लेखा अिधकार को भेजेगा यद सं था<br />

उ तरांचल रा य के बाहर थत हो।<br />

ट पणी-<br />

जब देय को कोषागार चालान के मा यम से भारतीय टेट बक म जमा कया<br />

जाय तो यह सुिनत कया जाना चाहये क अिभदाता क लेखा सं या और अ य<br />

सुसंगत वयॉं सह भर जाय।<br />

(3) यद अिभदाता उस दनांक से जस दनांक को उससे िनिध का सद य बनने क अपेा<br />

क जाय, अिभदान करने म वफल रहेगा वष के दौरान कसी मास या मास म िनयम<br />

7 म जैसा उपबधत ह उससे अ यथा यम करता ह तो अिभदान के बकाये के<br />

मददे िनिध म कु ल धनरािश का भुगतान अिभदाता ारा तुर त कर दया जायेगा या<br />

यितम करने पर उसक वसूली उसक परलधय से क त म या अ य कार से<br />

जैसा तीय अनुसूची के पैरा 1 म विनद ट ािधकार ारा िनदश दया जाय, कटौती<br />

करके क जायेगी।<br />

11. याज:<br />

(1) उप िनयम (5) उपब ध के अधीन रहते हुये, सरकार अिभदाता के लेखे म जमा करके<br />

ऐसी दर पर जैसी ितवष भारत सरकार ारा अवधारत क जाय, याज का भुगतान<br />

करेगी।<br />

(2) (क) येक वष के अतम दन अिभदात के लेखे म याज िन निलखत रित से<br />

जमा कया जायेगा:-<br />

(एक) पूववत वष के अतम दनांक को अिभदाता के खाते म जमा धनरािश पर चालू वष<br />

क समाि तक,<br />

(दो) (क) पूववत वष के अतम दनांक के प चात ् लेखे म जमा सम त धनरािश पर जमा<br />

के दनांक से चालू वष क समाि तक,<br />

(ख) चालू वष के दौरान िनकाली गयी कसी धनरािश पर उस मास के जसम ऐसी धनरािश<br />

िनकाली गयी थी, थम दन से चालू वष के अ त तक कोई याज अनुम य नहं<br />

होगा,<br />

(ग) यद उपयु तानुसार अवधारत याज क धनरािश पूण पय म न हो तो उसे<br />

िनकटतम पूण पये म पूणाकत कया जायेगा, पचास पैसे से कम पये के कसी<br />

भाग को छोडकर दया जायेगा और कसी अ य भाग को अगले उ चतर पये के प<br />

म िगना जायेगा।<br />

प टकरण: पूववत वष के अतम दनांक को अिभदाता के नामे जमा धनरािश के<br />

अ तगत ऐसे पूववत वष के िलये देय बोनस, यद कोई हो, क धनरािश भी है।


148<br />

पर तु जब अिभदाता के नामे जमा धनरािश देय हो गयी हो तो इस उप िनयम<br />

के अधीन उस पर याज, यथाथित, चालू वष के ार भ से या जमा के दनांक तक<br />

जब अिभदाता के नाम जमा धनरािश देय हो गयी, क अविध के स ब ध म ह जमा<br />

कया जायेगा।<br />

(3) इस िनयम म परलधय से वसूली के मामले म जमा के दनांक को उस मास का<br />

जसम वह वसूल कया जाय थम दन समझा जायेगा:<br />

पर तु यद अिभदाता के वेतन या छु ट वेतन और भ त के आहरण म<br />

वल ब हुआ हो और परणाम वप िनिध म उसके अिभदान क वसूली म वल ब<br />

हुआ हो तो ऐसे अिभदान पर याज उस मास से देय होगा जसम अिभदाता का वेतन<br />

या छु ट वेतन िनयम के अधीन देय था, इस बात को म लाये बना क वह<br />

वा तव म कस माह म आहरत कया गया था। पर तु यह और क यद कसी मास<br />

क परलधय का आहरण और वतरण उसी मास के अतम काय दनांक को कया<br />

जाय, तो जमा का दनांक उसके अिभदान क वसूली के मामले म अनुवत मास का<br />

थम दन समझ जायेगा।<br />

(4) िनयम 20, 21 या 22 के अधीन भुगतान क जाने वाली कसी धनरािश के अितर त<br />

उस पर उस मास के जसम भुगतान ािधकृ त कया जाय, पूववत मास के अ त तक<br />

का याज उस य को जसको ऐसी धनरािश का भुगतान कया जाना हो देय होगा।<br />

पर तु यद िनयम 24 के उपिनयम (4) और (5) के अधीन अपेत आवेदन<br />

प सब कार से पूरा करके दावा क गयी धनरािश के दये होने के दनांक के छ: मास<br />

क समाि के प चात ् कायालया य या वभागा य को, जसका कत य उस लेखा<br />

अिधकार को असारत करता ह, तुत कया जाय तो याज के वल उस माह के<br />

जसम भुगतान ािधकृ त कया जाय, पूववत मास क समाि तक या उस मास के<br />

जसम ऐसी धनरािश देय हो गयी, पश ्चात ् बारहव मास क समाि तक, इनम से जो<br />

भी पहले हो, देय होगी, िसवाय उस थित के जसम स ब कायालया य या<br />

वभागा य के समाधानानुसार यह साबत हो जाय क उ त आवेदन प के तुत<br />

करने म वल ब आवेदक के िनंण से पर क परथितय के कारण हुआ था। और<br />

ऐसे मामले म इस पर तुक के ितब ध लागू नहं हगे।<br />

पर तु यह और क यद ऐसे अिभदाता को जो कसी उपम म ितिनयु<br />

पर हो, उपम म बाद म भूतली दनांक से आमेिलत कर िलया जाय, तब अिभदाता<br />

क िनिध म संिचत धनरािश पर देय याज क गणना करने के योजनाथ आमेलन<br />

स ब धी आदेश के जार करने के दनांक को ऐसा दनांक समझा जायेगा जब<br />

अिभदाता के नाम जमा धनरािश देय हो गयी।<br />

(5) अिभदाता के लेखा म याज जमा नहं कया जायेगा यद वह आहरण एवं वतरण<br />

अिधकार को यह सूिचत करे क वह उसे ा त नहं करना चाहता ह। क तु यद वह


149<br />

बाद म याज क मांग करे तो उसे उस वष के , जसम वह उसक मांग करता ह थम<br />

दनांक से जमा कया जायेगा।<br />

(6) यद यह पाया जाए क अिभदाता ने िनिध से आहरण के दनांक को अपने खाते म<br />

जमा धनरािश से अिधक धनरािश िनकाल ली ह तो अित आहरत धनरािश का ितदान<br />

भले ह अित आहरण िनिध से कसी अिम या अतम िन कासन के दौरान कया<br />

गया हो, उस पर याज सहत उसके ारा कया जायेगा, या यितम करने पर,<br />

अिभदाता क परलधय या अ य देय से कटौती करने, उसक वसूली करने का<br />

आदेश दया जायेगा। यद अिभदाता अब भी सेवा म ह तो साधारणत: धनरािश का<br />

ितदान उसके ारा कया जायेगा या उससे एक मु त वसूल कया जायेगा क तु यद<br />

वसूली क जाने वाली कु ल धनरािश अिभदाता क परलधय के आधे से अिधक हो तो<br />

वसूिलय क सेवािनवृ के पूव क अविध को यान म रखते हुये मािसक क त म,<br />

जैसा अवधारत क जाय, क जा सकती ह। ऐसे अिभदाता के मामले म जो अब सेवा<br />

म न हो उसके ारा याज सहत स पूण धनरािश का ितदान कया जायेगा या उससे<br />

एक मु त वसूल क जायेगी। आहरण के सम त मामल म, जहॉं अित आहरत<br />

धनरािश या उसके भाग को याज सहत अ य साधन से वसूल नहं कया जा सकता<br />

वहॉं उसक वसूली भू-राज व के बकाये क भांित क जायेगी। अित आहरत धनरािश<br />

को, वसूली के प चात ् स ब वभाग के ाि शीषक के अधीन सरकार लेखे म जमा<br />

कया जायेगा।<br />

(7) उपिनयम (6) म िनद ट अित अ ◌ाहरत धनरािश पर ली जाने वाली याज क दर<br />

उपिनयम (1) के अधीन भव य िनिध अितशेष पर याज क सामा य दर से 2-1/2<br />

ितशत अिधक होगी। अित आहरत धनरािश पर वसूल कये गये याज को<br />

लेखाशीषक –‘72049- याज ाियॉं-रा य/संघ रा य े सरकार क याज ाियॉं-<br />

अ य ववध ऋण पर याज’’ के अ तगत उपशीषक ‘’भव य िनिध से अित आहरण<br />

पर याज’’ म सरकार लेखे म जमा कया जायेगा।<br />

(8) यद िनयम 23 के अधीन कोई अिधक या गलत भुगतान कर दया जाय तो इस कार<br />

भुगतान क गयी धनरािश को याज सहत जैसा क ऊपर उप िनयम (6) म<br />

उलखत ह मृत अिभदाता क परलधय या अ य देय से वसूल कया जायेगा और<br />

उसे उपयु त उपिनयम म वहत रित से सरकार लेख म जमा कया जायेगा। यद<br />

ऐसा कोई देय न हो या अिधक भुगतान क गयी धनरािश क पूण वसूली उससे नहं<br />

क जा सकती तो देय धनरािश क वसूली, यद आव यक हो, उस य से जसने<br />

अिधक या गलत भुगतान ा त कया हो, भू-राज व के बकाये क भांित क जायेगी।<br />

ट पणी- िनयम 20 के अधीन अिम/आहरण, अतम भुगतान/भुगतान के िलये सम त<br />

अनुरोध को यान से संवीा क जायेगी और ऐसे मामल म जहॉं अिधक भुगतान<br />

हुआ हो, उ तरदािय व िनधारत कया जाना चाहये और यद आव यक हो तो,<br />

शासिनक और लेखा ािधकारय दोन के व कायवाह क जायेगी।


150<br />

12. ेरक बोनस योजना:<br />

शासन क नीितय के अधीन या अपनायी जायेगी।<br />

13. िनिध से अिम:<br />

(1) ेणी ‘’घ’’ के िलये कायालया य तथा शेष के िलये िनयु िधकार के ववेक पर,<br />

उपिनयम (2), (3), (4), (5), (6) या (7) म उलखत शत के अधीन रहते हुए,<br />

कसी अिभदाता को िनिध म उसके खाते म जमा धनरािश से अ थायी अिम (पूण<br />

पये म) दया जा सकता ह।<br />

ट पणी:- आवेदन प तथा वीकृ ित आदेश का ाप परिश ट ‘’क’’ पर दया गया है।<br />

(2) कोई अिम तब तक वीकृ त नहं कया जायेगा जब तक वीकृ ित ािधकार का<br />

समाधान न हो जाय क आवेदक क आिथक परथितयॉं उसको यायोिचत ठहराती ह<br />

और क उसका यय िन निलखत उददे य पर, न क अ यथा कया जायेगा, अथात-<br />

(एक) बीमार, सावाव था या वकलांगता के स ब ध म यय जसके अ तगत, यद<br />

आव यक हो, अिभदाता उसके परवार के सद य या उस पर वा तव म आित कसी<br />

अ य य का याा यय भी ह, क पूित पर,<br />

(दो) उ च िशा के यय क पूित पर जसके अ तगत यद आव यक हो, अिभदाता उनके<br />

परवार के सद य या उस पर वा तवक प से आित कसी अन ्य य का<br />

िन निलखत दशाओं म याा यय भी ह, अथात ्:-<br />

(क) हाई कू ल तर के बाद शैक, ाविधक वृक या यवसाियक पाठयम के िलए<br />

भारत के बाहर िशा, और<br />

(ख) हाई कू ल तर के बाद भारत म िचक सा, अिभय ण या अ य ाविधक या<br />

वशेषत पायम।<br />

(तीन) अिभदाता क परथित के अनुकू ल पैमाने पर आवब कर यय क पूित पर जसे<br />

अिभदाता ारा ढगत भाव के अनुसार अिभदाता के िनयम के स ब ध म भी उसके<br />

परवार के सद य या उस पर वा तवक प से आित कसी अ य य के ववाह,<br />

अ य िनद ट या अ य गृह कम के स ब ध म उपगत करना हो,<br />

(चार) अिभदाता, उसके परवार के कसी सद य या उस पर वा तवक प से आित कसी<br />

य ारा या उसके व संथत विधक कायवाहय के यय क पूित पर,<br />

(पॉंच) अिभदाता के ितवाद के यय क पूित पर, जहॉं वह अपनी ओर से कसी तथाकिथत<br />

पदय कदाचार के स ब ध म जाित म अपना ितवाद करने के िलये कसी विध<br />

यवसायी को िनयु त करे,<br />

(छ:) गृह या गृह थान के िलये या उसके िनवास के िलये गृह िनमाण या उसके गृह के<br />

पुनिनमाण, मर मत या उनम परवन या परवतन के िलये या गृह िनमाण योजना<br />

जसके अ तगत व-व त पोषत योजना भी ह, के अधीन कसी वकास ािधकरण<br />

थानीय िनकाय, आवास परषद या गृह िनमाण सहकार सिमित ारा उसे गृह थान<br />

या गृह के आवंटन के िलये भुगतान करने के िलये यय या उसके भाग क पूित पर,


151<br />

(सात) अिभदाता के उपयोग के िलये मोटर साइकल, कू टर (जसके अ तगत मोपेड भी ह),<br />

साइकल, रेजरेटर, म कू लर, कु कं ग गैस कनै सन या वािशंग मशीन, इ वटर,<br />

टेलीवजन सेट, क यूटर सेट क लागत एवं घरेलू फनचर क खरद के यय क पूित<br />

पर,<br />

पर तु रा यपाल वशेष परथितय म उप ख ड (एक) से (सात) म<br />

उलखत योजन से िभ न योजन के िलये कसी अिभदाता को अिम का भुगतान<br />

करने क वीकृ ित दे सकते ह, यद रा यपाल उसके समथन म दये गये औिच य से<br />

संतु ट हो जाय।<br />

(3) वीकृ ित ािधकार अिम देने के िलये उसके कारण को अिभिलखत करेगा।<br />

(4) वशेष कारण के िसवाय कोई अिम-<br />

(एक) अिभदाता के तीन मास के वेतन या िनिध म उसके खाते म जमा धनरािश के आधे से,<br />

इनम से जो भी कम हो, से अिधक नहं होगा, या<br />

(दो) तब तक नहं दया जायेगा, जब तक क सम त पूववत अिम का अंितम ितदान<br />

करने के प चात ् कम से कम बारह मास यतीत न हो जाय।<br />

पर तु जब तक पहले से द गयी कसी अिम धनरािश तथा आवेदत नयी<br />

अिम धनरािश का योग थम अिम देने के समय ख ड (एक) के अधीन अनुम य<br />

धनरािश से अिधक न हो तब तक तीय अिम या अनुवत अिम क वीकृ ित के<br />

िलये वशेष कारण क अपेा नहं क जायेगी और ऐसे अिम ेणी ‘’घ’’ के िलये<br />

कायालया य अथवा िनयु ािधकार ारा, वग ‘’ग’’ के करण म जले म वभाग<br />

का सव च अिधकार/िनयु ािधकार यद ऐसा न हो तो म डल तरय अिधकार<br />

तथा ऐसी थित न होने पर रा य तरय अिधकार वग ‘’ख’’ एवं ‘’क’’ िलये<br />

वभागा य ारा तथा वभागा य या जनक रपटंग सीधे शासन तर पर ह<br />

शासन के शासिनक वभाग ारा जहॉं ऐसे अिधकारय का अिध ठान देखा जाता ह<br />

ारा वीकृ त कये जा सकते ह भेले ह ख ड (दो) म उलखत शत क पूित न होती<br />

ह।<br />

प टकरण:-<br />

इस पर तुक म पद ‘’पहले से द गयी अिम धनरािश’’ का ता पय वा तव म<br />

द गयी धनरािश या धनरािशय से ह, न क कसी ितदान के प चात ् वमान<br />

अितशेष से।<br />

(तीन) वशेष कारण के िलये वीकृ त कये जाने वाले अिम क अिधकतम सीमा जमा<br />

धनरािश के ¾ से अिधक नहं होगा, क तु व तीय िनयम संह ख ड-5 भाग-1 के<br />

िनयम-81 के उपिनयम (3) का पूणत: पालन कया जायेगा।<br />

(5) यद कसी पूववत अिम क अतम क त के ितदान क पूित के पूव उपिनयम<br />

(4) के अधीन कोई अिम वीकृ त कया जाय तो कसी पूववत अिम म वसूल न


152<br />

कये गये शेष को इस कार वीकृ त अिम म जोड दया जायेगा और वसूली क<br />

क ते संहत धनरािश के िनदश म होगी।<br />

(6) कसी अिम क धनरािश का िनधारण करने म वीकृ ित ािधकार िनिध म अिभदाता<br />

के खाते म जमा धनरािश पर स यक् यान देगा। यद कभी अिभदाता अपने सामा य<br />

भव य िनिध पासबुक या िनयम 27 के अधीन लेखा अिधकार ारा जार कये गये<br />

सामा य भव य िनिध लेखा के नवीनतम उपल ध ववरण तथा अनुवत अिभदान के<br />

सा य सहत िनिध म अपने जमा खाते म वमान धनरािश के स बनध म सम<br />

ािधकार का समाधान करने क थित म हो तो सम ािधकार सीमा के भीतर<br />

अिम वीकृ त कर सकता ह। ऐसा करने म सम ािधकार अिभदाता को पहले से<br />

वीकृ त कसी अिम या याहरण को यान म रखेगा। अिम क वीकृ त म<br />

सामा य भव य िनिध खाता सं या अव य इंिगत होना चाहए और उसक एक ित<br />

सामा य भव य िनिध पास बुक रखने वाले आहरण एवं वतरण अिधकार और लेखा<br />

अिधकार को भी पृ ठांकत क जायेगी।<br />

(7) साधारणतया अिभदाता को कोई अिम उसक सेवािनवृ या अिधवाषता के पूववत<br />

अतम छ: मास के दौरान वीकृ त नहं कया जायेगा। कसी वशेष मामले म जसम<br />

ऐसे अिम क वीकृ ित अपरहाय हो, उसको वीकृ त कया जा सकता ह, कनतु<br />

वीकृ ित ािधकार को यह सुिनत करने का उ तरदािय व होगा क ऐसी वीकृ ित<br />

क सूचना समूह ‘’घ’’ के कमचारय के मामले म लेखा अिधकार को एवं अ य<br />

अिभदाताओं के मामल म आहरण एवं ववरण अिधकार तथा लेखािधकार को तुर त दे<br />

द जाय और उसक ाि क सूचना उनसे अवल ब ा त कर ली जाय। उपयु त<br />

अिधकारय ारा यह भी सुिनत कया जायेगा क अिम क धनरािश यद<br />

सेवािनवृ के पूव अिभदाता से पूण प से वसूल न क गयी हो तो स यक प से<br />

उसका समायोजन िनयम-24 के उपिनयम (4) या उपिनयम (5) के ख ड (ख) के जो<br />

भी लागू ह, अधीन उसको भुगतान क जाने वाली धनरािश के ित कया जायेगा।<br />

14. अिम क वसूली:<br />

(1) अिभदाता से कसी अिम क वसूली ऐसी बराबर मािसक क त क सं या म क<br />

जायेगी जैसा वीकृ ित ािधकार िनदश दे क तु ऐसी सं या बारह से कम, जब तक<br />

अिभदाता ऐसा न चाहे, और चौबीस से अिधक नहं होगी। वशेष मामल म जहॉं<br />

अिम क धनरािश िनयम 13 के उपिनयम (4) के अधीन अिभदाता के तीन मास के<br />

वेतन से अिधक हो, वीकृ ित ािधकार क त क सं या िनधारत कर सकता ह जो<br />

चौबीस से अिधक क तु कसी भी मामले म छ तीस से अिधक नहं हो। येक<br />

मामले म यह सुिनत कया जायेगा क क त ऐसी रित से िनधारत क जाय क<br />

अिम क सम त धनरािश अिधक से अिधक अिभदाता क सेवािनवृ या अिधवषता<br />

के दनांक से पूववत छ: मास तक वसूल हो जाये। कोई अिभदाता अपने वक प पर<br />

एक मास म एक से अिधक क त का ितदान कर सकता ह1 येक क त पूण


153<br />

पय, म होगी, ऐसी क त का िनधारण करने म अिम क धनरािश को, यद<br />

आव यक हो, तो बढाया या कम कया जा सकता ह।<br />

(2) वसूली िनयम 10 म वहत रित से क जायेगी और उस मास के जसम अिम<br />

आहरत कया गया हो अनुवत मास के िलए वेतन दये जाने से ार भ होगी। जब<br />

अिभदाता जीवन िनवाह अनुदान ा त कर रहा हो या कसी कै ले डर मास म उस दन<br />

या इससे अिधक के िलए छु ट पर हो जसम न तो कोई छु ट वेतन िमलता हो और<br />

न यथाथित आधा वेतन के बराबर छु ट वेतन या अ औसत वेतन िमलाता हो तब<br />

वसूली िसवाय अिभदाता क स मित के नहं क जायेगी। अिभदाता को दये गये वेतन<br />

के कसी अिम क वसूली के दौरान अिभदाता के िलखत अनुरोध पर िनिध से िलए<br />

गये अिम क वसूली ािधकार ारा थिगत क जा सकती ह।<br />

(3) यद कोई अिम अिभदाता को वीकृ ित कया गया हो और उसके ारा आहरत कर<br />

िलया गया हो और बाद म ितदान पूरा होने के पूव अिम नामंजूर कर दया जाय तो<br />

याहत धनरािश का स पूण या अितशेष अिभदाता ारा िनिध म तुर त ितदान कर<br />

दया जायेगा। वीकृ ित ािधकार ारा अिभदाता के मूल वेतन से एकमु त या बारह से<br />

अनिधक ऐसी मािसक क त म जैसा कसी अिम क, जसके दये जाने के िलए<br />

िनयम-13 के उपिनयम (4) के अधीन वशेष कारण अपेत ह, वीकृ ित के िलये<br />

सम ािधकार ारा िनदश दया जाय, कटौती करके वसूली कये जाने का आदेश<br />

दये जायेगा।<br />

(4) इस िनयम के अधीन क गयी वसूिलय उसी कार िनिध म अिभदाता के लेखे म जमा<br />

क जायगी जस कार वे क गयी ह।<br />

15. अिम का दोषपूण उपयोग:<br />

इस िनयमावली म कसी बात के होते हुए भी यद वीकृ ित िधकार का<br />

समाधान हो जाय क िनयम-13 के अधीन िनिध से अिम के प म आहरत धनरािश<br />

का उपयोग उस योजन से, जसके िलए वीकृ ित अिभिलखत क गयी हो, िभ न<br />

योजन के िलए कया गया हो तो वह अिभदाता को िनिध म नगत धनरािश का<br />

ितदान तुर त करने का िनदश देगा, यह चेक करने पर अिभदाता क परलधय से<br />

एकमु त कटौती करके वसूल करने का आदेश देगा और यद ितदान क जाने वाली<br />

कु ल धनरािश अिभदाता क परलधय के आधे से अिधक हो तो वसूली ऐसी मािसक<br />

क त म क जायेगी जैसी अवधारत क जाय।<br />

16. िनिध से अतम याहरण-<br />

(1) इसम िनद ट शत के अधीन रहते हुए, अतम याहरण जो ितदेय नहं होगा,<br />

वभागा य ारा कसी भी समय िन निलखत कार से वीकृ त कया जा सकता ह।<br />

ट पणी- आवेदन प और वीकृ ित आदेश का ाप परिश ट ‘ख’ म दये गये ह।<br />

(ए) अिभदाता ारा बारह वष क सेवा (जसके अ तगत िनल बन क अविध, यद उसके<br />

प चात ् बहाली हो गयी हो, और सेवा क अ य खडत अविधयां यद कोई ह, भी ह)


154<br />

पूर करने के प चात ् या अिधवाषक पर उसक सेवा-िनवृ के दनॉंक से पूववत दस<br />

वष के भीतर, जो भी पहले हो, िनिध म उसके जमा खाते म वमान धनरािश से<br />

िन निलखत एक या अिधक योजन के िलये, अथात:<br />

(क) िन निलखत मामल म:-<br />

(एक) हाई कू ल के बाद शैक ाविधक, वृक या यवसाियक पाम के िलए<br />

भारत के बाहर िशा, और<br />

(दो) होई कू ल के बाद भारत म िचक सा, अिभयंण या अ य ाविधक वशेषत<br />

पाम म, अिभदाता या अिभदाता क कसी आित संताने के उ चतर िशा<br />

पर यय जसके अ तगत जहॉं आव यक हो, याा यय भी ह, क पूित के<br />

िलये।<br />

(ख) अिभदाता के पू या पुय और उस पर वा तवक प से आित कसी<br />

अ य स ब धी के ववाह के स ब ध म यय क पूित के िलये,<br />

(ग) अिभदाता, उसके परवार के सद य या उस पर वा तवक प म आित<br />

कसी अ य य क बीमार, सावाव था या वकलॉंगता के स ब ध म यय<br />

जसके अ तगत, जहॉं आव यक हो, याा- यय भी ह, क पूित के िलए।<br />

(बी) अिभदाता ारा प ह वष क सेवा (जसके अ तगत िनल बन क अविध यद<br />

उसके बाद बहाली हुई हो, और सेवा क अ य खडत अविधयॉं यद कोई ह;<br />

भी ह) पूरा करने के प चात ् या अिधवषता पर उसक सेवािनवृ के दनॉंक<br />

के पूववत 10 वष क अविध के भीतर, जो भी पहले हो, और व तीय िनयम<br />

संह, ख ड-5 भाग-1 म दये गये िनयम के अधीन मोटरकार, मोटर साइकल<br />

या कू टर (जसके अ तगत मोपेड भी ह) के य के िलए अिम क पाता<br />

के िलए वृत वेतन के स ब ध म िनब धन के अधीन रहते हुए, िनिध म<br />

उसके जमाखाते म वमान धनरािश म िन निलखत एक या अिधक योजन<br />

के िलये, अथात ्<br />

(एक) व तीय िनयम संह, ख ड-5, भाग-1 म दये गये िनयम के अधीन<br />

मोटरकार, मोटर साइकल या कू टर (जसके अ तगत मोपेड भी ह) य करने<br />

या इस योजन के िलये पहले से िलये गये अिम के ितदान के िलए।<br />

(दो) उसक मोटरकार, मोटर साइकल या मूटर क यपपक मर मत या उसको<br />

ओवरहाल करने के िलये।<br />

(सी) अिभदाता ारा प ह वष क सेवा (जसके अ तगत िनल बन क अविध, यद<br />

उसके बाद बहाली हुई हो, और सेवा क अ य खडत अविधयॉ यद कोई ह,<br />

भी ह) पूर करने के प चात ् या अिधवषत पर उसक सेवािनवृ के दनॉंक के<br />

पूववत दस वष क अविध के भीतर, जो भी पहले ह, िनिध म उसके जमा<br />

खाते म वमान धनरािश म िन निलखत एक या अिधक योजन के िलये,<br />

अथात ्-


155<br />

ट पणी- 1<br />

ट पणी- 2<br />

(क) उसके आवास के िलए उपयु त मकान बनाने या उपयु त मकान या तैयार<br />

लैट के अजन के िलए जसके अ तगत भूिम का मू य भी ह।<br />

(ख) उसके आवास के िलए उपयु त मकान बनाने या उपयु त मकान या तैयार बने<br />

लैट के अजन के िलए प ट प से िलए गए ऋण के मददे बकाया धनरािश<br />

का ितदान करने के िलए,<br />

(ग) उसके आवास के िलए, मकान बनाने के िलए भूिम य करने या इस योजन<br />

के िलए प ट प से िलए गए ऋण के मददे कसी बकाया धनरािश का<br />

ितदान करने के िलए,<br />

(घ) अिभदाता ारा पहले से वािम व म रखे गये या अजय कये गये मकान या<br />

लैट के पुनिनमाण करने या उसम परवधन या परवतन करने के िलये,<br />

(ड) पैतृक ह का पुरार, परवधन या परवतन या अनुरण करने के िलये,<br />

(च) उप ख ड (ग) के अधीन य कये गये थान पर मकान बनाने के िलये,<br />

(द) अिभदाता तीन वष क सेवा (जसके अ तगत िनल बन क अविध, यद उसके<br />

बाद बहाली हुई हो, और सेवा क अ य खडत अविधयॉं यद कोई ह, भी ह)<br />

पूर करने के प चात ् अिभदाता ारा अपने वयं के जीवन पर या अिभदाता<br />

और उसक प नी/उसक पित के संयु त जीवन पर ली गयी जीवन बीमा क<br />

चार से अनिधक पॉिलिसय, जसके अ तगत िनिध से अब तक व त पोिशत<br />

क जा रह पॉिलिसया ह, के ीिमयम/ ीिमयम का िनिध म उसके जमाखाते<br />

म वमान धनरािश से भुगतान करने के योजन के िलये।<br />

(घ) अिभदाता क सेवािनवृ के दनॉंक के पूववत बारह माह के भीतर िनिध से<br />

उसके जमाखाते म वमान धनरािश क भूिम या कारोबार क भूिम या दोन<br />

का अजन करने के योजन के िलये।<br />

िनयम के अधीन कसी योजन के याहरण हेतु अपरहाय परथितय म िनधारत<br />

सेवा अविध म छू ट रा य सरकार ारा द सकती ह।<br />

इस िनयम के अधीन एक योजन के िलये के वल एक याहरण क अनुमित द<br />

जायेगी, क तु विभ न संतान का ववाह या विभ न अवसर पर बीमार या गृह या<br />

लैट म ऐसा अेतर परवन या परवतन करने के िलये जो उस े क जसम ऐसा<br />

गृह या लैट थत हो नगरपािलका िनकाय ारा स यक प से अनुमोदत नये न शे<br />

के अनुसार हो, या जीवन बीमा क पॉिलिसय के ीिमयम/ीिमयम के भुगतान और<br />

विभ न वष म संतान क िशा को एक ह योजन नहं समझा जायेगा। यद दो या<br />

अिधक ववाह साथ-साथ स प न कये जाने ह तो येक ववाह के स ब ध म<br />

अनुम य धनरािश का अवधारण उसी कार कया जायेगा, मान एक के प चात ् दूसरा<br />

याहरण पृथक-पृथक वीकृ त कया गया हो।


156<br />

ट पणी- 3 एक ह गृह को पूरा करने के िलये ख ड (सी) के उपख ड (क) या (ख) के अधीन<br />

तीय या अनुवत याहरण क अनुमित ट पणी- 5 के अधीन िनधारत सीमा तक<br />

द जायेगी।<br />

ट पणी- 4 जीवन बीमा क सम त पॉिलिसय के ीिमयम/ीिमयम के भुगतान के िलये एक वष<br />

म के वल एक याहरण क अनुमित द जायेगी।<br />

ट पणी- 5 ऐसा अिभदाता जो व तीय िनयम संह, ख ड-5, भाग-1, म दये गये िनयम के<br />

अधीन गृह िनमाण के योजन के िलये कसी अिम का लाभ उठा चुका हो या जसे<br />

इस स ब ध म कसी अ य सरकार ोत से कोई सहायता ा त हो गयी हो, ख ड<br />

(सी) के उपख ड (क), (ग), (घ) और (च) के अधीन उनम विनद ट योजन के<br />

िलये और िनयम 17 के उप िनयम (1) म विनद ट सीमा तक उपयु त िनयम के<br />

अधीन िलये गये कसी ऋण के ितदान के योजन के िलये भी अतम याहरण<br />

क वीकृ ित के िलये पा होगा।<br />

ट पणी- 6 ऐसा गृह, लैट या गृह के िलये थल जसके िलये उपयु तानुसार धनरािश याहत<br />

करने का ताव ह, अिभदाता के यूट के थान पर या सेवािनवृ के प चात ् उसके<br />

आवास के अिभेत थान पर थत होगा। यद अिभदाता के पास कोई पैतृक गृह ह<br />

या उसने सरकार से िलये गये ऋण क सहायता से अपनी यूट के थान से िभ न<br />

थान पर गृह िनमाण कर िलया ह तो वह अपनी यूट के थान पर कसी गृह थल<br />

के य के िलये या कसी अ य गृह के िनमाण के िलये तैयार बने लैट का अजन<br />

करने के िलये ख ड (सी) के उपख ड (क), (ग) और (च) के अधीन अतग<br />

याहरण क वीकृ ित के िलये पा होगा।<br />

ट पणी- 7 ख ड (सी) म विनद ट योजन के िलये याहरण वीकृ ित ािधकार ारा वयं<br />

यह समाधान करने के प चात ् वीकृ त कया जायेगा क-<br />

(एक) धनरािश, अिभदाता ारा उलखत योजन के िलये वा तव म अपेत ह,<br />

(दो) अिभदाता का तावत थल पर क जा ह या वह तुर त उस पर कसी गृह<br />

का िनमाण करने का अिधकार अजत करना चाहता ह,<br />

(तीन) याहत धनरािश और ऐसी अ य िनजी बचत, यद कोई हो, जो अिभदाता का<br />

हो, तावत कार के गृह के िनमाण, अजन अ तगत थल भी ह, पर<br />

िनववाद हक ा त करेगा,<br />

(चार) गृह थल, गृह या तैयार बने लैट के य के िलये याहरण के मामले म<br />

अिभदाता गृह थल, गृह या लैट जनके अ तगत थल भी ह, पर िनववाद<br />

हक ा त करेगा,<br />

(पॉंच) उपयु त ख ड (चार) म िनद ट योजन के िलए अिभदाता ने ऐसे आव यक<br />

वलेख-प और कागजात वीकृ ित ािधकार को तुत कर दये ह जससे<br />

नगत स प के स ब ध म उसका हक साबत हो।


157<br />

ट पणी- 8<br />

ट पणी- 9<br />

प टकरण- 1<br />

प टकरण- 2<br />

प टकरण- 3<br />

ट पणी- 10<br />

ट पणी- 11<br />

ट पणी- 12<br />

ख ड (सी) के उपख ड (ख) के अधीन याहरण के िलये तावत धनरािश और<br />

उपख ड (क) के अधीन पूव याहत धनरािश, यद कोई हो, आवेदन प तुत करने<br />

के दनॉंक को वमान अितशेष के तीन चौथाई (3/4) से अिधक नहं होगी।<br />

ख ड (सी) उपख ड (क) या (घ) के अधीन याहरण क अनुमित उस दशा म भी द<br />

जायेगी जहां गृह थल या गृह प नी या पित के नाम म हो। यद वह अिभदाता ारा<br />

कये गये नामांकन म भव य िनिध पाने के िलए थम नामांकती हो।<br />

यद अिभदाता संयु त स प म ऐसे अंश से िभ न जो वतं आवािसक योजन के<br />

िलए उपयु त न हो पहले से कसी गृह थल या गृह, लैट का वामी हो, तो उस<br />

यथाथित गृह थल या गृह, लैट के य, िनमाण अजन या मोचन के िलए कोई<br />

याहरण वीकृ त नहं कया जायेगा।<br />

थानीय िनकाय से पटे पर कसी भू-ख ड के अजन या ऐसे भू-ख ड पर गृह िनमाण<br />

करने के िलए भी याहरण क अनुमित द जा सके गी।<br />

गृह िनमाण के योजन के िलये, िलये गये कसी कार के ऋण के चाहे वह कसी<br />

िनजी पकार से या व तीय िनयम संह, ख ड-5, भाग-1, के अधीन सरकार से या<br />

िन न या म यम आय वग आवास योनजा के अधीन िलया गया हो, ितदान के िलये<br />

याहरण अनुेय ह।<br />

िनयम 17 के उपिनयम (1) ख ड (ख) म िनधारत आिथक सीमा के अधीन रहते हुए<br />

मोटर कार, साइकल या कू टर (जसके अ तगत मोपेड भी ह) के य के िलये भी<br />

याहरण क अनुमित द जायेगी, चाहे अिभदाता ने व तीय िनयम संह, ख ड-5,<br />

भाग-1 म दये गये िनयम के अधीन उसी योजन के िलए पहले से ह कोई अिम ले<br />

िलया हो, पर तु इन दोन ोत से ली गयी कु ल धनरािश, यथाथित, मोटर साईकल<br />

या कू टर के वा तवक मू य से अिधक न हो।<br />

जीवन बीमा पािलिसय, जनके स ब ध म ख ड (घ) के अधीन याहरण वीकृ त<br />

कया जाय, अिभदाता क प नी या पित और संतान या उनम से कसी एक से िभन ्न<br />

कसी अ य हतािधकार के लाभ के िलये ली गई नहं होनी चाहये।<br />

(1) यद िनयम 13 के अधीन कोई अिम उसी योजन के िलये और उसी समय<br />

वीकृ त कया जा रहा हो तो इस िनयम के अधीन याहरण वीकार नहं<br />

कया जायेगा।<br />

(2) जब अिभदाता अपनी सामा य भव य िनिध पास बुक या िनयम 27 के अधीन<br />

लेखािधकार ारा जार कये गये सामा य भव य िनिध लेखा के नवीनतम<br />

उपल ध ववरण तथा अनुवत अिभदान के सा य के िनदश म िनिध म अपने


158<br />

जमा खाते म वमान धनरािश के स ब ध म स म ािधकार का समाधान<br />

करने क थित म हो तो सम ािधकार का वहत सीमा के भीतर<br />

याहरण वीकृ त कर सकता ह। ऐसा करने म सम ािधकार अिभदाता के<br />

प म पहले से वीकृ त कसी याहरण या अिम को यान म रखेगा।<br />

याहरण के िलये वीकृ ित म सामा य भव य िनिध लेखा सं या अव य<br />

इंिगत होना चाहये और उसक एक ित सामा य िनिध पास बुक रखने वाले<br />

आहरण एवं वतरण अिधकार तथा लेखा अिधकार को भी पृ ठांकत क<br />

जायेगी।<br />

(3) साधारणतया अिभदाता को कोई अिम उसक सेवािनवृ या अिधवषता के<br />

पूववत अतम छ: मास के दौरान वीकृ त नहं कया जायेगा। कसी वशेष<br />

मामले म जसम ऐसे अिम क वीकृ ित अपरहाय हो उसे वीकृ त कया जा<br />

सकता ह, क तु वीकृ ित ािधकार को यह सुिनय करने का उ तरदािय व<br />

होगा क ऐसी वीकृ ित क सूचना समूह ‘’घ’’ के कमचारय के मामले म<br />

लेखा अिधकार को और अ य अिभदाताओं के मामले म आहरण एवं वतरण<br />

अिधकार और लेखा अिधकार को तुर त दे द जाय और उसक ाि क<br />

सूचना उनसे अवल ब ा त जायेगा क अिम/ याहरण क धनरािश<br />

िनयम-24 के उप िनयम (4) या उप िनयम (5) के ख ड (ख) के जो भी लागू<br />

हो, के अधीन अिभदाता को भुगतान क जाने वाली धनरािश के ित स यक<br />

प से समायोजत क जाय।<br />

17. याहरण क शत:-<br />

(1) कसी अिभदाता ारा िनिध म उसके जमा खाते म वमान धनरािश से िनयम<br />

16 के ख ड (क), (ग), (घ) या (ड) म विनद ट कसी एक या अिधक<br />

योजन के िलये कसी एक समय म याहत कोई धनरािश साधारणतया ऐसी<br />

धनरािश के आधे या छ: मास के वेतन, जो भी कम हो, से अिधक नहं होगी।<br />

वशेष मामल म वीकृ ित ािधकार (एक) ऐसे अददे य जसके िलये<br />

याहरण कया जा रहा ह, और (दो) िनिध म उसके जमाखाते म वमान<br />

धनरािश का स यक यान रखते हुये, इस सीमा से अिधक धनरािश का, जो<br />

िनिध म उसके जमाखाते के अितशेष के तीन चौथाई तक हो सकती ह,<br />

याहरण वीकृ त कर सकता ह।<br />

पर तु कसी भी मामले म िनयम-16 के उप िनयम (1) के ख ड (सी)<br />

के उप ख ड (घ) और (ड) म विनद ट योजन के िलये याहरण क<br />

धनरािश 40,000 पये से अिधक नहं होगी।<br />

ट पणी- 1 गृह िनमाण के मामले म यद याहरण क धनरािश 1,25,000 पये से अिधक हो<br />

तो साधारणतया दो क त म उसके आहरण क अनुा द जायेगी। फर भी यद<br />

अिभदाता ने याहरण क स पूण धनरािश को एक क त म िनयु त कये जाने के


159<br />

िलये आवेदन कया गया ह और वीकृ ित ािधकार को उसके िलये दये गये औिच य<br />

के स ब ध म समाधान हो जाय को त नुसार स पूण धनरािश को िनयु त कया जा<br />

सकता ह। वीकृ ित याहरण क स पूण धनरािश के िलये जार क जायेगी और यद<br />

उसका आहरण क त म कया जाना हो तो उसक सं या वीकृ ित के आदेश म<br />

विनद ट क जायेगी।<br />

ट पणी- 2<br />

(क) कसी थल, गृह या लैट के एकदम य के िलये या िनयम-16 के उप िनयम<br />

(1) के ख ड (सी) के उप ख ड (घ) म या इस योजन के िलये, िलये गये<br />

ऋण के ितदान के िलये एक क त म याहरण क अनुमित द जा सकती<br />

ह, जो पये 40,000 से अिधक नहं होगी। ऐसे मामल म जहां अिभदाता को<br />

य कये गये थल या गृह या लैट के िलये या कसी योजना के अधीन,<br />

जसके अ तगत कसी वकास ा िधकरण, आवास परषद, थानीय िनकाय या<br />

गृह िनमाण सहकार सिमित क व-व त पोषत योजना भी ह, िनिमत गृह<br />

या लैट के िलये क त म भुगतान करना पडे, तो जब-जब उससे कसी<br />

क त का भुगतान करने के िलये कहा जाय उसे याहरण करने क अनुा<br />

द जायेगी। येक ऐसे भुगतान को िनयम-16 के उप िनयम (1) के योजन<br />

के िलये पृथक योजन के िलये भुगतान समझा जायेगा।<br />

(ख) िनयम 16 के उप िनयम (1) के ख ड (बी) के उप ख ड (एक) म विनद ट<br />

योजन के िलये याहरण क धनरािश क सीमा 50,000 पये या िनिध म<br />

अिभदाता के जमा खाते म वमान धनरािश क आधी या य थाथित,<br />

मोटरकार, मोटर साइकल या कू टर (जसके अ तगत मोपेड भी ह) का<br />

वा तवक मू य, इनम जो भी कम हो, होगी।<br />

(ग) िनयम 16 के उपिनयम (1) के ख ड (बी) के उपख ड (दो) म विनद ट<br />

योजन के िलये याहरण क धनरािश क सीमा 5,000 पये या िनिध म<br />

अिभदाता के जमा खाते म वमान धनरािश क आधी या मर मत या<br />

ओवरहॉिलंग करने क वा तवक धनरािश, इनम से जो भी कम हो, होगी।<br />

(2) अिभदाता जसको िनयम 16 के अधीन िनिध से धन िनकालने क अनुा द<br />

गयी हो, वीकृ ित ािधकार का ऐसी युयु त अविध के भीतर, जो उस<br />

ािधकार ारा विनद ट क जाय, समाधान करेगा क धन का योग उस<br />

योजन के िलये कर िलया गया ह जसके िलये उसका याहरण कया गया<br />

था और यद वह ऐसा करने म वफल रहता ह तो इस कार याहत स पूण<br />

धनरािश उसके ऐसे भाग का जसका उपयोग उस योजन के िलये जसके<br />

िलये वह याहत कया गया था, नहं कया गया ह, ितदान अिभदाता ारा<br />

िनिध म एकमु त धनरािश म कया जायेगा और ऐसा भुगतान न करने पर<br />

वीकृ ित ािधकार ारा उसक परलधय से या तो एकमु त धनरािश म या


160<br />

मािसक क त क ऐसी सं या म जैसी अवधारत क जाय, वसूल कये जाने<br />

का आदेश दया जायेगा।<br />

ट पणी- 1 ववाह के िलये कसी याहरण का उपयोग तीन मास के भीतर कया जायेगा।<br />

ट पणी- 2 गृह का िनमाण धनरािश के याहरण के छ: मास के भीतर ार भ कया जायेगा और<br />

उसे िनमाण ार भ होने के दनांक से एक वष क अविध के भीतर पूरा कया जाना<br />

चाहये, क तु यद गृह का य या मोचन कया जाना हो या उस योजन के िलये<br />

इसके पूव िलये गये कसी िनजी ऋण का ितदान करना हो तो उसे याहरण के तीन<br />

मास के भीतर कर िलया जाना चाहए।<br />

ट पणी- 3 गृह थल का य, यथाथित याहरण या थम क त के याहरण के एक माह<br />

क अविध के भीतर कया जायेगा। इस शत क पूित के स ब ध म वीकृ ित ािधकार<br />

थल के य हेतु भुगतान करने के िलये यथाथित याहरण या कसी याहरण<br />

क त क धनरािश का उपयोग कर िलये जाने के तीक वप वे ता, गृह िनमाण<br />

सिमित आद ारा द गयी रसीद तुत करने क अपेा करेगा।<br />

प टकरण:-<br />

वय या अ तरण वलेख के स ब ध म कये गये वा तवक यय को गृह या गृह<br />

थल क लागत के भाग के प म संगणत कया जा सकता ह।<br />

ट पणी- 4<br />

कसी बीमा पािलसी के िलये याहरण का उपयोग उस दनांक तक कया<br />

जायेगा जस दनांक को ीिमयम का भुगतान कया जाना हो और अिभदाता से जीवन<br />

बीमा िनगम ारा द गयी रसीद क माणत या फोटो टेट ित तुत करने क<br />

अपेा क जायेगी, ऐसा न करने पर इस योजन के िलये कोई अे तर याहरण क<br />

अनुा नहं द जायेगी।<br />

(3) कोई अिभदाता जसे िनयम 16 के उपिनयम (1) के ख ड (सी) के उपख ड<br />

(क), (ख) या (ग) के अधीन िनिध म अपने जमा खाते म वमान धनरािश<br />

से धन याहत करने क अनुा द गयी हो, रा यपाल क पूव अनुा के<br />

बना इस कार याहत धनरािश से िनिमत या अजत कये गये गृह या य<br />

कये गये गृह थल के क जे से, चाहे वय, िगरवी (रा यपाल को िगरवी से<br />

िभ न) दान, विनयम ारा या अ य कार से अलग नहं होगा।<br />

पर तु ऐसी अनुा-<br />

(एक) तीन वष से अनिधक कसी अविध के िलये पटे पर दये गये गृह या गृह थल के<br />

िलये, या<br />

(दो) आवास परषद, वकास ािधकरण, थानीय िनकाय, रा यकृ त बक, जीवन बीमा<br />

िनगम के या के या रा य सरकार के वािम वाधीन या िनयंणाधीन कसी अ य<br />

िनगम के , जो नये गृह के िनमाण के िलये या कसी वतमान गृह म परवधन या<br />

परवतन करने के िलये ऋण देता हो, प म उसके िगरवी रखे जाने के िलये,<br />

आव यक नहं होगी।


161<br />

18. अिम का याहरण म परवतन:<br />

िनयम 13 के उप िनयम (4) के अधीन वशेष कारण से अिम वीकृ त करने के िलये<br />

सम ािधकार ऐसे अिभदाता के जसने कसी ऐसे योजन के िलये जसके िलये िनयम 16<br />

के अधीन अतम याहरण भी अनुम य हो िनयम 13 के अधीन अ थायी अिम पहले ह<br />

आहरत कर िलया हो, िलखत अनुरोध पर िनयम 16 और 17 म िनधारत शत को पूरा करने<br />

पर अिम के देय अितशेष को याहरण म परवितत कर सकता ह।<br />

ट पणी:- 1 आहरण एवं वतरण अिधकार ऊपरिलखत सम ािधकार म कसी अिम के<br />

याहरण म परवतन करने के स ब ध म सूचना ा त होने पर वेतन बल से वसूली<br />

रोक देगा। ऐसे राजपत अिभदाताओं के मामले म जो वयं आहरण अिधकार ह,<br />

सम ािधकार ऐसे परवतन स ब धी आदेश क एक ित कोषागार अिधकार को<br />

जहॉं से अिभदाता अपना वेतन आहरत करता हो, पृ ठांकत करेगा, जससे क<br />

कोषागार अिधकार अे तर वसूिलय को रोक सके । परवतन के येक मामले म<br />

सम ािधकार अपने आदेश क एक ित लेखा अिधकार को भी पृ ठांकत करेगा।<br />

ट पणी- 2 याहरण म परवितत कये जाने वाले अिम क धनरािश िनयम 17 के उप िनयम<br />

(1) म िनधारत सीमा से अिधक नहं होगी, इस योजन के िलये परवतन के समय<br />

अिभदाता के खाते म वमान अितशेष तथा अिम क बकाया धनरािश का िनिध म<br />

उसके जमाखाते म वमान अितशेष समझा जायेगा। येक याहरण को एक पृथक<br />

याहरण समझा जायेगा और यह िसा त एक से अिधक परवतन क दशा म भी<br />

लागू होगा।<br />

19. बीमा पॉिलिसय का पुन: समनुदेशन:<br />

इस िनयमावली के ार भ के प चात ् लेखा अिधकार अब तक िनिध से व त-पोषत<br />

क जा रह वतमान पॉिलिसय के स ब ध म िन निलखत कायवाह करेगा:-<br />

(एक) यद पॉिलसी एत ारा वृ त िनयम के अधीन रा यपाल को समनुदेिशत क गयी हो<br />

तो थम अनुसूची म प (1) म पॉिल सी, यथाथित अिभदाता को या संयु त<br />

बीमाकृ त को पुन: समानुदेिशत करेगा और उसे जीवन बीमा िनगत को स बोिधत पुन:<br />

समानुदेशन क ह तारत सूचना सहत अिभदाता को ह ता तरत करेगा।<br />

(दो) यद पॉिलसी एत ारा वृ त िनयम के अधीन के वल उसको समपत क गयी हो तो<br />

यह पॉिलसी अिभदाता को ह ता तरत कर देगा।<br />

(तीन) यद अिभदाता क मृ यु हो गयी हो तो लेखा अिधकार-<br />

(क) यद पॉिलसी एत ारा वृ त िनयम के अधीन रा यपाल को समनुदेिशत क गयी<br />

हो तो थम अनुसूची म प (2) म पॉिलसी ऐसे य को पुन: समनुदेिशत करेगा<br />

जो वैध प से उसे पाने का हकदार हो, और पॉिलसी जीवन बीमा िनगम को स बोिधत<br />

पुन: समानुदेश न क ह ता तरत सूचना सहत ऐसे य को ह ता तरत करेगा,


162<br />

(ख) यद पॉिलसी एत ारा वृत ्त िनयम के अधीन के वल उसको समपत क गयी हो,<br />

जो पॉिलसी हतािधकार को, यद कोई हो, या यद कोई हतािधकार न हो, तो ऐसे<br />

य को ह ता तरत करेगा जो वैध प से उसे ा त करने का हकदार हो।<br />

पर तु यद रा यपाल को समनुदेिशत क गयी कोई पॉिलसी परपक् व हो गयी<br />

हो या अिभदाता क प नी या पित क मृ यु के कारण भुगतान के िलये देय हो गयी<br />

हो ओर बीमाकृ त धनरािश लेखािधकार ारा जीवन बीमा िनगम से वसूल कर ली गयी<br />

हो और अिभदाता के खाते म जमा कर द गयी हो तो उ त पॉिलसी को पुन:<br />

समानुदेिशत करने क आव यकता नहं ह।<br />

20. िनिध म संिचत धनरािशय का अतम भुगतान:<br />

जब कोई अिभदाता सेवा को छोडता ह, तब िनिध म उसके जमाखाते म<br />

वमान धनरािश उसको देय हो जायेगी।<br />

पर तु ऐसा अिभदाता जसे सेवा से पद युत कर दया गया हो और बाद म<br />

उसे बहाल कर दया गया हो, इस िनयम के अनुसरण म िनिध से उसको भुगतान क<br />

गयी कसी धनरािश को यद सरकार ारा ऐसा करने क अपेा क जाय, एकमु त या<br />

ऐसी क त म जैसी अवधारत क जायं, ितदान करेगा। इस कार ितदान क गयी<br />

धनरािश को उसके लेखा म जमा कया जायेगा।<br />

पर तु यह और क जहॉं अिभदाता सेवा छोडने के प चात ् के सरकार, कसी<br />

अ य रा य सरकार या कसी उपम के अधीन कसी नये पद पर कसी मभंग<br />

( यवधान) सहत या रहत िनयु ा त कर लेता ह, तो उसके अिभदाता क सम त<br />

धनरािश तथा उस पर ोदभूत याज को, यद वह ऐसा चाहे, उसके नये भव य िनिध<br />

लेखा म अ तरत कया जा सके गा, यद यथाथित, स ब सरकार या उपम भी<br />

ऐसे अ तरण के िलये सहमत हो। क तु यद अिभदाता ऐसे अ तरण के िलये वक प<br />

नहं करेगा स ब सरकार या उपम उसके िलये सहमत न हो तो उपयु त धनरािश<br />

अिभदाता को वापस कर द जायेगी।<br />

21. अिभदाता क सेवािनवृ:-<br />

जब कोई अिभदाता-<br />

(क) सेवािनवृ पूव छु टट पर चला गया हो या, यद वह कसी अवकाश वभाग म<br />

िनयोजत ह, अवकाश िमलाकर सेवािनवृ पूव छु टट पर चला गया हो या,<br />

(ख) जब छु टट पर हो, उसे सेवािनवृ होने क अनुा दे द गयी हो या उसे सम<br />

िचक सा ािधकार ारा अे तर सेवा के िलये अयो य घोषत कर दया गया हो, तब<br />

िनिध म उसके जमा खात म वमान धनरािश इस िनिम त उसके ारा आवेदन प<br />

देने पर अिभदाता को देय हो जायेगी,<br />

पर तु यद ख ड (ख) के अ तगत आने वाली कसी मामले म अिभदाता यूट<br />

पर लौट आता ह तो वह अपने ववेक से िनिध म अपने खाते म जमा करने के िलये<br />

इस िनयम के अनुसरण म भुगतान क गयी धनरािश का ितदान कर सकता ह।


163<br />

22. अिभदाता क मृ यु पर या:<br />

कसी अिभदाता क मृ यु उसके जमा खाते म वमान धनरािश उसे दये होने<br />

के पूव या यद धनरािश देय हो गयी हो तो उसका भुगतान होने के पूव, होने पर<br />

अिभदाता के जमाखाते क धनरािश का भुगतान िन निलखत रित से कया जायेगा-<br />

(एक) जब अिभदाता अपने पीछे परवार छोडता ह और-<br />

(क) यद िनयम 5 के या एत ारा वृ त त समान िनयम के उपब ध के अनुसार<br />

अिभदाता ारा अपने परवार के सद य या सद य के प म कया गया नामांकन<br />

वमान ह तो िनिध म उसके जमा खाते म वमान धनरािश या उसका भाग जसके<br />

स ब ध म नामांकन हो, उसके नामांकती या नामांकितयॉं को नामांकन म विनद ट<br />

अनुपात म देय हो जायेगी।<br />

(ख) यद अिभदाता के परवार के सद य या सद य के प म कोई ऐसा नामांकन न हो<br />

या यद ऐसा नामांकन िनिध म उसके जमाखाते म वमान धनरािश के के वल कसी<br />

भाग के स ब ध म हो, तो यथाथित ऐसी, स पूण धनरािश या उसका भाग, जसके<br />

स ब ध म नामांकन न हो, उसके परवार के सद य या सद य से िभ न कसी य<br />

या यय के प म ता पियत कसी नामांकन के होते हुये भी, उसके परवार के<br />

सद य को बराबर-बराबर भाग म देय हो जायेगी,<br />

पर तु कोई अंश-<br />

1. पु को, जो वय क हो गये ह,<br />

2. मृत पु के पु को जो वय क हो गये ह,<br />

3. ववाहत पुय को जनके पित जीवत ह,<br />

4. मृत पु क ववाहत पुय को जनके पित जीवत ह,देय नह होगा, यद ख ड (1),<br />

(2), (3) और (4) म इन विनद ट सद य से िभ न परवार का कोई सद य हो।<br />

पर तु यह और क कसी मृत पु क वधवा या वधवाओं और संतान या<br />

संतान अपने बीच बराबर-बराबर भाग म के वल उस अंश को ा त करगे, जसे वह पु<br />

ा त करता, यद वह अिभदाता के बाद तक जीवत रहता और उसे थम पर तुक के<br />

ख ड (1) के उपब ध से छू ट द गयी होती।<br />

ट पणी- 1 अिभदाता के परवार के सद य को इस िनयम के अधीन देय कोई धनरािश भव य<br />

िनिध अिधिनयम, 1925 क धारा 3 क उपधारा (2) के अधीन ऐसे सद य म िनहत<br />

होती ह।<br />

ट पणी- 2<br />

(क) यद कोई नामांकत भव य िनिध अिधिनयम, 1925 क धारा 2 के ख ड (ग) म यथा<br />

परभाषत अिभदाता का आित हो, तो धनरािश अिधिनयम क धारा 3 क उपधारा<br />

(2) के अधीन ऐसे नामांकती म िनहत होती ह।<br />

(दो) यद अिभदाता अपने पीछे कोई परवार नहं छोडता और यद िनयम 5 के या एत<br />

ारा वृ त त समान िनयम के उपब ध के अनुसार उसके ारा कसी य या


164<br />

यय के प म कया गया नामांकन ह, तो िनिध म उसके जमा खाते म वमान<br />

धनरािश या उसका भाग जसके स ब ध म नामांकन हो, उसके नामांकती या<br />

नामांकितय को नामांकन म विनद ट अनुपात म देय होगा।<br />

(तीन) यद अिभदाता अपने पीछे कोई परवार नहं छोडता और िनयम-5 के उपब ध के<br />

अनुसार उसके ारा कया गया कोई नामांकन नहं ह या यद ऐसा नामांकन िनिध म<br />

उसके जमाखाते म वमान धनरािश के के वल एक भाग से स बधत हो तो भव य<br />

िनिध अिधिनयम, 1925 क धारा 4 क उपधारा (1) के ख ड (ख) और ख ड (ग) के<br />

उपख ड (दो) के सुसंगत उपल ध ऐसी स पूण धनरािश या उसके भाग पर जसके<br />

स ब ध म नामांकन न हो, यो य हगे।<br />

23. जमा से स ब बीमा योजना:<br />

सेवा के दौरान अिभदाता क मृ यु होने पर समूह ‘’घ’’ के अिभदाताओं के<br />

मामले म िनयु ािधकार और अ य मामल वभागा य िन निलखत शत के<br />

अधीन रहते हुये, ऐसे अिभदाता क मृ यु के ठक पूववत 3 वष के दौरान लेखे म<br />

औसत अितशेष के बराबर अितर त धनरािश के भुगतान क वीकृ ित देगा और<br />

आहरण और वतरण अिधकार के ारा अिभदाता के जमाखाते म वमान धनरािश<br />

पाने के िलये हकदार य को उसका तुर त संवतरण करने का ब ध करेगा:-<br />

(1) मृ यु के मास के पूववत तीन वष के दौरान ऐसे अिभदाता के जमा खाते म वमान<br />

अितशेष कसी भी समय िन निलखत क सीमा से कम न हुआ हो-<br />

(क) ऐसे अिभदाता जसने उपयु त तीन वष क अविध के वृहत ् भाग म ऐसा पद धारण<br />

कया हो जसके वेतनमान का अिधकतम 13500 पये या अिधक हो, के मामले म<br />

30,000 पये,<br />

(दो) ऐसा अिभदाता जसने उपयु त तीन वष क अविध के वृहत ् भाग म ऐसा पद धारण<br />

कया हो जसके वेतनमान का अिधकतम 9,000 पये या अिधक क तु 13500 से<br />

कम हो के मामले म 27,000 पया,<br />

(तीन) ऐसो अिभदाता जसने उपयु त तीन वष क अविध के वृहत ् भाग म ऐसा पद धारण<br />

कया हो जसके वेतनमान का यूनतम 4000 पये या इससे अिधक क तु 9000 से<br />

कम हो, के मामले म 12000 पया,<br />

(चार) (क) ऐसा अिभदाता जसने उपयु त तीन वष क अविध के वृहत ् भाग म ऐसा पद<br />

धारण कया हो जसके वेतनमान का अिधकतम 4000 पये से कम हो, के मामले म<br />

10,000 पया,<br />

(ख) इस िनयम के अधीन देय अितर त धनरािश 30,000 पऐ से अिधक नहं होगी।<br />

(ग) अिभदाता ने अपनी मृ यु के समय कम से कम पॉच वष क सेवा पूण कर ली हो।<br />

ट पणी- 1 औसत अितशेष मास के , जसम मृ यु हुयी हो, पूववत येक 36 मास के अ त म<br />

अिभदाता के जमा खाते म वमान अितशेष के आधार पर िनकाला जायेगा। इस


165<br />

योजन और उपयु त िनहत यूनतम अितशेष क जॉच करने के योजन के िलये<br />

भी-<br />

(क) माच के अ त म अितशेष के अ तगत िनयम 11 के अनुसार जमा कया गया वाषक<br />

याज भी होगा, ओर<br />

(ख) यद उपयु त 36 माह का अतम मास माच न हो तो उ त अतम मास के अ त<br />

म अितशेष के अ तगत उस व तीय वष के जसम मृ यु हो, ार भ से उ त अतम<br />

मास के अ त तक क अविध के स ब ध म याज भी ह।<br />

टप ्पणी- 2 इस योजना के अधीन भुगतान पूण पया म कया जायेगा। धनरािश को िनकटतम<br />

पूण पये म पूणाकं त कया जायेगा, पये के पचास पैसे से कम कसी भाग को छोड<br />

दया जायेगा और कसी अ य भाग को अगले उ चतर पये के प म िगना जायेगा।<br />

ट पणी- 3 इस योजना के अधीन देय कोई धनरािश बीमा क धनरािश क कृ ित का ह और इस<br />

िलये भव य िनिध अिधिनयम 1925 क धारा-3 ारा दया गया संरण इस योजना<br />

के अधीन देय धनरािशय पर लागू नहं होता।<br />

ट पणी- 4 जब कोई सरकार सेवक िनयम 25 या 26 के अधीन िनिध का सद य बन गया हो,<br />

क तु यथाथित तीन वष क सेवा पूर करने या िनिध का सद य बनने के दनांक से<br />

पॉच वष क सेवा के पूव उसक मृ यु हो जाय तो पूववत सेवायोजक के अधीन उसक<br />

सेवा क उस अविध क गणना जसके स ब ध म उसके अिभदान क धनरािश और<br />

सेवायोजक का अंशदान, यद कोई हो, तथा याज ा त हो गया हो, ख ड (क) और<br />

ख ड (ग) के योजन के िलये क जायेगी। पूववत सेवायोजक के अधीन सेवा के<br />

स ब ध म उपयु त ट पणी-1 म िनद ट औसत अितशेष उस सेवायोजक के अिभलेख<br />

के आधार पर िनकाला जायेगा।<br />

ट णी- 5 समूह ‘घ’ के अिभदाताओं से िभ न अिभदाताओं के मामले म, इस िनयम के अधीन<br />

भुगतान क गयी धनरािश क सूचना लेखा अिधकार को द जायेगी जो गणनाओं क<br />

जॉच करेगा और यद यह पाया जाय क अिधक धनरािश का भुगतान कर दया गया<br />

ह तो उ त धनरािश िनयम 24 के उपिनयम (5) के खण ्ड (ग) के अधीन भुगतान क<br />

जाने वाली अविश ट धनरािश से काट ली जायेगी और शेष अितशेष का भुगतान लेखा<br />

अिधकार ारा ऐसी कटौती ािधकृ त कये जाने के प चात ् ह कया जायेगा।<br />

24. िनिध म धनरािश के भुगतान क रित:<br />

(1) जब िनिध म अिभदाता के जमा खाते म वमान धनरािश देय हो जाय तब उसका<br />

भुगतान जैसा क भव य िनिध अिधिनयम, 1925 क धारा 4 म दया गया ह, एत<br />

ारा वहत रित से कया जायेगा।<br />

(2) यद कोई य जसको इस िनयमावली के अधीन कोई धनरािश या बीमा पॉिलसी<br />

भुगतान क जानी हो, समनुदेिशत पुन: समनुदेिशत क जानी हो या परद त क जाने<br />

वाली हो, पागल ह, जसक स पदा के िलये भारतीय पागलपन अिधिनयम, 1912 के


166<br />

अधीन, इस िनिम त कोई िलये ब धक िनयु त कया गया हो तो भुगतान पुन:<br />

समनुदेशन या परदान ऐसे ब धक को कया जायेगा, न क उस पागल को।<br />

(3) भुगतान भारत म और के वल पय म कया जायेगा। वह य जसक धनरािश देय<br />

हो, भारत म भुगतान ा त करने के िलये वयं अपना ब ध करेगा।<br />

(4) कसी अिभदाता के मामले म जो समूह ‘’घ’’ का कमचार ह लेखा अिधकार प-425<br />

(ख) म आवेदन क तीा कये बना समायोजन यद कोई हो, के अधीन रहते हुए<br />

अिभदाता क सामा य भव य िनिध पास बुक म उसके नाम वमान धनरािश का<br />

भुगतान अिधवषता पर सेवािनवृ के दनांक को और अ य मामल म धनरािश देय<br />

हो जाने के दनांक से तीन मास के भीतर करेगा।<br />

(5) (क) समूह ‘’घ’’ के कमचारय से िभ न अिभदाताओं के मामले म आहरण एवं<br />

वतरण अिधकार प-425 (क) या 425 (ख) म आवेदन क तीा कये बना<br />

वहत प चालू और पूववत पॉच व तीय वष क परकलन शीट चार ितय म<br />

तैयार करेगा और धनरािश देय हो जाने के दनांक से एक मास के भीतर परकलन<br />

शीट क तीन ितयां सामा य भव य िनिध पास बुक के साथ वभागा य से स ब<br />

लेखे का मामला िनपटाने वाले वर ठतम अिधकार को असारत करेगा, जो उनक<br />

समुिचत जॉच करके उ ह एक मास के भीतर वीकृ ित ािधकार को सामा य भव य<br />

िनिध पास बुक के 90 ितशत अितशेष का भुगतान करने के िलए अपनी सं तुित<br />

सहत असारत करेगा और उसक सूचना परिश ट ‘’ग’’ म दये गये प म स ब<br />

आहरण एवं वतरण अिधकार कोषागार अिधकार और लेखा अिधकार को देगा जससे<br />

क पाने वाला अिधवषता पर सेवािनवृ के मामले म सेवािनवृ के दनांक को और<br />

अ य मामाल म धनरािश के देय होने के दनांक से तीन मास के भीतर भुगतान ा त<br />

कर सके ।<br />

ट पणी- यद कसी वभाग म लेखा का िनपटारा करने वाला कोई अिधकार न हो, तो परकलन<br />

शीट क जॉच स ब जले के कोषागार के भार अिधकार ारा क जायेगी।<br />

(ख) वीकृ ित ािधकार प 425 (क) या 425 (ख) म आवेदन क तीा कये बना 90<br />

ितशत अितशेष क वीकृ ित आदेश क ित और सामा य भव य िनिध पास बुक के<br />

साथ परकलन शीट क ितयॉं सहत लेखा अिधकार को असारत करेगा जससे क<br />

वह अविश ट धनरािश का भुगतान ािधकृ त कर सके । अिधवाषता पर सेवािनवृ के<br />

मामले म ये अिभलेख सेवािनवृ के दनांक के तीन मास पूव और अ य मामल म<br />

बना परहाय वल ब के असारत कया जायेगा। लेखा अिधकार लेखा का समाधान<br />

करने के प चात ् और समायोजन के अधीन रहते हुए, यद कोई हो, अविश ट धनरािश<br />

के भुगतान का आदेश देगा, जससे क पाने वाला अिधवषता पर सेवािनवृ के<br />

दनांक को या उसके प चात ् यथा स भव शी क तु कसी भी थित म ऐसे दनांक<br />

से तीन मास के भीतर ह और अ य मामल म धनरािश के देय होने के दनांक से<br />

तीन मास के भीतर भुगतान ा त कर सके ।


167<br />

ट पणी- जहॉ कसी वभाग म लेखा का िनपटारा करने वाला कोई अिधकार न हो, वहॉ पर<br />

परकलन शीट क जॉच स ब जले के कोषागार के भार अिधकार ारा क जायेगी।<br />

(ग) वीकृ ित अिधकार स यक् प से भरा हुआ आवेदन प 90 ितशत अितशेष के<br />

भुगतान आदेश और सामा य भव य िनिध पास बुक के साथ परकलन शीट क<br />

ितय सहत लेखा अिधकार को असारत करेगा जससे क वह अविश ट धनरािश<br />

का भुगतान ािधकृ त कर सके । अिधवषता पर सेवािनवृ के मामले म आवेदन प<br />

सेवािनवृ के दनांक के तीन मास पूव और अ य मामल म बना परहाय वल ब के<br />

असारत कया जायेगा। लेखा अिधकार लेखा का समाधान करने के प चात ् और<br />

समायोजन के अधीन रहते हुये यद कोई हो, अविश ट धनरािश के भुगतान का आदेश<br />

देगा जससे क पाने वाला अिधवषता पर सेवािनवृ के दनांक को या उसके प चात ्<br />

यथा स भव शी क तु भी थित म ऐसे दनांक से तीन मास के भीतर हो और<br />

अ य मामल म धनरािश के देय होने के दनांक से तीन मास के भीतर भुगतान ा त<br />

कर सके ।<br />

25. िनिध म संिचत धनरािश का अंतरण:<br />

कसी य के के या कसी अ य रा य सरकार क सेवा से उ तरांचल<br />

रा य क सरकार सेवा म िनयु होने पर या:<br />

(क) यद कोई सरकार सेवक जो के सरकार या कसी अ य रा य सरकार के अनिभदायी<br />

भव य िनिध का अिभदाता हो उ तरांचल सरकार क सेवा म थायी या अ थायी प<br />

से िनयु त कया जाय और स यक् अनुम म उसे थायी कये जाने क संभावना हो<br />

तो थाना तरण के दनांक को ऐसी अ य िनिध म उसके जमा खाते का अितशेष,<br />

अ य सरकार क स मित से िनिध म उसके जमा खाते म अ तरत कर दया जायेगा।<br />

(ख) यद कोई सरकार सेवक जो के सरकार या कसी अ य रा य सरकार से अिभदायी<br />

भव य िनिध का अिभदाता हो उ तरांचल सरकार क सेवा म थायी या अ थायी प<br />

से िनयु त कया जाय और स यक अनुम म उसके थायी कये जाने क संभावना<br />

हो तो-<br />

(एक) ऐसी िनयु के दनांक को ऐसी अिभदायी भव य िनिध म उसके जमा खाते का<br />

अितशेष अ य सरकार क स मित से िनिध म उसके जमा खाते म अ तरत कर दया<br />

जायेगा।<br />

(दो) ऐसे अ य सरकार के अंशदान क धनरािश जो अिभदायी भव य िनिध म उसके जमा<br />

खाते म वमान हो उस पर याज सहत, अ य सरकार क स मित से, रा य राज व<br />

म जमा क जायेगी।<br />

26. कसी य के कसी उपम क सेवा से सरकार सेवा म थाना तरण पर या:<br />

यद िनिध का सद य बनाया गया कोई य पहले कसी उपम के भव य िनिध<br />

का अिभदाता था या कमचार भव य िनिध और कण उपब ध अिधिनयम 1952<br />

(अिधिनयम सं या 19 सन ् 1952) ारा विनयिमत था तो उसके अिभदान क


168<br />

धनरािश और सेवायोजक का अंशदान यद कोई हो, उस पर याज सहत उस िनकाय<br />

क स म से, िनिध म उनके जमा खाते म अ तरत कया जायेगा।<br />

या के िनयम:<br />

27. लेखे का वाषक ववरण अिभदाता को दया जायेगा:<br />

(1) लेखा अिधकार ितवष क समाि के छ: मास के भीतर येक अिभदाता को िनिध<br />

म उसके लेखे का ववरण भेजेगा जसम वष क पहली अैल को वमान ारभक<br />

अितशेष वष के दौरान जमा क गयी या नाम डाली गयी धनरािश वष के 31 माच को<br />

जमा क गयी याज क कु ल धनरािश और उस दनांक को वमान अतम अितशेष<br />

को दशाया जायेगा।<br />

(2) लेखा अिधकार लेखा ववरण प के दूसर ओर लु त जमा, यद कोई हो, का पूरा<br />

ववरण भी देगा।<br />

(3) अिभदाताओं को वाषक ववरण क शुता के स ब ध म वयं अपना समाधान, कर<br />

लेना चाहए और गलितय को स ब आहरण एवं वतरण अिधकार ारा स यक प<br />

से स यापत क गयी सामा य भव य िनिध पास बुक सुसंगत उरण सहत उसक<br />

ाि के दनांक से तीन माह के भीतर लेखा अिधकार क जानकार म लाया जाना<br />

चाहए। येक आहरण एवं वतरण अिधकार का यह भी एक यगत दािय व होगा<br />

क वे स ब अिध ठान के सम त कमचारय के महालेखाकार कायालय क लेखा<br />

पच/लेजर क लु त वय को भव य िनिध पास बुक क माणत ितय को<br />

भेजकर या प यवहार ारा अपने यगत यास के मा यम से ठक कराय।<br />

28. सामा य भव य िनिध पास बुक:<br />

(1) सम त आहरण एवं वतरण अिधकार अपने अधीन काय करने वाले येक अिभदाता<br />

के सामा य भव य िनिध लेखा के स ब ध म सामा य भव य िनिध पास बुक, ऐसी<br />

रित से और ऐसे प म रखगे जैसा सरकार ारा वहत कया जाय और अिभदाता<br />

ऐसी फस का जैसी वहत क जाय भुगतान करने पर सामा य भव य िनिध पास बुक<br />

क एक ित ा त करने और ऐसे अ तराल पर और ऐसी रित से जैसी सरकार ारा<br />

वहत क जाय, उसे अतन कराने का हकदार होगा।<br />

(2) यद कसी अिभदाता का थाना तरण कसी अ य सरकार वभाग या उपम म हो<br />

जाय, तो उसके थाना तरण के दनांक तक के िलये हर कार से पूण उसक पास<br />

बुक उसके अतम वेतन माण प सहत ऐसे अ य सरकार वभाग या उपम को<br />

असारत कया जाय और सामा य भव य िनिध पास बुक म थाना तरण के दनांक<br />

को वमान अ त अितशेष का उ लेख अतम वेतन माण प म कया जायेगा। इस<br />

कार ा त पास बुक को ऐसे सरकार वभाग, उपम ारा ऐसी रित से रखा जायेगा<br />

जैसी उपिनयम (1) म वहत ह।<br />

(क) आहरण एवं वतरण अिधकार ारा येक वष महालेखाकार उ तरांचल को<br />

िन निलखत सूचनाएं द जायगी-


169<br />

(1) ऐसे अिभदाताओं के नाम और लेखा सं या जनका पूव एक वष म नामांकन हुआ ह।<br />

(2) ऐसे अिभदाताओं क सूची ज हने अ य कायालय/वभाग से थाना तरण ारा वष<br />

के म य म कायभार हण कया हो।<br />

(3) ऐसे अिभदाताओं क सूची जो वष के म य म अ य कायालय/वभाग को<br />

थाना तरत हुए ह।<br />

(4) ऐसे अिभदाताओं क सूची जो आगामी 18 माह के दौरान सेवािनवृ त होने जा रहे ह।<br />

आा से,<br />

सिचव।


170<br />

थम अनुसूची (िनयम 5 (3) नामांकन प<br />

या अिभदाता का कोई परवार ह- हॉ/नहं<br />

सामा य भव य िनिध लेखा सं या................................म .........................................<br />

(पूरा नाम) एत ारा िन निलखत य/ यय को, जो सामा य भव य िनिध (उ तरांचल<br />

िनयमावली 2006 के िनयम 2 (ग) म यथा परभाषत मेरे परवार का/के सद य ह/ ह, नहं ह/नहं<br />

ह, ऐसे य/ यय के प म नाम-िनद ट करता हूं जो िनिध म मेरे जमाखाते म वमान<br />

धनरािश को उसके देय हो जाने के पूव मेर मृ यु क दशा म, मृ यु पूव देय हो जाने क तु उसका<br />

भुगतान न होने क दशा म जैसा नीचे इंिगत कया गया ह, ा त करेगा/करगे।<br />

नामांकती<br />

(नामांकित<br />

य) का नाम<br />

और पूरा<br />

पता<br />

अिभदाता<br />

के साथ<br />

स ब ध<br />

नामांकती<br />

(नामांकितय)<br />

क आयु<br />

येक<br />

नामांकितय<br />

को देय अंश<br />

आकमक<br />

ता जसके<br />

होने पर<br />

नामांकन<br />

अविधमा य<br />

हो जायेगा<br />

अिभदाता से पूव उसक<br />

मृ यु होने क दशा म<br />

जसको नामांकती का<br />

अिधकार ा त हो<br />

य/ यय का यद<br />

कोई हो, नाम, पता और<br />

स ब ध।<br />

1 2 3 4 5 6<br />

दनांक................................मास .................................20............................<br />

थान.....................................<br />

साय के ह तार नाम पता ह तार<br />

1.<br />

2.<br />

अिभदाता के ह तार................................<br />

बडे अर म नाम....................................<br />

पदनाम..................................................<br />

ट पणी- ऐसा अिभदाता जसका नामांकन करते समय कोई परवार हो, के वल अपने परवार के सद य<br />

या सद य के प म ऐसा नामांकन करेगा। ऐसे अिभदाता के मामले म जसका नामांकन<br />

करते समय परवार न रहा हो, बाद म परवार हो जाने पर नामांकन अविधमा य हो<br />

जायेगा।<br />

(प के दूसर ओर)<br />

वभागा य/कायालया य ारा उपयोग करने के िलये<br />

थान........................................<br />

ी/ीमती/कु मार..................................................पदनाम.......................<br />

ारा नामांकन:<br />

नामांकन क ाि का दनांक ...................................................................<br />

ह तार


171<br />

वभागा य/कायालया य<br />

पद का नाम............................<br />

दनांक...................................<br />

अिभदाता के िलए अनुदेश-<br />

(क) यह उ लेख कर क या आपका कोई परवार ह? सामा य भव य िनिध (उ तरांचल)<br />

िनयमावली 2006 म उलखत पद ‘’परवार’’ क परभाषा नीचे पुन: उधृत ह:-<br />

‘’परवार का ता पय:-<br />

(एक) पुष अिभदाता के मामले म अिभदाता क प नी या पय और संतान तथा अिभदाता<br />

के मृत पु क वधवा या वधवाओं और संतान से ह।<br />

पर तु यद अिभदाता यह साबत कर दे क उसक प नी उससे याियक प<br />

से पृथक कर द गयी ह या उस समुदाय क, जसक वह अंग ह, ढज य विध के<br />

अधीन भरण-पोषण क हकदार नहं रह गयी ह, तो उसे ऐसे मामल म जनसे यह<br />

िनयमावली स बधत हो, आगे से अिभदाता के परवार का सद य नहं समझी<br />

जायेगी, जब तक क अिभदाता बाद म िलखत प म लेखा अिधकार को यह सूिचत<br />

न करे क वह परवार क सद य समझी जाती रहेगी।<br />

(दो) महला अिभदाता के मामले म, अिभदाता के पित और संतान तथा अिभदाता के मृत<br />

पु क वधवा या वधवाओं और संतान से ह।<br />

पर तु यद अिभदाता लेखा अिधकार को िलखत सूचना ारा अपने परवार से<br />

अपने पित को अपवजत करने क अपनी इ छा को य त करे तो पित को उसके<br />

आगे से ऐसे मामल म जससे यह िनयमावली स बधत हो, अिभदाता के परवार का<br />

सद य नहं समझा जायेगा, जब तक क अिभदाता बाद म ऐसी सूचना को िलखत प<br />

म रदद न करे।<br />

ट पणी- ‘’संतान’’ का ता पय धमज संतान से ह और इसके अ तगत, जहॉं तक द तक हण<br />

को अिभदाता पर शासी वीय विध (पसनल लॉ) ारा मा यता ा त हो, द तक<br />

संतान भी ह।<br />

(ख) लेखा सं या सह-सह िलखी जानी चाहए।<br />

(ग) त भ-4 म यद के वल एक य नामांकत कया गया हो, तो श द<br />

‘’स पूण’’ नामांकती के सामने िलखा जाना चाहये। यद एक से अिधक य<br />

नामांकती ह, तो येक नामांकती को देय अंश जसके अंतगत भव य िनिध क<br />

स पूण धनरािश आ जाय, विनद ट कया जायेगा।<br />

(घ) ‘ त भ-5 म नामांकती/नामांकितय क मृ यु को इस त भ म आकमकता के<br />

प म उलखत नहं कया जाना चाहए।<br />

(ड) त भ-6 इस स ्त भ म अपना नाम उलखत न कर।<br />

(च) आपके ारा ह तार करने के प चात कसी नाम क बढो तर न कर द जाय, इसके<br />

िलये अतम व के नीचे र त थान के आर-पार रेखा खीिचये।


172<br />

तीय अनुसूची (िनयम 19)<br />

उ तरांचल रा य के रा यपाल ारा पुन: समनुदेशन प<br />

प (क)<br />

सामा य भव य िनिध (उ तरांचल) िनयमावली, 2006 के िनयम 19 के अनुसरण म उ तरांचल<br />

के रा यपाल एत ारा ऊपर नािमत क, ख/ख, ग और ग, घ को इसके अ तगत जीवन बीमा क<br />

पॉिलसी पुन: समनुदेिशत करते ह।<br />

आज दनांक .....................मास .............................20 ..............क<br />

.........................िन निलखत क उपथित म उ तरांचल के रा यपाल के िलये और उनक ओर से<br />

िनिध के लेखा अिधकार ......................ारा िन पादत कया गया।<br />

म प अ म<br />

(साी का पदनाम और पता)<br />

लेखािधकार के ह तार<br />

प- (2)<br />

चूंक ऊपर नािमत य क, ख क मृ यु दनांक ...........................मास ...........20<br />

........................को हो गयी ह, अत: उ तरांचल के रा यपाल एत ारा सामा य भव य िनिध<br />

(उ तरांचल) िनयमावली 2006 के िनयम -19 के अनुसरण म ग, घ................................; को<br />

इसके अ तगत जीवन बीमा क पािलसी पुन: समनुदेिशत करते ह।<br />

म प अ म<br />

(साी का पद नाम और पता)<br />

लेखािधकार के ह तार<br />

पािलसी पाने के वैध प से हकदार यय का ववरण भरये।


173<br />

तृतीय अनुसूची (िनयम 245 क)<br />

प -425 क<br />

(समूह ‘घ’ के सरकार सेवक से िभ न सरकार सेवक के िलए)<br />

सामा य भव य िनिध लेखा म अितशष के 90 ितशत के अतम भुगतान के िलए आवेदन प का ाप।<br />

सेवा म<br />

......................................<br />

.....................................<br />

(आहरण एवं वतरण अिधकार)<br />

महोदय,<br />

म सेवािनवृ त होने वाला/वाली हूं। ................................ मास के िलए सेवा िनवृ पूव<br />

छु टट पर चाला गया/गयी हूं/सरकर सेवा से याग प दे चुका/चुक हूं और यागप वीकार कर<br />

िलया गया ह। म दनांक ...................के पूवा ह/अपरा ह से सेवो मु त/पद युत कर दया गया/<br />

गयी हूं।<br />

म अनुरोध करता/करती हूं के मेरे सामा य भव य िनिध लेखा म मेरे जमा खाते म<br />

वमान अितशेष के 90 ितशत का िनयम के अधीन देय याज और बोनस (यद कोई हो) सहत<br />

भुगतान मुझे कया जाय। मेरे भव य िनिध लेखा सं या .................ह।<br />

20.......................के ............................मास के मेरे वेतन बल से भव य िनिध<br />

अिभदान के प म.........................; 0 क धनरािश क अतम बार कटौती क गई थी।<br />

म माणत करता हूं/करती हूं क मने चालू वष तथा पूववत पांच व तीय वष के<br />

दौरान अपने भव य िनिध लेखा से न तो कोई अ थाई अिम िलया ह और न कोई अतम<br />

याहरण कया ह। चालू तथा पांच पूववत व तीय वष के दौरान अपने भव य िनिध लेखा से मेरे<br />

ारा िलये गये अतम याहरण का यौरा/अतम अ थायी अिम का यौरा और साथ-साथ वसूली<br />

का भी यौरा नीचे दया गया ह।<br />

क- अतम याहरण<br />

म सं या याहरण क धनरािश आहरण का दनांक<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4<br />

5<br />

6<br />

7


174<br />

ख- अ थायी अिम<br />

अिम<br />

आहरण<br />

क त क<br />

आवेदन प के<br />

आवेदन प के<br />

यद वसूली<br />

क<br />

दनांक<br />

सं या जसम<br />

दनांक तक वसूल<br />

दनांक तक वसूल<br />

िनयिमत न हो<br />

धनरािश<br />

धनरािश क<br />

क गई क त क<br />

न क गई क त<br />

रह तो उसके<br />

वसूली क जानी<br />

सं या और<br />

क सं या और<br />

कारण दजए।<br />

हो<br />

धनरािश<br />

धनरािश<br />

5. म एत ारा माणत करता/करती हूं क बीमा क क त (ीिमयम) के भुगतान के िलए<br />

चालू और पॉंच पूववत व तीय वष के दौरान अपने भव य िनिध लेखा से मेरे ारा कोई<br />

धनरािश यात नहं क गई थी। िन निलखत धनरािशयां यात क गयी थी।<br />

म सं या धनरािश आहरण एवं दनांक<br />

1<br />

2<br />

3<br />

6. भव य िनिध से मेरे ारा व तपोषत ऐसी जीवन बीमा पािलिसय का यौरा ज ह िनयु त<br />

कया जाना ह, नीचे दया गया ह:-<br />

0 सं0 पािलसी सं या भारतीय जीवन बीमा िनगम क शाखा का नाम बीमाकृ त धनरािश<br />

1<br />

2<br />

3<br />

7. म वचन देता/देती हूं क यद सामा य भव य िनिध पासबुक म अितशेष के 90 ितशत से<br />

अिधक धनरािश का कोई भुगतान मुझको कया जाता ह और ऐसे अिधक भुगतान का<br />

समायोजन अविश ट (भाग- दो के अनुसार अनुम य) धनरािश के भुगतान से या उपादान से न<br />

कया गया हो। तो म ऐसी अिधक धनरािश का भुगतान सरकार क कर दू ंगा/दू ंगी।<br />

थान.......................<br />

दनांक ........................<br />

भवदय<br />

(ह तार)<br />

नाम और पता


175<br />

प का ाप<br />

भाग- दो<br />

सामा य भव य िनिध लेखा म अविश ट धनरािश का अतम भुगतान करने के िलए आवेदन<br />

सेवा म,<br />

महालेखाकार लेखा एवं हकदार एक/दो,<br />

उ तरांचल, देहरादून।<br />

(आहरण एवं वतरण अिधकार के मा यम से)<br />

महोदय,<br />

म सेवािनवृ त होने वाला/वाली हूं ................... मास के िलए सेवो िनवृ पूव छु ट<br />

पर चला गया/गयी हूं/सरकार सेवा से याग प दे चुका/चुक हूं और याग प वीकार कर<br />

िलया गया ह। म दनांक .......................... के पूवा ह/अपरा ह से सेवामु त/पद युत कर<br />

दया गया/गयी हूं।<br />

म अपने सामा य भव य िनिध लेखा सं या ........................... म अपने जमा खाते<br />

म वमान अितशेष के 90 ितशत का, िनयम के अधीन देय याज और बोनस (यद कोई<br />

हो) सहत भुगतान करने के िलए एक आवेदन प (उपयु त भाग एक ारा) तुत कर दया<br />

गया ह। म एत ारा अनुरोध करता/करती हूं क मेरे सामा य भव य िनिध लेखा म अितशेष<br />

के 90 ितशत का भुगतान करने के प चात अविश ट धनरािश का भी भुगतान मुझे आहरण<br />

एवं वतरण अिधकार/कोषागार/उपकोषागार के मा यम से करा दया जाय।<br />

राजपत अिधकार ारा स यक प से माणत मेरे नमुना ह तार दो ितय म<br />

संल न ह।<br />

थान..........................<br />

दनांक ............................<br />

भवदय<br />

(ह तार)<br />

नाम और पता


176<br />

भाग- तीन<br />

मृत अिभदाता के सामा य भव य िनिध लेखा म अितशेष के 90 ितशत का अतम भुगतान<br />

करने के िलए आवेदन प का ाप।<br />

(नामांकितय ारा या यद कोई नामांकन ना हो, तो अ य दावेदार ारा उपयोग कये जाने हेतु)<br />

सेवा म,<br />

..........................................<br />

..........................................<br />

(आहरण एवं वतरण अिधकार)<br />

महोदय,<br />

यह अनुरोध कया जाता ह क ी/ीमती .......................................के सामा य भव य<br />

िनिध लेखा म वमान अितशेष के 90 ितशत का िनयम के अधीन देय याज और बोनस (यद<br />

कोई हो) सहत भुगतान करने का ब ध कया जाय। आव यक ववरण नीचे दये गये ह:-<br />

1- सरकार सेवक का नाम .....................................................<br />

2- सरकार सेवक ारा धृत पद ...............................................<br />

3- मृ यु का दनांक (मृ यु माण प संल न कजए) .................<br />

4- भव य िनिध लेखा सं या ..................................................<br />

5- अिभदाता के िनयम -2 म यथा परभाषत परवार के सद य का यौरा:-<br />

म नाम अिभदाता से अिभदाता क अिभदाता क पुी या अिभदाता के मृत पु क पुी<br />

सं या स ब ध मृ यु के दनॉक के मामले म यह उ लेखत कर क वह अिभदाता क<br />

को आयु मृ यु के दनांक को अववाहत थी या ववाहत थी<br />

या वधवा थी<br />

1 2 3 4 5<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4<br />

6- अिभदाता क मृ यु के दनांक को जीवत नामांकितय का यौरा, यद नामांकन हो:-<br />

म नामांकती का अिभदाता से नामांकती का दावा का कारण, यद नामांकत<br />

सं या नाम<br />

स बनध अश<br />

अिभदाता के परवार का सद य न हो<br />

1 2 3 4 5<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4


177<br />

7- कसी अवय क क जसक मां (अिभदाता क वधवा) ह दु न हो, देय धनरािश के मामले म,<br />

दावे का समथन यथाथित ितपूित बंध प या संरण माण प ारा कया जाना चाहये।<br />

8- यद अिभदाता का कोई परवार न हो और, कोई नामांकन न हो, तो ऐसे यय के नाम<br />

जनको भव य िनिध क धनरािश देय हो (देय ोबेट प या उ तरािधकार माध प आद<br />

ारा समािथत कया जायेगा)<br />

म सं या नाम अिभदाता से स ब ध पता<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4<br />

9- दावेदार/दावेदार का धम .............................<br />

10- भुगतान आहरण एवं वतरण अिधकार के मा यम से/........................... कोषागार/उप<br />

कोषागार के मा यम से वांिछत ह। इस स ब ध म सेवारत राजपत अिधकार/मज ेट, ारा<br />

स यक प से माणत िन निलखत द तावेज संल न ह:-<br />

एक:- वैयक पहचान के िच ह-<br />

दो:- बांये/दाये हाथ का अंगुठे और अंगुिलय के िनशान (अिशत दावेदार के मामले म)<br />

तीन:- नमूने के ह तार, दो ितय म (िशत दावेदार के मामले म)<br />

11- म/हम वचन देता हूं/देते ह क यद सामा य भव य िनिध पासबुक म वमान अितशेष के<br />

90 ितशत से अिधक कसी धनरािश का भुगतान मुझको/हम लोग को कया गया हो और<br />

ऐसे अिधक भुगतान का समायोजन (भाग चार के अनुसार अनुम य) अविश ट धनरािश के<br />

भुगतान से या उपादान से नहं कया गया ह। तो म/हम लोग सरकार को ऐसी अिधक<br />

धनरािश का भुगतान कगां/कगी/करगे।<br />

भाग- चार<br />

भवदय<br />

(दावेदार/दावेदार) के ह तार<br />

पूरा नाम और पता<br />

मृत अिभदाता के सामा य भव य िनिध लेखा म अविश ट धनरािश के अतम भुगतान के<br />

िलए आवेदन प का ाप<br />

(नामांकितय ारा यद कोई नामांकन न हो तो अ य दावेदार ारा उपयोग कये जाने के<br />

िलए)<br />

सेवा म,<br />

महालेखाकार (लेखा एवं हकदार) एक/दो, उ तरांचल देहरादून।<br />

(आहरण एवं वतरण अिधकार के मा यम से)


178<br />

महोदय,<br />

मने/हम लोग ने ी/ीमती .......................................... के सामा य भव य िनिध लेखा<br />

सं या ........................................ म अितशेष के 90 ितशत का, िनयम के अधीन देय याज<br />

और बोनस (यद कोई अनुरोध कया जाता ह क उपयु त अितशेष के 90 ितशत का भुगतान करने<br />

के प चात अविश ट धनरािश का भी भुगतान मुझे/हम लोग को आहरण एवं वतरण अिधकार<br />

.................... कोषागार/उपकोषागार के मा यम से कया जाय।<br />

थान ..............................<br />

दनांक .............................<br />

भवदय<br />

(दावेदार/दावेदार) के ह तार<br />

पूरा नाम और पता<br />

(आहरण एवं वतरण अिधकार ारा उपयोग के िलए)<br />

1- ी/ीमती .................................. का भव य िनिध लेखा सं या .............ह<br />

2- वह सेवािनवृ त हो गया ह/हो गयी ह/सेवािनवृ त होगा/होगी ........................ मास के िलए<br />

सेवािनवृ पूव छु ट पर चला गया ह/ चली गयी ह/ उसने सरकार सेवा से याग प दे<br />

दया ह, और उसका याग प वीकार कर िलया गया ह। उसे दनांक ............के<br />

पूवा ह/अपरा ह से सेवो मु त/ पद युत कर दया गया ह।<br />

.......................... पये क अतम कटौती और अिम क वापसी के िलए पये<br />

क वसूली उसके वेतन से ................................. कोषागार के ......................... वाउचर<br />

सं या ......................... दनांक ............................. से भव य िनिध अनुसूची म<br />

समिलत कया गया।<br />

माणत कया जाता ह क उसे चालू वष तथा पांच पूववत व तीय वष म न तो<br />

कोई अ थानई अिम वीकृ त कया गया ह और न उसके भव य िनिध लेखा से कोइट<br />

अतम याहरण कया गया था।<br />

माणत कया जाता ह क िन निलखत अतम याहरण या अनतम अ थायी<br />

अिम उनको वीकृ त कये गये थे और चालू तथा पॉच पूववत व तीय वष के दौरान उनके<br />

भव य िनिध लेखा से यात कये गये थे।<br />

(क) अतम याहरण-<br />

म<br />

सं या<br />

याहरण क<br />

धनरािश<br />

आहरण का<br />

दनांक<br />

वाउचर<br />

सं या<br />

कोषागार का<br />

नाम<br />

लेखा<br />

शीषक<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4


179<br />

(ख)<br />

अ थायी अिम-<br />

म<br />

अिम क<br />

आहरण का<br />

वाउचर<br />

कोषागार का<br />

लेखा<br />

मास और वष जसम<br />

सं या<br />

धनरािश<br />

दनांक<br />

सं या<br />

नाम<br />

शीषक<br />

वसूली पूर हूई।<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4<br />

5- माणत कया जाता ह क बीमा क क त के भुगतान के िलए चालू वष और पूववत पॉच<br />

वष के दौरान उसके भव य िनिध लेखा से कोई धनरािश यात नहं क गई/िन निलखत<br />

धनरािश यात क गई।<br />

म सं या धनरािश आहरण का दनांक वाउचर सं या कोषागार का नाम लेखा शीषक<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4<br />

6- दनांक ............................ (वह दनांक जब धनरािश देये हो चुक हो) को उसक सामा य<br />

भव य िनिध पास बुक म यथा अितशेष जसके अ तगत उस दनांक तक देय याज और<br />

(बोनस यद कोई हो) भी ह, संल न परकलन शीट के अनुसार .................... पये (अंक<br />

म) .......................... पया (श द म) ....................... ह और उपयु त अितशेष का 90<br />

ितशत ...................... पया होता ह।<br />

7- माणत कया जाता ह क सामा य भव य िनिध से स बधत कोई वसूली उससे नहं क<br />

जानी ह। अत एव .....................; पये (अंक म) .............................. पये श द म<br />

जो अिभदाता क सामा य भव य िनिध पासबुक म अितशेष का 90 ितशत ह का भुगतान<br />

........................ अिभदाता का या यद उसक मृ यु हो गई ह तो दावेदार/दावेदार के नाम<br />

को करने क सं तुित क जाती ह।<br />

या<br />

सामा य भव य िनिध से स बधत िन निलखत वसूिलयां अिभदाता से क जाती ह।<br />

म सं या वसूिलय का ववरण धनरािश (0)<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4


180<br />

ऊपर वणत वसूिलय के मददे ........................ पये क धनरािश क कटौती करने<br />

के प चात ् अिभदाता के सामा य भव य िनिध पासबुक म अितशेष के के वल 90 ितशत म से<br />

........................................ (अिभदाता का यद उसक मृ यु हो गई ह तो दावेदार/दावेदार<br />

का नाम ) को ..................... पये (अंक म) ............ पये (श द म) के भुगतान क<br />

सं तुित क जाती ह।<br />

8- अिभदाता क मृ यु दनांक .................... को हुई। मृ यु माण प संल न ह।<br />

9- परकलन शीट (तीन ितय म) और शेष धनरािश के भुगतान के आवेदन प सहत<br />

..................................... को असारत।<br />

दनांक ............................................<br />

आहरण एवं वतरण अिधकार के<br />

ह तार और मुहर<br />

जॉचकता लेखा ािधकार ारा उपयोग के िलए<br />

1- माणत कया जाता ह क मने संल न परकलन शीट और उपयु त गणनाओं क जाच कर<br />

ली ह, जो सह ह।<br />

2- ......................................... पये (अंक म) ......................... पये (श द म) के<br />

भुगतान क सं तुित क जाती ह।<br />

3- .............................................. ( वीकृ ित ािधकार) को असारत।<br />

दनांक ...................................<br />

जॉचकता लेखा ािधकार के<br />

ह तार और मुहर<br />

वीकृ ित ािधकार ारा उपयोग के िलए<br />

1- ........................................ (अिभदाता का यद उसक मृ यु हो गयी ह तो<br />

दावेदार/दावेदार के नाम) को ..................................; पये (अंक म) ..................<br />

पये (श द म) का भुगतान वीकृ त कया गया।<br />

2- शेष धनरािश के भुगतान का आवेदन प तथा परकलन शीट और सामा य भव य िनिध<br />

पासबुक महालेखाकार उ तरांचल, देहरादून को असारत क गयी। सामा य भव य िनिध<br />

पासबुक भुगतान ािधकृ त करने के प चात ् आहरण एवं वतरण अिधकार को वापस क जाय।<br />

दनांक ...................................................<br />

वीकृ ित ािधकार के ह तार और मुहर<br />

यद अिभदाता क मृ यु हो गयी हो तो म सं या-8 के व सूचना तुत क जायेगी।


181<br />

तृतीय अनुसूची (िनयम 24(4))<br />

प – 425 (ख)<br />

(समूह ‘घ’ के सरकार सेवक के िलए)<br />

सामा य भव य िनिध लेखा म अितशेष के 90 ितशत के अतम भुगतान के िलए आवेदन<br />

प का ाप।<br />

सेवा म,<br />

....................................<br />

....................................<br />

(लेखा अिधकार)<br />

महोदय,<br />

म सेवािनवृ त होने वाला/वाली हूं। .................................. मास के िलए सेवा िनवृ पूव<br />

छु ट पर चला गया/गयी हूं/सरकार सेवा से याग प दे चुका हूं/चुक हूं। और याग प वीकार<br />

कर िलया गया ह। म दनांक .......................... के पूवा ह/अपरा ह से सेवो मु त/पद युत कर<br />

दया गया/गयी हूं।<br />

म अनुरोध करता/करती हूं क मेरे सामा य भव य िनिध म मेरे जमाखते म वमान स पूण<br />

धनरािश का िनयम के अधीन देय याज और बोनस (यद कोई हो) सहत भुगतान मुझे कया जाय।<br />

मेरे भव य िनिध लेखा सं या ........................ ह। म आहरण एवं वतरण अिधकार के<br />

मा यम से भुगतान लेने का/क इ छु क हूं।<br />

भव य िनिध लेखा म मेरे ारा व त पोषत िन निलखत जीवन बीमा पॉिलिसय को िनयु त<br />

कया जाय:-<br />

म सं या पािलसी सं या जीवन बीमा िनगम क शाखा का नाम बीमा क धनरािश<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4<br />

थान-<br />

दनांक –<br />

भवदय<br />

ह तार<br />

नाम ...................................<br />

पता ...................................


182<br />

भाग- दो<br />

मृत अिभदाता के सामा य भव य िनिध लेखा म अितशेष के अतम भुगतान के िलए आवेदन<br />

प का ाप।<br />

(नामांकितय ारा या जहॉं कोई नामाकन न हो, वहॉ दावेदार ारा उपयोग कये जाने के िलए)<br />

सेवा म,<br />

.......................................<br />

.......................................<br />

(लेखा अिधकार)<br />

महोदय,<br />

यह अनुरोध कया जाता ह क ी/ीमती ..................................... के सामा य<br />

भव य िनिध लेखा म वमान अितशेष के 90 ितशत का िनयम के अधीन देय याज और बोनस<br />

(यद कोई हो) सहत भुगतान करने का ब ध कया जाय। आव यक ववरण नीचे दये गये ह:-<br />

1- सरकार सेवक का नाम .................................................<br />

2- सरकार सेवक ारा धृत पद ...........................................<br />

3- मृ यु क दनांक (मृ यु माण प संल न कजए) .............<br />

4- भव य िनिध लेखा सं या ..............................................<br />

5- अिभदाता के िनयम 2 म यथा परभाषत ‘परवार’ के सद य का यौरा ........<br />

म<br />

सं या<br />

नाम अिभदाता<br />

से स ब ध<br />

अिभदाता क<br />

मृ यु के दनांक<br />

को आयु<br />

अिभदाता क पुी या अिभदाता के मृत पु क पुी के<br />

मामले म यह उलखत कर क वह अिभदाता क मृ यु<br />

के दनांक को अववाहत/ववाहत या वधवा थी।<br />

1 2 3 4 5<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4<br />

6- अिभदाता क मृ यु के दनांक को जीवत नामांकितय का यौरा, यद नामांकन हो:-<br />

म<br />

सं या<br />

नामांकती का<br />

नाम<br />

अिभदाता से<br />

स ब ध<br />

नामांकती का<br />

अंश<br />

दावे का कारण, यद नामांकत/अिभदाता<br />

के परवार का सद य न हो।<br />

1 2 3 4 5<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4


183<br />

7- कसी अवयस ्क क, जसक मॉ (अिभदाता क वधवा) ह दू न हो, देय धनरािश के मामले म<br />

दावे का समथन, यथाथित ितपूित बंध प या संरण माण प ारा समिथत माणत<br />

होना चाहए।<br />

8- यद अिभदाता का कोई परवार न हो, और कोई नामांकन न हो, तो ऐसे यय के नाम<br />

जनक भव य िनिध क धनरािश देय हो (देय ोबेट-प या उ तरािधकार माण-प आद<br />

ारा समिथत कया जायेगा):<br />

म सं या नाम अिभदाता से स ब ध पता<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4<br />

9- दावेदार/दावेदार का धम .................................................................<br />

10- भुगतान आहरण एवं वतरण अिधकार के मा यम से ....................... कोषागार/<br />

उपकोषागार के मा यम से वांिछत ह। इस स ब ध म सेवारत राजपत अिधकार/मज ेट<br />

ारा स यक प से माणत िन निलखत द तावेज संल न ह:-<br />

(एक) वैयक पहचान के िच ह,<br />

(दो) बॉये/दॉये हाथ के अंगुठ और अंगुिलय के िनशान (अिशत दावेदार के मामले म)<br />

(तीन) नमूने के दो ह तार, दो ितय म (िशत दावेदार के मामले म)।<br />

11- म/हम वचन देता हूं/देते ह / देती हूं क यद सामा य भव य िनिध पासबुक म वमान<br />

अितशेष के 90 ितशत से अिधक कसी धनरािश का भुगतान मुझ को/हम लोग को कया<br />

गया हो और ऐसे अिधक भुगतान का समायोजन (भाग चार के अनुसार अनुम य) अविश ट<br />

धनरािश के भुगतान से या उपादान से नहं कया गया ह तो म/ हम लोग सरकार को ऐसी<br />

अिधक धनरािश का भुगतान कं गा/कं गी/करगे।<br />

थान ..............................<br />

दनांक ............................<br />

भवदय,<br />

(दावेदार/दावेदार) के ह तार<br />

पूरा नाम और पता<br />

(कायालय ारा उपयोग के िलये)<br />

1- ी/ीमती ....................................... का भव य िनिध लेखा सं या ................ ह।<br />

2- वह सेवािनवृ त हो गया ह/हो गयी ह/ सेवािनवृ त होगा/ होगी ..................... मास के िलए<br />

सेवािनवृ पूव छु ट पर चला गया ह/ चली गयी ह/ उसने सरकार सेवा से याग प दे<br />

दया ह और उसका याग प वीकार कर िलया गया ह। उसे दनांक<br />

........................................... के पूवा ह/अपरा ह से सेवो मु त/पद युत कर दया गया<br />

ह।


184<br />

3- ................................. पये क अतम िनिध कटौती और अिम क वापसी के िलये<br />

पये क वसूली उसके वेतन से ................................. कोषागार के ............... पये के<br />

वाउचर सं या ................................. दनांक ........................ से कया गया था और उसे<br />

उपयु त वाउचर के साथ संल न ........................... पये क सामा य भव य िनिध<br />

अनुसूची म समिलत कया गया।<br />

4- माणत कया जाता ह क उसे चालू वष तथा पॉच पूववत व तीय वष म न तो कोई<br />

अ थाई अिम वीकृ त कया गया ह और न उसके भव य िनिध लेखा से कोई अतम<br />

याहरण कया गया।<br />

माणत कया जाता ह क उनके भव य िनिध लेखे म चालू तथा पॉच पूववत<br />

व तीय वष के दौरान िन निलखत अतम याहरण या अनतम अिम उनको वीकृ त<br />

एवं यात कये गये थे-<br />

(क) अतम याहरण<br />

म<br />

सं या<br />

याहरण क<br />

धनरािश<br />

आहरण का<br />

दनांक<br />

वाउचर<br />

सं या<br />

कोषागार का<br />

नाम<br />

लेखा<br />

शीषक<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4<br />

(ख)<br />

अ थाई अिम<br />

म<br />

अिम क<br />

आहरण का<br />

वाउचर<br />

कोषागार का<br />

लेखा<br />

मास और वष जसम<br />

सं या<br />

धनरािश<br />

दनांक<br />

सं या<br />

नाम<br />

शीषक<br />

वसूली पूर हुई<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4<br />

5- माणत कया जाता ह क बीमा क क त के भुगतान के िलए चालू वष और पूववत पांच<br />

वष के दौरान उसके भव य िनिध लेखा से कोई धनरािश यात नहं क गई/िन निलखत<br />

धनरािश यात क गयी-<br />

म संख ्या यात धनरािश आहरण का दनांक वाउचर सं या कोषागार का नाम लेखा शीषक<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4


185<br />

्<br />

6- दनांक ......................... (वह दनांक जब धनरािश देय हो गयी ह) को उसक सामा य<br />

भव य िनिध पासबुक म यथा अितशेष जसके अंतगत उस दनांक तक देय याज और वोनस<br />

(यद कोई हो) भी ह, ..................... पये (अंक म) ........................................ पया<br />

(श द म) ह।<br />

7- माणत कया जाता ह क सामा य भव य िनिध से स बधत कोई वसूली उससे नहं क<br />

जानी ह। अतएव .......................... (अिभदाता का या यद उसक मृ यु हो गयी ह तो<br />

दावेदार/दावेदार का/ के नाम) को ...................... पये (अंक म)<br />

...................................... पये (श द म) के भुगतान क सं तुित क जाती ह।<br />

या<br />

सामा य भव य िनिध से स बधत िन निलखत वसूिलयां अिभदाता से क जानी ह-<br />

म सं या वसूिलय का ववरण धनरािश (0)<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4<br />

ऊपर वणत वसूिलय के मददे............................ पये क धनरािश क कटौती<br />

करने के प चात अिभदाता के सामा य भव य िनिध पासबुक म अितशेष म से<br />

.............................................. (अिभदाता क या यद उसक मृ यु हो गयी ह तो<br />

दावेदार/दावेदारो का नाम) को के वल ......................... पये (अंक म)<br />

....................................................... पये (श द म) के भुगतान क सं तुित क जाती<br />

ह।<br />

8- अिभदाता क मृ यु दनांक ............................................ को हुई (मृ यु माण प संल न<br />

ह)<br />

दनांक ...............................................<br />

लेखािधकार के कायालय म स ब<br />

पदािधकार के ह तार और पदनाम<br />

(लेखा अिधकार ारा उपयोग के िलये)<br />

..................................................................................(अिभदाता का या यद<br />

उसक मृ यु हो गयी हो तो, दावेदार/दावेदार का/ के नाम ) को ................................ पये (अंक<br />

म) ................................. पये (श द म) का भुगतान वीकृ त कया गया।<br />

दनांक ........................................<br />

लेखा अिधकार के ह तार<br />

और मुहर


186<br />

परिश ट ‘’क’’ (िनयम- 13)<br />

प-1<br />

सामा य भव य िनिध से अ थाई अिम लेने के िलये ाथना-प<br />

1- अिभदाता का नाम ....................................................................<br />

2- सामा य भव य िनवाह िनिध खाता सं या ....................................<br />

3- पदनाम ...................................................................................<br />

4- वेतन:- (वेतन एवं सम त भ त सहत पृथक-पृथक दशाय, सम त कटौितय का ववरण दशाये)<br />

(क) कु ल परलधयां ...................................................<br />

(ख) कु ल कटौितयां ......................................................<br />

5- ाथना प देने क ितिथ को अिभदाता के खाते म जमा धनरािश का ववरण:-<br />

(1) वष ....................... क लेखा पच/पासबुक के अनुसार अतम शेष धनरािश 0.............<br />

(2) बाद म:-<br />

(क) माह ...........से माह ..................तक अिभदान एवं बकाया ारा जमा 0.............<br />

(ख) माह ...........से माह .................. तक अिम क वापसी ारा जमा 0.............<br />

(3) योग (1)+(2) 0.............<br />

(4) िन कासन -<br />

(क) अतम िन कासन<br />

0............<br />

(ख) अ थाई अिम माह/वष से माह/वष तक<br />

0............<br />

(5) योग (मद 4) 0............<br />

(6) (शु) जमा धनरािश (मद 3-5) 0............<br />

6- पूववत अिम यद शेष ह, तो शेष धनरािश और उस अिम का योजन ......................<br />

7- अब मांगे जा रहे अिम क धनरािश ...................... (अंक म) ............. (श द म)<br />

8- क- मांगे जा रहे अिम का योजन ...................................................<br />

ख- जस िनयमानुसार अनुम य ह उसका संदभ ......................................<br />

9- समेकत अिम क धनरािश (मद 6+7) ........................... पया तथा जतनी मािसक क त म<br />

समेकत अिम क धनरािश क अदायगी क जानी ह उन क सं या .............<br />

10- अिभदाता क आिथक थित का पूरा ववरण जससे ाथना का औिच य िस हो<br />

सके ...............................................................................................<br />

दनांक ......................<br />

सं तुितकता अिधकार क सं तुित :-<br />

आवेदक के ह तार ...................................<br />

पद का नाम .............................................<br />

वभाग/अनुभाग ........................................<br />

ह तार ..........................................<br />

नाम ...............................................<br />

पदनाम ...........................................


187<br />

फाम -11<br />

सामा य भव य िनिध से अ थाई अिम वीकृ ित प<br />

(कायालय आदेश)<br />

एत ारा ी/ीमती/कु 0 .................................. को उनके सा0 भव य िनिध खाता<br />

सं या ............................... से वयं के .......................... के योजन के िलये खच क यव था करने हेतु<br />

पया .............................. (अंक म) .................... (श द म) के अ थाई अिम क वीकृ ित सामा य<br />

भव य िनिध िनयमावली के िनयम ........................ के अ तगत दान क जाती ह।<br />

2- पूव म राजाा सं या ................................. ारा िलये गये अिम का शेष<br />

पया.......................... एवं अब वीकृ त क जा रह पया ........................ (अंक म) ........................<br />

(श द म) कु ल समेकत धनरािश पया ...................; (अंक म) ....................... (श द म) क वसूली<br />

........................... मािसक क त म पया ............................ ितमाह क दर से क जायेगी। जसक<br />

पहली क त माह ............................. के वेतन जो माह ......................... म देय होगा से ार भ होगी।<br />

3- ी/ीमती/कु 0 ......................................... के खाते म वीकृ ित के दनांक को जमा धनरािश का<br />

ववरण िन न कार ह:-<br />

(1) वष ....................... क लेखा पच/पासबुक के अनुसार अतम शेष धनरािश 0.............<br />

(2) बाद म:-<br />

(क) माह ...........से माह ..................तक अिभदान एवं बकाया ारा जमा 0.............<br />

(ख) माह ...........से माह .................. तक अिम क वापसी ारा जमा 0.............<br />

(3) योग (1)+(2) 0.............<br />

(4) िन कासन -<br />

(क) अतम िन कासन<br />

0............<br />

(ख) अ थाई अिम माह/वष से माह/वष तक<br />

0............<br />

(5) योग (मद 4) 0............<br />

(6) (शु) जमा धनरािश (मद 3-5) 0............<br />

ह तार एवं मुहर<br />

( वीकृ ित देने वाला अिधकार)<br />

सं या व दनांक उ तानुसार।<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:-<br />

(1) महालेखाकार, उ तरांचल देहरादून।<br />

(2) आहरण एवं वतरण अिधकार, ...................................।<br />

(3) वर ठ कोषािधकार .......................................।<br />

(4) स बधत अिधकार/कमचार।<br />

ह तार एवं मुहर<br />

( वीकृ ित देने वाला अिधकार)


188<br />

परिश ट ‘’ख’’ (िनयम- 16)<br />

ाप- 1<br />

(सामा य भव य िनिध से अतम िन कासन के िलये आवेदन-प का ाप)<br />

1- कायालय का नाम ...........................................................................<br />

2- अिभदाता का नाम ...........................................................................<br />

3- खाता सं या वभागीय यय (With Department pirfix)............................<br />

4- पदनाम ..........................................................................................<br />

5- वेतनमान .........................................वेतन .......................................<br />

6- सेवा म आने क ितिथ ...........................अिधवाषक का दनांक ............<br />

7- ाथना प देने क ितिथ को अिभदाता के खाते म जमा धनरािश का ववरण:-<br />

(1) वष ....................... क लेखा पच/पासबुक के अनुसार अतम शेष धनरािश 0.............<br />

(2) बाद म:-<br />

(क) माह ...........से माह ..................तक अिभदान एवं बकाया ारा जमा 0.............<br />

(ख) माह ...........से माह .................. तक अिम क वापसी ारा जमा 0.............<br />

(3) योग (1)+(2) 0.............<br />

(4) िन कासन -<br />

(क) अतम िन कासन<br />

0............<br />

(ख) अ थाई अिम माह/वष से माह/वष तक<br />

0............<br />

(5) योग (मद 4) 0............<br />

(6) (शु) जमा धनरािश (मद 3-5) 0............<br />

8- अतम िन कासन (फाइनल वाल) क अपेत धनरािश ..........................<br />

9- क- अतम िन कासन (फाइनल वाल) का योजन ............................<br />

ख- िनयम/राजाा सं या जसके /जनके अ तगत ाथना क गयी ह ........<br />

10- या इसी योजन के िलए इससे पूव भी कोई अतम िन कासन (फाइनल वॉल) िलया<br />

गया था, यद हॉ तो धनरािश और वष बताय ................................<br />

दनांक ............................<br />

सं तुितकता अिधकार क सं तुित:-<br />

आवेदनक के हसतार .............................<br />

पद का नाम ..........................................<br />

पदनाम .................................................<br />

ह तार ...................<br />

नाम .......................<br />

पदनाम ....................


