३९ महाननसीहं - Jain Library

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नमो नमो ननम्मऱदंसणस्स ऩू. आनॊद-ऺभा-रलरत-सुशीर-सुधभमसागय गुरूभ्मो नभः ३९ महाननसीहं-छटॎॊ छेमसुत्तॊ मुनन दीऩरत्नसागर Date : / /2012 Jain Aagam Online Series-39 2222000202000 2222222022220 20202020220s1 2 [दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [0] [३९-महाननसीहं]

नमो नमो ननम्मऱदंसणस्स<br />

ऩू. आनॊद-ऺभा-रलरत-सुशीर-सुधभमसागय गुरूभ्मो नभः<br />

<strong>३९</strong><br />

<strong>महाननसीहं</strong>-छटॎॊ छेमसुत्तॊ<br />

मुनन दीऩरत्नसागर<br />

Date : / /2012<br />

<strong>Jain</strong> Aagam Online Series-39<br />

2222000202000<br />

2222222022220<br />

20202020220s1<br />

2<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [0] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


<strong>३९</strong> गंथाणुक्कमो<br />

कमंको अज्झयणं उद्ेसक सुत्तं गाहा अणुक्कमो पऩट्ठंको<br />

१ सल्रुदॎयणॊ - १-२१७ १-७ १-२२५ २<br />

२ कम्भवििाग-िागयणॊ ३ १-२०८ १-३२ २२६-४६६ १६<br />

३ कु सीर रक्खणॊ - १-१३६ १-४२ ४६७-६५३ ३६<br />

४ कु सीर सॊसग्गी - १-१४ १-११ ६५४-६८३ ५७<br />

५ निनीमसायॊ - १-१२८ १-२९ ६८४-८४४ ६५<br />

६ गीमत्थविहायो - १-४१६ १-२ ८४५-१३५६ ८९<br />

७ ऩच्छछत्तसुत्तॊ<br />

- १-१०३ १-२२ १३५७-१४८३ ११५<br />

[एगॊतननज्जया चूलरमा-१]<br />

८ सुसढअनगाय कहा<br />

[चूलरमा-२]<br />

- १-३० १-८ १४८४-१५२८ १३४<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [1] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


बाऱब्रह्मचारी श्री नेममनाथाय नमः नमो नमो ननम्मऱदंसणस्स ॐ ह्ीं नमो ऩवयणस्स<br />

<strong>३९</strong> <strong>महाननसीहं</strong> – छटॎॊ छेमसुत्तॊ<br />

० ऩढमं अज्झयणं-सल्ऱुदॎरणं ०<br />

[१] ओभ ् नभो नतत्थस्स । ओभ ् नभो अयहॊताणॊ । सुमॊ भे आउसॊ ! तेणॊ बगिमा एिभ ्<br />

अक्खामॊ-इह खरु छउभत्थ-सॊजभ-ककरयमाए िट्भाणे जे णॊ के इ साहू िा, साहूणी िा, से णॊ इभेणॊ ऩयभत्थ-<br />

तत्त-साय-सब्बूमत्थ-ऩसाहग-सुभहत्थानतसम-ऩिय-िय-भहाननसीह-सुमक्खॊध-सुमाणुसायेणॊ नतविहॊ नतविहेणॊ<br />

सव्ि-बाि-बािॊतयॊतयेहह णॊ नीसल्रे बवित्ताणॊ आमहहमटॎाए अछचॊत-घोय-िीरुग्ग-कटॎ-ति-सॊजभानुटॎाणेसुॊ<br />

सव्ि-ऩभामा-रॊफण-विप्ऩभुक्के अनुसभमभहच्णणसभनारसत्ताए सममॊ अननच्व्िणणे अनन्न-ऩयभ-सदॎा-सॊिेग-<br />

िेयग्ग-भग्गगए ननच्णणमाणे अननगूहहम-फर-िीरयम-ऩुरयसक्काय-ऩयक्कभे अगगराणीए िोसटॎ-चत्त-देहे<br />

सुननच्छछ-एगग्गगचत्ते-अलबक्खणॊ अलबयभेज्जा ।<br />

[२] नो णॊ याग-दोस-भोह-विसम-कसाम-नाणारॊफणानेग-ऩभाम-इड्हढ-यस-सामा गायि-योद्-<br />

ट्ज्झाण-विगहालभछछत्तावियइ-दुटॎ-जोग-अनाममणसेिणा-कु सीराहद-सॊसग्गी-ऩेसुन्नऽब्बक्खाण-करह-जाताहद-<br />

भम-भछछयाभयीस-भभीकाय-अहॊकायाहद-अनेग-बेम-लबन्न-ताभस-बाि-करुलसएणॊ हहमएणॊ हहॊसालरम चोरयक्क-<br />

भेहुण-ऩरयग्गहायॊब-सॊकप्ऩाहद-गोमय-अज्झिलसए-घोय-ऩमॊड-भहायोद्-घन-गचक्कण-ऩाि-कम्भ-भर-रेि-खिलरए<br />

असॊिुडासि-दाये ।<br />

[३] एक्क-खण-रि-भुहुत्त ननलभस-ननलभसदॎब्बॊतयभवि ससल्रे वियत्तेज्जा, तॊजहा -<br />

[४] उिसॊते सव्िबािेणॊ वियत्ते म जमा बिे ।<br />

सव्ित्थ विसए आमा यागेमय-भोह-िच्ज्जये ।।<br />

[५] तथा सॊिेगभािणणे ऩायरोइअ ित्तणणॊ ।<br />

एगग्गेणेसती सम्भॊ हा भओ कत्थ गच्छछहॊ<br />

।।<br />

[६] को धम्भो को िओ ननमभो को तिो भेऽनुगचहटॎओ ।<br />

ककॊ सीरॊ धारयमॊ होज्जा को ऩुण दानो ऩमच्छछओ ।।<br />

[७] जस्साणुबािओन्नत्थ हीन-भज्झुत्तभे कु रे ।<br />

सग्गे िा भनुम-रोए िा सोक्खॊ रयवदॎॊ रबेज्जहॊ ।।<br />

[८] अहिा ककॊ थ विसाएणॊ सव्िॊ जाणालभ अच्त्तमॊ ।<br />

दुछचरयमॊ, जारयसो माहॊ, जे भे दोसा म जे गुणा ।।<br />

[९] घोयॊधमाय-ऩामारे गलभस्सेऽहभनुत्तये ।<br />

जत्थ दुक्ख-सहस्साइॊ अनुबविस्सॊ गचयॊ फहूॊ ।।<br />

[१०] एिॊ सव्िॊ विमाणॊते धम्भाधम्भॊ सुहासुहॊ ।<br />

अत्थेगे गोमभा ! ऩाणी जे भोहामहहमॊ न गचटॎए ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [2] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-१, उद्ेसो-<br />

[११] जे मािाम-हहमॊ कु ज्जा कत्थई ऩायरोइमॊ ।<br />

भामाडॊबेण तस्सािी समभिी तॊ न बािए ।।<br />

[१२] आमा समभेि अत्ताणॊ ननउणॊ जाणे जहहटॎमॊ ।<br />

आमा चेि दुऩच्त्तज्जे धम्भभवि म अत्त-सच्क्खमॊ ।।<br />

[१३] जॊ जस्सानुभमॊ हहमए सो तॊ ठािेइ सुॊदय-ऩएसु ।<br />

सद्ूरी ननम-तणए तारयसकू ये वि भन्नइ विलसटॎे ।।<br />

[१४] अत्तत्तीमा सभेछचा समर कप्ऩमॊतऽप्ऩणप्ऩॊ ऩाणणणो ।<br />

दुटॎॊ िइ-काम-चेटॎॊ भणलसम-करुसॊ जुॊजमॊते चयॊते ।।<br />

ननद्ोसॊ तॊ च लसटॎे ििगम-करुसे ऩक्खिामॊ विभुछचा ।<br />

विक्खॊतऽछचॊतऩािे करुलसम-हहममॊ दोस-जारेहहॊ नदॎॊ ।।<br />

[१५] ऩयभत्थ तत्त लसटॎॊ सब्बूमत्थ ऩसाहगॊ ।<br />

तब्बणणमानुटॎाणेणॊ जे आमा यॊजए सकॊ ।।<br />

[१६] तेसुत्तभॊ बिे धम्भॊ उत्तभा तम-सॊऩमा ।<br />

उत्तभॊ सीर-चारयत्तॊ उत्तभा म गती बिे ।।<br />

[१७] अत्थेगे गोमभा ! ऩाणी जे एरयसभवि कोडडॊ गते ।<br />

ससल्रे चयती धम्भॊ आमहहमॊ नािफुज्झइ ।।<br />

[१८] ससल्रो जइ वि कटॎुग्गॊ घोय-िीय-तिॊ चये ।<br />

हदव्िॊ िाससहस्सॊ वऩ ततो िी तॊ तस्स ननप्परॊ ।।<br />

[१९] सल्रॊ वऩ बन्नई ऩािॊ जॊ नारोइम-ननॊहदमॊ ।<br />

न गयहहमॊ न ऩच्छछत्तॊ कमॊ जॊ जह म बाणणमॊ ।।<br />

[२०] भामा-डॊबभकत्तव्िॊ भहाऩछछन्न-ऩािमा ।<br />

अमज्ज-भनामायॊ च सल्रॊ कम्भटॎ-सॊगहो ।।<br />

[२१] असॊजभ-अहम्भॊ च ननस्सीर-व्ितता वि म ।<br />

सकु रसत्तभसुदॎी म सुकमनासो तहेि म ।।<br />

[२२] दुग्गइ-गभन-भनुत्तायॊ दुक्खे सायीय-भानसे ।<br />

अव्िोच्छछन्ने म सॊसाये विग्गोिणमा भहॊनतमा ।।<br />

[२३] के सॊ विरूि-रूित्तॊ दारयद्ॊ-दोहग्गमा ।<br />

हा हा बूमसिेमणा ऩरयबूमॊ च जीविमॊ ।।<br />

[२४] ननच्ग्घण-ननच्त्तॊस-कू यत्तॊ ननद्म-ननच्क्किमावि म ।<br />

ननल्रज्ज-गूढहहमत्तॊ िॊक-विियीम-गचत्तमा ।।<br />

[२५] यागो दोसो म भोहो म लभछछत्तॊ घन-गचक्कणॊ ।<br />

सम्भग्गनासो तह म एगे ऽजच्स्सत्तभेि म ।।<br />

[२६] आणा-बॊगभफोही म ससल्रत्ता म बिे बिे ।<br />

एभादी ऩाि-सल्रस्स नाभे एगहटॎए फहू ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [3] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-१, उद्ेसो-<br />

[२७] जे णॊ सच्ल्रम-हहममस्स एगस्सी फहू-बिॊतये ।<br />

सव्िॊगोिॊग-सॊधीओ ऩसल्रॊती ऩुणो ऩुणो ।।<br />

[२८] से म दुविहे सभक्खाए सल्रे सुहुभे म फामये ।<br />

एक्के क्के नतविहे नेए घोरुग्गुग्गतये तहा ।।<br />

[२९] घोयॊ चउच्व्िहा भामा घोरुग्गॊ भान-सॊजुमा ।<br />

भामा रोबो म कोहो म घोरुग्गुग्गतयॊ भुणे ।।<br />

[३०] सुहुभ-फामय-बेएणॊ सप्ऩबेमॊ वऩ णॊ भुनी ।<br />

अइया सभुदॎये णखप्ऩॊ ससल्रे नो िसे खणॊ ।।<br />

[३१] खुड्डरगे वि अहहऩोए लसदॎत्थमतुल्रे लसही ।<br />

सॊऩरग्गे खमॊ नेइ नय-ऩुये विॊझाडई ।।<br />

[३२] एिॊ तनु-तनुममयॊ ऩािसल्रभणुवदॎमॊ ।<br />

बि-बिॊतयकोडीओ फहु सॊतािऩदॊ बिे ।।<br />

[३३] बमिॊ सुदुदॎये एस, ऩािसल्रे दुहप्ऩए ।<br />

उदॎरयउॊ वऩ न माणॊती फहिे जह िुदॎरयज्जई ।।<br />

[३४] गोमभा ! ननम्भूरभुदॎयणॊ ननममभे तस्स बालसमॊ ।<br />

सुदुदॎयस्सावि सल्रस्स सव्िॊगोिॊग-बेहदणो ।।<br />

[३५] सम्भद्ॊसणॊ ऩढभॊ सम्भन्नाणॊ बफइज्जमॊ ।<br />

तइमॊ च सम्भचारयत्तॊ एगबूमलभभॊ नतगॊ ।।<br />

[३६] खेत्तीबूते वि जे च्जत्ते जे गूढऽद्ॊसणॊ गए ।<br />

जे अत्थीसुॊ हठए के ई जेच्त्थभब्बॊतयॊ गए ।।<br />

[३७] सव्िॊगोिॊग-सॊखुत्ते जे सब्बॊतय-फाहहये ।<br />

सल्रॊती जे न सल्रॊती ते ननम्भूरे सभुदॎये ।।<br />

[३८] हमॊ नाणॊ ककमाहीणॊ हमा अन्नाणतो ककमा ।<br />

ऩासॊतो ऩॊगुरो दड्ढो धािभाणो म अॊधओ ।।<br />

[<strong>३९</strong>] सॊजोग-लसदॎीअ उ गोमभा परॊ नहु एगचक्के ण यहो ऩमाइॊ ।<br />

अॊधो म ऩॊगू म रिणे सलभछचा ते सॊऩउत्ता नगयॊ ऩविटॎा ।।<br />

[४०] नाणॊ ऩमासमॊ सोहओ तिो सॊजभो म गुच्त्तकयो ।<br />

नतणहॊ वऩ सभाओगे गोमभ ! भोक्खो न अन्नहा उ ।।<br />

[४१] ता नीसल्रे बवित्ताणॊ सव्िसल्र-वििच्ज्जए ।<br />

जे धम्भसभणु गचटॎेज्जा सव्ि-बूम ऽप्ऩकॊ वऩ िा ।।<br />

[४२] तस्स तॊ सपरॊ होज्जा जम्भ-जम्भॊतयेसु वि ।<br />

विउरा सॊऩम-रयदॎी म रबेज्जा सासमॊ सुहॊ ।।<br />

[४३] सल्रभुदॎरयउ-काभेणॊ सुऩसत्थे सोहणे हदने ।<br />

नतहह-कयण-भुहुत्त नक्खत्ते जोगे रग्गे ससी-फरे ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [4] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झसमणॊ-१, उद्ेसो-<br />

[४४] कामव्िाऽऽमॊबफर-क्खभणॊ दस हदने ऩॊचभॊगरॊ ।<br />

ऩरयजविमव्िेऽटॎसमॊ समहा तदुिरयॊ अटॎभॊ कये ।।<br />

[४५] अटॎभ-बत्तेण ऩायेत्ता काउणाऽऽमॊबफरॊ तओ ।<br />

चेइम-साहू म िॊहदत्ता करयज्ज खॊतभरयलसमॊ ।।<br />

[४६] जे के इ दुटॎ सॊरत्ते जस्सुिरयॊ दुटॎु गचॊनतमॊ ।<br />

जस्स म दुटॎु कमॊ जेण ऩडडदुटॎॊ िा कमॊ बिे ।।<br />

[४७] तस्स सव्िस्स नतविहेणॊ िामा भनसा म कम्भुणा ।<br />

नीसल्रॊ सव्िबािेणॊ दाउॊ लभछछा लभ दुक्कडॊ ।।<br />

[४८] ऩुणो वि िीमयागाणॊ ऩडडभाओ चेइमारए ।<br />

ऩत्तेमॊ सॊथुणे िॊदे एगग्गो बच्त्त-ननब्बयो ।।<br />

[४९] िॊहदत्तु चेइए सम्भॊ छटॎबत्तेण ऩरयजिे ।<br />

इभॊ सुमदेिमॊ विज्जॊ रक्खहा चेइमारए ।।<br />

[५०] उिसॊतो सव्िबािेणॊ एगगचत्तो सुननच्छछओ ।<br />

आउत्तो अव्ििच्क्खत्तो यागयइ-अयइ-िच्ज्जओ ।।<br />

[५१] अ उ भ ् । अ भ ् ओ क् ओ टॎ अ फ ् उ द्ध् ई ण ् अ भ,<br />

्<br />

अ उ भ ् न ् अ भ ् ओ ऩ ् अ म ् आ ण ् उ स ् आ य् ई ण ् अ भ, ् अ उ भ ् न ् अ भ ् ओ स ् अ भ ् बू इ अस ्<br />

ओ ई ण ् अ भ, ् अ उ भ ् न ् अ भ ् ओ ख ् ई य् आ स ि र दॎ ई ण ् अ भ, ् अ उ भ ् न ् अ भ ् ओ स व्ि ्<br />

ओ सहह र द्ध् ई ण ् अ भ ् अ उ भ ् न ् अ भ ् ओ अ क् ख ् ई ण ् अ भ ् अ ह् आ णस रदॎई ण ्अभ , ्<br />

अ उ भ ् न ् अ भ ् ओ बगिओ अयहओ भहइ भहािीय िदॎभाणस्स धम्भ नतत्थॊकयस्स<br />

अउभ ् न भ ् ओ सव्ि धम्भनतत्थॊकयाणॊ अउभ ् न भ ्ओ सव्ि लसदॎाणॊ अउभ ् ण भ ्ओ सव्ि साहूणॊ अउभ ् न<br />

भ ्ओ बगितो भइ न ् आ णस्स अउभ ् न भ ्ओ बगिओ सुम न ् आणस्स अउभ ् न ्अभ ् ओ बगिओ ओह्इ<br />

न ्आणस्स अउभ ् न ् अ भ ् ओ बगिओ भनऩज्जि न ् आ णस्स अउभ ् न भ ् ओ बगिओ क् ए िर न ्<br />

आ णस्स अउभ ् न भ ्ओ बगितीए सुम द्ए ि ्अ म ् आ ए लसज्झउ भ ्ए सु म ् आ हह िा<br />

विज्जा अउभ ् न भ ्ओ बगिओ अउभ ् न भ ्ओ ि ्अभ ् अउभ ् न ् अभ ् ओ अउभ ् नभ ्ओ आ औ<br />

[एसा भहा]<br />

अलबित्तीरक्खणॊ सम्भद्ॊसणॊ अउभ ् नभ ्ओ अटॎआ य स ् अ स ्ई र ् अभ ् ग-सहस्साहहहटॎमस्स ण ्ई स ्अभ<br />

ग ण ्इ णण ्इ म ् आ ण ् अ ण ्ई सल्र ण ् इ बम सल्रगत्तण स ्अ य् अणण सव्िदुक्खननम्भहण-<br />

ऩयभननव्िुइकयस्स णॊ ऩिमणस्स ऩयभऩवित्तुभस्सेनत ।<br />

[ॐ नभो कोटॎिुदॎीणॊ ॐ नभो ऩमाणुसायीणॊ ॐ नभो सॊलबणणसोईणॊ ॐ नभो<br />

खीयासिरदॎीणॊ ॐ नभो सव्िोसहहरदॎीणॊ ॐ नभो अक्खीणभहानसरदॎीणॊ ॐ नभो बगिओ अयहओ<br />

भहइभहािीयिदॎभाणस्स धम्भनतत्थॊकयस्स ॐ नभो सव्िधम्भनतत्थॊकयाणॊ ॐ नभो सव्िलसदॎाणॊ ॐ नभो<br />

सव्िसाहूणॊ ॐ नभो बगितो भइनाणस्स, ॐ नभो बगिओ सुमनाणस्स, ॐ नभो बगिओ ओहहनाणस्स<br />

ॐ नभो बगिओ भनऩज्जिनाणस्स ॐ नभो बगिओ के िरनाणस्स ॐ नभो बगितीए सुमदेिमाए<br />

लसज्झउ भे सुमाहहिा विज्जा ॐ नभो बगिओ ॐ नभो िॊ ॐ नभो ॐ नभो आ औ अलबित्ती रक्खणॊ<br />

सम्भद्ॊसणॊ ॐ नभो अटॎायससीरॊगसहस्साहहहटॎमस्स नीसॊगणणच्णणमाण नीसल्रननबम-सल्रगतण<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [5] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-१, उद्ेसो-<br />

सयणण सव्िदुक्ख-ननम्भहण-ऩयभ-ननव्िुइकयस्स णॊ ऩिमणस्स ऩयभ ऩवित्तुत्तभस्सेनत ।]<br />

[५२] एसा विज्जा लसदॎॊनतएहहॊ अक्खयेहहॊ लरणखमा, एसा म लसदॎॊनतमा रीिी । अभुणणम-<br />

सभमसब्बािाणॊ सुमधयेहहॊ णॊ न ऩणणिेमव्िा । तह म कु सीराणॊ च ।<br />

[५३] इभाए ऩिय-विज्जाए सव्िहा उ अत्ताणगॊ ।<br />

अहहभॊतेऊण सोिेज्जा खॊतो दॊतो च्जइॊहदओ ।।<br />

[५४] नियॊ सुहासुहॊ सम्भॊ लसविणगॊ सभिधायए ।<br />

जॊ तत्थ लसविणगे ऩासे तारयसगॊ तॊ तहा बिे ।।<br />

[५५] जइ णॊ सुॊदयगॊ ऩासे लसलभणगॊ तो इभॊ भहा ।<br />

ऩयभत्थ-तत्त-सायत्थॊ सल्रुदॎयणॊ भुणेत्तुणॊ ।।<br />

[५६] देज्जा आरोमणॊ सुदॎॊ अटॎ-भम-टॎाण-वियहहओ ।<br />

यॊजेंतो धम्भनतत्थमये लसदॎे रोगग्ग-सॊहठए ।।<br />

[५७] आरोएत्ताण नीसल्रॊ साभन्नेण ऩुणो वि म ।<br />

िॊहदत्ता चेइए साहू विहह-ऩुव्िेण खभािए ।।<br />

[५८] खाभेत्ता ऩाि-सल्रस्स ननम्भूरुदॎयणॊ ऩुणो ।<br />

कयेज्जा विहह-ऩुव्िेणॊ यॊजेंतो ससुयासुयॊ जगॊ ।।<br />

[५९] एिॊ होऊण नीसल्रो सव्ि-बािेण ऩुनयवि ।<br />

विहह-ऩुव्िॊ चेइए िॊदे खाभे साहच्म्भए तहा ।।<br />

[६०] नियॊ जेण सभॊ िुत्थो जेहहॊ सवदॎॊ ऩविहरयओ ।<br />

खय-परुसॊ चोइओ जेहहॊ समॊ िा जो म चोइओ ।।<br />

[६१] जो वि म कज्जभकज्जे िा बणणओ खय-परुस-ननटॎुयॊ ।<br />

ऩडडबणणमॊ जेण िी ककॊ गच सो जइ जीिइ जई भओ ।।<br />

[६२] खाभेमव्िो सव्ि-बािेणॊ जीिॊतो जत्थ गचटॎइ ।<br />

तत्थ गॊतूण विनएण भओ िी साहुसच्क्खमॊ ।।<br />

[६३] एिॊ खाभण-भरयसाभणॊ काउॊ नतहुमणस्स वि बािओ ।<br />

सुदॎो भन-िइ-काएहहॊ एमॊ घोसेज्ज ननच्छछओ ।।<br />

[६४] खाभेलभ अहॊ सव्िे सव्िे जीिा खभॊतु भे ।<br />

लभत्ती भे सव्िबूएसुॊ िेयॊ भज्झॊ न के णई ।।<br />

[६५] खभालभ हॊ वऩ सव्िेलसॊ सव्ि-बािेण सव्िहा ।<br />

बिबिेसु वि जॊतूणॊ िामा-भनसा म कम्भुणा ।।<br />

[६६] एिॊ घोसेत्तु िॊहदज्जा चेइम-साहू विहीम उ ।<br />

गुरुस्सावि विही-ऩुव्िॊ खाभण-भरयसाभणॊ कये ।।<br />

[६७] खभािेत्तु गुरुॊ सम्भॊ ताण-भहहभॊ स-सच्त्तओ ।<br />

काऊणॊ िॊहदऊणॊ च विहह-ऩुव्िेण ऩुणो वि म ।।<br />

[६८] ऩयभत्थ-तर-सायत्थॊ सल्रुदॎयणलभभॊ सुणे ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [6] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-१, उद्ेसो-<br />

सुणणत्ता तहभारोए जह आरोमॊतो चेि उप्ऩए के िरॊ नाणॊ<br />

।।<br />

[६९] हदन्नेरयस-बाित्थेहहॊ नीसल्रा आरोमणा ।<br />

जेणारोमभाणाणॊ चेि उप्ऩन्नॊ तत्थेि के िरॊ ।।<br />

[७०] के लसॊ गच साहहभो नाभे भहासत्ताण गोमभा ! ।<br />

जेहहॊ बािेणारोममॊतेहहॊ के िरनाणभुप्ऩाइमॊ ।।<br />

[७१] हा हा ! दुटॎ-कडे साहू हा हा ! दुटॎु विगचॊनतये ।<br />

हा हा ! दुटॎु-बाणणये साहू हा हा ! दुटॎुभनुभते ।।<br />

[७२] सॊिेगारोमगे तह म बािारोमण-के िरी ।<br />

ऩम-खेि-के िरी चेि भुहनॊतग-के िरी तहा ।।<br />

[७३] ऩच्छछत्त-के िरी सम्भॊ भहा-िेयग्ग-के िरी ।<br />

आरोमणा के िरी तह म हा ! हॊ ऩावि च्त्त-के िरी ।।<br />

[७४] उस्सुत्तुम्भग्ग-ऩन्निए हा हा ! अनामाय-के िरी ।<br />

सािज्जॊ न कयेलभ च्त्त अक्खॊडडम-सीर-के िरी ।।<br />

[७५] ति-सॊजभ-िम-सॊयक्खे ननॊदण-गरयहणे तहा ।<br />

सव्ित्तो सीर-सॊयक्खे कोडी-ऩच्छछत्तए वि म ।।<br />

[७६] ननप्ऩरयकम्भे अकॊ डुमणे अननलभसछछी म के िरी ।<br />

एग-ऩालसत्त दो ऩहये भूणव्िम-के िरी तहा ।।<br />

[७७] न सक्को काउ साभन्नॊ अनसने ठालभ के िरी ।<br />

निकाय-के िरी तह म ननछचारोमण-के िरी ।।<br />

[७८] ननसल्र-के िरी तह म सल्रुदॎयण-के िरी ।<br />

धन्नोलभ च्त्त सऩुणणो स ता हॊ ऩी ककॊ न के िरी ।।<br />

[७९] ससल्रो हॊ न ऩायेलभ चर-कटॎ-ऩम-के िरी ।<br />

ऩक्ख-सुदॎालबहाणे म चाउम्भासी म के िरी ।।<br />

[८०] सॊिछछय-भह-ऩच्छछत्ते हा ! चर-जीविते तहा ।<br />

अननछचे खण-विदॎॊसी भनुमत्ते के िरी तहा ।।<br />

[८१] आरोम-ननॊद-िॊहदमए घोय-ऩच्छछत्त-दुक्कये ।<br />

रक्खोिसग्ग-ऩच्छछत्ते सभ-हहमासण-के िरी ।।<br />

[८२] हत्थोसयण-ननिासे म अटॎकिरालस के िरी ।<br />

एग-लसत्थग-ऩच्छछत्ते दस-िा से के िरी तहा ।।<br />

[८३] ऩच्छछत्ताढिगे चेि ऩच्छछत्तदॎ-कम-के िरी ।<br />

ऩच्छछत्त-ऩरयसभत्ती म अटॎ-स-उक्कोस-के िरी ।।<br />

[८४] न सुदॎी वि न ऩच्छछत्ता ता ियॊ णखप्ऩ के िरी ।<br />

एगॊ काऊण ऩच्छछत्तॊ फीमॊ न बिे जह चेि के िरी ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [7] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-१, उद्ेसो-<br />

[८५] तॊ चामयालभ ऩच्छछत्तॊ जेणागछछइ के िरी ।<br />

तॊ चामयालभ जेण तिॊ सपरॊ होइ के िरी ।।<br />

[८६] ककॊ ऩच्छछत्तॊ चयॊतोऽहॊ गचटॎॊ नो ति-के िरी ।<br />

च्जणाणभाणॊ न रॊघे ऽहॊ ऩाण-ऩरयछचमण-के िरी ।।<br />

[८७] अन्नॊ होही सयीयॊ भे नो फोही चेि के िरी ।<br />

सुरदॎलभणॊ सयीयेणॊ ऩाि-ननड्डहण-के िरी ।।<br />

[८८] अनाइ-ऩाि-कम्भ-भरॊ ननदॎोिेभीह के िरी ।<br />

फीमॊ तॊ न सभामरयमॊ ऩभामा के िरी तहा ।।<br />

[८९] दे दे ! खिओ सयीयॊ भे ननज्जया बिउ के िरी ।<br />

सयीयस्स सॊजभॊ सायॊ ननक्करॊकॊ तु के िरी ।।<br />

[९०] भनसा वि खॊडडए सीरे ऩाणे न धयालभ के िरी ।<br />

एिॊ िइ-काम-जोगेणॊ सीरे यक्खे अहॊ के िरी ।।<br />

[९१] एिभादी अनादीमा काराओ नॊते भुनी ।<br />

के इ आरोमणा लसदॎे ऩच्छछत्ता के इ गोमभा ! ।।<br />

[९२] खॊता दॊता विभुत्ता म च्जइॊदी सछच-बालसणो ।<br />

छक्काम-सभायॊबाओ वियते नतविहेण उ ।।<br />

[९३] नत-दॊडासि-वियमा म इच्त्थ-कहा-सॊग-िच्ज्जमा ।<br />

इत्थी-सॊराि-वियमा म अॊगोिॊग- ऽननरयक्खणा ।।<br />

[९४] ननम्भभत्ता सयीये वि अप्ऩडडफदॎा भहामसा ।<br />

बीमा च्छछ-च्छछ-गब्बिसहीणॊ फहु-दुक्खाउ बिाउ तहा ।।<br />

[९५] तो एरयसेण बािेणॊ दामव्िा आरोमणा ।<br />

ऩच्छछत्तॊ वऩ म कामव्िॊ तहा जहा चेिेएहहॊ कमॊ ।।<br />

[९६] न ऩुणो तहा आरोएमव्िॊ भामा-डॊबेण के णई ।<br />

जह आरोएभाणाणॊ चेि-सॊसाय-िुड्ढी बिे ।।<br />

[९७] अनॊतेऽनाइकाराओ अत्त-कम्भेहहॊ दुम्भई ।<br />

फहुविकप्ऩ-कल्रोरे आरोएॊतो िी अहोगए ।।<br />

[९८] गोमभ! के लसॊ गच नाभाइॊ साहहभो तॊ ननफोधम ! ।<br />

जे सा ऽऽरोमण-ऩच्छछत्ते बाि-दोसेक्क-करुलसए ।।<br />

[९९] ससल्रे घोय-भहॊ दुक्खॊ दुयहहमासॊ सु-दूसहॊ ।<br />

अनुहिॊनत वि गचटॎॊनत ऩाि-कम्भे नयाहभे ।।<br />

[१००] गुरुगा सॊजभे नाभ साहू ननदॎॊधसे तहा ।<br />

हदहटॎ-िामा-कु सीरे म भन-कु सीरे तहेि म ।।<br />

[१०१] सुहुभारोमगे तह म ऩयििएसारोमगे तहा ।<br />

ककॊ चारोमगे तह म न ककॊ चारोमगे तहा ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [8] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-१, उद्ेसो-<br />

[१०२] अकमारोमणे चेि जन-यॊजिणे तहा ।<br />

नाहॊ काहालभ ऩच्छछत्तॊ छम्भारोमणभेि म ।।<br />

[१०३] भामा-डॊब-ऩिॊची म ऩुय-कड-ति-चयणॊ कहे ।<br />

ऩच्छछत्तॊ नच्त्थ भे ककॊ वि न कमा रोमणु छचये ।।<br />

[१०४] आसन्नारोमणक्खाई रहु-रहु-ऩच्छछत्त-जामगे ।<br />

अम्हानारोइमणॊ गचटॎे भुहफॊधारोमगे तहा ।।<br />

[१०५] गुरु-ऩच्छछत्ताऽहभसक्के म गगराणारॊफणॊ कहे ।<br />

अयडारोमगे साहू सुणणा ऽसुणणी तहेि म ।।<br />

[१०६] ननच्छछन्ने वि म ऩच्छछत्ते न काहॊ िुड्हढजामगे ।<br />

यॊजिण-भेत्तरोगाणॊ िामा-ऩच्छछत्ते तहा ।।<br />

[१०७] ऩडडिज्जण-ऩच्छछत्ते गचय-मार-ऩिेसगे तहा ।<br />

अननुहटॎम-ऩामच्छछत्ते अनुबणणम ऽन्नहाऽऽमये तहा ।।<br />

[१०८] आउट्ीम भहा-ऩािे कॊ दप्ऩा-दप्ऩे तहा ।<br />

अजमणा-सेिणे तह म सुमा ऽसुम-ऩच्छछत्ते तहा ।।<br />

[१०९] हदटॎ-ऩोत्थम-ऩच्छछत्ते समॊ ऩच्छछत्त-कप्ऩगे ।<br />

एिइमॊ एत्थ ऩच्छछत्तॊ ऩुव्िारोइम-भनुस्सये ।।<br />

[११०] जाती-भम-सॊककए चेि कु र-भम-सॊककए तहा ।<br />

जाती-कु रोबम-भमासॊके सुत-रालबस्सरयम-सॊककए तहा ।।<br />

[१११] तिो-भमा-सॊककए चेि ऩॊडडछच-भम-सॊककए तहा ।<br />

सक्काय-भम-रुदॎे म गायि-सॊदूलसए तहा ।।<br />

[११२] अऩुज्जो िा विहॊ जम्भे एगजम्भेि गचॊतगे ।<br />

ऩाविटॎाणॊ वऩ ऩाितये सकरुस-गचत्तारोमगे ।।<br />

[११३] ऩय-कहािगे चेि अविनमारोमगे तहा ।<br />

अविहह-आरोमगे साहू एिभादी दुयप्ऩणो ।।<br />

[११४] अनॊतेऽनाइ-कारेणॊ गोमभा ! अत्त-दुच्क्खमा ।<br />

अहो अहो ! जाि सत्तलभमॊ बाि-दोसेक्कओ गए ।।<br />

[११५] गोमभ! नॊते गचटॎॊनत जे अनादीए ससच्ल्रए ।<br />

ननम-बाि-दोस-सल्राणॊ बुॊजॊते वियसॊ परॊ ।।<br />

[११६] गचटॎइसॊनत अज्जावि तेणॊ सल्रेण सच्ल्रए ।<br />

अनॊतॊ वऩ अनागमॊ कारॊ तम्हा सल्रॊ न धायए खणॊ भुणण ।। च्त्त<br />

[११७] गोमभ! सभणीण नो सॊखा जाओ ननक्करुस-नीसल्र-विसुदॎ-सुननम्भर-विभर-<br />

भानसाओ अज्झप्ऩविसोहहए आरोइत्ताण सुऩरयपु डॊ नीसॊकॊ ननणखरॊ ननयािमिॊ ननम-दुछचरयमभादीमॊ सव्िॊ<br />

वऩ बािसल्रॊ । अहारयहॊ तिो-कम्भॊ ऩामच्छछत्तभनुचरयत्ताणॊ ननदॎोमऩाि-कम्भ-भर-रेि-करॊकाओ उप्ऩन्न-<br />

हदव्ि-िय-के िरनाणाओ भहानुबागाओ भहामसाओ भहा-सत्त-सॊऩन्नाओ-सुगहहम नाभधेज्जाओ अनॊतुत्तभ-<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [9] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


सोक्ख-भोक्खॊ ऩत्ताओ ।<br />

अज्झमणॊ-१, उद्ेसो-<br />

[११८] कालसॊगच गोमभा ! नाभे ऩुन्न-बागाण साहहभो ।<br />

जालसभारोमभाणीणॊ उप्ऩन्नॊ सभणीण के िरॊ ।।<br />

[११९] हा हा हा ! ऩाि-कम्भा हॊ ऩािा ऩािभती अहॊ ।<br />

ऩाविटॎाणॊ वऩ ऩािमया हा हा हा ! दुटॎविॊनतभो ।।<br />

[१२०] हा हा हा ! इच्त्थ बािॊ भे ताविह-जम्भे उिहटॎमॊ ।<br />

तहािी न घोय-िीरुग्गॊ कटॎॊ ति-सॊजभॊ धयॊ ।।<br />

[१२१] अनॊता-ऩाि-यासीओ सच्म्भलरमाओ जमा बिे ।<br />

तइमा इच्त्थत्तणॊ रब्बे सुदॎॊ ऩािाण कम्भाण ।।<br />

[१२२] एगत्थऩडी बूताणॊ सभुदम तणुतॊ तह ।<br />

कयेलभ जहन ऩुणो इच्त्थहॊहोलभ के िलर ।।<br />

[१२३] हदटॎे वि न खॊडालभ सीरॊ हॊ सभणण-के िलर ।<br />

हा हा ! भणेण भे ककॊ वऩ अत्त-दुहत्त-गचॊनतमॊ ।।<br />

[१२४] तभारोइत्ता रहुॊ सुवदॎॊ गेणहे हॊ सभणण-के िलर ।<br />

दटॎूण भज्झ रािणणॊ रूिॊ कॊ नतॊ हदच्त्तॊ लसरयॊ ।।<br />

[१२५] भा नय-ऩमॊगाहभा-जॊतु खमॊ अनसनॊ सभणण म के िरी ।<br />

िा तॊ भोत्तूण नो अन्नो ननछछमॊ भह तणूछछीिे ।।<br />

[१२६] छक्काम-सभायॊबॊ न कयेऽहॊ सभणण-के िरी ।<br />

ऩोग्गर-कक्खोरु-गुज्झॊ तॊ नाहहॊ जहनॊतये तहा ।।<br />

[१२७] जननीए वि न दॊसेलभ सुसॊगुत्तॊगोिॊगा सभणी म के िरी ।<br />

फहु-बिॊतय-कोडीओ घोयॊ गब्ब-ऩयॊऩयॊ ।।<br />

[१२८] ऩरयमट्ॊतीए सुरदॎॊ भे नाण-चारयत्त-सॊजुमॊ ।<br />

भानुसजम्भॊ स-सम्भत्तॊ ऩाि-कम्भ-खमॊकयॊ ।।<br />

[१२९] ता सव्ि-बाि-नीसल्रा आरोएलभ खणे खणे ।<br />

ऩामच्छछत्तभनुटॎालभ फीमॊ तॊ न सभायबॊ ।।<br />

[१३०] जेणागछछनत ऩच्छछत्तॊ िामा भनसा म कम्भुणा ।<br />

ऩुढवि-दगागनन-िाऊ हरयम-कामॊ तहेि म ।।<br />

[१३१] बफम-काम-सभायॊबॊ बफ-नत-चउ-ऩॊगचॊहदमाण म ।<br />

भुसाणुॊवऩ न बासेलभ ससयक्खॊ वऩ अहदन्नमॊ ।।<br />

[१३२] ने गेणहॊ लसलभणॊते विॊ न ऩत्थॊ भनसा वि भेहुणॊ ।<br />

ऩरयग्गहॊ न काहालभ भुरुत्तय-गुण-खरणॊ तहा ।।<br />

[१३३] भम-बम-कसाम-दॊडेसुॊ गुत्ती-सलभनतॊहदएसु म ।<br />

तह अटॎायस सीरॊग सहस्साहहहटॎम तणू ।।<br />

[१३४] सज्झाम-झाण-जोगेसुॊ अलबयभॊ सभणण-के िरी ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [10] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-१, उद्ेसो-<br />

तेरोक्क-रग्गणक्खॊब धम्भ-नतत्थॊकयेण जॊ ।।<br />

[१३५] तभहॊ लरॊगॊ धयेभाणी जइ वि हु जॊते ननपीलरमॊ ।<br />

भज्झोभज्झी म दो खॊडा पालरज्जालभ तहेि म ।।<br />

[१३६] अह ऩच्क्खप्ऩालभ हदत्तच्ग्गॊ अहिा नछज्जे जई लसयॊ ।<br />

तो िी हॊ ननमभ-िम-बॊगॊ-सीर-चारयत्त-खॊडणॊ ।।<br />

[१३७] भनसा िी एक्क-जम्भ-कए न कु णॊ सभणण-के िरी ।<br />

खरुट्-साण-जईसुॊ सयागा हहॊडडमा अहॊ ।।<br />

[१३८] विकम्भॊ वऩ सभामरयमॊ अनॊते बि-बिॊतये ।<br />

तभेि खयकम्भभहॊ ऩव्िज्जाऩहटॎमा कु णॊ ।।<br />

[१<strong>३९</strong>] घोयॊधमायऩामारा जेणॊ नो नीहयॊ ऩुणो ।<br />

फे हदमहे भानुसॊ जम्भॊ तॊ च फहुदुक्ख-बामणॊ ।।<br />

[१४०] अननछचॊ खण-विदॎॊसी फहु-दॊडॊ दोस-सॊकयॊ ।<br />

तत्थावि इत्थी सॊजामा-समर-तेरोक्क-ननॊहदमा ।।<br />

[१४१] तहा वि ऩाविमॊ धम्भॊ ननच्व्िग्घभनॊतयाइमॊ ।<br />

ता हॊ तॊ न वियाहेभी ऩाि-दोसेण के णई ।।<br />

[१४२] लसॊगाय-याग-सविगायॊ साहहरासॊ न चेहटॎभो ।<br />

ऩसॊताए वि हदटॎीए भोत्तुॊ धम्भोिसएसगॊ ।।<br />

[१४३] अन्नॊ ऩुरयसॊ न ननज्झामॊ नारिॊ सभणण-के िरी ।<br />

तॊ तारयसॊ भहाऩािॊ काउॊ अक्कहनीममॊ ।।<br />

[१४४] तॊ सल्रभवि उप्ऩन्नॊ जह दत्तारोमण-सभणण-के िरी ।<br />

एभाहद-अनॊत-सभणीओ दाउॊ सुदॎारोमणॊ ।।<br />

[१४५] ननसल्रा के िरॊ ऩप्ऩा लसदॎाओ अनादी-कारेण गोमभा ! ।<br />

खॊता दॊता विभुत्ताओ च्जइॊहदमाओ सछच-बाणणयीओ ।।<br />

[१४६] छ-क्काम-सभायॊबा वियमा नतविहेण उ ।<br />

नत-दॊडासि-सॊिुत्ता ऩुरयस-कहा-सॊगिच्ज्जमा ।।<br />

[१४७] ऩुयीस-सॊराि-वियमाओ ऩुरयसॊगोिॊग-ननरयक्खणा ।<br />

ननम्भभत्ताउ स-सयीये अऩडडफदॎाउ भहा-मसा ।।<br />

[१४८] बीमा नछ-नछ-गब्ब-िसहीणॊ फहु-दुक्खाओ बिसॊसयणाओ तहा ।<br />

ता एरयसेण बािेणॊ दामव्िा आरोमणा ।।<br />

[१४९] ऩामच्छछत्तॊ वऩ कामव्िॊ तह जह एमाहहॊ सभणीहहॊ कमॊ ।<br />

न उणॊ तह आरोएमव्िॊ भामा-डॊबेण के णई ।।<br />

[१५०] जह आरोमभाणीणॊ ऩाि-कम्भ-िुड्ढी बिे ।<br />

अनॊतानाइ कारेणॊ भामा-डॊब-छम्भ-दोसेण ।।<br />

[१५१] किडारोमणॊ काऊॊ सभणीओ ससल्राओ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [11] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-१, उद्ेसो<br />

आलबओग-ऩयॊऩयेणॊ छहटॎमॊ ऩुढविॊ गमा ।।<br />

[१५२] कालसॊगच गोमभा ! नभो साहहभो तॊ ननफोधम ।<br />

जाओ आरोमभाणाओ बाि-दोसेण ।।<br />

[१५३] सुटॎुतयगॊ ऩाि-कम्भ-भर-खिलरम-ति-सॊजभ-सीरॊगाणॊ ।<br />

ननसल्रत्तॊ ऩसॊलसमॊ तॊ ऩयभबाि-<br />

।<br />

विसोहहए विणा खणदॎॊवऩ नोबिे ।।<br />

[१५४] ता गोमभ के लसलभत्थीणॊ गचत्त-विसोहह सुननम्भरा ।<br />

बिॊतये वि नो होही जेण नीसल्रमा बिे ।।<br />

[१५५] छटॎ-टॎभ-दसभ-दुिारसेहहॊ सुक्खॊनत के वि सभणीओ ।<br />

तह वि म सयाग-बािॊ नारोमॊती न छड्डॊनत ।।<br />

[१५६] फहु-विह विकप्ऩ-कल्रोर-भारा उक्कलरगाहहणॊ ।<br />

विमयॊतॊ ते ण रक्खेज्जो दुयिगाह-भन-सागयॊ ।।<br />

[१५७] ते कहभारोमणॊ देंतु जालसॊ गचत्तॊ वऩ नो िसे ।<br />

सल्रॊ जो ताणभुदॎयए स-िॊदनीओ खणे खणे ।।<br />

[१५८] अलसनेह-ऩीइ-ऩुव्िेणॊ धम्भ-सदॎुल्र-साविमॊ ।<br />

सीरॊग-गुणटॎाणेसुॊ उत्तभेसुॊ धयेइ जो ।।<br />

[१५९] इत्थी फहुफॊधणुम्भुक्कॊ गगह-करत्ताहद-चायगा ।<br />

सुविसुदॎ-सुननम्भर-गचत्तॊ नीसल्रॊ सो भहामसो ।।<br />

[१६०] दटॎव्िो िॊदनीओ म देविॊदाणॊ स उत्तभो ।<br />

दीनत्थी सव्ि-ऩरयबूमॊ वियइटॎाणे जो उत्तभे धये ।।<br />

[१६१] नारोएभी अहॊ सभणी दे कहॊ ककॊ गच साहुणी ।<br />

फहुदोसॊ न कहॊ सभणी जॊ हदटॎॊ सभणीहहॊ तॊ कहॊ ।।<br />

[१६२] असािज्ज-कहा सभणी फहु आरॊफणा कहा ।<br />

ऩभामखािगा सभणी ऩाविटॎा फर-भोडी-कहा ।।<br />

[१६३] रोग-विरुदॎ-कहा तह म ऩयििएसाऽऽरोमणी ।<br />

सुम-ऩच्छछत्ता तह म जामादी-भम-सॊककमा ।।<br />

[१६४] भूसगाय-बीरुमा चेि गायि-नतम-दूलसमा तहा ।<br />

एिभाहद-अनेग-बाि-दोस-िसगा ऩािसल्रेहहॊ ऩूरयमा ।।<br />

[१६५] ननयॊतया अनॊतेणॊ कार-सभएण गोमभा ! ।<br />

अइक्कॊ तेणॊ अनॊताओ सभणीओ फहु-दुक्खािसहॊ गमा ।।<br />

[१६६] गोमभ! अनॊताओ गचटॎॊनत जा अनादी-सल्र-सच्ल्रमा ।<br />

बाि-दोसेक्क-सल्रेहहॊ बुॊजभाणीओ कडु-वियसॊ घोयग्गुग्गतयॊपरॊ।।<br />

[१६७] गचटॎइस्सॊनत अज्जावि तेहहॊ सल्रेहहॊ सच्ल्रमा ।<br />

अनॊत वऩ अनागमॊ कारॊ तम्हा सल्रॊ सुसुहुभॊ वऩ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [12] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-१, उद्ेसो-<br />

सभणी नो धारयज्जा खणॊ नत ।।<br />

[१६८] धग-धग-धगस्स ऩज्जलरए जारभाराउरे दढॊ ।<br />

हुमिहे वि भहाबीभे स सयीयॊ डज्झए सुहॊ ।।<br />

[१६९] ऩमलरॊनतॊगाय-यासीए एगलस झॊऩॊ ऩुणो जरे ।<br />

घच्ल्रॊतो गगरयतो सयीयॊ जॊ भरयज्जेमॊ वऩ सुक्कयॊ ।।<br />

[१७०] खॊडडम-खॊडडम-सहत्थेहहॊ एक्के क्कभॊगािमिॊ ।<br />

जॊ होलभज्जइ अग्गीए अनु-हदमहेमॊ वऩ सुक्कयॊ ।।<br />

[१७१] खय-परुस-नतक्ख-कयित्त दॊतेहहॊ पाराविउॊ ।<br />

रोणूस-सच्ज्जमा-खायॊ जॊ धत्तािेमॊ वऩ स-सयीये ऽछचॊत-सुक्कयॊ ।<br />

जीिॊतो समभिी सक्कॊ खल्रॊ उत्तारयऊ ण म ।।<br />

[१७२] जि-खाय-हलरद्ादीहहॊ जॊ आलरॊऩे ननमॊ तणुभेमॊ वऩ सुक्कयॊ ।<br />

नछॊदेऊणॊ सहत्थेणॊ जो धत्ते सीसॊ ननमॊ ।।<br />

[१७३] एमॊ वऩ सुक्कयभरीहॊ दुक्कयॊ ति-सॊजभॊ ।<br />

नीसल्रॊ जेण तॊ बणणमॊ सल्रो म ननम-दुच्क्खओ ।।<br />

[१७४] भामा-डॊबेण ऩछछन्नो तॊ ऩामडडउॊ न सक्कए ।<br />

यामा दुछचरयमॊ ऩुछछे अह साहह देह सव्िस्सॊ ।।<br />

[१७५] सव्िस्सॊ वऩ ऩएज्जा उ नो ननम-दुछचरयमॊ कहे ।<br />

यामा दुछचरयमॊ ऩुछछे साह ऩुहइॊ वऩ देलभ ते ।।<br />

[१७६] ऩुहिी यज्जॊ तणॊ भन्ने नो ननम दुछचरयमॊ कहे ।<br />

यामा जीमॊ ननककॊ तालभ अह ननम-दुछचरयमॊ कहे ।।<br />

[१७७] ऩाणेहहॊ वऩ खमॊ जॊतो ननम-दुछचरयमॊ कहेइ नो ।<br />

सव्िस्सहयणॊ च यज्जॊ च ऩाणे िी ऩरयछचएसु णॊ ।।<br />

[१७८] भमा वि जॊनत ऩामारे ननम-दुछचरयमॊ कहहॊनत नो ।<br />

जे ऩािाहम्भ-फुवदॎमा काउरयसा एगजच्म्भणो ।<br />

ते गोिॊनत स-दुछचरयमॊ नो सप्ऩुरयसा भहाभती ।।<br />

[१७९] सप्ऩुरयसा ते न िुछचॊनत जे दानि इह दुज्जने ।<br />

सप्ऩुरयसा णॊ चरयते बणणमा जे ननसल्रा तिे यमा ।।<br />

[१८०] आमा अननछछभाणो वि ऩाि-सल्रेहहॊ गोमभा ! ।<br />

ननलभसदॎानॊत-गुणणएहहॊ ऩूरयज्जे ननम-दुच्क्कमा ।।<br />

[१८१] ताइॊ च झाण-सज्झाम-घोय-ति-सॊजभेण म ।<br />

ननद्ॊबेण अभाएणॊ तक्खणॊ जो सभुदॎये ।।<br />

[१८२] आरोएत्ताण नीसल्रॊ ननॊहदउॊ गयहहउॊ दढॊ ।<br />

तह चयती ऩामच्छछत्तॊ जह सल्राणभॊतॊ कये ।।<br />

[१८३] अन्न-जम्भ-ऩहुत्ताणॊ खेत्ती-बूमाण िी दढॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [13] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-१, उद्ेसो-<br />

ननलभसदॎ-खण-भुहुत्तेणॊ आजम्भे नेि ननच्छछओ ।।<br />

[१८४] सो सुहडो सो म सप्ऩुरयसो सो तिस्सी स-ऩॊडडओ ।<br />

खॊतो दॊतो विभुत्तो म सहरॊ तस्सेम जीविमॊ ।।<br />

[१८५] सूयो म सो सराहो म दटॎव्िो म खणे खणे ।<br />

जो सुदॎारोमणॊ देंतो ननम-दुछचरयमॊ कहे पु डॊ ।।<br />

[१८६] अत्थेगे गोमभा ! ऩाणी जे सल्रॊ अदॎउवदॎमॊ ।<br />

भामा-रज्जा-बमा भोहा झसकाया-हहमए धये ।।<br />

[१८७] तॊ तस्स गुरुतयॊ दुक्खॊ हीन-सत्तस्स सॊजणे ।<br />

से गचॊते अन्नाण-दोसाओ नोदॎयॊ दुच्क्खच्ज्जहॊ ककर ।।<br />

[१८८] एग-धायो दु-धायो िा रोह-सल्रो अनुवदॎओ ।<br />

सल्रेगछछाभ जम्भेगॊ अहिा सॊसी बिे इभो ।।<br />

[१८९] ऩाि-सल्रो ऩुणासॊख-नतक्ख-धायो सुदारुणो ।<br />

फहु-बिॊतय-सव्िॊगे लबॊदे कु लरसो गगरय जहा ।।<br />

[१९०] अत्थेगे गोमभा ! ऩाणी जे बि-सम-साहच्स्सए ।<br />

सज्झाम-ज्झाण-जोगेणॊ घोय-ति-सॊजभेण म ।।<br />

[१९१] सल्राइॊ उदॎयेऊणॊ गचयमारा दुक्ख-के सओ ।<br />

ऩभामा बफउण-नतउणेहहॊ ऩूरयज्जॊती ऩुणो वि म ।।<br />

[१९२] जम्भॊतयेसु फहुएसु तिसा ननद्ड्ढ-कम्भुणो ।<br />

सल्रुदॎयणस्स साभत्थॊ बिती कह वि जॊतुणो ।।<br />

[१९३] तॊ साभच्ग्गॊ रलबत्ताणॊ जे ऩभाम-िसॊगए ।<br />

ते भुलसए सव्ि-बािेणॊ कल्राणाणॊ बिे बिे ।।<br />

[१९४] अत्थेगे गोमभ ! ऩाणी जे ऩभाम-िसॊ गए ।<br />

चयॊते िी तिॊ घोयॊ ससल्रॊ गोिेंनतॊ सव्िहा ।।<br />

[१९५] नेमॊ तत्थ विमाणॊनत जहा ककभम्हेहहॊ गोविमॊ ।<br />

जॊ ऩॊच-रोगऩारप्ऩा-ऩॊचेंहदमाणॊ च न गोविमॊ ।।<br />

[१९६] ऩॊच-भहारोग-ऩारेहहॊ अप्ऩा-ऩॊगचॊहदएहह म ।<br />

एक्कायसेहहॊ एतेहहॊ जॊ हदटॎॊ स-सुयासुये जगे ।।<br />

[१९७] ता गोमभ ! बाि-दोसेणॊ आमा िॊगचज्जई ऩयॊ ।<br />

जेणॊ चउ-गइ-सॊसाये हहॊडइ सोक्खेहहॊ िॊगचओ ।।<br />

[१९८] एिॊ नाऊण कामव्िा ननच्छछम-दढ-हहमम-धीरयमा ।<br />

भह-उच्त्तभ-सत्त-कु ॊ तेणॊ लबॊदेमव्िा भामा-यक्खसी ।।<br />

[१९९] फहिे अज्जि-बािेणॊ ननम्भहहऊण अनेगहा ।<br />

विनमातीहॊकु सेण ऩुणो भानिाइॊदॊ िसीमये ।।<br />

[२००] भद्ि-भुसरेण ता चूये िलसमरयऊॊ जाि दूयओ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [14] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-१, उद्ेसो-<br />

दटॎूणॊ कोह-रोहाही-भमये ननॊदे सॊघडे ।।<br />

[२०१] कोहो म भानो म अननग्गहीमा भामा म रोबो म ऩिड्ढभाणा ।<br />

चत्तारय एए कलसणा कसामा ऩामॊनत सल्रे सुदुरुदॎये फहुॊ ।।<br />

[२०२] उिसभेण हणे कोहॊ भानॊ भद्िमा च्जने ।<br />

भामॊ च ऽज्जि-बािेणॊ रोहॊ सॊतुहटॎए च्जने ।।<br />

[२०३] एिॊ ननच्ज्जम-कसाए जे सत्त-बमटॎाण-वियहहए ।<br />

अटॎभम-विप्ऩभुक्के म देज्जा सुदॎारोमणॊ ।।<br />

[२०४] सु-ऩरयपु डॊ जहाित्तॊ सव्िॊ ननम-दुच्क्खमॊ कहे ।<br />

नीसॊके म असॊखुदॎे ननब्बीए गुरु-सॊनतमॊ ।।<br />

[२०५] बूणे भुदॎडगे फारे जह ऩरिे उज्जु-ऩदॎयॊ ।<br />

अवि उप्ऩन्नॊ तहा सव्िॊ आरोमव्िॊ जहहटॎमॊ ।।<br />

[२०६] जॊ ऩामारे ऩविलसत्ता अॊतयजरभॊतये इ िा ।<br />

कम भह यातोंधकाये िा जननीए वि सभॊ बिे ।।<br />

[२०७] तॊ जहित्तॊ कहेमव्िॊ सव्िभन्नॊ वऩ ननच्क्खरॊ ।<br />

ननम-दुच्क्खम-सुच्क्खमभादी आरोमॊतेहहॊ गुरुमणे ।।<br />

[२०८] गुरु वि नतत्थमय-बणणमॊ जॊ ऩच्छछत्तॊ तहहॊ कहे ।<br />

नीसल्री बिनत तॊ काउॊ जइ ऩरयहयइ असॊजभॊ ।।<br />

[२०९] असॊजभॊ बणणती ऩािॊ तॊ ऩािभनेगहा भुणे ।<br />

हहॊसा असछचॊ चोरयक्कॊ भेहुणॊ तह ऩरयग्गहॊ ।।<br />

[२१०] सद्ा इॊहदम-कसाए म भन-िइ-तनु-दॊडे तहा ।<br />

एते ऩािे अछड्डॊतो नीसल्रो नो म णॊ बिे ।।<br />

[२११] हहॊसा ऩुढिाहद-छब्बेमा अहिा नि-दस-चोद्सहाउ ।<br />

अहिा अनेगहा नेमा काम-बेदॊतयेहह णॊ ।।<br />

[२१२] हहओिदेसॊ ऩभोत्तूण सव्िुत्तभ-ऩायभच्त्थमॊ ।<br />

तत्त-धम्भस्स सव्िसल्रॊ भुसािामॊ अनेगहा ।।<br />

[२१३] उग्गभ-उप्ऩामणेसणमा-फामालरसाए तह म ऩॊचेहहॊ ।<br />

दोसेहहॊ दूलसमॊ जॊ बॊडोिगयण-ऩाणभाहयॊ ।<br />

नि कोडीहहॊ असुदॎॊ ऩरयबुॊजतो बिे तेणो ।।<br />

[२१४] हदव्िॊ काभ-यई-सुहॊ नतविहॊ नतविहेण अहि ओयारॊ ।<br />

भनसा अज्झिसॊतो अफॊबमायी भुणेमव्िो ।।<br />

[२१५] नि-फॊबचेय-गुत्ती-वियाहए जो म साहु सभणी िा ।<br />

हदहटॎभहिा सयागॊ ऩउॊ जभाणो अइमये फॊबॊ ।।<br />

[२१६] गणणा-ऩभाण-अइरयत्तॊ धम्भोिगयणॊ तहा--- ।<br />

[ऩररग्गहं पवयाणेज्जा तह य मुच्छा जहहं च वत्थु हहं<br />

।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [15] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-१, उद्ेसो-<br />

दुट्ठाऽऩसत्थ जोगेहहं ऩररणामं भवइ दारुणं<br />

।<br />

तप्ऩररणामऽज्झवसाएणं हहंसा, तनुमपव आरंभमसममयत्तणं तहा । ]<br />

--- स कसाम-कू य-बािेणॊ जा िाणी करुलसमा बिे ।।<br />

[२१७] सािज्ज-िइ-दोसेसुॊ जा ऩुटॎा तॊ भुसा भुणे ।<br />

ससयक्खभवि अविहदन्नॊ जॊ गगणहे तॊ चोरयक्कमॊ ।।<br />

[२१८] भेहुण-कय-कम्भेणॊ सद्ादीण-विमायणे ।<br />

ऩरयग्गहॊ जहहॊ भुछछा रोहो कॊ खा भभत्तमॊ ।।<br />

[२१९] अणूणोमरयमभाकॊ ठॊ बुॊजे याई-बोमणॊ ।<br />

सद्स्साननटॎ-इमयस्स रूि-यस-गॊध-परयसस्स िा ।।<br />

[२२०] न यागॊ न प्ऩदोसॊ िा गछछेज्जा उ खणॊ भुनी ।<br />

कसाम-चउ-चउक्कस्स भनलस विज्जािणॊ कये ।।<br />

[२२१] दुटॎे भनो-िती-कामा-दॊडे नो णॊ ऩउॊ जए ।<br />

अपासु-ऩाण-ऩयीबोगॊ फीम-काम-सॊघट्णॊ ।।<br />

[२२२] अछड्डेंतो इभे ऩािे नो णॊ नीसल्रो बिे ।<br />

एएलसॊ भहॊत-ऩािाणॊ देहत्थॊ जाि कत्थई ।।<br />

[२२३] एक्कॊ वऩ गचटॎए सुहुभॊ नीसल्रो ताि नो बिे ।<br />

तम्हा आरोमणॊ दाऊॊ ऩामच्छछत्तॊ कयेऊणॊ ।<br />

[ननणखरॊ ति-सॊजभॊ धम्भॊ नीसल्रभनुगचहटॎमव्िमॊ<br />

]।<br />

एमॊ ननक्किड-ननद्ॊबॊ नीसल्रॊ काउॊ तिॊ ।।<br />

[२२४] जत्थ जत्थोिज्जेज्जा देिेसु भानुसेसु िा ।<br />

तत्थ तत्थुत्तभा-जाई उत्तभा रयवदॎ-सॊऩमा ।<br />

रबेज्जा उत्तभॊ रूिॊ सोहग्गॊ जइ णॊ नो लसज्झेज्जा तब्बिे ।।- च्त्तफेलभ<br />

० ऩढमं अज्झयणं समत्तं ०<br />

[२२५] एमस्स म कु लरहहम-दोसो न दामव्िो सुमहयेहहॊ ककॊ तु जो चेि एमस्स ऩुव्िामरयसो<br />

आलस, तत्थेि कत्थइ लसरोगो, कत्थइ लसरोगदॎॊ, कत्थइ ऩमक्खयॊ, कत्थइ अक्खय-ऩॊनतमा, कत्थइ ऩन्नग-<br />

ऩुहटॎमा, कत्थइ एग नतच्न्न ऩन्नगाणण एिभाइ-फहुगॊथॊ ऩरयगलरमॊ नत ।<br />

० बीयं अज्झयणं - कम्मपववाग वागरणं ०<br />

० ऩढमो उद्ेसो ०<br />

[२२६] ननम्भूरुवदॎम-सल्रेणॊ सव्ि-बािेण गोमभा ! ।<br />

झाणे ऩविलसत्तु सम्भेमॊ ऩछचक्खॊ ऩालसमव्िमॊ ।।<br />

[२२७] जे सणणी जे वि माऽसणणी बव्िाबव्िा उ जे जगे ।<br />

सुहत्थी-नतरयमभुड्ढाऽहॊ इहलभहाडॊनत दस-हदलसॊ ।।<br />

[२२८] असणणी दुविहे नेए विमलरॊदी एगगॊहदए ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [16] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-१<br />

विमरे ककलभ-कु ॊ थु-भछछादी ऩुढिादी-एगगॊहदए ।।<br />

[२२९] ऩसु-ऩक्खी-लभगा-सन्नी नेयइमा भनुमाभया ।<br />

बव्िाबव्िा वि अत्थेसुॊ नीयए उबम-िच्ज्जए ।।<br />

[२३०] धम्भत्ता जॊनत छामाए विमलरॊदी-लसलसयामिॊ ।<br />

होही सोक्खॊ ककरम्हाणॊ ता दुक्खॊ तत्थ िी बिे ।।<br />

[२३१] सुकु भारॊगत्ताओ खण-दाहॊ लसलसयॊ खणॊ ।<br />

न इभॊ न इभॊ अहहमासेउॊ सक्कीणणॊ एिभाहदमॊ ।।<br />

[२३२] भेहुण-सॊकप्ऩ-यागाओ भोहा अन्नाण-दोसओ ।<br />

ऩुढिाहदसु गमएगगॊदी न माणॊती दुक्खॊ सुहॊ ।।<br />

[२३३] ऩरयित्तॊते अनॊते वि कारे फेइॊहदमत्तणॊ ।<br />

के ई जीिा न ऩािेंनत के इ ऩुणा ऽनाहद ऩाविमॊ ।।<br />

[२३४] सी-उणह-िाम-विज्झडडमा लभम-ऩसु-ऩक्खी-लसयीलसिा ।<br />

लसलभणॊते वि न रबॊते ते ननलभसदॎब्बॊतयॊ सुहॊ ।।<br />

[२३५] खय-परुस-नतक्ख-कयित्ताइएहहॊ पालरज्जता खण खण ।<br />

ननिसॊनत नायमा नयए तेलसॊ सोक्खॊ कु ओ बिे ।।<br />

[२३६] सुयरोए अभयमा सरयसा सव्िेलसॊ तच्त्थभॊ दुहॊ ।<br />

उिहटॎए िाहणत्ताए एगो अन्नो तत्थभारुहे ।।<br />

[२३७] सभ-तुल्रे ऩाणण-ऩादेणॊ हा हा ! भे अत्त-िेरयणा ।<br />

भामा-डॊबेण गध वदॎ वदॎ ! ऩरयतप्ऩे हॊ आमिॊगचओ ।।<br />

[२३८] सुहेसी ककलस-कम्भत्तॊ सेिा-िाणणज्ज-लसप्ऩमॊ ।<br />

कु व्िॊताऽहच्न्नसॊ भणुमा धुप्ऩॊते एलसॊ कु ओ सुहॊ ।।<br />

[२<strong>३९</strong>] ऩय-घयलसयीए हदटॎाए एगे डज्झॊनत फालरसे ।<br />

अन्ने अऩहुप्ऩभाणीए अन्ने खीणाए रच्छछए ।।<br />

[२४०] ऩुन्नेहहॊ िड्ढभाणेहहॊ जस-ककत्ती-रछछी म िड्ढइ ।<br />

ऩुन्नेहहॊ हामभाणेहहॊ जस-ककत्ती-रछछी-खीमइ ।।<br />

[२४१] िास-साहच्स्समॊ के ई भन्नॊते एगॊ हदनॊ ऩुणो ।<br />

कारॊ गभेंनत दुक्खेहहॊ भनुमा ऩुन्नेहहॊ उच्ज्झमा ।।<br />

[२४२] सॊखेित्थलभभॊ बणणमॊ सव्िेलसॊ जग-जॊतुणॊ ।<br />

दुक्खॊ भानुस-जाईणॊ गोमभ ! जॊ तॊ ननफोधम ।।<br />

[२४३] जभनुसभमभनुबिॊताणॊ समहा उव्िेविमाण वि ।<br />

ननच्व्िणणाणॊ वऩ दुक्खेहहॊ िेयग्गॊ न तहा िी बिे ।।<br />

[२४४] दुविहॊ सभासओ भुणसु दुक्खॊ सायीय-भानसॊ ।<br />

घोय-ऩचॊड-भहायोद्ॊ नतविहॊ एक्के क्कॊ बिे ।।<br />

[२४५] घोयॊ जाण भुहुत्तॊतॊ घोय-ऩमॊडॊ नत सभम-िीसाभॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [17] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-१<br />

घोय-ऩमॊड-भहायोद्ॊ अनुसभम-विस्साभगॊ भुणे ।।<br />

[२४६] घोयॊ-भनुस्स-जाईणॊ घोय-ऩमॊडॊ भुने नतरयछछासुॊ ।<br />

घोय-ऩमॊड भहायोद्ॊ नायम-जीिाण गोमभा ! ।।<br />

[२४७] भानुस्सॊ नतविहॊ जाणे जहन्न-भज्झुत्तभॊ दुहॊ ।<br />

नच्त्थ जहन्नॊ नतरयछछाणॊ दुह-भुक्कोसॊ तु नायमॊ ।।<br />

[२४८] जॊ तॊ जहन्नगॊ दुक्खॊ भानुस्सॊ तॊ दुहा भुने ।<br />

सुहुभ-फादय-बेदेणॊ ननच्व्िबागे इतये दुिे ।।<br />

[२४९] सम्भुच्छछभेसु भनुएसुॊ सुहुभॊ देिेसु फामयॊ ।<br />

चिणमारे भहहड्हढणॊ आजम्भभालबओगगमाण उ ।।<br />

[२५०] सायीयॊ नच्त्थ देिाणॊ दुक्खेणॊ भानसेण उ ।<br />

अइफलरमॊ िच्ज्जभॊ हहममॊ सम-खॊडॊ जॊ न िी पु डे ।।<br />

[२५१] ननच्व्िबागे म जे बणणए दोच्णण भज्झुत्तभे दुहे ।<br />

भनुमाणॊ ते सभक्खाए गब्बिक्कॊ नतमाण उ ।।<br />

[२५२] असॊखेमाऊ भनुमाणॊ दुक्खॊ जाणे वि भच्ज्झभॊ ।<br />

सॊखेमाउ भनुस्साणॊ तु दुक्खॊ चेिुक्कोसगॊ ।।<br />

[२५३] असोक्खॊ िेमणा िाही ऩीडा दुक्खभनेव्िुई ।<br />

अणयागभयई के सॊ एिभादी एगहटॎमा फहू ।।<br />

० बीए अज्झयणे ऩढमो उद्ेसो समत्तो ०<br />

० बबइओ-उद्ेसो ०<br />

[२५४] सायीयेमय-बेदलभमॊ जॊ बणणमॊ तॊ ऩिक्खई ।<br />

सायीयॊ गोमभा ! दुक्खॊ सुऩरयपु डॊ तभिधायम ।।<br />

[२५५] िारग्ग-कोडड-रक्ख-भमॊ बागभेत्तॊ नछिे धुिे ।<br />

अगथय-अन्नन्नऩदेससयॊ कु ॊ थुॊ भणह विच्त्तॊ खणॊ ।।<br />

[२५६] तेन वि कयकच्त्त सल्रेउॊ हहममभुदॎसए तनू ।<br />

सीमॊती अॊगभॊगाइॊ गुरु उिेई ।<br />

सव्िसयीयस्स ऽब्बॊतयॊ कॊ ऩे थयथयस्सम ।।<br />

[२५७] कु ॊ थु-पयीलसमभेत्तस्स जॊ सरसरे-तनुॊ ।<br />

तभिसॊ लबन्न-सव्िॊगे करमर-डज्झॊत-भानसे ।।<br />

[२५८] गचॊनततो हा ! ककॊ ककभेमॊ फाहे गुरु-ऩीडाकयॊ ।<br />

दीहुणह-भुक्कनीसासे दुक्खॊ दुक्खेण ननत्थये ।।<br />

[२५९] ककभेमॊ ककमगचयॊ फाहे ककमगचयेणेि ननहटॎही ।<br />

कहॊ िा ऽहॊ विभुछचीसॊ इभाओ दुक्खसॊकडा ।।<br />

[२६०] गछछॊ गचटॎॊ सुिॊ उटॎॊ धािॊ नासॊ ऩरालभ उ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [18] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-२<br />

कॊ डुगमॊ ककॊ ि ऩक्खोडॊ ककॊ िा एत्थॊ कयेलभ हॊ ।।<br />

[२६१] एिॊ नतिग्गिािायॊ गचछचोरु-दुक्ख-सॊकडे ।<br />

ऩविटॎो फाढ-सॊखेज्जा आिलरमाओ ककलरच्स्सउॊ ।।<br />

[२६२] भुणे हुॊ कॊ डुमभेस कॊ डूमे अन्नहा नो उिस्सभे ।<br />

ता एमज्झिसाएणॊ गोमभ ! ननसुणेसुॊ जॊ कये ।।<br />

[२६३] अह तॊ कु ॊ थुॊ िािाए जइ नो अन्नत्थ गमॊ बिे ।<br />

कॊ डुएभाणोऽह लबत्तादी अनुघसभाणो ककरम्भए ।।<br />

[२६४] जइ िािाएज्ज तॊ कु ॊ थुॊ कॊ डुमभाणो ि इमयहा ।<br />

तो तॊ अइयोद्ज्झाणच्म्भ ऩविटॎॊ ननछछमओ भुने ।।<br />

[२६५] अह ककराभे तओ बमणा योद्ज्झाणेमयस्स उ ।<br />

कॊ डुमभाणस्स उण देहॊ सुदॎभट्ज्झाणॊ भुने ।।<br />

[२६६] सभज्जे योद्ज्झाणटॎो उक्कोसॊ नायगाउमॊ ।<br />

दुब-गगत्थी-ऩॊड-तेरयछछॊ अट्ज्झाणा सभच्ज्जणे ।।<br />

[२६७] कु ॊ थु-ऩद-परयस-जणणमाओ दुक्खाओ उिसलभछछमा<br />

ऩछछ-हल्रप्परीबूते जभित्थॊतयॊ िए ।।<br />

[२६८] वििणण-भुहरािणणे अइदीने विभण-दुम्भणे ।<br />

सुन्ने िुन्ने म भूढ-हदसे भॊदय-दय-दीह-ननस्ससे ।।<br />

[२६९] अविस्साभ-दुक्खहेऊमॊ असुहॊ तेरयछछ-नायमॊ ।<br />

कम्भॊ ननफॊधइत्ताणॊ बलभही बि-ऩयॊऩयॊ ।।<br />

[२७०] एिॊ खओिसभाओ तॊ कु ॊ थुिइमयजॊ दुहॊ<br />

कह कह वि फहु ककरेसेणॊ जइ खणभेक्कॊ तु उिसभे ।।<br />

[२७१] ता भह ककरेसभुच्त्तणॊ सुहहमॊ से अत्ताणमॊ ।<br />

भणणॊतो ऩभुइओ हहटॎो सत्थगचत्तो वि गचटॎई ।।<br />

[२७२] गचॊतइ ककर ननव्िुओलभ अहॊ ननद्लरमॊ दुक्खॊ वऩ भे ।<br />

कॊ डुमणादीहहॊ समभेि न भुणे एिॊ जहा भए ।।<br />

[२७३] योद्ज्झाणगएण इहॊ अट्ज्झाणे तहेि म ।<br />

सॊिग्गइत्ता उ तॊ दुक्खॊ अनॊतानॊतगुणॊ कडॊ ।।<br />

[२७४] जॊ चाणुसभमभनियमॊ जहा याई तहा हदनॊ ।<br />

दुहभेिानुबिभाणस्स िीसाभो नो बिेज्जभो ।।<br />

[२७५] खणॊ वऩ नयम-नतरयएसु सागयोिभ-सॊखमा ।<br />

यस-यस-विलरज्जए हहममॊ जॊ िा इछछॊत ताण वि ।।<br />

[२७६] अहिा ककॊ कु ॊ थु-जणणमाओ भुक्को सो दुक्ख-सॊकडा<br />

खीणटॎ-कम्भ-ऩयीणाभो बिेज्जे जणुभेत्तेणि उ ।।<br />

[२७७] कु ॊ थुभुिरक्खणॊ इहइॊ सव्ि ऩछछक्खॊ दुक्खदॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [19] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]<br />

।<br />

।<br />

।<br />


अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-२<br />

अनुबिभाणो वि जॊ ऩाणी न माणॊती तेण िक्खई ।।<br />

[२७८] अन्ने वि उ गुरुमये दुक्खे सव्िेलसॊ सॊसारयणॊ ।<br />

साभणणे गोमभा ! ता ककॊ तस्स तेनोदए गए ।।<br />

[२७९] हण भय जॊ अन्नजम्भेसुॊ िामा वि उ के इ बाणणये ।<br />

तभिीह जॊ परॊ देज्जा ऩािॊ कम्भॊ ऩिुज्झमॊ ।।<br />

[२८०] तस्सुदमा फहुबिग्गहणे जत्थ जत्थोििज्जती ।<br />

तत्थ तत्थ स हम्भॊतो भारयज्जॊतो बभे समा ।।<br />

[२८१] जेण ऩुण अॊगुिॊगॊ िा अच्क्खॊ कणणॊ च नालसमॊ ।<br />

कडड-अहटॎ-ऩहटॎबॊगॊ िा कीड-ऩमॊगाइ-ऩाणणणॊ ।।<br />

[२८२] कमॊ िा कारयमॊ िा वि कज्जॊतॊ िा ऽह अनुभमॊ ।<br />

तस्सुदमा चक्कनालरिहे ऩीरीही सो नतरे जहा ।।<br />

[२८३] न एक्कॊ नो दुिे नतच्न्नॊ िीसॊ तीसॊ न मावि म ।<br />

सॊखेज्जे िा बिग्गहणे रबते दुक्ख-ऩयॊऩयॊ ।।<br />

[२८४] असुम-भुसा-अननटॎ-िमणॊ जॊ ऩभाम-अन्नाण-दोसओ ।<br />

कॊ दप्ऩ-नाहिाएणॊ अलबननिेसेण िा ऩुणो ।।<br />

[२८५] बणणमॊ बणाविमॊ िा वि बणणभाणॊ च अनुभमॊ ।<br />

कोहो रोहा बमा हासा तस्सुदमा एमॊ बिे ।।<br />

[२८६] भूगो ऩूनत-भुहो भुक्खो कल्रविरल्रो बिे-बिे ।<br />

विहर-िाणी सुमड्ढो वि सव्ित्थ ऽब्बक्खणे रबे ।।<br />

[२८७] अवितह-बणणमॊ नु तॊ सछचॊ अलरम-िमणॊ वऩ नालरमॊ ।<br />

जॊ छज्जीि-ननकाम-हहमॊ ननद्ोसॊ सछचॊ तमॊ ।।<br />

[२८८] चोयीक्का ननप्परॊ सव्िॊ कम्भायॊबॊ ककसाहदमॊ ।<br />

रदॎत्थस्सा वि बिे हानी अन्न-जम्भ-कमा इहॊ ।।<br />

० बीए अज्झयणे बीओ उद्ेसो समत्तो ०<br />

० तइओ-उद्ेसो ०<br />

[२८९] एिॊ भेहुण-दोसेणॊ िेहदत्ता थाियत्तणॊ ।<br />

के सेणभनॊत-काराओ भानुस-जोणण सभागमा ।।<br />

[२९०] दुक्खॊ जयेंनत आहायॊ अहहमॊ लसत्थॊ वऩ बुॊच्जमॊ ।<br />

ऩीडॊ कयेइ तेलसॊ तु तणहाफाहे खणे खणे ।।<br />

[२९१] अदॎाण-भयणॊ तेलसॊ फहुजप्ऩॊ कटॎासनॊ ।<br />

थाणुव्िारॊ ननविणणाणॊ ननद्ाए जॊनत नो िणणॊ ।।<br />

[२९२] एिॊ ऩरयग्गहायॊब-दोसेणॊ नयगाउमॊ ।<br />

तेत्तीसॊ-सागरुक्कोसॊ िेइत्ता इह सभागमा ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [20] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

[२९३] छु हाए ऩीडडज्जॊनत बुत्त-बुत्तुत्तये वि म ।<br />

चयॊता अहच्न्नसॊ नतच्त्तॊ नो गछछॊती ऩसिे जहा ।।<br />

[२९४] कोहादीणॊ तु दोसेणॊ घोयभासीविसत्तणॊ ।<br />

िेइत्ता नायमॊ बूओ योद्ा भेछछा बिॊनत ते ।।<br />

[२९५] सढ-कू ड-किड-ननमडीए डॊबाओ सुइयॊ गुरुॊ ।<br />

िेइत्ता गचत्त तेरयछछॊ भानुस जोणणॊ सभागमा ।।<br />

[२९६] के इ फहुिाहह-योगाणॊ दुक्ख-सोगाण बामणॊ ।<br />

दारयद्-करहभलबबूमा णखॊसणणज्जा बिॊनतहॊ ।।<br />

[२९७] तक्कम्भोदम-दोसेणॊ ननछचॊ ऩज्जलरम-फोंहदणॊ ।<br />

ईसा-विसाम-जाराहहॊ धग-धग-धग-धगस्स उ ।।<br />

[२९८] जम्भॊ वऩ गोमभा फारे-फहु-दुहसॊधुच्क्कमाण म ।<br />

तेलसॊ सदुछचरयम-दोसो कस्स रूसॊतु ते इहॊ ।।<br />

[२९९] एिॊ िम-ननमभ-बॊगेणॊ सीरस्स उ खॊडणेण िा ।<br />

असॊजभ-ऩित्तणमा उस्सुत्तुभग्गामयणेण हह ।।<br />

[३००] नेगेहहॊ वितहामयणेहहॊ ऩभामा सेिणेहहॊ म ।<br />

भणेणॊ अहि िामाए अहिा काएण कत्थइ ।<br />

कम-कारयगा ऽनुभएहहॊ िा ऩभाम सेिणेण िा ।।<br />

[३०१] नतविहेण-भननॊहदम-भगयहहम-भनारोइम-भऩडडक्कॊ त-भकमऩामच्छछत्त-भविसुदॎ-समॊ-<br />

दोसओ ससल्रे आभगब्बेसुॊ ऩच्छचम ऩच्छचम-अनॊतसो विमरॊते दुनत-चउ-ऩॊच-छणहॊ भासाणॊ असॊफदॎठीकय-<br />

लसय-चयणछछिी ।<br />

[३०२] रदॎे वि भानुसे जम्भे कु टॎादी-फाहह-सॊजुए ।<br />

जीिॊते चेि ककलभएहहॊ खज्जॊती भच्छछमाहह म ।<br />

अनुहदमहॊ खॊड-खॊडेहहॊ सडहडस्स सडे तनुॊ ।।<br />

[३०३] एिभादी-दुक्खभलबबूए रज्जणणज्जे ।<br />

णखॊसणणज्जे ननॊदणणज्जे गयहणणज्जे ।<br />

उव्िेिणणज्जे अऩरयबोगे ननम-सुहह ।<br />

समण-फॊधिाणॊ वऩ बिॊती ते दुयप्ऩणे ।।<br />

[३०४] अज्झिसाम-विसेसॊ तॊ ऩडुछचा के इ तारयसॊ ।<br />

अकाभ-ननज्जयाए उ बूम-वऩसामत्तॊ रबते ।।<br />

[३०५] तप्ऩुव्ि-सल्र-दोसेणॊ फहु-बिॊतय-त्थाइणा ।<br />

अज्झिसाम-विसेसॊ तॊ ऩडुछचा के ई तारयसॊ ।।<br />

[३०६] दससु वि हदसासु उदॎदॎो ननछच दूयच्प्ऩए दढॊ ।<br />

ननरुछछल्र-ननरुस्सासे ननयाहाये न ऩाणणए ।।<br />

[३०७] सॊवऩॊडडमॊगभॊगे म भोह-भहदयाए धम्भरयए ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [21] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

अहदटॎुग्गभण अत्थभणे बिे ऩुढिीए गोरमा ककभी ।।<br />

[३०८] बि-काम-हटॎतीए िेएत्ता तॊ तेहहॊ ककलभमत्तणॊ ।<br />

जइ कह वि रहॊनत भनुमत्तॊ तओ ते होंनत नऩुॊसगे ।।<br />

[३०९] अज्झिसाम-विसेसॊ तॊ ऩिहॊते अइकू य-घोय-योद्ॊ तु तारयसॊ ।<br />

िम्भह-सॊधुच्क्कमा भरयतुॊ जम्भॊ जॊनत िणस्सई ।।<br />

[३१०] िणस्सई गए जीिे उड्ढऩाए अहोभुहे ।<br />

गचटॎॊनतऽनॊतमॊ कारॊ नो रबे फेइॊहदमत्तणॊ<br />

।।<br />

[३११] बि-काम-हटॎतीए िेइत्ता तभेग-बफ-नत-चउरयॊहदमत्तणॊ ।<br />

तप्ऩुव्ि-सल्र-दोसेणॊ तेरयछछेसूििच्ज्जउॊ ।।<br />

[३१२] जइ णॊ बिे भहाभछछे ऩक्खीिसह-सीहादमो ।<br />

अज्झिसाम-विसेसॊ तॊ ऩडुछच अछचॊत-कू यमयॊ ।।<br />

[३१३] कु णणभभाहायत्ताए ऩॊचेंहदमिहेणॊ म ।<br />

अहो अहो ऩविस्सॊनत जाि ऩुढिीउ सत्तभा ।।<br />

[३१४] तॊ तारयसॊ भहाघोयॊ दुक्खभनुबविउॊ गचयॊ ।<br />

ऩुणो वि कू यनतरयएसु उििच्ज्जम नयमॊ िए ।।<br />

[३१५] एिॊ नयम-नतरयछछेसुॊ ऩरयमट्ॊते विगचटॎनत ।<br />

िासकोडडए वि नो सक्का कहहउॊ जॊ तॊ दुक्खॊ अनुबिभाणणे ।।<br />

[३१६] अह खरुट्-फइल्रेसुॊ बिेज्जा तब्बिॊतये ।<br />

सगडामड्ढण-बरुव्िहण खु-तणह-सीमामिॊ ।।<br />

[३१७] िह-फॊधणॊकॊ णॊ डहणॊ नास-बेद ननरॊछणॊ ।<br />

जभरायाईहहॊ कु छचाहदहहॊ कु च्छचज्जॊताण म ।<br />

जहा याई तहा हदमहॊ सव्िदॎा उ सुदायरुणॊ<br />

।।<br />

[३१८] एभादी-दुक्ख-सॊघट्ॊ अनुहिॊनत गचयेण उ ।<br />

ऩाणे ऩमहहॊनत कह कह वि अट्जज्झाण-दुहहट्ए ।।<br />

[३१९] अज्झिसाम-विसेसॊ तॊ ऩडुछचा के इ ।<br />

कह कह वि रब्बॊती भानुसत्तणॊ<br />

।<br />

तप्ऩुव्ि-सल्र-दोसेणॊ भानुसत्ते वि आगमा ।।<br />

[३२०] बिॊनत जम्भ-दारयद्ा िाही-खस-ऩाभ-ऩरयगमा ।<br />

एिॊ अहदटॎ-कल्राणे सव्ि-जनस्स लसरय-हाइउॊ ।।<br />

[३२१] सॊतप्ऩॊते दढॊ भनसा अकमतिे गगहणॊ िए ।<br />

अज्झिसाम-विसेसॊ तॊ ऩडुछचा के इ तारयसॊ ।।<br />

[३२२] ऩुणो वि ऩुढविभाईसुॊ बभॊती ते दु-नत-चउयो ऩॊगचॊहदएसु िा ।<br />

तॊ तारयसॊ भहा-दुक्खॊ सुयोद्ॊ घोय-दारुणॊ ।।<br />

[३२३] चउगइ-सॊसाय-कॊ ताये अनुहभाणे सुदूसहॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [22] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

बिकाम-हटॎतीए हहॊडॊते सव्िजोणीसु गोमभा ! ।।<br />

[३२४] गचटॎॊनत सॊसयेभाणे जम्भ-जय-भयण-फहु-िाहह िेमणा-योग-सोग-दारयद्-करह-ब्बक्खाणॊ-<br />

सॊताि-गब्बिासाहद-दुक्खसॊधुच्क्कए तप्ऩुव्िसल्र-दोसेणॊ ननछचाणॊद-भहूसि-थाभ-जोग-अटॎायस<br />

-सीरॊग-सहस्साहहहटॎमस्स सव्िासुह-ऩािकम्भटॎ-यालस-ननद्हण-अहहॊसा-रक्खण-सभण-धम्भस्स फोहहॊ नो<br />

ऩाविॊनत ते ।<br />

[३२५] अज्झिसाम-विसेसॊ तॊ ऩडुछचा के ई तारयसॊ ।<br />

ऩोग्गर-ऩरयमट्रक्खेसुॊ फोहहॊ कह कह वि ऩािए ।।<br />

[३२६] एिॊ सुदुल्रहॊ फोहहॊ सव्ि-दुक्ख-खमॊ कयॊ ।<br />

रदॎूणॊ जे ऩभाएज्जा तमहुत्तॊ सो ऩुणो िए ।।<br />

[३२७] तासुॊ तासुॊ च जोणीसुॊ ऩुव्िुत्तेण कभेण उ ।<br />

ऩॊथेणॊ तेणई चेि दुक्खे ते चेि अनुबिे ।।<br />

[३२८] एिॊ बि-काम-हटॎतीए सव्ि-बािेहहॊ ऩोग्गरे ।<br />

सव्िे सऩज्जिे रोए सव्ि िणणॊतयेहह म ।।<br />

[३२९] गॊधत्ताए यसत्ताए पासत्ताए सॊठाणत्ताए ।<br />

ऩरयणालभत्ता सयीयेणॊ फोहहॊ ऩािेज्ज िा न िा ।।<br />

[३३०] एिॊ िम-ननमभ-बॊगॊ जे कज्जभाणभुिेक्खए ।<br />

अह सीरॊ खॊडडज्जॊतॊ अहिा सॊजभ-वियाहणॊ ।।<br />

[३३१] उम्भग्ग-ऩित्तणॊ िा वि उसुत्तामयणॊ वऩ िा ।<br />

सो वि म अनॊतरुत्तेणॊ कभेणॊ चउगई बभे ।।<br />

[३३२] रुसउ तुसउ ऩयो भा िा विसॊ िा ऩरयमत्तउ ।<br />

बालसमव्िा हहमा बासा सऩक्ख-गुणकारयमा ।।<br />

[३३३] एिॊ रदॎाभवि फोहहॊ जइ णॊ नो बिइ ननम्भरा ।<br />

ता सॊिुडासि-द्ाये ऩगनत-हटॎम-ऩएसानुबाविमफॊधो ।<br />

नो हासो नो म ननज्जये<br />

।।<br />

[३३४] एभादी-धोय-कम्भटॎजारेणॊ कलसमाण बो ! ।<br />

सव्िेलसभवि सत्ताणॊ कु ओ दुक्ख-विभोमणॊ ।।<br />

[३३५] ऩुच्व्िॊ दुक्कम-दुगचणणाणॊ दुप्ऩडडकॊ ताणॊ ननमम-कम्भाणॊ न अिेइमाण भोक्खो<br />

घोयतिेण अज्झोलसमाण िा ।<br />

[३३६] अनुसभमॊ फज्झए कम्भॊ नच्त्थ अफॊधो उ ऩाणणणो ।<br />

भोत्तुॊ लसदॎे अजोगी म सेरेसी सॊहठए तहा ।।<br />

[३३७] सुहॊ सुहज्झिसाएणॊ असुहॊ दुटॎज्झिसामओ ।<br />

नतव्िमयेणॊ तु नतव्िमयॊ भॊदॊ भॊदेण सॊगचणे ।।<br />

[३३८] सव्िेलसॊ ऩािकम्भाणॊ एगीबूमाणॊ जेच्त्तमॊ यालसॊ बिे तभसॊखगुणॊ िम-ति-सॊजभ-<br />

चारयत्तखॊडण-वियाहणेणॊ उस्सुत्तुम्भग्ग-ऩन्निण-ऩित्तण-आमयणोिेक्खणेण म सभच्ज्जणे ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [23] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

[३<strong>३९</strong>] अऩरयभाणगुरुतुॊगा भहॊता घन-ननयॊतया ।<br />

ऩाि-यासी खमॊ गछछे जहा तॊ सव्िोिाएहहभामये ।।<br />

[३४०] आसिदाये ननरुॊ लबत्ता अप्ऩभादी बिे जमा ।<br />

फॊधे सप्ऩॊ फहु िेदे जइ सम्भत्तॊ सुननम्भरॊ ।।<br />

[३४१] आसिदाये ननरुॊ लबता आणॊ नो खॊडए जमा ।<br />

दॊसण-नाण-चरयत्तेसुॊ उज्जुत्तो जो दढॊ बिे ।।<br />

[३४२] तमा िेए खणॊ फॊधे ऩोयाणॊ सव्िॊ खिे ।<br />

अनुइणणभवि उईरयत्ता ननच्ज्जम-घोय-ऩयीसहो ।।<br />

[३४३] आसिदाये ननरुॊ लबत्ता सव्िासामण-वियहहओ ।<br />

सज्झाम-ज्झाण-जोगेसुॊ धोय-िीय-तिे यओ ।।<br />

[३४४] ऩारेज्जा सॊजभॊ कलसणॊ िामा भनसा उ कम्भुणा ।<br />

जमा तमा न फॊधेज्जा उक्कोसभनॊतॊ च ननज्जये ।।<br />

[३४५] सव्िािस्सगभुज्जुत्तो सव्िारॊफणवियहहओ ।<br />

विभुक्को सव्िसॊगेहहॊ सफज्झब्बॊतयेहह म ।।<br />

[३४६] गम-याग-दोसभोहे म ननच्न्नमाणे बिे जमा ।<br />

ननमत्ते विसमतत्तीए बीए गब्बऩयॊऩया ।।<br />

[३४७] आसिदाये ननरुॊ लबत्ता खॊतादी धम्भे हठते ।<br />

सुक्कज्झाणॊ सभारुहहम सेरेलसॊ ऩडडिज्जए ।।<br />

[३४८] तमा न फॊधए ककॊ गच गचयफदॎॊ असेसॊ वऩ । ननड्डहहमज्झाण-जोग-अग्गीए बसभी कये<br />

दढॊ । रहु ऩॊचक्खरुच्ग्गयण भेत्तेणॊ कारेण बिोिगाहहमॊ ।<br />

[३४९] एिॊ सजीि-विरयम-साभत्थ-ऩायॊऩयएण गोमभा ! ।<br />

ऩविभुक्क-क्म्भ-भर-किमा सभएणॊ जॊनत ऩाणणणो ।।<br />

[३५०] सासम-सोक्ख-अनाफाहॊ योग-जय-भयण-वियहहमॊ ।<br />

अहदटॎ-दुक्ख-दारयद्ॊ ननछचानॊदॊ लसिारमॊ ।।<br />

[३५१] अत्थेगे गोमभा ! ऩाणी जे एमॊ भन्नए विसॊ ।<br />

आसि-दाय-ननयोहादी इमय-हेइ-सोक्खॊ चये ।।<br />

[३५२] ता जाि कलसण-टॎ कम्भाणण घोय-ति-सॊजभेण उ ।<br />

नो ननद्ड्ढे सुहॊ ताि नच्त्थ लसविणे वि ऩाणणणॊ ।।<br />

[३५३] दुक्खभेिभिीसाभॊ सव्िेलसॊ जगजॊतुणॊ ।<br />

एक्कॊ सभमॊ न सभ-बािे जॊ सम्भॊ अहहमालसउॊ तये ।।<br />

[३५४] थेिभवि थेितयॊ थेिमयस्सावि थेिमॊ ।<br />

ॊ जेणॊ गोमभ ता ऩेछछ कु थूॊ तस्सेि म तनू ।।<br />

[३५५] ऩाम-तरेसु न तस्सावि तेलसभेगदेसॊ भुण ।<br />

परयसॊतो कू ॊ थु जेणॊ चयई कस्सइ सयीयगे ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [24] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

[३५६] कु ॊ थूणॊ सम-सहस्सेणॊ तेलरमॊ नो ऩरॊ बिे<br />

।<br />

एगस्स के च्त्तमॊ गत्तॊ ककॊ िा तोल्रॊ बिेज्ज से ।।<br />

[३५७] तस्स वि ऩामतर देसेणॊ परयलसओ तभित्थॊतयॊ ।<br />

ऩुव्िुत्तॊ गोमभा ! गछछे ऩाणी तो णॊ इभॊ सुणे ।।<br />

[३५८] बभॊत-सॊचयॊतो म हहॊडड नो भइरे तनुॊ ।<br />

न कये कु ॊ थू खमॊ ताणॊ न मािासी म गचयॊ िसे ।।<br />

[३५९] अह गचटॎे खणभेगॊ तु फीमॊ नो ऩरयिसे खणॊ ।<br />

अह फीमॊ वऩ वियत्तेज्जा ता फुज्जेमॊ तु गोमभा ! ।।<br />

[३६०] यागेणॊ नो ऩओसेणॊ भछछयेणॊ न के णई ।<br />

न मावि ऩुव्ििेयेणॊ खेड्डातो काभकायओ ।।<br />

[३६१] कु ॊ थू कस्सइ देहहस्स आरुहेइ खणॊ तनुॊ ।<br />

विमलरॊदी बूण-ऩाणे जरॊतग्गी िािी विसे ।।<br />

[३६२] न गचॊतेिॊ जहा भे स ऩुव्ििेयी ऽहिा सुही ।<br />

ता ककॊ ची खेभ-ऩािॊ िा सॊजणेलभ एमस्स ऽहॊ ।।<br />

[३६३] ऩुव्ि-कड-ऩाि-कम्भस्स वियसे बुॊजॊतो परे ।<br />

नतरय-उड्ढाह-हदसानुहदसॊ कु ॊ थू हहॊडे ियाम से ।।<br />

[३६४] चयॊतेिभफाहाए सायीयॊ दुक्खभानसॊ ।<br />

कु ॊ थू वि दूसहॊ जणणे योद्-ट्-ज्झाण-िड्ढणॊ ।।<br />

[३६५] ता उ सल्रभायबेत्ताणॊ भन-जोगॊ अन्नमयेण िा ।<br />

सभमािलरम-भुहुत्तॊ िा सहसा तस्स वििागमॊ ।।<br />

[३६६] कह सहहहॊ फहु-बि-ग्गहणे दुहभनुसभमभहच्णणसॊ ।<br />

घोय-ऩमॊडॊ-भहायोद्ॊ हा-हा-कॊ द-ऩयामणा ! ।।<br />

[३६७] नायम-नतरयछछ-जोणीसु अत्ताणासयणा वि म ।<br />

एगागी ससयीयेणॊ असहामा कडु-वियसॊ घनॊ ।।<br />

[३६८] अलसिण-िेमयणी जॊते कयित्ते कू डसाभलरॊ ।<br />

कु ॊ बी-िामासा-सीहे एभादी नायए दुहे ।।<br />

[३६९] नत्थॊकण-िह-फॊधे म ऩउरुक्कॊ त-विकत्तणॊ ।<br />

सगडा-कड्ढण बरुव्िहणॊ जभरा म तणहा छु हा ।।<br />

[३७०] खय-खुय-चभढण-सत्थग्गी खोबण-बॊजणभाइए ।<br />

ऩयमत्तािस-ननच्त्तॊसे दुक्खे तेरयछछे तहा ।।<br />

[३७१] कु ॊ थू-ऩम-परयस-जणणमॊ वऩ दुकखॊ न अहहमालसउॊ तये ।<br />

ता तॊ भह-दुक्ख-सॊघट्ॊ कह ननत्थरयह सुदारुणॊ ।।<br />

[३७२] नायम-तेरयछछ-दुक्खाओ कु ॊ थू-जाणणमाउ अॊतयॊ ।<br />

भॊदयगगरय-अनॊत-गुणणमस्स ऩयभाणुस्सा वि नो घडे ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [25] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

