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अनंदु सािहब रामकली महला ३ अनंदु ੴ सितगुर सािद ॥ 40 अनंदु भइआ मेरी माए सितगुरू मै पाइआ ॥ सितगुरु त पाइआ सहज सेती मिन वजीआ वाधाईआ ॥ राग रतन परवार परीआ सबद गावण आईआ ॥ सबदो त गावहु हरी के रा मिन िजनी वसाइआ ॥ कहै नानकु अनंदु होआ सितगुरू मै पाइआ ॥१॥ ए मन मेिरआ तू सदा रहु हिर नाले ॥ हिर नािल रहु तू मंन मेरे दूख सिभ िवसारणा ॥ अंगीकारु ओहु करे तेरा कारज सिभ सवारणा ॥ सभना गला समरथु सुआमी सो िकउ मनहु िवसारे ॥ कहै नानकु मंन मेरे सदा रहु हिर नाले ॥२॥ साचे सािहबा िकआ नाही घिर तेरै ॥ घिर त तेरै सभु िकछु है िजसु देिह सु पावए ॥ सदा िसफित सलाह तेरी नामु मिन वसावए ॥ नामु िजन कै मिन विसआ वाजे सबद घनेरे ॥ कहै नानकु सचे सािहब िकआ नाही घिर तेरै ॥३॥ साचा नामु मेरा आधारो ॥ साचु नामु अधारु मेरा िजिन भुखा सिभ गवाईआ ॥ किर सांित सुख मिन आइ विसआ िजिन इछा सिभ पुजाईआ ॥ सदा कु रबाणु कीता गुरू िवटहु िजस दीआ एिह विडआईआ ॥ कहै नानकु सुणहु संतहु सबिद धरहु िपआरो ॥ साचा नामु मेरा आधारो ॥४॥ वाजे पंच सबद िततु घिर सभागै ॥ घिर सभागै सबद वाजे कला िजतु घिर धारीआ ॥ पंच दूत तुधु विस कीते कालु कं टकु मािरआ ॥ धुिर करिम पाइआ तुधु िजन कउ िस नािम हिर कै लागे ॥
कहै नानकु तह सुखु होआ िततु घिर अनहद वाजे ॥५॥ 41 साची िलवै िबनु देह िनमाणी ॥ देह िनमाणी िलवै बाझहु िकआ करे वेचारीआ ॥ तुधु बाझु समरथ कोइ नाही िपा किर बनवारीआ ॥ एस नउ होरु थाउ नाही सबिद लािग सवारीआ ॥ कहै नानकु िलवै बाझहु िकआ करे वेचारीआ ॥६॥ आनंदु आनंदु सभु को कहै आनंदु गुरू ते जािणआ ॥ जािणआ आनंदु सदा गुर ते िपा करे िपआिरआ ॥ किर िकरपा िकलिवख कटे िगआन अंजनु सािरआ ॥ अंदरहु िजन का मोहु तुटा ितन का सबदु सचै सवािरआ ॥ कहै नानकु एहु अनंदु है आनंदु गुर ते जािणआ ॥७॥ बाबा िजसु तू देिह सोई जनु पावै ॥ पावै त सो जनु देिह िजस नो होिर िकआ करिह वेचािरआ ॥ इिक भरिम भूले िफरिह दह िदिस इिक नािम लािग सवािरआ ॥ गुर परसादी मनु भइआ िनरमलु िजना भाणा भावए ॥ कहै नानकु िजसु देिह िपआरे सोई जनु पावए ॥८॥ आवहु संत िपआिरहो अकथ की करह कहाणी ॥ करह कहाणी अकथ के री िकतु दुआरै पाईऐ ॥ तनु मनु धनु सभु सउिप गुर कउ हुकिम मंिनऐ पाईऐ ॥ हुकमु मंिनहु गुरू के रा गावहु सची बाणी ॥ कहै नानकु सुणहु संतहु किथहु अकथ कहाणी ॥९॥ ए मन चंचला चतुराई िकनै न पाइआ ॥ चतुराई न पाइआ िकनै तू सुिण मंन मेिरआ ॥ एह माइआ मोहणी िजिन एतु भरिम भुलाइआ ॥ माइआ त मोहणी ितनै कीती िजिन ठगउली पाईआ ॥ कु रबाणु कीता ितसै िवटहु िजिन मोहु मीठा लाइआ ॥ कहै नानकु मन चंचल चतुराई िकनै न पाइआ ॥१०॥
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अनंदु सािहब<br />
रामकली महला ३ अनंदु<br />
ੴ सितगुर सािद ॥<br />
40<br />
अनंदु भइआ मेरी माए सितगुरू मै पाइआ ॥<br />
सितगुरु त पाइआ सहज सेती मिन वजीआ वाधाईआ ॥<br />
राग रतन परवार परीआ सबद गावण आईआ ॥<br />
सबदो त गावहु हरी के रा मिन िजनी वसाइआ ॥<br />
कहै नानकु अनंदु होआ सितगुरू मै पाइआ ॥१॥<br />
ए मन मेिरआ तू सदा रहु हिर नाले ॥<br />
हिर नािल रहु तू मंन मेरे दूख सिभ िवसारणा ॥<br />
अंगीकारु ओहु करे तेरा कारज सिभ सवारणा ॥<br />
सभना गला समरथु सुआमी सो िकउ मनहु िवसारे ॥<br />
कहै नानकु मंन मेरे सदा रहु हिर नाले ॥२॥<br />
साचे सािहबा िकआ नाही घिर तेरै ॥<br />
घिर त तेरै सभु िकछु है िजसु देिह सु पावए ॥<br />
सदा िसफित सलाह तेरी नामु मिन वसावए ॥<br />
नामु िजन कै मिन विसआ वाजे सबद घनेरे ॥<br />
कहै नानकु सचे सािहब िकआ नाही घिर तेरै ॥३॥<br />
साचा नामु मेरा आधारो ॥<br />
साचु नामु अधारु मेरा िजिन भुखा सिभ गवाईआ ॥<br />
किर सांित सुख मिन आइ विसआ िजिन इछा सिभ पुजाईआ ॥<br />
सदा कु रबाणु कीता गुरू िवटहु िजस दीआ एिह विडआईआ ॥<br />
कहै नानकु सुणहु संतहु सबिद धरहु िपआरो ॥<br />
साचा नामु मेरा आधारो ॥४॥<br />
वाजे पंच सबद िततु घिर सभागै ॥<br />
घिर सभागै सबद वाजे कला िजतु घिर धारीआ ॥<br />
पंच दूत तुधु विस कीते कालु कं टकु मािरआ ॥<br />
धुिर करिम पाइआ तुधु िजन कउ िस नािम हिर कै लागे ॥