189<br />

फाम (2)<br />

(कायालय आदेश)<br />

एतारा ी/ीमती/कु 0 ........................................ को उनके सामा य भव य िनिध खाता<br />

सं या ................................ से ...................... के योजन के िलये खच क यव था करने हेतु पया<br />

................. (अंक म) .............. पया (श द म) का अतम िन कासन भव य िनिध िनयम सं या -<br />

16.................. के अ तगत वीकृ त कया जाता ह।<br />

2- अतम िन कासन क धनरािश िनयम-17 म िनधारत क गयी सीमाओं से अिधक नहं होगी। मूल<br />

िनयम (फ डामे टल ल) म यथा परभाषत उनका मूल वेतन 0 ........................................... ह।<br />

3- यह माणत कया जाता ह क ी/ीमती/कु 0 ............................ ने अपनी सरकार सेवा के<br />

.......................... वष पूरे कर िलये ह। ......................... वष म अिधवाषता पर सेवािनवृ त होगे।<br />

4- वीकृ ित क ितिथ को ी/ीम ती/कु 0 ............................ के खाते म पासबुक के अनुसार जमा<br />

अवशेष रािश का यौरा िन न कार ह:-<br />

(1) वष ....................... क लेखा पच/पासबुक के अनुसार अतम शेष धनरािश 0.............<br />

(2) बाद म:-<br />

(क) माह ...........से माह ..................तक अिभदान एवं बकाया ारा जमा 0.............<br />

(ख) माह ...........से माह .................. तक अिम क वापसी ारा जमा 0.............<br />

(3) योग (1)+(2) 0.............<br />

(4) िन कासन -<br />

(क) अतम िन कासन<br />

0............<br />

(ख) अ थाई अिम माह/वष से माह/वष तक<br />

0............<br />

(5) योग (मद 4) 0............<br />

(6) (शु) जमा धनरािश (मद 3-5) 0............<br />

ह तार एवं मुहर।<br />

( वीकृ ित देने वाला अिधकार)<br />

पंाक एवं दनांक उ तानुसार।<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:-<br />

1-ी/ीमती/कु 0 .................. को उनका यान िनयम/समय-समय पर जार शासनादेश क ओर आकृ ट<br />

कया जाता ह जनके अनुसार यह समाधान करना होगा क वीकृ त धन का उपयोग उ हने उसी योजन के<br />

िलये कया ह जसके िलये वह िनकाला गया ह। अत: िन कासन क धनरािश ा त करने के तीन माह के भीतर<br />

वे इस आशय का माण प देग क ऊपर वीकृ त िन कासन का उपयोग उसी योजन के िलये कया गया ह<br />

जसके िलये यह वीकृ त कया गया था, अ यथा वीकृ त धनरािश एक मु त जमा करनी होगी।<br />

2-महालेखाकार, (लेखा एवं हकदार) उ तरांचल, ओबराय मोटस बडंग, सहारनपुर रोड, माजरा, देहरादून को इस<br />

अनुरोध के साथ ेषत क वे अतम िन कासन क धनरािश को वष ................................ म ी/ीमती/<br />

कु 0 .......................... के सामा य भव य िनिध खाता सं या ............................ के ऋण प म घटा द।<br />

3- वर ठ कोषािधकार ...................................।<br />

4- आहरण एवं वतरण अिधकार ..........................।<br />

ह तार एवं मुहर<br />

( वीकृ ित देने वाला अिधकार)


190<br />

परिश ट ‘’ग’’<br />

(िनयम 24 (5) (ख)<br />

सामा य भव य िनिध खाते म उपल ध धनरािश के 90 ितशत के भुगतान का वीकृ ित प<br />

पांक ..............................<br />

ेषक,<br />

....................................<br />

....................................<br />

( वीकृ ित देने वाला अिधकार)<br />

सेवा म,<br />

........................................<br />

........................................<br />

(आहरण एवं वतरण अिधकार)<br />

दनांक ....................................<br />

वषय:- ी/ीमती/कु 0 ...... (अिभदाता का नाम).................(पदनाम) सामा य भव य<br />

िनवाह िनिध खाता सं या ................................ म उपल ध धनरािश के 90<br />

ितशत का भुगतान।<br />

महोदय,<br />

म उपयु त अिभदाता के सामा य भव य िनिध के खाता सं या ........................ म<br />

उपल ध धनरािश के 90 ितशत के भुगतान हेतु ाथना प (प 425 (क)/(ख) दनांक<br />

.............................. को संल न कर रहा हूं, जस पर मेरे ारा पया ............. (अंक म)<br />

..................... (श द म) का भुगतान ी/ीमती/कु 0 ....................(अिभदाता का और यद<br />

उसक मृ यु हो चुक हो, तो दावेदार का नाम) को कये जाने हेतु आदेश पारत कर दये गये ह1<br />

आपक एत ारा उपयु त धनरािश को स बधत य को अवल ब भुगतान क यव था करने के<br />

िलये ािधकृ त कया जाता ह। इस स ब ध म कृ पया अपनी अनुपालन आ या अधोह तार को<br />

यथाशी उपल ध कराय।<br />

2- शेष धनरािश के भुगतान हेतु ाथना प आगणन शीस तथा अिभदाता क सामा य भव य<br />

िनिध पासबुक मूल प से महालेखाकार उ तरांचल को आव यक कायवाह हेतु ेषत क जा रह ह।<br />

संल नक:- उ तानुसार मूल म।<br />

भवदय<br />

ह तार एवं मुहर।<br />

( वीकृ ित देने वाला अिधकार)


191<br />

पांक एवं दनांक उ तानुसार।<br />

ितिलप िन निलखत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत।<br />

(1) महालेखाकार (लेखा एवं हकदार) उ तरांचल देहरादून।<br />

(2) वर ठ कोषािधकार, ..................................।<br />

(3) .............................. (जांच करने वाले वभागीय लेखािधकार)।<br />

(4) .................................(अिभदाता का नाम और यद उसक मृ यु हो चुक हो तो दावेदार का<br />

नाम और पता)।<br />

ह तार एवं मुहर<br />

( वीकृ ित देने वाला अिधकार)


192<br />

्<br />

परिश ट ‘’घ’’<br />

(िनयम -23 रा य सरकार का िनणय -2)<br />

प ग-1<br />

जमा से स ब बीमा योजना के अ तगत धनरािश ा त करने के िलए आवेदन प<br />

सेवाकाल म कसी अिभदाता क मृ यु हो जाने पर उसक मृ यु के पूववत तीन वष म उसके<br />

सामा य भव य िनिध खाते म औसत जमा अवशेष के आधार पर धनरािश ा त करने का आवेदन प<br />

जसका योग नािमत ारा या यद कोई नामांकन न हो, तो अ य दावेदार ारा कया जायेगा।<br />

सेवा म ,<br />

.........................................<br />

.........................................<br />

.........................................<br />

महोदय,<br />

अनुरोध ह क वगय ी/ीमती/कु मार ......................................... के सामा य भव य<br />

िनिध खाते म उनक मृ यु माह/दनांक ............................... के पूववत तीन वष म जो औसत<br />

जमा धनरािश अवशेष रह ह, कृ पया उसके बराबर बीमा धनरािश के प म अितर त धनरािश का<br />

भुगतान करने का ब ध कर। इस स ब ध म अपेत ववरण िन नवत ह:-<br />

1. सरकार कमचार का नाम :-<br />

2. ज म ितिथ :-<br />

3. सेवा ार भ का दनांक :-<br />

4. पदनाम जस पर कायरत था :-<br />

5. या पांच वष क सेवा पूण कर ली ह :-<br />

6. मृ यु के पूववत तीन वष म कमचार के सा0भ0िनिध खाते म औसत जमा और<br />

शासनादेशानुसार िनधारत यूनतम अवशेष को देखते हुये ाथ बीमा धनरािश के प म<br />

अितर त धनरािश पाने का पा ह अथवा नहं :- हां/नहं<br />

7. मृ यु माण प संल न :- हां/नहं<br />

8. मृ यु का दनांक :-<br />

9. सा0 भ0 िनिध खाता सं या :-<br />

10. अिभदाता के नाम उसक मृ यु के माह से पूववत तीन वष म औसत जमा सामा य भव य<br />

िनिध क धनरािश, यद ात हो :- 0 ...........................<br />

11. यद कोई नामांकन हो तो अिभदाता क मृ यु के दनांक को जीवत नािमत का यौरा :-<br />

0 सं0 नािमत का नाम अिभदाता से स ब ध नािमत का ह सा<br />

1 2 3 4


193<br />

12. उस दशा म परवार का यौरा जब क नामांकन कसी ऐसे वय के प म कया गया हो जो<br />

परवार का सद य न हो, पर तु अिभदाता ने बाद म परवार बना िलया हो:-<br />

0 सं0 नािमत का नाम अिभदाता से स ब ध नािमत का ह सा<br />

1 2 3 4<br />

13. यद कोई नामांकन न हो, तो अिभदाता क मृ यु के दनांक पर परवार के उ तरजीवी सद य<br />

का यौरा दया जाय। यद अिभदाता क कोई पु या अिभदाता के कसी मृत पु क पुी हो<br />

और उसका ववाह अिभदाता क मृ यु के पूव हो गया हो तब उसके नाम के सामने यह िलख<br />

देना चाहये क या उसका पित अिभदाता क मृ यु के दनांक पर जीवत था:-<br />

0 सं0 नाम अिभदाता से स ब ध मृ यु के दनांक पर आयु<br />

1 2 3 4<br />

14. उस दशा म जब क ऐसे अवय क पु/पुी को जसक मां (अिभदाता क वधवा) ह दू न हो,<br />

धनरािश देय हो, तो दावे का भुगतान, यथा थित ितपूित ब ध प या अिभभावक माण<br />

प के आधार पर कया जाना चाहये।<br />

15. यद अिभदाता ने कोई परवार नहं छोडा ह, और कोई नामांकन न हो तो उन यय के नाम<br />

ज ह सामा य भव य िनिध क धनरािश देय हो, इसका समथन समाण प (लेटस ऑफ<br />

ोबेट) या उ तरािधकार माण प आद ारा कया जाना चाहये:-<br />

0 सं0 नािमत का नाम अिभदाता से स ब ध नािमत का ह सा<br />

1 2 3 4<br />

16. दावेदार (दावेदार) का धम:-<br />

17. भुगतान ............................................ के कायालय के जरये कोषागार ........के जरये<br />

चाहते ह। इस स ब ध म सेवारत राजपत अिधकार/मज ेट ारा यथावत माणत<br />

िन निलखत अिभलेख संल न ह:-<br />

1. पहचान के वैयक िच ह।<br />

2. वांये/दांये हाथ के अंगुठे और उं गिलय क छाप (िनरर दावेदार क दशा म)।<br />

3. नमूने के ह तार क दो ितयां (सार दावेदार क दशा म)।<br />

थान .....................................<br />

दनांक ....................................<br />

भवदय,<br />

(दावेदार का नाम पता व ह तार)


194<br />

(कायालय/वभागा य के योग के िलये)<br />

ी/ीमती/कु मार ...................................... के भव य िनिध लेखे क सं या (जैसे वह<br />

उसे भेजे गये वाषक ववरण प से स यापत क गयी ह).............................. ह।<br />

2- उसक मृ यु दनांक .................................. को हुई। नगरपािलका/ाम धान/तहसीलदार<br />

ारा जार कया गया मृ यु माण-प तुत कया गया ह। इस मामले म उसक आव यकता<br />

नहं ह यक मृ यु के बारे म कोई स देह नहं ह।<br />

3- उसके ................................ महने (सेवाकाल का अतम मास िलखा जाना चाहये) के<br />

वेतन से, जो इस कायालय के देयक (बल सं या ................... दनांक ........................)<br />

के ारा िनकाला गया ह, अिभदान क अतम कटौती 0 ...........................(अंक म)<br />

..........................(श द म) क गयी जसके ...................;कोषागार के नगद माणक<br />

(कै श वाउचर) सं या .................... म कटौती क धनरािश 0 .....................................<br />

थी और अिम धन क वापसी क वसूली 0 .......................थी।<br />

4- माणत कया जाता ह क उसक मृ यु के दनांक से तुर त पूव के 36 महन म न तो उसे<br />

अ थाई अिम धन वीकृ त कया गया था और न उसे उसके भव य िनिध लेखे से अतम<br />

प से कोई धनरािश िनकालने क वीकृ ित द गयी थी।<br />

या<br />

माणत कया जाता ह क उसक मृ यु के दनांक से तुर त पूव के 36 महन म<br />

िन निलखत अ थायी अम तथा/अथवा िन कासन के प म धनरािशयां िनकालने के िलए वीकृ ित<br />

द गयी थी और वे िनकाल ली गयी थी।<br />

0 अिम/अतम िनकाली जाने वाली चुकता कये जाने का माणक<br />

सं0 िन कासन<br />

धनरािशयां (इ कै शमे ट) दनांक और थान सं या<br />

5- माणत कया जाता ह क उसके भव य िनिध खाते से व त पोषत जीवन बीमा पॉिलसी के<br />

ीिमयम के भुगतान हेतु उसक मृ यु के दनांक से तुर त पूव के 36 महन म उसक भव य<br />

िनिध लेखे से कोई धनरािश नहं िनकाली गयी थी/िन निलखत धनरािशयां िनकाली गयी थी:-<br />

0 सं0 पॉिलसी सं या और क पनी का नाम धनरािश दनांक माणक सं या<br />

6- माणत कया जाता ह क वसूली के िलये देय सरकार क कोई मांगे नहं ह/ िन निलखत<br />

मांगे ह।<br />

कायालया य/वभागा य।<br />

यह के वल उसी समय लागू होगा जबक भुगतान कायालया य ारा चाहा गया हो।


195<br />

सेवा स ब धी व तीय िनयम<br />

1- भूिमका:-<br />

उ तरांचल राजय का गठन 09 नव बर, 2000 को उ तर देश पुनगठन अिधिनयम 2000 के<br />

अ तगत कया गया। इस अिधिनयम क धारा 87 म ावधान ह क ‘’जब तक उ तरांचल सरकार<br />

रा य थापना के पूव पूववत उ तर देश म लागू अिधिनयम, िनयम, या, शासनादेश, परप<br />

आद म संशोिधत, िनदिशत या ित थापत नहं करती तब तक यथावत भावी हगे’’। इस म म<br />

सेवा क सामा य शत का ववरण व तीय ह त पुतका संह ख ड-2 भाग 2 से 4 म दया गया ह।<br />

भाग-2 के िनयम को मूल िनयम तथा भाग 3 के मूल िनयम को सहायक िनयम कहा जाता ह। भाग-<br />

4 म इस िनयमावली के िनयम से स बधत अिधकार का ितिनधायन तथा स बधत प को<br />

समिलत कया गया ह। इस व तीय ह त पुतका के अ याय 2 के मूल िनयम 10 से 18-क तक<br />

म एवं भाग-3 म सेवा क शत का उ लेख कया गया ह। सेवा क सामा य शत का ववरण िन न<br />

ह-<br />

2- सेवा म वेश के िलए वा य के िचक सकय माण प क अिनवायता:-<br />

कोई भी य कसी थायी/अ थायी पद पर उपयु त वा य का िचक सीय माण प के<br />

बना मौिलक प से िनयु त नहं कया जा सकता। िचकत ्सा माण प का ाप सहायक िनयम<br />

10 म िनपत ह। राजपत अिधकारय के िलए डवीजनल मेटकल बोड का वा थता माण प<br />

आव यक ह जबक अराजपत कमचारय के मामले म राजकय जला िचक सालय के मु य<br />

िचक सा अिधकार का माण प पया त ह।<br />

(सहायक िनयम 12)<br />

शासन क वि सं या सा-1-152/दस(0934)15/67 दनांक 10-4-90 ारा सहायक िनयम<br />

12 म संशोिधत यव था भावी क गई ह जसके अनुसार अब अराजपत कमचारय क सरकार<br />

सेवा म िनयु हेतु वा य परा जला अ पताल के मु य िचक सा अधीक से करायी जायेगी न<br />

क जसले के मु य िचक सािधकार ारा मु य िचक सा अधीक के िनणय के व स बधत<br />

कमचार डवजनल मेडकल बोड म अपील कर सकता ह।<br />

थायी या वशेष िचक सा परषद (मेडकल बोड) के िनणय के व अपील करने का कोई<br />

अिधकार नहं होगा पर तु यद तुत कये गये सा य के आधार पर शासन संतु ट हो क पहले<br />

िचक सा परषद के िनणय म कु छ ुट क संभावना ह, तो शासन को दूसरे मेडकल बोड के सामने<br />

अपील करने क अनुमित देने का अिधकार होगा।<br />

(सहायक िनयम 15(क)<br />

अपवाद:-<br />

व तीय ह त पुतका ख ड 2 भाग 2 स 4 म सहायक िनयम-11 के अ तगत ऐसी कितपय<br />

थितयां िचहत ह जनके अ तगत व थता का िचक सकय माण प वांिछत नहं होगा। पर तु<br />

जब कसी य से सरकार सेवा म वेश हेतु व थता का िचक सकय माण प तुत करने के<br />

िलए कह दया जाता ह और वा तवक प से वा य परा करने के प चात ् अनुपयु त घोषत कर


196<br />

दया जाता ह, तो िनयु ािधकार को तुत कये गये माण प क उपेा करने हेतु अपने ववेक<br />

का उपयोग करने क छू ट नहं ह।<br />

3- सरकार सेवक का पूण समय सरकार के अधीन:-<br />

जब तक क कसी मामले म प ट प से अ यथा कोई यव था न क गयी हो, सरकार<br />

कमचार का पूण समय सरकार के अधीन ह और आव यकतानुसार सम अिधकार ारा वह कसी<br />

कार क सेवा म कसी भी समय लगाया जा सकता ह। इसके िलए वह अितर त पारिमक के िलए<br />

दावा नहं कर सकता, चाहे उससे जो सेवा ली जाये।<br />

(मूल िनयम 11)<br />

मानदेय वीकृ त करने के आदेश म इस आशयक का उ लेख करना पडता ह क इस िनयम<br />

क यव थाओं को यथाव यक गत रखते हुए यह मानदेय वीकृ त कया जा रहा ह।<br />

4- पद पर िनयु:-<br />

दो या उससे अिधक सरकार कमचार एक ह समय म एक ह थायी पद पर थायी प से<br />

िनयु नहं कये जा सकते।<br />

(मूल िनयम 12(क)<br />

1- के वल अ थायी ब ध को छोडकर कोई सरकार कमचार दो या उसे अिधक पद पर<br />

एक ह समय म थायी प से िनयु त नहं कया जा सकता (मूल िनयम 12 (ख)।<br />

2- कसी सरकार कमचार को ऐसे पद पर थायी प से िनयु त नहं कया जा सकता<br />

जस पर कसी सरकार कमचार का धारणािधकार हो (मूल िनयम 12 (ग)।<br />

3- रा य सरकार के एक वभाग से रा य सरकार के दूसरे वभाग म वे छा तथा दोन<br />

वभाग वभाग य क सहमित पर सेवा थाना तरण क दशा म ऐसी सरकार<br />

सेवक को वेतन संरण एवं पेशन के योजन हेतु सरकार सेवक पशनी लाभ हेतु जोडा<br />

जायेगा, पर तु ऐसे कािमक सेवा थाना तरण के प चात अपने सेवा थाना तरण के<br />

पद के संवग म सबसे किन ठ होगा।<br />

4- भारत सरकार के सरकार अथवा सै य सेवा से रा य सरकार म लोक सेवा आयोग<br />

अथवा सम तर क चयन सिमित के मा यम से िनयु के स ब ध म वेतन<br />

संरण तथा पशन हेतु सेवा जोडने सी0एस0आर0 के ावधान एवं रा य के िनगत<br />

शासनादेश को संान म िलया जाना चाहये।<br />

शासनादेश सं या –जी-2-359/दस-1998 दनांक 12 जून, 1998 तथा<br />

शासनादेश सं या -308/304/XXVII-3/05 दनांक 25 जुलाई, 2005<br />

5- धारणिधकार/िलयन:-<br />

कसी सरकार कमचार ारा कसी थायी पद को मौिलक प से धारण करने के अिधकार को<br />

धारणािधकार कहते ह। (मूल िनयम 9(13) उ तरांचल कािमक वभाग ारा उ तरांचल रा य के<br />

सरकार सेवक क थायीकरण िनयमावली 2002 कािशत क गयी। इसके अनुसार सेवा शत म यह<br />

ावधान कर दया गया क अ थायी पद जो िनयिमत प से वषानुवष वीकृ त होते रहते ह, के<br />

सापे भी थायीकरण (मौिलक िनयु) कया जा सकता ह तथा उन सेवक का धारणािधकार


197<br />

अ थायी पद पर हो जायेगा तथा उनको वे सभी लाभ अनुम य होगे जो कसी थायी पद पर कमचार<br />

को थायीकरण होने पर िमलते ह।<br />

5- (क)- धारणािधकार कब तक:-<br />

जब तक वह कसी थायी पद पर थायी प से िनयु त सरकार कमचार का धारणािधकार<br />

कितपय दशाओं क अ तगत िनलबत अथवा थाना तरत नहं कर दया जाता उस पर उसका<br />

धारणािधकार रहता ह (मूल िनयम 13)। िन न दशाओं म धारणािधकार बना रहेगा।<br />

(क) जब तक व उस पद क डयूट करता रहे।<br />

(ख) जब वह वाहय सेवा म हो या कसी अ थायी पद पर िनयु त हो या कसी दूसरे पद<br />

पर थानाप न प से काय कर रहा हो।<br />

(ग) दूसरे पद पर थाना तरत होने पर कायभार हण काल म जब तक क वह थायी<br />

प से कसी िन न वेतन वाले पद पर थाना तरत नहं हो जाय और उस दशा म<br />

उसका धारणािधकार भी उसी ितिथ से थाना तरत हो जता ह जस ितिथ से वह<br />

अपने पुरोन पद से कायमु त हो जाता ह।<br />

(घ) जब वह छु ट पर हो (िनयम 86 या 86 (क) के अधीन जैसी भी दशा हो से वीकृ त<br />

क गई छु ट को छोडकर) और<br />

(च) जब वह िनलबत हो।<br />

5- (ख)- धारणािधकार का िनल बन:-<br />

िन निलखत दशाओं म कसी सरकार सेवक का धारणािधकार िनलबत कया जा सकता ह:-<br />

1- कसी थायी पद पर मौिलक प से िनयु त सरकार सेवक का उस पद से<br />

धारणािधकार िनलबत हो जायेगा यद उसक मौिलक प से िनयु कसी अ य<br />

साविध पद पर हो जाये या उसके संवग के बाहर के कसी थायी पद पर हो जाये या<br />

औपबधक प से कसी ऐसे पद पर हो जाये जस पर दूसरे सरकार सेवक का<br />

धारणािधकार बना रहता ह यद उसका धारणािधकार इन िनयम के अ तगत<br />

िनलबत न कया जाता।<br />

(मूल िनयम 14 (क)<br />

2- सरकार अपने वक प पर कसी थायी पद पर थायी प से िनयु त सरकार<br />

कमचार के िलयन को िनलबत कर सकती ह यद वह भारत के बाहर ितिनयु<br />

पर चला जाये या वाहय सेवा म थाना तरत हो जाय या ऐसी पर थितय म जो मूल<br />

िनयम 14 (क) के अ तगत न आयी हो।<br />

(कू ल िनयम 14 (ख)<br />

3- कसी भी परथित म कसी भी सरकार सेवक का एक साविध पद से िलयन<br />

िनलबत नहं कया जा सके गा। यद वह कसी अ य थायी पद पर थायी प से<br />

िनयु त हो जाता ह तो साविध पद पर उसका धारणिधकार समा त कर देना चाहए।<br />

(मूल िनयम 14 (ग)


198<br />

4- िनयम 14 के स ब ध म रा यपाल के यह आदेश ह क यद यह मालूम हो क अपने<br />

संवग से बाहर थाना तरत कोई कमचार अपने थाना तरण के 3 वष के भीतर ह<br />

अिधवषता पशन पर सेवा िनवृ त होने वाला ह तो थायी पद से उसका िलयन<br />

िनलबत नहं कया जा सकता।<br />

6- सामा य भव य िनवाह िनिध म अंशदान देना अिनवाय:-<br />

सरकार सेवक ारा िनयम के अनुसार कसी भव य िनिध, पारवारक पशन िनिध या अ य<br />

दूसर िनिध म अंशदान करना अिनवाय होता ह।<br />

(मूल िनयम 16)<br />

7- कसी पद पर वेतन ा त करने का ार भ व समाि:-<br />

सरकार सेवक कायभार हण करने क ितिथ से उस पद पर काय करने तक उस पद से<br />

स ब वेतन और भ त को पाने लगता ह और जैसे ह उसके ारा उस पद का काय करना समा त हो<br />

जाय, वैसे ह उसका उ ह पाना समा त हो जायेगा।<br />

सरकार कमचार अपने पद से स ब वेतन तथा भ ते उस ितिथ से पाने लगेगा जससे वह<br />

उस पद का कायभार हण करे, बशत कायभार उस ितिथ के पूवा ह म ह ता तरत हुआ हो। यद<br />

कायभार अपरा ह म ह ता तरत हो तो वह उसके अगले दन से वेतन तथा भ ते पाना आर भ करता<br />

ह।<br />

(मूल िनयम 17)<br />

8- यूट से लगातार 5 वष से अनुपथित:-<br />

जब तक शासन कसी मामले क वशेष परथितय को यान म रखकर कु छ अ यथा न<br />

अवधारत (determine) कर भारत म बाहय सेवा को छोडकर अवकाश पर या बना अवकाश के अपनी<br />

यूट से पांच वष से अिधक लगातार अनुपथत रहने पर सरकार सेवक को कोई अवकाश वीकृ त<br />

नहं कया जा सकता तथा उसके व अनुशासिनक कायवाह क जानी चाहए। पांच वष से अिधक<br />

अवकाश पर रहने के प चात ् बना िनयु ािधकार क अनुमित के उसको यूट पर उपथत होने<br />

नहं देना चाहए। मूल िनयम 18 एवं शासनादेश सं या जी-4-34/दस-89-4-83, दनांक 12.9.89 तथा<br />

अ य शासनादेश ारा प ट कया गया ह क पांच वष से अिधक अनुपथत रहने पर वत: सेवा<br />

समा त नहं हो जायेगी अपतु उसे औपचारक नोटस देकर ह सेवा समा त कया जाय।<br />

गवनमे ट आफ इडया ऐ ट, 1935 क धारा 241(3)(क) और 258 (2) (ख) के ितब ध<br />

को यान म रखते हुए सरकार कमचारय के वेतन तथा भ ते का दावा उन िनयम ारा विनयिमत<br />

होता ह जो वेतन या भ ता अजत करने हेतु उस समय लागू रहे ह जस अवध के िलए दावा मांगा<br />

जा रहा ह, और अवकाश का दावा उन िनयम ारा विनयिमत होता ह जो अवकाश के िलए आवेदन<br />

करने और वीकृ त होते समय लागू रहे ह।<br />

(मूल िनयम 18 (क)


199<br />

9- सेवा पुतका का रख-रखाव<br />

(1) भिमका:-<br />

1. राजपत और अराजपत दोन कार के सरकार सेवक क, सेवा के अिभलेख शासन<br />

ारा बनाये गये िनयम तथा िनयंक महालेखा स परक ारा जार अनुदेश के<br />

अनुसार रखे जाते ह।<br />

(मूल िनयम 74)<br />

2. (1) सेवा अिभलेख के वषय म शासन ारा बनाये गये िनयम व तीय<br />

िनयम संह ख ड-दो भाग-2 से 4 के भाग 3 म अ याय 10 के अ तगत<br />

वणत ह।<br />

(2) लेखा परा के अनुदेश व तीय िनयम संह ख ड-दो, भाग 2 से 4 परिश ट-<br />

ए म अनुदेश 35, 36 म वणत ह।<br />

(3) सेवा पुतका का रख-रखाव व तीय िनयम संह ख ड-5 भाग एक के िनयम<br />

142 से 144-ए म भी वणत ह।<br />

(4) शासनादेश सं या सा0-3-1713/दस-89-933/89 दनांक 28-7-89 तथा सा0-<br />

3-1644/दस-904/94, दनांक 2 नव बर, 1995 म सेवा पुतका को पूण<br />

कया जाना तथा स यापन पुनरावलोकन क कमी को पूरा कया जाना, आद<br />

से स बधत िनदश िनगत हुए ह।<br />

(5) कितपय सेवाय यथा रा य म अखल भारतीय सेवा के अिधकार, रा य<br />

कायकार, सेवा रा य व त सेवा तथा रा य याियक सेवा के वग ‘क’ के<br />

अिधकारय हेतु शासन ारा सृजत वेतन पच को ट ारा सेवा स ब धी<br />

ववरण रखने तथा वेतन पच जार करने हेतु अिधकृ त कया गया ह।<br />

(ii) सेवा पुतका:-<br />

सेवा पुतका का ार भ:- येक राजपत और अराजपत सरकार सेवक क (ऐसे<br />

राजपत अिधकार को छोडकर जनक वेतन पच कोषागार िनदेशालय/इरला चेक वभाग,<br />

उ तरांचल सिचवालय ारा जार होती ह) चाहे वह थायी पद पर कायरत हो या थानाप न<br />

प से काय कर रहे ह या अ थायी ह िनधारत प 13 पर सेवा पुतका रखी जाती ह<br />

जसम उनके शासकय जीवन क येक घटना का उ लेख कया जाता ह।<br />

(सहायक िनयम 134 व 135)<br />

अपवाद:-<br />

1. सभी कार के ेणी ‘घ’ के कमचार।<br />

2. वभाग के वे कमचार जो हेड कां टेबल से उ च न ह।<br />

3. अ प रय व अवकाश रय म काय करने वाले कमचार।<br />

(iii) सेवा पुतका क आपूित:- येक कमचोर/अिधकार को सेवा पुतका िन:शु क द जाती ह।<br />

(सहायक िनयम-136)


200<br />

(iv) सेवा पुतका क सुरा:- वेतन पच को ठ से स बधत अिधकारय को छोडकर सेवा<br />

पुतका कायालय के कायालया य क सुरा म रहती ह जसम सरकार सेवक सेवा करता ह<br />

और उसके साथ एक कायालय से दूसरे कायालय थाना तरत होती रहती ह।<br />

(सहायक िनयम 136)<br />

(v) सेवा पुतका म येक घटना का उ लख:- सरकार सेवक क सरकार सेवा से स बधत<br />

येक घटना का उ लेख सेवा पुतका म कया जायेगा। येक व उसके कायालय के<br />

कायालया य ारा माणत क जायेगी।<br />

(vi)<br />

(vii) सेवा पुतका म वयॉं:- कायालया य को देखना चाहए क सेवा पुतका म सभी<br />

वयां समुिचत प से कर द गयी ह और उ ह माणत कर दया गया ह। वय को<br />

िमटाया नहं जाना चाहए, न उनके ऊपर ओवर राइटंग क जानी चाहए। सभी संशोधन<br />

व छता से कये जाने चाहए और उिचत प से माणत कये जाने चाहए।<br />

(सहायक िनयम 136)<br />

(viii) सेवा पुतका क व का भरा जाना:-<br />

बायं पृ ठ<br />

बाय पृ ठ पर अंगुिलय और अंगूठे के िच ह अंकत कराये जाये जो कायालया य ारा<br />

माणत होने चाहए ।<br />

दांया पृ ठ (परिश ट-,ख)<br />

इस परिश ट म सरकार कमचार का ववरण िलखा जाता ह, जो सावधानी पूवक िलखा जाना<br />

चाहए।<br />

अनुसूिचत जाित/जनजाित<br />

ऐसा ववरण इस आशय का सम अिधकार का माण-प देखकर भरना चाहए।<br />

ज मितिथ<br />

हाई कू ल माण-प या कू ल छोडन के माण प के आधार पर भर जानी चाहए और इसे<br />

श द म भी िलख देना चाहए।<br />

एक बार िलखी गयी ज म ितिथ म िलपकय ुट को छोडकर कोई परवतन नहं हो सकता।<br />

ज मितिथ का िनधारण<br />

व तीय िनयम संह ख ड-पांच भारग-एक, अनु छेद 127(ए) क या उन पद के िलए<br />

जहॉं शैक अहता िनधारत नहं ह।<br />

शासन म कु छ ऐसे पद ह जन पर शैक अहताय िनधारत नहं ह, जैसे जमादार, चौकदार।<br />

ऐसे मामल म यद ज मितिथ कू ल छोडने के माण-प न होने से या अिशत होने के कारण<br />

िनधारत नहं हो पाती हो जस दन वह सेवा म वेश करता ह और जो आयु मु य िचक सा<br />

अिधकार ारा व थता के माण प म दखायी जाती ह, उसके आधार पर ज मितथ िनधारत क<br />

जाती ह। उदाहरणाथ एक जमादार 01.07.94 को सेवा म वेश करता ह। उसके पास कोई कू ल छोडने


201<br />

का अतम माण प नहं ह, यक वह अिशत ह। मु य िचक सािधकार व थता माण प<br />

म उसक ज मितिथ 20 वष घोषत करते ह। वेश के दनांक 1.7.94 म से 20 वष कम करके उसक<br />

ज म ितिथ 1-7-94 िनधारत कर द जायेगी।<br />

यद कमचार अपनी ज म ितिथ का साल और महना सा य सहत बताता ह तो माह क 16<br />

तारख ज मितिथ मानी जायेगी। इस कार एक बार िनधारत क गयी ज मितिथ म कोई परवतन<br />

नहं हो सकता ह और उसके ाथना-प अ यावेदन क हं भी परथितय म हण नहं कया जा<br />

सकता। (शासनादेश सं या-41/2-69 िनयु-4 दनांक 28 मई, 1974)<br />

शैक अहताय<br />

मूल माण-प के आधार पर अंकत होना चाहए।<br />

परिश ट (ख) पर कमचार का भव य िनिध लेखा सं या तथा राजकय बीमा पािलसी यद<br />

कोई हो क सं या का प ट उ लेख लाल याह से होना चाहए।<br />

परिश ट (ख) क अ य वयां स ्वत: प ट ह और उसके िलए कसी उ लेख क<br />

आव यकता नहं ह। इस पृ ठ क वयां येक पॉचवे वष माणत होनी चाहए। जसके माण<br />

वप कमचार/अिधकार को अपने ितिथ सहत ह तार मश त भ 10 एवं 11 म करने चाहए।<br />

व त वभाग के शासनादेश सं या बीमा-2545/दस-54/1981 दनांक 24-3-83 के अ तगत<br />

सामूहक बीमा योजना कटौितय का वाषक ववरण िनधारत प म सेवा पुतका म रखा जाना<br />

चाहए। इसके अितर त सेवा पुतका म िन न अ य ववरण भी रखे जाने चाहए।<br />

1. मृ यु तथा सेवािनवु आनुतोषक का नामांकन प।<br />

2. परवार के सद य का ववरण।<br />

3. सामूहक बीमा योजना का नामांकन प।<br />

4. पारवारक पशन का नामांकन प (प ई म)<br />

परिश ट ग<br />

त भ-1<br />

त भ-2<br />

त भ-3<br />

िनयु का नाम और वेतनामान-<br />

सेवा पुतका के इस त भ म पद का पदनाम जस पर िनयु हुई हो प ट<br />

श द म वेतनमान के पूण ववरण सहत िलखा जाना चाहए। त भ 19 म उस<br />

आदेश क सं या एवं दनांक का पूण स दभ दया जाना चाहए जसके अ तगत<br />

िनयु हुई ह।<br />

िनयु मौिलक या थानाप न और थाई/अ थाई:-<br />

इस त भ म यह उ लेख कया जाना चाहए क त भ 1 म दशायी िनयु<br />

पर कमचार/अिधकार थायी ह अथवा अ थाई वह उस पद पर मौिलक प से<br />

िनयु त ह या थानाप न प से कायरत ह।<br />

यद थानाप न प से काय कर रहा हो तो मौिलक पद यद कोई हो तो उसका<br />

उ लेख कर देना चाहए। यद ऐसा न हो तो ‘’डैस’’ (-) लगा देना चाहए।


202<br />

त भ-4<br />

त भ-5<br />

त भ-6<br />

त भ-7<br />

त भ-8<br />

त भ-9<br />

त भ-10<br />

त भ-11<br />

त भ-12<br />

त भ-13<br />

त भ-14-18<br />

पूणतया र त थान म िनयु होने क दशा म चिलत यव था का उ लेख कया<br />

जाना चाहए। आदेश क ित संल न कया जाना चाहए।<br />

मौिलक प से धृत थायी पद के वेतन का उ लेख कया जाना चाहए। ऐसा न होने<br />

क दशा म ‘’डैस’’ (-) लगा देना चाहए।<br />

थानाप न पद का वेतन अंकत कया जाना चाहए।<br />

यद अ य कोई परलधयॉं हो जो वेतन के अन ्तगत आती ह उसका उ लेख करते<br />

हुए धनरािश िलखी जानी चाहए।<br />

िनयम/शासनादेश क सं या/दनांक जसके अधीन त भ-7 क धनरािश वीकृ ित क<br />

गयी हो, का उ लेख इस त भ म होना चाहए।<br />

िनयु का दनांक जस ितिथ को कमचार ने कायभार हण कया हो, इस त भ म<br />

उसका उ लेख होना चाहए।<br />

कमचार के ह तार इस त भ म येक वष कराया जाना चाहये। यद िनयु म<br />

कोई परवतन हो तो ऐसी दशा म येक मामले क व के व भी ह तार<br />

कराये जाने चाहए।<br />

िनयु क समाि का दनांक इस त भ म दया जाना चाहए। यह समाि वेतन<br />

वृ पदो नित, पदावनित, थाना तरण, सेवा युित आद के कारण से हो सकती ह।<br />

िनयु क समाि के कारण संेप म िलखे जाने चाहए। िनल बन क दशा म या<br />

कसी अ य कारण से सेवा के म म भंग होने का उ लेख अविध के पूण ववरण<br />

सहत सेवा पुतका म पृ ठ के ओर छोर तक िलखा जाना चाहए तथा वह व<br />

सम अिधकार ारा स यापत होनी चाहए। यह प ट करना चाहए क या<br />

िनलम ्बन अविध क गणना पशन तथा अ य सेवा स ब धी मामले क िलए होगी।<br />

सम अिधकार ारा जार पुन: थापना के आदेश क ित संल न क जानी चाहए।<br />

त भ 2 से 12 तक क वय को स यापत करने वाले कायालया य या अ य<br />

अिभमाणन अिधकार को अपने ह तार इस त भ म करने चाहए।<br />

अवकाश से स ब ध रखते ह। कमचार ारा िलया गया िनयिमत अवकाश का कार<br />

उसक अविध, वीकृ ित आदेश क सं या एवं दनांक इन त भ म अंकत कये जाने<br />

चाहए और अतम त भ म स यापत करने वाले अिधकार को अपने ह तार<br />

करने चाहए।<br />

(ix) सेवा पुतका म अवकाश लेखा:-<br />

अजत अवकाश<br />

1. अजत अवकाश का लेखा व त (सामा य) अनुभाग-4 के शासनादेश सं या-सा-4-31/दस-101-<br />

76, दनांक 24 जून, 1978 (भावी 1-1-78 से) के अनुसार रखा जाता ह। येक कमचार के<br />

लेखा म येक वष पहली जनवर एवं पहली जुलाई को मश: 16 दन एवं 15 दन का<br />

अवकाश जमा कर दया जाता ह और कु ल जमा अवशेष 300 दन हो जाता ह वह अवकाश<br />

अजत करना ब द कर देता ह।


203<br />

2. यद कोई कमचार कसी छमाह के कसी माह म िनयु त होता ह तो छमाह के पूव कै ले डर<br />

मास क सेवा के िलए ढाई दन ितमास के हसाब से अवकाश जमा कया जाना चाहए।<br />

हसाब पूणाक दन म रखा जाता ह। उदाहरण हेतु यद कोई कमचार कै ले डर वष क थम<br />

छमाह म 13 माच को िनयु त कया जाता ह तो उस छमाह म उसक सेवा के पूण महन<br />

क अविध 3/6 होगी। तदनुसार 7 ½ दन अथवात 8 दन का अवकाश उसके अवकाश लेखा<br />

म जमा कर दया जायेगा।<br />

3. सेवािनवृ होना, याग-प देना, मृ यु हो जाना या अ य कारण से सेवा म न रहना:- ऐसी<br />

घटना हो जाने पर छमाह के पूण महन क सेवा के स ब ध म ढाई दन ितमास के हसाब<br />

से पूणाक दन म अवकाश जमा होगा। यद कसी राजकय सेवक ने उससे अिधक अवकाश<br />

का उपभोग कर िलया होगा तो अतम भुगतान करते समय अिधक भुगतान का समायोजन<br />

कया जायेगा।<br />

4. यद कोई सरकार सेवक छमाह के अतम दन अवकाश पर हो तो वह अगली छमाह क<br />

पहली तारख को जमा होने वाले अवकाश का भी उपभोग कर सकता ह बशत क सम<br />

अिधकार संतु ट हो क राजकय सेवक अवकाश क समाि पर यूट पर वापस लौटेगा।<br />

5. जन मामल म अजत अवकाश इस कार िलया जाता ह क उसका कु छ भाग पहली छमाह<br />

और कु छ भाग दूसर छमाह से स बधत हो, उन मामल म पहली छमाह म से उस छमाह<br />

तक िलया गया अवकश घटाकर अवशेष िनकालना चाहए। उस अवशेष म अगली छमाह क<br />

पहली तारख को देय अवकश जोडकर उसके व िलये गये अवकाश म से नगत छमाह म<br />

उपभोग कया अवकाश घटाकर अवशेष िनकालना चाहए।<br />

उदाहरण:-<br />

एक सरकार सेवक के लेखा म 294 दन का अजत अवकाश अवशेष ह। वह 24 दस बर से<br />

25 दन के अजत अवकाश पर चला जाता ह, जो दनांक 17 जनवर को समा त होता ह, उसका<br />

अवकाश लेखा िन न कार घटाया/जमा कया जाना चाहए।<br />

1 23 दस बर को अजत अवकाश लेखा म जमा अवशेष 294 दन<br />

2 24/12 से 31/12 तक उपभोग कया अवकाश 08 दन<br />

3 31 दस बर (छमाह के अ त म अवशेष) को अवशेष 286 दन<br />

4 1 जनवर को जमा होने वाला अवकाश 16 दन<br />

5 1 जनवर को अवकाश का कु ल योग 302 दन<br />

क तु अिधकतम<br />

300 दन<br />

( यक शा0सं0-4-393:दस, दनांक 1.7.99 के अनुसार 300 दन से अिधक का अवकाश लेखा म<br />

जमा नहं हो सकता। यह यव था 1-7-99 से भावी ह।)<br />

6 1 जनवर से 17 जनवर तक उपभोग कया अवकाश 17 दन<br />

शेष अवकाश<br />

283 दन


204<br />

(x) सेवा का स यापन<br />

व0ह0पु0 ख ड-2 भाग 2 से 4 के सहायक िनयम 137 म एवं व तीय ह त पुतका ख ड-5<br />

भाग-1 के तर 142 म यह ावधान कया गया ह क येक राजकय सेवक क सेवाओं का<br />

स यापन येक व तीय वष म िनयम समय पर प 15 (जो सेवा पुतका का अंग होना<br />

चाहए) म वेतन बल से कायालया य ारा कया जाना चाहए। यद कसी अविध का<br />

स यापन कायालय अिभलेख से न हो पाये, उस अविध के स ब ध म कमचार का शपथ प<br />

लेकर सेवापुतका म लगा देना चाहए और उपयु त प 15 के अ यु के त भ म यह<br />

प ट प म िलख देना चाहए। (शा0आदे0सं या: सा-3-1713/दस, दनांक 28-7-89)<br />

थाना तरण होने पर एक कायालय म क गयी स पूण सेवाओं का स यापन सेवा<br />

पुतका म वेतन बल/भुगतान िचटठो से कायालया य के ह तार के अ तगत कया जाना<br />

चाहए।<br />

(xi) सेवा के स यापन का माण प जार कया जाना<br />

व त (सामा य) अनुभाग-1 शासनादेश सं या-जी-1/789(128)-82 दनांक 8 जून, 1982 के<br />

अनुसार कायालया य या अ य कोई अिधकार जो सेवा पुतका के रख-रखाव के िलये<br />

उ तरदायी ह, वल बतम 31 मई तक येक व तीय वष क सेवा के स यापन का माण प<br />

जार करेगा। सेवा पुतका खो जाने पर इन माण प के आधार पर सेवािनवृ देय के<br />

मामले तय कये जायगे।<br />

(xii) कमचार को सेवा पुतका का दखाया जाना और उसके मण वप उसके ह तार ा त<br />

करना<br />

(सहायक िनयम 137)<br />

येक कायालया य का यह कत य ह क वह अपने शासिनक िनयंण म आने वाले<br />

सम त कमचारय को येक वष उनक सेवा पुतका दखाये और उ च अिधकार को पहले व तीय<br />

वष के बारे म येक वष िसत बर के अंत तक माण प भेजे क उसने ऐसा कर दया ह।<br />

स बधत कमचार को भी सेवा पुतका म ह तार करते समय सभी वय क समुिचत जांच<br />

कर लेनी चाहये।<br />

(xiii) सेवा पुतका क वापसी/न ट कया जाना (सहायक िनयम 136 (ए)<br />

1. अिधवषता पर सेवािनवृ त होने पर:-<br />

पशन अतम प से वीकृ त होने पर कमचार क ाथना पर राजकय सेवक को लौटा द<br />

जाए अ यथा सेवा िनवृ के 5 वष के बाद या मृ यु के छ: माह बाद जो घटना पहले हो, सेवा<br />

पुतका न ट कर द जाये।<br />

2. सेवारत मृ यु होने पर-<br />

यद मृ यु के छ: महने के अ दर उसका कोई र तेदार सेवा पुतका क वापसी के िलए<br />

ाथना प नहं तुत करता ह तो ऐसा पुतका न ट कर देनी चाहए।


205<br />

3. अिधवषता क आयु से पूव सेवा से त ्याग प या बना कसी अपराध के सेवा से मु त कया<br />

जाना:-<br />

ऐसी घटना के 5 वष बाद तक सेवा पुतका रखी जानी चाहए। यद सरकार सेवक उपयु त<br />

अविध क समाि के 6 माह के अ दर उसक वापसी के िलए ाथन प तुत करता ह तो<br />

सेवा पुतका म सेवा िनवृ, याग प अथवा सेवा से मु त (discharge) कये जाने क<br />

व करके सेवा पुतका उसे दे द जाय। यद ाथना प न हो तो उपयु त अविध क<br />

समाि पर सेवा पुतका न ट कर द जाय।<br />

4. जब सेवा डसिमसल/रमूवल के कारण समा त हुई हो:-<br />

जस ितिथ से डसिमसन/रमूवल हुआ हो उसके 5 वष बाद तक या मृ यु के 6 माह बाद तक<br />

जो भी घटना पहले हो सेवा पुतका सुरत रखी जानी चाहए। उसके बाद उसे न ट कर देना<br />

चाहए।<br />

5. यद सेवा से पद युित/सेवा समाि (Dismissal/Removal) के बाद कमचार क सेवा म पुन:<br />

वापसी हुई हो:-<br />

6. जस कायालय म कमचार क पुनिनयु हुई हो सेवा पुतका वहॉं भेज देनी चाहए। इसम<br />

पद युित/सेवा समाि (Dismissal/Removal) सहत पहले क सेवा के सम त घटनाओं का<br />

यथाविध उ लेख रहना चाहए।<br />

नोट:- सेवा पुतका के रख-रखाव के वषय म व तुत अनुदेश सेवा पुतका के ार भ म मुत<br />

रहते ह उसका सावधानी से पालन करना चाहए।<br />

सेवा पुतका के रख-रखाव के स ब ध म आहरण एवं वतरण अिधकारय ारा अपनायी<br />

जाने वाली कितपय मह वपूण सावधािनयॉं:-<br />

आहरण एवं वतरण अिधकारय को िन नांकत मह वपूण ब दुओं को सदा यान म रखने<br />

का परामश दया जाता ह:-<br />

1. पदो नित आद जब और जैसे भी हो, क वयां सेवा पुतका म कर द जाय और उनका<br />

अिभमाणन कर दया जाय।<br />

2. जन राजकय कमचारयॉं क 1.4.1965 के पूव थायी पशन यो य अिध ठान म िनयु क<br />

गयी हो वहॉं उनक सेवा पुतका म आव यक प से पशन तथा पारवारक पशन िनयम के<br />

अ तगत उनके अधुनातम वक प क व कर द जानी चाहए। सेवा पुतका म इस कार<br />

क घोषणाओं के अितर त अ य मह वपूण घटनाओं तथा वक प का चुनाव आद क व<br />

कर द जाय और उनका अिभमाणन भी कर दया जाये।<br />

3. सेवा पुतका म कायवाहक पद क कृ ित का स दभ दया जाना चाहए और इसके अितर त<br />

उस पद पर होने वाली िनयु के फल वप कये जाने वाली विभ न ब ध क व इनके<br />

आदेश सहत क जानी चाहए।<br />

4. सेवा पुतका म इस बात का उ लेख होना चाहए क या थायीकरण के पूव कमचार को<br />

परवीा पर रखा गया ह।


206<br />

5. अ थायी व कायवाहक राजकय कमचारय के बारे म इस बात का भी माण सेवा पुतका म<br />

अंकत होना चाहए क यद वह राजकय कमचार अवकाश पर न गया होता तो उस समय<br />

पद पर व तुत: काय करता रहता।<br />

6. सेवा पुतका म क गयी सेवाओं क कृ ित का उ लेख साफ-साफ कया जाय।<br />

7. सेवा पुतका म येक वष सेवाओं क कृ ित का उ लेख व स यापन कया जाना चाहए।<br />

8. सेवा पुतका म वयां याह से अ ◌ंकत क जाय और उनका िनयिमत अिभमाणन कया<br />

जाय।<br />

9. ओवर राइटंग कसी भी दशा म न क जाय ुटपूण वय को याह से काटकर नयी<br />

व कर द जाय व कटंग को सम अिधकार ारा अपरहाय प से अिभमाणत कया<br />

जाय।<br />

10. यद कोई सकरार सेवक औपचारक अनुमित से अ य सेवा हण करे तब अनुरोध पर सेवा<br />

पुतका स यापत कर उ त ािधकार को भेज दया जाय।<br />

सेवावृ त:- सभी कार के समूह ‘घ’ के कमचारय तथा पुिलस किमय जनक ेणी हेड<br />

कां टेबल से उ च न हो का सेवा अिभलेख प सं या 14 के सेवावृ त म रखा<br />

जायेगा।<br />

(सहायक िनयम 141)<br />

सेवावृ त का रख-रखाव:-<br />

सेवावृ त को बहुत सावधानी से तैयार कया जाना चाहए व येक ब दु क<br />

विधवत जांच कर व क जानी चाहए। सेवा ववरण के त भ के अ तगत सभी अपेत<br />

सूचनाएं भर जानी चाहए तथा अ यु के कालम म पूण ववरण दया जाना चाहए। पशन के िलए<br />

येक कमचार के सेवा का ववरण इसी सेवावृ त से बनाया जायेगा।<br />

जब सेवक के पास उपल ध सूचना को आम नागारक को उपल ध कराना (अिधिनयम एवं िनयमावली<br />

म दये गये अपवाद को छोडकर):-<br />

सूचना के अिधकार अिधिनयम- 2005 म येक लोक ािधकार (जसे रा य के<br />

लोकधन से य या परो घोषत कया गया हो) से अपेा क गयी ह क अिधिनयम तथा के <br />

सरकार/रा य सरकार ारा यापत िनयमावली के अधीन येक वभाग/ववरण क सूचना जो विध<br />

अनुप उसके पास उपल ध ह, को नागरक ारा सूचना मांगने पर िनयमानुसार देय शु क जमा करवा<br />

कर आवेदन ा त होने क ितिथ से 30 दन के अधीन सूचना देना बा यकार ह। यह अिधिनयम<br />

अफिसयल सेे ट ए ट जैसे अिधिनयम के होते हुए भी भावी होगा। जो लोक ािधकार नािमत लोक<br />

सूचना अिधकार के मा यम से िनद ट समय म सूचना नहं देता उससे 0 250 ित दन अिध कतम<br />

0 25,000 तक द ड भी िलया जा सकता ह। अिधिनयम के ावधान को भावी ढंग से लागू करने<br />

हेतु अपील ािधकार एवं सूचना आयोग क यव था क गयी ह। लोक ािधकार/लोक सूचना<br />

अिधकार तर पर यह अिधिनयम 12 अ टूबर, 2005 से भावी ह।


207<br />

कायालय म उपथित:-<br />

शासन ारा घोषत कायशील दवस क काय अविध म वना पूव अनुमित अथवा<br />

अिभलेखीय आधार (आव यक बैठक आद) के बना कायालय से बाहर नहं जाना चाहए। कायालय<br />

खुलने क िनधारत अविध के आधा घंटे पूण वग ‘घ’ के कमचारय को कायालय खोलना, मेज, कु स<br />

आद क सफाई करना, पानी आद क समुिचत यव था करना, कायालय म रखे समान क सूची के<br />

अनुसार आकलन करना आद। अिधकार को कायालय म 5 िमनट पहले आना, उपथित पंजका पर<br />

उपथित देखना। एक दन वल ब से आने वाले को मौखत चेतावनी, दो दन पर िलखत चेतावनी,<br />

3 दन पर एक अवकाश काटना तथा यथा आवा यक अनुशासना मक कायवाह करना। दोपहर म<br />

व पाहार क अविध आधा घंटे से अिधक यतीत करने पर अनुशासना मक कायवाह क जाय। (1981<br />

के सं करण के एम0जी0ओ0 पैरा 251, (शासनादेश सं या: 55-जी/58/सा00-2, 30 जुलाई, 1975)<br />

स दभ पु तक :-<br />

1- व0िन0सं0 ख ड-2 भाग-2 से 4 तक<br />

2- मैनुअल आफ गवनमट आडस<br />

3- समय-समय पर िनगत शासनादेश<br />

4- सूचना अिधकार अिधिनयम- 2005


208<br />

वेतन तथा तस ब धी िनधारण<br />

वेतन िनधारण म योग होने वाले श द का परचय सवथम होना आव यक ह। इन श द का<br />

संेप म िन नवत ् उ लेख कया जा रहा ह:-<br />

1. थायी पद:- वह पद जसके वेतन क एक िनत दर हो और जो बना समय क सीमा<br />

लगाये वीकृ त कया गया हो।<br />

2. अ थाई पद:- वह पद जसको एक िनत वेतन दर पर सीिमत समय के िलए वीकृ त<br />

कया गया हो।<br />

3. साविध पद:- वह थायी पद जस पर कोई सरकार कमचार एक िनत अविध से अिधक<br />

तैनात नहं रह सकता।<br />

4. संवग:- संवग का अथ ह कसी सेवा के पद या कसी सेवा के भाग के , जसको एक अलग<br />

इकाई मानकर वीकृ त कया गया हो, पद क कु ल सं या।<br />

नोट:- सामा यतया थायी पद का ह संवग बनाया जाता ह और अ थायी पद को थायी संवग म<br />

थायी प से समिलत कया जाता ह। संवग बन जाने पर उसी म एक पद से दूसरे पद पर<br />

थाना तरण होने पर वेतन िनधारण म सुवधा होती ह।<br />

5. थानापन ्न:- कोई सरकार कमचार थानाप न प से काय तब करता ह जब वह उस पद क<br />

यूट करता ह जस पर दूसरे य का धारणािधकार हो। यद सरकार उिचत समझे, तो वह<br />

एक सरकार कमचार को ऐसे र त पद पर भी थानाप न प से िनयु त कर सकता ह जस<br />

पर कसी दूसरे सरकार कमचार का िलयन (धारणािधकार) न हो।<br />

6. गहन/धारणािधकार:-<br />

का ता पय कसी सरकार कमचार ारा कसी थायी पद को या तो तुर त अथवा उसक<br />

अनुपथित क अविध या अविधय के समा त होने पर मौिलक प से हण करने के<br />

अिधकार से हो। इसम वह साविध पद भी समिलत ह, जस पद वह मौिलक प से िनयु त<br />

कया गया हो।<br />

7. वेतनमान:- वेतनमान से ता पय उस वेतन से ह जो व तीय मूल िनयम म िनधारत शत के<br />

अधीन सामियक (िनयतकािलक) वेतनवृय ारा िन नतम से उ चतम तक बढता ह। इसम<br />

इस ेणी के वेतन भी समिलत हो जो पहले गितशील (ोेिसव) वेतन कहलाते थे।<br />

नोट:- अगर दो वेतनमान का िन नतम और उ चतम वेतनवृ क अविध और उसक दर समान ह<br />

तो वे त समान (आइडेटकल) वेतनमान कहलाते ह।<br />

एक पद उसी वेतनमान म जसम क दूसरा पद ह, तभी समझा जाता ह जब दोन वेतनमान<br />

त समान ह और वे पद एक ह संवग के या कसी एक संवग के एक ेणी के अ तगत आते ह और<br />

यह संवग या ेणी कसी सेवा या अिध ठान या अिध ठान के समूह के उन सब पद को भरने के िलए<br />

सृजत कये गये हो ताक पद वशेष पर काय करने वाले का वेतन संवग या ेणी म उसक थित के<br />

अनुसार िन चत कया जाता हो, न क इस बात से क वह इन पद पर िनयु त हो।<br />

8. वेतन:-<br />

वेतन का अथ उस धनरािश से ह जो सरकार कमचार ितमास पाता ह जैसे-


209<br />

्<br />

1. उसक यगत अहताओं को गत रखते हुए वीकृ त वशेष वेतन या वेतन को छोडकर जो<br />

भी वेतन उस पद के िलए वीकृ त कया गया हो या जसको वह संवग म अपनी थित के<br />

कारण पाने का अिधकार हो।<br />

2. समु पार वेतन, ाविधक वेतन, वशेष वेतन और वैयक वेतन तथा<br />

3. अ य कोई परलधय जसका वगकरण करके रा यपाल ने वेतन घोषत कर दया ह।<br />

वेतन िनधारण से स बधत िनयम व तीय ह त पुतका ख ड-2, भाग-2 से 4 म<br />

वणत ह। शासन ारा इन िनयम को समय-समय पर सरल करके संशोिधत कया गया ह।<br />

आव यकता<br />

िन न परथितय म वेतन िनधारण क आव यकता सामा यतया होती ह:-<br />

1. थम िनयु।<br />

2. एक पद से दूसरे पद पर िनयु होने पर।<br />

3. कसी वेतनमान के उ चीकृ त हो जाने पर।<br />

4. वाहय सेवा अथवा ितिनयु के अवसर पर।<br />

5. अवकाश या अ य पद पर सेवा के कारण जो थानाप न पद पर वेतन वृ के िलए नहं िगना<br />

जाता हो, सेवा भंग हो जाने पर, थानाप न पद पर पुन: िनयु हेतु।<br />

6. सेवा िनवृ के प चात पुनिनयु पर।<br />

7. वेतनमान के पुनरत कये जाने पर।<br />

8. के सरकार के थायी सरकार सेवक क िनयु रा य सरकार क सेवा म होने पर।<br />

9. ो नित होने पर।<br />

10. िनलबत कये जाने पर।<br />

11. िनल बन क समाि पर सेवा म पुन: थापत कये जाने पर।<br />

वेतन िनधारण के विभ न अवसर एवं या<br />

विभ न अवसर का ववरण कस कार से वेतन िनधारत कया उदाहरण/अिभयु<br />

जायेगा<br />

1 2 3<br />

कसी भी ेणी के थाई, अ थाई ो नित क ितिथ से िन न पद पर एक सरकार सेवक वेतनमान<br />

अथवा थाना तरण सरकार सेवक एक ाकपक वेतन देकर उसके 8000-275-13500 म कायरत ह<br />

क ो नित अथवा िनयु जब ऊपर उ च पद के वेतनमान म पडने तथा 1.1.99 से 0 10,750/-<br />

थायी, अ थायी या थानाप न वाले अगले म ( टेज) पर वेतन ितमाह मूल वेतन ा त कर रहा<br />

प से ऐसे पद पर होती ह जसके िनधारत कया जायेगा।<br />

ह। अिधक कत य/दािय व वाले<br />

कत य एवं दािय व पूव पद क यद कोई कम िन न पद के पद वेतनमान 0 10,000-325-<br />

अपेा अिधक मह वपूण ह। वेतनमान का अिधकतम वेतन पा 15200 म पदो नित होकर दनांक<br />

मूल िनयम 22 बी. व तीय िनयम रहा हो तो इसके पूव वेतन वृ क 16.1099 पूवा ह को कायभार<br />

संह, ख ड-2, भाग-2 से 4 जो धनरािश हो उसे ाकपक प हण कया ह। दनांक 16.10.99<br />

(8.11.66 से भावी)<br />

से अिधकतम म जोडकर जो को मूल िनयम 22-बी के अ तगत


210<br />

1.1.84 से थम ेणी वेतनमान<br />

अिधक तम 0 2050/- दनांक<br />

1.1.88 से सभी ेणय पद लागू<br />

ह। शासनादेश सं या: जी-2-<br />

724/दस-88-303/88 दनांक<br />

17.9.88 शा0आ0 जी-2-528/दस-<br />

303/83 दनांक 4 जून, 1984<br />

शा0आ0सं0: सा-2-1454/दस-<br />

301/81 दनांक 30.10.81<br />

धनरािश आये, उसके ऊपर उ च पद<br />

के वेतनमान म जो तर हो उस पर<br />

वेतन िनधारत कया जायेगा।<br />

इस िनयम अ तगत वेतन िनधारत<br />

करने के प चात ् मूल िनयम 31 (2)<br />

का लाभ नहं दया जायेगा अथात ्<br />

पूव पद पर वेतन वृ होने पर<br />

उ च पद पर पुन: वेतन वृ नहं<br />

द जायेगी।<br />

नोट:- समान वेतनमान वाले एक<br />

पद से दूसरे पद पर<br />

िनयु/पदो नित पर वेतन िनधारण<br />

के स ब ध म प टकरण। यद<br />

िनयु ऐसे पद पर क जाती ह<br />

जसका वेतनमान वह ह जो क<br />

साविधक पद से िभ न उस पद का<br />

ह जसको सरकार सेवक अपनी<br />

ो नित या िनयु के समय<br />

िनयिमत आधार या समान वेतनमान<br />

पद धारण करता ह तो यह नहं<br />

समझा जायेगा क ऐसी िनयु म<br />

अिधक मह वपूण कत य और<br />

दािय व िनहत ह। स बधत सेवक<br />

का वेतन िनयु के पद पर उसी<br />

तर पर िनधारत कया जायेगा जो<br />

वेतन वह समान वेतनमान वाले पूव<br />

पद पर ा त कर रहा था। पूव पद<br />

पर समान वेतन तर पर क गयी<br />

सेवा क गणना वेतन वृ के<br />

योजन से क जायेगी।<br />

(शा0आ0सं0 जी-2-604/दस-97-<br />

312-97 दनांक 22 जुलाई 1997)<br />

िन नवत वेतन िनधारण होगा:-<br />

1. वेतनमान 8000-13500 दनांक<br />

16.10.99 को ा त वेतन<br />

10,750/-।<br />

2. उ त पर एक का पिनक वेतन<br />

वृ 0 275/- योग: 11,025/-।<br />

3. वेतनमान 10,000-15200/- म<br />

अगल म 11,300/- यद उ त<br />

सरकार सेवक उ च पद पर एक<br />

वष तक कायरत रहते ह तो वाषक<br />

वेतन वृ दनांक 1.10.2000 को<br />

देय होगी जसके फल वप<br />

उनका वेतन 0 11,625/- हो<br />

जायेगा।<br />

शा0आ0सं या: जी-854/दस-<br />

333/865 दनांक 17.9.88<br />

(भावी 14.8.88) ारा यह<br />

वक प दान कया ह क<br />

स बधत सरकार सेवक चाहे तो<br />

मूल िनयम 22-बी के अ तगत<br />

वेतन िनधारण अपनी ो नित क<br />

ितिथ से अथवा िन न पद पर<br />

वेतन वृ क ितिथ से करा<br />

सकता ह। इस आशय का वक प<br />

ो नित क ितिथ से एक माह के<br />

अ दर देना चाहए अ यथा<br />

ो नित क ितिथ से वेतन<br />

िनधारण कर दया जायेगा।<br />

उपरो त उदाहरण म यद<br />

स बधत सरकार सेवक िन न<br />

पद पर वेतन वृ दनांक 1-01-<br />

2000 को समय से वक प दये<br />

जाने पर वेतन िन नवत िनधारत<br />

होगा:-


211<br />

1. (ख) 2. मूल िनयम 22-बी<br />

अ तगत वेतन िनधारण के<br />

फल वप यद किन ठ कमचार<br />

का वेतन वर ठ कमचार के वेतन<br />

से जो पहले ो नत हुआ हो<br />

अिधक हो जाय।<br />

मूल िनयम 22 बी का ावजन 4<br />

(2) (1) तथा उसके नीचे<br />

प टकरण शा0आ0सं0 जी-2-<br />

1330/दस-302/78, दनांक 3-7-<br />

यद दोन का वेतन ो नित के<br />

पूव:-<br />

1. एक ह संवग म आइडेटकल<br />

वेतन म म एक हो,<br />

2. दोन क ो नित एक ह<br />

वेतनमान म हुई हो,<br />

3. ये ठ कमचार क ो नित<br />

उ च पद पर पहले हुई हो,<br />

मूल िनयम 22-बी के अ तगत<br />

वेतन िनधारत कया जायेगा। यद<br />

1. पदो नित क ितिथ 16.10.99<br />

को उ च पद पर (वेतनमान 0<br />

10000-15200 म मूल िनयम 22-<br />

ए (1) के अ तगत िन न पद पर<br />

ा त वेतन 0 10750 का अगला<br />

तर 0 10975 िनधारत होगा)<br />

यह वेतन 16.10.99 से 31.12.99<br />

तक आहरत होगा।<br />

2. दनांक 1-1-2000 वक प क<br />

ितिथ को मूल िनयम 22-बी के<br />

अ तगत:-<br />

(क) वेतनवृ फल वप दनांक<br />

1-1-2000 को िन न पद पर मूल<br />

वेतन -10750+ 0 275 साधारण<br />

वेतन वृ = 11025<br />

(ख) का पिनक वेतन वृ 0<br />

275/- को जोडने पर 11300<br />

तप चात उ च ् पद के वेतनमान<br />

10000-15200 म अगला म<br />

0 11625 दनांक 1.1.2000 को<br />

वेतनमान 0 10000 से 15200<br />

म िनधारत 0 11625 पर तु<br />

अगली वेतनवृ 1.1.2000 से 1<br />

वष क अहकार सेवा के प चात<br />

दनांक 1.1.2001 को देय होगी।<br />

किन ठ कमचार क ो नित उससे<br />

कु छ समय बाद िन न पद पर<br />

साधारण वाषक वेतन वृ पाने के<br />

बाद हुई हो तो जस ितिथ से<br />

किन ठ कमचार का वेतन वर ठ<br />

से अिधक हो जाता ह तो उसी<br />

तारख से वर ठ का वेतन भी<br />

उसके बराबर कर दया जायेगा।<br />

मूल िनयम 22-बी के वक प क<br />

यव था हो जाने पर इस कार


212<br />

78<br />

1. (ग) संवगय पद से िन:संवगय<br />

पद पर ो नित होने पर<br />

1. (घ) िन:संवगय पद से संवगय<br />

पद पर िनयु त होने पर।<br />

मूल िनयम 22-बी का ावजन<br />

4(2) (1) तथा उसके नीचे<br />

प टकरण शा0आ0सं0 जी-2-<br />

1330/दस-302/78 दनांक 3-7-<br />

78<br />

2. एक पद से दूसरे पद पर<br />

िनयु त होने पर जो अिधक कत य<br />

एवं उ तरदािय व का न हो (कसी<br />

पद के वेतनमान पुनरत होने<br />

पर साधारण प से बना वेतन<br />

आयोग/सिमित क सं तुित पर)<br />

मूल िनयम 22 (ग)(III) शासनादेश<br />

सं0 जी-2-16/दस-98-303/96<br />

दनांक 2 जुलाई, 1998 (दनपांक<br />

16 िसत बर, 1989 से िनयम का<br />

संशोधन लागू कया गया ह)<br />

उ च िन:संवगय पद पर वशेष<br />

वेतन या ितिनयु वेतन भ ता<br />

अनुम य न हो।<br />

िन:संवगय पद के वेतन का लाभ<br />

अनुम य नहं होगा।<br />

जब नये पद पर िनयु म अिधक<br />

मह वपूण कत य एवं उ तरादािय व<br />

का हण करना अ तिल त न हो,<br />

तब वह ारभक वेतन के<br />

समयमान म उस म पर जो<br />

उसके ारा िनयिमत प से धृत<br />

पुराने पद के स ब ध म उसके<br />

वेतन के बराबर हो, यद ऐसा कोई<br />

म न हो तो वह ारभक वेतन<br />

उसके ारा िनयिमत प से धृत<br />

पुराने पद के संबंध म उसके वेतन<br />

के अगले म पर आहरत करेगा।<br />

ितबंध यह ह क जहॉं नये पद के<br />

समयमान का यूनतम वेतन उसके<br />

ारा िनयिमत प से धृत पद के<br />

संबंध म उसके वेतन से अिधक हो,<br />

तो यह ारभक वेतन के प म<br />

वह यूनतम आहरत करेगा।<br />

ितबंध यह ह क ऐसे मामल म<br />

जहॉं वेतन उसी म पर िनधारत<br />

होता ह तो वह वह वेतन उस समय<br />

तक आहरत करता रहेगा जब तक<br />

क असंगित कम हो जायेगी फर<br />

भी यद कोई असंगित रहती ह तो<br />

इसका िनवारण शासन ारा कया<br />

जायेगा।<br />

मूल िनयम 22-बी का अपवाद:-<br />

यद िन:सवगय पद उसी कार के<br />

काय हेतु सृजत कया गया ह<br />

जस कार के काय कसी भी<br />

वभाग अथवा शासन म त समान<br />

आईडेटकल, वेतनमान म संवगय<br />

थायी पद वमान हो तो<br />

िन:संवगय पद क सेवा भी वेतन<br />

िनधारण हेतु िगन ली जायेगी।<br />

वेतनमान 0 4200-100-5000-<br />

125-7000 म तीन कायरत<br />

राजकय कमचार दनांक 1.1.98<br />

से िन नवत वेतन ा त कर रहे<br />

ह:-<br />

अ- 0 4300/-<br />

ब- 0 4800/-<br />

स- 0 5000/-<br />

उ त वेतनामान शासन ारा<br />

दनांक 1.1.98 से पुनरत हो<br />

गया ह जो इस कार ह 0<br />

4500-125-7000 अथवा उनक<br />

िनयु वेतन 0 4500-125-<br />

7000 म क गयी ह जसके<br />

कत य एवं दािय व पूव पद से<br />

अिधक मह वपूण नहं ह।<br />

उपयु त तीन कमचारय ने<br />

दनांक 1-10-98 से ह पुनरत<br />

वेतनमान म वेतन िलये जाने का<br />

वक प दया ह। इन तीन<br />

कमचारय का पुनरत वेतनमान<br />

म वेतन िन नवत िनधारत होगा:-


213<br />

क उसे पुराने पद के समयमान म<br />

एक वेतनवृ ा त न हो जाय, ऐसे<br />

मामल म जहॉं वेतन उ च म<br />

पर िनधारत होता ह वह अपनी<br />

अगली वेतन वृ उस अविध को<br />

पूरा करने पर जब उसे नये पद के<br />

वेतनमान के समयमान म एक वेतन<br />

वृ अजत हो जाय, पायेगा।<br />

(अ) दनांक 1.10.98 को<br />

पुनरत वेतनमान का यूनतम<br />

0 4500 पर िनधारत होगा तथा<br />

आगामी वेतनवृ 1.10.9 को देय<br />

होगी।<br />

(ब) दनांक 1.10.98 को 0<br />

4800 के अगले तर पर 0<br />

4875 देय होगा तथा दनांक<br />

1.10.99 को अगली वेतनवृ के<br />

फल वप 0 5000 देय होगा।<br />

(स) दनांक 1.10.98 को पया<br />

5000 के तर पर ह िनधारत<br />

होगा तथा अगली वेतनवृ दनांक<br />

1.1.99 को देय होने के प चात ्<br />

वेतन 0 5124/- देय होगा।<br />

उपरो त उदाहरण म यद (ब)<br />

आगामी वेतनवृ क ितिथ का<br />

वक प देते ह तो उनका वेतन<br />

दनांक 1.1.99 को पूव वेतनमान<br />

0 4200-7000 म सामा य<br />

वेतनवृ के फल वप 0<br />

4900/- ितमाह तथा दनांक<br />

4900/- ितमाह तथा दनांक<br />

1.1.99 को पुनरत वेतनमान<br />

0 4500-7000 म 0 5000/-<br />

िनधारत होगा।<br />

3. यद कमचार क िनयु कसी यद िन न पद का अिधकतम उसके वेतनमान 0 4500-125-7250 म<br />

िन न पद पर, यद उसक िलखत मौिलक वेतन से कम ह तो वह वह 0 7125/- मौिलक वेतन पाने<br />

ाथना-प मूल िनयम 15 (क) के अिधकतम पावेगा।<br />

वाले सेवक क िनयु वेतनमान<br />

अ तगत कया जाय।<br />

0 4500-125-7000 म उसक<br />

मूल िनयम 22(ए) (III)<br />

ाथना प पर होती ह तो उसको<br />

िन न पद का अिधकतम अथात<br />

0 7000/- ह िमलेगा।<br />

4. कु छ अ थायी अथवा थानाप न जस तर पर पहले वेतन आहरत कसी कमचार ने वेतनमान 0


214<br />

सेवा के प चात ् यवधान ( बेक) हो<br />

जाने पर (जो याग प रमूवल व<br />

डसिमसल के कारण न ह) पुन:<br />

उसी पद पर अथवा त समान<br />

(आईडेटकल) वेतनमान म कसी<br />

अ य पद पर िनयु होने पर।<br />

ोवजन 1 (1) (III) मूल िनयम<br />

22 सपठत मूल िनमय 31 क<br />

नीचे स ेा अनुदेश का पैरा 5 व<br />

उसी के नीचे रा यपाल महोदय के<br />

आदेश का पैरा 2 एवं मूल िनयम<br />

26 (ए)।<br />

5. कसी सरकार कमचार का<br />

ारभक मौिलक वेतन जो थायी<br />

प से कसी ऐसे पद पर िनयु त<br />

कया जाता ह जसका वेतनमान<br />

घटा दया जाता ह पर तु उसक<br />

यूट व उ तराद य म कभी नहं<br />

होती तथा स बधत सेवक को<br />

घटाये जाने के पूव वेतनमान म<br />

वेतन आहरण करना अनुम य न<br />

हो।<br />

मूल िनयम 22-ए,<br />

कर रखा ह, पुन: िनयु त होने पर<br />

उसी तर पर वेतन िमलेगा तथा<br />

उस तर पर क गई पूव सेवा वेतन<br />

वृ हेतु िगनी जायेगी।<br />

मूल िनयम 22-ए के अनुसार वेतन<br />

विनयिमत कया जायेगा क तु<br />

ितब ध यह ह क यद उसक<br />

िनयु कसी दूसर सेवा के ऐसे पद<br />

पर होती ह जो उसक सेवा के िलए<br />

आरत हो, तो वह बना घटाये<br />

गये वेतनमान म जो वेतन पाता<br />

उसी के िनकटतम तर पर उसका<br />

वेतन िनधारत कया जायेगा।<br />

उपरो त मामल म तथा याग प,<br />

रमूवल के मामल को छोडकर अ य<br />

मामल म यद उसने वेतनमान कम<br />

कये जाने के पूव उसी पद पर<br />

अथवा उसी वेतनमान एवं संवग म<br />

दूसरे पद पर या त समान वेतनमान<br />

3050-75-80-4590 म दनांक<br />

01.04.98 से 31.3.99 तक पहले<br />

काय कया और 1.4.99 से उसका<br />

वेतन 0 3125/- हो गया<br />

त प चात 1.10.99 से 31.11.99<br />

तक कोई र त उपल ध न होने के<br />

कारण उसक सेवा म 2 माह का<br />

यवधान हो गया। वह उसी<br />

वेतनमान के पद पर 1.12.99 से<br />

पून: िनयु त हुआ। ऐसी थित म<br />

1.12;99 से वह 0 3125/- क<br />

दर से वेतन पावेगा तथा उसके<br />

ारा 0 3125/- के तर से<br />

1.4;99 से 30.9.99 तक क 6<br />

माह क सेवा क गणना करते हुए<br />

1.12.99 से 6 माह के बाद ह<br />

अथात 1.6.2000 से ह वाषक<br />

वेतन वृ देय हो जायेग और<br />

फल वप उसका वेतन 1.6.2000<br />

से 0 3200/- हो जायेगा।<br />

कसी पद के वेतनमान पया<br />

4500-125-7250 को घटा कर<br />

दनांक 1.4.99 से पया 4500-<br />

125-7000 कर दया गया। यद<br />

कसी कमचार ने पूव वेतनमान म<br />

दनांक 1.10.98 से 31.12.98 तक<br />

काय कया हो और उस समय<br />

उसक पया 4750/- के तर पर<br />

वेतन िमला हो तो दनांक 1.4.99<br />

से यद वह घटाये गये वेतनमान<br />

के पद पर िनयु त होता ह तो<br />

उसको 0 4750/- के तर पर<br />

वेतन िमलेगा तथा दनांक 1.10.98<br />

से 31.12.98 तक क 3 माह क<br />

सेवा को वेतन वृ हेतु िगनते हुए


215<br />

6. जब कोई सरकार सेवक जसका<br />

कसी पद पर िलयन<br />

(धाराणािधकार) नहं ह, कसी ऐसे<br />

पद पर थायी, अ थाई अथवा<br />

थानाप न प से िनयु त होता ह<br />

जसके कत य एवं उ तरदािय व<br />

पूव पर से कम अथवा बराबर ह<br />

तथा जसका मामला मूल िनयम<br />

22, 22-बी अथवा 26 (सी) के<br />

अ तगत नहं आता।<br />

मूल िनयम 22-ग (22-सी)<br />

7. यद कसी थायी सरकार<br />

सेवक को थानाप न पद पर<br />

िनयु त कया जाता ह।<br />

मूल िनयम:- 30<br />

के पद पर काय कया हो तो पूव म<br />

आहरत वेतन कम नहं िमलेगा<br />

तथा पूव सेवा उस तर पर वेतन<br />

वृ हेतु िगनी जायेगी।<br />

पूव पद पर क गई येक एक वष<br />

क सेवा पर एक वेतन वृ के<br />

हसाब से िनधारत कया जायेगा।<br />

यह वेतन वृ नये पद के यूनतम<br />

तर पर देय होगी, ितब ध यह ह<br />

क इस कार से िनधारत वेतन<br />

िन निलखत से अिधक न होगा:-<br />

(क) पछले पद पर िलये गये वेतन<br />

और<br />

(ख) नये पद के वेतनमान का<br />

अिधकतम<br />

यद नया पद समान वेतनमान के<br />

समयमान वाला हो, तो पूव पद पर<br />

जो वेतन था वह िमलेगा और उस<br />

तर पर क गई सेवा को नये पद<br />

पर वेतन वृ िगन िलया जायेगा।<br />

उसको उसके थायी पद के वेतन से<br />

अिधक नहं िमलेगा, जब तक क<br />

थानाप न पद क यूट एवं<br />

उ तरदािय व उसके थायी पद क<br />

अपेा अिधक मह व क न हो।<br />

दनांक 1.4.2000 से 0 4875/-<br />

वेतन हो जायेगा।<br />

कसी सरकार सेवक ने वेतनमान<br />

0 3200-85-4900 म कसी<br />

वभाग म दनांक 1.4.96 से<br />

31.5.99 तक अ थाई प से काय<br />

कया और उसका वेतन 0<br />

3455/- दनांक 1.4.99 से हो<br />

गया। दनांक 1.6.99 से छटनी के<br />

कारण उसक सेवाय समा त हो<br />

गयी ।<br />

यद उ त कमचार क शासन के<br />

अ तगत 0 3050-75-80-4590<br />

म होती ह तो उसके वभग ारा<br />

पूव पद पर तीन पूरे वष क सेवा<br />

के आधार पर नये पद पर तीन<br />

वेतन वृया देकर दनांक 1.10.99<br />

से 0 3275/- के तर पर वेतन<br />

िनधारत कया जायेगा।<br />

नोट:- यद पूव पद िन:संवगय<br />

(ए स कै डर) था तो उस पर क<br />

गई सेवा के स ब ध म वेतन<br />

िनधारण का लाभ अनुम य नहं<br />

होगा।<br />

चूंक मूल िनयम 22-बी क<br />

यव था थायी, थाना तरण<br />

अथवा अ थाई सभी कार क<br />

अिधक उ तरदािय व के पद पर<br />

िनयु/ो नित से थाई<br />

थानाप न अथवा अ थाई<br />

कमचारय के मामल म लागू<br />

होती ह, अतएत मूल िनयम 22-बी<br />

के सामने जो उदहारण दया गया


216<br />

7.(ब) मूल िनयम 30 के नीचे<br />

रा यपाल महोदय के आदेश<br />

मूल िनयम 30 का पर तुक<br />

(ोवजो) 2<br />

8. मूल िनयम 30 तथा 35 के<br />

ितब ध व शत को यान म<br />

रखते हुए जब कोई सरकार सेवक<br />

कसी पद पर थानाप न प से<br />

काय करने हेतु िनयु त कया<br />

जाय। (जब वह पद अिधक<br />

उ तरदािय व का न हो यक<br />

अिधक उ तरदािय व के पद पर<br />

ो नित/िनयु पर अब<br />

शासनादेश सं या जी-1-724/दस-<br />

88-303/88 दनांक 17.9.1988 के<br />

अनुसार सभी ेणी के थानाप न<br />

अ थाई तथा थाई सरकार सेवक<br />

मूल िनयम 22-बी के बनने के<br />

प चात अिधक उ तरदािय व के पद<br />

पर िनयु त अथवा ो नित क<br />

थित म इस कार के मामले म<br />

उसी से आ छादत हो जाते ह। पद<br />

का उ तरदािय व के स ब ध म<br />

यद थित प ट न हो तो शासन<br />

अथवा िनयु त ािधकार के आदेश<br />

ा त करने चाहए।<br />

शासन यह उदघोषत कर सकता ह<br />

क कौन से पद ऐसे ह जो कसी<br />

सेवा के साधारण लाइन के बाहर ह<br />

और जन पर क गई सेवा उन पद<br />

पर थानाप न ो नित हेतु िगनी<br />

जायेगी जो साधारण लाइन म उनको<br />

िमले रहते यद वे अपनी सेवा के<br />

बाहर न जाते तथा उनको ोफामा<br />

ोमोशन दया जा सकता ह और<br />

वह वेतन भी, जो उनको साधारण<br />

लाइन म िमलता।<br />

जस पद पर वह िनयु त कया<br />

जाता ह उसका स भावी वेतन<br />

पावेगा।<br />

मूल िनयम 9 (24) के अनुसार<br />

स भावी वेतन उसको कहते ह,<br />

जसका क कोई सकरार सेवक<br />

हकदार होता ह यद वह उस पद पर<br />

थाई होता और उसक डृयूट करता<br />

रहता ह।<br />

वेतनवृ अथवा अ य कसी कारण<br />

से थायी वेतन बढ जाने पर ऐसे<br />

कमचार का वेतन उस वेतन वृ<br />

क ितिथ से उप िनयम 31 (1) के<br />

ह उसी को कृ पया देख ल।<br />

(0सं0 1 से 4)।<br />

यद कोई उप िनदेशक उोग<br />

वभाग जो वेतनमान 0 10,000-<br />

325-15200 म दनांक 1.6.98 से<br />

कसी चीनी िमल म शासक के<br />

पद पर िनयु त होते ह और उस<br />

पद को उनक साधारण लाइन के<br />

बाहर शासन ारा घोषत कर दया<br />

जाता ह तो साधारण (रेगुलर)<br />

लाइन म दनांक 1.4.99 से<br />

संयु त ब ध िनदेशक के पद पर<br />

ो नित का न बर आने पर उसका<br />

लाभ शासक के पद पर रहते हुए<br />

दे दया जायेगा उसी के अनुसार<br />

वाहय सेवा का ितिनयु भ ता<br />

भी पुनरत कर दया जायेगा।<br />

यद वेतनमान 0 6500-200-<br />

10500 म कोई थायी सहायक<br />

लेखािधकार जो दनांक 1.4.98 से<br />

0 7500/- के तर पर वेतन पा<br />

रहा था, थानाप न प से वशेष<br />

कायािधकार के पद पर जसका<br />

वेतनमान 0 6500-200-10500<br />

ह, दनांक 1.6.98 से िनयु त होता<br />

ह, तो उसको पया 7500/- क<br />

दर से दनांक 1.6.98 से वेतन<br />

दया जायेगा त प चात दनांक<br />

1.4.99 से उसको जब थायी पद<br />

पर वाषक वेतन वृ होने के


217<br />

को मूल िनयम 22-बी के अ तगत<br />

वेतन िनधारण का लाभ दनांक 1<br />

जनवर, 1988 से अनुम य हो गया<br />

ह)<br />

मूल िनयम 31 (1)<br />

मूल िनयम 31 (2) मूल िनयम<br />

22-बी के अ तगत जसका वेतन<br />

िनधारत कया जाता ह उसको मूल<br />

िनमय 31 (2) का यह लाभ<br />

अनुम य नहं।<br />

9. भारत सरकार का थायी<br />

कमचार यद उ तर देश म कसी<br />

पद पर िनयु त कया जाता ह।<br />

शा0आ0सं0 जी-2-673/दस-81-<br />

234/71, दनांक, 2.7.1981<br />

10. (1) सेवािनवृ के प चात उसी<br />

अथवा उसके समक पद पर<br />

पुनिनयु पर<br />

शा0आ0सं0: सा-3-2211/दस-<br />

930/83 दनांक 25.11.88 इसके<br />

फल वप पूव शासनादेश सं या<br />

सा-3-1443/दस-930/83, दनांक<br />

15.12.83 तथा सं या सा-3-<br />

2251/दस-946/87, दनांक<br />

23.12.87 संशोिधत हो गये।<br />

10. (2) यद पुनिनयु कसी<br />

िन न पद पर होती ह।<br />

अधीन पुनिनधारत कया जायेगा।<br />

मानो वह उस दनांक को उस पद<br />

पर थानाप न प से काय करने<br />

हेतु िनयु त कया गया हो, यद<br />

ऐसा पुनिनधारण उसके हत म हो।<br />

यद उसका िलयन भारत सरकार म<br />

बना रहता ह तो सामा य िनयम<br />

22, 22-बी, 22-सी, अथवा 31 म<br />

उसका वेतन िनधारत कया<br />

जायेगा। यद भारत सरकार म वह<br />

अ थायी था तो उसे उ तर देश म<br />

जस पर िनयु त हो उसके<br />

वेतनमान का आरभक वेतन<br />

िमलेगा।<br />

अतम दन के वेतन से अब के वल<br />

पशन क धनरािश जो रािशकरण<br />

(क यूटेशन) के पूव हो, वह घटाई<br />

जायेगी। अथात अब े युट का<br />

पशनर समतु य नहं घटाया<br />

जायेगा। य ह िनयम 25.11.88 से<br />

भावी हुआ। मंहगाई भ ते आद<br />

अतम दन के पूरे वेतन पर<br />

िमलते ह क तु पशन के साथ<br />

अनुम य राहत पुनिनयु क<br />

अविध म नहं द जाती ।<br />

पुनिनयु पद पर जो वेतन िमलेगा<br />

वह पशन को समिलत करते हुए<br />

उसके ारा अतम आहरत वेतन<br />

या पुनयोजत पद के वेतनमान के<br />

अिधकतम जो भी कम हो, से<br />

फल वप 0 7700/- थायी<br />

वेतन हो जायेगा, तो वशेष<br />

कायिधकार के पद पर भी उसका<br />

वेतन दनांक 1.4.99 से 0<br />

7700/- कर दया जायेगा।<br />

यद कसी सरकार सेवक का<br />

अतम दन का मूल वेतन 0<br />

10000/- (अतम दस माह म<br />

भी उसका वेतन यह था) और<br />

उसक अहकार सेवा 33 वष ह या<br />

उससे अिधक रह हो तो उसक<br />

पशन 0 5000 आवेगी और यह<br />

धनरािश 0 10000/- से घटायी<br />

जायेगी तथा पुनिनयु क अविध<br />

म शेष 0 5000/- वेतन के प<br />

म िमलेग।<br />

उप िनदेशक, कृ ष अपने पद<br />

वेतनमान 0 10000-325-15200<br />

म सेवािनवृ के समय अंितम<br />

आहरत मूल वेतन 0 13900/-<br />

था। उनक पुनिनयु वशेष


218<br />

14. परवार िनयोजन को ो साहन<br />

देने हेतु अपने परवार को दो ब च<br />

तक ह सीिमत रखा ह।<br />

िचक सा अनुभाग-11 का<br />

शासनादेश सं या प0क0-<br />

4601/16-11-79-9-155/99,<br />

दनांक 23-3-80 तथा व त<br />

वभाग का शासनादेश सं या<br />

वे0आ0 1928/दस-46 (एम)/82<br />

दनांक 29.5.82 तथा वे0आ0-<br />

3148/दस-46 (एम)/82, दनांक<br />

16-10-82<br />

12. सरकार अिधकारय का<br />

सावजिनक उपम/िनगम,<br />

थानीय िनकाय तथा<br />

व ववालय आद म वाहय सेवा<br />

पर जाने पर।<br />

शा0आ0सं0: 1-1154/दस-261/88<br />

दनांक 17.9.88 (1.1.88 से<br />

भावी) मूल िनयम 110 से 124,<br />

सहायक िनयम 185-186 और<br />

अिधक नहं होगा।<br />

दनांक 1.9.79 से एक वेतन वृ के<br />

बराबर वैयक वेतन वीकृ त कया<br />

जायेगा जो सेवािनवृ तक येक<br />

पद पर िमलता रहेगा।<br />

िचक सा अनुभाग-9 के शा0 सं0:<br />

जी-68/5-9-2000-9(236)/89,<br />

दनांक 18 अैल, 2000 के ारा<br />

जन रा य सरकार के कमचारय<br />

को दनांक 1-1-96 के पूव वेतनमान<br />

के आधार पर ो साहन वप वेतन<br />

(वैयक) वीकृ त कया गया ह<br />

स बधत कमचारय को वीकृ त<br />

के समय धारत पद के पुनरत<br />

वेतनमान क यूनतम वेतनवृ के<br />

बराबर संशोिधत कर दया जाय जो<br />

दनांक 1-1-96 अथवा वक प क<br />

ितिथ से अ य शत एवं ितब ध<br />

के अनुसार देय होगा।<br />

पैतृक वभाग म समय-समय से<br />

ाि वेतनमान म वेतन तथा उस<br />

पर 10 ितशत क दर से<br />

ितिनयु भ ता जो 0 500/-<br />

से अिधक न होगा तथा वेतन एवं<br />

ितिनयु भ त 0 6500/- से<br />

अिधक नहं होगा। ितिनयु क<br />

अविध 5 वष से अिधक नहं होनी<br />

चाहए। पशनर एवं अवकाश वेतन<br />

कायिधकार के पद पर वेतनमान<br />

0 8000-275-13500 म क<br />

गयी ह। पुनिनयु के पद के<br />

वेतनमान म उनका वेतन 0<br />

7000+6500 (पशन) सहत<br />

13500/- के आधार पर देय होग<br />

एवं पशन के साथ अनुम य राहत<br />

देय नहं होग।<br />

0 750-12-870 द0रो0-14-940<br />

म 0 870 वेतन पाने वाले<br />

कमचार को दनांक 01-07-94 से<br />

0 14/- क दर से वैयक<br />

वेतन वीकृ त कया गया ह।<br />

शासनादेश दनांक 18.4.2000 के<br />

अनुसार दनांक 1-1-96 से 0<br />

55/- ितमाह ो साहन हेतु<br />

वैयक वेतन देय होगा।<br />

0 21400 वेतन पाने वाले<br />

अिधकार को टेशन से बाहर<br />

तैनाती पर उनको 10 ितशत<br />

अथवा 0 1000/- अथवा 600/-<br />

जो भी कम हो अथात ् कु ल 0<br />

22000/- देय (21400+600)<br />

होगा। यद यह अिधकार उस<br />

टेशन पर वाहय सेवा म तैनात<br />

होता ह तो 5 ितशत अथवा 0


219<br />

शा0आ0सं: जी- 2700/दस-<br />

534(10)/82, दनांक 15.12.82<br />

व त सामा य अनुभाग-1 के<br />

शा0आ0सं0 सा-1-374/दस-99-<br />

4/99 दनांक 30 जून, 1999<br />

का अंशदान भी वाहय सेवायोजक<br />

ारा भुगतान कया जाना चाहए<br />

यद वाहय सेवा क ऐसी शत ह।<br />

दनांक 1.6.1990 से उपयु त दर म<br />

संशोधन कया गया ह वाहय सेवा<br />

पर थाना तरत होने वाले सरकार<br />

सेवक को यद उसी टेशन पर<br />

रहना हो जहॉं उसक तैनाती थी तो<br />

उसे मूल वेतन का 5 ितशत<br />

अिधकतम 0 500/- ितमाह तथा<br />

यद तैनाती टेशन से बाहर वाहय<br />

सेवा पर ितिनयु होती ह तो मूल<br />

वेतन का 10 ितशत अिधकतम 0<br />

1000 ितमाह ितिनयु भ ता<br />

इस शत के अधीन वीकृ ित कया<br />

जाय क मूल वेतन + ितिनयु<br />

भ ता का योग 0 22,000/- से<br />

अिधक नहं होगा।<br />

500 अथवा 0 600/- जो भी<br />

तीन म कम हो, देय होगा। 0<br />

(21400+500) 21900/- देय<br />

होगा।<br />

वेतन समता सिमित, 1989 के ितवेदन के आधार पर दनांक 1.1.86 से देश म लागू कये गये नये<br />

वेतनमान एवं सले शन ेड क नयी यव था जो 01-01-1996 से लागू वेतनमान पर भी समयमान<br />

वेतानमान/वैयक ो नित वेतनमान के प म अनुम य ह:-<br />

इस स ब ध म विभ न वेतन आयोग ारा अलग-अलग याय िनत क जाती रह ह,<br />

पर तु हर वेतन आयोग ारा देश के राजकय कमचारय के िलए कु छ उपयोगी तथा नयी सं तुितयॉं<br />

क जाती रह ह। वेतन समता सिमित, 1989 के ितवेदन के आधार पर दनांक 1.1.86 से देश म<br />

लागू कये गये नये वेतनमान के बारे म िन निलखत यव थाय मह वपूण ह:-<br />

1. सेले शन ेड देने क नयी यव था:-<br />

ऐसे कमचार जनके पुनरत वेतनमान का अिधकतम 0 3500/- तक ह और<br />

ज हने 10 वष क सतोषजनक अनव त सेवा दनांक 01.01;1986 के बाद पूण कर िलया ह<br />

उ ह सेले शन ेड का लाभ अनुम य कराने हेतु उनका वेतन पुनरत वेतनमान म ह उस<br />

ितिथ को अगले म पर िनधारत कर दया जायेगा। इस कार कमचार को जसे यह लाभ<br />

अनुम य होगा 10 वष क सेवा के प चात ् एक वेतनवृ का लाभ उसी वेतनमान म िमल<br />

जायेगा। 0 3500/- तक वेतनमान वाले पद के धारक जब अपने वेतनमान के अिधकतम


220<br />

पर पहुंच जाय तो उनके वेतनमान को अतम वेतन वृ के बराबर 3 वेतन वृय क<br />

धनरािश जोडकर बढा दये जाने क भी यव था ह।<br />

2. वत: ो नित के वेतनमान क अनुम यता:-<br />

ऐसे कमचर जनके पुनरत वेतनमान का अिधकतम 0 3500/- तक ह और जो<br />

स बधत पद पर िनयिमत हो चुके ह, उनक जब 6 वष क संतोषजनक सेवा सले शन ेड<br />

के लाभ क ितिथ से पूण हो जाय तो उ ह ो नित का अगला वेतनमान वैयक प से<br />

अनुम य हो जायेगा। सेले शन ेड के सेवा क गणना दनांक 1.7.82 अथवा वा तवक प से<br />

अनुम य सेले शन ेड क ितिथ, जो भी बाद म हो, से क जायेगी। ऐसे संवग पद जनके<br />

िलए ो नित का कोई पद नहं ह, उनको उस वेतनमान से अगला वेतनमान देय होगा।<br />

उदाहरण वप ऐसे पद धारक क जो पुनरत वेतनमान 0 1200-2040 म ह, को 0<br />

1350-2200 का पुनरत वैयक वेतनमान के प म देय होगा।<br />

3. वृरोध वेतन वृ क यव था:-<br />

ऐसे कमचार जनके पुनरत वेतनमान का अिधकतम 0 3500/- से अिधक ह,<br />

उ ह वृरोध वेतन वृ अनुम य कये जाने क यव था लागू क गयी ह। इस कार के<br />

कमचार, यद अपने वेतनमान के अिधकतम पर पहुंचकर दो वष क सेवा पूण कर ल तो उ ह<br />

इस कार पूण क गयी येक दो वष क सेवा के िलए एक वेतनवृ दये जाने क यव था<br />

ह। ऐसी वेतन वृय क अिधकतम सं या-3 होगी। इस कार अनुम य धनरािश को वैयक<br />

वेतन माना जायेगा। व त सामा य अनुभाग-2 के शासनादेश सं या जी-2-368/दस-97-<br />

31/6195 दनांक 28 जून, 1997 के अनुसार इस कार वैयक वेतन जो वृरोध वेतन वृ<br />

के प म देय हो वेतन िनधारण के योजन तथा सेवािनवृ लाभ हेतु वेतन क गणना म<br />

समिलत कया जायेगा।<br />

4. (अ) उपयु त मांक 1 व 2 क यव था म शासनादेश सं0 वे0आ0 - 1-166/दस-<br />

12(एम)-95, दनांक 8 माच, 1995 एवं सं या वे0आ0-1-841/दस-12(एम)-95,<br />

दनांक 5 फरवर, 1997 म िन न संशोधन कये गये ह जो 1 माच 1995 से लागू ह:-<br />

1. ऐसे रा य कमचार जनके पुनरत वेतनमान का अिधकतम 0 3500/-<br />

तक ह, आठ वष क संतोषजनक अनवरत सेवा दनांक 1 माच, 1995 अथवा<br />

उसके बाद आगामी ितिथ को स बधत पद पूण कर लेते ह तो सेले शन ेड<br />

का लाभ अनुम य कराने हेतु उनका वेतन पुनरत वेतनमान म ह उस ितिथ<br />

को अगले म म िनधारत कया जायेगा।<br />

2. ऐसे रा य कमचार जनके पुनरत वेतनमान का अिधकतम 0 3500/-<br />

तक ह, एवं वे अपने पद पर िनयिमत हो चुके ह, उनके 6 वष क संतोषजनक<br />

सेवा सेले शन ेड के लाभ क ितिथ को समिलत करते हुए, कु ल 14 वष क<br />

सेवा पूण करने पर ो नित का अगला वेतनमान वैयक प से अनुम य<br />

कया जायेगा। वैयक ो नत वेतनमान देने के िलए सेले शन ेड के लाभ<br />

के अ तगत देय एक वेतन वृ क ितिथ से 6 वष क संतोषजनक सेवा


221<br />

अिनवाय ह। क तु सेले शन ेड के लाभ क सेवा गणना हेतु पूव म इसके<br />

अ तगत यद 10 वष क सेवा के आधार पर एक वेतन वृ िमल चुक हो<br />

उस वा तवक दनांक से िगनी जायेगी और उन पर धारक हेतु सेले शन ेड<br />

क सेवा का ितब ध 4 वष रखा जायेगा। यद कसी सरकार सेवक एक वेतन<br />

वृ का लाभ दनांक 1.3.1991 को िमल चुका था तो दनांक 1 माच, 1995<br />

को वैयक ो नत वेतनमान िमलेगा। ऐसे संवग/पद जनके ो नित का<br />

कोई पर नहं ह उनको उस वेतनमान से अगला वेतनमान देय होगा जो क<br />

वेतन आयोग क रपोट म स तुत हो। उदाहरण वप- ऐसा पदधारक जो<br />

पुनरत वेतनमान 0 1200-2040 म ह उसे 0 1350-2200 का वेतनमान<br />

वैयक वेतनमान के प म देय होगा।<br />

3. जब वयैक प से अनुम य ो नत/अगले वेतनमान म 5 वष क िनर तर<br />

संतोषजनक सेवा तथा कु ल 19 वष क सेवा पूण लेते ह, को ो नत/अगले<br />

वेतनमान म वेतन उस ितिथ को अगले म पर िनधारत कर दया जायेगा<br />

क तु यद कसी िनयिमत पद धारक को पूव यव था के अनुसार 16 वष के<br />

आधार पर वैयक ो नत वेतनमान िमल चुका ह तो उस हेतु भी 4 वष क<br />

िनर तर संतोषजनक सेवा क गणना म पूव म जस दनांक से यह लाभ िमला<br />

ह उसे संान म िलया जायेगा। उदाहरणा वप-यद पदधारक को वैयक<br />

ो नत वेतनमान/अगला वेतनमान दनांक 1 फरवर, 1991 को िमल चुका था<br />

तो 1 माच, 1995 को उ त यव था के अधीन एक अितर त वेतनवृ<br />

अनुम य होगी।<br />

4. येक िनयिमत कमचार को ो नत/अगले वेतनमान म एक वेतन वृ के<br />

लाभ क ितिथ से 5 वष क िनर तर संतोषजनक सेवा तथा कु ल 24 वष के<br />

उपरा तर पद उपल ध नहं ह को पदो नित का अगला वेतनमान देय होगा।<br />

ऐसे संवग/पद जनके िलए ो नित का कोई पद उपल ध नहं ह उनको इस<br />

वेतनमान का अगला वेतनमान वैयक प से देय<br />

4. (ब) उपयु त 4 (अ) क यव था म वेतन सिमित (1997-1999) क सं तुितय पर िलये<br />

गये िनणयानुसार ऐसे रा य कमचारय/अिधकारय के थापत या के अधीन<br />

समयमान वेतनमान अनुम य ह, पर तु शासनादेश सं या: 210/xxvii-<br />

3/स0वे0/2005, 7 जून, 2005 ारा प ट कया गया ह जसके वेतनमान का<br />

अिधकतम 0 10,500/- तक ह। यह सुवधा 31-12-2005 तक अनुम य होगी। इसके<br />

पूव सभी वभाग से अपेा क गयी ह क इस कार के रा य सेवा के अिधकारय<br />

का सेवा ढांचा इस कार बना िलया जाय क समयमान वेतनमान क आव यकता न<br />

हो।<br />

1- थम वेतन वृ


222<br />

उपयु त ेणी के अिधकार/कमचार, जो एक पद पर 8 वष क अनवरत<br />

संतोषजनक सेवा दनांक 1.1.96 अथवा उसके बाद क ितिथ को पूण करते ह उ ह<br />

समयमान वेतनमान के अ तगत सेले शन ेड का लाभ अनुम य कराये जाने हेतु पद<br />

के पुनरत वेतनमान म ह उस ितिथ को एक वेतनवृ वीकृ त क जायेगी।<br />

2- थम वैयक ो नित/अगला वेतनमान<br />

उपयु त ेणी के अिधकारय/कमचारय ज ह सेले शन ेड क लाभ क ितिथ से 6 वष क<br />

अनवरत संतोषजनक सेवा सहत कु ल 14 वष क अनवरत संतोषजनक सेवा पूण कर ली हो<br />

और संबंिधत पद पर िनयिमत हो चुके ह को पदो नित का अगला वेतनमान वैयक प से<br />

अनुम य कया जायेगा। ऐसे संवग/पद जनके िलए पदो नित का कोई पर नहं ह, उनको उस<br />

वेतनमान से अगला वेतनमान वैयक प से देय होगा। जन कमचारय/अिधकारय को<br />

सेले शन ेड का लाभ पूव म 10 वष क संतोषजनक सेवा के आधार पर िमला हो उनके<br />

वैयक ो नित वेतनमान हेतु 6 वष क अविध के थान पर 4 वष क संतोषजनक सेवा<br />

होना आव यक होगा। इस सुवधा क अनुम यता हेतु संबंिधत कमचार/ अिधकार को<br />

िनयिमत होना आव यक ह यद कोई कमचार उ त अविध क शत को पूण करता ह और<br />

िनयिमत बाद म होता ह तो िनयिमत होने क ितिथ से ह यह लाभ अनुम य होगा।<br />

3- थम वैयक ो नित/अगला वेतनमान म वेतनवृ-<br />

उपयु त तर 4 (ब) (2) के अनुसार वैयक प से अनुम य थम ो नित/अगले<br />

वेतनमान म 5वष क िनर तर संतोषजनक सेवा सहत कु ल 19 वष क सेवा पूण कर लेते ह<br />

उ ह ऐसे थम वैयक/अगले वेतनमान म उ त सेवा अविध पूण कर लेने पर एक वेतन<br />

वृ का लाभ अनुम य होगा क तु ऐसे पदधारक को जनको पूव यव था के अनुसार 16 वष<br />

क सेवा के आधार पर वैयक ो नित/अगला वेतनमान अनुम य हुआ हो उनके मामले म 3<br />

वष क िनर तर संतोषजनक सेवा सहत कु ल 19 वष क सेवा के उपरा त वैयक<br />

ो नित/अगला वेतनमान म एक वेतनवृ अनुम य होगी।<br />

4- तीय वैयक ो नित/अगला वेतनमान:-<br />

येक िन यिमत कमचार को वैयक ो नित/अगले वेतनमान म उपयु त तर 4<br />

(ब) (3) के अनुसार वेतन वृ का लाभ अनुम य हने क ितिथ से 5 वष क अनवरत<br />

संतोषजनक सेवा सहत यूनतम 24 वष क सेवा पर वैयक प से तीय ो नित/अगला<br />

वेतनमान अनुम य होगा। कितपय करण म जहां पर तीन वेतन वृ से कम ठक बाद का<br />

वेतनमान ह वहां उसके बाद का वेतनमान अनुम य होगा।<br />

समयमान वेतनमान के अ तगत अनुम य उपयु त 4 लाभ म से यद कसी<br />

पदधारक को कोई लाभ 1.1.86 के पूव िमल चुका हो तो उसे दनांक 1.1.96 से लागू पुनरत<br />

वेतनमान म वह लाभ नहं िमलेगा उसे त प चात देय लाभ, यद कोई लाभ देय हो तो<br />

अनुम य होगा।<br />

उदाहरण:- एक चतुथ ेणी कमचार अपने साधारण वेतनमान 0 2550-25-2660-60-<br />

3200 म दनांक 1.1.95 से 0 2660/- ा त कर रहे ह, उनक 8 वष क अनवरत


223<br />

्<br />

संतोषजनक सेवा 5 जुलाई 1996 को पूण होने पर दनांक 5 जुलाई, 1996 सेले शन ेड का<br />

लाभ अनुम य कया गया। उनका वेतन िन नवत िनधारत होगा:-<br />

1.1.1996 को वेतनमान 0 2550-3200 म वेतन 0 2660/-<br />

दनांक 5 जुलाई, 1996 0 2720/-<br />

दनांक 1.1.1997 को 0 2780/-<br />

दनांक 5 जुलाई 2002 को 6 वष क संतोषजनक अनवरत सेवा एवं कु ल 14 वष क<br />

कु ल अनवरत संतोषजनक सेवा होने के प चात थम वैयक/अगला वेतनमान 0 2610-60-<br />

3150-65-3540 वीकृ त कये जाने पर वेतन िन नवत िनधारत होगा।<br />

दनांक साधारण वेतनमान वैयक ो नित/अगला वेतनमान<br />

2550-3200 2610-3540<br />

1.1.2000 3080<br />

5.7.2002 3080 3090<br />

1.1.2003 3140 3150<br />

वग ‘’घ’’ के 24 वष क सेवा पर ठक बाद के वेतनमान के बजाय 2750-4000 का<br />

वेतनमान कया गया। इसी कार वाहन चालक के करण म 14 वष क सेवा पर 4000-<br />

6000 एवं 24 वष क सेवा पर 4500-7000 का समयमान वेतनमान अनुम य इसिलये कराया<br />

गया ह क भारत सरकार म इन संवग हेतु ेणीवार वेतनमान ह पर तु रा य के वभाग म<br />

एक-एक पद होने के कारण यह यव था इन संवग के िलये भावी नहं हो सकता।<br />

वैयक/अगला वेतनमान म अगला वेतनमान म अगामी वेतन वृ 1 जनवर, 2004<br />

को ा त होगी। उसी कार 4 (ब) (3) व 4 (ब) (4) म भी उपयु त या के अनुसार वेतन<br />

िनधारत होगा।<br />

5- वृरोध वेतन वृ क पुनरत यव था<br />

उपयु त शासनादेश दनांक 2 दस बर, 2000 ारा 1.1.96 से पूव क यव था को<br />

िन नवत ् संशोिधत कया गया:-<br />

1. ऐसे पदधारक जनके पुनरत साधारण वेतनमान का अिधकतम पया 10500/- तक ह जब<br />

अपने वेतनमान के अिधक तम पर पहुंच जाय तो उनके वेतनमान को उसम अतम वेतनवृ<br />

के बराबर 3 वेतन वृय क धनरािशय को जोडकर बढा दया जाय। यह वेतन वृ संबंिधत<br />

कमचार को अिधकतम पर पहुंचने के प चात वाषक आधार पर देय होगी। यह वेतन वृ ऐसे<br />

पद धारक को भी अनुम य होगी ज ह वेतनमान के अिधकतम पर पहुंचने तक (सेले यान<br />

ेड) उपयु त तर 4 (ब) (1) के अनुसार एक वेतन वृ ा त हो चुक हो क तु<br />

स बधत पदाधारक ारा वेतनमान के अिधकतम पर पहुंचने के उपरा तर सेवा अविध के<br />

आधार पर सेले शन ेड के प म देय वेतन वृ अनुम य नहं होगी।<br />

उदाहरण:- एक सहायक लेखाकार साधारण वेतनमान म 0 4000-100-6000 म दनांक<br />

1.1.2000 से 0 6000/- ा त कर रहा ह। उनका वेतन िन नवत सेवा पुतका म दशाया


224<br />

जायेगा:- 4000-100-6000-1000-6300 संबंिधत कमचार को यह वेतन वृयां 1 जनवर,<br />

2001, 2002, 2003 को मश: ा त होगी। यद इस कमचार क 8 वष क संतोषजनक<br />

सेवा दनांक 10.1.2002 को पूण होती ह तो अब इनको सेले शन ेड के प म देय वेतन<br />

वृ अनुम य नहं होगी। यद सेले शन ेड का लाभ यद 5 जनवर, 1999 को ा त होता<br />

तो 3 वेतन वृयां यथावत ा त होती।<br />

(2) ऐसे पदधारक जनके पद के पुनरत साधारण वेतनमान का अिधकतम 10,500/- से अिधक<br />

ह। उ ह पद के अिधकतम पर पहुंचने के उपरा त वृरोध वेतनवृ के प म ित 2 वष बाद<br />

एक वेतन वृ द जाय। ऐसी वेतन वृय क सं या तीन होगी।<br />

उदाहरण:- एक अिधकार दनांक 1.1.96 से लागू साधारण वेतनमान 0 10,000-325-15200 पर<br />