[३७३] गचयमारे सॊसुहॊ ऩाणी कॊ खॊतो आसाए ननव्िुओ ।<br />

बिे दुक्खभईमॊ वऩ सयॊतो अछचॊत-दुच्क्खओ ।।<br />

[३७४] फहु-दुक्ख-सॊकडटॎेत्थॊ आिमा-रक्ख-ऩरयगए ।<br />

सॊसाये ऩरयिसे ऩाणी अमडे भहु-बफॊदू जहा ।।<br />

[३७५] ऩत्थाऩत्थॊ अमाणॊते कज्जाकज्जॊ हहमाहहमॊ ।<br />

सेव्िो सेव्िभसेव्िॊ च चयणणज्जा चरयज्जॊ तहा ।।<br />

[३७६] एिइमॊ िइमयॊ सोछचा दुक्खस्सॊत-गिेलसणो ।<br />

इत्थी-ऩरयग्गहायॊबे चेछचा घोयॊ तिॊ चये ।।<br />

[३७७] हठमासणत्था सइमा ऩयॊभुही सुमरॊकरयमा िा अरॊकरयमा िा ।<br />

ननयक्खभाणाऩभमा हह दुब्फरॊ भणुस्सभारेह-गमा वि करयस्सई।।<br />

[३७८] गचत्त-लबच्त्तॊ न ननज्झाए नारयॊ िा सुमरॊककमॊ ।<br />

बक्खयॊ वऩ ि दटॎूणॊ हदहटॎॊ ऩडडसभाहये ।।<br />

[३७९] हत्थ-ऩाम-ऩडडच्छछन्नॊ कन्न-नासोहटॎ-विमच्प्ऩमॊ ।<br />

सडभाणीॊ-कु टॎिाहीए तभवित्थीमॊ दूयमयेणॊ फॊबमायी वििज्जए ।।<br />

[३८०] थेय-बज्जा म जा इत्थी ऩछचॊगुब्बड-जोव्िणा ।<br />

जुणण-कु भारयॊ ऩउत्थिइॊ फार-विहिॊ तहेि म ।।<br />

[३८१] अॊतेउयिालसणी चेि स-ऩय-ऩासॊड सॊलसमॊ ।<br />

हदच्क्खमॊ साहुणी िा वि िेसॊ तह म नऩुॊसगॊ ।।<br />

[३८२] कच्णहॊ गोणणॊ खरयॊ चेि िडिॊ अविरॊ अविॊ तहा ।<br />

लसच्प्ऩच्त्थॊ ऩॊसुलरॊ िा वि जम्भयोगग-भहहरॊ तहा ।।<br />

[३८३] गचये सॊसटॎचेच्ल्रक्कॊ एभादीऩाविच्त्थओ ।<br />

ऩगभॊती जत्थ यमणीए अह ऩइरयक्के हदनस्स िा ।।<br />

[३८४] तॊ िसहहॊ सच्न्निेसॊ िा सव्िोिाएहहॊ सव्िहा ।<br />

दूयमय-सुदूय-दूयेणॊ फॊबमायी वििज्जए ।।<br />

[३८५] एएलसॊ सवदॎॊ सॊरािॊ अदॎाणॊ िा वि गोमभा ! ।<br />

अन्नासुॊ िा वि इत्थीसुॊ खणदॎॊ वऩ वििज्जए ।।<br />

[३८६] से बमिॊ ककत्थीणॊ नो णॊ ननज्झाएज्जा गोमभा ! नो ननज्झाएज्जा ।<br />

से बमिॊ ककॊ सुननमत्थॊ ित्थारॊकरयम-विहूलसमॊ इत्थीमॊ नो णॊ ननज्झाएज्जा उमाहु णॊ<br />

विननमॊसणणॊ गोमभा ! उबमहा वि णॊ नो ननज्झाएज्जा ।<br />

से बमिॊ ककलभत्थीमॊ नो आरिेज्जा गोमभा ! नो णॊ आरिेज्जा ।<br />

से बमिॊ ककलभत्थीसुॊ सवदॎॊ खणदॎवि नो सॊिसेज्जा गोमभा ! नो णॊ सॊिसेज्जा, से बमिॊ<br />

ककलभत्थीसुॊ सवदॎॊ नो अदॎाणॊ ऩडडिज्जेज्जा गोमभा ! एगे फॊबमायी एगगत्थीए सवदॎॊ नो ऩडडिज्जेज्जा ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [26] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


[३८७] से बमिॊ के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ जहा णॊ नो इत्थीणॊ ननज्झाएज्जा, नो<br />

नभारिेज्जा, नो णॊ तीए सवदॎॊ ऩरयिसेज्जा, नो णॊ अदॎाणॊ ऩडडिज्जेज्जा गोमभा ! सव्ि-प्ऩमायेहहॊ णॊ<br />

सच्व्ित्थीमॊ अछचत्थॊ भउक्कडत्ताए यागेणॊ सॊधुच्क्कज्जभाणी काभच्ग्गए सॊऩलरत्ता सहािओ चेि विसएहहॊ<br />

अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

फाहहज्जइ । तओ सव्ि-ऩमायेहहॊ णॊ सव्िच्त्थमॊ अछचत्थॊ भउक्कडत्ताए यागेणॊ सॊधुच्क्कज्जभाणी काभग्गीए<br />

सॊऩलरत्ता सहािओ चेि विसएहहॊ फाहहज्जाणी, अनुसभमॊ सव्ि-हदलस-विहदसासुॊ णॊ सव्ित्थ विसए ऩत्थेज्जा<br />

जािॊ णॊ सव्ित्थ-विसए ऩत्थेज्जा, ताि णॊ सव्ि-ऩमायेहहॊ णॊ सव्ित्थ सव्िहा ऩुरयसॊ सॊकच्प्ऩज्जा जाि णॊ<br />

ऩुरयसॊ सॊकप्ऩेज्जा ताि णॊ सोइॊहदमोिओगत्ताए चक्खुरयॊहदओिओगत्ताए यसणणॊहदओिओगत्ताए<br />

घाणणॊहदओि-ओगत्ताए पालसॊहदओिओगत्ताए ।<br />

जत्थ णॊ के इ ऩुरयसे कॊ त-रूिे इ िा अकॊ त-रूिे इ िा ऩडुप्ऩन्नजोव्िणे इ िा<br />

अऩडुप्ऩन्न-जोव्िणे इ िा गम-जोव्िणे इ िा, हदटॎ-ऩुव्िे इ िा अहदटॎ-ऩुव्िे इ िा, इड्हढभॊते इ िा<br />

अणणड्हढभॊते इ िा, इड्हढऩत्ते इ िा अणणड्ढी ऩत्ते इ िा, विसमाउये इ िा ननच्व्िणण-काभ बोगे इ िा<br />

उदॎम-फोंदीए इ िा अनुदॎमफोंदीए इ िा भहासत्ते इ िा हीन-सत्ते इ िा भहा-ऩुरयसे इ िा काऩुरयसे इ िा,<br />

सभणे इ िा भाहणे इ िा अन्नमये इ िा, ननॊहदमाहभ-हीन-जाईए िा,<br />

तत्थ णॊ इहा ऩोह-िीभॊसॊ ऩउॊ च्जत्ताणॊ जाि णॊ सॊजोग-सॊऩच्त्तॊ झाएज्जा, जाि णॊ<br />

सॊजोग-सॊऩच्त्तॊ ऩरयकप्ऩे ताि णॊ से गचत्ते सॊखुद्े बिेज्जा, जाि णॊ से गचत्ते सॊखुद्े बिेज्जा ताि णॊ से<br />

गचत्ते विसॊिएज्जा, जाि णॊ से गचत्ते विसॊिएज्जा ताि णॊ से देहे भएणॊ अदॎासेज्जा, जाि णॊ से देहे<br />

भएणॊ अदॎासेज्जा ताि णॊ से दयविदये इह-ऩयरोगािाए ऩम्हुसेज्जा, जाि णॊ से दय-विदये इह-ऩयरोगािाए<br />

ऩम्हुसेज्जा ताि णॊ गचछचा रज्जॊ बमॊ अमसॊ अककच्त्तॊ भेयॊ उछच-ठाणाओ नीम-टॎाणॊ ठाएज्जा, जाि<br />

णॊ उछच-ठाणाओ नीम-टॎाणॊ ठाएज्जा ताि णॊ िछचेज्जा असॊखेमाओ सभमािलरमाओ, जाि णॊ<br />

नीइॊनत असॊखेज्जाओ सभमािलरमाओ ताि णॊ जॊ ऩढभ सभमाओ कम्भहटॎइॊ तॊ फीमसभमॊ ऩडुछचा<br />

तइमा हदमाणॊ सभमाणॊ सॊखेज्जॊ असॊखेज्जॊ अनॊतॊ िा अनुक्कभसो कम्भहठइॊ सॊगचणणज्जा, जाि<br />

णॊ अनुकभसो अनॊतॊ कम्भहठइॊ सॊगचणइ ताि असॊखेज्जाइॊ अिसच्प्ऩणी-ओसच्प्ऩणी-कोडडरक्खाइॊ<br />

जािएणॊ कारेणॊ ऩरयित्तॊनत, तािइमॊ कारॊ दोसुॊ चेि ननयमनतरयछछासुॊ गतीसुॊ उक्कोस-हटॎत्तमॊ कम्भॊ<br />

आसॊकरेज्जा, जाि णॊ उक्कोसहटॎतीमॊ कम्भभासॊकरेज्जा ताि णॊ से वििणण-जुइॊ वििणण-कॊ नतॊ विमलरम-<br />

रािणण-लसयीमॊ ननन्नटॎहदच्त्त-तेमॊ फोंदी बिेज्जा, जाि णॊ चुम-कॊ नत-रािणण-लसरयमॊ ननत्तेम-फोंदी बिेज्जा<br />

ताि णॊ से सीएज्जा परयलसॊहदए, जाि णॊ सीएज्जा परयलसॊहदए ताि णॊ सव्िटॎा वििड्ढेज्जा सव्ित्थ<br />

चक्खुयागे,<br />

जाि णॊ सव्ित्थ वििड्ढेज्जा चक्खुयागे ताि णॊ यागारुणे नमन-जुमरे बिेज्जा जाि णॊ<br />

यागारुणे म नमनजुमरे बिेज्जा ताि णॊ यागॊधत्ताए न गणेज्जा सुभहॊत-गुरु-दोसे िमबॊगे, न गणेज्जा<br />

सुभहॊत-गुरु दोसे ननमभ-बॊगे, न गणेज्जा सुभहॊत-घोय-ऩाि-कम्भ-सभामयणॊ सीर-खॊडणॊ, न गणेज्जा<br />

सुभहॊत-सव्ि-गुरु-ऩाि-कम्भ-सभामयणॊ सॊजभवियाहणॊ, न गणेज्जा घोयॊधमाय ऩयरोग-दुक्खबमॊ, न गणेज्जा<br />

आमई, न गणेज्जा सकम्भ-गुणटॎाणगॊ, न गणेज्जा ससुयासुयस्सा वि णॊ जगस्स अरॊघणणज्जॊ आणॊ, न<br />

गणेज्जा अनॊतहुत्तो चुरसीइजोणणरक्ख-ऩरयित्त-गब्ब-ऩयॊऩयॊ अरदॎणणलभ-सदॎ-सोक्खॊ चउगइ-सॊसाय-दुक्खॊ,<br />

न ऩालसज्जा जॊ ऩासणणज्जॊ न ऩालसज्जा जॊ अऩासणणज्जॊ, सव्ि-जन-सभूह-भज्झ-<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [27] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


सच्न्नविटॎुहटॎमाणणिणणचक्कलभम-ननरयच्क्खज्जभाणी िा हदप्ऩॊत-ककयण-जार-दस-दीसी-ऩमालसम-तिॊत-<br />

तेमयासी-सूरयए वि तहा वि णॊ ऩासेज्जा सुणणॊधमाये सव्िे हदसा बाए ।<br />

जाि णॊ यागॊधत्ताए न गणेज्जा सुभहल्रगुरु-दोसे-िम-बॊगे ननमभ-बॊगे सीर —खॊडणे सॊजभ-<br />

अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

वियाहणे ऩयरोग-बए-आणा-बॊगाइक्कभे अनॊत-सॊसाय-बए ऩासेज्जा अऩासणणज्जे, सव्ि-जन-ऩमड-हदनमये<br />

वि णॊ भच्न्नज्जा णॊ सुणणॊधमाये सव्िे हदसा बाए [जाि णॊ बिे न गणेज्जा सुभहल्रगुरुदोसे िम-बॊगे<br />

सीर-खॊडणणज्जा] ताि णॊ बिेज्जा अछचॊत-ननब्बटॎ-सोहग्गाइसए विछछाए यागारुण-ऩॊडुये दुद्ॊसणणज्जे<br />

अननरयक्खणणज्जे िमण-कभरे बिेज्जा, जाि णॊ अछचॊत ननब्बटॎ-सोहग्गाइसए विछछाए यागारुण-ऩॊडुये<br />

दुद्ॊसणणज्जे अननरयक्खणणज्जे िमण-कभरे बिेज्जा ताि णॊ पु रुपु येज्जा सणणमॊ सणणमॊ फोंद-ऩुड-ननमॊफ-<br />

िछछोरुह-फाहुरइ-उरु-कॊ ठ-ऩएसे, जाि णॊ पु यपु येंनत फोंद-ऩुड-ननमॊफ-िछछोरु-फाहुरइ-उरु-कॊ ठप्ऩएसे ताि णॊ<br />

भोट्ामभाणी अॊगऩालरमहहॊ ननरुिरक्खे िा सोिरक्खे िा बॊजेज्जा सव्िॊगोिॊगे जाि णॊ भोट्ामभाणी<br />

अॊगऩालरमाहहॊ बॊजेज्जा सव्िॊगोिॊगे ताि णॊ भमणसयसच्न्निाएणॊ जज्जरयमसॊलबन्ने सव्ियोभ-कू िे तनू<br />

बिेज्जा, जाि णॊ भमण-सय-सच्न्निाएणॊ विदॎलसए फोंदी बिेज्जा ताि णॊ तहा ऩरयणभेज्जा तनू जहा णॊ<br />

भनगॊ ऩमरॊनत धातूओ, जाि णॊ भनगॊ ऩमरॊनत धातूओ ताि णॊ अछचत्थॊ िाहहज्जॊनत ऩोग्गर-ननमॊफोरु-<br />

फाहुरइमाओ, जाि णॊ अछचत्थॊ िाहहज्जइ ननमॊफो ताि णॊ दुक्खेणॊ धयेज्जा गत्त-जहटॎॊ ।<br />

जाि णॊ दुक्खेणॊ धयेज्जा गत्त-जहटॎॊ ताि णॊ से नोिरक्खेज्जा अत्तीमॊ सयीयाित्थॊ, जाि णॊ<br />

नोिरक्खेज्जा अत्तीमॊ सयीयाित्थॊ ताि णॊ दुिारसेहहॊ सभएहहॊ दय-ननछचेटॎॊ बिे फोंदी, जाि णॊ दुिारसेहहॊ<br />

दय-ननछचेटॎॊ बिे फोंदी ताि णॊ ऩडडखरेज्जा से ऊसासा-नीसासे, जाि णॊ ऩडडखरेज्जा ऊसासा-नीसासे ताि<br />

णॊ भॊदॊ भॊदॊ ऊससेज्जा भॊदॊ भॊदॊ नीससेज्जा, जाि णॊ एमाइॊ एच्त्तमाइॊ बािॊतयॊ अित्थॊतयाइॊ विहायेज्जा ताि<br />

णॊ जहा गहग्घत्थे के इ ऩुरयसे इ िा इच्त्थ इ िा विसुॊठु राए वऩसामाए बायतीए असॊफदॎॊ सॊरविमॊ विसॊखुरॊतॊ<br />

अव्ित्तॊ उल्रिेज्जा ।<br />

एिॊ लसमा णॊ इत्थीमॊ विसाभाित्त-भोहण-भम्भणुल्रािेणॊ ऩुरयसे, हदटॎ-ऩुव्िे इ िा अहदटॎ<br />

ऩुव्िे इ िा, कॊ तरूिे इ िा अॊकतरूिे इ िा गम जोव्िणे इ िा ऩडुप्ऩन्न जोव्िणे इ िा, भहासत्ते इ िा<br />

हीनसत्ते इ िा, सप्ऩुरयसे इ िा काऩुरयसे इ िा, इड्हढभॊते इ िा, अणणड्हढभॊते इ िा, विसमाउये इ िा<br />

ननच्व्िणणकाभबोगे इ िा, सभणे इ िा भाहणे इ िा जाि णॊ अन्नमये िा के ई ननॊहदमाहभ-हीन-जाईए इ<br />

िा, अज्झत्थेणॊ ससज्झसेणॊ आभॊतेभाणी उल्रािेज्जा जाि णॊ सॊखेज्ज-बेदलबन्नेणॊ सयागेणॊ सयेणॊ हदटॎीए<br />

इ िा ऩुरयसे उल्रािेज्जा ननज्झाएज्ज िा ताि णॊ जॊ तॊ असॊखेज्जाइॊ अिसच्प्ऩणी-ओसच्प्ऩणी-कोडी-रक्खाइॊ<br />

दोसुॊ नयम-नतरयछछासुॊ गतीसुॊ उक्कोस-हटॎतीमॊ कम्भॊ आसॊकलरमॊ आलसओ तॊ ननफॊधेज्जा, नो णॊ फदॎ-ऩुटॎॊ<br />

कयेज्जा, से वि णॊ जॊ सभमॊ ऩुरयसस्स णॊ सरययािमि-परयसणालबभुहॊ बिेज्जा नो णॊ परयसेज्जा, तॊ सभमॊ<br />

चेि तॊ कम्भ-हठइॊ फदॎ-ऩुटॎॊ कयेज्जा नो णॊ फदॎ-ऩुटॎ-ननकामॊ नत ।<br />

[३८८] एिामसयच्म्भ उ गोमभा सॊजोगेणॊ सॊजुज्जेज्जा से वि णॊ सॊजोए ऩुरयसामत्ते ऩुरयसे<br />

वि णॊ जे णॊ न सॊजुज्जे से धन्ने जे णॊ सॊजुज्जे से अधन्ने ।<br />

[३८९] से बमिॊ के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ जहा ऩुरयसे वि णॊ जे णॊ न सॊजुज्जे से णॊ धन्ने<br />

जे णॊ सॊजुज्जे से अधन्ने गोमभा ! जे म णॊ से तीए इत्थीए ऩािाए फदॎ-ऩुटॎ-कम्भ-हटॎइॊ गचटॎइ, से णॊ<br />

ऩुरयस-सॊगेणॊ ननकाइज्जइ तेणॊ तु फदॎ-ऩुटॎ-ननकाइएणॊ कम्भेणॊ सा ियाई, तॊ तारयसॊ अज्झिसामॊ ऩडुछचा<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [28] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


एगगॊहदमत्ताए ऩुढिादीसु गमा सभाणी अनॊत-कार-ऩरयमट्ेण वि णॊ नो ऩािेज्जा फेइॊहदमत्तणॊ एिॊ कह कह<br />

वि फहुके सेण अनॊत-काराओ एगगॊहदमत्तणॊ खविम फेइॊहदमत्तॊ एिॊ तेइॊहदमत्तॊ चउरयॊहदमत्तभवि के सेणॊ<br />

िेमइत्ता ऩॊगचॊहदमत्तेणॊ आगमा सभाणी ।<br />

अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

दुच्ब्बच्त्थम-ऩॊड-तेरयछछ-िेमभाणी हा-हा-बूम-कटॎ-सयणा लसविणे वि अहदटॎ-सोक्खा<br />

ननछचॊ सॊतािुव्िेविमा, सुहहसमण-फॊधि-वििच्ज्जमा, आजम्भॊ कु छछणणज्जॊ गयहणणज्जॊ ननॊदणणज्जॊ णखॊस-<br />

णणज्जॊ फहु-कम्भॊतेहहॊ अनेग-चाडु-सएहहॊ रदॎोदयबयणा सव्ि-रोग-ऩरयबूमा, चउ-गतीए सॊसयेज्जा, अन्नॊ च<br />

णॊ गोमभा ! जािइमॊ तीए ऩाि-इत्थीए फदॎ-ऩुटॎननकाइमॊ कम्भ-हटॎइॊ सभच्ज्जमॊ, तािइमॊ इच्त्थमॊ<br />

अलबरलसउकाभे ऩुरयसे उच्क्कटॎ-ककटॎमयॊ अनॊतॊ कम्भ-हटॎइॊ फदॎ-ऩुटॎ-ननकाइमॊ सभच्ज्जणेज्जा, एतेणॊ अटॎेणॊ<br />

एिॊ िुछचइ, जहा णॊ ऩुरयसे वि णॊ जे णॊ नो सॊजुज्जे से णॊ धन्ने जे णॊ सॊजुज्जे से णॊ अधन्ने ।<br />

[<strong>३९</strong>०] बमिॊ के सणॊ ऩुरयसे स णॊ ऩुछछा जाि णॊ धन्नॊ िमालस गोमभा! छच्व्िहे ऩुरयसे नेए<br />

तॊ जहा-अहभाहभे, अहभे, विभच्ज्झभे, उत्तभे, उत्तभुत्तभे, सव्िुत्तभुत्तभे ।<br />

[<strong>३९</strong>१] तत्थ णॊ जे सव्िुत्तभुत्तभे ऩुरयसे से णॊ ऩॊचॊगुब्बडजोव्िण-सव्िुत्तभ-रूि-रािणण-<br />

कॊ नत-कलरमाए वि इत्थीए ननमॊफारूढो िाससमॊ वऩ गचहटॎज्जा नो णॊ भनसा वि तॊ इच्त्थमॊ अलबरसेज्जा ।<br />

[<strong>३९</strong>२] जे णॊ तु से उत्तभुत्तभे से णॊ जइ कहवि तुडी-नतहाएणॊ भनसा सभमभेक्कॊ<br />

अलबरसे तहा वि फीम सभमे भनॊ सच्न्नरुॊ लबम अत्ताणॊ ननॊदेज्जा गयहेज्जा न ऩुणो फीएणॊ तज्जम्भे<br />

इत्थीमॊ भनसा वि उ अलबरसेज्जा,<br />

जे णॊ से उत्तभे से णॊ जइ कह वि खणॊ भुहुत्तॊ िा इच्त्थमॊ कालभज्जभाणणॊ ऩेक्खेज्जा तओ<br />

भनसा अलबरसेज्जा जाि णॊ जाभदॎ-जाभॊ िा नो णॊ इत्थीए सभॊ विकम्भॊ सभामयेज्जा ।<br />

[<strong>३९</strong>३] जइ णॊ फॊबमायी कमऩछचक्खाणालबग्गहे, अहा णॊ नो फॊबमायी नो<br />

कमऩछचक्खाणालबग्गहे तो णॊ ननम-करत्तबमणा न तु णॊ नतव्िेसु काभेसु अलबरासी बिेज्जा, तस्स<br />

एमस्स णॊ गोमभा ! अच्त्थ फॊधो ककॊ तु अनॊत-सॊसारयमत्तणॊ नो ननफॊधेज्जा ।<br />

[<strong>३९</strong>४] जे णॊ से विभच्ज्झभे से णॊ ननम-करत्तेणॊ सवदॎॊ विकम्भॊ सभामयेज्जा नो णॊ<br />

ऩयकरत्तेणॊ, एसे म णॊ जइ ऩछछा उग्ग-फॊबमायी नो बिेज्जा तो णॊ अज्झिसाम-विसेसॊ तॊ<br />

तारयसभॊगीकाऊणॊ अनॊत-सॊसारयमत्तणे बमणा । जओ णॊ जे के इ अलबगम-जीिाइ-ऩमत्थे सव्ि-सत्ते<br />

आगभानुसायेणॊ सुसाहूणॊ धम्भोिटॎॊब-दानाइ-दान-सीर-ति-बािनाभइए चउच्व्िहे धम्भ-खॊधे सभनुटॎेज्जा ।<br />

से णॊ जइ कहवि ननमभ-िमबॊगॊ न कयेज्जा, तओ णॊ साम-ऩयॊऩयएणॊ सुभानुसत्त-सुदेित्ताए<br />

जाि णॊ अऩरयिडडम-सम्भत्ते ननसग्गेण िा अलबगभेण िा जाि अटॎायससीरॊग-सहस्सधायी बवित्ताणॊ<br />

ननरुदॎासिदाये, विहूम-यमभरे ऩािमॊ कम्भॊ खवित्ताणॊ लसज्झेज्जा ।<br />

[<strong>३९</strong>५] जे म णॊ से अहभे से णॊ स-ऩय-दायासत्त-भानसे अनुसभमॊ कू यज्झि-सामज्झिलसम-<br />

गचत्ते हहॊसायॊब-ऩरयग्गहाइसु अलबयए बिेज्जा, तहा णॊ जे म से अहभाहभे से णॊ भहा-ऩाि-कम्भे सव्िाओ<br />

इत्थीओ िामा भनसा म कम्भुणा नतविहॊ नतविहेणॊ अनुसभमॊ अलबरसेज्जा तहा अछचॊतकू यज्झिसाम-<br />

अज्झिलसएहहॊ चत्ते हहॊसायॊब-ऩरयग्गहासत्ते कारॊ गभेज्जा, एएलसॊ दोणहॊ वऩ णॊ अनॊत-सॊसारयमत्तणे नेमॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [29] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


[<strong>३९</strong>६] बमिॊ जे णॊ से अहभे जे वि णॊ से अहभाहभे ऩुरयसे तेलसॊ च दोणहॊ वऩ अनॊत-<br />

सॊसारयमत्तणॊ सभक्खामॊ तो णॊ एगे अहभे एगे अहभाहभे, एतेलसॊ दोणहॊ वऩ ऩुरयसाित्थाणॊ के ऩइविसेसे <br />

गोमभा! जे णॊ से अहभ-ऩुरयसे से णॊ जइ वि उ स-ऩय-दायासत्त-भानसे कू यज्झिसामज्झिलसएहहॊ गचत्ते<br />

हहॊसायॊब-ऩरयग्गहासत्त-गचत्ते तहा वि णॊ हदच्क्खमाहहॊ साहुणीहहॊ अन्नमयासुॊ च सीर-सॊयक्खण-ऩोसहोििास-<br />

अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

ननयमाहहॊ हदच्क्खमाहहॊ गायत्थीहहॊ िा सवदॎॊ आिडडम-ऩेच्ल्रमाभॊनतए वि सभाणे नो विमम्भॊ सभामयेज्जा ।<br />

जे म णॊ से अहभाहभे ऩुरयसे से णॊ ननम-जननन-ऩलबईए जाि णॊ हदच्क्खमाईहहॊ साहुणीहहॊ<br />

वऩ सभॊ विमम्भॊ सभामयेज्जा, ते णॊ चेि से भहा-ऩाि-कम्भे सव्िाहभाहभे सभक्खाए, से णॊ गोमभा ऩइ-<br />

विसेसे ।<br />

तहा म जे णॊ से अहम्भ-ऩुरयसे से णॊ अनॊतेणॊ कारेणॊ फोहहॊ ऩािेज्जा, जे म उ ण से<br />

अहभाहभे भहा-ऩािकायी हदच्क्खमाहहॊ वऩ साहुणीहहॊ वऩ सभॊ विमम्भॊ सभामरयज्जा से णॊ अनॊत-हुत्तो वि<br />

अनॊत-सॊसायभाहहॊडडऊणॊ वऩ फोहहॊ नो ऩािेज्जा, एसे म गोमभा! बफनतए ऩइ-विसेसे ।<br />

[<strong>३९</strong>७] तत्थ णॊ जे से सव्िुत्तभे से णॊ छउभत्थ-िीमयागे नेए, जेणॊ तु से उत्तभुत्तभे से<br />

णॊ अणणड्हढऩत्त-ऩलबतीए जाि णॊ उिसाभग-खिए ताि णॊ ननओमणीए, जेणॊ च से उत्तभे से णॊ<br />

अप्ऩभत्तसॊजए नेए, एिभेएलसॊ ननरूिणा कु ज्जा ।<br />

[<strong>३९</strong>८] जे उण लभछछहदटॎी बवित्ताणॊ उग्गफॊबमायी बिेज्जा हहॊसायॊब-ऩरयग्गहाईणॊ वियए, से<br />

णॊ लभछछ-हदटॎी चेि नेए नो णॊ सम्भहदटॎी, तेलसॊ च णॊ अविइम जीिाइ-ऩमत्थ-सब्बािाणॊ गोमभा ! नो णॊ<br />

उत्तभत्ते अलबनॊदणणज्जे ऩसॊसणणज्जे िा बिइ जओ तेणॊ ते अनॊतय-बविए हदव्िोयालरए विसए ऩत्थेज्जा,<br />

अन्नॊ च कमादी ते हदच्व्िच्त्थमादओ सॊगचच्क्खम तओ णॊ फॊबव्िमाओ ऩरयबॊसेज्जा ननमाणकडे िा हिेज्जा<br />

।<br />

[<strong>३९</strong>९] जे म णॊ से विभच्ज्झभे, से णॊ तॊ तारयसभज्झिसामभॊगीककछचाणॊ वियमावियए<br />

दटॎव्िे ।<br />

[४००] तदा णॊ जे से अहभे, जे म णॊ से अहभाहभे, तेलसॊ तु णॊ एगॊतेणॊ जहा इत्थीसुॊ तहा<br />

णॊ नेए जाि णॊ कम्भ-हटॎइॊ सभज्जेज्जा नियॊ ऩुरयसस्स णॊ सॊगचक्खणगेसुॊ िछछरुहोियतर-ऩक्खएसुॊ लरॊगे<br />

म अहहममयॊ यागभुप्ऩज्जे, एिॊ एते चेि छप्ऩुरयसविबागे ।<br />

[४०१] कालसॊ गच इत्थीणॊ गोमभा ! बव्ित्तॊ सम्भत्त-दढत्तॊ च अॊगी-काऊणॊ जाि णॊ<br />

सव्िुत्तभे ऩुरयसविबागे ताि णॊ गचॊतणणज्जे, नो णॊ सव्िेलसलभत्थीणॊ ।<br />

[४०२] एिॊ तु गोमभा ! जीए इत्थीए –नत कारॊ ऩुरयससॊजोग-सॊऩत्ती न सॊजामा अहा णॊ<br />

ऩुरयस-सॊजोग-सॊऩत्तीए वि साहीणाए जाि णॊ तेयसभे चोद्सभे ऩन्नयसभे णॊ च सभएणॊ ऩुरयसेणॊ सवदॎॊ न<br />

सॊजुत्ता नो विमम्भॊ सभामरयमॊ, से णॊ जहा घन-कटॎ-तण-दारु-सलभदॎे के ई गाभे इ िा नगये इ िा यणणे इ<br />

िा सॊऩलरत्ते चॊडाननर-सॊधुच्क्कए ऩमलरत्ताणॊ ऩमलरत्ताणॊ ननडच्ज्झम ननडच्ज्झम गचयेणॊ उिसभेज्जा ।<br />

एिॊ इगिीसभे फािीसभे जाि णॊ सत्ततीसइभे सभए जहा णॊ ऩदीि-लसहा िािन्ना ऩुनयवि<br />

समॊ िा तहाविहेणॊ चुणण-जोगेणॊ िा ऩमलरज्जा िा, एिॊ सा इत्थी-ऩुरयस-दॊसणेण िा ऩुरयसारािग-सिणेण<br />

िा भदेणॊ कॊ दप्ऩेणॊ काभच्ग्गए ऩुनयवि उ ऩमरेज्जा ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [30] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


[४०३] एत्थॊ च गोमभा ! जॊ इत्थीमॊ बएण िा रज्जाए िा कु रॊकु सेण िा जाि णॊ धम्भ-<br />

सदॎाए िा तॊ िेमणॊ अहहमासेज्जा नो विमम्भॊ सभामयेज्जा, से णॊ धन्ना से णॊ ऩुन्ना से म णॊ िॊदा से णॊ<br />

ऩुज्जा से णॊ दटॎव्िा से णॊ सव्ि-रक्खणा से णॊ सव्ि-कल्राण-कायमा से णॊ सव्िुत्तभ-भॊगर-ननहह से णॊ<br />

सुमदेिता से णॊ सयस्सती से णॊ अॊफहुॊडी से णॊ अछचुमा से णॊ इॊदाणी से णॊ ऩयभऩवित्तुत्तभा लसदॎी भुत्ती<br />

सासमा लसिगइ च्त्त ।<br />

अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

[४०४] जालभच्त्थमॊ तॊ िेमणॊ नो अहहमासेज्जा विमम्भॊ िा सभामयेज्जा, से णॊ अधन्ना से<br />

णॊ अऩुन्ना से णॊ अिॊदा से णॊ अऩुज्जा से णॊ अदटॎव्िा से णॊ अरक्खणा से णॊ बग्ग-रक्खणा से णॊ<br />

सव्ि अभॊगर-अकल्राण-बामणा, से णॊ बटॎ-सीरा से णॊ बटॎामाया से णॊ ऩरयबटॎ-चारयत्ता से णॊ ननॊदनीमा<br />

से णॊ गयहणीमा से णॊ णखॊसणणज्जा से णॊ कु छछणणज्जा से णॊ ऩािा से णॊ ऩािा-ऩािा से णॊ भहाऩािा-ऩािा<br />

से णॊ अऩविच्त्त च्त्त ।<br />

एिॊ तु गोमभा चडुरत्ताए बीरुत्ताए कामयत्ताए रोरत्ताए उम्भामओ िा दप्ऩओ िा<br />

कॊ दप्ऩओ िा अणप्ऩ-िसओ िा आउहट्माए िा, जलभच्त्थमॊ सॊजभाओ ऩरयबच्स्सम दूयदॎाणे िा गाभे िा<br />

नगये िा यामहाणीए िा िेस-ग्गहणॊ अछछड्हढम-ऩुरयसेणॊ सवदॎॊ विमम्भॊ सभामयेज्जा बूओ बूओ ऩुरयसॊ<br />

काभेज्ज िा यभेज्ज िा अहा णॊ तभेि दोमच्त्थमॊ कज्जॊ इइ ऩरयकप्ऩेत्ता णॊ तभाईिेज्जा, तॊ चेि<br />

आईिभाणी ऩच्स्समाणॊ उम्भामओ िा दप्ऩओ िा कॊ दप्ऩओ िा अणप्ऩिसओ िा आउहट्माए िा ।<br />

के इ आमरयए इ िा साभणण-सॊजए इ िा याम-सॊलसए इ िा िाम-रवदॎजुत्ते इ िा तिो-<br />

रवदॎजुत्ते इ िा जोगचुणणरवदॎजुत्ते इ िा विणणाणरवदॎजुत्ते इ िा जुगप्ऩहाणे इ िा ऩिमणप्ऩबािगे इ<br />

िा, तभच्त्थमॊ अन्नॊ िा याभेज्ज िा काभेज्ज िा अलबरसेज्ज िा बुॊजेज्ज िा ऩरयबुॊजेज्ज िा जाि णॊ<br />

विमम्भॊ िा सभामयेज्जा, से णॊ दुयॊत-ऩॊत-रक्खणे अहन्ने अिॊदे अदटॎव्िे अऩवित्ते अऩसत्थे अकल्राणे<br />

अभॊगरे ननॊदणणज्जे गयहणणज्जे णखॊसणणज्जे कु छछणणज्जे, से णॊ ऩािे से णॊ ऩाि-ऩािे से णॊ भहाऩािे-से णॊ<br />

भहाऩाि-ऩािे से णॊ बटॎ-सीरे से णॊ बटॎामाये से णॊ ननब्बटॎचारयत्ते भहा-ऩाि-कम्भकायी ।<br />

जइ णॊ ऩामच्छछत्तभब्बुटॎेज्जा तओ णॊ भॊदयतुॊगेणॊ िइयेणॊ सयीयेणॊ उत्तभेणॊ सॊघमणेणॊ<br />

उत्तभेणॊ ऩोरुसेणॊ उत्तभेणॊ सत्तेणॊ उत्तभेणॊ तत्त-ऩरयणणाणेणॊ उत्तभेणॊ िीरयमसाभत्थेणॊ उत्तभेणॊ सॊिेगेणॊ<br />

उत्तभाए धम्भ-सदॎाए उत्तभेणॊ आउक्खएणॊ तॊ ऩामच्छछत्तभनुचयेज्जा, ते णॊ तु गोमभा ! साहूणॊ<br />

भहानुबागाणॊ अटॎायस-ऩरयहाय-टॎाणाइॊ नि-फॊबचेय-गुत्तीओ िागरयज्जॊनत ।<br />

[४०५] से बमिॊ ! ककॊ ऩच्छछत्तेणॊ सुज्झेज्जा गोमभा ! अत्थेगे जे णॊ सुज्झेज्जा अत्थेगे<br />

जे णॊ नो सुज्झेज्जा, से बमिॊ ! के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ जहा णॊ गोमभा ! अत्थेगे जे णॊ सुज्झेज्जा,<br />

अत्थेगे जे णॊ नो सुज्झेज्जा, गोमभा ! अत्थेगे जे णॊ ननमडी-ऩहाणे सढ-सीरे िॊक-सभामाये, से णॊ ससल्रे<br />

आरोइत्ताणॊ ससल्रेण चेि ऩामच्छछत्तभनुचयेज्जा से णॊ अविसुदॎ-सकरुसासए नो सुज्झेज्जा ।<br />

अत्थेगे जे णॊ उज्जू ऩदॎय-सयर-सहािे जहा-ित्तॊ नीसल्रॊ नीसॊकॊ सुऩरयपु डॊ आरोइत्ताणॊ<br />

जहोिइटॎॊ चेि ऩामच्छछत्तभनुगचटॎेज्जा से णॊ ननम्भर-ननक्करुस-विसुदॎासए वि सुज्झेज्जा, एतेणॊ अटॎेणॊ<br />

एिॊ िुछचइ जहा णॊ गोमभा! अत्थेगे जे णॊ सुज्झेज्जा, अत्थेगे जे णॊ नो सुज्झेज्जा ।<br />

[४०६] तहा णॊ गोमभा ! इत्थीमॊ नाभ ऩुरयसाणॊ अहभाणॊ सव्ि-ऩाि-कम्भाणॊ िसुहाया तभ-<br />

यम-ऩॊक-खाणी सोग्गइ-भग्गस्स णॊ अग्गरा नयमािमायस्स णॊ सभोमयण-ित्तणी, अबूभमॊ विसकॊ दलरॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [31] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अणच्ग्गमॊ चड्डुलरॊ अबोमणॊ विसूइमॊ अनालभमॊ िाहहॊ अिेमणॊ भुछछॊ अनोिसग्गॊ भारयॊ अननमलरॊ गुच्त्तॊ<br />

अयज्जुए ऩासे अहेउए भछचू, तहा म णॊ गोमभा इच्त्थ-सॊबोगे ऩुरयसाणॊ भनसा वि णॊ अगचॊतणणज्जे<br />

अणज्झिसणणज्जे अऩत्थणणज्जे अनीहणणज्जे अविमप्ऩणणज्जे असॊकप्ऩणणज्जे अनलबरसणणज्जे<br />

असॊबयणणज्जे नतविहॊ नतविहेणॊ नत ।<br />

जओ णॊ इच्त्थमॊ नाभ ऩुरयसस्स णॊ गोमभा ! सव्िप्ऩगायेसुॊ वऩ दुस्साहहम-विज्जॊ वऩ ि<br />

अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

दोसुप्ऩामणणॊ सायॊब-सॊजणगॊ वऩ ि ऩुणो असॊजभामयणॊ अऩुटॎधम्भ खलरमचारयत्तॊ वऩि अनारोइमॊ अननॊहदमॊ<br />

अगयहहमॊ अकम-ऩामच्छछत्तज्झिसामॊ ऩडुछच अनॊत-सॊसाय-ऩरयमट्ण-दुक्खसॊदोहॊ, कम-ऩामच्छछत-विसोहहॊ वऩ<br />

ि ऩुणो असॊजभामयणॊ भहॊत-ऩाि-कम्भ-सॊचमॊ हहॊसॊ ि समर-तेरोक्क-ननॊहदमॊ, अहदटॎ-ऩयरोग-ऩछचिाम-<br />

घोयॊधमाय-नयम-िासो इि-ननयॊतयागेण-दुक्ख-ननहहॊ च्त्त ।<br />

[४०७] अॊग-ऩछचॊग-सॊठाणॊ चारुल्र विम-ऩेहहमॊ ।<br />

इत्थीणॊ तॊ न ननज्झाए काभ-याग-वििड्ढणॊ ।।<br />

[४०८] तहा म इत्थीओ नाभ गोमभा ! ऩरम-कगार-यमणी-लभि सव्ि-कारॊ तभोिलरत्ताओ<br />

बिॊनत, विज्जु इि खणहदटॎ-नटॎ-ऩेम्भाओ बिॊनत, सयणागम-घामगो इि एक्क-जच्म्भमाओ तक्खण-ऩसूम-<br />

जीिॊत-भुदॎ-ननम-लससु-बक्खीओ इि भहा-ऩाि-कम्भाओ बिॊनत, खय-ऩिणुछचालरम-रिणोिहह-िेराइि फहु-<br />

विह-विकप्ऩ-कल्रोरभाराहहॊ णॊ खणॊ वऩ एगत्थ हह असॊहठम-भानसाओ बिॊनत समॊबुयभणोिहहभलभि<br />

दुयिगाह-कइतिाओ बिॊनत, ऩिणो इि चडुर-सहािाओ बिॊनत ।<br />

अग्गी इि सव्ि-बक्खाओ िाऊ इि सव्ि-परयसाओ तक्कयो इि ऩयत्थरोराओ साणो इि<br />

दानभेत्तभेत्तीओ भछछो इि हव्ि-ऩरयचत्त-नेहाओ, एिभाइ-अनेग-दोस-रक्ख-ऩडडऩुन्न-सव्िॊगोिॊग-सच्ब्बॊतय-<br />

फाहहयाणॊ भहाऩाि-कम्भाणॊ अविनम-विस-भॊजयीणॊ तत्थुप्ऩन्न-अनत्थ-गॊथ-ऩसूईणॊ इत्थीणॊ, अनियम-<br />

ननज्झयॊतदुग्गॊधाऽसुइ-गचरीण-कु छछणणज्ज-ननॊदणणज्ज-णखॊसणणज्ज-सव्िॊगोिॊगाणॊ सब्बॊतय-िाहहयाणॊ,<br />

ऩयभत्थओ भहासत्ताणॊ ननच्व्िणणकाभ-बोगाणॊ गोमभा ! सव्िुत्तभुत्तभऩुरयसाणॊ के नाभ समणणे सुविणणाम-<br />

धम्भाहम्भे खणभवि अलबरासॊ गच्छछज्जा ।<br />

[४०९] जालसॊ च णॊ अलबरलसउकाभो ऩुरयसे तज्जोणणॊ सभुच्छछभ ऩॊगचॊहदमाणॊ एक्क ऩसॊगेणॊ<br />

चेि निणहॊ सम-सहस्साणॊ ननमभाओ उद्िगे बिेज्जा ते म अछचॊत-सुहुभत्ताओ भॊस-चक्खुणो न ऩालसमा ।<br />

[४१०] एए णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ जहा णॊ गोमभा! नो इत्थीमॊ आरिेज्जा नो सॊरिेज्जा नो<br />

उल्रिेज्जा नो इत्थीणॊ अॊगोिॊगाइॊ सॊननरयक्खेज्जा जाि णॊ नो इत्थीए सवदॎॊ एगे फॊबमायी अदॎाणॊ<br />

ऩडडिज्जेज्जा ।<br />

[४११] से बमिॊ ! ककलभच्त्थए सॊरािुल्रािॊगोघॊग-ननरयक्खणॊ िज्जेज्जा से णॊ उमाहु<br />

भेहुणॊ गोमभा ! उबमभवि से बमिॊ ककलभच्त्थ-सॊजोग-सभामयणे भेहुणे ऩरयिच्ज्जमा उमाहु णॊ फहुविहेसुॊ<br />

सगचत्तागचत्तित्थु-विसएसुॊ भेहुण-ऩरयणाभे नतविहॊ नतविहेणॊ भनो-िइ-काम-जोगेणॊ सव्िहा सव्ि-कारॊ<br />

जािज्जीिाए च्त्त गोमभा ! सव्िहा वििज्जेज्जा ।<br />

[४१२] से बमिॊ ! जे णॊ के ई साहू िा साहुणी िा भेहुणभासेिेज्जा से णॊ िॊदेज्जा <br />

गोमभा! जे णॊ के ई साहू िा साहूणी िा भेहुणॊ समभेि अप्ऩणा सेिेज्ज िा ऩयेहह उिइसेत्तुॊ सेिािेज्जा िा<br />

सेविज्जभाणॊ सभणुजाणेज्जा िा हदव्िॊ िा भाणुसॊ िा नतरयक्ख-जोणणमॊ िा जाि णॊ कयकम्भाइॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [32] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


सगचत्तागचत्तॊ-ित्थुविसमॊ िा विविहज्झिसाएण कारयभाकारयभोिगयणेणॊ भनसा िा िामसा िा काएण िा<br />

से णॊ सभणे िा सभणी िा दूयॊत-ऩत-रक्खण-अदटॎव्िे अभग्ग-सभामाये भहाऩाि-कम्भे नो णॊ िॊदेज्जा नो<br />

णॊ िॊदािेज्जा नो णॊ िॊहदज्जभाण िा सभणुजाणेज्जा नतविहॊ जाि णॊ विसोहहकारॊ नत,<br />

से बमिॊ जे िॊदेज्जा से ककॊ रबेज्जा , गोमभा ! जे तॊ िॊदेज्जा से अटॎायसणहॊ सीरॊग-<br />

सहस्सधायीणॊ भहानुबागाणॊ नतत्थमयादीणॊ भहतीॊ आसामणॊ कु ज्जा, जे णॊ नतत्थमयादीणॊ आसामणॊ कु ज्जा,<br />

अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

से णॊ अज्झिसामॊ ऩडुछचा जाि णॊ अनॊत-सॊसारयमत्तणॊ रबेज्जा ।<br />

[४१३] विप्ऩहहच्छचच्त्थमॊ सम्भॊ, सव्िहा भेहुणॊ वऩ म ।<br />

अत्थेगे गोमभा ! ऩाणी जे नो चइम ऩरयग्गहॊ ।।<br />

[४१४] जािइमॊ गोमभा ! तस्स सगचत्तागचत्तोबमत्तगॊ ।<br />

ऩबूमॊ चानुजीिस्स बिेज्जा उ ऩरयग्गहॊ ।।<br />

[४१५] तािइएणॊ तु सो ऩाणी ससॊगो भोक्ख-साहणॊ ।<br />

नाणाहद-नतगॊ न आयाहे तम्हा िज्जे ऩरयग्गहॊ ।।<br />

[४१६] अत्थेगे गोमभा ! ऩाणी जे ऩमहहत्ता ऩरयग्गहॊ ।<br />

आयॊबॊ नो वििज्जेज्जा जॊ चीमॊ बिऩयॊऩया ।।<br />

[४१७] आयॊबे ऩच्त्थमस्सेग-विमर-जीिस्स िइमये ।<br />

सॊघट्णाइमॊ कम्भॊ जॊ फदॎॊ गोमभा ! सुण ।।<br />

[४१८] एगे फेइॊहदए जीिे एगॊ सभमॊ अननछछभाणे फरालबओगेणॊ हत्थेण िा ऩाएण िा<br />

अन्नमयेण िा सरागाइ-उिगयण-जाएणॊ जे के इ ऩाणी अगाढॊ सॊघट्ेज्जा िा सॊघट्ािेज्ज िा सॊघहिज्जभाणॊ<br />

िा अगाढॊ ऩयेहहॊ सभणुजाणेज्जा, से णॊ गोमभा ! जमा तॊ कम्भॊ उदमॊ गछछेज्जा तमा णॊ भहमा के सेणॊ<br />

छम्भासेणॊ िेदेज्जा गाढॊ दुिारसहहॊ सॊिछछयेहहॊ, तभेि अगाढॊ ऩरयमािेज्जा िास-सहस्सेणॊ गाढॊ दसहहॊ िास-<br />

सहस्सेहहॊ, तभेि अगाढॊ ककराभेज्जा िास-रक्खेणॊ गाढॊ दसहहॊ िासरक्खेहहॊ, अहा णॊ उद्िेज्जा तओ िास-<br />

कोडडए एिॊ नत-चउ-ऩॊगचॊहदएसु दटॎव्िॊ ।<br />

[४१९] सुहुभस्स ऩुढवि-जीिस्स जत्थेगस्स वियाहणॊ ।<br />

अप्ऩायॊबॊ तमॊ फेंनत गोमभा ! सव्ि-के िरी ।।<br />

[४२०] सुहुभस्स ऩुढवि-जीिस्स िाित्ती जत्थ सॊबिे ।<br />

भहायॊबॊ तमॊ फेंनत गोमभा ! सव्ि-के िरी ।।<br />

[४२१] एिॊ तु सच्म्भरॊतेहहॊ कम्भुक्कु रुडेहहॊ गोमभा ! ।<br />

से सोटॎब्बेअनॊतेहहॊ जे आयॊबे ऩित्तए ।।<br />

[४२२] आयॊबे िट्भाणस्स फदॎ-ऩुटॎ-ननकाइमॊ ।<br />

कम्भॊ फदॎॊ बिे जम्हा तम्हायॊबॊ वििज्जए ।।<br />

[४२३] ऩुढिाइ-अजीि-कामॊ ता सव्ि-बािेहहॊ सव्िहा ।<br />

आयॊबा जे ननमट्ेज्जा, से अइया जम्भ-जया-भयण ।<br />

सव्ि-दारयद्-दुक्खाणॊ विभुॊछचइ च्त्त ।।<br />

[४२४] अत्थेगे गोमभा ! ऩाणी जे एमॊ ऩरयफुच्ज्झउॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [33] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

एगॊत-सुह-तच्ल्रछछे न रबे सम्भग्गित्तणणॊ ।।<br />

[४२५] जीिे सॊभग्ग-भोइणणे घोय-िीयतिॊ चये ।<br />

अचमॊतो इभे ऩॊच कु ज्जा सव्िॊ ननयत्थमॊ ।।<br />

[४२६] कु सीरोसणण-ऩासत्थे सछछॊदे सफरे तहा ।<br />

हदटॎीए वि इभे ऩॊच गोमभा ! न ननरयक्खए ।।<br />

[४२७] सव्िन्नु-देलसमॊ भग्गॊ सव्ि-दुक्ख-ऩणासगॊ ।<br />

सामा गायि-गरुए वि अन्नहा बणणउभुज्झए ।।<br />

[४२८] ऩमभक्खयॊ वऩ जो एगॊ सव्िन्नूहहॊ ऩिेहदमॊ ।<br />

न योएज्ज अन्नहा बासे लभछछ-हदटॎी स ननच्छछमॊ ।।<br />

[४२९] एमॊ नाऊण सॊसच्ग्गॊ दरयसणाराि सॊथिॊ ।<br />

सिासॊ च हहमाकॊ खी सव्िोिाएहहॊ िज्जए ।।<br />

[४३०] बमिॊ! ननब्बटॎ-सीराणॊ दरयसणॊ तॊ वऩ नेछछलस ।<br />

ऩच्छछत्तॊ िागयेसी म इनत उबमॊ न जुज्जए ।।<br />

[४३१] गोमभा! बटॎ-सीराणॊ दुत्तये सॊसाय-सागये ।<br />

धुिॊ तभनुकॊ वऩत्ता ऩामच्छछत्ते ऩदरयलसए ।।<br />

[४३२] बमिॊ! ककॊ ऩामच्छछत्तेणॊ नछॊहदज्जा नायगाउमॊ ।<br />

अनुचरयऊण ऩच्छछत्तॊ फहिे दुग्गइॊ गए ।।<br />

[४३३] गोमभा! जे सभज्जेज्जा अनॊत-सॊसारयमत्तणॊ ।<br />

ऩच्छछत्तेणॊ धुिॊ तॊ वऩ नछॊदे ककॊ ऩुणो नयमाउमॊ<br />

।।<br />

[४३४] ऩामच्छछत्तस्स बुिणेत्थ नासज्झॊ ककॊ गच विज्जए ।<br />

फोहहराबॊ ऩभोत्तूणॊ हारयमॊ तॊ न रब्बए ।।<br />

[४३५] तॊ चाउकाम-ऩरयबोगे तेउकामस्स ननच्छछमॊ ।<br />

अफोहहरालबमॊ कम्भॊ फज्झए भेहुणेण म ।।<br />

[४३६] भेहुणॊ आउ-कामॊ च तेउ-कामॊ तहेि म ।<br />

तम्हा तओ वि जत्तेणॊ िज्जेज्जा सॊजइॊहदए ।।<br />

[४३७] से बमिॊ गायत्थीणॊ सव्िभेिॊ ऩित्तई, ता जइ अफोही ।<br />

बिेज्ज एसु तओ लसक्खा-गुणा ऽणुव्िमधयणॊ तु ननप्परॊ ।।<br />

[४३८] गोमभा! दुविहे ऩहे अक्खाए सुस्सभणे म सुसािए ।<br />

भहव्िम-धये ऩढभे फीए ऽणुव्िम-धायए ।।<br />

[४<strong>३९</strong>] नतविहॊ नतविहेणॊ सभणेहहॊ सव्ि-सािज्जभुच्ज्झमॊ ।<br />

जािज्जीिॊ िमॊ घोयॊ ऩडडिच्ज्जमॊ भोक्ख-साहणॊ ।।<br />

[४४०] दुविहेग-विहॊ नतविहॊ िा थूरॊ सािज्जभुच्ज्झमॊ ।<br />

उहद्टॎ-कालरमॊ तु िमॊ देसेणॊ न सॊिसे गायत्थीहहॊ ।।<br />

[४४१] तहेि नतविहॊ नतविहेणॊ इछछायॊबॊ-ऩरयग्गहॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [34] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

िोलसयॊनत अनगाये च्जनलरगॊ तु धयेंनत ते ।।<br />

[४४२] इमये उणॊ अनुच्ज्झत्ता इछछायॊब-ऩरयग्गहॊ ।<br />

सदायालबयए स गगही च्जन-लरॊगॊ तु ऩूमए न धायमॊ नत ।।<br />

[४४३] तो गोमभेग-देसस्स ऩडडक्कॊ ते गायत्थे बिे ।<br />

तॊ िमभनुऩारमॊताणॊ नो लसॊ आसामणॊ बिे ।।<br />

[४४४] जे ऩुण सव्िस्स ऩडडक्कॊ ते धाये ऩॊच-भहव्िए ।<br />

च्जनलरॊगॊ तु सभुव्िहइ तॊ नतगॊ नो वििज्जए ।।<br />

[४४५] तो भहमासामणॊ तेलसॊ इच्त्थ-ग्गी-आउ-सेिणे ।<br />

अनॊतनाणी च्जने जम्हा एमॊ भनसा वि ना ऽलबरसे ।।<br />

[४४६] ता गोमभा ! सहहमएणॊ एिॊ िीभलसउॊ दढॊ ।<br />

विबािम जइ फॊधेज्जा गगहह नो उ अफोहहरालबमॊ ।।<br />

[४४७] सॊजए ऩुण ननफॊधेज्जा एमाहहॊ हेऊहहॊ म ।<br />

आणाइक्कभ-िम-बॊगा तह उम्भग्ग-ऩित्तणा ।।<br />

[४४८] भेहुणॊ चामुकामॊ च तेउकामॊ तहेि म ।<br />

हिइ तम्हा नततमॊ नत जत्तेणॊ िज्जेज्जा सव्िहा भुनी ।।<br />

[४४९] जे चयॊते ि ऩच्छछत्तॊ भणेणॊ सॊककलरस्सए ।<br />

जह बणणमॊ िाहणाणुटॎे ननयमॊ सो तेण िछचए ।।<br />

[४५०] बमिॊ भॊदसदॎेहहॊ ऩामच्छछत्तॊ न कीयई ।<br />

अह काहहॊनत ककलरटॎ-भणे तो अनुकॊ ऩ विरुज्झए ।।<br />

[४५१] नायामादीहहॊ सॊगाभे गोमभा ! सच्ल्रए नये ।<br />

सल्रुदॎयणे बिे दुक्खॊ नानुकॊ ऩा विरुज्झए ।।<br />

[४५२] एिॊ सॊसाय-सॊगाभे अॊगोिॊगॊत-फाहहयॊ ।<br />

बाि-सल्रुदॎरयॊताणॊ अनुकॊ ऩा अनोिभा ।।<br />

[४५३] बमिॊ! सल्रॊलभ देहत्थे दुच्क्खए होंनत ऩाणणणो ।<br />

जॊ सभमॊ ननच्प्पडे सल्रॊ तक्खणा सो सुही बिे ।।<br />

[४५४] एिॊ नतत्थमये लसदॎे साहू-धम्भॊ वििॊगचउॊ ।<br />

जभकज्जॊ कमॊ तेणॊ ननलसरयएणॊ सुही बिे ।।<br />

[४५५] ऩामच्छछत्तेणॊ को तत्थ कारयएणॊ गुणो बिे ।<br />

जेणॊ थेिस्स िी देलस दुक्कयॊ दुयनुछचयॊ ।।<br />

[४५६] उदॎरयउॊ गोमभा ! सल्रॊ िण-बॊगे जाि नो कमे ।<br />

िण-वऩॊडीऩट्-फॊधॊ च ताि नो ककॊ ऩरुज्झए ।।<br />

[४५७] बािसल्रस्स िण-वऩॊडडॊ ऩट्-बूओ इभो बिे ।<br />

ऩच्छछत्तो दुक्खयोहॊ वऩ ऩाि-िणॊ णखप्ऩॊ ऩयोहए ।।<br />

[४५८] बमिॊ! ककभनुविज्जॊते सुव्िॊते जाणणए इ िा ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [35] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

सोहेइ सव्ि-ऩािाइॊ ऩच्छछत्ते सव्िणणु-देलसए ।।<br />

[४५९] सुसाउ-सीमरे उदगे गोमभा ! जाि नो वऩफे ।<br />

नये गगम्हे विमाणॊते, ताि तणहा न उिसभे ।।<br />

[४६०] एिॊ जाणणत्तु ऩच्छछत्तॊ असढ-बािे न जा चये ।<br />

ताि तस्स तमॊ ऩािॊ िड्ढए उ न हामए ।।<br />

[४६१] बमिॊ! ककॊ तॊ िड्ढेज्जा जॊ ऩभादेण कत्थई ।<br />

आगमॊ ऩुणो आउत्तस्स तेच्त्तमॊ ककॊ न टॎामए ।।<br />

[४६२] गोमभा! जह ऩभाएणॊ अननछछॊतो ऽहह-डॊककए ।<br />

आउत्तस्स जहा ऩछछा विसॊ िड्ढे तह चेि ऩािगॊ ।।<br />

[४६३] बमिॊ! जे विहदम-ऩयभत्थे सव्ि-ऩच्छछत्त-जाणगे ।<br />

ते ककॊ ऩयेलसॊ साहहॊनत ननमभ-कज्जॊ जहहटॎमॊ ।।<br />

[४६४] गोमभा-भॊत-तॊतेहहॊ हदमहे जो कोडडभुटॎिे ।<br />

से वि दटॎे विननछचेटॎे धारयमणणेहहॊ बच्ल्रए ।।<br />

[४६५] एिॊ सीरुज्जरे साहू ऩच्छछत्तॊ तु दढव्िए ।<br />

अन्नेलसॊ ननउण-रदॎटॎॊ सोहे ससीसॊ ि णहािीओ जह च्त्त ।।<br />

० बीए अज्झयणे तइओ उद्ेसो समत्तो<br />

० बीअं अज्झयणं समत्तं ०<br />

[४६६] एएलसॊ तु दोणहॊ वऩ अज्झमणाणॊ विहहऩुव्िगेणॊ सव्ि-साभणणॊ िामणॊ नत ।<br />

० तइयं अज्झयणं - कु सीऱऱक्खणं ०<br />

[४६७] अओ ऩयॊ चउक्कणणॊ सुभहत्थाइसमॊ ऩयॊ ।<br />

आणाए सद्हेमव्िॊ सुत्तत्थॊ जॊ जह-हटॎमॊ ।।<br />

[४६८] जे उग्धाडॊ ऩरूिेज्जा देज्जा ि अजोगस्स उ ।<br />

िाएज्ज अफॊबमायी िा अविहीए अनुहदटॎॊ वऩ िा ।।<br />

[४६९] उम्भामॊ ि रबेज्जा योगामॊकॊ ि ऩाउणे दीहॊ ।<br />

बॊसेज्ज सॊजभाओ सभयनॊते िा नमा वि आयाहे ।।<br />

[४७०] एत्थॊ तु जॊ विही-ऩुव्िॊ ऩढभज्झमणे ऩरूविमॊ ।<br />

तीए चेि विहहए तॊ िाएज्जा सेसाणणभॊ विहहॊ ।।<br />

[४७१] फीमज्झमणेच्म्फरे ऩॊच-निुद्ेसा तहहॊ बिे ।<br />

तइए सोरस उद्ेसे अटॎ-तत्थेि अॊबफरे ।।<br />

[४७२] जॊ तइए तॊ चउत्थे वि ऩॊचभच्म्भ छामॊबफरे ।<br />

छटॎे दो सत्तभे नतच्न्न अटॎभे आमॊबफरे दस ।।<br />

[४७३] अननच्क्खत्त-बत्त-ऩाणेण सॊघट्ेणॊ इभो भहा ।<br />

ननसीह-िय-सुमक्खॊधॊ िोढव्िॊ च आउत्तग-ऩानगेणॊ नत ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [36] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

[४७४] गॊबीयस्स भहा-भइणो उज्जुमस्स तिो-गुणे ।<br />

सुऩरयच्क्खमस्स कारेणॊ सम-भज्झेगस्स िामणॊ ।।<br />

[४७५] खेत्त-सोहीए ननछचॊ तु उिउत्तो बविमा जमा ।<br />

तमा िाएज्जा एमॊ तु अन्नहा उ छलरज्जई ।।<br />

[४७६] सॊगोिॊग-सुथस्सेमॊ नीसॊदॊ तत्तॊ-ऩयॊ ।<br />

भहा-ननहह व्ि अविहीए गगणहॊते णॊ छलरज्जए ।।<br />

[४७७] अहिा सव्िाइॊ सेमाइॊ फहु-विग्घाइॊ बिॊनत उ ।<br />

सेमाण ऩयॊ सेमॊ सुमक्खॊधॊ ननच्व्िग्घॊ ।।<br />

[४७८] जे धन्ने ऩुन्ने भहानुबागे से िाइमा ।<br />

से बमिॊ ! के रयसॊ तेलसॊ कु सीरादीण रक्खणॊ <br />

सम्भॊ विन्नाम जेणॊ तु सव्िहा ते वििज्जए ।।<br />

[४७९] गोमभा! साभन्नओ तेलसॊ रक्खणभेमॊ ननफोधम ।<br />

जे नछचा तेलस सॊसग्गी सव्िहा ऩरयिज्जए ।।<br />

[४८०] कु सीरे ताि दुस्समहा ओसन्ने दुविहे भुणे ।<br />

ऩसत्थे नाणभादीणॊ सफरे फाइसई विहे ।।<br />

[४८१] तत्थ जे ते उ दुसमहा उ िोछछॊ तो ताि गोमभा ।<br />

कु सीरे जेलसॊ सॊसग्गीदोसेणॊ बस्सई भुनी खणा ।।<br />

[४८२] तत्थ कु सीरे ताि सभासओ दुविहे नेए-ऩयॊऩय-कु सीरे म अऩयॊऩय-कु सीरे म ।<br />

तत्थ णॊ जे ते ऩयॊऩय-कु सीरे ते वि उ दुविहे नेए-सत्त-टॎ-गुरु-ऩयॊऩय-कु सीरे एग-दु-नत-गुरु-<br />

ऩयॊऩय-कु सीरे म ।<br />

[४८३] जे वि म ते अऩयॊऩय-कु सीरे ते वि उ दुविहे नेए-आगभओ नो आगभओ म ।<br />

[४८४] तत्थ-आगभओ-गुरु-ऩयॊऩयएणॊ आिलरमाए न के ई कु सीरे आसी उ, ते चेि कु सीरे<br />

बिॊनत ।<br />

[४८५] नो आगभओ अनेगविहा तॊ जहा नाण-कु सीरे दॊसण-कु सीरे चरयत्त-कु सीरे ति-<br />

कु सीरे िीयम-कु सीरे ।<br />

[४८६] तत्थ णॊ जे से नाण-कु सीरे से णॊ नतविहे नेए ऩसत्थाऩसत्थ-नाण-कु सीरे,<br />

अऩसत्थनाण-कु सीरे, सुऩसत्थनाण-कु सीरे ।<br />

[४८७] तत्थ जे से ऩसत्थाऩसत्थ-नाण-कु सीरे से दुविहे नेए आगभओ नोआगभओ म तत्थ<br />

आगभओ विहॊगनाणी ऩन्नविम ऩसत्थाऽऩसत्थमत्थ-जार-अज्झमणऽज्झािण-कु सीरे । नो आगभओ<br />

अनेगहा ऩसत्थाऩसत्थ-ऩय-ऩासॊड-सत्थ-जाराहहज्जण-अज्झािण-िामणाऽनुऩेहणकु सीरे ।<br />

[४८८] तत्थ जे ते अऩसत्थ-नाण-कु सीरे ते एगूणतीसइविहे दटॎव्िे, तॊ जहा-सािज्ज-िाम-<br />

विज्जा-भॊत-तॊत-ऩउॊ जण-कु सीरे, विज्जा-भॊत-तॊताहहज्जण-कु सीरे, ित्थु-विज्जा ऩउॊ जणा हहज्जण-कु सीरे,<br />

गहरयक्ख-चाय-जोइस-सत्थ-ऩउॊ जणाहहज्जण-कु सीरे, ननलभत्त-रक्खण-ऩउॊ जणाहहज्जण कु सीरे सउण-<br />

रक्खण-ऩउॊ जणाहहज्जण-कु सीरे, हच्त्थ-लसक्खा-ऩउॊ जणाहहज्जण-कु सीरे, धनुव्िेम-ऩउॊ जणाहहज्जण कु सीरे,<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [37] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


गॊधव्ििेम-ऩउॊ जणाहहज्जण-कु सीरे, ऩुरयस-इत्थी-रक्खण-ऩउॊ जणज्झािण-कु सीरे, काभ-सत्थ-<br />

ऩउॊ जणाहहज्जण-कु सीरे, कु हुगगॊद जार-सत्थ-ऩउॊ जणाहहज्जण-कु सीरे, आरेक्ख-विज्जाहहज्जण-कु सीरे,<br />

रेप्ऩ-कम्भ-विज्जा-हहज्जण-कु सीरे, िभन-वियेमण-फहुिेच्ल्र जार-सभुदॎयण-कढण-काढण-िणस्सइ-िच्ल्र<br />

भोडण-तछछणाइ फहुदोस-विज्जग सत्थ-ऩउॊ जणाहहज्ज-नज्झािण-कु सीरे एिॊ जाण-जोग-ऩडडजोग-चुणण-<br />

िणण-धाउव्िाम याम-दॊडनीई सत्थ-असणण-ऩव्ि अग्घकॊ ड-यमणऩयीक्खा यसिेह-सत्थ सभछच-लसक्खा गूढ-<br />

अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

भॊत-तॊत कार-देस-सॊगध-विग्गहो-िएस-सत्थ-सम्भ-जाण-ििहाय ननरूिणऽत्त-सत्थ-ऩउॊ जणाहहज्जण-अऩसत्थ<br />

नाणकु सीरे, एिभेएलसॊ चेि ऩाि-सुमाणॊ िामणा ऩेहणा ऩयाित्तणा अनुसॊधणा सिणाऽमणणण-अऩसत्थ-<br />

नाण-कु सीरे ।<br />

[४८९] तत्थ जे म ते सुऩसत्थ-नाण-कु सीरे ते वि म दुविहे नेए आगभतो नोआगभओ म<br />

तत्थ म आगभओ सुऩसत्थॊ ऩॊच-प्ऩमायॊ नाणॊ असामॊते सुऩसत्थ-नाण-धये इ िा आसामॊते सुऩसत्थ-नाण<br />

कु सीरे ।<br />

[४९०] नो आगभओ म सुऩसत्थ-नाण-कु सीरे अटॎहा नेए तॊ जहा-अकारेणॊ सुऩसत्थ-<br />

नाणाहहज्जणऽज्झािण-कु सीरे, अविनएणॊ सुऩसत्थ नाणाहहज्जणज्झािण कु सीरे, अफहुभानेनॊ सुऩसत्थ<br />

नाणाहहज्जणकु सीरे अनोिहाणेणॊ सुऩसत्थ नानाहहज्जणऽज्झािण-कु सीरे, जस्स म समासे सुऩसत्थ<br />

सुत्तत्थोबमभहीमॊ तॊ ननन्हिण-सुऩसत्थ-नाण-कु सीरे, सय-िॊजण-हीनक्खरयम-ऽछचक्खरयमा हीमऽज्झािण<br />

सुऩसत्थ नाण-कु सीरे, विियीम सुत्तत्थोबमाहीमज्झािण सुऩसत्थ-नाण-कु सीरे सॊहददॎ-सुत्तत्थोबमाहीम<br />

ज्झािण सुऩसत्थनाण-कु सीरे ।<br />

[४९१] तत्थ एएलसॊ अटॎणहॊ वऩ ऩमाणॊ गोमभा ! जे के इ अनोिहाणेणॊ सुऩसत्थॊ नाण-भहीमॊनत<br />

अज्झािमॊनत िा अहीमॊते इ िा अज्झािमॊते इ िा सभणुजाणॊनत िा ते णॊ भहा-ऩािकम्भे भहती सुऩसत्थ-<br />

नाणस्सासामणॊ ऩकु व्िॊनत ।<br />

[४९२] से बमिॊ! जइ एिॊ ता ककॊ ऩॊच-भॊगरस्स णॊ उिहाणॊ कामव्िॊ , गोमभा ! ऩढभॊ नाणॊ<br />

तओ दमा दमाए म सव्ि-जग-जीि-ऩाण-बूम-सत्ताणॊ अत्तसभ-दरयलसत्तॊ, सव्ि-जग-जीि-ऩाण-बूम-सत्ताणॊ<br />

अत्तसभ दॊसणाओ म तेलसॊ चेि सॊघट्ण-ऩरयमािण-ककरािणोद्ािणाइ-दुक्खु-ऩामण-बम वििज्जणॊ, तओ<br />

अनासिो अनासिाओ म सॊिुडासिदायत्तॊ सॊिुडासि-दायत्तेणॊ च दभो ऩसभो, तओ म सभ-सत्तु-लभत्त-<br />

ऩक्खमा सभ-सत्तु-लभत्त-ऩक्खमाए म अयाग-दोसत्तॊ तओ म अकोहमा अभानमा अभाममा अरोबमा<br />

अकोह-भान-भामा-रोबमाए म अकसामत्तॊ, तओ म सम्भत्तॊ सभत्ताओ म जीिाइ-ऩमत्थ-ऩरयन्नाणॊ तओ<br />

म सव्ित्थ-अऩडडफदॎत्तॊ सव्ित्थाऩडडफदॎत्तेण म अन्नाण-भोह-लभछछत्तक्खमॊ, तओ वििेगो वििागाओ म<br />

हेम-उिाएम-ित्थु-विमारेणे-गॊत-फदॎ-रक्खत्तॊ तओ म अहहम-ऩरयछचाओ हहमामयणे म अछचॊतभब्बुज्जभो<br />

तओ म ऩयभ ऩवित्तुत्तभ-खॊताहददसविह-अहहॊसा-रक्खण-धम्भाणुटॎानेक्क कयण-कायािणासत्तगचत्तमाए ।<br />

तओ म खॊताहद दसविह अहहॊसा रक्खण धम्भाणुटॎाणणक्क कयण कायािणा सत्त-गचत्तमाए<br />

म सव्िुत्तभा खॊती सव्िुत्तभॊ लभउत्तॊ सव्िुत्तॊ अज्जि-बाित्तॊ सव्िुत्तभॊ सफज्झब्बॊतयॊ सव्ि-सॊग-<br />

ऩरयछचागॊ सव्िुत्तभॊ सफज्झब्बॊतय-दुिारसविह-अछचॊत-घोय-िीरुग्ग-कटॎ-ति-चयणाणुटॎाणालबयभणॊ सव्िुत्तभॊ<br />

सत्तयसविह-कलसण-सॊजभाणुटॎाण ऩरयऩारणेक्क फदॎ-रक्खत्तॊ सव्िुत्तभॊ सछचगगयणॊ छक्काम-हहमॊ<br />

अननगूहहम फर-िीरयम-ऩुरयसक्काय ऩयक्कभऩरयतोरणॊ च । सव्िुत्तभ-सज्झामझाण-सलररेणॊ ऩािकम्भ-<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [38] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


भर-रेि-ऩक्कारणॊ नत सव्िुत्तभुत्तभॊ आककॊ चणॊ सव्िुत्तभभुत्तभॊ ऩयभ-ऩवित्तुत्तभ-सव्ि-बाि-बािॊतयेहहॊ णॊ<br />

सुविसुदॎ सव्ि दोस विप्ऩभुक्क निगुत्ती-सणाह अटॎायस-ऩरयहायटॎाण ऩरयिेहढम सुदॎुदॎय-घोय-फॊबिम-धायणॊनत<br />

।<br />

तओ एएलसॊ चेि सव्िुत्तभ-खॊती-भद्ि-अज्जि-भुत्ती ति सॊजभ-सछच-सोम-आककॊ चण<br />

सुदुदॎय-फॊबिम-धायण-सभुटॎाणेणॊ च सव्ि-सभायॊब-वििज्जणॊ, तओ म-ऩुढवि दगा-गणण-िाऊ-िणप्पई बफ-नत-<br />

चउ-ऩॊगचहदमाणॊ तहेि अजीि-काम सॊयॊब-सभायॊबायॊबाणॊ च भनो-िइ-काम-नतएणॊ नतविहॊ नतविहेणॊ<br />

अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

सोइॊहदमाहद-सॊियण आहायाहद-सणणा विप्ऩजढत्ताए िोलसयणॊ, तओ म अटॎायस-सीरॊग-सहस्स-धारयत्तॊ<br />

अभलरम-अटॎायस-सीरॊग-सहस्स-धायणेणॊ च अखलरम-अखॊडडम-अभलरम अवियाहहम-सुटॎुग्गुग्गमय-<br />

विगचत्तालबग्गह-ननव्िाहणॊ, तओ म सुय-भनुम-नतरयछछोईरयम-घोय ऩरयसहोिसग्गाहहमासणॊ सभकयणेणॊ ।<br />

तओ म अहोयामाइ-ऩडडभासुॊ भहा-ऩमत्तॊ, तओ ननप्ऩडडकम्भ-सयीयमा ननप्ऩडडकम्भ-<br />

सयीयत्ताए म सुक्कज्झाणे ननप्ऩकॊ ऩत्तॊ, तओ म अनाइ-बि-ऩयॊऩय-सॊगचम-असेस-कम्भटॎ-यालस-खमॊ अनॊत-<br />

नाण-दॊसण-धारयत्तॊ च चउगइ-बि-चायगाओ ननप्पे डॊ सव्ि-दुक्ख-विभोक्खॊ भोक्ख-गभनॊ च, तत्थ अहदटॎ-<br />

जम्भ जया-भयणाणणटॎ सॊऩओगगटॎ विमोम-सॊतािुव्िेिगम-अमसब्बक्खाणॊ भहिाहह-िेमणा योग-सोग-दारयद्<br />

दुक्ख बम-िेभनस्सत्तॊ, तओ म एगॊनतम अछचॊनतमॊ लसि-भरमभक्खमॊ धुिॊ ऩयभ-सासमॊ ननयॊतयॊ सव्िुत्तभॊ<br />

सोक्खॊ नत, ता सव्िभेिेमॊ नाणाओ ऩित्तेज्जा ।<br />

ता गोमभा एगॊनतम-अछचॊनतम-ऩयभ-सासम-धुि-ननयॊतय-सव्िुत्तभ-सोक्ख-कॊ खुणा ऩढभमयभेि<br />

तािामयेणॊ साभाइमभाइमॊ रोग-बफॊदुसाय-ऩज्जिसाणॊ दुिारसॊगॊ सुमनाणॊ, कारॊबफराहद-जहुत्त-विहहणोिहाणेणॊ<br />

हहॊसादीमॊ च नतविहॊ नतविहेणॊ ऩडडक्कॊ तेणॊ म, सय-िॊजण-भत्ता-बफॊदुऩम-क्खयानूनगॊ ऩमछछेद-घोस-<br />

फदॎमाणुऩुच्व्ि-ऩुव्िाणुऩुव्िी अनानुऩुव्िीए सुविसुदॎॊ अचोरयक्कामएणॊ एगत्तणेणॊ सुविणणेमॊ, तॊ च गोमभा !<br />

अननहनोयऩाय-सुविच्छछन्न-चयभोमहह लभमसुदुयिगाहॊ समर-सोक्ख-ऩयभ-हेउ-बूमॊ च, तस्स म समर-सोक्ख-<br />

हेउ-बूमाओ न इटॎ-देिमा-नभोक्कायवियहहए के ई ऩायॊ गछछेज्जा, इटॎ-देिमाणॊ च नभोक्कायॊ ऩॊचभॊगरभेि<br />

गोमभा ! णो न भणणॊनत, ता ननमभओ ऩॊचभॊगरस्सेि ऩढभॊ ताि विनओिहाणॊ कामव्िॊ नत ।<br />

[४९३] से बमिॊ कमयाए विहहए ऩॊच-भॊगरस्स णॊ विनओिहाणॊ कामव्िॊ , गोमभा इभाए<br />

विहहए ऩॊचभॊगरस्स णॊ विनओिहाणॊ कामव्िॊ, तॊ जहा-सुऩसत्थे चेि सोहणे नतहह-कयण-भुहुत्त-नक्खत्त-<br />

जोग-रग्ग-ससीफरे, विप्ऩभुक्क-जामाइभमासॊके ण सॊजाम-सदॎा-सॊिेग-सुनतव्ितय-भहॊ-तुल्रसॊत-<br />

सुहज्झिसामानुगमबत्ती-फहुभान-ऩुव्िॊ ननच्णणमाण दुिारस-बत्त-हटॎएणॊ, चेइमारमे जॊतुवियहह-ओगासे,<br />

बच्त्तबय-ननब्बरुदॎुलसम-ससीसयोभािरी ऩप्पु ल्र-िमण-समित्त ऩसॊत-सोभ-गथय-हदटॎी नि-नि-सॊिेग-<br />

सभुछछरॊत सॊजाम-फहर घन-ननयॊतय अगचॊत-ऩयभ-सुह-ऩरयणाभ विसेसुल्रालसम, सजीि िीरयमाणु-सभम-<br />

वििड्ढॊत ऩभोम सुविसुदॎ सुननम्भर विभर गथय-दढमयॊतकयणेणॊ, णखनतननहहम-जाणु ण लस-उत्तभॊग-कय-<br />

कभर-भउर सोहॊजलर-ऩुडेणॊ, लसरय-उसबाइ ऩिय-िय धम्भ-नतत्थमय ऩडडभा-बफॊफ विननिेलसम-नमन-<br />

भानसेगग्ग-तग्गमज्झिसाएणॊ, सभमणणुदढचरयत्ताहद गुण-सॊऩओििेम गुरु-सद्त्थत्थाणुटॎाण कयणेक्क-फदॎ-<br />

रक्ख तिाहहम गुरुिमण-विननग्गमॊ विनमाहद-फहुभान ऩरयओसाऽनु-कॊ ऩोिरदॎॊ, अनेग-सोग सॊता-िुव्िेिग-<br />

भहिा-गधिेमणा घोय-दुक्ख दारयद्-ककरेस योग-जम्भ-जया-भयण गब्ब िास ननिासाइ-दुटॎ-सािगागाह-बीभ-<br />

बिोदहह-तयॊडग-बूमॊ इणभो ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [39] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


समरागभ-भज्झ-ित्तगस्स लभछछत्त-दोसािहम विलसटॎ फुदॎी-ऩरयकच्प्ऩम-कु बणणम-अघडभान<br />

असेस-हेउ हदटॎॊत-जुत्ती-विदॎॊस ननक्क-ऩछचर ऩोढस्स ऩॊच-भॊगर-भहासुमक्खॊधस्स ऩॊचज्झमणेग-चूरा-<br />

ऩरयच्क्खत्तस्स ऩिय-ऩिमण-देिमाहह-हटॎमस्स, नतऩद-ऩरयच्छछन्नेगारािग सत्तक्खय-ऩरयभाणॊ अनॊतगभ-<br />

ऩज्जित्थ-ऩसाहगॊ, सव्ि-भहाभॊत-ऩमय-विज्जाणॊ ऩयभ-फीम-बूमॊ, नमो अरहंताणं नत, ऩढभज्झमणॊ<br />

अहहज्जेमव्िॊ, तहद्महे म आमॊबफरेणॊ ऩायेमव्िॊ ।<br />

तहेि फीम-दीने अनेगाइ-सम-गुण-सॊऩओििेमॊ अनॊतय-बणणमत्थ-ऩसाहगॊ अनॊतरुत्तेणेि<br />

अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

कभेणॊ दुऩम ऩरयच्छछन्नेगारािग ऩॊचक्खय-ऩरयभाणॊ नमो मसदॎाणं नत फीमभज्झमणॊ अहहज्जेमव्िॊ नत,<br />

तहद्महे म आमॊबफरेण ऩायेमव्िॊ,<br />

एिॊ अनॊतय-बणणएणेि कभेणॊ अनॊतरुत्तत्थ ऩसाहगॊनत ऩम-ऩरयच्छछन्नेगारािगॊ सत्तक्खय-<br />

ऩरयभाणॊ नमो आयररयाणं नत तइमॊ अज्झमणॊ आमॊबफरेणॊ अहहज्जेमव्िॊ, तहा म अनॊतरुत्थ ऩसाहगॊ नत<br />

ऩम ऩरयच्छछन्नेगारािगॊ सत्तक्खय ऩरयभाणॊ नमो उवज्झायाणं नत चउत्थॊ अज्झमणॊ चउत्थ-हदने<br />

आमॊबफरेण एि, तहेि अनॊतय बणणमत्थ ऩसाहगॊ ऩॊचऩम-ऩरयच्छछन्नेगारिग-निक्खयऩरयभाणॊ नमो ऱोए<br />

सव्वसाहूणं नत ऩॊचभज्झमणॊ ऩॊचभ हदने आमॊबफरेण ।<br />

तहेि तॊ अत्थानुगालभमॊ एक्कायस-ऩम-ऩरयच्छछन्न-नतमारािगा-तेत्तीस अक्खय-ऩरयभाणॊ एसो<br />

ऩंचनमोक्कारो, सव्व-ऩाव-प्ऩणासणो, मंगऱाणं च सव्वेमसं, ऩढमं हवइ मंगऱं । इनत चूरॊ नत छटॎ-सत्तभ-<br />

टॎभ-हदने तेणेि कभ-विबागेण आमॊबफरेहहॊ अहहज्जेमव्िॊ एिभेमॊ ऩॊचभॊगर-भहा-सुमक्खॊधॊ सय-ित्तम-यहहमॊ<br />

ऩमक्खय-बफॊदु भत्ता-विसुदॎॊ गुरु-गुणोििेम-गुरुिइटॎॊ कलसणभहहच्ज्जत्ता णॊ तहा कामव्िॊ जहा ऩुव्िाणुऩुव्िीए<br />

ऩछछाणुऩुव्िीए अनानुऩुव्िीए जीहग्गे तयेज्जा,<br />

तओ तेनेिानॊतयबणणम-नतहह कयण-भुहुत्त-नक्खत्त जोग रग्ग ससी-फर जॊतु-वियहहओगासे<br />

चेइमारगाइकभेणॊ अटॎभ-बत्तेणॊ सभणुजाणाविऊणॊ गोमभा ! भहमा ऩफॊधेण सुऩरयपु डॊ ननउणॊ असॊहददॎॊ<br />

सुत्तत्थॊ अनेगहा सोऊण अिधायेमव्िॊ । एमाए विहीए ऩॊचभॊगरस्स णॊ गोमभा ! विनओिहाणे कामव्िे ।<br />

[४९४] से बमिॊ ! ककभेमस्स अगचॊत-गचॊताभणण-कप्ऩ-बूमस्स णॊ ऩॊचभॊगर-<br />

भहासुमक्खॊधस्स सुत्तत्थॊ ऩन्नत्तॊ गोमभा ! इमॊ एमस्स अगचॊत-गचॊताभणी-कप्ऩ-बूमस्स णॊ ऩॊचभॊगर-<br />

भहासुमक्खॊधस्स णॊ सुत्तत्थॊ-ऩन्नत्तॊ तॊ जहा-जे णॊ एस ऩॊचभॊगर-भहासुमक्खॊधे से णॊ समरागभॊतयो<br />

िित्ती नतर-तेर-कभर-भमयॊद-व्ि-सव्िरोए ऩॊचच्त्थकामलभि, जहत्थ ककरयमानुगम-सब्बूम-गुणुच्क्कत्तणे,<br />

जहहच्छछम-पर-ऩसाहगे चेि ऩयभ थुइिाए, से म ऩयभथुई के लसॊ कामव्िा<br />

सव्ि-जगुत्तभाणॊ<br />

सव्िजगुत्तभुत्तभे म जे के ई बूए जे के ई बविॊसु जे के ई बविस्सॊनत ते सव्िे चेि अयहॊतादओ चेि नो<br />

नभणणे च्त्त । ते म ऩॊचहा-अयहॊते लसदॎे आमरयए उिज्झाए साहिो म ।<br />

तत्थ एएलसॊ चेि गब्बत्थ-सब्बािो इभो, तॊ जहा-स-नयाभयासुयस्स णॊ सव्िस्सेि<br />

जगस्स अटॎ-भहा-ऩाडडहेयाइ-ऩूमाइसओिरच्क्खमॊ अनन्न-सरयसभगचॊतऩभप्ऩभेमॊ के िराहहहटॎमॊ ऩिरुत्तभत्तॊ<br />

अयहॊनत च्त्त । अयहॊता असेस-कम्भ-क्खएणॊ ननद्ड्ढ-बिॊकु यत्ताओ न ऩुणेह बिॊनत जम्भॊ नत उव्िज्जॊनत<br />

िा अरुहॊता िा । ननम्भहहम ननहम-ननद्लरम-विरूम-ननटॎविम-अलबबूम-सुदुज्जमासेस-अटॎ-ऩमायकम्भरय-<br />

उत्ताओ िा अरय-हॊते इ िा ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [40] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


एिभेते अनेगहा ऩन्नविज्जॊनत ऩरुविज्जॊनत आघविज्जॊनत ऩटॎविज्जॊनत दॊलसज्जॊनत<br />

उिदॊलसज्जॊनत ।<br />

तहा-लसदॎाणण ऩयभानॊद-भहूसि भहकल्राण-ननरूिभ-सोक्खाणण ननप्ऩकॊ ऩ-सुक्कज्झाणाइ<br />

अगचॊत-सच्त्त-साभत्थओ सजीििीरयएमॊ जोग-ननयोहाइणा भह-ऩमत्तेणणच्त्त लसदॎा । अटॎ-प्ऩमाय-<br />

कम्भक्खएण िा लसदॎॊ सज्झभेतेलसॊ नत लसदॎा, लसम-भाज्झामभेलसलभनत िा लसवदॎ, लसदॎे ननहटॎए ऩहीणे<br />

समर-ऩओमण-िाम-कमॊफभेतेलसलभनत िा लसदॎा । एिभेते इत्थी-ऩुरयस-नऩुॊस सलरॊग-अन्नलरॊग-गगहहलरॊग-<br />

ऩत्तेमफुदॎ फुदॎफोहहम जाि णॊ कम्भ-क्खम-लसदॎा म बेदेहह णॊ अनेगहा ऩन्नविज्जॊनत ।<br />

अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

तहा-अटॎायस-सीरॊग-सहस्साहहहटॎम-तनू छत्तीसइविहभामायॊ जह-हटॎमभ-गगराए-भहच्णणस<br />

अनुसभमॊ आमयॊनत ऩित्तमॊनत च्त्त आमरयमा, ऩयभप्ऩणम हहमभामयॊनत च्त्त आमरयमा, बव्ि सत्त-सीस-<br />

गणाणॊ िा हहमभामयॊनत आमरयमा, ऩाण-ऩरयछचाए वि उ ऩुढिादीणॊ सभायॊबॊ नामयॊनत नामयॊबॊनत<br />

नाणुजाणॊनत िा आमरयमा, सुभहाियदॎे वि न कस्सई भनसा वि ऩािभामयॊनत च्त्त िा आमरयमा, एिभेते<br />

नाभ-ठिणादीहहॊ अनेगहा ऩन्नविज्जॊनत ।<br />

तहा-सुसॊिुडासि-दाये-भनो-िइ-काम-जोगत्त-उिउत्ते विहहणा सय-िॊजण-भत्ता-बफॊदु-ऩमक्खय-<br />

विसुदॎ-दुिारसॊग-सुम-नाणज्झमण-ज्झािणेणॊ ऩयभप्ऩणो म भोक्खोिामॊ ज्झामॊनत च्त्त उिज्झाए ।<br />

गथय-ऩरयगचमभनॊत-गभ-ऩज्जित्थेहहॊ िा दुिारसॊगॊ सुमनाणॊ गचॊतॊनत अनुसयॊनत एगग्ग-<br />

भानसा झामॊनत च्त्त िा उिज्झाए एिभेते हह अनेगहा ऩन्नविज्जॊनत ।<br />

तहा-अछचॊत-कटॎ उग्गुग्गमय-घोयति-चयणाइ-अनेगिम-ननमभो-ििास-नानालबग्गह-विसेस-<br />

सॊजभ-ऩरयिारण सम्भॊ-ऩरयसहोिसग्गाहहमासणेणॊ सव्ि-दुक्ख-विभोक्खॊ भोक्खॊ साहमॊनत च्त्त साहिो ।<br />

अमभेि इभाए चूराए बाविज्जइ एतेलसॊ नभोक्कायो ।<br />

एसो ऩॊच नभोक्कायो ककॊ कयेज्जा सव्िॊ ऩािॊ नाणाियणीमाहद-कम्भ-विसेसॊ तॊ ऩमरयसेणॊ<br />

हदसोहदसॊ नासमइ सव्ि-ऩाि-प्ऩणासणो एस चूराए ऩढभो उद्ेसओ ।<br />

एसो ऩॊच नभोक्कायो सव्ि-ऩाि-प्ऩणासणो ककॊ विहेउ भॊगो ननव्िाण-सुह-साहणेक्क-खभो<br />

सम्भ-द्ॊसणाइ आयाहओ अहहॊसा-रक्खणो धम्भो तॊ भे राएज्जा च्त्त भॊगर । भभॊ बिाओ सॊसायओ<br />

गरेज्जा तायेज्जा िा भॊगरॊ । फदॎ-ऩुटॎननकाइम-टॎप्ऩगाय-कम्भ-यालसॊ भे गारेज्जा विरेज्जे च्त्त िा भॊगरॊ ।<br />

एएलसॊ भॊगराणॊ अन्नेलसॊ च भॊगराणॊ सव्िेलसॊ ककॊ ऩढभॊ आदीए अयहॊताईणॊ थुई चेि हिइ भगरॊ नत ।<br />

एस सभासत्थो वित्थयत्थॊ तु इभॊ तॊ जहा-ते णॊ कारे णॊ त णॊ सभए णॊ गोमभा ! जे के इ<br />

ऩुच्व्िॊ िािच्णणम-सद्त्थे अयहॊते बगिॊते धम्भ-नतत्थकये बिेज्जा, से णॊ ऩयभऩुज्जाणॊ वऩ ऩुज्जमये बिेज्जा<br />

जओ णॊ ते सव्िे वि एमरक्खण-सभच्णणए बिेज्जा तॊ जहा-अगचॊत-अप्ऩभेम-ननरुिभाणणण सरयस-ऩिय-<br />

िरुत्तभ-गुणोहाहहहटॎमत्तेणॊ नतणहॊ वऩ रोगाणॊ सॊजणणम-गरुम-भहॊत-भानसानॊदे ।<br />

तहा म जम्भॊतय-सॊगचम-गरुम-ऩुन्न-ऩब्बाय-सॊविढत्त-नतत्थमय-नाभ-कम्भोदएणॊ दीहय-<br />

गगम्हामि-सॊताि-ककरॊत-लसहह-उराणॊ िा ऩढभ-ऩाउस-धाया-बय-िरयसॊत-घन-सॊघामलभि ऩयभ-हहओिएस-<br />

ऩमाणाइणा घन-याग-दोस-भोह-लभछछत्तावियनत-ऩभाम-दुटॎ-ककलरटॎज्झिसामाइ-सभच्ज्जमासुह-घोय-ऩाि-<br />

कम्भामि-सॊतािस्स ननणणासगे बव्ि-सत्ताणॊ, अनेग जम्भॊतय-सॊविढत्त-गुरुम-ऩुन्न-ऩब्बायाइसम-फरेणॊ<br />

सभच्ज्जमाउर फर-िीरयए सरयमॊ सत्तॊ-ऩयक्कभाहहहटॎमतणू, सुकॊ त-हदत्त-चारु-ऩामॊगुटॎग्ग-रूिाइसएणॊ समर-<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [41] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


गह-नक्खत्त-चॊदऩॊतीणॊ सूरयए इि ऩमड ऩमाि दस-हदलस-ऩमास विप्पु यॊत-ककयण-ऩब्बायेण ननमतेमसा<br />

विछछामगे समर सविज्जाहय-नयाभयाणॊ सदेि-दानविॊदाणॊ सुयरोगाणॊ, सोहग्ग-कॊ नत-हदच्त्त-रािणण-रूि-<br />

सभुदम-लसरयए, साहाविम-कम्भक्खम-जननम-हदव्िकम-ऩिय-ननरुिभाणणण सरयस-विसेस साइसमाइ-<br />

समसमर करा-कराि विछछडुऩरयदॊसणेणॊ, बिणिइ-िाणभॊतय-जोइस-िेभाणणमाहलभॊद सइॊदछछया-सककन्नय-<br />

नय-विज्जाहयस्स ससुयासुयस्सा वि णॊ जगस्स, अहो अहो अहो! अज्ज अहदटॎऩुव्िॊ हदटॎभम्हेहहॊ ।<br />

इणभो सविसेसाउर-भहॊतागचॊत-ऩयभछछेयम-सॊदोहॊ सभ-गार भेिेगटॎसभुइमॊ हदटॎॊ नत<br />

अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

तक्खणुप्ऩन्न-घन-ननयॊतय-फहरभप्ऩभेमागचॊत अॊतोसहरयस-ऩीमाणुयामिस-ऩविमॊबॊताणु सभम-अहहणिा-<br />

हहणि-ऩरयणाभ-विसेसत्तेणॊ भह भह भहॊ ! नत जॊवऩय-ऩयोप्ऩयाणॊ विसामभुिगमॊ ह ह ह ! धी गधयत्थु !<br />

अधन्ना अऩुन्ना िमॊ इइ णणॊहदय-अत्ताणगभ, नॊतय-सॊखुहहम-हहमम-भुच्छछय-सुरदॎ-चेमण सुणण-िुणण-<br />

लसहढलरम-सगत्त-आउॊ चण-ऩसायणा उम्भेस-ननभेसाइ-सारयरयम-िािाय-भुक्क-के िरॊ अनोिरक्ख-खरॊत-भॊद-<br />

भॊद-दीह-हूहुॊकाय विलभस्स-भुक्क दीहुणह-फहर-नीसासेगत्तेणॊ अइअलबननविटॎ फुदॎीसुननच्छछम-भनस्स णॊ<br />

जगस्स, ककॊ ऩुण तॊ तिभनुचेटॎेभो जेणेरयसॊ ऩियरयवदॎॊ रबेज्ज च्त्त तग्गम-भनस्स णॊ, दॊसणा चेि ननम-<br />

ननम-िछछत्थर-ननहहप्ऩॊत-कयमरुप्ऩाइम-भहॊत-भानस-चभक्काये ।<br />

ता गोमभा! णॊ एिभाइ-अनॊत-गुणगणाहहहटॎम-सयीयाणॊ तेलसॊ सुगहहम-नाभधेज्जाणॊ अयहॊताणॊ<br />

बगिॊताणॊ धम्भनतत्थगयाणॊ सॊनतए गुण-गणोहयमण-सॊदोहोह-सॊघाए अहच्णणसानुसभमॊ जीहा-सहस्सेणॊ वऩ<br />

िागयॊतो सुयिई वि अन्नमये िा के ई चउनाणी भहाइसईम-छउभत्थेणॊ समॊबुयभणोिहहस्स ि िास-कोडीहहॊ<br />

वऩ नो ऩायॊ गछछेज्जा, जओ णॊ अऩरयलभम-गुण-यमणे गोमभा ! अयहॊते बगिॊते धम्भनतत्थगये बिॊनत ता<br />

ककलभत्थॊ बणणउ जत्थ म णॊ नतरोग-नाहाणॊ जग-गुरुणॊ-बुिनेक्क-फॊधूणॊ तेरोक्क-रग्गणखॊब-ऩिय-िय-<br />

धम्भनतत्थगॊयाणॊ के इ सुरयॊदाइ-ऩामॊगुटॎग्ग-एग-देसाओ अनेगगुण-गणारॊ-करयमाओ बच्त्त-बयणणब्बरयक्क-<br />

यलसमाणॊ ।<br />

सव्िेलसॊ वऩ िा सुयीसाणॊ अनेग-बिॊतय-सॊगचम अननटॎ -दुटॎ-टॎकम्भ-यासी-जननम-जोगछच-<br />

दोभनसाहद-दुक्ख-दारयद्-ककरेस-जम्भ-जया-भयण-योग-सोग सॊता-िुव्िेग-िाहहिेमणाईण खमटॎाए एग-<br />

गुणस्सानॊत-बागभेगॊ बणभाणाणॊ जभग-सभगभेि हदनमयकये इ िानेग-गुण-गणोहे जीहग्गे वि पु यॊनत, ताइॊ<br />

च न सक्कालसॊदा वि देिगणा सभकारॊ बाणणऊणॊ ककॊ ऩुण अके िरी भॊस-चक्खुणो ता गोमभा ! णॊ एस<br />

एत्थ ऩयभत्थे विमाणेमव्िॊ ।<br />

जहा-णॊ जइ नतत्थगयाणॊ सॊनतए गुण-गणोहे नतत्थमये चेि िामयॊनत न उण अन्ने जओ णॊ<br />

सानतसमा तेलसॊ बायती, अहिा गोमभा ! ककभेत्थ ऩबूम-िागयणेणॊ सायत्थॊ बणणए ।<br />

[४९५] नाभॊ वऩ समर-कम्भटॎ-भर-करॊके हहॊ विप्ऩभुक्काणॊ ।<br />

नतमलसॊद च्छचम-चरणाण च्जन-िरयॊदाण जो सयइ ।।<br />

[४९६] नतविह-कयणोिउत्तो खणे खणे सीर-सॊजभुज्जुत्तो ।<br />

अवियाहहम िम-ननमभो सो वि हु अइयेण लसज्झेज्जा ।।<br />

[४९७] जो उण दुह-उच्व्िग्गो सुह-तणहारू अलर व्ि कभर-िने ।<br />

थम-थुइ-भॊगर-जम-सद् िािडो रुणु रुणे ककॊ गच ।।<br />

[४९८] बच्त्त-बय-ननब्बयो च्जन-िरयॊद ऩामायविॊद-जुग-ऩुयओ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [42] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


