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शबद हजारे माझ महला ५ चउपदे घरु १ ॥ 16 मेरा मनु लोचै गुर दरसन ताई ॥ िबलप करे चािक की िनआई ॥ िखा न उतरै सांित न आवै िबनु दरसन संत िपआरे जीउ ॥१॥ हउ घोली जीउ घोिल घुमाई गुर दरसन संत िपआरे जीउ ॥१॥ रहाउ ॥ तेरा मुखु सुहावा जीउ सहज धुिन बाणी ॥ िचरु होआ देखे सारगपाणी ॥ धंनु सु देसु जहा तूं विसआ मेरे सजण मीत मुरारे जीउ ॥२॥ हउ घोली हउ घोिल घुमाई गुर सजण मीत मुरारे जीउ ॥१॥रहाउ ॥ इक घड़ी न िमलते ता किलजुगु होता ॥ हुिण किद िमलीऐ िअ तुधु भगवंता ॥ मोिह रैिण न िवहावै नीद न आवै िबनु देखे गुर दरबारे जीउ ॥३॥ हउ घोली जीउ घोिल घुमाई ितसु सचे गुर दरबारे जीउ ॥१॥रहाउ ॥भागु होआ गुिर संतु िमलाइआ ॥ भु अिबनासी घर मिह पाइआ ॥ सेव करी पलु चसा न िवछु ड़ा जन नानक दास तुमारे जीउ ॥४॥ हउ घोली जीउ घोिल घुमाई जन नानक दास तुमारे जीउ ॥ रहाउ ॥१॥८॥ धनासरी महला १ घरु १ चउपदे ੴ सित नामु करता पुरखु िनरभउ िनरवैरु अकाल मूरित अजूनी सैभं गुर सािद ॥ जीउ डरतु है आपणा कै िसउ करी पुकार ॥ दूख िवसारणु सेिवआ सदा सदा दातारु ॥१॥ सािहबु मेरा नीत नवा सदा सदा दातारु ॥१॥ रहाउ ॥ अनिदनु सािहबु सेवीऐ अंित छडाए सोइ ॥ सुिण सुिण मेरी कामणी पािर उतारा होइ ॥२॥ दइआल तेरै नािम तरा ॥ सद कु रबाणै जाउ ॥१॥ रहाउ ॥ सरबं साचा एकु है दूजा नाही कोइ ॥ ता की सेवा सो करे जा कउ नदिर करे ॥३॥ तुधु बाझु िपआरे के व रहा ॥
सा विडआई देिह िजतु नािम तेरे लािग रहां ॥ दूजा नाही कोइ िजसु आगै िपआरे जाइ कहा ॥१॥ रहाउ ॥ सेवी सािहबु आपणा अवरु न जाचंउ कोइ ॥ नानकु ता का दासु है िबद िबद चुख चुख होइ ॥४॥ सािहब तेरे नाम िवटहु िबद िबद चुख चुख होइ ॥१॥ रहाउ ॥४॥१॥ 17 ितलंग महला १ घरु ३ ੴ सितगुर सािद ॥ इहु तनु माइआ पािहआ िपआरे लीतड़ा लिब रंगाए ॥ मेरै कं त न भावै चोलड़ा िपआरे िकउ धन सेजै जाए ॥१॥ हंउ कु रबानै जाउ िमहरवाना हंउ कु रबानै जाउ ॥ हंउ कु रबानै जाउ ितना कै लैिन जो तेरा नाउ ॥ लैिन जो तेरा नाउ ितना कै हंउ सद कु रबानै जाउ ॥१॥ रहाउ ॥ काइआ रंङिण जे थीऐ िपआरे पाईऐ नाउ मजीठ ॥ रंङण वाला जे रंङै सािहबु ऐसा रंगु न डीठ ॥२॥ िजन के चोले रतड़े िपआरे कं तु ितना कै पािस ॥ धूिड़ ितना की जे िमलै जी कहु नानक की अरदािस ॥३॥ आपे साजे आपे रंगे आपे नदिर करेइ ॥ नानक कामिण कं तै भावै आपे ही रावेइ ॥४॥१॥३॥ ितलंग मः १ ॥ इआनड़ीए मानड़ा काइ करेिह ॥ आपनड़ै घिर हिर रंगो की न माणेिह ॥ सहु नेड़ै धन कमलीए बाहरु िकआ ढूढेिह ॥ भै कीआ देिह सलाईआ नैणी भाव का किर सीगारो ॥ ता सोहागिण जाणीऐ लागी जा सहु धरे िपआरो ॥१॥ इआणी बाली िकआ करे जा धन कं त न भावै ॥ करण पलाह करे बहुतेरे सा धन महलु न पावै ॥ िवणु करमा िकछु पाईऐ नाही जे बहुतेरा धावै ॥ लब लोभ अहंकार की माती माइआ मािह समाणी ॥ इनी बाती सहु पाईऐ नाही भई कामिण इआणी ॥२॥ जाइ पुछहु सोहागणी वाहै िकनी बाती सहु पाईऐ ॥ जो िकछु करे सो भला किर मानीऐ िहकमित हुकमु चुकाईऐ ॥
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शबद हजारे<br />
माझ महला ५ चउपदे घरु १ ॥<br />
16<br />
मेरा मनु लोचै गुर दरसन ताई ॥<br />
िबलप करे चािक की िनआई ॥<br />
िखा न उतरै सांित न आवै िबनु दरसन संत िपआरे जीउ ॥१॥<br />
हउ घोली जीउ घोिल घुमाई गुर दरसन संत िपआरे जीउ ॥१॥<br />
रहाउ ॥ तेरा मुखु सुहावा जीउ सहज धुिन बाणी ॥<br />
िचरु होआ देखे सारगपाणी ॥<br />
धंनु सु देसु जहा तूं विसआ मेरे सजण मीत मुरारे जीउ ॥२॥<br />
हउ घोली हउ घोिल घुमाई गुर सजण मीत मुरारे जीउ ॥१॥रहाउ ॥<br />
इक घड़ी न िमलते ता किलजुगु होता ॥<br />
हुिण किद िमलीऐ िअ तुधु भगवंता ॥<br />
मोिह रैिण न िवहावै नीद न आवै िबनु देखे गुर दरबारे जीउ ॥३॥<br />
हउ घोली जीउ घोिल घुमाई ितसु सचे गुर दरबारे जीउ ॥१॥रहाउ ॥भागु होआ गुिर<br />
संतु<br />
िमलाइआ ॥<br />
भु अिबनासी घर मिह पाइआ ॥<br />
सेव करी पलु चसा न िवछु ड़ा जन नानक दास तुमारे जीउ ॥४॥<br />
हउ घोली जीउ घोिल घुमाई जन नानक दास तुमारे जीउ ॥ रहाउ ॥१॥८॥<br />
धनासरी महला १ घरु १ चउपदे<br />
ੴ सित नामु करता पुरखु िनरभउ िनरवैरु<br />
अकाल मूरित अजूनी सैभं गुर सािद ॥<br />
जीउ डरतु है आपणा कै िसउ करी पुकार ॥<br />
दूख िवसारणु सेिवआ सदा सदा दातारु ॥१॥<br />
सािहबु मेरा नीत नवा सदा सदा दातारु ॥१॥ रहाउ ॥<br />
अनिदनु सािहबु सेवीऐ अंित छडाए सोइ ॥<br />
सुिण सुिण मेरी कामणी पािर उतारा होइ ॥२॥<br />
दइआल तेरै नािम तरा ॥<br />
सद कु रबाणै जाउ ॥१॥ रहाउ ॥<br />
सरबं साचा एकु है दूजा नाही कोइ ॥<br />
ता की सेवा सो करे जा कउ नदिर करे ॥३॥<br />
तुधु बाझु िपआरे के व रहा ॥