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Trishashti Shalaka Purush Charitra Part-2 (Folder No - Jain Library

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हजायीभर भुनन स्भृनि ग्रन्थ (पोल्डय नॊ. ०१२०४०)<br />

भुख्म टाइटर<br />

ननवेदन<br />

सभऩपण<br />

ग्रन्थ का कराऩऺ<br />

भदीमभ ्<br />

प्रधान सम्ऩादक का ननवेदन<br />

प्रथभ अध्माम – जीवन, सॊस्भयण, श्रदॎाॊजनर औय ऩयम्ऩया दर्पन ----------------------------- १-२५४<br />

भुनन श्रीहजायीभरजी-जीवनवृत्त ---------------------------------------------------------------- १<br />

सॊस्भयण औय श्रदॎाञ्जनरमाॉ ----------------------------------------------------------------- ६५<br />

सॊि कवव आचामप जमभल्रजी-कृ नित्व औऱ व्मवित्व --------------------------------------- १३७<br />

आचामप श्रीयामचन्रजी भ. की साहहत्मसजपना ------------------------------------------------ १५६<br />

आर्ाहकयण आचामप आसकयणजी ----------------------------------------------------------- १५९<br />

भुनन रूऩचन्दजी – एक खोजऩूणप आरेख --------------------------------------------------- १६५<br />

निरोकऋविजी की काव्म-साधना ----------------------------------------------------------- १६८<br />

कवववमप अभीऋविजी औय अभृि काव्मसॊग्रह ------------------------------------------------ १७४<br />

दीघपदृवि रंकार्ाह ------------------------------------------------------------------------- १७९<br />

रंकार्ाह भि की दो ऩोनथमाॉ -------------------------------------------------------------- १८४<br />

स्थानकवासी ऩयम्ऩया की ववर्ेििाएॉ -------------------------------------------------------- १८९<br />

स्थानकवासी जैन सभाज या साचा सऩूि --------------------------------------------------- १९४<br />

रंकागच्छ की साहहत्मसेवा ---------------------------------------------------------------- २०३<br />

श्रीरंकागच्छ की ऩयम्ऩया औय उसका अऻाि साहहत्म -------------------------------------- २१४<br />

हििीम अध्माम – दर्पन औय धभप ------------------------------------------------------- २५५-५२८<br />

अनन्म औय अऩयाजेम जैनदर्पन – श्री ऻान बारयल्र -------------------------------------- २५७<br />

कु छ ववदेर्ी रेखकं की दृवि भं जैन धभप औय बगवान भहावीय – श्री भहेन्र याजा ----------- २७१<br />

आहपि आयाधना का भूराधाय-सम्मग्दर्पन – भुनन श्री भल्रजी ------------------------------- २८०<br />

जैनधभप के नैनिक नसदॎान्ि – डॉ. ईश्वयचन्द र्भाप ------------------------------------------ २८९<br />

जैन साधऩा – श्री रयिबदास याॊका --------------------------------------------------------- ३०३<br />

जैनाचाय की बूनभका – डॉ. भोहनरार भहेिा ----------------------------------------------- ३१०<br />

भहावीय औय उनके नसदॎान्ि – डॉ. जगदीर्चन्र जैन --------------------------------------- ३१८<br />

सवपधभपसभबाव औय स्मािाद – आचामप श्री िुरसी ------------------------------------------ ३२१<br />

स्मािाद औय अहहॊसा – श्री सौबाग्मभर जैन ---------------------------------------------- ३२५<br />

जैनदर्पन औय ववऻान – श्री कन्हैमारार रोढ़ा --------------------------------------------- ३२८<br />

सप्तबॊगी – श्री रूऩेन्रकु भाय ऩगारयमा ------------------------------------------------------- ३४१<br />

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अनेकान्िवाद – श्री सुयेर् भुनन र्ास्त्री ------------------------------------------------------ ३४९<br />

जैनदर्पन – श्री इन्रचन्र र्ास्त्री ----------------------------------------------------------- ३५७<br />

दर्पऩ औय ववऻान के आरोक भं ऩुद्गररव्म – श्री गोऩीरार अभय --------------------------- ३६८<br />

जीवित्व-वववेचन – ऩॊ. नभराऩचन्द कटारयमा ----------------------------------------------- ३८९<br />