बूभी-ननटॎविम-लसयो कमॊजरी-िािडो चरयत्तड्ढो ।।<br />

[४९९] एक्कॊ वऩ गुणॊ हहमए धयेज्ज सॊकाइ-सुदॎ-सम्भत्तो ।<br />

अक्खॊडडम-िम-ननमभो नतत्थमयत्ताए सो लसज्झे ।।<br />

[५००] जेलसॊ च णॊ सुगहहम-नाभग्गहणाणॊ नतत्थमयाणॊ गोमभा ! एस जग-ऩामडे<br />

भहछछेयमबूए बुमणस्स वि ऩमडऩामडे भहॊताइसए ऩविमॊबे तॊ जहा--<br />

[५०१] खीणटॎ-कम्भ-ऩामा भुक्का फहु-दुक्ख-गब्बिसहीणॊ ।<br />

अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

ऩुनयवि अ ऩत्तके िर-भनऩज्जि-नाण-चरयतभणू ।।<br />

[५०२] भह जोइणो वि फहु दुक्ख भमय-बि-सागयस्स उच्व्िग्गा ।<br />

दटॎूणयहाइसए बिहुत्तभणा खणॊ जॊनत ।।<br />

[५०३] अहिा गचटॎउ ताि सेसिागयणॊ गोमभा! एमॊ चेि धम्भनतत्थॊकये च्त्त नाभ-सच्न्नहहमॊ<br />

ऩियक्खरुव्िहणॊ तेलसभेि सुगहहमनाभ-धेज्जाणॊ बुिनेक्क फॊधूणॊ अयहॊताणॊ बगिॊताणॊ च्जनिरयॊ- दाणॊ<br />

धम्भनतत्थॊकयाणॊ छज्जे, न अन्नेलसॊ जओ म नेगजम्भॊतयऽब्बत्थ-भहोिसभ-सॊिेग-ननव्िेमानुकॊ ऩा<br />

अच्त्थत्तालबित्तीसरणक्खण-ऩिय-सम्भ-द्ॊसणुल्रसॊत-विरयमाननगूहहम-उग्ग-कटॎ-घोयदुक्कय-ति ननयॊतय-<br />

च्ज्जम उत्तुॊग -ऩुन्न-खॊध-सभुदम-भहऩब्बाय-सॊविढत्त-उत्तभ-ऩिय-ऩवित्त-विस्स-कलसण-फॊधु-नाह सालभसार<br />

अनॊत-ित्त-बि-बाि नछन्न-लबन्न-ऩािफॊधणेक्क-अबफइज्ज-नतत्थमय-नाभकम्भ-गोमणणलसम-सुकॊ त-हदत्त-<br />

चारु-रुि दस-हदलस-ऩमास ननरुिभटॎ-रक्खण-सहस्सभॊडडमजगुत्तभुत्तभ-लसरय ननिास-िासिाइ-देि-भनुम-<br />

हदटॎ-भेत्तत-क्खणॊतॊ कयण-राइम चभक्क-नमन-भानसाउर-भहॊत-विम्हम-ऩभोम-कायम असेस-कलसण-<br />

ऩािकम्भ भर-करॊक-विप्ऩ-भुक्कसभचउयॊस-ऩिय-िय-ऩढभ-िज्जरयसब-नायाम-सॊघमणाहहहटॎम ऩयभ-<br />

ऩवित्तुत्तभ भुच्त्त धये ते चेि बगिॊते भहामसे भहासत्ते भहानुबागे ऩयभेटॎी-सदॎम्भ-नतत्थकये बिॊनत ।<br />

[५०४] समर-नयाभय नतमलसॊद सुॊदयी रूि कॊ नत रािणणॊ ।<br />

सव्िॊ वऩ होज्ज जइ एगयालसॊ-सवऩॊडडमॊ कह वि ।।<br />

[५०५] ता तॊ च्जन-चरणॊगुटॎग्ग-कोडड-देसेग-रक्ख-बागस्स ।<br />

सच्न्नज्झे वि न सोहइ जह छाय-उडॊ कॊ चनगगरयस्स च्त्त ।।<br />

[५०६] अहिा नाऊण गुणॊतयाइॊ अन्नेलसऊण सव्ित्थ ।<br />

नतत्थमय गुणाणभनॊत बागभरब्बॊतभन्नत्थ ।।<br />

[५०७] जॊ नतहुमणॊ वऩ समरॊ एगीहोऊणभुब्फभेगहदसॊ ।<br />

बागे गुणाहहओ ऽम्हॊ नतत्थमये ऩयभऩुज्जे च्त्त ।।<br />

[५०८] ते च्छचम अछचे िॊदे ऩूए आयाहे गइ-भइ-सयणणे म ।<br />

जम्हा तम्हा ते चेि बािओ नभह धम्भनतत्थमये ।।<br />

[५०९] रोगे वि गाभ-ऩुय-नगय विसम-जणिम सभग्ग-बयहस्स ।<br />

जो जेच्त्तमस्स साभी तस्साणच्त्तॊ ते करयॊनत ।।<br />

[५१०] नियॊ गाभाहहिई सुटॎु सुतुटॎेक्क गाभ-भज्झाओ ।<br />

ककॊ देज्ज जस्स ननमगॊ छेराए तेच्त्तमॊ ऩुॊछॊ ।।<br />

[५११] चक्कहयो रीराए सुटॎु सुथेिॊ वऩ देइ जभगणणॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [43] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-२, उद्ेसो-३<br />

तेण म कभागम-गुरु दरयद्-नाभॊ स नासेइ ।।<br />

[५१२] साभॊता चक्कहयॊ चक्कहयो सुयिइत्तणॊ कॊ खे, इॊदो नतत्थमयत्तॊ ।<br />

नतत्थमये उण जगस्सा वि जहहच्छछम-सुह-परए ।।<br />

[५१३] तम्हा जॊ इॊदेहहॊ वि कॊ णखज्जइ एग-फदॎ-रक्खेहहॊ ।<br />

अइसाणुयाम-हहमएहहॊ उत्तभॊ तॊ न सॊदेहो ।।<br />

[५१४] ता समर देि-दानि गह-रयक्ख सुरयॊद-चॊदभादीणॊ ।<br />

नतत्थमये ऩुज्जमये ते च्छचम ऩािॊ ऩणासेंनत ।।<br />

[५१५] तेलस म नतरोग-भहहमाण धम्भनतत्थॊकयाणॊ जग-गुरुणॊ ।<br />

बािछचण दव्िछचण बेदेण दुह ऽछचणॊ बणणमॊ ।।<br />

[५१६] बािछचण-चारयत्ताणुटॎाण कटॎुग्ग-घोय-ति-चयणॊ ।<br />

दव्िछचणवियमावियम सीर-ऩूमा सक्काय दानादी ।।<br />

[५१७] ता गोमभा ! णॊ एसे ऽत्थ ऩयभत्थे ! तॊ जहा-<br />

बािछचणभुग्ग-विहायमा म दव्िछचणॊ तु च्जन-ऩूमा ।<br />

ऩढभा जतीण दोच्णण वि गगहीण ऩढभ च्छचम ऩसत्था ।।<br />

[५१८] एत्थॊ च गोमभा के ई अभुणणम-सभम-सब्बािे ओसन्न-विहायी नीमिालसणो अहदटॎ-<br />

ऩयरोग-ऩछचिाए, समॊभती, इड्हढ-यस-साम-गायिाइभुच्छछए, याग-दोस-भोहाहॊकाय-भभी-कायइसु ऩडडफदॎे,<br />

कलसण सॊजभ-सदॎाम्भ-ऩयम्भुहे, ननद्म-ननच्त्तॊस-ननच्ग्घण-अकु रण-ननच्क्किे, ऩािाम-यणेक्क-अलबननविटॎ-फुदॎी<br />

एगॊतेणॊ अइचॊड-योद्-कू यालबग्गहहम-लभछछ-हद्हटॎणो, कम-सव्ि-सािज्ज-जोग-ऩछचक्खाणे विप्ऩ-भुक्कासेस-<br />

सॊगायॊब ऩरयग्गहे नतविहॊ नतविहेणॊ ऩडडिणण-साभाइए म दव्ित्ताए न बाित्ताए नाभ-भेत्तभुॊडे अनगाये<br />

भहव्िमधायी सभणे वि बवित्ता णॊ एिॊ भणणाभाणे सव्िहा उम्भग्गॊ ऩित्तॊनत, जहा-ककर अम्हे अयहॊताणॊ<br />

बगिॊताणॊ गॊध-भल्र-ऩदीि-सम्भज्जणोिरेिण-विगचत्त-ित्थ-फलर-धूमाइ-तेहहॊ ऩूमा-सक्कायेहहॊ<br />

अनुहदमहभब्बछचणॊ ऩकु व्िाणा नतत्थुछछप्ऩणॊ कयेभो, तॊ च िामाए वि नो णॊ तह च्त्त सभणु-जाणेज्जा ।<br />

से बमिॊ ! के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ, जहा णॊ तॊ च नो णॊ तह च्त्त सभणुजाणेज्जा गोमभा!<br />

तमत्थानुसायेणॊ असॊजभ-फाहुल्रॊ असॊजभ-फाहुल्रेणॊ च थूरॊ कम्भासिॊ थूर-कम्भासिाओ<br />

म अज्झिसामॊ ऩडुछचा थूरेमय-सुहासुह-कम्भऩमडी-फॊधो सव्ि-सािज्ज-वियमाणॊ च िम-बॊगो, िम-<br />

बॊगेणॊ च आणा इक्कभे आणाइक्कभेणॊ तु उम्भग्ग-गालभत्तॊ उम्भग्ग-गालभत्तेणॊ च सम्भग्ग-विप्ऩरो-<br />

मणॊ उम्भग्ग-ऩित्तणॊ [च], सम्भग्ग-विप्ऩरोमणेणॊ उम्भग्ग-ऩित्तणेणॊ च जतीणॊ भहती आसामणा तओ<br />

म अनॊत-सॊसायाहहॊडणॊ, एएणॊ अटॎेणॊ गोमभा ! एिॊ िुछचइ-जहा णॊ गोमभा ! नो णॊ तॊ तह च्त्त<br />

सभणुजाणेज्जा ।<br />

[५१९] दव्ित्थिाओ बाित्थमॊ तु दव्ित्थओ फहु गुणो बिउ तम्हा ।<br />

अफुहजने फुदॎीमॊ छक्कामहहमॊ तु गोमभा ऽणुटॎे ।।<br />

[५२०] अकलसण-ऩित्तगाणॊ वियमा ऽवियमाण एस खरु जुत्तो ।<br />

जे कलसण-सॊजभविऊ ऩुप्पादीमॊ न कप्ऩए तेलसॊ [तु] ।।<br />

[५२१] ककॊ भन्ने गोमभा ! एस फत्तीलसॊदाणु गचहटॎए ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [44] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

जम्हा तम्हा उ उबमॊ वऩ अनुटॎेज्जेत्थ नु फुज्झसी ।।<br />

[५२२] विननओगभेिॊ तॊ तेलसॊ बाित्थिासॊबिो तहा ।<br />

बािछचणा म उत्तभमॊ दसणणबद्ेण ऩामडे ।<br />

जहेि दसणणबद्ेणॊ उमाहयणॊ तहेि म ।।<br />

[५२३] चक्कहय-बानु-सलस-दत्त दभगादीहहॊ विननहद्से ।<br />

ऩुव्िॊ ते गोमभा ! ताि जॊ सुरयॊदेहहॊ बच्त्तओ ।।<br />

[५२४] सच्व्िड्हढए अनन्न-सभे ऩूमा-सक्काये कए ।<br />

ता ककॊ तॊ सव्ि-सािज्जॊ नतविहॊ वियएहह ऽनुहटॎमॊ ।।<br />

[५२५] उमाहु सव्ि-थाभेसुॊ सव्िहा अवियएसु उ ।<br />

ननु बमिॊ सुयिरयॊदेहहॊ सव्ि-थाभेसु सव्िहा ।।<br />

[५२६] अवियएहहॊ सुबत्तीए ऩूमा-सक्काये कए ।<br />

ता जइ एिॊ तओ फुज्झ गोमभा ! नीसॊसमॊ ।<br />

देस-वियम-अवियमाणॊ तु विननओगभुबमत्थ वि ।।<br />

[५२७] समभेि सव्ि-नतत्थॊकयेहहॊ जॊ गोमभा ! सभामरयमॊ ।<br />

कलसणटॎ-कम्भक्खम-कायमॊ तु बाित्थमभणुटॎे ।।<br />

[५२८] बि-बीओ गभागभ-जॊतु परयसणाइ-ऩभद्णॊ जत्थ ।<br />

स-ऩय-हहओियमाणॊ न भनॊ वऩ ऩित्तए तत्थ ।।<br />

[५२९] ता स-ऩयहहओियएहहॊ सव्िहा ऽनेलसमव्िॊ विसेसॊ ।<br />

जॊ ऩयभसायबूमॊ विसेसिॊतॊ च अनुटॎेमॊ ।।<br />

[५३०] ता ऩयभसाय-बूमॊ विसेसिॊतॊ च साहुिग्गस्स ।<br />

एगॊत-हहमॊ ऩत्थॊ सुहािहॊ ऩमडऩयभत्थॊ [तॊ जहा ] ।।<br />

[५३१] भेरुत्तुॊगे भणण-भॊडडएक्क कॊ चणगए ऩयभयम्भे ।<br />

नमन-भनाऽऽनॊदमये ऩबूम-विणणाण-साइसए ।।<br />

[५३२] सुलसलरटॎ-विलसटॎ-सुरटॎ छॊद-सुविबत्त-भुनन-िेसे ।<br />

फहुलसॊघमणण-घॊिा धमाउरे ऩियतोयण-सनाहे<br />

।।<br />

[५३३] सुविसार-सुविच्त्थन्ने ऩए ऩए ऩेच्छछमव्ि-लसयीए ।<br />

भघ-भघ-भघेंत-डज्झॊत अगरु-कप्ऩूय-चॊदणाभोए<br />

।।<br />

[५३४] फहुविह-विगचत्त-फहुऩुप्पभाइ ऩूमारुहे सुऩूए म ।<br />

ननछच-ऩणच्छचय नाडम-समाउरे भहुय-भुख-सद्ारे<br />

।।<br />

[५३५] कु द्ॊत-यास-जन-सम-सभाउरे च्जन-कहा-णखत्त-गचत्ते ।<br />

ऩकहॊत-कहग-नछचॊत छत्त-गॊधव्ि-तूय-ननग्घोसे ।।<br />

[५३६] एभाहद-गुणोिेए ऩए ऩए सव्िेभेइणी िटॎे ।<br />

ननम-बुम-विढत्त-ऩुन्नच्ज्जएण नामागएण अत्थेण ।।<br />

[५३७] कॊ चन-भणणसोभाणे थॊब-सहस्सूलसए सुिणणतरे ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [45] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

जो कायिेज्ज च्जनहये तओ वि ति-सॊजभो अनॊत-गुणो ।।<br />

[५३८] ति-सॊजभेण फहु-बि-सभच्ज्जमॊ ऩाि-कम्भ-भर-रेिॊ ।<br />

ननदॎोविऊण अइया अनॊत-सोक्ख िए भोक्खॊ ।।<br />

[५<strong>३९</strong>] काउॊ वऩ च्जनाममणेहहॊ भॊडडमॊ सव्िभेइणी-िटॎॊ ।<br />

दानाइ-चउक्के णॊ सुटॎु वि गछछेज्ज अछचुमगॊ ।।<br />

[५४०] न ऩयओ गोमभा ! गगहह च्त्त ।<br />

जइ ता रिसत्तभ-सुय-विभाणिासी वि ऩरयिडॊनत सुया ।<br />

सेसॊ गचॊनतज्जॊतॊ सॊसाये सासमॊ कमयॊ ।।<br />

[५४१] कह तॊ बणणउ सोक्खॊ सुगचयेण वि जत्थ दुक्खभच्ल्रमइ ।<br />

जॊ च भयणािसाणॊ सुथेि-कारीम-तुछछॊ तु ।।<br />

[५४२] सव्िेण वि कारेणॊ जॊ समर-नयाभयाण बिइ सुहॊ ।<br />

तॊ न घडइ समभनुबूमाभोक्ख-सोक्खस्स ऽनॊत-बागे वि ।।<br />

[५४३] सॊसारयम-सोक्खाणॊ सुभहॊताणॊ वऩ गोमभा ! नेगे ।<br />

भज्झे दुक्ख-सहस्से घोय-ऩमॊडेणुबुॊजॊनत ।।<br />

[५४४] ताइॊ च साम-िेओमएण न माणॊनत भॊदफुदॎीए ।<br />

भणण-कनगसेरभमरोढ गॊगरे जह ि िणण-धूमा ।।<br />

[५४५] भोक्ख-सुहस्स उ धम्भॊ सदेि-भनुमासुये जगे एत्थॊ ।<br />

नो बाणणऊण सक्का नगय-गुणे जहेि म ऩुलरॊदो ।।<br />

[५४६] कह तॊ बणणउ ऩुन्नॊ सुगचयेण वि जस्स दीसए अॊतॊ ।<br />

जॊ च वियसािसाणॊ जॊ सॊसायानुफॊगधॊ च ।।<br />

[५४७] तॊ सुय-विभान-विहिॊ गचॊनतम-चिणॊ च देिरोगाओ ।<br />

अइिलरमॊ गचम हहममॊ जॊ न वि सम-लसक्कयॊ जाइ ।।<br />

[५४८] नयएसु जाइॊ अइदूसहाइॊ दुक्खाइॊ ऩयभ-नतक्खाइॊ ।<br />

को िणणेही ताइॊ जीिॊतो िास-कोडडॊ वऩ ।।<br />

[५४९] ता गोमभ ! दसविह धम्भ-घोय-ति-सॊजभाणुठाणस्स ।<br />

बाित्थिलभनत नाभॊ तेणेि रबेज्ज अक्खमॊ सोक्खॊ-नत ।।<br />

[५५०] नायग-बि-नतरयम-बिे अभय-बिे सुयइत्तणे िा वि ।<br />

नो तॊ रब्बइ गोमभ ! जत्थ ि तत्थ ि भनुम-जम्भे ।।<br />

[५५१] सुभहऽछचॊत-ऩहीणेसु सॊजभाियण-नाभधेज्जेसु ।<br />

ताहे गोमभ ! ऩाणी बाित्थम जोगमभुिेइ ।।<br />

[५५२] जम्भॊतय-सॊगचम गरुम-ऩुन्न ऩब्बाय-सॊविढत्तेण ।<br />

भानुस-जम्भेण विना नो रब्बइ उत्तभॊ धम्भॊ ।।<br />

[५५३] जस्सानुबािओ सुचरयमस्स ननस्सल्र दॊबयहहमस्स ।<br />

रब्बइ अउरभनॊतॊ अक्खम-सोक्खॊ नतरोमग्गे ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [46] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

[५५४] तॊ फहु-बि-सॊगचम तुॊग-ऩाि-कम्भटॎ-यालस दहणटॎॊ ।<br />

रदॎॊ भानुस-जम्भॊ वििेगभादीहहॊ सॊजुत्तॊ ।।<br />

[५५५] जो न कु णइ अत्तहहमॊ सुमानुसायेण आसिननयोहॊ ।<br />

छ-नतग्ग-सीरॊग-सहस्स धायणेणॊ तु अऩभत्ते ।।<br />

[५५६] सो दीहय-अव्िोच्छछन्न घोय-दुक्खच्ग्ग-दाि-ऩज्जलरओ ।<br />

उव्िेविम सॊतत्तो अनॊतहुत्तो सुफहुकारॊ ।।<br />

[५५७] दुग्गॊधाऽभेज्झ-गचरीण खाय-वऩत्तोज्झ लसॊब-ऩडहछछे ।<br />

िस-जरुस-ऩूम-दुहद्न गचलरच्छचल्रे रुहहय-गचक्खल्रे ।।<br />

[५५८] कढ-कढ-कढॊत चर-चर-चरस्स िर-िर-िरस्स यज्झॊतो ।<br />

सॊवऩॊडडमॊगभॊगो जोणी-जोणी िसे गब्बे ।<br />

एक्के क्क-गब्ब-िासेसु जॊनतमॊगो ऩुनयवि बभेज्जा ।।<br />

[५५९] ता सॊतािुव्िेग जम्भ-जया-भयण गब्ब-िासाई ।<br />

सॊसारयम-दुक्खाणॊ विगचत्त-रूिाण बीएणॊ ।।<br />

[५६०] बाित्थिानुबािॊ असेस-बि-बम-खमॊकयॊ नाउॊ ।<br />

तत्थेि भहॊता बुज्जभेणॊ दढभछचॊतॊ ऩमइमव्िॊ ।।<br />

[५६१] इम विज्जाहय-ककन्नय-नयेण ससुया ऽसुयेण वि जगेण ।<br />

सॊथुव्िॊते दुविहत्थिेहहॊ ते नतहुमणेक्कीसे ।।<br />

[५६२] गोमभा! धम्भनतत्थॊकये च्जने अयहॊते च्त्त ।<br />

अह तारयसे वि इड्ढी-ऩवित्थये समर-नतहुमणाउलरए ।<br />

साहीणे जग-फॊधू भनसा वि न जे खणॊ रुदॎे ।।<br />

[५६३] तेलसॊ ऩयभीसरयमॊ रूि-लसयी-िणण-फर-ऩभाणॊ च ।<br />

साभत्थॊ जस-ककत्ती सुय-रोग-चुए जहेह अिमरयए ।।<br />

[५६४] जह काऊण ऽन्न-बिे उग्गतिॊ देिरोगभनुऩत्ते ।<br />

नतत्थमय-नाभ-कम्भॊ जह फदॎॊ एगाइ-िीसइ-थाभेसु ।।<br />

[५६५] जह सम्भत्तॊ ऩत्तॊ साभणणायाहणा म अन्न-बिे ।<br />

जह म नतसरा उ लसदॎत्थ-धरयणी चोद्स-भहा-सुलभण-रॊबॊ ।।<br />

[५६६] जह सुयहह-गॊध-ऩक्खेिगब्ब िसहीए असुहभिहयणॊ ।<br />

जह सुयनाहो अॊगुटॎऩव्िॊ नलभमॊ भहॊत-बत्तीए ।।<br />

[५६७] अभमाहायॊ बत्तीए देइ सॊथुणइ जाि म ऩसूओ ।<br />

जह जाम-कम्भ-विननओग कारयमाओ हदसा कु भायीओ ।।<br />

[५६८] सव्िॊ ननम कत्तव्िॊ ननव्ित्तॊती जहेि बत्तीए ।<br />

फत्तीस-सुय-िरयॊदा गरुम-ऩभोएण सव्ि-रयदॎीए ।।<br />

[५६९] योभॊच-कॊ चु ऩुरइम बच्त्तब्बय भोइम-सगत्ते ।<br />

भन्नॊते सकमत्थॊ जम्भॊ अम्हाण भेरुगगरय-लसहये ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [47] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

[५७०] होही खणॊ अप्पालरम सूसय-गॊबीय-दु ॊदुहह-ननग्घोसा ।<br />

जम-सद्-भुहर-भॊगर-कमॊजरी जह म खीय-सलररेणॊ ।।<br />

[५७१] फहु-सुयहह-गॊधिालसम कॊ चन-भणण तुॊग-करसेहहॊ ।<br />

जम्भाहहसेम-भहहभॊ कयेंनत जह च्जनियो गगरयॊ चारे ।।<br />

[५७२] जह इॊदॊ िामयणॊ बमिॊ िामयइ अटॎ-िरयसो वि ।<br />

जह गभइ कु भायत्तॊ ऩरयणे फोहहॊनत जह ि रोगॊनतमा देिा ।।<br />

[५७३] जह-िम-ननक्खभण-भहॊ कयेंनत सव्िे सुयीसया भुइमा ।<br />

जह अहहमासे घोये ऩयीसहे हदव्ि-भाणुस-नतरयछछे ।।<br />

[५७४] जह घन-घाइचउक्कॊ कम्भॊ दहइ घोयति-ज्झाण-जोग्ग-अग्गीए ।<br />

रोगाऽरोग-ऩमासॊ उप्ऩाए जहि के िरन्नाणॊ ।<br />

[५७५] के िर-भहहभॊ ऩुनयवि काऊणॊ जह सुयीसयाईमा ।<br />

ऩुछछॊनत सॊसए धम्भ नाम-ति-चयणभाईए ।<br />

[५७६] जह ि कहेइ च्जणणॊदो सुय-कम-सीहासनोिविटॎो म ।<br />

तॊ चउविह-देि-ननकाम-ननच्म्भमॊ जह ि िय-सभिसयणॊ ।<br />

तुरयमॊ कयेंनत देिा जॊ रयदॎीए जगॊ तुरइ ।।<br />

[५७७] जत्थ सभोसरयओ सो बुिनेक्क-गुरू भहामसो अयहा ।<br />

अटॎभह-ऩाडडहेयम-सुगचॊगधमॊ िहइ नतत्थमॊ नाभॊ ।।<br />

[५७८] जह ननद्रह असेसॊ लभछछत्तॊ गचक्कणॊ वऩ बव्िाणॊ ।<br />

ऩडडफोहहऊण भग्गे ठिेइ जह गणहया हदक्खॊ ।।<br />

[५७९] गगणहॊनत भहा-भइणो सुत्तॊ गॊथॊनत जह ि म च्जणणॊदो ।<br />

बासे कलसणॊ अत्थॊ अनॊत-गभ-ऩज्जिेहहॊ तु ।।<br />

[५८०] जह लसज्झइ जग-नाहो भहहभॊ नेव्िाण-नालभमॊ जहॊ म ।<br />

सव्िे वि सुय-िरयॊदा असॊबिे तह वि भुछचॊनत ।।<br />

[५८१] सोगत्ता ऩगरॊतॊसु धोम-गॊडमर-सयसइ-ऩिाहॊ ।<br />

करुणॊ विराि-सद्ॊ हा सालभ ! कमा अनाह ! च्त्त ।।<br />

[५८२] जह सुयहह-गॊध-गच्ब्बण भहॊत-गोसीस-चॊदन-दुभाणॊ ।<br />

कटॎेहहॊ विही-ऩुव्िॊ सक्कायॊ सुयिया सव्िे ।।<br />

[५८३] काऊणॊ सोगत्ता सुणणे दस-हदलस-िहे ऩरोमॊता ।<br />

जह खीय-सागये च्जन-ियाण अटॎी ऩक्खालरऊणॊ च ।।<br />

[५८४] सुय-रोए-नेऊणॊ आलरॊऩेऊण ऩिय-चॊदन-यसेणॊ ।<br />

भॊदाय-ऩारयमामम समित्त-सहस्सऩत्तेहहॊ ।।<br />

[५८५] जह अछचेऊणॊ सुया ननम-बिनेसु जह ि म थुणॊनत ।<br />

[तॊ सव्िॊ भहमा वित्थयेण अयहॊत-चरयमालबहाणे<br />

] ।<br />

अॊतगडदसानॊत-भज्झाओ कलसणॊ विन्नेम ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [48] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

[५८६] एत्थॊ ऩुण जॊ ऩगमॊ तॊ भोत्तु जइ बणेह तािेमॊ ।<br />

हिइ असॊफदॎगुरुमॊ गॊथस्स म वित्थयभनॊतॊ ।।<br />

[५८७] एमॊ वऩ अऩत्थािे सुभहॊतॊ कायणॊ सभुिइस्स ।<br />

जॊ िागरयमॊ तॊ जाण बव्ि-सत्ताण अनुग्गहटॎाए ।।<br />

[५८८] अहिा जत्तो जत्तो बच्क्खज्जइ भोमगो सुसॊकरयओ ।<br />

तत्तो तत्तो वि जने अइगरुमॊ भाणसॊ ऩीइॊ ।।<br />

[५८९] एिलभह अऩत्थािे वि बच्त्त-बय-ननब्बयाण ऩरयओसॊ ।<br />

जणमइ गरुमॊ च्जन-गुण गहणेएक्क-यसच्क्खत्त-गचत्ताणॊ ।।<br />

[५९०] एमॊ तु जॊ ऩॊचभॊगर-भहासुमक्खॊधस्स िक्खाणॊ तॊ भहमा ऩफॊधेणॊ अनॊत-गभ-<br />

ऩज्जिेहहॊ सुत्तस्स म वऩहब्बूमाहहॊ ननज्जुत्ती-बास-चुणणीहहॊ जहेि अनॊत-नाण-दॊसण-धयेहहॊ नतत्थ-मयेहहॊ<br />

िक्खाणणमॊ तहेि सभासओ िक्खाणणज्जॊ तॊ आलस, अहणणमा कार-ऩरयहाणण-दोसेणॊ ताओ ननज्जुत्ती-बास<br />

चुणणीओ िोच्छछन्नाओ इओ म िछचॊतेणॊ कार सभएणॊ भहहड्ढी-ऩत्ते ऩमाणुसायी िइयसाभी नाभ<br />

दुिारसॊगसुमहये सभुप्ऩन्ने, तेणे मॊ ऩंच-मंगऱ-महा-सुयक्खंधस्स उदॎारो मूऱ-सुत्तस्स मज्झे मऱहहओ,<br />

भूरसुत्तॊ ऩुण सुत्तत्ताए गणहयेहहॊ अत्थत्ताए अयहॊतेहहॊ बगिॊतेहहॊ धम्भ-नतत्थॊकयेहहॊ नतरोग-भहहएहहॊ िीय-<br />

च्जणणॊदेहहॊ ऩन्नविमॊ नत, एस िुड्ढसॊऩमाओ ।<br />

[५९१] एत्थ म जत्थ ऩमॊ ऩएणा ऽणुरग्गॊ सुत्तारािगॊ न सॊऩज्जइ तत्थ तत्थ सुमहयेहहॊ<br />

कु लरहहम-दोसो न दामव्िो च्त्त, ककॊ तु जो सो एमस्स अगचॊत-गचॊताभणी-कप्ऩबूमस्स भहाननसीह-<br />

सुमक्खॊधस्स ऩुव्िामरयसो आलस, तहहॊ चेि खॊडाखॊडीए उद्ेहहमाइएहहॊ हेऊहहॊ फहिे ऩन्नगा ऩरयसडडमा, तहा<br />

वि अछचॊत-सुभहत्थाइसमॊ नत इभॊ भहाननसीह-सुमक्खॊधॊ कलसण-ऩिमणस्स ऩयभ-साय-बूमॊ ऩयॊ तत्तॊ भहत्थॊ<br />

नत कलरऊणॊ, ऩिमण-िछछल्रत्तणेणॊ फहु-बव्ि-सत्तोिमारयमॊ च काउॊ तहा म आम-हहमटॎमाए आमरयम-<br />

हरयबद्ेणॊ जॊ तत्थाऽऽमरयसे हदटॎॊ तॊ सव्िॊ स-भतीए साहहऊणॊ लरहहमॊ नत, अन्नेहहॊ वऩ लसदॎसेन हदिाकय-<br />

िुड्ढिाइ-जक्खसेन-देिगुत्त-जसिदॎण-खभासभण-सीस-यविगुत्त-नेलभचॊद-च्जनदासगणण-खभग सछचरयलस-<br />

ऩभुहेहहॊ जुगप्ऩहाण-सुमहयेहहॊ फहुभच्न्नमलभणॊ नत ।<br />

[५९२] से बमिॊ ! एिॊ जहुत्तविनओहिहाणेणॊ ऩॊचभॊगर-भहासुमक्खॊधभहहच्ज्जत्ताणॊ<br />

ऩुव्िानुऩुव्िीए ऩछछानुऩुव्िीए अनानुऩुव्िीए सय-िॊजण-भत्ता-बफॊदु-ऩमक्खय-विसुदॎॊ गथय-ऩरयगचमॊ काऊणॊ<br />

भहमा ऩफॊधेणॊ सुत्तत्थॊ च विन्नाम तओ म णॊ ककभहहज्जेज्जा गोमभा ! इरयमािहहमॊ,<br />

से बमिॊ ! के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ जहा णॊ ऩॊचभॊगर-भहासुमक्खॊधभहहच्ज्जत्ता णॊ ऩुणो<br />

इरयमािहहमॊ अहीए जे एस आमा से णॊ जमा गभना ऽगभनाइ ऩरयणए अनेग-जीि-ऩाण-बूम-सत्ताणॊ<br />

अनोिउत्त-ऩभत्ते-सॊघट्ण अिद्ािण-ककराभणॊ-काउणॊ अनारोइम-अऩडडक्कॊ ते चेि असेसकम्भक्खमटॎमाए<br />

ककॊ गच गचइ-िॊदन सज्झाम-ज्झाणाइएसु अलबयभेज्जा तमा से एग-गचत्ता सभाही बिेज्जा न िा ।<br />

जओ णॊ गभनागभनाइ-अनेग-अन्न-िािाय-ऩरयणाभासत्त-गचत्तत्ताए के ई ऩाणी तभेि<br />

बािॊतयभछछड्डडम-अट्-दुहट्ज्झिलसए कॊ गच कारॊ खणॊ वियत्तेज्जा ताहे तॊ तस्स परेणॊ विसॊिएज्जा,<br />

जमा उ न कहहॊ गच अन्नाण-भोह-ऩभाम-दोसेण सहसा एगगॊहदमादीणॊ सॊघट्णॊ ऩरयमािणॊ िा कमॊ बिेज्जा,<br />

तमा म ऩछछा हा हा हा ! दुटॎ कमभम्भहेहहॊ ! नत घनयाग-दोस-भोह-लभछछत्त-अन्नाणॊधेहहॊ अहदटॎ-<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [49] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


ऩयरोगऩछचिाएहहॊ कू य-कम्भननच्ग्घणेहहॊ ! नत ऩयभ-सॊिेगभािन्ने, सुऩयीपु डॊ आरोएत्ताणॊ ननॊहदत्ताणॊ<br />

गयहेत्ताणॊ ऩामच्छछत्तभनुचयेत्ताणॊ नीसल्रे अनाउरगचत्ते असुय-कम्भक्खमटॎा ककॊ गच आम-हहमॊ गचइ-<br />

िॊदणाइ अनुटॎेज्जा, तमा तमटॎे चेि उिउत्ते से बिेज्जा ! जमा णॊ से तमत्थे उिउत्ते बिेज्जा तमा तस्स<br />

णॊ ऩयभेगग्ग-गचत्तसभाही हिेज्जा, तमा चेि सव्ि-जग-जीि-ऩाण-बूम-सत्ताण जहहटॎ-परसॊऩत्ती-बिेज्जा<br />

।<br />

ता गोमभा ! णॊ अप्ऩडडक्कॊ ताए इरयमािहहमाए न कप्ऩइ चेि काउॊ ककॊ गच गचइिॊदन-<br />

सज्झामाइमॊ परासामभलबकॊ खुगाणॊ, एतेणॊ अटॎेणॊ गोमभा ! एिॊ िुछचइ जहा णॊ गोमभा ! ससुत्तत्थोबमॊ<br />

अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

ऩॊचभॊगर-गथय-ऩरयगचमॊ-काऊणॊ तओ इरयमािहहमॊ अज्झीए ।<br />

[५९३] से बमिॊ ! कमयाए विहीए तॊ इरयमािहहमभहहए गोमभा! जहा णॊ ऩॊचभॊगर-<br />

भहासुमक्खॊधॊ ।<br />

[५९४] से बमिॊ इरयमािहहमभहहच्ज्जत्ता णॊ तओ ककभहहज्जे गोमभा! सक्कत्थमाइमॊ<br />

चेइम-िॊदन-विहाणॊ नियॊ सक्कत्थमॊ एगटॎभ-फत्तीसाए आमॊबफरेहहॊ अयहॊतत्थमॊ एगेणॊ चउत्थेणॊ नतहहॊ<br />

आमॊबफरेहहॊ चउिीसत्थमॊ एगेणॊ छटॎेणॊ एगेण म चउत्थेणॊ ऩणुिीसाए आमॊबफरेहहॊ नाणत्थमॊ एगेणॊ चउत्थेणॊ<br />

ऩॊचहहॊ आमॊबफरेहहॊ, एिॊ सय-िॊजण-भत्ता बफॊदु-ऩमछछेम-ऩमक्खय-विसुदॎॊ अविछचाभेलरमॊ अहीएत्ता णॊ<br />

गोमभा!<br />

तओ कलसणॊ सुत्तत्थॊ विन्नेमॊ जत्थ म सॊदेहॊ बिेज्जा तॊ ऩुणो ऩुणो िीभॊलसम नीसॊकभिधायेऊणॊ नीसॊदेहॊ<br />

कयेज्जा ।<br />

[५९५] एिॊ स सुत्तत्थोबमत्तगॊ गचइ-िॊदना-विहाणॊ अहहज्जेत्ता णॊ तओ सुऩसत्थे सोहने<br />

नतहह-कयण-भुहुत्त-नक्खत्त-जोग-रग्ग-ससी-फरे, जहा सत्तीए जग-गुरूणॊ सॊऩाइम-ऩूओिमायेणॊ ऩडडराहहम-<br />

साहुिग्गेण म बच्त्तब्बयननब्बयेणॊ योभॊच-कॊ चुऩुरइज्जभाणतनू सहरयसविसट् िमणायविॊदेणॊ सदॎा-सॊिेग-<br />

वििेग-ऩयभ-िेयग्ग-भूरॊ विननहम-घनयाग-दोस-भोह-लभछछत्त-भरकरॊके ण, सुविसुदॎ-सुननम्भर-विभर-सुब-<br />

सुबमयऽनुसभम-सभुल्रसॊत-सुऩसत्थज्झिसाम-गएणॊ बुिन-गुरु-च्जनमॊद ऩडडभा विननिेलसम-नमन-भानसेणॊ<br />

अनन्न-भानसेगग्ग-गचत्तमाए म, धन्नो हॊ ऩुन्नो हॊ नत च्जन-िॊदणाइ-सहरीकमजम्भो च्त्त इइ भन्नभानेणॊ<br />

वियइम-कय-कभरॊजलरणा हरयम-तण-फीम जॊतु-वियहहम-बूभीए ननहहओबम-जाणुणा सुऩरयपु ड-सुविइम-नीसॊक<br />

जहत्थ-सुत्तत्थोबमॊ ऩए ऩए बािेभाणेणॊ, दढचरयत्त-सभमन्नु-अप्ऩभामाइ-अनेग-गुण-सॊऩओििेएणॊ गुरुणा<br />

सवदॎॊ साहु-साहुणण-साहच्म्भम असेस-फॊधु-ऩरयिग्ग-ऩरयमरयएणॊ चेि ऩढभॊ चेइए िॊहदमव्िे तमनॊतयॊ च गुणड्ढे<br />

म साहुणो म ।<br />

तहा साहच्म्भम-जनस्स णॊ जहा-सत्तीए ऩणािाए जाए णॊ सुभहग्घ भउम-चोक्ख-ित्थ-<br />

ऩमाणाइणा िा भहासम्भणो कामव्िो, एमािसयच्म्भ सुविइम-सभम-सायेणॊ गुरुणा ऩफॊधेणॊ अक्खेि-<br />

विक्खेिाइएहहॊ, ऩफॊधेहहॊ सॊसाय-ननव्िेम-जनननॊ सदॎा सॊिेगुप्ऩामगॊ धम्भ-देसणॊ कामव्िॊ ।<br />

[५९६] तओ ऩयभ-सदॎा-सॊिेगऩयॊ नाऊणॊ आजम्भालबग्गहॊ च दामव्िॊ । जहा णॊ,<br />

सहरीकमसुरदॎ-भनुम बि बो बो देिाणुच्प्ऩमा ! तए अज्जप्ऩलबतीए जािज्जीिॊनत-कालरमॊ अनुहदनॊ<br />

अनुरािरेगग्गगचत्तेणॊ चेइए िॊदेमव्िे, इणभेि बो भनुमत्ताओ असुइ-असासम-खणबॊगुयाओ सायॊ नत, तत्थ<br />

ऩुव्िणहे ताि उदग-ऩानॊ न कामव्िॊ जाि चेइए साहू म न िॊहदए, तहा भज्झणहे ताि असन-ककरयमॊ न<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [50] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


कामव्िॊ जाि चेइए न िॊहदए, तहा अियणहे चेि तहा कामव्िॊ जहा अिॊहदएहहॊ चेइएहहॊ नो<br />

सॊझामारभइक्कभेज्जा ।<br />

[५९७] एिॊ चालबग्गहफॊधॊ काऊणॊ जािज्जीिाए, ताहे म गोमभा ! इभाए चेि विज्जाए<br />

अहहभॊनतमाओ सत्त-गॊध-भुटॎीओ तस्सुत्तभॊगे ननत्थायग ऩायगो बिेज्जालस ! च्त्त उछचायेभाणेणॊ गुरुणा<br />

धेतव्िाओ ...[वदॎमाण पवज्जा].....<br />

अओभ ् णभ ्ओ बगिओ अयहओ स ्इज्झ उ भ ्ए बगिती भहा विज ् ज ् आ । ि ् ई य् ए भ<br />

ह् आ ि ् ई य् ए ज म ि ् ई य् ए स ् ए ण ् अ ि ् ई य् ए िदॎ भ ् आ ण ि ् ई य् ए । ज म ् अॊ त ् ए अ ऩ<br />

य् आ ज ् इ ए स ् ि ् आ हा<br />

अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

[ओम ् नमो भगवओ अरहओ मसज्जउ मे भगवती महापवज्जा वीरे महावीरे जयवीरे सेणवीरे<br />

वदॎमाणवीरे जयंते अऩराजजए स्वाहा] ।<br />

उऩचायो चउत्थबत्तेणॊ साहहज्जइ । एमाए विज्जाए सव्िगओ ननत्थायगऩायगो होइ ।<br />

उिटॎािणाए िा गणणस्स िा अणुन्नाए िा सत्त िाया ऩरयजिेमव्िा ननत्थायग-ऩायगो होइ । उच्त्तभटॎ-<br />

ऩडडिणणे िा अलबभॊनतज्जइ आयाहगो बिनत, विग्घविणामगा उिसभॊनत, सूयो सॊगाभे ऩविसॊतो अऩयाच्जओ<br />

बिनत, कप्ऩ-सभत्तीए भॊगरिहणी खेभिहणी हिइ ।<br />

[५९८] तहा साहु-साहुणण-सभणोिासग-सड्हढगा ऽसेसा सणण-साहच्म्भमजन-चउच्व्िहेणॊ वऩ<br />

सभण-सॊघेणॊ ननत्थयग-ऩायगो बिेज्जा धन्नो सॊऩुन्न-सरक्खणो लस तुभॊ, नत उछचायेभाणेणॊ गॊध-भुटॎीओ<br />

धेतव्िाओ, तओ जग-गुरुणॊ च्जणणॊदाणॊ ऩूएग-देसाओ गॊधड्ढाऽलभराण-लसमभल्रदाभॊ गहाम स-हत्थेणोबम-<br />

खॊधेसुभायोिमभाणेणॊ गुरुणा नीसॊदेहभेिॊ बाणणमव्िॊ जहा, बो बो ! जम्भॊतय-सॊगचम-गुरुम-ऩुन्न-ऩब्बाय<br />

सुरब्ब-सुविढत्त-सुसहर-भनुमजम्भॊ! देिाणुच्प्ऩमा! ठइमॊ च नयम-नतरयम-गइ-दायॊ तुज्झॊ नत । अफॊधगो म<br />

अमस-अककत्ती-नीमा-गोत्त-कम्भ-विसेसाणॊ तुभॊ नत बिॊतय-गमस्सा वि उ न दुरहो तुज्झ ऩॊच नभोक्कायो,<br />

बावि-जम्भॊतयेसु ऩॊच-नभोक्काय-ऩबािाओ म जत्थ जत्थोििज्जेज्जा तत्थ तत्थुत्तभा जाई उत्तभॊ च कु र-<br />

रूियोग्ग-सॊऩमॊ नत एमॊ ते ननछछमओ बिेज्जा ।<br />

अन्नॊ च ऩॊचनभोक्काय-ऩबािओ न बिइ दासत्तॊ न दारयद्-दूहग हीनजोणणमत्तॊ न<br />

विगलरॊहदमत्तॊ नत, ककॊ फहुएणॊ गोमभा ! जे के इ एमाए विहीए ऩॊच-नभोक्कायाहद-सुमनाण-भहीएत्ताण<br />

तमत्थानुसायेणॊ ऩमओ सव्िािस्सगाइ ननछचानुटॎणणज्जेसु अटॎायस-सीरॊगसहस्सेसु अलबयभेज्जा से णॊ<br />

सयागत्ताए जइ णॊ न ननव्िुडे, तओ गेिेज्जऽनुत्तयादीसुॊ गचयभलबयभेऊणेहउत्तभ-कु रप्ऩसूई<br />

उच्क्कटॎरटॎसव्िॊगसुॊदयत्तॊ सव्िॊ-करा-ऩत्तटॎ-जनाभनानॊदमारयमत्तणॊ च ऩाविऊणॊ, सुरयॊदे विि भहरयदॎए<br />

एगॊतेणॊ च दमानुकॊ ऩाऩये ननच्व्िणण-काभ-बोगे सदॎम्भभनुटॎेऊणॊ विहुम-यम-भरे लसज्झेज्जा ।<br />

[५९९] से बमिॊ ! ककॊ जहा ऩॊचभॊगरॊ तहा साभाइमाइमभसेसॊ वऩ सुमनाणभहहच्ज्जणेमव्िॊ <br />

गोमभा! तहा चेि विनओिहाणेणॊ भहीएमव्िॊ नियॊ अहहच्ज्जणणउकाभेहहॊ अटॎविहॊ चेि नाणामायॊ सव्ि-<br />

ऩमत्तेणॊ कारादी यक्खेज्जा, अन्नहा भहमा आसामणॊ नत, अन्नॊ च दुिारसॊगस्स सुमनाणस्स ऩढभ-<br />

चरयभजाभ-अहच्न्नसॊ अज्झमण-ज्झािणॊ ऩॊचभॊगरस्स सोरस-दॎजालभमॊ च अन्नॊ च, ऩॊच-भॊगरॊ कम-<br />

साभाइए इ िा अकम-साभाइए इ िा अहीए साभाइमभाइमॊ तु सुमॊ चत्तायॊबऩरयग्गहे जािज्जीिॊ कम-<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [51] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


साभाइए अहीच्ज्जणेइ न उ णॊ सायॊब-ऩरयग्गहे अकम-साभाइए, तहा ऩॊचभॊगरस्स आरािगे आरािगे<br />

आमॊबफरॊ तहा सक्कत्थिाइसु वि दुिारसॊगस्स ऩुण सुम-नाणस्स उद्ेसगऽज्झमणेसु ।<br />

[६००] से बमिॊ सुदुक्कयॊ ऩॊच-भॊगर-भहासुमक्खॊधस्स विनओहिाणॊ ऩन्नत्तॊ भहती म एसा<br />

ननमॊतणा कहॊ फारेहहॊ कज्जइ गोमभा! जे णॊ के इ न इछछेज्जा एमॊ ननमॊतणॊ अविनओिहाणेणॊ चेि<br />

ऩॊचभॊगराइॊ सुम-नाणभहहच्ज्जणे अज्झािेइ िा अज्झािमभाणस्स िा अणुणणॊ िा ऩमाइ से णॊ न बिेज्जा<br />

वऩम-धम्भे न हिेज्जा दढ-धम्भे न बिेज्जा बत्ती-जुए हीरेज्जा सुत्तॊ हीरेज्जा अत्थॊ हीरेज्जा सुत्त-त्थ-<br />

उबए हीरेज्जा गुरुॊ , जे णॊ हीरेज्जा सुत्तत्थो ऽबए जाि णॊ गुरुॊ से णॊ आसाएज्जा अतीताऽनागम-िट्भाणे<br />

नतत्थमये आसाएज्जा आमरयम-उिज्झाम-साहुणो ।<br />

जे णॊ आसाएज्जा सुमनाण-भरयहॊत-लसदॎ-साहू से तस्स णॊ सुदीहमारभनॊत-सॊसायसागय-<br />

अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

भाहहॊडेभाणस्स तासु तासु सॊकु ड विमडासु चुर-सीइ-रक्ख-ऩरयसॊखाणासु सीओलसणलभस्सजोणीसु<br />

नतलभसॊझधमाय दुग्गॊधाऽभेज्झगचरीण-खायभुत्तोज्झ-लसॊब ऩडहछछिस-जरुर-ऩूम-दुहद्ण-गचलरच्छचर-रुहहय-<br />

गचक्खल्र-दुद्ॊसण-जॊफार-ऩॊक-िीबछछघोय-गब्बिासेसु कढ-कढ-कढेंत-चर-चर-चरस्स िर-िर-िरस्स<br />

यज्झॊतसॊवऩॊडडमॊगभॊगस्स सुइयॊ ननमॊतणा, जे उण एमॊ विहहॊ पासेज्जा नो णॊ भणमॊ वऩ अइमयेज्जा जहुत्त-<br />

विहाणेणॊ चेि ऩॊच-भॊगर-ऩलबइ-सुम-नाणस्स विनओिहाणॊ कयेज्जा ।<br />

से णॊ गोमभा ! नो हीरेज्जा सुत्तॊ नो हीरेज्जा अत्थॊ नो हीरेज्जा सुत्तत्थोबए, से णॊ नो<br />

आसाएज्जा नतकार-बािी-नतत्थकये नो आसाएज्जा नतरोग लसहयिासी विहूम-यम-भरे लसदॎे नो आसाएज्जा<br />

आमरयम-उिज्झाम साहुणो, सुटॎुमयॊ चेि-बिेज्जा वऩम-धम्भे दढ-धम्भे बत्ती-जुत्ते एगॊतेणॊ बिेज्जा<br />

सुत्तत्थानुयॊच्जमभाणस-सदॎा-सॊिेगभािन्ने, से एस णॊ न रबेज्जा ऩुणो ऩुणो बि-चायगे गब्ब-िासाइमॊ<br />

अनेगहा जॊतणॊ नत ।<br />

[६०१] नियॊ गोमभा ! जे णॊ फारे जाि अविणणाम-ऩुन्न-ऩािाणॊ विसेसे ताि णॊ से ऩॊच-<br />

भॊगरस्स णॊ गोमभा ! एगॊतेणॊ अओग्गे, न तस्स ऩॊचभॊगर-भहा-सुमक्खॊधॊ दामव्िॊ न तस्स ऩॊचभॊगर-<br />

भहासुमक्खॊधस्स एगभवि आरािगॊ दामव्िॊ, जओ अनाइ-बिॊतय-सभच्ज्जमा ऽसुह-कम्भ-यालस-दहणटॎलभणॊ<br />

रलबत्ता णॊ न फारे सम्भाभायाहेज्जा रहुत्तॊ च आणेइ ता तस्स के िरॊ धम्भ-कहाए गोमभा ! बत्ती<br />

सभुप्ऩाइज्जइ, तओ नाऊणॊ वऩम-धम्भॊ दढ-धम्भॊ बच्त्त-जुत्तॊ ताहे जािइमॊ ऩछचक्खाणॊ ननव्िाहेउॊ सभत्थो<br />

बिनत तािइमॊ कायविज्जइ, याइ-बोमणॊ च दुविह-नतविह-चउच्व्िहेण िा जहा-सत्तीए ऩछचक्खाविज्जइ ।<br />

[६०२] ता गोमभा! णॊ ऩणमाराए नभोक्काय-साहहमाणॊ चउत्थॊ चउिीसाए ऩोरुसीहहॊ फायसहहॊ<br />

ऩुरयॊभड्ढेहहॊ दसहहॊ अिड्ढेहहॊ नतहहॊ ननव्िीइएहहॊ चउहहॊ एगटॎाणगेहहॊ दोहहॊ आमॊबफरेहहॊ एगेणॊ सुदॎत्थामॊबफ-रेणॊ,<br />

अव्िािायत्ताए योद्ट्ज्झाण-विगहा-वियहहमस्स सज्झाएगग्ग-गचत्तस्स गोमभा! एगभेि-आमॊबफरॊ भास-खिणॊ<br />

विसेसेज्जा, तओ म जािइमॊ तिोिहाणगॊ िीसभॊतो कयेज्जा, तािइमॊ अनुगणेऊणॊ जाहे जाणेज्जा जहा णॊ<br />

एच्त्तमभेत्तेणॊ तिोिहाणेणॊ ऩॊचभॊगरस्स जोगीबूओ ताहे आउत्तो ऩढेज्जा न अन्नह च्त्त ।<br />

[६०३] से बमिॊ ऩबूमॊ काराइक्कभॊ एमॊ, जइ कदाइ अिॊतयारे ऩॊचत्तभुिगछछेज्जा तओ<br />

नभोक्काय वियहहए कहभुच्त्तभटॎॊ साहेज्जा जॊ समॊ चेि सुत्तोिमायननलभत्तेणॊ असढ-बाित्ताए जहा-सत्तीए<br />

ककॊ गच तिभायबेज्जा, तॊ सभमभेि तभहीम-सुत्तत्थोबमॊ दटॎव्िॊ जओ णॊ सो तॊ ऩॊच-नभोक्कायॊ सुत्तत्थोबमॊ<br />

न अविहीए गेणहे ककॊ तु तहा गेणहे जहा बिॊतयेसुॊ वऩ न विप्ऩनस्से एमज्झिसामत्ताए आयाहगो बिेज्जा ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [52] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


[६०४] से बमिॊ ! जेण उण अन्नेलसभहीमभाणाणॊ सुमामियणक्खओिसभेणॊ कणण-<br />

हाडडत्तणेणॊ ऩॊचभॊगर-भहीमॊ बिेज्जा, से वि उ ककॊ तिोिहाणॊ कयेज्जा गोमभा! कयेज्जा । से बमिॊ! के ण<br />

अटॎेणॊ गोमभा! सुरब-फोहह-राब-ननलभत्तेणॊ, एिॊ चेमाइॊ अकु व्िभाणे नाणकु सीरे नेए ।<br />

[६०५] तहा गोमभा! णॊ ऩव्िज्जा हदिसप्ऩलबईए जहुत्त-विहहणो िहाणेणॊ जे के ई साहू िा<br />

साहुणी िा अऩुव्ि-नाण-गहणॊ न कु ज्जा तस्सासइॊ गचयाहीमॊ सुत्तत्थोबमॊ सयभाणे एगग्ग-गचत्ते ऩढभ-<br />

चयभ-ऩोरयसीसु हदमा याओ म नाणु गुणेज्जा, से णॊ गोमभा ! नाण-कु सीरे नेए ।<br />

से बमिॊ ! जस्स अइगरुम नाणाियणोदएणॊ अहच्न्नसॊ ऩहोसेभाणस्स सॊिछछयेणा वि<br />

लसरोगफदॎभवि नो गथय-ऩरयगचमॊ बिेज्जा से ककॊ कु ज्जा गोमभा! तेणा वि जािज्जीिालबग्गहेण सज्झाम-<br />

सीराणॊ िेमािछचॊ, तहा अनुहदनॊ अड्ढाइज्जे सहस्से ऩॊच भॊगराणॊ सुत्तत्थोबए सयभाणेगग्ग-<br />

अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

भानसे ऩहोसेज्जा । से बमिॊ के णॊ अटॎेणॊ गोमभा ! जे लबक्खु जािज्जीिालबग्गहेणॊ चाउक्कालरमॊ िामणाइ<br />

जहा सत्तीए सज्झामॊ न कयेज्जा, से णॊ नाण-कु सीरे नेए ।<br />

[६०६] अन्नॊ च-जे के ई जािज्जीिालबग्गहेणॊ अऩुव्िॊ नाणाहहगभॊ कयेज्जा तस्सासतीए<br />

ऩुव्िाहहमॊ गुणेज्जा तस्साविमासतीए ऩॊचभगराणॊ अड्ढाइज्जे सहस्से ऩयाित्ते से लबक्खू आयाहगे तॊ च<br />

नाणाियणॊ खिेत्तु णॊ नतत्थमये इ िा गणहये इ िा बिेत्ता णॊ लसज्झेज्जा ।<br />

[६०७] से बमिॊ! के ण अटॎेण एिॊ िुछचइ जहा णॊ चाउक्कालरमॊ सज्झामॊ कामव्िॊ <br />

[गोमभा !]<br />

[६०८] भण-िइ-कामाउत्तो नाणाियणॊ च खिइ अनुसभमॊ ।<br />

सज्झाए िट्ॊतो खणे खणे जाइ िेयग्गॊ ।।<br />

[६०९] उड्ढभहे नतरयमच्म्भ म जोइस-िेभाणणमा म लसदॎी म ।<br />

सव्िो रोगारोगो सज्झाम-विउस्स ऩछचक्खो ।।<br />

[६१०] दुिारस-विहच्म्भ वि तिे सच्ब्बॊतय-फाहहये कु सर-हदटॎे ।<br />

न वि अच्त्थ न वि म होही सज्झाम-सभॊ तिो-कम्भॊ ।।<br />

[६११] एग-दु-नत-भास-खभणॊ सिॊछछयभवि म अनलसओ होज्जा ।<br />

सज्झाम-झाण-यहहओ एगोिासप्परॊ वऩ न रबेज्जा ।।<br />

[६१२] उग्गभ-उप्ऩामण-एसणाहहॊ सुदॎॊ तु ननछच बुॊजॊतो ।<br />

जइ नतविहेणाऽउत्तो अनुसभम-बिेज्ज सज्झाए ।।<br />

[६१३] तो तॊ गोमभ ! एगग्ग भाणसत्तॊ न उिलभउॊ सक्का ।<br />

सॊिछछयखिणेणॊ वि जेण तहहॊ ननज्जायानॊता ।।<br />

[६१४] ऩॊच-सलभओ नत-गुत्तो खॊतो दॊतो म ननज्जयाऩेही ।<br />

एगग्ग-भानसो जो कयेज्ज सज्झामॊ सो भुनी बणणे ।।<br />

[६१५] जो िागये ऩसत्थॊ सुमनाभॊ जो सुणेइ सुह-बािो ।<br />

ठइमासिदायत्तॊ तक्कारॊ गोमभा ! दोणहॊ ।।<br />

[६१६] एगभवि जो दुहत्तॊ सत्तॊ ऩडडफोहहउॊ ठविमभग्गे ।<br />

ससुयासुयच्म्भ वि जगे तेण इहॊ घोलसओ अणाघाओ ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [53] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


[६१७] धाउऩहाणो कॊ चनबािॊ न म गछछई ककमा-हीणो ।<br />

एिॊ बव्िो वि च्जनोिएस-हीनो न फुज्झेज्जा ।।<br />

[६१८] गम-याग-दोस-भोहा धम्भ-कहॊ जे कयेंनत सभमणणू ।<br />

अनुहदमहभिीसॊता सव्िऩािाण भुछचॊनत ।।<br />

[६१९] ननसुणॊनत म बमणणज्जॊ एगॊतॊ ननज्जयॊ कहॊताणॊ ।<br />

जइ अन्नहा न सुत्तॊ अत्थॊ िा ककॊ गच िाएज्जा ।।<br />

[६२०] एएणॊ अटॎेणॊ गोमभा ! एिॊ िुछचइ जहा णॊ जािज्जीिॊ अलबग्गहेणॊ चाउक्कालरमॊ<br />

सज्झामॊ कामव्िॊनत, तहा म गोमभा ! जे लबक्खू विहीए सुऩसत्थनाणभहहज्जेऊण नाणभमॊ कयेज्जा, से वि<br />

नाण-कु सीरे, एिभाइ नाण-कु सीरे अनेगहा ऩन्नविज्जॊनत ।<br />

अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

[६२१] से बमिॊ ! कमये ते दॊसण-कु सीरे गोमभा! दॊसण-कु सीरे दुविहे नेए आगभओ नो<br />

आगभओ म तत्थ आगभओ सम्भ-द्ॊसणॊ, सॊकॊ ते कॊ खॊते विदुगुॊछॊते हदटॎीभोहॊ गछछॊते अणोििूहए ऩरयिडडम-<br />

धम्भसदॎे साभणणभुच्ज्झउकाभाणॊ अगथयीकयणेणॊ साहच्म्भमाणॊ अिछछल्रत्तणेणॊ अप्ऩबािनाए, एत्तेहहॊ<br />

अटॎहहॊ वऩ थाणॊतयेहहॊ कु सीरे नेए ।<br />

[६२२] नो आगभओ म दॊसण-कु सीरे अनेगहा तॊ जहा-चक्खु-कु सीरे घाण-कु सीरे सिण-<br />

कु सीरे च्जब्ब-कु सीरे सयीय-कु सीरे तत्थ चक्खुकु सीरे नतविहे नेए तॊ जहा-ऩसत्थ-चक्खु-कु सीरे<br />

ऩसत्थाऩसत्थ-चक्खु-कु सीरे अऩसत्थ-चक्खुकु सीरे जत्थ-जे के इ-ऩसत्थॊ उसबाहद-नतत्थमय-बफॊफॊ-ऩुयओ<br />

चक्खु-गोमय-हटॎमॊ तभेि ऩासेभाणे अन्नॊ ककॊ वऩ भनसा अऩसत्थभज्झिसे से णॊ ऩसत्थ-चक्खु-कु सीरे, तहा<br />

जे ऩसत्थाऩसत्थ-चक्खु-कु सीरे नतत्थमय-बफॊफॊ हहमएणॊ अछछीहहॊ-ककॊ वऩ ऩेहेज्जा से णॊ ऩसत्थाऩसत्थ<br />

चक्खु-कु सीरे तहा ऩसत्थाऩसत्थाइॊ दव्िाइॊ काग फग-ढेंक-नतच्त्तय-भमूयाइॊ सुकॊ त-हदच्त्तच्त्थमॊ िा दटॎूणॊ<br />

तमहुत्तॊ चक्खुॊ विसज्जे से वि ऩसत्थाऩसत्थ-चक्खु-कु सीरे, तहा अऩसत्थ-चक्खु-कु सीरे नतसहटॎहहॊ ऩमायेहहॊ<br />

अऩसत्था सयागा चक्खू च्त्त ।<br />

से बमिॊ! कमये ते अऩसत्थे नतसटॎी-चक्खु-बेए गोमभा! इभे तॊ जहा सब्बू कडक्खा, ताया,<br />

भॊदा, भॊदारसा, िॊका, वििॊका, कु सीरा, अवदॎच्क्खमा, काणणच्क्खमा, बालभमा, उब्बालभमा, चलरमा, िलरमा,<br />

चरिलरमा, उदॎुच्म्भल्रा, लभलरलभरा, भानुसा, ऩासिा, ऩक्खा, सयीलसिा, असॊता, अऩसॊता, अगथया,<br />

फहुविगाया, सानुयागा, यागो, ईयणी, यागजणणा, भमुप्ऩामणी, भमणी, भोहणी, िम्भोहणी, बओइयणी,<br />

बमजणणा, बमॊकयी, हहमम-बेमणी, सॊसमािहयणी, गचत्त-चभक्कु प्ऩामणी, ननफदॎा, अननफदॎा, गमा, आगमा,<br />

गमागमा, गम-ऩछचागमा, ननदॎाडणी, अहहरसणी, अयइकया, यइकया, दीना, दमािणा, सूया, धया, हणणी,<br />

भायणी, तािणी, सॊतािणी कु दॎाऩकु दॎा, घोयाभहा-धोया, चॊडा, योद्ा, सुयोद्ा, हा हा बूमसयणा, रुक्खा,<br />

सणणदॎा, रुक्खसणणदॎ च्त्त ।<br />

भहहरा णॊ चरणॊगुटॎ-कोडी-नह-कय-सुविलरहहमा हदन्नारत्तॊ गामॊ च नह-भणण-ककयण-<br />

ननफदॎसक्क-चािॊ कु म्भुणणम-चरणॊ सम्भग्ग-ननभुग्ग-िट्-गूढजाणुॊ, जॊघा-वऩहुर-कडडमड-बोगा जहण-ननमॊफ-<br />

नाही थण-गुज्झॊतय कटॎा-बूमा-रटॎीओ अहयोटॎ-दसणऩॊती कणण-नासा नमन-जुमर बभुहा-ननडार-लसयरुह-<br />

सीभॊतमा-भोडमा-ऩट्नतरगॊ-कु ॊ डर-किोरकज्जर-तभार-कराि-हाय-कडड-सुत्तगणेउयय-फहुयक्खग-भणण-यमण-<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [54] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


कडग कॊ कण-भुहद्माइ सुकॊ त-हदत्ता-बयण दुग्गुल्र-िसन-नेिछछा काभच्ग्ग-सॊधुक्कणी ननयम-नतरयम-गतीसुॊ<br />

अनॊत-दुक्ख-दामगा एसा साहहरास-सयाग-हदटॎी च्त्त । एस चक्खु-कु सीरे ।<br />

[६२३] तहा घाण-कु सीरे जे के इ सुयहह-गॊधेसु सॊगॊ गछछइ दुयहहगॊधे दुगुॊछे से णॊ घाण-<br />

कु सीरे तहा सिण-कु सीरे दुविहे नेए-ऩसत्थे अऩसत्थे म तत्थ जे लबक्खू अऩसत्थाइॊ काभ-याग-<br />

सॊधुक्खणुहद्िण-उज्जारण-ऩज्जारण-सॊहदिणाइॊ गॊधव्ि-नट्-धनुव्िेद-हच्त्थलसक्खा काभ-यती -सत्थाईणण<br />

गॊथाणण सोऊणॊ नारोएज्जा जाि णॊ नो ऩामच्छछत्तभनुचयेज्जा से णॊ अऩसत्थ-सिण-कु सीरे नेए । तहा जे<br />

लबक्खू ऩसत्थाइॊ लसदॎॊताचरयम-ऩुयाण-धम्भ-कहाओ म अन्नाइॊ च गॊथसत्थाइॊ सुणेत्ता णॊ न ककॊ गच आम-<br />

हहमॊ अनुटॎे नाण-भमॊ िा कयेइ, से णॊ ऩसत्थ-सिणकु सीरे नेए ।<br />

तहा च्जब्बा-कु सीरे से णॊ अनेगहा तॊ जहा-नतत्त-कडुम-कसाम-भहुयॊबफर-रिणाइॊ-यसाइॊ<br />

आसामॊते अहदटॎाऽसुमाइॊ इह-ऩयरोगो-बम- विरुदॎाइॊ सदोसाइॊ भमाय-जमारुछचायणाइॊ अमसऽब्ब-क्खाणा<br />

अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

असॊतालबओगाइॊ िा बणॊते, असभमणणू धम्भदेसना ऩित्तणेण म च्जब्बा-कु सीरे नेए,<br />

से बमिॊ ककॊ बासाए विबालसमाए कु सीरत्तॊ बिनत गोमभा! बिइ । से बमिॊ जइ एिॊ ता<br />

धम्भ-देसणॊ-कामव्िॊ गोमभा!<br />

[६२४] सािज्जऽणिज्जाणॊ िमणाणॊ जो न जाणइ विसेसॊ ।<br />

िोत्तुॊ वऩ तस्स न खभॊ ककभॊग ऩुणदेसणॊ काउॊ ।।<br />

[६२५] तहा सयीय-कु सीरे दुविहे चेटॎा-कु सीरे विबूसा-कु सीरे म, तत्थ जे लबक्खू एमॊ ककलभ-<br />

कु र-ननरमॊ सउण-साणाइ-बत्तॊ सडण-ऩडण-विदॎॊसण-धम्भॊ असुइॊ असासमॊ असायॊ सयीयगॊ आहयादीहहॊ<br />

ननछचॊ चेटॎेज्जा, नो णॊ इणभो बि-सम-सुरदॎ-नाण-दॊसणाइ-सभच्णणएणॊ सयीयेणॊ अछचॊत-घोय-िीरुग्ग-कटॎ-<br />

घोय-ति-सॊजभ-भणुटॎेज्जा से णॊ चेटॎा कु सीरे ।<br />

तहा जे णॊ विबूसा कु सीरे से वि अनेगहा तॊ जहा- तेराब्बॊगण-विभद्ण सॊफाहण-<br />

लसणाणुव्िट्ण-ऩरयहसण-तॊफोर-धूिण-िासण - दसणुग्घसण - सभारहण - ऩुप्पोभारण-के स-सभायण-<br />

सोिाहण-दुविमड्ढगइ-बणणय-हलसयउिविटॎुहटॎम सच्णणिणणेच्क्खम-विबूसािच्त्त-सविगाय-ननमॊसणुत्तयीम-<br />

ऩाउयण-दॊडग-गहणभाई सयीय-विबूसा-कु सीरे नेए एते म ऩिमण-उड्डाह-ऩये दुयॊत-ऩॊत-रक्खणे अदटॎव्िे भहा<br />

ऩािकम्भकायी विबूसा कु सीरे बिॊनत । गए दॊसण कु सीरे ।<br />

[६२६] तहा चारयत्तकु सीरे अनेगहा-भूरगुण उत्तयगुणेसुॊ । तत्थ भूरगुणा ऩॊच-भहव्िमाणी<br />

याई-बोमण-छटॎाणण, तेसुॊ जे ऩभत्ते बिेज्जा । तत्थ ऩाणाइिामॊ ऩुढवि-दगागननभारुम-िणप्पती-बफनत-चउ-<br />

ऩॊचेंहदमाईणॊ सॊघिण-ऩरयमािण-ककराभणोद्िणे । भुसािामॊ सुहुभॊ फामयॊ च, तत्थ सुहुभॊ ऩमरा-उल्रा भरुए<br />

एिभाहद, फादयो कन्नारीगाहद । अहदन्नादानॊ सुहुभॊ फादयॊ च, तत्त सुहुभॊ तण-डगर-छछाय-भल्रगाहदणॊ<br />

गहणे, फादयॊ हहयणण-सुिणणाहदणॊ । भेहुणॊ हदव्िोयालरमॊ भनोिइ-काम-कयण-कायािणानुभइबेदेणॊ अटॎयसहा,<br />

तहा कयकम्भादी सगचत्तागचत्त-बेदेणॊ निगुच्त्त-वियाहणेण िा विबूसािच्त्तएण िा । ऩरयग्गहॊ सुहुभॊ फादयॊ<br />

च तत्थ सुहुभॊ कप्ऩट्गयक्खणभभत्तो, फादयॊ हहयणणभादीणॊ गहणे धायणे िा । याईबोमणॊ हदमा गहहमॊ<br />

हदमा बुत्तॊ हदमा गहहमॊ याई बुत्तॊ याओ गहहमॊ हदमा बुत्तॊ, एिभाहद, [उत्तय-गुणा] ।<br />

[६२७] वऩॊडस्स जा विसोहह सलभतीओ बािना तिो दुविहो ।<br />

ऩडडभा अलबग्गहा वि म उत्तयगुण भो विममाहह ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [55] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


[६२८] तत्थ वऩॊडविसोहह :-<br />

[६२९] सोरस उग्गभ दोसा सोरस उप्ऩामणा म दोसा उ ।<br />

दस एसणाए दोसा सॊजोमण-भाइ ऩॊचेि ।।<br />

[६३०] तत्थ उग्गभ-दोसा :-<br />

[६३१] आहाकम्भुद्ेलसम ऩूईकम्भे म भीसजाए म ।<br />

ठिणा ऩाहुडडमाए ऩाओमय-कीम-ऩालभछचे ।।<br />

[६३२] ऩरयमहट्ए अलबहडे उच्ब्बमणणे भारोहडे इ म ।<br />

अछछेज्जे अननसटॎे अज्झोमयए म सोरसभे ।।<br />

[६३३] इभे उप्ऩामणा-दोसा :-<br />

[६३४] धाई दूई ननलभत्ते आजीि-िणीभगे नतगगछछाम ।<br />

अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

कोहे भाने भामा रोबे म हिॊनत दस एए ।।<br />

[६३५] ऩुच्व्िॊ ऩछछा-सॊथि-विज्जा-भॊते म चुणण-जोगे म ।<br />

उप्ऩामणाए दोसा सोरसभे भूर-कम्भे म ।।<br />

[६३६] एसणादोसा :-<br />

[६३७] सॊककम-भच्क्खम-ननच्क्खत्त वऩहहम-साहरयम दामगुम्भीसे ।<br />

अऩरयणम-लरत्त-छड्डडम एसण दोसा दस हिॊनत ।।<br />

[६३८] तत्थुग्गभदोसे गगहत्थ-सभुत्थे उप्ऩामणा दोसे साहुसभुत्थे, एसणादोसे उबम-<br />

सभुत्थे । सॊजोमणा ऩभाणे इॊगारे धूभ कायणे ऩॊचभॊडरीम दोसे बिॊनत । तत्थ सॊजोमणा-उिगयण<br />

बत्तऩाण-सब्बॊतय-फहह-बेएणॊ ऩभाणॊ ।<br />

[६<strong>३९</strong>] फत्तीसॊ ककय-किरे आहायो कु च्छछ-ऩूयओ बणणओ ।<br />

यागेण सइॊगारॊ दोसेण सधूभगॊ नत नामव्िॊ ।।<br />

[६४०] कायणॊ :-<br />

[६४१] िेमण-िेमािछचे इरयम-टॎाए म सॊजभ-टॎाए ।<br />

तह ऩाण-िच्त्तमाए छटॎॊ ऩुण धम्भ-गचॊताए ।।<br />

[६४२] नच्त्थ छु हाए सरयलसमा विमणा बुॊजेज्जा तप्ऩसभणटॎा ।<br />

छाओ िेमािछचॊ न तयइ काउॊ अओ बुॊजे ।।<br />

[६४३] इरयमॊ वऩ न सोहहस्सॊ ऩेहाईमॊ च सॊजभॊ काउॊ ।<br />

थाभो िा ऩरयहामइ गुणणऽणुऩेहासु म असत्तो ।।<br />

[६४४] वऩॊडविसोही गमा ।<br />

इमाणणॊ सलभतीओ ऩॊच तॊ जहा :- इरयमा-सलभई, बासा-सलभई, एसणा-सलभई, आमाण बॊड-<br />

भत्त-ननक्खेिणा-सलभती, उछचाय-ऩास-िण-खेर-लसॊधाण-जल्र-ऩारयटॎा-िणणमा-सलभती ।<br />

तहा गुत्तीओ नतच्न्न भन-गुत्ती, िइ-गुत्ती, काम-गुत्ती ।<br />

तहा बािनाओ दुिारस, तॊ जहा अननछचत्त-बािना, असयणत्त-बािना, एगत्त-बािना,<br />

अन्नत्त-बािना, असुइ-बािना, विगचत्त सॊसाय-बािना, कम्भासि-बािना, सॊिय-बािना, विननज्जया-बािना,<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [56] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


रोगवित्थयबािना, धम्भॊ सुमक्खामॊ सुऩन्नत्तॊ नतत्थमयेहहॊ नत बािना, तत्तगचॊता बािना, फोहह-सुदुल्रबा-<br />

जम्भॊतय-कोडीहहॊ वि च्त्त बािणा । एिभाहद-थाणॊतयेसुॊ जे ऩभामॊ कु ज्जा, से णॊ चारयत्त-कु लसरे नेए ।<br />

[६४५] तहा ति-कु सीरे दुविहे नेए, फज्झ-ति-कु सीरे, अच्ब्बॊतयतिकु सीरे म तत्थ जे के ई<br />

विगचत्त-अनसन, ऊनोदरयमा, वित्ती-सॊखेिण, यस-ऩरयछचाम, कामककरेस, सॊरीणमाए च्त्त छटॎाणेसुॊ न<br />

उज्जभेज्जा से णॊ फज्झ-ति-कु सीरे । तहा जे के इ विगचत्तऩच्छछत्त-विनम-िेमािछच-सज्झाम-झाण-<br />

उसग्गच्म्भ चेएसुॊ छटॎाणेसुॊ न उज्जभेज्जा से णॊ अच्ब्बॊतय-ति-कु सीरे ।<br />

[६४६] तह ऩडडभाओ फायस तॊ जहा :-<br />

[६४७] भासादी सत्तॊता एग दुग नत-सत्तयाइ हदना नतच्न्न ।<br />

अहयानत एगयाती लबक्खू ऩडडभाणॊ फायसगॊ ।।<br />

[६४८] तह अलबग्गहा दव्िओ खेत्तओ कारओ बािओ । तत्थ दव्िे कु म्भासाइमॊ दव्िॊ<br />

अज्झमणॊ-३, उद्ेसो-<br />

गहेमव्िॊ, खेत्तओ गाभे फहहॊ िा गाभस्स, कारओ ऩढभऩोरयलसभाईसु, बािओ कोहभाइसॊऩन्नो जॊ देहह इभॊ<br />

गहहस्सालभ । एिॊ उत्तय-गुणा सॊखेिओ सम्भत्ता । सम्भत्तो म सॊखेिेणॊ चरयत्तामायो । तिामायो वि<br />

सॊखेिेणेहॊतय-गओ । तहा विरयमामायो । एएसु चेि जा अहाणी, एएसुॊ ऩॊचसु आमायाइमायेसुॊ जॊ आउहट्माए<br />

दप्ऩओ ऩभामओ कप्ऩेण िा अजमणाए िा जमणाए िा ऩडडसेविमॊ, तॊ तहेिारोइत्ताणॊ जॊ भग्ग-विउ-गुरू-<br />

उिइसॊनत तॊ तहा ऩामच्छछत्तॊ नानुचयेइ । एिॊ अटॎायसणहॊ सीरॊग-सहस्साणॊ जॊ जत्थ ऩए ऩभत्ते बिेज्जा,<br />

से णॊ तेणॊ तेणॊ ऩभाम-दोसेणॊ कु सीरे नेए ।<br />

[६४९] तहा ओसन्नेसु जाणे ननत्थॊ लरहीज्झइ । ऩासत्थे नाणभाहदणॊ सछछॊदे<br />

उस्सुत्तुभग्गगाभी सफरे नेत्थॊ लरहहज्जॊनत गॊथ-वित्थयबमाओ । बगिमा उण एत्थॊ ऩत्थािे कु सीरादी<br />

भहमा ऩफॊधेणॊ ऩन्नविए एत्थॊ च जा जा कत्थइ अन्नन्निामणा, सा सुभुणणम-सभम-सायेहहॊतो ऩओसेमव्िा<br />

जओ भूरादरयसे चेि फहुॊ गॊथॊ विप्ऩणटॎॊ । तहहॊ च जत्थ सॊफॊधानुरग्गॊ गॊथॊ सॊफज्झइ तत्थ तत्थ फहुएहहॊ<br />

सुमहयेहहॊ सच्म्भलरऊणॊ सॊगोिॊग दुिारसॊगाओ सुम-सभुद्ाओ अन्न-भन्न-अॊग-उिॊग-सुमक्खॊध-<br />

अज्झमणुद्ेसगाण सभुच्छचणणऊणॊ ककॊ गच ककॊ गच सॊफज्झभाणॊ एत्थॊ लरहहमॊ, न उण सकव्िॊ कमॊ नत ।<br />

[६५०] ऩॊचेए सुभहा-ऩािे जे न िज्जेज्ज गोमभा ! ।<br />

सॊरािादीहहॊ कु सीरादी बलभही सो सुभती जहा ।।<br />

[६५१] बि-काम-हटॎतीए सॊसाये घोय-दुक्ख-सभोत्थओ ।<br />

अरबॊतो दसविहे धम्भे फोहहभहहॊसाइ-रक्खणे ।।<br />

[६५२] एत्थॊ तु ककय-हदटॎॊतॊ सॊसग्गी-गुण-दोसओ ।<br />

रयलस-लबल्रा सभिासे णॊ ननप्पन्नॊ गोमभा ! भुणे ।।<br />

[६५३] तम्हा कु सीरसॊसग्गी सव्िोिाएहहॊ गोमभा ! ।<br />

िज्जेज्जा म हहमाकॊ खी अॊडज-हदटॎॊत-जाणगे ।।<br />

० तइयं अज्झयणं समत्तं ०<br />

० चउत्थमज्झयणं – कु सीऱसंसग्गी ०<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [57] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


[६५४] से बमिॊ ! कहॊ ऩुण तेण सभुइणा कू सीर-सॊसग्गी कमा आसी उ, जीए अ एरयसे<br />

अइदारुणे अिसाणे सभक्खाए जेण-बि-कामहटॎतीए अनोय-ऩायॊ बि-सामयॊ बलभही से ियाए दुक्ख-सॊतत्ते<br />

अरबॊते सव्िन्नुिएलसए अहहॊसा-रक्खण खॊताहद-दसविहे धम्भे फोहहॊ नत गोमभा ! णॊ इभे तॊ जहा-अच्त्थ<br />

इहेि बायहे िासे भगहा नाभ जनिओ । तत्थ कु सत्थरॊ नाभ ऩुयॊ । तच्म्भ म उिरदॎ-ऩुन्न-ऩािे सुभुणणम-<br />

जीिाजीिाहद-ऩमत्थे सुभती-नाइर नाभधेज्जे दुिे सहोमये भहहड्ढीए सड्ढगे अहेलस ।<br />

अहणणमा अॊतयाम-कम्भोदएणॊ विमलरमॊ विहिॊ तेलसॊ न उणॊ सत्त-ऩयक्कभॊ नत । एिॊ तु<br />

अचलरम-सत्त-ऩयक्कभाणॊ तेलसॊ अछचॊतॊ ऩयरोग-बीरूणॊ वियम-कू ड-किडालरमाणॊ ऩडडिणण-जहोिइटॎ-दानाइ-<br />

चउक्खॊध-उिासग-धम्भाणॊ अवऩसरुणाऽभछछयीणॊ अभामािीणॊ ककॊ फहुना गोमभा! ते उिासगा णॊ आिसहॊ<br />

गुणयमणाणॊ ऩबिा, खॊतीए ननिासे सुमण-भेत्तीणॊ । एिॊ तेलसॊ-फहु-िासय-िणणणणज्ज-गुण-यमणाणॊ वऩ जाहे<br />

असुह-कम्भोदएणॊ न ऩहुप्ऩए सॊऩमा ताहे न ऩहुप्ऩॊनत अटॎाहहमा-भहहभादओ इटॎदेिमाणॊ जहहच्छछए ऩूमा-<br />

सक्काये साहच्म्भम-सम्भाणे फॊधुमण-सॊििहाये म ।<br />

अज्झमणॊ-४, उद्ेसो-<br />

[६५५] अह अन्नमा अचरॊतेसुॊ अनतहह-सक्कायेसुॊ अऩूरयज्जभाणेसुॊ ऩणइमण-भनोयहेसुॊ<br />

विहडॊतेसु म सुहहसमणलभत्त फॊधि-करत्त-ऩुत्त-नत्तुमगणेसुॊ विसामभुिगएहहॊ गोमभा ! गचॊनतमॊ तेहहॊ<br />

सड्ढगेहहॊ तॊ जहा :-<br />

[६५६] जा विहिो ता ऩुरयसस्स होइ आणा-िडडछछओ रोओ ।<br />

गलरओदमॊ घनॊ विज्जुरा वि दूयॊ ऩरयछचमइ ।।<br />

[६५७] एिॊ-गचॊनतऊणाियोप्ऩयॊ बणणउभायदॎे तत्थ ऩढभो :-<br />

[६५८] ऩुरयसेण भान-धन-िच्ज्जएण ऩरयहीन बागगधज्जेणॊ ।<br />

ते देसा गॊतव्िा जत्थ स-िासा न दीसॊनत ।।<br />

[६५९] तहा फीओ :-<br />

[६६०] जस्स धनॊ तस्स जनो जस्सत्थो तस्स फॊधिा फहिे ।<br />

धन-यहहओ हु भनूसो होइ सभो दास-ऩेसेहहॊ ।।<br />

[६६१] अह एिभियोप्ऩयॊ सॊजोज्जेऊण गोमभा ! कमॊ देसऩरयछचाम-ननछछमॊ तेहहॊ नत । जहा<br />

िछचाभो देसॊतयॊ नत । तत्थ णॊ कमाई ऩुज्जॊनत गचय-गचॊनतए भनोयहे हिइ म ऩव्िज्जाए सह सॊजोगो जइ<br />

हदव्िो फहुभन्नेज्जा जाि णॊ उच्ज्जऊणॊ तॊ कभागमॊ कु सत्थरॊ । ऩडडिन्नॊ विदेसगभनॊ ।<br />

[६६२] अहन्नमा अनुऩहेणॊ गछछभाणेहहॊ हदटॎा तेहहॊ ऩॊच साहुणो छटॎॊ सभणोिासगॊ नत ।<br />

तओ बणणमॊ नाइरेण जहा बो सुभती ! बद्भुह ऩेछछ के रयसो साहु सत्थो ता एएणॊ चेि साहु-सत्थेणॊ<br />

गछछाभो, जइ ऩुणो वि नूनॊ गॊतव्िॊ । तेण बणणमॊ एिॊ होउ च्त्त । तओ सच्म्भलरमा तत्थ सत्थे-जाि णॊ<br />

ऩमाणगॊ िहॊनत ताि णॊ बणणओ सुभती नानतरेणॊ जहा णॊ बद्भुह ! भए हरयिॊस-नतरम-भयग-मछछविणो<br />

सुगहहम-नाभधेज्जस्स फािीसइभ-नतत्थगयस्स णॊ अरयटॎनेलभ नाभस्स ऩाम-भूरे सुहननसन्नेणॊ एिभिधारयमॊ<br />

आसी, जहा जे एिॊविहे अनगाय-रूिे बिॊनत ते म कु सीरे, जे म कु सीरे ते हदटॎीए वि ननयच्क्खउॊ न कप्ऩॊनत<br />

।<br />

ता एते साहुणो तारयसे भनागॊ न कप्ऩए एतेलसॊ सभॊ अम्हाणॊ गभन-सॊसग्गी ता िमॊतु एते,<br />

अम्हे अप्ऩसत्थेणॊ चेि िइस्साभो, न कीयइ नतत्थमय-िमणस्सानतिक्कभो, जओ णॊ ससुयासुयस्सा वि<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [58] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


जगस्स अरॊघणणज्जा नतत्थमय-िाणी अन्नॊ च-जाि एतेहहॊ सभॊ गम्भइ ताि णॊ गचटॎउ ताि दरयसणॊ<br />

आरािादी ननमभा बिॊनत, ता ककभम्हेहहॊ नतत्थमय-िाणणॊ उल्रॊनघत्ताणॊ गॊतव्िॊ एिॊ तभनुबाणणऊणॊ तॊ<br />

सुभनतॊ हत्थे गहाम ननव्िडडओ नाइरो साहु-सत्थाओ ।<br />

[६६३] ननविटॎो म चक्खुविसोहहए पासुग-बूऩएसे तओ बणणमॊ सुभइणा जहा-<br />

[६६४] गुरूणो भामा-वित्तस्स जेटॎ-बामा तहेि बइणीणॊ ।<br />

जत्थुत्तयॊ न हदज्जइ हा देि ! बणालभ ककॊ तत्थ ।।<br />

[६६५] आएसभिीभाणॊ ऩभाणऩुव्िॊ तह च्त्त नामव्िॊ ।<br />

भॊगरभभॊगुरॊ िा ित्थ विमायो न कामव्िो ।।<br />

[६६६] नियॊ एत्थ म भे दामव्िॊ अज्ज-भुत्तयलभभस्स ।<br />

खय-परुस-कक्कसाऽननटॎ दुटॎ-ननटॎुय सयेहहॊ तु ।।<br />

[६६७] अहिा कह उत्थल्रउ जीहा भे जेटॎ-बाउणो ऩुयतो ।<br />

अज्झमणॊ-४, उद्ेसो-<br />

जस्सुछछॊगे विननमॊसणोऽहॊ, यलभओऽसुइ विलरत्तो ।।<br />

[६६८] अहिा कीस न रज्जइ एस समॊ चेि एि ऩबणॊतो ।<br />

जदॊ नु कु सीरे एते हदटॎीए िी न दटॎव्िे ।।<br />

[६६९] साहुणो च्त्त जाि न एिइमॊ िामये ताि णॊ इॊगगमागाय-कु सरेणॊ भुणणमॊ नाइरेणॊ-<br />

जहा णॊ अलरम-कसाइओ एस भनगॊ सुभती, ता ककभहॊ ऩडडबणालभ च्त्त गचॊनतउॊ सभाढत्तो ।<br />

[६७०] कज्जेण विना अकॊ डे एस ऩकु विओ हु ति सॊगचटॎे ।<br />

सॊऩइ अणुणणज्जॊतो न माणणणो ककॊ च फहु भन्ने ।।<br />

[६७१] ता ककॊ अणुणेलभलभणॊ उमाहु फोरउ खणदॎतारॊ िा ।<br />

जेणुिसलभम-कसाओ ऩडडिज्जइ तॊ तहा सव्िॊ ।।<br />

[६७२] अहिा ऩत्थािलभणॊ एमस्स वि सॊसमॊ अिहयेलभ ।<br />

एस न माणइ बद्ॊ जाि विसेसॊ नऽऩरयकहहमॊ ।।<br />

[६७३] च्त्त गचॊनतऊणॊ बणणउभाढत्तो :-<br />

[६७४] नो देलभ तुब्ब दोसॊ न मावि कारस्स देलभ दोसभहॊ ।<br />

जॊ हहम-फुदॎीए सहोमया वि बणणमा ऩकु प्ऩॊनत ।।<br />

[६७५] जीिाणॊ गचम एत्थॊ दोसॊ कम्भटॎ-जार-कलसमाणॊ ।<br />

जे चउगइ-ननच्प्पडणॊ हहओिएसॊ न फुज्झॊनत ।।<br />

[६७६] घन-याग-दोस-कु ग्गाह भोह-लभछछत्त-खिलरम-भणाणॊ ।<br />

बाइ विसॊ कारउडॊ हहओिएसाभम ऩइणणॊ नत ।।<br />

[६७७] एिभामच्णणऊण तओ बणणमॊ सुभइणा । जहा तुभॊ चेि सत्थिादी बणसु एमाइॊ<br />

नियॊ न जुत्तभेमॊ जॊ साहूणॊ अिणणिामॊ बालसज्जइ । अन्ने तु ककॊ न ऩेछछलस तुभॊ एएलसॊ भहानुबागाणॊ<br />

चेहटॎमॊ छटॎ-टॎभ-दसभ दुिारस-भास-खभणाईहहॊ आहायग्गहणॊ गगम्हामािणटॎाए िीयासन-उक्कु ड्डमासण-<br />

नाणालबग्गह-धायणेणॊ च कटॎ-तिोणुचयणेणॊ च ऩसुक्खॊ भॊस-सोणणमॊ नत भहाउिासगो लस तुभॊ, भहा-<br />

बासा-सलभती विइमा तए जेणेरयस-गुणोिउत्ताणॊ वऩ भहानुबागाणॊ साहूणॊ कु सीरे च्त्त नाभॊ सॊकच्प्ऩमॊनत ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [59] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


तओ बणणमॊ नाइरेणॊ जहा भा िछछ ! तुभॊ एतेणॊ ऩरयओसभुिमासु, जहा अहमॊ आसिायेणॊ ऩरयभुलसओ ।<br />

अकाभ-ननज्जयाए वि ककॊ गच कम्भक्खमॊ बिइ, ककॊ ऩुण जॊ फार-तिेणॊ ता एते फार-तिच्स्सणो दटॎव्िे<br />

जओ णॊ ककॊ ककॊ गच उस्सुत्तभग्गमारयत्तभेएलसॊ ऩइसे ।<br />

अन्नॊ च-िछछ सुभइ ! नच्त्थ भभॊ इभाणोिरयॊ को वि सुहुभो वि भनसावि उ ऩओसो<br />

जेणाहभेएलसॊ दोस-गहणॊ कयेलभ, ककॊ तु भए बगिओ नतत्थमयस्स सगासे एरयसभिधारयमॊ, जहा कु सीरे<br />

अदटॎव्िे । ताहे बणणमॊ सुभइणा जहा जारयसो तुभॊ ननफुदॎीओ तारयसो सो वि नतत्थमयो जेण तुज्झभेमॊ<br />

िामरयमॊ नत । तओ एिॊ बणभाणस्स सहत्थेणॊ झॊवऩमॊ भुह-कु हयॊ सुभइस्स नाइरेणॊ बणणओ म । जहा- भा<br />

जग्गेक्कगुरुणो नतत्थमयस्सासामणॊ कु णसु, भए ऩुण बणसु जहहच्छछमॊ नाहॊ ते ककॊ गच ऩडडबणालभ ।<br />

तओ बणणमॊ सुभइणा जहा जइ एते वि साहुणो कु सीरा ता एत्थॊ जगे न कोई सुसीरो<br />

अच्त्थ। तओ बणणमॊ नाइरेणॊ। जहा-बद्भुह सुभइ! एत्थॊ जमारॊघणणज्ज िक्कस्स बगिओ िमणभामयेमव्िॊ<br />

जॊ च ऽच्त्थक्कमाए न विसॊिमेज्जा, नो णॊ फारतिस्सीणॊ चेहटॎमॊ, जओ णॊ च्जनचॊदिम-<br />

अज्झमणॊ-४, उद्ेसो-<br />

णेणॊ ननमभओ ताि कु सीरे इभे दीसॊनत ऩव्िज्जाए गॊधॊ वऩ नो दीसए एलसॊ, जेणॊ ऩेछछ ऩेछछ तािेमस्स<br />

साहुणो, बफइच्ज्जमॊ भुहनॊतगॊ दीसइ, ता एस ताि अहहग-ऩरयग्गह-दोसेणॊ कु सीरो ।<br />

न एमॊ साहूणॊ बगिमाऽऽइटॎॊ जभहहम-ऩरयग्गह-विधायणॊ कीये ता, िछछ हीन-सत्तोऽहन्नो<br />

एसेिॊ भनसाज्झिसे जहा जइ भभेमॊ भुहनॊतगॊ विप्ऩनच्स्सहहइ ता फीमॊ कत्थ कहॊ ऩािेज्जा न एिॊ गचॊतेइ<br />

भूढो जहा अहहगाऽनुिओगोिही-धायणेणॊ भज्झॊ ऩरयग्गह-िमस्स बॊगॊ होही। अहिा ककॊ सॊजभेऽलबयओ एस<br />

भुहनॊतगाइसॊजभोिओग धम्भोिगयणेणॊ िीसीएज्जा ननमभओ न विसीए । नियभत्ताणमॊ हीन-<br />

सत्तोऽहलभइ ऩामडे उम्भग्गामयणॊ च ऩमॊसेइ ऩिमणॊ च भइरेइ च्त्त ।<br />

एसो उ न ऩेछछलस साभन्नचत्तो एएणॊ कल्रॊ तीए विननमॊणाइ-इत्थीए अॊगमहटॎॊ<br />

ननज्झाइऊण जॊ नारोइमॊ न ऩडडक्कॊ तॊ तॊ ककॊ तए न विणणामॊ एस उ न ऩेछछलस ऩरूढ-विप्पोडग-<br />

विच्म्हमाणणो एतेणॊ सॊऩमॊ चेि रोमटॎाए सहत्थेणभहदन्न-छाय-गहणॊ कमॊ । तए वि हदटॎभेमॊ नत । एसो उ<br />

न ऩेछछलस सॊघडडम कल्रो एएणॊ, अनुग्गए सूरयए उटॎेह ! िछचाभो, उग्गमॊ सूरयमॊ नत तमा<br />

विहलसमलभणॊ । एसो उ न ऩेछछसीभेलसॊ च्जटॎ-सेहो । एसो अज्ज यमणीए अनोिउत्तो ऩसुत्तो विज्जुक्काए<br />

पु लसओ । न एतेणॊ कप्ऩ-गहणॊ कमॊ । तहा ऩबाए हरयम-तणॊ िासा-कप्ऩॊचरेणॊ सॊघहट्मॊ । तहा<br />

फाहहयोदगस्स ऩरयबोगॊ कमॊ । फीमकामस्सोियेणॊ ऩरयसच्क्कओ अविहहए एस खाय-थॊडडराओ भहुयॊ थॊडडरॊ<br />

सॊकलभओ । तहा-ऩह ऩडडिणणेण साहुणो कभ-समाइक्कभे इरयमॊ ऩडडक्कलभमव्िॊ ।<br />

तहाचयेमव्िॊ तहा गचटॎेमव्िॊ तहा बासेमव्िॊ तहा सएमव्िॊ जहा छक्कामभइगमाणॊ जीिाणॊ<br />

सुहुभ-फामय-ऩज्जत्ताऩज्जत्त-गभागभ-सव्िजीिऩाणबूम-सत्ताणॊ सॊघट्ण-ऩरयमािण-ककराभण-उद्िणॊ िा न<br />

बिेज्जा । ता एतेलसॊ एिइमाणॊ एमस्स एक्कभिी न एत्थॊ दीसए । जॊ ऩुण भुहनॊतगॊ ऩडडरेहभाणो अज्जॊ<br />

भए एस चोइओ । जहा एरयसॊ ऩडडरेहणॊ कये जे णॊ िाउक्कामॊ पडपडस्स सॊघट्ेज्जा । सारयमॊ च<br />

ऩडडरेहणाए सॊनतमॊ कारयम नत, जस्सेरयसॊ जमणॊ एरयसॊ सोिओगॊ हुॊकाहहलस सॊजभॊ, न सॊदेहॊ<br />

जस्सेरयसभाउत्तत्तणॊ तुज्जॊ नत । एत्थॊ च तए हॊ विननिारयओ जहा णॊ भूगोिाहह न अम्हाणॊ साहूहहॊ सभॊ<br />

ककॊ गच बणेमव्िॊ कप्ऩे । ता ककभेमॊ ते विसुभरयमॊ <br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [60] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


ता बद्भुह! एएणॊ सभॊ सॊजभत्थानॊतयाणॊ एगभवि नो ऩरयच्क्खमॊ, ता ककभेस साहू बणेज्जा<br />

जस्सेरयसॊ ऩभत्तत्तणॊ न एस साहु जस्सेरयसॊ ननदॎम्भ-सॊऩरत्तणॊ बद्भुह ! ऩेछछ ऩेछछ सूणो इि<br />

ननच्त्तॊसो छक्काम-ननभद्णो कहालबयभे एसो । अहिा ियॊ सूणो जस्स णॊ सुहुभॊ वि ननमभ-िम-बॊगॊ नो<br />

बिेज्जा, एसो उ ननमभ-बॊगॊ कयेभाणो के णॊ उिभेज्जा ता िछछ ! सुभइ बद्भुह ! न एरयस<br />

कत्तव्िामयणाओ बिॊनत साहू, एतेहहॊ च कत्तव्िेहहॊ नतत्थमय-िमणॊ सयेभाणो को एतेलसॊ िॊदनगभवि<br />

कयेज्जा<br />

अन्नॊ च एएलसॊ सॊसग्गेणॊ कमाई अम्हाणॊ वऩ चयण-कयणेसुॊ लसहढरत्तॊ बिेज्जा, जे णॊ ऩुणो<br />

ऩुणो आहहॊडेभो घोयॊ बिऩयॊऩयॊ । तओ बणणमॊ सुभइणा जहा-जइ एए कु सीरे जई सुसीरे तहा वि भए<br />

एएहहॊ सभॊ गॊतव्िॊ जाि एएलसॊ सभॊ ऩव्िज्जा कामव्िा । जॊ ऩुण तुभॊ कयेलस तभेि धम्भॊ नियॊ को अज्ज<br />

तॊ सभामरयउॊ सक्का ता भुमसु कयॊ, भए एतेहहॊ सभॊ गॊतव्िॊ जाि णॊ नो दूयॊ िमॊनत से साहुणो च्त्त ।<br />

तओ बणणमॊ नाइरेणॊ बद्भुह ! सुभइ नो कल्राणॊ एतेहहॊ सभॊ गछछभाणस्स तुज्झॊ नत । अहमॊ च तुब्बॊ<br />

हहम-िमणॊ बणालभ एिॊ हठए जॊ चेि फहु-गुणॊ तभेिानुसेिमॊ, नाहॊ ते दुक्खेणॊ धयेलभ ।<br />

अह अन्नमा अनेगोिाएहहॊ वऩ ननिारयज्जॊतो न हठओ, गओ सो भॊद-बागो सुभती गोमभा !<br />

अज्झमणॊ-४, उद्ेसो-<br />

ऩव्िइओ म । अह अन्नमा िछचॊतेणॊ भास-ऩॊचगेणॊ आगओ भहायोयिो दुिारस-सॊिछछरयओ दुच्ब्बक्खो ।<br />

तओ ते साहुणो तक्कारदोसेणॊ अनारोइम-ऩडडक्कॊ ते भरयऊणोििन्ने बूम-जक्ख-यक्खस-वऩसामादीणॊ<br />