अिधकतम ा त कर रहे ह। उनको दो वष बाद 1 जनवर, 2000 क 15200+325=15525<br />

त प चात 1 जनवर, 2002 एवं 1 जनवर, 2004 को मश: 15,850/- एवं 0 16,175/-<br />

ा त होगा।<br />

नोट:- वृरोध वेतन वृ का लाभ वैयक ो नित/अगले वेतनमान तथा सेले शन ेड के<br />

वेतनमान म अनुम य नहं होगा के वल साधारण वेतनमान म ह देय होगा।<br />

वाषक वेतन वृ हेतु सेवा िगने जाने से स बधत िनयम<br />

1. िन निलखत उपब ध के अनुसार कसी समयमान वेतनमान म वेतन वृ सेवा िगनी जाती<br />

ह:-<br />

(क) कसी समयमान वेतनमान (वेतन म) म कसी पद पर क गई सम त यूट क गणना उस<br />

समयमान म वेतनवृ के िलए क जायेगी। दनांक 1.4.1978 के प चात देय होने वाली<br />

वेतनवृ जस माह म देय हो, उस माह क पहली तारख को देय हो जायेगी।<br />

यद कोई कमचार जसक यवधानयु त कई अविधय को जोडकर कसी माह के<br />

म य कसी तारख को वेतन वृ देय हो, तो उसक उस माह क पहली तारख से उसी दशा<br />

म वेतन वृ वीकृ त क जा सकती ह जब वह पहली तारख को भी उसी पद पर कायरत हो।<br />

मूल िनयम 26 (क) जैसा क वि सं0 जी-2-1253/दस-316/73, दनांक 24.6.78<br />

ारा संशोिधत कया गया ह।<br />

(ख) यद कोई कमचार थायी अथवा ोवजनल पमाने ट ह अथात ् कसी थायी पद पर िलयन ह,<br />

उसके ारा भारत के बाहर ितिनयु क अविध तथा अ य समक अथवा उ च पद पर क<br />

गई सेवा तथा उसके ारा िलये गये अवकाश जसम िचक सा माण प के आधार पर िलया<br />

गया बना वेतन का असाधारण अवकाश भी समिलत ह, उस पद पर वेतन वृ हेतु िगनी<br />

जायगे जस पर उसका िलयन (धारणािधकार) हो।<br />

(मूल िनयम 26 (बी)(एक)<br />

2- भारत के बाहर ितिनयु क अविध तथा अवकाश क अविध, जसम िचक सा माण प के<br />

आधार पर िलया गया बना वेतन का असाधारण अवकाश भी समिलत ह, क गणना ऐसे पद<br />

पर यो य समयमान म, वेतन वृ के िलये क जायेगी, जस पर वह थानाप न प से


225<br />

कायरत था और यह माणत कर दया जाता ह क यद वह छु ट पर अथवा भारत के बाहर<br />

र तिनयु पर न जाता तो उस पद पर थानाप न प से काय करता रहता।<br />

मूल िनयम 26 (ख) (दो) जैसा क वि सं या जी- 2:1253/दस-316/73, दनांक<br />

24.6.78 ारा संशोिधत कया गया।<br />

ितब ध यह ह क यद शासन स तु ट ह क सरकार सेवक ने िचक सा माण प<br />

पर िलये गये बना वेतन के असाधारण अवकाश से िभ न अ य असाधारण अवकाश कसी ऐसे<br />

कारण से िलया हो, जो उसके िनयंण से परे हो या अथवा उ च वैािनक और ाविधक<br />

अ ययन के िलए िलया हो तो वे आदेश दे सकते ह क बना वेतन क असाधारण छु ट क<br />

गणना उपरो त ख ड (ख) (1) तथा (ख) (दो) के अधीन वेतन वृ के िलये क जायेगी।<br />

ितब ध यह भी ह क अ ययन अवकाश उस दशा म वेतन वृ हेतु िगना जायेगा<br />

जब स बधत कमचार ने ऐसे अवकाश पर जाने के पूव रा य सरकार के अधीन तीन वष क<br />

सेवा पूर कर रखी हो।<br />

2- मूल िनयम 26 (ग)<br />

यद कोई अ थायी अथवा थानाप न सरकार सेवक कसी उ च अ थायी पद पर<br />

िनयु हो जाता ह अथवा थानाप न प से कसी उ च पद पर काय करता ह, तो जब वह<br />

पुन: अपने िन न पद पर यावितत होता ह तो उ च पद पर क गयी सेवा िन न पद पर<br />

वेतन वृ हेतु िगनी जायेगी, यद यह माणत कर दया जाय क वह यद उ च पद पर<br />

काय न करता तो उस अविध म वह िन न पद पर काय करता रहता।<br />

(मूल िनयम 26 (ग)<br />

य ह िनयम उस मामले म भी लागू होगा जहां सरकार सेवक उ च पद पर िनयु के<br />

समय िन न पद पर वा तव काय नहं कर रहा होता पर तु जो ऐसे िन न पद पर या उसी<br />

वेतनम के पद पर काय करता, यद वह उस अविध म उस पद पर िनयु त न कर दया<br />

जाता। यह लाभ भी उ त आशय के माण प ा त करने के प चात दया जाना चाहये।<br />

नोट:- इस िनयम का अिभाय यह ह क उ त सुवधा बना यह देखे दे द जाये क उ च पर<br />

सरकार कमचार के वभाग के अ तगत था या बाहर। (मूल िनयम 26 (ग) से स बधत<br />

लेखा पर अनुदेश (आडट इ श स)<br />

मूल िनयम 26 (घ) :- समा त कर दया गया ह।<br />

मूल िनयम 26 (ड)<br />

वाहय सेवा क अविध िन निलखत पद पर वेतनवृ हेतु िगनी जाती ह:-<br />

1- शासन क सेवा के उस पद पर जस पर स बधत सरकार सेवक का िलयन (धारणािधकार)<br />

हो या ऐसे पद पर जन पर उसका िलयन होता, यद वह िनलबत न कर दया गया हो।<br />

2- शासन क सेवा म उस पद पर वाहय सेवा पर थाना तरत होने से तुर त पूव थाना तरण<br />

प से काय कर रहा हो तभी तक जब तक क वह उस पद पर या उसी वेतनमान के पद पर<br />

थानाप न प से काय करता रहता, यद वह वाहय सेवा पर न जाता।


226<br />

3- कसी ऐसे पद पर जस पर उसे शासन के अ तगत मूल िनयत 113 के अनुसार समय-समय<br />

पर पदो नित िमलती, यद वह वाहय सेवा पर न जाता।<br />

मूल िनयम 26 के नीचे स ेा अनुदेश<br />

1- अवकाश समाि के प चात ् अनुपथित क अविध मूल िनयम के अ तगत वेतन वृ के िलए<br />

नहं िगनी जाती। मूल िनयम 73 के अ तगत इसे मूल िनयम 15 के योजनाथ दु यवहार<br />

माना जायेगा तथा स बधत सेवक को िन न पद पर यावितत कया जा सकता ह।<br />

2- यद कोई ोबेशनर अपनी ोवेशन क अविध के प चात थायी हो जाता ह तो ोबेशन क<br />

अविध वेतन वृ क िगनी जायेगी।<br />

3- थानाप न कमचार के मामले म कायभार हण काल उस पद पर वेतन वृ हेतु िगना जाता<br />

ह जसका वेतन उसे कायभार हणकाल म म दया जाये।<br />

यद कोई थानाप न कमचार िशण पर भेज दया जाता ह और िशण क<br />

अविध म यूट पर माना जाता ह तो वह अविध उसी थानाप न पद पर वेतन हेतु िगनी<br />

जायेगी।


227<br />

सं या 1049/व0अनु0-3/2003<br />

ेषक,<br />

इ दु कु मार पा डे,<br />

मुख सिचव, व त,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सेवा म,<br />

1- सम त मुख सिचव/सिचव, उ तरांचल शासन।<br />

2- सम त वभागा य एवं मुख कायालया य, उ तरांचल।<br />

व त अनुभाग-3 देहरादून, दनांक 16 अ टूबर, 2003<br />

वषय:- समयमान वेतनमान क यव था के अधीन चतुथ ेणी कमचारय को वैयक प से<br />

अगला वेतनमान अनुम य कराया जाना।<br />

महोदय,<br />

समयमान वेतनमान क वीकृ ित स बधत शासनादेश सं या-1014/01 व त/2001<br />

दनांक 12 माच 2001 संल नक के तर-4 (1) के साथ सपठत शासनादेश सं या 345/व0 अनु0-<br />

3/2001 दनांक 22 अ टूबर, 2001 के म म मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क वेतनमान 0<br />

2550-3200 म कायरत ऐसे चतुथ ेणी कमचारय जनके िलए पदो नित का कोई पद उपल ध नहं<br />

हो, उनको 24 वष क सेवा पूण करने पर तथा वेतनमान 0 2610-3450 के पद पर कायरत ऐसे<br />

चतुथ ेणी कमचारय को ज हने उ त पद पर 14 वष क सेवा पूण कर ली हो उ ह, समय मान<br />

वेतनमान क यव था के अ तगत अगला उ चतर वेतनमान वैयक प से अनुम य कराने हेतु<br />

वेतनमान क सूची म उपल ध प 2650-4000 के वेतनमान को संान म न लेते हुए (इ नोर करते<br />

हुए) 0 2750-4400 का वैयक/अगला वेतनमान अनुम य कराये जाने क ी रा यपाल महोदय<br />

सहष वीकृ ित दान करते ह।<br />

2- उ त ो नत वेतनमान दनांक 1-1-96 से ह अनुम य कया जायेगा और देय ितिथ से<br />

30 िसत बर, 2003 तक का अवशेष स बधत कम के भव य िनिध खाते म जमा कया जायेगा<br />

और दनॉंक 1 अ टूबर, 2003 से यह नकद भुगतान कया जायेगा। यद उ त अविध म कोई कम<br />

सेवािनवृ त हो गया हो उसे उ तानुसार देय धनरािश नगद भुगतान क जायेगी।<br />

3- उपयु त शासनादेश दनांक 12 माच, 2001 तथा दनांक 22 अ टूबर, 2001 के<br />

स बधत तर इस सीमा तक संशोिधत समझे जायगे।<br />

भवदय<br />

इ दु कु मार पा डे,


228<br />

मुख सिचव, व त,<br />

ेषक,<br />

इ दु कु मार पा डे,<br />

मुख सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सं या- 1123/व0अनु0-3/2004<br />

सेवा म,<br />

1- सम त मुख सिचव/सिचव उ तरांचल शासन।<br />

2- सम त वभागा य/मुख कायालया य उ तरांचल।<br />

व त अनुभाग-3 देहरादून, दनांक: 7 जनवर, 2004<br />

वषय: समयमान वेतनमान क यव था के अधीन राजकय वाहन चालक के वैयक प से<br />

अगला वेतनमान अनुम य कराया जाना।<br />

महोदय,<br />

समयमान वेतनमान क वीकृ ित स ब धी शासनादेश सं या-1014/01/व त/2001,<br />

दनांक 12 माच, 2001 के संलग ्नक के तर-4(1) के साथ पठत शासनादेश सं या-345/व0अनु0-<br />

3/2001, दनांक 22 अ टूबर, 2001 के तर-1(3) के म म मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क<br />

ी रा यपाल महोदय राजकय वाहन चालक को 14 वष क स तोषजनक सेवा के प चात ् 0 4000-<br />

6000 का थम ो नितय/अगला वेतनमान एवं 24 वष क स तोषजनक सेवा पर 0 4500-7000<br />

का तीय ो नतीय/अगला वेतनमान वैयक प से अनुम य कराये जाने क सहष वीकृ ित दान<br />

करते ह।<br />

2- शासनादेश दनांक 12 माच, 2001 तथा दनांक 22 अ टूबर, 2001 म समयमान<br />

वेतनमान के वषय म द गयी अ य शत एवं ितब ध यथावत ् लागू रहगे। उपयु त<br />

शासनादेश के स बधत तर के वल इस सीमा तक संशोिधत समझे जायगे।<br />

भवदय,<br />

इ दु कु मार पा डे<br />

मुख सिचव।


229<br />

सं या 210/xxvii (3)/स0वे0/2005<br />

ेषक,<br />

राधा रतूड,<br />

सिचव, व त,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सेवा म,<br />

सम त मुख सिचव/सिचव<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सम त वभागा य/मुख कायालया य<br />

उ तरांचल।<br />

व त अनुभाग-3 देहरादून, दनांक 07 जून, 2005<br />

वषय:- वेतन सिमित (1997-99) क सं तुितय पर िलए गये िनणयानुसार रा य कमचारय<br />

के िलए समयमान वेतनमान क वीकृ ित।<br />

महोदय,<br />

मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क रा यपाल महोदय उपयु त वषयक शासनादेश<br />

सं या वे0आ0-2-560/दस-45(एम)/99, दनांक 02 दस बर, 2000 के साथ पठत व त (सामा य)<br />

अनुभाग के शासनादेश सं या-1014/01 व त/2001 दनांक 12 माच, 2001 के म म िनगत<br />

शासनादेश सं या 841/व त अनु0-3/2002 दनांक 3 माच, 2003 के साथ पठत उपरिलखत<br />

शासनादेश दनांक 12 माच, 2001 के संल नक के तर-5 को िन नानुसार ित थापत करने क<br />

सहष वीकृ ित दान करते ह:-<br />

‘’ऐसे पदधारक जनके पद का दनांक 1-1-1996 से लागू पुनरत वेतनमान 0<br />

8000-13500 इससे अिधक ह के िलए समयमान वेतनमान क पूव यव था (जसे दनांक 1-1-1996<br />

से थािगत कर दया गया था) पुनरत वेतनमान म दनांक 31 दस बर, 2005 तक लागू रहेगी।‘’<br />

2- उपयु त शासनादेश दनांक 12 माच, 2001 एवं दनांक 3 माच, 2003 के वल उ त<br />

सीमा तक संशोिधत समझा जाय।<br />

3- उ त के साथ यह भी िनदिशत कया जाता ह क येक वभाग ारा अपने पद के<br />

ढॉचे म 0 8000-13500 तथा इससे उ च वेतनमान के पद का के कृ त ढॉचा इस कार बनाकर<br />

उ च वेतनमान म पद रखक सेवा िनयमावली म तदनुसार ह यव था करने का क ट कर, ताक<br />

तदनुसार शनै: शनै: बाद म उ त तर तथा इससे उ च पदधारक को सेवािनयम से ह उ त लाभ<br />

दया जा सके और समयमान वेतनमान क यव था शनै: शनै: समा त क जा सके ।<br />

भवदय,<br />

राधा रतूड<br />

सिचव, व त


230<br />

अवकाश िनयम<br />

स दभ:- व तीय िनयम संह ख ड 2 भाग 2 से 4<br />

अ याय 10 मूल िनयम 58 से 104 तथा सहायक िनयम 35 से 172<br />

तथा समय-समय पर जार शासनादेश<br />

अवकाश के स ब ध म कु छ मुख मूल िनयम िन नानुसार ह:-<br />

* अवकाश के वल डयूट देकर ह उपजत कया जाता ह। इस िनयम के िलए वाहय सेवा म<br />

यतीत क गयी अविध को डयूट माना जाता ह, यद ऐसी अविध के िलये अवकाश वेतन के<br />

िलए अंशदान का भुगतान कर दया गया ह।<br />

मूल िनयम 59<br />

* वशेष वकलांगता अवकाश के अितर त मूल िनयम के अ तगत देय अ य अवकाश शासन<br />

के अधीन थ उन ािधकारय ारा दान कया जा सकता ह ज ह शासन िनयम या आदेश<br />

ारा िनद ट कर द। वशेष वकलांगता अवकाश शासन ारा वीकृ त कया जा सकता ह।<br />

मूल िनयम 66<br />

* अराजपत सरकार सेवक को वशेष वकलांगता अवकाश के अितर त, मूल िनयम के<br />

अ तगत अनुम य कोई भी अ य अवकाश उस ािधकार ारा जसका कत य उस पद को यद<br />

वह र त होता, भरने का होता या व तीय िनयम संह ख ड 2 के भाग 4 (ववरण प 4 के<br />

म सं या 5, 8 तथा 9) म उलखत कसी अ य िन नतर सम ािधकार ारा<br />

र तिनहत अिधकार सीमा के अधीन रहते हुए दान कया जा सकता ह।<br />

सहायक िनयम 35<br />

* राजपत अिधकारय को अवकाश देने के िलए साधरणतया शासन क वीकृ ित क<br />

आव यकता ह, क तु व तीय िनयम संह ख ड-2 के भाग 4 (ववरण प म सं या 6, 7,<br />

8 व 9) म उलखत कसी अ य िन नतर सम ािधकार ारा ितिनहत अिधकार सीमा<br />

के अधीन अथवा कसी ऐसे िन नतर अिधकार ारा जसे इसके िलये अिधकार ितिनहत<br />

कया गया हो, दान कया जा सकता ह।<br />

सहायक िनयम 36<br />

60 दन तक का अवकाश सभी वभाग य ारा अपने अधीन थ राजपत अिधकारय को वीकृ त<br />

कया जा सकता ह, बशत क ित थानी क आव यकता न हो।<br />

(शासनादेश सं या-सा-4-944/दस-66-73, दनांक 16-8-73)<br />

* वभागा य अपने अधीन थ राजपत अिधकारय को ािधकृ त िचक सक ारा द त<br />

माण प के आधार पर 3 माह तक क अविध तक का िचक सा ामण प पर अवकाश<br />

दान कर सकते ह।<br />

(शासनकय ाप सं या सा-4-1752/दस-200(2)-77 दनांक 20-6-1978)


231<br />

* सूित अवकाश स बधत वभागा य ारा अथवा कसी ऐसे िन नतर अिधकार ारा जसे<br />

इसके िलये अिधकार ितिनहत कया गया हो, दान कया जा सकता ह।<br />

सहायक िनयम 153, 154<br />

अवकाश क मांग क दावा अिधकार के प म नह:-<br />

* कसी अवकाश का दावा या मांग अिधकार वप नहं कया जा सकता ह। अवकाश लेने का<br />

दावा ऐसे नहं कया जा सकता ह जैसे क वह एक अिधकार ह। जब जन सेवाओं क<br />

आव यकताएं ऐसी अपेा करती ह तो कसी भी कार के अवकाश को िनर त करने या<br />

अ वीकृ त करने का अिधकार अवकाश दान करने हेतु सम ािधकार के पास सुरत ह इस<br />

स ब ध म अवकाश वीकृ त करने वाला अिधकार कसी अवकाश को जनहत म अ वीकृ त<br />

करने के िलए पूणतया सम होता ह।<br />

मूल िनयम 67<br />

* अवकाश साधरणतया कायभार छोडने से ार भ होता ह तथा कायभार हण करने क ितिथ के<br />

पूव दवस को समा त होता ह। अवकाश के ार भ होने के ठक पहले व अवकाश समाि के<br />

तुरंत प चात पडने वाले रववार व अ य मा यता ा त अवकाश को अवकाश के साथ उपभोग<br />

करने क वीकृ ित अवकाश वीकृ त करने वाले ािधकार ारा द जा सकती ह। अवकाश का<br />

आर भ सामा यत: उस दन से माना जाता ह जस दन स बधत कमचार/अिधकार ारा<br />

अपने क/कायालय का भार ह ता तरत कया जाता ह। इसी कार अवकाश से लौटने पर<br />

भार हण करने के पूव के दवस को अवकाश समा त माना जाता ह।<br />

मूल िनयम 68<br />

* बना ािधकृ त अिधकार क पूव वीकृ ित ा त कये कोई सरकार सेवक अवकाश काल म<br />

कोई लाभद यवसाय या नौकर नहं कर सकता ह। िनयमत: अवकाश काल म कोई भी<br />

राजकय कमचार अ य कोई सेवा धनोपाजन के उददे य से नहं कर सकता जब तक क इस<br />

स ब ध म उसके ारा सम अिधकार से पूव वीकृ ित ा त न कर ली गयी हो।<br />

मूल िनयम 69<br />

जन सेवा के हत म अवकाशाधीन सेवक को वापस बुलाने का अिधकार:-<br />

जन सेवा के हत म अवकाश दान करने वाले ािधकार को अवकाशाधीन सरकार सेवक को<br />

अवकाश का पूण उपभोग कये बना डयूट पर वापस बुलाने का अिधकार ह। वापसी के आदेश म<br />

प ट उ लेख कया जाना चाहए क डयूट पर लौटना अवकाशाधीन सेवक क वे छा पर िनभर ह<br />

अथवा वह अिनवाय ह। यद उ त वापसी ऐछक हो तो इस स ब ध म कमचार को कसी कार क<br />

छू ट अनुम य नहं होगी, पर तु यद वापसी के िलए बा य कया जाता ह तो उसे िन नानुसार सुवधा<br />

हय होगी यद अवकाश का उपयोग भारत वष म ह कया जा रहा हो तो वापसी के िलये थान के<br />

दवस से उसे सेवा पर माना जायेगा एवं वापसी के िलये सामा य याा भ ता अनुम य होगा, पर तु<br />

योगदान क ितिथ तक उसे अवकाश वेतन ह देय होगा।<br />

मूल िनयम 70<br />

अवकाश से वापस बुलाये जाने पर याा भ ता िन न शत के पूरा होने पर ह देय होगा:-


232<br />

* यद वह 60 दन से अिधक के अवकाश पर गया हो तो कम उसक आधी अविध का अवकाश<br />

िनर त कया गया हो।<br />

* यद वह 60 दन तक या उससे कम क अविध के िलये अवकाश पर गया हो तो यह कम से<br />

कम 30 दन का अवकाश िनर त कराया गया हो।<br />

(िनयम 51, व तीय िनयम संह ख ड-3)<br />

* िचक सा अवकाश का उपभोग करने के उपरा त कसी भी कमचार को सेवा म योगदान करने<br />

क अनुमित तब तक नहं द जा सकती जब तक क उसके ारा िनधारत प पर अपना<br />

वा थता माण प तुत नहं कया जाता ह।<br />

इसी कार यद सम अिधकार चाहे तो अ व थता पर िलये गये कसी अ य ेणी<br />

के अवकाश के मामले म भी उपरो त वा थता माण प मांग सकता ह।<br />

मूल िनयम 71<br />

* अवकाश वीकता अिधकार क पूव वीकृ ित के बना कसी भी कमचार को वीकृ त अवकाश<br />

क समाि के 14 दन से अिधक समय पूव सेवा म वापस आने क अनुमित नहं द जा<br />

सकती ।<br />

मूल िनयम 72<br />

* यद कोई राजकय कमचार अवकाश अविध क समाि के उपरा त भी अनुपथत रहता ह तो<br />

उसे ऐसी अनुपथित क अविध के िलए कोई अवकाश वेतन देय नहं होगा एवं उ त अविध<br />

अ औसत वेतन पर अवकाश के प म रेखांकत क जायेगी जब तक क सम अिधकार<br />

ारा अवकाश अविध बढा न द गयी हो। यद बाद म वह अनुपथित क अविध का िचक सा<br />

माण प तुत करता ह तो इस अविध को िचक सा माण प पर देय अवकाश से घटा<br />

दया जायेगा क तु कोई अवकाश वेतन भुगतान नहं कया जायेगा।<br />

मूल िनयम 73<br />

* अवकाशोपरा त जान बूझकर सेवा से अनुपथित दु यहार क ेणी म आती ह एवं द डनीय<br />

अपराध ह।<br />

मूल िनयम 15<br />

* कसी एक कार के अवकाश को दूसरे कार के अवकाश के साथ अथवा म म वीकृ त कया<br />

जा सकता ह।<br />

मूल िनयम 81-ख (6), 83 (4) सहायक िनयम-157-क(5) तथा 154<br />

अवकाश वेतन<br />

अजत अवकाश अथवा िचक सा माण प पर अवकाश पर जाने से ठक पूव आहरत वेतन<br />

क दर पर अवकाश वेतन अनुम य होता ह। अवकाश अविध म देय ितकर भ त के भुगतान के<br />

स ब ध म मूल िनयम 93 तथा सहायक िनयम 147, 149, 150 तथा 152 म यव था द गई ह। जो<br />

वशेष वेतन तथा ितकर भ ते कसी काय वशेष को करने के कारण देय होते ह, उ ह अवकाश<br />

अविध म देने का कोई औिच य नहं ह, पर तु जो वशेष वेतन तथा भ ते वैयक यो यता के आधार<br />

पर देये होते ह। ( नातको तर भ ता, परवार क याण भ त, वैयक यो यता भ त) अवकाश वेतन के


233<br />

साथ दये जाने चाहये। वशेष वेतन तथा अ य भ त का भुगतान अवकाश के अिधकतम 120 दन<br />

क सीमा तक अनुम य होगा।<br />

शासनादेश सं या सा-4-871/दस-1999, दनांक 25 माच, 2000<br />

* अवकाश दान करने वाले ािधकार को अवकाश के कार म परवतन करने का अिधकार नहं<br />

ह।<br />

मूल िनयम 87 (क) तथा सहायक िनयम 157-(क) से स बधत शासन के आदेश<br />

* सरकार सेवक ज ह अवकाश दान नहं कया जा सकता।<br />

1. सरकार सेवक को िनल बन क अविध म अवकाश दान नहं कया जा सकता।<br />

मूल िनयम 55<br />

2. सरकार सेवक जसे दुराचरण अथवा सामा य अमता के कारण सेवा से िनकाला या हटाया<br />

जाना अपेत हो, को अवकाश वीकृ त नहं कया जाना चाहए, चद उस अवकाश के भाव<br />

वप िनकाले या हटाये जाने क थित थिगत हो जाती हो या जसको आचरण के कारण<br />

उसी समय या िनकट भव य म उसके व वभागीय जॉच का वषय बनाने वाला हो।<br />

अवकाश दान करना:-<br />

<br />

<br />

<br />

<br />

<br />

सहायक िनयम 101<br />

अवकाश ाथना-प पर िनणय करते समय सम अिधकार िन न बात का यान रखेग:-<br />

कमचार जसके बना उस समय सरलता से काय चलाया जा सकता ह<br />

अ य कमचारय के अवकाश क अविध<br />

पछली बार िलये गये अवकाश से वापस आने के प चात सेवा क अविध<br />

कसी आवेदक को पूव म वीकृ त अवकाश से अिनवाय प से वापस तो नहं<br />

बुलाया गया<br />

आवेदक को पूव म जनहत म अवकाश अ वीकृ त तो नहं कया गया<br />

सहायक िनयम 99<br />

सरकार कमचारय को मु य: िन नांकत कार के अवकाश अनुम य होते ह जनका उपभोग<br />

िनधारत िनयम एवं ितब ध के अधीन स बधत कमचार ारा कया जा सकता ह:<br />

* आकमक अवकाश तथा ितकर अवकाश (CASUAL LEVAE & COMPENSATORY<br />

LEAVE)<br />

* अजत अवकाश (EARNED LEAVE)<br />

* िनजी काय पर अवकाश (LEAVE ON PRIVATE AFFAIRS)<br />

* िचक सा अवकाश (LEAVE ON MEDICAL CERTIFICATE)<br />

* मातृ व अवकाश (MATRENITY LEAVE)<br />

* असाधारण अवकाश (EXTRA-ORDINARY LEAVE)<br />

* हॉपटल अवकाश (HOSPITAL LEAVE)<br />

* अ ययन अवकाश (STUDY LEAVE)<br />

* वशेष वकलांगता अवकाश (SPECIAL DISABILITY LEAVE)<br />

* लधुकृ त अवकाश (COMMUTED LEAVE)


234<br />

* दघावकाश अवकाश (VANCCATIONAL LEAVE)<br />

आकमक अवकाश, वशेष अवकाश, ितकर अवकाश<br />

मैनुअल आफ गवनम ट आडर, उ तर देश के अ याय 142 म आकमक अवकाश वशेष अवकाश<br />

और ितकर अवकाश से स बधत िनयम दये गये ह जसका ववरण िन नानुसार ह:-<br />

तर 1081:- आकमक अवकाश के दौरान काय का उ तरदािय व<br />

आकमक अवकाश को मूल िनयम के अ तगत मा यता ा त नहं ह। इसिलए<br />

आकमक अवकाश क अविध म सरकार सेवक सभी योजन के िलए यूट पर माना जाता<br />

ह। आकमक अवकाश के दौरान कसी ित थानी क तैनाती नहं क जायेगी यद कायालय<br />

के काय म कसी कार का यवधान होता ह तो आ कमक अवकाश वीकृ त करने वाला<br />

अिधकार तथा लेने वाला कमचार इसके िलए उ तरदायी होगा।<br />

तर 1082:- आकमक अवकाश क सीमा<br />

* एक कै ले डर वष म सामा यता 14 दन का आकमक अवकाश दया जा सकता ह।<br />

* एक समय 10 दन से अिधक का आकमक अवकाश वशेष परथितय म ह दया जाना<br />

चाहए।<br />

* आकमक अवकाश के साथ रववार एवं अ य छु टटय को स ब कये जाने क वीकृ ित द<br />

जा सकती ह।<br />

* रववार, छु टटय एवं अ य सरकार दवस यद आकमक अवकाश के बीच म पडते ह तो<br />

उ ह जोड नहं जायेगा।<br />

* अ य त वशेष परथितय म सम अिधकार 14 दन से अिधक का आकमक अवकाश<br />

एक कले डर वष म वीकृ त कर सकता ह। पर तु इस अिधकार का योग बहुत कम और<br />

के वल उसी दशा म कया जाना चाहए जबक ऐसा करने के िलए पया त औिच य हो।<br />

वशेष आकमक अवकाश<br />

वशेष परथितय म कु छ दन क वशेष छु टट द जा सकती ह।<br />

* िलपक वगकय टाफ के अितर त अ य को द गयी वशेष छु टटय क सूचना सकारण<br />

शासकय वभाग को भेजनी होगी।<br />

* शा0 सं0 बी-820/दो-बी-जी-55, दनांक 27-12-1955 तथा एम0जी0ओ0 का पैरा 882 व<br />

1087 रा य तथा अ तरा य खेलकू द म भाग लेने के िलए चयिनत खलाडय को 30 दन<br />

का वशेष आकमक अवकाश दया जा सकता ह।<br />

* मा यता ा त सेवा संघ/परसंघ के अ य एवं सिचव के एक कै ले डर वष म अिधकतम 07<br />

दन का तथा कायकारणी के सद य को अिधकतम 04 दन का वशेष आकमक अवकाश<br />

देय होगा। कायकारणी के उ हं सद य को यह सुवधा अनुम य होगी जो बैठक के थान से<br />

बाहर से आय।<br />

(शासनादेश सं या: 1694/का-1/83, दनांक 5-7-83 तथा 1847/का-4-ई-एक-81-83, दनांक 4-10-83)<br />

तर 1083:- आकमक अवकाश पर मु यालय छोडने क पूव अनुमित


235<br />

* आकमक अवकाश लेकर मुख ्यालय छोडने क दशा म सम अिधकार क पूव वीकृ ित<br />

आव यक ह।<br />

* अवकाश अविध म पता भी सूिचत कया जाना चाहए।<br />

तर 1084:- समुिचत कारण<br />

* आकमक अवकाश समुिचत कारण के आधार पर ह वीकृ त कया जाना चाहए।<br />

* सरकार दौरे पर रहने क दशा म आकमक अवकाश लेने पर उस दन का दैिनक भ ता<br />

अनुम य नह ह।<br />

तर 1085:- सम अिधकार<br />

आकमक अवकाश के वल उ ह अिधकारय ारा वीकृ त कया जा सकता ह ज ह<br />

शासनादेश के ारा समय-समय पर अिधकृ त कया गया है। कसी भी कार का संशय होने<br />

पर अपने शासिनक वभाग को स दभ भेजा जाना चाहए।<br />

तर 1086:- आकमक अवकाश रज टर<br />

आकमक अवकाश वीकृ त करने वाले सम अिधकार ारा आकमक अवकाश तथा<br />

िनबधत अवकाश का लेखा िन न ाप पर अिनवाय प से रखा जायेगा। इस रज टर का<br />

परण िनरण कता अिधकारय ारा समय-समय पर कया जायेगा।<br />

कमचार का नाम वीकृ त कया गया आकमक अवकाश िनबधत अवकाश<br />

पद नाम<br />

14 13 12 11 2 1 2 1<br />

तर 1087:- वशेष आकमक अवकाश क वीकृ ित<br />

िन निलखत मामल म सरकार सेवक को वशेष आकमक अवकाश वीकृ त<br />

कये जाने क यव था क गयी ह:-<br />

ववरण<br />

अविध<br />

1 व ववालय सीनेट के सद य याा सहत बैठक क अविध<br />

2 परवार िनयोजन, नसब द (पुष) 6 काय दवस<br />

3 नसब द (महला) 14 काय दवस<br />

4 वैािनक, अिधकारय को कसी वक शाप/सेिमनार म शोध-<br />

प पढने हेतु<br />

याा समय सहत वक शाप क<br />

अविध<br />

5 मा यता ा त संघ महासंघ/परषद के वाषक अिधवेशन 2 दन<br />

क अविध अिधकतम 2 दन शासनादेश होने पर<br />

तर 1088:- भारत वष से बाहर जाने के िलये अवकाश<br />

भारत वष से बाहर जाने के िलये आवेदत कये गये अवकाश (आकमक अवकाश<br />

सहत) क वीकृ ित सम अिधकार ारा शासन क पूवानुमित के नहं द जायेगी।<br />

तर 1089:- ितकर अवकाश


236<br />

* अराजपत कमचार को उ चतर ािधकार के आदेश अधीन छु टटय म अितर त काय को<br />

िनपटाने के िलए बुलाये जाने पर ितकर अवकाश दया जायेगा।<br />

* यद कमचार आधे दन काम कया ह तो उसे दो आधे दन िमलाकर एक ितकर अवकाश<br />

दया जायेगा।<br />

* अवकाश के दन वे छा से आने वाले कमचार को यह सुवधा उपल ध नहं ह।<br />

* ितकर अवकाश का देय ितिथ से एक माह के अ दर उपभोग कर िलया जाना चाहए।<br />

* यद यादा कमचारय को ितकर अवकाश दया जाना ह तो सरकार काय म बाधा न पडने<br />

क से सम अिधकार ारा एक महने क शत को िशिथल कया जा सकता ह।<br />

* दो दन से अिधक का ितकर अवकाश एक साथ नहं दया जायेगा।<br />

* आकमक अवकाश वीकृ त करने वाला अिधकार ितकर अवकाश क वीकृ ित के िलए सम<br />

ह। यह अवकाश के वल अराजपत कमचारय को देय ह।<br />

2. अजत अवकाश<br />

अजत अवकाश याह तथा अ थायी दोन कार के सरकार सेवक ारा समान प<br />

से अजत कया जाता ह, तथा समान शत के अधीन उ ह वीकृ त कया जाता ह।<br />

मूल िनयम 81-ख(1)<br />

सहायक िनयम 157-क(1)<br />

अवकाश अविध व अजत अवकाश क या:-<br />

सरकार सेवक के अवकाश लेख म येक कलै डर वष के िलए 31 दन का अजत अवकाश<br />

पहली जनवर को 16 दन तथा पहली जुलाई को 15 दन जमा कया जायेगा।<br />

* अवकाश का हसाब लगाते समय दन के कसी अंश को िनकटतम दन पर पूणाकत कया<br />

जाता ह, ताक अवकाश का हसाब पूरे दन के आधार पर रहे।<br />

* कसी एक समय जमा अवकाश का अवशेष दनांक 1-1-1987 से 240 दन क अिधकतम<br />

सीमा से अिधक नहं होगा पर तु शासनादेश सं या सा-4-392/दस-94-203-86 दनांक 1<br />

जुलाई, 1999 अनुसार रा यपाल महोदय ने सरकार सेवक को अवकाश खाते म अजत<br />

अवकाश जमा करने क अिधकतम सीमा 240 दन के थान पर 300 दन िनधारत करने क<br />

वीकृ ित दान कर द ह।<br />

* िनयु होने पर थम छ:माह म सेवा के येक पूण कले डर मास के िलए<br />

2 ½ (ढाई) दन ितमास क दर से अवकाश पूण दन के आधार पर जमा कया जाता ह।<br />

इसी कार मृ यु सहत कसी भी कारण से सेवा से मु त होने वाली छ:माह म सेवा म रहने<br />

के दनांक तक क गई सेवा के येक पूण कलै डर मास के िलए 2 ½ दन ितमास क दर<br />

से पूरे माह के आधार पर अवकाश देय होता ह।<br />

* जब कसी छ:माह म असाधारण अवकाश का उपयोग कया जाता ह तो स बधत सरकार<br />

सेवक के अवकाश लेखे म अगले छ:माह के िलए जमा कये जाने वाला अवकाश असाधारण<br />

अवकाश क अविध के 1/10 क दर से 15 दन क अिधकतम सीमा के अधीन रहते हुए (पूरे<br />

दन के आधार पर) अजत अवकाश कम कर दया जाता ह।


237<br />

* अजत अवकाश वीकृ ित आदेश म अितशेष अवकाश इंिगत कया जायेगा।<br />

शासकय ाप सं या सा-4-1071/दस-1992-201/76, दनांक 21 दस बर, 1992<br />

अव काश लेखा:-<br />

अजत अवकाश के स ब ध म सरकार सेवक के अवकाश लेखे प-11 घ म रखे जायेगे।<br />

मूल िनयम 81-ख(1) (8)<br />

मूल िनयम 67 तथा 86 (ए) के उपब ध के अधीन रहते हुए कसी एक समय म दान कये जा<br />

सकने वाला अजत अवकाश क अिधकतम सीमा<br />

* यद स पूण अवकाश भारतवष म यतीत कया जा रहा हो 120 दन<br />

* यद स पूण अवकाश भारतवष के बाहर यतीत कया जा रहा हो 180 दन<br />

अवकाश वेतन<br />

अवकाश काल म सरकार सेवक को अवकाश पर थान के ठक पहले ा त होने वाले<br />

वेतन बराबर अवकाश वेतन ाहय होता ह<br />

मुल िनयम 87-क(1)तथा सहायक िनयम 157-(क) (6) तथा शासनादेश सं या सा-4-1071/दस-1992-<br />

201/76, दनांक 21 दस बर, 1992<br />

अवकाश वेतन अिम का भुगतान<br />

शासनादेश सं या ए-1-1778/दस-3-1(4)-65 दनांक 13 अ टूबर, 1978 के अनुसार सरकार<br />

कमचारय का उनके अवकाश पर जाने के समय अवकाश वेतन अिम धनरािश भुगतान करने क<br />

अनुमित िन न शत के अधीन द जा सकती ह।<br />

य ह अिम धनरािश कम से कम 30 दन या एक मास से अिधक क अविध के के वल अजत<br />

अवकाश या िनजी काय पर अवकाश के मामले म देय होगी।<br />

* यह अिम धनरािश याज सहत होगी।<br />

* अिम क धनरािश अतम बार िलये गये मािसक वेतन, जसम महंगाई भ ता, अितर त<br />

मंहगाई भ ता (अ य भ ते छोडकर) भी समिलत हगे।<br />

* उपरो त तर एक म उलखत कार क अविध यद 30 दन से अिधक और 120 दन से<br />

अिधक न हो तो उस दशा म भी पूरा अवकाश अविध का, लेकन एक समय म के वल एक माह<br />

का अवकाश वेतन अिम वीकृ त कया जा सकता ह।<br />

* अवकाश वेतन अिम से सामा य कटौितयां कर ली जानी चाहए।<br />

* यह अिम धनरािश थायी तथा अ थायी सरकार कमचार को देय होगी। क तु अ थायी<br />

कमचार के मामले म यह धनरािश व तीय ह त पुतका ख ड-5 भाग-1 के पैरा 242 म द<br />

गई अितर त शत के अधीन िमलेगी।<br />

* जन अिधकारय के वेतन पच िनगत करने का ावधान ह ऐसे अिधकार को भी अिम<br />

धनरािश लेने के िलए ािधकार प क आव यकता नहं होगी। भुगतान वीकृ ित के आधार पर<br />

कया जायेगा।<br />

* व तीय ह त पुतका ख ड-5 भाग-1 के पैरा 249(ए) के अधीन सरकार कमचारय के िलए<br />

अिम धनरािशयां वीकृ त करने के िलए सम अिधकार अवकाश वेतन का अिम भी


238<br />

वीकृ त कर सकता ह। यह ािधकार अपने िलए भी ऐसी अिम धनरािश वीकृ त कर सकता<br />

ह।<br />

* इस पूर अिम धनरािश का समायोजन सरकार कमचार के अवकाश वेतन के थम बल से<br />

कया जायेगा। यद पूर अिम धनरािश का समायोजन इस कार नहं हो सकता ह तो शेष<br />

धनरािश क वसूली वेतन या अवकाश वेतन से अगले भुगतान के समय क जायेगी।<br />

सेवािनवृ के दनांक को लेखे म जमा अजत अवकाश का नकदकरण<br />

शासनादेश सं या सा-41130/दस-91-200-77 दनांक 7 जनवर 1992 के ारा<br />

सेवािनवृ पर अजत अवकाश लेखे म जमा अजत अवकाश (240 दन क अिधकतम सीमा<br />

तक) नकदकरण वीकृ त पर का अिधकार वभागा य को ितिनधािनत कये गये थे।<br />

शासनादेश सं या सा-4-438/दस-2000-203-86 दनांक 3 जुलाई, 2000 ारा 300 दन तक<br />

का अजत अवकाश नकदकरण वभागा य ारा वीकृ त कया जा सकता ह।<br />

3. िनजी काय पर अवकाश:<br />

िनजी काय पर अवकाश अजत अवकाश क ह भाित तथा उसके िलये िनधारत<br />

या के अनुसार येक कले डर वष के िलये 31 दन 2 छ:माह क त म जमा कया<br />

जाता ह। िनयु क थम छ:माह तथा सेवा से पृथक होने वाली छ:माह के िलये, जमा होने<br />

यो य अवकाश का आगणन तथा असाधारण अवकाश के उपयोग करने पर अवकाश क कटौती<br />

वषयक या भी वह ह, जो अजत अवकाश के वषय म ह।<br />

मूल िनयम 81-,ख (3) तथा<br />

शासकय ाप सं या सा-4-1071/दस-1992-201/78, दनांक 21 दस बर, 1992<br />

अिधकतम अवकाश अविध तथा देय अवकाश<br />

थायी सरकार सेवक:<br />

* यह अवकाश 365 दन तक क अिधकतम सीमा के अधीन जमा कया जाता ह।<br />

* स पूण सेवाकाल म कु ल िमलाकर 365 दन तक का ह अवकाश वीकृ त कया जा सकता ह।<br />

* कसी एक समय म वीकृ त क जा सकने यो य अिधकतम सीमा िन नानुसार ह:-<br />

पूरा अवकाश भारत वष म यतीत कये जाने पर<br />

90 दन<br />

पूरा अवकाश भारत वष से बाहर यतीत कये जाने पर 180 दन<br />

मूल िनयम 81-ख (3)<br />

अ थायी सरकार सेवक:<br />

* अ थायी सरकार सेवक के अवकाश खात म िनजी काय पर अवकाश कसी अवसर पर 60<br />

दन से अिधक जमा नहं होगा।<br />

* अवकाश लेख म 60 दन का अवकाश जमा हो जाने पर अवकाश जमा करना ब द कर दया<br />

जाता ह। अवकाश लेने के कारण अवशेष 60 दन से कम हो जाने पर अवकाश जमा होना<br />

पुन: ार भ हो जाता ह, जो पुन: 60 दन क अिधकतम सीमा के अधीन रहता ह।<br />

* अ थायी सेवक क िनजी काय पर अवकाश तब तक वीकाय नहं होता ह जब तक क उनके<br />

ारा दो वष क िनर तर सेवा पूर न कर ली गयी हो।


239<br />

* स पूण अ थायी सेवाकाल म कु ल िमलाकर 120 दन तक का अवकाश दान कया जा सकता<br />

ह।<br />

* अवकाश वीकृ ित आदेश म अितशेष अवकाश इंिगत कया जायेगा।<br />

सहाय िनयम 157-क (3)<br />

शासकय ाप सं या सा-4-1071/दस-1992-201/76, दनांक 21 दस बर, 1992<br />

अवकाश लेखा:-<br />

अजत अवकाश के स ब ध म सरकार सेवक क अवकाश लेखे प -11-ड म रखो<br />

जायगे।<br />

अवकाश वेतन<br />

िनजी काय पर अवकाश काल म वह अवकाश वेतन िमलता ह जो अजत अवकाश के<br />

िलये अनुम य होने वाले अवकाश वेतन क धनरािश के आधे के बराबर हो।<br />

मूल िनयम 87 क (3) तथा सहायक िनयम 157 क(6) (ग)<br />

4. िचक सा माण प पर अवकाश:-<br />

यह अवकाश सरकार सेवक क यव थता पर उपचार तथा वाम हेतु ािधकृ त<br />

िचक सक ारा िनधारत प पर िचक सा माण प दान कये जाने पर िनयम म<br />

िनद ट शत के अधीन दान कया जाता ह।<br />

थायी सेवक:<br />

* स पूण सेवा काल म 12 माह तक िचक सा माण प पर अवकाश िनयम ारा िनद ट<br />

िचक सक ारा दान कये गये िचक सा माण प पर अवकाश वीकार कया जा सकता<br />

ह।<br />

* उपरो त 12 माह का अवकाश समा त होने के उपरा त आपवादक मामल म िचक सा परषद<br />

क सं तुित पर स पूण सेवाकाल म कु ल िमलाकर 6 माह का िचक सा माण प पर<br />

अवकाश और वीकार कया जा सकता ह।<br />

मूल िनयम 81-ख (2)<br />

अ थायी सेवक:<br />

* ऐसे अ थायी सेवक को जो 3 वष अथवा उससे अिधक समय से िनर तर कायरत रहे हो तथा<br />

िनयिमत िनयु और अ छे आचरण आद शत को पूरा करते ह थायी सरकार सेवक के ह<br />

समान 12 महने तक िचक सा माण प पर अवकाश क सुवधा ह, पर तु 12 माह के<br />

उपरा त थायी सेवक को दान कया जा सकने वाला 6 माह का अितर त अवकाश इ ह<br />

अनुम य नहं ह।<br />

* शेष सभी अ थायी सेवक को िचक सा माण प के आधार पर स पूण अ थायी सेवाकाल म<br />

4 माह तक का अवकाश दान कया जा सकता ह।<br />

अवकाश वतेन:-<br />

* थायी सेवक तथा तीन वष से िनर तर कायरत अ थायी सेवक को 12 माह तक क अविध<br />

तथा शेष अ थायी सेवक को 4 माह तक क अवकाश अविध के िलये वह अवकाश वेतन


240<br />

अनुम य होगा, जो उसे अजत अवकाश का उपभोग करने क दशा म अवकाश वेतन के प म<br />

देय होता।<br />

* थायी सेवक को 12 माह का अवकाश समा त होने के उपरा त देय अवकाश के िलये अजत<br />

अवकाश क दशा म अनुम य अवकाश वेतन क आधी धनरािश अवकाश वेतन के प म<br />

अनुम य होती ह।<br />

मूल िनयम 87 (क) (2) तथा सहायक िनयम 157-क(6) तथा<br />

शासकय ाप सं या सा-4-4071/दस-1992-201/76, दनांक 21 दस बर, 1992<br />

सहायक िनयम 157-क(2) तथा शा0ा0सं0-सा-4-526/दस-96-201/76, दनांक 19-08-1996<br />

* ािधकृ त िचक सा ािधकार क िसफारश पर सम ािधकार ारा आठ दन तक क छु टट<br />

वीकृ त क जा सकती ह। इस अविध से अिधक छु टट तब तक वीकृ त नहं क जा सकती ह<br />

जब तक सम ािधकार का यह समाधान न हो जाय क आवेदत छु टट क समाि पर<br />

सरकार कमचार के काय पर वापस आने यो य हो जाने क समुिचत स भावना ह।<br />

* जहां कसी सरकार कमचार क अपनी बीमार के उपचार के दौरान मृ यु हो जाती ह और ऐसे<br />

सरकार कमचार को िचक सा अवकाश अ यथा देय हो तो छु टट वीकृ त करने के िलये<br />

सम ािधकार िचक सा अवकाश वीकृ त करेगा।<br />

िचक सा माण प दान करने हेतु अिधकृ त िचक सक का िनधारण<br />

अिधकार/कमचार<br />

ािधकृ त िचक सक<br />

समूह (क) के अिधकार * मेडकल कालेज के धानाचाय/रोग से स बधत वभाग<br />

के ोफे सर<br />

* मु य िचक सा अिधकार<br />

* राजकय अ पताल के मुख/मु य/वर ठ अधीक<br />

* राजकय अ पताल के मु य/वर ठ क स टे ट/क स टे ट<br />

समूह (ख) के अिधकार * मेडकल कालेज के रोग से स बधत वभाग के ोफे सर/रडर<br />

* राजकय अ पताल के मुख/मु य/वर ठ अधीक<br />

* राजकस अ पताल के मु य/वर ठ क स टे ट/क स टे ट<br />

समूह (ग) व (घ) के कमचार * मेडकल कालेज के रोग से स बधत वभाग के रडर/ले चरर<br />

* राजकय िचक सालय/औषधालय/सामुदाियक वा था<br />

के /ाथिमक वा य के म कायरत सम त ेणी के<br />

िचक सािधकार<br />

शासनादेश सं या 761/45-7-1147, दनांक 22 अैल, 1987 तथा शासनादेश सं या 865/5-7-<br />

149/76, दनांक 6 मई, 1988<br />

* अराजपत सरकार कमचारय के िचक सकय माण प पर अवकाश या अवकाश के सार<br />

के िलए दये गये आवदेन प के साथ िन न प पर कसी सरकार िचक सािधकार ारा<br />

दया गया माण प लगा होना चाहए<br />

सहायक िनयम 95


241<br />

आवेदक के ह तार<br />

म ी............................................. के मामले क सावधानी से यगत परा करने पर<br />

माणत करता हूं क ी....................... जनके ह तार ऊपर दये हुए ह ........................ से<br />

पीडत ह। रोड के इस समय वतमान लण ह ...................मेर राय म रोग का कारण<br />

......................ह।<br />

आज क ितिथ तक िगनकर रोग का कारण .......................... दन क ह। जैसा क<br />

ी.......................... से पूछने पर ात हुआ रोग का पूण ववरण िन निलखत<br />

ह............................। म समझता हूं क पूणप से वा य लाभ हेतु दनांक<br />

................................. से दनांक .......................... तक क अविध के िलए इनक डयूट से<br />

अनुपथित िनता त आव यक ह।<br />

िचक सािधकार<br />

* ेणी (घ) के सरकार सेवक के िचक सा माण प के आधार पर अवकाश या अवकाश के<br />

सार के िलए दये गये आवेदन प के समथनम अवकाश वीकृ त करने वाले सम ािधकार<br />

जस कार के माण प को पया त समझ वीकार कर सकते ह।<br />

सहाय क िनयम 98<br />

* उस सरकार कमचार से जसने एिशया म िचक सकय माण प पर अवकाश िलया हो<br />

डयूट पर लौटने से पूव िन निलखत प पर व थता के माण प को तुत करने क<br />

अपेा क जायेगी।<br />

सहायक िनयम 43 (क)<br />

एत ारा माणत कया जाता ह क हमने/मने .................वभाग के ी ....................<br />

क सावधानी से परा कर ली ह और यह पता लगा ह क वह अब अपनी बीमानी से मु त हो गये ह<br />

और सरकार सेवा म डयूट पर लौटने यो य ह।<br />

हम/म यह भी माणत करते ह/करता हूं क उपयु त िनणय पर पहूंचने के पूव हमने/मैने<br />

मूल िचक सीय माण प का तथा मामले के ववरण का अथवा अवकाश वीकृ त करने वाले<br />

अिधकार ारा उनका माणत ितिलपय का जसके आधार पर अवकाश वीकृ त कया गया था<br />

िनरण कर िलया ह तथा उपने िनणय पर पहूंचने के पूव इन पर वचार कर िलया ह।<br />

* राजपत अिधकार का िचक सा माण प अवकाश या उसके सार के िलये सहायक िनयम<br />

89 म उलखत प म माण प ा त करना चाहए। ािधकृ त िचक सािधकार ारा दया<br />

गया माण प पया त होगा। यद सं तुत अवकाश क अविध तीन माह से अनिधक हो तथा<br />

ािधकृ त िचक सािधकार यह माणत कर द क उनक राय म ाथ को िचक सा परषद<br />

क सम उपथत होने क आव यकता नहं ह।<br />

* जब ािधकृ त िचक सा अिधकार ारा द त माण प म सरकार सेवक के िचक सा<br />

परषद के समख उपथत होने क सं तुित क जाय अथवा सं तुत अवकाश क अविध तीन<br />

माह से अिधक हो, या 3 माह या उससे कम अवकाश को 3 माह से आगे बढाया जाय तो


242<br />

स बधत राजपत सरकार सेवक को उपरो त वणत माण प ा त करने के बाद अपने<br />

रोग के ववरण प क दो ितयां लेकर िचक सा परषद के स मुख उपथत होना होता ह।<br />

सहायक िनयम 89 तथा 90<br />

* सहायक िनयम 91 के नीचे िचक सा परषद ारा िचक सा माण प दान करते समय<br />

उ लेख कर दया जाना चाहए क स बधत अिधकार को डयूट पर लौटने के िलये वांिछत<br />

व थता माण प ा त करने के िलए पुन: परषद के सम उपथत होना ह या वह उस<br />

माण प को ािधकृ त िचक सा अिधकार से ा त कर सकता ह।<br />

5. मातृ व (सूित) अवकाश<br />

सूित अवकाश थायी अथवा अ थायी महला सरकार सेवक को िन न दो अवसर पर<br />

येक के स मुख अंकत अविध के िलए िनधारत शत के अधीन दान कया जाता ह।<br />

सूित के मामल म<br />

* सूताव था पर अवकाश ार भ होने के दनांक से 135 दन तक।<br />

* अतम बार वीकृ त सूित अवकाश के समा त होने के दनांक से दो वष यतीत हो चुके हो,<br />

तभी दुबारा सूित अवकाश वीकृ त कया जा सकता ह।<br />

* यद कसी महला सरकार सेवक के दो या अिधक ब चे हो तो उसे सूित अवकाश वीकार<br />

नहं कया जा सकता, भले ह उसे अवकाश अ यथा देय हो।<br />

गभपात के मामल म<br />

* गभपात के मामल म जसके अ तगत गभाव भी ह येक अवसर पर 6 स ताह तक<br />

* अवकाश के ाथना प के समथन म ािधकृ त िचक सक का माण प संल न कया गया हो<br />

* अब गभपात/गभाव के करण म मातृ व अवकाश तीन से अिधक बार भी वीकृ त कया जा<br />

सकता ह।<br />

* गभपात/गभाव के करण म अनुम य मातृ व अवकाश के स ब ध म अिधकतम तीन बार<br />

अनुम य होने का ितब ध शासन के ांक सा-4-84/दस-90-216-79, दनांक 3 मई, 1990<br />

ारा सारत अिधसूचना के ारा समा त कर दया गया ह।<br />

मूल िनयम 101 सहायक िनयम 153 तथा जी-4-394-दस-216-79, दनांक 04 जून, 1999<br />

* सूित अवकाश को कसी कार के अवकाश लेखे से नहं घटाया जाता ह तथा अ य कार क<br />

छु टट के साथ िमलाया जा सकता ह।<br />

सहायक िनयम 156<br />

अवकाश वेतन<br />

सूित अवकाश क अविध म अवकाश पर थान करते समय ा त डयूट वेतन के<br />

बराबर अवकाश वेतन अनुम य होता ह।<br />

सहायक िनयम 153<br />

6. असाधारण अवकाश:-<br />

असाधारण अवकाश िन न वशेष परथितय म वीकृ त कया जा सकता ह:-<br />

* जब अवकाश िनयम के अधीन कोई अ य अवकाश देय न हो


243<br />

* अ य अवकाश देय होने पर भी स बधत सरकार सेवक असाधारण अवकाश दान करने के<br />

िलये आवदेन कर।<br />

* यह अवकाश लेखे से नहं घटाया जाता ह।<br />

मूल िनयम 85<br />

अिधकतम अवकाश अविध<br />

थायी सरकार सेवक:<br />

* थायी सरकार सेवक को असाधारण अवकाश कसी एक समय म मूल िनयम 18 के उपब ध<br />

के अधीन अिधकतम 5 वष तक क अविध तक के िलये वीकृ त कया जा सकता ह।<br />

* कसी भी अ य कार के अवकाश के म म वीकृ त कया जा सकता ह।<br />

मूल िनयम 81-(ख) (5)<br />

अ थायी सरकार सेवक:<br />

अ थायी सरकार सेवक को देय असाधारण अवकाश क अविध कसी एक समय म<br />

िन निलखत सीमाओं से अिधक न होगी:-<br />

* तीन मास<br />

* छ: मास-यद स बधत सरकार सेवक ने 3 वष क िनर तर सेवा अवकाश अविध सहत पूर<br />

कर ली हो तथा अवकाश के समथन म िनयम के अधीन अपेत िचक सा माण प तुत<br />

कया हो।<br />

* अठारह मास-यद स बधत सरकार सेवक ने एक वष क िनर तर सेवा पूर कर ली हो, और<br />

वह य रोग अथवा कु ठ रोग का उपचार करा रहा हो।<br />

* चौबीस मास-स पूण अ थायी सेवा क अविध म 36 मास क अिधकतम सीमा के अधीन रहते<br />

हुए जनहत म अ ययन करने के िलये इस ितब ध के अधीन क स बधत सेवक ने 3 वष<br />

क िनर तर सेवा पूर कर ली हो।<br />

सहायक िनयम 157(क) (4)<br />

अवकाश वेतन:-<br />

असाधारण अवकाश क अविध के िलये कोई अवकाश वेतन देय नहं ह।<br />

िचक सालय अवकाश:-<br />

अधीन थ सेवा के कमचारय को जनक डयूट म दुघटना या बीमार का खतरा हो,<br />

अ व थता कारण अवकाश दान कया जा सकता ह।<br />

मूल िनयम 101<br />

िचक सालय अवकाश उस ािधकार के ारा दान कया जा सकता ह जसका<br />

क त य उस पद को, यद वह र त हो, भरने का होता ह।<br />

सहायक िनयम 156<br />

* यह अवकाश उ हं सरकार सेवक को देय ह जनका वेतन पये 1180 ितमाह से अिधक न<br />

हो।


244<br />

* ऐसे सम त थायी अथवा अ थायी सरकार सेवक, ज ह अपने कत य के कारण खतरनाक<br />

मशीनर, व फोटक पदाथ, जहरली गैस अथवा औषिधय आद से काम करना पडता ह अथवा<br />

ज ह अपने कत य, जनका उ लेख सहायक िनयम 155 के उप िनयम (5) म ह, के कारण<br />

दुघटना अथवा बीमार का वशेष जोखम उठाना पडता ह, को शासकय कत य के परपालन<br />

के दौरान दुघटना या बीमार से िसत होने पर िचक सालय/औषधालय म उपचार हेतु भत<br />

होने पर अथवा वाहय रोगी के प म िचक सा कराने हेतु दान कया जाता ह।<br />

* यह अवकाश चाहे एक बार म िलया जाय अथवा क त म कसी भी दशा म 3 वष क<br />

कालाविध म 6 माह से अिधक वीकृ त नहं कया जा सकता ह।<br />

* िचक सालय अवकाश को अवकाश लेखे से नहं घटाया जाता ह तथा इसे न ह अ य देय<br />

अवकाश से संयोजत कया जा सकता ह, पर तु शत यह ह क कु ल िमलाकर अवकाश अ विध<br />

28 माह से अिधक नहं होगी।<br />

सहायक िनयम 156<br />

अवकाश वेतन<br />

* िचक सालय अवकाश अविध के पहले 3 माह तक के िलये वह अवकाश वेतन ा त होता ह<br />

जो वेतन अवकाश पर थन करने के तुर त पूव ा त हो रहा हो।<br />

* तीन माह से अिधक क शेष अविध के िलए गये अवकाश वेतन उक् त दर के आधे के हसाब<br />

से दया जाता ह।<br />

सहायक िनयम 155 तथा 156 तथा शसनादेश सं या सा-4-1643/दस-206-65<br />

ट0सी0, दनांक 27 िसत बर, 1985<br />

8. अ ययन अवकाश<br />

* जन वा य तथा िचक सा, अ वेषण, पशुपालन, कृ ष, िशा, सावजिनक िनमाण तथा वन<br />

वभाग म कायरत थायी सरकार सेवक को जनहत म क ह वैािनक, ाविधक अथवा<br />

इसी कार क सम याओं के अ ययन या वशेष पायम को पूरा करने के िलए िनधारत<br />

शत के अधीन अ ययन अवकाश वीकृ त कया जा सकता ह।<br />

* यह अवकाश भारत म अथवा भातर म बाहर अ ययन करने के िलये वीकृ त कया जा सकता<br />

ह। जन सरकार सेवक ने 5 वष से कम सेवा क हो अथवा ज ह सेवा िनवृ होने का<br />

वक प तीन या उससे कम सयम म अनुम य हो, उनक अ ययन अवकाश साधारणतया दान<br />

नहं कया जाता ह।<br />

* असाधारण अवकाश या िचक सा माण प पर अवकाश को छोडकर अ य कार के अवकाश<br />

को अ ययन अवकाश के साथ िमलाये जाने क दशा म सकल अवकाश अविध के परणाम<br />

वप स बधत सरकार सेवक क अपनी िनयिमत डयूट से अनुपथित 28 महने से<br />

अिधक नहं होनी चाहए।<br />

* एक बार म 12 माह के अवकाश को साधारणतया उिचत अिधकतम सीमा माना जाता चाहए<br />

तथा के वल साधारण कारण को छोडकर इससे अिधक अवकाश कसी एक समय म नहं दया<br />

जाना चाहए।


245<br />

* स पूण सेवा अविध म कु ल िमलाकर 2 वष तक का अ ययन अवकाश दान कया जा सकता<br />

ह।<br />

मूल िनयम 84 तथा सहायक िनयम 146- (क)<br />

अवकाश वेतन<br />

अ ययन अवकाश काल म अ वेतन ाहय होता ह।<br />

9. वशेष वकलांगता अवकाश<br />

* शासन कसी ऐसे थायी अथवा अ थायी सरकार सेवक को जो कसी के ारा जानबूझ कर<br />

चोट पहूंचाने के फल वप अथवा अपने सरकार कम य के उिचत पालन म या उसके<br />

फल वप चोट लग जाने अथवा अपनी अिधकारय थित के परणाम वप चोट लग जाने के<br />

कारण अ थायी प से वकलांग हो गया हो, को वशेष वकलांगता अवकाश दान कर सकते<br />

ह।<br />

* अवकाश तभी वीकृ त कया जा सकता ह जब क वकलांगता, उ त घटना के दनांक से तीन<br />

माह के अ दर कट हो गई हो तथा स बधत सेवक न उसक सूचना त परता से यथा<br />

स भव शी दे द हो। पर तु शासन वकलांगता के बारे म संतु ट होने क दशा म घटना के 3<br />

माह के प चात कट हुई वकलांगता के िलए भी अवकाश दान कर सकते ह।<br />

* कसी एक घटना के िलए एक बार से अिधक बार भी अवकाश दान कया जा सकता ह। यद<br />

वकलांगता बढ जाये अथवा भव य म पुन: वैसी ह परथितयां कट हो जाय तो अवकाश<br />

ऐसे अवसर पर एक से अिधक बार भी दान कया जा सकता ह।<br />

* अवकाश चैकसक परषद ारा दये गये िचक सा माण प के आधार पर दान कया जा<br />

सकता ह तथा अवकाश क अविध चैकसक परषद ारा क गयी सं तुित पर िनभर रहती ह,<br />

पर तु यह चौबीस महने से अिधक नहं होगी।<br />

अवकाश वेतन<br />

* वशेष वकलांगता अवकाश अविध के थम 6 माह तक सरकार सेवक डयूट पर माना जाता<br />

ह।<br />

* त प चात अगले चार महने पूण वेतन पर तथा<br />

* शेष 14 महने अ वेतन पर यह अवकाश अनुम य होता ह।<br />

शासनादेश सं या जी-1-914/दस-201/80, दनांक 15-4-82, तथा मूल िनयम 83 तथा 83(क)<br />

10. लधुकृ त अवकाश<br />

* लघुकृ त अवकाश अलग से कोई अवकाश नहं ह। मूल िनयम 84 के अधीन उ चतर वैािनक<br />

या ाविधक अहताएं ा त करने के िलए अ ययन अवकाश पर जाने वाले थायी सरकार<br />

सेवक के वक प पर उनक िनजी काय पर अवकाश वीकृ त कये जाने यो य जमा कु ल<br />

अवकाश का आधा अवकाश लघुकृ त अवकाश के प म वीकृ त कया जा सकता ह।<br />

* जतनी अविध के िलये लधुकृ त अवकाश वीकृ त कया जाता ह उसक दुगुनी अविध उसके<br />

िनजी काय पर अवकाश खाते म जमा अवकाश म से घटा द जाती ह।


246<br />

* कसी एक बार वीकृ त कये जाने यो य अवकाश क अिधकतम अविध िनजी काय पर<br />

अवकाश क वीकृ त हेतु िनधारत अिधकतम अवकाश के आधे के बराबर ह।<br />

11. दघावकाश<br />

शासन के कितपय वभाग के कु छ कमचारय को दघावकाश दया जाता ह। इससे<br />

स बधत ववरण मूल िनयम 82, सपठत सहायक िनयम 143 से 146 तक, अ ययन 11,<br />

व तीय िनयम संह, ख ड 2, भाग- 2 से 4 म दये ह।<br />

दघावकाश क सुवधा याय वभाग, वा य, कृ ष, पशु पालन, वन वभाग आद के कु छ<br />

कमचारय को अनुम य ह। कन कमचार/अिधकार को कतना दधावकाश देय होगा का<br />

उ लेख उपरो त िनयम म द गयी तािलका म उलखत ह।<br />

वाि सं या सा-4-1071/दस-1992-201/76, दनांक 21 दस बर, 1992 के ारा<br />

संशोिधत मूल िनयम 81-बी ( याहर) के अनुसार कसी दघावकाश वभाग म सेवारत सेवक क<br />

थित म-<br />

(क) उसे अनुम य अजत अवकाश क अविध म डयूट के येक वष के िलये जसम वह पूण<br />

दघावकाश का उपभोग करता ह, तीस दन कम कर द जायेगी। ता पय यह हुआ क सरकार<br />

सेवक को एक वष म 31 दन के अजत अवकाश म 30 दन घटा देने के कारण उसको पूरे<br />

वष म के वल एक दन के अजत अवकाश का अजन होगा यक वह िनयम म अनुम य पूण<br />

दघावकाश क सुवधा का लाभ उठाता ह।<br />

(ख) यद उसे सरकार कायवश कसी कले डर वष म सहायक िनयम 145 व 146 म यवथत<br />

पूण दघावकाश उपभोग करने से रोक दया जाता ह, तो उसे अनुम य अजत अवकाश को<br />

तीस दन के उस भाग से कम कर दया जायेगा जो उसे अनुपात के बराबर हो जो उपभोग<br />

कये गये दघावकाश के भाग का अनुम य दघावकाश क पूण अविध से ह। उदाहरणाथ यद<br />

कसी कमचार को िनयमानुसार 45 दन का दघावकाश अनुम य हो पर तु वह उसका के वल<br />

दो ितहाई अंश अथात 30 दन के दघावकाश का उपभोग करता ह तो पूरे वष म अजत 31<br />

दन के अजत अवकाश का दो ितहायी अंश अथात ् 20 दन (बीस दन) ह घटाये जायगे<br />

अथात वह 11 ( यारह) दन का अजत अवकाश उस वश अजत करेगा। दघावकाश के उपभोग<br />

से रोकने के आदेश वभागा य अथवा उसके ारा अिधकृ त अिधकार, अथवा शासन के वशेष<br />

आदेश दये जाते तभी मा य हगे।<br />

(ग) यद कसी वष म वह स सीडयर स 145 और 146 के अनुब ध के अनुसार दघावकाश का<br />

उपभोग नहं करता ह तो उसे वष अनुम य अजत अवकाश को कम नहं कया जायेगा अथात<br />

अिधकतम 31 दन अजत होगा।<br />

(घ) दघावकाश को उपरो त िनयम के अधीन कसी कार अवकाश के साथ या उसके म म<br />

िलया जा सकता ह क तु ितब ध यह ह क दघावकाश और अजत अवकाश को िमलाकर<br />

कु ल अविध भारत म 120 दन तथा भारत के बाहर 180 दन से अिधक नहं होगी पर तु यद<br />

वह उ चतर ाविधक अहताएं ा त करने के िलये िलया जाय तब उसक सीमा 270 (दो सौ<br />

स तर) दन तक हो सकती ह।


247<br />

यद कसी सरकार सेवक को दघावकाश के कु छ अंश म सरकार काय अपने िनयु के थान<br />

पर ह रहना पडे तथा वह अपने थान से 15 दन से अिधक अविध के िलये, अनुपथत न<br />

रहे, तो यह समझा जायेगा क उसने अवकाश का उपभोग नहं कया।<br />

सहायक िनयम 145)<br />

ऐसे दघावकाश वभाग म विभनन संवग के कु छ अिधकार/कमचार ऐसे भी होते ह<br />

जो क स के म य दघावकाश का उपभोग करके उपभोग कये बना अथवा दघावकाश के<br />

दूसरे पद पर िनयु त अथवा थाना तरत कर दये जाते ह। ऐसे अवकाश को विनयिमत<br />

करने के िलये शासन ने अभी तक प ट िनदश िनगत नहं कये ह। अत: ऐसे मामल को<br />

तक संगत आधार पर िनणय कया जाता ह। उदाहरणाथ एक व ता राजकय इ टर कालेज<br />

देहरादून को दनांक 24.05.84 (का पिनक) को मा यिमक िश परषद रामनगर म<br />

थाना तरत कर दया। दनांक 01.08.84 (का पिनक) को पुन: राजकय इ टर कालेज<br />

देहरादून म थाना तरत कर दया गया। व ता ने दनांक 25.05.84 से दनांक 05.07.84<br />

तक अजत अवकाश का उपभोग कया। व ता का यद थाना तरण न होता तो 25.05.84<br />

से 06.07.84 तक दघावकाश का लाभ पाते तथा यद दघावकाश वभाग म िनयु त न होते<br />

तो 31 दन का उपजत अवकाश पाने के पा होते । अत: तक संगत आधार पर यह कहा जा<br />

सकता ह क चूंक व ता को दघावकाश का लाभ नहं िमला अत: उनह अजत अवकाश का<br />

लाभ िमलना चाहये। ऐसे करण पर शासन को तक संगत ताव भेजकर आदेश ा त<br />

करना चाहए।<br />

अवकाश वेतन<br />

अजत अवकाश अथवा िचक सा अवकाश क तरह अवकाश पर जाने से ठक पहले<br />

ा त अवकाश वेतन<br />

मूल िनयम 87-क(4)<br />

अवकाश याा सुवधा अवकाश:-<br />

यह अवकाश कोई अलग से अवकाश नहं ह अपतु अवकाश याा सुवधा लेने वाले<br />

कमचार को 15 दन का अजत अवकाश लेना अिनवाय ह, जो उस कमचार के अवशेष अजत<br />

लेखे से घटा दया जाता ह। रा य म कायरत अखल भारतीय सेवा के अिध कारय को के <br />

सरकार म लागू अवकाश याा सुवधा के ावधान यथावत ् लागू हगे।<br />

संदभ:- शासनादेश सं या : 1115/व0 अनु0-3/2003 दनांक 31 दस बर,2003


248<br />

अवकाश/अवकाश के नकदकरण के आवेदन प<br />

ट पणी:- (1) मद 1 से मद 10 तक क वयां सभी आवेदक ारा चाहे वे राजपत अिधकार<br />

हो, अथवा अराजपत कमचार हो, भर जायेगी।<br />

(2) मद 10 के वल अवकाश के नकदकरण के मामले पर लागू होगी।<br />

1. आवेदक का नाम ..................................................................................<br />

2. लागू अवकाश िनयम .............................................................................<br />

3. पद नाम ............................................................................................<br />

4. वभाग/कायालय .................................................................................<br />

5. वेतन .................................................................................................<br />

6. अवकाश कसी दनांक से कसी दनांक तक अपेत ...................से ................ .तक तथा<br />

.................कृ ित ...................................<br />

7. अवकाश मांगे जाने का कारण .................................................................<br />

8. पछली बार, अवकाश कस दनांक से कसी दनांक तक ................से ..........<br />

तक ................... कृ ित ....................................................................<br />

9. अवकाश क अविध म पता ....................................................................<br />

10. (क) (1) या अजत अवकाश का नकदकरण अपेत ह (जैसा लागू हो)<br />

कु ल दन .........................................................................<br />

(2) यद हाँ, तो कसी दनांक को .............................................<br />

(ख) या चालू कले डर वष म इससे पूव अवकाश नकदकरण क सुवधा ा त हुई ह ......<br />

दनांक -<br />

आवेदक के ह तार<br />

11. असारण अिधकार क अ यु/सं तुित<br />

दनांक - ह तार<br />

12. फाइनेशयल है डबुक, ख ड-2 भाग-2 से 4 के सहायक िनयम 89 के अनुसार सम<br />

ािधकार क रपट।<br />

(क) माणत कया जाता ह क फाइनेशयल है डबुक, ख ड-2 भाग 2 से 4 के मूल िनयम/<br />

सहायक िनयम के अधीन दनांक ................... से ................<br />

तक आवेदत अजत अवकाश देय ह।<br />

(ख) माणत कया जाता ह क मद 10 पर अपेत अवकाश के नकदकरण क<br />

सुवधा देय तथा अनुम य ह।<br />

दनांक -<br />

ह तार<br />

13. अवकाश तथा अवकाश का नकदकरण वीकृ ित करने के िलये सम ािधकार<br />

के आदेश।<br />

दनांक - ह तार


249<br />

ेषक,<br />

सेवा म,<br />

इ दु कु मार पा डे,<br />

मुख सिचव व त,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सम त वभागा य/मुख कायालया य,<br />

उ तरांचल।<br />

सं या 1115/व0अनु0-3/2003<br />

व त अनुभाग-3 देहरादून, दनांक 31 दस बर, 2003<br />

वषय:- सरकार सेवक क अवकाश याा सुवधा को पुन: थापत कये जाने के ब ध<br />

म।<br />

महोदय,<br />

उपयुक् त वषयक शासनादेश सं या-6763/व0सं0शा0/2001, दनांक 27<br />

अग त, 2001 क ओर आपका यान आकृ ट करते हुए मुझे आपसे यह कहने का िनदेश हुआ ह<br />

क उ त शासनादेश िनगत होने क ितिथ से अवकाश याा सुवधा को दो वष के िलये<br />

िनलबत कर दया गया था। इस स बनध म स यक वचारोपरा त ी रा यपाल महोदय<br />

अवकाश याा सुवधा को इस वषय पर पूव म िनगत शासनादेश का अितमण करते हुए<br />

िन न शत/व तृत अनुदेश के अनुसार शासनादेश दनांक 27 अग त, 2001 ारा लगाये गये<br />

ितब ध को समा त करते हुए उ त सुवधा को शसनादेश िनगत होने क ितिथ से पुन:<br />

थापत कये जाने क सहष वीकृ ित दान करते ह:-<br />

1. अवकाश याा सुवधा का अिभाय:- इस सुवधा के अ तगत सरकार सेवक को<br />

अवकाश के दौरान भारत म थत कसी थान के मण हेतु जाने तथा वापस आने के<br />

स ब ध म सरकार सेवक तथा उनके परवार के सद य ारा क गई यााओं के िलए<br />

कितपय शत के अधीन याा यय क ितपूित अनुम य होगी।<br />

2. पाता का े:- अवकाश याा सुवधा िनयिमत पूणकािलत सरकार सेवक को पॉच वष<br />

क िनर तर सेवा पूण करने के उपरा त कै ले डर वष के आधार पर अनुम य होगी।<br />

यह सुवधा ऐसे सरकार सेवक को भी अनुम य होगी जो सावजिनक उपम म<br />

ितिनयु पर ह पर तु जो वर ठ अिधकार सावजिनक उपम के अ य अथवा<br />

ब धक िनदेशक के पद पर जायगे उ ह यह सुवधा नहं उपल ध होगी। ितिनयु<br />

पर गये कमचारय को यह सुवधा िन नांकत को अनुम य नहं होगी:-<br />

(1) ऐसे सरकार सेवक जो रा य सरकार क पूणकािलक सेवा म नहं ह।<br />

(2) ऐसे सरकार सेवक जनके वेतन/भ त का भुगतान आकमक यय<br />

(काटजे सीज) से कया जाता ह।


250<br />

(3) वक चा ड कमचार।<br />

(4) ऐसे सरकार सेवक ज ह रा य सरकार के िनयम से िभ न क हं अ य<br />

िनयम के अ तगत पहले से ह अवकाश याा सुवधा इसी कृ ित क कोई<br />

अ य सुवधा ाहय ह।<br />

3. सुवधा क आवृ:- यह सुवधा यूनतम 5 वष क सेवा पूण करने पर येक 10 वष<br />

क सेवा अविध म एक बार अनुम य होगी। इस कार 5 वष से 10 वष क सेवावध म<br />

थम बार, 11 वष से 20 वष क सेवाविध म दूसर बार, 21 वष से 30 वष क सेवाविध<br />

म तीसर बार तथा 30 वष से अिधक क सेवा होने क थित म चौथी बार अनुम य<br />

होगी। ितब ध यह भी ह क पूव म अयु त अवकाश याा सुवधा के आधार पर कोई<br />

अितर त अनुम यता देय नहं होगी।<br />

4. परवार क याण कायम के अ तगत ीनकाड (परचय-प) धारक को एक-एक<br />

अितर त अवकाश याा सुवधा क अनुम यता:- ीनकाड धारक को उनके स पूण<br />

सेवाकाल म एक अितर त अवकाश के अ तगत ा त कर सकते ह। ीन काड के<br />

आधार पर अितर त सुवधा वह कसी भी एक अवसर पर अवकाश याा सुवधा ा त<br />

कर सकते ह शत यह होगी क एक ह वष म दो अवकाश याा सुवधा अनुम य नहं<br />

होगी।<br />

5. आवेदन का ाप:- अवकाश याा स ब धी आवेदन प/घोषणा माण प इस<br />

शासनादेश के अनुल नक के अनुसार िनधारत ाप पर येक कै ले डर वष के िलये,<br />

कै ले डर वष के दो माह पूव तक दे देना चाहए, ताक ये ठता एवं शासकय काय को<br />

म रखते हुए सम ािधकार ारा समय से वीकृ ित दान क जा सके ।<br />

6. वरय तथा 20 ितशत का ितब ध:- यह सुवधा ये ठता के आधार पर दान क<br />

जायेगी अथात ् ये ठ सरकार सेवक को यह सुवधा पहले अनुम य होगी और उससे<br />

किन ठ सरकार सेवक को यह सुवधा उसके बाद ा होगी।<br />

कसी कै ले डर वष म सरकार सेवक के कसी संवग वशेष म इस सुवधा के<br />

िलए पा सरकार सेवक म से 20 ितशत से अिधक सरकार सेवक को यह सुवधा<br />

वीकृ त नहं क जायेगी, जसे संवग वशेष के िनयु ािधकार ारा सुिनत कया<br />

जायेगा।<br />

7. अिधकतम दूर:- अवकाश याा सुवधा भारत वष म कसी भी थान पर आने-जाने के<br />

िलये यूनतम दूर वाले रा ते के आधार पर अनुम य होगी। ग त य थान पर जाते<br />

समय अथवा वापसी म सरकार सेवक तथा उसके परवार ारा रा त म एक अथवा<br />

उससे अिधक थान पर कने अथवा अव थान कये जाने म अपि नहं होगी, पर तु<br />

उसे कराया िनधारत दूर के िलये सीधे टकट के आधार पर ह अनुम य होगा।<br />

8. परवार क परभाषा:- यह सुवधा स बधत सरकार सेवक को समिलत करते हुए<br />

परवार के चार सद य तक ह सीिमत रहेगी। इस सुवधा के योजन के िलये परवार<br />

क परभाषा िन नवत ् होगी:-


251<br />

‘’परवार’’ का अिभाय सरकार सेवक क यथाथित प नी अथवा पित,<br />

अववाहत वैध संतान जो सरकार सेवक के साथ रहते ह, से ह और इसके अ तगत<br />

इनके अितर त, माता-पता सौतेली माता, बहने एवं अवय क भाई, तलाकशुदा,<br />

पर य ता अथवा पित से अलग हुई तथा वधवा पुयां जो उसके साथ रहते ह और<br />

उस पर पूण प से िनभर ह , भी ह, क तु इसके अ तगत इस िनयमावली के योजन<br />

हेतु एक से अिधक प नी नहं ह।<br />

ट पणी:- (1) यद सरकार सेवक क वयं विध (Personal Law) के अ तगत, गोद<br />

ली गयी स तान को विधक से ाकृ ितक संतान का दजा ा त ह तो द तक संतान<br />

धमज संतान मानी जायेगी।<br />

(2) सरकार सेवक क ऐसी धमज पुयॉं, द तक पुयॉं एवं बहन जनका<br />

गौना अथवा खसत स प न हो चुका हो, सरकार सेवक पर पूण प से आित नहं<br />

मानी जायगी।<br />

क तु परवार के अ तगत समिलत कोई ऐसा सद य, जो भले ह सरकार<br />

सेवक के साथ रह रहा/रह हो तथा जसक सभी ोत से आय पये 5000/- ितमाह<br />

से अिधक ह, सरकार सेवक पर पूणत: आित नहं माना जायेगा तथा इस थित म<br />

परवार के उ त सद य को अवकाश याा सुवधा अनुम य नहं होगी।<br />

9. अवकाश क कृ ित:- इस सुवधा का उपभोग करने के िलये कमचार ारा यूनतम 15<br />

दन का उपाजत अवकाश का उपभोग करना अिनवाय होगा।<br />

10. सरकार सेवक तथा उसके परवार के सद य के िलये अिधकृ त ेणी:- सरकार सेवक<br />

तथा उसके परवार के सद य को रेल क उस ेणी म याा सुवधा अनुम य होगी<br />

जसके िलये सरकार सेवक याा भ ता िनयम के अधीन दौरे पर याा करने के िलये<br />

सामा यत: अिधकृ त ह। पर तु 0 8000/- ितमाह या उससे अिधक मूल वेतन पाने<br />

वाले सरकार सेवक थम ेणी के अितर त वातानुकू िलत कोच तीय ेणी ।। टायर<br />

शयनयान (।। क् लास ए0सी0 2 टायर लीपर) तथा 0 5000/- से 0 7999/-<br />

ितमाह तक मूल वेतन पाने वाले सरकार सेवक थम ेणी के अितर त वातानुकू िलत<br />

कोच कु सयान (चेयरकार) तथा ।। लास ए0सी0 3 टायर लीपर से याा करने हेतु<br />

अिधकृ त होगे। क तु इस सुवध के अ तगत रेल क वातानुकू िलत कोच थम ेणी से<br />

याा नहं क जा सकती ह, लेकन उपयु तानुसार अनुम यता ‘’राजधानी स सेस’’ से<br />

क जाने वाली यााओं के स ब ध म भी लागू रहेगी।<br />

11. रेल माग के अितर त याा:- अवकाश याा सुवधा हेतु कसी भी स ्थान के िलये रेल<br />

माग के अितर त वायुयान, जलयान िनजी कार (जो वयं क हो) या उधार अथवा<br />

कराये पर ली गयी हो अथवा चाटड बस, वैन अथवा अ य ऐसे वाहन, जो क िनजी<br />

वािम व के ह, अथवा िनजी सं थाओं ारा संचािलत कये जा रहे ह, से याा क<br />

अनुमित नहं होगी। क तु सडक माग से याा ऐसे थान के िलये जो रेल माग से न<br />

जुडे ह अथवा के वल िनवास थान से (यद िनवास थान रेलवे टेशन से न जुडा हो)


252<br />

िनकटतम रेलवे हेड तक। त प चात ् रेल माग से ग त य थान (यद ग त य थान<br />

रेल माग से न जुडा हो) के िनकटतम रेल हेड से ग त य थान तक, स बधत रा य<br />

के परवाहन िगम या वभाग/ािधकार ारा अनुमोदत िनयिमत बस सेवा, जो िनत<br />

अ तराल पर िनधारत कराये पर संचिलत होती हो, से अनुम य होगी। उ त सुवधा के<br />

साथ सकु लर टूर टकट का भी उपयोग कया जा सकता ह।<br />

12. उ चतर/िन नतर ेणी म याा:- यद रेल याा अिधकृ त ेणी से उ चतर ेणी म क<br />

जाती ह तो उस थित म रेल क िन नतर ेणी का वा तवक कराया अनुम य होगा।<br />

13. आनुषंिगत भ ता, दैिनक भ ता तथा सडक मील भ ता वजत:- इस सुवधा के अ तगत<br />

याा पर कोई आनुषंिगक भ ता, दैिनक भ ता तथा सडक मील भ ता अनुम य नहं<br />

होगा।<br />

14. जब पित/प नी दोन सरकार सेवक ह:- यद पित तथा प नी दोन ह सरकार सेवक<br />

ह तथा पित और प नी दोन को उ त सुवधा अनुमन ्य हो तो उस थित म यह<br />

सुवधा पित अथवा प नी म से कसी एक को ाहय होगी। चूंक रेलवे वभाग ारा<br />

अपने कमचारय को भारत के कसी भी भू-भाग पर रेल ारा जाने –आने हेतु िन:शु क<br />

रेलवे पास पास उपल ध कराये जाते ह। अत: अ य रा य कमचारय क भांित ऐसे<br />

रा य कमचारय को जनके पित अथवा प नी (जैसी भी थित हो) रेलवे वभाग म<br />

कायरत ह, अवकाश याा सुवधा अनुम य नहं होगी।<br />

15. दावे का यपगत हो जाना:- यद सरकार सेवक इस सुवधा के स ब ध म अपना दावा<br />

वा तवक याा के एक वष के अ दर तुत नहं करता ह तो उसका दावा यपगत हो<br />

जायेगा।<br />

16. अिम क वीकृ ित:-<br />

(1) इस सुवधा का उपभोग करने के िलये राजकय सेवक को अिम वीकृ त कया<br />

जा सकता ह। अिम क धनरािश दान और क याा के िलये यय क<br />

अनुमािनक धनरािश जसक रा य सरकार को ितपूित करनी होगी, के 4/5<br />

भाग तक सीिमत होगी।<br />

(2) अिम दोन ओर याा के िलए याा ार भ करने के पूव इस ितब ध के साथ<br />

आहरत कया जा सकता ह क राजकय सेवक ारा िलए गए अवकाश क<br />

अविध 3 माह या 90 दन से अिधक न हो। यद अवकाश क अविध 3 माह या<br />

90 दन से अिधक होगी तो के वल ग त य थान तक जाने के िलए ह अिम<br />

आहरत कया जा सके गा।<br />

(3) यद अवकाश क अविध 3 माह या 90 दन से अिधक हो जाती ह और अिम<br />

दोन और क याा के िलए पहले ह आहरत कया जा चुका ह तो सरकार<br />

सेवक को आधी धनरािश त काल वापस करनी होगी।<br />

(4) अ थायी राजकय सेवक को अिम एक थायी राजकय सेवक क जमानत देने<br />

पर वीकृ त कया जा सके गा।


253<br />

(5) अिम कायालया य ारा वीकृ त कया जायेगा।<br />

(6) याा अिम वीकृ त करने के एक माह के अ दर याा करनी अिनवाय होगी,<br />

अ यथा क थित म पूण धनरािश तुर त राजकोष म जमा कर द जायेगी।<br />

(7) आहरत अिम के समायोजन हेतु राजकय सेवक ारा अपना दावा वापसी याा<br />

पूण होने के एक माह के अ दर तुत कया जायेगा और स बधत व तीय<br />

वष के अ दर ह इसका समायोजन सुिनत कया जायेगा।<br />

(8) इस योजना के अ तगत आहरत अिम का लेखा याा पूव होने के बाद उसी<br />

कार तुत कया जायेगा जस कार से राजकय सेवक ारा सरकार काय से<br />

याा के िलए आहरत अिम के स ब ध म तुत कया जाता ह।<br />

17. दावा तुत करने क विध:- इस सुवधा के स ब ध म दावे क ितपूित का बल<br />

याा भ ता बल के प पर तुत कया जायेगा और बल के शीष पर ‘अवकाश याा<br />

सुवधा’’ अंकत कर दया जायेगा तथा सरकार सेवक ारा इस आशय का सामा य<br />

माण प भी तुत कया जायेगा क उसके ारा वा तव म यााय पूण कर ली गयी<br />

ह और यााय उस ेणी से िन नतर ेणी म नहं क गयी ह। जसके िलये ितपूित का<br />

दावा तुत कया गया ह।<br />

18. सुवधा का अिभलेख:- सरकार सेवक ारा इस सुवधा का उपयोग कए जाने पर उनक<br />

सेवा पुतकाओं/पंजकाओं म एक व ‘’अनुम य थम/तीय/तृतीय/चतुथ/ीन<br />

काड धारक अवकाश याा सुवधा’’ शीषक के नीचे’’ दनांक .............. से .............<br />

तक वीकृ त/उपभोग क गयी’’ के प म अंकत कर द जानी चाहये। सेवा<br />

पुतका/सेवा पंजी के रख-रखाव के िलए उ तरदायी ािधकार ारा यह काय समय से<br />

स पादत कया जायेगा।<br />

19. अिनवाय सा य:- चूंक िनयंक अिधकार के सम दावे क वा तवकता तथा उसके<br />

औिच य एवं याा वा तवक प से स पादत कए जाने के स ब ध म ऐसे सा य<br />

उपल ध नहं होते ह क वे उसके आधार पर संतु ट हो ल, अत: सरकार सेवक ारा<br />

अवकाश याा के स ब ध म आव कय माण जैसे टकट न बर/रसीद आद को<br />

अिनवाय सा य के प म तुत कया जाना बा यकार ह।<br />

िनयंक अिधकार/आहरण वतरण अिधकार का यह दािय व होगा क वे<br />

स बधत कमचार ारा स पादत क गयी याा तथा इससे स बधत दाव के<br />

स ब ध म तुत कये गये अिभलेखीय सा य से पूणत: संतु ट ह ल और इस हेतु<br />

यद आव यक समझ तो याा ार भ करने पर आरत टकट/रसीद क स बधत,<br />

सं था से पु करा लगे। गलत दावा तुत करने अथवा गलत दाव के भुगतान कए<br />

जाने क थित म स बधत कमचार के साथ ह िनयंक/आहरण वतरण अिधकार<br />

भी समान प से उ तरदायी होगे।<br />

20. ग त य थान क पूव घोषणा:- इस सुवधा के अ तगत ग त य थान क घोषणा<br />

पहले से क जानी चाहए। यद बाद म पूव घोषत ग त य थान से िभ न कसी थान


254<br />

के मण हेतु सरकार सेवक ारा िन चय कया जाता ह तो आव कय परवतन िनयंक<br />

अिधकार क पूव अनुमित से कया जा सकता ह।<br />

21. िनयंक अिधकार:- इस सुवधा के स ब ध म िनयंक अिधकार का ता पय उस<br />

ािधकार से ह जो याा भ ता िनयम के अ तगत स बधत सरकार सेवक के याा<br />

भ ता बल के स ब ध म िनयंक अिधकार घोषत ह।<br />

22. कपटपूण दाव का िन तापूण:- यद सम ािधकार ारा कसी कमचार के व<br />

कपटपूण दावा तुत करने के कारण अनुशासिनक कायवाह करने का िनणय िलया<br />

जाता ह तो इस थित म िन न कार कायवाह अपेत होगी:-<br />

(क) स बधत कािमक अनुशािसनक कायवाह के पूण होने तक अवकाश याा<br />

सुवधा का उपभोग नहं कर सके गा।<br />

(ख) यद अनुशािसनक कायवाह के पूण होने पर स बधत कमचार कसी द ड का<br />

भागी होता ह तो उस थित म पारत द ड के अितर त अवकाश याा सुवधा<br />

भव य के िलये भी समा त मानी जायेगी तथा इस थित म िनयंक अिधकार<br />

को स पूण त य का िलखत प म उ लेख करना भी आव यक होगा।<br />

(ग) अनुशासिनक कायवाह के अ तगत सं तुत अ य द ड भी देय होग।<br />

(घ) यद कमचार अनुशासिनक कायवाह के आधार पर पूणत: दोषमु त पाया जाता<br />

ह तो ऐसी थित म उसे सामा य प से अनुम य अवकाश याा सुवधा के<br />

अितर त पूव म रोक गई अवकाश याा सुवधा भी अनुम य होगी। स बधत<br />

कमचार को इस थित म इस सुवधा का उपभोग अिधवषता क आयु पूण होने<br />

से पूव करना होगा।<br />

23. शत का उ लघन करने पर अिम क द ड सहत वसूली:- यद सम ािधकार ारा<br />

िनगत अवकाश याा एवं अिम वीकृ त कये जाने स ब धी आदेश का अनुपालन नहं<br />

कया जाता ह, तो इस थित म अिम धनरािश क एकमु त वसूली के साथ ह<br />

वीकृ त अिम पर सामा य भव य िनिध म जमा धनरािश पर देय याज क दर के<br />

अनुसार याज के साथ ह द ड वप 2 ितशत अितर त याज वसूली कया जाना<br />

भी आव यक होगा।<br />

24. िनधारत माण प:- यह सुिनत कये जाने के उददे य से क अवकाश याा सुवधा<br />

क सम त शत संतु ट हो गयी ह सरकार सेवक तथा िनयंक अिधकार ारा<br />

िन निलखत माण प अवकाश याा सुवधा के बल के साथ तुत कये जाने<br />

चाहए।<br />

(क) सरकार सेवक ारा दये जाने वाला माण प:-<br />

(1) माणत कया जाता ह क मने तथा मेरे परवार के सद य ने पूव घोषत<br />

थान क याा वा तव म कर ली ह और रेल क उस ेणी से िन नतर ेणी म<br />

याा नहं क ह, जसके कराये क ितपूित का दावा तुत कया जा रहा ह।


255<br />

(ख)<br />

(2) माणत कया जाता ह क मने अवकाश याा सुवधा के स ब ध म इससे पूव<br />

अपने तथा अपने परवार के स ब ध म कोई दावा तुत नहं कया ह।<br />

(3) मेर प नी/मेरे पित सरकार सेवा म कायरत नहं ह/ कायरत ह और उ हने<br />

वयं अपने तथा परवार के िलये पृथक से अवकाश याा सुवधा का उपभोग<br />

नहं कया ह।<br />

(4) माणत कया जाता ह क मेर प नी/मेरे पित, जसके िलए अवकाश याा<br />

सुवधा का दावा तुत कया जा रहा ह ...................... (भारत सरकार/अ य<br />

रा य सरकार/पलक से टर अ डरटेकं ग/िनगम/स ्वाशासी सं था आद का<br />

नाम) म कायरत ह जहॉं अवकाश याा सुवधा अनुम य ह पर तु उनके ारा<br />

अपने सेवायोजक को इस स ब ध म न तो कोई दावा तुत कया ह और न<br />

तुत कया जायेगा।<br />

िनयंक अिधकार ारा दये जाने वाला माण प<br />

(1) माणत कया जाता ह क ी/ीमाती/कु 0 ....................... ने अवकाश<br />

याा सुवधा के अ तगत बहगामी याा ार भ करने क ितिथ को रा य<br />

सरकार के अधीन 5 वष या उससे अिधक क अनवरत सेवा पूण कर ली ह।<br />

(2) माणत कया जाता ह क अवकाश याा सुवध के स ब ध म आव यक<br />

वयॉं ी/ीमती/कु 0 ............. क सेवा पुतका/पंजका म कर द गयी<br />

ह।<br />

िनयंक अिधकार के ह तार एवं पदनाम<br />

25. अखत भारतीय सेवा के अिधकारय के िलए अवकाश सुवधा उसी कार अनुमनय<br />

होगी, जैसा समय-समय पर भारत सरकार ारा मानक एवं या िनधारत क जाय।<br />

26. लेखा शीषक:- अवकाश याा सुवधा पर होने वाला यय (देय अिम सहत) सुसंगत<br />

लेखा शीषक के अ तगत मानक पद ‘’45-अवकाश याा यय’’ के नाम डाला जायेगा।<br />

भवदय,<br />

इ दु कु मार पा डे<br />

मुख सिचव


256<br />

शासनादेश सं या 1115/व0अनु-3/2003, दनांक 31 दस बर, 2003 का अनुल नक<br />

अवकाश याा सुवधा हेतु आवेदन प<br />

1- आवेदक का नाम -<br />

2- पदनाम –<br />

3- वभाग/कायालय –<br />

4- मूल वेतन (जो इस समय िमल रहा हो) -<br />

5- थायी/अ थायी (पदनाम सहत) -<br />

6- सेवा ार भ करने का दनांक –<br />

7- इससे पूव उपभोग क गई अवकाश याा सुवधा का पूण ववरण, यद कोई हो (आदेश<br />

सं या एवं दनांक) –<br />

8- ीन काड धारक होने क दशा म:-<br />

(1) या वतमान आवेदत सुवधा अितर त अवकाश याा सुवधा के प म चाहते<br />

ह/चाहती ह<br />

(2) यद हां, तो कस अविध का<br />

9- तावत याा का पूण ववरण:-<br />

(1) मु यालय से ............ तक जाने तथा ....................से मु यालय वापस<br />

(2) दनांक ........................ से ...................... तक क अविध हेतु<br />

10- तावत याा म जाने वाले परवार के सद य का ववरण:-<br />

0 सं0 नाम स ब ध आयु ववहत/अववाहत कसी सेवा म हो तो पूण ववरण<br />

1 2 3 4 5 6<br />

1<br />

2<br />

3<br />

4<br />

11- ग त य थान का नाम जहॉं याा क जानी ह<br />

(1) दूर क0मी0 म (जाना-आना)<br />

(2) कराया सम त सद य सहत (जाना-आना)<br />

(3) याा हेतु आवेदत अिम क धनरािश<br />

12- तावत याा के िलए अजत अवकाश हेतु आवेदन करने क ितिथ<br />

13- पित/प नी दोनो सरकार सेवक होने अथवा दोन को अवकाश याा सुवधा अनुम य<br />

होने क दशा म:-<br />

(क) पित/प नी म नाम –<br />

(ख) पदनाम<br />

(ग) अवकाश याा सुवधा हेतु वक प


257<br />

(घ) पित/प नी ारा पूव म िलये गये अवकाश याा सुवधा का आदेश सं या व<br />

दनांक<br />

(च) यद सुवधा नहं ली गई हो तो स बधत कायालय/वभाग का माण प .....<br />

14. अ थाई कमचार को जमानत देने वाले कमचार के<br />

(1) ह तार ...............................<br />

(2) नाम .....................................<br />

(3) पदनाम तथा वभाग .................<br />

घोषणा माण प<br />

1- उपरो त सूचनाय मेर जानकार म स य ह।<br />

2- माणत कया जाता ह क मने अवकाश याा सुवधा के स ब ध म इससे पूव इस<br />

लाक अविध म अपने तथा परवार के स ब ध म कोई दावा तुत नहं कया ह।<br />

3- मेरा परवार जसके िलए उपरो त सुवधा वीकृ त कये जाने हेतु आवेदन कया गया ह,<br />

पूणप से मेरे ऊपर आित ह।<br />

4- मेर प नी/मेरे पित सरकार सेवा म कायरत नहं ह/कायरत ह और उ हने वयं अपने<br />

तथा परवार के िलये इस लाक अविध म पृथक से अवकाश याा सुवधा का उपभोग<br />

नहं कया ह और नह करगी/करगे (कायरत होने क दशा म आव यक माण प<br />

सहत)<br />

5- माणत कया जाता ह क मेर प नी/मेरे पित जसके िलए अवकाश याा सुवध का<br />

आवेदन तुत कया जा रहा ह (भारत सरकार/रेलवे वभाग/रा य सरकार/पलक<br />

से टर अ डर टेकं ग/िनगम/ वशासी सं था आद का नाम) म कायरत ह जहॉं अवकाश<br />

याा सुवधा अनुम य ह पर तु उनके ारा इस लाक अविध म अपने सेवायोजनक को<br />

इस स ब ध म न तो कोई दावा तुत कया ह और न तुत कया जायेगा।<br />

(आव यक माण प संल न ह)<br />

दनांक ..................................<br />

असारण अिधकार क अ यु/सं तुित<br />

...................................................<br />

...................................................<br />

...................................................<br />

...................................................<br />

दनांक .........................................<br />

आवेदक के ह तार ..................................<br />

नाम तथा पदनाम .....................................