बायिीम दर्पनं भं आत्भवाद – श्री यिनरार सॊघवी ---------------------------------------- ३९५<br />

कभप-स्वरूऩ औय फॊध – श्री याजकु भाय जैन ------------------------------------------------- ४०२<br />

प्रश्नोत्तय-अऩरयग्रह – श्री जैनेन्रकु भाय ------------------------------------------------------ ४०५<br />

जैनधभप भं बविमोग – ऩॊ. चैत्रसुखदास न्मामिीथप ------------------------------------------ ४०८<br />

ननमनि का स्वरूऩ – डॉ. कन्हैमारार सहर ------------------------------------------------ ४१५<br />

नबऺु जभारी औय फहुयि दृविवाद – भुनन श्री सुर्ीरकु भायजी ------------------------------- ४२३<br />

धभप का वास्िववक स्वरूऩ – डॉ. बुवनेश्वयनाथ नभश्र ---------------------------------------- ४२६<br />

गुणस्थान – ऩॊ. हीयारार जैन ------------------------------------------------------------- ४२९<br />

अनेक ित्त्वात्भक वास्िववकिावाद औय जैनदर्पन – भुनन श्री भहेन्रकु भाय ------------------- ४२६<br />

हहन्दू िथा जैन साधुऩयम्ऩया एवॊ आचाय – श्री देवनायामण र्भाप ---------------------------- ४४०<br />

सकाभ धभप-साधना – श्री जुगरहकर्ोय भुख्िाय -------------------------------------------- ४४८<br />

जैन दर्पन भं सॊरेखना का भहत्त्वऩूणप स्थान – श्री दयफारयरार कोहिमा --------------------- ४५४<br />

सत्मॊ नर्वॊ सुन्दयभ ् – श्री यभेर् उऩाध्माम -------------------------------------------------- ४६६<br />

भनुष्म जानि का सवोत्तभ आहाय् र्ाकाहाय – श्री नर्खयचन्र कोचय ------------------------ ४७०<br />

वणं का ववबाजन – डॉ. सत्मकाभ वभाप -------------------------------------------------- ४७२<br />

जैन दृविसे भनुष्मं भं उच्च-नीच व्मवस्था का आधाय – ऩण्डडि श्री फॊनर्धय ---------------- ४७४<br />

वेदोत्तय कार भं ब्रह्मववद्या की ऩुनजापगृनि – श्री जमबगवान जैन ---------------------------- ४८४<br />

जैनभिानुसाय अबाव प्रभेम-भीभाॊसा – साध्वी श्री ननभपराश्रीजी ------------------------------ ४९४<br />

श्रावक धभप – डॉ. इन्रचन्र र्ास्त्री --------------------------------------------------------- ४९९<br />

जन र्ासन औय ण्जनर्ासन – भुनन श्री सन्िफारजी ---------------------------------------- ५१४<br />

सत्माग्रह औय ऩर्ु – काका कारेरकय ----------------------------------------------------- ५१७<br />

ऩुरुि प्रजाऩनि – श्री वासुदेवर्यण अग्रवार ------------------------------------------------- ५१९<br />

िृिीम अध्माम – सॊस्कृ नि, सभाज, इनिहास औय ऩुयाित्त्व --------------------------------- ५२९-७१२<br />

बायिीम सॊस्कृ नि का वास्िववक दृविकोण – डॉ. भॊगरदेव र्ास्त्री ---------------------------- ५३१<br />

आमं से ऩहरे की बायिीम सॊस्कृ नि – डॉ. गुराफचन्र चौधयी ------------------------------- ५३९<br />

जैन श्रभणसॊघ की र्ासनऩदॎनि – भुनन श्री कल्माणववजमजी गण्ण ------------------------- ५४३<br />

जैन सॊस्कृ नि भं सभाजवाद – साध्वी श्री उभयाॉवकुॉ वयजी ------------------------------------ ५५१<br />

प्राचीन बायि की जैन नर्ऺणऩदॎनि – डॉ. हयीन्र बूिण जैन ------------------------------- ५५५<br />

भोऺभागपस्म नेिायभ ् के कत्ताप ऩूज्मऩाद देवनण्न्द – डॉ. नथभर टाहटमा ---------------------- ५६३<br />