िाणभॊतयदेिाणॊ िाहणत्ताए । तओ वि चविऊणॊ लभछछजातीए कु णणभाहाय-कू यज्झिसाम-दोसओ सत्तभाए,<br />

तओ उव्िहटॎऊणॊ तइमाए चउिीलसगाए सम्भत्तॊ ऩाविहहॊनत । तओ म सम्भत्त-रॊब-बिाओ तइम-बिे चउयो<br />

लसच्ज्झहहॊनत । एगो न लसच्ज्झहहइ जो सो ऩॊचभगो सव्ि-जेटॎो, जओ णॊ सो एगॊत लभछछहदटॎी अबव्िो म<br />

। से बमिॊ! जे णॊ सुभती से बव्िे उमाहु अबव्िे गोमभा बव्िे । से बमिॊ ! जइ-णॊ बव्िे, ता णॊ भए<br />

सभाणे कहहॊ सभुप्ऩन्ने गोमभा ! ऩयभाहच्म्भमासुयेसुॊ ।<br />

[६७८] से बमिॊ ककॊ बव्िेऩयभाहच्म्भमासुयेसुॊ सभुप्ऩज्जइ गोमभा ! जे के ई घन-याग-<br />

दोस-भोह-लभछछत्तोदएणॊ सुििलसमॊ वऩ ऩयभ-हहओिएसॊ अिभन्नेत्ताणॊ दुिारसॊगॊ च सुम-नाणभप्ऩभाणी<br />

कयीअ अमाणणत्ता म सभम-सब्बािॊ अनामायॊ ऩसॊलसमा णॊ तभेि उछछऩेज्जा जहा सुभइणा उछछच्प्ऩमॊ ।<br />

न बिॊनत एए कु सीरे साहुणो, अहा णॊ एए वि कु सीरे ता एत्थॊ जगे न कोई सुसीरो अच्त्थ, ननच्छछमॊ भए<br />

एतेहहॊ सभॊ ऩव्िज्जा कामव्िा तहा जारयसो तॊ ननफुदॎीओ तारयसो सो वि नतत्थमयो च्त्त एिॊ उछचायेभाणेणॊ<br />

से णॊ गोमभा भहॊतॊवऩ तिभनुटॎेभाणे ऩयभाहच्म्भमासुयेसु उििज्जेज्जा । से बमिॊ<br />

! ऩयभाहच्म्भमा<br />

सुयदेिाणॊ उव्िट्े सभाणे से सुभती कहहॊ उििज्जेज्जा गोमभा ! तेणॊ भॊद-बागेणॊ अनामाय-ऩसॊसुछछप्ऩनॊ-<br />

कयेभाणेणॊ सम्भग्ग-ऩणासगॊ अलबनॊहदमॊ तक्कम्भदोसेणॊ-अनॊत-सॊसारयमत्तणभच्ज्जमॊतो के च्त्तए उििाए<br />

तस्स साहेज्जा जस्स णॊ अनेग-ऩोग्गर-ऩरयमट्ेसु वि नच्त्थ चउगइ-सॊसायाओ अिसानॊ नत तहा वि<br />

सॊखेिओ सुणसु गोमभा !<br />

इणभेि जॊफुद्ीिे दीिॊ ऩरयच्क्खविऊणॊ हठए जे एस रिणजरही एमस्स णॊ जॊ ठाभॊ लसॊधू<br />

भहानदी ऩविटॎा, तप्ऩएसाओ दाहहणेणॊ हदसा-बागेणॊ ऩणऩणणाए जोमणेसुॊ िेइमाए भज्झॊतयॊ अच्त्थ<br />

ऩडडसॊताि-दामगॊ नाभ अदॎतेयस-जोमण-ऩभाणॊ हच्त्थकु ॊ बामायॊ थरॊ । तस्स म रिण-जरोियेणॊ अदॎुटॎ-<br />

जोमणाणी उस्सेहो । तहहॊ च णॊ अछचॊत-घोय-नतलभसॊधमायाओ घडडमारगसॊठाणाओ सीमारीसॊ गुहाओ, तासुॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [61] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


च णॊ जुगॊ जुगेणॊ ननयॊतये जरमायीणो भनुमा ऩरयिसॊनत, ते म िज्ज-रयसब-नायाम-सॊघमणे भहाफरऩयक्कभे<br />

अदॎतेयस-यमणी-ऩभाणेणॊ सॊखेज्ज-िासाऊ भहु-भज्ज-भॊसच्प्ऩए सहािओ इच्त्थरोरे ऩयभ-दुव्िणण-सुउभार-<br />

अननटॎ-खय-परुलसम-तनू भामॊगिइ-कमभुहे सीह-घोयहदटॎी-कमॊत-बीसणे अदाविम ऩटॎी असणण व्ि ननटॎुय-<br />

ऩहायी दप्ऩुदॎये म बिॊनत ।<br />

तेलसॊ नत जाओ अॊतयॊड-गोलरमाओ ताओ गहाम चभयीणॊ सॊनतएहहॊ सेम-ऩुॊछिारेहहॊ गुॊगथऊणॊ<br />

जे के इ उबम-कणणेसुॊ ननफॊगधऊण भहग्घुत्तभ-जछच-यमणत्थी सागयभनुऩविसेज्जा से णॊ जरहच्त्थ-भहहस-<br />

गोहहग-भमय-भहाभछछ-तॊतु-सुॊसुभाय-ऩलबतीहहॊ दुटॎ-साितेहहॊ अबेलसए चेि सव्िॊ वऩ सागय-जरॊ आहहॊडडऊण<br />

जहहछछाए जछच-यमण-सॊगहॊ करयम अहम-सयीये आगछछे, ताणॊ च अॊतयॊडगोलरमाणॊ सॊफॊधेणॊ ते ियाए !<br />

गोमभा अनोिभॊ सुघोयॊ दारुणॊ दुक्खॊ ऩुव्िच्ज्जम योद्-कम्भ-िसगा अनुबिॊनत ।<br />

से बमिॊ के ण अटॎेणॊ गोमभा ! तेलसॊ जीिभाणाणॊ कोस-भज्झे ताओ गोलरमाओ गहेउॊ जे<br />

जमा उण ते गधप्ऩॊनत तमा फहुविहाहहॊ ननमॊतणाहहॊ भहमा साहसेणॊ सन्नदॎ-फदॎ-कयिार-कु ॊ त-चक्काइ-<br />

ऩहयणाडोिेहहॊ फहु-सूय-धीय-ऩुरयसेहहॊ फुदॎीऩुव्िगेणॊ सजीविम-डोराए धेप्ऩॊनत । तेलसॊ च धेप्ऩभाणाणॊ जाइॊ<br />

सायीय-भाणसाइॊ दुक्खाइॊ बिॊनत ताइॊ सव्िेसुॊ नायम-दुक्खेसु जइ ऩयॊ उिभेज्जा ।<br />

अज्झमणॊ-४, उद्ेसो-<br />

से बमिॊ को उण ताओ अॊतयॊड-गेलरमाओ गेणहेज्जा गोमभा! तत्तेि रिण-सभुद्े अच्त्थ<br />

यमण-दीिॊ नाभ अॊतय-दीिॊ, तस्सेि ऩडडसॊताि-दामगाओ थराओ एगतीसाए जोमण-सएहहॊ तॊ ननिालसणो<br />

भणुमा बिॊनत । बमिॊ ! कमयेणॊ ऩओगेणॊ खेत्त-सबाि-लसदॎ-ऩुव्िऩुरयस-लसदॎेणॊ च विहाणेणॊ <br />

से बमिॊ कमये उ ण से ऩुव्ि-ऩुरयस-लसदॎे विही तेलसॊ नत गोमभा ! तहहमॊ यमण-दीिे अच्त्थ<br />

िीसॊ-एगूण-िीसॊ अटॎायस, दसटॎ-सत्त-धनू-ऩभाणाइॊ घयटॎसॊठाणाइॊ ियिइय-लसरा-सॊऩुडाइॊ ताइॊ च विघाडेऊणॊ<br />

ते यमणदीिननिालसणो भनुमा ऩुव्ि-लसदॎ-खेत्त-सहाि-लसदॎेणॊ चेि जोगेणॊ ऩबूम-भच्छछमा-भहूए अब्बॊतयओ<br />

अछचॊत-रेिाडाइॊ काऊणॊ तओ तेलसॊ ऩक्क-भॊस-खॊडाणण फहूणण जछच-भहु-भज्ज-बॊडगाणण ऩच्क्खिॊनत, तओ<br />

एमाइॊ करयम सुयॊद-दीह-भहद्ुभ-कट्ेहहॊ आरुॊ लबत्ताणॊ सुसाउ-ऩोयाण-भज्ज-भच्छछगा भहूओ म ऩडडऩुन्ने फहूए<br />

राउगे गहाम ऩडडसॊतािदामग थरभागछछॊनत जाि णॊ तत्थागए सभाणे ते गुहािालसणो भनुमा ऩेछछॊनत<br />

ताि णॊ तेलसॊ यमणदीिग-ननिालसभनुमाणॊ िहाम ऩडडधािॊनत तओ ते तेलसॊ म भहुऩडडऩुन्नॊ राउगॊ<br />

ऩमच्छछऊणॊ अब्बत्थ ऩओगेणॊ तॊ कटॎ-जाणॊ जइणमय-िेगॊ दुिॊ खेविऊणॊ यमणद्ीिालबभुहॊ िछचॊनत। इमये म<br />

तॊ भहुभासाहदमॊ ऩुणो सुटॎुमयॊ तेलसॊ वऩटॎीए धािॊनत, ताहे गोमभा ! जाि णॊ अछचासणणे बिॊनत ताि णॊ<br />

सुसाउ-भहु-गॊध-दव्ि-सक्कारयम-ऩोयाण-भज्जॊ राउगभेगॊ ऩभोत्तूणॊ ऩुणो वि जइणमयिेगेण यमणदीि-हुत्तो<br />

िछचॊनत, इमये म तॊ सुसाउ-भहु-गॊध-दव्ि-सॊसक्करयम ऩोयाण-भज्जभासाइमॊ ऩुणो सुदक्खमये तेलसॊ वऩटॎीए<br />

धािॊनत, ऩुणो वि तेलसॊ भहुऩडडऩुन्नॊ राउगभेगॊ भुॊचनत ।<br />

एिॊ ते गोमभा भहु-भज्ज-रोरीए सॊऩरग्गे तािाणमॊनत जाि णॊ ते घयट्-सॊठाणे िइयलसरा-<br />

सॊऩुडे । ता जाि णॊ तािइमॊ बू-बागॊ सॊऩयािॊनत ताि णॊ जभेिासणणॊ िइयलसरा सॊऩुडॊ<br />

जॊबामभाणऩुरयसभुहागायॊ विहाडडमॊ गचटॎइ, तत्थेि जाइॊ भहु-भज्ज-भॊस-ऩडडऩुन्नाइॊ सभुदॎरयमाइॊ सेस-राउगाइॊ<br />

ताइॊ तेलसॊ वऩछछभाणाणॊ ते तत्थ भोत्तूणॊ ननम-ननम-ननरएसु िछचॊनत । इमये म भहु-भज्ज-रोरीए जाि णॊ<br />

तत्थ ऩविसॊनत ताि णॊ गोमभा ! जे ते ऩुव्ि-भुक्के ऩक्क-भॊस-खॊडे जे म ते भहु-भज्ज-ऩडडऩुन्ने बॊडगे जॊ<br />

च भहूए चेिालरत्तॊ सव्िॊ तॊ लसरा-सॊऩुडॊ ऩेक्खॊनत ताि णॊ तेलसॊ भहॊतॊ ऩरयओसॊ भहॊतॊ तुहटॎॊ भहॊतॊ ऩभोदॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [62] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


बिइ । एिॊ तेलसॊ भहु-भज्ज-ऩक्क-भॊस ऩरयबुॊजेभाणेणॊ जाि णॊ गछछॊनत सत्तटॎ-दस-ऩॊचेि िा हदनानन, ताि<br />

णॊ ते यमणहदि-ननिासी-भनुमा एगे सन्नदॎ-फदॎ-साउह-कयग्गा तॊ िइयलसरॊ िेहढऊणॊ सत्तटॎ-ऩॊतीहहॊ णॊ ठॊनत<br />

। अन्ने तॊ घयटॎ-लसरा-सॊऩुडभामालरत्ताणॊ एगटॎॊ भेरॊनत ।<br />

तॊलभ म भेलरज्जभाणे गोमभा ! जइ णॊ कहहॊ गच तुडडनतबागओ तेलसॊ एक्कस्स दोणहॊ वऩ<br />

िा ननप्पे डॊ बिेज्जा तओ तेलसॊ यमणदीिननिालस-भनुमाणॊ स-विडवि-ऩासाम-भॊहदयस्स चुप्ऩमाणॊ तक्खणा<br />

चेि तेलसॊ हत्था सॊघाय-कारॊ बिेज्जा एिॊ तु गोमभा ! तेलसॊ-तेणॊ-िज्ज-लसरा-घयट्-सॊऩुडेणॊ गगलरमाणॊवऩ<br />

तहहमॊ चेि जाि णॊ सव्िहटॎए दलरऊणॊ न सॊऩीलसए सुकु भालरमा म ताि णॊ तेलसॊ नो ऩाणाइक्कभॊ बिेज्जा<br />

ते म अटॎी िइयलभि दुद्रे तेलसॊ तु, तत्थ म िइय-लसरा-सॊऩुडॊ कणहग-गोणगेहहॊ आउत्तभादयेणॊ अयहट्-<br />

घयट्-खय-सच्णहग-चककलभि ऩरयभॊडरॊ बभालरमॊ ताि णॊ खॊडॊनत जाि णॊ सॊिछछयॊ ।<br />

ताहे तॊ तारयसॊ अछचॊत-घोय-दारुणॊ सायीय-भानसॊ भहा-दुक्ख-सच्न्निामॊ सभनुबिेभाणाणॊ<br />

ऩाणाइक्कभॊ बिइ, तहा वि ते तेलसॊ अहटॎगे नो पु डॊनत नो दो परे बिॊनत नो सॊदलरज्जॊनत नो<br />

विद्लरज्जॊनत नो ऩधरयसॊनत, नियॊ जाइॊ काइॊ वि सॊगध-सॊधाण-फॊधणाइॊ ताइॊ सव्िाइॊ विछछु डेत्ता णॊ विम<br />

जज्जयी बिॊनत । तओ णॊ इमरुिर-घयट्स्सेि ऩरयसविमॊ चुणणलभि ककॊ गच अॊगुराइमॊ अहटॎ-खॊडॊ दटॎूणॊ<br />

अज्झमणॊ-४, उद्ेसो-<br />

ते यमणहदिगे ऩरयओसभुव्िहॊते लसरा-सॊऩुडाइॊ उच्छचमाडडऊणॊ ताओ अॊतयॊड-गोलरमाओ गहाम जे तत्थ<br />

तुछछहणे ते अनेग-रयत्थ सॊघाएणॊ विच्क्कणॊनत, एतेणॊ विहाणेणॊ गोमभा ते यमणदीि-ननिालसणो भणुमा<br />

ताओ अॊतयॊड-गोलरमाओ गेणहॊनत ।<br />

से बमिॊ ! कहॊ ते ियाए तॊ तारयसॊ अछचॊतघोय-दारुण-सुदूसहॊ दुक्ख-ननमयॊ विसहभाणो<br />

ननयाहाय-ऩाणगे सॊिछछयॊ जाि ऩाणे वि धायमॊनत गोमभा! सकम-कम्भाणुबािओ । सेसॊ तु<br />

ऩणहािागयणिुदॎविियणादिसेमॊ ।<br />

[६७९] से बमिॊ ! तओ िी भए सभाणे से सुभती जीिे कहॊ उििामॊ रबेज्जा गोमभा !<br />

तत्थेि ऩडडसॊतािदामगथरे तेणेि कभेणॊ सत्त-बिॊतये तओ वि दुटॎ-साणे तओ वि कणहे तओ वि िाणभॊतये<br />

तओ विॊ लरॊफत्ताए िणस्सईए । तओ वि भणुएसुॊ इच्त्थत्ताए तओ वि छटॎीए तओ वि भनुमत्ताए कु टॎी<br />

तओ वि िाणभॊतये तओ वि भहाकाए जूहाहहिती गए तओ वि भरयऊणॊ भेहुणासत्ते अनॊत-िनप्पतीए तओ<br />

वि अनॊत-काराओ भणुएसुॊ सॊजाए । तओ वि भणुए भहानेलभत्ती तओ वि सत्तभाए तओ वि भहाभछछे<br />

चरयभोमहहच्म्भ तओ सत्तभाए तओ वि गोणे तओ वि भणुए तओ वि विडि-कोइलरमॊ तओ वि जरोमॊ वि<br />

भहाभछछे तओ वि तॊदुरभछछे तओ वि सत्तभाए । तओ वि यासहे तओ वि साणे तओ वि ककभी तओ<br />

वि दद्ुये तओ वि तेउकाइए, तओ वि कु ॊ थू तओ वि भहुमये, तओ वि चडए, तओ वि उद्ेहहमॊ तओ वि<br />

िणप्पतीए तओ वि अनॊत काराओ भणुएसु इत्थीयमणॊ तओ वि छटॎीए ।<br />

तओ कणेरु तओ वि िेसाभॊडडमॊ नाभ ऩट्णॊ-तत्थोिज्झाम-गेहासणणे लरॊफत्तेणॊ िणस्सई<br />

तओ वि भणुएसुॊ खुच्ज्जत्थी तओ वि भणुमत्ताए ऩॊडगे, तओ वि भणुमत्तेणॊ दुग्गए, तओ वि दभए, तओ<br />

वि ऩुढिादीसुॊ बि-काम-हटॎतीए ऩत्तेमॊ, तओ भणुए तओ फार-तिस्सी, तओ िाणभॊतये तओ वि ऩुयोहहए<br />

तओ वि सत्तभीए, तओ वि भछछे तओ वि सत्तभाए, तओ वि गोणे तओ वि भणुए भहासम्भहद्टॎीए<br />

अवियए चक्कहये, तओ ऩढभाए तओ वि इब्बे तओ वि सभणे अनगाये, तओ वि अनुत्तयसुये तओ वि<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [63] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


चक्कहये भहा-सॊघमणी बवित्ता णॊ ननच्व्िणण-काभ-बोगे जहोिइटॎॊ सॊऩुन्नॊ सॊजभॊ काऊण गोमभा ! से णॊ<br />

सुभइ-जीिे ऩरयननव्िुडेज्जा ।<br />

[६८०] तहा म जे लबक्खू िा लबक्खूणी िा ऩयऩासॊडीणॊ ऩसॊसॊ कयेज्जा, जे मा वि णॊ<br />

ननणहगाणॊ ऩसॊसॊ कयेज्जा, जे णॊ ननणहगाणॊ अनुकू रॊ बासेज्जा जे णॊ ननणहगाणॊ आममणॊ ऩविसेज्जा जे णॊ<br />

ननणहगाणॊ गॊथ-सत्थ-ऩमक्खयॊ िा ऩरूिेज्जा, जे णॊ ननणहगाणॊ सॊनतए काम-ककरेसाइए तिे इ िा सॊजभे इ<br />

िा नाणे इ िा विणणाणे इ िा सुए इ िा ऩॊडडछचे इ िा अलबभुह-भुदॎ-ऩरयसा-भज्झ-गए सराहेज्जा, से वि<br />

म णॊ ऩयभाहच्म्भएसुॊ उििज्जेज्जा जहा सुभती ।<br />

[६८१] से बमिॊ तेणॊ सुभइ जीिेणॊ तक्कारॊ सभणत्तॊ अनुऩालरमॊ तहा वि एिॊविहेहहॊ नायम-<br />

नतरयम-नयाभय विगचत्तोिाएहहॊ एिइमॊ सॊसायाहहॊडणॊ गोमभा! णॊ जभागभ-फाहाए लरॊगग्गहणॊ कीयइ तॊ<br />

दॊबभेि के िरॊ सुदीहसॊसायहेऊबूमॊ, नो णॊ तॊ ऩरयमामॊ सॊजभे लरक्खइ तेणेि म सॊजभॊ दुक्कयॊ भन्ने अन्नॊ<br />

च सभणत्ताए एसे म ऩढभे सॊजभ-ऩए जॊ कु सीर-सॊसग्गी-ननरयहयणॊ अहा णॊ नो ननरयहये ता सॊजभभेि न<br />

ठाएज्जा ता तेणॊ सुभइणा तभेिामरयमॊ तभेि ऩसॊलसमॊ तभेि उस्सच्प्ऩमॊ तभेि सराहहमॊ तभेिाणुहटॎमॊ नत।<br />

एमॊ च सुत्तभइक्कलभत्ताणॊ एत्थॊ ऩए जहा सुभती तहा अन्नेलसभवि सुॊदय-विउय-सुदॊसण-सेहयणीरबद्-<br />

सबोभे म – खग्गधायी तेणग-सभण-दुद्ॊत-देियच्क्खॊम-भुनन-नाभादीणॊ को सॊखाणे कयेज्जा ता एमभटॎॊ<br />

विइत्ताणॊ<br />

अज्झमणॊ-४, उद्ेसो-<br />

कु सीरसॊबोगे सव्िहा िज्जणीए ।<br />

[६८२] से बमिॊ ककॊ ते साहूणो तस्स णॊ नाइर-सड्ढगस्स छॊदेणॊ कु सीरे उमाहु आगभ-<br />

जुत्तीए गोमभा ! कहॊ सड्ढगस्स ियामस्सेरयसो साभत्थो जो णॊ तु सछछॊदत्ताए भहानुबािाणॊ<br />

सुसाहूणॊ अिणणिामॊ बासे तेणॊ सड्ढगेणॊ हरयिसॊ-नतरम-भयगमछछविणो फािीसइ-धम्भ-नतत्थमय-<br />

अरयटॎनेलभ नाभस्स समासे िॊदण-िच्त्तमाए गएणॊ आमायॊगॊ अनॊत-गभऩज्जिेहहॊ ऩन्नविज्जभाणॊ<br />

सभिधारयमॊ । तत्थ म छत्तीसॊ आमाये ऩन्नविज्जॊनत । तेलसॊ च णॊ जे के इ साहू िा साहुणी िा<br />

अन्नमयभामायभइक्कभेज्जा से णॊ गायत्थीहहॊ उिभेमॊ अहणणहा सभणुटॎे िा ऽऽमयेज्जा िा ऩन्निेज्जा िा<br />

तओ णॊ अनॊत-सॊसायी बिेज्जा ।<br />

ता गोमभा ! जे णॊ तु भुहनॊतगॊ अहहगॊ ऩरयग्गहहमॊ तस्स ताि ऩॊचभ भहव्िमस्स बॊगो, जे<br />

णॊ तु इत्थीए अॊगोिॊगाइॊ ननज्झाइऊण नारोइमॊ तेणॊ तु फॊबचेयगुत्ती वियाहहमा, तच्व्ियाहणेणॊ जहा एग-<br />

देसदड्ढो ऩडो दड्ढो बणणइ तहा चउत्थ-भहव्िमॊ बग्गॊ । जेण म सहत्थेणुप्ऩाडडऊणाहदणणा बूइॊ<br />

ऩडडसाहहमा तेणॊ तु तइम-भहव्िमॊ बग्गॊ । जे ण म अनुग्गओ वि सूरयओ उग्गओ बणणओ तस्स म फीम-<br />

िमॊ बग्गॊ । जेण उ ण अपासुगोदगेण अछछीणण ऩहोमाणण तहा अविहीए ऩहथॊडडल्राणॊ सॊकभणॊ कमॊ,<br />

फीमॊ कामॊ च अक्कॊ तॊ, िासा-कप्ऩस्स अॊचरग्गेणॊ हरयमॊ सॊघहट्मॊ, विज्जूए पू लसओ भुहनॊतगेणॊ अजमणाए<br />

पडपडस्स िाउक्कामभुदीरयमॊ, ते णॊ तु ऩढभ-िमॊ बग्गॊ तब्भंगे ऩंचण्हं पऩ महव्वयाणं भंगो कओ,<br />

आगभजुत्तीए एते कु सीरा साहुणो, जे उ णॊ उत्तयगुणाणॊ वऩ बॊगॊ न इटॎॊ ककॊ ऩुण जॊ भूर-गुणाणॊ <br />

से बमिॊ ! ता एम नाएणॊ विमारयऊणॊ भहव्िए घेतव्िे गोमभा ! इभे अटॎे सभटॎे । से<br />

बमिॊ के णॊ अटॎेणॊ गोमभा ! सुभणे इ िा सुसािए इ िा, न तइमॊ बेमॊतयॊ, अहिा जहोिइटॎॊ<br />

सुसभणत्तभनुऩालरमा अहा णॊ जहोिइटॎॊ सुसािगत्तभनुऩालरमा, नो सभणो सुसभणत्तभइमयेज्जा, नो<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [64] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


सािए सािगत्तभइमयेज्जा, ननयइमायॊ िमॊ ऩसॊसे तभेि म सभणुटॎे ! नियॊ जे सभणधम्भे से णॊ अछचॊत-<br />

घोय-दुछचये तेणॊ असेस-कम्भक्खमॊ जहन्नेणॊ वऩ अटॎ बिब्बॊतये भोक्खो, इमयेणॊ तु सुदॎेणॊ देि-गइॊ<br />

सुभाणुसत्तॊ िा साम-ऩयॊऩयेणॊ भोक्खो, नियॊ ऩुणो वि तॊ सॊजभाओ । ता जे से सभण-धम्भे से अविमाये<br />

सुविमाये ऩन्न विमाय तह च्त्त भनुऩालरमा उिासगाणॊ ऩुण सहस्साणण विधाने, जो जॊ ऩरयिारे तस्साइमायॊ<br />

च न बिे, तभेि गगणहे ।<br />

[६८३] से बमिॊ ! सो उण नाइर-सड्ढगो कहहॊ सभुप्ऩन्नो गोमभा! लसदॎीए, से बमिॊ !<br />

कहॊ गोमभा ! ते णॊ भहानुबागेणॊ तेलसॊ कु सीराणॊ सॊसच्ग्गॊ ननतुटॎेऊणॊ तीए चेि फहु सािम-तरु-सॊड-<br />

सॊकु राए घोय-कॊ तायाडिीए सव्ि-ऩाि-कलरभर-करॊक-विप्ऩभुक्क नतत्थमय-िमणॊ ऩयभहहमॊ सुदुल्रहॊ<br />

बिसएसुॊ वऩ च्त्त कलरऊणॊ अछचॊत-विसुदॎासएणॊ पासुद्ेसच्म्भ ननप्ऩडडकम्भॊ ननयइमायॊ ऩडडिणणॊ ऩडडिणणॊ<br />

ऩामिोगभणभनसनॊ नत । अहणणमा तेणेि ऩएसेणॊ विहयभाणो सभागओ नतत्थमयो अरयटॎनेभी । तस्स म<br />

अनुग्गहटॎाए तेणे म अचलरम-सत्तो बव्िसत्तो च्त्त काऊणॊ उच्त्तभटॎ-ऩसाहणी कमा साइसमा देसणा<br />

तभामणणभाणो सजर-जरहय-नननाम-देि-दु ॊदुही-ननग्घोसॊ नतत्थमय-बायइॊ सुहज्झिसामऩयो आरूढो-खिग-<br />

सेढीए अउव्िकयणेणॊ अॊतगड-के िरी-जाओ ।<br />

एते णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ जहा णॊ गोमभा लसदॎीए ता गोमभा<br />

विप्ऩहहमाए एिइमॊ अॊतयॊ बिइ च्त्त ।<br />

अज्झमणॊ-४, उद्ेसो-<br />

० चउत्थं अज्झयणं समत्तं ०<br />

! कु सीर सॊसग्गीए<br />

[अत्र चतुथामध्ममने फहिः सैदॎाच्न्तकाः के गचदाराऩकान ् न सम्मक् श्रद्धत्मेि, तैयश्रदॎानैयस्भाकभवऩ<br />

न सम्मक् श्रदॎानॊ । इत्माह हरयबद्रसूरयः न ऩुनः सिमभेिेभेदॊ चतुथामध्ममनॊ । अन्मानन िा अध्ममनानन, अस्मैि<br />

कनतऩमैः ऩरयलभतैः आराऩकै यश्रदॎानलभत्मथमः मत ् स्थान सभिाम जीिालबगभ प्रऻाऩनाहदषु न कथॊगचहददभाचख्मे<br />

मथा प्रनतसॊताऩक स्थरभच्स्त, तद् गुहािालसनस्तु भनुजास्तेषु च ऩयभा ऽधालभमकाणाॊ ऩुनः ऩुनः सप्ताऽष्ििायान ्<br />

मािदुऩऩातस्तेषाॊ च तैः तैदारुणैिमज्रलशरा घयट् सॊऩुिैगगमलरतानाॊ ऩरयऩीड्म भानानाभवऩ सॊित्सयॊ माित ् प्राणव्माच्प्त नम<br />

बिनत । िृदॎिादस्तु ऩुनममथा तािद् इदभ ् आषमसूत्रॊ विकृ नत नम तािदत्र प्रविष्िा, प्रबूताश्चात्र श्रुतस्कॊ धे अथामः<br />

सुष्ठिनतशमेन गणधयोक्तानन चेह िचनाननगमतदेिॊ च्स्थते न ककॊ गचद् आशॊकनीमभ ् इनत । ]<br />

---------×---------×---------×---------<br />

० ऩंचम अज्झयणं-नवनीयसारं ०<br />

[६८४] एिॊ कु सीरॊ-सॊसच्ग्गॊ सव्िोिाएहहॊ ऩमहहउॊ ।<br />

उम्भग्ग-ऩहटॎमॊ गछछॊ जे िासे लरॊग-जीविणॊ ।।<br />

[६८५] से णॊ ननच्व्िग्घभककलरटॎॊ साभन्नॊ सॊजभॊ तिॊ ।<br />

न रबेज्जा तेलसॊ माबािे भोक्खे दूयमयॊ हठए ।।<br />

[६८६] अत्थेगे गोमभा ऩाणी जे ते उम्भग्ग-ऩहटॎमॊ ।<br />

गछछॊ सॊिासइत्ताणॊ बभती बि-ऩयॊऩयॊ ।।<br />

[६८७] जाभदॎ-जाभ-हदन-ऩक्खॊ भासॊ सॊिछछयॊ वऩ िा ।<br />

सम्भग्ग-ऩहटॎए गछछे सॊिसभाणस्स गोमभा ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [65] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


[६८८] रीरामऽरसभाणस्स ननरुछछाहास्स धीभणॊ ।<br />

ऩेक्खो िक्खीए अन्नेसुॊ भहानुबागाणॊ साहुणॊ ।।<br />

[६८९] उज्जभॊ सव्ि-थाभेसुॊ घोय-िीय-तिाइमॊ ।<br />

ईसक्खा-सॊक-बम-रज्जा तस्स िीरयमॊ सभुछछरे ।।<br />

[६९०] िीरयएणॊ तु जीिस्स सभुछछलरएण गोमभा ।<br />

जम्भॊतयकए ऩािे ऩाणी हहमएण ननटॎिे ।।<br />

[६९१] तम्हा ननउणॊ भइ बारेउॊ गछछॊ सॊभग्गऩहटॎमॊ ।<br />

ननिसेज्ज तत्थ आजम्भॊ गोमभा सॊजए भुणी ।।<br />

[६९२] से बमिॊ कमये णॊ से गछछे जे णॊ िासेज्जा एिॊ तु गछछस्स ऩुछछा जाि णॊ<br />

िमासी । गोमभा! जत्थ णॊ सभ-सत्तु-लभत्त-ऩक्खे अछचॊत-सुननम्भर-विसुदॎॊत-कयणे आसामणा-बीरू सऩयो-<br />

िमायभब्बुज्जए अछचॊत-छज्जीि-ननकाम-िछछरे सव्िारॊफन-विप्ऩभुक्के अछचॊतभप्ऩभादी सविसेस-बफनतम-<br />

सभम-सब्बािे योद्ट्-ज्झाण-विप्ऩभुक्के सव्ित्थ अननगूहहम-फर-िीरयम-ऩुरयसक्काय-ऩयक्कभे, एगॊतेणॊ<br />

सॊजती-कप्ऩ-ऩरयबोग-वियए एगॊतेणॊ धम्भॊतयाम-बीरू एगॊतेणॊ तत्त-रुई एगॊतेणॊ जहा सत्तीए अटॎायसणहॊ<br />

सीरॊग-सहस्साणॊ आयाहगे समरभहच्न्नसानुसभमभगगराए जहोिइटॎ-भग्ग-ऩरूिए फहु-गुण-कलरए भग्गहटॎए<br />

सऩयोिमायभब्बुज्जए अछचॊतॊ अखलरम-सीरे भहामसे भहासत्ते भहानुबागे नाण-दॊसण-चयण-गुणोििेए गणी<br />

।<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

[६९३] से बमिॊ! ककभेस िासेज्जा गोमभा! अत्थेगे जे णॊ िासेज्जा अत्थेगे जे णॊ नो<br />

िासेज्जा से बमिॊ! के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ अत्थेगे जे णॊ िासेज्जा, अत्थेगे जे णॊ नो िासेज्जा गोमभा<br />

! अत्थेगे जे णॊ आणाए हठए जहा णॊ गोमभा ! अत्थेगे जे णॊ आणा-वियाहगे । जे णॊ आणा-हठए से णॊ<br />

सम्भद्ॊसण-नाण-चारयत्तायाहगे । जे णॊ सम्भद्ॊसण-नाण-चरयत्तायाहगे से णॊ गोमभा ! अछचॊत-विऊ<br />

सुऩियकम्भुज्जए भोक्खभग्गे, जे म उ णॊ आणा-वियाहगे से णॊ अनॊतानुफॊधी कोहे से णॊ अनॊतानुफॊधी भाने<br />

से णॊ अनॊतानुफॊधी कइमिे से णॊ अनॊतानुफॊधी रोबे, जे णॊ अनॊतानुफॊधी कोहाइ कसाम-चउक्के से णॊ घन-<br />

याग-दोस-भोह-लभछछत्त-ऩुॊजे । जे णॊ घन-याग-दोस-भोह-लभछछत्त-ऩुॊजे से णॊ अनुत्तये घोय-सॊसाये सभुद्े, जे<br />

णॊ अनुत्तय-घोय-सॊसाय-सभुद्े से णॊ ऩुणो ऩुणो जम्भॊ ऩुणो ऩुणो जया ऩुणो ऩुणो भछचू, जे णॊ ऩुणो ऩुणो<br />

जम्भ-जया-भयणे से णॊ ऩुणो ऩुणो फहू बिॊतय-ऩयाित्ते, जे णॊ ऩुणो ऩुणो फहू बिॊतय-ऩयाित्ते से णॊ ऩुणो<br />

ऩुणो चुरसीइ-जोणण-रक्खभाहहॊडणॊ ।<br />

जे णॊ ऩुणो ऩुणो चुरसीइ-जोणण-रक्खभाहहॊडणॊ से णॊ ऩुणो ऩुणो सुदूसहे घोय-नतलभसॊधमाये<br />

रुहहय-गचलरच्छचल्रे िसा-ऩूम-िॊत-वऩत्त-लसॊब-गचक्खल्र-दुग्गॊधासुइ-गचरीण-जॊिार-के स ककच्व्िस खयॊि<br />

ऩडडऩुन्ने अननटॎ-उच्व्िमणणज्ज-अइघोय-चॊडभहायोद्दुक्खदारुणे गब्ब-ऩयॊऩया-ऩिेसे, जे णॊ ऩुणो ऩुणो दारुणे<br />

गब्ब-ऩयॊऩया-ऩिेसे से णॊ दुक्खे से णॊ के से से णॊ योगामॊके से णॊ सोग-सॊतािुव्िेमगे जे णॊ दुक्ख-के स-<br />

योगामॊक-सोग-सॊतािुव्िेमगे से णॊ अननव्िुत्ती, जे णॊ अननव्िुत्ती से णॊ जहहटॎ-भनोयहाणॊ असॊऩत्ती, जे णॊ<br />

जहहटॎभनोयहाणॊ असॊऩत्ती से णॊ ताि ऩॊचप्ऩमाय-अॊतयाम-कम्भोदए । जत्थ णॊ ऩॊचप्ऩमाय-अॊतयाम-कम्भोदए<br />

तत्थ णॊ सव्ि-दुक्खाणॊ अग्गणीबूए ऩढभे ताि दारयद्े, जे णॊ दारयद्े से णॉ अमसब्बक्खाण अककत्ती-<br />

करॊकयासीणॊ भेरािगागभे ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [66] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


जे णॊ अमसब्बक्खाण-अककत्ती-करॊक-यासीणॊ भेरािगागभे से णॊ समर-जन-रज्जणणज्जे<br />

ननॊदणणज्जे गयहणणज्जे णखॊसणणज्जे दुगुॊछणणज्जे सव्ि-ऩरयबूए जीविए । जे णॊ सव्ि-ऩरयबूए जीविए से णॊ<br />

सम्भद्ॊसण-नाण-चारयत्ताइगुणेहहॊ सुदूयमेयणॊ विप्ऩभुक्के चेि भणुम जम्भे अन्नहा िा सव्ि ऩरयबूए चेि न<br />

बिेज्जा, जे णॊ सम्भद्ॊसण-नाण-चरयत्ताइ गुणेहहॊ सुदूयमयेणॊ विप्ऩभुक्के चेि न बिे से णॊ<br />

अननरुदॎासिदायत्ते चेि । जे णॊ अननरुदॎासिदायत्ते चेि से णॊ फहर-थूर-ऩािकम्भाममणे, जे णॊ फहर-<br />

थूर-ऩाि-कम्भाममणे से णॊ फॊधे से णॊ फॊधी से णॊ गुत्ती से णॊ चायगे से णॊ सव्िभकल्राणभभॊगर-जारे<br />

दुच्व्िभोक्खे कक्खड-घन-फदॎ-ऩुटॎ-ननकाइए कम्भ-गॊहठ ।<br />

जे णॊ कक्खड-घन-फदॎ-ऩुटॎ-ननकाइम-कम्भ-गॊठी से णॊ एगगॊहदमत्ताए फेइॊहदमत्ताए<br />

तेइॊहदमत्ताए चउरयॊहदमत्ताए ऩॊचेहदमत्ताए नायम-नतरयछछ-कु भानुसेसुॊ अनेगविहॊ सायीय-भानसॊ<br />

दुक्खभनुबिभाणे णॊ िेइमव्िॊ । एएणॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ जहा अत्थेगे जे णॊ िासेज्जा, अत्थेगे जे णॊ नो<br />

िासेज्जा ।<br />

[६९४] से बमिॊ ककॊ लभछछत्ते णॊ उछछाइए के इ गछछे बिेज्जा गोमभा ! जे णॊ से<br />

आणा-वियाहगे गछछे बिेज्जा, से णॊ ननछछमओ चेि लभछछत्तेणॊ उछछाइए गछछे बिेज्जा । से बमिॊ<br />

कमया उ ण सा आणा जीए हठए गछछे आयाहगे बिेज्जा गोमभा! सॊखाइएहहॊ थाणॊतयेहहॊ गछछस्स णॊ<br />

आणा ऩन्नत्ता, जीए हठए गछछे आयाहगे बिेज्जा ।<br />

[६९५] से बमिॊ ककॊ तेलसॊ सॊखातीताणॊ गछछभेया थाणॊतयाणॊ अच्त्थ, के ई अन्नमये<br />

थाणॊतयेण जे णॊ उसग्गेणॊ िा अििाएण िा कहॊ गचम ऩभाम-दोसेणॊ असई अइक्कभेज्जा अइक्कॊ तेणॊ िा<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

आयाहगे बिेज्जा गोमभा ननछछमओ नच्त्थ । से बमिॊ के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ <br />

गोमभा! नतत्थमये णॊ ताि नतत्थमये नतत्थे ऩुण चाउिणणे सभणसॊघे, से णॊ गछछेसुॊ ऩइहटॎए,<br />

गछछेसुॊ वऩ णॊ सम्भद्ॊसण-नाण-चारयत्ते ऩइहटॎए । ते म सम्भद्ॊसण-नाण-चारयत्ते ऩयभऩुज्जाणॊ ऩुज्जमये<br />

ऩयभ-सयणणाणॊ सयणणे ऩयभ-सेव्िाणॊ सेव्िमये । ताइॊ च जत्थ णॊ गछछे अन्नमये ठाणे कत्थइ<br />

वियाहहज्जॊनत से णॊ गछछे सभग्ग-ऩणासए उम्भग्ग-देसए । जे णॊ गछछे सम्भग्ग-ऩणासगे उम्भग्ग-देसए<br />

से णॊ ननछछमओ चेि अनायाहगे । एएणॊ अटॎेणॊ गोमभा ! एिॊ िुछचइ जहा णॊ सॊखादीमाणॊ गछछ-भेया<br />

ठाणॊतयाणॊ जे णॊ गछछे एगभन्नमयटॎाणॊ अइक्कभेज्जा से णॊ एगॊतेणॊ चेि आणावियाहगे ।<br />

[६९६] से णॊ बमिॊ के िइमॊ कारॊ जाि गछछस्स णॊ भेया ऩन्नविमा के िनतमॊ कारॊ जाि णॊ<br />

गछछस्स भेया नाइक्कभेमव्िा गोमभा! जाि णॊ भहामसे भहासत्ते भहानुबागे दुप्ऩसहे णॊ अनगाये ताि णॊ<br />

गछछभेया ऩन्नविमा जाि णॊ भहामसे भहासत्ते भहानुबागे दुप्ऩसहे अनगाये ताि णॊ गछछभेया<br />

नाइक्कभेमव्िा ।<br />

[६९७] से बमिॊ! कमयेहह णॊ लरॊगेहहॊ िइक्कलभमभेयॊ आसामणा-फहुरॊ उम्भग्ग-ऩहटॎमॊ गछछॊ<br />

विमाणेज्जा गोमभा! जॊ असॊठविमॊ सछछॊदमारयॊ अभुणणमसभमसब्बािॊ लरॊगोिजीविॊ ऩीढग परहग-ऩडडफदॎॊ<br />

अपासु-फाहहय-ऩाणग-ऩरयबोइॊ अभुणणम-सत्तभॊडरी-धम्भॊ सव्िािस्सग-काराइक्कभमारयॊ आिस्सग-हाननकयॊ<br />

ऊणाइरयत्ता-िस्सगऩवित्तॊ, गणणा-ऩभाण-ऊणाइरयत्त-यमहयण-ऩत्त-दॊडग-भुहनॊतगाइ-उिगयणधारयॊ<br />

गुरुिगयण-ऩरयबोइॊ उतयगुणवियाहगॊ गगहत्थछॊदानुवित्ताइॊ सम्भाणऩवित्तॊ ऩुढवि-दगागणण-िाऊ-िणप्पती-<br />

फीम-काम-तस-ऩाण-बफ-नत-चउ-ऩॊचेंहदमाणॊ कायणे िा अकायणे िा असती ऩभाम-दोसओ सॊघट्णादीसुॊ अहदटॎ-<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [67] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


दोसॊ आयॊब-ऩरयग्गह-ऩवित्तॊ अहदन्नारोमणॊ विगहा-सीरॊ अकारमारयॊ अविहह-सॊगहहओिगहहम-अऩरयच्क्खम<br />

ऩव्िा वि उिटॎाविम-अलसक्खाविम-दसविह-विनम-साभामारयॊ लरॊगगणॊ इड्हढ-यस-सामा-गायि जाइमभम<br />

चउक्कसाम भभकाय-अहॊकाय कलर-करह-झॊझा-डभय योद्ट्ज्झाणोिगमॊ अठाविम-फहु-भमहयॊ दे देहह च्त्त<br />

ननछछोडडमकयॊ फहु-हदिस-कम-रोमॊ विज्जा-भॊत-तॊत-जोग-जाणाहहज्जनेक्क फदॎकक्खॊ अिूढ-भूर जोग-<br />

ननओगॊ दुक्काराई-आरॊफणभासज्ज अकप्ऩ-कीमगाइऩरयबुॊजणसीरॊ जॊ ककॊ गच योगामॊकभारॊबफम<br />

नतगगछछाहहणॊदणसीरॊ जॊ ककॊ गच योगामॊकभासीम हदमा-तुमट्ण-सीरॊ कु सीर-सॊबासणाणुविच्त्तकयणसीरॊ<br />

अगीमत्थ-सुह-विणणग्गम-अनेग-दोस-ऩामड्हढ-िमणाणुटॎाण-सीरॊ अलस धणु खग्ग-गॊडडि-कोंत-चक्काइ<br />

ऩहयण-ऩरयग्गहहमा-हहॊडनसीरॊ साहुिेसुच्ज्झम अन्निेस ऩरयित्तकमाहहॊडणसीरॊ एिॊ जाि णॊ अदॎुटॎाओ<br />

ऩमकोडडओ ताि णॊ गोमभा ! असॊठविमॊ चेि गछछॊ िामयेज्जा ।<br />

[६९८] तहा अन्ने इभे फहुप्ऩगाये लरॊगे गछछस्स णॊ गोमभा! सभासओ ऩन्नविज्जॊनत । एते<br />

म णॊ ऩमरयसेणॊ गुरुगुणे विन्नेए, तॊ जहा-गुरु ताि सव्ि-जग-जीि-ऩाण-बूम-सत्ताणॊ भामा बिइ ककॊ ऩुण<br />

जॊ गछछ से णॊ सीस-गणाणॊ एगॊतेणॊ हहमॊ लभमॊ ऩत्थॊ इह-ऩयरोगसुहािहॊ आगभानुसायेणॊ हहओिएसॊ<br />

ऩमाइ । से णॊ देविॊद-नरयॊद रयवदॎ रॊबाणॊ वऩ ऩिरुत्तभे गुरुिएसप्ऩमाणॊ रॊबे ।<br />

तॊ च सत्ताणुकॊ ऩाए ऩयभ दुच्क्खए जम्भ जया भयणादीहह णॊ इभे बव्िसत्ता कहॊ नु नाभ<br />

लसि सुहॊ ऩािॊतु च्त्त काऊणॊ गुरुिएसॊ ऩमाइ, नो णॊ िसाणाहहबूए अहो णॊ गहग्घत्थे उम्भत्ते अच्त्थ एइ<br />

िा जहा णॊ भभ इभेणॊ हहओिएस-ऩमाणेणॊ अभुगटॎ-राबॊ बिेज्जा, नो णॊ गोमभा गुरुसीसगाणॊ ननस्साए<br />

सॊसायभुत्तयेज्जा नो णॊ ऩयकएहहॊ सुहासुहेहहॊ कस्सइ सॊफॊध अच्त्थ ।<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

[६९९] ता गोमभेत्थ एिॊ हठमच्म्भ जइ दढ-चरयत्त-गीमत्थे ।<br />

गुरु-गुण-कलरए म गुरू बणेज्ज असइॊ इभॊ िमणॊ ।।<br />

[७००] लभणगोणसॊगुरीए गणेहहॊ िा दॊत-चक्कराइॊ से ।<br />

तॊ तहभेि कयेज्जा कज्जॊतु तभेि जाणॊनत ।।<br />

[७०१] आगभ-विऊ कमाई सेमॊ कामॊ बणेज्ज आमरयमा ।<br />

तॊ तहा सद्हहमव्िॊ बविमव्िॊ कायणेण तहहॊ ।।<br />

[७०२] जो गगणहइ गुरु-िमणॊ बणणॊतॊ बािओ ऩसन्न-भनो ।<br />

ओसहलभि वऩज्जॊतॊ तॊ तस्स सुहािहॊ होइ ।।<br />

[७०३] ऩुन्नेहहॊ चोइमा ऩुय-कएहहॊ लसरय-बामणा बविम सत्ता ।<br />

गुरुॊ आगभेलस-बद्ा देिमलभि ऩज्जुिासॊनत ।।<br />

[७०४] फहु-सोक्ख-सम-सहस्साण दामगा भोमगा दुह-समाणॊ ।<br />

आमरयमा पु डभेमॊ के लस ऩएसीए ते हेऊ ।।<br />

[७०५] नयम-गइ-गभन-ऩरयहत्थए कए तए ऩएलसणा यन्ना ।<br />

अभय-विभाणॊ ऩत्तॊ तॊ आमरयमप्ऩबािेणॊ ।।<br />

[७०६] धम्भभइएहहॊ अइसुभहुयेहहॊ कायण-गुणोिणीएहहॊ ।<br />

ऩल्हामॊतो हहममॊ सीसॊ चोएज्जा आमरयओ ।।<br />

[७०७] एत्थॊ चायनममाणॊ ऩणऩन्नॊ होंनत कोडड-रक्खाओ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [68] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

कोडड-सहस्से कोडड-सए म तह एच्त्तए चेि ।।<br />

[७०८] एतेलसॊ भज्झाओ एगे ननव्िडइ गुण-गणाइणणे ।<br />

सव्िुत्तभ बॊगेणॊ नतत्थमयस्साणुसरयस गुरू ।।<br />

[७०९] से चेम गोमभा ! देमिमणा सूरयत्थ नामसेसाइॊ ।<br />

तॊ तह आयाहेज्जा जह नतत्थये चउव्िीसॊ ।।<br />

[७१०] सव्िभिी एत्थ ऩए दुिारसॊगॊ सुमॊ बाणणमव्िॊ ।<br />

बिइ तहा वि लभणभो सभाससायॊ ऩयॊ बणणे [तॊजहा] ।।<br />

[७११] भुणणणो सॊघॊ नतत्थॊ गण-ऩिमण-भोक्ख-भग्ग-एगटॎा ।<br />

दॊसण-नाण-चरयत्ते घोरुग्ग-तिॊ चेि गछछ-नाभे म ।।<br />

[७१२] ऩमरॊनत जत्थ धग धगधगस्स गुरुणा वि चोमए सीसे ।<br />

याग-द्ोसेणॊ अह अनुसएण तॊ गोमभ न गछछॊ ।।<br />

[७१३] गछचॊ भहानुबागॊ तत्थ िसॊताण ननज्जया विउरा ।<br />

सायण-िायण-चोमणभादीहहॊ न दोस-ऩडडित्ती ।।<br />

[७१४] गुरुणो छॊदणुित्ते सुविनीए च्जम-ऩयीसहे धीये ।<br />

न वि थदॎे न वि रुदॎे न वि गायविए न वि गहसीरे ।।<br />

[७१५] खॊते दॊते भुत्ते गुत्ते िेयग्गॊ-भग्गभल्रीणे ।<br />

दस-विह साभामायी आिस्सग सॊजभुज्जुत्ते ।।<br />

[७१६] खय-परुस-कक्कसाननटॎ-दुटॎ-ननटॎुय-गगयाए समहुत्तॊ ।<br />

ननब्बछछण-ननदॎडणभाईहहॊ न जे ऩओसॊनत ।।<br />

[७१७] जे म न अककच्त्त-जणए नाजस-जणए नऽकज्जकायी म ।<br />

न म ऩिमण-उड्डाहकये कॊ ठग्गम-ऩाण-सेसे वि ।।<br />

[७१८] सज्झाम-झाण-ननए धोयति-चयण-सोलसम-सयीये ।<br />

गम-कोह-भान-कइमि दूरुच्ज्झम याग-दोसे म ।।<br />

[७१९] विनओिमायकु सरे सोरसविह-िमण-बासणे कु सरे ।<br />

ननयिज्ज-िमण-बणणये न म फहु-बणणये न ऩुणऽबणणये ।।<br />

[७२०] गुरुणा कज्जभकज्जे खय-कक्कस-परुस-ननटॎुयभननटॎॊ ।<br />

बणणये तह च्त्त इत्थॊ बणॊनत सीसे-तमॊ गछछॊ ।।<br />

[७२१] दूरुच्ज्झम-ऩत्ताइसु भभत्तए ननच्प्ऩहे सयीये वि ।<br />

जामा-भामाहाये फामारीसेसणा कु सरे ।।<br />

[७२२] तॊ वऩ न रूि-यसत्थॊ बुॊजॊताणॊ न चेि दप्ऩत्थॊ ।<br />

अक्खोिॊग-ननलभत्तॊ सॊजभ-जोगाण िहणत्थॊ ।।<br />

[७२३] िेमण-िेमािछचे इरयमटॎाए म सॊजभटॎाए ।<br />

तह ऩाण-िच्त्तमाए छटॎॊ ऩुण धम्भ-गचॊताए ।।<br />

[७२४] अऩुव्ि-नाण-गहणे गथय-ऩरयगचम-धायणेक्कभुज्जुत्ते ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [69] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

सुत्तॊ अत्थॊ उबमॊ जाणॊनत अनुटॎमॊनत समा ।।<br />

[७२५] अटॎटॎ-नाण-दॊसण चारयत्तामाय नि-चउक्कॊ लभ ।<br />

अननगूहहम-फर-विरयए अगगराए धणणमभाउत्ते ।।<br />

[७२६] गुरुणा खय-परुसाननटॎ दुटॎ-ननटॎुय-गगयाए समहुत्तॊ ।<br />

बणणये नो ऩडडसूरयॊ नत जत्थ सीसे तमॊ गछछॊ ।।<br />

[७२७] तिसा अगचॊत-उप्ऩन्न-रवदॎ-साइसम-रयवदॎ-कलरए वि ।<br />

जत्थ न हीरेंनत गुरुॊ सीसे तॊ गोमभा ! गछछॊ ।।<br />

[७२८] तेसहटॎ-नत-सम-ऩािाउमाण विजमा विढत्त-जस-ऩुॊजे ।<br />

जत्थ न हीरेंनत गुरुॊ सीसे तॊ गोमभा ! गछछॊ ।।<br />

[७२९] जत्थाखलरमभलभलरमॊ अव्िाइदॎॊ ऩमक्खय-विसुदॎॊ ।<br />

विनओिहाण-ऩुव्िॊ दुिारसॊगॊ वऩ सुम-नाणॊ ।।<br />

[७३०] गुरु-चरण-बच्त्त-बय ननब्बयेक्क-ऩरयओस रदॎभारािे ।<br />

अज्झीमॊनत सुसीसा एगग्गभना स गोमभा ! गछछे ।।<br />

[७३१] स-गगराण-सेह-फाराउरस्स गछछस्स दसविहॊ विहहणा ।<br />

कीयइ िेमािछचॊ गुरु-आणत्तीए तॊ गछछॊ ।।<br />

[७३२] दस-विह-साभामायी जत्थहटॎए बव्ि-सत्त-सॊघाए ।<br />

लसज्झॊनत म फुज्झॊनत म न म खॊडडज्जइ तमॊ गछछे ।।<br />

[७३३] इछछा लभछछा तहक्कायो आिच्स्समा म ननसीहहमा ।<br />

आउॊ छणा म ऩडडऩुछछा छॊदणा म ननभॊतणा ।<br />

उिसॊऩमा म कारे साभामायी बिे दस-विहाओ<br />

।।<br />

[७३४] जत्थ म च्जटॎ-कननटॎो जाणज्जइ जेटॎ-विनम-फहुभानॊ ।<br />

हदिसेणॊ वि जो जेटॎो नो हीलरज्जइ तमॊ गछछॊ ।।<br />

[७३५] जत्थ म अज्जा कप्ऩॊ ऩाण-छचाए वि योयि-दुच्ब्बक्खे ।<br />

न म ऩरयबुज्जइ सहसा गोमभ गछछॊ तमॊ बणणमॊ ।।<br />

[७३६] जत्थ म अज्जाहह सभॊ थेया वि न उल्रिॊनत गम-दसना ।<br />

न म ननज्झामॊनतत्थी अॊगोिॊगाइॊ तॊ गछछॊ ।।<br />

[७३७] जत्थ म सॊननहह-उक्खड-आहड-भादीण नाभ-गहणे वि ।<br />

ऩूइ-कम्भाबीए आउत्ता कप्ऩ नतप्ऩॊनत ।।<br />

[७३८] जत्थ म ऩछचॊगुब्बड-दुज्जइ-जोव्िण-भयट्-दप्ऩेणॊ ।<br />

िाहहज्जॊता वि भुनी ननक्खॊनत नतरोत्तभॊ वऩ तॊ गछछॊ ।।<br />

[७<strong>३९</strong>] िामा-लभत्तेण वि जत्थ बट्-सीरस्स ननग्गहॊ विहहणा ।<br />

फहु-रवदॎ-जुमस्सािी कीयइ गुरुणा तमॊ गछछॊ ।।<br />

[७४०] भउए ननहुम-सहािे हास-दि-िच्ज्जए विगह-भुक्के ।<br />

असभॊजसभकयेंते गोमय-बूभटॎ विहयॊनत ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [70] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

[७४१] भुणणणो नाणालबग्गह दुक्कय ऩच्छछत्तभनुचयॊताणॊ ।<br />

जामइ गचत्त-चभक्कॊ देविॊदाणॊ वऩ तॊ गछछॊ ।।<br />

[७४२] जत्थ म िॊदन-ऩडडक्कभणभाइ भॊडलर विहाणननउण-णणू ।<br />

गुरुणो अखलरम-सीरे सममॊ कटॎुग्ग-ति-ननयए ।।<br />

[७४३] जत्थ म उसबादीणॊ नतत्थमयाणॊ सुरयॊदभहहमाणॊ ।<br />

कम्भटॎ-विप्ऩभुक्काण आणॊ न खलरज्जइ स गछछो ।।<br />

[७४४] नतत्थमये नतत्थमये नतत्थॊ ऩुण जाण गोमभा ! सॊघॊ ।<br />

सॊघे म हठए गछछे गछछ-हठए-नाण-दॊसण-चरयत्ते ।।<br />

[७४५] नादॊसणस्स नाणॊ दॊसणनाणे बिॊनत सव्ित्थ ।<br />

बमणा चारयत्तस्स उ दॊसण-नाणे धुिॊ अच्त्थ ।।<br />

[७४६] नाणी दॊसण-यहहओ चरयत्त-यहहओ उ बभइ सॊसाये ।<br />

जो ऩुण चरयत्त-जुत्तो सो लसज्झइ नच्त्थ सॊदेहो ।।<br />

[७४७] नाणॊ ऩगासमॊ सोहओ तिो सॊजभो उ गुच्त्तकयो ।<br />

नतणहॊ वऩ सभाओगे भोक्खो नेक्कस्स वि अबािे ।।<br />

[७४८] तस्स वि म सॊकॊ गाइॊ नाणाहद-नतगस्स खॊनत-भादीणण ।<br />

तेलसॊ चेक्के क्क-ऩमॊ जत्थाणुहटॎजइ स गछछो ।।<br />

[७४९] ऩुढवि-दगागणण-िाऊ-िणप्पई तह तसाण विविहाणॊ ।<br />

भयणॊते वि न भनसा कीयइ ऩीडॊ तमॊ गछछॊ ।।<br />

[७५०] जत्थ म फाहहय-ऩाणस्स बफॊदु-भेत्तॊ वऩ गगम्ह-भादीसुॊ ।<br />

तणहा-सोलसम-ऩाणे भयणे वि भुनी न इछछॊनत ।।<br />

[७५१] जत्थ म सूर-विसूइम-अन्नमये िा विगचत्त-भामॊके ।<br />

उप्ऩन्ने जरणुज्जारणाइॊ न कये भुनी तमॊ गछछॊ ।।<br />

[७५२] जत्थ म तेयसहत्थे अज्जाओ ऩरयहयॊनत नाण-धये ।<br />

भनसा सुम-देिमलभि सव्िलभिीत्थी ऩरयहयॊनत ।।<br />

[७५३] इनत-हास-खेड्ड-कॊ दप्ऩ नाह-िादॊ न कीयए जत्थ ।<br />

धोिण-डेिण-रॊघण न भमाय-जमाय-उछचयणॊ ।।<br />

[७५४] जच्त्थत्थी-कय-परयसॊ अॊतरयमॊ कायणे वि उप्ऩन्ने ।<br />

हदटॎीविस-हदत्तग्गी-विसॊ ि िच्ज्जज्जइ स गछछो ।।<br />

[७५५] जच्त्थत्थी-कय-परयसॊ लरॊगी अयहा वि समभवि कयेज्जा ।<br />

तॊ ननछछमओ गोमभ ! जाणणज्जा भूर-गुण-फाहा ।।<br />

[७५६] भूर-गुणेहहॊ उ खलरमॊ फहु-गुण-कलरमॊ वऩ रवदॎ-सॊऩन्नॊ ।<br />

उत्तभ-कु रे वि जामॊ ननदॎाडडज्जइ जहहॊ तमॊ गछछॊ ।।<br />

[७५७] जत्थ हहयणण-सुिणणे धण-धन्ने कॊ स-दूस-परहाणॊ ।<br />

समणाणॊ आसणाणॊ म न म ऩरयबोगो तमॊ गछछॊ ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [71] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

[७५८] जत्थ हहयणण-सुिणणॊ हत्थेण ऩयागमॊ वऩ नो च्छछप्ऩे ।<br />

कायण-सभच्प्ऩमॊ वऩ हु खण-ननलभसदॎॊ वऩ तॊ गछछॊ ।।<br />

[७५९] दुदॎय-फॊबव्िमऩारणटॎ अज्जाण चिर-गचत्ताणॊ ।<br />

सत्त सहस्सा ऩरयहाय-टॎाण िी जत्थच्त्थ तॊ गछछॊ ।।<br />

[७६०] जत्थुत्तयिडऩडडउत्तयेहहॊ अज्जाओ साहुणा सवदॎॊ ।<br />

ऩरिॊनत सुकु दॎा िी गोमभ ! ककॊ तेन गछछेणॊ ।।<br />

[७६१] जत्थ म गोमभ फहु विहविकप्ऩ-कल्रोर-चॊचर-भणाणॊ ।<br />

अज्जाणभनुहटॎज्जइ बणणमॊ तॊ के रयसॊ गछछॊ ।।<br />

[७६२] जत्थेक्कॊ गसयीयो साहू अह साहूणण व्ि हत्थ समा ।<br />

उड्ढॊ गछछेज्ज फहहॊ गोमभा ! गछछॊलभ का भेया ।।<br />

[७६३] जत्थ म अज्जाहह सभॊ सॊरािुल्राि-भाइ-ििहायॊ ।<br />

भोत्तुॊ धम्भुिएसॊ गोमभ ! तॊ के रयसॊ गछछॊ ।।<br />

[७६४] बमिभननमत्त-विहायॊ ननमम-विहाय न ताि साहूणॊ ।<br />

कायण नीमािासॊ जो सेिे तस्स का ित्ता ।।<br />

[७६५] ननम्भभ-ननयहॊकाये उज्जुत्ते नाण-दॊसण-चरयत्ते ।<br />

समराॊयब-विभुक्के अप्ऩडडफदॎे स-देहे वि ।।<br />

[७६६] आमायभामयॊते एगक्खेत्ते वि गोमभा भुणणणो ।<br />

िास-समॊ वऩ िसॊते गीमत्थेऽऽयाहगे बणणए ।।<br />

[७६७] जत्थ सभुद्ेस-कारे साहूणॊ भॊडरीए अज्जाओ ।<br />

गोमभ ! ठिॊनत ऩादे इत्थी-यज्जॊ न तॊ गछछॊ ।।<br />

[७६८] जत्थ म हत्थ-सए वि म यमणीचायॊ चउणहभूणाओ ।<br />

उड्ढॊ दसणणभसइॊ कयेंनत अज्जाउॊ नो तमॊ गछछॊ ।।<br />

[७६९] अििाएणॊ वि कायण-िसेण अज्जा चउणहभूणाओ ।<br />

गाऊमभवि ऩरयसक्कॊ नत जत्थ तॊ के रयसॊ गछछॊ ।।<br />

[७७०] जत्थ म गोमभ साहू अज्जाहहॊ सभॊ ऩहच्म्भ अटॎूणा ।<br />

अििाएण वि गछछेज्ज तत्थ गछछच्म्भ का भेया<br />

।।<br />

[७७१] जत्थ म नत-सहटॎ-बेमॊ चक्खूयागग्गु दीयणणॊ साहू ।<br />

अज्जाओ ननरयक्खेज्जा तॊ गोमभ ! के रयसॊ गछछॊ ।।<br />

[७७२] जत्थ म अज्जा रदॎॊ ऩडडग्गहभाहद-विविहभुिगयणॊ ।<br />

ऩरयबुज्जइ साहूहहॊ तॊ गोमभा ! के रयसॊ गछछॊ ।।<br />

[७७३] अइदुरहॊ बेसज्जॊ फर-फुवदॎ-वििदॎणॊ वऩ ऩुहटॎकयॊ ।<br />

अज्जा रदॎॊ बुज्जइ का भेया तत्थ गछछच्म्भ ।।<br />

[७७४] सोऊण गई सुकु भालरमाए तह ससग-बसग-बइणीए ।<br />

ताि न िीसलसमव्िॊ सेमटॎी धच्म्भओ जाि ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [72] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

[७७५] दढचारयत्तॊ भोत्तुॊ आमरयमॊ भमहयॊ च गुण-यालसॊ ।<br />

अज्जा अज्झािेइ तॊ अनगायॊ न तॊ गछछॊ ।।<br />

[७७६] घन-गच्ज्जम हम-कु हुकु हुम-विज्जु-दुगेज्झ-भूढ-हहममाओ ।<br />

होज्जा िािारयमाओ इत्थी यज्जॊ न तॊ गछछॊ ।।<br />

[७७७] ऩछचक्खा सुमदेिी ति-रदॎीए सुयाहहि-नुमा वि ।<br />

जत्थ रयएज्जेक्कज्जा इत्थीयज्जॊ न तॊ गछछॊ ।।<br />

[७७८] गोमभ! ऩॊच-भहव्िम गुत्तीणॊ नतणहॊ ऩॊच-सलभईणॊ ।<br />

दस-विह-धम्भस्सेक्कॊ कहवि खलरज्जइ न तॊ गछछॊ ।।<br />

[७७९] हदण-हदच्क्खमस्स दभगस्स अलबभुहा अज्ज चॊदणा अज्जा ।<br />

नेछछइ आसन-गहणॊ सो विनओ सव्ि-अज्जाणॊ ।।<br />

[७८०] िास-सम-हदच्क्खमाए अज्जाए अज्ज-हदच्क्खओ साहू ।<br />

बच्त्तब्बय-ननब्बयाए िॊदन-विनएण सो ऩुज्जो ।।<br />

[७८१] अच्ज्जम-राबे गगदॎा सएण राबेण जे असॊतुटॎा ।<br />

लबक्खामरयमा-बग्गा अच्न्नमउत्तॊ गगयाहहॊनत ।।<br />

[७८२] गम-सीस-गणॊ ओभे लबक्खामरयमा-अऩछचरॊ थेयॊ ।<br />

गणणहहॊनत न ते ऩािे अच्ज्जमराबॊ गिेसॊता ।।<br />

[७८३] ओभे सीस-ऩिासॊ अप्ऩडडफदॎॊ अजॊगभत्तॊ च ।<br />

न गभेज्ज एगणखत्ते गणेज्ज िासॊ ननममिासी ।।<br />

[७८४] आरॊफणाण बरयओ रोओ जीिस्स अजउकाभस्स ।<br />

जॊ जॊ ऩेछछइ रोए तॊ तॊ आरॊफनॊ कु णइ ।।<br />

[७८५] जत्थ भुणीण कसाए चभहढज्जॊतेहहॊ ऩय-कसाएहहॊ ।<br />

नेछछेज्ज सभुटॎेउॊ सुननविटॎो ऩॊगुरो व्ि तमॊ गछछॊ ।।<br />

[७८६] धम्भॊतयाम-बीए बीए सॊसाय-गब्ब-िसहीणॊ ।<br />

नोदीरयज्ज कसाए भुनी भुणीणॊ तमॊ गछछॊ ।।<br />

[७८७] सीर-ति-दान-बािन चउविह-धम्भॊतयाम बम-बीए ।<br />

जत्थ फहू गीमत्थे गोमभ गछछॊ तमॊ िासे ।।<br />

[७८८] जत्थ म कम्भवििागस्स चेहटॎमॊ चउगईए जीिाणॊ ।<br />

नाऊण भहियदॎे वि नो ऩकु प्ऩॊनत तॊ गछछॊ ।।<br />

[७८९] जत्थ म गोमभ ! ऩॊचणहॊ कहवि सूणाण एक्कभवि होज्जा ।<br />

तॊ गछछॊ नतविहेणॊ िोलसरयम िएज्ज अन्नत्थ ।।<br />

[७९०] सूणायॊब-ऩवित्तॊ गछछॊ िेसुज्जरॊ च न िसेज्जा ।<br />

जॊ चारयत्त-गुणेहहॊ तु उज्जरॊ तॊ ननिासेज्जा ।।<br />

[७९१] नतत्थमयसभे सूयी दुज्जम-कम्भटॎ-भल्र-ऩडडभल्रे ।<br />

आणॊ अइक्कभॊते ते काऩुरयसे न सप्ऩुरयसे ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [73] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


।<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

[७९२] बटॎामायो सूयी बटॎामायानुिेक्खओ सूरय ।<br />

उम्भग्ग-हठओ सूयी नतच्न्न वि भग्गॊ ऩणासेंनत ।।<br />

[७९३] उम्भग्गए-हठए सूरयच्म्भ ननच्छछमॊ बव्ि-सत्त-सॊघाए ।<br />

जम्हा तॊ भग्गभनुसयॊनत तम्हा न तॊ जुत्तॊ ।।<br />

[७९४] एक्कॊ वऩ जो दुहत्तॊ सत्तॊ ऩरयफोहहउॊ ठिे भग्गे ।<br />

ससुयासुयच्म्भ वि जगे तेणेहॊ घोलसमॊ अभाधामॊ ।।<br />

[७९५] बूए अच्त्थ बविस्सॊनत के ई जग-िॊदनीम-कभ-जुगरे ।<br />

जेलसॊ ऩयहहम-कयणेक्क-फदॎ-रक्खाण िोलरही कारॊ ।।<br />

[७९६] बूए अनाइ-कारेण के ई होहहॊनत गोमभा ! सूरय ।<br />

नाभग्गहणेण वि जेलसॊ होज्ज ननमभेणॊ ऩच्छछत्तॊ ।।<br />

[७९७] एमॊ गछछ-िित्थॊ दुप्ऩसहानॊतयॊ तु जो खॊडे ।<br />

तॊ गोमभ जाण गणणॊ ननछछमओ ऽनॊत-सॊसायी ।।<br />

[७९८] जॊ समर-जीि जग-भॊगरेक्क कल्राण-ऩयभ-कल्राणे ।<br />

लसवदॎ-ऩहे िोच्छछन्ने ऩच्छछत्तॊ होइ तॊ गणणणो ।।<br />

[७९९] तम्हा गणणणा सभ-सत्तु लभत्त-ऩक्खेण ऩयहहम-यएणॊ ।<br />

कल्राण-कॊ खुणा अप्ऩणो म आणा न रॊघेमा ।।<br />

[८००] एिॊ भेया णॊ रॊघेमव्ि च्त्त,<br />

एमॊ गछछ िित्थॊ रॊघेत्तु नत-गायिेहहॊ ऩडडफदॎे ।<br />

सॊखाईए गणणणो अज्ज वि फोहहॊ न ऩाविॊनत<br />

।।<br />

[८०१] न रबेहहॊनत म अन्ने अनॊत-हुत्तो वि ऩरयबभॊतेत्थॊ ।<br />

चउ-गइ-बि-सॊसाये चेटॎेज्जा गचयॊ सुदुक्खत्ते ।।<br />

[८०२] चोद्स-यज्जू-रोगे गोमभ ! िारग्ग-कोडडभेत्तॊ वऩ ।<br />

तॊ नच्त्थ ऩएसॊ जत्थ अनॊत-भयणे न सॊऩच्त्त ।।<br />

[८०३] चुरसीइ-जोणण-रक्खे सा जोणी नच्त्थ गोमभा ! इहइॊ ।<br />

जत्त न अनॊतहुत्तो सव्िे जीिा सभुप्ऩन्ना ।।<br />

[८०४] सूईहहॊ अच्ग्ग-िन्नाहहॊ सॊलबन्नस्स ननयॊतयॊ ।<br />

जािइमॊ गोमभा ! दुक्खॊ गब्बे अटॎ-गुणॊ तमॊ ।।<br />

[८०५] गब्बाओ ननच्प्पडॊतस्स जोणी-जॊत-ननऩीरणे ।<br />

कोडी-गुणॊ तमॊ दुक्खॊ कोडाकोडड-गुणॊ वऩ िा ।।<br />

[८०६] जामभाणाण जॊ दुक्खॊ भयभाणाण जॊतूणॊ ।<br />

तेणॊ दुक्ख-वििागेणॊ जाइॊ न सयॊनत अत्ताणणॊ ।।<br />

[८०७] नाणाविहासु जोणीसु ऩरयबभॊतेहहॊ गोमभा ! ।<br />

तेण दुक्ख-वििाएणॊ सॊबरयएण न च्जव्िए ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [74] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


[८०८] जम्भ-जया-भयण-दोग्गछच िाहीओ गचटॎॊतु ता ।<br />

रज्जेज्जा गब्ब-िासेणॊ को न फुदॎो भहाभती ।।<br />

[८०९] फहु-रुहहय-ऩूई-जॊफारे असुइ म कलरभर-ऩूरयए ।<br />

अननटॎे म दुच्ब्बगॊधे गब्बे को गधई रबे ।।<br />

[८१०] ता जत्थ दुक्ख-विच्क्खयणॊ एगॊत-सुह-ऩािणॊ ।<br />

से आणॊ नो खॊडेज्जा आणा बॊगे कु ओ सुहॊ ।।<br />

[८११] से बमिॊ ! अटॎणहॊ साहूणभसइॊ उस्सग्गेण िा अििाएण िा चउहहॊ अनगायेहहॊ सभॊ<br />

गभनागभनॊ ननमॊहठमॊ तहा दसणहॊ सॊजईणॊ हेटॎा उसग्गेणॊ, चउणहॊ तु अबािे अििाएणॊ हत्थ-समाओ उदॎॊ<br />

गभनॊ नाणुणणामॊ । आणॊ िा अइक्कभॊते साहू िा साहूणीओ िा अनॊत-सॊसारयए सभक्खाए । ता णॊ से<br />

दुप्ऩसहे अनगाये असहाए बिेज्जा, सा वि म विणहुलसयी अनगायी असहामा चेि बिेज्जा । एिॊ तु ते कहॊ<br />

आयाहगे बिेज्जा गोमभा! णॊ दुस्सभाए ऩरयमॊते ते चउयो जुगप्ऩहाणे खाइग-सम्भत्त-नाण-दॊसण-चारयत्त-<br />

सभच्णणए बिेज्जा । तत्थ णॊ जे से भहामसे भहानुबागे दुप्ऩसहे अनगाये से णॊ अछचॊत विसुदॎ-सम्भ-<br />

द्ॊसण-नाण-चारयत्त-गुणेहहॊ उििेए सुहदटॎ-सुगइ-भग्गे आसामणा-बीरू अछचॊत-ऩयभ-सदॎा-सॊिेग-िेयग्ग-<br />

सॊभग्गहटॎए ननयब्ब-गमणाभर-सयम-कोभुइ-ऩुच्न्नभामॊद-कय-विभर-ऩय-ऩयभ-जसे, िॊदाणॊ ऩयभ-िॊदे ऩूमाणॊ<br />

ऩयभऩूए बिेज्जा ।<br />

तहा सा वि म सम्भत्तॊ-नाण-चारयत्त-ऩडागा, भहामसा, भहासत्ता, भहानुबागा, एरयस-गुण-<br />

जुत्ता चेि सुगहहमनाभगधज्जा विणहुलसयी अनगायी बिेज्जा, तॊ वऩ णॊ च्जनदत्त-पग्गुलसयी नाभॊ सािग-<br />

लभहुणॊ फहु-िासय-िणणणणज्जगुणॊ चेि बिेज्जा । तहा तेलसॊ सोरस-सॊिछछयाइॊ ऩयभॊ आउॊ अटॎ म<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

ऩरयमाओ आरोइम-नीसल्राणॊ च ऩॊचनभुक्काय-ऩयाणॊ चउत्थॊ-बत्तेणॊ सोहम्भे कप्ऩे उििाओ । तमनॊतयॊ च<br />

हहहटॎभ-गभनॊ । तहा वि ते एमॊ गछछ-िित्थॊ नो विरॊनघॊसु ।<br />

[८१२] से बमिॊ ! के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ जहा णॊ तहा वि ते एमॊ गछछ िित्थॊ नो<br />

विरॊनघॊसु गोमभा ! णॊ इओ आसन्न-कारे णॊ चेि भहामसे भहासत्ते भहानुबागे सेज्जॊबिे नाभॊ अनगाये<br />

भहातिस्सी भहाभई दुिार-सॊग-सुमधायी बिेज्जा । से णॊ अऩक्खिाएणॊ अप्ऩाउक्खे बव्ि-सत्ते-<br />

सुमअनतसएणॊ विणणाम एक्कयसणहॊ अॊगाणॊ चोद्सणहॊ ऩुव्िाणॊ ऩयभसाय-निणीम-बूमॊ सुऩउणॊ सुऩदॎरुज्जमॊ<br />

लसवदॎभग्गॊ दसिेमालरमॊ नाभ सुमक्खॊधॊ ननऊहेज्जा, से बमिॊ ककॊ ऩडुछच गोमभा! भनगॊ ऩडुछचा जहा कहॊ<br />

नाभ एमस्स णॊ भनगस्स ऩायॊऩरयएणॊ थेिकारेणेि भहॊत-घोय-दुक्खागयाओ चउ-गइ-सॊसाय-सागयाओ<br />

ननप्पे डो बितु, बिदुगुॊछेिन न विना सव्िन्नुिएसेणॊ, से म सव्िन्नुिएसे अनोयऩाये दुयिगाढे अनॊत-<br />

गभऩज्जिेहहॊ नो सक्का अप्ऩेणॊ कारेणॊ अिगाहहउॊ । तहा णॊ गोमभा ! अइसए णॊ एिॊ गचॊतेज्जा । एिॊ से<br />

णॊ सेज्जॊबिे जहा ।<br />

[८१३] अनॊतऩायॊ फहु जाणणमव्िॊ, अप्ऩो म कारो फहुरे म विग्घे ।<br />

जॊ सायबूमॊ तॊ गगच्णहमव्िॊ, हॊसो जहा खीयलभिॊफु भीसॊ ।।<br />

[८१४] तेणॊ इभस्स बव्ि-सत्तस्स भनगस्स तत्त-ऩरयन्नाणॊ बिउ च्त्त काऊणॊ जाि णॊ<br />

दसिेमालरमॊ सुमक्खॊधॊ ननज्जूहेज्जा, तॊ च िोच्छछणणेणॊ तक्कार-दुिारसॊगेणॊ गणणवऩडगेणॊ जाि णॊ दूसभाए<br />

ऩरयमॊते दुप्ऩसहे ताि णॊ सुत्तत्थेणॊ िाएजा, से म समरागभ-ननस्सॊदॊ दसिेमालरम-सुमक्खॊधॊ सुत्तओ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [75] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झीहीम गोमभा! से णॊ दुप्ऩसहे अनगाये तओ तस्स णॊ दसिेमालरम-सुत्तस्सानुगमत्थानुसायेणॊ तहा चेि<br />

ऩित्तेज्जा, नो णॊ सछछॊदमायी बिेज्जा तत्थ । म दसिेमालरम-सुमक्खॊधे तक्कारलभणभो दुिारसॊगे<br />

सुमक्खॊधे ऩइहटॎए बिेज्जा । एएणॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ जहा तहा वि णॊ गोमभा ! ते एिॊ गछछ-िित्थॊ नो<br />

विरॊनघॊसु ।<br />

[८१५] से बमिॊ जइ णॊ गणणणो वि अछचॊत-विसुदॎ-ऩरयणाभस्स वि के इ दुस्सीरे<br />

सछछॊदत्ताए इ िा गायित्ताए इ िा जामाइभमत्ताए इ िा आणॊ अइक्कभेज्जा, से णॊ ककभायाहगे बिेज्जा<br />

गोमभा ! जे णॊ गुरु सभ सत्तुलभत्त-ऩक्खो गुरु-गुणेसुॊ हठए सममॊ सुत्तानुसायेणॊ चेि विसुदॎासए<br />

विहयेज्जा, तस्साणभइक्कॊ तेहहॊ नि-नउएहहॊ चउहहॊ सएहहॊ साहूणॊ जहा तहा चेि अनायाहगे बिेज्जा ।<br />

[८१६] से बमिॊ कमये णॊ ते ऩॊच सए एक्क वििच्ज्जए साहूणॊ जेहहॊ च णॊ तारयस-<br />

गुणोििेमस्स भहानुबागस्स गुरुणो आणॊ अइक्कलभउॊ नायाहहमॊ गोमभा! णॊ इभाए चेि उसब-चउिीलसगाए<br />

अतीताए तेिीसइभाए चउिीलसगाए जाि णॊ ऩरयननव्िुडे चउिीसइभे अयहा ताि णॊ अइक्कॊ तेणॊ के िइएणॊ<br />

कारेणॊ गुण-ननप्पन्ने कम्भसेर-भुसुभूयणे भहामसे भहासत्ते भहानुबागे सुगहहम-नाभधेज्जे, िइये नाभॊ<br />

गछछाहहिई बूए । तस्स णॊ ऩॊच-समॊ गछछॊ ननग्गॊथीहहॊ विना ननग्गॊथीहहॊ सभॊ दो सहस्से म अहेलस । ता<br />

गोमभा! ताओ ननग्गॊथीओ अछचॊत ऩयरोग बीरुमाओ सुविसुदॎ ननम्भरॊतकयणाओ खॊताओ दॊताओ भुत्ताओ<br />

च्जइॊहदमाओ अछचॊत बणणयीओ ननम-सयीयस्सा वि म छक्काम-िछछराओ जहोिइटॎ-अछचॊतघोय-िीय-ति-<br />

चयण-सोलसम-सयीयाओ जहा णॊ नतत्थमयेणॊ ऩन्नविमॊ तहा चेि अदीन-भनसाओ भामा-भम-<br />

अहॊकाय-भभाकाय यनतहास-खेड्ड-कॊ दप्ऩ-नाहिाम-विप्ऩभुक्काओ तस्सामरयमस्स सगासे साभणणभनुचयॊनत ।<br />

ते म साहुणो सव्िे वि गोमभा! न तारयसे भनागा, अहणणमा गोमभा ते साहुणो त आमरयमॊ<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

बणॊनत जहा जइ णॊ बमिॊ ! तुभॊ आणिेहहॊ ता णॊ अम्हेहहॊ नतत्थयजत्तॊ करयम चॊदप्ऩह-सालभमॊ िॊहदम<br />

धम्भ-चक्कॊ गॊतूणभागछछाभो, ताहे गोमभा ! अदीनभनसा अनुत्तािर-गॊबीय-भहुयाए बायतीए बणणमॊ<br />

तेनामरयएणॊ जहा इछछामायेणॊ न कप्ऩइ नतत्थजत्तॊ गॊतुॊ सुविहहमाणॊ ता जाि णॊ फोरेइ जत्तॊ ताि णॊ अहॊ<br />

तुम्हे चॊदप्ऩहॊ िॊदािेहालभ । अन्नॊ च-जत्ताए गएहहॊ असॊजभे ऩडडिज्जइ । एएणॊ कायणेणॊ नतत्थमत्ता<br />

ऩडडसेहहज्जइ । तओ तेहहॊ बणणमॊ जहा बमिॊ ! के रयसो उण नतत्थमत्ताए गछछभाणाणॊ असॊजभो बिइ सो<br />

ऩुण इछछामायेणॊ बफइज्ज-िायॊ एरयसॊ उल्रािेज्जा फहु-जनेणॊ िाउरगो बच्णणहहलस । ताहे गोमभा ! गचॊनतमॊ<br />

तेणॊ आमरयएणॊ जहा णॊ भभॊ िइक्कलभम ननछछमओ एए गच्छछहहॊनत तेणॊ तु भए सभमॊ चडुत्तयेहहॊ िमॊनत<br />

।<br />

अहणणमा सुफहुॊ भनसा सॊधयेऊणॊ चेि बणणमॊ तेणॊ आमरयएणॊ – जहा णॊ तुब्बे ककॊ गच वि<br />

सुत्तत्थॊ विमाणह च्छचम, ता जारयसॊ नतत्थमत्ताए गछछभाणाणॊ असॊजभॊ बिइ तारयसॊ समभेि विमाणेह,<br />

ककॊ एत्थ फहु-ऩरविएणॊ अन्नॊ च-विहदमॊ तुम्हेहहॊ वऩ सॊसायसहािॊ जीिाइमऩत्थ-तत्तॊ च ।<br />

अहणणमा फहु उिाएहहॊ णॊ विननिारयॊतस्स वि तस्सामरयमस्स गए चेि ते साहुणो णॊ कु दॎेणॊ<br />

कमॊतेणॊ ऩेरयए नतत्थमत्ताए, तेलसॊ च गछछभाणाणॊ कत्थइ अनेसनॊ, कत्थइ हरयम-काम-सॊघट्णॊ कत्थइ<br />

फीमक्कभणॊ कत्थइ वऩिीलरमादीणॊ तसाणॊ सॊघिण-ऩरयतािणोद्िणाइ-सॊबिॊ, कत्थइ फइटॎऩडडक्कभणॊ कत्थइ<br />

न कीयए चेि चाउक्कालरमॊ सज्झामॊ, कत्थइ न सॊऩाडेज्जा भत्तबॊडोिगयणस्स विहीए उबम-कारॊ ऩेह-<br />

ऩभज्जण-ऩडडरेहण-ऩक्खोडणॊ, ककॊ फहुना गोमभा ! के च्त्तमॊ बच्णणहहई अटॎायसणहॊ सीरॊगसहस्साणॊ,<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [76] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


सत्तयस विहस्स णॊ सॊजभस्स, दुिारसविहस्स णॊ सब्बॊतयफाहहयस्स तिस्स जाि णॊ खॊताइ-अहहॊसा-<br />

रक्खणस्सेि म दस-विहस्सानगाय-धम्भस्स, जत्थेक्के क्कऩमॊ चेि सुफहुएणॊ वऩ कारेणॊ गथय-ऩरयगचएण<br />

दुिारसॊग-भहासुमक्खॊधेणॊ फहु-बॊग-सम-सॊघत्तणाए दुक्खॊ ननयइमायॊ ऩरयिालरऊणॊ जे, एमॊ च सव्िॊ जहा-<br />

बणणमॊ ननयइमायभनुटॎेमॊ नत ।<br />

एिॊ सॊसरयऊण गचॊनतमॊ तेण गछछाविहइणा जहा णॊ भे विप्ऩयोक्खेणॊ ते दुटॎ-सीसे भज्झॊ<br />

अनाबोग-ऩछचएणॊ सफहुॊ असॊजभॊ काहहॊनत, तॊ च सव्िॊ भे भछछॊनतमॊ होही जओ णॊ हॊ तेलसॊ गुरू, ता हॊ<br />

तेलसॊ ऩटॎीए गॊतूणॊ ते ऩडडजागयालभ, जेणाहभेत्थ ऩए ऩामच्छछत्तेणॊ नो सॊिज्झेज्ज च्त्त विमच्प्ऩऊणॊ गओ<br />

सो आमरयओ तेलसॊ ऩटॎीए जाि णॊ हदटॎो तेणॊ असभॊजसेणॊ गछछभाणे ।<br />

ताहे गोमभा सुभहुय-भॊजुरारािेणॊ बणणमॊ तेणॊ गछछाहहिइणा । जहा-बो बो ! उत्तभकु र-<br />

ननम्भर-िॊस-विबूसणा अभुग-ऩभुगाइ-भहासत्ता साहू ! उप्ऩहऩडडिन्नाणॊ ऩॊच-भहव्िमा-हहहटॎम-तणूणॊ<br />

भहाबागाणॊ साहु-साहुणीणॊ सत्तािीसॊ सहस्साइॊ थॊडडराणॊ सव्िदॊसीहहॊ ऩन्नताइॊ ते म सुउिउत्तेहहॊ<br />

विसोहहज्जॊनत न उणॊ अनोिउत्तेहहॊ । ता ककभेमॊ सुन्नासुन्नीए अनोिउत्तेहहॊ गम्भइ इछछामायेणॊ <br />

उिओगॊ देह, अन्नॊ च-इणभो सुत्तत्थॊ ककॊ तुम्हाणॊ विसुभरयमॊ बिेज्जा जॊ सायॊ सव्ि-ऩयभ-तत्ताणॊ जहा<br />

एगे फेइॊहदए ऩाणी एगॊ समभेि हत्थेण िा ऩाएण िा अन्नमयेण िा सरागाइ-अहहगयण-बूओिगयण-जाएण<br />

जे णॊ के ई सॊघट्ेज्जा सॊघट्ािेज्जा िा, एिॊ सॊघहट्मॊ िा ऩयेहहॊ सभनुजाणेज्जा,<br />

से णॊ तॊ कम्भॊ जमा उहदणणॊ बिेज्जा तमा जहा उछछु -खॊडाइॊ जॊते तहा ननप्ऩीलरज्जभाणा<br />

छम्भासेणॊ खिेज्जा, एिॊ गाढे दुिारसेहहॊ सॊिछछयेहहॊ तॊ कम्भॊ िेदेज्जा । एिॊ अगाढऩरयमािणे िास-सहस्सॊ<br />

गाढऩरयमािणे दस-िास-सहस्से एिॊ अगाढ-ककरािणे िास-रक्खॊ गाढ-ककरािणे दस-िास-रक्खाइॊ उद्िणे<br />

िास-कोडी । एिॊ तेइॊहदमाईसुॊ वऩ नेमॊ । ता एिॊ च विमाणभाणा भा तुम्हे भुज्झह च्त्त, एिॊ च गोमभा !<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

सुत्तानुसायेणॊ सायमॊतस्सावि तस्सामरयमस्स ते भहा-ऩािकम्भे गभ-गभ-हल्रप्परेणॊ हल्रोहल्रीबूएणॊ तॊ<br />

आमरयमाणॊ िमणॊ असेस-ऩाि-कम्भटॎ-दुक्ख-विभोमगॊ न फहु भन्नॊनत ।<br />

ताहे गोमभा भुणणमॊ तेणामरयएणॊ जहा-ननछछमओ उम्भग्गऩहटॎए सव्िऩगायेहहॊ चेि इभे<br />

ऩािभई दुटॎ-सीसे, ता ककभटॎभहलभभेलसॊ ऩटॎीए रल्री-िागयणॊ कयेभाणो अनुगछछभाणो म सुक्खाए गम-<br />

जराए नदीए उफुज्झॊ एए गछछॊतु दस-दुिायेहहॊ अहमॊ तु तािाम-हहमभेिानुगचटॎेभो । ककॊ भज्झॊ ऩय-कएणॊ<br />

सुभहॊतेणावि ऩुन्न-ऩब्बायेणॊ थेिभवि ककॊ गच ऩरयत्ताणॊ बिेज्जा । स-ऩयक्कभेणॊ चेि भे आगभुत्त-ति-<br />

सॊजभानु-टॎाणेणॊ बिोमही तयेमव्िो । एस उणॊ नतत्थमयाएसो [जहा]<br />

[८१७] अप्ऩहहमॊ कामव्िॊ जइ सक्का ऩयहहमॊ वऩ ऩमयेज्जा ।<br />

अत्त-हहम-ऩय-हहमाण अत्त-हहमॊ चेि कामव्िॊ ।।<br />

[८१८] अन्नॊ च-जइ एते ति-सॊजभ-ककरयमॊ अनुऩारेहहॊनत तओ एतेलसॊ चेि सेमॊ होहहइ, जइ<br />

न कयेहहॊनत तओ एएलसॊ चेि दुग्गइ-गभनभनुत्तयॊ हिेज्जा । नियॊ तहा वि भभ गछछो सभच्प्ऩओ,<br />

गछछाहहिई अहमॊ बणालभ अन्नॊ च-<br />

जे नतत्थमयेहहॊ बगिॊतेहहॊ छत्तीसॊ आमरयमगुणे सभाइटॎे तेलसॊ तु अहमॊ एक्कभवि<br />

नाइक्कभालभ जइ वि ऩाणोियभॊ बिेज्जा । जॊ च आगभे इह-ऩयरोग-विरुदॎॊ तॊ नामयालभ न कायमालभ न<br />

कज्जभाणॊ सभणुजाणालभ । ताभेरयसगुण-जुत्तस्सावि जइ बणणमॊ न कयेंनत ताहलभभेलसॊ िेसग्गहणा<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [77] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


उद्ारेलभ, एिॊ च सभए ऩन्नत्ती जहा-जे के ई साहू िा साहूणी िा िामाभेत्तेणा वि असॊजभभनुगचटॎेज्जा से<br />

णॊ सायेज्जा से णॊ िायेज्जा से णॊ चोएज्जा ऩडडचोएज्जा, से णॊ सारयज्जॊते िा िारयज्जॊते िा चोइज्जॊते िा<br />

ऩडडचोइज्जॊते िा, जे णॊ तॊ िमणभिभच्णणम अरसामभाणे इ िा अलबननविटॎे इ िा न तह च्त्त<br />

ऩडडिच्ज्जम इछछॊ ऩउॊ च्जत्ताणॊ तत्थाओ ऩडडक्कभेज्जा से णॊ तस्स िेसग्गहणॊ उद्ारेज्जा ।<br />

एिॊ तु आगभुत्तणाएणॊ गोमभा जाि तेणामरयएणॊ एगस्स सेहस्स िेसग्हणॊ उद्ालरमॊ ताि<br />

णॊ अिसेसे हदसोहदलसॊ ऩणटॎे ताहे गोमभा ! सो आमरयओ सणणमॊ सणणमॊ तेलसॊ ऩटॎीए जाउभायदॎो, नो णॊ<br />

तुरयमॊ तुरयमॊ । से बमिॊ ककभटॎॊ तुरयमॊ-नो ऩमाइ गोमभा ! खायाए बूभीए जो भहुयॊ सॊकभेज्जा भहुयाए<br />

खायॊ ककणहाए ऩीमॊ ऩीमाओ ककणहॊ जराओ थरॊ थराओ जरॊ सॊकभेज्जा, तेणॊ विहहए ऩाए ऩभच्ज्जम<br />

ऩभच्ज्जम सॊकभेमव्िॊ नो ऩभज्जेज्जा तओ दुिारस-सॊिछछरयमॊ ऩच्छछत्तॊ बिेज्जा । एएणभटॎेणॊ गोमभा !<br />

सो आमरयओ न तुरयमॊ तुरयमॊ गछछे ।<br />

अहणणमा सुमा-उत्त-विहहए थॊडडर-सॊकभणॊ कयेभाणस्स णॊ गोमभा ! तस्सामरयस्स आगओ<br />

फहु-िासय-खुहा-ऩरयगम-सयीयो विमडदाढा-कयार-कमत-बासुयो ऩरम-कारलभि-घोय-रूिो के सयी । भुणणमॊ च<br />

तेन भहानुबागेणॊ गछछाहहिइणा जहा-जइ दुमॊ गच्छछज्जइ ता चुच्क्कज्जइ इभस्स । नियॊ दुमॊ<br />

गछछभाणाणॊ असॊजभॊ ता ियॊ सयीयोिोछछेमॊ न असॊजभ-ऩित्तणॊ नत गचॊनतऊणॊ विहहए उिहटॎमस्स सेहस्स<br />

जभुद्ालरमॊ िेसग्गहणॊ तॊ दाऊणॊ हठओ ननप्ऩडडकम्भॊ-ऩामिोिगभनानसणेणॊ, सो वि सेहो तहेि ।<br />

अहणणमा अछचॊत-विसुदॎॊतकयणे ऩॊचभॊगरऩये सुहज्झिसामत्ताए दुिे वि गोमभा ! िािईए<br />

तेण सीहेणॊ, अॊतगडे के िरी जाए अटॎप्ऩमाय-भर-करॊक-विप्ऩभुक्के लसदॎे म ।<br />

ते ऩुण गोमभा एकू णे ऩॊच सए साहूणॊ तक्कम्भ-दोसेणॊ जॊ दुक्खभनुबिभाणे गचटॎॊनत जॊ<br />

चानुबूमॊ जॊ चानुबविहहॊनत अनॊत-सॊसाय-सागयॊ ऩरयबभॊते तॊ को अनॊतेणॊ वऩ कारेणॊ बाणणऊॊ सभत्थो एए<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

ते गोमभा ! एगूणे ऩॊच-सए साहूणॊ, जेहहॊ च णॊ तारयस-गुणोििेतस्स णॊ भहानुबागस्स गुरुणो आणॊ<br />

अइक्कलभमॊ नो आयाहहमॊ अनॊत-सॊसायीए जाए ।<br />

[८१९] से बमिॊ ! ककॊ नतत्थमय-सॊनतमॊ आणॊ नाइक्कभेज्जा उमाहु आमरयम-सॊनतमॊ <br />

गोमभा चउच्व्िहा आमरयमा बिॊनत तॊ जहा-नाभामरयमा ठिणामरयमा दव्िामरयमा बािामरयमा, तत्थ णॊ जे<br />

ते बािामरयमा ते नतत्थमय-सभा चेि दटॎव्िा तेलसॊ सॊनतमाऽऽणॊ आणा नाइक्कभेज्जा ।<br />

[८२०] से बमिॊ ! कमये णॊ ते बािामरयमा बणणॊनत गोमभा! जे अज्ज-ऩव्िइए वि<br />

आगभविहहए ऩमॊ ऩएणानुसॊचयॊनत ते बािामरयए । जे उणॊ िास-सम-हदच्क्खए वि होत्ताणॊ िामाभेत्तेणॊ वऩ<br />

आगभओ फाहहॊ करयॊनत ते नाभटॎिणाहहॊ ननओइमव्िे । से बमिॊ ! आमरयमा-णॊ के िइमॊ ऩामच्छछत्तॊ बिेज्जा<br />

जभेगस्स साहुणो तॊ आमरयम-भमहय-ऩिच्त्तणीए म सत्तयसगुणॊ, अहा णॊ सीर खलरए बिॊनत तओ नत-<br />

रक्ख-गुणॊ, जॊ अइदुक्कयॊ नो जॊ सुकयॊ, तम्हा सव्िहा सव्ि-ऩमायेहहॊ णॊ आमरयम-भमहय-ऩविच्त्तणीए म<br />

अत्ताणॊ ऩामच्छछत्तस्स सॊयक्खेमव्िॊ अखलरम-सीरेहहॊ च बिेमव्िॊ ।<br />

[८२०R] से बमिॊ ! जे णॊ गुरू सहस्साकायेणॊ अन्नमय-टॎाणे चुक्के ज्ज िा खरेज्ज िा से णॊ<br />

आयाहगे न िा गोमभा! गुरूणॊ गुय-गुणेसु िट्भाणो अक्खलरम-सीरे अप्ऩभादी अनारस्सी<br />

सव्िारॊफनविप्ऩभुक्के सभ-सत्तु-लभत्त-ऩक्खे सम्भग्ग-ऩक्खिाए जाि णॊ कहा-बणणये सदॎम्भ-जुत्ते<br />

बिेज्जा, नो णॊ उम्भग्ग-देसए अहम्भानुयए बिेज्जा । सव्िहा सव्ि-ऩमायेहह णॊ गुरुणा ताि अप्ऩभत्तेणॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [78] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


बविमव्िॊ नो णॊ ऩभत्तेणॊ, जे उण ऩभादी बिेज्जा से णॊ दुयॊत-ऩॊत-रक्खणे अदटॎव्िे भहा-ऩािे । जईणॊ<br />

सफीए हिेज्जा ता णॊ ननमम-दुछचरयमॊ जहाित्तॊ स-ऩय-सीस-गणाणॊ ऩक्खाविम जहा दुयॊत-ऩॊत-रक्खणे<br />