258<br />

वाहय सेवा के मु य िनयम<br />

* व तीय िनयम संह ख ड-2 भाग 2 से 4 के मूल िनयम-9 (7) म वाहय सेवा को<br />

परभाषत कया गया ह और इसके अनुसार वाहय सेवा का ता पय वह सेवा ह जसम<br />

सरकार सेवक अपना वेतन शासन क वीकृ ित से के य अथवा रा य सरकार अथवा<br />

सरकार के परषद के राज व के अितर त अ य ोत से ापत करता ह। उदाहरणाथ,<br />

शासन के विभ न िनगम, व ववलय थानीय िनकालय, वकास ािधकरण आद म<br />

सरकार सेवक वाहय सेवा पर भेजे जा सकते ह। वाहय सेवा से स बधत िनयम<br />

व तीय ह त पुतका ख ड 2 भाग- 2 से 4 के अ याय- 12 के अ तगत मूल िनयम-<br />

110 से 127 तक तथा सहायक िनयम 185, 186 तथा 206 से 208 म दये हुये ह।<br />

वाहय सेवा से स बधत मु य मूल िनयम िन न ह:<br />

* उ तरांचल शासन के पूण अथवा आंिशक प से वािम व अथवा अनयंण म आने वाले<br />

िनकाय को छोडकर कसी भी सरकार कमचार को उसक इ छा के व वाहय सेवा<br />

म थाना तरक नहं कया जा सकता ह। भारत वष के बाहर कसी सरकार कमचार<br />

को वाहय सेवा म भेजने हेतु शासन क वीकृ ित आव यक ह। भारत म भी सरकार<br />

कमचार को वाहय सेवा म थाना तरण के िलए शासन क वीकृ ित अपेत ह, पर तु<br />

कितपय मामल म भारत वष के अ दर वाहय सेवा म थाना तरण का अिधकार<br />

अधीन थ अिधकारय को ितिनधािनत कर दया गया ह। अराजपत कमचारय को<br />

उ तरांचल, के बाहर अथवा भारत म बाहर सेवा पर वभागा य ारा भेजा जा सकता<br />

ह।<br />

मुल िनयम 110<br />

* वाहय सेवा म थाना तरण तब तक अनुम य नहं ह जब तक क थाना तरण के<br />

प चात ् क जाने वाली यूट ऐसी न हो जो जनहत म सरकार कमचार ारा ह क<br />

जानी आव यक हो एवं साथ ह साथ स बधत सरकार सेवक का थायी पद पर<br />

िलयन भी हो।<br />

मूल िनयम 111<br />

मूल िनयम 111-के नीचे दये गये रा यपाल के आदेश के अनुसार एक अ थायी<br />

सरकार सेवक को भी वाहय सेवा पर भेजा जा सकता ह। यद सरकार सेवक क सेवाय<br />

कसी िनजी क पनी को द जाने हो तो इस िनयम (मूल िनयम 111) के िसा त को<br />

अ य त कठोरता से लागू कया जाना चाहये।<br />

* यद कोई सरकार सेवक अवकाश पर ह और अवकाश पर रहते हुये ह उसे वाहय सेवा<br />

म थाना तरत कर दया जाता ह तो इस थाना तरण क ितिथ से उसका अवकाश म<br />

रहना तथा अवकाश वेतन पाना समा त हो जाता ह।<br />

मूल िनयम 112


259<br />

* वाहय सेवा मे थाना तर/सरकार सेवक उस संवग/सेवा म बना रहेगा जसम वह<br />

थाना तरण से पूव थायी/अ थायी प से कायरत रहा ह। पैतृक वभाग म देय<br />

ो नितय का लाभ भी उसे देय होगा।<br />

ितिनयु हेतु जार मानक श ते िन न ह:-<br />

1. वेतन:<br />

मूल िनयम 113<br />

वाहय सेवा क अविध म सरकार सेवक को अपने पैतृक वभाग म समय-समय<br />

पर अनुम य वेतनमान म वह वेतन देय होता ह जो वह अपने पैतृक वभाग म पाता हो।<br />

शासनादेश सं या सा-1-374/दस-99-4/99, दनांक 3 जून 1999 के अनुसार उसी टेशन पर<br />

तैनाती क दशा म मूल वेतन का 5 ितशत (अिधकतम 0 500/- ितमाह), यद तैनाती<br />

टेशन के बाहर वाहय सेवा पर ितिनयु होता ह तो वेतन का 10 ितशत पर तु अिधकतम,<br />

0 1000/- ितमाह ितिनयु भ ता इस शत के अधीन अनुम य होगा क मूल वेतन तथा<br />

ितिनयु भ ता का योग कसी भी समय 0 22000/- ितमाह से अिधक नहं होगा।<br />

वे छा से दूसरे संगठन म वाहय सेवा पर थाना तरत होता ह तो उसे कसी भी दशा म कसी<br />

कार का ितिनयु भ ता अनुम य न होगा। नवीर दर दनांक 1 जून, 1999 से भावी होगी।<br />

2. मंहगाई भ ता:<br />

सरकार सेवक को रा य सरकार क दर पर समय’-समय पर अनुम य महंगाई<br />

भ ता देय होगा, पर तु यह मंहगाई भ ता के वल मूल वेतन पर दया जायेगा एवं ितिनयु<br />

भ ते को मंहगाई भ ता क गणना हेतु समिलत नहं कया जायेगा।<br />

3. नगर ितकर भ ता:<br />

जायेगा।<br />

4. मकान कराया भ ता:<br />

नगर ितकर भ ते का विनयमन वाहय सेवायोजनक के िनयम के अधीन कया<br />

मकान कराया भ ता का विनयमन वाहय सेवायोजक के िनयम के अधीन<br />

कया जायेगा। सरकार आवास का कराया लैट रे ट क दुगनी दर पर िलया जायेगा। बना<br />

कराये के मकान क सुवधा नहं द जायेगी।<br />

5. याा भ ता:<br />

वाहय सेवा क अविध म एवं वाहय सेवायोजन क अधीन पद पर कायभार हण<br />

करने तथा उससे यावतन के समय क गई यााओं के िलये याा भ ता सरकार सेवक के<br />

वक प के अनुसार या तो उसके पैतृक वभाग के िनयम के अनुसार देय होगा अथवा वाहय<br />

सेवायोजनक के िनयम के अनुसार, पर तु इनका भुगतान वाहय सेवायोजन ारा ह कया<br />

जायेगा।<br />

6. भव य िनिध:<br />

वाहाय सेवा क अविध म सरकार सेवक रा य सरकार के भव य िनिध िनयम<br />

ारा िनयंत हगे। वाहय सेवायोजनक को चाहये क वह सरकार सेवक के वेतन से भव य


260<br />

िनिध का अिभदान काट ले तथा उसे ेजर चालान के मा यम से सरकार कोष म उपयु त लेखा<br />

शीषक के अ तगत जमा कर द। देश के बाहर वाहय सेवा पर कायरत सरकार सेवक के मामले<br />

म बक ाट के मा यम से भव य िनिध क धनरािश पैतृक वभाग म लेखािधकार (जसके<br />

ारा भव य िनिध का लेखा रखा जाता ह) को भेज दया जाना चाहये।<br />

7. िचक सा सुवधाऐं:<br />

रा य सरकार के अधीन उनको ा त सुवधाओं से कसी कार भी िन नतर नहं<br />

होगी। वाहय सेवायोजनक ारा िचक सा भ ता देय नहं होगा।<br />

8. अवकाश वेतन तथा अवकाश अविध म ितकर भ ता:<br />

अवकाश वेतन उसके पैतृक वभाग ारा देय होगा। मंहगाई भ ता तथा ितकर<br />

भ त का पूरा वाहय सेवायोजनक ारा वहन कया जायेगा।<br />

9. अ य व तीय सुवधाय:<br />

बना शासन क सहमित के देय नहं होगी।<br />

10. कायभार हरण करने के समय का वेतन और कायभार छोडने के समय का<br />

वेतन दोन का ह विनयमन उ तरांचल सरकार के िनयम के अधीन कया जायेगा और इसका<br />

भुगतान वाहय सेवायोजनक ारा कया जायेगा। यह या वाहय सेवा पर थाना तरण के<br />

समय िलये जाने वाले कायभार हण काल एवं वाहय सेवा से यावतन के समय िलये जाने<br />

वाले कायभार हणकाल दोन के िलए लागू होगी।<br />

11. अवकाश वेतन तथा पशन स ब धी अंशदान:<br />

व तीय ह त पुतका ख ड-2, भाग- 2 से 4 के मूल िनयम 115 एवं 116 के<br />

अधीन शासन ारा समय-स3य पर िनधारत दर के अनुसार अवकाश वेतन का अंशदान तथा<br />

पशन के िलए अंशदान दोन का ह भुगतान सरकार सेवक अथवा वाहय सेवायोजनक ारा जैसी<br />

भी थित हो कया जायेगा। रा य सरकार के अिधकारय/कमचारय ारा वाहय सेवा क<br />

अविध म पशनर/अवकाश वेतन अंशदान आद का भुगतान शासनादेश सं या सा-1-1460/दस-<br />

534(38)/22 दनांक 30 नव बर, 1988 म उलखत लेखा शीषक म जमा कया जायेगा।<br />

अिधकारय ारा ितिनयु के समय अपना अवकाश वेतन अंशदान एवं पशन अंशदान िन न<br />

लेखा शीषक म जमा कया जाना चाहए।<br />

अवकाश वेतन अंशदान<br />

0070 : अ य शािसनक सेवाय<br />

60 : अ य सेवाय<br />

800 : अ य ाियॉं<br />

17 : अवकाश वेतन अंशदान<br />

पशन अंशदान<br />

0070 : पशन तथा अ य सेवािनवृ लाभ के स ब ध म अंशदान क वसूली<br />

01 : िसवल<br />

101 : अिभदान और अंशदान


261<br />

05 : ितिनयु पर गये सरकार अिधकारय/कमचारय का पशन के िलये<br />

अंशदान चालान म अंशदान क अविध तथा ितिनयु के पद का<br />

ववरण अिनवाय प से अंकत कया जाना चाहए।<br />

* आव यक अंशदान का भुगतान वाषक आधार पर कया जायेगा। इसे वल बतम 15<br />

अैल तक कया जाना होगा। समय से जमा न कराने पर अंशदान पर 0 100 पर 2<br />

पैसा ितदन क दर से याज भी देना होगा।<br />

सहायक िनयम 185<br />

* अवकाश वेतन अंशदान पर<br />

अवकाश वेतन से स बधत अंशदान क नवीनतम शासनादेश जी-1-98/दस-<br />

534(1)/93, दनांक 26-2-94 ारा िनधारत क गई ह और इसके अनुसार वतमान<br />

मूल वेतन का 11 ितशत क धनरािश अवकाश वेतन अंशदान के प म देय होगी।<br />

पशन अंशदान क दर<br />

पशन से स बधत अंशदान क दर वतमान शासनादेश सं या जी-1-<br />

2700/दस(10)/82, दनांक 15-12-82 ारा िनधारत क गयी ह। पशन अंशदान सेवा अविध<br />

तथा अनुम य वेतनमान के अिधकतम पर आगणत कया जाता ह।<br />

पशन अंशदान क मािसक दर (वेतनमान के अिधकतम का ितशत म)<br />

सेवा अविध (वष म) ेणी (क) ेणी (ख) ेणी (ग) ेणी (घ)<br />

0-1 7 6 5 4<br />

1-2 7 6 6 4<br />

2-3 8 7 6 5<br />

3-4 8 7 7 5<br />

4-5 9 8 7 5<br />

5-6 10 8 7 6<br />

6-7 10 9 8 6<br />

7-8 11 9 8 6<br />

8-9 11 10 9 7<br />

9-10 12 10 9 7<br />

10-11 12 11 10 7<br />

11-12 13 11 10 8<br />

12-13 14 12 10 8<br />

13-14 14 12 11 8<br />

14-15 15 13 11 9<br />

15-16 15 13 12 9


262<br />

16-17 16 14 12 9<br />

17-18 16 14 13 10<br />

18-19 17 15 13 10<br />

19-20 17 15 13 10<br />

20-21 18 16 14 11<br />

21-22 19 16 14 11<br />

22-23 19 17 15 11<br />

23-24 20 17 15 12<br />

24-25 20 17 16 12<br />

25-26 21 18 16 12<br />

26-27 21 18 16 13<br />

27-28 22 19 17 13<br />

28-29 23 19 17 13<br />

29-30 23 20 18 13<br />

30 वष से अिधक 23 20 18 14<br />

उदाहरण . एक उप िनदेशक जो क वेतनमान 0 10,000-325-325-15,200 म दनांक 1-<br />

1-2001 से वाहय सेवा म कायरत ह। वेतनवृ के दनांक 1-11-2000 को उनका मूल<br />

वेतन 0 11,300 तथा दनांक 28-11-2000 को उ होने सेवा म 10 पूण कर िलये ह।<br />

दनांक 1-1-2001 से दनांक 31-12-2001 तक क अविध के िलए इस अिधकार के<br />

पशन तथा अवकाश वेतन अंशदान क गणना क या:-<br />

* उप िनदेशक के मूल वेतन क गणना<br />

1-11-2000 0 11,300<br />

1-11-2001 0 11,625<br />

1-11-2002 0 11,950<br />

* उप िनदेशक क सेवा अ विध क गणना<br />

28-11-2000 10 वष<br />

28-11-2001 11 वष<br />

28-11-2002 12 वष<br />

* पशन अंशदान क गणना<br />

01-01-2001 से 27-11-2001 15,200×12%=0 1824.00 ितमाह क दर से<br />

28-11-2001 से 27-11-2002 15,200×13%=0 1976.00 ितमाह क दर से<br />

28-11-2002 से 31-12-2002 15,200×14%=0 2128.00 ितमाह क दर से


263<br />

* अवकाश वेतन अंशदान क गणना<br />

01-01-2001 से 31-10-2001 11,300×11%=0 1243.00 ितमाह क दर से<br />

01-11-2001 से 31-10-2002 11,625×11%=0 1278.75 ितमाह क दर से<br />

01-11-2002 से 31-12-2002 11,950×11%=0 1314.00 ितमाह क दर से<br />

12- अवकाश याा सुवधा: शासन के िनयम के अनुसार बशत वाहय सेवायोजक इसका पूरा<br />

यय वहन करेगा।<br />

13- सामूहक बीमा योजना: वाहय सेवा पर गये सरकार सेवक ारा इस योजना के अधीन<br />

भुगतान वाहय सेवा क अविध म िनर तर कया जाता रहेगा। सामा य भव य िनिध क<br />

भॉित इसक कटौती भी वेतन से करते हुए ेजर चालान के मा यम से जमा करायी<br />

जायेगी।<br />

14- भारत के बाहर वाहय सेवा: वाहय सेवा पर पशन का अंशदान स बधत सरकार सेवक<br />

को वयं जमा करना होगा। भुगतान क गयी धनरािश वह अपने वाहय सेवायोजक से ले<br />

सकता ह। अवकाश वेतन का अंशदान जमा नहं करना पडता ह यक वह भारत के<br />

बाहर कोई अवकाश भी अजत नहं करता ह। इस अविध म अवकाश लेखे से कोई<br />

अवकाश घटाया भी नहं जाता ह। ितिनयु भ ता देय नहं होता।<br />

* शासनादेश सं या जी-1/दस-82-534(46)-76, दनांक 14-12-1982 के अनुसार<br />

सावजिनक उपम, िनगम, थानीय िनकाय आद म सरकार सेवक क वाहय सेवा<br />

पर ितिनयु िन न शत के साथ क जायेगी:-<br />

* कसी भी सरकार सेवक को सामा यतया 5 वष से अिधक क अविध के िलए वाहय<br />

सेवा पर थाना तरत न कया जाये। यद वशेष परथितय म 5 वष के बाद भी<br />

वाहय सेवा पर रखना आव यक हो तो प ट कारण सहत शासकय वभाग ारा ऐसे<br />

ताव व त वभाग को भेजे जाय। पर तु शासनादेश सं या जी-1-176/दस-99-<br />

534(46)/76 ट0सी0, दनांक 16 माच, 99 के तर-2 के अनुसार ‘’सरकार सेवक<br />

के िनगम आद म ितिनयु पर भेजे जाने क सामा य अविध 03 वष बनाये रखी<br />

जा सकती ह क तु 06 वष के उपरा तर कसी भी दशा म ितिनयु अविध को न<br />

बढाया जाये’’।<br />

* दूसर बार वाहय सेवा पर थाना तरत करने के पूव यह सुिनत कया जाये क बीच<br />

म उसने कम से कम पैतृक वभाग म 2 वष तक क सेवा कर ली हो। शासनादेश सं या<br />

सा-1-205/दस-97-534(46)-76, दनांक 8 अैल 1997 के तर-1 के ब दु-1 के


264<br />

अनुसार ‘’कसी भी सरकार सेवक को जो वाहय सेवा पर एक बार थाना तरक कया<br />

जा चुका ह उसे दूसर बार वाहय सेवा पर थाना तरत करने से पूव पैतृक वभाग म<br />

बीच क सेवा अ विध कम से कम दो वष होगी, पर तु उ त दो वष क अविध को वशेष<br />

परथितय म गुणावगुण के आधार पर छ:माह तक रखने का अिधकार शासकय<br />

वभाग म ितिनहत कया जाता ह पर तु इससे कम अविध के िलए व त वभाग क<br />

सहमित आव यक होगी’’।<br />

* ितिनयु पर आये कसी सरकार सेवक को अपनी सं या/संगठन म िनयिमत प से<br />

संविलयन करना चाह, तो उस सरकार सेवक का स बधत सं था म समविलयन<br />

व त वभाग क सहमित से सावजिनक उम वभाग ारा जार कये गये मागदशन<br />

िसा त के अनुसार होगा।<br />

* शासनादेश सं या सा-3-13/दस-97-925/803 दनांक 6 जनवर, 1997 के अनुसार 55<br />

वष क आयु से अिधक के सरकार सेवक ितिनयु पर नहं भेजे जायगे। यद इ ह<br />

भेजा जाना िनता त आव यक ह तो शासिनक वभाग व त वभाग क पूव सहमित<br />

ा त करगे।


265<br />

कायभार हण काल<br />

स दभ<br />

व ती ह तपुतका ख ड-2 भाग 2 से 4<br />

अ याय 11 मूल िनयम 105 से 108<br />

सहायक िनयम<br />

अ याय 7 िनयम 38 से 41<br />

अ याय 18 िनयम 173 से 184 (क)<br />

अ याय 20 िनयम 197<br />

शासकय िनयम संह तर 1032 से 1035 तक<br />

* सरकार सेवक को जनहत म एक पद से दूसरे पद पर थाना तरक/िनयु त कये<br />

जाने पर, उसे नये पद कायभार हण करने हेतु घेरलू यव था करने तथा िनयु के<br />

थान तक याा करने के िलए िनयम के अ तगत अनुम य होने वाले समय को<br />

कायभार हण काल जाता ह। मूल िनयम 9 (7) (क) (।।) के अनुसार कायभार हण<br />

काल म सरकार सेवक डयूट पर माना जाता ह तथा वेतनवृ आद हेतु िगना जाता ह।<br />

* सामा यतया थम िनयु क दशा म कायभार हण काल अनुम य नहं ह।<br />

* सरकार कमचार को कायभार हण काल दान कया जा सकता ह-<br />

(क) कसी नये पद का कायभार हण करने के िलए, जस पर वह अपने पुराने पद<br />

पर डयूट करते हुये, या उस पद का कायभार छोडने के बाद सीधे ह िनयु त<br />

हुआ हो।<br />

(ख) नये पद का कायभार हण करने के िलये-<br />

2. चार महने से अनिधक अविध का अजत अवकाश से लौटने पर।<br />

3. जब उसको अपने नये पद पर िनयु के बारे म पया त सूचना न हुई हो, तो<br />

उप ख ड (1) म िनद ट अवकाश के अितर त अ य अवकाश से लौटने पर।<br />

4. सहायक िनयम 181 के अनुसार अवकाश वीकृ त करने वाला अिधकार यह<br />

िनणय लेगा क सूचना अपया त थी अथवा नहं।<br />

मूल िनयम 105<br />

* यद कसी सरकार कमचार को अपने मु यालय के अितर त कसी अ य थान पर<br />

अपने कायभार को छोडने के िलए अिधकृ त कया जाय तो जतने कायभार हण काल<br />

का वह अिधकार होगा उस थान से िगना जायेगा जहॉं उसने अपना कायभार वा तव म<br />

छोडा हो।<br />

मूल िनयम 105 म स बधत लेखा-परा अनुदेश<br />

* सरकार सेवक को िशण के थान तक जाने तथा वापसी के िलए याा हेतु अपेत<br />

उिचत समय दया जायेगा।<br />

मूल िनयम 105 से स बधत लेखा-परा अनुदेश


266<br />

* के य सरकार या कसी अ य रा य सरकार का सरकार कमचार जो अपने पुराने पद<br />

पर डयूट म रहते हुए उ तरांचल शासन के अधीन कसी पद पर िनयु त होता ह, पर तु<br />

जो के य या दूसर रा य सरकार के अ तगत याग-प या कसी अ य कारण से<br />

अपनी सेवा क समाि के प चात ् अपने नये पद का कायभार हण करता ह, तो उसको<br />

कोई कायभार हण काल अथवा उस काल का वेतन नहं दया जाना चाहये जब तक<br />

क कसी कमचार वशेष क िनयु अिधक व तृत जनहत म न हो।<br />

मूल िनयम 105 के अ तगत रा यपाल के आदेश<br />

* कायभार हण काल ऐसे िनयम ारा विनयिमत कया जायेगा जो शासन वा तवक<br />

गमन के िलए तथा गृह थी को यवथत करने के िलए अपेत समय को यान म<br />

रखते हुए िनधारत कर द।<br />

मूल िनयम 106<br />

* कायभार हण काल म उसको वह वेतन िमलेगा जो वह थाना तरक न होने पर पाता<br />

या वह वेतन जो वह नये पद का कायभार हण करने पर पायेगा, इसम से जो भी कम<br />

हो।<br />

मूल िनयम 107<br />

* कोई सरकार कमचार जो कायभार हणकाल के भीतर अपने पद पर कायभार हण<br />

नहं करता, वह कायभार हणकाल क समाि पर कसी वेतन या अवकाश वेतन पाने<br />

का अिधकार नहं रह जाता। कायभार हणकाल क समाि के प चात डयूट से जान-<br />

बूझकर अनुपथित को िनयम 15 के िलए दु यहार समझना चाहये।<br />

* कसी य को जो सरकार सेवा के अितर त कसी अ य सेवा म हो या जो ऐसी सेवा<br />

म होते हुये अवकाश पर हो यद शासन के हत म शासन के अ तगत कसी पद पर<br />

िनयु कया जाय, तो उसे शासन के ववेक पर, उस अविध के िलये कायभार हण<br />

काल पर माना जा सकता ह जसम वह शासन के अ तगत पद का कायभार हण करने<br />

के िलये तैयार करे तथा याा कर या जब वह शासन के अ तगत पद से यावितत<br />

होकर अपनी मूल सेवा या िनजी सेवा म आने के िलये तैयार तथा याा कर।<br />

मूल िनयम 108 (क)<br />

* अजत अवकाश से लौटने क दशा म संगत थान<br />

120 दन से अनिधक अविध के अजत अवकाश काल म नये पद पर िनयु क दशा<br />

म कायभार हण काल का हसाब सरकार सेवक के पुराने पद के थान से अथवा<br />

िनयु आदेश ा त होने के थान से कया जाना चाहए तथा इनम से जो समय कम<br />

हो।<br />

* यद िनयु आदेश अवकाश म थान से पहले ा त हो चुका हो तो कायभार हण<br />

काल का हसाब सरकार सेवक के पुराने पद के थान अथवा उस थान से जहां से वह<br />

नये पद का कायभार हण करने के िलए वा तव म थान कर इनम से जो भी समय<br />

कम हो, वहां से दान कया जाना चाहए।


267<br />

* ऐसे सरकार सेवक जनके ारा थाना तरण क दशा म नये पद का कायभार हण<br />

करने के िलए अनुम य तैयार के िलए छ: दन के कायभार हण काल का उपयोग यद<br />

नहं कया जाता ह तो उ ह ऐसे अवशेष कायभार हण काल को वशेष आकमक<br />

अवकाश के प म स ्थाना तरण के छ:माह के भीतर उपभोग करने क अनुमित दान<br />

कर द जायेगी। शासनादेश सं या जी-1-1156/दस-204/81, दनांक 71 िसत बर, 1988<br />

तथा जी-1-1038/दस-204/81, दनांक 04 िसत बर, 1989<br />

* कायभार हण काल क अवध<br />

(क) िनवास थान आव यक प से न बदलने क दशा म-<br />

एक दन से अिधक का समय कायभार हण काल के प म अनुम य नहं ह।<br />

(ख) िनवास थान का परवतन आव यक होने क दशा म 30 दन क अिधकतम<br />

सीमा के अधीन कायभार हण काल िन न कार से देय ह।<br />

1. छ: दन तैयार के िलए<br />

2. बाक वा तवक याा के िलए<br />

याा का साधन<br />

रेलगाड ारा<br />

समु टमर ारा<br />

नद टमर ारा<br />

मोटर कार या बस ारा<br />

कसी अ य कार से<br />

अनुम य काल<br />

येक 500 कमी0 के िलए एक दन<br />

येक 350 कमी0 के िलए एक दन<br />

येक 150 कमी0 के िलए एक दन<br />

येक 150 कमी0 के िलए एक दन<br />

येक 25 कमी0 के िलए एक दन<br />

याा के आर भ म अथवा सडक ारा रेलवे/बस टेशन तक अथवा रेलवे/बस टेशन से<br />

िनवास तक क गयी 08 कमी0 तक क याा को कायभार हण काल के िलए नहं<br />

िगना जाता ह। रववार को एक दन िगना जाता ह।<br />

सहायक िनयम 174<br />

* याा माग<br />

सरकार कमचार वा तव म चाहे जस रा त से याा करे उसका कायभार हण समय<br />

उसी रा त से लगाया जायेगा जसे याी साधारणतया योग म लाते ह, जब तक क<br />

थाना तरण करने हेतु सम ािधकार ारा वशेष कारण का उ लेख करते हुए<br />

अ यथा आदेश न दे दये गये ह।<br />

सहायक िनयम 176<br />

* यद सरकार कमचार को अपने मु यालय के अितर त अ य थान म अपने पद का<br />

कायभार सौपने के िलये अिधकृ त कया जाता ह तो उसके कायभार हण काल का<br />

हसाब उस थान से लगाया जायेगा जस थान म वह कायभार सप द।<br />

सहायक िनयम 177


268<br />

कायभार हण काल के दौरान िनयु म परवतन होने क दशा म कायभार<br />

हण काल<br />

* जब कोई सरकार सेवक एक पद का कायभार सपकर दूसरे पर का कायभार हण करने<br />

के िलए जाते समय कसी अ य नये पद पर िनयु त कर दया जाता ह तो उस नये पद<br />

का कायभार संभालने के िलए उसके कायभार हण का ार भ िनयु आदेश ा त होने<br />

क ितिथ के अगले दन से होता ह।<br />

* िनयु म इस कार परवतन होने पर अनुम य होने वाले कायभार हण काल म<br />

तैयार के िलए िमलने वाला छ: दन दुबारा शािमल नहं कया जायेगा।<br />

सहायक िनयम 178<br />

* यद सरकार कमचार एक पद से दूसरे का कायभार हण करने हेतु जाते समय<br />

अवकाश लेता ह तो उसके पुराने पद के कायभार सौपंने के प चात जो समय यतीत हो<br />

गया हो, उसे अवकाश म समिलत कर िलया जाना चाहए जब तक क िलया गया<br />

अवकाश िचक सा माण प अवकाश न हो।<br />

िचक सा माण प पर अवकाश क दशा म इस कार यतीत हुए समय को कायभार<br />

हण काल अथवा उसका भाग माना जाना चाहए।<br />

सहायक िनयम 179<br />

* छु टटय का कायभार हण काल के साथ संयु तीकरण<br />

कायभार हण काल समा त होने के तुर त प चात पडने वाली छु टटय अथवा रववार<br />

को कायभार हण काल के साथ संयु त करने क अनुमित थाना तरण करने हेतु<br />

सम ािधकार ारा दान क जा सकती ह।<br />

सहायक िनयम 38<br />

* कायभार हण काल के भीतर कायभार हण न करने पर वेतन पाने का अिधकार नहं<br />

कोई सरकार कमचार जो कायभार हण काल के भीतर अपने पद पर कायभार<br />

हण नहं करता, वह कायभार हण काल क समाि पर कसी भी वेतन या अवकाश<br />

वेतन पाने का अिधकार नहं रह जाता ।<br />

कायभार हण काल क समाि के प चात ् डयूट से जानबूझकर अनुपथित को मूल<br />

िनयम 15 के योजनाथ दु यवहार समझा जाना चाहए।<br />

* वशेष परथितय म वभागा य 30 दन तक का कायभार हण काल वीकृ त कर<br />

सकता ह<br />

1. अनुम य समय से अिधक समय याा म वा तव म यतीत कया हो<br />

2. टमर छू ट गया हो।<br />

3. याा म बीमार पड गया हो।<br />

सहायक िनयम 184<br />

* तीस दन से अिधक कायभार हण काल के िलए शासन क वीकृ ित आव यक ह।<br />

सहायक िनयम 183


269<br />

* यद सम अिधकार चाहे तो जनहत म कायभार हण काल को कम कर सकता ह।<br />

पैरा 1032 (2) शासकय िनयम संह<br />

* वेतन जो थाना तरण न होने पर वह पाता अथवा वह वेतन जो नये पद का कायभार<br />

हण करने पर उसको ा त होगा, इन दोन म कम हो।<br />

सहायक िनयम 107 (ख)<br />

* अवकाश से लौटने पर नये पद का कायभार हण करने पर अनुम य होने वाला कायभार<br />

हण काल का वेतन<br />

1. जब वह अ य अवकाश के म म िलए गये चौदह दन से अनिधक असाधारण अवकाश<br />

के अितर त िलये गये असाधारण अवकाश से लौटा हो तो कसी भी भुगतान का<br />

अिधकार नहं होगा।<br />

2. यद वह कसी अ य कार के अवकाश से लौटा हो तो वह उस अवकाश वेतन का<br />

अिधकार होगा जो अवकाश वेतन के भुगतान के िलए िनधारत दर पर अवकाश म<br />

उसने अतम बार पाया हो।<br />

सहायक िनयम 107 (ख)<br />

* ए क िलपक वग कमचार थाना तरण होने पर कायभार हण-काल म कु छ भी पाने का<br />

अिधकार नहं होगा जब तक क उसका थाना तरण जनहत म न कया गया हो।<br />

सहायक िनयम 107 का अपवाद<br />

* अ य ितकर भ त का भुगतान<br />

1. कायभार हणकाल म कोई ितकर भ त तभी देय होता ह जबक वह पुराने व<br />

नये दोन पद पर सरकार सेवक को अनुम य होता ह।<br />

2. यद वह भ ता दोन पद पर समान दर पर भुगतान कया जाता ह तो कायभार<br />

हण काल के िलए उसका भुगतान उसी दर पर कया जायेगा।<br />

3. जहां इन दो पद पर स ब भ त क दर म िभ नता हो तो ितकर भ ते का<br />

भुगतान िन न दर पर कया जायेगा।


270<br />

कायालय संचालन एवं आहरण वतरण के काय<br />

दनांक 9-11-2000 को उ तर देश पुनगठन अिधिनयम 2000 के अधीन उ तरांचल<br />

रा य क थापना हुई तथा इस अिधिनयम क धारा 87 के अनुसार पूववत उ तर देश के<br />

अिधिनयम, िनयम, शासनादेश एवं अ य या तब तक लागू रहगे जब तक उ तरांचल रा य<br />

ारा इसम संशोधन न कर दे। पर तु येक रा य सरकार को कितपय काय वंय करने हेतु<br />

जैसे रा य हेतु अिधकृ त बैकस का चयन तथा गवनमट वजनेस ां य पर आहरण वतरण<br />

अिधकारय का व तीय यवहरण हेतु अिधकृ त कया जाना। अत: शासनादेश सं या मेमो-<br />

1/पी0एस0/व त वभाग/2000-2001 दनांक 9-11-2000 ारा रजव बक को रा य अिधकृ त<br />

बक घोषत कया गया तथा टेट बक आफ इडया को रा य के व तीय यवहरण के िलय<br />

नािमत कया गया। इसी कार शासनादेश सं या 0002/कै प/स0िन0/बजट/2000-2001<br />

दनांक 10-11-2000 ारा पूववत उ तर देश से उ तरांचल के भौगोिलक े म िनयु त<br />

आहरण वतरण अिधकारय को उ तरांचल हेतु आहरण वतरण के काय का दािय व दये जाने<br />

तथा पूव से थापत मानक, प, याओं तथा िनयम के अधीन काय करने हेतु अिधकृ त<br />

कया गया।<br />

सामा यत: येक कायालया य अपने कायालय का आहरण एवं संवतरण अिधकार<br />

भी होता ह। शासिनक वभाग को यह अिधकार ा त ह क वह कसी अ य राजपत<br />

अिधकार को भी जसे कायालया य घोषत न कया गया हो, आहरण एवं संवतरण अिधकार<br />

घोषत कर दे। कायालय के शासिनक िनयंण तथा अ य यव थाओं से स बधत दािय व<br />

के िनवहन म य तता क दशा म कायालया य को व तीय ह त पुतका ख ड-5 भाग 1 के<br />

तर 47 (जी) के नीचे अंकत ट पणी (1) ारा यह अिधकार ापत ह क वह अपने<br />

अधीन थ कसी राजपत अिधकार को अपनी ओर से बल, बाउचर पर ह तार करने हेतु<br />

अिधकृ त कर द। अपने अधीन थ कसी अिधकार को उपरो तानुसार आहरण एवं संवतरण<br />

स ब धी दािय व सपने के प चात ् कायालया य कायालय के व तीव ब ध एवं लेखा<br />

शासन स ब धी दािय व से मु त नहं हो जाता। कायालय से स बधत सम त राज व<br />

ाियॉं तथा यय आद स ब धी यवहार म कसी भी कार क अिनयिमतता/उदासीनता<br />

आद के िलए कायालया य थमत: उ तरदायी माना जाता है1 कायालया य का थाना तरण<br />

अथवा कसी अ य कारण से कायभार से मु त होने क दशा म यद कोई अ य अिधकार उसका<br />

कायभार हण करता ह तो वह कायभार हण करने के साथ ह उस कायालय का आहरण एवं<br />

संवतरण अिधकार भी बन जाता ह पर तु यद कोई अिधकार ऐसे अिधकार के थान पर<br />

िनयु त होता ह जो कायालया य ारा आहरण एवं संवतरण स ब धी काय करने के िलए<br />

ािधकृ त कया गया हो तो वह वत: आहरण एवं संवतरण अिधकार नहं बन जाता ह। ऐसे<br />

मामल म कायालया य ारा दुबारा स बध अिधकार के प म उपयु त िनयम के अधीन<br />

आहरण एवं संवतरण स ब धी उ तरदािय व का ितिनधायन कया जाना आव यक होगा।


271<br />

आहरण एवं संवतरण अिधकार के कत य तथा उ तर दािय व का िनधारण कोषागार<br />

िनयम और उसके अधीन बनाई गयी विभ न व तीय िनयमाविलय ारा कया गया ह1 आहरण<br />

एवं संवतरण अिधकार को उ त िनयमाविलय के साथ-साथ बजट मैनुअल, वभागीय मैनुअल,<br />

भव य िनिध िनयमावली, पशन िनयमावली आयकर अिधिनयम एवं िनयम, याा भ ता िनयम<br />

तथा अ य व तीय ह त पुतकाओं म दये गये िनयम का अनुपालन करना होता ह। उपयु त<br />

के साथ ह शासिनक वभाग, व त वभाग तथा वभागा य के तर से समय-समय पर दये<br />

गये िनदश का अनुपालन सुिनत करना भी आहरण एवं संवतरण अिधकार का उ तरदािय व<br />

होता ह। य प आहरण एवं संवतरण अिधकार पदनाम से ऐसा आभास होता ह क उ त<br />

अिधकार के कत य के वल शासकय धनरािश के आहरण एवं संवतरण तक सीिमत ह, पर तु<br />

वा तव म आहरण एवं संवतरण अिधकार कसी कायालय वशेष के सम त शासकय लेन-देन<br />

अथवा व तीय यवहार के स यक् संचालनाथ उ तरदायी होते ह। शासकय व तीय यवहार के<br />

कोण से आहरण एवं संवतरण अिधकारय का काय िन न कार आय एवं यय से<br />

स बधत होता ह:-<br />

शासकय व तीय यवहार<br />

आय<br />

यय<br />

(क) ाियॉ (क) आहरण<br />

(ख) ा त धन क सुरा (ख) आहरत धन क सुरा<br />

(ग) राजकय कोष म जमा करना (ग) स यक् यय<br />

(ध) लेखांकन (घ) लेखांकन<br />

(ड) उ चािधकारय को (रटंस) ववरणय (ड) उ चािधकारय को व तीय<br />

का ेषण<br />

ववरणय का<br />

उपयु त के आधार पर तथा व त वभाग के शासनादेश सं या: ए-1-1330/दस-4(1)-<br />

70, दनांक 17 मई 1979 म दये गये िनदशानुसार आहरण एवं संवतरण अिधकारय के मुख<br />

कत य एवं दािय व िन न कार ह:-<br />

1. सरकार धन क ाि वीकार करने, ा त धन क सुरत अिभरा करने तथा उसे<br />

बना आव यक वल ब कये कोषागार म सह लेखा-शीषक के अ तगत जमा करने क<br />

यव था कर।<br />

2. धन क ाि व उसको कोषागार म जमा करने स बधत येक लेन-देन को लेखाब<br />

कर।<br />

3. सरकार ारा देय भुगतान का कोषागार से विध त आहरण, आहरत धनरािश क<br />

सुरत अिभरा तथा येक मद का सह य को यथा, समय से भुगतान कर लेन-<br />

देन स बधत लेख को तैयार कर उनका उिचत रित से रख-रखाव व वांिछत<br />

ववरणय का ेषण यथा समय कर।


272<br />

4. कायालय म कायरत सभी सरकार सेवक से स बधत सेवा अिभलेख और भव य<br />

िनिध से स बधत लेख व पास बुक का रख-रखाव उिचत प से कर तथा सरकार<br />

सेवक के वेतन से कटौती का अिभलेख रख तथा उनक अिभरा सुिनत कर। उिचत<br />

कटौितय को करने व उनसे स बधत अनुसूिचय को विधवत तैयार कर उनको बल<br />

के साथ संल न करने का दािय व आहरण एवं संवतरण अिधकार का ह ह।<br />

5. नकद लेन-देन करने वाले कमचार व टोर के भार कमचार से कायभार हण करने<br />

के पूव िनयम ारा िनधारत जमानत क धनरािश जमा करवा ल तथा सुिनत कर<br />

क धन का गबन व सरकार व तुओं का दुपयोग न होने पाये। व तीय ह त पुतका<br />

ख ड-5 भाग-1 के िनयम 69 से 73 म द गयी यव था के अनुसार आहरण एवं<br />

संवतरण अिधकार का यह कत य है। क वह अपने कायालय से स बधत नकद एवं<br />

संवतरण अिधकार का यह कत य ह क वह अपने काया य से स बधत नकद एवं<br />

भ डार आद का काय करने वाले कमचार से उ त ह त पुतका म दये गये प<br />

सं या 2ए, 2बी, 2सी, 2ड, अथवा 2ई म से आव यक प पर िस योरट बा ड का<br />

िन पादन भी करा ल और िन पादत बा ड को सुरत रखवा द।<br />

6. विभ न िनयमावली के अ तगत िनधारत रज टर का रख-रखाव उिचत प से कर।<br />

आहरण एवं वतरण अिधकारय को विभ न व तीय अिनयमाविलय, बजट<br />

मनुअल, वभागीय मैनुअल तथा भव य िनिध िनयमावली पशन िनयमावली, आयकर<br />

अिधिनयम एवं िनयम म उलखत संगत िनयम के साथ-साथ व त वभाग ारा<br />

समय-समय पर दये गये िनदश का भली-भॉित अ ययन करके उनका पालन करना<br />

चाहए। व त वभाग के मह वपूण शासनादेश म से शासनादेश सं या : ए-1-<br />

1330/दस-4(1)-70, दनांक 17 मई, 1979 वशेष प से अवलोकनीय ह, जसम लेखा<br />

काय स ब धी कत य एवं दािय व के िन पादन म आहरण एवं संवतरण अिधकारय<br />

ारा यान देने यो य मु य बात का चेकं ग फामूला दया गया ह। साथ ह साथ समय-<br />

समय पर कये गये संशोधन को यान म रखना बहुत आवक य ह।<br />

सरकार धन क ाि:<br />

कायालया य का यह दािय व ह क वह सुिनत कर:-<br />

1. वभागीय आय व अ य सरकार धन जो भुगतानकताओं ारा कायालय म जमा कये<br />

जाते ह, को ा त करने के िलए कायालय म ‘काउ टर’ क यव था उिचत थान पर<br />

कर।<br />

2. धन ा त करने हेतु कसी कमचार क ज मेदार िनधारत कर द। जन कायालय म<br />

कै िशयर िनयु त ह वहॉ सरकार धन का लेन-देन उ हं को सुपुद कया जाना चाहए।<br />

3. धन जमा करने वाले य को धन जमा करने के उपरा त रसीद क यव था क जानी<br />

चाहए। सरकार धन क ाि के िलए द जाने वाली रसीद ेजर फाम 385 अथवा<br />

अ य िनधारत वभागीय प म देने क यव था िनयम के अ तगत िनधारत ह। य ह<br />

प कोषागार से ा त कये जा सकते ह। कायालया य को यह सुिनत करना


273<br />

आव यक ह क रसीद िनधारत प म ह द जा रह ह तथा अ य प सादे कागज<br />

म नहं द जा रह ह।<br />

4. रसीद को िलखने के िलए दो तरफा काबन पेपर योग कया जाना चाहए तथा अ य<br />

वांिछत अंकन के अितर त उसम ा त धनरािश को अंक म और श द म दोन म ह<br />

िलखा जाना चाहए। रसीद म कै िशयर वे कायालया य अथवा उनके ारा नािमत<br />

अिधकार के ह तार कये जाने चाहए।<br />

5. यह सुिनत कर िलया जाना चाहए क येक रसीद क धनरािश क व रोकड<br />

बह म आय प क ओर कर ली गयी ह।<br />

6. ा त आय को बना अनुिचत वल ब ् कये फाम 43-1 म चालान भर कर<br />

कोषागार/ टेट बक म िनधारत लेखा शीषक के अ तगत जमा कर दया जाना चाहए।<br />

7. जब वभागीय ाियां एक माह म 0 1,000/- से अिधक जमा क गई ह तो उनका<br />

स यापन कोषागार से भी करना चाहए जससे यह सुिनत हो जाये क धनरािश सह<br />

लेखा शीषक म और सरकार खजाने म जमा हो गई ह।<br />

वभागीय धन का भुगतान:-<br />

1. वभाग ारा कये जाने वाले भुगतान के स ब ध म आहरण एवं संवतरण अिधकार को<br />

िनयमानुसार िनधारत प पर बल बनाकर कोषागार म तुत कर धन का आहरण<br />

करके यथा समय व तुर त सह दावेदार को उसका भुगतान करके िनयमानुकू ल रसीद<br />

ा त कर लेना चाहए। आहरण तभी कया जाय जब उसके वा तवक भुगतान क<br />

आव यकता ह। शासनादेश सं या: ए-1-78/दस-92-10(1)-14-85, दनांक 20 जनवर,<br />

1992 ारा 1 अैल, 1992 से देश म पूव म चिलत 20 प के थान पर कोषागार<br />

से धन आहरत करने हेतु के वल 6 देयक प, िनधारत कये गये ह। यह प मश:<br />

वेतन देयक प, याा देयक प, आकमक देयक प, िनेप एवं ितपूित देयक<br />

प, सामा य देयक प एवं सेवानैवृितक लाभ देयक प के नाम से जाने जाते ह।<br />

उपयु त शासनादेश दनांक 20 जनवर, 1992 म उ त प के भरने के स ब ध म<br />

व तृत िनदश भी दये गये ह।<br />

2. कोषागार ारा पारत बल/चेक व तीय िनयम संह ख ड-5 भाग-एक के तर 47-ए<br />

म िनधारत रज टर पर चढा करके ह स बधत य क आहरत करने के िलए<br />

दये जाय और यद सुरा के कोण से कई य कै िशयर के साथ भेजे जाते ह तो<br />

उन सभी के ह तार इस रज टर पर होना चाहए।<br />

3. कोषागार/ टेट बक से कायालय तक आहरत धनरािश लाने के िलए अथवा कायालय से<br />

धन जमा करने के िलए जाते समय उसक अिभरा क यव था कर लेना भी आहरण<br />

एवं संवतरण अिधकार का दािय व ह। धन को लाने व िभजवाने का काय यथा स भव<br />

कै िशयर को ह सपा जाना चाहए। जन कायालय म कै िशयर िनयु त न हो वहॉं पर<br />

यह काय आहरण एवं संवतरण अिधकार को वंय अथवा व तीय िनयम संह ख ड<br />

पांच भाग-1 के परिश ट 17 म उलखत उ तरदायी सरकार सेवक ारा कराया जाना


274<br />

चाहए। ा त धनरािश जमा करने तथा आहरत धनरािश के भुगतान के पूव जब<br />

धनरािश कायालय मे रहती ह तो उसक सुरत अिभरा क जानी चाहए। उस अविध<br />

म सरकार धनरािश मजूबत कै शचे ट जसम अलग-अलग कार के दो ताले लगाने क<br />

यव था हो ब द करके रखना चाहए। दैिनक अवशेष क जांच आहरण एवं संवतरण<br />

अिधकार ारा व मािसक अवशेष का स यापन कायालया य ारा िनधारत या के<br />

अनुसार िनयिमत प से करना चाहए। कै शचे ट के चािभय के सेट म से एक ताले क<br />

कुं जी कै िशयर या सरकार धन का लेन-देन काय करने वाले कमचार के पास रहनी<br />

चाहए तथा दूसर चाभी आहरण एवं संवतरण अिधकार के पास रहना चाहए। चािभय<br />

का दूसरा सेट कोषागार म जमा कर देना चाहए।<br />

4. माह के अ त म अवशेष का भौितक स यापन करते समय यह भी सुिनत करना<br />

चाहए क आहरत धनरािश बहुत दन से अवतरत य पड ह और यद उस समय<br />

उसक आव यकता न हो तो शाट ाल करके उसे समायोजित कर लेना चाहए।<br />

5. कै शचे ट के ताल क दोहर कुं जय को सुरत थान पर रखा जाना चाहए।<br />

व0िन0सं0 ख ड पांच भाग-1 तर 28 के नीचे अंकत ट पणी (1) के अनुसार यद<br />

उपयु त समझा जाता हो, तो इन दोहर कुं जय को एक पैके ट म सील ब द करके<br />

कोषागार के दो ताल म सुरत अिभरा हेतु रखा जा सकता ह। ऐसा कये जाने पर<br />

कायालया य को येक वष के अैल माह म पैके ट वापस लेकर उसक जांच करनी<br />

आव यक होती ह जांच करने के प चात ् दोहर कुं जय को पैके ट म सील ब द कर<br />

पुन:सुरत अिभरा हेतु कोषागार म जमा कया जा सकता ह। दोहर कुं जय के<br />

स यापन कये जाने के त य क िनधारत पंजी म आव यक व कर ली जानी<br />

चाहए।<br />

6. शासकय धन के यय से स बधत सामा य िसा त का उ लेख उ तर देश बजट<br />

मैनुअल के पैरा 12 म कया गया ह। उ त िनयम के अनुसार:-<br />

(क) सरकार धन को यय करने म वैसी ह सतक ती बरतनी चाहए जैसी क एक<br />

साधारण मनु य वयं अपने धन को खच करने म बरतना ह। इसका ता पय<br />

िमत ययता व अप यय से ह। एक िमत ययी य आव यकता के अनुप तथा<br />

अपने साधन के अ तगत ह यय करता ह। यय करने म न तो वह कं जूसी<br />

बरतता ह और न फजूलखच।<br />

(ख) यय आवंटत धन क सीमा के अ तगत रहते हुए कया जाना चाहए।<br />

(ग) कसी मद म वीकृ ित से अिधक यय अिनवाय प से आव यक होने क<br />

स भावना होने पर यथा समय पूव अितर त आवंटन ा त करने क कायवाह<br />

क जानी चाहए।<br />

(घ) कोषागार से धन तभी आहरत कया जाना चाहए जब उसके तुर त भुगतान क<br />

आव यकता हो अथवा यय अदाय से कया गया हो। धन उतना ह आहरत<br />

कया जाना चाहए जसके तुर त यय क आव यकता हो।


275<br />

(ड) आहरण एवं संवतरण अिधकार को सदैव मरण रखना चाहए क आहरत<br />

धनरािश को यथा समय तुर त सह दावेदार को भुगतान कर उससे िनयमानुसार<br />

रसीद ा त करके उसे सुरत रखने तथा येक लेन-देन को िनयमानुसार<br />

लेखाब करना उसका दािय व होता ह।<br />

7. शासनादेश सं या ए-1-1429/दस-93-10(11)-93, दनांक 20.09.93 के अनुसार िनजी<br />

यय, सं थाओं तथा पाटज को पया 2,000 से अिधक के भुगतान नकद नहं कए<br />

जाने चाहए। इस आदेश के तहत मु यालय से बाहर के भुगतान के टेट बक ऑफ<br />

इडया से डमा ड ाट ऐट पार िमल जाते ह। पर तु थानीय भुगतान के स ब ध म<br />

बक सामा यत: डमा ड ाट या बक ाट न देकर बकस चेक जार कर देते ह और<br />

कमीशन चाज कर लेते ह। शासन ने बक ारा इस कार कमीशन चाज कये जाने को<br />

उिचत नहं पाया ह। अत: शासनादेश सं या ए-1-1450/दस-96-10(11)-93, दनांक<br />

23.07.1996 ारा यह अपेा क गयी ह क उपयु त कार के थानीय भुगतान के<br />

स ब ध म जहॉं बक ाट या डमा ड ाट नहं उपल ध होते ह वहॉं इस कार के<br />

भुगतान को एकाउ ट पेयी चेक के मा यम से कया जायेगा। शासन कसी भी दशा म<br />

राजकय भुगतान के िलए बकस चेक िलये जाने पर कमीशन का भुगतान हं करेगा।<br />

आहरण:- आहरण अिधकार ारा सरकार धन आहरत करने हेतु विभ न प म बल<br />

तैयार कये जाते ह। बल तैयार वषयक सामा य िनयम व तीय ह त पुतका ख ड पांच<br />

भाग-1 के तर 47 म दये गये ह, जो िन निलखत ह:-<br />

1. येक बल िनधारत प म तैयार कया जाना चाहए,<br />

2. बल को िनयमानुसार शुता से तैयार कया जाना चाहए,<br />

3. बल म अंक को िलखने म सदैव अंेजी अंक का योग कया जाना चाहए,<br />

4. बल म अंकत धनरािश म ‘’ओवरराइटंग’’ आपजनक ह। गलती होने पर व को<br />

आर-पार रेखा खींच कर काट देना चाहए तथा उसक सह व कर काट-पीट को पूण<br />

ह तार ारा तारख डालकर स यापत कर दया जाना चाहए।<br />

5. बल म वय को खुरचना (इरेजंग) ारा िलखना िनषेध ह। कोषागार ारा ऐसे बल<br />

वीकार नहं कये जाते ह।<br />

6. बल म शु देय धनरािश को अंको व श द म इस कार से िलखा जाना चाहए क<br />

उनके बीच म धनरािश को बढाने के िलए स भावना न छू टने पाय। इस कारण धोखाघड<br />

होने क थित म आहरण एवं संवतरण अिधकार ह यगत प से ज मदार होते<br />

ह।<br />

7. येक य/फम आद को देय सकल धनरािश को पूणाकत कया जाना चाहए। बल<br />

को िलखने म याह का योग कया जाना चाहए या उ ह टाइप कराना चाहए।<br />

8. बल को िलखने व उनम ह तार करने म बाल पाइ ट पेन का योग इस ितब ध के<br />

अधीन कया जाता ह क िलखावट साफ व पढने यो य हो। याह ह क अथवा फै लती<br />

न हो।


276<br />

9. बल म ह तार िनत थान पर ह करना चाहए। अनाव यक ह तार नहं कये<br />

जाने चाहए।<br />

आहरण व संवतरण अिधकारय ारा यान देने यो य कु छ अ य मह वपूण ब दु:-<br />

कोषागार से बी0एम0-9ए (Reconcilation Statement) ा त करके अथवा मािसक प से<br />

रोकड बह (कै श बुक/11 सी) म क गयी वय से उसका िमलान कोषागार अिभलेख से<br />

करके सुिनय कर िलया जाना चाहए क कोई फज/जाली भुगतान तो नहं हुआ ह।<br />

1. येक बल पर ह तारत करने से पूव वह रज टर 11 सी पर अव य अंकत होना<br />

चाहए।<br />

2. कम से कम माह म एक बार रज टर 11 सी क जांच इस आशय से कर ली जानी<br />

चाहए क सभी भुगतान हुए बल का कै श बुक म अंकन कर िलया गया ह।<br />

3. बल के ेजर रज टर म चढाकर भेजना चाहए तथा येक बल के कोषागार म<br />

ा त व पारत होने के उपरा त कायालय म उसक ाि सुिनत कर ली जानी<br />

चाहए।<br />

4. चेक का भुगतान ा त करने हेतु बक पर ड वाच देने के उपरा त उनको बक तुत<br />

रज टर म चढाकर बक से धन आहरण करने हेतु अिधकृ त कये गये कमचार से<br />

ह तार करवा िलये जाने चाहए।<br />

5. येक बल म लान अथवा नान- लान सहत व पूण लेखा शीषक कोड रबर मोहर ारा<br />

अथवा िलखकर अंकत कर दया जाना चाहए।<br />

6. येक लेन-देन क व ट यथा अवसर व आव यक प से रोकड बह म कर ली जानी<br />

चाहए।<br />

आकमक यय:-<br />

1. बल िनधारत प म बनाया जाना चाहए।<br />

2. व0िन0सं0 ख ड पांच भाग-1 के अ याय 8 म दये गये िनयम का पालन कया जाना<br />

चाहए। यय क वीकृ ित िनयमानुसार यय करने से पूव ा त कर ली जानी चाहए।<br />

यह देख लेना चाहए क वाउचर िनयमानुसार बने हुये ह।<br />

3. 0 1,000/- से अिधक के सब वाउचर को बल के साथ संल न कया जाना चाहए।<br />

आहरण अिधकारय का यह दािय व ह क वह सम त वाउचर को सुरत रख व<br />

ऑडट के समय तुत कराय।<br />

4. सम त वाउचर म भुगतान आदेश अंक व श द म िलखा जाना चाहए तथा उसे<br />

अिधकृ त अिधकार ारा ह तारत होना चाहए।<br />

5. बल म ह तार करते समय सुिनत कर िलया जाना चाहए क येक सब-वाउचर<br />

को इस कार िनर त कर द क पुन: आहरण न कया जा सके । यह सुिनत करने के<br />

िलए ‘’भुगतान कर िनर त कया’’ क मुहर लगाई जा सकती ह।<br />

6. बल को पंजी (आकमक यय पंजका) म दज करवाने के उपरा त आहरण अिधकार<br />

को बल व पंजी म क गई वय का िमलान कर लेना चाहए।


277<br />

7. आहरण अिधकार को यय करते समय िमत यियता व ‘’भुगतान क तुर त आव यकता<br />

होने पर ह आहरण’’ वषयक िसा त का कडाई से पालन करना चाहए।<br />

8. धनरािश का भुगतान सह य/सह दावेदार को करने के उपरा त उससे ा त क गयी<br />

रसीद को सुरत रखा जाना चाहए।<br />

याा भ त बल:-<br />

1. याा भ ता बल के बारे म यह देखा जाना चाहए क बल िनधारत प म तुत<br />

कया गया ह तथा उसम दावेदार ारा आव यक माण-प संल न करने के प चात ्<br />

ह तार व ितिथ का उ लेख कर दया गया ह।<br />

2. यह देखा जाना चाहए क दावेदार ारा बल समय के अ दर तुत कर दया गया ह।<br />

व0ह0पु0 ख ड पॉंच भाग-1 के िनयम (74 बी 5)-5 के अनुसार याा भ ता दावा देय<br />

होने के एक वष के अ दर दावेदार ारा तुत न कये जाने क दशा म उसका दावा<br />

समा त हो जाता ह और ऐसे बल को वीकार नहं कया जाना चाहए।<br />

3. याा भ ता बल को सम ािधकार ारा ितह तारत कया जाना आव यक ह।<br />

4. यद कोई याा भ ता अिम दया गया हो तो उसका समायोजन अव य सुिनय कर<br />

िलया जाना चाहए।<br />

5. याा भ ता बल को पारत करने तथा ितह तारत करने के िनयम का पालन कया<br />

जाना चाहए।<br />

भव य िनिध लेखे:-<br />

समूह ‘घ’ के कमचारय के स ब ध म ाडशीट, लेजर तथा पास बुक रखी जानी होती<br />

ह, तथा इन अिभदाताओं से स बधत लेखे कायालया य ारा ह रखे जाते ह।<br />

तृतीय एवं उससे उ च ेणी के सभी राजकय सेवक के िलए पास बुक का रख-रखाव<br />

भी आहरण संवतरण अिधकार ारा कराया जाता ह। कमचारय के लेजर तथा ाडशीट के रख-<br />

रखाव क या शासनादेश सं या सा-4-ए0जी0-57/दस-84-510-84, दनांक 26 दस बर,<br />

1984 म दये गये िनदश के अनुसार क जानी चाहए।<br />

सेवा अिभलेख के रख-रखाव वषयक िनयम व0िन0सं0 ख ड पॉंच भाग-1 के तर<br />

142 तक म तथा सहायक िनयम के अ याय 10 म दये गये ह।<br />

पंजयॉं:-<br />

1. रोकड बह: फाम-2 म रखी जानी होती ह। जन कायालय म दैिनक लेन-देन क सं या<br />

अिधक होती ह वहॉं रोकड बह फाम 2 ए म रखी जाती ह। कै श बुक को भरने से<br />

स बधत अनुदेश कै श बुक के मुख पृ ठ पर ह छेप रहते ह। उनका कडाई से पालन<br />

कया जाना चाहए एक कायालया म सम त लेन-देन हेतु तक ह कै श बुक रखी जानी<br />

चाहए।<br />

2. वेतन बल क पंजी उसी दशा म रखी जाती ह जब कायालय ित के प म वेतन<br />

बल क ितयॉ रखने क या सुवधाजनक न हो जसम अंकत येक बल के<br />

स मुख वाउच नव बर व ितिथ अंकत करनी होती ह।


278<br />

3. ए योटै स रोल: जन कायालय म वेतन पंजयॉं रखी जाती ह वहॉं व तीय िनमय संह<br />

ख ड पॉंच भाग-1 के तर 138 के अनुसार रख-रखाव कया जाता है।<br />

4. आकमक यय क पंजी: इनके रख-रखाव के स ब ध म उपरिलखत िनयम संह के<br />

तर 173 म िनयम दये गये है।<br />

5. याा भ ता बल क पंजी:यह व0िन0सं0 ख ड पॉंच भाग-1 के तर 119 म दये गये<br />

ाप म रखी जाती ह।<br />

6. 11-सी पंजका म अिध ठान के सम त बल का अंकन कया जाता ह इसके रख-रखाव<br />

वषयक िनयम उपरिलखत संह के तर 139 म दये गये है।<br />

7. बल को कोषागार म भेजने का रज टर: बल को खोने अथवा गलत य के हाथ न<br />

पडने के उददेशय से यह पंजी रखी जाती ह। इसम बल क ाि कोषागार कमचार<br />

ारा वीकार क जाती ह। बल वापस आने पर ा त करने वाले कायालय कमचार ारा<br />

ितिथ अंकत कर ह तार कये जाने होते ह। इस पंजका म स बधत कायालय के<br />

अिधकृ त कमचार क माणत फोटो लगी होनी चाहये।<br />

8. बल भुगतान रज टर: यह रज टर उपरो त संह के तर 47-ए म दये गये ाप<br />

म रखा जाता ह।<br />

9. आय- ययक िनयम संह के फाम बी0एम0-8 पर लान और नान- लान यय के िलए<br />

अलग-अलग पंजयां रखी जाती ह। इस पंजी के रख-रखाव से स बधत िनयम बजट<br />

मैनुअल के तर 112, 116 एवं 118 म दये गये ह। यद एक ह पंजी रखी गई हो तो<br />

उसमे लान और नान- लान यय के िलए अलग-अलग पृ ठ िनधारत कये जाने<br />

चाहए। मािसक यय ववरण िनकालने के प चात ् इसक एक ित आगामी माह क 5<br />

तारख तक बजट िनयंण अिधकार को भेज द जानी चाहए।<br />

10. टाक बुक: एम0जी0ओ0 के अ याय-72 के अनुसार डेड टाक व लाइव टाक और<br />

कं यूमेबल टोर के िलए अलग-अलग पंजयां रखी जानी होती ह। य क गई व तुओं<br />

के ा त होने पर पहले इ ह स बधत पंजी म अंकत कर िलया जाता ह। हर कार के<br />

िलए अलग-अलग पृ ठ आवंटत कर दये जाने चाहए और व तु वशेष क व उससे<br />

स बधत पृ ठ म क जानी चाहए। कायालया य ारा कं यूमेबल व तुओं का<br />

िनरण 6 माह म एक बार व डेड टाक व लाईव टाक से स बधत व तुओं का<br />

िनरण व भौितक स यापन वष म एक बार कया जाना चाहए।<br />

परिश ट –क<br />

आहरण एवं संवतरण अिधकार के िलए आव यक स दभ पु तक/िनयमाविलयॉं<br />

क- व तीय ह त पुतकाऍं:-<br />

1. व तीय ह त पुतका ख ड-।<br />

2. व तीय ह त पुतका ख ड-।।, भाग 2-4<br />

3. व तीय ह त पुतका ख ड -।।।<br />

4; व तीय ह त पुतका ख ड -5 भाग-1


279<br />

ख- मैनुअल:-<br />

1. उ तर देश बजट मैनुअल<br />

2. मैनुअल ऑफ गवनमट आडस<br />

3. िस योरटज मैनुअल<br />

4. वभागीय मैनुअल<br />

ग- िनयमाविलयॉं:-<br />

1. भव य िनिध िनयमावली<br />

2. पशन िनयमावली एवं सी0एस0आर0<br />

3. सेवा िनयम संवगवार<br />

4. आयकर िनयम/अिधिनयम<br />

5. कोषागार लेखा िनयमावली<br />

परिश ट –ख<br />

LIST OF REGISTERS TO BE MAINTAINED IN AN OFFICE<br />

1. At level of head of office<br />

1. Register of Registers,<br />

2. Attendance Register,<br />

3. Casual Leave Register,<br />

4. Register of dak received and despatched,<br />

5. Local Dak Bahi Register,<br />

6. Register of Files,<br />

7. Register for weeding records<br />

8. Store Index Register,<br />

9. Fil index Register,<br />

10. Estabishment order book.<br />

11. Dead Stock Register (separately for perishable- Consumable article and non<br />

perishable articles)<br />

12. Live Stock/Conumable articles Register,<br />

13. Stationery Register,<br />

14. Cycle Register,<br />

15. Register to type-writers/Duplicators/Computer ect. ,<br />

16. Telephone Register (separately for residence/office),<br />

17. Log book of Government Vehicles.<br />

18. Register of Civil Works.<br />

19. Register of Land and Building.<br />

20. Oath Register.<br />

21. Register of Disciplinary proceedings.<br />

22. Security Register.<br />

23. Register for recording particulars of Special Kinds of Leave.<br />

24. Register of returns.<br />

25. Register of Audit Objections.<br />

26. Register of Cheque books/receipt books received from the Treasury.<br />

27. Register of books received in library.<br />

28. Register of books issued in to parts 1 partment issue, part 11 temporary issue.


280<br />

2. At the level of Drawing and Disbursing officer<br />

29. Check Register of pay and allowance of class I officer where pay is draw<br />

30. Check register of pay and allowances of class II officers.<br />

31. Pay bill register,<br />

32. T.A. Check register for Gaetted officers.<br />

33. T.A. Check register for non Gazetted staff,<br />

34. Register of payees stamped receipts sent to accountant General.<br />

35. Register pf Comtomgemt chegess.<br />

36. Acquittance Roll for the disbursement of pay and T.A.<br />

37. Register of bills for presentation on the treasury.<br />

38. Register in form Ii (c)<br />

39. Cash book (para 27 A.F.H.B. Vol. V part I)<br />

40. Register in form B.M. 8 to have a control on expenditure.<br />

41. Register of monthly deduction of security installment-form N0. 2H.<br />

42. Register of Securities Form Nl 2G.<br />

43. Ledger in Form I<br />

44. Register of recoveries of loans & advances Form.<br />

G.P.F. A/C class IV<br />

45. Broad sheet in form H.<br />

46. Index Register.<br />

G.P.F. class III. II, and those class I officers whose pay is drawn of establishment bills<br />

47. Ledger (G4-1077×50377 dated 8-5-78)<br />

48. Pass Book,<br />

Group Insurance Scheme<br />

49. Register of monthly deductions.<br />

Pension Sanction and payment of interim pension & Gratuity<br />

50. Pension Control Register.<br />

51. Sanction drawal register of provisional pension and retirment f dealt- Gratuity.<br />

शासनादेश 244/xxxi (2)/ G/2005 दनांक 23 अैल 2005 म अिभलेख के रख-<br />

रखाव िन तारण क यव था क गयी ह। इस आदेश के अनुसार विभ न ेणी के अिभलेख के<br />

रखे जाने (weedoin) क अविध िन नानुसार ह, पर तु सूचना के अिधकार अिधिनयम 2005 के<br />

अनुसार यद कसी लोक ािधकार के पास अिभलेख उपल ध ह तक कसी भी नागारक ारा<br />

20 वष तक के पुराने अिभलेखा से सूचना मांगे जाने पर उपल ध कराना अिनवाय ह।


281<br />

शासनादेश सं या 244/ xxxi (2)-G/2005 दनांक 23 अैल 2005 ारा अिभलेख को<br />

अिभलेखन (रकाडग) करने वं उ ह न ट करने के स ब ध म िनधारत अविध का<br />

ववरण दया गया ह:-<br />

0 अिभलेख का नाम /वषय<br />

समय/अविध जब तक सुरत रखा वशेष ट पणी<br />

सं0<br />

जाये/न ट कया जाय<br />

1 2 3 4<br />

क. सामा य प यवहार स ब धी पाविलयां<br />

1. उपथित पंजी (ांतीय फाम नं.-161) एक वष<br />

2. आकमक अवकाश पंजी (एम.जी.ओ. समा त होने के एक वष बाद<br />

1981 सं करण पैरा 1086)<br />

3. आडट/महालेखाकार/वभागीय आ तरक आपय के अंितम समाधान के बाद<br />

लेखािधकार ारा क गयी आडट अगले आडट होने तक<br />

पाविलयां<br />

4. आय- ययक अनुमान क पाविलयां दस वष<br />

5. सरकार धन, भ डार का आहरण, कमी अंितम िनणय व वसूली, राइट आफ के<br />

िन यो य व तुओं के िन तारण आद प चात तीन वष<br />

संबंधी पाविलयां<br />

6. डेड टाक, य शील/उपभोग व तुओं एवं टाक बुक म व विभ नताओं के<br />

पु तकालय हेतु य क गई पुतक समाधान एवं त संबंधी आडट आपय<br />

आद के प यवहार संबंधी पाविलयां के समाधन के प चात एक वष<br />

7. िनरण ट पणी एवं उनके अनुपालन उठाये गये ब दुओं दये गये सुझाव के<br />

संबंधी प यवहार क पाविलयां काया वयन के बाद अगले िनरण तक<br />

8. अिधकार के माग के ताव एवं थायी प से<br />

अिधकार के ितिन धायन (डेलीगेशन<br />

आफ पावस) के आदेश से संबंिधत<br />

पाविलयां<br />

9. प के मुण संबंधी पाविलयां आडट आपय के अतम िन तारण के<br />

प चात एक वष<br />

10. लेखन सामिय/प के मांग-प तीन वष तक<br />

(इ डे ट) ( टेशनर मैनुअल का पैरा 37<br />

तथा 39) मश: ा तीय प 173 तथा<br />

174<br />

11. दौरा के कायम तथा टूअर डायर, यद एक वष बाद या गोपनीय चरावली म<br />

कोई िनधारत हो<br />

वयां पूण होने के बाद, जो भी पहले<br />

हो, क तु यद कोई ितकू ल वय से


282<br />

संबंध हो तो उसे यावेदन के अतम<br />

िन तारण के एक वष बाद<br />

12. वभागीय वाषक ितवेदन रपोट वषबार एक ित थायी प से सुरत<br />

रखी जायेगी। शेष ितयां पांच वष तक<br />

13. वाषक ितवेदन के संकलन हेतु ितवेदन छपने/कािशत हो जाने के एक<br />

एकत/ा त सामियां तथा उनक वष<br />

पावली<br />

14. स मेलन/गोय/मीटंग का कायवृ त एक ित थायी प से रखी शेष तीन<br />

वष तक<br />

15. वधान सभा/लोक सभा व रा य सभी के पांच वष, क तु आ वासन सिमितय को<br />

न क पाविलयां<br />

दये आ वासन क पूित के पांच वष बाद<br />

16. िनयमाविलय, िनयम, विनयम, थायी प से<br />

अिधिनयम, या पित तथा उनक<br />

या या तथा िनयम मं संशोधन संबंधी<br />

पाविलयां<br />

17. काय के मानक/ टै डड/नाम िनधारण थायी प से<br />

संबंधी शासकय एवं वभागीय आदेश<br />

18. वीडंग शेडयूल/अिभलेख िनयंण पुनसंशोधन/रवीजन/परवतन क एक<br />

िनयम/सूची<br />

ित थायी प से तथा शेष तीन वष<br />

तक<br />

19. शासनादेश/वभागीय आदेश क गाड थायी प से<br />

फाईल<br />

20. ा त एवं ेषण पंजी (ा तीय फाम नं. प चीस वष तक<br />

19)<br />

21. पावली पंजी/फाइल रज टर/इ डे स रज टर म दज अ थाई यप से सुरत<br />

रज टर (ा तीय प 20, 21, 26 पाविलय को न ट कर दये जाने तथा<br />

आद<br />

थायी प से सुरत रखे जाने वाली<br />

पाविलय के रज टर पर उतार<br />

22. थायी पाविलय का रज टर दये जाने के बाद थायी प से<br />

23. पीयून बुक (ा तीय फाम नं. 51) समा त होने के एक वष बाद तक<br />

24. चलान बह (इ वाइस) (ा तीय समा त होने के दो वष बाद तक<br />

25. आविधक/सामिय क ववरण प का समा त होने के दो वष बाद तक<br />

रज टर सूची (िल ट आफ पीरयाडकल<br />

रपटस ए ड रटन स)<br />

26. सरकार डाक टकट पंजी (ा तीय फाम समा त होने के तीन वष बाद तक अथवा


283<br />

्<br />

नं. 52)<br />

उसम अंकत अविध क आडट आपय<br />

के समाधान के प चात एक वष<br />

27. िशकायती प क पंजी (एम.जी.ओ. वष<br />

1981 सं करण का पैरा 772 (7)<br />

दज प के अतम िन तरण हो जाने या<br />

पर अवशेष को दूसरे रज टर म उतार<br />

लेने के बाद<br />

28. सरकार गजट डवीजनल किम नर एवं जला जज के<br />

कायालय को छोडकर जहां गजट थायी<br />

प से रखा जाता ह, शेष कायालय म<br />

बीस वष तक<br />

29. सरकार वाहन क लाग-बुक तथा रिनंग वाहन के िन यो य घोषत होकर नीलाम<br />

रज टर<br />

ारा िन तारण के बाद तथा आडट हो<br />

जाने के प चात एक वष बाद, तक यद<br />

कोई आडट या िनरण क आप<br />

िन तरण हेतु शेष न हो<br />

30. समा त पंजय क पंजी (रज टर ऑफ कसी एक ख ड म दज सभी पंजय को<br />

क लीड रज टर)<br />

न ट कर देने के बाद या कु छ अवशेष<br />

पंजय को दूसरे रज टर म उतार िलये<br />

जाने के तीन वष बाद<br />

31. अिन तारत प क सूची/रज टर रज टर समा त होने पर अवशेष<br />

(िल ट ऑफ पडंग रफरे सेज)<br />

अिन तारत प को दूसरे रज टर म<br />

उतार िलये जाने के तीन वष बाद<br />

32. गाड फाइ स<br />

ख थापना/अिध ठान स ब धी पाविलय थायी प से<br />

एवं रज टर<br />

1. कमचारय/अिधकारय क िनजी पशन क अतम वीकृ ित के प चात<br />

पा विलय (पसनल पाविलयां)<br />

पांच वष तक<br />

िन जी<br />

पाविलया<br />

य के थाना<br />

तरण के साथ उसी<br />

कार एक कायालय<br />

से दूसरे कायालय म<br />

थानातरत क<br />

जानी चाहए, जैसे<br />

सेवा पुतकाय तथा<br />

गोपनीय आ याय<br />

आद थाना तरत<br />

क जाती ह


284<br />

2. अ थायी/ थानाप न िनयुय हेतु मांगे पांच वष (चुने गये/ िनयु त कये गये<br />

गये ाथनाप/ा त आवेदन-प क यय के ाथना प को छोडकर जो<br />

पाविलयां<br />

थायी प से वैयक पावली म रखे<br />

जायगे)<br />

3. वाहन, साइकल, गृह िनमाण, सामा य अिम क रािश याज सहत, यद कोई<br />

भव य िनवाह िनिध आद या इसी कार हो, तो उसके भुगतान के प चात एक<br />

के अ य अिम से स बधत पाविलयां वष।<br />

4. इनवैिलड पशन वीकृ ित के मामल क प चीस वष<br />

पाविलयां<br />

5. कमचारय/अिधकारय क ितिनयु पशन, े युट, आद क वीकृ ित के पांच<br />

(डपुटेशन पर िनयु स ब धी वष बाद।<br />

पाविलयां)<br />

6. ेडेशन सूची थायी प से<br />

7. सेवा पुतकाय/सेवा िनयमाविलयॉं व तीय िनयम-संह, ख ड दो, भाग 2<br />

से 4 के सहायक िनयम 136-ए के<br />

अनुसार<br />

8. शपथ/िन ठा पंजी (रज टर आफ ओथ नवीर रज टर म वयं नकल करके<br />

आफ एिलजये स) राजाा सं या- 3105, उ ह स यापत करा िलये जाने के बाद<br />

दो-बी-163’52, दनांक 23-1-54 तथा<br />

सं या-1241/दो-बी-163/64, दनांक 15-<br />

5-64<br />

9. थापना आदेश पंजी (इ टेलशमे ट थायी प से<br />

आडर बुक) राजा सं या-ए-<br />

1792/दस-तीन-1929, दनांक 11-4-30<br />

10. थापना का वाषक सं या मक ववरण थायी प से<br />

(राजाा सं या ए-5641/दस-15/7/62,<br />

दनांक 24-2-65<br />

11. गोपनीय चर पंजकाय/गोपनीय सेवा िनवृ / पद याग या समाि के<br />

आ याय<br />

तीन वष बाद<br />

12. सरकार कमचारय/अिधकारय के सरकार कमचारय के पद छोडने के दस<br />

जमानती बा ड (व तीय िनयम-संह वष बाद<br />

ख ड पांच, भाग-एक का पैरा 69-73)<br />

13. जंजी जमानत (व तीय िनयम-संह, पैरा 73 व तीय िनयम संह, ख ड पांच<br />

ख ड पांच, भाग-एक का पैरा 69-73) भाग एक 1 पद छोडने के 6 माह बाद या<br />

नये रज टर म वयां नकल कर लेने


285<br />

के बाद<br />

14. पशन, े युट, पारवारक पशन आद क सेवा िनवृ पर वीकृ ित व भुगतान के<br />

पावली<br />

प चात दस वष।<br />

15. पारिमक/पारतोषक वीकृ ित स ब धी भुगतान आडट आप के अिनतम<br />

पाविलयां<br />

िन तारण तथा गोपनीय चर पंजी म<br />

व के एक वष बाद<br />

16. राजकय कमचारय के पूव-चर का सेवािनवृ के पांच वष बाद तक<br />

स यापन (वेरफके शन आफ कै रे टर ए ड<br />

ऐ टसीडे स)<br />

17. विभ न पद के सृजन स ब धी प पद का सृजन वीकृ त होने पर थायी<br />

यवहार क पावली<br />

प से अ यथा तीन वष<br />

18. नयी मांग क अनुसूची संबंधी पावली सूची क एक ित थायी प से रखी<br />

जायेगी। शेष पावली वीकृ ित/अ वीकृ ित<br />

के तीन वष बाद तक<br />

19. वाषक वेतन वृ िनयंण पंजी रज टर समा त होने के पांच वष बाद।<br />

यद कसी रोक गयी वेतन वृ का<br />

मामला अिन तारत न हो या कोई आडट<br />

अप का िन तारण अवशेष न हो।<br />

20. पशन क ोल रज टर (राजाा सं0-जी) रज टर म दज सभी मामल का अितंम<br />

2-3994/दस-927-1958 दनांक 10-2-<br />

1964 म िनधारत<br />

िन तारण हो जाने व रज टर समा त हो<br />

जाने के पांच वष बाद<br />

21. अनुशासिनक कायवाह रज टर (राजाा सभी दज मामल का अंितम िन तारण हो<br />

सं या 1284/दो-बी-99/60, दनांक 11-<br />

4-1961 म िनधारत)<br />

जाने व रज टर समा त हो जाने के पांच<br />

वष तक<br />

22. यावेदन/अपील िनयंण पंजी (राजाा सभी दज यावेदन/अपील के अंितम<br />

सं-7-2-1975-िनयु (3) दनांक 4-7- िन तारण के पांच वष बाद<br />

1973 म िनधारत)<br />

23. भव य िनवाह िनिध के रज टर सभी दज कमचारय के सेवा िनवृ के<br />

पांच वष बाद, यद कोई भुगतान के<br />

मामले अवशेष न रह गये ह।<br />

(1) लेजर<br />

(2) ाडशीट तदैव<br />

(3) इ डे स तदैव<br />

(4) पासबुक तदैव (सेवािनवृ के बाद संबंिधत कम<br />

चार को उसक ाथना पद दे द जाय)


286<br />

24. सेवाओं म आरण थायी प से<br />

(1) विभ न संवग के रो टस<br />

ग बजट एवं लेखा संबंधी<br />

पाविलयां/रज टर<br />

1. याा भ ता करण आडट हो जाने के एक वष बाद<br />

2. ट0ए0 बल तथा ट0ए0 चैक रज टर आडट हो जाने के तीन वष बाद<br />

(व तीय िनयम-संह ख ड पांच भाग<br />

एक का पैरा 119)<br />

3. बजट ावधान के सम यय क रािशय महालेखाकार से अतम स यापन व<br />

क पावली<br />

समायोजन हो जाने के एक वष बाद<br />

4. ासंिनक यय पंजी (कं टजैट रज टर) आडट के पांच वष बाद यद कोई आडट<br />

(व तीय िनयम-संह ख ड भाग एक का आ प का िन तारण अवशेष न हो<br />

पैरा 173)<br />

5. वेतन बल पंजी तथा भुगतान पंजी पैतीस वष 1 व तीय िनयम संह, ख ड<br />

(ए वीटे स रोल) (व तीय िनयम संह, पांच भाग एक का पैरा 85, परिश ट 16<br />

ख ड पांच, भाग एक का पैरा 138, फाम, के अनुसार<br />

11 बी)<br />

6. बल रज टर 11 सी व तीय िनयम आडट हो जाने के तीन वष बाद<br />

संह ख ड पांच भाग एक<br />

7. कै श बुक आडट हो जाने के बारह वष बाद यद<br />

कोई आडट आप िन तारण हेतु अवशेष<br />

न हो<br />

8. ेजर बल रर टर (राजाा सं या<br />

2158/सोलह (71)/68, ड.ट. दनांक 7-<br />

5-1970 ारा िनधारत)<br />

पूण होने तथा आडट हो जाने के तीन<br />

वष बाद यद कोई आडटर आप शेष न<br />

हो<br />

9. रेलवे रसीद रजसटर (आर0आर0रज टर) पूण होने तथा आडट हो जाने के तीन<br />

वष बाद यद कोई आडट आप शेष न<br />

हो।<br />

10. टेलीफोन ंककाल रज टर पूण होने तथा आडट आप न होने तथा<br />

कोई बल भुगतान हेतु शेश न होने क<br />

दशा म एक वष यय के महालेखाकार के<br />

स यापन तथा अतम समायोजन के<br />

प चात दो वष<br />

11. मािसक यय पंजी/पावली<br />

12. बल इनके शमे ट पंजी व तीय िनयम समा त होने के तीन वष बाद यद कोई


287<br />

संह ख ड पांच भाग एक का पैरा 47 ए आडट आप िन तारण हेतु अवशेष न<br />

हो और कसी धनरािश के अपहरण, चोर,<br />

डकै ती आद क धटना घट हो<br />

13. पी0एस0आर0 (पेइज टै पड रसीट महालेखाकार के आडट क आपय के<br />

रज टर) राजाा सं या ए-1-150/दस िन तारण हो जाने के पांच वष बाद<br />

10(2)/60, दनांक 28-4-1960 तथा ए-<br />

1-2878/दस-15(5)-78, दनांक 10-1-79<br />

14. ट0ए0 क ोल रज टर समाप ्त होने पर तीन वष बाद, यद<br />

िनधारत एलाटमट से अिधक यय कये<br />

जाने का मामला वभागा य/शासन के<br />

वचाराधीन न हो<br />

15. रसीद बुक, ईशू रज टर (ेजर फाम नं. दस वष यद कसी रसीद बुक के खोज<br />

385 व तीय िनयम संह, ख ड पांच जाने या धन के गबन के मामले<br />

भाग एक का पैरा 26)<br />

अिन तारत न ह तथा महालेखाकार का<br />

आडट हो चुका<br />

16. परमाने ट एडवा स रज टर (व तीय थायी प से<br />

िनयम संह, ख ड पांच भाग एक का<br />

पैरा 67 (5)<br />

17. वै युएबल रज टर (व तीय िनयम थायी प से<br />

संह, ख ड पांच, भाग एक का पैरा 38)<br />

18. डु लीके ट क (Key) रज टर व तीय थायी प से<br />

िनयम संह, ख ड पांच, भाग एक का<br />

पैरा 28 नोट (1)<br />

19. आवासीय भवन क कराया पंजी फाम रज टर समाप ्त होने पर तीन वष यद<br />

27 व तीय िनयम संह, ख ड पांच, कोई अवशेष कराये क वसूली का करण<br />

भाग एक का पैरा 265<br />

या आडट आपय का िन तारण अवशेष<br />

न हो।


288<br />

ेषक,<br />

इ दु कु मार पा डेय<br />

सिचव व त,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सं या 235/21/व0अनु0-1/2001<br />

सेवा म,<br />

िनदेशक<br />

कोषागार एवं व त सेवाय<br />

उ तरांचल देहरादून।<br />

व त अनुभाग-1<br />

देहरादून, दनांक 06 दस बर, 2001<br />

वषय:- सरकार कमचारय को समय से वेतन भुगतान तथा भावी लेखा णाली हेतु<br />

कोषागार म ‘’एककृ त भुगतान एवं लेखा णली’’ लागू कया जाना।<br />

महोदय,<br />

उ तरांचल रा य क भौिगलक थित, समय से भुगतान सुिनय करने, सरकार सेवक<br />

के वेतन एवं त स ब धी भ ते पर होने वाले यय का सह आगणन, देयक पारण स ब धी<br />

काय म समय एवं धन क बचत तथा सूचना ौोिगक का उ पादकता के िसा त पर योग<br />

के म म रा यपाल महोदय, सरकार कमचारय के वेतन स ब धी भुगतान हेतु रा य के<br />

सम त कोषागार तथा यथाव यक िचहत उपकोषागार को ‘एककृ त भुगतान एवं लेखा<br />

कायालय’’ के प म काय करने तथा कोषािधकार/उपकोषािधकार/ सहायक कोषािधकार को<br />

ऐसे करण म आहरण वतरण अिधकार के प म काय करने पर सहष सहमित दान कते ह।<br />

2- रा य के व तीय/कोषागार शासन हेतु िनधारत या पूववत होगी मा सरकार<br />

कमचारय के िनयिमत वेतन तथा त स ब धी भ ते हेतु शासन ारा कोषागार को<br />

आहरण वतरण हेतु अिधकृ त कया जाता ह।<br />

3- सरकार कमचारय के वेतन हेतु एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली 1 जनवर, 2002 से<br />

देहरादून कोषागार म तथा 1 अैल, 2002 से सम त कोषागार एवं िचहत उपकोषागार<br />

म लागू कया जाय।<br />

4- महालेखाकार को पूव से िनधारत प पर सम त वाउचर तथा आव यक संल नक<br />

सहत िनधारत ितिथ पर कोषागार ारा लेखा संबंिधत ववरण भेजा जाय तथा<br />

महालेखाकार पूव क भॉित समय से संकिलत कर रा य सरकार को उपल ध कराया<br />

जाय।


289<br />

5- अिध ठान संबंधी काय जैसे:- सेवा पुतका का रख-रखाव, अिम आहरण आदेश, बजट<br />

तैयार करना, बजट संबंधी सूचना णाली/कले डर का अतम वेतन माण प जार<br />

करना, वेतन-िनधारण/रोकना उपथित, िनल बन, थाना तरण, अतम वेतन माण<br />

प जार करना, सेवा मु, कटौितय/वसूिलय के क त म परवतन, भव य िनिध के<br />

पास बुक तस ब धी अ य अिभलेख, आद पर आव यक कायवाह पूव क भॉित<br />

कायालया य ारा कया जाय।<br />

6- वेतन तथा तस ब धी भ त के मानक मद को छोडकर शेष करण म शासन ारा<br />

अिधकृ त ड0ड0ओ0 कोड पर आहरण वतरण अिधकार ारा पूव या के अधीन<br />

िनयमानुसार आहरण वतरण कया जाय।<br />

7- वेतन स ब धी मानक मद हेतु लागू भुगतान एवं लेखा णाली के अधीन म<br />

िन निलखत या अपनायी जाय:-<br />

(क) वतमान म कायरत आहरण वतरण अिधकार अपने से स ब सभी<br />

कायालया य के अिध ठान को कायमवार (13 डजट कोड के अनुसार<br />

अथात 4 डजट मेजर हेड, 2 डजट सब मेजर हेड 3 डजट माइनर हेड, 2<br />

डजट सब हेड तथा 2 डजट डटेल हेड के एक कार के समूह को एक<br />

कायम मानकर) व तृत कमचारय के स ब ध म सूचना संल न (प-1) पर<br />

कोषागार को उपल ध कराया जाय।<br />

(ख) कोषागार म ा त प-1 के आधार पर रा य सूचना वान के ारा तैयार<br />

कये गये मानक साटवेयर पर वतमान ड0ड0ओ0 कोड के अधीन<br />

कायालया य वेतन संबंधी वतरण (पे रोल) का एक ‘’डाटाबेस’’ तैयार कया<br />

जाय। इस कार के ववरण का शतितशत िमलान कर वतमान आहरण वतरण<br />

अिधकार के मा यम से कायालया य ारा कोषागार के क यूटर म उपल ध<br />

ववरण से छापे गये प-1 पर पुन: कायालया य आहरण वतरण अिधकार<br />

से पु कराया जाय जससे शतितशत शुता सुिनता कया जा सके ।<br />

(ग) देहरादून कोषागार मे 1 जनवर 2002 से देय वेतन तथा अ य कोषागार म 1<br />

अैल, 2002 देय वेतन के आधार पर कोषागार ारा देय वेतन एवं कटौितय का<br />

बल कोषागार के क यूटर से िनधारत प पर वेतन बल तथा कटौितय का<br />

िशयूल छापा जाय तथा इस कार के देयक को पूव िनधारत या के अधीन<br />

कोषािधकार/उपकोषािधकार/सहायक कोषािधकार ारा पारत कर चेक िनगत<br />

कया जाय।<br />

(घ) कायालया य ारा सूिचत कमचार के बक/शाखा के खाता न बर का ववरण<br />

छापकर बक/शाखावार चेक तैयार कर कोषागार ारा सीधे बक म वेतन संबंधी<br />

चेक भेजा जाय।<br />

(ड) कोषागार ारा ड0ड0ओ0 के मा यम से येक कायालया य को कायमवार<br />

(13 डजट कोडवार) सैलर ए वेटस रोल दो ितय म तथा येक कमचार को


290<br />

(च)<br />

(छ)<br />

(ज)<br />

(झ)<br />

(ञ)<br />

(ट)<br />

वेतन पच उपल ध कराया जाय। ऐसा करने से जहॉं कायालया य को<br />

अिभलेख के आधार पर देय वेतन तथा कटौितय का शतितशत िमलान<br />

सुिनत होगा वहं येक कमचार के पास वेतन एवं कटौितय का पूण<br />

ववरण ा त होगा।<br />

इस कार के ा त ववरण से वतमान ड0ड0ओ0 ितमाह बजट िनयंक<br />

ािधकार को ितमाह बी0एम0-8 भेज सक गे तथा बजट संबंधी सम त<br />

कायवाह सुिनय करगे।<br />

वतमान या के अधीन वभागीय आहरण वतरण अिधकार कोषागार से ा त<br />

सैलर ए वेटस रोल तथा अ य ववरण के आधार पर स बधत कमचारय का<br />

भारत सरकार के आयकर वभाग को भेजे जाने वाले आयकर संबंधी सूचना पूव<br />

क भांित भेजा जाय तथा कमचारय को भी िनधारत प पर सूचना द जाय।<br />

कायालया य/वभागीय आहरण वतरण अिधकार ारा ितमाह कोषागार के<br />

िनदशानुसार 20 से 23 तारख के म य वेतन अथवा तस ब धी भ ते म होने<br />

वाले परवतन तथा उपथित िनल बन/सेवािनवृ/ थाना तरण/सेवामु/<br />

कटौितय/ क त क सं या आद क यथाव यक सूचना संल नक प-2(1)<br />

एवं प-2(2) पर भेजा जाय। यद कायालया य/ड0ड0ओ0 ारा वल बतम ्<br />

23 तारख तक कोषागार को सूचना उपल ध नहं कराया जाता ह तब कोषागार<br />

गत माह के दर पर वेतन बल पारत कर भुगतान कर दया जाय। प-2(1)<br />

तथा प-2(2) पर सूचना न भेजने के कारण अिधक/कम भुगतान के िलए<br />

कायालया य उ तरदायी हगे।<br />

यद 20 तारख क थित पर सूचना भेजने के बाद कोई अनुपथित होती ह<br />

अथवा कसी कारण वेतन क देयता बांिधत होती ह तब ऐसे कमचारय को<br />

अिधक भुगतान क धनरािश का समायोजन अगले माह के वेतन अथवा अ य<br />

भुगतान से कया जाय।<br />

कोषागार ारा कायालया यवार वेतन संबंधी चेक संबंधी बक शाखा म भेजने<br />

के बाद तथा इस कार क सूचना वभागीय ड0ड0ओ0 के मा यम से<br />

कायालया य को उपल ध करा द जाय जससे कायालया य कमचारय क<br />

वांिछत सूचना उपल ध करा सक । यद कसी भी कार क सम या/गितरोध<br />

उ प न हो तब कायालया य त काल कोषागार अिधकार से स पक कर<br />

समयब िनराकरण कराय।<br />

कोषािधकार संबंिधत बक के जनपदय मु य शाखा से वाताकर ामीण े क<br />

शाखाओं म खुले खात म वेतन का समय से थाना तरण सुिन चयत कर। यद<br />

आव यक हो तब टेट बक क गवनमट बजनेस ांच से ाट/बकस चैक भी<br />

बनवाया जा सकता ह जससे वेतन भुगतान समय से हो सके ।


291<br />

8- पवतीय े क वषम परथितय के कारण पुिलस एवं वन किमय के िनयु के<br />

थान म िनर तर परवतन होने क थित को कोण म रखते हुए, ऐसे ेणी के<br />

कमचारय के वक प के आधार पर नकद भुगतान क यव था क जा सकती ह। इस<br />

या के अधीन कायालया य ारा नकद भुगतान ा त करने वाले सीिमत<br />

कमचारय क सूचना कोषागार को उपल ध कराया जाय तथा कोषागार ारा यथा<br />

आव यक वभागीय ड0ड0ओ0/कायालया य के नाम नकद आहरण हेतु चेक िनगत<br />

कया जाय। इस कार के नकद आहरण क सुरा तथा रख-रखाव का पूण दािय व<br />

संबंिधत वभागीय अिधकार का होगा तथा कसी भी कार से धन क हािन क वसूली<br />

ऐसे अिधकार से कया जाय। इन वभाग के अिधकार यथा संभव यास कर क यद<br />

ऐसे कमचारय का बक खाता उपल ध हो तब नकद भुगतान को ो साहन न दया<br />

जाय।<br />

9- यद ामीण े म बक क सुवधा न होने के कारण नान-बकं ग उपकोषागार से नकद<br />

भुगतान क या हो तब कोषागार ारा कायालया यवार कमचार क सूचना<br />

उपकोषागार को चेक सहत भेजा जाय तथा उपकोषागार ारा संबंिधत कायालया य<br />

को ऐसे कमचारय का नकद भुगतान कया जाय।<br />

10- जला/कोषागार मु यालय पर चेक के संह म यूनतम एक दन का समय लगता ह<br />

अत: सामा य थित म वेतन का भुगतान माह के ठक बाद क पहली तारख के<br />

बजाय उसी माह के अतम तारख को वेतन भुगतान कया जाय तथा माह के अतम<br />

तारख को अवकाश हो तब ठक पूव के काय दवस पर वेतन भुगतान कया जाय।<br />

व तीय िनयं संह ख ड-5 भाग-1 के तर 97 क अ य याय पूववत होगी।<br />

11- नयी िनयु अथवा थाना तरण के कारण होने वाले अिध ठान क सं या म वृ/कमी<br />

क सूचना मूल आदेश सहत संबंिधत कोषागार को भेजा जाय।<br />

12- बजट िनयंण ािधकार ारा वेतन संबंधी बजट आवंटन कोषागार आहरण-वतरण<br />

अिधकार तथा कायालया य को ेषत कया जाय। यद रा य तर पर बजट क<br />

उपल धता सुिनत हो तब वशेष परथित म बजट आवंटन ा त होने क तीा म<br />

कायालया य ड0ड0ओ0 ारा कोषागार के मा यम से जलािधकार ारा ेजर िनयम-<br />

27 के अधीन वांिछत धनरािश क वीकृ ित ा त करेगा तथा त काल बजट िनयंण<br />

अिधकार से बजट ा त कर समायोजन कया जाय/बजट िनयंक ािधकार ारा<br />

ितमाह वेतन संबंिधत वा तवक यय के आधार पर स तुिलत बजट आंवटन संिनत<br />

कया जाय।<br />

13- कोषागार ारा ित वष 30 िसत बर एवं 31 माच क थित पर<br />

वभागवार/वेतनमानवार (समयमान वेतनमान नह) कमचारय क सं या िनदेशक,<br />

कोषागार एवं व त सेवाय को मश: 31 अ टूबर एवं 30 अैल तक उपल ध कराया<br />

जाय।


292<br />

14- कोषागार के अधीन उपकोषागार म भुगतान एवं लेखा णाली लागू होने पर उपकोषागार<br />

के लेखे पूव क भांित संबंिधत कोषागार म जोड दया जाय।<br />

15- प-1 से डाटा बेस बनाने हेतु ित य रकाड क डाटा इ एवं सह होने क पु<br />

होने पर कोषागार के कमचारय ारा अितर त काय के प म 0 1.50 (एक 0<br />

पचास पैसे) मानदेय भुगतान अथवा अिधकतम इसी दर पर कोषागार अिधकार अनुब ध<br />

पर डाटा इ करा सकते ह। महालेखाकार को िनधारत ितिथ पर पूव क भांित पोटंग<br />

िशयूल (47 (क) एवं 47 (ख) भुगतान के वाउचर, िल ट ऑफ पेमे ट आद िनधारत<br />

ितिथ पर पूववत भेजा जाय तथा वभागा य/बजट िनयंण अिधकार महालेखाकार<br />

कायालय म बी0एम0-12 एवं कोषागार के अिभलेख के आधार पर ितमाह के लेखे का<br />

िमलान पूव क भांित करगे।<br />

16- रा य सूचना वान के (एन0आई0सी0) क रा य एवं जला इकाई ारा साटवेयर<br />

के अ याविधक (अपडेट) करने तथा िशण म पूरा सहयोग दया जाय तथा कोषागार<br />

के क यूटर म गितरोध उ प न होने पर आपात थित म हाडवेयर क भी सुवधा<br />

उपल ध करायी जाय।<br />

17- एन0आई0सी0 क सं तुितय के आधार पर बजट ावधान के अधीन िनदेशक कोषागार<br />

एवं व त सेवाय ारा वांिछत हाडवेयर/साटवेयर आद कोषागार/उपकोषागार को<br />

उपल ध कराया जाय।<br />

18- एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली लागू होने पर अखल भारतीय सेवा तथा कितपय<br />

रा य सेवा संवग म लागू वत: आहरण वतरण अिधकार (से फ ड0ड0ओ0) क<br />

णाली वत: समा त हो जायेगी, पर तु संबंिधत वेतन पच को ठ ारा वेतन पच<br />

पूववत जार क जायेगी।<br />

कृ पया उपरो त आदेश का कडाई से समयब अनुपालन सुिनय कया जाय।<br />

संल नक:- उपरो तानुसार।<br />

भवदय<br />

इ दु कु मार पा डे<br />

सिचव व त


293<br />

शासनादेश सं या 235/21/व0अनु0-1/2001<br />

दनांक 06 दस बर, 2001 का संल नक<br />

प-1<br />

भुगतान एवं लेखा णाली हेतु कमचार/अिधकार के स ब ध म थम बार सूचना<br />

1. पूरा नाम (कमचार/अिधकार) (ह द म)<br />

(अंेजी म)<br />

2. पता/पित का नाम<br />

3. ज म ितिथ<br />

4. िनयु क ितिथ<br />

5. थम िनयु का पद नाम<br />

6. वतमान पद<br />

7. वतमान पद पर िनयु क ितिथ<br />

8. वतमान पद का वेतनमान<br />

9. कमचार थाई/अ थाई ह<br />

10. यद सले शन ेड पा रहे ह तो वेतनमान ो नित/अगले वेतनमान म<br />

10. (1) यद वेतन वृ के प म सले शन ेड पा रहे ह तो वेतन वृ<br />

11. या परवार क याण योजना के अ तगत लाभ पा रहे ह (वेतन वृ)<br />

12. वतमान वेतनमान म वेतन वृ क ितिथ<br />

13. बक का नाम वेतन हेतु जस बक म खाता खुला ह<br />

14. बक खाता सं या<br />

15. आर0ड0 खाता सं या<br />

16. जी0पी0एफ0 खाता सं या<br />

17. ड0ड0ओ0 कोड<br />

18. वभाग का नाम<br />

19. अिध ठान का नाम/कायालया य का पदमान पता सहत)<br />

20. लेखा शीषक जससे वतन आहरत<br />

कया जाता ह<br />

21. आयोजनागत/आयोजने तर (मतदेय/भारत)<br />

22. अनुदान सं या<br />

23. जस ितिथ से सीधे कोषागार से वेतन भुगतान कया जाना ह उस ितिथ को अनुम य<br />

परलधयॉं दनांक 31-12-2001/31-3-2002<br />

को देय थित के अनुसार<br />

1. मूल वेतन<br />

2. वैयक वेतन


294<br />

3. वशेष वेतन<br />

4. अ य वेतन<br />

5. नान ेटस भ ता (एन0पी0ए0)<br />

वेतन का योग<br />

6. महॅगाई भ ता<br />

7. पवतीय वकास भ ता/सीमांत े भ ता<br />

8. मकान कराया भ ता<br />

9. नगर ितकर भ ता<br />

10. धुलाई भ ता<br />

11. िनयत याा भ ता<br />

12. वद भ ता<br />

13. पु तकालय भ ता<br />

14. ितिनयु भ ता<br />

15. परयोजना भ ता<br />

16. सिचवालय भ ता<br />

17. क यूटर भ ता<br />

18. िस योरट भ ता<br />

19. वाहन भ ता<br />

20. िनयत टेशनर भ ता<br />

21. पु टाहार भ ता<br />

22. ी म/शीत/मौसम भ ता<br />

23. (1) अ य भ ता (नाम सहत)<br />

(2) अ य भ ता<br />

(3) अ य भ ता<br />

(4) अ य भ ता<br />

अ य भ त का योग<br />

24. अ तरम सहायता<br />

।.<br />

।।.<br />

।।।.<br />

25. अ तरम सहायता का योग<br />

26. कु ल योग<br />

कटौितयॉं:-<br />

1. मकान कराया कटौती


295<br />

2. ।. सामूहक बीमा िनिध<br />

।।. सामूहक बचत िनिध<br />

3. ।. पुिलस वभाग के कमचारय क सामूहक बीमा िनिध<br />

।।. पुिलस वभाग के कमचारय क सामूहक बीमा िनिध<br />

4. ोत पर आयकर क कटौती<br />

5. अ य कटौितयॉं<br />

।.<br />

।।.<br />

।।।.<br />

6. सरकार वाहन योग क कटौती<br />

7. सामा य भव य िनिध क िनयिमत कटौती<br />

8. सामा य भव य िनिध क अिम क धनरािश<br />

9. सामा य भव य िनिध अिम क कटौती क दर ितमाह<br />

10. गत माह तक क गई कु ल कटौती क धनरािश<br />

11. वगत माह तक कु ल कतने क त क कटौती क जा चुक ह, सं या<br />

12. अिम कटौती क कु ल क त<br />

13. ऐरयर से सामा य भवष ्य िनिध म कटौती<br />

14. भवन िनमाण अिम क धनरािश<br />

15. भवन िनमाण अिम कटौती क दर ितमाह<br />

16. वगत माह तक कटौती क कु ल धनरािश<br />

17. वगत माह तक कटौती क गई कु ल क त क सं या<br />

18. भवन िनमाण अिम क कु ल क त<br />

19. भवन मर मत अिम क धनरािश<br />

20. भवन मर मत कटौती क दर ित माह<br />

21. वगत माह तक क गई भवन मर मत अिम क वसूली क कु ल धनरािश<br />

22. वगत माह तक क गई भवन मर मत अिम कटौती क कु ल<br />

क त क सं या<br />

23. भवन मर मत अिम क कु ल क त<br />

24. मोटर वाहन अिम क धनरािश<br />

25. मोटर वाहन अिम क कटौती क दर ितमाह<br />

26. वगत माह तक क गई मोटर वाहन अिम क कु ल धनरािश<br />

27. अ य वाहन अिम क धनरािश<br />

28. अ य वाहन अिम क कु ल धनरािश<br />

29. अ य वाहन अिम क कटौती क दर<br />

30. अ य वाहन अिम क कु ल क त क संख ्या


296<br />

31. भवन अिम पर देय याज एवं क त सं या (कु ल क त/वतमान क त)<br />

32. भवन मर मत अिम पर देय याज एवं क त सं या (कु ल क त/वतमान क त)<br />

33. वाहन अिम पर देय याज एवं क त सं या (कु ल क त/वतमान क त)<br />

34. क यूटर अिम पर देय याज एवं क त सं या (कु ल क त/वतमान क त)<br />

35. अ य अिम पर देय याज एवं क त सं या (कु ल क त/वतमान क त)<br />

36. आर0ड0 क कटौती क धनरािश<br />

37. सोसाइट क कटौती क धनरािश<br />

38. क यूटर अिम क धनरािश<br />

39. क यूटर अिम क कटौती क पर ित माह<br />

40. क यूटर अिम क क त सं या (कु ल क त/वतमान क त)<br />

41. अ य अिम क धनरािश<br />

42. अ य अिम क कटौती क दर<br />

43. अ य अिम क क त सं या (कु ल क त/वतमान क त)<br />

कु ल कटौितयॉं<br />

शु धनरािश<br />

माणत कया जाता ह क उपरो त पद शासन ारा िनधारत माप द ड/याओं के<br />

अधीन ह तथा सेवा पुतका/सेवा ववरण/अिभलेख के यगत माणीकरण शत ितशत<br />

िमलान कर िलया गया ह।<br />

आहरण वतरण अिधकार का नाम/कोड<br />

पद का पूरा नाम पता<br />

कायालया य का नाम<br />

पद का पूरा नाम पता<br />

ह तार<br />

ह तार


ं .<br />

सं.<br />

पदधारक का नाम<br />

297<br />

शासनादेश सं या-235/21/व0अनु0-1/2001<br />

दनांक 06 दस बर, 2001 का संल नक<br />

प-2 (1)<br />

पूव माह के आहरण से विभ न आहरण होने पर मा परवतन सूिचत कया जाय<br />

एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली के अधीन वेतन आहरत करने वाले यय के माह......... वष ..... म होने वाले परवतन का ववरण<br />

कायालया य ................. वभागीय आहरण वतरण अिधकार का नाम .................. कोड सं या .............. अनुदान सं या .............<br />

लेखा शीषक ........................................................................<br />

पदनाम<br />

सा.भू.िन. खाता सं.<br />

माह म कतने दन अनुपथत रहे<br />

थाना तरण /वेतन रोकने का<br />

ववरण<br />

िनल बन/ सेवा िनवृ त का<br />

ववरण<br />

वेतन/ भ त म<br />

परवातन का ववरण<br />

वेतन/<br />

भ ता<br />

का नाम<br />

जसम<br />

परवतन<br />

कया<br />

जाना ह<br />

धन रािश<br />

पदनाम/ वेतनमान म<br />

परवतन<br />

परवितत वेतनमान आदेश दनांक<br />

यद<br />

गत<br />

माह म<br />

अिधक<br />

भुगतान<br />

हो,<br />

वसूली<br />

का<br />

ववरण<br />

मद का नाम (जैसे<br />

सा. भू. िन. म<br />

कटौती, सा. भ. िन.<br />

अिम, जी. आई.<br />

एस./ आयकर<br />

मकान कराया<br />

आद<br />

कटौितय म परवतन का ववरण<br />

अिम के<br />

मामले म<br />

क त म<br />

परवतन<br />

क त<br />

सं./कु ल<br />

कसत सं.<br />

ित<br />

माह<br />

परवतन<br />

1 2 3 4 5 6 7 8/1 8/2 8/3 9 10 11/1 11/2 11/3 11/4 12<br />

दर<br />

धनरािश<br />

अ यु<br />

2<br />

3<br />

1<br />

1<br />

2<br />

2<br />

3<br />

3<br />

नोट:- 1- परवतन स ब ध जो आदेश संल न कये जाने ह, संल न कया जाय।<br />

2- येक माह 20 तारख से 22 तारख के म य सूचना कोषागार म ा त कराना आवश ्यक ह<br />

आहरण वतरण अिधकार के ह तार


298<br />

शासनादेश सं या 235/21/व0अनु0-1/2001<br />

दनॉक 06 दस बर, 2001 का संल नक<br />

माह म होने वाले परवतन का सारॉश<br />

प-2 (।।)<br />

1- कायालय का नाम<br />

2- वभागीय आहरण वतरण अिधकार का नाम<br />

3- आहरण वतरण अिधकार का कोड<br />

4- अनुदान सं या<br />

5- लेखा शीषक<br />

आयोजनागत/आयोजने तर/मतदेय/भारत<br />

6- कु ल कमचार/अिधकारय क सं या<br />

जनका वगत माह वेतन आहरण कया गया<br />

7- कु ल कमचार/अिधकारय क सं या<br />

जनका वतमान माह वेतन आहरत कया जाना ह<br />

8- कु ल कमचार/अिधकारय क स या<br />

जनका वगत माह वेतन आहरत नहं कया गया ह।<br />

आहरण वतरण अिधकार के ह तार


299<br />

ेषक,<br />

इ दु कु मार पा डेय,<br />

सिचव व त,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सं या 316/व0अनु0-1/2002<br />

सेवा म,<br />

िनदेशक,<br />

कोषागार एवं व त सेवाय<br />

उ तरांचल देहरादून।<br />

व त अनुभाग-1 देहरादून, दनांक 24 जनवर, 2002<br />

वषय:- ‘’एककृ त भुगतान एवं लेखा णाली’’ लागू कये जाने वषयक शासनादेश सं या<br />

235/21/व0अनु0-1/2001 दनांक 06-12-2001 के तर-15 का संशोधन।<br />

महोदय,<br />

उपयु त वषय के संबंध म मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क शासनादेश<br />

सं या- 235/21/व0अनु0-1/2001 दनॉक 06 दस बर, 2001 के तर-15 क दूसर एवं<br />

तीसर लाइन म ‘’पये 1.50 (एक पये पचास पैसे) के थान पर पये 3.00 (तीन पय)<br />

ित रकाड’’ पढा जाय।<br />

2- उ त शासनादेश इस सीमा तक संशोिधत समझा जाय।<br />

भवदय<br />

इ दु कु मार पा डे<br />

सिचव


300<br />

पांक 212/व0अनु0-4/2004<br />

ेषक,<br />

राधा रतूड,<br />

सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

सेवा म,<br />

सम त मुख सिचव/सिचव,<br />

उ तरांचल शासन।<br />

व त अनुभाग-4 देहरादून, दनांक: 9 जुलाई, 2004<br />

वषय: सरकार कमचारय को समय से वेतन भुगतान तथा भावी लेखा णाली हेतु<br />

कोषागार को समय से बजट एवं अ य सूचना का ेषण।<br />

महोदय,<br />

उपयु त वषयक शासनादेश दनांक 6-12-2001 के म म मुझे यह कहने का िनदेश<br />

हुआ ह क वभाग ारा सरकार कमचारय को समय से वेतन भुगतान कये जाने हेतु जो डाटा<br />

बेस कोषागार को ेषत कया गया ह। वह विभ न वभाग के अ तगत विभ न संवग म<br />

सृजत पदनाम के अनुप नहं ह। जैसे वन दरोगा, वन पंचायत िनरक तथा सहायक वकास<br />

अिधकार वन के पदनाम स ित नहं ह, पर तु कोषागार को ेषत सूचना म उ त पदनाम<br />

का उ लेख कया गया ह, तथा इन पदनाम के व वेतन आद का आहरण कोषागार से<br />

कया जा रहा ह। कृ पया अपने िनयंणाधीन वभाग म यह सुिनय कर ल, क आपके वभाग<br />

से स बधत जो भी सूचनाय कायालया य ारा कोषागार को ेषत क जाय, उनम उ हं<br />

पदनाम का उ लेख कया जाय जो सुसंगत शासनादेश म कया गया ह।<br />

2- कितपय कमचारय के वेतन का आहरण इस णाली के लागू होने से पूव एक से अिधक<br />

कायालय से कया जा रहा था तथा कितपय किमय क जी0पी0एफ0 सं या का सह उ लेख<br />

नहं कया गया, के कारण ऐसे कमचारय के ारा वेतन से कराई गई कटौती उनके सह खाते<br />

म जमा कया जाना स भव नहं था अत: महालेखाकार/ वभाग ारा िनगत खाता सं या सह<br />

वप म एक बार फर कोषागार को भेजा जाए।<br />

3- कायालया य/वभागीय आहरण वतरण अिधकार ारा ित माह वेतन अथवा<br />

त स ब ध भ ते म होने वाले परवतन तथा उपथित आद क सूचना िनयिमत प से<br />

कोषागार को ेषत क जाये। यद सूचना म कोई परवतन न हो तब भी ‘’शू य’’ सूचना समय<br />

से कोषागार को अव य ेषत क जाये। यद दो माह तक आहरण वतरण<br />

अिधकार/कायालया य ारा शू य सूचना भी नहं भेजी जाती ह तब ऐसे करण म कोषागार


301<br />

तब तक भुगतान रोक दगे जब तक सूचना न ा त हो जाए। कमचारय के वेतन वल ब हेतु<br />

आहरण वतरण अिधकार/कायालया य पूण प से उ तरदायी हगे।<br />

4- कु छ आहरण वतरण अिधकार एक से अिधक कायालया य का बजट एवं आहरण<br />

वतरण का काय करते ह। अत: कायालया यवार सूचना के िलए ऐसे कायालया य के<br />

ह तार नमूने कोषागार को ेषत कर दए जाये ताक वे सीधे कोषागार को उ त ड0ड0ओ0<br />

कोड के अधीन अनुपथित/वेतन स ब धी कटौती/ परवतन/ थाना तरण आद क सूचना<br />

सीधे कोषागार को ेषत कर सक ।<br />

5- यद कसी आहरण वतरण अिधकार/कायालया य के यहां से कोई कमचार<br />

थाना तरत हो, तब अतम वेतन माण प पर स बधत कोषागार अिधकार ारा भी ित<br />

ह तारत करा िलया जाए ताक उ त कोषागार से ऐसे कमचार का नाम आहरण सूची से हटा<br />

दया जाए अ यथा दो कोषागार से भुगतान होने क स भावना हो सकती ह।<br />

6- आहरण वतरण अिधकार/कायालया य से स बधत सम त कािमक क बैठक कर<br />

चेक तथा खातावार सूचना कोषागार ारा ह सीधे स बधत बक क शाखा को उपल ध करायी<br />

जाए ताक चेक पर कमचार क धनरािश म कोई परवतन कये जाने क स भावना न हो सके ।<br />

7- आहरण वतरण अिधकार वार/कायालया यवार येक कमचार के वेतन पच तथा<br />

वग ‘घ’ के कमचारय क वाषक भव य िनिध अवशेष क लेखा पच कोषागार से उपल ध<br />

करायी जाए तथा आहरण वतरण अिधकार ारा यह माण प दया जाए क कमचारय के<br />

वेतन पच/ वग ‘घ’ के भव य िनिध क लेखा पच समय से स बधत कमचार को ा त<br />

करायी गयी ह।<br />

8- इ टरनेट पर उपल ध कमचारय के डाटाबेस देखने से यह प ट हुआ ह क कितपय<br />

करण म ज मितिथ िलखी नहं गयी ह तथा कु छ करण म 18 वष से कम आयु दशायी गयी<br />

ह यह थित ठक नहं ह। सह ज मितिथ तथा 18 वष से कम आयु के कमचार कै से<br />

िनयोजत हुए, पर त काल कायवाह क जाये।<br />

9- कोषागार को बजट पारत होने के बाद त काल आव यकतानुसार बजट आवंटन कया<br />

जाये ताक बजट के अभाव म वेतन कने क थित न हो। समय से आवंटन न करने वाले<br />

अिधकारय के व समय ब अनुशासना मक कायवाह क जाये।<br />

कृ पया उपरो त आदेश का कडाई से अनुपालन सुिनय कया जाए।<br />

भवदय<br />

(राधा रतूड)<br />

सिचव<br />

सं या 212(1)/व0अनु0-4/2004, त दनांक:-<br />

ितिलप िन नांकत को सूचनाथ एवं आव यक कायवाह हेतु ेषत:-<br />

1- महालेखाकार, उ तरांचल, ओबरॉय मोटस बडंग, माजरा देहरादून।<br />

2- रेजीडे ट किम नर, उ तरांचल नई द ली।


302<br />

3- रज ार, मा0 उ च यायालय, नैनीताल, उ तरांचल।<br />

4- सम त वभागा य एवं कायालया य, उ तरांचल।<br />

5- मु य बंधक, रजव बक ऑफ इडया, माल रोड, कानपुन।<br />

6- मु य बंधक, टेट बक ऑफ इडया, तथा अ य िशयूल बक क मु य शाखा तथा<br />

अ य कोआपरेटव बक, उ तरांचल।<br />

7- िनदेशक, लेखा एवं हकदार, उ तरांचल।<br />

8- िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय, उ तरांचल।<br />

9- सम त कोषािधकार, उ तरांचल।<br />

10- सम त आहरण वतरण अिधकार, उ तरांचल।<br />

11- सम अिधकार, वेतन पच को ठ।<br />

12- उ तरांचल शासन के सम त अनुभाग।<br />

13- वर ठ तकनीक िनदेशक, एन0आई0सी0 रा य इकाई, देहरादून।<br />

आा से<br />

(के 0सी0 िम)<br />

अपर सिचव।


303<br />

व तीय अिधकार ितिनधायन व व तीय अिधकार<br />

संवधान के अनु छेद 154 के अधीन रा य के कायकार अिधकार रा यपाल म िनहत ह<br />

और उन अिधकार का योग संवधान के अनुसार या तो सीधे रा यपाल ारा अथवा उनके<br />

अधीन थ अिधकारय के मा यम से कया जाता ह। संवधान क अनु छेद 166 के अनुसार<br />

शासन के सम त काय रा यपाल के नाम से कये गए अिभ य त कये जायेग।<br />

शासन के अिधकार संवधान के अनु छेद 154 के अ तगत और उपब ध के अधीन रहते<br />

हुए शासन के अधीन थ कसी अिधकार को उस सीमा तक और ऐसे ितब ध के साथ-साथ<br />

ज ह शासन लगाना आव यक समझे, अथवा जो संवधान या शासन के िनयम अथवा आदेश<br />

या रा य वधानमंडल के कसी अिधिनयम के उपब ध ारा पहले से ह लगाये गये हो,<br />

ितिनहत कए जा सकते ह। वे शत और ितब ध जनके अधीन ऐसे अिधकार ितिनहत<br />

कये जाऍ, ितिनहत करने के आदेश अथवा िनयम म िनद ट कर देने चाहए।<br />

चूकं देश के सम त कायकार अिधकार रा यपाल म िनहत ह और रा यपाल महोदय<br />

के तर पर यह स भव नहं ह। क सभी अिधकार का योग उनके ारा कया जाय, अत:<br />

रा य के व तीय अिधकार का ितिनधायन सामा यतया िन नांकत म कया गया ह:<br />

1- शासकय वभाग<br />

2- वभागा य<br />

3- कायालया य<br />

ितिनधायन के कु छ मह वपूण ब दु<br />

1. ितिनधायन करते समय यह यान म रखा जाना चाहए क इससे शासकय काय-<br />

कलाप म गितशीलता, दता तथा िमत यियता आये और दािय व का िनधारण हो सके ।<br />

ितिनधायन उसी सीमा तक कया जाना चाहए जससे क उ त लाभ तो ा त हो सके<br />

क तु शासकय धन का अप यय, दुपयोग अथवा रण न हो।<br />

2. व तीय िनयम बनाने का अिधकार शासन के अधीन थ कसी भी ािधकार को<br />

र तिनहत नहं कया जा सकता ह।<br />

3. व तीय अिधकार के वल व त वभाग क अनुमित से ह ितिनहत कये जा सकते ह।<br />

4. कसी ािधकार को ितिनहत कये गये व तीय अिधकार, व त वभाग क विश ट<br />

वीकृ ित के बना उस ािधकार ारा कसी अधीन थ ािधकार को पुन: ितिनहत<br />

नहं कए जाएंगे।<br />

5. शासनादेश सं या ए-2-1637/दस-14(1)-75 दनांक 26 जून, 1975 के अधीन शासकय<br />

वभाग सभी मामल म िन निलखत को छोडकर अपने वभाग म िनहत अिधकार क<br />

सीमा तक कसी अधीन थ अिधकार को अिधकार पुन: ितिनहत कर सकते ह:<br />

1. पद का सृजन<br />

2. हािनय को बटे खाते म डालना<br />

3. पुनविनयोजन


304<br />

6. शासनादेश सं या एस-(2)-1702/दस-19(5)-1973 दनांक 25 अग त, 1973 के<br />

अ तगत िन निलखत शत के अधीन शासकय वभाग अपर वभागा य को<br />

वभागा य के सम त अथवा कितपय व तीय अिधकार पूण या आंिशक प से<br />

ितिनहत कर सकता ह:<br />

1. वभागा य क सं तुित हो।<br />

2. अपर वभागा य ेणी-एक से कम तर के अिधकार न हो।<br />

ट पणी- उपरो त के अ तगत वभागा य के अिधकार का ितिनधायन संयु त/उप<br />

वभागा य को करने क अनुमित नहं ह।<br />

7. व तीय ह तपुतका ख ड-5 भाग-1 के तर 47 जी के नोट-1 के अ तगत कोई भी<br />

कायालया य अपने आहरण वतरण का अिधकार अधीन थ राजपत अिधकार को<br />

ितिनधायन कर सकता ह।<br />

व तीय अिधकार के योग करने से पूव यान रखने यो य बात:-<br />

1. तावत यय क वीकृ ित या अ य कोई वीकृ ित देने से पूव देख िलया जाय क<br />

वीकृ ित दान करने के िलए उनके पास अिधकार ह या नहं।<br />

2. यय को पूरा करने के िलए अपेत बजट उपल ध ह।<br />

3. आय- ययक िनयम संह के तर-12 (3) व तीय औिच य के आशय का उ लंधन,<br />

वीकृ ित देते समय न हो रहा हो। व तीय औिच य के मानक का ता पय यह ह क<br />

यय यत: उससे अिधक नहं होना चाहए जतना क अवसरानुकू ल हो। येक<br />

अिधकार को चाहए क वह अपने िनयंणाधीन राजकय धन से वयय करते समय<br />

उतनी ह सतक ता और सावधानी बरते जतनी क सामा य ववेक वाला य अपना<br />

िनजी धन यय करने म बरतता ह तथा यय वीकृ ित करने क अपनी श का योग<br />

य या परो प से कसी ऐसे आदेश देने के िनिम त नहं करना चाहए जो वयं<br />

उसके ह लाभ के िलए हो।<br />

ऐसे भ त क धनरािश यथा ितपूित भ ते, ज ह वशेष कार के यय के िलए<br />

वीकृ त कया जाता ह, इस कार विनयिमत करना चाहए क वह भ ते पाने वाले<br />

यय के िलए लाभ का साधन न बन जाय।<br />

4. कसी नये िसा त, नीित अथवा था या नई सेवा पर जैसा क बजट मैनुअल म<br />

परभाषत ह, यय करने से पूव शासन क वीकृ ित आव यक होगी।<br />

व तीय अिधकार<br />

व तीय िनयम संह ख ड-1 व तीय अिधकार के संबंध म मुख िनयमावली ह। उ त<br />

के अितर त संग के अनुसार िन नांकत िनयम संह म भी ितिनधािनत अिधकार के बारे<br />

म उ लेख कया गया ह:<br />

1. व तीय िनयम संह ख ड-2 भाग 2 से 4<br />

2. व तीय िनयम संह ख ड-3<br />

3. व तीय िनयम संह ख ड-5 भाग 1


305<br />

4. िसवल सवस रेगुलेश स<br />

5. बजट मनुअल<br />

6. उ00 भव य िनिध िनयमावली 1985<br />

7. उ00 मुण एवं लेखन सामी िनयमावली।<br />

व तीय अिधकार के बारे म जब भी व तार से जानकार क जानी हो व तीय िनयम<br />

संह ख ड-1 के अितर त वषय व तु के अनुसार संबंिधत िनयम संह का स दभ भी लेना<br />

चाहए। उ त के अितर त शासन ारा समय-समय पर विभ न शासनादेश के मा यम से भी<br />

अिधकार को ितिनधायन कया जाता ह। अत: अदयाविधक शासनादेश को भी देख लेना<br />

चाहए। यहॉं पर व तीय अिधकर के मु य-मु य ववरण को सुलभ संदभ हेतु दया जा रहा ह।


306<br />

व तीय अिधकार का ववरण – प<br />

.<br />

अिधकार का कार कसके ारा योग कया जायेगा परसीमाए<br />

सं.<br />

1. उनके अपने कायालय अथवा उनके (क) वभागा य जलािधकार, जला पूण अिधकार।<br />

अधीन थ कायालय के योग के िलए यायधीश, शासन के रसायिनक परक, एक वष म 0 1200/- तक समाचार प एवं<br />

पु तक समाचार प पकाय न श आगरा, उपपुिलस महािनरक, जल के पकाओं, गैर तकनीक पकाओं को छोडकर।<br />

तथा अ य काशन खरदना।<br />

पुिलस अधीक, रा य संहालय लखनऊ<br />

और शासनािधकार ुरात व संहालय,<br />

मथुरा।<br />

(ख) अ य कायालया य<br />

2. संदभ पु तक और शु प उनके वभागा य<br />

कु छ शत के अधीन पूण अिधकार।<br />

अपने कायालय तथा उनके अधीन थ<br />

कायालय म योग के िलए राजकय<br />

मुणालय से सीधे ा त करना।<br />

3. िनदेशक, मुण तथा लेखन सामी से 1- सिचवालय के शासिनक वभाग येक मामले म 0 12000/- तक।<br />

पूव परामश कए बना िनजी 2- वभागा य<br />

येक मामल म 0 12000/- तक।<br />

मुणालय से पंजीयत/अपंजीयत प 3- कायालया य<br />

येक मामल म 0 5000/- तक।<br />

व अ य आव यक काय जैसे-न शे, ट पणी:-<br />

नोटस आद का मुण करना<br />

1- उ त अिधकार का योग बय प<br />

के संबंध म नहं कया जायेगा। अ य<br />

प के संबंध म के वल परथितय एवं<br />

यूनतम आव यकताओं क पूित हेतु कया<br />

जायेगा।


307<br />

4. िनदेशक मुण तथा लेखन सामी से<br />

पूव परामश कए बना थानीय तर<br />

पर तहसील, कले ेट और किम नर<br />

के योग हेतु आव यक िनजी<br />

मुणालय म छपवाना।<br />

5. शासन ारा पटृटे पर ली गयी भूिम के<br />

कराए का भुगतान वीकृ त करना।<br />

6. अनावाहक योजन (गोदाम को<br />

छोडकर) के िलए कराए पर िलये जाने<br />

वाले भवान का कराया वीकृ त करना।<br />

2- चेक बुक, रपेमट आडर बुक तथा<br />

शासनादेश का मुण काय के वल राजकय<br />

मुणालय से ह िनदेशक, मुण तथा<br />

लेखन सामी उ00 के मा यम से कराया<br />

जायेगा।<br />

1- म डलायु त<br />

2- जलािधकार<br />

ट पणी- उपरिलखत म सं0-3 के<br />

सम ट पणी म उलखत शत एवं<br />

ितब ध का अनुपालन कया जाना<br />

चाहए।<br />

वभागा य<br />

1- वभागा य एवं 2- म लायु त<br />

1- देहरादून, म डल मु यालय के जनपद<br />

म- 0 2.50 ितवग फु ट कारपेट एरया<br />

तक इस शत के अधीन क येक मामले<br />

म कराया वीकृ त करने क अिधकतम<br />

सीमा 0 6000/- ित मास होगी।<br />

2- एक लाख जनसं या से ऊपर के अ य<br />

नगर तथा पवतीय जल म 0 2.00<br />

ितवग फु ट कारपेट एरया तक इस शत<br />

के अधीन क येक मामले म कराया<br />

येक मामल म 0 10000/- तक।<br />

येक मामल म 0 5000/- तक।<br />

व0िन0सं0 ख ड-5 भाग-1 के परिश ट 10 म द<br />

हुई शतो्र के अधीन रहते हुए येक मामले म<br />

ितवष 0 3000/- क सीमा तक।<br />

शासनादेश सं0 ए-2-436/दस-86 ए0 यू0 (18)-<br />

85 दनांक 23-4-86<br />

शासनादेश सं0- 2-996/दस-86-14(30)-73<br />

दनांक 30-9-86<br />

शासनादेश सं0-2-313/दस-90-14(30)-73 दनांक<br />

19 माच, 1990


308<br />

वीकृ त करने क अिधकतम सीमा 0<br />

3000/- ितमा◌ाह होगी<br />

3- एक लाख जनसं या से कम के नगर<br />

म 0 1.50 ितवग फु ट कारपेट एरया<br />

तक, इस शत के अधीन क येक मामले<br />

म कराया वीकृ त करने क अिधकतम<br />

सीमा 2000/- 0 ितमाह होगी<br />

4- टाउन एरया/नोटफाइड एरया म:<br />

0 0.50 ितवग फु ट कारपेट एरया तक:<br />

ितब ध येक दशा म यह ह क<br />

कायालय के िलए जगह व त (सी) वभाग<br />

के शासनादेश सं या: सी-2299/दस-एच-<br />

639-61 दनांक 8, जून 1965 म िनधारत<br />

मानक नमूने के अनुसार ली जाय।<br />

ट पणी-1 उपरो त सीमा अिधकतम सीमा<br />

ह और वभागा य एवं म डलायु त ारा<br />

अिधक से अिधक स ता थान ा त करने<br />

के िलए यास कये जाने चाहए। ट पणी-<br />

2 कारपेट एरया का ता पय भवन के<br />

लोर एरया से ह जसम कचन, बरामद<br />

मोटर गैरेज, गैलर तथा पैसेज के लोर<br />

शासनादेश सं0-2-24/दस-91-14(30)-73 दनांक<br />

11 जनवर, 1991<br />

शासनादेश सं0-2-2672/दस-94-24-6-94 दनांक<br />

23-12-1994


309<br />

एरया शािमल नहं होगे।<br />

ट पणी-3 जनपद व म डल तर के<br />

कायालय अपना कराया िनधारण<br />

म डलायु त के सतर पर करायगे।<br />

ट पणी-4 शेष कायालय जसम मु यत:<br />

वभागा य तर के कायलय होग,<br />

वभागा य से अपना कराया िनधारत<br />

करायगे।<br />

ट पणी-5 वभागा य एवं म डलायु त<br />

को ितिनहत व तीय अिधकार क सीमा<br />

से अिधक के मामले शासन के शासकय<br />

वभाग को संदिभत कये जायगे।<br />

3. शासकय वभाग: ण अिधकार िन निलखत शत के<br />

अधीन:<br />

(1) रट क ोल ए ट के अधीन िनधारत<br />

अथवा थानीय नगरपािलका ारा िनधारत<br />

कराये से जैसी भी थित हो कराया<br />

अिधक न हो। जहॉं इस कार का भवन<br />

कराये पर उपल ध न हो वहां कराया उस<br />

कराये से अिधक नहं होना चाहए जससे<br />

जलाधीश ारा उिचत माणत कया गया<br />

हो और संबंिधत थानीय िनकाय को<br />

सूिचत कया गया हो।


310<br />

(2) जहां क भवन कायालय के उपयोगाथ<br />

िलया जा रहा हो व त (सी) वभाग के<br />

शासनादेश सं या सी-2299/दस-एच-639-<br />

61 दनांक 8 जून, 1965 म िनधारत<br />

मानक नमून का यथे ट यान रखा जाना<br />

चाहए और अ य मामल म जगह<br />

औिच य पूण आव यकताओं से अिधक नहं<br />

होना चाहए।<br />

ट पणी- 1 सरकार कायालय के िलए<br />

ाइवेट भवन कराये पर लेने के िलए<br />

िन न या अपनाई जायेगी।<br />

सरकार कायालय के िलए कराये पर िलये<br />

गये जो भवन उ तर देश शहर भवन<br />

कराये पर देने कराये तथा बेदखली का<br />

विनयमन अिधिनयम 1972 के ावधान<br />

के अ तगत आ गये ह यद उनका कराया<br />

बढाने क मांग मकान मािलक ारा क<br />

जाती ह तो इसके िलए उ त अिधिनयम<br />

क धारा 21 (8) के ावधान का पालन<br />

करना होगा जसके अनुसार कसी भी<br />

भवन क थित म जला मज ेट,<br />

मकानदार के आवेदन प पर उसके िलए<br />

देय मािसक कराया को उतनी धनरािश<br />

तक बढा सकता ह जो कराये दार के<br />

अधीन भवन के बाजार मू य के दस


311<br />

ितशत के बाहरव भाग के बराबर होगा<br />

और इस कार बढाया गया कराया<br />

आवेदन प के दनांक के ठक बाद पडने<br />

वाले करायेदार के मास के ार भ से देय<br />

होगा क तु अे तर वृ करने के िलए<br />

इस कार के आवेदन प वृ के अतम<br />

आदेश के दनांक से पांच वष क अविध<br />

क समाि के प चात ह दया जा सके गा।<br />

यद उभयप के बीच कसी िनधारत<br />

अविध तक कराया न बढाने क शत तय<br />

हो चुक हो तो उस अविध तक कराये क<br />

वृ संभव नहं होगी।<br />

7. भ डार ( टोस) व तुएं (मैटरय स) 1- वभागा य<br />

औजार और संयं इ याद के संह 2- शासकय वभाग<br />

येक मामले म 0 2500/- ितवष तक।<br />

पूण अिधकार<br />

करने के िनिम त कराए पर िलए गए<br />

गोदाम का कराया वीकृ त करना।<br />

8. नीलामकताओं को जहां उनक सेवाएं वभागा य<br />

उनके ारा ब क सकल धनरािश के 5 ितशत<br />

लेना अिनवायु समझा जाए कमीशन का<br />

भुगतान वीकृ त करना।<br />

क अनिधक दर तक क तु नीलामकता क िनयु<br />

के संबंध म शासकय वभाग क अनुमित ा त<br />

करनी होगी।<br />

9. दशिनय के िलए यय वीकृ त करना वभागा य<br />

एक वष म 0 10000/- तक इस शत के अधीन<br />

जनम परवहन यय, अ थायी<br />

क उ त के संबंध म कोई विश ट वीकृ ितयां न<br />

कमचारय का याा भ ता, आकमक<br />

हो।<br />

यय इ याद समिलत ह।<br />

10. अपने िनयंणाधीन कायालय के िलए सिचवालय के शासकय वभाग एक वष से अनिधक अविध के िलए क तु शत यह


