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आिद पुरख उदार मूरित अजोिन आिद असेख ॥ देस और न भेस जाकर रूप रेख न राग ॥ ज त िदसा िवसा हुइ फै िलओ अनुराग ॥८०॥ नाम काम िबहीन पेखत धाम हूं निह जािह ॥ सरब मान सरब मान सदैव मानत तािह ॥ एक मूरित अनेक दरसन कीन रूप अनेक ॥ खेल खेल अखेल खेलन अंत को िफिर एक ॥८१॥ देव भेव न जानही िजह बेद अउर कतेब ॥ रूप रंग न जाित पाित सु जानई कह जेब ॥ तात मात न जात जाकर जनम मरन िबहीन ॥ च ब िफरै चतुर चक मानही पुर तीन ॥८२॥ लोक चउदह के िबखै जग जापही िजह जाप ॥ आिद देव अनािद मूरित थािपओ सबै िजह थाप ॥ परम रूप पुनीत मूरित पूरन पुरख अपार ॥ सरब िबस्व रिचओ सुय्मभव गड़न भंजनहार ॥८३॥ काल हीन कला संजुगित अकाल पुरख अदेस ॥ धरम धाम सु भरम रिहत अभूत अलख अभेस ॥ अंग राग न रंग जाकिह जाित पाित न नाम ॥ गरब गंजन दुसट भंजन मुकित दाइक काम ॥८४॥ आप रूप अमीक अन उसतित एक पुरख अवधूत ॥ गरब गंजन सरब भंजन आिद रूप असूत ॥ अंग हीन अभंग अनातम एक पुरख अपार ॥ सरब लाइक सरब घाइक सरब को ितपार ॥८५॥ सरब गंता सरब हंता सरब ते अनभेख ॥ सरब सास न जानही िजह रूप रंगु अरु रेख ॥ परम बेद पुराण जाकिह नेत भाखत िनत ॥ कोिट िसित पुरान सास न आवई वहु िचित ॥८६॥ 26 मधुभार छंद ॥ त्व सािद ॥ गुन गन उदार ॥ मिहमा अपार ॥ आसन अभंग ॥ उपमा अनंग ॥८७॥ अनभउ कास ॥ िनसिदन अनास ॥ आजानु बाहु ॥ साहान साहु ॥८८॥ राजान राज ॥ भानान भान ॥ देवान देव ॥ उपमा महान ॥८९॥
इंान इं ॥ बालान बाल ॥ रंकान रंक ॥ कालान काल ॥९०॥ अनभूत अंग ॥ आभा अभंग ॥ गित िमित अपार ॥ गुन गन उदार ॥९१॥ मुिन गन नाम ॥ िनरभै िनकाम ॥ अित दुित चंड ॥ िमित गित अखंड ॥९२॥ आिलस्य करम ॥ आिस्य धरम ॥ सरबा भरणाढय ॥ अनडंड बाढय ॥९३॥ 27 चाचरी छंद ॥ त्व सािद ॥ गोिबदे॥ मुकं दे ॥ उदारे ॥ अपारे ॥९४॥ हरीअं ॥ करीअं ॥ िनामे ॥ अकामे ॥९५॥ भुजंग यात छंद ॥ च च करता ॥ च च हरता ॥ च च दाने ॥ च च जाने ॥९६॥ च च वरती ॥ च च भरती ॥ च च पाले ॥ च च काले ॥९७॥ च च पासे ॥ च च वासे ॥ च च मानयै ॥ च च दानयै ॥९८॥ चाचरी छंद ॥ न सै ॥ न िमै ॥ न भरमं ॥ न िभै ॥९९॥ न करमं ॥ न काए ॥ अजनमं ॥ अजाए ॥१००॥ न िचै ॥ न िमै ॥ परे ह ॥ पिवै ॥१०१॥ िथीसै ॥ अदीसै ॥ अिसै ॥ अिसै ॥१०२॥ भगवती छंद ॥ त्व परािद कथते ॥ िक आिछज देसै ॥ िक आिभज भेसै ॥ िक आगंज करमै ॥ िक आभंज भरमै ॥१०३॥ िक आिभज लोकै ॥ िक आिदत सोकै ॥ िक अवधूत बरनै ॥ िक िबभूत करनै ॥१०४॥ िक राजं भा ह ॥ िक धरमं धुजा ह॥ िक आसोक बरनै ॥ िक सरबा अभरनै ॥१०५॥
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आिद पुरख उदार मूरित अजोिन आिद असेख ॥<br />
देस और न भेस जाकर रूप रेख न राग ॥<br />
ज त िदसा िवसा हुइ फै िलओ अनुराग ॥८०॥<br />
नाम काम िबहीन पेखत धाम हूं निह जािह ॥<br />
सरब मान सरब मान सदैव मानत तािह ॥<br />
एक मूरित अनेक दरसन कीन रूप अनेक ॥<br />
खेल खेल अखेल खेलन अंत को िफिर एक ॥८१॥<br />
देव भेव न जानही िजह बेद अउर कतेब ॥<br />
रूप रंग न जाित पाित सु जानई कह जेब ॥<br />
तात मात न जात जाकर जनम मरन िबहीन ॥<br />
च ब िफरै चतुर चक मानही पुर तीन ॥८२॥<br />
लोक चउदह के िबखै जग जापही िजह जाप ॥<br />
आिद देव अनािद मूरित थािपओ सबै िजह थाप ॥<br />
परम रूप पुनीत मूरित पूरन पुरख अपार ॥<br />
सरब िबस्व रिचओ सुय्मभव गड़न भंजनहार ॥८३॥<br />
काल हीन कला संजुगित अकाल पुरख अदेस ॥<br />
धरम धाम सु भरम रिहत अभूत अलख अभेस ॥<br />
अंग राग न रंग जाकिह जाित पाित न नाम ॥<br />
गरब गंजन दुसट भंजन मुकित दाइक काम ॥८४॥<br />
आप रूप अमीक अन उसतित एक पुरख अवधूत ॥<br />
गरब गंजन सरब भंजन आिद रूप असूत ॥<br />
अंग हीन अभंग अनातम एक पुरख अपार ॥<br />
सरब लाइक सरब घाइक सरब को ितपार ॥८५॥<br />
सरब गंता सरब हंता सरब ते अनभेख ॥<br />
सरब सास न जानही िजह रूप रंगु अरु रेख ॥<br />
परम बेद पुराण जाकिह नेत भाखत िनत ॥<br />
कोिट िसित पुरान सास न आवई वहु िचित ॥८६॥<br />
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मधुभार छंद ॥ त्व सािद ॥<br />
गुन गन उदार ॥ मिहमा अपार ॥<br />
आसन अभंग ॥ उपमा अनंग ॥८७॥<br />
अनभउ कास ॥ िनसिदन अनास ॥<br />
आजानु बाहु ॥ साहान साहु ॥८८॥<br />
राजान राज ॥ भानान भान ॥<br />
देवान देव ॥ उपमा महान ॥८९॥