अदटॎव्िे भहा-ऩाि-कम्भकायी सभग्ग-ऩणासओ अहमॊ नत । एिॊ ननॊहदत्ताणॊ गयहहत्ताणॊ आरोइत्ताणॊ च<br />

जहा-बणणमॊ ऩामच्छछत्तभनुचयेज्जा । स णॊ ककॊ चुद्ेसेणॊ आयाहगे बिेज्जा, जइ णॊ नीसल्रे ननमडी-<br />

विप्ऩभुक्के न ऩुणो सॊभग्गाओ ऩरयबॊसेज्जा, अहा णॊ ऩरयबस्से तओ नायाहेइ ।<br />

[८२१] से बमिॊ ! के रयस-गुणजुत्तस्स णॊ गुरुणो गछछ-ननक्खेिॊ कामव्िॊ गोमभा! जे णॊ<br />

सुव्िए जे णॊ सुसीरे जे णॊ दढ-व्िए जे णॊ दढ-चारयत्ते जे णॊ अननॊहदमॊगे जे णॊ अयहे जे णॊ गमयागे जे<br />

णॊ गम-दोसे जे णॊ ननहटॎम-भोह-लभछछत्त-भर-करॊके जे णॊ उिसॊते जे णॊ सुविणणाम-जग-हटॎतीए जे णॊ<br />

सुभहा-िेयग्गभग्गभल्रीणे जे णॊ इच्त्थ-कहा-ऩडडनीए जे णॊ बत्त-कहा-ऩडडनीए जे णॊ तेण-कहा ऩडडनीए जे<br />

णॊ यामकहा ऩडडनीए जे णॊ जनिम-कहा-ऩडडनीए, जे णॊ अछचॊतभनुकॊ ऩ-सीरे जे णॊ ऩयरोग-ऩछचिाम-बीरू<br />

जे णॊ कु सीर-ऩडडनीए जे णॊ विणणाम-सभम-सब्बािे जे णॊ गहहम-सभम-ऩेमारे जे णॊ अहच्णणसानुसभमॊ<br />

हठए खॊताहद-अहहॊसा-रक्खण-दस-विहे सभण-धम्भे जे णॊ उज्जुत्ते अहच्णणसानु-सभमॊ दुिारस-विहे तिो-<br />

कम्भे, जे णॊ सुओिउत्ते सभमॊ ऩॊचसलभतीसु जे णॊ सुगुत्ते सममॊ तीसु गुत्तीसुॊ, जे णॊ आयाहगे स-सत्तीए<br />

अटॎायसणहॊ सीरॊग-सहस्साणॊ जे णॊ अवियाहगे एगॊतणॊ स-सत्तीए सत्तयस-विहस्स णॊ सॊजभस्स, जे णॊ<br />

उस्सग्ग-रूई जे णॊ तत्त-रूई, जे णॊ सभ-सत्तु-लभत्त-ऩक्खे,<br />

जे णॊ सत्त-बम-टॎाण-विप्ऩभुक्के जे णॊ अटॎ-भम-टॎाण विप्ऩजढे जे णॊ निणहॊ फॊबचेय-<br />

गुत्तीणॊ वियाहणा-बीरू, जे णॊ फहु-सूए जे णॊ आरयम-कु रुप्ऩन्ने, जे णॊ अदीने जे णॊ अककविणे जे णॊ<br />

अनारलसए, जे णॊ सॊजई-िग्गस्स ऩडडिक्खे, जे णॊ सममॊ धम्भोिएस-दामगे जे णॊ सममॊ ओहसाभामायी-<br />

ऩरूिगे जे णॊ भेयािहटॎए, जे णॊ असाभामायी-बीरू जे णॊ आरोमणारयहे जे णॊ ऩामच्छछत्त-दाभ-ऩमछछ-<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

णक्खभे, जे णॊ िॊदन-भॊडलर-वियाहण-जाणगे जे णॊ सज्झाम-भॊडलर-वियाहण-जाणगे जे णॊ िक्खाण-भॊडलर-<br />

वियाहण-जाणगे जे णॊ आरोमणा-भॊडलर-वियाहण-जाणगे जे णॊ उद्ेस-भॊडलर-वियाहण-जाणगे जे णॊ सभुद्ेस-<br />

भॊडलर-वियाहण-जाणगे, जे णॊ ऩव्िज्जा-वियाहण-जाणगे जे णॊ उिटॎािणा-वियाहणा-जाणगे जे णॊ उद्ेस-<br />

सभुद्ेसाणुणणा-वियाहण-जाणगे,<br />

जे णॊ कार-खेत्त-दव्ि-बाि-बािॊतयॊतय-विमाणगे,<br />

जे णॊ कार-खेत्त-दव्ि-बािारॊफन-विप्ऩभुक्के , जे णॊ स-फार-िुड्ढ-गगराण-सेह-लसक्खग-<br />

साहच्म्भम-अज्झािटॎािण-कु सरे, जे णॊ ऩरूिगे नाण-दॊसण-चारयत्त-तिो गुणाणॊ, जे णॊ चयए धयए ऩबािगे<br />

नाण-दॊसण-चरयत्त-तिो गुणाणॊ जे णॊ दढ-सम्भत्ते, जे णॊ सममॊ अऩयरयसाईं जे णॊ धीइभा जे णॊ गॊबीये<br />

जे णॊ सुरोभरेसे जे णॊ हदनमयलभि अनलबबिणीए तितेएणॊ, जे णॊ सयीयोियभे वि छक्काम-सभायॊब-<br />

वििज्जी, जे णॊ सीर-ति-दान-बािनाभम-चउच्व्िह-धम्भॊतयामॊ-बीरू, जे णॊ सव्िासामणा बीरू जे णॊ इड्हढ-<br />

यस-सामगायि-योद्ट्ज्झाण-विप्ऩभुक्के , जे णॊ सव्िािस्सगभुज्जुत्ते, जे णॊ सविसेस-रवदॎ जुत्ते, जे णॊ<br />

आिडडम-ऩेच्ल्रमाभॊनतओ वि नामयेज्जा अमज्जॊ, जे णॊ नो फहु ननद्ो जे णॊ नो फहु बोइ, जे णॊ<br />

सव्िािस्सग-सज्झाण-ऩडडभालबग्गह-घोय-ऩयीसहोिसग्गेसु च्जम-ऩयीसभे, जे णॊ सुऩत्त-सॊगह-सीरे, जे णॊ<br />

अऩत्त-ऩरयटॎािणविहहणणू, जे णॊ अनुदॎम-फोंदी जे णॊ ऩयसभम-ससभम-सम्भॊ-विमाणे जे णॊ कोह-भान-भामा-<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [79] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


रोब-भभकायाहद इनतहास-खेड्ड-कॊ दप्ऩनाहहमिादविप्ऩभुक्के धम्भकहा-सॊसाय-िास-विसमालबरासादीणॊ<br />

िेयग्गुप्ऩामगे ऩडडफोहगे बव्ि-सत्ताणॊ,<br />

से णॊ गछछ-ननक्खेिण-जोगो, से णॊ गणी, से णॊ गणहये, से णॊ नतत्थे, से णॊ नतत्थमये, से<br />

णॊ अयहा, से णॊ के िरी, से णॊ च्जणे, से णॊ नतत्थुब्बासगे, से णॊ िॊदे से णॊ ऩुज्जे से णॊ नभॊसणणज्जे, से<br />

णॊ दटॎव्िे से णॊ ऩयभ-ऩवित्ते से णॊ ऩयभ-कल्राणे से णॊ ऩयभ-भॊगल्रे, से णॊ लसदॎी से णॊ भुत्ती से णॊ<br />

लसिे से णॊ भोक्खे, से णॊ तामा से णॊ सॊभग्गे से णॊ गती से णॊ सयणणे, से णॊ लसदॎे भुत्ते ऩायगए-देिदेिे<br />

। एमस्स णॊ गोमभा ! गण-ननक्खेिॊ कु ज्जा, एमस्स णॊ गणननक्खेिॊ कायिेज्जा, एमस्स णॊ गणननक्खिेणॊ<br />

सभणुजाणेज्जा, अन्नहा णॊ गोमभा! आणा-बॊगे ।<br />

[८२२] से बमिॊ के िनतमॊ कारॊ जाि एस आणा ऩिेइमा गोमभा! जाि णॊ भहामसे<br />

भहासत्ते भहानुबागे लसरयप्ऩबे अनगाये, से बमिॊ ! के िनतएणॊ कारे णॊ से लसरयप्ऩबे अनगाये बिेज्जा <br />

गोमभा! होही दुयॊत-ऩॊत-रक्खणे अदटॎव्िे योद्े चॊडे ऩमॊडे उग्ग-ऩमॊडे दॊडे ननम्भेये ननच्क्किे ननच्ग्घणे<br />

ननच्त्तॊसे कू यमय-ऩाि-भती अनारयए लभछछहदटॎी कक्की नाभ यामाणे । से णॊ ऩािे ऩाहुडडमॊ बभाडडउ-काभे<br />

लसरय-सभण-सॊघॊ कमत्थेज्जा, जाि णॊ कमत्थे इ ताि णॊ गोमभा ! जे के ई तत्थ सीरड्ढे भहानुबागे<br />

अचलरम-सत्ते तिो हणे अनगाये तेलसॊ च ऩाडडहेरयमॊ कु ज्जा सोहम्भे कु लरसऩाणी एयािणगाभी सुय-िरयॊदे ।<br />

एिॊ च गोमभा! देविॊद-िॊहदए हदटॎ-ऩछचए णॊ लसरय-सभण-सॊघे ।<br />

ननहटॎज्जा णॊ कु णमऩासॊड-धम्भे जाि णॊ गोमभा ! एगे अबफइज्जे अहहॊसा-रक्खण-खॊताहद-<br />

दस-विहे धम्भे, एगे अयहा देिाहहदेिे एगे च्जनारए एगे िॊदे ऩूए दक्खे सक्काये सम्भाने भहामसे भहासत्ते<br />

भहानुबागे दढ-सीर-व्िम-ननमभ-धायए तिोहणे साहू । तत्थ णॊ चॊदलभि सोभरेसे सूरयए इि<br />

ति-तेम-यासी ऩुढिी इि ऩयीसहोिसग्ग-सहे भेरुभॊदय-धये इि ननप्ऩकॊ ऩे हठए अहहॊसा-रक्खण-खॊताहद दस-<br />

विहे धम्भे ! से णॊ सुसभण-गण-ऩरयिुडे ननयब्ब-गमणाभर-कोभुई-जोग-जुत्ते इि गह-रयक्ख-ऩरयमरयए<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

गहिई चॊदे अहहममयॊ वियाएज्जा, से णॊ लसरयप्ऩबे अनगाये, एिइमॊ कारॊ जाि एसा आणा ऩिेइमा ।<br />

[८२३] से बमिॊ! उड्ढॊ ऩुछछा । गोमभा ! तओ ऩयेण उड्ढॊ हामभाणे कार-सभए तत्थ णॊ<br />

जे के ई छक्काम-सभायॊब-वििज्जी से णॊ धन्ने ऩुन्ने िॊदे ऩूए नभॊसणणज्जे, सुजीविमॊ जीविमॊ तेलसॊ ।<br />

[८२४] से बमिॊ ! साभणणे ऩुछछा, जाि णॊ िमालस । गोमभा ! अत्थेगे जे णॊ जोगे<br />

अत्थगे जे णॊ नो जोगे । से बमिॊ ! के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ जहा णॊ अत्थेगे जे णॊ नो जोगे गोमभा! !<br />

अत्थेगे जेलसॊ णॊ साभणणे ऩडडकु टॎे अत्थेगे जेलसॊ च णॊ साभणणे नो ऩडडकु टॎे । एएणॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ<br />

जहा णॊ अत्थेगे जे णॊ जोगे अत्थेगे जे णॊ नो जोगे ।<br />

से बमिॊ ! कमये ते जेलसॊ णॊ साभणणे ऩडडकु टॎे कमये िा ते जेलसॊ च णॊ नो ऩरयमाए<br />

ऩडडसेहहए गोमभा! अत्थेगे जे णॊ विरुदॎे अत्थेगे जे णॊ नो विरुदॎे, जे णॊ से विरुदॎे से णॊ ऩडडसेहहए जे णॊ<br />

नो विरुदॎे से णॊ नो ऩडडसेहहए ।<br />

से बमिॊ के णॊ से विरुदॎे के िा णॊ अविरुदॎे गोमभा ! जे जेसुॊ देसेसुॊ दुगुॊछणणज्जे जे<br />

जेसुॊ देसेसुॊ दुगुॊनछए जे जेसुॊ देसेसुॊ ऩडडकु टॎे से णॊ तेसुॊ देसेसुॊ विरुदॎे । जे म णॊ जेसुॊ देसेसुॊ नो<br />

दुगुॊछणणज्जे जे म णॊ जेसुॊ देसेसुॊ नो दुगुॊनछए जे म णॊ जेसुॊ देसेसुॊ नो ऩडडकु टॎे से णॊ तेसुॊ देसेसुॊ नो<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [80] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


विरुदॎे, तत्थ गोमभा ! जे णॊ जेसुॊ जेसुॊ देसेसुॊ विरुदॎे से णॊ नो ऩव्िािए, जे णॊ जेसुॊ देसेसुॊ नो विरुदॎे से<br />

णॊ ऩव्िािए ।<br />

से बमिॊ ! के कत्थ देसे विरुदॎे के िा नो विरुदॎे गोमभा ! जे णॊ के ई ऩुरयसे इ िा<br />

इच्त्थए इ िा, यागेण िा दोसेण िा अनुसएण िा कोहेण िा रोबेण िा अियाहेण िा अनियाहेण िा,<br />

सभणॊ िा भाहणॊ िा, भामयॊ िा वऩमयॊ िा बामयॊ िा बइणणॊ िा बाइणेमॊ सुमॊ िा सुमसुमॊ िा धूमॊ िा नत्तुमॊ<br />

िा सुणहॊ िा जाभाउमॊ िा, दाइमॊ िा गोच्त्तमॊ िा, सजाइमॊ िा विजाइमॊ िा, समणॊ िा असमणॊ िा सॊफॊगधमॊ<br />

िा असॊफॊगधमॊ िा, सनाहॊ िा असनाहॊ िा इड्हढभतॊ िा अननड्हढभॊतॊ िा, सएलसमॊ िा विएलसमॊ िा आरयमॊ<br />

िा अनारयमॊ िा, हणेज्ज िा हणािेज्ज िा उद्िेज्ज िा उद्िािेज्ज िा,<br />

से णॊ ऩरयमाए अओग्गे, से णॊ ऩािे से णॊ ननॊहदए से णॊ गयहहए से णॊ दुगुॊनछए से णॊ<br />

ऩडडकु टॎे से णॊ ऩडडसेहहए, से णॊ आिई से णॊ विग्घे से णॊ अमसे से णॊ अककत्ती से णॊ उम्भग्गे से णॊ<br />

अनामाये, एिॊ यामदुटॎे एिॊ तेणे एिॊ ऩय-जुिइ-ऩसत्ते एिॊ अन्नमये इ िा के ई िसणालबबूए एिॊ<br />

अमसककलरटॎे एिॊ छु हाणडडए एिॊ रयणोिद्ुए अविणणाम जाइ-कु र-सीर-सहािे एिॊ फहु-िाहह-िेमणा-ऩरयगम-<br />

सयीये एिॊ यस-रोरुए एिॊ फहु-ननद्े एिॊ इनतहास-खेड्ड-कॊ दप्ऩ-नाह-िामचछचरय-सीरे एिॊ फहु-कोऊहरे एिॊ<br />

फहु-ऩोसिग्गे जाि णॊ लभछछहद्हटॎ-ऩडडनीम-कु रुप्ऩन्ने इ िा ।<br />

से णॊ गोमभा ! जे के ई आमरयए इ िा भमहयए इ िा गीमत्थे इ िा अगीमत्थे इ िा<br />

आमरयम-गुण-कलरए इ िा भमहय-गुण कलरए इ िा बविस्सामरयए इ िा बविस्स-भमहयएइ िा, रोबेण िा<br />

गायिेण िा दोणहॊ गाउम-समाणॊ अब्बॊतयॊ ऩव्िािेज्जा, से णॊ गोमभा ! िइक्क-लभम-भेये से णॊ ऩिमण-<br />

िोच्छछच्त्तकायए से णॊ नतत्थ-िोच्छछच्त्तकायए से णॊ सॊघ-िोच्छछच्त्त कायए, से णॊ िसनालबबूए से णॊ<br />

अहदटॎ-<br />

ऩयरोग-ऩछचिाए से णॊ अनामाय-ऩवित्ते से णॊ अकज्जमायी से णॊ ऩािे से णॊ ऩाि-ऩािे से णॊ भहा-ऩाि-<br />

ऩािे, से णॊ गोमभा ! अलबग्गहहम-चॊड-रुद्-कू य-लभछछहद्टॎी ।<br />

[८२५] से बमिॊ के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ गोमभा ! आमाये भोक्ख-भग्गे नो णॊ<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

अनामाये भोक्खभग्गे, एएणॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ ।<br />

से बमिॊ कमये से णॊ आमाये कमये िा से णॊ अनामाये गोमभा ! आमाये आणा अनामाये<br />

णॊ तप्ऩडडिक्खे तत्थ जे णॊ आणा-ऩडडिक्खे से णॊ एगॊते सव्ि ऩमायेहहॊ णॊ सव्िहा िज्जणणज्जे, जे म णॊ<br />

नो आणा-ऩडडिक्खे से णॊ एगॊते णॊ सव्ि-ऩमायेहहॊ णॊ सव्िहा आमय-णणज्जे, तहा णॊ गोमभा ! जॊ जाणेज्जा<br />

जहा णॊ एस णॊ साभणणॊ वियाहेज्जा, से णॊ सव्िहा वििज्जेज्जा ।<br />

[८२६] से बमिॊ के ह ऩरयक्खा गोमभा ! जे के इ ऩुरयसे इ िा इच्त्थमाओ िा, साभणणॊ<br />

ऩडडिच्ज्जउ-काभे कॊ ऩेज्ज िा थयहेज्ज िा ननसीएज्ज िा छड्डडॊ िा ऩकयेज्ज िा सगेण िा ऩयगेण िा<br />

आसॊनतए इ िा सॊनतए इ िा तदहुत्तॊ गछछेज्ज िा अिरोइज्ज िा ऩरोएज्ज िा िेसग्गहणे ढोइज्जभाणे<br />

कोई उप्ऩाए इ िा असुहे दोच्न्नलभत्ते इ िा बिेज्जा, से णॊ गीमत्थे गणी अन्नमये इ िा भमहयादी भहमा<br />

नेउणणेणॊ ननरूिेज्जा, जस्स णॊ एमाइॊ ऩयतक्के ज्जा से णॊ नो ऩव्िािेज्जा, से णॊ गुरु-ऩडडनीए बिेज्जा, से<br />

णॊ ननदॎम्भ-सफरे बिेज्जा से णॊ सव्िहा सव्ि-ऩमायेसु णॊ के िरॊ एगॊतेणॊ अमज्ज-कयणुज्जए बिेज्जा । से<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [81] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


णॊ जेणॊ िा तेणॊ िा सुएण िा विणणाणेण िा गायविए बिेज्जा, से णॊ सॊजई-िग्गस्स चउत्थ-िम-खॊडण-<br />

सीर बिेज्जा, से णॊ फहुरूिे बिेज्जा ।<br />

[८२७] से बमिॊ कमये णॊ से-फहु-रुिे-िुछचइ जे णॊ ओसन्न-विहायीणॊ ओसन्ने उज्जम-<br />

विहायीणॊ उज्जम-विहायी ननदॎम्भ-सफराणॊ ननदॎम्भ-सफरे फहुरूिी यॊग-गए चायणे इि नडे ।<br />

[८२८] खणेण याभे खणेण रक्खणे खणेण दसगीि-यािणे खणेणॊ ।<br />

िप्ऩय-कणण-दॊतुय-जया-जुणण-गत्ते ऩॊडय-के स-फहु-ऩिॊच बरयए विदूसगे ।।<br />

[८२९] खणेणॊ नतरयमॊ च जाती िानय-हनुभॊत-के सयी ।<br />

जह णॊ एस गोमभा ! तहा णॊ से फहुरूिे ।।<br />

[८३०] एिॊ गोमभा ! जे णॊ असई कमाई के ई चुक्क-खलरएणॊ ऩव्िािेज्जा, से णॊ दूयदॎाण<br />

ििहहए कयेज्जा से णॊ सच्न्नहहए नो धयेज्जा से णॊ आमयेणॊ नो आरिेज्जा, से णॊ बॊडभत्तोिगयणेणॊ<br />

आमयेणॊ नो ऩडडराहािेज्जा, से णॊ तस्स गॊथसत्थॊ नो उहद्सेज्जा से णॊ तस्स गॊथ-सत्थॊ नो अनुजाणेज्जा,<br />

से णॊ तस्स सवदॎॊ गुज्झ-यहस्सॊ िा अगुज्झ-यहस्सॊ िा नो भॊतेज्जा । एिॊ गोमभा ! जे के ई एम दोस-<br />

विप्ऩभुक्के से णॊ ऩव्िािेज्जा । तहा णॊ गोमभा! लभछछ-देसुप्ऩन्नॊ अनारयमॊ नो ऩव्िािेज्जा । एिॊ िेसा-सुमॊ<br />

नो ऩव्िािेज्जा एिॊ गणणगॊ नो ऩव्िािेज्जा, एिॊ चक्खु-विगरॊ एिॊ विगच्प्ऩम-कय-चयण एिॊ नछन्न-कणण-<br />

नासोटॎॊ एिॊ कु टॎ-िाहीए गरभाण-सडहडॊतॊ एिॊ ऩॊगुॊ अमॊगभॊ भूमॊ फहहयॊ, एिॊ अछचुक्कड-कसामॊ एिॊ फहु<br />

ऩासॊड-सॊसटॎॊ, एिॊ घन-याग-दोस-भोह-लभछछत्त-भर-खिलरमॊ एिॊ उच्ज्झम उत्तमॊ, एिॊ ऩोयाण ननक्खुडॊ एिॊ<br />

च्जनारगाई फहु देि-फरीकयण-बोइमॊ चक्कमयॊ, एिॊ नड-नट्-छत्त-चायणॊ, एिॊ सुमजड्डॊ चयण-कयण-जड्डॊ<br />

जड्डकामॊ नो ऩव्िािेज्जा । एिॊ तु जाि णॊ नाभ-हीनॊ थाभ-हीनॊ कु र-हीनॊ फुवदॎ-हीनॊ ऩणणा-हीनॊ गाभउड-<br />

भमहयॊ िा गाभउड-भमहयसुमॊ िा अन्नमयॊ िा ननॊहदमाहभ-हहन-जाइमॊ िा-अविणणाम कु र-सहािॊ िा गोमभा<br />

! सव्िहा नो हदक्खे नो ऩव्िािेज्जा ।<br />

एएलसॊ तुॊ ऩमाणॊ अन्नमय-ऩए खरेज्जा जो सहसा-देसूण-ऩुव्िकोडी-तिेणॊ गोमभा ! सुज्झेज्ज<br />

िा न िा वि ।<br />

[८३१] एिॊ गछछिित्थॊ तह च्त्त ऩारेत्तु तहेि जॊ जहा बणणमॊ ।<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

यम-भर-ककरेस भुक्के गोमभ ! भोक्खॊ गएऽनॊतॊ ।।<br />

[८३२] गछछॊनत गलभस्सॊनत म ससुयासुय-जग-नभॊलसए िीये ।<br />

बुमणेक्क-ऩामड-जसे जह बणणम-गुणहटॎए गणणणो ।।<br />

[८३३] से बमिॊ ! जे णॊ के इ अभुणणम-सभम-सब्बािे होत्था विहहए इ िा अविहहए इ िा,<br />

कस्स म गछछामायस्स म भॊडलर-धम्भस्स िा छत्तीसइविहस्स णॊ सप्ऩबेम-नाण-दॊसण-चरयत्त-ति-<br />

िीरयमामायस्स िा भनसा िा िामाए िा कहहॊ गच अन्नमये ठाणे के ई गछछाहहिई आमरयए इ िा, अॊतो<br />

विसुदॎ ऩरयणाभे वि होत्था-णॊ असई चुक्के ज्ज िा खरेज्ज िा ऩरूिेभाणे िा अनुटॎेभाणे िा, से णॊ आयाहगे<br />

उमाहु अनायाहगे गोमभा! अनायाहगे, से बमिॊ! के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ जाि अनायाहगे <br />

गोमभा! णॊ इभे दुिारसॊगे सुम-नाणे अणप्ऩिलसए अनाइ-ननहणे सब्बूमत्थ-ऩसाहगे अनाइ-<br />

सॊलसदॎे से णॊ देविॊद-िॊद-िॊदाणॊ अतुर-फर-िीरयएसरयम-सत्त-ऩयक्कभ-भहाऩुरयसामाय कॊ नत-हदच्त्त-रािणण-<br />

रूि-सोहग्गाइ-समर करा-कराि-विछछड्ड भॊडडमाणॊ अनॊत-नाणीमॊ समॊसॊफुदॎाणॊ च्जन-ियाणॊ अनाइलसदॎाणॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [82] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अनॊताणॊ िट्भाणॊ-सभम-लसज्झभाणाणॊ अन्नेलसॊ च आसन्न-ऩुयेक्खडाणॊ अनॊताणॊ सुगहहम-नाभ-धेज्जाणॊ<br />

भहामसाणॊ भहासत्ताणॊ भहानुबागाणॊ नतहुमणेक्क-नतरमाणॊ तेरोक्क-नाहाणॊ जगऩियाणॊ-जगेक्क-फॊधूणॊ<br />

जग-गुरूणॊ सव्िन्नूणॊ सव्ि-दरयसीणॊ ऩिय-िय-धम्भ-नतत्थॊकयाणॊ अयहॊताणॊ बगिॊताणॊ बूमबव्ि-<br />

बविस्साईमानागम-िट्भाण-ननणख-रासेस-कलसण-सगुण-सऩज्जम सव्िित्थुविहदम-सब्बािाणॊ असहाए ऩिये<br />

एक्कभेक्कभग्गे से णॊ सुत्तत्ताए अत्थत्ताए गॊथत्ताए ।<br />

तेलसॊ वऩ णॊ जहहटॎए चेि ऩन्निणणज्जे जहहटॎए चेिानुटॎणणज्जे जहहटॎए चेि बासणणज्जे<br />

जहहटॎए चेि िामणणज्जे जहहटॎए चेि ऩरूिणणज्जे जहहटॎए चेि िामणणज्जे जहहटॎए चेि कहणणज्जे, से णॊ<br />

इभे दुिारसॊगे गणणवऩडगे तेलसॊ वऩ णॊ देविॊद-िॊदाणॊ ननणखर-जग-विहदम-सदव्ि-सऩज्जि-गइ-आगइ-हास-<br />

िुड्हढ-जीिाइ-तत्त-जाि णॊ ित्थु-सहािाणॊ अरॊघणणज्जे अनाइक्क-भणणज्जे अनासामणणज्जे अनुभोमणणज्जे<br />

तहा चेि इभे दुिारसॊगे सुमनाणे सव्ि-जग-जीि-ऩाण-बूम-सत्ताणॊ एगॊतेणॊ हहए सुहे खेभे नीसेलसए<br />

आनुगालभए ऩायगालभए ऩसत्थे भहत्थे भहागुणे भहानुबािे भहाऩुरयसाणुगचन्ने ऩयभरयलसदेलसए दुक्खक्खमाए<br />

भोक्खमाए सॊसारुत्तायणाए नत कट्ु उिसॊऩच्ज्जत्ताणॊ विहरयॊसु ।<br />

ककभुत-भन्नेलसॊ नत, ता गोमभा ! जे णॊ के इ अभुणणम-सभम-सब्बािे इ िा विइम-सभम-<br />

साये इ िा विहहए इ िा अविहीए इ िा गछछाहहिई िा आमरयए इ िा अॊतो विसुदॎ-ऩरयणाभे वि होत्था<br />

गछछामायॊ भॊडलर-धम्भा छत्तीसइविह आमायाहद जाि णॊ अन्नमयस्स िा आिस्सगाइ कयणणज्जस्स णॊ<br />

ऩिमण-सायस्स असती चुक्के ज्ज िा खरेज्ज िा ते णॊ इभे दुिारसॊगे सुमनाणे अन्नहा ऩमयेज्जा जे णॊ<br />

इभे दुिारसॊगॊ-सुम-नाण-ननफदॎॊतयोिगमॊ एक्क ऩमक्खयभवि अन्नहा ऩमये से णॊ उम्भग्गे ऩमॊसेज्जा जे णॊ<br />

उम्भग्गे ऩमॊसे से णॊ अनायाहगे बिेज्जा, ता एएणॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ जाि एगॊतेणॊ अनाहायगे ।<br />

[८३४] से बमिॊ ! अच्त्थ के ई जेणलभणभो ऩयभ-गुरूणॊ ऩी अरॊघणणज्जॊ ऩयभसयणणॊ पु डॊ<br />

ऩमडॊ-ऩमड ऩमडॊ ऩयभ-कल्राणॊ कलसण-कम्भटॎ-दुक्ख-ननटॎिणॊ ऩिमणॊ अइक्कभेज्ज िा िइक्कभेज्ज िा<br />

रॊघेज्ज िा-खॊडेज्ज िा वियाहेज्ज िा आसाएज्ज िा, से भनसा िा िमसा िा कामसा िा जाि णॊ िमासी<br />

गोमभा! णॊ अनॊतेणॊ कारेणॊ ऩरयिट्भाणेणॊ सॊऩमॊ दस-अछछेयगे बविॊसु । तत्थ णॊ असॊखेज्जे अबव्िे<br />

असॊखेज्जे लभछछाहदहटॎ असॊखेज्जे सासामणे दव्ि-लरॊगभासीम सढत्ताए दॊबेणॊ सक्करयज्जॊनत एत्थेए<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

धच्म्भग च्त्त काऊणॊ फहिे अहदटॎ-कल्राणे जइणॊ ऩिमणभब्बुिगभॊनत तभब्बुिगालभम यस-रोरत्ताए<br />

विसम-रोरत्ताए दुद्ॊच्त्तॊहदमॊ-दोसेणॊ अनुहदमहॊ जहहटॎमॊ भग्गॊ ननटॎिॊनत, उम्भग्गॊ च उस्सप्ऩमॊनत, ते म<br />

सव्िे तेणॊ कारेणॊ इभॊ ऩयभ-गुरुणॊ वऩ अरॊघणणज्जॊ ऩिमणॊ जाि णॊ आसामॊनत ।<br />

[८३५] से बमिॊ ! कमये णॊ ते णॊ कारे णॊ दस अछछेयगे बविॊसु गोमभा ! णॊ इभे ते<br />

अनॊतकारे णॊ दस अछछेयगे बिॊनत, तॊ जहा नतत्थमयाणॊ उिसग्गे, गब्ब-सॊकभणे, िाभा नतत्थमये,<br />

नतत्थमयस्स णॊ देसणाए अबव्ि सभुदाएण ऩरयसा-फॊगध, सविभाणाणॊ चॊदाइछचाणॊ नतत्थमयसभिसयणे,<br />

आगभने िासुदेिा णॊ सॊखज्झुणीए अन्नमयेणॊ िा याम-कउहेणॊ ऩयोप्ऩय-भेरािगे, इहइॊ तु बायहे खेत्ते<br />

हरयिॊस-कु रुप्ऩत्तीए, चभरुप्ऩाए, एग सभएणॊ अटॎसम-लसवदॎगभनॊ, असॊजमाणॊ ऩूमा-कायगे च्त्त ।<br />

[८३६] से बमिॊ ! जे णॊ के ई कहहॊगच कमाई ऩभाम-दोसाओ ऩिमणभासाएज्जा से णॊ ककॊ<br />

आमरयमॊ ऩमॊ ऩािेज्जा गोमभा ! जे णॊ के ई कहहॊवि कमाई ऩभामदोसओ असई कोहेण िा भानेण िा<br />

भामाए िा रोबेए िा, यागेण िा दोसण िा, बएण िा हासेण िा, भोहेण िा अन्नन्न-दोसेण िा,<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [83] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


ऩिमणस्स णॊ अन्नमये टॎाणे िइलभत्तेणॊ वऩ अनामायॊ असभामायी ऩरूिेभाणे िा अनुभन्नेभाणे िा,<br />

ऩिमणभासाएज्जा । से णॊ फोहहॊ वऩ नो ऩािे ककभॊगॊ आमरयमऩमरॊबॊ से बमिॊ ककॊ अबव्िे लभछछाहदटॎी<br />

आमरयए बिेज्जा गोमभा ! बिेज्जा । एत्थॊ च णॊ इॊगारभद्गाई नेए ।<br />

से बमिॊ ! ककॊ लभछछाहदटॎी ननक्खभेज्जा गोमभा ! ननक्खभेज्जा ।<br />

से बमिॊ! कमयेणॊ लरॊगेणॊ से णॊ विमाणेज्जा जहा णॊ धुिभेस लभछछाहदटॎी गोमभा ! जे<br />

णॊ कम-साभाइए सव्ि-सॊग-विभुत्ते बवित्ताणॊ अपासु-ऩानगॊ ऩरयबुज्जेजा, जे णॊ अनगाय-धम्भॊ<br />

ऩडडिच्ज्जत्ताणभसई सोइरयमॊ िा ऩुयोइरयमॊ िा तेउकामॊ सेिेज्ज िा सेिािेज्ज िा तेउकामॊ सेविज्जभाणॊ<br />

अन्नेलसॊ सभणुजाणेज्ज िा, तहा निणहॊ फॊबचेय-गुत्तीणॊ जे के ई साहू िा साहूणी िा एक्कभवि खॊडेज्ज िा<br />

वियाहेज्ज िा खॊडडज्जभाणॊ िा वियाहहज्जभाणॊ िा फॊबचेय-गुत्ती ऩयेलसॊ सभणुजाणेज्जा िा, भणेण िा<br />

िामाए िा काएण िा से णॊ लभछछाहद्हटॎ, न के िरॊ लभछछाहदटॎी अलबग्गहहमलभछछाहदटॎी विमाणेज्जा ।<br />

[८३७] से बमिॊ ! जे णॊ के ई आमरयए इ िा भमहयए इ िा असई कहहॊगच कमाई तहाविहॊ<br />

सॊविहाणगभासज्ज इणभो ननग्गॊथॊ ऩिमणभन्नहा ऩन्निेज्जा से णॊ ककॊ ऩािेज्जा गोमभा ! जॊ<br />

सािज्जामरयएणॊ ऩाविमॊ ।<br />

से बमिॊ ! कमये णॊ से सािज्जमरयए ककॊ िा तेणॊ ऩाविमॊ नत । गोमभा ! णॊ इओ म<br />

उसबाहद-नतत्थॊकय-चउिीलसगाए अनॊतेणॊ कारेणॊ जा अतीता अन्ना चउिीलसगा तीए जारयसो अहमॊ तारयसो<br />

चेि सत्त-यमणी-ऩभाणेणॊ जगछछेयम-बूमो देविॊद-विॊदिॊहदओ ऩिय-िय-धम्भलसयी नाभ चयभ-धम्भनतत्थॊकयो<br />

अहेलस । तस्स म- नतत्थे सत्त अछछेयगे ऩबूए, अहणणमा ऩरयननव्िुडस्स णॊ तस्स नतत्थॊकयस्स<br />

कारक्कभेणॊ असॊजमाणॊ सक्काय-कायिणे नाभ अछछयेगे िहहउभायदॎे, तत्थ णॊ रोगानुित्तीए लभछछत्त-<br />

िइमॊ असॊजम-ऩूमानुयमॊ फहु-जन-सभूहॊ नत विमाणणऊणॊ तेणॊ कारेणॊ तेणॊ सभएणॊ अभुणणम-सभम-सब्बािेहहॊ<br />

नत-गायि-भइया-भोहहएहहॊ नाभ-भेत्त-आमरयमभमहयेहहॊ सड्ढाईणॊ समासाओ दविण-जामॊ ऩडडग्गहहम-थॊब-<br />

सहस्सूलसए सक-सके भभच्त्तए चेइमारगे कायाविऊणॊ ते चेि दुयॊत-ऩॊत-रक्खणाहभाहभेहहॊ आसईए ते चेि<br />

चेइमारगे भासीम गोविऊणॊ च फर-िीरयम-ऩुरयसक्काय-ऩयक्कभे सॊते फरे सॊते िीरयए सॊते ऩुरयसक्काय-<br />

ऩयक्कभे चइऊण उग्गालबग्गहे अननमम-विहायॊ नीमािासभासइत्ता णॊ लसहढलरहोऊणॊ सॊजभाइसुहटॎए ऩछछा<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

ऩरयगचछचाणॊ इहरोग-ऩयरोगािामॊ अॊगीकाऊणॊ म सुदीह-सॊसायॊ तेसुॊ चेि भढ-देिरेसुॊ अछचत्थॊ गहढये<br />

भुच्छचये भभीकायाहॊकायेहह णॊ अलबबूए समभेि विगचत्तभल्र दाभाईहहॊ णॊ देिछचणॊ काउभब्बुज्जए, जॊ ऩुण<br />

सभम-सायॊ ऩयॊ-इभॊ सव्िन्नु-िमणॊ तॊ दूय-सुदूयमयेणॊ उच्ज्झमॊनत ।<br />

तॊ जहा-सव्िे जीिा सव्िे ऩाणा सव्िे बूमा सव्िे सत्ता न हॊतव्िा न अज्जािेमव्िा न<br />

ऩरयमािेमव्िा न ऩरयधेतव्िा न वियाहेमव्िा न ककराभेमव्िा न उद्िेमव्िा, जे के ई सुहुभा जे के ई फामया जे<br />

के ई तसा जे के ई थािया, जे के ई ऩज्जत्ता जे के ई अऩज्जत्ता, जे के ई एगेंहदमा जे के इ फेइॊहदमा जे के ई<br />

तेइॊहदमा जे के ई चउरयॊहदमा जे के ई ऩॊचेंहदमा, नतविहॊ नतविहेणॊ भणेणॊ िामाए काएणॊ, जॊ ऩुण गोमभा !<br />

भेहुणॊ तॊ एगॊतेणॊ ननछछमओ फाढॊ तहा आउ-तेउ-सभायॊबॊ च सव्िहा सव्िऩमायेहहॊ णॊ सममॊ वििज्जेज्जा<br />

भुनीनत । एस धम्भे धुिे सासए नीयए सभेछच रोगॊ खेमणणूहहॊ ऩिेइमॊ नत ।<br />

[८३८] से बमिॊ! जे णॊ के ई साहू िा साहुणी िा ननग्गॊथे अनगाये दव्ित्थमॊ कु ज्जा से णॊ<br />

ककभारािेज्जा गोमभा ! जे णॊ के ई साहू िा साहूणी िा ननग्गॊथे अनगाये दव्ित्थमॊ कु ज्जा से णॊ अजमे<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [84] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


इ िा असॊजएइ िा, देि-बोइए इ िा देिछचगे इ िा जाि णॊ उम्भग्गऩए इ िा, दूरुच्ज्झम सीरे इ िा<br />

कु सीरे इ िा सछछॊदमारयए इ िा आरिेज्ज ।<br />

[८<strong>३९</strong>] एिॊ गोमभा ! तेलसॊ अनामाय-ऩित्ताणॊ फहूणॊ आमरयम-भमहयादीणॊ एगे भयगमछछिी<br />

कु िरमप्ऩहालबहाणे नाभ अनगाये भहा-तिस्सी अहेलस, तस्स णॊ भहा-भहॊते जीिाइ-ऩमत्थेसु तत्त-<br />

ऩरयणणाभे सुभहॊत चेि सॊसाय-सागये-तासुॊ तासुॊ जोणीसुॊ सॊसयण-बमॊ-सव्िहा सव्ि-ऩमायेहहॊ णॊ अछचॊतॊ<br />

आसामणा-बीरुमत्तणॊ तक्कारॊ तारयसे िी असभॊजसे अनामाये फहु-साहच्म्भम-ऩवित्तए । तहा िी सो<br />

नतत्थमयाणभाणॊ नाइक्कभेइ, अहन्नमा सो अननगूहहम-फर-िीरयम-ऩुरयसक्काय-ऩयक्कभे सुसीभ-गण-<br />

ऩरयमरयओ सव्िन्नु-ऩणीमागभ-सुत्तत्थो-बमाणुसायेणॊ ििगम-याग-दोस-भोह-लभछछत्तभभकायहॊकायो<br />

सव्ित्थऩडडफदॎो ककॊ फहुणा सव्िगुणगणाहहहटॎम-सयीयो अनेग गाभागय-नगय-ऩुय-खेड-कब्फड-भडॊफ-दोणभुहाइ-<br />

सच्न्निेस विसेसेसुॊ अनेगेसुॊ बव्ि-सत्ताणॊ सॊसायचायग-विभोक्खणणॊ सदॎम्भ-कहॊ ऩरयकहेहहॊतो विहरयॊसु एिॊ च<br />

िछचॊनत हदमहा ।<br />

अन्नमा णॊ सो भहानुबागो विहयभाणो आगओ, गोमभा ! तेलसॊ नीमविहायीणभािासगे तेलसॊ<br />

च भहा-तिस्सी काऊण सम्भाननओ ककइकम्भासण-ऩमाणाइणा सुविनएणॊ एिॊ च सुह-ननसणणो गचहटॎत्ताणॊ<br />

धम्भ-कहाइणा विणोएणॊ ऩुणो गॊतुॊ ऩमत्तो ।<br />

ताहे बणणओ सो भहानुबागो गोमभा ! तेहहॊ दुयॊत-ऩॊत-रक्खणेहहॊ लरॊगोिजीिीहह णॊ<br />

बटॎामारुम्भग्ग-ऩित्तगालबग्गहीम-लभछछाहदटॎीहहॊ । जहा णॊ बमिॊ जइ तुभलभहइॊ एक्कॊ िासा-यच्त्तमॊ<br />

चाउम्भालसमॊ ऩउॊ च्जमॊताणभेत्थॊ एच्त्तगे एच्त्तगे चेइमारगे बिॊनत नूनॊ तुज्झाणत्तीए, ता ककयउ-<br />

भनुग्गहम्भहाणॊ इहेि चाउम्भालसमॊ । ताहे बणणमॊ तेण भहानुबागेणॊ गोमभा ! जहा बो बो वऩमॊिए ! जइ<br />

वि च्जनारए तहा वि सािज्जलभणॊ, नाहॊ िामा-लभत्तेणॊ वऩ एमॊ आमरयज्जा, एमॊ च सभम-साय-ऩयॊ तत्तॊ<br />

जहहटॎमॊ अवििरयमॊ नीसॊकॊ बणभाणेणॊ तेलसॊ लभछछाहदहटॎ-लरॊगीणॊ साहुिेस-धायीणॊ भज्झे गोमभा !<br />

आसॊकलरमॊ नतत्थमय-नाभ-कम्भ-गोमॊ तेणॊ कु िरमप्ऩबेणॊ एगबिाि-सेसीकओ बिोमही । तत्थ म हदटॎी<br />

अणुल्रिणणज्ज नाभ सॊघ भेरािगो अहेलस । तेहहॊ च फहुहहॊ ऩािभइॊहहॊ लरॊगगण-लरॊगणणमाहहॊ ऩयोप्ऩयभेग<br />

भमॊ काऊणॊ गोमभा ! तारॊ दाउमॊ विप्ऩरोइमॊ चेि तॊ तस्स भहानुबाग सुभह तिच्स्सणो कु िरमप्ऩ-हालब-<br />

हाणॊ कमॊ च से सािज्जामरयमालबहाणॊ सद्कयणॊ गमॊ च ऩलसदॎीए । एिॊ च सहद्ज्जाभाणो वि सो तेणाऩ-<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

सत्थ-सद्-कयणेणॊ तहा वि गोमभा ! ईलसॊ वऩ न कु प्ऩे ।<br />

[८४०] अहन्नमा तेलसॊ दुयामायाणॊ सदॎम्भ-ऩयॊभुहाणॊ अगाय-धम्भानगाय-धम्भोबमबटॎाणॊ<br />

लरॊग-भेत्त-नाभ-ऩव्िइमाणॊ कारक्कभेणॊ सॊजाओ ऩयोप्ऩयॊ आगभ-विमायो, जहा णॊ सड्ढा-गाणभसई सॊजमा<br />

चेि भढ-देउरे ऩडडजागयेंनत खॊड-ऩडडए म सभायािमॊनत, अन्नॊ च जाि कयणणज्जॊ तॊ ऩइ सभायॊबे<br />

कज्जभाणे जइस्सावि णॊ नच्त्थ दोस-सॊबिॊ । एिॊ च के ई बणॊनत सॊजभ-भोक्ख-नेमायॊ अन्ने बणॊनत जहा<br />

णॊ ऩासामिडडॊसए ऩूमा-सक्काय-फलर-विहाणाईसुॊ न नतत्थुछछप्ऩणा चेि भोक्ख-गभनॊ एिॊ तेलसॊ अविइम-<br />

ऩयभत्थाणॊ ऩाि-कम्भाणॊ जॊ जेण लसटॎॊ सो तॊ चेिुद्ाभुच्स्सॊखरेणॊ भुहेणॊ ऩरिनत ताहे सभुहटॎमॊ िाद-सॊघट्ॊ ।<br />

नच्त्थ म कोई तत्थ आगभ कु सरो तेलसॊ भज्झे जो तत्थ जुत्ता-जुत्तॊ विमायेइ, जो ऩभाण-भुिइस्सइ तहा<br />

एगे बणॊनत जहा-अभुगो अभुगत्थाभे गचटॎे । अन्ने बणॊनत अभुगो अन्ने बणॊनत ककभत्थ फहुणा ऩरविएणॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [85] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


सव्िेलसॊ अणहाणॊ सािज्जामयीओ एत्थ ऩभाणॊ नत तेहहॊ बणणमॊ जहा एिॊ होउ च्त्त हक्कायािेह रहु ।<br />

तओ हक्कायाविओ गोमभा!<br />

सो तेहहॊ सािज्जामरयओ आगओ दूयदेसाओ अप्ऩडडफदॎत्ता विहयभाणो, सत्तहहॊ भासेहहॊ जाि<br />

णॊ हदटॎो एगाए अज्जाए, सा म तॊ कटॎुग्ग-ति-चयण-सोलसम-सयीयॊ चम्भहटॎ-सेस तणुॊ अछचॊतॊ ति-लसरयए<br />

हदप्ऩॊतॊ सािज्जामरयमॊ ऩेच्छछम सुविच्म्हमॊतक्कयणा विमच्क्कउॊ ऩमत्ता अहो ककॊ एस भहानुबागो णॊ सो<br />

अयहा ककॊ िा णॊ धम्भो चेि भुच्त्तभॊतो ककॊ फहुना-नतमलसॊदिॊदाणॊ वऩ िॊदणणज्ज-ऩाम-जुओ एस च्त्त<br />

गचॊनतऊणॊ बच्त्त-बयणणब्बया आमाहहण-ऩमाहहणॊ काऊणॊ उच्त्तभॊगेणॊ सॊघट्ेभाणी झच्त्त ननिडडमा चरणेसुॊ<br />

गोमभा ! तस्स णॊ सािज्जामयीमस्स, हदटॎो म सो तेहहॊ दुयामायेहहॊ ऩणलभज्जभाणो, अन्नमा णॊ सो तेलसॊ<br />

तत्थ जहा जग-गुरुहहॊ उिइटॎॊ तहा चेि गुरुिएसानुसायेणॊ आनुऩुव्िीए जह-हटॎमॊ सुत्तत्थॊ िागयेइ । ते वि<br />

तहा चेि सद्हॊनत अन्नमा ताि िागरयमॊ गोमभा ! जाि णॊ एक्कायसणहभॊगाणॊ चोद्सणहॊ ऩुव्िाणॊ<br />

दुिारसॊगस्स णॊ सुमनाणस्स निनीमसायबूमॊ समर-ऩाि-ऩरयहायटॎ-कम्भ-ननम्भहण आगमॊ इणभेि गछछ-<br />

भेया-ऩन्निणॊ भहाननसीह-सुमक्खॊधस्स ऩॊचभभज्झमणॊ ।<br />

एत्थेि गोमभा ! ताि णॊ िक्खाणणमॊ जाि णॊ आगमा इभा गाहा :-<br />

[८४१] जच्त्थथी-कय-परयसॊ अॊतरयमॊ कायणे वि उप्ऩन्ने ।<br />

अयहा वि कयेज्ज समॊ तॊ गछछॊ भूर गुण-भुक्कॊ ।।<br />

[८४२] तओ गोमभा अप्ऩ-सॊककएणॊ चेि गचॊनतमॊ तेन सािज्जामरयएणॊ जहा णॊ-जइ इह एमॊ<br />

जहहटॎमॊ ऩन्निेलभ तओ जॊ भभ िॊदनगॊ दाउभाणीए तीए अज्जाए उच्त्तभॊगेणॊ चरणग्गे ऩुटॎे तॊ सव्िेहहॊ वऩ<br />

हदटॎभेएहहॊ नत । ता जहा भभ सािज्जामरयमाहहहाणॊ कमॊ तहा अन्नभवि ककॊ गच एत्थ भुद्ॊकॊ काहहॊनत,<br />

अहन्नहा सुत्तत्थॊ ऩन्निेलभ ता णॊ भहती आसामणा, ता ककॊ करयमव्िभेत्थॊ नत ककॊ एमॊ गाहॊ ऩओिमालभ<br />

ककॊ िा णॊ अन्नहा ऩन्निेलभ अहिा हा हा न जुत्तलभणॊ उबमहा वि अछचॊतगयहहमॊ आमहहमटॎीणभेमॊ,<br />

जओ न-भेस सभमालबप्ऩाओ जहा णॊ जे लबक्खू दुिारसॊगस्स णॊ सुमनाणस्स असई<br />

चुक्कक्खलरमऩभामासॊकादी-सबमत्तेणॊ ऩमक्खयभत्ता-बफॊदुभवि एक्कॊ ऩओिेज्जा अन्नहा िा ऩन्निेज्जा,<br />

सॊहददॎॊ िा सुत्तत्थॊ िक्खाणेज्जा, अविहीए अओगस्स िा िक्खाणेज्जा । से लबक्खू अनॊतसॊसायी बिेज्जा,<br />

ता ककॊ येत्थॊ जॊ होही तॊ च बिउ, जहहटॎमॊ चेि गुरुिएसानुसायेणॊ सुत्तत्थॊ ऩिक्खालभ च्त्त गचॊनतऊणॊ<br />

गोमभा ! ऩिक्खामा ननणखरािमिविसुदॎा सा तेन गाहा ।<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

एमािसयॊलभ चोइओ गोमभा ! सो तेहहॊ दुयॊत-ऩॊत-रक्खणेहहॊ जहा जइ एिॊ ता तुभॊ वऩ ताि<br />

भूर-गुण-हीनो जाि णॊ सॊबयेसु तॊ जॊ तहद्िसॊ तीए अज्जाए तुज्झॊ िॊदनगॊ दाउकाभाए ऩाए उच्त्तभॊगेणॊ ऩुटॎे<br />

। ताहे इह-रोइगामस-हीरू खयसत्थयीहूओ । गोमभा ! सो सािज्जामरयओ गचॊनतओ जहा जॊ भभ<br />

सािज्जामरयमाहहहाणॊ कमॊ इभेहहॊ तहा तॊ ककॊ वऩ सॊऩमॊ काहहॊनत । जे णॊ तु सव्ि-रोए अऩुज्जो बविस्सॊ,<br />

ता ककभेत्थॊ ऩारयहायगॊ दाहालभ च्त्त गचॊतभाणेणॊ सॊबरयमॊ नतत्थमय-िमणॊ जहा णॊ जे के ई आमरयए इ िा<br />

भमहयए इ िा गछछाहहिई सुमहये बिेज्जा, से णॊ जॊ ककॊ गच सव्िन्नू अनॊत-नाणीहहॊ ऩािाििाम-टॎाणॊ<br />

ऩडडसेहहमॊ तॊ सव्िॊ सुमानुसायेणॊ विन्नामॊ सव्िहा सव्ि-ऩमायेहह णॊ नो सभामयेज्जा नो णॊ सभामरयज्जभाणॊ<br />

सभनुजाणेज्जा । से कोहेण िा भाणेण िा भामाए िा रोबेण िा, बएण िा हासेण िा, गायिेण िा दप्ऩेण<br />

िा ऩभाएण िा, असती-चुक्क-खलरएण िा, हदमा िा याओ िा, एगओ िा, ऩरयसागओ िा, सुत्ते िा<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [86] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


जागयभाणे िा, नतविहॊ नतविहेणॊ भणेणॊ िामाए काएणॊ एतेलसभेिऩमाणॊ । जे के इ वियाहगे बिेज्जा से णॊ<br />

लबक्खू बूओ बूओ ननॊदणणज्जे गयहणणज्जे णखॊसणणज्जे दुगुॊछणणज्जे सव्ि-रोग-ऩरयबूए फहू-िाहह-िेमणा-<br />

ऩरयगम-सयीये-उक्कोसहटॎतीए अनॊत-सॊसाय-सागयॊ ऩरयबभेज्जा, तत्थ णॊ ऩरयबभभाणे खणभेक्कॊ वऩ न<br />

कहहॊगच कमाइ ननव्िुई सॊऩािेज्जा, ता ऩभाम-गोमय-गमस्स णॊ भे ऩािाहभाहभ-हीन-सत्त-काउरयसस्स इहइॊ<br />

चेि सभुहटॎमाए भहॊता आिई, जेणॊ न सक्को अहभेत्थॊ जुत्ती-खभॊ ककॊ गच ऩडडउत्तयॊ ऩमाउॊ जे ।<br />

तहा ऩयरोगे म अनॊत-बि-ऩयॊऩयॊ बभभाणो घोय-दारुणानॊत-सोम-दुक्खस्स बागी बिीहालभ हॊ<br />

भॊदबागो च्त्त । गचॊतमॊतो ऽिरच्क्खओ सो सािज्जामरयओ गोमभा ! तेहहॊ दुयामाय-ऩाि-कम्भ-दुटॎ-सोमयेहहॊ<br />

जहा णॊ अलरम-खय-सत्थयीबूओ एस, तओ सॊखुदॎभणॊ खय-सत्थयी बूमॊ कलरऊणॊ च बणणमॊ तेहहॊ दुटॎ-<br />

सोमायेहहॊ जहा-जाि णॊ नो नछन्नलभणभो सॊसमॊ ताि णॊ उड्ढॊ िक्खाणॊ अच्त्थ । ता एत्थॊ तॊ ऩरयहायगॊ<br />

िामयेज्जा, जॊ ऩोढ-जुत्ती-खभॊ कु ग्गाह-ननम्भहण-ऩछचरॊ नत ।<br />

तओ तेन गचॊनतमॊ जहा नाहॊ अहदन्नेणॊ ऩारयहायगेणॊ चुच्क्कभोभेलसॊ, ता ककभेत्थ ऩारयहायगॊ<br />

दाहालभ च्त्त गचॊतमॊतो ऩुणो वि गोमभा! बणणओ सो तेहहॊ दुयामायेहहॊ जहा ककभटॎॊ गचॊता-सागये ननभच्ज्जऊणॊ<br />

हठओ लसग्घभेत्थॊ ककॊ गच ऩारयहायगॊ िमाहह, नियॊ तॊ ऩारयहायगॊ बणेज्जा । जॊ फहुत्तत्थककमाए<br />

अव्िलबचायी, ताहे सुइयॊ ऩरयतच्प्ऩऊणॊ हहमएणॊ बणणमॊ सािज्जारयएणॊ जहा एएणॊ अत्थेणॊ जग-गुरूहहॊ<br />

िागरयमॊ जॊ अओगस्स सुत्तत्थॊ न दामव्िॊ [जहा] ।<br />

[८४३] आभे धडे ननहहत्तॊ जहा जरॊ तॊ घडॊ विनासेइ ।<br />

इम लसदॎॊत-यहस्सॊ अप्ऩाहायॊ विनासेइ ।।<br />

[८४४] ताहे ऩुणो वि तेहहॊ बणणमॊ जहा ककभेमाइॊ अयड-फयडाइॊ असॊफदॎाइॊ दुब्बालसमाइॊ<br />

ऩरिह जइ ऩारयहायगॊ णॊ दाउॊ सक्के ता उच्प्पड, भुमसु आसनॊ, ऊसय लसग्घॊ, इभाओ ठाणाओ । ककॊ<br />

देिस्स रूसेज्जा, जत्थ तुभॊ वऩ ऩभाणीकाऊणॊ सव्ि-सॊघेणॊ सभम-सब्बािॊ िामयेउॊ जे सभाइटॎो, तओ ऩुणो<br />

वि सुइयॊ ऩरयतच्प्ऩऊणॊ गोमभा ! अन्नॊ ऩारयहायगॊ अरबभाणेणॊ अॊगीकाऊण दीहॊ सॊसायॊ बणणमॊ च<br />

सािज्जामरयएणॊ जहा णॊ उस्सग्गाििाएहहॊ आगभो हठओ तुब्बे न माणहेमॊ । एगॊतो लभछछॊत्तॊ<br />

च्जणाणभाणा भनेगॊता । एमॊ च िमणॊ गोमभा ! गगम्हामि-सॊताविएहहॊ लसहहउरेहहॊ च अहहनि-ऩाउस-<br />

सजरघनोयच्ल्रलभि सफहुभानॊ सभाइच्छछमॊ तेहहॊ दुटॎ-सोमायेहहॊ ।<br />

तओ एग-िमण-दोसेणॊ गोमभा ! ननफॊगधऊणानॊत-सॊसारयमत्तणॊ अप्ऩडडक्कलभऊणॊ च तस्स<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

ऩाि-सभुदाम-भहाखॊधभेरािगस्स भरयऊणॊ उििन्नो िाणभॊतयेसुॊ सो सािज्जामरयओ । तओ चुओ सभाणो<br />

उििन्नो ऩिलसम-बत्तायाए ऩडडिासुदेि-ऩुयोहहम-धूमाए कु च्छछॊसु ।<br />

अहन्नमा विमाणणमॊ तीए जननीए ऩुयोहहम-बज्जाए जहा णॊ हा हा हा ! हदन्नॊ भलस-कु छचमॊ<br />

सव्ि-ननमकु रस्स इभीए दुयामायाए भज्झ धूमाए । साहहमॊ च ऩुयोहहमस्स, तओ सॊतच्प्ऩऊणॊ सुइयॊ फहुॊ च<br />

हहमएणॊ साहारयउॊ ननच्व्िसमा कमा सा तेणॊ ऩुयोहहएणॊ एभहॊता-असज्झदुच्न्निाय-अमस-बीरुणा । अहन्नमा<br />

थेि कारॊतयेणॊ कहहॊ वि थाभभरबभाणी सी-उणह-िाम-विज्झडडमा खु-क्खाभ-कॊ ठा दुच्ब्बक्ख दोसेणॊ ऩविटॎा<br />

दासत्ताए यस-िाणणज्जगस्स गेहे, तत्थ म फहूणॊ भज्ज-ऩानगाणॊ सॊगचमॊ साहयेइ अनुसभमभुच्छचटॎगॊ नत<br />

अन्नमा अनुहदणॊ साहयभाणीए तभुच्छचटॎगॊ दटॎूणॊ च फहु-भज्ज-ऩानगे भज्जभाविमभाणे<br />

ऩोग्गरॊ च सभुहद्सॊते तहेि तीए भज्ज-भॊसस्सोिरयॊ दोहरगॊ सभुप्ऩन्नॊ । जाि णॊ जॊ तॊ फहुभज्ज-ऩानगॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [87] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


नड-नट्-छ्तत्त चायण-बडोड्ड-चेड-तक्कया-सरयस-जातीसु भुच्ज्झमॊ खुय-सीस-ऩुॊछ-कणण-हटॎभमगमॊ उच्छचटॎॊ<br />

िल्रूयखॊडॊ तॊ सभुहद्लसउॊ सभायदॎा तहा तेसु चेि उच्छचटॎ-कोडडमगेसुॊ जॊ ककॊ गच नाहीए भज्झॊ वित्थक्के<br />

तभेिासाइउभायदॎा । एिॊ च कइिम-हदणाइक्कभेणॊ भज्जभॊसोिरयॊ दढॊ गेही सॊजामा । ताहे तस्सेि यस-<br />

िाणणज्जगस्स गेहाओ ऩरयभुलसऊणॊ ककॊ गच-कॊ स-दूस-दविण-जामॊ अन्नत्थ विच्क्कणणऊणॊ भज्जॊ भॊसॊ<br />

ऩरयबुॊजइ, ताि णॊ विणणामॊ तेण यसिाणणज्जगेणॊ साहहमॊ च नयिइणो, तेणा वि िज्झा-सभाइटॎा ।<br />

तत्थ म यामउरे एसो गोमभा ! कु र-धम्भो, जहा णॊ जा काइ आिणण-सत्ता नायी अियाह-<br />

दोसेणॊ सा जाि णॊ नो ऩसूमा ताि णॊ नो िािामव्िा, तेहहॊ विननउत्त-गणणगगॊतगेहहॊ सगेहे नेऊण ऩसूइ<br />

सभमॊ जाि ननमॊनतमा यक्खेमव्िा ।<br />

अहन्नमा नीमा तेहहॊ हरयएस-जाईहहॊ स-गेहॊ, कारक्कभेण ऩसूमा म दायगॊ तॊ सािज्जामरयम<br />

जीिॊ, तओ ऩसूमभेत्ता चेि तॊ फारमॊ उच्ज्झऊण ऩणटॎा भयणबमाहहतत्था सा गोमभा ! हदलसभेक्कॊ गॊतूणॊ<br />

विमाणणमॊ च तेहहॊ ऩािेहहॊ, जहा-ऩणटॎा सा ऩाि-कम्भा, साहहमॊ च नयिइणो सूणाहहिइणा । जहा णॊ देि<br />

ऩणटॎा सा दुयामाया कमरी-गब्बोिभॊ दायगभुच्ज्झऊणॊ, यणणा वि ऩडडबणणमॊ जहा णॊ जइ नाभ सा गमा ता<br />

गछछउ तॊ फारमॊ ऩडडिारेज्जासु सव्िहा तहा कामव्िॊ जहा तॊ फारगॊ न िािज्जे । गगणहेसु इभे ऩॊच-<br />

सहस्सा दविण-जामस्स तओ नयिइणो सॊदॊसेणॊ सुमलभि ऩरयिालरओ सो ऩॊसुरी-तणओ ।<br />

अन्नमा कारक्कभेणॊ भओ सो ऩाि-कम्भो सूणाहहिई, तो यणणा सभणुजाणणमॊ तस्सेि<br />

फारगस्स घयसायॊ, कओ ऩॊचणहॊ समाणॊ अहहिई, तत्थ म सुणाहहिइ ऩए ऩइहटॎओ सभाणो ताइॊ तारयसाइॊ<br />

अकयणणज्जाइॊ सभणुहटॎत्ताणॊ गओ सो गोमभा ! सत्तभीए ऩुढिीए अऩइटॎाण-नाभे ननयमािासे<br />

सािज्जामरयम-जीिो । एिॊ तॊ तत्थ तारयसॊ घोय-ऩचॊड-योद्ॊ सुदारुणॊ दुक्खॊ तेत्तीसॊ सागयोिभे जाि कह<br />

कहवि ककरेसेणॊ सभनुबविऊणॊ इहागओ सभाणो उििन्नो अॊतयदीिे एगोरुमजाई ।<br />

तओ वि भरयऊणॊ अििन्नो नतरयम-जोणीए भहहसत्ताए तत्थ म जाइॊ काइॊ वि नायग-<br />

दुक्खाइॊ<br />

तेलसॊ तु सरयस-नाभाइॊ अनुबविऊणॊ छव्िीसॊ सॊिछछयाणण । तओ गोमभा ! भओ सभाणो उििन्नो भनुएसु,<br />

तओ िासुदेित्ताए सो सािज्जामरयम-जीिो । तत्थ वि अहाऊमॊ ऩरयिालरऊणॊ अनेग-सॊगाभायॊब-ऩरयग्गह-<br />

दोसेणॊ भरयऊणॊ गओ सत्तभाए । तओ वि उव्िहट्ऊणॊ सुइय-काराओ उििन्नो गम-कणणो नाभ भनुम-जाई<br />

। तओ वि कु णणभाहायदोसेणॊ कू यज्झ-िसामभईगओ भरयऊणॊ ऩुणो वि सत्तभाए, तेहहॊ चेि अऩइटॎाणे<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

ननयम-िासे तओ वि उव्िहट्ऊणॊ ऩुणो वि उििन्नो नतरयएसु भहहसत्ताए ।<br />

तत्था वि णॊ नयगोिभॊ दुक्खभनुबवित्ता णॊ भओ सभाणो उििन्नो फार-विहिाए ऩॊसुरीए<br />

भाहण-धूमाए कु च्छछॊलस । अहन्नमा ननउत्त-ऩछछन्न-गब्ब-साडण-ऩाडणे खाय-चुणण जोगदोसेणॊ अनेगिाहह-<br />

िेमणा-ऩरयगम-सयीयो लसडडहहडॊत-कु टॎ-िाहहए ऩरयगरभाणो सरसलरॊत-ककलभजारेणॊ खज्जॊतो नीहरयओ<br />

नयओिभॊ घोय-दुक्ख-ननिासो गब्बिासाओ गोमभा ! सो सािज्जामरयमजीिो ।<br />

तओ सव्ि-रोगेहहॊ ननॊहदज्जभाणो गयहहज्जभाणो णखॊलसज्जभणो दुगुॊनछज्जभाणो सव्ि-<br />

रोअऩरयबूओ ऩान-खान-बोगोिबोग-ऩरयिच्ज्जओ गब्बिास-ऩलबतीए चेि विगचत्तसायीय-भानलसग-घोय-दुक्ख-<br />

सॊतत्तो सत्त-सॊिछछयसमाइॊ दो भासे म चउयो हदने म जािज्जीविऊणॊ भतो सभाणो उििन्नो िाणभॊतयेसुॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [88] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


तओ चुओ उििन्नो भनुएसुॊ, ऩुणो वि सूणाहहिइत्ताए, तओ वि तक्कम्भदोसेणॊ सत्तभाए, तओ वि<br />

उव्िट्ेऊणॊ उििन्नो नतरयएसुॊ चच्क्कमघयॊलस गोणत्ताए ।<br />

तत्थ म चक्क-सगड-रॊगरामट्णेणॊ अहच्न्नसॊ जूिायोिणेणॊ ऩच्छचऊणॊ कु हहमाउच्व्िमॊ खॊधॊ<br />

सम्भुच्छछए म ककभी, ताहे अक्खभीहूमॊ खॊध-जूि-धयणस्स विणणाम ऩटॎीए िाहहउभायदॎो तेणॊ चच्क्कएणॊ ।<br />

अहन्नमा कारक्कभेणॊ जहा खॊधॊ तहा ऩच्छचऊण कु हहमा ऩटॎी, तत्था वि सभुच्छछए ककभी, सडडऊण विगमॊ<br />

च ऩहटॎ-चम्भॊ, ता अककॊ गचमयॊ ननप्ऩओमणॊ नत नाऊणॊ भोक्कलरमॊ, तेणॊ चच्क्कएणॊ, तॊ सरसलरॊत ककलभ<br />

जारेहहॊ णॊ खज्जभाणॊ फइल्रॊ सािज्जामरयम-जीिॊ, तओ भोक्कच्ल्रओ सभाणो ऩरयसडडम ऩहटॎ-चम्भो फहु<br />

काम-साण-ककलभ-कु रेहहॊ सफज्झब्बॊतये विरुप्ऩभाणो एकू णतीसॊ सॊिछछयाइॊ जािाहाउगॊ ऩरयिारेऊण भओ<br />

सभाणो उििन्नो अनेग-िाहह-िेमणा-ऩरयगम-सयीयो भनुएसुॊ भहाधनस्स णॊ इब्ब-गेहे ।<br />

तत्थ िभन-वियेमण-खाय-कडु-नतत्त-कसाम-नतहरा-भुग्गुर-काढगे आिीमभाणस्स ननछच-<br />

विसोसणाहहॊ च असज्झाणुिसम्भ-घोय-दारुण-दुक्खेहहॊ ऩज्जालरमस्सेि गोमभा ! गओ ननप्परो तस्स<br />

भनुमजम्भो । एिॊ च गोमभा ! सो सािज्जामरयम-जीिो चोद्स-यज्जुमरोगॊ जम्भण-भयणेहहॊ णॊ ननयॊतयॊ<br />

ऩडडजरयऊणॊ सुदीहनॊतकाराओ सभुप्ऩन्नो भनुमत्ताए अियविदेहे तत्थ म बाग-िसेणॊ रोगानुित्तीए गओ<br />

नतत्थमयस्स िॊदण-िच्त्तमाए, ऩडडफुदॎो म, ऩव्िइओ, लसदॎो म । इहतेिीसइभ-नतत्थमयस्स ऩास-नाभस्स<br />

कारे । एमॊ तॊ गोमभा ! सािज्जामरयएणॊ ऩाविमॊ नत ।<br />

से बमिॊ ! ककॊ ऩछचइमॊ तेनानुबूमॊ एरयसॊ दूसहॊ घोय-दारुणॊ भहादुक्ख-सच्न्निाम-<br />

सॊघट्भेच्त्तमकारॊ नत गोमभा ! जॊ बणणमॊ तक्कार-सभमच्म्भ जहा णॊ उस्सग्गाििाएहहॊ आगभो हठओ,<br />

एगॊतो लभछछत्तॊ च्जणाण आणा अनेगॊतो च्त्त एम-िमणऩछचइमॊ ।<br />

से बमिॊ ! ककॊ उस्सग्गाििाएहहॊ णॊ नो हठमॊ आगभॊ एगॊतॊ च ऩन्नविज्जइ गोमभा !<br />

उस्सगाििाएहहॊ चेि ऩिमणॊ हठमॊ अनेगॊतॊ च ऩन्नविज्जइ नो णॊ एगॊतॊ नियॊ आउक्काम-ऩरयबोगॊ तेउ-<br />

कामसभायॊबॊ भेहुणासेिणॊ च, एते तओ थाणॊतये एगॊतेणॊ ननछछमओ फाढॊ सव्िहा सव्ि-ऩमायेहहॊ णॊ आम-<br />

हहमटॎीणॊ ननलसदॎॊ नत । एत्थॊ च सुत्ताइक्कभे सॊभग्ग-विप्ऩनासणॊ उम्भग्ग-ऩमरयसणॊ, तओ म आणा-बॊगॊ<br />

आणा-बॊगाओ अनॊत सॊसायी ।<br />

से बमिॊ ! ककॊ ते णॊ सािज्जामरयएणॊ भेहुणभासेविमॊ गोमभा ! सेविमासेविमॊ नो सेविमॊ<br />

नो असेविमॊ । से बमिॊ ! के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ गोमभा! जॊ तीए अज्जाए तक्कारॊ उच्त्तभॊगेणॊ ऩाए<br />

परयलसए परयलसज्जभाणे म नो तेण आउॊ हिउॊ सॊिरयए, एएणॊ अटॎेणॊ गोमभा ! िुछचइ ।<br />

अज्झमणॊ-५, उद्ेसो-<br />

से बमिॊ एद्ए-भेत्तस्स वि णॊ एरयसे घोये दुच्व्िभोक्खे फदॎ-ऩुटॎ-ननकाइए कम्भ-फधे <br />

गोमभा ! एिभेमॊ न अन्नह च्त्त ।<br />

से बमिॊ तेण नतत्थमयनाभ-कम्भगोमॊ आसॊकलरमॊ एग-बिािसेसीकओ आसी बिोमहह, ता<br />

ककभेमभनॊत-सॊसायाहहडॊणॊ नत गोमभा! ननमम-ऩभाम-दोसेणॊ तम्हा एमॊ विमाणणत्ता बिवियहलभछछ-भाणेणॊ<br />

गोमभा! सुहद्टॎ-सभम-सायेणॊ गछछाहहिइणा सव्िहा सव्ि-ऩमायेहहॊ णॊ सव्ित्थाभेसु अछचत्तॊ अप्ऩभत्तेणॊ<br />

बविमव्िॊ, नत फेलभ ।<br />

० दुवाऱसंग-सुय-नाणस्स नवनीयसारं नामं ऩंचमं अज्झयणं समत्तं ०<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [89] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


० छट्ठं अज्झयणं-गीयत्थपवहार ०<br />

[८४५] बगिॊ जो यच्त्त-हदमहॊ लसदॎॊतॊ ऩढई सुणे िक्खाणे गचॊतए सततॊ सो ककॊ<br />

अनामायभामये लसदॎॊत-गमभेगॊ वऩ अक्खयॊ जो विमाणई सो गोमभ भयणॊते िी अनामायॊ नो सभामये ।<br />

[८४६] बमिॊ! ता कीस दस-ऩुव्िी नॊहदसेण-भहामसे ।<br />

ऩव्िज्जॊ चेछचा गणणकाए गेहॊ ऩविटॎो ऩभुछचइ ।।<br />

[८४७] तस्स ऩविटॎॊ भे बोगऽहरॊ खलरम-कायणॊ ।<br />

बि-बम-बीओ तहा वि दुमॊ सो ऩव्िज्जभुिागओ ।।<br />

[८४८] ऩामारॊ अवि उड्ढभुहॊ सग्गॊ होज्जा अहो-भुहॊ ।<br />

नो उणो के िलर-ऩन्नत्तॊ िमणॊ अन्नहा बिे ।।<br />

[८४९] अन्नॊ सो फहूिाए िा सुम-ननफदॎे विमारयउॊ ।<br />

गुरुणो ऩाभूरे भोत्तूणॊ लरॊगॊ ननच्व्िसओ गओ ।।<br />

[८५०] तभेि िमणॊ सयभाणो दॊत-बग्गो स-कम्भुणा ।<br />

बोगहरॊ कम्भॊ िेदेइ फदॎ-ऩुटॎ-ननकाइमॊ ।।<br />

[८५१] बमिॊ! ते के रयसोिाए सुम-ननफदॎे विमारयए ।<br />

जेणुच्ज्झऊणॊ साभन्नॊ अज्ज वि ऩाणे धयेइ सो ।।<br />

[८५२] एते ते गोमभोिाए के िरीहहॊ ऩिेइए ।<br />

जहा विसम-ऩयाबूओ सयेज्जा सुत्तलभभॊ भुनी<br />

[तॊ जहा- ] ।।<br />

[८५३] तिभटॎगुणॊ घोयॊ आढिेज्जा सुदुक्कयॊ ।<br />

जमा विसए उहदज्जॊनत ऩडणासण-विसॊ वऩफे ।।<br />

[८५४] काउॊ फॊगधऊण भरयमव्िॊ नो चरयत्तॊ वियाहए ।<br />

अह एमाइॊ न सच्क्कज्जा ता गुरुणो लरॊगॊ सभच्प्ऩमा ।।<br />

[८५५] विदेसे जत्थ नागछछे ऩउत्ती तत्थ गॊतूण ।<br />

अनुव्िमॊ ऩारेज्जा नो णॊ बविमा ननदॎॊधसे ।।<br />

[८५६] ता गोमभ ! नॊहदसेनेणॊ गगरय-ऩडणॊ जाि ऩत्थुमॊ ।<br />

ताि आमासे इभा िाणी ऩडडओ वि नो भरयज्ज तॊ ।।<br />

अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

[८५७] हदसा-भुहाइॊ जा जोए ता ऩेछछे चायणॊ-भुननॊ ।<br />

अकारे नच्त्थ ते भछचू-विसभवि स भाहदतुॊ गओ ।।<br />

[८५८] ताहे वि अण-हहमासेहहॊ विसएहहॊ जाि ऩीडडओ ।<br />

ताि गचॊता सभुप्ऩन्ना जहा ककॊ जीविएण भे ।।<br />

[८५९] कु ॊ देंदु-ननम्भरम-यागॊ नतत्थॊ ऩािभती अहॊ ।<br />

उड्डाहेंतो म सुच्ज्झस्सॊ कत्थ गॊतुभनारयओ ।।<br />

[८६०] अहिा स-रॊछणो चॊदो कु ॊ दस्स उण का ऩहा ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [90] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

कलर-करुस-भर-करॊके हहॊ िच्ज्जमॊ च्जन-सासनॊ ।।<br />

[८६१] ता एमॊ समर-दालरद् दुह-ककरेस-क्खमॊकयॊ ।<br />

ऩिमणॊ णखॊसाविॊतो कत्थ गॊतूणॊ सुच्ज्झहॊ ।।<br />

[८६२] दुग्गटॎॊकॊ गगरयॊ योढुॊ अत्ताणॊ चुच्न्नभो धुिॊ ।<br />

जाि विसम-िसेणाहॊ ककॊ गचऽत्थुड्डाहॊ कयॊ ।।<br />

[८६३] एिॊ ऩुणो वि आयोढुॊ ढॊकु च्छछणणॊ गगयीमडॊ ।<br />

सॊिये ककर ननयागायॊ गमणे ऩुनयवि बाणणमॊ ।।<br />

[८६४] अमारे नच्त्थ ते भछचू चरयभॊ तुज्झ इभॊ तनुॊ ।<br />

ता फदॎ-ऩुटॎॊ बोगहरॊ िेइत्ता सॊजभॊ कु रु ।।<br />

[८६५] एिॊ तु जाि फे िाया चायण-सभणेहहॊ सेहहओ ।<br />

ताहे गॊतूणॊ सो लरॊगॊ गुरु-ऩाभूरे ननिेहदउॊ ।।<br />

[८६६] तॊ सुत्तत्थॊ सयेभाणो दूयॊ देसॊतयॊ गओ ।<br />

तत्थाहाय ननलभत्तेणॊ िेसाए घयभागओ ।।<br />

[८६७] धम्भ-राबॊ जा बणइ अत्थ-राबॊ विभच्ग्गओ ।<br />

तेणा वि लसवदॎ-जुत्तेणॊ एिॊ बिउ च्त्त बाणणमॊ ।।<br />

[८६८] अदॎ-तेयस-कोडीओ दविण-जामस्स जा तहहॊ ।<br />

हहयणण-िुहटॎॊ दािेउॊ भॊहदया ऩडडगछछइ ।।<br />

[८६९] उत्तुॊग-थोय-थणिट्ा गणणमा आलरॊगगउॊ दढॊ ।<br />

बन्ने ककॊ जालसभॊ दविणॊ अविहीए दाउॊ<br />

चुल्रुगा ! ।।<br />

[८७०] तेन वि बविमव्िमॊ एमॊ कलरऊणेमॊ ऩबाणणमॊ ।<br />

जहा-जा ते विही इटॎा तीए दव्िॊ ऩमछछसु ।।<br />

[८७१] गहहऊणालबग्गहॊ ताहे ऩविटॎो तीए भॊहदयॊ ।<br />

एमॊ जहा न ताि अहमॊ न बोमण-ऩान-विहहॊ कये ।।<br />

[८७२] दस-दस न फोहहए जाि हदमहे अनूनगे ।<br />

ऩइणणा जा न ऩुन्नेसा काइम-भोक्खॊ न ता कये ।।<br />

[८७३] अन्नॊ च न भे दामव्िा ऩव्िज्जोिहटॎस्स वि ।<br />

जारयसगॊ तु गुरूलरॊगॊ बिे सीसॊ वऩ तारयसॊ ।।<br />

[८७४] अक्खीणत्थॊ ननही-काउॊ रुॊगचओ खोलसओ वि सो ।<br />

तहायाहहओ गणणगाए फदॎो जह ऩेभ-ऩासेहहॊ ।।<br />

[८७५] आरािाओ ऩणओ ऩणमाओ यती यतीए िीसॊबो ।<br />

िीसॊबाओ नेहो ऩॊचविहॊ िड्ढे ऩेम्भॊ ।।<br />

[८७६] एिॊ सो ऩेम्भ-ऩासेहहॊ फदॎो वि सािगत्तणॊ ।<br />

जहोिइटॎॊ कयेभाणो दस अहहए िा हदने हदने ।।<br />

[८७७] ऩडडफोहहऊणॊ सॊविग्गे गुरु ऩाभूरॊ ऩिेसई ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [91] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

सॊऩमॊ फोहहओ सो वि दुम्भुहेण जहा तुभॊ ।।<br />

[८७८] धम्भॊ रोगस्स साहेलस अत्त-कज्जच्म्भ भुज्झलस ।<br />

नूनॊ विक्के णुमॊ धम्भॊ जॊ समॊ नाणुचेटॎलस ।।<br />

[८७९] एिॊ सो िमणॊ सोछचा दुम्भुहस्स सुबालसमॊ ।<br />

थयथयस्स कॊ ऩॊतो ननॊहदउॊ गयहहउॊ गचयॊ ।।<br />

[८८०] हा ! हा ! हा ! अकज्जॊ भे बटॎ-सीरेण ककॊ कमॊ ।<br />

जेणॊ तु भुत्तोऽघसये गुॊडडओऽसुइ ककभी जहा ।।<br />

[८८१] धी धी धी ! अहन्नेणॊ ऩेछछ जॊ भेऽनुगचहटॎमॊ ।<br />

जछच-कॊ चण-सभऽत्ताणॊ असुइ-सरयसॊ भए कमॊ ।।<br />

[८८२] खण-बॊगुयस्स देहस्स जा विित्ती णॊ भे बिे ।<br />

ता नतत्थमयस्स ऩाभूरॊ ऩामच्छछत्तॊ चयालभऽहॊ ।।<br />

[८८३] एस भा-गछछती एत्थॊ गचटॎॊताणेि गोमभा ! ।<br />

घोयॊ चरयऊणॊ ऩच्छछत्तॊ सॊविग्गोऽम्हेहहॊ बालसउॊ ।।<br />

[८८४] घोय-िीय-तिॊ काउॊ असुहॊ-कम्भॊ खिेत्तु म ।<br />

सुक्कज्झाणे सभारुहहउॊ के िरॊ ऩप्ऩ लसच्ज्झही ।।<br />

[८८५] ता गोमभभेम-नाएणॊ फहु-उिाए विमारयमा ।<br />

लरॊगॊ गुरुस्स अप्ऩेउॊ नॊहदसेनेणॊ जहा कमॊ ।।<br />

[८८६] उस्सग्गॊ ता तुभॊ फुज्झ लसदॎॊतेमॊ जहहटॎमॊ ।<br />

तिॊतया उदमॊ तस्स भहॊतॊ आलस गोमभा ! ।।<br />

[८८७] तहा वि जा विसए उइणणे तिे घोयॊ भहातिॊ ।<br />

अटॎगुणॊ तेणभनुगचणणॊ तो िी विसए न ननच्ज्जए ।।<br />

[८८८] ताहे विस-बक्खणॊ ऩडणॊ अनसनॊ तेन इच्छछमॊ ।<br />

एमॊ वऩ चायण-सभणेहहॊ फे िाया जाि सेहहओ ।।<br />

[८८९] ताि म गुरुस्स यमहयणॊ अच्प्ऩमणणॊ देसॊतयॊ गओ ।<br />

एते ते गोमभोिाए सुम-ननफदॎे विमाणणए ।।<br />

[८९०] जाि गुरुणो न यमहयणॊ ऩव्िज्जा म न अच्ल्रमा ।<br />

तािाकज्जॊ न कामव्िॊ लरॊगभवि च्जन-देलसमॊ ।।<br />

[८९१] अन्नत्थ न उच्ज्झमव्िॊ गुरुणो भोत्तूण अॊजलरॊ ।<br />

जइ सो उिसालसउॊ सक्को गुरू ता उिसासइ ।।<br />

[८९२] अह अन्नो उिसालसउॊ सक्को तो वि तस्स कहहज्जइ ।<br />

गुरुणा वि म तॊ ण अन्नस्स गगयािेमव्िॊ कमाइ वि ।।<br />

[८९३] जो बविमा िीइम ऩयभत्थो जग-हटॎम-विमाणगो ।<br />

एमाइॊ तु ऩमाइॊ जो गोमभा ! णॊ विडॊफए ।।<br />

[८९४] भामा-ऩिॊच-दॊबेणॊ सो बलभही आसडो जहा ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [92] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

बमिॊ ! न माणणभो को वि भामा सीरो हु म आसडो ।।<br />

[८९५] ककॊ िा ननलभत्तभुिमरयउॊ सो बभे फहु-दुहहटॎओ ।<br />

चरयभस्सणणस्स नतत्थमॊलभ गोमभा ! कॊ चन-छछिी ।।<br />

[८९६] आमरयओ आलस बूइक्खो तस्स सीसो स आसडो ।<br />

भहव्िमाइॊ घेत्तूणॊ अह सुत्तत्थॊ अहहच्ज्जमा ।।<br />

[८९७] ताि कोऊहरॊ जामॊ नो णॊ विसएहहॊ ऩीडडओ ।<br />

गचॊतेइ म जह लसदॎॊते एरयसो दॊलसओ विही ।।<br />

[८९८] ता तस्स ऩभाणेणॊ गुरुमणॊ यॊच्जउॊ दढॊ ।<br />

तिॊ चऽटॎगुणॊ काउॊ ऩडणाणसयणॊ विसॊ ।।<br />

[८९९] कयेहालभ जहाऽहॊ ऩी देिमाए ननिारयओ ।<br />

दीहाऊ नच्त्थ ते भछचू बोगे बुॊज जहहच्छछए ।।<br />

[९००] लरॊगॊ गुरुस्स अप्ऩेउॊ अन्नॊ देसतयॊ िम ।<br />

बोगहरॊ िेइमा ऩछछा घोय िीय-तिॊ चय ।।<br />

[९०१] अहिा हा ! हा ! अहॊ भूढो आमसल्रेण सच्ल्रओ ।<br />

सभणाणॊ नेरयसॊ जुत्तॊ सभमभिी भनलस धारयउॊ ।।<br />

[९०२] एत्था उ भे ऩच्छछत्तॊ आरोएत्ता रहुॊ चये ।<br />

अहिा णॊ न आरोउॊ भामािी बच्णणभो ऩुणो ।।<br />

[९०३] ता दस िासे आमाभॊ भास-खभणस्स ऩायणे ।<br />

िीसमॊबफरभादीहहॊ दो दो भासाण ऩायणे ।।<br />

[९०४] ऩणुिीसॊ िासे तत्थ चॊदामण-तिेण म ।<br />

छटॎटॎभ-दसभाइॊ अटॎ िासे अनूनगे ।।<br />

[९०५] भह-घोयेरयस ऩच्छछत्तॊ समभेिेत्थानुछचयॊ ।<br />

गुरु-ऩाभूरेऽवि एत्थेमॊ ऩामच्छछत्तॊ भे न अग्गरॊ ।।<br />

[९०६] अहिा नतत्थमयेणेस ककभटॎॊ िाइओ विही ।<br />

जेणेमॊ अहीमभानोऽहॊ ऩामच्छछत्तस्स भेलरओ ।।<br />

[९०७] सो च्छचम जाणेज्जा सव्िन्नू ऩच्छछत्तॊ अनुचयाभहॊ ।<br />

जभेत्थॊ दुटॎु गचॊनतममॊ तस्स लभछछालभ दुक्कडॊ ।।<br />

રહી ગયે નથી]<br />

[९०८] एिॊ तॊ कटॎॊ घोयॊ ऩामच्छछत्तॊ समॊ-भती ।<br />

काऊणॊ वऩ ससल्रो सो िाणभॊतयमॊ गओ ।।<br />

[९०९] हेहटॎभोिरयभ-गेिेम विभाने तेन गोमभा ! ।<br />

िमॊतो आरोएत्ता जइ तॊ ऩच्छछत्तॊ कु च्व्िमा ।।<br />

[અહીં ભ ૂથી ९१० ને બદે ક્રમ ાંક १००० છપ ઈ ગયે છે, વચ્ચે કોઈ જ ગ થ કે સ ૂત્ર<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [93] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

[१०००] िाणभॊतय-देित्ता चइऊणॊ गोमभासडो ।<br />

यासहत्ताए तेरयछछेसुॊ नरयॊद-घयभागओ ।।<br />

[१००१] ननछचॊ तत्थ िडिाणॊ सॊघट्ण-दोसा तहहॊ ।<br />

िसने िाही सभुप्ऩन्ना ककभी एत्थ सभुच्छछए ।।<br />

[१००२] तओ ककलभएहहॊ खज्जॊतो िसन-देसच्म्भ गोमभा ।<br />

भुक्काहायो णखइॊ रेढे विमणत्तो ताि साहुणो ।।<br />

[१००३] अदूयेण ऩिोलरॊते दटॎूणॊ जाइॊ सयेत्तु म ।<br />

ननॊहदउॊ गयहहउॊ आमा अनसनॊ ऩडडिच्ज्जमा ।।<br />

[१००४] काग-साणेहह खज्जॊतो सुदॎ-बािेण गोमभा ।<br />

अयहॊताण नत सयभाणो सम्भॊ उच्ज्झमॊ तनूॊ ।।<br />

[१००५] कारॊ काऊण देविॊद भहाघोस-सभाणणओ ।<br />

जाओ तॊ हदव्िॊ इड्हढॊ सभणुबोत्तुॊ तओ चुओ ।।<br />

[१००६] उििन्नो िेसत्ताए जा सा ननमडी न ऩमडडमा ।<br />

तओ वि भरयऊणॊ फहू अॊत-ऩॊत-कु रेऽडडओ ।।<br />

[१००७] कारक्कभेण भहुयाए लसिइॊदस्स हदमाइणो ।<br />

सुओ होऊण ऩडडफुदॎो साभन्नॊ काउॊ ननव्िुडो ।।<br />

[१००८] एमॊ तॊ गोमभा ! लसटॎॊ ननमडी-ऩुॊजॊ तु आसडॊ ।<br />

जे म सव्िन्नु-भुह-बणणए िमणे भनसा विडॊबफए ।।<br />

[१००९] कोऊहरेण विसमाणॊ न उणॊ विसएहहॊ ऩीडडओ ।<br />

सछछॊद ऩामच्छछत्तेण बलभमॊ बि-ऩयॊऩयॊ ।।<br />

[१०१०] एमॊ नाऊणभेक्कॊ वऩ लसदॎॊनतगभारािगॊ ।<br />

जाणभाणे हु उम्भग्गॊ कु ज्जा जे से विमाणणही ।।<br />

[१०११] जो ऩुण सव्ि-सुमन्नाणॊ अटॎॊ िा थेिमॊ वऩ िा ।<br />

नछचा िएज्जा भग्गेणॊ तस्स अही न िज्झती ।<br />

एिॊ नाऊण भनसा वि उम्भग्गॊ नो ऩित्तए-च्त्तफेभी ।।<br />

[१०१२] बमिॊ! अककछचॊ काऊणॊ ऩच्छछत्तॊ जो कयेज्ज िा ।<br />

तस्स रटॎमयॊ ऩुयओ जॊ अककछचॊ न कु व्िए ।।<br />

[१०१३] ताऽजुत्तॊ गोमभलभणभो िमणॊ भनसा वि धारयउॊ ।<br />

जहा काउभकत्तव्िॊ ऩच्छछत्तेणॊ तु सुच्ज्झहॊ ।।<br />

[१०१४] जो एमॊ िमणॊ सोछचा सद्हे अनुचयेइ िा ।<br />

बटॎसीराण सव्िेलसॊ सत्थिाहो स गोमभा ! ।।<br />

[१०१५] एसो काउॊ वऩ ऩच्छछत्तॊ ऩाण-सॊदेह कायमॊ ।<br />

आणा-अियाह ऩदीि-लसहॊ ऩविसे सरबो जहा ।।<br />

[१०१६] बगिॊ! जो फरविरयमॊ ऩुरयसमाय-ऩयक्कभॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [94] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

अननगूहॊतो तिॊ चयइ ऩच्छछत्तॊ तस्स ककॊ बिे ।।<br />

[१०१७] तस्सेमॊ होइ ऩच्छछत्तॊ असढ-बािस्स गोमभा ! ।<br />

जो तॊ थाभॊ विमाणणत्ता िेरय-सेणणभिेच्क्खमा ।।<br />

[१०१८] जो फरॊ िीरयमॊ सत्तॊ ऩुरयसमायॊ ननगूहए ।<br />

सो सऩच्छछत्त अऩच्छछत्तो सढ-सीरो नयाहभो ।।<br />

[१०१९] नीमा-गोत्तॊ दुहॊ घोयॊ नयए उक्कोलसम-हटॎनतॊ ।<br />

िेहदॊतो नतरयम-जोणीए हहॊडेज्जा चउगईए सो ।।<br />

[१०२०] से बगिॊ ऩािमॊ कम्भॊ ऩयॊ िेइम सभुदॎये ।<br />

अननुबूएण नो भोक्खॊ ऩामच्छछत्तेणॊ ककॊ तहहॊ ।।<br />

[१०२१] गोमभा! िास-कोडीहहॊ जॊ अनेगाहहॊ सॊगचमॊ ।<br />

तॊ ऩच्छछत्त-यिी-ऩुटॎॊ ऩािॊ तुहहणॊ ि विरीमई ।।<br />

[१०२२] घनघोयॊधमायतभनतलभस्सा जहा सूयस्स गोमभा ! ।<br />

ऩामच्छछत्त-यविस्सेिॊ ऩाि-कम्भॊ ऩणॊस्सए ।।<br />

[१०२३] नियॊ जइ तॊ ऩच्छछत्तॊ जह बणणमॊ तह सभुछचये ।<br />

असढ-बािो अननगूहहम-फर-विरयम-ऩुरयसामाय-ऩयक्कभे ।।<br />

[१०२४] अन्नॊ च-काउ ऩच्छछत्तॊ सव्िॊ थेिॊ नभुछचये ।<br />

जो दरुवदॎमसल्रोछचे सो हदहॊ चाउग्गइमॊ अडे ।।<br />

[१०२५] बमिॊ! कस्सारोएज्जा ऩच्छछत्तॊ को िदेज्ज िा ।<br />

कस्स ि ऩच्छछत्तॊ देज्जा आरोमािेज्ज िा कहॊ ।।<br />

[१०२६] गोमभाऽऽरोमणॊ ताि के िरीणॊ फहूसुॊ वि ।<br />

जोमण-सएहहॊ गॊतूणॊ सुदॎबािेहहॊ हदज्जए ।।<br />

[१०२७] चउनाणीणॊ तमाबािे एिॊ ओहह-भई-सुए ।<br />

जस्स विभरमये तस्स तायतम्भेण हदज्जई ।।<br />

[१०२८] उस्सग्गॊ ऩन्निेंतस्स ऊसग्गे ऩहटॎमस्स म ।<br />

उस्सग्ग-रुइणो चेि सव्ि-बािॊतयेहह णॊ ।।<br />

[१०२९] उिसॊतस्स दॊतस्स सॊजमस्स तिच्स्सणो ।<br />

सलभती-गुच्त्त-ऩहाणस्स दढ-चारयत्तस्सासढबाविणो ।।<br />

[१०३०] आरोएज्जा ऩडडछछेज्जा देज्जा दविज्ज िा ऩयॊ ।<br />

अहच्न्नसॊ तदुहद्टॎॊ ऩामच्छछत्तॊ अनुछचये ।।<br />

[१०३१] से बमिॊ के च्त्तमॊ तस्स ऩच्छछत्तॊ हिइ ननच्छछमॊ ।<br />

ऩामच्छछत्तस्स ठाणाइॊ, के िनतमाइॊ कहेहह भे ।।<br />

[१०३२] गोमभा! जॊ सुसीराणॊ सभणाणॊ दसणहॊ उ ।<br />

खलरमागम-ऩच्छछत्तॊ सॊजइ तॊ निगुणॊ ।।<br />

[१०३३] एक्का ऩािेइ ऩच्छछत्तॊ जइ सुसीरा दढ-व्िमा ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [95] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

अह सीरॊ वियाहेज्जा ता तॊ हिइ समगुणॊ ।।<br />

[१०३४] तीए ऩॊगचॊहदमा जीिा जोणी-भज्झ-ननिालसणो ।<br />

साभणणॊ नि रक्खाइॊ सव्िे ऩासॊनत के िरी ।।<br />

[१०३५] के िर-नाणस्स ते गम्भा नोऽके िरी ताइॊ ऩासती ।<br />

ओहीनाणी विमाणेए नो ऩासे भनऩज्जिी ।।<br />

[१०३६] ते ऩुरयसॊ सॊघट्ेंती कोल्हुगच्म्भ नतरे जहा ।<br />

सव्िे भुम्भुयािेइ यत्तुम्भत्ता अहच्न्नमा ।।<br />

[१०३७] चक्कभॊती म गाढाइॊ काइमॊ िोलसयॊनत मा ।<br />

िािइज्जा उ दो नतच्न्न सेसाइॊ ऩरयमािई ।।<br />

[१०३८] ऩामच्छछत्तस्स ठाणाइॊ सॊखाइमाइॊ गोमभा ! ।<br />

अनारोमॊतो हु एक्कॊ वऩ ससल्रभयणॊ भये ।।<br />

[१०<strong>३९</strong>] समसहस्स नायीणॊ ऩोट्ॊ पारेत्तु ननच्ग्घणो ।<br />

सत्तटॎभालसए गब्बे चडपडॊते ननगगॊतइ ।।<br />

[१०४०] जॊ तस्स जेच्त्तमॊ ऩािॊ तेच्त्तमॊ तॊ निॊ गुणॊ ।<br />

एक्कलसत्थी ऩसॊगेणॊ साहू फॊगधज्ज भेहुणा ।।<br />

[१०४१] साहुणीए सहस्सगुणॊ भेहुणेक्कलसॊ सेविए ।<br />

कोडडगुणॊ तु बफइज्जेणॊ तइए फोही ऩनस्सई ।।<br />

[१०४२] एमॊ नाऊण जो साहू इच्त्थमॊ याभेहहई ।<br />

फोहहराबा ऩरयब्बटॎो कहॊ ियाओ सोहहइ ।।<br />

[१०४३] अफोहहरालबमॊ कम्भॊ सॊजओ अह सॊजई ।<br />

भेहुणे सेविए आऊ-तेउक्काए ऩफॊधई ।।<br />

[१०४४] जम्हा तीसु वि एएसु अियज्झॊतो हु गोमभा ! ।<br />

उम्भग्गभेि िदॎाये भग्गॊ ननटॎिइ सव्िहा ।।<br />

[१०४५] बगिॊ! ता एएण नाएणॊ, जे गायत्थी भउक्कडे । ।<br />

यनतॊ हदमा न छड्डॊनत, इत्थीमॊ तस्स का गइॊ ।।<br />

[१०४६] ते सयीयॊ सहत्थेणॊ नछॊहदऊणॊ नतरॊ नतरॊ ।<br />

अच्ग्गए जइ वि होभॊनत तो वि सुदॎी न दीसइ ।।<br />

[१०४७] तारयसो वि ननविच्त्तॊ सो ऩयदायस्स जई कये ।<br />

सािग-धम्भॊ च ऩारेइ गइॊ ऩािेइ भच्ज्झभॊ ।।<br />

[१०४८] बमिॊ ! सदाय-सॊतोसे जइ बिे भच्ज्झभॊ गइॊ ।<br />

ता सयीये वि होभॊतो कीस सुवदॎॊ न ऩािई ।।<br />

[१०४९] सदायॊ ऩयदायॊ िा इत्थी ऩुयीसो व्ि गोमभा ! ।<br />

यभॊतो फॊधए ऩािॊ नो णॊ बिइ अफॊधगो ।।<br />

[१०५०] सािग-धम्भॊ जहुत्तॊ जो ऩारे ऩय-दायॊ चए ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [96] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