312<br />

टेलीफोन कने शन वीकृ त करना।<br />

11. अवर कमचारय को वद तथा गम<br />

कपड क स लाई वीकृ त करना।<br />

12. नगर पािलका/महापािलका अथवा<br />

कै टोनमट करो तथा बजली और पानी<br />

संबंधी यय का भुगतान वीकृ त<br />

करना।<br />

13. वभाग के सामा य कार के ासंिगक<br />

यय, जसके िलए अ य कोई विश ट<br />

ितिनधायन नहं कया गया हो,<br />

वीकृ त करना।<br />

14. वतमान आविसक भवन म सुधार के<br />

िलए अनुमान क शासकय वीकृ ित<br />

दान करना।<br />

कायालया य<br />

कायालया य<br />

1- शासकय वभाग<br />

2- वभागा य<br />

3- कायालया य<br />

1- वभागा य<br />

2- शासकय वभाग<br />

क इस संबंध मं होने वाला यय आय- ययक म<br />

टेलीफोन यय के िलए विश ट प से क गयी<br />

यव था से पूरा हो जाये और इस िनिम त<br />

यवथत धनरािश म पुनविनयोग ारा वृ कए<br />

बना कया जाए।<br />

पूण अिधकार<br />

व0िन0सं0 ख ड-5 भाग-1 के तर 165 म द<br />

गई शत के अधीन पूण अिधकार।<br />

1- अनावतक तथा आवतक, आय- ययक यव था<br />

के अंतगत पूण अिधकार।<br />

2- अवतक 0 2000/- तक अनावतक 0<br />

25000/- तक।<br />

आवतक 0 100/- तक अनावतक 0 500/-<br />

तक।<br />

आय- ययक ावधान के अंतगत येक मामले म<br />

0 1000/- तक<br />

आय- यय ावधान के अंतगत येक मामले म<br />

0 50000/- क सीमा तक शत यह ह क<br />

मानक कराया या ऐसे वग के कराएदार क,<br />

जनके िलए यह बना हो औसत उपलधय के 10<br />

ितशत से अिधक न हो।


313<br />

15. छोटे िनमाण काय (पेट व स)<br />

िन पादन तथा सभी कार क<br />

मर मत के िलए टे डर/ठेके वीकृ त<br />

करना।<br />

16. नयी साज-स जा का य वीकार<br />

करना।<br />

1- कायालया य<br />

शासनादेश सं0: 88/xxvii(3)/काय/2005 दनांक<br />

24 फरवर, 2005 के अनुसार आय- ययक<br />

ावधान के अ तगत येक मामले म 0<br />

200000/- तक क तु शत यह ह क अनुमान<br />

वभागा य ारा वीकृ त कर दये गये ह।<br />

2- वभागा य<br />

आय- ययक ावधान के अंतगत येक मामले म<br />

0 500000/- तक।<br />

1- वभागा य िन निलखत शत के अधीन पूण अिधकार-<br />

2- शासकय वभाग 1- कसी एक व तु का मू य 0 10000/- से<br />

अिधक नहं होगा।<br />

2- य क िनधारत या का पालन कया जाना<br />

चाहए।<br />

3- वीकृ त विशष ्ट ावधािनत अनुदान के<br />

अंतगत िनिधयां उपल ध ह।<br />

0 10000/- से ऊपर के मू य क कसी व तु के<br />

मामले म व त वभाग क सहमित ा त करनी<br />

होगी।<br />

ट पणी- नई साज-स जा क ेणी म आने वाली<br />

व तुओं क सूची: 1- टाइपराइटर, 2-<br />

डु लीके टर/फोटो टेट मशीन, 3- टाइमपीस लाक,<br />

4- वाटर बिमन/जग तसला, 5- वाटर कू लर<br />

एकजा ट पंखे, एअर क डशनर और म हटर, 6-<br />

फोटोाफ उपकरण, 7- अ पताल के िलए बेड, 8-<br />

पंच मशीन व टेपलर, 9- कै लकु लेटर, 10-<br />

अलमार व कै श सेफ।


314<br />

17. कायालय फनचर फ चस का य<br />

वीकृ त करना।<br />

18. उनके वयं के कायालय के िलए तथा<br />

उनके अधीन थ कायालय के िलए<br />

लेखन सामी व कागज का य<br />

करना।<br />

19. सामा य उपयोग क व तुएं जनका दर<br />

अनुबंध न हो सीधे य करना (उोग<br />

िनदेशक के मा यम से नह)<br />

20. आपात थित म जब उोग िनदेशक<br />

के सामी य अनुभाग के मा यम से<br />

सामी य म वल ब क थित हो<br />

जससे सावजिनक सेवा म गंभीर<br />

असुवधा हो रह तो ऐसी सामी को<br />

सीधे करना।<br />

21. वल ब शु क (डैमरेज/वारपेजचाजज)<br />

पर यय वीकृ त करना।<br />

22. मृतक सरकार कमचारय के बकाया<br />

वेतन/भ त आद के दाव के भुगतान<br />

वीकृ त करना।<br />

1- वभागा य आय- ययक िनयतन के अंतगत पूण अिधकार।<br />

2- कायालया य वभागा य ारा आंवटत धनरािश क सीमा तक।<br />

1- वभागा य एक बार म 0 50,000/- तक<br />

2- कायालया य एक बार म 0 20,000/- तक फाइलकवर,<br />

फाइलबोड तथा कै डक क आपूित खाद ामोोग<br />

बोड के मा यम से क जायेगी।<br />

1- वभागा य एक समय म 0 25,000/- तक।<br />

2- कायालया य एक समय म 0 5,000/-<br />

1- शासकय वभाग पूण अिधकार<br />

2- वभागा य एक समय म 0 1,00,000/- तक।<br />

3- कायालया य एक समय म 0 20,000/- तक।<br />

1- शासकय वभाग पूण अिधकार<br />

2- वभागा य पूण अिधकार क तु 0 2500/- से अिधक के<br />

मामले म शासकय वभाग को सूिचत करना<br />

होगा।<br />

3- कायालया य पूण अिधकार पर तु 0 1000/- से अिधक के<br />

येक मामले म वभागा य को सूिचत करना<br />

होगा।<br />

1- वभागा य 0 5000/- से अिधक सकल धनरािश के दाव के<br />

बारे म।<br />

2- कायालया य 0 5000/- के सकल धनरािश के दाव तक।


315<br />

23. फालतू एवं िन यो य भ डार का<br />

वय वीकृ त करना (अिभय ण<br />

वभाग को छोडकर)<br />

1- कायालया य (थम ेणी अिधकार) 0 5000/- से अनिधक मूल मू य तक इस<br />

ितब ध के साथ क फालतू भ डार का वय 20<br />

ित0 से अनिधक हािसत मूल ्य पर कया जाए।<br />

2- वभागा य (क) 0 50,000/- से अनिधक मूल मू य के<br />

फालतू भ डार का वय 20 ित0 से अनिधक<br />

हािसत मू य पर कया जाए।<br />

(ख) 0 50,000/- से अनिधक मूल मू य के<br />

िन यो य भ डार को।<br />

3- म डलायु त राज व वभाग के संबंध म:<br />

(क) 0 50,000/- से अनिधक मूल मू य के<br />

फालतू भ डार का वय 20 ित0 से अनिधक<br />

हािसत मू य पर कया जाए।<br />

(ख) 0 50,000/- से अनिधक मूल मू य के<br />

िन यो य भ डार को।<br />

4- शासकय वभाग येक मामले म 0 50,000/- से अिधक एवं<br />

0 3,00,000/- तक ऊपर मद सं0-2 म<br />

उलखत शत के साथ।<br />

ट पणी- जब भ डार कसी ाविधक या औोिगक<br />

वालय का हो तो वय के िलए परामशदाी<br />

सिमित क वीकृ ित आव यक होगी।<br />

0 3,00,000/- से अिधक लागत क फालतू एवं<br />

िन योज ्य भ डार के वय के ताव पर िनणय<br />

िलए जाने हेतु शासकय वभाग के मुख<br />

सिचव/सिचव क अ यता म एक सिमित का<br />

गठन कया जायेगा जसके सद य व त वभाग के


316<br />

24. भ डार या लोकधन क अवसूलनीय<br />

हािनयां जनके अंतगत पूणत: न ट<br />

टा प क हािन भी समिलत ह, को<br />

बटे म डालना।<br />

ितिनिध (जो संयु त सिचव के तर से नीये के न<br />

हो) तथा संबंिधत वभागा य हगे। के वल<br />

अितविश ट तथा जटल मामले म ह व त<br />

वभाग को संदिभत कया जायगे।<br />

1- कायालया य (थम ेणी के येक मामले म 0 2000/- तक क तु यह वष<br />

अिधकार)<br />

म कु ल 10,000/- क सीमा तक।<br />

2- वभागा य येक मद म 0 20000/- क सीमा तक बशत<br />

मद के समूह का कु ल मू य एक वष म 0<br />

50,000/- से अिधक न हो।<br />

3- म डलायु त राज व वभाग के संबंध म:-<br />

येक मद म 20,000/- क सीमा तक बशत मद<br />

के समूह का कु ल मू य एक वष म 0 50,000/-<br />

से अिधक न हो।<br />

4- शासकय वभाग येक मद म 0 20000/- से अिधक तथा 0<br />

50000/- से अनिधक क सीमा तक बशत मद के<br />

समूह का कु ल मू य 0 1,00,000/- से अिधक न<br />

हो।<br />

उपरो त ितिनधायन इस शत के अधीन ह क<br />

हािन से इस बात का पता न चलता हो क:-<br />

1- णाली का कोई दोष ह। जसम संशोधन के<br />

िलए उ चतर ािधकार के आदेश क आव यकता<br />

हो, अथवा<br />

2- कसी एक वशेष अिधकार अथवा अिधकारय<br />

क ओर से कोई घोर आसावधनी क गयी हो<br />

जसके िनिम त अनुशािसनक कायवाह करने के


317<br />

25. दुघटनाओं, जालसाजी, असावधनी या<br />

अ य कारण से खोए या न ट हुए या<br />

ित त हुए भ डार एवं अ य<br />

स प के वसूल न हो सकने वाले<br />

मू य या खोये सरकार धन क वसूल<br />

न हो सकने वाली धनरािशय को बटे<br />

खाते डालना।<br />

26. सरकार पु तकाल से खोड अथवा न ट<br />

हुई पु तको क अवसूलनीय हािनय को<br />

बटे खाते म डालना।<br />

िलए उ चतर ािधकार के आदेश क आव यकता<br />

हो।<br />

1- कायालया य (थम ेणी के येक मामले म 0 2000/- तक बशत एक वष<br />

अिधकार)<br />

म 0 10,000/- से अिधक क हािनयां बटे खाते<br />

म न डाली जाय।<br />

2- वभागा य येक मद म 0 20,000/- क सीमा तक क तु<br />

एक वष म कु ल 0 50,000/- क अिधकतम<br />

सीमा तक।<br />

3- म डलायु त राज व वभाग के संबंध म-<br />

येक मद म 0 20000/- क सीमा तक क तु<br />

एक वष म कु ल 0 50000/- क अिधकतम<br />

सीमा तक।<br />

4- शासकय वभाग येक मद म 0 20000/- से अिधक तथा 0<br />

50000/- से अनिधक क सीमा तक बशत मद के<br />

समूह का कु ल मू य 0 1,00,000/- से अिधक न<br />

हो।<br />

ट पणी- उपरो त ितिनधायन उ हं शत के<br />

अधीन ह जो .सं. 24 म उलखत ह तथा<br />

कायालया य उ त अवसूलनीय हािनयां के<br />

अपलेखन के संबंध म वभागा य को भी सूिचत<br />

करगे।<br />

1- वभागा य एवं जनपद यायाधीन येक पु तक के संबंध म 0 250/- के मू य<br />

तथा उप पुिलस महािनरक<br />

तक क तु एक वष म कु ल 20000/- को<br />

अिधकतम सीमा तक।<br />

2- शासकय येक पु तक के संबंध म 0 500/- के मू य


318<br />

तक क तु एक वष म कु ल 0 1,00,000/- क<br />

अिधकतम सीमा तक।<br />

ट पणी- 0 500/- से अिधक मू य के येक<br />

पु तक के मामले व त वभाग क सहमित से<br />

िन तारत हगे।<br />

27. राज व क हािन (जनके अ तगत 1- वभागा य 0 5000/- क सीमा तक ितब ध यह ह क<br />

यायालय ारा ड क गयी<br />

शासिनक वभाग को यथानुसार अवगत कराया<br />

अवसूलनीय धनरािश भी समिलत ह)<br />

जाये।<br />

या अवसूनलीय ऋण या अिम धन 2- म डलायु त राज व वभाग के संबंध म-<br />

का बट खाते म डालना।<br />

0 5000/- क सीमा तक ितब ध यह ह क<br />

शासिनक वभाग को यथानुसार अवगत कराया<br />

जाये।<br />

3- शासकय वभाग 0 10,000/- क सीमा तक।<br />

0 10000/- से अिधक 0 1,00,000/- क<br />

सीमा तक व त वभाग क सहमित से।<br />

ट पणी- उपरो त अिधकार का योग उ हं शत<br />

के अधीन कया जायेगा जो .सं. 24 म<br />

उलखत ह।<br />

28. थायी अिम स ्वीकृ त करना। 1- शासकय वभाग व तीय िनयम संह ख ड 5 भाग-1 के पैरा 67 म<br />

उलखत शत के अधीन पूण अिधकार।<br />

29. भवन िनमाण/य व मर मत व तार शासन के सिचव, वभागा य, पूण अिधकार<br />

के िलए सरकार सेवक को अिम म डलायु त, जलािधकार एवं जला<br />

वीकृ त करना।<br />

यायाधीश<br />

30. कार/जीन, क युटर, मोटरसाइकल, 1- शासन के सिचव, वभागा य, पूण अिधकार<br />

कू टर मोपेड तथा साइकल य हेतु म डलायु त, जलािधकार एवं जला


319<br />

सरकार सेवक क अिम वीकृ त<br />

करना।<br />

31. वयं अथवा अधीन थ सरकार सेवक<br />

को थाना तरण अथवा उ च<br />

िशा/िशण दौरो पर जाने हेतु<br />

अिम वेतन, याा भ ता वीकृ त<br />

करना।<br />

32. अवकाश याा सुवधा हेतु अित<br />

वीकृ त करना।<br />

33. कानुनी वाद के िलए अिम वीकृ त<br />

करना।<br />

34. कायालय के गाडय/मोटर वाहन के<br />

डजल/पेोल, मोबल आयल के य<br />

हेतु अिम वीकृ त करना।<br />

35. सामान क पूित, मशीन क मर मत<br />

तथा वाषक रखरखाव आद के गैर<br />

सरकार फम पाटय क अिम<br />

भुगतान वीकृ त करना।<br />

36. अपने अधीन कायालय के िलए आहरण<br />

एवं वतरण अिधकार घोषत करना।<br />

यायाधीश<br />

2- कायालया य के वल साइकल य हेतु<br />

कायालया य<br />

पूण अिधकार<br />

कायालया य<br />

पूण अिधकार<br />

कायालया य<br />

व0िन0सं0-9 ख ड-5 भाग-1 के तर 249 म<br />

उलखत शत/सीमाओं के अधीन पूण अिधकार।<br />

कायालया य एवं वभागा य<br />

0 25000/- या एक माह के खपत के मू य तक<br />

जो भी कम हो।<br />

ट पणी- पूव म वीकृ त अिम के समायोजन के<br />

बाद ह दुबारा अिम वीकृ त कया जाये।<br />

शासकय वभाग एवं वभागा य कसी मामले म 0 25000/- से अनिधक क<br />

सीमा तक। 0 25000/- से अिधक के मामले<br />

व त वभाग क सहमित से।<br />

शासकय वभाग<br />

िन निलखत शत के अधीन पूण अिधकार संबंिधत<br />

अिधकार जो क एक वतं इकाई के प म हो<br />

का सव च राजपत अिधकार हो और लेखा<br />

या तथा व तीय िनयम से पूव भली भांित<br />

परिचत हो।<br />

2- उ त अिधकार को कम से कम पांच वष का


320<br />

37. कसी अिधकार को जले म<br />

कायालया य घोषत करना।<br />

38. कसी अिधकार को मूल िनयम<br />

सहायक िनयम तथा लेखा िनयम हेतु<br />

वभागा य घोषत करना।<br />

39. सरकार सेवक को वकलांगता अवकाश<br />

के अितर त अ य अवकाश वीकृ त<br />

करना।<br />

40. सामा य थित म सामा य भव य<br />

िनिध से अ थायी अिम वीकृ त<br />

करना<br />

शासकय वभाग<br />

शासकय वभाग<br />

िनयु अिधकार<br />

कायालया य<br />

शासकय अनुभव हो।<br />

कािमक वभाग के परामश से पूण अिधकार।<br />

िन निलखत शत के अधीन पूण अिधकार।<br />

1- अिधकार एक पृथम संगठन का सव च<br />

अिधकार होना चाहए।<br />

2- अिधकार को ेीय या परे तर का<br />

अिधकार होना चाहए,◌ जसके वेतनमान का<br />

अिधकतम 0 4500 (पुराना वेतनमान) से कम न<br />

हो।<br />

3- कािमक वभाग के परामश से आदेश िनगत<br />

कए जायगे।<br />

पूण अिधकार<br />

ट पणी- राजपत अिधकार जनके िनयु<br />

अिधकार शासन ह, 60 दन तक का अजत<br />

अवकाश एवं 90 दन का िचक सा माण प पर<br />

अवकाश वभागा य ारा वीकृ त कया जायेगा।<br />

2- यद शासकय वभाग ने अपने वभाग के<br />

अधीन अिधकारय को वभाग म िनहत अिधकार<br />

क सीमा तक अिधकार का पुन: ितिनधायन कर<br />

रखा ह तो ऐसे मामल म इन अिधकार का योग<br />

संबंिधत अिधकार ारा कया जा सके गा।<br />

पूण अिधकार।


321<br />

41. वशेष परथित म सामा य भव य<br />

िनिध से अिम या अतम िन कासन<br />

वीकृ त करना।<br />

सा0भ0िन0 िनयमावली 85 के तीय<br />

अनुसूची (2) म उलखत अिधकार या<br />

अ य अिधकार ज ह शासन ने सम<br />

घोषत कया हो।<br />

पूण अिधकार।


322<br />

षेक,<br />

राधा रतूड<br />

सिचव, व त,<br />

उ तरांचत शासन।<br />

सं या 88/xxvii (3)/काय/2005<br />

सेवा म,<br />

सम त वभागा य/मुख कायालया य,<br />

उ तरांचल।<br />

व त अनु0-3 देहरादून, दनांक 24 फरवर, 2005<br />

वषय:- छोटे काय (पेट व स) तथा लधु काय (माइनर व स) क आिथक सीमा म<br />

वृ।<br />

महोदय,<br />

उपयु त वषयक उ तर देश शासन के व त (लेखा) अनुभाग-2 के शासनादेश सं या-<br />

ए-2-686/दस-24(18)/85 दनांक 19 अ टूबर, 1985 क ओर आपका यान आकषत करते हुए<br />

मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क इमारती सामान, मजदूर आद के मू य म वृ के कारण<br />

छोटे काय (पेट व स) तथा लधु काय (मदनर व स) क वतमान अिधकतम सीमा जो व तीय<br />

िनयम संह ख ड-5 भाग-1 के तर 262 तथा व तीय िनयम संह ख ड-6 के तर-314<br />

के अ तगत मश: 0 1,00,000/- तथा 0 2,00,000/- ह, को बढा कर मश: 0<br />

2,00,000/- (0 दो लाख मा) तथा 0 5,00,000/- (0 पॉंच लाख मा) करने और 0<br />

5,00,000/- से ऊपर के काय बडे काय (मेजर व स) के वग म करने क ी रा यपाल महोदय<br />

वीकृ ित दान करते ह। तदनुसार ता कािलक भाव से उपरो त िनयम म उलखत मूल<br />

काय का वगकरण िन निलखत व तीय सीमाओं के अनुसार होगा:-<br />

(1) छोटे काय (पेट काय) जनक लागत 0 2,00,000/- से अिधक<br />

न हो।<br />

(2) लघु काय (माइनर व स) जनक लागत 0 2,00,000/- से अिधक लेकन<br />

0 5,00,000/- से अिधक न हो।<br />

(3) बडे काय (मेजर व स) जनक लागत 0 5,00,000/- से अिधक हो।<br />

2- मुझे यह भी कहना ह क 0 2,00,000/- से ऊपर तथा 0 5,00,000/- तक क<br />

लागत के छोटे काय (पेट व स) का िन पादन लोक िनमाण वभाग अथवा अ य अिभय ण<br />

वभाग ारा कराया जायेगा।


323<br />

3- बृहद िनमाण काय/बडे काय के ह लो0िन0व0 क दर पर आगणन गठत कर<br />

शासन/व0व0 क वीकृ ित हेतु ेषत कये जायेगे तथा छोटे व लघु काय िनवतन पर रखी<br />

गयी धनरािश से िनमाण के िनयम/ दर का अनुपालन करते हुए वभागाध ्य ारा अपने तर<br />

से कराये जायगे।<br />

4- व तीय िनयम संह ख ड-5, भाग-1 तथा ख ड-6, के संगत िनयम म आव यक<br />

संशोधन तथा समय कये जायगे।<br />

भवदय<br />

राधा रतूड<br />

सिचव, व त,<br />

उ तरांचल


324<br />

लेखा के सामा य िनयम:<br />

उत ्तरांचल शासन के व अवशेष दाव क पूव लेखा परा<br />

उ तरांचल शासन के व कोई भी अवशेष दावा यद देय ितिथ से एक वष के भीतर<br />

भुगतान हेतु तुत नहं कया जाता ह तो ऐसा देयक कालातीत हो जाता ह। कालातीत देयक<br />

का भुगतान बना पूव लेखा परा (ी-आडटर) के नहं कया जा सकता ह। पूव लेखा परा<br />

का अिधकार पहले महालेखाकार उ तरांचल को था। शासनादेश सं या ए-1-2929/दस-3/1(6)-<br />

65 दनांक 18 िसत बर, 1985 ारा अवशेष दाव क पूव लेखा परा का काय महालेखाकार से<br />

हटाकर उ तरांचल शासन के कायालय म िनयु त उ तरांचल व त एवं लेखा सेवा और सहायक<br />

लेखािधकार सेवा के वर ठतम अिधकार को सपा गया ह। जन वभागा य के कायालय म<br />

उ त सेवा के अिधकार िनयु त नहं ह उनम कालातीत अवशेष दाव क पूव लेखा परा करने<br />

का दािय व वभागा य को दया गया ह। वभागा य ऐसे दाव क व तृत जायं अपने<br />

कायालय म िनयु त लेखा कमचारय के मा यम से सुिनत करेग।<br />

(1) मा कोषागार म आ प लगा देने से कालातीत देयक क समय सीमा नह बढती।<br />

(2) यद सम ािधकार ारा एक बार पूव स ेा क अनुमित दे दया जाता ह तथा 6<br />

माह म संबंिधत कोषागार म तुत कया जाना चाहए। यद कसी कारण भुगतान न<br />

हो सके तब भुगतान हेतु पुन: शासन क अनुमित क आव यकता नहं होगी। अपतु<br />

अिधकतम तीन बार रवैलीडेड (Revailidated) करने का अिधकार वभाग म िनयु त<br />

व त िनयंक म िनहत ह। यद इसके बावजूद वल ब हो तब स बधत अिधकारय<br />

के व अनुशासना मक कायवाह क जानी चाहए। यक पूव स ेत देयक थम<br />

वरयता पर भुगतान कया जाना चाहए। ीआडट हेतु एक मानक सील बनाकर जसम<br />

वीकृ ित क ितिथ भुगतान क अविध, धनरािश एवं वीकृ ित (ीआडट) करने वाले<br />

व त िनयंक के ह तार का ावधान हो लगाया जाय।<br />

िन निलखत ेणी के देयक कालातीत नहं होते ह तथा उनका भुगतान बना पूव लेखा<br />

परा के कया जा सकता ह:-<br />

1- पशन से स बधत देयक जो क वशेष िनयम के अ तगत विनयिमत होते ह।<br />

2- 0 1,000/- से कम के देयक जो क देय ितिथ से तीन वष के अ तगत भुगतान हेतु<br />

कोषागार म तुत कये जाते ह।<br />

3- ऐसे अराजपत कमचारय के वेतन एवं भ त के दावे जनके क नाम शासन के<br />

िनयम अथवा आदेश के अ तगत वेतन बल म नहं दशाये जाते ह।<br />

4- सरकार क ितभूितय पर याज के स ब ध म दावे।<br />

5- कोई अ य दावा जसको क सरकार के कसी िनयम अथवा आदेश के अ तगत इस<br />

कार से छू ट दान क गयी हो।<br />

(व तीय ह त पुतका ख ड-5, भाग-1 पैरा 74 (ए)-(1)


325<br />

ऐसे अिधकारय, जनक िनयु/जनका थाना तरण विभ न वभाग म होता रहता<br />

ह, के कालातीत दाव क पूव लेखा परा, उसी वभागा य अथवा उसके कायालय म िनयु त<br />

उ तर देश व त एवं लेखा सेवा अथवा सहायक लेखािधकार संवग जैसी भी थित हो, के<br />

अिधकार ारा क जायेगी, जस वभाग म वे उस अविध म कायरत थे जस अविध का दावा<br />

ह।<br />

सिचवालय म कायरत अिधकारय, जनके वतेन भ त का भुगतान सिचवालय के इरता<br />

चेक् स अनुभाग ारा कया जाता ह, के सिचवालय म कायाविध से स बधत कालातीत दाव क<br />

पूव लेखा परा इरला चे स अनुभाग से िनयु त वर ठतम लेखािधकार ारा कया जायेगा।<br />

सिचवालय म कायरत अ य अिधकारय एवं कमचारय के याा भ ता के कालातीत<br />

दाव क पूव लेखा परा सिचवालय के उसी अनुभाग ारा क जायेगी जस वभाग म<br />

कमचार/अिधकार उस समय कायरत था जस समय का दावा तुत कया गया ह।<br />

व तीय िनयम संह ख ड पांच भाग एक के तर 74 (बी) (5) के नीचे अंकत नोट<br />

2 म यह ावधान ह क यद याा भ ता का दावा शासिनक अिधकारय ारा उसके देये होने<br />

क ितिथ से एक वष के अ दर भुगतान हेतु तुत नहं कया जाता ह तो ऐसे कालातीत याा<br />

भ ता दावे का भुगतान वल ब के कारण क व तृत जांच कये बना तथा बना व त वभाग<br />

क वशेष वीकृ ित के नहं कया जायेगा। उ त िनयम म यह भी यव था ह क यद<br />

शासिनक वल ब के कारण यथोिचत नहं ह तो उ तरदायी य के व यथोिचत कायवाह<br />

क जायेगी। इस स ब ध म शासनादेश सं या ए-1-2923/दस-3/1(6) 65 दनांक 18 िसत बर,<br />

1985 ारा शासन ने यह िनणय िलया ह क ऐसे कालातीत याा भ ता दाव के भुगतान के<br />

स ब ध म दाव क पूव स परा क वीकृ ित के िलये अब व त वभाग क वशेष वीकृ ित<br />

अपेत नहं होगी। ऐसे याा भ ता दाव क पूव स परा क वीकृ ित देने के िलये<br />

शासिनक वभाग वयं सम होगे। उ त िनयम क शेष शत अथात ् वल ब के कारण क<br />

व तृत जांच कराये जाने तथा उ तरदायी य के व उिचत कायवाह कये जाने आद क<br />

यव था यथावत रहेगी।<br />

कायालया य/िनयंक अिधकार अथवा वभागा य जैसी भी थित हो, से अपेत ह<br />

क वे दाव को पूव स परा हेतु भेजने से पूव यह भली भांित सुिनत कर लगे क दावे<br />

िनयमानुसार सह ह, देय ह, और उनका भुगतान इससे पूव नहं कया गया ह। वे यह भी देखगे<br />

क दाव के भुगतान म वल ब कन परथितय म हुआ और यह सुिनत करगे क भुगतान<br />

म हुये वल ब के िलये दोषी कमचारय/ अिधकारय के व आव यक कायवाह कर ली गयी<br />

ह। उनके ारा स बधत दावे पर उपरो त आशय का माण प भी अंकत कया जायेगा।<br />

यद सरकार कमचार/अिधकार ारा वयं से स बधत याा भ ता देयक अपने<br />

कायालया य या िनयंक अिधकार को देय ितिथ से एक वष के भीतर नहं तुत कया जाता<br />

ह तो ऐसे याा भ ता जसम दैिनक भ ता भी समिलत ह, का दावा समा त हो जाता ह और<br />

ऐसे याा भ ता देयक का भुगतान नहं कया जा सकता ह चाहे वह कसी भी ेणी का


326<br />

अिधकार/कमचार हो अथवा ऐसा दावा चाहे जतनी ह धनरािश का य न हो।<br />

कायालया य/वभागा य को ऐसे दाव को वीकार (इ टरटेन) नहं कया जाना चाहये।<br />

(FHB Vol Part-I Para 74 (b) – (5) (a) का नोट (1)<br />

कालातीत दाव क वैधता अविध का िनधारत<br />

शासनादेश सं या ए-1-373/दस-88/3(1)(6)/65, दनांक 8 अग त, 1988 ारा यह<br />

यव था द गयी ह क कालातीत देयक के पूव स ेण क वैधता क अविध स बधत<br />

अिधकारय ारा कये पूव स ेण क ितिथ से 6 माह होगी। जन मामल म पूव स ेत<br />

देयक को भुगतान हेतु पूव स परा क ितिथ 6 माह क अविध के अ दर स बधत कोषागार<br />

म तुत नहं कया जाता ह उ ह भुगतान हेतु पुनवैध (Revalidate) कराया जाना आव यक<br />

होगा और ऐस पुनवैधीकरण (रवैलीडेशन) वभागा य कायालय के उ हं अिधकारय ारा<br />

कया जा सके गा, ज हने स बधत देयक का पूव स परण कया था।<br />

कालातीत अवशेष दाव क पूव स परा करने क या<br />

शासनादेश सं या ए-1-3959/दस-5/1/61-65 दनांक 23 जनवर, 1986 म अवशेष<br />

दाव क पूव स परा क व तृत या बतायी गयी ह जो क िन नवत ह:-<br />

1- वभागा य कायालय म एक रज टर रखा जायेगा जसका ाप िन निलखत होगा:-<br />

ं . कायालय दावा दावे क दावे क दावे पर दावे क पूव अ यु<br />

सं. का नाम<br />

जहां से<br />

दावा<br />

ा त<br />

हुआ ह<br />

ा त<br />

होने<br />

का<br />

दनांक<br />

कृ ित<br />

(वेतन<br />

भ ते या<br />

आकमक<br />

यय<br />

आद)<br />

धनरािश क गयी<br />

कायवाह<br />

कायालया य<br />

को वापसी का<br />

पांक एवं<br />

दनांक<br />

स परा<br />

करने<br />

वाले<br />

अिधकार<br />

का<br />

ह तार<br />

1 2 3 4 5 6 7 8 9<br />

2- नािमत अिधकारय के माणत ह तार कोषागार को नहं भेजे जायगे।<br />

3- पूव स परा के बाद बल पर ािधकृ त अिधकार ारा भुगतान आदेश अथवा आप,<br />

जैसी भी थित हो अंकत क जायेगी।<br />

4- यद पूव स परा के बाद दावे पर भुगतान आदेश अंकत कये जाते ह तो उसके साथ<br />

दावे के भुगतान क वीकृ ित के स ब ध म आदेश भी जार कये जायगे, जो स बधत<br />

कायालया य को स बोिधत हगे और उसक ितिलप महालेखाकार व संबंिधत<br />

कोषािधकार को पृ ठांकत क जायेगी। आप वाले दावे के संबंध म भी स बधत<br />

कायालया य को स बोिधत करते हुए एक प जार कया जायेगा जसम दावे के<br />

स ब ध म सभी आपयां उलखत क जायगी।


327<br />

5- आहरण एवं वतरण अिधकार ारा ऐसे दाव को, जनम भुगतान आदेश अंकत ह और<br />

उ ह भुगतान वीकृ ित आदेश िमल गये ह, भुगतान आदेश क वीकृ ित सहत कोषागार<br />

म तुत कया जायेगा जस पर कोषािधकार भुगतान आदेश अंकत करके आहरण एवं<br />

वतरण अिधकार को वापस कर दगे। आहरण एवं वतरण अिधकार ारा उसका<br />

भुगतान ा त करके संबंिधत कमचारय को वतरत कर दया जायेगा।<br />

कालातीत दाव क पूव स परा के िलए ािधकृ त अिधकार ारा कालातीत दाव म<br />

कन-कन बात क जांच क जानी होगी। इस स ब ध म सामा य ब दुओं, ज ह कालातीत<br />

दाव म देखा जाना आव यक ह, क सूची संल न ह।<br />

शासनादेश सं या ए-1-3959/दस-3/1(6)-65 दनांक 23-1-1986 का अनुल नक<br />

वभागा य कायलय म कालातीत अवशेष दाव क पूव स परा के िलये ािधकृ त<br />

अिधकार ारा कालातीत अवशेष दाव को जांचने के िलये आव यक ब दुओं क सूची।<br />

सामा य<br />

(1) परथितयां एवं वशेष कारण जनके अ तगत दावे का भुगतान इसके देय होने क<br />

ितिथ से एक वष के अ दर नहं कया जा सका और इस वल ब को दूर करने के िलये<br />

या कायवाह क गयी?<br />

(2) तीन वष/छ: वष से अिधक पुराने दाव के स ब ध म व तीय िनयम संह ख ड-5,<br />

भाग-1, के तर 74(बी) के अ तगत दावे क जायं वीकार कये जाने के िलये<br />

कायालया य/वभागा य क वीकृ ित बल के साथ संल न ह।<br />

(3) बल िनधारत प म तैयार कया गया ह।<br />

(4) बल पर उिचत वगकरण अंकत ह।<br />

(5) बल पर कटं स, ओवर राईटंगस, आ टरेशन और इरेजस पर माणीकरण वप<br />

आहरण एवं वतरण अिधकार के पूरे ह तार होने चाहये।<br />

(6) बल पर िन निलखत माण प अंकत होने चाहये:-<br />

(क) दावा उिचत और अनुम य ह।<br />

(ख) यह दावा पहली बार तुत कया जा रहा ह ओर इससे पहले इसे आहरत नहं<br />

कया गया ह।<br />

(ग) कायालय अिभलेख म त संबंधी आव यक वयां कर ली गयी ह ताक दोबारा<br />

आहरण संभव न होने पाये।<br />

अवशेष वेतन बल-<br />

(1) थायी एवं अ थायी अिध ठान के दावे एक बल म बनाये गये ह।<br />

(2) अ थायी पद के सृजन के शासकय वीकृ ित आदेश क सं या एवं दनांक बल पर<br />

अंकत होनी चाहये।<br />

(3) व तीय िनयम संह ख ड-5, भाग-1, के तर 141 के अ तगत येक महने का दावा<br />

अलग-अलग दशाया गया ह।


328<br />

(4) बल म वेतन एवं मंहगाई भ ते आद का देय और पूव म आहरण का पूरा ववरण दया<br />

जाना चाहये के वल भुगतान क जाने वाली शु धनरािश का अंकत कया जाता ह<br />

पया त नहं ह।<br />

(5) बल के अ यु के कालम म ेजर, वाउचर (सं या दनांक एवं धनरािश आद) जससे<br />

दावा, आहरण कये जाने से छू ट गया था, अंकत होने चाहये।<br />

(6) अवशेष बल के साथ सभी कार से पूण सेवा-पुतका अवशेष वेतन, अवकाश वेतन,<br />

वेतन वृ एवं अ य भ त के भुगतान के िलये भेजी जानी चाहये तथा उसके साथ-<br />

(अ) अनुपथित ववरण<br />

(आ) वेतन वृ माण प<br />

(इ) अतम वेतन माण प<br />

(ई) िनल बर/बहाली आदेश यथाथित संल न होने चाहये।<br />

कालातीत याा भ ता बल-<br />

(1) दावादार ारा याा भ ता बल पर दनांक सहत ह तार होने चाहये ताक यह<br />

जानना संभव हो सके क याा भ ता का दावा उसके याा समाि ितिथ के एक वष के<br />

अ दर तुत कर दया गया ह।<br />

(2) याा भ ता दावा, इसके देय ितिथ के एक वष क समाि के बाद वीकार नहं कया<br />

जाना चाहये।<br />

(3) याा भ ता बल पर िनयंक अिधकार के ितह तार होने चाहये। याा का उददे य<br />

भी उस पर अंकत होना चाहये।<br />

(4) याा भ ता बल पर िन निलखत माण प भी अंकत होने चाहये:-<br />

(क) याा उसी ेणी म क गयी ह जस ेणी का दावा तुत कया गया ह।<br />

(ख) परवार के सद य, जनके िलये दावा तुत कया गया ह, पूणत: दावेदार पर<br />

िनभर करते ह और वा तव म उसके साथ रहते ह।<br />

(ग) याा जनहत म क गयी ।<br />

(घ) वे थान, जनके िलये (माईलेज एलाउ स) का दावा कया गया ह, बस या<br />

रेलगाड से स ब नहं थे।<br />

(च) राजकय सेवक ारा साधारण े जसके िलये वाहन भ ता दया जाता ह, से<br />

अिधक याा क गयी ह।<br />

(छ) राजकय सेवक को िनधारत याा भ ता नहं दया जाता ह।<br />

(5) यगत समान को मालगाड या क म ले जाये जाने क भुगतान क रसीद भी द<br />

जानी चाहये।<br />

(6) थाना तरण याा भ ता बल म परवार के सद य के ववरण उनक आयु ओर संबंध<br />

के साथ अंकत कये जाने चाहये।


329<br />

कनटनजे ट ब स-<br />

(1) कनटनजे ट दावे म संबंिधत वीकृ ित क माणत ितिलप संल न क जानी चाहये।<br />

(2) यय का सह वगकरण अंकत कया जाना चाहये।<br />

(3) बल, िनयंक अिधकार ारा ितह तारत होने चाहये।<br />

(4) बल म ह तार करने वाले अिधकार का पदनाम आद भी ह तार के नीचे अंकत<br />

होना चाहये।<br />

(5) चालू वष के अनुदान से पछले वष के यय के आहरण कये जाने के स बनध म<br />

परथितय का उ लेख कया जाना चाहये।<br />

(6) िन निलखत माण प बल पर अंकत कये जाने चाहये।<br />

(क) माणत कया जाता ह क दावा ठक, उिचत और अनुम य ह।<br />

(ख) माणत कया जाता ह क दावा थम बार तुत कया जा रहा ह और इससे<br />

पहले इसे आहरत नहं कया गया।<br />

(ग) कराया, दर कर और बजली के भुगतान के िलये इससे पूव कनटनजे ट बल<br />

म आहरत धनरािश का भुगतान संबंिधत पाटय को वा तव म कर दया गया<br />

ह।<br />

(घ) माणत कया जाता ह क इस बल म आहरत धनरािश ा त होने पर,<br />

संबंिधत पाटय को भुगतान कर दया जायेगा।<br />

(ड) दोहरे आहरण से बचने के िलये इस कायालय के अिभलेख म इस आहरण क<br />

व कर द गयी ह।<br />

(च) भवन के कोई भाग, जसके िलये यय कया गया था आवासीय और अ य<br />

उददे य के िलये उस अविध म जसके िलये भुगतान कया गया ह उपयोग म<br />

नहं लाया गया ह।<br />

(छ) माणत कया जाता ह क जन यय का वेतन इस बल म चाज कया<br />

गया ह वा तव म संबंिधत अविध म राजकय सेवा म थे।<br />

(ज) मनोरंजन से संबंिधत खच जो इस बल म समिलत कये गये ह शासन ारा<br />

समय-समय पर िनधारत शत के अनुसार कया गया ह और यह यय िनधारत<br />

सीमा से अिधक नहं कया गया ह।<br />

(झ) व तीय िनयम संह ख ड-5, भाग-1 के परिश ट-10 (क) के अ तगत वाहन<br />

भ ते से स बधत माण प संल न होना चाहये।<br />

(ट) माणत कया जाता ह क कोई भी य जन के िलये इस बल म मकान<br />

कराया भ ता आहरत कया गया ह, के क जे म कराया मु त सरकार आवास<br />

उस अविध म नहं रहा ह जसके िलए मकान कराया भ ता आहरत कया ह।<br />

(ठ) माणत कया जाता ह क टे डर आमत कये गये ह और िन नतम टे डर<br />

वीकार कया गया ह।


330<br />

(ड) माणत कया जाता ह क भवन के उस भाग, जसका उपयोग आवासीय अथवा<br />

अ य उददे य के िलये कया गया था पर कया गया यय उस अविध के िलए<br />

जसके िलये चाजज दये गये थे िन निलखत शासकय सेवक जनके ारा यह<br />

देय था वसूल कर िलया गया।<br />

(7) 50,000/- पये से अिधक के आकमक यय के संबंध मे संवदा और अनुब ध क<br />

ितयां सलं न क जानी चाहये।<br />

उ तर देश पुनगठन अिधिनयम 2000 के भाग 6 म आतय और दािय व के<br />

भाजन क या द गयी ह। उ त अिधिनयम के धारा 44 म प ट कया गया ह क रा य<br />

थापना के दन पूववत उ तर देश के सभी खजान क रोकड बाक और उस रा य के<br />

भारतीय रजव बक, भारतीय टेट बक या कसी अ य बक म जमा अितशेष के योग का उ तर<br />

देश और उ तरांचल रा य म वभाजन जनसं या के अनुपात के अनुसार कया जायेगा। यह भी<br />

प ट कया गया ह क ऐसे वभाजन के योजन के िलए कसी रा य के रोकड या खजाने को<br />

एक दूसरे म अ तरत नहं कया जायेगा अपतु भारतीय रजव बक क बहय म िनयम दन<br />

से दोन रा य के जमा अितशेष के समायोजन ारा कया जायेगा। धारा 45 म कर के बकाया<br />

क वसूली उसी रा य ारा कया जायेगा जस भौगोिलक े म बकाया अवशेष ह। धारा-46 म<br />

उधार एवं अिम क वसूली भी उ तरवत रा य ारा अपने भौगोिलक े म कया जायेगा।<br />

धारा-52 म यह प ट कया गया ह क िसवल िसवल िनेप या थानीय िनिध िनेप के<br />

करण उ तरवत रा य ारा अपने भौगोिलक े म करगे जस े क सं था ारा िनत<br />

कोषागार म धनरािश जमा क गयी ह। सरकार कमचारय के भव य िनिध के करण म म<br />

रा य ारा यवत कया जायेगा जसे वह सरकार सेवक थाई प से आबंटत कया गया हो।<br />

धारा-56 म यह थित प ट क गयी ह क अनुयो य दोष (Actopnable wrong) के करण म<br />

वह रा य उ तरदायी होगा जस पर अनुयो य दोष का दािय व ह।


331<br />

याा भ ता िनयम<br />

याा भ ता से संबंिधत िनयम व तीय िनयम संह ख ड-3, म दये गये ह। वेतन<br />

सिमित क सं तुितय के आधार पर पुनरत वेतनमान लागू कये जाने के प चात शासनादेश<br />

सं या सा-4-395/दस-99-600/99 दनांक 11 जून, 1999 ारा याा भ ता क दर को<br />

पुनरण हेतु आदेश जार कये गये ह।<br />

1- परवार का ता पय पित/प नी, वैधािनक ब च (गोद िलया गया ब चा सहत), सौतेल<br />

ब च से ह, जो सरकार कमचार के साथ रहते हो तथा उस पर पूण प से आित ह।<br />

थाना तरण तथा अ य सभी याा के िलए सरकार कमचार के साथ रहने वाले तथा<br />

उस पर पूण प से आित उसके माता-पता अववाहता बहन और अव यक भाई, भी<br />

परवार म समिलत ह।<br />

(िनयम 6)<br />

2- गोद ली गई स तान क बैध (धमज) स तान माना जायेगा, यद शासकय सेवक ने<br />

लागू वैधािनक विध से गोद िलया हो। पर तु शासकय सेवक क उन धमज पुयां<br />

सौतेली पुया तथा बहन को उस पर आित नहं माना जायेगा जनका गौना या<br />

खसत हो चुका हो।<br />

3- राजकय सेवक को देय ितिथ के एक वष प चात ् याा भ ता के िलए ेषत दावा को<br />

कायालया य/वभागा य ारा वीकार नहं कया जायेगा।<br />

(िनयम 74 (बी) व0िन0सं0 ख ड-5, भाग-1)<br />

4- पूणगामी भाव से पदो नित होने अथवा वेतन क दर म वृ वीकृ त कये जाने के<br />

कारण याा भ ता दावे का पुनरण अनुम य नहं ह।<br />

(िनयम 12)<br />

5- याा ार भ तथा समा त होने के ब दु के िलए आधार िन नवत होता ह:-<br />

(क) याा के ार भ व अ त के थान पर यद जलािधकार का कायालय ह और<br />

याा के ारभक ब दु अथवा अतम ब दु क दर रेलवे टेशन/बस टेशन<br />

से 8 क0मी0 से अिधक नहं ह, तो याा का ार भ अथवा अ त का थान<br />

जलािधकार का कायालय माना जायेगा। यह दूर परिश ट पांच मे येक<br />

जला मु यालय के िलए दशयी गयी ह। द ली म यथा थान उ तरांचल िनवास<br />

माना गया ह।<br />

(ख) यद उस थान म जलािधकार का कायालय नहं ह अथवा/वा तवक<br />

ारभक/अतम ब दु (चाहे वह सरकार सेवक का िनवास थान हो अथवा<br />

कायालय हो) तथा रेलवे टेशन/बस टेशन क दूर 8 क0मी0 से अिधक हो,<br />

तो याा का ार भ व समाि का थान ह वा तव म याा ार भ अथवा<br />

समा त करने का थान माना जायेगा।<br />

(िनयम 14)


332<br />

6- मु यालय से 8 क0मी0 के अ दर या नगर िनगम क सीमा जो भी अिधक हो क गयी<br />

यााओं के िलए साधारणत: कोई याा भ ता देय नहं होता ह पर तु फै र, टोल या रेल<br />

भाडा आद का वा तवक यय िलया जा सकता ह।<br />

(िनयम 26)<br />

7- एक पद से दूसरे पद पर थाना तरण क दशा म सरकार सेवक का वगकरण उन दोन<br />

म से िनचले पद के सदंभ म कया जाता ह।<br />

(िनयम 19)<br />

8- दैिनक वेतनभोगी कमचार को शासकय काय श याा के िलए िनयिमत राजकय सेवक<br />

को देय दर पर याा भ ता तथा दैिनक भ ता ाहय ह। जस माह म याा क जाती ह<br />

उसके िलए अतम प से देय दैिनक वेतन को याा भ ते क देयता हेतु आधार माना<br />

जायेगा।<br />

(िनयम 21 सी)<br />

रेल याा/वायुयान याा पर अनुम य ेणी<br />

ं 0<br />

वेतन सीमा<br />

याा क अिधकृ त ेणी<br />

सं0<br />

1 2 3<br />

1 0 25000 या इससे अिधक वायुयान का ए जी यूटव लास<br />

ितमाह वेतन पाने वाले<br />

2 0 18400 ितमाह या इससे वायुयान अथवा रेल का वातानुकू िलत कोच (थम<br />

अिधक वेतन पाने वाले<br />

ेणी) अथवा शता द ए सेस का ए जू यूटव<br />

लास<br />

3 0 16400 से 18399 तक वेतन रेल का वातनुकू िलत कोच (थम ेणी) तथा 500<br />

पाने वाले<br />

क0मी0 से अिधक क याा पर वायुयान अथवा<br />

शता द ए सेस का ए जू यूटव लास1<br />

4 0 8000 से 16399 ितमाह तक रेल क थम ेणी अथवा वातानुकू िलत कोच 2<br />

वेतन पाने वाले<br />

टयर अथवा शता द ए सेस म वातनुकू िलत<br />

चेयर कार।<br />

5 0 5000 से 7999 ितमाह तक रेल क थम ेणी अ थवा वातानुकू िलत कोच 3-<br />

वेतन पाने वाले<br />

टयर/ए0सी0 िचयर कार (शता द ए सेस को<br />

छोडकर)<br />

6 0 5000 ितमाह से कम वेतन रेल क तीय ेणी ( लीपर)<br />

पाने वाले


333<br />

आनुषंिगम यय<br />

ं 0 सं0 वेतन सीमा याा क अिधकृ त ेणी<br />

1 2 3<br />

1 0 8000 ितमाह या इससे अिधक वेतन पाने वाले 11 पैसे ित क0मी0<br />

2 0 5000 से 0 7999 ितमाह तक वेतन पाने वाले 08 पैसे ित क0मी0<br />

3 0 5000 ितमाह से कम वेतन पाने वाले 05 पैसे ित क0मी0<br />

हवाई याा के दौरान आनुषंिगक यय क दर 0 30/- ित याा क दर से अनुम य<br />

होगा।<br />

थम व तीय ेणी के शासकय सेवक आव यकतानुसार मोटर कार म एक सीट<br />

कराये पर लेकर याा कर सकते ह तथा उसका वा तवक कराय िनधारत दर क सीमा के<br />

अधीन ा त कर सकते ह। उस कराये के यय के साथ िनयमानुसार अनुम य आनुषंिगक यय<br />

भी ाहय होता ह।<br />

(िनयम-27 (बी) अपवाद 2)<br />

2- िन:शु क वाहन से याा करने पर अनुम य याा यय:-<br />

िन:शु क वाहन से याा करने पर सरकार सेवक को िनयमानुसार अनुम य दर पर<br />

आनुषंिगक यय िन न शत के अधीन देय ह:-<br />

1. उस दन के िलए दैिनक भ ता अनुम य नहं होता ह।<br />

2. आनुषंिगक यय के धनरािश साधारण दर पर अनुम य एक दन के दैिनक भ ते<br />

से अिधक नहं होगी,<br />

3. ऐसी दशा म जहां अव थान आठ घंटे या उससे अिधक होता हो, वहां पर एक<br />

दन का दैिनक भ ता (उस थान के संदभ म) या आनुषंिगक यय (जसक<br />

धनरािश साधारण दर पर अनुम य एक दन के दैिनक भ ते से अिधक नहं<br />

होगी) दोन म से एक को कमचार अपनी वे छा से ले सकता ह। पर तु कसी<br />

भी दशा म दैिनक भ ता तथा आनुषंिगक यय दोन अनुम य नहं हगे।<br />

3- सडक कलोमीटर भ ते क दर:-<br />

जो थान रेल अथवा बस से जुडे ह, वहां क याा के वल रेल अथवा बस से ह क जानी<br />

चाहये। इसके बावजूद कु छ थान के बीच म रेल अथवा बस से याा करना सावजिनक<br />

हत म नहं होता ह, जैसे समय क बचत अथवा रा ते म काय का िनरण आद।<br />

ऐसी थित म यद िनयंक अिधकार स तु ट हो क ऐसी याा शासकय काय के हत<br />

म थी तो राजकय सेवक िनयम-23 बी (2) के अ तगत देय सडक भ ता पाने का<br />

अिधकार होगा। ऐसे मामल म िनयंक अिधकार बस के थान पर सडक से इस कार<br />

क याा कये जाने का कारण उ लेख करते हुए याा भ ता बल पर माण प दगे।<br />

(िनयम- 14 ए (3) तथा प टकरण)


334<br />

ऐसी यााओं के संबंध म कये गये यय क ितपूित हेतु सडक कलोमीटर भ ते क<br />

िन न दर िनधारत क गई:-<br />

अ- 0 1000 ितमाह या उससे अिधक वेतन पाने वाले सरकार सेवक:-<br />

(क) मोटर कार, मोटर कै रयर या जीप/कार से क गई सडक यााओं के िलए:-<br />

पेोल चािलत वाहन डजल चािलत वाहन<br />

1 थम 500 क0मी0 तक तय क गयी 4.50 3.50<br />

दूर के िलए<br />

2 500 क0मी0 से अिधक पर तु 1200 3.25 2.75<br />

क0मी0 तक क गयी दूर के िलए<br />

3 1200 क0मी0 (एक माह) से अिधक -----------शू य------------<br />

तय क गयी दूर के िलए<br />

(ख) उपरो त (क) म वणत वाहन के 0 2.00 ित क0मी0 इस ितब ध के अधीन<br />

अलावा पेोल/डजल चािलत अ य क एक मास म ऐसी यााओं के िलए 0 400<br />

वाहन तथा मोटर साइकल/ कू टर से अिधक क धनरािश अनुम य न होगी।<br />

इ याद से क गई सडक यााओं के<br />

िलए<br />

(ग) पेोल/डजल चािलत वाहन के साधन 0 0.60 ित क0मी0 इस ितब ध के अधीन<br />

के अलावा अ य वाहन से पैदल क गई क एक मास म ऐसी यााओं के िलये 0 120<br />

सडक यााओं के िलए<br />

से अिधक क धनरािश अनुम य न होगी।<br />

4- 0 10,000 ितमाह से कम वेतन पाने वाले सरकार सेवक:-<br />

(क) पेोल/डजल चािलत वाहन के कसी भी 0 2.00 ित क0मी0 इस ितब ध के अधीन क<br />

साधन से क गई सडक यााओं के िलए एक मास म ऐसी यााओं के िलए 0 400 से अिधक<br />

क धनरािश अनुम य न होगी।<br />

(ख) पेोल/डजल चािलत वाहन के साधन 0 0.60 ित क0मी0 इस ितब ध के अधीन क<br />

के अलावा अ य वाहन से पैदल क गई एक मास म ऐसी यााओं के िलए 0 120 से अिधक<br />

सडक यााओं के िलए<br />

क धनरािश अनुम य न होगी।<br />

याा पर जाते समय तथा ग त य थान से वापसी म िनवास थान से बस टेशन<br />

अथवा रेलवे टेशन के बीच क जाने वाली अ प दूर क यााओं के िलए सम त शासकय<br />

सेवक को 0 4 ित क0मी0 क दर से सडक क0मी0 भ ता ाहय होगा। इस योजन हेतु<br />

दूर क गणना व तीय िनयम संह ख ड-3 के िनयम 14 सपठत परिश ट-5 के आधार पर<br />

क जायेगी।<br />

(िनयम 23 (बी)(3)


335<br />

ट पाणी:- देश के पवतीय थान म याा करने वाले शासकय सेवक उपयु त सडक<br />

कलोमीटर भ ता दर पर 33-1/3 ितशत क वृ पाने के हकदार। प वतीय थान से<br />

ता पय िनयम -11-ए मत उलखत े से ह।<br />

4- दैिनक भ ता<br />

(िनयम 23 (बी) (2) अपवाद-1)<br />

सरकार सेवक को राजकय काय से अपने मु यालय के अितर त अ य थान पर 8<br />

घ टे या अिधक अव थान करने पर उस दन के िलए िनयम 27 (ए) (ए) (11) तथा 27 (बी)<br />

(1) (ए) (11) के अधीन िनयम 23 (सी) (1) म िनधारत दर पर िनयम -27 (ड) के उपब ध<br />

के अ तगत दैिनक भ ता ाहय होता ह।<br />

(िनयम-23 (सी) (1)<br />

सरकार सेवक को अव थान क अविध म िन:शु क भोजन व आवास दोन सुवधा<br />

उपल ध होने पर दैिनक भ ते क अनुम य दर ¼ क दर से तथा दोन म से कोई एक सुवधा<br />

उपल ध होने पर अनुम य दर के िलए ½ क दर से दैिनक भ ता ाहय होता ह।<br />

(िनयम -23 (सी)(घ) सरकार<br />

सेवक का वग<br />

साधारण<br />

दर<br />

( त भ-3,<br />

4 म<br />

उलखत<br />

थान<br />

िभ न<br />

थान<br />

िलए)<br />

से<br />

के<br />

‘ख’ वग के नगर के िलऐ<br />

दर जनम नगरपािलकाओं<br />

तथा कै टोमट और िनकटवत<br />

नोटफायड एरयाज जहां कह<br />

वमान हो, स मिलत होगी।<br />

मुरादाबार, अिलगढ, झांसी,<br />

सहारनपुर, मथुरा, रामपुर,<br />

शाहजहापुर,<br />

फै जाबाद,<br />

िमजापुर,<br />

फरोजाबाद,<br />

मुजफरनगर और फखाबाद<br />

‘क’ वग के नगर के िलये<br />

दर जनम नगरपािलकाओं<br />

तथा कै टोमट और<br />

िनकटवत<br />

नोटफायड<br />

एरयाज जहां कह वमान<br />

हो स मिलत होगी। कानपुर,<br />

लखनऊ, आगरा, वाराणसी,<br />

इलाहाबाद, बरेली, गोरखपुर,<br />

मेरठ और गाजयाबाद<br />

1 2 3 4<br />

0 16400 ितमाह या इससे<br />

अिधक वेतन पाने वाले<br />

0 8000 से 16399 ितमाह<br />

तक वेतन पाने वाले<br />

0 6500 से 7999 ितमाह<br />

तक वेतन पाने वाले<br />

0 4100 ितमाह तक वेतन<br />

पाने वाले<br />

0 4100 से कम वेतन पाने<br />

वाले<br />

100 125 155<br />

90 110 140<br />

80 95 120<br />

65 80 100<br />

40 50 65


336<br />

उ तरांचल के बाहर थान पर सरकार सेवक को उ हं दर पर दैिनक भ ता अनुम य<br />

होगा जैसा क उन थान के के सरकार के कमचारय के िलए अनुम य ह। यद सरकार<br />

सेवक कसी होटल या अ य थान पर जहां ठहरने और/अथवा ठहरने व भोजन क यव था<br />

शेयूल टेरफ पर उपल ध ह, रहना पडे तो उसे भारत सरकार के कमचारय को अनुम य वशेष<br />

दर पर दैिनक भ ता अथवा वा तवक यय, जो भी कम हो देय होगा। वा तवक यय का<br />

ता पय ठहरने के िलए दये गये कराये से ह। भोजन पर यय इसम स मिलत नहं होगा।<br />

वा तवक यय क पु म वाउचर तुत करना होगा। देश के बाहर के सरकार के<br />

कमचारय को िन निलखत दर से दैिनक भ ता देय ह:-<br />

वेतन सीमा ए-1 ेणी के<br />

शहर साधारण<br />

ए-ेणी शहर<br />

साधारण होटल<br />

बी-1 ेणी के<br />

शहर साधारण<br />

अ य शहर<br />

साधारण होटल<br />

होटल<br />

होटल<br />

0 16400 से अिधक 260 550 210 525 170 425 135 335<br />

0 8000 से 16399 230 505 185 405 150 330 120 225<br />

0 6500 से 7999 200 380 160 305 130 250 105 200<br />

0 4100 से 6499 170 245 135 195 110 160 90 130<br />

0 4100 से कम 105 125 85 100 70 85 55 65<br />

1. मु बई, 2. चे नई, 3. कलक ता, 4. नई द ली<br />

ए- ेणी शहर<br />

1. अहमादाबाद, 2. पूणे, 3. हैदराबाद, 4. बंगलौर, 5. दाजिलंग,<br />

बी-1 शहर<br />

(1) भोपाल, 2. सूरत, 3. कोय बदूर, 4. लुिधयाना, 5. बडौदरा, 6. इ दौर, 7. मदुरै, 8.<br />

जयपुर, 9. नागपुर, 10. ज मू और का मीर का स पूण े 11. अ डमान और िनकोबार<br />

प समूह का स पूण े (ग) पुन रत वेतनमान म 0 8000 ितमाह या उससे<br />

अिधक वेतन पाने वाले शासकय सेवक यद उपरो त तािलका के त भ -4 म<br />

उ लेखत ‘क’ वग के नगर म सरकार कायवश जाते ह और उ ह वहं कसी अ य<br />

थान/होटल म ठहरना पडता ह तो उ ह अव थान क अविध म िन न कार वशेष दर<br />

से दैिनक भ ता देय होगा क शासकय सेवक ारा कये गये वा तवक यय जसक<br />

पु म वाउचर तुत करना होगा अथवा वशेष दर से दैिनक भ ता जो भी कम हो,<br />

ाहय होगा:-<br />

शासकय सेवक क ेणी<br />

वशेष दैिनक भ ते क<br />

दर<br />

1. 0 8000 से 16399 ितमाह तक वेतन पाने वाले शासकय सेवक 300 ितदन<br />

2. 0 16400 या उससे अिधक वेतन पाने वाले शासकय सेवक तथा 400 ितदन<br />

अखल भारतीय सेवा के सम त अिधकार


337<br />

ट पणी:- (1) उपरो त तािलका के त भ-4 म उ लेखत नगर से िभ न अ य पवतीय<br />

थान म याा करने वाले शासकय सेवक तािलका के त भ-2 म दशायी गयी<br />

दैिनक भ ता क साधारण दर के ऊपर 25 ितशत क वृ पाने के हकदार<br />

होगे।<br />

(2) द ली, मु बई, चे नई तथा कोलकता म थानीय यााओं के िलए भुगतान वग-<br />

1 तथा 2 के शासकय सेवक कायवश टै सी से क गयी थानीय याा पर हुय<br />

वा तवक यय को उनके ारा िनधारत माण प दये जाने पर ा त करने<br />

के अिधकार हगे। इसी कार वग-3 के सेवक उस वाहन के िलए वह<br />

िनयमानुसार अिधकार हो, याा करने पर वाहन यय पाने के िलए अिधकृ त<br />

होग।<br />

द ली म तृतीय तथा चतुथ वग के सरकार सेवक ारा सरकार<br />

कायवश तीन पहए वाले कू टर टै सी से क गई थानीय यााओं पर कये गये<br />

वा तवक यय क ितपूित क सुवधा इस ितब ध के साथ अनुम य ह क<br />

संबंिधत सेवक इस आ य का माण प दे तथा िनयंक अिधकार इस बात से<br />

स तु ट हो क शासकय काय हेतु थानीय यााओं के िलए अनुम य वाहन से<br />

याा करना स भव या जनहत म था।<br />

थानीय याा के िलए वाहन यय का दावा कये जाने पर वग-1 के<br />

अिधकारय को छोडकर शेष सेवक कये जाने पर िनयमानुसार देय दैिनक भ ते<br />

म से 25 ितशत क कटौती क जाएगी।<br />

िनयम-2<br />

(3) वग-1 के शासकय सेवक बगलोर, अहमदाबाद, पटना, िशमला, हैदराबाद,<br />

च डगढ तथा ीनगर म भी थानीय याा के िलए िनयमानुसार माण प<br />

ेषत कये जाने पर दैिनक भ ते के अितर त वा तवक टै सी यय ा त<br />

करने के अिधकृ त होग, पर तु इसके िलए दैिनक भ ते म से 25 ितशत क<br />

कटौती क जायेगी।<br />

(िनयम 23 बी 4 अपवाद)<br />

6- अपने चाज के सरकार वाहन कार, जीप आद से मु यालय से बाहर सडक ारा क गई<br />

याा के िलए ाइवर आनुषंिगक भ ता पाने के िलए अिधकृ त होग। मु यालय से कम से कम<br />

एक रा क अनुपथित म साधारण दर पर दैिनक भ ता अनुम य होगा। पर तु ितब ध यह<br />

ह क ऐसी याा म यद मु यालय से बाहर कसी थान पर 8 घंटे अव थान शािमल हो तो इसे<br />

दैिनक भ ते के थान पर उसके िलए िनयम 27 (बी)-1ए-11 के अधीन दैिनक भ ता िलया जा<br />

सकता ह। थानीय यााओं के िलए कोई भ ता अनुम य नहं होगा।<br />

(िनयम 29 अपवाद)


338<br />

7- दैिनक भ ते क अनुम यता म वशेष सुवधाय:-<br />

1. याा के दौरान जब सामा य प से उस ितिथ/ितिथय के िलए दैिनक भ ता अनुम य<br />

न हो तो शासकय सेवक िन न दशाओं म एक दन का साधारण दर पर दैिनक भ त<br />

अनुम य होगा:-<br />

(क) शासकय कायवश ग त य थान पर पहुंच कर दो ितिथय म िमलकर 8 घंटे या<br />

उससे अिधक का रा अव थान हुआ हो या<br />

(ख) शासकय सेवक को याा के दौरान रा म अगली बस, रेल या वायुयान क<br />

तीा म 4 घंटे या उसे अिधक अव थान करना पडे।<br />

(िनयम- 27 (सी) (2)<br />

2. ऐसी सरकार कमचार अथवा राजपत अिधकार को जो महालेखाकार उ00 इलाहाबाद<br />

के कायालय म लेखा स ब धी काय हेतु महालेखाकार इलाहाबाद अथवा उ च यायालय<br />

इलाहाबाद/लखनऊ के कायालय म शासकय मुकदम क पैरवी आद के संदभ म दौरो<br />

पर जाते ह, उ ह दैिनक भ त के अलावा ितदन 10 0 क धनरािश अितर त दैिनक<br />

भ ते के प म अनुम य ह।<br />

(शासकय ाप सं. सा-4-1359/दस-86-602/81, दनांक 30.8.86)<br />

8- दैिनक भ ते क अनुम य अविध:-<br />

सरकार सेवक को मु यालय से बाहर िशण क अविध म दैिनक भ ता<br />

िन न अविध के िलए ाहय<br />

1. थम 45 दन तक पूर दर पर<br />

2. अगले 135 दन तक आधी दर पर<br />

3. कु ल 180 दन के बाद शू य<br />

ितशत के मामल म िशण अविध 180 दन से अिधक होने पर स बधत सरकार<br />

सेवक को यह वक प होगा क वह चाहे तो िशण अविध म उपयु तानुसार दैिनक भ ता<br />

हण कर अथवा के वल वंय के िलए थाना तरण पर अनुम य भ ता ल। थाना तरण का<br />

याा भ ता हण करने क दशा म उसे िशण अविध म कोई दैिनक भ ता ाहय नहं होगा।<br />

(िनयम 27 (ड) (3)<br />

सरकार कायवश दौरे के स ब ध म पूववत ् कसी थान पर अव थान के िलए 10 दन<br />

तक ह पूर दर पर दैिनक भ ता देय ह। दौरे क अविध कसी थान पर 10 दन से अिधक<br />

होने पर िनयम 27 (ड) के अ दर छू ट दये जाने पर ह दैिनक भ ता थम 30 दन पूर दर<br />

पर तथा 30 दन प चात ् 150 दन तक आधे दर पर देय होगा। 180 दन के प चात ् दैिनक<br />

भ ता देय नहं होगा।<br />

िनयम 27 (ड)


339<br />

अपवाद:-<br />

कसी थान पर अव थान क िनर तरता तब तक बनी रहती ह जब क वह 8 क0मी0<br />

से दूर थ थान पर 5 दन से अिधक क अविध के अव थान ारा भंग न हुई हो।<br />

यद सरकार सेवक अवकाश पर गया हो तो िनर तरता तब भंग नहं मानी जायेगी जब<br />

तक अवकाश पर अनुपथित क अविध 14 दन से अिधक न हो।<br />

(िनयम 27 (ड) नोट-2 तथा 2ए)<br />

थाना तरण याा भ ता<br />

1. एक मु त थाना तरण अनुदान (क पोजट ा सफर ा ट)<br />

कॉ पोजट ांसफर ा ट देश के शासकय सेवक को एक जले से दूसरे जले म<br />

थाना तरण होने क दशा म देय होगा तथा इसम अब तक िमल रहे पकग भ ता, आवास से<br />

रेलवे टेशन/बस टेशन के िलए सडक मील भ ता एवं सरकार सेवक तथा उसके परवार के<br />

सद य को थाना तरण पर याा क दशा म िमलने वाले आनुषंिगक यय को समाहत माना<br />

जायेगा अथात क पोजट ांसफर ा ट अनुम य होने पर उपरो त भ ते देय नहं होगा।<br />

ए क जले से दूसरे जले म थाना तरण होने क दशा म क पोजट ा सफर ा ट के<br />

प म स बधत सरकार सेवक को आधे माह के मूल वेतन का अिधकतम मू य 0 10000<br />

क सीमा के अ तगत अनुम य होगी। जले के अ तगत एक थान से दूसरे थान पर<br />

थाना तरण क थित म क पोजट ा सफर ा ट के थान पर िन नानुसार पैकं ग भ ता<br />

अनुम य होगा:-<br />

. सं. वेतन सीमा पकग भ त क दर (0)<br />

1 0 6500 ितमाह या इससे अिधक मूल वेतन पाने वाले 500-00<br />

2 0 6499 ितमाह तक मूल वेतन पाने वाले 250-00<br />

2- िनजी सामान क ढुलाई:-<br />

शासकय सेवक को यत सामान के परवहन हेतु मालगाड से वयं के जोखम पर<br />

अनुम य यय क ितपूित िन न सीमा के अधीन क जाएगी:-<br />

0<br />

सं0<br />

सरकार सेवक/वेतन सीमा<br />

यगत सामान क ढुलाई<br />

के िलए अिधकतम सीमा<br />

1 0 8000 ितमाह या उससे अिधक वेतन पाने वाले तथा<br />

अखल भारतीय सेवा के सम त अिधकार<br />

6000 क0ा0 या 4 पहये<br />

का एक वैगन<br />

2 0 6500 से 7999 ितमाह 3000 क0ा0<br />

3 0 4100 से 6499 ितमाह तक वेतन पाने वाले 2500 क0ा0<br />

4 0 4100 से ितमाह से कम वेतन पाने वाले 1250 क0ा0


340<br />

यद याा वंय अके ले क गई हो:-<br />

यद थाना तरण के अवसर पर सरकार सेवक ने वयं ह अके ले याा क हो, तो उस<br />

थित म उलखत भार के 2/3 भाग तक क अिधकतम सीमा तक के यगत समान क<br />

ढुलाई का यय ह देय होगा।<br />

यद कोई सेवक उपरो त माा से अिधक सामान स ते माग से ले जाता ह अथवा<br />

मालगाड के थान पर याी गाड अथवा क से ले जाता ह, तो वह उपरो त माा को मालगाड<br />

से ओनस र क पर सामा य माग से ले जाने के िलए देय धनरािश क सीमा तक उसके ारा<br />

कया गया वा तवक यय अनुम य होगा।<br />

(िनयम 42 (2) (1)<br />

4- वाहन का परवहन:-<br />

उपरो त माा तक सामान ढोने के यय के अितर त वाहन रखने का पा शासकय<br />

सेवक मोटर कार, कू टर/मोपेड/साइकल को रेल से आनेस-र क पर ले जाने के वा तवक<br />

यय (कार के िलए ाइवर के माा यय सहत) क ितपूित ा त कर सकता ह। मालगाड से<br />

जाने क दशा म वह पकग चाजज तथा पुराने थानतक नये थान पर टेशन से घर तक ले<br />

जाने का यय आहरत कर सकता ह, पर तु वह कु ल धनरािश उस वाहन क याी गाड से ले<br />

जाने के िलए देय धनरािश से अिधक नहं होगी।<br />

(िनयम 42 (2) (1) (1) तथा ट पणी-2 )<br />

शासकय सेवक यद वाहन को रेल से जुडे दो थान के म य सडक से ढोता ह तो वह<br />

वा तवक ढोलन यय को रेल से ओनस र क पर ढोने क दशा म अनुम य धनरािश क<br />

अिधकतम सीमा के अधीन ा त कर सकता ह, पर तु मोटर कार/मोटर साइकल/मोपेड को<br />

उसक अपनी श से चलाकार सडक ारा ले जाता ह तो मश: 35 पैसे तथा 15 पैसे ित<br />

कलोमीटर क दर से परवहन यय आहरत कर सकता ह। यद दे थान रेल ारा नहं जुडे हो<br />

तो उपरो त 35 पैसे तथा 15 पैसे ित क0मी0 कर दर सीमा तक सडक से ले जाने का<br />

वा तवक यय आहरत कर सकता ह।<br />

(िनयम 42(2) (1) तथा (2)<br />

5- िनजी सामान क थानीय ढुलाई:-<br />

िनजी सामान क थानीय ढुलाई के िलए ठेले यय के थान पर अब िनजी सामान के<br />

परवाहन हेतु मालगाड से वंय के जोखम पर अनुम य ढुलाई यय का 25 ितशत अितर त<br />

यय अनुम य होगा।<br />

(िनयम 42(2)(11)(111) तथा (1)<br />

यह आव यक नहं ह क राजकय सेवक के परवार के सद य उसके साथ याा कर<br />

तथा िनजी सामान और वाहन उसके साथ ले जाय। यद वह उसके कायभार से मु त होने क<br />

ितिथ से एक माह से अनािधक अविध पूव अथवा बारह माह से अनिधक अविध के प चात ले<br />

जाये जाते ह तो उनके िलए याा/यातायात यय का भुगतान देय ह।<br />

(िनयम 42(2)(11) ट पणी-2)


341<br />

अ थायी थाना तरण:-<br />

अ थायी थाना तरण का अथ 180 दन से अनािधक अविध के िलये कये गये<br />

थाना तरण से ह। ऐसे थाना तरण के िलए मु यालय से अ थायी थाना तरण के थान<br />

(अ थायी मु यालय) को जाने तथा वहां से मु यालय वापस आने के िलए क गई याा दौरे पर<br />

क गई याा समझी जायेगी तथा राजकय सेवक उनके िलए याा भ ता िनयम के अधीन<br />

सामा य दर पर माइलेज तथा दैिनक भ ता ा त करने के पा हगे । इस कार के मामले म<br />

कायभार हण काल अनुम य नहं होगा। वा तवक समय दौरे क याा क भांित अनुम य<br />

होगा।<br />

(िनयम 42(2) ट पणी-21)<br />

ितह तार करने का अिधकार:-<br />

शासन क प ट अनुमित के बना िनयंक अिधकार याा बल पर ित ह तार करने<br />

का अिधकार कसी अधीन थ अिधकार को ितिनधायन नहं कर सकते।<br />

(िनयम (91)


342<br />

उ तराख ड शासन<br />

व त (वे0आ0-सा0िन0) अनुभाग-3<br />

सं या- 411/xxvii (7)/2010<br />

देहरादून : दनांक 06 जनवर, 2010<br />

वषय:-<br />

याा भ ता क दर का पुनरण।<br />

उपयु त वषय के सं ब ध म अोह तार को यह कहने का िनदेश हुआ है क<br />

शासनादेश सं या 78/xxvii (7)/2009, दनांक 01 माच 2009 एवं त म म जार शु प<br />

सं या 100/xxvii (7)/2009, दनाक 31 माच 2009 ारा याा भ ता क पूव दर एवं<br />

यव थाओं को पुनरत कया गया है। उ त शासनादेश म याा भ ते के स ब ध म पूव म<br />

जो यव था/अनुम यता थी उनम कमी कर दये जाने तथा उसक कितपय यव थाय<br />

यवहारक न होने के कारण विभ न ात से इनम संशोधन के ताव ा त हुए है इन<br />

ताव पर स यक वचारोपरा त शासनादेश दनांक 1 माच 2009 म िन नानुसार संशोधन कये<br />

जाने क ी रा यपाल सहष वीकृ ित दान करते है:-<br />

(क) याा भ ता के योजनाथ सरकार सेवक क अिधकृ त ेणी<br />

पूव म कायालय ाप सं या-सा-4-395/दस-99-600-99, दनांक 11 जून 1999<br />

म दनांक 1-1-96 से भावी वेतनमान म 0 16400 से 18399 ितमाह तक वेतन पाने वाले<br />

अिधकारय को रेल के वातानुकु िलत कोच (थम ेणी) तथा 500 क0मी0 से अिधक क याा<br />

करने पर वायुयान अथवा शता द ए सेस का ए जी यूटव लास अनुम य था। कायालय ाप<br />

दनांक 01 माच 2009 ारा के वल 0 10000 ेड वेतन पाने अिधकारय जनका पुराना<br />

वेतनमान 0 18400-22400 था तथा के वल शासन के अपर सिचव को जो 0 8900 के ेड<br />

वेतन (पुराना वेतामना 0 16400-20000 के वेतनमा) म हो को ए सेस के इकोनांिमकल<br />

लास अथवा रेलवे का ए0सी0 थम ेणी/शता द ए सेस के ए जी यूटव लास क<br />

अनुम या क गई है, अथवा पूव म जो सुवधा पुराने वेतनमान 0 16400-20000 म कायतर<br />

अिधकारय, जनका नये वेतनमान म ेड वेतन 0 8900 है, उ हे वह न ा त होकर रेल का<br />

ए0सी0टू टयर/थम ेणी/शता द ए सेस के चेयरकार क अनुम यता क गयी है जोक पूव<br />

क अनुम यता से कम है। अत: 0 8900 ेड वेतन के सम त पद धाराक को पूव से<br />

अनुम य वायुयान का इकोनोमी लास अथवा रेलवे का ए0सी0 थम ेणी/शता द ए सेस का<br />

ए जी यूटव लास क अनुम यता क िनर तरता यथावत रहेगी।<br />

(ख) दैिनक भ ता: व तीय िनयम सह ख ड-3 के िनयम 23 (जी)(1) के अधीन अनुम य<br />

दैिनक भ ते क वतान दर जो शासनादेश दनांक 01 माच 2009 के ारा संशोिधत क गई है<br />

उनमे वतमान समय म 0 4800 तथा इससे कम ेड वेतन के पदधारक हेतु पूव म 3 ेणयां<br />

थी ज ह अब घटाकर एक कर दया गया है, जसम 0 4600 ेड वेतन के पदधारक के िलए<br />

दैिनक भ ते, क दर म अ य जला मु यालय के िलए आंिशक प से तथा शेष सम त े


343<br />

के िलए कोई वृ नहं क गई है। कितपय पूव दर म कोई वृ न होने अथवा अ य प वृ<br />

को मे रखते हुए िन नािलखत संशेिधत दर लागू हगी:-<br />

दैिनक भ ते क दर<br />

0 ेड वेतन<br />

देहरादून, नैनीताल व पौड अ य जला शेष सम त<br />

सं0<br />

गढवाल के शहर े मु यालय े<br />

1 0 4600 तथा उससे 0 150 0 120 0 100<br />

कम ेड वेतन<br />

(2) वेतन सिमित क सं तुितय पर िलये िनणय के अनुसार दैिनक भ ते के योजनाथ देश<br />

के बाहर क यााओं हेतु थम दो ेणय यथा 0 12000 ेड वेतन (अब संशोधन के<br />

फल वप एच0ए0जी0 0 67000 (3ितशत क दर से वाषक वेतन वृ) 79000) या उससे<br />

उ च वेतनमान ेड वेतन 0 10000 तथा 0 8900 के पद धारक हेतु वय क यव था पर<br />

याा भ ता मे 50 क0म0 क याा हेतु मश: ए0सी0 तथा नान ए0सी0 टै सी के चाजज क<br />

ितपू क यव था बडे नगर हेतु बहुत कम है। यह अनुभव कया गया है क देश के बाहर<br />

बडे शहर के िलए 50 क0मी0 मा क टै सी क अनुम यता यवहारक नहं है। सामा यत:<br />

पदधारक के ठहरने के थान ैवल एज सी से 10-15 क0मी0 क दूर पर होते है तथा बना<br />

कोई दूर तय कये 10-15 क0मी0 आने तथा जाने क दूर के जोडने पर लगभग 20-30<br />

क0मी0 क याा अितर त प से जुड जाती है और सरकार काय हेतु मा 20-30 क0मी0<br />

क याा अितरकत प से जुड जाती है और सरकार काय हेतु मा 20-30 क0मी0 क याा<br />

शेष रहती है।<br />

अत: अब द ली, मु बई, चे नई तथा कलक ता शहर हेतु शहर के अ दर<br />

टै सी पर वा तवत प से यय क गई धनरािश क अनु यता होगी। रा य के बाहर उ त<br />

शहर से िभ न शहर हेतु टै सी का एक दन का वा तावत यय 80 क0मी0 क सीमा म<br />

अनुम य होगा।<br />

(3) शासनादेश स या 78/xxvii (7)/2009, दनांक 01 माच 2009 को के वल उ त सीमा<br />

तक ह संशोिधत समझा जाय तथा इसक अ य सम त शत यथावत ् रहगी।<br />

भवदय,<br />

(राधा रतूड)<br />

सिचव व त।


344<br />

उ तराख ड शासन<br />

व त (वे0आ0-सा0िन0) अनुभाग-7<br />

सं या- 100/xxvii (7)/2009<br />

देहरादून : दनांक 31 माच, 2009<br />

शु-प<br />

शासनादेश सं या 78/xxvii (7)/2009, दनांक 01 माच 2009 के ारा वेतन<br />

सिमित 2008 क सं तुितय पर िलये गये शासन के िनणय के अनुसार याा भ ता क दर मे<br />

संशोधन कया गया था उ त शासनादेश के तर-5(क) के तीय पैरा म टंकण ुट के कारण<br />

30 पैसे ित कु तंत के बजाय 30 पैसे ित कलोाम टंकत हो गया था अत: तर-5 (क) को<br />

िन नानुसार पढा जाय।<br />

‘’ थाना तरण पर सरकार सेवक सामा यत: अपने घरेलू सामान क ढुलाई<br />

सडक माग से क ारा करते है। देश के एक बडे भू-भाग म रेल सेवाय उपल ध भी नहं है।<br />

इन त य को गत रखते हुए सडक माग से घरेलू सामान क ढुलाई हेतु 30 पैसे ित<br />

कलोमीटर ित कुं तल क दर से अनुम य होगा।‘’<br />

शासनादेश सं या 78/xxvii (7)/2009, दनांक 01 माच 2009 को के वल उ त<br />

सीमा तक ह संशोिधत समझा जाय तथा इसक अ य सम त शत यथावत ् रहगी।<br />

भवदय,<br />

(ट0एन0 िसंह)<br />

अपर सिचव


345<br />

उ तराख ड शासन<br />

व त (वे0आ0-सा0िन0) अनुभाग-7<br />

सं या- 514/xxvii (7)/2010<br />

देहरादून : दनांक 08 अैल, 2010<br />

कायालय-ाप<br />

वषय:- महालेखाकार उ तराख ड देहरादून के कायालय म लेखा स ब धी काय तथा<br />

मा0उ च यायालय, नेनीताल म शासकय मुकदम क पैरवी से स बधत काय हेतु जाने वाले<br />

सरकार सेवक को अनुम य अितर त दैिनक भ ता समा त कया जाना।<br />

महोदय,<br />

उपयु त वषय शासनादेश सं या 2857/xxvii (7)/2007, दनांक 15 जनवर<br />

2007 के म म वेतन सिमित, उ तराखण ्ड (2008) ारा पांचवे ितवेदन म सं तुित क गई<br />

है क याा भ ता क दर के संशोधन के स ब ध म पूव ह पया त उदार सं तुितय क जा<br />

चुक है। फल वप महालेखाकार, उ तराख ड देहरादून के कायालय म लेखा स ब धी काय तथा<br />