कणापटक के जैन र्ासक – ऩॊ. बुजफरी र्ास्त्री --------------------------------------------- ५७०<br />

उऩननिद् ऩुयाण औय भहाबायि भं जैनसॊस्कृ नि के स्वय – भुनन श्री नथभरजी -------------- ५७४<br />

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वैर्ारीनामक चेटक औय नसन्धु सौवीय का याजा उदामन – आचामप भुनन श्री ण्जनववजमजी -- ५७९<br />

बायिीम सॊस्कृ नि भं सन्ि का भहत्त्व – श्री कु सुभविीजी ----------------------------------- ५९५<br />

जैनगाभ औय नायी – श्री कराविी जैन ---------------------------------------------------- ६००<br />

श्री एर. ऩी. जैन औय उनकी सॊके िनरवऩ – श्री नथभर दुग्गड िथा श्री िेजनसॊह यािोड़ ------ ६०३<br />

दण्ऺण बायि भं जैनधभप – श्री श्रीयॊजन सूरयदेव -------------------------------------------- ६०६<br />

वृिबदेव िथा नर्व सॊफॊधी प्राच्म भान्मिाएॉ – डॉ. याजकु भाय जैन --------------------------- ६०९<br />

याजस्थान भं प्राचीन इनिहास की र्ोध – डॉ. देवीरार ऩारीवार ---------------------------- ६३०<br />

कानरदास औय ववक्रभ ऩय एक ववचाय – श्री सूमपनायामण व्मास ----------------------------- ६४१<br />

भहावीय औय फुदॎ जन्भ व प्रव्रज्मामं – भुनन श्री नगयाजजी --------------------------------- ६४३<br />

भहावीय िाया प्रचारयि आध्माण्त्भक गणयाज्म औय उसकी ऩयॊऩया – बरीप्रसाद ऩॊचोरी -------- ६४६<br />

यइधू साहहत्म की प्रर्ण्स्िमं भं ऐनिहानसक व साॊस्कृ निक साभग्री – प्रो. याजायाभ जैन ------ ६५४<br />

धौरऩुय का चाहभान चडडभहासेन का सॊवि ् ८९८ का नर्रारेख – यत्नचन्र अग्रवार ---------- ६६६<br />

प्राचीन वास्िुनर्ल्ऩ – ऩॊ. बगवानदास जैन ------------------------------------------------- ६६९<br />

भहाऩॊहडि टोडयभरजी – श्री अनूऩचन्द ----------------------------------------------------- ६७३<br />

िुम्फवन औय आमप वज्र – श्री ववजमेन्र सूरयश्वयजी----------------------------------------- ६७७<br />

देफायी के याजयाजेश्वय भण्न्दय की अप्रकानर्ि प्रर्ण्स्ि – यत्नचन्र अग्रवार -------------------- ६८६<br />

याजस्थानी नचत्रकरा – प्रो. ऩयभानन्द चोऩर ----------------------------------------------- ६९३<br />

भध्म बायि का जैन ऩुयाित्त्व – श्री ऩयभानन्द जैन ----------------------------------------- ६९८<br />

चिुथप अध्माम – बािा औय साहहत्म ------------------------------------------------------ ७१३-९१६<br />

जैन आगभधय औय प्राकृ ि वाङ्मम – भुनन श्री ऩुडमववजमजी -------------------------------- ७१५<br />

जैनवाङ्मम के मोयऩीम सॊर्ोधक – श्री गोऩारनायामण फहोया -------------------------------- ७४५<br />

याभचरयि सम्फन्धी याजस्थानी जैन साहहत्म – श्री अगयचन्द नाहटा ------------------------ ७४९<br />

जैन कृ ष्ण साहहत्म – श्री भहावीय कोहटमा ------------------------------------------------ ७५४<br />

याजस्थानी जैन सन्िं की साहहत्म-साधना – डॉ. कस्िुयचन्द कासरीवार -------------------- ७६३<br />

िीन अधपभागधी र्ब्ददं की कथा – डॉ. हरयवल्रब चुनीरार बामाणी ------------------------- ७७१<br />

जैनर्ास्त्र औय भॊत्रववद्या – श्री अम्फारार प्रेभचन्द र्ाह ------------------------------------- ७७३<br />