जािज्जीिॊ नतविहेणॊ तभनुबािेण सा गई ।।<br />

[१०५१] नियॊ ननमभ-विहूणस्स ऩयदाय-गभनस्स उ ।<br />

अननमत्तस्स बिे फॊधॊ ननिच्त्तए भहापरॊ ।।<br />

[१०५२] सुथेिाणॊ वऩ ननविच्त्तॊ जो भनसा वि म वियाहए ।<br />

सो भओ दोग्गइॊ गछछे भेघभारा जहच्ज्जमा ।।<br />

[१०५३] भेघभारच्ज्जमॊ नाहॊ जाणणभो बुिन-फॊधिा ।<br />

भनसावि अनुननविच्त्तॊ जा खॊडडमॊ दोग्गइॊ गमा ।।<br />

[१०५४] िासुऩुज्जस्स नतत्थच्म्भ बोरा कारगछछिी ।<br />

भेघभारच्ज्जमा आलस गोमभा ! भन-दुब्फरा ।।<br />

[१०५५] सा ननमभभागास-ऩक्खॊदा काउॊ लबक्खाए ननग्गमा ।<br />

अन्नओ नच्त्थ नीसायॊ भॊहदयोिरय सॊहठमा ।।<br />

[१०५६] आसन्नॊ भॊहदयॊ अन्नॊ रॊगधत्ता गॊतुलभछछु गा ।<br />

भनसालबनॊदेिॊ जा ताि ऩज्जलरमा दुिे ।।<br />

[१०५७] ननमभ-बॊगॊ तम सुहुभॊ तीए तत्थ न ननॊहदमॊ ।<br />

तॊ ननमभ-बॊग-दोसेणॊ डज्झेत्ता ऩढलभमॊ गमा ।।<br />

[१०५८] एमॊ नाउॊ सुहुभॊ वऩ ननमभॊ भा वियाहहह ।<br />

जे नछज्जा अक्खमॊ सोक्खॊ अनॊतॊ च अनोिभॊ ।।<br />

[१०५९] ति-सॊजभे िएसुॊ च ननमभो दॊड-नामगो ।<br />

तभेि खॊडेभाणस्स न िए नो ि सॊजभे ।।<br />

[१०६०] आजम्भेणॊ तु जॊ ऩािॊ फॊधेज्जा भछछफॊधगो ।<br />

िम-बॊग-काउभाणस्स तॊ चेिटॎगुणॊ भुणे ।।<br />

[१०६१] सम-सहस्स-स-रदॎीए जोिसालभत्तु ननक्खभे ।<br />

िमॊ ननमभभखॊडेंतो जॊ सो तॊ ऩुन्नभच्ज्जने ।।<br />

[१०६२] ऩवित्ता म ननवित्ता म गायत्थी सॊजभे तिे ।<br />

जभणुहटॎमा तमॊ राबॊ जाि हदक्खा न गगच्णहमा ।।<br />

[१०६३] साहु-साहुणी-िग्गेणॊ विणणामव्िलभह गोमभा ! ।<br />

जेलसॊ भोत्तूण ऊसासॊ नीसासॊ नानुजाणणमॊ ।।<br />

[१०६४] तभवि जमणाए अणुणणामॊ वि जमणाए न सव्िहा ।<br />

अजमणाए ऊससॊतस्स कओ धम्भो कओ तिो ।।<br />

[१०६५] बमिॊ! जािइमॊ हदटॎॊ तािइमॊ कहनुऩालरमा ।<br />

जे बिे अिीम-ऩयभत्थे ककछचाककछचभमाणगे ।।<br />

[१०६६] एगॊतेण हहमॊ िमणॊ गोमभा ! हदस्सॊती के िरी ।<br />

नो फरभोडीए कायेंनत हत्थे धेत्तूण जॊतुणो ।।<br />

[१०६७] नतत्थमय-बालसए िमणे जे तह च्त्त अनुऩालरमा ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [97] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

लसॊदा देि-गणा तस्स ऩाए ऩणभॊनत हरयलसमा ।।<br />

[१०६८] जे अविइम ऩयभत्थे ककछचाककछचभजाणगे ।<br />

अॊधो अॊधी एतेलसॊ सभॊ जर-थरॊ गड्ड-हिक्कु यॊ ।।<br />

[१०६९] गीमत्थो म विहायो फीओ गीमत्थो-भीसओ ।<br />

सभणुणणाओ सुसाहूणॊ नच्त्थ तइमॊ विमप्ऩणॊ ।।<br />

[१०७०] गीमत्थे जे सुसॊविग्गे अनारसी दढव्िए ।<br />

अखलरम-चारयत्ते सममॊ याग-दोस-वििच्ज्जए ।।<br />

[१०७१] ननटॎविम अटॎभम-टॎाणे सलभम-कसाए च्जइॊहदए ।<br />

विहयेज्जा तेलसॊ सवदॎॊ तु ते छउभत्थे वि के िरी ।।<br />

[१०७२] सुहुभस्स ऩुढवि-जीिस्स जत्थेगस्स ककराभणा ।<br />

अप्ऩायॊबॊ तमॊ फेंनत गोमभा ! सव्ि-के िरी ।।<br />

[१०७३] सुहुभस्स ऩुढवि-जीिस्स िाित्ती जत्थ सॊबिे ।<br />

भहायॊबॊ तमॊ फेंनत गोमभा ! सव्िे वि के िरी ।।<br />

[१०७४] ऩुढवि-काइम एक्कॊ दयभरेंतस्स गोमभा ! ।<br />

असाम-कम्भ-फॊधो हु दुच्व्िभोक्खे ससच्ल्रए ।।<br />

[१०७५] एिॊ च आऊ-तेऊ िाऊ-तह िणस्सती ।<br />

तसकाम-भेहुणे तह म गचक्कणॊ गचणइ ऩािगॊ ।।<br />

[१०७६] तम्हा भेहुण-सॊकप्ऩॊ ऩुढिादीण वियाहणॊ ।<br />

जािज्जीिॊ दुयॊत-परॊ नतविहॊ नतविहेण िज्जए ।।<br />

[१०७७] ता जे अविहदम-ऩयभत्थे गोमभा ! नो म जे भुने ।<br />

तम्हा ते वििज्जेज्जा दोग्गई-ऩॊथ-दामगे ।।<br />

[१०७८] गीमत्थस्स उ िमणेणॊ विसॊ हराहरॊ वऩ िा ।<br />

ननच्व्िकप्ऩो ऩबक्खेज्जा तक्खणा जॊ सभुद्िे ।।<br />

[१०७९] ऩयभत्थओ विसॊ तोसॊ अभमयसामणॊ खु तॊ ।<br />

ननच्व्िकप्ऩॊ न सॊसाये भओ वि सो अभमस्सभो ।।<br />

[१०८०] अगीमत्थस्स िमणेणॊ अभमॊ वऩ न घोट्ए ।<br />

जेण अमयाभये हविमा जह ककराणो भरयच्ज्जमा ।।<br />

[१०८१] ऩयभत्थओ न तॊ अभमॊ विसॊ तॊ हराहरॊ ।<br />

न तेन अमयाभयो होज्जा तक्खणा ननहणॊ िए ।।<br />

[१०८२] अगीमत्थ-कु सीरेहहॊ सॊगॊ नतविहेण िज्जए ।<br />

भोक्ख-भग्गच्स्सभे विग्घे ऩहम्भी तेणगे जहा ।।<br />

[१०८३] ऩज्जलरमॊ हुमिहॊ दटॎुॊ नीसॊको तत्थ ऩविलसउॊ ।<br />

अत्ताणॊ वऩ डहेज्जालस नो कु सीरॊ सभच्ल्रए ।।<br />

[१०८४] िास-रक्खॊ वऩ सूरीए सॊलबन्नो अच्छछमा सुहॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [98] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

अगीमत्थेण सभॊ एक्कॊ खणदॎॊ वऩ न सॊिसे ।।<br />

[१०८५] विणा वि तॊत-भॊतेहहॊ घोय-हदटॎीविसॊ अहहॊ ।<br />

डसॊतॊ वऩ सभल्रीमा नागीमत्थॊ कु सीराहभॊ ।।<br />

[१०८६] विसॊ खाएज्ज हाराहरॊ तॊ ककय भायेइ तक्खणॊ ।<br />

न कयेऽगीमत्थ-सॊसच्ग्गॊ विढिे रक्खॊ वऩ जइ तहहॊ ।।<br />

[१०८७] सीहॊ िग्घॊ वऩसामॊ िा घोय-रूिॊ बमॊकयॊ ।<br />

उगगरभाणॊ वऩ रीएज्जा न कु सीरभगीमत्थॊ तहा ।।<br />

[१०८८] सत्तजम्भॊतयॊ सत्तुॊ अवि भन्नेज्जा सहोमयॊ ।<br />

िम-ननमभॊ जो वियाहेज्जा जनमॊ वऩक्खे तमॊ रयउॊ ।।<br />

[१०८९] ियॊ ऩविटॎो जलरमॊ हुमासणॊ न मा वि ननमभॊ सुहुभॊ वियाहहमॊ ।<br />

ियॊ हह भछचू सुविसुदॎ-कम्भुणो न मावि ननमभॊ बॊतूण जीविमॊ।।<br />

[१०९०] अगीमत्थत्तदोसेणॊ गोमभा ! ईसयेण उ ।<br />

जॊ ऩत्तॊ तॊ ननसालभत्ता रहुॊ गीमत्थो भुनी बिे ।।<br />

[१०९१] से बमिॊ नो विमाणेहॊ ईसयो को वि भुननियो ।<br />

ककॊ िा अगीमत्थ-दोसेणॊ ऩत्तॊ तेण कहेहह णे ।।<br />

[१०९२] चउिीलसगाए अन्नाए एत्थ बयहच्म्भ गोमभा ! ।<br />

ऩढभे नतत्थॊकये जइमा विही-ऩुव्िेण ननव्िुडे ।।<br />

[१०९३] तइमा नेव्िाण-भहहभाए कॊ त-रूिे सुयासुये ।<br />

ननिमॊते उप्ऩमॊते दटॎुॊ ऩछचॊतिालसओ ।।<br />

[१०९४] अहो! अछछेयमॊ अज्जॊ भछचरोमच्म्भ ऩेच्छछभो ।<br />

न इॊदजारॊ सुलभणॊ िा वि हदटॎॊ कत्थई ऩुणो ।।<br />

[१०९५] एिॊ िीहाऽऩोहाए ऩुव्िॊ जानतॊ सरयत्तु सो ।<br />

भोहॊ गॊतूण खणभेक्कॊ भारुमा ऽऽसालसओ ऩुणो ।।<br />

[१०९६] थय-थय-थयस्स कॊ ऩतो ननॊहदउॊ गयहहउॊ गचयॊ ।<br />

अत्ताणॊ गोमभा ! धणणमॊ साभन्नॊ गहहउभुज्जओ ।।<br />

[१०९७] अह ऩॊचभुहटॎमॊ रोमॊ जािाऽऽढिइ भहामसो ।<br />

सविनमॊ देिमा तस्स यमहयणॊ ताि ढोमई ।।<br />

[१०९८] उग्गॊ कटॎॊ तिछचयणॊ तस्स दटॎूण ईसयो ।<br />

रोओ ऩूमॊ कयेभाणो जाि उ गॊतूण ऩुछछई ।।<br />

[१०९९] के ण तॊ हदच्क्खओ कत्थ उप्ऩन्नो को कु रो ति ।<br />

सुत्तत्थॊ कस्स ऩाभूरे सालसमॊ हो सभच्ज्जमॊ ।।<br />

[११००] सो ऩछचेगफुदॎो िा सव्िॊ तस्स वि िागये ।<br />

जाई कु रॊ हदक्खा सुत्तॊ अत्थ जह म सभच्ज्जमॊ ।।<br />

[११०१] तॊ सोऊण अहन्नो सो इभॊ गचॊतेइ गोमभा ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [99] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

अलरमा अनारयओ एस रोगॊ दॊबेण ऩरयभुसे ।।<br />

[११०२] ता जारयसभेस बासेइ तारयसॊ सो वि च्जनियो ।<br />

न ककॊ चेत्थ विमायेणॊ तुच्णहक्के ई ियॊ हठए ।।<br />

[११०३] अहिा नहह नहह सो बगिॊ ! देिदानि-ऩणलभओ ।<br />

भनोगमॊ वऩ जॊ भज्झॊ तॊ वऩ नछन्नेज्ज सॊसमॊ ।।<br />

[११०४] तािेस जो होउ सो होउ ककॊ विमायेण एत्थ भे ।<br />

अलबनॊदाभीह ऩव्िज्जॊ सव्ि-दुक्ख-विभोक्खणणॊ ।।<br />

[११०५] ता ऩडडगओ च्जणणॊदस्स समासे जा तॊ न अक्खई ।<br />

बुिनेसॊ च्जनियॊ तो िी गणहयॊ आसी म हटॎओ ।।<br />

[११०६] ऩरयननव्िुमॊलभ बगिॊते धम्भ-नतत्थॊकये च्जने ।<br />

च्जनालबहहमॊ सुत्तत्थॊ गणहयो जा ऩरूिती ।।<br />

[११०७] तािभारािगॊ एमॊ िक्खाणॊलभ सभागमॊ ।<br />

ऩुढिी काइगभेगॊ जो िािाए सो असॊजओ ।।<br />

[११०८] ता ईसयो विगचॊतेइ सुहुभे ऩुढविकाइए ।<br />

सव्ित्थ उद्विज्जॊनत को ताइॊ यच्क्खउॊ तये ।।<br />

[११०९] हरुई कयेइ अत्ताणॊ एत्थॊ एस भहामसो ।<br />

असदॎेमॊ जने समरे ककभटॎेमॊ ऩिक्खई ।।<br />

[१११०] अछचॊत-कडमडॊ एमॊ िक्खाणॊ तस्स िी पु डॊ ।<br />

कॊ ठसोसो ऩयॊ राबे एरयसॊ कोऽनुगचटॎइ ।।<br />

[११११] ता एमॊ विप्ऩभोत्तूणॊ साभन्नॊ ककॊ गच भच्ज्झभॊ ।<br />

जॊ िा तॊ िा कहे धम्भॊ ता रोओऽम्हाणाउटॎई ।।<br />

[१११२] अहिा हा हा ! अहॊ भूढो ऩाि-कम्भी नयाहभो ।<br />

नियॊ जइ नाणुगचटॎालभ अन्नोऽनुचेटॎती जनो ।।<br />

[१११३] जेणेमभनॊत-नाणीहहॊ सव्िन्नूहहॊ ऩिेहदमॊ ।<br />

जो एमॊ अन्नहा िाए तस्स अटॎो न फज्झइ ।।<br />

[१११४] ताहभेमस्स ऩच्छछत्तॊ धोयभइदुक्कयॊ चयॊ ।<br />

रहुॊ लसग्घॊ सुलसग्घमयॊ जािभछचू न भे बिे ।।<br />

[१११५] आसामणा कमॊ ऩािॊ आसुॊ जेण विहुव्िती ।<br />

हदव्िॊ िास-समॊ ऩुन्नॊ अह सो ऩच्छछत्तभनुचये ।।<br />

[१११६] तॊ तारयसॊ भहा-घोयॊ ऩामच्छछत्तॊ समॊ-भती ।<br />

काउॊ ऩछचेमफुदॎस्स समासे ऩुणो वि गओ ।।<br />

[१११७] तत्था वि जा सुणे िक्खाणॊ तािऽहहगायच्म्भभागमॊ ।<br />

ऩुढिादीणॊ सभायॊबॊ साहू नतविहेण िज्जए ।।<br />

[१११८] दढ-भूढो हुत्थ जोई ता ईसयो भुक्खभब्बुओ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [100] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

विगचॊतेिॊ जहेत्थ जए को न ताइॊ सभायबे ।।<br />

[१११९] ऩुढिीए ताि एसेि सभासीनो वि गचटॎइ ।<br />

अग्गीए यदॎमॊ खामइ सव्िॊ फीम सभुब्बिॊ ।।<br />

[११२०] अन्नॊ च-विना ऩाणेणॊ खणभेक्कॊ जीिए कहॊ ।<br />

ता ककॊ वऩ तॊ ऩिक्खे स जॊ ऩछचुमभत्थॊनतमॊ ।।<br />

[११२१] इभस्सेि सभागछछे न उणेमॊ कोइ सद्हे ।<br />

तो गचटॎउ ताि एसेत्थॊ ियॊ सो चेि गणहयो ।।<br />

[११२२] अहिा एसो न सो भज्झॊ एक्को िी बणणमॊ कये ।<br />

अलरमा एिॊविहॊ धम्भॊ ककॊ चुद्ेसेण तॊ वऩ म ।।<br />

[११२३] साहहज्जइ जो सिे ककॊ गच न िुण भछचॊत-कडमडॊ ।<br />

अहिा गचटॎॊतु तािेए अहमॊ समभेि िागयॊ ।।<br />

[११२४] सुहॊ सुहेण जॊ धम्भॊ सव्िो वि अनुटॎए जनो ।<br />

न कारॊ कडमडस्सऽज्जॊ धम्भच्स्सनत जा विगचॊतइ ।।<br />

[११२५] घडहडेंतोऽसणी ताि ननिडडओ तस्सोिरयॊ ।<br />

गोमभ ! ननहणॊ गओ ताहे उििन्नो सत्तभाए सो ।।<br />

[११२६] सासन-सुम-नाण-सॊसग्ग ऩडडनीमत्ताए ईसयो ।<br />

तत्थ तॊ दारुणॊ दुक्खॊ नयए अनुबविउॊ गचयॊ ।।<br />

[११२७] इहागओ सभुद्ॊलभ भहाभछछो बिेउ णॊ ।<br />

ऩुणो वि सत्तभाए म तेत्तीसॊ सागयोिभे ।।<br />

[११२८] दुच्व्िसहॊ दारुणॊ दुक्खॊ अनुहविऊनेहागओ ।<br />

नतरयम-ऩक्खीसु उििन्नो कागत्ताए स ईसयो ।।<br />

[११२९] तओ वि ऩढलभमॊ गॊतुॊ उव्िहट्त्ता इहागओ ।<br />

दुटॎ-साणो बिेत्ताणॊ ऩुनयवि ऩढलभमॊ गओ ।।<br />

[११३०] उव्िहट्त्ता तओ इहइॊ खयो होउॊ ऩुणो भओ ।<br />

उििन्नो यासहत्ताए छब्बि-गहणे ननयॊतयॊ ।।<br />

[११३१] ताहे भनुस्स-जाईए सभुप्ऩन्नो ऩुणो तओ ।<br />

उििन्नो िणमयत्ताए भानुसत्तॊ सभागओ ।।<br />

[११३२] तओ भरयउॊ सभुप्ऩन्नो भज्जायत्तए स ईसयो ।<br />

ऩुणो वि नयमॊ गॊतुॊ इह सीहत्तेणॊ ऩुणो भओ ।।<br />

[११३३] उििच्ज्जउॊ चउत्थीए सीहत्तेण ऩुणो विह ।<br />

भरयऊणॊ चउत्थीए गॊतुॊ इह सभामाओ ।।<br />

[११३४] तओ वि नयमॊ गॊतुॊ चच्क्कमत्तेण ईसयो ।<br />

तओ वि कु टॎी होऊणॊ फहु-दुक्खऽहद्ओ भओ ।।<br />

[११३५] ककलभएहहॊ खज्जभाणस्स ऩन्नासॊ सॊिछछये ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [101] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


जाऽकाभ-ननज्जया जामा तीए देिेसुव्िच्ज्जओ ।।<br />

[११३६] तओ इहइॊ नयीसत्तॊ रदॎूणॊ सत्तलभॊ गओ ।<br />

एिॊ नयम-नतरयछछेसुॊ कु च्छछम-भनुएसु ईसयो ।।<br />

[११३७] गोमभ! सुईयॊ ऩरयब्बलभउॊ घोय-दुक्ख-सुदुच्क्खओ ।<br />

सॊऩइ गोसारओ जाओ एस स िेिीसयच्ज्जओ ।।<br />

[११३८] तम्हा एमॊ विमाणणत्ता अगचया गीमत्थे भुनी ।<br />

बिेज्जा विहदम ऩयभत्थे सायासाये ऩरयन्नुए ।।<br />

[११<strong>३९</strong>] सायासायभमाणणत्ता अगीमत्थत्त-दोसओ ।<br />

िम-भेत्तेणा वि यज्जाए ऩािगॊ जॊ सभच्ज्जमॊ ।।<br />

[११४०] तेणॊ तीए अहणणाए जा जा होही ननमॊतणा ।<br />

नायम-नतरयम-कु भानुस्से तॊ सोछचा को गधइॊ रबे ।।<br />

[११४१] से बमिॊ! का उण सा यज्जच्ज्जमा ककॊ िा तीए अगीमत्थ-अत्त-दोसेणॊ िामा-भेत्तेणॊ<br />

वऩ ऩािॊ कम्भॊ सभच्ज्जमॊ, जस्स णॊ वििाग ऽमॊ सोऊणॊ नो गधइॊ रबेज्जा गोमभा ! णॊ इहेि बायहे िासे<br />

बद्ो नाभ आमरयओ अहेलस, तस्स म ऩॊच सए साहूणॊ भहानुबागाणॊ दुिारस सए ननग्गॊथीणॊ । तत्थ म<br />

गछछे चउत्थयलसमॊ ओसािणॊ नतदॊडोऽगचत्तॊ च कहढओदगॊ विप्ऩभोत्तूणॊ चउत्थॊ न ऩरयबुज्जई । अन्नमा<br />

यज्जा नाभाए अच्ज्जमाए ऩुव्िकम-असुह-ऩाि-कम्भोदएण सयीयॊग कु टॎ-िाहीए ऩरयसडडऊणॊ ककलभएहहॊ<br />

सुभहद्लसउभायदॎॊ, अह अन्नमा ऩरयगरॊत-ऩूइ-रुहहयतनूॊ तॊ यज्जच्ज्जमॊ ऩालसमा ताओ सॊजईओ बणॊनत, जहा<br />

हरा हरा ! दुक्कयकारयगे ककभेमॊ नत ।<br />

ताहे गोमभा ! ऩडडबणणमॊ तीए भहाऩािकम्भाए बग्गरक्खण-जम्भाए यज्जच्ज्जमाए जहा-<br />

एएण पासुग-ऩानगेणॊ आविज्जभाणेणॊ विनटॎॊ भे सयीयगॊ नत, जािेमॊ ऩरिे ताि णॊ सॊखुहहमॊ हहममॊ गोमभा!<br />

सव्ि-सॊजइ-सभूहस्स जहा णॊ वििज्जाभो पासुगऩानगॊ नत तओ एगाए तत्थ गचॊनतमॊ सॊजतीए जहा णॊ-<br />

जइ सॊऩमॊ चेि भभेमॊ सयीयगॊ एगननलभसब्बॊतयेि ऩडडसडडऊणॊ खॊडखॊडेहहॊ ऩरयसडेज्जा, तहावि<br />

अपासुगोदगॊ एत्थ जम्भे न ऩरयबुॊजालभ, पासुगोदगॊ न ऩरयहयालभ अन्नॊ च-ककॊ सछचभेमॊ जॊ पासुगोदगेणॊ<br />

इभीए सयीयगॊ विनटॎॊ सव्िहा न सछचभेमॊ ! जओ णॊ ऩुव्िकम-असुह-ऩाि-कम्भोदएणॊ सव्िभेिविहॊ हिइ<br />

च्त्त । सुटॎुमयॊ गचॊनतउॊ ऩमत्ता जहा णॊ जहा-<br />

बो! ऩेछछ ऩेछछ अन्नाण-दोसोिहमाए दढ-भूढ-हहममाए विगम रज्जाए इभीए<br />

भहाऩािकम्भाए सॊसाय-घोय-दुक्ख-दामगॊ के रयसॊ दुटॎिमणॊ गगयाइमॊ जॊ भभ कणण-विियेसुॊ वऩ नो<br />

अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

ऩविसेज्ज च्त्त । जओ बिॊतय-कएणॊ असुह-ऩाि-कम्भोदएणॊ जॊ ककॊ गच दारयद्-दुक्ख-दोहग्ग-अमसब्बक्खाण<br />

कु टॎाइ-िाहह-ककरेस-सच्न्निामॊ देहच्म्भ सॊबिइ न अन्नह च्त्त जे णॊ तु एरयसभागभे ऩहढज्जइ तॊ जहा :-<br />

[११४२] को देइ कस्स हदज्जइ विविमॊ को हयइ हीयए कस्स ।<br />

समभप्ऩणो विढत्तॊ अच्ल्रमइ दुहॊ वऩ सोक्खॊ वऩ ।।<br />

[११४३] गचॊतभाणीए चेि उप्ऩन्नॊ के िरॊ नाणॊ, कमा म देिेहहॊ के िलरभहहभा, के िलरणा वि<br />

नय-सुयासुयाणॊ ऩनालसमॊ सॊसम-तभ-ऩडरॊ अच्ज्जमाणॊ च, तओ बच्त्तब्बयननब्बयाए ऩणाभ-ऩुव्िॊ ऩुटॎो के िरी<br />

यज्जाए जहा बमिॊ ! ककभटॎभहॊ एभहॊताणॊ भहा-िाहह-िेमणाणॊ बामणॊ सॊिुत्ता ताहे गोमभा ! सजर-<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [102] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


जरहय-सुयदु ॊदुहह-ननग्घोस-भनोहारय-गॊबीय-सयेणॊ बणणमॊ के िलरणा जहा- सुणसु दुक्कयकारयए<br />

! जॊ तुज्झ<br />

सयीय-विहडण-कायणॊ नत तए यत्त-वऩत्त-दूलसए अब्बॊतयओ सयीयगे लसणणदॎाहायभाकॊ ठाए कोलरमग भीसॊ<br />

ऩरयबुत्तॊ, अन्नॊ च एत्थ गछछे एच्त्तए सए साहु-साहुणीणॊ तहा वि जािइएणॊ अछछीणण ऩक्खालरज्जॊनत<br />

तािइमॊ वऩ फाहहय-ऩानगॊ सागारयमटॎाम ननलभत्तेणावि नो णॊ कमाइ ऩरयबुज्जइ । तए ऩुण गोभुत्तॊ<br />

ऩडडग्गहणगमाए तस्स भच्छछमाहहॊ लबणणहहणणॊत-लसॊघाणग-रारा-रोलरम-िमणस्स णॊ सड्ढगसुमस्स फाहहय-<br />

ऩानगॊ सॊघहट्ऊणॊ भुहॊ ऩक्खालरमॊ, तेण म फाहहय-ऩानम-सॊघट्ण-वियाहणेणॊ ससुयासुय-जग-िॊदाणॊ वऩ<br />

अरॊघणणज्जा गछछ-भेया अइक्कलभमा, तॊ च न खलभमॊ तुज्झ ऩिमण-देिमाए जहा-साहूणॊ साहूणीणॊ च<br />

ऩाणोियभे वि न नछप्ऩे हत्थेणा वि जॊ कू ि-तराम-ऩोक्खरयणण-सरयमाइ-भनतगमॊ उदगॊ नत के िरॊ तु जभेि<br />

वियाहहमॊ ििगम-समर-दोसॊ पारुगॊ तस्स ऩरयबोगॊ ऩन्नत्तॊ िीमयागेहहॊ ।<br />

ता लसक्खिेलभ ताि एसा हु दुयामाया जेण अन्नो को वि न एरयस-सभामायॊ ऩित्तेइ, च्त्त<br />

गचॊनतऊणॊ अभुगॊ अभुगॊ चुणणजोगॊ सभुहद्सभाणाए ऩच्क्खत्तॊ असन-भच्ज्झच्म्भ ते देिमाए, तॊ च तेणोिर-<br />

च्क्खउॊ सच्क्कमॊ नत देिमाए चरयमॊ, एएण कायणेणॊ ते सयीयॊ विहडडमॊ नत, न उणॊ पासुदग-ऩरयबोगेणॊ नत ।<br />

ताहे गोमभा ! यज्जाए वि बाविमॊ जहा एिभेमॊ न अन्नह च्त्त गचॊनतऊण विन्नविओ के िरी जहा ।<br />

बमिॊ! जइ अहॊ जहुत्तॊ ऩामच्छछत्तॊ चयालभ ता ककॊ ऩन्नप्ऩइ भज्झॊ एमॊ तनुॊ तओ<br />

के िलरणा बणणमॊ जहा-जइ कोइ ऩामच्छछत्तॊ ऩमछछइ ता ऩन्नप्ऩइ । यज्जाए बणणमॊ<br />

तुभॊ गचम ऩामच्छछत्तॊ ऩमछछलस अन्नो को एरयसभहप्ऩा<br />

! जहा बमिॊ जइ<br />

तओ के िलरणा बणणमॊ जहा- दुक्कयकारयए<br />

ऩमछछालभ अहॊ ते ऩच्छछत्तॊ, नियॊ ऩच्छछत्तॊ एि नच्त्थ जेणॊ ते सुदॎी बिेज्जा । यज्जाए बणणमॊ बमिॊ !<br />

ककॊ कायणॊ नत के िलरणा बणणमॊ जहा जॊ ते सॊजइ-िॊद-ऩुयओ गगयाइमॊ जहा भभ पासुग-ऩानऩरयबोगेण<br />

सयीयगॊ विहडडमॊ नत, एम च दुटॎ-ऩाि-भहा-सभुद्ाएक्क-वऩॊडॊ तुह िमणॊ सोछचा सॊखुदॎाओ सव्िाओ चेि<br />

इभाओ सॊजइओ, गचॊनतमॊ च एमाहहॊ जहा-ननछछमओ विभुछचाभो पासुओदगॊ तमज्झिसामस्स आरोइमॊ<br />

ननॊहदमॊ गयहहमॊ च एमाहहॊ हदन्नॊ च भए एमाण ऩामच्छछत्तॊ । एत्थॊ च एतेि िमणदोसेणॊ जॊ ते सभच्ज्जमॊ<br />

अछचॊत कडु वियस-दारुणॊ फदॎ-ऩुटॎ ननकाइमॊ तुॊगॊ ऩाियालसॊ तॊ च तए कु टॎ-बगॊदय-जरोदय-िाम-गुम्भ-भास-<br />

ननयोह-हरयसा गॊडभाराइ-अनेग-िाहह-िेमणा-ऩरयगम-सयीयाए दारयद्-दुक्ख-दोहग्ग-अमस-अब्बक्खाणॊ-सॊताि-<br />

उव्िेग-सॊदीविम-ऩज्ज-लरमाए अनॊतेहहॊ बि-गहणेहहॊ सुदीह-कारेणॊ तु अहच्न्नसानुबिेमव्िॊ ।<br />

एएण कायणेणॊ एस इभा गोमभा ! सा यज्जच्ज्जमा जाए अगीमत्थत्त-दोसेणॊ िामाभेत्तेणॊ<br />

एि एभहॊतॊ दुक्खदामगॊ ऩाि-कम्भॊ सभच्ज्जमॊ नत ।<br />

अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

[११४४] अगीमत्थ-दोसेण बाि सुवदॎॊ न ऩािए ।<br />

विना बािविसुदॎीए सकु रस-भनसो भुनी बिे ।।<br />

[११४५] अनु-थेि-करुस-हहममत्तॊ अगीमत्थत्तदोसओ ।<br />

काऊणॊ रक्खणज्जाए ऩत्ता दुक्ख-ऩयॊऩया ।।<br />

[११४६] तम्हा तॊ नाउ फुदॎेहहॊ सव्ि-बािेण सव्िहा ।<br />

गीमत्थेहहॊ बवित्ताणॊ कामव्िॊ ननक्करुसॊ भनॊ ।।<br />

[११४७] बमिॊ! नाहॊ विमाणालभ रक्खणदेिी हु अच्ज्जमा ।<br />

जा अनुकरुसभगीमत्थत्ता काउॊ ऩत्ता दुक्ख-ऩयॊऩयॊ ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [103] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

[११४८] गोमभा! ऩॊचसु बयहेसु एयिएसु उस्सच्प्ऩणी ।<br />

अिसच्प्ऩणीए एगेगा सव्िमारॊ चउिीलसमा ।।<br />

[११४९] सममभिोच्छछच्त्तए बूमा तह म बविस्सती ।<br />

अनाइ-ननहणा एत्था एसा धुिॊ एत्थ जग-हटॎई ।।<br />

[११५०] अतीम-कारे असीइभा तहहमॊ जारयसगे अहमॊ ।<br />

सत्त-यमणी-ऩभाणेणॊ देि-दानि-ऩणलभओ ।।<br />

[११५१] चरयभो नतत्थमयो जइमा तमा जॊफू दाडडभो ।<br />

यामा बारयमा तस्स लसरयमा नाभ फहु-सुमा ।।<br />

[११५२] अन्नमा सह दइएणॊ धूमत्थॊ फहू उिाइए कये ।<br />

देिाणॊ कु र-देिीए चॊदाइछच-गहाण म ।।<br />

[११५३] कारक्कभेण अह जामा धूमा कु िरम-रोमणा ।<br />

तीए तेहहॊ कमॊ नाभॊ रक्खणदेिी अहऽन्नमा ।।<br />

[११५४] जाि सा जोव्िणॊ ऩत्ता ताि भुक्का समॊिया ।<br />

िरयमॊतीए ियॊ ऩियॊ नमनानॊद-कराऽऽरमॊ ।।<br />

[११५५] ऩरयणणम-भेत्तो भओ सो वि बत्ता सा भोहॊ गमा ।<br />

ऩमरॊतॊसु नमनेणॊ ऩरयमणेण म िारयमा ।।<br />

[११५६] तालरमॊि-िाएणॊ दुक्खेणॊ आसालसमा ।<br />

ताहे हा हाऽऽकॊ दॊ कयेऊणॊ हहममॊ सीसॊ च वऩहटॎउॊ ।<br />

अत्ताणॊ चोट्-पे ट्ाहहॊ घहट्उॊ दस-हदसासु सा ।।<br />

[११५७] तुच्णहक्का फॊधुिग्गस िमणेहहॊ तु स-सज्झसॊ ।<br />

हठमाऽह कइिम-हदनेसुॊ अन्नमा नतत्थॊकयो ।।<br />

[११५८] फोहहॊतो बव्ि-कभर-िने के िर-नाण-हदिामयो ।<br />

विहयॊतो आगओ तत्थ उज्जाणच्म्भ सभोसढो ।।<br />

[११५९] तस्स िॊदन-बत्तीए सॊतेउय-फर-िाहने ।<br />

सच्व्िड्ढीए गओ यामा धम्भॊ सोऊण ऩव्िइओ ।।<br />

[११६०] तहहॊ सॊतेउय-सुम-धूओ सुह-ऩरयणाभो अभुच्छछओ ।<br />

उग्गॊ कटॎॊ तिॊ घोयॊ दुक्कयॊ अनुगचटॎई ।।<br />

[११६१] अन्नमा गणण-जोगेहहॊ सव्िे वि ते ऩिेलसमा ।<br />

असज्झाइच्ल्रमॊ काउॊ रक्खणदेिी न ऩेलसमा ।।<br />

[११६२] सा एगॊते वि गचटॎॊती कीडॊते ऩच्क्खरूल्रए ।<br />

दटॎूणेमॊ विगचॊतेइ सहरभेमाण जीविमॊ ।।<br />

[११६३] जेणॊ ऩेछछ गचडमस्स सॊघट्ॊती गचटॎच्ल्रमा ।<br />

सभॊ वऩममभॊगेसुॊ ननव्िुई ऩयभ जने ।।<br />

[११६४] अहो नतत्थॊकयेणम्हॊ ककभटॎॊ चक्खु-दरयसणॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [104] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

ऩुरयलसत्थी यभॊताणॊ सव्िहा वि ननिारयमॊ ।।<br />

[११६५] ता ननदुक्खो सो अन्नेलसॊ सुह-दुक्खॊ न माणई ।<br />

अग्गी दहण-सहाओ वि हदटॎी हदटॎो न ननड्डहे ।।<br />

[११६६] अहिा न हह न हह बमिॊ ! आणावितॊ न अन्नहा ।<br />

जेण भे दटॎूण कीडॊनत ऩक्खी ऩक्खुलबमॊ भनॊ ।।<br />

[११६७] जामा ऩुरयसाहहरासा भे जा णॊ सेिालभ भेहुणॊ ।<br />

जॊ लसविणे वि न कामव्िॊ तॊ भे अज्ज विगचॊनतमॊ ।।<br />

[११६८] तहा म एत्थ जम्भच्म्भ ऩुरयसो ताि भणेण वि ।<br />

नेच्छछओ एच्त्तमॊ कारॊ लसविणॊते वि कहहॊगच वि ।।<br />

[११६९] ता हा हा ! दुयामाया ऩाि-सीरा अहच्न्नमा ।<br />

अट्भट्ाइॊ गचॊतॊती नतत्थमय-भासाइभो ।।<br />

[११७०] नतत्थमयेणावि अछचॊतॊ कटॎॊ कडमडॊ िमॊ ।<br />

अइदुदॎयॊ सभाहदटॎॊ उग्गॊ घोयॊ सुदुक्कयॊ ।।<br />

[११७१] ता नतविहेण को सक्को एमॊ अनुऩारेऊणॊ ।<br />

िामा-कम्भॊ सभामयणे फे यक्खॊ नो तइमॊ भनॊ ।।<br />

[११७२] अहिा गचॊनतज्जई दुक्खॊ कीयई ऩुण सुहेण म ।<br />

ता जो भनसा वि कु सीरो स कु सीरो सव्ि-कज्जेसु ।।<br />

[११७३] ता जॊ एत्थॊ इभॊ खलरमॊ सहसा तुडड-िसेण भे ।<br />

आगमॊ तस्स ऩच्छछत्तॊ आरोइत्ता रहुॊ चयॊ ।।<br />

[११७४] सईण सीर-िॊताणॊ भज्झे ऩढभा भहाऽऽरयमा ।<br />

धुयच्म्भ हदमए येहा एमॊ सग्गे वि घूसई ।।<br />

[११७५] तहा म ऩाम धूरी भे सव्िो वि िॊदए जनो ।<br />

जहा ककर सुच्ज्झज्जए लभभीए इनत ऩलसदॎाए अहॊ जगे ।।<br />

[११७६] ता जइ आरोमणॊ देलभ ता एमॊ ऩमडी-बिे ।<br />

भभ बामयो वऩमा-भामा जाणणत्ता हुॊनत दुच्क्खए ।।<br />

[११७७] अहिा कहवि ऩभाएणॊ जॊ भे भनसा विगचॊनतम ।<br />

तभारोइमॊ नछचा भज्झ िग्गस्स को दुहो ।।<br />

[११७८] जािेमॊ गचॊनतउॊ गछछे ता िुदॎॊतीए कॊ िगॊ ।<br />

पु डडमॊ ठसच्त्त ऩामतरे ता ननसणणा ऩडुच्ल्रमा ।।<br />

[११७९] गचॊतेइ हो एत्थ जम्भच्म्भ भज्झ ऩामच्म्भ कॊ िगॊ ।<br />

न कमाइ खुत्तॊ ता ककॊ सॊऩमॊ एत्थ होहहइ ।।<br />

[११८०] अहिा भुणणमॊ तु ऩयभत्थ-जाणगे अनुभती कमा ।<br />

सॊघट्ॊतीए गचडुल्रीए सीरॊ तेन वियाहहमॊ ।।<br />

[११८१] भूमॊध-काण-फहहयॊ वऩ कु टॎॊ लसडड विडड विडडिडॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [105] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

जाि सीरॊ न खॊडेइ ताि देिेहहॊ थुव्िइ ।।<br />

[११८२] कॊ िगॊ चेि ऩाए भे खुत्तॊ आगासागालसमॊ ।<br />

एएणॊ जॊ अहॊ चुक्का तॊ भे राबॊ भहॊनतमॊ ।।<br />

[११८३] सत्त वि साहाउ ऩामारे इत्थी जा भनसा वि म ।<br />

सीरॊ खॊडेइ सा नेइ कहहमॊ जननीए भे इभॊ ।।<br />

[११८४] ता जॊ न ननिडई िज्जॊ ऩॊसु-विटॎी भभोिरयॊ ।<br />

सम-सक्कयॊ न पु ट्इ िा हहममॊ तॊ भहछछेयगॊ ।।<br />

[११८५] नियॊ जइॊ एमभारोमॊ ता रोगो एत्थ गचॊनतही ।<br />

जहा-अभुगस्स धूमाए इमॊ भनसा अज्झिलसमॊ ।।<br />

[११८६] तॊ नॊ तह वि ऩओगेणॊ ऩयििएसेनारोइभो ।<br />

जहा-जइ कोइ एमॊ अज्झिसइ ऩच्छछत्तॊ तस्स होइ ककॊ<br />

[११८७] तॊ गचम सोऊण काहालभ तिेणॊ तत्थ कायणॊ ।<br />

जॊ ऩुण बमिमाऽऽइटॎॊ घोयॊ अछचॊत-ननटॎुयॊ ।।<br />

[११८८] तॊ तिॊ सीर-चारयत्तॊ तारयसॊ जाि नो कमॊ ।<br />

नतविहॊ नतविहेण नीसल्रॊ ताि ऩािॊ न खीमए ।।<br />

[११८९] अह सा ऩय-ििएसेणॊ आरोइत्ता तिॊ चये ।<br />

ऩामच्छछत्तॊ ननलभत्तेणॊ ऩन्नासॊ सॊिछछये ।।<br />

[११९०] छटॎ-टॎभ-दसभ-दुिारसेहहॊ रमाहहॊ नेइ दस िरयसे ।<br />

अकमभकारयमभसॊकच्प्ऩएहहॊ ऩरयबूमलबक्ख-रदॎेहहॊ ।।<br />

[११९१] चनगेहहॊ दुच्न्न िे बुच्ज्जएहहॊ सोरसम भासखभणेहहॊ ।<br />

िीसॊ आमाभामॊबफरेहहॊ आिस्सगॊ अछड्डेंती ।।<br />

[११९२] चयई म अदीनभनसा अह सा ऩच्छछत्त-ननलभत्तॊ ।<br />

ताहे गोमभ सा गचॊते- जॊ ऩच्छछत्तॊ तमॊ कमॊ ।।<br />

[११९३] ता ककॊ तभेि न कमॊ भे जॊ भनसा अज्झिलसमॊ ।<br />

तमा इमयहे वि उ ऩच्छछत्तॊ इमयहे ि उ भे कमॊ ।।<br />

[११९४] ता ककॊ तॊ न सभामरयमॊ गचॊतेंती ननहणॊ गमा ।<br />

उग्गॊ कटॎॊ तिॊ घोयॊ दुक्कयॊ वऩ चरयत्तु सा ।।<br />

।।<br />

[११९५] सछछॊद-ऩामच्छछत्तेणॊ सकरुस-ऩरयणाभ-दोसओ ।<br />

कु च्छछम-कम्भा सभुप्ऩन्ना िेसाए ऩडडचेडडमा ।।<br />

[११९६] खॊडोटॎा-नाभ चडुगायी भज्ज-खडहडग-िाहहमा ।<br />

विनीमा सव्ि-िेसाणॊ थेयीए म चउग्गुणॊ ।।<br />

[११९७] रािणणॊ कॊ ती-रूिॊ नच्त्थ बुिने वि तारयसॊ ।<br />

अन्नमा थेयी गचॊतेइ भज्झॊ फोडाए जारयसॊ ।।<br />

[११९८] रािणणॊ कॊ ती-रूिॊ नच्त्थ बुिने वि तारयसॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [106] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

ता वियॊगालभ एईए कणणे नक्कॊ सहोटॎमॊ ।।<br />

[११९९] एसा उ न जाि विउप्ऩज्जे भभ धूमॊ को वि नेच्छछही ।<br />

अहिा हा हा ! न जुत्तलभणॊ धूमा तुल्रेसा वि भे ।।<br />

[१२००] नियॊ सुविनीमा एसा विउप्ऩन्नत्थ गच्छछही ।<br />

ता तह कयेलभ जहा एसा देसॊतयॊ गमा वि म ।।<br />

[१२०१] न रबेज्जा कत्थइ थाभॊ आगछछइ ऩडडच्ल्रमा ।<br />

देिेलभ से िसी-कयणॊ गुज्झ-देसॊ तु साडडभो ।।<br />

[१२०२] ननगडाइॊ च से देलभ बभडउॊ तहहॊ ननमॊनतमा ।<br />

एिॊ सा जुणण-िेसज्जा भनसा ऩरयतच्प्ऩउॊ सुिे ।।<br />

[१२०३] ता खॊडोटॎा लसलभणॊलभ गुज्झॊ साडडज्जॊतगॊ ।<br />

ऩेछछइ ननमडे म हदज्जॊते कणणे नासॊ च िड्हढमॊ ।।<br />

[१२०४] सा लसलभणत्थॊ विमायेउॊ नटॎा जह कोइ न माणइॊ ।<br />

कह कह वि ऩरयबभॊती सा गाभ-ऩुय-नगय-ऩट्णे ।।<br />

[१२०५] छम्भासेणॊ तु सॊऩत्ता सॊखडॊ नाभ खेडगॊ ।<br />

तत्थ िेसभण-सरयस-विहि-यॊडा-ऩुत्तस्स सा जुमा ।।<br />

[१२०६] ऩरयणीमा भहहरा ताहे भछछयेण ऩज्जरे दढॊ ।<br />

योसेण पु यपु यॊती सा जा हदमहे के इ गचटॎइ ।।<br />

[१२०७] ननसाए ननब्बयॊ सइमॊ खॊडोटॎी ताि ऩेछछइ ।<br />

तॊ दटॎुॊ धाइमा चुच्ल्रॊ हदत्तॊ धेत्तुॊ सभागमा ।।<br />

[१२०८] तॊ ऩच्क्खविऊण गुज्झॊते पालरमा जाि हहममॊ ।<br />

जाि दुक्ख-बयक्कॊ ता चर-चल्रचेच्ल्रॊ कयेंतो ।।<br />

[१२०९] ता सा ऩुणो विगचॊतेइ जाि जीिॊ न उड्डए ।<br />

ताि देभी से दाहाइॊ जेण भे बि-सएसु वि ।।<br />

[१२१०] न तयइ वऩमभॊ काउॊ इणभो ऩडडसॊबयॊनतमा ।<br />

ताहे गोमभ ! आणेउॊ चच्क्कम-साराओ अमभमॊ ।।<br />

[१२११] तावित्तु पु लरॊग भेल्रॊतॊ जोणणए ऩच्क्खत्तॊकु सॊ ।<br />

एिॊ दुक्ख-बयक्कॊ ता तत्थ भरयऊण गोमभा ! ।।<br />

[१२१२] उििन्ना चक्किहट्स्स भहहरा-यमणत्तेण सा ।<br />

इओ म यॊडा-ऩुत्तस्स भहहरा तॊ करेियॊ ।।<br />

[१२१३] जीिुडच्ज्झमॊ वऩ योसेणॊ छेत्तुॊ छेत्तुॊ सुसॊभमॊ ।<br />

साण-काग-भादीणॊ जाि धत्ते हदसोहदलसॊ ।।<br />

[१२१४] तािॊ यॊडा-ऩुत्तो ि फाहहयबूभीओ आगओ ।<br />

सो म दोसगुणे नाउॊ फहुॊ भनसा विमच्प्ऩमॊ ।<br />

गॊतूण साहु-ऩाभूरॊ ऩव्िज्जॊ काउ ननव्िुडो ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [107] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

[१२१५] अह सो रक्खणदेिीए जीिो खॊडोहटॎमत्तणा ।<br />

इच्त्थ-यमणॊ बिेत्ताणॊ गोमभा छहटॎमॊ गओ ।।<br />

[१२१६] तन्नेयइमॊ भहा-दुक्खॊ अइघोयॊ दारुणॊ तहहॊ ।<br />

नतकोणे ननयमािासे सुगचयॊ दुक्खेणािेइउॊ ।।<br />

[१२१७] इहागओ सभुप्ऩन्नो नतरयम-जोणीए गोमभा ! ।<br />

साणत्तेणाह भमकारे विरग्गो भेहुणे तेहहॊ ।।<br />

[१२१८] भाहहलसएणॊ कओ घाओ विछचे जोणी सभुछछरा ।<br />

तत्थ ककलभएहहॊ दस-िरयसे खदॎो भरयऊण गोमभा ! ।।<br />

[१२१९] उििन्नो िेसत्ताए तओ वि भरयऊण गोमभा ! ।<br />

एगूणॊ जाि सम-िायॊ आभ-गब्बेसु ऩच्छचओ ।।<br />

[१२२०] जम्भ-दरयद्स्स गेहच्म्भ भानुसत्तॊ सभागओ ।<br />

तत्थ दो भास-जामस्स भामा ऩॊचत्तॊ उिगमा ।।<br />

[१२२१] ताहे भहमा ककरेसेणॊ थणणॊ ऩाउॊ धयाधरयॊ ।<br />

जीिािेऊण जनगेणॊ गोउच्ल्रमस्स सभच्ल्रओ ।।<br />

[१२२२] तहहमॊ ननम-जननीओ छछीयॊ आविमभाणे ननफॊगधउॊ ।<br />

छाि-रुए गोणीओ दुहभाणेणॊ जॊ फदॎॊ अॊतयाइमॊ ।।<br />

[१२२३] तेणॊ सो रक्खणज्जाए कोडाकोडडॊ बिॊतये ।<br />

जीिो थणणभरहभाणो फज्झॊतो रुज्झॊतो ननमलरज्जॊतो ।<br />

हम्भॊतो दम्भॊतो विछछोहहज्जॊतो म हहॊडडओ ।।<br />

[१२२४] उििन्नो भनुम-जोणीए डागगणणत्तेण गोमभा ! ।<br />

तत्थ म साणम-ऩारेहहॊ कीलरउॊ छहटॎमॊ गमा ।।<br />

[१२२५] तओ उव्िहट्ऊण इहइॊ तॊ रदॎो भानुसत्तणॊ ।<br />

जत्त म सयीय-दोसेणॊ ए भहॊत-भहह-भॊडरे ।।<br />

[१२२६] जाभदॎ-जाभ-घडडमॊ िा नोरदॎॊ िेयच्त्तमॊ जहहमॊ ।<br />

ऩॊचेि उ घये गाभे नगये ऩुय-ऩट्णेसु वि ।।<br />

[१२२७] तत्थ म गोमभ ! भनुमत्ते नायम-दुक्खानुसरयलसए ।<br />

अनेगे यणण-ऽयणणेणॊ घोये दुक्खेऽनुबोत्तु णॊ ।।<br />

[१२२८] सो रक्खणदेिी-जीिो सुयोद्-ज्झाण-दोसए ।<br />

भरयऊण सत्तभॊ ऩुढविॊ उििन्नो खाडाहडे ।।<br />

[१२२९] तत्थ म तॊ तारयसॊ दुक्खॊ तेच्त्तसॊ सागयोिभए ।<br />

अनुबविऊणेह उििन्नो िॊझा गोणीत्तणेण म ।।<br />

[१२३०] खेत्त-खरमाइॊ चभढॊती बॊजॊती म चयेंनत मा ।<br />

सा गोणी फहु-जनोहेहहॊ लभलरऊणागाह-ऩॊक-िरए ऩिेलसमा ।।<br />

[१२३१] तत्थ खुहट् जरोमाहहॊ रुलसज्जॊती तहेि म ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [108] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

काग-भाहदहहॊ रुप्ऩॊती कोहाविटॎा भयेऊणॊ ।।<br />

[१२३२] ताहे वि जर-धणे यणणे भरुदेसे हदहटॎिीसो ।<br />

सप्ऩो होऊण ऩॊचभगॊ ऩुढविॊ ऩुनयवि गओ ।।<br />

[१२३३] एिॊ सो रक्खणज्जाए जीिो गोमभा ! गचयॊ ।<br />

घन-घोय-दुक्ख-सॊतत्तो चउगइ-सॊसाय-सागये ।।<br />

[१२३४] नायम-नतरयम-कु भनुएसु आहहॊडडत्ता ऩुणो विहॊ ।<br />

होइ सेणणमजीिस्स नतत्थे ऩउभस्स खुच्ज्जमा ।।<br />

[१२३५] तत्थ म दोहग्ग-खाणी सा गभे ननम-जननीओ वि म ।<br />

गोमभा ! हदटॎा न कस्सा वि अच्त्थमयही तहहॊ बिे ।।<br />

[१२३६] ताहे सव्ि-जनेहहॊ सा उच्व्िमच्णणज्ज च्त्त काऊणॊ ।<br />

भलस-गेरुम-विलरत्तॊगा खये रूढा बभाडडउॊ ।।<br />

[१२३७] गोमभा उ ऩक्ख-ऩक्खेहहॊ िाइम-खय-वियस-डडॊडडभॊ ।<br />

ननदॎाडडहहईं न अन्नत्थ गाभे रहहइ ऩविलसउॊ ।।<br />

[१२३८] ताहे कॊ दपराहाया यणण-िासे िसॊनतमा ।<br />

छछछुॊदयेण विमणत्ता नाहीए भज्झ देसए ।।<br />

[१२<strong>३९</strong>] तओ सव्िॊ सयीयॊ से बरयज्जी सुॊदुयाण म ।<br />

तेहहॊ तु विरुप्ऩभाणी सा दूसह-घोय-दुहाउया ।।<br />

[१२४०] विमाणणत्ता ऩउभ-नतत्थमयॊ तप्ऩएसे सभोसढॊ ।<br />

ऩेच्छछही जाि ता तीए<br />

।<br />

अन्नेलसभवि फहु-िाही-िेमणा-ऩरयगम-सयीयाणॊ ।<br />

तद्ेस विहायी बव्ि सत्ताणॊ ।<br />

नय नायी-गणाणॊ नतत्थमय-दॊसणा चेि ।<br />

सव्ि दुक्खॊ विणणहटॎही ।।<br />

[१२४१] ताहे सो रक्खणज्जाए तहहमॊ खुच्ज्जमत्ते जीओ ।<br />

गोमभ ! घोयॊ तिॊ चरयउॊ दुक्खाणभॊतॊ गच्छछही ।।<br />

[१२४२] एसा सा रक्खणदेिी जा अगीमत्थ-दोसओ ।<br />

गोमभ ! अनुकरुसगचत्तेणॊ ऩत्ता दुक्ख-ऩयॊऩयॊ ।।<br />

[१२४३] जहा णॊ गोमभा ! एसा रक्खण-देिच्ज्जमा तहा ।<br />

सकरुस-गचत्ते अगीमत्थे ऽनॊते ऩत्ते दुहािरी ।।<br />

[१२४४] तम्हा एमॊ विमाणणत्ता सव्ि-बािेण सव्िहा ।<br />

गीमत्थेहहॊ बिेमव्िॊ कामव्िॊ तु सुविसुदॎॊ ।<br />

ननम्भर-विभर-नीसल्रॊ ननक्करुसॊ भनॊ । नतफेलभ ।।<br />

[१२४५] ऩणमाभयभरुम भउडुग्घुटॎ चरण समित्त जमगुरु ! ।<br />

जगनाह धम्भनतत्थमय बूम-बविस्स विमाणग ! ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [109] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

[१२४६] तिसा ननद्ड्ढ-कम्भॊस ! िम्भह िइय विमायण ।<br />

चउकसाम ननटॎिण सव्ि जगजीििछछर ।।<br />

[१२४७] घोयॊधमाय-लभछछत्त- नतलभस-तभ-नतलभय-नासण ।<br />

रोगारोग-ऩगासगय भोह-िइरयननसुॊबण ।।<br />

[१२४८] दुरुच्ज्झम-याग-दोस भोह-भोस सोग सॊत सोभ लसिॊकय ।<br />

अतुलरम फर विरयम भाहप्ऩम नतहुमणेक्क भहामस ।।<br />

[१२४९] ननरुिभरूि अनन्नसभ सासमसुह-भुक्ख-दामग ।<br />

सव्िरक्खणसॊऩुन्न नतहुमणरच्छछविबूलसम ।।<br />

[१२५०] बमिॊ! ऩरयिाडीए सव्िॊ जॊ ककॊ गच कीयई ।<br />

अथक्के हुॊडड-दुदॎेणॊ कज्जॊ तॊ कत्थ रब्बइ ।।<br />

[१२५१] सम्भद्ॊसणभेगच्म्भ बफनतमॊ जम्भे अणुव्िए ।<br />

तइमॊ साभाइमॊ जम्भे चउत्थ ऩोसहॊ कये ।।<br />

[१२५२] दुदॎयॊ ऩॊचभे फॊबॊ छटॎे सगचत्त-िज्जणॊ ।<br />

एिॊ सत्तटॎ-नि-दसभे जम्भे उहद्टॎभाइमॊ ।।<br />

[१२५३] चेछचेक्कायसभे जम्भे सभण-तुल्र-गुणो बिे ।<br />

एमाए ऩरयिाडडए सॊजमॊ ककॊ न अक्खलस ।।<br />

[१२५४] जॊ ऩुणो सोऊण भइविगरो फारमणो के सरयस्स ि ।<br />

सद्ॊ गम-जुि तलसउॊ नासे-हदसोहदलसॊ ।।<br />

[१२५५] तॊ एरयस-सॊजभॊ नाह ! सुदुल्रलरमा सुकु भारमा ।<br />

सोऊणॊ वऩ नेछछॊनत तणुटॎीसुॊ कहॊ ऩुन ।।<br />

[१२५६] गोमभ! नतत्थॊकये भोत्तुॊ अन्नो दुल्रलरओ जगे ।<br />

जइ अच्त्थ कोइ ता बणउ अह णॊ सुकु भारओ ।।<br />

[१२५७] जेणॊ गब्बटॎाणॊलभ देविॊदो अभमॊ अॊगुटॎमॊ कमॊ ।<br />

आहायॊ देइ बत्तीए सॊथिॊ सममॊ कये ।।<br />

[१२५८] देि-रोग-चुए सॊते कम्भासेणॊ जहहॊ धये ।<br />

अलबजाहहॊनत तहहॊ सममॊ हीयणण-िुटॎी म िरयस्सइ ।।<br />

[१२५९] गब्बािन्नाण तद्ेसे ईनत-योगा म सत्तुणो ।<br />

अनुबािेण खमॊ जॊनत जाम-भेत्ताण तक्खणे ।।<br />

[१२६०] आगॊवऩमासणा चउयो देि-सॊघा भहीधये ।<br />

अलबसेमॊ सच्व्िड्ढीए काउॊ स-टॎाभे गमा ।।<br />

[१२६१] अहो रािणणॊ कॊ ती हदत्ती रूिॊ अनोिभॊ ।<br />

च्जणाणॊ जारयसॊ ऩाम-अॊगुटॎग्गॊ न तॊ इहॊ ।।<br />

[१२६२] सव्िेसु देि-रोगेसु सव्ि-देिाण भेलरमॊ ।<br />

कोडाकोडडगुणॊ काउॊ जइ वि उ णहाणणज्जए ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [110] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

[१२६३] अह जा अभय-ऩरयग्गहहमा नाण-त्तम-सभच्णणमा ।<br />

करा-कराि-ननरमा जन-भनानॊद कायम ।।<br />

[१२६४] समण-फॊधि-ऩरयमाया देि-दानि-ऩूइमा ।<br />

ऩणइमण ऩूरयमासा बुिणुत्तभ सुहारमा ।।<br />

[१२६५] बोगगस्सरयमॊ यामालसरयॊ गोमभा ! तॊ तिच्ज्जमॊ ।<br />

जा हदमहा के इ बुॊजॊनत ताि ओहीए जाणणउॊ ।।<br />

[१२६६] खणबॊगुयॊ अहो एमॊ रछछी ऩाि-वििड्ढणी ।<br />

ता जाणॊता वि ककॊ अम्हे चरयत्तॊ नाणुचेहटॎभो ।।<br />

[१२६७] जाि एरयस-भन-ऩरयणाभॊ ताि रोगॊनतमा सुया ।<br />

थुणणउॊ बणॊनत जग-जीि-हहममॊ नतत्थॊ ऩिहट्ही ।।<br />

[१२६८] ताहे िोसटॎ-चत्त-देहा विहिॊ सव्ि-जगुत्तभॊ ।<br />

गोमभा ! तणलभि ऩरयगचछचा जॊ इॊदाणॊ वि दुल्रहॊ ।।<br />

[१२६९] नीसॊगा उग्गॊ कटॎॊ घोयॊ अइदुक्कयॊ तिॊ ।<br />

बुमणस्स वि उक्कटॎ सभुप्ऩामॊ चयॊनत ते ।।<br />

[१२७०] जे ऩुण खयहय-पु ट्लसये एग-जम्भ सुहेलसणो ।<br />

तेलसॊ दुल्रलरमाणॊ वऩ सुटॎुॊ वि नो हहमइच्छछमॊ ।।<br />

[१२७१] गोमभा! भहु-बफॊदुस्सेि जािइमॊ तािइमॊ सुहॊ ।<br />

भयणॊते िी न सॊऩज्जे कमयॊ दुल्रलरमत्तणॊ ।।<br />

[१२७२] अहिा गोमभा ! ऩछचक्खॊ ऩेछछ म जारयसमॊ नया ।<br />

दुल्रलरमॊ सुहभनुहिॊनत जॊ ननसुणेज्जा न कोइ वि ।।<br />

[१२७३] के इ करयॊनत भासेच्ल्रॊ हालरम-गोिारत्तणॊ ।<br />

दासत्तॊ तह ऩेसत्तॊ गोडत्तॊ लसप्ऩे फहू ।।<br />

[१२७४] ओरग्गॊ ककलस िाणणज्जॊ ऩाणछचाम-ककरेलसमॊ ।<br />

दालरद्ऽविहित्तणॊ के इ कम्भॊ काउॊ धयाधरयॊ ।।<br />

[१२७५] अत्ताणॊ वि गोिेउॊ हठणण-हढणणॊते म हहॊडडउॊ ।<br />

नग्गुग्घाडे ककरेसेणॊ जा सभज्जॊनत ऩरयहणॊ ।।<br />

[१२७६] जय-जुणण-पु ट्-समच्छछद्ॊ रदॎॊ कह कह वि ओड्ढणॊ ।<br />

जा अज्ज कच्ल्रॊ कारयभोपट्ॊ ता तभ वि ऩरयहयणॊ ।।<br />

[१२७७] तहा वि गोमभा ! फुज्झ-पु ड-विमड-ऩरयपु डॊ ।<br />

एतेलसॊ चेि भज्झाओ अनॊतयॊ बणणमाण कस्स ।।<br />

[१२७८] रोगॊ रोगाचायॊ च चेछचा समण-ककमॊ तॊ च ।<br />

बोगािबोगॊ दानॊ च बोत्तूणॊ कदसणासणॊ ।।<br />

[१२७९] धाविउॊ गुच्प्ऩउॊ सुइयॊ णखच्ज्जऊण अहच्न्नसॊ ।<br />

कागगणणॊ कागगणी-काउॊ अदॎॊ ऩामॊ विसोिगॊ ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [111] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

[१२८०] कत्थइ कहहॊगच कारेणॊ रक्खॊ कोडडॊ च भेलरउॊ ।<br />

जइ एगगछछा भई ऩुन्ना फीमा नो सॊऩज्जए ।।<br />

[१२८१] एरयसमॊ दुल्रलरमत्तॊ सुकु भारत्तॊ च गोमभा ! ।<br />

धम्भायॊबॊलभ सॊऩडइ कम्भायॊबे न सॊऩडे ।।<br />

[१२८२] जेणॊ जस्स भुहे किरॊ गॊडी अन्नेहहॊ धेज्जए ।<br />

बूभीए न ठिए ऩामॊ इत्थी-रक्खेसु कीडए ।।<br />

[१२८३] तस्सा वि णॊ बिे इछछा अन्नॊ सोऊण सारयमॊ ।<br />

सभोटॎहालभ तॊ देसॊ अह सो आणॊ ऩडडछछओ ।।<br />

[१२८४] साभ-बेम-ऩमाणाइॊ अह सो सहसा ऩउॊ च्जउॊ ।<br />

तस्स साहस-तुरणटॎा गूढ-चरयएण िछचइ ।।<br />

[१२८५] एगागी कप्ऩडा-फीओ दुग्गायणणॊ गगयी-सयी ।<br />

रॊनघत्ता फहु-कारेणॊ दुक्खदुक्खॊ ऩत्तो तहहॊ ।।<br />

[१२८६] दुक्खॊ खु-खाभ-कॊ ठो सो जा बभडे धयाधरयॊ ।<br />

जामॊतो नछद्-भम्भाइॊ तत्थ जइ कह वि न नज्जए ।।<br />

[१२८७] ता जीिॊतो न चुक्के ज्जा अह ऩुणेहहॊ सभुछचये ।<br />

तओ णॊ ऩयिच्त्तमॊ देहॊ तारयसो स-गगहे वि से ।।<br />

[१२८८] को तॊलभ ऩरयमणो भन्ने ताहे सो अलस-नाणाइसु ।<br />

ननमचरयमॊ ऩामडेऊणॊ जुज्ज-सज्जो बिेऊणॊ ।।<br />

[१२८९] सव्ि-फरा थोबेणॊ खॊडॊ खॊडेण जुच्ज्झउॊ ।<br />

अह तॊ नरयदॊ ननच्ज्जणइ अह िा तेण ऩयाच्जमए ।।<br />

[१२९०] फहु ऩहायगरॊत-रुहहयॊगो गम-तुयमा उदॎ-अहो भुहो ।<br />

ननिडइ यणबूभीए गोमभा ! सो जमा तमा ।।<br />

[१२९१] तॊ तस्स दुल्ररीमत्तॊ सुकु भारत्तॊ कहहॊ िए ।<br />

जे के िरॊ वऩ स-हत्थेणॊ अहो-बागॊ च धोविउॊ ।।<br />

[१२९२] नेछछॊतो ऩामॊ ठविउॊ बूभीए न कमाइ वि ।<br />

एरयसो िी स दुल्रलरओ एमाित्थॊ अ िी गओ ।।<br />

[१२९३] जइ बणणे धम्भॊ चेटॎे ता ऩडडबणइ न सच्क्कभो ।<br />

ता गोमभ ! अहन्नानॊ ऩाि कम्भाण ऩाणणणॊ ।।<br />

[१२९४] धम्भ-टॎाणॊलभ भइ न कमाइ वि बविस्सए ।<br />

एएलसॊ इभो धम्भो एक्क-जम्भी न बासए ।।<br />

[१२९५] जहा खॊत-वऩमॊताणॊ सव्िॊ अम्हाण होहहई ।<br />

ता जो जॊ इछछे तॊ तस्स जइ अनुकू रॊ ऩिेइए ।।<br />

[१२९६] तो िम-ननमभ विहूणा वि भोक्खलभछछॊनत ऩाणणणो ।<br />

एए एतेण रूसॊनत एरयसॊ गचम कहेमव्िॊ ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [112] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

[१२९७] नियॊ न भोक्खो एमाणॊ भुसािामॊ च आिई ।<br />

अन्नॊ च यागॊ दोसॊ भोहॊ च बमॊ छॊदानुिच्त्तणॊ ।।<br />

[१२९८] नतत्थॊकयाण नो बूमॊ नो बिेज्जा उ गोमभा ! ।<br />

भुसािामॊ न बासॊते गोमभा ! नतत्थॊकये ।।<br />

[१२९९] जेणॊ तु के िरनाणेणॊ तेलसॊ सव्िॊ ऩछचक्खॊ जगॊ ।<br />

बूमॊ बव्िॊ बविस्सॊ च ऩुन्नॊ ऩािॊ तहेि म ।।<br />

[१३००] जॊ ककॊ गच नतसु वि रोएसु तॊ सव्िॊ तेलसॊ ऩामडॊ ।<br />

ऩामारॊ अवि उड्ढ-भुहॊ सग्गॊ ऩज्जा अहोभुहॊ ।।<br />

[१३०१] नूनॊ नतत्थमय-भुह-बणणमॊ िमणॊ होज्ज न अन्नहा ।<br />

नाण-दॊसण-चारयत्तॊ तिॊ घोयॊ सुदुक्कयॊ ।।<br />

[१३०२] सोग्गइ-भग्गो पु डो एस ऩरूिॊती जहहटॎओ ।<br />

अन्नहा न नतत्थमया िामा भनसा म कम्भुणा ।।<br />

[१३०३] बाणेंनत जइ वि बुिनस्स ऩरमॊ हिइ तक्खणे ।<br />

जॊ हहमॊ सव्ि-जग-जीि-ऩाण-बूमाण के िरॊ ।<br />

तॊ अनुकॊ ऩाए नतत्थमया धम्भॊ बालसॊनत अवितहॊ ।।<br />

[१३०४] जेणॊ तु सभणुगचणणेणॊ-दोहग्ग-दुक्ख-दारयद्-योग-सोग-कु गइ-बमॊ।<br />

न बिेज्जा अबफइएणॊ सॊतािुव्िेगॊ तहा ।।<br />

[१३०५] बमिॊ! नो एरयसॊ बणणभो-जह छॊदॊ अनुित्तमॊ ।<br />

नियभेमॊ तु ऩुछछाभो जो जॊ सक्के स तॊ कये ।।<br />

[१३०६] गोमभा! नेरयसॊ जुत्तॊ खणॊ भनसा वि गचॊनतउॊ ।<br />

अह जइ एिॊ बिे नामॊ तािॊ धायेह अॊचरॊ ।।<br />

[१३०७] घमऊये खॊडयब्फाए एक्को सक्के इ खाइउॊ ।<br />

अन्नो भहु-भॊस-भज्जाइॊ अन्नो यलभऊण इच्त्थमॊ ।।<br />

[१३०८] अन्नो एमॊ वऩ नो सक्के अन्नो जोएइ ऩय-कमॊ ।<br />

अन्नो चडिड-भुहे एसु अन्नो एमॊ वऩ बाणणऊणॊ न सक्कु णोइ ।।<br />

[१३०९] चोरयमॊ जारयमॊ अन्नो अन्नो ककॊ गच न सक्कु णोइ ।<br />

बोत्तुॊ बोत्तुॊ सुऩत्थरयए सक्के गचटॎे तु भॊचगे ।।<br />

[१३१०] लभछछा लभ दुक्कडॊ बमॊत एरयसॊ नो बणालभ हॊ ।<br />

गोमभ ! अन्नॊ वऩ जॊ बणलस तॊ वऩ तुज्झ कहेभहॊ ।।<br />

[१३११] एत्थ जम्भे नयो कोई कलसणुग्गॊ सॊजभॊ तिॊ ।<br />

जइ नो सक्कइ काउॊ जे तह वि सोग्गइ-वऩिालसओ ।।<br />

[१३१२] ननमभॊ ऩच्क्ख-खीयस्स एग-िार-उप्ऩाडणॊ ।<br />

यमहयणस्स एगगमॊ दलसमॊ एच्त्तमॊ तु ऩरयधारयउॊ ।।<br />

[१३१३] सक्कु णोइ एमॊ वऩ न जाि-जीिॊ ऩारेउॊ ता इभस्स िी ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [113] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

गोमभा ! तुज्झ फुदॎीए लसवदॎ-खेत्तस्स उप्ऩयॊ ।।<br />

[१३१४] भॊडविमाए बिेमव्िॊ दुक्कय-कारय बणणत्तु णॊ ।<br />

नियॊ एमारयसॊ बविमा ककभत्थॊ गोमभा ! ऩमॊ ऩुणो ।।<br />

[१३१५] तॊ एमॊ ऩुछछॊभी नतत्थकये चउन्नाणी ससुयासुय-जगऩूइए ।<br />

ननच्छछमॊ लसच्ज्झमव्िे वि तॊलभ जम्भे न अन्न-जम्भे ।।<br />

[१३१६] तहा वि अननगूहहत्ता फरॊ विरयमॊ ऩुरयसामाय-ऩयक्कभॊ ।<br />

उग्गॊ कटॎॊ तिॊ घोयॊ दुक्कयॊ अनुचयॊनत ते ।।<br />

[१३१७] ता अन्नेसु वि सत्तेसु चउगइ-सॊसाय-घोय-दुक्ख-बीएसु ।<br />

जॊ जहेि नतत्थमया बणॊनत<br />

।<br />

तॊ तहेि सभणुहटॎमव्िॊ गोमभ ! सव्िॊ जहहटॎमॊ ।।<br />

[१३१८] जॊ ऩुण गोमभ ! ते बणणमॊ-ऩरयिाडडए कीयइ ।<br />

अत्थक्के -हुडड-दुदॎेणॊ कज्जॊ तॊ कत्थ रब्बए ।।<br />

[१३१९] तत्थ वि गोमभ ! हदटॎॊतॊ भहासभुद्ॊलभ कछछबो ।<br />

अन्नेलस भगयभादीणॊ सॊघट्ा-बीउद्ुओ ।।<br />

[१३२०] फुड्ड ननफुड्डकयेभाणो सफरी झारोज्झलर ऩेल्रा-ऩेल्रीए कत्थई।<br />

उल्ररयज्जॊतो तटॎो नासॊतो धाविॊतो ऩरामॊतो म हदसोहदलसॊ ।।<br />

[१३२१] उछछल्रॊ ऩछछल्रॊ हहरणॊ फहुविहॊ तहहॊ ।<br />

असहॊतो ठाभॊ अरहॊतो खण-ननलभसॊ वऩ कत्थइ ।।<br />

[१३२२] कह कह वि दुक्ख-सॊतत्तो सुफहु-कारेहहॊ तॊ जरॊ ।<br />

अिगाहहॊतो गओ उिरयॊ ऩउलभणी-सॊडॊ सघणॊ ।।<br />

[१३२३] नछड्डॊ भहमा ककरेसेणॊ रदॎुॊ ता जत्थ ऩेछछई ।<br />

गह-नक्खत्त-ऩरयमरयमॊ कोभुइ-चॊदॊ खहेऽभरे ।।<br />

[१३२४] हदप्ऩॊत-कु िरम-कल्हायॊ कु भुम-समित्त-िणप्पई ।<br />

कु रयलरॊते हॊस-कायॊडे चक्किाए सुणेइ मा ।।<br />

[१३२५] जभहदटॎॊ सत्तसु वि साहासु अब्बुमॊ चॊदभॊडरॊ ।<br />

तॊ दटॎुॊ विच्म्हओ खणॊ गचॊतइ एमॊ जहा ।।<br />

[१३२६] होही एमॊ तॊ सग्गॊ ता हॊ फॊधिाण ऩमॊलसभो ।<br />

फहु कारेणॊ-गिेसेउॊ ते घेत्तूण सभागओ ।।<br />

[१३२७] घनघोयॊघमाय-यमणीए बद्ि-ककणह-चउद्लसहहॊ तु ।<br />

न ऩेछछे जाि तॊ रयवदॎ फहुकारॊ ननहालरउॊ ।।<br />

[१३२८] ऩुण कछछबो जाओ तहा वि तॊ रयवदॎॊ न ऩेछछए ।<br />

एिॊ चउगई-बि-गहणे दुरबे भानुसत्तणे ।।<br />

[१३२९] अहहॊसा-रक्खणॊ धम्भॊ रहहऊणॊ जो ऩभामइ ।<br />

सो ऩुण फहु-बि-रक्खेसु दुक्खेहहॊ भानुसत्तणॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [114] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-६, उद्ेसो-<br />

रदॎुॊ वऩ न रबई धम्भॊ तॊ रयवदॎॊ कछछबो जहा ।।<br />

[१३३०] हदमहाइॊ दो ि नतच्न्न ि अदॎाणॊ होइ जॊ तुरग्गेण ।<br />

सव्िामयेण तस्स वि सॊिरमॊ रेइ ऩिसॊतो ।।<br />

[१३३१] जो ऩुण हदह-ऩिासो चुरसीई जोणण-रक्ख-ननमभेणॊ ।<br />

तस्स ति-सीर-भइमॊ सॊिरमॊ ककॊ न गचॊतेह ।।<br />

[१३३२] जह जह ऩहये हदमहे भासे सॊिछछये म फोरेंनत ।<br />

तह तह गोमभ ! जाणसु ढु क्के आसन्नमॊ भयणॊ ।।<br />

[१३३३] जस्स न नज्जइ कारॊ न म िेरा नेम हदमह-ऩरयभाणॊ ।<br />

नाए वि नच्त्थ कोइ वि जगच्म्भ अजयाभयो एत्थॊ ।।<br />

[१३३४] ऩािो ऩभाम-िसओ जीिो सॊसाय-कज्जभुज्जुत्तो ।<br />

दुक्खेहहॊ न ननच्व्िणणो सोक्खेहहॊ न गोमभा ! नतप्ऩे ।।<br />

[१३३५] जीिेण जाणण उ विसच्ज्जमाणण जाई-सएसु देहाणण ।<br />

थेिेहहॊ तओ समरॊ वऩ नतहुमणॊ होज्जा ऩडहत्थॊ ।।<br />

[१३३६] नह-दॊत-भुदॎ-बभुहच्क्ख के स-जीिेण विप्ऩभुक्के सु ।<br />

तेसु वि हिेज्ज कु र-सेर-भेरु-गगरय-सच्न्नबे कु डे ।।<br />

[१३३७] हहभिॊत-भरम-भॊदय दीिोदहह-धयणण-सरयस-यासीओ ।<br />

अहहममयो आहायो जीिेणाहारयओ अनॊतहुत्तो ।।<br />

[१३३८] गुरु-दुक्ख-बरुक्कॊ तस्स अॊसु-ननिाएण जॊ जरॊ-गलरमॊ ।<br />

तॊ अगड-तराम-नई-सभुद्-भाईसु न वि होज्जा ।।<br />

[१३<strong>३९</strong>] आिीमॊ थण-छीयॊ सागय-सलरराओ फहुमयॊ होज्जा ।<br />

सॊसायॊलभ अनॊते अविरा-जोणीए एक्काए ।।<br />

[१३४०] सत्ताह-वििन्न-सुकु हहम-साण जोणीए भज्झ-देसॊलभ ।<br />

ककलभमत्तण-के िरएण जाणण भुक्काणण देहाणण ।।<br />

[१३४१] तेलसॊ सत्तभ-ऩुढिीए लसवदॎ-खेत्तॊ च जाि उक्कु रुडॊ ।<br />

चोद्स-यज्जुॊ रोगॊ अनॊत-बागेण वि बरयज्जा ।।<br />

[१३४२] ऩत्ते म काभ-बोगे कारॊ अनॊतॊ इहॊ सउिबोगे ।<br />

अऩुव्िॊ गचम भन्नए जीिो तह वि म विसम-सोक्खॊ ।।<br />

[१३४३] जह कछछु ल्रो कछछुॊ कॊ डुमभाणो दुहॊ भुणइ सोक्खॊ ।<br />

भोहाउया भनुस्सा तह काभ-दुहॊ सुहॊ फेंनत ।।<br />

[१३४४] जाणॊनत अनुहॊिनत म जम्भ-जया-भयण-सॊबिे दुक्खे ।<br />

न म विसएसु वियज्जॊनत गोमभा ! दोग्गई-गभन-ऩच्त्थए जीिे ।।<br />

[१३४५] सव्ि-गहाणॊ ऩबिो भहागहो सव्िदोस-ऩामड्हढ ।<br />

काभ-गहो उ दुयप्ऩा तस्स िसॊ जे गमा ऩाणी ।।<br />

[१३४६] जाणॊनत जहा बोग-इड्हढ-सॊऩमा सव्िभेि धम्भपरॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [115] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


तह वि दढ-भूढ-हहमए ऩािॊ काउण दोग्गइॊ जॊनत ।।<br />

[१३४७] िछचइ खणेण जीिो वऩत्ताणणर-सेंब-धाउ-खोबेहहॊ ।<br />

उज्जभह भा विसीमह तयतभ-जोगो इभो दुसहो ।।<br />

[१३४८] ऩॊगचॊहदमत्तणॊ भानुसत्तणॊ आरयमॊ जनॊ सुकु रॊ ।<br />

साहु-सभागभ-सुणणॊ सद्हणायोग्ग-ऩव्िज्जा ।।<br />

[१३४९] सूर-विस-अहह-विसुइमा ऩाणणम-सत्थच्ग्ग-सॊबभेहहॊ च ।<br />

देहॊतय-सॊकभणॊ कयेइ जीिो भुहुत्तेणॊ ।।<br />

[१३५०] जाि आउ सािसेसॊ जाि म थेिो वि अच्त्थ ििसाओ ।<br />

ताि कये अप्ऩ-हहमॊ भा तच्प्ऩहहा ऩुणो ऩछछा ।।<br />

[१३५१] सुय-धनु-विज्जू-खण-हदटॎ-नटॎ-सॊझानुयाग-लसलभण सभॊ ।<br />

देहॊ इॊनत तु ऩणइ-आभमबॊडॊ ि जर-बरयमॊ ।।<br />

[१३५२] इम जाि न चुक्कलस एरयसस्स खणबॊगुयस्स देहस्स ।<br />

उग्गॊ कटॎॊ घोयॊ चयसु तिॊ नच्त्थ ऩरयिाडड गोमभा च्त्त ।।<br />

[१३५३] िास-सहस्सॊ वऩ जई काऊणॊ सॊजभॊ सुविउरॊ वऩ ।<br />

अॊते ककलरटॎ-बािो न विसुज्झइ कॊ डरयओ व्ि ।।<br />

[१३५४] अप्ऩेण वि कारेणॊ के इ जहा गहहम-सीर-साभणणा ।<br />

साहहॊनत ननमम-कज्जॊ ऩोंडरयम-भहा-रयलस व्ि जहा ।।<br />

[१३५५] न म सॊसायॊलभ सुहॊ जाइ-जया-भयण-दुक्ख-गहहमस्स ।<br />

जीिस्स अच्त्थ जम्हा तम्हा भोक्खो उिाए उ ।।<br />

[१३५६] सव्ि ऩमायेहहॊ सव्िहा सव्ि-बाि-बािॊतयेहहॊ णॊ, गोमभा ! च्त्त फेलभ ।<br />

० गीयत्थ-पवहारनामं-छट्ठंअज्झयणं समत्तं ०<br />

० सत्तमं अज्झयणं-ऩजच्छत्तसुत्तं ०<br />

[- ऩढमा चूमऱया-एगंत ननज्जरा -]<br />

[१३५७] बमिॊ! ता एम नाएणॊ जॊ बणणमॊ आलस भे तुभॊ ।<br />

जहा ऩरयिाडडए तछचॊ ककॊ न अक्खलस ऩामच्छछत्तॊ<br />

।।<br />

[१३५८] तत्थ भज्झ अिी हिइ गोमभ! ।<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

ऩच्छछत्तॊ जइ तुभॊ तॊ आरॊफलस<br />

।<br />

नियॊ धम्भ-विमायो ते कओ सुविमारयओ पु डो ।।<br />

[१३५९] न होइ एत्थ ऩच्छछत्तॊ ऩुनयवि ऩुछछेज्जा गोमभा ! ।<br />

सॊदेहॊ जाि देहत्थॊ लभछछत्तॊ ताि ननछछमॊ ।।<br />

[१३६०] लभछछत्तेण म अलबबूए नतत्थमयस्स अवि बालसमॊ ।<br />

िमणॊ रॊनघत्तु विियीमॊ िाएत्ताणॊ ऩविसॊनत ।।<br />

[१३६१] घोयतभ-नतलभय फहरॊधमायॊ ऩामारॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [116] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


नियॊ सुविमारयमॊ काउॊ नतत्थमया समभेि म ।<br />

बणॊनत तॊ तहा चेि गोमभा ! सभणुटॎए ।।<br />

[१३६२] अत्थेगे गोमभा ! ऩाणी जे ऩव्िच्ज्जम जहा तहा ।<br />

अविहीए तह चये धम्भॊ जह सॊसाया न भुछचए ।।<br />

[१३६३] से बमिॊ ! कमये णॊ से विही-लसरोगो गोमभा ! ।<br />

इभे णॊ से विहह-लसरोगो तॊ जहा- ।<br />

गचइ-िॊदन-ऩडडक्कभणॊ जीिाजीिाइ-तत्त-सब्बािॊ ।<br />

सलभ-इॊहदम-दभ-गुच्त्त कसाम-ननग्गहणभुिओगॊ ।।<br />

[१३६४] नाऊण सुिीसत्थो साभामारयॊ ककमा-करािॊ च ।<br />

आरोइम-नीसल्रो आगब्बा ऩयभ-सॊविग्गो ।।<br />

[१३६५] जम्भ-जय-भयण-बीओ चउ-गइ सॊसाय-कम्भ-दहणटॎा ।<br />

ऩइहदमहॊ हहमएणॊ एमॊ अनियम-झामॊतो ।।<br />

[१३६६] जयभयण-भमय-ऩउये योग-ककरेसाइ-फहुविह-तयॊगे ।<br />

कम्भटॎ-कसाम-गाह-गहहय-बि-जरहह भज्झच्म्भ ।।<br />

[१३६७] बलभहालभ बटॎ-सम्भत्त-नाण-चारयत्त-रदॎ-ियऩोओ ।<br />

कारॊ अनोय-ऩायॊ अॊतॊ दुक्खाणभरॊबतो ।।<br />

[१३६८] ता कइमा सो हदमहो जत्था-हॊ सत्तु-लभत्त-सभ-ऩक्खो ।<br />

नीसॊगो विहरयस्सॊ सुह-झाण-नीयॊतयो ऩुणोऽबिटॎॊ ।।<br />

[१३६९] एिॊ गचय-गचॊनतमालबभुह-भनोयहोरु-सॊऩच्त्त-हरयस-सभुल्रलसओ ।<br />

बच्त्त-बय-ननब्बयोणम योभॊच-उक्कॊ च ऩुरम-अॊगो ।।<br />

[१३७०] सीरॊग-सहस्स अटॎायसणह धयणे सभोत्थम-क्खॊधो ।<br />

छत्तीसामारुक्कॊ ठ ननहटॎमासेस-लभछछत्तो ।।<br />

[१३७१] ऩडडिज्जे ऩव्िज्जॊ विभुक्क-भम-भान-भछछयाभरयसो ।<br />

ननम्भभ-ननयहॊकायो विहहणेिॊ गोमभा ! विहये ।।<br />

[१३७२] विहग इिाऩडडफदॎो उज्जुत्तो नाणॊ-दॊसण-चरयत्ते ।<br />

नीसॊगो घोय-ऩयीसहोिसग्गाइॊ ऩच्जणॊतो ।।<br />

[१३७३] उग्गालबग्गह-ऩडडभाइ याग-दोसेहहॊ दूयतय भुक्को ।<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

योद्ट्ज्झाण-वििच्ज्जओ म विगहासु म असत्तो ।।<br />

[१३७४] जो चॊदनेन फाहुॊ आलरॊऩइ िालसणा ि जो तछछे ।<br />

सॊथुणइ जो अ ननॊदइ सभ-बािो हुज्ज दुणहॊ वऩ ।।<br />

[१३७५] एिॊ अननगूहहम फर-विरयम-ऩुरयसक्काय-ऩयक्कभो, सभ-तण-भणण-रटॎु-कॊ चणोिेक्को,<br />

ऩरयचत्त-करत्त-ऩुत्त-सुहह-समण-लभत्त-फॊधि, धन-धन्न-सुिणण-हहयणण-भणी-यमण-साय-बॊडायो, अछचॊत-<br />

ऩयभ-िेयग्ग-िासनाजननम-ऩिय, सुहज्झिसाम-ऩयभ-धम्भ-सदॎा-ऩयो, अककलरटॎ-ननक्करुस-अदीन-भानसो म<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [117] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


िम-ननमभ-नाण-चरयत्त, तिाइ-समर-बुिणेक्क, भॊगर-अहहॊसा-रक्खण-सॊताइ, दस-विह धम्भाणुटॎाणेक्कॊ त-<br />

फदॎ-रक्खो ।<br />

सव्िािस्सग-तक्कार-कयण-सज्झाम-झाणॊ आउत्तो सॊखाईम-अनेग-कलसण-सॊजभ-ऩएसु<br />

अविखलरओ, सॊजम-वियम-ऩडडहम-ऩछचक्खाम-ऩाि-कम्भो अननमाणो भामा-भोस-वििच्ज्जओ, साहू िा<br />

साहूणी िा एिॊ गुण-कलरओ, जइ कह वि ऩभाम-दोसेणॊ असइॊ कहहॊगच कत्थइ िाचा इ िा भनसा इ िा<br />

नत-कयण-विसुदॎीए सव्ि-बाि-बािॊतयेहहॊ चेि सॊजभभामयभाणो असॊजभेणॊ छरेज्जा, तस्स णॊ विसोहह-ऩमॊ<br />

ऩामच्छछत्तभेि । तेणॊ ऩामच्छछत्तेणॊ गोमभा ! तस्स विसुवदॎॊ उिहदलसज्जा, न अन्नह च्त्त । तत्थ णॊ जेसुॊ<br />

जेसुॊ ठाणेसुॊ जत्थ जत्थ जािइमॊ ऩच्छछत्तॊ तभेि ननट्ॊककमॊ बणणइ ।<br />

से बमिॊ ! के णॊ अटॎेणॊ बणणइ जहा णॊ-तॊ एि ननट्ॊककमॊ बणणइ गोमभा! अनॊतयानॊतय-<br />

क्कभेणॊ इणभो ऩच्छछत्त-सुत्तॊ अनेगे बव्ि सत्ता चउगइ सॊसाय चायगाओ फदॎ ऩुटॎ ननकाइम दुच्व्िभोक्ख<br />

घोय ऩायदॎ कम्भ ननमडाइॊ सॊचुच्णणऊण अगचया विभुच्छचहहॊनत । अन्नॊ च इणभो ऩच्छछत्तसुत्तॊ अनेग-<br />

गुणगणाइणणस्स दढ-व्िम-चरयत्तस्स एगॊतेण जोगस्स एि वििच्क्खए ऩएसे चउक्कणणॊ ऩन्निेमव्िॊ, नो<br />

छक्कणणॊ । तहा म-जस्स जािइमेणॊ ऩामच्छछत्तेणॊ ऩयभ-विसोही बिेज्जा, तॊ तस्स णॊ अनुमट्णा-<br />

वियहहएणॊ धम्भेक्क-यलसएहहॊ िमणेहहॊ जह-हटॎमॊ अणुणाहहमॊ तािाइमॊ चेि ऩामच्छछत्तॊ ऩमछछेज्जा । एएणॊ<br />

अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ जहा णॊ गोमभा! तभेि ननट्ॊककमॊ ऩामच्छछत्तॊ बणणइ ।<br />

[१३७६] से बमिॊ कइविहॊ ऩामच्छछत्तॊ उिइटॎॊ गोमभा ! दसविहॊ ऩामच्छछत्तॊ उिइटॎॊ, तॊ<br />

च अनेगहा जाि णॊ ऩायॊगचए ।<br />

[१३७७] से बमिॊ के िइमॊ कारॊ जाि इभस्स णॊ ऩच्छछत्त-सुत्तस्सानुटॎाणॊ िहट्ही <br />

गोमभा! जाि णॊ कक्की नाभ यामाणे ननहणॊ गच्छछम एक्क-च्जमाममण-भॊडडमॊ िसुहॊ लसरयप्ऩबे अनगाये ।<br />

बमिॊ! उड्ढॊ ऩुछछा, उड्ढॊ न के इ एरयसे ऩुणण-बागे होही, जस्स णॊ इणभो सुमक्खॊधॊ उिइसेज्जा ।<br />

[१३७८] से बमिॊ ! के िइमाइॊ ऩामच्छछत्तस्स ऩमाइॊ गोमभा ! सॊखाइमाइॊ ऩामच्छछत्तस्स<br />

णॊ ऩमाइॊ ।<br />

से बमिॊ ! तेलसॊ णॊ सॊखाइमाणॊ ऩामच्छछत्तस्स ऩमाणॊ कक तॊ ऩढणॊ ऩामच्छछत्तस्स णॊ ऩमॊ<br />

गोमभा ! ऩइहदन-ककरयमॊ । से बमिॊ ! ककॊ तॊ ऩइहदन-ककरयमॊ गोमभा ! जॊ अनुसभमॊ अहच्न्नसा-<br />

ऩाणोियभॊ जाि अनुटॎेमव्िाणण सॊखेज्जाणण आिस्सगाणण ।<br />

से बमिॊ ! के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ जहा णॊ-आिस्सागाणण गोमभा! असेस-कलसणटॎ कम्भ<br />

कक्खमकारय उत्तभ-सम्भ-दॊसण-नाण-चारयत्त अछचॊत-घोय-िीरुग्ग-कटॎ सुदुक्कय-ति-साहणटॎाए ऩरुविज्जॊनत<br />

ननमलभम विबत्तुहद्टॎ-ऩरयलभएणॊ कार-सभएणॊ ऩमॊऩएणॊ अहच्न्नस-अनुसभमॊ आजम्भॊ अिस्सॊ<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

एि नतत्थमयाइसु कीयॊनत अनुहटॎज्जॊनत, उिइलसज्जॊनत ऩरूविज्जॊनत ऩन्नविज्जॊनत सममॊ, एएणॊ अटॎेणॊ एिॊ<br />

िुछचइ गोमभा ! जहा णॊ-आिस्सगाणण ।<br />

तेलसॊ च णॊ गोमभा ! जे लबक्खू काराइक्कभेणॊ िेराइक्कभेणॊ सभमाइक्कभेणॊ अरसामभाणे<br />

अनोिउत्त-ऩभत्ते अविहीए अन्नेलसॊ च असदॎॊ उप्ऩामभाणे अन्नमयभािस्सगॊ ऩभाइम-ऩभाइमॊ सॊतेणॊ फर-<br />

िीरयएणॊ सात-रेहडत्ताए आरॊफनॊ िा ककॊ गच धेत्तूणॊ गचयाइउॊ ऩउरयमा, नो णॊ जहुत्तमारॊ सभणुटॎेज्जा, से<br />

णॊ गोमभा! भहा-ऩामच्छछत्ती बिेज्जा ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [118] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


[१३७९] से बमिॊ ककॊ तॊ बफनतमॊ ऩामच्छछत्तस्सणॊ ऩमॊ गोमभा ! फीमॊ तइमॊ चउत्थॊ<br />

ऩॊचभॊ जाि णॊ सॊखाइमाइॊ ऩच्छछत्तस्स णॊ ऩमाइॊ ताि णॊ एत्थॊ च एि ऩढभ-ऩच्छछत्त-ऩए अॊतयोिगामाइॊ<br />

सभनुविॊदा । से बमिॊ ! के ण अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ गोमभा ! जओ णॊ सव्िािस्सग-कारानुऩेही लबक्खू णॊ<br />

योद्ट्ज्झाणॊ-याग-दोस-कसाम-गायि-भभाकायाइसुॊ णॊ अनेग-ऩभामारॊफणेसु सव्ि-बाि-बाितयॊतययेहह णॊ<br />

अछचॊत्तॊ-विप्ऩभुक्को बिेज्जा । के िरॊ तु नाण-दॊसण-चारयत्त-तिोकम्भ-सज्झामज्झाण-सदॎम्भािस्सगेसु<br />

अछचॊतॊ अननगूहहम फर िीरयम ऩयक्कभे सम्भॊ अलबयभेज्जा । जाि णॊ सदॎम्भािस्सगेसुॊ अलबयभेज्जा, ताि<br />

णॊ सुसॊिुडासि-दाये हिेज्जा । जाि णॊ सुसॊिुडासि-दाये हिेज्जा ताि णॊ सजीि-िीरयएणॊ अनाइ-बि-गहणॊ<br />

सॊगचमाणणटॎ-दुटॎ-टॎ-कम्भयासीए एगॊत-ननटॎिणेक्क-फदॎ-रक्खो अनुक्कभेण ननरुदॎ-जोगी बवित्ताणॊ<br />

ननद्दॎासेस-कच्म्भॊधणे विभुक्क-जाइ-जया-भयण-चउगइ-सॊसाय-ऩास-फॊधणे म सव्ि-दुक्ख-विभोक्ख तेरोक्कॊ -<br />

लसहय-ननिासी बिेज्जा । एएणॊ अटॎेणॊ गोमभा ! एिॊ िुछचइ जहा णॊ एत्थॊ चेि ऩढभ-ऩए अिसेसाइॊ<br />

ऩामच्छछत्तॊ-ऩमाइॊ अॊतयोिगमाइॊ सभनुविॊदा ।<br />

[१३८०] से बमिॊ ! कमये ते आिस्सगे गोमभा! णॊ गचइ-िॊदणादओ । से बमिॊ ! कम्ही<br />

आिस्सगे असइॊ ऩभाम-दोसेणॊ काराइक्कलभए इ िा िेराइक्कलभए इ िा सभमाइक्कलभए इ िा<br />

अनोिउत्त-ऩभत्ते इ िा अविहीए सभणुहटॎए इ िा, नो णॊ जहुत्तमारॊ विहीए सम्भॊ अनुहटॎए इ िा,<br />

असॊऩडडए इ िा विछछॊऩडडए इ िा, अकए इ िा ऩभाइए इ िा, के िनतमॊ ऩामच्छछत्तॊ उिइसेज्जा गोमभा<br />

! जे के ई लबक्खू िा लबक्खुणी िा सॊजम-वियम-ऩडडहम-ऩछचक्खाम ऩाि-कम्भे-हदक्खा-हदमा-ऩबईओ<br />

अनुहदमहॊ जािज्जीिालबग्गहेणॊ सुविसत्थे बच्त्त-ननब्बये जहुत्त-विहीए सुत्तत्थॊ अनुसयभाणेण अनन्न-<br />

भानसे-गग्ग-गचत्ते तग्गम-भानस-सुहज्झिसाए थम-थुइहहॊ न तेकालरमॊ चेइए िॊदेज्जा तस्स णॊ एगाए<br />

िायाए खिणॊ ऩामच्छछत्तॊ उिइसेज्जा फीमाए छेदॊ तइमाए उिटॎािणॊ ।<br />

अविहीए चेइमाइॊ िॊदए, तओ ऩायॊगचमॊ, जओ अविहीए चेइमाइॊ िॊदेभाणे अन्नेलसॊ असदॎॊ<br />

सॊजणे इइ काउणॊ । जो उण हरयमाणण िा फीमाणण िा ऩुप्पाणण िा पराणण िा ऩूमटॎा िा भहहभटॎाए िा<br />

सोबटॎाए िा सॊघट्ेज्ज िा सॊघट्ािेज्ज िा नछॊदेज्ज िा नछॊदािेज्ज िा सॊघहट्ज्जॊताणण िा नछॊहदज्जॊताणण िा<br />

ऩयेहहॊ सभणुजाणेज्जा िा, एएसुॊ सव्िेसुॊ उिटॎािणॊ खिणॊ चउत्थॊ आमॊबफरॊ एक्कासणगॊ ननच्व्िगइमॊ<br />

गाढागाढ-बेदेणॊ-जहा सॊखेणॊ नेमॊ ।<br />

[१३८१] जे णॊ चेइए िॊदेभाणस्स िा नभॊसभाणस्स िा सॊथुणेभाणस्स िा ऩॊचप्ऩमायॊ<br />

सज्झामॊ ऩमयेभाणस्स िा विग्घॊ कयेज्ज िा कायिेज्ज िा कीयॊतॊ िा ऩयेहहॊ सभणुजाणेज्जा िा, से तस्स<br />

एएसुॊ दुिारसॊ छटॎॊ एक्कासणगॊ कायणणगस्स ननक्कायणणगे अिॊदए सॊिछछयॊ जाि ऩायॊगचमॊ काऊणॊ<br />

उिटॎिेज्जा ।<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

[१३८२] जे णॊ ऩडडक्कभणॊ न ऩडडक्कभेज्जा से णॊ तस्सोटॎािणॊ ननहद्सेज्जा । फइटॎ-<br />

ऩडडक्कभणे खभणॊ । सुन्नासुन्नीए अनोिउत्त-ऩभत्तो िा ऩडडक्कभणॊ कयेज्जा, दुिारसॊ । ऩडडक्कभण-<br />

कारस्स चुक्कइ, चउत्थॊ । अकारे ऩडडक्कभणॊ कयेज्जा, चउत्थॊ । कारेण िा ऩडडक्कभणॊ नो कयेज्जा,<br />