मा0 उ च यायालय नैनीताल म शासकय मुकदम क पैरवी से स बधत काय हेतु क जाने<br />

वाले सरकार सेवक का अनुम य अितर त दैिनक भ ता समा त कया जाए।<br />

अत: शासन ारा वेतन सिमित क उ त सं तुितय पर िलये गये िनणय के म<br />

म महालेखाकार उ तराख ड देहरादून के कायालय म लेखा स ब धी काय तथा मा0 उ च<br />

यायालय, नैनीताल म शासकय मुकदम क पैरवी से स बधत काय हेतु जाने वाले सरकार<br />

सेवक को अनुम य अितर त दैिनक भ ता को समा त कये जाने क ी रा यपाल महोदय<br />

सहष वीकृ ित दान करते है।<br />

(राधा रतूड)<br />

सिचव।


346<br />

उ तरांचल शासन<br />

व त अनुभाग-3<br />

सं या- 1422/xxvii (3)/ थान.या.भ./2004<br />

लखनऊ: दनांक 27 अ टूबर, 2004<br />

कायालय ाप<br />

वषय:-<br />

अखल भारतीय सेवा के अिधकारय के िलए एक मु त थाना तरण अनुदान के<br />

वषय म यव था।<br />

अखल भारतीय सेवा के अिधकारय के के सरकार से रा य सरकार म आने म पर<br />

यद अ यथा िनयम म यव था न क गई हो, तो रा य सरकार के थाना तरण याा भ ते के<br />

िनयम लागू होने क यव था ह और उ तर देश शासन के व त (सामा य) अनु.-4 के<br />

कायालय ाप सं0-सा-4-395/दस-99-600/99 दनांक 11 जून, 1999 के ब दु 11(ब) म एक<br />

जले से दूसरे जले म थाना तरण होने क दशा म क पोजट ांसफर ा ट के प म<br />

स बधत सरकार सेवक को आधे माह के मूल वेतन, अिधकतम 0 10,000/- क सीमा के<br />

अधीन धनरािश अनुम य क गई ह, लेकन अ य देश से अथवा भारत सरकार म देश के<br />

अ दर आने वाली यााओं के वषय म कोई प ट नहं ह।<br />

अत: इस स ब ध म अोह तार को यह कहने का िनदेश हुआ ह क वशेष<br />

परथितय म अखल भारतीय सेवा के अिधकारय के भारत सरकार या अ य रा य से आने<br />

एवं जाने पर भारत सरकार म लागू थाना तरण याा भ ता क दर अनुम य करने क ी<br />

रा यपाल महोदय सहष वीकृ ित दान करते ह। कायालय ाप दनांक 11 जून, 1999 के एक<br />

जले से दूसरे जले म थाना तरण याा भ ते के िनयम लागू रहगे तथा उ त सीमा तक<br />

थाना तरण याा भ ता स ब धी भुगतान संशोिधत समझा जाय, पर तु जन करण म<br />

भुगतान कया जा चुका ह उसे पुनरत नहं कया जायेगा।<br />

राधा रतुड<br />

सिचव।


347<br />

ऋण तथा अिम<br />

्<br />

सरकार सेवक को वव ध कार के ण तथा अिम वीकृ त कये जाते ह। अिम से<br />

स बधत सामा य िनयम व तीय ह तपुतका ख ड-5 भाग एक के अ याय-11 म संकिलत<br />

ह। इसके अितर त समय-समय पर िनगत शासनादेश ारा भी अिम से स बधत िनयम<br />

एवं याओं का िनधारण कया गया ह। ण तथा अिम से स बधत िनयम तथा याओं<br />

का ववरण िन नवत ह:-<br />

1. ण तथा अिम का कार वीकता ािधकार<br />

(क) भवन िनमाण/य सिचव, वभागा य, म डलायु त, जला<br />

अिधकार, जनपद यायाधीश<br />

(ख) भवन मर मत/व तार तदैव<br />

(ग) मोटर कार अिम तदैव<br />

(घ) मोटर साइकल/ कू टर अिम तदैव<br />

(च) मोपेड/आटो साइकल अिम तदैव<br />

(छ) पसनल क यूटर अिम तदैव<br />

(ज) साइकल अिम कायालया य<br />

(झ) याा भ ता अिम तदैव<br />

(ञ) थाना तरण याा भ ता अिम तदैव<br />

(ट) वेतन अिम तदैव<br />

सामा यत: राजपत अिधकारय हेतु म सं या 1(क) से लेकर म सं या 1 (छ)<br />

तक के अिम के िलये वी कृ ता ािधकार वभागीय सिचव ह लेकन कितपय वभाग म इन<br />

अिधकार का ितिनधायन वभागा य को कया गया ह। राज व, याय तथा आयु त कायालय<br />

के कमचारय को छोडकर के कमचारय को छोडकर सभी वभाग के कमचारय के वीकृ ता<br />

ािधकार सामा यत: वभागा य ह ह। म सं या 1(ज) से लेकर 1(ट) तक के अिम के<br />

िलये, सभी ेणी के सरकार सेवक राजपत एवं अराजपत) के वीकता ािधकार<br />

कायालया य ह ह।<br />

2. (क) उपरो त उधृत सभी कार के अिम, थाई कमचारय के साथ ह साथ ऐसे<br />

अ थाई कमचारय को भी अनुम य ह जो तीन वष या उससे अिधक अविध से<br />

अ थाई चले आ रहे ह व तैनाती क ितिथ से िनर तर काय कर रहे ह, अथात<br />

सेवा म यवधान नहं ह तथा काय एवं आचरण संतोषजनक ह। ात य ह क<br />

तदथ संवदा के आधार पर िनयु त कमचारय एवं अिधकारय को अिम<br />

अनुम य नहं ह।<br />

(ख) अ थाई सरकार सेवक को भवन िनमाण/मर मत/य हेतु अिम वीकृ त<br />

कये जाने क दशा म दो थाई रा य सेवक, जो अिम तथा उस पर देय


348<br />

(ग)<br />

(घ)<br />

(ड)<br />

(च)<br />

(छ)<br />

(ज)<br />

(झ)<br />

याज क स पूण अदायगी होने तक क अविध से पूव सेवािनवृ त न होने वाले<br />

हो, क ओर से फाम 25 ड म वा ड तुत करके योरट देनी होगी।<br />

स बधत राजकय सेवक के थाईकरण के बाद थायी सेवक ारा द गयी<br />

योरट वत: समा त हो जायेगी। अ थाई सरकार सेवक को यद वाहन<br />

अिम वीकृ त कया जाता तो फाम नं0 25 सी म दो थाई सरकार सेवक क<br />

योरट ली जायेगी।<br />

िनयमानुसार ऐसे कमचार को ह भवन िनमाण/य और भवन मर मत/<br />

व तार अिम वीकृ त कया जा सकता ह जनका सेवाकाल 10 वष/5 वष से<br />

अिधक अवशेष हो। 10 वष व त वभाग क पूव सहमित आव यक ह।<br />

ितिनयु पर तैनात कमचारय को पैतृक वभाग ारा ह अिम वीकृ त<br />

कया जाना चाहए। यद क हं अपरहाय मामल म वाहय सेवक अिम<br />

वीकृ त कराना चाहते ह तो पैतृक वभाग से अनाप माण प ा त करके<br />

ह अिम वीकृ त कया जाना चाहए।<br />

रा य सेवा के अिधकारय (जैसे रा य कायकार सेवा, उ तरांचल, व त सेवा<br />

आद) को अिम हेतु आवेदन प अपने पैतृक वभाग को तुत करना चाहए<br />

तथाप यद कसी मामल म कोई वभाग रा य सेवा के अिधकार को वशेष<br />

परथित म अिम देना ह चाहता ह तो पैतृक वभाग क पूव सहमित<br />

आव यक ह।<br />

िनलबत एवं अनुशासिनक कायवाह हेतु वचाराधीन सरकार सेवक को अिम<br />

नहं वीकृ त कया जा सकता ह।<br />

कसी कमचार को उसके सेवाकाल म भवन िनमाण/य अिम तथा भवन<br />

मर मत/व तार अिम िनयमानुसार एक ह बार अनुम य ह। अत: एक बार से<br />

अिधक उ त अिम वीकृ त नहं कये जा सकते ह।<br />

भवन िनमाण अिम वीकृ त करने के पांच वष के प चात ह भवन<br />

मर मत/व तार अिम वीकृ त कया जा सकता ह। 5 वष क गणना उस<br />

ितिथ से क जाती ह जस ितिथ से भवन-िनमाण/य हेतु वीकृ त अिम क<br />

स पूण धनरािश म से कम से कम दो ितहाई धनरािश आहरत कर ली गई ह।<br />

भूख ड/भवन के स ब ध म व तीय िनयम संह ख ड-5 भाग-1 के िनयम<br />

244 आई के अपेानुसार वीकता अिधकार ारा इस आशय क संतु<br />

आव यक ह क जस संप के िलए अिम वीकृ त कया जाना तावत ह<br />

वह िनववाइ एवं भारमु त ह। संप को अिम क ितभूित म शासन के प<br />

म ब धक रखने म कोई विधक कठनाई नहं ह और सपं को अित कमचार<br />

का िनववाद अिधकार ह या अजत करने पर िनववाद अिधकार ा त हो<br />

जायेगा इस कार का माण प जलािधकार ारा िनगत कया जाता ह।


349<br />

(ञ)<br />

(ट)<br />

देश के कसी भी थान पर भवन िनमाण/य हेतु अिम अनुम य ह। वह<br />

थान कमचार के काय थान पर हो सकता ह या भारत म कसी अ य थान<br />

पर जहॉं वह सेवािनवृ के बाद थायी तौर पर रहना चाहता हो। तर<br />

244(अ)<br />

कमचार क प नी/पित,पता,माता,सगे,भाई/भाइय,पु/पु के साथ संयु त<br />

वािम व क संप पर भी अिम अनुम य ह।<br />

3- भवन िनमाण/य तथा भवन मर मत व तार अिम वीकृ त करने हेतु अनहताएं<br />

(क) कमचार के पास पैतृक भवन के अितर त कोई अ य भवन भी होना।<br />

(ख) कमचार के व कोई अनुशासना मक कायवाह वचाराधीन हो तथा अ थाई<br />

होने क दशा म िनयु तदथ और संवदा के आधार पर हो।<br />

(ग) पित/प नी दोन के रा य कमचार होने क दशा म उस नगर म जहॉं अिम से<br />

भवन िनमाण/य कया जाना तावत ह, आवेदक कमचार क प नी/पित<br />

(यथा थित) उसके अवय क ब चे का कोई भवन होना।<br />

(घ) के वल भूख ड के य हेतु अिम अनुम य नहं ह।<br />

(ड) कराया य पित के आधार पर य करके अजत क जाने वाली संप के<br />

िलए अिम अनुम य नहं ह।<br />

(च) आवेदक कमचार क प नी/पित के र तेदार के नाम क संप पर अथवा<br />

उसके नाम से अथवा उसके साथ संयु त वािम व म संप अजत करने के<br />

िलए अिम अनुम य नहं ह।<br />

(छ) यद कोई सरकार सेवक भारत के बाहर डैपूटेशन पर जा रहा ह तो उसे अिम<br />

देय नहं ह।<br />

4- भवन िनमाण/मर मत/व तार अिम क रािश:<br />

(क) भवन के िनमाण/य के िलण ् भवन िनमाण अिम क सीमा अब 50 मास का<br />

मूल वेतन (पंचम वेतनमान लागू होने के पूव अनुम य वेतनमान म आवेदन क<br />

ितिथ म परकपत ा त वेतन) या 7,50,000/- जो भी कम हो, होगी। उसक<br />

याज सहत वसूली अिधकतम 240 मािसक क त म होगी।<br />

(शासनादेश सं या 537/व0अनु0-1/2004 दनांक 16 जुलाई, 2004)<br />

(ख) भवन मर मत/व तार के िलये अिम क सीमा 50 मास का मूल वेतन (मूल<br />

वेतन का आशय उपरो तवत) या 1,80,000/- पये जो भी कम हो, होगी।<br />

इसक याज सहत वसूली अिधकतम 120 मािसक क त म होगी।<br />

(शासनादेश सं या 537/व0अनु0-1/2004 दनांक 16 जुलाई, 2004)<br />

(ग) अिम क वा तवक प से देय रािश भवन िनमाण/मर मत/य/व तार क<br />

वा तवक लागत से अिधक नहं होगी।


350<br />

5- ितदान हेतु मता:<br />

(क) शासनादेश सं या बी-3-6518/दस-68-100(9)/88 दनांक 8-12-88 तथा बी-3-<br />

4129/दस-95-100(9)/89 दनांक 10-10-95 के अनुसार भवन िनमाण अिम<br />

वीकृ ित हेतु ितदान मता िन न आधार पर आंक जायेगी। अथात उपरो त<br />

ब दु-4 म अकं त अिधकतम अिम धनरािश के िनधारण म सरकार सेवक के<br />

ितदान मता को भी संान म िलया जायेगा। ितदान मता का आशय ह<br />

क तावत अिम के ितदान हेतु मािसक क त क रािश नीचे िनधारत<br />

धनरािश से अिधक नहं होगी, यद अिधक आगणत हो रह हो तो उसम<br />

वीकृ ित कये जाने वाले अिम क रािश उस सीमा तक कम कर द जायेगी<br />

जसके आधार पर मािसक क त क रािश नीचे िनधारत लैब से अिधक हो<br />

जाय।<br />

अवशेष सेवा अविध<br />

ितदान हेतु मता का लैब<br />

(1) 20 वष के बाद सेवािनवृ होने वाले मूल वेतन का 35 ितशत<br />

कमचार।<br />

(2) 10 वष के प चात क तु 20 वष से मृ यु एवं अिधवषता पर आनुतोषक के 60<br />

पहले सेवा िनवृ त होने वाले कमचार ितशत धनरािश के समायोजन के उपरा त मूल<br />

वेतन का 40 ितशत<br />

(3) 10 वष के भीतर सेवािनवृ होने वाले मृ यु एवं अिधवषता आनुतोषक के 60 ितशत<br />

कमचार ।<br />

धनरािश के समायोजन के उपरा तर मूल वेतन<br />

का 50 ितशत<br />

(ख) कसी कमचार क ितदान मता िनधारत करते समय यह भी देखा जायेगा<br />

क वीकृ त अिम क वसूली हेतु जो क त क रािश िनधारत क जा रह हो,<br />

उसे स बधत कमचार के वेतन से पहले से क जा रह कटौितय के परपे य<br />

म वसूल करना संभव हो।<br />

(ग) े युट से समायोजन करते हुए अिम तभी वीकृ त कया जायेगा जब कमचार<br />

उ त आशय का िलखत अनुरोध कर। मृ यु एवं अिधवषता आनुतोषक क<br />

गणना उस का पिनक मूल वेतन के आधार पर क जायेगी, जो स बधत<br />

कमचार अपनी अिधवषता के समय वतमान म अहकार सेवा पूर करने पर<br />

आहरत करेगा।<br />

6- अिधकतम लागत सीमा:<br />

(क) शासनादेश सं या बी-3-7086/दस-96-100(9)/88 दनांक 20-11-96 के<br />

अनुसार भवन िनमाण अिम के योजनाथ भवन क लागत सीमा 0 3.00<br />

लाख क यूनतम और 8.00 लाख क अिधकतम सीमा के अ तगत रहते हुए,<br />

भवन िनमाण अिम के िलए आवेदन करने वाले कमचार के मूल वेतन


351<br />

(उपरो तवत) के 200 गूने के बराबर होगी। कसी विश ट मामले म पया त<br />

औिच य से संतु ट होने पर शासकय वभाग उ त अिधकतम लागत सीमा म<br />

25 ितशत क वृ कर सकत ह।<br />

(ख) से फ फाइनेसंग कम के अ तगत य कये जाने वाले भवन के स ब ध म<br />

उ त लागत सीमा म भूख ड का मू य तथा वकास यय को समिलत समझा<br />

जायेगा।<br />

7.1 वाहन अिम:-<br />

7.1 सरकार कमचारय को मोटर कार/जीप, मोटर साइकल/ कू टर, मोपेड/ आटो<br />

साइकल तथा साइकल य हेतु व तीय ह त पुतका ख ड-5 भाग-1 के<br />

मश: तर 245, 246, 246ए तथा 147 म दये गये िनयम तथा शासनादेश<br />

सं या- 538/व0अनु0-1/2004 दनांक 16 जुलाई, 2004 के अनुसार अिम<br />

वीकृ त कया जा सकता ह:-<br />

(1) मोपेड/आटो साइकल य अिम-<br />

मोपेड/आटो साइकल हेतु अिम क अिधकतम सीमा छ: माह का मूल<br />

वेतन या 0 16,000/- जो भी कम हो होगी।<br />

(2) मोटर साइकल/ कू टर य अिम-<br />

(क) थम बार िलये जाने पर मोटर साइकल/ कू टर अिम क अिधकतम<br />

सीमा छ: मास का मूल वेतन या पये- 30,000/- जो भी कम हो,<br />

होगी।<br />

(ख) दूसर बार िलये जाने पर मोटर साइकल/ कू टर य अिम क<br />

अिधकतम सीमा 5 माह का मूल वेतन या पये 24,000/- जो भी कम<br />

हो, होगी।<br />

(3) मोटर कार य अिम-<br />

(क) थम बार मोटर कार य अिम िलये जाने पर अिधकतम सीमा 11<br />

महने के मूल वेतन या पये 1,80,000/- जो भी कम हो, होगी।<br />

(ख) दूसर बार मोटर कार अिम िलये जाने पर अिधकतम सीमा 11 महने<br />

का मूल वेतन या पये 1,60,000/- जो भी कम हो, होगी।<br />

7.2 रा य कमचारय को मोपेड/आटो साइकल, मोटर साइकल/ कू टर तथा मोटर<br />

कार/जीप दूसरे अथवा बाद के अवसर के िलये अिम तभी वीकृ त कया<br />

जायेगा जबक पछले अिम के आहरण ितिथ से कम से कम चार वष क<br />

अविध यतीत हो चुक हो। लेकन मोटर कार के स ब ध म िन निलखत<br />

मामल म चार वष का ितब ध लागू नहं होगा।<br />

(क) यद पहला अिम मोटर साइकल/ कू टर के िलये िलया गया हो, अब<br />

अिम मोटर कार के िलये मांगा जा रहा हो।


352<br />

(ख) जब कोई सरकार कमचार वदेश म तैनाती होने या एक वष से अिधक<br />

अविध के िलये वदेश म िशण ा त करने के िलये ितिनयु होने<br />

पर अपनी मोटर कार को बच देता ह और भारत म मोटर कार के बना<br />

वापस आता ह।<br />

(ग) जब कोई सरकार कमचार वदेश म िनयिमत पद पर िनयु त होता ह<br />

और अपने साथ अपनी मोटर कार को लेकर नहं आता ह।<br />

7.2 सामा य: दूसरे कार के वाहन अिम तभी वीकृ त कये जा सकते ह, जबक<br />

पहले कार के वाहन हेतु िलये गये अिम क वसूली मय याज पूर हो चुक<br />

हो।<br />

7.3 वाहन के िलये अिम तभी वीकृ त कया जायेगा यद वीकता ािधकार संतु ट<br />

हो क स बधत सरकार सेवक के िलये वाहन रखना सावजिनक हत म ह।<br />

7.4 वाहन अिम क वीकृ ित के आदेश वीकृ ित के दनांक से एक माह तक विध<br />

मा य होते ह। अत: वीकृ ित आदेश िनगत होने क ितिथ से एक माह के भीतर<br />

अिम का आहरण होना चाहए।<br />

8- पसनल क यूटर य करने के िलये अिम:<br />

8.1 शासनादेश सं या 538(ए)/व0अनु0-1/2004 दनांक 16 जुलाई, ारा थम बार<br />

क यूटर य करने पर 0 80,000 (0 अ सी हजार मा) दूसर बार हेतु अिधकतम<br />

सीमा 0 75,000 िनधारत कया गया ह।<br />

8.2 अिम क वसूली मय याज अिधकतम 150 मािसक क त म क जायेगी। इस अिम<br />

पर याज क दर भी वह होगी जो मोटर कार अिम पर शासन ारा समय-समय पर<br />

िनधारत क जायेगी।<br />

8.3 अिम आहरण के पूव उपरो त शासनादेश म प सं या 25 ए म कमचार को<br />

अनुब ध प भरना होगा तथा अिम वीकृ ित के एक माह के अंदर कमचार को फाम<br />

नं0 25 पर शासन के प म बंधक रखा जाना होगा। अ थाई रा य कमचारय क दशा<br />

म परप 25 सी म एक थायी कमचार क जमानत देनी होगी जो अिम क वसूली<br />

से पूव सेवािनवृ न हो।<br />

8.4 पसनल क यूटर के य हेतु अिम वीकता ािधकार को समाधान होना चाहए क<br />

सरकार काय के हत म कमचार को पसनल क यूटर रखना आव यक ह।<br />

9- अिम का आहरण<br />

9.1 भवन िनमाण के िलये अिम आहरण हेतु वीकृ ित सामा यतया कई क त म क जाती<br />

ह। यद अिम कई क त म वीकृ त कया जाता ह तो येक क त क धनरािश<br />

इतनी होनी चाहए क इसका योग तीन महने म कया जा सके । अगली क त िनगत<br />

करने के पूव स बधत सरकार सेवक से इस आशय का उपभोग माण प ा त कर<br />

लेना चाहए क पूव म िनगत क त क धनरािश का उपयोग उसी योजन के िलये<br />

कया गया ह जस योजन के िलये अिम वीकृ त कया गया था। यद अिम क


353<br />

धनरािश कम ह या वीकता ािधकार संतु ट ह क अवमु त क जाने वाली धनरािश<br />

का उपयोग आहरण के तीन माह के अ दर संभव ह तो ऐसी दशा म अिम क धनरािश<br />

के आहरण क वीकृ ित एक मु त भी कया जा सकता ह।<br />

9.2 सभी कार के अिम के वीकृ ित वषयक आदेश वीकृ ित के दनांक से एक मास तक<br />

ह भावी होते ह अथात इस अविध के यतीत हो जाने के बाद उ त आदेश के आधार<br />

पर कोषागार से आहरण संभव न होगा।<br />

9.3 अिम क वीकृ ित शासन के व त वभाग से बजट आंवटन ा त होने के बाद ह क<br />

जानी चाहए। अिम का आहरण तभी कया जाना चाहए जब उसका वतरण आव यक<br />

ह। यद अिम क संपूण धनरािश या उसके कु छ अंश का योग नहं कया जाता है तो<br />

उसे तुर त वापस, स बधत लेखा शीषक म, कया जाना चाहए विभ न कार के<br />

अिम के आहरण हेतु िनधारत लेखा शीषक को िन न तािलका म तुत कया गया<br />

ह।<br />

0 अिम का कार मु य लेखा शीषक उप लधु शीषक उप योरेवार<br />

सं0<br />

शीषक<br />

शीषक<br />

(1) गृह िनमाण के<br />

िलये अिम<br />

(2) गृह मर मत<br />

व तार के िलये<br />

अिम<br />

(3) मोटर वाहन/<br />

क यूटर के िलये<br />

अिम<br />

(4) अ य गाडय क<br />

खरद के िलये<br />

अिम<br />

7610- सरकार 00 201-गृह िनमाण 01 00<br />

कमचारय को अिम<br />

कज<br />

7610- सरकार 00 201-गृह िनमाण 02 00<br />

कमचारय को अिम<br />

कज<br />

7610- सरकार 00 202 मोटर 00 00<br />

कमचारय को गाडय के खरद<br />

कज<br />

के िलये अिम<br />

7610- सरकार 00 203 अ य वाहन 00 00<br />

कमचारय को के िलये अिम<br />

कज<br />

9.4 अिम के आहरण के पूव कमचार ारा अनुबंध कया जाता है। इस हेतु विभ न कार<br />

के फाम योग कये जाते ह इनका सं त ववरण िन नवत ह:-<br />

0 सं0 अिम का कार आहरण के पूव यु त कये जाने वाले फाम<br />

(1) भवन िनमाण अिम 22 ए<br />

(2) भवन मर मत एवं व तार अिम 22 ए<br />

(3) मोटर कार/ जीप अिम 25 ए<br />

(4) मोटर साइकल/ कू टर तथा मोपेड 25 ए<br />

(5) क यूटर 25 ए


354<br />

10.1 रा य कमचारय को भवन िनमाण/य/मर मत/व तार, मोटर वाहन/क यूटर/मोटर<br />

साइकल/ मोपेड/साइकल य हेतु वीकृ त अिम क वसूली के स ब ध म ावधान<br />

व तीय ह त पुतका ख ड-5, भाग-1 के तर 244(ड), 246(3) तथा 247(3) म<br />

दये गये ह।<br />

10.2 भवन िनमाण/य व तार अिम यद एक मु त वीकृ त कया जाता ह तो वसूली धन<br />

के आहरण के बाद िमलने वाले दूसरे वेतन से ार भ क जानी चाहए। यद अिम का<br />

आहरण एक से अिधक क त म कया जाता ह तो थम क त क वसूली आहरण के<br />

बाद िमलने वाले चौ थे वेतन से ार भ क जानी चाहए। यद अिम, भूख ड के य<br />

एवं उस पर भवन िनमाण अथवा पूणतया व त भवन के पुन: िनमाण हेतु वीकृ त<br />

कया गया हो तो स बधत रा य कमचार के अनुरोध पर एक से अिधक क त म<br />

अवमु त धनरािश क वसूली थम क त क धनरािश के आहरण के बाद िमलने वाले<br />

तेरहव वेतन से भी ार भ क जा सकती ह- बशत िनयमानुसार अिम के ब ्याज क<br />

वसूली कमचार क सेवािनवृ के पूव सुिनत हो जाय।<br />

10.3 मोटर कार, क यूटर/मोटर साइकल/ कू टर/मोपेड/आटो साइकल/साइकल अिम क<br />

वसूली अिम आहरण के बाद िमलने वाले दूसरे वेतन से ार भ क जायेगी।<br />

10.4 वीकृ त अिम के मूलधन क वसूली पूण होने के तुर त बाद अिम पर याज क<br />

वसूली ार भ क जायेगी। देय याज क पु महालेखाकार उ तरांचल से कराई जायेगी।<br />

जब तक महालेखाकार ारा ारभक आगणन क अंितम प से पु नहं कर द जाती<br />

ह, तब तक ारभक आगणन के अनुसार ह ब ्याज क कटौती क जायेगी। आगणत<br />

याज क वसूली एक या एक से अिधक क त म क जा सकती ह लेकन सामा यतया<br />

मािसक क त क धनरािश मूलधन क क त से अिधक नहं होनी चाहए।<br />

10.5 अिम क वसूली िनधारत क त म स बधत सरकार सेवक के येक माह के<br />

वेतन से क जायेगी। सामा यतया अंितम क त को छोडकर मािसक क त क धनरािश<br />

समान होनी चाहए।<br />

10.6 कसी भी कमचार जसे भवन िनमाण या अ य कोई अंितम वीकृ त कर दया गया ह,<br />

के दूसरे कायालय म थाना तरण क थित म उसके अंितम वेतन माण प म<br />

वीकृ त अिम अिम क वसूल क गयी मािसक क त क सं या तथा रािश और<br />

वसूल क जाने वाली क त क सं या तथा अवशेष रािश का पूण ववरण दया जाना<br />

चाहए।<br />

11- विभ न कार के अिम पर याज क वसूली हेतु शासन ारा िनधारत लेखा शीषक<br />

का ववरण िन नवत ् ह:-<br />

0 अिम का कार मु य लेखा उपमु या लेखा लधु उप योरेवार<br />

सं0<br />

शीषक शीषक शीषक शीशक<br />

1 गृह िनमाण के अिम पर 0049 04 800 02 01


355<br />

याज<br />

2 मर मत एवं व तार अिम 0049 04 800 02 01<br />

पर याज<br />

3 मोटर वाहन अिम पर 0049 04 800 02 02<br />

याज<br />

4 क यूटर अिम पर याज 0049 04 800 02 02<br />

5 अ य सवारय के अिम<br />

पर याज<br />

0049 04 800 02 03<br />

11. अिम पर याज:<br />

11.1 अिम पर याज क गणना एवं वसूली व तीय िनयम संह ख ड-5, भाग-1,<br />

के िनयम 242 के नीचे दये गये नोट सं0 2 म दये गये ावधान के अ तगत<br />

क जायेगी।<br />

11.2 याज आगणन येक माह के अंितम दन के मूल धन-अवशेष के आधार पर<br />

क जाती ह।<br />

11.3 कसी शासिनक कारण से या वेतन पच (पे लप) के अभाव म वेतन का<br />

आहरण कसी माह म संभव नहं हो पाता ह, फल वप अिम के क त क<br />

अदायगी भी नहं हो पाती ह। ऐसी दशा म आगामी महन म वेतन आहरण<br />

कये जाने के बावजूद ऐसा माना जायेगा क क त क कटौती येक माह<br />

िनयिमत प से क गयी ह। तदनुसार याज का आगणन भी कया जायेगा।<br />

अवकाश वेतन के आहरण म भी यह िसा त लागू होगा। लेकन जानबूझकर<br />

यद कसी के ारा वेतन आहरण येक मास म न करके वल ब से कया<br />

जाता ह तो उसे िनयिमत कटौती क ेणी म नहं माना जायेगा और ऐसे<br />

सरकार कमचार को याज म अनुम य छू ट नहं द जायेगी।<br />

11.4 यद आहरत अिम को 30 दन के भीतर वापस जमा कया जाता ह तो याज<br />

आगणन पूरे महने के िलये न करके वा तवक दन के िलये कया जायेगा।<br />

11.5 यद अिम का आहरण कई क त म कया जाता ह तो र थम क त के<br />

आहरण वाले व तीय वष म घोषत याज दर को आधार मानकर याज क<br />

गणना क जायेगी।<br />

11.6 अिम पर याज क गणना येक माह के रडयूिसंग बैले स के योग को<br />

आधार मान कर िन न सू के मा यम से कया जाता ह:-<br />

याज = रयूिसंग बले स का योग × याज क दर<br />

1200


356<br />

11.7 सामा यत: रा य सरकार ारा याज क दर लैबवाइज घोषत कया जाता ह।<br />

उ च याज दर पर गणना अिम आहरण के ारभक वष के रडयूिसंग<br />

बले स को आधार मानकर, पुन: उससे कम याज दर तथा अ त म सबसे कम<br />

याज दर को आधार मानकर याज का आगणन कया जाता ह। शासनादेश<br />

सं या: 537/व0अनु0-1/2004 दनांक 16 जुलाई, 2004 म 50 माह के मूल<br />

वेतन या 0 7.50 लाख जो भी कम हो भवन िनमाण हेतु तथा इसी आधार पर<br />

भवन मर मत हेतु 0 1.80 लाख जो भी कम हो इस आशय से वीकृ त कया<br />

जा सकता ह क वसूली भवन िनमाण अिम क अिधकतम 240 क त म<br />

तथा भवन मर मत के अिधकतम 120 क त म िन निलखत साधारण याज<br />

कर दर से कया जाय। याज क दर दनांक 16-7-2004 से वीकृ त अिम पर<br />

ह अनुम य ह। इसी कार शेष धनरािशय के िलये भी याज आगणन कया<br />

जायेगा। याज आगणन का उदाहरण संल न एक म दया गया ह।<br />

(क) वीकृ त अिम 50,000 पये तक 6.0 ितशत ित वष<br />

(ख) वीकृ त अिम 1,50,00 पये तक 7.5 ितशत ित वष<br />

(ग) वीकृ त अिम 2,50,00 पये तक 9.5 ितशत ित वष<br />

(घ) वीकृ त अिम 5,00,000 पये तक 9.5 ितशत ित वष<br />

(च) वीकृ त अिम 7,50,000 पये तक 10.5ितशत ित वष<br />

11.8 व तीय िनयम संह ख ड-5 भाग-एक के तर 242 के नोट खं या 2 के<br />

िनचे दये गये िनयम सं0 2 के अनुसार कसी सरकार सेवक क असामियक<br />

मृ यु क दशा म कमचार ारा िलये गये अिम म से यद कसी भाग क<br />

वसूली शेष रह गयी हो तो कमचार के आित के देय मृ यु आनुतोषत अथवा<br />

अवकाश वेतन से अिम के शेष भाग क वसूली क जायेगी।<br />

11.9 शासनादेश सं या बी-3-4086/दस-94-20(24)/92 दनांक 31-10-94 के<br />

अनुसार सेवाकाल म रा य कमचार क मृ यु क दशा म उनके ारा िलये गये<br />

भवन िनमाण/य/व तार/मर मत अिम पर देय याज क धनरािश को माफ<br />

कये जाने क वीकृ ित दान क गई ह, बशत क अिम के मूल धन क<br />

सम त अवशेष धनरािश क वसूली सुिनत कर ली गयी हो। सेवा काल म<br />

कमचार क मृ यु क दशा म उसके ारा िलये गये भवन<br />

िनमाण/य/मर मत/व तार अिम पर याज क गणना स बधत रा य<br />

कमचार क मृ यु क ितिथ तक ह क जायेगी। पर तु जन करण म देय<br />

याज क आंिशक वसूली कर ली गयी ह, अवशेष याज क धनरािश ह माफ<br />

क जायेगी।<br />

11.10 याज क माफ का अिधकार अिम वीकृ त करने वाले सम अिधकार को<br />

दान कया गया ह लेकन याज आगणन क पु ए0 जी0 से करना होगा।


357<br />

11.11 यद अित के क त का भुगतान िनयिमत प से कया गया ह अथात क त<br />

के भुगतान म यद अनिधकृ त यवधान नहं ह, (शासकय कारण या वेतन<br />

पच के अभाव म वेतन आहरण म वल ब होने से क त क कटौती म भी<br />

वल ब हो जाता ह इसे यवधान नहं माना जायेगा) तो याज दर म 3.5<br />

ितशत क छू ट दये जाने क या थी। शासनादेश सं या 537/व0अनु0-<br />

1/2004 दनांक 16 जुलाई, 2004 म यह या क गयी ह क समय से<br />

क त जमा न करने पर 12 ितशत अितर त ित माह द ड याज जमा<br />

करना होगा।<br />

11.12 कमचारय के सेवाकाल म मृ यु क दशा म मोटर वाहन/ यगत क यूटर<br />

अिम पर भी देय याज क गणना मृ यु क ितिथ तक ह क जायेगी। लेकन<br />

मृ यु क ितिथ तक आगणत याज क वसूली क जानी ह। इस करण म<br />

याज, भवन िनमाण/भवन मर मत क भांित माफ नहं कया जाता ह।<br />

12- अिम से स बधत विभ न कार के प तथा अिभलेख और लेखा या:-<br />

12.1 अिम से य कये गये संप को सरकार के प म बंधक रखना अिनवाय<br />

होता ह। इस हेतु व तीय ह त पुतका ख ड-5 भाग-एक म विभन कार के<br />

फाम दये गये ह। इनका ववरण िन नवत ह:-<br />

0 प<br />

ववरण<br />

सं0 सं0<br />

1 22 इस प का योग उस दशा म कया जाता ह जब कमचार के पास पूण<br />

वािम व बाला भूख ड उपल ध ह, जस पर भवन िनमाण हेतु अिम चाहता<br />

ह अथवा पहले से भवन ह जसके मर मत एवं व तार हेतु अिम चाहता ह।<br />

ऐसी दशा म संप को रज टड बंधक कराने के बाद ह अिम क धनरािश<br />

अवमु त क जाती ह।<br />

2 22 बी सरकार कमचार को वीकृ त अिम से पूण वािम व वाले भूख ड को<br />

रज टड ब धक रखने हेतु इस प का योग कया जाता ह। इसी कार<br />

वीकृ त अिम से िनिमत पूण वािम व वाले मकान के मर मत एवं व तार<br />

हेतु अिम क दशा म भी प-22 बी का योग कया जाता ह।<br />

3 22 ड इस प का योग संयु त वािम व वाली संप को रज0 बंधक कराने के<br />

िलये कया जाता ह।<br />

4 23 पटे वाली (लीज) संप (भूख ड/भवन) के पूण वािम व क दशा म इस<br />

प का योग कया जायेगा।<br />

5 23 ए पटे वाली संप (लीज पर यद भूख ड भवन उपल ध ह) यद संयु त<br />

वािम व म ह तो संप को रज0 बंधक कराने के िलये प 23 ए का<br />

योग कया जाता ह।


358<br />

6 25 इस प का योग वीकृ त अिम से य कये गये सभी कार के वाहन को<br />

सरकार के प म ब धक कराने के िलये कया जाता ह क यूटर अिम के<br />

िलये भी इसी प का योग कया जाता ह।<br />

7 25 सी यद वाहन या क यूटर अिम अ थायी सरकार सेवक को वीकृ त कया<br />

जाता ह तो सरकार के प म ब धक कराने क िलये प 25 सी का योग<br />

कया जाता ह।<br />

8 25 ड यद अ थायी सरकार सेवक को भवन िनमाण/य/मर मत हेतु अिम<br />

वीकृ त कया जाता ह तो ब धक कराने के िलये प 25 ड का योग कया<br />

जायेगा।<br />

12.2 भूिम एवं भवन का रज0 बंधक, य/िनमाण के चार माह के भीतर सरकार<br />

कमचार ारा रा यपाल के प म कया जायेगा। जबक वाहन एवं क यूटर<br />

अिम क दशा म अिम आहरण क ितिथ से एक माह के भीतर रज0 बंधक<br />

कमचार ारा रा यपाल के प म कया जायेगा। रज0 बंधक प वीकता<br />

ािधकार ारा सुरत रखा जायेगा। उ लेखनीय ह क इसम टा प पेपर का<br />

योग नहं होता ह।<br />

12.3 अिम आहरण के पश ्चात वीकता ािधकार तथा आहरण वतरण अिधकार<br />

को यह सुिनत कर लेना चाहए क अिम का लेखा महालेखाकार कायालय म<br />

खुल गया ह तथा महालेखाकार ारा आहरण एवं वसूिलय का व तृत लेखा रखा<br />

जा रहा ह और वसूली िनयिमत प से हो रह ह। यय के वभागीय आंकड का<br />

महालेखाकार कायालय म पु तांकत आकड से िमलान हेतु जब भी िमलान दल<br />

महालेखाकार काया य जाय, अपने साथ स बधत कमचार को वीकृ त<br />

धनरािश से स बघत आव यक ववरण जैसे- वीकृ ित आदेश, कोषागार का<br />

नाम, व वाउचर स या, दनांक व वाउचर क धनरािश आद लेकर जाय और<br />

यय के िलये वभागीय आंकड के िमलान के साथ ह उ त कायवाह को भी<br />

सुिनत कया जाना चाहए।<br />

12.4 कायालय म विभ न कार के अिम के िलये अलग-अलग पंजयां रखी जाती<br />

ह। कसी कमचार को अिम वीकृ त कये जाने क दशा म उ त पंजय म<br />

अिम स ब धी सम त ववरण-यथा सरकार कमचार का नाम, तथा पद,<br />

अिम क कृ ित वीकृ ित आदेश क सं या, वीकृ त धनरािश, वसूली क<br />

मािसक दर, याज क दर, भुगतान क गयी अिम क धनरािश, वाउचर सं0 व<br />

ितिथ का अंकन कया जाता ह। उ त सूचनाओं के साथ वसूली का लेखा भी<br />

अिम रज0 के उसी पृ ट पर ार भ कया जाता ह। याज सहत ऐसे अिम<br />

को 60 महने या उससे कम क मािसक क त म वसूल होते ह उनके भुगतान


359<br />

तथा वसूली का लेखा संल न दो प (क) पर रखा जाता ह। शेष अिम के<br />

भुगतान व वसूली का लेखा संल न तीन प (ख) पर रखा जाता ह।<br />

12.5 यद अिम के मूलधन/ याज क अिधक वसूली हो गयी ह तो शासनादेश<br />

सं या-बी-3-3694/दस-1998 दनांक 06-10-98 के अनुसार महालेखाकार से<br />

उ त धनरािश क वसूली क पु होने के प चात नगत धनरािश क वापसी<br />

संगत अनुदान के सुसंगत लेखा शीषक जसके अधीन वेतन आहरत कया जा<br />

रहा ह/जा रहा था, के मानक मद-42-अ य यय से आहरत कर वापस क<br />

जायेगी।<br />

12.6 रा य सरकार के कमचारय को याज रहत िन निलत कार के अिम<br />

वीकृ त कये जाते ह:-<br />

(क) थाना तरण उ च अ ययन तथा शासन क वीकृ ित से िशण पर<br />

जाने क दशा म मौिलक वेतन तथा अनुम य अनुमािनत थाना तरण<br />

भ ते क धनरािश अिम प म देय ह।<br />

(ख) याा अिम ( तर 249 सी)<br />

(ग) अजत अवकाश तथा िनजी काय पर अवकाश क दशा म (यद<br />

िचक सा माण प के आधार पर अवकश न िलया गया हो तो) वेतन<br />

अिम देय होता ह ( तर 249)<br />

0<br />

अिम<br />

का<br />

अिम क शत<br />

वीकता<br />

अनुम य<br />

अिम वसूली<br />

व तीय िनयम<br />

सं0<br />

कार<br />

ािधकार<br />

धनरािश<br />

क क त<br />

संह ख ड-5<br />

भाग एक का<br />

िनयम<br />

1 वेतन अिम थाना तरण या उ च<br />

कायालया य<br />

एक माह का<br />

तीन<br />

समान<br />

249 ए<br />

िशा या िशण हेतु<br />

वयं के िलये<br />

मूल वेतन<br />

मािसक<br />

थान कये जाने क<br />

तथा<br />

अपने<br />

क त म<br />

दशा म।<br />

कायालय<br />

के<br />

अिधकारय एवं<br />

कमचारय<br />

के<br />

िलये।<br />

2 थाना तरण<br />

थाना तरण क दशा<br />

कायालया य<br />

िनयम<br />

म<br />

क<br />

मु त<br />

249 ए<br />

याा भ ता<br />

म<br />

वयं के िलये<br />

अनुम य<br />

थाना तरण<br />

अिम<br />

तथा<br />

अपने<br />

थाना तरण<br />

याा भ ता<br />

कायालय<br />

के<br />

याा भ ता<br />

देयक से क<br />

अिधकारय एवं<br />

क सीमा तक<br />

जायेगी।


360<br />

कमचारय<br />

के<br />

िलये।<br />

3 याा भ ता<br />

शासन के संके त पर<br />

तदैव तदैव याा भ ता<br />

249 ए<br />

अिम<br />

उ च<br />

िशा/िशण<br />

देयक से एक<br />

क थित<br />

मु त<br />

क<br />

जायेगी।<br />

4 याा भ ता<br />

शासकय काय हेतु तदैव अनुमािनत<br />

मु यालय पर<br />

249 सी<br />

अिम<br />

धनरािश<br />

का<br />

वापसी या 31<br />

90 ितशत<br />

माच जो भी<br />

पूव हो<br />

5 अजत<br />

(क) शासकय सेवक ने<br />

कायालया य<br />

अंितम<br />

थम<br />

249 वाई<br />

अवकाश<br />

या<br />

कम से कम तीस दन<br />

आहरत वेतन<br />

अवकाश<br />

िनजी<br />

काय<br />

या एक मास का<br />

के बराबर<br />

वेतन से एक<br />

पर<br />

अवकाश<br />

अवकाश का आवेदन<br />

मु त<br />

क थित म<br />

कया हो<br />

समायोजन<br />

वेतन अिम<br />

(ख) िचक सा माण<br />

कया<br />

प के आधार पर<br />

जायेगा। यद<br />

अजत या िनजी काय<br />

एक<br />

मु त<br />

पर एक माह के<br />

समायोजन<br />

अवकाश क थित म<br />

संभव नहं हो<br />

अिम देय नहं ह।<br />

पाता ह तो<br />

आगामी वेतन<br />

से<br />

कया<br />

जायेगा<br />

6 अवकाश याा<br />

िनयु ािधकार ारा<br />

कायालया य<br />

अनुमािनत<br />

मु यालय पर<br />

शासनादेश<br />

के<br />

सुवधा<br />

हेतु<br />

अवकाश याा सुवधा<br />

यय का 90<br />

वापसी या 31<br />

अ तगत<br />

अिम<br />

क वीकृ ित दान<br />

ितशत<br />

माच जो भी<br />

वीकृ त<br />

करने के उपरा त ह<br />

पूव हो। एक<br />

करना<br />

अिम वीकृ त कया<br />

मु त<br />

जाना संभव होगा।<br />

समायोजन<br />

कया<br />

जायेगा।


361<br />

संल न ‘’एक’’<br />

भवन िनमाण अिम याज आगणन<br />

0<br />

सं0<br />

अिम का ववरण<br />

वीकृ त<br />

अिम<br />

क<br />

माह वसूली<br />

क<br />

धनरािश<br />

अवशेष<br />

धनरािश<br />

पये म<br />

धनरािश<br />

1 2 3 4 5 6<br />

1 कमचार का नाम अजय कु मा 100000 माच, 96 0 100000<br />

2 पदनाम आशुिलपक अैल, 96 0 100000<br />

3 वीकृ त अिम क धनरािश 0<br />

मई, 96 0 100000<br />

180000/-<br />

4 थम क त के प म अवमु त<br />

जून, 96 0 100000<br />

धनरािश 0 100000/-<br />

5 तीय क त के प म अवमु त 80000 जुलाई, 96 2500 177500<br />

धनरािश 0 80000/-<br />

6 थम क त के आहरण क ितिथ<br />

अग त, 96 2500 175500<br />

15 माच, 96<br />

7 तीय क त के आहरण क ितिथ<br />

िसत बर, 96 2500 172500<br />

11 जुलाई, 96<br />

8 येक क त क धनरािश 0<br />

अ टूबर, 96 2500 170000<br />

2500/-<br />

9 व तीय वष 96-97 म वीकृ त<br />

नव बर, 96 2500 167500<br />

भवन िनमाण अिम पर याज क<br />

दर।<br />

10 (क) वीकृ त अिम 0 50,000<br />

दस बर, 96 2500 165000<br />

तक 11 ितशत ित वष।<br />

11 (क) वीकृ त अिम 0 1,00,000<br />

जनवर, 97 2500 162500<br />

तक 12.5 ितशत ित वष<br />

12 (क) वीकृ त अिम 0 1,50,000<br />

फरवर, 97 2500 160000<br />

तक 13.5 ितशत ित वष<br />

13 (क) वीकृ त अिम 0 2,00,000<br />

माच, 97 2500 157500<br />

तक 14.5 ितशत ित वष<br />

14 (क) वीकृ त अिम 0 2,25,000 अैल, 97 2500 155000


362<br />

तक 15 ितशत ित वष<br />

15 (क) वीकृ त अिम 0 2,50,000<br />

मई, 97 2500 152500<br />

तक 15.5 ितशत ित वष<br />

16 जून, 97 2500 150000<br />

(1) याज=(2365000×11)/1200<br />

याज=21697 रडयूिसंग बले स का योग- 2365000<br />

17 जुलाई, 97 2500 147500<br />

18 अग त, 97 2500 145000<br />

19 िसत बर, 97 2500 142500<br />

20 अ टूबर, 97 2500 140000<br />

21 नव बर, 97 2500 137500<br />

22 दस बर, 97 2500 135000<br />

23 जनवर, 98 2500 132500<br />

24 फरवर, 98 2500 130000<br />

25 माच, 98 2500 127500<br />

26 अैल, 98 2500 125000<br />

27 मई, 98 2500 122500<br />

28 जून, 98 2500 120000<br />

29 जुलाई, 98 2500 117500<br />

30 अग त, 98 2500 115000<br />

31 िसत बर, 98 2500 112500<br />

32 अ टूबर, 98 2500 107500<br />

33 नव बर, 98 2500 105000<br />

34 दस बर, 98 2500 102500<br />

35 जरवर, 99 2500 100000<br />

36 (2) याज=(2475000×10)/1200<br />

याज=21697 रडयूिसंग बले स का योग- 2475000<br />

37 माच, 99 2500 97500<br />

38 अैल, 99 2500 95000<br />

39 मई, 99 2500 92500<br />

40 जून, 99 2500 90000<br />

41 जुलाई, 99 2500 87500<br />

42 अग त, 99 2500 85000<br />

43 िसत बर, 99 2500 82500


363<br />

44 अ टूबर, 99 2500 80000<br />

45 नव बर, 99 2500 77500<br />

46 दस बर, 99 2500 75000<br />

47 जनवर, 00 2500 72500<br />

48 फरवर, 00 2500 70000<br />

49 माच, 00 2500 67500<br />

50 अैल, 00 2500 65000<br />

51 मई, 00 2500 62500<br />

52 जून, 00 2500 60000<br />

53 जुलाई, 00 2500 57500<br />

54 अग त, 00 2500 55000<br />

55 िसत बर, 00 2500 52500<br />

56 अ टूबर, 00 2500 50000<br />

(3) याज=(1475000×9)/1200<br />

याज =11063 रडयूिसंग बले स का योग- 1475000<br />

57 नव बर, 00 2500 47500<br />

58 दस बर, 00 2500 45000<br />

59 जनवर, 01 2500 42500<br />

60 फरवर, 01 2500 40000<br />

61 माच, 01 2500 37500<br />

62 अैल, 01 2500 35000<br />

63 मई, 01 2500 32500<br />

64 जून, 01 2500 30000<br />

65 जुलाई, 01 2500 27500<br />

66 अग त, 01 2500 25000<br />

67 िसत बर, 01 2500 22500<br />

68 अ टूबर, 01 2500 20000<br />

69 नव बर, 01 2500 17500<br />

70 दस बर, 01 2500 15000<br />

71 जनवर, 02 2500 12500<br />

72 फरवर, 02 2500 10000<br />

73 माच, 02 2500 7500<br />

74 अैल, 02 2500 5000<br />

75 मई, 02 2500 2500


364<br />

76 जून, 02 2500 0<br />

(4) याज=(475000×7.5)/1200<br />

याज=2969 रडयूिसंग बले स का योग- 475000<br />

Total interets =21679+20625+11063+2969 = 56335<br />

(0 छ पन हजार तीन स पतीस मा)<br />

नोट:-<br />

क त िनयिमत भुगतान कये जाने क दशा म याज दर म पूव म 3.5 ितशत क<br />

छू ट दान क जाती थी। पर तु, शासनादेश सं या 537/व0अनु0-1/2004 दनांक 16<br />

जुलाई, 2004 से या उसके बाद वीकृ त होने वाले अिम पर छू ट क या समा त<br />

कर द गयी अपतु वल ब क अविध हेतु ित माह 12 ितशत द ड याज का<br />

ावधान कया गया ह। तदनुसार छू ट दान करते हुए याज का आगणन कया गया<br />

ह।<br />

संशासनादेश सं या 537/व0अनु0-1/2004 दनांक 16 जुलाई, 2004


365<br />

संल नक- दो<br />

प ‘’क’’<br />

वष ........................... के िलए अविध के अिम तथा उन पर देय याज के व तृत<br />

ववरण का रज टर<br />

भुगतान का लेखा वष<br />

माह<br />

ेजर<br />

वाउचर/<br />

चालान<br />

सं.एव ितिथ<br />

वसूली का लेखा<br />

मूल धन क वापसी<br />

याज क वसूली<br />

वसूली क अवशेष देय वसूल क<br />

गयी धनरािश धनरािश गयी<br />

धनरािश<br />

धनरािश<br />

अवशेष<br />

धनरािश<br />

1 2 3 4 5 6 7 8<br />

1. सरकार कमचार का<br />

नाम तथा पद<br />

2. वीकृ त आदेश सं या<br />

एवं ितिथ तथा उसका<br />

सारांश एवं वीकृ त<br />

धनरािश<br />

3. वसूली क मािसक दर<br />

4. याज क दर<br />

5. भुगतान क गई अिम<br />

धनरािश, वाउचर सं या<br />

एवं ितिथ<br />

योग


366<br />

संल नक- तीन<br />

प ‘’ख’’<br />

0<br />

सं0<br />

कायालय का नाम ............................................... .......................<br />

माह ............................. म अिम के भुगतान/वसूली का ववरण:-<br />

सरकार अिम अिम क याज क ेजर<br />

कमचार नाम क वसूल/भुगतान क वसूली क गई वाउचर सं.<br />

तथा पद कृ ित धनरािश धनरािशयां और ितिथ<br />

अ यु<br />

योग<br />

ट पणी:-<br />

भुगतान और वसूली हेतु अलग-अलग ववरण तैयार कये जाने चाहए।


367<br />

भ डार एवं सामी य<br />

1- संबंिधत पाय सामी का संदभ-<br />

क- धन क यव था- बजट मैनुअल<br />

ख- व तीय अिधकार- व तीय िनयम संह ख ड एक<br />

ग- व तीय औिच य के िसा त- बजट मैनुअल पैरा-12 (3)<br />

घ- य िनयम<br />

1- टोर य िनयम-व0िन0सं0 ख ड-5 भाग-1 परिश ट xviii- इनम 13<br />

िनयम ह।<br />

2- टेशनर य िनयम- शासनादेश सं0 3639/पी0 एस0 18-8-90-21(2)<br />

पी0एस0 90 दनांक 15-2-90।<br />

3- वदेश से य भारत सरकार के िनयम/ड0जी0एस0 ए ड ड0 मैनुअल<br />

च- संवदा िनयम एवं याय- व तीय िनयम संह ख ड-5 भाग-1 परिश ट xix-<br />

इसम कु ल िनयम 38 ह।<br />

छ- भ डार का रख रखाव एम0जी0ओ0 अ याय 72- इसम 11 िनयम एवं टाक<br />

बुक का ाप ह।<br />

ज- भ डार का िन तारण िनयम- व0िन0सं0 ख ड- भाग-1 परिश ट xix ड- इसम<br />

30 िनयम ह।<br />

झ- यान देने क कु छ बात- अनुभव पर आधारत।<br />

ट- सं या-502/औ0व0/03-143-उोग/2003 23 अग त, 2003<br />

क- उददे य<br />

पी-1 य नीित ऐसी हो जससे देश के उोग का सामा य प से तथा रा य के<br />

उोग का वशेष प से वकास हो। जहां तक संभव हो सरकार य<br />

िमत यियता एवं दता (चु ता) से कया जाए।<br />

पी-2 उपरो त नीित के भावी या वयन के िलए य िन न वरयतानुसार कया<br />

जायेगा-<br />

1- यद गुणव ता पया त अ छ हो तो ऐसी व तुएं जनका उ पादन भारत म<br />

क चे पदाथ के प म होता हो तो उ ह अथवा भारत म ह उ पादत क चे<br />

पदाथ से िनिम त सामी खरद जाय।<br />

2- यद गुणव ता पया त अ छ हो तो वदेश से आयाितत माल से ह देश म<br />

िनिम त व तुएं खरद जाए।<br />

3- देश म टाक क गयी वदेश विनिमत व तुएं जो उपयु त कार एवं वांिछत<br />

गुणव ता क हो उनका य कया जाए।<br />

4- वशेष प म वदेश से आयाित त व तुएं (उपरो त 0सं0 3 एवं 4 पर मू य<br />

वरयता नहं द जा सकता ह)।


368<br />

पी-3 िनदेशक उोग- भारत म िनिमत व तुओं पर रा य ारा िनधारत शत से<br />

अधीन तथा औिच य के आधार पर सीिमत अंश तक मू य, गुणव ता व बनावट<br />

पर य क वरयताएं वीकृ त करगे।<br />

उदाहरण- क- शासनादेश सं0- 3389-सेक-2/पांच-1992 दनांक 23-7-92 ारा<br />

ख- गांधी आम, खाद एवं ामोोग जेल उोग।<br />

पी-4 िन निलखत अपवाद को छोडकर सम त य िनदेशक उोग के टोर परचेज<br />

से सन के मा यम से कये जायगे।<br />

क- यद य हेतु िनयम मे अ यथा यव था कया गया ह तो य उन िनमय के<br />

तहत होगा।<br />

ख- यद िनदेशक उोग ने सीधे य क अनुमित इस आधार पर द ह क मांगकता<br />

अिधकार ारा सुवधापूवक अथवा कम मू य पर य कया जायेगा, तो य<br />

सीधे कया जायेगा।<br />

ग- िनदेशक, उोग िन नांकत कार क व ्यव थाएं भी करेगा-<br />

क- दर संवदा<br />

ख- माा संवदा<br />

ग- सीधे यािधकार<br />

घ- सीधे य<br />

िनयम-1<br />

िनयम-2<br />

िनयम-3<br />

िनयम-4<br />

य िनयम<br />

िनयम 7 को छोडकर य कया गया सामान भारत म ापत कया जायेगा और<br />

भुगतान पये म कया जायेगा।<br />

देश या वदेश से य हेतु टे डर ा त करना आव यक होगा। यद य क जाने<br />

वाली व तुओं क कमत कम हो या जनहत म टे डर मांगना संभव न हो तो<br />

कारण का उ लेख करते हुए टे डर नहं कये जायगे।<br />

सभी व तुएं िनरण के उपरा त ह वीकाय होगी। जन व तुओं के िलए<br />

िनदयां एवं जांच पूव िनधारत ह उनक जांच एवं िनरण सामान ाि के<br />

समय आपूितकता ारा भेजने के पूव व िनमाण अविध म कया जायेगा।<br />

िनयम 7 के अपवाद के साथ सभी ला ट एवं मशीनर भारत म उोग िनदेशक<br />

के मा यम से खरद जायगी। उ ह थापत कर तथा पूणतया जांच के प चात<br />

ह भुगतान होगा। वशेष दशाओं म यद पूव भुगतान आव यक हो तो व त<br />

वभाग से विधवत पूवानुमोदन ा त कया जायेगा। अ य आयरन एवं टल<br />

क व तुएं िनदेशक उोग ारा अनुमोदत फम से खरद ज। उपरो त सभी<br />

य िनदेशक उोग ारा उपभोगी अिधकारय क सहमित से यवथत होगी।<br />

असहमित क दशा म वभागा य के मा यम से शासन के उोग वभाग को<br />

िनणयाथ करण संदिभत होगा।


369<br />

िनयम-5 ठेके पर दये जाने वाले िनमाण काय क संवदा-शत से ावधान होगा क:-<br />

(क) ठेके दार िनदेशक उोग ारा यव थापत फम से ह सामी ा त करेगा।<br />

(ख) ऐसी यव था के अभाव म िनदेशक उोग ारा अनुमोदत िनदय एवं<br />

परण के आधार पर ह य होगा। अ यथा ठेका देने वाला अिधकार अपनी<br />

संतु के अनुसार ठेके दार को यव था करने हेतु आदेश देगा। इसी आधार पर<br />

पी0डबलू0ड0 िसचांई, ामीण अिभय ण वभाग म िशयूल रेट क यव था<br />

लागू ह। ठेका देने वाला अिधकार टे ट एवं सै पुल के अनुसार न होने वाले<br />

व तुओं के अ वीकृ त कर सकता ह। ऐसी दशा म ठेके दार उोग िनदेशक के पास<br />

एक बार अपील कर सके गा।<br />

िनयम-6 एक वभाग से दूसरे वभाग ारा करने पर इन िनयम का ितब ध नहं होगा।<br />

िनयम-7 वशेष दशाओं म जब भारत म य संभव न हो तो शासन से अनुमित लेकर<br />

ला ट/मशीनर का य वदेश से कये जायगे। लेकन आपूितकता फम भारत<br />

ारा वीकृ त सूची म होना चाहए तथा भारत सरकार ारा ितभूित जमा करने<br />

से छू ट क सूची म हो, या उनका भारत से थापत उ तरांदायी एजे ट भी<br />

पूव त शत के अधीन आपूित कर सके गा।<br />

यू0के 0 से ा त वस ्तुओं का य हाई किम नर लंदन के मा यम से<br />

होगा तथा कनाडा तथा उ तर अमेरका म ा त व तुए इडयन स लाई िमशन<br />

वािशगंटन से सीध य के िलए अिधकृ त वभागा य क सूची परिश ट- xviii<br />

से संल नक- सी म ह।<br />

िनयम-8 आपातकाल म कायालया य व वभागा य एक बार मश: 0 20000/-<br />

तथा 0 100000/- तक का य एस0पी0 स के अनुसार अनुबंिधत दर के<br />

अनुसार िन नांकत शत के अधीन शत के अधीन य करगे। शासिनक<br />

वभाग एक लाख से अिधक का य करेगा। शासनादेश सं या- 2573,<br />

एस0पी0/10.7.76/एस0पी0 दनांक 8.1.92 क शत िन नवत ह:-<br />

शत<br />

1- आप काल<br />

2- अनुबंिधत दर से अिधक न हो<br />

3- कोई माा अनुबंध न हो<br />

4- आप काल होने के कारण को उ लेख होना चाहए।<br />

िनयम-8(अ) शासनादेश सं या- 2177 एक/18.7.94/एस0पी0/92 दनांक 17.10.94 के<br />

अनुसार गृह, िशा एवं ा य वकास वभाग को छोडकर शेष वभाग सिमित<br />

के मा यम से वयं माा अनुबंध के अ तगत उपरो त सीमाओं तक य<br />

स पादत करगे।<br />

िनयम-9 िन न व तुओं का य सीधे होगा।


370<br />

1- पेरसुबल (शी नाशवान या यशील)। फे गाइल ाकृ ित के सामान<br />

इनलैमेबुल व वोलाटाइल पदाथ।<br />

2- मशीनर का पेयर पाट या मर मत हेमु यु त होने वाली ता कािलक<br />

व तुएं।<br />

3- सामा य दशा म साधारण योग क व तुएं कायालया य एवं<br />

वभागा य मश: 0 5000/- तथा 0 25000/- का य एक बार<br />

म दर अनुबंध न होने पर।<br />

4- जानवर एवं उसका चारा।<br />

5- ईट, बालू, सामा य कार क लकड, कं कड प थर चूना और खपडे<br />

आद।<br />

िनयम-10 जनहत म उोग वभाग इन िनयम से छू ट दे सकता ह। ऐसे आवेदन प<br />

उोग िनदेशक के मा यम से तुत होग।<br />

िनयम-11 ठेके दार से क गयी िन नांकत कटौितयां उ चन त खते म जमा क जायेगी।<br />

अतम िनणय के प चात िनधारत धनरािश वभागीय ाि शीषक म अ तरक<br />

होगी।<br />

क- आपूित म देर के कारण।<br />

ख- तीय बार से य से उ प न अिधक लागत के कारण।<br />

ग- समय से पूव ठेके से हटने के कारण।<br />

िनयम-12(अ) सामी ाि एवं िनरण होने के पूव अिम भुगतान अनुम य न होगा। रेलवे<br />

रसीद के सम अिम भुगतान होगा।<br />

(ब)- पर तु 98 ितशत का अिम भुगतान शासनादेश सं0 1811/एल/18.7.48<br />

(एस0पी0) दनांक 5;2.1990 के शत के अधीन हो सके गा। शासनादेश क<br />

मु य शत िन नवत ह: 1- रेलवे रसीट तुत होगा, 2- माग बीमा के अिभलेख<br />

ह, 3- शेष द ितशत का भुगतान सामा य या के पूरा होने पर कया<br />

जायेगा।<br />

िनयम-13 ये सभी करण संवदा कानून के अ तगत होते ह। परिश ट xix म इनको देख।


371<br />

संवदा िनयम एवं याएं<br />

1- सवथम य क जाने वाली सामी क आव यकता का ठक-ठक एवं सह अनुमान<br />

लगाया जाय। थोक इंडेट ा त कर। संवदा अिधकार का यह पावन दािय व होगा क<br />

वह दख क यय होने वाली धनरािश का समुिचत ितदान ा त ह। अपवाद को<br />

छोडकर शासकय य तुलना मक दर पर ह स पीदत कए जाय।<br />

2- वह यह भी देख क य या अ य प म कसी के यगत वाथ क पूित हो।<br />

जैसे टडर क तैयार म आपूितकता को सहायता पहुंचाना, जमानत का न िलया जाना,<br />

र तेदार को अनुबंध करना, दर का पूव काशन आद।<br />

3- बड माा के ठेके शासन ारा अनुमोदत संवदा फाम पर स पादत होग।<br />

आव यकतानुसार विध अिधकारय ारा एंसं ाप का पूवानुमोदन करा िलया जाय।<br />

4- 0 2500/- तक के य म िलखत अनुबंध आव यक नहं ह। शासनादेश सं या ए-1-<br />

2086/दस-96-15(1) 186 दनांक 14-10-96।<br />

5- यद यािधकार के व तीय अिधकार के बाहर का ठेका हो या य वशेष कृ ित का हो<br />

तो पूव ववरण सहत करण उ चतर अिधकार को भेजा जाए। व तीय अिधकार से<br />

बचने के िलए टुकडे-टुकडे करके य करना अिनयिमता ह।<br />

6- अव यक ितिनिध के ह तार से अनुबंध न संपादत ह। इसके अितर त कसी भी<br />

दशा म सरकार सेवक से टडर न वीकार कये जाय।<br />

7- इन िनयम से वपरत आचरण करने वाले अिधकार यगत प से उ तरदायी हगे।<br />

8- मेन कांै टर से वांिछत सं या म सामी न िमलने पर सब कांै ट दये जा सके ग।<br />

इस हेतु वभागा य को अनुमित आव यक होगी।<br />

9- 0 15000/- से ऊपर के य के िलए टे डर आमंत कये जायेग। यद ऐसा न कया<br />

गया तो िलखत प म कारण का उ लेख हो।<br />

10- बीच के रािश के िलए भी (0 2500/- से 0 15000/- तक) िलखत दर (कोटेशन)<br />

िलये जायगे।<br />

11- टे डर िनधारत या ववध प से अनुमोदत ाप पर मांगा जाये। टे डर फाम के साथ<br />

संल न िलफाफे पर ह टे डर भेजे जाय। िलफाफे पर ेषक फम का नाम न रहे।<br />

12- टे डर फाम से टे डर आवेदन शु क शासनादेश सं या -390/एल/18-7-89-45<br />

(एस0पी0) 86 दनांक 31.3.89 से इस कार िलया जायेगा।<br />

दर अनुब ध पर य के िलए 0 200/- तक (िनदेशक उोग ारा)<br />

2.5 लाख तक 0 50/-<br />

5.0 लाख तक 0 100/-<br />

15 लाख तक 0 150/-<br />

15 लाख से ऊपर 0 200/-


372<br />

13- टडर के कार<br />

1- एकल<br />

2- ोपइटर<br />

3- थानीय या चयना मक या सीिमत<br />

4- रा य<br />

5- वैक<br />

14- सामा यतया 0 50,000/- से अिधक क िनवदाय बडे मू य क िनवदाय मानी<br />

जायेगी तथा उनक ाि के िलए कम से कम एक माह का समय दया जायेगा।<br />

यून अविध क (अथात एकमाह से कम) यद िनवदा आमंत क जाती ह तो उसे<br />

अ पकालीन िनवदा कहा जायेगा।<br />

15- िनवदा म सभी आव यक शत का उ लेख कर दया जायेगा। िनवदा मुहर बंद मांगी<br />

जायेगी। वह पूणतया प ट तथा शत ठक-ठक होगी। टै स यूट तथा अ य वशेष<br />

शत को अलग से उ लेख करने का िनदश होगा।<br />

16- सचल दल ारा िनवदा एक करना- टोर या सामी क त काल उपल धता सुिनत<br />

करना आव यक हो तो सम ािधकार तीन या चार सद यीय एक सचल दल गठत<br />

करेगा जो जाकर मुख बाजार से मुख या अनुमोदत आपूितकताओं से गोपनीयता से<br />

िनवदा एक करेगा। त प चात आ क य या पूर कर ली जोयगी।<br />

17- शासन ारा मू य िनयंत व तुओं के िलए िनवदा मांगना आव यक न होगा।<br />

18- िनवदा मांगने का चार अ यंत खुले तथा यापक पारदश विध से कया जायेगा।<br />

गजट म काशन, सूची ब अदाताओं को सीधे प से सूिचत करना, परप िनकालना,<br />

जनमह व के कायलय तथा जला मज ेट, सूचना अिधकार, जला पंचायत और वयं<br />

के सूचना पट पर सूचना िचपकाना आद कु छ विधयां ह, लेकन यद बडे मू य का<br />

टडर मांगा जाय तो उसका काशन दूर-दूर तक यापक परचालन वाले िस दो तीन<br />

समाचार प म कािशत कराया जाना चाहए।<br />

19- टडर ा त करने तथा खुलने का थान दनांक एवं समय िनवदा प म अव य अंकत<br />

होगा। टडर वीकता अिधकार के नाम म या रा यपाल क ओर से कािशत होगा। टडर<br />

ा त करने क अविध आव यकतानुसार वीकता अिधकार बढा सके गा पर यह कायवाह<br />

टडर खोलने के पूव सारत ितिथ से पहले क जानी चाहए।<br />

20- टडर प म ह िन नांकत दर से अरने ट मनी मांगी जायेगी। यद वशेष दशा म छू ट<br />

हो तो उसका उ लेख कर दया जायेगा।<br />

1- 0 15000/- से अिधक 0 20000/- तक 300 0<br />

2- येक अितर त पांच हजार या भाग पर 0 100/- और कसी भी दशा म<br />

यह धनरािश अनुमािनत य के ½ ितशत से कम न हो।<br />

21- अन ट मनी कस प म वीकार होगी उसक िलए व तीय िनयम संह ख ड-5 भाग-<br />

1 का पैरा 71 देखा जाए। सामा तया बक गार ट नहं ली जानी चाहए। यह वीकता


373<br />

अिधकार के प म वंधक होगी। अन ट मनी के िलए अलग िलफाफा जस पर ई0एम0<br />

अंकत हो उसे बनाकर दर का िलफाफा तथा दोन को अलग-अलग एक बडे िलफाफे म<br />

सी ड करके भेजा जायेगा। कसी भी िलफाफे पर ेषक या आपूितकता का नाम अंकत<br />

नहं होगा।<br />

22- तावत य सामी का पूवानुमान बनाकर उसे टे डर फाम म अव य अंकत कर<br />

दया जायेगा। आव यकतानुसार आपूितकता क सहमित पर 25 ितशत अिधक सामी<br />

इसी अनुबंध पर य क जा सके गी।<br />

23- िनवदा प म य क जाने वाली सामी का ववरण अ य त सावधानी एवं यौरेबार<br />

दया जाना परमाव यक होगा अ यथा आगे चलकर ववाद क थित उ प न होगी।<br />

यद ववरण देने म कठनाई या पेचीदापन हो तो बाजार म िनरण कर राजकय काय<br />

हेतु उ त सामी का एक माडल कायालय यय से खरदा जा सकता ह तथा टडर फाम<br />

म उ लेख कया जा सकता ह क उ त सामी के ववरण हेतु कायालय के कसी भी<br />

काय दवस म द. ......... से दनांक .................. तक माडल देख िलया जाय।<br />

तदनुप ह सामी य क जायेगी। िनवदा देने के साथ देने वाले से सै पुल भी उसके<br />

यय पर मांगा जा सकता ह। यद आई0एस0आई0/आई0सी0आई0 या वशेष कार क<br />

सामी ह य होनी हो तो उसका उ लेख िनवदा प म होगा। बाद म ऐसी शत मांगने<br />

पर विधक कठनाई होगी।<br />

24- िनमाण संबंधी िनवदा म य िनयम 5 के अनुप वभागीय तौर पर उपल ध कराये<br />

जाने वाली सामी/व तुओं क सूची अव य दे द जाय। यद पी0ड लू0ड0 के शेयूल<br />

रेट पर काय होना ह तो उसक सूची भी लगा द जाय।<br />

25- अ य ववरण के साथ िनवदा प म पकं ग, कं टेनर तथा रेपर आद का ववरण भी<br />

दया जाए ताक िनवदाय तदनुसार तैयार ह।<br />

टे डर का खोलना<br />

26- टे डर पूव िनत थान एवं समय पर ह खोले जाय। यद इसम परवतन अपरहाय हो<br />

तो ऐसा िनणय पूव िनधारत अविध के पूव कािशत/सूिचत कर दया जायेगा। जन<br />

आपूितकताओं को प से िनवदा देने के िलए िलखा गया हो उ ह प से सूिचत करना<br />

होगा। ऐसा करने का अिधकार टे डर वीकता ािधकार को होता ह।<br />

27- उ तरदायी अिधकार या कमेट के कम से कम दो या तीन सद य के सम ह टे डर<br />

खोले जाय। यह काय कसी भी दशा म अधीन थ को न सपा जाय। टे डर िलफाफे को<br />

खोलने से पूव ठक से जांच कया जाए क मोहरबंद ह क नहं। मोहर म कोई<br />

जालसाजी तो नहं ह। फर िलफाफे के ऊपर अिधकार/कमेट के सद य के<br />

ह तार/आदेश होने पर िलफाफा कै ची से इस कार काटा जाय क मोहर बची रहे। एक<br />

िलफाफा खोलने पर उसम टे डर फाम या उसके साथ संल न दर क सूची िमलगी। दर<br />

को त काल लाल याह से घेरकर उस पर खोलने वाले अिधकार या कमेट सद य का


374<br />

ह तार हो जायेगा। यद दर म कोई ओवर राइटंग होगी तो उसक अ वीकृ त कया<br />

जा सकता ह। साथ ह सभी उपथत के सम दर व तु तथा आपूितकता का ववरण<br />

ऊचे श द म पढकर सुनाया जायेगा ताक इ छु क य उनक अंकत कर ल। साथ ह<br />

टे डर जंजी म उसम ा त दर आद का ववरण भी अंकत होता चलेगा। यह या<br />

तब तक चालू रहेगी जब तक सब िलफाफे खोल न िलए जायं । इसम काय थगन उिचत<br />

नहं होता ह। सील लगे िलफाफे भी सुरत रखे जायगे। इसी कार अन टमनी पंजी<br />

खोलकर दूसरे संल न िलफाफे म ा त अन ट मनी का ववरण दूसरा सहायक अंकत<br />

करता रहेगा। दोन पंजय का ाप आव यकतानुसार बना िलया जायेगा।<br />

28- यद टे डर के साथ सै पुल मांगे गये ह तो उनका ववरण अलग से अंकत कया<br />

जायेगा तथा सै पुल पर अिधकार या कमेट के सद य इस कार ह तार करगे क<br />

सै पुल म परवतन संभव न हो। उ ह सुरत कर िलया जायेगा।<br />

29- आपूितकता/टे डर डालने वाले य/ितिनिध जो उपथत रहना चाह उनके सामने ह<br />

टे डर खेल जाये। सुवधा हेतु एक पंजी पर उनके नाम/फम सहत पदनाम ववरण एवं<br />

पता दनांक ह तार सहत रख जाय। यद सुनाए जाने वाले दर के स ब ध म कोई<br />

आ प मौखक हो तो मौखक समाधान अपेत होगा। गम ्भीर कृ ित क बात िलखत<br />

प से ले ली जायेगी।<br />

30- टे डर ाि के िलए िनधारत समय तथा खोलने के समय के अ तराल म ा त डलेड<br />

टे डर भी उ त विध से खोले जायं पर तु ऐसे टे डर, पंजी म सबसे नीचे लाल याह से<br />

अंकत होग।<br />

इसके बाद म लेट टे डर होते ह जनको उस समय खोलने का न नहं उठता। लेकन<br />

इस कार के टे डर म ाि सूची बनायी जायेगी।<br />

तुलना मक ववरण<br />

टे डर, पंजी, अन टमनी पंजी तथा सै पुल पंजी पूर कर यथाशी तुलना मक<br />

ववरण बनेगा। सामा यतया बडे टे डर के िलए िनधारत प पर बनाया जायेगा। इस<br />

प पर िनवदा प म कािशत सभी औपचारकताओं का ववरण अकत करेगे। जन<br />

आपूितकताओं ने क ह औपचारकताओं को सकारण िनत यथोिचत समय म पूरा<br />

करने का उ लेख कया ह उन पर वचार कर समय देने का करण तय कर िलया<br />

जाय। शेष म ज हने मांगी गयी औपचारकताओं को पूरा नहं कया ह या ुटपूण ढंग<br />

से पूरा कया ह उनको ववरण प क अ यु म कारण िलखते हुए अ वीकृ त कर देग।<br />

शेष के दर का तुलाना मक ववरण प तैयार करेग।<br />

31- ववरण प तैयार करने वाले सहायक से िभ न अ य कसी सहायक/लेखाकार ारा<br />

तुलाना मक ववरण प का सू मता से जांच कया जायेगा तथा वह ह तार भी करेगा।<br />

उसके उपरा त सम अिधकार या कमेट के सद य भी ह तार करेग।


375<br />

32- इस ववरण प म मू य तुलना त भ वशेष प से जांचा जाए।<br />

31-ए य कया जाने वाला सामान या मशीन यद तकनीक कार का हो जैसे क यूटर या<br />

वशेष से िनरण कराकर उसक मता, समानगित से काय करने क थित ात<br />

करा ली जायेगी। यह काया आपूितकताओं के समाने होगी। अनुपयु त मशीनर के<br />

िनवदाता क िनवदा को अ वीकृ त कर दया जायेगा।<br />

33- सभी शत के सामान होने पर यूनतम दर के टे डर को वीकृ त कया जायेगा। यद<br />

कसी कारणवश अ वीकृ त कया जाता ह तो कारण अंकत करते हुए उसे ठक अिधक<br />

दर का टे डर वीकार होगा। य ह या दर के तय होने तक अपनायी जायेगी। यद<br />

एक से अिधक आपूितकताओं ारा तुत दर वीकृ त होता ह तो य क जाने वाली<br />

सामी को बराबर सं या म आवंटत कर दया जायेगा। मना करने पर वह आवंटन<br />

दूसरे आपूितकता को कर दया जायेगा। यद िभ न-2 सामिय के िलए अनेक<br />

आपूितकताओं को दर वीकृ त होती ह तथा यद उनम कई छोटे-छोटे आपूितकता ह तो<br />

सुवधा के िलए बडे आपूितकताओं से दर बराबर कराकर छोटे आपूितकताओं क सहमित<br />

से बडे आपूितकताओं को आपूित करने हेतु सहमत कया जा सकता ह।<br />

34- यद दर का िनणय उपरो त विध से हो सके तो तुलना मक दर पंजी म लाल याह से<br />

लकर खीचकर नीचे कर से ापत टे डर (डलेड टे डरो) को अंकत करेग एवं िनधारत<br />

या अपनाकर उन पर वचार करके िनणय हगे।<br />

यद कोई भी टे डर ा त नहं हुआ ह या य सामी का टे डर एकल ह तो उ च<br />

अिधकारय के आदेश से लेट टे डर खोलकर उसे समिलत कर दर पर िनणय िलया<br />

जा सके गा अ यथा लेट टे डर नहं खोला जा सकता ह।<br />

35- अ वीकृ त सभी टे डर के अन टमनी को बंधक मु त करते हुए त काल वापस कया<br />

जायेगा। जनसे आपूित का िनणय होता ह उनक अन टमनी उनके भुगतान या<br />

िस योरट मनी से समायोजत हो जायेगी।<br />

35क- जहां तक स भव हो बडे य या य मैनुफै चरर, उ पादक, सोल ड यूटर आद से<br />

ह कया जायेगा ताक बीच म दये जाने वाले कमीशन आद से बचा जा सके ।<br />

36- कै टेलाग दर/मू य पर सभी छू ट के साथ-साथ कै श छू ट आद को यान म रखकर<br />

अंितम िनणय िलया जाए।<br />

यादेश<br />

37- यादेश एक विधक प होता ह यक ववाद क थित म यायालय म िनणय का<br />

यह आधार बनता ह अत: सभी पहलुओं पर भलीभांित वचार कर लेना उिचत होता ह।<br />

इसक श दावाली तथा इसम उलखत शत टे डर फाम म अंकत बातो के अनुप<br />

होगी। यद टे डर क शत म कोई छोट-मोट कमी होगी तो उसे यादेश म सुधारा जा<br />

सकता ह। यक टे डर म पूवाकं त शत म सारभूत परवतन करके जार यादेश को<br />

विधमा य नहं माना जा सकता ह।


376<br />

38- यादेश िनगत करने के पूव दर का िमलान टे डर प तुलना मक प तथा िनणत म<br />

िलखी गयी ट पणी से अव य कया जाए1 सम यािधकार ारा पहले चाले बाजार दर<br />

का सह ान ा त करना चाहए। यद िभ न-िभ न बाजार म पाया जाने वाला सामी<br />

दर िभ न-िभ न ह तो उसका औसत िनकालकर िमलान करना चाहए। यह यगत<br />

दािय व उस अिधकार का होता ह तो जो दरे वीकृ त करने के िलए सम ह। यद<br />

बाजार भाव से सामी का वीकृ ित दर असाधारण प से कम हो या असाधारण प से<br />

अिधक हो तो इसी आधार पर टे डर िनर त कया जाना चाहए। पुन: नया टे डर मांग<br />

कर यथाथ के आधार पर िनणय िलया जायेगा।<br />

39- यादेश जार करने से पूव आपूितकता क व तीयथित क जांच आव क होती ह।<br />

बड आपूित क दशा म कारखाने क मता, मजदूर क सं या तथा क चे पदाथ क<br />

उपल धता का भी पता लगाया जाय। आपूितकता ारा पूव म वयं या अ य वभाग को<br />

क गयी आपूितय के यौरे, पूव म सुरत सूचनांए िनदेशक उोग तथा उसेक बकस के<br />

संदभ भी इसके आधार हो सकते ह। रज ार फमस एवं सोसाइटज से रज ेशन के<br />

ववरण को भी देखा जा सकता ह।<br />

40- आयकर ववरणी, ेड टै स रज ेशन के आधार पर भी टे डर दाता क<br />

व तीयाथित एवं मता को सुिनत कया जाना चाहए। इसके अितर त अ य<br />

विधयां भी उपयु त हो सकती ह।<br />

41- यद मशीन उपकरण या संय क आपूित क जानी ह तो उिचत यह होगा क टे डर म<br />

ह पेयर पाट क आपूित, आटर सेल सवस तथा ऐनुअल मटनेस कं े ट आद के<br />

बारे म आफर मांगी जाये जससे यह काय िमत ययी दर पर यवथ त हो सके ।<br />

42- यादेश म अ य बात के साथ-साथ इस शत का उ लेख अव यक कया जाए क यद<br />

कोई भी आपूित वापत नाप-जोख ववरण या सै पुल के अनुसार न हो अ यथा खराब<br />

हो तो आपूितकता उसे ंवय के यय पर यथाशी बदल देगा और अ वीकृ त माल वह<br />

अपने यय पर उठायेगा एवं इस स ब ध म कसी कार का दािय व वभाग का न<br />

होगा।<br />

43- य िनयम 9 म वणत आपूित तथा चारे के मामले म वार ट लाज अव य रखा<br />

जायेगा।<br />

44- यादेश म यह भी ावधान होगा क आपूित को दूसरे के प म सबलेट, एसाइनमट<br />

या अ तरण वीकाय न होगा। लोन लाइसस भी अ वीकृ त माना जायेगा।<br />

45- सामा यता ल बी अविध क संवदा न क जाय। म द के दौर म तो और भी। यद ऐसा<br />

करने पडे तो यादेश म यह शत डाल द जाये क 3 या 6 माह पूव नोटत देकर<br />

यादेश िनर त कया जा सकता ह। यद नया अनुबंध नहं होता ह तथा आपूित क<br />

ितिथ समा त हो जाती ह और आपूितकता सहमत ह तो उ हं दर पर अगामी अविध या<br />

तीन माह तक आगे तक उ चािधकारय क वीकृ ित ा त कर आपूित जार रखी जा


377<br />

सकती ह। यह सुिनत करना पडेगा क दर चालू बाजार दर से अिधक नहं ह।<br />

यादेश जार करने के बाद िनधारत ाप पर अनुबंध भरा जायेगा।<br />

45क- लागू िनयम के अनुसार टै प डृयूट अव य चुकायी जायेगी। ाप व तीयिनयम संह<br />

ख ड-6 म उपल ध ह अ यथा नया अनुबध प विधक प से शासन से वीकृ त<br />

कराकर उसका योग हो सकता ह।<br />

भुगतान<br />

46- आपूितकता से बल ा त होते ह मूल बल को टोरकपर के पास भेजकर आपूित के<br />

बारे म बेरफाइड एवं इंटड पर टाकबुक एक पेज नं. ............. का माण प बल पर<br />

ले िलया जायेगा। यह माणक उसके ारा पहचान वाले ह तार एवं दनांक से यु त<br />

होगा। आहरण अिधकार चाहे तो कभी-कभी वयं भी सामी का स यापन कर सकता ह<br />

ताक पता चले क टारे कपर का माणन फज नहं ह।<br />

47- बल के दर का िमलान कर उसका िशण कराकर जो कटौितयां हो उनक करते हुए<br />

िनधारत प पर बल तैयार कया जायेगा। िनयमानुसार आयकर क कटौती क<br />

जायेगी जसे संहत प से कोषागार म बुक ासंफर या चेक से जमा कया जायेगा।<br />

48- 0 2000/- से अिधक का देयक एकाउ ट पेयी होगा।<br />

49- यद 10 ितशत क दर से िस योरट पहले ह एक मु त जमा न हो तो बल मूल<br />

धनरािश का 10 ितशत धन रोक िलया जायेगा जसे समय-समय पर कोषागार म<br />

िनेप शीषक म जमा करगे। िस योरट देने क शत टे डर फाम म पहले ह दज होती<br />

ह।<br />

50- आपूित/काय पूरा होने के छ: माह बाद काय/ आपूित संतोषजनक प से पूरा होने का<br />

माणक ा त कर िस योरट लौटाने का आदेश करगे।<br />

51- भुगतान के समय यह सुिनत करेग क डफा टर होने क दशा म यद द ड वसूलने<br />

क शत हो और ऐसी रपोट हो तो उसक वसूली देयक से कर लेग। सामा यता यह द ड<br />

कु ल भुगतान के 10 ितशत से अिधक नहं होना चाहये और न वा तवक हािन क<br />

धनरािश से इसका संबंध जोडा जाय।<br />

52- अिम भुगतान य िनयम 12 के अनुसार विनयिमत होग। अथात 98 ितशत तक ह<br />

भुगतान कया जा सकता ह। शत ितशत अिम का भुगतान व0िन0 संह ख ड 5<br />

भाग 1 के पैरा 162 के अनुसार सम ािधकार से वीकृ ित लेकर करगे।<br />

वाता ारा नया दर ा त करना<br />

53- जब य करने क दर खुल जाय तो उसको आपूितकता से वाता करके दर कम कराने<br />

क या को नेगोिसयोशन कहा जाता ह। जहां तक हो सके इससे बचना चाहए यक<br />

यह काय िनयमत: विधक न होने के कारण मना ह। जहां पर एकल टे डर हो या टे डर<br />

मांगना संभव न हो तो भलीभाित वचार के बाद िनगोिसऐशन कया जाना चाहए। यद<br />

यूनतम दर वाले आपूितकता से भी ऐसी वाता हो तो सभी आपूितकताओं को विधवत


378<br />

रज टड प से सूिचत कर िनधारत समय व थान पर वाता करनी चाहए ताक कोई<br />

आप न उठायी जा सके ।<br />

54- आपूित पूर कर देने क समय सीमा न बढायी जाए पर तु आपूितकता के िलए िलखत<br />

आवेदन पर पूवाहरहत होकर वचारोपरा त सम अिधकार ारा एक या दो बार<br />

समयविध बढायी जानी चाहये। यान रहे क शासकय काय म बाधा न उ प न हो।<br />

स पूण आपूित को कई बार वभाजत कर समय-समय पर आपूित करने का अनुबंध हो<br />

सकता ह जससे सामी क रा तथा एक मु त भुगतान से बचा जा सके ।<br />

वविध<br />

55- आपूितकता यद कसी भी य से संबंिधत कोई िन:शु क उपहार देता ह तो उसे भी<br />

शासन को समपत कया जायेगा। ठेके दार/आपूितकता के व टाचार िनवारण<br />

अिधिनयम के ावधान के अधीन कायवाह क जाय।<br />

56- यद आपूितकता/ठेके दार के बीच म काय छोडकर हट जाता ह तो यथाशी दूसरा टे डर<br />

िनकालकर नए दर पर काय/आपूित क जायेगी। यद नया दर पुराने दर से अिधक हो<br />

तो अिधक भुगतान के भाग को आपूितकता ठेके दार से वसूल कर िलया जायेगा।<br />

57- अंवािछत आपूितकता/ठेके दार को नोटस देकर उसे तीन वष से अनिधक अविध तक के<br />

िलए लैकिल ट कया जा सके गा तथा आ क आपूित रोक जायेगी। लैकिल ट क<br />

अविध म अ य कोई संवदा नहं कया जायेगा तथा इसक सूचना सरकार वभाग म<br />

करा द जायेगी।<br />

58- य/ठेके से संबंिधत सभी अिभलेख, पाविलय एवं िनवदा के िलफाफे आद तब तक<br />

सुरत रखे जायगे जब तक उनका विधवत स ेण न संप न हो जाय तथा यद<br />

स ेण म आपयां हो तो उसका िनवारण न हो जाय।<br />

59- कितपय वभाग जैसे कृ ष, खादय, सहकारता आद म पूंजीगत शीषक से य एवं<br />

वय होता ह। इसम दर धनरािश यय करने आद क वीकृ ित आव यकताअनुसार<br />

आव यक होगी।<br />

भाग-3<br />

लेखन सामी य<br />

शासनादेश सं या- 3639/पी0एस0/18.8.90.21(2)/पी0एस0-90 दनांक 15-2-90 ारा<br />

लेखन सामी के य का अिधकार िनदेशक मुण एवं लेखन सामी इलाहाबाद से हटाकर<br />

वभाग म ितिनधािनत कर दये गय ह। मुख ब दु िन नांकत ह:-<br />

1- वभागा य- एक बार म 0 50,000/- तक तथा<br />

2- कायालया य- एक बार म 0 20000/- तक क लेखन सामी य करेगा।<br />

3- उोग िनदेशक से अनुमित या उनके मा यम से य करने क आव यकता न होगी।<br />

4- टेशनर मैनुअल म दये गये सूची (कु ल 66 आइटम) से िभ न अितर त लेखन<br />

सामी का य राजकय मुणालय, कड (उ तरांचल) ारा पूववत क जायेगी। आपूित


379<br />

हेतु विभ न कायालय राजकय मुणालय से अलग-अलग स ब कये गये ह जहां से<br />

यह आपूित क जायेगी। मांग प क एक ित अब इ ह भी भेजी जायेगी।<br />

5- वभाग सभी य िनयम व0िन0सं0 ख ड-5 भाग एक परिश ट- xviii के अनुसार<br />

करेग।<br />

6- वभाग को इसके िलए अब बजट आवंटत होगा जसके भीतर से ह य कया जायेगा।<br />

7- वभाग म बढे हुए कायभार के िलए कोई नया पद सृजत नहं होगा।<br />

8- फाइल बोड कवर एवं कै डक खाद एवं ामोोग बोड के मा यम से य होगी।<br />

9- वभाग ारा य क जाने वाली लेखन सामी क 66 व तुओं क सूची तथा स ब<br />

कये जाने के िलए राजकय मुणलय क सूचना टेशनर मैनुअल म ह।<br />

वदेश से य<br />

1- इसक सं त प रेखा य िनयम 7 म दे दया गया ह उनको यान म रखना होगा।<br />

उससे प ट ह क:<br />

क- ेट टेन अमेरका (यू0एस0ए0) एवं कनाडा से सीधे य नहं कया जायेगा।<br />

ख- राज ्य सरकार से आयात क अनुमित ली जायेगी।<br />

ग- भारत सरकार ारा आपूितकताओं क अनुमोदत सूची से ह य होगा। लोबल<br />

टे डर मांग िलए जाऐगे।<br />

घ- कु छ वभाग को सीधे य करने का अिधकार ह जसे व0िन0सं0 ख ड-5 भाग-<br />

1 परिश ट xviii के संल न सूची म भी देख।<br />

या<br />

2- बजट क यव था होने पर ह आयात संभव होगा।<br />

3- य या कम से कम बजट कालातीत होने के छ: माह पूव या वष के ार भ से ह<br />

शु क होगी।<br />

4- आयात िनयम एवं याएं वष म बहुधा नीित के अनुसार बदलती रहती ह अत: आयात<br />

या ार भ करने के पूव अाविधक िनयम तथा याओं का भलीभांित ान<br />

अजत कर लेना चाहए।<br />

5- आयात लाइसे स ा त करना- भारत सरकार ने जन व तुओं के िलए खुली लाइसस क<br />

यव था क ह,जनको आव यकतानुसार भारत सरकार के कामस एवं ेड मंालय<br />

इमापोट ेड कं ोल वभाग से िनधारत आवेदन प पर आयात क जाने वाली व तु एवं<br />

आयात कता का ववरण सहत आवेदन तुत कया जायेगा। साथ म िनधारत फस<br />

जमा करने क रसीद ( टेट बक से इ पोट लाइसस फस शीषक जमा) भी संल न होगी।<br />

यद पूव वष म आयात हुआ ह तो उसका संेत वतरण भी होगा। उ त मंालय जांच<br />

कर दो ितय म लाइसस जार करेगा जसम िन नांकत त य हगे:-<br />

1- लाइसस जार करने वाले कायालय का नाम।<br />

2- ववरण जसके प म जार कया गया।<br />

3- मू य जस सीमा तक आयात होगा।


380<br />

4- व तुओं का ववरण जो आयात होगा।<br />

5- आयात का ोत, आयात को देश िशपम ट का देश।<br />

6- लाइसस जार करने क ितिथ<br />

7- मा य अविध।<br />

यद मा य अविध 16.7;99 ह तो माल उ त ितिथ तक जहाज पर लद जाना<br />

चाहए तथा लदान बल पर उसके बाद क ितिथ नहं होगी। सामान लदाने के िलए<br />

क टम अिधकार एक माह तक ेस पीरयड दे सकता ह पर अ य कोई काय नहं होगा।<br />

लाइसस अपरवतनीय होता ह। लाइसस जार एवं मा य होने क शत भी इस पर अंकत<br />

होती ह।<br />

6- वदेशी विनयम मुा ा त करना:<br />

लाइसस क ितसहत रजव बक आफ इडया ारा िनधारत प पर बक के<br />

ए सचज कं ोल अनुभाग को आवेदन कया जायेगा जो माल भेजने वाले देश म भारतीय<br />

मुा के समक मुा उपल ध करा देगा।<br />

7- इ डे ड तुत करना:<br />

दो कार के इ डट होते ह:-<br />

1- बंद- जसम आयात क जाने वाली व तुओं का ववरण एवं मु य आद अंकत<br />

नहं होता ह। उसे आयातक ारा भरा जाता ह।<br />

2- खुला- इसम व तुओं का ववरण दर, पैकं ग, िशपंग, इं योरेस आद का ववरण<br />

होता ह। इ डेट सीधे या इ डट हाउससे जो देश म होते ह के मा यम से भेजे जा सकते<br />

ह।<br />

8- लेटर आफ े डट:<br />

िनयात कता या उ पादक आयातक क माली थित क पु म उससे या इंडेट<br />

हाउस म माण चाहेगा जसके िलए आयातक बक से ा त लेटर आफ े डट भेजता ह।<br />

यह िनयातक देश म थ त कसी बक ारा जार एक िताप होता ह क<br />

आयातक से ा त बी0ई0 (बल आफ इ सचज) उसके ारा भुनाने क गांरट द जाती<br />

ह शतयु त होने पर शाखा प को वालीफाइड अथवा डाकू म तथा बना शत होने पर<br />

उसे ओपेन या लीन कहा जाता ह।<br />

एल0आई0सी0 म िन नांकत प होते ह:-<br />

क- खोलने वाला आयातक<br />

ख- जार करने वाला बक<br />

ग- लाभाह िनयातक जसके प म एल0आई0सी0 आहरत होता ह।<br />

घ- पुकारक बक, िनयातक देश का बक<br />

ड- नोटफाइंग बक- वह बक जो एल0आई0सी0 खुलने क पु करता ह।<br />

छ- िनगोिसएटंग बक जस पर ाट तुत कया जाता ह। पसनल चेक से सीधे<br />

तथा आई0एम0ओ0 इंटरनेशनल मनी आडर का योग यथाथित हो सकता ह।


381<br />

9- माल भेजने छु डाने संबंधी कागज सहत अ य को ा त करना:<br />

जब िनयातक माल जहाज से भेजता ह तो वह आयातक को सूचना प भेजता ह<br />

जसम माल वाहक जहाज चलने क ितिथ तथा पहुंचने क संभावत ितिथ आद होता<br />

ह। साथ म िनयातक के िलए बी0ई0 जार करता ह इनवायस, इं योरस पािलसी, लदान<br />

बल तथा सटफके ट आफ ओरजन आद भी बी0ई0 के साथ संल न होते ह। इसे<br />

डा यूम बल कहा जाता ह। यह दो कार का होता ह1 ड/ए अथात डा यूमट अग ट<br />

ए सपेटस- जब आयातक बल वीकाय करके तथा ड/पी डाकू मट अगेन ट पेमट जब<br />

आयातक भुगतान कर उसे ा त करे। बी0ई0 िनयातक के बक के मा यम से आयातक<br />

के बक के पास पहुंचाता ह तथा िनयातक क राय के अनुसार वीकृ ित या भुगतान पर<br />

बक से ा त होगा। सामा यतया इ डट हाउस भी यह काय करता ह।<br />

10- सामान क लयरंग:<br />

जब जहाज सामान लेकर ब दरगाह पर आ जाता ह तो क टम कायालय को<br />

जानकार हो जाती ह और उससे आयातक सूिचत होता ह तब बल आफ लोडंग पर<br />

आयातक जहाज कं पनी से माल छु डाने का आदेश पृ ठांकत कराता ह। क पनी भाडा<br />

ा त करती ह या यद िनयातक माल भाडा जहाज क पनी को चुकाए रहता ह पृ ठाकन<br />

के बाद वह पोट ट यूट रसीद क दो ितयां तथा बल आफ इं क तीन ितयां<br />

पोट ट आफस म तुत करता ह तथा डाकदेय आद चुकाने का माण प ापत<br />

करता ह। इसके बाद पोट ा ट यूट रसीद क एक ित तथा बल आफ इं क दो<br />

ितयां क टम कायालय म तुत होगी सामान पर िनधारत िनयम के अंतगत देय<br />

यूट का भुगतान करना पडता ह।<br />

11- बल आफ इं:<br />

यह माणक ह क बल म वणत व तु देश क सीमा म आ सकता ह तथा<br />

उतरने यो य ह। इसे आयातक तीन य म भरकर तैयार करता ह। इसमी पहली ित<br />

काली याह म क टम वभाग, दूसर गहर नीली याह म पोट ट वभाग के िलए<br />

तथा तीसर नारगी रंग म िनयातक के िलए होती ह।<br />

12- बांडेड हाउस म माल का रखा जाना:<br />

यद क टम यूट भुगतान नहं हो पाता ह तो आयातक के आवेदन पर माल<br />

बांडेड गोडाउन म रखा जाता ह तथा यूट एवं गोदाम कराया आद चुकता कर बाद म<br />

माल उठाया जायेगा। यूट क त म भी भुगतान करके क त म माल उठाये जाने क<br />

सुवधा होती ह। यद आयातक माल वह से िनयात करना चाहे तो उस दशा म<br />

आव यकतानुसार बा डेड वेयरहाउस म माल पैकं ग और पैके जंग आद क सुवधा का<br />

लाभ उठाया जा सकता ह।<br />

व तीय औिच य का िसा त:<br />

यय थम टयता उससे अिधक न हो जतना अवसर क मांग हो। येक<br />

रा य कमचार अपने िनयंणाधीन राजकय धन यय करते समय उतनी ह सतकता


382<br />

और सावधानी बरतेगा जतना साधारण ववेक का य अपने यगत धन को यय<br />

करते समय बरतता ह।<br />

2- कितपय परथितय को छोडकर राजकय धन को कसी वशेष य अथवा वशेष<br />

समुदाय के लाभाथ म नहं लाना चाहये।<br />

यय थम टयता उससे अिधक न हो जतना अवसर क मांग हो। येक<br />

रा य कमचार अपने िनयंणाधीन राजकय धन यय करते समय उतनी ह सतक ता<br />

और सावधानी बरतेगा जतना साधारण ववके का य अपने यगत धन को यय<br />

करते समय बरतता ह।<br />

3- कोई भी ािधकार यय वीकृ ित करने के अपने अिधकार का योग त ्यत: या<br />

अ यत: कसी ऐसे आदेश देने म नहं करेगा जो वंय के लाभ िलए हो।<br />

4- ऐसे भ त क धनरािश को ज ह कृ त यय क ितपूित हेतु वीकृ ित कया जाता ह,<br />

इस कार विनयिमत कया जाए जससे ा तकता के िलए लाभ का ोत न बने।<br />

भ डार का रख-रखाव<br />

संदभ: एम0जी0ओ0 तर- 572<br />

सरकार टोर एवं टाक के अनुरण के िलए व तीय ह त पुतका ख ड-5<br />

भाग-1 के पैरा 256 एवं 259 के तारत य म िन निलखत िनयम ितपादत कये गये<br />

ह। ये िनयम सभी वभाग पर लागू ह, लेकन कु छ वभाग म इससे स बधत<br />

ितपादत व तृत िनयम के ित थानी, ये िनयम नहं ह। (कृ ष, उोग, आवकार,<br />

अफम, वन, जल, सावजिनक िनमाण वभाग, टग एवं टेशनर वभाग म अलग<br />

से व तृत िनयम ितपादत ह। )<br />

िनयम-1<br />

सरकार संपय का एक टाक बुक येक कायालय म रखी जायेगी।<br />

नोट: यहां कायालया का अिभया ह क ऐसा कायालय जसको य के िलए अलग बजट क<br />

यव था क गयी ह। यह एक भवन म भी हो सकता ह और अलग भवन म भी।<br />

उदाहरणाथ ड ट कले टर के कायालय को अलग कायालय नहं माना जायेगा। कले टर<br />

के कायालय म य क गयी सामी क व कले टर कायालय के टाक बुक म क<br />

जायेगी और उसका वतरण कसी भी अधीन थ कायालय को कया जा सकता ह<br />

अधीन थ कायालय के िलए यह पया त होगा क ा त क गयी सामिय क एक सूची<br />

रख ताक आव यकतानुसार स यापन कया जा सक ।<br />

िनयम-2<br />

येक कायालय म िन निलखत व तुओं के अलग-अलग टाक बुक रखे जायेगे।<br />

क- डेड टाक (मृत क ध) जैसे फनचर, ला ट, और मशीनर तथा अ य<br />

फ सचन।<br />

ख- लाइव टाक व उपभोग ्य और नाशवान टोर।


383<br />

िनयम-3<br />

एम0जी0ओ0 के परिश ट 17 म दये गये ाप के अनुसार डेड टाक बुक रखी<br />

जायेगी और इसम दये गये वदेश का पालन भी कया जायेगा।<br />

परिश ट 17 के िनदश:<br />

1- इसम दये गए ाप को तैयार भी कया जा सकता ह अथवा अधीनक मुण एवं<br />

लेखन के कायालय से ा त भी कया जा सकता ह। एक ह टाक बुक कई वष तक<br />

योग म लाई जायेगी।<br />

2- टाक बुक म एक आइटम के िलए एक या एक से अिधक पेज आंवटत कये जाते ह।<br />

टाक बुक म इंडे स भी तैयार कर लेते ह।<br />

3- येक आइवम क व ा त होने के तुर त बाद टाक बुक म क जानी चाहए।<br />

4- येक व का स यापन भार अिधकार एवं भ डार िलपक ारा कया जायेगा।<br />

5- जब कभी सामान िनर त कया जायेगा तो उ त रजसटर के कालम 6 म इस आशय<br />

का एक नोट अंकत कया जायेगा।<br />

6- येक कालम का योग येक पृ ठ के अंत म कया जायेगा तथा येक व तीय वष<br />

क समाि के उपरांत भी इसका योग कया जायेगा।<br />

िनयम-3 (ख)<br />

अ य कार के टाक के िलए भी इसी ाप म आव यकतानुसार संशोधन करके<br />

योग म लाया जा सकता ह।<br />

िनयम-4<br />

क- येक आइटम के य का मूल ववरण टाक बुक म रखा जायेगा।<br />

ख- पूर तरह से मू यांकत टाक बुक रखी जायेगी। िन निलखत परथितय म<br />

कािलक मू यांकन भी कया जाना चाहए।<br />

अ- गवनमट कामिशयल अ डरटेकं ग।<br />

ब- काय पर मू य का वतरण कया जाना अपेत हो।<br />

स- िनजी यय से मू य ा त करना हो।<br />

इस कार से िनधारत मू य कसी भी कार बाजार दर से अिधक नहं हो<br />

सकता ह।<br />

नोट:- इस उददे य के िलए बाजार मू य का अिभाय यह ह क उ हं व तुओं के िलए (समान<br />

िनदय) उोग िनदेशक ने या दर िनधारत कया ह? इस मू य म ढुलाई भाडा,<br />

आनुषांिगक यय, हास, वे टेज और टूट-फू ट का मू य भी समिलत ह।<br />

िनयम-5<br />

साधारणतया टाक बुक सामी के िनकट ह रखनी चाहए लेकन<br />

कायालया य सुवधा के अनुसार इसके अितर त भी कसी अ य थान पर रखने क<br />

यव था कर सकते ह और ऐसी दशा म एक अलग संहत टाक बुक रखा जा सकता ह।


384<br />

िनयम-6<br />

क- जैसे ह व तु ा त हो जाये त काल टाक बुक म इसक व क जानी<br />

चाहएं<br />

ख- कायालय अधीनक (िमनी यल हेड आफ द आफस), येक माह क<br />

समाि पर, आकमक रज टर व मांग प को यान म रखकर टाक बुक<br />

स यापन करेग क सभी य क गयी व तुए व सभी ा त (दूसरे कायालय से)<br />

व तुएं, ठक-ठक ढंग से टाक बुक म व कर द गयी ह।<br />

िनयम- 7<br />

यद यावहारक प से संभव हो तो येक व तु का परचय िनत करने<br />

तथा स यापन के िलए आव यक ह क समुिचत िच ह पर तु पर अंकत कया जाय।<br />

िनयम- 8<br />

सरकार संपय क एक वतरण सूची विभ न क एवं अिध ठान के बची<br />

रखनी चाहए। इसक अतन सूची येक क म लटका देनी चाहए।<br />

िनयम -9<br />

क- टोर म कायालय क आव यकता से यादा सामी िनत समय से अिधक<br />

नह रखनी चाहए।<br />

ख- यशील व उपभो य व तुएं जनका योग कई वष से नहं कया◌ा गया ह, को<br />

फालमु माना जायेगा, जब तक क कायालया य इसके इतर कोई वचार नहं<br />

रखते।<br />

ग- भार अिधकार फालतू सामिय क एक सूची तैयार करके सम ािधकार को<br />

तुत करगे। इसका वगकरण दो भाग म होगा। 1. सवसेबल, 2. िन यो य।<br />

सवसेबल आइटम के िलए सम अिधकार उसे अधीन थ कायालय के वतरण<br />

के िलए आदेिशत करेगे या वय के िलए।<br />

िन यो य व तुओं के िलए नीलामी ारा वय क अनुमित द जायेगी व अ तर को<br />

राइट आफ कया जायेगा।<br />

घ- सभी कार क हािनय के संान म आने पर त काल सम ािधकार क<br />

वीकृ ित से टाक बुक रकाड कया जायेगा।<br />

िनयम- 10<br />

क- भार राजपत अिधकार उपभो य व नाशवान व तुओं को कम से कम 6<br />

महने म एक बार व डेड टाक को वष म एक बार अव य स यापत करगे।<br />

ख- भार अिधकार ारा व तुओं का स यापन टाक बुक अवशेष के आधार पर<br />

कया जायेगा और टाक बुक पर इस आशय का एक माण प भी अंकत<br />

कया जायेगा।<br />

नोट:- भार अिधकार यह भी स यापत करेग क कायालय अधीक ने मािसक स यापन<br />

कया ह क नहं। टोर स यापन म टोर भार क सहायता नहं लेनी चाहए। इसके


385<br />

अितर त कसी अ य कमचार क सहायता से स यापन कया जाना चाहए, लेकन लो<br />

पेड कमचारय क सहायता भी नहं लेनी चाहए।<br />

ग- यह स यापन टोर भार के ह सम कया जायेगा।<br />

घ- सभी ुटय को त काल यान म लाया जायेगा।<br />

ड- सभी कार क हािनय, वय व िन तारण को नोटस म िलया जायेगा।<br />

क- हास ारा हािन।<br />

1- बाजार मू य के उतार-चढाव के कारण।<br />

2- रख रखाव म लापरवाह के कारण।<br />

3- य म दूर के अभाव के कारण।<br />

4- य के बाद उपेा के कारण।<br />

ख- अ य कारण<br />

1- चोर<br />

2- दैवीय आपदा<br />

िनयम-11<br />

अ य अिधकार भी इसी कार का िनरण करगे और आ या सम अिधकार<br />

को तुत करगे।<br />

िनयम -12<br />

वर ठ आिधकार को कायालय िनरण के समय टाक बुक का िनरण करना<br />

चाहए तथा कु छ मह वपूण आइटम को भी चेक करना चाहए।<br />

क यूटर स ब धी य एवं रख-रखाव :- क यूटर के हाडवेयर/साटवेयर तथा उसके रख-<br />

रखाव हेतु बजट साह य म मानक मद 46 एवं 47 िनधारत ह। क यूटर तथा तस ब धी<br />

उपकरण य करने हेतु समय-समय पर शासन के सूचना ोोिगक वभाग ारा दर िनधारत<br />

क जाती ह, तथा उसम वार ट अविध एवं बाद के रख-रखाव क शत भी प ट क जाती ह।<br />

क यूटर के ‘’अपटाइम’’ ठक रखने के िलये लाग बुक, खराब होने का िशकायत पंजी, रखना<br />

अिनवाय ह यह तथा अनुरण का अनुब ध एडवा स म कया जाना कम ् यूटर पर आधारत<br />

काय वातावरण के िलये आव यक ह।<br />

वाहय सहायित त परयोजनाओं हेतु कम (ो योरमे ट):- व व बक या अ य अ तरा य थाओं<br />

के साथ सरकार जो समझौता करती ह, उसम सामी या सेवा के ो योरमे ट के अलग से<br />

मानक िनधारत कये जाते ह । अत: ऐसी योजनाओं हेतु समझौते के वषय व तु यावत<br />

करना बा यकार ह। इस कार के विश ट ावधान सामा य सरकार वभाग म नहं लागू<br />

होते।


386<br />

सं या 502/औ0व0/03-143-उोग/2003<br />

ेषक,<br />

ी एस0 कृ णन<br />

मुख सिचव<br />

उ तरांचल शासन, देहरादून।<br />

सेवा म,<br />

िनदेशक, उोग<br />

उोग िनदेशालय<br />

उ तरांचल, देहरादून।<br />

औोिगक वकास वभाग देहरादून, दनांक 23-अग त, 2003<br />

वषय:- देश क औोिगक इकाईय को शासकय य म मू य वरयता/य वरयता<br />

दया जाना।<br />

महोदय,<br />

देश क औोिगक इकाईय को ो साहत कये जाने के उददे य से देश क<br />

औोिगक नीित, 2003 म राजकय खरद म वरयता दये जाने हेतु ावधान कया गया ह।<br />

देश सरकार ारा देश क औोिगक इकाईय ारा उ पादत माल के राजकय खरद म<br />

वरयता दये जाने हेतु शासन ारा पूव म िनगत शासनादेश सं या- 3075/187-<br />

उोग/औ0व0-1/2002 दनांक 21-09-2002 एवं शासनादेश सं या-264/औ0व0/187-<br />

उोग/2001 दनांक 01 मई 2003 एवं अ य सभी संबंिधत शासनादेश जो क य<br />

वरयता/मू य वरयता के स ब ध म वतमान म उ तरांचल म भावी ह, को औोिगक नीित<br />

2003 के परपे म अितिमत िन नवत मू य वरयता/य वरयता क नीित िनधारत कये<br />

जाने क ी रा यपाल महोदय सहष वीकृ ित दान करते ह:-<br />

1- श दवाली ‘’मू य वरयता/य वरयता’’ से ता पय शासकय य म िनवदा के साथ<br />

देश क औोिगक इकाईय को द जाने वाली वरयता से होगा।<br />

2- देश क इकाईय को य वरयता क नीित:<br />

क- यद आई0एस0आई0 अथवा आई0एस0ओ0 अथवा अ य वशेषकृ त उ पाद को<br />

खरदे जाने क आव यकता हो, तो आव यकता का ववरण िनवदा म ह दे<br />

दया जाय।


387<br />

ख- गुणव ता से बना समझौता कये हुये देश क बृहद एवं म यम उोग को<br />

देश क बाहर क सभी इकाईय क तुलना म य वरयता द जायेगी, बशत<br />

यह िनवदा खुलने के बाद यूनतम दर से 15 ितशत क सीमा के अ दर<br />

अपनी दर द गयी हो और यह यूनतम दर पर आपूित करने पर सहमित दे।<br />

य माा इकाईय क आपूित करने क मता के अनुप यकता सं था ारा<br />

तय क जायेगी।<br />

ग- देश क खाद ामोोिगक/लघु एवं कु टर इकाईय को गुणव ता से बना<br />

समझौता कये हुये अ य सभी इकाईय क तुलना म य वरयता द जायेगी<br />

बशत क ऐसी इकाईय न िनवदा म यूनतम दर से 15 ितशत क सीमा के<br />

अ दर अपनी दर द हुई हो।<br />

घ- शासकय य म दर क तुलना सभी देश एवं देश के बाहर क इकाईय क<br />

यापार कर रहत एफ0ओ0आर0 डैटनेशन के आधार पर क जायेगी एवं इ हं<br />

एफ0ओ0आर0 डैटनेशन दर पर य वरयता द जायेगी।<br />

ड- शासकय य करते समय यद ऐसी िनवदा ा त होती ह,◌ जसम के वल देश<br />

के बाहर क इकाईय भाग लेती ह तो उसम यूनतम दर देने वाली इकाई को ह<br />

वीकार कया जाएगा एवं दर क तुलना यापार कर सहत एफ0ओ0आर0<br />

डैटनेशन के आधार पर क जायेगी। यद यूनतम दर वाली इकाई/इकाईय को<br />

बढते दर के म अनुप य सूची म समिलत कर िलया जाए बशत क वे<br />

इकाईय भी यूनतम दर पर आपूित करने के िलये सहमत ह। य माा<br />

इकाईय क आपूित मता के अनुप य कता सं था ारा तय क जायेगी।<br />

3- देश क इकाईय को मू य वरयता क नीित:-<br />

क- शासकय य दर क तुलना सभी देश एवं देश के बाहर क इकाईय क<br />

यापार कर रहत एफ0ओ0आर0 डैटनेशन के आधार पर क जायेगी एवं इ हं<br />

एफ0ओ0आर0 डैटनेशन दर पर मू य वरयता द जायेगी।<br />

ख- देश क खाद ामोौिगक/लघु एवं कु टर इकाईय को अ य सभी इकाईय क<br />

तुलना म 15 ितशत तक मू य वरयता द जायेगी। इकाईय से य उनक द<br />

हुई दर पर कया जायेगा, यद वह यूनतम दर से 15 ितशत तक अिधक हो।<br />

ग- खरद जाने वाली माा को एक से अिधक िनवदा दाताओं के म य इकाईय क<br />

आपूित मता के अनुप वभाजत करने क आव यकता क थित म<br />

(उपरे त तर 3 के ख) पर वणत इकाईय को मू य वरयता दान करते


388<br />

(ड)<br />

समय इकाईय ारा िनवदा म अंकत यूनतम मू य पर ह सभी ऐसी इकाईय<br />

को य आदेश एक सामान यूनतम मू य पर दये जायेग। जसक सहमित<br />

ऐसी इकाईय को देनी होगी।<br />

देश क वृहद एवं म यम उोग को कोई मू य वरयता नहं द जायेगी।<br />

4- देश क जला उोग के /खाद एवं ामोोग बोड के अ तग थाई प से पंजीकृ त<br />

लघु एवं कु टर औो िगक इकाईय से धरोहर रािश/ितपूित रािश ( EMD/Security<br />

Deposit) िन न कार ली जायेगी।<br />

मांक ववरण देश के बाहर क इकाईय क तुलना म<br />

धरोहर रािश<br />

ितभूित रािश<br />

1 खाद ामोोिगक इकाईयां शू य 10 ितशत<br />

2 लघु इकाईयां 25 ितशत 50 ितशत<br />

3 बृहद/म यम इकाईयां 50 ितशत 75 ितशत<br />

5- य म थम वरयता देश क खाद एवं ामोोिगक इकाईय, तीय लघु एवं कु टर<br />

इकाईय, तृतीय देश क अ य इकाईय एवं अतम वरयता देश के बाहर क इकाईय<br />

क द जायेगी। देश क सभी इकाईय को सामी आदेश इकाईय क आपूित मता के<br />

अनुसार आवंटन के बाद शेष बची सामी माा का आवंटन देश से बाहर क इकाईय<br />

को कया जायेगा एवं दर क तुलना यापार कर सहत एफ0ओ0आर0 डैटनेशन दर<br />

पर क जायेगी।<br />

6- देश क इकाईय ारा उ पादत सामी क गुणव ता, उ पादन एवं आपूित मता का<br />

आकलन य कता सं था ारा कया जायेगा एवं इस वषय पर य सं था का िनणय<br />

अतम होगा।<br />

7- जन मामल म धरोहर/जमानत क धनरािश बलकु ल नहं जमा कराई गई ह अथवा<br />

रयायती दर पर जमा कराई गई ह, ऐसी इकाईय को भुगतान सामी क सह<br />

गुणव ता/माा म ा त होने के उपरा त ह कया जायेगा।<br />

8- शासकय य का ता पय उ तरांचल शासन के अधीन सम त शासकय<br />

वभाग/िनगम/वकास ािधकरण/सं थान आद के ारा कये जाने वाले य से<br />

होगा। यह आदेश व व बक ारा पोषत योजनाओं म लागू नहं होग। िचक सा वभाग<br />

तथा अ य वभाग जहां पर वशेष ितब ध के अधीन वशेष गुणव ता क सामी का<br />

य कया जाता ह, अपने आव यकतानुसार अितर त ितब ध जैसा उिचत समझ य<br />

के समय लगा सकते ह।<br />

9- यद उ तरांचल म थत सरकार या गैर सरकार सं थाऐं अथवा उनके ारा संचािलत<br />

इकाईय लघु उोग क ेणी म आती ह, तो उन पर भी उपरो त ावधान लागू रहगे।


389<br />

10- उोग वभाग ने दर अनुब ध (Rate Contract) क शत पर य करने क था को पूव<br />

म ह समा त कर दया ह। स बधत वभाग अपने-अपने य इस शासनादेश के<br />

अ तगत वयं वभागीय ितिनधायन (Delegation of Powers) के आधार पर करगे।<br />

11- मू य एवं य वरयता के वल आपूित अनुब ध (Supply Contract) म दश म थापत<br />

उ पादन करने वाली इकाईय ( Manufacturing units) को ह अनुम य होगी।<br />

12- मू य तथा य वरयता क यह नीित दनांक 31 माच, 2008 अथवा अिम शासनादेश<br />

जार होने तक लागू रहेगी।<br />

13- यह आदेश व त वभाग के अशासकय सं- 115/व0अनु0-3 दनांक 23 अग त 2003<br />

म ा त सहमित के आधार पर जार कये जा रह ह।<br />

उपयु त के स ब ध म मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क कृ पया उपरो तानुसार<br />

कायवाह सुिनत कराने का क ट कर एवं इस शासनादेश क ाि वीकार कर।<br />

भवदय<br />

एस0 कृ णन<br />

मख सिचव।


390<br />

बजट या<br />

1. बजट एवं लेखा से स बधत संवैधािनक या:-<br />

भारत के संवधान के अनु छेद- 150 म यह ावधान कया गया ह क रा पित, भारत<br />

के िनयंक एवं महालेखा परक क सलाह से संघ एवं रा य के लेख के वप एवं या<br />

िनधारत करगे। इस ावधान के अधीन ह लघुशीषक तक का ववरण पूरे देश म संघ एवं<br />

रा य म लागू कया जाता ह। लघुशीषक के अधीन रा य सरकार अपनी आव यकता अनुसार<br />

उपशीषक, योरेबार शीषक एवं मानक मद खोलने हेतु वतं ह। अनु छेद- 202 वाषक व तीय<br />

ववरण जसे हम बोलचाल क भाषा म ‘’बजट’’ कहते ह क या िनधारत ह। अनु छेद -<br />

203 से 209 वधायी या, विनयोग वधेयक, अनुपूरक/अिधक/पुनविनयोग लेखानुदान<br />

व तीय वधेयक, वधाियका के अपने िनयम या बनाने क यव था, वधाियका म व त<br />

स बधत काय पित का उ लेख कया गया ह। रा य के समेकत िनिध का उ लेख अनु छेद-<br />

266 म दया गया ह। वशेष परथित म जब रा य वधान सभा से बजट क वीकृ ित संभव<br />

न हो तो संवधान के अनु छेद के अनु छेद- 267 म वधाियका कायापािलका को आकमकता<br />

िनिध के प म अिम वीकृ त करती ह जसक ितपूित का ववरण वधाियका के सम<br />

रखना अिनवाय ह। अनु छेद- 282 म लोक योजन हेतु यय करने का अिधकार अनु छेद 283<br />

म समेकत िनिध, रा य आ कमकता िनिध और लोक लेखाओं क अिभरा हेतु संघ एवं रा य<br />

सरकार को िनयम बनाने का अिधकार ह, जसके अधीन उ तरांचल रा य ारा उ तरांचल<br />

कोषागार िनयमावली- 2002 तथा बजट मैनुअल लागू कया गया ह। अनु छेद- 284 म लोक<br />

सेवक और यायालय ारा ा त वादकताओं क जमा रािशय और अ य धनरािशय क<br />

अिभरा क यव था क गयी ह। अनु छेद- 290 म कु छ यय एवं पशन स ब धी समायोजन<br />

का उ लेख कया गया ह, जब क अनु छेद- 293 म रा य के उधार लेने क या तथा<br />

भारत सरकार का उस पर िनयंण क यव था दशायी गयी ह।<br />

रा य का बजट मनुअल यप अनु छेद- 166 के अधीन रा यपाल का आदेश ह, पर तु<br />

सभी स बधत ािधकारय हेतु अनुपालन करना बा यकार ह। रा य सरकार म व त से<br />

स बधत अिधकारय को बजट मैनुअल के कु ल 19 अ याय एवं 17 प क जानकार रखना<br />

उिचत ह। थम अ याय म बजट या के ोत लेखा शीषक िनिधय के कार का उ लेख<br />

कया गया ह। तीय अ याय म बजट एवं लेखा से स बधत मुख श द का उ लेख तथा<br />

परभाषा द गयी ह, तृतीय अ याय म बजट कै से तैयार कया जाय यथा धनरािश एक हजार<br />

पये के राउडंग म दशाया जाय (पांच सौ से कम शू य पांच सौ या उससे अिधक एक हजार<br />

पया ) सामा य बजट 15 अ टूबर, तक, नय मांग 30 नव बर तक तुत करना चाहए।<br />

अ याय चार म वभाग क ािय का आकलन तथा अ याय पांच म यय स ब धी अतन<br />

त य के आधार पर तैयार करने क या दशायी गयी ह। अ याय-6 फलहाल हटा दया गया<br />

ह। अ याय -7 म थम 6 माह के वा तवक यय के आधार पर 25 नव बर, तक शािनक<br />

एवं व त वभाग को ययिध तय (Exass & Saving) सूचना भेजा अिनवाय ह, ताक अनुपूरक


391<br />

मांग या पुनविनयोग हेतु िनणय लेने म कोई असुवधा न हो। अ याय आठ म भारत के<br />

संवधान के अनु छेद -205 (1) (ए) नयी सेवाय या नयी मांग के ताव तैयार करने के<br />

ववरण दये गये ह। अ याय-9 म शासना के विभ न वभाग से ा त ताव का व लेषण<br />

कर रा य के व तीय संशाधन, आयोजनागत पर यय, बचन ब यय, वाहय सहायितत<br />

योजनाओं, के पोषत योजनाओं, नयी योजनाओं चालू योनाओं आद का व तृत व लेषण<br />

कर वधाियका के सम बजट तुत करने संबंधी सभी अिभलेख तैयार करना व त वभाग का<br />

दािय व ह। अ याय -10 म वधाियका के सम बजट तुत करना तथा वधाियका ारा इसे<br />

पारत करने संबंधी या का उ लेख कया गया ह। अ याय-11 म सभी संबंिधत अिधकारय<br />

को बजट साह य उपल ध कराना तथा शासिनक वभाग, बजट िनयंक अिधकार/वभागा य<br />

ारा काय थत तक (आहरण वतरण अिधकार) बजट आवंटत करना। जहां एक मु त<br />

ावधान, नई मांक वाहय व त पोषण या सशत बजट ावधान हो संबंिधत मंी/मु यमंी के<br />

अनुमोदन क आव कयता होती ह। अ याय-12 म राज प ािय तथा अ याय- 13 म<br />

वा तवक यय क थित पर िनयंण रखने क यव था क गयी ह। अ याय-14 म<br />

ययािध य पुनविनयोग तथा अनुपूरक मांग तुत करने का व तृत ववरण दया गया ह।<br />

अ याय-15 मुख व तीय अिनयिमतता का वषय व तु दया गया ह। अ याय-16 म<br />

महालेखाकार लेखा परा के बाद भारत के िनयंक एवं महालेखा परक रा यपाल के मा यम<br />

से विनयोग एवं व त लेख के वधान सभी के पटल पर रखते ह तथा लेखा परा संबंधी<br />

ट पणी को वधाियका क सिमित लोक लेखन सिमित को इस आशय से दे द जाती ह क वह<br />

ऐसे तर पर सरकार सा य लेकर अपनी सं तुित वधाियका को सपे। अ याय-17 म<br />

वधाियका क ा कन सिमित के गठन एवं काय का उ लेख कया गया ह। अ याय-18 म लोक<br />

लेखा ववरण तथा अ याय-19 म बजट से संबंिधत व तीय ब धन एवं अनुशासन पर सामा य<br />

माग दशन दये गये ह। बजट मैनुअल के परिश ट ‘ड’ म बजट संबंधी का ितिथवार ववरण<br />

दया गया ह ताक बजट मुख प के मा यम से सूचना तैयार कर यथा आव यक सम<br />

ािधकार को भेजा जा सके । बजट मनुअल के प-1 (बी0एम0-1) पर बजट आकलन,<br />

बी0एम0-4 पर ययािध त (Exass & Saving) बी0एम0-5 पर नई मांग, बी0एम0-6 पर ाि<br />

संबंधी ववरण, बी0एम0-7 पर आवंटत बजट से अिधक यय करने पर औिच य सहत ववरण,<br />

बी0एम0-8 आहरण वतरण अिधकार का यय पंजी एवं मिसक यय ववरण, बी0एम0-9 ए<br />

कोषागार एवं ड0ड0ओ0 के यय संबंधी िमलान का प, बी0एम0-10 बजट िनयंक अिधकार<br />

का बजट संबंधी सूचना क पंजी, बी0एम0-12 वभागा य ारा महालेखाकार को ितमाह भेजे<br />

जाने वाला यय ववरण तथा सभी बी0एम0-8 संल नक के प म। बी0एम0-13 पर<br />

वभागा य ारा ितमाह शासिनक वभाग एवं व त वभाग अनुदानवार व तार म बजट<br />

अनुमान के सापे वा तवक यय भेजना। बी0एम0-15 पर पुनविनयोग तुत करने का<br />

ववरण। बी0एम0-17 पर बजट आवंटन तथा अ याविधक थित रखना चाहए।<br />

संवधान के अनु छेद-202 के अधीन येक व तीय वष के संबंध म रा य क<br />

अनुमिनत ािय और यय का जो ववरण सरकार ारा वधान-म डल के सम तुत कया


392<br />

जाता ह उसे संवधान म ‘वाषक व तीय ववरण’ क संा द गयी ह। इस ववरण को ह<br />

बोलचाल क भाषा म बजट अथवा आय- ययक कहा जाता ह। आय- ययक म सरकार क<br />

ािय और संवतरण को उसी कार दखाया जाता ह जस कार सरकार लेखे रखे जाते ह।<br />

जब कभी िनयिमत आय- ययक किमपय कारण से समय से वधान-म डल के सम<br />

तुत करना संभव नहं, होता, व तीय वष के ारभक कु छ महन के िलये संवधान के<br />

अनु छेद 206 के अनुसार ‘’लेखानुदान’’ या ‘’वोट आन एकाउ ट’’ तुत कया जाता ह ताक<br />

रा य सरकार का व तीय लेन-देन (फाइनासयल ा सै शन) लालू रह सके । िनयिमत आय-<br />

ययक होने पर लेखानुदान क धनरािशयां उसम समायोजत हो जाती ह।<br />

इसी कार कितपय मद म आय- ययक म इंिगत अनुमान से अिधक वा तवक यय<br />

संभावत होने पर सरकार ारा व तीय वष के उ तराध म वधान-म डल म अनुपूरक मांग<br />

(स लीमे टर डमा स) का ताव रखकर अव यकतानुसार अितर त व तीय यव था करायी<br />

जाती ह।<br />

2. सरकार लेखा नकद ाियां/संवतरण का आधारत-<br />

सरकार लेखे नकद आधार पर ािय/संवतरण क धनरािशय के संबंध म रखे जाते<br />

ह और बारह महने क अविध के िलये होते ह। यह अविध 1 अैल से आर भ होती ह तथा<br />

अगले वष 31 माच को समा त हो जाती ह । ता पय यह ह क ये लेखे कसी व तीय वष म<br />

होने वाली वा तवक नकद ािय और कये गये संवतरण क धनरािश को य त करते ह न<br />

क उसी अविध म सरकार के पावने या दात य क धनरािशय को।<br />

3. आय- ययक अनुमान तैयार करने क या-<br />

आय- ययक अनुमान वभागा य ारा शासकय वभाग के मा यम से व त वभाग<br />

को उपल ध कराने हेतु ितिथयां िनत ह। ितवष बजट बनने के पूव व त वभाग सभी<br />

वभागा य को आय- ययक अनुमान तैयार करने हेतु दशा-िनदश का एक परप जार करता<br />

ह और अपेा करता ह क िनधारत ितिथ तक येक वभाग अपने आय- ययक अनुमान<br />

व त वभाग को उपल ध करा द। वभागा य अपने अधीन थ कायालय से आय- ययक<br />

अनुमान के आंकड ा त कर, उ ह पर कृ त एवं संकिलत कर अपने वभाग के िलये आय- ययक<br />

अनुमान तैयार करता ह और उपरो तानुसार व त वभाग को भेजता ह। व त वभाग पूरे देश<br />

के िलये अनुदानवार आय- ययक अनुमान तैयार करता ह और उनको वधान मं डल के वचाराथ<br />

तुत करता ह। आय- यय अनुमान म आयोजनागत व आयोजने तर मद के आंकड अलग-<br />

अलग दशाय जाते ह। भारत एवं मत देय यय को आय- ययक म अलग-अलग दशाया जाता<br />

ह भारत यय को आय- ययक म सामा यता ितरछे अंक को दखाया जाता ह। आय- ययक<br />

अनुमान को तैयार करने के िलये आ के तर म द गयी सामा य जानकार आय- ययक म<br />

दशाये जाने वाले ािय एवं यय के अनुमान के वगकरण एवं बजट पारत होने क या<br />

को समझने हेतु आव यक ह।<br />

4. सरकार लेखे का वभाजन-<br />

लेखे तीन भाग म वभ त कये गये ह:-


393<br />

(क) समेकत िनिध (का सािलडेटड फ ड)<br />

(ख) आकमता िनिध (कट जेसी फ ड)<br />

(ग) लोक खाता (पलक एकाउ ट)<br />

समेकत िनिध (क सािलडेटेड फ ड)<br />

उ तरांचल क समेकत िनिध म रा य सरकार ारा ा त सम त राज व, मस त ऋण<br />

तथा अथपाय स ब धी अिम और ऋण के ितदान के प म रा य सरकार ारा ा त<br />

सम त धनरािशयां जमा होती ह। इस िनिध म के वल विध के अनुसार और के वल उन योजन<br />

के िलय तथा उस रित से जो संवधान म वणत ह, धनरािशय का विनयोग करने के<br />

अितर त अ य कार से विनयोग नहं कया जा सकता। भारत के संवधान के अनु छेद- 266<br />

म रा य के समेकत िनिध क या दशायी गयी । वाषक व त ववरण (बजट) जो 1 अैल<br />

से 13 माच क अविध हेतु होता ह से िभ न समेकत िनिध रा य का थायी िनिध ह, इसिलए<br />

यद पूव वष के समेकत िनिध से कोई वापसी क जाती ह तब संबंिधत ाि लेख से घटाइये<br />

के प म दशाया जाता ह।<br />

आकमता िनिध (कट ज सी फ ड)<br />

कसी व तीय वष के दौरान कभी कभी ऐसी थित बन सकती ह क आय- ययक<br />

(बजट) म यय के िलये यवथत धनरािश वा तवक आव यकताओं को पूरा करने के िलये<br />

अपया त िस हो या यय कसी ऐसी नई मद के संबंध म करना हो, जसका आय- ययक म<br />

ावधान न कया गया हो, ऐसी परथितय म वधान-म डल से अनुपूरक अनुदान क मांग<br />

करना आव यक हो जाता ह। वधान-म डल का स पूरे वष नहं चलता रहता ह और न येक<br />

बार यय क आव यकता होने पर अनुपूरक मांग ह तुत करना यवहारक होता ह, अतएव<br />

संवधान के अनु छेद- 267 म ‘’रा य आकमता िनिध’’ थापत करने क यव था द गई<br />

ह। यह िनिध अदाय प म होती ह और उसम विध ारा िनधारत धनरािशयां जमा क जाती<br />

ह, उसम से ी रा यपाल अ यािशत यय को पूरा करने के िलए अिम देते ह। रा य के<br />

वधान म डल ारा थम बार एक अिधिनयम ारा 15 करोड पये क आकमता िनिध<br />

थापत क गई थी। आव यकता के आधार पर तीय बार 30 करोड तथा इस िनिध क सीमा<br />

इस समय-समय वधान म डल क वीकृ ित से 85 करोड पये ह। इस िनिध से समय-समय<br />

पर जो धनरािशयां ी रा यपाल के ािधकार से िनकाली जाती ह, उनक ितपूित अनुपूरक मांग<br />

अथवा मु य बजट ारा वधान म डल से यय क वीकृ ित ा त करके यथाशी कर द जाती<br />

है। अनुपूरक मांग या तो उस धनरािश के िलये हो सकती ह जो उस पूरे अनुमािनत यय के<br />

बराबर हो जसके िलये उ त िनिध से अिम दया गया हो या संबंिधत अनुदान या भारत<br />

विनयोग के अंतगत कु छ बचत के उपल ध होने के कारण कम क गई धनरािश के िलये हो<br />

सकती ह या अिम क वीकृ ित देते समय यय उस अनुमान के कारण हो सकती ह जो बाद<br />

म आव यकता से अिधक पाया गया हो या के वल ऐसी तीय धनरािश के िलये हो सकती ह<br />

जसके अ तगत यय क स पूण धनरािश संबंिधत अनुदान या भारत विनयोग म होने बचत


394<br />

से पूर क जा सकती ह। शासिनक वभाग को रा य आकमता िनिध से आहरण के ताव<br />

भेजने के पूव इस आशय का माण प दया जाना आव यक होता ह क इस यय क त काल<br />

आव यकता ह जसे अगल बजट/अनुपूरक तक टाला नहं जा सकता। अित आव यकता के<br />

साथ-साथ बचत से पुनविनयोग संभव नहं ह। रा य आकमकता िनिध का स पूण ववरण<br />

रखना व त वभाग का दािय व ह।<br />

लोक लेखा (पलक एकाउ ट)<br />

शासन के दौरान सरकार ारा या उसक ओर से ऐसी धनरािशयां भी ा त क जाती ह<br />

जनका संबंध समेकत िनिध से नहं होती ह। उदाहरणाथ-कसी ठेके दार ारा ितभूित<br />

(िस योरट) के प म या कसी वाद ारा यायालय म या कसी थानीय िनकाय ारा<br />

सरकार अिभकरण के मा यम से कसी ायोजन को िन पादन करने के िलए जमा क गई<br />

धनरािशयां तथा विभ न िनिधय (ावडे ट फ ड) और रत िनिधय (रजव फ ड) आद म<br />

जमा क जाने वाली धनरािशयां। ऐसी धनरािशयां रा य के लोक-खाता के अंतगत जमा क जाती<br />

ह। लोक-खाता से संवतरण क दशा म वधान-म डल क वीकृ ित क आव यकता नहं होती ह<br />

यक ये धनरािशयां समेकत िनिध म नहं द जाती ह। कु छ मामल म वधान-म डल का<br />

अनुमोदन ा त करके सरकार के राज व का एक अंश समेकत िनिध से आहरत करके विश ट<br />

योजन जैसे-ग ना अनुसंधान, सडको के रख रखाव और औोिगक वकास आद पर यय करने<br />

के िलए लोक-लेखे के अंतगत पृथक िनिधय म जमा कर दया जाता ह। तथाप ायोजन संबंधी<br />

वा तवक यय को वधान-म डल का पुन: अनुमोदन ा त करके समेकत िनिध से ह यय<br />

कया जाता ह और पु तक समायोजन ारा यय को संबंिधत िनिध के नामे डाल दया जाता ह।<br />

5. समेकत िनिध के भाग-<br />

समेकत िनिध के दो मु य भाग होते ह:-<br />

(क) राज व लेखा (रेवे यू एकाउ ट)<br />

यह मु यता विभ न कर एवं शु क, सेवाओं के िलए फस, जुमान और<br />

जतयां आद से ा त सरकार क वतमान आय और इस आय से पूरे कये जाने वाले<br />

यय का लेखा होता ह। राज व खाते से कया जाने वाला यय सामा यतया सरकार<br />

कायालय और विभ न सेवाओं के संबंध म तथा सरकार ारा िलये गये ऋण पर देय<br />

याज के भुगतान आद के िलये होता ह। कसी व तीय वष क ऐसी आय और यय के<br />

अंतर को उस वष का राज व बचत या घाटा कहते ह जबक उस वष के िलए अनुमािनत<br />

आया अनुमािनत यय से मश: अिधक या कम होती ह।<br />

(ख) पूंजीगत लेखा (कै पटल एकाउ ट)<br />

इसके अंतगत पूंजीगत यय, लोक ऋण तथा उधार और अिम से संबंिधत यय<br />

और उससे सं वंिधत ाियां और वसूिलय का लेखा रहता ह।


395<br />

पूंजीगत व ्यय<br />

मोटे तौर पर पूंजीगत यय यह यय ह जो भौितक और थायी कार क ठोस<br />

परस पय (जैसे-अिभयंण ायोजनाओं, भवन आद) क वृ या उनके िनमाण के उददे य<br />

से कया जाता ह तथा इसम सरकार ारा कये जाने वाले पूंजी-िनवेश भी समिलत होते ह।<br />

तथाप यह परमा यक नहं ह क ठोस परस पयां सदैव उ पादक ह हो या उनसे राज व क<br />

ाि होती ह हो। पूंजी लेखे म से कसी ायोजना के थम िनमाण के सारे यय तथा उससे<br />

चालू कये जाने तक क अविध के अनुरण यय और िनमाण काय के आव यक व तार तथा<br />

सुधार के संबंध म अ य यय भी कये जाते ह। क तु इसके बाद नैयक रख-रखाव और<br />

मर मत संबंधी यय तथा काय स पादन यय राज व लेखे से कये जाते ह।<br />

लोक ऋण<br />

इस शीषक के अंतगत सरकार ारा िलये गये ऋण तथा उनके ितदान के िलये क गई<br />

यव था होती ह। कितपय ऋण पूणत: अ थायी कार के होते ह, ज ह ‘उ पकािलक ऋण’ कहा<br />

जाता ह जैसे अथपाय अिम। अ य कार के ऋण को ‘ थायी ऋणा’ कहा जाता है।<br />

उधार और अिम<br />

सरकार ारा विभ न सं थाओं या यय को जो ऋण और अिम दये जाते ह उनके<br />

संवतरण तथा उनके सम होने वाली वसूिलय को इस शीषक के अ तगत पु तांकत कया<br />

जाता ह।<br />

6- घाटा/अितरेक-<br />

राज व घाटा/राज व अितरेक<br />

राज व ािय एवं राज व यय के अंतर को यथाथित राज व घाटा/राज व<br />

अितरेक क संा द जाती ह।<br />

सकल राजकोषीय घाटा<br />

कु ल यय (जसम राज व लेखे के यय के अितर त पूंजीगत पर यय के साथ<br />

ऋण और अिम का संवतरण समिलत ह पर तु ऋण का ितदान समिलत नहं ह) म<br />

से कु ल राज व ािय, ऋण एवं अिम क वसूिलय के योग को घटाने पर जो रािश िनकलती<br />

ह वह सकल राजकोषीय घाटा दिशत करती ह।<br />

ाइमर घाटा<br />

सकल राजकोषीय घाटे क जो रािश आकिलत होती ह, उसम से याज<br />

अदायिगय का कु ल यय-भार घटाने से जो रािश िनकलती ह वह ाइमर घाटा दशाती ह।<br />

7- लेखा शीषक-<br />

अनुभाग तथा मु य से लेकर लघु लेखा शीषक समय-समय पर भारत के िनयंक<br />

महालेखा-परक ारा िनधारत कये जाते ह। िनधारत कये गये मु य तथा लघु शीषक म<br />

उ त ािधकार क वीकृ ित के बना परवतन नहं कया जा सकता । उप शीषक, व तृत


396<br />

शीषक तथा मानद मद म संशोधन महालेखाकार के परामश से रा य सरकार ारा कया जा<br />

सकता ह।<br />

मु य लेखा शीषक भारत के िनयंक एवं मु य लेखा परक ारा िनधारत चार<br />

अंक के कोड ह जो 0000 से लेकर 9999 तक िनधारत ह। इनका ववरण विभ न िनिधय म<br />

िन नानुसार कया गया है:-<br />

।- समेकत<br />

0000 से 9999<br />

राज व लेखा<br />

0000 से 9999<br />

पूंजी लेखा<br />

4000 से 5999<br />

ऋण तथा अिम<br />

6000 से 7999<br />

ाियां<br />

0000 से 1999<br />

भुगतान<br />

2000 से 3999<br />

।।- आकमकता िनिध<br />

8000<br />

।।।- लोक लेखा<br />

8001 से 9999<br />

मु य शीषक का वभाजन उप मु य शीषक, लघु शीषक, उप शीषक, व तृत शीषक<br />

तथा ाथिमक इकाईय ( यय क मानद मदो) म कया जाता है। क तु यह आव यक नहं ह<br />

क येक मु य शीषक के अधीन उप मु य शीषक तथा येक उप शीषक के अधीन व तृत<br />

शीषक ह।<br />

भाग<br />

राज व लेखा<br />

अनुभाग<br />

ख- सामाजक सेवाय- (ख) वा य परवार क याण<br />

मु य शीषक 2210- िचक सा तथा लोक वा य<br />

उप मु य शीषक 02- शहर वा य सेवाय- अ य िचक सा पितयां<br />

लघु शीषक<br />

101- आयुवद<br />

उप शीषक<br />

05- अ पताल तथा णालय<br />

व तृत शीषक 01- राजकय आयुवदक कालेज, लखनऊ से संबं आयुवदक िचक सालय<br />

ाथिमक इकाई 01- वेतन, 03-महंगाई भ ता, 04- याा यय<br />

(मानक मद) 06- अ य भ ते, 08 कायालय यय।


397<br />

इस कार ािय क एक मद का उदाहरण िन नवत ् ह:-<br />

भाग<br />

अनुभाग<br />

मु य शीषक<br />

उप मु य शीषक<br />

लघु शीषक<br />

उप शीषक<br />

व तृत शीषक<br />

राज व लेखा<br />

ख- करेतर राज व- (ग) अ य करेतर राज व सामा य<br />

सेवाय<br />

0070- अ य शासिनक सेवाय-<br />

02- चुनाव<br />

101- चुनाव फाम और द तावेज क ब से आय-<br />

01- वधान सभा और संसद िनवाचन े क ाियां<br />

01- िनवाचन नामाविलय क ब से ाियां<br />

8. भारत यय-<br />

भारत यय म िन निलखत कार के यय समिलत होते है:-<br />

1. रा यपाल क परलधयां और भ ते तथा उनके पद से संबंिधत अ य यय,<br />

2. वधान सभा के अ य तथा उपा य और वधान परषद के सभापित तथा उप-<br />

सभा पित के वेतन और भ ते:-<br />

3. ऐसे ऋण-भार जनका दािय व रा य पर ह, जनके अंतगत याज, ऋण शोधन िनिध<br />

भार और मोचन भार, उधार लेने और ऋण सेवा तथा ऋण मोचन संबंधी अ य<br />

समिलत ह;<br />

4. उ च यायालय के यायाधीध के वेतन, भ त तथा पशन से संबंिधत यय और<br />

यायालय शा सिनक यय, जसम उ च यायालय के पदािधकारय और सेवक के<br />

सम त वेतन, भ ते और पशन समिलत ह।<br />

5. कसी यायालय या म य थ यायािधकण के िनणय, आि या पंचाट के भुगतान के<br />

िलये अपेत कोई धनरािशयां;<br />

6. संवधान के अनु छेद- 290 के अधीन यायालय या आयोग के यय तथा पशन के<br />

यय के वषय म समायोजन;<br />

7. रा य के लोक सेवा आयोग के यय, जनम आयोग के सद य तथा कमचारय को<br />

अथवा उनके वषय म देय वेतन, भ त तथा पशन के यय समिलत ह, और<br />

8. संवधान या रा य के वधान म डल से विध ारा समेकत िनिध पर भारत घोषत<br />

कया गया और अ य यय।<br />

(देखये संवधान के अनु छेद 221, 231, 322 तथा दूसर अनुसूची)<br />

9. आय- ययक के लेख म समिलत वषय-<br />

आय- ययक के लेख म सामा यतया चार कार के आंकडे दये होते ह:-<br />

(1) आय- ययक वष से पूव वष के ठक पहले के वष का लेखा (वा तवक आंकडे)