काहर र्ब्दद के अथप ऩय ववचाय – श्री फहादुयचॊद छावड़ा ------------------------------------- ७८०<br />

याजस्थानी साहहत्म भं जैन साहहत्मकायं का स्थान – श्री ऩुरुिोत्तभ भेनारयमा ---------------- ७८१<br />

प्राचीन हदगम्फयीम ग्रॊथं भं श्वेिाम्फयीम आगभं के अवियण – ऩॊ. फेचयदास जीवयाज दोर्ी --- ७९१<br />

सॊस्कृ ि कोिसाहहत्म को आचामप हेभचन्र की अऩूवप देन – श्री नेनभचन्र र्ास्त्री -------------- ७९४<br />

अऩभ्रॊर् जैन साहहत्म – प्रो. देवेन्रकु भाय जैन ---------------------------------------------- ८०४<br />

आगभसाहहत्म का ऩमापरोचन – भुनन श्री कन्हैमारारजी ------------------------------------ ८०९<br />

अजभेय-सभीऩवी ऺेत्र के कनिऩम उऩेण्ऺि हहन्दी साहहत्मकाय – भुनन श्री काण्न्िसागयजी ---- ८२५<br />

कणापटक साहहत्म की प्राचीन ऩयम्ऩया – वधपभान ऩाश्वपनाथ र्ास्त्री ---------------------------- ८५६<br />

काव्म भं अध्मात्भ – श्री सुर्ीरकु भाय हदवाकय --------------------------------------------- ८६१<br />

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जैन कथा साहहत्म – डॉ. ज्मोनिप्रसाद जैन ------------------------------------------------- ८६५<br />

आमुवेद का उद्ेश्म-सॊमभसाधना – ऩॊ. कु न्दनरार जैन -------------------------------------- ८६७<br />

एक जैनिय सन्िकृ ि जम्फू चरयत्र – श्री बॉवयरार नाहटा ----------------------------------- ८७०<br />

ऩउभचरयमॊ के यचनाकार सम्फन्धी कनिऩम अप्रकानर्ि िथ्म – डॉ. के. ऋिबचन्र --------- ८७७<br />

जैन कथासाहहत्म-एक ऩरयचम – प्रो. श्रीचन्र जैन ------------------------------------------ ८८४<br />

भेवाड़ भं यनचि जैन साहहत्म – श्री र्ाण्न्िरार बायिाज ------------------------------------ ८९०<br />

अऩभ्रॊर् का ववकास – डॉ. गोवधपन र्भाप---------------------------------------------------- ९००<br />

ऩॊचभ अध्माम – अॊग्रेजी ववबाग -------------------------------------------------------------- १-९४<br />

<strong>Jain</strong>ism-A Great religion – Prof. N. G. Suru ------------------------------------------------------------ 1<br />

Message to Humanity – Prof. G. R. <strong>Jain</strong> ---------------------------------------------------------------- 4<br />

A Survey of <strong>Jain</strong>a Religion and Philosophy – Dr. Nathmal Tatia --------------------------------- 8<br />

The Pre-Aryan Sharmanic Spiritualism – Shri Ramchandra <strong>Jain</strong> ------------------------------ 12<br />

Ahimsa, the Basic Social Ethic – Dr. Bool Chand -------------------------------------------------- 27<br />

The Doctrines of <strong>Jain</strong>ism – K. B. Jindal --------------------------------------------------------------- 30<br />

The Concepts of Parisaha and Tapa in <strong>Jain</strong>ism – Dr. Kamal Chand Sogani --------------- 45<br />

Nature of Divinity in <strong>Jain</strong>a Philosophy – T. G. Kalghatgi ----------------------------------------- 63<br />

The non-Violence of Mahatma Gandhi and Gita – Miss Ruth M. Well------------------------ 68<br />

Some Aspects of <strong>Jain</strong> psychology as revealed in the Bhagawati Sutra – Dr. J. C.<br />

Sikdar ------------------------------------------------------------------------------------------------------ 75<br />

The Vratas other than Ahimsa-as Propounded in <strong>Jain</strong>ism – H. Bhattacharya ------------- 88<br />

Shramadan or Voluntary manual labour-the old way – Prof. N. V. Vaidya ------------------ 94<br />

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