चउत्थॊ ।<br />

सॊथाय-गओ िा सॊथायगोिविटॎो िा ऩडडक्कभणॊ कयेज्जा, दुिारसॊ । भॊडरीए न<br />

ऩडडक्कभेज्जा, उिटॎािणॊ । कु सीरेहहॊ सभॊ ऩडडक्कभणॊ कयेज्जा, उिटॎािणॊ । ऩरयब्बटॎ-फॊबचेय-िएहहॊ सभॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [119] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


ऩडडक्कभेज्जा, ऩायॊगचमॊ । सव्िस्स सभण-सॊघस्स नतविहॊ नतविहेण खभण-भरयसाभणॊ अकाऊणॊ<br />

ऩडडक्कभणॊ कयेज्जा, उिटॎािणॊ । ऩमॊ ऩएणाविछचाभेलरम ऩडडक्कभण-सुत्तॊ न ऩमट्ेज्जा, चउत्थॊ ।<br />

ऩडडक्कभणॊ काऊणॊ सॊथायगे इ िा परहगे इ िा तुमट्ेज्जा, खभणॊ । हदमा तुमट्ेज्जा,<br />

दुिारसॊ । ऩडडक्कभणॊ काउॊ गुरु-ऩाभूरॊ िसहहॊ सॊहदसािेत्ताणॊ न ऩछचुप्ऩेहेइ, चउत्थॊ ।<br />

िसहहॊ ऩछचुप्ऩेहहऊणॊ न सॊऩिेएज्जा, छटॎॊ । िसहहॊ असॊऩिेएत्ताणॊ यमहयणॊ ऩछचुप्ऩेहेज्जा,<br />

ऩुरयिड्ढॊ । यमहयणॊ विहीए ऩछचुप्ऩेहेत्ताणॊ गुरु-ऩाभूरॊ भुहनॊतगॊ ऩछचुप्ऩेहहम उिहहॊ न सॊहदसािेज्जा,<br />

ऩुरयिड्ढॊ । भुहनॊतगेणॊ अऩछचुप्ऩेहहएणॊ उिहहॊ सॊहदसािेज्जा, ऩुरयिड्ढॊ । असॊहदसाविमॊ उिहहॊ ऩछचुप्ऩेहेज्जा,<br />

ऩुरयिड्ढॊ । अनुिउत्तो िसहहॊ िा उिहहॊ िा ऩछचुप्ऩेहे, दुिारसॊ । अविहीए िसहहॊ िा उिहहॊ िा अन्नमयॊ िा<br />

बॊड-भत्तोिगयणॊ जामॊ ककॊ गच अनोिउत्ता-ऩभत्तो ऩछचुप्ऩेहेज्जा, दुिारसॊ । िसहहॊ िा उिहहॊ िा<br />

बॊडभत्तोिगयणॊ िा अऩडडरेहहमॊ िा दुप्ऩडडरेहहमॊ िा ऩरयबुॊजेज्जा, दुिारसॊ । िसहहॊ िा उिहहॊ िा बॊड-<br />

भत्तोिगयणॊ िा न ऩछचुप्ऩेहज्जा, उिटॎािणॊ ।<br />

एिॊ िसहहॊ उिहहॊ ऩछचुप्ऩेहेत्ताणॊ जम्ही ऩएसे सॊथायमॊ जम्ही उ ऩएसे उिहहए ऩछचुप्ऩेहणॊ<br />

कमॊ तॊ ठाणॊ ननउणॊ हरुम-हरुमॊ दॊडाऩुॊछणगेण िा यमहयणेण िा साहयेत्ताणॊ तॊ च कमियॊ ऩछचुप्ऩेहहत्तुॊ<br />

छप्ऩाइमाओ न ऩडडगाहेज्जा, दुिारसॊ ।<br />

छप्ऩइमाओ ऩडडगाहेत्ताणॊ तॊ च कमियॊ ऩरयटॎिेऊणॊ इरयमॊ न ऩडडक्कभेज्जा, चउत्थॊ ।<br />

अऩछचुप्ऩेहहमॊ कमियॊ ऩरयटॎािेज्जा, उिटॎािणॊ । जइ णॊ छप्ऩइमाओ हिेज्जा अहा णॊ नच्त्थ, तओ दुिारसॊ<br />

। एिॊ िसहहॊ उिहहॊ ऩछचुप्ऩेहहऊणॊ सभाहहॊ खइयोल्रगॊ च न ऩरयटॎिेज्जा, चउत्थॊ ।<br />

अनुग्गए सूरयए सभाहहॊ िा खइयोल्रगॊ िा ऩरयटॎिेज्जा, आमॊबफरॊ हरयम-काम-सॊसत्ते इ िा<br />

फीमकाम-सॊसत्ते इ िा तसकाम-फेइॊहदमाईएहहॊ िा सॊसत्ते, थॊडडरे सभाहहॊ िा खइयोल्रगॊ िा ऩरयटॎिे<br />

अन्नमयॊ िा उछचायामइॊ िोलसयेज्जा, ऩुरयिड्ढेक्कासणगामॊबफरॊ अहक्कभेणॊ ।<br />

जइ णॊ नो उद्िणॊ सॊबिेज्जा अहा णॊ उद्िणा सॊबािीए, तओ खभणॊ । तॊ च थॊडडरॊ<br />

ऩुनयवि ऩडडजागयेऊणॊ नीसॊकॊ काऊणॊ ऩुनयवि आरोएत्ताणॊ जहा-जोगॊ ऩामच्छछत्तॊ न ऩडडगाहेज्जा, तओ<br />

उिटॎाणॊ । सभाहहॊ ऩरयटॎिेभाणो सागारयएणॊ सॊगचक्खीमए सॊगचक्खीमभाणो िा ऩरयटॎिेज्जा, खिणॊ ।<br />

अऩछचुिेहहए थॊडडल्रे जॊ ककॊ गच िोलसयेज्जा, तत्तोिटॎाणॊ ।<br />

एिॊ च िसहहॊ उिहहॊ ऩछचुऩेहेत्ताणॊ सभाही खइयोल्रगॊ च ऩरयटॎिेत्ताणॊ एगग्ग-भानसो<br />

आउत्तो विहीए सुत्तत्थॊ अनुसयेभाणो ईरयमॊ न ऩडडक्कभेज्जा, एक्कासणगॊ ।<br />

भुहनॊतगेणॊ विना इरयमॊ ऩडडक्कभेज्जा िॊदन-ऩडडक्कभणॊ िा कयेज्जा जॊबाएज्ज िा सज्झामॊ<br />

िा कयेज्जा िामणादी, सव्ित्थ ऩुरयिड्ढॊ । एिॊ च इरयमॊ ऩडडक्कलभत्ताणॊ सुकु भार-ऩम्हर-अचोप्ऩड-अवि-<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

च्क्कटॎेणॊ अविदॎ-दॊडेणॊ दॊड-ऩुछछणगेणॊ िसहहॊ न ऩभज्जे, एक्कासणगॊ ।<br />

फाहहरयमाए िा िसहहॊ िोहायेज्जा, उिटॎाणॊ । िसहीए दॊड-ऩुछछणगॊ दाऊणॊ कमियॊ न<br />

ऩरयटॎिेज्जा, चउत्थॊ । अऩछचुऩेहहमॊ कमियॊ ऩरयटॎिेज्जा, दुिारसॊ । जइ णॊ छप्ऩइमाओ न हिेज्जा अहा णॊ<br />

हिेज्जा, तओ णॊ उिटॎािणॊ । िसही सॊनतमॊ कमियॊ ऩछचुप्ऩेहभाणे णॊ जाओ छप्ऩइमओ तत्थ अन्नेलसऊणॊ<br />

अन्नेलसऊणॊ सभुच्छचणणमॊ सभुच्छचणणम ऩडडगाहहमा ताओ जइ णॊ न सव्िेलसॊ लबक्खूणॊ सॊविबाइउणॊ देज्जा,<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [120] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


तओ एक्कासणगॊ । जइ समभेि अत्थणो ताओ छप्ऩइमाओ ऩडडगाहेज्जा अहणॊ न सॊविबइउॊ हदज्जा न म<br />

अत्तणो ऩडडग्गहेज्जा, तओ ऩायॊगचमॊ ।<br />

एिॊ िसहहॊ दॊडा ऩुछछणगेणॊ विहीए ऩभच्ज्जऊणॊ कमियॊ ऩछचुप्ऩेहेऊणॊ छप्ऩइमाओ<br />

सॊविबानतऊणॊ च तॊ च कमियॊ न ऩरयटॎिेज्जा ऩरयटॎवित्ताणॊ च सम्भॊ विहहए अछचॊतोिउत्ते एगग्गभानसेणॊ<br />

ऩमॊऩएणॊ तु सुत्तत्थो बमॊ सयभाणे जे णॊ लबक्खू न इरयमॊ ऩडडक्कभेज्जा, तस्स म आमॊबफर-खभणॊ<br />

ऩच्छछत्तॊ ननहद्सेज्जा । एिॊ तु अइक्कभेज्जा णॊ, ककॊ चूणगॊ हदिड्ढॊ घडडगॊ ऩुव्िच्णहगस्स णॊ ऩढभजाभस्स ।<br />

एमािसयम्ही उ गोमभा ! जे णॊ लबक्खू गुरुणॊ ऩुयओ विहीए सज्झामॊ सॊहदसािेऊणॊ एगग्ग-<br />

गचत्ते सुमाउत्ते दढॊ गधईए घडडगूण ऩढभ-ऩोरयलसॊ जािज्जीिालबग्गहेणॊ अनुहदमहॊ अऩुव्ि-नाण-गहणॊ न<br />

कयेज्जा, तस्स दुिारसभॊ ऩच्छछत्तॊ ननहद्सेज्जा । अऩुव्ि-नाणाहहज्जणस्स असइॊ जॊ एि ऩुव्िाहहच्ज्जमॊ तॊ<br />

सुत्तत्थोबमॊ अनुसयभणो एगग्गभानसे न ऩयाित्तेज्जा बच्त्तत्थी-याम-तक्कय-जनिमाइ विगचत्तॊ-विगहासु<br />

णॊ अलबयभेज्जा, अिॊदणणज्जे ।<br />

जेलसॊ च णॊ ऩुव्िाहीमॊ सुत्तॊ न अत्थे ि अउव्ि-नाण-गहणस्स णॊ असॊबिो िा तेलसॊ अवि<br />

घडडगूण ऩढभ-ऩोरयसीए-ऩॊच-भॊगरॊ ऩुणो ऩुणो ऩयाित्तनीमॊ । अहा णॊ नो ऩयािच्त्तमा विगहॊ कु व्िीमा िा<br />

ननसालभमा िा, से णॊ अिॊदे ।<br />

एिॊ घडडगूणाए ऩढभ-ऩोरयसीए जे णॊ लबक्खू एगग्ग-गचत्तो सज्झामॊ काऊणॊ तओ ऩत्तग-<br />

भत्तग-कभढगाइॊ बॊडोिगयणस्सणॊ अव्िच्क्खत्तउत्तो विहीए ऩछचुप्ऩेहेणॊ न कयेज्जा, तस्स णॊ चउत्थॊ<br />

ऩच्छछत्तॊ ननहद्सेज्जा । लबक्खू-सद्ो ऩच्छछत्त-सद्ो म इभे सव्ित्थ ऩइ-ऩमॊ जो जणीए जइ णॊ तॊ<br />

बॊडोिगयणॊ न बुॊजीमा अहा णॊ ऩरयबुॊजे, दुिारसॊ ।<br />

एिॊ अइक्कॊ ता ऩढभा ऩोरयसी । फीम-ऩोरयसीए अत्थ-गहणॊ न कयेज्जा, ऩुरयिड्ढॊ । जइ णॊ<br />

िक्खाणस्स णॊ अबािो अहा णॊ िक्खाणॊ अत्थ एिॊ तॊ न सुणेज्जा, अिॊदे । िक्खाणस्सासॊबिे कारिेरॊ<br />

जाि िामाणाइ-सज्झामॊ न कयेज्जा, दुिारसॊ ।<br />

एिॊ ऩत्ताए कार-िेराए जॊ ककॊ गच अइम-याइम-देिलसम-अइमाये ननॊहदए गयहहए आरोइए<br />

ऩडडक्कॊ ते जॊ ककॊ गच काइगॊ िा िाइगॊ िा भानलसगॊ िा उस्सुत्तामयणेण िा उम्भग्गामयणेण िा<br />

अकप्ऩासेिणेण िा अकयणणज्ज-सभामयणेण िा दुज्झाएण िा दुगचॊनतएण िा अनामाय-सभामयणेण िा<br />

अननच्छछमव्ि सभामयणेण िा असभण-ऩाओग्ग-सभामयणेण िा नाणे दॊसणे चरयत्ते सुए साभाइए नतणहॊ<br />

गुच्त्तमादीणॊ चउणहॊ कसामादीणॊ ऩॊचणहॊ भहव्िमादीणॊ छणहॊ जीि-ननकामादीणॊ सत्तणहॊ वऩॊडेसणाइणॊ अटॎणहॊ<br />

ऩिमणभाइणॊ निणहॊ फॊबचेय-गुत्तादीणॊ दसविहस्स णॊ सभणधम्भस्स एिॊ तु, जाि णॊ एभाइ अनेगारािग-<br />

भाईणॊ खॊडणे वियाहणे िा आगभ-कु सरेहहॊ णॊ गुरूहहॊ ऩामच्छछत्तॊ उिइटॎॊ, तॊ ननलभत्तेणॊ जहा सत्तीए<br />

अननगूहहम-फर-िीरयम-ऩुरयसमाय-ऩयक्कभे असढत्ताए अदीन-भानसे अनसनाइ स-फज्झॊतयॊ दुिारसविहॊ<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

तिो-कम्भॊ गुरूणॊ अॊनतए ऩुनयवि ननट्ॊककऊणॊ सुऩरयपु डॊ काऊणॊ तह च्त्त अलबनॊहदत्ताणॊ खॊडखॊडी-विबत्तॊ िा<br />

एग-वऩॊड-हटॎमॊ िा न सम्भॊ अनुगचटॎेज्जा, से णॊ अिॊदे ।<br />

से बमिॊ ! के णॊ अटॎेणॊ खॊडखॊडीए काउभनुचेटॎेज्जा गोमभा ! जे णॊ लबक्खू सॊिछछयदॎॊ<br />

चाउभास खभणॊ िा एक्को रग्गॊ काऊणॊ न सक्कु णोइ, से णॊ छटॎ-टॎभ-दसभ-दुिारसदॎ-भास-खभणेहहॊ णॊ तॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [121] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


ऩामच्छछत्तॊ अनुऩिेसेइ अन्नभवि जॊ ककॊ गच ऩामच्छछत्ताणुमॊ, एते णॊ अत्थेणॊ खणड-खॊडीए सभनुचेटॎे, एिॊ<br />

तु सभोगाढॊ ककॊ चूनॊ, ऩुरयिड्ढॊ ।<br />

एमािसयॊलभ उ जे णॊ ऩडडक्कभॊते इ िा िॊदॊते इ िा सज्झामॊ कयॊते इ िा सॊचयते इ िा<br />

ऩरयबभॊते इ िा गए इ िा हठए इ िा फइटॎरग्गे इ िा उहटॎमल्रगे इ िा तेउ-काएण पु लसमल्रगे बिेज्जा,<br />

से णॊ आमॊबफरॊ । न सॊियेज्जा, तओ चउत्थॊ ।<br />

अन्नेलसॊ तु जहा जोग्गॊ जहेि ऩामच्छछत्ताणॊ ऩविसॊनत तहा स-सत्तीए तिो-कम्भॊ नाणुहटॎएइ<br />

तओ चउगुणॊ ऩामच्छछत्तॊ तॊ एि फीम-हदमहे उिइसेज्जा, जेलसॊ च णॊ िॊदॊताण िा ऩडडक्कभॊताण िा दीहॊ<br />

िा भज्झायॊ िा नछॊहदऊणॊ गमॊ हिेज्जा तेलसॊ च णॊ रोम-कयणॊ अन्नत्थगभनॊ तॊ भानॊ उग्ग-तिालबयभणॊ,<br />

एमाइॊ न कु व्िॊनत, तओ गछछ फज्झे ।<br />

जे णॊ तु तॊ भहोिसग्ग-साहगॊ उप्ऩाइगॊ दुच्न्नलभत्तॊ अभॊगरािहॊ हविमा, जे णॊ ऩढभ-<br />

ऩोरयसीए िा फीम-ऩोरयसीए िा चॊकभणणमाए ऩरयसच्क्कयेज्जा अगारसच्न्नए इ िा छड्डडकडे इ िा से णॊ<br />

जइ चउच्व्िहेणॊ न सॊचयेज्जा, तओ छटॎॊ । हदमा थॊडडल्रे ऩडडरेहहए याओ सन्नॊ िोलसयेज्जा सभाहीए इ िा,<br />

एगासनगॊ गगराणस्स, अन्नेलसॊ तु छटॎॊ एि ।<br />

जइ णॊ हदमा न थॊडडल्रॊ ऩछचुप्ऩेहहमॊ नो णॊ सभाही सॊजलभमा अऩछचुप्ऩेहहए थॊडडल्रे<br />

अऩछचुप्ऩेहहमाए चेि सभाहीए यमणीए सन्नॊ िा काइमॊ िा िोलसयेज्जा, एगासनगॊ गगराणस्स, सेसाणॊ<br />

दुिारसॊ अहा णॊ गगराणस्स लभछछु क्कडॊ िा । एिॊ ऩढभ, फीम-ऩोरयसीए िा सुत्तत्थ-अहहज्जणॊ भोत्तूणॊ जे<br />

णॊ इत्थी-कहॊ िा बत्त-कहॊ िा देस-कहॊ िा याम-कहॊ िा तेण-कहॊ िा गायच्त्थम-कहॊ िा अन्नॊ िा असॊफदॎॊ<br />

योद्ट्ज्झाणोदीयणा कहॊ ऩत्थािेज्ज िा उदीयेज्ज िा कहेज्ज कहािेज्ज िा, से णॊ सॊिछछयॊ जाि अिॊदे ।<br />

अह णॊ ऩढभ-फीम-ऩोरयसीए जइ णॊ कमाइॊ भहमा कायण-िसेणॊ अदॎ-घडडगॊ घडडगॊ िा<br />

सज्झामॊ न कमॊ, तत्थ लभछछु क्कडॊ गगराणस्स, अन्नेलसॊ ननच्व्िगइमॊ दढ-ननटॎुयॊ । तेण िा गगराणेण िा<br />

जइ णॊ कहहॊ गच के णइ कायणेणॊ जाएणॊ असइॊ गीमत्थ-गुरुणा अणणुणणाएणॊ सहसा कमाई फइटॎ-<br />

ऩडडक्कभणॊ कमॊ हिेज्जा, तओ भासॊ जाि अिॊदे चउ-भासे जाि भुणेव्िमॊ च ।<br />

जे णॊ ऩढभ-ऩोरयसीए अणइक्कॊ ताए तइम-ऩोरयसीए अइक्कॊ ताए बत्तॊ िा ऩानॊ िा<br />

ऩडडगाहेज्ज िा ऩरयबुॊजेज्जा िा, तस्स णॊ ऩुरयिड्ढणॊ । चेइएहहॊ अिॊहदएहहॊ उिओगॊ कयेज्जा, ऩुरयिड्ढॊ ।<br />

गुरुणो अॊनतए न उिओगॊ कयेज्जा, चउत्थॊ । अकएणॊ उिओगेणॊ जॊ ककॊ गच ऩडडगाहेज्जा, चउत्थॊ । अविहीए<br />

उिओगॊ कयेज्जा, खिणॊ ।<br />

बत्तटॎाए िा ऩाणटॎाए िा बेसज्जटॎाए िा सकज्जेण िा गुरु-कज्जेण िा फाहहय-बूभीए<br />

ननग्गछछॊते णॊ गुरुणो ऩाए उच्त्तभॊगेण सॊघट्ेत्ताणॊ आिच्स्समॊ न कयेज्जा ऩविसॊते घॊघसाराईसु णॊ िसही<br />

दुिाये ननसीहहमॊ न कयेज्जा, ऩुरयिड्ढॊ । सत्तणहॊ कायण-जामाणॊ असई िसहीए फहहॊ ननगछछे, गछछ-फज्झो<br />

। एगो गछछे, उिटॎािणॊ ।<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

अगीमत्थस्स गीमत्थस्स िा सॊकणणज्जस्स िा बत्तॊ िा ऩानॊ िा बेसज्जॊ िा ित्थॊ िा ऩत्तॊ<br />

िा दॊडगॊ िा अविहीए ऩडडगाहेज्जा गुरूणॊ च न आरोएज्जा तइम-िमस्स छेदॊ, भासॊ जाि अिॊदे भूणेव्िमॊ<br />

च ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [122] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


बत्तटॎाए िा ऩाणटॎाए िा बेसज्जटॎाए िा सकज्जेण िा गुरु-कज्जेण िा ऩविटॎो गाभे िा<br />

नगये िा यामहाणीए िा नतम-चउक्क-चछचय-ऩरयसा-गगहे इ िा तत्थ कहॊ िा विकहॊ िा ऩत्थािेज्जा,<br />

उिटॎािणॊ । सोिाहणो ऩरयसक्के ज्जा उिटॎाणॊ । उिाहणाओ न ऩडडगाहेज्जा, खिणॊ । तारयसे णॊ स-<br />

विहाणगे उिाहणाओ न ऩरयबुॊजेज्जा, खिणॊ ।<br />

गओ िा हठओ िा के णइ ऩुटॎो ननउणॊ भहुयॊ थोिॊ कज्जािडडमॊ अगच्व्िमॊ अतुछछॊ ननद्ोसॊ<br />

समर-जनभनानॊद-कायमॊ इह-ऩय-रोग-सुहािहॊ िमणॊ न बासेज्जा, अिॊदे ।<br />

जइ णॊ नालबग्गहहओ सोरस-दोस-वियहहमॊ ऩी स-सािज्जॊ बासेज्जा, उिटॎािणॊ । फहु बासे,<br />

उिटॎािणॊ । ऩडडननमॊ बासे, उिटॎाणॊ । कसाएहहॊ च्जज्जे, अिॊदे । कसाएहहॊ सभुइणणेहहॊ बुॊजे यमणणॊ िा<br />

ऩरयिसेज्जा, भासॊ जाि भुणव्िए अिॊदे म उिटॎाणॊ च । ऩयस्स िा कस्सइ कसाए सभुइयेज्जा दय-<br />

कसामस्स िा कसाम-िुड्हढॊ कयेज्जा भम्भॊ िा ककॊ गच फोरेज्जा, एतेसुॊ गछछ-फज्झो ।<br />

परुसॊ बासे, दुिारसॊ । कक्कसॊ बासे, दुिारसॊ । खय-परुस-कक्कस-ननटॎुयभननटॎॊ बासे,<br />

उिटॎािणॊ । दुब्फोल्रॊ देइ, खभणॊ । कलरॊ ककलरककॊ चॊ करहॊ झॊ झॊ डभयॊ िा कयेज्जा, गछछ-फज्झो ।<br />

भगाय-जगायॊ िा फोल्रे, खभणॊ । फीम-िायाए, अिॊदे । िहॊतो, सॊघ-फज्झो । हणॊतो, सॊघ-फज्झो । एिॊ<br />

खणॊतो बजॊतो ल्हसॊतो रूडॊतो जारेंतो जारािेंतो ऩमॊतो ऩमािेंतो एतेसुॊ सव्िेसुॊ ऩत्तेगॊ, सॊघ-फज्झो ।<br />

गुरुॊ ऩडडसूयेज्जा अन्नॊ िा भमहयाइमॊ कहहॊ गच हीरेज्जा, गछछामायॊ िा सॊघामायॊ िा िॊदन-<br />

ऩडडक्कभणभाइ भॊडरी-धम्भॊ िा अइक्कभेज्जा, अविहीए ऩव्िािेज्ज िा उिटॎािेज्ज िा, अओग्गस्स िा<br />

सुत्तॊ िा अत्थॊ िा उबमॊ िा ऩरुिेज्जा, अविहहए सायेज्ज िा िायेज्ज िा चोएज्ज िा, विहीए िा सायण-<br />

िायण चोमणॊ न कयेज्जा उम्भग्ग-ऩहटॎमस्स िा जहा विहीए जाि णॊ समर-जन-सच्णणज्झॊ ऩरयिाडडए न<br />

बासेज्जा हहमॊ बासॊ स-ऩक्ख-गुणािहॊ एतेसुॊ सव्िेसुॊ ऩत्तेगॊ कु र-गण-सॊघ-फज्झो । कु र-गण-सॊघ-<br />

फज्झीकमस्स णॊ अछचॊत-घोय-िीय-तिाणुटॎानालबयमस्सा वि णॊ गोमभा ! अप्ऩेही तम्हा कु र-गण-सॊघ-<br />

फज्झीकमस्स णॊ खण-खण-दॎघडडग-घडडगदॎ िा न गचटॎेमव्िॊ नत ।<br />

अप्ऩुछचुप्ऩेहहए थॊडडल्रे उछचायॊ िा ऩासिणॊ िा खेल्रॊ िा लसॊघाणॊ िा जल्रॊ िा ऩरयटॎिेज्जा<br />

ननसीमॊतो सॊडासगे न ऩभज्जेज्जा, ननच्व्िगइमामॊबफरॊ अहक्कभेणॊ । बॊड-भत्तोिगयण-जामॊ जॊ ककॊ गच<br />

दॊडगाई ठिॊते इ िा ननच्क्खिॊते इ िा साहयॊते इ िा ऩडडसाहयॊते इ िा गगणहॊते इ िा ऩडडगगणहॊते इ िा<br />

अविहीए ठिेज्ज िा ननच्क्खिेज्ज िा साहयेज्ज िा ऩडडसाहयेज्ज िा गगणहेज्ज िा ऩडडगगणहेज्ज िा एतेसुॊ<br />

असॊसत्त-खेत्ते, ऩत्तेगॊ चउयो आमॊबफरे । सॊसत्तखेत्ते, उिटॎाणॊ ।<br />

दॊडगॊ िा यमहयणॊ िा ऩाम-ऩुछछणॊ िा अॊतयकप्ऩगॊ िा चोर-ऩट्गॊ िा िासाकप्ऩॊ िा जाि णॊ<br />

भुहनॊतगॊ िा अन्नमयॊ ककॊ गच सॊजभोिगयण-जामॊ अप्ऩडडरेहहमॊ िा दुप्ऩडडरेहहमॊ िा ऊणाइरयत्तॊ गणणाए<br />

ऩभाणेणॊ िा ऩरयबुॊजे, खिणॊ सव्ित्थ ऩत्तेगॊ । अविहीए ननमॊसणुत्तयीमॊ यमहयणॊ दॊडगॊ िा ऩरयबुॊजे, चउत्थॊ<br />

। सहसा यमहयणॊ खिे ननच्क्खिइ, उिटॎािणॊ । अॊगॊ िा उिॊगॊ िा सॊफाहािेज्जा, खिणॊ । यमहयण-सुसॊघट्े,<br />

चउत्थॊ । ऩभत्तस्स सहसा भुहनॊतगाइ ककॊ गच सॊजभोिगयणॊ विप्ऩनस्से, तत्थ णॊ जाि खभणोटॎािणॊ जहा<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

जोगॊ गिेसणॊ लभछछु क्कड-िोलसयणॊ ऩडडगाहणॊ च ।<br />

आउकाम-तेउकामस्स णॊ सॊघट्णाई एगॊतेणॊ ननलसदॎे । जो ऊण जोइए अॊतलरक्खबफॊदु-िायेहहॊ<br />

िा आउत्तो िा अनाउत्तो िा सहसा पु सेज्जा, तस्स णॊ ऩकहहमॊ च एिामॊबफरॊ । इत्थीणॊ अॊगािमिॊ ककॊ गच<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [123] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


हत्थेण िा ऩाएण िा दॊडगेण िा कय-धरयम-कु सग्गेण िा चरणक्खेिेण िा सॊघट्े, ऩायॊगचमॊ । सेसॊ ऩुणो वि<br />

सत्थाणे ऩफॊधेण बाणीहई । एिॊ तु आगमॊ लबक्खा-कारॊ । एमािसम्ही उ गोमभा ! जे णॊ लबक्खू<br />

वऩॊडेसणालबहहएणॊ विहहणा अदीन-भनसो ।<br />

[१३८३] िज्जेंतो फीम-हयीमाइॊ ऩाणे म दग-भहट्मॊ ।<br />

उििामॊ विसभॊ खाणुॊ यन्ना गगहिईणॊ च ।।<br />

[१३८४] सॊकटॎाणॊ वििज्जॊतो, ऩॊच-सलभम-नत-गुत्तो गोमय-चरयमाए ऩाहुडडमॊ न ऩडडमरयमा,<br />

तस्स णॊ चउत्थॊ ऩामच्छछत्तॊ उिइसेज्जा । जइ णॊ नो अबत्तटॎी ठिणा-कु रेसु ऩविसे, खिणॊ । सहसा<br />

ऩडडिुत्थॊ ऩडडगाहहमॊ तक्खणा न ऩरयटॎिे ननरुिद्िे थॊडडरे, खिणॊ । अकप्ऩॊ ऩडडगाहेज्जा, चउत्थाइ । जहा<br />

जोगॊ कप्ऩॊ िा ऩडडसेहेइ, उिटॎािणॊ । गोमय-ऩविटॎो कहॊ िा विकहॊ िा उबम-कहॊ िा ऩत्थािेज्ज िा<br />

उदीयेज्ज िा कहेज्ज िा ननसाभेज्ज िा, छटॎॊ । गोमय-भागओ म बत्तॊ िा ऩानॊ िा बेसज्जॊ िा जॊ जेण<br />

गचच्त्तमॊ, जॊ जहा म गचच्त्तमॊ, जहा म ऩडडगाहहमॊ तॊ तहा सव्िॊ नारोएज्जा, ऩुरयिड्ढॊ ।<br />

इरयमाए अऩडडक्कॊ ताए बत्त-ऩाणाइमॊ आरोएज्जा, ऩुरयिड्ढॊ । ससयक्खेहहॊ ऩाएहहॊ<br />

अऩभच्ज्जएहहॊ, इरयमॊ ऩडडकभेज्जा ऩुरयभड्ढॊ । इरयमॊ ऩडडक्कलभउकाभो नतच्न्न िायाओ चरणगाणॊ हहहटॎभ-<br />

बूलभ-बागॊ न ऩभज्जेज्जा, ननच्व्िइमॊ । कणणोहटॎमाए िा भुहनॊतगेण िा विना इरयमॊ ऩडडक्कभे,<br />

लभछछदुक्कडॊ ऩुरयभड्ढॊ िा । ऩाहुडडमॊ आरोइत्ता सज्झामॊ ऩटॎावित्तुॊ नतसयाइॊ धम्भोभॊगराइॊ न कड्ढेज्जा,<br />

चउत्थॊ । धम्भो भॊगरगेहहॊ च णॊ अऩमहट्एहहॊ चेइम-साहूहहॊ च अिॊहदएहहॊ ऩायािेज्जा, ऩुरयिड्ढॊ ।<br />

अऩायाविएणॊ बत्तॊ िा ऩानॊ िा बेसज्जॊ िा ऩरयबुॊजे, चउत्थॊ । गुरुणो अॊनतमॊ न ऩायािेज्जा नो उिओगॊ<br />

कयेज्जा नो णॊ ऩाहुडडमॊ आरोएज्जा न सज्झामॊ ऩटॎािेज्जा, एतेसुॊ ऩत्तेमॊ उिटॎािणॊ । गुरु वि म जेणॊ नो<br />

उिउत्ते हिेज्जा, से णॊ ऩायॊगचमॊ ।<br />

साहच्म्भमाणॊ सॊविबागेणॊ अविइन्नेणॊ जॊ ककॊ गच बेसज्जाइ ऩरयबुॊजे, छटॎॊ । बुॊजॊते इ िा<br />

ऩरयिेसॊते इ िा ऩारयसाडडॊ कयेज्जा, छटॎॊ । नतत्त-कडुम-कसामॊबफर-भहुय-रिणाइॊ यसाइॊ आसामॊते इ िा<br />

ऩलरसामॊते इ िा ऩरयबुॊजे, चउत्थॊ । तेसु चेि यसेसुॊ यागॊ गछछे, खभणॊ अटॎभॊ िा । अकएणॊ काउसग्गेणॊ<br />

विगइॊ ऩरयबुॊजे, ऩॊचेिामॊबफराणण । दोणहॊ विगइणॊ उड्ढॊ ऩरयबुॊजे, ऩॊच ननच्व्िगइमाणण । अकायणणगो विगइ-<br />

ऩरयबोगॊ कु ज्जा, अटॎभॊ ।<br />

असनॊ िा ऩानॊ िा बेसज्जॊ िा गगराणस्स अइणणाणुछचरयमॊ ऩरयबुॊजे, ऩायॊगचमॊ । गगराणेणॊ<br />

अऩडडजागरयएणॊ बुॊजे, उिटॎािणॊ सव्िभवि ननम-कत्तव्िॊ ऩरयचेछचाणॊ गगराण-कत्तव्िॊ न कयेज्जा, अिॊदे ।<br />

गगराण-कत्तव्िभारॊबफऊणॊ ननमम-कत्तव्िॊ ऩभाएज्जा, अिॊदे । गगराण-कप्ऩॊ न उत्तायेज्जा, अटॎभॊ ।<br />

गगराणेण सहद्ये एग-सद्ेणागॊतुॊ जभाइसे तॊ न कु ज्जा, ऩायॊगचए । नियॊ जइ णॊ से गगराणे सत्थ-गचत्ते<br />

अहा णॊ सॊच्न्निामादीहहॊ उब्बालभम-भानसे हिेज्जा तओ जभेि गगराणेणभाइटॎॊ तॊ न कामव्िॊ तस्स<br />

जहाजोगॊ कामव्िॊ न कयेज्जा, सॊघफज्झो ।<br />

आहाकम्भॊ िा उद्ेलसमॊ िा ऩूइकम्भॊ िा भीस-जामॊ िा ठिणॊ िा ऩाहुडडमॊ िा ऩाओमयॊ िा<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

कीमॊ िा ऩालभछचॊ िा ऩारयमहट्मॊ िा अलबहडॊ िा उच्ब्बणणॊ िा भारोहडॊ िा अछछेज्जॊ िा अननसटॎॊ िा<br />

अज्झोमयॊ िा धाई-दूई-ननलभत्तेणॊ आजीििणणभग-नतगगछछा-कोह-भान-भामा-रोबेणॊ ऩुच्व्िॊ सॊथि-ऩछछा-<br />

सॊथि विज्जा-भॊत-चुणण-जोगे सॊककम-भच्क्खम-ननच्क्खत्त-वऩहहम-साहरयम-दाम-गुम्भीस-अऩरयणम-लरत्त-<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [124] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


छड्डडम एमाए फामाराए सेहहॊ अन्नमय-दोस दूलसमॊ आहायॊ िा ऩानॊ िा बेसज्जॊ िा ऩरयबुॊजेज्जा, सव्ित्थ<br />

ऩत्तेगॊ जहा-जोगॊ कभेणॊ खभणामॊबफरादी उिइसेज्जा । छणहॊ दोसेहहॊ कायण जामाणभसई बुॊजे, अटॎभॊ ।<br />

सधूभ सइॊगारॊ-बुॊजे, उिटॎािणॊ । सॊजोइम-सॊजोइम जीहा रेहडत्ताए बुॊजे, आमॊबफर-खिणॊ ।<br />

सॊते फर-िीरयम-ऩुरयसमाय-ऩयक्कभे अटॎलभ-चाउद्सी-नाण-ऩॊचभी ऩज्जोसिणा चाउम्भालसए<br />

चउत्थटॎभ-छटॎे न कयेज्जा, खभणॊ ।<br />

कप्ऩॊ नाविमइ, चउत्थॊ । कप्ऩॊ ऩरयटॎिेज्जा, दुिारसॊ । ऩत्तग-भत्तग-कभढगॊ िा अन्नमयॊ<br />

िा बॊडोिगयण-जामॊ अनतच्प्ऩऊणॊ सलसणणदॎॊ िा असलसणणद्ॊ अनुल्रेहहमॊ ठिेज्जा, चउत्थॊ ऩत्ता-फॊधस्स णॊ<br />

गॊहठओ न छोडेज्जा न सोहेज्जा, चउत्थॊ ऩच्छछत्तॊ ।<br />

सभुद्ेस-भॊडरीओ सॊघट्ेज्जा आमाभॊ सॊघट्ॊ िा सभुद्ेस-भॊडलरॊ नछविऊणॊ दॊडा ऩुॊछणगॊ न<br />

देज्जा, ननच्व्िइमॊ । सभुद्ेस-भॊडरीॊ नछविऊणॊ दॊडा-ऩुॊछणगॊ च दाऊणॊ इरयमॊ न ऩडडक्कभेज्जा, ननव्िीइमॊ ।<br />

एिॊ इरयमॊ ऩडडक्कलभत्तुॊ हदिसािसेलसमॊ न सॊियेज्जा, आमाभॊ गुरु-ऩुयओ न सॊियेज्जा,<br />

ऩुरयभड्ढॊ । अविहीए सॊियेज्जा, आमॊबफरॊ । सॊियेत्ता णॊ चेइम साहूणॊ िॊदनॊ न कयेज्जा, ऩुरयभड्ढॊ ।<br />

कु सीरस्स िॊदनगॊ देज्जा, अिॊदे ।<br />

एमािसयम्ही उ फहहय-बूभीए ऩाणणम-कज्जेणॊ गॊतूणॊ जािागभे ताि णॊ सभोगाढेज्जा<br />

ककॊ चूणाहहमॊ तइम-ऩोरयसी ।<br />

तभवि जाि णॊ इरयमॊ ऩडडक्कलभत्ता णॊ विहहए गभनागभनॊ च आरोइऊणॊ<br />

ऩत्तगभत्तगकभढगाइमॊ बॊडोिगयणॊ ननच्क्खिइ, ताि णॊ अनूनाहहमा तइम-ऩोरयसी हिेज्जा । एिॊ<br />

अइक्कॊ ताए तइम-ऩोरयसीए गोमभा ! जे णॊ लबक्खू उिहहॊ थॊडडराणण विहहणा गुरु-ऩुयओ सॊहदसािेत्ता णॊ<br />

ऩानगस्स म सॊियेऊण कार-िेरॊ जाि सज्झामॊ न कयेज्जा, तस्स णॊ छटॎॊ ऩामच्छछत्तॊ उिइसेज्जा ।<br />

एिॊ च आगमाए कार-िेराए गुरु-सॊनतए उिहहॊ थॊडडरे िॊदन-ऩडडक्कभण-सज्झाम-भॊडरीओ<br />

िसहहॊ च ऩछचुप्ऩेहहत्ताणॊ सभाही-खइयोल्रगे म सॊजलभऊणॊ अत्तणगे उिहहॊ थॊडडल्रे ऩछचुप्ऩेहहत्तु गोमय-<br />

चरयमॊ ऩडडक्कलभऊणॊ कारो गोमय-चरयमा-घोसणॊ काऊणॊ तओ देिलसमाइमाय-विसोहह-ननलभत्तॊ काउस्सग्गॊ<br />

कयेज्जा, एएसुॊ ऩत्तेगॊ उिटॎािणॊ ऩुरयिड्ढेगासणगोिटॎािणॊ जहा सॊखेणॊ नेमॊ ।<br />

एमॊ काऊणॊ काउस्सग्गॊ भुहनॊतगॊ ऩछचुप्ऩेहेउॊ विहीए गुरुणो ककनतकम्भॊ काऊणॊ जॊ ककॊ गच<br />

कत्थइ सूरुग्गभॊ ऩलबतीए गचटॎॊतेण िा गछछॊतेण िा चरॊतेणॊ िा बभॊते ण िा सॊबयॊते न िा ऩुढवि-दग-<br />

अगनन-भारुम-िणस्सइ-हरयम-तण-फीम-ऩुप्प-पर-ककसरम-ऩिार-कॊ दर-बफ-नत-चउ-ऩॊगचहदमाणॊ सॊघट्ण-<br />

ऩरयमािण-ककरािण-उद्िणॊ िा कमॊ हिेज्जा, तहा नतणहॊ गुत्तादीणॊ चउणहॊ कसामादीणॊ ऩॊचणहॊ<br />

भहव्िमादीणॊ छणहॊ जीि-ननकामा-दीणॊ सत्तणहॊ ऩान-वऩॊडेसणाणॊ अटॎणहॊ ऩिमण-भामादीणॊ निणहॊ<br />

फॊबचेयादीणॊ दस विहस्स णॊ सभण-धम्भस्स-नाण-दॊसण-चरयत्ताणॊ च जॊ खॊडडमॊ जॊ वियाहहमॊ तॊ ननॊहदऊणॊ<br />

गयहहऊणॊ आरोइऊणॊ ऩामच्छछत्तॊ च ऩडडिच्ज्जऊणॊ एगग्ग-भानसे सुत्तत्थोबमॊ धणणमॊ बािेभाणे<br />

ऩडडक्कभणॊ न कयेज्जा उिटॎािणॊ ।<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

एिॊ तु अदॊसणॊ गओ सूरयओ । चेइएहहॊ अिॊहदएहहॊ ऩडडक्कभेज्जा, चउत्थॊ । एत्थॊ च अिसयॊ<br />

विणणेमॊ । ऩडडक्कलभऊणॊ विहीए यमणीए ऩढभ-जाभॊ अनूनगॊ सज्झामॊ न कयेज्जा, दुिारसॊ । ऩढभ<br />

ऩोरयसीए अनइक्कॊ ताए सॊथायगॊ सॊहदसािेज्जा, छटॎॊ । असॊहदसाविएणॊ सॊथायगेणॊ सॊथायेज्जा, चउत्थॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [125] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अऩछचुप्ऩेहहए थॊडडल्रे सॊथायेइ, दुिारसॊ । अविहीए सॊथायेज्जा, चउत्थॊ । उत्तय-ऩट्गेणॊ विना सॊथायेइ,<br />

चउत्थॊ । दोउडॊ सॊथायेज्जा, चउत्थॊ । कु लसयणप्ऩमादी सॊथायेज्जा, समॊ आमॊबफराणण ।<br />

सव्िस्स सभण-सॊघस्स साहच्म्भमाणभसाहच्म्भमाणॊ च सव्िस्सेि जीि-यालसस्स<br />

सव्िबािबािॊतयेहह णॊ नतविहॊ नतविहेणॊ खाभण-भरयसािणॊ अकाऊणॊ चेइएहहॊ तु अिॊहदएहहॊ गुरु-ऩामभूरॊ च<br />

उिही-देहस्सासनादीणॊ च सागायेणॊ ऩछचक्खाणेणॊ अकएणॊ कणण-विियेसुॊ च कप्ऩास-रूिेणॊ अटॎइएहहॊ<br />

सॊथायगम्ही ठाएज्जा, एएसुॊ ऩत्तेगॊ उिटॎािणॊ ।<br />

सॊथायगम्ही उ ठाऊणलभभस्स णॊ धम्भ-सयीयस्स गुरु-ऩायॊऩरयएणॊ सभुिरदॎेहहॊ तु इभेहहॊ<br />

ऩयभभॊतक्खयेहहॊ दससु वि हदसासुॊ अहह-करय-हरय-दुटॎ-भॊत-िाणभॊतय-वऩसामादीणॊ यक्खॊ न कयेज्जा, उिटॎाणॊ<br />

। दससु वि हदसासु यक्खॊ काऊणॊ दुिारसहहॊ बािनाहहॊ अबाविमाहहॊ सोिेज्जा, ऩणुिीसॊ आमॊबफराणण ।<br />

एक्कॊ ननद्ॊ सोऊणॊ ऩडडफुदॎे इरयमॊ ऩडडक्कभेत्ताणॊ ऩडडक्कभणॊ – कारॊ जाि सज्झामॊ न कयेज्जा, दुिारसॊ ।<br />

ऩसुत्ते दुसुलभणॊ िा कु सुलभणॊ िा ओगाहेजा सएणॊ, उसासेणॊ काउस्सग्गॊ । यमणीए छीएज्ज िा खासेज्ज<br />

िा परहग-ऩीढग-दॊडगेण िा खडुक्कगॊ ऩउरयमा, खभणॊ । दीमा िा याओ िा हास-खेड्ड-कॊ दप्ऩ-नाहिामॊ<br />

कयेज्जा, उिटॎािणॊ ।<br />

एिॊ जे णॊ लबक्खू सुत्ताइक्कभेणॊ काराइक्कभेणॊ आिासगॊ कु व्िीमा तस्स णॊ कायणणगस्स<br />

लभछछु क्कडॊ गोमभा ! ऩामच्छछत्तॊ उिइसेज्जा । जे म णॊ अकायणणगे, तेलसॊ तु णॊ जहा-जोगॊ चउत्थाइए<br />

उिएसे म । जे णॊ लबक्खू सद्े कयेज्जा सद्े उिइसेज्जा सद्े गाढागाढ-सद्े म, सव्ित्थ ऩइ-ऩमॊ ऩत्तेमॊ<br />

सव्ि-ऩएसुॊ सॊफज्झािेमव्िे ।<br />

एिॊ जे णॊ लबक्खू आउकामॊ िा तेउकामॊ िा इत्थी-सयीयािमिॊ िा सॊघट्ेज्जा नो णॊ<br />

ऩरयबुॊजेज्जा, से णॊ तस्स ऩणुिीसॊ आमॊबफरणण उिइसेज्जा । जे उ णॊ ऩरयबुॊजेज्जा दुयॊत-ऩॊत-रक्खणे<br />

अदटॎव्िे भहा-ऩाि-कम्भे ऩायॊगचए ।<br />

अहा णॊ भहा-तिस्सी हिेज्जा, तओ समरयॊ भासखिणाणॊ समरयॊ अदॎ-भास-खिणाणॊ समरयॊ<br />

दुिारासाणॊ समरयॊ दसभाणॊ समरयॊ अटॎभाणॊ समरयॊ छटॎाणॊ समरयॊ चउत्थाणॊ समरयॊ आमॊबफराणॊ समरयॊ<br />

एगटॎाणॊ समरयॊ सुदॎामाभेगासणाणॊ समरयॊ ननच्व्िगइमाणॊ जाि णॊ अनुरोभ-ऩडडरोभेणॊ ननहद्सेज्जा एमॊ च<br />

ऩच्छछत्तॊ जे णॊ लबक्खू अविसॊते सभणुटॎेज्जा से णॊ आसणण-ऩुयेक्खडे नेए ।<br />

[१३८५] से बमिॊ ! इणभो समरयॊ समरयॊ अनुरोभ-ऩडडरोभेणॊ के िनतम-कारॊ जाि<br />

सभनुहटॎहहइ गोमभा ! जाि णॊ आमायभॊगॊ िाएज्जा । बमिॊ ! उड्ढॊ ऩुछछा गोमभा ! उड्ढॊ के ई<br />

सभनुटॎेज्जा के इ नो सभनुटॎेज्जा । जे णॊ सभनुटॎेज्जा से णॊ िॊदे से णॊ ऩुज्जे से णॊ दटॎव्िे से णॊ सुऩसत्थ<br />

सुभॊगरे सुगहहमनाभधेज्जे नतणहॊ वऩ रोगाणॊ िॊदणणज्जे च्त्त । जे णॊ तु नो सभनुटॎे, से णॊ ऩािे से णॊ<br />

भहाऩािे से णॊ भहाऩाि-ऩािे से णॊ दुयॊत-ऩॊत-रक्खणे जाि णॊ अदटॎव्िे च्त्त ।<br />

[१३८६] जमा णॊ गोमभा ! इणभो ऩच्छछत्तसुत्तॊ िोच्छछच्ज्जहहइ तमा णॊ चॊदाइछचा गहा-<br />

रयक्खा-तायगाणॊ सत्त-अहोयत्ते तेमॊ नो विप्पु येज्जा ।<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

[१३८७] इभस्स णॊ िोछछेदे गोमभा ! कलसणस्स सॊजभस्स अबािो, जओ णॊ सव्ि-ऩाि-<br />

ननटॎिगे चेि ऩच्छछत्ते सव्िस्स णॊ तिसॊजभानुटॎाणस्स ऩहाणभॊगे ऩयभ-विसोही-ऩए ऩिमणस्सावि णॊ<br />

निनीम-सायबूए ऩन्नत्ते ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [126] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


[१३८८] इणभो सव्िभवि ऩामच्छछत्ते गोमभा ! जािइमॊ एगत्थ सॊवऩॊडडमॊ हिेज्जा तािइमॊ<br />

चेि एगस्स णॊ गछछाहहिइणो भमहय-ऩिच्त्तणीए म चउगुणॊ उिइसेज्जा, जओ णॊ सव्िभवि एएलसॊ<br />

ऩमॊलसमॊ हिेज्जा अहाणलभभे चेि ऩभामिसॊ गछछेज्जा, तओ अन्नेलसॊ सॊते धी-फर-िीरयए<br />

सुटॎुतयागभछचुज्जभॊ हिेज्जा । अहा णॊ ककॊ गच सुभहॊतभवि तिानुटॎाणभब्बुज्जभेज्जा, ता णॊ न तारयसाए<br />

धम्भ-सदॎाए ककॊ तु भॊदुछछाहे सभणुटॎेज्जा । बग्गऩरयणाभस्स म ननयत्थगभेि काम-के से । जम्हा एमॊ<br />

तम्हा उ अच्छचॊतानॊत-ननयनुफॊगध-ऩुन्न-ऩब्बायेणॊ सॊजुज्जभाणे वि साहुणो न सॊजुज्जॊनत, एिॊ च सव्िभवि<br />

गछछाहहिइमादीणॊ दोसेणेि ऩित्तेज्जा । एएणॊ अटॎेणॊ एिॊ ऩिुछचइ गोमभा जहा णॊ गछछाहहिइमाईणॊ<br />

इणभो सव्िभवि ऩामच्छछत्तॊ जािइमॊ एगत्थ सॊवऩॊडडमॊ हिेज्जा तािइमॊ चेि चउगुणॊ उिइसेज्जा ।<br />

[१३८९] से बमिॊ ! जे णॊ गणी अप्ऩभादी बवित्ताणॊ सुमानुसायेणॊ जहुत्त-विहाणेहहॊ चेि<br />

सममॊ अहच्न्नसॊ गछछॊ न सायिेज्जा, तस्स ककॊ ऩच्छछत्तभुिइसेज्जा गोमभा ! अप्ऩउत्ती ऩायॊगचमॊ<br />

उिइसेज्जा ।<br />

से बमिॊ ! जस्स उ णॊ गणणणो सव्ि ऩभामारॊफनविप्ऩभुक्कस्सावि णॊ सुमानुसायेणॊ<br />

जहुत्तविहाणेहहॊ चेि सममॊ अहच्न्नसॊ गछछॊ सायिेभाणस्सेि के इ तहाविहे दुटॎसीरे न सम्भग्गॊ<br />

सभामायेज्जा, तस्स िी उ ककॊ ऩच्छछत्तभुिइसेज्जा गोमभा ! उिइसेज्जा । से बमिॊ के णॊ अटॎेणॊ <br />

गोमभा ! जओ णॊ तेणॊ अऩरयच्क्खम-गुणदोसे ननक्खभाविए हिेज्जा, एएणॊ । से बमिॊ ! ककॊ तॊ<br />

ऩामच्छछत्तभुिइसेज्जा गोमभा ! जे णॊ एिॊ गुणकलरए गणी से णॊ जमा एिॊविहे ऩािसीरे गछछे नतविहॊ<br />

नतविहेणॊ िोलसयेत्ताणभाम-हहमॊ न सभनुटॎेज्जा, तमा णॊ सॊघ-फज्झे-उिइसेज्जा ।<br />

से बमिॊ ! जमा णॊ गणणणा गछछे नतविहेणॊ िोलसरयए हिेज्जा तमा णॊ ते गछछे आदयेज्जा,<br />

गोमभा! जइ सॊविग्गे बवित्ताणॊ जहुत्तॊ ऩच्छछत्तभनुचरयत्ताण अन्नस्स गछछाहहिइणो उिसॊऩच्ज्जत्ताणॊ<br />

सम्भग्गभनुसयेज्जा तओ णॊ आमयेज्जा । अहा णॊ सछछॊदत्ताए तहेि गचटॎे, न उ णॊ चउच्व्िहस्सा वि<br />

सभण-सॊघस्स फज्झॊ, तॊ गछछॊ नो आमयेज्जा ।<br />

[१<strong>३९</strong>०] से बमिॊ ! जमा णॊ से सीसे जहुत्त-सॊजभ-ककरयमाए ऩिट्ॊनत तहाविहे म के ई कु गुरू<br />

तेलसॊ हदक्खॊ ऩरूिेज्जा तमा णॊ सीसा ककॊ सभनुटॎेज्जा गोमभा! घोय-िीय-ति-सॊजभे, से बमिॊ ! कहॊ <br />

गोमभा! अन्न गछछे ऩविलसत्ताणॊ । से बमिॊ ! जमा णॊ तस्स सॊनतएणॊ लसरयगायेणॊ विच्म्हए सभाणे<br />

अन्न-गछछेसुॊ ऩिेसभेि न रबेज्जा तमा णॊ ककॊ कु च्व्िज्जा गोमभा! सव्ि-ऩमायेहहॊ णॊ तॊ तस्स सॊनतमॊ<br />

लसरयमायॊ पु सािेज्जा, से बमिॊ! के णॊ ऩमायेणॊ तॊ तस्स सॊनतमॊ लसरयमायॊ सव्ि-ऩमायेहह णॊ पु लसमॊ हिेज्जा <br />

गोमभा! अक्खयेसुॊ, से बमिॊ! ककॊ नाभे ते अक्खये गोमभा! जहा णॊ अप्ऩडडग्गाही कारकारॊतयेसुॊ वऩ अहॊ<br />

इभस्स सीसाणॊ िा सीलसणीगाणॊ िा । से बमिॊ ! जमा णॊ एिॊविहे अक्खये न प्ऩमादी, गोमभा ! जमा णॊ<br />

एिॊविहे अक्खये न प्ऩमादी तमा णॊ आसन्न-ऩािमणीणॊ ऩकहहत्ताणॊ चउत्थादीहहॊ सभक्कलभत्ताणॊ अक्खये<br />

दािेज्जा ।<br />

से बमिॊ! जमा णॊ एएणॊ ऩमायेणॊ से णॊ कु गुरु अक्खये न ऩदेज्जा तमा णॊ ककॊ कु ज्जा <br />

गोमभा! जमा णॊ एएणॊ ऩमायेणॊ से णॊ कु गुरू अक्खये न ऩदेज्जा, तमा णॊ सॊघ-फज्झे उिइसेज्जा । से<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

बमिॊ! के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ गोमभा ! सुदुप्ऩमहे इणभो भहा-भोह-ऩासे गेह-ऩासे तभेि विप्ऩहह-<br />

त्ताणॊ अनेग सायीयग-भनो-सभुत्थ-चउ-गइ-सॊसाय-दुक्ख-बम-बीए-कह-कहादी-भोह-लभछछत्तादीणॊ खओि-<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [127] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


सभेणॊ सम्भग्गॊ सभोिरलबत्ताणॊ ननच्व्िन्न-काभ-बोगे ननयणुफॊधे ऩुन्नभहहज्जे तॊ च ति-सॊजभानुटॎाणेणॊ<br />

तस्सेि ति-सॊजभ ककरयमाए जाि णॊ गुरू समभेि विग्घॊ ऩमये अहा णॊ ऩयेहहॊ कायिे कीयभाणे<br />

िा सभनुिेक्खे सऩक्खेण िा ऩयऩक्खेणॊ िा ताि णॊ तस्स भहानुबागस्स साहुणो सॊनतमॊ विज्जभाण-<br />

भवि धम्भ-िीरयमॊ ऩणस्से । जाि णॊ धम्भ-िीरयमॊ ऩणस्से ताि णॊ जे ऩुणण-बागे आसन्न-ऩुयक्खडे चेि<br />

सो ऩणस्से ।<br />

जइ णॊ नो सभण लरॊगॊ विप्ऩजहे । ताहे जे एिॊ गुणोििेए से णॊ तॊ गछछभुच्ज्झम अन्न<br />

गछछॊ सभुप्ऩमाइ । तत्थवि जाि णॊ सॊऩिेसॊ न रबे ताि णॊ कमाइ उ न अविहीए ऩाणे ऩमहेज्जा कमाइ<br />

उ न लभछछत्तबािॊ गच्छछम ऩय-ऩासॊडॊ आसएज्जा कमाइ उ न तायाइसॊगहॊ काऊणॊ अगाय-िासे ऩविसेज्जा<br />

। अहा णॊ से ताहे भहातिस्सी बिेत्ताणॊ ऩुणो अतिस्सी होउणॊ ऩय-कम्भकये हिेज्जा, जाि णॊ एमाइॊ न<br />

हिॊनत ताि णॊ एगॊतेणॊ िुड्हढॊ गछछे लभछछत्ततभे, जाि णॊ लभछछत्त-तभॊधी-कए-फहुजन-ननिहे दुक्खेणॊ<br />

सभनुटॎेज्जा । दोग्गइ-ननिायए सोक्ख-ऩयॊऩयकायए अहहॊसा रक्खणसभण-धम्भे ।<br />

जाि णॊ एमाइॊ बिॊनत ताि णॊ नतत्थस्सेि िोच्छछत्ती जाि णॊ नतत्थस्सेि िोच्छछत्ती ताि<br />

णॊ सुदूय-ििहहए ऩयभ-ऩए जाि णॊ सुदूय-ििहहए ऩयभ-ऩए ताि णॊ अछचॊत सुदुच्क्खए चेि बव्िसत्तसॊघाए<br />

ऩुणो चउगईए सॊसयेज्जा एएणॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ गोमभा ! जहा णॊ जे णॊ एएणेि ऩमायेणॊ कु गुरु अक्खये<br />

नो ऩएज्जा से णॊ सॊघ-िज्झे उिइसेज्जा ।<br />

[१<strong>३९</strong>१] से बमिॊ के िनतएणॊ कारेणॊ इहे कु गुरू बिीहॊनत गोमभा ! इओ म अदॎ-तेयसणहॊ<br />

िास समाणॊ साइयेगाणॊ सभइक्कॊ ताणॊ ऩयओ बिीसुॊ । से बमिॊ ! के णॊ अटॎेणॊ गोमभ ! तक्कारॊ इड्हढ-<br />

यस-साम गायि सॊगए भभीकाय-अहॊकायग्गीए अॊतो सॊऩज्जरॊत-फोंदी अहभहॊ नत कम-भानसे अभुणणम-<br />

सभम-सब्बािे गणी बिीसुॊ, एएणॊ अटॎेणॊ । से बमिॊ ! ककॊ सव्िे िी एिॊविहे तक्कारॊ गणी बिीसुॊ <br />

गोमभा एगॊतेणॊ नो सव्िे । के ई ऩुण दुयॊत-ऩॊत-रक्खणे अदटॎव्िे णॊ एगाए जननीए जभग-सभगॊ ऩसूए<br />

ननम्भेये ऩाि-सीरे दुज्जाम-जम्भे सुयोद्-ऩमॊडालबग्गहहम-दूय-भहालभछछहदटॎी बविॊसु । से बमिॊ ! कहॊ ते<br />

सभुिरक्खेज्जा गोमभा ! उस्सुत्तुम्भग्ग-ित्तणुहद्सण-अनुभइ-ऩछचएण िा ।<br />

[१<strong>३९</strong>२] से बमिॊ! जे णॊ गणी ककॊ गच आिस्सगॊ ऩभाएज्जा गोमभा! जे णॊ गणी अकायणणगे<br />

ककॊ गच खणभेगभवि ऩभाए, से णॊ अिॊदे उिहदसेज्जा । जे उ णॊ तु सुभहा कायणणगे वि सॊते गणी<br />

खणभेगभिी न ककॊ गच ननममािस्सगॊ ऩभाए से णॊ िॊदे ऩूए दटॎव्िे जाि णॊ लसदॎे फुदॎे ऩाय-गए<br />

खीणटॎकम्भभरे नीयए उिइसेज्जा । सेसॊ तु भहमा ऩफॊधेण स-टॎाणे चेि बाणणहहइ ।<br />

[१<strong>३९</strong>३] एिॊ ऩच्छछत्तविहहॊ सोऊणाणुटॎती अदीन-भनो ।<br />

जुॊजइ म जहा-थाभॊ जे से आयाहगे बणणए ।।<br />

[१<strong>३९</strong>४] जर-जरण-दुटॎ-सािम चोय-नरयॊदाहह-जोगगणीण बए ।<br />

तह बूम-जक्खयक्खस्स खुद्वऩसामाण भायीणॊ ।।<br />

[१<strong>३९</strong>५] कलर-करए विग्घ-योहग कॊ तायाडइ-सभुद्-भज्झे िा ।<br />

दुच्छचॊनतम अिसउणे सॊबरयमव्िा इभा विज्जा ।।<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

[१<strong>३९</strong>६] ऩ ् अ अ ए ह इ भ, ् ज ् अ ण ् अ भ ् द् अ ण ् उ ज ् अ भ ् घ ् अ ण ् इ उ भ ् भ ् ए<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [128] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


ह् इ भ ् त ् इ ि ् इ क् क् अ भ ् उ ण ् आ ह् ई ह् इ भ ् ऩ ् अ ि ् ि ् अ ण ् आ ब ् उ ह् इ अ ए ह् अ य् उ<br />

ब ् उ ए ह् इ भ ् भ ् अ ह् उ स ् उ उ अ ण ् उ, भ ् अ त्थ अ इ द् ए उ अ ण ् अ भ ् त ् उ ए ह् इ भ ् अ<br />

त ् थ ् अ स ् इ क् ख ् अ ण ् अ भ ् ध ् ए भ ् ऩ ् ऩ ् इ स ् स ् अ भ ् ।<br />

[१] ऩाएहहॊ जणदणुॊ जॊघ ननउम्भेहहॊ नतविक्कभु ।<br />

नाहहहहॊ ऩव्िनाबु हहमए हरु बुएहहॊ भहुसूदणु ।<br />

भत्थइ देउ अनॊतु एहहॊ अत्थ लसक्खणॊ धेच्प्ऩस्सॊ ।।<br />

तओ एमाए ऩिय-विज्जाए विहीए अत्ताणगॊ सभहहभॊनतऊण इभे म सत्तक्खये<br />

उत्तभॊगोबम-खॊध-कु छछी चरणतरेसु नसेज्जा तॊ, जहा- अ उ भ ् [ओॊ] उ त्तभॊगे क् उ [कु ] िाभ-<br />

खॊध-गीिाए य् उ [रु] िाभ कु छछीए क् उ [कु ] िाभ चरणमरे र ् ए [रे] दाहहण चरणमरे [स ् ि ् अ आ<br />

स्िा] दाहहण-कु छछीए ह् अ अ- [हा] दाहहण-खॊध-गीिाए ।<br />

[१<strong>३९</strong>७] दुसुलभण दुच्न्नलभत्ते गह-ऩीडुिसग्ग भारय-रयटॎ-बए ।<br />

िासासणणविज्जूए िामायी भहाजन-वियोहे ।।<br />

[१<strong>३९</strong>८] जॊ चच्त्थ बमॊ रोगे तॊ सव्िॊ ननद्रे इभाए विज्जाए ।<br />

सणहदॎे भॊगरमये रयवदॎमये ऩािहये समरियक्खमसोक्खदाई ।<br />

काउलभभे ऩच्छछत्ते जइ न तु णॊ तब्बिे लसज्झे ।।<br />

[१<strong>३९</strong>९] ता रहहऊण विभाणगइॊ सुकु रुप्ऩच्त्तॊ दुमॊ च ऩुणो फोहहॊ ।<br />

सोक्ख ऩयॊऩयएणॊ लसज्झे कम्भटॎॊ फॊधयमभरविभुक्के ।।<br />

गोयमो जत्त बेमम<br />

[१४००] से बमिॊ ! ककभेमाणुभेत्तभेि ऩच्छछत्तॊ-विहाणॊ जेणेिभाइसे गोमभा ! एम<br />

साभणणेणॊ दुिारसणह-कार-भासाणॊ ऩइहदन-भहच्न्नसानुसभमॊ ऩाणोियभॊ जाि स-फार िुड्ढ-सेह-<br />

भमहयामरयम-भाईणॊ तहा म अऩडडिाइ-भहोिहह-भनऩज्जिनाणी छउभत्थ-नतत्थमयाणॊ एगॊतेणॊ<br />

अब्बुटॎाणारयहािस्सगसॊफॊधेमॊ चेि साभणणेणॊ ऩच्छछत्तॊ सभाइटॎॊ नो णॊ एमाणुभेत्तभेि ऩच्छछत्तॊ । से बमिॊ<br />

! ककॊ अऩडडिाइ-भहोिही-भन-ऩज्जिनाणी छउभत्थ-िीमयागे म समरािस्सगे सभणुटॎीमा गोमभा !<br />

सभणुटॎीमा, न के िरॊ सभणुटॎीमा जभग-सभगभेिानियमभणुटॎीमा ।<br />

से बमिॊ ! कहॊ गोमभा! अगचॊत-फर-िीरयम-फुवदॎ-नाणाइसम-सत्ती-साभत्थेणॊ । से बमिॊ !<br />

के णॊ अटॎेणॊ ते सभणुटॎीमा गोमभा ! भा णॊ उस्सुत्तुम्भग्गऩित्तणॊ भे बिउ च्त्त काऊणॊ ।<br />

[१४०१] से बमिॊ ककॊ तॊ सविसेसॊ ऩामच्छछत्तॊ जाि णॊ िमालस गोमभा ! िासायच्त्तमॊ ऩॊथ-<br />

गालभमॊ िसहह ऩारयबोगगमॊ गछछामायभइक्कभणॊ सॊघामायभइक्कभणॊ गुत्ती-बेम-ऩमयणॊ सत्त-भॊडरी-<br />

धम्भाइक्कभणॊ अगीमत्थॊ गछछ-ऩमाण-जामॊ कु सीर-सॊबोगजॊ अविहीए ऩव्िज्जा-दाणोिटॎािणा जामॊ<br />

अओग्गस्स सुत्तत्थोबमऩन्निणजामॊ अणाममणेक्क-खण-वियत्तणा-जामॊ देिलसमॊ याइमॊ ऩच्क्खमॊ भालसमॊ<br />

चाउम्भालसमॊ सॊिछछरयमॊ एहहमॊ ऩायरोइमॊ भूर-गुण-वियाहणॊ उत्तय-गुण-वियाहणॊ आबोगानाबोगमॊ आउहट्-<br />

ऩभाम-दप्ऩ-कच्प्ऩमॊ िम-सभण-धम्भ-सॊजभ-ति-ननमभ-कसाम-दॊड-गुत्तीमॊ भम-बम-गायि-इॊहदमजॊ<br />

िसणामॊक-योद्-ट्ज्झाण याग-दोस-भोह-लभछछत्त-दुटॎ-कू य-ज्झिसाम-सभुत्थॊ भभत्तॊ-भुछछा-ऩरयग्गहायॊबजॊ<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

असलभइत्त-ऩटॎी-भॊसालसत्त धम्भॊ-तयाम-सॊतािुव्िेिगासभा-हाणुप्ऩामगॊ सॊखाईमा आसामणा-अन्नमया आसा-<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [129] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


मणमॊ ऩाणिह-सभुत्थॊ भुसािाम-सभुत्थॊ अदत्तादान-गहण-सभुत्थॊ भेहुणासेिणा-सभुत्थॊ ऩरयग्गह-कयण-<br />

सभुत्थॊ याइ-बोमण-सभुत्थॊ भानलसमॊ िाइमॊ काइमॊ असॊजभ-कयण-कायिणअनुभइ-सभुत्थॊ जाि णॊ नाण-<br />

दॊसण-चारयत्तामाय-सभुत्थॊ ककॊ फहुणा जारइमाइॊ नत-गार-गचनत-िॊदाणादओ ऩामच्छछत्त-ठाणाइॊ ऩन्नत्ताइॊ<br />

तािइमॊ च ऩुणो विसेसेणॊ गोमभा! असॊखेमहा ऩन्नविज्जॊनत ।<br />

एिॊ सॊघायेज्जा जहा णॊ गोमभा ऩामच्छछत्त-सुत्तस्स णॊ सॊखेज्जाओ ननज्जुत्तीओ<br />

सॊखेज्जाओ सॊगहणीओ सॊणखज्जाइॊ अनुमोग-दायाइॊ सॊखेज्जे अक्खये अनॊते ऩज्जिे जाि णॊ दॊलसज्जॊनत<br />

उिदॊलसज्जॊनत आघविज्जॊनत ऩन्नविज्जॊनत ऩरूविज्जॊनत कारालबग्गहत्ताए दव्िालबग्गहत्ताए<br />

खेत्तालबग्गहत्ताए बािालबग्गह-त्ताए जाि णॊ आनुऩुव्िीए अनानुऩुव्िीए जहा-जोगॊ गुण-टॎाणेसुॊ, नत फेलभ ।<br />

[१४०२] से बमिॊ ! एरयसे ऩच्छछत्त-फाहुल्रे से बमिॊ ! एरयसे ऩच्छछत्त-सॊघट्े से बमिॊ !<br />

एरयसे ऩच्छछत्त सॊगहणे अच्त्थ के ई जे णॊ आरोएत्ताणॊ ननॊहदत्ताणॊ गयहहत्ताणॊ जाि णॊ अहारयहॊ तिो-<br />

कम्भॊ ऩामच्छछत्तभनुचरयत्ताणॊ साभन्नभायाहेज्जा ऩिमणभायाहेज्जा आणॊ आयाहेज्जा जाि णॊ आमहहम-<br />

टॎमाए उिसॊऩच्ज्जत्ताणॊ सकज्जॊ तभटॎॊ आयाहेज्जा गोमभा! णॊ चउच्व्िहॊ आरोमणॊ विॊदा तॊ-जहा-नाभारोमणॊ<br />

ठिणारोमणॊ दव्िारोमणॊ बािारोमणॊ एते चउयो वि ऩए अनेगहा वि उप्ऩाइज्जॊनत । तत्थ ताि सभासेणॊ<br />

नाभारोमणॊ नाभभेत्तेण ठिणारोमणॊ ऩोत्थमाइसु-भालरहहमॊ दव्िारोमणॊ नाभ जॊ आरोएत्ताणॊ-असढ-<br />

बाित्ताए जहोिइटॎॊ ऩामच्छछत्तॊ नाणुगचटॎे । एते तओ वि ऩए एगॊते णॊ गोमभा<br />

चउत्थे ऩए बािारोमणॊ नाभ ते णॊ तु गोमभा<br />

! अऩसत्थे, जे म णॊ से<br />

! आरोएत्ताणॊ ननॊहदत्ताणॊ गयहहत्ताणॊ ऩामच्छछत्त-<br />

भनुचरयत्ताणॊ जाि णॊ आम-हहमटॎाए उिसॊऩच्ज्जत्ताणॊ स कज्जुत्तभटॎॊ आयाहेज्जा ।<br />

से बमिॊ! कमये णॊ से चउत्थे ऩए गोमभा ! बािारोमणॊ, से बमिॊ ककॊ तॊ बािारोमणॊ <br />

गोमभा! जे णॊ लबक्खू-एरयस-सॊिेग-िेयग्ग-गए सीर-ति-दान-बािन-चउ-खॊध-सुसभण-धम्भायाहणेक्कॊ त-यलसए<br />

भम-बम-गायिादीहहॊ अछचॊत-विप्ऩभुक्के सव्ि-बाि-बािॊतयेहहॊ णॊ नीसल्रे आरोइत्ताणॊ विसोहहऩमॊ<br />

ऩडडगाहहत्ताणॊ तह च्त्त सभनुटॎीमा सव्िुत्तभॊ सॊजभ-ककरयमॊ सभनुऩारेज्जा [तॊ जहा] :- ।<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

[१४०३] कमाइॊ ऩािाइॊ इभाइॊ जेहहॊ अटॎी न फज्झए ।<br />

तेलसॊ नतत्थमयिमणेहहॊ सुदॎी अम्हाण कीयउ ।।<br />

[१४०४] ऩरयगचछचाणॊ तमॊ कम्भॊ घोय-सॊसाय-दुक्खदॊ ।<br />

भनो-िम-काम-ककरयमाहहॊ सीरबायॊ धयेलभ अहॊ ।।<br />

[१४०५] जह जाणइ सव्िन्नू के िरी नतत्थॊकये ।<br />

आमरयए चारयतड्ढे उिज्झाए म सुसाहुणो ।।<br />

[१४०६] जह ऩॊच-रोमऩारे म सत्ताधम्भे म जाणए ।<br />

तहाऽऽरोएलभ हॊ सव्िॊ नतरभेत्तॊ वऩ ण ननह्ििॊ ।।<br />

[१४०७] तत्थेि जॊ ऩामच्छछत्तॊ गगरयियगुरुमॊ वऩ आिए ।<br />

तभनुछचयेलभ दे सुवदॎॊ जह ऩािे झच्त्त विलरज्जए ।।<br />

[१४०८] भरयऊणॊ नयम-नतरयएसुॊ कु ॊ बीऩाएसु कत्थई ।<br />

कत्थइ कयित्त-जॊतेहहॊ कत्थइ लबन्नो हु सूलरए ।।<br />

[१४०९] घॊसणॊ घोरणॊ कहहच्म्भ कत्थई छेमण-बेमणॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [130] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


फॊधनॊ रॊघनॊ कहहच्म्भ कत्थइ दभण-भॊकणॊ ।।<br />

[१४१०] नत्थणॊ िाहणॊ कहहच्म्भ कत्थइ िहन-तारणॊ ।<br />

गुरु-बायक्कभणॊ कहहॊगच कत्थइ जभराय-विॊधणॊ ।।<br />

[१४११] उय-ऩहट्-अहटॎ-कडड-बॊगॊ ऩय-िसो तणहॊ-छु हॊ ।<br />

सॊतािुव्िेग-दारयद्ॊ विसहीहालभ ऩुणो वि हॊ ।।<br />

[१४१२] ता इहइॊ चेि सव्िॊ वऩ ननम-दुछचरयमॊ जह-हटॎमॊ ।<br />

आरोएत्ता ननॊहदत्ता गयहहत्ता ऩाच्छछत्तॊ चरयत्तु णॊ ।।<br />

[१४१३] ननद्हेलभ ऩािमॊ कम्भॊ झच्त्त सॊसाय-दुक्खमॊ ।<br />

अब्बुहटॎत्ता तिॊ घोयॊ-धीय-िीय-ऩयक्कभॊ ।।<br />

[१४१४] अछचत्तॊ-कडमडॊ कटॎॊ दुक्कयॊ दुयनुछचयॊ ।<br />

उग्गुग्गमयॊ च्जनालबहहमॊ समर-कल्राण-कायणॊ ।।<br />

[१४१५] ऩामच्छछत्त-ननलभत्तेण ऩाण-सॊघाय-कायमॊ ।<br />

आमयेणॊ तॊ तिॊ चरयभो जेणुब्बे सोक्खई तणुॊ ।।<br />

[१४१६] कसाए विहरी कट्ु इॊहदए ऩॊच-ननग्गहॊ ।<br />

भनो िई काम-दॊडाणॊ ननग्गहॊ धणणमभायबॊ ।।<br />

[१४१७] आसि-दाये ननरुॊ लबत्ता चत्त-भम-भछछय-अभरयसो ।<br />

गम-याग-दोस-भोहो हॊ ननसॊगो ननप्ऩरयग्गहो ।।<br />

[१४१८] ननम्भभो ननयहॊकायो सयीये अछचॊत-ननच्प्ऩहो ।<br />

भहव्िमाइॊ ऩारेलभ ननयइमायाइॊ ननच्छछओ ।।<br />

[१४१९] हॊदॎी हा अहन्नो हॊ ऩािो ऩाि-भती अहॊ ।<br />

ऩाविटॎो ऩाि-कम्भो हॊ ऩािाहभामयो अहॊ ।।<br />

[१४२०] कु सीरो बट्-चारयत्ती लबल्रसूणोिभो अहॊ ।<br />

गचरातो ननच्क्किो ऩािी कू य-कम्भीह ननच्ग्घणो ।।<br />

[१४२१] इणभो दुल्रबॊ रलबउॊ साभणणॊ नाणॊ-दॊसणॊ ।<br />

चारयत्तॊ िा वियाहेत्ता अनारोइम ननॊहदमा ।<br />

गयहहम अकम-ऩच्छछत्तो िािज्जॊतो जइ अहॊ ।।<br />

[१४२२] ता ननछछमॊ अनुत्ताये घोये सॊसाय-सागये ।<br />

ननब्फुड्डो बि-कोडीहहॊ सभुत्तयॊतो न िा ऩुणो ।।<br />

[१४२३] ता जा जया न ऩीडेइ िाही जाि न के इ भे ।<br />

जाविॊहदमाइॊ- न हामॊनत ताि धम्भॊ चयेत्तुॊ हॊ ।।<br />

[१४२४] ननद्हभइयेण ऩािाइॊ ननॊहदउॊ गयहहउॊ गचयॊ ।<br />

ऩामच्छछत्तॊ चरयत्ताणॊ ननक्करॊको बिालभ हॊ ।।<br />

[१४२५] ननक्करुस-ननक्करॊकाणॊ सुदॎ-बािाण गोमभा ! ।<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

तॊ नो नटॎॊ जमॊ गहहमॊ सुदूयाभवि ऩरयिलरत्तु णॊ ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [131] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


[१४२६] एिभारोमणॊ दाउॊ ऩामच्छछत्तॊ चयेत्तु णॊ ।<br />

कलर-करुस-कम्भ-भर-भुक्के जइ नो लसज्झेज्ज तक्खणॊ ।।<br />

[१४२७] ता िए देि-रोगच्म्ह ननछचुज्जोए समॊ ऩहे ।<br />

देि-दु ॊदुहह-ननग्घोसे अछछया-सम-सॊकु रे ।।<br />

[१४२८] तओ चुमा इहागॊतु सुकु रुप्ऩच्त्तॊ रबेत्तु णॊ ।<br />

ननच्व्िणण-काभ-बोगा म तिॊ काउॊ भमा ऩुणो ।।<br />

[१४२९] अनुत्तय-विभानेसुॊ ननिलसऊनेहभागमा ।<br />

हिॊनत धम्भ-नतत्थमया समर-तेरोक्क-फॊधिा ।।<br />

[१४३०] एस गोमभ ! विणणेए सुऩसत्थे चउत्थे ऩए ।<br />

बािारोमणॊ नाभ अक्खम-लसिसोक्ख-दामगो च्त्त फेलभ ।।<br />

[१४३१] से बमिॊ एरयसॊ ऩप्ऩा विसोहहॊ उत्तभॊ ियॊ ।<br />

जे ऩभामा ऩुणो असई कत्थइ चुक्के खरेज्ज िा ।।<br />

[१४३२] तस्स ककॊ तॊ विसोहह-ऩमॊ सुविसुदॎॊ चेि लरक्खए ।<br />

उमाहु नो सभुच्ल्रक्खे सॊसमभेमॊ विमागये ।।<br />

[१४३३] गोमभा! ननॊहदउॊ गयहहउॊ सुदूयॊ ऩामच्छछत्तॊ चयेत्तु णॊ ।<br />

ननक्खारयम-ित्थालभिाए खॊऩणॊ जो न यक्खए ।।<br />

[१४३४] सो सुयलबगॊध-गच्ब्बण गॊधोदम-विभर-ननम्भर-ऩवित्ते ।<br />

भच्ज्जम-खीय-सभुद्े गड्डाए जइ ऩडइ ।।<br />

[१४३५] ता ऩुण तस्स साभग्गी सव्ि-कम्भ-खमॊकया ।<br />

अह होज्ज देि-जोग्गा असुई-गॊधॊ खु दुदॎरयसॊ ।।<br />

[१४३६] एिॊ कम-ऩच्छछत्ते जे णॊ छज्जीि-काम-िम-ननमभॊ ।<br />

दॊसण-नाण-चरयत्तॊ सीरॊगे िा तिॊगे िा ।।<br />

[१४३७] कोहेण ि भाणेण ि भामा रोब-कसाम-दोसेणॊ ।<br />

यागेण ऩओसेण ि अन्नाण-भोह-लभछछत्त-हासेण िा वि ।।<br />

[१४३८] [बएणॊ कॊ दप्ऩा दप्ऩेण] ।<br />

एएहहॊ म अन्नेहहॊ म गायिभारॊफणेहहॊ जो खॊडे ।<br />

सो सव्िटॎ-विभाणा घल्रे अप्ऩाणगॊ ननयए णखिे ।।<br />

[१४<strong>३९</strong>] से बमिॊ ! ककॊ आमा सॊयक्खेमव्िे उमाहु छज्जीि-ननकाम-भाइ सॊजभॊ सॊयक्खेव्िॊ <br />

गोमभा ! जे णॊ छक्कामाइ-सॊजभॊ सॊयक्खे से णॊ अनॊत-दुक्ख-ऩमामगाओ दोग्गइ-गभनाओ अत्ताणॊ<br />

सॊयक्खे, तम्हा उ छक्कामाइॊ सॊजभभेि यक्खेमव्िॊ होइ ।<br />

[१४४०] से बमिॊ ! के िनतए असॊजभटॎाणे ऩन्नत्ते गोमभा ! अनेगे असॊजभटॎाणे ऩन्नत्ते<br />

जाि णॊ कामासॊजभटॎाणे । से बमिॊ ! कमयेणॊ से कामा सॊजभटॎाणे गोमभा ! कामा सॊजभटॎाणे अनेगहा<br />

ऩन्नत्ते [तॊजहा] :-<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

[१४४१] ऩुढवि-दगागनन-िाऊ-िणप्पती तह तसाण विविहाणॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [132] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


हत्थेण वि परयसणमॊ िज्जेज्जा जािजीिॊ वऩ ।।<br />

[१३४२] सी-उणह-खायणखत्ते अग्गी रोणूस अॊबफरे नेहे ।<br />

ऩुढिादीण-ऩयोप्ऩय खमॊकये फज्झ-सत्थेए ।।<br />

[१४४३] णहाणुम्भद्णखोबण-हत्थॊ-गुलर-अच्क्ख-सोम-कयणेणॊ ।<br />

आिीमॊते अनॊते आऊ-जीिे खमॊ जॊनत ।।<br />

[१४४४] सॊधुक्कण-जरगुणज्जारणेण उज्जोम-कयण-भादीहहॊ ।<br />

िीमण-पू भण-उब्बािणेहहॊ लसहह-जीि-सॊघामॊ ।।<br />

[१४४५] जाइ-खमॊ अन्ने वि म छज्जीि-ननकामभइगए जीिे ।<br />

जरणो सुटॎुइओ वि हु सॊबक्खइ दस-हदसाणॊ च ।।<br />

[१४४६] िीमणग-तालरमॊिम चाभय-उक्खेि-हत्थ-तारेहहॊ ।<br />

धोिण-डेिण-रॊघण ऊसासाईहहॊ िाऊणॊ ।।<br />

[१४४७] अॊकू य-कु हय-ककसरम ऩिार-ऩुप्प-पर-कॊ दराईणॊ ।<br />

हत्थ-परयसेण फहिे जॊनत खमॊ िणप्पती-जीिे ।।<br />

[१४४८] गभनागभन-ननसीमण सुमणुटॎण अनुिउत्तम-ऩभत्तो ।<br />

विमलरॊहद-बफ-नत-चउ-ऩॊचेंहदमाण गोमभ ! खमॊ ननमभा ।।<br />

[१४४९] ऩाणाइिाम-वियई लसि-परमा गेच्णहऊण ता धीभॊ ।<br />

भयणािमच्म्भ ऩत्ते भयेज्ज वियइ न खॊडेज्जा ।।<br />

[१४५०] अलरम-िमणस्स वियई सािज्जॊ सछचभवि न बासेज्जा ।<br />

ऩय-दव्ि-हयण-वियइॊ कयेज्ज हदन्ने वि भा रोबॊ ।।<br />

[१४५१] धयणॊ दुदॎय-फॊबिमस्स काउॊ ऩरयग्गहछचामॊ ।<br />

याती-बोमण-वियती ऩॊचेहदम-ननग्गहॊ विहहणा ।।<br />

[१४५२] अन्ने म कोह-भाणा याग-द्ोसे म आरोमणॊ दाउॊ ।<br />

भभकाय-अहॊकाए ऩमहहमव्िे ऩमत्तेणॊ ।।<br />

[१४५३] जह ति-सॊजभ-सज्झाम-ज्झाणभाईसु सुदॎ-बािेहहॊ ।<br />

उज्जलभमव्िॊ गोमभ ! विज्जुरमा-चॊचरे जीए ।।<br />

[१४५४] ककॊ फहुना गोमभा ! एत्थॊ दाऊणॊ आरोमणॊ ।<br />

ऩुढिीकामॊ वियाहहज्जा कत्थ गॊतुॊ स सुच्ज्झही ।।<br />

[१४५५]ककॊ फहुना गोमभा ! एत्थॊ दाऊणॊ आरोमणॊ ।<br />

फाहहय-ऩाणॊ तहहॊ जम्भे जो वऩए कत्थ सुच्ज्झही<br />

।।<br />

[१४५६] ककॊ फहुना गोमभा ! एत्थॊ दाऊणॊ आरोमणॊ ।<br />

उणहिइ जाराइ जाओ पु लसओ िा कत्थ सुच्ज्झही<br />

।।<br />

[१४५७]ककॊ फहुना गोमभा ! एत्थॊ दाऊणॊ आरोमणॊ ।<br />

िाउकामॊ उदीयेज्जा कत्थॊ गॊतुॊ स सुच्ज्झही ।।<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

[१४५८] ककॊ फहुना गोमभा ! एत्थॊ दाउणॊ आरोमणॊ ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [133] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


जो हरयम-तणॊ ऩुप्पॊ िा परयसे कत्थॊ स सुच्ज्झही<br />

।।<br />

[१४५९] ककॊ फहुना गोमभा ! एत्थॊ दाऊणॊ आरोमणॊ ।<br />

अक्कभई फीम-कामॊ जो कत्थॊ गॊतु स सुच्ज्झही ।।<br />

[१४६०] ककॊ फहुना गोमभा ! एत्थॊ दाऊणॊ आरोमणॊ ।<br />

विमलरॊदी-बफ-नत-चउ-ऩॊचेहदम ऩरयमािेजो कत्थ स सुच्ज्झही ।।<br />

[१४६१] ककॊ फहुना गोमभा ! एत्थॊ दाऊणॊ आरोमणॊ ।<br />

छक्काए जो न यक्खेज्जा सुहुभे कत्थ स सुच्ज्झही<br />

।।<br />

[१४६२] ककॊ फहुना गोमभा ! एत्थॊ दाऊणॊ आरोमणॊ ।<br />

तस-थािये जो न यक्खे कत्थॊ गॊतुॊ स सुच्ज्झही ।।<br />

[१४६३] आरोइम-ननॊदम-गयहहओ वि कम-ऩामच्छछत्त-नीसल्रो ।<br />

उत्तभ-ठाणच्म्भ हठओ ऩुढिायॊबॊ ऩरयहयेज्जा ।।<br />

[१४६४] आरोइम-ननॊहदम गयहहओ वि कम-ऩामच्छछत्त-नीसल्रो ।<br />

उत्तभ-ठाणच्म्भ हठओ जोईए भा पु सािेज्जा ।।<br />

[१४६५] आरोइम-ननॊहदम-गयहहओ वि कम-ऩामच्छछत्त सॊविग्गो ।<br />

उत्तभ ठाणच्म्भ हठओ भा विमािेज्ज अत्ताणॊ ।।<br />

[१४६६] आरोइम-ननॊहदम-गयहहओ वि कम ऩामच्छछत्तॊ सॊविग्गो ।<br />

नछन्नॊ वऩ तणॊ हरयमॊ असई भनगॊ भा परयसे ।।<br />

[१४६७] आरोइम-ननॊहदम-गयहहओ वि कम ऩामच्छछत्तॊ सॊविग्गो ।<br />

उत्तभ ठाणच्म्भ हठओ जािज्जीिॊ वऩ एतेलसॊ ।।<br />

[१४६८] फेइॊहदम-तेइॊहदम-चउयो ऩॊचेंहदमाण जीिाणॊ ।<br />

सॊघट्ण-ऩरयमािण ककरािणोद्िण भा कासी ।।<br />

[१४६९] आरोइम-ननॊहदम-गयहहओ वि कम-ऩामच्छछत्त सॊविग्गो ।<br />

उत्तभ ठाणच्म्भ हठओ सािज्जॊ भा बणणज्जासु ।।<br />

[१४७०] आरोइम-ननॊहदम-गयहहओ वि कम-ऩामच्छछत्त सॊविग्गो ।<br />

रोमटॎेण वि बूई गहहमा गगहह उच्क्खविउऽहदन्ना ।।<br />

[१४७१] आरोइम-ननॊहदम-गयहहओ वि कम-ऩामच्छछत्त सॊविग्गो ।<br />

जो इच्त्थॊ सॊरिेज्जा गोमभा ! कत्थ स सुच्ज्झही ।।<br />

[१४७२] आरोइम-ननॊहदम-गयहहओ वि कम-ऩामच्छछत्त नीसल्रो ।<br />

चोद्स-धम्भुिगयणॊ उड्ढॊ भा ऩरयग्गहॊ कु ज्जा ।।<br />

[१४७३] तेलसॊ वऩ ननम्भभत्तो अभुच्छछओ अगहढओ दढॊ हविमा ।<br />

अह कु ज्जा उ भभत्तॊ ता सुदॎी गोमभा ! नच्त्थ ।।<br />

[१४७४] ककॊ फहुना गोमभा ! एत्थ दाऊण आरोमणॊ ।<br />

यमणीए आविए ऩाणॊ कत्थ गॊतुॊ स सुच्ज्झही ।।<br />

अज्झमणॊ-७ / चूलरका-१<br />

[१४७५]आरोइम-ननॊहदम-गयहहओ वि कम-ऩामच्छछत्त नीसल्रो ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [134] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


छाइक्कभे न यक्खे जो कत्थ सुवदॎॊ रबेज्ज सो ।।<br />

[१४७६] अप्ऩसत्थे म जे बािे ऩरयणाभे म दारुणे ।<br />

ऩाणाइिामस्स िेयभणे एस ऩढभे अइक्कभे ।।<br />

[१४७७]नतव्ि-यागा म जा बासा ननटॎुय-खय-परुस-कक्कसा ।<br />

भुसािामस्स िेयभणे एस फीए अइक्कभे ।।<br />

[१४७८] उग्गहॊ अजाइत्ता अगचमत्तच्म्भ अिग्गहे ।<br />

अदत्तादानस्स िेयभणे एस तइए अइक्कभे ।।<br />

[१४७९] सद्ा रूिा यसा गॊधा पासाणॊ ऩविमायणे ।<br />

भेहुणस्स िेयभणे एस चउत्थ अ इक्कभे ।।<br />

[१४८०] इछछा भुछछा म गेही म कॊ खा रोबे म दारुणे ।<br />

ऩरयग्गहस्स िेयभणे ऩॊचभगे साइक्कभे ।।<br />

[१४८१] अइलभत्ताहायहोइत्ता सूय-खेत्तच्म्भ सॊककये ।<br />

याई-बोमणस्स िेयभणे एस छटॎे अइक्कभे ।।<br />

[१४८२] आरोइम-ननॊहदम-गयहहओ वि कम-ऩामच्छछत्त नीसल्रो ।<br />

जमणॊ अमाणभाणो बि-सॊसाये बभे जहा सुसढो ।।<br />

[१४८३] बमिॊ ! को उण सो सुसढो कमया िा सा जमणा जॊ अजाणभाणस्स णॊ तस्स<br />

आरोइम-ननॊहदम गयहहओ वि कम-ऩामच्छछत्तस्सा वि सॊसायॊ नो विननहटॎमॊ नत गोमभा ! जमणा नाभ<br />

अटॎायसणहॊ सीरॊग सहस्साणॊ सत्तयस्स-विहस्स णॊ सॊजभस्स चोद्सणहॊ बूम-गाभाणॊ तेयसणहॊ ककरयमा-<br />

ठाणाणॊ सफज्झब्बॊतयस्स णॊ दुिारस-विहस्स णॊ तिोणुटॎाणस्स दुिारसाणॊ, लबक्खू-ऩडडभाणॊ दसविहस्स णॊ<br />

सभणधम्भस्स निणहॊ चेि फॊबगुत्तीणॊ अटॎणहॊ तु ऩिमण-भाईणॊ सत्तणहॊ चेि ऩानवऩॊडेसणाणॊ छणहॊ तु<br />

जीिननकामाणॊ ऩॊचणहॊ तु भहव्िमाणॊ नतणहॊ तु चेि गुत्तीणॊ ।<br />

जाि णॊ नतणहभेि सम्भद्ॊसण-नाण-चरयत्ताणॊ नतणहॊ तु लबक्खू कॊ ताय-दुच्ब्बक्खामॊकाईसु णॊ<br />

सुभहासभुप्ऩन्नेसु अॊतोभुहुत्तािसेस-कॊ ठग्गम-ऩाणेसुॊ वऩ णॊ भनसा वि उ खॊडणॊ वियाहणॊ न कयेज्ज न<br />

कायिेज्जा न सभणुजाणेज्जा जाि णॊ नायबेज्जा न सभायबेज्जा जािज्जीिाए च्त्त । से णॊ जमणाए<br />

बत्ते, से णॊ जमणाए धुिे, से णॊ जमणाए दक्खे, से णॊ जमणाए-विमाणे, च्त्त ।<br />

गोमभा सुसढस्स उ णॊ भहती सॊकहा ऩयभ-विम्हम-जननी म ।<br />

० सत्तमं अज्झयणं – [ऩढमा चूमऱया] समत्तं ०<br />

० अट्ठमं अज्झयणं-बबइया चूमऱया ०<br />

[१४८४] से बमिॊ ! के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ ते णॊ कारे णॊ ते णॊ सभएणॊ सुसढनाभधेज्जे<br />

अनगाये हबूमिॊ । तेणॊ च एगेगस्स णॊ ऩक्खस्सॊतो ऩबूम-टॎाणणओ आरोमणाओ विहदन्नाओ सुभहॊताइॊ<br />

च । अछचॊत-घोय-सुदुक्कयाइॊ ऩामच्छछत्ताणॊ सभणुगचन्नाइॊ । तहा वि तेणॊ वियएणॊ विसोहहऩमॊ न सभुिरदॎॊ<br />

नत एतेणॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ ।<br />

अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

से बमिॊ! के रयसा उ णॊ तस्स सुसढस्स ित्तव्िमा गोमभा ! अच्त्थ इहॊ चेि बायहेिासे<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [135] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अिॊती नाभ जनिओ, तत्थ म सॊफुक्के नाभॊ खेडगे । तॊलभ म जम्भदरयद्े ननम्भेये ननच्क्किे ककविणे<br />

ननयनुकॊ ऩे अइकू ये ननक्करुणे ननच्त्तॊसे योद्े चॊडयोद्े ऩमॊड-दॊडे ऩािे अलबग्गहहम-लभछछाहदटॎी अनुछचरयम-<br />

नाभधेज्जे सुज्जलसिे नाभ गधज्जाई अहेलस । तस्स म धूमा सुज्जलसयी । सा म अऩरयतुलरम समर-<br />

नतहुमण-नय-नारयगणा रािणण-कॊ नत-हदच्त्त-रूि-सोहग्गाइसएणॊ अनोिभा अत्तगा, तीए अन्नबिॊतयच्म्भ<br />

इणभो हहमएण दुच्छचॊनतमॊ अहेलस जहा णॊ सोहणॊ हिेज्जा जइ णॊ इभस्स फारगस्स भामा िािज्जे, तओ<br />

भज्झ असिक्कॊ बिे । एसो म फारगो दुज्जीविओ बिइ, ताहे भज्झ सुमस्स म यामरछछी ऩरयणभेज्ज<br />

च्त्त, तक्कम्भ-दोसेणॊ तु जामभेत्ताए चेि ऩॊचत्तभुिगमा जननी ।<br />

तओ गोमभा ! ते णॊ सुज्झलसिेणॊ भहमा ककरेसेणॊ छॊदभायाहभाणेणॊ फहूणॊ अहहनि-ऩसूम-<br />

जुितीणॊ धयाधरयॊ थन्नॊ ऩाऊणॊ जीिाविमा सा फालरमा । अहन्नमा जाि णॊ फार-बािभुच्त्तन्ना सा<br />

सुज्जलसयी ताि णॊ आगमॊ अभामा-ऩुत्तॊ भहायोयिॊ दुिारस-सॊिछछरयमॊ दुलबक्खॊ नत, जाि णॊ पे ट्ापे ट्ीए<br />

जाउभायदॎे समरे वि णॊ जनसभूहे ।<br />

अहणणमा फहु-हदिस-खुहत्तेणॊ विसामभुिगएणॊ तेन गचॊनतमॊ जहा- ककभेमॊ िािाइऊणॊ<br />

सभुहद्सालभ ककॊ िा णॊ इभीए ऩोग्गरॊ विच्क्कणणऊणॊ चेि अन्नॊ ककॊ गचवि िणणभग्गाओ ऩडडगाहहत्ताणॊ ऩाण-<br />

विच्त्तॊ कयेलभ नो णॊ अन्ने के इ जीि-सॊधायणोिाए सॊऩमॊ भे हिेज्ज च्त्त, अहिा हदॎी हा हा न<br />

जुत्तलभणॊ नत, ककॊ तु जीिभाणणॊ चेि विच्क्कणालभ च्त्त, गचॊनतऊणॊ विच्क्कमा सुज्जलसयी भहा-रयदॎी-जुमस्स<br />

चोद्स-विज्जा-टॎाण-ऩायगमस्स णॊ भाहण-गोविॊदस्स गेहे । तओ फहु-जनेहहॊ गध-दॎी सद्ोिहओ तॊ देसॊ<br />

ऩरयगचछचाणॊ गओ अन्न-देसॊतॊय सुज्जलसिो, तत्था वि णॊ ऩमट्ो सो, इत्थेि विणणाणे, जाि णॊ अन्नेलस<br />

कन्नगाओ अिहरयत्ताणॊ अिहरयत्ताणॊ अनत्थ विक्कणणऊणॊ चाभेलरमॊ सुज्जलसिेण फहुॊ दविण-जामॊ ।<br />

एमािसयच्म्भ उ सभइक्कॊ ते साइयेगे अटॎ-सॊिछछये दुच्ब्बक्खस्स जाि णॊ विमलरमभसेसविहिॊ<br />

तस्सावि णॊ गोविॊद-भाहणस्स । तॊ च विमाणणऊणॊ विसामभुिगएणॊ गचॊनतमॊ गोमभा ! ते णॊ गोविॊद-<br />

भाहणेणॊ जहा णॊ होही सॊघायकारॊ भज्झ कु डुॊफस्स, नाहॊ विसीमभाणे फॊधिे खणदॎभवि दटॎूणॊ सक्कु णोलभ ।<br />

ता ककॊ कामव्िॊ सॊऩमभम्हेहहॊ नत, गचॊनतमभाणस्सेि आगमा गोउराहहिइणो बज्जा खइमग<br />

-विच्क्कणत्थॊ तस्स गेहे जाि णॊ गोविॊदस्स बज्जाए तॊडुर-भल्रगेणॊ ऩडडगाहहमाओ चउयो घन-विगइ-भीस-<br />

खइमगॊ गोलरमाओ तॊ च ऩडडगाहहमभेत्तभेि ऩरयबुत्तॊ डडॊबेहहॊ ।<br />

बणणमॊ च भहमयीए जहा णॊ- बहट्दारयगे ऩमछछाहह णॊ तभम्हाणॊ तॊदुर-भल्रगॊ गचयॊ िट्े<br />