398<br />

(2) आय- ययक वष से पूव म आय- ययक अनुमान जैसे क वधान – म डल के<br />

सम मूल प म तुत कये गये थे।<br />

(3) आय- ययक वष से पूव के पुनरत अनुमान।<br />

(4) आय- ययक वष के आय- ययक अनुमान।<br />

आय- ययक वष के पूव के वष के आंकडे के वल तुलना करने के उददे य से दये<br />

जाते ह। उपरो त सभी अनुमान को हजार पये के गुणांक म दखाया जाता ह।<br />

10. यय के अनुमान म समिलत धनरािशयां:-<br />

यय के अनुमान म समिलत धनरािशयां िनम ्न कार ह:-<br />

(1) ज ह ‘’ थायी वीकृ ितयां’’ के अंतगत वाषक यय को पूरा करने के िलए<br />

अपेत धनरािशयां कहा जा सकता ह और<br />

(2) आय- ययक वष म तावत नये यय को पूरा करने के िलए अपेत<br />

धनरािशयां। ेणी (2) के अंतगत आने वाली मद के िलये यय करने के पूव<br />

वधान-म डल क विश ट वीकृ ित लेनी आव यक होती ह, िसवाय उस दशा म<br />

जबक आकमकता िनिध से अिम लेकर यय करने का ािधकार दया गया<br />

हो। अनुदान क येक मांग म सबसे पहले तावत कु ल अनुदान का एक<br />

ववरण रहता ह और उसके बाद अनुदान के अ तगत योरेवार अनुमान का<br />

ववरण होता ह।<br />

11. अनुदान क मांग पर मतदान-<br />

भारत यय वषयक अनुमान पर वधान म डल का मतदान अपेत नहं ह,<br />

फर भी ऐसे यय के अनुमान पर दोन सदन म वचार-वमश कया जा सकता ह।<br />

कतु संवधान के अनु छेद 211 के उस िनब धन का पालन कया जाना चाहए जसम<br />

यह दया हुआ ह क उ चतम यायालय या उ च यायालय के कसी यायाधीश के<br />

अपने कत य पालन से संबंिधत आचरण के वषय म कोई चचा न क जायेगी। जहां तक<br />

मतदेय यय का संबंध ह, उसके अनुमान अनुदान क मांग के प म वधान सभी म<br />

मतदान के िलये तुत कये जाते ह। वधान सभी को कोई मांग वीकार करने या<br />

वीकार न करने अथवा उसम उलखत धनरािश म कटौती करने के बाद उसे वीकार<br />

करने का अिधकार ह। यह अनुभाग वधान परषद के सम भी रखे जाते ह जो उस पर<br />

चचा कर सकती ह, क तु उस पर उनको मतदान नहं करना होता ह।<br />

12. विनयोग वधेयक-<br />

आय- यय पर सामा य चचा हो जाने ओर वधान सभा ारा अनुदान क<br />

विभ न मांग को वीकार कर िलये जाने के बाद रा य क समेकत िनिध म ऐसी सभी<br />

धनरािशय के विनयोग क यव था के िलए एक वधेयक लाया जाता ह जो वधान<br />

सभा ारा वीकृ त अनुदान और समेकत िनिध पर भारत यय क पूित के िलए<br />

आव यक हो क तु कसी भी दशा म उन धनरािशय से अिधक न हो जो पहले दोन<br />

सदन के सम तुत ववरण प म दखाई गई ह। कसी ऐसे वधेयक पर ऐसे कोई


399<br />

संशोधन तावत नहं कया जा सकता जससे कसी अनुदान क धनरािश यूनतम हो<br />

जाए कसी अनुदान का उददे य बदल जाए या रा य क समेकत िनिध पर भारत कसी<br />

यय क धनरािश घट-बढ जाए। वधान परष वधेयक के संबंध म अपनी िसफारश<br />

कर सकती ह क तु यह वधान सभा क इ छा पर ह क वह उ ह वीकार करे या न<br />

करे। वधान परष ारा वधेयक पर वचार कये जाने और उसे अपनी िसफारश के<br />

साथ, यद कोई हो, वधान सभी को वापस कर दये जाने के बाद वधेयक रा यपाल<br />

महोदय के पास उनक वीकृ ित के िलये भेजा जाता ह और उनक वीकृ ित ा त हो<br />

जाने पर उनम द गई धनरािशयां स बधत वष म सरकार ारा यय कये जाने के<br />

िलए उपल ध हो जाती ह।<br />

13. पुनविनयोग:-<br />

अनुदान क कसी वशेष मांग के संबंध म वधान म डल ारा वीकृ त धनरािश<br />

या भारत यय के िलये आय- ययक म समिलत धनरािश एकमु त धनरािश के प म<br />

होती ह, यप यह अनुमान म दये गये यौर पर आधारत होते ह। अनुमान<br />

अधीन था ािधकारय ारा तुत सूचना पर आधारत ह। यह हो सकता ह क कु छ<br />

कारण वश कितपय शीषक के अंतगत यवथत धनरािशयां वा तवक आव यताओं से<br />

अिधक पायी जाए और अ य शीषक के अधीन यवथ त धनरािशयां वा तवक<br />

आव यकताओं से कम पड जाए। वधान- म डल ारा वीकृ त अनुदान क कसी मांग<br />

या भारत विनयोग के अंतगत ािधकृ त कु ल धनरािश म फर वृ नहं क जा सकती,<br />

पर तु सरकार धनरािशय के आव यक संमण क वीकृ ित देकर (जसे ‘’पुनविनयोग’’<br />

कहा जाता ह) अपेत पुन: समायोजन कर सकती ह। ऐसा करने के िलए कितपय<br />

िनयम और शत का अनुपालन अिनवाय ह। वधान म डल ारा वीकृ त आय- ययक म<br />

समिलत न क गई नयी मद ताव या योजनाओं पर यय बचत से नहं कया जा<br />

सकता जब तक क ऐसा करने के िलये तीक अनुपूरक मांग ारा वधान म डल क<br />

वीकृ ित न ले ली जाए और न मतदेय तथा भारत यय म धनरािशय का कोई संमण<br />

कया जा सकता है। राज व लेखे से पूंजी लेखे को तथा पूंजी लेखे से राज व लेखे को<br />

भी पुनविनयोग ारा संमण वजत ह।<br />

14. िनयंण-<br />

लोक िनिधय के यय करने म वधान म डल क इ छाओं क, जैसी क वे<br />

िनिनयोग अिधिनयम ारा य त क जाती है।, सरकार कसी सीमा तक पूित करती ह,<br />

यह भारत के िनयंक महालेखा परक देखते ह। यह अिधकार संवधान के अधीन<br />

कायपािलका तथा वधान म डल के िनयंक के अंतगत नहं आते और के वल भारत के<br />

रा पित के ित उ तरदायी ह। वधान म डल के ित उनका यह कत य पूरा करने के<br />

साथ-साथ वे सरकार क ओर से भी यह देखते ह क कहं अधीन थ अिधकार ािधकृ त<br />

यय से अिधक यय तो नहं कर रहे ह। वे समय-समय पर सरकार का यान<br />

अिनयिमतताओं पर आव यक कायवाह करने के िलये आकषत करते रहते ह। इन काय


400<br />

को वह अपने अिभकता महालेखाकार उ तरांचल ारा स पादत करते ह। महालेखाकार<br />

सरकार लेन-देन के लेखे संकिलत करते ह और अपने अिधकारय तथा कमचारय ारा<br />

आव यक लेखा परा कराते ह। उनके िनदश के अनुसार काय करने वाले अिधकार<br />

सम त सरकार कोषागार म बैठते है। और सभी ािय तथा संवतरण का लेखा तैयार<br />

करते ह। यह लेख उनके ारा महालेखाकार को ित मास अथवा ऐसे समय पर ज ह<br />

वह िनत कर, तुत कये जाते ह महालेखाकार ािय और यय क गित तथा<br />

उनक कसी असाधारण वृ या कमी क सूचना सरकार को वष म समय-समय पर देते<br />

रहते ह। वष का लेखा ब द हो जाने के बाद यह विनयोग लेखे तथा व त लेखे संकिलत<br />

करते ह। उनको वह अपनी ट पणी तथा ितवेदन के साथ भारत के िनयंक महालेखा<br />

परक को तुत करते ह। िनयंक महालेखा परक उ त लेखे और ितवेदन अपने<br />

माण प तथा ट पणय सहत (यद कोई ह) वधान म डल के सम तुत करने<br />

के िलये रा यपाल को भेज देते ह। वधान म डल क ओर से उनक जांच ‘’लोक<br />

सिमित’’ ारा क जाती ह और वह अपना ितवेदन तथा िसफारश वधाल म डल को<br />

तुत करती ह, इसके बाद संबंिधत वभाग से इन ट पणय और िसफारश पर<br />

आव यक कायवाह करने तथा उिचत समय के अ दर उनके अनुपालन क सूचना देने के<br />

िलए कहा जाता है। यद विनयोग लेखे से यह पता चेल क कसी वष म विध ारा<br />

ािधकृ त धनरािश से अिधक यय हो गया ह तो ऐसे यय को विनयिमत करने के िलए<br />

वधान म डल के सामने संवधान के अनु छेद 205 के अनुसार ‘’अितर त अनुदान क<br />

मांग’’ तुत क जाती ह।<br />

15. बजट साह य का ववरण:-<br />

वधान मण ्डल के सम तुत आय- ययक (बजट) साह य के िन निलखत<br />

छ: ख ड ह:-<br />

ख ड-1:- बजट अनुमान पर मु यमंी जी का बजट भाषण।<br />

ख ड-2:- इस ख ड के दो भाग ह जनम िन न सामी समिलत ह:-<br />

वाषक व तीयववरण तथा व तीयथित क सं त समीा, जसम<br />

गत व तीय वष से पूव के वष के वा तवक आंकड को पुनरत अनुमान<br />

ओर चालू व तीय वष के आय- ययक अनुमान क समीा क गई ह। इसके<br />

अितर त इस भाग म संकिलत नथय एवं परिश ट म िन निलखत सुचनाय<br />

भी द गई ह:-<br />

1. रा य क कु ल ऋण तता;<br />

2. सरकार ारा वीकृ त विभ न उधार और अिम क अद त शेष<br />

3. विभ न रत िनिधय (जनम अवमू यन रत िनिधयां भी समिलत ह) के<br />

िनयत शेष तथा विभ न ऋण शोधन िनिधय क शेष धनरािशयां।<br />

4. याज स ब धी भुगतान का व लेषण।<br />

5. याज स ब धी ािय का व लेषण।


401<br />

6. विभ न सं थाओं को द जाने वाली सहायक अनुदान के प म वीकृ त क गई<br />

धनरािश का ववरण।<br />

7. सरकार वाणयक वभाग (िसंचाई) का व तीय ववरण।<br />

8. रा य सरकार ारा द गई उन याभूितय का ववरण, जनका अिनत<br />

दािय व समेकत िनिध पर पडता ह।<br />

9. रा य कमचारय के वेतन एवं भ त पर होने वाले यय क अनुसूची।<br />

10. पेशंन तथा अ य सेवािनवृ हत लाभ।<br />

11. लेखा शीषक के अ तगत महालेखाकार से ा त गत वष के पूव के वा तवक<br />

आंकड का ववरण।<br />

12. बकाय क थित।<br />

13. चालू व तीय वष के आय- ययक अनुमान का अनुदानवार यौरा।<br />

14. अनुवादवार यय क तुलाना मक समीा।<br />

ख ड-3:- इस ख ड म नई मद, नई योजना अथवा नये-िनमाण-काय पर कये जाने वाले<br />

तावत यय को प ट करने के िलए सं त ट पणयां द जाती है।<br />

ख ड-4:- इसम राज व लेखे क ाियां, लोक ऋण से ािय तथा उधार और अिम<br />

क वसूिलय के योरेबार अनुमान दये जाते है।<br />

ख ड-5:- इसम दये गये विभ न अनुदान के अ तगत राज व यय तथा पूंजी लेखे के<br />

यय/संवतरण के योरेबार अनुमान दये गये है। सुवधा के िलए इसे कई भाग<br />

म मुत कया जाता ह।<br />

ख ड-6:- इस ख ड म रा य के स बधत व तीय वष क 1 अैल को वामान वीकृ त<br />

पद के ववरण मुत कये जाते ह। जब तक उ तर देश से अंितम आवंटन<br />

का आदेश भारत सरकार ारा नहं कया जाता उ तरांचल म यह ख ड कािशत<br />

नहं कया जाय।<br />

16. वेब साइट-<br />

बजट स ब धी जानकार व त वभाग क ‘’वेब साइट’’ www.ua.nic.in पर भी<br />

उपल ध ह<br />

वभागीय आय- ययक अनुमान को तैयार कया जाना-<br />

भारत के संवधान के अनु छेद 202(1) म रा यपाल महोदय ारा येक<br />

व तीय वष के िलये अनुमािनत ािय तथा यय का एक ववरण प वधान-म डल<br />

के सम तुत करने क यव था ह। संवधान म जस ववरण प का उ लेख ह, उसे<br />

ह सामा य भाषा म ‘’बजट’’ कहा जाता है। संवधान म यह भी यव था ह क वाषक<br />

व तीय ववरण म ‘’रा य क संिचत िनिध पर भारत यय’’ तथा ‘’मतदेय यय’’<br />

अलग-अलग तुत कया जायेगा। मतदेय यय के स ब ध म वधान-सभा म धनरािश<br />

वीकार कये जाने क मांग अनुदान के प म तुत क जायेगी इसी अनुदान मांग के


402<br />

प म रखे जाने के िलये बजट म दिशत धनरािशय को अनुदान के प म दखाने क<br />

आव यकता पडती ह।<br />

2- आय- ययक िनगम-संह (बजट मैनुअल) म ा कलन अिधकारय और सिचवालय के<br />

वभाग के पथ-दशन के िलये व त वभाग ारा बनाये गये वे िनयम दये गये ह, जो<br />

सामा य प से आय- ययक स ब धी या और वशेष प से वाषक आय- ययक<br />

अनुमान को तैयार करने और उनका परण करने तथा यय पर अनुवत िनयंण<br />

रखने से स बधत ह, जससे यह सुिनत हो जाये क यय को ािधकृ त अनुदान या<br />

विनयोग के भीतर सीिमत रखा जा रहा ह।<br />

बजट स ब धी काय हेतु पवार तथा ितिथवार कायम का ववरण (बजट<br />

कलै डर) बजट मैनुअल के एपेड स ‘’ड’’ पर दया गया ह, के अनुसार स बधत<br />

वभाग/अिधकारय ारा इसका अनुपालन सुिनत कया जाय तथा तदनुसार ह<br />

कायवाह क जाये।<br />

अनुमान को िनत करने हेतु वभाग का दािय व:<br />

3. बजट मैनुअल के पैरा 77 म अनुमान को िनधारत करने के संबंध म िन न यव था<br />

क गई ह:-<br />

‘’अनुमान के परण के दौरान व त वभाग को यह तीत हो सकता ह क<br />

अनुमान को तय करने से पूव विश ट मद के स ब ध म अितर त या या या<br />

प टकरण आद आव यक ह। ऐसी अितर त सूचना या प टकरण उसे अवल ब<br />

उपल ध करा देनी होगी। व त वभाग सामा यत: अपेत सूचना सिचवालय के<br />

स बधत वभाग से मागेगा और वह वभाग अपने वभागा य आद से, जहॉं<br />

आव यक हो, परामश करके देगा। उन मामल म जहां यह स ्प ट हो क योर को<br />

वभागा य तथा अ य ा कलन अिधकारय से ा त करना होगा, व त वभाग<br />

अपनी पूछताछ सीधे स ब ध अिधकारय को स बोधन कर सकता ह और उसक एक<br />

ितिलप स बधत शासकय वभाग को भेज सकता ह। क तु सामा यत: व त<br />

वभाग ारा अतम कायवाह शासिनक वभाग से ा त सूचना के आधार पर ह क<br />

जायेगी, जो पूण और प ट होने चाहये। व त वभाग को अपेत सूचना उसके िलए<br />

िनद ट समय के भीतर अव यक भेज देनी चाहए। ऐसा न कया गया तो व त वभाग<br />

अपने ववेकानुसार अनुमान को अतम प दे देगा और अनुमान म जो अशुयां रह<br />

जायेगी, उनका उ तरदािय व अ तत: स बधत शासकय वभाग के अिधकारय पर<br />

होगा।‘’<br />

ािय के अनुमान:<br />

4- देश सरकार क ािय के मु य ोत कर तथा करे तर राज व ह। वगत वष म<br />

यप राज व म कु छ वृ हुई ह पर तु करे य तीयर राज व म कोई उ लेखनीय वृ<br />

नहं हुई ह। करे तर राज व ािय क कु छ मद जैसे शु क, यूट, जुमाने, सेवा शु क<br />

तथा यूजर चाजज आद क दर म काफ समय से कोई वृ नहं क गयी ह। वभाग


403<br />

के बढते हुए यय को गत रखते हुए इनक दर म वृ कये जाने का पूण औिच य<br />

ह। अत: ाि प के अनुमान के िनधारण म िन निलखत ब दुओं का यान रखना<br />

आव यक ह:-<br />

(क) अिधकांश मामल म शासन ारा उपल ध कराई जा रह सेवाओं क फस<br />

इ याद का लंबे समय से पुनरण नहं कया गया ह। इसीिलये इस कार क<br />

सेवाओं से होने वाली आय तथा वतमान मू य पर यय का यौरा तैयार कया<br />

जाये तथा इन सेवाओं पर फस क दर का पुनरण करने पर भी वचार कया<br />

जाय।<br />

(ख) राज व क वसूली के संबंध म वसूल पर लागत (कार ट ऑफ ले शन) क<br />

समीा क जाय। जहां पर वसूल टाफ पर यय क तुलना म कम हो, उस पर<br />

समुिचत कायवाह क जाय।<br />

(ग) कर राज व क ािय के अनुमान िनधारत करते समय पछले तीन वष म<br />

येक मद म हुई ाि क वृ क वृ (े ड) को यान म रखा जाय तथा<br />

अनुमान िनधारत करने म राज व बकाय क वशेष अिभयान चलाकर वसूली<br />

तथा कर अपवंचन पर अंकु श लगाने के उपाय से हाने वाली वसूली को भी यान<br />

म रखा जाय।<br />

(घ) पूंजीगत ािय के अनुमान म उधार एवं अिम क वसूली एक मुख मद ह।<br />

अत: इनके अनुमान के िनधारण करते समय दये गए उधार एवं अिम क देय<br />

क त को आधार मानते हुए अनुमान िनधारत कये जाय। जहां पर लागत<br />

लाभ लेखा बनाना आव यक ह उसे समय से बनाया जाय तथा घाटे क थित<br />

पर पूरा िनयंण रखा जाय।<br />

(ड) रा य सरकार ारा पूंजी प के अ तगत ऋण और अिम हेतु यवथत<br />

धनरािश विभ न ािधकरण तथा िनगम को अवमु त करते समय शासकय<br />

वभाग यह भी सुिनत करेग क ािधकरण/िनगम ारा शासन को देय<br />

बकाया धनरािश का समायोजन अवमु त क जाने वाली धनरािश से कर िलया<br />

जाय।<br />

(च) नवी पंचवषय योजना के काय के पूरा करने के साथ-साथ दसवीं पचवषय<br />

योजना (2002-2007) के स ब ध म वीकृ त कोण प के मसौदा के<br />

अनुसार योजनाओं को अतम प दया जाय।<br />

शासकय वभाग का यह दािय व होगा क राज व ािय से संबंिधत<br />

अनुमान व त वभाग म वल बतन 31 अ टूबर, तक ेषत कर दये जाय।<br />

यय के अनुमान:<br />

5- आदेश आय- ययक क संरचना म यह आव यक ह क राज व यय क पूित राज व<br />

ािय से हो जाये। वतमान म देश क व तीय थित इतनी अस तुिलत हो चुक ह<br />

क राज व यय क पूित रा य क राज व ािय से नहं हो पा रह ह तथा लोक-ऋण


404<br />

का उपयोग राज व यय क भी पूित हेतु कया जा रहा ह। अत: यह समय ह<br />

आव यकता ह क राज व ाि प के अनुमान म वृ के साथ-साथ राज व प के<br />

यय म कमी लायी जाने के िलए ठोस यास कये जाय। इन यास म यय प के<br />

अनुमान के िनधारण के िलए िन न ब दुओं पर वशेष यान रखना आव यक ह:-<br />

1. आयोजनागत प क सम त अनुमोदत और चालू आयोजनागत योजनाओं के<br />

अनुमान िनधारत प (संल नक –क) म िनयोजन वभाग के मा यम से व त<br />

वभाग को समय से उपल ध करा दये जाए।<br />

2. रा य सरकार ारा रा य क थापना से ह ‘’जोर बेस बजटग’’ णाली लागू<br />

क गयी ह। इसके स ब ध म समय-समय पर आव यक िनदश जार कये गये<br />

ह। कृ पया विभ न योजनाओं के आयोजनेतर/आयोजनगत प के अनुमान<br />

िनधारत करते समय िन नांकत ब दुओं पर परिनरा क जाये:-<br />

(क) टाफ पर िन तर बढते यय को गत रखते हुए ‘’ टाफ नॉ स’’ का<br />

पुनरण कया जाय। शासिनक वभाग इस त य पर भी यान दे क लाभाथ<br />

तक अपेत लाभ पहुंचाने हेतु ‘’डलीवर यव था’’ पर सीधा कतना खच<br />

कया जा रहा ह तथा पयवेण पर कतना यय हो रहा ह। इसके वीकृ त<br />

मानक क सीमा म रखते हुए ह बजट अनुमान के ताव भेजे जाय।<br />

(ख) शासन ारा द जा रह ससडज क समीा संसाधन एवं यय आयोग क<br />

सं तुितय के सदंभ म क जाये एवं उ च तर पर िनणय लेकर बजट म<br />

ससडज के अनुमान िनधारत कये जाए।<br />

(ग) ऐसे काय का चयन कया जाये जो संवदा (का े ट) के आधार पर कराकर<br />

यय को कम कया जा सकता है। तथा इस काय के िलए िनयु त िनयिमत<br />

कमचार को अ य समायोजत करने पर भी वचार कया जा सकता ह। जहां<br />

कह भी संभव हो, संवदा के आधार पर कमचारय को िनयु त करके काय<br />

स पादत करने के थान पर काय को ह संवदा के आधार पर स पादत<br />

करवाया जाये।<br />

(घ) अनु पादक यय म यथा संभव कमी लायी जाये तथा पूव से शासन ारा जार<br />

कये गये िमत यियता संबंधी िनदश का कडाई से अनुपालन सुिनत कया<br />

जाये।<br />

(ड) रा य सरकार क संसाधन क कमी को गत रखते हुए यूनतम आव यकता<br />

कायम (बेिसक िमिनयम सवसेस), बाय सहायियत योजनाओं तथा के <br />

पोषत योजनाओं को वशेष ाथिमकता द जाये।<br />

(च) विभ न वभाग ारा संचािलत योजनाओं जनम ‘’टाइम ओवर रन’’ तथा<br />

‘’का ट ओवर रन’’ हो, ऐसी योजनाओं क समीा हेतु िनधारत या जो पूव<br />

से पूव म अ शासकय प सं या-बी-1-33586/दस-99 दनांक 06 जुलाई<br />

1999 ारा िनधारत क गयी थी, के अनुसार क जाय। वभाग को पूंजीगत


405<br />

काय हेतु उपल ध कराई गई धनरािश का कम से कम 80 ितशत भाग<br />

िनमाणाधीन परयोजनाओं को पूण करने के िलए कया जाना चाहय। वगत<br />

चालू काय पर यय क गई वा तवक धनरािश का अविधकतम 20 ितशत<br />

भाग ह नई योजनाओं को ार भ करने पर यय कया जाय। इसके अितर त<br />

नयी बड योजनाओं को तभी ार भ कया जाय जब उ त परयोजना का मूल<br />

लागत का कम से कम 40 ितशत धनरािश थम क त के प म शासकय<br />

वभाग अवमु त कर सकने क थित म हो। सभी बड योजनाओं क कु ल<br />

लागत का 40 ितशत थम क त के प म 20 ितशत अतम क त के<br />

प म अवमु त कया जाय। शासकय वभाग कृ पया िनमाण काय से<br />

स बधत परयोजनाओं के िलये अनुमान के ताव तदनुसार ह भेज।<br />

(छ) यय के अनुमान मु य प से वेतन, मंहगाई भ त आद को तैयार करते<br />

समय वीकृ त पद के थान पर के वल भेर हुए पद (कायरत पद) को ह<br />

आधार माना जाये।<br />

(ज) पूव म सृजत परस पय के रख-रखाव हेतु (Non-Wage O &M) आय- ययक<br />

म समुिचत ावधान कया जाय।<br />

यय क नई मद:<br />

6- नई योजनाओं को वधान-म डल के विश ट संान म लाने के उददे य से यय क नई<br />

मद पर व तृत या या मक ट पणीयां का एक अलग साह य वधान म डल म<br />

तुत कया जाता ह। अत: आय- ययक अनुमान के साथ यय क नई मद को<br />

ताव तैयार करते समय बजट मैनुअल के तर- 59 म दये गये ववरण तथा<br />

मानक को यान म रखा जाये। नई योजनाओं के ताव को तैयार करते समय<br />

िन निलखत त य को भी गत रखा जाय:-<br />

(क) नई मांग के ताव क जांच संल न ‘ख’ पर िनहत ब दुओं के आधार पर<br />

भी कया जाना सुिनत कर तथा इसी आधार पर नयी मांगी का ताव भेजा<br />

जाय।<br />

(ख) िनयोजन वभाग ारा जन योजनाओं को समा त करने का िनणय िलया जा<br />

चुका ह, अथवा अ यथा योजनाओं को समा त करने के िलए पूव क उ च<br />

तरय िनणय िलये जा चुके ह, उन योजनाओं के िलये आय- ययक म ावधान<br />

समिलित न कया जाये। इस स ब ध म मु य सिचव ारा यह प ट िनदश<br />

दये गये ह क ‘’आयोजनागत मद म पर यय िनधारण/आवंटन का दािय व<br />

िनयोजन वभाग का ह, इसिलए इन मद म बजट ावधान के पूव उनका<br />

म त य येक मामले म अव य ा त कया जाना चाहये जससे िनयोजन<br />

वभाग अपने दािय व का िनवहन कर सके । ‘’अत: आयोजनागत प के सम त<br />

ताव व त वभाग को भेजने के पूव शासकय वभाग यह सुिनत कर ल


406<br />

क स बधत बजट ताव आयोजनगत पर यय के अंतगत ह तथा<br />

यथाथित िनयोजन वभाग क सहमित ापत क जा चुक ह।<br />

(ग)<br />

(घ)<br />

(ड)<br />

(च)<br />

(छ)<br />

(ज)<br />

(झ)<br />

यय क नई मद के ताव म मु यत: बाहय सहायियत योजनाओं/के य<br />

आयोजनागत, के ारा पुरोिनधािनत योजनाओं तथा रसोस िलं ड योजनाओं<br />

हेतु ताव ह समिलत कये जाये। नई योजनाओं हेतु यथा संभव पद सृजन<br />

के थान पर वेकपक यव था के वषय म ताव लाया जाये। इस कार क<br />

योजनाओं के या वयन म भी पद क वीकृ ित ढांचे क सीमा म ह रखा<br />

जाये।<br />

जन शासकय वभाग ारा वभाग म चल रह शत-ितशत रा य पोषत<br />

योजनाओं को समा त करते हुये नई योजनाओं के ताव व त वभाग को<br />

ेषत कये जायेग, ऐसे वभाग क नई योजनाओं को ाथिमकता के आधार पर<br />

आय- ययक म समिलत करने पर वचार कया जायेगा। इसके िलये समा त<br />

क जाने वाली योजना तथा िनहत धनरािश का उ लेख करना अिनवाय होगा।<br />

जन योजनाओं के अंतगत कमचारय के वेतन, भ ते आद के िलए होने वाले<br />

यय के अनुमान तावत कये जाय, इनम यह सुिनत कर िलया जाये क<br />

कमचारय के वेतन म होने वाले यय का 2 ितशत यय के अनुमना<br />

क यूटर पर आधारत काय पित हेतु मानक मद-क यूटर हाडवेयर/साटवेयर<br />

य, क यूटर टेशनर रख-रखाव तथा िशण के मानक मद हेतु ावधान<br />

का ताव भेजा जाये। इन मानक मद म कया गया बजट ताव पूव म<br />

ावधािनत अनय मद क धनरािशय से कम कया जाये।<br />

परस पय के अनुरण हेतु भी बजट यव था सुिनत क जाये।<br />

इसी कार चौकदार/माली, सफाई आद जैसे काय अनुब ध पर कराये जाने क<br />

कायवाह क जाये पर तु पूव से कायरत कमचार के करण पर अनुब ध न<br />

कया जाय।<br />

समान योजनओं/कायम क यथा संभव डवटेिलंग क जाये।<br />

नये आवासीय/अनावासीय भवन के िनमाण का ताव सम त औपचारकताय<br />

पूण करने तथा शासन के शासिनक/व त वभाग से पूव अनुमािनत ा करने<br />

के बाद ह ेषत क जाय।<br />

नई मांग के ताव को व त वभाग को ेषत करने क अंितम ितिथ<br />

30 नव बर, िनधारत क गयी ह।<br />

7- शासिनक वके करण के फल वप जला योजना हेतु दशा-िनदश:-<br />

शासन ारा यह िनणय िलया गया ह क जला योजना हेतु ावधािनत धनरािश<br />

ावधान आय- ययक के उपशीषक/ योरेवार कोड ‘’91’’ के अधीन जाये। जला योजना


407<br />

से वीकृ ितयां िनगत करने के पूव पर यय तथा बजट ावधान क सीमा का परण<br />

अव य कया जाय। येक वभाग जला योजना क धनरािश का राज व एवं पूंजीगत<br />

फॉट जनपदवार इंिगत करते हुये अपने ताव व त वभाग को ेषत करगे। येक<br />

वभाग अपने कमचार/अिधकार का पूण ववरण भी तुत करगे जनका वेतन आहरण<br />

जला योजना के अ तगत ावधािनत धनरािश से कया जाना तावत ह।<br />

आय- ययक संरचना हेतु दशा-िनदश:<br />

8. बजट अनुमान के ताव को तैयार करने म जन अ य बात का वशेष यान रखा<br />

जाना ह, वह िन नवत ् ह:-<br />

(1) पूव िनदश के अनुसार अनुसूिचत जाितय के िलए मााकृ त ावधान संगत<br />

काया मक मु य शीषक के अधीन ह उप-शीषक ‘’ पेशल क पोनट लान’’ के<br />

अ तगत दिशत कया जाना ह तथा ‘’ पेशल क पोनट लान’’ के िलए कये<br />

गये ावधान को अ य ावधान से िभ न दिशत करने के िलए वतमान उप-<br />

शीषक के पहले अनुसूिचत जाितय के िलए ‘’ पेशल क पोजट लान एवं<br />

‘’टृइवल सब- लान’’ से स बधत योजनाओं/उपयोजनाओं म अनुसूिचत जाित<br />

एवं अनुसूचित जनजाित क सं या के अनुपात म समय प से अपेत<br />

मााकरण िनयोजन वभाग ारा वभाग से वचार वमश करके कया<br />

जायेगा,जससे देश के समय वकास का यापक कोण परलत हो सके ।<br />

(2) वतमान लेखा-वगकरण णाली के अंतगत जन-जाित उपयोजनाओं हेतु लघु-<br />

शीषक-796 जन जाित े उपयोजना िनधारत कया गया ह। आगामी व तीय<br />

वष 2003-2004 के आय- ययक अनुमान भेजते समय जन-जाित उपयोजना हेतु<br />

धनािश मााकृ त कर आव यक पृथक ावधान उपरो त लधु-शीषक के अधीन<br />

करा िलया जाये।<br />

(3) वतमान म रा य ारा चलाई जा रह योजनाओं के वप म यथाआव यक<br />

परवतन करके बाहय सहायता/के यी सहायता क अिधक से अिधक धनरािश<br />

ा त करने के यास कये जाय। वाहय सहायित त परयोजनाओं, रसोस िलं ड<br />

योजनाओं, अनुसूिचत जाितय के िलए पेशल क पोने ट लान हेतु आवंटत<br />

पर यय के सापे आव यक बजट वधान कराया जाना सुिनत कया जाये।<br />

(4) रा य सरकार का बजट क यूटर के मा यम से तैयार कया जा रहा ह। अत:<br />

आव यक ह क बजट अनुमान म लेखा शीषक का पूण वगकरण कया जाये।<br />

यह भी अनुरोध ह क यय के अनुमान सह मु य लेखा-शीषक, उप-मु य<br />

लेखा- शीषक, लघु शीषक, उप-शीषक व तृत उप-िशषक, तथा मानक-मद जैसे-<br />

वेतन, मंहगाई भ त, याा यय तथा अ य यय के तर तक अव य दखाय<br />

जाये, ताक क यूटर म बजट अनुमान क फडंग म कोई गितरोध उ प न न<br />

हो। मानक मद ‘अ य- यय’’ के अ तगत के वल ऐसे यय के िलए ह ावधान<br />

कये जाय, जसे कसी अ य िनधारत मानक-मद के अ तगत वगकृ त करना


408<br />

स भव न हो तथा इसे मानक-मद के अ तगत कम से कम ावधािनत करवाया<br />

जाय। कृ पया यह भी सुिनत कर ल क व तय वष............. का आय- ययक<br />

तैयार करते समय यय के अनुमान को पर कृ त मानक-मद के अ तगत ह<br />

वगकृ त कया जाय।<br />

(5) येक वभाग यह सुिनत कर क आ तरक लेखा-परा (आटड) ारा<br />

येक वष कम से कम 10 ितशत लेखा-परा िनत ाप पर कया जाय<br />

तथा िनधारत समय म दािय व िनधारण तथा आव यक कायवाह क जाय।<br />

ऐसा करने से वां तवक यय तथा वा तवक बजट अनुमान को बल िमलेगा।<br />

(6) लोक-लेखा सिमित ने समय-समय पर लेखा परा-ितवेदन पर वचार करते<br />

समय यह मत य त कया ह क अिधकांश मामल म ययािध य अथवा बचत<br />

ुटपूण बजट अनुमान के कारण होती ह। कितपय वभाग के अनुदान के<br />

अंतगत ावधान से अिधक यय अथवा काफ बड बचत ऐसे कारण से हो<br />

जाती ह, जसका पूवानूमान अिधक जागकता रखने पर समय से लगाया जा<br />

सकता ह। बजट मैनुअल के अ याय 3,4,5,7 तथा 8 म ािय तथा यय के<br />

अनुमान तैयार करने के संबंध म दय गये अनुदेश का यद सह ढंग से<br />

अनुपालन जा सकता ह। अत: बजट अनुमान तावत यान म रखत हुए<br />

यथािथक (रयॉिलटक) अनुमान ह तावत कये जाय ताक<br />

ययािध य/बचत क संभावना कम से कम हो। रा य म व तीय अनुशासन<br />

बनाये रखने हेतु बजट मैनुअल के अ याय-17 म उलखत अिनयिमतताओं से<br />

बचने तथा अ याय-19 म व तीय अनुशासन एवं बंधन पर वशेष यान दया<br />

जाय।<br />

(7) बजट साह य को सूचनाद एवं उपयोगी बनाने के उददे य से यह भी िनणय<br />

िलया गया ह क के सरकार, व व बक तथा अ य सं थाओं ारा व त-<br />

पोषत योजनाओं के सम (को ठक म) यह भी उ लेख कया जाय क अमुक<br />

योजना कस सीमा तक स बधत सं था ारा व त पोषत होगी। व तीय वष<br />

..................... के आय- ययक म मुख ेणी क योजनाओं को उनके स मुख<br />

िनधारत नये उप-शीषक/ यौरेवार शीषक के अ तगत ह दिशत कया जाय:-<br />

योजना का कार<br />

उप-शीषक का कोड<br />

1 के य आयोजनागत/के ारा पुरोिनधािनत योजनाय 01<br />

2 अनुसूिचत जाितय के िलए पेशल क पोने ट लान 02<br />

3 जला योजना 91<br />

4 व व बक सहायितत योजना 92<br />

5 बेिशक िमिनयम सवसेस 93<br />

6 लम वनाम योजना 94<br />

7 अ य बाहय सहायितत योजना 97


409<br />

(8) चालू व तीय वष ........ के आय- ययक साह य के ख ड-5 म दिशत<br />

अनुदान के िनयंण अिधकार तथा वभागा य क सूची द गयी ह। इस सूची<br />

म समय-समय सपर परवतन होना वाभावक ह, पर तु इसक सूचना शासन<br />

के व तीय (आय- ययक) अनुभाग को उपल ध नहं करायी जाती ह जसके<br />

कारण सूची म संशोधन नहं हो पाता ह और सूची ुटपूण रह जाती ह। वधान<br />

सभा/संसद म तुत कये जाने वाले साह य म यथास भव ुट नहं रहनी<br />

चाहए। इस उददे य क पूित हेतु यह आव यक हो यद इस सूिच म कसी<br />

कार का संशोधन अपेत हो तो उसक सूचना शासन के व त (आय- ययक)<br />

अनुभाग को समय से द जाये ताक आय ययक साह य म आव यक संशोधन<br />

कया जा सके ।<br />

(9) बजट अनुमान म यथासंभव एक मु त ावधान नहं कराये जाने चाहये और<br />

इस संबंध म बजट मैनुअल के पैरा 31 म दये गये अनुदोश का पालन कया<br />

जाना चाहए।<br />

9. आय- ययक साह य के ख ड-6 म विभ न वभाग के वीकृ त पद का<br />

ववरण अंकत होता ह। वगत वष म कितपय वभाग का वष के दौरान सृजत<br />

पद, समा त कये गये पद, अ थिगत पद का अ याविधक ववरण समय से<br />

तुत न कये जाने के कारण इस ख ड म कािशत सूचना अ याविधक व पूण<br />

नहं कह जा सकती ह। इस वष यह िनणय िलया गया ह क वशेष यास कर<br />

इस ख ड को अ याविधक व पूण कराया जाय। इस स ब ध म यक अनुदान,<br />

मु य लेखा शीषक तथा स बधत योजना के अधीन वभागवार 30 िसत बर,<br />

2001 को पदनाम, वेतनवार सृजत एवं भरे पद क सूचना अव य भेजी जाय।<br />

कृ पया यह सुिनत कर क पद के सृजत एवं भरे जाने का ववरण<br />

वल बतम 15 नव बर, 2001 तक अव य व त वभाग म उपल ध करा द<br />

जाय। यद यह सूचना उपल ध नहं करायी जाती तब भरे गये पद से कम<br />

बजट ावधान न होने पर संबंिधत वभाग उ तरदायी होगा।<br />

(10) सामा त: यह यास कया जाता ह क आगामी वष के आय- ययक अनुमान पर<br />

वधायी वीकृ ित उसके पूववत व तीय वष के अंत तक अव य ा त हो जाय<br />

ताक आय- ययक म समिलत योजनाओं के काया वयन के िलए पूरे वष का<br />

समय उपल ध रहे। इसके िलए यह आव यक ह क माह फरवर के थत<br />

स ताह म वधायी अनुमोदन हेतु आय- ययक अनुमान के तुतीकरण क<br />

कायवाह अतम प से अव य सुिनत हो जाये। यप वभागीय आय-<br />

ययक अनुमान को महालेखाकार (लेखा) उ तरांचल को भेजने के िलये बजट<br />

मैनुअल म समय सारणी बनायी गयी ह फर भी यह प ट कया जाता ह क<br />

मूल बजट के सताव को व तीय-वभाग को ेषत कये जाने क ितिथ 31


410<br />

अ टूबर, 2001 िनधारत क गई ह। अत: मुझ से यह कहने का िनदेश हुआ ह<br />

क उपयु त अनुदेश का कडाई से पालन कयका जाय तथा व तीय वष 2002-<br />

2003 के आय- ययक के िलये वभागीय अनुमान को उ त िनधारत ितिथ के<br />

भीतर व त वभाग तथा महालेखाकार उ तरांचल को अव यक उपल ध करा<br />

दया जाय। यह आशा क जाती ह क पूव क भांित सम त स बधत<br />

वभागीय अिधकार इस मामले म अपना पूरा सहयोग दगे और समुिचत<br />

कायवाह समय से सुिनत करगे।<br />

(11) बजट तैयार करने, ययािध य मािसक आय- यय ववरण, कोषागार से िमलान,<br />

पुनविनयोग, बजट आवंटन पूंजी हेतु बजट मनुअल के प िनधारत कये गये<br />

ह (बी0एम0-1 से बी0एम0-17 तक) अत: इन प को िनधारत या तथा<br />

ितिथ पर तैयार कया जाय तथा यथा आव यक सम अिधकार को भेजा जाय।<br />

कृ पया उपयु त के म म िनधारत या एवं कलै डर के अनुप कायवाह क<br />

जाय।


411<br />

संल नक ‘’क’’<br />

चालू आयोजनागत योजनाओं के संबंध म वष - .............................................. के िलए पुनरत अनुमान तथा अिधनीत (पल ओवर)<br />

योजनाओं के स ब ध म वष ......................................................... के िलये आय- ययक अनुमान<br />

िनयोजन वभाग ारा िनद ट योजना क संके त सं या-<br />

वकास का शीषक .............................................................<br />

वकास का शीषक .............................................................<br />

अनुदान सं या/सं याय .....................................................<br />

लेखा शीषक ....................................................................<br />

1- योजना का नाम –<br />

2- पर यय तथा यय क गित-<br />

3- (1) चालू वष के िलए यय के आय- चालू वष ................................. आय- ययक वष .............................<br />

ययक तथा पुनरत अनुमान म आयोजनागत आय- ययक वा तवक पुनरत आयोजनागत आय ययक<br />

यूनािधकताओं पर सं त ट पणी<br />

पर यय अनुमान आकडे छ: माह अनुमान पर यय अनुमान<br />

(2) चालू वष के मूल आय- ययक<br />

के<br />

अनुमान तथा आगामी वष के िलए आय- राज व पूंजी राज व पूंजी राज व पूंजी राज व पूंजी राज व पूंजी राज व पूंजी<br />

ययक अनुमान के म य मह वपूण<br />

यूनािधकताओं के कारण<br />

4- तावत आय- ययक वष म इस<br />

कार क वृ के िलए मानक मदवार<br />

औिच य<br />

5- तावत आय- ययक वष म कये जाने<br />

के िलए तावत कसी अनावतक यय के<br />

िलए मानक मदवार औिच य


412<br />

6- तवत अनुमान का सं त (समर)<br />

वतरण रा य आय- ययक म दखाया गया<br />

यौराबार शीषक-<br />

1- राज व यय<br />

01- वेतन .............................<br />

02- मजदूर ...........................<br />

03- मंहगाई भ त ...................<br />

04- याा यय ........................<br />

06- अ य भ ते ;........................<br />

07- मानदेय ..............................<br />

08- कायालय यय .......................<br />

...............................<br />

.................................<br />

योग, राज व यय-<br />

2- पूंजीगत पर यय (शीषकवार)-<br />

3- ऋण और अिम -<br />

योग: पूंजी यय<br />

कु ल यय:-<br />

आय- ययक अनुमान पुनरत अनुमान आय- ययक अनुमान


413<br />

संल नक – ‘’ख’’<br />

नई मांग के ताव क जाँच िन न कार पर क जाय:-<br />

1. या तावत योजना लोक हत म ह और बना इसे लागू कये काम नहं चलाया जा सकता<br />

ह ?<br />

2. या तावत योजना/कायम देश वािसय के भव य क आव यकता के िलये िनता त<br />

आव यक ह?<br />

3. तावत योजना/कायम का मू यांकन इस से कया जाये क उस पर होने वाले यय<br />

के सापे कस सीमा तक सामाजक लाभ ा त होगा?<br />

4. सीिमत संसाधन के भीतर या योजना/कायम का रा य सरकार ारा लागू कया जाना<br />

िनतान ् आव यक ह?<br />

5. या तावत योजना/कायम कसी गैर सरकार सं था ारा यांवत नहं क जा सकती<br />

ह? यद योजना पर कम यय करके (अथात गर सरकार सं था को अनुदान देकर) उसे कसी<br />

िनज/गैर सरकार सं था ारा चलाया जा सके तो इससे रा य सरकार पर कम यय-भार<br />

पडेगा।<br />

6. योजना पर कया जाने वाला यय यूनतम होना चाहये।<br />

7. या कसी चालू योजना/योजनाओं को समा त करके उतनी ह रािश से बना कोई रािश यय<br />

कये तावत नई योजना/कायम को चलाया जा सकता ह।<br />

8. तावत योजना/कायम म वेतन क कतनी ितशत रािश समिलत ह ? का ट बेनीफट<br />

के हसाब से या वेतन पर अिधक रािश वहन करने म रा य सरकार समथ होगी? वेतन के<br />

अितर त तावत योजना म परस पव तीयय के सृजन हेतु पूंजी-प म कतना यय<br />

अनुमािनत ह तथा पूंजीगत प म होने वाले यय क लागत का या आधार ह?<br />

9. या योजना क लागत कसी मानक के आधार पर ह और यप इस लागत को कम नहं<br />

कया जा सकता है?<br />

10. या योजना, वभाग के िलये अ य त मह पूण ह? यद दसवी पंचवषय योजना के तीय वष<br />

म योजना लागू क जाती ह, तो योजना/कायम का मू यांकन इस से कया जाये क<br />

उसके स ब ध म आगामी व तीय वष म कतना आवतक यय-भार पडेगा और या<br />

वभागीय ािय से इस यय-भार को वहन कया जा सके गा? योजनाओं का मू यांकन करने<br />

म ‘’वै यू फॉंर मनी’’ के का सै ट को यान म रखा जाये।


414<br />

व तीय वष.................................. हेतु अनूम य मानक मद क सूची<br />

1 वेतन 25 लघु िनमाण काय<br />

2 मजदूर 26 मशीन और स जा/उपकरण और संय<br />

3 मंहगाई भ ते 27 िचक सा ितपूित<br />

4 याा यय 28 मोटर गाडय का अनुरण और पैोल<br />

आद क खरद<br />

5 थाना तरण याा यय 29 अनुरण<br />

6 अ य भ ते 30 िनवेश/ऋण<br />

7 मानदेय 31 सामी और स पूत<br />

8 कायालय यय 32 याज/लाभांश<br />

9 वुत देय 33 पशन/आनुतोषक<br />

10 जलकर/जलभार 34 अवमू यन<br />

11 लेखन सामी और फाम क छपाई 35 अंतलेखा संमण<br />

12 कायालय फनचर एवं उपकरण 36 बटा खाता/हािनयां<br />

13 टेलीफोन पर यय 37 उच त<br />

14 कायालय के योग के िलये टाफ कार और 38 अ तरम सहायता<br />

अ य मोटर गाडय का य<br />

15 गाडय का अनुरण और पैोल आद क खरद 39 औषिध तथा रसायन<br />

16 यावसाियक और वशेष सेवाओं के िलये भुगतान 40 औषधालय स ब धी आव यक स जा<br />

17 कराया, उपशु क और कर वािम व 41 भोजन यय<br />

18 काशन 42 अ य यय<br />

19 वापन, ब और व यापन यय 43 वेतन भ ते आद के िलये सहायक अनुदान<br />

20 सहायक अनुदान/अंशदान/राज सहायता 44 िशण यय<br />

21 छा वृयां और छा वेतन 45 अवकाश याा यय<br />

22 आित य यय/भ तो आद 46 क यूटर हाडवेयर/साटवेयर का य<br />

23 गु त सेवा यय 47 क यूटर अनुरण/त स ब धी टेशनर<br />

24 वृहत िनमाण काय 48 मंहगाई वेतन


415<br />

मुख मानक मद का ववरण<br />

मानद मद<br />

ववरण<br />

1 वेतन इसम अिधकारय और कमचारय के ितमाह वेतन<br />

(वशेष वेतन सहत) सरकार सेवक देय बोनस<br />

समिलत हगे।<br />

2 मजदूर इसम उन िमक और कमचारय क मजदूर/पारिमक<br />

समिलत ह ज ह इस समय आकमक यव था से<br />

भुगतान कया जाता ह।<br />

4 याा यय इसम डयूट पर याा के फल वप सभी कार के यय<br />

जसम वाहन और सडक भ त समिलत ह क तु<br />

अवकाष याा सुवधा तथा थाना तरण याा यय न<br />

समिलत ह,आते ह।<br />

6 अ य भ ते इसम सरकार कमचारय को देय मकान का कराया<br />

भ तो, पवतीय भ त, नगर ितकर भ त, िनयम याा<br />

भ त/ टेशनर भ ते जो वेतन बल के साथ देय ह आद<br />

समिलत ह।<br />

8 कायालय यय इसके अ तगत कसी कायालय को चलाने के िलये<br />

अपेत आकमक यय अथात डाक यय, स जा क<br />

खरद और उनका अनुरण, वादयां ी म और<br />

शरदकालीन यय आते ह।<br />

12 कायालय फनचर इसके अ तगत कायालय फनचर के अितर त कायालय<br />

मशीन जैसे-टाइपराइटर,<br />

एवं उपकरण<br />

फोटोकापयर, फै स आद के यय समिलत होगे। (यद<br />

यह मानक मद न दया हो तो कायालय यय से)<br />

16 यावसाियक और वशेष सेवाओं<br />

के िलये भुगतान<br />

इसम विधक सेवा का यय, परामशदाी सेवा क फस,<br />

पराओं के संचालन के िलये परक और अ वेषक<br />

आद को देय पारिमक समिलत ह।<br />

17 कराया, उपशु क और कर इसम कराये पर िलये गये भवन के कराये, नगरपािलका<br />

वािम व<br />

उपशु क और कर आद का भुगतान समिलत ह। इसम<br />

भूिम के पटे पर यय का भुगतान भी समिलत ह।<br />

18 काशन इसम कायालय सहता और िनयम संह तथा अ य मू य<br />

सहत और बना मू य ले य के मुण पर होने वाला<br />

यय समिलत ह क तु इसम व यापन सामी का<br />

मुण संबंधी यय समिलत नहं ह। इसम अिभकताओं<br />

को देय ब पर छू ट भी समिलत होगी।


416<br />

्<br />

19 वापन, ब और व यापन इसके अ तगत अिभकताओं का कमीशन और वापन<br />

यय<br />

सामी क छपाई से संबंिधत यय समिलत होगा।<br />

22 आित य यय/ यय वषयक आित य यय के अंतगत उ च पदािधकारय इ याद के<br />

भ त आद<br />

मनोरंजन भ ते समिलत हगे। अ त वभागीय बैठक,<br />

का े स आद म दये जाने वाले, जलपान को ‘कायालय<br />

यय’’ के अंतगत अिभिलखत कया जायेगा।<br />

24 वृहत एवं लघु िनमाण काय व काय का वगकरण लोक िनमाण स ब धी िनयम संह म<br />

25<br />

वगकृ त वृहत एवं लघु काय के अनुसार कया जायेगा।<br />

इसम भूिम अिधहण और संरचनाओं से संबंिधत लागत<br />

भी समिलत होगी।<br />

26 मशीन और स जा/उपकरण सािध (एपरेटस) आद से िभ न मशीन, स जाय और<br />

और संय<br />

सािध आद तथा विश ट िनमाण काय के िलये अपेत<br />

वशेष उपकरण और संयं समिलत ह।<br />

27 िचक सा ितपूित इसम कमचारय के िचक सा ितपूित से स बधत<br />

यय समिलत होगा।<br />

29 अनुरण इसके अ तगत िनमाण काय, मशीने और स जा (जो मद<br />

24, 25 और 26 के अ तगत आते ह) के अनुरण यय<br />

को अिभिलखत कया जाता ह। इसम अनुरण<br />

स बधत मर मत भी समिलत ह।<br />

32 याज/लाभांश इसके अ तगत पूंजी पर याज और ऋण पर छू ट<br />

समिलत होगी।<br />

36 बटा खाता/हािनयां इसके अ तगत वसूल न होने वाले बटे खाते म डाले गये<br />

ऋण आते ह। हािनय म यापार स बधत हािनयां<br />

समिलत हगी।<br />

42 अ य यय यह अविश ठ शीषक ह। जसम पारतोषक और पु कार<br />

स ब धी यय भी समिलत ह।<br />

43 वेतन भ ते आद के िलये<br />

सहायक अनुदान<br />

इसके अ तगत के वल मूल वेतन तथा इस पर देय मंहगाई<br />

भ ते, मकान का कराया, भ तो नगर ितकर भ तो तथा<br />

समय समय पर जार शासन ारा अनुम य वे अ य भ ते<br />

समिलत कये जायगे जो मािसक वेतन के साथ भुगतान<br />

कये जाने ह।<br />

44 िशण यय इसके अ तगत मानव संशाधन वकास से जुडे िशण<br />

क आव यकता के िलये इ डे शन ेिनंग (सेवा म<br />

वेश/ो नित के समय िशण) रे शर ेिनंग (पुनचय<br />

िशण) आद से स बधत यय अनुम य हगे। याा


417<br />

भ तो का ह सा िशण मानक मद म शािमल नहं<br />

कया जायेगा।<br />

45 अवकाश याा यय इसके अ तगत के वल अवकाश याा से स बधत यय<br />

ह अनुम य हगे, पर तु पा य हेतु याा तथा<br />

भुगतान के िलये सम अिधकार का आदेश आव यक<br />

होगा।<br />

46 क यूटर हाडवेयर/<br />

साटवेयर का य<br />

क यूटर स ब धी हाडवेयर/साटवेयर तथा क सलटे सी<br />

स ब धी यय।<br />

47 क यूटर अनुरण मानक मद 46 के ववरण छोडकर शेष क यूटर के रख-<br />

रखाव ए सेसरज, टेशनर आद।


418<br />

सरकार स प क ित<br />

संदभ थ<br />

व तीय िनयम संह, ख ड-5 भाग- 1<br />

का तर 82 तथा परिश ट XIX B<br />

शासकय हािनय को मु य प से तीन ेणय म रखा जा सकता ह:-<br />

1. सरकार धन क हािन- इसम नकद क चोर या जालसाजी से कमी तथा राज व ािय से<br />

गवन तथा टा प म कमी आद से हािनयां समिलत ह।<br />

2. सरकार स पय क हािन- इसम भवन, उपकरण, मशीन, संचार व परवहन के साधन आद<br />

म कमी न ट होना या ित त होने से समिलत ह।<br />

3. सरकार राज व क हािन- सरकार ािय क अवसूलनीय धनरािश व अवसूलनीय अिम व<br />

ऋण क धनरािश जो बटे खाते म डाली जाये।<br />

शासकय धन, वभागीय ाियां, टा प, अफम कं ध (भ डार) एवं अ य स पय क हािन<br />

कसी वभाग या कोषागार म हो जाने पर उसक सूचना वभागा य या म डलायु त के मा यम से<br />

महालेखाकार को तुर त देने चाहए तथा शासन को तुर त सूिचत कया जाना चाहए उस नुकसान क<br />

भरपायी इस हेतु ज मेदार य ारा कर ह द गयी ह।<br />

महालेखाकार को सूिचत कये जाने के िलये यह काफ ह क जो अिधकार हािन या गबन क<br />

सूचना उ चािधकारय को ेषत कर वह अपनी रपोट क या तो एक ित महालेखाकार को ेषत कर<br />

अथवा रपोट का सार ेषत कर जसम दो बाते प ट ह क-<br />

1. हािन या गबन क सह कृ ित प ट हो जैसे चोर, जालसाजी गबन आद।<br />

2. उन थितय का उ लेख हो जनक वजह से गबन या हािन हुई ह।<br />

जब मामले को पूर छानबीन हो चुक हो तो महालेखाकार को पुन: पूर व<br />

प ट रपोट तुत क जाय जसम िन न बात का उ लेख हो क:-<br />

1. हािन क कृ ित या ह?<br />

2. हािन क माा या ह?<br />

3. िनयम म कोई कमी ह अथवा िनयम क अवहेलना से ऐसा हुआ है? तथा<br />

4. ितपूित क संभावनाय या ह?<br />

महालेखाकार क उपरो त रपोट भेजने से ािधकारय को मामले म कसी भी<br />

कायवाह के करने म कोई बाधा नहं ह जो कायवाह िनयमानुसार उ ह उिचत लगे उस तरह<br />

क छानबीन कर सकते ह अथात स बधत कािमक के व कायवाह करने क िनयमानुसार<br />

छू ट ह।<br />

हािन के छोटे मामले जसम 0 1000/- तक क हािन ह महालेखाकार को तब तक<br />

सूिचत न कये जांए जब तक क उनम कसी वशेष मह व क बात न हो जसक व तार से<br />

जांच क आव यकता महसूस क जाये।


419<br />

नोट:-<br />

दुघअनाओं से हुए नुकसान (य0 1000/-) जनम कसी या क खामी परलत<br />

हो तथा उसे सुधारने के िलए शासनादेश क आव यकता हो अथवा कसी अिधकार क गंभीर<br />

लापरवाह परलखत हो तथा उस अिधकार के व अनुशासिनक कायवाह करने के िलए<br />

शासनादेश क आव कयता हो अ यथा ऐसे मामले शासन को सूिचत न कये जाय।<br />

शासिनक दुविनयोग हािन या गबन आद के ारा गायब हो जाती ह यद वतरण<br />

हेतु आव यकत हो तो उसको पुन: आहरत कया जा सकता ह। पर तु पुनआहरण उसी<br />

अिधकार क वीकृ ित से कया जा सके गा जो इस कार क हािनय का बटे खाते म डालने<br />

क वीकृ ित देने हेतु सम हो।<br />

मामले क छानबीन तथा हािन क भरपायी हेतु कायवाह आगे सयतापूवक होती<br />

रहेगी। पर तु आहरण यद आव यक हो तो िन नाकं त लेखा शीषक से कया जा सकता ह।<br />

जमा व अिम<br />

8550 िसवल अिम<br />

00 अ य अिम<br />

104 गबन, घाटा दुविनयोग चोर के ारा गायब हुई धनरािश का पुनआहरण।<br />

धनरािश पये .......................................... ा त क जो ( वीकृ ित अिधकार का<br />

पदनाम के पांक ............................. दनांक .............. ारा पुनआहरण हेतु वीकृ ित हुई।<br />

उ त आहरण के िलए महालेखाकार से वशेष वीकृ ित क आव यकता कोषािधकार को<br />

नहं ह। कोषागार से आहरत धनरािश को बल फाम पर अंकत उ त लेखाशीषक के अंतगत<br />

लेखांकत कया जायेगा।<br />

यद उ त गबन क गयी धनरािश का कोई भाग या स पूण रािश क वसूली हो जाती<br />

ह तो से लेखा शीषक के अंतगत जमा कया जायेगा जस लेखा शीषक से धनरािश का आहरण<br />

हुआ ह तथा अवशेष रािश को सम अिधकार ारा अपरिलखत (तपजम ) कया जोयगा<br />

तथा उसे वभाग के उस लेखाशीषक म समायोजत कया जायेगा जस म साधारणतया वभाग<br />

का यय लेखांकत/वहन कया जाता ह।<br />

कसी कोषागार, वभाग, कायालय, वक शाप या टोर से अचल स प क गंभीर हािन,<br />

जैसे भवन, संचार साधन और अ य स पयां जनक ित आग से बाढ से (भूचाल बवंडर)<br />

भूक प से अथवा कसी ाकृ ितक आपदा से होती ह तो इसक सूचना बना कसी वलंब के<br />

संबंिधत अिधकार ारा अपने वभागा य के मा यम से अथवा म डलायु त के मा यम से<br />

शासन को ेषत क जाये।<br />

(अ) अचल स प क 0 5000 से अिधक क हािन गंभीर हािन मानी जायेगी।<br />

(ब) 5000 से कम क अचल स प क हािन म डलायु त और वभागा य को सूिचत<br />

क जायेगी तथा यद आव यकता हो तो पुिलस को भी सूिचत कया जाये। उन हािनय<br />

को शासन या महालेखाकार को सूिचत करने क आव यकता नहं ह जनक मर मत<br />

का यय रख-रखाव मद या इ टमट से वहन कया जायेगा।


420<br />

(स) स प के मू य का अथ पु तांकत मू य (बुक वै यू) से होगा।<br />

नोट:-<br />

पूर छानबीन यथा हािन का कारण माा िनधारत हो जाने पर संबंिधत अिधकार ारा व तृत<br />

रपोट अपने वभागा य से अथवा म डलायु त के मा यम से शासन को ेषत क जायेगी। साथ ह<br />

रपोट क एक ित (अथवा सार) महालेखाकार को भी म समय ेषत क जायगी।<br />

नोट:-<br />

भवन, भूिम, कं ध, मशीन व औजार से संबंिधत हािनयां व घाटा कसी भी मू य का या<br />

वाण य लेखे का बटे खाते म डाला जायेगा।<br />

राज व क हािन अवसूलनीय ऋण या अिम क हािन जो बटे खाते म डाली जाय:-<br />

(अ) सरकार ािय म राज व ाि मुख ह और इसम दो कार क हािनयां हो सकती<br />

ह। एक तो यह क सरकार धन कमचार को ा त होने के बाद शासन क ाि मद<br />

म जमा कराने से पूव ह चोर या कपट से गायए हो जाता तो उसे हािन के<br />

उपरो तानुसार देखा जाए और यद राज व क ाि ह कसी अ य कारण से वसूलने<br />

यो य न हो तो वह भी हािन के ेणी म आयेगी पर तु उसके िलये यह देखना होगा<br />

क िन निलखत म से कोई थत तो वमान नहं ह:-<br />

1. राज व क छू ट कसी अिधिनयम िनयम या पृथक से िनगत शासकय आदेश से<br />

िनयंत तो नहं ह।<br />

2. यद दावे के पर याग क कोई या मौजूद हो तो उसका पालन कया गया ह।<br />

3. येक मामले म राज व याग ने या छू ट देने के िलए कारण अिभिलखत कये जाय।<br />

(ब) अवसूलनीय धनरािश<br />

सरकार ािय क हािन म यायालय ारा ड क गयी अवसूलनीय<br />

धनरािश तथा सरकार ारा दये गये ऋण व अिम क अवसूलनीय धनरािश भी हािन का<br />

कारण होती ह इसके िलए आव यक ह क उस धनरािश को बटे खाते म डालने से पूव संतु ट<br />

हो िलया जाए क-<br />

1. बकाया क वसूली असंभव ह तथा ऋण व अिम देने क या म कोई िशिथलता या<br />

कमी नहं ह।<br />

2. शासकय वभाग/वभागा य के बजट म पयापत धनरािश उपल ध है।<br />

हािनय का लेखांकन<br />

सरकार हािनयां के लेखांकन क या इस कार िनधारत ह:-<br />

1. ाियां:- यद कोई राज व का पर याग कया गया ह तो उसे यय प म िनद ट<br />

हािन के प म लेखांकत न कया जाए।<br />

2. यद धन सरकार कमचार तक पहुंच चुका ह और लोक लेखा म पहुंचने के पूव ह<br />

गबन हो गया, चोर हो गया या खो गया ह तो उसे लेखे म पहले ाि प म<br />

लेखांकत कर यय प म हािन शीषक म दखाया जाए।


421<br />

भवन भूिम सामी तथा स जा क हािन आद<br />

इनका लेखा यद उच त खाते म दखलाया जाता ह तो इस कार इन मद क हािन<br />

भी उसी खाते म लेखांकत क जाय अ यथा नहं तथापत हािनय को कसी भी कमत तक<br />

बटे खाते म डालने म कोई कठनाई नहं ह।<br />

ह त रोकड कोषागार या शासकय सेवक के पास इ े ट के प म सभी हािनय को<br />

अलग मद म लेखांकत कया जाए।<br />

1. जाली िस क नोट को वीकार करना भी हािन ह।<br />

2. व तीय वष म हािनय को ऋणा मक व उससे संबंिधत वसूली को ाि के मद म<br />

दखाया जाये।<br />

3. अिनयिमत और असामा य भुगतान को उसी कार लेखांकत कया जाए जस कार<br />

सामा यत: कया जाता है। उदाहरणाथ वेतन के अिधक भुगतान (ओवर पेमे ट) को<br />

वेतन मद म इसी कार अ य हािनय को संबंिधत मद म दशाया जाना चाहए।<br />

हािनय को ब खात म डालने के िलए कसी ािधकार को कहां तक<br />

अिधकार है। उसे िन न कार उत कया जा रहा ह:-<br />

हािन का कार<br />

1. दुघटनाओं, जालसाजी, असावधानी या<br />

अ य कारण से खोए या न ट हुए या<br />

ित त हुए भ डार एवं अ य स प<br />

के वसूल न हो सकने वाले मू य या खोये<br />

सरकार धन क वसूल न हो सकने वाली<br />

धनरािश तथा भ डार या लोकधन क<br />

अवसूलनीय हािनयां जसके अंतगत<br />

पूणत: न ट हुए टा प क हािन भी<br />

समिलत ह, को बटे खाते म डालना।<br />

ािधकार जो बटे खाते म<br />

परसीमाय<br />

डालने के िलए अिधकृ त ह<br />

1. कायालया य<br />

येक मामल म 0 2000/- बशत<br />

(थम ेणी के अिधकार ) क एक वष म 0 10,000/- से<br />

अिधक क हािनयां बटे खाते म न<br />

डाली जाय।<br />

2. वभागा य येक मद म 0 20,000/- क<br />

सीमा तक, क तु एक वष म कु ल<br />

0 50,000/- क अिधकतम सीमा<br />

तक राज व वभाग के संबंध म:-<br />

3. म डलायु त येक मद म 0 20,000/- क<br />

सीमा तक, क तु एक वष म कु ल<br />

0 50,000/- क अिधकतम सीमा<br />

तक।<br />

4. शासकय वभाग येक मद म 0 20,000/- से<br />

अिधक तथा 0 50,000/- से<br />

अनिधक क सीमा तक, बशत मद<br />

के समूह का कु ल मू य 0<br />

1,00,000/- से अिधक न हो।


422<br />

2. राज व क हािन (जसके अंतगत<br />

यायालय ारा ड क गयी<br />

अवसूलनीय धनरािश भी समिलत ह)<br />

या अवसूलनीय ऋण या अिम धन का<br />

बटे खाते म डालना<br />

1. वभागा य येक मद म 0 5000/- क सीमा<br />

तक, ितब ध यह ह क शासकय<br />

वभाग को यथानुसार अवगत कराया<br />

जाये।<br />

2. म डलायु त राज व वभाग के संबंध म:- 0<br />

5,000/- क सीमा तक क तु<br />

ितब ध है क शासकय वभाग को<br />

यथानुसार अवगत कराया जाए।<br />

3; शासकय वभाग 0 10,000/- क सीमा तक<br />

0 10,000/- से अिधक तथा<br />

0 1,00,000/- क सीमा तक व त<br />

वभाग क सहमित से।<br />

उपरो त ितिनधायन इस शत के अधीन ह क हािन से इस बात का पता न चलता हो क:-<br />

1. णाली क कोई दोष ह जसम संशोधन के िलए उ चतर ािधकार के आदेश क आव यकता<br />

हो, अथवा<br />

2. कसी एक वशेष अिधकार अथवा अिधकार क ओर से असावधानी क गयी हो जसके<br />

िनिम त संभव तया अनुशासिनक कायवाह करने के िलए उ चतर अिधकारय के आदेश क<br />

आव यकता हो।


423<br />

लेखा परा आप स ब धी अनुदेश संह<br />

लेखा परा संचालन के संबंध म महालेखाकार के काय<br />

1. महालेखाकार का यह कत य ह क वह:-<br />

(क) रा य के राज व से कये गये सम त यय क लेखा-परा करे और वह सुिनत कर<br />

क लेखे म संवतरत बताई गयी धनरािशयां उस सेवा या योजन के िलए विधत:<br />

उपल ध अथवा यो य थी, जनके िलए वे लगाई या यय क गयी ह और यह यय<br />

उस ािधकार के अनुसार कया गया ह जसम वह शािसत होता ह।<br />

(ख) राजय के ऋण, िनेप, ऋणाशोधन िनिधय, अिम, उच त लेखे और वेषण संबंधी<br />

सम त लेन दन क लेखा परा कर।<br />

(ग) रा यपाल के आदेश से रखे गये सम त यापार, िनमाण तथा लाभ और हािन के लेखे<br />

क और थित- पक (बैले स-शीट) क लेखा-परा कर,<br />

(घ) रा य क ािय क लेखा-परा कर और<br />

(ड) रा य के कसी भी कायालय म रखे गये भ डार एवं टाक के लेखे क लेखा-पर<br />

कर।<br />

िनरण और थानीय लेखा-परा<br />

िनरण और थानीय लेखा-परा के उददे य:-<br />

2. लेखा परा और थानीय लेखा-परा ारा कये जाने वाले िनरण दो मु य शीषक के<br />

अ तगत आते ह:-<br />

क- थानीय िनरण- जो इस उददे य से कया जाता है। क कसी लेखा-परा अिधकार<br />

को उस आधार सामी क शुता का व वास हो जाए, जस पर उसके सम तुत<br />

लेखे और उसका लेखा-परा काय आधारत होता ह और वह उन लेखे और माणक<br />

(वाउचर) आद क परा मक जांच कर सके जनक लेखा-परा कायालय म लेखा<br />

परा नहं क जाती ह, और<br />

ख- थानीय लेखा-परा- जो इस उददे य से क जाती ह क कोई लेखा-परा अिधकार<br />

कितपय सरकार और गैर सरकार सं थाओं और कायालय म रखे जाने वाले लेख क<br />

मौके पर परणा मक लेखा-परा कर सक ।<br />

3. िनरण क आव यकता- लेखा-परा के िलए तुत कये जाने वाले लेखे और उनक पु म<br />

दये जाने वाले लेख म अंशत: मूल अिभलेख और अंशत: मूल अिभलेख क ितिलपयां होती<br />

ह और कसी लेखा-परा कायालय म स पादत क जाने वाली लेखा-परा क दता<br />

अिधकांशत: इस बात पर िनभर करती ह क वभागीय ािधकारय ने मूल अिभलेख क<br />

परशुता के ित कस सीमा तक सावधानी बरती ह।<br />

4. कोषागार का िनरण- कसी लेखा-परा अिधकार ारा कोषागार का िनरण कराने का<br />

उददे य पूणतया िनधारत िनयम के अनुसार कोषागार के कायस पादन क कोई णाली


424<br />

थापत करने म राज व अिधकारय क सहायता करना ह इसका यह अिभाय नहं ह क<br />

इन ािधकारय को ब ध और िनरण के उ तरदािय व से मु त कर दया जाना चाहए<br />

अपतु िनरण करने वाले लेखा-परा अिधकार से सामा यतया इस बात क अपेा क<br />

जाती ह क वह यह देखे क सरकार ारा िनधारत िनयम ठक से समझे जाते ह और उनका<br />

अनुपालन कया जाता ह।<br />

5. थानीय लेखा परा क आव यकता- थानील लेखा परा का मु य योजन भारत के<br />

िनयंक और महालेखा परक को, यथा अंगीकृ त, आडट ए ड एकाउ स आडर, 1936 के पैरा<br />

13 के अधीन सपे गये अथवा ‘स प के आधार’ पर अपने ज मे िलये गये उ तरदािय व के<br />

िनवहन म कसी वशेष के लेखे क परणा मक जांच करना ह।<br />

6. थानीय लेखा-परा के सामा य यव था- लेखा परािधकार अनेक ऐसी सरकार सं थाओं<br />

एवं कायालय के ारभक लेख क थानीय लेखा-परा करता है। जनके लेखे क ‘लेख-<br />

परा कायालय म लेखा परा करना स भव नहं ह तथा कु छ मामल म वह थानीय अथवा<br />

असरकार िनकाय के लेखे क भी लेखा परा करना ह।<br />

िनरण और थानीय लेखा परा के परणाम:-<br />

7. िनरण और थानीय लेखा-परा के परणाम को िन निलखत भाग म बांटा जा सकता<br />

ह:-<br />

(क) पछले ितवेदन क अिनराकृ त आपय और लगातार क जाने वाली अिनयिमताएं।<br />

(ख) उ च अिधकारय क जानकार म लाये जाने के िलए ऐसी मु य बड-बड<br />

अिनयिमतताएं, जनका लेखा परा ितवेदन म उ लेख कये जाने क संभावना हो।<br />

(ग) परणा मक लेखा-परा संबंधी ट पणी जसम छोट-मोट अिनयिमतताएं द गयी<br />

ह। इस ट पणी के साथ उन मद क सूची भी संबंध क जायेगी, जनका मौके पर<br />

िनराकरण कर िलया गया हो।<br />

8. महालेखाकार लेखा-परा के दौरान सरकार के विभ न संवतरण अिधकारय ारा कये गये<br />

यय के संबंध म ऐसी आपय अथवा न िनराकरण के िलए उठाते ह जो उनके कायालय<br />

म लेखा-परा करते समय अथवा वभागीय कायालय म लेखे क परणा मक लेखा-<br />

परा/िनरण करते समय उनक जानकार म आते ह। आप ववरण-प/िनरण<br />

ितवेदन म उलखत कितपय आपयां अथवा न ऐसे भी आते ह, जनके वधान म डल<br />

के सम तुत कये जाने वाले लेखा-परा ितवेदन म लेखा परा पैरा के प म<br />

समिलत कये जाने क संभावना ह अतएव इन आ पय का शी िनराकरण करना बहुत ह<br />

आव यक होता है।<br />

9. कसी बात को लेखा-परा ितवेदन म समिलत करने से पहले महालेखाकार-<br />

(क) आप ापन/लेखा-परा ट पणी<br />

(ख) िनरण ितवेदन<br />

(ग) वभागा य और शासकय वभाग म सरकार के सिचव को वशेष ितवेदन, तथा


425<br />

(घ) लेखा-परा पैरा के आले य ारा संवतरण अिधकार अथवा िनयंक अिधकारय का<br />

यान उसक ओर आकषत करते ह।<br />

10. शासकय अिधकारय ारा विभ न अव थाओं म क जाने वाली विभ न कायवाहन के<br />

संबंध म अनुदेश िन निलखत पैरााफ म दये गये ह।<br />

11. लेखा-परा ारा क गयी आपय के शी िनराकरण का उ तरदािय व ऐसे येक सरकार<br />

कमचार को, जसे सरकार क ओर से भुगतान करने का काय सपा गया हो, चाहए क वह<br />

ऐसी सम त आपय के संबंध म जो महालेखाकार ारा सीधे अथवा कोषागार अिधकार के<br />

मा यम से प, लेखा-परा ापन आद ारा उसे संसूिचत क गयी हो, अवल ब कायवाह<br />

कर और एक पखावारे के भीतर लेखा-परा ापन वापस कर द या आपय के उ तर भेज द<br />

अथवा वल ब का कारण प ट करते हुए उ ह प िलख द। के वल इस आधार पर क कु छ<br />

आपय अब भी वचाराधीन ह, ववरण प को रोका नहं जाना चाहए। ऐसी थित म<br />

स ब करण के उरण ले िलये जाने चाहए ताक उनका प टकरण बाद म भेजा जा<br />

सके ।<br />

िनरण ितवेदन के संबंध म लेखा-परा को सूचना देना:-<br />

12. लेखा परा कमचार वग कसी कायालय का थानीय िनरण समा त करने पर ापन जार<br />

करता ह जसम उन बात के संबंध म सूचना मांगी जाती ह जो उनक जानकार म आती ह।<br />

इन बात के संबंध म द जाने वाली सूचना सह होनी चाहए और अिभलेख म दज सूचना पर<br />

आधारत होनी चाहए जससे क बाद म िनरण ितवेदन म समिलत त य और आंकड<br />

क शुता के वषय म कोई ववाद उ प न न हो। लेखा-परा अिधकार िनरण ितवेदन<br />

को अतम प देने के पहले आमतौर से कायालया य के साथ अिधक मह वपूण<br />

अिनयिमतताओं के संबंध म वचार वमश करता ह। कायालया य को उठाये गये न और<br />

उसके अिभलेख म उल ध संगत त य को समझने तथा उसक जांच करने म आंकड को<br />

तुत करना चाहए। जससे क िनरण ितवेदन म मामले के स पूण त य को काश म<br />

लाया जा सके ।<br />

(का0ाप सं0 19/3(1)65-एफ.ड.अ.-1 दनांक 25 अग त 1966, अनुल नक-2)<br />

लेखा परा के दौरान बताई गयी अिनयिमतताओं का सुधार:-<br />

13. कायालया य को चाहए क वह िनरण ितवेदन क तीा कये बगैर लेखा-परा के<br />

दौरान जानकार म आयी हुयी अिनयिमतताओं, दोष अथवा चूक के परशोधन के िलए क<br />

जाने वाली कायवाह के संबंध म सुझावा दे और आव यकता पडने पर सम ािधकारय के<br />

आदेश ा त कर ल।<br />

िनरण ितवेदन का उ तर:-<br />

14. िनरण ितवेदन जार कये जाने के बाद वभाग/कायालया य को लेखा-परा कायालय<br />

को थम उ तर देने के िलए एक महने का समय दया गया ह। यद कसी वशेष मामले म<br />

कितपय करण के संबंध म इस अविध के भीतर अतम उ तर न दया जा सकता हो तो<br />

उस कारण थम उ तर देने म वल ब नहं कया जाना चाहए। जन करण के िन तारण म


426<br />

इससे अिधक समय लगने क आव यकता हो उनम एक अतम उ तर भेज देना चाहए।<br />

जसम बताई गयी ुटय के परशोधन के िलए क गयी कायवाह का उ लेख कर देना चाहए।<br />

यह बात हमेश सुिनत कर लेनी चाहए क दये गये उ तर त य क से ठक ह। उ ह<br />

ऐसी कायवाह भी करने चाहए जससे क बतायी गयी ुटय क पुनरावृ न हो।<br />

(पृ ठांकन सं0 949/दस-1(4-ए)-61, दनांक 28.3.1963 अनुल नक-3)<br />

वभागा य के उ तरदािय व:-<br />

15. वभागा य को चाहए क वे लेखा-परा आपय और िनरण ितवेदन के िनपटारे म<br />

हुयी गित पर सतक होकर नजर रख और शासकय वभाग ारा उस संबंध म जो भी सूचना<br />

मांगी गया हो उसे तुर त भेज द। उ ह वभाग म वचाराधीन सभी लेखा-परा आपय और<br />

िनरण ितवेदन के िन तारण के िलए वभागीय अिधकारय क िनयतकािलक बैठक भी<br />

बुलायी चाहए और उनके परणाम से सरकार के शासकय वभाग को अवगत कराना चाहए।<br />

(जी0ओ0 19/2(1)-65 व0व0 लेखा-1, दनांक 3.7.1965 अनुल नक-4)<br />

16. जन कायालय म कोई वभागा य नहं होता ह उनके शासकय वभाग को इन<br />

उ तरदािय व को वभाग के कसी वर ठ अिधकार को सप देना चाहए।<br />

17. वभागा य को लेखा-परा आपय के िनपटारे के वषय म कोई िशिथलता नहं बरतनी<br />

चाहए। महालेखाकार ऐसे येक मामले क ओर, जसम लेखा परा आपय के िनपटारे के<br />

संबंध म कायवाह करने म वल ब हुआ हो, यद मामला अिधक गंभीर हो, तो सरकार का<br />

यान आकृ ट करगे और अ य मामल म वभागा य का यान आकृ ट करगे तथा अपने<br />

प क ितिलपयां स ब ये ठ लेखािधकारय और लेखा अिधकारय को भेजगे और उनसे<br />

इस बात क अपेा करगे क ऐसी लेखा परा आपय पर शीता से कायवाह क जाए।<br />

ऐसे िनदश पर त काल कायवाह क जानी चाहए और वल ब पर समुिचत प से यान<br />

दया जाना चाहए।<br />

(जी0ओ0-ए-1-15/दस-8(28)/51, दनांक 17.6.1952 अनुल नक-5)<br />

शासकय वभाग के उ तरदािय व:-<br />

18. महालेखाकार सरकार के शासकय वभाग के सिचव को छ: मास से अिधक अविध से<br />

अिन तारत पड लेखा-परा आ पय और िनरण ितवेदन क ैमािसक ववरणयां भेजते<br />

ह। सिचवालय के शासकय वभाग को चाहये क वे इन वरणय क सहायता से एक पंजी<br />

रख जसमे कायालय ाप सं या –ए-1-663/दस-8(13)-64 दनांक 26 माच 1966 के अनुसार<br />

आपय और िनरण ितवेदन के स ब ध म वय क जानी चाहए। यह सुिनत<br />

कया जाना चाहये। क यह पंजी समुिचत प से रखी जाती ह और लेखा-परा आपय के<br />

समाधान क गित को िनयिमत प से और सावधानी से िनगरानी रखी जाती ह।<br />

19. सरकार के शासकय वभाग के सिचव को चाहए क वह लेखा-परा आपय और उनके<br />

शी िनराकरण से स बधत काय क देखभाल के िलए एक ये ठ अिधकार को नािमत कर<br />

द। उ ह लेखा-परा िनरण क जंजी म क गयी वय के संबंध म वभागा य से<br />

ा त रपोट क समीा करनी चाहए और वभागा य ारा क गयी कायवाह क पया तता


427<br />

तथा अिन तारत लेखा-परा आपय के िनपटारे के संबंध म येक मास म हुई गित का<br />

मू यांकन करना चाहये। उसे गित से संबंिधत अपनी समीा के परणाम क सूचना सरकार<br />

के सिचव को भी देनी चाहए जो व तुथित से स बधत अपने मू याकं न के बारे म<br />

वभागा य को सूिचत करेगा तथा लेखा-परा आपय के िनराकरण के िलए, यद अपेत<br />

हो, अितर त अनुदेश देगा।<br />

व त वभाग का उ तरदािय व:-<br />

20. व त वभाग क आपय क उन मह वपूण मद के स ब ध म, जो क महालेखाकार ारा<br />

उनक वशेष प से ितवेदत क गयी हो, वशेष यान देना चाहए और जब तक उनका<br />

अतम प से िनपटारा न हो जाए, उन पर कायवाह करते रहना चाहए।<br />

लेखा-परा ितवेदन के पैरााफ का आले य:-<br />

21. महालेखाकार ारा लेखा-परा ितवेदन म समिलत करने के िलए तावत पैरा का एक<br />

आले य सरकार के सिचव को अ शासकय प के साथ ेषत कया जाता ह। ऐसा यह<br />

सुिनत करने के िलए कया जाता ह। क पैरा म जस अिनयिमतता क अलोचना क गयी ह<br />

उसक यगत जानकार उस अिधकार को करा द जाए जसे लोक लेखा सिमित के सम<br />

उस समय साी के प म उपथत होना पडेगा, जब लेखा-परा ितवेदन पर वचार ार भ<br />

कया जायेगा। कायालय ाप सं या ए-1-3944/दस-1(2)-1964 दनांक 5 िसत बर, 1964 म<br />

िनगत अनुदेश के अनुसार लेखा-परा ितवेदन म समिलत करने के िलए लेखा परा क<br />

टका-ट पणय को मंी महोदय को दखाया देना चाहए।<br />

22. पैरा के आले य पर तुर त कायवाह क जानी चाहए यक लेखा परा ितवेदन को<br />

त परता से अतम प देना होता ह। सामा यता उ तर देने के िलए महालेखाकार ारा छ:<br />

स ताह का समय दया जाता ह। जैसा क कायालय ापन सं या ए-1-4379/दस-1(4)-63<br />

दनांक 15 िसत बर, 1964 म सूिचत कया गया ह, लोक लेखा सिमित ने यह वचार य त<br />

कये ह क कई मामल म स ब वभाग ारा महालेखाकार को व तृत प टकरण नहं<br />

तुत कये गये जसके फल वप कितपय ऐसी मद को ितवेदन म समिलत कर िलया<br />

गया ज ह उसम समिलत करने क आव यकता नहं थी और इससे सिमित का काफ<br />

बहुमू य समय न ट हुआ अत: सरकार के सिचव से इस बात क अपेा क जाती ह क वे<br />

यह सुिनत कर ल क लेखा-परा ारा क गयी आलोचनाओं और ट पणय के पूण और<br />

यौरेवार उ तर महालेखाकार को लेखा-परा ितवेदन त य को तुर त ह एकत कया<br />

जाना चाहए। जनका उस अिनयिमतता से जसक आलोचना क गयी हो, य अथवा<br />

अ य प से स ब ध हो और पैरा के आले य क जांच सावधानी से क जानी चाहए ताक<br />

उस समय जब क लोक लेखा सिमित ारा लेखा-परा पर वचार करना आर भ हो, लेखा-<br />

परा पैरााफ म उलखत त य के स ब ध म कोई आप न क जा सके ।<br />

23. यद महालेखाकर ारा तावत पैरा के आले य म मामले के त व को प ट करने के िलए<br />

आशोधन करना अपेत हो तो उत ्तर म वैसा सुझाव दे दया जाना चाहए, और यह उ तर


428<br />

उस अिधकार ारा एक अ शासकय प के प म भेजा जाना चाहए जसे महालेखाकार ारा<br />

पैरा का आले य भेजा गया था।<br />

24. उस दशा म जबक पैरााफ के आले य का अतम उ तर समय के अ दर न दया जा<br />

सकता हो तो जस अिधकार के पास महालेखाकार ारा पैरा का आले य भेजा गया था उसे<br />

चाहए क वह अिनवाय प से एक अ तरम उ तर भेज द जसम उस समय का उ लेख कर<br />

दे क जब तक अतम उ तर भेजने क याशा हो। हर हालत म पैरा का आले य ा त<br />

होने के दनांक से तीन महने के अ दर अतम उ तर भेज दया जाना चाहए।<br />

25. लेखा-परा ारा पैरा के आले य को अतम प देने के प चात वभाग क जानकार म जो<br />

भी त य आये, उ ह भी लेखा-परा को अिधसूिचत कर दया जाना चाहए ताक वह उनका<br />

यथोिचत स यापन कर ल और सिमित को उस समय, जब वह इन मामल पर वचार करना<br />

आर भ कर, अाविधक जानकार करा द।<br />

पैरा के आले य के िन तारण पर िनगरानी रखना:-<br />

26. यह सुिनत करने क ज मेदार सरकार के सिचव क ह क पैरा के आले य के उ तर<br />

समय से भेज दये जाया कर। इस योजन के िलए यद वे वयं एक पृथक पंजी रख कर<br />

उसम लेखा-परा के पैरााफ के ा त होने के दनांक, उनका सं त ववरण और<br />

महालेखाकार को उ तर भेजने के दनांक दज कर दया जाता कर तो इससे उ ह सहायता<br />

िमलेगी। ऐसी थित न पैदा होने देनी चाहए क पैरााफ के आले य को स यापत करते<br />

सतय वल ब से सूिचत करने के कारण बाद म चलकर लेखा-परा के पैरा म उलखत<br />

त य को चुनौती देने क आव यकता पड जाये।<br />

(का0ाप: 19/3/(1)65 व त (लेखा) वभाग, दनांक 25 अग त 1966, अनुल नक-2)<br />

ऐसी ुटय, अिनयिमतताओं, चूको इ याद का सुधार जनके बारे म लेखा-परा पैरााफ म<br />

आलोचना क गयी ह:-<br />

27. सरकार के सिचव को स यापन के िलए ेषत कये गये पैरा के आलेख को सामा यत: उस<br />

लेखा-परा ितवेदन म समिलत कया जायेगा जसक जांच लोक लेखा सिमित ारा क<br />

जायेगी और स ब वभाग के सिचव तथा वभागा य को सिमित के सम साय के प<br />

म उपथत होना पडेगा। सामा यत: महालेखाकार ारा पैरा का आले य स यापन के िलए<br />

ेषत कये जाने वाले दनांक के बीच कु छ समया तर होगा। इस बीच स ब वभाग म<br />

सरकार के सिचव और वभागा य को चाहए क वे ुटय को दु त करने के िलए पैरा के<br />

आले य के स ब ध म क जाने वाली कायवाह को अतम प दे, अिनयिमतता का िनवारण<br />

कर तथा भव य म अिनयिमतताओं क पुनरावृ न होने के िलए उपाय और साधन पर वचार<br />

करे। अिनयिमतता के िलए उ तरदायी पाये गये अिधकार के व कायवाह भी क जानी<br />

चाहए।<br />

लेखा-परा ितवेदन ा त होने पर क जाने वाली कायवाह:-<br />

28. सरकार के सिचव से यह आशा क जाती ह क जब वे लोक लेखा सिमित के सम उपथत<br />

हो तो उ ह पराधीन मामल से स बधत सभी त य क जानकार होनी चाहए और इस


429<br />

योजन के िलए सिचवालय के स ब वभाग को चाहए क वे लेखा-परा ितवेदन म<br />

उलखत अिनयिमतताओं से स बधत प टकरण और अलोचनाओं आद को समय से पूव<br />

ह एकत कर ल।<br />

29. लोक लेखा सिमित ारा जन मद के स ब ध म टकाय मांगी गयी हो उनक या या मक<br />

ट पणयां यापक होनी चाहए जनम मामल के सभी पहलुओं को समिलत कया जाना<br />

चाहय तथा उस स ब ध म क गयी स पूण कायवाह का उ लेख होना चाहए।<br />

लोक लेखा सिमित से ट पणय अथवा सूचना के स ब ध म ा त अनुरोध पर<br />

सव च ाथिमकता देकर कायवाह क जानी चाहए।<br />

पैरा का आले य ा त होने पर शासकय वभाग म क जाने वाली कायवाह का सांराश सुवधा के<br />

िलए नीचे दया गया ह:-<br />

30. पैरा का आले य ा त होने पर शासकय वभाग ारा क जाने वाली कायवाह का सारांश<br />

िसलिसलेवार नीचे दया गया ह:-<br />

1. पैरा का मु य अंश म उलखत सभी मूल पाविलय को एक करना जसम-<br />

क- शासन क पाविलयां<br />

ख- वभागा य के कायालय क पाविलय और<br />

ग- अधीन थ कायालय क पा विलयां समिलत ह।<br />

1. सा0 (भाषा)-2<br />

2. मूल सामी के स दभ म पैरा के आले य म उलखत त य क जांच करना।<br />

3. इस बात क जांच करना क पैरा के आले य म उलखत त य सह है या नहं और<br />

या पैरा के आले य को अतम प देने के पूव महालेखाकार से प यवहार करने के<br />

दौरान अधीन थ अिधकारय ने सह सूचना तुत नहं क ह या यथोिचत कोण<br />

से मामले को प ट नहं कया ह।<br />

4. महालेखाकार के पैरा के आले य का स यापन करने के संबंध म उ तर भेजना और<br />

ऐसे उपयोगी सुझाव भी देना जनसे लेखा-परा के समाधान म सहायता िमले।<br />

5. इस बात का वचार करना क या संद ध वषय को प ट करने के िलय वभाग के<br />

सिचव का महालेखाकार से िनजी तर पर और अिधक वचार-वमश करना उपयोगी<br />

होगा और यद यह आव यक हो तो इस कार क बैठक िनधारत करना।<br />

6. महालेखाकार को उ तर जार करने के प चात पैरा के आलेख के फल वप मालूम हुयी<br />

ुटय को यद कोई हो, दूर करने के िलए कायवाह शु करना।<br />

7. यद कोई, ुटयां जानकार म आई हो, तो उ ह फर से न होने देने के िलए आदेश<br />

जार करना।<br />

8. लेखा परा ितवेदन ा त होने पर शी ह पुन: सम त स बधत पाविलयां एक<br />

करना और नवीनतम त य के स दभ म सह थित का स यापन करना।<br />

9. लेखा परा के पैरा के एक-एक श द को सावधानी से पढना और लेखा-परा पैरााफ<br />

म उठाए गये न और ऐसे ासंिगक न के स ब ध म भी जो लोक लेखा सिमित


430<br />

ारा साय के परण के दौरान उठाये जाएं यद आव यक ह वभागा य, तथा<br />

व त वभाग के परामश से ट पणयां तैयार करना।<br />

लोक लेखा सिमित के सम साय के प म अिधकारय का उपथत होना:-<br />

31. लोक लेखा सिमित सामा यतया लेखा-परा ितवेदन, विनयोग लेखे तथा व त लेखे म क<br />

गयी लेखा-परा क िभ न-िभ न आलोचनाओं के स ब ध म ट पणय मांगती ह। त प चात<br />

सिमित सरकार के स बधत सिचव तथा वभागा य से पूछताछ करती ह। लोक लेखा<br />

सिमित के सम उपथत होने वाले वैभािगक ितिनिधय क सं या कम से कम होनी<br />

चाहए।<br />

32. जो अिधकार लोक लेखा सिमित के सम साी के प म उपथत हो, उ ह मामले के<br />

स बधत सभी कागज-प तथा पाविलय का जनम अधीन थ कायालय का मूल अिभलेख<br />

समिलत ह, और साथ ह उस पावली का जनम इसके पूव महालेखाकार के ा त कये गये<br />

पैरा के आले य पर वचार कया गया हो, भलीभांित अ ययन करना चाहए। यह भी सुिनत<br />

कया जाना चाहए क या इससे पहले के लेखा परा ितवेदन आद म इसी कार क<br />

अिनयिमतता पायी गयी थी और यद पायी गयी थी तो उस मामले से स बधत कागज प,<br />

उस मामले म पी.ए.सी. और उन िसफारश के स ब ध म सरकार ारा क गयी कायवाह का<br />

भी अ ययन कया जाना चाहए। लोक लेखा सिमित ारा जांच करते समय अिधकारय को<br />

सभी स बधत अिभलेख उपल ध रहने चाहए। सिमित इस बात क आश रखती ह क<br />

साय ारा दये जाने वाले उ तर ठक-ठक और वषय से स बधत हो। कसी साी ार<br />

दया जाने वाला येक बयान ऐसा होना चाहए जसे अिभलेख को स दभ देकर िस कया<br />

जा सके । यद सिमित ारा उठाये गये कसी न के स ब ध म कोई सूचना तुर त उपल ध<br />

न हो तो उस त य को वीकार करना चाहए और उसे तुत करने के िलए समय मांगना<br />

चाहए। साय को अ प ट और सामा य उ तर नहं देने चाहए और सिमित ारा रखे गये<br />

न के उ तर म अपना मत अिभ य त नहं करना चाहए और न कसी बात का अनुमान<br />

लगाना चाहए। सिचव तथा वभागा य से इस स ब ध मे बढ सावधानी बरतने क अपेा<br />

क जाती ह।<br />

(अनुल नक- 27)<br />

लोक लेखा सिमित के सम उपथत होने वाले साय के मागदशन के िलए आचरण तथा<br />

िश टाचार स ब धी बात:-<br />

33. साय को लोक लेखा सिमित के सम उपथत होते समय िन निलखत बात ध ्यान म<br />

रखनी चाहए:-<br />

1. साी को अपना थान हण करते समय सभापित (चेयरमैन) तथा सिमित/उप सिमित के<br />

ित झुककर स मान दिशत करना चाहए।<br />

2. साी को सभापित (चेयरमैन) के आसन के सामने उसके िलए िनद ट थान हण करना<br />

चाहए।


431<br />

3. साी को शपथ लेनी चाहए या िता करनी चाहए यद सभापित ारा ऐसा करने के िलए<br />

कहा जाए। साी अपने थान पर खडा होकर शपथ लेगा या िता करेगा और शपथ लेने या<br />

िता करने के तुर त बाद सभापित के सम अपना िसर झुकायेगा।<br />

4. साी को सभापित ारा या सिमित के कसी सद य ारा या सभापित ारा ािधकृ त कसी<br />

अ य य ारा पूछे गये विश ट न के उ तर देना चाहए। साी को सिमित के सम<br />

ऐसी अ य बात रखने के िलए कहा जा सकता ह जो उससे पूछे गये न के अ तगत न<br />

आयी हो तथा ज ह साी, सिमित के सम रखना अिनवाय समझता हो।<br />

5. सभापित और सिमित से जो कु छ भी िनवेदन कया जए वह सभी सौज यपूण ढंग से तथा<br />

िश ट भाषा म य त कया जाना चाहए।<br />

6. जब सा य पूरा हो जाए और साी से जाने के िलए कहा जाए तो साी को बाहर जाते समय<br />

सभापित के सम िसर झुकाना चाहए।<br />

7. साी को जब वह सिमित के सम बैठा हो, धूपान नहं करना चाहए या कोई व तु नहं<br />

चबानी चाहए।<br />

8. वधान म डल या और काय संचालन िनयमावली के उपब ध के अधीन रहते हुए साी को<br />

इस बात का यान रखना चाहए क िन निलखत काय से सिमित का अवमान और<br />

वशेषिधकार भंग होगा-<br />

क- न का उ तर देने से इ कार करना।<br />

ख- वा छल करना अथवा जान बूझकर झूठा सा य देना अथवा स ची बात को िछपाना या<br />

सिमित को म म डालना।<br />

ग- जांच से स बधत मह वपूण ले य न ट करना या बगाडना।<br />

घ- सिमित से िनरथक बात करना या अपमानजनक उ तर देना।<br />

34. न का उ तर देने से इ कार करना ऐसा ाविधक वा यांश ह जसका योग वधान म डल<br />

से वशेषािधकार भंग के स ब ध म कया जाता ह और उस संग म वह वशेष अथ रखता ह।<br />

इसका स ब ध ऐसे मामल से ह जनम साी सिमित क कायवाहय म बाधा उ प न करने<br />

के उददे य से जानबूझकर कसी न का उ तर देने से इ कार कर। सामा यता सरकार<br />

सा य क दशा म इस वा यांश का अथ माणत संसदय ढय को यान म रखकर लगाया<br />

जाता ह। साधारणतया कसी सरकार साी क उससे मांगी गयी कसी सूचना क सुसंगित के<br />

बारे म न नहं उठाना चाहए। क तु यद मांगी गयी सूचना का स ब ध कसी ऐसे ले य<br />

के वषय या व तु से हो जसे तुत करने के स ब ध म (क) सुसंगित और (ख) सुरा के<br />

आधार पर पहले ह आप क गयी हो तो साी को यह परामश दया जाता ह क वह<br />

आगामी पैरााफ म उलखत अनुदेश का अनुपालन कर।<br />

1. सामा यता ऐसी था नहं ह क सिमित के सम उपथत होने वाले अिधकार<br />

सिमित के सभापित या कसी सद य ारा पूछे गये कसी न का उ तर देने से<br />

एकदम इ कार कर द। न के उ तर अिधकारय ारा कु शलतापूवक दये जाने<br />

चाहए और यद कोई सिचव या वभागा य आव यक सूचना देने म कोई कठनाई


432<br />

अनुभव कर तो उ ह यह सलाह द जाती ह क वे सभापित से बात कर ल और न<br />

के उ तर के िलए समय मांग ल। यद सिमित को पाविलय या ले य उपल ध कराने<br />

म कोई कठनाई तीत होती हो तो वे अपने मंय को इसका हवाला दे सकते ह जो<br />

सिमित के सभापित से बात कर सकते ह तथा उन पाविलय को उ ह सपकर उनसे<br />

यह अनुरोध कर सकते ह क वे वयं अपना िनणय ले ल। अतएव यद सिचव को<br />

विभ न कारण से जसम रा य का हत और कसी वशेष न के स ब ध म मंी<br />

क ितया भी समिलत ह, कसी न का उ तर देने म कठनाई तीत हो तो<br />

उनके िलए हमेशा ह यह उिचत ह क वे न का उ तर देने के िलए समय मांग ल<br />

और इस बीच सभापित को थित से अवगत करा द और यद वे सीधे सभापित से<br />

मामले को तय कराने म असफल होते ह तो वे स ब मंी को इस मामले क<br />

जानकार करा सकते ह और इस कार दोन िमलकर मामले को तय कर सकते ह।<br />

2. यद कोई सरकार साी मामले क सुसंगित या सुरा के आधार पर कोई सूचना न<br />

देना चाहे तो सामा य तरका यह ह क वह मामले पर वचार करने के िलए समय<br />

मांगते हुए नता से कोई अ तरम उ तर दे द और उसका उ तर बाद म द। सभापित<br />

के सम अपनी कठनाई प ट कर देनी चाहए जो कठनाई उ प न होने पर उसे दूर<br />

करने म हमेशा ह साी क सहायता करते है। साी को के वल इस बात को यान<br />

रखना चाहए क वह कोई उ तर इस ढंग से न द, जससे कभी तनावपूण थित<br />

उ प न होने क स भावना हो। यद उ तर न और िश ट भाषा म दया जाए और<br />

कोई साी उ तर के िलए समय मांगे तो सिमित सदा कृ पापूण प अपनाती ह।<br />

(अ0शा0प0सं0/व0आ00(िस0/रे0)974/दस-10(260)/96 ट.सी. दनांक 23.8.2000 अनु0-28)<br />

लोक लेखा सिमित क िसफारश पर क जाने वाली कायवाह:-<br />

35. कायालय ाप सं या ए-1-3944/दस-1(2)/64 दनांक 5 िसत बर, 1964 के अनुसार लोक<br />

लेखा सिमित क िसफारश और ट पणय क ओर वभाग के भार मंी का यान तुर त<br />

आकृ ट कराना चाहए और सिमित को भेजा जाने वाला उ तर भी भेजने से पूव वीकृ ित के<br />

िलए मंी के सम तुत करना अपेत ह। ितवेदन क ितिलपय परचािलत होने पर<br />

शी ह सरकार के सिचव को यगत प से जांच करनी चाहए क या िनयम म संशोधन<br />

करना अपेत ह अथवा या लोक लेखा सिमित क िसफारश को कायावत करने के िलए<br />

या म कोई परवतन करना आव यक ह। वह यगत प से यह देखेगा क या क<br />

गयी कायवाह पया त तथा यथोिचत ह और वह येक मामले म मंी क वीकृ ित ा त<br />

करेगा।<br />

36. कसी वभाग से संबंिधत के वल शासिनक क म के िसफारश पर उस वभाग ारा वचार<br />

कया जाना चाहये जसका िनदश लोक लेखा सिमित क कसी वशेष िसफारश म कया गया<br />

हो।<br />

37. ऐसी िसफारश पर भी जनम कोई व तीय पहलू अ त त हो क तु जनका संबंध के वल<br />

एक वशेष वभाग के परामश से उस वभाग म वचार कया जाना चाहए।


433<br />

38. सामा य कार क िसफारश पर व त वभाग ार या उस वभाग ारा वचार कया जाना<br />

चाहय जो त स ब धी मामले म कायवाह का सम वय करने के िलए उ तरदायी ह।<br />

39. लोक लेखा सिमित कोई अिधशासी िनकाय नहं ह और उसे काफ अिधक सू म परण करने<br />

के प चात तथा प ट ल य के आधार पर भी कसी मद को अ वीकृ त करने का अथवा आदेश<br />

जार करने का अिधकार नहं ह। वह के वल कसी अिनयमतता या उस पर पया त प से<br />

कायवाह न कये जाने क और यान आकृ ट कर सकती ह और उस स ब ध म अपना मत<br />

य त कर सकती ह और अपने िनणय तथा िसफारश को अिभिलखत कर सकती ह।<br />

(जी0ओ0: ए-1-2912/10(44)-1977 दनांक 24 दस बर, 1977 अनुल नक-9)<br />

महालेखाकार क पूव-लेखा परा (ीआडट) हेतु भेजने जाने वाली बकाये बल के स ब ध म िनदश:-<br />

40. स बधत कमचारय/ यापारय के दाव का भुगतान समय से कया जाए ताक ीआडट<br />

बल क सं या म अनाव यक वृ न हो। ीआडट बल म होने वाली सामा य ुटय क<br />

ओर, जनक सूची महालेखाकार उ तर देश ारा भेजी गयी ह, आहरण अिधकारय ारा<br />

वशेष प से यान दया जाए। यद महालेखाकार उ तर देश ारा ीआडट के बल को<br />

कसी आप के साथ वापस कया जाता ह तो आप को शीाितशी समाधान करके<br />

महालेखाकार करो पुन: बल तुर त भेजा जाना चाहए।<br />

(अध शा0ए-2-2078/दस-10(16)-72 दनांक 21 िसत बर, 1972 अनुल नक-10)<br />

अिनणत लेखा परा ितवेदन तथा लेखा परा आपय का िन तारण:-<br />

41. अिनणत लेखा परा ितवेदन तथा लेखा परा आपय से संबंिधत िनयंक महालेखा<br />

परक क रपोट के स ब ध म, लोक लेखा सिमित को या या मक ट पणय यथाशी<br />

पूण और प ट भेजी जाए और उ ह भेजने से पूव सिचव ारा उनका भलीभांित परण कर<br />

िलया जाए।<br />

विभ न मामल के स ब ध म वांिछल सूचना लोक लेखा सिमित, वधान सभा,<br />

सिचवालय एवं महालेखाकार, उ तर देश तथा शासन को भेजना स बधत अिधकारय का<br />

एक मु य कत य एवं उ तरदािय व है। लेखा परा आद से स बधत शासन के सभी<br />

आदेश, प एवं लोक लेखा सिमित ारा विभ न वषय के स ब ध म य त कये गये<br />

वचार तथा सं तुितय क ओर यगत प से यान देकर आव यक कायवाह क जाए।<br />

येक मामले के संबंध म शासन के सम त आदेश का कडायी से अनुपालन सुिनत कया<br />

जाए।<br />

अध शा0 प सं0: ए-2-3463/दस-1(1-ए) 74, दनांक 28.10.75 अनुल नक-11)<br />

42. अिन तारत लेखा परा आपय तथा लेखा परा ितवेदन का िन तारण त परता से<br />

कया जाए साथ ह सरकार धन के दुपयोग गबन, जालसाजी जैसे मह वपूण मामल क<br />

पुिलस म रपोट शी दज कराई जाए ताक दोषी यय को समय से दंडत कया जा सके ।<br />

ऐसी सं थाओं/ यय को दुबारा ऋण न दया जाए जन पर पछला ऋण बाक हो।<br />

(अ0शा0पा0 ए-2-2914/दस-1(1)-75 दनांक 17.9.1976 अनु0-12)


434<br />

लेखा काय स ब धी कत य एवं दािय व के िन पादन म आहरण एवं वतरण अिधकारय ारा यान<br />

देने यो य मु य बात-<br />

43. चेकग फामूल म द गयी बात का अनुपालन आहरण एवं वतरण अिधकारय ारा अपने<br />

लेखा स ब धी काय के िन पादन म वशेष प से तथा कडाई के साथ कया जाए।<br />

(जी0ओ0: ए-1-1330/दस-4(1)/70 दनांक 17.5.1979 अनु0-14)<br />

44. आहरण एवं वतरण आिधकारय क चर व के समय इस बात का उ लेख प ट प से<br />

कया जाए क उनके ारा चकग फामूले का कडाई से पालन कया गया ह।<br />

(अ0शा0प0 सं: ए-22720/दस दनांक 6.11.1982 अनु0-15)


435<br />

लेखा परा<br />

लेखा परा का मु य उददे य यह देखना ह क (क) धन क ाि व भुगतान िनयमानुसार व<br />

आव यकतानुसार ह यह नहं (ख) लेख के रख-रखाव िनयमानुसार उिचत कार से हो रह ह या नहं<br />

(ग) धन का अप यय तो नहं हो रहा ह। अप यय जन ब धकय कमजोरय के कारण हुआ है।<br />

उसको िचहत करना तथा सुझाव देना (घ) अमता एवं दुपयोग के मामल को मामूल करना जससे<br />

उसम सुधार हो तथा उपल ध संसाधन का और बेहतर उपयोग हो सक । (ड) भव य तथा वतमान क<br />

योजनाओं/परयोजनाओं के बारे म सह एवं व वसनीय आंकडे है। या नहं ताक आव यकतानुसार<br />

बजट बनाया जा सके ।<br />

लेखा परा दो कार क होता है:-<br />

1- बाहय (External) लेखा परा:<br />

जस सं था/वभाग क आडट हो रह ह लेखा परा उस सं था से अलग व िन प सं था<br />

ारा क जाये।<br />

सरकार क ािय तथा यय क वाहय स परा<br />

त ्येक देश के संवधान म सरकार ािय तथा यय क स परा का ावधान रहता है।<br />

भारत के संवधान म िनयंक महालेखा परक को वंत संवैधािनक दािय व दया गया ह ये मु य<br />

प से दो काय करते ह:-<br />

1- भारत सरकार तथा रा य सरकार क ािय तथा यय क स परा।<br />

2- रा य सरकार के लेख का रख-रखाव।<br />

वह वधाियका क तरफ से यह देखते ह क कायपािलका ारा काम उसी कार कया गया ह<br />

जैसा क वधाियका ारा पारत था तथा कानूनी प से उपल ध था। उसम यद कोई वचलन हो तो वे<br />

उसे वधाियका के स मुख रखते ह। उनक वतंता बनाये रखने के िलए संवधान के अनु छेद 148 के<br />

अनुसार रा पित ारा उनक िनयु क जाती ह तथा संवधान के अनु छेद 149 के अ तगत बनाये<br />

गये अिधिनयम के अ दर भारत के िनयंक एवं महालेखा परक के अिधकतर एवं कत य िनधारत<br />

कये गये ह। संवधान के अनु छेद 151, तथा संघ शािसत देश के अिधिनयम 1963 क धारा 49 के<br />

अ दर लेखा परा ितवेदन रा पित रा यपाल या शासक को तुत करते ह जनके ारा उसे लोक<br />

सभा/वधान सभा के सम तुत कया जाता हैा। 1971 के भारत सरकार के अिधिनयम ारा भारत<br />

के िनयंक एवं महालेखा परक के अिधकार एवं कत य को पूव प से िनधारत कया गया ह।<br />

शासकय परे य म यह भारत के िनयंक महालेखापरक ारा करायी जाती ह तथा इनके<br />

स ब ध म सी0ए0जी0 क ितवेदन रपोट रा पित/रा यपाल को तुत क जाती ह तथा उसे सदन<br />

के सम पु तत कया जाता है। सदन क लोक लेखा सिमित तथा सावजिनक उम सिमितय ारा<br />

इन ितवेदन का िनरण कया जाता है व सरकार ारा उन पर कायवाह क जाती ह। सी0ए0जी0<br />

के र तिनिध के प म तथा उसी के अधीन रा य म महालेखाकार ारा आय एवं यय के लेख क<br />

संपरा को हम संवैधािनक संपरा को हम संवैधािनक संपरा (Statutory Audit) कहते ह।<br />

वाणयक सं थाओं क ािय तथा यय क वाहय संपरा


436<br />

वाणयक सं थाओं क आडट रपोट व आडट बलस शीट क पनी के बोड को तुत क<br />

जाती ह तथा Annual General Meeting मीटंग म रखी जाती ह। उस पर क पनी के ब ध और<br />

Share Holders के ारा कायवाह क जाती ह।<br />

आ तरक लेखा परा:<br />

आ तरक लेखा परा ब न चाहे वह वाणयक क पनी हो अथवा शासन के<br />

वभाग/सं था उपयोग कये जाने वाली एक था ह जसका ल य िनयंण यव था को और सृढ<br />

करने के िलए ब धन को मानक के वचलन के स ब ध म समस से सूचना देना ह। वतमान म<br />

विभ न राजकय वभाग, िनगम, थानीय िनकाय तथा व ववालय आद म दन ितदन बढत<br />

हुए कायकलाप एवं योजनाओं के वप एवं व तीय अिधकार के वके करण को यान म रखते हुए<br />

आंतरक स परा संगठन का मह व अिधक बढ गया ह। सं थान के सव च अिधकार आंतरक<br />

स परा संगठनक यव था ारा दन ितदन क कायरत योजनाओं क गित उन पर कये गये<br />

यय तथा ल य क अनुपाितक भौितक ाि विभ न तर ारा बरती गयी दता अथवा उदासीनता<br />

का यौरा दुतगित से ा त कर उसम सुधार लाने हेतु भावी कायवाह कर सकते ह। व तुओं के दन<br />

दन बढते हुए मू य को यान म रखते हुए यह िनता त आव यक ह क सम त योजनाओं के िनमाण<br />