जेणम्हे गोउरॊ िमाभो । तओ सभाणत्ता गोमभा ! तीए भाहणीए सा सुज्जलसयी जहा णॊ हरा तॊ जॊ<br />

अम्हाण नयिइणा ननसािमॊ ऩहहमॊ ऩेहहमॊ तत्थ जॊ तॊ तॊदुर-भल्रगॊ तभाणेहहॊ रहुॊ जेणाहलभभीए ऩमछछालभ,<br />

जाि ढुॊहढऊण नीहरयमा भॊहदयॊ सा सुज्जलसयी, नोिरदॎॊ तॊदुर-भल्रगॊ । साहहमॊ च भाहणीए, ऩुणो वि<br />

बणणमॊ भाहणीए जहा- हरा अभुगॊ अभुगॊ थाभणुद्ुमा अन्नेलसऊणभाणहहॊ । ऩुणो वि ऩइट्ा अलरॊदगे जाि<br />

णॊ न ऩेछछे ताहे सभुहटॎमा समभेि सा भाहणी ।<br />

जाि णॊ तीए वि न हदटॎॊ तओ णॊ सुविच्म्हम-भानसा ननउणॊ अन्नेलसउॊ ऩमत्ता जाि णॊ<br />

ऩेछछे गणणगा-सहामॊ ऩढभसुमॊ ऩइरयक्के ओदनॊ सभुहद्सभाणॊ तेणावि ऩडडदटॎुॊ जननीॊ आगछछभाणी गचॊनतमॊ<br />

अहन्नेणॊ जहा, णॊ चलरमा अम्हाणॊ ओमणॊ अिहरयउकाभा ऩामभेसा, ता जइ इहासन्नाभागच्छछही<br />

अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

तओ अहभेमॊ िािाइस्सालभ च्त्त गचॊनतमॊ तेणॊ बणणमा दूयासन्ना चेि भहाम सद्ेणॊ सा भाहणी जहा णॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [136] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


बहट्दायगे जइ तुॊ इहमॊ सभागच्छछहहलस तओ भा एिॊ तॊ िोच्छचमा जहा णॊ नो ऩरयकहहमॊ, ननछछमॊ अहमॊ<br />

ते िािाइस्सालभ ।<br />

एिॊ च अननटॎ-िमणॊ सोछचाणॊ िज्जासणण-ऩहमा इि धस च्त्त भुच्छछऊणॊ ननिडडमा धयणण-<br />

िटॎे गोमभा ! सा भाहणी च्त्त । तओ णॊ तीए भहमरयए ऩरयिालरऊणॊ कॊ गच कारक्खणॊ िुत्ता<br />

सा सुज्जलसयी जहा णॊ हरा हरा कणणगे, अम्हाणॊ गचयॊ िट्े, ता बणसु लसग्घॊ ननमजनननॊ जहा णॊ<br />

एह रहुॊ, ऩमछछसु तभम्भहाणॊ तॊदुर-भल्रगॊ । अहा णॊ तॊदुर-भल्रगॊ विप्ऩणटॎॊ तओ णॊ भुग्ग-भल्रगभेि<br />

ऩमछछसु । ताहे ऩविटॎा सा सुज्जलसरय अलरॊदगे जाि णॊ दटॎूणॊ तभित्थॊतयगमॊ ननछचेटॎॊ भुच्छछयॊ तॊ भाहणी<br />

भहमा हा-हा खेणॊ धाहाविउॊ ऩमत्ता सा सुज्जलसरय । तॊ चामच्न्नऊणॊ सह ऩरयिग्गेणॊ िाइओ सो भाहणो<br />

भहमयी म । तओ ऩिनजरेणॊ आसालसऊणॊ ऩुटॎा सा तेहहॊ जहा बहट्दायगे ! ककभेमॊ ककभेमॊ नत ।<br />

तीए बणणमॊ, जहा णॊ भा भा अत्ताणगॊ दयभएणॊ दीहेणॊ खािेह, भा भा विगम-जराए<br />

सयीयए िुब्बेह, भा भा अयज्जुएहहॊ ऩासेहहॊ ननमॊनतए भज्झाभाहेणाणप्ऩेह जहा णॊ ककर एस ऩुत्ते एसा धूमा<br />

एस णॊ नत्तुगे एसा णॊ सुणहा एस णॊ जाभाउगे एसा णॊ भामा एस णॊ जनगे एसो बत्ता एस णॊ इटॎे<br />

लभटॎे-वऩए-कॊ ते सुही-समण-लभत्त-फॊधु-ऩरयिग्गे । इहइॊ ऩछचक्खभेिेमॊ वि हदटॎे अलरम-भलरमा चेिेसा<br />

फॊधिासा स-कज्जत्थी चे सॊबमए रोओ ऩयभत्थओ न के इ सुही । जाि णॊ सकज्जॊ ताि णॊ भामा ताि णॊ<br />

जनगे, ताि णॊ धूमा ताि णॊ जाभाउगे ताि णॊ नत्तुगे ताि णॊ ऩुत्ते ताि णॊ सुणहा ताि णॊ कॊ ता ताि णॊ<br />

इटॎे लभटॎे वऩए कॊ ते सुही-समण-जन-लभत्त-फॊधु-ऩरयिग्गे । सकज्जलसदॎी वियहेणॊ तु न कस्सई काइ भामा,<br />

न कस्सई के इ जनगे न कस्सई काइ धूमा न कस्सई के इ जाभाउगे न कस्सई के इ ऩुत्ते न कस्सई काइ<br />

सुणहा न कस्सई के इ बत्ता न कस्सई के इ कॊ ता न कस्सई के इ इटॎे लभटॎे वऩए-कॊ ते-सुही-समणजन-लभत्त-<br />

फॊधु-ऩरयिग्गे ।<br />

जे णॊ ता ऩेछछ ऩेछछ भए अनेगोिाइमसउरदॎे साइयेग-नि-भासे कु छछीए वि धारयऊणॊ च<br />

अनेग-लभटॎ-भहुय-उलसण-नतक्ख-गुलरम-सणणदॎ-आहाय-ऩमाण-लसणाण-उव्िट्ण-धूमकयण-सॊफाहण-थन्न-<br />

ऩमाणाईहह णॊ एभहॊत-भनुस्सीकए जहा ककर अहॊ ऩुत्त-यज्जच्म्भ ऩुणण ऩुणण-भनोयहा सुहॊ सुहेण<br />

ऩणइमण-<br />

ऩूरयमासा कारॊ गलभहालभ, ता एरयसॊ-एमॊ िइमयॊ नत । एमॊ च नाऊणॊ भा धिाईसुॊ कयेह खणदॎभवि अणुॊ वऩ<br />

ऩडडफॊधॊ । जहा णॊ इभे भज्झ सुए सॊिुत्ते तहा णॊ गेहे गेहे जे के इ बूए, जे के ई िट्ॊनत जे के ई बविॊसु सुए<br />

तहा वि एरयसे वि फॊधु-िग्गे । के िरॊ तु स-कज्ज-रुदॎे चेि घडडमा-भुहुत्त-ऩरयभाणभेि कॊ गच कारॊ बएज्जा<br />

िा, ता बो बो जना न ककॊ गच कज्जॊ एतेणॊ कारयभ-फॊधु-सॊताणेणॊ अनॊत-सॊसाय-घोय-दुक्ख-ऩदामगेणॊ नत एगे<br />

चेिाहच्न्नसानुसभमॊ सममॊ सुविसुदॎासए बमह धम्भे ।<br />

धम्भे म णॊ इटॎे वऩए कॊ ते ऩयभत्थे सुही-समण-जन-लभत्त-फॊधु-ऩरयिग्गे । धम्भे म णॊ<br />

हहहटॎकये धम्भे म णॊ ऩुहटॎकये धम्भे म णॊ फरकये धम्भे म णॊ उछछाहकये धम्भे म णॊ ननम्भर-जस-<br />

ककत्तीऩसाहगे धम्भे म णॊ भाहप्ऩजनगे धम्भे म णॊ सुटॎु-सोक्ख-ऩयॊऩयदामगे, से णॊ सेव्िे से णॊ<br />

आयाहणणज्जे से म णॊ ऩोसणणज्जे से म णॊ ऩारणणज्जे से म णॊ कयणणज्जे से म णॊ चयणणज्जे से म णॊ<br />

अनुटॎणणज्जे से म णॊ उिइस्सणणज्जे से म णॊ कहणणज्जे से म णॊ बणणणज्जे से म णॊ ऩन्निणणज्जे से<br />

अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [137] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


म णॊ कायिणणज्जे, से म णॊ धुिे सासए अक्खए अव्िए समर-सोक्ख-ननहीधम्भे, से म णॊ अरज्जणणज्जे,<br />

से म णॊ अउर-फर-िीरयए सरयम-सत्त-ऩयक्कभ-सॊजुए ऩिये िये इटॎे वऩमे कॊ ते दइए समर-दुक्ख-दारयद्-<br />

सॊतािुव्िेग अमस अब्बक्खाण जम्भ-जया-भयणाइ असेस-बम-ननन्नासगे, अनन्न-सरयसे सहाए तेरोक्के -<br />

क्कसालभसारे ।<br />

ता अरॊ सुही-समण-जन-लभत्त-फॊधुगण-धण-धन्न-सुिणण-हहयणण-यमणोह-ननही-कोस-<br />

सॊचमाइ-सक्क-चाि-विज्जुरमाडोिचॊचराए, सुलभणणॊदजार-सरयसाए खण-हदटॎ-नटॎ-बॊगुयाए, अधुिाए<br />

असासमाए सॊसाय-िुड्हढ-कारयगाए, ननयमािमायहेउबूमाए सोग्गइ-भग्ग-विग्घ-दामगाए अनॊत-दुक्ख-ऩदामगाए<br />

रयदॎीए, सुदुल्रहा खरु बो धम्भस्स साहणी सम्भ-दॊसण-नाण-चारयत्तायाहणी ननरुत्ताइ-साभग्गी-अनियम-<br />

भहच्न्नसानुसभएहहॊ णॊ खॊड-खॊडेहहॊ तु ऩरयसडइ आउॊ , दढ-घोय-ननटॎुयासज्झॊ चॊडा जयासणणसच्न्निामा<br />

सॊचुच्णणए समजज्जयबॊडगे इि अककॊ गचकये बिइ उ हदमगानुहदमगेणॊ इभे तनू ककसर-दरग्ग-ऩरयसॊहठम-<br />

जर-बफॊदुलभिाकॊ डे, ननलभसदॎब्बतयेणेि रहुॊ ढरइ जीविए, अविढत्त-ऩयरोगऩत्थमणाणॊ तु ननप्परे चेि<br />

भनुमजम्भे, ता बो न खभे तनुतनुमतये वि ईलसॊवऩ ऩभाए ।<br />

जओ णॊ एत्थॊ खरु सव्िकारभेि सभसत्तु-लभत्त-बािेहहॊ बिेमव्िॊ-अप्ऩभत्तेहहॊ च ऩॊच<br />

भहव्िए धारयमव्िे । तॊ जहा-कलसणऩाणाइिामवियती, अणलरम-बालसत्तॊ दॊत-सोहणभेत्तस्सवि अहदन्नस्स<br />

िज्जणॊ भनो िइ-काम-जोगेहहॊ तु अखॊडडम-अवियाहहम-नि-गुत्ती-ऩरयिेहढमस्स णॊ ऩय-ऩवित्तस्स<br />

सव्िकारभेि दुदॎय फॊबचेयस्स धायणॊ, ित्थ-ऩत्तॊ सॊजभोिगयणेसुॊ वऩ ननम्भत्तमा असन-ऩाणाईणॊ तु<br />

चउच्व्िहेणेि याईबोमणछचाओ, उग्गभुप्ऩामणे ऽसणाईसु णॊ सुविसुदॎवऩॊडग्गहणॊ सॊजोमणाइ-ऩॊच-दोस-<br />

वियहहतएणॊ ऩरयलभएणॊ कारे लबन्ने ऩॊच-सलभनत-विसोहणॊ नत-गुत्ती-गुत्तमा इरयमा-सलभईभाइओ बािनाओ<br />

अनसनाइतिोिहाणाणुटॎाणॊ भासाइलबक्खु-ऩडडभाओ, विगचत्ते दव्िाई अलबग्गह,<br />

अहो णॊ बूभी समणे के सरोए ननप्ऩडडकम्भ-सयीयमा सव्ि-कारभेि गुरुननओगकयणॊ, खुहा-<br />

वऩिासाइ ऩरयसहहहमासणॊ हदव्िाइउिसग्गविजओ रदॎािरदॎविच्त्तमा, ककॊ फहुना अछचॊत-दुव्िहे बो<br />

िहहमव्िे अिीसाभॊतेहहॊ चेि लसरयभहाऩुरयसत्तिूढे अटॎायस-सीरॊग-सहस्सबाये, तरयमव्िे म बो फाहाहहॊ<br />

भहासभुद्े, अविसाईहहॊ च णॊ बो बच्क्खमव्िे, ननयासाए िारुमाकिरे ऩरयसक्के मव्िॊ च बो<br />

ननलसमसुनतक्खदारुण कयिारधायाए ऩामव्िा म णॊ बो सुहुम हुमिह जारािरी बयीमव्िे णॊ बो सुहुभ-<br />

ऩिण-कोत्थरगे, गलभमव्िॊ च णॊ बो गॊगा-ऩिाह-ऩडडसोएणॊ, तोरेमव्िॊ बो साहस-तुराए भॊदय-गगयॊ, जेमव्िे<br />

म णॊ बो एगागगएहहॊ चेि धीयत्ताए सुदुज्जए चाउयॊग-फरे, विॊधेमव्िा णॊ बो ऩयोप्ऩय-विियीम-बभॊत-अटॎ-<br />

चक्कोिरयॊ िाभच्छछच्म्भ उ धीउच्ल्रमा, गहेमव्िा णॊ बो समर-नतहुमण-विजमा ननम्भरा जस-ककच्त्त-जम<br />

ऩडागा ।<br />

ता बो बो! जना एमाओ धम्भाणुटॎाणाओ सुदुक्कयॊ नच्त्थ ककॊ गच भन्नॊ नत ।<br />

[१४८५] फुज्झॊनत नाभ बाया ते च्छचम उज्झॊनत िीसभॊतेहहॊ ।<br />

सीर-बयो अइगरुओ जािज्जीिॊ अविस्साभो ।।<br />

[१४८६] ता उच्ज्झऊण ऩेम्भॊ घयसायॊ ऩुत्त-दविणभाईमॊ ।<br />

नीसॊगा अविसाई ऩमयह सव्िुत्तभॊ धम्भॊ ।।<br />

[१४८७] नो धम्भस्स बडक्का उक्कॊ चण-िॊचणा च ििहायो ।<br />

ननछछम्भो बो धम्भो भामादी-सल्र-यहहओ हु ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [138] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

[१४८८] बूएसु जॊगभत्तॊ तेसु वि ऩॊचेंहदमत्तभुक्कोसॊ ।<br />

तेसु वि म भानुसत्तॊ भनुमत्ते आरयओ देसो ।।<br />

[१४८९] देसे कु रॊ ऩहाणॊ कु रे ऩहाणे म जाई-भुक्कोसा ।<br />

तीए रूि-सलभदॎी रूिे म फरॊ ऩहाणमयॊ ।।<br />

[१४९०] होइ फरे गचम जीमॊ जीए म ऩहाणमॊ तु विणणाणॊ ।<br />

विणणाणे सम्भत्तॊ सम्भत्ते सीर-सॊऩती ।।<br />

[१४९१] सीरे खाइम-बािो खाइम-बािे म के िरॊ नाणॊ ।<br />

के िलरए ऩडडऩुन्ने ऩत्ते अमयाभयो भोक्खो ।।<br />

[१४९२] न म सॊसायच्म्भ सुहॊ जाइ-जया-भयण-दुक्ख-गहहमस्स ।<br />

जीिस्स अच्त्थ जम्हा तम्हा भोक्खो उिाओ उ ।।<br />

[१४९३] आहहॊडडऊण सुइयॊ अनॊतहुत्तो हु जोणण-रक्खेसु ।<br />

तस्साहण-साभग्गी ऩत्ता बो बो फहू इच्णहॊ ।।<br />

[१४९४] ता एत्थ जॊ न ऩत्तॊ तदत्थ बो उज्जभॊ कु णह तुरयमॊ ।<br />

विफुह-जन-ननॊहदमलभणॊ उज्झह सॊसाय-अनुफॊधॊ ।।<br />

[१४९५] रहहउॊ बो धम्भसुइॊ अनेग बिकोडड रक्खेसु वि दुल्रहॊ ।<br />

जइनाणुटॎह सम्भॊ ता ऩुनयवि दुल्रहॊ होही ।।<br />

[१४९६] रदॎेच्ल्रमॊ च फोहहॊ जो नाणुटॎे अनागमॊ ऩत्थे ।<br />

सो बो अन्नॊ फोहहॊ रहहही कमयेणॊ भोल्रेण ।।<br />

[१४९७] जाि णॊ ऩुव्ि-जाइ-सयण-ऩछचएणॊ सा भाहणी इमॊ िागयेइ ताि णॊ गोमभा !<br />

ऩडडफुदॎभसेसॊ वऩ फॊधुमणॊ फहु-नागय-जनो म । एमािसयच्म्भ उ गोमभा ! बणणमॊ सुविहदम-सोग्गइ-ऩहेणॊ<br />

तेणॊ गोविॊदभाहणेणॊ जहा णॊ गधवदॎवदॎ िॊगचए एमािॊतॊ कारॊ जतो िमॊ भूढे ! अहो णु कटॎभन्नाणॊ<br />

दुच्व्िन्नेमभबागगधज्जेहहॊ खुद्-सत्तेहहॊ अहदटॎ-घोरुग्ग-ऩयरोग-ऩछचिाएहहॊ-अतलबननविटॎ-हदटॎीहहॊ-ऩक्खिाम-<br />

भोह-सॊधुच्क्कम-भानसेहहॊ याग-दोसो-िहमफुवदॎहहॊ ऩयॊ तत्तधम्भॊ ! अहो सज्जीिेणेि ऩरयभुलसए<br />

एिइमॊ कार-सभमॊ । अहो ककभेस णॊ ऩयभप्ऩा बारयमा-छरेणालस उ भज्झ गेहे, उदाहु णॊ जो सो<br />

ननच्छछओ भीभॊसएहहॊ सव्िन्नू सोच्छच, एस सूरयए इि सॊसम-नतलभयािहारयत्ता णॊ रोगािबासे भोक्ख-भग्ग-<br />

सॊदरयसणत्थॊ समभेि ऩामडीहूए <br />

अहो भहाइसमत्थ-ऩसाहगाओ भज्झॊ दइमाए िामाओ बो बो ! जणणमत्त-विणहुमत्त-<br />

जन्नदेि-विस्सालभत्त-सुलभछचादओ भज्झॊ अॊगमा अब्बुटॎाणारयहा ससुयासुयस्सा वि णॊ जगस्स एसा तुम्ह<br />

जननन च्त्त बो बो ! ऩुयॊदय-ऩलबतीओ खॊडडमाओ विमायह णॊ सोिज्झाम-बारयमाओ जगत्तमानॊदाओ<br />

कलसण-ककच्व्िस-ननद्हण-सीराओ िामाओ । ऩसणणोज्ज तुम्ह गुरू, आयाहणेक्क-सीराणॊ ऩयभप्ऩॊ फरॊ<br />

जजण-जामण-ज्झमणाइणा छक्कम्भालबसॊगेणॊ तुरयमॊ विणणच्ज्जणेह ऩॊचेंहदमाणण ऩरयछचमह णॊ कोहाइए ऩािे<br />

विमाणेह णॊ अभेज्झाइजॊफार-ऩॊक-ऩडडऩुन्ना असुती करेिये, ऩविसाभो िणॊतॊ ।<br />

इछचेिॊ अनेगेहहॊ िेयग्गजननेहहॊ सुहालसएहहॊ िागयभाणॊ तॊ चोद्स-विज्जा-ठाण-ऩायगॊ बो<br />

गोमभा! गोविॊद-भाहणॊ सोऊण अछचॊत-जम्भ-जया-भयण-बीरुणो फहिे सप्ऩुरयसे सव्िुत्तभॊ धम्भॊ विभरयलसउॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [139] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

सभायदॎे । तत्थ के इ िमॊनत जहा एस धम्भो ऩियो । अन्ने बणॊनत जहा एस धम्भो ऩियो जाि णॊ सव्िेहहॊ<br />

ऩभाणीकमा गोमभा ! सा जातीसया भाहणण च्त्त । ताहे तीए म सॊऩिक्खामभहहॊसोिच्क्खमभसॊहददॎॊ खॊताइ-<br />

दस-विहॊ सभण-धम्भॊ हदटॎॊत-देऊहहॊ च ऩयभऩछचमॊ विनीमॊ तेलसॊ तु । तओ म ते तॊ भाहणण सव्िणणूलभनत<br />

काऊणॊ सुयइम-कय-कभरॊजलरणो सम्भॊ ऩणलभऊणॊ गोमभा ! तीए भाहणीए सवदॎॊ अदीनभानसे फहिे नय-<br />

नारय-गणा चेछचाणॊ सुहहम-जन-लभत्त-फॊधु-ऩरयिग्ग-गगह-विहि-सोक्खभप्ऩ-कालरमॊ ननक्खॊते सासम-सोक्ख-<br />

सुहाहहरालसणो सुननच्छछमभानसे सभणत्तेण समर-गुणोह-धारयणो चोद्स-ऩुव्िधयस्स चरयभ-सयीयस्स णॊ<br />

गुणॊधय-थवियस्स णॊ समासे च्त्त । एिॊ च ते गोमभा ! अछचॊत-घोय-िीय-ति-सॊजभानुटॎाण-सज्झाम-झाणाईसुॊ<br />

णॊ असेस-कम्भक्खमॊ काऊणॊ तीए भाहणीए सम्भॊ विहुम-यम-भरे लसदॎे गोविॊदभाहणादओ नय-नारयगणे<br />

सव्िे िी भहामसे, च्त्त फेलभ ।<br />

[१४९८] से बमिॊ ! ककॊ ऩुण काऊणॊ एरयसा सुरह-फोही जामा सा सुगहहमनाभधेज्जा भाहणी<br />

जीए एमािइमाणॊ बव्ि-सत्ताणॊ अनॊत-सॊसाय-घोय-दुक्ख-सॊतत्ताणॊ सदॎम्भ-देसणाईहहॊ तु सासम-सुह-<br />

ऩमाणऩुव्िगभब्बुदॎयणॊ कमॊ नत । गोमभा ! जॊ ऩुच्व्िॊ सव्ि-बाि-बािॊतयॊतयेहहॊ णॊ नीसल्रे आजम्भारोमणॊ<br />

दाऊणॊ सुदॎबािाए जहोिइटॎॊ ऩामच्छछत्तॊ कमॊ ऩामच्छछत्तसभत्तीए म सभाहहए म कारॊ काऊणॊ सोहम्भे<br />

कप्ऩे सुरयॊदग्गभहहसी जामा तभनु-बािेणॊ ।<br />

से बमिॊ ! ककॊ से णॊ भाहणी जीिे तब्बिॊतयॊलभ सभणी ननग्गॊथी अहेलस जे णॊ<br />

नीसल्रभारोएत्ता णॊ जहोिइटॎॊ ऩामच्छछत्तॊ कमॊ नत । गोमभा ! जे णॊ से भाहणी जीिे से णॊ तज्जम्भे<br />

फहुरवदॎलसदॎी जुए भहहड्ढीमत्ते समरगुणाहायबूए उत्तभ-सीराहहहटॎम-तनू भहातिस्सी जुगप्ऩहाणे सभणे<br />

अनगाये गछछाहहिई अहेलस नो णॊ सभणी ।<br />

से बमिॊ ता कमयेणॊ कम्भ-वििागेणॊ तेणॊ गछछाहहिइणा होऊणॊ ऩुणो इच्त्थत्तॊ सभच्ज्जमॊ<br />

नत गोमभा ! भामा ऩछचएणॊ । से बमिॊ ! कमयेणॊ से भामा ऩछचए जे णॊ ऩमणू-कम-सॊसाये वि समर-<br />

ऩािाममणा विफुह-जन-ननॊहदए सुयहह-फहु-दव्ि-घम-खॊड-चुणण-सुसॊकरयम-सभबाि-ऩभाण-ऩाग-ननप्पन्न-<br />

भोमग-भल्रगे-इि-सव्िस्स बक्खे समर-दुक्ख-के साणणभारए समर-सुह-साहणस्स ऩयभऩवित्तुभस्स णॊ<br />

अहहॊसा-रक्खण-सभण-धम्भस्स विग्घे, सग्गराननयमदाय-बूए समर-अमस-अककत्ती-करॊक-कलर-करह-<br />

िेयाइ-ऩाि-ननहाणे, ननम्भर-कु रस्स णॊ दुदॎरयस-अकज्ज-कज्जर-कणहभसी-खॊऩणे, ते णॊ गछछाहहिइणा<br />

इत्थीबािे ननव्िच्त्तए च्त्त ।<br />

गोमभा! नो तेणॊ गछछाहहिइत्ते अनुभवि भामा कमा, से णॊ तमा ऩुहईिई चक्कहये<br />

बवित्ताणॊ ऩयरोग-बीरूए ननच्व्िणण-काभ-बोगे तणलभि ऩरयगचछचाणॊ तॊ तारयसॊ चोद्स-यमण-निननहीतो,<br />

चोसटॎी सहस्से ियजुिईणॊ फत्तीसॊ साहस्सीओ अणािइ वि िय-नरयॊद-छन्नउई गाभ-कोडडओ जाि णॊ छ<br />

खॊड-बयहिासस्स णॊ देविॊदोिभॊ भहायाम-रछछीत्तीमॊ फहुऩुन्न-चोइए नीसॊगे ऩव्िइए म थेिेणेि कारेणॊ<br />

समर-गुणोहधायी भहातिस्सी सुमहये जाए । जोग्गे नाऊणॊ सगुरुहहॊ गछछाहहिई सभणुणणाए, तहहॊ च<br />

गोमभा! ते णॊ सुहदटॎ-सुग्गई-ऩहेणॊ जहोिइटॎॊ सभण-धम्भॊ सभनुटॎेभाणेणॊ उग्गालबग्गह-विहायत्ताए घोय-<br />

ऩरयसहोिसग्गाहहमासणेणॊ याग-द्ोस-कसाम-वििज्जणेणॊ आगभानुसायेणॊ तु विहीए गणऩरयिारणेणॊ, आजम्भॊ<br />

सभणी-कप्ऩ-ऩरयबोग-िज्जणेणॊ, छक्काम सभायॊब वििज्जणेणॊ, इलसॊ वऩ हदव्िोयालरम-भेहुण-ऩरयणाभ-<br />

विप्ऩभुक्के णॊ इह-ऩयरोगा-सॊसाइणणमाण-भामाइ-सल्रविप्ऩभुक्के णॊ नीसल्रारोमण-ननॊदण-गयहणेणॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [140] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

जहोिइटॎऩामनछत्तकयणेणॊ सव्ित्थाऩडडफदॎत्तेणॊ, सव्िऩभामा रॊफणविप्ऩभुक्के ण म ननदड्ढ-अिसेसीकए<br />

अनेगबिसॊगचए कम्भयासी, अन्नबिे ते णॊ भामा कमा । तप्ऩछचएणॊ गोमभा! एस वििागो ।<br />

से बमिॊ कमया उ णॊ अन्नबिे ते णॊ भहानुबागे णॊ भामा कमा जीए णॊ एरयसो दारुणो<br />

वििागो गोमभा! तस्स णॊ भहानुबागस्स गछछाहहिइणो जीि अनूनाहहए रक्खे इभे बिग्गहणा साभणण-<br />

नरयॊदस्स णॊ इच्त्थत्ताए धूमा अहेलस । अन्नमा ऩरयणीमानॊतयॊ भओ बत्ता । तओ नयिइणा बणणमा जहा<br />

बद्े! एते तुज्झॊ ऩॊच सए सुगाभाणॊ देभु, जहहछछाए अॊधाणॊ विगराणॊ अऩॊगभाणॊ अनाहाणॊ फहु-िाहह-िेमणा<br />

ऩरयगम-सयीयाणॊ सव्ि-रोम-ऩरयबूमाणॊ दारयद्-दुक्ख-दोहग्ग-करॊककमाणॊ जम्भ-दारयद्ाणॊ सभणाणॊ भाहणाणॊ<br />

विहलरमाणॊ च सॊफॊगध-फॊधिाणॊ जॊ जस्स इटॎॊ बत्तॊ िा ऩानॊ िा अछछामणॊ िा जाि णॊ धन-धन्न-सुिणण-<br />

हहयणणॊ िा कु णसु समर-सोक्खदामगॊ सॊऩुणणॊ जीिदमॊ नत । जेणॊ बिॊतयेसुॊ वऩ न होलस समरजन-<br />

सुहच्प्ऩमागारयमा सव्ि-ऩरयबूमा गॊध-भल्र-तॊफोर-स-भारहणाइ-जहहच्छछम-बोगोऩबोगिच्ज्जमा हमासा<br />

दुज्जभ-जामा ननद्ड्ढणालभमा यॊडा ।<br />

ताहे गोमभा ! सा तहच्त्त ऩडडिच्ज्जऊण ऩगरॊतरोमणॊ सुजरणणदॎोमकिोर-देसा<br />

उसयसुॊबसभणणुघग्घयसया बणणउभाढत्ता-जहा णॊ न माणणभो हॊ ऩबूमभारवित्ताणॊ ननग्गछछािेह रहुॊ<br />

कटॎे यएह भहइ गचमॊ, ननद्ेहेलभ अत्ताणगॊ न ककॊ गच भए जीिभाणीए ऩािाए, भा हॊ कहहॊगचॊ कम्भॊ-<br />

ऩरयणइिसेणॊ भहाऩावित्थी चिर-सहाित्ताए एमस्स तुज्झभसरयसनाभस्स ननम्भर-जस-ककत्ती-बरयम-<br />

बुिनोमयस्स णॊ कु रस्स खॊऩणॊ काहॊ, जेण भलरणी बिेज्जा सव्िभवि कु रॊ अम्हाणॊ नत । तओ गोमभा !<br />

गचॊनतमॊ तेणॊ नयिइणा जहा णॊ अहो धन्नो हॊ जस्स अऩुत्तस्सा वि म एरयसा धूमा, अहो वििेगॊ फालरमाए,<br />

अहो फुदॎी अहो ऩन्ना अहो िेयग्गॊ अहो कु र-करॊक बीरुमत्तणॊ, अहो खणे खणे िॊदनीमा एसा । जीए<br />

एए भहॊते गुणा ता जाि णॊ भज्झ गेहे ऩरयिसे एसा । ताि णॊ भहाभहॊते भभ सेए अहो हदटॎाए सॊबरयमाए<br />

सॊराविमाए चेि सुज्झीमए इभाए ता अऩुत्तस्स णॊ भज्झॊ एसा चेि ऩुत्ततुल्र च्त्त गचॊनतऊणॊ बणणमा<br />

गोमभा! सा तेणॊ नयिइणा जहा णॊ न एसो कु रक्कभो अम्हाणॊ िछछे ! जॊ कटॎायोहणॊ कीयइ च्त्त ।<br />

ता तुभॊ सीर-चारयत्तॊ ऩरयिारेभाणी दानॊ देसु जहहछछाए कु णसु म ऩोसहोििासाइॊ, विसेसेणॊ तु जीिदमॊ,<br />

एमॊ यज्जॊ तुज्झॊ नत । ता णॊ गोमभा ! जनगेणेिॊ बणणमा हठमा सा । सभच्प्ऩमा म कॊ चुईणॊ अॊतेउययक्ख-<br />

ऩाराणॊ ।<br />

एिॊ च िछचॊतेणॊ कारसभएणॊ तओ णॊ कारगए से नरयॊदे । अन्नमा सॊजुच्ज्जऊणॊ भहाभईहहॊ<br />

णॊ भॊतीहहॊ कओ तीए फाराए यामालबसेओ । एिॊ च गोमभा ! हदमहे हदमहे देइ अत्थाणॊ । अह अन्नमा<br />

तत्थ णॊ फहु िॊद-चट्-बट्-तडडग-कप्ऩडडग-चउय-विमक्खण-भॊनत-भहॊतगाइ-ऩुरयस-सम-सॊकु र-अत्थाणॊ-भॊडि-<br />

भज्झॊलभ सीहासनोिविटॎाए कम्भऩरयणइिसेणॊ सयागाहहरासाए चक्खुए ननज्झाए तीए सव्िुत्तभ-रूि-<br />

जोव्िण-रािणण-लसयी-सॊऩओििेए बाविम-जीिाइ-ऩमत्थे एगे कु भायिये । भुणणमॊ च तेणॊ गोमभा ! कु भायेणॊ<br />

जहा णॊ- हा हा ! भभॊ ऩेच्छछमॊ-गमा एसा ियाई, घोयॊधमायभनॊत-दुक्ख-दामगॊ ऩामारॊ, ता अहन्नो हॊ जस्स<br />

णॊ एरयसे ऩोग्गर-सभुदाए तनू याग-जॊते, ककॊ भए जीविएणॊ दे लसग्घॊ कयेलभ अहॊ इभस्स णॊ ऩािसयीस्स<br />

सॊथायॊ अब्बुटॎेलभ णॊ सुदुक्कयॊ ऩच्छछत्तॊ, जाि णॊ काऊणॊ समर-सॊग-ऩरयछचामॊ सभणुटॎेलभ णॊ<br />

समरऩािननद्रणे अनगाय-धम्भे लसहढरी कयेलभ णॊ अनेग-बिॊतय-विइणणे सुदुच्व्िभोक्खे, ऩाि-फॊधन-सॊघाए,<br />

गध दॎी दॎी अव्ििच्त्थमस्स णॊ जीिरोगस्स, जस्स णॊ एरयसे अणप्ऩिसे इॊहदम-गाभे ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [141] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

अहो! अहदटॎऩयरोग-ऩछचिाममारोगस्स अहो एक्कजम्भालबननविटॎगचत्तमा, अहो ! अविणणाम<br />

कज्जाकज्जमा अहो! ननम्भेयमा अहो ! ननयप्ऩरयहासमा अहो ! ऩरयछत्त-रज्जमा हा हा हा ! न जुत्तभम्हाणॊ<br />

खणभवि विरॊबफउॊ एत्थॊ एरयसे सुहदच्न्निायाऽसज्ज-ऩािगभे देसे । हा हा हा ! घटॎारयए<br />

अहन्ने णॊ कम्भटॎयासी जॊ सुईरयमॊ ऩईए यामकु र-फालरमाए इभेणॊ कु टॎ-ऩाि-सयीय-रूि-ऩरयदॊसणेणॊ नमनेसुॊ<br />

यागाहहरासे । ऩरयचेछचाणॊ इभे विसए तओ गेणहालभ ऩिज्जॊ नत गचॊनतऊणॊ बणणमॊ गोमभा ! तेणॊ<br />

कु भायियेणॊ जहा णॊ खॊतभरयलसमॊ नीसल्रॊ नतविहॊ नतविहेणॊ नतगयण-सुदॎीए सव्िस्स अत्थाण-भॊडि-याम-<br />

कु र-ऩुय-जनस्से नत बणणऊणॊ विननग्गओ यामउराओ ऩत्तो म ननममािासॊ ।<br />

तत्थ णॊ गहहमॊ ऩछछमणॊ दो खॊडीकाऊणॊ च लसमॊ पे णािरीतयॊगभउमॊ सुकु भारित्थॊ<br />

ऩरयहहएणॊ अदॎपरगे गहहएणॊ दाहहणहत्थेणॊ सुमण-जन-हहमए इि सयरिेत्तरम-खॊडे । तओ काऊणॊ<br />

नतहुमभेक्कगुरूणॊ अयहॊताणॊ बगिॊताणॊ जगप्ऩियाणॊ धम्भॊ नतत्थॊकयाणॊ जहुत्तविहहणालबसॊथिणॊ बाििॊदनॊ<br />

से णॊ चरचिरगई ऩत्ते णॊ गोमभा ! दूयॊ देसॊतयॊ से कु भाये जाि णॊ हहयणणुक्करूडी नाभ यामहाणी ।<br />

तीए यामहाणीए धम्भामरयमाणॊ गुणविलसटॎाणॊ ऩउच्त्तॊ अन्नेसभाणे गचॊनतउॊ ऩमत्ते से कु भाये<br />

जहा णॊ जाि णॊ न के इ गुणविलसटॎे धम्भामरयए भए सभुिरदॎे ता विहइॊ चेि भहहॊ वि गचहटॎमव्िॊ, ता<br />

गमाणण कइिमाणण हदमहाणण, बमालभ णॊ एस फहु-देस-विक्खाम-ककत्ती-नयिरयॊदे । एिॊ च भॊनतऊण जाि<br />

णॊ हदटॎो यामा, कमॊ च कामव्िॊ सम्भाणणमाओ म नयनाहेणॊ ऩडडच्छछमा सेिा ।<br />

अन्नमा रदॎािसयणे ऩुटॎो सो कु भायो गोमभा ! तेणॊ नयिइणा जहा णॊ बो बो भहासत्ता<br />

कस्स नाभारॊककए एस तुज्झॊ हत्थच्म्भ वियामए भुद्ायमणे, को िा ते सेविओ एिइमॊ कारॊ के िा<br />

अिभाने ऩकए तुह सालभणण च्त्त कु भायेणॊ बणणमॊ जहा णॊ जस्स नाभारॊककएणॊ इभे भुद्ायमणे से णॊ भए<br />

सेविए एिइमॊ कारॊ, जे णॊ भए सेविए एिइमॊ कारॊ तस्स नाभारॊककएणॊ इभे भुद्ायमणे ! तओ नयिइणा<br />

बणणमॊ-जहा णॊ ककॊ तस्स सद्कयणॊ नत ! कु भायेणॊ बणणमॊ नाहभच्जलभएणॊ तस्स चक्खुकु सीराहम्भस्स णॊ<br />

सद्कयणॊ सभुछचायेलभ । तओ यणणा बणणमॊ जहा णॊ-बो बो भहासत्ता ! के रयसो उण सो चक्खु-कु सीरो <br />

बणणे, ककॊ िा णॊ अच्जलभएहहॊ तस्स सद्कयणॊ नो सभुछचारयमए कु भायेणॊ बणणमॊ जहा णॊ चक्खुकु सीरो<br />

नतसहटॎए ठाणॊतयेहहॊतो जइ कहाइ इह तॊ हदटॎ-ऩछचमॊ होही, तो ऩुण िीसत्थो साहीहालभ ।<br />

जॊ ऩुण तस्स अच्जलभएहहॊ सद्-कयणॊ एतेणॊ न सभुछचायीए जहा णॊ जइ कहाइ अच्जलभएहहॊ<br />

चेि तस्स चक्खुकु सीराहभस्स नाभग्गहणॊ कीयए, ता णॊ नच्त्थ तच्म्भ हदमहे सॊऩच्त्त ऩानबोमणस्स च्त्त<br />

। ताहे गोमभा! ऩयभविच्म्हइएणॊ यणणा कोउहल्रेणॊ रहुॊ हक्कायाविमा यसिई, उिविटॎो म बोमणभॊडिे यामा<br />

सह कु भायेणॊ असेस-ऩरयमणेणॊ च आणाविमॊ अटॎायस-खॊड-खज्जम विमप्ऩॊ नानाविहॊ आहायॊ एमािसयच्म्भ<br />

बणणमॊ नयिइणा जहा णॊ बो बो भहासत्त ! बणसु नीसॊको तुभॊ सॊऩमॊ तस्स णॊ चक्खुकु सीरस्स णॊ<br />

सद्कयणॊ । कु भायेण बणणमॊ जहा णॊ नयनाह ! बणणहालभ णॊ बुत्तुत्तुयकारेणॊ, नयिइणा बणणमॊ-जहा णॊ ।<br />

बो भहासत्त ! दाहहण-कय-धरयएणॊ किरेणॊ सॊऩमॊ चेि बणसु, जेणॊ खु जइ एमाए कोडीए<br />

सॊहठमाणॊ के इ विग्घे हिेज्जा ताणभम्हे वि सुहदटॎऩछचए सॊतेउय-ऩुयस्सये तुज्झाणत्तीए अत्तहहमॊ<br />

सभनुगचटॎाभो । तओ णॊ गोमभा ! बणणमॊ तेणॊ कु भायेणॊ जहा णॊ एमॊ एमॊ अभुगॊ सद्कयणॊ तस्स<br />

चक्खुकु सीराहभस्स णॊ दुयॊत-ऩॊतरक्खण-अदटॎव्ि-दुज्जाम-जम्भस्स च्त्त । ता गोमभा ! जाि णॊ चेि इमॊ<br />

सभुल्रिे से णॊ कु भायिये ताि णॊ अनोहहम-ऩविच्त्तएण एि सभुदॎुलसमॊ तक्खणा ऩयचक्के णॊ तॊ यामहाणीॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [142] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

सभुदॎाइए णॊ सन्नदॎ-फदॎुदॎए-ननलसए-कयिार-कु ॊ त-विप्पु यॊत-चक्काइ-ऩहयणाडोििग्गऩाणी हण हण हण याि-<br />

बीसणा फहु-सभय-सॊघट्ा हदणण-वऩट्ी जीमॊतकये अउर-फर-ऩयक्कभे णॊ भहाफरे ऩय-फरे जोहे ।<br />

एमािसयच्म्भ उ कु भायस्स चरणेसु ननिडडऊणॊ हदटॎ-ऩछचए भयण-बमाउरत्ताए अगणणमकु रक्कभऩुरयसमायॊ<br />

विप्ऩनासे हदलसभेक्कभासाइत्ताणॊ स-ऩरयकये ऩणटॎे से णॊ नयिरयॊदे ।<br />

एत्थॊतयच्म्भ गचॊनतमॊ गोमभा ! तेणॊ कु भायेणॊ जहा णॊ न भेरयसॊ कु रक्कभे<br />

ऽम्हाणॊ जॊ ऩहटॎॊ<br />

दाविज्जइ नो णॊ तु ऩहरयमव्िॊ भए कस्सावि णॊ अहहॊसा-रक्खण-धम्भॊ विमाणभाणेणॊ कम-ऩाणाइिाम-<br />

ऩछचक्खाणेणॊ च, ता ककॊ कयेलभ णॊ सागाये बत्त-ऩाणाईणॊ ऩछचक्खाणे अहिा णॊ कयेलभ जओ हदटॎेणॊ ताि<br />

भए हदटॎी-भेत्त कु सीरस्स नाभग्गहणेणावि एभहॊते सॊविहाणगे ता सॊऩमॊ कु सीरस्सावि णॊ एत्थॊ ऩरयक्खॊ<br />

कयेलभ च्त्त । गचॊनतऊणॊ बणणउभाढत्ते णॊ गोमभा ! से कु भाये जहा णॊ जइ अहमॊ िामाभेत्तेणावि कु सीरो<br />

ता णॊ भा नीहयेज्जाह । अक्खम-तणुॊ खेभेणॊ एमाए-यामहाणीए । अहा णॊ भनो-िइ-कामनतएणॊ सव्िऩमायेहहॊ<br />

णॊ सीर-कलरओ ता भा िहेज्जा भभोिरयॊ इभे सुननलसए दारुणे जीमॊतकये ऩहयणे ननहए । नभो नभो<br />

अयहॊताणॊ ।<br />

नत बणणऊणॊ जाि णॊ ऩिय-तोयण दुिायेणॊ चर-चिर-गई जाउभायदॎो जाि णॊ ऩरयक्कभे थेिॊ<br />

बूलभबागॊ ताि णॊ हेल्राविमॊ कप्ऩडडग-िेसेणॊ गछछइ एस नयिइ च्त्त काऊणॊ सयहसॊ हण हण भय भय<br />

च्त्त बणभाणुच्क्खत्तकयिाराहद-ऩहयणेहहॊ ऩयफर-जोहेहहॊ । जाि णॊ सभुदॎाइए अछचॊत-बीसणे जीमॊतकये<br />

ऩयफर-जोहे ताि णॊ अविसणण-अनुद्ुमाय-बीम-अत्थ अदीनभानसेणॊ गोमभा ! बणणमॊ कु भायणॊ जहा णॊ बो<br />

बो दुटॎऩुरयसा! भभोिरयॊ चेह एरयसेणॊ घोय-भातस-बािेणॊ अच्न्नए वऩ सुहज्झिसाम-सॊगचम-ऩुणण-ऩब्बाये एस<br />

अहॊ से तुम्ह ऩडडसत्तू अभुगो नयिती । भा ऩुणोवि बणेज्जासु जहा णॊ ननरुक्को अम्हाणॊ बएणॊ, ता<br />

ऩहयेज्जासु जइ अच्त्थ िीरयमॊ नत । जािेच्त्तमॊ बणे ताि णॊ तक्खणॊ चेि थॊलबए ते सव्िे गोमभा<br />

फर-जोहे सीराहहहटॎमत्ताए नतमसाणॊ वऩ अरॊघणणज्जाए तस्स बायतीए जाए म ननब्फर-देहे । तओ म णॊ<br />

धस च्त्त भुच्छछऊणॊ ननछचेटॎे ननिडडए धयणणिटॎे से कु भाये ।<br />

एमािसयच्म्भ उ गोमभा तेणॊ नरयॊदाहभेणॊ गूढहहमम-भामाविणा िुत्ते धीये सव्ित्थािी<br />

सभत्थे सव्िरोम सभॊत-धीये बीरू विमक्खणे भुक्खे सूये कामये चउये चाणक्के फहुऩिॊचबरयए सॊगध-<br />

विग्गहहए ननउत्ते छइल्रे ऩुरयसे जहा णॊ बो बो तुरयमॊ यामहाणीए िच्ज्जॊद-नीर-सलस-सूयकॊ तादीए ऩिय-<br />

भणण-यमण-यासीए<br />

हेभज्जुण-तिनीम-जॊफूनम-सुिणण-बायरक्खाणॊ, ककॊ फहुना<br />

! ऩय-<br />

विसुदॎफहुजछच-भोच्त्तमॊ-विद्ुभखारय-रक्ख-<br />

ऩडडऩुन्नस्स णॊ कोसस्स चाउयॊगस्स फरस्स । विसेसओ णॊ तस्स सुगविम नाभ-गहणस्स ऩुरयस-सीहस्स<br />

सीरसुदॎस्स कु भायियस्से नत ऩउच्त्तॊ आणेह जेणाहॊ ननव्िुओ बिेज्जा । ताहे नयिइणो ऩणाभॊ काऊणॊ<br />

गोमभा! गए ते ननउत्तऩुतरयसे जाि णॊ तुरयमॊ चर-चिर-जइण-कभ-ऩिन-िेगेहहॊ णॊ आरुरहहऊणॊ जछच-<br />

तुयॊगभेहहॊ ननउॊ ज-गगरयकॊ दरुद्ेस-ऩइरयक्काओ खणेण ऩत्ते यामहाणणॊ, हदटॎो म तेहहॊ िाभदाहहणबुमा-ऩल्रिेहहॊ<br />

िमणॊ लसयोरुहे विरुॊऩभाणो कु भायो तस्स म ऩुयओ सुिणणाबयण-नेिछछा दस-हदसासु उज्जोमभाणी जम<br />

जम सद्भॊगर-भुहरा यमहयण-िािडोबमकय-कभर-वियइमॊजरी देिमा । तॊ च दटॎूणॊ विच्म्हम बूमभणे<br />

लरप्ऩ-कम्भ ननम्भविए ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [143] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


एमािसयच्म्भ उ गोमभा ! सहरयस-योभॊच-कॊ चुऩुरइमसयीयाए ‘‘नभो अयहॊताणॊ ’’ नत<br />

सभुछचरयऊणॊ बणणये गमणहटॎमाए ऩिमण-देिमाए से कु भाये । तॊ जहा :-<br />

अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

[१४९९] जो दरइ भुहटॎ-ऩहयेहह भॊदयॊ धयइ कयमरे िसुहॊ ।<br />

सव्िोदहीण वि जरॊ आमरयसइ एक्क घोट्ेणॊ ।।<br />

[१५००] िारे सग्गाओ हरयॊ कु णइ लसिॊ नतहुमणस्स वि खणेणॊ ।<br />

अक्खॊडडम सीराणॊ कु दॎो वि न सो ऩहुप्ऩेज्जा ।।<br />

[१५०१] अहिा सो च्छचम जाओ गणणज्जए नतहुमणस्स वि स िॊदो ।<br />

ऩुरयसो वि भहहलरमा िा कु रुग्गओ जो न खॊडए सीरॊ ।।<br />

[१५०२] ऩयभ-ऩवित्तॊ सप्ऩुरयस-सेविमॊ समर-ऩाि-ननम्भहणॊ ।<br />

सव्िुत्तभ-सुक्ख-ननहहॊ सत्तयसविहॊ जमइ सीरॊ ।।<br />

[१५०३] नत बाणणऊणॊ गोमभा ! झच्त्त भुक्का कु भायस्सोिरयॊ कु सुभिुहटॎॊ ऩिमण-देिमाए ।<br />

ऩुणो वि बणणउभाढत्ता देिमा, तॊ :-<br />

तेहहॊ नयिइणो ।<br />

[१५०४] देिस्स देंती दोसे ऩिॊगचमा अत्तणो स-कम्भेहहॊ ।<br />

न गुणेसु ठविॊतऽप्ऩॊ भुहाइॊ भुदॎाए जोएॊनत ।।<br />

[१५०५] भज्झत्थबािित्ती सभ-दरयसी सव्ि-रोम-िीसासो ।<br />

ननक्खिम-ऩरयमत्तॊ हदव्िो न कयेइ तॊ ढोए ।।<br />

[१५०६] ता फुच्ज्झऊण सव्िुत्तभॊ जणा सीर-गुण-भहहड्ढीमॊ ।<br />

ताभसबािॊ गचछचा कु भाय-ऩम-ऩॊकमॊ नभह ।।<br />

[१५०७] च्त्त बाणणऊणॊ अद्ॊसणॊ गमा देिमा इनत ते छइल्र-ऩुरयसे रहुॊ च गॊतूण साहहमॊ<br />

तओ आगओ फहु-विकप्ऩ-कल्रोर-भाराहह णॊ आउरयज्जभाण-हहमम-सागयो हरयस-विसाम-<br />

िसेहहॊ बीऊड्डऩामातत्थ चककय-हहमओ सणणमॊ गुज्झ-सुयॊग-खडच्क्कमा-दायेणॊ कॊ ऩॊत-सव्िगत्तो भहमा<br />

कोऊहल्रेणॊ कु भाय-दॊसणुक्कॊ हठओ म तभुद्ेसॊ । हदटॎो म तेणॊ सो सुगहहमनाभधेज्जो भहामसो भहासत्तो<br />

भहानुबािो कु भाय-भहरयसी अऩडडिाइ भहोही ऩछचएणॊ साहेभाणो सॊखाइमाइ-बिाणुहूमॊ दुक्ख-सुहॊ<br />

सम्भत्ताइरॊबॊ सॊसाय-सहािॊ कम्भफॊध-हटॎती-विभोक्खभहहॊसा-रक्खण-भनगाये िमयफॊधॊ नयादीणॊ सुहननसणणो<br />

सोहम्भाहहिई धरयओिरयऩॊडुयामित्तो ताहे म तॊ अहदटॎऩुव्िॊ अछछेयगॊ दटॎूणॊ ऩडडफुदॎो<br />

सऩरयग्गहो ऩव्िइओ म गोमभा ! सो यामा ऩयचक्काहहिई वि एत्थतयच्म्भ ऩहम-सुस्सय-गहहय-गॊबीय-दु ॊदुलब-<br />

ननग्घोस-ऩुव्िेणॊ सभुग्घुटॎॊ चउच्व्िहॊ देिननकाएणॊ [तॊ जहा] :- ।<br />

[१५०८] कम्भटॎॊ-गॊहठ-भुसुभूयण जम जम ऩयभेटॎी भहामस ।<br />

जम जम जमाहहचारयत्त-दॊसण-नाण-सभच्णणम ! ।।<br />

[१५०९] स च्छचम जननी जगे एक्का िॊदनीमा खणे खणे ।<br />

जीसे भॊदयगगरय गरुओ उमये िुत्थो तुभॊ भहा भुनन ।।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [144] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


[१५१०] च्त्त बाणणऊणॊ विभुॊचभाणे सुयलबकु सुभ-िुहटॎॊ बच्त्त-बयननब्बये वियइम-कय-<br />

कभरॊजरीउ च्त्त ननिडडए ससुयासुये देि-सॊघे गोमभा ! कु भायस्स णॊ चरणायविॊदे ऩणच्छचमाओ म देि-<br />

सुॊदयीओ ऩुणो ऩुणोऽलबसॊथुणणम नभॊलसम गचयॊ ऩज्जुिालसऊणॊ स-टॎाणेसुॊ गए देिननिहे ।<br />

[१५११] से बमिॊ ! कहॊ ऩुण एरयसे सुरबफोही जाए भहामसे सुगहहम-नाभधेज्जे से णॊ<br />

अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

कु भायॊ भहरयसी गोमभा ! ते णॊ सभणबािहटॎएणॊ अन्न-जम्भॊलभ िामा दॊडे ऩउत्ते अहेलस, तच्न्नलभत्तेणॊ<br />

जािज्जीिॊ भूणव्िए गुरूिएसे णॊ सॊधारयए अन्नॊ च नतच्न्न भहाऩाि-टॎाणे सॊजमाणॊ तॊ जहा-आऊ-तेऊ-भेहुणे<br />

एते म सव्िोिाएहहॊ ऩरयिज्जए ते णॊ तु एरयसे सुरबफोही जाए ।<br />

अहन्नमा णॊ गोमभा! फहु-सीसगण-ऩरयमरयए से णॊ कु भायभहरयसी ऩच्त्थइए सम्भेमसेरलसहये<br />

देहछचाम ननलभत्तेणॊ कारक्कभेणॊ तीए चेि ित्तणीए जत्थ णॊ से याम-कु र-फालरमानरयॊदे चक्खु-कु सीरे ।<br />

जाणाविमॊ च यामउरे आगओ म िॊदणिच्त्तमाए सो इत्थी-नरयॊदो उज्जाणियॊलभ । कु भाय-भहरयलसणो<br />

ऩणाभऩुव्िॊ च उिविटॎो स ऩुयस्सयो जहोइए बूलभबागे भुणणणा ि ऩफॊधेणॊ कमा देसणा । तॊ च सोऊणॊ<br />

धम्भ-कहािसाने उिहटॎओ स ऩरयिग्गो नीसॊगत्ताए, ऩव्िइओ गोमभा ! सो इत्थीनरयॊदो । एिॊ च अछचॊत-<br />

घोय-िीरुग्ग-कटॎदुक्कय-ति-सॊजभानुटॎाण-ककरयमालबयमाणॊ सव्िेलसॊ वऩ अऩडडकम्भ-सयीयाणॊ<br />

अप्ऩडडफदॎविहायत्ताए अछचॊतणणच्प्ऩहाणॊ सॊसारयएसुॊ चक्कहय-सुरयॊदाइ-इड्हढ-सभुदम-सयीय-सोक्खेसुॊ गोमभा !<br />

िछछइ कोई कारो, जाि णॊ ऩत्ते सम्भेम-सेर-लसहयब्बासॊ,<br />

तओ बणणमा गोमभा ! तेण भहरयलसणा यामकु र-फालरमानरयॊदसभणी- जहा णॊ दुक्कय-<br />

कारयगे! लसग्घॊ अनुद्ुम-भानसा सव्ि-बाि-बािॊतयेहहॊ णॊ सुविसुदॎॊ ऩमछछहह णॊ नीसल्रभारोमणॊ ।<br />

आढिेमव्िा म सॊऩमॊ सव्िेहहॊ अम्हेहहॊ देहछचाम-कयणेक्क-फदॎ-रक्खेहहॊ नीसल्रारोइम-ननॊहदम-गयहहम-जहुत्त-<br />

सुदॎासम-जहोिइटॎ-कम-ऩच्छछत्तुवदॎम-सल्रेहहॊ च णॊ कु सरहदटॎा सॊरेहण च्त्त ।<br />

तओ णॊ जहुत्तविहीए सव्िभारोइमॊ तीए यामकु र-फालरमा नरयॊदसभणीए, जाि सॊबारयमा<br />

तेणॊ भहाभुणणणा जहा णॊ जॊ अहॊ तमा यामत्थाणॊ उिविटॎाए तए गायत्थ-बािच्म्भ सयागाहहरासाए<br />

सॊविच्क्कओ अहेलस । तॊ आरोएह दुक्कय-कारयए जेणॊ तुम्हॊ सव्िुत्तभविसोही हिइ, तओ णॊ तीए भनसा<br />

ऩरयतच्प्ऩऊणॊ अइचि-रासमननमडी-ननके म-ऩावित्थीसबाित्ताए भा णॊ चक्खुकु सीर च्त्त अभुगस्स धूमा<br />

सभणीनभॊतो ऩरयिसभाणी बणणाहहलभ च्त्त गचॊनतऊणॊ गोमभा ! बणणमॊ तीए अबागगधज्जाए जहा णॊ बगिॊ<br />

! न भे तुभॊ एरयसेणॊ अटॎेणॊ सयागाए दटॎीए ननज्जाइओ ।<br />

जओ णॊ अहमॊ ते अहरसेज्जा, ककॊ तु जारयसेणॊ तुब्बे सव्िुत्तभॊ – रूि – तारुणण – जोव्िण<br />

– रािणण-कॊ नत-सोह्ग करा-कराि विणणाण-नाणाइसमाइ-गुणोह-विछछ-ड्ड-भॊडडएहोत्था विसएसुॊ<br />

ननयहहरासे सुगथये । ता ककभेमॊ तह च्त्त ककॊ िा नो णॊ तह च्त्त च्त्त, तुज्झॊ भान-ऩरयतोरणत्थॊ<br />

सयागाहहरासॊ चक्खुॊ ऩउत्ता, नो णॊ चालबरालसउ काभाए । अहिा इणभेत्थ चेिारोइमॊ बिउ, ककलभत्थ<br />

दोसॊ नत, भज्झभवि गुणािहमॊ बिेज्जा । ककॊ नतत्थॊ गॊतूणॊ भामा-किडेणॊ सुिणणसमॊ के इ ऩमछछे <br />

ताहे म अछचॊत-गुरुम-सॊिेगभािणणेणॊ धी दॎी दॎी सॊसाय-चलरत्थी-सबािस्स णॊ नत गचॊनतऊणॊ<br />

बणणमॊ भुननियेणॊ जहा णॊ गध वदॎ वदॎयत्थु ऩावित्थी-चरस्स बािस्स । जेणॊ तु ऩेछछ ऩेछछ<br />

एद्हभेत्तानुकारसभएणॊ के रयसा ननमडी ऩउत्त च्त्त अहो खलरत्थीणॊ चर-चिर-चडुर-चॊचरासॊहठ<br />

ऩगटॎभानसाणॊ खणभेगिभवि दुज्जम्भ-जामाणॊ अहो समराकज्ज-बॊडे हलरमाणॊ, अहो समरामस-अककत्ती-<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [145] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


िुड्हढकायणॊ, अहो ऩािकम्भालबटॎ-ज्झिसामाणॊ अहो अबीमाणॊ ऩय-रोग-गभनॊधमाय-घोय-दारुण-दुक्ख-कॊ डू-<br />

कडाह-साभलर-कु ॊ बी-ऩागाइ-दुयहहमासाणॊ एिॊ च फहु-भनसा ऩरयतच्प्ऩऊणॊ अनुमत्तणा वियहहमधम्भेक्क-<br />

यलसमसुऩसॊत-िमणेहहॊ णॊ ऩसॊत-भहुयक्खयेहहॊ णॊ धम्भ-देसना ऩुव्िगेणॊ बणणमा कु भायेणॊ यामकु र-िालरमा-<br />

नरयॊद-सभणी, गोमभा ! तेणॊ भुननियेणॊ जहा णॊ – दुक्कयकारयगे भा एरयसेणॊ भामा-ऩिॊचेणॊ अछचॊत-घोय-<br />

अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

िीरुग्ग-कटॎ-सुदुक्कय-ति-सॊजभ-सज्झाम-झाणाईहहॊ सभच्ज्जए ननयनुफॊगध-ऩुन्न-ऩब्बाये ननप्परे कु णसु, न<br />

ककॊ गच एरयसेणॊ भामा-दॊबेणॊ अनॊत-सॊसायदामगेणॊ ऩओमणॊ नीसॊकभारोएत्ताणॊ नीसल्र-भत्ताणॊ कु रु ।<br />

अहिा अॊधमाय-नहट्गानट्लभि-धलभम-सुिणणलभि एक्काए पु क्कमाए जहा तहा ननयत्थमॊ होही । तुज्झेमॊ<br />

िारुप्ऩडण-लबक्खा-बूभी-सेज्जा फािीस ऩयीसहोिसग्गाहहमासणाइए काम-ककरेस च्त्त ।<br />

तओ बणणमॊ तीए बग्गरक्खणाए जहा बमिॊ ! ककॊ तुम्हेहहॊ सवदॎॊ छम्भेणॊ उल्रविज्जइ <br />

विसेसणॊ आरोमणॊ दाउभाणेहहॊ नीसॊकॊ ऩच्त्तमा, नो णॊ भए तुभॊ तक्कारॊ अलबरलसउकाभाए<br />

सयागाहहरासाए चक्खूए ननज्झाइ उ च्त्त ककॊ तु तुज्झ ऩरयभाण-तोरणत्थॊ ननज्झाइओ च्त्त । बणभाणी चेि<br />

ननहणॊ गमा, कम्भ-ऩरयणइिसेणॊ सभच्ज्जत्ताणॊ फदॎ-ऩुटॎ-ननकाइमॊ उक्कोस-हठइॊ इत्थीिेमॊ कम्भॊ गोमभा !<br />

सा याम-कु र-फालरमा नरयॊद-सभणण च्त्त तओ म स-सीस-गणे गोमभा से णॊ भहछछेयगबूए समॊफुदॎ-कु भाय-<br />

भहरयसीए विहीए सॊलरहहऊणॊ अत्ताणगॊ भासॊ ऩािोिगभणेणॊ सम्भेमसेरलसहयच्म्भ अॊतगओ के िलरत्ताए<br />

सीसगण-सभच्णणए ऩरयननव्िुडे च्त्त ।<br />

[१५१२] सा उण यामकु र फालरमा नरयॊद सभणी गोमभा ! तेण भामासल्र बाि दोसेणॊ<br />

उििन्ना विज्जुकु भायीणॊ िाहणत्ताए नउरीरूिेणॊ ककॊ कयीदेिेसुॊ । ततो चुमा सभाणी ऩुणो ऩुणो उििज्जॊती<br />

िािज्जॊनत अहहॊडडमा भानुस नतरयछछेसुॊ समर-दोहग्ग-दुक्ख-दारयद्-ऩरयगमा सव्िरोम-ऩरयबूमा<br />

सकम्भपरभनुबिभाणी गोमभा ! जाि णॊ कह कह वि कम्भाणॊ खओिसभेणॊ फहु-बिॊतयेसुॊ तॊ आमरयम-<br />

ऩमॊ ऩाविऊण ननयमाय-साभणण-ऩरयऩारेणॊ सव्ित्थाभेसुॊ च सव्िऩभामारॊफण-विप्ऩभुक्के णॊ तु उज्जलभऊणॊ<br />

ननद्ड्ढािसेसी-कम-बिॊकु ये तहा वि गोमभा ! जा सा सयागा-चक्खुणारोइमा तमा तक्कम्भदोसेणॊ<br />

भाहणणच्त्थत्ताए ऩरयननव्िुडे णॊ से यामकु र-फालरमानरयॊद-सभणी जीिे ।<br />

[१५१३] से बमिॊ ! जे णॊ के ई साभन्नभब्बुटॎेज्जा से णॊ एक्काइ जाि णॊ सत्त-अटॎ-बिॊतयेसुॊ<br />

ननमभेण लसज्झेज्जा ता ककभेमॊ अनूनाहहमॊ रक्ख-बिॊतय-ऩरयमडणॊ नत गोमभा ! जे णॊ के ई ननयइमाये<br />

साभन्ने ननव्िाहेज्जा से णॊ ननमभेणॊ एक्काइ जाि णॊ अटॎबिॊतयेसुॊ लसज्झे, जे उ णॊ सुहुभे फामये के ई<br />

भामासल्रे िा आउकाम-ऩरयबोगे िा तेउकामऩरयबोगे िा भेहुण-कज्जे िा अन्नमये िा के ई आणाबॊगे<br />

काऊणॊ साभन्नभइमयेज्जा से णॊ जॊ रक्खेण बिग्गहणेणॊ लसज्झे, तॊ भहइ राबे जओ णॊ<br />

साभणणभइमरयत्ता फोहहॊ वऩ रबेज्जा दुक्खेणॊ । एसा सा गोमभा ! तेणॊ भाहणी जीिेणॊ भामा कमा । जीए<br />

म एद्हभेत्ताए वि एरयसे ऩािे दारुणे-वििागग च्त्त ।<br />

[१५१४] से बमिॊ ककॊ तीए भमहयीए तेहहॊ से तॊदुरभल्रगे ऩमच्छछए ककॊ िा णॊ सा वि म<br />

भमहयी तत्थेि तेलसॊ सभॊ असेस-कम्भक्खमॊ काऊणॊ ऩरयननव्िुडा हिेज्जा च्त्त गोमभा ! तीए भमहरयए<br />

तस्स णॊ तॊदुर-भल्रगस्सटॎाए तीए भाहणीए धूम च्त्त काऊणॊ गछछभाणी अिॊतयारे चेि अिहरयमा सा<br />

सुज्जलसयी, जहा णॊ भज्झॊ गोयसॊ ऩरयबोत्तूणॊ कहहॊ गछछलस सॊऩमॊ च्त्त । आह िछचाभो गोउरॊ । अन्नॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [146] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


च-जइ-तुभॊ भज्झॊ विनीमा हिेज्जा, ता अहमॊ तुज्जॊ जहहछछाए ते कालरमॊ फहु-गुर-घएणॊ अनुहदमहॊ<br />

ऩामसॊ ऩमच्छछहालभ ।<br />

जाि णॊ एमॊ बणणमा ताि णॊ गमा सा सुज्जलसरय तीए भमहयीए सवदॎॊ नत । तेहहॊ वऩ<br />

ऩयरोगानुटॎाणेक्क सुहज्झिसामाणखत्तभानसेहहॊ न सॊबरयमा ता गोविॊद-भाहणाईहहॊ । एिॊ तु जहा बणणमॊ<br />

भमहयीए तहा चेि तस्स घम-गुर-ऩामसॊ ऩमछछे ।<br />

अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

अहन्नमा कारक्कभेणॊ गोमभा! िोच्छछन्ने णॊ दुिारस-सॊिछछरयए भहायोयिे दारुणे दुच्ब्बक्खे<br />

जाए णॊ रयवदॎच्त्थलभम-सलभदॎे सव्िे वि जनिए ।<br />

अहन्नमा ऩणुिीसॊ अणग्घेमाणॊ ऩिय-सलस-सूयकॊ ताईणॊ भणण-यमणाणॊ घेत्तूण सदेस-गभन-<br />

ननलभत्तेणॊ दीहदॎाण-ऩरयणखन्न-अॊगमटॎी-ऩह-ऩडडिणणेणॊ तत्थेि गोउरे, बविमव्िमाननमोगेणॊ आगए<br />

अनुछचयीम-नाभधेज्जे ऩािभती सुज्जलसिे । हदटॎा म तेणॊ सा कन्नगा जाि णॊ ऩरयतुलरम-सरम-नतहुमण-<br />

नय-नायी-रूि-कॊ नत-रािणणा तॊ सुज्जलसरयॊ ऩालसम चिरत्ताए इॊहदमाणॊ, यम्भमाए ककॊ ऩागपरोिभाणॊ, अनॊत-<br />

दुक्ख-दामगाणॊ विसमाणॊ विननच्ज्जमासेसनतहुमणस्स णॊ गोमय-गएणॊ भमय-के उणो बणणमाणॊ गोमभा ! सा<br />

सुज्जलसयी ते णॊ भहाऩािकम्भेणॊ सुज्जलसिेणॊ जहा णॊ हे हे कन्नगे ! जइ णॊ इभे तुज्झ सॊनतए जननी-<br />

जनगे सभणुभणणॊनत । ता णॊ तु अहमॊ ते ऩरयणेलभ ।<br />

अन्नॊ च कयेलभ सव्िॊ वऩ ते फॊधुिग्गभदरयद्ॊ नत । तुज्झभवि घडािेलभ ऩरसमभनूनगॊ<br />

सुिणणस्स, ता गछछ, अइयेणेि साहेसु भामा-वऩत्तागॊ तओ म गोमभा ! जाि णॊ ऩहटॎ-तुटॎा सा सुज्जलसयी<br />

तीए भमहयीए एमॊ िइमयॊ ऩकहेइ ताि णॊ तक्खणभागॊतूणॊ बणणओ सो भमहयीए-जहा-बो बो ऩमॊसेहह णॊ<br />

जॊ ते भज्झ धूमाए सुिणण-ऩरसए सुॊककए । ताहे गोमभा ! ऩमॊलसए तेन ऩियभणी । तओ बणणमॊ<br />

भमहयीए जहा-तॊ सुिणणसमॊ दाएहहॊ ककभेएहहॊ डडॊब-यभणगेहहॊ ऩॊगचटॎगेहहॊ ताहे बणणमॊ सुज्जलसिेणॊ जहा<br />

णॊ-एहह िछचाभो नगयॊ दॊसेलभ णॊ अहॊ तुज्झलभभाणॊ ऩॊगचटॎगाणॊ भाहप्ऩॊ ।<br />

तओ ऩबाए गॊतूणॊ नगयॊ ऩमॊलसमॊ सलस-सूय-कॊ त-ऩिय-भणण-जुिरगॊ तेणॊ नयिइणो, नयिइणा<br />

वि सद्ाविऊणॊ बणणए ऩारयक्खी जहा-इभाणॊ ऩयभभणीणॊ कयेह भुल्रॊ, तोल्रॊतेहहॊ तु न सच्क्कयॊ तेलसॊ भुल्रॊ<br />

काऊणॊ । ताहे बणणमॊ नयिइणा जहा णॊ बो बो भाणणक्कखॊडडमा नच्त्थ के इ एत्थ जेणॊ एएलसॊ भुल्रॊ<br />

कयेज्जा, तो गगणहसु णॊ दसकोडडओ दविणजामस्स । सुज्जलसिेणॊ बणणमॊ- जॊ भहायाओ ऩसामॊ कयेनत,<br />

नियॊ इणभो आसणण-ऩव्िम-सच्न्नहहए अम्हाणॊ गोउरे । तत्थ एगॊ च जोमणॊ जाि गोभीणॊ गोमय-बूभी, तॊ<br />

अकयबयॊ विभुॊचसु च्त्त । तओ नयिइणा बणणमॊ जहा एिॊ बिउ च्त्त ।<br />

एिॊ च गोमभ ! सव्िॊ अदरयद्भकयबये गोउरे काऊॊ तेणॊ अनुछचरयम-नाभगधज्जेणॊ ऩरयणीमा<br />

सा ननममधूमा सुज्जलसरय-सुज्जलसिेणॊ ।<br />

जामा ऩयोप्ऩयॊ तेलसॊ ऩीई जाि णॊ नेहाणुयाग-यॊच्जम-भानसे गभेंनत कारॊ ककॊ गच ताि णॊ दटॎूणॊ<br />

गगहागए साहूणो ऩडडननमत्ते हा-हा-कॊ दॊ कयेभाणी ऩुटॎा सुज्जलसिेणॊ सुज्जलसयी जहा-वऩए ! एमॊ अहदटॎऩुव्िॊ<br />

लबक्खामय-जुमरमॊ दटॎूणॊ ककभेमाित्थॊ गमालस तओ तीए बणणमॊ ननु भज्झॊ सालभणी एएलसॊ भहमा<br />

बक्खन्न-ऩाणेणॊ ऩत्त-बयणॊ ककरयमॊ । तओ ऩहटॎ-तुटॎ-भानसा उत्तभॊगेणॊ चरणग्गे ऩणभमॊती ता भए<br />

अज्ज एएलसॊ ऩरयदॊसणेणॊ सा सॊबारयम च्त्त, ताहे ऩुणो वि ऩुटॎा सा ऩािा तेणॊ, जहा णॊ वऩए । काउ तुज्झॊ<br />

सालभणी अहेलस तओ गोमभा ! णॊ दढॊ ऊसुसरुसुॊबॊतीए सभणणुगग्घयविसॊठु ल्रॊसुगगगयाए साहहमॊ सव्िॊ वऩ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [147] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


ननममिुत्तत्तॊ तस्सेनत । ताहे विणणामॊ तेणॊ भहाऩािकम्भेणॊ जहा णॊ ननछछमॊ एसा सा भभॊगमा सुज्जलसयी<br />

। न अन्नाए भहहराए एरयसा रूि-कॊ ती-हदत्ती-रािणण सोहग्ग-सभुदमलसयी बिेज्ज च्त्त । गचॊनतऊण<br />

बणणउभाढत्तो तॊ जहा :-<br />

[१५१५] एरयस कम्भ-यमाणॊ जॊ ण ऩडे खडहडडॊतमॊ िज्जॊ ।<br />

तॊ नूण इभॊ गचॊतेइ सो वि जहहत्थविउ भे कत्थ सुच्ज्झस्सॊ ।।<br />

अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

[१५१६] नत बाणणऊणॊ गचॊतउॊ ऩित्तो सो भहाऩािमायी । जहा णॊ ककॊ नछॊदालभ अहमॊ<br />

सहत्थेहहॊ नतरॊ नतरॊ सगत्तॊ ककॊ िा णॊ तुॊगगगरयमडाओ ऩच्क्खविउॊ दढॊ सॊचुन्नेंलभ इनभो अनॊतो-ऩाि-<br />

सॊघाम-सभुदमॊ दुटॎॊ ककॊ िा णॊ गॊतूणॊ रोहमाय-सारा सुतत्त-रोह-खॊडलभि-घण-खॊडाहहॊ चुणणािेलभ<br />

सुइयभत्ताणगॊ <br />

ककॊ िा णॊ पारािेऊणॊ भज्झोभज्झीए नतक्ख-कयित्तेहहॊ अत्ताणगॊ ऩुणो सॊबयािेलभ अॊतो सुकड्हढमतउम-<br />

तॊफ-कॊ सरोए-रोणूससच्ज्जमक्खायस्स ककॊ िा णॊ सहत्थेणॊ नछॊदालभ उत्तभॊगॊ ककॊ िा णॊ ऩविसालभ<br />

भमयहयॊ ककॊ िा णॊ उबमरुक्खेसु अहोभुहॊ विणणफॊधाविऊणभत्ताणगॊ हेटॎा ऩज्जरािेलभ जरणॊ <br />

ककॊ फहुना ननद्हेलभ कटॎेहहॊ अत्ताणगॊ नत गचॊनतऊणॊ जाि णॊ भसाणबूभीए, गोमभा !<br />

वियइमा भहती गचई । ताहे समर-जन-सच्न्नज्झॊ सुईयॊ ननॊहदऊण अत्ताणगॊ साहहमॊ च सव्ि-रोगस्स जहा<br />

णॊ भए एरयसॊ एरयसॊ कम्भॊ सभामरयमॊ नत बाणणऊण आरूढो चीमाए ।<br />

जाि णॊ बविमव्िमाए ननओगेणॊ तारयस-दव्ि-चुन्न-जोगाणुसॊसटॎे ते सव्िे वि दारु च्त्त<br />

काऊणॊ पू इज्जभाणे वि अनेग-ऩमायेहहॊ तहा वि णॊ ऩमलरए लसही । तओ म णॊ गधवदॎकायेणोिहओ समर-<br />

गोििमणेहहॊ जहा-बो बो ऩेछछ ऩेछछ हुमासणॊ वऩ न ऩज्जरे ऩािकम्भॊ-कारयस्सॊ नत बाणणऊणॊ ननदॎाडडए ते<br />

फेवि गोउराओ ।<br />

एमािसयॊलभ उ अणणासन्न-सच्न्निेसाओ आगए णॊ बत्त-ऩानॊ गहाम तेणेि भग्गेणॊ<br />

उज्जाणालबभुहे भुणीण सॊघाडगे । तॊ च दटॎूणॊ अनुभग्गेणॊ गए ते फेवि ऩाविटॎे, ऩत्ते म उज्जाणॊ जाि णॊ<br />

ऩेछछॊनत समर-गुणोह धारयॊ चउन्नाण-सभच्न्नमॊ फहु-सीसगण-ऩरयककन्नॊ देविॊदॊ नरयॊदॊ िॊहदज्जभाणॊ-ऩामयविॊदॊ<br />

सुगहहम-नाभधेज्जॊ जगानॊदॊ-नाभ अनगायॊ तॊ च दटॎूणॊ गचॊनतमॊ तेहहॊ जहा नॊदे भग्गालभ विसोहह-ऩमॊ एस<br />

भहामसे च्त्त गचॊनतऊणॊ तओ ऩणाभ-ऩुव्िगेणॊ उिविटॎे ते जहोइए बूलभबागे ऩुयओ गणहयस्स, बणणओ म<br />

सुज्जलसिो तेणॊ गणहारयणा जहा णॊ बो बो देिाणुच्प्ऩमा ! नीसल्रभारोएत्ताणॊ रघुॊ कयेसुॊ लसग्घॊ असेस<br />

ऩाविटॎ-कम्भ-ननटॎिणॊ ऩामच्छछत्तॊ ।<br />

एसा उण आिणणसत्ताए ऩाणमाए ऩामच्छछत्तॊ नच्त्थ जाि णॊ नो ऩसूमा ताहे गोमभा !<br />

सभुहछचॊत-ऩयभ-भहासॊिेगगए से णॊ सुज्जलसिे आजम्भाओ नीसल्रा-रोमणॊ ऩमच्छछऊण जहिइटॎॊ घोयॊ<br />

सुदुक्कयॊ भहॊतॊ ऩामच्छछत्तॊ अनुचरयत्ताणॊ,<br />

तओ अछचॊत-विसुदॎ-ऩरयणाभो साभणणभब्बुहटॎऊणॊ छव्िीसॊ सॊिछछये तेयस म याइॊहदए<br />

अछचॊत-घोय-िीरुग्ग-कटॎ-दुक्कय-ति-सॊजभॊ-सभणुचरयऊणॊ जाि णॊ एग-दु-नत-चउ-ऩॊच-छम्भालसएहहॊ खभणेहहॊ<br />

खिेऊणॊ ननप्ऩडड-कम्भ-सयीयत्ताए अप्ऩभाममाए सव्ित्थाभेसु अनियम-भहच्न्नसानुसभमॊ सममॊ सज्झाम-<br />

झाणाईसु णॊ ननहद्हहऊणॊ सेस-कम्भभरॊ अउव्ि-कयणेणॊ खिग-सेढीए अॊतगड-के िरी जाए<br />

लसदॎे म।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [148] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


[१५१७] से बमिॊ तॊ तारयसॊ भहाऩािकम्भॊ सभामरयऊणॊ तहा िी कहॊ एरयसेणॊ से सुज्जलसिे<br />

रहुॊ थेिेणॊ कारेणॊ ऩरयननव्िुडे च्त्त गोमभा ! ते णॊ जारयसॊ बािहटॎएणॊ आरोमणॊ विइन्नॊ जारयस सॊिेग-<br />

गएणॊ तॊ तारयसॊ घोयदुक्कयॊ हॊतॊ ऩामच्छछत्तॊ सभणुहटॎमॊ जारयसॊ सुविसुदॎ-सुहज्झिसाएणॊ तॊ तारयसॊ<br />

अछचॊतक-घोय-िीरुग्ग-कटॎ-सुदुक्कय-ति-सॊजभ-ककरयमाए िट्भाणेणॊ अखॊडडम अवियाहहए भूरुत्तयगुणे<br />

ऩरयऩारमॊतेणॊ ननयइमायॊ साभणणॊ ननव्िाहहमॊ, जारयसेणॊ योद्ट्ज्झाण-विप्ऩभुक्के णॊ ननहटॎम-याग-दोस-भोह-<br />

लभछछत्त-भम-बम-गायिेणॊ भज्झत्थ-बािेणॊ अदीनभानसेणॊ दुिारस िासे सॊरेहणॊ काऊणॊ ऩाओिगभनभन<br />

अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

सनॊ ऩडडिणणॊ । तारयसेणॊ एगॊत सुहज्झिसाएणॊ णॊ के िरॊ से एगे लसज्झेज्जा ।<br />

जइ णॊ कमाइ ऩयकम-कम्भ-सॊकभॊ बिेज्जा ता णॊ सव्िेलसॊ वऩ बव्ि-सत्ताणॊ असेस-कम्भ-<br />

क्खमॊ-काऊण लसज्झेज्जा । नियॊ ऩयकमकम्भॊ न कमादी कस्सई सॊकभेज्जा, जॊ जेण सभच्ज्जमॊ तॊ तेणॊ<br />

सभनुबविमव्िमॊ नत, जमा णॊ ननरुदॎे जोगे हिेज्जा, तमा णॊ असेसॊवऩ कम्भटॎ-यालसॊ अनुकार-विबागेणेि<br />

ननटॎिेज्जा सुसॊिुडा सेसासिदाये । जोगननयोहेणॊ तु कम्भक्खए हदटॎे न उण कार-सॊखाए जओ णॊ ।<br />

[१५१८] कारे णॊ तु खिे कम्भॊ कारे णॊ तु ऩफॊधए ।<br />

एगॊ फॊधे खिे एगॊ गोमभा कारभनॊतगॊ ।।<br />

[१५१९] ननरुदॎेहहॊ तु जोगेहहॊ िेए कम्भॊ न फॊधए ।<br />

ऩोयाणॊ तु ऩहीएज्जा निगस्साबािभेि तु ।।<br />

[१५२०] एिॊ कम्भक्खमॊ विॊदा नो एत्थॊ कारभुहद्से ।<br />

अनाइकारे जीिे म तहा वि कम्भॊ न ननहटॎए ।।<br />

[१५२१] खाओिसभेभॊ कम्भाणॊ जमा िीरयमॊ सभुछछरे ।<br />

कारॊ खेत्तॊ बिॊ बािॊ दव्िॊ सॊऩप्ऩ जीिे तमा ।।<br />

[१५२२] अप्ऩभादी खिे कम्भॊ जे जीिे तॊ कोडडॊ चडे ।<br />

जो ऩभाहद ऩुणोऽनॊतॊ कारॊ कम्भॊ ननफॊगधमा ।।<br />

[१५२३] ननिसेज्जा चउगईए उ सव्ित्थाछचॊत-दुच्क्खए ।<br />

तम्हा कारॊ खेत्तॊ बिॊ बािॊ सॊऩप्ऩ गोमभा ! ।<br />

भइभॊ अइया कम्भक्खमॊ कये ।।<br />

[१५२४] से बमिॊ सा सुज्जलसयी कहहॊ सभुििन्ना गोमभा ! छटॎीए नयम-ऩुढिीए । से<br />

बमिॊ ! के णॊ अटॎेणॊ गोमभा! तीए ऩडडऩुन्नाणॊ साइयेगाणॊ निणहॊ भासाणॊ गमाणॊ इणभो विगचॊनतमॊ जहा-<br />

णॊ ऩछचुसे गब्बॊ ऩडािेलभ, नत एिभज्झिसभाणी चेि फारमॊ ऩसूमा, ऩसूमभेत्ता म तक्खणॊ ननहणॊ गमा,<br />

एतेणॊ अटॎेणॊ गोमभा! स सुज्झलसयी छहटॎमॊ गमॊ च्त्त ।<br />

से बमिॊ! जॊ तॊ फारगॊ ऩसविऊणॊ भमा सा सुज्जलसयी तॊ जीविमॊ िा ण ि च्त्त गोमभा!<br />

जीविमॊ । से बमिॊ ! कहॊ गोमभा! ऩसूमभेत्तॊ तॊ फारगॊ तारयसेहहॊ जया-जहा-जरुस-जॊफार-ऩूइ-रुहहय-<br />

खाय-दुगॊधासुईहहॊ विरत्तभनाहॊ विरिभाणॊ दटॎूणॊ कु रार-चक्कस्सोिरयॊ काऊणॊ साणेणॊ सभुहद्लसउभायदॎॊ ताि<br />

णॊ हदटॎॊ कु रारेणॊ । ताहे धाइओ सघयणणओ कु रारो अविनालसम फार-तणू ऩणटॎो साणो ।<br />

तओ कारुणण-हहमएणॊ अऩुत्तस्स णॊ ऩुत्तो एस भज्झ होहहइ च्त्त विमप्ऩुऊणॊ कु रारेणॊ<br />

सभच्प्ऩओ से फारगो गोमभा ! स दईमाए । तीए म सब्बाि-नेहेणॊ ऩरयिालरऊणॊ भानुसी कए से फारगे ।<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [149] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


कमॊ च ऩाभॊ कु रारेणॊ रोगानुवित्तीए सजणगाहहहाणेणॊ, जहा णॊ सुसढो । अन्नमा कारक्कभेणॊ गोमभा !<br />

सुसाहु-सॊजोग-देसनाऩुव्िेणॊ ऩडडफुदॎे णॊ सुसढे ऩव्िइए म । जाि णॊ ऩयभ-सदॎा-सॊिेग-िेयग्ग-गए<br />

अछचॊतघोयिीरूग्ग-कटॎसुदुक्कयॊ भहाकामके सॊ कयेइ ।<br />

सॊजभॊ जमणॊ न माणइ अजमणा दोसेणॊ तु सव्ित्थ असॊजभ-ऩएसु णॊ अियज्झे ।<br />

तओ तस्स गुरुहहॊ बणणमॊ जहा बो बो भहासत्त ! तए अन्नाण-दोसओ सॊजभ-जमणॊ अमाणभाणेणॊ भहॊते<br />

काम-के से सभाढत्ते । नियॊ जइ ननछचारोमणॊ दाऊणॊ ऩामच्छछत्तॊ न काहहलस ता सव्िभेमॊ ननप्परॊ होही,<br />

अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

ता जाि णॊ गुरुहहॊ चोइए ताि णॊ से अनियमारोमणॊ ऩमछछे, से वि णॊ गुरू तस्स तहा ऩामच्छछत्ते<br />

ऩमाइ । जहा णॊ सॊजभ-जमणॊ ननू एगॊतेणेि अहच्न्नसाणुसभमॊ योद्ट्ज्झाणाइविप्ऩभुक्के सुहज्झिसाम-<br />

ननयॊतये ऩविहयेज्जा ।<br />

अहन्नमा णॊ गोमभा ! से ऩािभती जे के इ छटॎ-टॎभ-दसभ-दुिारसदॎभास-भास-जाि णॊ<br />

छम्भास-खिणाइए अन्नमये िा सुभहॊ काम-के साणुगए ऩच्छछत्ते से णॊ तह च्त्त सभणुटॎे । जे म उणॊ<br />

एगॊत-सॊजभ-ककरयमाणॊ जमणाणुगए भनोिइ-काम-जोगे समरासि-ननयोहे सज्झाम-ज्झाणािस्सगाईए असेस-<br />

ऩाि-कम्भ-यालस-ननद्हणे ऩामच्छछत्ते से णॊ ऩभाए अिभन्ने अिहेरे असद्हे लसहढरे जाि णॊ ककर<br />

ककलभत्थ दुक्कयॊ नत काऊणॊ न तहा सभणुटॎे ।<br />

अन्नमा णॊ गोमभा ! अहाउमॊ ऩरयिालरऊणॊ से सुसढे भरयऊणॊ सोहम्भे कप्ऩे इॊदसाभाननए<br />

भहहड्ढी देिे सभुप्ऩन्ने, तओ वि चविऊणॊ इहइॊ िासुदेिो होऊणॊ सत्तभ-ऩुढिीए सभुप्ऩन्ने । तओ उव्िट्े<br />

सभाणे भहा काए हत्थी होऊणॊ भेहुणा-सत्त-भानसे भारयऊणॊ अनॊत-िणस्सतीए गम च्त्त । एस णॊ गोमभा<br />

! से सुसढे जे णॊ ।<br />

[१५२५] आरोइम-ननॊहदमगयहहए णॊ कम-ऩामच्छछत्ते वि बवित्ताणॊ ।<br />

जमणॊ अमाणभाणे बलभही सुइयॊ तु सॊसाये ।।<br />

[१५२६] से बमिॊ कमयाओ म तेणॊ जमणा न विन्नामा, जओ णॊ तॊ तारयसॊ सुदुक्कयॊ काम-<br />

के सॊ काऊणॊ वऩ तहा वि णॊ बलभहहइ सुइयॊ तु सॊसाये गोमभा! जमणा नाभ अटॎायसणहॊ सीरॊग-सहस्साणॊ<br />

सॊऩुणणाणॊ अखॊडडम-वियाहहमाणॊ जािज्जीि-भहच्णणसाणुसभमॊ धायणॊ कलसणॊ सॊजभ-ककरयमॊ अनुभन्नॊनत, तॊ<br />

च तेण न विणणामॊनत । ते णॊ तु से अहन्ने बलभहहइ सुइयॊ तु सॊसाये ।<br />

से बमिॊ ! के णॊ अटॎेणॊ तॊ च तेणॊ न विणणामॊनत गोमभा ! ते णॊ जािइए काम-के से कए<br />

तािइमस्स अदॎ-बागेणेि जइ से फाहहय-ऩानगॊ वििज्जॊते ता लसदॎीए भनुिमॊते नियॊ तु तेण फाहहय-ऩानगे<br />

ऩरयबुत्ते फाहहयऩानग ऩरयबोइस्स णॊ गोमभा ! फहूइ वि कामके से ननयत्थगे हिेज्जा । जओ णॊ गोमभा !<br />

आऊ-तेऊ-भेहुणे एए तओ वि भहाऩािटॎाणे अफोहहदामगे एगॊतेणॊ वि िच्ज्जमव्िे, एगॊतेणॊ न सभामरयमव्िे<br />

सुसॊजएहहॊ नत, एतेणॊ अटॎेणॊ तॊ च तेणॊ न विणणाम च्त्त ।<br />

से बमिॊ के णॊ अटॎेणॊ आउ-तेऊ-भेहुणे च्त्त अफोहहदामगे सभक्खाए गोमभा ! णॊ सव्िभवि<br />

छक्काम-सभायॊबे भहाऩािटॎाणे ककॊ तु आऊ-तेउकाम-सभायॊबे णॊ अनॊत-सत्तोिघाए भेहुणासेिणेणॊ तु<br />

सॊखेज्जासॊखेज्ज-सत्तोिघाए घन-याग-दोस-भोहानुगए एगॊत-अप्ऩ-सत्थज्झिसामत्तभेि जम्हा णॊ एिॊ<br />

तम्हाओ गोमभा ! एतेलसॊ सभायॊबासेिणऩरयबोगाहदसु िट्भाणे ऩाणी ऩढभभहव्िमभेि न धायेज्जा ।<br />

तयभावे अवसेसमहव्वय-संजमट्ठाणस्स अभावमेव जम्हा एिॊ तम्हा सव्िहा वियाहहए साभणणे । जओ एिॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [150] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


तओ णॊ ऩिच्त्तमसॊभग्गऩणालसत्तेणेि गोमभा ! तॊ ककॊ ककॊ वऩ कम्भॊ ननफॊधेज्जा जे णॊ तु नयम-नतरयम-<br />

कु भानुसेसु अनॊत-खुत्तो ऩुणो ऩुणो धम्भो च्त्त अक्खयाइॊ लसलभणे वि णॊ अरबभाणे ऩरयबभेज्जा । एएणं<br />

अट्ठेणं आऊ-तेऊ-मेहुणो अबोहहय-दायगे गोयमा ! सभक्खाए च्त्त ।<br />

से बमिॊ! ककॊ छटॎ-टॎभ-दसभ-दुिारसदॎ-भास-भासे जाि णॊ छम्भास-खिणाईणॊ अछचॊत-घोय-<br />

िीरुग्ग-कटॎ-सुदुक्कये-सॊजभ-जमणाविमरे सुभहॊते वि उ काम-के से कए ननयत्थगे हिेज्जा गोमभा! णॊ<br />

ननयत्थगे हिेज्जा । से बमिॊ ! के णॊ अटॎेणॊ गोमभा ! जओ णॊ खरुट्-भहहस-गोणाद-<br />

अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

ओवि सॊजभजमणाविमरे अकाभ ननज्जयाए सोहम्भ-कप्ऩाइसु िमॊनत । तओ वि बोग-खएणॊ-चुए सभाणे<br />

नतरयमाहदसु सॊसायभनुसयेज्जा ।<br />

तहा म दुग्गॊधाभेज्झगचरीण-खायवऩत्तोज्झ-लसॊब-ऩडहत्थे-िसा-जरुस-ऩूइ-दुहद्णण-गचलरविरे-<br />

रुहहय-गचक्खल्रे दुद्ॊसणणज्ज-फीबछछ-नतलभसॊधमायए गॊतुच्व्िमणणज्ज-गब्ब-ऩिेस-जम्भ-जाय-भयणाई-अनेग-<br />

सायीय-भनोसभुत्थ-सुघोय-दारुण-दुक्खाणभेि बामणॊ बिॊनत । न उण सॊजभ-जमणाए विना जम्भ-जया-<br />

भयणाइएहहॊ घोय-ऩमॊड-भहारुद्-दारुण-दुक्खाणॊ ननटॎिणभेगॊनतमभछचॊनतमॊ बिेज्जा । एतेणॊ अटॎेणॊ सॊजभ-<br />

जमणाविमरे सुभहॊतेवि काम-के से ऩकए गोमभा ! ननयत्थगे बिेज्जा, से बमिॊ ! ककॊ सॊजभ-जमणॊ<br />

सभुप्ऩेहभाणे सभनुऩारेभाणे सभणुटॎेभाणे अइयेणॊ जम्भ-भयणादीणॊ विभुछचेज्जा गोमभा! अत्थेगे जे णॊ<br />

नो अइयेणॊ विभुछचेज्जा ।<br />

से बमिॊ ! के णॊ अटॎेणॊ एिॊ िुछचइ जहा णॊ अत्थेगे जेणॊ नो अइयेणॊ विभुछचेज्जा अत्थेगे<br />

जे णॊ अइयेणेि विभुछचेज्जा गोमभा! अत्थेगे जे णॊ ककॊ गचउ ईलस भनगॊ अत्ताणगॊ अनोिरक्खेभाणे<br />

सयाग-ससल्रे-सॊजभ-जमणॊ सभणुटॎे जे णॊ एिॊविहे से णॊ गचयेणॊ जम्भ-जया-भयणाइॊ अनेग-सॊसारयम-<br />

दुक्खाणॊ विभुछचेज्जा ।<br />

अत्थेगे जे णॊ ननम्भूरुवदॎम-सव्िसल्रे ननयायॊब-ऩरयग्गहे ननम्भभे ननयहॊकाये ििगमयाग-दोस-<br />

भोह-लभछछत्त-कसाम-भरकरॊके सव्ि-बािबािॊतयेहहॊ णॊ सुविसुदॎासए-अदीन-भानसे एगॊतेणॊ ननज्ज-याऩेही<br />

ऩयभ-सदॎा-सॊिेग-िेयग्गगए विभुक्कासेस भम-बम-गायि-विगचत्ताणेग-ऩभामरिणे ।<br />

जाि णॊ ननच्ज्जम-घोय-ऩयीसहोिसग्गे ििगमयोद्ट्ज्झाणे असेस-कम्भ-खमटॎाए जहुत्त-<br />

सॊजभ-जमणॊ सभनुऩेहहज्जा ऩारेज्जा अनुऩारेज्जा सभणुऩारेज्जा जाि णॊ सभणुटॎेज्जा । जे म णॊ एिॊविहे<br />

से णॊ अइयेणॊ जम्भ-जयाभयणाइ अनेगसॊसारयम-सुदुच्व्िभोक्खदुक्खजारस्स णॊ विभुछचेज्जा, एतेणॊ अटॎेणॊ<br />

एिॊ िुछचइ- जहा णॊ गोमभा ! अत्थेगे जे णॊ नो अइयेणॊ विभुछचेज्जा अत्थेगे जे म णॊ अइयेणेि<br />

विभुछचेज्जा ।<br />

से बमिॊ ! जम्भ-जया-भयणाइ-अनेग-सॊसारयम-दुक्ख-जार-विभुक्के सभाणे जॊतू कहहॊ<br />

ऩरयिसेज्जा गोमभा! जत्थ णॊ न जया न भछचू न िाहहओ नो अमसब्बक्खाणॊ सॊतािुव्िेग-कलर-करह-<br />

दारयद्-दॊद-ऩरयके सॊ न इटॎ-विओगो, ककॊ फहुना एगॊतेणॊ अक्खम-धुि-सासम-ननरुिभ-अनॊत-सोक्खॊ भोक्खॊ<br />

ऩरयिसेज्ज च्त्त फेलभ ।<br />

० अट्ठमं अज्झयणं बबइया चूमऱया समत्तं ०<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [151] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]


[१५२७] ॐ नमो चउवीसाए नतत्थंकराणं, ॐ नमो नतत्थस्स, ॐ नमो सुयदेवयाए भगवईए,<br />

ॐ नमो सुयके वऱीणं ॐ नमो सव्वसाहूणं ॐ नमो [सव्वमसदॎाणं] ॐ नमो भगवओ अरहओ मसज्झउ<br />

मे भगवई महइ महापवज्जा व ् इ इ र् ए म ह् अ अ व ् इ इ र् ए, ज य व ् इ इ र् ए स ् ए ण व ्<br />

इ इ र् ए वदॎ म ् अ अ ण ् अ व ् इ इ र् ए ज य ् अ इ त ् ए अ ऩ ् अ र् अ अ ज ् इ ए स ् व ् अ<br />

अ ह् अ अ ।<br />

[िीये भहािीये जमिीये सेणिीये िदॎभाणिीये जमइ ते अऩयाच्जए स्िाहा]<br />

उऩचायो चउत्थबत्तेणॊ सहहज्जइ एसा विज्जा सव्िगओ ण ् इ त्थ ् अ अ य ग ऩ ् अ अ य<br />

ग ्<br />

अज्झमणॊ-८ / चूलरका-२<br />

अ ओ होइ उिटॎ् अ अ ि ण ् अ अ गणस्स िा अ ण ् उ ण ् ण ् आ ए एसा सत्तिाया ऩरयजिेमव्िा<br />

[ननत्थायगो ऩायगो होइ] ।<br />

जे णॊ कप्ऩसभत्तीए विज्जा अलबभॊनतऊणॊ विग्घविणाइगा आयाहॊनत सूये सॊगाभे ऩविसॊतो<br />

अऩयाच्जओ होइ च्जनकप्ऩ-सभत्तीए विज्जा अलबभॊनतऊण खेभिहणी भॊगरिहणी बिनत ।<br />

[१५२८] चत्तारय सहस्साइॊ ऩॊचसमाओ तहेि चत्तारय ।<br />

लसरोगा वि म भहाननसीहॊलभ ऩाएण ।।<br />

० अट्ठमं अज्झयणं [बबइया चूमऱया] समत्तं ०<br />

मुनन दीऩरत्नसागरेण संशोधधताः सम्ऩाहदताश्च ‘‘<strong>महाननसीहं</strong> छेयसुत्तं’’ सम्मत्तं<br />

<strong>३९</strong> भहाननसीहॊ- छटॎॊ छेमसुत्तॊ सम्भत्तॊ<br />

[दीऩरत्नसागर संशोधधतः] [152] [<strong>३९</strong>-<strong>महाननसीहं</strong>]

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