काय एवं उ पादन के ल य का समय से पूण कर िलया जाए। कसी सं थान के पूणकािलक<br />

वेतनभोगी स परक के संगठन ारा उस संगठन के व तीय प क कायविधय एवं उसके<br />

यवहरण का िनर तर समालोचना मक पुनरावलोकन ह आंतरक स परा ह।<br />

* इसके ारा ब धक को वभाग/सं था के स ब ध म लेखांकन व तीय तथा अ य कायकलाप<br />

के संबंध म समय रहते सूचना देना ह।<br />

* इसके ारा वभाग/सं था म अ य िनयंण क लगातार समीा क जाती ह।<br />

* इस यव था म अिधकारय/सं था वभाग के कमचारय ारा वभाग के अपने लेख क लेखा<br />

परा क जाती ह।<br />

* इससे ब धक/शासन को यह सूचना िमलती ह क उनक नीितय आदेश का पालन कया<br />

जा रहा ह या नहं, वभाग के उददे य क पूित हो रह ह या नहं। यद नहं तो उसके कारण<br />

का व लेषण कर सुझाव तुत करता ह।<br />

* यह एक सतत या ह।<br />

* आंतरक लेखा परक के काय का े ब धक ारा तय कया जाता ह तथा उनके कत य<br />

एवं उ तरदािय व को समय/काय क आव यकता के अनुसार घटाया बढाया जा सकता ह।<br />

आंतरक लेखा परक ब धक/शासक के िलए काय करता ह जससे वभाग के<br />

हत/उददे य क रा हो सके ।<br />

* आतंरक लेखा परक आलोचक नहं क तु सलाहाकार के प म काय करता ह। उसे<br />

याओं को िनधारत करने या नीितयां बनाने का अिधकार नहं ह। उसका काय वभाग क<br />

आलोचना करना नहं बक उसे और द बनाना ह ब धन ारा आतंरक लेखा परा को<br />

feedback mechanism एक के प म योग कया जाना चाहए। इसके ारा जो भी


437<br />

अिनयिमतता/कमी काश म लाई जाती ह तो ब धन ारा उसका सकारा मक योग उसी<br />

कमी अिनयिमतता को समा त करने उसक पुनरावृ रोकने हेतु कया जाना चाहए।<br />

आ तरक लेखा परा के कार<br />

शासकय यव था म दो कार क आंतरक लेखा परा योग म लायी जा रह ह। 1.<br />

उ00 सरकार ारा अपनायी जा रह या । 2.पम बंगाल सरकार ारा अपनाई जा रह<br />

या। दोन के स ब ध म मु य ब दु िन न ह:-<br />

7. यद कोई ुटयां जानकार म आई ह, तो उ ह फर से न होने देने के िलए आदेश<br />

उ तरांचल आंतरक लेखा परा<br />

इसका दािय व उ तरांचल म िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय, सह टेट इ टरनल आडट<br />

23-ल मी रोड, डालनवाला, देहरादून को दया गया ह।<br />

सवैधािनक स परा एवं आंतरक स परा क तुलना मक ववेचना तथा उपयोिगता<br />

संवैधािनक स परा<br />

आंतरक स परा<br />

1 2<br />

1 संवैधािनक दािय व ह आंतरक स परा म वभाग के आिथक काय कलाप का<br />

िनर तर िनरण कया जाता है। इसका उददे य एडवाइजर<br />

और सुधारा मक होता ह।<br />

2 लोकतांक यव था म आडट इ टरनल आडट क रपोट वभागा य को तुत होती ह<br />

रपोट के करण भारत के िनयंक और दये गये सुझाव के अनुसार वभाग शासन क नितय<br />

एवं महालेखापरक के मा यम से के अनुप अधीन थ अिधकारय को िनदिशत करते हुए<br />

वधान सभा के सम तुत कये ुटय का िनराकरण करने के साथ-साथ उनक पुनरावृ न<br />

जाते ह।<br />

हो सके , भी िनयंत एवं सुिनत करते ह।<br />

3 यह आडट िनत अ प अविध आतंरक स परा पूण वष क होती ह।<br />

अथवा एक माह का टे ट आडट<br />

के प म होता है।<br />

4 इस संवैधािनक आडट क टे ट आंतरक स परा गहराई से चेक वाइंट के आधार पर लेख<br />

चंकं ग म सभी लेखा अिभलेख का का िनरण एवं जांच करता ह।<br />

देखा जाना संभव नहं होता ह।<br />

5 आडट मा आपय को इंिगत आंतरक स परा इंिगत आपय का परपालन सुिनत<br />

करते हुए उनका परपालन कराता कराने के साथ-साथ व लेषणा मक व अनुसंधाना मक वचार<br />

ह।<br />

कट करता ह जसके फल वप वभागीय कायकलाप व<br />

संचालन म वभाग को सहयोग व माग दशन ा त होता ह।<br />

6 यह स परा महालेखाकार के आंतरक स परा देश के व त एवं लेखा सेवा के<br />

स परा दल ारा क जाती ह। अिधकारय के िनदशन एवं पयवेण म काय के वशेष<br />

अिधकारय/कमचारय ारा क जाती ह।


438<br />

सरकार सिमितय एवं पंचायत क लेखा परा<br />

वतंता के प चात देश म सहकारता एवं पंचायती राज यव था को ो साहत करने के<br />

फल वप देश म सहकार सिमितय और पंचायत क सं या म वृ हुई जसम से पंजीकृ त सहकार<br />

सं थाओं और पंचायत के लेख क वंत प से लेखा परा करने हेतु वष 1953 म सहकार<br />

सिमितय एवं पंचायत लेखा परा संगठन उ00 का गठन िनब धक सहकार सिमितय, उ00 के<br />

िनयंण से हटाकर व त वभाग के अधीन कया गया। यह संगठन देश क सहकार सिमितय,<br />

औोिगक सहकार सिमितय, ग ना सहकार सिमितय तथा े पंचायत व जला पंचायत क<br />

स परा करता ह। वभाग क आय का मु य ोत इन सिमितय एवं पंचायत से लेखा परा शु क<br />

ा त करना ह। िनदेशक कोषागार एवं व त सेवाय, सह टेट इ टरनल आडट 23- ल मी रोड,<br />

डालनवाला, देहरादून इस वभाग के वभागा य ह।<br />

जला पंचायत एवं े सिमितय क लेखा परा<br />

उपरो त वभाग के अितर त देश क जला परषद एवं े सिमितय जसका गठन जला<br />

परषद अिधिनयम 1961 के अनुसार कया गया है, के िनिधय के लेख का रख-रखाव और िनरण<br />

करने का दािय व मु य व त अिधकार जला परषद का िनयम ािधकार होने के नाते उसके ारा<br />

वष म एक बार एक जला परषद और एक जले म यूनतम एक े सिमित का िनरण करते हुए<br />

िनरण करते हुए िनरण आ या अ य जला परषद म डलीय आयु त शासन के पंचायत राज<br />

वभाग और व त वभाग को ेषत क जाती ह। स ित िनदेशक लेखा एवं हकदार, 23-ल मी रोड ,<br />

डालनवाला, देहरादून इनके वभागा य।<br />

थानीय िनिध लेखा परा-<br />

इसका दािय व उ तरांचल के थानीय िनकाय वकास ािधकरण, व ववालय वन वकास<br />

िनगम, रा य कृ ष उ पादन म ड परषद, सहायता ा त िशण सं थाय तथा ट आद क लेखा<br />

परा होता ह। इसके वभागा य िनदेशक, कोषागार एवं व त सेवाय, सह टेट इ टरनल आडट 23<br />

ल मी राड डालनवाला देहरादून ह।


439<br />

उ तरांचल रा य कमचार सामूहक बीमा एवं बचत योजना<br />

1. योजना का ार भ, उददे य एवं आ छादन<br />

1.1 उ तर देश शासन ने देश के सरकार सेवक के परवार के क याणाथ तथा उनके भव य<br />

क आिथक सुरा को सुिनत करने के उददे यक से ‘’उ तर देश रा य कमचार सा मूहक<br />

बीमा एवं बचत योजना’’ लागू क है। यह योजना ार भ म दनांक 01-03-1974 से के वल<br />

पुिलस वभाग के अराजपत कमचारय पर ह लागू क गयी थी क तु इस योजना के लाभ<br />

को गत करते हुए दनांक 01-03-1976 से शासन ार देश के सम त अिधकारय एवं<br />

कमचारय पर लागू क गई। इस योजना से वे सम त कमचार आ छादत होते है। जो रा य<br />

सकरार के अधीन िनयिमत अिध ठान म थायी अथवा अ थायी प से पूणकािलक सेवा म<br />

िनयु त ह। माननीय उ च यायालय के मु य यायाधीश/ यायाधीश, उ तर देश लोक सेवा<br />

आयोग के अ य तथा सद य पर भी यह योजना लागू ह, बशत उ हने इस योजना का लाभ<br />

लेने के उददे य से सेवा म िनयु के समय अपना वक प चुना हो। रा य सरकार सेवा के<br />

अधीन िसवल पद पर िनयु त ऐसे सै य सेवा से अवकाश ा त अिधकारय/सैिनक पर भी<br />

यह योजना लागू क गई ह, बशत सेवा म िनयु के समय उनक आयु 50 वष से कम हो।<br />

अखल भारतीय सेवाओं के ऐसे अिधकार जो के य समूह बीमा योजना के िलए अपना<br />

वक प नहं देते ह, पर भी यह योजना लागू ह।<br />

1.2 यह योजना ऐसे सरकार सेवक पर लागू नहं ह ज ह रा य सरकार ारा अ पकालीन रय<br />

म, सीजनल काय के िलए अथवा संवदा के आधार पर िनयु त कया जाता है। यह योजना<br />

अिधकार/कमचार क अिधवषता आयु तक अिनवाय प से लागू है क तु अिधवषता आयु<br />

पूण होने से पूव सेवारत अव था म मृ यु हो जाने पर अथवा अिधकार/कमचार क सेवाय<br />

समा त कर देने पर अथवा अिधकार/ कमचार ारा वयं सेवा से अ यथा पृथक हो जाने पर<br />

यह योजना उसी ितिथ तक लागू रहती ह, जस ितिथ तक वह सेवा म रहता ह। यह योजना<br />

अिधवषता आयु पूण करने के प चात ा त सेवा के व तार अथवा पुनिनयु क थित म<br />

कसी भी सरकार सेवक पर लागू नहं होती ह।<br />

2. योजना का वप एवं अिभदान क अदायगी<br />

2.1 ार भ म दनांक 1.3.1974 से इस योजना के अ तगत पुिलस वभाग के अराजपत सरकार<br />

सेवक से मािसक अिभदान के प म मा पये 5/- ितमाह क कटौती उनके वेतन से क<br />

जाती थी, जसके व सेवारत अव था म मृ यु हो जाने पर लाभािथय को पये 5000/-<br />

क बीमा धनरािश देय होती थी। इसी कार अ य सम त सरकार सेवक से ार भ म अथात<br />

1.3.1976 से पये 10/- ितमाह मािसक अिभदान के प म उनके वेतन से काटे जाते थे<br />

तथा सेवारत अव था म मृ यु हो जाने पर लाभािथय को पये 12000/- क बीमा धनरािश<br />

देय होती थी। समय-समय पर इस योजना के अ तगत अिभदान क दर एवं उनके व देय<br />

बीमा आ छादन परवितत होती रह हैा। समय-समय पर अिभदान क दर तथा उनके व


440<br />

देय बीमा आ छादन परवितत होती रह है। समय-समय पर समय-समय पर अिभदान क दर<br />

तथा उनके व बीमा आ छादन क थित िन न कार रह ह:-<br />

(क) पुिलस वभाग के अिधकारय/कमचारय के स ब ध म<br />

समूह अविध अिभदान क दर बीमा<br />

आ छादन<br />

‘’क’’ 1.3.76 से 29.2.80 तक 0 10/- ितमाह 12,000<br />

1.3.80 से 28.2.85 तक 0 40/- ितमाह 40,000<br />

1.3.85 से 29.2.90 तक 0 80/- ितमाह 80,000<br />

1.3.90 से 0 120/- ितमाह 1,20,000<br />

‘’ख’’ 1.3.76 से 29.2.80 तक 0 10/- ितमाह 12,000<br />

1.3.80 से 28.2.90 तक 0 40/- ितमाह 40,000<br />

1.3.90 से 0 60/- ितमाह 60,000<br />

‘’ग’’ 1.3.74 से 28.2.77 तक 0 05/- ितमाह 5,000<br />

एवं 1.3.77 से 29.2.80 तक 0 10/- ितमाह 12,000<br />

‘’घ’’ 1.3.80 से 28.2.90 तक 0 15/- ितमाह 25,000<br />

1.3.90 से 30.6.93 तक 0 30/- ितमाह (1.1.86 से लागू वेतनमान म 30,000<br />

जनके वेतन का अिधकतम 0<br />

2300/- से कम ह)<br />

1.7.93 से 0 60/- ितमाह (1.1.86 से लागू वेतनमान म<br />

जनके वेतन का अिधकतम 0<br />

2300/- या इससे अिधक है)<br />

60,000<br />

(ख) पुिलस वभाग के अिधकारय/कमचार को छोडकर शेष अ य अिधकारय/कमचारय के स ब ध<br />

म<br />

समूह अविध अिभदान क दर बीमा<br />

आ छादन<br />

‘’क’’ 1.3.76 से 29.2.80 तक 0 10/- ितमाह 12,000<br />

1.3.80 से 28.2.85 तक 0 20/- ितमाह 25,000<br />

1.3.85 से 29.2.90 तक 0 80/- ितमाह 80,000<br />

1.3.90 से 0 120/- ितमाह 1,20,000<br />

‘’ख’’ 1.3.76 से 29.2.80 तक 0 10/- ितमाह 12,000<br />

1.3.80 से 28.2.85 तक 0 20/- ितमाह 25,000<br />

1.3.85 से 28.2.90 तक 0 30/- ितमाह 40,000<br />

1.3.90 से 0 30/- ितमाह 60,000


441<br />

‘’ग’’ 1.3.76 से 28.2.80 तक 0 10/- ितमाह 12,000<br />

1.3.80 से 29.2.90 तक 0 20/- ितमाह 25,000<br />

1.3.90 से 28.6.93 तक 0 30/- ितमाह 30,000<br />

1.7.93 से 0 30/- ितमाह (1.1.86 से लागू वेतनमान म 30,000<br />

जनके वेतन का अिधकतम 0<br />

2300/- से कम ह)<br />

1.7.93 से 0 60/- ितमाह (1.1.86 से लागू वेतनमान म 60,000<br />

जनके वेतन का अिधकतम 0<br />

2300/- या इससे अिधक है)<br />

‘’घ’’ 1.3.76 से 28.2.81 तक 0 10/- ितमाह 12,000<br />

1.3.81 से 28.2.90 तक 0 20/- ितमाह 25,000<br />

1.3.90 से 0 30/- ितमाह 30,000<br />

2.2 उपरो त के अितर त दनांक 1.1.96 से लागू पुनरत वेतनमान के आधार पर इस योजना<br />

के अ तगत िन न तािलका के अनुसार मािसक अिभदान क कटौती तथा बीमा आ छादन<br />

दनांक 1.9.2003 से लागू कया गया है-<br />

मांक वेतनमान मािसक अिभदान क दर बीमा आ छादन<br />

ितमाह<br />

1 वेतनमान का अिधकतम 0 13501 या इससे<br />

120 1,20,000<br />

अिधक<br />

2 वेतनमान का अिधकतम 0 13,500 तक 60 60,000<br />

3 वेतनमान का अिधकतम 0 7000 से कम 30 30,000<br />

2.3 इस योजना के अ तगत सरकार सेवक के मािसक वेतन बल से उनके आहरण/वतरण<br />

अिधकारय ारा रा य सरकार ारा िनधारत दर पर अिभदान क कटौती क जाती ह।<br />

अिभदान क कटौती क जाती है। अिभदान कटौती अिधवषता आयु पूण करने के प चात<br />

ा त सेवा के व तार अथवा पुनिनयु क थित म नहं क जाती ह। सरकार सेवक को<br />

अपना अिभदान िनयिमत प से देना होता है। अवकाश अविध एवं िनल बन काल म भी<br />

कमचार का र क कवड रहता ह, फल वप इस अविध का भी अिभदान सरकार सेवक को<br />

देना होता ह। ितिनयु पर वाहय सेवा पर तैनात सरकार सेवक के अिभदान का लेखा<br />

उनके पैतृक वभाग ारा रखे जाने क यव था ह। कसी सरकार सेवक के वेतन से क हं<br />

कारणोवश अिभदान क कटौती यद नहं हो पाती ह और उसक सेवारत अव था मे मृ यु हो<br />

जाती ह तो ऐसी थित म उस अविध का अिभदान भी सरकार सेवक के लाभाथ से जमा<br />

कराये जाने क यव था ह।


442<br />

2.4 इस योजना के अ तगत सरकार सेवक के वेतन से क जाने वाली अिभदान क कटौती दो<br />

भाग म रा य सरकार के लोक लेखे म जमा होती ह। पहला भाग ‘बीमा िनिध’ तथा दूसरा<br />

भाग बचत िनिध के प म होता है। ‘’बीमा िनिध’’ म जमा धनरािश से ह बीमा आ छादन<br />

क धनरािश अदा क जाती है। ‘’बीमा आ छादन’’ क रािश पर कोई याज अनुम य नहं ह।<br />

‘’बचत िनिध’’ म जमा धनरािश तथा उस पर समय-समय पर िनधारत दर के अनुसार देय<br />

याज सरकार सेवक/लाभािथय को सरकार सेवक के सेवािनवृ त सेवा से अ यथा, पृथक<br />

अथवा मृ यु होने पर भुगतान कया जाता ह। ‘’बचत िनिध’’ म जमा धनरािश पर याज का<br />

भुगतान िनकटतम पये के पूणाक म कये जाने क यव था है। पचास पैसे या इससे अिधक<br />

को एक पये म एक पये म पूणाकत कया जाता ह तथा पचास पैसे से कम धनरािश को<br />

छोड दया जाता ह।<br />

3. नामांकन क सुवधा एवं सरकार सेवक क मृ यु क दशा म लाभाथ का िनधारण:-<br />

3.1 इस योजना के अ तगत कायालया य/वभागा य ारा येक सरकार सेवक से उस रािश<br />

के ा त करने के अिधकार से संबंिधत जो अिधवषता क आयु को ा त करने से पूव उसक<br />

मृ यु होने क दशा म इस योजना के अ तगत देय हो, परवार के सद य म से कसी एक या<br />

एक से अिधक यय के प म नामांकन ा त करने क यव था क गई ह। नामांकन हेतु<br />

सरकार सेवक के ‘’परवार’’ िन निलखत सद य माने जाते ह।<br />

1. प नी/पित (जैसी थित हो),<br />

2. पुगण,<br />

3. अववाहत तथा वधवा पुयां (सौतेले तथा द तक पु/पुय सहत),<br />

4. भाई (18 वष क आयु से कम) तथा अववाहत तथा वधवा बहने (सौतेले भाई, बहन<br />

सहत),<br />

5. पता/माता,<br />

6. ववाहत पुयां (सौतेले पुय सहत) तथा,<br />

7. पहले मृतक हो चुके पु के पु व पुय,<br />

3.2 कायालया य/वभागा य ारा सरकार सेवक से ा त नामांकन ितह तारत कये जाने<br />

के उपरा त उसक एक ित सरकार सेवक क वैयक पावली म तथा दूसर ित उसक<br />

सेवा पुतका/सेवा अिभलेख म रखे जाने क यव था ह। नामांकदन ितह तारत करने<br />

वाले अिधकार का यह उ तरदािय व होता ह क वे इस बात क सह प म जांच करने के<br />

उपरा त ह ितह तारत कर क सरकार सेवक ारा भरा गया नामांकन प शासन ारा<br />

िनधारत यव थाओं के अनुसार सभी कार से पूण ह और उसम कोई कमी या ुट नहं ह।<br />

यह नामांकन प सरकार सेवक के ारा सेवा म आने के प चात उसे िमलने वाले थम वेतन<br />

के उपरा त भरा िलया जाना चाहए। ितिनयु पर तैनात सरकार सेवक के मामले म<br />

नामांकन भराये जाने क कायवाह उनके पैतृक वभाग ारा क जाती ह। यद कसी सरकार<br />

सेवक के परवार म जैसा क पहले बताया गया ह कोई सद य नामांकन भरे जाने क ितिथ<br />

को नहं रहना ह तो एसी थित म सरकार सेवक कसी अ य य को नांमाकत कर


443<br />

सकता ह। इस योजना के अ तगत यद कोई सरकार सेवक अ य क य को नांमाकत<br />

करता ह तो उसे अवय क य के िलये संरक िनयु त करने क यव था भी नामांकन प<br />

म द गयी ह। कसी सरकार सेवक के ारा यद परवार म सद य के रहते हुए भी परवार के<br />

बाहर के कसी सद य को नामाकत कर दया जाता ह तो उसका नामांकन अवैध माने जाने<br />

क यव था ह।<br />

3.3 कितपय अपवाद को छोडकर कसी सरकार सेवक क सेवारत अव था म मृ यु होने पर<br />

नामांकत य/ यय को ह भुगतान कये जाने क यव था ह। अपवाद वप यद<br />

कसी सरकार सेवक क मृ यु के समय क ह वशेष परथितय म दो पयां ह तो<br />

नामांकत वधवा के साथ-साथ नामांकत न क गयी वधवा के अवय क ब च को भी<br />

भुगतान कया जाता ह। एसी थित म देय धनरािश का 50 ितशत अंश नामांकत वधवा<br />

को तथा शेष 50 ितशत का अंश नामांकत न क गयी वधवा के अवय क ब च को देय<br />

होता ह।<br />

3.4 यद कसी सरकार सेवक के ारा अवय क य को नामांकत कया जाता ह तो ऐसी थित<br />

म ाकृ ितक संरक क अनुपथित म ‘गाजयन ए ड वाडस ए ट के अ तगत सम<br />

यायालय ारा िनयु त अवय क के संरक को भुगतान कया जाता ह।<br />

3.5 यद कसी सरकार सेवक के ारा क हं कारणोवश नामांकन प नहं भरा जाता ह और<br />

उसक सेवारत अव था म मृ यु हो जाती ह तो इस योजना के अ तगत बीमा धनरािश का<br />

भुगतान उसे परवार के िन निलखत सद य को कितपय प टकरण के अधीन मानुसार<br />

कये जाने क यव था ह:-<br />

1. अिधकार/कमचार क प नी/पित जैसी थित हो।<br />

2. अ य क पु तथा अववाहत पुयां।<br />

3. वय क पु।<br />

4. माता व पता।<br />

5. अवय क भाई तथा अववाहत बहन।<br />

6. ववाहत पुयां।<br />

7. पहले मृतक हो चुके पु व अववाहत पुयां।<br />

3.6 परवार के सद य को उपरो त म म भुगतान करने से पूव िन न मुख ब दुओं को सान<br />

म िलया जाना अिनवाय होता ह:-<br />

1. यायालय के आदेश को छोडकर उपरो त बताये गये ावधान के वपरत कोई दावा<br />

अनुम य नहं होता ह।<br />

2. सरकार सेवक क मृ यु ितिथ को दावा उ प न होने क ितिथ माना जाता ह दावा<br />

उ प न होने क ितिथ को लाभाथ का िनधारण कया जाता ह। तथा दावा उ प न होने<br />

क ितिथ को यह भी िनधारत कया जाता ह। क भुगतान ा त करने वाला य<br />

िनयम के अनुसार भुगतान पाने का अिधकार ह अथवा नहं।


444<br />

3. उपरो त थित के अनुसार यद कसी लाभाथ क भुगतान ा त करने से पूव मृ यु<br />

हो जाती ह तो ऐसी थित म भुगतान मृतक लाभाथ के विधक उ तरािधकारय को<br />

कया जाता ह। यद कसी सरकार सेवक क मृ यु नामांकन प भरे बना ह हो<br />

जाती ह और उसके परवार म भी कोई सद य नहं रहता ह तो ऐसी थित म योजना<br />

के अ तगत देय धनरािश का भुगतान सरकार सेवक के विधक उ तरािधकारय को<br />

कया जाता है।<br />

4. भुगतान क या एवं उ प न दाव का ेषण<br />

4.1 सेवािनवृ त अथवा सेवा से अ यथा पृथक होने वाले सरकार सेवक/लाभािथय के दावे<br />

जीआईएक प सं 26 पर तुत कये जाते ह तथा सेवारत अव था म मृत सरकार सेवक<br />

के दावे जीआईएस प सं. 27 पर तुत कये जाते ह। इसी कार योजना म ुटपूण<br />

कटौितय से संबंिधत दावे जीआईएस प सं.24 पर तुत कये जाने क यव था ह।<br />

4.2 दनांक 1.10.99 से शासन ारा योजना का वके करण कर दये जाने के फल वप दनांक<br />

1.10.99 से उ प न दावे जीआईएस प सं.26 व 27 (जैसी थित हो) म तुत कये जाते<br />

ह।<br />

4.3 दनांक 1.10.99 से पूव के सम त उ प न दावे आहरण वतरण अिधकार ारा कोषागार को<br />

ेषत कये जाने क यव था ह। इसके अितर त वयं आहरण वतरण अिधकार अथवा<br />

ितिनयु पद से सेवािनवृ त अथवा अ यथा सेवा से पृथक होने वाले सरकार सेवक के दाव<br />

को िन तारण भी कोषागार ारा कया जाता ह। वयं आहरण अिधकारय म व त एवं लेखा<br />

सेवा तथा याियक सेवा के अिधकारय के दावे िनदेशक कोषागार (िशवर कायालय) इलाहाबाद<br />

के मा यम से बीमा िनदेशालय को भेजे जाते ह। अखल भारतीय शासिनक सेवा के वे<br />

अिधकार जो रा य सरकार क सेवा के सद य ह तथा देश शासिनक सेवा के वयं आहरण<br />

अिधकारय के दावे शासन के इरला चेक (वेतन पच को ठ) ारा बीमा िनदेशालय को ेषत<br />

कये जाने क यव था ह। अखल भारतीय पुिलस सेवा के ऐसे अिधकार जो इस योजना से<br />

आ छादत ह, के दावे मुख वन संरक कायालय के व त िनयंक के ारा बीमा िनदेशालय<br />

को ेषत कये जाते ह।<br />

4.4 उपरो त उलखत संवग के ऐसे अिधकार जो वाहय सेवा म ितिनयु पर रहते हुए<br />

सेवािनवृ त अथवा सेवा से अ यथा पृथक हो जाते ह के दावे उपरो त वणत या के<br />

अनुसार ह भेजे जाने क यव था ह, क तु उपरो त संवग से िभ न अिधकारय/कमचारय<br />

के दावे वाहय सेवा म ितिनयु पर रहते हुए उ प न होने क थित म उनके पैतृक<br />

वभागा य के ारा बीमा िनदेशालय को ेषत कये जाने का ावधान ह।<br />

4.5 योजना म ुटपूण कटौितय से स बधत दाव का भुगतान बीमा िनदेशालय को तुत कये<br />

जाते ह।<br />

4.6 लापता सरकार सेवक के सामूहक योजना स ब धी दाव का िन तारण शासनादेश सं0<br />

408/दस-97-105(ए)/91, ट.सी. दनांक 17 अ टूबर, 1997 के अनुसार कये जाने क<br />

यव था ह। लापता सरकार सेवक के मामल म मािसक अिभदान क कटौती उसके लापता


445<br />

होने के माह तक ह क जाती ह तथा तदनुसार ह उस माह म भावी दर पर योजना के<br />

अ तगत देय क गणना क जाती ह। स बधत सरकार सेवक के लापता होने के माह के<br />

प चात एक वष क अविध पूण होने पर बचत िनिध म जमा धनरािश तथा उस पर देय याज<br />

लापता होने क माह क अतम ितिथ तक का भुगतान कया जाता है। बीमा आ छादन क<br />

धनरािश का भुगतान स बधत सरकार सेवक के लापता होने के प चात सात वष क अविध<br />

पूण होने पर मृत माने जाने क दशा म देय होता ह।<br />

4.7 दावा प म सरकार सेवक/लाभा थी (जैसी थित हो) के ारा कसी रा यकृ त बक म खोले<br />

गये बचत खाते का ववरण भी अंकत कया जाना अिनवाय रहता ह ताक भुगतान क सुरा<br />

क से जो चेक स बधत सरकार सेवक/लाभाथ के प म िनगत क जाती ह, उसम<br />

बक खाते का ववरण भी अंकत कया जा सके ।<br />

4.8 सामूहक बीमा योजना एक क याणकार योजना ह, इसिलए इसके मूल उददे य एवं कृ ित को<br />

गत करते हुए शासन ारा इस योजना के अधीन देय धनरािश म से शासकय देय क<br />

वसूली न कये जाने क यव था क गई ह।


446<br />

ेषक,<br />

राधा रतुड,<br />

सिचव,<br />

उ तरांलच शासन।<br />

सं या- 213/व0अनु0-4/2004<br />

सेवा म,<br />

(1) सम त वभागा य एवं मुख कायालया य, उ तरांचल।<br />

(2) सम त वर ठ कोषािधकार/कोषािधकार, उ तरांचल।<br />

व त अनुभाग-4 देहरादून, दनांक 9 जुलाई 2004<br />

वषय:-<br />

रा य कमचार सामूहक बीमा एवं बचत योजना के अ तगत भुगतान या का<br />

वके करण।<br />

महोदय,<br />

उपयु त वषयक पूववत रा य उ00 के शासनादेश सं या- बीमा-768/दस-99/ए/99<br />

दनांक 16 जुलाई 1999 के म म मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क शासन ारा स पयक<br />

वचारोपरा त यह िनणय िलया गया ह क सामूहक बीमा योजना के अ तगत ुटवश क गयी कटौती<br />

क धनरािश का भुगतान भी अ य दाव क भांित स बधत कोषागार/पे ए ड एकाउ ट आफस/इरला<br />

चैक के मा यम से कया जायेगा।<br />

उ त के गत जीआईएस प सं या-24 म वभागा य ारा ेषण म िनदेशक,<br />

सामूहक बीमा िनदेशालय, उ00 लखनऊ के थान पर स बधत कोषागार/पे ए ड एकाउ ट<br />

आफस/इरला चैक आफस को स बोिधत कया जायेगा। स बधत ाप सं या-24 संल न ह।<br />

रा य कमचार सामूहक बीमा एवं बचत योजना के अ तगत भुगतान या के<br />

वके करण क अ य सम त या शासनादेश सं या बी-768/दस-99/ए/99 दनांक 16 जुलाई,<br />

1999 के अनुसार ह रहेगी तथा सामूहक बीमा िनदेशालय का सारा काय लेखा एवं हकदार िनदेशालय<br />

ारा पूववत स पादत कया जोयगा।<br />

संल न:- यथौपर।<br />

भवदय<br />

राधा रतूड<br />

सिचव।


447<br />

कायालय पित<br />

कायालय से सामा यत: उस थान का बोध होता ह, जहॉं से कसी वभाग, संगठन अथवा<br />

सं था क नीितय, काय-कलाप, उसके आय- यय, अिधकारय-कमचारय के कत य एवं अिधकार<br />

तथा अ य कार के अिभलेख/ववरण का रख-रखाव और िनत योजना के आधार पर शासन<br />

संचालन तथा ब धन कया जाता ह। इसी िलए कोई वभाग संगठन या सं था चाहे वह सरकार हो<br />

या गैर-सरकार अथवा िनजी े क यगत सं था हो, उसका अपना कायालय होना तो आव यक ह<br />

ह। कायालय एक या एक से अिधक थान पर हो, यह उसके काय-े और काय पर िनभर करता ह।<br />

कायभार के आधार पर एक कायालय छोटा या बडा हो सकता ह। कसी कायालय म चार य हो<br />

सकत ह तो कसी म चार सौ से भी अिधक। कायालय म जतने य, अिधकार या कमचार के प<br />

म कायरत होते ह उनके बीच काय-वभाजन रहता ह। सु यव था और सुचा प से काय-संचालन क<br />

से काय करने और िनणय लेने के स ्तर भी पहले से िनत रहते ह। नीचे से ऊपर तक सभी<br />

काय करने वाले एक शासिनक ंखला क कडय क भॉित जुडे होते ह।<br />

कायालय म काय का स पादन पूव िनधारत एक िनत या के अनुसार कया जाता है।<br />

जससे अलग-अलग य अपनी मनमानी णाली से काय न कर और उनका काय- यवहार िनयम<br />

बता के साथ-साथ एक िनत या से स प न हो । इस या अथवा पित को, जसे<br />

सामा यतया कायालय-पित के नाम से जाना जाता ह। भली भांित समझ लेना ह कसी भी अिधकार<br />

या कमचार क सफलता क कुं जी ह। इसी कायालय पित के अंतगत कु छ उपयोगी जानकार आगे<br />

तुत क जा रह ह।<br />

डाक ाि पंजीकरण और ववरण:-<br />

एक कार के काय जस कायालय को सपा गया ह, उसका िन तारण करने के िलए पयवेक<br />

अिधकार के अितर त अ य कमचार होते ह। जस कायालय के िलए जो काय आवंटत कया गया ह<br />

उसके स ब ध म साधारण डाक को छोडकर जो भी डाक ितदन कायालय म ा त होती ह उसे डाक<br />

लेने वाले डाक िलपक ारा तारख तथा पदनाम सहत ह तार करके पावती द जायेगी। त प चात ्<br />

सम त डाक को अनुभाग के हसाब से तथा नाम वाले िलफाफे अिधकारय के अनुसार छांट िलये<br />

जायगे। अ याव यक डाक को पृथक कर दया जायगा। सम त डाक के ऊपर दांयी और एक मोहर<br />

लगेगी जस पर डाक ाि क ितिथ व रज टर सं या अंकत क जायगी।<br />

उपरो त छांट गयी डाक ाि रज टर पर िन नवत ् दज क जायेगी:-<br />

0 दनांक ा त डाक क प सं या व भेजने वाले का वषय कसको भेजी अ यु<br />

सं0<br />

दनांक<br />

पता<br />

गयी<br />

1 2 3 4 5 6 7<br />

दशायी जाएगी।<br />

डाक रज टर म अंकत म सं या डाक के ऊपर लगाई गई मोहर म उपयु त थान म


448<br />

सुवधानुसार एक या एक से अिधक डाक रज टर अनुभाग वार रखा जा सकता ह। एक से<br />

अिधक डाक रज टर के पहचान के िलए उस पर अनुभाग अंकत कर दया जायगा।<br />

डाक रज टर म डाक अंकत करने के प चात ् अनुभाग अिधकार के पास डाक पैड म रख कर<br />

भेज दए जायग। अनुभाग अिधकार उ त डाक, काय आवंटन के अनुसार माक करके डाक पैड म<br />

अिधकार के पास अवलोकना थ एवं आदेशाथ तुत कर देग। अिधकार से डाक पैड के वापस आने पर<br />

रज टर कपर ारा यह डाक स बधत िलपको/सहायक को तुत कर द जाती ह और अनुभाग<br />

वार रखी जाने वाली अथवा डाक रज टर म उनक पावती ले ली जाती ह।<br />

अित आव यक डाक जब कभी ा त होगी उसी समय वतरत क जायगी। अ य कार क<br />

डाक िनयिमत समय अथात 11 बजे ात: 2 बजे अपरा ह और 4 बजे अपरा ह पर वतरत क जा<br />

सकती ह। जहॉं तक स भव हो सके डाक क छंटाई, रज टर पर अंकत करने का काय डाक ा त<br />

होने के ह दन पूरा कर िलया जाय। एक अनुभाग से दूसरे अनुभाग को भेजे जाने वाली पाविलय<br />

तथा संदभ को अशास कय रज टर म पंजीकृ त कया जाता ह।<br />

डाक टकट रज टर:-<br />

डाक टकट रज टर येक सरकार कायालय म रखा जाता है। इस रज टर म जनपद से<br />

बाहर जाने वाले प डाक वभाग के मा यम से भेजे जाने वाले प को अंकत कया जाता है। भेजे<br />

जाने वाले प का ववरण िन नवत ् होगा:-<br />

0 दनांक प सं या व प पाने वाले का पास बचे लगाये गये टकट शेष बचे<br />

सं0<br />

नाम व पता<br />

टकट का मू य टकट<br />

1 2 3 4 5 6<br />

डाक अनुभाग का कमचार तथा अनुभाग अिधकार ितदन डाक टकट पंजका म क गई<br />

वय क जांच करेगा और ववरण के अनुसार अवशेष टकट क जांच करेगा और त प चात अपने<br />

ह तार दनांक सहत अंकत करेगा। माह म कभी-कभी अचानक ह यह िनरण करेगा क डाक<br />

टकट रज टर म डाक टकट का अवशेष सह ह। डाक टकट का भौितक स यापन भी करेगा। साथ<br />

ह वह डाक से भेजे जाने वाले तैयार िलफाफ का बना पूव सूचना के जॉच/परण करेगा जससे यह<br />

सुिन चत हो सके क िलफाफ पर लगाये गए टकट का मू य, ेषण रज टर म दखाए गए मू य<br />

से मेल खाता ह और इन िलफाफ लगाये गए टकट का मू य, ेषण रज टर म दखाए गए मू य से<br />

मूल खाता ह और इन िलफाफ पर उपयु त ऊं चे मू य वग के टकट का योग करते हुए कम से कम<br />

सं या म टकट लगाए गए ह। आहरण वतरण अिधकार येक माह सवस पो टेज टा प रज टर<br />

का िनरण करेगा और सुिनत करेगा क मौजूद टकट का मू य रज टर म दखाये गए मू य से<br />

मेल खाता ह।<br />

आलेखन:- (ट पणी)<br />

येक कायालय म उसके शासन व काय-कलाप के स ब ध म ाय: ह प आदान-दान<br />

होता रहता ह। यह पाचार के य या रा य सरकार, विभ न वभाग के अिधकारय अनेक संगठन<br />

या सं थाओं तथा जन सामा य के साथ होता ह। कु छ प यवहार, अ तवभागीय और काय करने<br />

वाले अिधकारय-कमचारय के साथ भी होता ह। कायालय म जो पाद ा त होते ह उनम िन तारण


449<br />

के िलए जो परण कया जाए और उसम िनहत सभी ब दुओं को प ट करते हुए जो लेखा अंकत<br />

कया जाए उसे आलेखन अथात ट पणी कहते ह। ट पणी के आधार पर ह सम उ चािधकार ारा<br />

िनणय िलए जाते ह या आदेश पारत कए जाते ह। इसिलए यह अ य त आव यक ह क ट पणी<br />

तुत करने अथात आलेखन का काय बड सावधानी से कया जाए। यह ट पणी जतनी सटक एवं<br />

साथक होती ह उतनी ह सुवधा करण को समझकर आदेश पारत करने म अिधकार को होती ह।<br />

2. ट पणी म पहले तो संेप म प का संदभ तुत करते हुए वचाराथ ब दु का ववरण दया<br />

जाना चाहए, फर उसके स ब ध म विधक थित, टांत आद का उ लेख करते हुए<br />

सारांश म अिभमत या सुझाव अंकत कया जाना चाहए। जहॉं कसी करण म कोई व तय<br />

उपाशय िनहत हो वहॉं भी थित प ट प से ट पणी म इंिगत क जानी चाहए। चूक<br />

ट पणी म अिभकथन, व तुथित, औिच य और सुझावा का ववरण दया जाना अपेत ह,<br />

इसिलए इस बात का यान अव य रखा जाना चाहए क उसम कोई मा मकता, -अथपन<br />

कटू या अनगलता आद न हो। इसी कार ट पणी राग ेष जिनत नहं होनी चाहए और<br />

उसका वप ऐसा होना चाहए क उसको पढकर उ चािधकार सरलता एवं सुवधा के साथ<br />

िनणय ले सक । ट पणी क भाषा सरल, सुबोध एवं सु प ट होनी भी आव यक ह। ट पणी से<br />

सहमत होने क दशा म उ चािधकार या तो के वल अपने ह तार कर देता ह अथवा सहमत<br />

या अनुमोदत अंकत करके नीचे अपने ह तार कर देता ह। यद कोई ब दु प ट नहं ह या<br />

सुझाव से वह असहमत होता ह तो वह पावली को पुन: वचार करने अथवा अ य सूचना<br />

तुत करने के िलए वापस कर देता ह। ऐसी दशा म पुन: ट पणी अिधकार के कोण<br />

और उसक जासाओं को यान म रखकर तुत क जानी चाहए जससे करण का<br />

िन तारण वलबत न हो।<br />

3. कसी वचाराधीन प पर ट पणी ार भ करने के पूव संदभ और ववरण िन न उदाहरण के<br />

अनुप देना चाहए:-<br />

0सं0-4............................ जलािधकार का प दनांक 14 िसत बर, 2003<br />

व0प0<br />

उसके बाद ट पणी जस अिधकार को स बोिधत क जाए उसका पदनाम िलखकर ट पणी<br />

ार भ क जानी चाहए। ट पणी शु करने समय अिधकार को सामा यत: वचाराधीन प<br />

तथा उस पर अंकत यद कोई पूव ट पणी हो, उसे पढने के िलए कहा जाता है। अिभाय यह<br />

ह क ट पणी म वचाराधीन प को यथावत उतारने क आव यकता नहं होती ह, अिधकार<br />

व0प0 को वयं पढकर आगे क ट पणी पढता ह। उस ारभक पैरााफ को वह समा त<br />

कर दया जाता ह, और उसके बाद नया पैरााफ शु कया जाता ह।<br />

4. येक ट पणी म थम पैरााफ को छोडकर अ य सभी पैरााफ को (2),(3),(4)<br />

................. क सं या देते हुए सं याब कर देना चाहए। ऐसा कर करने से ऊपर के<br />

अिधकारय को िनदश देने म सुवधा होती ह।<br />

5. एक वषय पर यथा स भव एक ह ट पणी िलखी जानी चाहए। यद उसके स ब ध म कई<br />

न पर िनणय क आव यकता हो, तो येक के स ब ध म अलग-अलग पैरााफ म


450<br />

ट पणी म ट पणी उपल ध कराना उपयु त होगा ताक अिधकार को अपना आदेश अंकत<br />

करने म आसानी ह।<br />

6. ाय: ऐसा देखा गया ह क ट पणी म उन पूव प का उ लेख पताकाओं ारा कया जाता ह<br />

जो प यवहार के आवरण म अथवा अ य पावली म रखे होते ह। ट पणी पर आदेश के<br />

प चात ् ाय: ये पताकाय हटा ली जाती ह, और बाद म कभी ट पणी पढने पर इन स दभ<br />

को ढूढना मुकल हो जाता ह। भव य म इस ट पणी को पढते समय स दभ देखे जा सक ,<br />

इस ये पा व म इन स दभ क म सं या और यद स दभ अ य पावली म ह तो<br />

उसक पावली सं या भी अंकत कर देनी चाहए।<br />

7. ट पणी सदैव अ य पुष (Third person) म िलखी जानी चाहए।<br />

ालेखन (आले य)<br />

ालेखन (आले य) का आशय होता ह क कसी वषय पर उ च अिधकार के आदेशानुसार<br />

स बधत प या उनके सारांश के आधार पर कसी आदेश, सूचना मृितप, ताव आद का प<br />

तैयार करना। स बधत अिधकार ारा अनुमोदत हो जाने पर आलो य अतम प ा त कर लेता<br />

ह, जसक आव यक सं या म ितिलपय टाइप कराकर अथवा व छ रित से िलखवाकर तैयार<br />

करायी जाती ह और अिधकार के ह तार कराकर स बधत यय या कायालय को भेज द जाती<br />

ह।<br />

2- आलेखन का एक िन चत उददे य होता ह। एक उ तम आले य उस उददे य को भली कार<br />

स प न करता ह। उदाहरणाथ एक कायालय क णाली को ह िलया जाये, कायालय म एक<br />

अिधकार होता ह जो उसका मुख होता ह। िभ न-िभ न कार के काय के िलए पृथक-पृथक<br />

कायालय िलपक/सहायक होते ह। एक प आता ह और एक िलपक/सहायक के सम पेश<br />

कया जाता ह। स बधत सहायक/िलपिलक से यह अपेा क जाती ह क वह उस प का<br />

उ तर िलखे। यह आले य स बधत/सम अिधकार के सम अतम अनुमोदन हेतु तुत<br />

कया जाता है। सववदत है क एक शु प ट एवं वत: पूण आले य अपने उददे य क<br />

पूित म सफल हो सकता ह। जस आले य म इन गुण का समावेश नहं होता वह अपने<br />

उददे य क पूित म असफल रहेगा। अ छे आले य को अनुमोदन दान करने म अिधकार को<br />

असुवधा नहं होगी और उ तर को नए िसरे से िलखने क आव यकता उ प न नहं होगी।<br />

इसके अितर त प यवहार स ब धी काय शीता के साथ स प न होगा। इसम इतना प ट<br />

ह क आले य का उददे य पाचार को अिधक वरत तथा कायालय को अिधक द बनाना<br />

ह।<br />

अ छे आले य के गुण-<br />

* शुता<br />

* पूणता<br />

* प टता<br />

* सरलता<br />

* सं तता


451<br />

* उ तम शैली<br />

* नता एवं िश टता,<br />

विभ न अवसर और परथितय के अनुसार शासन के आदेश, िनदश एवं िनणय आद क<br />

सूचना संबंिधत अिधकारय को ेषत करने के िलए विभ न कार के प प का योग कया जाता<br />

ह। कस अवसर पर कस कार के प प का योग कया जाना चाहए उसक चचा विभ न चचा<br />

विभ न प प का उ लेख करते समय यथा थान क जाएगी। शासकय पाचार म योग म आने<br />

वाले विभ न प प का उ लेख नीचे कया जा रहा ह:<br />

1- शासनादेश<br />

2- शासकय प<br />

3- परप<br />

4- साधारण प<br />

5- दुतगामी प<br />

6- अशासकय प<br />

7- अशासकय प<br />

8- पृ ठांकन<br />

9- कायालय ाप<br />

10- कायालय आदेश<br />

11- वि अिधसूचना<br />

(क) िनयु आद संबंधी<br />

(ख) िनयम समंधी<br />

(ग) भूिम अ याि संबंधी<br />

12- ेस वाि/ेस नोट<br />

13- संक प<br />

14- उदघोषणा<br />

15- तार<br />

16- कू ट स देश<br />

17- रेडयोाम<br />

18- टेले स<br />

19- अनु मारक<br />

20- अ तरम उ तर,<br />

21- ाि वीकार<br />

उपयु त प प क आलेखन विध तथा उनसे स बधत अ य आव यक ब दुओं का<br />

उ लेख नीचे कया जा रहा ह:-<br />

1- शासनादेश: शासन तर से जो प अधीन थ अिधकारय जैसे- वभागा य म डलायु त,<br />

जलािधकारय आद को भेजे जाते ह उ ह शासनादेश कहते ह। शासनादेश म स बोधन


452<br />

‘’महोदय’’ से ार भ होता ह। शासनादेश म ‘’मुझे यह कहने का िनदश हुआ ह क’’ से<br />

ार भ होता ह यक यह प रा यपाल क ओर से दए आदेश का संके त देता ह। इस<br />

श दावली का योग के वल सिचवालय के वभाग म ह कया जाना चाहए और अ य वभाग<br />

ार इस श दवली का योग अपेत नहं ह। इसका ाप परिश ट एक म दया गया ह।<br />

2- शासकय प-शासन ारा जो प उ चतर अिधकारय जैसे भारत सरकार अथवा समक<br />

अिधकारय, जैसे अ य रा य सरकार, महालेखाकार, लोक सेवा आयोग आद को भेजे जाते ह,<br />

उ ह शासकय प कहते है1 इसका ाप परिश ट दो (क) तथा (ख) म दया गया ह।<br />

3- परप-ाय: ऐसे अवसर आते ह जब कितपय नीितय आदेश, िनणय आद से सम त<br />

अिधकारय, वभागा य/कायालय य म डलायु त, जलािध कारय आद को समान प<br />

से अवगत कराये जाने क आव यकता होती ह। ऐसे अवसर पर एक ह प उन सभी<br />

अिधकारय को भेजे जाते ह जस परप कहते ह। इसका ाप परिश ट तीन म ह।<br />

4- साधारण प अधीन थ अिधकारय वभागा य ारा जो प शासन को अथवा अ य<br />

अिधकारय को भेजे जाते ह उ ह साधारण प कहते ह। इसका ाप परिश ट चार म दया<br />

गया ह।<br />

5- दुतगामी प तार पर होने वालो यय को बचाने के िलए तार के समान ह जा प (संेप म)<br />

िलखकर डाक ारा भेजा जाता ह उसे दुतगामी प कहते ह। ा तकता ारा ऐसे प को तार<br />

के समान ह मह व दया जाता ह। इसका ाप परिश ट पांच म दया गया ह।<br />

6- अशासकय प-अशासकय प मह वपूण थान रखता ह। ऐसा प कसी मह वपूण मामल<br />

म अथवा कसी गोपनीय मामले म अथवा कसी वल ब त मामल म संबंिधत अिधकार का<br />

यगत यान आकषत करने के उददे य से िलखा जाता ह। के य मंय, रा य मंय,<br />

शासन के सिचव के म य सामा यतया अशासकय प ारा ह पाचार होता ह। इसका<br />

ाप परिश ट छ: म दया गया ह।<br />

7. अशासकय प- वभाग/अनुभागो के म य अनौपचारक तौर से परमश अथवा सूचनाओं के<br />

आदान-दान हेतु या पाविलय क वापसी हेतु प भेजने के िलए अशासकय प भेजा जाता<br />

ह। इसका ाप परिशष ्ट सात (1) तथा (2) म दया गया ह।<br />

8- पृ ठांकन- जब कसी अिधकार को स बोिधत प कसी अ य अिधकार को सूचनाथ या<br />

आव यक कायवाह हेतु भेजनी होती ह तो उसी प को नीचे पृ ठांकत कर दया जाता ह।<br />

कसी शासनादेश/शासकय प के पृ ठांकन के नीचे आा से िलखा जाता ह और उसके नीचे<br />

ेषक अिधकार के ह तार होते ह। इसका ाप परिश ट आठ म दया गया ह।<br />

9. कायालय ाप-कायालय ाप पाचार का वह प ह जसका योग एक ह सं था अथवा एक<br />

ह ािधकार के अधीन थ कायालय अथवा कमचारय को औपचारक विश ट या सामा य<br />

मामल म कोई आदेश, िनदश तथा संदेश ेषत कये जाते ह। इसका ाप परिश ट नौ (1)<br />

एवं (2) म दया गया ह।<br />

10. कायालय आदेश-इसका योग एक वभागा य अथवा उसके कसी उ च अिधकार ारा अथवा<br />

सिचवालय के कसी शाखा ारा अपने शासकय िनयंण म काय करने वाले कमचारय क


453<br />

अिध ठान संबंधी मामल म जैसे थाना तरण तैनाती, अवकाश क वीकृ ित दता रोक पार<br />

करना, ो नित के मामले आद म पारत आदेश को ेषत करने म कया जाता ह। ऐसे<br />

मामल म कायालय ाप का योग नहं कया जाना चाहए। इसका ाप परिश ट दस म<br />

दया गया ह।<br />

11- वाि/अिधसूचना- कु छ ऐसे मह वपूण मामले होते ह जसम जनता क जानकार के िलए<br />

वियां जार क जाती है। अिधिनयम, िनयम, विनयम सेवा िनयमावाली लागू करने के<br />

वषय म भी वियां जार क जाती ह। इसका ाप परिश ट यारह (1),(2) तथा (3) म<br />

दया गया ह।<br />

12- ेस वि-कसी शासकय िनणय के यापक चार के उददे य से ेस वि या ेस नोट<br />

जार कया जाता ह। ेस वि अपने ाप म ेस नोट क अपेा अिधक औपचारक होता<br />

ह और समाचार प ारा उसे मूल प म कािशत करना अपेत होता ह। ेस नोट एक<br />

सूचना के यप म दया जाता है। स पादक अपने कोण से सं त या परवितत भी कर<br />

सकता ह। ेस वि अ य कथन के प म तृतीय पुष म िलखा जाता ह और समाचार<br />

प म इसके काशन क यव था सूचना िनदेशक ारा क जाती ह। इसका ाप परिश ट<br />

बारह म दया गया ह।<br />

13- संक प- शासन के सम ऐसे अवसर भी आते ह जब कसी रा य यापी सम या क जांच एवं<br />

िनदान के िलए उसे उ च तरय सिमितय या आयोग का गठन मंपरषद के अनुमोदन से<br />

करना पडता ह। इस गठन क घोषण जस ाप म होती ह उसे संक प कहते ह और<br />

सवैसाधारण के सूचनाथ इसे सरकार गजट म भी कािशत कया जाता ह। इन<br />

सिमितय/आयोग क सं तुितय को शासन ारा वीकार कये जाने क दशा म भी संक प<br />

जार कए जाते है। इसका ाप परिश ट तेरह (क) तथा (ख) म दया गया ह।<br />

14- उघोषण- संवधान के अ तगत द त शाय का योग करते हुए भारत के रा पित ारा<br />

उदघोषण जार क जाती ह। जैसे देश के अ दर आपात काल क उदघोषण या कसी शु देश<br />

ारा आमण होने पर यु क उदघोषण। इसका ाप परिश ट चौदह म दया गया ह।<br />

15- तार- बहुत आव यक मामल म तार का उपयोग कया जाता ह। वशेषकर उस समय जब बहुत<br />

शीता अपेत ह चूक डाक वभाग के मा यम से कोई भी तार भेज सकता ह इसिलए<br />

सरकार अिधकारय ारा भेजे गए तार क पु म उसक ह तारत ित डाक से भेजी जाती<br />

ह। िमत यियता क से ठेलीाफक पत का ह योग करना चाहए। इसका ाप<br />

परिश ट प ह म दया गया ह।<br />

16- कू ट संदेश- गोपनीय संदेश गु त श दावाली म तार ारा भेजे जाते ह। यह के वल ािधकृ त<br />

अिधकार जसे गु त श दावाली क जानकार होती ह, भेजा जाता ह।<br />

17- रेडयोाम- रेडयोाम का योग पुिलस वायरलेस टेशन से कया जाता ह। इसे ािधकृ त<br />

अिधकार पुिलस वभाग के मा यक से भेजते ह। इसका योग सामा यतया शात और सुरा<br />

संबंधी मामल म या दैवी आपदा जैसे बाढ आद क थित म कया जाता है। इसम तार जैसी


454<br />

श दावली का ह योग कया जाता ह। यद रेडयोाम बहुत ता कािलक ह तो दाहनी और<br />

ै श िलख दया जाता ह। इसका ाप परिश ट सह म दया जाता ह।<br />

18- टेले स- मह वपूण मामल म दुतगामी संदेश के सारण हेतु ठेले स का योग कया जाता है।<br />

इसका ाप परिश ट अठारह म दया गया ह।<br />

19- अनु मारक- जब कसी प का उ तर ा त होने म वल ब होने लगता ह तब मरण दलाने<br />

के िलए जो प उस कायालय को भेजा जाता ह, उसे अनु मारक कहते है। अनु मारक म पूव<br />

ेषत प का तथा वषय का उ लेख अव य करना चाहए। इसका ाप परिश ट उ नीस म<br />

दया गया है।<br />

20- अ तरम उ तर- ाय: शासन को भारत सरकार, अ य रा य सरकार वभागा य अथवा जन<br />

ितिनिधय से इस कार के ताव ा त होते ह जसम स यक वचारोपरा त ह कोई<br />

अतम िनणय िलया जाना संभव होता ह और इस या म पया त समय लग सकता ह।<br />

ऐसी थित म ेषक अिधकार या य को यह सूिचत कर दया जाता ह क उनसे ा त<br />

ताव शासन के वचाराधीन ह और िलए गए िनणय से उ ह यथाशी अवगत कराया जाएगा।<br />

य ह यान रखने क बात ह क अ तरम उ तर क भाषा सं त होनी चाहए। इसका ाप<br />

परिश ट बीस म दया गया ह।<br />

21- ाि वीकार- कसी प क ाि वीकार करने के िलए इस कार का प भेजा जाता ह।<br />

जन ितिनिधय या जनता के कसी य से जब कभी उपयोगी सुझाव ा त होते ह तो<br />

उनक ाि वीकार करते हुए उ ह ध यवाद भी दया जाता ह। इसका ाप परिश ठ 21<br />

(क) तथा (ख) म दया गया ह।<br />

नई पाविलय का खोला जाना-<br />

डाक के ा त होने पर जो मामले नये कार के होते है उनके संबंध म नई पावली खोली<br />

जाती ह। पा विलय को तलाशने म कोई कठनाई न हो इसके िलए जो भी नई पाविलयां खोली जांच<br />

इनक इंडेसंग वषय व तु को यान म रखते हुए क जाए और उसके िलए जतने कै च-वडस हो उन<br />

सभी म इंडेसंग क जानी चाहए। जो पावली खोली जाय उसम दो कवर रखे जाने चाहए एक कवर<br />

ट पणी तथा आदेश के िलए तथा दूसरा कवर प यवहार के िलए। प यवहार के िलए। प यवहार<br />

के कबर म सारे प को उसी कार से मबता म लगाया जाय जस कार से उनका उ लेख<br />

ट पणी म कया गया ह। सम त प को टेग से बांध दया जाय ताक प इधर-उधर न हो सके ।<br />

अलग-अलग वषय पर जहां तक स भव हो, अलग-अलग पावली खोली जाय। जब कसी<br />

मामल म कोई ऐसा प ा त हो जसम दो कार के वषय का उ लेख हो तो ऐसी थित म उस<br />

प क ित अथवा उदहरण लेकर उसम अलग से रज टर पर न बर डलवाया जाय और दोन संदभ<br />

को अलग-अलग पाविलय म तुत कया जाय। इस बात का यान रखा जाय क संबंिधत<br />

पाविलय को िलंक करके रखा जाय और जहां पर इसके िलये थान दया हुआ ह वहां िलंक कये<br />

जाने का उ लेख कर दया जाय।


455<br />

आदेश पुतका<br />

आदेश पुतका सम त सरकार और अ सरकार कायालय म होती ह यह पुतका एक<br />

साधारण से ज द बंद रज टर पर बनायी जाती ह। जसम थम पृ ठ पर कायालया य ारा<br />

रज टर म म सं या एक से जतने पृ ठ ह का माण प अंकत कर अपने ह तार अंकत कये<br />

जाते है। येक आदेश पर एक मांनुसार सं या अंकत क जाती ह तथा आदेश िलखने के प चात ्<br />

ह तार तथा ितिथ अंकत क जानी आव यक ह। यह पंजका अिध ठान सहायक अथवा अनुभाग<br />

अिधक के पास रहती ह।<br />

रज टर का रज टर<br />

रज टर का रज टर से आशय उस रज टर से ह जो कायालय के अिभलेखागार म रखे हुये<br />

रज टर का ववरण जस रज टर म दज कया जाता है। उसे रज टर का रज टर कहते है। यह<br />

रज टर सदैव अिभलेखागार म अिभलेख सहायक क सुरा म रहता है।<br />

कायालय अिभलेखा (अिभलेखा ब ध)<br />

सरकार कायालय म आव यकता पडने पर 1- पाविलय का खोला जाना 2- पाविलय पर<br />

िनणय िलया जाय एंव 3- कायवाह समा त होने के उपरा त अिभलेखागार म पाविलय को दाखत<br />

करना थापत व सतत या ह। इस या म कसी भी कड पर वांिछत कायवाह न होने अथवा<br />

कायवाह म िशिथलता होने के कारण न के वल काय का वोछ बड जाता ह, बलक एक तर पर स पूण<br />

या मंद हो जाती ह। इसके अितर त या क विभ न कडय म सरलता/सुगमता होने के<br />

थान पर घषण एवं संघष पैदा हो जाता ह। परणामत: न के वल कायालय क कायदता कु भावत<br />

होती ह बक कमचारय के पर पर संबंध भी तनावयु त हो जाते ह जो क कसी भी सं था के िलये<br />

अपने ल य ाि क कोण से कदाप उिचत नहं ह। उदाहरण के िलए कसी भी कभी के पास<br />

वतमान म समा त पाविलय का जमा बडा बने रहने से आव यकता पडने पर संबंिधत सहायक से<br />

वांिछत पावली नहं िमल पाती ह जससे न के वल उसका अमू य समय न ट होता ह बक काय<br />

समय से न होने के कारण साथी किमय एवं उ च अिधकारय को झुझलाहट होती ह।<br />

अिभलेख ब ध के संबंध म काय-कलाप<br />

अिभलेख ब ध म अिभलेखन ितधारण पुन: ाि तथा छटाई से संबिधत काय कलाप आते<br />

ह। अथात ् कायालय म जो भी सरकार काय स प न कये जाते ह उनसे स बधत मह वपूण<br />

अिभलेखा (प, आदेश िनयम) आद को इस कार से रखना क उन अिभलेख को अनक वष तक<br />

आव यकता पडने पर उसे कायालय के काय हेतु उपल ध कराया जा सके । जो अिभलेख देखने हेतु मांगे<br />

जाते है उसे पुन: ा त करके अिभलेखागार म रखने क या भी अिभलेखा ब ध के अंतगत आते<br />

ह।<br />

अिभलेख ब करने क यव था-<br />

पावली म वचार कए गए मामल पर कायवाह हो जाने के प चात उनको पयवे अिधकार<br />

के परामश से अिभलेख ब करके दया जाना चाहए। लेकन िनता त अ थायी कृ ित के पाविलय<br />

क जनम कु छ कम मह वपूण अथवा ऐसे कागज हो जनके संदभ क भव य म कोई आव यकता<br />

नहं ह उ ह अिभलेख ब न करके न ट कर दया जायेगा।


456<br />

्<br />

अिभलेख ब करने क या-<br />

पावली पर मामल म संबंध म अपेत कायवाह पूर हो जाने पर स ब कमचार अपने<br />

पचवेी अिधकार के परामश से िन निलखत िनधारत या के अनुसार पावली को ब द करेगा<br />

तथा अिभलेखब करेगा-<br />

(क) पावली के आवरण पर अवधारण अविध और न ट करने का वष अंकत करेगा।<br />

(ख) जहां कहं आव यकता हो पावली के शीषक संशोिधत करेगा जससे पावली के अ त वषय<br />

का ान हो सके ।<br />

(ग) सभी अितशय कागज क जैसे क समरण प, ाि वीकार प, क चे आले य, फालतू<br />

ितय आद को पावली से िनकाल देगा तथा उ ह न ठ कर देगा।<br />

(घ) पावली के आवरण पर पावली सं या मोटे अर म िलखा जाएगा ताक पावली कस वष<br />

खोली गयी ात हो सके ।<br />

(ड) पावली रज टर के अतम कालम म अिभलेख ब िलखकर दनांक अंकत कया<br />

जाएगा।<br />

(च) अिभलेखब कए गए पावली को अिभलेख लक के पास भेज देगा।<br />

अिभलेख लक अिभलेखागार के िलए अिभलेखब कए गए पाविलय के ित त कागज<br />

क मर मत करवाकर तथा पाविलय क िसलाई करवाकर एक रज टर म िन नवत अंकत करेगा-<br />

0 सं0 अिभलेखब क गयी पावली सं या दनांक अनुभाग<br />

1 2 3 4<br />

अिभलेख क् लक ारा अिभलेखब रकाड को सुरत रखने क अविधय का पालन करेगा।<br />

िनधारत अविध के समा त होने पर पुन: जांच करके उ ह न ट कर दया जायेगा।


457<br />

ेषक,<br />

नृप िसंह नपल याल,<br />

मुख सिचव,<br />

उ तराचंल शासन।<br />

सेवा म,<br />

1- सम त मुख सिचव/सिचव, उ तरांचल शासन।<br />

2- सम त वभागा य/कायालया य, उ तरांचल शासन।<br />

3- म डलायु त गढवाल/कु मायूं म डल उ तरांचल।<br />

4- सम त जलािधकार, उ तरांचल।<br />

सं या 1712/कािमक-2/2003<br />

कािमक अनुभाग-2 देहरादून, दनांक 18 दस बर, 2003<br />

वषय:- चर पंजकाओं म वाषक वय, स यिन ठा माण प ितकू ल व संसूिचत<br />

करना उसके व यावेदन और यावेदन िन तारण क या।<br />

महोदय,<br />

उपयु त वषय पर मुझे यह कहने का िनदेश हुआ ह क रा याधीन सेवाओं म लोक<br />

सेवक क वाषक वय अंकत कये जाने, स यिन ठा माणत कये जाने, ितकू ल व<br />

संसूिचत कये जाने और उनके व ा त यावेदन के िन तारण कये जाने के स ब ध म समय-<br />

समय पर िनदश िनगत कये गये ह पर तु ाय: यह देखने म आया ह क लोक सेवक क वाषक<br />

वय के करण म इस स ब ध म जार दशा िनदश का पालन नहं कया जाता ह। इस स ब ध<br />

म समय-समय पर जार कये दशा िनदश को एकजाई करते हुए वाषक वय अंकत करने,<br />

स यिन ठा माणत करने, ितकू ल वय को संसूिचत करने और उनके व ा त यावेदन का<br />

िन तारण करने के स ब ध म िन निलखत या िनधारत क जा रह ह:-<br />

लोक सेवाओं एवं लोक सेवक के िलये वाषक गोपनीय वय का मह व<br />

1. सरकार सेवाओं क वाषक गोपनीय वयॉं देने के िनयम का ावधान एम0जी0ओ0 के<br />

अ यान 140 म ह। एम0जी0ओ0 म वय को देने क या, वय को देने क सीमा<br />

अथात ् स यिन ठा माण-प रोकने व ितकू ल वय को संसूिचत करने उनके व<br />

यावेदन देने और यावेदन पर िनणय लेने क अविध सीमा के ावधान ह। इसके अलावा<br />

ितकू ल वाषक गोपनीय रपोट के व यावेदन एवं सहब मामल के िनपटार के िलए<br />

संवधान के अनु छेद 309 के अ तगत उ तरांचल सरकार सेवक (ितकू ल वाषक गोपनीय<br />

रपोट के व यावेदन एवं सहब मामल को िनपटारा) िनयमावली, 2002 बनाई गई ह।<br />

2. राजकय सेवाओं म तैनात सभी तर क अिधकारय/कमचारय के सेवा स ब धी सम त<br />

मामल के संदभ म उनक चर पंजकाओं क वय का सबसे अिधक मह व ह। चर<br />

पंजकाओं म अंकत वय कसी भी अिधकार/कमचार के य व, उसक ितभा,<br />

उपयु त आद के बारे म बैरोमीटर का काय करती ह। अिधकारय/कमचारय के सम त


458<br />

कािमक यव था स ब धी मामल यथा तैनाती, ो नित, अिनवाय सेवािनवृ, वशेष िशण<br />

आद करण के िन तारण हेतु चर पंजकाओं क वय ह एक ऐसा मा यम ह जनके<br />

आधार पर समुिचत िनणय िलया जाना स भव होता ह।<br />

3. सेवा संवग म अिधकारय के कै रयर लािनंग तथा कै डर मैनेजमे ट जैसे मह वपूण करण<br />

पर कारगर कायवाह हेतु चर पंजकाओं क वय का मह व िनववाद ह।<br />

4. वय का मूल उददे य स बधत अिधकार/कमचार के काय का एक िन प और<br />

फलदायी (Fair & Objective Assessment) मू यांकन ह ह, पर तु वय के अंकत करने के<br />

अिधकार को एक िनयंणा मक तं (Control mechanism) समझा जाने लगा ह जससे उसक<br />

ितभा उसका य व वा तवक प से उभारकर नहं आ पाता ह। होना चह चाहए क<br />

वाषक वय अंकत करने क कया को (Performance Appraisal) के एक ऐसे<br />

वप/मा यम के प म योग कया जाय जससे क:-<br />

(1) स बधत अिधकार/कमचार के काय के िन प मू यांकन के साथ ह उसके काय<br />

म सामियक सुधार होता रहे;<br />

(2) अ छे अिधकारय/कमचारय का मनोबल बढे;<br />

(3) उ ह ो साहन िमले;<br />

(4) अपरप व अिधकारय का समुिचत माग दशन हो;<br />

(5) भव य म आने वाली उपयु तता क ओर भी दशा इंिगत क जाये ताक<br />

अिधकार/कमचार के य व म िनर त सुधार तथा उसे सुयो य बनाने के साथ ह<br />

विभ न सं थागत सुधार को भी सुिनयोजत कया जा सके और उनक तैनाितय के<br />

समय ऐसा मागदशन ा त हो सके क अमुक अिधकार/कमचार कस काय वषेश के<br />

िलये अपेाकृ त अ छ ितभा और यो यता रखता ह। लो कहत क उपलधय के<br />

िलये वह कायवाह अ य त ह अपरहाय ह और इसे बहुत सावधानीपूवक िनभाना<br />

चाहए;<br />

(6) अयो य, अकु शल, अिन ठावान को िनयमानुसार दडत भी कया जा सके ;<br />

(7) लोक हत दशा म भी यह कायवाह भली कार सुिनत क जानी चाहए ताक<br />

अिधकारय क तैनाती, थायीकरण पदो नित अिनवाय सेवािनवृ आद के बारे म<br />

याय संगत कायवाह क पु का अिधकार िमल सके । जो जैसा हो उसका वा तवक<br />

मू यांकन प ट प से उपल ध हो;<br />

(8) सरकार कमचारय का भव य मु यत: उनक चर पंजकाओं म अंकत वय<br />

पर िनववाद िनभर करता ह। इसके िलये यह आव यक ह क वयॉं िन प भाव<br />

से िलखी जाय जससे कमचारय के काय का सह तथा पूरा मू यांकन हो सके । वहं<br />

यह भी मह वपूण ह क वयॉं समय से अंकत क जाय और ितकू ल वय से<br />

स बधत कमचारय को अितशी अवगत कराया जाय ताक उनम इंिगत क गयी<br />

किमय को वे सुधार सक या यद चाह तो उनके व यावेदन कर सक । यप<br />

इस वषय पर समय-समय पर शासन ार िनदेश दये जाते रहे ह पर तु यवहारक


459<br />

प से उनका ठक पालन नहं हो पा रहा ह। बहुधा अिधकार वग वष क समाि पर<br />

यथाशी अपने अधीन थ कमचारय के वषय म तुर त वयॉं नहं अंकत करते।<br />

ल बी अविध तक ितकू ल वय से स बधत अिधकार को अवगत नहं कराया<br />

जाता ह और उनके व ितवेदन पर ाय: वष तक िनणय नहं िलया जाता ह;<br />

(9) व अंकत करने से लेकर ितकू ल व के व ा त यावेदन पर िनणय<br />

तक कमचारय को हािन होने क स भावना रहती ह, वशेषकर उस समय जब वे<br />

पदो नित पाने के पा होते ह। अतएव ऐसी थित का सुधार करने तथा वाषक<br />

वय से स बधत येक काय म गित लाने के िलये शासन ने हर तर पर<br />

समय-सारणी िनधारत क ह ताक हर तर पर समयाविध से भीतर वाषक वयॉं<br />

चर पंजकाओं म अंकत हो सके । यह नहं वरन रा य सरकार ने ितकू ल व<br />

ससूिचत करने उसके व यावेदन देने तथा उसके िन तारण क समय-सारणी भी<br />

उ तरांचल सरकार सेवक (ितकू ल वाषक गोपनीय रपोट के व यावेदन और<br />

सहब मामल का िनपटारा) िनयमावली, 2002 यापत करके िनधारत कर द ह।<br />

इस िनयमावली के अ तगत जहॉं स बधत सरकार सेवक को कसी ितकू ल रपोट<br />

को संसूिचत करने के िलये विधक प से बा य कोई अिधकार या उलखत<br />

िनयमावली के अधीन कसी भी ितकू ल रपोट के व यावेदन को िनपटाने म<br />

विधक प से सम कोई अिधकार उसके िलये वहत अ विध के भीतर ऐसा करने म<br />

जानबूझ कर वफल रहता ह या सिचवालय का अनुभाग अिधकार और सिचवालय से<br />

िभ न कसी कायालय का भार अिधकार या पदधार ितकू ल रपोट के व ा त<br />

यावेदन को उस पर समुिचत अिधकार क टका-टप ्पणी और अ य सुसंगत<br />

अिभलेख यद कोई ह, यावेदन क ाि के तुर त प चात: यथाथित, सम<br />

अिधकारय/ वीकता अिधकार के सम नहं रखता ह और यद उसम ऐसा<br />

जानबूझकर कया ह ऐसी थितय म वे कदाचार के दोषी हगे और उन पर लागू द ड<br />

िनयम के अनुसार कदाचार के िलए द डनीय हगे।<br />

वाषक गोपनीय वयॉं अंकत करने क या उसके िलये िनधारत समय-<br />

सारणी, ितकू ल वय को संसूिचत करने, उसके व यावेदन देने तथा<br />

यावेदन के िन तारण क समय-सारणी ितकू ल वय से स बधत िनयमावली<br />

का सारांश और स यािन ठा माण प रोकने के स ब ध म या का ववरण नीचे<br />

दया जा रहा ह-<br />

विभ न ेणी के सरकार सेवक क वाषक वय देने के तरय अिधकार<br />

2. ेणी ‘घ’ के कमचारय के स ब ध म व उसी अिधकार ारा िलखी जायेगी, जसके साथ<br />

वह कमचार सरकार काय के िन पादन म स ब रहा हो। इस वग के कमचारय के िलए एक ह<br />

तर, क व पया त मानी जायेगी। अ य अराजपत कमचारय के स बनध म व िलखने के<br />

िलये दो तर ितवेदन तथा वीकता ािधकार िनयम कये गये ह। राजपत अिधकारय के स ब ध<br />

म व िलखने के िलए तीन तर ितवेदक, समीक तथा वीकता ािधकार िनयत कये गये ह।


460<br />

वयॉं देने के िलये सम अिधकार<br />

3. येक अिधकार क वाषक गोपनीय व ठक उसके ऊपर के ािधकार (ितवेदक<br />

ािधकार) ारा िलखी जायेगी। उस व का पुनरण व िलखने वाले अिधकार के ठक ऊपर<br />

के अिधकार ारा तथा उसका वीकरण पुनरण करने वाले अिधकार के ठक ऊपर के अिधकार ारा<br />

कया जायेगा। सम त शासिनक वभाग अपने अधीन थ सेवाओं के कायरत कमचारय तथा<br />

अिधकारय के स ब ध म आव यकतानुसार ितवेदक/समीक/ वीकता ािधकार िनयत कर ल।<br />

वाषक गोपनीय वय का अतमीकरण<br />

4. (1) वाषक व अंकत करने हेतु िनधारत तर से िभ न कसी अिधकार ारा वाषक<br />

व म म त य अंकत नहं कया जायेगा।<br />

(2) यवहारकता के आधार पर यद शासिनक वभाग पूव िनधारत तर म कोई<br />

संशोधन करना चाहे तो ऐसा करने के िलये वतन ् ह पर तु कये गये तर के<br />

अनुसार ह वाषक व का अतमीकरण कया जायेगा।<br />

(3) येक शासिनक वभाग के तर पर चर पंजका सुरत रखने का दािय व<br />

िनधारत कर दया जाय और ऐसे अिधकार अपने तर पर यह सुिनत कर ल क<br />

िनधारत तर से िभ न कसी अिधकार ारा व अंकत नहं क गयी ह।<br />

व देने वाले अिधकार ारा काय देखने क समय सीमा<br />

5. व िलखने, उसका पुनरण अथवा वीकरण करने के िलये यह आव यक ह क उ त<br />

अिधकार ने स बधत कमचार/अिधकार का काय कम से कम 3 मास तक देखा हो। यद<br />

ितवेदक अिधकार ने कसी अिधकार का काय कम से कम 3 मास तक नहं देखा ह और<br />

समीक अिधकार ने उसका काय उ त अविध म देखा ह जो उसक व समीक अिधकार<br />

ारा िलखी जायेगी तथा उसका पुनरण तथा वीकरण वीकता अिधकार ारा कया जायेगा।<br />

यद कसी अिधकार का काय ितवेदक तथा समीक अिधकार दोन ने कम से कम तीन<br />

महने तक नहं देखा ह और वीकता ािधकार ने उसका काय उ त अविध म देखा ह तो<br />

उसक व वीकता ािधकार ारा िलखी जायेगी और यद ितवेदक/ समीक तथा<br />

वीकता अिधकार म से कसी ने इस अिधकार का काय कम से कम 3 महने तक नहं देखा<br />

ह तो इस आशय का उ लेख चर पंजका म कर दया जायेगा।<br />

वशेष परथितय म व देने के िलये तीन माह का िनयम लागू न होगा, बशत<br />

क व म काय का सामा य मू यांकन न कया जाय, वरन उसम वश ट त य एवं<br />

घटनाओं के आधार पर कमचार/अिधकार वशेष क भूिमका के स बनध म अनुकू ल या<br />

ितकू ल म त य का उ लेख कया जाये।<br />

नोट:- तीन माह क अविध क गणना के स बन ्ध म यह प ट कया जाता ह क स बधत<br />

अिधकार उपाजत अवकाश, िचक सा अवकाश, अथवा िनजी काय पर अवकाश पर रहता ह,<br />

अथवा कायभार से मु त होकर कसी अ य योजन हेतु अपने पद पर कायरत नहं रहता ह<br />

अथवा अपने काय थल से दूर िशण पर बाहर रहता ह तो ऐसी अविध क गणना उ त


461<br />

तीन मास म नहं क जायेगी। 15 दन से कम अविध का अवकाश तथा आकमक अवकाश<br />

आद उ त तीन मास क गणना हेतु कसी भी थित म नहं घटाया जायेगा।<br />

ितवेदक, समीक व वीकता अिधकार के अवकाश हण-करने, थाना तरण िनल बन, पद से<br />

याग-प देने क थितय म व िलखने, उसके पुनरण अथवा उसके वीकरण के अिधकार के<br />

बारे म थित-<br />

6. (1) यद ितवेदक अिधकार ारा वाषक व अंकत कर द गयी ह क तु समीक<br />

अथवा वीकता अिधकार सेवािनवृ त हो जाने, पद याग देने और िनलबत रहने के करण<br />

व क समीा अथवा वीकरण नहं कर सके ह तो ऐसी थित म समीक/ वीकता<br />

ािधकार म से कसी एक या दोन क व के अभाव म ितवेदक अिधकार ारा अंकत<br />

व स बधत अिधकार क आलो य वष क व मानी जायेगी।<br />

(2) यप सेवा िनवृ हो जाने के बाद स बधत अिधकार को वाषक या कसी कार<br />

क व देने का अिधकार नहं रह जाता लेकन इसका यह ता पय नहं क जन<br />

कमचारय/अिधकारय का काय उसने तीन माह से अिधक अविध के िलये देखा ह<br />

उसके काय के मु यांकन करके अपनी राय तुत न करे। सेवािनवृ त होने वाले<br />

अिधकार का सामा यत: अपनी सेवािनवृ त क ितिथ क जानकार होती ह। अत: उस<br />

ािधकार का यह कत य ह क वह सेवािनवृ क ितिथ से एक माह पहले अपने<br />

अधीन थ कमचारय, अिधकारय के काय का मू यांकन करके व दे द।<br />

(3) सेवािनवृ त किमय क चर पंजका म उनक सेवािनवृ क ितिथ से एक माह के<br />

अ दर व अंकत कर द जायेगी। तदोपरा त उनक चर पंजी म कसी भी तर<br />

म कोई वाषक व नहं क जायेगी अथात सेवािनवृ क ितिथ के एक माह के<br />

भीतर ह सम तर से ऐसी वय अंकत क जा सक गी।<br />

(4) जब कसी अिधकार का थाना तरण अचानक हो जाये और उनका अपनी पुरानी जगह<br />

से चाज देने और नई जगह पर चाज लेने के िलए इस कार ितिथ का िनधारण कया<br />

गया हो क उनको अपने अधीन थ कमचारय/अिधकारय के काय के स ब ध म<br />

व देने या ट पणी छोडने का समय न हो तब ऐसे मामल म नई जगह पर जाते<br />

समय वे उन सभी कमचारय/अिधकारय क सूची अपने साथ लेते जाये जनके<br />

स ब ध म उनको व देनी ह और नई जगह पर चाज लेने के एक महने के अ दर<br />

वह इन कमचारय/अिधकारय के स ब ध म व िनत प से भेज द।<br />

हर सरकार सेवक क गोपनीय व अैल 1 से माच 31 तक अविध क हर<br />

वष िन न समय-सारणी के अनुसार क जायेगी:-<br />

वयॉं देने क समय-सारणी<br />

7. (1) अराजपत कमचारय क वाषक व हर हालत म दनॉक 31 अग त तक पूर<br />

कर ली जाये। जनम दो तर िनधारत हो इनम ितवेदक अिधकार 31 जुलाई तक ह<br />

वीकता ािधकार को अपनी सं तुित उपल ध करा द।


462<br />

(2) ऐसे राजपत अिधकारय जनके ितवेदक अिधकार, समीक अिधकार और<br />

वीकता अिधकार वभागा य अथवा उनसे िन न तर के अिधकार ह उनके<br />

अधीन थ अिधकारय क वाषक वयॉं िनय प से दनॉक 31 अग त तक पूण<br />

तक कर ली जाय।<br />

(3) ऐसे राजपत अिधकार जनके समीक अिधकार और वीकता अिधकार शासन तर<br />

के अिधकार ह, क वाषक व वभागा य ारा शासन के स बधत शासिनक<br />

वभाग को दनॉक 31 अग त तक भेज देना चाहए और शासन का स बधत वभाग<br />

इन वय को 30 िसत बर, तक पूण करा लेग।<br />

(4) ऐसे राजपत अिधकार जनके ितवेदक अिधकार, समीक अिधकार एवं वीकता<br />

अिधकार शासन तर के अिधकार ह, क वाषक वयॉं िन न समय-सारणी के<br />

अनुसार क जायेगी:-<br />

(क) ितवेदक अिधकार – दनॉक 31 जुलाई तक<br />

(ख) समीक अिधकार – दनॉक 31 अग त तक<br />

(ग) वीकता अिधकार – दनॉक 30 िसत बर तक<br />

राजपत अिधकारय ारा काय ववरण तुत करना<br />

8. राजपत अिधकारय को ऐसी अविध जसके बारे म व द जानी हो, म कये गये काय<br />

के ववरण (डसा शन ऑफ वक ) देने हेतु अवसर देकर उसे ा त कया जाये और ऐसे<br />

ववरण के वल त या मक प से एक फु ल के प पेज म 300 श द तक ह िनधारत पानुसार<br />

स बधत अिधकार ारा ितवेदक ािधकार को वल बतम 15 अैल तक उपल ध करा दया<br />

जाये। व के प म ितवेदक ािधकार को सबसे थम उपरो त ववरण के स ब ध म<br />

अपनी ितया य त करनी चाहए, जससे यह प ट कया जाये क या वह अिधकार के<br />

वमू यांकन से सहमत ह और यद नहं तो य ? यद स बधत अिधकार ारा काय<br />

ववरण अैल के तीसरे स ताह के अ त तक ितवेदक ािधकार को उपल ध नहं कराया<br />

जाता ह, तब बना उसक तीा कये ितवेदक ािधकार ारा अपना मंत य अंकत कर<br />

दया जायेगा।<br />

नोट:- यद क हं मामल म िनधारत समय-सारणी के अनुसार व को िलखे जाने म ितवेदक<br />

ािधकार ारा समीक ािधकार को व उपल ध नहं कराई जाती ह और िनधारत ितिथ<br />

से छ: माह क अविध गुजर जाती ह तो ऐसे मामल म समीक अिधकार को अपने तर से<br />

ह व िलख देनी चाहए, ऐसी थित म यद बाद म ितवेदक ािधकार से व ा त<br />

होती ह तो उस पर कोई कायवाह नहं क जायेगी। उदाहरणाथ राजपत अिधकारय के<br />

स ब ध म स बधत वष क व यद 15 दस बर तक ा त नहं होती ह तो समीक<br />

ािधकार उसे वयं िलख सकता ह।<br />

इसी कार िनधारत ितिथ से एक वष बाद वीकता ािधकार व वयं िलख<br />

सकते ह, यद ितवेदक/समीक ािधकार से सं तुित उपल ध न हो। जन कािमक के<br />

मामले म व िलखे जाने म के वल दो ह तर ह, वहॉ थम तर से व क िनधारत


463<br />

ितिथ के 6 माह क अविध गुजर जाने के बाद भी न ा त होने म दूसरे तर से अथात<br />

वीकता ािधकार के तर से व िलखी जा सकती ह।<br />

यद कसी ऐसे अिधकार को जसका यह कत य ह क वह अपने अधीन थ<br />

कमचारय/अिधकारय को व दे, उपयु त समय-सारणी के अनुसार व नहं देता ह तो<br />

समय से व न देने के िलए उसे सम तर या शासन क ओर से ितकू ल व भी द<br />

जा सकती ह।<br />

वाषक वय म ेडंग<br />

9. वाषक व के अंत म ितवेदक ािधकार ारा स बधत कािमक के स पूण काय एवं<br />

आचरण के परपे य म उसक ेडंग क जायेगी। यह ेडंग िन न वगकरण के अ तगत<br />

होगी:-<br />

1. उ कृ ट (Outstanding)<br />

2. अित उ तम (Very good )<br />

3. अ छा/स तोषजनक (Satisfactory)<br />

4. उ तम (good)<br />

5. खराब/अस तोषजनक (Bad/Unsatisfactory)<br />

(1) समीक ािधकार ारा ितवेदक ािधकार ारा क गयी ेडंग से असहमित क दशा म<br />

उनके तर से इसका पया त औिच य दया जाना अपेत होगा। इसी कार वीकता<br />

ािधकार तर पर असहमित क दशा म पया त औिच य दया जाना अपेत होगा। उपरो त<br />

वगकृ त ेडंग से िभ न श दावली म ेडंग न क जाय।<br />

(2) विभ न तर से अंकत क गई ेडंग म कसी भी वरोधाभास क दशा म वीकता<br />

ािधकार ारा क गई ेडंग ह अिधकार क वा तवक ेडंग मानी जायेगी। कसी अिधकार<br />

क ‘’उ कृ ट’’ ेणी म वगकृ त कये जाने क दशा म वकता ािधकार को उन विश ट<br />

आधार का प ट उ लेख कराना होगा, जनके आधार पर उ त अिधकार को ‘’उ कृ ट’’ ेणी<br />

म वगकृ त कया गया ह। आशय यह ह क उ कृ ट ेणी म वगकृ त अ य त विश ट<br />

परथितय म ह पूण औिच य देते हुए कया जाये। इसी कार यद उ चतर तर तथा<br />

समीक अथवा वीकता ािधकार ारा ितवेदक अिधकार क ेडंग से असहमत होते हुए<br />

‘’उ कृ ट’’ ेणी अंकत क जाती ह, तब उन तर पर भी पूण औिच य दया जाना आव यक<br />

होगा।<br />

(3) मू यांकन म समीक ािधकार क भी विश ट भूिमका ह और यह तभी िनभाई जा सकती ह<br />

जब समीक ािधकार स बधत अिधकार के काय तर एवं आचरण के बारे म समुिचत<br />

जानकार रखे अ यथा एक टन पृ ठांकन ारा ितवेदक ािधकार क व से सहमित<br />

य त कया जाना ह स भव हो पाता ह। असहमित क दशा म ितवेदक ािधकार से जन<br />

ब दुओं पर असहमित ह उनका उ लेख प ट प से कया जाना चाहए ताक पूर व का<br />

समुिचत मू यांकन कया जा सके । समीक ािधकार तर से इन विश ट दािय व क पूित


464<br />

क अपेा क जाती ह क वे ितवेदक ािधकार ारा द गयी व के बारे म अपना प ट<br />

मत अंकत कया कर सथा ह अपनी ओर से भी जो यथोिचत मू यांकन ह, उसे अंकत कर।<br />

वाषक व ितवष कया जाना यद वाषक व अंकत न हो सके तो कारण का उ लेख:-<br />

10. यद कसी वष व अंकत करना स भव न हो तो उन कारण का उ लेख करते हुए इस<br />

आशय का माण प स बधत कमचार क चर पंजी म उसी वष अंकत कर देना चाहए,<br />

ताक कमचार को कसी कार क हािन न हो। ऐसी थित म उलखत वय को लक<br />

पढा जायेगा व ेणी का वगकरण चयन सिमित ारा पूव व प चात ् क वय को देखकर<br />

कर िलया जायेगा।<br />

चर पंजका म रखे जाने वाले अिभलेख<br />

11. राजपत अिधकार क चर पंजी म रखे जाने वाले अिभलेख-<br />

(1) सरकार ारा जार कये गये शंसा-प/संक प, सेवा क मा यता के उपल य म दान<br />

कये गये क हं पदक, पुर कार आद के स ब ध म अिभलेख।<br />

नोट:- इस कार जार कये गये शंसा-प/संक प स बधत कािमक को अिनवाय प से<br />

पृ ठांकत कये जाय।<br />

(2) अनुशासिनक कायवाह के तहत दये गये द ड के आदेश क ितिलप तथा<br />

अनुशासिनक कायवाह के फल वप िलये गये िनणय के अनुसार जार परिन दा<br />

(ससर) चेतावनी, असंतोष या भ सना आद से स बधत प।शासन से िभ न<br />

ािधकारय जसम संविधक ािधकार (Constitutional Authority) भी ह ारा द गयी<br />

चेतावनी, असंतोष, भ सना आद से स बधत प। इ ह ितकू ल व के प म<br />

माना जानयेगा और तदनुसार अेतर कायवाह क जायेगी।<br />

(3) अिधकार को चेतावनी देते हुए अथवा सरकार ारा अस तोष अथवा भ सना सूिचत<br />

करते हुये उससे स बधत पाद क ितिलप।<br />

(4) अिधकार के व उसक गोपनीय रपोट म उलखत आरोप अथवा अिभकथन पर<br />

जॉच के अतम परणाम का अिभलेख।<br />

(5) अिधकार ारा अ ययन के कसी पायम अथवा उसके ारा िलये गये िशण<br />

अथवा उसके ारा ा त क गई डिय/ड लोमाओं या माण प का अिभलेख।<br />

(6) अिधकार ारा कोई पु तक, लेख अथवा अ य काशन के स ब ध म अिभलेख।<br />

(7) ऐसी भाषाओं के स ब ध म अिभलेख जसम िलखने-पढने म दता ा त क हो।<br />

(11) अराजपत वग 3 (समूह ‘ग’) के कमचारय का िशण के उपरा त दये गये<br />

माण प क ितिलप अ य अिभलेख के साथ चर पंजी तथा यगत पावली<br />

म रखी जायेगी।<br />

शासिनक कारण से थाना तरत कये गये अिधकारय क वाषक रपोट<br />

12. कितपय अिधकारय क सं तुित पर उनके अधीन यद कसी अिधकार को शासिनक<br />

कारणवश िनयत प से पूव थाना तरत करने क सं तुित क जाती ह तो स बधत


465<br />

अिधकार क वाषक गोपनीय व करते समय उन कारण तथा त य को यान म रखा<br />

जायेगा, जनके आधार पर थाना तरण क सं तुित क गई थी।<br />

िनवाचन स ब धी काय क भ सना को वाषक वय देते समय यान म रखने स ब धी िनदश<br />

का अनुपालन<br />

13. ऐसे मामल म जहॉं िनवाचन के स ब ध म कसी रटिनग ऑफसर ारा कये गये कसी<br />

गलत काय क भ सना कया जाना अपेत हो, मु य िनवाचन ऑफसर के स ेण<br />

(Observationas) ज ह क वह भारत िनवाचन आयोग, नई द ली को भी दखायगे, मु य<br />

सिचव को तुत हगे। त प चात इ ह स बधत अिधकार के वभाग म उपयु त तर को<br />

असारत कया जायेगा और अपेा क जायेगी क इन स ेण को वाषक व अंकत<br />

करते समय अ य त य के साथ यान म िलया जाय।<br />

आरण स ब धी आदेश का अनुपालन का व म उ लेख<br />

14. अनुसूिचत जाित/अनुसूिचत जनजाित के यय को सेवा म दान कये गये आरण को<br />

िन ठा एवं कठोरतापूण कायवत कये जाने का शासन का संक प ह। आरण स ब धी<br />

आदेश का ढता से अनुपालन कराने हेतु विभ न सेवा के उ तरदायी राजपत अिधकारय<br />

क वाषक व अंकत करने हेतु उनके िलए िनधारत प म एक विश ट त भ िन न<br />

आशय का जोड दया जाय:-<br />

‘’सेवाओं म अनुसूिचत जाितय/जनजाितय के ितिनिध व को पूरा करने एवं<br />

तदवषयक विभ न शासनादेश का काया वयन करने के िलए भावी प से अपने दािय व को<br />

िनभाया।<br />

एक घटना के िलए दो वयॉं<br />

15. शासन क जानकार म ऐसे करण भी आये ह जनम कािमक क वाषक व म<br />

ितवेदक/समीक/ वीकता, ािधकार के तर से कसी एक घटना या ुट वशेष के िलए<br />

ितकू ल व अंकत क गयी और उसी घटना या ुट क जॉचपरा त दोष िस होने पर<br />

भ सना मक/ितकू ल व द गयी। ऐसे मामल म इन दोन वय को एक दूसरे के<br />

साथ स ब कया जाना चाहए तथा सेवा स ब धी करण के िन तारण म एक ह व<br />

माना जाना चाहए।<br />

नोट:- जॉचपरा त िनणयानुसार व कस वष म िलखी जाय-ऐसे करण पर जनम जॉचपरा त<br />

ससर या िन दा मक व दये जाने का िनणय िलया जाता ह, यह व स बधत<br />

कमचार/अिधकार क चर पंजका म उसी वष क व म रखी जाय जस वष तदनुसार<br />

कायवाह का िनणय िलया गया है। यह उ लेख अव य कर दया जाय क करण स बधत<br />

कमचार/अिधकार के सेवाकाल के कसी पद व वष से स बधत रहा ह और पायी गयी ुट<br />

कस कृ ित क ह, जससे चर पंजका का मू यांकन करते समय द गयी व के<br />

वाभावक असर को गत रखा जा सके ।


466<br />

वशेष वयॉं देने क या<br />

16. कभी-कभी वशेष अनुकू ल या ितकू ल व कसी घटना/काय वशेष के स ब ध म द जाती<br />

ह। वशेष व अंकत करने के बारे म ठक वह या अपनायी जायेगी जो सामा य<br />

वाषक व अंकत करने हेतु अपनायी जाती ह, क तु यह यान म रखा जाना चाहए क<br />

ऐसी वशेष व कसी घटना/काय वशेष के स ब ध म ह हो तथा इसम सामा य<br />

मू यांकन न कया गया हो। यद ऐसी वशेष व ितकू ल हो तो उसे संसूिचत करने तथा<br />

उसके व ा त यावेदन के िन तारण के स ब ध म वह या अपनायी जाय जो<br />

सामा य ितकू ल वय के स ब ध म अपनायी जाती ह। वशेष वय आलो य वष म<br />

कसी भी समय आव यकतानुसार द जा सकती ह क तु यह यास कया जाना चाहए ऐसे<br />

अवसर बहुत कत और कभी-कभी अ याव यक थित म ह सामने आय। सामा य तौर पर<br />

ऐसे मामल का समावेश वाषक व म ह कया जाना अिधक उपयु त होगा।<br />

ितकू ल व संसूिचत करना<br />

17. यद वाषक व म कसी ितकू ल बात का उ लेख कया गया ह तो ितकू ल अंश संसूिचत<br />

करते समय ितवेदक/समीक/ वीकता तीन ािधकारय क वय से अवगत कराया<br />

जायेगा।<br />

कसी व को अथवा उसके कसी अंश को ितकू ल मानकर संसूिचत करना है,<br />

इसका िनणय सम अिधकार अथवा उसके ारा नामांकत अिधकार करेगा। ितकू ल अंश के<br />

होने पर सम त व संसूिचत करनी होती ह। यद कसी अंश को ितकू ल न मानकर<br />

संसूिचत नहं कया गया ह तो वह व मू यांकन के समय नजरअंदाज क जा सकती ह।<br />

ितकू ल व के व यावेदन क दो ितयॉ उपल ध कराना<br />

18. ितकू ल वयॉं अथवा अ य ितकू ला मक आदेश जन पर प टकरण क अपेा हो प<br />

भेजते समय ह स बधत कमचार से यह अपेा क जा क वह अपने यावेदन क दो ित<br />

उपल ध करादे, जससे यावेदन के शी िन तारण म अपेत सहायता िमल सके ।<br />

स बधत अिधकारय/कमचारय से दो ितय म यावेदन भेजने के बारे म उपरो त<br />

पृ ठभूिम म के वल अनुरोध कया जाय। यद कसी दशा म यावेदक ारा दो ितय म<br />

यावेदन नहं भेजा जाता ह के वल ‘’इस आधार मा पर न तो ऐसे यावेदन िनर त कये<br />

जायगे और न ह दूसर ित ा त होने क ा याशा म यावेदन के िन तारण म वल ब<br />

कया जायेगा।<br />

स यिन ठा माण प जार करने हेतु मागदिशका (Guideline)<br />

19. स यिन ठा माण प वाषक गोपनीय व का अटूट अंग ह। स य िन ठा का िनधारत<br />

प िन न कार ह:-<br />

‘माणत कया जाता है क मेर जानकार म कोई भी ऐसा त य नहं आया जो ी<br />

.................................. क स यिन ठा म वपरत भाव डालता हो, ईमानदार के िलए<br />

इनक सामा य याित अ छ ह और म इनक स यिन ठा माणत करता/करती हूँ ।‘’


467<br />

(2) स यिन ठा माण प देने वाले सभी अिधकार माण प देने या रोकने के स ब ध म वशेष<br />

यान द, यक यह एक बहुत मह वपूण मामला ह और िन न ब दुओं को यान म रखा<br />

जाये:-<br />

(क) अपने अधीन थ राजपत अिधकारय जनके स ब ध म माण प देना हो, के बारे<br />

म एक गोपनीय रकाड रख जसम समय-समय पर जानकार म आये त य और<br />

परथितय का उ लेख करते रह<br />

(ख) ऐसे त य व परथितयॉं, जो उनक जानकार म आय, के स ब ध म यह िनणय ल<br />

क या-<br />

(1) यह एक िनत त य ह या<br />

(1.1) के वल अिन चत आरोप ह पर तु संद ध ह<br />

थम कार के मामले म जॉंच करा कर वभागीय कायवाह ार भ क जाये। दूसरे कार के<br />

मामले म स बधत कािमक का प टकरण मांगना चाहए।<br />

(ग) यद सरकार सकवे का प टकरण संतषजनक हो तो मामले को समा त कर देना<br />

चाहये अ यथा उसके स यिन ठा माण प को रोकने का औिच य बनता है<br />

(घ) कु छ सरकार सेवक अपनी आय से अिधक सीमा म रहते ह यद वे अपने प टकरण<br />

से अपने वर ठ अिधकार को संतु ट कर सक तो ठक ह अ यथा उनका स यिन ठा<br />

माण प रोका जा सकता ह।<br />

(3) स यिन ठा क जॉच:- यद कसी सरकार कवेक क स यिन ठा के स ब ध म जॉच चल रह<br />

हो तो माणत करने वाला अिधकार के वल इतना िलख देगा क स यिन ठा क जॉच चल रह<br />

ह। जॉच के बाद ह माण प दया जायेगा।<br />

(4) स यिन ठा माण प रोकने के स ब ध म यद दो अवसर पर कसी भी सरकार सेवक का<br />

स यिन ठा माण प रोका गया हो तो इस स ब ध म िनधारत िनयम के अ तगत<br />

कायवाह हेतु अराजपत कमचार के स ब ध म वभागा य को तथा राजपत अिधकार के<br />

स ब ध म शासन को मामला संदिभत कया जाना चाहए।<br />

(5) सरकार सेवक जसको स यिन ठा माण प न दया गया हो और उसका थाना तरण कया<br />

गया हो- कसी सरकार सेवक को यद स यिन ठा माण प इंकार कर दया गया ह तो उस<br />

ितवेदक अिधकार के चाज से उसका थाना तरण कर देना चाहए।<br />

(6) स यिन ठा माण प रोकने क थित म वाषक वेतन वृ थायीकरण का रोकना:- यद<br />

कसी सरकार सेवक का स यिन ठा माण प का हुआ हो तो उसक वाषक वेतन वृ तब<br />

तक के िलए रोक द जायेगी जब तक क स यिन ठा माण प ा त नहं कर लेता ह। यद<br />

सेवक परवीा पर ह तो उसको मौिलक िनयु स यिन ठा माण प िमलने के बाद ह देय<br />

होगी।<br />

यद स यिन ठा के स ब ध म जॉच चल रह हो तो स बधत सेवक क वाषक<br />

वेतन वृ और उसका थायीकरण तभी कया जाना चाहए जब लबत जॉच पूर हो चुक<br />

हो। परवीाधीन कािमक क परवीा अविध उिचत प से बढा द जानी चाहए।


468<br />

(7) जस वष क घटना हो, उस वष क स यिन ठा जॉच पूर होने पर रोक जानी चाहए/- जैसे<br />

वष 2003 क घटना के स ब ध म जॉच 2003 म ार भ हुई पर तु जॉच 2005 म समा त<br />

होती ह। तो ऐसी दशा म स यिन ठा माण प के वल वष 2003 का ह रोका जायेगा।<br />

(8) जब ितवेदक अिधकार भली भॉित स तु ट हो जाय क स बधत अिधकार क ईमानदार<br />

क याित वा तव म ठक नहं ह तभी िन निलखत ाप-प दया जाना चाहए- the<br />

reputaion of Sri -------------------- for honesty is not good and I with hold his integrity.<br />

(9) ितकू ल व के साथ अमाणत स यिन ठा संसूिचत करना:- यद कसी अिधकार/कमचार<br />

क स यिन ठा के बार म जॉच क जा रह हो तो ऐसी दशा म ितवेदक ािधकार को<br />

स यिन ठा माणत करने अथवा स यिन ठा अमाणत करने के बजाय यह इंिगत कर देना<br />

चाहए क नगत मामले क जॉच क रह ह। जॉच पूर हो जाने पर जॉच का परणाम देखने<br />

के उपरा त स यिन ठा को माणत अथवा अमाणत कया जाना चाहए।<br />

(10) ितकू ल व संसूिचत कये जाने के स ब ध म कभी-कभी ऐसी थित सामने आती ह क<br />

वाषक गोपनीय वय म स बधत अिधकार/कमचार के काय का मू यांकन संतोषजनक<br />

अंकत होता ह क तु ितवेदक अिधकार स यिन ठा के स ब ध म यह उ लेख करते ह क<br />

स यिन ठा के स ब ध म ा त िशकायत पर जॉच क जा रह ह, अत: जॉच के बाद ह<br />

स यिन ठा माणत कया जाना समीचीन होगा। इस कार क अमाणत स यिन ठा के<br />

मरण को भी स बधत अिधकार को संसूिचत कया जाना व छ कािमक नीित के हत म<br />

होगा।<br />

ितकू ल व संसूिचत करने एवं उस स ब ध म ाि यावेदन के िन तरण क या<br />

20. ितकू ल व को संसूिचत करने, उनके व यावेदन पर िनणय लेने आद के स ब ध म<br />

िन निलखत या अपनाई जाय-<br />

(क)<br />

ितकू ल व संसूिचत कये जाने के िलये सभी य के पूणप से अंकत हो जाने<br />

के बाद ितकू ल व रपोट को अिभिलखत कये जाने के दनांक से 45 दन क<br />

अविध के भीतर स पूण व स बधत अिधकार/कमचार को िलखत प म<br />

सम ािधकार ारा संसूिचत कर द जाय और चर पंजका म इस बात का माण<br />

प दे दया जाय क ितकू ल व स बधत अिधकार को कसी ितिथ को<br />

संसूिचत क गयी तथा कब उसक ाि वीकार हुई। ितकू ल व को संसूिचत न<br />

कये जाने का त य ग भीर दोष के प म िलया जाय और उ तरदायी<br />

कमचार/अिधकार के व अव य ह समूिचत कायवाह क जाय।<br />

ितकू ल व के व यावेदन देने, उनके िन तारण के िलये समय सीमा<br />

21. इनका िन ताण सरकार सेवक (ितकू ल वाषक गोपनीय रपोटा के व यावेदन और<br />

सहब मामल का िनपटारा) िनयमावली, 2002 जो कािमक वभाग क अिधसूचना सं या<br />

196/का0-2/2002, दनांक 13-8-2002 ारा यापत क गई ह, के तहत कया जाय।<br />

ितकू ल व के स ब ध म शासन को तुत मेमोरयल के िन तारण क या<br />

22. ितकू ल व के स ब ध म शासन को मेमोरयल भी तुत कये जाते ह। यह प ट कया<br />

जाता ह क यद स बधत ितकू ल व के व यावेदन पर िनणय शासन तर पर


469<br />

िलया जा चुका ह और मेमोरयल म कोई नये त य नहं ह, तो मामले म पुनवचार क<br />

आव यकता नहं होनी चाहए। मेमोरयल तुत करने एवं उसके िन तरण के स ब ध ् म<br />

व तृत िनदश एम0जी0ओ0 के तर-773 म दये गये ह, जनका अनुपालन कया जाये।<br />

वय के ितकू ल अंश का ख डन प ट प से कया जाना<br />

23. ितवेदक, समीक तथा वीकता ािधकार ारा कसी तर पर वरोधी मत य त कये जाने<br />

क दशा म वीकता ािधकार ारा य त कया गया मत अतम मू यांकन माना जायेगा।<br />

यद ितवेदक अथवा समीक ािधकार ारा अंकत ितकू ल व को वीकता ािधकार<br />

ारा पूण प से अथवा आंिशक प प टतया खंडत कर दया गया हो तो वह ितकू ल<br />

व उस सीमा तक भावहन समझी जायेगी जस सीमा तक उसे वीकता ािधकार ारा<br />

पूणप से अथवा आंिशक प से प टतया खंडत कर दया गया ह। यद ितकू ल व<br />

पूणप से खंडत हो गयी ह तो यप वह चर पंजी म बनी रहेगी तथाप उसे संसूिचत कये<br />

जाने क आव यकता नहं ह। व का वह भाग जो प ट प से खंडत नहं कया गया ह,<br />

ितकू ल माना जायेगा और ऐसी दशा म स बधत अिधकार को स पूण व से अवगत<br />

कराया जायेगा।<br />

इसी कार यद ितवेदक ािधकार से समीक ािधकार अवहमित कट करते ह तो<br />

व उस सीमा तक संशोिधत मानी जायेगी। यह यव था वीकता ािधकार के मू यांकन<br />

के वषय म भी लागू होगी, अथात वीकता ािधकार ारा दया गया मू यांकन ितवेदक तथा<br />

समीक ािधकार के मू यांकन को अितिमत करेगा, इसिलए समीक तथा वीकता<br />

ािधकार को प टतया दिशत करना चाहए क वे व के कस अंश अथवा कन वा य<br />

को खंडत करना व भाव हन रखना चाहते ह।<br />

इसी कार यद ितवेदक अथवा समीक ािधकार ारा शंसा मक व को<br />

वीकता ािधकार ारा खंडत कया गया ह तो वह शंसा मक व भावहन समझी<br />

जायेगी और सभी योजन के िलए व के मू यांकन म उ त शंसा मक व को गणना<br />

म नहं िलया जायेगा।<br />

अवलोपत व के थान पर नई व<br />

24. यद ितकू ल व के व यावेदन के िन तारण पर सम ािधकार ारा उसे<br />

अवलोपत कये जाने का िनणय िलया जाये तो अवलोपत व के थान पर नये िसरे से<br />

कोई नई व देने का सामा यत: औिच य नहं ह यक ऐसी व उस अिधकार ारा द<br />

जा सकती ह जसके सम होने के साथ-साथ व अजत करने वाले अिधकार/कमचार का<br />

काम िनधारत तीन माह क यूनतम अविध तक देखा ह, क तु यद अवलोपन का िनणय<br />

लेने समय ऐसे त य सामने आते ह क ज ह वकता ािधकार ारा व अंकत करते<br />

समय यान म लेना चाहए था और उनका उ लेख करना चाहए था पर ऐसा नहं कया गया<br />

तो सम ािधकार उनके अंकत कये जाने के बारे म अलग से िनदश दे सकते ह।<br />

अवलोपत व स ब धी या<br />

25. अवलोपत/संशोिधत व के स ब ध म िन निलखत या अपनाई जाय-


470<br />

(1) व के वलु त कये जाने वाले अंश को इस कार ब द कर दया जाये या िमटा<br />

दया जाय क उसे पढा न जा सके ।<br />

(2) उ त काय राजपत अिधकार ारा अपने ह तार से कया जाय। िलपकय व अ य<br />

पद के स दभ म शासिनक अिधकार कायालय अधीक को वभागा य ारा इस<br />

काय के िलए ािधकृ त कया जा सकता ह।<br />

(3) संगत आदेश क सं या व दनांक आदेश पारत करने वाले अिधकार का पदनाम,<br />

स बधत पावली व उसके पृ ठ का संदभ जस पर आदेश पारत हुए ह, चर पंजी<br />

म व के स मुख इंिगत कये जाय तथा उस ािधकार ारा ह तार कये जाय<br />

जसने यह कायवाह स पादत क हो।<br />

संसूिचत न क गई ितकू ल व का भाव तथा ितकू ल व के व ा त यावेदन लबत<br />

रहने क दशा म कायवाह<br />

26. यप ितकू ल व को संसूिचत न कये जाने का अवसर नहं माना चाहए और ऐसी दशा<br />

मे स बधत उ तरदायी कमचार/अिधकार के व समुिचत कायवाह अव य क जानी<br />

चाहए। ऐसी ितकू ल व जो स बधत कमचार/अिधकार को संसूिचत न क गयी हो<br />

अथवा संसूिचत क गयी ह और उसके व यावेदन देने क अविध शेष हो, या संसूिचत<br />

कये जाने के प चात स बधत सरकार कमचार/अिधकार ारा समया तगत तुत कया<br />

यावेदन अिन तारत/लबत हो, को उस सरकार कमचार/अिधकार के सेवा स बधत<br />

करण (यथा पदो नित, समयमान वेतनमान आद) के िन तारण के समय नजरअ दाज कर<br />

दया जाये अथात ऐसी ितकू ल वय को स बधत सरकार/अिधकार के व न पढा<br />

जाये।<br />

चर पंजय का रख-रखाव<br />

27. जन अिधकारय के िनयु ािधकार रा यपाल ह, उनक चर पंजका शासन के शासिनक<br />

वभाग म रखी जायगी तथा शेष चर- पंजकाय स बधत वभागा य अथवा<br />

कायालया य, जो भी िनयु ािधकार हो, के कायालय म रखी जायेगी। जन ेणी-2 (समूह<br />

‘’ख’’) क सेवा के अिधकारय के स ब ध म लघुशात देने के अिधकार वभागा य को<br />

दये गये ह ऐसे अिधकारय के स ब ध म चर पंजका क एक ित स बधत<br />

वभागा य के कायालय म भी रखी जायेगी। ऐसी लघुशात क ित स बधत शासकय<br />

वभाग के मुख सिचव/सिचव को अिधकार क चर-पंजी म समिलत करने हेतु भेजी<br />

जायेगी।<br />

चर पंजकाय सुरत रखने क अविध<br />

28. (1) सेवािनवृ त होने, सेवा से हटाये जाने, सेवा से बखास ्त होने सेवा छोडकर अ य चले<br />

जाने, याग-प देने क थित म-ऐसी घटना के पॉच वष बाद तक।<br />

(2) सेवा काल मृ यु हो जाने पर-मृ यु के बाद दो वष तक।<br />

काय के त या मक<br />

29. काय त या मक ववरण (Description of work)


471<br />

(जो अिधकतम तीन सौ श द म ह अंकत कया जाय) िनधारत ाप म दया जाये।<br />

वाषक वय के अंकन क यव था<br />

30. (1) संवग क थित नाम/पदनाम के अनुसार जनपद, म डल, वभागा य तथा शासन म<br />

जस तर पर वय रख-रखाव कया जाता ह, येक वभाग म उस तर पर वमू यांकन<br />

आ या एवं वाषक गोपनीय व ा त करने एवं पूण कराने के िलए एक अिधकार को<br />

पदनाम से नािमत कर दया जाय।<br />

(2) येक अिधकार अपने काय के स ब ध म व-मू यांकन आ या अपने ितवेदक<br />

अिधकार को उपल ध कराने के थान पर इस स ब ध म नािमत अिधकार को<br />

उपल ध करायगे।<br />

(3) येक अिधकार/कमचार व-मू यांकन आ या व तीय वष समा त होने के दो<br />

स ताह के अ दर नािमत अिधकार को उपल ध करा दगे। यद कसी<br />

अिधकार/कमचार का व तीय वष के दौरान थाना तरण हुआ ह तो कायभार छोडने<br />

के दो स ताह के अ दर व-मू यांकन आ या उपल ध करा द जानी चाहए।<br />

यद कसी अिधकार का कायकाल कसी पद पर तीन माह से कम रहा ह तब<br />

भी स बधत अिधकार व-मू यांकन आ या तुत कर सकते ह ह पर तु उस पर<br />

कोई म त य अंकत नहं कया जायेगा। यद स बधत अिधकार तीन माह से कम<br />

कायकाल होने के कारण व-मू यांकन आ या नहं तुत करना चाहते ह तो भी<br />

नािमत अिधकार को सूिचत कया जाना चाहए।<br />

(4) नािमत अिधकार ऐसी सभी व-मू यांकन आ य को मश: ितवेदक, समीक व<br />

वीकता अिधकार को भेज कर व पूण करायगे। इस यव था के लागू होने से<br />

कोई भी अिधकार अपना म त य व अंकत करने के िलये अगले तर के<br />

अिधकार को नहं भेजगे, अथात ् ितवेदक अिधकार अपना म त य समीक अिधकार<br />

को और समीक अिधकार अपना म त य वीकता अिधकार को सीधे नहं भेजगे।<br />

इस कार येक तर पर म त य नािमत अिधकार ारा ा त कया जोयगा।<br />

(5) यद िनधारत दो स ताह क अविध म व-मू यांकन आ या उपल ध नहं करायी<br />

जाती है और स बधत अिधकार इस स ब ध म कारण अंकत करते हुए अितर त<br />

समय क मांग नहं करते ह, तो यह नािमत अिधकार के ववेक पर होगा क वे सीधे<br />

ितवेदक अिधकार से म त य ा त कर कायवाह कर।<br />

(6) कसी वष जॉच के फल वप कसी अिधकार/कमचार क स यिन ठा उस वष के<br />

मामले म जस वष म कमचार के बारे म जॉच के फल वप स यिन ठा रोकने का<br />

िनणय िलया गया हो, रोक जा सकती ह। यद जॉच अविध अपरहाय कारण से वष<br />

के बाद चलती रहती ह तो ऐसी दशा म उस वष म जो व द जानी हो उसम<br />

स यिन ठा के बारे म के वल एक माण प दया जायेगा। ऐसे मामले भी सामने आते<br />

ह जनम उपरो त वष के काय क जानकार उस वष के बाद हो और जॉच भी बाद म<br />

शु हो और इस बची ासंिगक वष क स यिन ठा माणत कर द गयी हो, तो उसके


472<br />

थान पर उपरो तानुसार एक माण प ह अंकत कया जायेगा। बाद के वष म<br />

काय, आचरण तथा स यिन ठा के बारे म बना पछला पृ ठभूिम के ितकू ल के<br />

उपयोग के सवथा व तुपरक (Objective) व अंकत क जायेगी।<br />

2. आपसे अनुरोध ह क कृ पया लोक सेवक क वाषक वय अंकत करने, स यिन ठा माण<br />

प अंकत करने-ितकू ल वय को संसूिचत करने, ितकू ल वय के व ा त<br />

यावेदन के िन तारण के स ब ध म उपरो त दशा िनदश का कडाई से अनुपालन<br />

सुिनत करने का क ट कर।<br />

भवदय<br />

नृप िसंह नपल याल,<br />

मुख सिचव

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